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लोक प्रशासन में लोक/सससिल सेिा मूल्य तथा नीसतशास्त्र


सिषय सूची
1. लोक सेिाओं में नीसतशास्त्र और मूल्यों का महत्ि _______________________________________________________ 165

2. लोक सेिा नीसतशास्त्र/प्रशाससनक नीसतशास्त्र __________________________________________________________ 165

3. लोक प्रशासन में नीसतशास्त्र _____________________________________________________________________ 166

3.1. लोक प्रशासकों के सलए नीसतशास्त्र की अिश्यकता ___________________________________________________ 166

3.2. लोक प्रशासन में नीसतशास्त्र के सनधाारक __________________________________________________________ 167

4. नीसतपरक अचार संसहता और अचरण संसहता ________________________________________________________ 167

4.1. नीसतपरक अचार संसहता और अचरण संसहता का ईद्देश्य_______________________________________________ 167

4.2. भारत और ऄन्य देशों/संगठनों में नैसतक मानकों की ितामान सथथसत ________________________________________ 168
4.2.1. कें द्रीय सससिल सेिा (अचरण) सनयमािली, 1964 _________________________________________________ 168
4.2.2. नीसतपरक अचार संसहता हेतु प्रथम पहल- मइ 1997 _______________________________________________ 168
4.2.3. लोक सेिा मूल्यों के सलए सितीय पहल- लोक सेिा सिधेयक, 2006 ______________________________________ 169
4.2.4. यूनाआटेड ककगडम (United Kingdom) ________________________________________________________ 170
4.2.5. अर्थथक सहयोग एिं सिकास संगठन ____________________________________________________________ 171
4.2.6. संयुक्त राष्ट्र (United Nations) ______________________________________________________________ 171

5. लोक सेिकों में नैसतक मानकों के पतन के कारण ईत्पन्न समथयाएं ____________________________________________ 172

5.1. ईच्च नैसतक मानकों को सुसनसित करने के समक्ष समथयाएं_______________________________________________ 172

5.2. सिचार ककए जाने योग्य सिसशष्ट रणनीसतयां _______________________________________________________ 173


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6. सरकारी और सनजी संथथानों में नैसतक चचताएं एिं दुसिधाएं________________________________________________ 173


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6.1. नैसतक चचताएं एिं दुसिधाएं: ऄथा और महत्ि _______________________________________________________ 173


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6.2. नैसतक दुसिधाओं के कु छ प्रकार (SOME TYPES OF ETHICAL DILEMMAS)___________________________________ 174


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6.3. सरकार (सािाजसनक क्षेत्र) में नैसतक चचताएं ________________________________________________________ 174


6.3.1. प्रशाससनक सििेक (Administrative Discretion) ________________________________________________ 174
6.3.2. भ्रष्टाचार (Corruption) ___________________________________________________________________ 175
6.3.3. प्रशाससनक गोपनीयता (Administrative Secrecy)_______________________________________________ 175
6.3.4. भाइ-भतीजािाद (Nepotism) ______________________________________________________________ 175
6.3.5. सूचना का खुलासा (Information Leaks) ______________________________________________________ 175
6.3.6. लोक जिाबदेही (Public Accountability) _____________________________________________________ 175
6.3.7. नीसतगत दुसिधाएं (Policy Dilemmas) _______________________________________________________ 175
6.3.8. ऄन्य समथयाग्रस्थत क्षेत्र (Other Problem Areas)_________________________________________________ 176

6.4. सनजी/व्यािसासयक संथथानों में नैसतक चचताएं एिं दुसिधाएं _____________________________________________ 176
6.4.1. साधारणतः सनजी क्षेत्र के नैसतक मुद्दें ___________________________________________________________ 176
6.4.2. सनयोक्ताओं के नैसतक मुद्दे (Ethical Issues of Employers) _________________________________________ 177

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6.4.3. कमाचाररयों के नैसतकता संबंधी मुद्दे ____________________________________________________________ 177

7. के स थटडी (Some Case studies) ______________________________________________________________ 178

8. नैसतक मागादशान के स्रोत के रूप में सिसध, सनयम, सिसनयम और ऄंतःकरण ______________________________________ 181

8.1. सिसध की ऄिधारणा (THE NOTION OF LAW) ____________________________________________________ 181


8.1.1. प्राकृ सतक सिसध और सकारात्मक सिसध _________________________________________________________ 182
8.1.2. नैसतक मागादशान के एक स्रोत के रूप में अधुसनक संदभा में सिसध ________________________________________ 183

8.2. नैसतक सनदेशन के एक स्रोत के रूप में ऄंतःकरण _____________________________________________________ 185


8.2.1. ऄंत:करण के प्रकार (Types of Conscience) ___________________________________________________ 185
8.2.2. ऄंत:करण को संचासलत करने िाले नैसतक ससद्ांत __________________________________________________ 186

9. जिाबदेसहता/ईत्तरदासयत्ि और नैसतक शासन व्यिथथा ___________________________________________________ 188

9.1 जिाबदेसहता/ईत्तरदासयत्ि: ऄथा, प्रकृ सत, क्षेत्र और महत्ि _______________________________________________ 188

9.2. जिाबदेसहता के प्रकार (TYPES OF ACCOUNTABILITY) ______________________________________________ 188


9.2.1. क्षैसतज बनाम उर्धिााधर जिाबदेसहता ___________________________________________________________ 188
9.2.2. राजनीसतक बनाम सिसधक जिाबदेसहता _________________________________________________________ 188
9.2.3. सामासजक जिाबदेसहता (Social Accountability) ________________________________________________ 189
9.2.4. जिाबदेसहता सनधाारण की सिसधयां ____________________________________________________________ 189

10. एक प्रभािी नीसतपरक संरचना की अिश्यकता _______________________________________________________ 189

10.1. लोक प्रशासन में नैसतक मानकों में िृसद् _________________________________________________________ 190

10.2. सितीय प्रशाससनक सुधार अयोग की चौथी ररपोटा - शासन में नैसतकता _____________________________________ 191

11. सफल प्रशासकों के बारे में के स थटडीज _____________________________________________________________ 191


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12. सिगत िषों में Vision IAS GS मेंस टेथट सीरीज में पूछे गए प्रश्न __________________________________________ 192
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13. सिगत िषों में Vision IAS GS मेंस टेथट सीरीज में पूछे गए प्रश्न: के स थटडीज __________________________________ 200
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14. सिगत िषों में संघ लोक सेिा अयोग (UPSC) िारा पूछे गए प्रश्न __________________________________________ 205
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15. सिगत िषों में संघ लोक सेिा अयोग (UPSC) िारा पूछे गए प्रश्न: के स थटडीज__________________________________ 206

16. संदभा (References) _______________________________________________________________________ 207

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1. लोक सेिाओं में नीसतशास्त्र और मूल्यों का महत्ि


(Importance of Ethics and Values in Public Services)
नीसतशास्त्र का संबंध न के िल सही एिं गलत तथा ऄच्छे एिं बुरे के मर्धय भेद थथासपत करना है बसल्क
न्यायोसचत, सनष्पक्ष और ईसचत व्यिहार करने से भी है। लोक सेिा सरकार की कायाकारी ऄंग है। यह थथायी
होती है तथा यह जनता से संपका हेतु राज्य की सिाासधक महत्िपूणा ऄंग भी है। राज्य िारा प्रदत्त यथोसचत
संप्रभु शसक्तयों का प्रयोग करने के साथ-साथ आसे सिसभन्न ईत्तरदासयत्ि भी सौपें गए हैं। लोक सेिा नीसत
सनमााण और कायाान्ियन, सिसध प्रितान, सािाजसनक सेिा प्रदायगी तथा जनता की ओर से राज्य को सौंपे गए
संसाधनों के प्रबंधन में सरकार की सहायता करती है।
यद्यसप लोक सेिकों िारा शसक्तयों के प्रयोग को संिैधासनक एिं सिसधक मान्यता प्राप्त है, परन्तु आसकी िैधता
आन शसक्तयों के ईपयोग ककए जाने के तरीकों के मार्धयम से प्राप्त होती है। लोक सिश्वास को बढ़ािा देने हेतु
लोक प्रशासन में नैसतकता ऄसनिाया है। आस प्रकार, लोक सेिकों िारा शसक्तयों के न्यायोसचत और
सनष्पक्षतापूिक
ा प्रयोग करने हेतु नीसतशास्त्र ऄपररहाया हो जाती है। नीसतशास्त्र/मूल्य जनता और प्रशासन के
मर्धय ईत्तरदासयत्ि के सनधाारण हेतु एक ढांचा प्रदान करते हैं तथा यह भी सुसनसित करते हैं कक जन सामान्य
को ईसके सलए सनधााररत बुसनयादी अिश्यकताओं को एक सनष्पक्ष और न्यायोसचत ढंग से प्रदान ककया जा
रहा है, ताकक िे व्यापक रूप से थिीकाया हो सके । नीसतशास्त्र, लोक सेिा के मार्धयम से ककए जाने िाले सभी
कायों में ईच्चतम मानकों की प्रासप्त को सुसनसित करने हेतु लोक सेिकों की सहायता भी करती है। यह ईसचत
व्यिहार हेतु न के िल कदशा-सनदेश (अंतररक रूप से मूल्य तथा बाह्य रूप से अचरण संसहता) प्रदान करती है
बसल्क यह भी सुसनसित करती है कक लोक सिश्वास प्राप्त ककया जाए तथा ईसे बनाए रखा जाए। आस प्रकार के
सिश्वास के पररिेश का सृजन कर, प्रशासन जनता को यह समझाने में सहायता करता है कक िे ईनके सिोत्तम
सहत में काया कर रहे हैं। जब लोक सेिक, सत्यसनष्ठा के साथ काया करते हैं तथा शासन व्यिथथा में इमानदारी
सिद्यमान होती है तो यह समाज में सिश्वास को सुदढ़ृ करने में सहायता करता है और ऄंततः यह सुशासन की
थथापना का मागा प्रशथत करता है।

2. लोक सेिा नीसतशास्त्र/प्रशाससनक नीसतशास्त्र


(Public Service Ethics/Administrative Ethics)
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लोक सेिा नीसतशास्त्र या प्रशाससनक नीसतशास्त्र से अशय सरकार के प्रशाससनक क्षेत्र में ईसचत अचरण के
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ससद्ांतों तथा मानकों से है।


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 कइ ऐसे मूल्य हैं जो लोक सेिकों की ऄसभिृसत्त और कायािासहयों को प्रभासित करते हैं। आसके ऄंतागत
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सामासजक, राजनीसतक, व्यसक्तगत तथा प्रशाससनक (या संगठनात्मक) मूल्य शासमल हैं।
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 दक्षता, प्रभािकाररता, जिाबदेही, तटथथता तथा ऄनुकियाशीलता जैसे प्रशाससनक मूल्यों से सामंजथय
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सबठाते हुए नैसतक ससद्ांतों को लागू करने की चुनौती के संदभा में सिचार करना। ईदाहरणाथा, सनरपेक्ष
पारदर्थशता का ऄनुकरण करना सिभागीय गोपनीयता को प्रभासित कर सकती है। आसी प्रकार
राजनीसतक कायाकारी के प्रसत सजम्मेदारी के भाि से जन सामान्य के साथ व्यिहार में सनष्पक्षता से
समझौता हो सकता है। आस प्रकार के संघषों के समाधान हेतु नैसतक ससद्ांतों का पालन करते हुए
सिद्यमान कदशा-सनदेशों एिं सनयमों को सिथतारपूिाक प्रथतुत करना चासहए।
 लोक सेिकों को परंपरागत रूप से यह परामशा प्रदान ककया जाता रहा है कक एक ईत्तरदायी प्रशाससनक
व्यिहार हेतु ईन्हें कु छ सामान्य सनयमों या अदेशों का ऄनुपालन करना होता है, जैसे कक:
o लोक सहत में काया करना।
o राजनीसतक रूप से तटथथ रहना।
o गोपनीय सूचनाओं को प्रकट न करना।
o जन सामान्य को कु शल, प्रभािी तथा सनष्पक्ष सेिा प्रदान करना।
o सहतों के संघषा से बचना।
o जिाबदेह बनना, अकद।
यद्यसप आन सामान्य रूप से प्रदत्त अदेशों से ऄनेक करठनाआयां ईत्पन्न हुइ हैं, यथा:

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 आनके ऄथा में तथा िथतुतः आनके व्यािहाररक ईपयोग से सम्बद् थपष्टता एिं सनसितता का ऄभाि।
 सनयमों का सनमााण बॉटम-ऄप एप्रोच के थथान पर टॉप-डाईन एप्रोच िारा ककया गया है। आन सनयमों
को प्रभािी बनाने हेतु आन्हें न के िल बाह्य रूप से बसल्क अंतररक रूप से भी थिीकार ककया जाना
अिश्यक है। आस प्रकार, सनयमों के औसचत्य पर प्रश्न ईठाए जा सकते हैं। ईदाहरणाथा- राजनीसतक
तटथथता यद्यसप लोक सेिाओं का एक के न्द्रीय ससद्ांत है परन्तु व्यािहाररक दृसष्ट से यह कायाान्ियन
योग्य नहीं है। लोक सेिकों और राजनेताओं के मर्धय कायाकारी संबंधों का पूणातया तटथथ होना ऄत्यंत
करठन है।
 तीसरा, ये सनयम कभी-कभी परथपर टकराते हैं, खासकर जब ईनकी व्याख्या की जाती है तब ऐसे
टकराि खुलकर सामने अते हैं। प्रायः लक्ष्य ईन्मुखता के मार्धयम से सनणायों की औसचत्यता का बचाि
ककया जाता है जबकक ऄसनसितता की सथथसत का बचाि साधन/सनयम ईन्मुख होकर ककया जाता है।
दक्षता, गसत और प्रभािकाररता कु छ ऄिसरों पर िथतुसनष्ठता, ईत्तरदासयत्ि, जिाबदेही तथा
सहानुभूसत से समझौता कर सकते हैं।
 आस बात को भी सुसनसित करना अिश्यक है कक देश में होने िाले सामासजक, अर्थथक एिं राजनीसतक
पररितानों को र्धयान में रखते हुए सनणायन हेतु सनयमों का सनरंतर मूल्यांकन और ईनका सतत सिकास
होता रहे।

3. लोक प्रशासन में नीसतशास्त्र


(Ethics in Public Administration)
एक लोक प्रशासक के पेशेिर नीसतशास्त्र में व्यिहार एिं अचरण संबंधी मानक शासमल होते हैं, जो ईसके
लोक कताव्यों के सनिाहन हेतु अिश्यक हैं। आनके ऄंतगात पररसथथसतयों को ईपयुक्त बनाने हेतु सिचार एिं
कायािाही शासमल होते हैं तथा एक ऐसा व्यिहार शासमल होता है जो लोक प्रशासन की भािना को प्रदर्थशत
करता है। लोक प्रशासन में नीसतशास्त्र का ईद्देश्य प्रशासक में पेशेिर नैसतकता की भािना को सिकससत करना
है ताकक िह ऄपने कताव्यों का सनिाहन सिोच्च नैसतक मानकों के ऄनुरूप पूणा कर सकें ।

3.1. लोक प्रशासकों के सलए नीसतशास्त्र की अिश्यकता


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(Need of Ethics for Public Administrators)


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 लोक प्रशासन के सिसभन्न अयामों, जैसे- राजनीसतक, सिसधक, तकनीकी, सित्तीय आत्याकद की तुलना में
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भारतीय प्रशासन में नैसतकता के अयाम की गंभीर रूप से ईपेक्षा की गइ है।


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 आसके ऄसतररक्त, लोक सेिा नीसतशास्त्र के बारे में जनता और मीसडया िारा व्यक्त हासलया चचता सहतों
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के संघषा के मुद्दों पर कें कद्रत रहे हैं, जबकक राजनीसतक पक्षपात, सािाजसनक रटप्पणी और गोपनीयता के
बारे काफी कम चचता व्यक्त की गयी है।
 सिगत दो दशकों में सरकार िारा आन सभी मुद्दों के प्रत्युत्तर में सिसभन्न ऄसधसनयम, सिसनयम एिं कदशा-
सनदेश थथासपत ककए गए हैं।
 हालांकक आस प्रकार के ईच्च श्रेणी के मुद्दे नैसतकता संबंधी समथयाओं का के िल एक छोटा सा ही भाग है।
 ऄन्य ऄसधकांश महत्िपूणा मुद्दे जनता और सििानों को तुलनात्मक रूप से कम अकर्थषत करते हैं।
 ये मुद्दे सनजी, व्यसक्तगत ऄथिा पक्षपातपूणा लाभ हेतु लोक पदों के ईपयोग से कम जबकक प्रशाससनक
कताव्यों के सनिाहन के दौरान ईत्पन्न नैसतकता एिं मूल्य संबध
ं ी सििादों और दुसिधाओं से ऄसधक
संबंसधत होते हैं।
 मानिता: मानिता एक ऄन्य कें द्रीय नैसतक ससद्ांत है, जो यह सनदेसशत करता है कक ककसी व्यसक्त िारा
प्रसतकू ल और करठन पररसथथसतयों में संसलप्त व्यसक्तयों के प्रसत सिशेष रूप से सतका तापूणा एिं
सहानुभूसतपूणा व्यिहार ककया जाना चासहए। हमें ऄन्य व्यसक्तयों को सहचर के रूप में देखना चासहए
सजनके साथ हम सहानुभूसत, संिेदनशीलता और करुणा की भािना रखते हैं।

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मानि ऄसधकार (Human Rights)


 संयुक्त राष्ट्र के सािाभौसमक मानिासधकार घोषणा-पत्र के ऄनुच्छेद 1 के ऄनुसार, “सभी मनुष्यों को
गररमा और ऄसधकारों के संदभा में जन्मजात थितंत्रता और समानता प्राप्त है।”
 िे बुसद् एिं सििेक संपन्न होते हैं और ईन्हें भाइचारे की भािना के साथ समलकर काया करना चासहए।
"मानिासधकार" को ऄंतरााष्ट्रीय कानून के थिीकृ त ससद्ांतों के साथ-साथ ऄनुमोकदत मूल्यों की एक
सिथतृत श्रृंखला के रूप में समझा जाना चासहए, सजनके सनसहताथा सििादाथपद ऄथिा ऄथपष्ट हैं।
 मानिासधकार का क्षेत्र ऄपने ऄंतगात मानि समाज के शासन व्यिथथा के सलए एक नैसतक अधार रेखा
के तौर पर एक सिकससत होती ऄंतरााष्ट्रीय पररयोजना को शासमल करता है।
 चूंकक अधुसनक नैसतक दशान ईत्तरोत्तर दािा-अधाररत और ऄसधकार-अधाररत नैसतकता के आदा-सगदा
घूम रहा है, ऄतः ऐसे में मानिासधकार सिाासधक मौसलक ससद्ांत के रूप में सामने अता है।
 जब आन ऄसधकार-अधाररत ससद्ांतों िारा यह तका कदया जाता है कक कु छ सनसित थितंत्रता और
ऄसधकारों पर जन सामान्य का दािा है तथा ऐसे में जब ककसी व्यसक्त िारा ऄन्य व्यसक्त के सिरुद् ककसी
प्रकार का दािा ककया जाता है तो ऐसी सथथसत में ईस दािे के औसचत्य को ससद् करना और आन
ऄसधकारों की सुरक्षा करने के ईत्तरदासयत्ि का सनधाारण ऄत्यसधक महत्िपूणा हो जाता है।

3.2. लोक प्रशासन में नीसतशास्त्र के सनधाा र क

(Determinants of Ethics in Public Administration)


सािाजसनक क्षेत्र में प्रशाससनक अचरण के प्रमुख सनधाारकों में सनम्नसलसखत शासमल हैं:
i. राजनीसतक संरचना, (लोक प्रशासक, आस संरचना के भाग होते हैं);
ii. सिसधक ढांचा;
iii. प्रशासक और सािाजसनक कमाचारी, जो लोक सेिाएँ प्रदान करने के सलए ईत्तरदायी हैं; तथा
iv. नागररक और लोक सेिाओं के ईपयोगकताा, जो सससिल सोसाआटी का एक भाग हैं।
 प्रथम, लोक/सससिल सेिकों के व्यसक्तगत गुणों के संबंध में लोक प्रशासन में नीसतशास्त्र के सनधाारकों के
ऄंतगात नैसतक सनणायन कौशल, मानससक ऄसभिृसत्त, सद्गुण तथा पेशि
े र मूल्य ससम्मसलत होते हैं।
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 सितीय, संगठनात्मक संरचना संबंधी अयाम को थपष्ट जिाबदेही, सहयोगात्मक व्यिथथा, ऄसहमसत
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जासहर करना तथा भागीदारी प्रकियाओं िारा थपष्ट ककया गया है।
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 तृतीय, राजनीसतक संगठनात्मक संथकृ सत में ऄसभमत, मान्यताएं, मूल्य और धारणाएं ससम्मसलत होती
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हैं। संगठनात्मक संथकृ सत के सिकास, संरक्षण और ऄनुकूलन में नेतृत्ि महत्िपूणा है।
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 संगठनों के ऐसे पररिेश, जहां व्यसक्तगत मानकों, कमाचारी सशक्षण और पयािक्ष


े कों िारा सत्यता पर बल
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कदया जाता है तथा जहां कमाचारी सनयसमत रूप से नैसतक समथयाओं पर चचाा करने के सलए एकसत्रत
होते हैं, िहां नैसतक व्यिहार को प्रोत्सासहत ककया जाता है।
 ऄंत में, सामासजक ऄपेक्षाओं में सािाजसनक भागीदारी, सनयम और नीसतयां ससम्मसलत होती हैं।

4. नीसतपरक अचार संसहता और अचरण सं सहता


(Code of Ethics and Code of Conduct)
नीसतपरक अचार संसहता और अचरण संसहता का सिकास, प्रकाशन और ईसका ऄंगीकरण एक सुदढ़ृ
प्रशासन के प्रमुख तत्ि हैं। ये सभी लोक सेिकों के सलए व्यािहाररक और थपष्ट रूप में ऄपेसक्षत अचरण
संबंधी मानकों को सनधााररत करते हैं।

4.1. नीसतपरक अचार सं सहता और अचरण सं सहता का ईद्दे श्य

(Purpose of Code of Ethics and Code of Conduct)


नीसतपरक अचार संसहता और अचरण संसहता सभी सससिल सेिकों के सलए व्यािहाररक और थपष्ट रूप में
ऄपेसक्षत अचरण संबंधी न्यूनतम मानकों को िर्थणत करती हैं। ये मानदंड सनणाय सनमााण और कायािाही के
दौरान एक सनदेश के रूप में काया करते हैं।

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मुख्य तत्ि: आन संसहताओं के प्रमुख तत्ि सनम्नसलसखत हैं:


 व्यसक्तगत सजम्मेदारी;
 सिसध का ऄनुपालन;
 जन सामान्य के साथ संबंध;
 ईपहार, पुरथकार, असतथ्य और छू ट की थिीकृ सत पर अरोसपत सीमाएं;
 सहतों के संघषा से बचना;
 राजनीसतक गसतसिसधयों में संलग्न होने पर अरोसपत सीमाएं;
 धन संबंधी मामलों में अचरण;
 गोपनीयता और असधकाररक सूचना का ईपयोग;
 असधकाररक संपसत्त और सेिाओं का ईपयोग;
 कमाचाररयों िारा सरकारी संपसत्त की सनजी सहत में खरीद; एिं
 काया पररिेश।

4.2. भारत और ऄन्य दे शों/सं ग ठनों में नै सतक मानकों की िता मा न सथथसत

(Current Status of Ethical Standards in India and Other Countries/ Organisations)


ऐसतहाससक पृष्ठभूसम
प्राचीन काल से ही भारत में नीसतशास्त्र और नैसतकता सािाजसनक जीिन के प्रतीक रहें हैं। हमें यह नैसतकता
और सदाचरण की सिरासत हमारे नेताओं से प्राप्त हुइ है सजन्होंने महात्मा गांधी के नेतृत्ि में थितंत्रता संघषा
के दौरान सािाजसनक जीिन में ईच्च थतर की इमानदारी और सत्यता का प्रदशान ककया था। आन्होंने न के िल
सािाजसनक जीिन में नैसतकता का प्रचार ककया बसल्क आसे व्यिहार में भी ऄपनाया। गांधी जी का मानना था
कक नैसतकता सिहीन राजनीसत का त्याग ककया जाना चासहए। सत्य और ऄचहसा के साथ-साथ जन शसक्त में
सिश्वास के प्रसत ईनकी प्रसतबद्ता नेतृत्ि के ईच्च मानकों का प्रमाण हैं। यद्यसप ईन्होंने कभी भी ककसी
प्रासधकरण में कोइ भी पद धारण नहीं ककया था, तथासप सािाजसनक जीिन में ईनका अचरण ऐसे मूल्यों को
प्रदर्थशत करता है सजनकी ऐसे पदों पर असीन लोगों से ऄपेक्षा की जाती है।

4.2.1. कें द्रीय सससिल से िा (अचरण) सनयमािली , 1964


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{Central Civil Services (Conduct) Rules, 1964}


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यद्यसप, कें द्र सरकार िारा सरकारी कमाचाररयों के सलए 'के न्द्रीय सससिल सेिा (अचरण) सनयमािली 1964'
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के रूप में अचरण सनयमािली जारी की गइ है, तथासप आसके मार्धयम से सससिल सेिकों िारा ऄनुपालन ककए
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जाने योग्य मूल्यों या नीसतपरक अचार संसहता का सनधाारण नहीं ककया गया है। आन सनयमों की प्रकृ सत
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मुख्यतः "क्या करें" और "क्या न करें" (“do’s” and “don’ts”) से संबंसधत है। आस अचरण सनयमािली के
ऄंतगात संपसत्त के लेन-देन, ईपहारों की थिीकृ सत, गैर-राजनीसतक संगठनों में शासमल होना और ऄन्य मुद्दों के
समुच्च (जो सामान्य व्यसक्त िारा की जाने िाली लगभग प्रत्येक गसतसिसध को शासमल करती है) को
ससम्मसलत ककया गया है। आन सनयमों की प्रकृ सत ऄत्यसधक प्रसतबंधात्मक हैं। ऄथाात् ये सरकारी कमाचारी की
काया प्रणाली की थितंत्रता को ऄत्यसधक सीसमत करते हैं और ऄथपष्ट भाषा में सलखे हुए हैं तथा कभी-कभी
आनका ऄनुपालन करना ऄव्यिहाररक होता है।

4.2.2. नीसतपरक अचा र सं सहता हे तु प्रथम पहल- मइ 1997

(First Initiative for Code of Ethics- May 1997)


भारत सरकार के प्रशाससनक सुधार सिभाग िारा एक प्रभािी एिं ईत्तरदायी सरकार हेतु काया योजना के
एक भाग के रूप में लोक सेिाओं हेतु एक नीसतपरक अचार संसहता सनर्थमत की गइ थी। आसे मइ 1997 में
प्रधानमंत्री की ऄर्धयक्षता में अयोसजत मुख्यमंसत्रयों के सम्मेलन में प्रथतुत ककया गया था। आस संसहता का
ईद्देश्य लोक सेिाओं पर लागू होने िाले ऄखंडता और अचरण के मानकों को सनधााररत करना था। आस
संसहता की मुख्य सिशेषताएं सनम्नसलसखत हैं:

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 लोक सेिाओं को नीसत सनमााण एिं कियान्ियन और लोक सेिाओं को प्रभािी तरीके से प्रशाससत करने
में सरकार की सहायता करनी चासहए।
 लोक सेिाओं से संबंसधत कमाचाररयों को सिसध के शासन को बनाए रखना और मानिासधकारों का
सम्मान तथा के िल जनसहत में काया करना चासहए। ईन्हें इमानदारी और सत्यसनष्ठा के ईच्चतम मानकों
को बनाए रखना चासहए।
 ईन्हें आस प्रकार अचरण करना चासहए कक जन सामान्य का यह सिश्वास बना रहे कक ईनके िारा सलए
गए सनणाय या ईनके िारा की गइ ऄनुशंसाएं िथतुसनष्ठ एिं पारदशी हैं तथा सत्तासीन राजनीसतक दल,
थियं या ककसी तीसरे पक्ष को ऄनुसचत लाभ प्रदान करने की कदशा में काया नहीं ककया जाना चासहए।
 सरकार िारा जनसहत में सनर्थमत नीसतयों, सनणायों और कायािासहयों को लोक सेिकों िारा कु सठठत
होकर या ईसमें शासमल न होकर, ईसे ऄप्रभािी करने का प्रयास नहीं करना चासहए।
 जहां लोक सेिा में ककसी कमाचारी के पास आसके ईसचत अधार ईपलब्ध हैं कक ईच्चतर प्रासधकारी िारा
ईससे ऄिैध या सनधााररत सनयमों एिं सिसनयमों के सिरुद् काया करने को कहा जा रहा है तो ईसे आन
सनदेशों के कियान्ियन को ऄथिीकृ त कर देना चासहए।
 सहतों का संघषा: लोक सेिा में कमाचाररयों को ऄग्रस्सलसखत पररसथथसतयों में सनणाय लेने से बचना
चासहए:
o जहां जनसहत की लागत पर ककसी भी सिशेष व्यसक्त या दल को लाभ पहुंचाने संबंधी काया ककया
जाना हो;
o जनसहत और सनजी सहत के मर्धय संघषा की सथथसत में सहतों के ककसी भी प्रकार का संघषा होने पर।
 ईन्हें सेिा मामलों या सनजी लाभों के संबध
ं में राजनेताओं और बाहरी लोगों से संपका न रखते हुए
ऄपनी थितंत्रता, गररमा और भेदभाि-रसहत व्यिहार को बनाए रखना चासहए। ऄपने कै डर के भीतर
ऐसा व्यिहार करने िाले व्यसक्तयों के सिरुद् ऄनुशासनात्मक कायािाही करने के साथ-साथ ईन्हें रोकने
हेतु सहकर्थमयों के दबाि का प्रयोग करना चासहए।
 नागररकों के प्रसत जिाबदेही:
o जन सामान्य की लोक सेिाओं में सनयुक्त कमाचाररयों तक प्रभािी पहुँच होनी चासहए तथा सेिा की
गुणित्ता, समयबद्ता, सशष्टता, लोक ऄसभसिन्यास के मार्धयम से जन सामान्य के प्रसत जिाबदेही
सुसनसित करना तथा ईत्तरदायी सरकार के सलए जन सहभासगता को प्रोत्सासहत करने एिं
नागररक समूहों के साथ भागीदारी हेतु तत्पर रहना चासहए।
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ईन्हें जन प्रसतसनसधयों के प्रसत ऄपने व्यिहार में दृढ़, न्यायोसचत और इमानदार होना चासहए।
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ईन्हें नागररकों की सशकायत के त्िररत सनिारण के सलए ईनके ऄसधकार को थिीकार और प्रितान
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के दासयत्ि को थिीकार करना चासहए।


