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Rudra Astakam
Rudra Astakam
कुङ्कुमचन्दििेर्र्तर्िङ्गं र्ङ्कजहारसुशोर्भतर्िङ्गम्।
सर्चचतर्ार्र्ििाशिर्िङ्गं तत् प्रणमार्म सदार्शिर्िङ्गम्॥५॥
त्रनराकार मोंकार मल
ू ं तुरीयं, त्रगराज्ञान गोतीतमीिं त्रगरीिम््।
करालं महाकाल कालं कृपालुं, गुणागार संसार पारं नतोऽहम््॥
प्रचण्डं प्रकष्टं प्रगल्भं परे िं, अखण्डं अजं भानु कोत्रि प्रकािम््।
ियिल ू त्रनमप ल
ू नं िल ू पात्रणं, भजेऽहं भवानीपत्रतं भाव गम्यम््॥
ू प म् ॥
॥ इत्रत श्रीगोथवामीतुलसीदासकृतं श्रीरुद्ाष्टकं सम्पण