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9/1/2018 अहद नामा ( त ा प )

अहद नामा ( त ा प )
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इस द ता वेज़ को मा लके अशतर नखई रहमतु लाह के लये तहर र फरमाया। जब क मोह मद इबने अबी बकर के हालात बगड़
जाने पर उ ह म और उस के अतराफ़ क हुकूमत सपद ु क । यह सब से तवील अहद नामा और अमी ल मो मनीन (अ0 स0) क
तौ कआत म सब से िज़यादा महा सन पर मश
ु त मल है ः

बस म लाह रहमा नरह म

यह है वह फरमान िजस पर कारब द रहने का हु म दया है खद


ु ा के ब दे अल अमी ल मो मनीन (अ0 स0) ने मा लक इबने हा रसे
अशतर को जब म का उ ह वालू बनाया ता क वह खराज़ जमअ कर, दश ु मन से लड़ रआया ( जा) क फलाहो बहदद
ू ( हत एवं
क याण) और शहर क आबाद का इि तज़ाम कर।

उ ह हु म (आदे श) है क अ लाह का खौफ़ (भय) कर। उस क इताअत (आ ा पालन) को मक ु स ( ाथ मक) समझ और िजन
फराइज़ (कत य ) व सन ु न (पर पराओं) का उस ने अपनी कताब (कुरआन) म हु म (आदे श) दया है उन का इि तबाअ (पालन) कर
क उ ह ं क पैरवी (अनसु रण) से सआदत (सौभा य) और उ ह ं के ठुकराने और बबाद (न ट) करने से बद ब ती (दभ ु ा य) दामन
गीर होता है । और यह क अपने द ल, अपने हाथ और अपनी ज़बान से अ लाह क नस ु रत (सहायता) म लगे रह। य क खद ु ाए
बज़
ु ग
ु व बरतर ने िज़ मा लया है क जो उस क नस ु रत (सहाता) करे गा, और जो उस क हमायत (समथन) के लये खड़ा होगा, वह
उसे इ ज़त व सर फराज़ी ब शेगा।

इस के अलावा उ ह हु म है क वह न सानी वा हश के व त अपने न स को कंु चल और उस क मंह ु ज़ो रय के व त उसे रोक,


य क न स बरु ाइय ह क तरफ़ ले जाने वाला है , मगर यह क खद
ु ा का लु फो करम शा मले हाल हो।

