You are on page 1of 262

तौरे त

असल इबरानी मतन से नया उदूर् तरजुमा

उदूर् िजयो वरझ़न


The Pentateuch in Modern Urdu
Translated from the Original Hebrew
Urdu Geo Version (Hindi script)

© 2021 Urdu Geo Version


www.urdugeoversion.com

This work is licensed under a Creative Commons Attribution


- NonCommercial - NoDerivatives 4.0 International Public License.
https://creativecommons.org/licenses/by-nc-nd/4.0/legalcode

For permissions & requests regarding printing & further formats


contact info@urdugeoversion.com.
तौरे त
पै दाइश 1 िगनती 160
ख़ुरूज 66 इिस्तसना 208
अहबार 122
हरफ़े-आग़ाज़

अज़ीज़ क़ारी! आपके हाथ में िकताबे -मुक़द्दस का नया उदूर् तरजुमा है । यह इलाही िकताब इनसान
के िलए अल्लाह तआला का कलाम है । इसमें इनसान के साथ अल्लाह की मुहब्बत और उसके
िलए उस की मरज़ी और मनशा का इज़हार है ।
िकताबे -मुक़द्दस पुराने और नए अहदनामे का मजमुआ है । पुराना अहदनामा तौरे त, तारीख़ी
सहायफ़, िहकमत और ज़बूर के सहायफ़, और अं िबया के सहायफ़ पर मुश्तिमल है । नया
अहदनामा इं जीले -मुक़द्दस का पाक कलाम है ।
पुराने अहदनामे की असल ज़बान इबरानी और अरामी और नए अहदनामे की यूनानी है । ज़े रे-
नज़र मतन इन ज़बानाें का बराहे -रास्त तरजुमा है । मुतरिजम ने हर मुमिकन कोिशश की है िक
असल ज़बानाें का सहीह सहीह मफ़हूम अदा करे ।
पाक कलाम के तमाम मुतरिजमीन को दो सवालाें का सामना है : पहला यह िक असल मतन
का सहीह सहीह तरजुमा िकया जाए। दूसरा यह िक िजस ज़बान में तरजुमा करना मक़सूद हो
उस की ख़ूबसूरती और चाशनी भी बरक़रार रहे और पाक मतन के साथ वफ़ादारी भी मुतअिस्सर
न हो। चुनाँ चे हर मुतरिजम को फ़ैसला करना होता है िक कहाँ तक वुह लफ़्ज़ बलफ़्ज़ तरजुमा
करे और कहाँ तक उदूर् ज़बान की से हत, ख़ूबसूरती और चाशनी को मद्दे-नज़र रखते हुए क़दरे
आज़ादाना तरजुमा करे । मुख़्तिलफ़ तरजुमाें में जो बाज़ औक़ात थोड़ा-बहत फ़रक़ नज़र आता
है उसका यही सबब है िक एक मुतरिजम असल अलफ़ाज़ का ज़्यादा पाबं द रहा है जबिक दूसरे
ने मफ़हूम को अदा करने में उदूर् ज़बान की िरआयत करके क़दरे आज़ाद तरीक़े से मतलब को
अदा करने की कोिशश की है । इस तरजुमे में जहाँ तक हो सका असल ज़बान के क़रीब रहने की
कोिशश की गई है । याद रहे िक सुर्िख़याँ और उनवानात मतन का िहस्सा नहीं हैं । उनको महज़
क़ारी की सहूलत की ख़ाितर िदया गया है ।
चूँिक असल ज़बानाें में अं िबया के िलए इज़्ज़त के वुह अलक़ाब इस्ते माल नहीं िकए गए िजनका
आज-कल िरवाज है , इसिलए इलहामी मतन के एहतराम को मलहूज़े -ख़ाितर रखते हुए तरजुमे
में अलक़ाब का इज़ाफ़ा करने से गुरेज़ िकया गया है ।
िकताबे -मुक़द्दस में मज़कूर जवाहरात का तरजुमा जदीद साइं सी तहक़ीक़ात के मुतािबक़ िकया
गया है ।
चूँिक वक़्त के साथ साथ नाप-तोल की िमक़दारें क़दरे बदल गइर्ं इसिलए तरजुमे में उनकी
अदायगी में ख़ास मुिश्कल पे श आई।
6
जहाँ रूह का लफ़ज़ सीग़ाए-मुज़क्कर में अदा िकया गया है वहाँ उससे मुराद रूहुल-क़ुद्स यानी
ख़ुदा का रूह है । जब वुह और मानाें में मुस्तामल है तब मामूल के मुतािबक़ सीग़ाए-मुअन्नस
इस्ते माल हुआ है ।
इं जीले -मुक़द्दस में बपितस्मा दे ने का लुग़वी मतलब ग़ोता दे ना है । िजस शख़्स को बपितस्मा
िदया जाता है उसे पानी में ग़ोता िदया जाता है ।
बारी तआला के फ़ज़ल से इं जीले -मुक़द्दस के कई उदूर् तरजुमे दस्तयाब हैं । इन सबका मक़सद
यही है िक असल ज़बान का मफ़हूम अदा िकया जाए। इनका आपस में मुक़ाबला नहीं है बिल्क
मुख़्तिलफ़ तरजुमाें का एक दूसरे के साथ मुवाज़ना करने से असली ज़बान के मफ़हूम की गहराई
और वुसअत सामने आती है और याें मुख़्तिलफ़ तरजुमे िमलकर कलामे -मुक़द्दस की पूरी तफ़्हीम
में मुअिवन सािबत होते हैं ।
अल्लाह करे िक यह तरजुमा भी उसके िंज़दा कलाम का मतलब और मक़सद और उस की
वुसअत और गहराई को ज़्यादा सफ़ाई से समझने में मदद का बाइस बने ।

नािशरीन
पै दाइश

दुिनया की तख़लीक़ का तरफ़ ख़ुश्क जगह नज़र आए।” ऐसा ही हुआ।


पहला िदन : रौशनी 10 अल्लाह ने ख़ुश्क जगह को ज़मीन का नाम

1 इिब्तदा में अल्लाह ने आसमान और


ज़मीन को बनाया। 2 अभी तक ज़मीन
वीरान और ख़ाली थी। वह गहरे पानी से ढकी
िदया और जमाशुदा पानी को समुंदर का। और
अल्लाह ने दे खा िक यह अच्छा है । 11 िफर उसने
कहा, “ज़मीन हिरयावल पै दा करे , ऐसे पौदे
हुई थी िजसके ऊपर अं धेरा ही अं धेरा था। जो बीज रखते हाें और ऐसे दरख़्त िजनके फल
अल्लाह का रूह पानी के ऊपर मँ डला रहा था। अपनी अपनी िक़स्म के बीज रखते हाें ।” ऐसा
3 िफर अल्लाह ने कहा, “रौशनी हो जाए” ही हुआ। 12 ज़मीन ने हिरयावल पै दा की, ऐसे
तो रौशनी पै दा हो गई। 4 अल्लाह ने दे खा िक पौदे जो अपनी अपनी िक़स्म के बीज रखते और
रौशनी अच्छी है , और उसने रौशनी को तारीकी ऐसे दरख़्त िजनके फल अपनी अपनी िक़स्म के
से अलग कर िदया। 5 अल्लाह ने रौशनी को िदन बीज रखते थे । अल्लाह ने दे खा िक यह अच्छा
का नाम िदया और तारीकी को रात का। शाम है । 13 शाम हुई, िफर सुबह। याें तीसरा िदन
हुई, िफर सुबह। याें पहला िदन गुज़र गया। गुज़र गया।

दूसरा िदन : आसमान चौथा िदन : सूरज, चाँ द और िसतारे


6 अल्लाह ने कहा, “पानी के दरिमयान एक 14 अल्लाह ने कहा, “आसमान पर रौश-

ऐसा गुंबद पै दा हो जाए िजससे िनचला पानी िनयाँ पै दा हो जाएँ तािक िदन और रात में
ऊपर के पानी से अलग हो जाए।” 7 ऐसा ही इिम्तयाज़ हो और इसी तरह मुख़्तिलफ़ मौसमाें ,
हुआ। अल्लाह ने एक ऐसा गुंबद बनाया िजससे िदनाें और सालाें में भी। 15 आसमान की यह
िनचला पानी ऊपर के पानी से अलग हो गया। रौशिनयाँ दुिनया को रौशन करें ।” ऐसा ही
8 अल्लाह ने गुंबद को आसमान का नाम िदया। हुआ। 16 अल्लाह ने दो बड़ी रौशिनयाँ बनाइर्ं ,
सूरज जो बड़ा था िदन पर हुकूमत करने को और
शाम हुई, िफर सुबह। याें दूसरा िदन गुज़र गया।
चाँ द जो छोटा था रात पर। इनके अलावा उसने
तीसरा िदन : ख़ुश्क ज़मीन और पौदे िसताराें को भी बनाया। 17 उसने उन्हें आसमान
9 अल्लाह ने कहा, “जो पानी आसमान के पर रखा तािक वह दुिनया को रौशन करें , 18 िदन
नीचे है वह एक जगह जमा हो जाए तािक दूसरी और रात पर हुकूमत करें और रौशनी और
पै दाइश 1:19 2
तारीकी में इिम्तयाज़ पै दा करें । अल्लाह ने दे खा 29 अल्लाह ने उनसे मज़ीद कहा, “तमाम

िक यह अच्छा है । शाम हुई, िफर सुबह। याें बीजदार पौदे और फलदार दरख़्त तुम्हारे ही हैं ।
19

चौथा िदन गुज़र गया। मैं उन्हें तुमको खाने के िलए दे ता हूँ । 30 इस तरह
मैं तमाम जानवराें को खाने के िलए हिरयाली
पाँ चवाँ िदन : पानी और हवा के जानदार दे ता हूँ । िजसमें भी जान है वह यह खा सकता है ,
20 अल्लाह ने कहा, “पानी आबी जानदाराें ख़ाह वह ज़मीन पर चलने -िफरने वाला जानवर,
से भर जाए और िफ़ज़ा में पिंरदे उड़ते िफरें ।” हवा का पिंरदा या ज़मीन पर रें गने वाला क्याें न
21 अल्लाह ने बड़े बड़े समुंदरी जानवर बनाए, हो।” ऐसा ही हुआ। 31 अल्लाह ने सब पर नज़र

पानी की तमाम दीगर मख़लूक़ात और हर की तो दे खा िक वह बहुत अच्छा बन गया है ।


िक़स्म के पर रखने वाले जानदार भी बनाए। शाम हुई, िफर सुबह। छटा िदन गुज़र गया।
अल्लाह ने दे खा िक यह अच्छा है । 22 उसने
उन्हें बरकत दी और कहा, “फलो-फूलो और सातवाँ िदन : आराम
तादाद में बढ़ते जाओ। समुंदर तुमसे भर जाए।
इसी तरह पिंरदे ज़मीन पर तादाद में बढ़ जाएँ ।” 2 याें आसमानो-ज़मीन और उनकी तमाम
चीज़ाें की तख़लीक़ मुकम्मल हुई।
23 शाम हुई, िफर सुबह। याें पाँ चवाँ िदन गुज़र 2 सातवें िदन अल्लाह का सारा काम तकमील

गया। को पहुँ चा। इससे फ़ािरग़ होकर उसने आराम


िकया। 3 अल्लाह ने सातवें िदन को बरकत
छटा िदन : ज़मीन पर चलने वाले दी और उसे मख़सूसो-मुक़द्दस िकया। क्याें िक
जानवर और इनसान उस िदन उसने अपने तमाम तख़लीक़ी काम से
24 अल्लाह ने कहा, “ज़मीन हर िक़स्म के फ़ािरग़ होकर आराम िकया।
जानदार पै दा करे : मवे शी, रें गने वाले और
जं गली जानवर।” ऐसा ही हुआ। 25 अल्लाह आदम और हव्वा
ने हर िक़स्म के मवे शी, रें गने वाले और जं गली 4 यह आसमानो-ज़मीन की तख़लीक़ का
जानवर बनाए। उसने दे खा िक यह अच्छा है । बयान है । जब रब ख़ुदा ने आसमानो-ज़मीन
26 अल्लाह ने कहा, “आओ अब हम इनसान को बनाया 5 तो शुरू में झािड़याँ और पौदे नहीं

को अपनी सूरत पर बनाएँ , वह हमसे मुशाबहत उगते थे । वजह यह थी िक अल्लाह ने बािरश


रखे । वह तमाम जानवराें पर हुकूमत करे , का इं तज़ाम नहीं िकया था। और अभी इनसान
समुंदर की मछिलयाें पर, हवा के पिंरदाें पर, भी पै दा नहीं हुआ था िक ज़मीन की खे तीबाड़ी
मवे िशयाें पर, जं गली जानवराें पर और ज़मीन करता। 6 इसकी बजाए ज़मीन में से धुंध उठकर
पर के तमाम रें गने वाले जानदाराें पर।” 27 याें उस की पूरी सतह को तर करती थी। 7 िफर
अल्लाह ने इनसान को अपनी सूरत पर बनाया, रब ख़ुदा ने ज़मीन से िमट्टी ले कर इनसान को
अल्लाह की सूरत पर। उसने उन्हें मदर् और तश्कील िदया और उसके नथनाें में िंज़दगी का
औरत बनाया। 28 अल्लाह ने उन्हें बरकत दी दम फँ ू का तो वह जीती जान हुआ।
और कहा, “फलो-फूलो और तादाद में बढ़ते 8 रब ख़ुदा ने मशिरक़ में मुल्के-अदन में एक

जाओ। दुिनया तुमसे भर जाए और तुम उस बाग़ लगाया। उसमें उसने उस आदमी को रखा
पर इिख़्तयार रखो। समुंदर की मछिलयाें , हवा िजसे उसने बनाया था। 9 रब ख़ुदा के हुक्म पर
के पिंरदाें और ज़मीन पर के तमाम रें गने वाले ज़मीन में से तरह तरह के दरख़्त फूट िनकले ,
जानदाराें पर हुकूमत करो।” ऐसे दरख़्त जो दे खने में िदलकश और खाने के
3 पै दाइश 3:8
िलए अच्छे थे । बाग़ के बीच में दो दरख़्त थे । पुकार उठा, “वाह! यह तो मुझ जै सी ही है ,
एक का फल िंज़दगी बख़्शता था जबिक दूसरे मे री हिड्डयाें में से हड्डी और मे रे गोश्त में से गोश्त
का फल अच्छे और बुरे की पहचान िदलाता था। है । इसका नाम नारी रखा जाए क्याें िक वह नर
10 अदन में से एक दिरया िनकलकर बाग़ की से िनकाली गई है ।” 24 इसिलए मदर् अपने माँ -
आबपाशी करता था। वहाँ से बहकर वह चार बाप को छोड़कर अपनी बीवी के साथ पै वस्त
शाख़ाें में तक़सीम हुआ। 11-12 पहली शाख़ का हो जाता है , और वह दोनाें एक हो जाते हैं ।
नाम फ़ीसून है । वह मुल्के-हवीला को घे रे हुए 25 दोनाें , आदमी और औरत नं गे थे , ले िकन यह

बहती है जहाँ ख़ािलस सोना, गूगल का गूँद और उनके िलए शमर् का बाइस नहीं था।
अक़ीक़े-अहमर a पाए जाते हैं । 13 दूसरी का नाम
जै हून है जो कूश को घे रे हुए बहती है । 14 तीसरी गुनाह का आग़ाज़
का नाम िदजला है जो असूर के मशिरक़ को
जाती है और चौथी का नाम फ़ुरात है ।
15 रब ख़ुदा ने पहले आदमी को बाग़े -अदन में
3 साँ प ज़मीन पर चलने -िफरने वाले उन
तमाम जानवराें से ज़्यादा चालाक था
िजनको रब ख़ुदा ने बनाया था। उसने औरत से
रखा तािक वह उस की बाग़बानी और िहफ़ाज़त पूछा, “क्या अल्लाह ने वाक़ई कहा िक बाग़ के
करे । 16 ले िकन रब ख़ुदा ने उसे आगाह िकया, िकसी भी दरख़्त का फल न खाना?” 2 औरत
“तुझे हर दरख़्त का फल खाने की इजाज़त है । ने जवाब िदया, “हरिगज़ नहीं। हम बाग़ का हर
17 ले िकन िजस दरख़्त का फल अच्छे और बुरे फल खा सकते हैं , 3 िसफ़र् उस दरख़्त के फल से
की पहचान िदलाता है उसका फल खाना मना गुरेज़ करना है जो बाग़ के बीच में है । अल्लाह
है । अगर उसे खाए तो यक़ीनन मरे गा।” ने कहा िक उसका फल न खाओ बिल्क उसे
18 रब ख़ुदा ने कहा, “अच्छा नहीं िक आदमी छू ना भी नहीं, वरना तुम यक़ीनन मर जाओगे ।”
अकेला रहे । मैं उसके िलए एक मुनािसब 4 साँ प ने औरत से कहा, “तुम हरिगज़ न मरोगे ,

मददगार बनाता हूँ ।” 5 बिल्क अल्लाह जानता है िक जब तुम उसका

19 रब ख़ुदा ने िमट्टी से ज़मीन पर चलने - फल खाओगे तो तुम्हारी आँखें खुल जाएँ गी और


िफरने वाले जानवर और हवा के पिंरदे बनाए थे । तुम अल्लाह की मािंनद हो जाओगे , तुम जो भी
अब वह उन्हें आदमी के पास ले आया तािक अच्छा और बुरा है उसे जान लोगे ।”
मालूम हो जाए िक वह उनके क्या क्या नाम 6 औरत ने दरख़्त पर ग़ौर िकया िक खाने के

रखे गा। याें हर जानवर को आदम की तरफ़ से िलए अच्छा और दे खने में भी िदलकश है । सबसे
नाम िमल गया। 20 आदमी ने तमाम मवे िशयाें , िदलफ़रे ब बात यह िक उससे समझ हािसल
पिंरदाें और ज़मीन पर िफरने वाले जानदाराें के हो सकती है ! यह सोचकर उसने उसका फल
नाम रखे । ले िकन उसे अपने िलए कोई मुनािसब ले कर उसे खाया। िफर उसने अपने शौहर को
मददगार न िमला। भी दे िदया, क्याें िक वह उसके साथ था। उसने
21 तब रब ख़ुदा ने उसे सुला िदया। जब वह भी खा िलया। 7 ले िकन खाते ही उनकी आँखें
गहरी नींद सो रहा था तो उसने उस की पसिलयाें खुल गइर्ं और उनको मालूम हुआ िक हम नं गे
में से एक िनकालकर उस की जगह गोश्त भर हैं । चुनाँ चे उन्हाें ने अं जीर के पत्ते सीकर लुंिगयाँ
िदया। 22 पसली से उसने औरत बनाई और उसे बना लीं।
आदमी के पास ले आया। 23 उसे दे खकर वह 8 शाम के वक़्त जब ठं डी हवा चलने लगी तो

उन्हाें ने रब ख़ुदा को बाग़ में चलते -िफरते सुना।


a
carnelian
पै दाइश 3:9 4
वह डर के मारे दरख़्ताें के पीछे छु प गए। 9 रब जाएगा, क्याें िक तू उसी से िलया गया है । तू
ख़ुदा ने पुकारकर कहा, “आदम, तू कहाँ है ?” ख़ाक है और दुबारा ख़ाक में िमल जाएगा।”
10 आदम ने जवाब िदया, “मैं ने तुझे बाग़ में 20 आदम ने अपनी बीवी का नाम हव्वा यानी

चलते हुए सुना तो डर गया, क्याें िक मैं नं गा हूँ । िंज़दगी रखा, क्याें िक बाद में वह तमाम िंज़दाें
इसिलए मैं छु प गया।” 11 उसने पूछा, “िकसने की माँ बन गई। 21 रब ख़ुदा ने आदम और उस
तुझे बताया िक तू नं गा है ? क्या तूने उस दरख़्त की बीवी के िलए खालाें से िलबास बनाकर
का फल खाया है िजसे खाने से मैं ने मना िकया उन्हें पहनाया। 22 उसने कहा, “इनसान हमारी
था?” 12 आदम ने कहा, “जो औरत तूने मे रे मािंनद हो गया है , वह अच्छे और बुरे का
साथ रहने के िलए दी है उसने मुझे फल िदया। इल्म रखता है । अब ऐसा न हो िक वह हाथ
इसिलए मैं ने खा िलया।” 13 अब रब ख़ुदा औरत बढ़ाकर िंज़दगी बख़्शने वाले दरख़्त के फल
से मुख़ाितब हुआ, “तूने यह क्याें िकया?” से ले और उससे खाकर हमे शा तक िंज़दा
औरत ने जवाब िदया, “साँ प ने मुझे बहकाया रहे ।” 23 इसिलए रब ख़ुदा ने उसे बाग़े -अदन
तो मैं ने खाया।” से िनकालकर उस ज़मीन की खे तीबाड़ी करने
14 रब ख़ुदा ने साँ प से कहा, “चूँिक तूने की िज़म्मे दारी दी िजसमें से उसे िलया गया
यह िकया, इसिलए तू तमाम मवे िशयाें और था। 24 इनसान को ख़ािरज करने के बाद उसने
जं गली जानवराें में लानती है । तू उम्र-भर पे ट बाग़े -अदन के मशिरक़ में करूबी फ़िरश्ते खड़े
के बल रें गे गा और ख़ाक चाटे गा। 15 मैं ते रे और िकए और साथ साथ एक आितशी तलवार रखी
औरत के दरिमयान दुश्मनी पै दा करूँगा। उस जो इधर-उधर घूमती थी तािक उस रास्ते की
की औलाद ते री औलाद की दुश्मन होगी। वह िहफ़ाज़त करे जो िंज़दगी बख़्शने वाले दरख़्त
ते रे सर को कुचल डाले गी जबिक तू उस की तक पहुँ चाता था।
एड़ी पर काटे गा।”
16 िफर रब ख़ुदा औरत से मुख़ाितब हुआ क़ाबील और हाबील
और कहा, “जब तू उम्मीद से होगी तो मैं
ते री तकलीफ़ को बहुत बढ़ाऊँगा। जब ते रे
बच्चे हाें गे तो तू शदीद ददर् का िशकार होगी।
4 आदम हव्वा से हमिबसतर हुआ तो
उनका पहला बे टा क़ाबील पै दा हुआ।
हव्वा ने कहा, “रब की मदद से मैं ने एक मदर्
तू अपने शौहर की तमन्ना करे गी ले िकन वह हािसल िकया है ।” 2 बाद में क़ाबील का भाई
तुझ पर हुकूमत करे गा।” 17 आदम से उसने हाबील पै दा हुआ। हाबील भे ड़-बकिरयाें का
कहा, “तूने अपनी बीवी की बात मानी और चरवाहा बन गया जबिक क़ाबील खे तीबाड़ी
उस दरख़्त का फल खाया िजसे खाने से मैं ने करने लगा।
मना िकया था। इसिलए ते रे सबब से ज़मीन पर
लानत है । उससे ख़ुराक हािसल करने के िलए पहला क़त्ल
तुझे उम्र-भर मे हनत-मशक़्क़त करनी पड़े गी। 3 कुछ दे र के बाद क़ाबील ने रब को अपनी

18 ते रे िलए वह ख़ारदार पौदे और ऊ ँ टकटारे फ़सलाें में से कुछ पे श िकया। 4 हाबील ने भी


पै दा करे गी, हालाँ िक तू उससे अपनी ख़ुराक नज़राना पे श िकया, ले िकन उसने अपनी भे ड़-
भी हािसल करे गा। 19 पसीना बहा बहाकर तुझे बकिरयाें के कुछ पहलौठे उनकी चरबी समे त
रोटी कमाने के िलए भाग-दौड़ करनी पड़े गी। चढ़ाए। हाबील का नज़राना रब को पसं द आया,
और यह िसलिसला मौत तक जारी रहे गा। 5 मगर क़ाबील का नज़राना मं ज़ूर न हुआ। यह

तू मे हनत करते करते दुबारा ज़मीन में लौट दे खकर क़ाबील बड़े ग़ुस्से में आ गया, और
5 पै दाइश 4:25
उसका मुँह िबगड़ गया। 6 रब ने पूछा, “तू ग़ुस्से 16 इसके बाद क़ाबील रब के हुज़ूर से चला गया
में क्याें आ गया है ? ते रा मुँह क्याें लटका और अदन के मशिरक़ की तरफ़ नोद के इलाक़े
हुआ है ? 7 क्या अगर तू अच्छी नीयत रखता में जा बसा।
है तो अपनी नज़र उठाकर मे री तरफ़ नहीं दे ख
सकेगा? ले िकन अगर अच्छी नीयत नहीं रखता क़ाबील का ख़ानदान
तो ख़बरदार! गुनाह दरवाज़े पर दबका बै ठा है 17 क़ाबील की बीवी हािमला हुई। बे टा पै दा
और तुझे चाहता है । ले िकन ते रा फ़ज़र् है िक उस हुआ िजसका नाम हनूक रखा गया। क़ाबील ने
पर ग़ािलब आए।” एक शहर तामीर िकया और अपने बे टे की ख़ुशी
8 एक िदन क़ाबील ने अपने भाई से कहा, में उसका नाम हनूक रखा। 18 हनूक का बे टा
“आओ, हम बाहर खुले मै दान में चलें ।” और ईराद था, ईराद का बे टा महूयाएल, महूयाएल
जब वह खुले मै दान में थे तो क़ाबील ने अपने का बे टा मतूसाएल और मतूसाएल का बे टा
भाई हाबील पर हमला करके उसे मार डाला। लमक था। 19 लमक की दो बीिवयाँ थीं, अदा
9 तब रब ने क़ाबील से पूछा, “ते रा भाई और िज़ल्ला। 20 अदा का बे टा याबल था। उस
हाबील कहाँ है ?” क़ाबील ने जवाब िदया, की नसल के लोग ख़ै माें में रहते और मवे शी
“मुझे क्या पता! क्या अपने भाई की दे ख- पालते थे । 21 याबल का भाई यूबल था। उस
भाल करना मे री िज़म्मे दारी है ?” 10 रब ने की नसल के लोग सरोद a और बाँ सरी बजाते
कहा, “तूने क्या िकया है ? ते रे भाई का ख़ून थे । 22 िज़ल्ला के भी बे टा पै दा हुआ िजसका
ज़मीन में से पुकारकर मुझसे फ़िरयाद कर रहा नाम तूबल-क़ाबील था। वह लोहार था। उस की
है । 11 इसिलए तुझ पर लानत है और ज़मीन नसल के लोग पीतल और लोहे की चीज़ें बनाते
ने तुझे रद्द िकया है , क्याें िक ज़मीन को मुँह थे । तूबल-क़ाबील की बहन का नाम नामा था।
खोलकर ते रे हाथ से क़त्ल िकए हुए भाई का 23 एक िदन लमक ने अपनी बीिवयाें से कहा,

ख़ून पीना पड़ा। 12 अब से जब तू खे तीबाड़ी “अदा और िज़ल्ला, मे री बात सुनो! लमक की


करे गा तो ज़मीन अपनी पै दावार दे ने से इनकार बीिवयो, मे रे अलफ़ाज़ पर ग़ौर करो! 24 एक
करे गी। तू मफ़रूर होकर मारा मारा िफरे गा।” आदमी ने मुझे ज़ख़मी िकया तो मैं ने उसे मार
13 क़ाबील ने कहा, “मे री सज़ा िनहायत सख़्त डाला। एक लड़के ने मे रे चोट लगाई तो मैं ने
है । मैं इसे बरदाश्त नहीं कर पाऊँगा। 14 आज तू उसे क़त्ल कर िदया। जो क़ाबील को क़त्ल करे
मुझे ज़मीन की सतह से भगा रहा है और मुझे उससे सात गुना बदला िलया जाएगा, ले िकन
ते रे हुज़ूर से भी छु प जाना है । मैं मफ़रूर की जो लमक को क़त्ल करे उससे सतत्तर गुना
है िसयत से मारा मारा िफरता रहूँ गा, इसिलए बदला िलया जाएगा।”
िजसको भी पता चले गा िक मैं कहाँ हूँ वह
मुझे क़त्ल कर डाले गा।” 15 ले िकन रब ने उससे से त और अनूस
कहा, “हरिगज़ नहीं। जो क़ाबील को क़त्ल करे 25 आदम और हव्वा का एक और बे टा पै दा

उससे सात गुना बदला िलया जाएगा।” िफर हुआ। हव्वा ने उसका नाम से त रखकर कहा,
रब ने उस पर एक िनशान लगाया तािक जो “अल्लाह ने मुझे हाबील की जगह िजसे
भी क़ाबील को दे खे वह उसे क़त्ल न कर दे । क़ाबील ने क़त्ल िकया एक और बे टा बख़्शा
a
लफ़्ज़ी तरजुमा : चं ग। चूँिक यह साज़ बरर्े -सग़ीर में
कम ही इस्ते माल होता है , इसिलए मुतरिजम ने इसकी
जगह लफ़्ज़ ‘सरोद’ इस्ते माल िकया है ।
पै दाइश 4:26 6
है ।” 26 से त के हाँ भी बे टा पै दा हुआ। उसने भी पै दा हुए। 17 वह 895 साल की उम्र में फ़ौत
उसका नाम अनूस रखा। हुआ।
उन िदनाें में लोग रब का नाम ले कर इबादत 18 यािरद 162 साल का था जब उसका बे टा

करने लगे । हनूक पै दा हुआ। 19 इसके बाद वह मज़ीद 800


साल िंज़दा रहा। उसके और बे टे-बे िटयाँ भी पै दा
आदम से नूह तक का नसबनामा हुए। 20 वह 962 साल की उम्र में फ़ौत हुआ।

5 ज़ै ल में आदम का नसबनामा दजर् है । 21 हनूक 65 साल का था जब उसका बे टा

जब अल्लाह ने इनसान को ख़लक़ मतूिसलह पै दा हुआ। 22 इसके बाद वह मज़ीद


िकया तो उसने उसे अपनी सूरत पर बनाया। 300 साल अल्लाह के साथ चलता रहा। उसके
2 उसने उन्हें मदर् और औरत पै दा िकया। और और बे टे-बे िटयाँ भी पै दा हुए। 23 वह कुल 365

िजस िदन उसने उन्हें ख़लक़ िकया उसने उन्हें साल दुिनया में रहा। 24 हनूक अल्लाह के साथ
बरकत दे कर उनका नाम आदम यानी इनसान साथ चलता था। 365 साल की उम्र में वह
रखा। ग़ायब हुआ, क्याें िक अल्लाह ने उसे उठा िलया।
3 आदम की उम्र 130 साल थी जब उसका 25 मतूिसलह 187 साल का था जब उसका

बे टा से त पै दा हुआ। से त सूरत के िलहाज़ से बे टा लमक पै दा हुआ। 26 वह मज़ीद 782 साल


अपने बाप की मािंनद था, वह उससे मुशाबहत िंज़दा रहा। उसके और बे टे और बे िटयाँ भी पै दा
रखता था। 4 से त की पै दाइश के बाद आदम हुए। 27 वह 969 साल की उम्र में फ़ौत हुआ।
मज़ीद 800 साल िंज़दा रहा। उसके और बे टे- 28 लमक 182 साल का था जब उसका

बे िटयाँ भी पै दा हुए। 5 वह 930 साल की उम्र बे टा पै दा हुआ। 29 उसने उसका नाम नूह या-
में फ़ौत हुआ। नी तसल्ली रखा, क्याें िक उसने उसके बारे
6 से त 105 साल का था जब उसका बे टा में कहा, “हमारा खे तीबाड़ी का काम िनहायत

अनूस पै दा हुआ। 7 इसके बाद वह मज़ीद 807 तकलीफ़दे ह है , इसिलए िक अल्लाह ने ज़मीन
साल िंज़दा रहा। उसके और बे टे-बे िटयाँ भी पै दा पर लानत भे जी है । ले िकन अब हम बे टे की
हुए। 8 वह 912 साल की उम्र में फ़ौत हुआ। मािरफ़त तसल्ली पाएँ गे।” 30 इसके बाद वह
9 अनूस 90 बरस का था जब उसका बे टा मज़ीद 595 साल िंज़दा रहा। उसके और बे टे-

क़ीनान पै दा हुआ। 10 इसके बाद वह मज़ीद बे िटयाँ भी पै दा हुए। 31 वह 777 साल की उम्र
815 साल िंज़दा रहा। उसके और बे टे-बे िटयाँ में फ़ौत हुआ।
भी पै दा हुए। 11 वह 905 साल की उम्र में फ़ौत 32 नूह 500 साल का था जब उसके बे टे

हुआ। िसम, हाम और याफ़त पै दा हुए।


12 क़ीनान 70 साल का था जब उसका बे टा

महलले ल पै दा हुआ। 13 इसके बाद वह मज़ीद लोगाें की ज़्यादितयाँ


840 साल िंज़दा रहा। उसके और बे टे-बे िटयाँ
भी पै दा हुए। 14 वह 910 साल की उम्र में फ़ौत
हुआ।
6 दुिनया में लोगाें की तादाद बढ़ने
लगी। उनके हाँ बे िटयाँ पै दा हुइर्ं । 2 तब
आसमानी हिस्तयाें ने दे खा िक बनी नौ इनसान
15 महलले ल 65 साल का था जब उसका की बे िटयाँ ख़ूबसूरत हैं , और उन्हाें ने उनमें से

बे टा यािरद पै दा हुआ। 16 इसके बाद वह मज़ीद कुछ चुनकर उनसे शादी की। 3 िफर रब ने कहा,
830 साल िंज़दा रहा। उसके और बे टे-बे िटयाँ “मे री रूह हमे शा के िलए इनसान में न रहे
क्याें िक वह फ़ानी मख़लूक़ है । अब से वह 120
7 पै दाइश 7:6
साल से ज़्यादा िंज़दा नहीं रहे गा।” 4 उन िदनाें में
को याें बनाना िक उसके नीचे 18 इं च खुला
और बाद में भी दुिनया में दे वक़ामत अफ़राद थे रहे । एक तरफ़ दरवाज़ा हो, और उस की तीन
जो इनसानी औरताें और उन आसमानी हिस्तयाें मनिज़लें हाें । 17 मैं पानी का इतना बड़ा सै लाब
की शािदयाें से पै दा हुए थे । यह दे वक़ामत लाऊँगा िक वह ज़मीन के तमाम जानदाराें को
अफ़राद क़दीम ज़माने के मशहूर सूरमा थे । हलाक कर डाले गा। ज़मीन पर सब कुछ फ़ना
5 रब ने दे खा िक इनसान िनहायत िबगड़ गया हो जाएगा। 18 ले िकन ते रे साथ मैं अहद बाँ धँ ूगा
है , िक उसके तमाम ख़यालात लगातार बुराई िजसके तहत तू अपने बे टाें , अपनी बीवी और
की तरफ़ मायल रहते हैं । 6 वह पछताया िक मैं ने बहुआें के साथ कश्ती में जाएगा। 19 हर िक़स्म
इनसान को बनाकर दुिनया में रख िदया है , और के जानवर का एक नर और एक मादा भी अपने
उसे सख़्त दुख हुआ। 7 उसने कहा, “गो मैं ही साथ कश्ती में ले जाना तािक वह ते रे साथ जीते
ने इनसान को ख़लक़ िकया मैं उसे रूए-ज़मीन बचें । 20 हर िक़स्म के पर रखने वाले जानवर और
पर से िमटा डालूँगा। मैं न िसफ़र् लोगाें को बिल्कहर िक़स्म के ज़मीन पर िफरने या रें गने वाले
ज़मीन पर चलने -िफरने और रें गने वाले जानवराें जानवर दो दो होकर ते रे पास आएँ गे तािक जीते
और हवा के पिंरदाें को भी हलाक कर दूँ गा, बच जाएँ । 21 जो भी ख़ुराक दरकार है उसे अपने
क्याें िक मैं पछताता हूँ िक मैं ने उनको बनाया।”और उनके िलए जमा करके कश्ती में महफ़ूज़
कर ले ना।”
बड़े सै लाब के िलए नूह की तै यािरयाँ 22 नूह ने सब कुछ वै सा ही िकया जै सा
8 िसफ़र् नूह पर रब की नज़रे -करम थी। 9 यह अल्लाह ने उसे बताया।

उस की िंज़दगी का बयान है ।
नूह रास्तबाज़ था। उस ज़माने के लोगाें में सै लाब का अग़ाज़
िसफ़र् वही बे क़ुसूर था। वह अल्लाह के साथ
साथ चलता था। 10 नूह के तीन बे टे थे , िसम, 7 िफर रब ने नूह से कहा, “अपने घराने
समे त कश्ती में दािख़ल हो जा, क्याें िक
हाम और याफ़त। ले िकन दुिनया अल्लाह इस दौर के लोगाें में से मैं ने िसफ़र् तुझे रास्तबाज़
11

की नज़र में िबगड़ी हुई और ज़ुल्मो-तशद्ददु से पाया है । 2 हर िक़स्म के पाक जानवराें में से सात
भरी हुई थी। 12 जहाँ भी अल्लाह दे खता दुिनया सात नरो-मादा के जोड़े जबिक नापाक जानवराें
ख़राब थी, क्याें िक तमाम जानदाराें ने ज़मीन में से नरो-मादा का िसफ़र् एक एक जोड़ा साथ ले
पर अपनी रिवश को िबगाड़ िदया था। जाना। 3 इसी तरह हर िक़स्म के पर रखने वालाें
13 तब अल्लाह ने नूह से कहा, “मैं ने तमाम में से सात सात नरो-मादा के जोड़े भी साथ

जानदाराें को ख़त्म करने का फ़ैसला िकया ले जाना तािक उनकी नसलें बची रहें । 4 एक
है , क्याें िक उनके सबब से पूरी दुिनया ज़ुल्मो- हफ़ते के बाद मैं चालीस िदन और चालीस रात
तशद्ददु से भर गई है । चुनाँ चे मैं उनको ज़मीन मुतवाितर बािरश बरसाऊँगा। इससे मैं तमाम
समे त तबाह कर दूँ गा। 14 अब अपने िलए सरो a जानदाराें को रूए-ज़मीन पर से िमटा डालूँगा,
की लकड़ी की कश्ती बना ले । उसमें कमरे अगरचे मैं ही ने उन्हें बनाया है ।”
हाें और उसे अं दर और बाहर तारकोल लगा। 5 नूह ने वै सा ही िकया जै सा रब ने हुक्म िदया

15 उस की लं बाई 450 फ़ुट, चौड़ाई 75 फ़ुट था। 6 वह 600 साल का था जब यह तूफ़ानी

और ऊँचाई 45 फ़ुट हो। 16 कश्ती की छत सै लाब ज़मीन पर आया।


a
इबरानी लफ़्ज़ मतरूक है । शायद इसका मतलब सरो
या दे वदार की लकड़ी हो।
पै दाइश 7:7 8
7 तूफ़ानी सै लाब से बचने के िलए नूह अपने गया। इनसान, ज़मीन पर िफरने और रें गने वाले
बे टाें , अपनी बीवी और बहुआें के साथ कश्ती जानवर और पिंरदे , सब कुछ ख़त्म कर िदया
में सवार हुआ। 8 ज़मीन पर िफरने वाले पाक गया। िसफ़र् नूह और कश्ती में सवार उसके
और नापाक जानवर, पर रखने वाले और तमाम साथी बच गए।
रें गने वाले जानवर भी आए। 9 नरो-मादा की 24 सै लाब डे ढ़ सौ िदन तक ज़मीन पर ग़ािलब

सूरत में दो दो होकर वह नूह के पास आकर रहा।


कश्ती में सवार हुए। सब कुछ वै सा ही हुआ
जै सा अल्लाह ने नूह को हुक्म िदया था। 10 एक सै लाब का इिख़्तताम
हफ़ते के बाद तूफ़ानी सै लाब ज़मीन पर आ
गया।
11 यह सब कुछ उस वक़्त हुआ जब नूह
8 ले िकन अल्लाह को नूह और तमाम
जानवर याद रहे जो कश्ती में थे । उसने
हवा चला दी िजससे पानी कम होने लगा।
600 साल का था। दूसरे महीने के 17वें िदन 2 ज़मीन के चश्मे और आसमान पर के पानी के

ज़मीन की गहराइयाें में से तमाम चश्मे फूट दरीचे बं द हो गए, और बािरश रुक गई। 3 पानी
िनकले और आसमान पर पानी के दरीचे खुल घटता गया। 150 िदन के बाद वह काफ़ी कम
गए। 12 चालीस िदन और चालीस रात तक हो गया था। 4 सातवें महीने के 17वें िदन कश्ती
मूसलाधार बािरश होती रही। 13 जब बािरश शुरू अरारात के एक पहाड़ पर िटक गई। 5 दसवें
हुई तो नूह, उसके बे टे िसम, हाम और याफ़त, महीने के पहले िदन पानी इतना कम हो गया
उस की बीवी और बहुएँ कश्ती में सवार हो चुके था िक पहाड़ाें की चोिटयाँ नज़र आने लगी थीं।
थे । 14 उनके साथ हर िक़स्म के जं गली जानवर, 6-7 चालीस िदन के बाद नूह ने कश्ती की

मवे शी, रें गने और पर रखने वाले जानवर थे । िखड़की खोलकर एक कव्वा छोड़ िदया, और
15 हर िक़स्म के जानदार दो दो होकर नूह के वह उड़कर चला गया। ले िकन जब तक ज़मीन
पास आकर कश्ती में सवार हो चुके थे । 16 नरो- पर पानी था वह आता जाता रहा। 8 िफर नूह
मादा आए थे । सब कुछ वै सा ही हुआ था जै सा ने एक कबूतर छोड़ िदया तािक पता चले िक
अल्लाह ने नूह को हुक्म िदया था। िफर रब ने ज़मीन पानी से िनकल आई है या नहीं। 9 ले िकन
दरवाज़े को बं द कर िदया। कबूतर को कहीं भी बै ठने की जगह न िमली,
17 चालीस िदन तक तूफ़ानी सै लाब जारी क्याें िक अब तक पूरी ज़मीन पर पानी ही पानी
रहा। पानी चढ़ा तो उसने कश्ती को ज़मीन था। वह कश्ती और नूह के पास वापस आ गया,
पर से उठा िलया। 18 पानी ज़ोर पकड़कर बहुत और नूह ने अपना हाथ बढ़ाया और कबूतर को
बढ़ गया, और कश्ती उस पर तै रने लगी। पकड़कर अपने पास कश्ती में रख िलया।
19 आिख़रकार पानी इतना ज़्यादा हो गया िक 10 उसने एक हफ़ता और इं तज़ार करके

तमाम ऊँचे पहाड़ भी उसमें छु प गए, 20 बिल्क कबूतर को दुबारा छोड़ िदया। 11 शाम के वक़्त
सबसे ऊँची चोटी पर पानी की गहराई 20 वह लौट आया। इस दफ़ा उस की चाें च में ज़ै तून
फ़ुट थी। 21 ज़मीन पर रहने वाली हर मख़लूक़ का ताज़ा पत्ता था। तब नूह को मालूम हुआ िक
हलाक हुई। पिंरदे , मवे शी, जं गली जानवर, ज़मीन पानी से िनकल आई है ।
तमाम जानदार िजनसे ज़मीन भरी हुई थी 12 उसने मज़ीद एक हफ़ते के बाद कबूतर को

और इनसान, सब कुछ मर गया। 22 ज़मीन छोड़ िदया। इस दफ़ा वह वापस न आया।


पर हर जानदार मख़लूक़ हलाक हुई। 23 याें 13 जब नूह 601 साल का था तो पहले महीने

हर मख़लूक़ को रूए-ज़मीन पर से िमटा िदया के पहले िदन ज़मीन की सतह पर पानी ख़त्म
9 पै दाइश 9:17
हो गया। तब नूह ने कश्ती की छत खोल दी मुक़रर् र की है उसी तरह अब से तुम्हें हर िक़स्म
और दे खा िक ज़मीन की सतह पर पानी नहीं के जानवर खाने की इजाज़त भी है । 4 ले िकन
है । 14 दूसरे महीने के 27वें िदन ज़मीन िबलकुल ख़बरदार! ऐसा गोश्त न खाना िजसमें ख़ून है ,
ख़ुश्क हो गई। क्याें िक ख़ून में उस की जान है ।
15 िफर अल्लाह ने नूह से कहा, 16 “अपनी 5 िकसी की जान ले ना मना है । जो ऐसा करे गा

बीवी, बे टाें और बहुआें के साथ कश्ती से उसे अपनी जान दे नी पड़े गी, ख़ाह वह इनसान
िनकल आ। 17 िजतने भी जानवर साथ हैं उन्हें हो या है वान। मैं ख़ुद इसका मुतालबा करूँगा।
िनकाल दे , ख़ाह पिंरदे हाें , ख़ाह ज़मीन पर 6 जो भी िकसी का ख़ून बहाए उसका ख़ून भी

िफरने या रें गने वाले जानवर। वह दुिनया में फैल बहाया जाएगा। क्याें िक अल्लाह ने इनसान को
जाएँ , नसल बढ़ाएँ और तादाद में बढ़ते जाएँ ।” अपनी सूरत पर बनाया है ।
18 चुनाँ चे नूह अपने बे टाें , अपनी बीवी और 7 अब फलो-फूलो और तादाद में बढ़ते जाओ।

बहुआें समे त िनकल आया। 19 तमाम जानवर दुिनया में फैल जाओ।”
और पिंरदे भी अपनी अपनी िक़स्म के गुरोहाें में 8 तब अल्लाह ने नूह और उसके बे टाें से कहा,

कश्ती से िनकले । 9 “अब मैं तुम्हारे और तुम्हारी औलाद के साथ

20 उस वक़्त नूह ने रब के िलए क़ुरबानगाह अहद क़ायम करता हूँ । 10 यह अहद उन तमाम
बनाई। उसने तमाम िफरने और उड़ने वाले पाक जानवराें के साथ भी होगा जो कश्ती में से
जानवराें में से कुछ चुनकर उन्हें ज़बह िकया िनकले हैं यानी पिंरदाें , मवे िशयाें और ज़मीन पर
और क़ुरबानगाह पर पूरी तरह जला िदया। के तमाम जानवराें के साथ। 11 मैं तुम्हारे साथ
21 यह क़ुरबािनयाँ दे खकर रब ख़ुश हुआ और अहद बाँ धकर वादा करता हूँ िक अब से ऐसा
अपने िदल में कहा, “अब से मैं कभी ज़मीन कभी नहीं होगा िक ज़मीन की तमाम िंज़दगी
पर इनसान की वजह से लानत नहीं भे जँ ूगा, सै लाब से ख़त्म कर दी जाएगी। अब से ऐसा
क्याें िक उसका िदल बचपन ही से बुराई की सै लाब कभी नहीं आएगा जो पूरी ज़मीन को
तरफ़ मायल है । अब से मैं कभी इस तरह तमाम तबाह कर दे । 12 इस अबदी अहद का िनशान
जान रखने वाली मख़लूक़ात को रूए-ज़मीन पर जो मैं तुम्हारे और तमाम जानदाराें के साथ
से नहीं िमटाऊँगा। 22 दुिनया के मुक़रर् रा औक़ात क़ायम कर रहा हूँ यह है िक 13 मैं अपनी कमान
जारी रहें गे। बीज बोने और फ़सल काटने का बादलाें में रखता हूँ । वह मे रे दुिनया के साथ
वक़्त, ठं ड और तिपश, गरिमयाें और सर्िदयाें अहद का िनशान होगा। 14 जब कभी मे रे कहने
का मौसम, िदन और रात, यह सब कुछ दुिनया पर आसमान पर बादल छा जाएं गे और क़ौसे -
के अख़ीर तक क़ायम रहे गा।” क़ुज़ह उनमें से नज़र आएगी 15 तो मैं यह अहद
याद करूँगा जो तुम्हारे और तमाम जानदाराें के
अल्लाह का नूह के साथ अहद साथ िकया गया है । अब कभी भी ऐसा सै लाब

9 िफर अल्लाह ने नूह और उसके बे टाें को


बरकत दे कर कहा, “फलो-फूलो और
तादाद में बढ़ते जाओ। दुिनया तुमसे भर जाए।
नहीं आएगा जो तमाम िंज़दगी को हलाक कर
दे । 16 क़ौसे -क़ुज़ह नज़र आएगी तो मैं उसे
दे खकर उस दायमी अहद को याद करूँगा जो
2 ज़मीन पर िफरने और रें गने वाले जानवर, पिंरदे मे रे और दुिनया की तमाम जानदार मख़लूक़ात
और मछिलयाँ सब तुमसे डरें गे । उन्हें तुम्हारे के दरिमयान है । 17 यह उस अहद का िनशान
इिख़्तयार में कर िदया गया है । 3 िजस तरह है जो मैं ने दुिनया के तमाम जानदाराें के साथ
मैं ने तुम्हारे खाने के िलए पौदाें की पै दावार िकया है ।”
पै दाइश 9:18 10
नूह के बे टे ओ-अजदाद हैं जो सािहली इलाक़ाें और जज़ीराें
18 नूह के जो बे टे उसके साथ कश्ती से िनकले में फैल गइर्ं । यह याफ़त की औलाद हैं जो अपने
िसम, हाम और याफ़त थे । हाम कनान का बाप अपने क़बीले और मुल्क में रहते हुए अपनी
था। 19 दुिनया-भर के तमाम लोग इन तीनाें की अपनी ज़बान बोलते हैं ।
औलाद हैं ।
20 नूह िकसान था। शुरू में उसने अं गूर का हाम की नसल
बाग़ लगाया। अं गूर से मै बनाकर उसने इतनी
21 6 हाम के बे टे कूश, िमसर, फ़ूत और कनान
पी ली िक वह नशे में धुत अपने डे रे में नं गा पड़ा थे । 7 कूश के बे टे िसबा, हवीला, सबता, रामा

रहा। 22 कनान के बाप हाम ने उसे याें पड़ा हुआ और सब्तका थे । रामा के बे टे सबा और ददान
दे खा तो बाहर जाकर अपने दोनाें भाइयाें को थे ।
उसके बारे में बताया। 23 यह सुनकर िसम और 8 कूश का एक और बे टा बनाम नमरूद था।

याफ़त ने अपने कंधाें पर कपड़ा रखा। िफर वह वह दुिनया में पहला ज़बरदस्त हािकम था। 9 रब
उलटे चलते हुए डे रे में दािख़ल हुए और कपड़ा के नज़दीक वह ज़बरदस्त िशकारी था। इसिलए
अपने बाप पर डाल िदया। उनके मुँह दूसरी आज भी िकसी अच्छे िशकारी के बारे में कहा
तरफ़ मुड़े रहे तािक बाप की बरहनगी नज़र न जाता है , “वह नमरूद की मािंनद है जो रब
आए। के नज़दीक ज़बरदस्त िशकारी था।” 10 उस
24 जब नूह होश में आया तो उसको पता चला की सलतनत के पहले मरकज़ मुल्के-िसनार में

िक सबसे छोटे बे टे ने क्या िकया है । 25 उसने बाबल, अरक, अक्काद और कलना के शहर
कहा, “कनान पर लानत! वह अपने भाइयाें थे । 11 उस मुल्क से िनकलकर वह असूर चला
का ज़लीलतरीन ग़ुलाम होगा। गया जहाँ उसने नीनवा, रहोबोत-ईर, कलह
26 मुबारक हो रब जो िसम का ख़ुदा है । कनान 12 और रसन के शहर तामीर िकए। बड़ा शहर

िसम का ग़ुलाम हो। 27 अल्लाह करे िक याफ़त रसन नीनवा और कलह के दरिमयान वाक़े है ।
की हुदूद बढ़ जाएँ । याफ़त िसम के डे राें में रहे 13 िमसर इन क़ौमाें का बाप था : लूदी,

और कनान उसका ग़ुलाम हो।” अनामी, िलहाबी, नफ़तूही, 14 फ़तरूसी,


28 सै लाब के बाद नूह मज़ीद 350 साल िंज़दा कसलूही (िजनसे िफ़िलस्ती िनकले ) और

रहा। 29 वह 950 साल की उम्र में फ़ौत हुआ। कफ़तूरी।


15 कनान का पहलौठा सै दा था। कनान ज़ै ल

नूह की औलाद की क़ौमाें का बाप भी था : िहत्ती 16 यबूसी,

10 यह नूह के बे टाें िसम, हाम और अमोरी, िजरजासी, 17 िहव्वी, अरक़ी, सीनी,


याफ़त का नसबनामा है । उनके बे टे 18 अरवादी, समारी और हमाती। बाद में कनानी
सै लाब के बाद पै दा हुए। क़बीले इतने फैल गए 19 िक उनकी हुदूद
िशमाल में सै दा से जुनूब की तरफ़ िजरार से
याफ़त की नसल होकर ग़ज़्ज़ा तक और वहाँ से मशिरक़ की
2 याफ़त के बे टे जुमर, माजूज, मादी, यावान, तरफ़ सदूम, अमूरा, अदमा और ज़बोईम से

तूबल, मसक और तीरास थे । 3 जुमर के बे टे होकर लसा तक थीं।


अश्कनाज़, रीफ़त और तुजरमा थे । 4 यावान के 20 यह सब हाम की औलाद हैं , जो उनके

बे टे इलीसा और तरसीस थे । िकत्ती और दोदानी अपने अपने क़बीले , अपनी अपनी ज़बान,
भी उस की औलाद हैं । 5 वह उन क़ौमाें के आबा-
11 पै दाइश 11:17
अपने अपने मुल्क और अपनी अपनी क़ौम के के िलए पत्थर की जगह इर्ं टें और मसाले की
मुतािबक़ दजर् हैं । जगह तारकोल इस्ते माल िकया। 4 िफर वह
कहने लगे , “आओ, हम अपने िलए शहर बना
िसम की नसल लें िजसमें ऐसा बुजर् हो जो आसमान तक पहुँ च
21 िसम याफ़त का बड़ा भाई था। उसके भी जाए िफर हमारा नाम क़ायम रहे गा और हम

बे टे पै दा हुए। िसम तमाम बनी इबर का बाप है । रूए-ज़मीन पर िबखर जाने से बच जाएं गे।”
22 िसम के बे टे ऐलाम, असूर, अरफ़क्सद, 5 ले िकन रब उस शहर और बुजर् को दे खने

लूद और अराम थे । के िलए उतर आया िजसे लोग बना रहे थे ।


23 अराम के बे टे ऊज़, हूल, जतर और मस 6 रब ने कहा, “यह लोग एक ही क़ौम हैं और

थे । एक ही ज़बान बोलते हैं । और यह िसफ़र् उसका


24 अरफ़क्सद का बे टा िसलह और िसलह का आग़ाज़ है जो वह करना चाहते हैं । अब से जो

बे टा इबर था। भी वह िमलकर करना चाहें गे उससे उन्हें रोका


25 इबर के हाँ दो बे टे पै दा हुए। एक का नाम नहीं जा सकेगा। 7 इसिलए आओ, हम दुिनया

फ़लज यानी तक़सीम था, क्याें िक उन ऐयाम में में उतरकर उनकी ज़बान को दरहम-बरहम कर
दुिनया तक़सीम हुई। फ़लज के भाई का नाम दें तािक वह एक दूसरे की बात समझ न पाएँ ।”
युक़तान था। 8 इस तरीक़े से रब ने उन्हें तमाम रूए-ज़मीन
26 युक़तान के बे टे अलमूदाद, सलफ़, पर मुंतिशर कर िदया, और शहर की तामीर
हसरमावत, इराख़, 27 हदूराम, ऊज़ाल, रुक गई। 9 इसिलए शहर का नाम बाबल यानी
िदक़ला, 28 ऊबाल, अबीमाएल, सबा, अबतरी ठहरा, क्याें िक रब ने वहाँ तमाम लोगाें
29 ओफ़ीर, हवीला और यूबाब थे । यह सब की ज़बान को दरहम-बरहम करके उन्हें तमाम

युक़तान के बे टे थे । 30 वह मे सा से ले कर सफ़ार रूए-ज़मीन पर मुंतिशर कर िदया।


और मशिरक़ी पहाड़ी इलाक़े तक आबाद थे ।
31 यह सब िसम की औलाद हैं , जो अपने िसम से अब्राम तक का नसबनामा
अपने क़बीले , अपनी अपनी ज़बान, अपने 10 यह िसम का नसबनामा है :

अपने मुल्क और अपनी अपनी क़ौम के िसम 100 साल का था जब उसका बे टा


मुतािबक़ दजर् हैं । अरफ़क्सद पै दा हुआ। यह सै लाब के दो साल
32 यह सब नूह के बे टाें के क़बीले हैं , जो बाद हुआ। 11 इसके बाद वह मज़ीद 500 साल

अपनी नसलाें और क़ौमाें के मुतािबक़ दजर् िकए िंज़दा रहा। उसके और बे टे-बे िटयाँ भी पै दा हुए।
गए हैं । सै लाब के बाद तमाम क़ौमें इन्हीं से 12 अरफ़क्सद 35 साल का था जब िसलह

िनकलकर रूए-ज़मीन पर फैल गइर्ं । पै दा हुआ। 13 इसके बाद वह मज़ीद 403 साल
िंज़दा रहा। उसके और बे टे-बे िटयाँ भी पै दा हुए।
बाबल का बुजर् 14 िसलह 30 साल का था जब इबर पै दा

11 उस वक़्त तक पूरी दुिनया के लोग हुआ। 15 इसके बाद वह मज़ीद 403 साल िंज़दा
एक ही ज़बान बोलते थे । 2 मशिरक़ रहा। उसके और बे टे-बे िटयाँ भी पै दा हुए।
की तरफ़ बढ़ते बढ़ते वह िसनार के एक मै दान 16 इबर 34 साल का था जब फ़लज पै दा

में पहुँ चकर वहाँ आबाद हुए। 3 तब वह एक दूसरे हुआ। 17 इसके बाद वह मज़ीद 430 साल िंज़दा
से कहने लगे , “आओ, हम िमट्टी से इर्ं टें बनाकर रहा। उसके और बे टे-बे िटयाँ भी पै दा हुए।
उन्हें आग में ख़ूब पकाएँ ।” उन्हाें ने तामीरी काम
पै दाइश 11:18 12
18 फ़लज 30 साल का था जब रऊ पै दा को बहुत बढ़ाऊँगा। तू दूसराें के िलए बरकत का
हुआ। 19 इसके बाद वह मज़ीद 209 साल िंज़दा बाइस होगा। 3 जो तुझे बरकत दें गे उन्हें मैं भी
रहा। उसके और बे टे-बे िटयाँ भी पै दा हुए। बरकत दूँ गा। जो तुझ पर लानत करे गा उस पर
20 रऊ 32 साल का था जब सरूज पै दा हुआ। मैं भी लानत करूँगा। दुिनया की तमाम क़ौमें

21 इसके बाद वह मज़ीद 207 साल िंज़दा रहा। तुझसे बरकत पाएँ गी।”

उसके और बे टे-बे िटयाँ भी पै दा हुए। 4 अब्राम ने रब की सुनी और हारान से रवाना

22 सरूज 30 साल का था जब नहूर पै दा हुआ। लूत उसके साथ था। उस वक़्त अब्राम

हुआ। 23 इसके बाद वह मज़ीद 200 साल िंज़दा 75 साल का था। 5 उसके साथ उस की बीवी
रहा। उसके और बे टे-बे िटयाँ भी पै दा हुए। सारय और उसका भतीजा लूत थे । वह अपने
24 नहूर 29 साल का था जब तारह पै दा हुआ। नौकर-चाकराें समे त अपनी पूरी िमलिकयत भी

25 इसके बाद वह मज़ीद 119 साल िंज़दा रहा। साथ ले गया जो उसने हारान में हािसल की

उसके और बे टे-बे िटयाँ भी पै दा हुए। थी। चलते चलते वह कनान पहुँ चे। 6 अब्राम उस
26 तारह 70 साल का था जब उसके बे टे मुल्क में से गुज़रकर िसकम के मक़ाम पर ठहर

अब्राम, नहूर और हारान पै दा हुए। गया जहाँ मोिरह के बलूत का दरख़्त था। उस
27 यह तारह का नसबनामा है : अब्राम, नहूर ज़माने में मुल्क में कनानी क़ौमें आबाद थीं।

और हारान तारह के बे टे थे । लूत हारान का बे टा 7 वहाँ रब अब्राम पर ज़ािहर हुआ और

था। 28 अपने बाप तारह की िंज़दगी में ही हारान उससे कहा, “मैं ते री औलाद को यह मुल्क
कसिदयाें के ऊर में इं तक़ाल कर गया जहाँ वह दूँ गा।” इसिलए उसने वहाँ रब की ताज़ीम में
पै दा भी हुआ था। क़ुरबानगाह बनाई जहाँ वह उस पर ज़ािहर हुआ
29 बाक़ी दोनाें बे टाें की शादी हुई। अब्राम की था। 8 वहाँ से वह उस पहाड़ी इलाक़े की तरफ़

बीवी का नाम सारय था और नहूर की बीवी गया जो बै तेल के मशिरक़ में है । वहाँ उसने
का नाम िमलकाह। िमलकाह हारान की बे टी अपना ख़ै मा लगाया। मग़िरब में बै तेल था और
थी, और उस की एक बहन बनाम इस्का थी। मशिरक़ में अई। इस जगह पर भी उसने रब की
30 सारय बाँ झ थी, इसिलए उसके बच्चे नहीं थे । ताज़ीम में क़ुरबानगाह बनाई और रब का नाम

31 तारह कसिदयाें के ऊर से रवाना होकर ले कर इबादत की।

मुल्के-कनान की तरफ़ सफ़र करने लगा। 9 िफर अब्राम दुबारा रवाना होकर जुनूब के

उसके साथ उसका बे टा अब्राम, उसका पोता दश्ते -नजब की तरफ़ चल पड़ा।
लूत यानी हारान का बे टा और उस की बहू सारय
थे । जब वह हारान पहुँ चे तो वहाँ आबाद हो गए। अब्राम िमसर में
32 तारह 205 साल का था जब उसने हारान में 10 उन िदनाें में मुल्के-कनान में काल पड़ा।

वफ़ात पाई। काल इतना सख़्त था िक अब्राम उससे बचने


की ख़ाितर कुछ दे र के िलए िमसर में जा
अब्राम की बुलाहट बसा, ले िकन परदे सी की है िसयत से । 11 जब

12 रब ने अब्राम से कहा, “अपने वह िमसर की सरहद के क़रीब आए तो उसने


वतन, अपने िरश्ते दाराें और अप- अपनी बीवी सारय से कहा, “मैं जानता हूँ िक तू
ने बाप के घर को छोड़कर उस मुल्क में चला िकतनी ख़ूबसूरत है । 12 िमसरी तुझे दे खेंगे, िफर
जा जो मैं तुझे िदखाऊँगा। 2 मैं तुझसे एक बड़ी कहें गे, ‘यह इसका शौहर है ।’ नतीजे में वह मुझे
क़ौम बनाऊँगा, तुझे बरकत दूँ गा और ते रे नाम मार डालें गे और तुझे िंज़दा छोड़ें गे । 13 इसिलए
13 पै दाइश 13:16
लोगाें से यह कहते रहना िक मैं अब्राम की बहन 5 लूत के पास भी बहुत-सी भे ड़-बकिरयाँ ,
हूँ । िफर मे रे साथ अच्छा सुलूक िकया जाएगा गाय-बै ल और ख़ै मे थे । 6 नतीजा यह िनकला
और मे री जान ते रे सबब से बच जाएगी।” िक आिख़रकार वह िमलकर न रह सके, क्याें िक
14 जब अब्राम िमसर पहुँ चा तो वाक़ई इतनी जगह नहीं थी िक दोनाें के रे वड़ एक ही
िमसिरयाें ने दे खा िक सारय िनहायत ही जगह पर चर सकें। 7 अब्राम और लूत के चरवाहे
ख़ूबसूरत है । 15 और जब िफ़रौन के अफ़- आपस में झगड़ने लगे । (उस ज़माने में कनानी
सरान ने उसे दे खा तो उन्हाें ने िफ़रौन के सामने और फ़िरज़्ज़ी भी मुल्क में आबाद थे ।) 8 तब
सारय की तारीफ़ की। आिख़रकार उसे महल में अब्राम ने लूत से बात की, “ऐसा नहीं होना
पहुँ चाया गया। 16 िफ़रौन ने सारय की ख़ाितर चािहए िक ते रे और मे रे दरिमयान झगड़ा हो या
अब्राम पर एहसान करके उसे भे ड़-बकिरयाँ , ते रे चरवाहाें और मे रे चरवाहाें के दरिमयान। हम
गाय-बै ल, गधे -गिधयाँ , नौकर-चाकर और ऊँट तो भाई हैं । 9 क्या ज़रूरत है िक हम िमलकर
िदए। रहें जबिक तू आसानी से इस मुल्क की िकसी
17 ले िकन रब ने सारय के सबब से िफ़रौन और जगह रह सकता है । बे हतर है िक तू मुझसे
और उसके घराने में सख़्त िक़स्म के अमराज़ अलग होकर कहीं और रहे । अगर तू बाएँ हाथ
फैलाए। 18 आिख़रकार िफ़रौन ने अब्राम को जाए तो मैं दाएँ हाथ जाऊँगा, और अगर तू दाएँ
बुलाकर कहा, “तूने मे रे साथ क्या िकया? तूने हाथ जाए तो मैं बाएँ हाथ जाऊँगा।”
मुझे क्याें नहीं बताया िक सारय ते री बीवी है ? 10 लूत ने अपनी नज़र उठाकर दे खा िक

19 तूने क्याें कहा िक वह मे री बहन है ? इस धोकेदिरयाए-यरदन के पूरे इलाक़े में ज़ुग़र तक पानी
की िबना पर मैं ने उसे घर में रख िलया तािक की कसरत है । वह रब के बाग़ या मुल्के-िमसर
उससे शादी करूँ। दे ख, ते री बीवी हािज़र है । की मािंनद था, क्याें िक उस वक़्त रब ने सदूम
इसे ले कर यहाँ से िनकल जा!” 20 िफर िफ़रौन और अमूरा को तबाह नहीं िकया था। 11 चुनाँ चे
ने अपने िसपािहयाें को हुक्म िदया, और उन्हाें नेलूत ने दिरयाए-यरदन के पूरे इलाक़े को चुन
अब्राम, उस की बीवी और पूरी िमलिकयत को िलया और मशिरक़ की तरफ़ जा बसा। याें दोनाें
रुख़सत करके मुल्क से रवाना कर िदया। िरश्ते दार एक दूसरे से जुदा हो गए। 12 अब्राम
मुल्के-कनान में रहा जबिक लूत यरदन के
अब्राम और लूत अलग हो जाते हैं इलाक़े के शहराें के दरिमयान आबाद हो गया।

13 अब्राम अपनी बीवी, लूत और वहाँ उसने अपने ख़ै मे सदूम के क़रीब लगा
तमाम जायदाद को साथ ले कर िदए। 13 ले िकन सदूम के बािंशदे िनहायत शरीर
िमसर से िनकला और कनान के जुनूबी इलाक़े थे , और उनके रब के िख़लाफ़ गुनाह िनहायत
दश्ते -नजब में वापस आया। मकरूह थे ।
2 अब्राम िनहायत दौलतमं द हो गया था।

उसके पास बहुत-से मवे शी और सोना-चाँ दी रब का अब्राम के साथ दुबारा वादा


थी। वहाँ से जगह बजगह चलते हुए वह
3 14 लूत अब्राम से जुदा हुआ तो रब ने अब्राम
आिख़रकार बै तेल से होकर उस मक़ाम तक से कहा, “अपनी नज़र उठाकर चाराें तरफ़ यानी
पहुँ च गया जहाँ उसने शुरू में अपना डे रा लगाया िशमाल, जुनूब, मशिरक़ और मग़िरब की तरफ़
था और जो बै तेल और अई के दरिमयान था। दे ख। 15 जो भी ज़मीन तुझे नज़र आए उसे मैं
4 वहाँ जहाँ उसने क़ुरबानगाह बनाई थी उसने तुझे और ते री औलाद को हमे शा के िलए दे ता
रब का नाम ले कर उस की इबादत की। हूँ । 16 मैं ते री औलाद को ख़ाक की तरह बे शुमार
पै दाइश 13:17 14
होने दूँ गा। िजस तरह ख़ाक के ज़रर्े िगने नहीं के िलए िसद्दीम की वादी में जमा हुए। 9 इन पाँ च
जा सकते उसी तरह ते री औलाद भी िगनी नहीं बादशाहाें ने ऐलाम के बादशाह िकदरलाउमर,
जा सकेगी। 17 चुनाँ चे उठकर इस मुल्क की हर जोयम के बादशाह ितदाल, िसनार के बादशाह
जगह चल-िफर, क्याें िक मैं इसे तुझे दे ता हूँ ।” अमरािफ़ल और इल्लासर के बादशाह अरयूक
18 अब्राम रवाना हुआ। चलते चलते उसने का मुक़ाबला िकया। 10 इस वादी में तारकोल
अपने डे रे हबरून के क़रीब ममरे के दरख़्ताें के मुतअिद्दद गढ़े थे । जब बाग़ी बादशाह
के पास लगाए। वहाँ उसने रब की ताज़ीम में िशकस्त खाकर भागने लगे तो सदूम और अमूरा
क़ुरबानगाह बनाई। के बादशाह इन गढ़ाें में िगर गए जबिक बाक़ी
तीन बादशाह बचकर पहाड़ी इलाक़े में फ़रार
अब्राम लूत को छु ड़ाता है हुए। 11 फ़तहमं द बादशाह सदूम और अमूरा

14 कनान में जं ग हुई। बै रूने -मुल्क के


चार बादशाहाें ने कनान के पाँ च
बादशाहाें से जं ग की। बै रूने -मुल्क के बादशाह
का तमाम माल तमाम खाने वाली चीज़ाें समे त
लूटकर वापस चल िदए। 12 अब्राम का भतीजा
लूत सदूम में रहता था, इसिलए वह उसे भी उस
यह थे : िसनार से अमरािफ़ल, इल्लासर से की िमलिकयत समे त छीनकर साथ ले गए।
अरयूक, ऐलाम से िकदरलाउमर और जोयम 13 ले िकन एक आदमी ने जो बच िनकला

से ितदाल। 2 कनान के बादशाह यह थे : सदूम था इबरानी मदर् अब्राम के पास आकर उसे
से िबरा, अमूरा से िबरशा, अदमा से िसिनयाब, सब कुछ बता िदया। उस वक़्त वह ममरे के
ज़बोईम से िशमे बर और बाला यानी ज़ुग़र का दरख़्ताें के पास आबाद था। ममरे अमोरी था।
बादशाह। वह और उसके भाई इसकाल और आने र अब्राम
3 कनान के इन पाँ च बादशाहाें का इत्तहाद के इत्तहादी थे । 14 जब अब्राम को पता चला
हुआ था और वह वादीए-िसद्दीम में जमा हुए िक भतीजे को िगिरफ़्तार कर िलया गया है तो
थे । (अब िसद्दीम नहीं है , क्याें िक उस की जगह उसने अपने घर में पै दा हुए तमाम जं गआज़मूदा
बहीराए-मुरदार आ गया है )। 4 िकदरलाउमर ने ग़ुलामाें को जमा करके दान तक दुश्मन का
बारह साल तक उन पर हुकूमत की थी, ले िकन ताक़्क़ुब िकया। उसके साथ 318 अफ़राद थे ।
ते रहवें साल वह बाग़ी हो गए थे । 15 वहाँ उसने अपने बं दाें को गुरोहाें में तक़सीम
5 अब एक साल के बाद िकदरलाउमर और करके रात के वक़्त दुश्मन पर हमला िकया।
उसके इत्तहादी अपनी फ़ौजाें के साथ आए। दुश्मन िशकस्त खाकर भाग गया और अब्राम
पहले उन्हाें ने अस्तारात-क़रनै म में रफ़ाइयाें को, ने दिमश्क़ के िशमाल में वाक़े ख़ूबा तक उसका
हाम में ज़ूिज़याें को, सवी-िक़िरयतायम में ताक़्क़ुब िकया। 16 वह उनसे लूटा हुआ तमाम
ऐिमयाें को 6 और होिरयाें को उनके पहाड़ी माल वापस ले आया। लूत, उस की जायदाद,
इलाक़े सईर में िशकस्त दी। याें वह एल-फ़ारान औरतें और बाक़ी क़ैदी भी दुश्मन के क़ब्ज़े से
तक पहुँ च गए जो रे िगस्तान के िकनारे पर बच िनकले ।
है । 7 िफर वह वापस आए और ऐन-िमसफ़ात
यानी क़ािदस पहुँ चे। उन्हाें ने अमालीिक़याें के मिलके-िसद्क़, सािलम का बादशाह
पूरे इलाक़े को तबाह कर िदया और हससून- 17 जब अब्राम िकदरलाउमर और उसके
तमर में आबाद अमोिरयाें को भी िशकस्त दी। इत्तहािदयाें पर फ़तह पाने के बाद वापस
8 उस वक़्त सदूम, अमूरा, अदमा, ज़बोईम पहुँ चा तो सदूम का बादशाह उससे िमलने के

और बाला यानी ज़ुग़र के बादशाह उनसे लड़ने िलए वादीए-सवी में आया। (इसे आजकल
15 पै दाइश 15:17
बादशाह की वादी कहा जाता है ।) 18 सािलम को िगनने की कोिशश कर। ते री औलाद इतनी
का बादशाह मिलके-िसद्क़ भी वहाँ पहुँ चा। वह ही बे शुमार होगी।”
अपने साथ रोटी और मै ले आया। मिलके- 6 अब्राम ने रब पर भरोसा रखा। इस िबना पर

िसद्क़ अल्लाह तआला का इमाम था। 19 उसने अल्लाह ने उसे रास्तबाज़ क़रार िदया।
अब्राम को बरकत दे कर कहा, “अब्राम पर 7 िफर रब ने उससे कहा, “मैं रब हूँ जो तुझे

अल्लाह तआला की बरकत हो, जो आसमानो- कसिदयाें के ऊर से यहाँ ले आया तािक तुझे
ज़मीन का ख़ािलक़ है । 20 अल्लाह तआला यह मुल्क मीरास में दे दूँ ।” 8 अब्राम ने पूछा,
मुबारक हो िजसने ते रे दुश्मनाें को ते रे हाथ में “ऐ रब क़ािदरे -मुतलक़, मैं िकस तरह जानूँ िक
कर िदया है ।” अब्राम ने उसे तमाम माल का इस मुल्क पर क़ब्ज़ा करूँगा?” 9 जवाब में रब
दसवाँ िहस्सा िदया। ने कहा, “मे रे हुज़ूर एक तीन-साला गाय, एक
21 सदूम के बादशाह ने अब्राम से कहा, “मुझे तीन-साला बकरी और एक तीन-साला में ढा ले
मे रे लोग वापस कर दें और बाक़ी चीज़ें अपने आ। एक क़ुम्री और एक कबूतर का बच्चा भी
पास रख लें ।” 22 ले िकन अब्राम ने उससे कहा, ले आना।” 10 अब्राम ने ऐसा ही िकया और िफर
“मैं ने रब से क़सम खाई है , अल्लाह तआला से हर एक जानवर को दो िहस्साें में काटकर उनको
जो आसमानो-ज़मीन का ख़ािलक़ है 23 िक मैं एक दूसरे के आमने -सामने रख िदया। ले िकन
उसमें से कुछ नहीं लूँगा जो आपका है , चाहे वह पिंरदाें को उसने सािलम रहने िदया। 11 िशकारी
धागा या जूती का तसमा ही क्याें न हो। ऐसा पिंरदे उन पर उतरने लगे , ले िकन अब्राम उन्हें
न हो िक आप कहें , ‘मैं ने अब्राम को दौलतमं द भगाता रहा।
बना िदया है ।’ 24 िसवाए उस खाने के जो मे रे 12 जब सूरज डू बने लगा तो अब्राम पर गहरी

आदिमयाें ने रास्ते में खाया है मैं कुछ क़बूल नहीं नींद तारी हुई। उस पर दहशत और अं धेरा ही
करूँगा। ले िकन मे रे इत्तहादी आने र, इसकाल अं धेरा छा गया। 13 िफर रब ने उससे कहा,
और ममरे ज़रूर अपना अपना िहस्सा लें ।” “जान ले िक ते री औलाद ऐसे मुल्क में रहे गी
जो उसका नहीं होगा। वहाँ वह अजनबी और
अब्राम के साथ रब का अहद ग़ुलाम होगी, और उस पर 400 साल तक

15 इसके बाद रब रोया में अब्राम


से हमकलाम हुआ, “अब्राम, मत
डर। मैं ही ते री िसपर हूँ , मैं ही ते रा बहुत बड़ा
बहुत ज़ुल्म िकया जाएगा। 14 ले िकन मैं उस
क़ौम की अदालत करूँगा िजसने उसे ग़ुलाम
बनाया होगा। इसके बाद वह बड़ी दौलत पाकर
अज्र हूँ ।” उस मुल्क से िनकलें गे। 15 तू ख़ुद उम्ररसीदा
2 ले िकन अब्राम ने एतराज़ िकया, “ऐ रब होकर सलामती के साथ इं तक़ाल करके अपने
क़ािदरे -मुतलक़, तू मुझे क्या दे गा जबिक अभी बापदादा से जा िमले गा और दफ़नाया जाएगा।
तक मे रे हाँ कोई बच्चा नहीं है और इिलयज़र 16 ते री औलाद की चौथी पुश्त ग़ै रवतन से वापस

दिमश्क़ी मे री मीरास पाएगा। 3 तूने मुझे औलाद आएगी, क्याें िक उस वक़्त तक मैं अमोिरयाें
नहीं बख़्शी, इसिलए मे रे घराने का नौकर मे रा को बरदाश्त करूँगा। ले िकन आिख़रकार उनके
वािरस होगा।” 4 तब अब्राम को अल्लाह से एक गुनाह इतने सं गीन हो जाएं गे िक मैं उन्हें मुल्के-
और कलाम िमला। “यह आदमी इिलयज़र ते रा कनान से िनकाल दूँ गा।”
वािरस नहीं होगा बिल्क ते रा अपना ही बे टा 17 सूरज ग़ुरूब हुआ। अं धेरा छा गया।

ते रा वािरस होगा।” 5 रब ने उसे बाहर ले जाकर अचानक एक धुआँदार तनूर और एक भड़कती


कहा, “आसमान की तरफ़ दे ख और िसताराें
पै दाइश 15:18 16
हुई मशाल नज़र आई और जानवराें के दो दो “सारय की लाैं डी हािजरा, तू कहाँ से आ रही है
टु कड़ाें के बीच में से गुज़रे । और कहाँ जा रही है ?” हािजरा ने जवाब िदया,
18 उस वक़्त रब ने अब्राम के साथ अहद “मैं अपनी मािलकन सारय से फ़रार हो रही
िकया। उसने कहा, “मैं यह मुल्क िमसर की हूँ ।” 9 रब के फ़िरश्ते ने उससे कहा, “अपनी
सरहद से फ़ुरात तक ते री औलाद को दूँ गा, मािलकन के पास वापस चली जा और उसके
19 अगरचे अभी तक इसमें क़ीनी, क़िनज़्ज़ी, ताबे रह। 10 मैं ते री औलाद इतनी बढ़ाऊँगा िक
कदमूनी, 20 िहत्ती, फ़िरज़्ज़ी, रफ़ाई, 21 अमोरी, उसे िगना नहीं जा सकेगा।” 11 रब के फ़िरश्ते
कनानी, िजरजासी और यबूसी आबाद हैं ।” ने मज़ीद कहा, “तू उम्मीद से है । एक बे टा पै दा
होगा। उसका नाम इसमाईल यानी ‘अल्लाह
हािजरा और इसमाईल सुनता है ’ रख, क्याें िक रब ने मुसीबत में ते री

16 अब तक अब्राम की बीवी सारय के


कोई बच्चा नहीं हुआ था। ले िकन
उन्हाें ने एक िमसरी लाैं डी रखी थी िजसका नाम
आवाज़ सुनी। 12 वह जं गली गधे की मािंनद
होगा। उसका हाथ हर एक के िख़लाफ़ और हर
एक का हाथ उसके िख़लाफ़ होगा। तो भी वह
हािजरा था, 2 और एक िदन सारय ने अब्राम से अपने तमाम भाइयाें के सामने आबाद रहे गा।”
कहा, “रब ने मुझे बच्चे पै दा करने से महरूम 13 रब के उसके साथ बात करने के बाद

रखा है , इसिलए मे री लाैं डी के साथ हमिबसतर हािजरा ने उसका नाम अत्ताएल-रोई यानी ‘तू
हाें । शायद मुझे उस की मािरफ़त बच्चा िमल एक माबूद है जो मुझे दे खता है ’ रखा। उसने
जाए।” कहा, “क्या मैं ने वाक़ई उसके पीछे दे खा है
अब्राम ने सारय की बात मान ली। 3 चुनाँ चे िजसने मुझे दे खा है ?” 14 इसिलए उस जगह के
सारय ने अपनी िमसरी लाैं डी हािजरा को अपने कुएँ का नाम ‘बै र-लही-रोई’ यानी ‘उस िंज़दा
शौहर अब्राम को दे िदया तािक वह उस की हस्ती का कुआँ जो मुझे दे खता है ’ पड़ गया।
बीवी बन जाए उस वक़्त अब्राम को कनान में वह क़ािदस और बरद के दरिमयान वाक़े है ।
बसते हुए दस साल हो गए थे । 4 अब्राम हािजरा 15 हािजरा वापस गई, और उसके बे टा पै दा

से हमिबसतर हुआ तो वह उम्मीद से हो गई। हुआ। अब्राम ने उसका नाम इसमाईल रखा।
जब हािजरा को यह मालूम हुआ तो वह अपनी 16 उस वक़्त अब्राम 86 साल का था।

मािलकन को हक़ीर जानने लगी। 5 तब सारय


ने अब्राम से कहा, “जो ज़ुल्म मुझ पर िकया अहद का िनशान : ख़तना
जा रहा है वह आप ही पर आए। मैं ने ख़ुद इसे
आपके बाज़ुआें में दे िदया था। अब जब इसे
मालूम हुआ है िक उम्मीद से है तो मुझे हक़ीर
17 जब अब्राम 99 साल का था तो
रब उस पर ज़ािहर हुआ। उसने
कहा, “मैं अल्लाह क़ािदरे -मुतलक़ हूँ । मे रे हुज़ूर
जानने लगी है । रब मे रे और आपके दरिमयान चलता रह और बे इलज़ाम हो। 2 मैं ते रे साथ
फ़ैसला करे ।” 6 अब्राम ने जवाब िदया, “दे खो, अपना अहद बाँ धँ ूगा और ते री औलाद को बहुत
यह तुम्हारी लाैं डी है और तुम्हारे इिख़्तयार में है । ही ज़्यादा बढ़ा दूँ गा।”
जो तुम्हारा जी चाहे उसके साथ करो।” 3 अब्राम मुँह के बल िगर गया, और अल्लाह

इस पर सारय उससे इतना बुरा सुलूक करने ने उससे कहा, 4 “मे रा ते रे साथ अहद है िक तू
लगी िक हािजरा फ़रार हो गई। 7 रब के फ़िरश्ते बहुत क़ौमाें का बाप होगा। 5 अब से तू अब्राम
को हािजरा रे िगस्तान के उस चश्मे के क़रीब यानी ‘अज़ीम बाप’ नहीं कहलाएगा बिल्क ते रा
िमली जो शूर के रास्ते पर है । 8 उसने कहा, नाम इब्राहीम यानी ‘बहुत क़ौमाें का बाप’ होगा।
17 पै दाइश 18:1
क्याें िक मैं ने तुझे बहुत क़ौमाें का बाप बना तरह हो सकता है ? मैं तो 100 साल का हूँ ।
िदया है । 6 मैं तुझे बहुत ही ज़्यादा औलाद बख़्श ऐसे आदमी के हाँ बच्चा िकस तरह पै दा हो
दूँ गा, इतनी िक क़ौमें बनें गी। तुझसे बादशाह भी सकता है ? और सारा जै सी उम्ररसीदा औरत
िनकलें गे। 7 मैं अपना अहद ते रे और ते री औलाद के बच्चा िकस तरह पै दा हो सकता है ? उस
के साथ नसल-दर-नसल क़ायम करूँगा, एक की उम्र तो 90 साल है ।” 18 उसने अल्लाह से
अबदी अहद िजसके मुतािबक़ मैं ते रा और ते री कहा, “हाँ , इसमाईल ही ते रे सामने जीता रहे ।”
औलाद का ख़ुदा हूँ गा। 8 तू इस वक़्त मुल्के- 19 अल्लाह ने कहा, “नहीं, ते री बीवी सारा

कनान में परदे सी है , ले िकन मैं इस पूरे मुल्क के हाँ बे टा पै दा होगा। तू उसका नाम इसहाक़
को तुझे और ते री औलाद को दे ता हूँ । यह हमे शा यानी ‘वह हँ सता है ’ रखना। मैं उसके और उस
तक उनका ही रहे गा, और मैं उनका ख़ुदा हूँ गा।” की औलाद के साथ अबदी अहद बाँ धँ ूगा। 20 मैं
9 अल्लाह ने इब्राहीम से यह भी कहा, “तुझे इसमाईल के िसलिसले में भी ते री दरख़ास्त
और ते री औलाद को नसल-दर-नसल मे रे अहद पूरी करूँगा। मैं उसे भी बरकत दे कर फलने -
की शरायत पूरी करनी हैं । 10 इसकी एक शतर् फूलने दूँ गा और उस की औलाद बहुत ही ज़्यादा
यह है िक हर एक मदर् का ख़तना िकया जाए। बढ़ा दूँ गा। वह बारह रईसाें का बाप होगा, और
11 अपना ख़तना कराओ। यह हमारे आपस के मैं उस की मािरफ़त एक बड़ी क़ौम बनाऊँगा।
अहद का ज़ािहरी िनशान होगा। 12 लािज़म है 21 ले िकन मे रा अहद इसहाक़ के साथ होगा, जो

िक तू और ते री औलाद नसल-दर-नसल अपने ऐन एक साल के बाद सारा के हाँ पै दा होगा।”


हर एक बे टे का आठवें िदन ख़तना करवाएँ । यह 22 अल्लाह की इब्राहीम के साथ बात ख़त्म

उसूल उस पर भी लागू है जो ते रे घर में रहता है हुई, और वह उसके पास से आसमान पर चला


ले िकन तुझसे िरश्ता नहीं रखता, चाहे वह घर गया।
में पै दा हुआ हो या िकसी अजनबी से ख़रीदा 23 उसी िदन इब्राहीम ने अल्लाह का हुक्म

गया हो। 13 घर के हर एक मदर् का ख़तना करना पूरा िकया। उसने घर के हर एक मदर् का


लािज़म है , ख़ाह वह घर में पै दा हुआ हो या ख़तना करवाया, अपने बे टे इसमाईल का भी
िकसी अजनबी से ख़रीदा गया हो। यह इस बात और उनका भी जो उसके घर में रहते ले िकन
का िनशान होगा िक मे रा ते रे साथ अहद हमे शा उससे िरश्ता नहीं रखते थे , चाहे वह उसके घर
तक क़ायम रहे गा। 14 िजस मदर् का ख़तना न में पै दा हुए थे या ख़रीदे गए थे । 24 इब्राहीम
िकया गया उसे उस की क़ौम में से िमटाया 99 साल का था जब उसका ख़तना हुआ,
जाएगा, क्याें िक उसने मे रे अहद की शरायत 25 जबिक उसका बे टा इसमाईल 13 साल का

पूरी न कीं।” था। 26 दोनाें का ख़तना उसी िदन हुआ। 27 साथ


15 अल्लाह ने इब्राहीम से यह भी कहा, साथ घराने के तमाम बाक़ी मदार्ें का ख़तना भी
“अपनी बीवी सारय का नाम भी बदल दे ना। हुआ, बशमूल उनके िजनका इब्राहीम के साथ
अब से उसका नाम सारय नहीं बिल्क सारा िरश्ता नहीं था, चाहे वह घर में पै दा हुए या िकसी
यानी शहज़ादी होगा। 16 मैं उसे बरकत बख़्शूँगा अजनबी से ख़रीदे गए थे ।
और तुझे उस की मािरफ़त बे टा दूँ गा। मैं उसे
यहाँ तक बरकत दूँ गा िक उससे क़ौमें बिल्क ममरे में इब्राहीम के तीन मे हमान
क़ौमाें के बादशाह िनकलें गे।”
17 इब्राहीम मुँह के बल िगर गया। ले िकन िदल

ही िदल में वह हँ स पड़ा और सोचा, “यह िकस


18 एक िदन रब ममरे के दरख़्ताें के
पास इब्राहीम पर ज़ािहर हुआ।
इब्राहीम अपने ख़ै मे के दरवाज़े पर बै ठा था। िदन
पै दाइश 18:2 18
की गरमी उरूज पर थी। 2 अचानक उसने दे खा तो जवानी के जोबन का लुत्फ़ उठाऊँ? और
िक तीन मदर् मे रे सामने खड़े हैं । उन्हें दे खते ही मे रा शौहर भी बूढ़ा है ।”
वह ख़ै मे से उनसे िमलने के िलए दौड़ा और मुँह 13 रब ने इब्राहीम से पूछा, “सारा क्याें हँ स

के बल िगरकर िसजदा िकया। 3 उसने कहा, रही है ? वह क्याें कह रही है , ‘क्या वाक़ई मे रे हाँ
“मे रे आक़ा, अगर मुझ पर आपके करम की बच्चा पै दा होगा जबिक मैं इतनी उम्ररसीदा हूँ ?’
नज़र है तो आगे न बढ़ें बिल्क कुछ दे र अपने बं दे 14 क्या रब के िलए कोई काम नामुमिकन है ?

के घर ठहरें । 4 अगर इजाज़त हो तो मैं कुछ पानी एक साल के बाद मुक़रर् रा वक़्त पर मैं वापस
ले आऊँ तािक आप अपने पाँ व धोकर दरख़्त के आऊँगा तो सारा के बे टा होगा।” 15 सारा डर
साय में आराम कर सकें। 5 साथ साथ मैं आपके गई। उसने झूट बोलकर इनकार िकया, “मैं नहीं
िलए थोड़ा-बहुत खाना भी ले आऊँ तािक आप हँ स रही थी।”
तक़िवयत पाकर आगे बढ़ सकें। मुझे यह करने रब ने कहा, “नहीं, तू ज़रूर हँ स रही थी।”
दें , क्याें िक आप अपने ख़ािदम के घर आ गए
हैं ।” उन्हाें ने कहा, “ठीक है । जो कुछ तूने कहा इब्राहीम सदूम के िलए िमन्नत करता है
है वह कर।” 16 िफर मे हमान उठकर रवाना हुए और नीचे

6 इब्राहीम ख़ै मे की तरफ़ दौड़कर सारा के वादी में सदूम की तरफ़ दे खने लगे । इब्राहीम
पास आया और कहा, “जल्दी करो! 16 उन्हें रुख़सत करने के िलए साथ साथ चल
िकलोग्राम बे हतरीन मै दा ले और उसे गूँधकर रहा था। 17 रब ने िदल में कहा, “मैं इब्राहीम
रोिटयाँ बना।” 7 िफर वह भागकर बै लाें के पास से वह काम क्याें छु पाए रखूँ जो मैं करने के
पहुँ चा। उनमें से उसने एक मोटा-ताज़ा बछड़ा िलए जा रहा हूँ ? 18 इसी से तो एक बड़ी और
चुन िलया िजसका गोश्त नरम था और उसे ताक़तवर क़ौम िनकले गी और इसी से मैं दुिनया
अपने नौकर को िदया िजसने जल्दी से उसे की तमाम क़ौमाें को बरकत दूँ गा। 19 उसी को
तै यार िकया। 8 जब खाना तै यार था तो इब्राहीम मैं ने चुन िलया है तािक वह अपनी औलाद और
ने उसे ले कर लस्सी और दूध के साथ अपने अपने बाद के घराने को हुक्म दे िक वह रब की
मे हमानाें के आगे रख िदया। वह खाने लगे और राह पर चलकर रास्त और मुंिसफ़ाना काम करें ।
इब्राहीम उनके सामने दरख़्त के साय में खड़ा क्याें िक अगर वह ऐसा करें तो रब इब्राहीम के
रहा। साथ अपना वादा पूरा करे गा।”
9 उन्हाें ने पूछा, “ते री बीवी सारा कहाँ है ?” 20 िफर रब ने कहा, “सदूम और अमूरा की

उसने जवाब िदया, “ख़ै मे में ।” 10 रब ने कहा, बदी के बाइस लोगाें की आहें बुलंद हो रही हैं ,
“ऐन एक साल के बाद मैं वापस आऊँगा तो क्याें िक उनसे बहुत सं गीन गुनाह सरज़द हो रहे
ते री बीवी सारा के बे टा होगा।” हैं । 21 मैं उतरकर उनके पास जा रहा हूँ तािक
सारा यह बातें सुन रही थी, क्याें िक वह उसके दे खँ ू िक यह इलज़ाम वाक़ई सच हैं जो मुझ तक
पीछे ख़ै मे के दरवाज़े के पास थी। 11 दोनाें िमयाँ - पहुँ चे हैं । अगर ऐसा नहीं है तो मैं यह जानना
बीवी बूढ़े हो चुके थे और सारा उस उम्र से गुज़र चाहता हूँ ।”
चुकी थी िजसमें औरताें के बच्चे पै दा होते हैं । 22 दूसरे दो आदमी सदूम की तरफ़ आगे

12 इसिलए सारा अं दर ही अं दर हँ स पड़ी और िनकले जबिक रब कुछ दे र के िलए वहाँ ठहरा


सोचा, “यह कैसे हो सकता है ? क्या जब मैं रहा और इब्राहीम उसके सामने खड़ा रहा।
बुढ़ापे के बाइस िघसे -फटे िलबास की मािंनद हूँ 23 िफर उसने क़रीब आकर उससे बात की,

“क्या तू रास्तबाज़ाें को भी शरीराें के साथ


19 पै दाइश 19:11
तबाह कर दे गा? 24 हो सकता है िक शहर में सदूम और अमूरा की तबाही
50 रास्तबाज़ हाें । क्या तू िफर भी शहर को
बरबाद कर दे गा और उसे उन 50 के सबब से
मुआफ़ नहीं करे गा? 25 यह कैसे हो सकता है
19 शाम के वक़्त यह दो फ़िरश्ते
सदूम पहुँ चे। लूत शहर के दर-
वाज़े पर बै ठा था। जब उसने उन्हें दे खा तो
िक तू बे क़ुसूराें को शरीराें के साथ हलाक कर खड़े होकर उनसे िमलने गया और मुँह के बल
दे ? यह तो नामुमिकन है िक तू ने क और शरीर िगरकर िसजदा िकया। 2 उसने कहा, “साहबो,
लोगाें से एक जै सा सुलूक करे । क्या लािज़म अपने बं दे के घर तशरीफ़ लाएँ तािक अपने पाँ व
नहीं िक पूरी दुिनया का मुंिसफ़ इनसाफ़ करे ?” धोकर रात को ठहरें और िफर कल सुबह-सवे रे
26 रब ने जवाब िदया, “अगर मुझे शहर में 50 उठकर अपना सफ़र जारी रखें ।” उन्हाें ने कहा,
रास्तबाज़ िमल जाएँ तो उनके सबब से तमाम “कोई बात नहीं, हम चौक में रात गुज़ारें गे ।”
को मुआफ़ कर दूँ गा।” 3 ले िकन लूत ने उन्हें बहुत मजबूर िकया, और

27 इब्राहीम ने कहा, “मैं मुआफ़ी चाहता हूँ िक आिख़रकार वह उसके साथ उसके घर आए।
मैं ने रब से बात करने की जुरर्त की है अगरचे मैं उसने उनके िलए खाना पकाया और बे ख़मीरी
ख़ाक और राख ही हूँ । 28 ले िकन हो सकता है रोटी बनाई। िफर उन्हाें ने खाना खाया।
िक िसफ़र् 45 रास्तबाज़ उसमें हाें । क्या तू िफर 4 वह अभी सोने के िलए ले टे नहीं थे िक शहर

भी उन पाँ च लोगाें की कमी के सबब से पूरे शहर के जवानाें से ले कर बूढ़ाें तक तमाम मदार्ें ने लूत
को तबाह करे गा?” उसने कहा, “अगर मुझे के घर को घे र िलया। 5 उन्हाें ने आवाज़ दे कर लूत
45 भी िमल जाएँ तो उसे बरबाद नहीं करूँगा।” से कहा, “वह आदमी कहाँ हैं जो रात के वक़्त
29 इब्राहीम ने अपनी बात जारी रखी, “और ते रे पास आए? उनको बाहर ले आ तािक हम
अगर िसफ़र् 40 ने क लोग हाें तो?” रब ने कहा, उनके साथ हरामकारी करें ।”
“मैं उन 40 के सबब से उन्हें छोड़ दूँ गा।” 6 लूत उनसे िमलने बाहर गया। उसने अपने

30 इब्राहीम ने कहा, “रब ग़ुस्सा न करे िक मैं पीछे दरवाज़ा बं द कर िलया 7 और कहा, “मे रे
एक दफ़ा और बात करूँ। शायद वहाँ िसफ़र् 30 भाइयो, ऐसा मत करो, ऐसी बदकारी न करो।
हाें ।” उसने जवाब िदया, “िफर भी उन्हें छोड़ 8 दे खो, मे री दो कँ ु वारी बे िटयाँ हैं । उन्हें मैं तुम्हारे

दूँ गा।” पास बाहर ले आता हूँ । िफर जो जी चाहे उनके


31 इब्राहीम ने कहा, “मैं मुआफ़ी चाहता हूँ साथ करो। ले िकन इन आदिमयाें को छोड़ दो,
िक मैं ने रब से बात करने की जुरर्त की है । अगर क्याें िक वह मे रे मे हमान हैं ।”
िसफ़र् 20 पाए जाएँ ?” रब ने कहा, “मैं 20 के 9 उन्हाें ने कहा, “रास्ते से हट जा! दे खो, यह

सबब से शहर को बरबाद करने से बाज़ रहूँ गा।” शख़्स जब हमारे पास आया था तो अजनबी था,
32 इब्राहीम ने एक आिख़री दफ़ा बात की, और अब यह हम पर हािकम बनना चाहता है ।
“रब ग़ुस्सा न करे अगर मैं एक और बार बात अब ते रे साथ उनसे ज़्यादा बुरा सुलूक करें गे ।”
करूँ। शायद उसमें िसफ़र् 10 पाए जाएँ ।” रब वह उसे मजबूर करते करते दरवाज़े को तोड़ने
ने कहा, “मैं उसे उन 10 लोगाें के सबब से भी के िलए आगे बढ़े । 10 ले िकन ऐन वक़्त पर अं दर
बरबाद नहीं करूँगा।” के आदमी लूत को पकड़कर अं दर ले आए, िफर
33 इन बाताें के बाद रब चला गया और दरवाज़ा दुबारा बं द कर िदया। 11 उन्हाें ने छोटाें से
इब्राहीम अपने घर को लौट आया। ले कर बड़ाें तक बाहर के तमाम आदिमयाें को
पै दाइश 19:12 20
अं धा कर िदया, और वह दरवाज़े को ढूँ डते ढूँ डते िहजरत कर सकता हूँ । मुझे वहाँ पनाह ले ने दे ।
थक गए। वह छोटा ही है , ना? िफर मे री जान बचे गी।”
12 दोनाें आदिमयाें ने लूत से कहा, “क्या 21 उसने कहा, “चलो, ठीक है । ते री यह

ते रा कोई और िरश्ते दार इस शहर में रहता है , दरख़ास्त भी मं ज़ूर है । मैं यह क़सबा तबाह
मसलन कोई दामाद या बे टा-बे टी? सबको नहीं करूँगा। 22 ले िकन भागकर वहाँ पनाह ले ,
साथ ले कर यहाँ से चला जा, 13 क्याें िक हम क्याें िक जब तक तू वहाँ पहुँ च न जाए मैं कुछ
यह मक़ाम तबाह करने को हैं । इसके बािंशदाें नहीं कर सकता।” इसिलए क़सबे का नाम
की बदी के बाइस लोगाें की आहें बुलंद होकर ज़ुग़र यानी छोटा है ।
रब के हुज़ूर पहुँ च गई हैं , इसिलए उसने हमें 23 जब लूत ज़ुग़र पहुँ चा तो सूरज िनकला

इसको तबाह करने के िलए भे जा है ।” हुआ था। 24 तब रब ने आसमान से सदूम


14 लूत घर से िनकला और अपने दामादाें से और अमूरा पर गं धक और आग बरसाई। 25 याें
बात की िजनका उस की बे िटयाें के साथ िरश्ता उसने उस पूरे मै दान को उसके शहराें , बािंशदाें
हो चुका था। उसने कहा, “जल्दी करो, इस और तमाम हिरयाली समे त तबाह कर िदया।
जगह से िनकलो, क्याें िक रब इस शहर को 26 ले िकन फ़रार होते वक़्त लूत की बीवी ने पीछे

तबाह करने को है ।” ले िकन उसके दामादाें ने मुड़कर दे खा तो वह फ़ौरन नमक का सतून बन


इसे मज़ाक़ ही समझा। गई।
15 जब पौ फटने लगी तो दोनाें आदिमयाें ने 27 इब्राहीम सुबह-सवे रे उठकर उस जगह

लूत को बहुत समझाया और कहा, “जल्दी वापस आया जहाँ वह कल रब के सामने खड़ा
कर! अपनी बीवी और दोनाें बे िटयाें को साथ हुआ था। 28 जब उसने नीचे सदूम, अमूरा और
ले कर चला जा, वरना जब शहर को सज़ा दी पूरी वादी की तरफ़ नज़र की तो वहाँ से भट्टे
जाएगी तो तू भी हलाक हो जाएगा।” 16 तो भी का-सा धुआँ उठ रहा था।
वह िझजकता रहा। आिख़रकार दोनाें ने लूत, 29 याें अल्लाह ने इब्राहीम को याद िकया जब

उस की बीवी और बे िटयाें के हाथ पकड़कर उन्हें उसने उस मै दान के शहर तबाह िकए। क्याें िक
शहर के बाहर तक पहुँ चा िदया, क्याें िक रब को वह उन्हें तबाह करने से पहले लूत को जो उनमें
लूत पर तरस आता था। आबाद था वहाँ से िनकाल लाया।
17 ज्याें ही वह उन्हें बाहर ले आए उनमें से

एक ने कहा, “अपनी जान बचाकर चला जा। लूत और उस की बे िटयाँ


पीछे मुड़कर न दे खना। मै दान में कहीं न ठहरना 30 लूत और उस की बे िटयाँ ज़्यादा दे र तक
बिल्क पहाड़ाें में पनाह ले ना, वरना तू हलाक हो ज़ुग़र में न ठहरे । वह रवाना होकर पहाड़ाें में
जाएगा।” आबाद हुए, क्याें िक लूत ज़ुग़र में रहने से डरता
18 ले िकन लूत ने उनसे कहा, “नहीं मे रे था। वहाँ उन्हाें ने एक ग़ार को अपना घर बना
आक़ा, ऐसा न हो। 19 ते रे बं दे को ते री नज़रे - िलया।
करम हािसल हुई है और तूने मे री जान बचाने 31 एक िदन बड़ी बे टी ने छोटी से कहा, “अब्बू

में बहुत मे हरबानी कर िदखाई है । ले िकन मैं बूढ़ा है और यहाँ कोई मदर् है नहीं िजसके ज़रीए
पहाड़ाें में पनाह नहीं ले सकता। वहाँ पहुँ चने से हमारे बच्चे पै दा हो सकें। 32 आओ, हम अब्बू को
पहले यह मुसीबत मुझ पर आन पड़े गी और मैं मै िपलाएँ । जब वह नशे में धुत हो तो हम उसके
हलाक हो जाऊँगा। 20 दे ख, क़रीब ही एक छोटा साथ हमिबसतर होकर अपने िलए औलाद पै दा
क़सबा है । वह इतना नज़दीक है िक मैं उस तरफ़ करें तािक हमारी नसल क़ायम रहे ।”
21 पै दाइश 20:16
33 उस रात उन्हाें ने अपने बाप को मै िपलाई। 5 क्या इब्राहीम ने मुझसे नहीं कहा था िक सारा
जब वह नशे में था तो बड़ी बे टी अं दर जाकर मे री बहन है ? और सारा ने उस की हाँ में हाँ
उसके साथ हमिबसतर हुई। चूँिक लूत होश िमलाई। मे री नीयत अच्छी थी और मैं ने ग़लत
में नहीं था इसिलए उसे कुछ भी मालूम न काम नहीं िकया।” 6 अल्लाह ने कहा, “हाँ ,
हुआ। 34 अगले िदन बड़ी बहन ने छोटी बहन मैं जानता हूँ िक इसमें ते री नीयत अच्छी थी।
से कहा, “िपछली रात मैं अब्बू से हमिबसतर इसिलए मैं ने तुझे मे रा गुनाह करने और उसे छू ने
हुई। आओ, आज रात को हम उसे दुबारा मै से रोक िदया। 7 अब उस औरत को उसके शौहर
िपलाएँ । जब वह नशे में धुत हो तो तुम उसके को वापस कर दे , क्याें िक वह नबी है और ते रे
साथ हमिबसतर होकर अपने िलए औलाद िलए दुआ करे गा। िफर तू नहीं मरे गा। ले िकन
पै दा करना तािक हमारी नसल क़ायम रहे ।” अगर तू उसे वापस नहीं करे गा तो जान ले िक
35 चुनाँ चे उन्हाें ने उस रात भी अपने बाप को मै ते री और ते रे लोगाें की मौत यक़ीनी है ।”
िपलाई। जब वह नशे में था तो छोटी बे टी उठकर 8 अबीमिलक ने सुबह-सवे रे उठकर अपने

उसके साथ हमिबसतर हुई। इस बार भी वह तमाम कािंरदाें को यह सब कुछ बताया।


होश में नहीं था, इसिलए उसे कुछ भी मालूम यह सुनकर उन पर दहशत छा गई। 9 िफर
न हुआ। अबीमिलक ने इब्राहीम को बुलाकर कहा,
36 याें लूत की बे िटयाँ अपने बाप से उम्मीद “आपने हमारे साथ क्या िकया है ? मैं ने आपके
से हुइर्ं । 37 बड़ी बे टी के हाँ बे टा पै दा हुआ। साथ क्या ग़लत काम िकया िक आपने मुझे
उसने उसका नाम मोआब रखा। उससे मोआबी और मे री सलतनत को इतने सं गीन जुमर् में फँसा
िनकले हैं । 38 छोटी बे टी के हाँ भी बे टा पै दा िदया है ? जो सुलूक आपने हमारे साथ कर
हुआ। उसने उसका नाम िबन-अम्मी रखा। िदखाया है वह िकसी भी शख़्स के साथ नहीं
उससे अम्मोनी िनकले हैं । करना चािहए। 10 आपने यह क्याें िकया?”
11 इब्राहीम ने जवाब िदया, “मैं ने अपने िदल

इब्राहीम और अबीमिलक में कहा िक यहाँ के लोग अल्लाह का ख़ौफ़ नहीं

20 इब्राहीम वहाँ से जुनूब की तरफ़


दश्ते -नजब में चला गया और
क़ािदस और शूर के दरिमयान जा बसा। कुछ
रखते हाें गे, इसिलए वह मे री बीवी को हािसल
करने के िलए मुझे क़त्ल कर दें गे । 12 हक़ीक़त
में वह मे री बहन भी है । वह मे रे बाप की बे टी
दे र के िलए वह िजरार में ठहरा, ले िकन अजनबी है अगरचे उस की और मे री माँ फ़रक़ हैं । याें
की है िसयत से । 2 वहाँ उसने लोगाें को बताया, मैं उससे शादी कर सका। 13 िफर जब अल्लाह
“सारा मे री बहन है ।” इसिलए िजरार के ने होने िदया िक मैं अपने बाप के घराने से
बादशाह अबीमिलक ने िकसी को िभजवा िदया िनकलकर इधर-उधर िफरूँ तो मैं ने अपनी बीवी
िक उसे महल में ले आए। से कहा, ‘मुझ पर यह मे हरबानी कर िक जहाँ
3 ले िकन रात के वक़्त अल्लाह ख़ाब में भी हम जाएँ मे रे बारे में कह दे ना िक वह मे रा
अबीमिलक पर ज़ािहर हुआ और कहा, “मौत भाई है ’।”
ते रे सर पर खड़ी है , क्याें िक जो औरत तू अपने 14 िफर अबीमिलक ने इब्राहीम को भे ड़-

घर ले आया है वह शादीशुदा है ।” बकिरयाँ , गाय-बै ल, ग़ुलाम और लाैं िडयाँ दे कर


4 असल में अबीमिलक अभी तक सारा के उस की बीवी सारा को उसे वापस कर िदया।
क़रीब नहीं गया था। उसने कहा, “मे रे आक़ा, 15 उसने कहा, “मे रा मुल्क आपके िलए खुला

क्या तू एक बे क़ुसूर क़ौम को भी हलाक करे गा? है । जहाँ जी चाहे उसमें जा बसें ।” 16 सारा से
पै दाइश 20:17-18 22
उसने कहा, “मैं आपके भाई को चाँ दी के हज़ार इब्राहीम हािजरा और इसमाईल
िसक्के दे ता हूँ । इससे आप और आपके लोगाें को िनकाल दे ता है
के सामने आपके साथ िकए गए नारवा सुलूक 9 एक िदन सारा ने दे खा िक िमसरी लाैं डी

का इज़ाला हो और आपको बे क़ुसूर क़रार िदया हािजरा का बे टा इसमाईल इसहाक़ का मज़ाक़


जाए।” उड़ा रहा है । 10 उसने इब्राहीम से कहा, “इस
17-18 तब इब्राहीम ने अल्लाह से दुआ की लाैं डी और उसके बे टे को घर से िनकाल दें ,
और अल्लाह ने अबीमिलक, उस की बीवी और क्याें िक वह मे रे बे टे इसहाक़ के साथ मीरास
उस की लाैं िडयाें को शफ़ा दी, क्याें िक रब ने नहीं पाएगा।”
अबीमिलक के घराने की तमाम औरताें को सारा 11 इब्राहीम को यह बात बहुत बुरी लगी।

के सबब से बाँ झ बना िदया था। ले िकन अब आिख़र इसमाईल भी उसका बे टा था।
उनके हाँ दुबारा बच्चे पै दा होने लगे । 12 ले िकन अल्लाह ने उससे कहा, “जो बात

सारा ने अपनी लाैं डी और उसके बे टे के बारे में


इसहाक़ की पै दाइश कही है वह तुझे बुरी न लगे । सारा की बात मान

21 तब रब ने सारा के साथ वै सा ही
िकया जै सा उसने फ़रमाया था। जो
वादा उसने सारा के बारे में िकया था उसे उसने
ले , क्याें िक ते री नसल इसहाक़ ही से क़ायम
रहे गी। 13 ले िकन मैं इसमाईल से भी एक क़ौम
बनाऊँगा, क्याें िक वह ते रा बे टा है ।”
पूरा िकया। 2 वह हािमला हुई और बे टा पै दा 14 इब्राहीम सुबह-सवे रे उठा। उसने रोटी और

हुआ। ऐन उस वक़्त बूढ़े इब्राहीम के हाँ बे टा पै दा पानी की मशक हािजरा के कंधाें पर रखकर उसे
हुआ जो अल्लाह ने मुक़रर् र करके उसे बताया लड़के के साथ घर से िनकाल िदया। हािजरा
था। चलते चलते बै र-सबा के रे िगस्तान में इधर-
3 इब्राहीम ने अपने इस बे टे का नाम इसहाक़ उधर िफरने लगी। 15 िफर पानी ख़त्म हो गया।
यानी ‘वह हँ सता है ’ रखा। 4 जब इसहाक़ आठ हािजरा लड़के को िकसी झाड़ी के नीचे छोड़कर
िदन का था तो इब्राहीम ने उसका ख़तना 16 कोई 300 फ़ुट दूर बै ठ गई। क्याें िक उसने

कराया, िजस तरह अल्लाह ने उसे हुक्म िदया िदल में कहा, “मैं उसे मरते नहीं दे ख सकती।”
था। 5 जब इसहाक़ पै दा हुआ उस वक़्त इब्राहीम वह वहाँ बै ठकर रोने लगी।
100 साल का था। 6 सारा ने कहा, “अल्लाह 17 ले िकन अल्लाह ने बे टे की रोती हुई आवाज़

ने मुझे हँ साया, और हर कोई जो मे रे बारे में यह सुन ली। अल्लाह के फ़िरश्ते ने आसमान पर से
सुनेगा हँ सेगा। 7 इससे पहले कौन इब्राहीम से पुकारकर हािजरा से बात की, “हािजरा, क्या
यह कहने की जुरर्त कर सकता था िक सारा बात है ? मत डर, क्याें िक अल्लाह ने लड़के
अपने बच्चाें को दूध िपलाएगी? और अब मे रे का जो वहाँ पड़ा है रोना सुन िलया है । 18 उठ,
हाँ बे टा पै दा हुआ है , अगरचे इब्राहीम बूढ़ा हो लड़के को उठाकर उसका हाथ थाम ले , क्याें िक
गया है ।” मैं उससे एक बड़ी क़ौम बनाऊँगा।”
8 इसहाक़ बड़ा होता गया। जब उसका दूध 19 िफर अल्लाह ने हािजरा की आँखें खोल

छु ड़ाया गया तो इब्राहीम ने उसके िलए बड़ी दीं, और उस की नज़र एक कुएँ पर पड़ी। वह
िज़याफ़त की। वहाँ गई और मशक को पानी से भरकर लड़के
को िपलाया।
23 पै दाइश 22:9
20 अल्लाह लड़के के साथ था। वह जवान इबादत की जो अबदी ख़ुदा है । 34 इब्राहीम बहुत
हुआ और तीरअं दाज़ बनकर बयाबान में रहने अरसे तक िफ़िलिस्तयाें के मुल्क में आबाद रहा,
लगा। 21 जब वह फ़ारान के रे िगस्तान में रहता ले िकन अजनबी की है िसयत से ।
था तो उस की माँ ने उसे एक िमसरी औरत से
ब्याह िदया। इब्राहीम की आज़माइश

अबीमिलक के साथ अहद


22 उन िदनाें में अबीमिलक और उसके
22 कुछ अरसे के बाद अल्लाह ने
इब्राहीम को आज़माया। उसने
उससे कहा, “इब्राहीम!” उसने जवाब िदया,
िसपाहसालार फ़ीकुल ने इब्राहीम से कहा, “जो “जी, मैं हािज़र हूँ ।” 2 अल्लाह ने कहा, “अपने
कुछ भी आप करते हैं अल्लाह आपके साथ इकलौते बे टे इसहाक़ को िजसे तू प्यार करता है
है । 23 अब मुझसे अल्लाह की क़सम खाएँ िक साथ ले कर मोिरयाह के इलाक़े में चला जा। वहाँ
आप मुझे और मे री आलो-औलाद को धोका मैं तुझे एक पहाड़ िदखाऊँगा। उस पर अपने बे टे
नहीं दें गे । मुझ पर और इस मुल्क पर िजसमें को क़ुरबान कर दे । उसे ज़बह करके क़ुरबानगाह
आप परदे सी हैं वही मे हरबानी करें जो मैं ने आप पर जला दे ना।”
पर की है ।” 3 सुबह-सवे रे इब्राहीम उठा और अपने गधे पर

24 इब्राहीम ने जवाब िदया, “मैं क़सम खाता ज़ीन कसा। उसने अपने साथ दो नौकराें और

हूँ ।” 25 िफर उसने अबीमिलक से िशकायत अपने बे टे इसहाक़ को िलया। िफर वह क़ुरबानी
करते हुए कहा, “आपके बं दाें ने हमारे एक को जलाने के िलए लकड़ी काटकर उस जगह
कुएँ पर क़ब्ज़ा कर िलया है ।” 26 अबीमिलक ने की तरफ़ रवाना हुआ जो अल्लाह ने उसे बताई
कहा, “मुझे नहीं मालूम िक िकसने ऐसा िकया थी। 4 सफ़र करते करते तीसरे िदन क़ुरबानी की
है । आपने भी मुझे नहीं बताया। आज मैं पहली जगह इब्राहीम को दूर से नज़र आई। 5 उसने
दफ़ा यह बात सुन रहा हूँ ।” नौकराें से कहा, “यहाँ गधे के पास ठहरो। मैं
27 तब इब्राहीम ने अबीमिलक को भे ड़- लड़के के साथ वहाँ जाकर परिस्तश करूँगा।

बकिरयाँ और गाय-बै ल िदए, और दोनाें ने एक िफर हम तुम्हारे पास वापस आ जाएं गे।”
दूसरे के साथ अहद बाँ धा। 28 िफर इब्राहीम 6 इब्राहीम ने क़ुरबानी को जलाने के िलए

ने भे ड़ के सात मादा बच्चाें को अलग कर लकिड़याँ इसहाक़ के कंधाें पर रख दीं और


िलया। 29 अबीमिलक ने पूछा, “आपने यह क्याें ख़ुद छु री और आग जलाने के िलए अं गाराें
िकया?” 30 इब्राहीम ने जवाब िदया, “भे ड़ के का बरतन उठाया। दोनाें चल िदए। 7 इसहाक़
इन सात बच्चाें को मुझसे ले लें । यह इसके बोला, “अब्बू!” इब्राहीम ने कहा, “जी बे टा।”
गवाह हाें िक मैं ने इस कुएँ को खोदा है ।” “अब्बू, आग और लकिड़याँ तो हमारे पास हैं ,
31 इसिलए उस जगह का नाम बै र-सबा यानी ले िकन क़ुरबानी के िलए भे ड़ या बकरी कहाँ

‘क़सम का कुआँ’ रखा गया, क्याें िक वहाँ उन है ?” 8 इब्राहीम ने जवाब िदया, “अल्लाह ख़ुद
दोनाें मदार्ें ने क़सम खाई। क़ुरबानी के िलए जानवर मुहैया करे गा, बे टा।”
32 याें उन्हाें ने बै र-सबा में एक दूसरे से वह आगे बढ़ गए।
अहद बाँ धा। िफर अबीमिलक और फ़ीकुल 9 चलते चलते वह उस मक़ाम पर पहुँ चे जो

िफ़िलिस्तयाें के मुल्क वापस चले गए। 33 इसके अल्लाह ने उस पर ज़ािहर िकया था। इब्राहीम
बाद इब्राहीम ने बै र-सबा में झाऊ का दरख़्त ने वहाँ क़ुरबानगाह बनाई और उस पर लकिड़याँ
लगाया। वहाँ उसने रब का नाम ले कर उस की तरतीब से रख दीं। िफर उसने इसहाक़ को
पै दाइश 22:10 24
बाँ धकर लकिड़याें पर रख िदया 10 और छु री हाँ भी बे टे पै दा हुए िजनके नाम ितबख़, जाहम,
पकड़ ली तािक अपने बे टे को ज़बह करे । 11 ऐन तख़स और माका हैं ।
उसी वक़्त रब के फ़िरश्ते ने आसमान पर से उसे
आवाज़ दी, “इब्राहीम, इब्राहीम!” इब्राहीम ने सारा की वफ़ात
कहा, “जी, मैं हािज़र हूँ ।” 12 फ़िरश्ते ने कहा,
“अपने बे टे पर हाथ न चला, न उसके साथ कुछ
कर। अब मैं ने जान िलया है िक तू अल्लाह का
23 सारा 127 साल की उम्र में हबरून
में इं तक़ाल कर गई। 2 उस ज़माने
में हबरून का नाम िक़िरयत-अरबा था, और
ख़ौफ़ रखता है , क्याें िक तू अपने इकलौते बे टे वह मुल्के-कनान में था। इब्राहीम ने उसके पास
को भी मुझे दे ने के िलए तै यार है ।” आकर मातम िकया। 3 िफर वह जनाज़े के पास
13 अचानक इब्राहीम को एक में ढा नज़र से उठा और िहित्तयाें से बात की। उसने कहा,
आया िजसके सींग गुंजान झािड़याें में फँसे हुए 4 “मैं आपके दरिमयान परदे सी और ग़ै रशहरी

थे । इब्राहीम ने उसे ज़बह करके अपने बे टे की की है िसयत से रहता हूँ । मुझे क़ब्र के िलए
जगह क़ुरबानी के तौर पर जला िदया। 14 उसने ज़मीन बे चें तािक अपनी बीवी को अपने घर
उस मक़ाम का नाम “रब मुहैया करता है ” से ले जाकर दफ़न कर सकँ ू ।” 5-6 िहित्तयाें
रखा। इसिलए आज तक कहा जाता है , “रब ने जवाब िदया, “हमारे आक़ा, हमारी बात
के पहाड़ पर मुहैया िकया जाता है ।” सुनें! आप हमारे दरिमयान अल्लाह के रईस हैं ।
15 रब के फ़िरश्ते ने एक बार िफर आसमान अपनी बीवी को हमारी बे हतरीन क़ब्र में दफ़न
पर से पुकारकर उससे बात की। 16 “रब का करें । हममें से कोई नहीं जो आपसे अपनी क़ब्र
फ़रमान है , मे री ज़ात की क़सम, चूँिक तूने का इनकार करे गा।”
यह िकया और अपने इकलौते बे टे को मुझे 7 इब्राहीम उठा और मुल्क के बािंशदाें यानी

पे श करने के िलए तै यार था 17 इसिलए मैं तुझे िहित्तयाें के सामने ताज़ीमन झु क गया। 8 उसने
बरकत दूँ गा और ते री औलाद को आसमान के कहा, “अगर आप इसके िलए तै यार हैं िक मैं
िसताराें और सािहल की रे त की तरह बे शुमार अपनी बीवी को अपने घर से ले जाकर दफ़न
होने दूँ गा। ते री औलाद अपने दुश्मनाें के शहराें करूँतो सुहर के बे टे इफ़रोन से मे री िसफ़ािरश
के दरवाज़ाें पर क़ब्ज़ा करे गी। 18 चूँिक तूने मे री करें 9 िक वह मुझे मकफ़ीला का ग़ार बे च दे ।
सुनी इसिलए ते री औलाद से दुिनया की तमाम वह उसका है और उसके खे त के िकनारे पर
क़ौमें बरकत पाएँ गी।” है । मैं उस की पूरी क़ीमत दे ने के िलए तै यार हूँ
19 इसके बाद इब्राहीम अपने नौकराें के पास तािक आपके दरिमयान रहते हुए मे रे पास क़ब्र
वापस आया, और वह िमलकर बै र-सबा लौटे । भी हो।”
वहाँ इब्राहीम आबाद रहा। 10 इफ़रोन िहित्तयाें की जमात में मौजूद था।

20 इन वािक़यात के बाद इब्राहीम को इत्तला इब्राहीम की दरख़ास्त पर उसने उन तमाम


िमली, “आपके भाई नहूर की बीवी िमलकाह िहित्तयाें के सामने जो शहर के दरवाज़े पर जमा
के हाँ भी बे टे पै दा हुए हैं । 21 उसके पहलौठे थे जवाब िदया, 11 “नहीं, मे रे आक़ा! मे री बात
ऊज़ के बाद बूज़, क़मुएल (अराम का बाप), सुनें। मैं आपको यह खे त और उसमें मौजूद ग़ार
22 कसद, हज़ू, िफ़लदास, इदलाफ़ और बतुएल दे दे ता हूँ । सब जो हािज़र हैं मे रे गवाह हैं , मैं यह
पै दा हुए हैं ।” 23 िमलकाह और नहूर के हाँ यह आपको दे ता हूँ । अपनी बीवी को वहाँ दफ़न कर
आठ बे टे पै दा हुए। (बतुएल िरबक़ा का बाप दें ।”
था)। 24 नहूर की हरम का नाम रूमा था। उसके
25 पै दाइश 24:14
12 इब्राहीम दुबारा मुल्क के बािंशदाें के सामने लाओगे 4 बिल्क मे रे वतन में मे रे िरश्ते दाराें के
अदबन झु क गया। 13 उसने सबके सामने पास जाओगे और उन्हीं में से मे रे बे टे के िलए
इफ़रोन से कहा, “मे हरबानी करके मे री बात पर बीवी लाओगे ।” 5 उसके नौकर ने कहा, “शायद
ग़ौर करें । मैं खे त की पूरी क़ीमत अदा करूँगा। वह औरत मे रे साथ यहाँ आना न चाहे । क्या मैं
उसे क़बूल करें तािक वहाँ अपनी बीवी को दफ़न इस सूरत में आपके बे टे को उस वतन में वापस
कर सकँ ू ।” 14-15 इफ़रोन ने जवाब िदया, “मे रे ले जाऊँ िजससे आप िनकले हैं ?” 6 इब्राहीम
आक़ा, सुनें। इस ज़मीन की क़ीमत िसफ़र् 400 ने कहा, “ख़बरदार! उसे हरिगज़ वापस न ले
चाँ दी के िसक्के है ।a आपके और मे रे दरिमयान जाना। 7 रब जो आसमान का ख़ुदा है अपना
यह क्या है ? अपनी बीवी को दफ़न कर दें ।” फ़िरश्ता तुम्हारे आगे भे जेगा, इसिलए तुम वहाँ
16 इब्राहीम ने इफ़रोन की मतलूबा क़ीमत मे रे बे टे के िलए बीवी चुनने में ज़रूर कामयाब
मान ली और सबके सामने चाँ दी के 400 होगे । क्याें िक वही मुझे मे रे बाप के घर और मे रे
िसक्के तोलकर इफ़रोन को दे िदए। इसके वतन से यहाँ ले आया है , और उसी ने क़सम
िलए उसने उस वक़्त के रायज बाट इस्ते माल खाकर मुझसे वादा िकया है िक मैं कनान का
िकए। 17 चुनाँ चे मकफ़ीला में इफ़रोन की ज़मीन यह मुल्क ते री औलाद को दूँ गा। 8 अगर वहाँ की
इब्राहीम की िमलिकयत हो गई। यह ज़मीन औरत यहाँ आना न चाहे तो िफर तुम अपनी
ममरे के मशिरक़ में थी। उसमें खे त, खे त का क़सम से आज़ाद होगे । ले िकन िकसी सूरत में
ग़ार और खे त की हुदूद में मौजूद तमाम दरख़्त भी मे रे बे टे को वहाँ वापस न ले जाना।”
शािमल थे । 18 िहित्तयाें की पूरी जमात ने जो 9 इब्राहीम के नौकर ने अपना हाथ उस की

शहर के दरवाज़े पर जमा थी ज़मीन के इं तक़ाल रान के नीचे रखकर क़सम खाई िक मैं सब कुछ
की तसदीक़ की। 19 िफर इब्राहीम ने अपनी ऐसा ही करूँगा। 10 िफर वह अपने आक़ा के दस
बीवी सारा को मुल्के-कनान के उस ग़ार में ऊँटाें पर क़ीमती तोह्फ़े लादकर मसोपुतािमया
दफ़न िकया जो ममरे यानी हबरून के मशिरक़ की तरफ़ रवाना हुआ। चलते चलते वह नहूर के
में वाक़े मकफ़ीला के खे त में था। 20 इस तरीक़े शहर पहुँ च गया।
से यह खे त और उसका ग़ार िहित्तयाें से इब्राहीम 11 उसने ऊ ँ टाें को शहर के बाहर कुएँ के पास
के नाम पर मुंतिक़ल कर िदया गया तािक उसके िबठाया। शाम का वक़्त था जब औरतें कुएँ के
पास क़ब्र हो। पास आकर पानी भरती थीं। 12 िफर उसने दुआ
की, “ऐ रब मे रे आक़ा इब्राहीम के ख़ुदा, मुझे
इसहाक़ और िरबक़ा आज कामयाबी बख़्श और मे रे आक़ा इब्राहीम

24 इब्राहीम अब बहुत बूढ़ा हो गया


था। रब ने उसे हर िलहाज़ से
बरकत दी थी। 2 एक िदन उसने अपने घर के
पर मे हरबानी कर। 13 अब मैं इस चश्मे पर खड़ा
हूँ , और शहर की बे िटयाँ पानी भरने के िलए आ
रही हैं । 14 मैं उनमें से िकसी से कहूँ गा, ‘ज़रा
सबसे बुज़ुगर् नौकर से जो उस की जायदाद अपना घड़ा नीचे करके मुझे पानी िपलाएँ ।’
का पूरा इं तज़ाम चलाता था बात की। “क़सम अगर वह जवाब दे , ‘पी लें , मैं आपके ऊँटाें को
के िलए अपना हाथ मे री रान के नीचे रखो। भी पानी िपला दे ती हूँ ,’ तो वह वही होगी िजसे
3 रब की क़सम खाओ जो आसमानो-ज़मीन का तूने अपने ख़ािदम इसहाक़ के िलए चुन रखा
ख़ुदा है िक तुम इन कनािनयाें में से िजनके
दरिमयान मैं रहता हूँ मे रे बे टे के िलए बीवी नहीं
a
तक़रीबन साढ़े चार िकलोग्राम चाँ दी।
पै दाइश 24:15 26
है । अगर ऐसा हुआ तो मैं जान लूँगा िक तूने मे रे नहीं छोड़ा। रब ने मुझे सीधा मे रे मािलक के
आक़ा पर मे हरबानी की है ।” िरश्ते दाराें तक पहुँ चाया है ।”
15 वह अभी दुआ कर ही रहा था िक िरबक़ा 28 लड़की भागकर अपनी माँ के घर चली

शहर से िनकल आई। उसके कंधे पर घड़ा था। गई। वहाँ उसने सब कुछ बता िदया जो हुआ
वह बतुएल की बे टी थी (बतुएल इब्राहीम के था। 29-30 जब िरबक़ा के भाई लाबन ने नथ और
भाई नहूर की बीवी िमलकाह का बे टा था)। बहन की कलाइयाें में कंगनाें को दे खा और वह
16 िरबक़ा िनहायत ख़ूबसूरत जवान लड़की थी, सब कुछ सुना जो इब्राहीम के नौकर ने िरबक़ा
और वह कँ ु वारी भी थी। वह चश्मे तक उतरी, को बताया था तो वह फ़ौरन कुएँ की तरफ़
अपना घड़ा भरा और िफर वापस ऊपर आई। दौड़ा।
17 इब्राहीम का नौकर दौड़कर उससे िमला। इब्राहीम का नौकर अब तक ऊँटाें समे त वहाँ
उसने कहा, “ज़रा मुझे अपने घड़े से थोड़ा-सा खड़ा था। 31 लाबन ने कहा, “रब के मुबारक
पानी िपलाएँ ।” 18 िरबक़ा ने कहा, “जनाब, पी बं दे, मे रे साथ आएँ । आप यहाँ शहर के बाहर
लें ।” जल्दी से उसने अपने घड़े को कंधे पर क्याें खड़े हैं ? मैं ने अपने घर में आपके िलए
से उतारकर हाथ में पकड़ा तािक वह पी सके। सब कुछ तै यार िकया है । आपके ऊँटाें के िलए
19 जब वह पीने से फ़ािरग़ हुआ तो िरबक़ा ने भी काफ़ी जगह है ।” 32 वह नौकर को ले कर घर
कहा, “मैं आपके ऊँटाें के िलए भी पानी ले पहुँ चा। ऊँटाें से सामान उतारा गया, और उनको
आती हूँ । वह भी पूरे तौर पर अपनी प्यास भूसा और चारा िदया गया। पानी भी लाया गया
बुझाएँ ।” 20 जल्दी से उसने अपने घड़े का पानी तािक इब्राहीम का नौकर और उसके आदमी
हौज़ में उं डे ल िदया और िफर भागकर कुएँ से अपने पाँ व धोएँ ।
इतना पानी लाती रही िक तमाम ऊँटाें की प्यास 33 ले िकन जब खाना आ गया तो इब्राहीम के

बुझ गई। नौकर ने कहा, “इससे पहले िक मैं खाना खाऊँ


21 इतने में इब्राहीम का आदमी ख़ामोशी से लािज़म है िक अपना मामला पे श करूँ।” लाबन
उसे दे खता रहा, क्याें िक वह जानना चाहता था ने कहा, “बताएँ अपनी बात।” 34 उसने कहा,
िक क्या रब मुझे सफ़र की कामयाबी बख़्शे गा “मैं इब्राहीम का नौकर हूँ । 35 रब ने मे रे आक़ा
या नहीं। 22 ऊँट पानी पीने से फ़ािरग़ हुए तो को बहुत बरकत दी है । वह बहुत अमीर बन
उसने िरबक़ा को सोने की एक नथ और दो गया है । रब ने उसे कसरत से भे ड़-बकिरयाँ ,
कंगन िदए। नथ का वज़न तक़रीबन 6 ग्राम था गाय-बै ल, सोना-चाँ दी, ग़ुलाम और लाैं िडयाँ ,
और कंगनाें का 120 ग्राम। ऊँट और गधे िदए हैं । 36 जब मे रे मािलक की
23 उसने पूछा, “आप िकसकी बे टी हैं ? क्या बीवी बूढ़ी हो गई थी तो उसके बे टा पै दा हुआ
उसके हाँ इतनी जगह है िक हम वहाँ रात गुज़ार था। इब्राहीम ने उसे अपनी पूरी िमलिकयत
सकें?” दे दी है । 37 ले िकन मे रे आक़ा ने मुझसे कहा,
24 िरबक़ा ने जवाब िदया, “मे रा बाप बतुएल ‘क़सम खाओ िक तुम इन कनािनयाें में से
है । वह नहूर और िमलकाह का बे टा है । 25 हमारे िजनके दरिमयान मैं रहता हूँ मे रे बे टे के िलए
पास भूसा और चारा है । रात गुज़ारने के िलए बीवी नहीं लाओगे 38 बिल्क मे रे बाप के घराने
भी काफ़ी जगह है ।” 26 यह सुनकर इब्राहीम के और मे रे िरश्ते दाराें के पास जाकर उसके िलए
नौकर ने रब को िसजदा िकया। 27 उसने कहा, बीवी लाओगे ।’ 39 मैं ने अपने मािलक से कहा,
“मे रे आक़ा इब्राहीम के ख़ुदा की तमजीद हो ‘शायद वह औरत मे रे साथ आना न चाहे ।’
िजसके करम और वफ़ादारी ने मे रे आक़ा को 40 उसने कहा, ‘रब िजसके सामने मैं चलता
27 पै दाइश 24:61
रहा हूँ अपने फ़िरश्ते को तुम्हारे साथ भे जेगा मुत्तिफ़क़ नहीं हैं तो मुझे बताएँ तािक मैं कोई
और तुम्हें कामयाबी बख़्शे गा। तुम्हें ज़रूर मे रे और क़दम उठा सकँ ू ।”
िरश्ते दाराें और मे रे बाप के घराने से मे रे बे टे 50 लाबन और बतुएल ने जवाब िदया, “यह

के िलए बीवी िमले गी। 41 ले िकन अगर तुम मे रे बात रब की तरफ़ से है , इसिलए हम िकसी तरह
िरश्ते दाराें के पास जाओ और वह इनकार करें भी इनकार नहीं कर सकते । 51 िरबक़ा आपके
तो िफर तुम अपनी क़सम से आज़ाद होगे ।’ सामने है । उसे ले जाएँ । वह आपके मािलक के
42 आज जब मैं कुएँ के पास आया तो मैं ने दुआ बे टे की बीवी बन जाए िजस तरह रब ने फ़रमाया
की, ‘ऐ रब, मे रे आक़ा के ख़ुदा, अगर ते री है ।” 52 यह सुनकर इब्राहीम के नौकर ने रब को
मरज़ी हो तो मुझे इस िमशन में कामयाबी बख़्श िसजदा िकया। 53 िफर उसने सोने और चाँ दी के
िजसके िलए मैं यहाँ आया हूँ । 43 अब मैं इस कुएँ ज़े वरात और महँ गे मलबूसात अपने सामान में
के पास खड़ा हूँ । जब कोई जवान औरत शहर से से िनकालकर िरबक़ा को िदए। िरबक़ा के भाई
िनकलकर यहाँ आए तो मैं उससे कहूँ गा, “ज़रा और माँ को भी क़ीमती तोह्फ़े िमले ।
मुझे अपने घड़े से थोड़ा-सा पानी िपलाएँ ।” 54 इसके बाद उसने अपने हमसफ़राें के साथ

44 अगर वह कहे , “पी लें , मैं आपके ऊ ँ टाें के शाम का खाना खाया। वह रात को वहीं ठहरे ।
िलए भी पानी ले आऊँगी” तो इसका मतलब अगले िदन जब उठे तो नौकर ने कहा, “अब
यह हो िक तूने उसे मे रे आक़ा के बे टे के िलए हमें इजाज़त दें तािक अपने आक़ा के पास लौट
चुन िलया है िक उस की बीवी बन जाए।’ जाएँ ।” 55 िरबक़ा के भाई और माँ ने कहा,
45 मैं अभी िदल में यह दुआ कर रहा था िक “िरबक़ा कुछ िदन और हमारे हाँ ठहरे । िफर
िरबक़ा शहर से िनकल आई। उसके कंधे पर आप जाएँ ।” 56 ले िकन उसने उनसे कहा, “अब
घड़ा था। वह चश्मे तक उतरी और अपना घड़ा दे र न करें , क्याें िक रब ने मुझे मे रे िमशन में
भर िलया। मैं ने उससे कहा, ‘ज़रा मुझे पानी कामयाबी बख़्शी है । मुझे इजाज़त दें तािक
िपलाएँ ।’ 46 जवाब में उसने जल्दी से अपने घड़े अपने मािलक के पास वापस जाऊँ।” 57 उन्हाें ने
को कंधे पर से उतारकर कहा, ‘पी लें , मैं आपके कहा, “चलें , हम लड़की को बुलाकर उसी से
ऊँटाें को भी पानी िपलाती हूँ ।’ मैं ने पानी िपया, पूछ ले ते हैं ।”
और उसने ऊँटाें को भी पानी िपलाया। 47 िफर 58 उन्हाें ने िरबक़ा को बुलाकर उससे पूछा,

मैं ने उससे पूछा, ‘आप िकसकी बे टी हैं ?’ उसने “क्या तू अभी इस आदमी के साथ जाना चाहती
जवाब िदया, ‘मे रा बाप बतुएल है । वह नहूर है ?” उसने कहा, “जी, मैं जाना चाहती हूँ ।”
और िमलकाह का बे टा है ।’ िफर मैं ने उस की 59 चुनाँ चे उन्हाें ने अपनी बहन िरबक़ा, उस की

नाक में नथ और उस की कलाइयाें में कंगन दाया, इब्राहीम के नौकर और उसके हमसफ़राें
पहना िदए। 48 तब मैं ने रब को िसजदा करके को रुख़सत कर िदया। 60 पहले उन्हाें ने िरबक़ा
अपने आक़ा इब्राहीम के ख़ुदा की तमजीद की को बरकत दे कर कहा, “हमारी बहन, अल्लाह
िजसने मुझे सीधा मे रे मािलक की भतीजी तक करे िक तू करोड़ाें की माँ बने । ते री औलाद अपने
पहुँ चाया तािक वह इसहाक़ की बीवी बन जाए। दुश्मनाें के शहराें के दरवाज़ाें पर क़ब्ज़ा करे ।”
49 अब मुझे बताएँ , क्या आप मे रे आक़ा 61 िफर िरबक़ा और उस की नौकरािनयाँ उठकर

पर अपनी मे हरबानी और वफ़ादारी का इज़हार ऊँटाें पर सवार हुइर्ं और इब्राहीम के नौकर के


करना चाहते हैं ? अगर ऐसा है तो िरबक़ा की पीछे हो लीं। चुनाँ चे नौकर उन्हें साथ ले कर
इसहाक़ के साथ शादी क़बूल करें । अगर आप रवाना हो गया।
पै दाइश 24:62 28
62 उस वक़्त इसहाक़ मुल्क के जुनूबी िहस्से , इसमाईल ने उसे मकफ़ीला के ग़ार में दफ़न
दश्ते -नजब में रहता था। वह बै र-लही-रोई से िकया जो ममरे के मशिरक़ में है । यह वही ग़ार
आया था। 63 एक शाम वह िनकलकर खुले था िजसे खे त समे त िहत्ती आदमी इफ़रोन िबन
मै दान में अपनी सोचाें में मगन टहल रहा था सुहर से ख़रीदा गया था। इब्राहीम और उस की
िक अचानक ऊँट उस की तरफ़ आते हुए नज़र बीवी सारा दोनाें को उसमें दफ़न िकया गया।
आए। 64 जब िरबक़ा ने अपनी नज़र उठाकर 11 इब्राहीम की वफ़ात के बाद अल्लाह ने

इसहाक़ को दे खा तो उसने ऊँट से उतरकर इसहाक़ को बरकत दी। उस वक़्त इसहाक़ बै र-


65 नौकर से पूछा, “वह आदमी कौन है जो लही-रोई के क़रीब आबाद था।
मै दान में हमसे िमलने आ रहा है ?” नौकर ने
कहा, “मे रा मािलक है ।” यह सुनकर िरबक़ा ने इसमाईल की औलाद
चादर ले कर अपने चे हरे को ढाँ प िलया। 12 इब्राहीम का बे टा इसमाईल जो सारा की
66 नौकर ने इसहाक़ को सब कुछ बता िदया िमसरी लाैं डी हािजरा के हाँ पै दा हुआ उसका
जो उसने िकया था। 67 िफर इसहाक़ िरबक़ा नसबनामा यह है । 13 इसमाईल के बे टे बड़े से
को अपनी माँ सारा के डे रे में ले गया। उसने ले कर छोटे तक यह हैं : नबायोत, क़ीदार,
उससे शादी की, और वह उस की बीवी बन गई। अदिबये ल, िमबसाम, 14 िमशमा, दूमा, मस्सा,
इसहाक़ के िदल में उसके िलए बहुत मुहब्बत 15 हदद, तै मा, यतूर, नफ़ीस और िक़दमा।

पै दा हुई। याें उसे अपनी माँ की मौत के बाद 16 यह बे टे बारह क़बीलाें के बानी बन गए,

सुकून िमला। और जहाँ जहाँ वह आबाद हुए उन जगहाें का


वही नाम पड़ गया। 17 इसमाईल 137 साल
इब्राहीम की मज़ीद औलाद का था जब वह कूच करके अपने बापदादा से

25 इब्राहीम ने एक और शादी की। नई


बीवी का नाम क़तूरा था। 2 क़तूरा
के छः बे टे पै दा हुए, िज़मरान, युक़सान, िमदान,
जा िमला। 18 उस की औलाद उस इलाक़े में
आबाद थी जो हवीला और शूर के दरिमयान है
और जो िमसर के मशिरक़ में असूर की तरफ़
िमिदयान, इसबाक़ और सूख़। 3 युक़सान के दो है । याें इसमाईल अपने तमाम भाइयाें के सामने
बे टे थे , सबा और ददान। असूरी, लतूसी और ही आबाद हुआ।
लूमी ददान की औलाद हैं । 4 िमिदयान के बे टे
ऐफ़ा, इफ़र, हनूक, अबीदा और इल्दआ थे । एसौ और याक़ू ब की पै दाइश
यह सब क़तूरा की औलाद थे । 19 यह इब्राहीम के बे टे इसहाक़ का बयान है ।
5 इब्राहीम ने अपनी सारी िमलिकयत इसहाक़ 20 इसहाक़ 40 साल का था जब उस की

को दे दी। 6 अपनी मौत से पहले उसने अपनी िरबक़ा से शादी हुई। िरबक़ा लाबन की बहन
दूसरी बीिवयाें के बे टाें को तोह्फ़े दे कर अपने बे टे और अरामी मदर् बतुएल की बे टी थी (बतुएल
से दूर मशिरक़ की तरफ़ भे ज िदया। मसोपुतािमया का था)। 21 िरबक़ा के बच्चे पै दा
न हुए। ले िकन इसहाक़ ने अपनी बीवी के िलए
इब्राहीम की वफ़ात दुआ की तो रब ने उस की सुनी, और िरबक़ा
7-8 इब्राहीम 175 साल की उम्र में फ़ौत उम्मीद से हुई। 22 उसके पे ट में बच्चे एक दूसरे

हुआ। ग़रज़ वह बहुत उम्ररसीदा और िंज़दगी से से ज़ोर-आज़माई करने लगे तो वह रब से पूछने


आसूदा होकर इं तक़ाल करके अपने बापदादा गई, “अगर यह मे री हालत रहे गी तो िफर मैं यहाँ
से जा िमला। 9-10 उसके बे टाें इसहाक़ और तक क्याें पहुँ च गई हूँ ?” 23 रब ने उससे कहा,
29 पै दाइश 26:10
“ते रे अं दर दो क़ौमें हैं । वह तुझसे िनकलकर इसहाक़ और िरबक़ा िजरार में
एक दूसरी से अलग अलग हो जाएँ गी। उनमें से
एक ज़्यादा ताक़तवर होगी, और बड़ा छोटे की
िख़दमत करे गा।”
26 उस मुल्क में दुबारा काल पड़ा,
िजस तरह इब्राहीम के िदनाें में भी
पड़ गया था। इसहाक़ िजरार शहर गया िजस
24 पै दाइश का वक़्त आ गया तो जुड़वाँ बे टे पर िफ़िलिस्तयाें के बादशाह अबीमिलक की
पै दा हुए। 25 पहला बच्चा िनकला तो सुख़र्-सा हुकूमत थी। 2 रब ने इसहाक़ पर ज़ािहर होकर
था, और ऐसा लग रहा था िक वह घने बालाें कहा, “िमसर न जा बिल्क उस मुल्क में बस
का कोट ही पहने हुए है । इसिलए उसका नाम जो मैं तुझे िदखाता हूँ । 3 उस मुल्क में अजनबी
एसौ यानी ‘बालाें वाला’ रखा गया। 26 इसके रह तो मैं ते रे साथ हूँ गा और तुझे बरकत दूँ गा।
बाद दूसरा बच्चा पै दा हुआ। वह एसौ की एड़ी क्याें िक मैं तुझे और ते री औलाद को यह तमाम
पकड़े हुए िनकला, इसिलए उसका नाम याक़ूब इलाक़ा दूँ गा और वह वादा पूरा करूँगा जो मैं ने
यानी ‘एड़ी पकड़ने वाला’ रखा गया। उस वक़्त क़सम खाकर ते रे बाप इब्राहीम से िकया था।
इसहाक़ 60 साल का था। 4 मैं तुझे इतनी औलाद दूँ गा िजतने आसमान पर

27 लड़के जवान हुए। एसौ मािहर िशकारी िसतारे हैं । और मैं यह तमाम मुल्क उन्हें दे दूँ गा।
बन गया और खुले मै दान में ख़ुश रहता था। ते री औलाद से दुिनया की तमाम क़ौमें बरकत
उसके मुक़ाबले में याक़ूब शायस्ता था और डे रे पाएँ गी। 5 मैं तुझे इसिलए बरकत दूँ गा िक
में रहना पसं द करता था। 28 इसहाक़ एसौ को इब्राहीम मे रे ताबे रहा और मे री िहदायात और
प्यार करता था, क्याें िक वह िशकार का गोश्त अहकाम पर चलता रहा।” 6 चुनाँ चे इसहाक़
पसं द करता था। ले िकन िरबक़ा याक़ूब को प्यार िजरार में आबाद हो गया।
करती थी। 7 जब वहाँ के मदार्ें ने िरबक़ा के बारे में पूछा

29 एक िदन याक़ूब सालन पका रहा था िक तो इसहाक़ ने कहा, “यह मे री बहन है ।”


एसौ थकाहारा जं गल से आया। 30 उसने कहा, वह उन्हें यह बताने से डरता था िक यह मे री
“मुझे जल्दी से लाल सालन, हाँ इसी लाल बीवी है , क्याें िक उसने सोचा, “िरबक़ा िनहायत
सालन से कुछ खाने को दो। मैं तो बे दम हो ख़ूबसूरत है । अगर उन्हें मालूम हो जाए िक
रहा हूँ ।” (इसी िलए बाद में उसका नाम अदोम िरबक़ा मे री बीवी है तो वह उसे हािसल करने
यानी सुख़र् पड़ गया।) 31 याक़ूब ने कहा, “पहले की ख़ाितर मुझे क़त्ल कर दें गे ।”
मुझे पहलौठे का हक़ बे च दो।” 32 एसौ ने कहा, 8 काफ़ी वक़्त गुज़र गया। एक िदन

“मैं तो भूक से मर रहा हूँ , पहलौठे का हक़ मे रे िफ़िलिस्तयाें के बादशाह ने अपनी िखड़की में
िकस काम का?” 33 याक़ूब ने कहा, “पहले से झाँ ककर दे खा िक इसहाक़ अपनी बीवी को
क़सम खाकर मुझे यह हक़ बे च दो।” एसौ ने प्यार कर रहा है । 9 उसने इसहाक़ को बुलाकर
क़सम खाकर उसे पहलौठे का हक़ मुंतिक़ल कहा, “वह तो आपकी बीवी है ! आपने क्याें
कर िदया। कहा िक मे री बहन है ?” इसहाक़ ने जवाब
34 तब याक़ूब ने उसे कुछ रोटी और दाल दे िदया, “मैं ने सोचा िक अगर मैं बताऊँ िक यह
दी, और एसौ ने खाया और िपया। िफर वह मे री बीवी है तो लोग मुझे क़त्ल कर दें गे ।”
उठकर चला गया। याें उसने पहलौठे के हक़ 10 अबीमिलक ने कहा, “आपने हमारे साथ

को हक़ीर जाना। कैसा सुलूक कर िदखाया! िकतनी आसानी


से मे रे आदिमयाें में से कोई आपकी बीवी से
पै दाइश 26:11 30
हमिबसतर हो जाता। इस तरह हम आपके कहा, “रब ने हमें खुली जगह दी है , और अब
सबब से एक बड़े जुमर् के क़ुसूरवार ठहरते ।” हम मुल्क में फलें -फूलें गे।”
11 िफर अबीमिलक ने तमाम लोगाें को हुक्म 23 वहाँ से वह बै र-सबा चला गया। 24 उसी

िदया, “जो भी इस मदर् या उस की बीवी को रात रब उस पर ज़ािहर हुआ और कहा, “मैं


छे ड़े उसे सज़ाए-मौत दी जाएगी।” ते रे बाप इब्राहीम का ख़ुदा हूँ । मत डर, क्याें िक
मैं ते रे साथ हूँ । मैं तुझे बरकत दूँ गा और तुझे
इसहाक़ का िफ़िलिस्तयाें के साथ झगड़ा अपने ख़ािदम इब्राहीम की ख़ाितर बहुत औलाद
12 इसहाक़ ने उस इलाक़े में काश्तकारी की, दूँ गा।”
और उसी साल उसे सौ गुना फल िमला। याें 25 वहाँ इसहाक़ ने क़ुरबानगाह बनाई और रब

रब ने उसे बरकत दी, 13 और वह अमीर हो का नाम ले कर इबादत की। वहाँ उसने अपने
गया। उस की दौलत बढ़ती गई, और वह ख़ै मे लगाए और उसके नौकराें ने कुआँ खोद
िनहायत दौलतमं द हो गया। 14 उसके पास िलया।
इतनी भे ड़-बकिरयाँ , गाय-बै ल और ग़ुलाम थे
िक िफ़िलस्ती उससे हसद करने लगे । 15 अब अबीमिलक के साथ अहद
ऐसा हुआ िक उन्हाें ने उन तमाम कुआें को िमट्टी 26 एक िदन अबीमिलक, उसका साथी
से भरकर बं द कर िदया जो उसके बाप के अख़ूज़त और उसका िसपहसालार फ़ीकुल
नौकराें ने खोदे थे । िजरार से उसके पास आए। 27 इसहाक़ ने
16 आिख़रकार अबीमिलक ने इसहाक़ से पूछा, “आप क्याें मे रे पास आए हैं ? आप
कहा, “कहीं और जाकर रहें , क्याें िक आप तो मुझसे नफ़रत रखते हैं । क्या आपने मुझे
हमसे ज़्यादा ज़ोरावर हो गए हैं ।” अपने दरिमयान से ख़ािरज नहीं िकया था?”
17 चुनाँ चे इसहाक़ ने वहाँ से जाकर िजरार की 28 उन्हाें ने जवाब िदया, “हमने जान िलया है

वादी में अपने डे रे लगाए। 18 वहाँ िफ़िलिस्तयाें िक रब आपके साथ है । इसिलए हमने कहा िक
ने इब्राहीम की मौत के बाद तमाम कुआें को हमारा आपके साथ अहद होना चािहए। आइए
िमट्टी से भर िदया था। इसहाक़ ने उनको दुबारा हम क़सम खाकर एक दूसरे से अहद बाँ धें
खुदवाया। उसने उनके वही नाम रखे जो उसके 29 िक आप हमें नुक़सान नहीं पहुँ चाएँ गे, क्याें िक

बाप ने रखे थे । हमने भी आपको नहीं छे ड़ा बिल्क आपसे िसफ़र्


19 इसहाक़ के नौकराें को वादी में खोदते अच्छा सुलूक िकया और आपको सलामती के
खोदते ताज़ा पानी िमल गया। 20 ले िकन िजरार साथ रुख़सत िकया है । और अब ज़ािहर है िक
के चरवाहे आकर इसहाक़ के चरवाहाें से रब ने आपको बरकत दी है ।”
झगड़ने लगे । उन्हाें ने कहा, “यह हमारा कुआँ 30 इसहाक़ ने उनकी िज़याफ़त की, और

है !” इसिलए उसने उस कुएँ का नाम इसक उन्हाें ने खाया और िपया। 31 िफर सुबह-सवे रे
यानी झगड़ा रखा। 21 इसहाक़ के नौकराें ने उठकर उन्हाें ने एक दूसरे के सामने क़सम खाई।
एक और कुआँ खोद िलया। ले िकन उस पर भी इसके बाद इसहाक़ ने उन्हें रुख़सत िकया और
झगड़ा हुआ, इसिलए उसने उसका नाम िसतना वह सलामती से रवाना हुए।
यानी मुख़ालफ़त रखा। 22 वहाँ से जाकर उसने 32 उसी िदन इसहाक़ के नौकर आए और उसे

एक तीसरा कुआँ खुदवाया। इस दफ़ा कोई उस कुएँ के बारे में इत्तला दी जो उन्हाें ने खोदा
झगड़ा न हुआ, इसिलए उसने उसका नाम था। उन्हाें ने कहा, “हमें पानी िमल गया है ।”
रहोबोत यानी ‘खुली जगह’ रखा। क्याें िक उसने
31 पै दाइश 27:24
33 उसने कुएँ का नाम सबा यानी ‘क़सम’ रखा। 11 ले िकन याक़ूब ने एतराज़ िकया, “आप

आज तक साथवाले शहर का नाम बै र-सबा है । जानती हैं िक एसौ के िजस्म पर घने बाल हैं
जबिक मे रे बाल कम हैं । 12 कहीं मुझे छू ने से
एसौ की अजनबी बीिवयाँ मे रे बाप को पता न चल जाए िक मैं उसे फ़रे ब
34 जब एसौ 40 साल का था तो उसने दो दे रहा हूँ । िफर मुझ पर बरकत नहीं बिल्क

िहत्ती औरताें से शादी की, बै री की बे टी यहूिदत लानत आएगी।” 13 उस की माँ ने कहा, “तुम
से और ऐलोन की बे टी बासमत से । 35 यह पर आने वाली लानत मुझ पर आए, बे टा। बस
औरतें इसहाक़ और िरबक़ा के िलए बड़े दुख मे री बात मान लो। जाओ और बकिरयाें के वह
का बाइस बनीं। बच्चे ले आओ।”
14 चुनाँ चे वह गया और उन्हें अपनी माँ के पास

इसहाक़ याक़ू ब को बरकत दे ता है ले आया। िरबक़ा ने ऐसा लज़ीज़ खाना पकाया

27 इसहाक़ बूढ़ा हो गया तो उस की जो याक़ूब के बाप को पसं द था। 15 एसौ के


नज़र धुँधला गई। उसने अपने बड़े ख़ास मौक़ाें के िलए अच्छे िलबास िरबक़ा के
बे टे को बुलाकर कहा, “बे टा।” एसौ ने जवाब पास घर में थे । उसने उनमें से बे हतरीन िलबास
िदया, “जी, मैं हािज़र हूँ ।” 2 इसहाक़ ने कहा, चुनकर अपने छोटे बे टे को पहना िदया। 16 साथ
“मैं बूढ़ा हो गया हूँ और ख़ुदा जाने कब साथ उसने बकिरयाें की खालें उसके हाथाें और
मर जाऊँ। 3 इसिलए अपना तीर कमान ले कर गरदन पर जहाँ बाल न थे लपे ट दीं। 17 िफर
जं गल में िनकल जा और मे रे िलए िकसी उसने अपने बे टे याक़ूब को रोटी और वह लज़ीज़
जानवर का िशकार कर। 4 उसे तै यार करके खाना िदया जो उसने पकाया था।
ऐसा लज़ीज़ खाना पका जो मुझे पसं द है । िफर 18 याक़ूब ने अपने बाप के पास जाकर कहा,

उसे मे रे पास ले आ। मरने से पहले मैं वह खाना “अब्बू जी।” इसहाक़ ने कहा, “जी, बे टा। तू
खाकर तुझे बरकत दे ना चाहता हूँ ।” कौन है ?” 19 उसने कहा, “मैं आपका पहलौठा
5 िरबक़ा ने इसहाक़ की एसौ के साथ एसौ हूँ । मैं ने वह िकया है जो आपने मुझे कहा

बातचीत सुन ली थी। जब एसौ िशकार करने था। अब ज़रा उठें और बै ठकर मे रे िशकार का
के िलए चला गया तो उसने याक़ूब से कहा, खाना खाएँ तािक आप बाद में मुझे बरकत दें ।”
6 “अभी अभी मैं ने तुम्हारे अब्बू को एसौ से 20 इसहाक़ ने पूछा, “बे टा, तुझे यह िशकार

यह बात करते हुए सुना िक ‘मे रे िलए िकसी इतनी जल्दी िकस तरह िमल गया?” उसने
7

जानवर का िशकार करके ले आ। उसे तै यार जवाब िदया, “रब आपके ख़ुदा ने उसे मे रे
करके मे रे िलए लज़ीज़ खाना पका। मरने से सामने से गुज़रने िदया।”
पहले मैं यह खाना खाकर तुझे रब के सामने 21 इसहाक़ ने कहा, “बे टा, मे रे क़रीब आ

बरकत दे ना चाहता हूँ ।’ 8 अब सुनो, मे रे बे टे! तािक मैं तुझे छू लूँ िक तू वाक़ई मे रा बे टा
जो कुछ मैं बताती हूँ वह करो। 9 जाकर रे वड़ एसौ है िक नहीं।” 22 याक़ूब अपने बाप के
में से बकिरयाें के दो अच्छे अच्छे बच्चे चुन लो। नज़दीक आया। इसहाक़ ने उसे छू कर कहा,
िफर मैं वही लज़ीज़ खाना पकाऊँगी जो तुम्हारे “ते री आवाज़ तो याक़ूब की है ले िकन ते रे हाथ
अब्बू को पसं द है । 10 तुम यह खाना उसके पास एसौ के हैं ।” 23 याें उसने फ़रे ब खाया। चूँिक
ले जाओगे तो वह उसे खाकर मरने से पहले याक़ूब के हाथ एसौ के हाथ की मािंनद थे
तुम्हें बरकत दे गा।” इसिलए उसने उसे बरकत दी। 24 तो भी उसने
दुबारा पूछा, “क्या तू वाक़ई मे रा बे टा एसौ
पै दाइश 27:25 32
है ?” याक़ूब ने जवाब िदया, “जी, मैं वही भाई ने आकर मुझे फ़रे ब िदया। उसने ते री
हूँ ।” 25 आिख़रकार इसहाक़ ने कहा, “िशकार बरकत तुझसे छीन ली है ।” 36 एसौ ने कहा,
का खाना मे रे पास ले आ, बे टा। उसे खाने “उसका नाम याक़ूब ठीक ही रखा गया है ,
के बाद मैं तुझे बरकत दूँ गा।” याक़ूब खाना क्याें िक अब उसने मुझे दूसरी बार धोका िदया
और मै ले आया। इसहाक़ ने खाया और िपया, है । पहले उसने पहलौठे का हक़ मुझसे छीन
26 िफर कहा, “बे टा, मे रे पास आ और मुझे िलया और अब मे री बरकत भी ज़बरदस्ती ले
बोसा दे ।” 27 याक़ूब ने पास आकर उसे बोसा ली। क्या आपने मे रे िलए कोई बरकत महफ़ूज़
िदया। इसहाक़ ने उसके िलबास को सूँघकर नहीं रखी?” 37 ले िकन इसहाक़ ने कहा, “मैं ने
उसे बरकत दी। उसने कहा, उसे ते रा हुक्मरान और उसके तमाम भाइयाें को
“मे रे बे टे की ख़ुशबू उस खुले मै दान कीउसके ख़ािदम बना िदया है । मैं ने उसे अनाज
ख़ुशबू की मािंनद है िजसे रब ने बरकत दी है । और अं गूर का रस मुहैया िकया है । अब मुझे
28 अल्लाह तुझे आसमान की ओस और ज़मीन बता बे टा, क्या कुछ रह गया है जो मैं तुझे
की ज़रख़े ज़ी दे । वह तुझे कसरत का अनाज दूँ ?” 38 ले िकन एसौ ख़ामोश न हुआ बिल्क
कहा, “अब्बू, क्या आपके पास वाक़ई िसफ़र्
और अं गूर का रस दे । 29 क़ौमें ते री िख़दमत करें ,
और उम्मतें ते रे सामने झु क जाएँ । अपने भाइयाें
यही बरकत थी? अब्बू, मुझे भी बरकत दें ।”
का हुक्मरान बन, और ते री माँ की औलाद ते रे वह ज़ारो-क़तार रोने लगा।
सामने घुटने टे के। जो तुझ पर लानत करे वह 39 िफर इसहाक़ ने कहा, “तू ज़मीन की

ख़ुद लानती हो और जो तुझे बरकत दे वह ख़ुद ज़रख़े ज़ी और आसमान की ओस से महरूम


बरकत पाए।” रहे गा। 40 तू िसफ़र् अपनी तलवार के सहारे िंज़दा
रहे गा और अपने भाई की िख़दमत करे गा।
एसौ भी बरकत माँ गता है ले िकन एक िदन तू बे चैन होकर उसका जुआ
30 इसहाक़ की बरकत के बाद याक़ूब अभी अपनी गरदन पर से उतार फेंकेगा।”

रुख़सत ही हुआ था िक उसका भाई एसौ


िशकार करके वापस आया। 31 वह भी लज़ीज़ याक़ू ब की िहजरत
खाना पकाकर उसे अपने बाप के पास ले 41 बाप की बरकत के सबब से एसौ याक़ूब
आया। उसने कहा, “अब्बू जी, उठें और मे रे का दुश्मन बन गया। उसने िदल में कहा, “वह
िशकार का खाना खाएँ तािक आप मुझे बरकत िदन क़रीब आ गए हैं िक अब्बू इं तक़ाल कर
दें ।” 32 इसहाक़ ने पूछा, “तू कौन है ?” उसने जाएं गे और हम उनका मातम करें गे । िफर मैं
जवाब िदया, “मैं आपका बड़ा बे टा एसौ हूँ ।” अपने भाई को मार डालूँगा।”
33 इसहाक़ घबराकर िशद्दत से काँ पने लगा। 42 िरबक़ा को अपने बड़े बे टे एसौ का यह

उसने पूछा, “िफर वह कौन था जो िकसी इरादा मालूम हुआ। उसने याक़ूब को बुलाकर
जानवर का िशकार करके मे रे पास ले आया? कहा, “तुम्हारा भाई बदला ले ना चाहता है । वह
ते रे आने से ज़रा पहले मैं ने उस िशकार का तुम्हें क़त्ल करने का इरादा रखता है । 43 बे टा,
खाना खाकर उस शख़्स को बरकत दी। अब अब मे री सुनो, यहाँ से िहजरत कर जाओ।
वह बरकत उसी पर रहे गी।” हारान शहर में मे रे भाई लाबन के पास चले
34 यह सुनकर एसौ ज़ोरदार और तलख़ चीख़ें जाओ। 44 वहाँ कुछ िदन ठहरे रहना जब तक
मारने लगा। “अब्बू, मुझे भी बरकत दें ,” उसने तुम्हारे भाई का ग़ुस्सा ठं डा न हो जाए। 45 जब
कहा। 35 ले िकन इसहाक़ ने जवाब िदया, “ते रे उसका ग़ुस्सा ठं डा हो जाएगा और वह तुम्हारे
33 पै दाइश 28:22
उसके साथ िकए गए सुलूक को भूल जाएगा, बै तेल में याक़ू ब का ख़ाब
तब मैं इत्तला दूँ गी िक तुम वहाँ से वापस आ 10 याक़ूब बै र-सबा से हारान की तरफ़ रवाना
सकते हो। मैं क्याें एक ही िदन में तुम दोनाें से हुआ। जब सूरज ग़ुरूब हुआ तो वह रात
11

महरूम हो जाऊँ?” गुज़ारने के िलए रुक गया और वहाँ के पत्थराें


46 िफर िरबक़ा ने इसहाक़ से बात की, “मैं में से एक को ले कर उसे अपने िसरहाने रखा
एसौ की बीिवयाें के सबब से अपनी िंज़दगी से और सो गया।
तं ग हूँ । अगर याक़ूब भी इस मुल्क की औरताें में 12 जब वह सो रहा था तो ख़ाब में एक सीढ़ी

से िकसी से शादी करे तो बे हतर है िक मैं पहले दे खी जो ज़मीन से आसमान तक पहुँ चती थी।
ही मर जाऊँ।” फ़िरश्ते उस पर चढ़ते और उतरते नज़र आते

28 इसहाक़ ने याक़ूब को बुलाकर


उसे बरकत दी और कहा, “ला-
िज़म है िक तू िकसी कनानी औरत से शादी न
थे । 13 रब उसके ऊपर खड़ा था। उसने कहा,
“मैं रब इब्राहीम और इसहाक़ का ख़ुदा हूँ । मैं
तुझे और ते री औलाद को यह ज़मीन दूँ गा िजस
करे । 2 अब सीधे मसोपुतािमया में अपने नाना पर तू ले टा है । 14 ते री औलाद ज़मीन पर ख़ाक
बतुएल के घर जा और वहाँ अपने मामूँ लाबन की तरह बे शुमार होगी, और तू चाराें तरफ़ फैल
की लड़िकयाें में से िकसी एक से शादी कर। जाएगा। दुिनया की तमाम क़ौमें ते रे और ते री
3 अल्लाह क़ािदरे -मुतलक़ तुझे बरकत दे कर औलाद के वसीले से बरकत पाएँ गी। 15 मैं ते रे
फलने -फूलने दे और तुझे इतनी औलाद दे िक तू साथ हूँ गा, तुझे महफ़ूज़ रखूँगा और आिख़रकार
बहुत सारी क़ौमाें का बाप बने । 4 वह तुझे और तुझे इस मुल्क में वापस लाऊँगा। मुमिकन ही
ते री औलाद को इब्राहीम की बरकत दे िजसे नहीं िक मैं ते रे साथ अपना वादा पूरा करने से
उसने यह मुल्क िदया िजसमें तू मे हमान के तौर पहले तुझे छोड़ दूँ ।”
पर रहता है । यह मुल्क तुम्हारे क़ब्ज़े में आए।” 16 तब याक़ूब जाग उठा। उसने कहा,

5 याें इसहाक़ ने याक़ूब को मसोपुतािमया में “यक़ीनन रब यहाँ हािज़र है , और मुझे मालूम
लाबन के घर भे जा। लाबन अरामी मदर् बतुएल नहीं था।” 17 वह डर गया और कहा, “यह
का बे टा और िरबक़ा का भाई था। िकतना ख़ौफ़नाक मक़ाम है । यह तो अल्लाह
ही का घर और आसमान का दरवाज़ा है ।”
एसौ एक और शादी करता है 18 याक़ूब सुबह-सवे रे उठा। उसने वह पत्थर
6 एसौ को पता चला िक इसहाक़ ने याक़ूब िलया जो उसने अपने िसरहाने रखा था और उसे
को बरकत दे कर मसोपुतािमया भे ज िदया है सतून की तरह खड़ा िकया। िफर उसने उस पर
तािक वहाँ शादी करे । उसे यह भी मालूम हुआ ज़ै तून का ते ल उं डे ल िदया। 19 उसने मक़ाम का
िक इसहाक़ ने उसे कनानी औरत से शादी करने नाम बै तेल यानी ‘अल्लाह का घर’ रखा (पहले
से मना िकया है 7 और िक याक़ूब अपने माँ -बाप साथवाले शहर का नाम लूज़ था)। 20 उसने
की सुनकर मसोपुतािमया चला गया है । 8 एसौ क़सम खाकर कहा, “अगर रब मे रे साथ हो,
समझ गया िक कनानी औरतें मे रे बाप को मं ज़ूर सफ़र पर मे री िहफ़ाज़त करे , मुझे खाना और
नहीं हैं । 9 इसिलए वह इब्राहीम के बे टे इसमाईल कपड़ा मुहैया करे 21 और मैं सलामती से अपने
के पास गया और उस की बे टी महलत से शादी बाप के घर वापस पहुँ चँ ू तो िफर वह मे रा ख़ुदा
की। वह नबायोत की बहन थी। याें उस की होगा। 22 जहाँ यह पत्थर सतून के तौर पर खड़ा
बीिवयाें में इज़ाफ़ा हुआ।
पै दाइश 29:1 34
है वहाँ अल्लाह का घर होगा, और जो भी तू मुझे िरबक़ा का बे टा हूँ ।” यह सुनकर रािख़ल ने
दे गा उसका दसवाँ िहस्सा तुझे िदया करूँगा।” भागकर अपने अब्बू को इत्तला दी।
13 जब लाबन ने सुना िक मे रा भानजा याक़ूब

याक़ू ब लाबन के घर पहुँ चता है आया है तो वह दौड़कर उससे िमलने गया और

29 याक़ूब ने अपना सफ़र जारी रखा उसे गले लगाकर अपने घर ले आया। याक़ूब ने
और चलते चलते मशिरक़ी क़ौमाें उसे सब कुछ बता िदया जो हुआ था। 14 लाबन
के मुल्क में पहुँ च गया। 2 वहाँ उसने खे त में कुआँ ने कहा, “आप वाक़ई मे रे िरश्ते दार हैं ।” याक़ूब
दे खा िजसके इदर्िगदर् भे ड़-बकिरयाें के तीन रे वड़ ने वहाँ एक पूरा महीना गुज़ारा।
जमा थे । रे वड़ाें को कुएँ का पानी िपलाया जाना
था, ले िकन उसके मुँह पर बड़ा पत्थर पड़ा था। अपनी बीिवयाें के िलए याक़ू ब
3 वहाँ पानी िपलाने का यह तरीक़ा था िक पहले की मे हनत-मशक़्क़त
चरवाहे तमाम रे वड़ाें का इं तज़ार करते और िफर 15 िफर लाबन याक़ूब से कहने लगा, “बे शक
पत्थर को लुढ़काकर मुँह से हटा दे ते थे । पानी आप मे रे िरश्ते दार हैं , ले िकन आपको मे रे िलए
िपलाने के बाद वह पत्थर को दुबारा मुँह पर रख काम करने के बदले में कुछ िमलना चािहए।
दे ते थे । मैं आपको िकतने पै से दूँ ?” 16 लाबन की
4 याक़ूब ने चरवाहाें से पूछा, “मे रे भाइयो, दो बे िटयाँ थीं। बड़ी का नाम िलयाह था और

आप कहाँ के हैं ?” उन्हाें ने जवाब िदया, “हारान छोटी का रािख़ल। 17 िलयाह की आँखें चुंधी
के।” 5 उसने पूछा, “क्या आप नहूर के पोते थीं जबिक रािख़ल हर तरह से ख़ूबसूरत थी।
लाबन को जानते हैं ?” उन्हाें ने कहा, “जी 18 याक़ूब को रािख़ल से मुहब्बत थी, इसिलए
हाँ ।” 6 उसने पूछा, “क्या वह ख़ै िरयत से है ?” उसने कहा, “अगर मुझे आपकी छोटी बे टी
उन्हाें ने कहा, “जी, वह ख़ै िरयत से है । दे खो, रािख़ल िमल जाए तो आपके िलए सात साल
उधर उस की बे टी रािख़ल रे वड़ ले कर आ रही काम करूँगा।” 19 लाबन ने कहा, “िकसी और
है ।” 7 याक़ूब ने कहा, “अभी तो शाम तक बहुत आदमी की िनसबत मुझे यह ज़्यादा पसं द है िक
वक़्त बाक़ी है । रे वड़ाें को जमा करने का वक़्त आप ही से उस की शादी कराऊँ।”
तो नहीं है । आप क्याें उन्हें पानी िपलाकर दुबारा 20 पस याक़ूब ने रािख़ल को पाने के िलए

चरने नहीं दे ते?” 8 उन्हाें ने जवाब िदया, “पहले सात साल तक काम िकया। ले िकन उसे ऐसा
ज़रूरी है िक तमाम रे वड़ यहाँ पहुँ चें। तब ही लगा जै सा दो एक िदन ही गुज़रे हाें क्याें िक वह
पत्थर को लुढ़काकर एक तरफ़ हटाया जाएगा रािख़ल को िशद्दत से प्यार करता था। 21 इसके
और हम रे वड़ाें को पानी िपलाएँ गे।” बाद उसने लाबन से कहा, “मुद्दत पूरी हो गई
9 याक़ूब अभी उनसे बात कर ही रहा था िक है । अब मुझे अपनी बे टी से शादी करने दें ।”

रािख़ल अपने बाप का रे वड़ ले कर आ पहुँ ची, 22 लाबन ने उस मक़ाम के तमाम लोगाें को


क्याें िक भे ड़-बकिरयाें को चराना उसका काम दावत दे कर शादी की िज़याफ़त की। 23 ले िकन
था। 10 जब याक़ूब ने रािख़ल को मामूँ लाबन उस रात वह रािख़ल की बजाए िलयाह को
के रे वड़ के साथ आते दे खा तो उसने कुएँ के याक़ूब के पास ले आया, और याक़ूब उसी
पास जाकर पत्थर को लुढ़काकर मुँह से हटा से हमिबसतर हुआ। 24 (लाबन ने िलयाह को
िदया और भे ड़-बकिरयाें को पानी िपलाया। अपनी लाैं डी िज़लफ़ा दे दी थी तािक वह उस
11 िफर उसने उसे बोसा िदया और ख़ूब रोने की िख़दमत करे ।)
लगा। उसने कहा, “मैं आपके अब्बू की बहन
12
35 पै दाइश 30:13
25 जब सुबह हुई तो याक़ूब ने दे खा िक िलयाह बे टाें को जन्म िदया है ।” उसने उसका नाम लावी
ही मे रे पास है । उसने लाबन के पास जाकर यानी बं धन रखा।
कहा, “यह आपने मे रे साथ क्या िकया है ? 35 वह एक बार िफर हािमला हुई। चौथा बे टा

क्या मैं ने रािख़ल के िलए काम नहीं िकया? पै दा हुआ। उसने कहा, “इस दफ़ा मैं रब की
आपने मुझे धोका क्याें िदया?” 26 लाबन ने तमजीद करूँगी।” उसने उसका नाम यहूदाह
जवाब िदया, “यहाँ दस्तूर नहीं है िक छोटी बे टी यानी तमजीद रखा। इसके बाद उससे और बच्चे
की शादी बड़ी से पहले कर दी जाए। 27 एक पै दा न हुए।
हफ़ते के बाद शादी की रसूमात पूरी हो जाएँ गी।
उस वक़्त तक सब्र करें । िफर मैं आपको रािख़ल
भी दे दूँ गा। शतर् यह है िक आप मज़ीद सात
30 ले िकन रािख़ल बे औलाद ही रही,
इसिलए वह अपनी बहन से हसद
करने लगी। उसने याक़ूब से कहा, “मुझे भी
साल मे रे िलए काम करें ।” औलाद दें वरना मैं मर जाऊँगी।” 2 याक़ूब को
28 याक़ूब मान गया। चुनाँ चे जब एक हफ़ते ग़ुस्सा आया। उसने कहा, “क्या मैं अल्लाह
के बाद शादी की रसूमात पूरी हुइर्ं तो लाबन ने हूँ िजसने तुझे औलाद से महरूम रखा है ?”
अपनी बे टी रािख़ल की शादी भी उसके साथ 3 रािख़ल ने कहा, “यहाँ मे री लाैं डी िबलहाह है ।

कर दी। 29 (लाबन ने रािख़ल को अपनी लाैं डी उसके साथ हमिबसतर हाें तािक वह मे रे िलए
िबलहाह दे दी तािक वह उस की िख़दमत करे ।) बच्चे को जन्म दे और मैं उस की मािरफ़त माँ
30 याक़ूब रािख़ल से भी हमिबसतर हुआ। वह बन जाऊँ।”
िलयाह की िनसबत उसे ज़्यादा प्यार करता था। 4 याें उसने अपने शौहर को िबलहाह दी, और

िफर उसने रािख़ल के एवज़ सात साल और वह उससे हमिबसतर हुआ। 5 िबलहाह हािमला
लाबन की िख़दमत की। हुई और बे टा पै दा हुआ। 6 रािख़ल ने कहा,
“अल्लाह ने मे रे हक़ में फ़ैसला िदया है । उसने
याक़ू ब के बच्चे मे री दुआ सुनकर मुझे बे टा दे िदया है ।” उसने
31 जब रब ने दे खा िक िलयाह से नफ़रत की उसका नाम दान यानी ‘िकसी के हक़ में फ़ैसला
जाती है तो उसने उसे औलाद दी जबिक रािख़ल करने वाला’ रखा।
के हाँ बच्चे पै दा न हुए। 7 िबलहाह दुबारा हािमला हुई और एक और
32 िलयाह हािमला हुई और उसके बे टा पै दा बे टा पै दा हुआ। 8 रािख़ल ने कहा, “मैं ने अपनी
हुआ। उसने कहा, “रब ने मे री मुसीबत दे खी है बहन से सख़्त कुश्ती लड़ी है , ले िकन जीत गई
और अब मे रा शौहर मुझे प्यार करे गा।” उसने हूँ ।” उसने उसका नाम नफ़ताली यानी ‘कुश्ती
उसका नाम रूिबन यानी ‘दे खो एक बे टा’ रखा। में मुझसे जीता गया’ रखा।
33 वह दुबारा हािमला हुई। एक और बे टा 9 जब िलयाह ने दे खा िक मे रे और बच्चे पै दा

पै दा हुआ। उसने कहा, “रब ने सुना िक मुझसे नहीं हो रहे तो उसने याक़ूब को अपनी लाैं डी
नफ़रत की जाती है , इसिलए उसने मुझे यह िज़लफ़ा दे दी तािक वह भी उस की बीवी हो।
भी िदया है ।” उसने उसका नाम शमाऊन यानी 10 िज़लफ़ा के भी एक बे टा पै दा हुआ। 11 िलयाह

‘रब ने सुना है ’ रखा। ने कहा, “मैं िकतनी ख़ुशिक़समत हूँ !” चुनाँ चे


34 वह एक और दफ़ा हािमला हुई। तीस- उसने उसका नाम जद यानी ख़ुशिक़समती
रा बे टा पै दा हुआ। उसने कहा, “अब रखा।
आिख़रकार शौहर के साथ मे रा बं धन मज़- 12 िफर िज़लफ़ा के दूसरा बे टा पै दा हुआ।

बूत हो जाएगा, क्याें िक मैं ने उसके िलए तीन 13 िलयाह ने कहा, “मैं िकतनी मुबारक हूँ । अब
पै दाइश 30:14 36
ख़वातीन मुझे मुबारक कहें गी।” उसने उसका बख़्शी। 23 वह हािमला हुई और एक बे टा पै दा
नाम आशर यानी मुबारक रखा। हुआ। उसने कहा, “मुझे बे टा अता करने से
14 एक िदन अनाज की फ़सल की कटाई हो अल्लाह ने मे री इज़्ज़त बहाल कर दी है । 24 रब
रही थी िक रूिबन बाहर िनकलकर खे ताें में चला मुझे एक और बे टा दे ।” उसने उसका नाम
गया। वहाँ उसे मदुर्मगयाह a िमल गए। वह उन्हें यूसुफ़ यानी ‘वह और दे ’ रखा।
अपनी माँ िलयाह के पास ले आया। यह दे खकर
रािख़ल ने िलयाह से कहा, “मुझे ज़रा अपने बे टे याक़ू ब का लाबन के साथ सौदा
के मदुर्मगयाह में से कुछ दे दो।” 15 िलयाह ने 25 यूसुफ़ की पै दाइश के बाद याक़ूब ने लाबन
जवाब िदया, “क्या यही काफ़ी नहीं िक तुमने से कहा, “अब मुझे इजाज़त दें िक मैं अपने
मे रे शौहर को मुझसे छीन िलया है ? अब मे रे वतन और घर को वापस जाऊँ। 26 मुझे मे रे
बे टे के मदुर्मगयाह को भी छीनना चाहती हो।” बाल-बच्चे दें िजनके एवज़ मैं ने आपकी िख़दमत
रािख़ल ने कहा, “अगर तुम मुझे अपने बे टे के की है । िफर मैं चला जाऊँगा। आप तो ख़ुद
मदुर्मगयाह में से दो तो आज रात याक़ूब के जानते हैं िक मैं ने िकतनी मे हनत के साथ आपके
साथ सो सकती हो।” िलए काम िकया है ।”
16 शाम को याक़ूब खे ताें से वापस आ रहा था 27 ले िकन लाबन ने कहा, “मुझ पर मे हर-

िक िलयाह आगे से उससे िमलने को गई और बानी करें और यहीं रहें । मुझे ग़ै बदानी से पता
कहा, “आज रात आपको मे रे साथ सोना है , चला है िक रब ने मुझे आपके सबब से बरकत
क्याें िक मैं ने अपने बे टे के मदुर्मगयाह के एवज़ दी है । 28 अपनी उजरत ख़ुद मुक़रर् र करें तो मैं
आपको उजरत पर िलया है ।” चुनाँ चे याक़ूब ने वही िदया करूँगा।”
िलयाह के पास रात गुज़ारी। 29 याक़ूब ने कहा, “आप जानते हैं िक मैं ने

17 उस वक़्त अल्लाह ने िलयाह की दुआ िकस तरह आपके िलए काम िकया, िक मे रे
सुनी और वह हािमला हुई। उसके पाँ चवाँ बे टा वसीले से आपके मवे शी िकतने बढ़ गए हैं ।
पै दा हुआ। 18 िलयाह ने कहा, “अल्लाह ने मुझे 30 जो थोड़ा-बहुत मे रे आने से पहले आपके पास

इसका अज्र िदया है िक मैं ने अपने शौहर को था वह अब बहुत ज़्यादा बढ़ गया है । रब ने मे रे


अपनी लाैं डी दी।” उसने उसका नाम इशकार काम से आपको बहुत बरकत दी है । अब वह
यानी अज्र रखा। वक़्त आ गया है िक मैं अपने घर के िलए कुछ
19 इसके बाद वह एक और दफ़ा हािमला करूँ।”
हुई। उसके छटा बे टा पै दा हुआ। 20 उसने कहा, 31 लाबन ने कहा, “मैं आपको क्या दूँ ?”

