अपनी अपनी बीमारी by परसाई, हरिशंकर दो नाक वाले लोग by परसाई, हरिशंकर सुदामा के चावल by परसाई, हरिशंकर जैसे उनके दिन फिरे by परसाई, हरिशंकर प्रेमचन्द के फटे जूते by परसाई, हरिशंकर शिकायत मुझे भी है by परसाई, हरिशंकर हम इक उम्र से वाक़िफ़ हैं by परसाई, हरिशंकर ठिठु रता हुआ गणतंत्र by परसाई, हरिशंकर आवारा भीड़ के खतरे by परसाई, हरिशंकर विकलांग श्रद्धा का दौर by परसाई, हरिशंकर तीन निगाहों की एक तस्वीर by भंडारी, मन्नू यही सच है by भंडारी, मन्नू मैं हार गई by भंडारी, मन्नू तुलसीदास चन्दन घिसैं by परसाई, हरिशंकर पगडंडियों का जमाना by परसाई, हरिशंकर आपका भविष्य आपके हाथ में by कलाम, ए. पी. जे. अब्दुल कितने पाकिस्तान by कमलेश्वर रेत समाधि by श्री, गीतांजलि हार नहीं मानूँगा: एक अटल जीवन गाथा by त्रिवेदी, विजय गुनाहों का देवता by भारती, धर्मवीर