11

 ईन्हें सािाजसनक पररसंपसत्तयों और लोक सनसध के प्रसत चचसतत होना चासहए और ईसकी हासन एिं
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ऄपव्यय से बचना चासहए। ईसे थियं के सनयंत्रणाधीन लोक सनसध का प्रभािी और कु शल ईपयोग
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सुसनसित करना चासहए।


 असधकाररक पद का दुरुपयोग न करना: लोक सेिाओं में सनयुक्त कमाचाररयों को योग्यता अधाररत
सनणाय लेने का ईत्तरदासयत्ि सौंपा गया है, क्योंकक िे सजम्मेदारी युक्त पद पर असीन होते हैं। ईन्हें
ककसी भी व्यसक्त को ऄपने या ककसी ऄन्य के सलए सित्तीय या ऄन्य व्यिथथाओं का लाभ पहुंचाने हेतु
ऄपने असधकाररक पद का दुरुपयोग नहीं करना चासहए।
यह संसहता ऄन्य मुद्दों से भी संबंसधत है, जैस-े सािाजसनक रटप्पणी, असधकाररक सूचना जारी करना, लोक
सेिाओं की समेककत भूसमका और व्यािसासयकता एिं सहयोग के मार्धयम से सनरंतर सुधार अकद।

4.2.3. लोक से िा मू ल्यों के सलए सितीय पहल- लोक से िा सिधे य क, 2006

(Second Initiative for Public Service Values- Public Service Bill, 2006)
2006 में कार्थमक सिभाग िारा एक लोक सेिा सिधेयक का मसौदा तैयार ककया गया था। आस सिधेयक में
लोक सेिाओं के सलए बुसनयादी मूल्यों, नीसतपरक अचार संसहता, प्रबंधन संसहता अकद को सूचीबद् ककया
गया था। आसका ईद्देश्य लोक सेिाओं को पेशि
े र, राजनीसतक रूप से तटथथ, योग्यता अधाररत तथा
जिाबदेह बनाना है। लोक सेिकों को सनदेसशत करने िाले प्रमुख मूल्य सनम्नसलसखत हैं:

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 संसिधान और सिसध, लोकतंत्र, राष्ट्रिाद, संप्रभुता, भारत की ऄखंडता और राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रसत सनष्ठा
रखना;
 राजनीसतक रूप से तटथथ होकर काया करना;
 सनष्पक्ष, तटथथ, इमानदारी, समान तथा ईसचत एिं न्यायोसचत तरीके से काया करना;
 सत्यसनष्ठा के साथ तथा सिनम्र एिं न्यायोसचत तरीके से काया करना;
 ईच्च मानकों की थथापना और गुणित्तापूणा सेिा, प्रभािी कायाप्रणाली और शीघ्र सनणाय-सनमााण प्रकिया
को सुसनसित करना;
 सनणाय के प्रसत जिाबदेह होना;
 योग्यता को रोजगार, पदोन्नसत और सनयोजन में मूलभूत ससद्ांत के रूप में थथासपत करना;
 जासत, समुदाय, धमा, चलग या िगा के अधार पर सबना ककसी भेदभाि के तथा सनधान, िंसचत एिं
कमजोर िगों के सहतों की रक्षा करते हुए राष्ट्र/समुदाय और धमा की सिसिधता को र्धयान में रखते हुए
कायों का सनिाहन करना; तथा
 राजनीसतक कायाकाररणी को इमानदार, सनष्पक्ष एिं थपष्ट परामशा प्रदान करना;
 यह सुसनसित करना कक सािाजसनक धन का ईपयोग ऄत्यसधक कु शलतापूिाक एिं सािधानी के साथ
ककया जाए।
ऐसा प्रतीत होता है कक लोक सेिा सिधेयक ठं डे बथते में चला गया है। आस सिधेयक के साथ एक समथया यह
थी कक आसे कइ ईद्देश्यों की पूर्थत हेतु ऄसभप्रेत ककया गया था। मूल्यों और नैसतकता के ऄसतररक्त, आस सिधेयक
में लोक सेिाओं के प्रबंधन के ससद्ांत, लोक सेिा संबध
ं ी पदों के सलए सनयुसक्त को शाससत करने िाले ससद्ांत,
लोक सेिाओं के प्रदशान संकेतक अकद को पररकसल्पत ककया गया था। सेिा संबंधी मामलों के सिथतृत एिं
सिसिधतायुक्त किरेज की सिद्यमानता के कारण, सामंजथय थथासपत करना और सिधायी थिीकृ सत प्राप्त करना
जरटल है। आस प्रकार, यह सिधेयक राजनीसतक एिं सामासजक आच्छाशसक्त दोनों की कमी के कारण व्यपगत
हो गया।

4.2.4. यू नाआटे ड ककगडम (United Kingdom)

सािाजसनक जीिन के मानक- लॉडा नोलन कसमटी


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(Standards of Public Life- Lord Nolan Committee)


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सिटेन में सािाजसनक जीिन में इमानदारी (प्रोबीटी) के ईच्चतम मानकों को सुसनसित करने हेतु लोक पद
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धारकों के सलए ऐसे मानकों को सनधााररत करने के ईद्देश्य से लॉडा नोलन (1995) की ऄर्धयक्षता में एक
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ससमसत का गठन ककया गया था। आस ससमसत ने सनम्नसलसखत सात ससद्ांत सनधााररत ककए:
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 सनःथिाथाता (Selflessness): लोक पद धारकों को के िल जनसहत को र्धयान में रखते हुए सनणाय लेना
चासहए। ईन्हें थियं या ऄपने पररिार या समत्रों के सलए बाहरी व्यसक्तयों से सित्तीय लाभ ऄथिा ऄन्य
लाभों, या ऄन्य भौसतक लाभों के ईद्देश्यों पर अधाररत सनणाय नहीं लेने चासहए।
 सत्यसनष्ठा (Integrity): लोक सेिकों को ईनके असधकाररक कताव्यों के सनष्पादन को प्रभासित करने
िाले बाहरी व्यसक्तयों या संगठनों के ककसी सित्तीय या ऄन्य लाभ से कोइ सरोकार नहीं रखना चासहए।
 िथतुसनष्ठता (Objectivity): लोक पद धारकों को सिोत्तम प्रमाणों और भेदभाि या पूिााग्रस्ह रसहत
सनष्पक्ष, न्यायोसचत और योग्यता के अधार पर काया करने चासहए और सभी सनणाय लेने चासहए।
 जिाबदेसहता (Accountability): लोक पद धारक ऄपने सनणायों और कायािासहयों के सलए जनता के
प्रसत जिाबदेह होते हैं तथा ईन्हें ईनके पद से संबंसधत यथोसचत जांच में थियं को प्रथतुत करना चासहए।
 खुलापन (Openness): लोक पद धारकों को खुलप
े न एिं पारदशी तरीके से काया करना एिं सनणाय
लेना चासहए। ईन्हें ऄपने सनणायों के सलए कारण प्रथतुत करने चासहए और के िल व्यापक जनसहत में
अिश्यक होने पर ही सूचनाओं को गोपनीय रखना चासहए।
 इमानदारी (Honesty): लोक पद धारकों को इमानदार होना चासहए और ईन्हें थियं के लोक कताव्यों
से संबंसधत ककसी भी प्रकार के सनजी सहतों की घोषणा करनी चासहए। ककसी भी प्रकार के संघषा का
समाधान हेतु आस प्रकार कदम ईठाने चासहए ताकक जनसहतों की रक्षा की जा सके ।

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 नेतत्ृ ि (Leadership): लोक पद धारकों को आन ससद्ांतों को ऄपने व्यिहार में प्रदर्थशत करना चासहए
और नेतृत्ि एिं ईदाहरण के मार्धयम से आन ससद्ांतों को प्रोत्साहन एिं समथान प्रदान करना चासहए।
सससिल सेिा संबध
ं ी मूल्य- UK
सससिल सेिा मूल्य (2006) में सनधााररत ककया गया है कक सससिल सेिकों से ईनकी भूसमका के सनिाहन के
दौरान समपाण और सससिल सेिा मूल्यों (सत्यसनष्ठा, इमानदारी, िथतुसनष्ठता एिं सनष्पक्षता) के प्रसत
प्रसतबद्ता की ऄपेक्षा की जाती है।
 सत्यसनष्ठा से अशय लोक सेिाओं के दासयत्ि को ऄपने सनजी सहतों पर िरीयता देने से है;
 इमानदारी का अशय सच्चाइ एिं खुलप
े न से है;
 िथतुसनष्ठता से अशय प्रमाणों के गहन सिश्लेषण के अधार पर परामशा प्रदान करने और सनणायों से है;
 सनष्पक्षता से अशय पूणत
ा या मामले के गुण-दोष के ऄनुसार काया करने तथा सिसभन्न राजनीसतक दलों
की सरकारों के सलए समान रूप से काया करने से है।

4.2.5. अर्थथक सहयोग एिं सिकास सं ग ठन

(Organisation for Economic Cooperation and Development: OECD)


OECD पररषद ने ऄप्रैल 1988 में लोक सेिाओं में नैसतक अचरण की ईत्कृ ष्टता हेतु कु छ ऄनुशंसाओं को
थिीकार ककया। नैसतकता के प्रबंधन हेतु आसने सनम्नसलसखत ससद्ांत सनधााररत ककए:
 लोक सेिा के सलए नैसतक मानक थपष्ट होने चासहए। अचरण संसहता िारा सरकार और व्यापक समुदाय
में साझा समझ के सनमााण के मार्धयम आस ईद्देश्य की पूर्थत की जा सकती है।
 नैसतक मानक, सिसधक ढाँचे के भीतर प्रसतचबसबत होने चासहए। कानूनों और सिसनयमों को लोक सेिा के
मूलभूत मूल्यों को सनर्ददष्ट करना चासहए तथा सनदेशन, ऄन्िेषण, ऄनुशासनात्मक कायािाही एिं
ऄसभयोजन हेतु एक रूपरेखा प्रदान करनी चासहए।
 लोक सेिकों के सलए नैसतक कदशा-सनदेश ईपलब्ध होने चासहए। प्रसशक्षण, नैसतक जागरूकता को सुगम
बनाने के साथ-साथ नैसतक सिश्लेषण और नैसतक सनणाय हेतु ऄसनिाया कौशल सिकससत कर सकता है।
 लोक सेिकों को ऄनुसचत कृ त्यों को ईजागर करने संबंधी ऄपने ऄसधकारों एिं कताव्यों का ज्ञान होना
चासहए।
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 नीसतशास्त्र के प्रसत राजनीसतक प्रसतबद्ता िारा लोक सेिकों के नैसतक अचरण को सुदढ़ृ ककया जाना
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चासहए।
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 सनणाय सनमााण प्रकिया पारदशी और जांच हेतु खुली होनी चासहए।


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सािाजसनक और सनजी क्षेत्र के मर्धय ऄंत:किया हेतु थपष्ट कदशासनदेश सनधााररत ककए जाने चासहए।
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 प्रबंधकों िारा नैसतक अचरण का सनिाहन ककया जाना चासहए और आसे प्रोत्सासहत ककया जाना चासहए।
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 प्रबंधन नीसतयों, प्रकियाओं और कायाप्रणासलयों के मार्धयम से नैसतक अचरण को बढ़ािा देना चासहए।
 लोक सेिा पररसथथसतयों तथा मानि पररसथथसतयों के प्रबंधन िारा नैसतक अचरण को प्रोत्सासहत करना
चासहए।
 लोक सेिाओं में ईसचत जिाबदेही प्रणाली थथासपत की जानी चासहए।
 दुव्यािहार से सनपटने हेतु ईपयुक्त प्रकियाएं और प्रसतबंधों को सनधााररत ककया जाना चासहए।

4.2.6. सं यु क्त राष्ट्र (United Nations)

संयुक्त राष्ट्र संघ िारा भ्रष्टाचार की समथया के पररप्रेक्ष्य में कदसंबर 1996 में, आंटरनेशनल कोड ऑफ़ कं डक्ट
फॉर पसब्लक ऑकफससयल को ऄंगीकृ त ककया गया था। आस संसहता की प्रमुख सिशेषताएं सनम्नसलसखत हैं:
 राष्ट्रीय कानून िारा पररभासषत लोक पद, एक सिश्वास का पद होता है सजसमें जनसहत में काया करने का
कताव्य ऄंतर्थनसहत होता है। आसीसलए लोक ऄसधकाररयों की परम सनष्ठा सरकार की लोकतांसत्रक
संथथाओं के मार्धयम से ऄसभव्यक्त ईनके देश के जनसहतों के प्रसत होगी।
 लोक ऄसधकाररयों िारा यह सुसनसित ककया जायेगा कक िे ऄपने कताव्यों और कायों का सिसधयों या
प्रशाससनक नीसतयों के ऄनुसार कु शलतापूिाक, प्रभािी तरीके से तथा सत्यसनष्ठा के साथ सनष्पादन

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करेंगे। ईनके िारा सनरंतर यह भी सुसनसित करने का प्रयास ककया जायेगा कक सािाजसनक संसाधनों
(सजनके सलए िे ईत्तरदायी हैं) को प्रभािी और कु शल तरीके से प्रशाससत ककया जा रहा है।
 लोक ऄसधकाररयों को ऄपने कायों के सनष्पादन में और सिशेष रूप से लोगों के साथ ऄपने संबंधों के
सनधाारण में सतका , न्यायोसचत और सनष्पक्ष होना चासहए। ईन्हें कभी भी ककसी समूह या व्यसक्त के साथ
ककसी भी प्रकार का ऄनुसचत पक्षपातपूणा व्यिहार नहीं करना चासहए या ककसी व्यसक्त या समूह के
सिरुद् ऄनुसचत रूप से भेदभाि प्रकट नहीं करना चासहए। आसके ऄसतररक्त, ईनके िारा ऄपनी शसक्त
और प्रासधकार का दुरुप्रयोग नहीं ककया जाना चासहए।

5. लोक सेि कों में नैसतक मानकों के पतन के कारण ईत्पन्न


समथयाएं
(The Problems Due to Declining Ethical Standards Among Public Servants)
 सनजी लाभ हेत ु व्यसक्तगत प्रासधकार या पद का दुरुपयोग: लोक ऄसधकारी जानबूझकर, लोक सेिा में
पद धारण करने के कारण प्राप्त होने िाले प्रयोज्य प्रासधकारों और सुसिधाओं का ईपयोग सनजी लाभ
हेतु कर सकते हैं। यह तब प्रकट होता है जब:
o तथ्यों की ईपेक्षा करते हुए या ककसी न्यायोसचत प्रयोजन के सबना प्रशाससनक कायािाइ का
सनष्पादन ककया जाता है;
o सािाजसनक तकनीकी साधनों, कारों, संचार के सुसिधाओं एिं पररसरों का एक लोक ऄसधकारी
िारा सनजी सहतों के सलए ईपयोग ककया जाता है; तथा
o ऄकमाठयता समुदाय को नुकसान पहुँचाने का कारण बनती है।
 सनजी प्रासधकार या पद का ऄसतिमण: ऄसधकाररयों िारा जानबूझकर आस प्रकार की कायािासहयों का
सनष्पादन ककया जाता है जो ईसके पद संबध ं ी ईत्तरदासयत्िों और ऄसधकारों से बाहर होती हैं तथा जो
ऄंततः राज्य या कु छ नागररकों के सहतों की क्षसत का कारण बनती हैं।
 लापरिाही: एक लोक ऄसधकारी िारा या तो ऄपने पेशेिर ईत्तरदासयत्िों का सनष्पादन नहीं ककया
जाता है या ईनका सनष्पादन एक भ्रष्ट रीसत से ककया जाता है, आसके पररणामथिरूप राज्य या समुदाय
को हासन होती है। यह सामान्यतः, व्यसक्त के ऄपने कताव्यों और ईत्तरदासयत्िों के प्रसत ऄसभरूसच के
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ऄभाि के कारण होता है।


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 ररश्वतखोरी: ररश्वतखोरी और भ्रष्टाचार ऄथाव्यिथथा के संचालन हेतु एक अिश्यक बुराइ के रूप में
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समाज के एक थिीकाया ऄंग बन गए हैं।


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 धोखाधड़ी: सिसभन्न कारणों से लोक ऄसधकाररयों िारा अंकड़ों को संग्रस्सहत नहीं ककया जाता है और
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आनका बेहतर तरीके से ईपयोग भी नहीं ककया जाता है, नतीज़तन ये नीसत सनमााण और प्रसतपुसष्ट
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प्रकियाओं को नकारात्मक रूप से प्रभासित करते हैं। ये कारण सनजी लाभ (जैसे- बेहतर प्रदशान को
दशााने हेतु एक सजले में सर पर मैला ढोने िालों की संख्या को जानबूझकर कम कदखाना), नेतृत्ि का
ऄभाि (जैस-े एक अतंकिाद से प्रभासित क्षेत्र के जनगणना अंकड़ों को गलत तरीके से दजा करना)
ऄथिा प्राय: ऄसभरुसच का ऄभाि (जैस-े समड-डे मील योजनाओं की गुणित्ता की जांच करने हेतु
सिद्यालयों के सिेक्षणों का संचालन न करना) अकद हो सकते हैं।

5.1. ईच्च नै सतक मानकों को सु सनसित करने के समक्ष समथयाएं

(Problems in Ensuring High Ethical Standards)


 सािाजसनक क्षेत्र में नैसतक मानकों और सत्यसनष्ठा हेत ु सनर्ददष्ट खतरों का पूिाानम
ु ान: व्यिथथागत खतरें
ऄथाात् लोक सेिाओं से संबंसधत संथथा को कमजोर करने िाले खतरों की पहचान करना करठन होता है।
ईदाहरणाथा ऄनासमकता का सनरंतर नष्ट होता मूल्य या प्रसतबद् नौकरशाही की समथया, लोक सेिाओं
के मूलभूत अधार को कमजोर करती है। लोक सेिाओं को यह ऄसधदेश प्राप्त है कक िह सिसध के शासन
को सुदढ़ृ करें तथा यह सुसनसित करें कक सनणाय भय एिं पक्षपात रसहत होकर लोक कल्याण के सहत में
सलए जाएं।

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 लोक सेिकों की नैसतक क्षमता तथा “पेशि


े र नैसतकता” को समथान करने िाले तंत्र को सुदढ़ृ करना: लोक
सेिकों की भती थतर पर नैसतक क्षमता का अकलन करना करठन होता है। सिसभन्न ससमसतयों की
ऄनुशंसाओं के पिात् नीसतशास्त्र से संबंसधत प्रश्न-पत्र को शासमल करने के बाद भी लोक सेिकों िारा की
जाने िाली ऄनैसतक व्यिहार की घटनाएँ सामने अ रही हैं। आस समथया का मूल ईस पररिेश में
सिद्यमान हैं जो समाज में सनरंतर बना हुअ है तथा साथ ही नैसतकता को समासिष्ट करने और ईन्हें लोक
सेिकों पर लागू करने संबंधी कमजोर संथथागत तंत्र भी ईत्तरदायी हैं। नैसतक रूप से सक्षम सनणाय
सनमााण प्रकिया को संथथागत थिरूप प्रदान करने, सरकार को पक्षपात रसहत परामशा प्रदान करने और
ऄंततः, पेशेिर ईत्तरदासयत्ि, अत्म-ऄनुशासन और सिसध के शासन का समथान करने िाली एक 'नैसतक
संथकृ सत' थथापना के सलए निीन प्रौद्योसगककयों को ऄपनाए जाने की अिश्यकता है।
 नैसतक मूल्यों और सत्यसनष्ठा को प्रोत्सासहत करने िाली प्रशाससनक कायाप्रणासलयों और प्रकियाओं को
सिकससत करना: ससथटम िारा ऄनुकरणीय मॉडल को प्रोत्सासहत ककया जाना चासहए तथा सम्पूणा
नौकरशाही हेतु लोक सेिकों की सिोत्तम कायाप्रणासलयों और ऄनुकरणीय कायािासहयों को प्रसाररत
करने की प्रकिया को भी शासमल करना चासहए। आसके ऄसतररक्त, लोक सेिाओं में बढ़ते निाचार की
संभािनाओं के ऄनुरूप प्रदशान मूल्यांकन प्रणासलयों को भी निीकृ त ककया जाना चासहए।

5.2. सिचार ककए जाने योग्य सिसशष्ट रणनीसतयां

(Specific Strategies to be Considered)


 प्रभािी कानून, जो लोक सेिकों से ईनके असधकाररक सनणायों हेतु कारण प्रथतुत करने की मांग करते हैं।
 प्रबंधन ईपागम, जो सभी लोक ऄसधकाररयों और लोक सेिकों को ककसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार और
ऄनैसतक कायाप्रणासलयों से सकारात्मक रूप से सनपटने हेतु प्रोत्सासहत करते हैं।
 ऄसधकाररयों के ऄनुसचत कायों के ईसचत ‘जनसहत प्रकटीकरण’ की सुरक्षा हेतु ‘सहहसल-ब्लोऄर’ संरक्षण
कानून।
 ऄत्यंत महत्िपूणा प्रकियाओं के संदभा में सत्यसनष्ठा को प्रभासित करने िाले जोसखमों की पहचान करने
हेतु नीसतशास्त्रीय लेखा परीक्षा।
 निीन मानि संसाधन प्रबंधन रणनीसतयां (ईदाहरणाथा- जो नैसतक प्रदशान को सेिा में प्रिेश एिं
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पदोन्नसत से तथा नैसतक रूप से ‘सनम्न-प्रदशान’ को ऄनुशासनात्मक कायािाही से संबद् करती हैं),
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योग्यता अधाररत पदोन्नसत एिं भती तथा पक्षपात-रसहत संरक्षण।


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 नीसतपरक अचार संसहता के ऄियि एिं तकााधार के समािेश हेतु प्रसशक्षण, नैसतक प्रबंधन के ससद्ांतों
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का ऄनुप्रयोग, असधकाररक शसक्तयों का ईसचत ईपयोग तथा पेशि


े र ईत्तरदासयत्िों की अिश्यकताऐं।
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 प्रभािी बाह्य और अंतररक सशकायत एिं सनिारण प्रकियाएं।


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6. सरकारी और सनजी संथथानों में नै सतक चचताएं एिं दुसिधाएं


(Ethical Concerns and Dilemmas in Government and Private Institutions)

6.1. नै सतक चचताएं एिं दु सिधाएं : ऄथा और महत्ि

(Ethical Concerns and Dilemmas: Meaning and Significance)


के स थटडीज के मामले में सिथतृत रूप से िर्थणत नैसतक दुसिधा, एक ऐसी सथथसत है सजसमें कदए गए सिकल्पों
में से एक का चयन करना शासमल है, जहाँ कोइ भी सिकल्प थपष्ट रूप से सही ऄथिा गलत नहीं होता है।
यकद आनमें से कोइ भी सिकल्प थपष्ट रूप से सही ऄथिा गलत होता, तो नैसतक दुसिधा की सथथसत ईत्पन्न ही
नहीं होती, ऐसे में गलत सिकल्प के बजाय सही सिकल्प का चयन करना असान होता है। ऄतः नैसतक
दुसिधा एक ऐसी सथथसत से ईत्पन्न होती है जो ककसी दी गइ, सामान्यतः ऄिांसछत या जरटल सथथसत में,
ससद्ांतों के प्रसतथपधी समूह के मर्धय ककसी एक के चयन हेतु बार्धय करती है। संभितः सहतों का संघषा आसका
सबसे थपष्ट ईदाहरण है, जो सािाजसनक क्षेत्र के नेतृत्ि को नैसतक दुसिधा में डाल सकता है। सामान्यतः, यह

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ऐसी पररसथथसत में थपष्ट होता है जहां व्यसक्तगत मूल्य ऄथिा व्यसक्तगत सहत का पेशि
े र नैसतकता ऄथिा
पेशेिर कताव्यों के साथ संघषा होता है।

6.2. नै सतक दु सिधाओं के कु छ प्रकार (Some types of ethical dilemmas)

लोक सेिक सनम्नसलसखत के मर्धय संघषा की सथथसत में थियं को दुसिधा में पाते हैं:
 लोक प्रशासन के सिसभन्न मूल्यों के मर्धय नैसतक दुसिधा, जैस-े दक्षता बनाम जिाबदेही;
 अचरण संसहता के सिसभन्न पहलुओं के मर्धय - कताव्यों के सनष्पादन के सलए पुरथकार ऄथिा ईपहार
थिीकार करना;
 व्यसक्तगत मूल्य बनाम िररष्ठों के सनदेश या सरकारी सनदेश;
 पेशेिर नैसतकता बनाम एक पयािक्ष
े क/प्रासधकारी िारा जारी ककसी ऄन्यायपूणा अदेश का ऄनुसरण; एिं
 ऄथपष्ट या प्रसतथपधी जिाबदेही, जैसे- सिभाग ऄथिा समाज के प्रसत।
लोक प्रशासन में नैसतक दुसिधाओं से सनपटने की प्रकिया को एकीकृ त करने िाले मौसलक ससद्ांतों या
मानदंडों के समूह में सनम्नसलसखत शासमल हैं:
 प्रशासन की लोकतांसत्रक जिाबदेही;
 सिसध का शासन और िैधता का ससद्ांत;
 पेशेिर सत्यसनष्ठा; तथा
 नागररक समाज के प्रसत ऄनुकियाशीलता।
आन्हें लोक प्रशासन में नीसत संबंधी तका की ऄसनिायाताओं के ALIR (ईत्तरदासयत्ि, िैधता, सत्यसनष्ठा,
ऄनुकियाशीलता) (Accountability, Legality, Integrity, Responsiveness) मॉडल के रूप में िर्थणत
ककया जा सकता है।

6.3. सरकार (सािा ज सनक क्षे त्र ) में नै सतक चचताएं

{Ethical Concerns in Government (Public Sector)}


सरकारी कमाचाररयों िारा सामना ककए जाने िाले कु छ सिाासधक सामान्य नैसतक मुद्दें ईत्तरदासयत्ि के
ससद्ांत के आदा-सगदा घूमते हैं। आनमें सनम्नसलसखत पहलू शासमल हैं:
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 प्रशाससनक सििेक;
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भ्रष्टाचार;
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 भाइ-भतीजािाद;
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 प्रशाससनक गोपनीयता;
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 सूचनाओं का प्रकटीकरण;
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 लोक जिाबदेही; एिं


 नीसतगत दुसिधाएं।

6.3.1. प्रशाससनक सििे क (Administrative Discretion)

लोक ऄसधकारी न के िल कानून ऄथिा सािाजसनक नीसत का कायाान्ियन करते हैं, बसल्क ऄपने कताव्यों के
सनिाहन के दौरान िे लोगों के जीिन के सिसभन्न पक्षों को प्रभासित करने िाले सनणाय भी लेते हैं। जन कल्याण
का मुद्दा प्रशाससनक सििेकासधकार के ईसचत ईपयोग ऄथिा दुरुपयोग पर काफी हद तक सनभार करता है।
कानून िारा सनधााररत सनयमों एिं सिसनयमों तथा सनयत प्रकियाओं के तहत, लोक ऄसधकारीयों िारा ऄपने
सििेकासधकार का ईपयोग करने हेतु पयााप्त ऄिसर ईपलब्ध होते हैं। समथया तब ईत्पन्न होती है जब कइ
सिकल्पों में से एक का कायािाही हेतु चयन प्रायः व्यसक्तगत िरीयता, राजनीसतक या ऄन्य संबद्ताओं,
ऄथिा यहां तक कक व्यसक्तगत ईन्नसत के अधार पर ककया जाता है। आससे ज्ञात तथ्यों की ऄिहेलना की जाती
है तथा तका संगत सनणाय सनमााण को नकारात्मक रूप से प्रभासित ककया जाता है। ऐसे में सभी सनधााररत
सनयमों, सिसनयमों और प्रकियाओं का पालन करने पर भी सििेकपूणा चयन को ऄनैसतक या भ्रष्ट माना जा
सकता है।

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6.3.2. भ्रष्टाचार (Corruption)

ऄसधकांश ऄसधकारी, लोक पद के सलए अिश्यक ईच्च मानकों का ऄनुपालन करते हैं और जन सामान्य के
कल्याण को बढ़ािा देने के सलए समर्थपत रहते हैं। हालांकक, लोक सेिकों के नैसतक मानकों को पूणत
ा ः समाज
से प्रत्यक्ष रूप से संबंसधत ककया जाता है। यकद कु छ लोगों िारा यह थिीकार ककया जाता है कक ककसी
सरकारी ऄसधकारी से शीघ्र प्रसतकिया प्राप्त करने (ऄथाात् शीघ्रतापूिाक ऄपना काम कराने) के सलए कु छ
अर्थथक ऄथिा ऄन्य प्रोत्साहन प्रदान करना अिश्यक है, और ऄसधकारी ईक्त प्रोत्साहन को थिीकार करता
है, तो यहाँ कु छ लोगों के दृसष्टकोण से ऄसधकाररयों और जनता के नैसतक अचरण के मानकों के मर्धय
सांमजथय सिद्यमान पाया जाता है। लेककन यह समाज में भ्रष्टाचार के ईच्च ससहष्णुता के थतर को प्रदर्थशत
करता है और यकद समाज िारा यह ऄपेक्षा की जाती है कक सरकार कु छ लोगों के सहतों के बजाय जन सहत में
संचासलत हो, तो आस प्रिृसत्त का त्याग ककया जाना चासहए।

6.3.3. प्रशाससनक गोपनीयता (Administrative Secrecy)

सािाजासनक कायाकलाप में गोपनीय अचरण एक ऐसी चीज है जो अिश्यकतानुसार पररसथथसतयों का सृजन
कर तदनुरूप कायािाही का मागा प्रशथत करती है, जो एक प्रमुख नैसतक दुसिधा ससद् हो सकती है। यह
सिशेष रूप से आससलए महत्िपूणा है क्योंकक गोपनीयता ऄनैसतक अचरण को सछपाने का ऄिसर प्रदान कर
सकती है। गोपनीयता भ्रष्टाचार में सहायक है और भ्रष्टाचार सदैि गोपनीय अचरण ऄपना कर ककया जाता
है।

6.3.4. भाइ-भतीजािाद (Nepotism)