“अल्लाह ने मुझे एक अच्छा-ख़ासा तोह्फ़ा याक़ूब ने कहा, “मुझे कुछ न दें । मैं इस शतर्
िदया है । अब मे रा ख़ािंवद मे रे साथ रहे गा, पर आपकी भे ड़-बकिरयाें की दे ख-भाल जारी
क्याें िक मुझसे उसके छः बे टे पै दा हुए हैं ।” उसने रखूँगा िक 32 आज मैं आपके रे वड़ में से गुज़रकर
उसका नाम ज़बूलून यानी िरहाइश रखा। उन तमाम भे ड़ाें को अलग कर लूँगा िजनके
21 इसके बाद बे टी पै दा हुई। उसने उसका िजस्म पर छोटे या बड़े धब्बे हाें या जो सफ़ेद
नाम दीना रखा। न हाें । इसी तरह मैं उन तमाम बकिरयाें को भी
22 िफर अल्लाह ने रािख़ल को भी याद अलग कर लूँगा िजनके िजस्म पर छोटे या बड़े
िकया। उसने उस की दुआ सुनकर उसे औलाद धब्बे हाें । यही मे री उजरत होगी। 33 आइं दा िजन
a
एक पौदा िजसके बारे में ख़याल िकया जाता था िक
उसे खाकर बाँ झ औरत भी बच्चे को जन्म दे गी।
37 पै दाइश 31:10
बकिरयाें के िजस्म पर छोटे या बड़े धब्बे हाें गे या साथ उसने ऐसा न िकया। इसी तरह लाबन
िजन भे ड़ाें का रं ग सफ़ेद नहीं होगा वह मे रा अज्र को कमज़ोर जानवर और याक़ूब को ताक़तवर
हाें गी। जब कभी आप उनका मुआयना करें गे तो जानवर िमल गए। 43 याें याक़ूब बहुत अमीर बन
आप मालूम कर सकेंगे िक मैं िदयानतदार रहा गया। उसके पास बहुत-से रे वड़, ग़ुलाम और
हूँ । क्याें िक मे रे जानवराें के रं ग से ही ज़ािहर लाैं िडयाँ , ऊँट और गधे थे ।
होगा िक मैं ने आपका कुछ चुराया नहीं है ।”
34 लाबन ने कहा, “ठीक है । ऐसा ही हो जै सा याक़ू ब की िहजरत
आपने कहा है ।”
35 उसी िदन लाबन ने उन बकराें को अलग

कर िलया िजनके िजस्म पर धािरयाँ या धब्बे


31 एक िदन याक़ूब को पता चला िक
लाबन के बे टे मे रे बारे में कह रहे
हैं , “याक़ूब ने हमारे अब्बू से सब कुछ छीन
थे और उन तमाम बकिरयाें को िजनके िजस्म िलया है । उसने यह तमाम दौलत हमारे बाप की
पर छोटे या बड़े धब्बे थे । िजसके भी िजस्म पर िमलिकयत से हािसल की है ।” 2 याक़ूब ने यह
सफ़ेद िनशान था उसे उसने अलग कर िलया। भी दे खा िक लाबन का मे रे साथ रवै या पहले की
इसी तरह उसने उन तमाम भे ड़ाें को भी अलग िनसबत िबगड़ गया है । 3 िफर रब ने उससे कहा,
कर िलया जो पूरे तौर पर सफ़ेद न थे । िफर “अपने बाप के मुल्क और अपने िरश्ते दाराें के
लाबन ने उन्हें अपने बे टाें के सुपुदर् कर िदया पास वापस चला जा। मैं ते रे साथ हूँ गा।”
36 जो उनके साथ याक़ूब से इतना दूर चले गए 4 उस वक़्त याक़ूब खुले मै दान में अपने रे वड़ाें

िक उनके दरिमयान तीन िदन का फ़ासला था। के पास था। उसने वहाँ से रािख़ल और िलयाह
तब याक़ूब लाबन की बाक़ी भे ड़-बकिरयाें की को बुलाकर 5 उनसे कहा, “मैं ने दे ख िलया है
दे ख-भाल करता गया। िक आपके बाप का मे रे साथ रवै या पहले की
37 याक़ूब ने सफ़ेदा, बादाम और चनार की िनसबत िबगड़ गया है । ले िकन मे रे बाप का ख़ुदा
हरी हरी शाख़ें ले कर उनसे कुछ िछलका याें मे रे साथ रहा है । 6 आप दोनाें जानती हैं िक
उतार िदया िक उस पर सफ़ेद धािरयाँ नज़र मैं ने आपके अब्बू के िलए िकतनी जाँ िफ़शानी
आइर्ं । 38 उसने उन्हें भे ड़-बकिरयाें के सामने उन से काम िकया है । 7 ले िकन वह मुझे फ़रे ब दे ता
हौज़ाें में गाड़ िदया जहाँ वह पानी पीते थे , रहा और मे री उजरत दस बार बदली। ताहम
क्याें िक वहाँ यह जानवर मस्त होकर िमलाप अल्लाह ने उसे मुझे नुक़सान पहुँ चाने न िदया।
करते थे । 39 जब वह इन शाख़ाें के सामने 8 जब मामूँ लाबन कहते थे , ‘िजन जानवराें के

िमलाप करते तो जो बच्चे पै दा होते उनके िजस्म िजस्म पर धब्बे हाें वही आपको उजरत के तौर
पर छोटे और बड़े धब्बे और धािरयाँ होती थीं। पर िमलें गे’ तो तमाम भे ड़-बकिरयाें के ऐसे
40 िफर याक़ूब ने भे ड़ के बच्चाें को अलग करके बच्चे पै दा हुए िजनके िजस्माें पर धब्बे ही थे ।
अपने रे वड़ाें को लाबन के उन जानवराें के सामने जब उन्हाें ने कहा, ‘िजन जानवराें के िजस्म पर
चरने िदया िजनके िजस्म पर धािरयाँ थीं और धािरयाँ हाें गी वही आपको उजरत के तौर पर
जो सफ़ेद न थे । याें उसने अपने ज़ाती रे वड़ाें िमलें गे’ तो तमाम भे ड़-बकिरयाें के ऐसे बच्चे
को अलग कर िलया और उन्हें लाबन के रे वड़ पै दा हुए िजनके िजस्माें पर धािरयाँ ही थीं। 9 याें
के साथ चरने न िदया। अल्लाह ने आपके अब्बू के मवे शी छीनकर मुझे
41 ले िकन उसने यह शाख़ें िसफ़र् उस वक़्त दे िदए हैं । 10 अब ऐसा हुआ िक है वानाें की मस्ती
हौज़ाें में खड़ी कीं जब ताक़तवर जानवर मस्त के मौसम में मैं ने एक ख़ाब दे खा। उसमें जो में ढे
होकर िमलाप करते थे । 42 कमज़ोर जानवराें के और बकरे भे ड़-बकिरयाें से िमलाप कर रहे थे
पै दाइश 31:11 38
उनके िजस्म पर बड़े और छोटे धब्बे और धािरयाँ लाबन याक़ू ब का ताक़्क़ुब करता है
थीं। 11 उस ख़ाब में अल्लाह के फ़िरश्ते ने मुझसे 22 तीन िदन गुज़र गए। िफर लाबन को
बात की, ‘याक़ूब!’ मैं ने कहा, ‘जी, मैं हािज़र बताया गया िक याक़ूब भाग गया है । 23 अपने
हूँ ।’ 12 फ़िरश्ते ने कहा, ‘अपनी नज़र उठाकर िरश्ते दाराें को साथ ले कर उसने उसका ताक़्क़ुब
उस पर ग़ौर कर जो हो रहा है । वह तमाम में ढे िकया। सात िदन चलते चलते उसने याक़ूब को
और बकरे जो भे ड़-बकिरयाें से िमलाप कर रहे हैं आ िलया जब वह िजिलयाद के पहाड़ी इलाक़े
उनके िजस्म पर बड़े और छोटे धब्बे और धािरयाँ में पहुँ च गया था। 24 ले िकन उस रात अल्लाह
हैं । मैं यह ख़ुद करवा रहा हूँ , क्याें िक मैं ने वह ने ख़ाब में लाबन के पास आकर उससे कहा,
सब कुछ दे ख िलया है जो लाबन ने ते रे साथ “ख़बरदार! याक़ूब को बुरा-भला न कहना।”
िकया है । 13 मैं वह ख़ुदा हूँ जो बै तेल में तुझ पर 25 जब लाबन उसके पास पहुँ चा तो याक़ूब

ज़ािहर हुआ था, उस जगह जहाँ तूने सतून पर ने िजिलयाद के पहाड़ी इलाक़े में अपने ख़ै मे
ते ल उं डे लकर उसे मे रे िलए मख़सूस िकया और लगाए हुए थे । लाबन ने भी अपने िरश्ते दाराें के
मे रे हुज़ूर क़सम खाई थी। अब उठ और रवाना साथ वहीं अपने ख़ै मे लगाए। 26 उसने याक़ूब
होकर अपने वतन वापस चला जा’।” से कहा, “यह आपने क्या िकया है ? आप मुझे
14 रािख़ल और िलयाह ने जवाब में याक़ूब से धोका दे कर मे री बे िटयाें को क्याें जं गी क़ैिदयाें
कहा, “अब हमें अपने बाप की मीरास से कुछ की तरह हाँ क लाए हैं ? 27 आप क्याें मुझे
िमलने की उम्मीद नहीं रही। 15 उसका हमारे फ़रे ब दे कर ख़ामोशी से भाग आए हैं ? अगर
साथ अजनबी का-सा सुलूक है । पहले उसने आप मुझे इत्तला दे ते तो मैं आपको ख़ुशी ख़ुशी
हमें बे च िदया, और अब उसने वह सारे पै से खा दफ़ और सरोद के साथ गाते बजाते रुख़सत
भी िलए हैं । 16 चुनाँ चे जो भी दौलत अल्लाह ने करता। 28 आपने मुझे अपने नवासे -नवािसयाें
हमारे बाप से छीन ली है वह हमारी और हमारे और बे िटयाें को बोसा दे ने का मौक़ा भी न िदया।
बच्चाें की ही है । अब जो कुछ भी अल्लाह ने आपकी यह हरकत बड़ी अहमक़ाना थी। 29 मैं
आपको बताया है वह करें ।” आपको बहुत नुक़सान पहुँ चा सकता हूँ । ले िकन
17 तब याक़ूब ने उठकर अपने बाल-बच्चाें िपछली रात आपके अब्बू के ख़ुदा ने मुझसे
को ऊँटाें पर िबठाया 18 और अपने तमाम कहा, ‘ख़बरदार! याक़ूब को बुरा-भला न
मवे शी और मसोपुतािमया से हािसल िकया कहना।’ 30 ठीक है , आप इसिलए चले गए िक
हुआ तमाम सामान ले कर मुल्के-कनान में अपने अपने बाप के घर वापस जाने के बड़े आरज़ूमंद
बाप के हाँ जाने के िलए रवाना हुआ। 19 उस थे । ले िकन यह आपने क्या िकया है िक मे रे बुत
वक़्त लाबन अपनी भे ड़-बकिरयाें की पशम चुरा लाए हैं ?”
कतरने को गया हुआ था। उस की ग़ै रमौजूदगी 31 याक़ूब ने जवाब िदया, “मुझे डर था

में रािख़ल ने अपने बाप के बुत चुरा िलए। िक आप अपनी बे िटयाें को मुझसे छीन लें गे।
20 याक़ूब ने लाबन को फ़रे ब दे कर उसे इत्तला 32 ले िकन अगर आपको यहाँ िकसी के पास

न दी िक मैं जा रहा हूँ 21 बिल्क अपनी सारी अपने बुत िमल जाएँ तो उसे सज़ाए-मौत दी
िमलिकयत समे टकर फ़रार हुआ। दिरयाए- जाए हमारे िरश्ते दाराें की मौजूदगी में मालूम करें
फ़ुरात को पार करके वह िजिलयाद के पहाड़ी िक मे रे पास आपकी कोई चीज़ है िक नहीं।
इलाक़े की तरफ़ सफ़र करने लगा। अगर है तो उसे ले लें ।” याक़ूब को मालूम नहीं
था िक रािख़ल ने बुताें को चुराया है ।
39 पै दाइश 31:51
33 लाबन याक़ूब के ख़ै मे में दािख़ल हुआ और उस दौरान आपने दस बार मे री तनख़ाह बदल
ढूँ डने लगा। वहाँ से िनकलकर वह िलयाह के दी। 42 अगर मे रे बाप इसहाक़ का ख़ुदा और
ख़ै मे में और दोनाें लाैं िडयाें के ख़ै मे में गया। मे रे दादा इब्राहीम का माबूद a मे रे साथ न होता
ले िकन उसके बुत कहीं नज़र न आए। आिख़र में तो आप मुझे ज़रूर ख़ाली हाथ रुख़सत करते ।
वह रािख़ल के ख़ै मे में दािख़ल हुआ। 34 रािख़ल ले िकन अल्लाह ने मे री मुसीबत और मे री सख़्त
बुताें को ऊँटाें की एक काठी के नीचे छु पाकर मे हनत-मशक़्क़त दे खी है , इसिलए उसने कल
उस पर बै ठ गई थी। लाबन टटोल टटोलकर पूरे रात को मे रे हक़ में फ़ैसला िदया।”
ख़ै मे में से गुज़रा ले िकन बुत न िमले । 35 रािख़ल
ने अपने बाप से कहा, “अब्बू, मुझसे नाराज़ याक़ू ब और लाबन के दरिमयान अहद
न होना िक मैं आपके सामने खड़ी नहीं हो 43 तब लाबन ने याक़ूब से कहा, “यह बे िटयाँ

सकती। मैं ऐयामे -माहवारी के सबब से उठ तो मे री बे िटयाँ हैं , और इनके बच्चे मे रे बच्चे हैं ।
नहीं सकती।” लाबन उसे छोड़कर ढूँ डता रहा, यह भे ड़-बकिरयाँ भी मे री ही हैं । ले िकन अब मैं
ले िकन कुछ न िमला। अपनी बे िटयाें और उनके बच्चाें के िलए कुछ
36 िफर याक़ूब को ग़ुस्सा आया और वह नहीं कर सकता। 44 इसिलए आओ, हम एक
लाबन से झगड़ने लगा। उसने पूछा, “मुझसे दूसरे के साथ अहद बाँ धें। इसके िलए हम यहाँ
क्या जुमर् सरज़द हुआ है ? मैं ने क्या गुनाह पत्थराें का ढे र लगाएँ जो अहद की गवाही दे ता
िकया है िक आप इतनी तुंदी से मे रे ताक़्क़ुब के रहे ।”
िलए िनकले हैं ? 37 आपने टटोल टटोलकर मे रे 45 चुनाँ चे याक़ूब ने एक पत्थर ले कर उसे

सारे सामान की तलाशी ली है । तो आपका क्या सतून के तौर पर खड़ा िकया। 46 उसने अपने
िनकला है ? उसे यहाँ अपने और मे रे िरश्ते दाराें िरश्ते दाराें से कहा, “कुछ पत्थर जमा करें ।”
के सामने रखें । िफर वह फ़ैसला करें िक हममें उन्हाें ने पत्थर जमा करके ढे र लगा िदया। िफर
से कौन हक़ पर है । 38 मैं बीस साल तक आपके उन्हाें ने उस ढे र के पास बै ठकर खाना खाया।
साथ रहा हूँ । उस दौरान आपकी भे ड़-बकिरयाँ 47 लाबन ने उसका नाम यजर-शाहदूथा रखा

बच्चाें से महरूम नहीं रहीं बिल्क मैं ने आपका जबिक याक़ूब ने जल-एद रखा। दोनाें नामाें
एक में ढा भी नहीं खाया। 39 जब भी कोई भे ड़ का मतलब ‘गवाही का ढे र’ है यानी वह ढे र
या बकरी िकसी जं गली जानवर ने फाड़ डाली जो गवाही दे ता है । 48 लाबन ने कहा, “आज
तो मैं उसे आपके पास न लाया बिल्क मुझे ख़ुद हम दोनाें के दरिमयान यह ढे र अहद की गवाही
उसका नुक़सान भरना पड़ा। आपका तक़ाज़ा दे ता है ।” इसिलए उसका नाम जल-एद रखा
था िक मैं ख़ुद चोरी हुए माल का एवज़ाना दूँ , गया। 49 उसका एक और नाम िमसफ़ाह यानी
ख़ाह वह िदन के वक़्त चोरी हुआ या रात को। ‘पहरे दाराें का मीनार’ भी रखा गया। क्याें िक
40 मैं िदन की शदीद गरमी के बाइस िपघल गया लाबन ने कहा, “रब हम पर पहरा दे जब हम
और रात की शदीद सदर्ी के बाइस जम गया। एक दूसरे से अलग हो जाएं गे। 50 मे री बे िटयाें
काम इतना सख़्त था िक मैं नींद से महरूम रहा। से बुरा सुलूक न करना, न उनके अलावा िकसी
41 पूरे बीस साल इसी हालत में गुज़र गए। चौदह और से शादी करना। अगर मुझे पता भी न चले
साल मैं ने आपकी बे िटयाें के एवज़ काम िकया ले िकन ज़रूर याद रखें िक अल्लाह मे रे और
और छः साल आपकी भे ड़-बकिरयाें के िलए। आपके सामने गवाह है । 51 यहाँ यह ढे र है जो
a
लफ़्ज़ी तरजुमा : दहशत यानी इसहाक़ का वह ख़ुदा
िजससे इनसान दहशत खाता है ।
पै दाइश 31:52 40
मैं ने लगा िदया है और यहाँ यह सतून भी है । 400 आदमी साथ ले कर आपसे िमलने आ रहा
52 यह ढे र और सतून दोनाें इसके गवाह हैं िक न है ।”
मैं यहाँ से गुज़रकर आपको नुक़सान पहुँ चाऊँगा 7 याक़ूब घबराकर बहुत परे शान हुआ। उसने

और न आप यहाँ से गुज़रकर मुझे नुक़सान अपने साथ के तमाम लोगाें , भे ड़-बकिरयाें ,


पहुँ चाएँ गे। 53 इब्राहीम, नहूर और उनके बाप गाय-बै लाें और ऊँटाें को दो गुरोहाें में तक़सीम
का ख़ुदा हम दोनाें के दरिमयान फ़ैसला करे िकया। 8 ख़याल यह था िक अगर एसौ आकर
अगर ऐसा कोई मामला हो।” जवाब में याक़ूब एक गुरोह पर हमला करे तो बाक़ी गुरोह शायद
ने इसहाक़ के माबूद की क़सम खाई िक मैं यह बच जाए। 9 िफर याक़ूब ने दुआ की, “ऐ मे रे
अहद कभी नहीं तोड़ूँगा। 54 उसने पहाड़ पर एक दादा इब्राहीम और मे रे बाप इसहाक़ के ख़ुदा,
जानवर क़ुरबानी के तौर पर चढ़ाया और अपने मे री दुआ सुन! ऐ रब, तूने ख़ुद मुझे बताया,
िरश्ते दाराें को खाना खाने की दावत दी। उन्हाें ने ‘अपने मुल्क और िरश्ते दाराें के पास वापस जा,
खाना खाकर वहीं पहाड़ पर रात गुज़ारी। और मैं तुझे कामयाबी दूँ गा।’ 10 मैं उस तमाम
55 अगले िदन सुबह-सवे रे लाबन ने अपने मे हरबानी और वफ़ादारी के लायक़ नहीं जो तूने
नवासे -नवािसयाें और बे िटयाें को बोसा दे कर अपने ख़ािदम को िदखाई है । जब मैं ने लाबन के
उन्हें बरकत दी। िफर वह अपने घर वापस चला पास जाते वक़्त दिरयाए-यरदन को पार िकया
गया। तो मे रे पास िसफ़र् यह लाठी थी, और अब मे रे
पास यह दो गुरोह हैं । 11 मुझे अपने भाई एसौ से
याक़ू ब एसौ से िमलने के बचा, क्याें िक मुझे डर है िक वह मुझ पर हमला
िलए तै यार हो जाता है करके बाल-बच्चाें समे त सब कुछ तबाह कर

32 याक़ूब ने भी अपना सफ़र जारी


रखा। रास्ते में अल्लाह के फ़-
िरश्ते उससे िमले । 2 उन्हें दे खकर उसने कहा,
दे गा। 12 तूने ख़ुद कहा था, ‘मैं तुझे कामयाबी
दूँ गा और ते री औलाद इतनी बढ़ाऊँगा िक वह
समुंदर की रे त की मािंनद बे शुमार होगी’।”
“यह अल्लाह की लशकरगाह है ।” उसने 13 याक़ूब ने वहाँ रात गुज़ारी। िफर उसने

उस मक़ाम का नाम महनायम यानी ‘दो अपने माल में से एसौ के िलए तोह्फ़े चुन िलए :
लशकरगाहें ’ रखा। 14 200 बकिरयाँ , 20 बकरे , 200 भे ड़ें, 20
3 याक़ूब ने अपने भाई एसौ के पास अपने में ढे, 15 30 दूध दे नेवाली ऊँटिनयाँ बच्चाें समे त,
आगे आगे क़ािसद भे जे। एसौ सईर यानी अदोम 40 गाएँ , 10 बै ल, 20 गिधयाँ और 10 गधे ।
के मुल्क में आबाद था। 4 उन्हें एसौ को बताना 16 उसने उन्हें मुख़्तिलफ़ रे वड़ाें में तक़सीम करके

था, “आपका ख़ािदम याक़ूब आपको इत्तला अपने मुख़्तिलफ़ नौकराें के सुपुदर् िकया और
दे ता है िक मैं परदे स में जाकर अब तक लाबन उनसे कहा, “मे रे आगे आगे चलो ले िकन हर
का मे हमान रहा हूँ । 5 वहाँ मुझे बै ल, गधे , भे ड़- रे वड़ के दरिमयान फ़ासला रखो।”
बकिरयाँ , ग़ुलाम और लाैं िडयाँ हािसल हुए हैं । 17 जो नौकर पहले रे वड़ ले कर आगे िनकला

अब मैं अपने मािलक को इत्तला दे रहा हूँ िक उससे याक़ूब ने कहा, “मे रा भाई एसौ तुमसे
वापस आ गया हूँ और आपकी नज़रे -करम का िमले गा और पूछेगा, ‘तुम्हारा मािलक कौन है ?
ख़ािहशमं द हूँ ।” तुम कहाँ जा रहे हो? तुम्हारे सामने के जानवर
6 जब क़ािसद वापस आए तो उन्हाें ने कहा, िकसके हैं ?’ 18 जवाब में तुम्हें कहना है , ‘यह
“हम आपके भाई एसौ के पास गए, और वह आपके ख़ािदम याक़ूब के हैं । यह तोह्फ़ा हैं जो
41 पै दाइश 33:10
वह अपने मािलक एसौ को भे ज रहे हैं । याक़ूब 30 याक़ूब ने कहा, “मैं ने अल्लाह को रूबरू
हमारे पीछे पीछे आ रहे हैं ’।” दे खा तो भी बच गया हूँ ।” इसिलए उसने उस
19 याक़ूब ने यही हुक्म हर एक नौकर को मक़ाम का नाम फ़िनये ल रखा। 31 याक़ूब वहाँ
िदया िजसे रे वड़ ले कर उसके आगे आगे जाना से चला तो सूरज तुलू हो रहा था। वह कूल्हे के
था। उसने कहा, “जब तुम एसौ से िमलोगे सबब से लँ गड़ाता रहा।
तो उससे यही कहना है । 20 तुम्हें यह भी ज़रूर 32 यही वजह है िक आज भी इसराईल की

कहना है , आपके ख़ािदम याक़ूब हमारे पीछे आ औलाद कूल्हे के जोड़ पर की नस को नहीं खाते ,
रहे हैं ।” क्याें िक याक़ूब ने सोचा, ‘मैं इन तोह्फ़ाें क्याें िक याक़ूब की इसी नस को छु आ गया था।
से उसके साथ सुलह करूँगा। िफर जब उससे
मुलाक़ात होगी तो शायद वह मुझे क़बूल कर याक़ू ब एसौ से िमलता है
ले ।’ 21 याें उसने यह तोह्फ़े अपने आगे आगे
भे ज िदए। ले िकन उसने ख़ुद ख़ै मागाह में रात
गुज़ारी।
33 िफर एसौ उनकी तरफ़ आता हुआ
नज़र आया। उसके साथ 400
आदमी थे । उन्हें दे खकर याक़ूब ने बच्चाें को
बाँ टकर िलयाह, रािख़ल और दोनाें लाैं िडयाें
याक़ू ब की कु श्ती के हवाले कर िदया। 2 उसने दोनाें लाैं िडयाें
22 उस रात वह उठा और अपनी दो बीिवयाें , को उनके बच्चाें समे त आगे चलने िदया। िफर
दो लाैं िडयाें और ग्यारह बे टाें को ले कर दिरयाए- िलयाह उसके बच्चाें समे त और आिख़र में
यब्बोक़ को वहाँ से पार िकया जहाँ कम गहराई रािख़ल और यूसुफ़ आए। 3 याक़ूब ख़ुद सबसे
थी। 23 िफर उसने अपना सारा सामान भी वहाँ आगे एसौ से िमलने गया। चलते चलते वह सात
भे ज िदया। 24 ले िकन वह ख़ुद अकेला ही पीछे दफ़ा ज़मीन तक झु का। 4 ले िकन एसौ दौड़कर
रह गया। उससे िमलने आया और उसे गले लगाकर बोसा
उस वक़्त एक आदमी आया और पौ फटने िदया। दोनाें रो पड़े ।
तक उससे कुश्ती लड़ता रहा। 25 जब उसने 5 िफर एसौ ने औरताें और बच्चाें को दे खा।

दे खा िक मैं याक़ूब पर ग़ािलब नहीं आ रहा तो उसने पूछा, “तुम्हारे साथ यह लोग कौन हैं ?”
उसने उसके कूल्हे को छु आ, और उसका जोड़ याक़ूब ने कहा, “यह आपके ख़ािदम के बच्चे हैं
िनकल गया। 26 आदमी ने कहा, “मुझे जाने दे , जो अल्लाह ने अपने करम से नवाज़े हैं ।”
क्याें िक पौ फटने वाली है ।” 6 दोनाें लाैं िडयाँ अपने बच्चाें समे त आकर

याक़ूब ने कहा, “पहले मुझे बरकत दें , िफर उसके सामने झु क गइर्ं । 7 िफर िलयाह अपने
ही आपको जाने दूँ गा।” 27 आदमी ने पूछा, बच्चाें के साथ आई और आिख़र में यूसुफ़ और
“ते रा क्या नाम है ?” उसने जवाब िदया, रािख़ल आकर झु क गए।
“याक़ूब।” 28 आदमी ने कहा, “अब से ते रा 8 एसौ ने पूछा, “िजस जानवराें के बड़े ग़ोल

नाम याक़ूब नहीं बिल्क इसराईल यानी ‘वह से मे री मुलाक़ात हुई उससे क्या मुराद है ?”
अल्लाह से लड़ता है ’ होगा। क्याें िक तू अल्लाह याक़ूब ने जवाब िदया, “यह तोह्फ़ा है तािक
और आदिमयाें के साथ लड़कर ग़ािलब आया आपका ख़ािदम आपकी नज़र में मक़बूल हो।”
है ।” 9 ले िकन एसौ ने कहा, “मे रे भाई, मे रे पास बहुत

29 याक़ूब ने कहा, “मुझे अपना नाम कुछ है । यह अपने पास ही रखो।” 10 याक़ूब ने
बताएँ ।” उसने कहा, “तू क्याें मे रा नाम जानना कहा, “नहीं जी, अगर मुझ पर आपके करम
चाहता है ?” िफर उसने याक़ूब को बरकत दी। की नज़र है तो मे रे इस तोह्फ़े को ज़रूर क़बूल
पै दाइश 33:11 42
फ़रमाएँ । क्याें िक जब मैं ने आपका चे हरा दे खा 20 वहाँ
उसने क़ुरबानगाह बनाई िजसका नाम
तो वह मे रे िलए अल्लाह के चे हरे की मािंनद था, उसने ‘एल ख़ुदाए-इसराईल’ रखा।
आपने मे रे साथ इस क़दर अच्छा सुलूक िकया
है । 11 मे हरबानी करके यह तोह्फ़ा क़बूल करें दीना की इसमतदरी
जो मैं आपके िलए लाया हूँ । क्याें िक अल्लाह
ने मुझ पर अपने करम का इज़हार िकया है ,
और मे रे पास बहुत कुछ है ।”
34 एक िदन याक़ूब और िलयाह की
बे टी दीना कनानी औरताें से िमलने
के िलए घर से िनकली। 2 शहर में एक आदमी
याक़ूब इसरार करता रहा तो आिख़रकार बनाम िसकम रहता था। उसका वािलद हमोर
एसौ ने उसे क़बूल कर िलया। िफर एसौ कहने उस इलाक़े का हुक्मरान था और िहव्वी क़ौम
लगा, 12 “आओ, हम रवाना हो जाएँ । मैं तुम्हारे से ताल्लुक़ रखता था। जब िसकम ने दीना को
आगे आगे चलूँगा।” 13 याक़ूब ने जवाब िदया, दे खा तो उसने उसे पकड़कर उस की इसमतदरी
“मे रे मािलक, आप जानते हैं िक मे रे बच्चे की। 3 ले िकन उसका िदल दीना से लग गया।
नाज़ुक हैं । मे रे पास भे ड़-बकिरयाँ , गाय-बै ल वह उससे मुहब्बत करने लगा और प्यार से
और उनके दूध पीने वाले बच्चे भी हैं । अगर मैं उससे बातें करता रहा। 4 उसने अपने बाप से
उन्हें एक िदन के िलए भी हद से ज़्यादा हाँ कँ ू कहा, “इस लड़की के साथ मे री शादी करा दें ।”
तो वह मर जाएं गे। 14 मे रे मािलक, मे हरबानी 5 जब याक़ूब ने अपनी बे टी की इसमतदरी की

करके मे रे आगे आगे जाएँ । मैं आराम से उसी ख़बर सुनी तो उसके बे टे मवे िशयाें के साथ खुले
रफ़्तार से आपके पीछे पीछे चलता रहूँ गा िजस मै दान में थे । इसिलए वह उनके वापस आने तक
रफ़्तार से मे रे मवे शी और मे रे बच्चे चल सकेंगे । ख़ामोश रहा।
याें हम आिहस्ता चलते हुए आपके पास सईर 6 िसकम का बाप हमोर शहर से िनकलकर

पहुँ चेंगे।” 15 एसौ ने कहा, “क्या मैं अपने याक़ूब से बात करने के िलए आया। 7 जब
आदिमयाें में से कुछ आपके पास छोड़ दूँ ?” याक़ूब के बे टाें को दीना की इसमतदरी की
ले िकन याक़ूब ने कहा, “क्या ज़रूरत है ? सबसे ख़बर िमली तो उनके िदल रं िजश और ग़ुस्से
अहम बात यह है िक आपने मुझे क़बूल कर से भर गए िक िसकम ने याक़ूब की बे टी की
िलया है ।” इसमतदरी से इसराईल की इतनी बे इज़्ज़ती की
16 उस िदन एसौ सईर के िलए और 17 याक़ूब है । वह सीधे खुले मै दान से वापस आए। 8 हमोर
सुक्कात के िलए रवाना हुआ। वहाँ उसने अपने ने याक़ूब से कहा, “मे रे बे टे का िदल आपकी
िलए मकान बना िलया और अपने मवे िशयाें के बे टी से लग गया है । मे हरबानी करके उस की
िलए झाें पिड़याँ । इसिलए उस मक़ाम का नाम शादी मे रे बे टे के साथ कर दें । 9 हमारे साथ िरश्ता
सुक्कात यानी झाें पिड़याँ पड़ गया। बाँ धें, हमारे बे टे-बे िटयाें के साथ शािदयाँ कराएँ ।
18 िफर याक़ूब चलते चलते सलामती 10 िफर आप हमारे साथ इस मुल्क में रह सकेंगे

से िसकम शहर पहुँ चा। याें उसका मसो- और पूरा मुल्क आपके िलए खुला होगा। आप
पुतािमया से मुल्के-कनान तक का सफ़र जहाँ भी चाहें आबाद हो सकेंगे , ितजारत कर
इिख़्तताम तक पहुँ च गया। उसने अपने ख़ै मे सकेंगे और ज़मीन ख़रीद सकेंगे ।” 11 िसकम ने
शहर के सामने लगाए। 19 उसके ख़ै मे हमोर की ख़ुद भी दीना के बाप और भाइयाें से िमन्नत
औलाद की ज़मीन पर लगे थे । उसने यह ज़मीन की, “अगर मे री यह दरख़ास्त मं ज़ूर हो तो मैं
चाँ दी के 100 िसक्काें के बदले ख़रीद ली। जो कुछ आप कहें गे अदा कर दूँ गा। 12 िजतना
भी महर और तोह्फ़े आप मुक़रर् र करें मैं दे दूँ गा।
43 पै दाइश 35:3
िसफ़र् मे री यह ख़ािहश पूरी करें िक यह लड़की का ख़तना कराया गया। 25 तीन िदन के बाद
मे रे अक़द में आ जाए।” जब ख़तने के सबब से लोगाें की हालत बुरी थी
13 ले िकन दीना की इसमतदरी के सबब से तो दीना के दो भाई शमाऊन और लावी अपनी
याक़ूब के बे टाें ने िसकम और उसके बाप हमोर तलवारें ले कर शहर में दािख़ल हुए। िकसी को
से चालाकी करके 14 कहा, “हम ऐसा नहीं कर शक तक नहीं था िक क्या कुछ होगा। अं दर
सकते । हम अपनी बहन की शादी िकसी ऐसे जाकर उन्हाें ने बच्चाें से ले कर बूढ़ाें तक तमाम
आदमी से नहीं करा सकते िजसका ख़तना नहीं मदार्ें को क़त्ल कर िदया 26 िजनमें हमोर और
हुआ। इससे हमारी बे इज़्ज़ती होती है । 15 हम उसका बे टा िसकम भी शािमल थे । िफर वह
िसफ़र् इस शतर् पर राज़ी हाें गे िक आप अपने दीना को िसकम के घर से ले कर चले गए।
तमाम लड़काें और मदार्ें का ख़तना करवाने 27 इस क़त्ले -आम के बाद याक़ूब के बाक़ी

से हमारी मािंनद हो जाएँ । 16 िफर आपके बे टे शहर पर टू ट पड़े और उसे लूट िलया। याें
बे टे-बे िटयाें के साथ हमारी शािदयाँ हो सकेंगी उन्हाें ने अपनी बहन की इसमतदरी का बदला
और हम आपके साथ एक क़ौम बन जाएं गे। िलया। 28 वह भे ड़-बकिरयाँ , गाय-बै ल, गधे और
17 ले िकन अगर आप ख़तना कराने के िलए शहर के अं दर और बाहर का सब कुछ ले कर
तै यार नहीं हैं तो हम अपनी बहन को ले कर चले चलते बने । 29 उन्हाें ने सारे माल पर क़ब्ज़ा
जाएं गे।” िकया, औरताें और बच्चाें को क़ैदी बना िलया
18 यह बातें हमोर और उसके बे टे िसकम को और तमाम घराें का सामान भी ले गए।
अच्छी लगीं। 19 नौजवान िसकम ने फ़ौरन उन 30 िफर याक़ूब ने शमाऊन और लावी से

पर अमल िकया, क्याें िक वह दीना को बहुत कहा, “तुमने मुझे मुसीबत में डाल िदया है ।
पसं द करता था। िसकम अपने ख़ानदान में अब कनानी, फ़िरज़्ज़ी और मुल्क के बाक़ी
सबसे मुअज़्ज़ज़ था। 20 हमोर अपने बे टे िसकम बािंशदाें में मे री बदनामी हुई है । मे रे साथ कम
के साथ शहर के दरवाज़े पर गया जहाँ शहर के आदमी हैं । अगर दूसरे िमलकर हम पर हमला
फ़ैसले िकए जाते थे । वहाँ उन्हाें ने बाक़ी शहिरयाें करें तो हमारे पूरे ख़ानदान का सत्यानास हो
से बात की। 21 “यह आदमी हमसे झगड़ने वाले जाएगा।” 31 ले िकन उन्हाें ने कहा, “क्या यह
नहीं हैं , इसिलए क्याें न वह इस मुल्क में हमारे ठीक था िक उसने हमारी बहन के साथ कसबी
साथ रहें और हमारे दरिमयान ितजारत करें ? का-सा सुलूक िकया?”
हमारे मुल्क में उनके िलए भी काफ़ी जगह है ।
आओ, हम उनकी बे िटयाें और बे टाें से शािदयाँ बै तेल में याक़ू ब पर अल्लाह की बरकत
करें । 22 ले िकन यह आदमी िसफ़र् इस शतर् पर
हमारे दरिमयान रहने और एक ही क़ौम बनने के
िलए तै यार हैं िक हम उनकी तरह अपने तमाम
35 अल्लाह ने याक़ूब से कहा, “उठ,
बै तेल जाकर वहाँ आबाद हो। वहीं
अल्लाह के िलए जो तुझ पर ज़ािहर हुआ जब
लड़काें और मदार्ें का ख़तना कराएँ । 23 अगर हम तू अपने भाई एसौ से भाग रहा था क़ुरबानगाह
ऐसा करें तो उनके तमाम मवे शी और सारा माल बना।” 2 चुनाँ चे याक़ूब ने अपने घरवालाें और
हमारा ही होगा। चुनाँ चे आओ, हम मुत्तिफ़क़ बाक़ी सारे सािथयाें से कहा, “जो भी अजनबी
होकर फ़ैसला कर लें तािक वह हमारे दरिमयान बुत आपके पास हैं उन्हें फेंक दें । अपने आपको
रहें ।” पाक-साफ़ करके अपने कपड़े बदलें , 3 क्याें िक
24 िसकम के शहरी हमोर और िसकम के हमें यह जगह छोड़कर बै तेल जाना है । वहाँ मैं
मशवरे पर राज़ी हुए। तमाम लड़काें और मदार्ें उस ख़ुदा के िलए क़ुरबानगाह बनाऊँगा िजसने
पै दाइश 35:4 44
मुसीबत के वक़्त मे री दुआ सुनी। जहाँ भी मैं और उस पर मै और ते ल उं डे लकर उसे मख़सूस
गया वहाँ वह मे रे साथ रहा है ।” 4 यह सुनकर िकया। 15 उसने जगह का नाम बै तेल रखा।
उन्हाें ने याक़ूब को तमाम बुत दे िदए जो उनके
पास थे और तमाम बािलयाँ जो उन्हाें ने तावीज़ रािख़ल की मौत
के तौर पर कानाें में पहन रखी थीं। उसने सब 16 िफर याक़ूब अपने घरवालाें के साथ बै तेल
कुछ िसकम के क़रीब बलूत के दरख़्त के नीचे को छोड़कर इफ़राता की तरफ़ चल पड़ा।
ज़मीन में दबा िदया। 5 िफर वह रवाना हुए। रािख़ल उम्मीद से थी, और रास्ते में बच्चे
इदर्िगदर् के शहराें पर अल्लाह की तरफ़ से इतना की पै दाइश का वक़्त आ गया। बच्चा बड़ी
शदीद ख़ौफ़ छा गया िक उन्हाें ने याक़ूब और मुिश्कल से पै दा हुआ। 17 जब ददर्े -ज़ह उरूज
उसके बे टाें का ताक़्क़ुब न िकया। को पहुँ च गया तो दाई ने उससे कहा, “मत
6 चलते चलते याक़ूब अपने लोगाें समे त लूज़ डरो, क्याें िक एक और बे टा है ।” 18 ले िकन
पहुँ च गया जो मुल्के-कनान में था। आज लूज़ वह दम तोड़ने वाली थी, और मरते मरते उसने
का नाम बै तेल है । 7 याक़ूब ने वहाँ क़ुरबानगाह उसका नाम िबन-ऊनी यानी ‘मे री मुसीबत का
बनाकर मक़ाम का नाम बै तेल यानी ‘अल्लाह बे टा’ रखा। ले िकन उसके बाप ने उसका नाम
का घर’ रखा। क्याें िक वहाँ अल्लाह ने अपने िबनयमीन यानी ‘दहने हाथ या ख़ुशिक़समती
आपको उस पर ज़ािहर िकया था जब वह अपने का बे टा’ रखा। 19 रािख़ल फ़ौत हुई, और वह
भाई से फ़रार हो रहा था। इफ़राता के रास्ते में दफ़न हुई। आजकल
8 वहाँ िरबक़ा की दाया दबोरा मर गई। वह इफ़राता को बै त-लहम कहा जाता है । 20 याक़ूब
बै तेल के जुनूब में बलूत के दरख़्त के नीचे दफ़न ने उस की क़ब्र पर पत्थर का सतून खड़ा िकया।
हुई, इसिलए उसका नाम अल्लोन-बकूत यानी वह आज तक रािख़ल की क़ब्र की िनशानदे ही
‘रोने का बलूत का दरख़्त’ रखा गया। करता है ।
9 अल्लाह याक़ूब पर एक दफ़ा और ज़ािहर 21 वहाँ से याक़ूब ने अपना सफ़र जारी रखा

हुआ और उसे बरकत दी। यह मसोपुतािमया और िमजदल-इदर की परली तरफ़ अपने ख़ै मे


से वापस आने पर दूसरी बार हुआ। 10 अल्लाह लगाए। 22 जब वह वहाँ ठहरे थे तो रूिबन याक़ूब
ने उससे कहा, “अब से ते रा नाम याक़ूब नहीं की हरम िबलहाह से हमिबसतर हुआ। याक़ूब
बिल्क इसराईल होगा।” याें उसने उसका नया को मालूम हो गया।
नाम इसराईल रखा। 11 अल्लाह ने यह भी
उससे कहा, “मैं अल्लाह क़ािदरे -मुतलक़ हूँ । याक़ू ब के बे टे
फल-फूल और तादाद में बढ़ता जा। एक क़ौम याक़ूब के बारह बे टे थे । 23 िलयाह के बे टे
नहीं बिल्क बहुत-सी क़ौमें तुझसे िनकलें गी। यह थे : उसका सबसे बड़ा बे टा रूिबन,
ते री औलाद में बादशाह भी शािमल हाें गे। 12 मैं िफर शमाऊन, लावी, यहूदाह, इशकार और
तुझे वही मुल्क दूँ गा जो इब्राहीम और इसहाक़ ज़बूलून। 24 रािख़ल के दो बे टे थे , यूसुफ़ और
को िदया है । और ते रे बाद उसे ते री औलाद को िबनयमीन। 25 रािख़ल की लाैं डी िबलहाह के दो
दूँ गा।” बे टे थे , दान और नफ़ताली। 26 िलयाह की लाैं डी
13 िफर अल्लाह वहाँ से आसमान पर चला िज़लफ़ा के दो बे टे थे , जद और आशर। याक़ूब
गया। 14 जहाँ अल्लाह याक़ूब से हमकलाम के यह बे टे मसोपुतािमया में पै दा हुए।
हुआ था वहाँ उसने पत्थर का सतून खड़ा िकया
45 पै दाइश 36:27
इसहाक़ की मौत जाताम, क़नज़ 12 और अमालीक़ थे । अमालीक़
27 िफर याक़ूब अपने बाप इसहाक़ के पास इलीफ़ज़ की हरम ितमना का बे टा था। यह
पहुँ च गया जो हबरून के क़रीब ममरे में सब एसौ की बीवी अदा की औलाद में शािमल
अजनबी की है िसयत से रहता था (उस वक़्त थे । 13 रऊएल के बे टे नहत, ज़ारह, सम्मा और
हबरून का नाम िक़िरयत-अरबा था)। वहाँ िमज़्ज़ा थे । यह सब एसौ की बीवी बासमत
इसहाक़ और उससे पहले इब्राहीम रहा करते की औलाद में शािमल थे । 14 एसौ की बीवी
थे । 28-29 इसहाक़ 180 साल का था जब वह उहलीबामा जो अना की बे टी और िसबोन की
उम्ररसीदा और िंज़दगी से आसूदा होकर अपने नवासी थी के तीन बे टे यऊस, यालाम और
बापदादा से जा िमला। उसके बे टे एसौ और क़ोरह थे ।
याक़ूब ने उसे दफ़न िकया। 15 एसौ से मुख़्तिलफ़ क़बीलाें के सरदार

िनकले । उसके पहलौठे इलीफ़ज़ से यह


एसौ की औलाद क़बायली सरदार िनकले : ते मान, ओमर,

36
जाता है ) :
यह एसौ की औलाद का नसब-
नामा है (एसौ को अदोम भी कहा
सफ़ो, क़नज़, 16 क़ोरह, जाताम और अमा-
लीक़। यह सब एसौ की बीवी अदा की औलाद
थे । 17 एसौ के बे टे रऊएल से यह क़बायली
2 एसौ ने तीन कनानी औरताें से शादी की : सरदार िनकले : नहत, ज़ारह, सम्मा और
िहत्ती आदमी ऐलोन की बे टी अदा से , अना की िमज़्ज़ा। यह सब एसौ की बीवी बासमत
बे टी उहलीबामा से जो िहव्वी आदमी िसबोन की की औलाद थे । 18 एसौ की बीवी उहलीबामा
नवासी थी 3 और इसमाईल की बे टी बासमत से यानी अना की बे टी से यह क़बायली सरदार
जो नबायोत की बहन थी। 4 अदा का एक बे टा िनकले : यऊस, यालाम और क़ोरह। 19 यह
इलीफ़ज़ और बासमत का एक बे टा रऊएल तमाम सरदार एसौ की औलाद हैं ।
पै दा हुआ। 5 उहलीबामा के तीन बे टे पै दा हुए,
यऊस, यालाम और क़ोरह। एसौ के यह तमाम सईर की औलाद
बे टे मुल्के-कनान में पै दा हुए। 20 मुल्के-अदोम के कुछ बािंशदे होरी आदमी
6 बाद में एसौ दूसरे मुल्क में चला गया। सईर की औलाद थे । उनके नाम लोतान,
उसने अपनी बीिवयाें , बे टे-बे िटयाें और घर सोबल, िसबोन, अना, 21 दीसोन, एसर और
के रहने वालाें को अपने तमाम मवे िशयाें और दीसान थे । सईर के यह बे टे मुल्के-अदोम में होरी
मुल्के-कनान में हािसल िकए हुए माल समे त क़बीलाें के सरदार थे ।
अपने साथ िलया। 7 वह इस वजह से चला गया 22 लोतान होरी और हे माम का बाप था।

िक दोनाें भाइयाें के पास इतने रे वड़ थे िक चराने (ितमना लोतान की बहन थी।) 23 सोबल के बे टे
की जगह कम पड़ गई। 8 चुनाँ चे एसौ पहाड़ी अलवान, मानहत, ऐबाल, सफ़ो और ओनाम
इलाक़े सईर में आबाद हुआ। एसौ का दूसरा थे । 24 िसबोन के बे टे ऐयाह और अना थे । इसी
नाम अदोम है । अना को गरम चश्मे िमले जब वह बयाबान में
9 यह एसौ यानी सईर के पहाड़ी इलाक़े में अपने बाप के गधे चरा रहा था। 25 अना का
आबाद अदोिमयाें का नसबनामा है : 10 एसौ एक बे टा दीसोन और एक बे टी उहलीबामा थी।
की बीवी अदा का एक बे टा इलीफ़ज़ था जबिक 26 दीसोन के चार बे टे हमदान, इशबान, ियतरान

उस की बीवी बासमत का एक बे टा रऊएल और िकरान थे । 27 एसर के तीन बे टे िबलहान,


था। 11 इलीफ़ज़ के बे टे ते मान, ओमर, सफ़ो,
पै दाइश 36:28 46
ज़ावान और अक़ान थे । 28 दीसान के दो बे टे यूसफ़ ु के ख़ाब
ऊज़ और अरान थे ।
29-30 यही यानी लोतान, सोबल, िसब- 37 याक़ूब मुल्के-कनान में रहता था
जहाँ पहले उसका बाप भी परदे सी
ओन, अना, दीसोन, एसर और दीसान सईर था। 2 यह याक़ूब के ख़ानदान का बयान है ।
के मुल्क में होरी क़बायल के सरदार थे । उस वक़्त याक़ूब का बे टा यूसुफ़ 17 साल
का था। वह अपने भाइयाें यानी िबलहाह और
अदोम के बादशाह िज़लफ़ा के बे टाें के साथ भे ड़-बकिरयाें की दे ख-
31 इससे पहले िक इसराईिलयाें का कोई भाल करता था। यूसुफ़ अपने बाप को अपने

बादशाह था ज़ै ल के बादशाह यके बाद दीगरे भाइयाें की बुरी हरकताें की इत्तला िदया करता
मुल्के-अदोम में हुकूमत करते थे : था।
32 बाला िबन बओर जो िदनहाबा शहर का था 3 याक़ूब यूसुफ़ को अपने तमाम बे टाें की

मुल्के-अदोम का पहला बादशाह था। िनसबत ज़्यादा प्यार करता था। वजह यह थी
33 उस की मौत पर यूबाब िबन ज़ारह जो िक वह तब पै दा हुआ जब बाप बूढ़ा था। इसिलए

बुसरा शहर का था। याक़ूब ने उसके िलए एक ख़ास रं गदार िलबास


34 उस की मौत पर हुशाम जो ते मािनयाें के बनवाया। 4 जब उसके भाइयाें ने दे खा िक हमारा
मुल्क का था। बाप यूसुफ़ को हमसे ज़्यादा प्यार करता है तो
35 उस की मौत पर हदद िबन िबदद िजसने वह उससे नफ़रत करने लगे और अदब से उससे
मुल्के-मोआब में िमिदयािनयाें को िशकस्त दी। बात नहीं करते थे ।
वह अवीत का था। 5 एक रात यूसुफ़ ने ख़ाब दे खा। जब उसने
36 उस की मौत पर समला जो मसिरक़ा का अपने भाइयाें को ख़ाब सुनाया तो वह उससे

था। और भी नफ़रत करने लगे । 6 उसने कहा,


37 उस की मौत पर साऊल जो दिरयाए- “सुनो, मैं ने ख़ाब दे खा। 7 हम सब खे त में पूले

फ़ुरात पर रहोबोत शहर का था। बाँ ध रहे थे िक मे रा पूला खड़ा हो गया। आपके
38 उस की मौत पर बाल-हनान िबन अकबोर। पूले मे रे पूले के इदर्िगदर् जमा होकर उसके सामने

39 उस की मौत पर हदद जो फ़ाऊ शहर का झु क गए।” 8 उसके भाइयाें ने कहा, “अच्छा,

था (बीवी का नाम महे तबे ल िंबत मतिरद िंबत तू बादशाह बनकर हम पर हुकूमत करे गा?”
मे ज़ाहाब था)। उसके ख़ाबाें और उस की बाताें के सबब से
40-43 एसौ से अदोमी क़बीलाें के यह सरदार उनकी उससे नफ़रत मज़ीद बढ़ गई।

िनकले : ितमना, अलवह, यते त, उहलीबामा, 9 कुछ दे र के बाद यूसुफ़ ने एक और ख़ाब

ऐला, फ़ीनोन, क़नज़, ते मान, िमबसार, दे खा। उसने अपने भाइयाें से कहा, “मैं ने एक
मजिदये ल और इराम। अदोम के सरदाराें और ख़ाब दे खा है । उसमें सूरज, चाँ द और
की यह फ़हिरस्त उनकी मौरूसी ज़मीन की ग्यारह िसतारे मे रे सामने झु क गए।” 10 उसने
आबािदयाें और क़बीलाें के मुतािबक़ ही बयान यह ख़ाब अपने बाप को भी सुनाया तो उसने
की गई है । एसौ उनका बाप है । उसे डाँ टा। उसने कहा, “यह कैसा ख़ाब है जो
तूने दे खा! यह कैसी बात है िक मैं , ते री माँ
और ते रे भाई आकर ते रे सामने ज़मीन तक झु क
जाएँ ?” 11 नतीजे में उसके भाई उससे बहुत
47 पै दाइश 37:34
हसद करने लगे । ले िकन उसके बाप ने िदल में उसने यह इसिलए कहा िक वह उसे बचाकर
यह बात महफ़ूज़ रखी। बाप के पास वापस पहुँ चाना चाहता था।
23 ज्याें ही यूसुफ़ अपने भाइयाें के पास

यूसफ़ ु को बे चा जाता है पहुँ चा उन्हाें ने उसका रं गदार िलबास उतार-


12 एक िदन जब यूसुफ़ के भाई अपने बाप कर 24 यूसुफ़ को गढ़े में फेंक िदया। गढ़ा ख़ाली
के रे वड़ चराने के िलए िसकम तक पहुँ च गए था, उसमें पानी नहीं था। 25 िफर वह रोटी
थे 13 तो याक़ूब ने यूसुफ़ से कहा, “ते रे भाई खाने के िलए बै ठ गए। अचानक इसमाईिलयाें
िसकम में रे वड़ाें को चरा रहे हैं । आ, मैं तुझे का एक क़ािफ़ला नज़र आया। वह िजिलयाद
उनके पास भे ज दे ता हूँ ।” यूसुफ़ ने जवाब से िमसर जा रहे थे , और उनके ऊँट क़ीमती
िदया, “ठीक है ।” 14 याक़ूब ने कहा, “जाकर मसालाें यानी लादन, बलसान और मुर से लदे
मालूम कर िक ते रे भाई और उनके साथ के रे वड़ हुए थे । 26 तब यहूदाह ने अपने भाइयाें से कहा,
ख़ै िरयत से हैं िक नहीं। िफर वापस आकर मुझे “हमें क्या फ़ायदा है अगर अपने भाई को क़त्ल
बता दे ना।” चुनाँ चे उसके बाप ने उसे वादीए- करके उसके ख़ून को छु पा दें ? 27 आओ, हम
हबरून से भे ज िदया, और यूसुफ़ िसकम पहुँ च उसे इन इसमाईिलयाें के हाथ फ़रोख़्त कर दें ।
गया। िफर कोई ज़रूरत नहीं होगी िक हम उसे हाथ
15 वहाँ वह इधर-उधर िफरता रहा। आ- लगाएँ । आिख़र वह हमारा भाई है ।”
िख़रकार एक आदमी उससे िमला और पूछा, उसके भाई राज़ी हुए। 28 चुनाँ चे जब
“आप क्या ढूँ ड रहे हैं ?” 16 यूसुफ़ ने जवाब िमिदयानी तािजर वहाँ से गुज़रे तो भाइयाें ने
िदया, “मैं अपने भाइयाें को तलाश कर रहा हूँ । यूसुफ़ को खींचकर गढ़े से िनकाला और चाँ दी
मुझे बताएँ िक वह अपने जानवराें को कहाँ चरा के 20 िसक्काें के एवज़ बे च डाला। इसमाईली
रहे हैं ।” 17 आदमी ने कहा, “वह यहाँ से चले उसे ले कर िमसर चले गए।
गए हैं । मैं ने उन्हें यह कहते सुना िक आओ, हम 29 उस वक़्त रूिबन मौजूद नहीं था। जब वह

दूतै न जाएँ ।” यह सुनकर यूसुफ़ अपने भाइयाें गढ़े के पास वापस आया तो यूसुफ़ उसमें नहीं
के पीछे दूतै न चला गया। वहाँ उसे वह िमल गए। था। यह दे खकर उसने परे शानी में अपने कपड़े
18 जब यूसुफ़ अभी दूर से नज़र आया तो फाड़ डाले । 30 वह अपने भाइयाें के पास वापस
उसके भाइयाें ने उसके पहुँ चने से पहले उसे गया और कहा, “लड़का नहीं है । अब मैं िकस
क़त्ल करने का मनसूबा बनाया। 19 उन्हाें ने तरह अब्बू के पास जाऊँ?” 31 तब उन्हाें ने
कहा, “दे खो, ख़ाब दे खने वाला आ रहा है । बकरा ज़बह करके यूसुफ़ का िलबास उसके
20 आओ, हम उसे मार डालें और उस की लाश ख़ून में डु बोया, 32 िफर रं गदार िलबास इस ख़बर
िकसी गढ़े में फेंक दें । हम कहें गे िक िकसी के साथ अपने बाप को िभजवा िदया िक “हमें
वहशी जानवर ने उसे फाड़ खाया है । िफर पता यह िमला है । इसे ग़ौर से दे खें। यह आपके बे टे
चले गा िक उसके ख़ाबाें की क्या हक़ीक़त है ।” का िलबास तो नहीं?”
21 जब रूिबन ने उनकी बातें सुनीं तो उसने 33 याक़ूब ने उसे पहचान िलया और कहा,

यूसुफ़ को बचाने की कोिशश की। उसने कहा, “बे शक उसी का है । िकसी वहशी जानवर ने
“नहीं, हम उसे क़त्ल न करें । 22 उसका ख़ून उसे फाड़ खाया है । यक़ीनन यूसुफ़ को फाड़
न करना। बे शक उसे इस गढ़े में फेंक दें जो िदया गया है ।” 34 याक़ूब ने ग़म के मारे अपने
रे िगस्तान में है , ले िकन उसे हाथ न लगाएँ ।” कपड़े फाड़े और अपनी कमर से टाट ओढ़कर
बड़ी दे र तक अपने बे टे के िलए मातम करता
पै दाइश 37:35 48
रहा। 35 उसके तमाम बे टे-बे िटयाँ उसे तसल्ली कहा, “अपने बाप के घर वापस चली जाओ
दे ने आए, ले िकन उसने तसल्ली पाने से इनकार और उस वक़्त तक बे वा रहो जब तक मे रा बे टा
िकया और कहा, “मैं पाताल में उतरते हुए भी से ला बड़ा न हो जाए।” उसने यह इसिलए कहा
अपने बे टे के िलए मातम करूँगा।” इस हालत िक उसे डर था िक कहीं से ला भी अपने भाइयाें
में वह अपने बे टे के िलए रोता रहा। की तरह मर न जाए चुनाँ चे तमर अपने मै के
36 इतने में िमिदयानी िमसर पहुँ चकर यूसुफ़ चली गई।
को बे च चुके थे । िमसर के बादशाह िफ़रौन 12 काफ़ी िदनाें के बाद यहूदाह की बीवी जो

के एक आला अफ़सर फ़ूतीफ़ार ने उसे ख़रीद सुअ की बे टी थी मर गई। मातम का वक़्त गुज़र
िलया। फ़ूतीफ़ार बादशाह के मुहािफ़ज़ाें पर गया तो यहूदाह अपने अदुल्लामी दोस्त हीरा के
मुक़रर् र था। साथ ितमनत गया जहाँ यहूदाह की भे ड़ाें की
पशम कतरी जा रही थी। 13 तमर को बताया
यहूदाह और तमर गया, “आपका सुसर अपनी भे ड़ाें की पशम

38 उन िदनाें में यहूदाह अपने भाइयाें


को छोड़कर एक आदमी के पास
रहने लगा िजसका नाम हीरा था और जो
कतरने के िलए ितमनत जा रहा है ।” 14 यह
सुनकर तमर ने बे वा के कपड़े उतारकर आम
कपड़े पहन िलए। िफर वह अपना मुँह चादर
अदुल्लाम शहर से था। 2 वहाँ यहूदाह की से लपे टकर ऐनीम शहर के दरवाज़े पर बै ठ
मुलाक़ात एक कनानी औरत से हुई िजसके बाप गई जो ितमनत के रास्ते में था। तमर ने यह
का नाम सुअ था। उसने उससे शादी की। 3 बे टा हरकत इसिलए की िक यहूदाह का बे टा से ला
पै दा हुआ िजसका नाम यहूदाह ने एर रखा। अब बािलग़ हो चुका था तो भी उस की उसके
4 एक और बे टा पै दा हुआ िजसका नाम बीवी साथ शादी नहीं की गई थी।
ने ओनान रखा। 5 उसके तीसरा बे टा भी पै दा 15 जब यहूदाह वहाँ से गुज़रा तो उसने उसे

हुआ। उसने उसका नाम से ला रखा। यहूदाह दे खकर सोचा िक यह कसबी है , क्याें िक उसने
क़ज़ीब में था जब वह पै दा हुआ। अपना मुँह छु पाया हुआ था। 16 वह रास्ते से
6 यहूदाह ने अपने बड़े बे टे एर की शादी एक हटकर उसके पास गया और कहा, “ज़रा मुझे
लड़की से कराई िजसका नाम तमर था। 7 रब अपने हाँ आने दें ।” (उसने नहीं पहचाना िक
के नज़दीक एर शरीर था, इसिलए उसने उसे यह मे री बहू है )। तमर ने कहा, “आप मुझे
हलाक कर िदया। 8 इस पर यहूदाह ने एर के क्या दें गे ?” 17 उसने जवाब िदया, “मैं आपको
छोटे भाई ओनान से कहा, “अपने बड़े भाई की बकरी का बच्चा भे ज दूँ गा।” तमर ने कहा,
बे वा के पास जाओ और उससे शादी करो तािक “ठीक है , ले िकन उसे भे जने तक मुझे ज़मानत
तुम्हारे भाई की नसल क़ायम रहे ।” 9 ओनान दें ।” 18 उसने पूछा, “मैं आपको क्या दूँ ?”
ने ऐसा िकया, ले िकन वह जानता था िक जो तमर ने कहा, “अपनी मुहर और उसे गले
भी बच्चे पै दा हाें गे वह क़ानून के मुतािबक़ मे रे में लटकाने की डोरी। वह लाठी भी दें जो
बड़े भाई के हाें गे। इसिलए जब भी वह तमर आप पकड़े हुए हैं ।” चुनाँ चे यहूदाह उसे यह
से हमिबसतर होता तो नुतफ़ा को ज़मीन पर चीज़ें दे कर उसके साथ हमिबसतर हुआ। नतीजे
िगरा दे ता, क्याें िक वह नहीं चाहता था िक मे री में तमर उम्मीद से हुई। 19 िफर तमर उठकर
मािरफ़त मे रे भाई के बच्चे पै दा हाें । 10 यह बात अपने घर वापस चली गई। उसने अपनी चादर
रब को बुरी लगी, और उसने उसे भी सज़ाए- उतारकर दुबारा बे वा के कपड़े पहन िलए।
मौत दी। 11 तब यहूदाह ने अपनी बहू तमर से
49 पै दाइश 39:9
20 यहूदाह ने अपने दोस्त हीरा अदुल्लामी के यानी फूट रखा। 30 िफर उसका भाई पै दा हुआ
हाथ बकरी का बच्चा भे ज िदया तािक वह चीज़ें िजसके हाथ में सुख़र् धागा बँ धा हुआ था। उसका
वापस िमल जाएँ जो उसने ज़मानत के तौर पर नाम ज़ारह यानी चमक रखा गया।
दी थीं। ले िकन हीरा को पता न चला िक औरत
कहाँ है । 21 उसने ऐनीम के बािंशदाें से पूछा, यूसफ़ ु और फ़ू तीफ़ार की बीवी
“वह कसबी कहाँ है जो यहाँ सड़क पर बै ठी
थी?” उन्हाें ने जवाब िदया, “यहाँ ऐसी कोई
कसबी नहीं थी।”
39 इसमाईिलयाें ने यूसुफ़ को िमसर
ले जाकर बे च िदया था। िमसर के
बादशाह के एक आला अफ़सर बनाम फ़ूतीफ़ार
22 उसने यहूदाह के पास वापस जाकर कहा, ने उसे ख़रीद िलया। वह शाही मुहािफ़ज़ाें का
“वह मुझे नहीं िमली बिल्क वहाँ के रहने वालाें कप्तान था। 2 रब यूसुफ़ के साथ था। जो
ने कहा िक यहाँ कोई ऐसी कसबी थी नहीं।” भी काम वह करता उसमें कामयाब रहता।
23 यहूदाह ने कहा, “िफर वह ज़मानत की चीज़ें वह अपने िमसरी मािलक के घर में रहता था
अपने पास ही रखे । उसे छोड़ दो वरना लोग 3 िजसने दे खा िक रब यूसुफ़ के साथ है और उसे

हमारा मज़ाक़ उड़ाएँ गे। हमने तो पूरी कोिशश हर काम में कामयाबी दे ता है । 4 चुनाँ चे यूसुफ़
की िक उसे बकरी का बच्चा िमल जाए, ले िकन को मािलक की ख़ास मे हरबानी हािसल हुई,
खोज लगाने के बावुजूद आपको पता न चला और फ़ूतीफ़ार ने उसे अपना ज़ाती नौकर बना
िक वह कहाँ है ।” िलया। उसने उसे अपने घराने के इं तज़ाम पर
24 तीन माह के बाद यहूदाह को इत्तला दी गई, मुक़रर् र िकया और अपनी पूरी िमलिकयत उसके
“आपकी बहू तमर ने िज़ना िकया है , और अब सुपुदर् कर दी। 5 िजस वक़्त से फ़ूतीफ़ार ने अपने
वह हािमला है ।” यहूदाह ने हुक्म िदया, “उसे घराने का इं तज़ाम और पूरी िमलिकयत यूसुफ़
बाहर लाकर जला दो।” 25 तमर को जलाने के के सुपुदर् की उस वक़्त से रब ने फ़ूतीफ़ार को
िलए बाहर लाया गया तो उसने अपने सुसर को यूसुफ़ के सबब से बरकत दी। उस की बरकत
ख़बर भे ज दी, “यह चीज़ें दे खें। यह उस आदमी फ़ूतीफ़ार की हर चीज़ पर थी, ख़ाह घर में
की हैं िजसकी मािरफ़त मैं उम्मीद से हूँ । पता थी या खे त में । 6 फ़ूतीफ़ार ने अपनी हर चीज़
करें िक यह मुहर, उस की डोरी और यह लाठी यूसुफ़ के हाथ में छोड़ दी। और चूँिक यूसुफ़ सब
िकसकी हैं ।” 26 यहूदाह ने उन्हें पहचान िलया। कुछ अच्छी तरह चलाता था इसिलए फ़ूतीफ़ार
उसने कहा, “मैं नहीं बिल्क यह औरत हक़ पर को खाना खाने के िसवा िकसी भी मामले की
है , क्याें िक मैं ने उस की अपने बे टे से ला से शादी िफ़कर नहीं थी।
नहीं कराई।” ले िकन बाद में यहूदाह कभी भी यूसुफ़ िनहायत ख़ूबसूरत आदमी था। 7 कुछ
तमर से हमिबसतर न हुआ। दे र के बाद उसके मािलक की बीवी की आँख
27 जब जन्म दे ने का वक़्त आया तो मालूम उस पर लगी। उसने उससे कहा, “मे रे साथ
हुआ िक जुड़वाँ बच्चे हैं । 28 एक बच्चे का हाथ हमिबसतर हो!” 8 यूसुफ़ इनकार करके कहने
िनकला तो दाई ने उसे पकड़कर उसमें सुख़र् लगा, “मे रे मािलक को मे रे सबब से िकसी
धागा बाँ ध िदया और कहा, “यह पहले पै दा मामले की िफ़कर नहीं है । उन्हाें ने सब कुछ
हुआ।” 29 ले िकन उसने अपना हाथ वापस मे रे सुपुदर् कर िदया है । 9 घर के इं तज़ाम पर
खींच िलया, और उसका भाई पहले पै दा हुआ। उनका इिख़्तयार मे रे इिख़्तयार से ज़्यादा नहीं
यह दे खकर दाई बोल उठी, “तू िकस तरह है । आपके िसवा उन्हाें ने कोई भी चीज़ मुझसे
फूट िनकला है !” उसने उसका नाम फ़ारस बाज़ नहीं रखी। तो िफर मैं िकस तरह इतना
पै दाइश 39:10 50
ग़लत काम करूँ? मैं िकस तरह अल्लाह का िकसी भी मामले की िजसे उसने यूसुफ़ के सुपुदर्
गुनाह करूँ?” िकया था िफ़कर न रही, क्याें िक रब यूसुफ़ के
10 मािलक की बीवी रोज़ बरोज़ यूसुफ़ के साथ था और उसे हर काम में कामयाबी बख़्शी।
पीछे पड़ी रही िक मे रे साथ हमिबसतर हो।
ले िकन वह हमे शा इनकार करता रहा। क़ैिदयाें के ख़ाब

40 कुछ दे र के बाद याें हुआ िक िमसर


11 एक िदन वह काम करने के िलए घर

में गया। घर में और कोई नौकर नहीं था। के बादशाह के सरदार साक़ी और
12 फ़ूतीफ़ार की बीवी ने यूसुफ़ का िलबास बे करी के इं चाजर् ने अपने मािलक का गुनाह
पकड़कर कहा, “मे रे साथ हमिबसतर हो!” िकया। 2 िफ़रौन को दोनाें अफ़सराें पर ग़ुस्सा
यूसुफ़ भागकर बाहर चला गया ले िकन उसका आ गया। 3 उसने उन्हें उस क़ैदख़ाने में डाल िदया
िलबास पीछे औरत के हाथ में ही रह गया। जो शाही मुहािफ़ज़ाें के कप्तान के सुपुदर् था और
13 जब मािलक की बीवी ने दे खा िक वह अपना िजसमें यूसुफ़ था। 4 मुहािफ़ज़ाें के कप्तान ने
िलबास छोड़कर भाग गया है 14 तो उसने घर उन्हें यूसुफ़ के हवाले िकया तािक वह उनकी
के नौकराें को बुलाकर कहा, “यह दे खो! मे रे िख़दमत करे । वहाँ वह काफ़ी दे र तक रहे ।
मािलक इस इबरानी को हमारे पास ले आए हैं 5 एक रात बादशाह के सरदार साक़ी और

तािक वह हमें ज़लील करे । वह मे री इसमतदरी बे करी के इं चाजर् ने ख़ाब दे खा। दोनाें का ख़ाब
करने के िलए मे रे कमरे में आ गया, ले िकन मैं फ़रक़ फ़रक़ था, और उनका मतलब भी फ़रक़
ऊँची आवाज़ से चीख़ने लगी। 15 जब मैं मदद फ़रक़ था। 6 जब यूसुफ़ सुबह के वक़्त उनके
के िलए ऊँची आवाज़ से चीख़ने लगी तो वह पास आया तो वह दबे हुए नज़र आए। 7 उसने
अपना िलबास छोड़कर भाग गया।” 16 उसने उनसे पूछा, “आज आप क्याें इतने परे शान
मािलक के आने तक यूसुफ़ का िलबास अपने हैं ?” 8 उन्हाें ने जवाब िदया, “हम दोनाें ने ख़ाब
पास रखा। 17 जब वह घर वापस आया तो उसने दे खा है , और कोई नहीं जो हमें उनका मतलब
उसे यही कहानी सुनाई, “यह इबरानी ग़ुलाम बताए।” यूसुफ़ ने कहा, “ख़ाबाें की ताबीर तो
जो आप ले आए हैं मे री तज़लील के िलए मे रे अल्लाह का काम है । ज़रा मुझे अपने ख़ाब तो
पास आया। 18 ले िकन जब मैं मदद के िलए सुनाएँ ।”
चीख़ने लगी तो वह अपना िलबास छोड़कर भाग 9 सरदार साक़ी ने शुरू िकया, “मैं ने ख़ाब में

गया।” अपने सामने अं गूर की बे ल दे खी। 10 उस की


तीन शाख़ें थीं। उसके पत्ते लगे , काें पलें फूट
ु क़ैदख़ाने में
यूसफ़ िनकलीं और अं गूर पक गए। 11 मे रे हाथ में
19 यह सुनकर फ़ूतीफ़ार बड़े ग़ुस्से में आ बादशाह का प्याला था, और मैं ने अं गूराें को
गया। उसने यूसुफ़ को िगिरफ़्तार करके उस
20 तोड़कर याें भींच िदया िक उनका रस बादशाह
जे ल में डाल िदया जहाँ बादशाह के क़ैदी रखे के प्याले में आ गया। िफर मैं ने प्याला बादशाह
जाते थे । वहीं वह रहा। 21 ले िकन रब यूसुफ़ के को पे श िकया।”
साथ था। उसने उस पर मे हरबानी की और उसे 12 यूसुफ़ ने कहा, “तीन शाख़ाें से मुराद तीन

क़ैदख़ाने के दारोग़े की नज़र में मक़बूल िकया। िदन हैं । 13 तीन िदन के बाद िफ़रौन आपको
22 यूसुफ़ यहाँ तक मक़बूल हुआ िक दारोग़े ने बहाल कर ले गा। आपको पहली िज़म्मे दारी
तमाम क़ैिदयाें को उसके सुपुदर् करके उसे पूरा वापस िमल जाएगी। आप पहले की तरह
इं तज़ाम चलाने की िज़म्मे दारी दी। 23 दारोग़े को सरदार साक़ी की है िसयत से बादशाह का
51 पै दाइश 41:14
प्याला सँ भालें गे। 14 ले िकन जब आप बहालबाद सात और गाएँ िनकल आइर्ं । ले िकन वह
हो जाएँ तो मे रा ख़याल करें । मे हरबानी करके
बदसूरत और दुबली-पतली थीं। वह दिरया के
बादशाह के सामने मे रा िज़क्र करें तािक मैं यहाँ
िकनारे दूसरी गायाें के पास खड़ी होकर 4 पहली
से िरहा हो जाऊँ। 15 क्याें िक मुझे इबरािनयाें के
सात ख़ूबसूरत और मोटी मोटी गायाें को खा
मुल्क से इग़वा करके यहाँ लाया गया है , औरगइर्ं । इसके बाद िमसर का बादशाह जाग उठा।
यहाँ भी मुझसे कोई ऐसी ग़लती नहीं हुई िक 5 िफर वह दुबारा सो गया। इस दफ़ा उसने एक

मुझे इस गढ़े में फेंका जाता।” और ख़ाब दे खा। अनाज के एक पौदे पर सात
16 जब शाही बे करी के इं चाजर् ने दे खा िक
मोटी मोटी और अच्छी अच्छी बालें लगी थीं।
सरदार साक़ी के ख़ाब का अच्छा मतलब 6 िफर सात और बालें फूट िनकलीं जो दुबली-

िनकला तो उसने यूसुफ़ से कहा, “मे रा ख़ाब पतली और मशिरक़ी हवा से झु लसी हुई थीं।
भी सुनें। मैं ने सर पर तीन टोकिरयाँ उठा रखी
7 अनाज की सात दुबली-पतली बालाें ने सात

थीं जो बे करी की चीज़ाें से भरी हुई थीं। 17 सबसे


मोटी और ख़ूबसूरत बालाें को िनगल िलया।
ऊपरवाली टोकरी में वह तमाम चीज़ें थीं जो िफर िफ़रौन जाग उठा तो मालूम हुआ िक मैं ने
बादशाह की मे ज़ के िलए बनाई जाती हैं । ख़ाब ही दे खा है ।
ले िकन पिंरदे आकर उन्हें खा रहे थे ।” 8 सुबह हुई तो वह परे शान था, इसिलए उसने

18 यूसुफ़ ने कहा, “तीन टोकिरयाें से मुराद


िमसर के तमाम जादूगराें और आिलमाें को
तीन िदन हैं । 19 तीन िदन के बाद ही िफ़रौनबुलाया। उसने उन्हें अपने ख़ाब सुनाए, ले िकन
आपको क़ैदख़ाने से िनकालकर दरख़्त से कोई भी उनकी ताबीर न कर सका।
लटका दे गा। पिंरदे आपकी लाश को खा 9 िफर सरदार साक़ी ने िफ़रौन से कहा,

जाएं गे।” “आज मुझे अपनी ख़ताएँ याद आती हैं । 10 एक


20 तीन िदन के बाद बादशाह की साल- िदन िफ़रौन अपने ख़ािदमाें से नाराज़ हुए। हुज़ूर
िगरह थी। उसने अपने तमाम अफ़सराें की ने मुझे और बे करी के इं चाजर् को क़ैदख़ाने
िज़याफ़त की। इस मौक़े पर उसने सरदार में डलवा िदया िजस पर शाही मुहािफ़ज़ाें का
साक़ी और बे करी के इं चाजर् को जे ल से कप्तान मुक़रर् र था। 11 एक ही रात में हम दोनाें
िनकालकर अपने हुज़ूर लाने का हुक्म िदया। ने मुख़्तिलफ़ ख़ाब दे खे िजनका मतलब फ़रक़
21 सरदार साक़ी को पहले वाली िज़म्मे दारी साैं प
फ़रक़ था। 12 वहाँ जे ल में एक इबरानी नौजवान
दी गई, 22 ले िकन बे करी के इं चाजर् को सज़ाए-
था। वह मुहािफ़ज़ाें के कप्तान का ग़ुलाम था।
मौत दे कर दरख़्त से लटका िदया गया। सब कुछहमने उसे अपने ख़ाब सुनाए तो उसने हमें उनका
वै सा ही हुआ जै सा यूसुफ़ ने कहा था। मतलब बता िदया। 13 और जो कुछ भी उसने
23 ले िकन सरदार साक़ी ने यूसुफ़ का ख़याल
बताया सब कुछ वै सा ही हुआ। मुझे अपनी
न िकया बिल्क उसे भूल ही गया। िज़म्मे दारी वापस िमल गई जबिक बे करी के
इं चाजर् को सज़ाए-मौत दे कर दरख़्त से लटका
बादशाह के ख़ाब िदया गया।”

41 दो साल गुज़र गए िक एक 14 यह सुनकर िफ़रौन ने यूसुफ़ को बुलाया,

रात बादशाह ने ख़ाब दे खा। वह और उसे जल्दी से क़ैदख़ाने से लाया गया।


दिरयाए-नील के िकनारे खड़ा था। 2 अचानक उसने शे व करवाकर अपने कपड़े बदले और
दिरया में से सात ख़ूबसूरत और मोटी गाएँ सीधे बादशाह के हुज़ूर पहुँ चा।
िनकलकर सरकंडाें में चरने लगीं। 3 उनके
पै दाइश 41:15 52
15 बादशाह ने कहा, “मैं ने ख़ाब दे खा है , और िक अल्लाह ने हुज़ूर पर ज़ािहर िकया है िक वह
यहाँ कोई नहीं जो उस की ताबीर कर सके। क्या करे गा। 29 सात साल आएँ गे िजनके दौरान
ले िकन सुना है िक तू ख़ाब को सुनकर उसका िमसर के पूरे मुल्क में कसरत से पै दावार होगी।
मतलब बता सकता है ।” 16 यूसुफ़ ने जवाब 30 उसके बाद सात साल काल पड़े गा। काल

िदया, “यह मे रे इिख़्तयार में नहीं है । ले िकन इतना शदीद होगा िक लोग भूल जाएं गे िक
अल्लाह ही बादशाह को सलामती का पै ग़ाम पहले इतनी कसरत थी। क्याें िक काल मुल्क
दे गा।” को तबाह कर दे गा। 31 काल की िशद्दत के
17 िफ़रौन ने यूसुफ़ को अपने ख़ाब सुनाए, बाइस अच्छे सालाें की कसरत याद ही नहीं
“मैं ख़ाब में दिरयाए-नील के िकनारे खड़ा रहे गी। 32 हुज़ूर को इसिलए एक ही पै ग़ाम दो
था। 18 अचानक दिरया में से सात मोटी मोटी मुख़्तिलफ़ ख़ाबाें की सूरत में िमला िक अल्लाह
और ख़ूबसूरत गाएँ िनकलकर सरकंडाें में चरने इसका पक्का इरादा रखता है , और वह जल्द
लगीं। 19 इसके बाद सात और गाएँ िनकलीं। ही इस पर अमल करे गा। 33 अब बादशाह िकसी
वह िनहायत बदसूरत और दुबली-पतली थीं। समझदार और दािनशमं द आदमी को मुल्के-
मैं ने इतनी बदसूरत गाएँ िमसर में कहीं भी नहीं िमसर का इं तज़ाम साैं पें। 34 इसके अलावा वह
दे खीं। 20 दुबली और बदसूरत गाएँ पहली मोटी ऐसे आदमी मुक़रर् र करें जो सात अच्छे सालाें
गायाें को खा गइर्ं । 21 और िनगलने के बाद भी के दौरान हर फ़सल का पाँ चवाँ िहस्सा लें ।
मालूम नहीं होता था िक उन्हाें ने मोटी गायाें को 35 वह उन अच्छे सालाें के दौरान ख़ुराक जमा

खाया है । वह पहले की तरह बदसूरत ही थीं। करें । बादशाह उन्हें इिख़्तयार दें िक वह शहराें
इसके बाद मैं जाग उठा। 22 िफर मैं ने एक और में गोदाम बनाकर अनाज को महफ़ूज़ कर लें ।
ख़ाब दे खा। सात मोटी और अच्छी बालें एक ही 36 यह ख़ुराक काल के उन सात सालाें के िलए

पौदे पर लगी थीं। 23 इसके बाद सात और बालें मख़सूस की जाए जो िमसर में आने वाले हैं । याें
िनकलीं जो ख़राब, दुबली-पतली और मशिरक़ी मुल्क तबाह नहीं होगा।”
हवा से झु लसी हुई थीं। 24 सात दुबली-पतली
बालें सात अच्छी बालाें को िनगल गइर्ं । मैं ने यह यूसफ़ु को िमसर पर हािकम
सब कुछ अपने जादूगराें को बताया, ले िकन वह मुक़रर् र िकया जाता है
इसकी ताबीर न कर सके।” 37 यह मनसूबा बादशाह और उसके अफ़-

25 यूसुफ़ ने बादशाह से कहा, “दोनाें ख़ाबाें सरान को अच्छा लगा। 38 उसने उनसे कहा,
का एक ही मतलब है । इनसे अल्लाह ने हुज़ूर “हमें इस काम के िलए यूसुफ़ से ज़्यादा लायक़
पर ज़ािहर िकया है िक वह क्या कुछ करने को आदमी नहीं िमले गा। उसमें अल्लाह की रूह
है । 26 सात अच्छी गायाें से मुराद सात साल है ।” 39 बादशाह ने यूसुफ़ से कहा, “अल्लाह
हैं । इसी तरह सात अच्छी बालाें से मुराद भी ने यह सब कुछ तुझ पर ज़ािहर िकया है ,
सात साल हैं । दोनाें ख़ाब एक ही बात बयान इसिलए कोई भी तुझसे ज़्यादा समझदार और
करते हैं । 27 जो सात दुबली और बदसूरत गाएँ दािनशमं द नहीं है । 40 मैं तुझे अपने महल पर
बाद में िनकलें उनसे मुराद सात और साल हैं । मुक़रर् र करता हूँ । मे री तमाम िरआया ते रे ताबे
यही सात दुबली-पतली और मशिरक़ी हवा से रहे गी। ते रा इिख़्तयार िसफ़र् मे रे इिख़्तयार से
झु लसी हुई बालाें का मतलब भी है । वह एक ही कम होगा। 41 अब मैं तुझे पूरे मुल्के-िमसर पर
बात बयान करती हैं िक सात साल तक काल हािकम मुक़रर् र करता हूँ ।”
पड़े गा। 28 यह वही बात है जो मैं ने हुज़ूर से कही
53 पै दाइश 42:8
42 बादशाह ने अपनी उँ गली से वह अं गूठी ममािलक में भी काल पड़ गया, ले िकन िमसर
उतारी िजससे मुहर लगाता था और उसे यूसुफ़ में वािफ़र ख़ुराक पाई जाती थी। 55 जब काल ने
की उँ गली में पहना िदया। उसने उसे कतान का तमाम िमसर में ज़ोर पकड़ा तो लोग चीख़कर
बारीक िलबास पहनाया और उसके गले में सोने खाने के िलए बादशाह से िमन्नत करने लगे ।
का गुलूबंद पहना िदया। 43 िफर उसने उसे अपने तब िफ़रौन ने उनसे कहा, “यूसुफ़ के पास
दूसरे रथ में सवार िकया और लोग उसके आगे जाओ। जो कुछ वह तुम्हें बताएगा वही करो।”
आगे पुकारते रहे , “घुटने टे को! घुटने टे को!” 56 जब काल पूरी दुिनया में फैल गया तो यूसुफ़

याें यूसुफ़ पूरे िमसर का हािकम बना। ने अनाज के गोदाम खोलकर िमसिरयाें को
44 िफ़रौन ने उससे कहा, “मैं तो बादशाह हूँ , अनाज बे च िदया। क्याें िक काल के बाइस मुल्क
ले िकन ते री इजाज़त के बग़ै र पूरे मुल्क में के हालात बहुत ख़राब हो गए थे । 57 तमाम
कोई भी अपना हाथ या पाँ व नहीं िहलाएगा।” ममािलक से भी लोग अनाज ख़रीदने के िलए
45-46 उसने यूसुफ़ का िमसरी नाम साफ़नत- यूसुफ़ के पास आए, क्याें िक पूरी दुिनया सख़्त
फ़ाने ह रखा और ओन के पुजारी फ़ोतीिफ़रा की काल की िगिरफ़्त में थी।
बे टी आसनत के साथ उस की शादी कराई।
यूसुफ़ 30 साल का था जब वह िमसर के यूसफ़ ु के भाई िमसर में
बादशाह िफ़रौन की िख़दमत करने लगा। उसने
िफ़रौन के हुज़ूर से िनकलकर िमसर का दौरा
िकया।
42 जब याक़ूब को मालूम हुआ िक
िमसर में अनाज है तो उसने अपने
बे टाें से कहा, “तुम क्याें एक दूसरे का मुँह तकते
47 सात अच्छे सालाें के दौरान मुल्क में हो? 2 सुना है िक िमसर में अनाज है । वहाँ
िनहायत अच्छी फ़सलें उगीं। 48 यूसुफ़ ने तमाम जाकर हमारे िलए कुछ ख़रीद लाओ तािक हम
ख़ुराक जमा करके शहराें में महफ़ूज़ कर भूके न मरें ।”
ली। हर शहर में उसने इदर्िगदर् के खे ताें की 3 तब यूसुफ़ के दस भाई अनाज ख़रीदने के

पै दावार महफ़ूज़ रखी। 49 जमाशुदा अनाज िलए िमसर गए। 4 ले िकन याक़ूब ने यूसुफ़ के
समुंदर की रे त की मािंनद बकसरत था। सगे भाई िबनयमीन को साथ न भे जा, क्याें िक
इतना अनाज था िक यूसुफ़ ने आिख़र- उसने कहा, “ऐसा न हो िक उसे जानी नुक़सान
कार उस की पै माइश करना छोड़ िदया। पहुँ चे।” 5 याें याक़ूब के बे टे बहुत सारे और लोगाें
50 काल से पहले यूसुफ़ और आसनत के दो के साथ िमसर गए, क्याें िक मुल्के-कनान भी
बे टे पै दा हुए। 51 उसने पहले का नाम मनस्सी काल की िगिरफ़्त में था।
यानी ‘जो भुला दे ता है ’ रखा। क्याें िक उसने 6 यूसुफ़ िमसर के हािकम की है िसयत से

कहा, “अल्लाह ने मे री मुसीबत और मे रे बाप लोगाें को अनाज बे चता था, इसिलए उसके
का घराना मे री याददाश्त से िनकाल िदया है ।” भाई आकर उसके सामने मुँह के बल झु क गए।
52 दूसरे का नाम उसने इफ़राईम यानी ‘दुगना 7 जब यूसुफ़ ने अपने भाइयाें को दे खा तो उसने

फलदार’ रखा। क्याें िक उसने कहा, “अल्लाह उन्हें पहचान िलया ले िकन ऐसा िकया जै सा
ने मुझे मे री मुसीबत के मुल्क में फलने -फूलने उनसे नावािक़फ़ हो और सख़्ती से उनसे बात
िदया है ।” की, “तुम कहाँ से आए हो?” उन्हाें ने जवाब
53 सात अच्छे साल िजनमें कसरत की फ़सलें िदया, “हम मुल्के-कनान से अनाज ख़रीदने के
उगीं गुज़र गए। 54 िफर काल के सात साल शुरू िलए आए हैं ।” 8 गो यूसुफ़ ने अपने भाइयाें को
हुए िजस तरह यूसुफ़ ने कहा था। तमाम दीगर पहचान िलया, ले िकन उन्हाें ने उसे न पहचाना।
पै दाइश 42:9 54
9 उसे वह ख़ाब याद आए जो उसने उनके बारे ज़ुल्म की सज़ा है । जब वह इिल्तजा कर रहा
में दे खे थे । उसने कहा, “तुम जासूस हो। तुम था िक मुझ पर रहम करें तो हमने उस की बड़ी
यह दे खने आए हो िक हमारा मुल्क िकन िकन मुसीबत दे खकर भी उस की न सुनी। इसिलए
जगहाें पर ग़ै रमहफ़ूज़ है ।” यह मुसीबत हम पर आ गई है ।” 22 और रूिबन
10 उन्हाें ने कहा, “जनाब, हरिगज़ नहीं। ने कहा, “क्या मैं ने नहीं कहा था िक लड़के पर
आपके ग़ुलाम ग़ल्ला ख़रीदने आए हैं । 11 हम ज़ुल्म मत करो, ले िकन तुमने मे री एक न मानी।
सब एक ही मदर् के बे टे हैं । आपके ख़ािदम शरीफ़ अब उस की मौत का िहसाब-िकताब िकया जा
लोग हैं , जासूस नहीं हैं ।” 12 ले िकन यूसुफ़ ने रहा है ।”
इसरार िकया, “नहीं, तुम दे खने आए हो िक 23 उन्हें मालूम नहीं था िक यूसुफ़ हमारी बातें

हमारा मुल्क िकन िकन जगहाें पर ग़ै रमहफ़ूज़ समझ सकता है , क्याें िक वह मुतरिजम की
है ।” मािरफ़त उनसे बात करता था। 24 यह बातें
13 उन्हाें ने अज़र् की, “आपके ख़ािदम कुल सुनकर वह उन्हें छोड़कर रोने लगा। िफर वह
बारह भाई हैं । हम एक ही आदमी के बे टे हैं जो सँ भलकर वापस आया। उसने शमाऊन को
कनान में रहता है । सबसे छोटा भाई इस वक़्त चुनकर उसे उनके सामने ही बाँ ध िलया।
हमारे बाप के पास है जबिक एक मर गया है ।”
14 ले िकन यूसुफ़ ने अपना इलज़ाम दोहराया, यूसफ़ु के भाई कनान वापस जाते हैं
“ऐसा ही है जै सा मैं ने कहा है िक तुम जासूस 25 यूसुफ़ ने हुक्म िदया िक मुलािज़म उनकी
हो। 15 मैं तुम्हारी बातें जाँ च लूँगा। िफ़रौन की बोिरयाँ अनाज से भरकर हर एक भाई के पै से
हयात की क़सम, पहले तुम्हारा सबसे छोटा उस की बोरी में वापस रख दें और उन्हें सफ़र
भाई आए, वरना तुम इस जगह से कभी नहीं जा के िलए खाना भी दें । उन्हाें ने ऐसा ही िकया।
सकोगे । 16 एक भाई को उसे लाने के िलए भे ज 26 िफर यूसुफ़ के भाई अपने गधाें पर अनाज

दो। बाक़ी सब यहाँ िगिरफ़्तार रहें गे। िफर पता लादकर रवाना हो गए।
चले गा िक तुम्हारी बातें सच हैं िक नहीं। अगर 27 जब वह रात के िलए िकसी जगह पर

नहीं तो िफ़रौन की हयात की क़सम, इसका ठहरे तो एक भाई ने अपने गधे के िलए चारा
मतलब यह होगा िक तुम जासूस हो।” िनकालने की ग़रज़ से अपनी बोरी खोली तो
17 यह कहकर यूसुफ़ ने उन्हें तीन िदन के िलए दे खा िक बोरी के मुँह में उसके पै से पड़े हैं ।
क़ैदख़ाने में डाल िदया। 18 तीसरे िदन उसने 28 उसने अपने भाइयाें से कहा, “मे रे पै से वापस

उनसे कहा, “मैं अल्लाह का ख़ौफ़ मानता हूँ , कर िदए गए हैं ! वह मे री बोरी में हैं ।” यह
इसिलए तुमको एक शतर् पर जीता छोड़ूँगा। दे खकर उनके होश उड़ गए। काँ पते हुए वह एक
19 अगर तुम वाक़ई शरीफ़ लोग हो तो ऐसा करो दूसरे को दे खने और कहने लगे , “यह क्या है जो
िक तुममें से एक यहाँ क़ैदख़ाने में रहे जबिक अल्लाह ने हमारे साथ िकया है ?”
बाक़ी सब अनाज ले कर अपने भूके घरवालाें के 29 मुल्के-कनान में अपने बाप के पास

पास वापस जाएँ । 20 ले िकन लािज़म है िक तुम पहुँ चकर उन्हाें ने उसे सब कुछ सुनाया जो उनके
अपने सबसे छोटे भाई को मे रे पास ले आओ। साथ हुआ था। उन्हाें ने कहा, 30 “उस मुल्क के
िसफ़र् इससे तुम्हारी बातें सच सािबत हाें गी और मािलक ने बड़ी सख़्ती से हमारे साथ बात की।
तुम मौत से बच जाओगे ।” उसने हमें जासूस क़रार िदया। 31 ले िकन हमने
यूसुफ़ के भाई राज़ी हो गए। 21 वह आपस उससे कहा, ‘हम जासूस नहीं बिल्क शरीफ़
में कहने लगे , “बे शक यह हमारे अपने भाई पर लोग हैं । 32 हम बारह भाई हैं , एक ही बाप के
55 पै दाइश 43:15
बे टे। एक तो मर गया जबिक सबसे छोटा भाई िलए ग़ल्ला ख़रीदें गे 5 वरना नहीं। क्याें िक उस
इस वक़्त कनान में बाप के पास है ।’ 33 िफर आदमी ने कहा था िक हम िसफ़र् इस सूरत में
उस मुल्क के मािलक ने हमसे कहा, ‘इससे मुझे उसके पास आ सकते हैं िक हमारा भाई साथ
पता चले गा िक तुम शरीफ़ लोग हो िक एक भाई हो।” 6 याक़ूब ने कहा, “तुमने उसे क्याें बताया
को मे रे पास छोड़ दो और अपने भूके घरवालाें के िक हमारा एक और भाई भी है ? इससे तुमने
िलए ख़ुराक ले कर चले जाओ। 34 ले िकन अपने मुझे बड़ी मुसीबत में डाल िदया है ।” 7 उन्हाें ने
सबसे छोटे भाई को मे रे पास ले आओ तािक जवाब िदया, “वह आदमी हमारे और हमारे
मुझे मालूम हो जाए िक तुम जासूस नहीं बिल्क ख़ानदान के बारे में पूछता रहा, ‘क्या तुम्हारा
शरीफ़ लोग हो। िफर मैं तुमको तुम्हारा भाई बाप अब तक िंज़दा है ? क्या तुम्हारा कोई और
वापस कर दूँ गा और तुम इस मुल्क में आज़ादी भाई है ?’ िफर हमें जवाब दे ना पड़ा। हमें क्या
से ितजारत कर सकोगे ’।” पता था िक वह हमें अपने भाई को साथ लाने
35 उन्हाें ने अपनी बोिरयाें से अनाज िनकाल को कहे गा।” 8 िफर यहूदाह ने बाप से कहा,
िदया तो दे खा िक हर एक की बोरी में उसके “लड़के को मे रे साथ भे ज दें तो हम अभी रवाना
पै साें की थै ली रखी हुई है । यह पै से दे खकर वह हो जाएं गे। वरना आप, हमारे बच्चे बिल्क हम
ख़ुद और उनका बाप डर गए। 36 उनके बाप ने सब भूकाें मर जाएं गे। 9 मैं ख़ुद उसका ज़ािमन
उनसे कहा, “तुमने मुझे मे रे बच्चाें से महरूम कर हूँ गा। आप मुझे उस की जान का िज़म्मे दार
िदया है । यूसुफ़ नहीं रहा, शमाऊन भी नहीं रहा ठहरा सकते हैं । अगर मैं उसे सलामती से
और अब तुम िबनयमीन को भी मुझसे छीनना वापस न पहुँ चाऊँ तो िफर मैं िंज़दगी के आिख़र
चाहते हो। सब कुछ मे रे िख़लाफ़ है ।” 37 िफर तक क़ुसूरवार ठहरूँगा। 10 िजतनी दे र तक हम
रूिबन बोल उठा, “अगर मैं उसे सलामती से िझजकते रहे हैं उतनी दे र में तो हम दो दफ़ा
आपके पास वापस न पहुँ चाऊँ तो आप मे रे दो िमसर जाकर वापस आ सकते थे ।”
बे टाें को सज़ाए-मौत दे सकते हैं । उसे मे रे सुपुदर् 11 तब उनके बाप इसराईल ने कहा, “अगर

करें तो मैं उसे वापस ले आऊँगा।” 38 ले िकन और कोई सूरत नहीं तो इस मुल्क की बे हतरीन
याक़ूब ने कहा, “मे रा बे टा तुम्हारे साथ जाने पै दावार में से कुछ तोह्फ़े के तौर पर ले कर उस
का नहीं। क्याें िक उसका भाई मर गया है और आदमी को दे दो यानी कुछ बलसान, शहद,
वह अकेला ही रह गया है । अगर उसको रास्ते लादन, मुर, िपस्ता और बादाम। 12 अपने साथ
में जानी नुक़सान पहुँ चे तो तुम मुझ बूढ़े को ग़म दुगनी रक़म ले कर जाओ, क्याें िक तुम्हें वह पै से
के मारे पाताल में पहुँ चाओगे ।” वापस करने हैं जो तुम्हारी बोिरयाें में रखे गए
थे । शायद िकसी से ग़लती हुई हो। 13 अपने
िबनयमीन के हमराह दूसरा सफ़र भाई को ले कर सीधे वापस पहुँ चना। 14 अल्लाह

43 काल ने ज़ोर पकड़ा। 2 जब िमसर


से लाया गया अनाज ख़त्म हो गया
तो याक़ूब ने कहा, “अब वापस जाकर हमारे
क़ािदरे -मुतलक़ करे िक यह आदमी तुम पर
रहम करके िबनयमीन और तुम्हारे दूसरे भाई को
वापस भे जे। जहाँ तक मे रा ताल्लुक़ है , अगर
िलए कुछ और ग़ल्ला ख़रीद लाओ।” 3 ले िकन मुझे अपने बच्चाें से महरूम होना है तो ऐसा ही
यहूदाह ने कहा, “उस मदर् ने सख़्ती से कहा था, हो।”
‘तुम िसफ़र् इस सूरत में मे रे पास आ सकते हो 15 चुनाँ चे वह तोह्फ़े, दुगनी रक़म और

िक तुम्हारा भाई साथ हो।’ 4 अगर आप हमारे िबनयमीन को साथ ले कर चल पड़े । िमसर
भाई को साथ भे जें तो िफर हम जाकर आपके पहुँ चकर वह यूसुफ़ के सामने हािज़र हुए।
पै दाइश 43:16 56
16 जब यूसुफ़ ने िबनयमीन को उनके साथ दे खा तक िंज़दा हैं ?” 28 उन्हाें ने जवाब िदया, “जी,
तो उसने अपने घर पर मुक़रर् र मुलािज़म से आपके ख़ािदम हमारे बाप अब तक िंज़दा हैं ।”
कहा, “इन आदिमयाें को मे रे घर ले जाओ वह दुबारा मुँह के बल झु क गए।
तािक वह दोपहर का खाना मे रे साथ खाएँ । 29 जब यूसुफ़ ने अपने सगे भाई िबनयमीन

जानवर को ज़बह करके खाना तै यार करो।” को दे खा तो उसने कहा, “क्या यह तुम्हारा
17 मुलािज़म ने ऐसा ही िकया और भाइयाें सबसे छोटा भाई है िजसका तुमने िज़क्र िकया
को यूसुफ़ के घर ले गया। 18 जब उन्हें उसके था? बे टा, अल्लाह की नज़रे -करम तुम पर
घर पहुँ चाया जा रहा था तो वह डरकर सोचने हो।” 30 यूसुफ़ अपने भाई को दे खकर इतना
लगे , “हमें उन पै साें के सबब से यहाँ लाया जा मुतअिस्सर हुआ िक वह रोने को था, इसिलए
रहा है जो पहली दफ़ा हमारी बोिरयाें में वापस वह जल्दी से वहाँ से िनकलकर अपने सोने के
िकए गए थे । वह हम पर अचानक हमला करके कमरे में गया और रो पड़ा। 31 िफर वह अपना
हमारे गधे छीन लें गे और हमें ग़ुलाम बना लें गे।” मुँह धोकर वापस आया। अपने आप पर क़ाबू
19 इसिलए घर के दरवाज़े पर पहुँ चकर उन्हाें ने पाकर उसने हुक्म िदया िक नौकर खाना ले
घर पर मुक़रर् र मुलािज़म से कहा, 20 “जनाबे - आएँ ।
आली, हमारी बात सुन लीिजए। इससे पहले 32 नौकराें ने यूसुफ़ के िलए खाने का अलग

हम अनाज ख़रीदने के िलए यहाँ आए थे । इं तज़ाम िकया और भाइयाें के िलए अलग।


21 ले िकन जब हम यहाँ से रवाना होकर रास्ते िमसिरयाें के िलए भी खाने का अलग इं तज़ाम
में रात के िलए ठहरे तो हमने अपनी बोिरयाँ था, क्याें िक इबरािनयाें के साथ खाना खाना
खोलकर दे खा िक हर बोरी के मुँह में हमारे पै साें उनकी नज़र में क़ािबले -नफ़रत था। 33 भाइयाें
की पूरी रक़म पड़ी है । हम यह पै से वापस ले को उनकी उम्र की तरतीब के मुतािबक़ यूसुफ़
आए हैं । 22 नीज़, हम मज़ीद ख़ुराक ख़रीदने के के सामने िबठाया गया। यह दे खकर भाई
िलए और पै से ले आए हैं । ख़ुदा जाने िकसने िनहायत है रान हुए। 34 नौकराें ने उन्हें यूसुफ़
हमारे यह पै से हमारी बोिरयाें में रख िदए।” की मे ज़ पर से खाना ले कर िखलाया। ले िकन
23 मुलािज़म ने कहा, “िफ़कर न करें । मत िबनयमीन को दूसराें की िनसबत पाँ च गुना
डरें । आपके और आपके बाप के ख़ुदा ने आपके ज़्यादा िमला। याें उन्हाें ने यूसुफ़ के साथ जी
िलए आपकी बोिरयाें में यह ख़ज़ाना रखा होगा। भरकर खाया और िपया।
बहरहाल मुझे आपके पै से िमल गए हैं ।”
मुलािज़म शमाऊन को उनके पास बाहर ले गुमशुदा प्याला
आया। 24 िफर उसने भाइयाें को यूसुफ़ के घर में
ले जाकर उन्हें पाँ व धोने के िलए पानी और गधाें
को चारा िदया। 25 उन्हाें ने अपने तोह्फ़े तै यार
44 यूसुफ़ ने घर पर मुक़रर् र मुलािज़म
को हुक्म िदया, “उन मदार्ें की
बोिरयाँ ख़ुराक से इतनी भर दे ना िजतनी वह
रखे , क्याें िक उन्हें बताया गया, “यूसुफ़ दोपहर उठाकर ले जा सकें। हर एक के पै से उस की
का खाना आपके साथ ही खाएगा।” अपनी बोरी के मुँह में रख दे ना। 2 सबसे छोटे
26 जब यूसुफ़ घर पहुँ चा तो वह अपने तोह्फ़े भाई की बोरी में न िसफ़र् पै से बिल्क मे रे चाँ दी
ले कर उसके सामने आए और मुँह के बल के प्याले को भी रख दे ना।” मुलािज़म ने ऐसा
झु क गए। 27 उसने उनसे ख़ै िरयत दिरयाफ़्त ही िकया।
की और िफर कहा, “तुमने अपने बूढ़े बाप का 3 अगली सुबह जब पौ फटने लगी तो भाइयाें

िज़क्र िकया। क्या वह ठीक हैं ? क्या वह अब को उनके गधाें समे त रुख़सत कर िदया गया।
57 पै दाइश 44:27
4 वह अभी शहर से िनकलकर दूर नहीं गए थे 16 यहूदाह ने कहा, “जनाबे -आली, हम क्या
िक यूसुफ़ ने अपने घर पर मुक़रर् र मुलािज़म से कहें ? अब हम अपने िदफ़ा में क्या कहें ?
कहा, “जल्दी करो। उन आदिमयाें का ताक़्क़ुब अल्लाह ही ने हमें क़ुसूरवार ठहराया है । अब
करो। उनके पास पहुँ चकर यह पूछना, ‘आपने हम सब आपके ग़ुलाम हैं , न िसफ़र् वह िजसके
हमारी भलाई के जवाब में ग़लत काम क्याें पास से प्याला िमल गया।” 17 यूसुफ़ ने कहा,
िकया है ? 5 आपने मे रे मािलक का चाँ दी का “अल्लाह न करे िक मैं ऐसा करूँ, बिल्क िसफ़र्
प्याला क्याें चुराया है ? उससे वह न िसफ़र् पीते वही मे रा ग़ुलाम होगा िजसके पास प्याला था।
हैं बिल्क उसे ग़ै बदानी के िलए भी इस्ते माल बाक़ी सब सलामती से अपने बाप के पास
करते हैं । आप एक िनहायत सं गीन जुमर् के वापस चले जाएँ ।”
मुरतिकब हुए हैं ’।”
6 जब मुलािज़म भाइयाें के पास पहुँ चा तो यहूदाह िबनयमीन की िसफ़ािरश करता है
उसने उनसे यही बातें कीं। 7 जवाब में उन्हाें ने 18 ले िकन यहूदाह ने यूसुफ़ के क़रीब आकर

कहा, “हमारे मािलक ऐसी बातें क्याें करते हैं ? कहा, “मे रे मािलक, मे हरबानी करके अपने बं दे
कभी नहीं हो सकता िक आपके ख़ािदम ऐसा को एक बात करने की इजाज़त दें । मुझ पर
करें । 8 आप तो जानते हैं िक हम मुल्के-कनान ग़ुस्सा न करें अगरचे आप िमसर के बादशाह
से वह पै से वापस ले आए जो हमारी बोिरयाें जै से हैं । 19 जनाबे -आली, आपने हमसे पूछा,
में थे । तो िफर हम क्याें आपके मािलक के घर ‘क्या तुम्हारा बाप या कोई और भाई है ?’
से चाँ दी या सोना चुराएँ गे? 9 अगर वह आपके 20 हमने जवाब िदया, ‘हमारा बाप है । वह बूढ़ा

ख़ािदमाें में से िकसी के पास िमल जाए तो उसे है । हमारा एक छोटा भाई भी है जो उस वक़्त
मार डाला जाए और बाक़ी सब आपके ग़ुलाम पै दा हुआ जब हमारा बाप उम्ररसीदा था। उस
बनें ।” लड़के का भाई मर चुका है । उस की माँ के
10 मुलािज़म ने कहा, “ठीक है ऐसा ही िसफ़र् यह दो बे टे पै दा हुए। अब वह अकेला ही
होगा। ले िकन िसफ़र् वही मे रा ग़ुलाम बने गा रह गया है । उसका बाप उसे िशद्दत से प्यार
िजसने प्याला चुराया है । बाक़ी सब आज़ाद करता है ।’ 21 जनाबे -आली, आपने हमें बताया,
हैं ।” 11 उन्हाें ने जल्दी से अपनी बोिरयाँ उतारकर ‘उसे यहाँ ले आओ तािक मैं ख़ुद उसे दे ख
ज़मीन पर रख दीं। हर एक ने अपनी बोरी खोल सकँ ू ।’ 22 हमने जवाब िदया, ‘यह लड़का अपने
दी। 12 मुलािज़म बोिरयाें की तलाशी ले ने लगा। बाप को छोड़ नहीं सकता, वरना उसका बाप
वह बड़े भाई से शुरू करके आिख़रकार सबसे मर जाएगा।’ 23 िफर आपने कहा, ‘तुम िसफ़र्
छोटे भाई तक पहुँ च गया। और वहाँ िबनयमीन इस सूरत में मे रे पास आ सकोगे िक तुम्हारा
की बोरी में से प्याला िनकला। 13 भाइयाें ने यह सबसे छोटा भाई तुम्हारे साथ हो।’ 24 जब हम
दे खकर परे शानी में अपने िलबास फाड़ िलए। अपने बाप के पास वापस पहुँ चे तो हमने उन्हें
वह अपने गधाें को दुबारा लादकर शहर वापस सब कुछ बताया जो आपने कहा था। 25 िफर
आ गए। उन्हाें ने हमसे कहा, ‘िमसर लौटकर कुछ ग़ल्ला
14 जब यहूदाह और उसके भाई यूसुफ़ के घर ख़रीद लाओ।’ 26 हमने जवाब िदया, ‘हम जा
पहुँ चे तो वह अभी वहीं था। वह उसके सामने नहीं सकते । हम िसफ़र् इस सूरत में उस मदर्
मुँह के बल िगर गए। 15 यूसुफ़ ने कहा, “यह के पास जा सकते हैं िक हमारा सबसे छोटा
तुमने क्या िकया है ? क्या तुम नहीं जानते िक भाई साथ हो। हम तब ही जा सकते हैं जब
मुझ जै सा आदमी ग़ै ब का इल्म रखता है ?” वह भी हमारे साथ चले ।’ 27 हमारे बाप ने हमसे
पै दाइश 44:28 58
कहा, ‘तुम जानते हो िक मे री बीवी रािख़ल से 4 िफर यूसुफ़ ने कहा, “मे रे क़रीब आओ।”
मे रे दो बे टे पै दा हुए। 28 पहला मुझे छोड़ चुका वह क़रीब आए तो उसने कहा, “मैं तुम्हारा भाई
है । िकसी जं गली जानवर ने उसे फाड़ खाया यूसुफ़ हूँ िजसे तुमने बे चकर िमसर िभजवाया।
होगा, क्याें िक उसी वक़्त से मैं ने उसे नहीं दे खा। 5 अब मे री बात सुनो। न घबराओ और न अपने

29 अगर इसको भी मुझसे ले जाने की वजह से आपको इलज़ाम दो िक हमने यूसुफ़ को बे च


जानी नुक़सान पहुँ चे तो तुम मुझ बूढ़े को ग़म िदया। असल में अल्लाह ने ख़ुद मुझे तुम्हारे
के मारे पाताल में पहुँ चाओगे ’।” आगे यहाँ भे ज िदया तािक हम सब बचे रहें ।
30-31 यहूदाह ने अपनी बात जारी रखी, 6 यह काल का दूसरा साल है । पाँ च और साल

“जनाबे -आली, अब अगर मैं अपने बाप के पास के दौरान न हल चले गा, न फ़सल कटे गी।
जाऊँ और वह दे खें िक लड़का मे रे साथ नहीं है 7 अल्लाह ने मुझे तुम्हारे आगे भे जा तािक दुिनया

तो वह दम तोड़ दें गे । उनकी िंज़दगी इस क़दर में तुम्हारा एक बचा-खुचा िहस्सा महफ़ूज़ रहे
लड़के की िंज़दगी पर मुनहिसर है और वह इतने और तुम्हारी जान एक बड़ी मख़लसी की
बूढ़े हैं िक हम ऐसी हरकत से उन्हें क़ब्र तक मािरफ़त छू ट जाए। 8 चुनाँ चे तुमने मुझे यहाँ नहीं
पहुँ चा दें गे । 32 न िसफ़र् यह बिल्क मैं ने बाप से भे जा बिल्क अल्लाह ने । उसने मुझे िफ़रौन का
कहा, ‘मैं ख़ुद इसका ज़ािमन हूँ गा। अगर मैं बाप, उसके पूरे घराने का मािलक और िमसर
इसे सलामती से वापस न पहुँ चाऊँ तो िफर का हािकम बना िदया है । 9 अब जल्दी से मे रे
मैं िंज़दगी के आिख़र तक क़ुसूरवार ठहरूँगा।’ बाप के पास वापस जाकर उनसे कहो, ‘आपका
33 अब अपने ख़ािदम की गुज़ािरश सुनें। मैं यहाँ बे टा यूसुफ़ आपको इत्तला दे ता है िक अल्लाह
रहकर इस लड़के की जगह ग़ुलाम बन जाता ने मुझे िमसर का मािलक बना िदया है । मे रे पास
हूँ , और वह दूसरे भाइयाें के साथ वापस चला आ जाएँ , दे र न करें । 10 आप जुशन के इलाक़े
जाए। 34 अगर लड़का मे रे साथ न हुआ तो मैं में रह सकते हैं । वहाँ आप मे रे क़रीब हाें गे,
िकस तरह अपने बाप को मुँह िदखा सकता हूँ ? आप, आपकी आलो-औलाद, गाय-बै ल, भे ड़-
मैं बरदाश्त नहीं कर सकँ ू गा िक वह इस मुसीबत बकिरयाँ और जो कुछ भी आपका है । 11 वहाँ
में मुब्तला हो जाएँ ।” मैं आपकी ज़रूिरयात पूरी करूँगा, क्याें िक
काल को अभी पाँ च साल और लगें गे। वरना
यूसफ़ ु अपने आपको ज़ािहर करता है आप, आपके घरवाले और जो भी आपके हैं

45 यह सुनकर यूसुफ़ अपने आप पर


क़ाबू न रख सका। उसने ऊँची
आवाज़ से हुक्म िदया िक तमाम मुलािज़म
बदहाल हो जाएं गे।’ 12 तुम ख़ुद और मे रा भाई
िबनयमीन दे ख सकते हो िक मैं यूसुफ़ ही हूँ जो
तुम्हारे साथ बात कर रहा हूँ । 13 मे रे बाप को
कमरे से िनकल जाएँ । कोई और शख़्स कमरे में िमसर में मे रे असरो-रसूख़ के बारे में इत्तला दो।
नहीं था जब यूसुफ़ ने अपने भाइयाें को बताया उन्हें सब कुछ बताओ जो तुमने दे खा है । िफर
िक वह कौन है । 2 वह इतने ज़ोर से रो पड़ा िक जल्द ही मे रे बाप को यहाँ ले आओ।”
िमसिरयाें ने उस की आवाज़ सुनी और िफ़रौन 14 यह कहकर वह अपने भाई िबनयमीन को

के घराने को पता चल गया। 3 यूसुफ़ ने अपने गले लगाकर रो पड़ा। िबनयमीन भी उसके गले
भाइयाें से कहा, “मैं यूसुफ़ हूँ । क्या मे रा बाप लगकर रोने लगा। 15 िफर यूसुफ़ ने रोते हुए
अब तक िंज़दा है ?” अपने हर एक भाई को बोसा िदया। इसके बाद
ले िकन उसके भाई यह सुनकर इतने घबरा उसके भाई उसके साथ बातें करने लगे ।
गए िक वह जवाब न दे सके।
59 पै दाइश 46:15
16 जब यह ख़बर बादशाह के महल तक याक़ू ब िमसर जाता है
पहुँ ची िक यूसुफ़ के भाई आए हैं तो िफ़रौन
और उसके तमाम अफ़सरान ख़ुश हुए। 17 उसने
यूसुफ़ से कहा, “अपने भाइयाें को बता िक
46 याक़ूब सब कुछ ले कर रवाना
हुआ और बै र-सबा पहुँ चा। वहाँ
उसने अपने बाप इसहाक़ के ख़ुदा के हुज़ूर
अपने जानवराें पर ग़ल्ला लादकर मुल्के-कनान क़ुरबािनयाँ चढ़ाइर्ं । 2 रात को अल्लाह रोया में
वापस चले जाओ। 18 वहाँ अपने बाप और उससे हमकलाम हुआ। उसने कहा, “याक़ूब,
ख़ानदानाें को ले कर मे रे पास आ जाओ। मैं याक़ूब!” याक़ूब ने जवाब िदया, “जी, मैं
तुमको िमसर की सबसे अच्छी ज़मीन दे दूँ गा, हािज़र हूँ ।” 3 अल्लाह ने कहा, “मैं अल्लाह
और तुम इस मुल्क की बे हतरीन पै दावार खा हूँ , ते रे बाप इसहाक़ का ख़ुदा। िमसर जाने से
सकोगे । 19 उन्हें यह िहदायत भी दे िक अपने मत डर, क्याें िक वहाँ मैं तुझसे एक बड़ी क़ौम
बाल-बच्चाें के िलए िमसर से गािड़याँ ले जाओ बनाऊँगा। 4 मैं ते रे साथ िमसर जाऊँगा और तुझे
और अपने बाप को भी िबठाकर यहाँ ले आओ। इस मुल्क में वापस भी ले आऊँगा। जब तू मरे गा
20 अपने माल की ज़्यादा िफ़कर न करो, क्याें िक तो यूसुफ़ ख़ुद ते री आँखें बं द करे गा।”
तुम्हें मुल्के-िमसर का बे हतरीन माल िमले गा।” 5 इसके बाद याक़ूब बै र-सबा से रवाना हुआ।

21 यूसुफ़ के भाइयाें ने ऐसा ही िकया। यूसुफ़ उसके बे टाें ने उसे और अपने बाल-बच्चाें को उन
ने उन्हें बादशाह के हुक्म के मुतािबक़ गािड़याँ गािड़याें में िबठा िदया जो िमसर के बादशाह ने
और सफ़र के िलए ख़ुराक दी। 22 उसने हर एक िभजवाई थीं। 6 याें याक़ूब और उस की तमाम
भाई को कपड़ाें का एक जोड़ा भी िदया। ले िकन औलाद अपने मवे शी और कनान में हािसल
िबनयमीन को उसने चाँ दी के 300 िसक्के और िकया हुआ माल ले कर िमसर चले गए। 7 याक़ूब
पाँ च जोड़े िदए। 23 उसने अपने बाप को दस गधे के बे टे-बे िटयाँ , पोते -पोितयाँ और बाक़ी औलाद
िभजवा िदए जो िमसर के बे हतरीन माल से लदे सब साथ गए।
हुए थे और दस गिधयाँ जो अनाज, रोटी और 8 इसराईल की औलाद के नाम जो िमसर

बाप के सफ़र के िलए खाने से लदी हुई थीं। चली गई यह हैं :


24 याें उसने अपने भाइयाें को रुख़सत करके याक़ूब के पहलौठे रूिबन 9 के बे टे हनूक,
कहा, “रास्ते में झगड़ा न करना।” फ़ल्लू, हसरोन और करमी थे । 10 शमाऊन के
25 वह िमसर से रवाना होकर मुल्के-कनान बे टे यमुएल, यमीन, उहद, यकीन, सुहर और
में अपने बाप के पास पहुँ चे। 26 उन्हाें ने उससे साऊल थे (साऊल कनानी औरत का बच्चा
कहा, “यूसुफ़ िंज़दा है ! वह पूरे िमसर का था)। 11 लावी के बे टे जै रसोन, िक़हात और
हािकम है ।” ले िकन याक़ूब हक्का-बक्का रह िमरारी थे । 12 यहूदाह के बे टे एर, ओनान, से ला,
गया, क्याें िक उसे यक़ीन न आया। 27 ताहम फ़ारस और ज़ारह थे (एर और ओनान कनान
उन्हाें ने उसे सब कुछ बताया जो यूसुफ़ ने उनसे में मर चुके थे )। फ़ारस के दो बे टे हसरोन और
कहा था, और उसने ख़ुद वह गािड़याँ दे खीं जो हमूल थे । 13 इशकार के बे टे तोला, फ़ुव्वा, योब
यूसुफ़ ने उसे िमसर ले जाने के िलए िभजवा और िसमरोन थे । 14 ज़बूलून के बे टे सरद, ऐलोन
दी थीं। िफर याक़ूब की जान में जान आ गई, और यहिलये ल थे । 15 इन बे टाें की माँ िलयाह
28 और उसने कहा, “मे रा बे टा यूसुफ़ िंज़दा है ! थी, और वह मसोपुतािमया में पै दा हुए। इनके
यही काफ़ी है । मरने से पहले मैं जाकर उससे अलावा दीना उस की बे टी थी। कुल 33 मदर्
िमलूँगा।” िलयाह की औलाद थे ।
पै दाइश 46:16 60
16 जद के बे टे िसिफ़यान, हज्जी, सूनी, 32 मैं उससे कहूँ गा, ‘यह आदमी भे ड़-बकिरयाें
इसबून, एरी, अरूदी और अरे ली थे । 17 आशर के चरवाहे हैं । वह मवे शी पालते हैं , इसिलए
के बे टे ियमना, इसवाह, इसवी और बिरया थे । अपनी भे ड़-बकिरयाँ , गाय-बै ल और बाक़ी सारा
आशर की बे टी िसरह थी, और बिरया के दो बे टे माल अपने साथ ले आए हैं ।’ 33 बादशाह तुम्हें
थे , िहबर और मलिकये ल। 18 कुल 16 अफ़राद बुलाकर पूछेगा िक तुम क्या काम करते हो?
िज़लफ़ा की औलाद थे िजसे लाबन ने अपनी 34 िफर तुमको जवाब दे ना है , ‘आपके ख़ािदम

बे टी िलयाह को िदया था। बचपन से मवे शी पालते आए हैं । यह हमारे


19 रािख़ल के बे टे यूसुफ़ और िबनयमीन थे । बापदादा का पे शा था और हमारा भी है ।’
20 यूसुफ़ के दो बे टे मनस्सी और इफ़राईम अगर तुम यह कहो तो तुम्हें जुशन में रहने
िमसर में पै दा हुए। उनकी माँ ओन के पुजारी की इजाज़त िमले गी। क्याें िक भे ड़-बकिरयाें के
फ़ोतीिफ़रा की बे टी आसनत थी। 21 िबनयमीन चरवाहे िमसिरयाें की नज़र में क़ािबले -नफ़रत
के बे टे बाला, बकर, अशबे ल, जीरा, नामान, हैं ।”
इख़ी, रोस, मुफ़्फ़ीम, हुफ़्फ़ीम और अदर् थे ।
22 कुल 14 मदर् रािख़ल की औलाद थे ।

23 दान का बे टा हुशीम था। 24 नफ़ताली के


47 यूसुफ़ िफ़रौन के पास गया और
उसे इत्तला दे कर कहा, “मे रा बाप
और भाई अपनी भे ड़-बकिरयाें , गाय-बै लाें और
बे टे यहिसये ल, जूनी, ियसर और िसल्लीम थे । सारे माल समे त मुल्के-कनान से आकर जुशन
25 कुल 7 मदर् िबलहाह की औलाद थे िजसे में ठहरे हुए हैं ।” 2 उसने अपने भाइयाें में से
लाबन ने अपनी बे टी रािख़ल को िदया था। पाँ च को चुनकर िफ़रौन के सामने पे श िकया।
26 याक़ूब की औलाद के 66 अफ़राद उसके 3 िफ़रौन ने भाइयाें से पूछा, “तुम क्या काम

साथ िमसर चले गए। इस तादाद में बे टाें की करते हो?” उन्हाें ने जवाब िदया, “आपके
बीिवयाँ शािमल नहीं थीं। 27 जब हम याक़ूब, ख़ािदम भे ड़-बकिरयाें के चरवाहे हैं । यह हमारे
यूसुफ़ और उसके दो बे टे इनमें शािमल करते हैं बापदादा का पे शा था और हमारा भी है । 4 हम
तो याक़ूब के घराने के 70 अफ़राद िमसर गए। यहाँ आए हैं तािक कुछ दे र अजनबी की है िसयत
से आपके पास ठहरें , क्याें िक काल ने कनान
याक़ू ब और उसका ख़ानदान िमसर में में बहुत ज़ोर पकड़ा है । वहाँ आपके ख़ािदमाें
28 याक़ूब ने यहूदाह को अपने आगे यूसुफ़ के के जानवराें के िलए चरागाहें ख़त्म हो गई हैं ।
पास भे जा तािक वह जुशन में उनसे िमले । जब इसिलए हमें जुशन में रहने की इजाज़त दें ।”
वह वहाँ पहुँ चे 29 तो यूसुफ़ अपने रथ पर सवार 5 बादशाह ने यूसुफ़ से कहा, “ते रा बाप और

होकर अपने बाप से िमलने के िलए जुशन गया। भाई ते रे पास आ गए हैं । 6 मुल्के-िमसर ते रे
उसे दे खकर वह उसके गले लगकर काफ़ी दे र सामने खुला है । उन्हें बे हतरीन जगह पर आबाद
रोता रहा। 30 याक़ूब ने यूसुफ़ से कहा, “अब मैं कर। वह जुशन में रहें । और अगर उनमें से कुछ
मरने के िलए तै यार हूँ , क्याें िक मैं ने ख़ुद दे खा है हैं जो ख़ास क़ािबिलयत रखते हैं तो उन्हें मे रे
िक तू िंज़दा है ।” मवे िशयाें की िनगहदाशत पर रख।”
31 िफर यूसुफ़ ने अपने भाइयाें और अपने 7 िफर यूसुफ़ अपने बाप याक़ूब को ले आया

बाप के ख़ानदान के बाक़ी अफ़राद से कहा, और िफ़रौन के सामने पे श िकया। याक़ूब ने


“ज़रूरी है िक मैं जाकर बादशाह को इत्तला दूँ बादशाह को बरकत दी। 8 बादशाह ने उससे
िक मे रे भाई और मे रे बाप का पूरा ख़ानदान पूछा, “तुम्हारी उम्र क्या है ?” 9 याक़ूब ने जवाब
जो कनान के रहने वाले हैं मे रे पास आ गए हैं । िदया, “मैं 130 साल से इस दुिनया का मे हमान
61 पै दाइश 47:29
हूँ । मे री िंज़दगी मुख़तसर और तकलीफ़दे ह थी, बादशाह की होगी। हम िफ़रौन के ग़ुलाम हाें गे।
और मे रे बापदादा मुझसे ज़्यादा उम्ररसीदा हुए हमें बीज दें तािक हम जीते बचें और ज़मीन
थे जब वह इस दुिनया के मे हमान थे ।” 10 यह तबाह न हो जाए।”
कहकर याक़ूब िफ़रौन को दुबारा बरकत दे कर 20 चुनाँ चे यूसुफ़ ने िफ़रौन के िलए िमसर की

चला गया। पूरी ज़मीन ख़रीद ली। काल की सख़्ती के सबब


11 िफर यूसुफ़ ने अपने बाप और भाइयाें को से तमाम िमसिरयाें ने अपने खे त बे च िदए। इस
िमसर में आबाद िकया। उसने उन्हें रामसीस तरीक़े से पूरा मुल्क िफ़रौन की िमलिकयत में
के इलाक़े में बे हतरीन ज़मीन दी िजस तरह आ गया। 21 यूसुफ़ ने िमसर के एक िसरे से
बादशाह ने हुक्म िदया था। 12 यूसुफ़ अपने बाप दूसरे िसरे तक के लोगाें को शहराें में मुंतिक़ल
के पूरे घराने को ख़ुराक मुहैया करता रहा। कर िदया। 22 िसफ़र् पुजािरयाें की ज़मीन आज़ाद
हर ख़ानदान को उसके बच्चाें की तादाद के रही। उन्हें अपनी ज़मीन बे चने की ज़रूरत ही
मुतािबक़ ख़ुराक िमलती रही। नहीं थी, क्याें िक उन्हें िफ़रौन से इतना वज़ीफ़ा
िमलता था िक गुज़ारा हो जाता था।
काल का सख़्त असर 23 यूसुफ़ ने लोगाें से कहा, “ग़ौर से सुनें।
13 काल इतना सख़्त था िक कहीं भी रोटी आज मैं ने आपको और आपकी ज़मीन को
नहीं िमलती थी। िमसर और कनान में लोग बादशाह के िलए ख़रीद िलया है । अब यह बीज
िनढाल हो गए। ले कर अपने खे ताें में बोना। 24 आपको िफ़रौन
14 िमसर और कनान के तमाम पै से अनाज को फ़सल का पाँ चवाँ िहस्सा दे ना है । बाक़ी
ख़रीदने के िलए सफ़र् हो गए। यूसुफ़ उन्हें जमा पै दावार आपकी होगी। आप इससे बीज बो
करके िफ़रौन के महल में ले आया। 15 जब सकते हैं , और यह आपके और आपके घरानाें
िमसर और कनान के पै से ख़त्म हो गए तो और बच्चाें के खाने के िलए होगा।” 25 उन्हाें ने
िमसिरयाें ने यूसुफ़ के पास आकर कहा, “हमें जवाब िदया, “आपने हमें बचाया है । हमारे
रोटी दें ! हम आपके सामने क्याें मरें ? हमारे मािलक हम पर मे हरबानी करें तो हम िफ़रौन
पै से ख़त्म हो गए हैं ।” 16 यूसुफ़ ने जवाब िदया, के ग़ुलाम बनें गे।”
“अगर आपके पै से ख़त्म हैं तो मुझे अपने मवे शी 26 इस तरह यूसुफ़ ने िमसर में यह क़ानून

दें । मैं उनके एवज़ रोटी दे ता हूँ ।” 17 चुनाँ चे वह नािफ़ज़ िकया िक हर फ़सल का पाँ चवाँ िहस्सा
अपने घोड़े , भे ड़-बकिरयाँ , गाय-बै ल और गधे बादशाह का है । यह क़ानून आज तक जारी
यूसुफ़ के पास ले आए। इनके एवज़ उसने उन्हें है । िसफ़र् पुजािरयाें की ज़मीन बादशाह की
ख़ुराक दी। उस साल उसने उन्हें उनके तमाम िमलिकयत में न आई।
मवे िशयाें के एवज़ ख़ुराक मुहैया की।
18 अगले साल वह दुबारा उसके पास आए। याक़ू ब की आिख़री गुज़ािरश
उन्हाें ने कहा, “जनाबे -आली, हम यह बात 27 इसराईली िमसर में जुशन के इलाक़े में
आपसे नहीं छु पा सकते िक अब हम िसफ़र् अपने आबाद हुए। वहाँ उन्हें ज़मीन िमली, और वह
आप और अपनी ज़मीन को आपको दे सकते फले -फूले और तादाद में बहुत बढ़ गए।
हैं । हमारे पै से तो ख़त्म हैं और आप हमारे मवे शी 28 याक़ूब 17 साल िमसर में रहा। वह 147

भी ले चुके हैं । 19 हम क्याें आपकी आँखाें के साल का था जब फ़ौत हुआ। 29 जब मरने का


सामने मर जाएँ ? हमारी ज़मीन क्याें तबाह हो वक़्त क़रीब आया तो उसने यूसुफ़ को बुलाकर
जाए? हमें रोटी दें तो हम और हमारी ज़मीन कहा, “मे हरबानी करके अपना हाथ मे री रान के
पै दाइश 47:30 62
नीचे रखकर क़सम खा िक तू मुझ पर शफ़क़त 8 िफर याक़ूब ने यूसुफ़ के बे टाें पर नज़र
और वफ़ादारी का इस तरह इज़हार करे गा िक डालकर पूछा, “यह कौन हैं ?” 9 यूसुफ़ ने
मुझे िमसर में दफ़न नहीं करे गा। 30 जब मैं जवाब िदया, “यह मे रे बे टे हैं जो अल्लाह ने मुझे
मरकर अपने बापदादा से जा िमलूँगा तो मुझे यहाँ िमसर में िदए।” याक़ूब ने कहा, “उन्हें मे रे
िमसर से ले जाकर मे रे बापदादा की क़ब्र में क़रीब ले आ तािक मैं उन्हें बरकत दूँ ।” 10 बूढ़ा
दफ़नाना।” यूसुफ़ ने जवाब िदया, “ठीक है ।” होने के सबब से याक़ूब की आँखें कमज़ोर थीं।
31 याक़ूब ने कहा, “क़सम खा िक तू ऐसा ही वह अच्छी तरह दे ख नहीं सकता था। यूसुफ़
करे गा।” यूसुफ़ ने क़सम खाई। तब इसराईल अपने बे टाें को याक़ूब के पास ले आया तो उसने
ने अपने िबस्तर के िसरहाने पर अल्लाह को उन्हें बोसा दे कर गले लगाया 11 और यूसुफ़ से
िसजदा िकया। कहा, “मुझे तवक़्क़ो ही नहीं थी िक मैं कभी
ते रा चे हरा दे खँ ूगा, और अब अल्लाह ने मुझे ते रे
याक़ू ब इफ़राईम और मनस्सी बे टाें को दे खने का मौक़ा भी िदया है ।”
को बरकत दे ता है 12 िफर यूसुफ़ उन्हें याक़ूब की गोद में से

48 कुछ दे र के बाद यूसुफ़ को इत्तला


दी गई िक आपका बाप बीमार है ।
वह अपने दो बे टाें मनस्सी और इफ़राईम को
ले कर ख़ुद उसके सामने मुँह के बल झु क
गया। 13 यूसुफ़ ने इफ़राईम को याक़ूब के बाएँ
हाथ रखा और मनस्सी को उसके दाएँ हाथ।
साथ ले कर याक़ूब से िमलने गया। 14 ले िकन याक़ूब ने अपना दहना हाथ बाइर्ं तरफ़
2 याक़ूब को बताया गया, “आपका बे टा बढ़ाकर इफ़राईम के सर पर रखा अगरचे वह
आ गया है ” तो वह अपने आपको सँ भालकर छोटा था। इस तरह उसने अपना बायाँ हाथ दाइर्ं
अपने िबस्तर पर बै ठ गया। 3 उसने यूसुफ़ से तरफ़ बढ़ाकर मनस्सी के सर पर रखा जो बड़ा
कहा, “जब मैं कनानी शहर लूज़ में था तो था। 15 िफर उसने यूसुफ़ को उसके बे टाें की
अल्लाह क़ािदरे -मुतलक़ मुझ पर ज़ािहर हुआ। मािरफ़त बरकत दी, “अल्लाह िजसके हुज़ूर मे रे
उसने मुझे बरकत दे कर 4 कहा, ‘मैं तुझे फलने - बापदादा इब्राहीम और इसहाक़ चलते रहे और
फूलने दूँ गा और ते री औलाद बढ़ा दूँ गा बिल्क जो शुरू से आज तक मे रा चरवाहा रहा है इन्हें
तुझसे बहुत-सी क़ौमें िनकलने दूँ गा। और मैं बरकत दे । 16 िजस फ़िरश्ते ने एवज़ाना दे कर
ते री औलाद को यह मुल्क हमे शा के िलए दे मुझे हर नुक़सान से बचाया है वह इन्हें बरकत
दूँ गा।’ 5 अब मे री बात सुन। मैं चाहता हूँ िक दे । अल्लाह करे िक इनमें मे रा नाम और मे रे
ते रे बे टे जो मे रे आने से पहले िमसर में पै दा हुए बापदादा इब्राहीम और इसहाक़ के नाम जीते
मे रे बे टे हाें । इफ़राईम और मनस्सी रूिबन और रहें । दुिनया में इनकी औलाद की तादाद बहुत
शमाऊन के बराबर ही मे रे बे टे हाें । 6 अगर इनके बढ़ जाए।”
बाद ते रे हाँ और बे टे पै दा हो जाएँ तो वह मे रे बे टे 17 जब यूसुफ़ ने दे खा िक बाप ने अपना दहना

नहीं बिल्क ते रे ठहरें गे । जो मीरास वह पाएँ गे हाथ छोटे बे टे इफ़राईम के सर पर रखा है तो


वह उन्हें इफ़राईम और मनस्सी की मीरास में यह उसे बुरा लगा, इसिलए उसने बाप का
से िमले गी। 7 मैं यह ते री माँ रािख़ल के सबब से हाथ पकड़ा तािक उसे इफ़राईम के सर पर से
कर रहा हूँ जो मसोपुतािमया से वापसी के वक़्त उठाकर मनस्सी के सर पर रखे । 18 उसने कहा,
कनान में इफ़राता के क़रीब मर गई। मैं ने उसे “अब्बू, ऐसे नहीं। दूसरा लड़का बड़ा है । उसी
वहीं रास्ते में दफ़न िकया” (आज इफ़राता को पर अपना दहना हाथ रखें ।” 19 ले िकन बाप ने
बै त-लहम कहा जाता है )। इनकार करके कहा, “मुझे पता है बे टा, मुझे
63 पै दाइश 49:20
पता है । वह भी एक बड़ी क़ौम बने गा। िफर भी उनके तै श पर जो इतना सख़्त है । मैं उन्हें याक़ूब
उसका छोटा भाई उससे बड़ा होगा और उससे के मुल्क में ितत्तर-िबत्तर करूँगा, उन्हें इसराईल
क़ौमाें की बड़ी तादाद िनकले गी।” में मुंतिशर कर दूँ गा।
20 उस िदन उसने दोनाें बे टाें को बरकत दे कर 8 यहूदाह, तुम्हारे भाई तुम्हारी तारीफ़ करें गे ।

कहा, “इसराईली तुम्हारा नाम ले कर बरकत तुम अपने दुश्मनाें की गरदन पकड़े रहोगे , और
िदया करें गे । जब वह बरकत दें गे तो कहें गे, तुम्हारे बाप के बे टे तुम्हारे सामने झु क जाएं गे।
‘अल्लाह आपके साथ वै सा करे जै सा उसने 9 यहूदाह शे रबबर का बच्चा है । मे रे बे टे, तुम

इफ़राईम और मनस्सी के साथ िकया है ’।” इस अभी अभी िशकार मारकर वापस आए हो।
तरह याक़ूब ने इफ़राईम को मनस्सी से बड़ा यहूदाह शे रबबर बिल्क शे रनी की तरह दबककर
बना िदया। 21 यूसुफ़ से उसने कहा, “मैं तो बै ठ जाता है । कौन उसे छे ड़ने की जुरर्त करे गा?
मरने वाला हूँ , ले िकन अल्लाह तुम्हारे साथ होगा 10 शाही असा यहूदाह से दूर नहीं होगा बिल्क

और तुम्हें तुम्हारे बापदादा के मुल्क में वापस ले शाही इिख़्तयार उस वक़्त तक उस की औलाद
जाएगा। 22 एक बात में मैं तुझे ते रे भाइयाें पर के पास रहे गा जब तक वह हािकम न आए
तरजीह दे ता हूँ , मैं तुझे कनान में वह िक़तआ िजसके ताबे क़ौमें रहें गी। 11 वह अपना जवान
दे ता हूँ जो मैं ने अपनी तलवार और कमान से गधा अं गूर की बे ल से और अपनी गधी का बच्चा
अमोिरयाें से छीना था।” बे हतरीन अं गूर की बे ल से बाँ धेगा। वह अपना
िलबास मै में और अपना कपड़ा अं गूर के ख़ून
याक़ू ब अपने बे टाें को बरकत दे ता है में धोएगा। 12 उस की आँखें मै से ज़्यादा गदली

49 याक़ूब ने अपने बे टाें को बुलाकर


कहा, “मे रे पास जमा हो जाओ
तािक मैं तुम्हें बताऊँ िक मुस्तक़िबल में तुम्हारे
और उसके दाँ त दूध से ज़्यादा सफ़ेद हाें गे।
13 ज़बूलून सािहल पर आबाद होगा जहाँ

बहरी जहाज़ हाें गे। उस की हद सै दा तक होगी।


साथ क्या क्या होगा। 2 ऐ याक़ूब के बे टो, इकट्ठे 14 इशकार ताक़तवर गधा है जो अपने ज़ीन

होकर सुनो, अपने बाप इसराईल की बाताें पर के दो बोराें के दरिमयान बै ठा है । 15 जब वह


ग़ौर करो। दे खेगा िक उस की आरामगाह अच्छी और
3 रूिबन, तुम मे रे पहलौठे हो, मे रे ज़ोर और उसका मुल्क ख़ुशनुमा है तो वह बोझ उठाने
मे री ताक़त का पहला फल। तुम इज़्ज़त और के िलए तै यार हो जाएगा और उजरत के बग़ै र
क़ुव्वत के िलहाज़ से बरतर हो। 4 ले िकन चूँिक काम करने के िलए मजबूर िकया जाएगा।
तुम बे काबू सै लाब की मािंनद हो इसिलए 16 दान अपनी क़ौम का इनसाफ़ करे गा

तुम्हारी अव्वल है िसयत जाती रहे । क्याें िक तुमने अगरचे वह इसराईल के क़बीलाें में से एक ही है ।
मे री हरम से हमिबसतर होकर अपने बाप की 17 दान सड़क के साँ प और रास्ते के अफ़ई की

बे हुरमती की है । मािंनद होगा। वह घोड़े की एिड़याें को काटे गा


5 शमाऊन और लावी दोनाें भाइयाें की तो उसका सवार पीछे िगर जाएगा।
तलवारें ज़ुल्मो-तशद्ददु के हिथयार रहे हैं । 6 मे री 18 ऐ रब, मैं ते री ही नजात के इं तज़ार में हूँ !