ऐ मा लक! इस बात को जाने रहो क तु ह उन इलाक़ ( े ) क तरफ़ भेज रहा हूं क जहां तम ु से पहले आ दल ( याय य) और
ज़ा लम (अ यायी) कई हुकूमत (शासन) गुज़र चक ु ह, और लोग तु हारे तज़ अमल (काय णाल ) को उसी नज़र से दे खगे िजस
नज़र से तम ु अगले हु मरान (शासक ) क े बारे म कहते हो। यह याद रखो! क खद ु ा के नेक ब द का पता चलता है उसी नेक नामी
से जो उ ह ब दगाने खद ु ा म अ लाह ने दे रखी है । लहाज़ा (अ त)ु हर ज़खीरे (भ डार) से िज़यादा पस द तम ु ेह नेक अअमाल का
ज़खीरा (शभ ु कम का भ डार) होना चा हये तम ु अपनी वा हश पर क़ाबू रखो और जो मशा ग़ल तु हारे लये हलाल नह ं ह उन म
सफ़ करने स ◌ेअपने न स (आ मा) के साथ बु ल करो। य क मफस के साथ बु ल करना ह उस के हक़ को अदा करना है , चाहे
वह खद ु उसे पस द करे या ना पस द। रआया के लये अपने दल के अ दर र मो राफ़त और लु फो मह ु बत को जगह दो। उन के
लये फाड़ खाने वाला द र दा न बन जाओ क उ ह नगल जाना ग़नीमत समझते हो। इस लये क रआया म दो क म के लोग ह।
एक तो तु हारे द नी भाई, और दस ू रे तु हारे जैसी म लक ू े खद
ु ा। उन से लग़िज़श ( टयां) भी ह गी, खताओं (अपराध ) से भी उ ह
सा बक़ा पडेगा, और उन के हाथ से जान बझ ू कर या भल ू चक ू से ग़ल तयां भी होगी। तम ु उन से उसी तरह अ व व दर गुज़र ( मा
एवं दया) से काम लेना, िजस तरह अ लाह से अपने लये अ वो दरगज़ ु र को पस द करते हो। इस लये क तम ु उस पर हा कम हो
और तु हारे ऊपर तु हारा इमाम हा कम है । और िजस इमाम ने तु ह वाल बनाया है उस के ऊपर अ लाह है , और उस ने तम ु से उन
लोग के मआ ु मलात क अंजाम दे ह चाह है और उन के ज़र ए तु हार आज़माइश क है । और दे खो खबरदार अ लाह से मक ु ा बले
लये न उतरना, इस के ग़ज़ब के सामाने तम ु बे बस हो, और उस के अ व व रहमत से बे नयाज़ नह ं हो सकते। तु ह कसी को
मआ ु फ़ कर दे ने पर पछताना और सज़ा दे न े पर इतराना न चा हये। गु से म ज द बाज़ी से काम न लो, जब क उस के टाल दे ने क
गंुजाइश हो। कभी यह न कहना क म हा कम बनाया गया ह लहाज़ा मेरे हु म के आगे सरे त ल म खम होना चा हये, यो क यह
दल म फसाद पैदा करने, द न को कमज़ोर बनाने, और बब दय को क़र ब लाने का सबब है । और कभी हुकूमत क वजह से तम ु म
तम कनत या गु र पैदा हो तो अपने से बाला तर अ लाह के मु क क अज़मत को दे खो, और ख़याल करो क वह तम ु पर वह
कुदरत रखता है क तम ु ख द
ु अपने आप पर नह ं रखते। यह चीज़ त ु हार रऊनत व सर कशी को दबा दे ग ी और त ु हार त ग़
ु यानी को
रोक दे गी और तु हार खोई हुई अ ल को प टा दे गी।
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ख़बरदार! कभी अ लाह के साथ उस क अज़मत मे न टकराओ और उस क शान व जब त से मलने क को शश न करो, य क
अ लाह हर ज बार व सर कश को नीचा दखा दे ता है ।

अपनी ज़ात के बारे और अपने खास अज़ीज़ और रआया म से अपने दल पस द अफ़राद के मआ ु मले म हुकूकु लाह और
हुकूकु नास के मतु अि लक़ भी इ साफ़ करना। य क अगर तम ु ने ऐसा न कया तो ज़ा लम ठहरोगे। और जो खद ु ा के ब द पर
जु म करता है तो ब द के बजाय अ लाह उस का हर फ़ व दश ु मन बन जाता है , और िजस का वह हर फ़ व द श
ु मन हो उस का हर फ़
व दशु मन बन जाता है , और िजस का वह हर फ़ दश ु मन हो उस क हर दल ल को कुचल दे गा, और वह अ लाह क नेमत को स ब
करने वाल और उस क ऊकूबत को बल ु ावा दे ने वाल कोई चीज़ इस से बढ़ कर नह ं है क जु म पर बाक़ रहा जाये य क अ लाह
मज़लम ू क पक ु ार सन
ु ता है और ज़ा लमो के लए मौक़े का मु तिज़र रहता है ।

तु ह सब तर क़ो से िज़यादा यह तर का पस द होना चा हये जो हक़ के ए तबार से बेहतर न, इ साफ़ के लहाज़ से सब को शा मल