भाइ-भतीजािाद (लोक पदों पर ररश्तेदारों और/या समत्रों की सनयुसक्त ऄथिा ईनके पक्ष में काम करना,
सजससे योग्यता/सनष्पक्षता के ससद्ांत की ऄिहेलना हो सकती हैं) से लोक सेिा की गुणित्ता में कमी अ
सकती है। आसके कारण संघ-भाि एिं सिश्वास की समासप्त तथा प्रशाससनक भ्रष्टाचार में िृसद् होती है। साथ
ही नीसत सनमााताओं के साथ ऄपने व्यसक्तगत संबंधों और सरलता से पदच्युत या ऄन्यों िारा प्रसतथथासपत न
ककए जाने के कारण सनयंत्रण ईपायों को सिकृ त करके कु छ चुचनदा लोगों के चयन करने क्षमता का सिकास
होता है।
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6.3.5. सू च ना का खु लासा (Information Leaks)


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असधकाररक सूचनाएं सामान्यतः संिेदनशील प्रकृ सत की होती हैं और ऐसी सूचना के प्रकटीकरण का
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पररणाम ऄव्यिथथा, भ्रष्ट कायाप्रणाली या कु छ व्यसक्तयों के सलए ऄनुसचत मौकद्रक लाभ के रूप में हो सकता
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है। सािाजसनक घोषणा से पूिा ककसी भी सतसथ की असधकाररक सूचना का खुलासा प्रकियात्मक सनदेश का
ईल्लंघन है और यह एक नैसतक दुसिधा भी हो सकती है।

6.3.6. लोक जिाबदे ही (Public Accountability)

चूंकक लोक सेिक, सािाजसनक नीसतयों का कायाान्ियन करते हैं, आससलए ईन्हें ऄपने िररष्ठ ऄसधकाररयों,
न्यायालयों और जन सामान्य के प्रसत ऄपने असधकाररक कायों हेतु जिाबदेह होना चासहए। तथासप, ईनके
सलए सनधााररत प्रकियाओं के पीछे, व्यािसासयकता और यहां तक कक राजनीसतक पदासधकाररयों की अड़ में
सछपना संभि है।

6.3.7. नीसतगत दुसिधाएं (Policy Dilemmas)

नीसत सनमााताओं को प्रायः परथपर-सिरोधी ईत्तरदासयत्िों का सामना करना पड़ता है। ईन्हें ऄपने िररष्ठ
ऄसधकाररयों के साथ-साथ समाज के प्रसत भी ऄपनी सनष्ठा प्रदर्थशत करनी पड़ती है। ईन्हें सामान्य जन के पक्ष
और सहत में काया करने की थितंत्रता प्राप्त होती है, परन्तु ईन्हें ऄपने कायों के सलए ऄपने िररष्ठों और समाज
के प्रसत भी ऄिश्य ईत्तरदायी होना चासहए।

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6.3.8. ऄन्य समथयाग्रस्थत क्षे त्र (Other Problem Areas)

ईपयुाक्त संदर्थभत संभासित संघषा के क्षेत्रों के ऄसतररक्त, ऄन्य समथयागत क्षेत्रों, जहां नैसतक दुसिधाएं ईत्पन्न
हो सकती हैं, को सनम्नसलसखत रूप में सचसन्हत ककया जा सकता है :
 नौकरशाही का राजनीसतकरण: राजनीसतक गसतसिसधयों में लोक सेिकों की संलग्नता के पररणामथिरूप
ईन ऄसधकाररयों की सनष्ठा सिभक्त होती है जो एक सिसशष्ट राजनीसतक दल के सिचारों के समथाक होते
हैं।
 ऄन्य जरटल नैसतक समथयाएं हैं- ऄथिथथता-ऄिकाश जैसे सिशेषासधकारों का दुरुपयोग, सिथताररत
ऄिकाश और सामान्यतः कायाालय के सनयमों का ईल्लंघन।
नीसतशास्त्र एिं अचरण संसहता जैसी सशक्षा का मुख्य ईद्देश्य भ्रष्ट अचरण के प्रसत झुकाि को कम करना एिं
सकारात्मक मानससकता का सृजन करना है। चूंकक ‘व्यसक्तगत लाभ के सलए शसक्तयों का दुरुपयोग करना एक
मानिीय ऄसभिृसत्त है, सजसके कारण आसका पूणातः ईन्मूलन करना ऄसंभि है’। ऄतः आस प्रकार के थपष्ट
धारणा के मार्धयम से भ्रष्टाचार की घटनाओं को कम ऄथिा प्रसतबंसधत करने का पूणा प्रयास ककया जाता है।

6.4. सनजी/व्यािसासयक सं थथानों में नै सतक चचताएं एिं दु सिधाएं

(Ethical Concerns and Dilemmas in Private/Business Institutions)


अचरण संसहता िथतुतः ससद्ांतों और सनयमों का एक समुच्चय है, जो सामासजक संथथानों को ऄपने
सहतधारकों के प्रसत तथा सहतधारकों (सिशेष रूप से कमाचाररयों) को संथथा और एक-दूसरे के प्रसत व्यिहार
करने संबध
ं ी पद्सत को शाससत करते हैं।
संसहता, के िल ईन सनदेशों के ऄनेक समुच्चयों में से एक है सजसके ऄधीन संगठन और व्यसक्त काया करते हैं।
कं पसनयां, कानून के ऄधीन होती हैं और कानून के मार्धयम से ईनका अचरण सनधााररत ककया जा सकता है।
आस प्रकार, संसहताएँ सामान्यतः नैसतक अचरण, जैस-े सत्यसनष्ठा के साथकाया करना और दूसरों के ऄसधकारों
का सम्मान करना अकद से संबंसधत सििरण हैं। लेककन संसहताओं के मार्धयम से ऐसे व्यिहार को भी
सनधााररत ककया जा सकता है जो प्रकृ सत में ऄसधक प्रकियात्मक होते हैं, जैसे- ककसी व्यसक्त िारा संसहता का
ईल्लंघन करने पर सििाद समाधान तंत्र के संचालन की पद्सत। कभी-कभी नीसतपरक अचार संसहता और
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नैसतक संसहता के मर्धय ऄंतर थथासपत ककया जाता है। नीसतपरक अचार संसहता संगठनात्मक जीिन से
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संबंसधत है जबकक नैसतक संसहता समाज, संथकृ सत और धमा पर ऄसधक लागू होती है। यह ऄंतर सिशेष रूप से
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ईपयोगी नहीं है क्योंकक ईनके मर्धय के आस ऄंतर का बार-बार एिं सरलता से ईल्लंघन ककया जाता है।
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ईदाहरणथिरूप, सिदेशी संथकृ सतयों के संदभा में ईसचत व्यिहार को सनधााररत करते समय बहुराष्ट्रीय सनगमों
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को प्रायः सांथकृ सतक मानदंडों का पालन करने की अिश्यकता होती है। आस प्रकार, संसहताओं को ईत्कृ ष्ट तौर
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पर ऄपनाने िाली संथथाएं थथासपत संसहता को र्धयान में रखते हुए व्यिसाय करती हैं। सािाजसनक क्षेत्र के कइ
संगठन भी ऐसा करते हैं। आंजीसनयररग, एकाईं रटग, सचककत्सा और सिसधक जैसे व्यिसायों में ऐसी संसहताएँ
ऄपनायी जाती हैं।

6.4.1. साधारणतः सनजी क्षे त्र के नै सतक मु द्दें

(Ethical issues of private sector in general)


 सनयुसक्तयों में सहतों का संघषा; सिशेष रूप से पररिार िारा संचासलत कं पसनयों में सनदेशक मंडल जैसे
पदों पर सनयुसक्त के मामले में ऐसा देखा जा सकता है।
 लेखापरीक्षा प्रकिया में सत्यसनष्ठा- कइ कं पसनयों को ऄपनी बैलेंस शीट में धोखाधड़ी करते हुए पाया
गया है। ईसचत लेखा परीक्षा करना और ककसी भी प्रकार के ईल्लंघन का पता लगाना लेखा परीक्षकों
का काया है, सजसमें िे ऄनेक मामलों में सिफल रहे हैं।
 आनसाआडर ट्रेचडग और शेयर की कीमतों में हेरफे र।
 बाजारों में व्यिसायी समूहन (काटालाइज़ेशन) और हेरफे र।
 सरकारी नीसतयों को ऄपने पक्ष में प्रभासित करने हेतु लॉचबग।

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6.4.2. सनयोक्ताओं के नै सतक मु द्दे (Ethical Issues of Employers)

 पक्षपात: आसका ऄथा यह है कक सनयोक्ता पदोन्नसत और बोनस के संबंध में ककसी सिशेष व्यसक्त का पक्ष ले
सकता है और थपष्ट रूप से ऄन्य पात्र कमाचाररयों की ईपेक्षा कर सकता है। सनयोक्ता के आस अचरण को
ऄत्यसधक ऄनैसतक माना जाता है।
 लैंसगक ईत्पीड़न को कानूनी/नैसतक/अचरण की दृसष्ट से सही नहीं माना जा सकता है, चाहे ऐसा
कायाथथल पर हो ऄथिा ईससे बाहर। ककसी कमाचारी का लैंसगक ईत्पीड़न ऄथिा ऐसे ऄपराधों में
शासमल लोगों के सिरुद् कायािाही करने से बचना अकद सभी को यहाँ ऄक्सर कठोरता से िर्थजत ककया
जाता है।
 सबना ककसी सूचना के कमाचारी को बखााथत करना। कु छ मामलों में, बजट प्रबंधन जैसे कारणों से
कं पसनयां कमाचाररयों की संख्या को कम करने के सलए बड़े पैमाने पर छंटनी के सिकल्प का चयन करती
हैं। आस तरह के कदम कम से कम एक माह ऄथिा दो माह की पूिा सूचना एिं नोरटस के पिात ईठाए
जाने चासहए, ताकक व्यसक्त नौकरी के ऄन्य सिकल्पों की खोज का सके । ककसी भी प्रकार के भ्रम से बचने
के सलए नोरटस देकर कमाचाररयों को ईसचत समय प्रदान ककया जाना चासहए। संगठन छोड़ने के पिात
कमाचारी के भसिष्य सनसध और ग्रस्ेच्युटी का भुगतान करने में ऄनािश्यक सिलम्ब पेशेिर नैसतकता का
ईल्लंघन है।

6.4.3. कमा चाररयों के नै सतकता सं बं धी मु द्दे

(Ethical Issues of Employees)


 संसाधनों का दुरुपयोग करना, ईदाहरणाथा: कं पनी के खचा पर ऄनािश्यक फ़ोन कॉल करना अकद।
 कं पनी की संपसत्त को घर ले जाना: कु छ कमाचारी घर पर ईपयोग करने हेतु कं पनी के ईपकरण तथा
थटेशनरी का सामान, जैस-े थटेपलर, सपन, कागज़ आत्याकद ले जाते हैं।
 ऄनुमत संख्या से ऄसधक छु रियां लेना नीसतपरक अचार संसहता के ईल्लंघन को दशााता है। आससे न
के िल कं पनी को क्षसत पहुँचती है बसल्क कमाचारी की छसि भी ख़राब होती है।
 मशीनरी का ऄनुसचत ईपयोग: कु छ कमाचारी कं पनी के कं प्यूटर एिं चप्रटर का ईपयोग ऄत्यसधक चप्रट
अईट्स, ऄसधक डाईनलोचडग और ऄनािश्यक नेट सर्फफग आत्याकद के सलए करते हैं।
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 यात्रा भत्ता का लाभ ईठाना: यह ईन कमाचाररयों पर लागू होता है जो सनरंतर यात्राएं करते रहते हैं,
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जैसे- माके रटग प्रोफे शनल। नीसतपरक अचार संसहता के ऄसतररक्त व्यािहाररक ज्ञान के ऄनुसार भी
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व्यसक्तगत लाभों के सलए ऐसा नहीं करना चासहए।


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 कं पनी के सनयमों एिं सिसनयमों का ईल्लंघन करना: सामान्यतः ककसी भी संगठन के सनयमों एिं शतों
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को थिीकार करना प्रकिया में शासमल होने का एक भाग माना जाता है। आन सनयमों में से ककसी एक का
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भी ईल्लंघन करने से कं पनी एिं कमाचारी के मर्धय ऄिांछनीय समथयाएं ईत्पन्न हो सकती हैं। कं पनी की
गोपनीयता की नीसत को बनाए रखने में सिफलता भी सनयमों के ईल्लंघन का एक प्रकार है। प्रत्येक
कं पनी की ऄपनी एक गोपनीयता संबंधी नीसत होती है। ककसी भी संगठन में कायारत कमाचारी का यह
ईत्तरदासयत्ि होता है कक िह कं पनी से संबंसधत डेटा और ऄन्य सििरण को ककसी ऄन्य कं पनी/प्रसतिंिी
संगठन को प्रदान न करें।
 अपसत्तजनक संचार: कमाचाररयों को कायाालय में अपसत्तजनक भाषा का ईपयोग करने की ऄनुमसत
नहीं होती है। परंतु जब कोइ भी घटना कं पनी के बाहर घरटत होती है, तब ईसपर ककसी भी प्रकार से
सिचार नहीं ककया जाता है।
 कइ संगठनों हेत ु काया करना: सामान्यतः कं पसनयां ऄपने कमाचाररयों को एक से ऄसधक संगठनों में काया
करने हेतु प्रसतबंसधत करती हैं, सिशेषतः प्रसतथपधी कं पनी िारा जहां संगठन की गोपनीय सूचना का
ईपयोग ककया जा सकता है। आससे कमाचारी की ईसके सनयोक्ता के प्रसत सनष्ठा पर प्रश्न ईठता है।
 कं पनी के सलए सनधााररत दैसनक समय पर व्यसक्तगत काया करना: कमाचारी िारा सप्तासहक कदनों का
ऄत्यसधक समय नौकरी पर व्यतीत करने के कारण प्रायः िे कं पनी के सलए सनधााररत दैसनक समय पर
व्यसक्तगत काया करने का प्रयत्न करते हैं। आसमें कं पनी की फोन लाआन िारा डॉक्टर से समय लेना,
सनयोक्ता के कं प्यूटर एिं आंटरनेट कनेक्शन िारा छु रियों के सलए यात्रा हेतु अरक्षण करना ऄथिा यहां

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तक कक कं पनी के सलए सनधााररत समय में फ्रीलांस साआड सबज़नेस हेतु फ़ोन कॉल करना आत्याकद
शासमल हैं।
 ऄन्य व्यसक्त िारा ककए गए काया का श्रेय लेना: प्रायः कमाचारी ककसी िथतु का माके रटग कैं पेन तैयार
करने, नए ईत्पादों को सिकससत करने ऄथिा सेिाओं में सुधार करने हेतु टीम के रूप में काया करते हैं;
परंतु ऐसा कम ही पाया जाता है कक समूह का प्रत्येक व्यसक्त एक समान रूप से ऄंसतम ईत्पाद में ऄपना
संपूणा योगदान करता है। यकद कोइ भी कमाचारी प्रसतकू ल पररसथथसतयों में ऄपने सह-कर्थमयों साथ नहीं
देता है तो आससे ऄन्य कमाचाररयों में िेष की भािना ईत्पन्न हो सकती है। यह सथथसत तब भी ईत्पन्न हो
सकती है, जब सभी कमाचारी समान श्रेय को थिीकार करते हैं, चाहे के िल कु छ चुचनदा व्यसक्तयों ने
पररश्रम ककया हो। आस नैसतक दुसिधा का समाधान करने का सबसे ईत्कृ ष्ट तरीका यह है कक आस प्रकार
की पररसथथसत को ईत्पन्न नहीं होने कदया जाना चासहए। टीम के सभी सदथयों को आस बात पर बल देना
चासहए कक प्रत्येक सदथय को कु छ सिसशष्ट काया सौंपे जाए ताकक संबद् तरीके से पररयोजना को पूणा
ककया जा सके । आस बात पर भी र्धयान कें कद्रत ककए जाने की अिश्यकता है कक काया का श्रेय पूरी टीम
को कदया जाएगा न कक ककसी एक व्यसक्त को तथा यह ईस टीम लीडर का नैसतक दासयत्ि है कक ककसी
भी प्रकार की कमी रहने पर ईसकी सजम्मेदारी ले। {प्रोफे सर सतीश धिन (तत्कालीन आसरो ऄर्धयक्ष) ने
डॉ. ए. पी. जे ऄब्दुल कलाम की ऄगुअइ िाली टीम िारा प्रथम सैटेलाआट लॉन्च हहीकल समशन की
सिफलता को थिीकार करते हुए आस गुण का प्रदशान ककया।}
 ईत्पीड़क व्यिहार: प्रायः कमाचाररयों को यह ज्ञात नहीं होता है कक एक सहकमी िारा ऄन्य सहकमी का
मानससक, लैंसगक ऄथिा शारीररक रूप से ईत्पीड़न करने पर क्या कारािाइ की जानी चासहए। कमाचारी
को यह भय रहता है कक यकद िह ऄपने िररष्ठ को ईत्पीड़न की सशकायत करता है, तो ऄपनी नौकरी को
गंिा सकता है। साथ ही िह आस बात को लेकर भी चचसतत रहता है कक यकद िह ककसी सहकमी की
ऄन्य सहकमी के प्रसत ऄनुपयुक्त व्यिहार की सशकायत करता है, तो ईसे ईपद्रिी कहा जाएगा। आस
नैसतक दुसिधा का समाधान करने की ईसचत सिसध ईन सदथयों पर सनभार करती है जो कं पनी की
कमाचारी हैंडबुक को तैयार करते हैं। आस पुसथतका में सिसशष्ट रूप से थपष्ट शब्दों में सलखा जाना चासहए
कक ईत्पीड़न संबंधी व्यिहार या ऄपने सहकर्थमयों की ऄनुसचत कायों की सूचना देने िाले कमाचारी को
दंसडत नहीं ककया जाएगा।

7. के स थटडी (Some Case studies)


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पूिा से ही थथासपत ऄनुकरणीय सुरक्षा ऄसभलेख के बािजूद एक रासायसनक कारखाने में एक घातक दुघाटना
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घरटत हो जाती है सजसमें एक व्यसक्त की मृत्यु हो जाती है। दुघाटना के कारणों को ज्ञात करने हेतु की गइ
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जांच िारा भसिष्य में होने िाली आस प्रकार की दुघाटनाओं को रोकने हेतु ईपाय सुझाए गए हैं। हालांकक, आन
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पररितानों को कायाासन्ित करना ऄत्यसधक महंगा होगा। CEO के समक्ष संयत्र


ं को बंद करने का सिकल्प
सिद्यमान हैं सजसके पररणामथिरूप सैकड़ों नौकररयों की हासन हो सकती है, या दूसरी ओर यह भी सिकल्प
सिद्यमान है कक िह प्रकियात्मक पररितानों को ऄपनाते हुए संयंत्र का पररचालन जारी रख सकता है जो
जोसखम को के िल कम करेगा न की ईन्हें पूणत
ा ः समाप्त।
यह प्रकरण ऄसाधारण पररणामों का एक ईदाहरण है। यहाँ हमें चोट या मृत्यु के कम लेककन महत्िपूणा
जोसखम को समाप्त करने संबंधी मूल्य बनाम सनरंतर रोजगार प्रदान करने संबंधी मूल्य को सनधााररत करने के
सलए कहा गया है। हालाँकक, एक सैद्ांसतक प्रसतकिया थिरुप यह कहा जा सकता है कक ऐसा कोइ भी मूल्य
महान नहीं हो सकता है सजसे व्यसक्त के जीिन पर प्राथसमकता प्रदान की जा सके । लेककन यकद हम आस
ससद्ांत को ऄक्षरशः व्यिहार में लागू करेंगे तो दैसनक जीिन बासधत हो जाएगा। आसका ऄनुसरण करने से
यह तथ्य सामने अता है कक यकद कार दुघाटना में प्रसत िषा के िल एक व्यसक्त की ही मृत्यु होती है तो िैसी
सथथसत में सभी प्रकार के सनजी पररिहन पर प्रसतबंध लगा कदया जाए। ऄतः, जहां हम मौसखक रूप से आस
धारणा का समथान करते हैं कक मानि जीिन ऄपररमेय है, िहीं व्यािहाररक रूप से, आस धारणा से ऄसंगत
सनणाय सलए जाते हैं। आस पररदृश्य में, अर्थथक रूप से व्यिहाया समाधानों को खोजने की अिश्यकता है
सजसका ईद्देश्य ककसी भी दुघाटना को कम करना है।

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के स 2
एक खोजी संिाददाता को भ्रष्टाचार के एक मामले के संबंध में जानकारी प्राप्त होती है सजसमें ककसी प्रसतसष्ठत
कं पनी के बोडा के सदथय िारा कइ लाख रुपये के भूसम खरीद सौदे में फ्री हॉसलडे थिीकार ककया गया है।
ऄर्धयक्ष िारा पहले ही बोडा के संबंसधत सदथय से िाताा की जा चुकी है, सजसने तत्काल ऄपने पद से आथतीफा
देने का प्रथताि रखा है। संयोग से, आस सौदे को ऄंसतम रूप नहीं कदया जा सका और आस प्रकार ककसी भी
प्रकार की हासन नहीं हुइ। ररपोटार फोन पर ऄर्धयक्ष से आस ऄफिाह की िाथतसिकता के संबंध में जानकारी
प्राप्त करता है। आस सथथसत में यकद ऄर्धयक्ष िारा भ्रष्टाचार के आस मामलें की जानकारी प्रदान की जाती है तो
आसके पररणामथिरूप कं पनी के शेयरों की कीमतों में सगरािट हो सकती है। यहाँ ऄर्धयक्ष सच्चाइ को थिीकार
कर सकता है या संिाददाता को ऄहासनकर थपष्टीकरण के मार्धयम से गलत सूचना (एक 'सफे द झूठ') प्रदान
कर सकता है।
यह प्रकरण ससद्ांतों और पररणामों के मर्धय संघषा का एक ईदाहरण है। नैसतक ससद्ांत के संदभा में, झूठ
बोलना सदैि गलत होता है। हालांकक, िाथतसिक जीिन में एक ऐसी पररसथथसत ईत्पन्न होती है जहां सत्य
बोलने के मूल्य को चुकाने के सलए हम तैयार नहीं होते हैं। आसे एक अदशा ईदाहरण िारा थपष्ट ककया जा
सकता है- कु ल्हाड़ी सलए हुए कोइ हत्यारा अपसे यह पूछता है कक 'िह ककस मागा से गया है?' आस पररसथथसत
में सत्य के ऄसतररक्त ऄन्य कोइ भी प्रसतकिया एक झूठ होगी। आस पररसथथसत में ककसी व्यसक्त का नैसतक
कताव्य, पररणामों पर सिचार ककए सबना, सत्य बोलना है। हालांकक, कु छ व्यसक्त आसके चरम पररणामों को
भोगने के सलए तैयार हो सकते हैं।
के स 3
एक प्रयोगशाला ईपकरण सिसनमााण कं पनी में एक मानि संसाधन प्रबंधक को कं पनी के कायाबल में से एक
ऄसधक िररष्ठ सदथय के संबध
ं में करठन सनणाय का सामना करना पड़ता है। ईसकी सेिासनिृसत्त में के िल दो
िषा शेष हैं, िह व्यसक्त ऄत्यसधक सज़म्मेदारी और समपाण के साथ काया करता है लेककन ईसकी काया दर में
ऄत्यसधक सगरािट अ गइ है सजसके कारण ऄन्य श्रसमक ईसकी सशकायत करना प्रारंभ कर देते हैं। कं पनी के
प्रसत समपाण यह दशााता है कक प्रबंधक िारा कं पनी के सहत में सबसे बेहतर सनणाय सलया जायेगा और ईस
व्यसक्त को कं पनी से सनकाल कदया जायेगा। एक ऄसधक मानिीय कायािाही यह भी हो सकती है कक ईसे ऐसे
ऄनुभाग में थथानांतररत कर कदया जाए जहां ईत्पादकता की कमी को नोरटस करने की कम संभािना हो।
यह प्रकरण दुसिधा का एक ईदाहरण है, जो भूसमकाओं के मर्धय संघषा के कारण ईत्पन्न हुइ है। एक प्रबंधक भी
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ककसी डॉक्टर के समान कु छ कताव्यों और दासयत्िों को थिीकार करता है, जो ईसकी भूसमका के सलए
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सनधााररत हैं। आसके सलए ककसी को भी बार्धय नहीं ककया जाता। हम ऄपने पेशे संबंधी भूसमका का सनिाहन
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करने के सलए थितंत्र होते हैं और ऄपने कायों के अधार पर ऄपनी पहचान का सनमााण करते हैं। लेककन एक
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मानि की सथथसत के िल एक भूसमका से कहीं ऄसधक होती है। प्रबंधक भी एक ईत्तरदायी नागररक, एक
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िफादार पसत/पत्नी एिं देखभाल करने िाला माता-सपता, एक सभ्य मानि होता है। आन भूसमकाओं में सिशेष
प्रकार के दासयत्ि सनसहत होते हैं, सजनमें संघषा ईत्पन्न करने की क्षमता होती है। सैद्ांसतक प्रसतकिया कक
'ककसी व्यसक्त का ऄपनी कं पनी के प्रसत समपाण सभी पररसथथसतयों में ऄन्य सभी दासयत्िों से महत्िपूणा होता
है', सनसित रूप से ऄथिीकाया है।
आस प्रकार के सनणाय का सामना करने िाले प्रत्येक व्यसक्त के सलए, एक थपष्ट सनधाारक चबदु होता है लेककन
यह पूिा में ही सनधााररत नहीं ककया जा सकता है कक िह चबदु कौन-सा है। ऐसी पररसथथसत में हमें एक
सिकल्प का चयन करना होता है और ईसके ऄनुरूप काया करना होता है। हम ऄपने सनणाय के पक्ष में तका
प्रथतुत कर सकते हैं, लेककन ईपलब्ध सिकल्पों के मर्धय साथाक तुलना ककये सबना सलया गया कोइ भी सनणाय
“ऄंततः सबना तका के सलया गया सनणाय” माना जाएगा।
के स 4
एक सनयोक्ता X लंबे समय से कं सचल्टग सबज़नेस का संचालन कर रही है और ईसे आसे प्रबंसधत करने में
सहायता करने हेतु ककसी ऄन्य व्यसक्त को सनयुक्त करने की अिश्यकता है। िह कइ व्यसक्तयों का साक्षात्कार
लेती है और ऄंततः नौकरी के सलए ईम्मीदिार Y का चयन करती है सजसे ऄगले सप्ताह से काया प्रारंभ करने

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के सलए कहा जाता है। आस बीच, X का समत्र ईसे फोन करके आस पद हेतु एक ऄत्यसधक प्रसतभाशाली और
योग्य व्यसक्त Z की ससफाररश करता है। हालांकक X ईसके िारा सुझाए गए व्यसक्त के सलए मना कर देती हैं।
Z ईसचत बायो डेटा के साथ अता है और सनयोक्ता िारा ईसे पसंद कर सलया जाता है। आस पररसथथसत में
दुसिधा यह ईत्पन्न हो जाती है कक ककस प्रकार के व्यसक्त का चयन ककया जाए जो व्यिसाय के सलए सिाासधक
योग्य है या नैसतक रूप से ऐसे व्यसक्त को चयसनत ककया जाये सजसे पहले सनयुक्त कर सलया गया है।
समाधान
ईपयुाक्त मुद्दे का समाधान व्यिसाय में नैसतक दुसिधाओं के तीन मूलभूत प्रश्नों को संदर्थभत करके ककया जा
सकता है।
 क्या यह सिसध सम्मत है? सनजी कं पसनयां ककसी भी प्रकार के भती सनयमों को मानने हेतु बार्धय नहीं हैं।
हालांकक, ईन्हें प्राकृ सतक न्याय के सनयमों का पालन करना होता हैं। सनसित रूप से िे ऄपनी पसंद के
ईम्मीदिारों को चयसनत और ऄथिीकार कर सकती हैं। हालांकक, भती के बाद ईसे ऄथिीकार करना
प्राकृ सतक न्याय के ससद्ांतों का ईल्लंघन करता है, सजसका पररणाम न्यायालय कायािासहयों के रूप में
सामने अ सकता है। न्यायालय में तका प्रथतुत ककए जा सकते हैं, लेककन कफर भी, यह न्यायाधीशों िारा
सनधााररत ककया जायेगा कक िे कं पनी के ऄसधकार को (सनयुक्त करने या सनकलने) प्राथसमकता देते हैं या
व्यसक्त के प्राकृ सतक न्याय के ऄसधकार को।
 गुणों और दोषों को कै से संतुसलत ककया जाए? Y के सलए काया प्रारंभ करना तकनीकी रूप से सही है
लेककन यह कं पनी और Y दोनों के सलए लाभकारी सथथसत नहीं हो सकती है क्योंकक Z, Y की तुलना में
कं पनी के व्यिसाय को बेहतर रूप से अगे बढ़ा सकता है।
 क्या यह सही है? Y को सनयोसजत करना सही होगा क्योंकक Y को पहले ही कायाग्रस्हण की सतसथ सौंपी
जा चुकी है और ईसे सनयुक्त करने से सनयोक्ता X यह महसूस कर सकती है कक िह सही काया कर रही
है।
के स 5
एक कं पनी िारा एक नइ तकनीक लॉन्च की जा रही है जो कं पनी के साथ-साथ ग्रस्ाहकों के सलए भी ईपयोगी
है। लेककन, यकद आसे ईपयोग में लाया जाता है, तो संगठन में ऄपेक्षाकृ त कम मानि संसाधन की अिश्यकता
होगी। ईद्यमी ऄब नैसतक दुसिधा में है कक क्या िे ऄपने ग्रस्ाहकों को ऄसधक बेहतर सेिाएं प्रदान करें या ऄपने
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l.c

कमाचाररयों के प्रसत सनष्ठािान बने रहें सजन्होंने कं पनी की प्रगसत में सहयोग ककया है। आस सथथसत में दुसिधा
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यह है कक यहाँ न तो ग्रस्ाहक और न ही कमाचारी पीसड़त होने के भागी हैं और ऄब ऄंसतम सनणाय ईद्यमी िारा
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सलया जाना है।


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समाधान: आस सथथसत में तीन प्रश्नों को रेखांककत ककया जा सकता हैं:


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 क्या यह सिसध सम्मत है? आस सनणाय को कं पनी के िररष्ठ ऄसधकाररयों और कं पनी की नीसतयों के साथ
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सत्यासपत ककए जाने की अिश्यकता है। कं पनी िारा ऄपने कमाचाररयों के साथ ककए गए समझौते के
अधार पर दोनों िैधासनक रूप से सही हो सकते हैं।
 क्या यह संतुसलत है? संगठनात्मक लक्ष्यों और व्यसक्तगत लक्ष्यों को संतुसलत ककया जाना चासहए।
संगठन को बाजार में बने रहने के सलए लाभ और ग्रस्ाहकों की संतुसष्ट दोनों की अिश्यकता होती है। नइ
तकनीक को ऄपनाने से आन दोनों में िृसद् होने की सम्भािना है। कोइ भी व्यसक्त रोज़गार की सनसितता
और ईसचत पाररश्रसमक प्राप्त करने का प्रयास करता है। आस सथथसत के ईत्पन्न होने से पूिा ये दोनों लक्ष्य
परथपर समन्िसयत थे और दोनों के सलए लाभ की सथथसत सिद्यमान थी। ककन्तु ितामान सथथसत में आनके
मर्धय संघषा ईत्पन्न हो गया है। सनणाय कताा को िफादारी को पुरथकृ त एिं सम्मासनत करने तथा लागत
में कमी एिं ऄसधक ग्रस्ाहक-संतुसष्ट के मार्धयम से संभासित लाभ में िृसद् के सिकल्प के मर्धय चयन करना
होगा।
 क्या यह सही है? प्रसतकू ल पररसथथसतयाँ प्रसतकू ल सनणायों की संभािना ईत्पन्न करती है। थियं की कं पनी
की प्रगसत में िृसद् करना और ईसे ऄसधक थिचासलत थिरूप प्रदान करने में कु छ भी ऄनुसचत नहीं है।
तकनीकी सपछड़ापन कं पनी के सिकास में बाधक होता है, ऄतः तकनीक को ऄपनाना गलत सिकल्प नहीं
होगा। हालांकक, सनयोक्ता को ऄपने मानि संसाधन का ईपयोग करने और ईन्हें ऄपनी प्रसतष्ठा बनाए

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रखने के सलए ऄन्य क्षेत्रों में थथानांतररत करने के सलए कदम ईठाना चासहए, क्योंकक बड़े पैमाने पर
छंटनी के कारण कं पनी की छसि को रोजगार बाजार में एक बड़े ऄिरोध का सामना करना पड़ सकता
है।
 एक ईसचत संभासित मागा यह हो सकता है कक कं पनी िारा कमाचाररयों को ककसी ऄन्य क्षेत्र संबंधी
कौशल प्रदान ककया जाना चासहए और नइ तकनीक को ऄपनाने के िम में छंटनी में कमी की जानी
चासहए।
ये दो मामलें, व्यिसासयक नैसतक दुसिधाओं के सिसशष्ट ईदाहरण हैं। जीिन के समान ही व्यिसाय में कु छ
सनणाय करना ऄत्यसधक करठन होता है, लेककन यह थमरण रखना चासहए कक - अपको िही करना है जो
अपको करने के सलए कहा गया है - आस प्रकार की दुसिधाओं के समाधान की कोइ ऄसनसित सिसध नहीं है!