जान न उनकी मजिलस में शािमल और न 19 जद पर डाकुआें का जत्था हमला करे गा,

उनकी जमात में दािख़ल हो, क्याें िक उन्हाें ने ले िकन वह पलटकर उसी पर हमला कर दे गा।
ग़ुस्से में आकर दूसराें को क़त्ल िकया है , उन्हाें ने 20 आशर को िग़ज़ाइयतवाली ख़ुराक हा-

अपनी मरज़ी से बै लाें की काें चें काटी हैं । 7 उनके िसल होगी। वह लज़ीज़ शाही खाना मुहैया
ग़ुस्से पर लानत हो जो इतना ज़बरदस्त है और करे गा।
पै दाइश 49:21 64
21 नफ़ताली आज़ाद छोड़ी हुई िहरनी है । वह गए और वहाँ मैं ने िलयाह को दफ़न िकया।
ख़ूबसूरत बातें करता है ।a 32 वह खे त और उसका ग़ार िहित्तयाें से ख़रीदा

22 यूसुफ़ फलदार बे ल है । वह चश्मे पर लगी गया था।”


हुई फलदार बे ल है िजसकी शाख़ें दीवार पर 33 इन िहदायात के बाद याक़ूब ने अपने पाँ व

चढ़ गई हैं । 23 तीरअं दाज़ाें ने उस पर तीर िबस्तर पर समे ट िलए और दम छोड़कर अपने


चलाकर उसे तं ग िकया और उसके पीछे पड़ बापदादा से जा िमला।
गए, 24 ले िकन उस की कमान मज़बूत रही, और
उसके बाज़ू याक़ूब के ज़ोरावर ख़ुदा के सबब याक़ू ब को दफ़न िकया जाता है
से ताक़तवर रहे , उस चरवाहे के सबब से जो
इसराईल का ज़बरदस्त सूरमा है । 25 क्याें िक
ते रे बाप का ख़ुदा ते री मदद करता है , अल्लाह
50 यूसुफ़ अपने बाप के चे हरे से िलपट
गया। उसने रोते हुए उसे बोसा
िदया। 2 उसके मुलािज़माें में से कुछ डाक्टर थे ।
क़ािदरे -मुतलक़ तुझे आसमान की बरकत, उसने उन्हें िहदायत दी िक मे रे बाप इसराईल
ज़मीन की गहराइयाें की बरकत और औलाद की लाश को हनूत करें तािक वह गल न जाए।
की बरकत दे ता है । 26 ते रे बाप की बरकत क़दीम उन्हाें ने ऐसा ही िकया। 3 इसमें 40 िदन लग
पहाड़ाें और अबदी पहािड़याें की मरग़ूब चीज़ाें से गए। आम तौर पर हनूत करने के िलए इतने ही
ज़्यादा अज़ीम है । यह तमाम बरकत यूसुफ़ के िदन लगते हैं । िमसिरयाें ने 70 िदन तक याक़ूब
सर पर हो, उस शख़्स के चाँ द पर जो अपने का मातम िकया।
भाइयाें पर शहज़ादा है । 4 जब मातम का वक़्त ख़त्म हुआ तो यूसुफ़

27 िबनयमीन फाड़ने वाला भे िड़या है । सुबह ने बादशाह के दरबािरयाें से कहा, “मे हरबानी
वह अपना िशकार खा जाता और रात को अपना करके यह ख़बर बादशाह तक पहुँ चा दें 5 िक
लूटा हुआ माल तक़सीम कर दे ता है ।” मे रे बाप ने मुझे क़सम िदलाकर कहा था, ‘मैं
28 यह इसराईल के कुल बारह क़बीले हैं । मरने वाला हूँ । मुझे उस क़ब्र में दफ़न करना जो
और यह वह कुछ है जो उनके बाप ने उनसे मैं ने मुल्के-कनान में अपने िलए बनवाई।’ अब
बरकत दे ते वक़्त कहा। उसने हर एक को उस मुझे इजाज़त दें िक मैं वहाँ जाऊँ और अपने
की अपनी बरकत दी। बाप को दफ़न करके वापस आऊँ।” 6 िफ़रौन
ने जवाब िदया, “जा, अपने बाप को दफ़न कर
याक़ू ब का इं तक़ाल िजस तरह उसने तुझे क़सम िदलाई थी।”
29 िफर याक़ूब ने अपने बे टाें को हुक्म िदया, 7 चुनाँ चे यूसुफ़ अपने बाप को दफ़नाने के

“अब मैं कूच करके अपने बापदादा से जा िलए कनान रवाना हुआ। बादशाह के तमाम
िमलूँगा। मुझे मे रे बापदादा के साथ उस ग़ार मुलािज़म, महल के बुज़ुगर् और पूरे िमसर के
में दफ़नाना जो िहत्ती आदमी इफ़रोन के खे त में बुज़ुगर् उसके साथ थे । 8 यूसुफ़ के घराने के
है । 30 यानी उस ग़ार में जो मुल्के-कनान में ममरे अफ़राद, उसके भाई और उसके बाप के घराने
के मशिरक़ में मकफ़ीला के खे त में है । इब्राहीम के लोग भी साथ गए। िसफ़र् उनके बच्चे , उनकी
ने उसे खे त समे त अपने लोगाें को दफ़नाने के भे ड़-बकिरयाँ और गाय-बै ल जुशन में रहे । 9 रथ
िलए इफ़रोन िहत्ती से ख़रीद िलया था। 31 वहाँ और घुड़सवार भी साथ गए। सब िमलकर बड़ा
इब्राहीम और उस की बीवी सारा दफ़नाए गए, लशकर बन गए।
वहाँ इसहाक़ और उस की बीवी िरबक़ा दफ़नाए
a
या ख़ूबसूरत बच्चे पै दा करती है ।
65 पै दाइश 50:26
10 जब वह यरदन के क़रीब अतद के गए। उन्हाें ने कहा, “हम आपके ख़ािदम हैं ।”
खिलयान पर पहुँ चे तो उन्हाें ने िनहायत 19 ले िकन यूसुफ़ ने कहा, “मत डरो। क्या मैं

िदलसोज़ नोहा िकया। वहाँ यूसुफ़ ने सात अल्लाह की जगह हूँ ? हरिगज़ नहीं! 20 तुमने
िदन तक अपने बाप का मातम िकया। 11 जब मुझे नुक़सान पहुँ चाने का इरादा िकया था,
मक़ामी कनािनयाें ने अतद के खिलयान पर ले िकन अल्लाह ने उससे भलाई पै दा की। और
मातम का यह नज़ारा दे खा तो उन्हाें ने कहा, अब इसका मक़सद पूरा हो रहा है । बहुत-से
“यह तो मातम का बहुत बड़ा इं तज़ाम है जो लोग मौत से बच रहे हैं । 21 चुनाँ चे अब डरने की
िमसरी करवा रहे हैं ।” इसिलए उस जगह ज़रूरत नहीं है । मैं तुम्हें और तुम्हारे बच्चाें को
का नाम अबील-िमसरीम यानी ‘िमसिरयाें का ख़ुराक मुहैया करता रहूँ गा।”
मातम’ पड़ गया। 12 याें याक़ूब के बे टाें ने अपने याें यूसुफ़ ने उन्हें तसल्ली दी और उनसे नरमी
बाप का हुक्म पूरा िकया। 13 उन्हाें ने उसे मुल्के- से बात की।
कनान में ले जाकर मकफ़ीला के खे त के ग़ार में
दफ़न िकया जो ममरे के मशिरक़ में है । यह वही यूसफ़ु का इं तक़ाल
खे त है जो इब्राहीम ने इफ़रोन िहत्ती से अपने 22 यूसुफ़ अपने बाप के ख़ानदान समे त िमसर

लोगाें को दफ़नाने के िलए ख़रीदा था। में रहा। वह 110 साल िंज़दा रहा। 23 मौत से
14 इसके बाद यूसुफ़, उसके भाई और बाक़ी पहले उसने न िसफ़र् इफ़राईम के बच्चाें को
तमाम लोग जो जनाज़े के िलए साथ गए थे बिल्क उसके पोताें को भी दे खा। मनस्सी के
िमसर को लौट आए। बे टे मकीर के बच्चे भी उस की मौजूदगी में पै दा
होकर उस की गोद में रखे गए।a
यूसफ़ ु अपने भाइयाें को तसल्ली दे ता है 24 िफर एक वक़्त आया िक यूसुफ़ ने

15 जब याक़ूब इं तक़ाल कर गया तो यूसुफ़ अपने भाइयाें से कहा, “मैं मरने वाला हूँ ।
के भाई डर गए। उन्हाें ने कहा, “ख़तरा है िक ले िकन अल्लाह ज़रूर आपकी दे ख-भाल करके
अब यूसुफ़ हमारा ताक़्क़ुब करके उस ग़लत आपको इस मुल्क से उस मुल्क में ले जाएगा
काम का बदला ले जो हमने उसके साथ िकया िजसका उसने इब्राहीम, इसहाक़ और याक़ूब
था। िफर क्या होगा?” 16 यह सोचकर उन्हाें ने से क़सम खाकर वादा िकया है ।” 25 िफर
यूसुफ़ को ख़बर भे जी, “आपके बाप ने मरने यूसुफ़ ने इसराईिलयाें को क़सम िदलाकर
से पे शतर िहदायत दी 17 िक यूसुफ़ को बताना, कहा, “अल्लाह यक़ीनन तुम्हारी दे ख-भाल
‘अपने भाइयाें के उस ग़लत काम को मुआफ़ करके वहाँ ले जाएगा। उस वक़्त मे री हिड्डयाें
कर दे ना जो उन्हाें ने तुम्हारे साथ िकया।’ अब को भी उठाकर साथ ले जाना।”
हमें जो आपके बाप के ख़ुदा के पै रोकार हैं 26 िफर यूसुफ़ फ़ौत हो गया। वह 110 साल

मुआफ़ कर दें ।” का था। उसे हनूत करके िमसर में एक ताबूत में
यह ख़बर सुनकर यूसुफ़ रो पड़ा। 18 िफर रखा गया।
उसके भाई ख़ुद आए और उसके सामने िगर

a
ग़ािलबन इसका मतलब यह है िक उसने उन्हें
ले पालक बनाया।
ख़ुरूज

याक़ू ब का ख़ानदान िमसर में िकए। इन शहराें में िफ़रौन बादशाह के बड़े बड़े

1 ज़ै ल में उन बे टाें के नाम हैं जो अपने


बाप याक़ूब और अपने ख़ानदानाें समे त
िमसर में आए थे : 2 रूिबन, शमाऊन,
गोदाम थे । 12 ले िकन िजतना इसराईिलयाें को
दबाया गया उतना ही वह तादाद में बढ़ते और
फैलते गए। आिख़रकार िमसरी उनसे दहशत
लावी, यहूदाह, 3 इशकार, ज़बूलून, िबन- खाने लगे , 13 और वह बड़ी बे रहमी से उनसे
यमीन, 4 दान, नफ़ताली, जद और आशर। काम करवाते रहे । 14 इसराईिलयाें का गुज़ारा
5 उस वक़्त याक़ूब की औलाद की तादाद 70 िनहायत मुिश्कल हो गया। उन्हें गारा तै यार
थी। यूसुफ़ तो पहले ही िमसर आ चुका था। करके इर्ं टें बनाना और खे ताें में मुख़्तिलफ़ िक़स्म
6 िमसर में रहते हुए बहुत िदन गुज़र गए। इतने के काम करना पड़े । इसमें िमसरी उनसे बड़ी
में यूसुफ़, उसके तमाम भाई और उस नसल के बे रहमी से पे श आते रहे ।
तमाम लोग मर गए। 7 इसराईली फले -फूले और
तादाद में बहुत बढ़ गए। नतीजे में वह िनहायत दाइयाँ अल्लाह की राह पर चलती हैं
ही ताक़तवर हो गए। पूरा मुल्क उनसे भर गया। 15 इसराईिलयाें की दो दाइयाँ थीं िजनके नाम

िसफ़रा और फ़ुआ थे । िमसर के बादशाह ने


इसराईिलयाें को दबाया जाता है उनसे कहा, 16 “जब इबरानी औरतें तुम्हें मदद
8 होते होते एक नया बादशाह तख़्तनशीन के िलए बुलाएँ तो ख़बरदार रहो। अगर लड़का
हुआ जो यूसुफ़ से नावािक़फ़ था। 9 उसने पै दा हो तो उसे जान से मार दो, अगर लड़की
अपने लोगाें से कहा, “इसराईिलयाें को दे खो। हो तो उसे जीता छोड़ दो।” 17 ले िकन दाइयाँ
वह तादाद और ताक़त में हमसे बढ़ गए हैं । अल्लाह का ख़ौफ़ मानती थीं। उन्हाें ने िमसर के
10 आओ, हम िहकमत से काम लें , वरना वह बादशाह का हुक्म न माना बिल्क लड़काें को
मज़ीद बढ़ जाएं गे। ऐसा न हो िक वह िकसी भी जीने िदया।
जं ग के मौक़े पर दुश्मन का साथ दे कर हमसे 18 तब िमसर के बादशाह ने उन्हें दुबारा

लड़ें और मुल्क को छोड़ जाएँ ।” बुलाकर पूछा, “तुमने यह क्याें िकया? तुम
11 चुनाँ चे िमसिरयाें ने इसराईिलयाें पर लड़काें को क्याें जीता छोड़ दे ती हो?”
िनगरान मुक़रर् र िकए तािक बे गार में उनसे 19 उन्हाें ने जवाब िदया, “इबरानी औरतें िमसरी

काम करवाकर उन्हें दबाते रहें । उस वक़्त औरताें से ज़्यादा मज़बूत हैं । बच्चे हमारे पहुँ चने
उन्हाें ने िपतोम और रामसीस के शहर तामीर से पहले ही पै दा हो जाते हैं ।”
67 ख़ुरूज 2:18
20 चुनाँ चेअल्लाह ने दाइयाें को बरकत दी, तुम्हें इसका मुआवज़ा दूँ गी।” चुनाँ चे बच्चे की
और इसराईली क़ौम तादाद में बढ़कर बहुत माँ ने उसे दूध िपलाने के िलए ले िलया।
ताक़तवर हो गई। 21 और चूँिक दाइयाँ अल्लाह 10 जब बच्चा बड़ा हुआ तो उस की माँ उसे

का ख़ौफ़ मानती थीं इसिलए उसने उन्हें औलाद िफ़रौन की बे टी के पास ले गई, और वह उसका
दे कर उनके ख़ानदानाें को क़ायम रखा। बे टा बन गया। िफ़रौन की बे टी ने उसका नाम
22 आिख़रकार बादशाह ने अपने तमाम मूसा यानी ‘िनकाला गया’ रखकर कहा, “मैं
हमवतनाें से बात की, “जब भी इबरािनयाें के उसे पानी से िनकाल लाई हूँ ।”
लड़के पै दा हाें तो उन्हें दिरयाए-नील में फेंक
दे ना। िसफ़र् लड़िकयाें को िंज़दा रहने दो।” मूसा फ़रार होता है
11 जब मूसा जवान हुआ तो एक िदन वह
मूसा की पै दाइश और बचाव घर से िनकलकर अपने लोगाें के पास गया जो

2 उन िदनाें में लावी के एक आदमी ने


अपने ही क़बीले की एक औरत से शादी
की। 2 औरत हािमला हुई और बच्चा पै दा हुआ।
जबरी काम में मसरूफ़ थे । मूसा ने दे खा िक एक
िमसरी मे रे एक इबरानी भाई को मार रहा है ।
12 मूसा ने चाराें तरफ़ नज़र दौड़ाई। जब मालूम

माँ ने दे खा िक लड़का ख़ूबसूरत है , इसिलए हुआ िक कोई नहीं दे ख रहा तो उसने िमसरी को
उसने उसे तीन माह तक छु पाए रखा। 3 जब वह जान से मार िदया और उसे रे त में छु पा िदया।
उसे और ज़्यादा न छु पा सकी तो उसने आबी 13 अगले िदन भी मूसा घर से िनकला। इस

नरसल से टोकरी बनाकर उस पर तारकोल दफ़ा दो इबरानी मदर् आपस में लड़ रहे थे । जो
चढ़ाया। िफर उसने बच्चे को टोकरी में रखकर ग़लती पर था उससे मूसा ने पूछा, “तुम अपने
टोकरी को दिरयाए-नील के िकनारे पर उगे हुए भाई को क्याें मार रहे हो?” 14 आदमी ने जवाब
सरकंडाें में रख िदया। 4 बच्चे की बहन कुछ िदया, “िकसने आपको हम पर हुक्मरान और
फ़ासले पर खड़ी दे खती रही िक उसका क्या क़ाज़ी मुक़रर् र िकया है ? क्या आप मुझे भी
बने गा। क़त्ल करना चाहते हैं िजस तरह िमसरी को मार
5 उस वक़्त िफ़रौन की बे टी नहाने के िलए डाला था?” तब मूसा डर गया। उसने सोचा,
दिरया पर आई। उस की नौकरािनयाँ दिरया “हाय, मे रा भे द खुल गया है !”
के िकनारे टहलने लगीं। तब उसने सरकंडाें में 15 बादशाह को भी पता लगा तो उसने मूसा

टोकरी दे खी और अपनी लाैं डी को उसे लाने को मरवाने की कोिशश की। ले िकन मूसा
भे जा। 6 उसे खोला तो छोटा लड़का िदखाई िमिदयान के मुल्क को भाग गया। वहाँ वह
िदया जो रो रहा था। िफ़रौन की बे टी को उस एक कुएँ के पास बै ठ गया। 16 िमिदयान में
पर तरस आया। उसने कहा, “यह कोई इबरानी एक इमाम था िजसकी सात बे िटयाँ थीं। यह
बच्चा है ।” लड़िकयाँ अपनी भे ड़-बकिरयाें को पानी िपलाने
7 अब बच्चे की बहन िफ़रौन की बे टी के पास के िलए कुएँ पर आइर्ं और पानी िनकालकर
गई और पूछा, “क्या मैं बच्चे को दूध िपलाने के हौज़ भरने लगीं। 17 ले िकन कुछ चरवाहाें ने
िलए कोई इबरानी औरत ढूँ ड लाऊँ?” 8 िफ़रौन आकर उन्हें भगा िदया। यह दे खकर मूसा उठा
की बे टी ने कहा, “हाँ , जाओ।” लड़की चली गई और लड़िकयाें को चरवाहाें से बचाकर उनके
और बच्चे की सगी माँ को ले कर वापस आई। रे वड़ को पानी िपलाया।
9 िफ़रौन की बे टी ने माँ से कहा, “बच्चे को ले 18 जब लड़िकयाँ अपने बाप रऊएल के पास

जाओ और उसे मे रे िलए दूध िपलाया करो। मैं वापस आइर्ं तो बाप ने पूछा, “आज तुम इतनी
ख़ुरूज 2:19 68
जल्दी से क्याें वापस आ गई हो?” 19 लड़िकयाें 4 जब रब ने दे खा िक मूसा झाड़ी को दे खने आ
ने जवाब िदया, “एक िमसरी आदमी ने हमें रहा है तो उसने उसे झाड़ी में से पुकारा, “मूसा,
चरवाहाें से बचाया। न िसफ़र् यह बिल्क उसने मूसा!” मूसा ने कहा, “जी, मैं हािज़र हूँ ।”
हमारे िलए पानी भी िनकालकर रे वड़ को िपला 5 रब ने कहा, “इससे ज़्यादा क़रीब न आना।

िदया।” 20 रऊएल ने कहा, “वह आदमी कहाँ अपनी जूितयाँ उतार, क्याें िक तू मुक़द्दस ज़मीन
है ? तुम उसे क्याें छोड़कर आई हो? उसे पर खड़ा है । 6 मैं ते रे बाप का ख़ुदा, इब्राहीम का
बुलाओ तािक वह हमारे साथ खाना खाए।” ख़ुदा, इसहाक़ का ख़ुदा और याक़ूब का ख़ुदा
21 मूसा रऊएल के घर में ठहरने के िलए राज़ी हूँ ।” यह सुनकर मूसा ने अपना मुँह ढाँ क िलया,
हो गया। बाद में उस की शादी रऊएल की क्याें िक वह अल्लाह को दे खने से डरा।
बे टी सफ़्फ़ूरा से हुई। 22 सफ़्फ़ूरा के बे टा पै दा 7 रब ने कहा, “मैं ने िमसर में अपनी क़ौम की

हुआ तो मूसा ने कहा, “इसका नाम जै रसोम बुरी हालत दे खी और ग़ुलामी में उनकी चीख़ें
यानी ‘अजनबी मुल्क में परदे सी’ हो, क्याें िक सुनी हैं , और मैं उनके दुखाें को ख़ूब जानता
मैं अजनबी मुल्क में परदे सी हूँ ।” हूँ । 8 अब मैं उन्हें िमसिरयाें के क़ाबू से बचाने के
23 काफ़ी अरसा गुज़र गया। इतने में िमसर िलए उतर आया हूँ । मैं उन्हें िमसर से िनकालकर
का बादशाह इं तक़ाल कर गया। इसराईली एक अच्छे वसी मुल्क में ले जाऊँगा, एक ऐसे
अपनी ग़ुलामी तले कराहते और मदद के िलए मुल्क में जहाँ दूध और शहद की कसरत है ,
पुकारते रहे , और उनकी चीख़ें अल्लाह तक गो इस वक़्त कनानी, िहत्ती, अमोरी, फ़िरज़्ज़ी,
पहुँ च गइर्ं । 24 अल्लाह ने उनकी आहें सुनीं और िहव्वी और यबूसी उसमें रहते हैं । 9 इसराईिलयाें
उस अहद को याद िकया जो उसने इब्राहीम, की चीख़ें मुझ तक पहुँ ची हैं । मैं ने दे खा है िक
इसहाक़ और याक़ूब से बाँ धा था। 25 अल्लाह िमसरी उन पर िकस तरह का ज़ुल्म ढा रहे
इसराईिलयाें की हालत दे खकर उनका ख़याल हैं । 10 चुनाँ चे अब जा। मैं तुझे िफ़रौन के पास
करने लगा। भे जता हूँ , क्याें िक तुझे मे री क़ौम इसराईल को
िमसर से िनकालकर लाना है ।”
जलती हुई झाड़ी 11 ले िकन मूसा ने अल्लाह से कहा, “मैं कौन

3 मूसा अपने सुसर ियतरो की भे ड़-


बकिरयाें की िनगहबानी करता था
(िमिदयान का इमाम रऊएल ियतरो भी
हूँ िक िफ़रौन के पास जाकर इसराईिलयाें को
िमसर से िनकाल लाऊँ?” 12 अल्लाह ने कहा,
“मैं तो ते रे साथ हूँ गा। और इसका सबूत िक मैं
कहलाता था)। एक िदन मूसा रे वड़ को तुझे भे ज रहा हूँ यह होगा िक लोगाें के िमसर
रे िगस्तान की परली जािनब ले गया और चलते से िनकलने के बाद तुम यहाँ आकर इस पहाड़
चलते अल्लाह के पहाड़ होिरब यानी सीना तक पर मे री इबादत करोगे ।”
पहुँ च गया। 2 वहाँ रब का फ़िरश्ता आग के शोले 13 ले िकन मूसा ने एतराज़ िकया, “अगर मैं

में उस पर ज़ािहर हुआ। यह शोला एक झाड़ी में इसराईिलयाें के पास जाकर उन्हें बताऊँ िक
भड़क रहा था। मूसा ने दे खा िक झाड़ी जल तुम्हारे बापदादा के ख़ुदा ने मुझे तुम्हारे पास
रही है ले िकन भस्म नहीं हो रही। 3 मूसा ने भे जा है तो वह पूछेंगे , ‘उसका नाम क्या है ?’
सोचा, “यह तो अजीब बात है । क्या वजह है िफर मैं उनको क्या जवाब दूँ ?”
िक जलती हुई झाड़ी भस्म नहीं हो रही? मैं ज़रा 14 अल्लाह ने कहा, “मैं जो हूँ सो मैं हूँ । उनसे

वहाँ जाकर यह है रतअं गेज़ मं ज़र दे खँ ू।” कहना, ‘मैं हूँ ने मुझे तुम्हारे पास भे जा है । 15 रब
जो तुम्हारे बापदादा का ख़ुदा, इब्राहीम का ख़ुदा,
69 ख़ुरूज 4:12
इसहाक़ का ख़ुदा और याक़ूब का ख़ुदा है उसी कहा, “लाठी।” 3 रब ने कहा, “उसे ज़मीन पर
ने मुझे तुम्हारे पास भे जा है ।’ यह अबद तक मे रा डाल दे ।” मूसा ने ऐसा िकया तो लाठी साँ प
नाम रहे गा। लोग यही नाम ले कर मुझे नसल- बन गई, और मूसा डरकर भागा। 4 रब ने कहा,
दर-नसल याद करें गे । “अब साँ प की दुम को पकड़ ले ।” मूसा ने ऐसा
16 अब जा और इसराईल के बुज़ुगार्ें को जमा िकया तो साँ प िफर लाठी बन गया।
करके उनको बता दे िक रब तुम्हारे बापदादा 5 रब ने कहा, “यह दे खकर लोगाें को यक़ीन

इब्राहीम, इसहाक़ और याक़ूब का ख़ुदा मुझ पर आएगा िक रब जो उनके बापदादा का ख़ुदा,


ज़ािहर हुआ है । वह फ़रमाता है , ‘मैं ने ख़ूब दे ख इब्राहीम का ख़ुदा, इसहाक़ का ख़ुदा और
िलया है िक िमसर में तुम्हारे साथ क्या सुलूक हो याक़ूब का ख़ुदा है तुझ पर ज़ािहर हुआ है ।
रहा है । 17 इसिलए मैं ने फ़ैसला िकया है िक तुम्हें 6 अब अपना हाथ अपने िलबास में डाल दे ।”

िमसर की मुसीबत से िनकालकर कनािनयाें , मूसा ने ऐसा िकया। जब उसने अपना हाथ
िहित्तयाें , अमोिरयाें , फ़िरिज़्ज़याें , िहिव्वयाें और िनकाला तो वह बफ़र् की मािंनद सफ़ेद हो गया
यबूिसयाें के मुल्क में ले जाऊँ, ऐसे मुल्क में था। कोढ़ जै सी बीमारी लग गई थी। 7 तब रब ने
जहाँ दूध और शहद की कसरत है ।’ 18 बुज़ुगर् कहा, “अब अपना हाथ दुबारा अपने िलबास में
ते री सुनेंगे। िफर उनके साथ िमसर के बादशाह डाल।” मूसा ने ऐसा िकया। जब उसने अपना
के पास जाकर उससे कहना, ‘रब इबरािनयाें हाथ दुबारा िनकाला तो वह िफर से हतमं द था।
का ख़ुदा हम पर ज़ािहर हुआ है । इसिलए हमें 8 रब ने कहा, “अगर लोगाें को पहला

इजाज़त दें िक हम तीन िदन का सफ़र करके मोिजज़ा दे खकर यक़ीन न आए और वह ते री


रे िगस्तान में रब अपने ख़ुदा के िलए क़ुरबािनयाँ न सुनें तो शायद उन्हें दूसरा मोिजज़ा दे खकर
चढ़ाएँ ।’ यक़ीन आए। 9 अगर उन्हें िफर भी यक़ीन न
19 ले िकन मुझे मालूम है िक िमसर का आए और वह ते री न सुनें तो दिरयाए-नील से
बादशाह िसफ़र् इस सूरत में तुम्हें जाने दे गा कुछ पानी िनकालकर उसे ख़ुश्क ज़मीन पर
िक कोई ज़बरदस्ती तुम्हें ले जाए। 20 इसिलए उं डे ल दे । यह पानी ज़मीन पर िगरते ही ख़ून
मैं अपनी क़ुदरत ज़ािहर करके अपने मोिजज़ाें बन जाएगा।”
की मािरफ़त िमसिरयाें को मारूँगा। िफर वह 10 ले िकन मूसा ने कहा, “मे रे आक़ा, मैं

तुम्हें जाने दे गा। 21 उस वक़्त मैं िमसिरयाें के माज़रत चाहता हूँ , मैं अच्छी तरह बात नहीं कर
िदलाें को तुम्हारे िलए नरम कर दूँ गा। तुम्हें सकता बिल्क मैं कभी भी यह िलयाक़त नहीं
ख़ाली हाथ नहीं जाना पड़े गा। 22 तमाम इबरानी रखता था। इस वक़्त भी जब मैं तुझसे बात
औरतें अपनी िमसरी पड़ोसनाें और अपने घर में कर रहा हूँ मे री यही हालत है । मैं रुक रुककर
रहने वाली िमसरी औरताें से चाँ दी और सोने के बोलता हूँ ।” 11 रब ने कहा, “िकसने इनसान
ज़े वरात और नफ़ीस कपड़े माँ गकर अपने बच्चाें का मुँह बनाया? कौन एक को गूँगा और दूसरे
को पहनाएँ गी। याें िमसिरयाें को लूट िलया को बहरा बना दे ता है ? कौन एक को दे खने की
जाएगा।” क़ािबिलयत दे ता है और दूसरे को इससे महरूम

4 मूसा ने एतराज़ िकया, “ले िकन


इसराईली न मे री बात का यक़ीन करें गे ,
न मे री सुनेंगे। वह तो कहें गे, ‘रब तुम पर ज़ािहर
रखता है ? क्या मैं जो रब हूँ यह सब कुछ नहीं
करता? 12 अब जा! ते रे बोलते वक़्त मैं ख़ुद
ते रे साथ हूँ गा और तुझे वह कुछ िसखाऊँगा जो
नहीं हुआ’।” 2 जवाब में रब ने मूसा से कहा, तुझे कहना है ।”
“तूने हाथ में क्या पकड़ा हुआ है ?” मूसा ने
ख़ुरूज 4:13 70
13 ले िकन मूसा ने इिल्तजा की, “मे रे आक़ा, करे । अगर तू मे रे बे टे को जाने से मना करे तो
मे हरबानी करके िकसी और को भे ज दे ।” मैं ते रे पहलौठे को जान से मार दूँ गा’।”
14 तब रब मूसा से सख़्त ख़फ़ा हुआ। उसने 24 एक िदन जब मूसा अपने ख़ानदान के साथ

कहा, “क्या ते रा लावी भाई हारून ऐसे काम रास्ते में िकसी सराय में ठहरा हुआ था तो
के िलए हािज़र नहीं है ? मैं जानता हूँ िक वह रब ने उस पर हमला करके उसे मार दे ने की
अच्छी तरह बोल सकता है । दे ख, वह तुझसे कोिशश की। 25 यह दे खकर सफ़्फ़ूरा ने एक
िमलने के िलए िनकल चुका है । तुझे दे खकर ते ज़ पत्थर से अपने बे टे का ख़तना िकया और
वह िनहायत ख़ुश होगा। 15 उसे वह कुछ बता काटे हुए िहस्से से मूसा के पै र छु ए। उसने
जो उसे कहना है । तुम्हारे बोलते वक़्त मैं ते रे और कहा, “यक़ीनन तुम मे रे ख़ूनी दूल्हा हो।” 26 तब
उसके साथ हूँ गा और तुम्हें वह कुछ िसखाऊँगा अल्लाह ने मूसा को छोड़ िदया। सफ़्फ़ूरा ने उसे
जो तुम्हें करना होगा। 16 हारून ते री जगह क़ौम ख़तने के बाइस ही ‘ख़ूनी दूल्हा’ कहा था।
से बात करे गा जबिक तू मे री तरह उसे वह कुछ 27 रब ने हारून से भी बात की, “रे िगस्तान

बताएगा जो उसे कहना है । 17 ले िकन यह लाठी में मूसा से िमलने जा।” हारून चल पड़ा और
भी साथ ले जाना, क्याें िक इसी के ज़रीए तू यह अल्लाह के पहाड़ के पास मूसा से िमला। उसने
मोिजज़े करे गा।” उसे बोसा िदया। 28 मूसा ने हारून को सब कुछ
सुना िदया जो रब ने उसे कहने के िलए भे जा
मूसा िमसर को लौट जाता है था। उसने उसे उन मोिजज़ाें के बारे में भी बताया
18 िफर मूसा अपने सुसर ियतरो के घर जो उसे िदखाने थे ।
वापस चला गया। उसने कहा, “मुझे ज़रा अपने 29 िफर दोनाें िमलकर िमसर गए। वहाँ

अज़ीज़ाें के पास वापस जाने दें जो िमसर में पहुँ चकर उन्हाें ने इसराईल के तमाम बुज़ुगार्ें को
हैं । मैं मालूम करना चाहता हूँ िक वह अभी जमा िकया। 30 हारून ने उन्हें वह तमाम बातें
तक िंज़दा हैं िक नहीं।” ियतरो ने जवाब िदया, सुनाइर्ं जो रब ने मूसा को बताई थीं। उसने
“ठीक है , सलामती से जाएँ ।” 19 मूसा अभी मज़कूरा मोिजज़े भी लोगाें के सामने िदखाए।
िमिदयान में था िक रब ने उससे कहा, “िमसर 31 िफर उन्हें यक़ीन आया। और जब उन्हाें ने सुना

को वापस चला जा, क्याें िक जो आदमी तुझे िक रब को तुम्हारा ख़याल है और वह तुम्हारी


क़त्ल करना चाहते थे वह मर गए हैं ।” 20 चुनाँ चे मुसीबत से आगाह है तो उन्हाें ने रब को िसजदा
मूसा अपनी बीवी और बे टाें को गधे पर सवार िकया।
करके िमसर को लौटने लगा। अल्लाह की लाठी
उसके हाथ में थी। मूसा और हारून िफ़रौन के दरबार में

5
21 रब ने उससे यह भी कहा, “िमसर जाकर िफर मूसा और हारून िफ़रौन के पास
िफ़रौन के सामने वह तमाम मोिजज़े िदखा गए। उन्हाें ने कहा, “रब इसराईल का
िजनका मैं ने तुझे इिख़्तयार िदया है । ले िकन ख़ुदा फ़रमाता है , ‘मे री क़ौम को रे िगस्तान
मे रे कहने पर वह अड़ा रहे गा। वह इसराईिलयाें में जाने दे तािक वह मे रे िलए ईद मनाएँ ’।”
को जाने की इजाज़त नहीं दे गा। 22 उस वक़्त 2 िफ़रौन ने जवाब िदया, “यह रब कौन है ?

िफ़रौन को बता दे ना, ‘रब फ़रमाता है िक मैं क्याें उसका हुक्म मानकर इसराईिलयाें को
इसराईल मे रा पहलौठा है । 23 मैं तुझे बता चुका जाने दूँ ? न मैं रब को जानता हूँ , न इसराईिलयाें
हूँ िक मे रे बे टे को जाने दे तािक वह मे री इबादत को जाने दूँ गा।”
71 ख़ुरूज 6:1
3 हारून और मूसा ने कहा, “इबरािनयाें का आज उतनी इर्ं टें क्याें नहीं बनवाइर्ं िजतनी पहले
ख़ुदा हम पर ज़ािहर हुआ है । इसिलए मे हरबानी बनवाते थे ?”
करके हमें इजाज़त दें िक रे िगस्तान में तीन 15 िफर इसराईली िनगरान िफ़रौन के पास

िदन का सफ़र करके रब अपने ख़ुदा के हुज़ूर गए। उन्हाें ने िशकायत करके कहा, “आप अपने
क़ुरबािनयाँ पे श करें । कहीं वह हमें िकसी ख़ािदमाें के साथ ऐसा सुलूक क्याें कर रहे हैं ?
बीमारी या तलवार से न मारे ।” 16 हमें भूसा नहीं िदया जा रहा और साथ साथ

4 ले िकन िमसर के बादशाह ने इनकार िकया, यह कहा गया है िक उतनी इर्ं टें बनाओ िजतनी
“मूसा और हारून, तुम लोगाें को काम से क्याें पहले बनाते थे । नतीजे में हमें मारा-पीटा भी जा
रोक रहे हो? जाओ, जो काम हमने तुमको रहा है हालाँ िक ऐसा करने में आपके अपने लोग
िदया है उस पर लग जाओ! 5 इसराईली वै से ग़लती पर हैं ।”
भी तादाद में बहुत बढ़ गए हैं , और तुम उन्हें 17 िफ़रौन ने जवाब िदया, “तुम लोग सुस्त

काम करने से रोक रहे हो।” हो, तुम काम करना नहीं चाहते । इसिलए तुम
यह जगह छोड़ना और रब को क़ुरबािनयाँ पे श
जवाब में िफ़रौन का सख़्त दबाव करना चाहते हो। 18 अब जाओ, काम करो।
6 उसी िदन िफ़रौन ने िमसरी िनगरानाें और तुम्हें भूसा नहीं िदया जाएगा, ले िकन ख़बरदार!
उनके तहत के इसराईली िनगरानाें को हुक्म उतनी ही इर्ं टें बनाओ िजतनी पहले बनाते थे ।”
िदया, 7 “अब से इसराईिलयाें को इर्ं टें बनाने 19 जब इसराईली िनगरानाें को बताया गया

के िलए भूसा मत दे ना, बिल्क वह ख़ुद जाकर िक इर्ं टाें की मतलूबा तादाद कम न करो तो वह
भूसा जमा करें । 8 तो भी वह उतनी ही इर्ं टें बनाएँ समझ गए िक हम फँस गए हैं । 20 िफ़रौन के
िजतनी पहले बनाते थे । वह सुस्त हो गए हैं और महल से िनकलकर उनकी मुलाक़ात मूसा और
इसी िलए चीख़ रहे हैं िक हमें जाने दें तािक हारून से हुई जो उनके इं तज़ार में थे । 21 उन्हाें ने
अपने ख़ुदा को क़ुरबािनयाँ पे श करें । 9 उनसे मूसा और हारून से कहा, “रब ख़ुद आपकी
और ज़्यादा सख़्त काम कराओ, उन्हें काम में अदालत करे । क्याें िक आपके सबब से िफ़रौन
लगाए रखो। उनके पास इतना वक़्त ही न हो और उसके मुलािज़माें को हमसे िघन आती है ।
िक वह झूटी बाताें पर ध्यान दें ।” आपने उन्हें हमें मार दे ने का मौक़ा दे िदया है ।”
10 िमसरी िनगरान और उनके तहत के

इसराईली िनगरानाें ने लोगाें के पास जाकर मूसा की िशकायत और रब का जवाब


उनसे कहा, “िफ़रौन का हुक्म है िक तुम्हें भूसा 22 यह सुनकर मूसा रब के पास वापस आया

न िदया जाए। 11 इसिलए ख़ुद जाओ और भूसा और कहा, “ऐ आक़ा, तूने इस क़ौम से ऐसा
ढूँ डकर जमा करो। ले िकन ख़बरदार! उतनी ही बुरा सुलूक क्याें िकया? क्या तूने इसी मक़सद
इर्ं टें बनाओ िजतनी पहले बनाते थे ।” से मुझे यहाँ भे जा है ? 23 जब से मैं ने िफ़रौन
12 यह सुनकर इसराईली भूसा जमा करने के पास जाकर उसे ते री मरज़ी बताई है वह
के िलए पूरे मुल्क में फैल गए। 13 िमसरी इसराईली क़ौम से बुरा सुलूक कर रहा है । और
िनगरान यह कहकर उन पर दबाव डालते रहे तूने अब तक उन्हें बचाने का कोई क़दम नहीं
िक उतनी इर्ं टें बनाओ िजतनी पहले बनाते थे । उठाया।”

6
14 जो इसराईली िनगरान उन्हाें ने मुक़रर् र िकए थे रब ने जवाब िदया, “अब तू दे खेगा िक
उन्हें वह पीटते और कहते रहे , “तुमने कल और मैं िफ़रौन के साथ क्या कुछ करता हूँ ।
मे री अज़ीम क़ुदरत का तजरबा करके वह मे रे
ख़ुरूज 6:2 72
लोगाें को जाने दे गा बिल्क उन्हें जाने पर मजबूर िफ़रौन से बात करके इसराईिलयाें को िमसर
करे गा।” से िनकालो।”
2 अल्लाह ने मूसा से यह भी कहा, “मैं

रब हूँ । 3 मैं इब्राहीम, इसहाक़ और याक़ूब पर मूसा और हारून के आबा-ओ-अजदाद


ज़ािहर हुआ। वह मे रे नाम अल्लाह क़ािदरे - 14 इसराईल के आबाई घरानाें के सरबराह

मुतलक़ a से वािक़फ़ हुए, ले िकन मैं ने उन पर यह थे : इसराईल के पहलौठे रूिबन के चार


अपने नाम रब b का इनिकशाफ़ नहीं िकया। बे टे हनूक, फ़ल्लू, हसरोन और करमी थे । इनसे
4 मैं ने उनसे अहद करके वादा िकया िक रूिबन की चार शाख़ें िनकलीं।
उन्हें मुल्के-कनान दूँ गा िजसमें वह अजनबी 15 शमाऊन के पाँ च बे टे यमुएल, यमीन,

के तौर पर रहते थे । 5 अब मैं ने सुना है िक उहद, यकीन, सुहर और साऊल थे । (साऊल


इसराईली िकस तरह िमसिरयाें की ग़ुलामी में कनानी औरत का बच्चा था)। इनसे शमाऊन
कराह रहे हैं , और मैं ने अपना अहद याद िकया की पाँ च शाख़ें िनकलीं।
है । 6 चुनाँ चे इसराईिलयाें को बताना, ‘मैं रब 16 लावी के तीन बे टे जै रसोन, िक़हात और

हूँ । मैं तुम्हें िमसिरयाें के जुए से आज़ाद करूँगा िमरारी थे । (लावी 137 साल की उम्र में फ़ौत
और उनकी ग़ुलामी से बचाऊँगा। मैं बड़ी क़ुदरत हुआ)।
के साथ तुम्हें छु ड़ाऊँगा और उनकी अदालत 17 जै रसोन के दो बे टे िलबनी और िसमई थे ।

करूँगा। 7 मैं तुम्हें अपनी क़ौम बनाऊँगा और इनसे जै रसोन की दो शाख़ें िनकलीं। 18 िक़हात
तुम्हारा ख़ुदा हूँ गा। तब तुम जान लोगे िक मैं रब के चार बे टे अमराम, इज़हार, हबरून और
तुम्हारा ख़ुदा हूँ िजसने तुम्हें िमसिरयाें के जुए उिज़्ज़ये ल थे । (िक़हात 133 साल की उम्र में
से आज़ाद कर िदया है । 8 मैं तुम्हें उस मुल्क फ़ौत हुआ)। 19 िमरारी के दो बे टे महली और
में ले जाऊँगा िजसका वादा मैं ने क़सम खाकर मूशी थे । इन सबसे लावी की मुख़्तिलफ़ शाख़ें
इब्राहीम, इसहाक़ और याक़ूब से िकया है । वह िनकलीं।
मुल्क तुम्हारी अपनी िमलिकयत होगा। मैं रब 20 अमराम ने अपनी फूफी यूकिबद से शादी

हूँ ’।” की। उनके दो बे टे हारून और मूसा पै दा हुए।


9 मूसा ने यह सब कुछ इसराईिलयाें को बता (अमराम 137 साल की उम्र में फ़ौत हुआ)।
िदया, ले िकन उन्हाें ने उस की बात न मानी, 21 इज़हार के तीन बे टे क़ोरह, नफ़ज और

क्याें िक वह सख़्त काम के बाइस िहम्मत हार िज़करी थे । 22 उिज़्ज़ये ल के तीन बे टे मीसाएल,
गए थे । 10 तब रब ने मूसा से कहा, 11 “जा, इल्सफ़न और िसतरी थे ।
िमसर के बादशाह िफ़रौन को बता दे ना िक 23 हारून ने इलीिसबा से शादी की।

इसराईिलयाें को अपने मुल्क से जाने दे ।” (इलीिसबा अम्मीनदाब की बे टी और नहसोन


12 ले िकन मूसा ने एतराज़ िकया, “इसराईली की बहन थी)। उनके चार बे टे नदब, अबीहू,
मे री बात सुनना नहीं चाहते तो िफ़रौन क्याें मे री इिलयज़र और इतमर थे । 24 क़ोरह के तीन बे टे
बात माने जबिक मैं रुक रुककर बोलता हूँ ?” अस्सीर, इलक़ाना और अिबयासफ़ थे । उनसे
13 ले िकन रब ने मूसा और हारून को हुक्म क़ोरिहयाें की तीन शाख़ें िनकलीं। 25 हारून के
िदया, “इसराईिलयाें और िमसर के बादशाह बे टे इिलयज़र ने फ़ूितये ल की एक बे टी से शादी
की। उनका एक बे टा फ़ीनहास था।

a b
इबरानी में एल-शदई। इबरानी में यहवे ।
73 ख़ुरूज 7:19
यह सब लावी के आबाई घरानाें के सरबराह मूसा की लाठी साँ प बन जाती है
थे । 8 रब ने मूसा और हारून से कहा, 9 “जब
26 रब ने अमराम के दो बे टाें हारून और िफ़रौन तुम्हें मोिजज़ा िदखाने को कहे गा तो मूसा
मूसा को हुक्म िदया िक मे री क़ौम को उसके हारून से कहे िक अपनी लाठी ज़मीन पर डाल
ख़ानदानाें की तरतीब के मुतािबक़ िमसर से दे । इस पर वह साँ प बन जाएगी।”
िनकालो। 27 इन्हीं दो आदिमयाें ने िमसर के 10 मूसा और हारून ने िफ़रौन के पास जाकर

बादशाह िफ़रौन से बात की िक इसराईिलयाें ऐसा ही िकया। हारून ने अपनी लाठी िफ़रौन
को िमसर से जाने दे । और उसके ओहदे दाराें के सामने डाल दी तो वह
साँ प बन गई। 11 यह दे खकर िफ़रौन ने अपने
रब दुबारा मूसा से हमकलाम होता है आिलमाें और जादूगराें को बुलाया। जादूगराें ने
28 िमसर में रब ने मूसा से कहा, 29 “मैं रब भी अपने जादू से ऐसा ही िकया। 12 हर एक ने
हूँ । िमसर के बादशाह को वह सब कुछ बता अपनी लाठी ज़मीन पर फेंकी तो वह साँ प बन
दे ना जो मैं तुझे बताता हूँ ।” 30 मूसा ने एतराज़ गई। ले िकन हारून की लाठी ने उनकी लािठयाें
िकया, “मैं तो रुक रुककर बोलता हूँ । िफ़रौन को िनगल िलया।
िकस तरह मे री बात माने गा?” 13 ताहम िफ़रौन इससे मुतअिस्सर न हुआ।

7 ले िकन रब ने कहा, “दे ख, मे रे कहने पर


तू िफ़रौन के िलए अल्लाह की है िसयत
रखे गा और ते रा भाई हारून ते रा पै ग़ंबर होगा।
उसने मूसा और हारून की बात सुनने से इनकार
िकया। वै सा ही हुआ जै सा रब ने कहा था।

2 जो भी हुक्म मैं तुझे दूँ गा उसे तू हारून को बता पानी ख़ून में बदल जाता है
दे । िफर वह सब कुछ िफ़रौन को बताए तािक 14 िफर रब ने मूसा से कहा, “िफ़रौन अड़
वह इसराईिलयाें को अपने मुल्क से जाने दे । गया है । वह मे री क़ौम को िमसर छोड़ने से
3 ले िकन मैं िफ़रौन को अड़ जाने दूँ गा। अगरचे रोकता है । 15 कल सुबह-सवे रे जब वह दिरयाए-
मैं िमसर में बहुत-से िनशानाें और मोिजज़ाें नील पर आएगा तो उससे िमलने के िलए दिरया
से अपनी क़ुदरत का मुज़ाहरा करूँगा 4 तो भी के िकनारे पर खड़े हो जाना। उस लाठी को
िफ़रौन तुम्हारी नहीं सुनेगा। तब िमसिरयाें पर थामे रखना जो साँ प बन गई थी। 16 जब वह
मे रा हाथ भारी हो जाएगा, और मैं उनको वहाँ पहुँ चे तो उससे कहना, ‘रब इबरािनयाें के
सख़्त सज़ा दे कर अपनी क़ौम इसराईल को ख़ुदा ने मुझे आपको यह बताने के िलए भे जा
ख़ानदानाें की तरतीब के मुतािबक़ िमसर से है िक मे री क़ौम को मे री इबादत करने के िलए
िनकाल लाऊँगा। 5 जब मैं िमसर के िख़लाफ़ रे िगस्तान में जाने दे । ले िकन आपने अभी तक
अपनी क़ुदरत का इज़हार करके इसराईिलयाें उस की नहीं सुनी। 17 चुनाँ चे अब आप जान लें गे
को वहाँ से िनकालूँगा तो िमसरी जान लें गे िक िक वह रब है । मैं इस लाठी को जो मे रे हाथ
मैं रब हूँ ।” में है ले कर दिरयाए-नील के पानी को मारूँगा।
6 मूसा और हारून ने सब कुछ वै सा ही िकया िफर वह ख़ून में बदल जाएगा। 18 दिरयाए-नील
जै सा रब ने उन्हें हुक्म िदया। 7 िफ़रौन से बात की मछिलयाँ मर जाएँ गी, दिरया से बदबू उठे गी
करते वक़्त मूसा 80 साल का और हारून 83 और िमसरी दिरया का पानी नहीं पी सकेंगे ’।”
साल का था। 19 रब ने मूसा से कहा, “हारून को बता दे ना

िक वह अपनी लाठी ले कर अपना हाथ उन


तमाम जगहाें की तरफ़ बढ़ाए जहाँ पानी जमा
ख़ुरूज 7:20 74
होता है । तब िमसर की तमाम निदयाें , नहराें , 5 रब ने मूसा से कहा, “हारून को बता दे ना
जोहड़ाें और तालाबाें का पानी ख़ून में बदल िक वह अपनी लाठी को हाथ में ले कर उसे
जाएगा। पूरे मुल्क में ख़ून ही ख़ून होगा, यहाँ दिरयाआें, नहराें और जोहड़ाें के ऊपर उठाए
तक िक लकड़ी और पत्थर के बरतनाें का पानी तािक में ढक बाहर िनकलकर िमसर के मुल्क
भी ख़ून में बदल जाएगा।” में फैल जाएँ ।” 6 हारून ने मुल्के-िमसर के पानी
20 चुनाँ चे मूसा और हारून ने िफ़रौन और के ऊपर अपनी लाठी उठाई तो में ढकाें के ग़ोल
उसके ओहदे दाराें के सामने अपनी लाठी पानी से िनकलकर पूरे मुल्क पर छा गए।
उठाकर दिरयाए-नील के पानी पर मारी। इस 7 ले िकन जादूगराें ने भी अपने जादू से ऐसा ही

पर दिरया का सारा पानी ख़ून में बदल गया। िकया। वह भी दिरया से में ढक िनकाल लाए।
21 दिरया की मछिलयाँ मर गइर्ं , और उससे 8 िफ़रौन ने मूसा और हारून को बुलाकर

इतनी बदबू उठने लगी िक िमसरी उसका पानी कहा, “रब से दुआ करो िक वह मुझसे और
न पी सके। िमसर में चाराें तरफ़ ख़ून ही ख़ून मे री क़ौम से में ढकाें को दूर करे । िफर मैं तुम्हारी
था। क़ौम को जाने दूँ गा तािक वह रब को क़ुरबािनयाँ
22 ले िकन जादूगराें ने भी अपने जादू के ज़रीए पे श करें ।”
ऐसा ही िकया। इसिलए िफ़रौन अड़ गया और 9 मूसा ने जवाब िदया, “वह वक़्त मुक़रर् र करें

मूसा और हारून की बात न मानी। वै सा ही हुआ जब मैं आपके ओहदे दाराें और आपकी क़ौम के
जै सा रब ने कहा था। 23 िफ़रौन पलटकर अपने िलए दुआ करूँ। िफर जो में ढक आपके पास
घर वापस चला गया। उसे उस की परवा नहीं और आपके घराें में हैं उसी वक़्त ख़त्म हो
थी जो मूसा और हारून ने िकया था। 24 ले िकन जाएं गे। में ढक िसफ़र् दिरया में पाए जाएं गे।”
िमसरी दिरया से पानी न पी सके, और उन्हाें ने 10 िफ़रौन ने कहा, “ठीक है , कल उन्हें ख़त्म

पीने का पानी हािसल करने के िलए दिरया के करो।” मूसा ने कहा, “जै सा आप कहते हैं वै सा
िकनारे िकनारे गढ़े खोदे । 25 पानी के बदल जाने ही होगा। इस तरह आपको मालूम होगा िक
के बाद सात िदन गुज़र गए। हमारे ख़ुदा की मािंनद कोई नहीं है । 11 में ढक
आप, आपके घराें , आपके ओहदे दाराें और
में ढक आपकी क़ौम को छोड़कर िसफ़र् दिरया में रह

8 िफर रब ने मूसा से कहा, “िफ़रौन


के पास जाकर उसे बता दे ना िक रब
फ़रमाता है , ‘मे री क़ौम को मे री इबादत करने
जाएं गे।”
12 मूसा और हारून िफ़रौन के पास से चले

गए, और मूसा ने रब से िमन्नत की िक वह


के िलए जाने दे , 2 वरना मैं पूरे िमसर को में ढकाें में ढकाें के वह ग़ोल दूर करे जो उसने िफ़रौन
से सज़ा दूँ गा। 3 दिरयाए-नील में ढकाें से इतना के िख़लाफ़ भे जे थे । 13 रब ने उस की दुआ
भर जाएगा िक वह दिरया से िनकलकर ते रे सुनी। घराें , सहनाें और खे ताें में में ढक मर गए।
महल, ते रे सोने के कमरे और ते रे िबस्तर में जा 14 लोगाें ने उन्हें जमा करके उनके ढे र लगा िदए।

घुसेंगे। वह ते रे ओहदे दाराें और ते री िरआया के उनकी बदबू पूरे मुल्क में फैल गई।
घराें में आएँ गे बिल्क ते रे तनूराें और आटा गूँधने 15 ले िकन जब िफ़रौन ने दे खा िक मसला हल

के बरतनाें में भी फुदकते िफरें गे । 4 में ढक तुझ हो गया है तो वह िफर अकड़ गया और उनकी
पर, ते री क़ौम पर और ते रे ओहदे दाराें पर चढ़ न सुनी। याें रब की बात दुरुस्त िनकली।
जाएं गे’।”
75 ख़ुरूज 9:3
जुएँ 25 िफर िफ़रौन ने मूसा और हारून को
16 िफर रब ने मूसा से कहा, “हारून से कहना बुलाकर कहा, “चलो, इसी मुल्क में अपने ख़ुदा
िक वह अपनी लाठी से ज़मीन की गदर् को मारे । को क़ुरबािनयाँ पे श करो।” 26 ले िकन मूसा ने
जब वह ऐसा करे गा तो पूरे िमसर की गदर् जुआें कहा, “यह मुनािसब नहीं है । जो क़ुरबािनयाँ हम
में बदल जाएगी।” रब अपने ख़ुदा को पे श करें गे वह िमसिरयाें की
17 उन्हाें ने ऐसा ही िकया। हारून ने अपनी नज़र में िघनौनी हैं । अगर हम यहाँ ऐसा करें तो
लाठी से ज़मीन की गदर् को मारा तो पूरे मुल्क क्या वह हमें सं गसार नहीं करें गे ? 27 इसिलए
की गदर् जुआें में बदल गई। उनके ग़ोल जानवराें लािज़म है िक हम तीन िदन का सफ़र करके
और आदिमयाें पर छा गए। 18 जादूगराें ने भी रे िगस्तान में ही रब अपने ख़ुदा को क़ुरबािनयाँ
अपने जादू से ऐसा करने की कोिशश की, पे श करें िजस तरह उसने हमें हुक्म भी िदया
ले िकन वह गदर् से जुएँ न बना सके। जुएँ है ।”
आदिमयाें और जानवराें पर छा गइर्ं । 19 जादूगराें 28 िफ़रौन ने जवाब िदया, “ठीक है , मैं तुम्हें

ने िफ़रौन से कहा, “अल्लाह की क़ुदरत ने यह जाने दूँ गा तािक तुम रे िगस्तान में रब अपने
िकया है ।” ले िकन िफ़रौन ने उनकी न सुनी। याें ख़ुदा को क़ुरबािनयाँ पे श करो। ले िकन तुम्हें
रब की बात दुरुस्त िनकली। ज़्यादा दूर नहीं जाना है । और मे रे िलए भी दुआ
करना।”
काटने वाली मिक्खयाँ 29 मूसा ने कहा, “ठीक, मैं जाते ही रब से
20 िफर रब ने मूसा से कहा, “जब िफ़रौन दुआ करूँगा। कल ही मिक्खयाँ िफ़रौन, उसके
सुबह-सवे रे दिरया पर जाए तो तू उसके रास्ते ओहदे दाराें और उस की क़ौम से दूर हो जाएँ गी।
में खड़ा हो जाना। उसे कहना िक रब फ़रमाता ले िकन हमें दुबारा फ़रे ब न दे ना बिल्क हमें जाने
है , ‘मे री क़ौम को जाने दे तािक वह मे री इबादत दे ना तािक हम रब को क़ुरबािनयाँ पे श कर
कर सकें। 21 वरना मैं ते रे और ते रे ओहदे दाराें सकें।”
के पास, ते री क़ौम के पास और ते रे घराें में 30 िफर मूसा िफ़रौन के पास से चला गया

काटने वाली मिक्खयाँ भे ज दूँ गा। िमसिरयाें के और रब से दुआ की। 31 रब ने मूसा की दुआ
घर मिक्खयाें से भर जाएं गे बिल्क िजस ज़मीन सुनी। काटने वाली मिक्खयाँ िफ़रौन, उसके
पर वह खड़े हैं वह भी मिक्खयाें से ढाँ की ओहदे दाराें और उस की क़ौम से दूर हो गइर्ं । एक
जाएगी। 22 ले िकन उस वक़्त मैं अपनी क़ौम भी मक्खी न रही। 32 ले िकन िफ़रौन िफर अकड़
के साथ जो जुशन में रहती है फ़रक़ सुलूक गया। उसने इसराईिलयाें को जाने न िदया।
करूँगा। वहाँ एक भी काटने वाली मक्खी नहीं
होगी। इस तरह तुझे पता लगे गा िक इस मुल्क मवे िशयाें में वबा
में मैं ही रब हूँ । 23 मैं अपनी क़ौम और ते री क़ौम
में इिम्तयाज़ करूँगा। कल ही मे री क़ुदरत का
इज़हार होगा’।”
9 िफर रब ने मूसा से कहा, “िफ़रौन के
पास जाकर उसे बता िक रब इबरािनयाें
का ख़ुदा फ़रमाता है , ‘मे री क़ौम को जाने दे
24 रब ने ऐसा ही िकया। काटने वाली तािक वह मे री इबादत कर सकें।’ 2 अगर आप
मिक्खयाें के ग़ोल िफ़रौन के महल, उसके इनकार करें और उन्हें रोकते रहें 3 तो रब अपनी
ओहदे दाराें के घराें और पूरे िमसर में फैल गए। क़ुदरत का इज़हार करके आपके मवे िशयाें में
मुल्क का सत्यानास हो गया। भयानक वबा फैला दे गा जो आपके घोड़ाें , गधाें ,
ऊँटाें , गाय-बै लाें , भे ड़-बकिरयाें और में ढाें में
ख़ुरूज 9:4 76
फैल जाएगी। 4 ले िकन रब इसराईल और िमसर पर, ते रे ओहदे दाराें पर और ते री क़ौम पर आने
के मवे िशयाें में इिम्तयाज़ करे गा। इसराईिलयाें दूँ गा। िफर तू जान ले गा िक तमाम दुिनया में मुझ
का एक भी जानवर नहीं मरे गा। 5 रब ने फ़ैसला जै सा कोई नहीं है । 15 अगर मैं चाहता तो अपनी
कर िलया है िक वह कल ही ऐसा करे गा।” क़ुदरत से ऐसी वबा फैला सकता िक तुझे और
6 अगले िदन रब ने ऐसा ही िकया। िमसर के ते री क़ौम को दुिनया से िमटा िदया जाता।
तमाम मवे शी मर गए, ले िकन इसराईिलयाें का 16 ले िकन मैं ने तुझे इसिलए बरपा िकया है िक

एक भी जानवर न मरा। 7 िफ़रौन ने कुछ लोगाें तुझ पर अपनी क़ुदरत का इज़हार करूँ और याें
को उनके पास भे ज िदया तो पता चला िक एक तमाम दुिनया में मे रे नाम का प्रचार िकया जाए।
भी जानवर नहीं मरा। ताहम िफ़रौन अड़ा रहा। 17 तू अभी तक अपने आपको सरफ़राज़ करके

उसने इसराईिलयाें को जाने न िदया। मे री क़ौम के िख़लाफ़ है और उन्हें जाने नहीं


दे ता। 18 इसिलए कल मैं इसी वक़्त भयानक
फोड़े -फं ु िसयाँ िक़स्म के ओलाें का तूफ़ान भे ज दूँ गा। िमसरी
8 िफर रब ने मूसा और हारून से कहा, क़ौम की इिब्तदा से ले कर आज तक िमसर में
“अपनी मुिट्ठयाँ िकसी भट्टी की राख से भरकर ओलाें का ऐसा तूफ़ान कभी नहीं आया होगा।
िफ़रौन के पास जाओ। िफर मूसा िफ़रौन के 19 अपने बं दाें को अभी भे जना तािक वह ते रे

सामने यह राख हवा में उड़ा दे । 9 यह राख मवे िशयाें को और खे ताें में पड़े ते रे माल को
बारीक धूल का बादल बन जाएगी जो पूरे लाकर महफ़ूज़ कर लें । क्याें िक जो भी खुले
मुल्क पर छा जाएगा। उसके असर से लोगाें मै दान में रहे गा वह ओलाें से मर जाएगा, ख़ाह
और जानवराें के िजस्माें पर फोड़े -फं ु िसयाँ फूट इनसान हो या है वान’।”
िनकलें गे।” 20 िफ़रौन के कुछ ओहदे दार रब का पै ग़ाम
10 मूसा और हारून ने ऐसा ही िकया। वह सुनकर डर गए और भागकर अपने जानवराें
िकसी भट्टी से राख ले कर िफ़रौन के सामने और ग़ुलामाें को घराें में ले आए। 21 ले िकन
खड़े हो गए। मूसा ने राख को हवा में उड़ा िदया दूसराें ने रब के पै ग़ाम की परवा न की। उनके
तो इनसानाें और जानवराें के िजस्माें पर फोड़े - जानवर और ग़ुलाम बाहर खुले मै दान में रहे ।
फं ु िसयाँ िनकल आए। 11 इस मरतबा जादूगर 22 रब ने मूसा से कहा, “अपना हाथ

मूसा के सामने खड़े भी न हो सके क्याें िक उनके आसमान की तरफ़ बढ़ा दे । िफर िमसर के
िजस्माें पर भी फोड़े िनकल आए थे । तमाम तमाम इनसानाें , जानवराें और खे ताें के पौदाें पर
िमसिरयाें का यही हाल था। 12 ले िकन रब ने ओले पड़ें गे ।” 23 मूसा ने अपनी लाठी आसमान
िफ़रौन को िज़द्दी बनाए रखा, इसिलए उसने की तरफ़ उठाई तो रब ने एक ज़बरदस्त तूफ़ान
मूसा और हारून की न सुनी। याें वै सा ही हुआ भे ज िदया। ओले पड़े , िबजली िगरी और बादल
जै सा रब ने मूसा को बताया था। गरजते रहे । 24 ओले पड़ते रहे और िबजली
चमकती रही। िमसरी क़ौम की इिब्तदा से ले कर
ओले अब तक ऐसे ख़तरनाक ओले कभी नहीं पड़े
13 इसके बाद रब ने मूसा से कहा, “सुबह- थे । 25 इनसानाें से ले कर है वानाें तक खे ताें में
सवे रे उठ और िफ़रौन के सामने खड़े होकर उसे सब कुछ बरबाद हो गया। ओलाें ने खे ताें में
बता िक रब इबरािनयाें का ख़ुदा फ़रमाता है , तमाम पौदे और दरख़्त भी तोड़ िदए। 26 वह
‘मे री क़ौम को जाने दे तािक वह मे री इबादत िसफ़र् जुशन के इलाक़े में न पड़े जहाँ इसराईली
कर सकें। 14 वरना मैं अपनी तमाम आफ़तें तुझ आबाद थे ।
77 ख़ुरूज 10:11
27 तब िफ़रौन ने मूसा और हारून को बुलाया। के मोिजज़े करके अपनी क़ुदरत का इज़हार
उसने कहा, “इस मरतबा मैं ने गुनाह िकया िकया है । याें तुम जान लोगे िक मैं रब हूँ ।”
है । रब हक़ पर है । मुझसे और मे री क़ौम से 3 मूसा और हारून िफ़रौन के पास गए।

ग़लती हुई है । 28 ओले और अल्लाह की गरजती उन्हाें ने उससे कहा, “रब इबरािनयाें के ख़ुदा
आवाज़ें हद से ज़्यादा हैं । रब से दुआ करो तािक का फ़रमान है , ‘तू कब तक मे रे सामने हिथयार
ओले रुक जाएँ । अब मैं तुम्हें जाने दूँ गा। अब से डालने से इनकार करे गा? मे री क़ौम को मे री
तुम्हें यहाँ रहना नहीं पड़े गा।” इबादत करने के िलए जाने दे , 4 वरना मैं कल ते रे
29 मूसा ने िफ़रौन से कहा, “मैं शहर से मुल्क में िटिड्डयाँ लाऊँगा। 5 उनके ग़ोल ज़मीन
िनकलकर दोनाें हाथ रब की तरफ़ उठाकर पर याें छा जाएं गे िक ज़मीन नज़र ही नहीं
दुआ करूँगा। िफर गरज और ओले रुक जाएं गे आएगी। जो कुछ ओलाें ने तबाह नहीं िकया
और आप जान लें गे िक पूरी दुिनया रब की है । उसे वह चट कर जाएँ गी। बचे हुए दरख़्ताें के पत्ते
30 ले िकन मैं जानता हूँ िक आप और आपके भी ख़त्म हो जाएं गे। 6 ते रे महल, ते रे ओहदे दाराें
ओहदे दार अभी तक रब ख़ुदा का ख़ौफ़ नहीं और बाक़ी लोगाें के घर उनसे भर जाएं गे। जब
मानते ।” से िमसरी इस मुल्क में आबाद हुए हैं तुमने
31 उस वक़्त सन के फूल िनकल चुके थे और कभी िटिड्डयाें का ऐसा सख़्त हमला नहीं दे खा
जौ की बालें लग गई थीं। इसिलए यह फ़सलें होगा’।” यह कहकर मूसा पलटकर वहाँ से
तबाह हो गइर्ं । 32 ले िकन गे हूँ और एक और चला गया।
िक़स्म की गं दुम जो बाद में पकती है बरबाद 7 इस पर दरबािरयाें ने िफ़रौन से बात की,

न हुई। “हम कब तक इस मदर् के जाल में फँसे रहें ?


33 मूसा िफ़रौन को छोड़कर शहर से िनकला। इसराईिलयाें को रब अपने ख़ुदा की इबादत
उसने रब की तरफ़ अपने हाथ उठाए तो गरज, करने के िलए जाने दें । क्या आपको अभी तक
ओले और बािरश का तूफ़ान रुक गया। 34 जब मालूम नहीं िक िमसर बरबाद हो गया है ?”
िफ़रौन ने दे खा िक तूफ़ान ख़त्म हो गया है तो वह 8 तब मूसा और हारून को िफ़रौन के पास

और उसके ओहदे दार दुबारा गुनाह करके अकड़ बुलाया गया। उसने उनसे कहा, “जाओ, अपने
गए। 35 िफ़रौन अड़ा रहा और इसराईिलयाें को ख़ुदा की इबादत करो। ले िकन यह बताओ िक
जाने न िदया। वै सा ही हुआ जै सा रब ने मूसा से कौन कौन साथ जाएगा?” 9 मूसा ने जवाब
कहा था। िदया, “हमारे जवान और बूढ़े साथ जाएं गे।
हम अपने बे टे-बे िटयाें , भे ड़-बकिरयाें और गाय-
िटिड्डयाँ बै लाें को भी साथ ले कर जाएं गे। हम सबके सब

10 िफर रब ने मूसा से कहा, “िफ़-


रौन के पास जा, क्याें िक मैं ने
उसका और उसके दरबािरयाें का िदल सख़्त कर
जाएं गे, क्याें िक हमें रब की ईद मनानी है ।”
10 िफ़रौन ने तं ज़न कहा, “ठीक है , जाओ

और रब तुम्हारे साथ हो। नहीं, मैं िकस तरह


िदया है तािक उनके दरिमयान अपने मोिजज़ाें तुम सबको बाल-बच्चाें समे त जाने दे सकता
और अपनी क़ुदरत का इज़हार कर सकँ ू 2 और हूँ ? तुमने कोई बुरा मनसूबा बनाया है । 11 नहीं,
तुम अपने बे टे-बे िटयाें और पोते -पोितयाें को िसफ़र् मदर् जाकर रब की इबादत कर सकते हैं ।
सुना सको िक मैं ने िमसिरयाें के साथ क्या तुमने तो यही दरख़ास्त की थी।” तब मूसा और
सुलूक िकया है और उनके दरिमयान िकस तरह हारून को िफ़रौन के सामने से िनकाल िदया
गया।
ख़ुरूज 10:12 78
12 िफर रब ने मूसा से कहा, “िमसर पर जा सके। ले िकन जहाँ इसराईली रहते थे वहाँ
अपना हाथ उठा तािक िटिड्डयाँ आकर िमसर रौशनी थी।
की सरज़मीन पर फैल जाएँ । जो कुछ भी खे ताें 24 तब िफ़रौन ने मूसा को िफर बुलवाया और

में ओलाें से बच गया है उसे वह खा जाएँ गी।” कहा, “जाओ, रब की इबादत करो! तुम अपने
13 मूसा ने अपनी लाठी िमसर पर उठाई साथ बाल-बच्चाें को भी ले जा सकते हो। िसफ़र्
तो रब ने मशिरक़ से आँधी चलाई जो सारा अपनी भे ड़-बकिरयाँ और गाय-बै ल पीछे छोड़
िदन और सारी रात चलती रही और अगली दे ना।” 25 मूसा ने जवाब िदया, “क्या आप ही
सुबह तक िमसर में िटिड्डयाँ पहुँ चाइर्ं । 14 बे शुमार हमें क़ुरबािनयाें के िलए जानवर दें गे तािक उन्हें
िटिड्डयाँ पूरे मुल्क पर हमला करके हर जगह बै ठ रब अपने ख़ुदा को पे श करें ? 26 यक़ीनन नहीं।
गइर्ं । इससे पहले या बाद में कभी भी िटिड्डयाें इसिलए लािज़म है िक हम अपने जानवराें को
का इतना सख़्त हमला न हुआ था। 15 उन्हाें ने साथ ले कर जाएँ । एक खुर भी पीछे नहीं छोड़ा
ज़मीन को याें ढाँ क िलया िक वह काली नज़र जाएगा, क्याें िक अभी तक हमें मालूम नहीं िक
आने लगी। जो कुछ भी ओलाें से बच गया था रब की इबादत के िलए िकन िकन जानवराें की
चाहे खे ताें के पौदे या दरख़्ताें के फल थे उन्हाें ने ज़रूरत होगी। यह उस वक़्त ही पता चले गा
खा िलया। िमसर में एक भी दरख़्त या पौदा न जब हम मनिज़ले -मक़सूद पर पहुँ चेंगे। इसिलए
रहा िजसके पत्ते बच गए हाें । ज़रूरी है िक हम सबको अपने साथ ले कर
16 तब िफ़रौन ने मूसा और हारून को जल्दी जाएँ ।”
से बुलवाया। उसने कहा, “मैं ने तुम्हारे ख़ुदा का 27 ले िकन रब की मरज़ी के मुतािबक़ िफ़रौन

और तुम्हारा गुनाह िकया है । 17 अब एक और अड़ गया। उसने उन्हें जाने न िदया। 28 उसने


मरतबा मे रा गुनाह मुआफ़ करो और रब अपने मूसा से कहा, “दफ़ा हो जा। ख़बरदार! िफर
ख़ुदा से दुआ करो तािक मौत की यह हालत कभी अपनी शक्ल न िदखाना, वरना तुझे मौत
मुझसे दूर हो जाए।” के हवाले कर िदया जाएगा।” 29 मूसा ने कहा,
18 मूसा ने महल से िनकलकर रब से दुआ “ठीक है , आपकी मरज़ी। मैं िफर कभी आपके
की। 19 जवाब में रब ने हवा का रुख़ बदल सामने नहीं आऊँगा।”
िदया। उसने मग़िरब से ते ज़ आँधी चलाई
िजसने िटिड्डयाें को उड़ाकर बहरे -क़ुलज़ुम में आिख़री सज़ा का एलान
डाल िदया। िमसर में एक भी िटड्डी न रही।
20 ले िकन रब ने होने िदया िक िफ़रौन िफर अड़

गया। उसने इसराईिलयाें को जाने न िदया।


11 तब रब ने मूसा से कहा, “अब
मैं िफ़रौन और िमसर पर आिख़री
आफ़त लाने को हूँ । इसके बाद वह तुम्हें
जाने दे गा बिल्क तुम्हें ज़बरदस्ती िनकाल दे गा।
अं धेरा 2 इसराईिलयाें को बता दे ना िक हर मदर् अपने

21 इसके बाद रब ने मूसा से कहा, “अपना पड़ोसी और हर औरत अपनी पड़ोसन से सोने -
हाथ आसमान की तरफ़ उठा तो िमसर पर चाँ दी की चीज़ें माँ ग ले ।” 3 (रब ने िमसिरयाें के
अं धेरा छा जाएगा। इतना अं धेरा होगा िक िदल इसराईिलयाें की तरफ़ मायल कर िदए थे ।
बं दा उसे छू सकेगा।” 22 मूसा ने अपना हाथ वह िफ़रौन के ओहदे दाराें समे त ख़ासकर मूसा
आसमान की तरफ़ उठाया तो तीन िदन तक की बड़ी इज़्ज़त करते थे )।
िमसर पर गहरा अं धेरा छाया रहा। 23 तीन िदन 4 मूसा ने कहा, “रब फ़रमाता है , ‘आज

तक लोग न एक दूसरे को दे ख सके, न कहीं आधी रात के वक़्त मैं िमसर में से गु-
79 ख़ुरूज 12:15
ज़रूँगा। 5 तब बादशाह के पहलौठे से ले कर ले ना िजसमें नुक़्स न हो। वह भे ड़ या बकरी का
चक्की पीसने वाली नौकरानी के पहलौठे बच्चा हो सकता है ।
तक िमसिरयाें का हर पहलौठा मर जाएगा। 6 महीने के 14वें िदन तक उस की दे ख-भाल

चौपाइयाें के पहलौठे भी मर जाएं गे। 6 िमसर करो। उस िदन तमाम इसराईली सूरज के ग़ुरूब
की सरज़मीन पर ऐसा रोना पीटना होगा िक होते वक़्त अपने ले ले ज़बह करें । 7 हर ख़ानदान
न माज़ी में कभी हुआ, न मुस्तक़िबल में कभी अपने जानवर का कुछ ख़ून जमा करके उसे उस
होगा। 7 ले िकन इसराईली और उनके जानवर घर के दरवाज़े की चौखट पर लगाए जहाँ ले ला
बचे रहें गे। कुत्ता भी उन पर नहीं भाैं केगा। इस खाया जाएगा। यह ख़ून चौखट के ऊपरवाले
तरह तुम जान लोगे िक रब इसराईिलयाें की िहस्से और 1दाएँ -बाएँ के बाज़ुआें पर लगाया
िनसबत िमसिरयाें से फ़रक़ सुलूक करता है ’।” जाए। 8 लािज़म है िक लोग जानवर को भूनकर
8 मूसा ने यह कुछ िफ़रौन को बताया िफर कहा, उसी रात खाएँ । साथ ही वह कड़वा साग-पात
“उस वक़्त आपके तमाम ओहदे दार आकर मे रे और बे ख़मीरी रोिटयाँ भी खाएँ । 9 ले ले का गोश्त
सामने झु क जाएं गे और िमन्नत करें गे , ‘अपने कच्चा न खाना, न उसे पानी में उबालना बिल्क
पै रोकाराें के साथ चले जाएँ ।’ तब मैं चला ही पूरे जानवर को सर, पै राें और अं दरूनी िहस्साें
जाऊँगा।” यह कहकर मूसा िफ़रौन के पास से समे त आग पर भूनना। 10 लािज़म है िक पूरा
चला गया। वह बड़े ग़ुस्से में था। गोश्त उसी रात खाया जाए। अगर कुछ सुबह
9 रब ने मूसा से कहा था, “िफ़रौन तुम्हारी तक बच जाए तो उसे जलाना है । 11 खाना खाते
नहीं सुनेगा। क्याें िक लािज़म है िक मैं िमसर में वक़्त ऐसा िलबास पहनना जै से तुम सफ़र पर
अपनी क़ुदरत का मज़ीद इज़हार करूँ।” 10 गो जा रहे हो। अपने जूते पहने रखना और हाथ में
मूसा और हारून ने िफ़रौन के सामने यह तमाम सफ़र के िलए लाठी िलए हुए तुम उसे जल्दी
मोिजज़े िदखाए, ले िकन रब ने िफ़रौन को िज़द्दी जल्दी खाना। रब के फ़सह की ईद याें मनाना।
बनाए रखा, इसिलए उसने इसराईिलयाें को 12 मैं आज रात िमसर में से गुज़रूँगा और हर

मुल्क छोड़ने न िदया। पहलौठे को जान से मार दूँ गा, ख़ाह इनसान
का हो या है वान का। याें मैं जो रब हूँ िमसर के
फ़सह की ईद तमाम दे वताआें की अदालत करूँगा। 13 ले िकन

12 िफर रब ने िमसर में मूसा और


हारून से कहा, 2 “अब से यह
महीना तुम्हारे िलए साल का पहला महीना हो।”
तुम्हारे घराें पर लगा हुआ ख़ून तुम्हारा ख़ास
िनशान होगा। िजस िजस घर के दरवाज़े पर
मैं वह ख़ून दे खँ ूगा उसे छोड़ता जाऊँगा। जब मैं
3 इसराईल की पूरी जमात को बताना िक इस िमसर पर हमला करूँगा तो मोहलक वबा तुम
महीने के दसवें िदन हर ख़ानदान का सरपरस्त तक नहीं पहुँ चेगी। 14 आज की रात को हमे शा
अपने घराने के िलए ले ला यानी भे ड़ या बकरी याद रखना। इसे नसल-दर-नसल और हर साल
का बच्चा हािसल करे । 4 अगर घराने के अफ़राद रब की ख़ास ईद के तौर पर मनाना।
पूरा जानवर खाने के िलए कम हाें तो वह अपने
सबसे क़रीबी पड़ोसी के साथ िमलकर ले ला बे ख़मीरी रोटी की ईद
हािसल करें । इतने लोग उसमें से खाएँ िक 15 सात िदन तक बे ख़मीरी रोटी खाना है ।
सबके िलए काफ़ी हो और पूरा जानवर खाया पहले िदन अपने घराें से तमाम ख़मीर िनकाल
जाए। 5 इसके िलए एक साल का नर बच्चा चुन दे ना। अगर कोई इन सात िदनाें के दौरान
ख़मीर खाए तो उसे क़ौम में से िमटाया जाए।
ख़ुरूज 12:16 80
16 इस ईद के पहले और आिख़री िदन मुक़द्दस 27 तो उनसे कहो, ‘यह फ़सह की क़ुरबानी है
इजितमा मुनअिक़द करना। इन तमाम िदनाें जो हम रब को पे श करते हैं । क्याें िक जब रब
के दौरान काम न करना। िसफ़र् एक काम िमसिरयाें को हलाक कर रहा था तो उसने हमारे
की इजाज़त है और वह है अपना खाना घराें को छोड़ िदया था’।”
तै यार करना। 17 बे ख़मीरी रोटी की ईद मनाना यह सुनकर इसराईिलयाें ने अल्लाह को
लािज़म है , क्याें िक उस िदन मैं तुम्हारे मुतअिद्दद िसजदा िकया। 28 िफर उन्हाें ने सब कुछ वै सा ही
ख़ानदानाें को िमसर से िनकाल लाया। इसिलए िकया जै सा रब ने मूसा और हारून को बताया
यह िदन नसल-दर-नसल हर साल याद रखना। था।
18 पहले महीने के 14वें िदन की शाम से ले कर 29 आधी रात को रब ने बादशाह के पहलौठे

21वें िदन की शाम तक िसफ़र् बे ख़मीरी रोटी से ले कर जे ल के क़ैदी के पहलौठे तक िमसिरयाें


खाना। 19 सात िदन तक तुम्हारे घराें में ख़मीर न के तमाम पहलौठाें को जान से मार िदया।
पाया जाए। जो भी इस दौरान ख़मीर खाए उसे चौपाइयाें के पहलौठे भी मर गए। 30 उस रात
इसराईल की जमात में से िमटाया जाए, ख़ाह िमसर के हर घर में कोई न कोई मर गया।
वह इसराईली शहरी हो या अजनबी। 20 ग़रज़, िफ़रौन, उसके ओहदे दार और िमसर के तमाम
इस ईद के दौरान ख़मीर न खाना। जहाँ भी तुम लोग जाग उठे और ज़ोर ज़ोर से रोने और चीख़ने
रहते हो वहाँ बे ख़मीरी रोटी ही खाना है । लगे ।

पहलौठाें की हलाकत इसराईिलयाें की िहजरत


21 िफर मूसा ने तमाम इसराईली बुज़ुगार्ें को 31 अभी रात थी िक िफ़रौन ने मूसा और
बुलाकर उनसे कहा, “जाओ, अपने ख़ानदानाें हारून को बुलाकर कहा, “अब तुम और बाक़ी
के िलए भे ड़ या बकरी के बच्चे चुनकर उन्हें इसराईली मे री क़ौम में से िनकल जाओ।
फ़सह की ईद के िलए ज़बह करो। 22 ज़ूफ़े अपनी दरख़ास्त के मुतािबक़ रब की इबादत
का गुच्छा ले कर उसे ख़ून से भरे हुए बासन करो। 32 िजस तरह तुम चाहते हो अपनी भे ड़-
में डु बो दे ना। िफर उसे ले कर ख़ून को चौखट बकिरयाें को भी अपने साथ ले जाओ। और
के ऊपरवाले िहस्से और दाएँ -बाएँ के बाज़ुआें मुझे भी बरकत दे ना।” 33 बाक़ी िमसिरयाें ने
पर लगा दे ना। सुबह तक कोई अपने घर से न भी इसराईिलयाें पर ज़ोर दे कर कहा, “जल्दी
िनकले । 23 जब रब िमसिरयाें को मार डालने जल्दी मुल्क से िनकल जाओ, वरना हम सब
के िलए मुल्क में से गुज़रे गा तो वह चौखट के मर जाएं गे।”
ऊपरवाले िहस्से और दाएँ -बाएँ के बाज़ुआें पर 34 इसराईिलयाें के गूँधे हुए आटे में ख़मीर

लगा हुआ ख़ून दे खकर उन घराें को छोड़ दे गा। नहीं था। उन्हाें ने उसे गूँधने के बरतनाें में रखकर
वह हलाक करने वाले फ़िरश्ते को इजाज़त नहीं अपने कपड़ाें में लपे ट िलया और सफ़र करते
दे गा िक वह तुम्हारे घराें में जाकर तुम्हें हलाक वक़्त अपने कंधाें पर रख िलया। 35 इसराईली
करे । मूसा की िहदायत पर अमल करके अपने िमसरी
24 तुम अपनी औलाद समे त हमे शा इन पड़ोिसयाें के पास गए और उनसे कपड़े और
िहदायात पर अमल करना। 25 यह रस्म उस सोने -चाँ दी की चीज़ें माँ गीं। 36 रब ने िमसिरयाें
वक़्त भी अदा करना जब तुम उस मुल्क में के िदलाें को इसराईिलयाें की तरफ़ मायल कर
पहुँ चोगे जो रब तुम्हें दे गा। 26 और जब तुम्हारे िदया था, इसिलए उन्हाें ने उनकी हर दरख़ास्त
बच्चे तुमसे पूछें िक हम यह ईद क्याें मनाते हैं
81 ख़ुरूज 13:9
पूरी की। याें इसराईिलयाें ने िमसिरयाें को लूट है िक पहले उसके घराने के हर मदर् का ख़तना
िलया। िकया जाए। तब वह इसराईली की तरह खाने
37 इसराईली रामसीस से रवाना होकर में शरीक हो सकता है । ले िकन िजसका ख़तना
सुक्कात पहुँ च गए। औरताें और बच्चाें को न हुआ उसे फ़सह का खाना खाने की इजाज़त
छोड़कर उनके 6 लाख मदर् थे । 38 वह अपने नहीं है । 49 यही उसूल हर एक पर लागू होगा,
भे ड़-बकिरयाें और गाय-बै लाें के बड़े बड़े रे वड़ ख़ाह वह इसराईली हो या परदे सी।”
भी साथ ले गए। बहुत-से ऐसे लोग भी उनके 50 तमाम इसराईिलयाें ने वै सा ही िकया जै सा

साथ िनकले जो इसराईली नहीं थे । 39 रास्ते रब ने मूसा और हारून से कहा था। 51 उसी
में उन्हाें ने उस बे ख़मीरी आटे से रोिटयाँ बनाइर्ं िदन रब तमाम इसराईिलयाें को ख़ानदानाें की
जो वह साथ ले कर िनकले थे । आटे में इसिलए तरतीब के मुतािबक़ िमसर से िनकाल लाया।
ख़मीर नहीं था िक उन्हें इतनी जल्दी से िमसर
से िनकाल िदया गया था िक खाना तै यार करने यह ईद नजात की याद िदलाती है
का वक़्त ही न िमला था।
40 इसराईली 430 साल तक िमसर में रहे

थे । 41 430 साल के ऐन बाद, उसी िदन


13 रब ने मूसा से कहा, 2 “इसराई-
िलयाें के हर पहलौठे को मे रे िलए
मख़सूसो-मुक़द्दस करना है । हर पहला नर बच्चा
रब के यह तमाम ख़ानदान िमसर से िनकले । मे रा ही है , ख़ाह इनसान का हो या है वान का।”
42 उस ख़ास रात रब ने ख़ुद पहरा िदया तािक 3 िफर मूसा ने लोगाें से कहा, “इस िदन को

इसराईली िमसर से िनकल सकें। इसिलए याद रखो जब तुम रब की अज़ीम क़ुदरत के
तमाम इसराईिलयाें के िलए लािज़म है िक वह बाइस िमसर की ग़ुलामी से िनकले । इस िदन
नसल-दर-नसल इस रात रब की ताज़ीम में कोई चीज़ न खाना िजसमें ख़मीर हो। 4 आज
जागते रहें , वह भी और उनके बाद की औलाद ही अबीब के महीने a में तुम िमसर से रवाना हो
भी। रहे हो। 5 रब ने तुम्हारे बापदादा से क़सम खाकर
वादा िकया है िक वह तुमको कनानी, िहत्ती,
फ़सह की ईद की िहदायात अमोरी, िहव्वी और यबूसी क़ौमाें का मुल्क
43 रब ने मूसा और हारून से कहा, “फ़सह दे गा, एक ऐसा मुल्क िजसमें दूध और शहद
की ईद के यह उसूल हैं : की कसरत है । जब रब तुम्हें उस मुल्क में पहुँ चा
िकसी भी परदे सी को फ़सह की ईद का खाना दे गा तो लािज़म है िक तुम इसी महीने में यह
खाने की इजाज़त नहीं है । 44 अगर तुमने िकसी रस्म मनाओ। 6 सात िदन बे ख़मीरी रोटी खाओ।
ग़ुलाम को ख़रीदकर उसका ख़तना िकया है तो सातवें िदन रब की ताज़ीम में ईद मनाओ। 7 सात
वह फ़सह का खाना खा सकता है । 45 ले िकन िदन ख़मीरी रोटी न खाना। कहीं भी ख़मीर
ग़ै रशहरी या मज़दूर को फ़सह का खाना खाने न पाया जाए। पूरे मुल्क में ख़मीर का नामो-
की इजाज़त नहीं है । 46 यह खाना एक ही घर के िनशान तक न हो।
अं दर खाना है । न गोश्त घर से बाहर ले जाना, 8 उस िदन अपने बे टे से यह कहो, ‘मैं यह

न ले ले की िकसी हड्डी को तोड़ना। 47 लािज़म ईद उस काम की ख़ुशी में मनाता हूँ जो रब


है िक इसराईल की पूरी जमात यह ईद मनाए। ने मे रे िलए िकया जब मैं िमसर से िनकला।’
48 अगर कोई परदे सी तुम्हारे साथ रहता है जो 9 यह ईद तुम्हारे हाथ या पे शानी पर िनशान

फ़सह की ईद में िशरकत करना चाहे तो लािज़म की मािंनद हो जो तुम्हें याद िदलाए िक रब की
a
माचर् ता अप्रैल।
ख़ुरूज 13:10 82
शरीअत को तुम्हारे हाें टाें पर रहना है । क्याें िक न हो िक वह इस वजह से अपना इरादा बदलकर
रब तुम्हें अपनी अज़ीम क़ुदरत से िमसर से िमसर लौट जाएँ ।” 18 इसिलए अल्लाह उन्हें
िनकाल लाया। 10 इस िदन की याद हर साल दूसरे रास्ते से ले कर गया, और वह रे िगस्तान के
ठीक वक़्त पर मनाना। रास्ते से बहरे -क़ुलज़ुम की तरफ़ बढ़े । िमसर से
िनकलते वक़्त मदर् मुसल्लह थे । 19 मूसा यूसुफ़
पहलौठाें की मख़सूिसयत का ताबूत भी अपने साथ ले गया, क्याें िक
11 रब तुम्हें कनािनयाें के उस मुल्क में ले यूसुफ़ ने इसराईिलयाें को क़सम िदलाकर कहा
जाएगा िजसका वादा उसने क़सम खाकर तुम था, “अल्लाह यक़ीनन तुम्हारी दे ख-भाल करके
और तुम्हारे बापदादा से िकया है । 12 लािज़म वहाँ ले जाएगा। उस वक़्त मे री हिड्डयाें को भी
है िक वहाँ पहुँ चकर तुम अपने तमाम पहलौठाें उठाकर साथ ले जाना।”
को रब के िलए मख़सूस करो। तुम्हारे मवे िशयाें 20 इसराईिलयाें ने सुक्कात को छोड़कर

के तमाम पहलौठे भी रब की िमलिकयत हैं । एताम में अपने ख़ै मे लगाए। एताम रे िगस्तान के
13 अगर तुम अपना पहलौठा गधा ख़ुद रखना िकनारे पर था। 21 रब उनके आगे आगे चलता
चाहो तो रब को उसके बदले भे ड़ या बकरी गया, िदन के वक़्त बादल के सतून में तािक
का बच्चा पे श करो। ले िकन अगर तुम उसे उन्हें रास्ते का पता लगे और रात के वक़्त आग
रखना नहीं चाहते तो उस की गरदन तोड़ डालो। के सतून में तािक उन्हें रौशनी िमले । याें वह िदन
ले िकन इनसान के पहलौठाें के िलए हर सूरत और रात सफ़र कर सकते थे । 22 िदन के वक़्त
में एवज़ी दे ना है । बादल का सतून और रात के वक़्त आग का
14 आने वाले िदनाें में जब तुम्हारा बे टा पूछे सतून उनके सामने रहा। वह कभी भी अपनी
िक इसका क्या मतलब है तो उसे जवाब दे ना, जगह से न हटा।
‘रब अपनी अज़ीम क़ुदरत से हमें िमसर की
ग़ुलामी से िनकाल लाया। 15 जब िफ़रौन ने इसराईल समुंदर में से गुज़रता है
अकड़कर हमें जाने न िदया तो रब ने िमसर के
तमाम इनसानाें और है वानाें के पहलौठाें को मार
डाला। इस वजह से मैं अपने जानवराें का हर
14 तब रब ने मूसा से कहा, 2 “इस-
राईिलयाें को कह दे ना िक वह
पीछे मुड़कर िमजदाल और समुंदर के बीच
पहला बच्चा रब को क़ुरबान करता और अपने यानी फ़ी-हख़ीरोत के नज़दीक रुक जाएँ ।
हर पहलौठे के िलए एवज़ी दे ता हूँ ’। 16 यह वह बाल-सफ़ोन के मुक़ािबल सािहल पर
दस्तूर तुम्हारे हाथ और पे शानी पर िनशान की अपने ख़ै मे लगाएँ । 3 यह दे खकर िफ़रौन
मािंनद हो जो तुम्हें याद िदलाए िक रब हमें समझे गा िक इसराईली रास्ता भूलकर आ-
अपनी क़ुदरत से िमसर से िनकाल लाया।” वारा िफर रहे हैं और िक रे िगस्तान ने चाराें तरफ़
उन्हें घे र रखा है । 4 िफर मैं िफ़रौन को दुबारा
िमसर से िनकलने का रास्ता अड़ जाने दूँ गा, और वह इसराईिलयाें का पीछा
17 जब िफ़रौन ने इसराईली क़ौम को जाने करे गा। ले िकन मैं िफ़रौन और उस की पूरी फ़ौज
िदया तो अल्लाह उन्हें िफ़िलिस्तयाें के इलाक़े पर अपना जलाल ज़ािहर करूँगा। िमसरी जान
में से गुज़रने वाले रास्ते से ले कर न गया, अगरचे लें गे िक मैं ही रब हूँ ।” इसराईिलयाें ने ऐसा ही
उस पर चलते हुए वह जल्द ही मुल्के-कनान िकया।
पहुँ च जाते । बिल्क रब ने कहा, “अगर उस रास्ते 5 जब िमसर के बादशाह को इत्तला दी गई

पर चलें गे तो उन्हें दूसराें से लड़ना पड़े गा। ऐसा िक इसराईली िहजरत कर गए हैं तो उसने
83 ख़ुरूज 14:26
और उसके दरबािरयाें ने अपना ख़याल बदलकर जाएगा। इसराईली ख़ुश्क ज़मीन पर समुंदर में
कहा, “हमने क्या िकया है ? हमने उन्हें जाने से गुज़रें गे । 17 मैं िमसिरयाें को अड़े रहने दूँ गा
िदया है , और अब हम उनकी िख़दमत से महरूम तािक वह इसराईिलयाें का पीछा करें । िफर मैं
हो गए हैं ।” 6 चुनाँ चे बादशाह ने अपना जं गी िफ़रौन, उस की सारी फ़ौज, उसके रथाें और
रथ तै यार करवाया और अपनी फ़ौज को ले कर उसके सवाराें पर अपना जलाल ज़ािहर करूँगा।
िनकला। 7 वह 600 बे हतरीन िक़स्म के रथ और 18 जब मैं िफ़रौन, उसके रथाें और उसके सवाराें

िमसर के बाक़ी तमाम रथाें को साथ ले गया। पर अपना जलाल ज़ािहर करूँगा तो िमसरी जान
तमाम रथाें पर अफ़सरान मुक़रर् र थे । 8 रब ने लें गे िक मैं ही रब हूँ ।”
िमसर के बादशाह िफ़रौन को दुबारा अड़ जाने 19 अल्लाह का फ़िरश्ता इसराईली लशकर के

िदया था, इसिलए जब इसराईली बड़े इिख़्तयार आगे आगे चल रहा था। अब वह वहाँ से हटकर
के साथ िनकल रहे थे तो वह उनका ताक़्क़ुब उनके पीछे खड़ा हो गया। बादल का सतून
करने लगा। 9 इसराईिलयाें का पीछा करते करते भी लोगाें के आगे से हटकर उनके पीछे जा
िफ़रौन के तमाम घोड़े , रथ, सवार और फ़ौजी खड़ा हुआ। 20 इस तरह बादल िमसिरयाें और
उनके क़रीब पहुँ चे। इसराईली बहरे -क़ुलज़ुम इसराईिलयाें के लशकराें के दरिमयान आ गया।
के सािहल पर बाल-सफ़ोन के मुक़ािबल फ़ी- पूरी रात िमसिरयाें की तरफ़ अं धेरा ही अं धेरा
हख़ीरोत के नज़दीक ख़ै मे लगा चुके थे । था जबिक इसराईिलयाें की तरफ़ रौशनी थी।
10 जब इसराईिलयाें ने िफ़रौन और उस की इसिलए िमसरी पूरी रात के दौरान इसराईिलयाें
फ़ौज को अपनी तरफ़ बढ़ते दे खा तो वह सख़्त के क़रीब न आ सके।
घबरा गए और मदद के िलए रब के सामने 21 मूसा ने अपना हाथ समुंदर के ऊपर उठाया

चीख़ने -िचल्लाने लगे । 11 उन्हाें ने मूसा से कहा, तो रब ने मशिरक़ से ते ज़ आँधी चलाई। आँधी
“क्या िमसर में क़ब्राें की कमी थी िक आप तमाम रात चलती रही। उसने समुंदर को पीछे
हमें रे िगस्तान में ले आए हैं ? हमें िमसर से हटाकर उस की तह ख़ुश्क कर दी। समुंदर दो
िनकालकर आपने हमारे साथ क्या िकया है ? िहस्साें में बट गया 22 तो इसराईली समुंदर में से
12 क्या हमने िमसर में आपसे दरख़ास्त नहीं ख़ुश्क ज़मीन पर चलते हुए गुज़र गए। उनके
की थी िक मे हरबानी करके हमें छोड़ दें , हमें दाइर्ं और बाइर्ं तरफ़ पानी दीवार की तरह खड़ा
िमसिरयाें की िख़दमत करने दें ? यहाँ आकर रहा।
रे िगस्तान में मर जाने की िनसबत बे हतर होता 23 जब िमसिरयाें को पता चला तो िफ़रौन

िक हम िमसिरयाें के ग़ुलाम रहते ।” के तमाम घोड़े , रथ और घुड़सवार भी उनके


13 ले िकन मूसा ने जवाब िदया, “मत पीछे पीछे समुंदर में चले गए। 24 सुबह-सवे रे
घबराओ। आराम से खड़े रहो और दे खो िक रब ही रब ने बादल और आग के सतून से िमसर
तुम्हें आज िकस तरह बचाएगा। आज के बाद की फ़ौज पर िनगाह की और उसमें अबतरी
तुम इन िमसिरयाें को िफर कभी नहीं दे खोगे । पै दा कर दी। 25 उनके रथाें के पिहये िनकल
14 रब तुम्हारे िलए लड़े गा। तुम्हें बस, चुप रहना गए तो उन पर क़ाबू पाना मुिश्कल हो गया।
है ।” िमसिरयाें ने कहा, “आओ, हम इसराईिलयाें
15 िफर रब ने मूसा से कहा, “तू मे रे सामने से भाग जाएँ , क्याें िक रब उनके साथ है । वही
क्याें चीख़ रहा है ? इसराईिलयाें को आगे बढ़ने िमसर का मुक़ाबला कर रहा है ।”
का हुक्म दे । 16 अपनी लाठी को पकड़कर उसे 26 तब रब ने मूसा से कहा, “अपना हाथ

समुंदर के ऊपर उठा तो वह दो िहस्साें में बट समुंदर के ऊपर उठा। िफर पानी वापस आकर
ख़ुरूज 14:27 84
िमसिरयाें , उनके रथाें और घुड़सवाराें को डु बो 6 ऐ रब, ते रे दहने हाथ का जलाल बड़ी क़ुदरत
दे गा।” 27 मूसा ने अपना हाथ समुंदर के ऊपर से ज़ािहर होता है । ऐ रब, ते रा दहना हाथ दुश्मन
उठाया तो िदन िनकलते वक़्त पानी मामूल के को चकनाचूर कर दे ता है ।
मुतािबक़ बहने लगा, और िजस तरफ़ िमसरी 7 जो ते रे िख़लाफ़ उठ खड़े होते हैं उन्हें तू

भाग रहे थे वहाँ पानी ही पानी था। याें रब ने अपनी अज़मत का इज़हार करके ज़मीन पर
उन्हें समुंदर में बहाकर ग़रक़ कर िदया। 28 पानी पटख़ दे ता है । ते रा ग़ज़ब उन पर आन पड़ता
वापस आ गया। उसने रथाें और घुड़सवाराें है तो वह आग में भूसे की तरह जल जाते हैं ।
को ढाँ क िलया। िफ़रौन की पूरी फ़ौज जो 8 तूने ग़ुस्से में आकर फँ ू क मारी तो पानी ढे र

इसराईिलयाें का ताक़्क़ुब कर रही थी डू बकर की सूरत में जमा हो गया। बहता पानी ठोस
तबाह हो गई। उनमें से एक भी न बचा। दीवार बन गया, समुंदर गहराई तक जम गया।
29 ले िकन इसराईली ख़ुश्क ज़मीन पर समुंदर 9 दुश्मन ने डींग मारकर कहा, ‘मैं उनका पीछा

में से गुज़रे । उनके दाइर्ं और बाइर्ं तरफ़ पानी करके उन्हें पकड़ लूँगा, मैं उनका लूटा हुआ
दीवार की तरह खड़ा रहा। माल तक़सीम करूँगा। मे री लालची जान उनसे
30 उस िदन रब ने इसराईिलयाें को िमसिर- से र हो जाएगी, मैं अपनी तलवार खींचकर उन्हें
याें से बचाया। िमसिरयाें की लाशें उन्हें सािहल हलाक करूँगा।’
पर नज़र आइर्ं । 31 जब इसराईिलयाें ने रब की 10 ले िकन तूने उन पर फँ ू क मारी तो समुंदर ने

यह अज़ीम क़ुदरत दे खी जो उसने िमसिरयाें पर उन्हें ढाँ क िलया, और वह सीसे की तरह ज़ोरदार
ज़ािहर की थी तो रब का ख़ौफ़ उन पर छा गया। मौजाें में डू ब गए।
वह उस पर और उसके ख़ािदम मूसा पर एतमाद
करने लगे । 11 ऐ रब, कौन-सा माबूद ते री मािंनद है ?
कौन ते री तरह जलाली और क़ुद्दस ू है ? कौन
मूसा का गीत ते री तरह है रतअं गेज़ काम करता और अज़ीम

15 तब मूसा और इसराईिलयाें ने रब
के िलए यह गीत गाया,
“मैं रब की तमजीद में गीत गाऊँगा, क्याें िक
मोिजज़े िदखाता है ? कोई भी नहीं।
12 तूने अपना दहना हाथ उठाया तो ज़मीन

हमारे दुश्मनाें को िनगल गई।


वह िनहायत अज़ीम है । घोड़े और उसके सवार 13 अपनी शफ़क़त से तूने एवज़ाना दे कर

को उसने समुंदर में पटख़ िदया है । अपनी क़ौम को छु टकारा िदया और उस की


राहनुमाई की है , अपनी क़ुदरत से तूने उसे
2 रब मे री क़ुव्वत और मे रा गीत है , वह मे री अपनी मुक़द्दस सुकूनतगाह तक पहुँ चाया है ।
नजात बन गया है । वही मे रा ख़ुदा है , और मैं 14 यह सुनकर दीगर क़ौमें काँ प उठीं,

उस की तारीफ़ करूँगा। वही मे रे बाप का ख़ुदा िफ़िलस्ती डर के मारे पे चो-ताब खाने लगे ।
है , और मैं उस की ताज़ीम करूँगा। 15 अदोम के रईस सहम गए, मोआब के
3 रब सूरमा है , रब उसका नाम है । राहनुमाआें पर कपकपी तारी हो गई, और
4 िफ़रौन के रथाें और फ़ौज को उसने कनान के तमाम बािंशदे िहम्मत हार गए।
समुंदर में पटख़ िदया तो बादशाह के बे हतरीन 16 दहशत और ख़ौफ़ उन पर छा गया। ते री

अफ़सरान बहरे -क़ुलज़ुम में डू ब गए। अज़ीम क़ुदरत के बाइस वह पत्थर की तरह
5 गहरे पानी ने उन्हें ढाँ क िलया, और वह जम गए। ऐ रब, वह न िहले जब तक ते री क़ौम
पत्थर की तरह समुंदर की तह तक उतर गए।
85 ख़ुरूज 16:8
गुज़र न गई। वह बे िहसो-हरकत रहे जब तक उसके अहकाम पर ध्यान दो और उस की तमाम
ते री ख़रीदी हुई क़ौम गुज़र न गई। िहदायात पर अमल करो। िफर मैं तुम पर वह
17 ऐ रब, तू अपने लोगाें को ले कर पौदाें की बीमािरयाँ नहीं लाऊँगा जो िमसिरयाें पर लाया
तरह अपने मौरूसी पहाड़ पर लगाएगा, उस था, क्याें िक मैं रब हूँ जो तुझे शफ़ा दे ता हूँ ।”
जगह पर जो तूने अपनी सुकूनत के िलए चुन 27 िफर इसराईली रवाना होकर एलीम पहुँ चे

ली है , जहाँ तूने अपने हाथाें से अपना मक़िदस जहाँ 12 चश्मे और खजूर के 70 दरख़्त थे ।
तै यार िकया है । वहाँ उन्हाें ने पानी के क़रीब अपने ख़ै मे लगाए।
18 रब अबद तक बादशाह है !”

मन और बटे रें

16 इसके बाद इसराईल की पूरी


19 जब िफ़रौन के घोड़े , रथ और घुड़सवार
समुंदर में चले गए तो रब ने उन्हें समुंदर के पानी जमात एलीम से सफ़र करके सीन
से ढाँ क िलया। ले िकन इसराईली ख़ुश्क ज़मीन के रे िगस्तान में पहुँ ची जो एलीम और सीना के
पर समुंदर में से गुज़र गए। 20 तब हारून की दरिमयान है । वह िमसर से िनकलने के बाद
बहन मिरयम जो निबया थी ने दफ़ िलया, और दूसरे महीने के 15वें िदन पहुँ चे। 2 रे िगस्तान में
बाक़ी तमाम औरतें भी दफ़ ले कर उसके पीछे तमाम लोग िफर मूसा और हारून के िख़लाफ़
हो लीं। सब गाने और नाचने लगीं। मिरयम ने बुड़बुड़ाने लगे । 3 उन्हाें ने कहा, “काश रब हमें
यह गाकर उनकी राहनुमाई की, िमसर में ही मार डालता! वहाँ हम कम अज़
21 “रब की तमजीद में गीत गाओ, क्याें िक कम जी भरकर गोश्त और रोटी तो खा सकते
वह िनहायत अज़ीम है । घोड़े और उसके सवार थे । आप हमें िसफ़र् इसिलए रे िगस्तान में ले आए
को उसने समुंदर में पटख़ िदया है ।” हैं िक हम सब भूके मर जाएँ ।”
4 तब रब ने मूसा से कहा, “मैं आसमान

मारा और एलीम के चश्मे से तुम्हारे िलए रोटी बरसाऊँगा। हर रोज़ लोग


22 मूसा के कहने पर इसराईली बहरे -क़ुलज़ुम बाहर जाकर उसी िदन की ज़रूरत के मुतािबक़
से रवाना होकर दश्ते -शूर में चले गए। वहाँ वह खाना जमा करें । इससे मैं उन्हें आज़माकर
तीन िदन तक सफ़र करते रहे । इस दौरान उन्हें दे खँ ूगा िक आया वह मे री सुनते हैं िक नहीं। 5 हर
पानी न िमला। 23 आिख़रकार वह मारा पहुँ चे रोज़ वह िसफ़र् उतना खाना जमा करें िजतना िक
जहाँ पानी दस्तयाब था। ले िकन वह कड़वा था, एक िदन के िलए काफ़ी हो। ले िकन छटे िदन
इसिलए मक़ाम का नाम मारा यानी कड़वाहट जब वह खाना तै यार करें गे तो वह अगले िदन
पड़ गया। 24 यह दे खकर लोग मूसा के िख़लाफ़ के िलए भी काफ़ी होगा।”
बुड़बुड़ाकर कहने लगे , “हम क्या िपएँ ?” 6 मूसा और हारून ने इसराईिलयाें से कहा,

25 मूसा ने मदद के िलए रब से इिल्तजा की तो “आज शाम को तुम जान लोगे िक रब ही तुम्हें
उसने उसे लकड़ी का एक टु कड़ा िदखाया। जब िमसर से िनकाल लाया है । 7 और कल सुबह तुम
मूसा ने यह लकड़ी पानी में डाली तो पानी की रब का जलाल दे खोगे । उसने तुम्हारी िशकायतें
कड़वाहट ख़त्म हो गई। सुन ली हैं , क्याें िक असल में तुम हमारे िख़लाफ़
मारा में रब ने अपनी क़ौम को क़वानीन िदए। नहीं बिल्क रब के िख़लाफ़ बुड़बुड़ा रहे हो।
वहाँ उसने उन्हें आज़माया भी। 26 उसने कहा, 8 िफर भी रब तुमको शाम के वक़्त गोश्त और

“ग़ौर से रब अपने ख़ुदा की आवाज़ सुनो! सुबह के वक़्त वािफ़र रोटी दे गा, क्याें िक उसने
जो कुछ उस की नज़र में दुरुस्त है वही करो।
ख़ुरूज 16:9 86
तुम्हारी िशकायतें सुन ली हैं । तुम्हारी िशकायतें गए हैं और उससे बहुत बदबू आ रही है । यह
हमारे िख़लाफ़ नहीं बिल्क रब के िख़लाफ़ हैं ।” सुनकर मूसा उनसे नाराज़ हुआ।
9 मूसा ने हारून से कहा, “इसराईिलयाें को 21 हर सुबह हर कोई उतना जमा कर ले ता

बताना, ‘रब के सामने हािज़र हो जाओ, क्याें िक िजतनी उसे ज़रूरत होती थी। जब धूप ते ज़ होती
उसने तुम्हारी िशकायतें सुन ली हैं ’।” 10 जब तो जो कुछ ज़मीन पर रह जाता वह िपघलकर
हारून पूरी जमात के सामने बात करने लगा ख़त्म हो जाता था।
तो लोगाें ने पलटकर रे िगस्तान की तरफ़ दे खा। 22 छटे िदन जब लोग यह ख़ुराक जमा करते

वहाँ रब का जलाल बादल में ज़ािहर हुआ। तो वह िमक़दार में दुगनी होती थी यानी हर फ़रद
11 रब ने मूसा से कहा, 12 “मैं ने इसराईिलयाें के िलए चार िलटर। जब जमात के बुज़ुगार्ें ने
की िशकायत सुन ली है । उन्हें बता, ‘आज जब मूसा के पास आकर उसे इत्तला दी 23 तो उसने
सूरज ग़ुरूब होने लगे गा तो तुम गोश्त खाओगे उनसे कहा, “रब का फ़रमान है िक कल आराम
और कल सुबह पे ट भरकर रोटी। िफर तुम जान का िदन है , मुक़द्दस सबत का िदन जो अल्लाह
लोगे िक मैं रब तुम्हारा ख़ुदा हूँ ’।” की ताज़ीम में मनाना है । आज तुम जो तनूर
13 उसी शाम बटे राें के ग़ोल आए जो पूरी में पकाना चाहते हो पका लो और जो उबालना
ख़ै मागाह पर छा गए। और अगली सुबह ख़ै मे चाहते हो उबाल लो। जो बच जाए उसे कल के
के चाराें तरफ़ ओस पड़ी थी। 14 जब ओस सूख िलए महफ़ूज़ रखो।”
गई तो बफ़र् के गालाें जै से पतले दाने पाले की 24 लोगाें ने मूसा के हुक्म के मुतािबक़ अगले

तरह ज़मीन पर पड़े थे । 15 जब इसराईिलयाें ने िदन के िलए खाना महफ़ूज़ कर िलया तो न


उसे दे खा तो एक दूसरे से पूछने लगे , “मन हू?” खाने से बदबू आई, न उसमें कीड़े पड़े । 25 मूसा
यानी “यह क्या है ?” क्याें िक वह नहीं जानते थे ने कहा, “आज यही बचा हुआ खाना खाओ,
िक यह क्या चीज़ है । मूसा ने उनको समझाया, क्याें िक आज सबत का िदन है , रब की ताज़ीम
“यह वह रोटी है जो रब ने तुम्हें खाने के िलए दी में आराम का िदन। आज तुम्हें रे िगस्तान में कुछ
है । 16 रब का हुक्म है िक हर एक उतना जमा करे नहीं िमले गा। 26 छः िदन के दौरान यह ख़ुराक
िजतना उसके ख़ानदान को ज़रूरत हो। अपने जमा करना है , ले िकन सातवाँ िदन आराम का
ख़ानदान के हर फ़रद के िलए दो िलटर जमा िदन है । उस िदन ज़मीन पर खाने के िलए कुछ
करो।” नहीं होगा।”
17 इसराईिलयाें ने ऐसा ही िकया। बाज़ ने 27 तो भी कुछ लोग हफ़ते को खाना जमा

ज़्यादा और बाज़ ने कम जमा िकया। 18 ले िकन करने के िलए िनकले , ले िकन उन्हें कुछ न
जब उसे नापा गया तो हर एक आदमी के िलए िमला। 28 तब रब ने मूसा से कहा, “तुम लोग
काफ़ी था। िजसने ज़्यादा जमा िकया था उसके कब तक मे रे अहकाम और िहदायात पर अमल
पास कुछ न बचा। ले िकन िजसने कम जमा करने से इनकार करोगे ? 29 दे खो, रब ने तुम्हारे
िकया था उसके पास भी काफ़ी था। 19 मूसा िलए मुक़रर् र िकया है िक सबत का िदन आराम
ने हुक्म िदया, “अगले िदन के िलए खाना न का िदन है । इसिलए वह तुम्हें जुमे को दो िदन
बचाना।” के िलए ख़ुराक दे ता है । हफ़ते को सबको अपने
20 ले िकन लोगाें ने मूसा की बात न मानी ख़ै माें में रहना है । कोई भी अपने घर से बाहर न
बिल्क बाज़ ने खाना बचा िलया। ले िकन अगली िनकले ।”
सुबह मालूम हुआ िक बचे हुए खाने में कीड़े पड़ 30 चुनाँ चे लोग सबत के िदन आराम करते थे ।
87 ख़ुरूज 17:14
31 इसराईिलयाें ने इस ख़ुराक का नाम ‘मन’ और िबगड़ जाएँ तो वह मुझे सं गसार कर दें गे ।”
रखा। उसके दाने धिनये की मािंनद सफ़ेद थे , 5 रब ने मूसा से कहा, “कुछ बुज़ुगर् साथ ले कर
और उसका ज़ायक़ा शहद से बने केक की लोगाें के आगे आगे चल। वह लाठी भी साथ ले
मािंनद था। जा िजससे तूने दिरयाए-नील को मारा था। 6 मैं
32 मूसा ने कहा, “रब फ़रमाता है , ‘दो िलटर होिरब यानी सीना पहाड़ की एक चटान पर ते रे

मन एक मरतबान में रखकर उसे आने वाली सामने खड़ा हूँ गा। लाठी से चटान को मारना तो
नसलाें के िलए महफ़ूज़ रखना। िफर वह दे ख उससे पानी िनकले गा और लोग पी सकेंगे ।”
सकेंगे िक मैं तुम्हें क्या खाना िखलाता रहा मूसा ने इसराईल के बुज़ुगार्ें के सामने ऐसा
जब तुम्हें िमसर से िनकाल लाया’।” 33 मूसा ने ही िकया। 7 उसने उस जगह का नाम मस्सा
हारून से कहा, “एक मरतबान लो और उसे दो और मरीबा यानी ‘आज़माना और झगड़ना’
िलटर मन से भरकर रब के सामने रखो तािक रखा, क्याें िक वहाँ इसराईली बुड़बुड़ाए और यह
वह आने वाली नसलाें के िलए महफ़ूज़ रहे ।” पूछकर रब को आज़माया िक क्या रब हमारे
34 हारून ने ऐसा ही िकया। उसने मन के इस दरिमयान है िक नहीं?

मरतबान को अहद के सं दूक़ के सामने रखा


तािक वह महफ़ूज़ रहे । अमालीिक़याें की िशकस्त
35 इसराईिलयाें को 40 साल तक मन 8 रफ़ीदीम वह जगह भी थी जहाँ अमा-

िमलता रहा। वह उस वक़्त तक मन खाते रहे लीक़ी इसराईिलयाें से लड़ने आए। 9 मूसा ने
जब तक रे िगस्तान से िनकलकर कनान की यशुअ से कहा, “लड़ने के क़ािबल आदिमयाें
सरहद पर न पहुँ चे। 36 (जो पै माना इसराईली को चुन लो और िनकलकर अमालीिक़याें
मन के िलए इस्ते माल करते थे वह दो िलटर का का मुक़ाबला करो। कल मैं अल्लाह की
एक बरतन था िजसका नाम ओमर था।) लाठी पकड़े हुए पहाड़ की चोटी पर खड़ा हो
जाऊँगा।”
चटान से पानी 10 यशुअ मूसा की िहदायत के मुतािबक़

17 िफर इसराईल की पूरी जमात सीन अमालीिक़याें से लड़ने गया जबिक मूसा, हारून
के रे िगस्तान से िनकली। रब िजस और हूर पहाड़ की चोटी पर चढ़ गए। 11 और
तरह हुक्म दे ता रहा वह एक जगह से दूसरी याें हुआ िक जब मूसा के हाथ उठाए हुए थे
जगह सफ़र करते रहे । रफ़ीदीम में उन्हाें ने ख़ै मे तो इसराईली जीतते रहे , और जब वह नीचे थे
लगाए। वहाँ पीने के िलए पानी न िमला। तो अमालीक़ी जीतते रहे । 12 कुछ दे र के बाद
2 इसिलए वह मूसा के साथ यह कहकर झगड़ने मूसा के बाज़ू थक गए। इसिलए हारून और
लगे , “हमें पीने के िलए पानी दो।” मूसा ने हूर एक चटान ले आए तािक वह उस पर बै ठ
जवाब िदया, “तुम मुझसे क्याें झगड़ रहे हो? जाए। िफर उन्हाें ने उसके दाइर्ं और बाइर्ं तरफ़
रब को क्याें आज़मा रहे हो?” 3 ले िकन लोग खड़े होकर उसके बाज़ुआें को ऊपर उठाए रखा।
बहुत प्यासे थे । वह मूसा के िख़लाफ़ बुड़बुड़ाने सूरज के ग़ुरूब होने तक उन्हाें ने याें मूसा की
से बाज़ न आए बिल्क कहा, “आप हमें िमसर मदद की। 13 इस तरह यशुअ ने अमालीिक़याें
से क्याें लाए हैं ? क्या इसिलए िक हम अपने से लड़ते लड़ते उन्हें िशकस्त दी।
बच्चाें और रे वड़ाें समे त प्यासे मर जाएँ ?” 14 तब रब ने मूसा से कहा, “यह वािक़या

4 तब मूसा ने रब के हुज़ूर फ़िरयाद की, “मैं यादगारी के िलए िकताब में िलख ले । लािज़म है
इन लोगाें के साथ क्या करूँ? हालात ज़रा भी िक यह सब कुछ यशुअ की याद में रहे , क्याें िक
ख़ुरूज 17:15 88
मैं दुिनया से अमालीिक़याें का नामो-िनशान मुिश्कलात का िज़क्र भी िकया िक रब ने हमें
िमटा दूँ गा।” 15 उस वक़्त मूसा ने क़ुरबानगाह िकस तरह उनसे बचाया है ।
बनाकर उसका नाम ‘रब मे रा झं डा है ’ रखा। 9 ियतरो उन सारे अच्छे कामाें के बारे में

16 उसने कहा, “रब के तख़्त के िख़लाफ़ हाथ सुनकर ख़ुश हुआ जो रब ने इसराईिलयाें के
उठाया गया है , इसिलए रब की अमालीिक़याें िलए िकए थे जब उसने उन्हें िमसिरयाें के हाथ
से हमे शा तक जं ग रहे गी।” से बचाया था। 10 उसने कहा, “रब की तमजीद
हो िजसने आपको िमसिरयाें और िफ़रौन के
ियतरो से मुलाक़ात क़ब्ज़े से नजात िदलाई है । उसी ने क़ौम को

18 मूसा का सुसर ियतरो अब तक


िमिदयान में इमाम था। जब उसने
सब कुछ सुना जो अल्लाह ने मूसा और अपनी
ग़ुलामी से छु ड़ाया है ! 11 अब मैं ने जान िलया
है िक रब तमाम माबूदाें से अज़ीम है , क्याें िक
उसने यह सब कुछ उन लोगाें के साथ िकया
क़ौम के िलए िकया है , िक वह उन्हें िमसर िजन्हाें ने अपने ग़ुरूर में इसराईिलयाें के साथ बुरा
से िनकाल लाया है 2 तो वह मूसा के पास सुलूक िकया था।” 12 िफर ियतरो ने अल्लाह
आया। वह उस की बीवी सफ़्फ़ूरा को अपने को भस्म होने वाली क़ुरबानी और दीगर कई
साथ लाया, क्याें िक मूसा ने उसे अपने बे टाें क़ुरबािनयाँ पे श कीं। तब हारून और तमाम
समे त मै के भे ज िदया था। 3 ियतरो मूसा के दोनाें बुज़ुगर् मूसा के सुसर ियतरो के साथ अल्लाह
बे टाें को भी साथ लाया। पहले बे टे का नाम के हुज़ूर खाना खाने बै ठे।
जै रसोम यानी ‘अजनबी मुल्क में परदे सी’ था,
क्याें िक जब वह पै दा हुआ तो मूसा ने कहा था, 70 बुज़ुगार्ें को मुक़रर् र िकया जाता है
“मैं अजनबी मुल्क में परदे सी हूँ ।” 4 दूसरे बे टे 13 अगले िदन मूसा लोगाें का इनसाफ़ करने
का नाम इिलयज़र यानी ‘मे रा ख़ुदा मददगार है ’ के िलए बै ठ गया। उनकी तादाद इतनी ज़्यादा
था, क्याें िक जब वह पै दा हुआ तो मूसा ने कहा थी िक वह सुबह से ले कर शाम तक मूसा के
था, “मे रे बाप के ख़ुदा ने मे री मदद करके मुझे सामने खड़े रहे । 14 जब ियतरो ने यह सब कुछ
िफ़रौन की तलवार से बचाया है ।” दे खा तो उसने पूछा, “यह क्या है जो आप लोगाें
5 ियतरो मूसा की बीवी और बे टे साथ ले कर के साथ कर रहे हैं ? सारा िदन वह आपको घे रे
उस वक़्त मूसा के पास पहुँ चा जब उसने रहते और आप उनकी अदालत करते रहते हैं ।
रे िगस्तान में अल्लाह के पहाड़ यानी सीना के आप यह सब कुछ अकेले ही क्याें कर रहे हैं ?”
क़रीब ख़ै मा लगाया हुआ था। 6 उसने मूसा को 15 मूसा ने जवाब िदया, “लोग मे रे पास

पै ग़ाम भे जा था, “मैं , आपका सुसर ियतरो आकर अल्लाह की मरज़ी मालूम करते हैं ।
आपकी बीवी और दो बे टाें को साथ ले कर 16 जब कभी कोई तनाज़ा या झगड़ा होता है

आपके पास आ रहा हूँ ।” तो दोनाें पार्िटयाँ मे रे पास आती हैं । मैं फ़ैसला
7 मूसा अपने सुसर के इस्तक़बाल के िलए करके उन्हें अल्लाह के अहकाम और िहदायात
बाहर िनकला, उसके सामने झु का और उसे बताता हूँ ।”
बोसा िदया। दोनाें ने एक दूसरे का हाल पूछा, 17 मूसा के सुसर ने उससे कहा, “आपका

िफर ख़ै मे में चले गए। 8 मूसा ने ियतरो को तरीक़ा अच्छा नहीं है । 18 काम इतना वसी है
तफ़सील से बताया िक रब ने इसराईिलयाें की िक आप उसे अकेले नहीं सँ भाल सकते । इससे
ख़ाितर िफ़रौन और िमसिरयाें के साथ क्या आप और वह लोग जो आपके पास आते हैं बुरी
कुछ िकया है । उसने रास्ते में पे श आई तमाम तरह थक जाते हैं । 19 मे री बात सुनें! मैं आपको
89 ख़ुरूज 19:11
एक मशवरा दे ता हूँ । अल्लाह उसमें आपकी कोहे -सीना
मदद करे । लािज़म है िक आप अल्लाह के
सामने क़ौम के नुमाइं दे रहें और उनके मामलात
उसके सामने पे श करें । 20 यह भी ज़रूरी है िक
19 इसराईिलयाें को िमसर से सफ़र
करते हुए दो महीने हो गए थे ।
तीसरे महीने के पहले ही िदन वह सीना के
आप उन्हें अल्लाह के अहकाम और िहदायात रे िगस्तान में पहुँ चे। 2 उस िदन वह रफ़ीदीम को
िसखाएँ , िक वह िकस तरह िंज़दगी गुज़ारें और छोड़कर दश्ते -सीना में आ पहुँ चे। वहाँ उन्हाें ने
क्या क्या करें । 21 ले िकन साथ साथ क़ौम में रे िगस्तान में पहाड़ के क़रीब डे रे डाले ।
से क़ािबले -एतमाद आदमी चुनें। वह ऐसे लोग 3 तब मूसा पहाड़ पर चढ़कर अल्लाह के

हाें जो अल्लाह का ख़ौफ़ मानते हाें , रास्तिदल पास गया। अल्लाह ने पहाड़ पर से मूसा
हाें और िरश्वत से नफ़रत करते हाें । उन्हें हज़ार को पुकारकर कहा, “याक़ूब के घराने बनी
हज़ार, सौ सौ, पचास पचास और दस दस इसराईल को बता, 4 ‘तुमने दे खा है िक मैं ने
आदिमयाें पर मुक़रर् र करें । 22 उन आदिमयाें की िमसिरयाें के साथ क्या कुछ िकया, और िक
िज़म्मे दारी यह होगी िक वह हर वक़्त लोगाें मैं तुमको उक़ाब के पराें पर उठाकर यहाँ
का इनसाफ़ करें । अगर कोई बहुत ही पे चीदा अपने पास लाया हूँ । 5 चुनाँ चे अगर तुम मे री
मामला हो तो वह फ़ैसले के िलए आपके पास सुनो और मे रे अहद के मुतािबक़ चलो तो
आएँ , ले िकन दीगर मामलाें का फ़ैसला वह ख़ुद िफर तमाम क़ौमाें में से मे री ख़ास िमलिकयत
करें । याें वह काम में आपका हाथ बटाएँ गे और होगे । गो पूरी दुिनया मे री ही है , 6 ले िकन तुम
आपका बोझ हलका हो जाएगा। मे रे िलए मख़सूस इमामाें की बादशाही और
23 अगर मे रा यह मशवरा अल्लाह की मरज़ी मुक़द्दस क़ौम होगे ।’ अब जाकर यह सारी बातें
के मुतािबक़ हो और आप ऐसा करें तो आप इसराईिलयाें को बता।”
अपनी िज़म्मे दारी िनभा सकेंगे और यह तमाम 7 मूसा ने पहाड़ से उतरकर और क़ौम के

लोग इनसाफ़ के िमलने पर सलामती के साथ बुज़ुगार्ें को बुलाकर उन्हें वह तमाम बातें बताइर्ं
अपने अपने घर जा सकेंगे ।” जो कहने के िलए रब ने उसे हुक्म िदया था।
24 मूसा ने अपने सुसर का मशवरा मान 8 जवाब में पूरी क़ौम ने िमलकर कहा, “हम

िलया और ऐसा ही िकया। 25 उसने इसराई- रब की हर बात पूरी करें गे जो उसने फ़रमाई
िलयाें में से क़ािबले -एतमाद आदमी चुने और है ।” मूसा ने पहाड़ पर लौटकर रब को क़ौम का
उन्हें हज़ार हज़ार, सौ सौ, पचास पचास और जवाब बताया। 9 जब वह पहुँ चा तो रब ने मूसा से
दस दस आदिमयाें पर मुक़रर् र िकया। 26 यह कहा, “मैं घने बादल में ते रे पास आऊँगा तािक
मदर् क़ाज़ी बनकर मुस्तिक़ल तौर पर लोगाें का लोग मुझे तुझसे हमकलाम होते हुए सुनें। िफर
इनसाफ़ करने लगे । आसान मसलाें का फ़ैसला वह हमे शा तुझ पर भरोसा रखें गे।” तब मूसा ने
वह ख़ुद करते और मुिश्कल मामलाें को मूसा के रब को वह तमाम बातें बताइर्ं जो लोगाें ने की
पास ले आते थे । थीं।
27 कुछ अरसे बाद मूसा ने अपने सुसर को 10 रब ने मूसा से कहा, “अब लोगाें के

रुख़सत िकया तो ियतरो अपने वतन वापस पास लौटकर आज और कल उन्हें मे रे िलए
चला गया। मख़सूसो-मुक़द्दस कर। वह अपने िलबास
धोकर 11 तीसरे िदन के िलए तै यार हो जाएँ ,
क्याें िक उस िदन रब लोगाें के दे खते दे खते कोहे -
ख़ुरूज 19:12 90
सीना पर उतरे गा। 12 लोगाें की िहफ़ाज़त के 23 ले िकन मूसा ने रब से कहा, “लोग पहाड़
िलए चाराें तरफ़ पहाड़ की हद्दें मुक़रर् र कर। उन्हें पर नहीं आ सकते , क्याें िक तूने ख़ुद ही हमें
ख़बरदार कर िक हुदूद को पार न करो। न पहाड़ ख़बरदार िकया िक हम पहाड़ की हद्दें मुक़रर् र
पर चढ़ो, न उसके दामन को छु ओ। जो भी उसे करके उसे मख़सूसो-मुक़द्दस करें ।”
छु ए वह ज़रूर मारा जाए। 13 और उसे हाथ से 24 रब ने जवाब िदया, “तो भी उतर जा और

छू कर नहीं मारना है बिल्क पत्थराें या तीराें से । हारून को साथ ले कर वापस आ। ले िकन इमामाें
ख़ाह इनसान हो या है वान, वह िंज़दा नहीं रह और लोगाें को मत आने दे । अगर वह ज़बरदस्ती
सकता। जब तक नरिंसगा दे र तक फँ ू का न जाए मे रे पास आएँ तो मे रा ग़ज़ब उन पर टू ट पड़े गा।”
उस वक़्त तक लोगाें को पहाड़ पर चढ़ने की 25 मूसा ने लोगाें के पास उतरकर उन्हें यह

इजाज़त नहीं है ।” बातें बता दीं।


14 मूसा ने पहाड़ से उतरकर लोगाें को

अल्लाह के िलए मख़सूसो-मुक़द्दस िकया। दस अहकाम


उन्हाें ने अपने िलबास भी धोए। 15 उसने उनसे
कहा, “तीसरे िदन के िलए तै यार हो जाओ। मदर्
औरताें से हमिबसतर न हाें ।”
20 तब अल्लाह ने यह तमाम बातें
फ़रमाइर्ं , 2 “मैं रब ते रा ख़ुदा हूँ जो
तुझे मुल्के-िमसर की ग़ुलामी से िनकाल लाया।
16 तीसरे िदन सुबह पहाड़ पर घना बादल 3 मे रे िसवा िकसी और माबूद की परिस्तश न

छा गया। िबजली चमकने लगी, बादल गरजने करना। 4 अपने िलए बुत न बनाना। िकसी भी
लगा और नरिंसगे की िनहायत ज़ोरदार आवाज़ चीज़ की मूरत न बनाना, चाहे वह आसमान
सुनाई दी। ख़ै मागाह में लोग लरज़ उठे । 17 तब में , ज़मीन पर या समुंदर में हो। 5 न बुताें की
मूसा लोगाें को अल्लाह से िमलने के िलए परिस्तश, न उनकी िख़दमत करना, क्याें िक मैं
ख़ै मागाह से बाहर पहाड़ की तरफ़ ले गया, और ते रा रब ग़यूर ख़ुदा हूँ । जो मुझसे नफ़रत करते
वह पहाड़ के दामन में खड़े हुए। 18 सीना पहाड़ हैं उन्हें मैं तीसरी और चौथी पुश्त तक सज़ा
धुएँ से ढका हुआ था, क्याें िक रब आग में उस दूँ गा। 6 ले िकन जो मुझसे मुहब्बत रखते और
पर उतर आया। पहाड़ से धुआँ इस तरह उठ मे रे अहकाम पूरे करते हैं उन पर मैं हज़ार पुश्ताें
रहा था जै से िकसी भट्टे से उठता है । पूरा पहाड़ तक मे हरबानी करूँगा।
िशद्दत से लरज़ने लगा। 19 नरिंसगे की आवाज़ 7 रब अपने ख़ुदा का नाम बे मक़सद या ग़लत

ते ज़ से ते ज़तर होती गई। मूसा बोलने लगा और मक़सद के िलए इस्ते माल न करना। जो भी
अल्लाह उसे ऊँची आवाज़ में जवाब दे ता रहा। ऐसा करता है उसे रब सज़ा िदए बग़ै र नहीं
20 रब सीना पहाड़ की चोटी पर उतरा और छोड़े गा।
मूसा को ऊपर आने के िलए कहा। मूसा ऊपर 8 सबत के िदन का ख़याल रखना। उसे इस

चढ़ा। 21 रब ने मूसा से कहा, “फ़ौरन नीचे तरह मनाना िक वह मख़सूसो-मुक़द्दस हो।


उतरकर लोगाें को ख़बरदार कर िक वह मुझे 9 हफ़ते के पहले छः िदन अपना काम-काज

दे खने के िलए पहाड़ की हुदूद में ज़बरदस्ती कर, 10 ले िकन सातवाँ िदन रब ते रे ख़ुदा का
दािख़ल न हाें । अगर वह ऐसा करें तो बहुत- आराम का िदन है । उस िदन िकसी तरह का
से हलाक हो जाएं गे। 22 इमाम भी जो रब के काम न करना। न तू, न ते रा बे टा, न ते री बे टी,
हुज़ूर आते हैं अपने आपको मख़सूसो-मुक़द्दस न ते रा नौकर, न ते री नौकरानी और न ते रे
करें , वरना मे रा ग़ज़ब उन पर टू ट पड़े गा।” मवे शी। जो परदे सी ते रे दरिमयान रहता है वह
भी काम न करे । 11 क्याें िक रब ने पहले छः िदन
91 ख़ुरूज 21:6
में आसमानो-ज़मीन, समुंदर और जो कुछ उनमें बै लाें की भस्म होने वाली और सलामती की
है बनाया ले िकन सातवें िदन आराम िकया। क़ुरबािनयाँ चढ़ाना। मैं तुझे वह जगहें िदखाऊँगा
इसिलए रब ने सबत के िदन को बरकत दे कर जहाँ मे रे नाम की ताज़ीम में क़ुरबािनयाँ पे श
मुक़रर् र िकया िक वह मख़सूस और मुक़द्दस हो। करनी हैं । ऐसी तमाम जगहाें पर मैं ते रे पास
12 अपने बाप और अपनी माँ की इज़्ज़त आकर तुझे बरकत दूँ गा।
करना। िफर तू उस मुल्क में जो रब ते रा ख़ुदा 25 अगर तू मे रे िलए क़ुरबानगाह बनाने की

तुझे दे नेवाला है दे र तक जीता रहे गा। ख़ाितर पत्थर इस्ते माल करना चाहे तो तराशे
13 क़त्ल न करना। हुए पत्थर इस्ते माल न करना। क्याें िक तू
14 िज़ना न करना। तराशने के िलए इस्ते माल होने वाले औज़ार से
15 चोरी न करना। उस की बे हुरमती करे गा। 26 क़ुरबानगाह को
16 अपने पड़ोसी के बारे में झूटी गवाही न सीिढ़याें के बग़ै र बनाना है तािक उस पर चढ़ने
दे ना। से ते रे िलबास के नीचे से ते रा नं गापन नज़र न
17 अपने पड़ोसी के घर का लालच न करना। आए।’
न उस की बीवी का, न उसके नौकर का, न
उस की नौकरानी का, न उसके बै ल और न
उसके गधे का बिल्क उस की िकसी भी चीज़
21 इसराईिलयाें को यह अहकाम
बता,

का लालच न करना।” इबरानी ग़ुलाम के हुक़ू क़


2 ‘अगर तू इबरानी ग़ुलाम ख़रीदे तो वह छः
लोग घबरा जाते हैं साल ते रा ग़ुलाम रहे । इसके बाद लािज़म है िक
18 जब बाक़ी तमाम लोगाें ने बादल की गरज उसे आज़ाद कर िदया जाए। आज़ाद होने के
और नरिंसगे की आवाज़ सुनी और िबजली की िलए उसे पै से दे ने की ज़रूरत नहीं होगी।
चमक और पहाड़ से उठते हुए धुएँ को दे खा तो 3 अगर ग़ुलाम ग़ै रशादीशुदा हालत में मािलक

वह ख़ौफ़ के मारे काँ पने लगे और पहाड़ से दूर के घर आया हो तो वह आज़ाद होकर अकेला
खड़े हो गए। 19 उन्हाें ने मूसा से कहा, “आप ही ही चला जाए। अगर वह शादीशुदा हालत में
हमसे बात करें तो हम सुनेंगे। ले िकन अल्लाह आया हो तो लािज़म है िक वह अपनी बीवी
को हमसे बात न करने दें वरना हम मर जाएं गे।” समे त आज़ाद होकर जाए। 4 अगर मािलक ने
20 ले िकन मूसा ने उनसे कहा, “मत डरो, ग़ुलाम की शादी कराई और बच्चे पै दा हुए हैं तो
क्याें िक रब तुम्हें जाँ चने के िलए आया है , तािक उस की बीवी और बच्चे मािलक की िमलिकयत
उसका ख़ौफ़ तुम्हारी आँखाें के सामने रहे और हाें गे। छः साल के बाद जब ग़ुलाम आज़ाद होकर
तुम गुनाह न करो।” 21 लोग दूर ही रहे जबिक जाए तो उस की बीवी और बच्चे मािलक ही के
मूसा उस गहरी तारीकी के क़रीब गया जहाँ पास रहें ।
अल्लाह था। 5 अगर ग़ुलाम कहे , “मैं अपने मािलक और

22 तब रब ने मूसा से कहा, “इसराईिलयाें को अपने बीवी-बच्चाें से मुहब्बत रखता हूँ , मैं


बता, ‘तुमने ख़ुद दे खा िक मैं ने आसमान पर से आज़ाद नहीं होना चाहता” 6 तो ग़ुलाम का
तुम्हारे साथ बातें की हैं । 23 चुनाँ चे मे री परिस्तश मािलक उसे अल्लाह के सामने लाए। वह उसे
के साथ साथ अपने िलए सोने या चाँ दी के बुत दरवाज़े या उस की चौखट के पास ले जाए और
न बनाओ। 24 मे रे िलए िमट्टी की क़ुरबानगाह सुताली यानी ते ज़ औज़ार से उसके कान की लौ
बनाकर उस पर अपनी भे ड़-बकिरयाें और गाय-
ख़ुरूज 21:7 92
छे द दे । तब वह िंज़दगी-भर उसका ग़ुलाम बना 16 िजसने िकसी को इग़वा कर िलया है उसे
रहे गा। सज़ाए-मौत दी जाए, चाहे वह उसे ग़ुलाम
7 अगर कोई अपनी बे टी को ग़ुलामी में बे च बनाकर बे च चुका हो या उसे अब तक अपने
डाले तो उसके िलए आज़ादी िमलने की शरायत पास रखा हुआ हो।
मदर् से फ़रक़ हैं । 8 अगर उसके मािलक ने उसे 17 जो अपने बाप या माँ पर लानत करे उसे

मुंतख़ब िकया िक वह उस की बीवी बन जाए, सज़ाए-मौत दी जाए।


ले िकन बाद में वह उसे पसं द न आए तो लािज़म 18 हो सकता है िक आदमी झगड़ें और एक

है िक वह मुनािसब मुआवज़ा ले कर उसे उसके शख़्स दूसरे को पत्थर या मुक्के से इतना


िरश्ते दाराें को वापस कर दे । उसे औरत को ज़ख़मी कर दे िक गो वह बच जाए वह िबस्तर
ग़ै रमुिल्कयाें के हाथ बे चने का इिख़्तयार नहीं है , से उठ न सकता हो। 19 अगर बाद में मरीज़
क्याें िक उसने उसके साथ बे वफ़ा सुलूक िकया यहाँ तक शफ़ा पाए िक दुबारा उठकर लाठी
है । के सहारे चल-िफर सके तो चोट पहुँ चाने वाले
9 अगर लाैं डी का मािलक उस की अपने बे टे को सज़ा नहीं िमले गी। उसे िसफ़र् उस वक़्त के
के साथ शादी कराए तो औरत को बे टी के हुक़ूक़ िलए मुआवज़ा दे ना पड़े गा जब तक मरीज़ पै से
हािसल हाें गे। न कमा सके। साथ ही उसे उसका पूरा इलाज
10 अगर मािलक ने उससे शादी करके बाद में करवाना है ।
दूसरी औरत से भी शादी की तो लािज़म है िक 20 जो अपने ग़ुलाम या लाैं डी को लाठी से

वह पहली को भी खाना और कपड़े दे ता रहे । याें मारे िक वह मर जाए उसे सज़ा दी जाए।
इसके अलावा उसके साथ हमिबसतर होने का 21 ले िकन अगर ग़ुलाम या लाैं डी िपटाई के बाद

फ़ज़र् भी अदा करना है । 11 अगर वह यह तीन एक या दो िदन िंज़दा रहे तो मािलक को सज़ा
फ़रायज़ अदा न करे तो उसे औरत को आज़ाद न दी जाए। क्याें िक जो रक़म उसने उसके िलए
करना पड़े गा। इस सूरत में उसे मुफ़्त आज़ाद दी थी उसका नुक़सान उसे ख़ुद उठाना पड़े गा।
करना होगा। 22 हो सकता है िक लोग आपस में लड़ रहे हाें

और लड़ते लड़ते िकसी हािमला औरत से याें


ज़ख़मी करने की सज़ा टकरा जाएँ िक उसका बच्चा ज़ाया हो जाए।
12 जो िकसी को जान-बूझकर इतना सख़्त अगर कोई और नुक़सान न हुआ हो तो ज़रब
मारता हो िक वह मर जाए तो उसे ज़रूर सज़ाए- पहुँ चाने वाले को जुरमाना दे ना पड़े गा। औरत का
मौत दे ना है । 13 ले िकन अगर उसने उसे जान- शौहर यह जुरमाना मुक़रर् र करे , और अदालत में
बूझकर न मारा बिल्क यह इत्तफ़ाक़ से हुआ इसकी तसदीक़ हो।
और अल्लाह ने यह होने िदया, तो मारने वाला 23 ले िकन अगर उस औरत को और नुक़-

एक ऐसी जगह पनाह ले सकता है जो मैं मुक़रर् र सान भी पहुँ चा हो तो िफर ज़रब पहुँ चाने वाले
करूँगा। वहाँ उसे क़त्ल िकए जाने की इजाज़त को इस उसूल के मुतािबक़ सज़ा दी जाए िक
नहीं होगी। 14 ले िकन जो दीदा-दािनस्ता और जान के बदले जान, 24 आँख के बदले आँख,
चालाकी से िकसी को मार डालता है उसे मे री दाँ त के बदले दाँ त, हाथ के बदले हाथ, पाँ व के
क़ुरबानगाह से भी छीनकर सज़ाए-मौत दे ना है । बदले पाँ व, 25 जलने के ज़ख़म के बदले जलने
15 जो अपने बाप या अपनी माँ को मारता- का ज़ख़म, मार के बदले मार, काट के बदले
पीटता है उसे सज़ाए-मौत दी जाए। काट।
93 ख़ुरूज 22:6
26 अगर कोई मािलक अपने ग़ुलाम की आँख भी बराबर तक़सीम करें । 36 ले िकन हो सकता
पर याें मारे िक वह ज़ाया हो जाए तो उसे ग़ुलाम है िक मािलक को मालूम था िक मे रा बै ल दूसरे
को आँख के बदले आज़ाद करना पड़े गा, चाहे जानवराें पर हमला करता है , इसके बावुजूद
ग़ुलाम मदर् हो या औरत। 27 अगर मािलक के उसने उसे आज़ाद छोड़ िदया था। ऐसी सूरत
पीटने से ग़ुलाम का दाँ त टू ट जाए तो उसे ग़ुलाम में उसे मुरदा बै ल के एवज़ उसके मािलक को
को दाँ त के बदले आज़ाद करना पड़े गा, चाहे नया बै ल दे ना पड़े गा, और वह मुरदा बै ल ख़ुद
ग़ुलाम मदर् हो या औरत। ले ले ।

नुक़सान का मुआवज़ा िमलिकयत की िहफ़ाज़त

22
28 अगर कोई बै ल िकसी मदर् या औरत को िजसने कोई बै ल या भे ड़ चोरी
ऐसा मारे िक वह मर जाए तो उस बै ल को करके उसे ज़बह िकया या बे च
सं गसार िकया जाए। उसका गोश्त खाने की डाला है उसे हर चोरी के बै ल के एवज़ पाँ च
इजाज़त नहीं है । इस सूरत में बै ल के मािलक बै ल और हर चोरी की भे ड़ के एवज़ चार भे ड़ें
को सज़ा न दी जाए। 29 ले िकन हो सकता है वापस करना है ।
िक मािलक को पहले आगाह िकया गया था िक 2 हो सकता है िक कोई चोर नक़ब लगा रहा

बै ल लोगाें को मारता है , तो भी उसने बै ल को हो और लोग उसे पकड़कर यहाँ तक मारते -


खुला छोड़ा था िजसके नतीजे में उसने िकसी पीटते रहें िक वह मर जाए। अगर रात के वक़्त
को मार डाला। ऐसी सूरत में न िसफ़र् बै ल को ऐसा हुआ हो तो वह उसके ख़ून के िज़म्मे दार
बिल्क उसके मािलक को भी सं गसार करना नहीं ठहर सकते । 3 ले िकन अगर सूरज के तुलू
है । 30 ले िकन अगर फ़ैसला िकया जाए िक वह होने के बाद ऐसा हुआ हो तो िजसने उसे मारा
अपनी जान का िफ़द्या दे तो िजतना मुआवज़ा वह क़ाितल ठहरे गा।
भी मुक़रर् र िकया जाए उसे दे ना पड़े गा। चोर को हर चुराई हुई चीज़ का एवज़ाना दे ना
31 सज़ा में कोई फ़रक़ नहीं है , चाहे बे टे को है । अगर उसके पास दे ने के िलए कुछ न हो तो
मारा जाए या बे टी को। 32 ले िकन अगर बै ल उसे ग़ुलाम बनाकर बे चना है । जो पै से उसे बे चने
िकसी ग़ुलाम या लाैं डी को मार दे तो उसका के एवज़ िमलें वह चुराई हुई चीज़ाें के बदले में
मािलक ग़ुलाम के मािलक को चाँ दी के 30 िदए जाएँ ।
िसक्के दे और बै ल को सं गसार िकया जाए। 4 अगर चोरी का जानवर चोर के पास िंज़दा

33 हो सकता है िक िकसी ने अपने हौज़ को पाया जाए तो उसे हर जानवर के एवज़ दो दे ने


खुला रहने िदया या हौज़ बनाने के िलए गढ़ा पड़ें गे , चाहे वह बै ल, भे ड़, बकरी या गधा हो।
खोदकर उसे खुला रहने िदया और कोई बै ल या 5 हो सकता है िक कोई अपने मवे शी को

गधा उसमें िगरकर मर गया। 34 ऐसी सूरत में अपने खे त या अं गूर के बाग़ में छोड़कर चरने
हौज़ का मािलक मुरदा जानवर के िलए पै से दे । दे और होते होते वह िकसी दूसरे के खे त या
वह जानवर के मािलक को उस की पूरी क़ीमत अं गूर के बाग़ में जाकर चरने लगे । ऐसी सूरत
अदा करे और मुरदा जानवर ख़ुद ले ले । में लािज़म है िक मवे शी का मािलक नुक़सान के
35 अगर िकसी का बै ल िकसी दूसरे के बै ल एवज़ अपने अं गूर के बाग़ और खे त की बे हतरीन
को ऐसे मारे िक वह मर जाए तो दोनाें मािलक पै दावार में से दे ।
िंज़दा बै ल को बे चकर उसके पै से आपस में 6 हो सकता है िक िकसी ने आग जलाई हो

बराबर बाँ ट लें । इसी तरह वह मुरदा बै ल को और वह काँ टेदार झािड़याें के ज़रीए पड़ोसी के
ख़ुरूज 22:7 94
खे त तक फैलकर उसके अनाज के पूलाें को, उसे उस की क़ीमत अदा करनी पड़े गी। 13 अगर
उस की पकी हुई फ़सल को या खे त की िकसी िकसी जं गली जानवर ने उसे फाड़ डाला हो तो
और पै दावार को बरबाद कर दे । ऐसी सूरत में वह सबूत के तौर पर फाड़ी हुई लाश को ले
िजसने आग जलाई हो उसे उस की पूरी क़ीमत आए। िफर उसे उस की क़ीमत अदा नहीं करनी
अदा करनी है । पड़े गी।
7 हो सकता है िक िकसी ने कुछ पै से या कोई 14 हो सकता है िक कोई अपने वािक़फ़-

और माल अपने िकसी वािक़फ़कार के सुपुदर् कार से इजाज़त ले कर उसका जानवर इस्ते माल
कर िदया हो तािक वह उसे महफ़ूज़ रखे । अगर करे । अगर जानवर को मािलक की ग़ै रमौजूदगी
यह चीज़ें उसके घर से चोरी हो जाएँ और बाद में चोट लगे या वह मर जाए तो उस शख़्स
में चोर को पकड़ा जाए तो चोर को उस की को िजसके पास जानवर उस वक़्त था उसका
दुगनी क़ीमत अदा करनी पड़े गी। 8 ले िकन अगर मुआवज़ा दे ना पड़े गा। 15 ले िकन अगर जानवर
चोर पकड़ा न जाए तो लािज़म है िक उस घर का मािलक उस वक़्त साथ था तो दूसरे को
का मािलक िजसके सुपुदर् यह चीज़ें की गई थीं मुआवज़ा दे ने की ज़रूरत नहीं होगी। अगर उसने
अल्लाह के हुज़ूर खड़ा हो तािक मालूम िकया जानवर को िकराए पर िलया हो तो उसका
जाए िक उसने ख़ुद यह माल चोरी िकया है या नुक़सान िकराए से पूरा हो जाएगा।
नहीं।
9 हो सकता है िक दो लोगाें का आपस में लड़की को वरग़लाने का जुमर्
झगड़ा हो, और दोनाें िकसी चीज़ के बारे में दावा 16 अगर िकसी कँ ु वारी की मँ गनी नहीं हुई
करते हाें िक यह मे री है । अगर कोई क़ीमती और कोई मदर् उसे वरग़लाकर उससे हमिबसतर
चीज़ हो मसलन बै ल, गधा, भे ड़, बकरी, कपड़े हो जाए तो वह महर दे कर उससे शादी करे ।
या कोई खोई हुई चीज़ तो मामला अल्लाह 17 ले िकन अगर लड़की का बाप उस की उस मदर्

के हुज़ूर लाया जाए। िजसे अल्लाह क़ुसूरवार के साथ शादी करने से इनकार करे , इस सूरत
क़रार दे उसे दूसरे को ज़े रे-बहस चीज़ की दुगनी में भी मदर् को कँ ु वारी के िलए मुक़रर् रा रक़म दे नी
क़ीमत अदा करनी है । पड़े गी।
10 हो सकता है िक िकसी ने अपना कोई गधा,

बै ल, भे ड़, बकरी या कोई और जानवर िकसी सज़ाए-मौत के लायक़ जरायम


वािक़फ़कार के सुपुदर् कर िदया तािक वह उसे 18 जादूगरनीको जीने न दे ना।
महफ़ूज़ रखे । वहाँ जानवर मर जाए या ज़ख़मी 19 जो शख़्स िकसी जानवर के साथ िंजसी

हो जाए, या कोई उस पर क़ब्ज़ा करके उसे ताल्लुक़ात रखता हो उसे सज़ाए-मौत दी जाए।
उस वक़्त ले जाए जब कोई न दे ख रहा हो। 20 जो न िसफ़र् रब को क़ुरबािनयाँ पे श करे

11 यह मामला याें हल िकया जाए िक िजसके बिल्क दीगर माबूदाें को भी उसे क़ौम से
सुपुदर् जानवर िकया गया था वह रब के हुज़ूर िनकालकर हलाक िकया जाए।
क़सम खाकर कहे िक मैं ने अपने वािक़फ़कार
के जानवर के लालच में यह काम नहीं िकया। कमज़ोराें की िहफ़ाज़त के िलए अहकाम
जानवर के मािलक को यह क़बूल करना पड़े गा, 21 जो परदे सी ते रे मुल्क में मे हमान है उसे न

और दूसरे को इसके बदले कुछ नहीं दे ना होगा। दबाना और न उससे बुरा सुलूक करना, क्याें िक
12 ले िकन अगर वाक़ई जानवर को चोरी िकया तुम भी िमसर में परदे सी थे ।
गया है तो िजसके सुपुदर् जानवर िकया गया था
95 ख़ुरूज 23:12
22 िकसी बे वा या यतीम से बुरा सुलूक न अकसिरयत के साथ िमलकर ऐसी बात न
करना। 23 अगर तू ऐसा करे और वह िचल्लाकर करना िजससे ग़लत फ़ैसला िकया जाए।
मुझसे फ़िरयाद करें तो मैं ज़रूर उनकी सुनँ ूगा। 3 ले िकन अदालत में िकसी ग़रीब की तरफ़-

24 मैं बड़े ग़ुस्से में आकर तुम्हें तलवार से मार दारी भी न करना।
डालूँगा। िफर तुम्हारी बीिवयाँ ख़ुद बे वाएँ और 4 अगर तुझे ते रे दुश्मन का बै ल या गधा

तुम्हारे बच्चे ख़ुद यतीम बन जाएं गे। आवारा िफरता हुआ नज़र आए तो उसे हर
25 अगर तूने मे री क़ौम के िकसी ग़रीब को सूरत में वापस कर दे ना। 5 अगर तुझसे नफ़रत
क़ज़र् िदया है तो उससे सूद न ले ना। करने वाले का गधा बोझ तले िगर गया हो और
26 अगर तुझे िकसी से उस की चादर िगरवी तुझे पता लगे तो उसे न छोड़ना बिल्क ज़रूर
के तौर पर िमली हो तो उसे सूरज डू बने से पहले उस की मदद करना।
ही वापस कर दे ना है , 27 क्याें िक इसी को वह 6 अदालत में ग़रीब के हुक़ूक़ न मारना। 7 ऐसे

सोने के िलए इस्ते माल करता है । वरना वह क्या मामले से दूर रहना िजसमें लोग झूट बोलते हैं ।
चीज़ ओढ़कर सोएगा? अगर तू चादर वापस न जो बे गुनाह और हक़ पर है उसे सज़ाए-मौत
करे और वह शख़्स िचल्लाकर मुझसे फ़िरयाद न दे ना, क्याें िक मैं क़ुसूरवार को हक़-बजािनब
करे तो मैं उस की सुनँ ूगा, क्याें िक मैं मे हरबान नहीं ठहराऊँगा। 8 िरश्वत न ले ना, क्याें िक िरश्वत
हूँ । दे खने वाले को अं धा कर दे ती है और उस की
बात बनने नहीं दे ती जो हक़ पर है ।
अल्लाह से मुतािल्लक़ फ़रायज़ 9 जो परदे सी ते रे मुल्क में मे हमान है उस पर
28 अल्लाह को न कोसना, न अपनी क़ौम के दबाव न डालना। तुम ऐसे लोगाें की हालत से
िकसी सरदार पर लानत करना। ख़ूब वािक़फ़ हो, क्याें िक तुम ख़ुद िमसर में
29 मुझे वक़्त पर अपने खे त और कोल्हुआें की परदे सी रहे हो।