और रआया के िज़यादा से िज़यादा अफ़राद क मज़ के मत ु ा बक हो। य क अवाम नाराज़ागी खवास क रज़ाम द को बे असर
बना दे ती है , और खास क नाराज़गी अवाम क रज़ाम द के होते हुए नज़र अ दाज़ क जा सकती है । और यह याद रखो ! क रईयत
म खास से िज़यादा कोई ऐसा नह ं जो खश ु हाल के व त हा कम पर बोझ बनने वाला, मस ु ीबत के व त हमदाद से कतरा जाने
वाला, इ साफ़ पर नाक भ चढाने वाला, तलब व सवाल के मौके पर पंजे झाड़ कर पीछे पड़ जाने वाला, बि शश पर कम शु गज़ ु ार
होने वाला, मह म कर दये जाने पर बमिु कल उज़ सन ु ने वाला, और ज़माने क इ तलाओ पर बेसबर दखाने वाला हो और द न का
मज़बत ू सहारा मस ु लमान क कु वत और दश ु मन के मक़ ु ा बले म सामाने दफ़ाअ यह ं यह ं उ मत के अवाम होते है । लहाज़ा
तु हार परू तव जह और तु हारा परू ा ख उ ह ं क जा नब होना चा हये।

और तु हार रआया म सब से ज़यादा दरू और सब से िज़यादा तु ह नापस द वह होना चा हये, जो लोग क ऐब जई ू म िज़यादा
लगा रहता हो, य क लोग म ऐब तो होता ह ह, ह कम के लये इि तहाई शायान यह है क उन पर पदा ड़ाले। लहाज़ा जो ऐब
तु हार नज़र से ओझल ह उ ह न उछालना, य क तु हारा काम उ ह ं ऐब को मटाना क जो तु हारे ऊपर ज़ा हर ह । और जो
ढके छपे ह उन का फौसला अ लाह के हाथ है । इस लये जहां तक बन पड़े ऐब को छपाओ ता क अ लाह भी तु हारे उन उयोब क
पदा पोशी कर के छपए िज ह तमु रईयत से पोशीदा रखना चाहते हो। लोग से क ना क हर गरह को खोल दो और दश ु मनी क ह
र सी को काट दो, और हर ऐसे रवैये से जो तु हारे लये मन
ु ा सब नह ं बेखबर बन जाओ, और चग
ु ुल खोर क झट से हां म हां न
मलाओ, य क वह फ़रे ब कार होता है । अगरचे खैर वाह क सरू त म सामने आता है ।