8. नैसतक मागाद शा न के स्रोत के रूप में सिसध, सनयम, सिसनयम


और ऄंतःकरण
(Laws, Rules, Regulations and Conscience as Sources of Ethical Guidance)
सिसध और ऄंतःकरण मागादशान के दो स्रोत हैं सजनके मार्धयम से मनुष्य थियं की कायािासहयों की नैसतकता
का सनणाय कर सकता है। ये स्रोत लोक प्रशासकों के सलए थपष्ट और व्यािहाररक मागादशान प्रदान करने में
सिशेष रूप से महत्िपूणा हैं। जहां सिसध, कत्ताा से बाहर सिद्यमान होती है िहीं ऄंतःकरण कत्ताा के भीतर
सिद्यमान होता है। ये दोनों ही नैसतक होने का दासयत्ि अरोसपत करते हैं ऄथाात,् ईसचत काया करना और
बुराइ से बचना।

8.1. सिसध की ऄिधारणा (The Notion of Law)

नीसतशास्त्र में प्रयुक्त सिसध, भौसतकी में सिसध की ऄिधारणा से सभन्न हैं, जो कारािाइ के एक सामान्य ऄथिा
थथायी तरीके को सूसचत करती है। नीसतशास्त्र में, सिसध एक नैसतक ऄिधारणा है। ईदाहरण के सलए, आसे आस
रूप में पररभासषत ककया गया है कक "यह सामान्य शुभ के कारण के रूप में एक अदेश है और आसे समुदाय
की देखभाल करने िाले व्यसक्त िारा प्रचाररत ककया जाता है।" (सेंट थॉमस एकिनास)।
Lex (लेक्स) शब्द (लैरटन में ‘सिसध’ हेतु प्रयुक्त शब्द) िथतुतः लैरटन शब्द ligare (सलगर) से बना है, सजसका
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ऄथा "बांधना" होता है। यह लोगों को काया करने ऄथिा न करने हेतु प्रेररत करता है। यह एक दासयत्ि भी
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अरोसपत करता है। आसके ऄसतररक्त, यह एक कारािाइ को थथासपत करता है सजसका ऄनुसरण ककया जाना
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चासहए। साथ ही, सिसध मानि प्रकृ सत के ऄनुरूप होनी चासहए तथा मानि प्रकृ सत को सिसधयों का ऄनुपालन
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करने के सलए भौसतक एिं नैसतक रूप से समथा होनी चासहए। आसे के िल न्यायोसचत ही नहीं होना चासहए,
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बसल्क सभी पर समान रूप से लागू भी होनी चासहए। आसके ऄसतररक्त, यह ‘सामान्य शुभ’ के सलए है न कक
सनजी लाभ के सलए।
हालांकक, ककसी से भी सिसध के ऄनुपालन की ऄपेक्षा करने से पूिा आसे सिसध सनमााताओं िारा प्रख्यासपत
ककया जाना चासहए ऄथिा आसके संबंध में समुदाय को जानकारी होनी चासहए। यकद सिसध सनमााता सिसध के
ऄसथतत्ि को प्रख्यासपत या प्रचाररत नहीं करते हैं, तो नागररकों िारा आसका ऄनुपालन नहीं ककया जायेगा
तथा सिसध सनमााता आसके ऄनुपालन की ऄपेक्षा नहीं कर सकें गे।
सेंट थॉमस एकिनास (13िीं सदी के दाशासनक ि इसाइ संत) ने सिसभन्न प्रकार की सिसधयों का एक प्रससद्
िणान प्रथतुत ककया। ईन्होंने धमाशास्त्र से व्युत्पन्न शाश्वत सिसध (eternal law), जो इश्वर को िह्ांड के
ऄसधपसत के रूप में दशााता है, तथा लौककक ऄथिा सामसयक सिसधयों के मर्धय तुलना ककया। शाश्वत सिसध
िह सिसध है जो ऄनंतकाल तक बनी रहती है, ऄथाात् मनुष्य या ऄन्य जीिों के ऄसथतत्ि के साथ या ईसके
सबना। यह सदैि सिद्यमान होती हैं। शाश्वत सिसध इश्वर की आच्छा है। यह ऄगली श्रेणी ऄथाात् दैिीय सिसध
(Divine law) के रूप में प्रकट होती है। दैिीय सिसध, शाश्वत सिसध से व्युत्पन्न सिसध है सजसे सिसभन्न पसित्र
पुथतकों के मार्धयम से इश्वरीय अदेशों के रूप में मनुष्यों के सलए 'प्रकासशत' ककया गया है। ककन्तु यकद इश्वर ने

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आन सिसधयों को सनर्थमत ककया है तो ईसने मनुष्यों िारा ईन्हें जानने का एक तरीका भी ऄिश्य सनर्थमत ककया
होगा। ितामान में प्रत्येक मनुष्य आन पसित्र पुथतकों को न तो पढ़ सकता है / न ही पढ़ता है / न ही हर कोइ
इश्वर में सिश्वास करता है। आससलए, थॉमस एकिनास कहते हैं कक इश्वर ने मनुष्य को ऄंतज्ञाान के साथ-साथ
तका के अधार पर प्रकृ सत से आन सिसधयों को प्राप्त करने में सक्षम बनाया है। आस प्रकार, ऄंततः दो प्रकार की
मानि सिसधयां हैं: प्राकृ सतक और सकारात्मक।

8.1.1. प्राकृ सतक सिसध और सकारात्मक सिसध

(Natural Laws and Positive Laws)


प्राकृ सतक सिसध, समय ऄथिा मनुष्य के ईसिकास के साथ सिकससत हुइ है। यह मानि प्रकृ सत पर अधाररत है
और मानिीय बुसद् आसकी खोज कर सकती है। दाशासनकों के मर्धय आस पर बहस की शुरुअत ऄरथतु के समय
से ही मानी जाती है कक असखर प्राकृ सतक सिसध क्या है। थॉमस एकिनास के प्राकृ सतक सिसध संबंधी संथकरण
को सबसे सुव्यिसथथत माना जाता है। सजसके ऄनुसार, यद्यसप दैिीय बुसद् की शाश्वत सिसध हमारे सलए
ऄज्ञात है क्योंकक यह ऄपनी पूणाता में इश्वर के मसथतष्क में सिद्यमान है, तथासप यह न के िल रहथयोद्घाटन
बसल्क हमारी बुसद् के संचालन के मार्धयम से भी हमें ज्ञात होती है। प्राकृ सतक सिसध, जो "बौसद्क प्राणी में
शाश्वत सिसध के समािेशन के ऄसतररक्त कु छ नहीं है", ईन सनयमों का समािेश करती है सजसे मानिजासत
सूत्रबद् करने में सक्षम है, जो आस प्रकार हैं: थियं के शुभ का संरक्षण, "ईन आच्छाओं की पूर्थत सजन्हे प्रकृ सत ने
सभी जीिों में ऄंतर्थनसिष्ट ककया है”, तथा इश्वर को जानने का मागा ऄपनाना। मानिीय सिसध में प्राकृ सतक
सिसधयों को थपष्ट तौर पर शासमल ककया जाना चासहए।
समझने के ईद्देश्यों से एकिनास के सिचारों को आस प्रकार सरलीकृ त ककया जा सकता है कक इश्वर ने हमें यह
जानने के सलए सभी साधनों से पहले ही पररपूणा ककया है कक शुभ क्या है। सजन िथतुओं को खोजने के सलए
हमें ऄसभकसल्पत ककया गया हैं ईन्हें 'मूलभूत िथतु’' कहा जाता है। सजन्हें ऄसथतत्ि के सलए सहज माना गया
है। समथत जीसित प्रासणयों में यह प्रिृसत्त पायी जाती है। हमें अत्म-परररक्षण की खोज करने हेतु
ऄसभकसल्पत ककया गया है। आसकी ईत्पसत्त कहां से होती है? आसकी ईत्पसत्त थिाभासिक रूप से होती है। हम
ईन चीजों से बचते हैं जो हमारे ऄसथतत्ि को क्षसत पहुंचा सकती हैं। आसी प्रकार, सभी प्रासणयों को ऄपने
om

ऄसथतत्ि को सनरंतर बनाए रखने के सलए प्रजनन की अिश्यकता होती है। यह थिाभासिक भी है।
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प्राकृ सतक सिसध की ऄिधारणा को थॉमस हॉब्स ने अगे बढ़ाया, सजन्होंने आसे 'एक अदेश या सामान्य सनयम'
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के रूप में िर्थणत ककया, सजसकी ईत्पसत्त बुसद् िारा होती है। “आसके िारा एक व्यसक्त को ऐसा करने के सलए
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िर्थजत ककया जाता है जो ईसके जीिन के सलए सिनाशकारी है।” हॉब्स ने ''अधारभूत शुभ’' की ऄिधारणा
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को भी अगे बढ़ाया, सजसकी हम आच्छा रखते हैं, जैस-े शांसत, सुख, कृ तज्ञता आत्याकद। आससलए कोइ भी काया
su

जो शांसत के ऄनुसरण का ईल्लंघन करता है या सुख में बाधा ईत्पन्न करता है ऄथिा सजससे कृ तज्ञता प्राप्त
नहीं होती है ईसे प्राकृ सतक सिसध का ईल्लंघन माना जाएगा। यहाँ यह थपष्ट हो जाना चासहए कक यह
प्राकृ सतक सिसध राजा या सरकार जैसे सक्षम प्रासधकारी िारा सनर्थमत नहीं है। आससलए, आस शब्द के सबसे
कठोर ऄथा में भी ककसी प्रकार के शासन का प्रािधान नहीं है।
प्राकृ सतक सिसध के सकारात्मक मानि सिसध के साथ संबंध पर सिचार कीसजए। सर एडिडा कोक 17िीं
शताब्दी के एक प्रससद् ऄंग्रस्ेज सिसधिेत्ता थे सजन्होंने ऄमेररकी िांसत को ऄत्यसधक प्रभासित ककया था।
ऄमेररकी थितंत्रता की ईद्घोषणा को प्राकृ सतक सिसध (मनुष्य के ऄसधकारों के रूप में) के दथतािेज के रूप में
भी माना जाता है। ऄमेररकी िांसतकारी नेताओं के सलए, 'सिसध' का ऄथा सर एडिडा कोक की पररपाटी और
ईसचत बुसद् से था। कोक ने सिसध को "पूणा बुसद् (perfect reason)" माना, जो ईन चीजों को अदेश देती
है जो ईसचत एिं अिश्यक हैं तथा सिपरीत चीजों को प्रसतबंसधत करती है।” कोक के ऄनुसार, मानि प्रकृ सत
िारा सिसध का ईद्देश्य सनधााररत होता है और सिसध ककसी भी व्यसक्त की बुसद् या आच्छा से सिोत्तम है। कोक
के ऄनुसार, प्राकृ सतक सिसध "िह है जो इश्वर िारा मानिीय प्रकृ सत के सृजन के समय ही ईसके संरक्षण और
सनदेशन के सलए ईसके हृदय में ऄंतर्थनसिष्ट कर दी गइ थी।"

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सकारात्मक सिसध दो प्रकार की होती है: दैिीय और मानिीय। यकद सकारात्मक सिसध का रचसयता इश्वर है,
तो िह दैिीय सकारात्मक सिसध है। यकद सकारात्मक सिसध का मूल स्रोत मानि है, तो यह एक मानिीय
सकारात्मक सिसध है। यहां हम मानि और सकारात्मक शब्दों का ईपयोग परथपर एक-दुसरे के सलए कर रहें
हैं। 'सिसध को प्रभािी’ बनाने हेत,ु आसे सिसधित ऄसधसनयसमत, थिीकाया और कियासन्ित ककया जाना चासहए।
सकारात्मक सिसध भी समय के साथ सिकससत हइ है। आसके ऄंतगात आस प्रकार की सिसध होती है जो सिसध-
सनमााताओं की थितंत्र आच्छाशसक्त पर सनभार करती है और कु छ बाह्य प्रतीकों िारा प्रख्यासपत की जाती हैं।
एकिनास ने यह बताया कक सभी मानि ऄथिा सकारात्मक सिसध को प्राकृ सतक सिसध के ऄनुरूप सनधााररत
ककया जाना था। एक ऄनुसचत सिसध ऄपने शब्द के पूणा ऄथा में सिसध नहीं है। यह के िल सिसध की 'प्रतीसत
(appearance)' को बनाए रखता है क्योंकक आसे एक सिसध के समान ईसचत रूप से सनर्थमत और लागू ककया
जाता है, लेककन यह थियं ‘सिसध का सिकृ त रूप’ होता है। प्राकृ सतक सिसध का न के िल सिसभन्न सिसधयों के
नैसतक मूल्य के अधार पर सनणायन करने हेतु ईपयोग ककया जाता है, बसल्क यह सनधााररत करने के सलए भी
ककया जाता है कक ईन सिसधयों का ऄथा क्या है।
प्राकृ सतक सिसध के साथ समथया
प्राकृ सतक सिसध का ससद्ांत हमें अधारभूत शुभ प्रदान करता है। आन अधारभूत शुभों को जानने के सलए
पसित्र पुथतकों की अिश्यकता नहीं होती है। हमारी सहज प्रिृसत्त हमें अधारभूत शुभों का ज्ञान प्रदान करती
है तथा बुसद् के अधार पर हम आन अधारभूत शुभों से प्राकृ सतक सिसध को व्युत्पन्न करते हैं। िे ही काया ईसचत
हैं जो प्राकृ सतक सिसध के ऄनुरूप हैं। ऄब, ईत्तरजीसिता की थिाभासिक प्रिृसत्त पर सिचार कीसजए। मैं जीसित
रहना चाहता हं और ऄन्य सभी लोग भी ऐसा ही चाहते हैं। आससलए, बुसद् के मार्धयम से, मैं एक प्राकृ सतक
सिसध को व्युत्पन्न कर सकता हं कक हत्या की ऄनुमसत प्रदान नहीं की जानी चासहए, क्योंकक हत्या
ईत्तरजीसिता के अधारभूत शुभ से समझौता करती है। हालांकक, सभी जीसित प्रासणयों के सलए हत्या एक
प्राकृ सतक ऄनुिम है, जैस-े खाद्य श्रृख
ं ला में। आससलए, आस अधार पर ऄसंगसत सिकससत होती है कक कोइ
प्राकृ सतक सिसध की ककस प्रकार से व्याख्या करता है।
आसके ऄसतररक्त, मान लीसजए कक प्राकृ सतक सिसध िारा हत्या को प्रसतबंसधत ककया गया है। साथ ही, सभी
प्रासणयों का ऄसधकार होने कारण प्रजनन को एक मूलभूत शुभ माना जाता है। तो आस संदभा में गभापात के
बारे में सिचार कीसजए? यकद प्राकृ सतक सिसध मानिासधकारों का अधार है, तो गभापात एक मानि ऄसधकार
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नहीं हो सकता है, क्योंकक यह हत्या का सनषेध करने िाली प्राकृ सतक सिसध का ईल्लंघन करता है। आस प्रकार,
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इसाइ और आथलाम दोनों धमों में गभा सनरोधक ईपाय सनसषद् हैं। आसी प्रकार, ईन लोगों के संबंध में अपका
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क्या सिचार है जो प्रजनन हेतु लैंसगक रूप से ऄसक्षम हैं? ऄथिा िे समलैंसगक युगल हैं? आस प्रकार के
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मामलों में प्राकृ सतक सिसध का ससद्ांत सिफल रहता है। सामान्यतः, आनकी व्याख्या के साथ-साथ आनके
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कियान्ियन के तरीकों के संबंध में समथया सिद्यमान है। आससलए, व्यािहाररक ऄथा में, प्राकृ सतक सिसध को
सकारात्मक मानि सिसध के नैसतक चररत्र को सनधााररत करने हेतु नैसतक मागादशाक के रूप में ईपयोग ककया
जाता है।

8.1.2. नै सतक मागा द शा न के एक स्रोत के रूप में अधु सनक सं द भा में सिसध

(Laws in modern context as a source of ethical guidance)


अधुसनक संदभा में सिसध, सकारात्मक मानिीय सिसध की समानाथी है। सिसध िह बुसनयादी नैसतक मानदंड हैं
सजसे समाज के सभी व्यसक्तयों से ऄनुपालन की ऄपेक्षा की जाती है। समाज में आनके ईल्लंघन के सिरुद् कु छ
प्रसतबंध अरोसपत ककए गए हैं, जो कक सामान्यतः यथोसचत रूप से प्रितानीय दंड के रूप में सिद्यमान होते हैं।
सिसध िारा कारािाइ करना और कारािाइ न करना दोनों को सनयंसत्रत ककया जाता है। ऄथाात् कु छ ऐसी
सिसधयां सनर्थमत की गइ हैं जो ‘क्या नहीं ककया जाना चासहए’ से संबंसधत हैं, जैस-े हत्या; िहीं कु छ ऐसी
सिसधयां सनर्थमत की गइ हैं जो 'क्या ककया जाना चासहए’ से संबंसधत हैं, जैस-े मोटर िाहनों का पंजीकरण।
यद्यसप सिसध मानि बुसद् िारा व्युत्पन्न एक ऄर्धयादेश ऄथिा सनयम है, जो ककसी भी सिसनयम या साधारण

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सनयम के तुल्य नहीं है। सिसनयम और सनयम सिसभन्न सिसधयों के सनसहताथा को सिसशष्ट संदभा के ऄंतगात
समझने में सहायता करते हैं।
सिसध का मुख्य ईद्देश्य सामान्य शुभ और सामासजक कल्याण को प्रोत्सासहत करने के साथ-साथ व्यसक्तगत
ऄसधकारों को संरक्षण प्रदान करना हैं। स्रोत के अधार पर सिसध को कायाासन्ित करने का ऄसधकार,
क्षेत्रासधकार से संबद् व्यसक्तयों ऄथिा सिसधक रूप से समुदाय के प्रभारी व्यसक्तयों के पास होता हैं। यकद
सिसध के क्षेत्रीय सिथतार को देखा जाए तो यह सामान्यतः सिसध सनमााता के ऄसधकार क्षेत्र के बाहर लागू नहीं
होती है, जैस-े भारतीय कानून यूरोप में लागू नहीं होते हैं। हालांकक, कु छ सिसधयों का थिरुप ऄंतरााष्ट्रीय
क्षेत्रासधकार िाला हो सकता है (ईदाहरणाथा- साआबर सुरक्षा कानून, देश छोड़ चुके ऄपरासधयों को दंसडत
करने हेतु कराधान संबध
ं ी कानून अकद)। यू.एस. प्रेसजडेंसशयल प्राआमरी का एक रोचक ईदाहरण आस ऄंतर
को ऄसधक थपष्ट करने में सहायता करेगा। 1992 के प्रेसजडेंसशयल प्राआमरी के ईम्मीदिार सबल चक्लटन से
पूछा गया था कक क्या ईन्होंने कभी ड्रग्स का सेिन ककया है। तब ईन्होंने प्रत्युत्तर में कहा कक ईन्होंने कभी भी
ड्रग्स का सेिन कर संयुक्त राज्य ऄमेररका के ककसी भी सिसध का ईल्लंघन नहीं ककया है। तत्पिात ईनसे पूछा
गया कक क्या ईन्होंने ड्रग्स का सेिन करके ऄन्यत्र थथान की सिसध का ईल्लंघन ककया है, आसके प्रत्युत्तर
ईन्होंने कहा कक जब िे ऑक्सफोडा सिश्वसिद्यालय (आंग्लैंड) में एक छात्र थे तब एक बार माररजुअना (गांजा)
का सेिन ककया था। ईन्होंने यह भी कहा कक संयुक्त राज्य ऄमेररका की सिसध आंग्लैंड में ककसी भी ऄमेररकी
नागररक/व्यसक्त पर लागू नहीं होती है।
आस सिभेद के बािजूद, 1992 के िसंत के दौरान अयरलैंड में घरटत एक घटना पर सिचार कीसजए। एक
चौदह िषीय अयररश लड़की ईसके साथ हुए कसथत दुष्कमा के पररणामथिरूप गभािती हो जाती है। िह और
ईसके माता-सपता गभापात कराने हेतु आंग्लैंड गए थे, क्योंकक गभापात को अयररश संसिधान (अयरलैंड) में
प्रसतबंसधत ककया गया है (आसे मइ, 2018 में एक जनमत संग्रस्ह िारा सनरथत कर कदया गया)। अयररश
ऄटॉनी जनरल ने आस मामले को डबसलन सथथत ईच्च न्यायालय के समक्ष प्रथतुत ककया। न्यायालय ने सनणाय
कदया कक अयररश संसिधान चौदह िषीय लड़की को आंग्लैंड में ककसी भी थथान पर गभापात कराने से
प्रसतबंसधत करता है। आस सनणाय के सिरुद् अयरलैंड के ईच्चतम न्यायालय में यासचका दायर की गइ और
न्यायालय िारा आस सनणाय की समीक्षा की गइ। हालाँकक, आसने सनणाय कदया था कक युिा लड़की को गभापात
हेतु आंग्लैंड जाने का संिैधासनक ऄसधकार प्राप्त नहीं है, लेककन आसने (अयरलैंड के ईच्चतम न्यायालय) यह
सनणाय कदया कक िह गभापात करिा सकती थी क्योंकक ईसके िारा अत्महत्या की धमकी दी जा रही थी।
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ऄतः ईसके जीिन के ऄसधकार को भ्रूण के जीिन के ऄसधकार पर प्राथसमकता प्रदान की गइ थी।
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सिसध के सिपरीत व्यसक्त, संगठन ऄथिा समूह िारा सनयमों का सनमााण ककया जा सकता है। यहाँ पुनः यह
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थपष्ट ककया जाना चासहए कक आन सनयमों का सनमााण सिसध के ऄंतगात ककया जाता है। सनयमों की अिश्यकता
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के िल सामान्य शुभ के सलए ही नहीं होती है बसल्क िे सनजी शुभ के सलए भी हो सकते हैं तथा जहां भी िे
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व्यसक्त जाते हैं ईन पर लागू होते हैं। साथ ही आन सनयमों को प्राकृ सतक सिसध का ईल्लंघन नहीं करना चासहए।
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सनयमों या सिसनयमों में नागररक (दीिानी) सिसध को थपष्ट ककया जाना चासहए, सजस प्रकार नागररक सिसध
में प्राकृ सतक सिसध को थपष्ट ककया जाता है। सनयम एिं सिसनयम लोक प्रशासकों को ईसचत और ऄनुसचत का
सनणाय करने हेतु ऄसतररक्त मागादशाक के रूप में काया कर सकते हैं। ऐसी धारणा है कक सनयम सनमााताओं िारा
प्राकृ सतक सिसध ऄथिा नागररक सिसधयों का ईल्लंघन नहीं ककया जाता है, लेककन िे कभी-कभी नागररक
कानून िारा थपष्ट रूप से सनधााररत सनदेशों के समक्ष ऄिरोध ईत्पन्न करते हैं। जब कोइ ऄधीनथथ सनयमों का
ईल्लंघन करता है तो ऐसे में एक िररष्ठ ऄसधकारी िारा ईसे (ऄधीनथथ को) दंसडत ककया जा सकता है,
जबकक हो सकता है कक ईक्त सनयम नागररक ऄथिा प्राकृ सतक सिसध के सिपरीत हों तथा ईल्लंघनकताा िारा
नैसतक व्यिहार ऄपनाया गया हो। सिसध के सािाभौम सनयम के तहत कोइ भी व्यसक्त ऄनैसतक सनयमों का
पालन करने हेतु बार्धय नहीं होता है।
हालांकक, समाज में सिसभन्न सिसधयां, सनयम और सिसनयम सिद्यमान हैं जो मानि व्यिहार को सनयंसत्रत
करते हैं। आन सभी को समझना ककसी भी मनुष्य के सलए लगभग ऄसंभि है। संभितः आसी संदभा में
प्रयोजनिाद (Teleology) सही है, सजसके ऄनुसार मानिीय व्यिहार को सनयंसत्रत करने हेतु मानदंडों की
अिश्यकता नहीं होती है; मानि बुसद् थियं में ही सही और गलत का सनणाय करने में सक्षम है, (प्रयोजनिाद
एक नैसतक ससद्ांत है सजसके ऄनुसार आस संसार में प्रत्येक िथतु की ईपसथथसत का एक प्रयोजन है ऄथाात् कु छ

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पररघटनाओं को ईनकी ईपसथथसत के कारण की ऄपेक्षा प्रयोजन के संदभा में बेहतर तरीके से पररभासषत
ककया जा सकता है)। सूचना, चचतन, मूल्यांकन, सनणाय और कायािाही नैसतकता के सनधाारण के मानदंड हैं।
यह दृसष्टकोण औसचत्यपूणा है और साथ ही आस तथ्य के सलए एक िैध प्रसतकिया भी है कक सभी सिसधयों एिं
सनयमों का ज्ञान होना लगभग ऄसंभि है।
जहां कताव्य-परकतािादी (Deontologist) यह मानते हैं कक सिसध एिं सिसनयम ऄपयााप्त हैं, िहीं िे
नैसतकता पर अधाररत लोक प्रशासकों के सलए प्रमुख मागादशान के रूप से सिसधयों एिं सनयमों पर भी र्धयान
कें कद्रत करते हैं। ऄंतःकरण के ऄभाि में ककसी भी सिसशष्ट काया हेतु आन सिसधयों एिं सनयमों को लागू करना,
लोक प्रशासकों में एक महत्िपूणा तत्ि की ऄनुपसथथसत को दशााता है। ऄतः ऄब ईसचत और ऄनुसचत का
सनणाय करने के संदभा में हम ऄंतःकरण का एक तंत्र के रूप में परीक्षण करेंगे।

8.2. नै सतक सनदे श न के एक स्रोत के रूप में ऄं तःकरण

(Conscience as a Source of Ethical Guidance)


(यह सिशेष खंड पैरट्रक जे.शीरन िारा रसचत पुथतक ‘एसथक्स आन पसब्लक एडसमसनथट्रेशन’ से सलया गया है।
ऄंत:करण के सिषय का सििरण ऄसधक साधारण शब्दों में ऄन्य नोट्स यथा नीसतशास्त्र एिं मानिीय सह-
संबंध और साथ ही साथ शासन व्यिथथा में इमानदारी में भी कदया गया है। सनम्नसलसखत खंड ऄंतःकरण का
ससिथतार और शैसक्षक दृसष्टकोण प्रथतुत करता है।)
यद्यसप सिसध मानि जासत से परे नैसतकता के ससद्ांतों पर र्धयान के सन्द्रत करती है, तथासप ऄंतःकरण मानि
मसथतष्क के भीतर सिराजमान होता है जो मनुष्यों के कायों की नैसतकता को सनधााररत करता है। ऄंतःकरण
मसथतष्क का एक सिशेष काया है जो तब संपाकदत होता है जब बुसद् एक सिशेष काया की ऄच्छाइ या बुराइ
पर सनणाय करती है। यह सिसशष्ट एिं यथाथापूणा मानिीय कृ त्यों के संदभा में एक व्यािहाररक सनणाय है।
कताव्य-परकतािादी पररप्रेक्ष्य से ऄंत:करण का संबध
ं सनणाय से है जो कक बुसद् का एक काया है। यह ऄनुभूसत
या संिेग नहीं है बसल्क एक बौसद्क सनणाय से संबद् है। यह एक सिशेष काया के दृसष्टकोण से एक सनणाय भी
है। ऄंत:करण के अधार पर ऄतीत के कायों या भािी कायों की नैसतकता को र्धयान में रखते हुए एक
व्यािहाररक सनणाय सलया जा सकता है।
ऄंत:करण सिसध से सभन्न है। सिसध कायािासहयों के संदभा में एक सामान्य सनयम सनर्ददष्ट करती है, जबकक
ऄंत:करण सिसशष्ट कायों हेतु सिसशष्ट सनयम सनधााररत करता है। ऄंत:करण सिसशष्ट कायािाही हेतु सिसशष्ट
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सिसध या सनयम को अरोसपत करता है, आसीसलए यह सिसध से ऄसधक व्यापक है। कु छ लोगों का कहना है कक
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सजस प्रकार पेंरटग के सलए िश अिश्यक होती है ईसी प्रकार सिसध के सलए ऄंत:करण अिश्यक होता है।
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प्रयोजनिादी (teleology) दृसष्टकोण से ऄंत:करण काफी हद तक ऄहंिादी पहचान को मूता रूप देने के
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समान होता है, जहां ‘कु छ ऄथों में प्रत्येक ऄहंिाद एक नीसतपरक अचार संसहता होती है।’ यकद ऄहंिाद और
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ऄंत:करण समान या समरूप हैं तो लोगों के पास एक सिसशष्ट कृ त्य (ऄतीत या ितामान) का प्रयोजन
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सनधााररत करने तथा ईसी क्षण ईस कृ त्य की नैसतकता का अकलन करने की क्षमता होती है। प्रयोजन और
नैसतकता दोनों का अकलन करते हुए दोनों दृसष्टकोणों में चचतन शासमल होता हैं। जहाँ एक एक सिसशष्ट कृ त्य
के सलए सिसध के अरोपण में कताव्य-परकतािादी ऄंतःकरण का ईपयोग करते हैं, िहीं प्रयोजनिादी ककसी
कायािाही के प्रयोजन या नैसतकता सससद् हेतु ककसी सिसशष्ट सिसध के ऄनुप्रयोग को थिीकार नहीं कर सकते
हैं। यह प्रकिया सभी मनुष्यों िारा बाल्यािथथा से ही सिकससत “मूल्य प्रसतबद्ताओं के एक समुच्च” के
ऄनुप्रयोग को समासहत करती है। व्यिहार में, दोनों सिचारधाराएँ सिसभन्न साधनों के साथ समान प्रकियाओं
का प्रयोग करती हैं। नैसतक सनणाय सभन्न हो सकते हैं, परन्तु चूँकक दोनों ईपागमों में समान मानिीय बुसद्
शासमल होती है ऄत: नैसतक सनणाय प्राय: समान ही बने रहते हैं।