पै दावार में से नज़राने पे श करना। अपने पहलौठे


मुझे दे ना। 30 अपने बै लाें , भे ड़ाें और बकिरयाें के सबत का साल और सबत
पहलौठाें को भी मुझे दे ना। जानवर का पहलौठा 10 छः साल तक अपनी ज़मीन में बीज बो-

पहले सात िदन अपनी माँ के साथ रहे । आठवें कर उस की पै दावार जमा करना। 11 ले िकन
िदन वह मुझे िदया जाए। सातवें साल ज़मीन को इस्ते माल न करना
31 अपने आपको मे रे िलए मख़सूसो-मुक़द्दस बिल्क उसे पड़े रहने दे ना। जो कुछ भी उगे

रखना। इसिलए ऐसे जानवर का गोश्त मत वह क़ौम के ग़रीब लोग खाएँ । जो उनसे बच
खाना िजसे िकसी जं गली जानवर ने फाड़ डाला जाए उसे जं गली जानवर खाएँ । अपने अं गूर
है । ऐसे गोश्त को कुत्ताें को खाने दे ना। और ज़ै तून के बाग़ाें के साथ भी ऐसा ही करना
है ।
अदालत में इनसाफ़ और 12 छः िदन अपना काम-काज करना, ले िकन

दूसराें से मुहब्बत सातवें िदन आराम करना। िफर ते रा बै ल और

23 ग़लत अफ़वाहें न फैलाना। िक- ते रा गधा भी आराम कर सकेंगे , ते री लाैं डी


सी शरीर आदमी का साथ दे कर का बे टा और ते रे साथ रहने वाला परदे सी भी
झूटी गवाही दे ना मना है । 2 अगर अकसिरयत ताज़ादम हो जाएं गे।
ग़लत काम कर रही हो तो उसके पीछे
न हो ले ना। अदालत में गवाही दे ते वक़्त
ख़ुरूज 23:13 96
13 जो भी िहदायत मैं ने दी है उस पर अमल और सब कुछ करे जो मैं तुझे बताता हूँ तो मैं
कर। दीगर माबूदाें की परिस्तश न करना। मैं ते रे ते रे दुश्मनाें का दुश्मन और ते रे मुख़ािलफ़ाें का
मुँह से उनके नामाें तक का िज़क्र न सुनँ ू। मुख़ािलफ़ हूँ गा।
23 क्याें िक मे रा फ़िरश्ता ते रे आगे आगे चले गा

तीन ख़ास ईदें और तुझे मुल्के-कनान तक पहुँ चा दे गा जहाँ


14 साल में तीन दफ़ा मे री ताज़ीम में ईद अमोरी, िहत्ती, फ़िरज़्ज़ी, कनानी, िहव्वी और

मनाना। 15 पहले , बे ख़मीरी रोटी की ईद मनाना। यबूसी आबाद हैं । तब मैं उन्हें रूए-ज़मीन पर
अबीब के महीने a में सात िदन तक ते री रोटी से िमटा दूँ गा। 24 उनके माबूदाें को िसजदा न
में ख़मीर न हो िजस तरह मैं ने हुक्म िदया है , करना, न उनकी िख़दमत करना। उनके रस्मो-
क्याें िक इस महीने में तू िमसर से िनकला। इन िरवाज भी न अपनाना बिल्क उनके बुताें को
िदनाें में कोई मे रे हुज़ूर ख़ाली हाथ न आए। तबाह कर दे ना। िजन सतूनाें के सामने वह
16 दूसरे , फ़सलकटाई की ईद उस वक़्त मनाना इबादत करते हैं उनको भी टु कड़े टु कड़े कर

जब तू अपने खे त में बोई हुई पहली फ़सल डालना। 25 रब अपने ख़ुदा की िख़दमत करना।
काटे गा। तीसरे , जमा करने की ईद फ़सल की िफर मैं ते री ख़ुराक और पानी को बरकत दे कर
कटाई के इिख़्तताम b पर मनाना है जब तूने तमाम बीमािरयाँ तुझसे दूर करूँगा। 26 िफर ते रे
अं गूर और बाक़ी बाग़ाें के फल जमा िकए हाें गे। मुल्क में न िकसी का बच्चा ज़ाया होगा, न कोई
17 याें ते रे तमाम मदर् तीन मरतबा रब क़ािदरे - बाँ झ होगी। साथ ही मैं तुझे तवील िंज़दगी अता

मुतलक़ के हुज़ूर हािज़र हुआ करें । करूँगा।


18 जब तू िकसी जानवर को ज़बह करके 27 मैं ते रे आगे आगे दहशत फैलाऊ ँ गा। जहाँ
क़ुरबानी के तौर पर पे श करे तो उसके ख़ून के भी तू जाएगा वहाँ मैं तमाम क़ौमाें में अबतरी
साथ ऐसी रोटी पे श न करना िजसमें ख़मीर हो। पै दा करूँगा। मे रे सबब से ते रे सारे दुश्मन
और जो जानवर तू मे री ईदाें पर चढ़ाए उनकी पलटकर भाग जाएं गे। 28 मैं ते रे आगे ज़ं बूर भे ज
चरबी अगली सुबह तक बाक़ी न रहे । दूँ गा जो िहव्वी, कनानी और िहत्ती को मुल्क
19 अपनी ज़मीन की पहली पै दावार का छोड़ने पर मजबूर करें गे । 29 ले िकन जब तू वहाँ

बे हतरीन िहस्सा रब अपने ख़ुदा के घर में लाना। पहुँ चेगा तो मैं उन्हें एक ही साल में मुल्क से
भे ड़ या बकरी के बच्चे को उस की माँ के दूध नहीं िनकालूँगा। वरना पूरा मुल्क वीरान हो
में न पकाना। जाएगा और जं गली जानवर फैलकर ते रे िलए
नुक़सान का बाइस बन जाएं गे। 30 इसिलए मैं
रब का फ़िरश्ता राहनुमाई करे गा ते रे पहुँ चने पर मुल्क के बािंशदाें को थोड़ा थोड़ा
20 मैं ते रे आगे आगे फ़िरश्ता भे जता हूँ जो करके िनकालता जाऊ ँ गा। इतने में ते री तादाद
रास्ते में ते री िहफ़ाज़त करे गा और तुझे उस बढ़े गी और तू रफ़्ता रफ़्ता मुल्क पर क़ब्ज़ा कर
जगह तक ले जाएगा जो मैं ने ते रे िलए तै यार की सकेगा।
है । 21 उस की मौजूदगी में एहितयात बरतना। 31 मैं ते री सरहद्दें मुक़रर् र करूँगा। बहरे -

उस की सुनना, और उस की िख़लाफ़वरज़ी न क़ुलज़ुम एक हद होगी और िफ़िलिस्तयाें का


करना। अगर तू सरकश हो जाए तो वह तुझे समुंदर दूसरी, जुनूब का रे िगस्तान एक होगी
मुआफ़ नहीं करे गा, क्याें िक मे रा नाम उसमें और दिरयाए-फ़ुरात दूसरी। मैं मुल्क के बािंशदाें
हािज़र होगा। 22 ले िकन अगर तू उस की सुने
a b
माचर् ता अप्रैल। िसतं बर ता अक्तूबर।
97 ख़ुरूज 24:18
को ते रे क़ब्ज़े में कर दूँ गा, और तू उन्हें “यह ख़ून उस अहद की तसदीक़ करता है जो
अपने आगे आगे मुल्क से दूर करता जाएगा। रब ने तुम्हारे साथ िकया है और जो उस की
32 लािज़म है िक तू उनके साथ या उनके माबूदाें तमाम बाताें पर मबनी है ।”
के साथ अहद न बाँ धे। 33 उनका ते रे मुल्क में 9 इसके बाद मूसा, हारून, नदब, अबीहू और

रहना मना है , वरना तू उनके सबब से मे रा गुनाह इसराईल के 70 बुज़ुगर् सीना पहाड़ पर चढ़े ।
करे गा। अगर तू उनके माबूदाें की इबादत करे गा 10 वहाँ उन्हाें ने इसराईल के ख़ुदा को दे खा।

तो यह ते रे िलए फंदा बन जाएगा’।” लगता था िक उसके पाँ वाें के नीचे सं गे-लाजवदर्


का-सा तख़्ता था। वह आसमान की मािंनद
रब इसराईल से अहद बाँ धता है साफ़ो-शफ़्फ़ाफ़ था। 11 अगरचे इसराईल के

24 रब ने मूसा से कहा, “तू, हारून, राहनुमाआें ने यह सब कुछ दे खा तो भी रब ने


नदब, अबीहू और इसराईल के 70 उन्हें हलाक न िकया, बिल्क वह अल्लाह को
बुज़ुगर् मे रे पास ऊपर आएँ । कुछ फ़ासले पर खड़े दे खते रहे और उसके हुज़ूर अहद का खाना खाते
होकर मुझे िसजदा करो। 2 िसफ़र् तू अकेला ही और पीते रहे ।
मे रे क़रीब आ, दूसरे दूर रहें । और क़ौम के बाक़ी
लोग ते रे साथ पहाड़ पर न चढ़ें ।” पत्थर की तिख़्तयाँ
3 तब मूसा ने क़ौम के पास जाकर रब की 12 पहाड़ से उतरने के बाद रब ने मूसा से कहा,

तमाम बातें और अहकाम पे श िकए। जवाब में “मे रे पास पहाड़ पर आकर कुछ दे र के िलए
सबने िमलकर कहा, “हम रब की इन तमाम ठहरे रहना। मैं तुझे पत्थर की तिख़्तयाँ दूँ गा िजन
बाताें पर अमल करें गे ।” पर मैं ने अपनी शरीअत और अहकाम िलखे
4 तब मूसा ने रब की तमाम बातें िलख हैं और जो इसराईल की तालीमो-तरिबयत के

लीं। अगले िदन वह सुबह-सवे रे उठा और िलए ज़रूरी हैं ।”


पहाड़ के पास गया। उसके दामन में उसने 13 मूसा अपने मददगार यशुअ के साथ चल

क़ुरबानगाह बनाई। साथ ही उसने इसराईल के पड़ा और अल्लाह के पहाड़ पर चढ़ गया।


हर एक क़बीले के िलए एक एक पत्थर का 14 पहले उसने बुज़ुगार्ें से कहा, “हमारी वापसी
सतून खड़ा िकया। 5 िफर उसने कुछ इसराईली के इं तज़ार में यहाँ ठहरे रहो। हारून और हूर
नौजवानाें को क़ुरबानी पे श करने के िलए तुम्हारे पास रहें गे। कोई भी मामला हो तो लोग
बुलाया तािक वह रब की ताज़ीम में भस्म उन्हीं के पास जाएँ ।”
होने वाली क़ुरबािनयाँ चढ़ाएँ और जवान बै लाें
को सलामती की क़ुरबानी के तौर पर पे श मूसा रब से िमलता है
करें । मूसा ने क़ुरबािनयाें का ख़ून जमा िकया।
6 15 जब मूसा चढ़ने लगा तो पहाड़ पर बादल
उसका आधा िहस्सा उसने बासनाें में डाल िदया छा गया। 16 रब का जलाल कोहे -सीना पर उतर

और आधा िहस्सा क़ुरबानगाह पर िछड़क िदया। आया। छः िदन तक बादल उस पर छाया रहा।
7 िफर उसने वह िकताब ली िजसमें रब के सातवें िदन रब ने बादल में से मूसा को बुलाया।
साथ अहद की तमाम शरायत दजर् थीं और उसे 17 रब का जलाल इसराईिलयाें को भी नज़र
क़ौम को पढ़कर सुनाया। जवाब में उन्हाें ने कहा, आता था। उन्हें याें लगा जै सा िक पहाड़ की
“हम रब की इन तमाम बाताें पर अमल करें गे । चोटी पर ते ज़ आग भड़क रही हो। 18 चढ़ते चढ़ते
हम उस की सुनेंगे।” 8 इस पर मूसा ने बासनाें में मूसा बादल में दािख़ल हुआ। वहाँ वह चालीस
से ख़ून ले कर उसे लोगाें पर िछड़का और कहा, िदन और चालीस रात रहा।
ख़ुरूज 25:1 98
मुलाक़ात का ख़ै मा बनाने के िलए हिदये 17 सं दूक़ का ढकना ख़ािलस सोने का

25 रब ने मूसा से कहा, 2 “इसराई-


िलयाें को बता िक वह हिदये लाकर
मुझे उठाने वाली क़ुरबानी के तौर पर पे श करें ।
बनाना। उस की लं बाई पौने चार फ़ुट और
चौड़ाई सवा दो फ़ुट हो। उसका नाम कफ़्फ़ारे
का ढकना है । 18-19 सोने से घड़कर दो करूबी
ले िकन िसफ़र् उनसे हिदये क़बूल करो जो िदली फ़िरश्ते बनाए जाएँ जो ढकने के दोनाें िसराें पर
ख़ुशी से दें । 3 उनसे यह चीज़ें हिदये के तौर खड़े हाें । यह दो फ़िरश्ते और ढकना एक ही
पर क़बूल करो : सोना, चाँ दी, पीतल; 4 नीले , टु कड़े से बनाने हैं । 20 फ़िरश्ताें के पर याें ऊपर
अरग़वानी और िक़रिमज़ी रं ग का धागा, बारीक की तरफ़ फैले हुए हाें िक वह ढकने को पनाह
कतान, बकरी के बाल, 5 में ढाें की सुख़र् रँ गी हुई दें । उनके मुँह एक दूसरे की तरफ़ िकए हुए हाें ,
खालें , तख़स a की खालें , कीकर की लकड़ी, और वह ढकने की तरफ़ दे खें।
6 शमादान के िलए ज़ै तून का ते ल, मसह करने 21 ढकने को सं दूक़ पर लगा, और सं दूक़

के िलए ते ल और ख़ुशबूदार बख़ूर के िलए में शरीअत की वह दो तिख़्तयाँ रख जो मैं


मसाले , 7 अक़ीक़े-अहमर और दीगर जवािहर तुझे दूँ गा। 22 वहाँ ढकने के ऊपर दोनाें फ़िरश्ताें
जो इमामे -आज़म के बालापोश और सीने के के दरिमयान से मैं अपने आपको तुझ पर
कीसे में जड़े जाएं गे। 8 इन चीज़ाें से लोग मे रे ज़ािहर करके तुझसे हमकलाम हूँ गा और तुझे
िलए मक़िदस बनाएँ तािक मैं उनके दरिमयान इसराईिलयाें के िलए तमाम अहकाम दूँ गा।
रहूँ । 9 मैं तुझे मक़िदस और उसके तमाम सामान
का नमूना िदखाऊँगा, क्याें िक तुम्हें सब कुछ ऐन मख़सूस रोिटयाें की मे ज़
उसी के मुतािबक़ बनाना है । 23 कीकर की लकड़ी की मे ज़ बनाना। उस की

लं बाई तीन फ़ुट, चौड़ाई डे ढ़ फ़ुट और ऊँचाई


अहद का सं दूक़ सवा दो फ़ुट हो। 24 उस पर ख़ािलस सोना
10-12 लोग कीकर की लकड़ी का सं दूक़ चढ़ाना, और उसके इदर्िगदर् सोने की झालर
बनाएँ । उस की लं बाई पौने चार फ़ुट हो जबिक लगाना। 25 मे ज़ की ऊपर की सतह पर चौखटा
उस की चौड़ाई और ऊँचाई सवा दो दो फ़ुट हो। लगाना िजसकी ऊँचाई तीन इं च हो और िजस
पूरे सं दूक़ पर अं दर और बाहर से ख़ािलस सोना पर सोने की झालर लगी हो। 26 सोने के चार
चढ़ाना। ऊपर की सतह के इदर्िगदर् सोने की कड़े ढालकर उन्हें चाराें कोनाें पर लगाना जहाँ
झालर लगाना। सं दूक़ को उठाने के िलए सोने मे ज़ के पाए लगे हैं । 27 यह कड़े मे ज़ की सतह
के चार कड़े ढालकर उन्हें सं दूक़ के चारपाइयाें पर लगे चौखटे के नीचे लगाए जाएँ । उनमें वह
पर लगाना। दोनाें तरफ़ दो दो कड़े हाें । 13 िफर लकिड़याँ डालनी हैं िजनसे मे ज़ को उठाया
कीकर की दो लकिड़याँ सं दूक़ को उठाने के जाएगा। 28 यह लकिड़याँ भी कीकर की हाें
िलए तै यार करना। उन पर सोना चढ़ाकर और उन पर सोना चढ़ाया जाए। उनसे मे ज़ को
14 उनको दोनाें तरफ़ के कड़ाें में डालना तािक उठाना है ।
उनसे सं दूक़ को उठाया जाए। 15 यह लकिड़याँ 29 उसके थाल, प्याले , मरतबान और मै की

सं दूक़ के इन कड़ाें में पड़ी रहें । उन्हें कभी भी नज़रें पे श करने के बरतन ख़ािलस सोने से
दूर न िकया जाए। 16 सं दूक़ में शरीअत की वह बनाना है । 30 मे ज़ पर वह रोिटयाँ हर वक़्त मे रे
दो तिख़्तयाँ रखना जो मैं तुझे दूँ गा। हुज़ूर पड़ी रहें जो मे रे िलए मख़सूस हैं ।
a
ग़ािलबन इस मतरूक इबरानी लफ़्ज़ से मुराद कोई
समुंदरी जानवर है ।
99 ख़ुरूज 26:18
शमादान एक िकनारे पर लगाए जाएँ , 5 एक टु कड़े के
31 ख़ािलस सोने का शमादान भी बनाना। हािशये पर 50 हलक़े और दूसरे पर भी उतने
उसका पाया और डं डी घड़कर बनाना है । उस ही हलक़े। इन दो हािशयाें के हलक़े एक दूसरे
की प्यािलयाँ जो फूलाें और किलयाें की शक्ल के आमने -सामने हाें । 6 िफर सोने की 50 हुकें
की हाें गी पाए और डं डी के साथ एक ही टु कड़ा बनाकर उनसे आमने -सामने के हलक़े एक दूसरे
हाें । 32 डं डी से दाइर्ं और बाइर्ं तरफ़ तीन तीन के साथ िमलाना। याें दोनाें टु कड़े जुड़कर ख़ै मे
शाख़ें िनकलें । 33 हर शाख़ पर तीन प्यािलयाँ का काम दें गे ।
लगी हाें जो बादाम की किलयाें और फूलाें की 7 बकरी के बालाें से भी 11 परदे बनाना िजन्हें

शक्ल की हाें । 34 शमादान की डं डी पर भी इस कपड़े वाले ख़ै मे के ऊपर रखा जाए। 8 हर परदे


िक़स्म की प्यािलयाँ लगी हाें , ले िकन तादाद में की लं बाई 45 फ़ुट और चौड़ाई 6 फ़ुट हो।
चार। 35 इनमें से तीन प्यािलयाँ दाएँ -बाएँ की 9 पाँ च परदाें के लं बे हािशये एक दूसरे के साथ

छः शाख़ाें के नीचे लगी हाें । वह याें लगी हाें िक जोड़े जाएँ और इसी तरह बाक़ी छः भी। इन छः
हर प्याली से दो शाख़ें िनकलें । 36 शाख़ें और परदाें के छटे परदे को एक दफ़ा तह करना। यह
प्यािलयाँ बिल्क पूरा शमादान ख़ािलस सोने के सामने वाले िहस्से से लटके।
एक ही टु कड़े से घड़कर बनाना है । 10 बकरी के बाल के इन दोनाें टु कड़ाें को

37 शमादान के िलए सात चराग़ बनाकर उन्हें भी िमलाना है । इसके िलए हर टु कड़े के 45
याें शाख़ाें पर रखना िक वह सामने की जगह फ़ुटवाले एक िकनारे पर पचास पचास हलक़े
रौशन करें । 38 बत्ती कतरने की क़ैंिचयाँ और लगाना। 11 िफर पीतल की 50 हुकें बनाकर
जलते कोयले के िलए छोटे बरतन भी ख़ािलस उनसे दोनाें िहस्से िमलाना। 12 जब बकिरयाें के
सोने से बनाए जाएँ । 39 शमादान और उस सारे बालाें का यह ख़ै मा कपड़े के ख़ै मे के ऊपर
सामान के िलए पूरे 34 िकलोग्राम ख़ािलस लगाया जाएगा तो आधा परदा बाक़ी रहे गा। वह
सोना इस्ते माल िकया जाए। 40 ग़ौर कर िक सब ख़ै मे की िपछली तरफ़ लटका रहे । 13 ख़ै मे के
कुछ ऐन उस नमूने के मुतािबक़ बनाया जाए जो दाइर्ं और बाइर्ं तरफ़ बकरी के बालाें का ख़ै मा
मैं तुझे यहाँ पहाड़ पर िदखाता हूँ । कपड़े के ख़ै मे की िनसबत डे ढ़ डे ढ़ फ़ुट लं बा
होगा। याें वह दोनाें तरफ़ लटके हुए कपड़े के
मुलाक़ात का ख़ै मा ख़ै मे को महफ़ूज़ रखे गा।

26 मुक़द्दस ख़ै मे के िलए दस परदे 14 एक दूसरे के ऊपर के इन दोनाें ख़ै माें की

बनाना। उनके िलए बारीक क- िहफ़ाज़त के िलए दो िग़लाफ़ बनाने हैं । बकरी
तान और नीले , अरग़वानी और िक़रिमज़ी रं ग के बालाें के ख़ै मे पर में ढाें की सुख़र् रँ गी हुई खालें
का धागा इस्ते माल करना। परदाें में िकसी जोड़कर रखी जाएँ और उन पर तख़स की खालें
मािहर कारीगर के कढ़ाई के काम से करूबी िमलाकर रखी जाएँ ।
फ़िरश्ताें का िडज़ायन बनवाना। 2 हर परदे की 15 कीकर की लकड़ी के तख़्ते बनाना जो खड़े

लं बाई 42 फ़ुट और चौड़ाई 6 फ़ुट हो। 3 पाँ च िकए जाएँ तािक ख़ै मे की दीवाराें का काम दें ।
परदाें के लं बे हािशये एक दूसरे के साथ जोड़े 16 हर तख़्ते की ऊ ँ चाई 15 फ़ुट हो और चौड़ाई
जाएँ और इसी तरह बाक़ी पाँ च भी। याें दो बड़े सवा दो फ़ुट। 17 हर तख़्ते के नीचे दो दो चूलें
टु कड़े बन जाएं गे। 4 दोनाें टु कड़ाें को एक दूसरे हाें । यह चूलें हर तख़्ते को उसके पाइयाें के
के साथ िमलाने के िलए नीले धागे के हलक़े साथ जोड़ें गी तािक तख़्ता खड़ा रहे । 18 ख़ै मे की
बनाना। यह हलक़े हर टु कड़े के 42 फ़ुटवाले जुनूबी दीवार के िलए 20 तख़्ताें की ज़रूरत है
ख़ुरूज 26:19 100
19 और साथ ही चाँ दी के 40 पाइयाें की। उन हाें । 33 यह परदा मुक़द्दस कमरे को मुक़द्दसतरीन
पर तख़्ते खड़े िकए जाएं गे। हर तख़्ते के नीचे कमरे से अलग करे गा िजसमें अहद का सं दूक़
दो पाए हाें गे, और हर पाए में एक चूल लगे गी। पड़ा रहे गा। परदे को लटकाने के बाद उसके
20 इसी तरह ख़ै मे की िशमाली दीवार के िलए पीछे मुक़द्दसतरीन कमरे में अहद का सं दूक़
भी 20 तख़्ताें की ज़रूरत है 21 और साथ ही रखना। 34 िफर अहद के सं दूक़ पर कफ़्फ़ारे का
चाँ दी के 40 पाइयाें की। वह भी तख़्ताें को ढकना रखना।
खड़ा करने के िलए हैं । हर तख़्ते के नीचे दो पाए 35 िजस मे ज़ पर मे रे िलए मख़सूस की गई

हाें गे। 22 ख़ै मे की िपछली यानी मग़िरबी दीवार रोिटयाँ पड़ी रहती हैं वह परदे के बाहर मुक़द्दस
के िलए छः तख़्ते बनाना। 23 इस दीवार को कमरे में िशमाल की तरफ़ रखी जाए। उसके
िशमाली और जुनूबी दीवाराें के साथ जोड़ने के मुक़ािबल जुनूब की तरफ़ शमादान रखा जाए।
िलए कोने वाले दो तख़्ते बनाना। 24 इन दो तख़्ताें 36 िफर ख़ै मे के दरवाज़े के िलए भी परदा

में नीचे से ले कर ऊपर तक कोना हो तािक एक बनाया जाए। इसके िलए भी बारीक कतान
से िशमाली दीवार मग़िरबी दीवार के साथ जुड़ और नीले , अरग़वानी और िक़रिमज़ी रं ग का
जाए और दूसरे से जुनूबी दीवार मग़िरबी दीवार धागा इस्ते माल िकया जाए। इस पर कढ़ाई
के साथ। इनके ऊपर के िसरे कड़ाें से मज़बूत का काम िकया जाए। 37 इस परदे को सोने
िकए जाएँ । 25 याें िपछले यानी मग़िरबी तख़्ताें की हुकाें से कीकर की लकड़ी के पाँ च सतूनाें
की पूरी तादाद 8 होगी और इनके िलए चाँ दी से लटकाना। इन सतूनाें पर भी सोना चढ़ाया
के पाइयाें की तादाद 16, हर तख़्ते के नीचे दो जाए, और वह पीतल के पाइयाें पर खड़े हाें ।
दो पाए हाें गे।
26-27 इसके अलावा कीकर की लकड़ी के जानवराें को चढ़ाने की क़ुरबानगाह
शहतीर बनाना, तीनाें दीवाराें के िलए पाँ च पाँ च
शहतीर। वह हर दीवार के तख़्ताें पर याें लगाए
जाएँ िक वह उन्हें एक दूसरे के साथ िमलाएँ ।
27 कीकर की लकड़ी की क़ुरबान-
गाह बनाना। उस की ऊँचाई साढ़े
चार फ़ुट हो जबिक उस की लं बाई और चौड़ाई
28 दरिमयानी शहतीर दीवार की आधी ऊ ँ चाई साढ़े सात सात फ़ुट हो। 2 उसके ऊपर चाराें
पर दीवार के एक िसरे से दूसरे िसरे तक लगाया कोनाें में से एक एक सींग िनकले । सींग और
जाए। 29 शहतीराें को तख़्ताें के साथ लगाने के क़ुरबानगाह एक ही टु कड़े के हाें । सब पर
िलए सोने के कड़े बनाकर तख़्ताें में लगाना। पीतल चढ़ाना। 3 उसका तमाम साज़ो-सामान
तमाम तख़्ताें और शहतीराें पर सोना चढ़ाना। और बरतन भी पीतल के हाें यानी राख को
30 पूरे मुक़द्दस ख़ै मे को उसी नमूने के उठाकर ले जाने की बालिटयाँ , बे लचे , काँ टे,
मुतािबक़ बनाना जो मैं तुझे पहाड़ पर िदखाता जलते हुए कोयले के िलए बरतन और िछड़काव
हूँ । 31 अब एक और परदा बनाना। इसके िलए के कटोरे ।
भी बारीक कतान और नीले , अरग़वानी और 4 क़ुरबानगाह को उठाने के िलए पीतल का

िक़रिमज़ी रं ग का धागा इस्ते माल करना। उस जं गला बनाना जो ऊपर से खुला हो। जं गले के
पर भी िकसी मािहर कारीगर के कढ़ाई के चाराें कोनाें पर कड़े लगाए जाएँ । 5 क़ुरबानगाह
काम से करूबी फ़िरश्ताें का िडज़ायन बनवाना। की आधी ऊँचाई पर िकनारा लगाना, और
32 इसे सोने की हुकाें से कीकर की लकड़ी के क़ुरबानगाह को जं गले में इस िकनारे तक रखा
चार सतूनाें से लटकाना। इन सतूनाें पर सोना जाए। 6 उसे उठाने के िलए कीकर की दो
चढ़ाया जाए और वह चाँ दी के पाइयाें पर खड़े लकिड़याँ बनाना िजन पर पीतल चढ़ाना है ।
101 ख़ुरूज 28:5
7 उनको क़ुरबानगाह के दोनाें तरफ़ के कड़ाें में इस्ते माल िकया जाता है वह सब पीतल का हो।
डाल दे ना। ख़ै मे और चारदीवारी की मे ख़ें भी पीतल की हाें ।
8 पूरी क़ुरबानगाह लकड़ी की हो, ले िकन

अं दर से खोखली हो। उसे ऐन उस नमूने के शमादान का ते ल


मुतािबक़ बनाना जो मैं तुझे पहाड़ पर िदखाता 20 इसराईिलयाें को हुक्म दे ना िक वह ते रे
हूँ । पास कूटे हुए ज़ै तूनाें का ख़ािलस ते ल लाएँ
तािक मुक़द्दस कमरे के शमादान के चराग़
ख़ै मे का सहन मुतवाितर जलते रहें । 21 हारून और उसके बे टे
9 मुक़द्दस ख़ै मे के िलए सहन बनाना। उस की शमादान को मुलाक़ात के ख़ै मे के मुक़द्दस कमरे

चारदीवारी बारीक कतान के कपड़े से बनाई में रखें , उस परदे के सामने िजसके पीछे अहद
जाए। चारदीवारी की लं बाई जुनूब की तरफ़ का सं दूक़ है । उसमें वह ते ल डालते रहें तािक
150 फ़ुट हो। 10 कपड़े को चाँ दी की हुकाें और वह रब के सामने शाम से ले कर सुबह तक
पिट्टयाें से लकड़ी के 20 खं बाें के साथ लगाया जलता रहे । इसराईिलयाें का यह उसूल अबद
जाए। हर खं बा पीतल के पाए पर खड़ा हो। तक क़ायम रहे ।
11 चारदीवारी िशमाल की तरफ़ भी इसी की

मािंनद हो। 12 ख़ै मे के पीछे मग़िरब की तरफ़ इमामाें के िलबास


चारदीवारी की चौड़ाई 75 फ़ुट हो और कपड़ा
लकड़ी के 10 खं बाें के साथ लगाया जाए। यह
खं बे भी पीतल के पाइयाें पर खड़े हाें ।
28 अपने भाई हारून और उसके
बे टाें नदब, अबीहू, इिलयज़र और
इतमर को बुला। मैं ने उन्हें इसराईिलयाें में से
13 सामने , मशिरक़ की तरफ़ जहाँ से सूरज चुन िलया है तािक वह इमामाें की है िसयत

तुलू होता है चारदीवारी की चौड़ाई भी 75 से मे री िख़दमत करें । 2 अपने भाई हारून के


फ़ुट हो। 14-15 यहाँ चारदीवारी का दरवाज़ा हो। िलए मुक़द्दस िलबास बनवाना जो पुरवक़ार
कपड़ा दरवाज़े के दाइर्ं तरफ़ साढ़े 22 फ़ुट चौड़ा और शानदार हाें । 3 िलबास बनाने की िज़म्मे दारी
हो और उसके बाइर्ं तरफ़ भी उतना ही चौड़ा। उन तमाम लोगाें को दे ना जो ऐसे कामाें में
उसे दोनाें तरफ़ तीन तीन लकड़ी के खं बाें के मािहर हैं और िजनको मैं ने िहकमत की रूह से
साथ लगाया जाए जो पीतल के पाइयाें पर खड़े भर िदया है । क्याें िक जब हारून को मख़सूस
हाें । 16 दरवाज़े का परदा 30 फ़ुट चौड़ा बनाना। िकया जाएगा और वह मुक़द्दस ख़ै मे की िख़दमत
वह नीले , अरग़वानी और िक़रिमज़ी रं ग के धागे सरं जाम दे गा तो उसे इन कपड़ाें की ज़रूरत
और बारीक कतान से बनाया जाए, और उस होगी।
पर कढ़ाई का काम हो। यह कपड़ा लकड़ी के 4 उसके िलए यह िलबास बनाने हैं : सीने का

चार खं बाें के साथ लगाया जाए। वह भी पीतल कीसा, बालापोश, चोग़ा, बुना हुआ ज़े रजामा,
के पाइयाें पर खड़े हाें । पगड़ी और कमरबं द। यह कपड़े अपने भाई
17 तमाम खं बे पीतल के पाइयाें पर खड़े हाें हारून और उसके बे टाें के िलए बनवाने हैं तािक
और कपड़ा चाँ दी की हुकाें और पिट्टयाें से हर वह इमाम के तौर पर िख़दमत कर सकें। 5 इन
खं बे के साथ लगाया जाए। 18 चारदीवारी की कपड़ाें के िलए सोना और नीले , अरग़वानी
लं बाई 150 फ़ुट, चौड़ाई 75 फ़ुट और ऊँचाई और िक़रिमज़ी रं ग का धागा और बारीक कतान
साढ़े 7 फ़ुट हो। खं बाें के तमाम पाए पीतल इस्ते माल िकया जाए।
के हाें । 19 जो भी साज़ो-सामान मुक़द्दस ख़ै मे में
ख़ुरूज 28:6 102
हारून का बालापोश की जाएगी। मािहर कारीगर उसे उन्हीं चीज़ाें
6 बालापोश को भी सोने और नीले , से बनाए िजनसे हारून का बालापोश बनाया
अरग़वानी और िक़रिमज़ी रं ग के धागे और गया है यानी सोने और नीले , अरग़वानी और
बारीक कतान से बनाना है । उस पर िकसी िक़रिमज़ी रं ग के धागे और बारीक कतान से ।
मािहर कारीगर से कढ़ाई का काम करवाया 16 जब कपड़े को एक दफ़ा तह िकया गया हो

जाए। 7 उस की दो पिट्टयाँ हाें जो कंधाें पर तो कीसे की लं बाई और चौड़ाई नौ नौ इं च हो।


रखकर सामने और पीछे से बालापोश के साथ 17 उस पर चार क़ताराें में जवािहर जड़-

लगी हाें । 8 इसके अलावा एक पटका बुनना ना। हर क़तार में तीन तीन जौहर हाें ।
है िजससे बालापोश को बाँ धा जाए और जो पहली क़तार में लाल,a ज़बरजद b और
बालापोश के साथ एक टु कड़ा हो। उसके िलए ज़ुमुरर्द। 18 दूसरी में फ़ीरोज़ा, सं गे-लाजवदर् c
भी सोना, नीले , अरग़वानी और िक़रिमज़ी रं ग और हजरुल-क़मर।d 19 तीसरी में ज़रक़ोन,e
का धागा और बारीक कतान इस्ते माल िकया अक़ीक़ f और याक़ूते-अरग़वानी।g 20 चौथी में
जाए। पुखराज,h अक़ीक़े-अहमर i और यशब।j हर
9 िफर अक़ीक़े-अहमर के दो पत्थर चुनकर जौहर सोने के ख़ाने में जड़ा हुआ हो। 21 यह
उन पर इसराईल के बारह बे टाें के नाम कंदा बारह जवािहर इसराईल के बारह क़बीलाें की
करना। 10 हर जौहर पर छः छः नाम उनकी नुमाइं दगी करते हैं । एक एक जौहर पर एक
पै दाइश की तरतीब के मुतािबक़ कंदा िकए क़बीले का नाम कंदा िकया जाए। यह नाम उस
जाएँ । 11 यह नाम उस तरह जौहराें पर कंदा तरह कंदा िकए जाएँ िजस तरह मुहर कंदा की
िकए जाएँ िजस तरह मुहर कंदा की जाती जाती है ।
है । िफर दोनाें जौहर सोने के ख़ानाें में जड़कर 22 सीने के कीसे पर ख़ािलस सोने की दो

12 बालापोश की दो पिट्टयाें पर ऐसे लगाना िक ज़ं जीरें लगाना जो डोरी की तरह गुँधी हुई हाें ।
कंधाें पर आ जाएँ । जब हारून मे रे हुज़ूर आएगा23 उन्हें लगाने के िलए दो कड़े बनाकर कीसे

तो जौहराें पर के यह नाम उसके कंधाें पर हाें गे


के ऊपर के दो कोनाें पर लगाना। 24 अब दोनाें
और मुझे इसराईिलयाें की याद िदलाएँ गे। ज़ं जीरें उन दो कड़ाें से लगाना। 25 उनके दूसरे
13 सोने के ख़ाने बनाना 14 और ख़ािलस सोने िसरे बालापोश की कंधाें वाली पिट्टयाें के दो
की दो ज़ं जीरें जो डोरी की तरह गुँधी हुई हाें ।
ख़ानाें के साथ जोड़ दे ना, िफर सामने की तरफ़
िफर इन दो ज़ं जीराें को सोने के ख़ानाें के साथलगाना। 26 कीसे के िनचले दो कोनाें पर भी
लगाना। सोने के दो कड़े लगाना। वह अं दर, बालापोश
की तरफ़ लगे हाें । 27 अब दो और कड़े बनाकर
सीने का कीसा बालापोश की कंधाें वाली पिट्टयाें पर लगाना।
15 सीने के िलए कीसा बनाना। उसमें वह यह भी सामने की तरफ़ लगे हाें ले िकन नीचे ,

क़ुरे पड़े रहें िजनकी मािरफ़त मे री मरज़ी मालूम बालापोश के पटके के ऊपर ही। 28 सीने के
a e
या एक िक़स्म का सुख़र् अक़ीक़। याद रहे िक चूँिक hyacinth
f
क़दीम ज़माने के अकसर जवािहरात के नाम मतरूक agate
g
हैं या उनका मतलब बदल गया है , इसिलए उनका amethyst
h
मुख़्तिलफ़ तरजुमा हो सकता है । topas
b i
peridot carnelian
c j
lapis lazuli jasper
d
moonstone
103 ख़ुरूज 29:3
कीसे के िनचले कड़े नीली डोरी से बालापोश के तख़्ती साथ हो। जब इसराईली अपने नज़राने
इन िनचले कड़ाें के साथ बाँ धे जाएँ । याें कीसा लाकर रब के िलए मख़सूस करें ले िकन िकसी
पटके के ऊपर अच्छी तरह सीने के साथ लगा ग़लती के बाइस क़ुसूरवार हाें तो उनका यह
रहे गा। क़ुसूर हारून पर मुंतिक़ल होगा। इसिलए यह
29 जब भी हारून मक़िदस में दािख़ल होकर तख़्ती हर वक़्त उसके माथे पर हो तािक रब
रब के हुज़ूर आएगा वह इसराईली क़बीलाें के इसराईिलयाें को क़बूल कर ले ।
नाम अपने िदल पर सीने के कीसे की सूरत में 39 ज़े रजामे को बारीक कतान से बुनना और

साथ ले जाएगा। याें वह क़ौम की याद िदलाता इस तरह पगड़ी भी। िफर कमरबं द बनाना। उस
रहे गा। पर कढ़ाई का काम िकया जाए।
30 सीने के कीसे में दोनाें क़ुरे बनाम ऊरीम

और तुम्मीम रखे जाएँ । वह भी मक़िदस में रब बाक़ी िलबास


के सामने आते वक़्त हारून के िदल पर हाें । याें 40 हारून के बे टाें के िलए भी ज़े रजामे ,
जब हारून रब के हुज़ूर होगा तो रब की मरज़ी कमरबं द और पगिड़याँ बनाना तािक वह
पूछने का वसीला हमे शा उसके िदल पर होगा। पुरवक़ार और शानदार नज़र आएँ । 41 यह सब
अपने भाई हारून और उसके बे टाें को पहनाना।
हारून का चोग़ा उनके सराें पर ते ल उं डे लकर उन्हें मसह करना।
31 चोग़ा भी बुनना। वह पूरी तरह नीले धागे से याें उन्हें उनके ओहदे पर मुक़रर् र करके मे री
बनाया जाए। चोग़े को बालापोश से पहले पहना िख़दमत के िलए मख़सूस करना।
जाए। 32 उसके गरे बान को बुने हुए कालर से 42 उनके िलए कतान के पाजामे भी बनाना

मज़बूत िकया जाए तािक वह न फटे । 33 नीले , तािक वह ज़े रजामे के नीचे नं गे न हाें । उनकी
अरग़वानी और िक़रिमज़ी रं ग के धागे से अनार लं बाई कमर से रान तक हो। 43 जब भी हारून
बनाकर उन्हें चोग़े के दामन में लगा दे ना। उनके और उसके बे टे मुलाक़ात के ख़ै मे में दािख़ल हाें
दरिमयान सोने की घं िटयाँ लगाना। 34 दामन में तो उन्हें यह पाजामे पहनने हैं । इसी तरह जब
अनार और घं िटयाँ बारी बारी लगाना। उन्हें मुक़द्दस कमरे में िख़दमत करने के िलए
35 हारून िख़दमत करते वक़्त हमे शा चोग़ा क़ुरबानगाह के पास आना होता है तो वह यह
पहने । जब वह मक़िदस में रब के हुज़ूर आएगा पहनें , वरना वह क़ुसूरवार ठहरकर मर जाएं गे।
और वहाँ से िनकले गा तो घं िटयाँ सुनाई दें गी। यह हारून और उस की औलाद के िलए एक
िफर वह नहीं मरे गा। अबदी उसूल है ।

माथे पर छोटी तख़्ती, ज़े रजामा इमामाें की मख़सूिसयत


और पगड़ी
36 ख़ािलस सोने की तख़्ती बनाकर उस

पर यह अलफ़ाज़ कंदा करना, ‘रब के िलए


29 इमामाें को मक़िदस में मे री
िख़दमत के िलए मख़सूस करने
का यह तरीक़ा है :
मख़सूसो-मुक़द्दस।’ यह अलफ़ाज़ याें कंदा एक जवान बै ल और दो बे ऐब में ढे चुन ले ना।
िकए जाएँ िजस तरह मुहर कंदा की जाती है । 2 बे हतरीन मै दे से तीन िक़स्म की चीज़ें पकाना

37 उसे नीली डोरी से पगड़ी के सामने वाले िहस्से िजनमें ख़मीर न हो। पहले , सादा रोटी। दूसरे ,
से लगाया जाए 38 तािक वह हारून के माथे पर रोटी िजसमें ते ल डाला गया हो। तीसरे , रोटी
पड़ी रहे । जब भी वह मक़िदस में जाए तो यह िजस पर ते ल लगाया गया हो। 3 यह चीज़ें
ख़ुरूज 29:4 104
टोकरी में रखकर जवान बै ल और दो में ढाें 19 अब दूसरे में ढे को ले आना। हारून और
के साथ रब को पे श करना। 4 िफर हारून उसके बे टे अपने हाथ में ढे के सर पर रखें ।
और उसके बे टाें को मुलाक़ात के ख़ै मे के 20 उसको ज़बह करना। उसके ख़ून में से कुछ

दरवाज़े पर लाकर ग़ुस्ल कराना। 5 इसके बाद ले कर हारून और उसके बे टाें के दहने कान
ज़े रजामा, चोग़ा, बालापोश और सीने का कीसा की लौ पर लगाना। इसी तरह ख़ून को उनके
ले कर हारून को पहनाना। बालापोश को उसके दहने हाथ और दहने पाँ व के अं गूठाें पर भी
महारत से बुने हुए पटके के ज़रीए बाँ धना। लगाना। बाक़ी ख़ून क़ुरबानगाह के चार पहलुआें
6 उसके सर पर पगड़ी बाँ धकर उस पर सोने की पर िछड़कना। 21 जो ख़ून क़ुरबानगाह पर पड़ा
मुक़द्दस तख़्ती लगाना। 7 हारून के सर पर मसह है उसमें से कुछ ले कर और मसह के ते ल के
का ते ल उं डे लकर उसे मसह करना। साथ िमलाकर हारून और उसके कपड़ाें पर
8 िफर उसके बे टाें को आगे लाकर ज़े र- िछड़कना। इसी तरह उसके बे टाें और उनके
जामा पहनाना। 9 उनके पगिड़याँ और कमर- कपड़ाें पर भी िछड़कना। याें वह और उसके बे टे
बं द बाँ धना। याें तू हारून और उसके बे टाें को िख़दमत के िलए मख़सूसो-मुक़द्दस हो जाएं गे।
उनके मं सब पर मुक़रर् र करना। िसफ़र् वह और 22 इस में ढे का ख़ास मक़सद यह है िक हारून

उनकी औलाद हमे शा तक मक़िदस में मे री और उसके बे टाें को मक़िदस में िख़दमत करने
िख़दमत करते रहें । का इिख़्तयार और ओहदा िदया जाए। में ढे
10 बै ल को मुलाक़ात के ख़ै मे के सामने लाना। की चरबी, दुम, अं तिड़याें पर की सारी चरबी,
हारून और उसके बे टे उसके सर पर अपने हाथ जोड़कले जी, दोनाें गुरदे उनकी चरबी समे त और
रखें । 11 उसे ख़ै मे के दरवाज़े के सामने रब के दहनी रान अलग करनी है । 23 उस टोकरी में से
हुज़ूर ज़बह करना। 12 बै ल के ख़ून में से कुछ जो रब के हुज़ूर यानी ख़ै मे के दरवाज़े पर पड़ी
ले कर अपनी उँ गली से क़ुरबानगाह के सींगाें पर है एक सादा रोटी, एक रोटी िजसमें ते ल डाला
लगाना और बाक़ी ख़ून क़ुरबानगाह के पाए पर गया हो और एक रोटी िजस पर ते ल लगाया
उं डे ल दे ना। 13 अं तिड़याें पर की तमाम चरबी, गया हो िनकालना। 24 में ढे से अलग की गई
जोड़कले जी और दोनाें गुरदे उनकी चरबी समे त चीज़ें और बे ख़मीरी रोटी की टोकरी की यह
ले कर क़ुरबानगाह पर जला दे ना। 14 ले िकन बै ल चीज़ें ले कर हारून और उसके बे टाें के हाथाें
के गोश्त, खाल और अं तिड़याें के गोबर को में दे ना, और वह उन्हें िहलाने वाली क़ुरबानी के
ख़ै मागाह के बाहर जला दे ना। यह गुनाह की तौर पर रब के सामने िहलाएँ । 25 िफर यह चीज़ें
क़ुरबानी है । उनसे वापस ले कर भस्म होने वाली क़ुरबानी के
15 इसके बाद पहले में ढे को ले आना। हारून साथ क़ुरबानगाह पर जला दे ना। यह रब के िलए
और उसके बे टे अपने हाथ में ढे के सर पर रखें । जलने वाली क़ुरबानी है , और उस की ख़ुशबू रब
16 उसे ज़बह करके उसका ख़ून क़ुरबानगाह के को पसं द है ।
चार पहलुआें पर िछड़कना। 17 में ढे को टु कड़े 26 अब उस में ढे का सीना ले ना िजस-

टु कड़े करके उस की अं तिड़याें और िंपडिलयाें की मािरफ़त हारून को इमामे -आज़म का


को धोना। िफर उन्हें सर और बाक़ी टु कड़ाें के इिख़्तयार िदया जाता है । सीने को भी
साथ िमलाकर 18 पूरे में ढे को क़ुरबानगाह पर िहलाने वाली क़ुरबानी के तौर पर रब के सामने
जला दे ना। जलने वाली यह क़ुरबानी रब के िलए िहलाना। यह सीना क़ुरबानी का ते रा िहस्सा
भस्म होने वाली क़ुरबानी है , और उस की ख़ुशबू होगा। 27 याें तुझे हारून और उसके बे टाें की
रब को पसं द है । मख़सूिसयत के िलए मुस्तामल में ढे के टु कड़े
105 ख़ुरूज 30:2
मख़सूसो-मुक़द्दस करने हैं । उसके सीने को रब दे कर उसे पाक-साफ़ करना और उसे ते ल
के सामने िहलाने वाली क़ुरबानी के तौर पर से मख़सूसो-मुक़द्दस करना। िफर क़ुरबानगाह
िहलाया जाए और उस की रान को उठाने वाली िनहायत मुक़द्दस होगी। जो भी उसे छु एगा वह
क़ुरबानी के तौर पर उठाया जाए। 28 हारून और भी मख़सूसो-मुक़द्दस हो जाएगा।
उस की औलाद को इसराईिलयाें की तरफ़
से हमे शा तक यह िमलने का हक़ है । जब रोज़मरार् की क़ुरबािनयाँ
भी इसराईली रब को अपनी सलामती की 38 रोज़ाना एक एक साल के दो भे ड़ के नर
क़ुरबािनयाँ पे श करें तो इमामाें को यह दो टु कड़े बच्चे क़ुरबानगाह पर जला दे ना, 39 एक को
िमलें गे। सुबह के वक़्त, दूसरे को सूरज के ग़ुरूब होने
29 जब हारून फ़ौत हो जाएगा तो उसके के ऐन बाद। 40 पहले जानवर के साथ डे ढ़
मुक़द्दस िलबास उस की औलाद में से उस मदर् िकलोग्राम बे हतरीन मै दा पे श िकया जाए जो
को दे ने हैं िजसे मसह करके हारून की जगह कूटे हुए ज़ै तूनाें के एक िलटर ते ल के साथ
मुक़रर् र िकया जाएगा। 30 जो बे टा उस की जगह िमलाया गया हो। मै की नज़र के तौर पर एक
मुक़रर् र िकया जाएगा और मक़िदस में िख़दमत िलटर मै भी क़ुरबानगाह पर उं डे लना। 41 दूसरे
करने के िलए मुलाक़ात के ख़ै मे में आएगा वह जानवर के साथ भी ग़ल्ला और मै की यह दो
यह िलबास सात िदन तक पहने रहे । नज़रें पे श की जाएँ । ऐसी क़ुरबानी की ख़ुशबू
31 जो में ढा हारून और उसके बे टाें की रब को पसं द है ।
मख़सूिसयत के िलए ज़बह िकया गया है उसे 42 लािज़म है िक आने वाली तमाम नसलें

मुक़द्दस जगह पर उबालना है । 32 िफर हारून भस्म होने वाली यह क़ुरबानी बाक़ायदगी से
और उसके बे टे मुलाक़ात के ख़ै मे के दरवाज़े मुक़द्दस ख़ै मे के दरवाज़े पर रब के हुज़ूर
पर में ढे का गोश्त और टोकरी की बे ख़मीरी चढ़ाएँ । वहाँ मैं तुमसे िमला करूँगा और तुमसे
रोिटयाँ खाएँ । 33 वह यह चीज़ें खाएँ िजनसे उन्हें हमकलाम हूँ गा। 43 वहाँ मैं इसराईिलयाें से
गुनाहाें का कफ़्फ़ारा और इमाम का ओहदा भी िमला करूँगा, और वह जगह मे रे जलाल
िमला है । ले िकन कोई और यह न खाए, क्याें िक से मख़सूसो-मुक़द्दस हो जाएगी। 44 याें मैं
यह मख़सूसो-मुक़द्दस हैं । 34 और अगर अगली मुलाक़ात के ख़ै मे और क़ुरबानगाह को मख़सूस
सुबह तक इस गोश्त या रोटी में से कुछ बच करूँगा और हारून और उसके बे टाें को मख़सूस
जाए तो उसे जलाया जाए। उसे खाना मना है , करूँगा तािक वह इमामाें की है िसयत से मे री
क्याें िक वह मुक़द्दस है । िख़दमत करें ।
35 जब तू हारून और उसके बे टाें को इमाम 45 तब मैं इसराईिलयाें के दरिमयान रहूँ गा

मुक़रर् र करे गा तो ऐन मे री िहदायत पर अमल और उनका ख़ुदा हूँ गा। 46 वह जान लें गे िक मैं
करना। यह तक़रीब सात िदन तक मनाई रब उनका ख़ुदा हूँ , िक मैं उन्हें िमसर से िनकाल
जाए। 36 इसके दौरान गुनाह की क़ुरबानी के लाया तािक उनके दरिमयान सुकूनत करूँ। मैं
तौर पर रोज़ाना एक जवान बै ल ज़बह करना। रब उनका ख़ुदा हूँ ।
इससे तू क़ुरबानगाह का कफ़्फ़ारा दे कर उसे
हर तरह की नापाकी से पाक करे गा। इसके बख़ूर जलाने की क़ुरबानगाह
अलावा उस पर मसह का ते ल उं डे लना। इससे
वह मे रे िलए मख़सूसो-मुक़द्दस हो जाएगा।
37 सात िदन तक क़ुरबानगाह का कफ़्फ़ारा
30 कीकर की लकड़ी की क़ुरबान-
गाह बनाना िजस पर बख़ूर जलाया
जाए। वह डे ढ़ फ़ुट लं बी, इतनी ही चौड़ी और
2
ख़ुरूज 30:3 106
तीन फ़ुट ऊँची हो। उसके चाराें कोनाें में से सींग हो वह चाँ दी के आधे िसक्के के बराबर रक़म
िनकलें जो क़ुरबानगाह के साथ एक ही टु कड़े से उठाने वाली क़ुरबानी के तौर पर दे । िसक्के
बनाए गए हाें । 3 उस की ऊपर की सतह, उसके का वज़न मक़िदस के िसक्काें के बराबर हो।
चार पहलुआें और उसके सींगाें पर ख़ािलस यानी चाँ दी के िसक्के का वज़न 11 ग्राम हो,
सोना चढ़ाना। ऊपर की सतह के इदर्िगदर् सोने इसिलए छः ग्राम चाँ दी दे नी है । 14 िजसकी भी
की झालर हो। 4 सोने के दो कड़े बनाकर इन्हें उम्र 20 साल या इससे ज़ायद हो वह रब को
उस झालर के नीचे एक दूसरे के मुक़ािबल यह रक़म उठाने वाली क़ुरबानी के तौर पर दे ।
पहलुआें पर लगाना। इन कड़ाें में क़ुरबानगाह 15 अमीर और ग़रीब दोनाें इतना ही दें , क्याें िक

को उठाने की लकिड़याँ डाली जाएँ गी। 5 यह यही नज़राना रब को पे श करने से तुम्हारी जान
लकिड़याँ कीकर की हाें , और उन पर भी सोना का कफ़्फ़ारा िदया जाता है । 16 कफ़्फ़ारे की यह
चढ़ाना। रक़म मुलाक़ात के ख़ै मे की िख़दमत के िलए
6 इस क़ुरबानगाह को ख़ै मे के मुक़द्दस कमरे इस्ते माल करना। िफर यह नज़राना रब को याद
में उस परदे के सामने रखना िजसके पीछे िदलाता रहे गा िक तुम्हारी जानाें का कफ़्फ़ारा
अहद का सं दूक़ और उसका ढकना हाें गे, वह िदया गया है ।”
ढकना जहाँ मैं तुझसे िमला करूँगा। 7 जब हारून
हर सुबह शमादान के चराग़ तै यार करे उस धोने का हौज़
वक़्त वह उस पर ख़ुशबूदार बख़ूर जलाए। 17 रब ने मूसा से कहा, 18 “पीतल का ढाँ चा
8 सूरज के ग़ुरूब होने के बाद भी जब वह दुबारा बनाना िजस पर पीतल का हौज़ बनाकर रखना
चराग़ाें की दे ख-भाल करे गा तो वह साथ साथ है । यह हौज़ धोने के िलए है । उसे सहन में
बख़ूर जलाए। याें रब के सामने बख़ूर मुतवाितर मुलाक़ात के ख़ै मे और जानवराें को चढ़ाने की
जलता रहे । लािज़म है िक बाद की नसलें भी क़ुरबानगाह के दरिमयान रखकर पानी से भर
इस उसूल पर क़ायम रहें । दे ना। 19 हारून और उसके बे टे अपने हाथ-
9 इस क़ुरबानगाह पर िसफ़र् जायज़ बख़ूर पाँ व धोने के िलए उसका पानी इस्ते माल करें ।
इस्ते माल िकया जाए। इस पर न तो जानवराें 20 मुलाक़ात के ख़ै मे में दािख़ल होने से पहले ही

की क़ुरबािनयाँ चढ़ाई जाएँ , न ग़ल्ला या मै की वह अपने आपको धोएँ वरना वह मर जाएं गे।
नज़रें पे श की जाएँ । 10 हारून साल में एक दफ़ा इसी तरह जब भी वह ख़ै मे के बाहर की
उसका कफ़्फ़ारा दे कर उसे पाक करे । इसके क़ुरबानगाह पर जानवराें की क़ुरबािनयाँ चढ़ाएँ
िलए वह कफ़्फ़ारे के िदन उस क़ुरबानी का 21 तो लािज़म है िक पहले हाथ-पाँ व धो लें ,

कुछ ख़ून सींगाें पर लगाए। यह उसूल भी अबद वरना वह मर जाएं गे। यह उसूल हारून और उस
तक क़ायम रहे । यह क़ुरबानगाह रब के िलए की औलाद के िलए हमे शा तक क़ायम रहे ।”
िनहायत मुक़द्दस है ।”
मसह का ते ल
मदुर् मशुमारी के पै से 22 रब ने मूसा से कहा, 23 “मसह के ते ल के
11 रब ने मूसा से कहा, 12 “जब भी तू िलए उम्दा िक़स्म के मसाले इस्ते माल करना।
इसराईिलयाें की मदुर्मशुमारी करे तो लािज़म 6 िकलोग्राम आबे -मुर, 3 िकलोग्राम ख़ुशबूदार
है िक िजनका शुमार िकया गया हो वह रब दारचीनी, 3 िकलोग्राम ख़ुशबूदार बे द 24 और
को अपनी जान का िफ़द्या दें तािक उनमें वबा 6 िकलोग्राम ते जपात। यह चीज़ें मक़िदस के
न फैले । 13 िजस िजसका शुमार िकया गया बाटाें के िहसाब से तोलकर चार िलटर ज़ै तून के
107 ख़ुरूज 31:11
ते ल में डालना। 25 सब कुछ िमलाकर ख़ुशबूदार इस बख़ूर को मुक़द्दसतरीन ठहराना। 37 इसी
ते ल तै यार करना। वह मुक़द्दस है और िसफ़र् उस तरकीब के मुतािबक़ अपने िलए बख़ूर न
वक़्त इस्ते माल िकया जाए जब कोई चीज़ या बनाना। इसे रब के िलए मख़सूसो-मुक़द्दस
शख़्स मे रे िलए मख़सूसो-मुक़द्दस िकया जाए। ठहराना है । 38 जो भी अपने ज़ाती इस्ते माल के
26 यही ते ल ले कर मुलाक़ात का ख़ै मा और िलए इस िक़स्म का बख़ूर बनाए उसे उस की
उसका सारा सामान मसह करना यानी ख़ै मा, क़ौम में से िमटा डालना है ।”
अहद का सं दूक़, 27 मे ज़ और उसका सामान,
शमादान और उसका सामान, बख़ूर जलाने बज़िलये ल और उहिलयाब
की क़ुरबानगाह, 28 जानवराें को चढ़ाने की
क़ुरबानगाह और उसका सामान, धोने का हौज़
और उसका ढाँ चा। 29 याें तू यह तमाम चीज़ें
31 िफर रब ने मूसा से कहा, 2 “मैं ने
यहूदाह के क़बीले के बज़िलये ल
िबन ऊरी िबन हूर को चुन िलया है तािक
मख़सूसो-मुक़द्दस करे गा। इससे वह िनहायत वह मुक़द्दस ख़ै मे की तामीर में राहनुमाई करे ।
मुक़द्दस हो जाएँ गी। जो भी उन्हें छु एगा वह 3 मैं ने उसे इलाही रूह से मामूर करके िहकमत,

मुक़द्दस हो जाएगा। समझ और तामीर के हर काम के िलए दरकार


30 हारून और उसके बे टाें को भी इस ते ल इल्म दे िदया है । 4 वह नक़्शे बनाकर उनके
से मसह करना तािक वह मुक़द्दस होकर मुतािबक़ सोने , चाँ दी और पीतल की चीज़ें बना
मे रे िलए इमाम का काम सरं जाम दे सकें। सकता है । 5 वह जवािहर को काटकर जड़ने की
31 इसराईिलयाें को कह दे िक यह ते ल हमे शा क़ािबिलयत रखता है । वह लकड़ी को तराशकर
तक मे रे िलए मख़सूसो-मुक़द्दस है । 32 इसिलए उससे मुख़्तिलफ़ चीज़ें बना सकता है । वह बहुत
इसे अपने िलए इस्ते माल न करना और न सारे और कामाें में भी महारत रखता है ।
इस तरकीब से अपने िलए ते ल बनाना। यह 6 साथ ही मैं ने दान के क़बीले के उहिलयाब

ते ल मख़सूसो-मुक़द्दस है और तुम्हें भी इसे िबन अख़ी-समक को मुक़रर् र िकया है तािक


याें ठहराना है । 33 जो इस तरकीब से आम वह हर काम में उस की मदद करे । इसके
इस्ते माल के िलए ते ल बनाता है या िकसी आम अलावा मैं ने तमाम समझदार कारीगराें को
शख़्स पर लगाता है उसे उस की क़ौम में से महारत दी है तािक वह सब कुछ उन िहदायात
िमटा डालना है ।” के मुतािबक़ बना सकें जो मैं ने तुझे दी हैं ।
7 यानी मुलाक़ात का ख़ै मा, कफ़्फ़ारे के ढकने

बख़ूर की क़ुरबानी समे त अहद का सं दूक़ और ख़ै मे का सारा दूसरा


34 रब ने मूसा से कहा, “बख़ूर इस तरकीब सामान, 8 मे ज़ और उसका सामान, ख़ािलस
से बनाना है : मस्तकी, ओिनका,a िबरीजा और सोने का शमादान और उसका सामान, बख़ूर
ख़ािलस लुबान बराबर के िहस्साें में 35 िमलाकर जलाने की क़ुरबानगाह, 9 जानवराें को चढ़ाने
ख़ुशबूदार बख़ूर बनाना। इत्रसाज़ का यह काम की क़ुरबानगाह और उसका सामान, धोने का
नमकीन, ख़ािलस और मुक़द्दस हो। 36 इसमें से हौज़ उस ढाँ चे समे त िजस पर वह रखा जाता
कुछ पीसकर पाउडर बनाना और मुलाक़ात के है , 10 वह िलबास जो हारून और उसके बे टे
ख़ै मे में अहद के सं दूक़ के सामने डालना जहाँ मक़िदस में िख़दमत करने के िलए पहनते
मैं तुझसे िमला करूँगा। हैं , 11 मसह का ते ल और मक़िदस के िलए

a
onycha (unguis odoratus)
ख़ुरूज 31:12 108
ख़ुशबूदार बख़ूर। यह सब कुछ वह वै से ही बनाएँ करें । क्याें िक क्या मालूम िक उस बं दे मूसा को
जै से मैं ने तुझे हुक्म िदया है ।” क्या हुआ है जो हमें िमसर से िनकाल लाया।”
2 जवाब में हारून ने कहा, “आपकी बीिवयाँ ,

सबत यानी हफ़ते का िदन बे टे और बे िटयाँ अपनी सोने की बािलयाँ


12 रब ने मूसा से कहा, 13 “इसराईिलयाें को उतारकर मे रे पास ले आएँ ।” 3 सब लोग अपनी
बता िक हर सबत का िदन ज़रूर मनाओ। बािलयाँ उतार उतारकर हारून के पास ले आए
क्याें िक सबत का िदन एक नुमायाँ िनशान 4 तो उसने यह ज़े वरात ले कर बछड़ा ढाल िदया।

है िजससे जान िलया जाएगा िक मैं रब हूँ बछड़े को दे खकर लोग बोल उठे , “ऐ इसराईल,
जो तुम्हें मख़सूसो-मुक़द्दस करता हूँ । और यह यह ते रे दे वता हैं जो तुझे िमसर से िनकाल
िनशान मे रे और तुम्हारे दरिमयान नसल-दर- लाए।”
नसल क़ायम रहे गा। 14 सबत का िदन ज़रूर 5 जब हारून ने यह दे खा तो उसने बछड़े

मनाना, क्याें िक वह तुम्हारे िलए मख़सूसो- के सामने क़ुरबानगाह बनाकर एलान िकया,
मुक़द्दस है । जो भी उस की बे हुरमती करे वह “कल हम रब की ताज़ीम में ईद मनाएँ गे।”
ज़रूर जान से मारा जाए। जो भी इस िदन काम 6 अगले िदन लोग सुबह-सवे रे उठे और

करे उसे उस की क़ौम में से िमटाया जाए। 15 छः भस्म होने वाली क़ुरबािनयाँ और सलामती की
िदन काम करना, ले िकन सातवाँ िदन आराम क़ुरबािनयाँ चढ़ाइर्ं । वह खाने -पीने के िलए बै ठ
का िदन है । वह रब के िलए मख़सूसो-मुक़द्दस गए और िफर उठकर रं गरिलयाें में अपने िदल
है । बहलाने लगे ।
16 इसराईिलयाें को हाल में और मुस्तक़-

िबल में सबत का िदन अबदी अहद समझकर मूसा अपनी क़ौम की शफ़ाअत करता है
मनाना है । 17 वह मे रे और इसराईिलयाें के 7 उस वक़्त रब ने मूसा से कहा, “पहाड़ से

दरिमयान अबदी िनशान होगा। क्याें िक रब ने उतर जा। ते रे लोग िजन्हें तू िमसर से िनकाल
छः िदन के दौरान आसमानो-ज़मीन को बनाया लाया बड़ी शरारतें कर रहे हैं । 8 वह िकतनी
जबिक सातवें िदन उसने आराम िकया और जल्दी से उस रास्ते से हट गए हैं िजस पर चलने
ताज़ादम हो गया।” के िलए मैं ने उन्हें हुक्म िदया था। उन्हाें ने अपने
िलए ढाला हुआ बछड़ा बनाकर उसे िसजदा
रब शरीअत की तिख़्तयाँ दे ता है िकया है । उन्हाें ने उसे क़ुरबािनयाँ पे श करके
18 यह सब कुछ मूसा को बताने के बाद रब कहा है , ‘ऐ इसराईल, यह ते रे दे वता हैं । यही
ने उसे सीना पहाड़ पर शरीअत की दो तिख़्तयाँ तुझे िमसर से िनकाल लाए हैं ’।” 9 अल्लाह ने
दीं। अल्लाह ने ख़ुद पत्थर की इन तिख़्तयाें पर मूसा से कहा, “मैं ने दे खा है िक यह क़ौम बड़ी
तमाम बातें िलखी थीं। हटधमर् है । 10 अब मुझे रोकने की कोिशश न
कर। मैं उन पर अपना ग़ज़ब उं डे लकर उनको
सोने का बछड़ा रूए-ज़मीन पर से िमटा दूँ गा। उनकी जगह मैं

32 पहाड़ के दामन में लोग मूसा के


इं तज़ार में रहे , ले िकन बहुत दे र हो
गई। एक िदन वह हारून के िगदर् जमा होकर
तुझसे एक बड़ी क़ौम बना दूँ गा।”
11 ले िकन मूसा ने कहा, “ऐ रब, तू अपनी

क़ौम पर अपना ग़ुस्सा क्याें उतारना चाहता


कहने लगे , “आएँ , हमारे िलए दे वता बना दें है ? तू ख़ुद अपनी अज़ीम क़ुदरत से उसे िमसर
जो हमारे आगे आगे चलते हुए हमारी राहनुमाई से िनकाल लाया है । 12 िमसरी क्याें कहें , ‘रब
109 ख़ुरूज 32:30
इसराईिलयाें को िसफ़र् इस बुरे मक़सद से हमारे 21 उसने हारून से पूछा, “इन लोगाें ने तुम्हारे
मुल्क से िनकाल ले गया है िक उन्हें पहाड़ी साथ क्या िकया िक तुमने उन्हें ऐसे बड़े गुनाह में
इलाक़े में मार डाले और याें उन्हें रूए-ज़मीन फँसा िदया?” 22 हारून ने कहा, “मे रे आक़ा।
पर से िमटाए’? अपना ग़ुस्सा ठं डा होने दे ग़ुस्से न हाें । आप ख़ुद जानते हैं िक यह लोग
और अपनी क़ौम के साथ बुरा सुलूक करने से बदी पर तुले रहते हैं । 23 उन्हाें ने मुझसे कहा,
बाज़ रह। 13 याद रख िक तूने अपने ख़ािदमाें ‘हमारे िलए दे वता बना दें जो हमारे आगे आगे
इब्राहीम, इसहाक़ और याक़ूब से अपनी ही चलते हुए हमारी राहनुमाई करें । क्याें िक क्या
क़सम खाकर कहा था, ‘मैं तुम्हारी औलाद की मालूम िक उस बं दे मूसा को क्या हुआ है जो
तादाद याें बढ़ाऊँगा िक वह आसमान के िसताराें हमें िमसर से िनकाल लाया।’ 24 इसिलए मैं ने
के बराबर हो जाएगी। मैं उन्हें वह मुल्क दूँ गा उनको बताया, ‘िजसके पास सोने के ज़े वरात
िजसका वादा मैं ने िकया है , और वह उसे हमे शा हैं वह उन्हें उतार लाए।’ जो कुछ उन्हाें ने मुझे
के िलए मीरास में पाएँ गे’।” िदया उसे मैं ने आग में फेंक िदया तो होते होते
14 मूसा के कहने पर रब ने वह नहीं िकया सोने का यह बछड़ा िनकल आया।”
िजसका एलान उसने कर िदया था बिल्क वह 25 मूसा ने दे खा िक लोग बे काबू हो गए हैं ।

अपनी क़ौम से बुरा सुलूक करने से बाज़ रहा। क्याें िक हारून ने उन्हें बे लगाम छोड़ िदया था,
और याें वह इसराईल के दुश्मनाें के िलए मज़ाक़
बुतपरस्ती के नतायज का िनशाना बन गए थे । 26 मूसा ख़ै मागाह के
15 मूसा मुड़कर पहाड़ से उतरा। उसके हाथाें दरवाज़े पर खड़े होकर बोला, “जो भी रब का
में शरीअत की दोनाें तिख़्तयाँ थीं। उन पर बं दा है वह मे रे पास आए।” जवाब में लावी
आगे पीछे िलखा गया था। 16 अल्लाह ने ख़ुद के क़बीले के तमाम लोग उसके पास जमा हो
तिख़्तयाें को बनाकर उन पर अपने अहकाम गए। 27 िफर मूसा ने उनसे कहा, “रब इसराईल
कंदा िकए थे । का ख़ुदा फ़रमाता है , ‘हर एक अपनी तलवार
17 उतरते उतरते यशुअ ने लोगाें का शोर सुना ले कर ख़ै मागाह में से गुज़रे । एक िसरे के दरवाज़े
और मूसा से कहा, “ख़ै मागाह में जं ग का शोर से शुरू करके दूसरे िसरे के दरवाज़े तक चलते
मच रहा है !” 18 मूसा ने जवाब िदया, “न तो यह चलते हर िमलने वाले को जान से मार दो, चाहे
फ़तहमं दाें के नारे हैं , न िशकस्त खाए हुआें की वह तुम्हारा भाई, दोस्त या िरश्ते दार ही क्याें न
चीख़-पुकार। मुझे गाने वालाें की आवाज़ सुनाई हो। िफर मुड़कर मारते मारते पहले दरवाज़े पर
दे रही है ।” वापस आ जाओ’।”
19 जब वह ख़ै मागाह के नज़दीक पहुँ चा तो 28 लािवयाें ने मूसा की िहदायत पर अमल

उसने लोगाें को सोने के बछड़े के सामने नाचते िकया तो उस िदन तक़रीबन 3,000 मदर्
हुए दे खा। बड़े ग़ुस्से में आकर उसने तिख़्तयाें हलाक हुए। 29 यह दे खकर मूसा ने लािवयाें से
को ज़मीन पर पटख़ िदया, और वह टु कड़े कहा, “आज अपने आपको मक़िदस में रब की
टु कड़े होकर पहाड़ के दामन में िगर गइर्ं । िख़दमत करने के िलए मख़सूसो-मुक़द्दस करो,
20 मूसा ने इसराईिलयाें के बनाए हुए बछड़े को क्याें िक तुम अपने बे टाें और भाइयाें के िख़लाफ़
जला िदया। जो कुछ बच गया उसे उसने पीस लड़ने के िलए तै यार थे । इसिलए रब तुमको
पीसकर पाउडर बना डाला और पाउडर पानी आज बरकत दे गा।”
पर िछड़ककर इसराईिलयाें को िपला िदया। 30 अगले िदन मूसा ने इसराईिलयाें से बात

की, “तुमने िनहायत सं गीन गुनाह िकया है । तो


ख़ुरूज 32:31 110
भी मैं अब रब के पास पहाड़ पर जा रहा हूँ । ज़े वरात उतार डालो। िफर मैं फ़ैसला करूँगा िक
शायद मैं तुम्हारे गुनाह का कफ़्फ़ारा दे सकँ ू ।” तुम्हारे साथ क्या िकया जाए।”
31 चुनाँ चे मूसा ने रब के पास वापस जाकर 6 इन अलफ़ाज़ पर इसराईिलयाें ने होिरब

कहा, “हाय, इस क़ौम ने िनहायत सं गीन गुनाह यानी सीना पहाड़ पर अपने ज़े वर उतार िदए।
िकया है । उन्हाें ने अपने िलए सोने का दे वता
बना िलया। 32 मे हरबानी करके उन्हें मुआफ़ मुलाक़ात का ख़ै मा
कर। ले िकन अगर तू उन्हें मुआफ़ न करे तो 7 उस वक़्त मूसा ने ख़ै मा ले कर उसे कुछ
िफर मुझे भी अपनी उस िकताब में से िमटा फ़ासले पर ख़ै मागाह के बाहर लगा िदया।
दे िजसमें तूने अपने लोगाें के नाम दजर् िकए उसने उसका नाम ‘मुलाक़ात का ख़ै मा’ रखा।
हैं ।” 33 रब ने जवाब िदया, “मैं िसफ़र् उसको जो भी रब की मरज़ी दिरयाफ़्त करना चाहता
अपनी िकताब में से िमटाता हूँ जो मे रा गुनाह वह ख़ै मागाह से िनकलकर वहाँ जाता। 8 जब
करता है । 34 अब जा, लोगाें को उस जगह ले भी मूसा ख़ै मागाह से िनकलकर वहाँ जाता
चल िजसका िज़क्र मैं ने िकया है । मे रा फ़िरश्ता तो तमाम लोग अपने ख़ै माें के दरवाज़ाें पर
ते रे आगे आगे चले गा। ले िकन जब सज़ा का खड़े होकर मूसा के पीछे दे खने लगते । उसके
मुक़रर् रा िदन आएगा तब मैं उन्हें सज़ा दूँ गा।” मुलाक़ात के ख़ै मे में ओझल होने तक वह उसे
35 िफर रब ने इसराईिलयाें के दरिमयान वबा दे खते रहते ।
फैलने दी, इसिलए िक उन्हाें ने उस बछड़े की 9 मूसा के ख़ै मे में दािख़ल होने पर बादल का

पूजा की थी जो हारून ने बनाया था। सतून उतरकर ख़ै मे के दरवाज़े पर ठहर जाता।

33 रब ने मूसा से कहा, “इस जगह से


रवाना हो जा। उन लोगाें को ले कर
िजनको तू िमसर से िनकाल लाया है उस मुल्क
िजतनी दे र तक रब मूसा से बातें करता उतनी
दे र तक वह वहाँ ठहरा रहता। 10 जब इसराईली
मुलाक़ात के ख़ै मे के दरवाज़े पर बादल का
को जा िजसका वादा मैं ने इब्राहीम, इसहाक़ सतून दे खते तो वह अपने अपने ख़ै मे के दरवाज़े
और याक़ूब से िकया है । उन्हीं से मैं ने क़सम पर खड़े होकर िसजदा करते । 11 रब मूसा से
खाकर कहा था, ‘मैं यह मुल्क तुम्हारी औलाद रूबरू बातें करता था, ऐसे शख़्स की तरह जो
को दूँ गा।’ 2 मैं ते रे आगे आगे फ़िरश्ता भे जकर अपने दोस्त से बातें करता है । इसके बाद मूसा
कनानी, अमोरी, िहत्ती, फ़िरज़्ज़ी, िहव्वी और िनकलकर ख़ै मागाह को वापस चला जाता।
यबूसी अक़वाम को उस मुल्क से िनकाल दूँ गा। ले िकन उसका जवान मददगार यशुअ िबन नून
3 उठ, उस मुल्क को जा जहाँ दूध और शहद ख़ै मे को नहीं छोड़ता था।
की कसरत है । ले िकन मैं साथ नहीं जाऊँगा।
तुम इतने हटधमर् हो िक अगर मैं साथ जाऊँ तो मूसा रब का जलाल दे खता है
ख़तरा है िक तुम्हें वहाँ पहुँ चने से पहले ही बरबाद 12 मूसा ने रब से कहा, “दे ख, तू मुझसे कहता
कर दूँ ।” आया है िक इस क़ौम को कनान ले चल।
4 जब इसराईिलयाें ने यह सख़्त अलफ़ाज़ ले िकन तू मे रे साथ िकस को भे जेगा? तूने अब
सुने तो वह मातम करने लगे । िकसी ने भी अपने तक यह बात मुझे नहीं बताई हालाँ िक तूने कहा
ज़े वर न पहने , 5 क्याें िक रब ने मूसा से कहा है , ‘मैं तुझे बनाम जानता हूँ , तुझे मे रा करम
था, “इसराईिलयाें को बता िक तुम हटधमर् हो। हािसल हुआ है ।’ 13 अगर मुझे वाक़ई ते रा करम
अगर मैं एक लमहा भी तुम्हारे साथ चलूँ तो हािसल है तो मुझे अपने रास्ते िदखा तािक मैं
ख़तरा है िक मैं तुम्हें तबाह कर दूँ । अब अपने तुझे जान लूँ और ते रा करम मुझे हािसल होता
111 ख़ुरूज 34:13
रहे । इस बात का ख़याल रख िक यह क़ौम ते री मे रे सामने खड़ा हो जा। 3 ते रे साथ कोई भी न
ही उम्मत है ।” आए बिल्क पूरे पहाड़ पर कोई और शख़्स नज़र
14 रब ने जवाब िदया, “मैं ख़ुद ते रे साथ न आए, यहाँ तक िक भे ड़-बकिरयाँ और गाय-
चलूँगा और तुझे आराम दूँ गा।” 15 मूसा ने कहा, बै ल भी पहाड़ के दामन में न चरें ।”
“अगर तू ख़ुद साथ नहीं चले गा तो िफर हमें 4 चुनाँ चे मूसा ने दो तिख़्तयाँ तराश लीं जो

यहाँ से रवाना न करना। 16 अगर तू हमारे साथ पहली की मािंनद थीं। िफर वह सुबह-सवे रे
न जाए तो िकस तरह पता चले गा िक मुझे और उठकर सीना पहाड़ पर चढ़ गया िजस तरह रब
ते री क़ौम को ते रा करम हािसल हुआ है ? हम ने उसे हुक्म िदया था। उसके हाथाें में पत्थर की
िसफ़र् इसी वजह से दुिनया की दीगर क़ौमाें से दोनाें तिख़्तयाँ थीं। 5 जब वह चोटी पर पहुँ चा
अलग और मुमताज़ हैं ।” तो रब बादल में उतर आया और उसके पास
17 रब ने मूसा से कहा, “मैं ते री यह दरख़ास्त खड़े होकर अपने नाम रब का एलान िकया।
भी पूरी करूँगा, क्याें िक तुझे मे रा करम हािसल 6 मूसा के सामने से गुज़रते हुए उसने पुकारा,

हुआ है और मैं तुझे बनाम जानता हूँ ।” “रब, रब, रहीम और मे हरबान ख़ुदा। तहम्मुल,
18 िफर मूसा बोला, “बराहे -करम मुझे अपना शफ़क़त और वफ़ा से भरपूर। 7 वह हज़ाराें पर
जलाल िदखा।” 19 रब ने जवाब िदया, “मैं अपनी शफ़क़त क़ायम रखता और लोगाें का
अपनी पूरी भलाई ते रे सामने से गुज़रने दूँ गा क़ुसूर, नाफ़रमानी और गुनाह मुआफ़ करता
और ते रे सामने ही अपने नाम रब का एलान है । ले िकन वह हर एक को उस की मुनािसब
करूँगा। मैं िजस पर मे हरबान होना चाहूँ उस सज़ा भी दे ता है । जब वािलदै न गुनाह करें तो
पर मे हरबान होता हूँ , और िजस पर रहम करना उनकी औलाद को भी तीसरी और चौथी पुश्त
चाहूँ उस पर रहम करता हूँ । 20 ले िकन तू मे रा तक सज़ा के नतायज भुगतने पड़ें गे ।”
चे हरा नहीं दे ख सकता, क्याें िक जो भी मे रा 8 मूसा ने जल्दी से झु ककर िसजदा िकया।

चे हरा दे खे वह िंज़दा नहीं रह सकता।” 21 िफर 9 उसने कहा, “ऐ रब, अगर मुझ पर ते रा करम

रब ने फ़रमाया, “दे ख, मे रे पास एक जगह है । हो तो हमारे साथ चल। बे शक यह क़ौम हटधमर्


वहाँ की चटान पर खड़ा हो जा। 22 जब मे रा है , तो भी हमारा क़ुसूर और गुनाह मुआफ़ कर
जलाल वहाँ से गुज़रे गा तो मैं तुझे चटान के और बख़्श दे िक हम दुबारा ते रे ही बन जाएँ ।”
एक िशगाफ़ में रखूँगा और अपना हाथ ते रे ऊपर 10 तब रब ने कहा, “मैं तुम्हारे साथ अहद

फैलाऊँगा तािक तू मे रे गुज़रने के दौरान महफ़ूज़ बाँ धँ ूगा। ते री क़ौम के सामने ही मैं ऐसे मोिजज़े
रहे । 23 इसके बाद मैं अपना हाथ हटाऊँगा और करूँगा जो अब तक दुिनया-भर की िकसी भी
तू मे रे पीछे दे ख सकेगा। ले िकन मे रा चे हरा दे खा क़ौम में नहीं िकए गए। पूरी क़ौम िजसके
नहीं जा सकता।” दरिमयान तू रहता है रब का काम दे खेगी और
उससे डर जाएगी जो मैं ते रे साथ करूँगा। 11 जो
पत्थर की नई तिख़्तयाँ अहकाम मैं आज दे ता हूँ उन पर अमल करता

34 रब ने मूसा से कहा, “अपने िलए


पत्थर की दो तिख़्तयाँ तराश ले
जो पहली दो की मािंनद हाें । िफर मैं उन पर
रह। मैं अमोरी, कनानी, िहत्ती, फ़िरज़्ज़ी, िहव्वी
और यबूसी अक़वाम को ते रे आगे आगे मुल्क
से िनकाल दूँ गा। 12 ख़बरदार, जो उस मुल्क में
वह अलफ़ाज़ िलखूँगा जो पहली तिख़्तयाें पर रहते हैं जहाँ तू जा रहा है उनसे अहद न बाँ धना।
िलखे थे िजन्हें तूने पटख़ िदया था। 2 सुबह तक वरना वह ते रे दरिमयान रहते हुए तुझे गुनाहाें
तै यार होकर सीना पहाड़ पर चढ़ना। चोटी पर में फँसाते रहें गे। 13 उनकी क़ुरबानगाहें ढा दे ना,
ख़ुरूज 34:14 112
उनके बुताें के सतून टु कड़े टु कड़े कर दे ना और आगे क़ौमाें को मुल्क से िनकाल दूँ गा और ते री
उनकी दे वी यसीरत के खं बे काट डालना। सरहद्दें बढ़ाता जाऊँगा। िफर जब तू साल में तीन
14 िकसी और माबूद की परिस्तश न करना, मरतबा रब अपने ख़ुदा के हुज़ूर आएगा तो कोई
क्याें िक रब का नाम ग़यूर है , अल्लाह ग़ै रतमं द भी ते रे मुल्क का लालच नहीं करे गा।
है । 15 ख़बरदार, उस मुल्क के बािंशदाें से अहद 25 जब तू िकसी जानवर को ज़बह करके

न करना, क्याें िक ते रे दरिमयान रहते हुए भी क़ुरबानी के तौर पर पे श करता है तो उसके ख़ून
वह अपने माबूदाें की पै रवी करके िज़ना करें गे के साथ ऐसी रोटी पे श न करना िजसमें ख़मीर
और उन्हें क़ुरबािनयाँ चढ़ाएँ गे। आिख़रकार वह हो। ईदे -फ़सह की क़ुरबानी से अगली सुबह तक
तुझे भी अपनी क़ुरबािनयाें में िशरकत की दावत कुछ बाक़ी न रहे ।
दें गे । 16 ख़तरा है िक तू उनकी बे िटयाें का अपने 26 अपनी ज़मीन की पहली पै दावार में से

बे टाें के साथ िरश्ता बाँ धे। िफर जब यह अपने बे हतरीन िहस्सा रब अपने ख़ुदा के घर में ले
माबूदाें की पै रवी करके िज़ना करें गी तो उनके आना।
सबब से ते रे बे टे भी उनकी पै रवी करने लगें गे। बकरी या भे ड़ के बच्चे को उस की माँ के दूध
17 अपने िलए दे वता न ढालना। में न पकाना।”

सालाना ईदें मूसा के चे हरे पर चमक


18 बे ख़मीरी रोटी की ईद मनाना। अबीब के 27 रब ने मूसा से कहा, “यह तमाम बातें िलख
a
महीने में सात िदन तक ते री रोटी में ख़मीर न ले , क्याें िक यह उस अहद की बुिनयाद हैं जो मैं ने
हो िजस तरह मैं ने हुक्म िदया है । क्याें िक इस ते रे और इसराईल के साथ बाँ धा है ।”
महीने में तू िमसर से िनकला। 28 मूसा चालीस िदन और चालीस रात वहीं

19 हर पहलौठा मे रा है । ते रे माल मवे िशयाें का रब के हुज़ूर रहा। इस दौरान न उसने कुछ खाया
हर पहलौठा मे रा है , चाहे बछड़ा हो या ले ला। न िपया। उसने पत्थर की तिख़्तयाें पर अहद के
20 ले िकन पहलौठे गधे के एवज़ भे ड़ दे ना। अगर दस अहकाम िलखे ।
यह मुमिकन न हो तो उस की गरदन तोड़ 29 इसके बाद मूसा शरीअत की दोनाें
डालना। अपने पहलौठे बे टाें के िलए भी एवज़ी तिख़्तयाें को हाथ में िलए हुए सीना पहाड़ से
दे ना। कोई मे रे पास ख़ाली हाथ न आए। उतरा। उसके चे हरे की िजल्द चमक रही थी,
21 छः िदन काम-काज करना, ले िकन सातवें क्याें िक उसने रब से बात की थी। ले िकन उसे
िदन आराम करना। ख़ाह हल चलाना हो या ख़ुद इसका इल्म नहीं था। 30 जब हारून और
फ़सल काटनी हो तो भी सातवें िदन आराम तमाम इसराईिलयाें ने दे खा िक मूसा का चे हरा
करना। चमक रहा है तो वह उसके पास आने से डर
22 गं दुम की फ़सल की कटाई की ईद b उस गए। 31 ले िकन उसने उन्हें बुलाया तो हारून और
वक़्त मनाना जब तू गे हूँ की पहली फ़सल जमात के तमाम सरदार उसके पास आए, और
काटे गा। अं गूर और फल जमा करने की ईद उसने उनसे बात की। 32 बाद में बाक़ी इसराईली
इसराईली साल के इिख़्तताम पर मनानी है । भी आए, और मूसा ने उन्हें तमाम अहकाम
23 लािज़म है िक ते रे तमाम मदर् साल में सुनाए जो रब ने उसे कोहे -सीना पर िदए थे ।
तीन मरतबा रब क़ािदरे -मुतलक़ के सामने जो 33 यह सब कुछ कहने के बाद मूसा ने अपने

इसराईल का ख़ुदा है हािज़र हाें । 24 मैं ते रे आगे चे हरे पर िनक़ाब डाल िलया। 34 जब भी वह रब
a b
माचर् ता अप्रैल। िसतं बर ता अक्तूबर।
113 ख़ुरूज 35:26
से बात करने के िलए मुलाक़ात के ख़ै मे में जाता शहतीर, सतून और पाए, 12 अहद का सं दूक़,
तो िनक़ाब को ख़ै मे से िनकलते वक़्त तक उतार उसे उठाने की लकिड़याँ , उसके कफ़्फ़ारे
ले ता। और जब वह िनकलकर इसराईिलयाें को का ढकना, मुक़द्दसतरीन कमरे के दरवाज़े
रब से िमले हुए अहकाम सुनाता 35 तो वह दे खते का परदा, 13 मख़सूस रोिटयाें की मे ज़, उसे
िक उसके चे हरे की िजल्द चमक रही है । इसके उठाने की लकिड़याँ , उसका सारा सामान और
बाद मूसा दुबारा िनक़ाब को अपने चे हरे पर रोिटयाँ , 14 शमादान और उस पर रखने के चराग़
डाल ले ता, और वह उस वक़्त तक चे हरे पर उसके सामान समे त, शमादान के िलए ते ल,
रहता जब तक मूसा रब से बात करने के िलए 15 बख़ूर जलाने की क़ुरबानगाह, उसे उठाने

मुलाक़ात के ख़ै मे में न जाता था। की लकिड़याँ , मसह का ते ल, ख़ुशबूदार बख़ूर,


मुक़द्दस ख़ै मे के दरवाज़े का परदा, 16 जानवराें
सबत का िदन को चढ़ाने की क़ुरबानगाह, उसका पीतल का

35 मूसा ने इसराईल की पूरी जमात


को इकट्ठा करके कहा, “रब ने
तुमको यह हुक्म िदए हैं : 2 छः िदन काम-काज
जं गला, उसे उठाने की लकिड़याँ और बाक़ी
सारा सामान, धोने का हौज़ और वह ढाँ चा िजस
पर हौज़ रखा जाता है , 17 चारदीवारी के परदे
िकया जाए, ले िकन सातवाँ िदन मख़सूसो- उनके खं बाें और पाइयाें समे त, सहन के दरवाज़े
मुक़द्दस हो। वह रब के िलए आराम का सबत का परदा, 18 ख़ै मे और चारदीवारी की मे ख़ें और
है । जो भी इस िदन काम करे उसे सज़ाए-मौत रस्से , 19 और वह मुक़द्दस िलबास जो हारून
दी जाए। 3 हफ़ते के िदन अपने तमाम घराें में और उसके बे टे मक़िदस में िख़दमत करने के
आग तक न जलाना।” िलए पहनते हैं ।”
20 यह सुनकर इसराईल की पूरी जमात मूसा

मुलाक़ात के ख़ै मे के िलए सामान के पास से चली गई। 21 और जो जो िदली


4 मूसा ने इसराईल की पूरी जमात से कहा, ख़ुशी से दे ना चाहता था वह मुलाक़ात के ख़ै मे,
“रब ने िहदायत दी है 5 िक जो कुछ तुम्हारे पास उसके सामान या इमामाें के कपड़ाें के िलए
है उसमें से हिदये लाकर रब को उठाने वाली कोई हिदया ले कर वापस आया। 22 रब के हिदये
क़ुरबानी के तौर पर पे श करो। जो भी िदली के िलए मदर् और ख़वातीन िदली ख़ुशी से
ख़ुशी से दे ना चाहे वह इन चीज़ाें में से कुछ अपने सोने के ज़े वरात मसलन जड़ाऊ िपनें ,
दे : सोना, चाँ दी, पीतल; 6 नीले , अरग़वानी बािलयाँ और छल्ले ले आए। 23 िजस िजसके
और िक़रिमज़ी रं ग का धागा, बारीक कतान, पास दरकार चीज़ाें में से कुछ था वह उसे
बकरी के बाल, 7 में ढाें की सुख़र् रँ गी हुई खालें , मूसा के पास ले आया यानी नीले , िक़रिमज़ी
तख़स की खालें , कीकर की लकड़ी, 8 शमादान और अरग़वानी रं ग का धागा, बारीक कतान,
के िलए ज़ै तून का ते ल, मसह करने के िलए ते ल बकरी के बाल, में ढाें की सुख़र् रँ गी हुई खालें
और ख़ुशबूदार बख़ूर के िलए मसाले , 9 अक़ीक़े- और तख़स की खालें । 24 चाँ दी, पीतल और
अहमर और दीगर जवािहर जो इमामे -आज़म के कीकर की लकड़ी भी हिदये के तौर पर लाई
बालापोश और सीने के कीसे में जड़े जाएं गे। गई। 25 और िजतनी औरतें कातने में मािहर
10 तुममें से िजतने मािहर कारीगर हैं वह थीं वह अपनी काती हुई चीज़ें ले आइर्ं यानी
आकर वह कुछ बनाएँ जो रब ने फ़रमाया नीले , िक़रिमज़ी और अरग़वानी रं ग का धागा
11 यानी ख़ै मा और वह िग़लाफ़ जो उसके और बारीक कतान। 26 इसी तरह जो जो औरत
ऊपर लगाए जाएं गे, हुकें, दीवाराें के तख़्ते , बकरी के बाल कातने में मािहर थी और िदली
ख़ुरूज 35:27 114
ख़ुशी से मक़िदस के िलए काम करना चाहती इसराईली िदली ख़ुशी से दे ते हैं
थी वह यह कातकर ले आई। 27 सरदार अक़ीक़े- 2 मूसा ने बज़िलये ल और उहिलयाब को
अहमर और दीगर जवािहर ले आए जो इमामे - बुलाया। साथ ही उसने हर उस कारीगर को
आज़म के बालापोश और सीने के कीसे के िलए भी बुलाया िजसे रब ने मक़िदस की तामीर
दरकार थे । 28 वह शमादान, मसह के ते ल और के िलए िहकमत और महारत दी थी और जो
ख़ुशबूदार बख़ूर के िलए मसाले और ज़ै तून का ख़ुशी से आना और यह काम करना चाहता था।
ते ल भी ले आए। 3 उन्हें मूसा से तमाम हिदये िमले जो इसराईली

29 याें इसराईल के तमाम मदर् और ख़वा- मक़िदस की तामीर के िलए लाए थे ।द


तीन जो िदली ख़ुशी से रब को कुछ दे ना चाहते इसके बाद भी लोग रोज़ बरोज़ सुबह के वक़्त
थे उस सारे काम के िलए हिदये ले आए जो रब हिदये लाते रहे । 4 आिख़रकार तमाम कारीगर
ने मूसा की मािरफ़त करने को कहा था। जो मक़िदस बनाने के काम में लगे थे अपना
काम छोड़कर मूसा के पास आए। 5 उन्हाें ने
बज़िलये ल और उहिलयाब कहा, “लोग हद से ज़्यादा ला रहे हैं । िजस काम
30 िफर मूसा ने इसराईिलयाें से कहा, “रब ने का हुक्म रब ने िदया है उसके िलए इतने सामान
यहूदाह के क़बीले के बज़िलये ल िबन ऊरी िबन की ज़रूरत नहीं है ।” 6 तब मूसा ने पूरी ख़ै मागाह
हूर को चुन िलया है । 31 उसने उसे इलाही रूह में एलान करवा िदया िक कोई मदर् या औरत
से मामूर करके िहकमत, समझ और तामीर के मक़िदस की तामीर के िलए अब कुछ न लाए।
हर काम के िलए दरकार इल्म दे िदया है । 32 वह याें उन्हें मज़ीद चीज़ें लाने से रोका गया,
नक़्शे बनाकर उनके मुतािबक़ सोने , चाँ दी और 7 क्याें िक काम के िलए सामान ज़रूरत से ज़्यादा

पीतल की चीज़ें बना सकता है । 33 वह जवािहर हो गया था।


को काटकर जड़ने की क़ािबिलयत रखता है ।
वह लकड़ी को तराशकर उससे मुख़्तिलफ़ चीज़ें मुलाक़ात का ख़ै मा
बना सकता है । वह बहुत सारे और कामाें में भी 8 जो कारीगर महारत रखते थे उन्हाें ने ख़ै मे
महारत रखता है । 34 साथ ही रब ने उसे और को बनाया। उन्हाें ने बारीक कतान और नीले ,
दान के क़बीले के उहिलयाब िबन अख़ी-समक अरग़वानी और िक़रिमज़ी धागे से दस परदे
को दूसराें को िसखाने की क़ािबिलयत भी दी बनाए। परदाें पर िकसी मािहर कारीगर के
है । 35 उसने उन्हें वह महारत और िहकमत दी है कढ़ाई के काम से करूबी फ़िरश्ताें का िडज़ायन
जो हर काम के िलए दरकार है यानी कारीगरी बनाया गया। 9 हर परदे की लं बाई 42 फ़ुट
के हर काम के िलए, कढ़ाई के काम के िलए, और चौड़ाई 6 फ़ुट थी। 10 पाँ च परदाें के लं बे
नीले , अरग़वानी और िक़रिमज़ी रं ग के धागे और हािशये एक दूसरे के साथ जोड़े गए और इसी
बारीक कतान से कपड़ा बनाने के िलए और तरह बाक़ी पाँ च भी। याें दो बड़े टु कड़े बन गए।
बुनाई के काम के िलए। वह मािहर कारीगर हैं 11 दोनाें टु कड़ाें को एक दूसरे के साथ िमलाने

और नक़्शे भी बना सकते हैं । के िलए उन्हाें ने नीले धागे के हलक़े बनाए। यह

36 लािज़म है िक बज़िलये ल,
उहिलयाब और बाक़ी कारीगर
िजनको रब ने मक़िदस की तामीर के िलए
हलक़े हर टु कड़े के 42 फ़ुटवाले एक िकनारे
पर लगाए गए, 12 एक टु कड़े के हािशये पर
50 हलक़े और दूसरे पर भी उतने ही हलक़े।
िहकमत और समझ दी है सब कुछ ऐन उन इन दो हािशयाें के हलक़े एक दूसरे के आमने -
िहदायात के मुतािबक़ बनाएँ जो रब ने दी हैं ।” सामने थे । 13 िफर बज़िलये ल ने सोने की 50
115 ख़ुरूज 36:38
हुकें बनाकर उनसे आमने -सामने के हलक़ाें को के साथ जुड़ जाए और दूसरे से जुनूबी दीवार
एक दूसरे के साथ िमलाया। याें दोनाें टु कड़ाें के मग़िरबी दीवार के साथ। इनके ऊपर के िसरे
जोड़ने से ख़ै मा बन गया। कड़ाें से मज़बूत िकए गए। 30 याें िपछले यानी
14 उसने बकरी के बालाें से भी 11 परदे मग़िरबी तख़्ताें की पूरी तादाद 8 थी और इनके
बनाए िजन्हें कपड़े वाले ख़ै मे के ऊपर रखना था। िलए चाँ दी के पाइयाें की तादाद 16, हर तख़्ते
15 हर परदे की लं बाई 45 फ़ुट और चौड़ाई 6 के नीचे दो पाए।
फ़ुट थी। 16 पाँ च परदाें के लं बे हािशये एक दूसरे 31-32 िफर बज़िलये ल ने कीकर की लकड़ी के

के साथ जोड़े गए और इस तरह बाक़ी छः भी। शहतीर बनाए, तीनाें दीवाराें के िलए पाँ च पाँ च
17 इन दोनाें टु कड़ाें को िमलाने के िलए उसने हर शहतीर। वह हर दीवार के तख़्ताें पर याें लगाने
टु कड़े के 45 फ़ुटवाले एक िकनारे पर पचास के िलए थे िक उनसे तख़्ते एक दूसरे के साथ
पचास हलक़े लगाए। 18 िफर पीतल की 50 िमलाए जाएँ । 33 दरिमयानी शहतीर याें बनाया
हुकें बनाकर उसने दोनाें िहस्से िमलाए। गया िक वह दीवार की आधी ऊँचाई पर दीवार
19 एक दूसरे के ऊपर के दोनाें ख़ै माें की के एक िसरे से दूसरे िसरे तक लग सकता था।
िहफ़ाज़त के िलए बज़िलये ल ने दो और िग़लाफ़ 34 उसने तमाम तख़्ताें और शहतीराें पर सोना

बनाए। बकरी के बालाें के ख़ै मे पर रखने के चढ़ाया। शहतीराें को तख़्ताें के साथ लगाने के


िलए उसने में ढाें की सुख़र् रँ गी हुई खालें जोड़ िलए उसने सोने के कड़े बनाए जो तख़्ताें में
दीं और उसके ऊपर रखने के िलए तख़स की लगाने थे ।
खालें िमलाइर्ं ।
20 इसके बाद उसने कीकर की लकड़ी के मुक़द्दस ख़ै मे के परदे
तख़्ते बनाए जो ख़ै मे की दीवाराें का काम दे ते 35 अब बज़िलये ल ने एक और परदा बनाया।
थे । 21 हर तख़्ते की ऊँचाई 15 फ़ुट थी और उसके िलए भी बारीक कतान और नीले ,
चौड़ाई सवा दो फ़ुट। 22 हर तख़्ते के नीचे दो अरग़वानी और िक़रिमज़ी रं ग का धागा
दो चूलें थीं। इन चूलाें से हर तख़्ते को उसके इस्ते माल हुआ। उस पर भी िकसी मािहर
पाइयाें के साथ जोड़ा जाता था तािक तख़्ता कारीगर के कढ़ाई के काम से करूबी फ़िरश्ताें
खड़ा रहे । 23 ख़ै मे की जुनूबी दीवार के िलए 20 का िडज़ायन बनाया गया। 36 िफर उसने परदे
तख़्ते बनाए गए 24 और साथ ही चाँ दी के 40 को लटकाने के िलए कीकर की लकड़ी के चार
पाए भी िजन पर तख़्ते खड़े िकए जाते थे । हर सतून, सोने की हुकें और चाँ दी के चार पाए
तख़्ते के नीचे दो पाए थे , और हर पाए में एक बनाए। सतूनाें पर सोना चढ़ाया गया।
चूल लगती थी। 25 इसी तरह ख़ै मे की िशमाली 37 बज़िलये ल ने ख़ै मे के दरवाज़े के िलए भी

दीवार के िलए भी 20 तख़्ते बनाए गए 26 और परदा बनाया। वह भी बारीक कतान और नीले ,


साथ ही चाँ दी के 40 पाए जो तख़्ताें को खड़ा अरग़वानी और िक़रिमज़ी रं ग के धागे से बनाया
करने के िलए थे । हर तख़्ते के नीचे दो पाए गया, और उस पर कढ़ाई का काम िकया गया।
थे । 27 ख़ै मे की िपछली यानी मग़िरबी दीवार 38 इस परदे को लटकाने के िलए उसने सोने

के िलए छः तख़्ते बनाए गए। 28 इस दीवार को की हुकें और कीकर की लकड़ी के पाँ च सतून
िशमाली और जुनूबी दीवाराें के साथ जोड़ने के बनाए। सतूनाें के ऊपर के िसराें और पिट्टयाें पर
िलए कोने वाले दो तख़्ते बनाए गए। 29 इन दो सोना चढ़ाया गया जबिक उनके पाए पीतल के
तख़्ताें में नीचे से ले कर ऊपर तक कोना था थे ।
तािक एक से िशमाली दीवार मग़िरबी दीवार
ख़ुरूज 37:1 116
अहद का सं दूक़ लकिड़याँ डालनी थीं िजनसे मे ज़ को उठाना

37 बज़िलये ल ने कीकर की लकड़ी


का सं दूक़ बनाया। उस की लं बाई
पौने चार फ़ुट थी जबिक उस की चौड़ाई और
था। 15 बज़िलये ल ने यह लकिड़याँ भी कीकर
से बनाइर्ं और उन पर सोना चढ़ाया।
16 आिख़रकार उसने ख़ािलस सोने के वह

ऊँचाई सवा दो दो फ़ुट थी। 2 उसने पूरे सं दूक़ थाल, प्याले , मै की नज़रें पे श करने के बरतन
पर अं दर और बाहर से ख़ािलस सोना चढ़ाया। और मरतबान बनाए जो उस पर रखे जाते थे ।
ऊपर की सतह के इदर्िगदर् उसने सोने की झालर
लगाई। 3 सं दूक़ को उठाने के िलए उसने सोने शमादान
के चार कड़े ढालकर उन्हें सं दूक़ के चारपाइयाें 17 िफर बज़िलये ल ने ख़ािलस सोने का

पर लगाया। दोनाें तरफ़ दो दो कड़े थे । 4 िफर शमादान बनाया। उसका पाया और डं डी घड़कर
उसने कीकर की दो लकिड़याँ सं दूक़ को उठाने बनाए गए। उस की प्यािलयाँ जो फूलाें और
के िलए तै यार कीं और उन पर सोना चढ़ाया। किलयाें की शक्ल की थीं पाए और डं डी के
5 उसने इन लकिड़याें को दोनाें तरफ़ के कड़ाें साथ एक ही टु कड़ा थीं। 18 डं डी से दाइर्ं और
में डाल िदया तािक उनसे सं दूक़ को उठाया जा बाइर्ं तरफ़ तीन तीन शाख़ें िनकलती थीं। 19 हर
सके। शाख़ पर तीन प्यािलयाँ लगी थीं जो बादाम
6 बज़िलये ल ने सं दूक़ का ढकना ख़ािलस की किलयाें और फूलाें की शक्ल की थीं।
सोने का बनाया। उस की लं बाई पौने चार फ़ुट 20 शमादान की डं डी पर भी इस िक़स्म की

और चौड़ाई सवा दो फ़ुट थी। 7-8 िफर उसने दो प्यािलयाँ लगी थीं, ले िकन तादाद में चार।
करूबी फ़िरश्ते सोने से घड़कर बनाए जो ढकने 21 इनमें से तीन प्यािलयाँ दाएँ -बाएँ की छः

के दोनाें िसराें पर खड़े थे । यह दो फ़िरश्ते औरशाख़ाें के नीचे लगी थीं। वह याें लगी थीं िक हर
ढकना एक ही टु कड़े से बनाए गए। 9 फ़िरश्ताें प्याली से दो शाख़ें िनकलती थीं। 22 शाख़ें और
के पर याें ऊपर की तरफ़ फैले हुए थे िक वह प्यािलयाँ बिल्क पूरा शमादान ख़ािलस सोने के
ढकने को पनाह दे ते थे । उनके मुँह एक दूसरे एक ही टु कड़े से घड़कर बनाया गया।
की तरफ़ िकए हुए थे , और वह ढकने की तरफ़ 23 बज़िलये ल ने शमादान के िलए ख़ािलस

दे खते थे । सोने के सात चराग़ बनाए। उसने बत्ती कतरने


की क़ैंिचयाँ और जलते कोयले के िलए छोटे
मख़सूस रोिटयाें की मे ज़ बरतन भी ख़ािलस सोने से बनाए। 24 शमादान
10 इसके बाद बज़िलये ल ने कीकर की लकड़ी और उसके तमाम सामान के िलए पूरे 34

की मे ज़ बनाई। उस की लं बाई तीन फ़ुट, चौड़ाई िकलोग्राम ख़ािलस सोना इस्ते माल हुआ।
डे ढ़ फ़ुट और ऊँचाई सवा दो फ़ुट थी। 11 उसने
उस पर ख़ािलस सोना चढ़ाकर उसके इदर्िगदर् बख़ूर जलाने की क़ुरबानगाह
सोने की झालर लगाई। 12 मे ज़ की ऊपर की 25 बज़िलये ल ने कीकर की लकड़ी की

सतह पर उसने चौखटा भी लगाया िजसकी क़ुरबानगाह बनाई जो बख़ूर जलाने के िलए थी।
ऊँचाई तीन इं च थी और िजस पर सोने की वह डे ढ़ फ़ुट लं बी, इतनी ही चौड़ी और तीन फ़ुट
झालर लगी थी। 13 अब उसने सोने के चार ऊँची थी। उसके चार कोनाें में से सींग िनकलते
कड़े ढालकर उन्हें चाराें कोनाें पर लगाया जहाँ थे जो क़ुरबानगाह के साथ एक ही टु कड़े से
मे ज़ के पाए लगे थे । 14 यह कड़े मे ज़ की सतह बनाए गए थे । 26 उस की ऊपर की सतह, उसके
पर लगे चौखटे के नीचे लगाए गए। उनमें वह चार पहलुआें और उसके सींगाें पर ख़ािलस
117 ख़ुरूज 38:20
सोना चढ़ाया गया। ऊपर की सतह के इदर्िगदर् औरताें के आईनाें से िमला था जो मुलाक़ात के
बज़िलये ल ने सोने की झालर बनाई। 27 सोने के ख़ै मे के दरवाज़े पर िख़दमत करती थीं।
दो कड़े बनाकर उसने उन्हें इस झालर के नीचे
एक दूसरे के मुक़ािबल पहलुआें पर लगाया। ख़ै मे का सहन
इन कड़ाें में क़ुरबानगाह को उठाने की लकिड़याँ 9 िफर बज़िलये ल ने सहन बनाया। उस की
डाली गइर्ं । 28 यह लकिड़याँ कीकर की थीं, और चारदीवारी बारीक कतान के कपड़े से बनाई
उन पर भी सोना चढ़ाया गया। गई। चारदीवारी की लं बाई जुनूब की तरफ़ 150
29 बज़िलये ल ने मसह करने का मुक़द्दस ते ल फ़ुट थी। 10 कपड़े को लगाने के िलए चाँ दी की
और ख़ुशबूदार ख़ािलस बख़ूर भी बनाया। यह हुकें, पिट्टयाँ , लकड़ी के खं बे और उनके पाए
इत्रसाज़ का काम था। बनाए गए। 11 चारदीवारी िशमाल की तरफ़ भी
इसी तरह बनाई गई। 12 ख़ै मे के पीछे मग़िरब की
जानवराें को पे श करने की क़ुरबानगाह तरफ़ चारदीवारी की चौड़ाई 75 फ़ुट थी। कपड़े

38 बज़िलये ल ने कीकर की लकड़ी


की एक और क़ुरबानगाह बनाई जो
भस्म होने वाली क़ुरबािनयाें के िलए थी। उस
के अलावा उसके िलए 10 खं बे, 10 पाए और
कपड़ा लगाने के िलए चाँ दी की हुकें और पिट्टयाँ
बनाई गइर्ं । 13 सामने , मशिरक़ की तरफ़ जहाँ
की ऊँचाई साढ़े चार फ़ुट, उस की लं बाई और से सूरज तुलू होता है चारदीवारी की चौड़ाई भी
चौड़ाई साढ़े सात सात फ़ुट थी। 2 उसके ऊपर 75 फ़ुट थी। 14-15 कपड़ा दरवाज़े के दाइर्ं तरफ़
चाराें कोनाें में से सींग िनकलते थे । सींग और साढ़े 22 फ़ुट चौड़ा था और उसके बाइर्ं तरफ़ भी
क़ुरबानगाह एक ही टु कड़े के थे , और उस पर उतना ही चौड़ा। उसे दोनाें तरफ़ तीन तीन खं बाें
पीतल चढ़ाया गया। 3 उसका तमाम साज़ो- के साथ लगाया गया जो पीतल के पाइयाें पर
सामान और बरतन भी पीतल के थे यानी राख खड़े थे । 16 चारदीवारी के तमाम परदाें के िलए
को उठाकर ले जाने की बालिटयाँ , बे लचे , काँ टे, बारीक कतान इस्ते माल हुआ। 17 खं बे पीतल
जलते हुए कोयले के िलए बरतन और िछड़काव के पाइयाें पर खड़े थे , और परदे चाँ दी की हुकाें
के कटोरे । और पिट्टयाें से खं बाें के साथ लगे थे । खं बाें के
4 क़ुरबानगाह को उठाने के िलए उसने पीतल ऊपर के िसराें पर चाँ दी चढ़ाई गई थी। सहन के
का जं गला बनाया। वह ऊपर से खुला था तमाम खं बाें पर चाँ दी की पिट्टयाँ लगी थीं।
और याें बनाया गया िक जब क़ुरबानगाह उसमें 18 चारदीवारी के दरवाज़े का परदा नीले ,

रखी जाए तो वह उस िकनारे तक पहुँ चे जो अरग़वानी और िक़रिमज़ी रं ग के धागे और


क़ुरबानगाह की आधी ऊँचाई पर लगी थी। बारीक कतान से बनाया गया, और उस पर
5 उसने क़ुरबानगाह को उठाने के िलए चार कड़े कढ़ाई का काम िकया गया। वह 30 फ़ुट चौड़ा
बनाकर उन्हें जं गले के चार कोनाें पर लगाया। और चारदीवारी के दूसरे परदाें की तरह साढ़े
6 िफर उसने कीकर की दो लकिड़याँ बनाकर सात फ़ुट ऊँचा था। 19 उसके चार खं बे और
उन पर पीतल चढ़ाया 7 और क़ुरबानगाह के पीतल के चार पाए थे । उस की हुकें और पिट्टयाँ
दोनाें तरफ़ लगे इन कड़ाें में डाल दीं। याें उसे चाँ दी की थीं, और खं बाें के ऊपर के िसराें पर
उठाया जा सकता था। क़ुरबानगाह लकड़ी की चाँ दी चढ़ाई गई थी। 20 ख़ै मे और चारदीवारी की
थी ले िकन खोखली थी। तमाम मे ख़ें पीतल की थीं।
8 बज़िलये ल ने धोने का हौज़ और उसका

ढाँ चा भी पीतल से बनाया। उसका पीतल उन


ख़ुरूज 38:21 118
ख़ै मे का तामीरी सामान के पाए और ख़ै मे और चारदीवारी की तमाम
21 ज़ै ल में उस सामान की फ़हिरस्त है जो मे ख़ें इसी से बनाई गइर्ं ।
मक़िदस की तामीर के िलए इस्ते माल हुआ।
मूसा के हुक्म पर इमामे -आज़म हारून के बे टे हारून का बालापोश
इतमर ने लािवयाें की मािरफ़त यह फ़हिरस्त
तै यार की। 22 (यहूदाह के क़बीले के बज़िलये ल
िबन ऊरी िबन हूर ने वह सब कुछ बनाया जो
39 बज़िलये ल की िहदायत पर का-
रीगराें ने नीले , अरग़वानी और
िक़रिमज़ी रं ग का धागा ले कर मक़िदस में
रब ने मूसा को बताया था। 23 उसके साथ दान िख़दमत के िलए िलबास बनाए। उन्हाें ने हारून
के क़बीले का उहिलयाब िबन अख़ी-समक था के मुक़द्दस कपड़े उन िहदायात के ऐन मुतािबक़
जो कारीगरी के हर काम और कढ़ाई के काम में बनाए जो रब ने मूसा को दी थीं। 2 उन्हाें ने इमामे -
मािहर था। वह नीले , अरग़वानी और िक़रिमज़ी आज़म का बालापोश बनाने के िलए सोना,
रं ग के धागे और बारीक कतान से कपड़ा बनाने नीले , अरग़वानी और िक़रिमज़ी रं ग का धागा
में भी मािहर था।) और बारीक कतान इस्ते माल िकया। 3 उन्हाें ने
24 उस सोने का वज़न जो लोगाें के हिदयाें सोने को कूट कूटकर वक़र् बनाया और िफर
से जमा हुआ और मक़िदस की तामीर के िलए उसे काटकर धागे बनाए। जब नीले , अरग़वानी
इस्ते माल हुआ तक़रीबन 1,000 िकलोग्राम और िक़रिमज़ी रं ग के धागे और बारीक कतान
था (उसे मक़िदस के बाटाें के िहसाब से तोला से कपड़ा बनाया गया तो सोने का यह धागा
गया)। महारत से कढ़ाई के काम में इस्ते माल हुआ।
25 तामीर के िलए चाँ दी जो मदुर्मशुमारी के 4 उन्हाें ने बालापोश के िलए दो पिट्टयाँ बनाइर्ं और

िहसाब से वसूल हुई, उसका वज़न तक़रीबन उन्हें बालापोश के कंधाें पर रखकर सामने और
3,430 िकलोग्राम था (उसे भी मक़िदस के पीछे से बालापोश के साथ लगाइं । 5 पटका भी
बाटाें के िहसाब से तोला गया)। 26 िजन मदार्ें बनाया गया िजससे बालापोश को बाँ धा जाता
की उम्र 20 साल या इससे ज़ायद थी उन्हें चाँ दी था। इसके िलए भी सोना, नीले , अरग़वानी
का आधा आधा िसक्का दे ना पड़ा। मदार्ें की और िक़रिमज़ी रं ग का धागा और बारीक कतान
कुल तादाद 6,03,550 थी। 27 चूँिक दीवाराें इस्ते माल हुआ। यह उन िहदायात के ऐन
के तख़्ताें के पाए और मुक़द्दसतरीन कमरे के मुतािबक़ हुआ जो रब ने मूसा को दी थीं। 6 िफर
दरवाज़े के सतूनाें के पाए चाँ दी के थे इसिलए उन्हाें ने अक़ीक़े-अहमर के दो पत्थर चुन िलए
तक़रीबन पूरी चाँ दी इन 100 पाइयाें के िलए और उन्हें सोने के ख़ानाें में जड़कर उन पर
सफ़र् हुई। 28 तक़रीबन 30 िकलोग्राम चाँ दी बच इसराईल के बारह बे टाें के नाम कंदा िकए। यह
गई। इससे चारदीवारी के खं बाें की हुकें और नाम जौहराें पर उस तरह कंदा िकए गए िजस
पिट्टयाँ बनाई गइर्ं , और यह खं बाें के ऊपर के तरह मुहर कंदा की जाती है । 7 उन्हाें ने पत्थराें
िसराें पर भी चढ़ाई गई। को बालापोश की दो पिट्टयाें पर याें लगाया िक
29 जो पीतल हिदयाें से जमा हुआ उसका वह हारून के कंधाें पर रब को इसराईिलयाें की
वज़न तक़रीबन 2,425 िकलोग्राम था। 30 ख़ै मे याद िदलाते रहें । यह सब कुछ रब की दी गई
के दरवाज़े के पाए, जानवराें को चढ़ाने की िहदायात के ऐन मुतािबक़ हुआ।
क़ुरबानगाह, उसका जं गला, बरतन और साज़ो-
सामान, 31 चारदीवारी के पाए, सहन के दरवाज़े
119 ख़ुरूज 39:32
सीने का कीसा ऊपर अच्छी तरह सीने के साथ लगा रहा। यह
8 इसके बाद उन्हाें ने सीने का कीसा बनाया। उन िहदायात के ऐन मुतािबक़ हुआ जो रब ने
यह मािहर कारीगर का काम था और उन्हीं मूसा को दी थीं।
चीज़ाें से बना िजनसे हारून का बालापोश
भी बना था यानी सोने और नीले , अरग़वानी हारून का चोग़ा
और िक़रिमज़ी रं ग के धागे और बारीक कतान 22 िफर कारीगराें ने चोग़ा बुना। वह पूरी तरह
से । 9 जब कपड़े को एक दफ़ा तह िकया नीले धागे से बनाया गया। चोग़े को बालापोश
गया तो कीसे की लं बाई और चौड़ाई नौ नौ से पहले पहनना था। 23 उसके गरे बान को बुने
इं च थी। 10 उन्हाें ने उस पर चार क़ताराें में हुए कालर से मज़बूत िकया गया तािक वह न
जवािहर जड़े । हर क़तार में तीन तीन जौहर फटे । 24 उन्हाें ने नीले , अरग़वानी और िक़रिमज़ी
थे । पहली क़तार में लाल, ज़बरजद और रं ग के धागे से अनार बनाकर उन्हें चोग़े के दामन
ज़ुमुरर्द। 11 दूसरी में फ़ीरोज़ा, सं गे-लाजवदर् और में लगा िदया। 25 उनके दरिमयान ख़ािलस सोने
हजरुल-क़मर। 12 तीसरी में ज़रक़ोन, अक़ीक़ की घं िटयाँ लगाई गइर्ं । 26 दामन में अनार और
और याक़ूते-अरग़वानी। 13 चौथी में पुखराज, घं िटयाँ बारी बारी लगाई गइर्ं । लािज़म था िक
अक़ीक़े-अहमर और यशब। हर जौहर सोने के हारून िख़दमत करने के िलए हमे शा यह चोग़ा
ख़ाने में जड़ा हुआ था। 14 यह बारह जवािहर पहने । रब ने मूसा को यही हुक्म िदया था।
इसराईल के बारह क़बीलाें की नुमाइं दगी करते
थे । एक एक जौहर पर एक क़बीले का नाम िख़दमत के िलए दीगर िलबास
कंदा िकया गया, और यह नाम उस तरह कंदा 27 कारीगराें ने हारून और उसके बे टाें के
िकए गए िजस तरह मुहर कंदा की जाती है । िलए बारीक कतान के ज़े रजामे बनाए। यह
15 अब उन्हाें ने सीने के कीसे के िलए ख़ािलस बुनने वाले का काम था। 28 साथ साथ उन्हाें ने
सोने की दो ज़ं जीरें बनाइर्ं जो डोरी की तरह बारीक कतान की पगिड़याँ और बारीक कतान
गुँधी हुई थीं। 16 साथ साथ उन्हाें ने सोने के दो के पाजामे बनाए। 29 कमरबं द को बारीक कतान
ख़ाने और दो कड़े भी बनाए। उन्हाें ने यह कड़े और नीले , अरग़वानी और िक़रिमज़ी रं ग के धागे
कीसे के ऊपर के दो कोनाें पर लगाए। 17 िफर से बनाया गया। कढ़ाई करने वालाें ने इस पर
दोनाें ज़ं जीरें उन दो कड़ाें के साथ लगाई गइर्ं । काम िकया। सब कुछ उन िहदायात के मुतािबक़
18 उनके दूसरे िसरे बालापोश की कंधाें वाली बनाया गया जो रब ने मूसा को दी थीं।
पिट्टयाें के दो ख़ानाें के साथ जोड़ िदए गए, िफर 30 उन्हाें ने मुक़द्दस ताज यानी ख़ािलस सोने

सामने की तरफ़ लगाए गए। 19 उन्हाें ने कीसे की तख़्ती बनाई और उस पर यह अलफ़ाज़


के िनचले दो कोनाें पर भी सोने के दो कड़े कंदा िकए, ‘रब के िलए मख़सूसो-मुक़द्दस।’
लगाए। वह अं दर, बालापोश की तरफ़ लगे थे । 31 िफर उन्हाें ने इसे नीली डोरी से पगड़ी के

20 अब उन्हाें ने दो और कड़े बनाकर बालापोश सामने वाले िहस्से से लगा िदया। यह भी उन


की कंधाें वाली पिट्टयाें पर लगाए। यह भी सामने िहदायात के मुतािबक़ बनाया गया जो रब ने
की तरफ़ लगे थे ले िकन नीचे , बालापोश के मूसा को दी थीं।
पटके के ऊपर ही। 21 उन्हाें ने सीने के कीसे
के िनचले कड़े नीली डोरी से बालापोश के इन सारा सामान मूसा को िदखाया जाता है
िनचले कड़ाें के साथ बाँ धे। याें कीसा पटके के 32 आिख़रकार मक़िदस का काम मुकम्मल

हुआ। इसराईिलयाें ने सब कुछ उन िहदायात


ख़ुरूज 39:33 120
के मुतािबक़ बनाया था जो रब ने मूसा को दी मुक़द्दसतरीन कमरे में रखकर उसके दरवाज़े
थीं। 33 वह मक़िदस की तमाम चीज़ें मूसा के का परदा लगाना। 4 इसके बाद मख़सूस रोिटयाें
पास ले आए यानी मुक़द्दस ख़ै मा और उसका की मे ज़ मुक़द्दस कमरे में लाकर उस पर तमाम
सारा सामान, उस की हुकें, दीवाराें के तख़्ते , ज़रूरी सामान रखना। उस कमरे में शमादान
शहतीर, सतून और पाए, 34 ख़ै मे पर में ढाें की भी ले आना और उस पर उसके चराग़ रखना।
सुख़र् रँ गी हुई खालाें का िग़लाफ़ और तख़स 5 बख़ूर की सोने की क़ुरबानगाह उस परदे के

की खालाें का िग़लाफ़, मुक़द्दसतरीन कमरे के सामने रखना िजसके पीछे अहद का सं दूक़ है ।
दरवाज़े का परदा, 35 अहद का सं दूक़ िजसमें िफर ख़ै मे में दािख़ल होने के दरवाज़े पर परदा
शरीअत की तिख़्तयाँ रखनी थीं, उसे उठाने लगाना। 6 जानवराें को चढ़ाने की क़ुरबानगाह
की लकिड़याँ और उसका ढकना, 36 मख़सूस सहन में ख़ै मे के दरवाज़े के सामने रखी जाए।
रोिटयाें की मे ज़, उसका सारा सामान और 7 ख़ै मे और इस क़ुरबानगाह के दरिमयान धोने

रोिटयाँ , 37 ख़ािलस सोने का शमादान और का हौज़ रखकर उसमें पानी डालना। 8 सहन की
उस पर रखने के चराग़ उसके सारे सामान चारदीवारी खड़ी करके उसके दरवाज़े का परदा
समे त, शमादान के िलए ते ल, 38 बख़ूर जलाने लगाना।
की सोने की क़ुरबानगाह, मसह का ते ल, 9 िफर मसह का ते ल ले कर उसे ख़ै मे और

ख़ुशबूदार बख़ूर, मुक़द्दस ख़ै मे के दरवाज़े का उसके सारे सामान पर िछड़क दे ना। याें तू उसे
परदा, 39 जानवराें को चढ़ाने की पीतल की मे रे िलए मख़सूस करे गा और वह मुक़द्दस होगा।
क़ुरबानगाह, उसका पीतल का जं गला, उसे 10 िफर जानवराें को चढ़ाने की क़ुरबानगाह और

उठाने की लकिड़याँ और बाक़ी सारा सामान, उसके सामान पर मसह का ते ल िछड़कना।


धोने का हौज़ और वह ढाँ चा िजस पर हौज़ याें तू उसे मे रे िलए मख़सूस करे गा और वह
रखना था, 40 चारदीवारी के परदे उनके खं बाें िनहायत मुक़द्दस होगा। 11 इसी तरह हौज़ और
और पाइयाें समे त, सहन के दरवाज़े का परदा, उस ढाँ चे को भी मख़सूस करना िजस पर हौज़
चारदीवारी के रस्से और मे ख़ें, मुलाक़ात के ख़ै मे रखा गया है ।
में िख़दमत करने का बाक़ी सारा सामान 41 और 12 हारून और उसके बे टाें को मुलाक़ात के

मक़िदस में िख़दमत करने के वह मुक़द्दस ख़ै मे के दरवाज़े पर लाकर ग़ुस्ल कराना। 13 िफर
िलबास जो हारून और उसके बे टाें को पहनने हारून को मुक़द्दस िलबास पहनाना और उसे
थे । मसह करके मे रे िलए मख़सूसो-मुक़द्दस करना
42 सब कुछ उन िहदायात के मुतािबक़ बनाया तािक इमाम के तौर पर मे री िख़दमत करे ।
गया था जो रब ने मूसा को दी थीं। 43 मूसा ने 14 उसके बे टाें को लाकर उन्हें ज़े रजामे पहना

तमाम चीज़ाें का मुआयना िकया और मालूम दे ना। 15 उन्हें उनके वािलद की तरह मसह करना
िकया िक उन्हाें ने सब कुछ रब की िहदायात के तािक वह भी इमामाें के तौर पर मे री िख़दमत
मुतािबक़ बनाया था। तब उसने उन्हें बरकत दी। करें । जब उन्हें मसह िकया जाएगा तो वह और
बाद में उनकी औलाद हमे शा तक मक़िदस में
मक़िदस को खड़ा करने की िहदायात इस िख़दमत के िलए मख़सूस हाें गे।”

40 िफर रब ने मूसा से कहा, 2 “पहले


महीने की पहली तारीख़ को
मुलाक़ात का ख़ै मा खड़ा करना। 3 अहद
मक़िदस को खड़ा िकया जाता है
16 मूसा ने सब कुछ रब की िहदायात के

का सं दूक़ िजसमें शरीअत की तिख़्तयाँ हैं मुतािबक़ िकया। 17 पहले महीने की पहली
121 ख़ुरूज 40:38
तारीख़ को मुक़द्दस ख़ै मा खड़ा िकया गया। उन्हें उस पर उसने रब की िहदायत के ऐन मुतािबक़
िमसर से िनकले पूरा एक साल हो गया था। भस्म होने वाली क़ुरबािनयाँ और ग़ल्ला की नज़रें
18 मूसा ने दीवार के तख़्ताें को उनके पाइयाें पर चढ़ाइर्ं ।
खड़ा करके उनके साथ शहतीर लगाए। इसी 30 उसने धोने के हौज़ को ख़ै मे और उस

तरह उसने सतूनाें को भी खड़ा िकया। 19 उसने क़ुरबानगाह के दरिमयान रखकर उसमें पानी
रब की िहदायात के ऐन मुतािबक़ दीवाराें पर डाल िदया। 31 मूसा, हारून और उसके बे टे उसे
कपड़े का ख़ै मा लगाया और उस पर दूसरे अपने हाथ-पाँ व धोने के िलए इस्ते माल करते
िग़लाफ़ रखे । थे । 32 जब भी वह मुलाक़ात के ख़ै मे में दािख़ल
20 उसने शरीअत की दोनाें तिख़्तयाँ ले कर होते या जानवराें को चढ़ाने की क़ुरबानगाह के
अहद के सं दूक़ में रख दीं, उठाने के िलए पास आते तो रब की िहदायत के ऐन मुतािबक़
लकिड़याँ सं दूक़ के कड़ाें में डाल दीं और पहले ग़ुस्ल करते ।
कफ़्फ़ारे का ढकना उस पर लगा िदया। 21 िफर 33 आिख़र में मूसा ने ख़ै मा, क़ुरबानगाह और

उसने रब की िहदायात के ऐन मुतािबक़ सं दूक़ चारदीवारी खड़ी करके सहन के दरवाज़े का


को मुक़द्दसतरीन कमरे में रखकर उसके दरवाज़े परदा लगा िदया। याें मूसा ने मक़िदस की तामीर
का परदा लगा िदया। याें अहद के सं दूक़ पर मुकम्मल की।
परदा पड़ा रहा। 22 मूसा ने मख़सूस रोिटयाें की
मे ज़ मुक़द्दस कमरे के िशमाली िहस्से में उस ख़ै मे में रब का जलाल
परदे के सामने रख दी िजसके पीछे अहद का 34 िफर मुलाक़ात के ख़ै मे पर बादल छा गया
सं दूक़ था। 23 उसने रब की िहदायत के ऐन और मक़िदस रब के जलाल से भर गया।
मुतािबक़ रब के िलए मख़सूस की हुई रोिटयाँ 35 मूसा ख़ै मे में दािख़ल न हो सका, क्याें िक

मे ज़ पर रखीं। 24 उसी कमरे के जुनूबी िहस्से बादल उस पर ठहरा हुआ था और मक़िदस रब


में उसने शमादान को मे ज़ के मुक़ािबल रख के जलाल से भर गया था।
िदया। 25 उस पर उसने रब की िहदायत के ऐन 36 तमाम सफ़र के दौरान जब भी मक़िदस

मुतािबक़ रब के सामने चराग़ रख िदए। 26 उसने के ऊपर से बादल उठता तो इसराईली सफ़र
बख़ूर की सोने की क़ुरबानगाह भी उसी कमरे के िलए तै यार हो जाते । 37 अगर वह न उठता
में रखी, उस परदे के िबलकुल सामने िजसके तो वह उस वक़्त तक ठहरे रहते जब तक बादल
पीछे अहद का सं दूक़ था। 27 उसने उस पर रब उठ न जाता। 38 िदन के वक़्त बादल मक़िदस के
की िहदायत के ऐन मुतािबक़ ख़ुशबूदार बख़ूर ऊपर ठहरा रहता और रात के वक़्त वह तमाम
जलाया। इसराईिलयाें को आग की सूरत में नज़र आता
28 िफर उसने ख़ै मे का दरवाज़ा लगा िदया। था। यह िसलिसला पूरे सफ़र के दौरान जारी
29 बाहर जाकर उसने जानवराें को चढ़ाने की रहा।
क़ुरबानगाह ख़ै मे के दरवाज़े के सामने रख दी।
अहबार

भस्म होने वाली क़ुरबानी 10 अगर भस्म होने वाली क़ुरबानी भे ड़-

1 रब ने मुलाक़ात के ख़ै मे में से मूसा


को बुलाकर कहा 2 िक इसराईिलयाें को
इत्तला दे ,
बकिरयाें में से चुनी जाए तो वह बे ऐब नर हो।
11 पे श करने वाला उसे रब के सामने क़ुरबानगाह

की िशमाली िसम्त में ज़बह करे । िफर हारून


“अगर तुममें से कोई रब को क़ुरबानी पे श के बे टे जो इमाम हैं उसका ख़ून क़ुरबानगाह
करना चाहे तो वह अपने गाय-बै लाें या भे ड़- के चार पहलुआें पर िछड़कें। 12 इसके बाद
बकिरयाें में से जानवर चुन ले । पे श करने वाला जानवर के टु कड़े टु कड़े करे
3 अगर वह अपने गाय-बै लाें में से भस्म और इमाम यह टु कड़े सर और चरबी समे त
होने वाली क़ुरबानी चढ़ाना चाहे तो वह बे ऐब बै ल क़ुरबानगाह की जलती हुई लकिड़याें पर
चुनकर उसे मुलाक़ात के ख़ै मे के दरवाज़े पर तरतीब से रखे । 13 लािज़म है िक क़ुरबानी पे श
पे श करे तािक रब उसे क़बूल करे । 4 क़ुरबानी करने वाला पहले जानवर की अं तिड़याँ और
पे श करने वाला अपना हाथ जानवर के सर पर िंपडिलयाँ धोए, िफर इमाम पूरे जानवर को रब
रखे तो यह क़ुरबानी मक़बूल होकर उसका को पे श करके क़ुरबानगाह पर जला दे । इस
कफ़्फ़ारा दे गी। 5 क़ुरबानी पे श करने वाला बै ल जलने वाली क़ुरबानी की ख़ुशबू रब को पसं द
को वहाँ रब के सामने ज़बह करे । िफर हारून है ।
के बे टे जो इमाम हैं उसका ख़ून रब को पे श 14 अगर भस्म होने वाली क़ुरबानी पिंरदा हो

करके उसे दरवाज़े पर की क़ुरबानगाह के चार तो वह क़ुम्री या जवान कबूतर हो। 15 इमाम उसे
पहलुआें पर िछड़कें। 6 इसके बाद क़ुरबानी क़ुरबानगाह के पास ले आए और उसका सर
पे श करने वाला खाल उतारकर जानवर के मरोड़कर क़ुरबानगाह पर जला दे । वह उसका
टु कड़े टु कड़े करे । 7 इमाम क़ुरबानगाह पर आग ख़ून याें िनकलने दे िक वह क़ुरबानगाह की
लगाकर उस पर तरतीब से लकिड़याँ चुनें। 8 उस एक तरफ़ से नीचे टपके। 16 वह उसका पोटा
पर वह जानवर के टु कड़े सर और चरबी समे त और जो उसमें है दूर करके क़ुरबानगाह की
रखें । 9 लािज़म है िक क़ुरबानी पे श करने वाला मशिरक़ी िसम्त में फेंक दे , वहाँ जहाँ राख फेंकी
पहले जानवर की अं तिड़याँ और िंपडिलयाँ जाती है । 17 उसे पे श करते वक़्त इमाम उसके
धोए, िफर इमाम पूरे जानवर को क़ुरबानगाह पर पकड़कर पिंरदे को फाड़ डाले , ले िकन याें
पर जला दे । इस जलने वाली क़ुरबानी की ख़ुशबू िक वह िबलकुल टु कड़े टु कड़े न हो जाए। िफर
रब को पसं द है । इमाम उसे क़ुरबानगाह पर जलती हुई लकिड़याें
123 अहबार 3:6
पर जला दे । इस जलने वाली क़ुरबानी की ख़ुशबू िक तुम रब को जलने वाली क़ुरबानी पे श करते
रब को पसं द है । वक़्त न ख़मीर, न शहद जलाओ। 12 यह चीज़ें
फ़सल के पहले फलाें के साथ रब को पे श की
ग़ल्ला की नज़र जा सकती हैं , ले िकन उन्हें क़ुरबानगाह पर न

2 अगर कोई रब को ग़ल्ला की नज़र पे श जलाया जाए, क्याें िक वहाँ रब को उनकी ख़ुशबू
करना चाहे तो वह इसके िलए बे हतरीन पसं द नहीं है । 13 ग़ल्ला की हर नज़र में नमक हो,
मै दा इस्ते माल करे । उस पर वह ज़ै तून का ते ल क्याें िक नमक उस अहद की नुमाइं दगी करता
उं डे ले और लुबान रखकर 2 उसे हारून के बे टाें है जो ते रे ख़ुदा ने ते रे साथ बाँ धा है । तुझे हर
के पास ले आए जो इमाम हैं । इमाम ते ल से क़ुरबानी में नमक डालना है ।
िमलाया गया मुट्ठी-भर मै दा और तमाम लुबान 14 अगर तू ग़ल्ला की नज़र के िलए फ़सल के

ले कर क़ुरबानगाह पर जला दे । यह यादगार का पहले फल पे श करना चाहे तो कुचली हुई कच्ची


िहस्सा है , और उस की ख़ुशबू रब को पसं द है । बािलयाँ भूनकर पे श करना। 15 चूँिक वह ग़ल्ला
3 बाक़ी मै दा और ते ल हारून और उसके बे टाें का की नज़र है इसिलए उस पर ते ल उं डे लना और

िहस्सा है । वह रब की जलने वाली क़ुरबािनयाें में लुबान रखना। 16 कुचले हुए दानाें और ते ल का
से एक िनहायत मुक़द्दस िहस्सा है । जो िहस्सा रब का है यानी यादगार का िहस्सा
4 अगर यह क़ुरबानी तनूर में पकाई हुई रोटी उसे इमाम तमाम लुबान के साथ जला दे । यह

हो तो उसमें ख़मीर न हो। इसकी दो िक़स्में हो नज़र रब के िलए जलने वाली क़ुरबानी है ।
सकती हैं , रोिटयाँ जो बे हतरीन मै दे और ते ल से
बनी हुई हाें और रोिटयाँ िजन पर ते ल लगाया सलामती की क़ुरबानी
गया हो।
5 अगर यह क़ुरबानी तवे पर पकाई हुई रोटी 3 अगर कोई रब को सलामती की
क़ुरबानी पे श करने के िलए गाय या
हो तो वह बे हतरीन मै दे और ते ल की हो। उसमें बै ल चढ़ाना चाहे तो वह जानवर बे ऐब हो।
ख़मीर न हो। 6 चूँिक वह ग़ल्ला की नज़र है 2 वह अपना हाथ जानवर के सर पर रखकर
इसिलए रोटी को टु कड़े टु कड़े करना और उस उसे मुलाक़ात के ख़ै मे के दरवाज़े पर ज़बह
पर ते ल डालना। करे । हारून के बे टे जो इमाम हैं उसका
7 अगर यह क़ुरबानी कड़ाही में पकाई हुई रोटी ख़ून क़ुरबानगाह के चार पहलुआें पर िछड़कें।

हो तो वह बे हतरीन मै दे और ते ल की हो। 3-4 पे श करने वाला अं तिड़याें पर की सारी चरबी,

8 अगर तू इन चीज़ाें की बनी हुई ग़ल्ला की गुरदे उस चरबी समे त जो उन पर और कमर

नज़र रब के हुज़ूर लाना चाहे तो उसे इमाम के क़रीब होती है और जोड़कले जी जलने वाली
को पे श करना। वही उसे क़ुरबानगाह के पास क़ुरबानी के तौर पर रब को पे श करे । इन चीज़ाें
ले आए। 9 िफर इमाम यादगार का िहस्सा को गुरदाें के साथ ही अलग करना है । 5 िफर
अलग करके उसे क़ुरबानगाह पर जला दे । ऐसी हारून के बे टे यह सब कुछ भस्म होने वाली
क़ुरबानी की ख़ुशबू रब को पसं द है । 10 क़ुरबानी क़ुरबानी के साथ क़ुरबानगाह की लकिड़याें
का बाक़ी िहस्सा हारून और उसके बे टाें के िलए पर जला दें । यह जलने वाली क़ुरबानी है , और
है । वह रब की जलने वाली क़ुरबािनयाें में से एक इसकी ख़ुशबू रब को पसं द है ।
िनहायत मुक़द्दस िहस्सा है । 6 अगर सलामती की क़ुरबानी के िलए भे ड़-

11 ग़ल्ला की िजतनी नज़रें तुम रब को पे श बकिरयाें में से जानवर चुना जाए तो वह बे ऐब

करते हो उनमें ख़मीर न हो, क्याें िक लािज़म है नर या मादा हो।


अहबार 3:7 124
7 अगर वह भे ड़ का बच्चा चढ़ाना चाहे तो इमाम के िलए गुनाह की क़ुरबानी
वह उसे रब के सामने ले आए। 8 वह अपना 3 अगर इमामे -आज़म गुनाह करे और नतीजे
हाथ उसके सर पर रखकर उसे मुलाक़ात के में पूरी क़ौम क़ुसूरवार ठहरे तो िफर वह रब
ख़ै मे के सामने ज़बह करे । हारून के बे टे उसका को एक बे ऐब जवान बै ल ले कर गुनाह की
ख़ून क़ुरबानगाह के चार पहलुआें पर िछड़कें। क़ुरबानी के तौर पर पे श करे । 4 वह जवान बै ल
9-10 पे श करने वाला चरबी, पूरी दुम, अं तिड़याें को मुलाक़ात के ख़ै मे के दरवाज़े के पास ले
पर की सारी चरबी, गुरदे उस चरबी समे त आए और अपना हाथ उसके सर पर रखकर
जो उन पर और कमर के क़रीब होती है और उसे रब के सामने ज़बह करे । 5 िफर वह जानवर
जोड़कले जी जलने वाली क़ुरबानी के तौर पर रब के ख़ून में से कुछ ले कर ख़ै मे में जाए। 6 वहाँ
को पे श करे । इन चीज़ाें को गुरदाें के साथ ही वह अपनी उँ गली उसमें डालकर उसे सात बार
अलग करना है । 11 इमाम यह सब कुछ रब को रब के सामने यानी मुक़द्दसतरीन कमरे के परदे
पे श करके क़ुरबानगाह पर जला दे । यह ख़ुराक पर िछड़के। 7 िफर वह ख़ै मे के अं दर की उस
जलने वाली क़ुरबानी है । क़ुरबानगाह के चाराें सींगाें पर ख़ून लगाए िजस
12 अगर सलामती की क़ुरबानी बकरी की पर बख़ूर जलाया जाता है । बाक़ी ख़ून वह बाहर
हो 13 तो पे श करने वाला उस पर हाथ रखकर ख़ै मे के दरवाज़े पर की उस क़ुरबानगाह के पाए
उसे मुलाक़ात के ख़ै मे के सामने ज़बह करे । पर उं डे ले िजस पर जानवर जलाए जाते हैं ।
हारून के बे टे जानवर का ख़ून क़ुरबानगाह के 8 जवान बै ल की सारी चरबी, अं तिड़याें पर की

चार पहलुआें पर िछड़कें। 14-15 पे श करने वाला सारी चरबी, 9 गुरदे उस चरबी समे त जो उन पर
अं तिड़याें पर की सारी चरबी, गुरदे उस चरबी और कमर के क़रीब होती है और जोड़कले जी
समे त जो उन पर और कमर के क़रीब होती है को गुरदाें के साथ ही अलग करना है । 10 यह
और जोड़कले जी जलने वाली क़ुरबानी के तौर िबलकुल उसी तरह िकया जाए िजस तरह उस
पर रब को पे श करे । इन चीज़ाें को गुरदाें के बै ल के साथ िकया गया जो सलामती की
साथ ही अलग करना है । 16 इमाम यह सब कुछ क़ुरबानी के िलए पे श िकया जाता है । इमाम
रब को पे श करके क़ुरबानगाह पर जला दे । यह सब कुछ उस क़ुरबानगाह पर जला दे
यह ख़ुराक जलने वाली क़ुरबानी है , और इसकी िजस पर जानवर जलाए जाते हैं । 11 ले िकन
ख़ुशबू रब को पसं द है । वह उस की खाल, उसका सारा गोश्त, सर
सारी चरबी रब की है । 17 तुम्हारे िलए ख़ून या और िंपडिलयाँ , अं तिड़याँ और उनका गोबर
चरबी खाना मना है । यह न िसफ़र् तुम्हारे िलए 12 ख़ै मागाह के बाहर ले जाए। यह चीज़ें उस

मना है बिल्क तुम्हारी औलाद के िलए भी, न पाक जगह पर जहाँ क़ुरबािनयाें की राख फेंकी
िसफ़र् यहाँ बिल्क हर जगह जहाँ तुम रहते हो।” जाती है लकिड़याें पर रखकर जला दे नी हैं ।

गुनाह की क़ुरबानी क़ौम के िलए गुनाह की क़ुरबानी

4 रब ने मूसा से कहा, “इसराईिलयाें अगर इसराईल की पूरी जमात ने ग़ै रइरादी


2 13

को बताना िक जो भी ग़ै रइरादी तौर पर तौर पर गुनाह करके रब के िकसी हुक्म से


गुनाह करके रब के िकसी हुक्म को तोड़े वह यह तजावुज़ िकया है और जमात को मालूम नहीं
करे : था तो भी वह क़ुसूरवार है । 14 जब लोगाें को
पता लगे िक हमने गुनाह िकया है तो जमात
मुलाक़ात के ख़ै मे के पास एक जवान बै ल ले
125 अहबार 4:35
आए और उसे गुनाह की क़ुरबानी के तौर पर है । याें इमाम उस आदमी का कफ़्फ़ारा दे गा और
पे श करे । 15 जमात के बुज़ुगर् रब के सामने अपने उसे मुआफ़ी हािसल हो जाएगी।
हाथ उसके सर पर रखें , और वह वहीं ज़बह
िकया जाए। 16 िफर इमामे -आज़म जानवर के आम लोगाें के िलए गुनाह की क़ुरबानी
ख़ून में से कुछ ले कर मुलाक़ात के ख़ै मे में जाए। 27 अगर कोई आम शख़्स ग़ै रइरादी तौर पर

17 वहाँ वह अपनी उँ गली उसमें डालकर उसे गुनाह करके रब के िकसी हुक्म से तजावुज़ करे
सात बार रब के सामने यानी मुक़द्दसतरीन कमरे और याें क़ुसूरवार ठहरे तो 28 जब भी उसे पता
के परदे पर िछड़के। 18 िफर वह ख़ै मे के अं दर की लगे िक मुझसे गुनाह हुआ है तो वह क़ुरबानी के
उस क़ुरबानगाह के चाराें सींगाें पर ख़ून लगाए िलए एक बे ऐब बकरी ले आए। 29 वह अपना
िजस पर बख़ूर जलाया जाता है । बाक़ी ख़ून हाथ बकरी के सर पर रखकर उसे वहाँ ज़बह
वह बाहर ख़ै मे के दरवाज़े की उस क़ुरबानगाह करे जहाँ भस्म होने वाली क़ुरबािनयाँ ज़बह की
के पाए पर उं डे ले िजस पर जानवर जलाए जाती हैं । 30 इमाम अपनी उँ गली ख़ून में डालकर
जाते हैं । 19 इसके बाद वह उस की तमाम चरबी उसे उस क़ुरबानगाह के चाराें सींगाें पर लगाए
िनकालकर क़ुरबानगाह पर जला दे । 20 उस बै ल िजस पर जानवर जलाए जाते हैं । बाक़ी ख़ून वह
के साथ वह सब कुछ करे जो उसे अपने ज़ाती क़ुरबानगाह के पाए पर उं डे ले । 31 िफर वह उस
ग़ै रइरादी गुनाह के िलए करना होता है । याें वह की सारी चरबी उस तरह िनकाले िजस तरह वह
लोगाें का कफ़्फ़ारा दे गा और उन्हें मुआफ़ी िमल सलामती की क़ुरबािनयाें की चरबी िनकालता
जाएगी। 21 आिख़र में वह बै ल को ख़ै मागाह के है । इसके बाद वह उसे क़ुरबानगाह पर जला दे ।
बाहर ले जाकर उस तरह जला दे िजस तरह ऐसी क़ुरबानी की ख़ुशबू रब को पसं द है । याें
उसे अपने िलए बै ल को जला दे ना होता है । यह इमाम उस आदमी का कफ़्फ़ारा दे गा और उसे
जमात का गुनाह दूर करने की क़ुरबानी है । मुआफ़ी हािसल हो जाएगी।
32 अगर वह गुनाह की क़ुरबानी के िलए भे ड़

क़ौम के राहनुमा के िलए का बच्चा लाना चाहे तो वह बे ऐब मादा हो।


गुनाह की क़ुरबानी 33 वह अपना हाथ उसके सर पर रखकर उसे

22 अगर कोई सरदार ग़ै रइरादी तौर पर गुनाह वहाँ ज़बह करे जहाँ भस्म होने वाली क़ुरबािनयाँ
करके रब के िकसी हुक्म से तजावुज़ करे और ज़बह की जाती हैं । 34 इमाम अपनी उँ गली ख़ून
याें क़ुसूरवार ठहरे तो 23 जब भी उसे पता लगे में डालकर उसे उस क़ुरबानगाह के चाराें सींगाें
िक मुझसे गुनाह हुआ है तो वह क़ुरबानी के पर लगाए िजस पर जानवर जलाए जाते हैं ।
िलए एक बे ऐब बकरा ले आए। 24 वह अपना बाक़ी ख़ून वह क़ुरबानगाह के पाए पर उं डे ले ।
हाथ बकरे के सर पर रखकर उसे वहाँ ज़बह करे 35 िफर वह उस की तमाम चरबी उस तरह

जहाँ भस्म होने वाली क़ुरबािनयाँ ज़बह की जाती िनकाले िजस तरह सलामती की क़ुरबानी के
हैं । यह गुनाह की क़ुरबानी है । 25 इमाम अपनी िलए ज़बह िकए गए जवान में ढे की चरबी
उँ गली ख़ून में डालकर उसे उस क़ुरबानगाह िनकाली जाती है । इसके बाद इमाम चरबी को
के चाराें सींगाें पर लगाए िजस पर जानवर क़ुरबानगाह पर उन क़ुरबािनयाें समे त जला दे
जलाए जाते हैं । बाक़ी ख़ून वह क़ुरबानगाह के जो रब के िलए जलाई जाती हैं । याें इमाम उस
पाए पर उं डे ले । 26 िफर वह उस की सारी चरबी आदमी का कफ़्फ़ारा दे गा और उसे मुआफ़ी
क़ुरबानगाह पर उस तरह जला दे िजस तरह वह िमल जाएगी।
सलामती की क़ुरबािनयाें की चरबी जला दे ता
अहबार 5:1 126
गुनाह की क़ुरबािनयाें के बारे वह क़ुरबानगाह के पाए पर टपके। यह गुनाह
में ख़ास िहदायात की क़ुरबानी है । 10 िफर इमाम दूसरे पिंरदे को

5 हो सकता है िक िकसी ने याें गुनाह


िकया िक उसने कोई जुमर् दे खा या वह
उसके बारे में कुछ जानता है । तो भी जब गवाहाें
क़वायद के मुतािबक़ भस्म होने वाली क़ुरबानी
के तौर पर पे श करे । याें इमाम उस आदमी का
कफ़्फ़ारा दे गा और उसे मुआफ़ी िमल जाएगी।
को क़सम के िलए बुलाया जाता है तो वह 11 अगर वह शख़्स ग़ुरबत के बाइस दो

गवाही दे ने के िलए सामने नहीं आता। इस सूरत क़ुिम्रयाँ या दो जवान कबूतर भी न दे सके
में वह क़ुसूरवार ठहरता है । तो िफर वह गुनाह की क़ुरबानी के िलए डे ढ़
2 हो सकता है िक िकसी ने ग़ै रइरादी तौर िकलोग्राम बे हतरीन मै दा पे श करे । वह उस पर
पर िकसी नापाक चीज़ को छू िलया है , ख़ाह न ते ल उं डे ले , न लुबान रखे , क्याें िक यह ग़ल्ला
वह िकसी जं गली जानवर, मवे शी या रें गने वाले की नज़र नहीं बिल्क गुनाह की क़ुरबानी है ।
जानवर की लाश क्याें न हो। इस सूरत में वह 12 वह उसे इमाम के पास ले आए जो यादगार

नापाक है और क़ुसूरवार ठहरता है । का िहस्सा यानी मुट्ठी-भर उन क़ुरबािनयाें के


3 हो सकता है िक िकसी ने ग़ै रइरादी तौर पर साथ जला दे जो रब के िलए जलाई जाती हैं ।
िकसी शख़्स की नापाकी को छू िलया है यानी यह गुनाह की क़ुरबानी है । 13 याें इमाम उस
उस की कोई ऐसी चीज़ िजससे वह नापाक हो आदमी का कफ़्फ़ारा दे गा और उसे मुआफ़ी
गया है । जब उसे मालूम हो जाता है तो वह िमल जाएगी। ग़ल्ला की नज़र की तरह बाक़ी
क़ुसूरवार ठहरता है । मै दा इमाम का िहस्सा है ।”
4 हो सकता है िक िकसी ने बे परवाई से कुछ

करने की क़सम खाई है , चाहे वह अच्छा काम क़ुसूर की क़ुरबानी


था या ग़लत। जब वह जान ले ता है िक उसने 14 रब ने मूसा से कहा, 15 “अगर िकसी
क्या िकया है तो वह क़ुसूरवार ठहरता है । ने बे ईमानी करके ग़ै रइरादी तौर पर रब की
5 जो इस तरह के िकसी गुनाह की िबना पर मख़सूस और मुक़द्दस चीज़ाें के िसलिसले में
क़ुसूरवार हो, लािज़म है िक वह अपना गुनाह गुनाह िकया हो, ऐसा शख़्स क़ुसूर की क़ुरबानी
तसलीम करे । 6 िफर वह गुनाह की क़ुरबानी के के तौर पर रब को बे ऐब और क़ीमत के िलहाज़
तौर पर एक भे ड़ या बकरी पे श करे । याें इमाम से मुनािसब में ढा या बकरा पे श करे । उस की
उसका कफ़्फ़ारा दे गा। क़ीमत मक़िदस की शरह के मुतािबक़ मुक़रर् र
7 अगर क़ुसूरवार शख़्स ग़ुरबत के बाइस भे ड़ की जाए। 16 िजतना नुक़सान मक़िदस को हुआ
या बकरी न दे सके तो वह रब को दो क़ुिम्रयाँ है उतना ही वह दे । इसके अलावा वह मज़ीद 20
या दो जवान कबूतर पे श करे , एक गुनाह की फ़ीसद अदा करे । वह उसे इमाम को दे दे और
क़ुरबानी के िलए और एक भस्म होने वाली इमाम जानवर को क़ुसूर की क़ुरबानी के तौर पर
क़ुरबानी के िलए। 8 वह उन्हें इमाम के पास ले पे श करके उसका कफ़्फ़ारा दे । याें उसे मुआफ़ी
आए। इमाम पहले गुनाह की क़ुरबानी के िलए िमल जाएगी।
पिंरदा पे श करे । वह उस की गरदन मरोड़ डाले 17 अगर कोई ग़ै रइरादी तौर पर गुनाह करके

ले िकन ऐसे िक सर जुदा न हो जाए। 9 िफर वह रब के िकसी हुक्म से तजावुज़ करे तो वह


उसके ख़ून में से कुछ क़ुरबानगाह के एक पहलू क़ुसूरवार है , और वह उसका िज़म्मे दार ठहरे गा।
पर िछड़के। बाक़ी ख़ून वह याें िनकलने दे िक 18 वह क़ुसूर की क़ुरबानी के तौर पर इमाम

के पास एक बे ऐब और क़ीमत के िलहाज़ से


127 अहबार 6:20
मुनािसब में ढा ले आए। उस की क़ीमत मक़िदस उस जगह पर रहे जहाँ आग जलती है । आग
की शरह के मुतािबक़ मुक़रर् र की जाए। िफर को बुझने न दे ना। 10 सुबह को इमाम कतान
इमाम यह क़ुरबानी उस गुनाह के िलए चढ़ाए का िलबास और कतान का पाजामा पहनकर
जो क़ुसूरवार शख़्स ने ग़ै रइरादी तौर पर िकया क़ुरबानी से बची हुई राख क़ुरबानगाह के पास
है । याें उसे मुआफ़ी िमल जाएगी। 19 यह क़ुसूर ज़मीन पर डाले । 11 िफर वह अपने कपड़े
की क़ुरबानी है , क्याें िक वह रब का गुनाह करके बदलकर राख को ख़ै मागाह के बाहर िकसी
क़ुसूरवार ठहरा है ।” पाक जगह पर छोड़ आए। 12 क़ुरबानगाह पर

6 रब ने मूसा से कहा, 2 “हो सकता है


िकसी ने गुनाह करके बे ईमानी की है ,
मसलन उसने अपने पड़ोसी की कोई चीज़
आग जलती रहे । वह कभी भी न बुझे। हर सुबह
इमाम लकिड़याँ चुनकर उस पर भस्म होने वाली
क़ुरबानी तरतीब से रखे और उस पर सलामती
वापस नहीं की जो उसके सुपुदर् की गई थी या की क़ुरबानी की चरबी जला दे । 13 आग हमे शा
जो उसे िगरवी के तौर पर िमली थी, या उसने जलती रहे । वह कभी न बुझने पाए।
उस की कोई चीज़ चोरी की, या उसने िकसी
से कोई चीज़ छीन ली, 3 या उसने िकसी की ग़ल्ला की नज़र
गुमशुदा चीज़ के बारे में झूट बोला जब उसे िमल 14 ग़ल्ला की नज़र के बारे में िहदायात यह
गई, या उसने क़सम खाकर झूट बोला है , या हैं : हारून के बे टे उसे क़ुरबानगाह के सामने
इस तरह का कोई और गुनाह िकया है । 4 अगर रब को पे श करें । 15 िफर इमाम यादगार का
वह इस तरह का गुनाह करके क़ुसूरवार ठहरे िहस्सा यानी ते ल से िमलाया गया मुट्ठी-भर
तो लािज़म है िक वह वही चीज़ वापस करे जो बे हतरीन मै दा और क़ुरबानी का तमाम लुबान
उसने चोरी की या छीन ली या जो उसके सुपुदर् ले कर क़ुरबानगाह पर जला दे । इसकी ख़ुशबू
की गई या जो गुमशुदा होकर उसके पास आ रब को पसं द है । 16 हारून और उसके बे टे
गई है 5 या िजसके बारे में उसने क़सम खाकर क़ुरबानी का बाक़ी िहस्सा खा लें । ले िकन वह
झूट बोला है । वह उसका उतना ही वापस करके उसे मुक़द्दस जगह पर यानी मुलाक़ात के ख़ै मे
20 फ़ीसद ज़्यादा दे । और वह यह सब कुछ की चारदीवारी के अं दर खाएँ , और उसमें ख़मीर
उस िदन वापस करे जब वह अपनी क़ुसूर की न हो। 17 उसे पकाने के िलए उसमें ख़मीर न
क़ुरबानी पे श करता है । 6 क़ुसूर की क़ुरबानी के डाला जाए। मैं ने जलने वाली क़ुरबािनयाें में से
तौर पर वह एक बे ऐब और क़ीमत के िलहाज़ से यह िहस्सा उनके िलए मुक़रर् र िकया है । यह
मुनािसब में ढा इमाम के पास ले आए और रब गुनाह की क़ुरबानी और क़ुसूर की क़ुरबानी की
को पे श करे । उस की क़ीमत मक़िदस की शरह तरह िनहायत मुक़द्दस है । 18 हारून की औलाद
के मुतािबक़ मुक़रर् र की जाए। 7 िफर इमाम रब के तमाम मदर् उसे खाएँ । यह उसूल अबद तक
के सामने उसका कफ़्फ़ारा दे गा तो उसे मुआफ़ी क़ायम रहे । जो भी उसे छु एगा वह मख़सूसो-
िमल जाएगी।” मुक़द्दस हो जाएगा।”
19 रब ने मूसा से कहा, 20 “जब हारून और