अपने मश वरे म कसी बखील (कंजस ू ) को शर क न करना क वह तु ह दस ू र के साथ भलाई करने से रोकेगा, और फ़करो इफ़लास
का खतरा दखायेगा। और न कसी बज़ ु दल (कायर) से मु ह मात (अ भयान ) म मश वरा लेना क वह तु हार ह मत प त कर
दे गा, और न कसी लालची से मश वरा करना क वह ज़ु म क राह से माल बटोरने को तु हार नज़र से सज दे गा। याद रखो! क
बु ल बज़ ु दल और हस (कंजस ू ी, कायरता एवं लालसा) अगरचे अलग अलग खसलत (आदत) ह मगर अ लाह से बद गुमानी इन
सब म शर क है । तु हारे लये सब से बदतर वज़ीर (मं ी) वह होगा जो तम ु से पहले बद कदार (च र ह न ) का वज़ीर और गन ु ाह म
उन का शर क रह चक ु ा है । इस क म के लोग को तु हारे म सस ू ीन ( व श ट) जन ) म से न होना चा हये य क वह गुनाह गोर
के मआ ु वन (सहयोगी) और ज़ा लम के साथी होते ह। उन क जगह तु ह ऐसे लोग मल सकते ह जो तदबीर व राय और कारकदगी
के ए तबार से उन के म ल ह गे, मगर उन क तरह गुनाह क गरांबा रय म दबे हुए न ह गे। िज ह ने न कसी ज़ा लम क उस के
जु म म मदद क हो और न कसी गन ु ह गार का उस के गन
ु ाह म हाथ बटाया हो, उन का बोझ तम ु पर ह का होगा, और यह तु हारे
बे तर न मआ ु वन सा बत ह गे। और तु हार तरफ़ मह बत से झुकने वाले ह गे, और तु हारे अलावा दस ू रे से र त न रख गे। इ ह
को तम ु लवत व ज वत (एका त एवं सभा) म िज़यादा तज ह उन लोग को होना चा हये क हक़ क कड़वी बात तम ु से खलु कर
कहने वाले ह , और उन चीज़ म, क िज ह अ लाह अपने म सस ू ब द के लये नापस द करता है तु गार हगुत कम नदद करने
वाले ह .... चाहे वह तु हार वा हश (इ छाओ) से कतनी मेल खाती ह । पहज़हार और रा त बाज़ (संयमी एवं स चे लोग ) से
अपने को वाब ता (संल ) रखना। फर उ ह इस का आद बनाना क वह तु हरे कसी कारनामे के बगैर तु हार तअर फ़ कर के
तु ह खश ु न कर य क िज़यादा म ह सराई ( शंसा) गु र पैदा करती है , और सरकशी ( व ोह) क मंिजल से क़र ब कर दे ती है ।
और तु हरे नज़द क नेकूकार (स जन) और बद कदार (दज ु न) दोन बराबर न ह । इस लये क ऐसा करने से नेक को नेक से बे
रग़बत करना और बद को बद पर परू ा ए तमाद (भरोसा) उसी व त करना चा हये जब क वह उन से हु ने सल ु क
ू (सद यवहार)
करता है , और उन पर बोझ न लादे , और उ ह ऐसा ना गवार चीज़ पर मजबरू न करे जो उन के बस म न ह । तु ह ऐसा रवैया
इि तयार करना चा हये क इस हु ने सल ु क
ू से तु ह रईयत ( जा) पर परू ा ए तमाद हो सके। य क यह ए तमाद तु हार तवील
अ द नी उलझन को ख म तर दे गा और सब से िजयादा तु हारे ए तमाद के वह मु तहक़ ह िजन के साथ तम ु ने अ छा सल ु क

कया हो, और सब से िज़यादा बे ए तमाद के मु तहक़ वह ह क िजन से तु हारा बरताव अ छा न रहा हो।

और दे खो अ छे तौर तर के को ख म न करना क िजस पर इस उ मत के बज ु ग


ु चलते रहे ह और िजस से इि तहाद व यक जेहती
(संगठन एवं एकता) पैदा और रईयत क इ लाह हुई है । और ऐसे तर के ईजाद न करना क जो पहले तर क को ज़रर पहुंचाय। अगर
ऐसा कया तो नेक र वश के कायम कर जाने वाल को तो सवाब मलता रहे गा मगर उ हे ख म कर दे ने का गुनाह तु हार गदन पर

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होगा, और अपने शहर के इ लाह उमरू (सध ु ार संब धी काय ) को मु तहकम (सु ढ़) करने और उन चीज़ के कायम करने म क
िजन से अगले लोग के हालात मज़बत
ू रहे थे उलमा व हुकमा ( ा नय एवं वघान ) के साथ बाहमी मश वरे और बात चीत करते
रहना।

और तु ह मअलम ू होना चा हये क रआया म कई तबके (वग) होते ह। िजन क सद ू व बहबदू एक दस ू रे से बे नयाज़ नह ं हो सकते।
इन म से एक तबका वह है जो अ लाह क राह म काम आने वाले फौिजय का है । दस ू रा तबका वह है जो उमम ू ी व खस
ु स
ू ी तहर र का
काम अंजाम दे ता है । तीसरे इ साफ करने वाले कुज़ात ( याया धश ) का है । चौथा हुकूमत के वह उ माल (कमचार ) ह िजन से
अ न और इ साफ कायम होता है । पांचव खराज (कर) दे ने वाले मस ु लमान और िजज़मा दे ने वाले िज़ि मय का, छटा तजारत
पेशा व अहले हफा ( यावसा यय एवं श पकार ) कार, सातवां फुकूरा व मसाक न ( म ुक एवं द र ) का वह तबका है जो सब से
प त ( नकृ ट) है , और अ लाह ने हर एक का हक मअ ु यन ( नधा रत) कर दया है । और अपनी कताब या सु नते नबवी म उस
क हद ब द कर द और यह मक ु मल द तरू हमारे पास महफूज़ है ।