8.2.1. ऄं त :करण के प्रकार (Types of Conscience)

मानि जासत में सिसभन्न प्रकार के ऄंत:करण सिद्यमान हो सकते हैं। प्रथम, एक शुद् ऄंत:करण है, सजसका
तात्पया तथ्य के ऄनुरूप सनणाय के होने से है। सनणाय, कायािाही के प्रसत सिसध का एक ईसचत या सटीक
ऄनुप्रयोग है। एक ऄंत:करण तब दोषपूणा होता है जब सनणाय दोषपूणा होता है क्योंकक व्यािहाररक सनणाय

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कायािाही पर ऄनुसचत रूप से सिसध को लागू करता है। दोषपूणा सनणाय परजेय/ऄपराजेय रूप में गलत हो
सकता है (परजेय दोषपूणा का ऄथा है कक सजसे सही ककया जा सकता ऄथाात् जो ऄपराजेय नहीं है)।
ऄंत:करण ऄसंकदग्ध (सनर्थििाद), संशयात्मक ऄथिा संभासित (certain, doubtful or probable) तीनों
हो सकता है। ऄंत:करण को तब ऄसंकदग्ध माना जाता है जब ककसी कायािाही की नैसतकता के संबध ं में सलया
गए सनणाय में त्रुरट की कोइ संभािना सिद्यमान नहीं रहती है। त्रुरट की कोइ संभािना सिद्यमान न होने में
तासविक ऄसंकदग्धता ससम्मसलत नहीं होती है, लेककन यहाँ सामान्यतः ककसी भी साधारण व्यसक्त को सनणाय
(ऄसंकदग्ध ऄंत:करण पर अधाररत) के संबंध में कोइ संदह े नहीं होता है। यह ऄसंकदग्धता (सनसितता) ईसचत
और दोषपूणा दोनों प्रकार के ऄंत:करण पर लागू हो सकती है। एक ऄंत:करण तब संशयात्मक होता है जब
सनणाय में त्रुरट की कोइ न कोइ संभािना सिद्यमान होती है। ऐसे में व्यसक्त ऄपने व्यािहाररक सनणाय के संबंध
में कु छ संदहे ों से ऄिगत होता है। ऄंत:करण एक ही समय में संशयात्मक और दोषपूणा दोनों प्रकार का हो
सकता है। एक ऄंत:करण तब संभासित होता है जब सनणाय में त्रुटी की “लगभग” सभी संभािनाओं को दूर
कर कदया जाता है। ऐसे में एक सामान्य व्यसक्त लगभग सनसित होता है कक सनणाय सही है, हालांकक यह
(सनणाय) दोषपूणा हो सकता है।

8.2.2. ऄं त :करण को सं चासलत करने िाले नै सतक ससद्ां त

(Ethical Principles Governing Conscience)


ऄंत:करण पर चचाा आसे संचासलत करने िाले सनम्नसलसखत ससद्ांतों की ओर ले जाती है:
i. दोषरसहत ऄंत:करण की सुसनसितता हेतु व्यसक्त को यथोसचत सािधानी बरतनी चासहए।
ii. ऄसंकदग्ध (सनर्थििाद) ऄंत:करण का ऄनुसरण करने के सलए व्यसक्त बार्धय है भले ही िह ऄंत:करण
दोषपूणा हो। ईदाहरणाथा- यकद मुझे यह पूणा सिश्वास है कक ककसी ऄन्य व्यसक्त के जीिन की रक्षा हेतु
झूठ बोलना नैसतक रूप से ईसचत है तो मैं झूठ बोलने के सलए बार्धय हँ।
iii. एक संशयात्मक ऄंत:करण के ऄनुसार काया करना नैसतक रूप से कभी भी ईसचत नहीं होता है।
जानबूझकर कर ऄनसभज्ञ बने रहना क्षमा योग्य नहीं होता क्योंकक व्यसक्त को संशय के समाधान हेतु
कु छ प्रयास ऄिश्य करना चासहए। यकद समाधान के सलए ककया गया प्रयास ऄसफल हो जाता है तो
“लेक्स डु सबया नॉन ओसब्लगेट” (lex dubia non obligat ऄथाात् एक संशयात्मक सिसध बार्धयकारी
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नहीं होती) कियाशील हो जाता है।


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एक सिसध संशयात्मक कब होती है? आसके संबंध में सनम्नसलसखत चार ससद्ांत लागू होते हैं तथा कताा
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सिाासधक ईपयुक्त ससद्ांत का ऄनुसरण करने हेतु थितंत्र है:


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i. एक सिसध संशयात्मक होती है तथा यह बार्धयकारी नहीं होती है, जब थितंत्रता के सिपक्ष के बजाय
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थितंत्रता के पक्ष में ऄसधक संभासित साक्ष्य ईपलब्ध होते हैं। यह ‘प्रसंभाव्यिाद (probabilism)’
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कहलाता है। ईदाहरणाथा- एक व्यसक्त एक सतसथ के संबंध में संशय की सथथसत में चार कै लेंडरों को देखता
है। तीन कै लेंडर एक समान कदिस की ओर संकेत करते हैं तथा चतुथा एक सभन्न कदिस की ओर संकेत
करता है। िह व्यसक्त तीन कै लेंडरों िारा सनर्ददष्ट ऄथिा आससे सनगसमत सतसथ का ऄनुसरण कर सकता है
यकद यह ऄसधक थितंत्रता सुसनसित करती है।
ii. प्रसंभाव्यिाद का दूसरा संथकरण थपष्ट करता है कक एक व्यसक्त थितंत्रता के पक्ष में एक सिकल्प का
ऄनुसरण कर सकता है, बशते कक थितंत्रता के पक्ष में ईपलब्ध करिाए गए साक्ष्य ठोस रूप से संभासित
होने चासहए, भले ही थितंत्रता के सिरुद् साक्ष्य ऄसधक सम्भाव्य हो। आसी ईदाहरण में, व्यसक्त चतुथा
कै लेंडर िारा सनर्ददष्ट समय का ऄनुसरण कर सकता है, भले ही ऄन्य तीन संख्यानुसार ऄसधक सम्भाव्य
साक्ष्य प्रथतुत कर रहे हो।
iii. प्रसंभाव्यिाद का एक ऄन्य संथकरण सम-प्रसंभाव्यिाद (equiprobabilism) है जो यह दशााता है कक
एक व्यसक्त थितंत्रता के पक्ष में कदए गए मत का ऄनुसरण कर सकता है यकद दोनों पक्षों के साक्ष्य समान
रूप से संतुसलत है। ईपयुाक्त ईदाहरण में यकद दो कै लेंडर एक समान कदिस को प्रदर्थशत करते हैं तथा
ऄन्य दो सभन्न कदिस को आंसगत करते हैं तो व्यसक्त ककसी भी सिकल्प का चयन कर सकता है।

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iv. क्षसतपूर्थतिाद (Compensationalism) थपष्ट करता है कक व्यसक्त को न के िल थितंत्रता का पक्ष लेने


और सिरोध करने िाले साक्ष्यों पर बसल्क सिसध की गंभीरता, सिसध के सिरुद् काया करने का कारण,
सिसध की कठोर व्याख्या का ऄनुसरण करने से ईत्पन्न ऄसुसिधा तथा ऄसधक थितंत्रता को प्रथतुत करने
िाले सिकल्पों के चयन हेतु कारकों के औसचत्य पर भी सिचार करना चासहए।
कु छ सिसधयाँ संशयात्मक हो सकती हैं। संशयात्मक सिसध का तात्पया ऄथपष्ट रूप से सनर्थमत सिसध से है
सजसकी गलत व्याख्या की संभािना सिद्यमान रहती है तथा िह लोगों के समक्ष एक से ऄसधक सिकल्प
प्रथतुत करती है। ये ऄंत:करण के ससद्ांतों हेतु ऄसतररक्त कदशा-सनदेशों के रूप में काया करती हैं। परन्तु
ऄंत:करण के संबध ं में यहाँ एक ऄंसतम प्रश्न यह शेष रह जाता है: कक क्या लोगों के पास ईनकी जीिन
की ऄिथथा या शैसक्षक सथथसत के ऄनुसार ईसचत ऄंत:करण रखने हेतु ऄसतररक्त दासयत्ि हैं? लोक
प्रशासन की शब्दािली के ऄनुसार एक मुख्य प्रश्न यह है कक: क्या लोक प्रशासक ऄपने ईत्तरदासयत्िों के
ऄनुसार ऄपने ऄंत:करण को सिकससत करने हेतु बार्धय हैं? ऄन्य संदभों में, प्रबंधन के ऄंतगात ऄन्य
व्यसक्तयों की सहायता से कायों को संपन्न कराना शासमल होता है। आसके ऄनुसार प्रबंधन का ऄथा है कक
‘काया का ईसचत प्रकार से सनष्पादन हो रहा है’। यहां तका कदया जाता है कक ‘काया का ईसचत रीसत से
सनष्पादन हो रहा है, ससक्के का के िल एक पहलू है’। प्रबंधन के ऄंतगात यह भी शासमल होना चासहए कक
ईसचत काया का सनष्पादन हो। ईसचत काया क्या है?, िे नैसतक काया कौन-से हैं, सजन्हें करना चासहए?
यकद लोक प्रबंधक न के िल काया को ईसचत रीसत से सनष्पाकदत करते हैं, ऄसपतु ईसचत काया का भी सनष्पादन
करते हैं तो ईनके पास ऄपनी जीिन की ऄिथथा के ऄनुसार थियं के ऄंत:करण को सिकससत करने का एक
दासयत्ि भी होगा। यह न के िल प्रबंधन ससद्ांत एिं व्यिहार बसल्क नैसतक ससद्ांत एिं व्यिहार को भी
शासमल करता है। यकद प्रबंधक दोनों ही प्रकार की ऄिधारणाओं के ऄनुसार काया नहीं करते हैं तो िे न के िल
ऄप्रचसलत होने का बसल्क िाथतसिक प्रबंधकीय ईत्तरदासयत्िों की ईपेक्षा करने का भी जोसखम ईठाते हैं। यकद
प्रबंधक सशक्षक और ऄर्धयापक हैं तथा यकद िे ऄन्यों को सशसक्षत करने की ऄपनी भूसमकाओं की पूर्थत करना
चाहते हैं तो ईन्हें नौकरी के दोनों पहलुओं को ऄसनिाया रूप से सीखना चासहए।
ऄंत:करण को सिकससत और ऄद्यतन करने हेतु दो चरम पररसथथसतयों से बचना अिश्यक है। प्रथम,
ऄंत:करण पर ककसी भी प्रकार से र्धयान न देना ऄथाात् क्या ईसचत है और क्या ऄनुसचत आसे समझने का
प्रयास न करना ऄथिा सम्भितः ईसचत और ऄनुसचत में कोइ रूसच प्रदर्थशत न करना। कु छ लोक प्रबंधक आस
सिशेषता को प्रदर्थशत करते हैं। सितीय, िह व्यसक्त जो गंभीर काया या िैसे काया जो गंभीर नहीं है, का ईसचत
रीसत से सनष्पादन या ईसचत काया सनष्पादन में सिभेद करने में ऄसमथा है। कु छ लोक प्रबंधक हैं सजन्हें आस
व्याख्या में शासमल ककया जा सकता हैं। ऄंत:करण की ऄिधारणा के ऄनुसार ऐसी कोइ भी चरम सथथसत नहीं
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है, सजसके ऄंतगात मानिीय कायािाही की नैसतकता पर व्यािहाररक सनणाय शासमल हैं।
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8.3. सनष्कषा (Conclusion)


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ककसी कायािाही की प्रकृ सत पर सनभार होने के ऄसतररक्त, आसके पररणाम एिं ईद्देश्य, सिसध, सनयम और
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ऄंत:करण िथतुतः ईक्त कायािाही के ईसचत/सही एिं ऄनुसचत/गलत होने का सनधाारण करने में मागादशान
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प्रदान करते हैं। हालांकक, एक लोक प्रशासक को सिसध, सनयम और ऄंत:करण से मागादशान प्राप्त होने के
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बािजूद ये पुणत
ा ः ईसचत सनणाय की गारंटी प्रदान नहीं करते हैं। नैसतक सनणायन में सिसध और सनयम कताव्य-
परकतािादी दृसष्टकोण से ईसचत अदशा ससद्ांत प्रतीत होने पर भी आसमें ऄनेक दोष हो सकते हैं।
प्रयोजनिादी दृसष्टकोण यह थिीकार करता है कक नैसतक सनणायों ससहत ऄन्य लगभग सभी को संचासलत करने
हेतु ऄनेक नागररक सिसधयां, सनयम, सिसनयम, न्यासयक सनणाय तथा ऄसभमत सिद्यमान हैं। एक लोक
प्रशासक के सलए सभी कानूनों और सनयमों की जानकारी रखना िाथति में ऄसंभि है।
ईसचत और ऄनुसचत पर सिचार करते हुए लोक प्रशासकों को सनष्पाकदत कायािाही ऄथिा सनष्पाकदत होने
िाले कायािाही की प्रकृ सत, कायािाही के सलए सिद्यमान पररसथथसतयां तथा कायािाही के ईद्देश्य के संबंध में
ईनके व्यिथथापन की जानकारी होती है। साथ ही कानून, सनयम और सिसनयम ऄसतररक्त मागादशान प्रदान
करते हैं। ककसी सिसशष्ट कायािाही की नैसतकता के सनधाारण हेतु सिसधयों, सनयमों और ऄन्य मानदंडों के
ऄसतररक्त प्रत्येक व्यसक्त के पास ऄंत:करण सिद्यमान होता है। धमा एिं धमाशास्त्र िारा प्रदत्त सिचारों को
महत्ि कदए सबना सभी लोक प्रशासकों को सििेक अधाररत प्रशाससनक सनणाय लेने चासहए। सनथसंदह े आनमें
नीसतशास्त्र के अधार पर कु छ पररितान ककए जा सकते हैं। परन्तु यकद ऐसा होता है तो यह लोगों को जीिन
के प्रत्येक पहलू को प्रभासित करेगा। आस प्रकार सिसध, सनयम और ऄन्य मानदंड आस संबध
ं में बेहतर होते हैं
और मानिीय बुसद् नैसतकता के अकलन हेतु एक सैद्ांसतक ढांचा प्रथतुत कर सकती है।

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9. जिाबदे सहता/ईत्तरदासयत्ि और नैसतक शासन व्यिथथा


(Accountability and Ethical Governance)

9.1 जिाबदे सहता/ईत्तरदासयत्ि: ऄथा , प्रकृ सत, क्षे त्र और महत्ि

(Accountability: Meaning, Nature, Scope and Significance)


जिाबदेसहता, सुशासन के प्रमुख अधारों में से एक है। यह सुसनसित करती है कक लोक ऄसधकाररयों िारा
ककए गए काया और सलए गए सनणाय पयािक्ष े ण के ऄधीन है ताकक सरकारी पहलें ऄपने सनधााररत ईद्देश्यों और
समुदाय (सजनके लाभ हेतु पहलें अरंभ की गइ) की अिश्यकताओं की पूर्थत करने में सफलता प्राप्त कर सके ।
आस प्रकार यह बेहतर शासन व्यिथथा को सुसनसित करने और सनधानता को कम करने में सहायता प्रदान
करती है।
जिाबदेसहता की ऄिधारणा में दो सिसशष्ट चरण शासमल हैं: ईत्तरदेयता और प्रितान।
ईत्तरदेयता िथतुतः सरकार, आसकी एजेंससयों और लोक ऄसधकाररयों के सनणायों और कायों के संबंध में
जानकारी प्रदान करने तथा जन सामान्य एिं पयािक्ष
े ण संथथानों के समक्ष ईनका औसचत्य ससद् करने के
दासयत्िों को संदर्थभत करती है।
प्रितान से अशय है कक जन सामान्य ऄथिा पयािेक्षण संथथाएं, ईल्लंघनकताा पक्ष पर प्रसतबंध अरोसपत कर
सकते हैं ऄथिा ईल्लंघनकारी व्यिहार का समाधान कर सकते हैं।

9.2. जिाबदे सहता के प्रकार (Types of Accountability)

जिाबदेसहता की ऄिधारणा को जिाबदेसहता के ऄनुपालन के प्रकार और/या व्यसक्त, समूह ऄथिा संथथाओं
के प्रसत लोक ऄसधकाररयों की जिाबदेही के अधार पर िगीकृ त ककया जा सकता है। ये सनम्नसलसखत हैं:

9.2.1. क्षै सतज बनाम उर्धिाा ध र जिाबदे सहता

(Horizontal vs. Vertical Accountability)


क्षैसतज जिाबदेसहता िथतुतः ऄन्य सरकारी एजेंससयों और सरकार के ऄंगों िारा ककए गए पद के दुरुपयोग
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को सनयंसत्रत करने, ऄथिा ककसी प्रकार के छल की ररपोटा करने के सलए एजेंससयों की अिश्यकता के संदभा
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में सरकारी संथथानों की क्षमता को आंसगत करती है। िैकसल्पक रूप से, उर्धिााधर जिाबदेसहता िह मार्धयम है
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जहाँ नागररक, मास मीसडया और नागररक समाज िारा ऄसधकाररयों पर बेहतर प्रदशान संबध
ं ी मानकों को
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लागू करने का प्रयास ककया जाता है। यद्यसप संसद को क्षैसतज जिाबदेसहता के सनधाारण में एक महत्िपूणा
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संथथा माना जाता है, तथासप यह उर्धिााधर जिाबदेसहता के सनधाारण हेतु भी महत्िपूणा है।

9.2.2. राजनीसतक बनाम सिसधक जिाबदे सहता

(Political versus Legal Accountability)


संसद और न्यायपासलका कायापासलका की शसक्त पर क्षैसतज संिैधासनक सनयंत्रक के रूप में काया करती हैं।
आसके ऄसतररक्त, आन दोनों संथथाओं के बारे में यह कहा जा सकता है कक संसद कायापासलका पर राजनीसतक
रूप से और न्यायपासलका (कायापासलका पर) सिसधक रूप से सनयंत्रण बनाये रखती है। ये िगीकरण आस तथ्य
से ईत्पन्न होते हैं कक संसद एक राजनीसतक संथथा है, जबकक न्यायपासलका के िल कानूनी मुद्दों पर ही सनणाय
ले सकती है ऄथाात् एक कानूनी संथथा है। हालांकक, ‘सिसध का शासन’ न्यायपासलका को नीसतगत मुद्दों की
िैधता और आनके कायाान्ियन के मामलों के साथ-साथ संघीय व्यिथथा में नागररकों एिं राज्यों के ऄसधकारों
के संदभा में सनणाय लेने में सक्षम बनाता है।
दूसरे शब्दों में, ये दोनों एक साथ, सरकार को आसके कायाकाल के दौरान जिाबदेह बनाए रखने के सलए
सनरंतर पयािेक्षण करते रहते हैं।

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9.2.3. सामासजक जिाबदे सहता (Social Accountability)

सामासजक जिाबदेसहता के संबध


ं एक सामान्य धारणा यह है कक यह जिाबदेसहता के सृजन हेतु एक ऐसा
दृसष्टकोण है जो नागररकों की भागीदारी पर सनभार करती है, ऄथाात् ऐसी सथथसत जहां सामान्य नागररक
और/या नागररक समाज संगठन प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जिाबदेसहता की मांग में शासमल होते हैं। आस प्रकार
की जिाबदेसहता को समाज संचासलत क्षैसतज जिाबदेसहता के रूप में भी जाना जाता है।

9.2.4. जिाबदे सहता सनधाा र ण की सिसधयां

(Methods of ensuring accountability)


जिाबदेसहता सनधााररत करने की प्रमुख सिसधयां सनम्नसलसखत हैं:
 सिधायी सनयंत्रण;
 मंत्री थतरीय/सरकारी सनयंत्रण; एिं
 लेखापरीक्षा सनयंत्रण।
ये सिसधयां देश के शासन व्यिथथा में नम्यता, नेतृत्ि, दक्षता, प्रदशान और पयााप्त सनयंत्रण तथा जिाबदेसहता
सुसनसित करती हैं।
नैसतक ससद्ांतों का ऄनुसरण करते हुए जिाबदेसहता सुसनसित करने हेत ु सनम्नसलसखत कदम ईठाए जाने
चासहए:
 प्रासधकाररयों के सजम्मेदारी एिं जिाबदेसहता को थपष्ट रूप से पररभासषत करने िाली सिसधयों को
ऄसधसनयसमत ककया जाना चासहए। कनााटक पारदर्थशता ऄसधसनयम, 1999 आस कदशा में ऄसधसनयसमत
अरंसभक कानूनों में से एक है।
 सनयामक सनकाय एक थितंत्र सनकाय होना चासहए और आससे संबंसधत सनयुसक्तयां सिधासयका के
पीठासीन ऄसधकाररयों और नेता प्रसतपक्ष के परामशा के पिात् की जानी चासहए। आस सनयामक सनकाय
के सलए, ऄपीलीय एिं पयािक्ष
े ी सनकाय के रूप में एक सनणाायक सनकाय भी थथासपत ककया जाना
चासहए। ऄपीलीय सनकाय के सनणायों के सिरुद् के िल भारत के ईच्चतम न्यायालय में ऄपील ककए जाने
का प्रािधान ककया जाना चासहए।
 िैधासनक पेशेिर सनकायों के सभी सदथयों को PCA, IPC और लोकायुक्त ऄसधसनयम के प्रयोजन से
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लोक सेिक की पररभाषा के तहत शासमल ककया जाना चासहए। आसी प्रकार, आस ईद्देश्य के सलए सरकार
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िारा ऄसधसूसचत सोसायटी पंजीकरण ऄसधसनयम के तहत सभी सहकारी ससमसतयों और संथथाओं को
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भी शासमल ककया जाना चासहए।


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10. एक प्रभािी नीसतपरक संर चना की अिश्यकता


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(Need for an Effective Ethics Structure)


लोक सेिाएं िथतुतः सरकार की नीसतयों के कायाान्ियन हेतु लोकतांसत्रक ढांचे का एक ऄसनिाया ऄंग होती हैं।
यह अिश्यक है कक लोक सेिक इमानदार, सक्षम और नागररकों के प्रसत संिेदनशील हों। गैर-सनिाासचत लोक
सेिक ऄपने दैसनक कायों में महत्िपूणा सििेकाधीन शसक्तयों का ईपयोग करते हैं, ईदाहरणाथा- सािाजसनक
संसाधनों के प्रबंधन में, नागररकों के साथ आंटरफ़े स में तथा नीसत-सनमााण के संदभा में। आस प्रकार नैसतक
मानक लोक सेिकों के सलए सािाजसनक प्रासधकार के थिेच्छाचारी प्रयोग के सिरुद् मुख्यत: सनयंत्रण एिं
संतुलन का काया करते हैं। आसी प्रकार ये मानक शासन व्यिथथा की गुणित्ता के मूल कारक भी होते हैं। कु छ
“नीसतपरक मापदंडों” के सबना लोक सेिाओं में भ्रष्टाचार ऄथिा कदाचार के थतरों में होने िाले पररितानों को
मापना यद्यसप ऄसंभि नहीं है परन्तु ऄत्यंत करठन है। आसके संदभा में सनम्नसलसखत सुझाि कदए गए हैं:
i. लोक सेिाओं हेतु एक सांसिसधक नैसतक संसहता सनधााररत करने की अिश्यकता है। आसे सरल
भाषा में सलखा जाना चासहए, यह सरलता से समझने योग्य तथा आसके िारा लोक सेिकों के
अचरण को शाससत करने िाले अधारभूत मूल्यों का सनधाारण ककया जाना चासहए। सिरटश
सससिल सर्थिसेज कोड एक मॉडल के रूप में काया कर सकता है।

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ii. नैसतक संसहता के ईल्लंघन तथा ऄसतिमण ककए जाने पर ऄनुशासनात्मक सनयमों के तहत प्रसतबंध
और दंड का प्रािधान होना चासहए।
iii. सनिारण एिं सनदेशन, ऄन्िेषण, ऄनुशासनात्मक कायों तथा ऄसभयोजन हेतु नैसतक ढांचा ईपलब्ध
करिाया जाना चासहए।
iv. नैसतक सनदेशन में नैसतक सिश्लेषण और सनणाय हेतु नैसतक जागरूकता तथा अिश्यक कौशलों के
सिकास के सलए प्रसशक्षण शासमल ककया जाना चासहए।
v. संयुक्त राज्य ऄमेररका के समान नैसतकता अयुक्त जैसे एक थितंत्र पद का सृजन ककए जाने की
अिश्यकता है, जो नीसतशास्त्र और मूल्यों से संबंसधत क्षेत्र में नेतृत्ि प्रदान करेगा। नैसतकता अयुक्त
अचरण के मानकों और सहतों के संघषा को शाससत करने िाले सनयमों को प्रकासशत करेगा तथा
ईनकी व्याख्या करेगा।
नीसतपरक अचार संसहता एक लोक सेिक को ईसके कताव्यों के सनष्पादन के प्रयासों में एक दृसष्टकोण, ईद्देश्य
तथा एक अदशा प्रदान करने हुए सहायता करेगी। यह ईसकी पूणा क्षमताओं को प्रदर्थशत करने तथा एक
संपूण,ा संतोषजनक एिं सुखद जीिन व्यतीत करने में सहायता करती है जो प्रत्येक मानिीय प्रयास का लक्ष्य
होता है।

10.1. लोक प्रशासन में नै सतक मानकों में िृ सद्

(Enhancing the Moral Standard in Public Administration)


लोक ऄसधकाररयों िारा ऄपने सििेक के ईपयोग के दौरान सामना की जाने िाली कु छ सामान्य नैसतक
दुसिधाओं की पहचान करने के ईपरान्त लोक प्रशासन में नैसतक मानकों में िृसद् करने हेतु सनम्नसलसखत
ससद्ांतों का ईपयोग ककया जा सकता है:
i. सििेक का ईपयोग सािाजसनक सहतों की पूर्थत हेतु करना चासहए;
ii. लोक ऄसधकाररयों हेतु तका संगतता को अिश्यक बना कदया जाना चासहए ताकक सिचार-सिमशा में
िृसद् हो सके ;
iii. लोक ऄसधकाररयों िारा ऄपने असधकाररक ईत्तरदासयत्िों के सनष्पादन में सत्यिाकदता ऄपनाइ
जानी चासहए;
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iv. लोक ऄसधकाररयों को प्रकियात्मक सम्मान प्रदर्थशत करना चासहए; तथा


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v. लोक ऄसधकाररयों को संगठनात्मक ईद्देश्यों को सनष्पाकदत करने हेतु चयसनत साधनों के प्रयोग को
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सनयंसत्रत करना चासहए।


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 सभी संसहताओं में नीसतशास्त्र के मौसलक तत्ि समासहत ककए जाने चासहए, सजसमें सनम्नसलसखत शासमल
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हैं- नोलन ससमसत के ससद्ांत: सनथिाथाता, सत्यसनष्ठा, िथतुसनष्ठता, जिाबदेसहता, खुलापन, इमानदारी
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और नेतृत्ि।
 मंसत्रयों, सिधासयका के सदथयों तथा ऄन्य सनिाासचत प्रसतसनसधयों हेतु पृथक अचार संसहता होनी
चासहए।
 लोक सेिकों के सलए अचार संसहता सिथतृत रूप से व्याख्यासयत होनी चासहए। आसके िारा ईन्हें गैर-
सरकारी संगठनों (NGOs) से संबंसधत होने तथा ककसी सभा ऄथिा सामासजक संगठन में सनिाासचत
पद को धारण करने से भी प्रसतबंसधत ककया जाना चासहए।
 मंसत्रयों, सांसदों तथा सिधायकों के सिरुद् सशकायतों को थिीकार करने और ईनकी जाँच करने तथा
ईनके सखलाफ ऄसभयोग को ऄनुमोदन प्रदान करने हेतु भी लोकपाल/लोकायुक्त जैसी संथथाओं का सृजन
ककया जाना तथा ईन्हें सशक्त बनाना चासहए।
 संयुक्त ससचि ऄथिा ईससे ईच्च पद पर लोक सेिकों से संबंसधत सनयुसक्तयों, मनोनयन, पदोन्नसतयों,
थथानान्तरण और ऄनुशासनात्मक कायािासहयों के संबंध में एक थितंत्र लोक सेिा अयोग का सृजन
ककया जाना चासहए। आस अयोग के सदथयों की सनयुसक्त एक ससमसत िारा की जानी चासहए, सजसमें
प्रधानमंत्री / मुख्यमंत्री, सिपक्ष का नेता और मुख्य न्यायाधीश शासमल हों तथा आसकी ऄर्धयक्षता ईच्चतम
या ईच्च न्यायालय के न्यायाधीश िारा की जानी चासहए।

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 पेशेिर सनकायों के संबंध में यद्यसप अचार संसहता ईपलब्ध है, परन्तु ईन्हें कायाासन्ित नहीं ककया गया
है। आन्हे प्रभािी रूप से कायाासन्ित ककया जाना चासहए।