भस्म होने वाली क़ुरबानी उसके बे टाें को इमाम की िज़म्मे दारी उठाने
8 रब ने मूसा से कहा, 9 “हारून और उसके के िलए मख़सूस करके ते ल से मसह िकया
बे टाें को भस्म होने वाली क़ुरबािनयाें के बारे जाएगा तो वह डे ढ़ िकलोग्राम बे हतरीन मै दा
में ज़ै ल की िहदायात दे ना : भस्म होने वाली पे श करें । उसका आधा िहस्सा सुबह को और
क़ुरबानी पूरी रात सुबह तक क़ुरबानगाह की आधा िहस्सा शाम के वक़्त पे श िकया जाए।
अहबार 6:21 128
वह ग़ल्ला की यह नज़र रोज़ाना पे श करें । 21 उसे 2 क़ुसूर की क़ुरबानी वहीं ज़बह करनी है
ते ल के साथ िमलाकर तवे पर पकाना है । िफर जहाँ भस्म होने वाली क़ुरबानी ज़बह की जाती
उसे टु कड़े टु कड़े करके ग़ल्ला की नज़र के तौर है । उसका ख़ून क़ुरबानगाह के चार पहलुआें
पर पे श करना। उस की ख़ुशबू रब को पसं द पर िछड़का जाए। 3 उस की तमाम चरबी
है । 22 यह क़ुरबानी हमे शा हारून की नसल का िनकालकर क़ुरबानगाह पर चढ़ानी है यानी
वह आदमी पे श करे िजसे मसह करके इमामे - उस की दुम, अं तिड़याें पर की चरबी, 4 गुरदे
आज़म का ओहदा िदया गया है , और वह उसे उस चरबी समे त जो उन पर और कमर के
पूरे तौर पर रब के िलए जला दे । 23 इमाम की क़रीब होती है और जोड़कले जी। इन चीज़ाें को
ग़ल्ला की नज़र हमे शा पूरे तौर पर जलाना। उसे गुरदाें के साथ ही अलग करना है । 5 इमाम यह
न खाना।” सब कुछ रब को क़ुरबानगाह पर जलने वाली
क़ुरबानी के तौर पर पे श करे । यह क़ुसूर की
गुनाह की क़ुरबानी क़ुरबानी है । 6 इमामाें के ख़ानदानाें में से तमाम
24 रब ने मूसा से कहा, 25 “हारून और उसके मदर् उसे खा सकते हैं । ले िकन उसे मुक़द्दस जगह
बे टाें को गुनाह की क़ुरबानी के बारे में ज़ै ल पर खाया जाए। यह िनहायत मुक़द्दस है ।
की िहदायात दे ना : गुनाह की क़ुरबानी को 7 गुनाह और क़ुसूर की क़ुरबानी के िलए एक

रब के सामने वहीं ज़बह करना है जहाँ भस्म ही उसूल है , जो इमाम क़ुरबानी को पे श करके
होने वाली क़ुरबानी ज़बह की जाती है । वह कफ़्फ़ारा दे ता है उसको उसका गोश्त िमलता
िनहायत मुक़द्दस है । 26 उसे पे श करने वाला है । 8 इस तरह जो इमाम िकसी जानवर को भस्म
इमाम उसे मुक़द्दस जगह पर यानी मुलाक़ात होने वाली क़ुरबानी के तौर पर चढ़ाता है उसी को
के ख़ै मे की चारदीवारी के अं दर खाए। 27 जो जानवर की खाल िमलती है । 9 और इसी तरह
भी इस क़ुरबानी के गोश्त को छू ले ता है वह तनूर में , कड़ाही में या तवे पर पकाई गई ग़ल्ला
मख़सूसो-मुक़द्दस हो जाता है । अगर क़ुरबानी की हर नज़र उस इमाम को िमलती है िजसने
के ख़ून के छींटे िकसी िलबास पर पड़ जाएँ तो उसे पे श िकया है । 10 ले िकन हारून के तमाम
उसे मुक़द्दस जगह पर धोना है । 28 अगर गोश्त बे टाें को ग़ल्ला की बाक़ी नज़रें बराबर बराबर
को हं िडया में पकाया गया हो तो उस बरतन को िमलती रहें , ख़ाह उनमें ते ल िमलाया गया हो
बाद में तोड़ दे ना है । अगर उसके िलए पीतल या वह ख़ुश्क हाें ।
का बरतन इस्ते माल िकया गया हो तो उसे ख़ूब
माँ झकर पानी से साफ़ करना। 29 इमामाें के सलामती की क़ुरबानी
ख़ानदानाें में से तमाम मदर् उसे खा सकते हैं । 11 सलामती
की क़ुरबानी जो रब को पे श की
जाती है उसके बारे में ज़ै ल की िहदायात हैं :
यह खाना िनहायत मुक़द्दस है । 30 ले िकन गुनाह
की हर वह क़ुरबानी खाई न जाए िजसका ख़ून 12 अगर कोई इस क़ुरबानी से अपनी

मुलाक़ात के ख़ै मे में इसिलए लाया गया है िकशुक्रगुज़ारी का इज़हार करना चाहे तो वह


मक़िदस में िकसी का कफ़्फ़ारा िदया जाए। उसे जानवर के साथ बे ख़मीरी रोटी िजसमें ते ल
जलाना है । डाला गया हो, बे ख़मीरी रोटी िजस पर ते ल
लगाया गया हो और रोटी िजसमें बे हतरीन
ुक़सूर की क़ुरबानी मै दा और ते ल िमलाया गया हो पे श करे ।

7 क़ुसूर की क़ुरबानी जो िनहायत मुक़द्दस 13 इसके अलावा वह ख़मीरी रोटी भी पे श करे ।


है उसके बारे में िहदायात यह हैं : 14 पे श करने वाला क़ुरबानी की हर चीज़ का एक
129 अहबार 7:38
िहस्सा उठाकर रब के िलए मख़सूस करे । यह जानवराें का ख़ून खाना मना है । 27 जो भी ख़ून
उस इमाम का िहस्सा है जो जानवर का ख़ून खाए उसे उस की क़ौम में से िमटाया जाए।”
क़ुरबानगाह पर िछड़कता है । 15 गोश्त उसी िदन
खाया जाए जब जानवर को ज़बह िकया गया क़ुरबािनयाें में से इमाम का िहस्सा
हो। अगली सुबह तक कुछ नहीं बचना चािहए। 28 रब ने मूसा से कहा, 29 “इसराईिलयाें को
16 इस क़ुरबानी का गोश्त िसफ़र् इस सूरत बताना िक जो रब को सलामती की क़ुरबानी
में अगले िदन खाया जा सकता है जब िकसी पे श करे वह रब के िलए एक िहस्सा मख़सूस
ने मन्नत मानकर या अपनी ख़ुशी से उसे पे श करे । 30 वह जलने वाली यह क़ुरबानी अपने
िकया है । 17 अगर कुछ गोश्त तीसरे िदन तक हाथाें से रब को पे श करे । इसके िलए वह
बच जाए तो उसे जलाना है । 18 अगर उसे तीसरे जानवर की चरबी और सीना रब के सामने पे श
िदन भी खाया जाए तो रब यह क़ुरबानी क़बूल करे । सीना िहलाने वाली क़ुरबानी हो। 31 इमाम
नहीं करे गा। उसका कोई फ़ायदा नहीं होगा चरबी को क़ुरबानगाह पर जला दे जबिक सीना
बिल्क उसे नापाक क़रार िदया जाएगा। जो भी हारून और उसके बे टाें का िहस्सा है । 32 क़ुरबानी
उससे खाएगा वह क़ुसूरवार ठहरे गा। 19 अगर की दहनी रान इमाम को उठाने वाली क़ुरबानी के
यह गोश्त िकसी नापाक चीज़ से लग जाए तो तौर पर दी जाए। 33 वह उस इमाम का िहस्सा है
उसे नहीं खाना है बिल्क उसे जलाया जाए। जो सलामती की क़ुरबानी का ख़ून और चरबी
अगर गोश्त पाक है तो हर शख़्स जो ख़ुद पाक चढ़ाता है ।
है उसे खा सकता है । 20 ले िकन अगर नापाक 34 इसराईिलयाें की सलामती की क़ुर-

शख़्स रब को पे श की गई सलामती की क़ुरबानी बािनयाें में से मैं ने िहलाने वाला सीना और


का यह गोश्त खाए तो उसे उस की क़ौम में से उठाने वाली रान इमामाें को दी है । यह चीज़ें
िमटा डालना है । 21 हो सकता है िक िकसी ने हमे शा के िलए इसराईिलयाें की तरफ़ से इमामाें
िकसी नापाक चीज़ को छू िलया है चाहे वह का हक़ हैं ।”
नापाक शख़्स, जानवर या कोई और िघनौनी 35 यह उस िदन जलने वाली क़ुरबािनयाें में से

और नापाक चीज़ हो। अगर ऐसा शख़्स रब को हारून और उसके बे टाें का िहस्सा बन गइर्ं जब
पे श की गई सलामती की क़ुरबानी का गोश्त उन्हें मक़िदस में रब की िख़दमत में पे श िकया
खाए तो उसे उस की क़ौम में से िमटा डालना गया। 36 रब ने उस िदन जब उन्हें ते ल से मसह
है ।” िकया गया हुक्म िदया था िक इसराईली यह
िहस्सा हमे शा इमामाें को िदया करें ।
चरबी और ख़ून खाना मना है 37 ग़रज़ यह िहदायात तमाम क़ुरबािनयाें के

22 रब ने मूसा से कहा, 23 “इसराईिलयाें को बारे में हैं यानी भस्म होने वाली क़ुरबानी, ग़ल्ला
बता दे ना िक गाय-बै ल और भे ड़-बकिरयाें की की नज़र, गुनाह की क़ुरबानी, क़ुसूर की
चरबी खाना तुम्हारे िलए मना है । 24 तुम िफ़तरी क़ुरबानी, इमाम को मक़िदस में िख़दमत के
तौर पर मरे हुए जानवराें और फाड़े हुए जानवराें िलए मख़सूस करने की क़ुरबानी और सलामती
की चरबी दीगर कामाें के िलए इस्ते माल कर की क़ुरबानी के बारे में । 38 रब ने मूसा को यह
सकते हो, ले िकन उसे खाना मना है । 25 जो भी िहदायात सीना पहाड़ पर दीं, उस िदन जब
उस चरबी में से खाए जो जलाकर रब को पे श उसने इसराईिलयाें को हुक्म िदया िक वह दश्ते -
की जाती है उसे उस की क़ौम में से िमटा डालना सीना में रब को अपनी क़ुरबािनयाँ पे श करें ।
है । 26 जहाँ भी तुम रहते हो वहाँ पिंरदाें या दीगर
अहबार 8:1 130
हारून और उसके बे टाें की मख़सूिसयत 14 अब मूसा ने गुनाह की क़ुरबानी के िलए

8 रब ने मूसा से कहा, 2 “हारून और उसके


बे टाें को मे रे हुज़ूर ले आना। नीज़ इमामाें
के िलबास, मसह का ते ल, गुनाह की क़ुरबानी
जवान बै ल को पे श िकया। हारून और उसके
बे टाें ने अपने हाथ उसके सर पर रखे । 15 मूसा
ने उसे ज़बह करके उसके ख़ून में से कुछ
के िलए जवान बै ल, दो में ढे और बे ख़मीरी ले कर अपनी उँ गली से क़ुरबानगाह के सींगाें पर
रोिटयाें की टोकरी ले आना। 3 िफर पूरी जमात लगा िदया तािक वह गुनाहाें से पाक हो जाए।
को ख़ै मे के दरवाज़े पर जमा करना।” बाक़ी ख़ून उसने क़ुरबानगाह के पाए पर उं डे ल
4 मूसा ने ऐसा ही िकया। जब पूरी जमात िदया। याें उसने उसे मख़सूसो-मुक़द्दस करके
इकट्ठी हो गई तो 5 उसने उनसे कहा, “अब मैं उसका कफ़्फ़ारा िदया। 16 मूसा ने अं तिड़याें
वह कुछ करता हूँ िजसका हुक्म रब ने िदया पर की तमाम चरबी, जोड़कले जी और दोनाें
है ।” 6 मूसा ने हारून और उसके बे टाें को सामने गुरदे उनकी चरबी समे त ले कर क़ुरबानगाह पर
लाकर ग़ुस्ल कराया। 7 उसने हारून को कतान जला िदए। 17 ले िकन बै ल की खाल, गोश्त और
का ज़े रजामा पहनाकर कमरबं द लपे टा। िफर अं तिड़याें के गोबर को उसने ख़ै मागाह के बाहर
उसने चोग़ा पहनाया िजस पर उसने बालापोश ले जाकर जला िदया। सब कुछ उस हुक्म के
को महारत से बुने हुए पटके से बाँ धा। 8 इसके मुतािबक़ हुआ जो रब ने मूसा को िदया था।
बाद उसने सीने का कीसा लगाकर उसमें दोनाें 18 इसके बाद उसने भस्म होने वाली क़ुर-

क़ुरे बनाम ऊरीम और तुम्मीम रखे । 9 िफर उसने बानी के िलए पहला में ढा पे श िकया। हारून
हारून के सर पर पगड़ी रखी िजसके सामने वाले और उसके बे टाें ने अपने हाथ उसके सर पर
िहस्से पर उसने मुक़द्दस ताज यानी सोने की रख िदए। 19 मूसा ने उसे ज़बह करके उसका
तख़्ती लगा दी। सब कुछ उस हुक्म के ऐन ख़ून क़ुरबानगाह के चार पहलुआें पर िछड़क
मुतािबक़ हुआ जो रब ने मूसा को िदया था। िदया। 20 उसने में ढे को टु कड़े टु कड़े करके सर,
10 इसके बाद मूसा ने मसह के ते ल से टु कड़े और चरबी जला दी। 21 उसने अं तिड़याँ
मक़िदस को और जो कुछ उसमें था मसह करके और िंपडिलयाँ पानी से साफ़ करके पूरे में ढे को
उसे मख़सूसो-मुक़द्दस िकया। 11 उसने यह ते ल क़ुरबानगाह पर जला िदया। सब कुछ उस हुक्म
सात बार जानवर चढ़ाने की क़ुरबानगाह और के ऐन मुतािबक़ हुआ जो रब ने मूसा को िदया
उसके सामान पर िछड़क िदया। इसी तरह उसने था। रब के िलए जलने वाली यह क़ुरबानी भस्म
सात बार धोने के हौज़ और उस ढाँ चे पर ते ल होने वाली क़ुरबानी थी, और उस की ख़ुशबू रब
िछड़क िदया िजस पर हौज़ रखा हुआ था। याें को पसं द थी।
यह चीज़ें मख़सूसो-मुक़द्दस हुइर्ं । 12 उसने हारून 22 इसके बाद मूसा ने दूसरे में ढे को पे श

के सर पर मसह का ते ल उं डे लकर उसे मसह िकया। इस क़ुरबानी का मक़सद इमामाें को


िकया। याें वह मख़सूसो-मुक़द्दस हुआ। मक़िदस में िख़दमत के िलए मख़सूस करना
13 िफर मूसा ने हारून के बे टाें को सामने था। हारून और उसके बे टाें ने अपने हाथ में ढे के
लाकर उन्हें ज़े रजामे पहनाए, कमरबं द लपे टे सर पर रख िदए। 23 मूसा ने उसे ज़बह करके
और उनके सराें पर पगिड़याँ बाँ धीं। सब कुछ उसके ख़ून में से कुछ ले कर हारून के दहने
उस हुक्म के ऐन मुतािबक़ हुआ जो रब ने मूसा कान की लौ पर और उसके दहने हाथ और
को िदया था। दहने पाँ व के अं गूठाें पर लगाया। 24 यही उसने
हारून के बे टाें के साथ भी िकया। उसने उन्हें
सामने लाकर उनके दहने कान की लौ पर और
131 अहबार 9:7
उनके दहने हाथ और दहने पाँ व के अं गूठाें पर हुआ तािक तुम्हारा कफ़्फ़ारा िदया जाए। 35 तुम्हें
ख़ून लगाया। बाक़ी ख़ून उसने क़ुरबानगाह के सात रात और िदन तक ख़ै मे के दरवाज़े के अं दर
चार पहलुआें पर िछड़क िदया। 25 उसने में ढे रहना है । रब की इस िहदायत को मानो वरना
की चरबी, दुम, अं तिड़याें पर की सारी चरबी, तुम मर जाओगे , क्याें िक यह हुक्म मुझे रब की
जोड़कले जी, दोनाें गुरदे उनकी चरबी समे त और तरफ़ से िदया गया है ।”
दहनी रान अलग की। 26 िफर वह रब के सामने 36 हारून और उसके बे टाें ने उन तमाम

पड़ी बे ख़मीरी रोिटयाें की टोकरी में से एक िहदायात पर अमल िकया जो रब ने मूसा की


सादा रोटी, एक रोटी िजसमें ते ल डाला गया मािरफ़त उन्हें दी थीं।
था और एक रोटी िजस पर ते ल लगाया गया
था ले कर चरबी और रान पर रख दी। 27 उसने हारून क़ुरबािनयाँ चढ़ाता है
यह सब कुछ हारून और उसके बे टाें के हाथाें पर
रखकर उसे िहलाने वाली क़ुरबानी के तौर पर रब
को पे श िकया। 28 िफर उसने यह चीज़ें उनसे
9 मख़सूिसयत के सात िदन के बाद मूसा
ने आठवें िदन हारून, उसके बे टाें और
इसराईल के बुज़ुगार्ें को बुलाया। 2 उसने हारून
वापस ले कर क़ुरबानगाह पर जला दीं िजस पर से कहा, “एक बे ऐब बछड़ा और एक बे ऐब
पहले भस्म होने वाली क़ुरबानी रखी गई थी। रब में ढा चुनकर रब को पे श कर। बछड़ा गुनाह
के िलए जलने वाली यह क़ुरबानी इमामाें को की क़ुरबानी के िलए और में ढा भस्म होने वाली
मख़सूस करने के िलए चढ़ाई गई, और उस की क़ुरबानी के िलए हो। 3 िफर इसराईिलयाें को
ख़ुशबू रब को पसं द थी। कह दे ना िक गुनाह की क़ुरबानी के िलए एक
29 मूसा ने सीना भी िलया और उसे बकरा जबिक भस्म होने वाली क़ुरबानी के िलए
िहलाने वाली क़ुरबानी के तौर पर रब के सामने एक बे ऐब यकसाला बछड़ा और एक बे ऐब
िहलाया। यह मख़सूिसयत के में ढे में से मूसा यकसाला भे ड़ का बच्चा पे श करो। 4 साथ ही
का िहस्सा था। मूसा ने इसमें भी सब कुछ रब सलामती की क़ुरबानी के िलए एक बै ल और
के हुक्म के ऐन मुतािबक़ िकया। एक में ढा चुनो। ते ल के साथ िमलाई हुई ग़ल्ला
30 िफर उसने मसह के ते ल और क़ुरबान- की नज़र भी ले कर सब कुछ रब को पे श करो।
गाह पर के ख़ून में से कुछ ले कर हारून, उसके क्याें िक आज ही रब तुम पर ज़ािहर होगा।”
बे टाें और उनके कपड़ाें पर िछड़क िदया। याें 5 इसराईली मूसा की मतलूबा तमाम चीज़ें

उसने उन्हें और उनके कपड़ाें को मख़सूसो- मुलाक़ात के ख़ै मे के सामने ले आए। पूरी


मुक़द्दस िकया। जमात क़रीब आकर रब के सामने खड़ी हो
31 मूसा ने उनसे कहा, “गोश्त को मुला- गई। 6 मूसा ने उनसे कहा, “तुम्हें वही करना
क़ात के ख़ै मे के दरवाज़े पर उबालकर उसे है िजसका हुक्म रब ने तुम्हें िदया है । क्याें िक
उन रोिटयाें के साथ खाना जो मख़सूिसयत आज ही रब का जलाल तुम पर ज़ािहर होगा।”
की क़ुरबािनयाें की टोकरी में पड़ी हैं । क्याें िक 7 िफर उसने हारून से कहा, “क़ुरबानगाह

रब ने मुझे यही हुक्म िदया है । 32 गोश्त और के पास जाकर गुनाह की क़ुरबानी और भस्म
रोिटयाें का बक़ाया जला दे ना। 33 सात िदन तक होने वाली क़ुरबानी चढ़ाकर अपना और अपनी
मुलाक़ात के ख़ै मे के दरवाज़े में से न िनकलना, क़ौम का कफ़्फ़ारा दे ना। रब के हुक्म के
क्याें िक मक़िदस में िख़दमत के िलए तुम्हारी मुतािबक़ क़ौम के िलए भी क़ुरबानी पे श करना
मख़सूिसयत के इतने ही िदन हैं । 34 जो कुछ तािक उसका कफ़्फ़ारा िदया जाए।”
आज हुआ है वह रब के हुक्म के मुतािबक़
अहबार 9:8 132
8 हारून क़ुरबानगाह के पास आया। उसने और दहनी रानें उसने िहलाने वाली क़ुरबानी के
बछड़े को ज़बह िकया। यह उसके िलए गुनाह तौर पर रब के सामने िहलाइर्ं । उसने सब कुछ
की क़ुरबानी था। 9 उसके बे टे बछड़े का ख़ून मूसा के हुक्म के मुतािबक़ ही िकया।
उसके पास ले आए। उसने अपनी उँ गली ख़ून में 22 तमाम क़ुरबािनयाँ पे श करने के बाद हारून

डु बोकर उसे क़ुरबानगाह के सींगाें पर लगाया। ने अपने हाथ उठाकर क़ौम को बरकत दी। िफर
बाक़ी ख़ून को उसने क़ुरबानगाह के पाए पर वह क़ुरबानगाह से उतरकर 23 मूसा के साथ
उं डे ल िदया। 10 िफर उसने उस की चरबी, गुरदाें मुलाक़ात के ख़ै मे में दािख़ल हुआ। जब दोनाें
और जोड़कले जी को क़ुरबानगाह पर जला बाहर आए तो उन्हाें ने क़ौम को बरकत दी। तब
िदया। जै से रब ने मूसा को हुक्म िदया था वै से ही रब का जलाल पूरी क़ौम पर ज़ािहर हुआ। 24 रब
हारून ने िकया। 11 बछड़े का गोश्त और खाल के हुज़ूर से आग िनकलकर क़ुरबानगाह पर
उसने ख़ै मागाह के बाहर ले जाकर जला दी। उतरी और भस्म होने वाली क़ुरबानी और चरबी
12 इसके बाद हारून ने भस्म होने वाली के टु कड़े भस्म कर िदए। यह दे खकर लोग ख़ुशी
क़ुरबानी को ज़बह िकया। उसके बे टाें ने उसे के नारे मारने लगे और मुँह के बल िगर गए।
उसका ख़ून िदया, और उसने उसे क़ुरबानगाह
के चार पहलुआें पर िछड़क िदया। 13 उन्हाें ने उसे नदब और अबीहू का गुनाह
क़ुरबानी के मुख़्तिलफ़ टु कड़े सर समे त िदए,
और उसने उन्हें क़ुरबानगाह पर जला िदया।
14 िफर उसने उस की अं तिड़याँ और िंपडिलयाँ
10 हारून के बे टे नदब और अबीहू ने
अपने अपने बख़ूरदान ले कर उनमें
जलते हुए कोयले डाले । उन पर बख़ूर डालकर
धोकर भस्म होने वाली क़ुरबानी की बाक़ी चीज़ाें वह रब के सामने आए तािक उसे पे श करें ।
पर रखकर जला दीं। ले िकन यह आग नाजायज़ थी। रब ने यह पे श
15 अब हारून ने क़ौम के िलए क़ुरबानी करने का हुक्म नहीं िदया था। 2 अचानक रब
चढ़ाई। उसने गुनाह की क़ुरबानी के िलए बकरा के हुज़ूर से आग िनकली िजसने उन्हें भस्म कर
ज़बह करके उसे पहली क़ुरबानी की तरह िदया। वहीं रब के सामने वह मर गए।
चढ़ाया। 16 उसने भस्म होने वाली क़ुरबानी भी 3 मूसा ने हारून से कहा, “अब वही हुआ है

क़वायद के मुतािबक़ चढ़ाई। 17 उसने ग़ल्ला जो रब ने फ़रमाया था िक जो मे रे क़रीब हैं उनसे


की नज़र पे श की और उसमें से मुट्ठी-भर मैं अपनी क़ुद्दिू सयत ज़ािहर करूँगा, मैं तमाम
क़ुरबानगाह पर जला िदया। यह ग़ल्ला की क़ौम के सामने ही अपने जलाल का इज़हार
उस नज़र के अलावा थी जो सुबह को भस्म करूँगा।”
होने वाली क़ुरबानी के साथ चढ़ाई गई थी। हारून ख़ामोश रहा। 4 मूसा ने हारून के चचा
18 िफर उसने सलामती की क़ुरबानी के िलए उिज़्ज़ये ल के बे टाें मीसाएल और इल्सफ़न
बै ल और में ढे को ज़बह िकया। यह भी क़ौम को बुलाकर कहा, “इधर आओ और अपने
के िलए थी। उसके बे टाें ने उसे जानवराें का िरश्ते दाराें को मक़िदस के सामने से उठाकर
ख़ून िदया, और उसने उसे क़ुरबानगाह के चार ख़ै मागाह के बाहर ले जाओ।” 5 वह आए और
पहलुआें पर िछड़क िदया। 19 ले िकन उन्हाें ने मूसा के हुक्म के ऐन मुतािबक़ उन्हें उनके
बै ल और में ढे को चरबी, दुम, अं तिड़याें पर की ज़े रजामाें समे त उठाकर ख़ै मागाह के बाहर ले
चरबी और जोड़कले जी िनकालकर 20 सीने के गए।
टु कड़ाें पर रख िदया। हारून ने चरबी का िहस्सा 6 मूसा ने हारून और उसके दीगर बे टाें

क़ुरबानगाह पर जला िदया। 21 सीने के टु कड़े इिलयज़र और इतमर से कहा, “मातम का


133 अहबार 11:8
इज़हार न करो। न अपने बाल िबखरने दो, न िहलाने वाली क़ुरबानी के तौर पर रब के सामने
अपने कपड़े फाड़ो। वरना तुम मर जाओगे और िहलाएँ । रब फ़रमाता है िक यह टु कड़े अबद तक
रब पूरी जमात से नाराज़ हो जाएगा। ले िकन तुम्हारे और तुम्हारे बे टाें का िहस्सा हैं ।”
तुम्हारे िरश्ते दार और बाक़ी तमाम इसराईली 16 मूसा ने दिरयाफ़्त िकया िक उस बकरे के

ज़रूर इनका मातम करें िजनको रब ने आग गोश्त का क्या हुआ जो गुनाह की क़ुरबानी के
से हलाक कर िदया है । 7 मुलाक़ात के ख़ै मे तौर पर चढ़ाया गया था। उसे पता चला िक वह
के दरवाज़े के बाहर न िनकलो वरना तुम मर भी जल गया था। यह सुनकर उसे हारून के बे टाें
जाओगे , क्याें िक तुम्हें रब के ते ल से मसह िकया इिलयज़र और इतमर पर ग़ुस्सा आया। उसने
गया है ।” चुनाँ चे उन्हाें ने ऐसा ही िकया। पूछा, 17 “तुमने गुनाह की क़ुरबानी का गोश्त
क्याें नहीं खाया? तुम्हें उसे मुक़द्दस जगह पर
इमामाें के िलए िहदायात खाना था। यह एक िनहायत मुक़द्दस िहस्सा है
8 रब ने हारून से कहा, 9 “जब भी तुझे या ते रे जो रब ने तुम्हें िदया तािक तुम जमात का क़ुसूर
बे टाें को मुलाक़ात के ख़ै मे में दािख़ल होना है दूर करके रब के सामने लोगाें का कफ़्फ़ारा दो।
तो मै या कोई और नशा-आवर चीज़ पीना मना 18 चूँिक इस बकरे का ख़ून मक़िदस में न लाया

है , वरना तुम मर जाओगे । यह उसूल आने वाली गया इसिलए तुम्हें उसका गोश्त मक़िदस में
नसलाें के िलए भी अबद तक अनिमट है । 10 यह खाना था िजस तरह मैं ने तुम्हें हुक्म िदया था।”
भी लािज़म है िक तुम मुक़द्दस और ग़ै रमुक़द्दस 19 हारून ने मूसा को जवाब दे कर कहा,

चीज़ाें में , पाक और नापाक चीज़ाें में इिम्तयाज़ “दे खें, आज लोगाें ने अपने िलए गुनाह की
करो। 11 तुम्हें इसराईिलयाें को तमाम पाबं िदयाँ क़ुरबानी और भस्म होने वाली क़ुरबानी रब को
िसखानी हैं जो मैं ने तुम्हें मूसा की मािरफ़त बताई पे श की है जबिक मुझ पर यह आफ़त गुज़री है ।
हैं ।” अगर मैं आज गुनाह की क़ुरबानी से खाता तो
12 मूसा ने हारून और उसके बचे हुए बे टाें क्या यह रब को अच्छा लगता?” 20 यह बात
इिलयज़र और इतमर से कहा, “ग़ल्ला की मूसा को अच्छी लगी।
नज़र का जो िहस्सा रब के सामने जलाया
नहीं जाता उसे अपने िलए ले कर बे ख़मीरी रोटी पाक और नापाक जानवर
पकाना और क़ुरबानगाह के पास ही खाना।
क्याें िक वह िनहायत मुक़द्दस है । 13 उसे मुक़द्दस
जगह पर खाना, क्याें िक वह रब की जलने वाली
11 रब ने मूसा और हारून से कहा,
2 “इसराईिलयाें को बताना िक

तुम्हें ज़मीन पर रहने वाले जानवराें में से ज़ै ल के


क़ुरबािनयाें में से तुम्हारे और तुम्हारे बे टाें का जानवराें को खाने की इजाज़त है : 3 िजनके खुर
िहस्सा है । क्याें िक मुझे इसका हुक्म िदया या पाँ व िबलकुल िचरे हुए हैं और जो जुगाली
गया है । 14 जो सीना िहलाने वाली क़ुरबानी और करते हैं उन्हें खाने की इजाज़त है । 4-6 ऊँट,
दहनी रान उठाने वाली क़ुरबानी के तौर पर पे श िबज्जू या ख़रगोश खाना मना है । वह तुम्हारे
की गई है , वह तुम और तुम्हारे बे टे-बे िटयाँ िलए नापाक हैं , क्याें िक वह जुगाली तो करते
खा सकते हैं । उन्हें मुक़द्दस जगह पर खाना हैं ले िकन उनके खुर या पाँ व िचरे हुए नहीं हैं ।
है । इसराईिलयाें की सलामती की क़ुरबािनयाें 7 सुअर न खाना। वह तुम्हारे िलए नापाक है ,

में से यह टु कड़े तुम्हारा िहस्सा हैं । 15 ले िकन क्याें िक उसके खुर तो िचरे हुए हैं ले िकन वह
पहले इमाम रान और सीने को जलने वाली जुगाली नहीं करता। 8 न उनका गोश्त खाना, न
क़ुरबािनयाें की चरबी के साथ पे श करें । वह उन्हें
अहबार 11:9 134
उनकी लाशाें को छू ना। वह तुम्हारे िलए नापाक छु ए लािज़म है िक वह अपने कपड़े धो ले । इसके
हैं । बावुजूद भी वह शाम तक नापाक रहे गा।
9 समुंदरी और दिरयाई जानवर खाने के िलए 29-30 ज़मीन पर रें गने वाले जानवराें में से

जायज़ हैं अगर उनके पर और िछलके हाें । छछूँ दर, मुख़्तिलफ़ िक़स्म के चूहे और
10 ले िकन िजनके पर या िछलके नहीं हैं वह मुख़्तिलफ़ िक़स्म की िछपकिलयाँ तुम्हारे िलए
सब तुम्हारे िलए मकरूह हैं , ख़ाह वह बड़ी नापाक हैं । 31 जो भी उन्हें और उनकी लाशें छू
तादाद में िमलकर रहते हैं या नहीं। 11 इसिलए ले ता है वह शाम तक नापाक रहे गा। 32 अगर
उनका गोश्त खाना मना है , और उनकी लाशाें उनमें से िकसी की लाश िकसी चीज़ पर िगर
से भी िघन खाना है । 12 पानी में रहने वाले तमाम पड़े तो वह भी नापाक हो जाएगी। इससे कोई
जानवर िजनके पर या िछलके न हाें तुम्हारे िलए फ़रक़ नहीं पड़ता िक वह लकड़ी, कपड़े , चमड़े
मकरूह हैं । या टाट की बनी हो, न इससे कोई फ़रक़ पड़ता
13 ज़ै ल के पिंरदे तुम्हारे िलए क़ािबले -िघन है िक वह िकस काम के िलए इस्ते माल की
हाें । इन्हें खाना मना है , क्याें िक वह मकरूह जाती है । उसे हर सूरत में पानी में डु बोना है ।
हैं : उक़ाब, दिढ़यल िगद्ध, काला िगद्ध, 14 लाल तो भी वह शाम तक नापाक रहे गी। 33 अगर
चील, हर िक़स्म की काली चील, 15 हर िक़स्म ऐसी लाश िमट्टी के बरतन में िगर जाए तो जो
का कव्वा, 16 उक़ाबी उल्लू, छोटे कानवाला कुछ भी उसमें है नापाक हो जाएगा और तुम्हें
उल्लू, बड़े कानवाला उल्लू, हर िक़स्म का बाज़, उस बरतन को तोड़ना है । 34 हर खाने वाली चीज़
17 छोटा उल्लू, क़ूक़, िंचघाड़ने वाला उल्लू, िजस पर ऐसे बरतन का पानी डाला गया है
18 सफ़ेद उल्लू, दश्ती उल्लू, िमसरी िगद्ध, नापाक है । इसी तरह उस बरतन से िनकली हुई
19 लक़लक़, हर िक़स्म का बूतीमार, हुदहुद और हर पीने वाली चीज़ नापाक है । 35 िजस पर भी
चमगादड़।a ऐसी लाश िगर पड़े वह नापाक हो जाता है ।
20 तमाम पर रखने वाले कीड़े जो चार पाँ वाें पर अगर वह तनूर या चूल्हे पर िगर पड़े तो उनको
चलते हैं तुम्हारे िलए मकरूह हैं , 21 िसवाए उनके तोड़ दे ना है । वह नापाक हैं और तुम्हारे िलए
िजनकी टाँ गाें के दो िहस्से हैं और जो फुदकते नापाक रहें गे। 36 ले िकन िजस चश्मे या हौज़ में
हैं । उनको तुम खा सकते हो। 22 इस नाते से ऐसी लाश िगरे वह पाक रहता है । िसफ़र् वह
तुम मुख़्तिलफ़ िक़स्म के िटड्डे खा सकते हो। जो लाश को छू ले ता है नापाक हो जाता है ।
23 बाक़ी सब पर रखने वाले कीड़े जो चार पाँ वाें 37 अगर ऐसी लाश बीजाें पर िगर पड़े िजनको

पर चलते हैं तुम्हारे िलए मकरूह हैं । अभी बोना है तो वह पाक रहते हैं । 38 ले िकन
24-28 जो भी ज़ै ल के जानवराें की लाशें छु ए अगर बीजाें पर पानी डाला गया हो और िफर
वह शाम तक नापाक रहे गा : (अिलफ़) खुर लाश उन पर िगर पड़े तो वह नापाक हैं ।
रखने वाले तमाम जानवर िसवाए उनके िजनके 39 अगर ऐसा जानवर िजसे खाने की इजाज़त

खुर या पाँ व पूरे तौर पर िचरे हुए हैं और जो है मर जाए तो जो भी उस की लाश छु ए शाम
जुगाली करते हैं , (बे ) तमाम जानवर जो अपने तक नापाक रहे गा। 40 जो उसमें से कुछ खाए
चार पं जाें पर चलते हैं । यह जानवर तुम्हारे िलए या उसे उठाकर ले जाए उसे अपने कपड़ाें को
नापाक हैं , और जो भी उनकी लाशें उठाए या धोना है । तो भी वह शाम तक नापाक रहे गा।
a
याद रहे िक क़दीम ज़माने के इन पिंरदाें के अकसर
नाम मतरूक हैं या उनका मतलब बदल गया है , इसिलए
उनका मुख़्तिलफ़ तरजुमा हो सकता है ।
135 अहबार 13:6
41 हर जानवर जो ज़मीन पर रें गता है क़ािबले - दरवाज़े पर इमाम को ज़ै ल की चीज़ें दे : भस्म
िघन है । उसे खाना मना है , 42 चाहे वह अपने होने वाली क़ुरबानी के िलए एक यकसाला भे ड़
पे ट पर चाहे चार या इससे ज़ायद पाँ वाें पर का बच्चा और गुनाह की क़ुरबानी के िलए एक
चलता हो। 43 इन तमाम रें गने वालाें से अपने जवान कबूतर या क़ुम्री। 7 इमाम यह जानवर रब
आपको िघन का बाइस और नापाक न बनाना, को पे श करके उसका कफ़्फ़ारा दे । िफर ख़ून
44 क्याें िक मैं रब तुम्हारा ख़ुदा हूँ । लािज़म है बहने के बाइस पै दा होने वाली नापाकी दूर हो
िक तुम अपने आपको मख़सूसो-मुक़द्दस रखो, जाएगी। उसूल एक ही है , चाहे लड़का हो या
क्याें िक मैं क़ुद्दसू हूँ । अपने आपको ज़मीन पर लड़की।
रें गने वाले तमाम जानवराें से नापाक न बनाना। 8 अगर वह ग़ुरबत के बाइस भे ड़ का बच्चा न

45 मैं रब हूँ । मैं तुम्हें िमसर से िनकाल लाया हूँ दे सके तो िफर वह दो क़ुिम्रयाँ या दो जवान
तािक तुम्हारा ख़ुदा बनूँ। िलहाज़ा मुक़द्दस रहो, कबूतर ले आए, एक भस्म होने वाली क़ुरबानी
क्याें िक मैं क़ुद्दस
ू हूँ । के िलए और दूसरा गुनाह की क़ुरबानी के िलए।
46 ज़मीन पर चलने वाले जानवराें , पिंरदाें , याें इमाम उसका कफ़्फ़ारा दे और वह पाक हो
आबी जानवराें और ज़मीन पर रें गने वाले जाएगी।”
जानवराें के बारे में शरअ यही है । 47 लािज़म
है िक तुम नापाक और पाक में इिम्तयाज़ करो, िजल्दी बीमािरयाँ
ऐसे जानवराें में जो खाने के िलए जायज़ हैं और
ऐसाें में जो नाजायज़ हैं ।” 13 रब ने मूसा और हारून से कहा,
2 “अगर िकसी की िजल्द में सूजन

या पपड़ी या सफ़ेद दाग़ हो और ख़तरा है


बच्चे की पै दाइश के बाद माँ पर पाबं िदयाँ िक वबाई िजल्दी बीमारी हो तो उसे इमामाें

12 रब ने मूसा से कहा, 2 “इसराई-


िलयाें को बता िक जब िकसी
औरत के लड़का पै दा हो तो वह माहवारी के
यानी हारून या उसके बे टाें के पास ले आना
है । 3 इमाम उस जगह का मुआयना करे । अगर
उसके बाल सफ़ेद हो गए हाें और वह िजल्द
ऐयाम की तरह सात िदन तक नापाक रहे गी। में धँ सी हुई हो तो वबाई बीमारी है । जब इमाम
3 आठवें िदन लड़के का ख़तना करवाना है । को यह मालूम हो तो वह उसे नापाक क़रार दे ।
4 िफर माँ मज़ीद 33 िदन इं तज़ार करे । इसके 4 ले िकन हो सकता है िक िजल्द की जगह सफ़ेद

बाद उस की वह नापाकी दूर हो जाएगी जो ख़ून तो है ले िकन िजल्द में धँ सी हुई नहीं है , न उसके
बहने से पै दा हुई है । इस दौरान वह कोई मख़सूस बाल सफ़ेद हुए हैं । इस सूरत में इमाम उस
और मुक़द्दस चीज़ न छु ए, न मक़िदस के पास शख़्स को सात िदन के िलए अलहदगी में रखे ।
जाए। 5 सातवें िदन इमाम दुबारा उसका मुआयना

5 अगर उसके लड़की पै दा हो जाए तो वह करे । अगर वह दे खे िक मुतअिस्सरा जगह वै सी


माहवारी के ऐयाम की तरह नापाक है । यह ही है और फैली नहीं तो वह उसे मज़ीद सात िदन
नापाकी 14 िदन तक रहे गी। िफर वह मज़ीद अलहदगी में रखे । 6 सातवें िदन वह एक और
66 िदन इं तज़ार करे । इसके बाद उस की वह मरतबा उसका मुआयना करे । अगर उस जगह
नापाकी दूर हो जाएगी जो ख़ून बहने से पै दा हुई का रं ग दुबारा से हतमं द िजल्द के रं ग की मािंनद
है । हो रहा हो और फैली न हो तो वह उसे पाक
6 जब लड़के या लड़की के िसलिसले में यह क़रार दे । इसका मतलब है िक यह मरज़ आम
िदन गुज़र जाएँ तो वह मुलाक़ात के ख़ै मे के पपड़ी से ज़्यादा नहीं है । मरीज़ अपने कपड़े
अहबार 13:7 136
धो ले तो वह पाक हो जाएगा। 7 ले िकन अगर और उसके बाल सफ़ेद हो गए हैं तो वह मरीज़
इसके बाद मुतअिस्सरा जगह फैलने लगे तो वह को नापाक क़रार दे । क्याें िक इसका मतलब
दुबारा अपने आपको इमाम को िदखाए। 8 इमाम है िक जहाँ पहले फोड़ा था वहाँ वबाई िजल्दी
उसका मुआयना करे । अगर जगह वाक़ई फैल बीमारी पै दा हो गई है । 21 ले िकन अगर इमाम
गई हो तो इमाम उसे नापाक क़रार दे , क्याें िक दे खे िक मुतअिस्सरा जगह के बाल सफ़ेद नहीं
यह वबाई िजल्दी मरज़ है । हैं , वह िजल्द में धँ सी हुई नज़र नहीं आती और
9 अगर िकसी के िजस्म पर वबाई िजल्दी उसका रं ग दुबारा से हतमं द िजल्द की मािंनद हो
मरज़ नज़र आए तो उसे इमाम के पास लाया रहा है तो वह उसे सात िदन के िलए अलहदगी
जाए। 10 इमाम उसका मुआयना करे । अगर में रखे । 22 अगर इस दौरान बीमारी मज़ीद फैल
मुतअिस्सरा िजल्द में सफ़ेद सूजन हो, उसके जाए तो इमाम मरीज़ को नापाक क़रार दे ,
बाल भी सफ़ेद हो गए हाें , और उसमें कच्चा क्याें िक इसका मतलब है िक वबाई िजल्दी
गोश्त मौजूद हो 11 तो इसका मतलब है िक बीमारी लग गई है । 23 ले िकन अगर दाग़ न फैले
वबाई िजल्दी बीमारी पुरानी है । इमाम उस तो इसका मतलब है िक यह िसफ़र् उस भरे हुए
शख़्स को सात िदन के िलए अलहदगी में ज़ख़म का िनशान है जो फोड़े से पै दा हुआ था।
रखकर इं तज़ार न करे बिल्क उसे फ़ौरन नापाक इमाम मरीज़ को पाक क़रार दे ।
क़रार दे , क्याें िक यह उस की नापाकी का 24 अगर िकसी की िजल्द पर जलने का

सबूत है । 12 ले िकन अगर बीमारी जल्दी से फैल ज़ख़म लग जाए और मुतअिस्सरा जगह पर
गई हो, यहाँ तक िक सर से ले कर पाँ व तक सुख़र्ी-मायल सफ़ेद दाग़ या सफ़ेद दाग़ पै दा
पूरी िजल्द मुतअिस्सर हुई हो 13 तो इमाम यह हो जाए 25 तो इमाम मुतअिस्सरा जगह का
दे खकर मरीज़ को पाक क़रार दे । चूँिक पूरी मुआयना करे । अगर मालूम हो जाए िक
िजल्द सफ़ेद हो गई है इसिलए वह पाक है । मुतअिस्सरा जगह के बाल सफ़ेद हो गए हैं और
14 ले िकन जब भी कहीं कच्चा गोश्त नज़र आए वह िजल्द में धँ सी हुई है तो इसका मतलब है
उस वक़्त वह नापाक हो जाता है । 15 इमाम िक चोट की जगह पर वबाई िजल्दी मरज़ लग
यह दे खकर मरीज़ को नापाक क़रार दे । कच्चा गया है । इमाम उसे नापाक क़रार दे , क्याें िक
गोश्त हर सूरत में नापाक है , क्याें िक इसका वबाई िजल्दी बीमारी लग गई है । 26 ले िकन
मतलब है िक वबाई िजल्दी बीमारी लग गई है । अगर इमाम ने मालूम िकया है िक दाग़ में बाल
16 अगर कच्चे गोश्त का यह ज़ख़म भर जाए सफ़ेद नहीं हैं , वह िजल्द में धँ सा हुआ नज़र
और मुतअिस्सरा जगह की िजल्द सफ़ेद हो नहीं आता और उसका रं ग से हतमं द िजल्द की
जाए तो मरीज़ इमाम के पास जाए। 17 अगर मािंनद हो रहा है तो वह मरीज़ को सात िदन
इमाम दे खे िक वाक़ई ऐसा ही हुआ है और तक अलहदगी में रखे । 27 अगर वह सातवें िदन
मुतअिस्सरा िजल्द सफ़ेद हो गई है तो वह उसे मालूम करे िक मुतअिस्सरा जगह फैल गई है
पाक क़रार दे । तो वह उसे नापाक क़रार दे । क्याें िक इसका
18 अगर िकसी की िजल्द पर फोड़ा हो ले िकन मतलब है िक वबाई िजल्दी बीमारी लग गई है ।
वह ठीक हो जाए 19 और उस की जगह सफ़ेद 28 ले िकन अगर दाग़ फैला हुआ नज़र नहीं आता

सूजन या सुख़र्ी-मायल सफ़ेद दाग़ नज़र आए और मुतअिस्सरा िजल्द का रं ग से हतमं द िजल्द


तो मरीज़ अपने आपको इमाम को िदखाए। के रं ग की मािंनद हो गया है तो इसका मतलब
20 अगर वह उसका मुआयना करके दे खे िक है िक यह िसफ़र् उस भरे हुए ज़ख़म का िनशान
मुतअिस्सरा जगह िजल्द के अं दर धँ सी हुई है
137 अहबार 13:52
है जो जलने से पै दा हुआ था। इमाम मरीज़ को 38 अगर िकसी मदर् या औरत की िजल्द पर
पाक क़रार दे । सफ़ेद दाग़ पै दा हो जाएँ 39 तो इमाम उनका
29 अगर िकसी के सर या दाढ़ी की िजल्द मुआयना करे । अगर उनका सफ़ेद रं ग हलका-
में िनशान नज़र आए 30 तो इमाम मुतअिस्सरा सा हो तो यह िसफ़र् बे ज़रर पपड़ी है । मरीज़ पाक
जगह का मुआयना करे । अगर वह धँ सी हुई है ।
नज़र आए और उसके बाल रं ग के िलहाज़ से 40-41 अगर िकसी मदर् का सर माथे की तरफ़

चमकते हुए सोने की मािंनद और बारीक हाें या पीछे की तरफ़ गं जा है तो वह पाक है ।


तो इमाम मरीज़ को नापाक क़रार दे । इसका 42 ले िकन अगर उस जगह जहाँ वह गं जा है

मतलब है िक ऐसी वबाई िजल्दी बीमारी सर सुख़र्ी-मायल सफ़ेद दाग़ हो तो इसका मतलब
या दाढ़ी की िजल्द पर लग गई है जो ख़ािरश है िक वहाँ वबाई िजल्दी बीमारी लग गई है ।
पै दा करती है । 31 ले िकन अगर इमाम ने मालूम 43 इमाम उसका मुआयना करे । अगर गं जी

िकया िक मुतअिस्सरा जगह िजल्द में धँ सी हुई जगह पर सुख़र्ी-मायल सफ़ेद सूजन हो जो
नज़र नहीं आती अगरचे उसके बालाें का रं ग वबाई िजल्दी बीमारी की मािंनद नज़र आए
बदल गया है तो वह उसे सात िदन के िलए 44 तो मरीज़ को वबाई िजल्दी बीमारी लग गई

अलहदगी में रखे । 32 सातवें िदन इमाम िजल्द है । इमाम उसे नापाक क़रार दे ।
की मुतअिस्सरा जगह का मुआयना करे । अगर
वह फैली हुई नज़र नहीं आती और उसके बालाें नापाक मरीज़ का सुलक ू
का रं ग चमकदार सोने की मािंनद नहीं है , साथ 45 वबाई िजल्दी बीमारी का मरीज़ फटे कपड़े
ही वह जगह िजल्द में धँ सी हुई भी िदखाई नहीं पहने । उसके बाल िबखरे रहें । वह अपनी मूँछाें
दे ती, 33 तो मरीज़ अपने बाल मुँडवाए। िसफ़र् वह को िकसी कपड़े से छु पाए और पुकारता रहे ,
बाल रह जाएँ जो मुतअिस्सरा जगह से िनकलते ‘नापाक, नापाक।’ 46 िजस वक़्त तक वबाई
हैं । इमाम मरीज़ को मज़ीद सात िदन अलहदगी िजल्दी बीमारी लगी रहे वह नापाक है । वह इस
में रखे । 34 सातवें िदन वह उसका मुआयना करे । दौरान ख़ै मागाह के बाहर जाकर तनहाई में रहे ।
अगर मुतअिस्सरा जगह नहीं फैली और वह
िजल्द में धँ सी हुई नज़र नहीं आती तो इमाम फफूँ दी से िनपटने का तरीक़ा
उसे पाक क़रार दे । वह अपने कपड़े धो ले तो 47 हो सकता है िक ऊन या कतान के िकसी
वह पाक हो जाएगा। 35 ले िकन अगर इसके िलबास पर फफँ ू दी लग गई है , 48 या िक फफँ ू दी
बाद िजल्द की मुतअिस्सरा जगह फैलना शुरू ऊन या कतान के िकसी कपड़े के टु कड़े या
हो जाए 36 तो इमाम दुबारा उसका मुआयना िकसी चमड़े या चमड़े की िकसी चीज़ पर लग
करे । अगर वह जगह वाक़ई फैली हुई नज़र गई है । 49 अगर फफँ ू दी का रं ग हरा या लाल-सा
आए तो मरीज़ नापाक है , चाहे मुतअिस्सरा हो तो वह फैलने वाली फफँ ू दी है , और लािज़म
जगह के बालाें का रं ग चमकते सोने की मािंनद है िक उसे इमाम को िदखाया जाए। 50 इमाम
हो या न हो। 37 ले िकन अगर उसके ख़याल में उसका मुआयना करके उसे सात िदन के िलए
मुतअिस्सरा जगह फैली हुई नज़र नहीं आती अलहदगी में रखे । 51 सातवें िदन वह दुबारा
बिल्क उसमें से काले रं ग के बाल िनकल रहे हैं उसका मुआयना करे । अगर फफँ ू दी फैल गई
तो इसका मतलब है िक मरीज़ की से हत बहाल हो तो इसका मतलब है िक वह नुक़सानदे ह
हो गई है । इमाम उसे पाक क़रार दे । है । मुतअिस्सरा चीज़ नापाक है । 52 इमाम उसे
जला दे , क्याें िक यह फफँ ू दी नुक़सानदे ह है ।
अहबार 13:53 138
लािज़म है िक उसे जला िदया जाए। 53 ले िकन को ताज़ा पानी से भरे हुए िमट्टी के बरतन के
अगर इन सात िदनाें के बाद फफँ ू दी फैली ऊपर ज़बह िकया जाए। 6 इमाम िंज़दा पिंरदे
हुई नज़र नहीं आती 54 तो इमाम हुक्म दे िक को दे वदार की लकड़ी, िक़रिमज़ी रं ग के धागे
मुतअिस्सरा चीज़ को धुलवाया जाए। िफर वह और ज़ूफ़ा के साथ ज़बह िकए गए पिंरदे के उस
उसे मज़ीद सात िदन के िलए अलहदगी में रखे । ख़ून में डु बो दे जो िमट्टी के बरतन के पानी में
55 इसके बाद वह दुबारा उसका मुआयना करे । आ गया है । 7 वह पानी से िमलाया हुआ ख़ून
अगर वह मालूम करे िक फफँ ू दी तो फैली हुई सात बार पाक होने वाले शख़्स पर िछड़ककर
नज़र नहीं आती ले िकन उसका रं ग वै से का उसे पाक क़रार दे , िफर िंज़दा पिंरदे को खुले
वै सा है तो वह नापाक है । उसे जला दे ना, चाहे मै दान में छोड़ दे । 8 जो अपने आपको पाक-
फफँ ू दी मुतअिस्सरा चीज़ के सामने वाले िहस्से साफ़ करा रहा है वह अपने कपड़े धोए, अपने
या िपछले िहस्से में लगी हो। 56 ले िकन अगर तमाम बाल मुँडवाए और नहा ले । इसके बाद वह
मालूम हो जाए िक फफँ ू दी का रं ग माँ द पड़ गया पाक है । अब वह ख़ै मागाह में दािख़ल हो सकता
है तो इमाम कपड़े या चमड़े में से मुतअिस्सरा है अगरचे वह मज़ीद सात िदन अपने डे रे में नहीं
जगह फाड़कर िनकाल दे । 57 तो भी हो सकता जा सकता। 9 सातवें िदन वह दुबारा अपने सर
है िक फफँ ू दी दुबारा उसी कपड़े या चमड़े पर के बाल, अपनी दाढ़ी, अपने अबरू और बाक़ी
नज़र आए। इसका मतलब है िक वह फैल रही है तमाम बाल मुँडवाए। वह अपने कपड़े धोए और
और उसे जला दे ना लािज़म है । 58 ले िकन अगर नहा ले । तब वह पाक है ।
फफँ ू दी धोने के बाद ग़ायब हो जाए तो उसे एक 10 आठवें िदन वह दो भे ड़ के नर बच्चे और

और दफ़ा धोना है । िफर मुतअिस्सरा चीज़ पाक एक यकसाला भे ड़ चुन ले जो बे ऐब हाें । साथ
होगी। ही वह ग़ल्ला की नज़र के िलए ते ल के साथ
59 इसी तरह फफँ ू दी से िनपटना है , चाहे वह िमलाया गया साढ़े 4 िकलोग्राम बे हतरीन मै दा
ऊन या कतान के िकसी िलबास को लग गई हो, और 300 िमलीिलटर ते ल ले । 11 िफर िजस
चाहे ऊन या कतान के िकसी टु कड़े या चमड़े इमाम ने उसे पाक क़रार िदया वह उसे इन
की िकसी चीज़ को लग गई हो। इन्हीं उसूलाें क़ुरबािनयाें समे त मुलाक़ात के ख़ै मे के दरवाज़े
के तहत फ़ैसला करना है िक मुतअिस्सरा चीज़ पर रब को पे श करे । 12 भे ड़ का एक नर बच्चा
पाक है या नापाक।” और 300 िमलीिलटर ते ल क़ुसूर की क़ुरबानी
के िलए है । इमाम उन्हें िहलाने वाली क़ुरबानी
वबाई िजल्दी बीमारी के मरीज़ के तौर पर रब के सामने िहलाए। 13 िफर वह
की शफ़ा पर क़ुरबानी भे ड़ के इस बच्चे को ख़ै मे के दरवाज़े पर

14 रब ने मूसा से कहा, 2 “अगर कोई


शख़्स िजल्दी बीमारी से शफ़ा पाए
और उसे पाक-साफ़ कराना है तो उसे इमाम के
ज़बह करे जहाँ गुनाह की क़ुरबािनयाँ और भस्म
होने वाली क़ुरबािनयाँ ज़बह की जाती हैं । गुनाह
की क़ुरबािनयाें की तरह क़ुसूर की यह क़ुरबानी
पास लाया जाए 3 जो ख़ै मागाह के बाहर जाकर इमाम का िहस्सा है और िनहायत मुक़द्दस है ।
उसका मुआयना करे । अगर वह दे खे िक मरीज़ 14 इमाम ख़ून में से कुछ ले कर पाक होने वाले

की से हत वाक़ई बहाल हो गई है 4 तो इमाम के दहने कान की लौ पर और उसके दहने हाथ


उसके िलए दो िंज़दा और पाक पिंरदे , दे वदार और दहने पाँ व के अं गूठाें पर लगाए। 15 अब
की लकड़ी, िक़रिमज़ी रं ग का धागा और ज़ूफ़ा वह 300 िमलीिलटर ते ल में से कुछ ले कर
मँ गवाए। 5 इमाम के हुक्म पर पिंरदाें में से एक अपने बाएँ हाथ की हथे ली पर डाले । 16 अपने
139 अहबार 14:39
दहने हाथ के अं गूठे के साथवाली उँ गली इस की हथे ली पर डाले 27 और अपने दहने हाथ के
ते ल में डु बोकर वह उसे सात बार रब के सामने अं गूठे के साथवाली उँ गली इस ते ल में डु बोकर
िछड़के। 17 वह अपनी हथे ली पर के ते ल में से उसे सात बार रब के सामने िछड़क दे । 28 वह
कुछ और ले कर पाक होने वाले के दहने कान अपनी हथे ली पर के ते ल में से कुछ और ले कर
की लौ पर और उसके दहने हाथ और दहने पाक होने वाले के दहने कान की लौ पर और
पाँ व के अं गूठाें पर लगा दे यानी उन जगहाें पर उसके दहने हाथ और दहने पाँ व के अं गूठाें पर
जहाँ वह क़ुसूर की क़ुरबानी का ख़ून लगा चुका लगा दे यानी उन जगहाें पर जहाँ वह क़ुसूर की
है । 18 इमाम अपनी हथे ली पर का बाक़ी ते ल क़ुरबानी का ख़ून लगा चुका है । 29 अपनी हथे ली
पाक होने वाले के सर पर डालकर रब के सामने पर का बाक़ी ते ल वह पाक होने वाले के सर पर
उसका कफ़्फ़ारा दे । डाल दे तािक रब के सामने उसका कफ़्फ़ारा दे ।
19 इसके बाद इमाम गुनाह की क़ुरबानी 30 इसके बाद वह शफ़ायाब शख़्स की गुंजाइश

चढ़ाकर पाक होने वाले का कफ़्फ़ारा दे । आिख़र के मुतािबक़ दो क़ुिम्रयाँ या दो जवान कबूतर
में वह भस्म होने वाली क़ुरबानी का जानवर चढ़ाए, 31 एक को गुनाह की क़ुरबानी के िलए
ज़बह करे । 20 वह उसे ग़ल्ला की नज़र के साथ और दूसरे को भस्म होने वाली क़ुरबानी के िलए।
क़ुरबानगाह पर चढ़ाकर उसका कफ़्फ़ारा दे । साथ ही वह ग़ल्ला की नज़र पे श करे । याें इमाम
तब वह पाक है । रब के सामने उसका कफ़्फ़ारा दे ता है । 32 यह
21 अगर शफ़ायाब शख़्स ग़ुरबत के बाइस यह उसूल ऐसे शख़्स के िलए है जो वबाई िजल्दी
क़ुरबािनयाँ नहीं चढ़ा सकता तो िफर वह क़ुसूर बीमारी से शफ़ा पा गया है ले िकन अपनी ग़ुरबत
की क़ुरबानी के िलए भे ड़ का िसफ़र् एक नर के बाइस पाक हो जाने के िलए पूरी क़ुरबानी
बच्चा ले आए। काफ़ी है िक कफ़्फ़ारा दे ने के पे श नहीं कर सकता।”
िलए यही रब के सामने िहलाया जाए। साथ
साथ ग़ल्ला की नज़र के िलए डे ढ़ िकलोग्राम घराें में फफूँ दी
बे हतरीन मै दा ते ल के साथ िमलाकर पे श िकया 33 रब ने मूसा और हारून से कहा, 34 “जब
जाए और 300 िमलीिलटर ते ल। 22 इसके तुम मुल्के-कनान में दािख़ल होगे जो मैं तुम्हें
अलावा वह दो क़ुिम्रयाँ या दो जवान कबूतर दूँ गा तो वहाँ ऐसे मकान हाें गे िजनमें मैं ने फफँ ू दी
पे श करे , एक को गुनाह की क़ुरबानी के िलए फैलने दी है । 35 ऐसे घर का मािलक जाकर
और दूसरे को भस्म होने वाली क़ुरबानी के िलए। इमाम को बताए िक मैं ने अपने घर में फफँ ू दी
23 आठवें िदन वह उन्हें मुलाक़ात के ख़ै मे के जै सी कोई चीज़ दे खी है । 36 तब इमाम हुक्म
दरवाज़े पर इमाम के पास और रब के सामने ले दे िक घर का मुआयना करने से पहले घर का
आए तािक वह पाक-साफ़ हो जाए। 24 इमाम पूरा सामान िनकाला जाए। वरना अगर घर को
भे ड़ के बच्चे को 300 िमलीिलटर ते ल समे त नापाक क़रार िदया जाए तो सामान को भी
ले कर िहलाने वाली क़ुरबानी के तौर पर रब के नापाक क़रार िदया जाएगा। इसके बाद इमाम
सामने िहलाए। 25 वह क़ुसूर की क़ुरबानी के अं दर जाकर मकान का मुआयना करे । 37 वह
िलए भे ड़ के बच्चे को ज़बह करे और उसके दीवाराें के साथ लगी हुई फफँ ू दी का मुआयना
ख़ून में से कुछ ले कर पाक होने वाले के दहने करे । अगर मुतअिस्सरा जगहें हरी या लाल-
कान की लौ पर और उसके दहने हाथ और सी हाें और दीवार के अं दर धँ सी हुई नज़र
दहने पाँ व के अं गूठाें पर लगाए। 26 अब वह आएँ 38 तो िफर इमाम घर से िनकलकर सात
300 िमलीिलटर ते ल में से कुछ अपने बाएँ हाथ िदन के िलए ताला लगाए। 39 सातवें िदन वह
अहबार 14:40 140
वापस आकर मकान का मुआयना करे । अगर में छोड़ दे । याें वह घर का कफ़्फ़ारा दे गा, और
फफँ ू दी फैली हुई नज़र आए 40 तो वह हुक्म दे वह पाक-साफ़ हो जाएगा।
िक मुतअिस्सरा पत्थराें को िनकालकर आबादी 54-56 लािज़म है िक हर िक़स्म की वबाई

के बाहर िकसी नापाक जगह पर फेंका जाए। बीमारी से ऐसे िनपटो जै से बयान िकया गया है ,
41 नीज़ वह हुक्म दे िक अं दर की दीवाराें को चाहे वह वबाई िजल्दी बीमािरयाँ हाें (मसलन
कुरे दा जाए और कुरे दी हुई िमट्टी को आबादी ख़ािरश, सूजन, पपड़ी या सफ़ेद दाग़), चाहे
के बाहर िकसी नापाक जगह पर फेंका जाए। कपड़ाें या घराें में फफँ ू दी हो। 57 इन उसूलाें के
42 िफर लोग नए पत्थर लगाकर घर को नए तहत फ़ैसला करना है िक कोई शख़्स या चीज़
गारे से पलस्तर करें । 43 ले िकन अगर इसके पाक है या नापाक।”
बावुजूद फफँ ू दी दुबारा पै दा हो जाए 44 तो इमाम
आकर दुबारा उसका मुआयना करे । अगर वह मदार्ें की नापाकी
दे खे िक फफँ ू दी घर में फैल गई है तो इसका
मतलब है िक फफँ ू दी नुक़सानदे ह है , इसिलए
घर नापाक है । 45 लािज़म है िक उसे पूरे तौर
15 रब ने मूसा और हारून से कहा,
2 “इसराईिलयाें को बताना िक

अगर िकसी मदर् को जरयान का मरज़ हो तो


पर ढा िदया जाए और सब कुछ यानी उसके वह ख़ािरज होने वाले माए के सबब से नापाक
पत्थर, लकड़ी और पलस्तर को आबादी के है , 3 चाहे माए बहता रहता हो या रुक गया हो।
बाहर िकसी नापाक जगह पर फेंका जाए। 4 िजस चीज़ पर भी मरीज़ ले टता या बै ठता है

46 अगर इमाम ने िकसी घर का मुआयना वह नापाक है । 5-6 जो भी उसके ले टने की जगह


करके ताला लगा िदया है और िफर भी कोई उस को छु ए या उसके बै ठने की जगह पर बै ठ जाए
घर में दािख़ल हो जाए तो वह शाम तक नापाक वह अपने कपड़े धोकर नहा ले । वह शाम तक
रहे गा। 47 जो ऐसे घर में सोए या खाना खाए नापाक रहे गा। 7 इसी तरह जो भी ऐसे मरीज़
लािज़म है िक वह अपने कपड़े धो ले । 48 ले िकन को छु ए वह अपने कपड़े धोकर नहा ले । वह
अगर घर को नए िसरे से पलस्तर करने के शाम तक नापाक रहे गा। 8 अगर मरीज़ िकसी
बाद इमाम आकर उसका दुबारा मुआयना करे पाक शख़्स पर थूके तो यही कुछ करना है
और दे खे िक फफँ ू दी दुबारा नहीं िनकली तो और वह शख़्स शाम तक नापाक रहे गा। 9 जब
इसका मतलब है िक फफँ ू दी ख़त्म हो गई है । वह ऐसा मरीज़ िकसी जानवर पर सवार होता है
उसे पाक क़रार दे । 49 उसे गुनाह से पाक-साफ़ तो हर चीज़ िजस पर वह बै ठ जाता है नापाक
कराने के िलए वह दो पिंरदे , दे वदार की लकड़ी, है । 10 जो भी ऐसी चीज़ छु ए या उसे उठाकर
िक़रिमज़ी रं ग का धागा और ज़ूफ़ा ले ले । 50 वह ले जाए वह अपने कपड़े धोकर नहा ले । वह
पिंरदाें में से एक को ताज़ा पानी से भरे हुए िमट्टी शाम तक नापाक रहे गा। 11 िजस िकसी को भी
के बरतन के ऊपर ज़बह करे । 51 इसके बाद वह मरीज़ अपने हाथ धोए बग़ै र छु ए वह अपने कपड़े
दे वदार की लकड़ी, ज़ूफ़ा, िक़रिमज़ी रं ग का धोकर नहा ले । वह शाम तक नापाक रहे गा।
धागा और िंज़दा पिंरदा ले कर उस ताज़ा पानी में 12 िमट्टी का जो बरतन ऐसा मरीज़ छु ए उसे तोड़

डु बो दे िजसके साथ ज़बह िकए हुए पिंरदे का िदया जाए। लकड़ी का जो बरतन वह छु ए उसे
ख़ून िमलाया गया है और इस पानी को सात ख़ूब धोया जाए।
बार घर पर िछड़क दे । 52 इन चीज़ाें से वह घर 13 िजसे इस मरज़ से शफ़ा िमली है वह सात

को गुनाह से पाक-साफ़ करता है । 53 आिख़र में िदन इं तज़ार करे । इसके बाद वह ताज़ा पानी
वह िंज़दा पिंरदे को आबादी के बाहर खुले मै दान से अपने कपड़े धोकर नहा ले । िफर वह पाक
141 अहबार 16:5
हो जाएगा। 14 आठवें िदन वह दो क़ुिम्रयाँ या पर औरत मज़ीद सात िदन इं तज़ार करे । िफर
दो जवान कबूतर ले कर मुलाक़ात के ख़ै मे के वह पाक होगी। 29 आठवें िदन वह दो क़ुिम्रयाँ
दरवाज़े पर रब के सामने इमाम को दे । 15 इमाम या दो जवान कबूतर ले कर मुलाक़ात के ख़ै मे
उनमें से एक को गुनाह की क़ुरबानी के तौर के दरवाज़े पर इमाम के पास आए। 30 इमाम
पर और दूसरे को भस्म होने वाली क़ुरबानी के उनमें से एक को गुनाह की क़ुरबानी के िलए
तौर पर चढ़ाए। याें वह रब के सामने उसका और दूसरे को भस्म होने वाली क़ुरबानी के िलए
कफ़्फ़ारा दे गा। चढ़ाए। याें वह रब के सामने उस की नापाकी
16 अगर िकसी मदर् का नुतफ़ा ख़ािरज हो का कफ़्फ़ारा दे गा।
जाए तो वह अपने पूरे िजस्म को धो ले । वह 31 लािज़म है िक इसराईिलयाें को ऐसी चीज़ाें

शाम तक नापाक रहे गा। 17 हर कपड़ा या चमड़ा से दूर रखा जाए िजनसे वह नापाक हो जाएँ ।
िजससे नुतफ़ा लग गया हो उसे धोना है । वह वरना मे रा वह मक़िदस जो उनके दरिमयान है
भी शाम तक नापाक रहे गा। 18 अगर मदर् और उनसे नापाक हो जाएगा और वह हलाक हो
औरत के हमिबसतर होने पर नुतफ़ा ख़ािरज हो जाएं गे।
जाए तो लािज़म है िक दोनाें नहा लें । वह शाम 32 लािज़म है िक इस िक़स्म के मामलाें से

तक नापाक रहें गे। ऐसे िनपटो जै से बयान िकया गया है । इसमें वह


मदर् शािमल है जो जरयान का मरीज़ है और
औरताें की नापाकी वह जो नुतफ़ा ख़ािरज होने के बाइस नापाक
19 माहवारी के वक़्त औरत सात िदन तक है । 33 इसमें वह औरत भी शािमल है िजसके

नापाक है । जो भी उसे छु ए वह शाम तक नापाक माहवारी के ऐयाम हैं और वह मदर् जो नापाक


रहे गा। 20 इस दौरान िजस चीज़ पर भी वह औरत से हमिबसतर हो जाता है ।”
ले टती या बै ठती है वह नापाक है । 21-23 जो
भी उसके ले टने की जगह को छु ए या उसके यौमे -कफ़्फ़ारा
बै ठने की जगह पर बै ठ जाए वह अपने कपड़े
धोकर नहा ले । वह शाम तक नापाक रहे गा। 16 जब हारून के दो बे टे रब के क़रीब
आकर हलाक हुए तो इसके बाद
24 अगर मदर् औरत से हमिबसतर हो और उसी रब मूसा से हमकलाम हुआ। 2 उसने कहा,

वक़्त माहवारी के िदन शुरू हो जाएँ तो मदर् ख़ून “अपने भाई हारून को बताना िक वह िसफ़र्
लगने के बाइस सात िदन तक नापाक रहे गा। मुक़रर् रा वक़्त पर परदे के पीछे मुक़द्दसतरीन
िजस चीज़ पर भी वह ले टता है वह नापाक हो कमरे में दािख़ल होकर अहद के सं दूक़ के ढकने
जाएगी। के सामने खड़ा हो जाए, वरना वह मर जाएगा।
25 अगर िकसी औरत को माहवारी के िदन क्याें िक मैं ख़ुद उस ढकने के ऊपर बादल की

छोड़कर िकसी और वक़्त कई िदनाें तक ख़ून सूरत में ज़ािहर होता हूँ । 3 और जब भी वह
आए या ख़ून माहवारी के िदनाें के बाद भी दािख़ल हो तो गुनाह की क़ुरबानी के िलए एक
जारी रहे तो वह माहवारी के िदनाें की तरह जवान बै ल और भस्म होने वाली क़ुरबानी के
उस वक़्त तक नापाक रहे गी जब तक ख़ून रुक िलए एक में ढा पे श करे । 4 पहले वह नहाकर
न जाए। 26 िजस चीज़ पर भी वह ले टती या इमाम के कतान के मुक़द्दस कपड़े पहन ले यानी
बै ठती है वह नापाक है । 27 जो भी ऐसी चीज़ ज़े रजामा, उसके नीचे पाजामा, िफर कमरबं द
को छु ए वह अपने कपड़े धोकर नहा ले । वह और पगड़ी। 5 इसराईल की जमात हारून को
शाम तक नापाक रहे गा। 28 ख़ून के रुक जाने
अहबार 16:6 142
गुनाह की क़ुरबानी के िलए दो बकरे और भस्म इसराईिलयाें की नापािकयाें से मुतअिस्सर होता
होने वाली क़ुरबानी के िलए एक में ढा दे । रहता है ।
6 पहले हारून अपने और अपने घराने के िलए 17 िजतना वक़्त हारून अपना, अपने घराने

जवान बै ल को गुनाह की क़ुरबानी के तौर पर का और इसराईल की पूरी जमात का कफ़्फ़ारा


चढ़ाए। 7 िफर वह दोनाें बकराें को मुलाक़ात के दे ने के िलए मुक़द्दसतरीन कमरे में रहे गा इस
ख़ै मे के दरवाज़े पर रब के सामने ले आए। 8 वहाँ दौरान िकसी दूसरे को मुलाक़ात के ख़ै मे
वह क़ुरा डालकर एक को रब के िलए चुने और में ठहरने की इजाज़त नहीं है । 18 िफर वह
दूसरे को अज़ाज़े ल के िलए। 9 जो बकरा रब मुक़द्दसतरीन कमरे से िनकलकर ख़ै मे में रब
के िलए है उसे वह गुनाह की क़ुरबानी के तौर के सामने पड़ी क़ुरबानगाह का कफ़्फ़ारा दे ।
पर पे श करे । 10 दूसरा बकरा जो क़ुरे के ज़रीए वह बै ल और बकरे के ख़ून में से कुछ ले कर
अज़ाज़े ल के िलए चुना गया उसे िंज़दा हालत उसे क़ुरबानगाह के चाराें सींगाें पर लगाए।
में रब के सामने खड़ा िकया जाए तािक वह 19 कुछ ख़ून वह अपनी उँ गली से सात बार

जमात का कफ़्फ़ारा दे । वहाँ से उसे रे िगस्तान उस पर िछड़क दे । याें वह उसे इसराईिलयाें


में अज़ाज़े ल के पास भे जा जाए। की नापािकयाें से पाक करके मख़सूसो-मुक़द्दस
11 ले िकन पहले हारून जवान बै ल को गुनाह करे गा।
की क़ुरबानी के तौर पर चढ़ाकर अपना और 20 मुक़द्दसतरीन कमरे , मुलाक़ात के ख़ै मे

अपने घराने का कफ़्फ़ारा दे । उसे ज़बह करने के और क़ुरबानगाह का कफ़्फ़ारा दे ने के बाद हारून
बाद 12 वह बख़ूर की क़ुरबानगाह से जलते हुए िंज़दा बकरे को सामने लाए। 21 वह अपने दोनाें
कोयलाें से भरा हुआ बरतन ले कर अपनी दोनाें हाथ उसके सर पर रखे और इसराईिलयाें के
मुिट्ठयाँ बारीक ख़ुशबूदार बख़ूर से भर ले और तमाम क़ुसूर यानी उनके तमाम जरायम और
मुक़द्दसतरीन कमरे में दािख़ल हो जाए। 13 वहाँ गुनाहाें का इक़रार करके उन्हें बकरे के सर
वह रब के हुज़ूर बख़ूर को जलते हुए कोयलाें पर डाल दे । िफर वह उसे रे िगस्तान में भे ज
पर डाल दे । इससे पै दा होने वाला धुआँ अहद दे । इसके िलए वह बकरे को एक आदमी
के सं दूक़ का ढकना छु पा दे गा तािक हारून मर के सुपुदर् करे िजसे यह िज़म्मे दारी दी गई है ।
न जाए। 14 अब वह जवान बै ल के ख़ून में से 22 बकरा अपने आप पर उनका तमाम क़ुसूर

कुछ ले कर अपनी उँ गली से ढकने के सामने वाले उठाकर िकसी वीरान जगह में ले जाएगा। वहाँ
िहस्से पर िछड़के, िफर कुछ अपनी उँ गली से साथवाला आदमी उसे छोड़ आए।
सात बार उसके सामने ज़मीन पर िछड़के। 23 इसके बाद हारून मुलाक़ात के ख़ै मे में जाए

15 इसके बाद वह उस बकरे को ज़बह करे जो और कतान के वह कपड़े जो उसने मुक़द्दसतरीन


क़ौम के िलए गुनाह की क़ुरबानी है । वह उसका कमरे में दािख़ल होने से पे शतर पहन िलए थे
ख़ून मुक़द्दसतरीन कमरे में ले आए और उसे बै ल उतारकर वहीं छोड़ दे । 24 वह मुक़द्दस जगह पर
के ख़ून की तरह अहद के सं दूक़ के ढकने पर नहाकर अपनी िख़दमत के आम कपड़े पहन
और सात बार उसके सामने ज़मीन पर िछड़के। ले । िफर वह बाहर आकर अपने और अपनी
16 याें वह मुक़द्दसतरीन कमरे का कफ़्फ़ारा दे गा क़ौम के िलए भस्म होने वाली क़ुरबानी पे श करे
जो इसराईिलयाें की नापािकयाें और तमाम तािक अपना और अपनी क़ौम का कफ़्फ़ारा
गुनाहाें से मुतअिस्सर होता रहता है । इससे दे । 25 इसके अलावा वह गुनाह की क़ुरबानी की
वह मुलाक़ात के पूरे ख़ै मे का भी कफ़्फ़ारा चरबी क़ुरबानगाह पर जला दे ।
दे गा जो ख़ै मागाह के दरिमयान होने के बाइस
143 अहबार 17:12
26 जो आदमी अज़ाज़े ल के िलए बकरे को इसराईली अपनी गाय या भे ड़-बकरी मुलाक़ात
रे िगस्तान में छोड़ आया है वह अपने कपड़े के ख़ै मे के दरवाज़े पर रब को क़ुरबानी के तौर
धोकर नहा ले । इसके बाद वह ख़ै मागाह में आ पर पे श न करे बिल्क ख़ै मागाह के अं दर या
सकता है । बाहर िकसी और जगह पर ज़बह करे वह ख़ून
27 िजस बै ल और बकरे को गुनाह की बहाने का क़ुसूरवार ठहरे गा। उसने ख़ून बहाया
क़ुरबानी के िलए पे श िकया गया और है , और लािज़म है िक उसे उस की क़ौम में
िजनका ख़ून कफ़्फ़ारा दे ने के िलए मुक़द्दस- से िमटाया जाए। 5 इस िहदायत का मक़सद
तरीन कमरे में लाया गया, लािज़म है िक उनकी यह है िक इसराईली अब से अपनी क़ुरबािनयाँ
खालें , गोश्त और गोबर ख़ै मागाह के बाहर जला खुले मै दान में ज़बह न करें बिल्क रब को पे श
िदया जाए। 28 यह चीज़ें जलाने वाला बाद में करें । वह अपने जानवराें को मुलाक़ात के ख़ै मे
अपने कपड़े धोकर नहा ले । िफर वह ख़ै मागाह के दरवाज़े पर इमाम के पास लाकर उन्हें रब
में आ सकता है । को सलामती की क़ुरबानी के तौर पर पे श करें ।
29 लािज़म है िक सातवें महीने के दसवें 6 इमाम उनका ख़ून मुलाक़ात के ख़ै मे के दरवाज़े

िदन इसराईली और उनके दरिमयान रहने - पर की क़ुरबानगाह पर िछड़के और उनकी चरबी


वाले परदे सी अपनी जान को दुख दें और काम उस पर जला दे । ऐसी क़ुरबानी की ख़ुशबू
न करें । यह उसूल तुम्हारे िलए अबद तक क़ायम रब को पसं द है । 7 अब से इसराईली अपनी
रहे । 30 इस िदन तुम्हारा कफ़्फ़ारा िदया जाएगा क़ुरबािनयाँ उन बकराें के दे वताआें को पे श न
तािक तुम्हें पाक िकया जाए। तब तुम रब के करें िजनकी पै रवी करके उन्हाें ने िज़ना िकया
सामने अपने तमाम गुनाहाें से पाक ठहरोगे । है । यह उनके िलए और उनके बाद आने वाली
31 पूरा िदन आराम करो और अपनी जान को नसलाें के िलए एक दायमी उसूल है ।
दुख दो। यह उसूल अबद तक क़ायम रहे । 8 लािज़म है िक हर इसराईली और तुम्हारे

32 इस िदन इमामे -आज़म तुम्हारा कफ़्फ़ा- दरिमयान रहने वाला परदे सी अपनी भस्म
रा दे , वह इमाम िजसे उसके बाप की जगह होने वाली क़ुरबानी या कोई और क़ुरबानी
मसह िकया गया और इिख़्तयार िदया गया 9 मुलाक़ात के ख़ै मे के दरवाज़े पर लाकर रब को

है । वह कतान के मुक़द्दस कपड़े पहनकर पे श करे । वरना उसे उस की क़ौम में से िमटाया
33 मुक़द्दसतरीन कमरे , मुलाक़ात के ख़ै मे, जाएगा।
क़ुरबानगाह, इमामाें और जमात के तमाम लोगाें
का कफ़्फ़ारा दे । 34 लािज़म है िक साल में ख़ून खाना मना है
एक दफ़ा इसराईिलयाें के तमाम गुनाहाें का 10 ख़ून
खाना िबलकुल मना है । जो भी
कफ़्फ़ारा िदया जाए। यह उसूल तुम्हारे िलए इसराईली या तुम्हारे दरिमयान रहने वाला
अबद तक क़ायम रहे ।” परदे सी ख़ून खाए मैं उसके िख़लाफ़ हो जाऊँगा
और उसे उस की क़ौम में से िमटा डालूँगा।
सब कुछ वै से ही िकया गया जै सा रब ने मूसा
को हुक्म िदया था। 11 क्याें िक हर मख़लूक़ के ख़ून में उस की

जान है । मैं ने उसे तुम्हें दे िदया है तािक वह


क़ुरबानी चढ़ाने का मक़ाम क़ुरबानगाह पर तुम्हारा कफ़्फ़ारा दे । क्याें िक

17 रब ने मूसा से कहा, “हारून, ख़ून ही उस जान के ज़रीए जो उसमें है तुम्हारा


2

उसके बे टाें और तमाम इस- कफ़्फ़ारा दे ता है । 12 इसिलए मैं कहता हूँ िक न


राईिलयाें को िहदायत दे ना 3-4 िक जो भी कोई इसराईली न कोई परदे सी ख़ून खाए।
अहबार 17:13 144
13 अगर कोई भी इसराईली या परदे सी िकसी 9 अपनी बहन से हमिबसतर न होना, चाहे वह
जानवर या पिंरदे का िशकार करके पकड़े िजसे ते रे बाप या ते री माँ की बे टी हो, चाहे वह ते रे ही
खाने की इजाज़त है तो वह उसे ज़बह करने के घर में या कहीं और पै दा हुई हो।
बाद उसका पूरा ख़ून ज़मीन पर बहने दे और 10 अपनी पोती या नवासी से हमिबसतर न

ख़ून पर िमट्टी डाले । 14 क्याें िक हर मख़लूक़ का होना, वरना ते री अपनी बे हुरमती हो जाएगी।
ख़ून उस की जान है । इसिलए मैं ने इसराईिलयाें 11 अपने बाप की बीवी की बे टी से हमिबसतर

को कहा है िक िकसी भी मख़लूक़ का ख़ून न न होना। वह ते री बहन है ।


खाओ। हर मख़लूक़ का ख़ून उस की जान है , 12 अपनी फूफी से हमिबसतर न होना। वह

और जो भी उसे खाए उसे क़ौम में से िमटा दे ना ते रे बाप की क़रीबी िरश्ते दार है ।
है । 13 अपनी ख़ाला से हमिबसतर न होना। वह

15 अगर कोई भी इसराईली या परदे सी ऐसे ते री माँ की क़रीबी िरश्ते दार है ।


जानवर का गोश्त खाए जो िफ़तरी तौर पर मर 14 अपने बाप के भाई की बीवी से हम-

गया या िजसे जं गली जानवराें ने फाड़ डाला हो िबसतर न होना, वरना ते रे बाप के भाई की
तो वह अपने कपड़े धोकर नहा ले । वह शाम बे हुरमती हो जाएगी। उस की बीवी ते री चची
तक नापाक रहे गा। 16 जो ऐसा नहीं करता उसे है ।
अपने क़ुसूर की सज़ा भुगतनी पड़े गी।” 15 अपनी बहू से हमिबसतर न होना। वह ते रे

बे टे की बीवी है ।
नाजायज़ िंजसी ताल्लुक़ात 16 अपनी भाबी से हमिबसतर न होना, वरना

18 रब ने मूसा से कहा, 2 “इसराई-


िलयाें को बताना िक मैं रब तुम्हारा
ख़ुदा हूँ । 3 िमसिरयाें की तरह िंज़दगी न गुज़ारना
ते रे भाई की बे हुरमती हो जाएगी।
17 अगर ते रा िंजसी ताल्लुक़ िकसी औरत

से हो तो उस की बे टी, पोती या नवासी से


िजनमें तुम रहते थे । मुल्के-कनान के लोगाें की हमिबसतर होना मना है , क्याें िक वह उस की
तरह भी िंज़दगी न गुज़ारना िजनके पास मैं तुम्हें क़रीबी िरश्ते दार हैं । ऐसा करना बड़ी शमर्नाक
ले जा रहा हूँ । उनके रस्मो-िरवाज न अपनाना। हरकत है ।
4 मे रे ही अहकाम पर अमल करो और मे री 18 अपनी बीवी के जीते -जी उस की बहन से

िहदायात के मुतािबक़ चलो। मैं रब तुम्हारा ख़ुदा शादी न करना।


हूँ । 5 मे री िहदायात और अहकाम के मुतािबक़ 19 िकसी औरत से उस की माहवारी के िदनाें

चलना, क्याें िक जो याें करे गा वह जीता रहे गा। में हमिबसतर न होना। इस दौरान वह नापाक
मैं रब हूँ । है ।
6 तुममें से कोई भी अपनी क़रीबी िरश्ते दार से 20 िकसी दूसरे मदर् की बीवी से हमिबसतर न

हमिबसतर न हो। मैं रब हूँ । होना, वरना तू अपने आपको नापाक करे गा।
7 अपनी माँ से हमिबसतर न होना, वरना ते रे 21 अपने िकसी भी बच्चे को मिलक दे वता को

बाप की बे हुरमती हो जाएगी। वह ते री माँ है , क़ुरबानी के तौर पर पे श करके जला दे ना मना


इसिलए उससे हमिबसतर न होना। है । ऐसी हरकत से तू अपने ख़ुदा के नाम को
8 अपने बाप की िकसी भी बीवी से हमिबसतर दाग़ लगाएगा। मैं रब हूँ ।
न होना, वरना ते रे बाप की बे हुरमती हो जाएगी। 22 मदर् दूसरे मदर् के साथ िंजसी ताल्लुक़ात न

रखे । ऐसी हरकत क़ािबले -िघन है ।


145 अहबार 19:17
23 िकसी जानवर से िंजसी ताल्लुक़ात न है उसे जलाना है । 7 अगर कोई उसे तीसरे िदन
रखना, वरना तू नापाक हो जाएगा। औरताें के खाए तो उसे इल्म होना चािहए िक यह क़ुरबानी
िलए भी ऐसा करना मना है । यह बड़ी शमर्नाक नापाक है और रब को पसं द नहीं है । 8 ऐसे शख़्स
हरकत है । को अपने क़ुसूर की सज़ा उठानी पड़े गी, क्याें िक
24 ऐसी हरकताें से अपने आपको नापाक न उसने उस चीज़ की मुक़द्दस हालत ख़त्म की है
करना। क्याें िक जो क़ौमें मैं तुम्हारे आगे मुल्क जो रब के िलए मख़सूस की गई थी। उसे उस
से िनकालूँगा वह इसी तरह नापाक होती रहीं। की क़ौम में से िमटाया जाए।
25 मुल्क ख़ुद भी नापाक हुआ। इसिलए मैं ने उसे 9 कटाई के वक़्त अपनी फ़सल पूरे तौर पर

उसके क़ुसूर के सबब से सज़ा दी, और नतीजे में न काटना बिल्क खे त के िकनाराें पर कुछ छोड़
उसने अपने बािंशदाें को उगल िदया। 26 ले िकन दे ना। इस तरह जो कुछ कटाई करते वक़्त खे त
तुम मे री िहदायात और अहकाम के मुतािबक़ में बच जाए उसे छोड़ना। 10 अं गूर के बाग़ाें में
चलो। न दे सी और न परदे सी ऐसी कोई िघनौनी भी जो कुछ अं गूर तोड़ते वक़्त बच जाए उसे
हरकत करें । 27 क्याें िक यह तमाम क़ािबले -िघन छोड़ दे ना। जो अं गूर ज़मीन पर िगर जाएँ उन्हें
बातें उनसे हुइर्ं जो तुमसे पहले इस मुल्क में रहते उठाकर न ले जाना। उन्हें ग़रीबाें और परदे िसयाें
थे । याें मुल्क नापाक हुआ। 28 िलहाज़ा अगर के िलए छोड़ दे ना। मैं रब तुम्हारा ख़ुदा हूँ ।
तुम भी मुल्क को नापाक करोगे तो वह तुम्हें 11 चोरी न करना, झूट न बोलना, एक दूसरे

इसी तरह उगल दे गा िजस तरह उसने तुमसे को धोका न दे ना।


पहले मौजूद क़ौमाें को उगल िदया। 29 जो भी 12 मे रे नाम की क़सम खाकर धोका न दे ना,

मज़कूरा िघनौनी हरकताें में से एक करे उसे उस वरना तुम मे रे नाम को दाग़ लगाओगे । मैं रब हूँ ।
की क़ौम में से िमटाया जाए। 30 मे रे अहकाम 13 एक दूसरे को न दबाना और न लूटना।

के मुतािबक़ चलते रहो और ऐसे क़ािबले -िघन िकसी की मज़दूरी उसी िदन की शाम तक दे
रस्मो-िरवाज न अपनाना जो तुम्हारे आने से दे ना और उसे अगली सुबह तक रोके न रखना।
पहले रायज थे । इनसे अपने आपको नापाक 14 बहरे को न कोसना, न अं धे के रास्ते में

न करना। मैं रब तुम्हारा ख़ुदा हूँ ।” कोई चीज़ रखना िजससे वह ठोकर खाए। इसमें
भी अपने ख़ुदा का ख़ौफ़ मानना। मैं रब हूँ ।
मुक़द्दस क़ौम के िलए िहदायात 15 अदालत में िकसी की हक़तलफ़ी न

19 रब ने मूसा से कहा, 2 “इसराई-


िलयाें की पूरी जमात को बताना
िक मुक़द्दस रहो, क्याें िक मैं रब तुम्हारा ख़ुदा
करना। फ़ैसला करते वक़्त िकसी की भी
जािनबदारी न करना, चाहे वह ग़रीब या असरो-
रसूख़वाला हो। इनसाफ़ से अपने पड़ोसी की
क़ुद्दस
ू हूँ । अदालत कर।
3 तुममें से हर एक अपने माँ -बाप की इज़्ज़त 16 अपनी क़ौम में इधर-उधर िफरते हुए िकसी

करे । हफ़ते के िदन काम न करना। मैं रब तुम्हारा पर बुहतान न लगाना। कोई भी ऐसा काम न
ख़ुदा हूँ । 4 न बुताें की तरफ़ रुजू करना, न अपने करना िजससे िकसी की जान ख़तरे में पड़
िलए दे वता ढालना। मैं ही रब तुम्हारा ख़ुदा हूँ । जाए। मैं रब हूँ ।
5 जब तुम रब को सलामती की क़ुरबानी पे श 17 िदल में अपने भाई से नफ़रत न करना।

करते हो तो उसे याें चढ़ाओ िक तुम मं ज़ूर हो अगर िकसी की सरज़िनश करनी है तो रूबरू
जाओ। 6 उसका गोश्त उसी िदन या अगले िदन करना, वरना तू उसके सबब से क़ुसूरवार
खाया जाए। जो भी तीसरे िदन तक बच जाता ठहरे गा।
अहबार 19:18 146
18 इं तक़ाम न ले ना। अपनी क़ौम के िकसी 29 अपनी बे टी को कसबी न बनाना, वरना
शख़्स पर दे र तक ते रा ग़ुस्सा न रहे बिल्क अपने उस की मुक़द्दस हालत जाती रहे गी और मुल्क
पड़ोसी से वै सी मुहब्बत रखना जै सी तू अपने िज़नाकारी के बाइस हरामकारी से भर जाएगा।
आपसे रखता है । मैं रब हूँ । 30 हफ़ते के िदन आराम करना और मे रे

19 मे री िहदायात पर अमल करो। दो मक़िदस का एहतराम करना। मैं रब हूँ ।


मुख़्तिलफ़ िक़स्म के जानवराें को िमलाप न 31 ऐसे लोगाें के पास न जाना जो मुरदाें से

करने दे ना। अपने खे त में दो िक़स्म के बीज न रािबता करते हैं , न ग़ै बदानाें की तरफ़ रुजू
बोना। ऐसा कपड़ा न पहनना जो दो मुख़्तिलफ़ करना, वरना तुम उनसे नापाक हो जाओगे । मैं
िक़स्म के धागाें का बुना हुआ हो। रब तुम्हारा ख़ुदा हूँ ।
20 अगर कोई आदमी िकसी लाैं डी से िजसकी 32 बूढ़े लोगाें के सामने उठकर खड़ा हो जाना,

मँ गनी िकसी और से हो चुकी हो हमिबसतर बुज़ुगार्ें की इज़्ज़त करना और अपने ख़ुदा का


हो जाए और लाैं डी को अब तक न पै साें से एहतराम करना। मैं रब हूँ ।
न वै से ही आज़ाद िकया गया हो तो मुनािसब 33 जो परदे सी तुम्हारे मुल्क में तुम्हारे

सज़ा दी जाए। ले िकन उन्हें सज़ाए-मौत न दी दरिमयान रहता है उसे न दबाना। 34 उसके साथ
जाए, क्याें िक उसे अब तक आज़ाद नहीं िकया ऐसा सुलूक कर जै सा अपने हमवतनाें के साथ
गया। 21 क़ुसूरवार आदमी मुलाक़ात के ख़ै मे के करता है । िजस तरह तू अपने आपसे मुहब्बत
दरवाज़े पर एक में ढा ले आए तािक वह रब को रखता है उसी तरह उससे भी मुहब्बत रखना।
क़ुसूर की क़ुरबानी के तौर पर पे श िकया जाए। याद रहे िक तुम ख़ुद िमसर में परदे सी थे । मैं रब
22 इमाम इस क़ुरबानी से रब के सामने उसके तुम्हारा ख़ुदा हूँ ।
गुनाह का कफ़्फ़ारा दे । याें उसका गुनाह मुआफ़ 35 नाइनसाफ़ी न करना। न अदालत में , न

िकया जाएगा। 23 जब मुल्के-कनान में दािख़ल लं बाई नापते वक़्त, न तोलते वक़्त और न
होने के बाद तुम फलदार दरख़्त लगाओगे तो िकसी चीज़ की िमक़दार नापते वक़्त। 36 सहीह
पहले तीन साल उनका फल न खाना बिल्क उसे तराज़ू, सहीह बाट और सहीह पै माना इस्ते माल
ममनू a समझना। 24 चौथे साल उनका तमाम करना। मैं रब तुम्हारा ख़ुदा हूँ जो तुम्हें िमसर से
फल ख़ुशी के मुक़द्दस नज़राने के तौर पर रब के िनकाल लाया हूँ ।
िलए मख़सूस िकया जाए। 25 पाँ चवें साल तुम 37 मे री तमाम िहदायात और तमाम अह-

उनका फल खा सकते हो। याें तुम्हारी फ़सल काम मानो और उन पर अमल करो। मैं रब हूँ ।”
बढ़ाई जाएगी। मैं रब तुम्हारा ख़ुदा हूँ ।
26 ऐसा गोश्त न खाना िजसमें ख़ून हो। फ़ाल जरायम की सज़ाएँ
या शुगून न िनकालना।
27 अपने सर के बाल गोल शक्ल में न

कटवाना, न अपनी दाढ़ी को तराशना। 28 अपने


20 रब ने मूसा से कहा, 2 “इसराई-
िलयाें को बताना िक तुममें से जो
भी अपने बच्चे को मिलक दे वता को क़ुरबानी
आपको मुरदाें के सबब से काटकर ज़ख़मी न के तौर पर पे श करे उसे सज़ाए-मौत दे नी है ।
करना, न अपनी िजल्द पर नुक़ूश गुदवाना। मैं इसमें कोई फ़रक़ नहीं िक वह इसराईली है या
रब हूँ । परदे सी। जमात के लोग उसे सं गसार करें । 3 मैं
ख़ुद ऐसे शख़्स के िख़लाफ़ हो जाऊँगा और उसे
उस की क़ौम में से िमटा डालूँगा। क्याें िक अपने
a
लफ़्ज़ी तरजुमा : नामख़तून।
147 अहबार 20:24
बच्चाें को मिलक को पे श करने से उसने मे रे शमर्नाक बात है । दोनाें को जला दे ना है तािक
मक़िदस को नापाक िकया और मे रे नाम को तुम्हारे दरिमयान कोई ऐसी ख़बीस बात न रहे ।
दाग़ लगाया है । 4 अगर जमात के लोग अपनी 15 जो मदर् िकसी जानवर से िंजसी ताल्लु-

आँखें बं द करके ऐसे शख़्स की हरकतें नज़रं दाज़ क़ात रखे उसे सज़ाए-मौत दे ना है । उस जानवर
करें और उसे सज़ाए-मौत न दें 5 तो िफर मैं ख़ुद को भी मार िदया जाए। 16 जो औरत िकसी
ऐसे शख़्स और उसके घराने के िख़लाफ़ खड़ा जानवर से िंजसी ताल्लुक़ात रखे उसे सज़ाए-
हो जाऊँगा। मैं उसे और उन तमाम लोगाें को मौत दे नी है । उस जानवर को भी मार िदया
क़ौम में से िमटा डालूँगा िजन्हाें ने उसके पीछे जाए। वह अपनी मौत के ख़ुद िज़म्मे दार हैं ।
लगकर मिलक दे वता को िसजदा करने से िज़ना 17 िजस मदर् ने अपनी बहन से शादी की है

िकया है । उसने शमर्नाक हरकत की है , चाहे वह बाप की


6 जो शख़्स मुरदाें से रािबता करने और बे टी हो या माँ की। उन्हें इसराईली क़ौम की
ग़ै बदानी करने वालाें की तरफ़ रुजू करता है मैं नज़राें से िमटाया जाए। ऐसे शख़्स ने अपनी
उसके िख़लाफ़ हो जाऊँगा। उनकी पै रवी करने बहन की बे हुरमती की है । इसिलए उसे ख़ुद
से वह िज़ना करता है । मैं उसे उस की क़ौम अपने क़ुसूर के नतीजे बरदाश्त करने पड़ें गे ।
में से िमटा डालूँगा। 7 अपने आपको मे रे िलए 18 अगर कोई मदर् माहवारी के ऐयाम में िकसी

मख़सूसो-मुक़द्दस रखो, क्याें िक मैं रब तुम्हारा औरत से हमिबसतर हुआ है तो दोनाें को उनकी
ख़ुदा हूँ । 8 मे री िहदायात मानो और उन पर क़ौम में से िमटाना है । क्याें िक दोनाें ने औरत के
अमल करो। मैं रब हूँ जो तुम्हें मख़सूसो-मुक़द्दस ख़ून के मं बा से परदा उठाया है ।
करता हूँ । 19 अपनी ख़ाला या फूफी से हमिबसतर न

9 िजसने भी अपने बाप या माँ पर लानत भे जी होना। क्याें िक जो ऐसा करता है वह अपनी
है उसे सज़ाए-मौत दी जाए। इस हरकत से वह क़रीबी िरश्ते दार की बे हुरमती करता है । दोनाें
अपनी मौत का ख़ुद िज़म्मे दार है । को अपने क़ुसूर के नतीजे बरदाश्त करने पड़ें गे ।
10 अगर िकसी मदर् ने िकसी की बीवी के साथ 20 जो अपनी चची या ताई से हमिबसतर हुआ

िज़ना िकया है तो दोनाें को सज़ाए-मौत दे नी है । है उसने अपने चचा या ताया की बे हुरमती की


11 जो मदर् अपने बाप की बीवी से हम- है । दोनाें को अपने क़ुसूर के नतीजे बरदाश्त
िबसतर हुआ है उसने अपने बाप की बे हुरमती करने पड़ें गे । वह बे औलाद मरें गे ।
की है । दोनाें को सज़ाए-मौत दे नी है । वह अपनी 21 िजसने अपनी भाबी से शादी की है उसने

मौत के ख़ुद िज़म्मे दार हैं । एक निजस हरकत की है । उसने अपने भाई की
12 अगर कोई मदर् अपनी बहू से हमिबसतर बे हुरमती की है । वह बे औलाद रहें गे।
हुआ है तो दोनाें को सज़ाए-मौत दे नी है । जो 22 मे री तमाम िहदायात और अहकाम को

कुछ उन्हाें ने िकया है वह िनहायत शमर्नाक है । मानो और उन पर अमल करो। वरना िजस
वह अपनी मौत के ख़ुद िज़म्मे दार हैं । मुल्क में मैं तुम्हें ले जा रहा हूँ वह तुम्हें उगल
13 अगर कोई मदर् िकसी दूसरे मदर् से िंजसी दे गा। 23 उन क़ौमाें के रस्मो-िरवाज के मुतािबक़
ताल्लुक़ात रखे तो दोनाें को इस िघनौनी हरकत िंज़दगी न गुज़ारना िजन्हें मैं तुम्हारे आगे से
के बाइस सज़ाए-मौत दे नी है । वह अपनी मौत िनकाल दूँ गा। मुझे इस सबब से उनसे िघन
के ख़ुद िज़म्मे दार हैं । आने लगी िक वह यह सब कुछ करते थे ।
14 अगर कोई आदमी अपनी बीवी के अलावा 24 ले िकन तुमसे मैं ने कहा, ‘तुम ही उनकी

उस की माँ से भी शादी करे तो यह एक िनहायत ज़मीन पर क़ब्ज़ा करोगे । मैं ही उसे तुम्हें दे
अहबार 20:25 148
दूँ गा, ऐसा मुल्क िजसमें कसरत का दूध और वह अपने रब के िलए मख़सूसो-मुक़द्दस हैं ।
शहद है ।’ मैं रब तुम्हारा ख़ुदा हूँ , िजसने तुमको 8 इमाम को मुक़द्दस समझना, क्याें िक वह ते रे

दीगर क़ौमाें में से चुनकर अलग कर िदया ख़ुदा की रोटी को क़ुरबानगाह पर चढ़ाता है ।
है । 25 इसिलए लािज़म है िक तुम ज़मीन पर वह ते रे िलए मुक़द्दस ठहरे क्याें िक मैं रब क़ुद्दस

चलने वाले जानवराें और पिंरदाें में पाक और हूँ । मैं ही तुम्हें मुक़द्दस करता हूँ ।
नापाक का इिम्तयाज़ करो। अपने आपको 9 िकसी इमाम की जो बे टी िज़नाकारी से

नापाक जानवर खाने से क़ािबले -िघन न बनाना, अपनी मुक़द्दस हालत को ख़त्म कर दे ती है वह
चाहे वह ज़मीन पर चलते या रें गते हैं , चाहे हवा अपने बाप की मुक़द्दस हालत को भी ख़त्म कर
में उड़ते हैं । मैं ही ने उन्हें तुम्हारे िलए नापाक दे ती है । उसे जला िदया जाए।
क़रार िदया है । 26 तुम्हें मे रे िलए मख़सूसो- 10 इमामे -आज़म के सर पर मसह का ते ल

मुक़द्दस होना है , क्याें िक मैं क़ुद्दस ू हूँ , और मैं ने उं डे ला गया है और उसे इमामे -आज़म के
तुम्हें दीगर क़ौमाें में से चुनकर अपने िलए अलग मुक़द्दस कपड़े पहनने का इिख़्तयार िदया गया
कर िलया है । है । इसिलए वह रं ज के आलम में अपने बालाें
27 तुममें से जो मुरदाें से रािबता या ग़ै बदानी को िबखरने न दे , न कभी अपने कपड़ाें को
करता है उसे सज़ाए-मौत दे नी है , ख़ाह औरत फाड़े । 11 वह िकसी लाश के क़रीब न जाए,
हो या मदर्। उन्हें सं गसार करना। वह अपनी मौत चाहे वह उसके बाप या माँ की लाश क्याें न
के ख़ुद िज़म्मे दार हैं ।” हो, वरना वह नापाक हो जाएगा। 12 जब तक
कोई लाश उसके घर में पड़ी रहे वह मक़िदस को
इमामाें के िलए िहदायात छोड़कर अपने घर न जाए, वरना वह मक़िदस

21 रब ने मूसा से कहा, “हारून के बे टाें


को जो इमाम हैं बता दे ना िक इमाम
अपने आपको िकसी इसराईली की लाश के
को नापाक करे गा। क्याें िक उसे उसके ख़ुदा
के ते ल से मख़सूस िकया गया है । मैं रब हूँ ।
13 इमामे -आज़म को िसफ़र् कँ ु वारी से शादी की

क़रीब जाने से नापाक न करे 2 िसवाए अपने इजाज़त है । 14 वह बे वा, तलाक़याफ़्ता औरत,
क़रीबी िरश्ते दाराें के यानी माँ , बाप, बे टा, बे टी, मं िदर की कसबी या िज़नाकार औरत से शादी
भाई 3 और जो ग़ै रशादीशुदा बहन उसके घर में न करे बिल्क िसफ़र् अपने क़बीले की कँ ु वारी
रहती है । 4 वह अपनी क़ौम में िकसी और के से , 15 वरना उस की औलाद मख़सूसो-मुक़द्दस
बाइस अपने आपको नापाक न करे , वरना उस नहीं होगी। क्याें िक मैं रब हूँ जो उसे अपने िलए
की मुक़द्दस हालत जाती रहे गी। मख़सूसो-मुक़द्दस करता हूँ ।”
5 इमाम अपने सर को न मुँडवाएँ । वह न 16 रब ने मूसा से यह भी कहा, 17 “हारून को

अपनी दाढ़ी को तराशें और न काटने से अपने बताना िक ते री औलाद में से कोई भी िजसके
आपको ज़ख़मी करें । िजस्म में नुक़्स हो मे रे हुज़ूर आकर अपने ख़ुदा
6 वह अपने ख़ुदा के िलए मख़सूसो-मुक़द्दस की रोटी न चढ़ाए। यह उसूल आने वाली नसलाें
रहें और अपने ख़ुदा के नाम को दाग़ न के िलए भी अटल है । 18 क्याें िक कोई भी माज़ूर
लगाएँ । चूँिक वह रब को जलने वाली क़ुरबािनयाँ मे रे हुज़ूर न आए, न अं धा, न लँ गड़ा, न वह
यानी अपने ख़ुदा की रोटी पे श करते हैं िजसकी नाक िचरी हुई हो या िजसके िकसी
इसिलए लािज़म है िक वह मुक़द्दस रहें । अज़ु में कमी बे शी हो, 19 न वह िजसका पाँ व
7 इमाम िज़नाकार औरत, मं िदर की कसबी या या हाथ टू टा हुआ हो, 20 न कुबड़ा, न बौना, न
तलाक़याफ़्ता औरत से शादी न करें , क्याें िक वह िजसकी आँख में नुक़्स हो या िजसे वबाई
149 अहबार 22:16
िजल्दी बीमारी हो या िजसके ख़ुिसये कुचले ऐसी कोई भी चीज़ छु ए वह शाम तक नापाक
हुए हाें । 21 हारून इमाम की कोई भी औलाद रहे गा। इसके अलावा लािज़म है िक वह मुक़द्दस
िजसके िजस्म में नुक़्स हो मे रे हुज़ूर आकर रब क़ुरबािनयाें में से अपना िहस्सा खाने से पहले
को जलने वाली क़ुरबािनयाँ पे श न करे । चूँिक नहा ले । 7 सूरज के ग़ुरूब होने पर वह पाक होगा
उसमें नुक़्स है इसिलए वह मे रे हुज़ूर आकर और मुक़द्दस क़ुरबािनयाें में से अपना िहस्सा खा
अपने ख़ुदा की रोटी न चढ़ाए। 22 उसे अल्लाह सकेगा। क्याें िक वह उस की रोज़ी हैं । 8 इमाम
की मुक़द्दस बिल्क मुक़द्दसतरीन क़ुरबािनयाें में ऐसे जानवराें का गोश्त न खाए जो िफ़तरी तौर
से भी इमामाें का िहस्सा खाने की इजाज़त पर मर गए या िजन्हें जं गली जानवराें ने फाड़
है । 23 ले िकन चूँिक उसमें नुक़्स है इसिलए वह डाला हो, वरना वह नापाक हो जाएगा। मैं रब
मुक़द्दसतरीन कमरे के दरवाज़े के परदे के क़रीब हूँ ।
न जाए, न क़ुरबानगाह के पास आए। वरना वह 9 इमाम मे री िहदायात के मुतािबक़ चलें ,

मे री मुक़द्दस चीज़ाें को नापाक करे गा। क्याें िक वरना वह क़ुसूरवार बन जाएं गे और मुक़द्दस
मैं रब हूँ जो उन्हें अपने िलए मख़सूसो-मुक़द्दस चीज़ाें की बे हुरमती करने के सबब से मर
करता हूँ ।” जाएं गे। मैं रब हूँ जो उन्हें अपने िलए मख़सूसो-
24 मूसा ने यह िहदायात हारून, उसके बे टाें मुक़द्दस करता हूँ ।
और तमाम इसराईिलयाें को दीं। 10 िसफ़र् इमाम के ख़ानदान के अफ़राद

मुक़द्दस क़ुरबािनयाें में से खा सकते हैं । ग़ै रशहरी


क़ुरबानी का गोश्त खाने की िहदायात या मज़दूर को इजाज़त नहीं है । 11 ले िकन इमाम

22 रब ने मूसा से कहा, 2 “हारून


और उसके बे टाें को बताना िक
इसराईिलयाें की उन क़ुरबािनयाें का एहतराम
का ग़ुलाम या लाैं डी उसमें से खा सकते हैं ,
चाहे उन्हें ख़रीदा गया हो या वह उसके घर में
पै दा हुए हाें । 12 अगर इमाम की बे टी ने िकसी
करो जो तुमने मे रे िलए मख़सूसो-मुक़द्दस की ऐसे शख़्स से शादी की है जो इमाम नहीं है तो
हैं , वरना तुम मे रे नाम को दाग़ लगाओगे । मैं उसे मुक़द्दस क़ुरबािनयाें में से खाने की इजाज़त
रब हूँ । 3 जो इमाम नापाक होने के बावुजूद उन नहीं है । 13 ले िकन हो सकता है िक वह बे वा या
क़ुरबािनयाें के पास आ जाए जो इसराईिलयाें ने तलाक़याफ़्ता हो और उसके बच्चे न हाें । जब
मे रे िलए मख़सूसो-मुक़द्दस की हैं उसे मे रे सामने वह अपने बाप के घर लौटकर वहाँ ऐसे रहे गी
से िमटाना है । यह उसूल आने वाली नसलाें के जै से अपनी जवानी में तो वह अपने बाप के
िलए भी अटल है । मैं रब हूँ । उस खाने में से खा सकती है जो क़ुरबािनयाें
4 हारून की औलाद में से जो भी वबाई में से बाप का िहस्सा है । ले िकन जो इमाम के
िजल्दी बीमारी या जरयान का मरीज़ हो उसे ख़ानदान का फ़रद नहीं है उसे खाने की इजाज़त
मुक़द्दस क़ुरबािनयाें में से अपना िहस्सा खाने नहीं है ।
की इजाज़त नहीं है । पहले वह पाक हो जाए। 14 िजस शख़्स ने नादािनस्ता तौर पर मुक़द्दस

जो ऐसी कोई भी चीज़ छु ए जो लाश से नापाक क़ुरबािनयाें में से इमाम के िहस्से से कुछ खाया
हो गई हो या ऐसे आदमी को छु ए िजसका है वह इमाम को सब कुछ वापस करने के
नुतफ़ा िनकला हो वह नापाक हो जाता है । 5 वह अलावा 20 फ़ीसद ज़्यादा दे । 15 इमाम रब को
नापाक रें गने वाले जानवर या नापाक शख़्स को पे श की हुई क़ुरबािनयाें की मुक़द्दस हालत याें
छू ने से भी नापाक हो जाता है , ख़ाह वह िकसी ख़त्म न करें 16 िक वह दूसरे इसराईिलयाें को
भी सबब से नापाक क्याें न हुआ हो। 6 जो यह मुक़द्दस चीज़ें खाने दें । ऐसी हरकत से वह
अहबार 22:17 150
उनको बड़ा क़ुसूरवार बना दें गे । मैं रब हूँ जो उन्हें जानवराें के बाइस मं ज़ूर नहीं होगे , क्याें िक उनमें
अपने िलए मख़सूसो-मुक़द्दस करता हूँ ।” ख़राबी और नुक़्स है ।”
26 रब ने मूसा से यह भी कहा, 27 “जब िकसी

जानवराें की क़ुरबािनयाें गाय, भे ड़ या बकरी का बच्चा पै दा होता है


के बारे में िहदायात तो लािज़म है िक वह पहले सात िदन अपनी
17 रब ने मूसा से कहा, 18 “हारून, उसके बे टाें माँ के पास रहे । आठवें िदन से पहले रब उसे
और इसराईिलयाें को बताना िक अगर तुममें जलने वाली क़ुरबानी के तौर पर क़बूल नहीं
से कोई इसराईली या परदे सी रब को भस्म करे गा। 28 िकसी गाय, भे ड़ या बकरी के बच्चे
होने वाली क़ुरबानी पे श करना चाहे तो तरीक़े- को उस की माँ समे त एक ही िदन ज़बह न
कार में कोई फ़रक़ नहीं है , चाहे वह यह मन्नत करना। 29 जब तुम रब को सलामती की कोई
मानकर या वै से ही िदली ख़ुशी से कर रहा हो। क़ुरबानी चढ़ाना चाहते हो तो उसे याें पे श करना
19 इसके िलए लािज़म है िक तुम एक बे ऐब बै ल, िक तुम मं ज़ूर हो जाओ। 30 अगली सुबह तक

में ढा या बकरा पे श करो। िफर ही उसे क़बूल कुछ बचा न रहे बिल्क उसे उसी िदन खाना है ।
िकया जाएगा। 20 क़ुरबानी के िलए कभी भी मैं रब हूँ ।
ऐसा जानवर पे श न करना िजसमें नुक़्स हो, 31 मे रे अहकाम मानो और उन पर अमल

वरना तुम उसके बाइस मं ज़ूर नहीं होगे । 21 अगर करो। मैं रब हूँ । 32 मे रे नाम को दाग़ न लगाना।
कोई रब को सलामती की क़ुरबानी पे श करना लािज़म है िक मुझे इसराईिलयाें के दरिमयान
चाहे तो तरीक़े-कार में कोई फ़रक़ नहीं है , चाहे क़ुद्दस ू माना जाए। मैं रब हूँ जो तुम्हें अपने िलए
वह यह मन्नत मानकर या वै से ही िदली ख़ुशी मख़सूसो-मुक़द्दस करता हूँ । 33 मैं तुम्हें िमसर से
से कर रहा हो। इसके िलए लािज़म है िक वह िनकाल लाया हूँ तािक तुम्हारा ख़ुदा हूँ । मैं रब
गाय-बै लाें या भे ड़-बकिरयाें में से बे ऐब जानवर हूँ ।”
चुने। िफर उसे क़बूल िकया जाएगा। 22 रब को
ऐसे जानवर पे श न करना जो अं धे हाें , िजनके 23 रब ने मूसा से कहा, 2 “इसराई-
िलयाें को बताना िक यह मे री, रब
आज़ा टू टे या कटे हुए हाें , िजनको रसौली हो की ईदें हैं िजन पर तुम्हें लोगाें को मुक़द्दस
या िजन्हें वबाई िजल्दी बीमारी लग गई हो। इजितमा के िलए जमा करना है ।
रब को उन्हें जलने वाली क़ुरबानी के तौर पर
क़ुरबानगाह पर पे श न करना। 23 ले िकन िजस सबत का िदन
गाय-बै ल या भे ड़-बकरी के िकसी अज़ु में कमी 3 हफ़ते में छः िदन काम करना, ले िकन
बे शी हो उसे पे श िकया जा सकता है । शतर् यह सातवाँ िदन हर तरह से आराम का िदन है । उस
है िक पे श करने वाला उसे वै से ही िदली ख़ुशी िदन मुक़द्दस इजितमा हो। जहाँ भी तुम रहते
से चढ़ाए। अगर वह उसे अपनी मन्नत मानकर हो वहाँ काम न करना। यह िदन रब के िलए
पे श करे तो वह क़बूल नहीं िकया जाएगा। 24 रब मख़सूस सबत है ।
को ऐसा जानवर पे श न करना िजसके ख़ुिसये
कुचले , तोड़े या कटे हुए हाें । अपने मुल्क में फ़सह की ईद और बे ख़मीरी रोटी की ईद
जानवराें को इस तरह ख़सी न बनाना, 25 न 4 यह रब की ईदें हैं िजन पर तुम्हें लोगाें को

ऐसे जानवर िकसी ग़ै रमुल्की से ख़रीदकर अपने मुक़द्दस इजितमा के िलए जमा करना है ।
ख़ुदा की रोटी के तौर पर पे श करना। तुम ऐसे 5 फ़सह की ईद पहले महीने के चौधवें िदन

शुरू होती है । उस िदन सूरज के ग़ुरूब होने पर


151 अहबार 23:27
रब की ख़ुशी मनाई जाए। 6 अगले िदन रब की जाए। उनमें ख़मीर डालकर पकाना है । यह
याद में बे ख़मीरी रोटी की ईद शुरू होती है । सात फ़सल की पहली पै दावार की क़ुरबानी हैं । 18 इन
िदन तक तुम्हारी रोटी में ख़मीर न हो। 7 इन सात रोिटयाें के साथ एक जवान बै ल, दो में ढे और
िदनाें के पहले िदन मुक़द्दस इजितमा हो और भे ड़ के सात बे ऐब और यकसाला बच्चे पे श
लोग अपना हर काम छोड़ें । 8 इन सात िदनाें में करो। उन्हें रब के हुज़ूर भस्म होने वाली क़ुरबानी
रोज़ाना रब को जलने वाली क़ुरबानी पे श करो। के तौर पर चढ़ाना। इसके अलावा ग़ल्ला की
सातवें िदन भी मुक़द्दस इजितमा हो और लोग नज़र और मै की नज़र भी पे श करनी है ।
अपना हर काम छोड़ें ।” जलने वाली इस क़ुरबानी की ख़ुशबू रब को
पसं द है । 19 िफर गुनाह की क़ुरबानी के िलए
पहले पूले की ईद एक बकरा और सलामती की क़ुरबानी के िलए
9 रब ने मूसा से कहा, 10 “इसराईिलयाें को दो यकसाला भे ड़ के बच्चे चढ़ाओ। 20 इमाम
बताना िक जब तुम उस मुल्क में दािख़ल होगे भे ड़ के यह दो बच्चे मज़कूरा रोिटयाें समे त
जो मैं तुम्हें दूँ गा और वहाँ अनाज की फ़सल िहलाने वाली क़ुरबानी के तौर पर रब के सामने
काटोगे तो तुम्हें इमाम को पहला पूला दे ना है । िहलाए। यह रब के िलए मख़सूसो-मुक़द्दस हैं
11 इतवार को इमाम यह पूला रब के सामने और क़ुरबािनयाें में से इमाम का िहस्सा हैं ।
िहलाए तािक तुम मं ज़ूर हो जाओ। 12 उस िदन 21 उसी िदन लोगाें को मुक़द्दस इजितमा के िलए

भे ड़ का एक यकसाला बे ऐब बच्चा भी रब जमा करो। कोई भी काम न करना। यह उसूल


को पे श करना। उसे क़ुरबानगाह पर भस्म अबद तक क़ायम रहे , और इसे हर जगह मानना
होने वाली क़ुरबानी के तौर पर चढ़ाना। 13 साथ है ।
ही ग़ल्ला की नज़र के िलए ते ल से िमलाया 22 कटाई के वक़्त अपनी फ़सल पूरे तौर पर

गया 3 िकलोग्राम बे हतरीन मै दा भी पे श करना। न काटना बिल्क खे त के िकनाराें पर कुछ छोड़


जलने वाली यह क़ुरबानी रब को पसं द है । इसके दे ना। इस तरह जो कुछ कटाई करते वक़्त खे त
अलावा मै की नज़र के िलए एक िलटर मै भी में बच जाए उसे छोड़ना। बचा हुआ अनाज
पे श करना। 14 पहले यह सब कुछ करो, िफर ही ग़रीबाें और परदे िसयाें के िलए छोड़ दे ना। मैं
तुम्हें नई फ़सल के अनाज से खाने की इजाज़त रब तुम्हारा ख़ुदा हूँ ।”
होगी, ख़ाह वह भुना हुआ हो, ख़ाह कच्चा या
रोटी की सूरत में पकाया गया हो। जहाँ भी तुम नए साल की ईद
रहते हो वहाँ ऐसा ही करना है । यह उसूल अबद 23 रब ने मूसा से कहा, 24 “इसराईिलयाें को
तक क़ायम रहे । बताना िक सातवें महीने का पहला िदन आराम
का िदन है । उस िदन मुक़द्दस इजितमा हो िजस
हफ़ताें की ईद यानी पं ितकु स्त पर याद िदलाने के िलए नरिंसगा फँ ू का जाए।
15 िजस िदन तुमने अनाज का पूला पे श िकया 25 कोई भी काम न करना। रब को जलने वाली

उस िदन से पूरे सात हफ़ते िगनो। 16 पचासवें क़ुरबानी पे श करना।”


िदन यानी सातवें इतवार को रब को नए अनाज
की क़ुरबानी चढ़ाना। 17 हर घराने की तरफ़ कफ़्फ़ारा का िदन
से रब को िहलाने वाली क़ुरबानी के तौर पर 26 रब ने मूसा से कहा, 27 “सातवें महीने
दो रोिटयाँ पे श की जाएँ । हर रोटी के िलए का दसवाँ िदन कफ़्फ़ारा का िदन है । उस िदन
3 िकलोग्राम बे हतरीन मै दा इस्ते माल िकया मुक़द्दस इजितमा हो। अपनी जान को दुख
अहबार 23:28 152
दे ना और रब को जलने वाली क़ुरबानी पे श िदन हैं । 40 पहले िदन अपने िलए दरख़्ताें के
करना। 28 उस िदन काम न करना, क्याें िक यह बे हतरीन फल, खजूर की डािलयाँ और घने
कफ़्फ़ारा का िदन है , जब रब तुम्हारे ख़ुदा के दरख़्ताें और सफ़ेदा की शाख़ें तोड़ना। सात िदन
सामने तुम्हारा कफ़्फ़ारा िदया जाता है । 29 जो तक रब अपने ख़ुदा के सामने ख़ुशी मनाओ।
उस िदन अपनी जान को दुख नहीं दे ता उसे 41 हर साल सातवें महीने में रब की ख़ुशी में यह

उस की क़ौम में से िमटाया जाए। 30 जो उस ईद मनाना। यह उसूल अबद तक क़ायम रहे ।


िदन काम करता है उसे मैं उस की क़ौम में से 42 ईद के हफ़ते के दौरान झाें पिड़याें में रहना।

िनकालकर हलाक करूँगा। 31 कोई भी काम न तमाम मुल्क में आबाद इसराईली ऐसा करें ।
करना। यह उसूल अबद तक क़ायम रहे , और 43 िफर तुम्हारी औलाद जाने गी िक इसराईिलयाें

इसे हर जगह मानना है । 32 यह िदन आराम का को िमसर से िनकालते वक़्त मैं ने उन्हें झाें पिड़याें
ख़ास िदन है िजसमें तुम्हें अपनी जान को दुख में बसाया। मैं रब तुम्हारा ख़ुदा हूँ ।”
दे ना है । इसे महीने के नवें िदन की शाम से ले कर 44 मूसा ने इसराईिलयाें को रब की ईदाें के

अगली शाम तक मनाना।” बारे में यह बातें बताइर्ं ।

झाें पिड़याें की ईद रब के सामने शमादान और रोिटयाँ

24
33 रब ने मूसा से कहा, 34 “इसराईिलयाें रब ने मूसा से कहा, 2 “इसराई-
को बताना िक सातवें महीने के पं द्रहवें िदन िलयाें को हुक्म दे िक वह ते रे पास
झाें पिड़याें की ईद शुरू होती है । इसका दौरािनया कूटे हुए ज़ै तूनाें का ख़ािलस ते ल ले आएँ तािक
सात िदन है । 35 पहले िदन मुक़द्दस इजितमा हो। मुक़द्दस कमरे के शमादान के चराग़ मुतवाितर
इस िदन कोई काम न करना। 36 इन सात िदनाें जलते रहें । 3 हारून उन्हें मुसलसल, शाम से
के दौरान रब को जलने वाली क़ुरबािनयाँ पे श ले कर सुबह तक रब के हुज़ूर सँ भाले यानी वहाँ
करना। आठवें िदन मुक़द्दस इजितमा हो। रब जहाँ वह मुक़द्दसतरीन कमरे के परदे के सामने
को जलने वाली क़ुरबानी पे श करो। इस ख़ास पड़े हैं , उस परदे के सामने िजसके पीछे अहद
इजितमा के िदन भी काम नहीं करना है । का सं दूक़ है । यह उसूल अबद तक क़ायम रहे ।
37 यह रब की ईदें हैं िजन पर तुम्हें मुक़द्दस 4 वह ख़ािलस सोने के शमादान पर लगे चराग़ाें

इजितमा करना है तािक रब को रोज़मरार् की की दे ख-भाल याें करे िक यह हमे शा रब के


मतलूबा जलने वाली क़ुरबािनयाँ और मै की सामने जलते रहें ।
नज़रें पे श की जाएँ यानी भस्म होने वाली 5 बारह रोिटयाँ पकाना। हर रोटी के िलए

क़ुरबािनयाँ , ग़ल्ला की नज़रें , ज़बह की 3 िकलोग्राम बे हतरीन मै दा इस्ते माल िकया


क़ुरबािनयाँ और मै की नज़रें । 38 यह क़ुरबािनयाँ जाए। 6 उन्हें दो क़ताराें में रब के सामने ख़ािलस
उन क़ुरबािनयाें के अलावा हैं जो सबत के िदन सोने की मे ज़ पर रखना। 7 हर क़तार पर
चढ़ाई जाती हैं और जो तुमने हिदये के तौर पर ख़ािलस लुबान डालना। यह लुबान रोटी के
या मन्नत मानकर या अपनी िदली ख़ुशी से पे श िलए यादगारी की क़ुरबानी है िजसे बाद में
की हैं । रब के िलए जलाना है । 8 हर हफ़ते को रब के
39 चुनाँ चे सातवें महीने के पं द्रहवें िदन फ़सल सामने ताज़ा रोिटयाँ इसी तरतीब से मे ज़ पर
की कटाई के इिख़्तताम पर रब की यह ईद रखनी हैं । यह इसराईिलयाें के िलए अबदी अहद
यानी झाें पिड़याें की ईद मनाओ। इसे सात िदन की लािज़मी शतर् है । 9 मे ज़ की रोिटयाँ हारून
मनाना। पहला और आिख़री िदन आराम के और उसके बे टाें का िहस्सा हैं , और वह उन्हें
153 अहबार 25:7
मुक़द्दस जगह पर खाएँ , क्याें िक वह जलने वाली जाए। 21 िजसने िकसी जानवर को मार डाला है
क़ुरबािनयाें का मुक़द्दसतरीन िहस्सा हैं । यह वह उसका मुआवज़ा दे , ले िकन िजसने िकसी
अबद तक उनका हक़ रहे गा।” इनसान को मार िदया है उसे सज़ाए-मौत दे नी
है । 22 दे सी और परदे सी के िलए तुम्हारा एक ही
अल्लाह की तौहीन, ख़ूनरे ज़ी और क़ानून हो। मैं रब तुम्हारा ख़ुदा हूँ ।”
ज़ख़मी करने की सज़ाएँ 23 िफर मूसा ने इसराईिलयाें से बात की, और
10-11 ख़ै मागाह में एक आदमी था िजसका उन्हाें ने रब पर लानत भे जने वाले को ख़ै मागाह

बाप िमसरी और माँ इसराईली थी। माँ का नाम से बाहर ले जाकर उसे सं गसार िकया। उन्हाें ने
सलूमीत था। वह िदबरी की बे टी और दान के वै सा ही िकया जै सा रब ने मूसा को हुक्म िदया
क़बीले की थी। एक िदन यह आदमी ख़ै मागाह था।
में िकसी इसराईली से झगड़ने लगा। लड़ते
लड़ते उसने रब के नाम पर कुफ़र बककर उस ज़मीन के िलए सबत का साल
पर लानत भे जी। यह सुनकर लोग उसे मूसा
के पास ले आए। 12 वहाँ उन्हाें ने उसे पहरे में
िबठाकर रब की िहदायत का इं तज़ार िकया।
25 रब ने सीना पहाड़ पर मूसा से कहा,
2 “इसराईिलयाें को बताना िक जब

तुम उस मुल्क में दािख़ल होगे जो मैं तुम्हें दूँ गा


13 तब रब ने मूसा से कहा, 14 “लानत तो लािज़म है िक रब की ताज़ीम में ज़मीन

करने वाले को ख़ै मागाह के बाहर ले जाओ। एक साल आराम करे । 3 छः साल के दौरान
िजन्हाें ने उस की यह बातें सुनी हैं वह सब अपने अपने खे ताें में बीज बोना, अपने अं गूर के बाग़ाें
हाथ उसके सर पर रखें । िफर पूरी जमात उसे की काँ ट-छाँ ट करना और उनकी फ़सलें जमा
सं गसार करे । 15 इसराईिलयाें से कहना िक जो करना। 4 ले िकन सातवाँ साल ज़मीन के िलए
भी अपने ख़ुदा पर लानत भे जे उसे अपने क़ुसूर आराम का साल है , रब की ताज़ीम में सबत
के नतीजे बरदाश्त करने पड़ें गे । 16 जो भी रब के का साल। उस साल न अपने खे ताें में बीज
नाम पर कुफ़र बके उसे सज़ाए-मौत दी जाए। बोना, न अपने अं गूर के बाग़ाें की काँ ट-छाँ ट
पूरी जमात उसे सं गसार करे । िजसने रब के नाम करना। 5 जो अनाज ख़ुद बख़ुद उगता है उस
पर कुफ़र बका हो उसे ज़रूर सज़ाए-मौत दे नी की कटाई न करना और जो अं गूर उस साल
है , ख़ाह दे सी हो या परदे सी। लगते हैं उनको तोड़कर जमा न करना, क्याें िक
17 िजसने िकसी को मार डाला है उसे सज़ाए- ज़मीन को एक साल के िलए आराम करना

मौत दी जाए। 18 िजसने िकसी के जानवर को है । 6 अलबत्ता जो भी यह ज़मीन आराम के


मार डाला है वह उसका मुआवज़ा दे । जान के साल में पै दा करे गी उससे तुम अपनी रोज़ाना
बदले जान दी जाए। 19 अगर िकसी ने िकसी की ज़रूिरयात पूरी कर सकते हो यानी तू, ते रे
को ज़ख़मी कर िदया है तो वही कुछ उसके साथ ग़ुलाम और लाैं िडयाँ , ते रे मज़दूर, ते रे ग़ै रशहरी,
िकया जाए जो उसने दूसरे के साथ िकया है । ते रे साथ रहने वाले परदे सी, 7 ते रे मवे शी और
20 अगर दूसरे की कोई हड्डी टू ट जाए तो उस ते री ज़मीन पर रहने वाले जं गली जानवर। जो

की वही हड्डी तोड़ी जाए। अगर दूसरे की आँख कुछ भी यह ज़मीन पै दा करती है वह खाया जा
ज़ाया हो जाए तो उस की आँख ज़ाया कर दी सकता है ।
जाए। अगर दूसरे का दाँ त टू ट जाए तो उसका
वही दाँ त तोड़ा जाए। जो भी ज़ख़म उसने
दूसरे को पहुँ चाया वही ज़ख़म उसे पहुँ चाया
अहबार 25:8 154
बहाली का साल अपनी पूरी पै दावार दे गी, तुम से र हो जाओगे
8 सात सबत के साल यानी 49 साल के बाद और महफ़ूज़ रहोगे । 20 हो सकता है कोई पूछे,
एक और काम करना है । 9 पचासवें साल के ‘हम सातवें साल में क्या खाएँ गे जबिक हम
सातवें महीने के दसवें िदन यानी कफ़्फ़ारा के बीज नहीं बोएँ गे और फ़सल नहीं काटें गे?’
िदन अपने मुल्क की हर जगह नरिंसगा बजाना। 21 जवाब यह है िक मैं छटे साल में ज़मीन को

10 पचासवाँ साल मख़सूसो-मुक़द्दस करो और इतनी बरकत दूँ गा िक उस साल की पै दावार


पूरे मुल्क में एलान करो िक तमाम बािंशदाें को तीन साल के िलए काफ़ी होगी। 22 जब तुम
आज़ाद कर िदया जाए। यह बहाली का साल हो आठवें साल बीज बोओगे तो तुम्हारे पास छटे
िजसमें हर शख़्स को उस की िमलिकयत वापस साल की इतनी पै दावार बाक़ी होगी िक तुम
की जाए और हर ग़ुलाम को आज़ाद िकया जाए फ़सल की कटाई तक गुज़ारा कर सकोगे ।
तािक वह अपने िरश्ते दाराें के पास वापस जा
सके। 11 यह पचासवाँ साल बहाली का साल मौरूसी ज़मीन के हुक़ू क़
हो, इसिलए न अपने खे ताें में बीज बोना, न ख़ुद 23 कोई ज़मीन भी हमे शा के िलए न बे ची
बख़ुद उगने वाले अनाज की कटाई करना, और जाए, क्याें िक मुल्क की तमाम ज़मीन मे री ही
न अं गूर तोड़कर जमा करना। 12 क्याें िक यह है । तुम मे रे हुज़ूर िसफ़र् परदे सी और ग़ै रशहरी
बहाली का साल है जो तुम्हारे िलए मख़सूसो- हो। 24 मुल्क में जहाँ भी ज़मीन िबक जाए वहाँ
मुक़द्दस है । रोज़ाना उतनी ही पै दावार ले ना िक मौरूसी मािलक का यह हक़ माना जाए िक वह
एक िदन की ज़रूिरयात पूरी हो जाएँ । 13 बहाली अपनी ज़मीन वापस ख़रीद सकता है ।
के साल में हर शख़्स को उस की िमलिकयत 25 अगर ते रा कोई हमवतन भाई ग़रीब होकर

वापस की जाए। अपनी कुछ ज़मीन बे चने पर मजबूर हो जाए तो


14 चुनाँ चे जब कभी तुम अपने िकसी हमवतन लािज़म है िक उसका सबसे क़रीबी िरश्ते दार
भाई को ज़मीन बे चते या उससे ख़रीदते हो तो उसे वापस ख़रीद ले । 26 हो सकता है िक ऐसे
उससे नाजायज़ फ़ायदा न उठाना। 15 ज़मीन शख़्स का कोई क़रीबी िरश्ते दार न हो जो उस
की क़ीमत इस िहसाब से मुक़रर् र की जाए िक की ज़मीन वापस ख़रीद सके, ले िकन वह ख़ुद
वह अगले बहाली के साल तक िकतने साल कुछ दे र के बाद इतने पै से जमा करता है िक वह
फ़सलें पै दा करे गी। 16 अगर बहुत साल रह गए अपनी ज़मीन वापस ख़रीद सकता है । 27 इस
हाें तो उस की क़ीमत ज़्यादा होगी, और अगर सूरत में वह िहसाब करे िक ख़रीदने वाले के िलए
कम साल रह गए हाें तो उस की क़ीमत कम अगले बहाली के साल तक िकतने साल रह गए
होगी। क्याें िक उन फ़सलाें की तादाद िबक रही हैं । िजतना नुक़सान ख़रीदने वाले को ज़मीन को
है जो ज़मीन अगले बहाली के साल तक पै दा बहाली के साल से पहले वापस दे ने से पहुँ चेगा
कर सकती है । उतने ही पै से उसे दे ने हैं । 28 ले िकन अगर उसके
17 अपने हमवतन से नाजायज़ फ़ायदा न पास इतने पै से न हाें तो ज़मीन अगले बहाली के
उठाना बिल्क रब अपने ख़ुदा का ख़ौफ़ मानना, साल तक ख़रीदने वाले के हाथ में रहे गी। िफर
क्याें िक मैं रब तुम्हारा ख़ुदा हूँ । उसे मौरूसी मािलक को वापस िदया जाएगा।
18 मे री िहदायात पर अमल करना और मे रे 29 अगर िकसी का घर फ़सीलदार शहर में

अहकाम को मानकर उनके मुतािबक़ चलना। है तो जब वह उसे बे चेगा तो अपना घर


तब तुम अपने मुल्क में महफ़ूज़ रहोगे । 19 ज़मीन वापस ख़रीदने का हक़ िसफ़र् एक साल तक
रहे गा। 30 अगर पहला मािलक उसे पहले साल
155 अहबार 25:50
के अं दर अं दर न ख़रीदे तो वह हमे शा के इसराईली ग़ुलामाें के हुक़ू क़
िलए ख़रीदने वाले की मौरूसी िमलिकयत बन 39 अगर ते रा कोई इसराईली भाई ग़रीब
जाएगा। वह बहाली के साल में भी वापस नहीं होकर अपने आपको ते रे हाथ बे च डाले तो उससे
िकया जाएगा। ग़ुलाम का-सा काम न कराना। 40 उसके साथ
31 ले िकन जो घर ऐसी आबादी में है िजसकी मज़दूर या ग़ै रशहरी का-सा सुलूक करना। वह
फ़सील न हो वह दे हात में शुमार िकया जाता है । ते रे िलए बहाली के साल तक काम करे । 41 िफर
उसके मौरूसी मािलक को हक़ हािसल है िक वह और उसके बाल-बच्चे आज़ाद होकर अपने
हर वक़्त अपना घर वापस ख़रीद सके। बहाली िरश्ते दाराें और मौरूसी ज़मीन के पास वापस
के साल में इस घर को लािज़मन वापस कर दे ना जाएँ । 42 चूँिक इसराईली मे रे ख़ािदम हैं िजन्हें मैं
है । िमसर से िनकाल लाया इसिलए उन्हें ग़ुलामी
32 ले िकन लािवयाें को यह हक़ हािसल है में न बे चा जाए। 43 ऐसे लोगाें पर सख़्ती से
िक वह अपने वह घर हर वक़्त ख़रीद सकते हुक्मरानी न करना बिल्क अपने ख़ुदा का ख़ौफ़
हैं जो उनके िलए मुक़रर् र िकए हुए शहराें में हैं । मानना।
33 अगर ऐसा घर िकसी लावी के हाथ फ़रोख़्त 44 तुम पड़ोसी ममािलक से अपने िलए

िकया जाए और वापस न ख़रीदा जाए तो उसे ग़ुलाम और लाैं िडयाँ हािसल कर सकते हो।
लािज़मन बहाली के साल में वापस करना है । 45 जो परदे सी ग़ै रशहरी के तौर पर तुम्हारे मुल्क

क्याें िक लावी के जो घर उनके मुक़रर् रा शहराें में आबाद हैं उन्हें भी तुम ख़रीद सकते हो। उनमें
में होते हैं वह इसराईिलयाें में उनकी मौरूसी वह भी शािमल हैं जो तुम्हारे मुल्क में पै दा हुए हैं ।
िमलिकयत हैं । 34 ले िकन जो ज़मीनें शहराें के वही तुम्हारी िमलिकयत बनकर 46 तुम्हारे बे टाें
इदर्िगदर् मवे शी चराने के िलए मुक़रर् र हैं उन्हें की मीरास में आ जाएँ और वही हमे शा तुम्हारे
बे चने की इजाज़त नहीं है । वह उनकी दायमी ग़ुलाम रहें । ले िकन अपने हमवतन भाइयाें पर
िमलिकयत हैं । सख़्त हुक्मरानी न करना।
47 अगर ते रे मुल्क में रहने वाला कोई परदे सी

ग़रीबाें के िलए क़ज़ार् या ग़ै रशहरी अमीर हो जाए जबिक ते रा कोई


35 अगर ते रा कोई हमवतन भाई ग़रीब हो हमवतन भाई ग़रीब होकर अपने आपको उस
जाए और गुज़ारा न कर सके तो उस की मदद परदे सी या ग़ै रशहरी या उसके ख़ानदान के
कर। उस तरह उस की मदद करना िजस तरह िकसी फ़रद को बे च डाले 48 तो िबक जाने
परदे सी या ग़ै रशहरी की मदद करनी होती है के बाद उसे आज़ादी ख़रीदने का हक़ हािसल
तािक वह ते रे साथ रहते हुए िंज़दगी गुज़ार सके। है । कोई भाई, 49 चचा, ताया, चचा या ताया
36 उससे िकसी तरह का सूद न ले ना बिल्क का बे टा या कोई और क़रीबी िरश्ते दार उसे
अपने ख़ुदा का ख़ौफ़ मानना तािक ते रा भाई वापस ख़रीद सकता है । वह ख़ुद भी अपनी
ते रे साथ िंज़दगी गुज़ार सके। 37 अगर वह ते रा आज़ादी ख़रीद सकता है अगर उसके पास पै से
क़ज़र्दार हो तो उससे सूद न ले ना। इसी तरह काफ़ी हाें । 50 इस सूरत में वह अपने मािलक
ख़ुराक बे चते वक़्त उससे नफ़ा न ले ना। 38 मैं से िमलकर वह साल िगने जो उसके ख़रीदने
रब तुम्हारा ख़ुदा हूँ । मैं तुम्हें इसिलए िमसर से से ले कर अगले बहाली के साल तक बाक़ी
िनकाल लाया िक तुम्हें मुल्के-कनान दूँ और हैं । उस की आज़ादी के पै से उस क़ीमत पर
तुम्हारा ख़ुदा हूँ । मबनी हाें जो मज़दूर को इतने सालाें के िलए
अहबार 25:51-52 156
िदए जाते हैं । 51-52 िजतने साल बाक़ी रह गए तुम्हारे सौ आदमी उनके दस हज़ार आदिमयाें
हैं उनके मुतािबक़ उस की िबक जाने की क़ीमत को भगा दें गे । तुम्हारे दुश्मन तुम्हारी तलवार से
में से पै से वापस कर िदए जाएँ । 53 उसके साथ मारे जाएं गे।
साल बसाल मज़दूर का-सा सुलूक िकया जाए। 9 मे री नज़रे -करम तुम पर होगी। मैं तुम्हारी

उसका मािलक उस पर सख़्त हुक्मरानी न औलाद की तादाद बढ़ाऊँगा और तुम्हारे साथ


करे । 54 अगर वह इस तरह के िकसी तरीक़े से अपना अहद क़ायम रखूँगा। 10 एक साल इतनी
आज़ाद न हो जाए तो उसे और उसके बच्चाें को फ़सल होगी िक जब अगली फ़सल की कटाई
हर हालत में अगले बहाली के साल में आज़ाद होगी तो नए अनाज के िलए जगह बनाने की
कर दे ना है , 55 क्याें िक इसराईली मे रे ही ख़ािदम
ख़ाितर पुराने अनाज को फेंक दे ना पड़े गा।
हैं । वह मे रे ही ख़ािदम हैं िजन्हें मैं िमसर से11 मैं तुम्हारे दरिमयान अपना मसकन क़ायम

िनकाल लाया। मैं रब तुम्हारा ख़ुदा हूँ । करूँगा और तुमसे िघन नहीं खाऊँगा। 12 मैं
तुममें िफरूँगा, और तुम मे री क़ौम होगे ।
फ़रमाँ बरदारी का अज्र 13 मैं रब तुम्हारा ख़ुदा हूँ जो तुम्हें िमसर से

26 अपने िलए बुत न बनाना। न अपने िनकाल लाया तािक तुम्हारी ग़ुलामी की हालत
िलए दे वता के मुजस्समे या पत्थर ख़त्म हो जाए। मैं ने तुम्हारे जुए को तोड़ डाला,
के मख़सूस िकए हुए सतून खड़े करना, न और अब तुम आज़ाद और सीधे होकर चल
िसजदा करने के िलए अपने मुल्क में ऐसे पत्थर सकते हो।
रखना िजनमें दे वता की तस्वीर कंदा की गई हो।
मैं रब तुम्हारा ख़ुदा हूँ । 2 सबत का िदन मनाना फ़रमाँ बरदार न होने की सज़ा
और मे रे मक़िदस की ताज़ीम करना। मैं रब हूँ । 14 ले िकन अगर तुम मे री नहीं सुनोगे और
3 अगर तुम मे री िहदायात पर चलो और मे रे इन तमाम अहकाम पर नहीं चलोगे , 15 अगर
अहकाम मानकर उन पर अमल करो 4 तो मैं तुम मे री िहदायात को रद्द करके मे रे अहकाम
वक़्त पर बािरश भे जँ ूगा, ज़मीन अपनी पै दावार से िघन खाओगे और उन पर अमल न करके
दे गी और दरख़्त अपने अपने फल लाएँ गे। मे रा अहद तोड़ोगे 16 तो मैं जवाब में तुम पर
5 कसरत के बाइस अनाज की फ़सल की कटाई अचानक दहशत तारी कर दूँ गा। िजस्म को ख़त्म

अं गूर तोड़ते वक़्त तक जारी रहे गी और अं गूर करने वाली बीमािरयाें और बुख़ार से तुम्हारी
की फ़सल उस वक़्त तक तोड़ी जाएगी जब आँखें ज़ाया हो जाएँ गी और तुम्हारी जान िछन
तक बीज बोने का मौसम आएगा। इतनी ख़ुराक जाएगी। जब तुम बीज बोओगे तो बे फ़ायदा,
िमले गी िक तुम कभी भूके नहीं होगे । और तुम क्याें िक दुश्मन उस की फ़सल खा जाएगा। 17 मैं
अपने मुल्क में महफ़ूज़ रहोगे । तुम्हारे िख़लाफ़ हो जाऊँगा, इसिलए तुम अपने
6 मैं मुल्क को अमनो-अमान बख़्शूँगा। तुम दुश्मनाें के हाथ से िशकस्त खाओगे । तुमसे

आराम से ले ट जाओगे , क्याें िक िकसी ख़तरे से नफ़रत रखने वाले तुम पर हुकूमत करें गे । उस
डरने की ज़रूरत नहीं होगी। मैं वहशी जानवर वक़्त भी जब कोई तुम्हारा ताक़्क़ुब नहीं करे गा
मुल्क से दूर कर दूँ गा, और वह तलवार की तुम भाग जाओगे ।
क़त्लो-ग़ारत से बचा रहे गा। 7 तुम अपने दुश्मनाें 18 अगर तुम इसके बाद भी मे री न सुनो तो मैं

पर ग़ािलब आकर उनका ताक़्क़ुब करोगे , और तुम्हारे गुनाहाें के सबब से तुम्हें सात गुना ज़्यादा
वह तुम्हारी तलवार से मारे जाएं गे। 8 तुम्हारे सज़ा दूँ गा। 19 मैं तुम्हारा सख़्त ग़ुरूर ख़ाक में
पाँ च आदमी सौ दुश्मनाें का पीछा करें गे , और िमला दूँ गा। तुम्हारे ऊपर आसमान लोहे जै सा
157 अहबार 26:42
और तुम्हारे नीचे ज़मीन पीतल जै सी होगी। सत्यानास याें करूँगा िक जो दुश्मन उसमें
20 िजतनी भी मे हनत करोगे वह बे फ़ायदा होगी, आबाद हो जाएं गे उनके राें गटे खड़े हो जाएं गे।
क्याें िक तुम्हारे खे ताें में फ़सलें नहीं पकेंगी और 33 मैं तुम्हें मुख़्तिलफ़ ममािलक में मुंतिशर कर

तुम्हारे दरख़्त फल नहीं लाएँ गे। दूँ गा, ले िकन वहाँ भी अपनी तलवार को हाथ
21 अगर तुम िफर भी मे री मुख़ालफ़त करोगे में िलए तुम्हारा पीछा करूँगा। तुम्हारी ज़मीन
और मे री नहीं सुनोगे तो मैं इन गुनाहाें के वीरान होगी और तुम्हारे शहर खं डरात बन
जवाब में तुम्हें इससे भी सात गुना ज़्यादा सज़ा जाएं गे। 34 उस वक़्त जब तुम अपने दुश्मनाें के
दूँ गा। 22 मैं तुम्हारे िख़लाफ़ जं गली जानवर भे ज मुल्क में रहोगे तुम्हारी ज़मीन वीरान हालत में
दूँ गा जो तुम्हारे बच्चाें को फाड़ खाएँ गे और आराम के वह साल मना सकेगी िजनसे वह
तुम्हारे मवे शी बरबाद कर दें गे । आिख़र में तुम्हारी महरूम रही है । 35 उन तमाम िदनाें में जब वह
तादाद इतनी कम हो जाएगी िक तुम्हारी सड़कें बरबाद रहे गी उसे वह आराम िमले गा जो उसे न
वीरान हो जाएँ गी। िमला जब तुम मुल्क में रहते थे ।
23 अगर तुम िफर भी मे री तरिबयत क़बूल 36 तुममें से जो बचकर अपने दुश्मनाें के

न करो बिल्क मे रे मुख़ािलफ़ रहो 24 तो मैं ख़ुद ममािलक में रहें गे उनके िदलाें पर मैं दहशत तारी
तुम्हारे िख़लाफ़ हो जाऊँगा। इन गुनाहाें के करूँगा। वह हवा के झाें काें से िगरने वाले पत्ते
जवाब में मैं तुम्हें सात गुना ज़्यादा सज़ा दूँ गा। की आवाज़ से चाैं ककर भाग जाएं गे। वह फ़रार
25 मैं तुम पर तलवार चलाकर इसका बदला हाें गे गोया कोई हाथ में तलवार िलए उनका
लूँगा िक तुमने मे रे अहद को तोड़ा है । जब तुम ताक़्क़ुब कर रहा हो। और वह िगरकर मर जाएं गे
अपनी िहफ़ाज़त के िलए शहराें में भागकर जमा हालाँ िक कोई उनका पीछा नहीं कर रहा होगा।
होगे तो मैं तुम्हारे दरिमयान वबाई बीमािरयाँ 37 वह एक दूसरे से टकराकर लड़खड़ाएँ गे गोया

फैलाऊँगा और तुम्हें दुश्मनाें के हाथ में दे दूँ गा। कोई तलवार ले कर उनके पीछे चल रहा हो
26 अनाज की इतनी कमी होगी िक दस औरतें हालाँ िक कोई नहीं है । चुनाँ चे तुम अपने दुश्मनाें
तुम्हारी पूरी रोटी एक ही तनूर में पका सकेंगी, का सामना नहीं कर सकोगे । 38 तुम दीगर क़ौमाें
और वह उसे बड़ी एहितयात से तोल तोलकर में मुंतिशर होकर हलाक हो जाओगे , और तुम्हारे
तक़सीम करें गी। तुम खाकर भी भूके रहोगे । दुश्मनाें की ज़मीन तुम्हें हड़प कर ले गी।
27 अगर तुम िफर भी मे री नहीं सुनोगे बिल्क 39 तुममें से बाक़ी लोग अपने और अपने

मे रे मुख़ािलफ़ रहोगे 28 तो मे रा ग़ुस्सा भड़केगा बापदादा के क़ुसूर के बाइस अपने दुश्मनाें


और मैं तुम्हारे िख़लाफ़ होकर तुम्हारे गुनाहाें के ममािलक में गल-सड़ जाएं गे। 40 ले िकन
के जवाब में तुम्हें सात गुना ज़्यादा सज़ा एक वक़्त आएगा िक वह अपने और अपने
दूँ गा। 29 तुम मुसीबत के बाइस अपने बे टे- बापदादा का क़ुसूर मान लें गे। वह मे रे साथ
बे िटयाें का गोश्त खाओगे । 30 मैं तुम्हारी ऊँची अपनी बे वफ़ाई और वह मुख़ालफ़त तसलीम
जगहाें की क़ुरबानगाहें और तुम्हारी बख़ूर की करें गे 41 िजसके सबब से मैं उनके िख़लाफ़ हुआ
क़ुरबानगाहें बरबाद कर दूँ गा। मैं तुम्हारी लाशाें और उन्हें उनके दुश्मनाें के मुल्क में धकेल िदया
के ढे र तुम्हारे बे जान बुताें पर लगाऊँगा और था। पहले उनका ख़तना िसफ़र् ज़ािहरी तौर पर
तुमसे िघन खाऊँगा। 31 मैं तुम्हारे शहराें को हुआ था, ले िकन अब उनका िदल आिजज़ हो
खं डरात में बदलकर तुम्हारे मं िदराें को बरबाद जाएगा और वह अपने क़ुसूर की क़ीमत अदा
करूँगा। तुम्हारी क़ुरबािनयाें की ख़ुशबू मुझे करें गे । 42 िफर मैं इब्राहीम के साथ अपना अहद,
पसं द नहीं आएगी। 32 मैं तुम्हारे मुल्क का इसहाक़ के साथ अपना अहद और याक़ूब के
अहबार 26:43 158
साथ अपना अहद याद करूँगा। मैं मुल्के-कनान 8 अगर मन्नत मानने वाला मुक़रर् रा रक़म अदा
भी याद करूँगा। 43 ले िकन पहले वह ज़मीन को न कर सके तो वह मख़सूस िकए हुए शख़्स
छोड़ें गे तािक वह उनकी ग़ै रमौजूदगी में वीरान को इमाम के पास ले आए। िफर इमाम ऐसी
होकर आराम के साल मनाए। याें इसराईली रक़म मुक़रर् र करे जो मन्नत मानने वाला अदा
अपने क़ुसूर के नतीजे भुगतें गे, इस सबब से िक कर सके।
उन्हाें ने मे रे अहकाम रद्द िकए और मे री िहदायात 9 अगर िकसी ने मन्नत मानकर ऐसा जान-

से िघन खाई। 44 इसके बावुजूद भी मैं उन्हें वर मख़सूस िकया जो रब की क़ुरबािनयाें के


दुश्मनाें के मुल्क में छोड़कर रद्द नहीं करूँगा, न िलए इस्ते माल हो सकता है तो ऐसा जानवर
यहाँ तक उनसे िघन खाऊँगा िक वह िबलकुल मख़सूसो-मुक़द्दस हो जाता है । 10 वह उसे बदल
तबाह हो जाएँ । क्याें िक मैं उनके साथ अपना नहीं सकता। न वह अच्छे जानवर की जगह
अहद नहीं तोड़ने का। मैं रब उनका ख़ुदा हूँ । नािक़स, न नािक़स जानवर की जगह अच्छा
45 मैं उनकी ख़ाितर उनके बापदादा के साथ बँ धा जानवर दे । अगर वह एक जानवर दूसरे की
हुआ अहद याद करूँगा, उन लोगाें के साथ अहद जगह दे तो दोनाें मख़सूसो-मुक़द्दस हो जाते हैं ।
िजन्हें मैं दूसरी क़ौमाें के दे खते दे खते िमसर से 11 अगर िकसी ने मन्नत मानकर कोई नापाक

िनकाल लाया तािक उनका ख़ुदा हूँ । मैं रब हूँ ।” जानवर मख़सूस िकया जो रब की क़ुरबािनयाें
46 रब ने मूसा को इसराईिलयाें के िलए यह के िलए इस्ते माल नहीं हो सकता तो वह उसको
तमाम िहदायात और अहकाम सीना पहाड़ पर इमाम के पास ले आए। 12 इमाम उस की
िदए। रक़म उस की अच्छी और बुरी िसफ़्ताें का
िलहाज़ करके मुक़रर् र करे । इस मुक़रर् रा क़ीमत
मख़सूस की हुई चीज़ाें की वापसी में कमी बे शी नहीं हो सकती। 13 अगर मन्नत

27 रब ने मूसा से कहा, 2 “इसराई-


िलयाें को बताना िक अगर िकसी
ने मन्नत मानकर िकसी को रब के िलए
मानने वाला उसे वापस ख़रीदना चाहे तो वह
मुक़रर् रा क़ीमत जमा 20 फ़ीसद अदा करे ।
14 अगर कोई अपना घर रब के िलए

मख़सूस िकया हो तो वह उसे ज़ै ल की रक़म मख़सूसो-मुक़द्दस करे तो इमाम उस की अच्छी


दे कर आज़ाद कर सकता है (मुस्तामल िसक्के और बुरी िसफ़्ताें का िलहाज़ करके उस की
मक़िदस के िसक्काें के बराबर हाें ) : 3 उस रक़म मुक़रर् र करे । इस मुक़रर् रा क़ीमत में कमी
आदमी के िलए िजसकी उम्र 20 और 60 साल बे शी नहीं हो सकती। 15 अगर घर को मख़सूस
के दरिमयान है चाँ दी के 50 िसक्के, 4 इसी उम्र करने वाला उसे वापस ख़रीदना चाहे तो वह
की औरत के िलए चाँ दी के 30 िसक्के, 5 उस मुक़रर् रा रक़म जमा 20 फ़ीसद अदा करे ।
लड़के के िलए िजसकी उम्र 5 और 20 साल 16 अगर कोई अपनी मौरूसी ज़मीन में से

के दरिमयान हो चाँ दी के 20 िसक्के, इसी उम्र कुछ रब के िलए मख़सूसो-मुक़द्दस करे तो उस


की लड़की के िलए चाँ दी के 10 िसक्के, 6 एक की क़ीमत उस बीज की िमक़दार के मुतािबक़
माह से ले कर 5 साल तक के लड़के के िलए मुक़रर् र की जाए जो उसमें बोना होता है । िजस
चाँ दी के 5 िसक्के, इसी उम्र की लड़की के िलए खे त में 135 िकलोग्राम जौ का बीज बोया
चाँ दी के 3 िसक्के, 7 साठ साल से बड़े आदमी जाए उस की क़ीमत चाँ दी के 50 िसक्के
के िलए चाँ दी के 15 िसक्के और इसी उम्र की होगी। 17 शतर् यह है िक वह अपनी ज़मीन
औरत के िलए चाँ दी के 10 िसक्के। बहाली के साल के ऐन बाद मख़सूस करे ।
िफर उस की यही क़ीमत मुक़रर् र की जाए।
159 अहबार 27:34
18 अगर ज़मीन का मािलक उसे बहाली के िकया हो तो वह उसे मुक़रर् रा क़ीमत जमा 20
साल के कुछ दे र बाद मख़सूस करे तो इमाम फ़ीसद के िलए वापस ख़रीद सकता है । अगर
अगले बहाली के साल तक रहने वाले सालाें वह उसे वापस न ख़रीदे तो वह मुक़रर् रा क़ीमत
के मुतािबक़ ज़मीन की क़ीमत मुक़रर् र करे । के िलए बे चा जाए।
िजतने कम साल बाक़ी हैं उतनी कम उस 28 ले िकन अगर िकसी ने अपनी िमल-

