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12/5/22, 1:42 PM RJ's Reveries - A poem by Vakil Abdul Hamid Sahib in my voice...

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RJ's Reveries
November 9, 2015 at 10:00 PM ·

A poem by Vakil Abdul Hamid Sahib in my voice


They live in pairs, mate for life ...
इक सारसों का काफिला शौके वतन दिल में लिए,
आज़ाद सब इफ़कार से,अठखेलियां करता हुआ
वापस था घर को जा रहा।
किस्मत का लिखा देखना,कोई शिकारी आ गया
उसने दिया घोड़ा दबा।
इक गूँज सी पैदा हुई,आवाज़ थी बन्दू क की
गोया कहीं बिजली गिरी,सारस हिरासाँ हो गए।
थे उस शिकारी के मगर,किस्मत में लिखे दो ही पर
सारस गए परवाज़ कर।
ये सुन के सारस ने कहा,ऐ सारसों ये क्या हुआ?
सबने कहा हम बच गए,पर एक बोली उफ़ मरी,
दो पर उसी के थे गिरे ।
देखा जो ऐसा माजरा,सरताज ने उस से कहा,
ऐ जानेमन आरामे जाँ, राहते दिल अस्मत की काँ,
क्या कर चुकी बे खानामां,कु छ तो बयाने हाल कर,
इक आह ली और यूँ कहा,बाज़ू गिरा ज़ख़्मी हुआ,
हालत मेरी अबतर हुई, लेना वगरना मैं गिरी।
अच्छा ना मेरा ग़म करो, मुझ को खुदा पर छोड़ दो,
बच्चों की हां लेना खबर...
आह सारस ने कहा, की उम्र तो बाहम बसर,
क्या अब अके ली छोड़ दूं, आतिशे फु रकत में जलूं,
सदमे जुदाई के सहूं, मुझसे तो ये होता नहीं,
बेदिल भी जीता है कहीं...
बच्चे संभालेगा ख़ुदा, बेहरे ख़ुदा हां मान जा।
जाऊं कहां तू ही बता, तुझ को अके ली छोड़ कर...
बोली ना होगा ये कभी, होनी थी जो वो हो चुकी।
तेरे रहे ये कब टली...
फिर मुफ़्त तुम क्यों जान दो, कु रबान जाऊं मान लो।
तुम को मेरे सर की कसम, आपस में उल्फत की कसम
हां प्यारे बच्चों की कसम, तुम को तुम्हारी ही कसम
तुम जाओ घर को लौट कर, लाज़िम है बच्चों की ख़बर
इतना कहा और गिर पड़ी, बेपर की जैसे तीतरी
कु म्हलाई सी या इक कली, या यूं कहो कोई परी
रौंदी हुई दरबार की, पर नोच कर फैं की गई।
ऐसे ही वो सारस की जां, उतरी ना जाने थी कहां
गो वो था इक जोगी का घर...
जोगी था हर जपने लगा, देखा जो कु छ गिरते हुए
फिर दिल बढ़ा आगे बढ़ा, आई नज़र ये नीम जां
बस प्यार से लिया उठा, सीने लगा कर यूं कहा
सब को ख़ुदा का आसरा, आख़िर ये रिश्ता चाह का
इंसान हो या जानवर, रखता है जादू का असर।
की लाख जोगी ने दवा, लेकिन ना साबत पर हुआ
आख़िर सहारा सब्र का, इसके सिवा चारा था क्या
दिल को है दिल से वास्ता...
ऐसे ही मुद्दत हो गई, जोगी के घर रहने लगी।
लेकिन कड़ी ये जान की, कमबख्त जीती ही रही
दिल में मगर कहती यही...
आक़ा मेरे मौला मेरे , या पंख या दिलबर मिले।
वो दिन मेरे तू फे र दे, वो शादियां वो मशगले।
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फिर जाऊं घर को लौट कर, लाज़िम है बच्चों की ख़बर...


ऐसे ही मुद्दत हो गयी, रुत भी बदलने को हुई
गोया अभी तक आस थी, शायद पुराना काफ़िला
मौसम पे आये लौट कर...
इक रोज़ फिर इक काफ़िला, देखा कहीं जाता हुआ
चिल्ला के उसने यूं कहा, गोया कि हिल जाए ज़मीं
ऐ सारसों कह दो यहीं, तुम में तो मेरा दिल नहीं,
या तुमने देखा हो कहीं...
कहना उसे वो खास तन वो नीम जां, पहलु में जिसके
तुम निहां, पामाल है मिस्ले ख़िज़ां...
रोती है अज़ शब ता सहर, बैठी है तेरी मुंतज़र...
ये सुन के सारा काफ़िला, चक्कर वहीँ लेने लगा।
फिर उनसे इक सारस हटा, पहले रहा कु छ सोचता
फिर जाने दिल में आई क्या, उड़ता हुआ गिरता हुआ
क़दमों में उसके आ गिरा...
बोला मेरी किस्मत फिरी, मुझको मेरी प्यारी मिली...
ये कह के आपस में गले,ऐसे मिले ऐसे मिले
गोया वो दोनों एक थे, पत्थर के जैसे बुत नए
चीनी के या कोई कहे...
जोगी खड़ा हैरान था, उनको अलग करने लगा,
देखा तो थे इक मुश्ते पर...
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Neelima Tikku
वाह! बहुत खूब!
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Mridula Garg
शुक्रिया शुक्रिया शुक्रिया शुक्रिया।और क्या कहूं। बस बार बार शुक्रिया।दिल खुश और गमगीन दोनों कर दिए। इससे
ज़्यादा क्या चाह सकता है इंसान। पढ़वाया ही नहीं सुना भी दिया। अपनी हसीन आवाज़ में।मरहबा। ख़ुदा आपको हर
ख़ुशी बख्शे। 3

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RJ's Reveries
Mridula Garg
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Shantanu Tayal
can you please send me the text of this poem 1

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RJ's Reveries
Shantanu Tayal
It is already there
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Jitender Kumar Jangid


The conduction of the hesrt 1

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Hariom Singhal
आप की जादुई आवाज मन मोह लेती हे . 1

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RJ's Reveries
जी शुक्रिया
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Hariom Singhal
हाल दिल का तुम्हे सुनते अगर तुम पास होते,
अश्क तुम्हारे साथ बहते अगर तुम पास होते,
चाँदी रात की उन हसीन मुलाक़ातो को,
फिर से एक बार दोहराते अगर तुम पास होते . 1

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