10.2. सितीय प्रशाससनक सु धार अयोग की चौथी ररपोटा - शासन में नै सतकता

{Second ARC (Report-4) on Ethics in Governance}


 सितीय प्रशाससनक सुधार अयोग (2007) ने ऄपनी चौथी ररपोटा में नैसतकता के मुद्दे को शासमल ककया
तथा यह थिीकार ककया कक, “मानक सनयमों के रूप में नैसतक व्यिहार का ममा सुथपष्ट शब्दों और
ऄसभव्यसक्तयों में नहीं होता बसल्क ईस पर कारािाइ ककए जाने में, ईल्लंघन के सलए दंड सनधााररत करने
में, ईल्लंघन के अरोपों की जांच करने के सलए सक्षम ऄनुशाससनक सनकायों की थथापना करने,
शासथतयों को तत्काल लागू करने तथा एक इमानदार संथकृ सत सिकससत करने में होता है।”
 ऄपनी सिथतृत ऄनुशंसाओं में आसने राज्य िारा चुनािों का अंसशक सित्त पोषण; दल-बदल सिरोधी
कानून को सुदढ़ृ करने तथा मंसत्रयों, सिधानमंडलों, न्यायपासलका और लोक सेिकों के सलए नैसतक
संसहता का सुझाि कदया है।
 भ्रष्टाचार को सनयंसत्रत करने हेतु आसने भ्रष्टाचार सनिारण ऄसधसनयम के प्रािधानों को कठोर बनाए
जाने का प्रथताि ककया है। यह भ्रष्ट लोक सेिकों को क्षसतपूर्थत के भुगतान हेतु ईत्तरदायी बनाने, ऄिैध
रूप से प्राप्त संपसत्त के जब्ती और त्िररत सुनिाइ के सलए अिश्यक है। (िषा 2018 में भ्रष्टाचार
सनिारण ऄसधसनयम में ककए गए संशोधनों को जानने के सलए ‘शासन व्यिथथा में इमानदारी’ िाले
नोट्स को देख।ें )
 आसकी ऄनुशंसाओं में शासमल है- मुख्यमंसत्रयों, मंसत्रयों, सांसदों और सिधायकों ससहत ईच्च लोक
पदासधकाररयों के सिरुद् सशकायतों के पयािेक्षण संबध
ं ी शसक्त ससहत राष्ट्रीय, राज्य और थथानीय थतर
पर लोकपाल/ओम्बड्समैन की थथापना, सजन्हें ऄसधकांशतः कानून में ऄसधसनयसमत ककया गया है।
 यद्यसप लोक सेिकों हेतु नैसतक संसहता की ऄनुशंसा करते हुए सितीय प्रशाससनक अयोग ने माना है कक,
‘लोक सेिा मूल्य’ सजन्हें सभी लोक सेिकों को उंचा ईठाना चासहए, को पररभासषत ककया जाना चासहए
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तथा सरकार और ऄधा-सरकारी संगठनों की सभी श्रेसणयों पर लागू भी ककया जाना चासहए।
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o आन मूल्यों का ईल्लंघन ककए जाने को कदाचार के रूप में माना जाना चासहए तथा आस हेतु दंड का
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प्रािधान ककया जाना चासहए।


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o दोषी लोक सेिक के सिरुद् त्िररत ऄनुशासनात्मक कायािाही अरंभ करने हेतु एक व्यिथथा के
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सृजन के ईद्देश्य से सितीय प्रशाससनक सुधार अयोग ने ऄनुच्छेद 311 को समाप्त करने की
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ऄनुशंसा की है। आसके साथ ही ऄनुच्छेद 309 के ऄंतगात थिेच्छाचारी कायािाही के सिरुद् लोक
सेिकों की सुरक्षा हेतु एक सिधान बनाए जाने की अिश्यकता पर भी बल कदया है।
o अयोग िारा दुभाािनापूणा सशकायतों से इमानदार लोक सेिकों की सुरक्षा हेतु कु छ ईपायों का भी
सुझाि कदया गया है।
o आसअयोग ने कार्थमक प्रशासन पर ऄपनी 10िीं ररपोटा में लोक सेिा मूल्यों की व्यिथथा करने तथा
एक नीसतपरक अचार संसहता सनधााररत करने पर पुन: बल कदया है।
o आस नीसतपरक अचार संसहता में शासमल होंगे: सत्यसनष्ठा, सनष्पक्षता, लोक सेिा के प्रसत
प्रसतबद्ता, खुली जिाबदेसहता, कताव्य के प्रसत समपाण तथा ऄनुकरणीय व्यिहार।

11. सफल प्रशासकों के बारे में के स थटडीज


(Case Studies of Successful Administrators)
के स थटडी-1
इ. श्रीधरन, जो ‘मेट्रो मैन’ के नाम से प्रससद् हैं, ऄनेक कारणों से सफल प्रशासक रहे हैं।

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 दूरदर्थशता: ईनके लक्ष्य के िल समय सीमा में काया को पूणा करने तक ही सीसमत नहीं थे बसल्क आष्टतम
समाधानों तक पहुंचने पर भी के सन्द्रत थे। पररयोजना की ऄत्यािश्यकता को समझते हुए ईन्होंने मेट्रो
पररयोजना की समय सीमा को तीन िषा कम कर कदया था।
 सनणाय सनमााता: 1990 के दशक में जब िे कोंकण रेलिे पररयोजना के प्रमुख थे, ईस दौरान 1993 से
1994 के मर्धय गोिा के चार बार मुख्यमंत्री बदले। परन्तु िे राजनीसतक दबाि में नहीं अए तथा
पररयोजना को समय पर पूणा ककया।
 समयसनष्ठा: समय की पाबंदी DMRC की सिसशष्टता है। आससलए यकद एक कमाचारी पांच समनट भी
देरी से अता है तो आसे अधे कदन के समय के रूप में नोट ककया जाता है। DMRC में सनणाय भी शीघ्र
सलए जाते हैं। ईदाहरणाथा- 2,000 करोड़ रूपए सजतने बड़े टेंडसा को भी ककसी भी सरकारी प्रकिया या
लेखा परीक्षण से िंसचत ककए सबना 15-20 कदनों के भीतर थिीकृ सत प्रदान कर दी जाती है।
 इमानदारी: DMRC देश की ईन कु छ सिशाल ऄिसंरचना पररयोजनाओं में से एक है सजसे भ्रष्टाचार के
कलंक से मुक्त माना जाता है। सभी नए DMRC कमाचारी भी पदभार सम्भालते समय इमानदारी की
शपथ लेते हैं।
के स थटडी-2
िर्थगज कु ररयन ने भारत (जहाँ बच्चे दूध के ऄभाि के कारण ऄल्प-पोसषत थे) को सबसे बड़ा दुग्ध ईत्पादक
बनने में सहायता की थी। िे भारत में दुग्ध सहकारी अन्दोलन के प्रिताक थे। आस अन्दोलन ने ककसानों को
सशक्त ककया तथा ग्रस्ामीण क्षेत्रों में रचनात्मक सामासजक पररितान अरम्भ ककया था।
 ईन्होंने एक प्रसंथकरण संयंत्र थथासपत करने हेतु श्री सत्रभुिनदास पटेल की थिेच्छा से सहायता की थी।
ईनके आस कदम ने ऄमूल (AMUL) की थथापना का मागा प्रशथत ककया। कु ररयन के नेतृत्ि के तहत
ऄमूल ने ऄन्य दुग्ध सहकारी संथथाओं के साथ सहयोग ककया और तीव्र गसत से सिथतार ककया।
 ऄमूल लाभदायक सथथसत में अगे बढ़ रहा था, जब िषा 1964 में देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री लाल
बहादुर शास्त्री एक नए पशु-चारे संयंत्र के ईद्घाटन हेतु अणंद की यात्रा पर अए थे। ईन्होंने कु ररयन से
ईनकी सफलता के रहथय के संबध ं में पूछा था। कु ररयन ने िर्थणत ककया की आस सफलता का कारण
ऄमूल का थिासमत्ि ककसानों के पास होना है तथा आसका सनिाासचत ककसान प्रसतसनसधयों िारा
संचासलत होना है।
om

 शास्त्री कदल्ली िापस अए तथा सम्पूणा देश में गुजरात की सफलता को दोहराने हेतु अणंद में राष्ट्रीय
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डेयरी सिकास बोडा (NDDB) की थथापना की। कु ररयन को आसका ऄर्धयक्ष सनयुक्त ककया गया तथा
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ईन्होंने “अणंद पैटना” के दोहराि को प्रसाररत ककया।


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 आसके ऄसतररक्त, पेशेिर प्रबंधकों हेतु ग्रस्ामीण ईत्पादकों के संगठनों की अिश्यकता की प्रसतकिया में
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ra

कु ररयन ने ककसानों को पेशि


े र समथान प्रदान करने तथा ईन्हें ईनकी पूणा सिकास क्षमता प्राप्त करने में
su

सहायता हेतु अणंद में ग्रस्ामीण प्रबंधन संथथान की थथापना को प्रारम्भ ककया।

12. सिगत िषों में Vision IAS GS में स टे थट सीरीज में पूछे
गए प्रश्न
(Previous Years Vision IAS GS Mains Questions)
1. व्यसक्तगत मान्यताएं और मूल्य ककसी व्यसक्त के अत्मसनष्ठ ईत्तरदासयत्ि को सनधााररत करते हैं,
जबकक कायाात्मक पयाािरण िथतुसनष्ठ ईत्तरदासयत्ि को सनदेसशत/थिरूप प्रदान करता है। दोनों के
मर्धय ऄनुरूपता प्रशाससनक सनणायों में िथतुसनष्ठता के लक्ष्य को साकार करने के सलए ऄपररहाया है।
सिश्लेषण कीसजए।
दृसष्टकोण:
 चूँकक प्रश्न का सम्पूणा सिषय सनणाय सनमााण में िथतुसनष्ठता से संबंसधत है, ऄतः सिाप्रथम िर्थणत
कीसजए कक प्रशाससनक सनणायों में िथतुसनष्ठता की अिश्यकता क्यों है।

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 तत्पिात आसके घटकों की व्याख्या करते हुए तका दीसजए कक कै से सम्पूरकता सनष्पक्ष सनणाय
सनमााण में सहायक है।
 ऄंत में सनणाय सनमााण में िथतुसनष्ठता को सुसनसित करने हेतु कु छ ईपाय सुझाआए।
ईत्तर:
सनणाय सनमााण में िथतुसनष्ठता का सम्बन्ध, ज्ञात िैध साक्ष्यों (प्रासंसगक तथ्य, सटीक अंकलन,
तार्दकक ऄनुमान और दृसष्टकोण) के अधार पर ककए गए कायों से है। सनणाय कतााओं को सनणाय
सनमााण प्रकिया में िथतुसनष्ठ होने का सिशेष दासयत्ि सौंपा गया है, क्योंकक :
 प्रथम, िे समुदाय िारा ईन्हें प्रदत्त संसाधनों के प्रबंधन के सलए ईत्तरदायी हैं;
 सितीय, िे समुदाय को सेिाएं प्रदत्त एिं सितररत करते हैं और समुदाय, आन सेिाओं के सलए
भुगतान करता है सजसका ईपयोग लोक सेिकों िारा ककया जाता है; तथा
 तृतीय, िे सामुदासयक जीिन के सभी पहलुओं को प्रभासित करने िाले महत्िपूणा सनणाय लेते
हैं।
िथतुसनष्ठ ईत्तरदासयत्ि का सम्बन्ध थियं पर बाहर से अरोसपत ऄपेक्षाओं से होता है, जबकक
अत्मसनष्ठ ईत्तरदासयत्ि का सम्बन्ध ईन दासयत्िों से है सजनके सलए व्यसक्त थियं एक सज़म्मेदारी का
ऄनुभि करता है।
िथतुसनष्ठ ईत्तरदासयत्ि के तहत दो पहलू शासमल हैं: अरोसपत दासयत्ि और जिाबदेसहता। लोक
सेिकों को ईनके पद के अधार पर संसिधान, सिधासयका, िररष्ठों, ऄधीनथथों और नागररकों िारा
बाहर से अरोसपत दासयत्िों को थिीकार करना पड़ता है। दासयत्ि, जिाबदेसहता से ऄसधक मौसलक
है क्योंकक सौपासनक संरचना के तहत जिाबदेसहता दासयत्ि की पूर्थत सुसनसित करने का एक
मार्धयम है।
जहां लोक सेिक के रूप में हमारी भूसमका के सलए िथतुसनष्ठ ईत्तरदासयत्ि सिसधक, संगठनात्मक
और सामासजक मांगों से ईत्पन्न होता है, िही व्यसक्तसनष्ठ ईत्तरदासयत्ि हमारी थियं की सनष्ठा,
सििेक और पहचान से सम्बंसधत सिश्वासों में सनसहत होता है। प्रशाससनक भूसमका के सनिाहन के
दौरान व्यसक्तसनष्ठ ईत्तरदासयत्ि ऄपने ऄनुभि के साथ सिकससत पेशि
े र नैसतकता को दशााता है,
ऄथाात,् "हम सिसधसम्मत काया करने में सिश्वास रखते हैं, ऄतः हम ककसी काया को एक सिसशष्ट
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तरीके से करने हेतु ऄपनी ऄंतरात्मा िारा बार्धय ककए जाते हैं, न कक आससलए कक हम ककसी
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पयािेक्षक या सिसध िारा ऐसा करने के सलए बार्धय हैं। ऄथाात् व्यसक्त, ईसके सिश्वासों, मूल्यों और
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चररत्र सजन्हें ककसी काया को सिसशष्ट रूप से करने की प्रिृसत्त के रूप में समझा जाता है, िारा
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सनर्थमत अतंररक प्रेरणा के िारा सनदेसशत/बार्धय होता है।”


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सनणायन प्रकिया में िथतुसनष्ठता को सुसनसित करने हेतु, व्यसक्तसनष्ठ ईत्तरदासयत्ि एिं िथतुसनष्ठ
ईत्तरदासयत्ि में सामंजथय थथासपत ककया जाना चासहए। मूल्य और सिश्वास कु छ सिसशष्ट व्यिहारों
के प्रसत झुकाि ईत्पन्न करते हैं ऄथाात्, ‘हम क्या सिश्वास करते हैं और ईस सिश्वास के प्रसत कै सा
ऄनुभि करते हैं’, यह हमारे चररत्र को प्रभासित करता है। यह बदले में हमारे अचरण को एक
अकार देता है और हमारे कायों के मागादशान में सहायता करता है। हमारे कायों को िथतुसनष्ठता
प्रदान करने हेतु ईन्हें बाहर से अरोसपत दासयत्िों के समरूप होना चासहए, ऄन्यथा ऄसंतल
ु न के
पररणामथिरूप ऄक्षमता, भ्रष्टाचार, तानाशाही और भाइ-भतीजािाद को बढ़ािा समलेगा।
ऄतः यह अिश्यक है कक प्रबंधन कायाप्रणाली एिं प्रसशक्षण, नैसतक लोक सेिा संबंधी मूल्यों पर
अधाररत होने चासहए। ईपयुक्त
ा मूल्यों के समाजीकरण से सतत और सशक्त अंतररक सनयंत्रण में
िृसद् होगी, जो प्रशासकों को एक सनधााररत पैटना में सििेक के प्रयोग की ऄनुमसत प्रदान करेगा।
यह पैटना ऄपेक्षाकृ त पूिाानुमेय होगा और आससलए सहयोसगयों के मर्धय सिश्वास का सनमााण करेगा।
नैसतक प्रकिया ही िह मार्धयम है सजसके िारा ईत्तरदासयत्ि के अतंररक स्रोत, बाह्य मांगो से संबद्
होते हैं।

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2. "प्रशाससनक नीसतशास्त्र के साथ मुख्य समथया यह है कक: ऄपने लक्ष्यों को पूरा करने के सलए
संगठन की क्षमता से समझौता ककए सबना ऄसधकाररयों के सलए ऄसहमसत प्रकट करने के दायरे को
ककस प्रकार बढ़ाया जाए।” आस कथन का मूल्यांकन कीसजए और भारतीय प्रशासन के संदभा में कु छ
ईपायों का सुझाि दीसजए।
ईत्तर:
प्रशाससनक नीसतशास्त्र से तात्पया संगठन में नैसतक ससद्ांतों के अधार पर ऄसधकाररयों के अचरण
को सनधााररत करने से है। व्यापक रूप से नैसतक ससद्ांत (a) ईन ऄसधकारों और कताव्यों को सनर्ददष्ट
करते हैं सजनका व्यसक्तयों िारा सम्मान ककया जाना चासहए, जब िे ईन तरीकों से काया करते हैं
सजसके िारा िे ऄन्य व्यसक्तयों और समाज के कल्याण को गंभीरतापूिाक प्रभासित करते हैं; और
(b) सामूसहक प्रथाओं और नीसतगत व्यिथथा को शाससत करते हैं, जब ईनके (ऄसधकारी) काया
व्यसक्तयों और समाज के कल्याण को गंभीरतापूिाक प्रभासित करते हैं। नैसतक ससद्ांतों को एक
सनःथिाथा पररप्रेक्ष्य की अिश्यकता होती है। यह पूछने की ऄपेक्षा कक कोइ कायािाही ऄथिा नीसत
ककसी सिशेष व्यसक्त या समूह के सहतों की सेिा ककस प्रकार करती है, नैसतकता िारा आसे प्रश्नगत
ककया जाता है कक क्या कोइ कायािाही या नीसत प्रत्येक व्यसक्त के सहत में काया करती है ऄथिा क्या
आसे प्रत्येक व्यसक्त, सजसे ऄपनी सिशेष पररसथथसतयों, जैस-े जासत, सामासजक सथथसत या राष्ट्रीयता
के बारे में नहीं पता होता है, िारा थिीकार ककया जा सकता है। नैसतक सनणाय ककसी व्यसक्त के
सनणाय लेने और व्यसक्तयों या व्यसक्तयों के समूह के सनणाय लेने की संभािना का ऄनुमान लगाते हैं।
प्रशाससनक नीसतशास्त्र का यह मानना कक संगठनों में व्यसक्त नैसतक सनणाय ले सकते हैं और नैसतक
सनणायों का प्रयोजन भी बन सकते हैं। प्रशासन के दो सामान्य सिचार - प्रशासकों को या तो ककसी
संगठन की नीसतयों का ऄनुपालन करना चासहए या पद का पररत्याग कर देना चासहए तथा
प्रशासकों को ऄपने संगठनों के गलत कायों के सलए नैसतक रूप से ईत्तरदायी नहीं ठहराया जाना
चासहए - ईपरोक्त धारणाओं को ऄथिीकार करते हैं और आससे प्रशाससनक नीसतशास्त्र ऄसंभि सा
लगने लगता है। आस प्रकार के सिचारों को देखते हुए कक कै से लोग आसकी गलत व्याख्या कर डालते
हैं, आनमें सुधार लाया जा सकता है सजससे प्रशाससनक नीसतशास्त्र संभि लगने लगता है, भले हीं
आसे ऄपनाने का थिरूप सभन्न हो।
यहाँ सबसे बड़ी चुनौती प्रशासन की प्रकृ सत से जुड़ी है जो नैसतक सनणाय लेने की प्रथा पर लगाम
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लगती है। आसमें दो मुख्य अपसत्तयां कदखायीं देती हैं- पहली प्रमुख अपसत्त सनणायकताा से संबंसधत
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है (ऄथाात् कौन सनणाय ले सकता है); दूसरी प्रमुख अपसत्त सनणाय के सिषय से संबंसधत है (ऄथाात्
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ककसके सलए सनणाय सलए जा रहे हैं)। पहली अपसत्त के बारे में दृढ़तापूिाक यह कहा जाता है कक
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प्रशासकों को तटथथता की भािना से काया करना चासहए और ईन्हें ऄपने नैसतक ससद्ांतों का
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पालन नहीं करना चासहए बसल्क संगठन के सनणायों और नीसतयों का ऄनुपालन करना चासहए। यह
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तटथथता की नीसतपरक ऄिधारणा है। दूसरी अपसत्त के बारे में दृढ़तापूिाक यह कहा जाता है कक
के िल प्रशासकों को ही नहीं बसल्क संगठन (आसके औपचाररक ऄसधकाररयों) को ऄपने सनणायों और
नीसतयों के सलए ईत्तरदायी ठहराया जाना चासहए। यह संरचना की नीसतपरक ऄिधारणा है। यहाँ
दोनों को नैसतक कहा जा सकता है क्योंकक यह कु छ मानदंडों को व्यक्त करता है और अचरण को
सनधााररत करता है। लेककन आसमें न तो नीसतशास्त्र ऄथिा न ही नैसतकता ससम्मसलत होती है,
क्योंकक आनमें से प्रत्येक नैसतक सनणाय की दोनों पूिाधारणाओं - या तो एक व्यसक्त सनणाय लेता है या
एक व्यसक्त के सलए सनणाय सलए जाते हैं - में से एक को ऄथिीकार करते हैं।
तटथथता की नीसतपरक ऄिधारणा (The Ethics of Neutrality)
प्रशाससनक नीसतशास्त्र के पारंपररक ससद्ांत और व्यिहार में यह कहा गया है कक प्रशासकों को
ऄपने िररष्ठ ऄसधकाररयों के अदेशों तथा सरकार और एजेंससयों (जहां िे सेिारत हैं) की नीसतयों
का पालन करना चासहए। आस सिचार के ऄनुसार, प्रशासक आस ऄथा में नैसतक रूप से तटथथ होते हैं
कक िे थितंत्र रूप से नैसतक सनणाय नहीं लेते हैं। ईनसे ऄपने थियं के ककसी भी नैसतक ससद्ांतों पर
काया करने की ऄपेक्षा नहीं की जाती है, लेककन ईनके िारा कायाान्ियन हेतु प्रभाररत अदेशों और
नीसतयों में जो भी ससद्ांत दृसष्टगत होते हैं, िे ईन्हें प्रभासित करते हैं।

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तटथथता की नीसतपरक ऄिधारणा में पररितान, व्यसक्तगत नैसतक सनणाय हेतु कु छ काया-क्षेत्र प्रदान
करता है जब तक कक सनणाय या नीसत "ऄंसतम" थिरूप धारण न कर ले। आस सिचार के ऄनुसार,
प्रशासक ऄपने सिचारों को अगे बढ़ा सकते हैं, ऄपने िररष्ठ ऄसधकाररयों के साथ सिचार कर सकते
हैं और नीसत सनमााण की प्रकिया में सुझािों के प्रसतभागी बन सकते हैं। लेककन एक बार सनणाय या
नीसत के ऄंसतम थिरूप धारण कर लेने के पिात सभी प्रशासक एकसमान हो जाते हैं और
इमानदारी से नीसत को अगे बढ़ाते हैं। आसके ऄसतररक्त, ऄसहमसत संथथा के भीतर और संथथा के
प्रकियागत सनयमों के ऄनुसार होनी चासहए।
तटथथता की नीसतपरक ऄिधारणा के सिरुद् सनम्नसलसखत तीन प्रकार से अलोचनाएँ प्रथतुत की
जा सकती हैं:
पहला, चूंकक यह नीसतपरक ऄिधारणा प्रशासकों के सििेक को कम करके अंकती है, ऄतः यह
नागररकों िारा प्रशासकों की जिाबदेसहता को बासधत करती है। प्रशासकों का सििेक संगठन में
सिसध-सनमााताओं या िररष्ठ ऄसधकाररयों की अकांक्षाओं से परे चला जाता है। आस भ्रम को सुदढ़ृ
करके कक प्रशासक थितंत्र नैसतक सनणाय का प्रयोग नहीं करते हैं, यह ईनके कइ सनणायों के
पररणामों के सलए बाह्य ईत्तरदासयत्ि से ईन्हें पृथक करता है।
दूसरी प्रमुख अपसत्त आस दािे पर कें कद्रत है कक पद-धारण संगठन िारा सनधााररत पद के कताव्यों के
सलए सहमसत प्रदान करना है। हालांकक नागररकता की तुलना में पद का पररत्याग करना असान
हो सकता है, लेककन ऄनेक ऄसधकाररयों के सलए यह आतना करठन है कक ऐसा करने में सिफलता
संगठन िारा ककये गए सब कु छ की थिीकृ सत को आंसगत करने के सलए सनधााररत नहीं ककया जा
सकता है। ऄसधकांश सरकारी कमाचाररयों के सलए, ईनके सनसहत ऄसधकार (जैस-े पेंशन और
िररष्ठता) और नौकरी कौशल (प्राय: सनजी क्षेत्र में थथानांतररत करने योग्य नहीं) ऄपनी सथथसत को
बनाए रखने के सलए सशक्त प्रोत्साहन प्रदान करते हैं। यहां तक कक यकद िे ऄपने थियं के सिसभन्न
ससद्ांतों के सलए ऄपने कररयर के साथ समझौता करने के सलए तैयार होंगे, तब भी िे ऄपने
पररिारों के प्रसत ऄपनी सजम्मेदाररयों को नजरऄंदाज नहीं कर सकते हैं।
तटथथता की नीसतपरक ऄिधारणा के समथाक आस पर बल दे सकते हैं कक जो ऄसधकारी ऄपने पद
के कताव्यों को पूरा नहीं कर सकते हैं ईन्हें पद का पररत्याग कर देना चासहए, हालांकक ऐसा करना
करठन हो सकता है। लेककन नागररक के तौर पर हमें प्रशाससनक नीसतशास्त्र के एक सामान्य
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ससद्ांत के रूप में आसका समथान करने से पूिा सिचार करना चासहए।
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यकद आस सिचार को सनरंतर ऄभ्यास में लाया जाता है, तो लोक कायाालयों में शीघ्र ही ऐसे लोग
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ऄसधक होंगे सजनके पास सरकार िारा सलए गए सनणाय से ऄसहमत होने का कोइ कारण नहीं
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होगा। सुदढ़ृ नैसतक दृढ़ सिश्वास िाले व्यसक्त कायाालय में काया करने की ऄपेक्षा पद का पररत्याग
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कर देंगे और हम ईन लोगों की सेिाओं से िंसचत हो जाएंगे, जो सािाजसनक जीिन में सिाासधक


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योगदान कर सकते हैं।


चूंकक हम ससद्ांतिादी व्यसक्तयों को ईनके पद से बेदखली नहीं करना चाहते हैं, आससलए हमें यह
समझना चासहए कक सरकार की नीसतयों से ऄसहमत होने के बािजूद पद पर बने रहने के सलए
ऄच्छे नैसतक कारण हो सकते हैं। यह मान्यता तटथथता की नीसतपरक ऄिधारणा पर अपसत्तयों
की तीसरी व्यिथथा को आंसगत करती है - यह लोक कायाालय की नैसतक पररसथथसतयों को सरल
बनाती है। यह हमें ऄसधकाररयों को ईनके नैसतक ससद्ांतों और संगठन की नीसतयों के मर्धय
संगतता का अकलन करने की ओर ले जाती है। यकद ससद्ांत और नीसतयां एक-दूसरे के ऄनुरूप हैं,
तब आनका ऄनुपालन करना चासहए यकद एक-दूसरे से ऄत्यसधक सभन्न होती हैं तब पद का
पररत्याग कर देना चासहए। सिाप्रथम, एक ऄसधकारी के रूप में अपका ऄपने सहयोसगयों, संथथा
और सरकार के प्रसत दासयत्ि होता है। ककसी संगठन में पद थिीकार करके और सामूसहक कायों का
दासयत्ि लेकर, अप दूसरों को ऄपने सनरंतर सहयोग के मार्धयम से सिश्वास करने का कारण प्रदान
करते हैं। यकद अप संगठन में ऄपनी भूसमका को सनरंतर बनाए रखेंगे तब अपके सहयोगी
पररयोजनाएं प्रारंभ करते हैं, जोसखम ईठाते हैं, ऄपेक्षा रखते हैं। यकद अप पद का पररत्याग कर
देते हैं, तब अप आन ऄपेक्षाओं को हतोत्सासहत करते हैं और िाथतसिकता में ऄपने सहयोसगयों की

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प्रसतबद्ताओं को ठे स पहुंचाते हैं। पद का पररत्याग सिसभन्न संगठनात्मक गसतसिसधयों को बासधत


कर सकता है, सजनमें से कु छ पद पररत्याग के ऄिसरों की तुलना में नैसतक रूप से ऄसधक
महत्िपूणा हो सकते हैं। ऄसधकाररयों के लोगों के प्रसत ऄसधक सामान्य दासयत्ि भी होते हैं।
ऄसधकाररयों को यह सनधााररत नहीं करना चासहए कक िे सिशुद् ऄंतःकरण से संगठन के साथ थियं
को सनरंतर संबद् रख सकते हैं ऄथिा नहीं। आसका ऄथा के िल ऄपने अप को ऄनुसचत गसतसिसधयों
से पृथक रखना है - कु छ लोगों ने आसे "नैसतक अत्म-ऄनुग्रस्ह (moral self-indulgence)" कहा है।
तीसरा तरीका सजसमें तटथथता की नीसतपरक ऄिधारणा, लोक प्रशासकों के कताव्यों को सिकृ त
करती है, िह कारािाइ को दो सिकल्पों अज्ञाकाररता ऄथिा पद-त्याग तक सीसमत कर देती है।
ऄसहमसत के सिसभन्न प्रकार (शांत सिरोध से लेकर ऄिैध प्रसतरोध तक) पद पर बने रहने में संगत
हो सकते हैं। आनमें से कु छ, सनसित रूप से चरम पररसथथसतयों को छोड़कर नैसतक रूप से ऄनुसचत
हो सकते हैं, लेककन तटथथता की नीसतपरक ऄिधारणा यहां पर कोइ मागादशान प्रदान नहीं करती
है क्योंकक यह पहले से ही संगठन के सनणायों खासकर "ऄंसतम सनणाय" के नैसतक न होने की
संभािना का ईल्लंघन करती है।"
(यहां पर ऄसहमसत के सिसशष्ट चबदुओं पर प्रकाश डाला गया है)
ककसी संगठन के सलए सबसे बड़ी समथया यह होती है कक आसके (संगठन) लक्ष्यों को पूरा करने हेतु
संगठन की क्षमता से समझौता ककए सबना आसके कमाचाररयों को ‘ऄसहमसत’ प्रकट करने के सलए
ककस हद तक ऄनुमसत दी जानी ऄथिा समलनी चासहए। यकद कोइ संगठन लोकतांसत्रक प्रकिया पर
अधाररत ऄपने लक्ष्यों की प्रासप्त में संलग्न है, तो ऐसे में संगठन में व्यसक्तगत ऄसहमसत ईस
लोकतांसत्रक प्रकिया को प्रभासित कर सकती है। सिाप्रथम हमें आस बात पर बल देना चासहए, कक
ऄसहमसत प्रकट करने िाले प्रश्न में नीसत के साथ ईनकी ऄसहमसत के अधार पर ईसचत रूप से
सिचार ककया जाना चासहए। यह देखा जाना चासहए कक क्या ऄसहमसत नैसतक है ऄथिा के िल
राजनीसतक है? यह एक नाजुक सिभेद है क्योंकक लगभग सभी महत्िपूणा राजनीसतक सनणायों में
नैसतक अयाम शासमल होते हैं। लेककन शायद हम यह कह सकते हैं कक प्रत्यक्ष रूप से एक
महत्िपूणा नैसतक ससद्ांत (जैस-े सनदोष व्यसक्तयों को नुकसान नहीं पहुंचाना) का ईल्लंघन करने
िाली नीसत ऄसधक न्यायसंगत ऄसहमसत का कारण बन जाती है। ऄसहमसत प्रकट करने िालों को
om