की क़ीमत होगी। 19 अगर मख़सूस करने वाला िकयत में से कुछ ग़ै रमशरूत तौर पर रब के िलए
अपनी ज़मीन वापस ख़रीदना चाहे तो वह मख़सूस िकया है तो उसे बे चा या वापस नहीं
मुक़रर् रा क़ीमत जमा 20 फ़ीसद अदा करे । ख़रीदा जा सकता, ख़ाह वह इनसान, जानवर
20 अगर मख़सूस करने वाला अपनी ज़मीन को या ज़मीन हो। जो इस तरह मख़सूस िकया
रब से वापस ख़रीदे बग़ै र उसे िकसी और को बे चे गया हो वह रब के िलए िनहायत मुक़द्दस है ।
तो उसे वापस ख़रीदने का हक़ ख़त्म हो जाएगा। 29 इसी तरह िजस शख़्स को तबाही के िलए

21 अगले बहाली के साल यह ज़मीन मख़सूसो- मख़सूस िकया गया है उसका िफ़द्या नहीं िदया
मुक़द्दस रहे गी और रब की दायमी िमलिकयत जा सकता। लािज़म है िक उसे सज़ाए-मौत दी
हो जाएगी। चुनाँ चे वह इमाम की िमलिकयत जाए।
होगी। 30 हर फ़सल का दसवाँ िहस्सा रब का है ,

22 अगर कोई अपना मौरूसी खे त नहीं बिल्क चाहे वह अनाज हो या फल। वह रब के


अपना ख़रीदा हुआ खे त रब के िलए मख़सूस िलए मख़सूसो-मुक़द्दस है । 31 अगर कोई अपनी
करे 23 तो इमाम अगले बहाली के साल तक फ़सल का दसवाँ िहस्सा छु ड़ाना चाहता है तो
रहने वाले सालाें का िलहाज़ करके उस की वह इसके िलए उस की मुक़रर् रा क़ीमत जमा
क़ीमत मुक़रर् र करे । खे त का मािलक उसी िदन 20 फ़ीसद दे । 32 इसी तरह गाय-बै लाें और
उसके पै से अदा करे । यह पै से रब के िलए भे ड़-बकिरयाें का दसवाँ िहस्सा भी रब के िलए
मख़सूसो-मुक़द्दस हाें गे। 24 बहाली के साल में मख़सूसो-मुक़द्दस है , हर दसवाँ जानवर जो
यह खे त उस शख़्स के पास वापस आएगा गल्लाबान के डं डे के नीचे से गुज़रे गा। 33 यह
िजसने उसे बे चा था। जानवर चुनने से पहले उनका मुआयना न िकया
25 वापस ख़रीदने के िलए मुस्तामल िसक्के जाए िक कौन-से जानवर अच्छे या कमज़ोर
मक़िदस के िसक्काें के बराबर हाें । उसके चाँ दी हैं । यह भी न करना िक दसवें िहस्से के िकसी
के िसक्काें का वज़न 11 ग्राम है । जानवर के बदले कोई और जानवर िदया जाए।
26 ले िकन कोई भी िकसी मवे शी का पहलौठा अगर िफर भी उसे बदला जाए तो दोनाें जानवर
रब के िलए मख़सूस नहीं कर सकता। वह तो रब के िलए मख़सूसो-मुक़द्दस हाें गे। और उन्हें
पहले से रब के िलए मख़सूस है । इसमें कोई वापस ख़रीदा नहीं जा सकता।”
फ़रक़ नहीं िक वह गाय, बै ल या भे ड़ हो। 34 यह वह अहकाम हैं जो रब ने सीना पहाड़

27 अगर उसने कोई नापाक जानवर मख़सूस पर मूसा को इसराईिलयाें के िलए िदए।
िगनती

इसराईिलयाें की पहली मदुर् मशुमारी 12 दान के क़बीले से अिख़यज़र िबन

1 इसराईिलयाें को िमसर से िनकले हुए


एक साल से ज़्यादा अरसा गुज़र गया
था। अब तक वह दश्ते -सीना में थे । दूसरे साल
अम्मीशद्दी,
13 आशर के क़बीले से फ़िजये ल िबन

अकरान,
के दूसरे महीने के पहले िदन रब मुलाक़ात के 14 जद के क़बीले से इिलयासफ़ िबन
ख़ै मे में मूसा से हमकलाम हुआ। उसने कहा, दऊएल,
2 “तू और हारून तमाम इसराईिलयाें की 15 नफ़ताली के क़बीले से अख़ीरा िबन

मदुर्मशुमारी कं ु बाें और आबाई घरानाें के एनान।”


मुतािबक़ करना। उन तमाम मदार्ें की फ़हिरस्त 16 यही मदर् जमात से इस काम के िलए

बनाना 3 जो कम अज़ कम बीस साल के और बुलाए गए। वह अपने क़बीलाें के राहनुमा और


जं ग लड़ने के क़ािबल हाें । 4 इसमें हर क़बीले के कं ु बाें के सरपरस्त थे । 17 इनकी मदद से मूसा
एक ख़ानदान का सरपरस्त तुम्हारी मदद करे । और हारून ने 18 उसी िदन पूरी जमात को इकट्ठा
5 यह उनके नाम हैं : िकया। हर इसराईली मदर् जो कम अज़ कम
रूिबन के क़बीले से इलीसूर िबन शिदयूर, 20 साल का था रिजस्टर में दजर् िकया गया।
6 शमाऊन के क़बीले से सलूिमये ल िबन रिजस्टर की तरतीब उनके कं ु बाें और आबाई
सूरीशद्दी, घरानाें के मुतािबक़ थी।
7 यहूदाह के क़बीले से नहसोन िबन 19 सब कुछ वै सा ही िकया गया जै सा रब

अम्मीनदाब, ने हुक्म िदया था। मूसा ने सीना के रे िगस्तान


8 इशकार के क़बीले से नतिनये ल िबन ज़ुग़र, में लोगाें की मदुर्मशुमारी की। नतीजा यह
9 ज़बूलून के क़बीले से इिलयाब िबन हे लोन, िनकला :
10 यूसुफ़ के बे टे इफ़राईम के क़बीले से 20-21 रूिबन के क़बीले के 46,500 मदर्,

इलीसमा िबन अम्मीहूद, 22-23 शमाऊन के क़बीले के 59,300 मदर्,

यूसुफ़ के बे टे मनस्सी के क़बीले से 24-25 जद के क़बीले के 45,650 मदर्,

जमिलये ल िबन फ़दाहसूर, 26-27 यहूदाह के क़बीले के 74,600 मदर्,

11 िबनयमीन के क़बीले से अिबदान िबन 28-29 इशकार के क़बीले के 54,400 मदर्,

िजदाऊनी, 30-31 ज़बूलून के क़बीले के 57,400 मदर्,


161 िगनती 2:20
32-33 यूसुफ़ के बे टे इफ़राईम के क़बीले के अपने अपने अलम और अपने अपने आबाई
40,500 मदर्, घराने के िनशान के साथ ख़ै माज़न हो।
34-35 यूसुफ़ के बे टे मनस्सी के क़बीले के 3 इन िहदायात के मुतािबक़ मक़िदस के

32,200 मदर्, मशिरक़ में यहूदाह का अलम था िजसके


36-37 िबनयमीन के क़बीले के 35,400 मदर्, इदर्िगदर् तीन दस्ते ख़ै माज़न थे । पहले , यहू-

38-39 दान के क़बीले के 62,700 मदर्, दाह का क़बीला िजसका कमाँ डर नहसोन
40-41 आशर के क़बीले के 41,500 मदर्, िबन अम्मीनदाब था, 4 और िजसके लशकर
42-43 नफ़ताली के क़बीले के 53,400 मदर्। के 74,600 फ़ौजी थे । 5 दूसरे , इशकार का

44 मूसा, हारून और क़बीलाें के बारह क़बीला िजसका कमाँ डर नतिनये ल िबन ज़ुग़र

राहनुमाआें ने इन तमाम आदिमयाें को िगना। था, 6 और िजसके लशकर के 54,400 फ़ौजी


45-46 उनकी पूरी तादाद 6,03,550 थी। थे । 7 तीसरे , ज़बूलून का क़बीला िजसका
47 ले िकन लािवयाें की मदुर्मशुमारी न कमाँ डर इिलयाब िबन हे लोन था 8 और िजसके

हुई, 48 क्याें िक रब ने मूसा से कहा था, लशकर के 57,400 फ़ौजी थे । 9 तीनाें क़बीलाें
49 “इसराईिलयाें की मदुर्मशुमारी में लािवयाें के फ़ौिजयाें की कुल तादाद 1,86,400 थी।
को शािमल न करना। इसके बजाए उन्हें रवाना होते वक़्त यह आगे चलते थे ।
50

शरीअत की सुकूनतगाह और उसका सारा 10 मक़िदस के जुनूब में रूिबन का अलम था

सामान सँ भालने की िज़म्मे दारी दे ना। वह सफ़र िजसके इदर्िगदर् तीन दस्ते ख़ै माज़न थे । पहले ,
करते वक़्त यह ख़ै मा और उसका सारा सामान रूिबन का क़बीला िजसका कमाँ डर इलीसूर
उठाकर ले जाएँ , उस की िख़दमत के िलए िबन शिदयूर था, 11 और िजसके 46,500
हािज़र रहें और रुकते वक़्त उसे अपने ख़ै माें फ़ौजी थे । 12 दूसरे , शमाऊन का क़बीला
से घे रे रखें । 51 रवाना होते वक़्त वही ख़ै मे को िजसका कमाँ डर सलूिमये ल िबन सूरीशद्दी था,
समे टें और रुकते वक़्त वही उसे लगाएँ । अगर 13 और िजसके 59,300 फ़ौजी थे । 14 तीसरे ,
कोई और उसके क़रीब आए तो उसे सज़ाए- जद का क़बीला िजसका कमाँ डर इिलयासफ़
मौत दी जाएगी। 52 बाक़ी इसराईली ख़ै मागाह िबन दऊएल था, 15 और िजसके 45,650
में अपने अपने दस्ते के मुतािबक़ और अपने फ़ौजी थे । 16 तीनाें क़बीलाें के फ़ौिजयाें की कुल
अपने अलम के इदर्िगदर् अपने ख़ै मे लगाएँ । तादाद 1,51,450 थी। रवाना होते वक़्त यह
53 ले िकन लावी अपने ख़ै माें से शरीअत की मशिरक़ी क़बीलाें के पीछे चलते थे ।

सुकूनतगाह को घे र लें तािक मे रा ग़ज़ब िकसी 17 इन जुनूबी क़बीलाें के बाद लावी मुलाक़ात

ग़लत शख़्स के नज़दीक आने से इसराईिलयाें का ख़ै मा उठाकर क़बीलाें के ऐन बीच में चलते
की जमात पर नािज़ल न हो जाए। याें लािवयाें थे । क़बीले उस तरतीब से रवाना होते थे िजस
को शरीअत की सुकूनतगाह को सँ भालना है ।” तरतीब से वह अपने ख़ै मे लगाते थे । हर क़बीला
54 इसराईिलयाें ने वै सा ही िकया जै सा रब ने अपने अलम के पीछे चलता था।
मूसा को हुक्म िदया था। 18 मक़िदस के मग़िरब में इफ़राईम का

अलम था िजसके इदर्िगदर् तीन दस्ते ख़ै माज़न


ख़ै मागाह में क़बीलाें की तरतीब थे । पहले , इफ़राईम का क़बीला िजसका

2 रब ने मूसा और हारून से कहा िक कमाँ डर इलीसमा िबन अम्मीहूद था, 19 और


2

इसराईली अपने ख़ै मे कुछ फ़ासले पर िजसके 40,500 फ़ौजी थे । 20 दूसरे , मनस्सी


मुलाक़ात के ख़ै मे के इदर्िगदर् लगाएँ । हर एक का क़बीला िजसका कमाँ डर जमिलये ल िबन
िगनती 2:21 162
फ़दाहसूर था, 21 और िजसके 32,200 फ़ौजी मर गए जब उन्हाें ने दश्ते -सीना में रब के हुज़ूर
थे । 22 तीसरे , िबनयमीन का क़बीला िजसका नाजायज़ आग पे श की। चूँिक वह बे औलाद
कमाँ डर अिबदान िबन िजदाऊनी था, 23 और थे इसिलए हारून के जीते -जी िसफ़र् इिलयज़र
िजसके 35,400 फ़ौजी थे । 24 तीनाें क़बीलाें और इतमर इमाम की िख़दमत सरं जाम दे ते थे ।
के फ़ौिजयाें की कुल तादाद 1,08,100 थी।
रवाना होते वक़्त यह जुनूबी क़बीलाें के पीछे लािवयाें की मक़िदस में िज़म्मे दारी
चलते थे । 5 रब ने मूसा से कहा, 6 “लावी के क़बीले को
25 मक़िदस के िशमाल में दान का अलम था लाकर हारून की िख़दमत करने की िज़म्मे दारी
िजसके इदर्िगदर् तीन दस्ते ख़ै माज़न थे । पहले , दे । 7 उन्हें उसके िलए और पूरी जमात के िलए
दान का क़बीला िजसका कमाँ डर अिख़यज़र मुलाक़ात के ख़ै मे की िख़दमात सँ भालना है ।
िबन अम्मीशद्दी था, 26 और िजसके 62,700 8 वह मुलाक़ात के ख़ै मे का सामान सँ भालें

फ़ौजी थे । 27 दूसरे , आशर का क़बीला और तमाम इसराईिलयाें के िलए मक़िदस के


िजसका कमाँ डर फ़िजये ल िबन अकरान था, फ़रायज़ अदा करें । 9 तमाम इसराईिलयाें में
28 और िजसके 41,500 फ़ौजी थे । 29 तीसरे , से िसफ़र् लािवयाें को हारून और उसके बे टाें
नफ़ताली का क़बीला िजसका कमाँ डर अख़ीरा की िख़दमत के िलए मुक़रर् र कर। 10 ले िकन
िबन एनान था, 30 और िजसके 53,400 िसफ़र् हारून और उसके बे टाें को इमाम की
फ़ौजी थे । 31 तीनाें क़बीलाें की कुल तादाद है िसयत हािसल है । जो भी बािक़याें में से उनकी
1,57,600 थी। वह आिख़र में अपना अलम िज़म्मे दािरयाँ उठाने की कोिशश करे गा उसे
उठाकर रवाना होते थे । सज़ाए-मौत दी जाएगी।”
32 पूरी ख़ै मागाह के फ़ौिजयाें की कुल तादाद 11 रब ने मूसा से यह भी कहा, 12 “मैं ने

6,03,550 थी। 33 िसफ़र् लावी इस तादाद में इसराईिलयाें में से लािवयाें को चुन िलया है ।
शािमल नहीं थे , क्याें िक रब ने मूसा को हुक्म वह तमाम इसराईली पहलौठाें के एवज़ मे रे िलए
िदया था िक उनकी भरती न की जाए। मख़सूस हैं , 13 क्याें िक तमाम पहलौठे मे रे ही हैं ।
34 याें इसराईिलयाें ने सब कुछ उन िहदा- िजस िदन मैं ने िमसर में तमाम पहलौठाें को मार
यात के मुतािबक़ िकया जो रब ने मूसा को िदया उस िदन मैं ने इसराईल के पहलौठाें को
दी थीं। उनके मुतािबक़ ही वह अपने झं डाें अपने िलए मख़सूस िकया, ख़ाह वह इनसान
के इदर्िगदर् अपने ख़ै मे लगाते थे और उनके के थे या है वान के। वह मे रे ही हैं । मैं रब हूँ ।”
मुतािबक़ ही अपने कं ु बाें और आबाई घरानाें के
साथ रवाना होते थे । लािवयाें की मदुर् मशुमारी
14 रब ने सीना के रे िगस्तान में मूसा से कहा,
हारून के बे टे 15 “लािवयाें को िगनकर उनके आबाई घरानाें

3 यह हारून और मूसा के ख़ानदान का


बयान है । उस वक़्त का िज़क्र है जब
रब ने सीना पहाड़ पर मूसा से बात की। 2 हारून
और कं ु बाें के मुतािबक़ रिजस्टर में दजर् करना।
हर बे टे को िगनना है जो एक माह या इससे
ज़ायद का है ।” 16 मूसा ने ऐसा ही िकया।
के चार बे टे थे । बड़ा बे टा नदब था, िफर अबीहू, 17 लावी के तीन बे टे जै रसोन, िक़हात और

इिलयज़र और इतमर। 3 यह इमाम थे िजनको िमरारी थे । 18 जै रसोन के दो कं ु बे उसके बे टाें


मसह करके इस िख़दमत का इिख़्तयार िदया िलबनी और िसमई के नाम रखते थे । 19 िक़हात
गया था। 4 ले िकन नदब और अबीहू उस वक़्त के चार कं ु बे उसके बे टाें अमराम, इज़हार,
163 िगनती 3:50
हबरून और उिज़्ज़ये ल के नाम रखते थे । िज़म्मे दारी थी। 37 वह चारदीवारी के खं बे, पाए,
20 िमरारी के दो कं ु बे उसके बे टाें महली और मूशी मे ख़ें और रस्से भी सँ भालते थे ।
के नाम रखते थे । ग़रज़ लावी के क़बीले के कं ु बे 38 मूसा, हारून और उनके बे टाें को अपने

उसके पोताें के नाम रखते थे । डे रे मशिरक़ में मक़िदस के सामने डालने थे ।


21 जै रसोन के दो कं ु बाें बनाम िलबनी और उनकी िज़म्मे दारी मक़िदस में बनी इसराईल के
िसमई 22 के 7,500 मदर् थे जो एक माह या िलए िख़दमत करना थी। उनके अलावा जो भी
इससे ज़ायद के थे । 23 उन्हें अपने ख़ै मे मग़िरब मक़िदस में दािख़ल होने की कोिशश करता उसे
में मक़िदस के पीछे लगाने थे । 24 उनका राहनुमा सज़ाए-मौत दे नी थी।
इिलयासफ़ िबन लाएल था, 25 और वह ख़ै मे 39 उन लावी मदार्ें की कुल तादाद जो एक

को सँ भालते थे यानी उस की पोिशशें , ख़ै मे के माह या इससे ज़ायद के थे 22,000 थी। रब


दरवाज़े का परदा, 26 ख़ै मे और क़ुरबानगाह की के कहने पर मूसा और हारून ने उन्हें कं ु बाें के
चारदीवारी के परदे , चारदीवारी के दरवाज़े का मुतािबक़ िगनकर रिजस्टर में दजर् िकया।
परदा और तमाम रस्से । इन चीज़ाें से मुतािल्लक़
सारी िख़दमत उनकी िज़म्मे दारी थी। लावी के क़बीले के मदर्
27 िक़हात के चार कं ु बाें बनाम अमराम, पहलौठाें के एवज़ी हैं
इज़हार, हबरून और उिज़्ज़ये ल 28 के 8,600 40 रब ने मूसा से कहा, “तमाम इसराईली

मदर् थे जो एक माह या इससे ज़ायद के थे पहलौठाें को िगनना जो एक माह या इससे


और िजनको मक़िदस की िख़दमत करनी थी। ज़ायद के हैं और उनके नाम रिजस्टर में
29 उन्हें अपने डे रे मक़िदस के जुनूब में डालने दजर् करना। 41 उन तमाम पहलौठाें की जगह
थे । 30 उनका राहनुमा इलीसफ़न िबन उिज़्ज़ये ल लािवयाें को मे रे िलए मख़सूस करना। इसी तरह
था, 31 और वह यह चीज़ें सँ भालते थे : अहद इसराईिलयाें के मवे िशयाें के पहलौठाें की जगह
का सं दूक़, मे ज़, शमादान, क़ुरबानगाहें , वह लािवयाें के मवे शी मे रे िलए मख़सूस करना।
बरतन और साज़ो-सामान जो मक़िदस में मैं रब हूँ ।” 42 मूसा ने ऐसा ही िकया जै सा
इस्ते माल होता था और मुक़द्दसतरीन कमरे का रब ने उसे हुक्म िदया। उसने तमाम इसराईली
परदा। इन चीज़ाें से मुतािल्लक़ सारी िख़दमत पहलौठे 43 जो एक माह या इससे ज़ायद के थे
उनकी िज़म्मे दारी थी। 32 हारून इमाम का बे टा िगन िलए। उनकी कुल तादाद 22,273 थी।
इिलयज़र लािवयाें के तमाम राहनुमाआें पर 44 रब ने मूसा से कहा, 45 “मुझे तमाम

मुक़रर् र था। वह उन तमाम लोगाें का इं चाजर् था इसराईली पहलौठाें की जगह लािवयाें को पे श


जो मक़िदस की दे ख-भाल करते थे । करना। इसी तरह मुझे इसराईिलयाें के मवे िशयाें
33 िमरारी के दो कं ु बाें बनाम महली और की जगह लािवयाें के मवे शी पे श करना। लावी
मूशी 34 के 6,200 मदर् थे जो एक माह या मे रे ही हैं । मैं रब हूँ । 46 लािवयाें की िनसबत
इससे ज़ायद के थे । 35 उनका राहनुमा सूिरये ल बाक़ी इसराईिलयाें के 273 पहलौठे ज़्यादा हैं ।
िबन अबीख़ै ल था। उन्हें अपने डे रे मक़िदस के उनमें से 47 हर एक के एवज़ चाँ दी के पाँ च
िशमाल में डालने थे , 36 और वह यह चीज़ें िसक्के ले जो मक़िदस के वज़न के मुतािबक़
सँ भालते थे : ख़ै मे के तख़्ते , उसके शहतीर, हाें (फ़ी िसक्का तक़रीबन 11 ग्राम)। 48 यह
खं बे, पाए और इस तरह का सारा सामान। पै से हारून और उसके बे टाें को दे ना।”
इन चीज़ाें से मुतािल्लक़ सारी िख़दमत उनकी 49 मूसा ने ऐसा ही िकया। 50 याें उसने चाँ दी

के 1,365 िसक्के (तक़रीबन 16 िकलोग्राम)


िगनती 3:51 164
जमा करके 51 हारून और उसके बे टाें को िदए, सामान जो मुक़द्दस कमरे में इस्ते माल होता है
िजस तरह रब ने उसे हुक्म िदया था। ले कर नीले रं ग के कपड़े में लपे टें, उस पर तख़स
की खालाें का िग़लाफ़ डालें और उसे उठाकर
िक़हाितयाें की िज़म्मे दािरयाँ ले जाने के िलए एक चौखटे पर रखें ।

4 रब ने मूसा और हारून से कहा, 13 िफर वह जानवराें को जलाने की


2 “लावी के क़बीले में से िक़हाितयाें की क़ुरबानगाह को राख से साफ़ करके उस पर

मदुर्मशुमारी उनके कं ु बाें और आबाई घरानाें के अरग़वानी रं ग का कपड़ा िबछाएँ । 14 उस पर वह


मुतािबक़ करना। 3 उन तमाम मदार्ें को रिजस्टर क़ुरबानगाह की िख़दमत के िलए सारा ज़रूरी
में दजर् करना जो 30 से ले कर 50 साल के सामान रखें यानी िछड़काव के कटोरे , जलते
हैं और मुलाक़ात के ख़ै मे में िख़दमत करने के हुए कोयले के बरतन, बे लचे और काँ टे। इस
िलए आ सकते हैं । 4 िक़हाितयाें की िख़दमत सामान पर वह तख़स की खालाें का िग़लाफ़
मुक़द्दसतरीन कमरे की दे ख-भाल है । डालकर क़ुरबानगाह को उठाने की लकिड़याँ
5 जब ख़ै मे को सफ़र के िलए समे टना लगाएँ ।

है तो हारून और उसके बे टे दािख़ल होकर 15 सफ़र के िलए रवाना होते वक़्त यह सब

मुक़द्दसतरीन कमरे का परदा उतारें और उसे कुछ उठाकर ले जाना िक़हाितयाें की िज़म्मे दारी
शरीअत के सं दूक़ पर डाल दें । 6 इस पर वह है । ले िकन लािज़म है िक पहले हारून और
तख़स की खालाें का िग़लाफ़ और आिख़र में उसके बे टे यह तमाम मुक़द्दस चीज़ें ढाँ पें।
पूरी तरह नीले रं ग का कपड़ा िबछाएँ । इसके िक़हाती इनमें से कोई भी चीज़ न छु एँ वरना
बाद वह सं दूक़ को उठाने की लकिड़याँ लगाएँ । मर जाएं गे।
7 वह उस मे ज़ पर भी नीले रं ग का कपड़ा 16 हारून इमाम का बे टा इिलयज़र पूरे

िबछाएँ िजस पर रब को रोटी पे श की जाती है । मुक़द्दस ख़ै मे और उसके सामान का इं चाजर् हो।


उस पर थाल, प्याले , मै की नज़रें पे श करने के इसमें चराग़ाें का ते ल, बख़ूर, ग़ल्ला की रोज़ाना
बरतन और मरतबान रखे जाएँ । जो रोटी हमे शा नज़र और मसह का ते ल भी शािमल है ।”
मे ज़ पर होती है वह भी उस पर रहे । 8 हारून 17 रब ने मूसा और हारून से कहा,

और उसके बे टे इन तमाम चीज़ाें पर िक़रिमज़ी 18 “ख़बरदार रहो िक िक़हात के कं ु बे लावी के


रं ग का कपड़ा िबछाकर आिख़र में उनके ऊपर क़बीले में से िमटने न पाएँ । 19 चुनाँ चे जब वह
तख़स की खालाें का िग़लाफ़ डालें । इसके बाद मुक़द्दसतरीन चीज़ाें के पास आएँ तो हारून और
वह मे ज़ को उठाने की लकिड़याँ लगाएँ । उसके बे टे हर एक को उस सामान के पास ले
9 वह शमादान और उसके सामान पर यानी जाएँ जो उसे उठाकर ले जाना है तािक वह न

उसके चराग़, बत्ती कतरने की क़ैंिचयाें , जलते मरें बिल्क जीते रहें । 20 िक़हाती एक लमहे के
कोयले के छोटे बरतनाें और ते ल के बरतनाें पर िलए भी मुक़द्दस चीज़ें दे खने के िलए अं दर न
नीले रं ग का कपड़ा रखें । 10 यह सब कुछ वह जाएँ , वरना वह मर जाएं गे।”
तख़स की खालाें के िग़लाफ़ में लपे टें और उसे
उठाकर ले जाने के िलए एक चौखटे पर रखें । जै रसोिनयाें की िज़म्मे दािरयाँ
11 वह बख़ूर जलाने की सोने की क़ुरबान- 21 िफर रब ने मूसा से कहा, 22 “जै रसोन

गाह पर भी नीले रं ग का कपड़ा िबछाकर उस की औलाद की मदुर्मशुमारी भी उनके आबाई


पर तख़स की खालाें का िग़लाफ़ डालें और िफर घरानाें और कं ु बाें के मुतािबक़ करना। 23 उन
उसे उठाने की लकिड़याँ लगाएँ । 12 वह सारा तमाम मदार्ें को रिजस्टर में दजर् करना जो 30
165 िगनती 5:4
से ले कर 50 साल के हैं और मुलाक़ात के उन तमाम मदार्ें को रिजस्टर में दजर् िकया जो
ख़ै मे में िख़दमत के िलए आ सकते हैं । 24 वह 30 से ले कर 50 साल के थे और जो मुलाक़ात
यह चीज़ें उठाकर ले जाने के िज़म्मे दार हैं : के ख़ै मे में िख़दमत कर सकते थे । उनकी कुल
25 मुलाक़ात का ख़ै मा, उस की छत, छत पर तादाद 2,750 थी। मूसा और हारून ने सब
रखी हुई तख़स की खाल की पोिशश, ख़ै मे के कुछ वै सा ही िकया जै सा रब ने मूसा की
दरवाज़े का परदा, 26 ख़ै मे और क़ुरबानगाह की मािरफ़त फ़रमाया था। 38-41 िफर जै रसोिनयाें
चारदीवारी के परदे , चारदीवारी के दरवाज़े का की मदुर्मशुमारी उनके कं ु बाें और आबाई घरानाें
परदा, उसके रस्से और उसे लगाने का बाक़ी के मुतािबक़ हुई। िख़दमत के लायक़ मदार्ें की
सामान। वह उन तमाम कामाें के िज़म्मे दार हैं जो कुल तादाद 2,630 थी। मूसा और हारून ने
इन चीज़ाें से मुंसिलक हैं । 27 जै रसोिनयाें की पूरी सब कुछ वै सा ही िकया जै सा रब ने मूसा के
िख़दमत हारून और उसके बे टाें की िहदायात के ज़रीए फ़रमाया था। 42-45 िफर िमरािरयाें की
मुतािबक़ हो। ख़बरदार रहो िक वह सब कुछ मदुर्मशुमारी उनके कं ु बाें और आबाई घरानाें के
ऐन िहदायात के मुतािबक़ उठाकर ले जाएँ । मुतािबक़ हुई। िख़दमत के लायक़ मदार्ें की कुल
28 यह सब मुलाक़ात के ख़ै मे में जै रसोिनयाें की तादाद 3,200 थी। मूसा और हारून ने सब
िज़म्मे दािरयाँ हैं । इस काम में हारून इमाम का कुछ वै सा ही िकया जै सा रब ने मूसा के ज़रीए
बे टा इतमर उन पर मुक़रर् र है ।” फ़रमाया था। 46-48 लािवयाें के उन मदार्ें की
कुल तादाद 8,580 थी िजन्हें मुलाक़ात के ख़ै मे
िमरािरयाें की िज़म्मे दािरयाँ में िख़दमत करना और सफ़र करते वक़्त उसे
29 रब ने कहा, “िमरारी की औलाद की उठाकर ले जाना था।
मदुर्मशुमारी भी उनके आबाई घरानाें और कं ु बाें 49 मूसा ने रब के हुक्म के मुतािबक़ हर एक

के मुतािबक़ करना। 30 उन तमाम मदार्ें को को उस की अपनी अपनी िज़म्मे दारी साैं पी और


रिजस्टर में दजर् करना जो 30 से ले कर 50 उसे बताया िक उसे क्या क्या उठाकर ले जाना
साल के हैं और मुलाक़ात के ख़ै मे में िख़दमत है । याें उनकी मदुर्मशुमारी रब के उस हुक्म
के िलए आ सकते हैं । 31 वह मुलाक़ात के ख़ै मे के ऐन मुतािबक़ की गई जो उसने मूसा की
की यह चीज़ें उठाकर ले जाने के िज़म्मे दार हैं : मािरफ़त िदया था।
दीवार के तख़्ते , शहतीर, खं बे और पाए, 32 िफर
ख़ै मे की चारदीवारी के खं बे, पाए, मे ख़ें, रस्से नापाक लोग ख़ै मागाह में नहीं रह सकते
और यह चीज़ें लगाने का सामान। हर एक को
तफ़सील से बताना िक वह क्या क्या उठाकर ले
जाए। 33 यह सब कुछ िमरािरयाें की मुलाक़ात
5 रब ने मूसा से कहा, 2 “इसराईिलयाें को
हुक्म दे िक हर उस शख़्स को ख़ै मागाह
से बाहर कर दो िजसको वबाई िजल्दी बीमारी
है , िजसके ज़ख़माें से माए िनकलता रहता है या
के ख़ै मे में िज़म्मे दािरयाें में शािमल है । इस काम
में हारून इमाम का बे टा इतमर उन पर मुक़रर् र जो िकसी लाश को छू ने से नापाक है । 3 ख़ाह
हो।” मदर् हो या औरत, सबको ख़ै मागाह के बाहर
भे ज दे ना तािक वह ख़ै मागाह को नापाक न
लािवयाें की मदुर् मशुमारी करें जहाँ मैं तुम्हारे दरिमयान सुकूनत करता
34 मूसा, हारून और जमात के राहनुमाआें हूँ ।” 4 इसराईिलयाें ने वै सा ही िकया जै सा रब

ने िक़हाितयाें की मदुर्मशुमारी उनके कं ु बाें और ने मूसा को कहा था। उन्हाें ने रब के हुक्म के ऐन


आबाई घरानाें के मुतािबक़ की। 35-37 उन्हाें ने
िगनती 5:5 166
मुतािबक़ इस तरह के तमाम लोगाें को ख़ै मागाह नज़र है िजसका मक़सद है िक पोशीदा क़ुसूर
से बाहर कर िदया। ज़ािहर हो जाए। 16 इमाम औरत को क़रीब आने
दे और रब के सामने खड़ा करे । 17 वह िमट्टी का
ग़लत काम का मुआवज़ा बरतन मुक़द्दस पानी से भरकर उसमें मक़िदस
5 रब ने मूसा से कहा, 6 “इसराईिलयाें को के फ़शर् की कुछ ख़ाक डाले । 18 िफर वह औरत

िहदायत दे ना िक जो भी िकसी से ग़लत को रब को पे श करके उसके बाल खुलवाए और


सुलूक करे वह मे रे साथ बे वफ़ाई करता है उसके हाथाें पर मै दे की नज़र रखे । इमाम के
और क़ुसूरवार है , ख़ाह मदर् हो या औरत। अपने हाथ में कड़वे पानी का वह बरतन हो जो
7 लािज़म है िक वह अपना गुनाह तसलीम करे लानत का बाइस है ।
और उसका पूरा मुआवज़ा दे बिल्क मुतअिस्सरा 19 िफर वह औरत को क़सम िखलाकर

शख़्स का नुक़सान पूरा करने के अलावा 20 कहे , ‘अगर कोई और आदमी आपसे हम-
फ़ीसद ज़्यादा दे । 8 ले िकन अगर वह शख़्स िबसतर नहीं हुआ है और आप नापाक नहीं हुई हैं
िजसका क़ुसूर िकया गया था मर चुका हो और तो इस कड़वे पानी की लानत का आप पर कोई
उसका कोई वािरस न हो जो यह मुआवज़ा असर न हो। 20 ले िकन अगर आप भटककर
वसूल कर सके तो िफर उसे रब को दे ना है । अपने शौहर से बे वफ़ा हो गई हैं और िकसी और
इमाम को यह मुआवज़ा उस में ढे के अलावा से हमिबसतर होकर नापाक हो गई हैं 21 तो रब
िमले गा जो क़ुसूरवार अपने कफ़्फ़ारा के िलए आपको आपकी क़ौम के सामने लानती बनाए।
दे गा। 9-10 नीज़ इमाम को इसराईिलयाें की आप बाँ झ हो जाएँ और आपका पे ट फूल जाए।
क़ुरबािनयाें में से वह कुछ िमलना है जो 22 जब लानत का यह पानी आपके पे ट में उतरे
उठाने वाली क़ुरबानी के तौर पर उसे िदया जाता तो आप बाँ झ हो जाएँ और आपका पे ट फूल
है । यह िहस्सा िसफ़र् इमामाें को ही िमलना है ।” जाए।’ इस पर औरत कहे , ‘आमीन, ऐसा ही
हो।’
िज़ना के शक पर अल्लाह का फ़ैसला 23 िफर इमाम यह लानत िलखकर काग़ज़ को
11 रब ने मूसा से कहा, 12 “इसराईिलयाें को बरतन के पानी में याें धो दे िक उस पर िलखी

बताना, हो सकता है िक कोई शादीशुदा औरत हुई बातें पानी में घुल जाएँ । 24 बाद में वह औरत
भटककर अपने शौहर से बे वफ़ा हो जाए और को यह पानी िपलाए तािक वह उसके िजस्म
13 िकसी और से हमिबसतर होकर नापाक हो में जाकर उसे लानत पहुँ चाए। 25 ले िकन पहले

जाए। उसके शौहर ने उसे नहीं दे खा, क्याें िक इमाम उसके हाथाें में से ग़ै रत की क़ुरबानी ले कर
यह पोशीदगी में हुआ है और न िकसी ने उसे उसे ग़ल्ला की नज़र के तौर पर रब के सामने
पकड़ा, न इसका कोई गवाह है । 14 अगर शौहर िहलाए और िफर क़ुरबानगाह के पास ले आए।
को अपनी बीवी की वफ़ादारी पर शक हो और 26 उस पर वह मुट्ठी-भर यादगारी की क़ुरबानी के
वह ग़ै रत खाने लगे , ले िकन यक़ीन से नहीं कह तौर पर जलाए। इसके बाद वह औरत को पानी
सकता िक मे री बीवी क़ुसूरवार है िक नहीं 15 तो िपलाए। 27 अगर वह अपने शौहर से बे वफ़ा थी
वह अपनी बीवी को इमाम के पास ले आए। और नापाक हो गई है तो वह बाँ झ हो जाएगी,
साथ साथ वह अपनी बीवी के िलए क़ुरबानी के उसका पे ट फूल जाएगा और वह अपनी क़ौम
तौर पर जौ का डे ढ़ िकलोग्राम बे हतरीन मै दा ले के सामने लानती ठहरे गी। 28 ले िकन अगर वह
आए। इस पर न ते ल उं डे ला जाए, न बख़ूर डाला पाक-साफ़ है तो उसे सज़ा नहीं दी जाएगी और
जाए, क्याें िक ग़ल्ला की यह नज़र ग़ै रत की वह बच्चे जन्म दे ने के क़ािबल रहे गी।
167 िगनती 6:20
29-30 चुनाँ चे ऐसा ही करना है जब शौहर ग़ै रत इमाम को दे । 11 इमाम इनमें से एक को गुनाह
खाए और उसे अपनी बीवी पर िज़ना का शक की क़ुरबानी के तौर पर चढ़ाए और दूसरे को
हो। बीवी को क़ुरबानगाह के सामने खड़ा िकया भस्म होने वाली क़ुरबानी के तौर पर। याें वह
जाए और इमाम यह सब कुछ करे । 31 इस सूरत उसके िलए कफ़्फ़ारा दे गा जो लाश के क़रीब
में शौहर बे क़ुसूर ठहरे गा, ले िकन अगर उस की होने से नापाक हो गया है । उसी िदन वह
बीवी ने वाक़ई िज़ना िकया हो तो उसे अपने अपने सर को दुबारा मख़सूस करे 12 और अपने
गुनाह के नतीजे बरदाश्त करने पड़ें गे ।” आपको मुक़रर् रा वक़्त के िलए दुबारा रब के
िलए मख़सूस करे । वह क़ुसूर की क़ुरबानी के
जो अपने आपको मख़सूस करते हैं तौर पर एक साल का भे ड़ का बच्चा पे श करे ।

6 रब ने मूसा से कहा, 2 “इसराईिलयाें


को िहदायत दे ना िक अगर कोई आदमी
या औरत मन्नत मानकर अपने आपको एक
िजतने िदन उसने पहले मख़सूिसयत की हालत
में गुज़ारे हैं वह शुमार नहीं िकए जा सकते
क्याें िक वह मख़सूिसयत की हालत में नापाक
मुक़रर् रा वक़्त के िलए रब के िलए मख़सूस करे हो गया था। वह दुबारा पहले िदन से शुरू करे ।
3 तो वह मै या कोई और नशा-आवर चीज़ न 13 शरीअत के मुतािबक़ जब मख़सूस शख़्स

िपए। न वह अं गूर या िकसी और चीज़ का का मुक़रर् रा वक़्त गुज़र गया हो तो पहले उसे
िसरका िपए, न अं गूर का रस। वह अं गूर या मुलाक़ात के ख़ै मे के दरवाज़े पर लाया जाए।
िकशिमश न खाए। 4 जब तक वह मख़सूस है 14 वहाँ वह रब को भस्म होने वाली क़ुरबानी के

वह अं गूर की कोई भी पै दावार न खाए, यहाँ तक िलए भे ड़ का एक बे ऐब यकसाला नर बच्चा,


िक अं गूर के बीज या िछलके भी न खाए। 5 जब गुनाह की क़ुरबानी के िलए एक बे ऐब यकसाला
तक वह अपनी मन्नत के मुतािबक़ मख़सूस है भे ड़ और सलामती की क़ुरबानी के िलए एक
वह अपने बाल न कटवाए। िजतनी दे र के िलए बे ऐब में ढा पे श करे । 15 इसके अलावा वह एक
उसने अपने आपको रब के िलए मख़सूस िकया टोकरी में बे ख़मीरी रोिटयाँ िजनमें बे हतरीन मै दा
है उतनी दे र तक वह मुक़द्दस है । इसिलए वह और ते ल िमलाया गया हो और बे ख़मीरी रोिटयाँ
अपने बाल बढ़ने दे । 6 जब तक वह मख़सूस है िजन पर ते ल लगाया गया हो मुतािल्लक़ा ग़ल्ला
वह िकसी लाश के क़रीब न जाए, 7 चाहे वह की नज़र और मै की नज़र के साथ 16 रब को
उसके बाप, माँ , भाई या बहन की लाश क्याें पे श करे । पहले इमाम गुनाह की क़ुरबानी और
न हो। क्याें िक इससे वह नापाक हो जाएगा भस्म होने वाली क़ुरबानी रब के हुज़ूर चढ़ाए।
जबिक अभी तक उस की मख़सूिसयत लं बे 17 िफर वह में ढे को बे ख़मीरी रोिटयाें के साथ

बालाें की सूरत में नज़र आती है । 8 वह अपनी सलामती की क़ुरबानी के तौर पर पे श करे ।
मख़सूिसयत के दौरान रब के िलए मख़सूसो- इमाम ग़ल्ला की नज़र और मै की नज़र भी
मुक़द्दस है । चढ़ाए। 18 इस दौरान मख़सूस शख़्स मुलाक़ात
9 अगर कोई अचानक मर जाए जब मख़सूस के ख़ै मे पर अपने मख़सूस िकए गए सर को
शख़्स उसके क़रीब हो तो उसके मख़सूस बाल मुँडवाकर तमाम बाल सलामती की क़ुरबानी
नापाक हो जाएं गे। ऐसी सूरत में लािज़म है की आग में फेंके।
िक वह अपने आपको पाक-साफ़ करके सातवें 19 िफर इमाम में ढे का एक पका हुआ शाना

िदन अपने सर को मुँडवाए। 10 आठवें िदन और टोकरी में से दोनाें िक़स्माें की एक एक रोटी
वह दो क़ुिम्रयाँ या दो जवान कबूतर ले कर ले कर मख़सूस शख़्स के हाथाें पर रखे । 20 इसके
मुलाक़ात के ख़ै मे के दरवाज़े पर आए और बाद वह यह चीज़ें वापस ले कर उन्हें िहलाने की
िगनती 6:21 168
क़ुरबानी के तौर पर रब के सामने िहलाए। यह बै लगाड़ी और हर एक सरदार की तरफ़ से एक
एक मुक़द्दस क़ुरबानी है जो इमाम का िहस्सा है । बै ल।
सलामती की क़ुरबानी का िहलाया हुआ सीना 4 रब ने मूसा से कहा, 5 “यह तोह्फ़े क़बूल

और उठाई हुई रान भी इमाम का िहस्सा हैं । करके मुलाक़ात के ख़ै मे के काम के िलए
क़ुरबानी के इिख़्तताम पर मख़सूस िकए हुए इस्ते माल कर। उन्हें लािवयाें में उनकी िख़दमत
शख़्स को मै पीने की इजाज़त है । की ज़रूरत के मुतािबक़ तक़सीम करना।”
21 जो अपने आपको रब के िलए मख़सूस 6 चुनाँ चे मूसा ने बै लगािड़याँ और बै ल लािवयाें

करता है वह ऐसा ही करे । लािज़म है िक वह इन को दे िदए। 7 उसने दो बै लगािड़याँ चार बै लाें


िहदायात के मुतािबक़ तमाम क़ुरबािनयाँ पे श समे त जै रसोिनयाें को 8 और चार बै लगािड़याँ
करे । अगर गुंजाइश हो तो वह और भी पे श कर आठ बै लाें समे त िमरािरयाें को दीं। िमरारी हारून
सकता है । बहरहाल लािज़म है िक वह अपनी इमाम के बे टे इतमर के तहत िख़दमत करते थे ।
मन्नत और यह िहदायात पूरी करे ।” 9 ले िकन मूसा ने िक़हाितयाें को न बै लगािड़याँ

और न बै ल िदए। वजह यह थी िक जो मुक़द्दस


इमाम की बरकत चीज़ें उनके सुपुदर् थीं वह उनको कंधाें पर
22 रब ने मूसा से कहा, 23 “हारून और उसके उठाकर ले जानी थीं।
बे टाें को बता दे ना िक वह इसराईिलयाें को याें 10 बारह सरदार क़ुरबानगाह की मख़-

बरकत दें , सूिसयत के मौक़े पर भी हिदये ले आए। उन्हाें ने


24 ‘रब तुझे बरकत दे और ते री िहफ़ाज़त अपने हिदये क़ुरबानगाह के सामने पे श िकए।
करे । 11 रब ने मूसा से कहा, “सरदार बारह िदन
25 रब अपने चे हरे का मे हरबान नूर तुझ पर के दौरान बारी बारी अपने हिदये पे श करें ।”
चमकाए और तुझ पर रहम करे । 12 पहले िदन यहूदाह के सरदार नहसोन िबन
26 रब की नज़रे -करम तुझ पर हो, और वह अम्मीनदाब की बारी थी। उसके हिदये यह
तुझे सलामती बख़्शे ।’ थे : 13 चाँ दी का थाल िजसका वज़न डे ढ़
27 याें वह मे रा नाम ले कर इसराईिलयाें को िकलोग्राम था और िछड़काव का चाँ दी का
बरकत दें । िफर मैं उन्हें बरकत दूँ गा।” कटोरा िजसका वज़न 800 ग्राम था। दोनाें
ग़ल्ला की नज़र के िलए ते ल के साथ िमलाए
मक़िदस की मख़सूिसयत के हिदये गए बे हतरीन मै दे से भरे हुए थे । 14 इनके अलावा

7 िजस िदन मक़िदस मुकम्मल हुआ उसी


िदन मूसा ने उसे मख़सूसो-मुक़द्दस
िकया। इसके िलए उसने ख़ै मे, उसके तमाम
नहसोन ने यह चीज़ें पे श कीं : सोने का प्याला
िजसका वज़न 110 ग्राम था और जो बख़ूर से
भरा हुआ था, 15 एक जवान बै ल, एक में ढा,
सामान, क़ुरबानगाह और उसके तमाम सामान भस्म होने वाली क़ुरबानी के िलए भे ड़ का एक
पर ते ल िछड़का। 2-3 िफर क़बीलाें के बारह यकसाला बच्चा, 16 गुनाह की क़ुरबानी के िलए
सरदार मक़िदस के िलए हिदये ले कर आए। यह एक बकरा 17 और सलामती की क़ुरबानी के
वही राहनुमा थे िजन्हाें ने मदुर्मशुमारी के वक़्त िलए दो बै ल, पाँ च में ढे, पाँ च बकरे और भे ड़ के
मूसा की मदद की थी। उन्हाें ने छतवाली छ: पाँ च यकसाला बच्चे ।
बै लगािड़याँ और बारह बै ल ख़ै मे के सामने रब 18-23 अगले ग्यारह िदन बाक़ी सरदार भी

को पे श िकए, दो दो सरदाराें की तरफ़ से एक यही हिदये मक़िदस के पास ले आए। दूसरे


िदन इशकार के सरदार नतिनये ल िबन ज़ुग़र
169 िगनती 8:12
की बारी थी, 24-29 तीसरे िदन ज़बूलून के शमादान पर चराग़
सरदार इिलयाब िबन हे लोन की, 30-47 चौथे
िदन रूिबन के सरदार इलीसूर िबन शिदयूर
की, पाँ चवें िदन शमाऊन के सरदार सलूिमये ल
8 रब ने मूसा से कहा, 2 “हारून को
बताना, ‘तुझे सात चराग़ाें को शमादान
पर याें रखना है िक वह शमादान का सामने वाला
िबन सूरीशद्दी की, छटे िदन जद के सरदार िहस्सा रौशन करें ’।”
इिलयासफ़ िबन दऊएल की, 48-53 सातवें िदन 3 हारून ने ऐसा ही िकया। िजस तरह रब ने

इफ़राईम के सरदार इलीसमा िबन अम्मीहूद मूसा को हुक्म िदया था उसी तरह उसने चराग़ाें
की, 54-71 आठवें िदन मनस्सी के सरदार को रख िदया तािक वह सामने वाला िहस्सा
जमिलये ल िबन फ़दाहसूर की, नवें िदन रौशन करें । 4 शमादान पाए से ले कर ऊपर की
िबनयमीन के सरदार अिबदान िबन िजदाऊनी किलयाें तक सोने के एक घड़े हुए टु कड़े का
की, दसवें िदन दान के सरदार अिख़यज़र िबन बना हुआ था। मूसा ने उसे उस नमूने के ऐन
अम्मीशद्दी की, 72-83 ग्यारहवें िदन आशर के मुतािबक़ बनवाया जो रब ने उसे िदखाया था।
सरदार फ़िजये ल िबन अकरान की और बारहवें
िदन नफ़ताली के सरदार अख़ीरा िबन एनान की लािवयाें की मख़सूिसयत
बारी थी। 5 रब ने मूसा से कहा, 6 “लािवयाें को
84 इसराईल के इन सरदाराें ने िमलकर दीगर इसराईिलयाें से अलग करके पाक-साफ़
क़ुरबानगाह की मख़सूिसयत के िलए चाँ दी के करना। 7 इसके िलए गुनाह से पाक करने वाला
12 थाल, िछड़काव के चाँ दी के 12 कटोरे और पानी उन पर िछड़ककर उन्हें हुक्म दे ना िक
सोने के 12 प्याले पे श िकए। 85 हर थाल का अपने िजस्म के पूरे बाल मुँडवाओ और अपने
वज़न डे ढ़ िकलोग्राम और िछड़काव के हर कटोरे कपड़े धोओ। याें वह पाक-साफ़ हो जाएं गे।
का वज़न 800 ग्राम था। इन चीज़ाें का कुल 8 िफर वह एक जवान बै ल चुनें और साथ की

वज़न तक़रीबन 28 िकलोग्राम था। 86 बख़ूर से ग़ल्ला की नज़र के िलए ते ल के साथ िमलाया
भरे हुए सोने के प्यालाें का कुल वज़न तक़रीबन गया बे हतरीन मै दा लें । तू ख़ुद भी एक जवान
डे ढ़ िकलोग्राम था (फ़ी प्याला 110 ग्राम)। बै ल चुन। वह गुनाह की क़ुरबानी के िलए होगा।
87 सरदाराें ने िमलकर भस्म होने वाली क़ुरबानी 9 इसके बाद लािवयाें को मुलाक़ात के ख़ै मे

के िलए 12 जवान बै ल, 12 में ढे और भे ड़ के के सामने खड़ा करके इसराईल की पूरी जमात


12 यकसाला बच्चे उनकी ग़ल्ला की नज़राें को वहाँ जमा करना। 10 जब लावी रब के सामने
समे त पे श िकए। गुनाह की क़ुरबानी के िलए खड़े हाें तो बाक़ी इसराईली उनके सराें पर अपने
उन्हाें ने 12 बकरे पे श िकए 88 और सलामती की हाथ रखें । 11 िफर हारून लािवयाें को रब के
क़ुरबानी के िलए 24 बै ल, 60 में ढे, 60 बकरे सामने पे श करे । उन्हें इसराईिलयाें की तरफ़
और भे ड़ के 60 यकसाला बच्चे । इन तमाम से िहलाई हुई क़ुरबानी की है िसयत से पे श
जानवराें को क़ुरबानगाह की मख़सूिसयत के िकया जाए तािक वह रब की िख़दमत कर सकें।
मौक़े पर चढ़ाया गया। 12 िफर लावी अपने हाथ दोनाें बै लाें के सराें पर

89 जब मूसा मुलाक़ात के ख़ै मे में रब के साथ रखें । एक बै ल को गुनाह की क़ुरबानी के तौर पर


बात करने के िलए दािख़ल होता था तो वह रब और दूसरे को भस्म होने वाली क़ुरबानी के तौर
की आवाज़ अहद के सं दूक़ के ढकने पर से यानी पर चढ़ाओ तािक लािवयाें का कफ़्फ़ारा िदया
दो करूबी फ़िरश्ताें के दरिमयान से सुनता था। जाए।
िगनती 8:13 170
13 लािवयाें को इस तरीक़े से हारून और के ख़ै मे में अपने भाइयाें की मदद कर सकते
उसके बे टाें के सामने खड़ा करके रब को िहलाई हैं , ले िकन ख़ुद िख़दमत नहीं कर सकते । तुझे
हुई क़ुरबानी के तौर पर पे श करना है । 14 उन्हें लािवयाें को इन िहदायात के मुतािबक़ उनकी
बाक़ी इसराईिलयाें से अलग करने से वह मे रा अपनी अपनी िज़म्मे दािरयाँ दे नी हैं ।”
िहस्सा बनें गे। 15 इसके बाद ही वह मुलाक़ात के
ख़ै मे में आकर िख़दमत करें , क्याें िक अब वह रे िगस्तान में ईदे -फ़सह
िख़दमत करने के लायक़ हैं । उन्हें पाक-साफ़
करके िहलाई हुई क़ुरबानी के तौर पर पे श करने
का सबब यह है 16 िक लावी इसराईिलयाें में से
9 इसराईिलयाें को िमसर से िनकले एक
साल हो गया था। दूसरे साल के पहले
महीने में रब ने दश्ते -सीना में मूसा से बात की।
वह हैं जो मुझे पूरे तौर पर िदए गए हैं । मैं ने उन्हें 2 “लािज़म है िक इसराईली ईदे -फ़सह को

इसराईिलयाें के तमाम पहलौठाें की जगह ले मुक़रर् रा वक़्त पर मनाएँ , 3 यानी इस महीने


िलया है । 17 क्याें िक इसराईल में हर पहलौठा के चौधवें िदन, सूरज के ग़ुरूब होने के ऐन
मे रा है , ख़ाह वह इनसान का हो या है वान बाद। उसे तमाम क़वायद के मुतािबक़ मनाना।”
का। उस िदन जब मैं ने िमसिरयाें के पहलौठाें 4 चुनाँ चे मूसा ने इसराईिलयाें से कहा िक वह

को मार िदया मैं ने इसराईल के पहलौठाें को ईदे -फ़सह मनाएँ , 5 और उन्हाें ने ऐसा ही िकया।
अपने िलए मख़सूसो-मुक़द्दस िकया। 18 इस उन्हाें ने ईदे -फ़सह को पहले महीने के चौधवें िदन
िसलिसले में मैं ने लािवयाें को इसराईिलयाें के सूरज के ग़ुरूब होने के ऐन बाद मनाया। उन्हाें ने
तमाम पहलौठाें की जगह ले कर 19 उन्हें हारून सब कुछ वै सा ही िकया जै सा रब ने मूसा को
और उसके बे टाें को िदया है । वह मुलाक़ात हुक्म िदया था।
के ख़ै मे में इसराईिलयाें की िख़दमत करें और 6 ले िकन कुछ आदमी नापाक थे , क्याें िक

उनके िलए कफ़्फ़ारा का इं तज़ाम क़ायम रखें उन्हाें ने लाश छू ली थी। इस वजह से वह उस
तािक जब इसराईली मक़िदस के क़रीब आएँ िदन ईदे -फ़सह न मना सके। वह मूसा और
तो उनको वबा से मारा न जाए।” हारून के पास आकर 7 कहने लगे , “हमने
20 मूसा, हारून और इसराईिलयाें की पूरी लाश छू ली है , इसिलए नापाक हैं । ले िकन
जमात ने एहितयात से रब की लािवयाें के हमें इस सबब से ईदे -फ़सह को मनाने से क्याें
बारे में िहदायात पर अमल िकया। 21 लािवयाें रोका जाए? हम भी मुक़रर् रा वक़्त पर बाक़ी
ने अपने आपको गुनाहाें से पाक-साफ़ करके इसराईिलयाें के साथ रब की क़ुरबानी पे श
अपने कपड़ाें को धोया। िफर हारून ने उन्हें रब करना चाहते हैं ।” 8 मूसा ने जवाब िदया, “यहाँ
के सामने िहलाई हुई क़ुरबानी के तौर पर पे श मे रे इं तज़ार में खड़े रहो। मैं मालूम करता हूँ िक
िकया और उनका कफ़्फ़ारा िदया तािक वह रब तुम्हारे बारे में क्या हुक्म दे ता है ।”
पाक हो जाएँ । 22 इसके बाद लावी मुलाक़ात 9 रब ने मूसा से कहा, 10 “इसराईिलयाें को

के ख़ै मे में आए तािक हारून और उसके बे टाें के बता दे ना िक अगर तुम या तुम्हारी औलाद
तहत िख़दमत करें । याें सब कुछ वै सा ही िकया में से कोई ईदे -फ़सह के दौरान लाश छू ने से
गया जै सा रब ने मूसा को हुक्म िदया था। नापाक हो या िकसी दूर-दराज़ इलाक़े में सफ़र
23 रब ने मूसा से यह भी कहा, 24 “लावी 25 कर रहा हो, तो भी वह ईद मना सकता है ।
साल की उम्र में मुलाक़ात के ख़ै मे में अपनी 11 ऐसा शख़्स उसे ऐन एक माह के बाद मनाकर

िख़दमत शुरू करें 25 और 50 साल की उम्र में ले ले के साथ बे ख़मीरी रोटी और कड़वा साग-
िरटायर हो जाएँ । 26 इसके बाद वह मुलाक़ात पात खाए। 12 खाने में से कुछ भी अगली सुबह
171 िगनती 10:10
तक बाक़ी न रहे । जानवर की कोई भी हड्डी न रहता। ले िकन जब वह उठता तो इसराईली भी
तोड़ना। मनाने वाला ईदे -फ़सह के पूरे फ़रायज़ रवाना हो जाते । 23 वह रब के हुक्म पर ख़ै मे
अदा करे । 13 ले िकन जो पाक होने और सफ़र न लगाते और उसके हुक्म पर रवाना होते थे । वह
करने के बावुजूद भी ईदे -फ़सह को न मनाए उसे वै सा ही करते थे जै सा रब मूसा की मािरफ़त
उस की क़ौम में से िमटाया जाए, क्याें िक उसने फ़रमाता था।
मुक़रर् रा वक़्त पर रब को क़ुरबानी पे श नहीं की।
उस शख़्स को अपने गुनाह का नतीजा भुगतना
पड़े गा। 14 अगर कोई परदे सी तुम्हारे दरिमयान
10 रब ने मूसा से कहा, 2 “चाँ दी के
दो िबगुल घड़कर बनवा ले । उन्हें
जमात को जमा करने और क़बीलाें को रवाना
रहते हुए रब के सामने ईदे -फ़सह मनाना चाहे तो करने के िलए इस्ते माल कर। 3 जब दोनाें को
उसे इजाज़त है । शतर् यह है िक वह पूरे फ़रायज़ दे र तक बजाया जाए तो पूरी जमात मुलाक़ात
अदा करे । परदे सी और दे सी के िलए ईदे -फ़सह के ख़ै मे के दरवाज़े पर आकर ते रे सामने जमा
मनाने के फ़रायज़ एक जै से हैं ।” हो जाए। 4 ले िकन अगर एक ही बजाया जाए
तो िसफ़र् कं ु बाें के बुज़ुगर् ते रे सामने जमा हो
मुलाक़ात के ख़ै मे पर बादल का सतून जाएँ । 5 अगर उनकी आवाज़ िसफ़र् थोड़ी दे र
15 िजस िदन शरीअत के मुक़द्दस ख़ै मे को के िलए सुनाई दे तो मक़िदस के मशिरक़ में
खड़ा िकया गया उस िदन बादल आकर उस पर मौजूद क़बीले रवाना हो जाएँ । 6 िफर जब उनकी
छा गया। रात के वक़्त बादल आग की सूरत आवाज़ दूसरी बार थोड़ी दे र के िलए सुनाई दे
में नज़र आया। 16 इसके बाद यही सूरते -हाल तो मक़िदस के जुनूब में मौजूद क़बीले रवाना
रही िक बादल उस पर छाया रहता और रात हो जाएँ । जब उनकी आवाज़ थोड़ी दे र के िलए
के दौरान आग की सूरत में नज़र आता। 17 जब सुनाई दे तो यह रवाना होने का एलान होगा।
भी बादल ख़ै मे पर से उठता इसराईली रवाना हो 7 इसके मुक़ाबले में जब उनकी आवाज़ दे र तक

जाते । जहाँ भी बादल उतर जाता वहाँ इसराईली सुनाई दे तो यह इस बात का एलान होगा िक
अपने डे रे डालते । 18 इसराईली रब के हुक्म पर जमात जमा हो जाए।
रवाना होते और उसके हुक्म पर डे रे डालते । जब 8 िबगुल बजाने की िज़म्मे दारी हारून के बे टाें

तक बादल मक़िदस पर छाया रहता उस वक़्त यानी इमामाें को दी जाए। यह तुम्हारे और


तक वह वहीं ठहरते । 19 कभी कभी बादल बड़ी आने वाली नसलाें के िलए दायमी उसूल हो।
दे र तक ख़ै मे पर ठहरा रहता। तब इसराईली 9 उनकी आवाज़ उस वक़्त भी थोड़ी दे र के

रब का हुक्म मानकर रवाना न होते । 20 कभी िलए सुना दो जब तुम अपने मुल्क में िकसी
कभी बादल िसफ़र् दो-चार िदन के िलए ख़ै मे पर ज़ािलम दुश्मन से जं ग लड़ने के िलए िनकलोगे ।
ठहरता। िफर वह रब के हुक्म के मुतािबक़ ही तब रब तुम्हारा ख़ुदा तुम्हें याद करके दुश्मन से
ठहरते और रवाना होते थे । 21 कभी कभी बादल बचाएगा।
िसफ़र् शाम से ले कर सुबह तक ख़ै मे पर ठहरता। 10 इसी तरह उनकी आवाज़ मक़िदस में ख़ुशी

जब वह सुबह के वक़्त उठता तो इसराईली के मौक़ाें पर सुनाई दे यानी मुक़रर् रा ईदाें और


भी रवाना होते थे । जब भी बादल उठता वह नए चाँ द की ईदाें पर। इन मौक़ाें पर वह
भी रवाना हो जाते । 22 जब तक बादल मुक़द्दस भस्म होने वाली क़ुरबािनयाँ और सलामती की
ख़ै मे पर छाया रहता उस वक़्त तक इसराईली क़ुरबािनयाँ चढ़ाते वक़्त बजाए जाएँ । िफर
रवाना न होते , चाहे वह दो िदन, एक माह, एक तुम्हारा ख़ुदा तुम्हें याद करे गा। मैं रब तुम्हारा
साल या इससे ज़्यादा अरसा मक़िदस पर छाया ख़ुदा हूँ ।”
िगनती 10:11 172
सीना पहाड़ से रवानगी िबन अम्मीशद्दी था। 26 दान के साथ चलने वाले
11 इसराईिलयाें को िमसर से िनकले एक क़बीले आशर का कमाँ डर फ़िजये ल िबन
साल से ज़ायद अरसा हो चुका था। दूसरे अकरान था। 27 नफ़ताली का क़बीला भी साथ
महीने के बीसवें िदन बादल मुलाक़ात के ख़ै मे चला िजसका कमाँ डर अख़ीरा िबन एनान था।
पर से उठा। 12 िफर इसराईली मुक़रर् रा तरतीब 28 इसराईली इसी तरतीब से रवाना हुए।

के मुतािबक़ दश्ते -सीना से रवाना हुए। चलते


चलते बादल फ़ारान के रे िगस्तान में उतर आया। मूसा होबाब को साथ चलने
13 उस वक़्त वह पहली दफ़ा उस तरतीब पर मजबूर करता है
से रवाना हुए जो रब ने मूसा की मािरफ़त 29 मूसा ने अपने िमिदयानी सुसर रऊएल

मुक़रर् र की थी। 14 पहले यहूदाह के क़बीले के यानी ियतरो के बे टे होबाब से कहा, “हम
तीन दस्ते अपने अलम के तहत चल पड़े । उस जगह के िलए रवाना हो रहे हैं िजसका
तीनाें का कमाँ डर नहसोन िबन अम्मीनदाब था। वादा रब ने हमसे िकया है । हमारे साथ चलें !
15 साथ चलने वाले क़बीले इशकार का कमाँ डर हम आप पर एहसान करें गे , क्याें िक रब ने
नतिनये ल िबन ज़ुग़र था। 16 ज़बूलून का क़बीला इसराईल पर एहसान करने का वादा िकया है ।”
भी साथ चला िजसका कमाँ डर इिलयाब िबन 30 ले िकन होबाब ने जवाब िदया, “मैं साथ नहीं

हे लोन था। 17 इसके बाद मुलाक़ात का ख़ै मा जाऊँगा बिल्क अपने मुल्क और िरश्ते दाराें के
उतारा गया। जै रसोनी और िमरारी उसे उठाकर पास वापस चला जाऊँगा।” 31 मूसा ने कहा,
चल िदए। 18 इन लािवयाें के बाद रूिबन के “मे हरबानी करके हमें न छोड़ें । क्याें िक आप ही
क़बीले के तीन दस्ते अपने अलम के तहत चलने जानते हैं िक हम रे िगस्तान में कहाँ कहाँ अपने
लगे । तीनाें का कमाँ डर इलीसूर िबन शिदयूर डे रे डाल सकते हैं । आप रे िगस्तान में हमें रास्ता
था। 19 साथ चलने वाले क़बीले शमाऊन का िदखा सकते हैं । 32 अगर आप हमारे साथ जाएँ
कमाँ डर सलूिमये ल िबन सूरीशद्दी था। 20 जद तो हम आपको उस एहसान में शरीक करें गे जो
का क़बीला भी साथ चला िजसका कमाँ डर रब हम पर करे गा।”
इिलयासफ़ िबन दऊएल था। 21 िफर लािवयाें
में से िक़हाती मक़िदस का सामान उठाकर अहद के सं दूक़ का सफ़र
रवाना हुए। लािज़म था िक उनके अगली 33 चुनाँ चेउन्हाें ने रब के पहाड़ से रवाना होकर
मनिज़ल पर पहुँ चने तक मुलाक़ात का ख़ै मा तीन िदन सफ़र िकया। इस दौरान रब का अहद
लगा िदया गया हो। 22 इसके बाद इफ़राईम का सं दूक़ उनके आगे आगे चला तािक उनके
के क़बीले के तीन दस्ते अपने अलम के िलए आराम करने की जगह मालूम करे । 34 जब
तहत चल िदए। उनका कमाँ डर इलीसमा िबन कभी वह रवाना होते तो रब का बादल िदन
अम्मीहूद था। 23 इफ़राईम के साथ चलने वाले के वक़्त उनके ऊपर रहता। 35 सं दूक़ के रवाना
क़बीले मनस्सी का कमाँ डर जमिलये ल िबन होते वक़्त मूसा कहता, “ऐ रब, उठ। ते रे दुश्मन
फ़दाहसूर था। 24 िबनयमीन का क़बीला भी ितत्तर-िबत्तर हो जाएँ । तुझसे नफ़रत करने वाले
साथ चला िजसका कमाँ डर अिबदान िबन ते रे सामने से फ़रार हो जाएँ ।” 36 और जब
िजदाऊनी था। 25 आिख़र में दान के तीन दस्ते भी वह रुक जाता तो मूसा कहता, “ऐ रब,
अक़बी मुहािफ़ज़ के तौर पर अपने अलम के इसराईल के हज़ाराें ख़ानदानाें के पास वापस
तहत रवाना हुए। उनका कमाँ डर अिख़यज़र आ।”
173 िगनती 11:20
तबे रा में रब की आग जन्म िदया िक तू मुझसे कहता है , ‘इसे उस तरह

11 एक िदन लोग ख़ूब िशकायत करने


लगे । जब यह िशकायतें रब तक
पहुँ चीं तो उसे ग़ुस्सा आया और उस की आग
उठाकर ले चलना िजस तरह आया शीरख़ार
बच्चे को उठाकर हर जगह साथ िलए िफरती है ।
इसी तरह इसे उस मुल्क में ले जाना िजसका
उनके दरिमयान भड़क उठी। जलते जलते उसने वादा मैं ने क़सम खाकर इनके बापदादा से िकया
ख़ै मागाह का एक िकनारा भस्म कर िदया। है ।’ 13 ऐ अल्लाह, मैं इन तमाम लोगाें को कहाँ
2 लोग मदद के िलए मूसा के पास आकर से गोश्त मुहैया करूँ? वह मे रे सामने रोते
िचल्लाने लगे तो उसने रब से दुआ की, और रहते हैं िक हमें खाने के िलए गोश्त दो। 14 मैं
आग बुझ गई। 3 उस मक़ाम का नाम तबे रा यानी अकेला इन तमाम लोगाें की िज़म्मे दारी नहीं
जलना पड़ गया, क्याें िक रब की आग उनके उठा सकता। यह बोझ मे रे िलए हद से ज़्यादा
दरिमयान जल उठी थी। भारी है । 15 अगर तू इस पर इसरार करे तो िफर
बे हतर है िक अभी मुझे मार दे तािक मैं अपनी
मूसा 70 राहनुमा चुनता है तबाही न दे खँ ू।”
4 इसराईिलयाें के साथ जो अजनबी सफ़र 16 जवाब में रब ने मूसा से कहा, “मे रे पास

कर रहे थे वह गोश्त खाने की शदीद आरज़ू करने इसराईल के 70 बुज़ुगर् जमा कर। िसफ़र् ऐसे
लगे । तब इसराईली भी रो पड़े और कहने लगे , लोग चुन िजनके बारे में तुझे मालूम है िक
“कौन हमें गोश्त िखलाएगा? 5 िमसर में हम वह लोगाें के बुज़ुगर् और िनगहबान हैं । उन्हें
मछली मुफ़्त खा सकते थे । हाय, वहाँ के खीरे , मुलाक़ात के ख़ै मे के पास ले आ। वहाँ वह ते रे
तरबूज़, गं दने , प्याज़ और लहसन िकतने अच्छे साथ खड़े हो जाएँ , 17 तो मैं उतरकर ते रे साथ
थे ! 6 ले िकन अब तो हमारी जान सूख गई है । हमकलाम हूँ गा। उस वक़्त मैं उस रूह में से कुछ
यहाँ बस मन ही मन नज़र आता रहता है ।” लूँगा जो मैं ने तुझ पर नािज़ल िकया था और
7 मन धिनये के दानाें की मािंनद था, और उसे उन पर नािज़ल करूँगा। तब वह क़ौम का
उसका रं ग गूगल के गूँद की मािंनद था। 8-9 रात बोझ उठाने में ते री मदद करें गे और तू इसमें
के वक़्त वह ख़ै मागाह में ओस के साथ ज़मीन अकेला नहीं रहे गा। 18 लोगाें को बताना, ‘अपने
पर िगरता था। सुबह के वक़्त लोग इधर-उधर आपको मख़सूसो-मुक़द्दस करो, क्याें िक कल
घुमते -िफरते हुए उसे जमा करते थे । िफर वह तुम गोश्त खाओगे । रब ने तुम्हारी सुनी जब तुम
उसे चक्की में पीसकर या उखली में कूटकर रो पड़े िक कौन हमें गोश्त िखलाएगा, िमसर
उबालते या रोटी बनाते थे । उसका ज़ायक़ा ऐसी में हमारी हालत बे हतर थी। अब रब तुम्हें गोश्त
रोटी का-सा था िजसमें ज़ै तून का ते ल डाला मुहैया करे गा और तुम उसे खाओगे । 19 तुम उसे
गया हो। न िसफ़र् एक, दो या पाँ च िदन खाओगे बिल्क
10 तमाम ख़ानदान अपने अपने ख़ै मे के 10 या 20 िदन से भी ज़्यादा अरसे तक। 20 तुम
दरवाज़े पर रोने लगे तो रब को शदीद ग़ुस्सा एक पूरा महीना ख़ूब गोश्त खाओगे , यहाँ तक
आया। उनका शोर मूसा को भी बहुत बुरा लगा। िक वह तुम्हारी नाक से िनकले गा और तुम्हें
11 उसने रब से पूछा, “तूने अपने ख़ािदम के उससे िघन आएगी। और यह इस सबब से होगा
साथ इतना बुरा सुलूक क्याें िकया? मैं ने िकस िक तुमने रब को जो तुम्हारे दरिमयान है रद्द
काम से तुझे इतना नाराज़ िकया िक तूने इन िकया और रोते रोते उसके सामने कहा िक हम
तमाम लोगाें का बोझ मुझ पर डाल िदया? क्याें िमसर से िनकले ’।”
12 क्या मैं ने हािमला होकर इस पूरी क़ौम को
िगनती 11:21 174
21 ले िकन मूसा ने एतराज़ िकया, “अगर पर फेंक िदए। उनके ग़ोल तीन फ़ुट ऊँचे और
क़ौम के पै दल चलने वाले िगने जाएँ तो छः लाख ख़ै मागाह के चाराें तरफ़ 30 िकलोमीटर तक
हैं । तू िकस तरह हमें एक माह तक गोश्त मुहैया पड़े रहे । 32 उस पूरे िदन और रात और अगले
करे गा? 22 क्या गाय-बै लाें या भे ड़-बकिरयाें को पूरे िदन लोग िनकलकर बटे रें जमा करते रहे ।
इतनी िमक़दार में ज़बह िकया जा सकता है िक हर एक ने कम अज़ कम दस बड़ी टोकिरयाँ भर
काफ़ी हो? अगर समुंदर की तमाम मछिलयाँ लीं। िफर उन्हाें ने उनका गोश्त ख़ै मे के इदर्िगदर्
उनके िलए पकड़ी जाएँ तो क्या काफ़ी हाें गी?” ज़मीन पर फैला िदया तािक वह ख़ुश्क हो जाए।
23 रब ने कहा, “क्या रब का इिख़्तयार कम 33 ले िकन गोश्त के पहले टु कड़े अभी मुँह में थे

है ? अब तू ख़ुद दे ख ले गा िक मे री बातें दुरुस्त िक रब का ग़ज़ब उन पर आन पड़ा, और उसने


हैं िक नहीं।” उनमें सख़्त वबा फैलने दी। 34 चुनाँ चे मक़ाम का
24 चुनाँ चे मूसा ने वहाँ से िनकलकर लोगाें को नाम क़ब्रोत-हत्तावा यानी ‘लालच की क़ब्रें’ रखा
रब की यह बातें बताइर्ं । उसने उनके बुज़ुगार्ें में गया, क्याें िक वहाँ उन्हाें ने उन लोगाें को दफ़न
से 70 को चुनकर उन्हें मुलाक़ात के ख़ै मे के िकया जो गोश्त के लालच में आ गए थे ।
इदर्िगदर् खड़ा कर िदया। 25 तब रब बादल में 35 इसके बाद इसराईली क़ब्रोत-हत्तावा से

उतरकर मूसा से हमकलाम हुआ। जो रूह उसने रवाना होकर हसीरात पहुँ च गए। वहाँ वह
मूसा पर नािज़ल िकया था उसमें से उसने कुछ ख़ै माज़न हुए।
ले कर उन 70 बुज़ुगार्ें पर नािज़ल िकया। जब
रूह उन पर आया तो वह नबुव्वत करने लगे । मिरयम और हारून की मुख़ालफ़त
ले िकन ऐसा िफर कभी न हुआ।
26 अब ऐसा हुआ िक इन सत्तर बुज़ुगार्ें में से

दो ख़ै मागाह में रह गए थे । उनके नाम इलदाद


12 एक िदन मिरयम और हारून मूसा
के िख़लाफ़ बातें करने लगे । वजह
यह थी िक उसने कूश की एक औरत से शादी
और मे दाद थे । उन्हें चुना तो गया था ले िकन की थी। 2 उन्हाें ने पूछा, “क्या रब िसफ़र् मूसा की
वह मुलाक़ात के ख़ै मे के पास नहीं आए थे । मािरफ़त बात करता है ? क्या उसने हमसे भी
इसके बावुजूद रूह उन पर भी नािज़ल हुआ बात नहीं की?” रब ने उनकी यह बातें सुनीं।
और वह ख़ै मागाह में नबुव्वत करने लगे । 27 एक 3 ले िकन मूसा िनहायत हलीम था। दुिनया में

नौजवान भागकर मूसा के पास आया और उस जै सा हलीम कोई नहीं था। 4 अचानक रब
कहा, “इलदाद और मे दाद ख़ै मागाह में ही मूसा, हारून और मिरयम से मुख़ाितब हुआ,
नबुव्वत कर रहे हैं ।” “तुम तीनाें बाहर िनकलकर मुलाक़ात के ख़ै मे
28 यशुअ िबन नून जो जवानी से मूसा का के पास आओ।”
मददगार था बोल उठा, “मूसा मे रे आक़ा, उन्हें तीनाें वहाँ पहुँ चे। 5 तब रब बादल के सतून में
रोक दें !” 29 ले िकन मूसा ने जवाब िदया, “क्या उतरकर मुलाक़ात के ख़ै मे के दरवाज़े पर खड़ा
तू मे री ख़ाितर ग़ै रत खा रहा है ? काश रब हुआ। उसने हारून और मिरयम को बुलाया
के तमाम लोग नबी होते और वह उन सब पर तो दोनाें आए। 6 उसने कहा, “मे री बात सुनो।
अपना रूह नािज़ल करता!” 30 िफर मूसा और जब तुम्हारे दरिमयान नबी होता है तो मैं अपने
इसराईल के बुज़ुगर् ख़ै मागाह में वापस आए। आपको रोया में उस पर ज़ािहर करता हूँ या
31 तब रब की तरफ़ से ज़ोरदार हवा चलने ख़ाब में उससे मुख़ाितब होता हूँ । 7 ले िकन मे रे
लगी िजसने समुंदर को पार करने वाले बटे राें ख़ािदम मूसा की और बात है । उसे मैं ने अपने
के ग़ोल धकेलकर ख़ै मागाह के इदर्िगदर् ज़मीन पूरे घराने पर मुक़रर् र िकया है । 8 उससे मैं रूबरू
175 िगनती 13:23
हमकलाम होता हूँ । उससे मैं मुअम्माें के ज़रीए रूिबन के क़बीले से सम्मुअ िबन ज़क्कूर,
नहीं बिल्क साफ़ साफ़ बात करता हूँ । वह रब 5 शमाऊन के क़बीले से साफ़त िबन होरी,

की सूरत दे खता है । तो िफर तुम मे रे ख़ािदम के 6 यहूदाह के क़बीले से कािलब िबन यफ़ुन्ना,

िख़लाफ़ बातें करने से क्याें न डरे ?” 7 इशकार के क़बीले से इजाल िबन यूसुफ़,

9 रब का ग़ज़ब उन पर आन पड़ा, और 8 इफ़राईम के क़बीले से होसे अ िबन नून,

वह चला गया। 10 जब बादल का सतून ख़ै मे 9 िबनयमीन के क़बीले से फ़लती िबन रफ़ू,

से दूर हुआ तो मिरयम की िजल्द बफ़र् की 10 ज़बूलून के क़बीले से जिद्दये ल िबन सोदी,

मािंनद सफ़ेद थी। वह कोढ़ का िशकार हो 11 यूसुफ़ के बे टे मनस्सी के क़बीले से िजद्दी

गई थी। हारून उस की तरफ़ मुड़ा तो उस की िबन सूसी,


हालत दे खी 11 और मूसा से कहा, “मे रे आक़ा, 12 दान के क़बीले से अिम्मये ल िबन जमल्ली,

मे हरबानी करके हमें इस गुनाह की सज़ा न दें 13 आशर के क़बीले से सतूर िबन मीका-

जो हमारी हमाक़त के बाइस सरज़द हुआ है । एल,


12 मिरयम को इस हालत में न छोड़ें । वह तो 14 नफ़ताली के क़बीले से नख़बी िबन

ऐसे बच्चे की मािंनद है जो मुरदा पै दा हुआ हो, वुफ़सी,


िजसके िजस्म का आधा िहस्सा गल चुका हो।” 15 जद के क़बीले से िजयुएल िबन माकी।

13 तब मूसा ने पुकारकर रब से कहा, “ऐ 16 मूसा ने इन्हीं बारह आदिमयाें को मुल्क का

अल्लाह, मे हरबानी करके उसे शफ़ा दे ।” 14 रब जायज़ा ले ने के िलए भे जा। उसने होसे अ का
ने जवाब में मूसा से कहा, “अगर मिरयम का नाम यशुअ यानी ‘रब नजात है ’ में बदल िदया।
बाप उसके मुँह पर थूकता तो क्या वह पूरे हफ़ते 17 उन्हें रुख़सत करने से पहले उसने कहा,

तक शमर् महसूस न करती? उसे एक हफ़ते के “दश्ते -नजब से गुज़रकर पहाड़ी इलाक़े तक
िलए ख़ै मागाह के बाहर बं द रख। इसके बाद उसे पहुँ चो। 18 मालूम करो िक यह िकस तरह का
वापस लाया जा सकता है ।” मुल्क है और उसके बािंशदे कैसे हैं । क्या वह
15 चुनाँ चे मिरयम को एक हफ़ते के िलए ताक़तवर हैं या कमज़ोर, तादाद में कम हैं या
ख़ै मागाह के बाहर बं द रखा गया। लोग उस ज़्यादा? 19 िजस मुल्क में वह बसते हैं क्या वह
वक़्त तक सफ़र के िलए रवाना न हुए जब तक अच्छा है िक नहीं? वह िकस िक़स्म के शहराें में
उसे वापस न लाया गया। 16 जब वह वापस आई रहते हैं ? क्या उनकी चारदीवािरयाँ हैं िक नहीं?
तो इसराईली हसीरात से रवाना होकर फ़ारान 20 मुल्क की ज़मीन ज़रख़े ज़ है या बं जर? उसमें

के रे िगस्तान में ख़ै माज़न हुए। दरख़्त हैं िक नहीं? और जुरर्त करके मुल्क का
कुछ फल चुनकर ले आओ।” उस वक़्त पहले
मुल्के-कनान में इसराईली जासूस अं गूर पक गए थे ।

13 िफर रब ने मूसा से कहा, “कुछ 2 21 चुनाँ चे इन आदिमयाें ने सफ़र करके दश्ते -

आदमी मुल्के-कनान का जाय- सीन से रहोब तक मुल्क का जायज़ा िलया।


ज़ा ले ने के िलए भे ज दे , क्याें िक मैं उसे रहोब लबो-हमात के क़रीब है । 22 वह दश्ते -
इसराईिलयाें को दे ने को हूँ । हर क़बीले में से नजब से गुज़रकर हबरून पहुँ चे जहाँ अनाक़
एक राहनुमा को चुनकर भे ज दे ।” के बे टे अख़ीमान, सीसी और तलमी रहते थे ।
3 मूसा ने रब के कहने पर उन्हें दश्ते -फ़ारान से (हबरून को िमसर के शहर ज़ुअन से सात
भे जा। सब इसराईली राहनुमा थे । 4 उनके नाम साल पहले तामीर िकया गया था)। 23 जब वह
यह हैं : वादीए-इसकाल तक पहुँ चे तो उन्हाें ने एक डाली
िगनती 13:24 176
काट ली िजस पर अं गूर का गुच्छा लगा हुआ वहाँ दे वक़ामत अफ़राद भी दे खे। (अनाक़ के
था। दो आदिमयाें ने यह अं गूर, कुछ अनार और बे टे दे वक़ामत के अफ़राद की औलाद थे )।
कुछ अं जीर लाठी पर लटकाए और उसे उठाकर उनके सामने हम अपने आपको िटड्डी जै सा
चल पड़े । 24 उस जगह का नाम उस गुच्छे के महसूस कर रहे थे , और हम उनकी नज़र में
सबब से जो इसराईिलयाें ने वहाँ से काट िलया ऐसे थे भी।”
इसकाल यानी गुच्छा रखा गया।
25 चालीस िदन तक मुल्क का खोज लगाते लोग कनान में दािख़ल नहीं होना चाहते
लगाते वह लौट आए। 26 वह मूसा, हारून और
इसराईल की पूरी जमात के पास आए जो
दश्ते -फ़ारान में क़ािदस की जगह पर इं तज़ार
14 उस रात तमाम लोग चीख़ें मार
मारकर रोते रहे । 2 सब मूसा और
हारून के िख़लाफ़ बुड़बुड़ाने लगे । पूरी जमात ने
कर रहे थे । वहाँ उन्हाें ने सब कुछ बताया जो उनसे कहा, “काश हम िमसर या इस रे िगस्तान
उन्हाें ने मालूम िकया था और उन्हें वह फल में मर गए होते ! 3 रब हमें क्याें उस मुल्क में
िदखाए जो ले कर आए थे । 27 उन्हाें ने मूसा ले जा रहा है ? क्या इसिलए िक दुश्मन हमें
को िरपोटर् दी, “हम उस मुल्क में गए जहाँ तलवार से क़त्ल करे और हमारे बाल-बच्चाें को
आपने हमें भे जा था। वाक़ई उस मुल्क में दूध लूट ले ? क्या बे हतर नहीं होगा िक हम िमसर
और शहद की कसरत है । यहाँ हमारे पास वापस जाएँ ?” 4 उन्हाें ने एक दूसरे से कहा,
उसके कुछ फल भी हैं । 28 ले िकन उसके बािंशदे “आओ, हम राहनुमा चुनकर िमसर वापस चले
ताक़तवर हैं । उनके शहराें की फ़सीलें हैं , और जाएँ ।”
वह िनहायत बड़े हैं । हमने वहाँ अनाक़ की 5 तब मूसा और हारून पूरी जमात के सामने

औलाद भी दे खी। 29 अमालीक़ी दश्ते -नजब में मुँह के बल िगरे । 6 ले िकन यशुअ िबन नून और
रहते हैं जबिक िहत्ती, यबूसी और अमोरी पहाड़ी कािलब िबन यफ़ुन्ना बाक़ी दस जासूसाें से
इलाक़े में आबाद हैं । कनानी सािहली इलाक़े फ़रक़ थे । परे शानी के आलम में उन्हाें ने अपने
और दिरयाए-यरदन के िकनारे िकनारे बसते कपड़े फाड़कर 7 पूरी जमात से कहा, “िजस
हैं ।” मुल्क में से हम गुज़रे और िजसकी तफ़तीश
30 कािलब ने मूसा के सामने जमाशुदा लोगाें हमने की वह िनहायत ही अच्छा है । 8 अगर रब
को इशारा िकया िक वह ख़ामोश हो जाएँ । िफर हमसे ख़ुश है तो वह ज़रूर हमें उस मुल्क में ले
उसने कहा, “आएँ , हम मुल्क में दािख़ल हो जाएगा िजसमें दूध और शहद की कसरत है ।
जाएँ और उस पर क़ब्ज़ा कर लें , क्याें िक हम वह हमें ज़रूर यह मुल्क दे गा। 9 रब से बग़ावत
यक़ीनन यह करने के क़ािबल हैं ।” 31 ले िकन मत करना। उस मुल्क के रहने वालाें से न डरें ।
दूसरे आदिमयाें ने जो उसके साथ मुल्क को हम उन्हें हड़प कर जाएं गे। उनकी पनाह उनसे
दे खने गए थे कहा, “हम उन लोगाें पर हमला जाती रही है जबिक रब हमारे साथ है । चुनाँ चे
नहीं कर सकते , क्याें िक वह हमसे ताक़तवर उनसे मत डरें ।”
हैं ।” 32 उन्हाें ने इसराईिलयाें के दरिमयान उस 10 यह सुनकर पूरी जमात उन्हें सं गसार करने

मुल्क के बारे में ग़लत अफ़वाहें फैलाइर्ं िजसकी के िलए तै यार हुई। ले िकन अचानक रब का
तफ़तीश उन्हाें ने की थी। उन्हाें ने कहा, “िजस जलाल मुलाक़ात के ख़ै मे पर ज़ािहर हुआ,
मुल्क में से हम गुज़रे तािक उसका जायज़ा लें और तमाम इसराईिलयाें ने उसे दे खा। 11 रब ने
वह अपने बािंशदाें को हड़प कर ले ता है । जो भी मूसा से कहा, “यह लोग मुझे कब तक हक़ीर
उसमें रहता है िनहायत दराज़क़द है । 33 हमने जानें गे? वह कब तक मुझ पर ईमान रखने से
177 िगनती 14:34
इनकार करें गे अगरचे मैं ने उनके दरिमयान इतने मैं ने िमसर और रे िगस्तान में कर िदखाए हैं । तो
मोिजज़े िकए हैं ? 12 मैं उन्हें वबा से मार डालूँगा भी उन्हाें ने दस दफ़ा मुझे आज़माया और मे री
और उन्हें रूए-ज़मीन पर से िमटा दूँ गा। उनकी न सुनी। 23 उनमें से एक भी उस मुल्क को नहीं
जगह मैं तुझसे एक क़ौम बनाऊँगा जो उनसे दे खेगा िजसका वादा मैं ने क़सम खाकर उनके
बड़ी और ताक़तवर होगी।” बापदादा से िकया था। िजसने भी मुझे हक़ीर
13 ले िकन मूसा ने रब से कहा, “िफर िमसरी जाना है वह कभी उसे नहीं दे खेगा। 24 िसफ़र्
यह सुन लें गे! क्याें िक तूने अपनी क़ुदरत मे रा ख़ािदम कािलब मुख़्तिलफ़ है । उस की रूह
से इन लोगाें को िमसर से िनकालकर यहाँ फ़रक़ है । वह पूरे िदल से मे री पै रवी करता
तक पहुँ चाया है । 14 िमसरी यह बात कनान के है , इसिलए मैं उसे उस मुल्क में ले जाऊँगा
बािंशदाें को बताएँ गे। यह लोग पहले से सुन चुके िजसमें उसने सफ़र िकया है । उस की औलाद
हैं िक रब इस क़ौम के साथ है , िक तुझे रूबरू मुल्क मीरास में पाएगी। 25 ले िकन िफ़लहाल
दे खा जाता है , िक ते रा बादल उनके ऊपर ठहरा अमालीक़ी और कनानी उस की वािदयाें में
रहता है , और िक तू िदन के वक़्त बादल के आबाद रहें गे। चुनाँ चे कल मुड़कर वापस चलो।
सतून में और रात को आग के सतून में इनके रे िगस्तान में बहरे -क़ुलज़ुम की तरफ़ रवाना हो
आगे आगे चलता है । 15 अगर तू एकदम इस जाओ।”
पूरी क़ौम को तबाह कर डाले तो बाक़ी क़ौमें 26 रब ने मूसा और हारून से कहा, 27 “यह

यह सुनकर कहें गी, 16 ‘रब इन लोगाें को उस शरीर जमात कब तक मे रे िख़लाफ़ बुड़बुड़ाती


मुल्क में ले जाने के क़ािबल नहीं था िजसका रहे गी? उनके िगले -िशकवे मुझ तक पहुँ च
वादा उसने उनसे क़सम खाकर िकया था। इसी गए हैं । 28 इसिलए उन्हें बताओ, ‘रब फ़रमाता
िलए उसने उन्हें रे िगस्तान में हलाक कर िदया।’ है िक मे री हयात की क़सम, मैं तुम्हारे साथ
17 ऐ रब, अब अपनी क़ुदरत याें ज़ािहर कर िजस वही कुछ करूँगा जो तुमने मे रे सामने कहा है ।
तरह तूने फ़रमाया है । क्याें िक तूने कहा, 18 ‘रब 29 तुम इस रे िगस्तान में मरकर यहीं पड़े रहोगे ,

तहम्मुल और शफ़क़त से भरपूर है । वह गुनाह हर एक जो 20 साल या इससे ज़ायद का


और नाफ़रमानी मुआफ़ करता है , ले िकन हर है , जो मदुर्मशुमारी में िगना गया और जो मे रे
एक को उस की मुनािसब सज़ा भी दे ता है । जब िख़लाफ़ बुड़बुड़ाया। 30 गो मैं ने हाथ उठाकर
वािलदै न गुनाह करें तो उनकी औलाद को भी क़सम खाई थी िक मैं तुझे उसमें बसाऊँगा
तीसरी और चौथी पुश्त तक सज़ा के नतायज तुममें से कोई भी उस मुल्क में दािख़ल नहीं
भुगतने पड़ें गे ।’ 19 इन लोगाें का क़ुसूर अपनी होगा। िसफ़र् कािलब िबन यफ़ुन्ना और यशुअ
अज़ीम शफ़क़त के मुतािबक़ मुआफ़ कर। उन्हें िबन नून दािख़ल हाें गे। 31 तुमने कहा था िक
उस तरह मुआफ़ कर िजस तरह तू उन्हें िमसर दुश्मन हमारे बच्चाें को लूट लें गे। ले िकन उन्हीं
से िनकलते वक़्त अब तक मुआफ़ करता रहा को मैं उस मुल्क में ले जाऊँगा िजसे तुमने
है ।” रद्द िकया है । 32 ले िकन तुम ख़ुद दािख़ल नहीं
20 रब ने जवाब िदया, “ते रे कहने पर मैं ने होगे । तुम्हारी लाशें इस रे िगस्तान में पड़ी रहें गी।
उन्हें मुआफ़ कर िदया है । 21 इसके बावुजूद मे री 33 तुम्हारे बच्चे 40 साल तक यहाँ रे िगस्तान में

हयात की क़सम और मे रे जलाल की क़सम जो गल्लाबान हाें गे। उन्हें तुम्हारी बे वफ़ाई के सबब
पूरी दुिनया को मामूर करता है , 22 इन लोगाें में से उस वक़्त तक तकलीफ़ उठानी पड़े गी जब
से कोई भी उस मुल्क में दािख़ल नहीं होगा। तक तुममें से आिख़री शख़्स मर न गया हो।
उन्हाें ने मे रा जलाल और मे रे मोिजज़े दे खे हैं जो 34 तुमने चालीस िदन के दौरान उस मुल्क का
िगनती 14:35 178
जायज़ा िलया। अब तुम्हें चालीस साल तक कनान में क़ुरबािनयाँ पे श
अपने गुनाहाें का नतीजा भुगतना पड़े गा। तब करने का तरीक़ा
तुम्हें पता चले गा िक इसका क्या मतलब है िक
मैं तुम्हारी मुख़ालफ़त करता हूँ । 35 मैं , रब ने
यह बात फ़रमाई है । मैं यक़ीनन यह सब कुछ
15 रब ने मूसा से कहा, 2 “इसराई-
िलयाें को बताना िक जब तुम उस
मुल्क में दािख़ल होगे जो मैं तुम्हें दूँ गा 3-4 तो
उस सारी शरीर जमात के साथ करूँगा िजसने जलने वाली क़ुरबािनयाँ याें पे श करना :
िमलकर मे री मुख़ालफ़त की है । इसी रे िगस्तान अगर तुम अपने गाय-बै लाें या भे ड़-बकिरयाें
में वह ख़त्म हो जाएं गे, यहीं मर जाएं गे’।” में से ऐसी क़ुरबानी पे श करना चाहो िजसकी
36-37 िजन आदिमयाें को मूसा ने मुल्क का ख़ुशबू रब को पसं द हो तो साथ साथ डे ढ़
जायज़ा ले ने के िलए भे जा था, रब ने उन्हें फ़ौरन िकलोग्राम बे हतरीन मै दा भी पे श करो जो एक
मोहलक वबा से मार डाला, क्याें िक उनके ग़लत िलटर ज़ै तून के ते ल के साथ िमलाया गया हो।
अफ़वाहें फैलाने से पूरी जमात बुड़बुड़ाने लगी इसमें कोई फ़रक़ नहीं िक यह भस्म होने वाली
थी। 38 िसफ़र् यशुअ िबन नून और कािलब िबन क़ुरबानी, मन्नत की क़ुरबानी, िदली ख़ुशी की
यफ़ुन्ना िंज़दा रहे । क़ुरबानी या िकसी ईद की क़ुरबानी हो।
39 जब मूसा ने रब की यह बातें इसराई- 5 हर भे ड़ को पे श करते वक़्त एक िलटर मै भी

िलयाें को बताइर्ं तो वह ख़ूब मातम करने लगे । मै की नज़र के तौर पर पे श करना। 6 जब में ढा
40 अगली सुबह-सवे रे वह उठे और यह कहते क़ुरबान िकया जाए तो 3 िकलोग्राम बे हतरीन
हुए ऊँचे पहाड़ी इलाक़े के िलए रवाना हुए िक मै दा भी साथ पे श करना जो सवा िलटर ते ल के
हमसे ग़लती हुई है , ले िकन अब हम हािज़र हैं साथ िमलाया गया हो। 7 सवा िलटर मै भी मै की
और उस जगह की तरफ़ जा रहे हैं िजसका नज़र के तौर पर पे श की जाए। ऐसी क़ुरबानी
िज़क्र रब ने िकया है । की ख़ुशबू रब को पसं द आएगी।
41 ले िकन मूसा ने कहा, “तुम क्याें रब की 8 अगर तू रब को भस्म होने वाली क़ुरबानी,

िख़लाफ़वरज़ी कर रहे हो? तुम कामयाब नहीं मन्नत की क़ुरबानी या सलामती की क़ुरबानी
होगे । 42 वहाँ न जाओ, क्याें िक रब तुम्हारे साथ के तौर पर जवान बै ल पे श करना चाहे 9 तो
नहीं है । तुम दुश्मनाें के हाथाें िशकस्त खाओगे , उसके साथ साढ़े 4 िकलोग्राम बे हतरीन मै दा भी
43 क्याें िक वहाँ अमालीक़ी और कनानी तुम्हारा पे श करना जो दो िलटर ते ल के साथ िमलाया
सामना करें गे । चूँिक तुमने अपना मुँह रब से फेर गया हो। 10 दो िलटर मै भी मै की नज़र के तौर
िलया है इसिलए वह तुम्हारे साथ नहीं होगा, पर पे श की जाए। ऐसी क़ुरबानी की ख़ुशबू रब
और दुश्मन तुम्हें तलवार से मार डाले गा।” को पसं द है । 11 लािज़म है िक जब भी िकसी
44 तो भी वह अपने ग़ुरूर में जुरर्त करके ऊ ँ चे गाय, बै ल, भे ड़, में ढे, बकरी या बकरे को चढ़ाया
पहाड़ी इलाक़े की तरफ़ बढ़े , हालाँ िक न मूसा जाए तो ऐसा ही िकया जाए।
और न अहद के सं दूक़ ही ने ख़ै मागाह को 12 अगर एक से ज़ायद जानवराें को क़ुरबान

छोड़ा। 45 िफर उस पहाड़ी इलाक़े में रहने वाले करना है तो हर एक के िलए मुक़रर् रा ग़ल्ला और
अमालीक़ी और कनानी उन पर आन पड़े और मै की नज़रें भी साथ ही पे श की जाएँ ।
उन्हें मारते मारते हुरमा तक ितत्तर-िबत्तर कर 13 लािज़म है िक हर दे सी इसराईली

िदया। जलने वाली क़ुरबािनयाँ पे श करते वक़्त ऐसा ही


करे । िफर उनकी ख़ुशबू रब को पसं द आएगी।
179 िगनती 15:36
14 यह भी लािज़म है िक इसराईल में आिरज़ी या इसराईल की पूरी जमात का कफ़्फ़ारा दे तो
मुस्तिक़ल तौर पर रहने वाले परदे सी इन उसूलाें उन्हें मुआफ़ी िमले गी, क्याें िक उनका गुनाह
के मुतािबक़ अपनी क़ुरबािनयाँ चढ़ाएँ । िफर ग़ै रइरादी था और उन्हाें ने रब को भस्म होने वाली
उनकी ख़ुशबू रब को पसं द आएगी। 15 मुल्के- क़ुरबानी और गुनाह की क़ुरबानी पे श की है ।
कनान में रहने वाले तमाम लोगाें के िलए 26 इसराईिलयाें की पूरी जमात को परदे िसयाें

पाबं िदयाँ एक जै सी हैं , ख़ाह वह दे सी हाें या समे त मुआफ़ी िमले गी, क्याें िक गुनाह ग़ै रइरादी
परदे सी, क्याें िक रब की नज़र में परदे सी तुम्हारे
था।
बराबर है । यह तुम्हारे और तुम्हारी औलाद के 27 अगर िसफ़र् एक शख़्स से ग़ै रइरादी तौर पर

िलए दायमी उसूल है । 16 तुम्हारे और तुम्हारे गुनाह हुआ हो तो गुनाह की क़ुरबानी के िलए
साथ रहने वाले परदे सी के िलए एक ही शरीअत वह एक यकसाला बकरी पे श करे । 28 इमाम
है ।” रब के सामने उस शख़्स का कफ़्फ़ारा दे । जब
कफ़्फ़ारा दे िदया गया तो उसे मुआफ़ी हािसल

फ़सल के िलए शुक्रगुज़ारी की क़रबानी होगी। 29 यही उसूल परदे सी पर भी लागू है ।
17 रब ने मूसा से कहा, 18 “इसराईिलयाें को अगर उससे ग़ै रइरादी तौर पर गुनाह हुआ हो तो

बताना िक जब तुम उस मुल्क में दािख़ल होगे वह मुआफ़ी हािसल करने के िलए वही कुछ करे
िजसमें मैं तुम्हें ले जा रहा हूँ 19 और वहाँ की जो इसराईली को करना होता है ।
पै दावार खाओगे तो पहले उसका एक िहस्सा
उठाने वाली क़ुरबानी के तौर पर रब को पे श दािनस्ता गुनाहाें के िलए सज़ाए-मौत
करना। 20 फ़सल के पहले ख़ािलस आटे में से 30 ले िकन अगर कोई दे सी या परदे सी जान-

मे रे िलए एक रोटी बनाकर उठाने वाली क़ुरबानी बूझकर गुनाह करता है तो ऐसा शख़्स रब की
के तौर पर पे श करो। वह गाहने की जगह की इहानत करता है , इसिलए लािज़म है िक उसे
तरफ़ से रब के िलए उठाने वाली क़ुरबानी होगी। उस की क़ौम में से िमटाया जाए। 31 उसने रब
21 अपनी फ़सल के पहले ख़ािलस आटे में से का कलाम हक़ीर जानकर उसके अहकाम तोड़
यह क़ुरबानी पे श िकया करो। यह उसूल हमे शा डाले हैं , इसिलए उसे ज़रूर क़ौम में से िमटाया
तक लागू रहे । जाए। वह अपने गुनाह का िज़म्मे दार है ।”
32 जब इसराईली रे िगस्तान में से गुज़र रहे

नादािनस्ता गुनाहाें के िलए क़ुरबािनयाँ थे तो एक आदमी को पकड़ा गया जो हफ़ते के


22 हो सकता है िक ग़ै रइरादी तौर पर तुमसे िदन लकिड़याँ जमा कर रहा था। 33 िजन्हाें ने उसे
ग़लती हुई है और तुमने उन अहकाम पर पूरे पकड़ा था वह उसे मूसा, हारून और पूरी जमात
तौर पर अमल नहीं िकया जो रब मूसा को दे के पास ले आए। 34 चूँिक साफ़ मालूम नहीं था
चुका है 23 या जो वह आने वाली नसलाें को दे गा। िक उसके साथ क्या िकया जाए इसिलए उन्हाें ने
24 अगर जमात इस बात से नावािक़फ़ थी और उसे िगिरफ़्तार कर िलया।

ग़ै रइरादी तौर पर उससे ग़लती हुई तो िफर पूरी 35 िफर रब ने मूसा से कहा, “इस आदमी

जमात एक जवान बै ल भस्म होने वाली क़ुरबानी को ज़रूर सज़ाए-मौत दी जाए। पूरी जमात उसे
के तौर पर पे श करे । साथ ही वह मुक़रर् रा ग़ल्ला ख़ै मागाह के बाहर ले जाकर सं गसार करे ।”
और मै की नज़रें भी पे श करे । इसकी ख़ुशबू रब 36 चुनाँ चे जमात ने उसे ख़ै मागाह के बाहर ले
को पसं द होगी। इसके अलावा जमात गुनाह की जाकर सं गसार िकया, िजस तरह रब ने मूसा
क़ुरबानी के िलए एक बकरा पे श करे । 25 इमाम को हुक्म िदया था।
िगनती 15:37 180
अहकाम की याद िदलाने वाले फँ ु दने मुक़द्दस होगा। अब तुम लावी ख़ुद ज़्यादती कर
37 रब ने मूसा से कहा, 38 “इसराईिलयाें को रहे हो।”
बताना िक तुम और तुम्हारे बाद की नसलें 8 मूसा ने क़ोरह से बात जारी रखी, “ऐ लावी

अपने िलबास के िकनाराें पर फँ ु दने लगाएँ । की औलाद, सुनो! 9 क्या तुम्हारी नज़र में यह
हर फँ ु दना एक िक़रिमज़ी डोरी से िलबास के कोई छोटी बात है िक रब तुम्हें इसराईली जमात
साथ लगा हो। 39 इन फँ ु दनाें को दे खकर तुम्हें के बाक़ी लोगाें से अलग करके अपने क़रीब
रब के तमाम अहकाम याद रहें गे और तुम उन ले आया तािक तुम रब के मक़िदस में और
पर अमल करोगे । िफर तुम अपने िदलाें और जमात के सामने खड़े होकर उनकी िख़दमत
आँखाें की ग़लत ख़ािहशाें के पीछे नहीं पड़ोगे करो? 10 वह तुझे और ते रे साथी लािवयाें को
बिल्क िज़नाकारी से दूर रहोगे । 40 िफर तुम मे रे अपने क़रीब लाया है । ले िकन अब तुम इमाम
अहकाम को याद करके उन पर अमल करोगे का ओहदा भी अपनाना चाहते हो। 11 अपने
और अपने ख़ुदा के सामने मख़सूसो-मुक़द्दस सािथयाें से िमलकर तूने हारून की नहीं बिल्क
रहोगे । 41 मैं रब तुम्हारा ख़ुदा हूँ जो तुम्हें िमसर रब की मुख़ालफ़त की है । क्याें िक हारून कौन
से िनकाल लाया तािक तुम्हारा ख़ुदा हूँ । मैं रब है िक तुम उसके िख़लाफ़ बुड़बुड़ाओ?”
तुम्हारा ख़ुदा हूँ ।” 12 िफर मूसा ने इिलयाब के बे टाें दातन और

अबीराम को बुलाया। ले िकन उन्हाें ने कहा, “हम


क़ोरह, दातन और अबीराम की सरकशी नहीं आएँ गे। 13 आप हमें एक ऐसे मुल्क से

16
1-2 एक िदन क़ोरह िबन इज़हार िनकाल लाए हैं जहाँ दूध और शहद की कसरत
मूसा के िख़लाफ़ उठा। वह लावी है तािक हम रे िगस्तान में हलाक हो जाएँ । क्या
के क़बीले का िक़हाती था। उसके साथ रूिबन यह काफ़ी नहीं है ? क्या अब आप हम पर
के क़बीले के तीन आदमी थे , इिलयाब के हुकूमत भी करना चाहते हैं ? 14 न आपने हमें
बे टे दातन और अबीराम और ओन िबन पलत। ऐसे मुल्क में पहुँ चाया िजसमें दूध और शहद की
उनके साथ 250 और आदमी भी थे जो जमात कसरत है , न हमें खे ताें और अं गूर के बाग़ाें के
के सरदार और असरो-रसूख़वाले थे , और जो वािरस बनाया है । क्या आप इन आदिमयाें की
काैं सल के िलए चुने गए थे । 3 वह िमलकर मूसा आँखें िनकाल डालें गे? नहीं, हम हरिगज़ नहीं
और हारून के पास आकर कहने लगे , “आप आएँ गे।”
हमसे ज़्यादती कर रहे हैं । पूरी जमात मख़सूसो- 15 तब मूसा िनहायत ग़ुस्से हुआ। उसने रब से

मुक़द्दस है , और रब उसके दरिमयान है । तो कहा, “उनकी क़ुरबानी को क़बूल न कर। मैं ने


िफर आप अपने आपको क्याें रब की जमात एक गधा तक उनसे नहीं िलया, न मैं ने उनमें से
से बढ़कर समझते हैं ?” िकसी से बुरा सुलूक िकया है ।”
4 यह सुनकर मूसा मुँह के बल िगरा। 5 िफर 16 क़ोरह से उसने कहा, “कल तुम और

उसने क़ोरह और उसके तमाम सािथयाें से कहा, तुम्हारे साथी रब के सामने हािज़र हो जाओ।
“कल सुबह रब ज़ािहर करे गा िक कौन उसका हारून भी आएगा। 17 हर एक अपना बख़ूरदान
बं दा और कौन मख़सूसो-मुक़द्दस है । उसी को ले कर उसे रब को पे श करे ।” 18 चुनाँ चे हर
वह अपने पास आने दे गा। 6 ऐ क़ोरह, कल आदमी ने अपना बख़ूरदान ले कर उसमें अं गारे
अपने तमाम सािथयाें के साथ बख़ूरदान ले कर और बख़ूर डाल िदया। िफर सब मूसा और
7 रब के सामने उनमें अं गारे और बख़ूर डालो। हारून के साथ मुलाक़ात के ख़ै मे के दरवाज़े पर
िजस आदमी को रब चुनेगा वह मख़सूसो-
181 िगनती 16:42
खड़े हुए। 19 क़ोरह ने पूरी जमात को दरवाज़े पर दफ़न हो गए। ज़मीन उनके ऊपर वापस आ
मूसा और हारून के मुक़ाबले में जमा िकया था। गई। याें उन्हें जमात से िनकाला गया और वह
अचानक पूरी जमात पर रब का जलाल हलाक हो गए। 34 उनकी चीख़ें सुनकर उनके
ज़ािहर हुआ। 20 रब ने मूसा और हारून से कहा, इदर्िगदर् खड़े तमाम इसराईली भाग उठे , क्याें िक
21 “इस जमात से अलग हो जाओ तािक मैं इसे उन्हाें ने सोचा, “ऐसा न हो िक ज़मीन हमें भी
फ़ौरन हलाक कर दूँ ।” 22 मूसा और हारून मुँह िनगल ले ।”
के बल िगरे और बोल उठे , “ऐ अल्लाह, तू 35 उसी लमहे रब की तरफ़ से आग उतर

तमाम जानाें का ख़ुदा है । क्या ते रा ग़ज़ब एक आई और उन 250 आदिमयाें को भस्म कर


ही आदमी के गुनाह के सबब से पूरी जमात पर िदया जो बख़ूर पे श कर रहे थे । 36 रब ने मूसा
आन पड़े गा?” से कहा, 37 “हारून इमाम के बे टे इिलयज़र
23 तब रब ने मूसा से कहा, 24 “जमात को को इत्तला दे िक वह बख़ूरदानाें को राख में
बता दे िक क़ोरह, दातन और अबीराम के डे राें से िनकालकर रखे । उनके अं गारे वह दूर फेंके।
से दूर हो जाओ।” 25 मूसा उठकर दातन और बख़ूरदानाें को रखने का सबब यह है िक अब वह
अबीराम के पास गया, और इसराईल के बुज़ुगर् मख़सूसो-मुक़द्दस हैं । 38 लोग उन आदिमयाें के
उसके पीछे चले । 26 उसने जमात को आगाह यह बख़ूरदान ले लें जो अपने गुनाह के बाइस
िकया, “इन शरीराें के ख़ै माें से दूर हो जाओ! जान-बहक़ हो गए। वह उन्हें कूटकर उनसे
जो कुछ भी उनके पास है उसे न छु ओ, वरना चादरें बनाएँ और उन्हें जलने वाली क़ुरबािनयाें
तुम भी उनके साथ तबाह हो जाओगे जब वह की क़ुरबानगाह पर चढ़ाएँ । क्याें िक वह रब को
अपने गुनाहाें के बाइस हलाक हाें गे।” 27 तब पे श िकए गए हैं , इसिलए वह मख़सूसो-मुक़द्दस
बाक़ी लोग क़ोरह, दातन और अबीराम के डे राें हैं । याें वह इसराईिलयाें के िलए एक िनशान
से दूर हो गए। रहें गे।”
दातन और अबीराम अपने बाल-बच्चाें समे त 39 चुनाँ चे इिलयज़र इमाम ने पीतल के

अपने ख़ै माें से िनकलकर बाहर खड़े थे । 28 मूसा यह बख़ूरदान जमा िकए जो भस्म िकए हुए
ने कहा, “अब तुम्हें पता चले गा िक रब ने मुझे आदिमयाें ने रब को पे श िकए थे । िफर लोगाें
यह सब कुछ करने के िलए भे जा है । मैं अपनी ने उन्हें कूटकर उनसे चादरें बनाइर्ं और उन्हें
नहीं बिल्क उस की मरज़ी पूरी कर रहा हूँ । क़ुरबानगाह पर चढ़ा िदया। 40 हारून ने सब कुछ
29 अगर यह लोग दूसराें की तरह तबई मौत मरें वै सा ही िकया जै सा रब ने मूसा की मािरफ़त
तो िफर रब ने मुझे नहीं भे जा। 30 ले िकन अगर बताया था। मक़सद यह था िक बख़ूरदान
रब ऐसा काम करे जो पहले कभी नहीं हुआ और इसराईिलयाें को याद िदलाते रहें िक िसफ़र्
ज़मीन अपना मुँह खोलकर उन्हें और उनका पूरा हारून की औलाद ही को रब के सामने आकर
माल हड़प कर ले और उन्हें जीते -जी दफ़ना दे बख़ूर जलाने की इजाज़त है । अगर कोई और
तो इसका मतलब होगा िक इन आदिमयाें ने रब ऐसा करे तो उसका हाल क़ोरह और उसके
को हक़ीर जाना है ।” सािथयाें का-सा होगा।
31 यह बात कहते ही उनके नीचे की ज़मीन 41 अगले िदन इसराईल की पूरी जमात मूसा

फट गई। 32 उसने अपना मुँह खोलकर उन्हें, और हारून के िख़लाफ़ बुड़बुड़ाने लगी। उन्हाें ने
उनके ख़ानदानाें को, क़ोरह के तमाम लोगाें कहा, “आपने रब की क़ौम को मार डाला है ।”
को और उनका सारा सामान हड़प कर िलया। 42 ले िकन जब वह मूसा और हारून के मुक़ाबले

33 वह अपनी पूरी िमलिकयत समे त जीते -जी में जमा हुए और मुलाक़ात के ख़ै मे का रुख़
िगनती 16:43 182
िकया तो अचानक उस पर बादल छा गया और दी। इन 12 लािठयाें में हारून की लाठी भी
रब का जलाल ज़ािहर हुआ। 43 िफर मूसा और शािमल थी। 7 मूसा ने उन्हें मुलाक़ात के ख़ै मे
हारून मुलाक़ात के ख़ै मे के सामने आए, 44 और में अहद के सं दूक़ के सामने रखा। 8 अगले िदन
रब ने मूसा से कहा, 45 “इस जमात से िनकल जब वह मुलाक़ात के ख़ै मे में दािख़ल हुआ तो
जाओ तािक मैं इसे फ़ौरन हलाक कर दूँ ।” उसने दे खा िक लावी के क़बीले के सरदार हारून
यह सुनकर दोनाें मुँह के बल िगरे । 46 मूसा ने की लाठी से न िसफ़र् काें पलें फूट िनकली हैं
हारून से कहा, “अपना बख़ूरदान ले कर उसमें बिल्क फूल और पके हुए बादाम भी लगे हैं ।
क़ुरबानगाह के अं गारे और बख़ूर डालें । िफर 9 मूसा तमाम लािठयाँ रब के सामने से बाहर

भागकर जमात के पास चले जाएँ तािक उनका लाकर इसराईिलयाें के पास ले आया, और
कफ़्फ़ारा दें । जल्दी करें , क्याें िक रब का ग़ज़ब उन्हाें ने उनका मुआयना िकया। िफर हर एक ने
उन पर टू ट पड़ा है । वबा फैलने लगी है ।” अपनी अपनी लाठी वापस ले ली। 10 रब ने मूसा
47 हारून ने ऐसा ही िकया। वह दौड़कर से कहा, “हारून की लाठी अहद के सं दूक़ के
जमात के बीच में गया। लोगाें में वबा शुरू हो सामने रख दे । यह बाग़ी इसराईिलयाें को याद
चुकी थी, ले िकन हारून ने रब को बख़ूर पे श िदलाएगी िक वह अपना बुड़बुड़ाना बं द करें ,
करके उनका कफ़्फ़ारा िदया। 48 वह िंज़दाें और वरना हलाक हो जाएं गे।”
मुरदाें के बीच में खड़ा हुआ तो वबा रुक गई। 11 मूसा ने ऐसा ही िकया। 12 ले िकन

49 तो भी 14,700 अफ़राद वबा से मर गए। इसराईिलयाें ने मूसा से कहा, “हाय, हम मर


इसमें वह शािमल नहीं हैं जो क़ोरह के सबब से जाएं गे। हाय, हम हलाक हो जाएं गे, हम सब
मर गए थे । हलाक हो जाएं गे। 13 जो भी रब के मक़िदस के
50 जब वबा रुक गई तो हारून मूसा के पास क़रीब आए वह मर जाएगा। क्या हम सब ही
वापस आया जो अब तक मुलाक़ात के ख़ै मे के हलाक हो जाएं गे?”
दरवाज़े पर खड़ा था।
इमामाें और लािवयाें की िज़म्मे दािरयाँ

17
हारून की लाठी से काें पलें िनकलती हैं
रब ने मूसा से कहा, 2 “इसराई-
िलयाें से बात करके उनसे 12
18 रब ने हारून से कहा, “मक़िदस
ते री, ते रे बे टाें और लावी के क़बीले
की िज़म्मे दारी है । अगर इसमें कोई ग़लती
लािठयाँ मँ गवा ले , हर क़बीले के सरदार से हो जाए तो तुम क़ुसूरवार ठहरोगे । इसी तरह
एक लाठी। हर लाठी पर उसके मािलक का इमामाें की िख़दमत िसफ़र् ते री और ते रे बे टाें
नाम िलखना। 3 लावी की लाठी पर हारून का की िज़म्मे दारी है । अगर इसमें कोई ग़लती हो
नाम िलखना, क्याें िक हर क़बीले के सरदार के जाए तो तू और ते रे बे टे क़ुसूरवार ठहरें गे ।
िलए एक लाठी होगी। 4 िफर उनको मुलाक़ात 2 अपने क़बीले लावी के बाक़ी आदिमयाें को

के ख़ै मे में अहद के सं दूक़ के सामने रख जहाँ भी मे रे क़रीब आने दे । वह ते रे साथ िमलकर


मे री तुमसे मुलाक़ात होती है । 5 िजस आदमी याें िहस्सा लें िक वह ते री और ते रे बे टाें की
को मैं ने चुन िलया है उस की लाठी से काें पलें िख़दमत करें जब तुम ख़ै मे के सामने अपनी
फूट िनकलें गी। इस तरह मैं तुम्हारे िख़लाफ़ िज़म्मे दािरयाँ िनभाओगे । 3 ते री िख़दमत और
इसराईिलयाें की बुड़बुड़ाहट ख़त्म कर दूँ गा।” ख़ै मे में िख़दमत उनकी िज़म्मे दारी है । ले िकन
6 चुनाँ चे मूसा ने इसराईिलयाें से बात की, वह ख़ै मे के मख़सूसो-मुक़द्दस सामान और
और क़बीलाें के हर सरदार ने उसे अपनी लाठी क़ुरबानगाह के क़रीब न जाएँ , वरना न िसफ़र्
183 िगनती 18:23
वह बिल्क तू भी हलाक हो जाएगा। 4 याें वह में जो भी चीज़ रब के िलए मख़सूसो-मुक़द्दस
ते रे साथ िमलकर मुलाक़ात के ख़ै मे के पूरे की गई है वह ते री होगी। 15 हर इनसान और हर
काम में िहस्सा लें । ले िकन िकसी और को ऐसा है वान का जो पहलौठा रब को पे श िकया जाता
करने की इजाज़त नहीं है । 5 िसफ़र् तू और ते रे है वह ते रा ही है । ले िकन लािज़म है िक तू हर
बे टे मक़िदस और क़ुरबानगाह की दे ख-भाल इनसान और हर नापाक जानवर के पहलौठे का
करें तािक मे रा ग़ज़ब दुबारा इसराईिलयाें पर न िफ़द्या दे कर उसे छु ड़ाए।
भड़के। 6 मैं ही ने इसराईिलयाें में से ते रे भाइयाें 16 जब वह एक माह के हैं तो उनके एवज़

यानी लािवयाें को चुनकर तुझे तोह्फ़े के तौर पर चाँ दी के पाँ च िसक्के दे ना। (हर िसक्के का
िदया है । वह रब के िलए मख़सूस हैं तािक ख़ै मे वज़न मक़िदस के बाटाें के मुतािबक़ 11 ग्राम
में िख़दमत करें । 7 ले िकन िसफ़र् तू और ते रे बे टे हो)। 17 ले िकन गाय-बै लाें और भे ड़-बकिरयाें
इमाम की िख़दमत सरं जाम दें । मैं तुम्हें इमाम के पहले बच्चाें का िफ़द्या यानी मुआवज़ा न
का ओहदा तोह्फ़े के तौर पर दे ता हूँ । कोई और दे ना। वह मख़सूसो-मुक़द्दस हैं । उनका ख़ून
क़ुरबानगाह और मुक़द्दस चीज़ाें के नज़दीक न क़ुरबानगाह पर िछड़क दे ना और उनकी चरबी
आए, वरना उसे सज़ाए-मौत दी जाए।” जला दे ना। ऐसी क़ुरबानी रब को पसं द होगी।
18 उनका गोश्त वै से ही तुम्हारे िलए हो, जै से

इमामाें का िहस्सा िहलाने वाली क़ुरबानी का सीना और दहनी रान


8 रब ने हारून से कहा, “मैं ने ख़ुद मुक़रर् र भी तुम्हारे िलए हैं ।

िकया है िक तमाम उठाने वाली क़ुरबािनयाँ ते रा 19 मुक़द्दस क़ुरबािनयाें में से तमाम उठाने -

िहस्सा हाें । यह हमे शा तक क़ुरबािनयाें में से वाली क़ुरबािनयाँ ते रा और ते रे बे टे-बे िटयाें का


ते रा और ते री औलाद का िहस्सा हैं । 9 तुम्हें िहस्सा हैं । मैं ने उसे हमे शा के िलए तुझे िदया है ।
मुक़द्दसतरीन क़ुरबािनयाें का वह िहस्सा िमलना यह नमक का दायमी अहद है जो मैं ने ते रे और
है जो जलाया नहीं जाता। हाँ , तुझे और ते रे बे टाें ते री औलाद के साथ क़ायम िकया है ।”
को वही िहस्सा िमलना है , ख़ाह वह मुझे ग़ल्ला
की नज़रें , गुनाह की क़ुरबािनयाँ या क़ुसूर की लािवयाें का िहस्सा
क़ुरबािनयाँ पे श करें । उसे मुक़द्दस जगह पर
10 20 रब ने हारून से कहा, “तू मीरास में ज़मीन
खाना। हर मदर् उसे खा सकता है । ख़याल रख नहीं पाएगा। इसराईल में तुझे कोई िहस्सा
िक वह मख़सूसो-मुक़द्दस है । नहीं िदया जाएगा, क्याें िक इसराईिलयाें के
11 मैं ने मुक़रर् र िकया है िक तमाम िहलाने - दरिमयान मैं ही ते रा िहस्सा और ते री मीरास

वाली क़ुरबािनयाें का उठाया हुआ िहस्सा ते रा हूँ । 21 अपनी पै दावार का जो दसवाँ िहस्सा
है । यह हमे शा के िलए ते रे और ते रे बे टे-बे िटयाें इसराईली मुझे दे ते हैं वह मैं लािवयाें को दे ता
का िहस्सा है । ते रे घराने का हर फ़रद उसे खा हूँ । यह उनकी िवरासत है , जो उन्हें मुलाक़ात
सकता है । शतर् यह है िक वह पाक हो। 12 जब के ख़ै मे में िख़दमत करने के बदले में िमलती
लोग रब को अपनी फ़सलाें का पहला फल पे श है । 22 अब से इसराईली मुलाक़ात के ख़ै मे के
करें गे तो वह ते रा ही िहस्सा होगा। मैं तुझे ज़ै तून क़रीब न आएँ , वरना उन्हें अपनी ख़ता का
के ते ल, नई मै और अनाज का बे हतरीन िहस्सा नतीजा बरदाश्त करना पड़े गा और वह हलाक
दे ता हूँ । 13 फ़सलाें का जो भी पहला फल वह हो जाएं गे। 23 िसफ़र् लावी मुलाक़ात के ख़ै मे
रब को पे श करें गे वह ते रा ही होगा। ते रे घराने का में िख़दमत करें । अगर इसमें कोई ग़लती हो
हर पाक फ़रद उसे खा सकता है । 14 इसराईल जाए तो वही क़ुसूरवार ठहरें गे । यह एक दायमी
िगनती 18:24 184
उसूल है । उन्हें इसराईल में मीरास में ज़मीन नहीं आएँ । उसमें नुक़्स न हो और उस पर कभी जुआ
िमले गी। 24 क्याें िक मैं ने उन्हें वही दसवाँ िहस्सा न रखा गया हो। 3 तुम उसे इिलयज़र इमाम को
मीरास के तौर पर िदया है जो इसराईली मुझे दे ना जो उसे ख़ै मे के बाहर ले जाए। वहाँ उसे
उठाने वाली क़ुरबानी के तौर पर पे श करते हैं । उस की मौजूदगी में ज़बह िकया जाए। 4 िफर
इस वजह से मैं ने उनके बारे में कहा िक उन्हें इिलयज़र इमाम अपनी उँ गली से उसके ख़ून
बाक़ी इसराईिलयाें के साथ मीरास में ज़मीन से कुछ ले कर मुलाक़ात के ख़ै मे के सामने वाले
नहीं िमले गी।” िहस्से की तरफ़ िछड़के। 5 उस की मौजूदगी में
पूरी की पूरी गाय को जलाया जाए। उस की
लािवयाें का दसवाँ िहस्सा खाल, गोश्त, ख़ून और अं तिड़याें का गोबर भी
25 रब ने मूसा से कहा, 26 “लािवयाें को जलाया जाए। 6 िफर वह दे वदार की लकड़ी,
बताना िक तुम्हें इसराईिलयाें की पै दावार का ज़ूफ़ा और िक़रिमज़ी रं ग का धागा ले कर उसे
दसवाँ िहस्सा िमले गा। यह रब की तरफ़ जलती हुई गाय पर फेंके। 7 इसके बाद वह अपने
से तुम्हारी िवरासत होगी। लािज़म है िक कपड़ाें को धोकर नहा ले । िफर वह ख़ै मागाह में
तुम इसका दसवाँ िहस्सा रब को उठाने वाली आ सकता है ले िकन शाम तक नापाक रहे गा।
क़ुरबानी के तौर पर पे श करो। 27 तुम्हारी यह 8 िजस आदमी ने गाय को जलाया वह भी

क़ुरबानी नए अनाज या नए अं गूर के रस की अपने कपड़ाें को धोकर नहा ले । वह भी शाम


क़ुरबानी के बराबर क़रार दी जाएगी। 28 इस तक नापाक रहे गा।
तरह तुम भी रब को इसराईिलयाें की पै दावार 9 एक दूसरा आदमी जो पाक है गाय की राख

के दसवें िहस्से में से उठाने वाली क़ुरबानी पे श इकट्ठी करके ख़ै मागाह के बाहर िकसी पाक
करोगे । रब के िलए यह क़ुरबानी हारून इमाम जगह पर डाल दे । वहाँ इसराईल की जमात उसे
को दे ना। 29 जो भी तुम्हें िमला है उसमें से सबसे नापाकी दूर करने का पानी तै यार करने के िलए
अच्छा और मुक़द्दस िहस्सा रब को दे ना। 30 जब महफ़ूज़ रखे । यह गुनाह से पाक करने के िलए
तुम इसका सबसे अच्छा िहस्सा पे श करोगे इस्ते माल होगा। 10 िजस आदमी ने राख इकट्ठी
तो उसे नए अनाज या नए अं गूर के रस की की है वह भी अपने कपड़ाें को धो ले । वह भी
क़ुरबानी के बराबर क़रार िदया जाएगा। 31 तुम शाम तक नापाक रहे गा। यह इसराईिलयाें और
अपने घरानाें समे त इसका बाक़ी िहस्सा कहीं उनके दरिमयान रहने वाले परदे िसयाें के िलए
भी खा सकते हो, क्याें िक यह मुलाक़ात के दायमी उसूल हो।
ख़ै मे में तुम्हारी िख़दमत का अज्र है । 32 अगर
तुमने पहले इसका बे हतरीन िहस्सा पे श िकया लाश छू ने से पाक हो जाने का तरीक़ा
हो तो िफर इसे खाने में तुम्हारा कोई क़ुसूर नहीं 11 जो भी लाश छु ए वह सात िदन तक नापाक

होगा। िफर इसराईिलयाें की मख़सूसो-मुक़द्दस रहे गा। 12 तीसरे और सातवें िदन वह अपने
क़ुरबािनयाँ तुमसे नापाक नहीं हो जाएँ गी और आप पर नापाकी दूर करने का पानी िछड़ककर
तुम नहीं मरोगे ।” पाक-साफ़ हो जाए। इसके बाद ही वह पाक
होगा। ले िकन अगर वह इन दोनाें िदनाें में अपने
सुख़र् गाय की राख आपको याें पाक न करे तो नापाक रहे गा। 13 जो

19 रब ने मूसा और हारून से कहा, भी लाश छू कर अपने आपको याें पाक नहीं


2 “इसराईिलयाें को बताना िक वह करता वह रब के मक़िदस को नापाक करता

तुम्हारे पास सुख़र् रं ग की जवान गाय ले कर है । लािज़म है िक उसे इसराईल में से िमटाया
185 िगनती 20:11
जाए। चूँिक नापाकी दूर करने का पानी उस पर नापाक चीज़ छु ए वह भी शाम तक नापाक
िछड़का नहीं गया इसिलए वह नापाक रहे गा। रहे गा।”
14 अगर कोई डे रे में मर जाए तो जो भी उस

वक़्त उसमें मौजूद हो या दािख़ल हो जाए वह चटान से पानी


सात िदन तक नापाक रहे गा। 15 हर खुला बरतन
जो ढकने से बं द न िकया गया हो वह भी नापाक
होगा। 16 इसी तरह जो खुले मै दान में लाश छु ए
20 पहले महीने में इसराईल की
पूरी जमात दश्ते -सीन में पहुँ चकर
क़ािदस में रहने लगी। वहाँ मिरयम ने वफ़ात
वह भी सात िदन तक नापाक रहे गा, ख़ाह वह पाई और वहीं उसे दफ़नाया गया।
तलवार से या तबई मौत मरा हो। जो इनसान 2 क़ािदस में पानी दस्तयाब नहीं था, इसिलए

की कोई हड्डी या क़ब्र छु ए वह भी सात िदन तक लोग मूसा और हारून के मुक़ाबले में जमा हुए।
नापाक रहे गा। 3 वह मूसा से यह कहकर झगड़ने लगे , “काश

17 नापाकी दूर करने के िलए उस सुख़र् रं ग हम अपने भाइयाें के साथ रब के सामने मर


की गाय की राख में से कुछ ले ना जो गुनाह गए होते ! 4 आप रब की जमात को क्याें इस
दूर करने के िलए जलाई गई थी। उसे बरतन में रे िगस्तान में ले आए? क्या इसिलए िक हम
डालकर ताज़ा पानी में िमलाना। 18 िफर कोई यहाँ अपने मवे िशयाें समे त मर जाएँ ? 5 आप
पाक आदमी कुछ ज़ूफ़ा ले और उसे उस पानी हमें िमसर से िनकालकर उस नाख़ुशगवार जगह
में डु बोकर मरे हुए शख़्स के ख़ै मे, उसके सामान पर क्याें ले आए हैं ? यहाँ न तो अनाज, न
और उन लोगाें पर िछड़के जो उसके मरते वक़्त अं जीर, अं गूर या अनार दस्तयाब हैं । पानी भी
वहाँ थे । इसी तरह वह पानी उस शख़्स पर भी नहीं है !”
िछड़के िजसने तबई या ग़ै रतबई मौत मरे हुए 6 मूसा और हारून लोगाें को छोड़कर

शख़्स को, िकसी इनसान की हड्डी को या कोई मुलाक़ात के ख़ै मे के दरवाज़े पर गए और मुँह


क़ब्र छू ई हो। 19 पाक आदमी यह पानी तीसरे के बल िगरे । तब रब का जलाल उन पर ज़ािहर
और सातवें िदन नापाक शख़्स पर िछड़के। हुआ। 7 रब ने मूसा से कहा, 8 “अहद के सं दूक़
सातवें िदन वह उसे पाक करे । िजसे पाक िकया के सामने पड़ी लाठी पकड़कर हारून के साथ
जा रहा है वह अपने कपड़े धोकर नहा ले तो वह जमात को इकट्ठा कर। उनके सामने चटान से
उसी शाम पाक होगा। बात करो तो वह अपना पानी दे गी। याें तू चटान
20 ले िकन जो नापाक शख़्स अपने आपको में से जमात के िलए पानी िनकालकर उन्हें
पाक नहीं करता उसे जमात में से िमटाना है , उनके मवे िशयाें समे त पानी िपलाएगा।”
क्याें िक उसने रब का मक़िदस नापाक कर 9 मूसा ने ऐसा ही िकया। उसने अहद के

िदया है । नापाकी दूर करने का पानी उस पर सं दूक़ के सामने पड़ी लाठी उठाई 10 और
नहीं िछड़का गया, इसिलए वह नापाक रहा हारून के साथ जमात को चटान के सामने
है । 21 यह उनके िलए दायमी उसूल है । िजस इकट्ठा िकया। मूसा ने उनसे कहा, “ऐ बग़ावत
आदमी ने नापाकी दूर करने का पानी िछड़का है करने वालो, सुनो! क्या हम इस चटान में से
वह भी अपने कपड़े धोए। बिल्क िजसने भी यह तुम्हारे िलए पानी िनकालें ?” 11 उसने लाठी को
पानी छु आ है शाम तक नापाक रहे गा। 22 और उठाकर चटान को दो मरतबा मारा तो बहुत-सा
नापाक शख़्स जो भी चीज़ छु ए वह नापाक हो पानी फूट िनकला। जमात और उनके मवे िशयाें
जाती है । न िसफ़र् यह बिल्क जो बाद में यह ने ख़ूब पानी िपया।
िगनती 20:12 186
12 ले िकन रब ने मूसा और हारून से कहा, 21 चूँिक
अदोम ने उन्हें गुज़रने की इजाज़त
“तुम्हारा मुझ पर इतना ईमान नहीं था िक मे री न दी इसिलए इसराईली मुड़कर दूसरे रास्ते से
क़ुद्दिू सयत को इसराईिलयाें के सामने क़ायम चले गए।
रखते । इसिलए तुम उस जमात को उस मुल्क
में नहीं ले जाओगे जो मैं उन्हें दूँ गा।” हारून की वफ़ात
13 यह वािक़या मरीबा यानी ‘झगड़ना’ के 22 इसराईल की पूरी जमात क़ािदस से रवाना
पानी पर हुआ। वहाँ इसराईिलयाें ने रब से होकर होर पहाड़ के पास पहुँ ची। 23 यह पहाड़
झगड़ा िकया, और वहाँ उसने उन पर ज़ािहर अदोम की सरहद पर वाक़े था। वहाँ रब ने मूसा
िकया िक वह क़ुद्दस ू है । और हारून से कहा, 24 “हारून अब कूच करके
अपने बापदादा से जा िमले गा। वह उस मुल्क में
अदोम इसराईल को गुज़रने नहीं दे ता दािख़ल नहीं होगा जो मैं इसराईिलयाें को दूँ गा,
14 क़ािदस से मूसा ने अदोम के बादशाह क्याें िक तुम दोनाें ने मरीबा के पानी पर मे रे हुक्म
को इत्तला भे जी, “आपके भाई इसराईल की की िख़लाफ़वरज़ी की। 25 हारून और उसके बे टे
तरफ़ से एक गुज़ािरश है । आपको उन तमाम इिलयज़र को ले कर होर पहाड़ पर चढ़ जा।
मुसीबताें के बारे में इल्म है जो हम पर आन पड़ी 26 हारून के कपड़े उतारकर उसके बे टे इिलयज़र

हैं । 15 हमारे बापदादा िमसर गए थे और वहाँ हम को पहना दे ना। िफर हारून कूच करके अपने
बहुत अरसे तक रहे । िमसिरयाें ने हमारे बापदादा बापदादा से जा िमले गा।”
और हमसे बुरा सुलूक िकया। 16 ले िकन जब 27 मूसा ने ऐसा ही िकया जै सा रब ने कहा।

हमने िचल्लाकर रब से िमन्नत की तो उसने तीनाें पूरी जमात के दे खते दे खते होर पहाड़ पर
हमारी सुनी और फ़िरश्ता भे जकर हमें िमसर से चढ़ गए। 28 मूसा ने हारून के कपड़े उतरवाकर
िनकाल लाया। अब हम यहाँ क़ािदस शहर में हैं उसके बे टे इिलयज़र को पहना िदए। िफर हारून
जो आपकी सरहद पर है । 17 मे हरबानी करके वहाँ पहाड़ की चोटी पर फ़ौत हुआ, और मूसा
हमें अपने मुल्क में से गुज़रने दें । हम िकसी और इिलयज़र नीचे उतर गए। 29 जब पूरी
खे त या अं गूर के बाग़ में नहीं जाएं गे, न िकसी जमात को मालूम हुआ िक हारून इं तक़ाल कर
कुएँ का पानी िपएँ गे। हम शाहराह पर ही रहें गे। गया है तो सबने 30 िदन तक उसके िलए मातम
आपके मुल्क में से गुज़रते हुए हम उससे न दाइर्ं िकया।
और न बाइर्ं तरफ़ हटें गे।”
18 ले िकन अदोिमयाें ने जवाब िदया, “यहाँ कनानी मुल्के-अराद पर फ़तह
से न गुज़रना, वरना हम िनकलकर आपसे
लड़ें गे ।” 19 इसराईल ने दुबारा ख़बर भे जी,
“हम शाहराह पर रहते हुए गुज़रें गे । अगर हमें या
21 दश्ते -नजब के कनानी मुल्क अराद
के बादशाह को ख़बर िमली िक
इसराईली अथािरम की तरफ़ बढ़ रहे हैं । उसने
हमारे जानवराें को पानी की ज़रूरत हुई तो पै से उन पर हमला िकया और कई एक को पकड़कर
दे कर ख़रीद लें गे। हम पै दल ही गुज़रना चाहते क़ैद कर िलया। 2 तब इसराईिलयाें ने रब के
हैं , और कुछ नहीं चाहते ।” सामने मन्नत मानकर कहा, “अगर तू हमें उन
20 ले िकन अदोिमयाें ने दुबारा इनकार िकया। पर फ़तह दे गा तो हम उन्हें उनके शहराें समे त
साथ ही उन्हाें ने उनके साथ लड़ने के िलए एक तबाह कर दें गे ।” 3 रब ने उनकी सुनी और
बड़ी और ताक़तवर फ़ौज भे जी। कनािनयाें पर फ़तह बख़्शी। इसराईिलयाें ने उन्हें
उनके शहराें समे त पूरी तरह तबाह कर िदया।
187 िगनती 21:24
इसिलए उस जगह का नाम हुरमा यानी तबाही सरहद है । 14 इसका िज़क्र िकताब ‘रब की जं गें’
पड़ गया। में भी है ,
“वाहे ब जो सूफ़ा में है , दिरयाए-अरनोन की
पीतल का साँ प वािदयाँ 15 और वािदयाें का वह ढलान जो आर
4 होर पहाड़ से रवाना होकर वह बहरे - शहर तक जाता है और मोआब की सरहद पर

क़ुलज़ुम की तरफ़ चल िदए तािक अदोम के वाक़े है ।”


मुल्क में से गुज़रना न पड़े । ले िकन चलते चलते 16 वहाँ से वह बै र यानी ‘कुआँ’ पहुँ चे। यह

लोग बे सबर हो गए। 5 वह रब और मूसा के वही बै र है जहाँ रब ने मूसा से कहा, “लोगाें को


िख़लाफ़ बातें करने लगे , “आप हमें िमसर से इकट्ठा कर तो मैं उन्हें पानी दूँ गा।” 17 उस वक़्त
िनकालकर रे िगस्तान में मरने के िलए क्याें ले इसराईिलयाें ने यह गीत गाया,
आए हैं ? यहाँ न रोटी दस्तयाब है न पानी। हमें “ऐ कुएँ , फूट िनकल! उसके बारे में गीत
इस घिटया िक़स्म की ख़ुराक से िघन आती है ।” गाओ,
6 तब रब ने उनके दरिमयान ज़हरीले साँ प 18 उस कुएँ के बारे में िजसे सरदाराें ने खोदा,

भे ज िदए िजनके काटने से बहुत-से लोग मर िजसे क़ौम के राहनुमाआें ने असाए-शाही और


गए। 7 िफर लोग मूसा के पास आए। उन्हाें ने अपनी लािठयाें से खोदा।”
कहा, “हमने रब और आपके िख़लाफ़ बातें िफर वह रे िगस्तान से मत्तना को गए,
करते हुए गुनाह िकया। हमारी िसफ़ािरश करें 19 मत्तना से नहिलये ल को और नहिलये ल से
िक रब हमसे साँ प दूर कर दे ।” बामात को। 20 बामात से वह मोआिबयाें के
मूसा ने उनके िलए दुआ की 8 तो रब ने मूसा इलाक़े की उस वादी में पहुँ चे जो िपसगा पहाड़
से कहा, “एक साँ प बनाकर उसे खं बे से लटका के दामन में है । इस पहाड़ की चोटी से वादीए-
दे । जो भी डसा गया हो वह उसे दे खकर बच यरदन का जुनूबी िहस्सा यशीमोन ख़ूब नज़र
जाएगा।” 9 चुनाँ चे मूसा ने पीतल का एक साँ प आता है ।
बनाया और खं बा खड़ा करके साँ प को उससे
लटका िदया। और ऐसा हुआ िक िजसे भी डसा सीहोन और ओज की िशकस्त
गया था वह पीतल के साँ प पर नज़र करके बच 21 इसराईल ने अमोिरयाें के बादशाह सीहोन
गया। को इत्तला भे जी, 22 “हमें अपने मुल्क में
से गुज़रने दें । हम सीधे सीधे गुज़र जाएं गे।
मोआब की तरफ़ सफ़र न हम कोई खे त या अं गूर का बाग़ छे ड़ें गे ,
10 इसराईली रवाना हुए और ओबोत में अपने न िकसी कुएँ का पानी िपएँ गे। हम आपके
ख़ै मे लगाए। िफर वहाँ से कूच करके ऐये - मुल्क में से सीधे गुज़रते हुए शाहराह पर ही
11

अबारीम में डे रे डाले , उस रे िगस्तान में जो रहें गे।” 23 ले िकन सीहोन ने उन्हें गुज़रने न
मशिरक़ की तरफ़ मोआब के सामने है । 12 वहाँ िदया बिल्क अपनी फ़ौज जमा करके इसराईल
से रवाना होकर वह वादीए-िज़रद में ख़ै माज़न से लड़ने के िलए रे िगस्तान में चल पड़ा।
हुए। 13 जब वादीए-िज़रद से रवाना हुए तो यहज़ पहुँ चकर उसने इसराईिलयाें से जं ग की।
दिरयाए-अरनोन के परले यानी जुनूबी िकनारे 24 ले िकन इसराईिलयाें ने उसे क़त्ल िकया और
पर ख़ै माज़न हुए। यह दिरया रे िगस्तान में है दिरयाए-अरनोन से ले कर दिरयाए-यब्बोक़ तक
और अमोिरयाें के इलाक़े से िनकलता है । यह यानी अम्मोिनयाें की सरहद तक उसके मुल्क
अमोिरयाें और मोआिबयाें के दरिमयान की पर क़ब्ज़ा कर िलया। वह इससे आगे न जा
िगनती 21:25 188
सके क्याें िक अम्मोिनयाें ने अपनी सरहद की के बादशाह सीहोन के साथ िकया, िजसका
िहसारबं दी कर रखी थी। 25 इसराईली तमाम दारुल-हुकूमत हसबोन था।” 35 इसराईिलयाें ने
अमोरी शहराें पर क़ब्ज़ा करके उनमें रहने लगे । ओज, उसके बे टाें और तमाम फ़ौज को हलाक
उनमें हसबोन और उसके इदर्िगदर् की आबािदयाँ कर िदया। कोई भी न बचा। िफर उन्हाें ने बसन
शािमल थीं। के मुल्क पर क़ब्ज़ा कर िलया।
26 हसबोन अमोरी बादशाह सीहोन का

दारुल-हुकूमत था। उसने मोआब के िपछले बलक़ िबलाम को इसराईल पर लानत


बादशाह से लड़कर उससे यह इलाक़ा दिरयाए- भे जने के िलए बुलाता है
अरनोन तक छीन िलया था। 27 उस वािक़ये का
िज़क्र शायरी में याें िकया गया है ,
“हसबोन के पास आकर उसे अज़ सरे -नौ
22 इसके बाद इसराईली मोआब के
मै दानाें में पहुँ चकर दिरयाए-यरदन
के मशिरक़ी िकनारे पर यरीहू के आमने -सामने
तामीर करो, सीहोन के शहर को अज़ सरे -नौ ख़ै माज़न हुए।
क़ायम करो। 2 मोआब के बादशाह बलक़ िबन सफ़ोर को

28 हसबोन से आग िनकली, सीहोन के शहर मालूम हुआ िक इसराईिलयाें ने अमोिरयाें के


से शोला भड़का। उसने मोआब के शहर आर साथ क्या कुछ िकया है । 3 मोआिबयाें ने यह
को जला िदया, अरनोन की बुलंिदयाें के भी दे खा िक इसराईली बहुत ज़्यादा हैं , इसिलए
मािलकाें को भस्म िकया। उन पर दहशत छा गई। 4 उन्हाें ने िमिदयािनयाें के
29 ऐ मोआब, तुझ पर अफ़सोस! ऐ कमोस बुज़ुगार्ें से बात की, “अब यह हुजूम उस तरह
दे वता की क़ौम, तू हलाक हुई है । कमोस ने हमारे इदर्िगदर् का इलाक़ा चट कर जाएगा िजस
अपने बे टाें को मफ़रूर और अपनी बे िटयाें को तरह बै ल मै दान की घास चट कर जाता है ।”
अमोरी बादशाह सीहोन की क़ैदी बना िदया है । 5 तब बलक़ ने अपने क़ािसद फ़तोर शहर को

30 ले िकन जब हमने अमोिरयाें पर तीर चलाए भे जे जो दिरयाए-फ़ुरात पर वाक़े था और जहाँ


तो हसबोन का इलाक़ा दीबोन तक बरबाद िबलाम िबन बओर अपने वतन में रहता था।
हुआ। हमने नुफ़ह तक सब कुछ तबाह िकया, क़ािसद उसे बुलाने के िलए उसके पास पहुँ चे
वह नुफ़ह िजसका इलाक़ा मीदबा तक है ।” और उसे बलक़ का पै ग़ाम सुनाया, “एक क़ौम
31 याें इसराईल अमोिरयाें के मुल्क में िमसर से िनकल आई है जो रूए-ज़मीन पर
आबाद हुआ। 32 वहाँ से मूसा ने अपने जासूस छाकर मे रे क़रीब ही आबाद हुई है । 6 इसिलए
याज़े र शहर भे जे। वहाँ भी अमोरी रहते थे । आएँ और इन लोगाें पर लानत भे जें, क्याें िक
इसराईिलयाें ने याज़े र और उसके इदर्िगदर् के वह मुझसे ज़्यादा ताक़तवर हैं । िफर शायद मैं
शहराें पर भी क़ब्ज़ा िकया और वहाँ के उन्हें िशकस्त दे कर मुल्क से भगा सकँ ू । क्याें िक
अमोिरयाें को िनकाल िदया। मैं जानता हूँ िक िजन्हें आप बरकत दे ते हैं उन्हें
33 इसके बाद वह मुड़कर बसन की तरफ़ बरकत िमलती है और िजन पर आप लानत
बढ़े । तब बसन का बादशाह ओज अपनी तमाम भे जते हैं उन पर लानत आती है ।”
फ़ौज ले कर उनसे लड़ने के िलए शहर इदरई 7 यह पै ग़ाम ले कर मोआब और िमिदयान के

आया। 34 उस वक़्त रब ने मूसा से कहा, “ओज बुज़ुगर् रवाना हुए। उनके पास इनाम के पै से
से न डरना। मैं उसे , उस की तमाम फ़ौज थे । िबलाम के पास पहुँ चकर उन्हाें ने उसे बलक़
और उसका मुल्क ते रे हवाले कर चुका हूँ । का पै ग़ाम सुनाया। 8 िबलाम ने कहा, “रात
उसके साथ वही सुलूक कर जो तूने अमोिरयाें यहाँ गुज़ारें । कल मैं आपको बता दूँ गा िक रब
189 िगनती 22:30
इसके बारे में क्या फ़रमाता है ।” चुनाँ चे मोआबी हैं इसिलए उनके साथ चला जा। ले िकन िसफ़र्
सरदार उसके पास ठहर गए। वही कुछ करना जो मैं तुझे बताऊँगा।”
9 रात के वक़्त अल्लाह िबलाम पर ज़ािहर

हुआ। उसने पूछा, “यह आदमी कौन हैं जो िबलाम की गधी


ते रे पास आए हैं ?” 10 िबलाम ने जवाब िदया, 21 सुबह को िबलाम ने उठकर अपनी गधी पर
“मोआब के बादशाह बलक़ िबन सफ़ोर ने ज़ीन कसा और मोआबी सरदाराें के साथ चल
मुझे पै ग़ाम भे जा है , 11 ‘जो क़ौम िमसर से पड़ा। 22 ले िकन अल्लाह िनहायत ग़ुस्से हुआ
िनकल आई है वह रूए-ज़मीन पर छा गई है । िक वह जा रहा है , इसिलए उसका फ़िरश्ता
इसिलए आएँ और मे रे िलए उन पर लानत भे जें। उसका मुक़ाबला करने के िलए रास्ते में खड़ा
िफर शायद मैं उनसे लड़कर उन्हें भगा दे ने में हो गया। िबलाम अपनी गधी पर सवार था और
कामयाब हो जाऊँ’।” 12 रब ने िबलाम से कहा, उसके दो नौकर उसके साथ चल रहे थे । 23 जब
“उनके साथ न जाना। तुझे उन पर लानत भे जने गधी ने दे खा िक रब का फ़िरश्ता अपने हाथ में
की इजाज़त नहीं है , क्याें िक उन पर मे री बरकत तलवार थामे हुए रास्ते में खड़ा है तो वह रास्ते
है ।” से हटकर खे त में चलने लगी। िबलाम उसे मारते
13 अगली सुबह िबलाम जाग उठा तो उसने मारते रास्ते पर वापस ले आया।
बलक़ के सरदाराें से कहा, “अपने वतन वापस 24 िफर वह अं गूर के दो बाग़ाें के दरिमयान

चले जाएँ , क्याें िक रब ने मुझे आपके साथ से गुज़रने लगे । रास्ता तं ग था, क्याें िक वह
जाने की इजाज़त नहीं दी।” 14 चुनाँ चे मोआबी दोनाें तरफ़ बाग़ाें की चारदीवारी से बं द था। अब
सरदार ख़ाली हाथ बलक़ के पास वापस आए। रब का फ़िरश्ता वहाँ खड़ा हुआ। 25 गधी यह
उन्हाें ने कहा, “िबलाम हमारे साथ आने से दे खकर चारदीवारी के साथ साथ चलने लगी,
इनकार करता है ।” 15 तब बलक़ ने और सरदार और िबलाम का पाँ व कुचला गया। उसने उसे
भे जे जो पहले वालाें की िनसबत तादाद और दुबारा मारा।
ओहदे के िलहाज़ से ज़्यादा थे । 16 वह िबलाम 26 रब का फ़िरश्ता आगे िनकला और तीसरी

के पास जाकर कहने लगे , “बलक़ िबन सफ़ोर मरतबा रास्ते में खड़ा हो गया। अब रास्ते से
कहते हैं िक कोई भी बात आपको मे रे पास आने हट जाने की कोई गुंजाइश नहीं थी, न दाइर्ं
से न रोके, 17 क्याें िक मैं आपको बड़ा इनाम तरफ़ और न बाइर्ं तरफ़। 27 जब गधी ने रब का
दूँ गा। आप जो भी कहें गे मैं करने के िलए तै यार फ़िरश्ता दे खा तो वह ले ट गई। िबलाम को ग़ुस्सा
हूँ । आएँ तो सही और मे रे िलए उन लोगाें पर आ गया, और उसने उसे अपनी लाठी से ख़ूब
लानत भे जें।” मारा।
18 ले िकन िबलाम ने जवाब िदया, “अगर 28 तब रब ने गधी को बोलने िदया, और उसने

बलक़ अपने महल को चाँ दी और सोने से भरकर िबलाम से कहा, “मैं ने आपसे क्या ग़लत सुलूक
भी मुझे दे तो भी मैं रब अपने ख़ुदा के फ़रमान िकया है िक आप मुझे अब तीसरी दफ़ा पीट
की िख़लाफ़वरज़ी नहीं कर सकता, ख़ाह बात रहे हैं ?” 29 िबलाम ने जवाब िदया, “तूने मुझे
छोटी हो या बड़ी। 19 आप दूसरे सरदाराें की तरह बे वुक़ूफ़ बनाया है ! काश मे रे हाथ में तलवार
रात यहाँ गुज़ारें । इतने में मैं मालूम करूँगा िक होती तो मैं अभी तुझे ज़बह कर दे ता!” 30 गधी
रब मुझे मज़ीद क्या कुछ बताता है ।” ने िबलाम से कहा, “क्या मैं आपकी गधी नहीं
20 उस रात अल्लाह िबलाम पर ज़ािहर हुआ हूँ िजस पर आप आज तक सवार होते रहे हैं ?
और कहा, “चूँिक यह आदमी तुझे बुलाने आए
िगनती 22:31 190
क्या मुझे कभी ऐसा करने की आदत थी?” ले कर एक ऊँची जगह पर चढ़ गया िजसका
उसने कहा, “नहीं।” नाम बामोत-बाल था। वहाँ से इसराईली
31 िफर रब ने िबलाम की आँखें खोलीं और ख़ै मागाह का िकनारा नज़र आता था।
उसने रब के फ़िरश्ते को दे खा जो अब तक हाथ
में तलवार थामे हुए रास्ते में खड़ा था। िबलाम िबलाम की पहली बरकत
ने मुँह के बल िगरकर िसजदा िकया। 32 रब के
फ़िरश्ते ने पूछा, “तूने तीन बार अपनी गधी को
क्याें पीटा? मैं ते रे मुक़ाबले में आया हूँ , क्याें िक
23 िबलाम ने कहा, “यहाँ मे रे िलए
सात क़ुरबानगाहें बनाएँ । साथ
साथ मे रे िलए सात बै ल और सात में ढे तै यार
िजस तरफ़ तू बढ़ रहा है उसका अं जाम बुरा है । कर रखें ।” 2 बलक़ ने ऐसा ही िकया, और दोनाें
33 गधी तीन मरतबा मुझे दे खकर मे री तरफ़ से ने िमलकर हर क़ुरबानगाह पर एक बै ल और
हट गई। अगर वह न हटती तो तू उस वक़्त एक में ढा चढ़ाया। 3 िफर िबलाम ने बलक़ से
हलाक हो गया होता अगरचे मैं गधी को छोड़ कहा, “यहाँ अपनी क़ुरबानी के पास खड़े रहें ।
दे ता।” मैं कुछ फ़ासले पर जाता हूँ , शायद रब मुझसे
34 िबलाम ने रब के फ़िरश्ते से कहा, “मैं ने िमलने आए। जो कुछ वह मुझ पर ज़ािहर करे
गुनाह िकया है । मुझे मालूम नहीं था िक तू मैं आपको बता दूँ गा।”
मे रे मुक़ाबले में रास्ते में खड़ा है । ले िकन अगर यह कहकर वह एक ऊँचे मक़ाम पर चला
मे रा सफ़र तुझे बुरा लगे तो मैं अब वापस गया जो हिरयाली से िबलकुल महरूम था।
चला जाऊँगा।” 35 रब के फ़िरश्ते ने कहा, 4 वहाँ अल्लाह िबलाम से िमला। िबलाम ने

“इन आदिमयाें के साथ अपना सफ़र जारी कहा, “मैं ने सात क़ुरबानगाहें तै यार करके हर
रख। ले िकन िसफ़र् वही कुछ कहना जो मैं तुझे क़ुरबानगाह पर एक बै ल और एक में ढा क़ुरबान
बताऊँगा।” चुनाँ चे िबलाम ने बलक़ के सरदाराें िकया है ।” 5 तब रब ने उसे बलक़ के िलए पै ग़ाम
के साथ अपना सफ़र जारी रखा। िदया और कहा, “बलक़ के पास वापस जा
36 जब बलक़ को ख़बर िमली िक िबलाम आ और उसे यह पै ग़ाम सुना।” 6 िबलाम बलक़ के
रहा है तो वह उससे िमलने के िलए मोआब पास वापस आया जो अब तक मोआबी सरदाराें
के उस शहर तक गया जो मोआब की सरहद के साथ अपनी क़ुरबानी के पास खड़ा था।
दिरयाए-अरनोन पर वाक़े है । 37 उसने िबलाम 7 िबलाम बोल उठा,

से कहा, “क्या मैं ने आपको इत्तला नहीं भे जी “बलक़ मुझे अराम से यहाँ लाया है , मोआबी
थी िक आप ज़रूर आएँ ? आप क्याें नहीं आए? बादशाह ने मुझे मशिरक़ी पहाड़ाें से बुलाकर
क्या आपने सोचा िक मैं आपको मुनािसब कहा, ‘आओ, याक़ूब पर मे रे िलए लानत भे जो।
इनाम नहीं दे पाऊँगा?” 38 िबलाम ने जवाब आओ, इसराईल को बददुआ दो।’
िदया, “बहरहाल अब मैं पहुँ च गया हूँ । ले िकन 8 मैं िकस तरह उन पर लानत भे जँ ू िजन पर

मैं िसफ़र् वही कुछ कह सकता हूँ जो अल्लाह ने अल्लाह ने लानत नहीं भे जी? मैं िकस तरह
पहले ही मे रे मुँह में डाल िदया है ।” उन्हें बददुआ दूँ िजन्हें रब ने बददुआ नहीं दी?
39 िफर िबलाम बलक़ के साथ िक़िरयत- 9 मैं उन्हें चटानाें की चोटी से दे खता हूँ ,

हुसात गया। 40 वहाँ बलक़ ने गाय-बै ल और पहािड़याें से उनका मुशाहदा करता हूँ । वाक़ई
भे ड़-बकिरयाँ क़ुरबान करके उनके गोश्त में से यह एक ऐसी क़ौम है जो दूसराें से अलग रहती
िबलाम और उसके साथवाले सरदाराें को दे है । यह अपने आपको दूसरी क़ौमाें से मुमताज़
िदया। 41 अगली सुबह बलक़ िबलाम को साथ समझती है ।
191 िगनती 23:30
10 कौन याक़ूब की औलाद को िगन सकता है 20 मुझे बरकत दे ने को कहा गया है । उसने
जो गदर् की मािंनद बे शुमार है । कौन इसराईिलयाें बरकत दी है और मैं यह बरकत रोक नहीं
का चौथा िहस्सा भी िगन सकता है ? रब करे सकता।
िक मैं रास्तबाज़ाें की मौत मरूँ, िक मे रा अं जाम 21 याक़ूब के घराने में ख़राबी नज़र नहीं

उनके अं जाम जै सा अच्छा हो।” आती, इसराईल में दुख िदखाई नहीं दे ता। रब
11 बलक़ ने िबलाम से कहा, “आपने मे रे उसका ख़ुदा उसके साथ है , और क़ौम बादशाह
साथ क्या िकया है ? मैं आपको अपने दुश्मनाें की ख़ुशी में नारे लगाती है ।
पर लानत भे जने के िलए लाया और आपने 22 अल्लाह उन्हें िमसर से िनकाल लाया, और

उन्हें अच्छी-ख़ासी बरकत दी है ।” 12 िबलाम ने उन्हें जं गली बै ल की ताक़त हािसल है ।


जवाब िदया, “क्या लािज़म नहीं िक मैं वही 23 याक़ूब के घराने के िख़लाफ़ जादूगरी

कुछ बोलूँ जो रब ने बताने को कहा है ?” नाकाम है , इसराईल के िख़लाफ़ ग़ै बदानी


बे फ़ायदा है । अब याक़ूब के घराने से कहा
िबलाम की दूसरी बरकत जाएगा, ‘अल्लाह ने कैसा काम िकया है !’
13 िफर बलक़ ने उससे कहा, “आएँ , हम 24 इसराईली क़ौम शे रनी की तरह उठती और

एक और जगह जाएँ जहाँ से आप इसराईली शे रबबर की तरह खड़ी हो जाती है । जब तक वह


क़ौम को दे ख सकेंगे , गो उनकी ख़ै मागाह का अपना िशकार न खा ले वह आराम नहीं करता,
िसफ़र् िकनारा ही नज़र आएगा। आप सबको जब तक वह मारे हुए लोगाें का ख़ून न पी ले
नहीं दे ख सकेंगे । वहीं से उन पर मे रे िलए लानत वह नहीं ले टता।”
भे जें।” 14 यह कहकर वह उसके साथ िपसगा 25 यह सुनकर बलक़ ने कहा, “अगर आप

की चोटी पर चढ़कर पहरे दाराें के मै दान तक उन पर लानत भे जने से इनकार करें , कम अज़


पहुँ च गया। वहाँ भी उसने सात क़ुरबानगाहें कम उन्हें बरकत तो न दें ।” 26 िबलाम ने जवाब
बनाकर हर एक पर एक बै ल और एक में ढा िदया, “क्या मैं ने आपको नहीं बताया था िक
क़ुरबान िकया। 15 िबलाम ने बलक़ से कहा, जो कुछ भी रब कहे गा मैं वही करूँगा?”
“यहाँ अपनी क़ुरबानगाह के पास खड़े रहें । मैं
कुछ फ़ासले पर जाकर रब से िमलूँगा।” िबलाम की तीसरी बरकत
16 रब िबलाम से िमला। उसने उसे बलक़ 27 तब बलक़ ने िबलाम से कहा, “आएँ ,
के िलए पै ग़ाम िदया और कहा, “बलक़ के मैं आपको एक और जगह ले जाऊँ। शायद
पास वापस जा और उसे यह पै ग़ाम सुना दे ।” अल्लाह राज़ी हो जाए िक आप मे रे िलए वहाँ से
17 वह वापस चला गया। बलक़ अब तक अपने उन पर लानत भे जें।” 28 वह उसके साथ फ़ग़ूर
सरदाराें के साथ अपनी क़ुरबानी के पास खड़ा पहाड़ पर चढ़ गया। उस की चोटी से यरदन की
था। उसने उससे पूछा, “रब ने क्या कहा?” वादी का जुनूबी िहस्सा यशीमोन िदखाई िदया।
18 िबलाम ने कहा, “ऐ बलक़, उठो और सुनो। 29 िबलाम ने उससे कहा, “मे रे िलए यहाँ सात

ऐ सफ़ोर के बे टे, मे री बात पर ग़ौर करो। क़ुरबानगाहें बनाकर सात बै ल और सात में ढे
19 अल्लाह आदमी नहीं जो झूट बोलता है । तै यार कर रखें ।” 30 बलक़ ने ऐसा ही िकया।
वह इनसान नहीं जो कोई फ़ैसला करके बाद में उसने हर एक क़ुरबानगाह पर एक बै ल और
पछताए। क्या वह कभी अपनी बात पर अमल एक में ढा क़ुरबान िकया।
नहीं करता? क्या वह कभी अपनी बात पूरी
नहीं करता?
िगनती 24:1 192

24 अब िबलाम को उस बात का पूरा


यक़ीन हो गया िक रब को पसं द
है िक मैं इसराईिलयाें को बरकत दूँ । इसिलए
िक तू मे रे दुश्मनाें पर लानत भे जे। अब तूने उन्हें
तीनाें बार बरकत ही दी है । 11 अब दफ़ा हो जा!
अपने घर वापस भाग जा! मैं ने कहा था िक
उसने इस मरतबा पहले की तरह जादूगरी बड़ा इनाम दूँ गा। ले िकन रब ने तुझे इनाम पाने
का तरीक़ा इस्ते माल न िकया बिल्क सीधा से रोक िदया है ।”
रे िगस्तान की तरफ़ रुख़ िकया 2 जहाँ इसराईल 12 िबलाम ने जवाब िदया, “क्या मैं ने उन

अपने अपने क़बीलाें की तरतीब से ख़ै माज़न लोगाें को िजन्हें आपने मुझे बुलाने के िलए भे जा
था। यह दे खकर अल्लाह का रूह उस पर था नहीं बताया था 13 िक अगर बलक़ अपने
नािज़ल हुआ, 3 और वह बोल उठा, महल को चाँ दी और सोने से भरकर भी मुझे दे
“िबलाम िबन बओर का पै ग़ाम सुनो, उसके दे तो भी मैं रब की िकसी बात की िख़लाफ़वरज़ी
पै ग़ाम पर ग़ौर करो जो साफ़ साफ़ दे खता है , नहीं कर सकता, ख़ाह मे री नीयत अच्छी हो
4 उसका पै ग़ाम जो अल्लाह की बातें सुन या बुरी। मैं िसफ़र् वह कुछ कर सकता हूँ जो
ले ता है , क़ािदरे -मुतलक़ की रोया को दे ख ले ता अल्लाह फ़रमाता है । 14 अब मैं अपने वतन
है और ज़मीन पर िगरकर पोशीदा बातें दे खता वापस चला जाता हूँ । ले िकन पहले मैं आपको
है । बता दे ता हूँ िक आिख़रकार यह क़ौम आपकी
5 ऐ याक़ूब, ते रे ख़ै मे िकतने शानदार हैं ! ऐ क़ौम के साथ क्या कुछ करे गी।”
इसराईल, ते रे घर िकतने अच्छे हैं !
6 वह दूर तक फैली हुई वािदयाें की मािंनद, िबलाम की चौथी बरकत
नहर के िकनारे लगे बाग़ाें की मािंनद, रब के 15 वह बोल उठा,
लगाए हुए ऊद के दरख़्ताें की मािंनद, पानी के “िबलाम िबन बओर का पै ग़ाम सुनो, उसका
िकनारे लगे दे वदार के दरख़्ताें की मािंनद हैं । पै ग़ाम जो साफ़ साफ़ दे खता है ,
7 उनकी बालिटयाें से पानी छलकता रहे गा, 16 उसका पै ग़ाम जो अल्लाह की बातें सुन

उनके बीज को कसरत का पानी िमले गा। उनका ले ता और अल्लाह तआला की मरज़ी को
बादशाह अजाज से ज़्यादा ताक़तवर होगा, और जानता है , जो क़ािदरे -मुतलक़ की रोया को
उनकी सलतनत सरफ़राज़ होगी। दे ख ले ता और ज़मीन पर िगरकर पोशीदा बातें
8 अल्लाह उन्हें िमसर से िनकाल लाया, और दे खता है ।
उन्हें जं गली बै ल की-सी ताक़त हािसल है । वह 17 िजसे मैं दे ख रहा हूँ वह इस वक़्त नहीं

मुख़ािलफ़ क़ौमाें को हड़प करके उनकी हिड्डयाँ है । जो मुझे नज़र आ रहा है वह क़रीब नहीं
चूर चूर कर दे ते हैं , वह अपने तीर चलाकर उन्हें है । याक़ूब के घराने से िसतारा िनकले गा, और
मार डालते हैं । इसराईल से असाए-शाही उठे गा जो मोआब के
9 इसराईल शे रबबर या शे रनी की मािंनद है । माथाें और से त के तमाम बे टाें की खोपिड़याें को
जब वह दबककर बै ठ जाए तो कोई भी उसे पाश पाश करे गा।
छे ड़ने की जुरर्त नहीं करता। जो तुझे बरकत दे 18 अदोम उसके क़ब्ज़े में आएगा, उसका

उसे बरकत िमले , और जो तुझ पर लानत भे जे दुश्मन सईर उस की िमलिकयत बने गा जबिक
उस पर लानत आए।” इसराईल की ताक़त बढ़ती जाएगी।
10 यह सुनकर बलक़ आपे से बाहर हुआ। 19 याक़ूब के घराने से एक हुक्मरान िनकले गा

उसने ताली बजाकर अपनी िहक़ारत का इज़हार जो शहर के बचे हुआें को हलाक कर दे गा।”
िकया और कहा, “मैं ने तुझे इसिलए बुलाया था
193 िगनती 25:18
िबलाम के आिख़री पै ग़ाम दे जो बाल-फ़ग़ूर दे वता की पूजा में शरीक हुए
20 िफर िबलाम ने अमालीक़ को दे खा और हैं ।”
कहा, 6 मूसा और इसराईल की पूरी जमात

“अमालीक़ क़ौमाें में अव्वल था, ले िकन मुलाक़ात के ख़ै मे के दरवाज़े पर जमा होकर रोने
आिख़रकार वह ख़त्म हो जाएगा।” लगे । इत्तफ़ाक़ से उसी वक़्त एक आदमी वहाँ
21 िफर उसने क़ीिनयाें को दे खा और कहा, से गुज़रा जो एक िमिदयानी औरत को अपने
“ते री सुकूनतगाह मुस्तहकम है , ते रा चटान घर ले जा रहा था। 7 यह दे खकर हारून का पोता
में बना घाें सला मज़बूत है । फ़ीनहास िबन इिलयज़र जमात से िनकला और
22 ले िकन तू तबाह हो जाएगा जब असूर तुझे ने ज़ा पकड़कर 8 उस इसराईली के पीछे चल
िगिरफ़्तार करे गा।” पड़ा। वह औरत समे त अपने ख़ै मे में दािख़ल
23 एक और दफ़ा उसने बात की, हुआ तो फ़ीनहास ने उनके पीछे पीछे जाकर
“हाय, कौन िंज़दा रह सकता है जब अल्लाह ने ज़ा इतने ज़ोर से मारा िक वह दोनाें में से गुज़र
याें करे गा? गया। उस वक़्त वबा फैलने लगी थी, ले िकन
24 िकत्तीम के सािहल से बहरी जहाज़ आएँ गे फ़ीनहास के इस अमल से वह रुक गई। 9 तो
जो असूर और इबर को ज़लील करें गे , ले िकन भी 24,000 अफ़राद मर चुके थे ।
वह ख़ुद भी हलाक हो जाएं गे।” 10 रब ने मूसा से कहा, 11 “हारून के पोते

25 िफर िबलाम उठकर अपने घर वापस चला फ़ीनहास िबन इिलयज़र ने इसराईिलयाें पर मे रा

गया। बलक़ भी वहाँ से चला गया। ग़ुस्सा ठं डा कर िदया है । मे री ग़ै रत अपनाकर वह


इसराईल में दीगर माबूदाें की पूजा को बरदाश्त
मोआब इसराईिलयाें की न कर सका। इसिलए मे री ग़ै रत ने इसराईिलयाें
आज़माइश करता है को ने स्तो-नाबूद नहीं िकया। 12 िलहाज़ा उसे

25 जब इसराईली िशत्तीम में रह रहे थे बता दे ना िक मैं उसके साथ सलामती का अहद
तो इसराईली मदर् मोआबी औरताें क़ायम करता हूँ । 13 इस अहद के तहत उसे और
से िज़नाकारी करने लगे । 2 यह ऐसा हुआ िक उस की औलाद को अबद तक इमाम का ओहदा
मोआबी औरतें अपने दे वताआें को क़ुरबािनयाँ हािसल रहे गा, क्याें िक अपने ख़ुदा की ख़ाितर
पे श करते वक़्त इसराईिलयाें को शरीक होने की ग़ै रत खाकर उसने इसराईिलयाें का कफ़्फ़ारा
दावत दे ने लगीं। इसराईली दावत क़बूल करके िदया।”
क़ुरबािनयाें से खाने और दे वताआें को िसजदा 14 िजस आदमी को िमिदयानी औरत के साथ

करने लगे । 3 इस तरीक़े से इसराईली मोआबी मार िदया गया उसका नाम िज़मरी िबन सलू
दे वता बनाम बाल-फ़ग़ूर की पूजा करने लगे , था, और वह शमाऊन के क़बीले के एक आबाई
और रब का ग़ज़ब उन पर आन पड़ा। 4 उसने घराने का सरपरस्त था। 15 िमिदयानी औरत का
मूसा से कहा, “इस क़ौम के तमाम राहनुमाआें नाम कज़बी था, और वह सूर की बे टी थी जो
को सज़ाए-मौत दे कर सूरज की रौशनी में रब के िमिदयािनयाें के एक आबाई घराने का सरपरस्त
सामने लटका, वरना रब का इसराईिलयाें पर से था।
ग़ज़ब नहीं टले गा।” 5 चुनाँ चे मूसा ने इसराईल 16 रब ने मूसा से कहा, 17 “िमिदयािनयाें को

के क़ािज़याें से कहा, “लािज़म है िक तुममें से दुश्मन क़रार दे कर उन्हें मार डालना। 18 क्याें िक
हर एक अपने उन आदिमयाें को जान से मार उन्हाें ने अपनी चालािकयाें से तुम्हारे साथ दुश्मन
का-सा सुलूक िकया, उन्हाें ने तुम्हें बाल-फ़ग़ूर
िगनती 26:1 194
की पूजा करने पर उकसाया और तुम्हें अपनी 15-18 जद के क़बीले के 40,500 मदर् थे ।

बहन िमिदयानी सरदार की बे टी कज़बी के क़बीले के सात कं ु बे सफ़ोनी, हज्जी, सूनी,


ज़रीए िजसे वबा फैलते वक़्त मार िदया गया उज़नी, एरी, अरूदी और अरे ली जद के बे टाें
बहकाया।” सफ़ोन, हज्जी, सूनी, उज़नी, एरी, अरूद और
अरे ली से िनकले हुए थे ।
दूसरी मदुर् मशुमारी 19-22 यहूदाह के क़बीले के 76,500 मदर् थे ।

26 वबा के बाद रब ने मूसा और हारून यहूदाह के दो बे टे एर और ओनान िमसर आने


के बे टे इिलयज़र से कहा, से पहले कनान में मर गए थे । क़बीले के तीन
2 “पूरी इसराईली जमात की मदुर्मशुमारी कं ु बे से लानी, फ़ारसी और ज़ारही यहूदाह के

उनके आबाई घरानाें के मुतािबक़ करना। उन बे टाें से ला, फ़ारस और ज़ारह से िनकले हुए थे ।
तमाम मदार्ें को िगनना जो 20 साल या इससे फ़ारस के दो बे टाें हसरोन और हमूल से
ज़ायद के हैं और जो जं ग लड़ने के क़ािबल हैं ।” दो कं ु बे हसरोनी और हमूली िनकले हुए थे ।
3-4 मूसा और इिलयज़र ने इसराईिलयाें को 23-25 इशकार के क़बीले के 64,300 मदर् थे ।

बताया िक रब ने उन्हें क्या हुक्म िदया है । क़बीले के चार कं ु बे तोलई, फ़ुव्वी, यसूबी और
चुनाँ चे उन्हाें ने मोआब के मै दानी इलाक़े में यरीहू िसमरोनी इशकार के बे टाें तोला, फ़ुव्वा, यसूब
के सामने , ले िकन दिरयाए-यरदन के मशिरक़ी और िसमरोन से िनकले हुए थे ।
िकनारे पर मदुर्मशुमारी की। यह वह इसराईली 26-27 ज़बूलून के क़बीले के 60,500 मदर्

आदमी थे जो िमसर से िनकले थे । थे । क़बीले के तीन कं ु बे सरदी, ऐलोनी और


5-7 इसराईल के पहलौठे रूिबन के क़बीले के यहिलये ली ज़बूलून के बे टाें सरद, ऐलोन और
43,730 मदर् थे । क़बीले के चार कं ु बे हनूकी, यहिलये ल से िनकले हुए थे ।
फ़ल्लुवी, हसरोनी और करमी रूिबन के बे टाें 28 यूसुफ़ के दो बे टाें मनस्सी और इफ़राईम

हनूक, फ़ल्लू, हसरोन और करमी से िनकले हुए के अलग अलग क़बीले बने ।
थे । 8 रूिबन का बे टा फ़ल्लू इिलयाब का बाप था 29-34 मनस्सी के क़बीले के 52,700
9 िजसके बे टे नमुएल, दातन और अबीराम थे । मदर् थे । क़बीले के आठ कं ु बे मकीरी,
दातन और अबीराम वही लोग थे िजन्हें जमात िजिलयादी, इयज़री, ख़लक़ी, असिरये ली,
ने चुना था और िजन्हाें ने क़ोरह के गुरोह समे त िसकमी, समीदाई और िहफ़री थे । मकीरी
मूसा और हारून से झगड़ते हुए ख़ुद रब से मनस्सी के बे टे मकीर से जबिक िजिलयादी
झगड़ा िकया। 10 उस वक़्त ज़मीन ने अपना मुँह मकीर के बे टे िजिलयाद से िनकले हुए थे । बाक़ी
खोलकर उन्हें क़ोरह समे त हड़प कर िलया था। कं ु बे िजिलयाद के छः बे टाें इयज़र, ख़लक़,
उसके 250 साथी भी मर गए थे जब आग ने असिरये ल, िसकम, समीदा और िहफ़र से
उन्हें भस्म कर िदया। याें वह सब इसराईल के िनकले हुए थे ।
िलए इबरतअं गेज़ िमसाल बन गए थे । 11 ले िकन िहफ़र िसलािफ़हाद का बाप था। िसला-
क़ोरह की पूरी नसल िमटाई नहीं गई थी। िफ़हाद का कोई बे टा नहीं बिल्क पाँ च बे िटयाँ
12-14 शमाऊन के क़बीले के 22,200 मदर् महलाह, नुआह, हुजलाह, िमलकाह और

थे । क़बीले के पाँ च कं ु बे नमुएली, यमीनी, ितरज़ा थीं।


यकीनी, ज़ारही और साऊली शमाऊन के बे टाें 35-37 इफ़राईम के क़बीले के 32,500 मदर्

नमुएल, यमीन, यकीन, ज़ारह और साऊल से थे । क़बीले के चार कं ु बे सूतलही, बकरी, तहनी
िनकले हुए थे । और ईरानी थे । पहले तीन कं ु बे इफ़राईम के
195 िगनती 27:3
बे टाें सूतलह, बकर और तहन से जबिक ईरानी िक़हात और िमरारी से िनकले हुए थे । 58 इसके
सूतलह के बे टे ईरान से िनकले हुए थे । अलावा िलबनी, िहब्रूनी, महली, मूशी और
38-41 िबनयमीन के क़बीले के 45,600 कोरही भी लावी के कं ु बे थे । िक़हात अमराम का
मदर् थे । क़बीले के सात कं ु बे बालाई, अश- बाप था। 59 अमराम ने लावी औरत यूकिबद से
बे ली, अख़ीरामी, सूफ़ामी, हूफ़ामी, अरदी और शादी की जो िमसर में पै दा हुई थी। उनके दो
नामानी थे । पहले पाँ च कं ु बे िबनयमीन के बे टाें बे टे हारून और मूसा और एक बे टी मिरयम पै दा
बाला, अशबे ल, अख़ीराम, सूफ़ाम और हूफ़ाम हुए। 60 हारून के बे टे नदब, अबीहू, इिलयज़र
से जबिक अरदी और नामानी बाला के बे टाें से और इतमर थे । 61 ले िकन नदब और अबीहू रब
िनकले हुए थे । को बख़ूर की नाजायज़ क़ुरबानी पे श करने के
42-43 दान के क़बीले के 64,400 मदर् थे । बाइस मर गए। 62 लािवयाें के मदार्ें की कुल
सब दान के बे टे सूहाम से िनकले हुए थे , तादाद 23,000 थी। इनमें वह सब शािमल थे
इसिलए सूहामी कहलाते थे । जो एक माह या इससे ज़ायद के थे । उन्हें दूसरे
44-47 आशर के क़बीले के 53,400 मदर् थे । इसराईिलयाें से अलग िगना गया, क्याें िक उन्हें
क़बीले के पाँ च कं ु बे ियमनी, इसवी, बरीई, इसराईल में मीरास में ज़मीन नहीं िमलनी थी।
िहबरी और मलिकये ली थे । पहले तीन कं ु बे 63 याें मूसा और इिलयज़र ने मोआब

आशर के बे टाें ियमना, इसवी और बिरया के मै दानी इलाक़े में यरीहू के सामने
से जबिक बाक़ी बिरया के बे टाें िहबर और ले िकन दिरयाए-यरदन के मशिरक़ी िकनारे
मलिकये ल से िनकले हुए थे । आशर की एक पर इसराईिलयाें की मदुर्मशुमारी की। 64 लोगाें
बे टी बनाम िसरह भी थी। को िगनते िगनते उन्हें मालूम हुआ िक जो
48-50 नफ़ताली के क़बीले के 45,400 मदर् लोग दश्ते -सीन में मूसा और हारून की पहली
थे । क़बीले के चार कं ु बे यहिसये ली, जूनी, मदुर्मशुमारी में िगने गए थे वह सब मर चुके हैं ।
ियसरी और िसल्लीमी नफ़ताली के बे टाें 65 रब ने कहा था िक वह सबके सब रे िगस्तान में

यहिसये ल, जूनी, ियसर और िसल्लीम से मर जाएं गे, और ऐसा ही हुआ था। िसफ़र् कािलब
िनकले हुए थे । िबन यफ़ुन्ना और यशुअ िबन नून िंज़दा रहे ।
51 इसराईली मदार्ें की कुल तादाद
6,01,730 थी। िसलािफ़हाद की बे िटयाँ

27 िसलािफ़हाद की पाँ च बे िटयाँ


52 रब ने मूसा से कहा, 53 “जब मुल्के-कनान

को तक़सीम िकया जाएगा तो ज़मीन इनकी महलाह, नुआह, हुजलाह, िमल-


तादाद के मुतािबक़ दे ना है । 54 बड़े क़बीलाें काह और ितरज़ा थीं। िसलािफ़हाद यूसुफ़
को छोटे की िनसबत ज़्यादा ज़मीन दी जाए। के बे टे मनस्सी के कं ु बे का था। उसका पूरा
हर क़बीले का इलाक़ा उस की तादाद से नाम िसलािफ़हाद िबन िहफ़र िबन िजिलयाद
मुतािबक़त रखे । 55-56 क़ुरा डालने से फ़ैसला िबन मकीर िबन मनस्सी िबन यूसुफ़ था।
िकया जाए िक हर क़बीले को कहाँ ज़मीन 2 िसलािफ़हाद की बे िटयाँ मुलाक़ात के ख़ै मे के

िमले गी। ले िकन हर क़बीले के इलाक़े का रक़बा दरवाज़े पर आकर मूसा, इिलयज़र इमाम और
इस पर मबनी हो िक क़बीले के िकतने अफ़राद पूरी जमात के सामने खड़ी हुइर्ं । उन्हाें ने कहा,
हैं ।” 3 “हमारा बाप रे िगस्तान में फ़ौत हुआ। ले िकन

57 लावी के क़बीले के तीन कं ु बे जै रसोनी, वह क़ोरह के उन सािथयाें में से नहीं था जो रब


िक़हाती और िमरारी लावी के बे टाें जै रसोन, के िख़लाफ़ मुत्तिहद हुए थे । वह इस सबब से न
िगनती 27:4 196
मरा बिल्क अपने ज़ाती गुनाह के बाइस। जब 15 मूसा ने रब से कहा, 16 “ऐ रब, तमाम
वह मर गया तो उसका कोई बे टा नहीं था। 4 क्या जानाें के ख़ुदा, जमात पर िकसी आदमी को
यह ठीक है िक हमारे ख़ानदान में बे टा न होने मुक़रर् र कर 17 जो उनके आगे आगे जं ग के िलए
के बाइस हमें ज़मीन न िमले और हमारे बाप का िनकले और उनके आगे आगे वापस आ जाए,
नामो-िनशान िमट जाए? हमें भी हमारे बाप के जो उन्हें बाहर ले जाए और वापस ले आए।
दीगर िरश्ते दाराें के साथ ज़मीन दें ।” वरना रब की जमात उन भे ड़ाें की मािंनद होगी
5 मूसा ने उनका मामला रब के सामने पे श िजनका कोई चरवाहा न हो।”
िकया 6 तो रब ने उससे कहा, 7 “जो बात 18 जवाब में रब ने मूसा से कहा, “यशुअ

िसलािफ़हाद की बे िटयाँ कर रही हैं वह दुरुस्त िबन नून को चुन ले िजसमें मे रा रूह है , और
है । उन्हें ज़रूर उनके बाप के िरश्ते दाराें के साथ अपना हाथ उस पर रख। 19 उसे इिलयज़र
ज़मीन िमलनी चािहए। उन्हें बाप का िवरसा इमाम और पूरी जमात के सामने खड़ा करके
िमल जाए। 8 इसराईिलयाें को भी बताना िक उनके रूबरू ही उसे राहनुमाई की िज़म्मे दारी
जब भी कोई आदमी मर जाए िजसका बे टा न दे । 20 अपने इिख़्तयार में से कुछ उसे दे तािक
हो तो उस की बे टी को उस की मीरास िमल इसराईल की पूरी जमात उस की इताअत करे ।
जाए। 9 अगर उस की बे टी भी न हो तो उसके 21 रब की मरज़ी जानने के िलए वह इिलयज़र

भाइयाें को उस की मीरास िमल जाए। 10 अगर इमाम के सामने खड़ा होगा तो इिलयज़र रब के
उसके भाई भी न हाें तो उसके बाप के भाइयाें सामने ऊरीम और तुम्मीम इस्ते माल करके उस
को उस की मीरास िमल जाए। 11 अगर यह की मरज़ी दिरयाफ़्त करे गा। उसी के हुक्म पर
भी न हाें तो उसके सबसे क़रीबी िरश्ते दार को यशुअ और इसराईल की पूरी जमात ख़ै मागाह
उस की मीरास िमल जाए। वह उस की ज़ाती से िनकलें गे और वापस आएँ गे।”
िमलिकयत होगी। यह उसूल इसराईिलयाें के 22 मूसा ने ऐसा ही िकया। उसने यशुअ को

िलए क़ानूनी है िसयत रखता है । वह इसे वै सा चुनकर इिलयज़र और पूरी जमात के सामने
मानें जै सा रब ने मूसा को हुक्म िदया है ।” खड़ा िकया। 23 िफर उसने उस पर अपने हाथ
रखकर उसे राहनुमाई की िज़म्मे दारी साैं पी िजस
यशुअ को मूसा का जा-नशीन तरह रब ने उसे बताया था।
मुक़रर् र िकया जाता है
12 िफर रब ने मूसा से कहा, “अबारीम के रोज़मरार् की क़ुरबािनयाँ
पहाड़ी िसलिसले के इस पहाड़ पर चढ़कर उस
मुल्क पर िनगाह डाल जो मैं इसराईिलयाें को
दूँ गा। 13 उसे दे खने के बाद तू भी अपने भाई
28 रब ने मूसा से कहा, 2 “इसराई-
िलयाें को बताना, ख़याल रखो
िक तुम मुक़रर् रा औक़ात पर मुझे जलने वाली
हारून की तरह कूच करके अपने बापदादा से क़ुरबािनयाँ पे श करो। यह मे री रोटी हैं और
जा िमले गा, 14 क्याें िक तुम दोनाें ने दश्ते -सीन इनकी ख़ुशबू मुझे पसं द है । 3 रब को जलने वाली
में मे रे हुक्म की िख़लाफ़वरज़ी की। उस वक़्त यह क़ुरबानी पे श करना :
जब पूरी जमात ने मरीबा में मे रे िख़लाफ़ िगला- रोज़ाना भे ड़ के दो यकसाला बच्चे जो बे ऐब
िशकवा िकया तो तूने चटान से पानी िनकालते हाें पूरे तौर पर जला दे ना। 4 एक को सुबह के
वक़्त लोगाें के सामने मे री क़ुद्दिू सयत क़ायम न वक़्त पे श करना और दूसरे को सूरज के डू बने के
रखी।” (मरीबा दश्ते -सीन के क़ािदस में चश्मा ऐन बाद। 5 भे ड़ के बच्चे के साथ ग़ल्ला की नज़र
है ।) भी पे श की जाए यानी डे ढ़ िकलोग्राम बे हतरीन
197 िगनती 28:30
मै दा जो एक िलटर ज़ै तून के कूटकर िनकाले हुए एक बकरा गुनाह की क़ुरबानी के तौर पर पे श
ते ल के साथ िमलाया गया हो। 6 यह रोज़मरार् करना।
की क़ुरबानी है जो पूरे तौर पर जलाई जाती है
और पहली दफ़ा सीना पहाड़ पर चढ़ाई गई। इस फ़सह की क़ुरबािनयाँ
जलने वाली क़ुरबानी की ख़ुशबू रब को पसं द है । 16 पहले महीने के चौधवें िदन फ़सह की ईद
7-8 साथ ही एक िलटर शराब भी नज़र के तौर मनाई जाए। 17 अगले िदन पूरे हफ़ते की वह ईद
पर क़ुरबानगाह पर डाली जाए। सुबह और शाम शुरू होती है िजसके दौरान तुम्हें िसफ़र् बे ख़मीरी
की यह क़ुरबािनयाँ दोनाें ही इस तरीक़े से पे श रोटी खानी है । 18 पहले िदन काम न करना
की जाएँ । बिल्क मुक़द्दस इजितमा के िलए इकट्ठे होना।
19 रब के हुज़ूर भस्म होने वाली क़ुरबानी के तौर

सबत यानी हफ़ते की क़ुरबानी पर दो जवान बै ल, एक में ढा और भे ड़ के सात


9 सबत के िदन भे ड़ के दो और बच्चे चढ़ाना। यकसाला बच्चे पे श करना। सब बग़ै र नुक़्स के
वह भी बे ऐब और एक साल के हाें । साथ ही मै हाें । 20 हर जानवर के साथ ग़ल्ला की नज़र भी
और ग़ल्ला की नज़रें भी पे श की जाएँ । ग़ल्ला पे श करना िजसके िलए ते ल के साथ िमलाया
की नज़र के िलए 3 िकलोग्राम बे हतरीन मै दा गया बे हतरीन मै दा इस्ते माल िकया जाए। हर
ते ल के साथ िमलाया जाए। 10 भस्म होने वाली बै ल के साथ साढ़े 4 िकलोग्राम, हर में ढे के साथ
यह क़ुरबानी हर हफ़ते के िदन पे श करनी है । 3 िकलोग्राम 21 और भे ड़ के हर बच्चे के साथ
यह रोज़मरार् की क़ुरबािनयाें के अलावा है । डे ढ़ िकलोग्राम मै दा पे श करना। 22 गुनाह की
क़ुरबानी के तौर पर एक बकरा भी पे श करना
हर माह के पहले िदन की क़ुरबानी तािक तुम्हारा कफ़्फ़ारा िदया जाए। 23-24 इन
11 हर माह के शुरू में रब को भस्म होने वाली तमाम क़ुरबािनयाें को ईद के दौरान हर रोज़
क़ुरबानी के तौर पर दो जवान बै ल, एक में ढा पे श करना। यह रोज़मरार् की भस्म होने वाली
और भे ड़ के सात यकसाला बच्चे पे श करना। क़ुरबािनयाें के अलावा हैं । इस ख़ुराक की ख़ुशबू
सब बग़ै र नुक़्स के हाें । 12 हर जानवर के साथ रब को पसं द है । 25 सातवें िदन काम न करना
ग़ल्ला की नज़र पे श करना िजसके िलए ते ल बिल्क मुक़द्दस इजितमा के िलए इकट्ठे होना।
में िमलाया गया बे हतरीन मै दा इस्ते माल िकया
जाए। हर बै ल के साथ साढ़े 4 िकलोग्राम, हर फ़सल की कटाई की ईद की क़ुरबािनयाँ
में ढे के साथ 3 िकलोग्राम 13 और भे ड़ के हर 26 फ़सल की कटाई के पहले िदन की ईद

बच्चे के साथ डे ढ़ िकलोग्राम मै दा पे श करना। पर जब तुम रब को अपनी फ़सल की पहली


भस्म होने वाली यह क़ुरबािनयाँ रब को पसं द पै दावार पे श करते हो तो काम न करना
हैं । 14 इन क़ुरबािनयाें के साथ मै की नज़र भी बिल्क मुक़द्दस इजितमा के िलए इकट्ठे होना।
क़ुरबानगाह पर डालना यानी हर बै ल के साथ 27-29 उस िदन दो जवान बै ल, एक में ढा और

दो िलटर, हर में ढे के साथ सवा िलटर और भे ड़ के सात यकसाला बच्चे क़ुरबानगाह पर


भे ड़ के हर बच्चे के साथ एक िलटर मै पे श पूरे तौर पर जला दे ना। इसके साथ ग़ल्ला और
करना। यह क़ुरबानी साल में हर महीने के पहले मै की वही नज़रें पे श करना जो फ़सह की ईद
िदन के मौक़े पर पे श करनी है । 15 इस क़ुरबानी पर भी पे श की जाती हैं । 30 इसके अलावा रब
और रोज़मरार् की क़ुरबािनयाें के अलावा रब को को एक बकरा गुनाह की क़ुरबानी के तौर पर
चढ़ाना।
िगनती 28:31 198
31 यह तमाम क़ुरबािनयाँ रोज़मरार् की भस्म झाें पिड़याें की ईद की क़ुरबािनयाँ
होने वाली क़ुरबािनयाें और उनके साथवाली 12 सातवें महीने के पं द्रहवें िदन भी काम न
ग़ल्ला और मै की नज़राें के अलावा हैं । वह बे ऐब करना बिल्क मुक़द्दस इजितमा के िलए इकट्ठे
हाें । होना। सात िदन तक रब की ताज़ीम में ईद
मनाना। 13 ईद के पहले िदन रब को 13 जवान
नए साल की ईद की क़ुरबािनयाँ बै ल, 2 में ढे और 14 भे ड़ के यकसाला बच्चे

29 सातवें माह के पं द्रहवें िदन भी काम भस्म होने वाली क़ुरबानी के तौर पर पे श करना।
न करना बिल्क मुक़द्दस इजितमा इनकी ख़ुशबू उसे पसं द है । सब नुक़्स के बग़ै र
के िलए इकट्ठे होना। उस िदन नरिंसगे फँ ू के हाें । 14 हर जानवर के साथ ग़ल्ला की नज़र भी
जाएँ । 2 रब को भस्म होने वाली क़ुरबानी पे श पे श करना िजसके िलए ते ल से िमलाया गया
की जाए िजसकी ख़ुशबू उसे पसं द हो यानी बे हतरीन मै दा इस्ते माल िकया जाए। हर बै ल
एक जवान बै ल, एक में ढा और भे ड़ के के साथ साढ़े 4 िकलोग्राम, हर में ढे के साथ 3
सात यकसाला बच्चे । सब नुक़्स के बग़ै र िकलोग्राम 15 और भे ड़ के हर बच्चे के साथ डे ढ़
हाें । 3 हर जानवर के साथ ग़ल्ला की नज़र िकलोग्राम मै दा पे श करना। 16 इसके अलावा
भी पे श करना िजसके िलए ते ल के साथ एक बकरा भी गुनाह की क़ुरबानी के तौर पर
िमलाया गया बे हतरीन मै दा इस्ते माल िकया पे श करना। यह क़ुरबािनयाँ रोज़ाना की भस्म
जाए। बै ल के साथ साढ़े 4 िकलोग्राम, में ढे होने वाली क़ुरबािनयाें और उनके साथवाली
के साथ 3 िकलोग्राम 4 और भे ड़ के हर बच्चे ग़ल्ला और मै की नज़राें के अलावा हैं । 17-34 ईद
के साथ डे ढ़ िकलोग्राम मै दा पे श करना। 5 एक के बाक़ी छः िदन यही क़ुरबािनयाँ पे श करनी हैं ।
बकरा भी गुनाह की क़ुरबानी के तौर पर पे श ले िकन हर िदन एक बै ल कम हो यानी दूसरे िदन
करना तािक तुम्हारा कफ़्फ़ारा िदया जाए। 6 यह 12, तीसरे िदन 11, चौथे िदन 10, पाँ चवें िदन
क़ुरबािनयाँ रोज़ाना और हर माह के पहले िदन 9, छटे िदन 8 और सातवें िदन 7 बै ल। हर िदन
की क़ुरबािनयाें और उनके साथ की ग़ल्ला और गुनाह की क़ुरबानी के िलए बकरा और मामूल
मै की नज़राें के अलावा हैं । इनकी ख़ुशबू रब की रोज़ाना की क़ुरबािनयाँ भी पे श करना।
को पसं द है । 35 ईद के आठवें िदन काम न करना बिल्क

मुक़द्दस इजितमा के िलए इकट्ठे होना। 36 रब


कफ़्फ़ारा के िदन की क़ुरबािनयाँ को एक जवान बै ल, एक में ढा और भे ड़ के सात
7 सातवें महीने के दसवें िदन मुक़द्दस इजितमा यकसाला बच्चे भस्म होने वाली क़ुरबानी के तौर

के िलए इकट्ठे होना। उस िदन काम न करना पर पे श करना। इनकी ख़ुशबू रब को पसं द है ।
और अपनी जान को दुख दे ना। 8-11 रब को सब नुक़्स के बग़ै र हाें । 37-38 साथ ही वह तमाम
वही क़ुरबािनयाँ पे श करना जो इसी महीने के क़ुरबािनयाँ भी पे श करना जो पहले िदन पे श की
पहले िदन पे श की जाती हैं । िसफ़र् एक फ़रक़ जाती हैं । 39 यह सब वही क़ुरबािनयाँ हैं जो तुम्हें
है , उस िदन एक नहीं बिल्क दो बकरे गुनाह रब को अपनी ईदाें पर पे श करनी हैं । यह उन
की क़ुरबानी के तौर पर पे श िकए जाएँ तािक तमाम क़ुरबािनयाें के अलावा हैं जो तुम िदली
तुम्हारा कफ़्फ़ारा िदया जाए। ऐसी क़ुरबािनयाँ ख़ुशी से या मन्नत मानकर दे ते हो, चाहे वह
रब को पसं द हैं । भस्म होने वाली, ग़ल्ला की, मै की या सलामती
की क़ुरबािनयाँ क्याें न हाें ।”
199 िगनती 31:6
40 मूसा ने रब की यह तमाम िहदायात खाई 11 तो लािज़म है िक वह अपनी हर बात
इसराईिलयाें को बता दीं। पूरी करे । शतर् यह है िक उसका शौहर उसके
बारे में सुनकर एतराज़ न करे । 12 ले िकन अगर
मन्नत मानने के क़वायद उसका शौहर उसे ऐसा करने से मना करे तो उस

30 िफर मूसा ने क़बीलाें के सरदाराें से की मन्नत या क़सम मनसूख़ है । वह उसे पूरा


कहा, “रब फ़रमाता है , करने से बरी है । रब उसे मुआफ़ करे गा, क्याें िक
2 अगर कोई आदमी रब को कुछ दे ने की उसके शौहर ने उसे मना िकया है । 13 चाहे बीवी

मन्नत माने या िकसी चीज़ से परहे ज़ करने ने कुछ दे ने की मन्नत मानी हो या िकसी चीज़ से
की क़सम खाए तो वह अपनी बात पर क़ायम परहे ज़ करने की क़सम खाई हो, उसके शौहर
रहकर उसे पूरा करे । को उस की तसदीक़ या उसे मनसूख़ करने
3 अगर कोई जवान औरत जो अब तक अपने का इिख़्तयार है । 14 अगर उसने अपनी बीवी
बाप के घर में रहती है रब को कुछ दे ने की मन्नत की मन्नत या क़सम के बारे में सुन िलया और
माने या िकसी चीज़ से परहे ज़ करने की क़सम अगले िदन तक एतराज़ न िकया तो लािज़म है
खाए 4 तो लािज़म है िक वह अपनी मन्नत या िक उस की बीवी अपनी हर बात पूरी करे । शौहर
क़सम की हर बात पूरी करे । शतर् यह है िक ने अगले िदन तक एतराज़ न करने से अपनी
उसका बाप उसके बारे में सुनकर एतराज़ न बीवी की बात की तसदीक़ की है । 15 अगर वह
करे । 5 ले िकन अगर उसका बाप यह सुनकर इसके बाद यह मन्नत या क़सम मनसूख़ करे
उसे ऐसा करने से मना करे तो उस की मन्नत तो उसे इस क़ुसूर के नतायज भुगतने पड़ें गे ।”
या क़सम मनसूख़ है , और वह उसे पूरा करने से 16 रब ने मूसा को यह िहदायात दीं। यह ऐसी

बरी है । रब उसे मुआफ़ करे गा, क्याें िक उसके औरताें की मन्नताें या क़समाें के उसूल हैं जो
बाप ने उसे मना िकया है । ग़ै रशादीशुदा हालत में अपने बाप के घर में रहती
6 हो सकता है िक िकसी ग़ै रशादीशुदा औरत हैं या जो शादीशुदा हैं ।

ने मन्नत मानी या िकसी चीज़ से परहे ज़ करने


की क़सम खाई, चाहे उसने दािनस्ता तौर पर िमिदयािनयाें से जं ग
या बे सोचे -समझे ऐसा िकया। इसके बाद उस
औरत ने शादी कर ली। 7 शादीशुदा हालत में 31 रब ने मूसा से कहा, 2 “िमिदया-
िनयाें से इसराईिलयाें का बदला
भी लािज़म है िक वह अपनी मन्नत या क़सम ले । इसके बाद तू कूच करके अपने बापदादा
की हर बात पूरी करे । शतर् यह है िक उसका से जा िमले गा।”
शौहर इसके बारे में सुनकर एतराज़ न करे । 3 चुनाँ चे मूसा ने इसराईिलयाें से कहा,

8 ले िकन अगर उसका शौहर यह सुनकर उसे “हिथयाराें से अपने कुछ आदिमयाें को लै स
ऐसा करने से मना करे तो उस की मन्नत या करो तािक वह िमिदयान से जं ग करके रब का
क़सम मनसूख़ है , और वह उसे पूरा करने से बदला लें । 4 हर क़बीले के 1,000 मदर् जं ग
बरी है । रब उसे मुआफ़ करे गा। 9 अगर िकसी लड़ने के िलए भे जो।”
बे वा या तलाक़शुदा औरत ने मन्नत मानी या 5 चुनाँ चे हर क़बीले के 1,000 मुसल्लह मदर्

िकसी चीज़ से परहे ज़ करने की क़सम खाई तो यानी कुल 12,000 आदमी चुने गए। 6 तब
लािज़म है िक वह अपनी हर बात पूरी करे । मूसा ने उन्हें जं ग लड़ने के िलए भे ज िदया।
10 अगर िकसी शादीशुदा औरत ने मन्नत उसने इिलयज़र इमाम के बे टे फ़ीनहास को भी

मानी या िकसी चीज़ से परहे ज़ करने की क़सम उनके साथ भे जा िजसके पास मक़िदस की कुछ
िगनती 31:7 200
चीज़ें और एलान करने के िबगुल थे । 7 उन्हाें ने रब 21 िफर इिलयज़र इमाम ने जं ग से वापस
के हुक्म के मुतािबक़ िमिदयािनयाें से जं ग की आने वाले मदार्ें से कहा, “जो शरीअत रब ने
और तमाम आदिमयाें को मौत के घाट उतार मूसा को दी उसके मुतािबक़ 22-23 जो भी चीज़
िदया। 8 इनमें िमिदयािनयाें के पाँ च बादशाह जल नहीं जाती उसे आग में से गुज़ार दे ना
इवी, रक़म, सूर, हूर और रबा थे । िबलाम िबन तािक पाक-साफ़ हो जाए। उसमें सोना, चाँ दी,
बओर को भी जान से मार िदया गया। पीतल, लोहा, टीन और सीसा शािमल है । िफर
9 इसराईिलयाें ने िमिदयानी औरताें और उस पर नापाकी दूर करने का पानी िछड़कना।
बच्चाें को िगिरफ़्तार करके उनके तमाम बाक़ी तमाम चीज़ें पानी में से गुज़ार दे ना तािक
गाय-बै ल, भे ड़-बकिरयाँ और माल लूट वह पाक-साफ़ हो जाएँ । 24 सातवें िदन अपने
िलया। 10 उन्हाें ने उनकी तमाम आबािदयाें को िलबास को धोना तो तुम पाक-साफ़ होकर
ख़ै मागाहाें समे त जलाकर राख कर िदया। ख़ै मागाह में दािख़ल हो सकते हो।”
11-12 िफर वह तमाम लूटा हुआ माल क़ैिदयाें

और जानवराें समे त मूसा, इिलयज़र इमाम लूटे हुए माल की तक़सीम


और इसराईल की पूरी जमात के पास ले 25 रब ने मूसा से कहा, 26 “तमाम क़ैिदयाें
आए जो ख़ै मागाह में इं तज़ार कर रहे थे । अभी और लूटे हुए जानवराें को िगन। इसमें इिलयज़र
तक वह मोआब के मै दानी इलाक़े में दिरयाए- इमाम और क़बायली कं ु बाें के सरपरस्त ते री
यरदन के मशिरक़ी िकनारे पर यरीहू के सामने मदद करें । 27 सारा माल दो बराबर के िहस्साें
ठहरे हुए थे । 13 मूसा, इिलयज़र और जमात के में तक़सीम करना, एक िहस्सा फ़ौिजयाें के
तमाम सरदार उनका इस्तक़बाल करने के िलए िलए और दूसरा बाक़ी जमात के िलए हो।
ख़ै मागाह से िनकले । 28 फ़ौिजयाें के िहस्से के पाँ च पाँ च सौ क़ैिदयाें में

14 उन्हें दे खकर मूसा को हज़ार हज़ार और से एक एक िनकालकर रब को दे ना। इसी तरह


सौ सौ अफ़राद पर मुक़रर् र अफ़सरान पर ग़ुस्सा पाँ च पाँ च सौ बै लाें , गधाें , भे ड़ाें और बकिरयाें में
आया। 15 उसने कहा, “आपने तमाम औरताें से एक एक िनकालकर रब को दे ना। 29 उन्हें
को क्याें बचाए रखा? 16 उन्हीं ने िबलाम के इिलयज़र इमाम को दे ना तािक वह उन्हें रब
मशवरे पर फ़ग़ूर में इसराईिलयाें को रब से दूर को उठाने वाली क़ुरबानी के तौर पर पे श करे ।
कर िदया था। उन्हीं के सबब से रब की वबा 30 बाक़ी जमात के िहस्से के पचास पचास

उसके लोगाें में फैल गई। 17 चुनाँ चे अब तमाम क़ैिदयाें में से एक एक िनकालकर रब को दे ना,
लड़काें को जान से मार दो। उन तमाम औरताें इसी तरह पचास पचास बै लाें , गधाें , भे ड़ाें और
को भी मौत के घाट उतारना जो कँ ु वािरयाँ बकिरयाें या दूसरे जानवराें में से भी एक एक
नहीं हैं । 18 ले िकन तमाम कँ ु वािरयाें को बचाए िनकालकर रब को दे ना। उन्हें उन लािवयाें को
रखना। 19 िजसने भी िकसी को मार िदया या दे ना जो रब के मक़िदस को सँ भालते हैं ।”
िकसी लाश को छु आ है वह सात िदन तक 31 मूसा और इिलयज़र ने ऐसा ही िकया।

ख़ै मागाह के बाहर रहे । तीसरे और सातवें िदन 32-34 उन्हाें ने 6,75,000 भे ड़-बकिरयाँ ,
अपने आपको अपने क़ैिदयाें समे त गुनाह से 72,000 गाय-बै ल और 61,000 गधे िगने ।
पाक-साफ़ करना। 20 हर िलबास और हर चीज़ 35 इनके अलावा 32,000 क़ैदी कँ ु वािरयाँ

को पाक-साफ़ करना जो चमड़े , बकिरयाें के भी थीं। 36-40 फ़ौिजयाें को तमाम चीज़ाें का


बालाें या लकड़ी की हो।” आधा िहस्सा िमल गया यानी 3,37,500 भे ड़-
बकिरयाँ , 36,000 गाय-बै ल, 30,500 गधे
201 िगनती 32:12
और 16,000 क़ैदी कँ ु वािरयाँ । इनमें से उन्हाें ने
उन्हाें ने दे खा िक याज़े र और िजिलयाद का
675 भे ड़-बकिरयाँ , 72 गाय-बै ल, 61 गधेइलाक़ा मवे शी पालने के िलए अच्छा है 2 तो
और 32 लड़िकयाँ रब को दीं। 41 मूसा ने रबउन्हाें ने मूसा, इिलयज़र इमाम और जमात के
का यह िहस्सा इिलयज़र इमाम को उठाने वालीराहनुमाआें के पास आकर कहा, 3-4 “िजस
क़ुरबानी के तौर पर दे िदया, िजस तरह रब ने
इलाक़े को रब ने इसराईल की जमात के आगे
हुक्म िदया था। 42-47 बाक़ी जमात को भी लूटे
आगे िशकस्त दी है वह मवे शी पालने के िलए
हुए माल का आधा िहस्सा िमल गया। मूसा नेअच्छा है । अतारात, दीबोन, याज़े र, िनमरा,
पचास पचास क़ैिदयाें और जानवराें में से एक
हसबोन, इिलयाली, सबाम, नबू और बऊन जो
एक िनकालकर उन लािवयाें को दे िदया जो रब
इसमें शािमल हैं हमारे काम आएँ गे, क्याें िक
का मक़िदस सँ भालते थे । उसने वै सा ही िकया
आपके ख़ािदमाें के पास मवे शी हैं । 5 अगर
जै सा रब ने हुक्म िदया था। आपकी नज़रे -करम हम पर हो तो हमें यह
48 िफर वह अफ़सर मूसा के पास आए जो इलाक़ा िदया जाए। यह हमारी िमलिकयत बन
लशकर के हज़ार हज़ार और सौ सौ आदिमयाें जाए और हमें दिरयाए-यरदन को पार करने पर
पर मुक़रर् र थे । 49 उन्हाें ने उससे कहा, “आपके
मजबूर न िकया जाए।”
ख़ािदमाें ने उन फ़ौिजयाें को िगन िलया है िजन6 मूसा ने जद और रूिबन के अफ़राद से कहा,

पर वह मुक़रर् र हैं , और हमें पता चल गया िक


“क्या तुम यहाँ पीछे रहकर अपने भाइयाें को
एक भी कम नहीं हुआ। 50 इसिलए हम रब को छोड़ना चाहते हो जब वह जं ग लड़ने के िलए
सोने का तमाम ज़े वर क़ुरबान करना चाहते हैं
आगे िनकलें गे? 7 इस वक़्त जब इसराईली
जो हमें फ़तह पाने पर िमला था मसलन सोने दिरयाए-यरदन को पार करके उस मुल्क में
के बाज़ूबंद, कंगन, मुहर लगाने की अं गूिठयाँ ,
दािख़ल होने वाले हैं जो रब ने उन्हें िदया है
बािलयाँ और हार। यह सब कुछ हम रब को तो तुम क्याें उनकी हौसलािशकनी कर रहे
पे श करना चाहते हैं तािक रब के सामने हमारा
हो? 8 तुम्हारे बापदादा ने भी यही कुछ िकया
कफ़्फ़ारा हो जाए।” जब मैं ने उन्हें क़ािदस-बरनीअ से मुल्क के
51 मूसा और इिलयज़र इमाम ने सोने की बारे में मालूमात हािसल करने के िलए भे जा।
तमाम चीज़ें उनसे ले लीं। 52 जो चीज़ें उन्हाें ने
9 इसकाल की वादी में पहुँ चकर मुल्क की

अफ़सरान के लूटे हुए माल में से रब को तफ़तीश करने के बाद उन्हाें ने इसराईिलयाें की
उठाने वाली क़ुरबानी के तौर पर पे श कीं हौसलािशकनी की तािक वह उस मुल्क में
उनका पूरा वज़न तक़रीबन 190 िकलोग्राम दािख़ल न हाें जो रब ने उन्हें िदया था। 10 उस
था। 53 िसफ़र् अफ़सरान ने ऐसा िकया। बाक़ी िदन रब ने ग़ुस्से में आकर क़सम खाई, 11 ‘उन
फ़ौिजयाें ने अपना लूट का माल अपने िलए रख
आदिमयाें में से जो िमसर से िनकल आए हैं कोई
िलया। 54 मूसा और इिलयज़र अफ़सरान का उस मुल्क को नहीं दे खेगा िजसका वादा मैं ने
यह सोना मुलाक़ात के ख़ै मे में ले आए तािक
क़सम खाकर इब्राहीम, इसहाक़ और याक़ूब से
वह रब को उस की क़ौम की याद िदलाता रहे ।िकया था। क्याें िक उन्हाें ने पूरी वफ़ादारी से मे री
पै रवी न की। िसफ़र् वह िजनकी उम्र उस वक़्त
दिरयाए-यरदन के मशिरक़ी 20 साल से कम है दािख़ल हाें गे। 12 बुज़ुगार्ें में
िकनारे पर आबाद क़बीले से िसफ़र् कािलब िबन यफ़ुन्ना क़िनज़्ज़ी और

32 रूिबन और जद के क़बीलाें के यशुअ िबन नून मुल्क में दािख़ल हाें गे, इसिलए
पास बहुत-से मवे शी थे । जब िक उन्हाें ने पूरी वफ़ादारी से मे री पै रवी की।’
िगनती 32:13 202
13 उस वक़्त रब का ग़ज़ब उन पर आन पड़ा, ही का गुनाह करोगे । यक़ीन जानो तुम्हें अपने
और उन्हें 40 साल तक रे िगस्तान में मारे मारे गुनाह की सज़ा िमले गी। 24 अब अपने बाल-
िफरना पड़ा, जब तक िक वह तमाम नसल बच्चाें के िलए शहर और अपने मवे िशयाें के िलए
ख़त्म न हो गई िजसने उसके नज़दीक ग़लत बाड़े बना लो। ले िकन अपने वादे को ज़रूर पूरा
काम िकया था। 14 अब तुम गुनाहगाराें की करना।”
औलाद अपने बापदादा की जगह खड़े होकर 25 जद और रूिबन के अफ़राद ने मूसा से

रब का इसराईल पर ग़ुस्सा मज़ीद बढ़ा रहे हो। कहा, “हम आपके ख़ािदम हैं , हम अपने आक़ा
15 अगर तुम उस की पै रवी से हटोगे तो वह के हुक्म के मुतािबक़ ही करें गे । 26 हमारे बाल-
दुबारा इन लोगाें को रे िगस्तान में रहने दे गा, और बच्चे और मवे शी यहीं िजिलयाद के शहराें में
तुम इनकी हलाकत का बाइस बनोगे ।” रहें गे। 27 ले िकन आपके ख़ािदम मुसल्लह होकर
16 इसके बाद रूिबन और जद के अफ़राद दिरया को पार करें गे और रब के सामने जं ग
दुबारा मूसा के पास आए और कहा, “हम यहाँ करें गे । हम सब कुछ वै सा ही करें गे जै सा हमारे
िफ़लहाल अपने मवे शी के िलए बाड़े और अपने आक़ा ने हमें हुक्म िदया है ।”
बाल-बच्चाें के िलए शहर बनाना चाहते हैं । 28 तब मूसा ने इिलयज़र इमाम, यशुअ िबन

17 इसके बाद हम मुसल्लह होकर इसराईिलयाें नून और क़बायली कं ु बाें के सरपरस्ताें को


के आगे आगे चलें गे और हर एक को उस की िहदायत दी, 29 “लािज़म है िक जद और रूिबन
अपनी जगह तक पहुँ चाएँ गे। इतने में हमारे के मदर् मुसल्लह होकर तुम्हारे साथ ही रब के
बाल-बच्चे हमारे शहराें की फ़सीलाें के अं दर सामने दिरयाए-यरदन को पार करें और मुल्क
मुल्क के मुख़ािलफ़ बािंशदाें से महफ़ूज़ रहें गे। पर क़ब्ज़ा करें । अगर वह ऐसा करें तो उन्हें
18 हम उस वक़्त तक अपने घराें को नहीं लौटें गे मीरास में िजिलयाद का इलाक़ा दो। 30 ले िकन
जब तक हर इसराईली को उस की मौरूसी अगर वह ऐसा न करें तो िफर उन्हें मुल्के-कनान
ज़मीन न िमल जाए। 19 दूसरे , हम ख़ुद उनके ही में तुम्हारे साथ मौरूसी ज़मीन िमले ।”
साथ दिरयाए-यरदन के मग़िरब में मीरास में 31 जद और रूिबन के अफ़राद ने इसरार

कुछ नहीं पाएँ गे, क्याें िक हमें अपनी मौरूसी िकया, “आपके ख़ािदम सब कुछ करें गे जो रब
ज़मीन दिरयाए-यरदन के मशिरक़ी िकनारे पर ने कहा है । 32 हम मुसल्लह होकर रब के सामने
िमल चुकी है ।” दिरयाए-यरदन को पार करें गे और कनान के
20 यह सुनकर मूसा ने कहा, “अगर तुम ऐसा मुल्क में दािख़ल हाें गे, अगरचे हमारी मौरूसी
ही करोगे तो ठीक है । िफर रब के सामने जं ग ज़मीन यरदन के मशिरक़ी िकनारे पर होगी।”
के िलए तै यार हो जाओ 21 और सब हिथयार 33 तब मूसा ने जद, रूिबन और मनस्सी के

बाँ धकर रब के सामने दिरयाए-यरदन को पार आधे क़बीले को यह इलाक़ा िदया। उसमें वह
करो। उस वक़्त तक न लौटो जब तक रब ने पूरा मुल्क शािमल था िजस पर पहले अमोिरयाें
अपने तमाम दुश्मनाें को अपने आगे से िनकाल का बादशाह सीहोन और बसन का बादशाह
न िदया हो। 22 िफर जब मुल्क पर रब का ओज हुकूमत करते थे । इन िशकस्तख़ुरदा
क़ब्ज़ा हो गया होगा तो तुम लौट सकोगे । तब ममािलक के दे हाताें समे त तमाम शहर उनके
तुमने रब और अपने हमवतन भाइयाें के िलए हवाले िकए गए।
अपने फ़रायज़ अदा कर िदए हाें गे, और यह 34 जद के क़बीले ने दीबोन, अतारात,

इलाक़ा रब के सामने तुम्हारा मौरूसी हक़ होगा। अरोईर, 35 अतरात-शोफ़ान, याज़े र, युगबहा,


23 ले िकन अगर तुम ऐसा न करो तो िफर तुम रब 36 बै त-िनमरा और बै त-हारान के शहराें को
203 िगनती 33:48
दुबारा तामीर िकया। उन्हाें ने उनकी फ़सीलें िकनारे पर वाक़े है । 7 एताम से वह वापस
बनाइर्ं और अपने मवे िशयाें के िलए बाड़े भी। मुड़कर फ़ी-हख़ीरोत की तरफ़ बढ़े जो बाल-
37 रूिबन के क़बीले ने हसबोन, इिलयाली, सफ़ोन के मशिरक़ में है । वह िमजदाल के
िक़िरयतायम, 38 नबू, बाल-मऊन और िसबमाह क़रीब ख़ै माज़न हुए। 8 िफर वह फ़ी-हख़ीरोत
दुबारा तामीर िकए। नबू और बाल-मऊन के से कूच करके समुंदर में से गुज़र गए। इसके
नाम बदल गए, क्याें िक उन्हाें ने उन शहराें को बाद वह तीन िदन एताम के रे िगस्तान में सफ़र
नए नाम िदए जो उन्हाें ने दुबारा तामीर िकए। करते करते मारा पहुँ च गए और वहाँ अपने
39 मनस्सी के बे टे मकीर की औलाद ने ख़ै मे लगाए। 9 मारा से वह एलीम चले गए जहाँ
िजिलयाद जाकर उस पर क़ब्ज़ा कर िलया और 12 चश्मे और खजूर के 70 दरख़्त थे । वहाँ
उसके तमाम अमोरी बािंशदाें को िनकाल िदया। ठहरने के बाद 10 वह बहरे -क़ुलज़ुम के सािहल
40 चुनाँ चे मूसा ने मकीिरयाें को िजिलयाद की पर ख़ै माज़न हुए, 11 िफर दश्ते -सीन में पहुँ च
सरज़मीन दे दी, और वह वहाँ आबाद हुए। गए।
41 मनस्सी के एक आदमी बनाम याईर ने उस 12 उनके अगले मरहले यह थे : दुफ़क़ा,

इलाक़े में कुछ बिस्तयाें पर क़ब्ज़ा करके उन्हें 13-37 अलूस, रफ़ीदीम जहाँ पीने का पानी

हव्वोत-याईर यानी ‘याईर की बिस्तयाँ ’ का नाम दस्तयाब न था, दश्ते -सीना, क़ब्रोत-हत्तावा,
िदया। 42 इसी तरह उस क़बीले के एक और हसीरात, िरतमा, िरम्मोन-फ़ारस, िलबना,
आदमी बनाम नूबह ने जाकर क़नात और उसके िरस्सा, क़हीलाता, साफ़र पहाड़, हरादा,
दे हाताें पर क़ब्ज़ा कर िलया। उसने शहर का मक़हीलोत, तहत, तारह, िमतक़ा, हशमूना,
नाम नूबह रखा। मौसीरोत, बनी-याक़ान, होर-हिज्जदजाद,
युतबाता, अबरूना, अस्यून-जाबर, दश्ते -सीन
इसराईल के सफ़र के मरहले में वाक़े क़ािदस और होर पहाड़ जो अदोम की

33 ज़ै ल में उन जगहाें के नाम हैं जहाँ


जहाँ इसराईली क़बीले अपने दस्ताें
के मुतािबक़ मूसा और हारून की राहनुमाई में
सरहद पर वाक़े है ।
38 वहाँ रब ने हारून इमाम को हुक्म िदया िक

वह होर पहाड़ पर चढ़ जाए। वहीं वह पाँ चवें


िमसर से िनकलकर ख़ै माज़न हुए थे । 2 रब के माह के पहले िदन फ़ौत हुआ। इसराईिलयाें को
हुक्म पर मूसा ने हर जगह का नाम क़लमबं द िमसर से िनकले 40 साल गुज़र चुके थे । 39 उस
िकया जहाँ उन्हाें ने अपने ख़ै मे लगाए थे । उन वक़्त हारून 123 साल का था।
जगहाें के नाम यह हैं : 40 उन िदनाें में अराद के कनानी बादशाह ने
3 पहले महीने के पं द्रहवें िदन इसराईली सुना िक इसराईली मे रे मुल्क की तरफ़ बढ़ रहे
रामसीस से रवाना हुए। यानी फ़सह के िदन के हैं । वह कनान के जुनूब में हुकूमत करता था।
बाद के िदन वह बड़े इिख़्तयार के साथ तमाम 41-47 होर पहाड़ से रवाना होकर इसराईली

िमसिरयाें के दे खते दे खते चले गए। 4 िमसरी ज़ै ल की जगहाें पर ठहरे : ज़लमूना, फ़ूनोन,
उस वक़्त अपने पहलौठाें को दफ़न कर रहे ओबोत, ऐये -अबारीम जो मोआब के इलाक़े में
थे , क्याें िक रब ने पहलौठाें को मारकर उनके था, दीबोन-जद, अलमून-िदबलातायम और नबू
दे वताआें की अदालत की थी। के क़रीब वाक़े अबारीम का पहाड़ी इलाक़ा।
5 रामसीस से इसराईली सुक्कात पहुँ च गए 48 वहाँ से उन्हाें ने यरदन की वादी में उतरकर

जहाँ उन्हाें ने पहली मरतबा अपने डे रे लगाए। मोआब के मै दानी इलाक़े में अपने डे रे लगाए।
6 वहाँ से वह एताम पहुँ चे जो रे िगस्तान के अब वह दिरयाए-यरदन के मशिरक़ी िकनारे पर
िगनती 33:49 204
यरीहू शहर के सामने थे । 49 उनके ख़ै मे बै त- 5 वहाँ से वह मुड़कर िमसर की सरहद पर वाक़े
यसीमोत से ले कर अबील-िशत्तीम तक लगे थे । वादीए-िमसर के साथ साथ बहीराए-रूम तक
पहुँ चेगी। 6 उस की मग़िरबी सरहद बहीराए-रूम
तमाम कनानी बािंशदाें को का सािहल होगा। 7 उस की िशमाली सरहद
िनकालने का हुक्म बहीराए-रूम से ले कर इन जगहाें से होकर
50 वहाँ रब ने मूसा से कहा, 51 “इसराई- मशिरक़ की तरफ़ गुज़रे गी : होर पहाड़, 8 लबो-

िलयाें को बताना िक जब तुम दिरयाए-यरदन हमात, िसदाद, 9 िज़फ़रून और हसर-एनान।


को पार करके मुल्के-कनान में दािख़ल होगे हसर-एनान िशमाली सरहद का सबसे मशिरक़ी
52 तो लािज़म है िक तुम तमाम बािंशदाें को मक़ाम होगा। 10 उस की मशिरक़ी सरहद

िनकाल दो। उनके तराशे और ढाले हुए बुताें िशमाल में हसर-एनान से शुरू होगी। िफर वह
को तोड़ डालो और उनकी ऊँची जगहाें के मं िदराें इन जगहाें से होकर जुनूब की तरफ़ गुज़रे गी :
को तबाह करो। 53 मुल्क पर क़ब्ज़ा करके उसमें िसफ़ाम, 11 िरबला जो ऐन के मशिरक़ में है और
आबाद हो जाओ, क्याें िक मैं ने यह मुल्क तुम्हें िकन्नरत यानी गलील की झील के मशिरक़
दे िदया है । यह मे री तरफ़ से तुम्हारी मौरूसी में वाक़े पहाड़ी इलाक़ा। 12 इसके बाद वह
िमलिकयत है । 54 मुल्क को मुख़्तिलफ़ क़बीलाें दिरयाए-यरदन के िकनारे िकनारे गुज़रती हुई
और ख़ानदानाें में क़ुरा डालकर तक़सीम करना। बहीराए-मुरदार तक पहुँ चेगी। यह तुम्हारे मुल्क
हर ख़ानदान के अफ़राद की तादाद का िलहाज़ की सरहद्दें हाें गी।”
रखना। बड़े ख़ानदान को िनसबतन ज़्यादा 13 मूसा ने इसराईिलयाें से कहा, “यह वही

ज़मीन दे ना और छोटे ख़ानदान को िनसबतन मुल्क है िजसे तुम्हें क़ुरा डालकर तक़सीम
कम ज़मीन। 55 ले िकन अगर तुम मुल्क के करना है । रब ने हुक्म िदया है िक उसे बाक़ी
बािंशदाें को नहीं िनकालोगे तो बचे हुए तुम्हारी साढ़े नौ क़बीलाें को दे ना है । 14 क्याें िक अढ़ाई
आँखाें में ख़ार और तुम्हारे पहलुआें में काँ टे क़बीलाें के ख़ानदानाें को उनकी मीरास िमल
बनकर तुम्हें उस मुल्क में तं ग करें गे िजसमें तुम चुकी है यानी रूिबन और जद के पूरे क़बीले
आबाद होगे । 56 िफर मैं तुम्हारे साथ वह कुछ और मनस्सी के आधे क़बीले को। 15 उन्हें यहाँ ,
करूँगा जो उनके साथ करना चाहता हूँ ।” दिरयाए-यरदन के मशिरक़ में यरीहू के सामने
ज़मीन िमल चुकी है ।”
मुल्के-कनान की सरहद्दें

34 रब ने मूसा से कहा, 2 “इसराई- मुल्क तक़सीम करने के िज़म्मे दार आदमी


िलयाें को बताना िक जब तुम उस 16 रब ने मूसा से कहा, 17 “इिलयज़र इमाम

मुल्क में दािख़ल होगे जो मैं तुम्हें मीरास में दूँ गा और यशुअ िबन नून लोगाें के िलए मुल्क
तो उस की सरहद्दें यह हाें गी : तक़सीम करें । 18 हर क़बीले के एक एक
3 उस की जुनूबी सरहद दश्ते -सीन में अदोम राहनुमा को भी चुनना तािक वह तक़सीम करने

की सरहद के साथ साथ चले गी। मशिरक़ में में मदद करे । िजनको तुम्हें चुनना है उनके नाम
वह बहीराए-मुरदार के जुनूबी सािहल से शुरू यह हैं :
होगी, िफर इन जगहाें से होकर मग़िरब की 19 यहूदाह के क़बीले का कािलब िबन

तरफ़ गुज़रे गी : 4 दरार्ए-अक़्रब्बीम के जुनूब यफ़ुन्ना,


में से , दश्ते -सीन में से , क़ािदस-बरनीअ के 20 शमाऊन के क़बीले का समुएल िबन

जुनूब में से हसर-अद्दार और अज़मून में से । अम्मीहूद,


205 िगनती 35:23
21 िबनयमीन के क़बीले का इलीदाद िबन ग़ै रइरादी ख़ूनरे ज़ी के िलए पनाह के शहर
िकस्लोन, 6-7 लािवयाें को कुल 48 शहर दे ना। इनमें

22 दान के क़बीले का बुक़्क़ी िबन युगली, से छः पनाह के शहर मुक़रर् र करना। उनमें ऐसे
23 मनस्सी के क़बीले का हिन्नये ल िबन लोग पनाह ले सकेंगे िजनके हाथाें ग़ै रइरादी तौर

अफ़ूद, पर कोई हलाक हुआ हो। 8 हर क़बीला लािवयाें


24 इफ़राईम के क़बीले का क़मुएल िबन को अपने इलाक़े के रक़बे के मुतािबक़ शहर दे ।

िसफ़तान, िजस क़बीले का इलाक़ा बड़ा है उसे लािवयाें


25 ज़बूलून के क़बीले का इलीसफ़न िबन को ज़्यादा शहर दे ने हैं जबिक िजस क़बीले का

फ़रनाक, इलाक़ा छोटा है वह लािवयाें को कम शहर दे ।”


26 इशकार के क़बीले का फ़लितये ल िबन 9 िफर रब ने मूसा से कहा, 10 “इसराईिलयाें

अज़्ज़ान, को बताना िक दिरयाए-यरदन को पार करने


27 आशर के क़बीले का अख़ीहूद िबन शलूमी, के बाद 11 कुछ पनाह के शहर मुक़रर् र करना।

28 नफ़ताली के क़बीले का िफ़दाहे ल िबन उनमें वह शख़्स पनाह ले सकेगा िजसके हाथाें

अम्मीहूद।” ग़ै रइरादी तौर पर कोई हलाक हुआ हो। 12 वहाँ


29 रब ने इन्हीं आदिमयाें को मुल्क को वह इं तक़ाम ले नेवाले से पनाह ले सकेगा और

इसराईिलयाें में तक़सीम करने की िज़म्मा- जमात की अदालत के सामने खड़े होने से पहले
दारी दी। मारा नहीं जा सकेगा। 13 इसके िलए छः शहर
चुन लो। 14 तीन दिरयाए-यरदन के मशिरक़ में
लािवयाें के िलए शहर और तीन मुल्के-कनान में हाें । 15 यह छः शहर

35 इसराईली अब तक मोआब के हर िकसी को पनाह दें गे , चाहे वह इसराईली,


मै दानी इलाक़े में दिरयाए-यरदन के परदे सी या उनके दरिमयान रहने वाला ग़ै रशहरी
मशिरक़ी िकनारे पर यरीहू के सामने थे । वहाँ रब हो। िजससे भी ग़ै रइरादी तौर पर कोई हलाक
ने मूसा से कहा, हुआ हो वह वहाँ पनाह ले सकता है ।
2 “इसराईिलयाें को बता दे िक वह लािवयाें 16-18 अगर िकसी ने िकसी को जान-बूझकर

को अपनी िमली हुई ज़मीनाें में से रहने के िलए लोहे , पत्थर या लकड़ी की िकसी चीज़ से मार
शहर दें । उन्हें शहराें के इदर्िगदर् मवे शी चराने डाला हो वह क़ाितल है और उसे सज़ाए-मौत
की ज़मीन भी िमले । 3 िफर लािवयाें के पास दे नी है । 19 मक़तूल का सबसे क़रीबी िरश्ते दार
रहने के िलए शहर और अपने जानवर चराने के उसे तलाश करके मार दे । 20-21 क्याें िक जो
िलए ज़मीन होगी। 4 चराने के िलए ज़मीन शहर नफ़रत या दुश्मनी के बाइस जान-बूझकर िकसी
के इदर्िगदर् होगी, और चाराें तरफ़ का फ़ासला को याें धक्का दे , उस पर कोई चीज़ फेंक दे या
फ़सीलाें से 1,500 फ़ुट हो। 5 चराने की यह उसे मुक्का मारे िक वह मर जाए वह क़ाितल है
ज़मीन मुरब्बा शक्ल की होगी िजसके हर पहलू और उसे सज़ाए-मौत दे नी है ।
का फ़ासला 3,000 फ़ुट हो। शहर इस मुरब्बा 22 ले िकन वह क़ाितल नहीं है िजससे दुश्मनी

शक्ल के बीच में हो। यह रक़बा शहर के बािंशदाें के बाइस नहीं बिल्क इत्तफ़ाक़ से और ग़ै रइरादी
के िलए हो तािक वह अपने मवे शी चरा सकें। तौर पर कोई हलाक हुआ हो, चाहे उसने
उसे धक्का िदया, कोई चीज़ उस पर फेंक
दी 23 या कोई पत्थर उस पर िगरने िदया।
िगनती 35:24 206
24 अगर ऐसा हुआ तो लािज़म है िक जमात ही कफ़्फ़ारा िदया जा सकता है । 34 उस मुल्क
इन िहदायात के मुतािबक़ उसके और इं तक़ाम को नापाक न करना िजसमें तुम आबाद हो और
ले नेवाले के दरिमयान फ़ैसला करे । 25 अगर िजसमें मैं सुकूनत करता हूँ । क्याें िक मैं रब हूँ जो
मुलिज़म बे क़ुसूर है तो जमात उस की िहफ़ाज़त इसराईिलयाें के दरिमयान सुकूनत करता हूँ ।”
करके उसे पनाह के उस शहर में वापस ले जाए
िजसमें उसने पनाह ली है । वहाँ वह मुक़द्दस एक क़बीले की मौरूसी ज़मीन शादी से
ते ल से मसह िकए गए इमामे -आज़म की मौत दूसरे क़बीले में मुंतिक़ल नहीं हो सकती
तक रहे । 26 ले िकन अगर यह शख़्स इससे
पहले पनाह के शहर से िनकले तो वह महफ़ूज़
नहीं होगा। 27 अगर उसका इं तक़ाम ले नेवाले
36 एक िदन िजिलयाद िबन मकीर
िबन मनस्सी िबन यूसुफ़ के कं ु बे
से िनकले हुए आबाई घरानाें के सरपरस्त मूसा
से सामना हो जाए तो इं तक़ाम ले नेवाले को और उन सरदाराें के पास आए जो दीगर आबाई
उसे मार डालने की इजाज़त होगी। अगर वह घरानाें के सरपरस्त थे । 2 उन्हाें ने कहा, “रब ने
ऐसा करे तो बे क़ुसूर रहे गा। 28 पनाह ले नेवाला आपको हुक्म िदया था िक आप क़ुरा डालकर
इमामे -आज़म की वफ़ात तक पनाह के शहर मुल्क को इसराईिलयाें में तक़सीम करें । उस
में रहे । इसके बाद ही वह अपने घर वापस जा वक़्त उसने यह भी कहा था िक हमारे भाई
सकता है । 29 यह उसूल दायमी हैं । जहाँ भी तुम िसलािफ़हाद की बे िटयाें को उस की मौरूसी
रहते हो तुम्हें हमे शा इन पर अमल करना है । ज़मीन िमलनी है । 3 अगर वह इसराईल के
30 िजस पर क़त्ल का इलज़ाम लगाया गया िकसी और क़बीले के मदार्ें से शादी करें तो
हो उसे िसफ़र् इस सूरत में सज़ाए-मौत दी जा िफर यह ज़मीन जो हमारे क़बीले का मौरूसी
सकती है िक कम अज़ कम दो गवाह हाें । एक िहस्सा है उस क़बीले का मौरूसी िहस्सा बने गी
गवाह काफ़ी नहीं है । और हम उससे महरूम हो जाएं गे। िफर हमारा
31 क़ाितल को ज़रूर सज़ाए-मौत दे ना। ख़ाह क़बायली इलाक़ा छोटा हो जाएगा। 4 और अगर
वह इससे बचने के िलए कोई भी मुआवज़ा दे हम यह ज़मीन वापस भी ख़रीदें तो भी वह
उसे आज़ाद न छोड़ना बिल्क सज़ाए-मौत दे ना। अगले बहाली के साल में दूसरे क़बीले को
32 उस शख़्स से भी पै से क़बूल न करना िजससे वापस चली जाएगी िजसमें इन औरताें ने शादी
ग़ै रइरादी तौर पर कोई हलाक हुआ हो और जो की है । इस तरह वह हमे शा के िलए हमारे हाथ
इस सबब से पनाह के शहर में रह रहा है । उसे से िनकल जाएगी।”
इजाज़त नहीं िक वह पै से दे कर पनाह का शहर 5 मूसा ने रब के हुक्म पर इसराईिलयाें

छोड़े और अपने घर वापस चला जाए। लािज़म को बताया, “िजिलयाद के मदर् हक़-बजािनब
है िक वह इसके िलए इमामे -आज़म की वफ़ात हैं । 6 इसिलए रब की िहदायत यह है िक
का इं तज़ार करे । िसलािफ़हाद की बे िटयाें को हर आदमी से शादी
33 िजस मुल्क में तुम रहते हो उस की मुक़द्दस करने की इजाज़त है , ले िकन िसफ़र् इस सूरत
हालत को नापाक न करना। जब िकसी को में िक वह उनके अपने क़बीले का हो। 7 इस
उसमें क़त्ल िकया जाए तो वह नापाक हो जाता तरह एक क़बीले की मौरूसी ज़मीन िकसी दूसरे
है । जब इस तरह ख़ून बहता है तो मुल्क की क़बीले में मुंतिक़ल नहीं होगी। लािज़म है िक हर
मुक़द्दस हालत िसफ़र् उस शख़्स के ख़ून बहने क़बीले का पूरा इलाक़ा उसी के पास रहे ।
से बहाल हो जाती है िजसने यह ख़ून बहाया 8 जो भी बे टी मीरास में ज़मीन पाती है उसके

है । यानी मुल्क का िसफ़र् क़ाितल की मौत से िलए लािज़म है िक वह अपने ही क़बीले के


207 िगनती 36:13
िकसी मदर् से शादी करे तािक उस की ज़मीन की। 12 चूँिक वह भी मनस्सी के क़बीले के थे
क़बीले के पास ही रहे । 9 एक क़बीले की मौरूसी इसिलए यह मौरूसी ज़मीन िसलािफ़हाद के
ज़मीन िकसी दूसरे क़बीले को मुंतिक़ल करने क़बीले के पास रही।
की इजाज़त नहीं है । लािज़म है िक हर क़बीले 13 रब ने यह अहकाम और िहदायात

का पूरा मौरूसी इलाक़ा उसी के पास रहे ।” इसराईिलयाें को मूसा की मािरफ़त दीं जब वह
10-11 िसलािफ़हाद की बे िटयाें महलाह, मोआब के मै दानी इलाक़े में दिरयाए-यरदन के
ितरज़ा, हुजलाह, िमलकाह और नुआह ने मशिरक़ी िकनारे पर यरीहू के सामने ख़ै माज़न
वै सा ही िकया जै सा रब ने मूसा को बताया थे ।
था। उन्हाें ने अपने चचाज़ाद भाइयाें से शादी
इिस्तसना

मूसा इसराईिलयाें से मुख़ाितब होता है को छोड़कर आगे मुल्के-कनान की तरफ़ बढ़ो।

1 इस िकताब में वह बातें दजर् हैं जो मूसा


ने तमाम इसराईिलयाें से कहीं जब वह
दिरयाए-यरदन के मशिरक़ी िकनारे पर बयाबान
अमोिरयाें के पहाड़ी इलाक़े और उनके पड़ोस
की क़ौमाें के पास जाओ जो यरदन के मै दानी
इलाक़े में आबाद हैं । पहाड़ी इलाक़े में , मग़िरब
में थे । वह यरदन की वादी में सूफ़ के क़रीब थे । के नशे बी पहाड़ी इलाक़े में , जुनूब के दश्ते -नजब
एक तरफ़ फ़ारान शहर था और दूसरी तरफ़ में , सािहली इलाक़े में , मुल्के-कनान में और
तोफ़ल, लाबन, हसीरात और दीज़हब के शहर लुबनान में दिरयाए-फ़ुरात तक चले जाओ।
थे । 2 अगर अदोम के पहाड़ी इलाक़े से होकर 8 मैं ने तुम्हें यह मुल्क दे िदया है । अब जाकर

जाएँ तो होिरब यानी सीना पहाड़ से क़ािदस- उस पर क़ब्ज़ा कर लो। क्याें िक रब ने क़सम
बरनीअ तक का सफ़र 11 िदन में तय िकया खाकर तुम्हारे बापदादा इब्राहीम, इसहाक़ और
जा सकता है । याक़ूब से वादा िकया था िक मैं यह मुल्क तुम्हें
3 इसराईिलयाें को िमसर से िनकले 40 साल और तुम्हारी औलाद को दूँ गा।”
हो गए थे । इस साल के ग्यारहवें माह के पहले
िदन मूसा ने उन्हें सब कुछ बताया जो रब ने राहनुमा मुक़रर् र िकए गए
उसे उन्हें बताने को कहा था। 4 उस वक़्त वह 9 उस वक़्त मैं ने तुमसे कहा, “मैं अकेला

अमोिरयाें के बादशाह सीहोन को िशकस्त दे तुम्हारी राहनुमाई करने की िज़म्मे दारी नहीं उठा
चुका था िजसका दारुल-हुकूमत हसबोन था। सकता। 10 रब तुम्हारे ख़ुदा ने तुम्हारी तादाद
बसन के बादशाह ओज पर भी फ़तह हािसल हो इतनी बढ़ा दी है िक आज तुम आसमान
चुकी थी िजसकी हुकूमत के मरकज़ अस्तारात के िसताराें की मािंनद बे शुमार हो। 11 और
और इदरई थे । रब तुम्हारे बापदादा का ख़ुदा करे िक तुम्हारी
5 वहाँ , दिरयाए-यरदन के मशिरक़ी िकनारे तादाद मज़ीद हज़ार गुना बढ़ जाए। वह तुम्हें
पर जो मोआब के इलाक़े में था मूसा अल्लाह वह बरकत दे िजसका वादा उसने िकया है ।
की शरीअत की तशरीह करने लगा। उसने कहा, 12 ले िकन मैं अकेला ही तुम्हारा बोझ उठाने और

6 जब तुम होिरब यानी सीना पहाड़ के पास झगड़ाें को िनपटाने की िज़म्मे दारी नहीं उठा
थे तो रब हमारे ख़ुदा ने हमसे कहा, “तुम सकता। 13 इसिलए अपने हर क़बीले में से कुछ
काफ़ी दे र से यहाँ ठहरे हुए हो। 7 अब इस जगह ऐसे दािनशमं द और समझदार आदमी चुन लो
209 इिस्तसना 1:33
िजनकी िलयाक़त को लोग मानते हैं । िफर मैं जो मुल्क के हालात दिरयाफ़्त करें और वापस
उन्हें तुम पर मुक़रर् र करूँगा।” आकर हमें उस रास्ते के बारे में बताएँ िजस पर
14 यह बात तुम्हें पसं द आई। 15 तुमने अपने हमें जाना है और उन शहराें के बारे में इत्तला
में से ऐसे राहनुमा चुन िलए जो दािनशमं द थे दें िजनके पास हम पहुँ चेंगे।” 23 यह बात मुझे
और िजनकी िलयाक़त को लोग मानते थे । पसं द आई। मैं ने इस काम के िलए हर क़बीले के
िफर मैं ने उन्हें हज़ार हज़ार, सौ सौ और पचास एक आदमी को चुनकर भे ज िदया। 24 जब यह
पचास मदार्ें पर मुक़रर् र िकया। याें वह क़बीलाें बारह आदमी पहाड़ी इलाक़े में जाकर वादीए-
के िनगहबान बन गए। 16 उस वक़्त मैं ने उन इसकाल में पहुँ चे तो उस की तफ़तीश की।
क़ािज़याें से कहा, “अदालत करते वक़्त हर 25 िफर वह मुल्क का कुछ फल ले कर लौट आए

एक की बात ग़ौर से सुनकर ग़ै रजािनबदार और हमें मुल्क के बारे में इत्तला दे कर कहा,
फ़ैसले करना, चाहे दो इसराईली फ़रीक़ एक “जो मुल्क रब हमारा ख़ुदा हमें दे नेवाला है वह
दूसरे से झगड़ा कर रहे हाें या मामला िकसी अच्छा है ।”
इसराईली और परदे सी के दरिमयान हो। 26 ले िकन तुम जाना नहीं चाहते थे बिल्क

17 अदालत करते वक़्त जािनबदारी न करना। सरकशी करके रब अपने ख़ुदा का हुक्म न
छोटे और बड़े की बात सुनकर दोनाें के साथ माना। 27 तुमने अपने ख़ै माें में बुड़बुड़ाते हुए
एक जै सा सुलूक करना। िकसी से मत डरना, कहा, “रब हमसे नफ़रत रखता है । वह हमें
क्याें िक अल्लाह ही ने तुम्हें अदालत करने की िमसर से िनकाल लाया है तािक हमें अमोिरयाें
िज़म्मे दारी दी है । अगर िकसी मामले में फ़ैसला के हाथाें हलाक करवाए। 28 हम कहाँ जाएँ ?
करना तुम्हारे िलए मुिश्कल हो तो उसे मुझे हमारे भाइयाें ने हमें बे िदल कर िदया है । वह
पे श करो। िफर मैं ही उसका फ़ैसला करूँगा।” कहते हैं , ‘वहाँ के लोग हमसे ताक़तवर और
18 उस वक़्त मैं ने तुम्हें सब कुछ बताया जो तुम्हें दराज़क़द हैं । उनके बड़े बड़े शहराें की फ़सीलें
करना था। आसमान से बातें करती हैं । वहाँ हमने अनाक़
की औलाद भी दे खी जो दे वक़ामत हैं ’।”
मुल्के-कनान में जासूस 29 मैं ने कहा, “न घबराओ और न उनसे
19 हमने वै सा ही िकया जै सा रब ने हमें कहा ख़ौफ़ खाओ। 30 रब तुम्हारा ख़ुदा तुम्हारे आगे
था। हम होिरब से रवाना होकर अमोिरयाें के आगे चलता हुआ तुम्हारे िलए लड़े गा। तुम ख़ुद
पहाड़ी इलाक़े की तरफ़ बढ़े । सफ़र करते करते दे ख चुके हो िक वह िकस तरह िमसर 31 और
हम उस वसी और हौलनाक रे िगस्तान में से रे िगस्तान में तुम्हारे िलए लड़ा। यहाँ भी वह
गुज़र गए िजसे तुमने दे ख िलया है । आिख़रकार ऐसा ही करे गा। तू ख़ुद गवाह है िक बयाबान
हम क़ािदस-बरनीअ पहुँ च गए। 20 वहाँ मैं ने में पूरे सफ़र के दौरान रब तुझे याें उठाए िफरा
तुमसे कहा, “तुम अमोिरयाें के पहाड़ी इलाक़े िजस तरह बाप अपने बे टे को उठाए िफरता
तक पहुँ च गए हो जो रब हमारा ख़ुदा हमें है । इस तरह चलते चलते तुम यहाँ तक पहुँ च
दे नेवाला है । 21 दे ख, रब ते रे ख़ुदा ने तुझे यह गए।” 32 इसके बावुजूद तुमने रब अपने ख़ुदा
मुल्क दे िदया है । अब जाकर उस पर क़ब्ज़ा कर पर भरोसा न रखा। 33 तुमने यह बात नज़रं दाज़
ले िजस तरह रब ते रे बापदादा के ख़ुदा ने तुझे की िक वह सफ़र के दौरान रात के वक़्त आग
बताया है । मत डरना और बे िदल न हो जाना!” और िदन के वक़्त बादल की सूरत में तुम्हारे
22 ले िकन तुम सब मे रे पास आए और कहा, आगे आगे चलता रहा तािक तुम्हारे िलए ख़ै मे
“क्याें न हम जाने से पहले कुछ आदमी भे जें
इिस्तसना 1:34 210
लगाने की जगहें मालूम करे और तुम्हें रास्ता सामना करने िनकले । वह शहद की मिक्खयाें
िदखाए। के ग़ोल की तरह तुम पर टू ट पड़े और तुम्हारा
34 जब रब ने तुम्हारी यह बातें सुनीं तो उसे ताक़्क़ुब करके तुम्हें सईर से हुरमा तक मारते
ग़ुस्सा आया और उसने क़सम खाकर कहा, गए।
35 “इस शरीर नसल का एक मदर् भी उस अच्छे 45 तब तुम वापस आकर रब के सामने

मुल्क को नहीं दे खेगा अगरचे मैं ने क़सम खाकर ज़ारो-क़तार रोने लगे । ले िकन उसने तव-
तुम्हारे बापदादा से वादा िकया था िक मैं उसे ज्जुह न दी बिल्क तुम्हें नज़रं दाज़ िकया।
उन्हें दूँ गा। 36 िसफ़र् कािलब िबन यफ़ुन्ना उसे 46 इसके बाद तुम बहुत िदनाें तक क़ािदस-

दे खेगा। मैं उसे और उस की औलाद को वह बरनीअ में रहे ।


मुल्क दूँ गा िजसमें उसने सफ़र िकया है , क्याें िक
उसने पूरे तौर पर रब की पै रवी की।” रे िगस्तान में दुबारा सफ़र

2 िफर िजस तरह रब ने मुझे हुक्म िदया


37 तुम्हारी वजह से रब मुझसे भी नाराज़

हुआ और कहा, “तू भी उसमें दािख़ल नहीं था हम पीछे मुड़कर रे िगस्तान में बहरे -
होगा। 38 ले िकन ते रा मददगार यशुअ िबन नून क़ुलज़ुम की तरफ़ सफ़र करने लगे । काफ़ी दे र
दािख़ल होगा। उस की हौसलाअफ़्ज़ाई कर, तक हम सईर यानी अदोम के पहाड़ी इलाक़े के
क्याें िक वह मुल्क पर क़ब्ज़ा करने में इसराईल िकनारे िकनारे िफरते रहे ।
की राहनुमाई करे गा।” 39 तुमसे रब ने कहा, 2 एक िदन रब ने मुझसे कहा, 3 “तुम बहुत

“तुम्हारे बच्चे जो अभी अच्छे और बुरे में दे र से इस पहाड़ी इलाक़े के िकनारे िकनारे
इिम्तयाज़ नहीं कर सकते , वही मुल्क में दािख़ल िफर रहे हो। अब िशमाल की तरफ़ सफ़र करो।
हाें गे, वही बच्चे िजनके बारे में तुमने कहा िक 4 क़ौम को बताना, अगले िदनाें में तुम सईर

दुश्मन उन्हें मुल्के-कनान में छीन लें गे। उन्हें मैं के मुल्क में से गुज़रोगे जहाँ तुम्हारे भाई एसौ
मुल्क दूँ गा, और वह उस पर क़ब्ज़ा करें गे । की औलाद आबाद है । वह तुमसे डरें गे । तो भी
40 ले िकन तुम ख़ुद आगे न बढ़ो। पीछे मुड़कर बड़ी एहितयात से गुज़रना। 5 उनके साथ जं ग
दुबारा रे िगस्तान में बहरे -क़ुलज़ुम की तरफ़ न छे ड़ना, क्याें िक मैं तुम्हें उनके मुल्क का एक
सफ़र करो।” मुरब्बा फ़ुट भी नहीं दूँ गा। मैं ने सईर का पहाड़ी
41 तब तुमने कहा, “हमने रब का गुनाह िकया इलाक़ा एसौ और उस की औलाद को िदया है ।
है । अब हम मुल्क में जाकर लड़ें गे , िजस तरह 6 लािज़म है िक तुम खाने और पीने की तमाम

रब हमारे ख़ुदा ने हमें हुक्म िदया है ।” चुनाँ चे यह ज़रूिरयात पै से दे कर ख़रीदो।”


सोचते हुए िक उस पहाड़ी इलाक़े पर हमला 7 जो भी काम तूने िकया है रब ने उस पर

करना आसान होगा, हर एक मुसल्लह हुआ। बरकत दी है । इस वसी रे िगस्तान में पूरे सफ़र
42 ले िकन रब ने मुझसे कहा, “उन्हें बताना िक के दौरान उसने ते री िनगहबानी की। इन 40
वहाँ जं ग करने के िलए न जाओ, क्याें िक मैं सालाें के दौरान रब ते रा ख़ुदा ते रे साथ था, और
तुम्हारे साथ नहीं हूँ गा। तुम अपने दुश्मनाें के ते री तमाम ज़रूिरयात पूरी होती रहीं।
हाथाें िशकस्त खाओगे ।” 8 चुनाँ चे हम सईर को छोड़कर जहाँ हमारे

43 मैं ने तुम्हें यह बताया, ले िकन तुमने मे री भाई एसौ की औलाद आबाद थी दूसरे रास्ते
न सुनी। तुमने सरकशी करके रब का हुक्म से आगे िनकले । हमने वह रास्ता छोड़ िदया जो
न माना बिल्क मग़रूर होकर पहाड़ी इलाक़े में ऐलात और अस्यून-जाबर के शहराें से बहीराए-
दािख़ल हुए। 44 वहाँ के अमोरी बािंशदे तुम्हारा मुरदार तक पहुँ चाता है और मोआब के बयाबान
211 इिस्तसना 2:29
की तरफ़ बढ़ने लगे । 9 वहाँ रब ने मुझसे कहा, वह अनाक़ की औलाद जै से दराज़क़द थे । जब
“मोआब के बािंशदाें की मुख़ालफ़त न करना अम्मोनी मुल्क में आए तो रब ने रफ़ाइयाें
और न उनके साथ जं ग छे ड़ना, क्याें िक मैं उनके को उनके आगे आगे तबाह कर िदया। चुनाँ चे
मुल्क का कोई भी िहस्सा तुझे नहीं दूँ गा। मैं ने अम्मोनी बढ़ते बढ़ते उन्हें िनकालते गए और
आर शहर को लूत की औलाद को िदया है ।” उनकी जगह आबाद हुए, 22 िबलकुल उसी तरह
10 पहले ऐमी वहाँ रहते थे जो अनाक़ की िजस तरह रब ने एसौ की औलाद के आगे आगे
औलाद की तरह ताक़तवर, दराज़क़द और होिरयाें को तबाह कर िदया था जब वह सईर के
तादाद में ज़्यादा थे । 11 अनाक़ की औलाद मुल्क में आए थे । वहाँ भी वह बढ़ते बढ़ते होिरयाें
की तरह वह रफ़ाइयाें में शुमार िकए जाते थे , को िनकालते गए और उनकी जगह आबाद हुए।
ले िकन मोआबी उन्हें ऐमी कहते थे । 23 इसी तरह एक और क़दीम क़ौम बनाम अव्वी

12 इसी तरह क़दीम ज़माने में होरी सईर में को भी उसके मुल्क से िनकाला गया। अव्वी
आबाद थे , ले िकन एसौ की औलाद ने उन्हें वहाँ ग़ज़्ज़ा तक आबाद थे , ले िकन जब कफ़तूरी
से िनकाल िदया था। िजस तरह इसराईिलयाें कफ़तूर यानी क्रेते से आए तो उन्हाें ने उन्हें तबाह
ने बाद में उस मुल्क में िकया जो रब ने उन्हें कर िदया और उनकी जगह आबाद हो गए।
िदया था उसी तरह एसौ की औलाद बढ़ते बढ़ते
होिरयाें को तबाह करके उनकी जगह आबाद सीहोन बादशाह से जं ग
हुए थे । 24 रब ने मूसा से कहा, “अब जाकर वादीए-
13 रब ने कहा, “अब जाकर वादीए-िज़रद अरनोन को उबूर करो। याें समझो िक मैं हसबोन
को उबूर करो।” हमने ऐसा ही िकया। 14 हमें के अमोरी बादशाह सीहोन को उसके मुल्क
क़ािदस-बरनीअ से रवाना हुए 38 साल हो समे त तुम्हारे हवाले कर चुका हूँ । उस पर
गए थे । अब वह तमाम आदमी मर चुके थे क़ब्ज़ा करना शुरू करो और उसके साथ जं ग
जो उस वक़्त जं ग करने के क़ािबल थे । वै सा करने का मौक़ा ढूँ डो। 25 इसी िदन से मैं तमाम
ही हुआ था जै सा रब ने क़सम खाकर कहा क़ौमाें में तुम्हारे बारे में दहशत और ख़ौफ़ पै दा
था। 15 रब की मुख़ालफ़त के बाइस आिख़रकार करूँगा। वह तुम्हारी ख़बर सुनकर ख़ौफ़ के मारे
ख़ै मागाह में उस नसल का एक मदर् भी न थरथराएँ गी और काँ पेंगी।”
रहा। 16 जब वह सब मर गए थे 17 तब रब ने 26 मैं ने दश्ते -क़दीमात से हसबोन के बाद-

मुझसे कहा, 18 “आज तुम्हें आर शहर से होकर शाह सीहोन के पास क़ािसद भे जे। मे रा पै ग़ाम
मोआब के इलाक़े में से गुज़रना है । 19 िफर तुम नफ़रत और मुख़ालफ़त से ख़ाली था। वह यह
अम्मोिनयाें के इलाक़े तक पहुँ चोगे । उनकी भी था, 27 “हमें अपने मुल्क में से गुज़रने दें । हम
मुख़ालफ़त न करना, और न उनके साथ जं ग शाहराह पर ही रहें गे और उससे न बाइर्ं , न
छे ड़ना, क्याें िक मैं उनके मुल्क का कोई भी दाइर्ं तरफ़ हटें गे। 28 हम खाने और पीने की
िहस्सा तुम्हें नहीं दूँ गा। मैं ने यह मुल्क लूत की तमाम ज़रूिरयात के िलए मुनािसब पै से दें गे ।
औलाद को िदया है ।” हमें पै दल अपने मुल्क में से गुज़रने दें , 29 िजस
20 हक़ीक़त में अम्मोिनयाें का मुल्क भी तरह सईर के बािंशदाें एसौ की औलाद और
रफ़ाइयाें का मुल्क समझा जाता था जो आर के रहने वाले मोआिबयाें ने हमें गुज़रने
क़दीम ज़माने में वहाँ आबाद थे । अम्मोनी िदया। क्याें िक हमारी मनिज़ल दिरयाए-यरदन
उन्हें ज़मज़ुमी कहते थे , 21 और वह दे व- के मग़िरब में है , वह मुल्क जो रब हमारा ख़ुदा
क़ामत थे , ताक़तवर और तादाद में ज़्यादा। हमें दे नेवाला है ।”
इिस्तसना 2:30 212
30 ले िकन हसबोन के बादशाह सीहोन ने हमें 3 ऐसा
ही हुआ। रब हमारे ख़ुदा की मदद
गुज़रने न िदया, क्याें िक रब तुम्हारे ख़ुदा ने उसे
से हमने बसन के बादशाह ओज और उस
बे -लचक और हमारी बात से इनकार करने पर की तमाम क़ौम को िशकस्त दी। हमने सबको
आमादा कर िदया था तािक सीहोन हमारे क़ाबू हलाक कर िदया। कोई भी न बचा। 4 उसी वक़्त
में आ जाए। और बाद में ऐसा ही हुआ। 31 रब ने
हमने उसके तमाम शहराें पर क़ब्ज़ा कर िलया।
मुझसे कहा, “याें समझ ले िक मैं सीहोन औरहमने कुल 60 शहराें पर यानी अरजूब के सारे
उसके मुल्क को ते रे हवाले करने लगा हूँ । अब
इलाक़े पर क़ब्ज़ा िकया िजस पर ओज की
िनकलकर उस पर क़ब्ज़ा करना शुरू करो।” हुकूमत थी। 5 इन तमाम शहराें की िहफ़ाज़त
32 जब सीहोन अपनी सारी फ़ौज ले कर ऊँची ऊँची फ़सीलाें और कं ु डे वाले दरवाज़ाें से
हमारा मुक़ाबला करने के िलए यहज़ आया की गई थी। दे हात में बहुत-सी ऐसी आबािदयाँ
33 तो रब हमारे ख़ुदा ने हमें पूरी फ़तह बख़्शी।
भी िमल गइर्ं िजनकी फ़सीलें नहीं थीं। 6 हमने
हमने सीहोन, उसके बे टाें और पूरी क़ौम कोउनके साथ वह कुछ िकया जो हमने हसबोन के
िशकस्त दी। 34 उस वक़्त हमने उसके तमाम बादशाह सीहोन के इलाक़े के साथ िकया था।
शहराें पर क़ब्ज़ा कर िलया और उनके तमाम हमने सब कुछ रब के हवाले करके हर शहर
मदार्ें , औरताें और बच्चाें को मार डाला। कोई
को और तमाम मदार्ें , औरताें और बच्चाें को
भी न बचा। 35 हमने िसफ़र् मवे शी और शहराें
हलाक कर डाला। 7 हमने िसफ़र् तमाम मवे शी
का लूटा हुआ माल अपने िलए बचाए रखा। और शहराें का लूटा हुआ माल अपने िलए बचाए
36 वादीए-अरनोन के िकनारे पर वाक़े अरोईर
रखा।
से ले कर िजिलयाद तक हर शहर को िशकस्त 8 याें हमने उस वक़्त अमोिरयाें के इन

माननी पड़ी। इसमें वह शहर भी शािमल था दो बादशाहाें से दिरयाए-यरदन का मशिरक़ी


जो वादीए-अरनोन में था। रब हमारे ख़ुदा नेइलाक़ा वादीए-अरनोन से ले कर हरमून पहाड़
उन सबको हमारे हवाले कर िदया। 37 ले िकन तक छीन िलया। 9 (सै दा के बािंशदे हरमून को
तुमने अम्मोिनयाें का मुल्क छोड़ िदया और न
िसरयून कहते हैं जबिक अमोिरयाें ने उसका
दिरयाए-यब्बोक़ के इदर्िगदर् के इलाक़े, न उसके
नाम सनीर रखा)। 10 हमने ओज बादशाह के
पहाड़ी इलाक़े के शहराें को छे ड़ा, क्याें िक रब
पूरे इलाक़े पर क़ब्ज़ा कर िलया। इसमें मै दाने -
हमारे ख़ुदा ने ऐसा करने से तुम्हें मना िकया
मुरतफ़ा के तमाम शहर शािमल थे , नीज़
था। सलका और इदरई तक िजिलयाद और बसन
के पूरे इलाक़े।
बसन के बादशाह ओज की िशकस्त 11 बादशाह ओज दे वक़ामत क़बीले रफ़ाई का

3 इसके बाद हम िशमाल में बसन की आिख़री मदर् था। उसका लोहे का ताबूत 13 से
तरफ़ बढ़ गए। बसन का बादशाह ओज ज़ायद फ़ुट लं बा और छः फ़ुट चौड़ा था और
अपनी तमाम फ़ौज के साथ िनकलकर हमारा आज तक अम्मोिनयाें के शहर रब्बा में दे खा जा
मुक़ाबला करने के िलए इदरई आया। 2 रब ने सकता है ।
मुझसे कहा, “उससे मत डर। मैं उसे , उस
की पूरी फ़ौज और उसका मुल्क ते रे हवाले यरदन के मशिरक़ में मुल्क की तक़सीम
कर चुका हूँ । उसके साथ वह कुछ कर जो 12 जब हमने दिरयाए-यरदन के मशिरक़ी

तूने अमोरी बादशाह सीहोन के साथ िकया जो इलाक़े पर क़ब्ज़ा िकया तो मैं ने रूिबन और
हसबोन में हुकूमत करता था।” जद के क़बीलाें को उसका जुनूबी िहस्सा
213 इिस्तसना 3:29
शहराें समे त िदया। इस इलाक़े की जुनूबी रब तुम्हारा ख़ुदा उन्हें दिरयाए-यरदन के मग़िरब
सरहद दिरयाए-अरनोन पर वाक़े शहर अरोईर में वाक़े मुल्क दे गा और वह तुम्हारी तरह आराम
है जबिक िशमाल में इसमें िजिलयाद के और सुकून से वहाँ आबाद हो जाएं गे तब तुम
पहाड़ी इलाक़े का आधा िहस्सा भी शािमल है । अपने मुल्क में वापस जा सकते हो।”
13 िजिलयाद का िशमाली िहस्सा और बसन का

मुल्क मैं ने मनस्सी के आधे क़बीले को िदया। मूसा को यरदन पार करने की
(बसन में अरजूब का इलाक़ा है जहाँ पहले इजाज़त नहीं िमलती
ओज बादशाह की हुकूमत थी और जो रफ़ाइयाें 21 साथ साथ मैं ने यशुअ से कहा, “तूने अपनी

यानी दे वक़ामत अफ़राद का मुल्क कहलाता आँखाें से सब कुछ दे ख िलया है जो रब तुम्हारे


था। 14 मनस्सी के क़बीले के एक आदमी बनाम ख़ुदा ने इन दोनाें बादशाहाें सीहोन और ओज
याईर ने अरजूब पर जसूिरयाें और माकाितयाें से िकया। वह यही कुछ हर उस बादशाह के
की सरहद तक क़ब्ज़ा कर िलया था। उसने साथ करे गा िजसके मुल्क पर तू दिरया को पार
इस इलाक़े की बिस्तयाें को अपना नाम िदया। करके हमला करे गा। 22 उनसे न डरो। तुम्हारा
आज तक यही नाम हव्वोत-याईर यानी याईर ख़ुदा ख़ुद तुम्हारे िलए जं ग करे गा।”
की बिस्तयाँ चलता है ।) 23 उस वक़्त मैं ने रब से इिल्तजा करके कहा,

15 मैं ने िजिलयाद का िशमाली िहस्सा मनस्सी 24 “ऐ रब क़ािदरे -मुतलक़, तू अपने ख़ािदम को

के कं ु बे मकीर को िदया 16 ले िकन िजिलयाद अपनी अज़मत और क़ुदरत िदखाने लगा है ।


का जुनूबी िहस्सा रूिबन और जद के क़बीलाें क्या आसमान या ज़मीन पर कोई और ख़ुदा
को िदया। इस िहस्से की एक सरहद जुनूब है जो ते री तरह के अज़ीम काम कर सकता
में वादीए-अरनोन के बीच में से गुज़रती है ? हरिगज़ नहीं! 25 मे हरबानी करके मुझे भी
है जबिक दूसरी सरहद दिरयाए-यब्बोक़ है दिरयाए-यरदन को पार करके उस अच्छे मुल्क
िजसके पार अम्मोिनयाें की हुकूमत है । 17 उस यानी उस बे हतरीन पहाड़ी इलाक़े को लुबनान
की मग़िरबी सरहद दिरयाए-यरदन है यानी तक दे खने की इजाज़त दे ।”
िकन्नरत (गलील) की झील से ले कर बहीराए- 26 ले िकन तुम्हारे सबब से रब मुझसे नाराज़

मुरदार तक जो िपसगा के पहाड़ी िसलिसले के था। उसने मे री न सुनी बिल्क कहा, “बस
दामन में है । कर! आइं दा मे रे साथ इसका िज़क्र न करना।
18 उस वक़्त मैं ने रूिबन, जद और मनस्सी 27 िपसगा की चोटी पर चढ़कर चाराें तरफ़

के क़बीलाें से कहा, “रब तुम्हारे ख़ुदा ने तुम्हें नज़र दौड़ा। वहाँ से ग़ौर से दे ख, क्याें िक
मीरास में यह मुल्क दे िदया है । ले िकन शतर् तू ख़ुद दिरयाए-यरदन को उबूर नहीं करे गा।
यह है िक तुम्हारे तमाम जं ग करने के क़ािबल 28 अपनी जगह यशुअ को मुक़रर् र कर। उस

मदर् मुसल्लह होकर तुम्हारे इसराईली भाइयाें के की हौसलाअफ़्ज़ाई कर और उसे मज़बूत कर,
आगे आगे दिरयाए-यरदन को पार करें । 19 िसफ़र् क्याें िक वही इस क़ौम को दिरयाए-यरदन के
तुम्हारी औरतें और बच्चे पीछे रहकर उन शहराें मग़िरब में ले जाएगा और क़बीलाें में उस मुल्क
में इं तज़ार कर सकते हैं जो मैं ने तुम्हारे िलए को तक़सीम करे गा िजसे तू पहाड़ से दे खेगा।”
मुक़रर् र िकए हैं । तुम अपने मवे िशयाें को भी 29 चुनाँ चे हम बै त-फ़ग़ूर के क़रीब वादी में

पीछे छोड़ सकते हो, क्याें िक मुझे पता है िक ठहरे ।


तुम्हारे बहुत ज़्यादा जानवर हैं । 20 अपने भाइयाें
के साथ चलते हुए उनकी मदद करते रहो। जब
इिस्तसना 4:1 214
फ़रमाँ बरदारी की अशद्द ज़रूरत के सामने हािज़र था और उसने मुझे बताया,

4 ऐ इसराईल, अब वह तमाम अहकाम


ध्यान से सुन ले जो मैं तुम्हें िसखाता
हूँ । उन पर अमल करो तािक तुम िंज़दा रहो
“क़ौम को यहाँ मे रे पास जमा कर तािक मैं
उनसे बात करूँ और वह उम्र-भर मे रा ख़ौफ़ मानें
और अपने बच्चाें को मे री बातें िसखाते रहें ।”
और जाकर उस मुल्क पर क़ब्ज़ा करो जो रब 11 उस वक़्त तुम क़रीब आकर पहाड़ के

तुम्हारे बापदादा का ख़ुदा तुम्हें दे नेवाला है । 2 जो दामन में खड़े हुए। वह जल रहा था, और उस की
अहकाम मैं तुम्हें िसखाता हूँ उनमें न िकसी आग आसमान तक भड़क रही थी जबिक काले
बात का इज़ाफ़ा करो और न उनसे कोई बात बादलाें और गहरे अं धेरे ने उसे नज़राें से छु पा
िनकालो। रब अपने ख़ुदा के तमाम अहकाम िदया। 12 िफर रब आग में से तुमसे हमकलाम
पर अमल करो जो मैं ने तुम्हें िदए हैं । 3 तुमने हुआ। तुमने उस की बातें सुनीं ले िकन उस की
ख़ुद दे खा है िक रब ने बाल-फ़ग़ूर से क्या कुछ कोई शक्ल न दे खी। िसफ़र् उस की आवाज़
िकया। वहाँ रब ते रे ख़ुदा ने हर एक को हलाक सुनाई दी। 13 उसने तुम्हारे िलए अपने अहद
कर डाला िजसने फ़ग़ूर के बाल दे वता की पूजा यानी उन 10 अहकाम का एलान िकया और
की। 4 ले िकन तुममें से िजतने रब अपने ख़ुदा के हुक्म िदया िक इन पर अमल करो। िफर उसने
साथ िलपटे रहे वह सब आज तक िंज़दा हैं । उन्हें पत्थर की दो तिख़्तयाें पर िलख िदया।
5 मैं ने तुम्हें तमाम अहकाम याें िसखा िदए 14 रब ने मुझे िहदायत की, “उन्हें वह तमाम

हैं िजस तरह रब मे रे ख़ुदा ने मुझे बताया। अहकाम िसखा िजनके मुतािबक़ उन्हें चलना
क्याें िक लािज़म है िक तुम उस मुल्क में इनके होगा जब वह दिरयाए-यरदन को पार करके
ताबे रहो िजस पर तुम क़ब्ज़ा करने वाले हो। कनान पर क़ब्ज़ा करें गे ।”
6 इन्हें मानो और इन पर अमल करो तो दूसरी

क़ौमाें को तुम्हारी दािनशमं दी और समझ नज़र बुतपरस्ती के बारे में आगाही


आएगी। िफर वह इन तमाम अहकाम के बारे 15 जब रब होिरब यानी सीना पहाड़ पर तुमसे

में सुनकर कहें गी, “वाह, यह अज़ीम क़ौम हमकलाम हुआ तो तुमने उस की कोई शक्ल
कैसी दािनशमं द और समझदार है !” 7 कौन- न दे खी। चुनाँ चे ख़बरदार रहो 16 िक तुम ग़लत
सी अज़ीम क़ौम के माबूद इतने क़रीब हैं िजतना काम करके अपने िलए िकसी भी शक्ल का
हमारा ख़ुदा हमारे क़रीब है ? जब भी हम मदद बुत न बनाओ। न मदर्, औरत, 17 ज़मीन पर
के िलए पुकारते हैं तो रब हमारा ख़ुदा मौजूद चलने वाले जानवर, पिंरदे , 18 रें गने वाले जानवर
होता है । 8 कौन-सी अज़ीम क़ौम के पास ऐसे या मछली का बुत बनाओ। 19 जब तू आसमान
मुंिसफ़ाना अहकाम और िहदायात हैं जै से मैं की तरफ़ नज़र उठाकर आसमान का पूरा
आज तुम्हें पूरी शरीअत सुनाकर पे श कर रहा लशकर दे खे तो सूरज, चाँ द और िसताराें की
हूँ ? परिस्तश और िख़दमत करने की आज़माइश में
9 ले िकन ख़बरदार, एहितयात करना और वह न पड़ना। रब ते रे ख़ुदा ने इन चीज़ाें को बाक़ी
तमाम बातें न भूलना जो ते री आँखाें ने दे खी तमाम क़ौमाें को अता िकया है , 20 ले िकन तुम्हें
हैं । वह उम्र-भर ते रे िदल में से िमट न जाएँ उसने िमसर के भड़कते भट्टे से िनकाला है तािक
बिल्क उन्हें अपने बच्चाें और पोते -पोितयाें को तुम उस की अपनी क़ौम और उस की मीरास
भी बताते रहना। 10 वह िदन याद कर जब तू बन जाओ। और आज ऐसा ही हुआ है ।
होिरब यानी सीना पहाड़ पर रब अपने ख़ुदा 21 तुम्हारे सबब से रब ने मुझसे नाराज़ होकर

क़सम खाई िक तू दिरयाए-यरदन को पार करके


215 इिस्तसना 4:40
उस अच्छे मुल्क में दािख़ल नहीं होगा जो रब रब ही हमारा ख़ुदा है
ते रा ख़ुदा तुझे मीरास में दे नेवाला है । 22 मैं यहीं 32 दुिनया में इनसान की तख़लीक़ से ले कर
इसी मुल्क में मर जाऊँगा और दिरयाए-यरदन आज तक माज़ी की तफ़तीश कर। आसमान
को पार नहीं करूँगा। ले िकन तुम दिरया को पार के एक िसरे से दूसरे िसरे तक खोज लगा। क्या
करके उस बे हतरीन मुल्क पर क़ब्ज़ा करोगे । इससे पहले कभी इस तरह का मोिजज़ाना काम
23 हर सूरत में वह अहद याद रखना जो रब हुआ है ? क्या िकसी ने इससे पहले इस िक़स्म
तुम्हारे ख़ुदा ने तुम्हारे साथ बाँ धा है । अपने िलए के अज़ीम काम की ख़बर सुनी है ? 33 तूने आग
िकसी भी चीज़ की मूरत न बनाना। यह रब में से बोलती हुई अल्लाह की आवाज़ सुनी तो
का हुक्म है , 24 क्याें िक रब ते रा ख़ुदा भस्म कर भी जीता बचा! क्या िकसी और क़ौम के साथ
दे नेवाली आग है , वह ग़यूर ख़ुदा है । ऐसा हुआ है ? 34 क्या िकसी और माबूद ने कभी
25 तुम मुल्क में जाकर वहाँ रहोगे । तुम्हारे जुरर्त की है िक रब की तरह पूरी क़ौम को एक
बच्चे और पोते -नवासे उसमें पै दा हो जाएं गे। जब मुल्क से िनकालकर अपनी िमलिकयत बनाया
इस तरह बहुत वक़्त गुज़र जाएगा तो ख़तरा हो? उसने ऐसा ही तुम्हारे साथ िकया। उसने
है िक तुम ग़लत काम करके िकसी चीज़ की तुम्हारे दे खते दे खते िमसिरयाें को आज़माया,
मूरत बनाओ। ऐसा कभी न करना। यह रब उन्हें बड़े मोिजज़े िदखाए, उनके साथ जं ग की,
तुम्हारे ख़ुदा की नज़र में बुरा है और उसे ग़ुस्सा अपनी बड़ी क़ुदरत और इिख़्तयार का इज़हार
िदलाएगा। 26 आज आसमान और ज़मीन मे रे िकया और हौलनाक कामाें से उन पर ग़ािलब
गवाह हैं िक अगर तुम ऐसा करो तो जल्दी से आ गया।
उस मुल्क में से िमट जाओगे िजस पर तुम 35 तुझे यह सब कुछ िदखाया गया तािक तू

दिरयाए-यरदन को पार करके क़ब्ज़ा करोगे । जान ले िक रब ख़ुदा है । उसके िसवा कोई
तुम दे र तक वहाँ जीते नहीं रहोगे बिल्क पूरे और नहीं है । 36 उसने तुझे नसीहत दे ने के िलए
तौर पर हलाक हो जाओगे । 27 रब तुम्हें मुल्क आसमान से अपनी आवाज़ सुनाई। ज़मीन पर
से िनकालकर मुख़्तिलफ़ क़ौमाें में मुंतिशर कर उसने तुझे अपनी अज़ीम आग िदखाई िजसमें
दे गा, और वहाँ िसफ़र् थोड़े ही अफ़राद बचे रहें गे। से तूने उस की बातें सुनीं। 37 उसे ते रे बापदादा
28 वहाँ तुम इनसान के हाथाें से बने हुए लकड़ी से प्यार था, और उसने तुझे जो उनकी औलाद
और पत्थर के बुताें की िख़दमत करोगे , जो न हैं चुन िलया। इसिलए वह ख़ुद हािज़र होकर
दे ख सकते , न सुन सकते , न खा सकते और न अपनी अज़ीम क़ुदरत से तुझे िमसर से िनकाल
सूँघ सकते हैं । लाया। 38 उसने ते रे आगे से तुझसे ज़्यादा बड़ी
29 वहीं तू रब अपने ख़ुदा को तलाश करे गा, और ताक़तवर क़ौमें िनकाल दीं तािक तुझे
और अगर उसे पूरे िदलो-जान से ढूँ डे तो वह उनका मुल्क मीरास में िमल जाए। आज ऐसा
तुझे िमल भी जाएगा। 30 जब तू इस तकलीफ़ ही हो रहा है ।
में मुब्तला होगा और यह सारा कुछ तुझ पर 39 चुनाँ चे आज जान ले और ज़हन में रख

से गुज़रे गा िफर आिख़रकार रब अपने ख़ुदा की िक रब आसमान और ज़मीन का ख़ुदा है । कोई


तरफ़ रुजू करके उस की सुनेगा। 31 क्याें िक रब और माबूद नहीं है । 40 उसके अहकाम पर अमल
ते रा ख़ुदा रहीम ख़ुदा है । वह तुझे न तकर् करे गा कर जो मैं तुझे आज सुना रहा हूँ । िफर तू और
और न बरबाद करे गा। वह उस अहद को नहीं ते री औलाद कामयाब हाें गे, और तू दे र तक उस
भूलेगा जो उसने क़सम खाकर ते रे बापदादा से
बाँ धा था।
इिस्तसना 4:41 216
मुल्क में जीता रहे गा जो रब तुझे हमे शा के िलए दस अहकाम
दे रहा है ।

यरदन के मशिरक़ में पनाह के शहर


5 मूसा ने तमाम इसराईिलयाें को जमा
करके कहा,
ऐ इसराईल, ध्यान से वह िहदायात और
41 यह कहकर मूसा ने दिरयाए-यरदन के अहकाम सुन जो मैं तुम्हें आज पे श कर रहा
मशिरक़ में पनाह के तीन शहर चुन िलए। हूँ । उन्हें सीखो और बड़ी एहितयात से उन पर
42 उनमें वह शख़्स पनाह ले सकता था िजसने अमल करो। 2 रब हमारे ख़ुदा ने होिरब यानी
दुश्मनी की िबना पर नहीं बिल्क ग़ै रइरादी तौर सीना पहाड़ पर हमारे साथ अहद बाँ धा। 3 उसने
पर िकसी को जान से मार िदया था। ऐसे शहर यह अहद हमारे बापदादा के साथ नहीं बिल्क
में पनाह ले ने के सबब से उसे बदले में क़त्ल नहीं हमारे ही साथ बाँ धा है , जो आज इस जगह पर
िकया जा सकता था। 43 इसके िलए रूिबन के िंज़दा हैं । 4 रब पहाड़ पर आग में से रूबरू होकर
क़बीले के िलए मै दाने -मुरतफ़ा का शहर बसर, तुमसे हमकलाम हुआ। 5 उस वक़्त मैं तुम्हारे
जद के क़बीले के िलए िजिलयाद का शहर और रब के दरिमयान खड़ा हुआ तािक तुम्हें रब
रामात और मनस्सी के क़बीले के िलए बसन की बातें सुनाऊँ। क्याें िक तुम आग से डरते थे
का शहर जौलान चुना गया। और इसिलए पहाड़ पर न चढ़े । उस वक़्त रब ने
कहा,
शरीअत का पे शलफ़्ज़ 6 “मैं रब ते रा ख़ुदा हूँ जो तुझे मुल्के-िमसर
44 दजर्े -ज़ै लवह शरीअत है जो मूसा ने की ग़ुलामी से िनकाल लाया। 7 मे रे िसवा िकसी
इसराईिलयाें को पे श की। 45 मूसा ने यह और माबूद की परिस्तश न करना।
अहकाम और िहदायात उस वक़्त पे श कीं जब 8 अपने िलए बुत न बनाना। िकसी भी चीज़

वह िमसर से िनकल कर 46 दिरयाए-यरदन की मूरत न बनाना, चाहे वह आसमान में , ज़मीन


के मशिरक़ी िकनारे पर थे । बै त-फ़ग़ूर उनके पर या समुंदर में हो। 9 न बुताें की परिस्तश,
मुक़ािबल था, और वह अमोरी बादशाह सीहोन न उनकी िख़दमत करना, क्याें िक मैं ते रा रब
के मुल्क में ख़ै माज़न थे । सीहोन की िरहाइश ग़यूर ख़ुदा हूँ । जो मुझसे नफ़रत करते हैं उन्हें
हसबोन में थी और उसे इसराईिलयाें से िशकस्त मैं तीसरी और चौथी पुश्त तक सज़ा दूँ गा।
हुई थी जब वह मूसा की राहनुमाई में िमसर 10 ले िकन जो मुझसे मुहब्बत रखते और मे रे

से िनकल आए थे । 47 उसके मुल्क पर क़ब्ज़ा अहकाम पूरे करते हैं उन पर मैं हज़ार पुश्ताें
करके उन्हाें ने बसन के मुल्क पर भी फ़तह तक मे हरबानी करूँगा।
पाई थी िजसका बादशाह ओज था। इन दोनाें 11 रब अपने ख़ुदा का नाम बे मक़सद या ग़लत

अमोरी बादशाहाें का यह पूरा इलाक़ा उनके मक़सद के िलए इस्ते माल न करना। जो भी
हाथ में आ गया था। यह इलाक़ा दिरयाए- ऐसा करता है उसे रब सज़ा िदए बग़ै र नहीं
यरदन के मशिरक़ में था। 48 उस की जुनूबी छोड़े गा।
सरहद दिरयाए-अरनोन के िकनारे पर वाक़े 12 सबत के िदन का ख़याल रखना। उसे इस

शहर अरोईर थी जबिक उस की िशमाली सरहद तरह मनाना िक वह मख़सूसो-मुक़द्दस हो, उसी
िसरयून यानी हरमून पहाड़ थी। 49 दिरयाए- तरह िजस तरह रब ते रे ख़ुदा ने तुझे हुक्म िदया
यरदन का पूरा मशिरक़ी िकनारा िपसगा के है । 13 हफ़ते के पहले छः िदन अपना काम-काज
पहाड़ी िसलिसले के दामन में वाक़े बहीराए- कर, 14 ले िकन सातवाँ िदन रब ते रे ख़ुदा का
मुरदार तक उसमें शािमल था।
217 इिस्तसना 6:1
आराम का िदन है । उस िदन िकसी तरह का पर अपना जलाल और अज़मत ज़ािहर की है ।
काम न करना। न तू, न ते रा बे टा, न ते री बे टी, आज हमने आग में से उस की आवाज़ सुनी
न ते रा नौकर, न ते री नौकरानी, न ते रा बै ल, न है । हमने दे ख िलया है िक जब अल्लाह इनसान
ते रा गधा, न ते रा कोई और मवे शी। जो परदे सी से हमकलाम होता है तो ज़रूरी नहीं िक वह मर
ते रे दरिमयान रहता है वह भी काम न करे । ते रे जाए। 25 ले िकन अब हम क्याें अपनी जान ख़तरे
नौकर और ते री नौकरानी को ते री तरह आराम में डालें ? अगर हम मज़ीद रब अपने ख़ुदा की
का मौक़ा िमलना है । 15 याद रखना िक तू िमसर आवाज़ सुनें तो यह बड़ी आग हमें भस्म कर
में ग़ुलाम था और िक रब ते रा ख़ुदा ही तुझे बड़ी दे गी और हम अपनी जान से हाथ धो बै ठेंगे ।
क़ुदरत और इिख़्तयार से वहाँ से िनकाल लाया। 26 क्याें िक फ़ानी इनसानाें में से कौन हमारी

इसिलए उसने तुझे हुक्म िदया है िक सबत का तरह िंज़दा ख़ुदा को आग में से बातें करते हुए
िदन मनाना। सुनकर िंज़दा रहा है ? कोई भी नहीं! 27 आप
16 अपने बाप और अपनी माँ की इज़्ज़त ही क़रीब जाकर उन तमाम बाताें को सुनें जो रब
करना िजस तरह रब ते रे ख़ुदा ने तुझे हुक्म िदया हमारा ख़ुदा हमें बताना चाहता है । िफर लौटकर
है । िफर तू उस मुल्क में जो रब ते रा ख़ुदा तुझे हमें वह बातें सुनाएँ । हम उन्हें सुनेंगे और उन पर
दे नेवाला है ख़ुशहाल होगा और दे र तक जीता अमल करें गे ।”
रहे गा। 28 जब रब ने यह सुना तो उसने मुझसे कहा,

17 क़त्ल न करना। “मैं ने इन लोगाें की यह बातें सुन ली हैं । वह ठीक


18 िज़ना न करना। कहते हैं । 29 काश उनकी सोच हमे शा ऐसी ही
19 चोरी न करना। हो! काश वह हमे शा इसी तरह मे रा ख़ौफ़ मानें
20 अपने पड़ोसी के बारे में झूटी गवाही न और मे रे अहकाम पर अमल करें ! अगर वह
दे ना। ऐसा करें गे तो वह और उनकी औलाद हमे शा
21 अपने पड़ोसी की बीवी का लालच न कामयाब रहें गे। 30 जा, उन्हें बता दे िक अपने
करना। न उसके घर का, न उस की ज़मीन का, ख़ै माें में लौट जाओ। 31 ले िकन तू यहाँ मे रे पास
न उसके नौकर का, न उस की नौकरानी का, रह तािक मैं तुझे तमाम क़वानीन और अहकाम
न उसके बै ल और न उसके गधे का बिल्क उस दे दूँ । उनको लोगाें को िसखाना तािक वह उस
की िकसी भी चीज़ का लालच न करना।” मुल्क में उनके मुतािबक़ चलें जो मैं उन्हें दूँ गा।”
22 रब ने तुम सबको यह अहकाम िदए जब 32 चुनाँ चे एहितयात से उन अहकाम पर

तुम सीना पहाड़ के दामन में जमा थे । वहाँ अमल करो जो रब तुम्हारे ख़ुदा ने तुम्हें िदए हैं ।
तुमने आग, बादल और गहरे अं धेरे में से उस उनसे न दाइर्ं तरफ़ हटो न बाइर्ं तरफ़। 33 हमे शा
की ज़ोरदार आवाज़ सुनी। यही कुछ उसने कहा उस राह पर चलते रहो जो रब तुम्हारे ख़ुदा ने
और बस। िफर उसने उन्हें पत्थर की दो तिख़्तयाें तुम्हें बताई है । िफर तुम कामयाब होगे और उस
पर िलखकर मुझे दे िदया। मुल्क में दे र तक जीते रहोगे िजस पर तुम क़ब्ज़ा
करोगे ।
लोग रब से डरते हैं
23 जब तुमने तारीकी से यह आवाज़ सुनी सबसे बड़ा हुक्म
और पहाड़ की जलती हुई हालत दे खी तो
तुम्हारे क़बीलाें के राहनुमा और बुज़ुगर् मे रे पास 6
यह वह तमाम अहकाम हैं जो रब तुम्हारे
ख़ुदा ने मुझे तुम्हें िसखाने के िलए कहा।
आए। उन्हाें ने कहा, “रब हमारे ख़ुदा ने हम उस मुल्क में इन पर अमल करना िजसमें तुम
24
इिस्तसना 6:2 218
जाने वाले हो तािक उस पर क़ब्ज़ा करो। 2 उम्र- भी शािमल हैं । 15 वरना रब ते रे ख़ुदा का ग़ज़ब
भर तू, ते रे बच्चे और पोते -नवासे रब अपने ख़ुदा तुझ पर नािज़ल होकर तुझे मुल्क में से िमटा
का ख़ौफ़ मानें और उसके उन तमाम अहकाम डाले गा। क्याें िक वह ग़यूर ख़ुदा है और ते रे
पर चलें जो मैं तुझे दे रहा हूँ । तब तू दे र तक दरिमयान ही रहता है ।
जीता रहे गा। 3 ऐ इसराईल, यह मे री बातें सुन 16 रब अपने ख़ुदा को उस तरह न आज़माना

और बड़ी एहितयात से इन पर अमल कर! िफर िजस तरह तुमने मस्सा में िकया था। 17 ध्यान से
रब ते रे ख़ुदा का वादा पूरा हो जाएगा िक तू रब अपने ख़ुदा के अहकाम के मुतािबक़ चलो,
कामयाब रहे गा और ते री तादाद उस मुल्क में उन तमाम िहदायात और क़वानीन पर जो उसने
ख़ूब बढ़ती जाएगी िजसमें दूध और शहद की तुझे िदए हैं । 18 जो कुछ रब की नज़र में दुरुस्त
कसरत है । और अच्छा है वह कर। िफर तू कामयाब रहे गा,
4 सुन ऐ इसराईल! रब हमारा ख़ुदा एक तू जाकर उस अच्छे मुल्क पर क़ब्ज़ा करे गा
ही रब है । 5 रब अपने ख़ुदा से अपने पूरे िदल, िजसका वादा रब ने ते रे बापदादा से क़सम
अपनी पूरी जान और अपनी पूरी ताक़त से प्यार खाकर िकया था। 19 तब रब की बात पूरी हो
करना। 6 जो अहकाम मैं तुझे आज बता रहा जाएगी िक तू अपने दुश्मनाें को अपने आगे आगे
हूँ उन्हें अपने िदल पर नक़्श कर। 7 उन्हें अपने िनकाल दे गा।
बच्चाें के ज़हननशीन करा। यही बातें हर वक़्त 20 आने वाले िदनाें में ते रे बच्चे पूछेंगे , “रब

और हर जगह ते रे लबाें पर हाें ख़ाह तू घर में हमारे ख़ुदा ने आपको इन तमाम अहकाम पर
बै ठा या रास्ते पर चलता हो, ले टा हो या खड़ा अमल करने को क्याें कहा?” 21 िफर उन्हें
हो। 8 उन्हें िनशान के तौर पर और यादिदहानी जवाब दे ना, “हम िमसर के बादशाह िफ़रौन
के िलए अपने बाज़ुआें और माथे पर लगा। के ग़ुलाम थे , ले िकन रब हमें बड़ी क़ुदरत का
9 उन्हें अपने घराें की चौखटाें और अपने शहराें इज़हार करके िमसर से िनकाल लाया। 22 हमारे
के दरवाज़ाें पर िलख। दे खते दे खते उसने बड़े बड़े िनशान और मोिजज़े
10 रब ते रे ख़ुदा का वादा पूरा होगा जो उसने िकए और िमसर, िफ़रौन और उसके पूरे घराने
क़सम खाकर ते रे बापदादा इब्राहीम, इसहाक़ पर हौलनाक मुसीबतें भे जीं। 23 उस वक़्त वह
और याक़ूब के साथ िकया िक मैं तुझे कनान हमें वहाँ से िनकाल लाया तािक हमें ले कर
में ले जाऊँगा। जो बड़े और शानदार शहर उसमें वह मुल्क दे िजसका वादा उसने क़सम खाकर
हैं वह तूने ख़ुद नहीं बनाए। 11 जो मकान उसमें हमारे बापदादा के साथ िकया था। 24 रब हमारे
हैं वह ऐसी अच्छी चीज़ाें से भरे हुए हैं जो तूने ख़ुदा ही ने हमें कहा िक इन तमाम अहकाम के
उनमें नहीं रखीं। जो कुएँ उसमें हैं उनको तूने मुतािबक़ चलो और रब अपने ख़ुदा का ख़ौफ़
नहीं खोदा। जो अं गूर और ज़ै तून के बाग़ उसमें मानो। क्याें िक अगर हम ऐसा करें तो िफर हम
हैं उन्हें तूने नहीं लगाया। यह हक़ीक़त याद रख। हमे शा कामयाब और िंज़दा रहें गे। और आज
जब तू उस मुल्क में कसरत का खाना खाकर तक ऐसा ही रहा है । 25 अगर हम रब अपने ख़ुदा
से र हो जाएगा 12 तो ख़बरदार! रब को न भूलना के हुज़ूर रहकर एहितयात से उन तमाम बाताें
जो तुझे िमसर की ग़ुलामी से िनकाल लाया। पर अमल करें गे जो उसने हमें करने को कही हैं
13 रब अपने ख़ुदा का ख़ौफ़ मानना। िसफ़र् तो वह हमें रास्तबाज़ क़रार दे गा।”
उसी की इबादत करना और उसी का नाम
ले कर क़सम खाना। 14 दीगर माबूदाें की पै रवी न
करना। इसमें तमाम पड़ोसी अक़वाम के दे वता
219 इिस्तसना 7:19
दूसरी कनानी क़ौमाें को िनकालना है अहकाम पर अमल करते हैं उनके साथ वह

7 रब ते रा ख़ुदा तुझे उस मुल्क में ले


जाएगा िजस पर तू जाकर क़ब्ज़ा
करे गा। वह ते रे सामने से बहुत-सी क़ौमें भगा
अपना अहद क़ायम रखे गा और उन पर हज़ार
पुश्ताें तक मे हरबानी करे गा। 10 ले िकन उससे
नफ़रत करने वालाें को वह उनके रूबरू मुनािसब
दे गा। गो यह सात क़ौमें यानी िहत्ती, िजरजासी, सज़ा दे कर बरबाद करे गा। हाँ , जो उससे नफ़रत
अमोरी, कनानी, फ़िरज़्ज़ी, िहव्वी और यबूसी करते हैं , उनके रूबरू वह मुनािसब सज़ा दे गा
तादाद और ताक़त के िलहाज़ से तुझसे बड़ी और िझजकेगा नहीं।
हाें गी 2 तो भी रब ते रा ख़ुदा उन्हें ते रे हवाले 11 चुनाँ चे ध्यान से उन तमाम अहकाम पर

करे गा। जब तू उन्हें िशकस्त दे गा तो उन सबको अमल कर जो मैं आज तुझे दे रहा हूँ तािक तू
उसके िलए मख़सूस करके हलाक कर दे ना है । उनके मुतािबक़ िंज़दगी गुज़ारे । 12 अगर तू उन
न उनके साथ अहद बाँ धना और न उन पर रहम पर तवज्जुह दे और एहितयात से उन पर चले
करना। 3 उनमें से िकसी से शादी न करना। न तो िफर रब ते रा ख़ुदा ते रे साथ अपना अहद
अपनी बे िटयाें का िरश्ता उनके बे टाें को दे ना, न क़ायम रखे गा और तुझ पर मे हरबानी करे गा,
अपने बे टाें का िरश्ता उनकी बे िटयाें से करना। िबलकुल उस वादे के मुतािबक़ जो उसने क़सम
4 वरना वह तुम्हारे बच्चाें को मे री पै रवी से दूर खाकर ते रे बापदादा से िकया था। 13 वह तुझे
करें गे और वह मे री नहीं बिल्क उनके दे वताआें प्यार करे गा और तुझे उस मुल्क में बरकत
की िख़दमत करें गे । तब रब का ग़ज़ब तुम पर दे गा जो तुझे दे ने का वादा उसने क़सम खाकर
नािज़ल होकर जल्दी से तुम्हें हलाक कर दे गा। ते रे बापदादा से िकया था। तुझे बहुत औलाद
5 इसिलए उनकी क़ुरबानगाहें ढा दे ना। िजन बख़्शने के अलावा वह ते रे खे ताें को बरकत दे गा,
पत्थराें की वह पूजा करते हैं उन्हें चकनाचूर कर और तुझे कसरत का अनाज, अं गूर और ज़ै तून
दे ना, उनके यसीरत दे वी के खं बे काट डालना हािसल होगा। वह ते रे रे वड़ाें को भी बरकत
और उनके बुत जला दे ना। दे गा, और ते रे गाय-बै लाें और भे ड़-बकिरयाें
6 क्याें िक तू रब अपने ख़ुदा के िलए मख़सूसो- की तादाद बढ़ती जाएगी। 14 तुझे दीगर तमाम
मुक़द्दस है । उसने दुिनया की तमाम क़ौमाें में से क़ौमाें की िनसबत कहीं ज़्यादा बरकत िमले गी।
तुझे चुनकर अपनी क़ौम और ख़ास िमलिकयत न तुझमें और न ते रे मवे िशयाें में बाँ झपन पाया
बनाया। 7 रब ने क्याें तुम्हारे साथ ताल्लुक़ जाएगा। 15 रब हर बीमारी को तुझसे दूर रखे गा।
क़ायम िकया और तुम्हें चुन िलया? क्या इस वह तुझमें वह ख़तरनाक वबाएँ फैलने नहीं दे गा
वजह से िक तुम तादाद में दीगर क़ौमाें की िजनसे तू िमसर में वािक़फ़ हुआ बिल्क उन्हें
िनसबत ज़्यादा थे ? हरिगज़ नहीं! तुम तो उनमें फैलाएगा जो तुझसे नफ़रत रखते हैं ।
बहुत कम थे । 8 बिल्क वजह यह थी िक रब ने 16 जो भी क़ौमें रब ते रा ख़ुदा ते रे हाथ में कर

तुम्हें प्यार िकया और वह वादा पूरा िकया जो दे गा उन्हें तबाह करना लािज़म है । उन पर रहम
उसने क़सम खाकर तुम्हारे बापदादा के साथ की िनगाह से न दे खना, न उनके दे वताआें की
िकया था। इसी िलए वह िफ़द्या दे कर तुम्हें बड़ी िख़दमत करना, वरना तू फँस जाएगा।
क़ुदरत से िमसर की ग़ुलामी और उस मुल्क के 17 गो ते रा िदल कहे , “यह क़ौमें हमसे

बादशाह के हाथ से बचा लाया। 9 चुनाँ चे जान ले ताक़तवर हैं । हम िकस तरह इन्हें िनकाल सकते
िक िसफ़र् रब ते रा ख़ुदा ही ख़ुदा है । वह वफ़ादार हैं ?” 18 तो भी उनसे न डर। वही कुछ ज़हन में
ख़ुदा है । जो उससे मुहब्बत रखते और उसके रख जो रब ते रे ख़ुदा ने िफ़रौन और पूरे िमसर के
साथ िकया। 19 क्याें िक तूने अपनी आँखाें से रब
इिस्तसना 7:20 220
अपने ख़ुदा की वह बड़ी आज़माने वाली मुसीबतें िजसका वादा रब ने तुम्हारे बापदादा से क़सम
और मोिजज़े , उसका वह अज़ीम इिख़्तयार और खाकर िकया था।
क़ुदरत दे खी िजससे वह तुझे वहाँ से िनकाल 2 वह पूरा वक़्त याद रख जब रब ते रा ख़ुदा

लाया। वही कुछ रब ते रा ख़ुदा उन क़ौमाें के रे िगस्तान में 40 साल तक ते री राहनुमाई करता
साथ भी करे गा िजनसे तू इस वक़्त डरता रहा तािक तुझे आिजज़ करके आज़माए और
है । 20 न िसफ़र् यह बिल्क रब ते रा ख़ुदा उनके मालूम करे िक क्या तू उसके अहकाम पर
दरिमयान ज़ं बूर भी भे जेगा तािक वह भी तबाह चले गा िक नहीं। 3 उसने तुझे आिजज़ करके
हो जाएँ जो पहले हमलाें से बचकर छु प गए हैं । भूके होने िदया, िफर तुझे मन िखलाया िजससे
21 उनसे दहशत न खा, क्याें िक रब ते रा ख़ुदा ते रे न तू और न ते रे बापदादा वािक़फ़ थे । क्याें िक
दरिमयान है । वह अज़ीम ख़ुदा है िजससे सब वह तुझे िसखाना चाहता था िक इनसान की
ख़ौफ़ खाते हैं । 22 वह रफ़्ता रफ़्ता उन क़ौमाें िंज़दगी िसफ़र् रोटी पर मुनहिसर नहीं होती
को ते रे आगे से भगा दे गा। तू उन्हें एकदम ख़त्म बिल्क हर उस बात पर जो रब के मुँह से
नहीं कर सकेगा, वरना जं गली जानवर ते ज़ी से िनकलती है ।
बढ़कर तुझे नुक़सान पहुचाएँ गे। 4 इन 40 सालाें के दौरान ते रे कपड़े न िघसे

न फटे , न ते रे पाँ व सूजे। 5 चुनाँ चे िदल में जान


23 रब ते रा ख़ुदा उन्हें ते रे हवाले कर दे गा। वह

उनमें इतनी सख़्त अफ़रा-तफ़री पै दा करे गा िक ले िक िजस तरह बाप अपने बे टे की तरिबयत
वह बरबाद हो जाएं गे। 24 वह उनके बादशाहाें करता है उसी तरह रब हमारा ख़ुदा हमारी
को भी ते रे क़ाबू में कर दे गा, और तू उनका तरिबयत करता है ।
नामो-िनशान िमटा दे गा। कोई भी ते रा सामना 6 रब अपने ख़ुदा के अहकाम पर अमल करके

नहीं कर सकेगा बिल्क तू उन सबको बरबाद उस की राहाें पर चल और उसका ख़ौफ़ मान।


कर दे गा। 7 क्याें िक वह तुझे एक बे हतरीन मुल्क में ले

25 उनके दे वताआें के मुजस्समे जला दे ना। जा रहा है िजसमें नहरें और ऐसे चश्मे हैं
जो चाँ दी और सोना उन पर चढ़ाया हुआ है जो पहािड़याें और वािदयाें की ज़मीन से फूट
उसका लालच न करना। उसे न ले ना वरना तू िनकलते हैं । 8 उस की पै दावार अनाज, जौ,
फँस जाएगा। क्याें िक इन चीज़ाें से रब ते रे ख़ुदा अं गूर, अं जीर, अनार, ज़ै तून और शहद है ।
को िघन आती है । 26 इस तरह की मकरूह चीज़ 9 उसमें रोटी की कमी नहीं होगी, और तू िकसी

अपने घर में न लाना, वरना तुझे भी उसके साथ चीज़ से महरूम नहीं रहे गा। उसके पत्थराें में
अलग करके बरबाद िकया जाएगा। ते रे िदल में लोहा पाया जाता है , और खुदाई से तू उस की
उससे शदीद नफ़रत और िघन हो, क्याें िक उसे पहािड़याें से ताँ बा हािसल कर सकेगा।
पूरे तौर पर बरबाद करने के िलए मख़सूस िकया 10 जब तू कसरत का खाना खाकर से र हो

गया है । जाएगा तो िफर रब अपने ख़ुदा की तमजीद


करना िजसने तुझे यह शानदार मुल्क िदया है ।
रब को न भूलना 11 ख़बरदार, रब अपने ख़ुदा को न भूल और

8 एहितयात से उन तमाम अहकाम पर उसके उन अहकाम पर अमल करने से गुरेज़


अमल करो जो मैं आज तुझे दे रहा हूँ । न कर जो मैं आज तुझे दे रहा हूँ । 12 क्याें िक
क्याें िक ऐसा करने से तुम जीते रहोगे , तादाद में जब तू कसरत का खाना खाकर से र हो जाएगा,
बढ़ोगे और जाकर उस मुल्क पर क़ब्ज़ा करोगे तू शानदार घर बनाकर उनमें रहे गा 13 और ते रे
रे वड़, सोने -चाँ दी और बाक़ी तमाम माल में
221 इिस्तसना 9:12
इज़ाफ़ा होगा 14 तो कहीं तू मग़रूर होकर रब ते रे आगे आगे चलते हुए उन्हें भस्म कर दे नेवाली
अपने ख़ुदा को भूल न जाए जो तुझे िमसर आग की तरह हलाक करे गा। वह ते रे आगे आगे
की ग़ुलामी से िनकाल लाया। 15 जब तू उस उन पर क़ाबू पाएगा, और तू उन्हें िनकालकर
वसी और हौलनाक रे िगस्तान में सफ़र कर जल्दी िमटा दे गा, िजस तरह रब ने वादा िकया
रहा था िजसमें ज़हरीले साँ प और िबच्छू थे तो है ।
वही ते री राहनुमाई करता रहा। पानी से महरूम 4 जब रब ते रा ख़ुदा उन्हें ते रे सामने से िनकाल

उस इलाक़े में वही सख़्त पत्थर में से पानी दे गा तो तू यह न कहना, “मैं रास्तबाज़ हूँ ,
िनकाल लाया। 16 रे िगस्तान में वही तुझे मन इसी िलए रब मुझे लायक़ समझकर यहाँ लाया
िखलाता रहा, िजससे ते रे बापदादा वािक़फ़ न और यह मुल्क मीरास में दे िदया है ।” यह
थे । इन मुिश्कलात से वह तुझे आिजज़ करके बात हरिगज़ दुरुस्त नहीं है । रब उन क़ौमाें को
आज़माता रहा तािक आिख़रकार तू कामयाब उनकी ग़लत हरकताें की वजह से ते रे सामने
हो जाए। से िनकाल दे गा। 5 तू अपनी रास्तबाज़ी और
17 जब तुझे कामयाबी हािसल होगी तो यह िदयानतदारी की िबना पर उस मुल्क पर क़ब्ज़ा
न कहना िक मैं ने अपनी ही क़ुव्वत और ताक़त नहीं करे गा बिल्क रब उन्हें उनकी शरीर हरकताें
से यह सब कुछ हािसल िकया है । 18 बिल्क रब के बाइस ते रे सामने से िनकाल दे गा। दूसरे , जो
अपने ख़ुदा को याद करना िजसने तुझे दौलत वादा उसने ते रे बापदादा इब्राहीम, इसहाक़ और
हािसल करने की क़ािबिलयत दी है । क्याें िक याक़ूब के साथ क़सम खाकर िकया था उसे पूरा
वह आज भी उसी अहद पर क़ायम है जो उसने होना है ।
ते रे बापदादा से िकया था। 6 चुनाँ चे जान ले िक रब ते रा ख़ुदा तुझे ते री

19 रब अपने ख़ुदा को न भूलना, और न दीगर रास्ती के बाइस यह अच्छा मुल्क नहीं दे रहा।
माबूदाें के पीछे पड़कर उन्हें िसजदा और उनकी हक़ीक़त तो यह है िक तू हटधमर् क़ौम है ।
िख़दमत करना। वरना मैं ख़ुद गवाह हूँ िक तुम
यक़ीनन हलाक हो जाओगे । 20 अगर तुम रब सोने का बछड़ा
अपने ख़ुदा की इताअत नहीं करोगे तो िफर 7 याद रख और कभी न भूल िक तूने रे िगस्तान

वह तुम्हें उन क़ौमाें की तरह तबाह कर दे गा जो में रब अपने ख़ुदा को िकस तरह नाराज़ िकया।
तुमसे पहले इस मुल्क में रहती थीं। िमसर से िनकलते वक़्त से ले कर यहाँ पहुँ चने
तक तुम रब से सरकश रहे हो। 8 ख़ासकर होिरब
मुल्क िमलने का सबब इसराईल यानी सीना के दामन में तुमने रब को इतना
की रास्ती नहीं है ग़ुस्सा िदलाया िक वह तुम्हें हलाक करने को

9 सुन ऐ इसराईल! आज तू दिरयाए-


यरदन को पार करने वाला है । दूसरी
तरफ़ तू ऐसी क़ौमाें को भगा दे गा जो तुझसे बड़ी
था। 9 उस वक़्त मैं पहाड़ पर चढ़ गया था तािक
पत्थर की तिख़्तयाँ यानी उस अहद की तिख़्तयाँ
िमल जाएँ जो रब ने तुम्हारे साथ बाँ धा था। कुछ
और ताक़तवर हैं और िजनके शानदार शहराें खाए-िपए बग़ै र मैं 40 िदन और रात वहाँ रहा।
की फ़सीलें आसमान से बातें करती हैं । 2 वहाँ 10-11 जो कुछ रब ने आग में से कहा था जब

अनाक़ी बसते हैं जो ताक़तवर और दराज़क़द तुम पहाड़ के दामन में जमा थे वही कुछ उसने
हैं । तू ख़ुद जानता है िक उनके बारे में कहा जाता अपनी उँ गली से दोनाें तिख़्तयाें पर िलखकर
है , “कौन अनािक़याें का सामना कर सकता मुझे िदया। 12 उसने मुझसे कहा, “फ़ौरन यहाँ
है ?” 3 ले िकन आज जान ले िक रब ते रा ख़ुदा से उतर जा। ते री क़ौम िजसे तू िमसर से िनकाल
इिस्तसना 9:13 222
लाया िबगड़ गई है । वह िकतनी जल्दी से मे रे की िख़लाफ़वरज़ी की। तुमने उस पर एतमाद
अहकाम से हट गए हैं । उन्हाें ने अपने िलए बुत न िकया, न उस की सुनी। 24 जब से मैं तुम्हें
ढाल िलया है । 13 मैं ने जान िलया है िक यह क़ौम जानता हूँ तुम्हारा रब के साथ रवै या बािग़याना
िकतनी िज़द्दी है । 14 अब मुझे छोड़ दे तािक मैं ही रहा है ।
उन्हें तबाह करके उनका नामो-िनशान दुिनया में 25 मैं 40 िदन और रात रब के सामने ज़मीन

से िमटा डालूँ। उनकी जगह मैं तुझसे एक क़ौम पर मुँह के बल रहा, क्याें िक रब ने कहा था
बना लूँगा जो उनसे बड़ी और ताक़तवर होगी।” िक वह तुम्हें हलाक कर दे गा। 26 मैं ने उससे
15 मैं मुड़कर पहाड़ से उतरा जो अब तक िमन्नत करके कहा, “ऐ रब क़ािदरे -मुतलक़,
भड़क रहा था। मे रे हाथाें में अहद की दोनाें अपनी क़ौम को तबाह न कर। वह तो ते री
तिख़्तयाँ थीं। 16 तुम्हें दे खते ही मुझे मालूम हुआ ही िमलिकयत है िजसे तूने िफ़द्या दे कर अपनी
िक तुमने रब अपने ख़ुदा का गुनाह िकया है । अज़ीम क़ुदरत से बचाया और बड़े इिख़्तयार के
तुमने अपने िलए बछड़े का बुत ढाल िलया था। साथ िमसर से िनकाल लाया। 27 अपने ख़ािदमाें
तुम िकतनी जल्दी से रब की मुक़रर् रा राह से हट इब्राहीम, इसहाक़ और याक़ूब को याद कर,
गए थे । और इस क़ौम की िज़द, शरीर हरकताें और
17 तब मैं ने तुम्हारे दे खते दे खते दोनाें तिख़्तयाें गुनाह पर तवज्जुह न दे । 28 वरना िमसरी कहें गे,
को ज़मीन पर पटख़कर टु कड़े टु कड़े कर िदया। ‘रब उन्हें उस मुल्क में लाने के क़ािबल नहीं था
18 एक और बार मैं रब के सामने मुँह के बल िजसका वादा उसने िकया था, बिल्क वह उनसे
िगरा। मैं ने न कुछ खाया, न कुछ िपया। 40 नफ़रत करता था। हाँ , वह उन्हें हलाक करने
िदन और रात मैं तुम्हारे तमाम गुनाहाें के बाइस के िलए रे िगस्तान में ले आया।’ 29 वह तो ते री
इसी हालत में रहा। क्याें िक जो कुछ तुमने िकया क़ौम हैं , ते री िमलिकयत िजसे तू अपनी अज़ीम
था वह रब को िनहायत बुरा लगा, इसिलए क़ुदरत और इिख़्तयार से िमसर से िनकाल
वह ग़ज़बनाक हो गया था। 19 वह तुमसे इतना लाया।”
नाराज़ था िक मैं बहुत डर गया। याें लग रहा था
िक वह तुम्हें हलाक कर दे गा। ले िकन इस बार मूसा को नई तिख़्तयाँ िमलती हैं
भी उसने मे री सुन ली। 20 मैं ने हारून के िलए भी
दुआ की, क्याें िक रब उससे भी िनहायत नाराज़
था और उसे हलाक कर दे ना चाहता था।
10 उस वक़्त रब ने मुझसे कहा,
“पत्थर की दो और तिख़्तयाँ
तराशना जो पहली तिख़्तयाें की मािंनद हाें । उन्हें
21 जो बछड़ा तुमने गुनाह करके बनाया था ले कर मे रे पास पहाड़ पर चढ़ आ। लकड़ी का
उसे मैं ने जला िदया, िफर जो कुछ बाक़ी रह सं दूक़ भी बनाना। 2 िफर मैं इन तिख़्तयाें पर
गया उसे कुचल िदया और पीस पीसकर पाउडर दुबारा वही बातें िलखूँगा जो मैं उन तिख़्तयाें पर
बना िदया। यह पाउडर मैं ने उस चश्मे में फेंक िलख चुका था जो तूने तोड़ डालीं। तुम्हें उन्हें
िदया जो पहाड़ पर से बह रहा था। सं दूक़ में महफ़ूज़ रखना है ।”
22 तुमने रब को तबे रा, मस्सा और क़ब्रोत- 3 मैं ने कीकर की लकड़ी का सं दूक़ बन-

हत्तावा में भी ग़ुस्सा िदलाया। 23 क़ािदस- वाया और दो तिख़्तयाँ तराशीं जो पहली


बरनीअ में भी ऐसा ही हुआ। वहाँ से रब ने तिख़्तयाें की मािंनद थीं। िफर मैं दोनाें तिख़्तयाँ
तुम्हें भे जकर कहा था, “जाओ, उस मुल्क पर ले कर पहाड़ पर चढ़ गया। 4 रब ने उन तिख़्तयाें
क़ब्ज़ा करो जो मैं ने तुम्हें दे िदया है ।” ले िकन पर दुबारा वह दस अहकाम िलख िदए जो
तुमने सरकश होकर रब अपने ख़ुदा के हुक्म वह पहली तिख़्तयाें पर िलख चुका था। (उन्हीं
223 इिस्तसना 11:3
अहकाम का एलान उसने पहाड़ पर आग में अहकाम पर अमल करे । आज मैं उन्हें तुझे ते री
से िकया था जब तुम उसके दामन में जमा बे हतरी के िलए दे रहा हूँ ।
थे ।) िफर उसने यह तिख़्तयाँ मे रे सुपुदर् कीं। 5 मैं 14 पूरा आसमान, ज़मीन और जो कुछ उस

लौटकर उतरा और तिख़्तयाें को उस सं दूक़ में पर है , सबका मािलक रब ते रा ख़ुदा है । 15 तो भी


रखा जो मैं ने बनाया था। वहाँ वह अब तक हैं । उसने ते रे बापदादा पर ही अपनी ख़ास शफ़क़त
सब कुछ वै सा ही हुआ जै सा रब ने हुक्म िदया का इज़हार करके उनसे मुहब्बत की। और उसने
था। तुम्हें चुनकर दूसरी तमाम क़ौमाें पर तरजीह दी
जै सा िक आज ज़ािहर है । 16 ख़तना उस की
इमामाें और लािवयाें की िख़दमत क़ौम का िनशान है , ले िकन ध्यान रखो िक वह
6 (इसके बाद इसराईली बनी-याक़ान के न िसफ़र् ज़ािहरी बिल्क बाितनी भी हो। आइं दा
कुआें से रवाना होकर मौसीरा पहुँ चे। वहाँ हारून अड़ न जाओ।
फ़ौत हुआ। उसे दफ़न करने के बाद उसका बे टा 17 क्याें िक रब तुम्हारा ख़ुदा ख़ुदाआें का

इिलयज़र उस की जगह इमाम बना। 7 िफर वह ख़ुदा और रब्बाें का रब है । वह अज़ीम और


आगे सफ़र करते करते जुदजूदा, िफर युतबाता ज़ोरावर ख़ुदा है िजससे सब ख़ौफ़ खाते हैं । वह
पहुँ चे जहाँ नहरें हैं । जािनबदारी नहीं करता और िरश्वत नहीं ले ता।
8 उन िदनाें में रब ने लावी के क़बीले को अलग 18 वह यतीमाें और बे वाआें का इनसाफ़ करता

करके उसे रब के अहद के सं दूक़ को उठाकर ले है । वह परदे सी से प्यार करता और उसे ख़ुराक
जाने , रब के हुज़ूर िख़दमत करने और उसके और पोशाक मुहैया करता है । 19 तुम भी उनके
नाम से बरकत दे ने की िज़म्मे दारी दी। आज साथ मुहब्बत से पे श आओ, क्याें िक तुम भी
तक यह उनकी िज़म्मे दारी रही है । 9 इस वजह से िमसर में परदे सी थे ।
लािवयाें को दीगर क़बीलाें की तरह न िहस्सा न 20 रब अपने ख़ुदा का ख़ौफ़ मान और उस

मीरास िमली। रब ते रा ख़ुदा ख़ुद उनकी मीरास की िख़दमत कर। उससे िलपटा रह और उसी
है । उसने ख़ुद उन्हें यह फ़रमाया है ।) के नाम की क़सम खा। 21 वही ते रा फ़ख़र है ।
10 जब मैं ने दूसरी मरतबा 40 िदन और रात वह ते रा ख़ुदा है िजसने वह तमाम अज़ीम और
पहाड़ पर गुज़ारे तो रब ने इस दफ़ा भी मे री सुनी डरावने काम िकए जो तूने ख़ुद दे खे। 22 जब
और तुझे हलाक न करने पर आमादा हुआ। ते रे बापदादा िमसर गए थे तो 70 अफ़राद थे ।
11 उसने कहा, “जा, क़ौम की राहनुमाई कर और अब रब ते रे ख़ुदा ने तुझे िसताराें की मािंनद
तािक वह जाकर उस मुल्क पर क़ब्ज़ा करें बे शुमार बना िदया है ।
िजसका वादा मैं ने क़सम खाकर उनके बापदादा
से िकया था।” रब से मुहब्बत रख और उस की सुन