भी यह सिचार करना चासहए कक िे सजस नीसत का सिरोध कर रहे होते हैं िह एकमात्र घटना है
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ऄथिा सनरंतर बने रहने िाली सथथसत का एक भाग है और क्या ईस नीसत की ऄनैसतकता संगठन
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िारा ऄनुसरण की जाने िाली ऄन्य नीसतयों के मूल्य से ऄसधक है। आसके ऄसतररक्त, ऄसहमसत
11

प्रकट करने िालों को ऄपनी भागीदारी और ऄपनी भूसमका की सीमा का परीक्षण करना चासहए:
13
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ra

िे नीसत के सलए ककस (औपचाररक और ऄनौपचाररक) प्रकार ईत्तरदायी हैं? ईनके सिरोध से ईस
su

नीसत और संगठन की ऄन्य नीसतयों में क्या ऄंतर अएगा? नीसत ककस हद तक ईन समूहों के
नीसतशास्त्र का ईल्लंघन करती है सजनके सलए िे बार्धय हैं (जैसे- सिसधक ऄथिा सचककत्सा पेशे के
ससद्ांत)?
ये सिचार न के िल यह सनधााररत करते हैं कक ककसी ऄसधकारी को संगठन की नीसत का सिरोध
करने के सलए ईसचत ठहराया गया है, बसल्क िे यह भी आंसगत करने में सहायता करते हैं कक सिरोध
व्यक्त करने के सलए ऄसधकारी के ऄसहमसत के तरीकों को भी ईसचत ठहराया जा सकता है। एक
ऄसधकारी के ऄसहमसत को और ऄसधक ईसचत ठहराया जा सकता है, यकद िह ऄसधकारी ऄसधक
ईसचत तरीके से श्रेष्ठ मार्धयमों का ईपयोग करने में सक्षम है। ऄसहमसत के तरीकों को ईत्कृ ष्ट से
मर्धयम तक सनरंतरता के साथ रखा जा सकता है। सनम्नसलसखत चार प्रकार की ऄसहमसत आस
सनरंतरता की सीमा का िणान करती है तथा कु छ और मुद्दों को ईठाती है कक ककसी भी प्रकार की
ऄसहमसत पर सिचार ककया जाना चासहए:
पहला, कु छ ऄसहमसत ऐसी होती हैं जहाँ व्यसक्त संगठन के भीतर एक असधकाररक सिरोध दजा
करता है लेककन कफर भी िह नीसत को लागू करने में सहायता करता है, ऄथिा िह संगठन में कोइ
और काया सौंपे जाने की मांग करता है। यह ऄसधकाररयों को संगठन के िारा प्रथतासित नीसत में

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सकिय भागीदारी से दूर रहने और संगठन की थिीकाया प्रकियाओं के ऄनुसार ऐसा करने तक ईसके
सिरोध को सनरंतर रखने की ऄनुमसत प्रदान करेगा।
दूसरा, ऄसहमसत का एक तरीका यह है कक ऄसधकारी ऄपने ज्ञान के अधार पर, लेककन ऄपने
िररष्ठ ऄसधकाररयों की आच्छाओं के सिरुद्, संगठन के बाहर ऄपना सिरोध प्रदर्थशत करते हैं जबकक
िे ऄपनी नौकररयों का संतोषजनक तरीके से सनष्पादन करते हैं। आस प्रकार की ऄसहमसत
सामान्यत: कु छ प्रभािशाली मानकों के ऄसथतत्ि पर, आसकी प्रभािकाररता के साथ-साथ आसकी
िैधता पर सनभार करती है, सजससे ऄसहमसत प्रकट करने िाले संगठन के बाहर ऄपील कर सकते
हैं। जब कोइ ऄसहमत होता है तो ईसके सलए पेशेिर नीसतशास्त्र ऄथिा यहां तक कक कानून भी
पयााप्त नहीं हो सकते हैं, क्योंकक दोनों की कै से व्याख्या की जाए आसे लेकर िह ऄसहमत होता है,
लेककन ऐसे मानकों की ऄपील करने से कम से कम लोगों को आस बात को लेकर अश्वथत ककया जा
सकता है कक ईक्त सािाजसनक नीसत के संबध
ं में कम से कम िह ऄसधकारी ऄपने सनजी सििेक पर
ऄपने कायाालय को कु छ थोपे जाने की ऄनुमसत नहीं दे रहा है। जब ऄसहमसत प्रकट करने िाले
ऄसधकारी लोकतांसत्रक ढंग से सनिाासचत ऄसधकाररयों का सिरोध करते हैं, तब ईन्हें ईन तरीकों का
प्रयोग करना चासहए कक िे ईन ससद्ांतों का बचाि कर रहे हैं जो सभी नागररकों का समथान करते
हैं।
तीसरा, ऄसहमसत का तीसरा तरीका नीसत के प्रसत खुला ऄिरोध ईत्पन्न करना है। ईदाहरण के
सलए, ऄसधकारी संगठन िारा नीसत को अगे बढ़ाने के सलए अिश्यक ज्ञान या सिशेष ज्ञता के
ईपयोग को प्रसतबंसधत कर सकते हैं और आस पर कदम ईठाने को ऄथिीकृ त कर कदया जाता है
ताकक ऄन्य लोगों िारा आसे अगे न बढ़ाया जा सके ऄथिा नीसत को समाप्त करने की कोसशश कर
रहे बाहरी लोगों को सूचना और ऄन्य प्रकार की सहायता प्रदान ककया जाता है। कु छ ऄसधकारी
कम समय के सलए आस रणनीसत को ऄपना सकते हैं, लेककन संगठन सामान्यतः ऄसहमसत प्रकट
करने िालों को ऄलग कर सकते हैं, ऄन्य ऄसधकाररयों की नौकरी में सनयोजन हेतु खोज कर सकते
हैं और संगठन के बाहर ईत्पन्न होने िाले ककसी भी सिरोध का सामना करने के सलए ऄपने बाहरी
समथान को संगरठत कर सकते हैं। ऐसी ककसी भी घटना में, ऄसहमसत प्रकट करने िाले की संगठन
के भीतर ऄसधक प्रभाि बनाए रखने की संभािना नहीं होती है। ऐसे में ऄसहमसत प्रकट करने िाले
om

की प्रभासिता और सनरंतरता ऄसधक साथाक होनी चासहए।


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चौथा, ईपरोक्त के कारण आस चौथे प्रकार की ऄसहमसत ज्यादा महत्िपूणा हो जाती है, ऄथाात
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छु पा/गुप्त तरीके से ऄिरोध ईत्पन्न करना। ऄनसधकृ त प्रकटीकरण ऄथिा रहथयोदघाटन (लीक)
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आसके सबसे प्रमुख ईदाहरण हैं। रहथयोदघाटन ईद्देश्य और प्रभाि में ऄत्यसधक सभन्न होते हैं। कु छ
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लोग के िल ऄन्य एजेंससयों को सूचना प्रदान करते हैं जो आसे प्राप्त करने के हकदार होते हैं; ऄन्य
su

लोग ककसी एजेंसी के भीतर सिशेष ऄसधकाररयों को ऄसमंजस में डालते हैं लेककन िे एजेंसी की
नीसतयों को प्रभासित नहीं करते हैं; और ऄन्य लोग ऄंततः एक प्रमुख सरकारी नीसत को पररिर्थतत
करते हुए प्रेस ऄथिा जनता को सूचना प्रकासशत करते हैं।
{चौथे प्रकार की ऄसहमसत की चचाा हेत ु कु छ ऄन्य मुद्द}े
कभी-कभी असधकाररक ऄिज्ञा और नागररक ऄिज्ञा के मर्धय एक समानता देखी जाती है। ऄनेक
लोकतांसत्रक ससद्ांतकारों का मानना है कक लोकतंत्र में नागररक कानून या नीसत को पररिर्थतत
करने के ईद्देश्य से के िल कु छ तरीकों से और कु छ शतों के तहत कानून का ईल्लंघन करना ईसचत
है। नागररकों को (i) सािाजसनक रूप से काया करना चासहए; (ii) ककसी भी प्रकार की चहसा नहीं
करना चासहए; (iii) ऄन्य नागररकों िारा साझा ससद्ांतों के सलए ऄपील करनी चासहए; (iv) घोर
ऄन्याय के सिरुद् ऄपनी चुनौती को सनदेसशत करना चासहए; (v) कानून तोड़ने से पहले सिरोध के
सभी सामान्य चैनल का ईपयोग करने का प्रयास करना चासहए; और (vi) ऐसी नीसत की ऄिज्ञा के
सलए योजना बनानी चासहए ताकक यह ऄन्य नागररकों के संयोजन के साथ लोकतांसत्रक प्रकिया की
सथथरता को बासधत न कर सके ।

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यहां तक कक यकद कोइ यह सिचार करता है कक नागररक ऄिज्ञा ईसचत है, तो कोइ भी आस बात से
सहमत नहीं हो सकता कक असधकाररक ऄिज्ञा की अिश्यकता है। ऄसधकारी नागररकों के समान
ऄसधकारों का दािा नहीं कर सकते हैं और यह कहा जा सकता है कक यहाँ समानता सामान्य रूप
से नहीं होती है। लेककन समानता सिपरीत कारण के साथ नहीं हो सकती है। सरकार के गलत
कायों के चरम मामलों में, हमें नागररकों को ऄनुमसत देने की ऄपेक्षा ऄसधकाररयों को ऄिज्ञा के
सलए ऄसधक दायरा प्रदान करना चासहए। आन मामलों में यह तका कदया जा सकता है कक नागररक
ऄिज्ञा के सलए मानक सथथसतयां ऄसधकाररयों के सलए ऄत्यंत सीसमत हैं। यकद हम ईदाहरण के
सलए आस बात पर बल देते हैं कक यकद ऄिज्ञा हमेशा सािाजसनक रूप से की जाती है, तो हम
िाथतसिकता में सरकार की बहुत मूल्यिान अलोचना को कम कर सकते हैं। सािाजसनक कायािाही
के पररणामों के भय से, ऄसहमसत प्रकट करने िाले ऄसधकारी ऄन्य ऄसधकाररयों को यह सूचना
प्रदान करने का सनणाय कर सकते हैं कक ईनके िररष्ठों ने आसे गुप्त रूप से घोसषत ककया है लेककन
नागररकों के सलए यह जानना अिश्यक है। प्रचार की अिश्यकता को सशसथल करने का मुद्दा थियं
के लाभ के सलए सिरोसधयों के ऄसधकारों को सुरसक्षत रखने के नहीं बसल्क सरकार के संकदग्ध कायों
की सािाजसनक चचाा को बढ़ािा देना के सलए होना चासहए। हम प्रचार की अिश्यकता के कु छ
रूपों को बनाए रखना चाहते हैं, शायद ऐसे प्रासधकारी की संथथापना ऄसहमसत प्रकट करने िाले
को ऄपनी पहचान बनाए रखने के सलए होती है। लेककन आस अिश्यकता के साथ-साथ ऄन्य लोगों
को सरकारी ऄसधकाररयों के ईत्तरदासयत्ि को ऄसधकतम करने के लक्ष्य के साथ तैयार ककया जाना
चासहए, न कक नागररक ऄिज्ञा के पारंपररक मानदंडों को पूरा करने के ईद्देश्य से।
ऄिज्ञा के साथ-साथ ऄसहमसत के ऄन्य रूपों के संबध
ं में महत्िपूणा काया ईन मानदंडों को सिकससत
करना है जो यह सनधााररत करने में सहायता कर सकते हैं कक सिसभन्न पररसथथसतयों में प्रत्येक कब
ईसचत है। तटथथता की नीसतपरक ऄिधारणा ईस काया को ऄनािश्यक बनाती है सजस प्रशासन में
नैसतकता संभि है। लेककन, जैसा कक हम देखते हैं कक प्रशाससनक तटथथता न तो संभि है और न ही
िांछनीय।

3. प्रशाससनक नीसतशास्त्र के समक्ष ऄसधक प्रत्यक्ष चुनौती ईन लोगों िारा प्रथतुत की जाती है जो यह
मानते हैं कक सनजी जीिन में नैसतकता पूरी तरह से संभि है ककन्तु िे आस बात को ऄथिीकृ त करते
om

हैं कक यह संगठनात्मक जीिन में भी संभि है। "मूल्यांकन कीसजए।


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ईत्तर:
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प्रशाससनक नीसतशास्त्र के समक्ष एक बड़ी बाधा यह सिचार है कक नैसतक सनणाय समग्रस् रूप में
11

संगठन ऄथिा सरकार के सलए होना चासहए। संरचना की नीसतपरक ऄिधारणा यह दािा करती
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है कक, चाहे प्रशासकों के पास थितंत्र नैसतक सनणाय लेने की कु छ संभािना हो, कफर भी ईन्हें
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सरकार के ऄसधकांश सनणायों और नीसतयों के सलए नैसतक रूप से ईत्तरदायी नहीं ठहराया जा
सकता है। ईनका व्यसक्तगत नैसतक ईत्तरदासयत्ि के िल ऄपने कायाालय के सिसशष्ट कताव्यों तक
सिथतृत है सजसके सलए िे सिसधक रूप से ईत्तरदायी हैं।
नैसतक सनणाय, नैसतक संथथा का पूिाानम
ु ान करता है। ककसी पररणाम (अईटकम) के सलए ककसी
की प्रशंसा करने ऄथिा दोषारोपण करते समय हमें ऄसनिायातः आस पर सिचार करना चासहए कक
व्यसक्त कारािाइ के सलए नैसतक रूप से ईत्तरदायी है। ऄसनिायातः हमें यह मानना चासहए कक (1)
ईस पररणाम हेतु व्यसक्त की कायािाही ऄथिा कायािाही न करना ईत्तरदायी है। ; और (2) व्यसक्त
ने क्षम्य ऄज्ञानता या बार्धयता के तहत काया नहीं ककया है। दैसनक जीिन में, हम कभी-कभी नैसतक
अलोचना को प्रसतबंसधत करते हैं क्योंकक हम मानते हैं कक कोइ व्यसक्त आन मानदंडों में से एक या
दोनों को संतुष्ट नहीं करता है। सािाजसनक जीिन में, सिशेष रूप से संगठनों में, नैसतक ऄसभकतााओं
की पहचान करने की समथया, सनणाय ऄथिा नीसत के सलए नैसतक रूप से ईत्तरदायी व्यसक्तयों की
खोज करने की समथया, सनणाय ऄथिा नीसत की नैसतकता का अकलन करने की समथया के समान
करठन हो जाती है। यहां तक कक यकद हमारे पास संगठनात्मक प्रकिया में पररणाम हेतु ईत्तरदायी

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सभी ऄसभकतााओं के संबध


ं में पूणा सूचना ईपलब्ध है, तब भी हमें आस संबंध में ऄसमंजस हो
सकता है कक आसके सलए ईत्तरदासयत्ि का िणान ककस प्रकार ककया जाए। चूंकक कइ लोग ककसी
संगठन के सनणायों और नीसतयों के सलए सिसभन्न तरीकों से योगदान करते हैं, आससलए ससद्ांततः
हम यह सनधााररत नहीं कर पाएंगे कक कौन ईन सनणायों और नीसतयों के सलए नैसतक रूप से
ईत्तरदायी है। आसे "कइ लोगो की समथया" कहा जाता है तथा ऐसी धारणा है कक यह नैसतक
संरचना के तहत समाधान करने योग्य नहीं है।
संगठनों में व्यसक्तगत ईत्तरदासयत्ि को शासमल करने की संभािना को ऄथिीकृ त करने और आस
प्रकार प्रशाससनक नीसतशास्त्र की संभािना को कमजोर करने के सलए सनम्नसलसखत तीन तका कदए
गए हैं:
प्रथम, यह तका कदया जाता है कक ककसी भी संगठनात्मक पररणाम के सलए कोइ भी व्यसक्त थियं
एक अिश्यक या पयााप्त कारण नहीं होता। प्रत्येक ऄसधकारी का योगदान रथसी के धागों के समान
होता है। िे एक-साथ काया करते हैं तथा कोइ भी ऄके ले काया नहीं कर सकता है, लेककन ककसी एक
के सबना काया ककया जा सकता है।
एक दूसरा तका व्यसक्तगत ईद्देश्य ऄथिा प्रयोजन और सामूसहक पररणामों के मर्धय के ऄंतर को
आंसगत करता है। ईदाहरण के सलए, ितामान में सिसभन्न संगठनों में, हम यह भी कह सकते हैं कक
कोइ भी ऄसधकारी कमाचाररयों की भती और पदोन्नसत में ऄल्पसंख्यकों के सिरुद् भेदभाि करने
का आरादा नहीं रखता है; कफर भी सनयुसक्तयों और प्रगसत का प्रसतरूप ऄभी भी कु छ ऄल्पसंख्यकों
को नुकसान पहुंचाता है। यहां हमें पैटना या नीसत की चनदा करनी चासहए (आससलए तका ककया
जाता है), लेककन हम आसके सलए ककसी भी व्यसक्तगत ऄसधकारी पर नैसतक रूप से दोषारोपण नहीं
कर सकते हैं।
एक तीसरा तका भूसमका की अिश्यकताओं पर बल देता है। पद से जुड़े कताव्यों और बड़े संगठनों के
दैसनक कायाकलापों के सलए व्यसक्तगत कारािाआयों की अिश्यकता होती है, जो थियं में ऄहासनकर
या यहां तक कक कु छ ऄथों में ऄसनिाया है, लेककन ये समलकर कइ बार ऄसहतकारी सनणायों और
नीसतयों का सनमााण करने के सलए अपस में सहयोग करते हैं। यद्यसप संगठन की नीसत नैसतक रूप
से ऄनुसचत है, कफर भी यहाँ प्रत्येक व्यसक्त िारा ऄपने पद की अिश्यकताओं के ऄनुसार ऄपने
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नैसतक कताव्य का सनिाहन ककया गया है, लेककन यहाँ आनका सामूसहक योग व्यसक्तगत कायािाही की
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तुलना में सनकृ ष्टतर होता है।


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यकद हम आन तकों को थिीकार करना चाहते है, तो हमें नैसतक ऄंकुश के बंधन से ऄनेक दोषी
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ऄसधकाररयों को मुक्त करना होगा। आससे लोकतांसत्रक जिाबदेही के क्षय होने की संभािना है। आन
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तकों का ईत्तर ककस प्रकार कदया जा सकता है ताकक संगठनों में व्यसक्तगत ईत्तरदासयत्ि बनाए रखा
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जा सके ?
सिाप्रथम, हमें ऄसधकाररयों के नैसतक ईत्तरदासयत्ि का अकलन के िल ईस अधार पर नहीं करना
चासहए सजस ऄनुपात में िे पररणाम में ऄपने योगदान को साझा करते है। "ईत्तरदासयत्ि एक
बाल्टी के समान नहीं होता है कक यकद ईसमें से कु छ को ऄलग कर कदया जाए तब भी ईसमें कु छ
शेष रहता ही है।" यकद 10 ठगों के सगरोह की सपटाइ से एक बूढ़े अदमी की मृत्यु हो जाती है, तो
हम प्रत्येक ठग को हत्या के के िल 1/10 िें भाग के सलए दंसडत नहीं करते हैं (भले ही ककसी एक
ठग का मारना ईसकी मौत के सलए पयााप्त कारण न हो)। अगे, ईत्तरदासयत्ि का सनधाारण करते
समय हमें न के िल ईन कृ त्यों पर सिचार करना चासहए जो ईनके िारा ककए गए हैं, बसल्क ईन
कृ त्यों पर भी सिचार करना चासहए जो ईन्होंने नहीं ककए हैं। संगठनों के संदभा में हम प्रायः ईन
सिशेष दोषों को आंसगत कर सकते हैं जो सिसशष्ट व्यसक्तयों के सलए िर्थणत और पररणाम के मर्धय
महत्िपूणा ऄंतर सनधााररत करते हैं। दोषों के प्रसतरूप ऄसग्रस्म रूप में ऄनुमासनत एिं सनर्ददष्ट ककए
जा सकते हैं।
व्यसक्तगत प्रयोजन और सामूसहक पररणाम के मर्धय के ऄंतर को आंसगत करने िाले दूसरे तका के बल
को कम ककया जा सकता है यकद हम ऄसधकाररयों के नैसतक ऄपराधों का अकलन करते समय

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पररणामों की तुलना में प्रयोजन को कम महत्ि देते हैं, कम से कम ईन दो संदभों में जहाँ "प्रयोजन"
को सामान्यत: ईद्देश्य और प्रत्यक्ष लक्ष्य के रूप में समझा जाता है।
हम िैध रूप से सामान्य नागररकों की तुलना में लोक पदों को एक ईच्च मानक के साथ धारण कर
सकते हैं। हम यह ऄपेक्षा कर सकते हैं कक ऄसधकाररयों को लोक पद के सामान्य दासयत्िों के कारण
अंसशक रूप से पररणामों की सिथतृत श्रृख ं ला को र्धयान में रखना जाना चासहए। ऄसधक लोगों के
कल्याण के सिषय में, ऄसधकाररयों को ऄपने कायों के पररणामों को प्राप्त करने के सलए ऄसाधारण
प्रयास करना चासहए। जबकक ऄसधकारी एक या दो बार तका संगत दािा प्रथतुत कर सकते हैं कक
ईन्हें एक ऄसहतकारी पररणाम की ऄपेक्षा नहीं थी, जबकक ईन्होंने ऄपनी ओर से संपूणा प्रयास
ककया था। ऐसे में ईत्तरदासयत्ि से बचने हेतु ईनके िारा आस छू ट का ईपयोग करने की सनम्न सीमा
होनी चासहए। रोजगार में भेदभाि के ईदाहरण के संबंध में, हमारा मानना कक ऄसधकाररयों को
यह समझना चासहए कक ईनकी संगठनात्मक प्रकियाएं (सामासजक बलों के साथ संयुक्त) ऄभी भी
कर्थमयों के सनणायों में ऄन्यायपूणा पररणाम दे रही हैं; यकद िे आसका समाधान करने के सलए कदम
नहीं ईठाते हैं तो िे ऄन्याय के सलए अंसशक रूप से ईत्तरदायी हो जाते हैं।
संगठन में व्यसक्तगत भूसमका के सनिाहन की अिश्यकता एक ऄसधकारी के उपर ऄल्प दोषारोपण
के ईपरोक्त तका की तुलना में दोषारोपण ककये जाने का मागा प्रशथत करता है। लोक ऄसधकाररयों
पर सजम्मेदारी डालते िक़्त हमें यह भी र्धयान रखना चासहए कक यह व्यसक्तयों को न कक पदों को
संबद् करता है। आसे पूणत ा : ककसी व्यसक्त िारा धाररत पद से संबंसधत ककसी भी भूसमका से
सनधााररत नहीं ककया जा सकता है, ऄसपतु यह समय के साथ एक व्यसक्त का ऄनुसरण करती है।
व्यसक्तगत ईत्तरदासयत्ि की आन सिशेषताओं को कभी-कभी ईपेसक्षत ककया जाता है। लोक
ऄसधकाररयों को एक भूसमका में ऄनैसतक (या ऄक्षम) प्रदशान के सलए सजम्मेदार ठहराया जाता है
ककन्तु पुनः िे पुरानी भूसमका का त्याग कर नइ भूसमका के साथ नइ योजना का अरंभ करते है।
ऐसे बदनाम लोक ऄसधकाररयों का पुन: नये काया क्षेत्र में अने पर व्यसक्तगत ईत्तरदासयत्ि को
समाप्त करके ईन्हें नयी भूसमका देकर समथान ककया जाता है।
प्रशाससनक नीसतशास्त्र संभि है, कम से कम दो प्रमुख सैद्ांसतक सिचार जो आसकी संभािना का
सिरोध करते हैं, िे प्रभािशाली नहीं हैं। हमें न तो तटथथता की नीसतपरक ऄिधारणा को थिीकार
करने के सलए बार्धय होना चासहए जो थितंत्र नैसतक सनणाय को कमजोर कर सकती है, न ही
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संरचना की नीसतपरक ऄिधारणा को, जो संगठनों में व्यसक्तगत नैसतक एजेंसी की ईपेक्षा करती है।
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यह ज्ञात करने के सलए कक प्रशाससनक नीसतशास्त्र संभि है, यह कदखाना अिश्यक नहीं है कक आसे
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िाथति में ककस प्रकार थथासपत ककया जाए। लेककन यह समझना अिश्यक है कक क्यों प्रशाससनक
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नीसतशास्त्र न के िल ऄभ्यास की कदशा में बसल्क ऄभ्यास में ऄथापूणा सिषय-िथतु सनधााररत करने की
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कदशा में एक अिश्यक कदम के रूप में संभि है।


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13. सिगत िषों में Vision IAS GS मेंस टे थट सीरीज में पूछे
गए प्रश्न: के स थटडीज
(Previous Years Vision IAS GS Mains Questions: Case Studies)

1. अप एक सज़ले में युिा सजलासधकारी हैं, जहाँ पर सनजी नशा मुसक्त के न्द्रों की संख्या में तेज़ी से
िृसद् हो रही है। ये कें द्र ऄनैसतक ढंग से संचासलत होने हेत ु जाने जाते हैं और ईनके व्यापार के
मॉडल में पुनः नशे के सशकार होने िाले पीसड़तों के सलए सिशेष प्रािधान शासमल हैं। यद्यसप ये कें द्र
ऄत्यसधक शुल्क लेत े हैं कफर भी ये पीसड़तों के पररिारों को एक अशा प्रदान करने हेत ु प्रससद् हैं
और नशे में सलप्त लोगों के संथथानीकरण से कानून व्यिथथा सुसनसित हुइ है जो कक पडोसी सज़लों
में सिद्यमान नहीं है।
सनम्नसलसखत सिकल्पों का समाज के सिसभन्न सहतधारकों पर ईनके सकारात्मक और नकारात्मक
प्रभािों के अधार पर सिश्लेषण कीसजए:

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(a) सभी सनजी पुनिाास के न्द्रों को पूणत


ा ः बंद ककया जाना।
(b) सरकारी के न्द्रों की थथापना हेत ु धन की ईपलब्धता के सलए ईच्च ऄसधकाररयों को प्राथाना
ककया जाना।
(c) आस मामले की गंभीरता से जाँच करने के सलए एक सचककत्सा दल का गठन और ईसकी ररपोटा
के बाद ही कायािाही करना।
(d) पहले की भांसत के न्द्रों को संचासलत रहने देना।
ईत्तरः
नशा मुसक्त के न्द्र व्यसनी के पररिार को कु छ समय के सलए राहत प्रदान करने के साथ-साथ व्यापक
थतर पर समाज को आनके िारा चोरी, डकै ती अकद रूपों में ईत्पन्न की जाने िाली संभासित
सुरक्षागत चुनौसतयों से भी सुरक्षा प्रदान करते हैं। हालांकक यह भी महत्िपूणा है कक व्यसनी थियं
भी पीसड़त होते हैं और आन्हें थियं ही पररिार और िृहत्तर रूप से समाज के सहयोग की
अिश्यकता होती है।
ऄतः सभी पुनिाास के न्द्रों को बन्द ककया जाना जैसा कक सिकल्प (a) में व्यक्त ककया गया है, से
लाभ की बजाय हासन ऄसधक होगी। पररिार और सम्बसधयों के पास कोइ सिकल्प नही रहेगा और
व्यापक रूप से जानकारी के ऄभाि में, व्यसनी के भार के कारण समाज को अर्थथक और
मनोिैज्ञासनक तनाि झेलना पड़ेगा तथा ऄव्यिथथा की सथथसत ईत्पन्न हो सकती है।
सरकारी के न्द्र की थथापना, जैसे कक सिकल्प (b) में प्रथतासित ककया गया है, एक थिागतयोग्य
कदम हैं क्योंकक ये के न्द्र ऄन्य सनजी के न्द्रों के सलए अदशा के रूप में का काया करेंगे। साथ ही,
सरकारी के न्द्रों में लागू संशोसधत काया प्रणाली के संबंध में जनमत का सनमााण होगा और जन
सामान्य िारा सनजी क्षेत्र के के न्द्रों से भी समान काया प्रणाली लागू करने की मांग की जाएगी।
सिकल्प (c) के ऄनुसार, ऄकियाशील रहतें हुए के िल सचककत्सकीय जांच ररपोटा की प्रतीक्षा करने
के गम्भीर पररणाम हो सकते हैं। यह ऄप्रत्यक्ष रूप से सनजी के न्द्रां िारा सम्पाकदत भ्रष्टाचारों को
बढ़ािा देगा, सनम्नथतरीय ईपचार से ईत्पन्न गम्भीर चुनौसतयों की ऄिहेलना और ऄप्रत्यक्ष रूप से
तीव्रता से बढ़ते सनजी नशामुसक्त के न्द्रों के कदाचारों को प्रोत्सासहत करेगा।
सिकल्प (d) के ऄनुसार के न्द्रों को सबना ककसी बाधा के संचासलत होने देना, एक प्रशासक िारा
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ऄपने नैसतक और व्यािसासयक ईत्तरदासयत्ि का सनिाहन न करना होगा।


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मर्धयम ऄिसध में, सरकारी के न्द्रों के सनमााण को प्रोत्सासहत करने के साथ-साथ, नशे की समथया के
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दुष्प्रभािों के बारे में जागरूकता एिं सशक्षा के प्रसार िारा समथया के मूल कारण को समाप्त करना
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महत्िपूणा है। साथ ही सचककत्सकीय ईपचार के सख्त मानदंडों को भी सरकारी और सनजी दोनों
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तरह के के न्द्रों में सनधााररत ककए जाने की अिश्यकता है। साथ ही, सचककत्सा सिशेषज्ञों की टीम को
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सनयुक्त कर समथया के कारणों को समाप्त करने हेतु समानान्तर रूप से काया करना भी समान रूप
से महत्िपूणा है।

2. अपको हाल ही में एक शहर के नगर सनगम के सनदेशक के रूप में सनयुक्त ककया गया है। एक संयक्त

सनदेशक जो अयु में अपसे ऄसधक िररष्ठ है और छह माह में सेिासनिृत होने िाला है,
मनोभािपूिका एक ऄत्यंत महत्िपूणा नगर सनयोजन पररयोजना पर काया कर रहा है सजसके सफल
समापन से िह ऄपने शेष सेिासनिृत्त जीिन हेत ु एक सचरथथायी प्रसतष्ठा ऄर्थज त कर सके गा। सनगम
की एक निसनयुक्त मसहला सससिल ऄसभयंता सजसने आस क्षेत्र में एक ऄग्रस्णी प्रमुख संथथान से
प्रसशक्षण प्राप्त ककया है, संयक्त
ु सनदेशक हेत ु ऄसुरक्षा का कारण बन गइ है क्योंकक ईसे आस बात का
सनरंतर भय है कक ईस मसहला को ईसके सभी प्रयासों का श्रेय समल जाएगा। ईसने ईस मसहला के
प्रसत एक ऄप्रसतरोधी अिामक व्यिहार ऄपना सलया है तथा िह ईस मसहला से संचार में भी
ऄसशष्ट है। मसहला ऄसभयंता लसित ऄनुभि करती है जब संयक्त ु सनदेशक ऄन्य कमाचाररयों के
समक्ष ईसे डांटते हैं, ईससे बात करते समय ऄपना थिर प्रबल कर लेत े हैं तथा ईसे ऄपमासनत
करने का कोइ ऄिसर नहीं छोड़ते। िह भी संयक्त
ु सनदेशक से भयभीत हो सकती है, क्योंकक

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कायाालय में ईसका एक दीघा कायाकाल रहा है, सजस कायाात्मक क्षेत्र में िह काया कर रही है ईसमें
संयक्त
ु सनदेशक को प्रत्यक्ष ऄनुभि प्राप्त है तथा पूिि
ा ती सनदेशकों िारा भी ईसका पक्ष सलया गया
था। िह यह ऄनुभि भी कर सकती है कक आस मामले में ईसके पास कोइ रक्षोपाय नहीं है। अप
पूिि
ा ती संगठनों में ईसके ईत्कृ ष्ट ऄकादसमक और कररयर ररकॉडा से भलीभांसत ऄिगत हैं। परन्तु
भय आस बात का है कक संयक्त ु सनदेशक के पक्ष से यह एक पक्षीय ऄहम् का संघषा आस महत्िपूणा
पररयोजना में ईस मसहला ऄसभयंता के ऄसत अिश्यक योगदान तथा ईसके भािनात्मक कल्याण
को गंभीरतापूिक ा संकटग्रस्थत कर देगा। ऄभी-ऄभी अपको यह जानकारी प्राप्त हुइ है कक िह
पदत्याग की योजना बना रही हैं। अप आस पररथथसत को कै से सनयंसत्रत करेंग?