12 ऐ
रब का ख़ौफ़
इसराईल, अब मे री बात सुन! रब ते रा
11 रब अपने ख़ुदा से प्यार कर और
हमे शा उसके अहकाम के मुतािबक़
िंज़दगी गुज़ार। 2 आज जान लो िक तुम्हारे
ख़ुदा तुझसे क्या तक़ाज़ा करता है ? िसफ़र् यह बच्चाें ने नहीं बिल्क तुम्हीं ने रब अपने ख़ुदा
िक तू उसका ख़ौफ़ माने , उस की तमाम राहाें से तरिबयत पाई। तुमने उस की अज़मत, बड़े
पर चले , उसे प्यार करे , अपने पूरे िदलो-जान इिख़्तयार और क़ुदरत को दे खा, 3 और तुम
से उस की िख़दमत करे 13 और उसके तमाम उन मोिजज़ाें के गवाह हो जो उसने िमसर के
बादशाह िफ़रौन और उसके पूरे मुल्क के सामने
इिस्तसना 11:4 224
िकए। 4 तुमने दे खा िक रब ने िकस तरह िमसरी ज़ै तून की फ़सलें पकेंगी, और तू उन्हें जमा कर
फ़ौज को उसके घोड़ाें और रथाें समे त बहरे - ले गा। 15 नीज़, अल्लाह ते री चरागाहाें में ते रे
क़ुलज़ुम में ग़रक़ कर िदया जब वह तुम्हारा रे वड़ाें के िलए घास मुहैया करे गा, और तू खाकर
ताक़्क़ुब कर रहे थे । उसने उन्हें याें तबाह िकया से र हो जाएगा।
िक वह आज तक बहाल नहीं हुए। 16 ले िकन ख़बरदार, कहीं तुम्हें वरग़लाया न

5 तुम्हारे बच्चे नहीं बिल्क तुम ही गवाह हो जाए। ऐसा न हो िक तुम रब की राह से हट
िक यहाँ पहुँ चने से पहले रब ने रे िगस्तान जाओ और दीगर माबूदाें को िसजदा करके
में तुम्हारी िकस तरह दे ख-भाल की। 6 तुमने उनकी िख़दमत करो। 17 वरना रब का ग़ज़ब
उसका इिलयाब के बे टाें दातन और अबीराम तुम पर आन पड़े गा, और वह मुल्क में बािरश
के साथ सुलूक दे खा जो रूिबन के क़बीले के होने नहीं दे गा। तुम्हारी फ़सलें नहीं पकेंगी, और
थे । उस िदन ज़मीन ने ख़ै मागाह के अं दर मुँह तुम्हें जल्द ही उस अच्छे मुल्क में से िमटा िदया
खोलकर उन्हें उनके घरानाें , डे राें और तमाम जाएगा जो रब तुम्हें दे रहा है ।
जानदाराें समे त हड़प कर िलया। 18 चुनाँ चे मे री यह बातें अपने िदलाें पर

7 तुमने अपनी ही आँखाें से रब के यह नक़्श कर लो। उन्हें िनशान के तौर पर और


तमाम अज़ीम काम दे खे हैं । 8 चुनाँ चे उन तमाम यादिदहानी के िलए अपने हाथाें और माथाें पर
अहकाम पर अमल करते रहो जो मैं आज तुम्हें लगाओ। 19 उन्हें अपने बच्चाें को िसखाओ। हर
दे रहा हूँ तािक तुम्हें वह ताक़त हािसल हो जगह और हमे शा उनके बारे में बात करो, ख़ाह
जो दरकार होगी जब तुम दिरयाए-यरदन को तू घर में बै ठा या रास्ते पर चलता हो, ले टा हो
पार करके मुल्क पर क़ब्ज़ा करोगे । 9 अगर तुम या खड़ा हो। 20 उन्हें अपने घराें की चौखटाें और
फ़रमाँ बरदार रहो तो दे र तक उस मुल्क में जीते अपने शहराें के दरवाज़ाें पर िलख 21 तािक जब
रहोगे िजसका वादा रब ने क़सम खाकर तुम्हारे तक ज़मीन पर आसमान क़ायम है तुम और
बापदादा से िकया था और िजसमें दूध और तुम्हारी औलाद उस मुल्क में जीते रहें िजसका
शहद की कसरत है । वादा रब ने क़सम खाकर तुम्हारे बापदादा से
10 क्याें िक यह मुल्क िमसर की मािंनद नहीं िकया था।
है जहाँ से तुम िनकल आए हो। वहाँ के खे ताें 22 एहितयात से उन अहकाम की पै रवी करो

में तुझे बीज बोकर बड़ी मे हनत से उस की जो मैं तुम्हें दे रहा हूँ । रब अपने ख़ुदा से प्यार
आबपाशी करनी पड़ती थी 11 जबिक िजस करो, उसके तमाम अहकाम पर अमल करो
मुल्क पर तुम क़ब्ज़ा करोगे उसमें पहाड़ और और उसके साथ िलपटे रहो। 23 िफर वह तुम्हारे
वािदयाँ हैं िजन्हें िसफ़र् बािरश का पानी से राब आगे आगे यह तमाम क़ौमें िनकाल दे गा और
करता है । 12 रब ते रा ख़ुदा ख़ुद उस मुल्क का तुम ऐसी क़ौमाें की ज़मीनाें पर क़ब्ज़ा करोगे
ख़याल रखता है । रब ते रे ख़ुदा की आँखें साल जो तुमसे बड़ी और ताक़तवर हैं । 24 तुम जहाँ
के पहले िदन से ले कर आिख़र तक मुतवाितर भी क़दम रखोगे वह तुम्हारा ही होगा, जुनूबी
उस पर लगी रहती हैं । रे िगस्तान से ले कर लुबनान तक, दिरयाए-
13 चुनाँ चे उन अहकाम के ताबे रहो जो मैं फ़ुरात से बहीराए-रूम तक। 25 कोई भी तुम्हारा
आज तुम्हें दे रहा हूँ । रब अपने ख़ुदा से प्यार करो सामना नहीं कर सकेगा। तुम उस मुल्क में जहाँ
और अपने पूरे िदलो-जान से उस की िख़दमत भी जाओगे वहाँ रब तुम्हारा ख़ुदा अपने वादे
करो। 14 िफर वह ख़रीफ़ और बहार की सालाना के मुतािबक़ तुम्हारी दहशत और ख़ौफ़ पै दा
बािरश वक़्त पर भे जेगा। अनाज, अं गूर और कर दे गा। 26 आज तुम ख़ुद फ़ैसला करो। क्या
225 इिस्तसना 12:14
तुम रब की बरकत या उस की लानत पाना मुजस्समे काट डालना। ग़रज़ इन जगहाें से
चाहते हो? 27 अगर तुम रब अपने ख़ुदा के उन उनका नामो-िनशान िमट जाए।
अहकाम पर अमल करो जो मैं आज तुम्हें दे रहा 4 रब अपने ख़ुदा की परिस्तश करने के िलए

हूँ तो वह तुम्हें बरकत दे गा। 28 ले िकन अगर तुम उनके तरीक़े न अपनाना। 5 रब तुम्हारा ख़ुदा
उनके ताबे न रहो बिल्क मे री पे शकरदा राह से क़बीलाें में से अपने नाम की सुकूनत के िलए
हटकर दीगर माबूदाें की पै रवी करो तो वह तुम एक जगह चुन ले गा। इबादत के िलए वहाँ
पर लानत भे जेगा। जाया करो, 6 और वहाँ अपनी तमाम क़ुरबािनयाँ
29 जब रब ते रा ख़ुदा तुझे उस मुल्क में ले लाकर पे श करो, ख़ाह वह भस्म होने वाली
जाएगा िजस पर तू क़ब्ज़ा करे गा तो लािज़म क़ुरबािनयाँ , ज़बह की क़ुरबािनयाँ , पै दावार का
है िक गिरज़ीम पहाड़ पर चढ़कर बरकत का दसवाँ िहस्सा, उठाने वाली क़ुरबािनयाँ , मन्नत
एलान करे और ऐबाल पहाड़ पर लानत का। के हिदये , ख़ुशी से पे श की गई क़ुरबािनयाँ या
30 यह दो पहाड़ दिरयाए-यरदन के मग़िरब में मवे िशयाें के पहलौठे क्याें न हाें । 7 वहाँ रब अपने
उन कनािनयाें के इलाक़े में वाक़े हैं जो वादीए- ख़ुदा के हुज़ूर अपने घरानाें समे त खाना खाकर
यरदन में आबाद हैं । वह मग़िरब की तरफ़ उन कामयािबयाें की ख़ुशी मनाओ जो तुझे रब
िजलजाल शहर के सामने मोिरह के बलूत के ते रे ख़ुदा की बरकत के बाइस हािसल हुई हैं ।
दरख़्ताें के नज़दीक हैं । 31 अब तुम दिरयाए- 8 उस वक़्त तुम्हें वह नहीं करना जो हम करते

यरदन को पार करके उस मुल्क पर क़ब्ज़ा आए हैं । आज तक हर कोई अपनी मरज़ी के


करने वाले हो जो रब तुम्हारा ख़ुदा तुम्हें दे रहा मुतािबक़ इबादत करता है , 9 क्याें िक अब तक
है । जब तुम उसे अपनाकर उसमें आबाद हो तुम आराम की उस जगह नहीं पहुँ चे जो तुझे
जाओगे 32 तो एहितयात से उन तमाम अहकाम रब ते रे ख़ुदा से मीरास में िमलनी है । 10 ले िकन
पर अमल करते रहो जो मैं आज तुम्हें दे रहा हूँ । जल्द ही तुम दिरयाए-यरदन को पार करके उस
मुल्क में आबाद हो जाओगे जो रब तुम्हारा ख़ुदा
मुल्क में रब के अहकाम तुम्हें मीरास में दे रहा है । उस वक़्त वह तुम्हें

12 ज़ै ल में वह अहकाम और क़वा-


नीन हैं िजन पर तुम्हें ध्यान से
अमल करना होगा जब तुम उस मुल्क में आबाद
इदर्िगदर् के दुश्मनाें से बचाए रखे गा, और तुम
आराम और सुकून से िंज़दगी गुज़ार सकोगे ।
11 तब रब तुम्हारा ख़ुदा अपने नाम की सुकूनत

होगे जो रब ते रे बापदादा का ख़ुदा तुझे दे रहा है के िलए एक जगह चुन ले गा, और तुम्हें सब
तािक तू उस पर क़ब्ज़ा करे । मुल्क में रहते हुए कुछ जो मैं बताऊँगा वहाँ लाकर पे श करना
उम्र-भर उनके ताबे रहो। है , ख़ाह वह भस्म होने वाली क़ुरबािनयाँ , ज़बह
की क़ुरबािनयाँ , पै दावार का दसवाँ िहस्सा,
मुल्क में एक ही जगह पर मक़िदस हो उठाने वाली क़ुरबािनयाँ या मन्नत के ख़ास
2 उन तमाम जगहाें को बरबाद करो जहाँ वह हिदये क्याें न हाें । 12 वहाँ रब के सामने तुम,
क़ौमें िजन्हें तुम्हें िनकालना है अपने दे वताआें की तुम्हारे बे टे-बे िटयाँ , तुम्हारे ग़ुलाम और लाैं िडयाँ
पूजा करती हैं , ख़ाह वह ऊँचे पहाड़ाें , पहािड़याें ख़ुशी मनाएँ । अपने शहराें में आबाद लािवयाें को
या घने दरख़्ताें के साय में क्याें न हाें । 3 उनकी भी अपनी ख़ुशी में शरीक करो, क्याें िक उनके
क़ुरबानगाहाें को ढा दे ना। िजन पत्थराें की पूजा पास मौरूसी ज़मीन नहीं होगी।
वह करते हैं उन्हें चकनाचूर कर दे ना। यसीरत 13 ख़बरदार, अपनी भस्म होने वाली क़ुर-

दे वी के खं बे जला दे ना। उनके दे वताआें के बािनयाँ हर जगह पर पे श न करना 14 बिल्क


इिस्तसना 12:15 226
िसफ़र् उस जगह पर जो रब क़बीलाें में से चुनेगा। खाना, क्याें िक ख़ून जानदार की जान है । उस
वहीं सब कुछ याें मना िजस तरह मैं तुझे बताता की जान गोश्त के साथ न खाना। 24 ख़ून न
हूँ । खाना बिल्क उसे ज़मीन पर उं डे लकर ज़ाया
15 ले िकन वह जानवर इसमें शािमल नहीं हैं कर दे ना। 25 उसे न खाना तािक तुझे और ते री
जो तू क़ुरबानी के तौर पर पे श नहीं करना औलाद को कामयाबी हािसल हो, क्याें िक ऐसा
चाहता बिल्क िसफ़र् खाना चाहता है । ऐसे करने से तू रब की नज़र में सहीह काम करे गा।
जानवर तू आज़ादी से अपने तमाम शहराें में 26 ले िकन जो चीज़ें रब के िलए मख़सूसो-

ज़बह करके उस बरकत के मुतािबक़ खा सकता मुक़द्दस हैं या जो तूने मन्नत मानकर उसके
है जो रब ते रे ख़ुदा ने तुझे दी है । ऐसा गोश्त िलए मख़सूस की हैं लािज़म है िक तू उन्हें उस
िहरन और ग़ज़ाल के गोश्त की मािंनद है यानी जगह ले जाए िजसे रब मक़िदस के िलए चुनेगा।
पाक और नापाक दोनाें ही उसे खा सकते हैं । 27 वहीं, रब अपने ख़ुदा की क़ुरबानगाह पर

16 ले िकन ख़ून न खाना। उसे पानी की तरह अपनी भस्म होने वाली क़ुरबािनयाँ गोश्त और
ज़मीन पर उं डे लकर ज़ाया कर दे ना। ख़ून समे त चढ़ा। ज़बह की क़ुरबािनयाें का ख़ून
17 जो भी चीज़ें रब के िलए मख़सूस की क़ुरबानगाह पर उं डे ल दे ना, ले िकन उनका गोश्त
गई हैं उन्हें अपने शहराें में न खाना मसलन तू खा सकता है ।
अनाज, अं गूर के रस और ज़ै तून के ते ल का 28 जो भी िहदायात मैं तुझे दे रहा हूँ उन्हें

दसवाँ िहस्सा, मवे िशयाें के पहलौठे , मन्नत के एहितयात से पूरा कर। िफर तू और ते री औलाद
हिदये , ख़ुशी से पे श की गई क़ुरबािनयाँ और ख़ुशहाल रहें गे, क्याें िक तू वह कुछ करे गा जो रब
उठाने वाली क़ुरबािनयाँ । 18 यह चीज़ें िसफ़र् रब ते रे ख़ुदा की नज़र में अच्छा और दुरुस्त है ।
के हुज़ूर खाना यानी उस जगह पर िजसे वह 29 रब ते रा ख़ुदा उन क़ौमाें को िमटा दे गा

मक़िदस के िलए चुनेगा। वहीं तू अपने बे टे- िजनकी तरफ़ तू बढ़ रहा है । तू उन्हें उनके
बे िटयाें , ग़ुलामाें , लाैं िडयाें और अपने क़बायली मुल्क से िनकालता जाएगा और ख़ुद उसमें
इलाक़े के लािवयाें के साथ जमा होकर ख़ुशी आबाद हो जाएगा। 30 ले िकन ख़बरदार, उनके
मना िक रब ने हमारी मे हनत को बरकत दी है । ख़त्म होने के बाद भी उनके दे वताआें के बारे में
19 अपने मुल्क में लािवयाें की ज़रूिरयात उम्र- मालूमात हािसल न कर, वरना तू फँस जाएगा।
भर पूरी करने की िफ़कर रख। मत कहना िक यह क़ौमें िकस तरीक़े से अपने
20 जब रब ते रा ख़ुदा अपने वादे के मुतािबक़ दे वताआें की पूजा करती हैं ? हम भी ऐसा ही
ते री सरहद्दें बढ़ा दे गा और तू गोश्त खाने की करें । 31 ऐसा मत कर! यह क़ौमें ऐसे िघनौने
ख़ािहश रखे गा तो िजस तरह जी चाहे गोश्त तरीक़े से पूजा करती हैं िजनसे रब नफ़रत
खा सकेगा। 21 अगर ते रा घर उस मक़िदस करता है । वह अपने बच्चाें को भी जलाकर
से दूर हो िजसे रब ते रा ख़ुदा अपने नाम की अपने दे वताआें को पे श करते हैं ।
सुकूनत के िलए चुनेगा तो तू िजस तरह जी 32 कलाम की जो भी बात मैं तुम्हें पे श करता

चाहे अपने शहराें में रब से िमले हुए मवे िशयाें हूँ उसके ताबे रहकर उस पर अमल करो। न
को ज़बह करके खा सकता है । ले िकन ऐसा िकसी बात का इज़ाफ़ा करना, न कोई बात
ही करना जै सा मैं ने हुक्म िदया है । 22 ऐसा िनकालना।
गोश्त िहरन और ग़ज़ाल के गोश्त की मािंनद
है यानी पाक और नापाक दोनाें ही उसे खा
सकते हैं । 23 अलबत्ता गोश्त के साथ ख़ून न
227 इिस्तसना 13:18
दे वताआें की तरफ़ ले पत्थर फेंके, िफर ही बाक़ी तमाम लोग िहस्सा
जाने वालाें से सुलक ू लें । 10 उसे ज़रूर पत्थराें से सज़ाए-मौत दे ना,

13 ते रे दरिमयान ऐसे लोग उठ खड़े


हाें गे जो अपने आपको नबी या
ख़ाब दे खने वाले कहें गे। हो सकता है िक वह
क्याें िक उसने तुझे रब ते रे ख़ुदा से दूर करने की
कोिशश की, उसी से जो तुझे िमसर की ग़ुलामी
से िनकाल लाया। 11 िफर तमाम इसराईल यह
िकसी इलाही िनशान या मोिजज़े का एलान करें सुनकर डर जाएगा और आइं दा ते रे दरिमयान
2 जो वाक़ई वुजूद में आए। साथ साथ वह कहें , ऐसी शरीर हरकत करने की जुरर्त नहीं करे गा।
“आ, हम दीगर माबूदाें की पूजा करें , हम उनकी 12 जब तू उन शहराें में रहने लगे गा जो रब

िख़दमत करें िजनसे तू अब तक वािक़फ़ नहीं ते रा ख़ुदा तुझे दे रहा है तो शायद तुझे ख़बर
है ।” 3 ऐसे लोगाें की न सुन। इससे रब तुम्हारा िमल जाए 13 िक शरीर लोग ते रे दरिमयान से
ख़ुदा तुम्हें आज़माकर मालूम कर रहा है िक क्या उभर आए हैं जो अपने शहर के बािंशदाें को
तुम वाक़ई अपने पूरे िदलो-जान से उससे प्यार यह कहकर ग़लत राह पर लाए हैं िक आओ,
करते हो। 4 तुम्हें रब अपने ख़ुदा की पै रवी करना हम दीगर माबूदाें की पूजा करें , ऐसे माबूदाें की
और उसी का ख़ौफ़ मानना है । उसके अहकाम िजनसे तुम वािक़फ़ नहीं हो। 14 लािज़म है िक तू
के मुतािबक़ िंज़दगी गुज़ारो, उस की सुनो, उस दिरयाफ़्त करके इसकी तफ़तीश करे और ख़ूब
की िख़दमत करो, उसके साथ िलपटे रहो। 5 ऐसे मालूम करे िक क्या हुआ है । अगर सािबत हो
निबयाें या ख़ाब दे खने वालाें को सज़ाए-मौत जाए िक यह िघनौनी बात वाक़ई हुई है 15 तो
दे ना, क्याें िक वह तुझे रब तुम्हारे ख़ुदा से बग़ावत िफर लािज़म है िक तू शहर के तमाम बािंशदाें
करने पर उकसाना चाहते हैं , उसी से िजसने को हलाक करे । उसे रब के सुपुदर् करके सरासर
िफ़द्या दे कर तुम्हें िमसर की ग़ुलामी से बचाया तबाह करना, न िसफ़र् उसके लोग बिल्क उसके
और वहाँ से िनकाल लाया। चूँिक वह तुझे उस मवे शी भी। 16 शहर का पूरा माले -ग़नीमत चौक
राह से हटाना चाहते हैं िजसे रब ते रे ख़ुदा ने में इकट्ठा कर। िफर पूरे शहर को उसके माल
ते रे िलए मुक़रर् र िकया है इसिलए लािज़म है समे त रब के िलए मख़सूस करके जला दे ना।
िक उन्हें सज़ाए-मौत दी जाए। ऐसी बुराई अपने उसे दुबारा कभी न तामीर िकया जाए बिल्क
दरिमयान से िमटा दे ना। उसके खं डरात हमे शा तक रहें ।
6 हो सकता है िक ते रा सगा भाई, ते रा बे टा 17 पूरा शहर रब के िलए मख़सूस िकया गया

या बे टी, ते री बीवी या ते रा क़रीबी दोस्त तुझे है , इसिलए उस की कोई भी चीज़ ते रे पास न


चुपके से वरग़लाने की कोिशश करे िक आ, हम पाई जाए। िसफ़र् इस सूरत में रब का ग़ज़ब ठं डा
जाकर दीगर माबूदाें की पूजा करें , ऐसे दे वताआें हो जाएगा, और वह तुझ पर रहम करके अपनी
की िजनसे न तू और न ते रे बापदादा वािक़फ़ मे हरबानी का इज़हार करे गा और ते री तादाद
थे । 7 ख़ाह इदर्िगदर् की या दूर-दराज़ की क़ौमाें बढ़ाएगा, िजस तरह उसने क़सम खाकर ते रे
के दे वता हाें , ख़ाह दुिनया के एक िसरे के या बापदादा से वादा िकया है । 18 ले िकन यह सब
दूसरे िसरे के माबूद हाें , 8 िकसी सूरत में अपनी कुछ इस पर मबनी है िक तू रब अपने ख़ुदा की
रज़ामं दी का इज़हार न कर, न उस की सुन। सुने और उसके उन तमाम अहकाम पर अमल
उस पर रहम न कर। न उसे बचाए रख, न उसे करे जो मैं तुझे आज दे रहा हूँ । वही कुछ कर
पनाह दे 9 बिल्क उसे सज़ाए-मौत दे । और उसे जो उस की नज़र में दुरुस्त है ।
सं गसार करते वक़्त पहले ते रा हाथ उस पर
इिस्तसना 14:1 228
पाक और नापाक जानवर वाला उल्लू, सफ़ेद उल्लू, 17 दश्ती उल्लू,

14 तुम रब अपने ख़ुदा के फ़रज़ं द हो।


अपने आपको मुरदाें के सबब से
न ज़ख़मी करो, न अपने सर के सामने वाले
िमसरी िगद्ध, क़ूक़, 18 लक़लक़, हर िक़स्म का
बूतीमार, हुदहुद और चमगादड़।d
19 तमाम पर रखने वाले कीड़े तुम्हारे िलए

बाल मुँडवाओ। 2 क्याें िक तू रब अपने ख़ुदा नापाक हैं । उन्हें खाना मना है । 20 ले िकन तुम
के िलए मख़सूसो-मुक़द्दस क़ौम है । दुिनया की हर पाक पिंरदा खा सकते हो।
तमाम क़ौमाें में से रब ने तुझे ही चुनकर अपनी 21 जो जानवर ख़ुद बख़ुद मर जाए उसे न

िमलिकयत बना िलया है । खाना। तू उसे अपनी आबादी में रहने वाले िकसी
3 कोई भी मकरूह चीज़ न खाना। परदे सी को दे या िकसी अजनबी को बे च सकता
4 तुम बै ल, भे ड़-बकरी, 5 िहरन, ग़ज़ाल, मृग,a है और वह उसे खा सकता है । ले िकन तू उसे
पहाड़ी बकरी, महात,b ग़ज़ाले -अफ़्रीक़ा c और मत खाना, क्याें िक तू रब अपने ख़ुदा के िलए
पहाड़ी बकरी खा सकते हो। 6 िजनके खुर या मख़सूसो-मुक़द्दस क़ौम है ।
पाँ व िबलकुल िचरे हुए हैं और जो जुगाली करते बकरी के बच्चे को उस की माँ के दूध में
हैं उन्हें खाने की इजाज़त है । 7 ऊँट, िबज्जू या पकाना मना है ।
ख़रगोश खाना मना है । वह तुम्हारे िलए नापाक
हैं , क्याें िक वह जुगाली तो करते हैं ले िकन उनके अपनी पै दावार का दसवाँ
खुर या पाँ व िचरे हुए नहीं हैं । 8 सुअर न खाना। िहस्सा मख़सूस करना
वह तुम्हारे िलए नापाक है , क्याें िक उसके खुर 22 लािज़म है िक तू हर साल अपने खे ताें की

तो िचरे हुए हैं ले िकन वह जुगाली नहीं करता। न पै दावार का दसवाँ िहस्सा रब के िलए अलग
उनका गोश्त खाना, न उनकी लाशाें को छू ना। करे । 23 इसके िलए अपना अनाज, अं गूर का
9 पानी में रहने वाले जानवर खाने के िलए रस, ज़ै तून का ते ल और मवे शी के पहलौठे रब
जायज़ हैं अगर उनके पर और िछलके हाें । अपने ख़ुदा के हुज़ूर ले आना यानी उस जगह
10 ले िकन िजनके पर या िछलके नहीं हैं वह जो वह अपने नाम की सुकूनत के िलए चुनेगा।
तुम्हारे िलए नापाक हैं । वहाँ यह चीज़ें क़ुरबान करके खा तािक तू उम्र-
11 तुम हर पाक पिंरदा खा सकते हो। भर रब अपने ख़ुदा का ख़ौफ़ मानना सीखे ।
12 ले िकन ज़ै ल के पिंरदे खाना मना है : 24 ले िकन हो सकता है िक जो जगह रब ते रा

उक़ाब, दिढ़यल िगद्ध, काला िगद्ध, 13 लाल ख़ुदा अपने नाम की सुकूनत के िलए चुनेगा
चील, काली चील, हर िक़स्म का िगद्ध, 14 हर वह ते रे घर से हद से ज़्यादा दूर हो और रब
िक़स्म का कव्वा, 15 उक़ाबी उल्लू, छोटे ते रे ख़ुदा की बरकत के बाइस मज़कूरा दसवाँ
कानवाला उल्लू, बड़े कानवाला उल्लू, हर िहस्सा इतना ज़्यादा हो िक तू उसे मक़िदस तक
िक़स्म का बाज़, 16 छोटा उल्लू, िंचघाड़ने - नहीं पहुँ चा सकता। 25 इस सूरत में उसे बे चकर
a c
यह िहरन के मुशाबे ह होता है ले िकन िफ़तरतन ग़ज़ाले -अफ़्रीक़ा। िचकाराें की तीन इक़साम में से
मुख़्तिलफ़ होता है । इसके सींग खोखले , बे शाख़ और कोई जो अपने लं बे और हलक़ादार सींगाें की वजह से
अनझड़ होते हैं । antelope। याद रहे िक क़दीम ज़माने मुमताज़ है । oryx।
d
के इन जानवराें के अकसर नाम मतरूक हैं या उनका याद रहे िक क़दीम ज़माने के इन पिंरदाें के अकसर
मतलब बदल गया है , इसिलए उनका मुख़्तिलफ़ तरजुमा नाम मतरूक हैं या उनका मतलब बदल गया है , इसिलए
हो सकता है । उनका मुख़्तिलफ़ तरजुमा हो सकता है ।
b
महात। दराज़क़द िहरनाें की एक नौ िजसके सींग
चक्करदार होते हैं । addax।
229 इिस्तसना 15:17
उसके पै से उस जगह ले जा जो रब ते रा ख़ुदा क़ौमाें को उधार दे गा। कोई भी क़ौम तुझ पर
अपने नाम की सुकूनत के िलए चुनेगा। 26 वहाँ हुकूमत नहीं करे गी बिल्क तू बहुत-सी क़ौमाें
पहुँ चकर उन पै साें से जो जी चाहे ख़रीदना, पर हुकूमत करे गा।
ख़ाह गाय-बै ल, भे ड़-बकरी, मै या मै जै सी कोई 7 जब तू उस मुल्क में आबाद होगा जो रब

और चीज़ क्याें न हो। िफर अपने घराने के ते रा ख़ुदा तुझे दे नेवाला है तो अपने दरिमयान
साथ िमलकर रब अपने ख़ुदा के हुज़ूर यह चीज़ें रहने वाले ग़रीब भाई से सख़्त सुलूक न करना,
खाना और ख़ुशी मनाना। 27 ऐसे मौक़ाें पर उन न कंजूस होना। 8 खुले िदल से उस की मदद
लािवयाें का ख़याल रखना जो ते रे क़बायली कर। िजतनी उसे ज़रूरत है उसे उधार के तौर
इलाक़े में रहते हैं , क्याें िक उन्हें मीरास में ज़मीन
पर दे । 9 ख़बरदार, ऐसा मत सोच िक क़ज़र्
नहीं िमले गी। मुआफ़ करने का साल क़रीब है , इसिलए मैं उसे
28 हर तीसरे साल अपनी पै दावार का दसवाँ कुछ नहीं दूँ गा। अगर तू ऐसी शरीर बात अपने
िहस्सा अपने शहराें में जमा करना। 29 उसे िदल में सोचते हुए ज़रूरतमं द भाई को क़ज़र्
लािवयाें को दे ना िजनके पास मौरूसी ज़मीन दे ने से इनकार करे और वह रब के सामने ते री
नहीं है , नीज़ अपने शहराें में आबाद परदे िसयाें , िशकायत करे तो तू क़ुसूरवार ठहरे गा। 10 उसे
यतीमाें और बे वाआें को दे ना। वह आएँ और ज़रूर कुछ दे बिल्क ख़ुशी से दे । िफर रब ते रा
खाना खाकर से र हो जाएँ तािक रब ते रा ख़ुदा ख़ुदा ते रे हर काम में बरकत दे गा। 11 मुल्क में
ते रे हर काम में बरकत दे । हमे शा ग़रीब और ज़रूरतमं द लोग पाए जाएं गे,
इसिलए मैं तुझे हुक्म दे ता हूँ िक खुले िदल से
क़ज़र्दाराें की बहाली का साल अपने ग़रीब और ज़रूरतमं द भाइयाें की मदद

15 हर सात साल के बाद एक दूसरे के कर।


कज़र्े मुआफ़ कर दे ना। 2 उस वक़्त
िजसने भी िकसी इसराईली भाई को क़ज़र् िदया ग़ुलामाें को आज़ाद करने का फ़ज़र्
है वह उसे मनसूख़ करे । वह अपने पड़ोसी या 12 अगर कोई इसराईली भाई या बहन अपने
भाई को पै से वापस करने पर मजबूर न करे , आपको बे चकर ते रा ग़ुलाम बन जाए तो वह
क्याें िक रब की ताज़ीम में क़ज़र् मुआफ़ करने के छः साल ते री िख़दमत करे । ले िकन लािज़म है
साल का एलान िकया गया है । 3 इस साल में तू िक सातवें साल उसे आज़ाद कर िदया जाए।
िसफ़र् ग़ै रमुल्की क़ज़र्दाराें को पै से वापस करने 13 आज़ाद करते वक़्त उसे ख़ाली हाथ फ़ािरग़ न
पर मजबूर कर सकता है । अपने इसराईली भाई करना 14 बिल्क अपनी भे ड़-बकिरयाें , अनाज,
के तमाम क़ज़र् मुआफ़ कर दे ना। ते ल और मै से उसे फ़ैयाज़ी से कुछ दे , यानी उन
4 ते रे दरिमयान कोई भी ग़रीब नहीं होना चीज़ाें में से िजनसे रब ते रे ख़ुदा ने तुझे बरकत

चािहए, क्याें िक जब तू उस मुल्क में रहे गा जो दी है । 15 याद रख िक तू भी िमसर में ग़ुलाम


रब ते रा ख़ुदा तुझे मीरास में दे नेवाला है तो वह था और िक रब ते रे ख़ुदा ने िफ़द्या दे कर तुझे
तुझे बहुत बरकत दे गा। 5 ले िकन शतर् यह है िक छु ड़ाया। इसी िलए मैं आज तुझे यह हुक्म दे ता
तू पूरे तौर पर उस की सुने और एहितयात से हूँ ।
उसके उन तमाम अहकाम पर अमल करे जो मैं 16 ले िकन मुमिकन है िक ते रा ग़ुलाम तुझे

तुझे आज दे रहा हूँ । 6 िफर रब तुम्हारा ख़ुदा तुझे छोड़ना न चाहे , क्याें िक वह तुझसे और ते रे
अपने वादे के मुतािबक़ बरकत दे गा। तू िकसी ख़ानदान से मुहब्बत रखता है , और वह ते रे पास
भी क़ौम से उधार नहीं ले गा बिल्क बहुत-सी रहकर ख़ुशहाल है । 17 इस सूरत में उसे दरवाज़े
इिस्तसना 15:18 230
के पास ले जा और उसके कान की लौ चौखट चुनेगा। उसे क़ुरबानी के िलए भे ड़-बकिरयाँ या
के साथ लगाकर उसे सुताली यानी ते ज़ औज़ार गाय-बै ल पे श करना। 3 गोश्त के साथ बे ख़मीरी
से छे द दे । तब वह िंज़दगी-भर ते रा ग़ुलाम बना रोटी खाना। सात िदन तक यही रोटी खा,
रहे गा। अपनी लाैं डी के साथ भी ऐसा ही करना। िबलकुल उसी तरह िजस तरह तूने िकया जब
18 अगर ग़ुलाम तुझे छः साल के बाद छोड़ना जल्दी जल्दी िमसर से िनकला। मुसीबत की यह
चाहे तो बुरा न मानना। आिख़र अगर उस रोटी इसिलए खा तािक वह िदन ते रे जीते -जी
की जगह कोई और वही काम तनख़ाह के याद रहे जब तू िमसर से रवाना हुआ। 4 लािज़म
िलए करता तो ते रे अख़राजात दुगने होते । उसे है िक ईद के हफ़ते के दौरान ते रे पूरे मुल्क में
आज़ाद करना तो रब ते रा ख़ुदा ते रे हर काम में ख़मीर न पाया जाए।
बरकत दे गा। जो क़ुरबानी तू ईद के पहले िदन की शाम को
पे श करे उसका गोश्त उसी वक़्त खा ले । अगली
जानवराें के पहलौठे मख़सूस हैं सुबह तक कुछ बाक़ी न रह जाए। 5 फ़सह की
19 अपनी गायाें और भे ड़-बकिरयाें के नर क़ुरबानी िकसी भी शहर में जो रब ते रा ख़ुदा
पहलौठे रब अपने ख़ुदा के िलए मख़सूस करना। तुझे दे गा न चढ़ाना 6 बिल्क िसफ़र् उस जगह
न गाय के पहलौठे को काम के िलए इस्ते माल जो वह अपने नाम की सुकूनत के िलए चुनेगा।
करना, न भे ड़ के पहलौठे के बाल कतरना। िमसर से िनकलते वक़्त की तरह क़ुरबानी के
20 हर साल ऐसे बच्चे उस जगह ले जा जो रब जानवर को सूरज डू बते वक़्त ज़बह कर। 7 िफर
अपने मक़िदस के िलए चुनेगा। वहाँ उन्हें रब उसे भूनकर उस जगह खाना जो रब ते रा ख़ुदा
अपने ख़ुदा के हुज़ूर अपने पूरे ख़ानदान समे त चुनेगा। अगली सुबह अपने घर वापस चला जा।
खाना। 8 ईद के पहले छः िदन बे ख़मीरी रोटी खाता रह।
21 अगर ऐसे जानवर में कोई ख़राबी हो, वह सातवें िदन काम न करना बिल्क रब अपने ख़ुदा
अं धा या लँ गड़ा हो या उसमें कोई और नुक़्स की इबादत के िलए जमा हो जाना।
हो तो उसे रब अपने ख़ुदा के िलए क़ुरबान न
करना। 22 ऐसे जानवर तू घर में ज़बह करके फ़सल की कटाई की ईद
खा सकता है । वह िहरन और ग़ज़ाल की मािंनद 9 जब
अनाज की फ़सल की कटाई शुरू होगी
तो पहले िदन के सात हफ़ते बाद 10 फ़सल की
हैं िजन्हें तू खा तो सकता है ले िकन क़ुरबानी के
तौर पर पे श नहीं कर सकता। पाक और नापाक कटाई की ईद मनाना। रब अपने ख़ुदा को उतना
शख़्स दोनाें उसे खा सकते हैं । 23 ले िकन ख़ून नपे श कर िजतना जी चाहे । वह उस बरकत के
खाना। उसे पानी की तरह ज़मीन पर उं डे लकर मुतािबक़ हो जो उसने तुझे दी है । 11 इसके िलए
ज़ाया कर दे ना। भी उस जगह जमा हो जा जो रब अपने नाम की
सुकूनत के िलए चुनेगा। वहाँ उसके हुज़ूर ख़ुशी
फ़सह की ईद मना। ते रे बाल-बच्चे , ते रे ग़ुलाम और लाैं िडयाँ

16
a
अबीब के महीने में रब अपने और ते रे शहराें में रहने वाले लावी, परदे सी,
ख़ुदा की ताज़ीम में फ़सह की ईद यतीम और बे वाएँ सब ते री ख़ुशी में शरीक हाें ।
मनाना, क्याें िक इस महीने में वह तुझे रात के 12 इन अहकाम पर ज़रूर अमल करना और मत
वक़्त िमसर से िनकाल लाया। 2 उस जगह जमा भूलना िक तू िमसर में ग़ुलाम था।
हो जा जो रब अपने नाम की सुकूनत के िलए
a
माचर् ता अप्रैल।
231 इिस्तसना 17:11
झाें पिड़याें की ईद खड़ा करना िजसकी पूजा लोग करते हैं । रब
13 अनाज गाहने और अं गूर का रस िनकालने ते रा ख़ुदा इन चीज़ाें से नफ़रत रखता है ।
के बाद झाें पिड़याें की ईद मनाना िजसका
दौरािनया सात िदन हो। 14 ईद के मौक़े पर ख़ुशी
मनाना। ते रे बाल-बच्चे , ते रे ग़ुलाम और लाैं िडयाँ
17 रब अपने ख़ुदा को नािक़स गाय-
बै ल या भे ड़-बकरी पे श न करना,
क्याें िक वह ऐसी क़ुरबानी से नफ़रत रखता है ।
और ते रे शहराें में बसने वाले लावी, परदे सी, 2 जब तू उन शहराें में आबाद हो जाएगा जो

यतीम और बे वाएँ सब ते री ख़ुशी में शरीक हाें । रब ते रा ख़ुदा तुझे दे गा तो हो सकता है िक


15 जो जगह रब ते रा ख़ुदा मक़िदस के िलए ते रे दरिमयान कोई मदर् या औरत रब ते रे ख़ुदा
चुनेगा वहाँ उस की ताज़ीम में सात िदन तक यह का अहद तोड़कर वह कुछ करे जो उसे बुरा
ईद मनाना। क्याें िक रब ते रा ख़ुदा ते री तमाम लगे । 3 मसलन वह दीगर माबूदाें को या सूरज,
फ़सलाें और मे हनत को बरकत दे गा, इसिलए चाँ द या िसताराें के पूरे लशकर को िसजदा
ख़ूब ख़ुशी मनाना। करे , हालाँ िक मैं ने यह मना िकया है । 4 जब
16 इसराईल के तमाम मदर् साल में तीन भी तुझे इस िक़स्म की ख़बर िमले तो इसका
मरतबा उस मक़िदस पर हािज़र हो जाएँ जो पूरा खोज लगा। अगर बात दुरुस्त िनकले और
रब ते रा ख़ुदा चुनेगा यानी बे ख़मीरी रोटी की ईद, ऐसी िघनौनी हरकत वाक़ई इसराईल में की गई
फ़सल की कटाई की ईद और झाें पिड़याें की ईद हो 5 तो क़ुसूरवार को शहर के बाहर ले जाकर
पर। कोई भी रब के हुज़ूर ख़ाली हाथ न आए। सं गसार कर दे ना। 6 ले िकन लािज़म है िक पहले
17 हर कोई उस बरकत के मुतािबक़ दे जो रब कम अज़ कम दो या तीन लोग गवाही दें िक
ते रे ख़ुदा ने उसे दी है । उसने ऐसा ही िकया है । उसे सज़ाए-मौत दे ने
के िलए एक गवाह काफ़ी नहीं। 7 पहले गवाह
क़ाज़ी मुक़रर् र करना उस पर पत्थर फेंकें, इसके बाद बाक़ी तमाम
18 अपने अपने क़बायली इलाक़े में क़ाज़ी लोग उसे सं गसार करें । याें तू अपने दरिमयान

और िनगहबान मुक़रर् र कर। वह हर उस शहर में से बुराई िमटा दे गा।


हाें जो रब ते रा ख़ुदा तुझे दे गा। वह इनसाफ़ से
लोगाें की अदालत करें । 19 न िकसी के हुक़ूक़ मक़िदस में आलातरीन अदालत
मारना, न जािनबदारी िदखाना। िरश्वत क़बूल 8 अगर ते रे शहर के क़ािज़याें के िलए िकसी

न करना, क्याें िक िरश्वत दािनशमं दाें को अं धा मुक़दमे का फ़ैसला करना मुिश्कल हो तो उस


कर दे ती और रास्तबाज़ की बातें पलट दे ती है । मक़िदस में आकर अपना मामला पे श कर जो
20 िसफ़र् और िसफ़र् इनसाफ़ के मुतािबक़ चल रब ते रा ख़ुदा चुनेगा, ख़ाह िकसी को क़त्ल

तािक तू जीता रहे और उस मुल्क पर क़ब्ज़ा िकया गया हो, उसे ज़ख़मी कर िदया गया हो
करे जो रब ते रा ख़ुदा तुझे दे गा। या कोई और मसला हो। 9 लावी के क़बीले
के इमामाें और मक़िदस में िख़दमत करने वाले
बुतपरस्ती की सज़ा क़ाज़ी को अपना मुक़दमा पे श कर, और वह
21 जहाँ तू रब अपने ख़ुदा के िलए क़ुरबानगाह फ़ैसला करें । 10 जो फ़ैसला वह उस मक़िदस में

बनाएगा वहाँ न यसीरत दे वी की पूजा के िलए करें गे जो रब चुनेगा उसे मानना पड़े गा। जो भी
लकड़ी का खं बा 22 और न कोई ऐसा पत्थर िहदायत वह दें उस पर एहितयात से अमल कर।
11 शरीअत की जो भी बात वह तुझे िसखाएँ

और जो भी फ़ैसला वह दें उस पर अमल कर।


इिस्तसना 17:12 232
जो कुछ भी वह तुझे बताएँ उससे न दाइर्ं और इमामाें और लािवयाें का िहस्सा
न बाइर्ं तरफ़ मुड़ना।
12 जो मक़िदस में रब ते रे ख़ुदा की िख़दमत

करने वाले क़ाज़ी या इमाम को हक़ीर जानकर


18 इसराईल के हर क़बीले को मीरास
में उसका अपना इलाक़ा िमले गा
िसवाए लावी के क़बीले के िजसमें इमाम
उनकी नहीं सुनता उसे सज़ाए-मौत दी जाए। याें भी शािमल हैं । वह जलने वाली और दीगर
तू इसराईल से बुराई िमटा दे गा। 13 िफर तमाम क़ुरबािनयाें में से अपना िहस्सा ले कर गुज़ारा
लोग यह सुनकर डर जाएं गे और आइं दा ऐसी करें । 2 उनके पास दूसराें की तरह मौरूसी ज़मीन
गुस्ताख़ी करने की जुरर्त नहीं करें गे । नहीं होगी बिल्क रब ख़ुद उनका मौरूसी िहस्सा
होगा। यह उसने वादा करके कहा है ।
बादशाह के बारे में उसूल 3 जब भी िकसी बै ल या भे ड़ को क़ुरबान
14 तू जल्द ही उस मुल्क में दािख़ल होगा िकया जाए तो इमामाें को उसका शाना, जबड़े
जो रब ते रा ख़ुदा तुझे दे नेवाला है । जब तू उस और ओझड़ी िमलने का हक़ है । 4 अपनी फ़सलाें
पर क़ब्ज़ा करके उसमें आबाद हो जाएगा तो का पहला फल भी उन्हें दे ना यानी अनाज, मै ,
हो सकता है िक तू एक िदन कहे , “आओ ज़ै तून का ते ल और भे ड़ाें की पहली कतरी हुई
हम इदर्िगदर् की तमाम क़ौमाें की तरह बादशाह ऊन। 5 क्याें िक रब ने ते रे तमाम क़बीलाें में से
मुक़रर् र करें जो हम पर हुकूमत करे ।” 15 अगर लावी के क़बीले को ही मक़िदस में रब के नाम
तू ऐसा करे तो िसफ़र् वह शख़्स मुक़रर् र कर िजसे में िख़दमत करने के िलए चुना है । यह हमे शा के
रब ते रा ख़ुदा चुनेगा। वह परदे सी न हो बिल्क िलए उनकी और उनकी औलाद की िज़म्मे दारी
ते रा अपना इसराईली भाई हो। 16 बादशाह बहुत रहे गी।
ज़्यादा घोड़े न रखे , न अपने लोगाें को उन्हें 6 कुछ लावी मक़िदस के पास नहीं बिल्क

ख़रीदने के िलए िमसर भे जे। क्याें िक रब ने इसराईल के मुख़्तिलफ़ शहराें में रहें गे। अगर
तुझसे कहा है िक कभी वहाँ वापस न जाना। उनमें से कोई उस जगह आना चाहे जो रब
17 ते रा बादशाह ज़्यादा बीिवयाँ भी न रखे , वरना मक़िदस के िलए चुनेगा 7 तो वह वहाँ के
उसका िदल रब से दूर हो जाएगा। और वह हद िख़दमत करने वाले लािवयाें की तरह मक़िदस
से ज़्यादा सोना-चाँ दी जमा न करे । में रब अपने ख़ुदा के नाम में िख़दमत कर
18 तख़्तनशीन होते वक़्त वह लावी के क़बीले सकता है । 8 उसे क़ुरबािनयाें में से दूसराें के
के इमामाें के पास पड़ी इस शरीअत की बराबर लािवयाें का िहस्सा िमलना है , ख़ाह उसे
नक़ल िलखवाए। 19 यह िकताब उसके पास ख़ानदानी िमलिकयत बे चने से पै से िमल गए हाें
महफ़ूज़ रहे , और वह उम्र-भर रोज़ाना इसे या नहीं।
पढ़ता रहे तािक रब अपने ख़ुदा का ख़ौफ़ मानना
सीखे । तब वह शरीअत की तमाम बाताें की जादूगरी मना है
पै रवी करे गा, 20 अपने आपको अपने इसराईली 9 जब तू उस मुल्क में दािख़ल होगा जो रब
भाइयाें से ज़्यादा अहम नहीं समझे गा और ते रा ख़ुदा तुझे दे रहा है तो वहाँ की रहने वाली
िकसी तरह भी शरीअत से हटकर काम नहीं क़ौमाें के िघनौने दस्तूर न अपनाना। 10 ते रे
करे गा। नतीजे में वह और उस की औलाद बहुत दरिमयान कोई भी अपने बे टे या बे टी को
अरसे तक इसराईल पर हुकूमत करें गे । क़ुरबानी के तौर पर न जलाए। न कोई ग़ै बदानी
करे , न फ़ाल या शुगून िनकाले या जादूगरी
करे । 11 इसी तरह मं त्र पढ़ना, हािज़रात करना,
233 इिस्तसना 19:9
िक़स्मत का हाल बताना या मुरदाें की रूहाें से उसने गुस्ताख़ी करके बात की है । इस सूरत में
रािबता करना सख़्त मना है । 12 जो भी ऐसा उससे मत डरना।
करे वह रब की नज़र में क़ािबले -िघन है । इन्हीं
मकरूह दस्तूराें की वजह से रब ते रा ख़ुदा ते रे पनाह के शहर
आगे से उन क़ौमाें को िनकाल दे गा। इसिलए
19 रब ते रा ख़ुदा उस मुल्क में आबाद
13

लािज़म है िक तू रब अपने ख़ुदा के सामने क़ौमाें को तबाह करे गा जो वह तुझे


बे क़ुसूर रहे । दे रहा है । जब तू उन्हें भगाकर उनके शहराें और
घराें में आबाद हो जाएगा 2-3 तो पूरे मुल्क को
नबी का वादा तीन िहस्साें में तक़सीम कर। हर िहस्से में एक
14 िजन क़ौमाें को तू िनकालने वाला है वह मरकज़ी शहर मुक़रर् र कर। उन तक पहुँ चाने वाले

उनकी सुनती हैं जो फ़ाल िनकालते और रास्ते साफ़-सुथरे रखना। इन शहराें में हर वह
ग़ै बदानी करते हैं । ले िकन रब ते रे ख़ुदा ने तुझे शख़्स पनाह ले सकता है िजसके हाथ से कोई
ऐसा करने की इजाज़त नहीं दी। ग़ै रइरादी तौर पर हलाक हुआ है । 4 वह ऐसे शहर
15 रब ते रा ख़ुदा ते रे वास्ते ते रे भाइयाें में से में जाकर इं तक़ाम ले नेवालाें से महफ़ूज़ रहे गा।
मुझ जै से नबी को बरपा करे गा। उस की सुनना। शतर् यह है िक उसने न क़सदन और न दुश्मनी
16 क्याें िक होिरब यानी सीना पहाड़ पर जमा के बाइस िकसी को मार िदया हो।

होते वक़्त तूने ख़ुद रब अपने ख़ुदा से दरख़ास्त 5 मसलन दो आदमी जं गल में दरख़्त काट रहे

की, “न मैं मज़ीद रब अपने ख़ुदा की आवाज़ हैं । कुल्हाड़ी चलाते वक़्त एक की कुल्हाड़ी दस्ते
सुनना चाहता, न यह भड़कती हुई आग दे खना से िनकलकर उसके साथी को लग जाए और
चाहता हूँ , वरना मर जाऊँगा।” 17 तब रब ने वह मर जाए। ऐसा शख़्स फ़रार होकर ऐसे शहर
मुझसे कहा, “जो कुछ वह कहते हैं वह ठीक में पनाह ले सकता है तािक बचा रहे । 6 इसिलए
है । 18 आइं दा मैं उनमें से तुझ जै सा नबी खड़ा ज़रूरी है िक ऐसे शहराें का फ़ासला ज़्यादा
करूँगा। मैं अपने अलफ़ाज़ उसके मुँह में डाल न हो। क्याें िक जब इं तक़ाम ले नेवाला उसका
दूँ गा, और वह मे री हर बात उन तक पहुँ चाएगा। ताक़्क़ुब करे गा तो ख़तरा है िक वह तै श में उसे
19 जब वह नबी मे रे नाम में कुछ कहे तो लािज़म पकड़कर मार डाले , अगरचे भागने वाला बे क़ुसूर

है िक तू उस की सुन। जो नहीं सुनेगा उससे मैं है । जो कुछ उसने िकया वह दुश्मनी के सबब से
ख़ुद जवाब तलब करूँगा। 20 ले िकन अगर कोई नहीं बिल्क ग़ै रइरादी तौर पर हुआ। 7 इसिलए
नबी गुस्ताख़ होकर मे रे नाम में कोई बात कहे लािज़म है िक तू पनाह के तीन शहर अलग कर
जो मैं ने उसे बताने को नहीं कहा था तो उसे ले ।
सज़ाए-मौत दे नी है । इसी तरह उस नबी को भी 8 बाद में रब ते रा ख़ुदा ते री सरहद्दें मज़ीद बढ़ा

हलाक कर दे ना है जो दीगर माबूदाें के नाम में दे गा, क्याें िक यही वादा उसने क़सम खाकर ते रे
बात करे ।” बापदादा से िकया है । अपने वादे के मुतािबक़
21 शायद ते रे ज़हन में सवाल उभर आए िक वह तुझे पूरा मुल्क दे गा, 9 अलबत्ता शतर् यह

हम िकस तरह मालूम कर सकते हैं िक कोई है िक तू एहितयात से उन तमाम अहकाम की


कलाम वाक़ई रब की तरफ़ से है या नहीं। पै रवी करे जो मैं तुझे आज दे रहा हूँ । दूसरे
22 जवाब यह है िक अगर नबी रब के नाम में अलफ़ाज़ में शतर् यह है िक तू रब अपने ख़ुदा
कुछ कहे और वह पूरा न हो जाए तो मतलब है को प्यार करे और हमे शा उस की राहाें में चलता
िक नबी की बात रब की तरफ़ से नहीं है बिल्क रहे । अगर तू ऐसा ही करे और नतीजतन रब का
इिस्तसना 19:10 234
वादा पूरा हो जाए तो लािज़म है िक तू पनाह दे गा। 20 िफर तमाम बाक़ी लोग यह सुनकर डर
के तीन और शहर अलग कर ले । 10 वरना ते रे जाएं गे और आइं दा ते रे दरिमयान ऐसी ग़लत
मुल्क में जो रब ते रा ख़ुदा तुझे मीरास में दे रहा हरकत करने की जुरर्त नहीं करें गे । 21 क़ुसूरवार
है बे क़ुसूर लोगाें को जान से मारा जाएगा और पर रहम न करना। उसूल यह हो िक जान के
तू ख़ुद िज़म्मे दार ठहरे गा। बदले जान, आँख के बदले आँख, दाँ त के बदले
11 ले िकन हो सकता है कोई दुश्मनी के बाइस दाँ त, हाथ के बदले हाथ, पाँ व के बदले पाँ व।
िकसी की ताक में बै ठ जाए और उस पर हमला
करके उसे मार डाले । अगर क़ाितल पनाह के जं ग के उसूल
िकसी शहर में भागकर पनाह ले 12 तो उसके
शहर के बुज़ुगर् इत्तला दें िक उसे वापस लाया
जाए। उसे इं तक़ाम ले नेवाले के हवाले िकया
20 जब तू जं ग के िलए िनकलकर
दे खता है िक दुश्मन तादाद में
ज़्यादा हैं और उनके पास घोड़े और रथ भी
जाए तािक उसे सज़ाए-मौत िमले । 13 उस पर हैं तो मत डरना। रब ते रा ख़ुदा जो तुझे िमसर
रहम मत करना। लािज़म है िक तू इसराईल में से िनकाल लाया अब भी ते रे साथ है । 2 जं ग
से बे क़ुसूर की मौत का दाग़ िमटाए तािक तू के िलए िनकलने से पहले इमाम सामने आए
ख़ुशहाल रहे । और फ़ौज से मुख़ाितब होकर 3 कहे , “सुन ऐ
इसराईल! आज तुम अपने दुश्मन से लड़ने जा
ज़मीनाें की हद्दें रहे हो। उनके सबब से परे शान न हो। उनसे न
14 जब तू उस मुल्क में रहे गा जो रब ते रा ख़ुदा ख़ौफ़ खाओ, न घबराओ, 4 क्याें िक रब तुम्हारा
तुझे मीरास में दे गा तािक तू उस पर क़ब्ज़ा करे ख़ुदा ख़ुद तुम्हारे साथ जाकर दुश्मन से लड़े गा।
तो ज़मीन की वह हद्दें आगे पीछे न करना जो वही तुम्हें फ़तह बख़्शे गा।”
ते रे बापदादा ने मुक़रर् र कीं। 5 िफर िनगहबान फ़ौज से मुख़ाितब हाें , “क्या

यहाँ कोई है िजसने हाल में अपना नया घर


अदालत में गवाह मुकम्मल िकया ले िकन उसे मख़सूस करने का
15 तूिकसी को एक ही गवाह के कहने मौक़ा न िमला? वह अपने घर वापस चला
पर क़ुसूरवार नहीं ठहरा सकता। जो भी जुमर् जाए। ऐसा न हो िक वह जं ग के दौरान मारा
सरज़द हुआ है , कम अज़ कम दो या तीन गवाहाें जाए और कोई और घर को मख़सूस करके
की ज़रूरत है । वरना तू उसे क़ुसूरवार नहीं ठहरा उसमें बसने लगे । 6 क्या कोई है िजसने अं गूर का
सकता। बाग़ लगाकर इस वक़्त उस की पहली फ़सल
16 अगर िजस पर इलज़ाम लगाया गया है के इं तज़ार में है ? वह अपने घर वापस चला
इनकार करके दावा करे िक गवाह झूट बोल जाए। ऐसा न हो िक वह जं ग में मारा जाए और
रहा है 17 तो दोनाें मक़िदस में रब के हुज़ूर कोई और बाग़ का फ़ायदा उठाए। 7 क्या कोई है
आकर िख़दमत करने वाले इमामाें और क़ािज़याें िजसकी मँ गनी हुई है और जो इस वक़्त शादी
को अपना मामला पे श करें । 18 क़ाज़ी इसका के इं तज़ार में है ? वह अपने घर वापस चला
ख़ूब खोज लगाएँ । अगर बात दुरुस्त िनकले जाए। ऐसा न हो िक वह जं ग में मारा जाए और
िक गवाह ने झूट बोलकर अपने भाई पर ग़लत कोई और उस की मं गेतर से शादी करे ।”
इलज़ाम लगाया है 19 तो उसके साथ वह कुछ 8 िनगहबान कहें , “क्या कोई ख़ौफ़ज़दा या

िकया जाए जो वह अपने भाई के िलए चाह परे शान है ? वह अपने घर वापस चला जाए
रहा था। याें तू अपने दरिमयान से बुराई िमटा तािक अपने सािथयाें को परे शान न करे ।”
235 इिस्तसना 21:11
9 इसके बाद फ़ौिजयाें पर अफ़सर मुक़रर् र िकए नामालूम क़त्ल का कफ़्फ़ारा
जाएँ ।
10 िकसी शहर पर हमला करने से पहले

उसके बािंशदाें को हिथयार डाल दे ने का मौक़ा


21 जब तू उस मुल्क में आबाद होगा
जो रब तुझे मीरास में दे रहा है
तािक तू उस पर क़ब्ज़ा करे तो हो सकता है
दे ना। 11 अगर वह मान जाएँ और अपने दरवाज़े िक कोई लाश खुले मै दान में कहीं पड़ी पाई
खोल दें तो वह ते रे िलए बे गार में काम करके जाए। अगर मालूम न हो िक िकसने उसे क़त्ल
ते री िख़दमत करें । 12 ले िकन अगर वह हिथयार िकया है 2 तो पहले इदर्िगदर् के शहराें के बुज़ुगर्
डालने से इनकार करें और जं ग िछड़ जाए तो और क़ाज़ी आकर पता करें िक कौन-सा शहर
शहर का मुहासरा कर। 13 जब रब ते रा ख़ुदा लाश के ज़्यादा क़रीब है । 3 िफर उस शहर के
तुझे शहर पर फ़तह दे गा तो उसके तमाम मदार्ें बुज़ुगर् एक जवान गाय चुन लें जो कभी काम
को हलाक कर दे ना। 14 तू तमाम माले -ग़नीमत के िलए इस्ते माल नहीं हुई। 4 वह उसे एक ऐसी
औरताें , बच्चाें और मवे िशयाें समे त रख सकता वादी में ले जाएँ िजसमें न कभी हल चलाया
है । दुश्मन की जो चीज़ें रब ने ते रे हवाले कर दीगया, न पौदे लगाए गए हाें । वादी में ऐसी नहर
हैं उन सबको तू इस्ते माल कर सकता है । 15 याें हो जो पूरा साल बहती रहे । वहीं बुज़ुगर् जवान
उन शहराें से िनपटना जो ते रे अपने मुल्क से गाय की गरदन तोड़ डालें ।
बाहर हैं । 5 िफर लावी के क़बीले के इमाम क़रीब आएँ ।

16 ले िकन जो शहर उस मुल्क में वाक़े हैं जो क्याें िक रब तुम्हारे ख़ुदा ने उन्हें चुन िलया है
रब ते रा ख़ुदा तुझे मीरास में दे रहा है , उनके तािक वह िख़दमत करें , रब के नाम से बरकत दें
तमाम जानदाराें को हलाक कर दे ना। 17 उन्हें रब और तमाम झगड़ाें और हमलाें का फ़ैसला करें ।
के सुपुदर् करके मुकम्मल तौर पर हलाक करना, 6 उनके दे खते दे खते शहर के बुज़ुगर् अपने हाथ

िजस तरह रब ते रे ख़ुदा ने तुझे हुक्म िदया है । गाय की लाश के ऊपर धो लें । 7 साथ साथ वह
इसमें िहत्ती, अमोरी, कनानी, फ़िरज़्ज़ी, िहव्वी कहें , “हमने इस शख़्स को क़त्ल नहीं िकया,
और यबूसी शािमल हैं । 18 अगर तू ऐसा न करे न हमने दे खा िक िकसने यह िकया। 8 ऐ रब,
तो वह तुम्हें रब तुम्हारे ख़ुदा का गुनाह करने अपनी क़ौम इसराईल का यह कफ़्फ़ारा क़बूल
पर उकसाएँ गे। जो िघनौनी हरकतें वह अपने फ़रमा िजसे तूने िफ़द्या दे कर छु ड़ाया है । अपनी
दे वताआें की पूजा करते वक़्त करते हैं उन्हें वह क़ौम इसराईल को इस बे क़ुसूर के क़त्ल का
तुम्हें भी िसखाएँ गे। क़ुसूरवार न ठहरा।” तब मक़तूल का कफ़्फ़ारा
19 शहर का मुहासरा करते वक़्त इदर्िगदर् के िदया जाएगा।
फलदार दरख़्ताें को काटकर तबाह न कर दे ना 9 याें तू ऐसे बे क़ुसूर शख़्स के क़त्ल का दाग़

ख़ाह बड़ी दे र भी हो जाए, वरना तू उनका फल अपने दरिमयान से िमटा दे गा। क्याें िक तूने वही
नहीं खा सकेगा। उन्हें न काटना। क्या दरख़्त ते रेकुछ िकया होगा जो रब की नज़र में दुरुस्त है ।
दुश्मन हैं िजनका मुहासरा करना है ? हरिगज़
नहीं! 20 उन दरख़्ताें की और बात है जो फल जं गी क़ैदी औरत से शादी
नहीं लाते । उन्हें तू काटकर मुहासरे के िलए 10 हो सकता है िक तू अपने दुश्मन से जं ग

इस्ते माल कर सकता है जब तक शहर िशकस्त करे और रब तुम्हारा ख़ुदा तुझे फ़तह बख़्शे ।
न खाए। जं गी क़ैिदयाें को जमा करते वक़्त 11 तुझे उनमें
से एक ख़ूबसूरत औरत नज़र आती है िजसके
साथ ते रा िदल लग जाता है । तू उससे शादी कर
इिस्तसना 21:12 236
सकता है । 12 उसे अपने घर में ले आ। वहाँ वह है । वह हमारी इताअत नहीं करता बिल्क ऐयाश
अपने सर के बालाें को मुँडवाए, अपने नाख़ुन और शराबी है ।” 21 यह सुनकर शहर के तमाम
तराशे 13 और अपने वह कपड़े उतारे जो वह मदर् उसे सं गसार करें । याें तू अपने दरिमयान से
पहने हुए थी जब उसे क़ैद िकया गया। वह पूरे बुराई िमटा दे गा। तमाम इसराईल यह सुनकर
एक महीने तक अपने वािलदै न के िलए मातम डर जाएगा।
करे । िफर तू उसके पास जाकर उसके साथ
शादी कर सकता है । सज़ाए-मौत पाने वाले को
14 अगर वह तुझे िकसी वक़्त पसं द न आए उसी िदन दफ़नाना है
तो उसे जाने दे । वह वहाँ जाए जहाँ उसका जी 22 जब तू िकसी को सज़ाए-मौत दे कर उस

चाहे । तुझे उसे बे चने या उससे लाैं डी का-सा की लाश िकसी लकड़ी या दरख़्त से लटकाता है
सुलूक करने की इजाज़त नहीं है , क्याें िक तूने 23 तो उसे अगली सुबह तक वहाँ न छोड़ना। हर

उसे मजबूर करके उससे शादी की है । सूरत में उसे उसी िदन दफ़ना दे ना, क्याें िक िजसे
भी दरख़्त से लटकाया गया है उस पर अल्लाह
पहलौठे के हुक़ू क़ की लानत है । अगर उसे उसी िदन दफ़नाया न
15 हो सकता है िकसी मदर् की दो बीिवयाँ हाें । जाए तो तू उस मुल्क को नापाक कर दे गा जो

एक को वह प्यार करता है , दूसरी को नहीं। दोनाें रब ते रा ख़ुदा तुझे मीरास में दे रहा है ।
बीिवयाें के बे टे पै दा हुए हैं , ले िकन िजस बीवी
से शौहर मुहब्बत नहीं करता उसका बे टा सबसे मदद करने के िलए तै यार रहना
पहले पै दा हुआ। 16 जब बाप अपनी िमलिकयत
विसयत में तक़सीम करता है तो लािज़म है िक 22 अगर तुझे िकसी हमवतन भाई
का बै ल या भे ड़-बकरी भटकी हुई
वह अपने सबसे बड़े बे टे का मौरूसी हक़ पूरा नज़र आए तो उसे नज़रं दाज़ न करना बिल्क
करे । उसे पहलौठे का यह हक़ उस बीवी के बे टे मािलक के पास वापस ले जाना। 2 अगर
को मुंतिक़ल करने की इजाज़त नहीं िजसे वह मािलक का घर क़रीब न हो या तुझे मालूम न
प्यार करता है । 17 उसे तसलीम करना है िक हो िक मािलक कौन है तो जानवर को अपने घर
उस बीवी का बे टा सबसे बड़ा है , िजससे वह लाकर उस वक़्त तक सँ भाले रखना जब तक
मुहब्बत नहीं करता। नतीजतन उसे उस बे टे को िक मािलक उसे ढूँ डने न आए। िफर जानवर को
दूसरे बे टाें की िनसबत दुगना िहस्सा दे ना पड़े गा, उसे वापस कर दे ना। 3 यही कुछ कर अगर ते रे
क्याें िक वह अपने बाप की ताक़त का पहला हमवतन भाई का गधा भटका हुआ नज़र आए
इज़हार है । उसे पहलौठे का हक़ हािसल है । या उसका गुमशुदा कोट या कोई और चीज़ कहीं
नज़र आए। उसे नज़रं दाज़ न करना।
सरकश बे टा 4 अगर तू दे खे िक िकसी हमवतन का गधा

18 हो सकता है िक िकसी का बे टा हटधमर् या बै ल रास्ते में िगर गया है तो उसे नज़रं दाज़

और सरकश हो। वह अपने वािलदै न की न करना। जानवर को खड़ा करने में अपने भाई
इताअत नहीं करता और उनके तं बीह करने और की मदद कर।
सज़ा दे ने पर भी उनकी नहीं सुनता। 19 इस
सूरत में वािलदै न उसे पकड़कर शहर के दरवाज़े क़ुदरती इं तज़ाम के तहत रहना
पर ले जाएँ जहाँ बुज़ुगर् जमा होते हैं । 20 वह 5 औरत के िलए मदार्ें के कपड़े पहनना मना
बुज़ुगार्ें से कहें , “हमारा बे टा हटधमर् और सरकश है । इसी तरह मदर् के िलए औरताें के कपड़े
237 इिस्तसना 22:26
पहनना भी मना है । जो ऐसा करता है उससे वािलदै न शहर के बुज़ुगार्ें को मज़कूरा कपड़ा
रब ते रे ख़ुदा को िघन आती है । िदखाएँ ।
6 अगर तुझे कहीं रास्ते में , िकसी दरख़्त में 18 तब बुज़ुगर् उस आदमी को पकड़कर सज़ा

या ज़मीन पर घाें सला नज़र आए और पिंरदा दें , 19 क्याें िक उसने एक इसराईली कँ ु वारी की
अपने बच्चाें या अं डाें पर बै ठा हुआ हो तो माँ बदनामी की है । इसके अलावा उसे जुमार्ने के
को बच्चाें समे त न पकड़ना। 7 तुझे बच्चे ले जाने तौर पर बीवी के बाप को चाँ दी के 100 िसक्के
की इजाज़त है ले िकन माँ को छोड़ दे ना तािक दे ने पड़ें गे । लािज़म है िक वह शौहर के फ़रायज़
तू ख़ुशहाल और दे र तक जीता रहे । अदा करता रहे । वह उम्र-भर उसे तलाक़ नहीं दे
8 नया मकान तामीर करते वक़्त छत पर चाराें सकेगा।
तरफ़ दीवार बनाना। वरना तू उस शख़्स की मौत 20 ले िकन अगर आदमी की बात दुरुस्त

का िज़म्मे दार ठहरे गा जो ते री छत पर से िगर िनकले और सािबत न हो सके िक बीवी शादी


जाए। से पहले कँ ु वारी थी 21 तो उसे बाप के घर लाया
9 अपने अं गूर के बाग़ में दो िक़स्म के बीज जाए। वहाँ शहर के आदमी उसे सं गसार कर दें ।
न बोना। वरना सब कुछ मक़िदस के िलए क्याें िक अपने बाप के घर में रहते हुए बदकारी
मख़सूसो-मुक़द्दस होगा, न िसफ़र् वह फ़सल जो करने से उसने इसराईल में एक अहमक़ाना और
तुमने अं गूर के अलावा लगाई बिल्क अं गूर भी। बे दीन हरकत की है । याें तू अपने दरिमयान से
10 बै ल और गधे को जोड़कर हल न चलाना। बुराई िमटा दे गा। 22 अगर कोई आदमी िकसी
11 ऐसे कपड़े न पहनना िजनमें बनते वक़्त की बीवी के साथ िज़ना करे और वह पकड़े
ऊन और कतान िमलाए गए हैं । जाएँ तो दोनाें को सज़ाए-मौत दे नी है । याें तू
12 अपनी चादर के चाराें कोनाें पर फँ ु दने इसराईल से बुराई िमटा दे गा।
लगाना। 23 अगर आबादी में िकसी मदर् की मुला-

क़ात िकसी ऐसी कँ ु वारी से हो िजसकी िकसी


इज़िदवाजी िंज़दगी की िहफ़ाज़त और के साथ मँ गनी हुई है और वह उसके
13 अगर कोई आदमी शादी करने के थोड़ी साथ हमिबसतर हो जाए 24 तो लािज़म है िक
दे र बाद अपनी बीवी को पसं द न करे 14 और तुम दोनाें को शहर के दरवाज़े के पास लाकर
िफर उस की बदनामी करके कहे , “इस औरत सं गसार करो। वजह यह है िक लड़की ने मदद
से शादी करने के बाद मुझे पता चला िक वह के िलए न पुकारा अगरचे उस जगह लोग
कँ ु वारी नहीं है ” 15 तो जवाब में बीवी के वािलदै न आबाद थे । मदर् का जुमर् यह था िक उसने िकसी
शहर के दरवाज़े पर जमा होने वाले बुज़ुगार्ें के और की मं गेतर की इसमतदरी की है । याें तू
पास सबूत a ले आएँ िक बे टी शादी से पहले अपने दरिमयान से बुराई िमटा दे गा।
कँ ु वारी थी। 16 बीवी का बाप बुज़ुगार्ें से कहे , 25 ले िकन अगर मदर् ग़ै रआबाद जगह में

“मैं ने अपनी बे टी की शादी इस आदमी से की िकसी और की मं गेतर की इसमतदरी करे तो


है , ले िकन यह उससे नफ़रत करता है । 17 अब िसफ़र् उसी को सज़ाए-मौत दी जाए। 26 लड़की
इसने उस की बदनामी करके कहा है , ‘मुझे पता को कोई सज़ा न दे ना, क्याें िक उसने कुछ
चला िक तुम्हारी बे टी कँ ु वारी नहीं है ।’ ले िकन नहीं िकया जो मौत के लायक़ हो। ज़्यादती
यहाँ सबूत है िक मे री बे टी कँ ु वारी थी।” िफर करने वाले की हरकत उस शख़्स के बराबर है

a
यानी वह कपड़ा िजस पर नया जोड़ा सोया हुआ था।
इिस्तसना 22:27 238
िजसने िकसी पर हमला करके उसे क़त्ल कर 7 ले िकन अदोिमयाें को मकरूह न समझ-
िदया है । 27 चूँिक उसने लड़की को वहाँ पाया ना, क्याें िक वह तुम्हारे भाई हैं । इसी तरह
जहाँ लोग नहीं रहते , इसिलए अगरचे लड़की ने िमसिरयाें को भी मकरूह न समझना, क्याें िक
मदद के िलए पुकारा तो भी उसे कोई न बचा तू उनके मुल्क में परदे सी मे हमान था। 8 उनकी
सका। तीसरी नसल के लोग रब के मुक़द्दस इजितमा
28 हो सकता है कोई आदमी िकसी लड़की में शरीक हो सकते हैं ।
की इसमतदरी करे िजसकी मँ गनी नहीं हुई है ।
अगर उन्हें पकड़ा जाए 29 तो वह लड़की के बाप ख़ै मागाह में नापाकी
को चाँ दी के 50 िसक्के दे । लािज़म है िक वह 9 अपने दुश्मनाें से जं ग करते वक़्त अपनी

उसी लड़की से शादी करे , क्याें िक उसने उस लशकरगाह में हर नापाक चीज़ से दूर रहना।
की इसमतदरी की है । न िसफ़र् यह बिल्क वह 10 मसलन अगर कोई आदमी रात के वक़्त

उम्र-भर उसे तलाक़ नहीं दे सकता। एहतलाम के बाइस नापाक हो जाए तो वह


30 अपने बाप की बीवी से शादी करना मना लशकरगाह के बाहर जाकर शाम तक वहाँ
है । जो कोई यह करे वह अपने बाप की बे हुरमती ठहरे । 11 िदन ढलते वक़्त वह नहा ले तो सूरज
करता है । डू बने पर लशकरगाह में वापस आ सकता है ।
12 अपनी हाजत रफ़ा करने के िलए
मुक़द्दस इजितमा में शरीक लशकरगाह से बाहर कोई जगह मुक़रर् र कर।
होने की शरायत 13 जब िकसी को हाजत के िलए बै ठना हो तो

23 जब इसराईली रब के मक़िदस के
पास जमा होते हैं तो उसे हािज़र
होने की इजाज़त नहीं जो काटने या कुचलने से
वह इसके िलए गढ़ा खोदे और बाद में उसे िमट्टी
से भर दे । इसिलए अपने सामान में खुदाई का
कोई आला रखना ज़रूरी है ।
ख़ोजा बन गया है । 2 इसी तरह वह भी मुक़द्दस 14 रब ते रा ख़ुदा ते री लशकरगाह में ते रे

इजितमा से दूर रहे जो नाजायज़ ताल्लुक़ात दरिमयान ही घुमता-िफरता है तािक तू महफ़ूज़


के नतीजे में पै दा हुआ है । उस की औलाद भी रहे और दुश्मन ते रे सामने िशकस्त खाए।
दसवीं पुश्त तक उसमें नहीं आ सकती। इसिलए लािज़म है िक ते री लशकरगाह उसके
3 कोई भी अम्मोनी या मोआबी मुक़द्दस िलए मख़सूसो-मुक़द्दस हो। ऐसा न हो िक
इजितमा में शरीक नहीं हो सकता। इन क़ौमाें अल्लाह वहाँ कोई शमर्नाक बात दे खकर तुझसे
की औलाद दसवीं पुश्त तक भी इस जमात दूर हो जाए।
में हािज़र नहीं हो सकती, 4 क्याें िक जब तुम
िमसर से िनकल आए तो वह रोटी और पानी फ़रार हुए ग़ुलामाें की मदद करना
ले कर तुमसे िमलने न आए। न िसफ़र् यह बिल्क 15 अगर कोई ग़ुलाम ते रे पास पनाह ले तो उसे
उन्हाें ने मसोपुतािमया के शहर फ़तोर में जाकर मािलक को वापस न करना। 16 वह ते रे साथ
िबलाम िबन बओर को पै से िदए तािक वह तुझ और ते रे दरिमयान ही रहे , वहाँ जहाँ वह बसना
पर लानत भे जे। 5 ले िकन रब ते रे ख़ुदा ने िबलाम चाहे , उस शहर में जो उसे पसं द आए। उसे न
की न सुनी बिल्क उस की लानत बरकत में दबाना।
बदल दी। क्याें िक रब ते रा ख़ुदा तुझसे प्यार
करता है । 6 उम्र-भर कुछ न करना िजससे इन
क़ौमाें की सलामती और ख़ुशहाली बढ़ जाए।
239 इिस्तसना 24:7
मं िदर में इसमतफ़रोशी मना है तलाक़ और दुबारा शादी

24
17 िकसी दे वता की िख़दमत में इसमत- हो सकता है कोई आदमी िकसी
फ़रोशी करना हर इसराईली औरत और मदर् के औरत से शादी करे ले िकन बाद में
िलए मना है । 18 मन्नत मानते वक़्त न कसबी उसे पसं द न करे , क्याें िक उसे बीवी के बारे में
का अज्र, न कुत्ते के पै से a रब के मक़िदस में िकसी शमर्नाक बात का पता चल गया है । वह
लाना, क्याें िक रब ते रे ख़ुदा को दोनाें चीज़ाें से तलाक़नामा िलखकर उसे औरत को दे ता और
िघन है । िफर उसे घर से वापस भे ज दे ता है । 2 इसके
बाद उस औरत की शादी िकसी और मदर् से
अपने हमवतनाें से सूद न ले ना हो जाती है , 3 और वह भी बाद में उसे पसं द
19 अगर कोई इसराईली भाई तुझसे क़ज़र् ले नहीं करता। वह भी तलाक़नामा िलखकर उसे
तो उससे सूद न ले ना, ख़ाह तूने उसे पै से, खाना औरत को दे ता और िफर उसे घर से वापस भे ज
या कोई और चीज़ दी हो। 20 अपने इसराईली दे ता है । ख़ाह दूसरा शौहर उसे वापस भे ज दे
भाई से सूद न ले बिल्क िसफ़र् परदे सी से । िफर या शौहर मर जाए, 4 औरत के पहले शौहर को
जब तू मुल्क पर क़ब्ज़ा करके उसमें रहे गा तो उससे दुबारा शादी करने की इजाज़त नहीं है ,
रब ते रा ख़ुदा ते रे हर काम में बरकत दे गा। क्याें िक वह औरत उसके िलए नापाक है । ऐसी
हरकत रब की नज़र में क़ािबले -िघन है । उस
अपनी मन्नत पूरी करना मुल्क को याें गुनाहआलूदा न करना जो रब ते रा
21 जब तू रब अपने ख़ुदा के हुज़ूर मन्नत माने ख़ुदा तुझे मीरास में दे रहा है ।
तो उसे पूरा करने में दे र न करना। रब ते रा ख़ुदा
यक़ीनन तुझसे इसका मुतालबा करे गा। अगर मज़ीद िहदायात
तू उसे पूरा न करे तो क़ुसूरवार ठहरे गा। 22 अगर 5 अगर िकसी आदमी ने अभी अभी शादी
तू मन्नत मानने से बाज़ रहे तो क़ुसूरवार नहीं की हो तो तू उसे भरती करके जं ग करने के
ठहरे गा, 23 ले िकन अगर तू अपनी िदली ख़ुशी िलए नहीं भे ज सकता। तू उसे कोई भी ऐसी
से रब के हुज़ूर मन्नत माने तो हर सूरत में उसे िज़म्मे दारी नहीं दे सकता, िजससे वह घर से
पूरा कर। दूर रहने पर मजबूर हो जाए। एक साल तक
वह ऐसी िज़म्मे दािरयाें से बरी रहे तािक घर में
दूसरे के बाग़ में से गुज़रने का रवै या रहकर अपनी बीवी को ख़ुश कर सके।
24 िकसी हमवतन के अं गूर के बाग़ में से 6 अगर कोई तुझसे उधार ले तो ज़मानत के

गुज़रते वक़्त तुझे िजतना जी चाहे उसके अं गूर तौर पर उससे न उस की छोटी चक्की, न उस
खाने की इजाज़त है । ले िकन अपने िकसी की बड़ी चक्की का पाट ले ना, क्याें िक ऐसा
बरतन में फल जमा न करना। 25 इसी तरह करने से तू उस की जान ले गा यानी तू वह चीज़
िकसी हमवतन के अनाज के खे त में से गुज़रते ले गा िजससे उसका गुज़ारा होता है ।
वक़्त तुझे अपने हाथाें से अनाज की बािलयाँ 7 अगर िकसी आदमी को पकड़ा जाए िजसने

तोड़ने की इजाज़त है । ले िकन दराँ ती इस्ते माल अपने हमवतन को इग़वा करके ग़ुलाम बना
न करना।
a
यक़ीन से नहीं कहा जा सकता िक ‘कुत्ते के पै से’ से
क्या मुराद है । ग़ािलबन इसके पीछे बुतपरस्ती का कोई
दस्तूर है ।
इिस्तसना 24:8 240
िलया या बे च िदया है तो उसे सज़ाए-मौत दे ना 19 अगर तू फ़सल की कटाई के वक़्त एक
है । याें तू अपने दरिमयान से बुराई िमटा दे गा। पूला भूलकर खे त में छोड़ आए तो उसे लाने के
8 अगर कोई वबाई िजल्दी बीमारी तुझे लग िलए वापस न जाना। उसे परदे िसयाें , यतीमाें
जाए तो बड़ी एहितयात से लावी के क़बीले के और बे वाआें के िलए वहीं छोड़ दे ना तािक रब
इमामाें की तमाम िहदायात पर अमल करना। ते रा ख़ुदा ते रे हर काम में बरकत दे । 20 जब
जो भी हुक्म मैं ने उन्हें िदया उसे पूरा करना। ज़ै तून की फ़सल पक गई हो तो दरख़्ताें को मार
9 याद कर िक रब ते रे ख़ुदा ने मिरयम के साथ मारकर एक ही बार उनमें से फल उतार। इसके
क्या िकया जब तुम िमसर से िनकलकर सफ़र बाद उन्हें न छे ड़ना। बचा हुआ फल परदे िसयाें ,
कर रहे थे । यतीमाें और बे वाआें के िलए छोड़ दे ना। 21 इसी
तरह अपने अं गूर तोड़ने के िलए एक ही बार
ग़रीबाें के हुक़ू क़ बाग़ में से गुज़रना। इसके बाद उसे न छे ड़ना।
10 अपने हमवतन को उधार दे ते वक़्त उसके बचा हुआ फल परदे िसयाें , यतीमाें और बे वाआें
घर में न जाना तािक ज़मानत की कोई चीज़ के िलए छोड़ दे ना। 22 याद रख िक तू ख़ुद िमसर
िमले 11 बिल्क बाहर ठहरकर इं तज़ार कर िक में ग़ुलाम था। इसी वजह से मैं तुझे यह हुक्म
वह ख़ुद घर से ज़मानत की चीज़ िनकालकर दे ता हूँ ।
तुझे दे । 12 अगर वह इतना ज़रूरतमं द हो िक
िसफ़र् अपनी चादर दे सके तो रात के वक़्त कोड़े लगाने की मुनािसब सज़ा
ज़मानत ते रे पास न रहे । 13 उसे सूरज डू बने तक
वापस करना तािक क़ज़र्दार उसमें िलपटकर सो
सके। िफर वह तुझे बरकत दे गा और रब ते रा
25 अगर लोग अपना एक दूसरे के
साथ झगड़ा ख़ुद िनपटा न सकें
तो वह अपना मामला अदालत में पे श करें ।
ख़ुदा ते रा यह क़दम रास्त क़रार दे गा। क़ाज़ी फ़ैसला करे िक कौन बे क़ुसूर है और
14 ज़रूरतमं द मज़दूर से ग़लत फ़ायदा न कौन मुजिरम। 2 अगर मुजिरम को कोड़े लगाने
उठाना, चाहे वह इसराईली हो या परदे सी। की सज़ा दे नी है तो उसे क़ाज़ी के सामने ही
15 उसे रोज़ाना सूरज डू बने से पहले पहले उस मुँह के बल ज़मीन पर िलटाना। िफर उसे इतने
की मज़दूरी दे दे ना, क्याें िक इससे उसका कोड़े लगाए जाएँ िजतनाें के वह लायक़ है ।
गुज़ारा होता है । कहीं वह रब के हुज़ूर ते री 3 ले िकन उसको ज़्यादा से ज़्यादा 40 कोड़े

िशकायत न करे और तू क़ुसूरवार ठहरे । लगाने हैं , वरना ते रे इसराईली भाई की सरे -
16 वािलदै न को उनके बच्चाें के जरायम के आम बे इज़्ज़ती हो जाएगी।
सबब से सज़ाए-मौत न दी जाए, न बच्चाें को
उनके वािलदै न के जरायम के सबब से । अगर बै ल का मुँह न बाँ धना
िकसी को सज़ाए-मौत दे नी हो तो उस गुनाह के 4 जब तू फ़सल गाहने के िलए उस पर बै ल
सबब से जो उसने ख़ुद िकया है । चलने दे ता है तो उसका मुँह बाँ धकर न रखना।
17 परदे िसयाें और यतीमाें के हुक़ूक़ क़ायम

रखना। उधार दे ते वक़्त ज़मानत के तौर पर बे वा मरहूम भाई की बीवी से


की चादर न ले ना। 18 याद रख िक तू भी िमसर शादी करने का हुक्म
में ग़ुलाम था और िक रब ते रे ख़ुदा ने िफ़द्या दे कर 5 अगर कोई शादीशुदा मदर् बे औलाद मर जाए

तुझे वहाँ से छु ड़ाया। इसी वजह से मैं तुझे यह और उसका सगा भाई साथ रहे तो उसका फ़ज़र्
हुक्म दे ता हूँ । है िक बे वा से शादी करे । बे वा शौहर के ख़ानदान
241 इिस्तसना 26:7
से हटकर िकसी और से शादी न करे बिल्क अमालीिक़याें को सज़ा दे ना
िसफ़र् अपने दे वर से । 6 पहला बे टा जो इस िरश्ते 17 याद रहे िक अमालीिक़याें ने तुझसे क्या
से पै दा होगा पहले शौहर के बे टे की है िसयत कुछ िकया जब तुम िमसर से िनकलकर सफ़र
रखे गा। याें उसका नाम क़ायम रहे गा। कर रहे थे । 18 जब तू थकाहारा था तो वह तुझ
7 ले िकन अगर दे वर भाबी से शादी करना पर हमला करके पीछे पीछे चलने वाले तमाम
न चाहे तो भाबी शहर के दरवाज़े पर जमा कमज़ोराें को जान से मारते रहे । वह अल्लाह
होने वाले बुज़ुगार्ें के पास जाए और उनसे कहे , का ख़ौफ़ नहीं मानते थे । 19 चुनाँ चे जब रब ते रा
“मे रा दे वर मुझसे शादी करने से इनकार करता ख़ुदा तुझे इदर्िगदर् के तमाम दुश्मनाें से सुकून
है । वह अपना फ़ज़र् अदा करने को तै यार नहीं दे गा और तू उस मुल्क में आबाद होगा जो वह
िक अपने भाई का नाम क़ायम रखे ।” 8 िफर तुझे मीरास में दे रहा है तािक तू उस पर क़ब्ज़ा
शहर के बुज़ुगर् दे वर को बुलाकर उसे समझाएँ । करे तो अमालीिक़याें को याें हलाक कर िक
अगर वह इसके बावुजूद भी उससे शादी करने दुिनया में उनका नामो-िनशान न रहे । यह बात
से इनकार करे 9 तो उस की भाबी बुज़ुगार्ें की मत भूलना।
मौजूदगी में उसके पास जाकर उस की एक
चप्पल उतार ले । िफर वह उसके मुँह पर थूककर ज़मीन की पहली पै दावार
कहे , “उस आदमी से ऐसा सुलूक िकया जाता रब को पे श करना
है जो अपने भाई की नसल क़ायम रखने को
तै यार नहीं।” 10 आइं दा इसराईल में दे वर की
नसल “नं गे पाँ ववाले की नसल” कहलाएगी।
26 जब तू उस मुल्क में दािख़ल होगा
जो रब ते रा ख़ुदा तुझे मीरास में
दे रहा है और तू उस पर क़ब्ज़ा करके उसमें
आबाद हो जाएगा 2 तो जो भी फ़सल तू काटे गा
झगड़े में नाज़े बा हरकतें उसके पहले फल में से कुछ टोकरे में रखकर
11 अगर दो आदमी लड़ रहे हाें और एक उस जगह ले जा जो रब ते रा ख़ुदा अपने नाम
की बीवी अपने शौहर को बचाने की ख़ाितर की सुकूनत के िलए चुनेगा। 3 वहाँ िख़दमत
मुख़ािलफ़ के अज़ुए-तनासुल को पकड़ ले करने वाले इमाम से कह, “आज मैं रब अपने
12 तो लािज़म है िक तू औरत का हाथ काट ख़ुदा के हुज़ूर एलान करता हूँ िक उस मुल्क में
डाले । उस पर रहम न करना। पहुँ च गया हूँ िजसका हमें दे ने का वादा रब ने
क़सम खाकर हमारे बापदादा से िकया था।”
धोका न दे ना 4 तब इमाम ते रा टोकरा ले कर उसे रब ते रे
13 तोलते वक़्त अपने थै ले में सहीह वज़न के ख़ुदा की क़ुरबानगाह के सामने रख दे । 5 िफर
बाट रख, और धोका दे ने के िलए हलके बाट रब अपने ख़ुदा के हुज़ूर कह, “मे रा बाप आवारा
साथ न रखना। 14 इसी तरह अपने घर में अनाज िफरने वाला अरामी था जो अपने लोगाें को
की पै माइश करने का सहीह बरतन रख, और ले कर िमसर में आबाद हुआ। वहाँ पहुँ चते वक़्त
धोका दे ने के िलए छोटा बरतन साथ न रखना। उनकी तादाद कम थी, ले िकन होते होते वह
15 सहीह वज़न के बाट और पै माइश करने के बड़ी और ताक़तवर क़ौम बन गए। 6 ले िकन
सहीह बरतन इस्ते माल करना तािक तू दे र तक िमसिरयाें ने हमारे साथ बुरा सुलूक िकया और
उस मुल्क में जीता रहे जो रब ते रा ख़ुदा तुझे हमें दबाकर सख़्त ग़ुलामी में फँसा िदया। 7 िफर
दे गा। 16 क्याें िक उसे हर धोकेबाज़ से िघन है । हमने िचल्लाकर रब अपने बापदादा के ख़ुदा
से फ़िरयाद की, और रब ने हमारी सुनी।
इिस्तसना 26:8 242
उसने हमारा दुख, हमारी मुसीबत और दबी हुई हमें बख़्श भी िदया है , उस मुल्क को िजसमें
हालत दे खी 8 और बड़े इिख़्तयार और क़ुदरत दूध और शहद की कसरत है ।”
का इज़हार करके हमें िमसर से िनकाल लाया।
उस वक़्त उसने िमसिरयाें में दहशत फैलाकर तुम रब की क़ौम हो
बड़े मोिजज़े िदखाए। 9 वह हमें यहाँ ले आया 16 आज रब ते रा ख़ुदा फ़रमाता है िक इन
और यह मुल्क िदया िजसमें दूध और शहद की अहकाम और िहदायात की पै रवी कर। पूरे
कसरत है । 10 ऐ रब, अब मैं तुझे उस ज़मीन िदलो-जान से और बड़ी एहितयात से इन पर
का पहला फल पे श करता हूँ जो तूने हमें बख़्शी अमल कर।
है ।” 17 आज तूने एलान िकया है , “रब मे रा ख़ुदा

अपनी पै दावार का टोकरा रब अपने ख़ुदा है । मैं उस की राहाें पर चलता रहूँ गा, उसके
के सामने रखकर उसे िसजदा करना। 11 ख़ुशी अहकाम के ताबे रहूँ गा और उस की सुनँ ूगा।”
मनाना िक रब मे रे ख़ुदा ने मुझे और मे रे घराने 18 और आज रब ने एलान िकया है , “तू मे री

को इतनी अच्छी चीज़ाें से नवाज़ा है । इस क़ौम और मे री अपनी िमलिकयत है िजस तरह


ख़ुशी में अपने दरिमयान रहने वाले लािवयाें और मैं ने तुझसे वादा िकया है । अब मे रे तमाम
परदे िसयाें को भी शािमल करना। अहकाम के मुतािबक़ िंज़दगी गुज़ार। 19 िजतनी
भी क़ौमें मैं ने ख़लक़ की हैं उन सब पर मैं
फ़सल का ज़रूरतमं दाें के िलए िहस्सा तुझे सरफ़राज़ करूँगा और तुझे तारीफ़, शोहरत
12 हर तीसरे साल अपनी तमाम फ़सलाें और इज़्ज़त अता करूँगा। तू रब अपने ख़ुदा के
का दसवाँ िहस्सा लािवयाें , परदे िसयाें , यती- िलए मख़सूसो-मुक़द्दस क़ौम होगा िजस तरह
माें और बे वाआें को दे ना तािक वह ते रे शहराें मैं ने वादा िकया है ।”
में खाना खाकर से र हो जाएँ । 13 िफर रब
अपने ख़ुदा से कह, “मैं ने वै सा ही िकया है ऐबाल पहाड़ पर क़ुरबानगाह बनाना है
जै सा तूने मुझे हुक्म िदया। मैं ने अपने घर से
ते रे िलए मख़सूसो-मुक़द्दस िहस्सा िनकालकर 27 िफर मूसा ने बुज़ुगार्ें से िमलकर
क़ौम से कहा, “तमाम िहदायात
उसे लािवयाें , परदे िसयाें , यतीमाें और बे वाआें के ताबे रहो जो मैं तुम्हें आज दे रहा हूँ । 2 जब
को िदया है । मैं ने सब कुछ ते री िहदायात के तुम दिरयाए-यरदन को पार करके उस मुल्क में
ऐन मुतािबक़ िकया है और कुछ नहीं भूला। दािख़ल होगे जो रब ते रा ख़ुदा तुझे दे रहा है तो
14 मातम करते वक़्त मैं ने इस मख़सूसो-मुक़द्दस वहाँ बड़े पत्थर खड़े करके उन पर सफेदी कर।

िहस्से से कुछ नहीं खाया। मैं इसे उठाकर घर 3 उन पर लफ़्ज़ बलफ़्ज़ पूरी शरीअत िलख।
से बाहर लाते वक़्त नापाक नहीं था। मैं ने इसमें दिरया को पार करने के बाद यही कुछ कर तािक
से मुरदाें को भी कुछ पे श नहीं िकया। मैं ने रब तू उस मुल्क में दािख़ल हो जो रब ते रा ख़ुदा तुझे
अपने ख़ुदा की इताअत करके वह सब कुछ दे गा और िजसमें दूध और शहद की कसरत है ।
िकया है जो तूने मुझे करने को फ़रमाया था। क्याें िक रब ते रे बापदादा के ख़ुदा ने यह दे ने का
15 चुनाँ चे आसमान पर अपने मक़िदस से िनगाह तुझसे वादा िकया है । 4 चुनाँ चे यरदन को पार

करके अपनी क़ौम इसराईल को बरकत दे । उस करके पत्थराें को ऐबाल पहाड़ पर खड़ा करो
मुल्क को भी बरकत दे िजसका वादा तूने क़सम और उन पर सफेदी कर।
खाकर हमारे बापदादा से िकया और जो तूने 5 वहाँ रब अपने ख़ुदा के िलए क़ुरबानगाह

बनाना। जो पत्थर तू उसके िलए इस्ते माल


243 इिस्तसना 28:3
करे उन्हें लोहे के िकसी औज़ार से न 18 ‘उस पर लानत जो िकसी अं धे की

तराशना। िसफ़र् सािलम पत्थर इस्ते माल राहनुमाई करके उसे ग़लत रास्ते पर ले जाए।’
6

कर। क़ुरबानगाह पर रब अपने ख़ुदा को सब लोग कहें , ‘आमीन!’


भस्म होने वाली क़ुरबािनयाँ पे श कर। 7 सला- 19 ‘उस पर लानत जो परदे िसयाें , यतीमाें या

मती की क़ुरबािनयाँ भी उस पर चढ़ा। उन्हें वहाँ बे वाआें के हुक़ूक़ क़ायम न रखे ।’


रब अपने ख़ुदा के हुज़ूर खाकर ख़ुशी मना। सब लोग कहें , ‘आमीन!’
8 वहाँ खड़े िकए गए पत्थराें पर शरीअत के 20 ‘उस पर लानत जो अपने बाप की बीवी से

तमाम अलफ़ाज़ साफ़ साफ़ िलखे जाएँ ।” हमिबसतर हो जाए, क्याें िक वह अपने बाप की
बे हुरमती करता है ।’
ऐबाल पहाड़ पर से लानत सब लोग कहें , ‘आमीन!’
9 िफर मूसा ने लावी के क़बीले के इमामाें 21 ‘उस पर लानत जो जानवर से िंजसी

से िमलकर तमाम इसराईिलयाें से कहा, “ऐ ताल्लुक़ रखे ।’


इसराईल, ख़ामोशी से सुन। अब तू रब अपने सब लोग कहें , ‘आमीन!’
ख़ुदा की क़ौम बन गया है , 10 इसिलए उसका 22 ‘उस पर लानत जो अपनी सगी बहन,

फ़रमाँ बरदार रह और उसके उन अहकाम पर अपने बाप की बे टी या अपनी माँ की बे टी से


अमल कर जो मैं तुझे आज दे रहा हूँ ।” हमिबसतर हो जाए।’
11 उसी िदन मूसा ने इसराईिलयाें को हुक्म सब लोग कहें , ‘आमीन!’
दे कर कहा, “दिरयाए-यरदन को पार करने
12 23 ‘उस पर लानत जो अपनी सास से

के बाद शमाऊन, लावी, यहूदाह, इशकार, हमिबसतर हो जाए।’


यूसुफ़ और िबनयमीन के क़बीले गिरज़ीम सब लोग कहें , ‘आमीन!’
पहाड़ पर खड़े हो जाएँ । वहाँ वह बरकत के 24 ‘उस पर लानत जो चुपके से अपने

अलफ़ाज़ बोलें । 13 बाक़ी क़बीले यानी रूिबन, हमवतन को क़त्ल कर दे ।’


जद, आशर, ज़बूलून, दान और नफ़ताली सब लोग कहें , ‘आमीन!’
ऐबाल पहाड़ पर खड़े होकर लानत के अलफ़ाज़ 25 ‘उस पर लानत जो पै से ले कर िकसी

बोलें । बे क़ुसूर शख़्स को क़त्ल करे ।’


14 िफर लावी तमाम लोगाें से मुख़ाितब होकर सब लोग कहें , ‘आमीन!’
ऊँची आवाज़ से कहें , 26 ‘उस पर लानत जो इस शरीअत की बातें
15 ‘उस पर लानत जो बुत तराशकर या क़ायम न रखे , न इन पर अमल करे ।’

ढालकर चुपके से खड़ा करे । रब को कारीगर सब लोग कहें , ‘आमीन!’


के हाथाें से बनी हुई ऐसी चीज़ से िघन है ।’
जवाब में सब लोग कहें , ‘आमीन!’ फ़रमाँ बरदारी की बरकतें

28
16 िफर लावी कहें , ‘उस पर लानत जो अपने रब ते रा ख़ुदा तुझे दुिनया की
बाप या माँ की तहक़ीर करे ।’ तमाम क़ौमाें पर सरफ़राज़ करे -
सब लोग कहें , ‘आमीन!’ गा। शतर् यह है िक तू उस की सुने और
17 ‘उस पर लानत जो अपने पड़ोसी की एहितयात से उसके उन तमाम अहकाम पर

ज़मीन की हुदूद आगे पीछे करे ।’ अमल करे जो मैं तुझे आज दे रहा हूँ । 2 रब अपने
सब लोग कहें , ‘आमीन!’ ख़ुदा का फ़रमाँ बरदार रह तो तुझे हर तरह की
बरकत हािसल होगी। 3 रब तुझे शहर और दे हात
इिस्तसना 28:4 244
में बरकत दे गा। 4 ते री औलाद फले -फूले गी, नाफ़रमानी की लानतें
ते री अच्छी-ख़ासी फ़सलें पकेंगी, ते रे गाय-बै लाें 15 ले िकन अगर तू रब अपने ख़ुदा की न सुने
और भे ड़-बकिरयाें के बच्चे तरक़्क़ी करें गे । 5 ते रा और उसके उन तमाम अहकाम पर अमल न
टोकरा फल से भरा रहे गा, और आटा गूँधने का करे जो मैं आज तुझे दे रहा हूँ तो हर तरह की
ते रा बरतन आटे से ख़ाली नहीं होगा। 6 रब तुझे लानत तुझ पर आएगी। 16 शहर और दे हात में
घर में आते और वहाँ से िनकलते वक़्त बरकत तुझ पर लानत होगी। 17 ते रे टोकरे और आटा
दे गा। गूँधने के ते रे बरतन पर लानत होगी। 18 ते री
7 जब ते रे दुश्मन तुझ पर हमला करें गे तो वह औलाद पर, ते रे गाय-बै लाें और भे ड़-बकिरयाें
रब की मदद से िशकस्त खाएँ गे। गो वह िमलकर के बच्चाें पर और ते रे खे ताें पर लानत होगी।
तुझ पर हमला करें तो भी तू उन्हें चाराें तरफ़ 19 घर में आते और वहाँ से िनकलते वक़्त तुझ

मुंतिशर कर दे गा। पर लानत होगी। 20 अगर तू ग़लत काम करके


8 अल्लाह ते रे हर काम में बरकत दे गा। अनाज रब को छोड़े तो जो कुछ भी तू करे वह तुझ पर
की कसरत के सबब से ते रे गोदाम भरे रहें गे। लानतें , परे शािनयाँ और मुसीबतें आने दे गा। तब
रब ते रा ख़ुदा तुझे उस मुल्क में बरकत दे गा ते रा जल्दी से सत्यानास होगा, और तू हलाक
जो वह तुझे दे नेवाला है । 9 रब अपनी क़सम के हो जाएगा।
मुतािबक़ तुझे अपनी मख़सूसो-मुक़द्दस क़ौम 21 रब तुझमें वबाई बीमािरयाँ फैलाएगा

बनाएगा अगर तू उसके अहकाम पर अमल करे िजनके सबब से तुझमें से कोई उस मुल्क
और उस की राहाें पर चले । 10 िफर दुिनया की में िंज़दा नहीं रहे गा िजस पर तू अभी क़ब्ज़ा
तमाम क़ौमें तुझसे ख़ौफ़ खाएँ गी, क्याें िक वह करने वाला है । 22 रब तुझे मोहलक बीमािरयाें ,
दे खेंगी िक तू रब की क़ौम है और उसके नाम से बुख़ार और सूजन से मारे गा। झु लसाने वाली
कहलाता है । गरमी, काल, पतरोग और फफँ ू दी ते री फ़सलें
11 रब तुझे बहुत औलाद दे गा, ते रे रे वड़ ख़त्म करे गी। ऐसी मुसीबताें के बाइस तू तबाह
बढ़ाएगा और तुझे कसरत की फ़सलें दे गा। याें हो जाएगा। 23 ते रे ऊपर आसमान पीतल जै सा
वह तुझे उस मुल्क में बरकत दे गा िजसका वादा सख़्त होगा जबिक ते रे नीचे ज़मीन लोहे की
उसने क़सम खाकर ते रे बापदादा से िकया। मािंनद होगी। 24 बािरश की जगह रब ते रे मुल्क
12 रब आसमान के ख़ज़ानाें को खोलकर वक़्त पर गदर् और रे त बरसाएगा जो आसमान से ते रे
पर ते री ज़मीन पर बािरश बरसाएगा। वह ते रे मुल्क पर छाकर तुझे बरबाद कर दे गी।
हर काम में बरकत दे गा। तू बहुत-सी क़ौमाें 25 जब तू अपने दुश्मनाें का सामना करे तो

को उधार दे गा ले िकन िकसी का भी क़ज़र्दार रब तुझे िशकस्त िदलाएगा। गो तू िमलकर


नहीं होगा। 13 रब तुझे क़ौमाें की दुम नहीं बिल्क उनकी तरफ़ बढ़े गा तो भी उनसे भागकर चाराें
उनका सर बनाएगा। तू तरक़्क़ी करता जाएगा तरफ़ मुंतिशर हो जाएगा। दुिनया के तमाम
और ज़वाल का िशकार नहीं होगा। ले िकन शतर् ममािलक में लोगाें के राें गटे खड़े हो जाएं गे जब
यह है िक तू रब अपने ख़ुदा के वह अहकाम वह ते री मुसीबतें दे खेंगे। 26 पिंरदे और जं गली
मानकर उन पर अमल करे जो मैं तुझे आज जानवर ते री लाशाें को खा जाएं गे, और उन्हें
दे रहा हूँ । 14 जो कुछ भी मैं ने तुझे करने को भगाने वाला कोई नहीं होगा। 27 रब तुझे उन्हीं
कहा है उससे िकसी तरह भी हटकर िंज़दगी न फोड़ाें से मारे गा जो िमसिरयाें को िनकले थे ।
गुज़ारना। न दीगर माबूदाें की पै रवी करना, न ऐसे िजल्दी अमराज़ फैलें गे िजनका इलाज नहीं
उनकी िख़दमत करना।
245 इिस्तसना 28:49
है । 28 तू पागलपन का िशकार हो जाएगा, रब 38 तू अपने खे ताें में बहुत बीज बोने के बावुजूद
तुझे अं धेपन और ज़हनी अबतरी में मुब्तला कम ही फ़सल काटे गा, क्याें िक िटड्डे उसे खा
कर दे गा। 29 दोपहर के वक़्त भी तू अं धे की जाएं गे। 39 तू अं गूर के बाग़ लगाकर उन पर ख़ूब
तरह टटोल टटोलकर िफरे गा। जो कुछ भी तू मे हनत करे गा ले िकन न उनके अं गूर तोड़े गा,
करे उसमें नाकाम रहे गा। रोज़ बरोज़ लोग तुझे न उनकी मै िपएगा, क्याें िक कीड़े उन्हें खा
दबाते और लूटते रहें गे, और तुझे बचाने वाला जाएं गे। 40 गो ते रे पूरे मुल्क में ज़ै तून के दरख़्त
कोई नहीं होगा। हाें गे तो भी तू उनका ते ल इस्ते माल नहीं कर
30 ते री मँ गनी िकसी औरत से होगी तो कोई सकेगा, क्याें िक ज़ै तून ख़राब होकर ज़मीन पर
और आकर उस की इसमतदरी करे गा। तू अपने िगर जाएं गे।
िलए घर बनाएगा ले िकन उसमें नहीं रहे गा। 41 ते रे बे टे-बे िटयाँ तो हाें गे, ले िकन तू उनसे

तू अपने िलए अं गूर का बाग़ लगाएगा ले िकन महरूम हो जाएगा। क्याें िक उन्हें िगिरफ़्तार
उसका फल नहीं खाएगा। 31 ते रे दे खते दे खते करके िकसी अजनबी मुल्क में ले जाया
ते रा बै ल ज़बह िकया जाएगा, ले िकन तू उसका जाएगा। 42 िटिड्डयाें के ग़ोल ते रे मुल्क के
गोश्त नहीं खाएगा। ते रा गधा तुझसे छीन िलया तमाम दरख़्ताें और फ़सलाें पर क़ब्ज़ा कर
जाएगा और वापस नहीं िकया जाएगा। ते री लें गे। 43 ते रे दरिमयान रहने वाला परदे सी तुझसे
भे ड़-बकिरयाँ दुश्मन को दी जाएँ गी, और उन्हें बढ़कर तरक़्क़ी करता जाएगा जबिक तुझ पर
छु ड़ाने वाला कोई नहीं होगा। 32 ते रे बे टे-बे िटयाें ज़वाल आ जाएगा। 44 उसके पास तुझे उधार
को िकसी दूसरी क़ौम को िदया जाएगा, और दे ने के िलए पै से हाें गे जबिक ते रे पास उसे उधार
तू कुछ नहीं कर सकेगा। रोज़ बरोज़ तू अपने दे ने को कुछ नहीं होगा। आिख़र में वह सर और
बच्चाें के इं तज़ार में उफ़क़ को तकता रहे गा, तू दुम होगा।
ले िकन दे खते दे खते ते री आँखें धुँधला जाएँ गी। 45 यह तमाम लानतें तुझ पर आन पड़ें गी।

33 एक अजनबी क़ौम ते री ज़मीन की पै दावार जब तक तू तबाह न हो जाए वह ते रा ताक़्क़ुब


और ते री मे हनतो-मशक़्क़त की कमाई ले करती रहें गी, क्याें िक तूने रब अपने ख़ुदा की न
जाएगी। तुझे उम्र-भर ज़ुल्म और दबाव बरदाश्त सुनी और उसके अहकाम पर अमल न िकया।
करना पड़े गा। 46 याें यह हमे शा तक ते रे और ते री औलाद के

34 जो हौलनाक बातें ते री आँखें दे खेंगी उनसे िलए एक मोिजज़ाना और इबरतअं गेज़ इलाही
तू पागल हो जाएगा। 35 रब तुझे तकलीफ़दे ह िनशान रहें गी।
और लाइलाज फोड़ाें से मारे गा जो तल्वे से 47 चूँिक तूने िदली ख़ुशी से उस वक़्त रब

ले कर चाँ दी तक पूरे िजस्म पर फैलकर ते रे अपने ख़ुदा की िख़दमत न की जब ते रे पास सब


घुटनाें और टाँ गाें को मुतअिस्सर करें गे । कुछ था 48 इसिलए तू उन दुश्मनाें की िख़दमत
36 रब तुझे और ते रे मुक़रर् र िकए हुए बादशाह करे गा िजन्हें रब ते रे िख़लाफ़ भे जेगा। तू भूका,
को एक ऐसे मुल्क में ले जाएगा िजससे न तू प्यासा, नं गा और हर चीज़ का हाजतमं द होगा,
और न ते रे बापदादा वािक़फ़ थे । वहाँ तू दीगर और रब ते री गरदन पर लोहे का जुआ रखकर
माबूदाें यानी लकड़ी और पत्थर के बुताें की तुझे मुकम्मल तबाही तक ले जाएगा।
िख़दमत करे गा। 37 िजस िजस क़ौम में रब तुझे 49 रब ते रे िख़लाफ़ एक क़ौम खड़ी करे गा

हाँ क दे गा वहाँ तुझे दे खकर लोगाें के राें गटे खड़े जो दूर से बिल्क दुिनया की इं तहा से आकर
हो जाएं गे और वह ते रा मज़ाक़ उड़ाएँ गे। तू उनके उक़ाब की तरह तुझ पर झपट्टा मारे गी। वह ऐसी
िलए इबरतअं गेज़ िमसाल होगा। ज़बान बोले गी िजससे तू वािक़फ़ नहीं होगा।
इिस्तसना 28:50 246
50 वह सख़्त क़ौम होगी जो न बुज़ुगार्ें का िलहाज़ िमसर में दहशत खाता था वह अब ते रे दरिमयान
करे गी और न बच्चाें पर रहम करे गी। 51 वह ते रे फैलकर ते रे साथ िचमटी रहें गी। 61 न िसफ़र्
मवे शी और फ़सलें खा जाएगी और तू भूके मर शरीअत की इस िकताब में बयान की हुई
जाएगा। तू हलाक हो जाएगा, क्याें िक ते रे िलए बीमािरयाँ और मुसीबतें तुझ पर आएँ गी बिल्क
कुछ नहीं बचे गा, न अनाज, न मै , न ते ल, न रब और भी तुझ पर भे जेगा, जब तक िक तू
गाय-बै लाें या भे ड़-बकिरयाें के बच्चे । 52 दुश्मन हलाक न हो जाए।
ते रे मुल्क के तमाम शहराें का मुहासरा करे गा। 62 अगर तू रब अपने ख़ुदा की न सुने तो

आिख़रकार िजन ऊँची और मज़बूत फ़सीलाें पर आिख़रकार तुममें से बहुत कम बचे रहें गे, गो
तू एतमाद करे गा वह भी सब िगर पड़ें गी। दुश्मन तुम पहले िसताराें जै से बे शुमार थे । 63 िजस तरह
उस मुल्क का कोई भी शहर नहीं छोड़े गा जो रब पहले रब ख़ुशी से तुम्हें कामयाबी दे ता और
ते रा ख़ुदा तुझे दे नेवाला है । तुम्हारी तादाद बढ़ाता था उसी तरह अब वह
53 जब दुश्मन ते रे शहराें का मुहासरा करे गा तुम्हें बरबाद और तबाह करने में ख़ुशी महसूस
तो तू उनमें इतना शदीद भूका हो जाएगा िक करे गा। तुम्हें ज़बरदस्ती उस मुल्क से िनकाला
अपने बच्चाें को खा ले गा जो रब ते रे ख़ुदा ने तुझे जाएगा िजस पर तू इस वक़्त दािख़ल होकर
िदए हैं । 54-55 मुहासरे के दौरान तुममें से सबसे क़ब्ज़ा करने वाला है । 64 तब रब तुझे दुिनया के
शरीफ़ और शायस्ता आदमी भी अपने बच्चे को एक िसरे से ले कर दूसरे िसरे तक तमाम क़ौमाें
ज़बह करके खाएगा, क्याें िक उसके पास कोई में मुंतिशर कर दे गा। वहाँ तू दीगर माबूदाें की
और ख़ुराक नहीं होगी। उस की हालत इतनी पूजा करे गा, ऐसे दे वताआें की िजनसे न तू और
बुरी होगी िक वह उसे अपने सगे भाई, बीवी न ते रे बापदादा वािक़फ़ थे ।
या बाक़ी बच्चाें के साथ तक़सीम करने के िलए 65 उन ममािलक में भी न तू आरामो-सुकून

तै यार नहीं होगा। 56-57 तुममें से सबसे शरीफ़ पाएगा, न ते रे पाँ व जम जाएं गे। रब होने दे गा िक
और शायस्ता औरत भी ऐसा ही करे गी, अगरचे ते रा िदल थरथराता रहे गा, ते री आँखें परे शानी
पहले वह इतनी नाज़ुक थी िक फ़शर् को अपने के बाइस धुँधला जाएँ गी और ते री जान से
तल्वे से छू ने की जुरर्त नहीं करती थी। मुहासरे उम्मीद की हर िकरण जाती रहे गी। 66 ते री जान
के दौरान उसे इतनी शदीद भूक होगी िक जब हर वक़्त ख़तरे में होगी और तू िदन-रात दहशत
उसके बच्चा पै दा होगा तो वह छु प छु पकर उसे खाते हुए मरने की तवक़्क़ो करे गा। 67 सुबह
खाएगी। न िसफ़र् यह बिल्क वह पै दाइश के उठकर तू कहे गा, ‘काश शाम हो!’ और शाम
वक़्त बच्चे के साथ ख़ािरज हुई आलाइश भी के वक़्त, ‘काश सुबह हो!’ क्याें िक जो कुछ तू
खाएगी और उसे अपने शौहर या अपने बाक़ी दे खेगा उससे ते रे िदल को दहशत घे र ले गी।
बच्चाें में बाँ टने के िलए तै यार नहीं होगी। इतनी 68 रब तुझे जहाज़ाें में िबठाकर िमसर वापस

मुसीबत तुझ पर मुहासरे के दौरान आएगी। ले जाएगा अगरचे मैं ने कहा था िक तू उसे दुबारा
58 ग़रज़ एहितयात से शरीअत की उन तमाम कभी नहीं दे खेगा। वहाँ पहुँ चकर तुम अपने
बाताें की पै रवी कर जो इस िकताब में दजर् हैं , दुश्मनाें से बात करके अपने आपको ग़ुलाम के
और रब अपने ख़ुदा के पुरजलाल और बारोब तौर पर बे चने की कोिशश करोगे , ले िकन कोई
नाम का ख़ौफ़ मानना। 59 वरना वह तुझ और भी तुम्हें ख़रीदना नहीं चाहे गा।”
ते री औलाद में सख़्त और लाइलाज अमराज़
और ऐसी दहशतनाक वबाएँ फैलाएगा जो रोकी
नहीं जा सकेंगी। 60 िजन तमाम वबाआें से तू
247 इिस्तसना 29:21
मोआब में रब के साथ नया अहद ख़ुदा का वह अहद तसलीम करे जो वह आज

29 जब इसराईली मोआब में थे तो


रब ने मूसा को हुक्म िदया िक
इसराईिलयाें के साथ एक और अहद बाँ धे।
क़सम खाकर ते रे साथ बाँ ध रहा है । 13 इससे
वह आज इसकी तसदीक़ कर रहा है िक तू उस
की क़ौम और वह ते रा ख़ुदा है यानी वही बात
यह उस अहद के अलावा था जो रब होिरब िजसका वादा उसने तुझसे और ते रे बापदादा
यानी सीना पर उनके साथ बाँ ध चुका था। 2 इस इब्राहीम, इसहाक़ और याक़ूब से िकया था।
िसलिसले में मूसा ने तमाम इसराईिलयाें को 14-15 ले िकन मैं यह अहद क़सम खाकर न िसफ़र्

बुलाकर कहा, “तुमने ख़ुद दे खा िक रब ने िमसर तुम्हारे साथ जो हािज़र हो बाँ ध रहा हूँ बिल्क
के बादशाह िफ़रौन, उसके मुलािज़माें और पूरे तुम्हारी आने वाली नसलाें के साथ भी।
मुल्क के साथ क्या कुछ िकया। 3 तुमने अपनी
आँखाें से वह बड़ी आज़माइशें , इलाही िनशान बुतपरस्ती की सज़ा
और मोिजज़े दे खे िजनके ज़रीए रब ने अपनी 16 तुम ख़ुद जानते हो िक हम िमसर में िकस
क़ुदरत का इज़हार िकया। तरह िंज़दगी गुज़ारते थे । यह भी तुम्हें याद
4 मगर अफ़सोस, आज तक रब ने तुम्हें न है िक हम िकस तरह मुख़्तिलफ़ ममािलक में
समझदार िदल अता िकया, न आँखें जो दे ख से गुज़रते हुए यहाँ तक पहुँ चे। 17 तुमने उनके
सकें या कान जो सुन सकें। 5 रे िगस्तान में मैं ने नफ़रतअं गेज़ बुत दे खे जो लकड़ी, पत्थर, चाँ दी
40 साल तक तुम्हारी राहनुमाई की। इस दौरान और सोने के थे । 18 ध्यान दो िक यहाँ मौजूद
न तुम्हारे कपड़े फटे और न तुम्हारे जूते िघसे । कोई भी मदर्, औरत, कं ु बा या क़बीला रब अपने
6 न तुम्हारे पास रोटी थी, न मै या मै जै सी कोई ख़ुदा से हटकर दूसरी क़ौमाें के दे वताआें की
और चीज़। तो भी रब ने तुम्हारी ज़रूिरयात पूरी पूजा न करे । ऐसा न हो िक तुम्हारे दरिमयान
कीं तािक तुम सीख लो िक वही रब तुम्हारा ख़ुदा कोई जड़ फूटकर ज़हरीला और कड़वा फल
है । लाए।
7 िफर हम यहाँ आए तो हसबोन का बादशाह 19 तुम सबने वह लानतें सुनी हैं जो रब

सीहोन और बसन का बादशाह ओज िनकलकर नाफ़रमानाें पर भे जेगा। तो भी हो सकता है


हमसे लड़ने आए। ले िकन हमने उन्हें िशकस्त िक कोई अपने आपको रब की बरकत का
दी। 8 उनके मुल्क पर क़ब्ज़ा करके हमने उसे वािरस समझकर कहे , ‘बे शक मैं अपनी ग़लत
रूिबन, जद और मनस्सी के आधे क़बीले को राहाें से हटने के िलए तै यार नहीं हूँ , ले िकन
मीरास में िदया। 9 अब एहितयात से इस अहद कोई बात नहीं। मैं महफ़ूज़ रहूँ गा।’ ख़बरदार,
की तमाम शरायत पूरी करो तािक तुम हर बात ऐसी हरकत से वह न िसफ़र् अपने ऊपर बिल्क
में कामयाब हो। पूरे मुल्क पर तबाही लाएगा।a 20 रब कभी भी
10 इस वक़्त तुम सब रब अपने ख़ुदा के उसे मुआफ़ करने पर आमादा नहीं होगा बिल्क
हुज़ूर खड़े हो, तुम्हारे क़बीलाें के सरदार, तुम्हारे वह उसे अपने ग़ज़ब और ग़ै रत का िनशाना
बुज़ुगर्, िनगहबान, मदर्, 11 औरतें और बच्चे । ते रे बनाएगा। इस िकताब में दजर् तमाम लानतें उस
दरिमयान रहने वाले परदे सी भी लकड़हाराें से पर आएँ गी, और रब दुिनया से उसका नामो-
ले कर पानी भरने वालाें तक ते रे साथ यहाँ हािज़र िनशान िमटा दे गा। 21 वह उसे पूरी जमात से
हैं । 12 तू इसिलए यहाँ जमा हुआ है िक रब अपने अलग करके उस पर अहद की वह तमाम लानतें
a
लफ़्ज़ी तरजुमा : से राब ज़मीन ख़ुश्क ज़मीन के साथ
तबाह हो जाएगी।
इिस्तसना 29:22 248
लाएगा जो शरीअत की इस िकताब में िलखी जाएगा। 2 तब तू और ते री औलाद रब अपने
हुई हैं । ख़ुदा के पास वापस आएँ गे और पूरे िदलो-
22 मुस्तक़िबल में तुम्हारी औलाद और दूर- जान से उस की सुनकर उन तमाम अहकाम पर
दराज़ ममािलक से आने वाले मुसािफ़र उन अमल करें गे जो मैं आज तुझे दे रहा हूँ । 3 िफर रब
मुसीबताें और अमराज़ का असर दे खेंगे िजनसे ते रा ख़ुदा तुझे बहाल करे गा और तुझ पर रहम
रब ने मुल्क को तबाह िकया होगा। 23 चाराें करके तुझे उन तमाम क़ौमाें से िनकालकर जमा
तरफ़ ज़मीन झु लसी हुई और गं धक और नमक करे गा िजनमें उसने तुझे मुंतिशर कर िदया था।
से ढकी हुई नज़र आएगी। बीज उसमें बोया 4 हाँ , रब ते रा ख़ुदा तुझे हर जगह से जमा करके

नहीं जाएगा, क्याें िक ख़ुदरौ पौदाें तक कुछ नहीं वापस लाएगा, चाहे तू सबसे दूर मुल्क में क्याें
उगे गा। तुम्हारा मुल्क सदूम, अमूरा, अदमा और न पड़ा हो। 5 वह तुझे ते रे बापदादा के मुल्क में
ज़बोईम की मािंनद होगा िजनको रब ने अपने लाएगा, और तू उस पर क़ब्ज़ा करे गा। िफर वह
ग़ज़ब में तबाह िकया। 24 तमाम क़ौमें पूछेंगी, तुझे ते रे बापदादा से ज़्यादा कामयाबी बख़्शे गा,
‘रब ने इस मुल्क के साथ ऐसा क्याें िकया? और ते री तादाद ज़्यादा बढ़ाएगा।
उसके सख़्त ग़ज़ब की क्या वजह थी?’ 25 उन्हें 6 ख़तना रब की क़ौम का ज़ािहरी िनशान है ।

जवाब िमले गा, ‘वजह यह है िक इस मुल्क के ले िकन उस वक़्त रब ते रा ख़ुदा ते रे और ते री


बािंशदाें ने रब अपने बापदादा के ख़ुदा का अहद औलाद का बाितनी ख़तना करे गा तािक तू उसे
तोड़ िदया जो उसने उन्हें िमसर से िनकालते पूरे िदलो-जान से प्यार करे और जीता रहे । 7 जो
वक़्त उनसे बाँ धा था। 26 उन्हाें ने जाकर दीगर लानतें रब ते रा ख़ुदा तुझ पर लाया था उन्हें
माबूदाें की िख़दमत की और उन्हें िसजदा िकया वह अब ते रे दुश्मनाें पर आने दे गा, उन पर जो
िजनसे वह पहले वािक़फ़ नहीं थे और जो रब तुझसे नफ़रत रखते और तुझे ईज़ा पहुँ चाते हैं ।
ने उन्हें नहीं िदए थे । 27 इसी िलए उसका ग़ज़ब 8 क्याें िक तू दुबारा रब की सुनेगा और उसके

इस मुल्क पर नािज़ल हुआ और वह उस पर वह तमाम अहकाम की पै रवी करे गा जो मैं तुझे


तमाम लानतें लाया िजनका िज़क्र इस िकताब आज दे रहा हूँ । 9 जो कुछ भी तू करे गा उसमें
में है । 28 वह इतना ग़ुस्से हुआ िक उसने उन्हें रब तुझे बड़ी कामयाबी बख़्शे गा, और तुझे
जड़ से उखाड़कर एक अजनबी मुल्क में फेंक कसरत की औलाद, मवे शी और फ़सलें हािसल
िदया जहाँ वह आज तक आबाद हैं ।’ हाें गी। क्याें िक िजस तरह वह ते रे बापदादा को
29 बहुत कुछ पोशीदा है , और िसफ़र् रब हमारा कामयाबी दे ने में ख़ुशी महसूस करता था उसी
ख़ुदा उसका इल्म रखता है । ले िकन उसने हम तरह वह तुझे भी कामयाबी दे ने में ख़ुशी महसूस
पर अपनी शरीअत का इनिकशाफ़ कर िदया है । करे गा।
लािज़म है िक हम और हमारी औलाद उसके 10 शतर् िसफ़र् यह है िक तू रब अपने ख़ुदा की

फ़रमाँ बरदार रहें । सुने, शरीअत में दजर् उसके अहकाम पर अमल
करे और पूरे िदलो-जान से उस की तरफ़ रुजू
तौबा के मुसबत नतीजे लाए।

30 मैं ने तुझे बताया है िक ते रे िलए 11 जो अहकाम मैं आज तुझे दे रहा हूँ न वह

क्या कुछ बरकत का और क्या हद से ज़्यादा मुिश्कल हैं , न ते री पहुँ च से बाहर।


कुछ लानत का बाइस है । जब रब ते रा ख़ुदा 12 वह आसमान पर नहीं हैं िक तू कहे , ‘कौन

तुझे ते री ग़लत हरकताें के सबब से मुख़्तिलफ़ आसमान पर चढ़कर हमारे िलए यह अहकाम
क़ौमाें में मुंतिशर कर दे गा तो तू मे री बातें मान नीचे ले आए तािक हम उन्हें सुन सकें और
249 इिस्तसना 31:8
उन पर अमल कर सकें?’ 13 वह समुंदर के खाकर ते रे बापदादा इब्राहीम, इसहाक़ और
पार भी नहीं हैं िक तू कहे , ‘कौन समुंदर को याक़ूब से िकया था।”
पार करके हमारे िलए यह अहकाम लाएगा
तािक हम उन्हें सुन सकें और उन पर अमल यशुअ को मूसा की जगह
कर सकें?’ क्याें िक यह कलाम ते रे िनहायत
14 मुक़रर् र िकया जाता है
क़रीब बिल्क ते रे मुँह और िदल में मौजूद है ।
चुनाँ चे उस पर अमल करने में कोई भी रुकावट
नहीं है ।
312 “अब मैं
मूसा ने जाकर तमाम इसराई-
िलयाें से मज़ीद कहा,
120 साल का हो चुका हूँ । मे रा
चलना-िफरना मुिश्कल हो गया है । और वै से
िंज़दगी या मौत का चुनाव भी रब ने मुझे बताया है , ‘तू दिरयाए-यरदन
15 दे ख, आज मैं तुझे दो रास्ते पे श करता को पार नहीं करे गा।’ 3 रब ते रा ख़ुदा ख़ुद ते रे

हूँ । एक िंज़दगी और ख़ुशहाली की तरफ़ ले आगे आगे जाकर यरदन को पार करे गा। वही
जाता है जबिक दूसरा मौत और हलाकत की ते रे आगे आगे इन क़ौमाें को तबाह करे गा तािक
तरफ़। 16 आज मैं तुझे हुक्म दे ता हूँ िक रब तू उनके मुल्क पर क़ब्ज़ा कर सके। दिरया को
अपने ख़ुदा को प्यार कर, उस की राहाें पर पार करते वक़्त यशुअ ते रे आगे चले गा िजस
चल और उसके अहकाम के ताबे रह। िफर तू तरह रब ने फ़रमाया है । 4 रब वहाँ के लोगाें को
िंज़दा रहकर तरक़्क़ी करे गा, और रब ते रा ख़ुदा िबलकुल उसी तरह तबाह करे गा िजस तरह वह
तुझे उस मुल्क में बरकत दे गा िजसमें तू दािख़ल अमोिरयाें को उनके बादशाहाें सीहोन और ओज
होने वाला है । समे त तबाह कर चुका है । 5 रब तुम्हें उन पर
17 ले िकन अगर ते रा िदल इस रास्ते से हटकर ग़ािलब आने दे गा। उस वक़्त तुम्हें उनके साथ

नाफ़रमानी करे तो बरकत की तवक़्क़ो न कर। वै सा सुलूक करना है जै सा मैं ने तुम्हें बताया है ।
अगर तू आज़माइश में पड़कर दीगर माबूदाें 6 मज़बूत और िदले र हो। उनसे ख़ौफ़ न खाओ,
को िसजदा और उनकी िख़दमत करे 18 तो तुम क्याें िक रब ते रा ख़ुदा ते रे साथ चलता है । वह
ज़रूर तबाह हो जाओगे । आज मैं एलान करता तुझे कभी नहीं छोड़े गा, तुझे कभी तकर् नहीं
हूँ िक इस सूरत में तुम ज़्यादा दे र तक उस करे गा।”
मुल्क में आबाद नहीं रहोगे िजसमें तू दिरयाए- 7 इसके बाद मूसा ने तमाम इसराईिलयाें के

यरदन को पार करके दािख़ल होगा तािक उस सामने यशुअ को बुलाया और उससे कहा,
पर क़ब्ज़ा करे । “मज़बूत और िदले र हो, क्याें िक तू इस क़ौम
19 आज आसमान और ज़मीन तुम्हारे को उस मुल्क में ले जाएगा िजसका वादा रब
िख़लाफ़ मे रे गवाह हैं िक मैं ने तुम्हें िंज़दगी ने क़सम खाकर उनके बापदादा से िकया था।
और बरकताें का रास्ता और मौत और लानताें लािज़म है िक तू ही उसे तक़सीम करके हर
का रास्ता पे श िकया है । अब िंज़दगी का रास्ता क़बीले को उसका मौरूसी इलाक़ा दे । 8 रब ख़ुद
इिख़्तयार कर तािक तू और ते री औलाद िंज़दा ते रे आगे आगे चलते हुए ते रे साथ होगा। वह तुझे
रहे । 20 रब अपने ख़ुदा को प्यार कर, उस की कभी नहीं छोड़े गा, तुझे कभी नहीं तकर् करे गा।
सुन और उससे िलपटा रह। क्याें िक वही ते री ख़ौफ़ न खाना, न घबराना।”
िंज़दगी है और वही करे गा िक तू दे र तक उस
मुल्क में जीता रहे गा िजसका वादा उसने क़सम
इिस्तसना 31:9 250
हर सात साल के बाद शरीअत मुसीबतें उन पर आएँ गी। उस वक़्त वह कहें गे,
की ितलावत ‘क्या यह मुसीबतें इस वजह से हम पर नहीं
9 मूसा ने यह पूरी शरीअत िलखकर इसराईल आइर्ं िक रब हमारे साथ नहीं है ?’ 18 और ऐसा
के तमाम बुज़ुगार्ें और लावी के क़बीले के उन ही होगा। मैं ज़रूर अपना चे हरा उनसे छु पाए
इमामाें के सुपुदर् की जो सफ़र करते वक़्त अहद रखूँगा, क्याें िक दीगर माबूदाें के पीछे चलने से
का सं दूक़ उठाकर ले चलते थे । उसने उनसे उन्हाें ने एक िनहायत शरीर क़दम उठाया होगा।
कहा, 10-11 “हर सात साल के बाद इस शरीअत 19 अब ज़ै ल का गीत िलखकर इसराईिलयाें

की ितलावत करना, यानी बहाली के साल में को याें िसखाओ िक वह ज़बानी याद रहे और
जब तमाम क़ज़र् मनसूख़ िकए जाते हैं । ितलावत मे रे िलए उनके िख़लाफ़ गवाही िदया करे ।
उस वक़्त करना है जब इसराईली झाें पिड़याें की 20 क्याें िक मैं उन्हें उस मुल्क में ले जा रहा हूँ

ईद के िलए रब अपने ख़ुदा के सामने उस जगह िजसका वादा मैं ने क़सम खाकर उनके बापदादा
हािज़र हाें गे जो वह मक़िदस के िलए चुनेगा। से िकया था, उस मुल्क में िजसमें दूध और
12 तमाम लोगाें को मदार्ें , औरताें , बच्चाें और शहद की कसरत है । वहाँ इतनी ख़ुराक होगी
परदे िसयाें समे त वहाँ जमा करना तािक वह िक उनकी भूक जाती रहे गी और वह मोटे हो
सुनकर सीखें , रब तुम्हारे ख़ुदा का ख़ौफ़ मानें जाएं गे। ले िकन िफर वह दीगर माबूदाें के पीछे
और एहितयात से इस शरीअत की बाताें पर लग जाएं गे और उनकी िख़दमत करें गे । वह मुझे
अमल करें । 13 लािज़म है िक उनकी औलाद जो रद्द करें गे और मे रा अहद तोड़ें गे । 21 नतीजे में
इस शरीअत से नावािक़फ़ है इसे सुने और सीखे उन पर बहुत सारी है बतनाक मुसीबतें आएँ गी।
तािक उम्र-भर उस मुल्क में रब तुम्हारे ख़ुदा का िफर यह गीत जो उनकी औलाद को याद रहे गा
ख़ौफ़ माने िजस पर तुम दिरयाए-यरदन को पार उनके िख़लाफ़ गवाही दे गा। क्याें िक गो मैं उन्हें
करके क़ब्ज़ा करोगे ।” उस मुल्क में ले जा रहा हूँ िजसका वादा मैं ने
क़सम खाकर उनसे िकया था तो भी मैं जानता
रब मूसा को आिख़री िहदायात दे ता है हूँ िक वह अब तक िकस तरह की सोच रखते
14 रब ने मूसा से कहा, “अब ते री मौत क़रीब हैं ।”
है । यशुअ को बुलाकर उसके साथ मुलाक़ात 22 मूसा ने उसी िदन यह गीत िलखकर

के ख़ै मे में हािज़र हो जा। वहाँ मैं उसे उस की इसराईिलयाें को िसखाया।


िज़म्मे दािरयाँ साैं पँ ूगा।” 23 िफर रब ने यशुअ िबन नून से कहा,

मूसा और यशुअ आकर ख़ै मे में हािज़र हुए “मज़बूत और िदले र हो, क्याें िक तू इसराई-
15 तो रब ख़ै मे के दरवाज़े पर बादल के सतून िलयाें को उस मुल्क में ले जाएगा िजसका वादा
में ज़ािहर हुआ। 16 उसने मूसा से कहा, “तू मैं ने क़सम खाकर उनसे िकया था। मैं ख़ुद ते रे
जल्द ही मरकर अपने बापदादा से जा िमले गा। साथ हूँ गा।”
ले िकन यह क़ौम मुल्क में दािख़ल होने पर िज़ना 24 जब मूसा ने पूरी शरीअत को िकताब में

करके उसके अजनबी दे वताआें की पै रवी करने िलख िलया 25 तो वह उन लािवयाें से मुख़ाितब
लग जाएगी। वह मुझे तकर् करके वह अहद हुआ जो सफ़र करते वक़्त अहद का सं दूक़
तोड़ दे गी जो मैं ने उनके साथ बाँ धा है । 17 िफर उठाकर ले जाते थे । 26 “शरीअत की यह
मे रा ग़ज़ब उन पर भड़केगा। मैं उन्हें छोड़कर िकताब ले कर रब अपने ख़ुदा के अहद के सं दूक़
अपना चे हरा उनसे छु पा लूँगा। तब उन्हें कच्चा के पास रखना। वहाँ वह पड़ी रहे और ते रे
चबा िलया जाएगा और बहुत सारी है बतनाक िख़लाफ़ गवाही दे ती रहे । 27 क्याें िक मैं ख़ूब
251 इिस्तसना 32:14
जानता हूँ िक तू िकतना सरकश और हटधमर् तुम्हारा बाप और ख़ािलक़ है , िजसने तुम्हें
है । मे री मौजूदगी में भी तुमने िकतनी दफ़ा रब बनाया और क़ायम िकया।
से सरकशी की। तो िफर मे रे मरने के बाद तुम
क्या कुछ नहीं करोगे ! 28 अब मे रे सामने अपने 7 क़दीम ज़माने को याद करना, माज़ी की
क़बीलाें के तमाम बुज़ुगार्ें और िनगहबानाें को नसलाें पर तवज्जुह दे ना। अपने बाप से पूछना
जमा करो तािक वह ख़ुद मे री यह बातें सुनें और तो वह तुझे बता दे गा, अपने बुज़ुगार्ें से पता
आसमान और ज़मीन उनके िख़लाफ़ गवाह हाें । करना तो वह तुझे इत्तला दें गे ।
29 क्याें िक मुझे मालूम है िक मे री मौत के बाद 8 जब अल्लाह तआला ने हर क़ौम को उसका

तुम ज़रूर िबगड़ जाओगे और उस रास्ते से हट अपना अपना मौरूसी इलाक़ा दे कर तमाम
जाओगे िजस पर चलने की मैं ने तुम्हें ताकीद इनसानाें को मुख़्तिलफ़ गुरोहाें में अलग कर
की है । आिख़रकार तुम पर मुसीबत आएगी, िदया तो उसने क़ौमाें की सरहद्दें इसराईिलयाें
क्याें िक तुम वह कुछ करोगे जो रब को बुरा की तादाद के मुतािबक़ मुक़रर् र कीं।
लगता है , तुम अपने हाथाें के काम से उसे ग़ुस्सा 9 क्याें िक रब का िहस्सा उस की क़ौम है ,

िदलाओगे ।” याक़ूब को उसने मीरास में पाया है ।


30 िफर मूसा ने इसराईल की तमाम जमात 10 यह क़ौम उसे रे िगस्तान में िमल गई,

के सामने यह गीत शुरू से ले कर आिख़र तक वीरानो-सुनसान बयाबान में जहाँ चाराें तरफ़
पे श िकया, हौलनाक आवाज़ें गूँजती थीं। उसने उसे घे रकर
उस की दे ख-भाल की, उसे अपनी आँख की
मूसा का गीत पुतली की तरह बचाए रखा।

32 ऐ आसमान, मे री बात पर ग़ौर कर! 11 जब उक़ाब अपने बच्चाें को उड़ना िसखाता

ऐ ज़मीन, मे रा गीत सुन! है तो वह उन्हें घाें सले से िनकालकर उनके साथ


2 मे री तालीम बूँदा-बाँ दी जै सी हो, मे री बात
उड़ता है । अगर वह िगर भी जाएँ तो वह हािज़र
शबनम की तरह ज़मीन पर पड़ जाए। वह है और उनके नीचे अपने पराें को फैलाकर उन्हें
बािरश की मािंनद हो जो हिरयाली पर बरसती ज़मीन से टकरा जाने से बचाता है । रब का
है । इसराईल के साथ यही सुलूक था।
3 मैं रब का नाम पुकारूँगा। हमारे ख़ुदा की 12 रब ने अकेले ही उस की राहनुमाई की।

अज़मत की तमजीद करो! िकसी अजनबी माबूद ने िशरकत न की।


4 वह चटान है , और उसका काम कािमल है ।

उस की तमाम राहें रास्त हैं । वह वफ़ादार ख़ुदा 13 उसने उसे रथ पर सवार करके मुल्क की

है िजसमें फ़रे ब नहीं है बिल्क जो आिदल और बुलंिदयाें पर से गुज़रने िदया और उसे खे त का


िदयानतदार है । फल िखलाकर उसे चटान से शहद और सख़्त
पत्थर से ज़ै तून का ते ल मुहैया िकया।a
5 एक टे ढ़ी और कजरौ नसल ने उसका गुनाह 14 उसने उसे गाय की लस्सी और भे ड़-बकरी

िकया। वह उसके फ़रज़ं द नहीं बिल्क दाग़ का दूध चीदा भे ड़ के बच्चाें समे त िखलाया
सािबत हुए हैं । और उसे बसन के मोटे -ताज़े में ढे, बकरे और
6 ऐ मे री अहमक़ और बे समझ क़ौम, क्या

तुम्हारा रब से ऐसा रवै या ठीक है ? वह तो


a
लफ़्ज़ी तरजुमा : चूसने िदया।
इिस्तसना 32:15 252
बे हतरीन अनाज अता िकया। उस वक़्त तू 23 मैं उन पर मुसीबत पर मुसीबत आने दूँ गा

आला अं गूर की उम्दा मै से लुत्फ़अं दोज़ हुआ। और अपने तमाम तीर उन पर चलाऊँगा।
24 भूक के मारे उनकी ताक़त जाती रहे गी,
a
15 ले िकन जब यसूरून मोटा हो गया तो वह और वह बुख़ार और वबाई अमराज़ का लुक़मा

दोलित्तयाँ झाड़ने लगा। जब वह हलक़ तक बनें गे। मैं उनके िख़लाफ़ फाड़ने वाले जानवर
भरकर तनोमं द और फ़रबा हुआ तो उसने अपने और ज़हरीले साँ प भे ज दूँ गा।
ख़ुदा और ख़ािलक़ को रद्द िकया, उसने अपनी 25 बाहर तलवार उन्हें बे औलाद कर दे गी, और

नजात की चटान को हक़ीर जाना। घर में दहशत फैल जाएगी। शीरख़ार बच्चे ,
16 अपने अजनबी माबूदाें से उन्हाें ने उस की नौजवान लड़के-लड़िकयाँ और बुज़ुगर् सब उस

ग़ै रत को जोश िदलाया, अपने िघनौने बुताें से की िगिरफ़्त में आ जाएं गे।


उसे ग़ुस्सा िदलाया।
17 उन्हाें ने बदरूहाें को क़ुरबािनयाँ पे श कीं जो 26 मुझे कहना चािहए था िक मैं उन्हें

ख़ुदा नहीं हैं , ऐसे माबूदाें को िजनसे न वह और चकनाचूर करके इनसानाें में से उनका नामो-
न उनके बापदादा वािक़फ़ थे , क्याें िक वह थोड़ी िनशान िमटा दूँ गा।
दे र पहले वुजूद में आए थे । 27 ले िकन अं देशा था िक दुश्मन ग़लत मतलब

िनकालकर कहे , ‘हम ख़ुद उन पर ग़ािलब आए,


18 तू वह चटान भूल गया िजसने तुझे पै दा इसमें रब का हाथ नहीं है ’।”

िकया, वही ख़ुदा िजसने तुझे जन्म िदया। 28 क्याें िक यह क़ौम बे समझ और िहकमत से

19 रब ने यह दे खकर उन्हें रद्द िकया, क्याें िक ख़ाली है ।

वह अपने बे टे-बे िटयाें से नाराज़ था। 29 काश वह दािनशमं द होकर यह बात

20 उसने कहा, “मैं अपना चे हरा उनसे छु पा समझें ! काश वह जान लें िक उनका क्या

लूँगा। िफर पता लगे गा िक मे रे बग़ै र उनका क्या अं जाम है ।


अं जाम होता है । क्याें िक वह सरासर िबगड़ गए 30 क्याें िक दुश्मन का एक आदमी िकस तरह

हैं , उनमें वफ़ादारी पाई नहीं जाती। हज़ार इसराईिलयाें का ताक़्क़ुब कर सकता है ?
21 उन्हाें ने उस की परिस्तश से जो ख़ुदा नहीं है उसके दो मदर् िकस तरह दस हज़ार इसराईिलयाें
मे री ग़ै रत को जोश िदलाया, अपने बे कार बुताें को भगा सकते हैं ? वजह िसफ़र् यह है िक
से मुझे ग़ुस्सा िदलाया है । चुनाँ चे मैं ख़ुद ही उन्हें उनकी चटान ने उन्हें दुश्मन के हाथ बे च िदया।
ग़ै रत िदलाऊँगा, एक ऐसी क़ौम के ज़रीए जो रब ने ख़ुद उन्हें दुश्मन के क़ब्ज़े में कर िदया।
हक़ीक़त में क़ौम नहीं है । एक नादान क़ौम के 31 हमारे दुश्मन ख़ुद मानते हैं िक इसराईल

ज़रीए मैं उन्हें ग़ुस्सा िदलाऊँगा। की चटान हमारी चटान जै सी नहीं है ।


22 क्याें िक मे रे ग़ुस्से से आग भड़क उठी है 32 उनकी बे ल तो सदूम की बे ल और अमूरा

जो पाताल की तह तक पहुँ चेगी और ज़मीन के बाग़ से है , उनके अं गूर ज़हरीले और उनके


और उस की पै दावार हड़प करके पहाड़ाें की गुच्छे कड़वे हैं ।
बुिनयादाें को जला दे गी। 33 उनकी मै साँ पाें का मोहलक ज़हर है ।

a
यानी इसराईल।
253 इिस्तसना 32:52
34 रब फ़रमाता है , “क्या मैं ने इन बाताें पर 43 ऐदीगर क़ौमो, उस की उम्मत के साथ
मुहर लगाकर उन्हें अपने ख़ज़ाने में महफ़ूज़ नहीं ख़ुशी मनाओ! क्याें िक वह अपने ख़ािदमाें के
रखा? ख़ून का इं तक़ाम ले गा। वह अपने मुख़ािलफ़ाें
35 इं तक़ाम ले ना मे रा ही काम है , मैं ही से बदला ले कर अपने मुल्क और क़ौम का
बदला लूँगा। एक वक़्त आएगा िक उनका कफ़्फ़ारा दे गा।
पाँ व िफसले गा। क्याें िक उनकी तबाही का िदन
क़रीब है , उनका अं जाम जल्द ही आने वाला 44 मूसा और यशुअ िबन नून ने आकर
है ।” इसराईिलयाें को यह पूरा गीत सुनाया।
45-46 िफर मूसा ने उनसे कहा, “आज मैं ने तुम्हें

36 यक़ीनन रब अपनी क़ौम का इनसाफ़ इन तमाम बाताें से आगाह िकया है । लािज़म है


करे गा। वह अपने ख़ािदमाें पर तरस खाएगा जब िक वह तुम्हारे िदलाें में बै ठ जाएँ । अपनी औलाद
दे खेगा िक उनकी ताक़त जाती रही है और कोई को भी हुक्म दो िक एहितयात से इस शरीअत
नहीं बचा। की तमाम बाताें पर अमल करे । 47 यह ख़ाली
37 उस वक़्त वह पूछेगा, “अब उनके दे वता बातें नहीं बिल्क तुम्हारी िंज़दगी का सरचश्मा
कहाँ हैं , वह चटान िजसकी पनाह उन्हाें ने ली? हैं । इनके मुतािबक़ चलने के बाइस तुम दे र तक
38 वह दे वता कहाँ हैं िजन्हाें ने उनके बे हतरीन उस मुल्क में जीते रहोगे िजस पर तुम दिरयाए-
जानवर खाए और उनकी मै की नज़रें पी लीं। यरदन को पार करके क़ब्ज़ा करने वाले हो।”
वह तुम्हारी मदद के िलए उठें और तुम्हें पनाह
दें । मूसा का नबू पहाड़ पर इं तक़ाल
39 अब जान लो िक मैं और िसफ़र् मैं ख़ुदा हूँ । 48 उसी िदन रब ने मूसा से कहा, 49 “पहा-
मे रे िसवा कोई और ख़ुदा नहीं है । मैं ही हलाक ड़ी िसलिसले अबारीम के पहाड़ नबू पर चढ़ जा
करता और मैं ही िंज़दा कर दे ता हूँ । मैं ही ज़ख़मी जो यरीहू के सामने ले िकन यरदन के मशिरक़ी
करता और मैं ही शफ़ा दे ता हूँ । कोई मे रे हाथ िकनारे पर यानी मोआब के मुल्क में है । वहाँ
से नहीं बचा सकता। से कनान पर नज़र डाल, उस मुल्क पर जो
मैं इसराईिलयाें को दे रहा हूँ । 50 इसके बाद
40 मैं अपना हाथ आसमान की तरफ़ उठाकर तू वहाँ मरकर अपने बापदादा से जा िमले गा,
एलान करता हूँ िक मे री अबदी हयात की िबलकुल उसी तरह िजस तरह ते रा भाई हारून
क़सम, होर पहाड़ पर मरकर अपने बापदादा से जा
41 जब मैं अपनी चमकती हुई तलवार को िमला है । 51 क्याें िक तुम दोनाें इसराईिलयाें
ते ज़ करके अदालत के िलए पकड़ लूँगा तो के रूबरू बे वफ़ा हुए। जब तुम दश्ते -सीन में
अपने मुख़ािलफ़ाें से इं तक़ाम और अपने नफ़रत क़ािदस के क़रीब थे और मरीबा के चश्मे पर
करने वालाें से बदला लूँगा। इसराईिलयाें के सामने खड़े थे तो तुमने मे री
42 मे रे तीर ख़ून पी पीकर नशे में धुत हो क़ुद्दिू सयत क़ायम न रखी। 52 इस सबब से तू
जाएं गे, मे री तलवार मक़तूलाें और क़ैिदयाें के वह मुल्क िसफ़र् दूर से दे खेगा जो मैं इसराईिलयाें
ख़ून और दुश्मन के सरदाराें के सराें से से र हो को दे रहा हूँ । तू ख़ुद उसमें दािख़ल नहीं होगा।”
जाएगी।”
इिस्तसना 33:1 254
मूसा क़बीलाें को बरकत दे ता है 10 वह याक़ूब को ते री िहदायात और

33
2 कहा,
मरने से पे शतर मदर्े -ख़ुदा मूसा
ने इसराईिलयाें को बरकत दे कर
इसराईल को ते री शरीअत िसखाकर ते रे सामने
बख़ूर और ते री क़ुरबानगाह पर भस्म होने वाली
क़ुरबािनयाँ चढ़ाता है ।
“रब सीना से आया, सईर a से उसका नूर 11 ऐ रब, उस की ताक़त को बढ़ाकर उसके

उन पर तुलू हुआ। वह कोहे -फ़ारान से रौशनी हाथाें का काम पसं द कर। उसके मुख़ािलफ़ाें
फैलाकर िरबबोत-क़ािदस से आया, वह अपने की कमर तोड़ और उससे नफ़रत रखने वालाें
जुनूबी इलाक़े से रवाना होकर उनकी ख़ाितर को ऐसा मार िक आइं दा कभी न उठें ।
पहाड़ी ढलानाें के पास आया।
3 यक़ीनन वह क़ौमाें से मुहब्बत करता है , 12 िबनयमीन की बरकत :
तमाम मुक़द्दसीन ते रे हाथ में हैं । वह ते रे पाँ वाें िबनयमीन रब को प्यारा है । वह सलामती से
के सामने झु ककर तुझसे िहदायत पाते हैं । उसके पास रहता है , क्याें िक रब िदन-रात उसे
4 मूसा ने हमें शरीअत दी यानी वह चीज़ जो पनाह दे ता है । िबनयमीन उस की पहाड़ी ढलानाें
याक़ूब की जमात की मौरूसी िमलिकयत है । के दरिमयान महफ़ूज़ रहता है ।
5 इसराईल के राहनुमा अपने क़बीलाें समे त

जमा हुए तो रब यसूरून b का बादशाह बन गया। 13 यूसुफ़ की बरकत :


रब उस की ज़मीन को बरकत दे । आसमान
6 रूिबन की बरकत : से क़ीमती ओस टपके और ज़मीन के नीचे से
रूिबन मर न जाए बिल्क जीता रहे । वह चश्मे फूट िनकलें ।
तादाद में बढ़ जाए। 14 यूसुफ़ को सूरज की बे हतरीन पै दावार और

हर महीने का लज़ीज़तरीन फल हािसल हो।


7 यहूदाह की बरकत : 15 उसे क़दीम पहाड़ाें और अबदी वािदयाें की

ऐ रब, यहूदाह की पुकार सुनकर उसे दुबारा बे हतरीन चीज़ाें से नवाज़ा जाए।
उस की क़ौम में शािमल कर। उसके हाथ उसके 16 ज़मीन के तमाम ज़ख़ीरे उसके िलए खुल

िलए लड़ें । मुख़ािलफ़ाें का सामना करते वक़्त जाएँ । वह उसको पसं द हो जो जलती हुई झाड़ी
उस की मदद कर। में सुकूनत करता था। यह तमाम बरकतें यूसुफ़
के सर पर ठहरें , उसके सर पर जो अपने भाइयाें
8 लावी की बरकत : में शहज़ादा है ।
ते री मरज़ी मालूम करने के क़ुरे बनाम ऊरीम 17 यूसुफ़ साँ ड के पहलौठे जै सा अज़ीम है ,

और तुम्मीम ते रे वफ़ादार ख़ािदम लावी के पास और उसके सींग जं गली बै ल के सींग हैं िजनसे
होते हैं । तूने उसे मस्सा में आज़माया और मरीबा वह दुिनया की इं तहा तक सब क़ौमाें को मारे गा।
में उससे लड़ा। 9 उसने ते रा कलाम सँ भालकर इफ़राईम के बे शुमार अफ़राद ऐसे ही हैं , मनस्सी
ते रा अहद क़ायम रखा, यहाँ तक िक उसने न के हज़ाराें अफ़राद ऐसे ही हैं ।
अपने माँ -बाप का, न अपने सगे भाइयाें या
बच्चाें का िलहाज़ िकया।

a b
अदोम। इसराईल।
255 इिस्तसना 34:4
18 ज़बूलून और इशकार की बरकत : 26 यसूरून a के ख़ुदा की मािंनद कोई नहीं है ,
ऐ ज़बूलून, घर से िनकलते वक़्त ख़ुशी मना। जो आसमान पर सवार होकर, हाँ अपने जलाल
ऐ इशकार, अपने ख़ै माें में रहते हुए ख़ुश हो। में बादलाें पर बै ठकर ते री मदद करने के िलए
19 वह दीगर क़ौमाें को अपने पहाड़ पर आने आता है ।
की दावत दें गे और वहाँ रास्ती की क़ुरबािनयाँ 27 अज़ली ख़ुदा ते री पनाहगाह है , वह अपने

पे श करें गे । वह समुंदर की कसरत और समुंदर अज़ली बाज़ू ते रे नीचे फैलाए रखता है । वह


की रे त में छु पे हुए ख़ज़ानाें को जज़ब कर लें गे। दुश्मन को ते रे सामने से भगाकर उसे हलाक
करने को कहता है ।
20 जद की बरकत : 28 चुनाँ चे इसराईल सलामती से िंज़दगी

मुबारक है वह जो जद का इलाक़ा वसी कर गुज़ारे गा, याक़ूब का चश्मा अलग और महफ़ूज़


दे । जद शे रबबर की तरह दबककर िकसी का रहे गा। उस की ज़मीन अनाज और अं गूर की
बाज़ू या सर फाड़ डालने के िलए तै यार रहता कसरत पै दा करे गी, और उसके ऊपर आसमान
है । ज़मीन पर ओस पड़ने दे गा।
21 उसने अपने िलए सबसे अच्छी ज़मीन चुन 29 ऐ इसराईल, तू िकतना मुबारक है । कौन

ली, राहनुमा का िहस्सा उसी के िलए महफ़ूज़ ते री मािंनद है , िजसे रब ने बचाया है । वह ते री


रखा गया। जब क़ौम के राहनुमा जमा हुए तो मदद की ढाल और ते री शान की तलवार है ।
उसने रब की रास्त मरज़ी पूरी की और इसराईल ते रे दुश्मन िशकस्त खाकर ते री ख़ुशामद करें गे ,
के बारे में उसके फ़ैसले अमल में लाया। और तू उनकी कमरें पाँ वाें तले कुचले गा।”

22 दान
की बरकत : मूसा की वफ़ात
दान शे रबबर का बच्चा है जो बसन से
िनकलकर छलाँ ग लगाता है । 34 यह बरकत दे कर मूसा मोआब
का मै दानी इलाक़ा छोड़कर यरी-
हू के मुक़ािबल नबू पहाड़ पर चढ़ गया। नबू
23 नफ़ताली की बरकत : िपसगा के पहाड़ी िसलिसले की एक चोटी था।
नफ़ताली रब की मं ज़ूरी से से र है , उसे उस वहाँ से रब ने उसे वह पूरा मुल्क िदखाया जो वह
की पूरी बरकत हािसल है । वह गलील की झील इसराईल को दे नेवाला था यानी िजिलयाद के
और उसके जुनूब का इलाक़ा मीरास में पाएगा। इलाक़े से ले कर दान के इलाक़े तक, 2 नफ़ताली
का पूरा इलाक़ा, इफ़राईम और मनस्सी का
24 आशर की बरकत : इलाक़ा, यहूदाह का इलाक़ा बहीराए-रूम तक,
आशर बे टाें में सबसे मुबारक है । वह अपने 3 जुनूब में दश्ते -नजब और खजूर के शहर यरीहू

भाइयाें को पसं द हो। उसके पास ज़ै तून का की वादी से ले कर ज़ुग़र तक। 4 रब ने उससे
इतना ते ल हो िक वह अपने पाँ व उसमें डु बो कहा, “यह वह मुल्क है िजसका वादा मैं ने
सके। क़सम खाकर इब्राहीम, इसहाक़ और याक़ूब से
25 ते रे शहराें के दरवाज़ाें के कं ु डे लोहे और िकया। मैं ने उनसे कहा था िक उनकी औलाद
पीतल के हाें , ते री ताक़त उम्र-भर क़ायम रहे । को यह मुल्क िमले गा। तू उसमें दािख़ल नहीं
होगा, ले िकन मैं तुझे यहाँ ले आया हूँ तािक तू
उसे अपनी आँखाें से दे ख सके।”
a
इसराईल।
इिस्तसना 34:5 256
5 इसके बाद रब का ख़ािदम मूसा वहीं मोआब मूसा ने अपने हाथ उस पर रख िदए थे ।
के मुल्क में फ़ौत हुआ, िबलकुल उसी तरह इसराईिलयाें ने उस की सुनी और वह कुछ
िजस तरह रब ने कहा था। 6 रब ने उसे बै त- िकया जो रब ने उन्हें मूसा की मािरफ़त बताया
फ़ग़ूर की िकसी वादी में दफ़न िकया, ले िकन था।
आज तक िकसी को भी मालूम नहीं िक उस 10 इसके बाद इसराईल में मूसा जै सा नबी

की क़ब्र कहाँ है । कभी न उठा िजससे रब रूबरू बात करता था।


7 अपनी वफ़ात के वक़्त मूसा 120 साल का 11 िकसी और नबी ने ऐसे इलाही िनशान और

था। आिख़र तक न उस की आँखें धुँधलाइर्ं , मोिजज़े नहीं िकए जै से मूसा ने िफ़रौन बादशाह,
न उस की ताक़त कम हुई। 8 इसराईिलयाें ने उसके मुलािज़माें और पूरे मुल्क के सामने िकए
मोआब के मै दानी इलाक़े में 30 िदन तक जब रब ने उसे िमसर भे जा। 12 िकसी और नबी
उसका मातम िकया। ने इस िक़स्म का बड़ा इिख़्तयार न िदखाया,
9 िफर यशुअ िबन नून मूसा की जगह खड़ा न ऐसे अज़ीम और है बतनाक काम िकए जै से
हुआ। वह िहकमत की रूह से मामूर था, क्याें िक मूसा ने इसराईिलयाें के सामने िकए।

You might also like