ईत्तर:
संयक्त
ु सनदेशक को यह समझाने में सहायता करना कक
 मसहला ऄसभयंता को ईसके काया का श्रेय नही कदया जायेगा। एक सनदेशक के रूप में संयुक्त
सनदेशक को यह अश्वासन देते हुए अप यह सुसनसित करेंगे कक संयुक्त सनदेशक के रूप में
ईनकी ऄर्धयक्षता में संचासलत पररयोजना हेतु ईन्हें ईनके काया का ईसचत श्रेय प्रदान ककया
जाए।
 यकद ईनके कारण िह त्याग-पत्र दे देती है और ईसने प्रकिया में एक सशकायत दजा करिाइ है
तो यह संयक्त
ु सनदेशक के कररयर पर एक दाग हो सकता है।
 आसकी बजाय ईन्हें ऄधीनथथों की एक बेहतर टीम बनाने में सहायता करनी चासहए जो
सेिासनिृत्त होने के पिात् भी ईन्हें ईच्च सम्मान का भागीदार बनाएगा तथा जो सनगम के
प्रसत ईनका महत्िपूणा योगदान ससद् होगा।
 चूँकक मसहला ऄसभयंता का पूिि ा ती संगठनों में एक ईत्कृ ष्ट ऄकादसमक और कररयर ररकॉडा
रहा है और ईसके पास बेहतर क्षमताएं भी हैं, ऄत: ईन्हें ईसकी क्षमताओं का ऄहसास कराने
में ईसकी सहायता करनी चासहए। ईन्हें ईसके प्रसत एक ऄच्छे सशक्षक की भूसमका सनभानी
चासहए क्योंकक िे ईसके िररष्ठ हैं तथा ईस कायाात्मक क्षेत्र में सजसमें िह काया कर रही है
ईसमें प्रत्यक्ष ऄनुभि भी रखते हैं। सभन्न ऄथों में यह ईनका व्यािसासयक दासयत्ि भी है।
 यह भी कक मसहला ऄसभयंता के प्रसत ईनका व्यिहार और दृसष्टकोण गैर-पेशेिर तथा ऄनुसचत
है।
 ईन्हें यह ऄहसास कराएं कक कै से ईनके पक्ष से एक पक्षीय ऄह् संघषा आस पररयोजना में
ऄसभयंता के ऄसत अिश्यक योगदान को गंभीर रूप से संकटग्रस्थत कर देगा जो ईनकी ऄंसतम
पररयोजना भी है। मसहला का योगदान समग्रस् पररणामों में िृसद् कर सकता है, जो ईन्हें
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सनणाायक श्रेय प्रदान करेगा, क्योंकक ऄंततः िे ही आस पररयोजना के प्रभारी हैं।


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 ऐसा ऄव्यिसासयक दृसष्टकोण ईनकी क्षमता को भी प्रभासित करेगा तथा ईनके र्धयान को गैर-
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ईत्पादक पहलुओं की ओर थथानांतररत भी करेगा।


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निसनयुक्त मसहला सससिल ऄसभयंता को यह समझाने में सहायता करना कक:


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 कै से और क्यों संयक्त
ु सनदेशक पररयोजना में मनोभािपूिाक संलग्न है।
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 यह ससद् करते हुए कक िह एक काया के प्रसत समर्थपत तथा सहायक ऄधीनथथ है ईसे क्यों
और कै से संयुक्त सनदेशक को सिश्वास में लेना चासहए। ऄपने िररष्ठ के प्रसत पेशेिर सम्मान
दशााते हुए और एक सीखने हेतु आच्छु क ऄधीनथथ के रूप में थियं को प्रदर्थशत करते हुए िह
एक िररष्ठ के रूप में सनदेशक के ऄहम् को संतुष्ट करेगी। आस प्रकार ईसे संयक्त
ु सनदेशक के
ऄनुभिों से सीखने हेतु ऄसधक ऄिसर प्राप्त होंगे।
 यह भी समझाना कक सािाजसनक रूप से ककसी भी तनािग्रस्थत सथथसतयों से बचने हेतु िह एक
ऄच्छे और सहायक ऄधीनथथ के रूप में संबंसधत अयामों की ऄसग्रस्म रूप से ऄलग-ऄलग चचाा
कर सकती है।
 िह अिश्यकतानुरूप दृढ़तापूिक ा बेहतर व्यिसासयक दक्षता प्रदर्थशत कर सकती है परन्तु ईसे
ईत्तर में अिामक नहीं होना चासहए।
 अप ितामान सनदेशक के रूप में संगठन में ईसके सलए ऄिसर सुसनसित करने में सहायता
करेंगे, यकद िह तनाि के समय तथा संयुक्त सनदेशक के सेिासनिृत होने के पिात् भी धैया और
व्यिसासयक दक्षता का प्रदशान करती है।
 अप ईसके ऄकादसमक और कररयर ररकॉडा से प्रभासित हुए हैं तथा यह सनगम में ईसके अगे
पदोन्नत होने में सहायता करेगा। यह भी कक कररयर में प्रत्येक को सिसभन्न प्रकार के तनािों से
सनपटने की अिश्यकता होती है।

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 अप ईसे समझाएंगे कक ककसी भी कष्टप्रद सथथसत को सनयंसत्रत करने हेतु अप ईसकी सदैि
सहायता करेंगे। ईसे पदत्याग के सिषय में नहीं सोचना चासहए, क्योंकक आतनी शीघ्रता से पद
त्यागना ईसके कररयर ररकॉडा को ख़राब करेगा।
आसके ऄसतररक्त ईन्हें ऄपनी ईपसथथसत में एक-दूसरे से िाताा संिाद करने का ऄिसर प्रदान करे
जहाँ अप पद के अधार पर िररष्ठतम ऄसधकारी के रूप में सनगम हेतु िांसछत पररणाम सुसनसित
करते हुए सथथसत को संतुसलत और सनयंसत्रत कर सकते हैं। साथ ही सािाजसनक रूप से यह भी
प्रदर्थशत सकते हैं कक ईनके संबंसधत प्रयासों हेतु दोनों को प्रोत्सासहत करते हुए अप एक न्यायोसचत
सनणाय लेंगे।

3. अप भारतीय पुसलस सेिा के एक ऄसधकारी हैं सजन्हें हाल ही में एक शहर में सनयुक्त ककया गया
है, जहां ऄपराध की दर काफी ऄसधक है। कायाालय में पहले कु छ कदनों में अपका सामना व्यापक
ऄनुशासनहीनता, भ्रष्टाचार और सनयमों की ऄनदेखी से होता है। एक कदन अप कु छ लोगों को
शहर में लाए जा रहे एक ऄिैध दिा की बड़ी खेप के साथ पकड़ लेत े हैं। श्री X, जो कक थथानीय
राजनेता हैं, अपको फ़ोन करते हैं और कहते हैं कक दिा की खेप को ईनकी सहमसत के साथ ले
जाया जा रहा था। िह अपको यह भी बताते हैं कक अप सभी संकदग्ध लोगों को मुक्त कर दें और
आस बारे में कोइ प्रथम सूचना ररपोटा (FIR) दजा न करें। ईनकी सलाह न मानने पर िह अपको
गंभीर पररणाम भुगतने की धमकी देत े हैं। आसके ऄलािा, िह अपके सिभाग में अपके िररष्ठ
ऄसधकारी और ऄन्य भी कइ लोगों के साथ ऄपने सम्बन्ध होने की बात अपको बताते हैं। साथ ही
अपके िररष्ठ ऄसधकारी अपको फोन कर श्री X की मांग को पूरा करने को कहते हैं।
(a) कु छ सुझाए गए सिकल्प सनम्नसलसखत हैं। आन सिकल्पों में से प्रत्येक के गुण और दोषों का
मूल्यांकन कीसजए:
i. राजनेता और ऄपने िररष्ठ ऄसधकारी की मांग के अगे झुकते हुए संकदग्ध लोगों को मुक्त कर
देना।
ii. ऄपने िररष्ठ ऄसधकारी को सलसखत अदेश जारी करने को कहना।
iii. ऄपने िररष्ठ ऄसधकारी के िररष्ठ से आस मुद्दे पर बात करना।
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iv. मीसडया को आस मुद्दे के बारे में बता देना।


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(b) ईपयुक्त
ा सिकल्पों से ऄनािश्यक रूप से बंधे सबना कारण बताते हुए आस बात को आंसगत
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कीसजए कक अपने क्या सुझाि कदया होता?


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दृसष्टकोणः
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आसका र्धयान रखना ईपयोगी होगाः ‘‘मूलभूत ससद्ान्त और मानदठड जो लोक प्रशासन में
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समासहत नैसतक दुसिधाओं से व्यिहार की प्रकिया को एकीकृ त और पुनव्यािसथथत करते हैं, िे हैंःः
(1) प्रशासन का लोकतांसत्रक ईत्तरदासयत्ि (2) कानून का शासन और िैधता का ससद्ांत (3)
व्यािसासयक सत्यसनष्ठा (4) नागररक समाज के प्रसत ऄनुकियाशीलता’’ (एंथोनी मेिीसडमीटसा,
2002)
यह ईत्तर एक सििरणात्मक ईद्देश्य ससद् करता है। यह के िल एक मागादशाक ईत्तर है और
परीक्षाथी को समय के ऄनुसार ऄपनी काया प्रणाली को थियं सनधााररत और रसचत करना होगा।
मूल सबन्दु यह है कक ऄसधकतम संभािनाओं और कारणों पर सिचार ककया जाए।
ईत्तरः
यह मामला कानून और व्यिथथा के सलए सजम्मेदार एक लोक सेिक के पेशेिर दासयत्िों और सनजी
कल्याण के बीच दुसिधा को समासहत करता है। प्रकरण और आसका समाधान ईसचत प्रकियागत
मुद्दों, संिादों और अदेश श्रृंखला को भी समासहत करता है।
आस प्रकरण के तथ्यों से यह प्रकट है कक सजले में कानून और व्यिथथा बुरी सथथसत में है और आसे
सुधारात्मक ईपायों की अिश्यकता है। यह प्रथमतः सनयमों और सिसनयमों के ऄनुपालन पर
ऄसडग रहने से थथासपत की जा सकती है। सितीय, ईदाहरण में शासमल सिसशष्ट प्रकरण आस तथ्य

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को समासहत करते हैं कक कथबे में भेजी जा रही दिाआयों की खेप ऄिैध है- यह अपके ऄसधकार
क्षेत्र और पेशेिर दासयत्ि/कताव्य को लेकर चचता पैदा करती है। आसमें एक थथानीय राजनेता
ससम्मसलत है और िह अपको गम्भीर पररणाम भुगतने की धमकी देता है- यह अपके सनजी
कल्याण से संबंसधत चचताओं को समासहत करती है। आसके ऄसतररक्त राजनेता अपके िररष्ठ
ऄसधकाररयों को जानता है और िे अपको ईसका अदेश मानने को कहते हैं। यह ईनके बीच
गठजोड़ को ससद् करता है। आसमें अदेश श्रृंखला से संबंसधत चचताएं शासमल हैं। ककन्तु, यह थपष्ट
नहीं है कक राजनेता और ससम्मसलत िररष्ठ ऄसधकारी दिाओं की खेप की िैधता से ऄिगत हैं कक
नहीं। तथासप, यहाँ संसलप्तता अपके ऄसधकार क्षेत्र और कताव्य में हथतक्षेप ईत्पन्न कर रही है।
सनणाय अपके िारा प्रकरण की समीक्षा और आस प्रकार के प्रकरण में ईसचत प्रकिया पर अधाररत
होना चासहए।
सिकल्प i:
राजनेता और िररष्ठ ऄसधकाररयों की मांगों के अगे अत्मसमपाण अपको एक करठन पररसथथसत से
सुसिधापूिाक सनकाल सकता है। लेककन यह के िल एक ऄल्पािसध ईपाय है। यह ऐसे मानक
थथासपत करेगा जो भसिष्य में गंभीर पररणाम ईत्पन्न कर सकते हैं। आस प्रकार, ऐसा कृ त्य ितामान
समथया को ठीक करने के सलए एक सकारात्मक कदम नहीं हो सकता। ऄथाात् यह सिद्यमान कानून
और व्यिथथा की सथथसत तथा साथ ही सनयमों एिं सिसनयमों का बड़े पैमाने पर ईल्लंघन है। अप
आस प्रकरणगत दिा की खेप की ऄिैधता के बारे में ऄपने िररष्ठ ऄसधकाररयों और साथ ही साथ
राजनेता को जानकारी दे सकते हैं। कफर भी यकद िे संकदग्धों को मुक्त करने और प्राथसमकी दजा न
करने की हठ करें तो ईनकी संसलप्तता थपष्ट हो जाती है।
सिकल्प ii:
सलसखत अदेश की मांग करना एक सनिारक का काया कर सकती है, क्योंकक िररष्ठ िैसा करने को
मना कर सकते हैं। ककन्तु, कृ त्य की ऄिैधता को थपष्ट रूप से संप्रेसषत करना महत्िपूणा है। कृ त्य की
ऄिैधता को जानकर िररष्ठ ऄसधकारी आस प्रकार के अदेश जारी करने से दूर रह सकता है।
कृ त्य की ऄिैधता को जानकर भी यकद िररष्ठ एक सलसखत अदेश जारी करता है तो दासयत्ि अप
पर अ जाता है। जहाँ तक अपकी पहल का सिाल है, सलसखत अदेश अपको ऄसभयोज्यता से बचा
सकता है। प्रश्न ककए जाने पर अप प्रथतुत कर सकते हैं कक अपने अदेशों के ऄंतगात काया ककया।
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यह सम्भितः तकनीकी रूप से सही हो सकता है ककन्तु यह नैसतक रूप से सही नहीं है और
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ईत्तरदासयत्ि के पररत्याग के समान है। पररणामात्मक रूप से आस सिकल्प का ऄनुपालन करना


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कृ त्य को ऄिैध और साथ ही साथ ऄनैसतक बना देता है। आस पर न्यायालय में प्रश्न ककया जा सकता
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है और यह बचाि कक अप अदेशों के ऄंतगात काया कर रहे थे, िहां कोइ अधार नहीं रख सकता
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है। आसी प्रकार, यह सिकल्प सजले में कानून और व्यिथथा को सही रूप से सुसनसित नहीं करता है।
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सिकल्प iii:
जब िररष्ठ ऄसधकारी से संिाद सिफल हो जाए तो ईसके िररष्ठ से बात करना सुसिचाररत कृ त्य का
तार्दकक रूप से थिाभासिक पररणाम प्रतीत होता है। अपको ईनका परामशा मांगते समय थपष्ट रूप
से और सनष्पक्षता से सथथसत की व्याख्या करनी चासहए। नतीज़तन िररष्ठ ऄसधकारी के िररष्ठ िारा
अपके िररष्ठ को सनयंसत्रत ककया जा सकता है तथा अपको कताव्य की मांग के ऄनुसार ईसचत
प्रकिया ऄपनाने में सहयोग प्राप्त हो सकता है। हालांकक, दूसरी ओर यह अपके प्रसत अपके िररष्ठ
ऄसधकारी का कोप भाजन भी बना सकता है और िह अपके सिरुद् एक दुभाािना भी पाल सकता
है।
आस सिकल्प का दूसरा पहलू िररष्ठ ऄसधकारी के िररष्ठ की पद्सत पर सनभार करता है। यकद िह भी
राजनेता और अपके िररष्ठ से सहमत है तो यह कदम प्रसतकू ल हो सकता है और अपके उपर
दिाब और ऄसधक बढ़ा सकता है। यकद ऐसा होगा तो यह सिद्यमान कानून और व्यिथथा की
सथथसत की चचता का समाधान भी नहीं करेगा।
सिकल्प iv:
मीसडया को जानकारी देने का सिकल्प व्यापक रूप से समथत जनता के प्रसत थपष्टता और
ऄनुकियात्मकता से मेल खाता है। मीसडया का एक युसक्तयुक्त ईपयोग आस प्रकार, ऄिैध कृ त्यों के

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सखलाफ सिसधित कानूनी कायािाही के सहतधारकों के दायरे में सिथतार करते हुए, राजनेता और
संसलप्त िररष्ठ ऄसधकाररयों पर सािाजसनक दबाि में िृसद् कर सकता है। आसी प्रकार, मीसडया
जागरूकता, ऄसधकाररयों और सरकारी तंत्र में सिश्वास ईत्पन्न करने में सहायक हो सकता है।
ककन्तु एक सनसनीखेज दृसष्टकोण का ऄनुपालन या मीसडया का ऄपररपि दृसष्टकोण (ऄन्य सिकल्पों
/ संप्रष
े ण के साधनों की छानबीन के पूि)ा के साथ ईपयोग करना संभितः प्रसतघात कर सकता है
और यकद राजनेता ने दबाि बनाने की काया प्रणाली का ऄनुसरण ककया तो आसके फलथिरूप
जिाबी ऄफिाह, असधकाररक घुड़की और सािाजसनक व्यिथथा की खामी पैदा हो सकती है। आस
सिकल्प के सलए काफी सािधानी और युसक्त की अिश्यकता है।
आस सिकल्प को एक प्रथताि के रूप में थिीकार करने के बाद, अआए हम सलाह योग्य एक काया
पद्सत पर सिचार करें।
ऄसधकारी को तथ्यों को प्राथसमक रूप से सुसनसित कर लेना चासहए। आस प्रकरण के लाभों के बारे
में थियं को अश्वथत करने के बाद ईसका यह ईत्तरदासयत्ि है कक िह प्राथसमकी दजा कराके अगे की
जांच कराने की कानूनी प्रकिया का ऄनुसरण करे। क्षेत्रीय राजनीसतज्ञ की मांग को ईसके कायाालय
की सािाजसनकता को देखते हुए ईसके सनदेंशों को पालन की ककसी बार्धयता के सबना ग्रस्हण ककया
जाना चासहए। यकद िह ऄनसभज्ञ हो तो ऄिैधता की व्याख्या सशष्टता के साथ दृढ़तापूिक
ा कीसजए,
साथ ही समासहत संिेदनशीलता को समझाने और ईसकी व्याख्या करने का प्रयास कीसजए कक
ककस प्रकार सकिय मीसडया आस प्रकरण का संज्ञान लेगी। आसी प्रकार, िररष्ठ से ऄिैधता और
संिेदनशीलता के बारे में संिाद कीसजए। यकद िह कफर भी हठ पकड़े रहते हैं, तब ईन्हें सूसचत
कीसजए कक अप कानून का ईसचत राथता ऄपनाने के सलए प्रिृत्त हैं और मात्र मौसखक अदेश
प्रभािी होने योग्य नहीं है। िररष्ठ ऄसधकारी के िररष्ठ से बात करने को आस चरण के ऄनुपालन के
ईपरान्त अदेश श्रृंखला के ऄनुपालन और बेहतर सिभागीय संचार की भािना से र्धयान कदया जाना
चासहए। मीसडया को एक सहभागी के रूप में तथ्यों की ररपोर्टटग हेतु ससम्मसलत ककया जा सकता
है, प्रससद् और मसहमा प्राप्त करने के सलए नहीं। ऄसधकारी को ऄपना ईत्तरदासयत्ि कानून के
सनयम और िैधता, व्यािसासयक सनष्ठा और नागररक समाज के प्रसत ईत्साहपूणा ऄनुकूलता धारण
करते हुए पूरा करना चासहए।

14. सिगत िषों में संघ लोक सेिा अयोग (UPSC) िारा पू छे
गए प्रश्न
(Previous Year UPSC Questions)
1. "के िल कानून का ऄनुपालन की काफ़ी नहीं है, लोक सेिक में, ऄपने कताव्यों के प्रभािी पालन के सलए,
नैसतक मुद्दों पर एक सुसिकससत संिेदन-शसक्त का होना भी अिश्यक है।" क्या अप सहमत हैं? दो
ईदाहरणों की सहायता से थपष्ट कीसजए, जहाँ (i) कृ त्य नैसतकतः सही है, परन्तु िैध रूप से सही नहीं है
तथा (ii) कृ त्य िैध रूप से सही है परन्तु नैसतकतः सही नहीं है।
2. ऄंतरााष्ट्रीय थतर पर, ऄसधकांश राष्ट्रों के बीच सिपक्षीय संबंध, ऄन्य राष्ट्रों के सहतों का सम्मान ककए सबना
थियं के राष्ट्रीय सहतों की प्रोन्नसत करने की नीसत के िारा सनयंसत्रत होते हैं। आससे राष्ट्रों के बीच िंि और
तनाि ईत्पन्न होते हैं। ऐसे तनािों के समाधान में नैसतक सिचार ककस प्रकार सहायक हो सकते हैं?
सिसशष्ट ईदाहरणों के साथ चचाा कीसजए।
3. "मैक्स िेबर ने कहा था कक सजस प्रकार के नैसतक प्रसतमानों को हम व्यसक्तगत ऄंतरात्मा के मामलों पर
लागू करते है, ईस प्रकार के नैसतक प्रसतमानों को लोक प्रशासन पर लागू करना समझदारी नहीं है। आस
बात को समझ लेना महत्िपूणा है कक हो सकता है की राज्य के ऄसधकारी तंत्र के पास ऄपनी थियं की
ऄसधकाररतंत्रीय नैसतकता हो।" आस कथन का समालोचनात्मक सिश्लेषण कीसजए।
4. ऄनुशासन में सामान्यतः अदेश पालन और ऄधीनता सनसहत है। कफर भी यह संगठन के सलए प्रसत-
ईत्पादक हो सकता है। चचाा कीसजए।

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15. सिगत िषों में संघ लोक सेिा अयोग (UPSC) िारा पू छे
गए प्रश्न: के स थटडीज
(Previous Years UPSC Questions : Case Studies)
1. अप एक इमानदार और सजम्मेदार सससिल सेिक हैं। अप प्रायः सनम्नसलसखत को प्रेसक्षत करते हैं:
(a) एक सामान्य धारणा है कक नैसतक अचरण का पालन करने से थियं को भी करठनाआयों का
सामना करना पड़ सकता है और पररिार के सलए समथयाएं पैदा हो सकती हैं, जबकक ऄनुसचत
अचरण जीसिका लक्ष्यों तक पहुंचने में सहायक हो सकता है।
(b) जब ऄनुसचत साधनों को ऄपनाने िाले लोगों की संख्या बड़ी होती है, नैसतक साधन ऄपनाने
िाले ऄल्पसंख्यक लोगों से कोइ फका नहीं पड़ता।
(c) नैसतक तरीकों का पालन करना िृहत सिकासात्मक लक्ष्यों के सलए हासनकारक है।
(d) चाहे कोइ बड़े ऄनैसतक अचरण में ससम्मसलत न हो लेककन छोटे-मोटे ईपहारों का अदान-
प्रदान प्रणाली को ऄसधक कु शल बनाता है।
ईपयुाक्त कथनों की ईनकें गुणों और दोषों ससहत जांच कीसजए।

2. खनन, बांध एिं ऄन्य बड़े पैमाने की पररयोजनाओं के सलए अिश्यक भूसम ऄसधकांशतः
अकदिाससयों, पहाड़ी सनिाससयों और ग्रस्ामीण समुदायों से ऄर्थजत की जाती है। सिथथासपत
व्यसक्तयों को कानूनी प्रािधानों के ऄनुसार मौकद्रक मुअिजा कदया जाता है। कफर भी, भुगतान
प्रायः धीमी गसत से होता है। ककसी भी हालत में, सिथथासपत पररिार लंबे समय तक जीिन यापन
नहीं कर पाते है। आन लोगों के पास बाजार की अिश्यकतानुसार ककसी दूसरे धंधे में लगने का
कौशल भी नहीं होता है। िे असख़रकार कम मजदूरी िाले अिर्थजक (प्रिासी) श्रसमक बन जाते हैं।
आसके ऄलािा, ईनके समुदासयक जीिन के परंपरागत तरीके ऄसधकांशतः समाप्त हो गए हैं। ऄतः,
सिकास के लाभ ईद्योगों, ईद्योगपसतयों और नगरीय समुदायों को चले जाते हैं जबकक सिकास की
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लागत आन गरीब ऄसहाय लोगो पर डाल दी जाती हैं। लागतों और लाभों का यह ऄनुसचत
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सितरण ऄनैसतक है।


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यकद अपको ऐसे सिथथासपत व्यसक्तयों के सलए ऄच्छे मुअिजे एिं पुनिाास नीसत का मसौदा तैयार
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करने का काया कदया जाता है, अप आस समथया के संबध


ं में क्या दृसष्टकोण रखेंगे एिं अपके िारा
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सुझाइ गइ नीसत के मुख्य तत्ि कौन-कौन से होगें?

3. अप ऄनाप-शनाप न सहने िाले एक इमानदार ऄसधकारी हैं। अपका तबादला एक सुदरू सज़ले में
एक ऐसे सिभाग में कर कदया गया है, जो ऄपनी ऄदक्षता और संिेदनहीनता के सलए कु ख्यात है।
अप पाते हैं कक आस घरटया काया-सथथसत का मुख्य कारण कमाचाररयों के एक भाग में
ऄनुशासनहीनता है। िे थियं तो काया करते नहीं हैं और दूसरों के काया में भी गड़बड़ी पैदा करते हैं।
सबसे पहले अपने ईत्पासतयों को सुधर जाने की, ऄन्यथा ऄनुशासनात्मक कायािाही का सामना
करने की चेतािनी दी। जब आस चेतािनी का ना के बराबर ऄसर हुअ तब अपने नेताओं को
कारण बताओं नोरटस जारी कर कदया। आसके बदले के रूप में ईन्होंने ऄपने बीच की एक मसहला
कमाचारी को अपके सिरुद् मसहला अयोग में यौन-ईत्पीड़न की एक सशकायत दायर करने के
सलए भड़का कदया। अयोग ने तुरंत अपका थपष्टीकरण माँगा। अपको आससे अगे भी लसित करने
के सलए मामला मीसडया में भी प्रचाररत ककया गया। आस सथथसत से सनपटने के सिकल्पों में से कु छ
सनम्नसलसखत हो सकते हैं:

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(i) अयोग को ऄपना थपष्टीकरण दे दीसजए और ऄनुशासनात्मक कायािाही पर नरमी बरसतए।

(ii) अयोग को नजरंदाज कर दीसजए और ऄनुशासनात्मक कायािाही को मजबूती के साथ अगे


बढाआए।
(iii) ऄपने ईच्च ऄसधकारीयों को संक्षप
े में ऄिगत करा दीसजए, ईनसे सनदेश मांसगए और ईनके
ऄनुसार काया कीसजए।
कोइ ऄन्य सिकल्प सुझाआए सभी का मूल्यांकन कीसजए और ऄपने कारण बताते हुए सबसे ऄच्छा
सिकल्प सपष्ट कीसजए।

16. संद भा (References)


 Ethics in Public service by Richard A. Chapman

 Ethics in Public Administration: Journal of Public Administration and

Policy Research Vol. 4(2) pp. 23-31 March, 2012

 Model Code of Ethics and Conduct, WCO.org

 Administrative reforms in India-

http://persmin.gov.in/otraining/UNDPProject/undp_modules/Reform%20In

itiatives%20in%20Admn%20N%20DLM.pdf

 Ethics in Public Administration: a Philosophical Approach by Patrick J

Sheeran

 http://www.prsindia.org/uploads/media/vikas_doc/docs/1241499740~~Dra

ftPublicServicesBill2006.pdf
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 Nolan committee: http://www.public-standards.gov.uk/


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 OECD Guidelines:
11
13

http://acts.oecd.org/Instruments/ShowInstrumentView.aspx?InstrumentID
j5
ra
su

=130&InstrumentPID=126&Lang=en&Book=

 Practical Ethics in Public Administration: By Dean Geuras, Charles

Garofalo

 Case studies and Laws, rules regulations: Santa Clara University website

 Accountability: http://siteresources.worldbank.org/PUBLICSECTORANDG

OVERNANCE/Resources/AccountabilityGovernance.pdf

 https://academicpartnerships.uta.edu/articles/public-administration/the-

importance-of-ethics-in-public-administration.aspx

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