पहला तकवा फौजी द ते....यह बहु मे खद ु ा रईयत (जनता) क हफाज़त का कला, फरमां रवाओं (शासक ) क ज़ीनत (शोभा) द नो
मजहूब क कु वत, और अ न (शाि त) क राह है । रईयत को न मो नसक इ ह ं से कायम रह सकता है , और फौज क िज़ दगी का
सहारा वह खराज (कर) है जो अ लाह ने उस के लये मअ ु यन ( नधा रत) कया है िजस से वह दश ु मन से िजहाद करने म
तक वयत हा सल करते ह, और अपनी हालत को द ु त बनाते ह, और ज़ रयात को बहम पहुंचाते ह। फर इन दोन तबक़ के
नज़मो बका के लये तीसरे तबक़े क ज़ रत है क जो कुजात उ माल और मंु शयाने दफा तर का है , िजस के ज़र ए बाहमी मआ ु हद
क मज़बत ू ी और खराज और द गर मन ु ाफा क जमअ आवर होती है और मअमल ू और गैर मअमल ू मआ ु मल म उन के ज़र ए
वस ु ू क व इि मनान हा सल कया जाता है , और सब का दारो मदार सौदागर और स ाओं ( श पकार ) पर है क वह उन क
ज़ र यात को फराहम करते ह, बाज़ार लगाते ह और अपनी का वश ( यास ) से उन क ज़ र यात मह ु ै या कर के उ ह खद ु महु ै या
करने से आसद ू ा कर दे ते ह। उस के बाद फर फक र और नादार का तबका है , िजन क इनाअत व द तगीर ज़ र है । अ लाह
तआला ने इन सब के गुज़ारे क सरू त पैदा कर रखी ह, और हर तबके का हा कम पर हक़ है , क वह उन के लये इतना मह ु ै या करे जो
उन क हालत द ु त कर सके। और हा कम खद ु ा के उन तमाम ज़ र हक ू क से ओहदा बर आ नह ं सकता, मगर इसी सरू त म क
परू तरह को शश करे और अ लाह से मदद मांगे, फर अपने हक़ को सा बत व बकरार रखे, चाहे उस क तबीअत पर आसान हो या
दश ु वार (सरल हो अथवा क ठन) उसे बदाशत करे । फौज का सरदार उसे बनान, जो अपने अ लाह का और अपने रसल ू का और
तु हारे इमाम का सब से िज़यादा खैर वाह (शभ ु च तक) हो, सब से िज़यादा पाक दामन हो, और बद ु बार म नम ु ायां हो, जलद
गु से म न आता हो, कमज़ोर पर रहम खाता हो, और ताकतवर के सामने अकड़ जाता हो, न बद खई ू उसे जोश म ले आती हो, और
न प त ह मती उसे बठा दे ती हो। फर ऐसा होना चा हये क तम ु बल द खानदान, नेक घराने, और उ दा रवायात ( व थ
पर पराओं) रखने वाल और ह मत व शज ु ाअत और जद ू व सखावत के मा लक से अपना र त ज़ त बढ़ाओ य क यह लोग
बज़ ु गु य का सरमाया और ने कय का सर चशमा होते ह। फर उन के हालात क इस तरह दे ख भाल करना िजस तरह मां बाप
अपनी औलाद क दे ख भाल करते ह। अगर उन के साथ कोई ऐसा सलक ू करो जो उन क तकवीयत का सबब हो, तो उसे बड़ा न
समझना और अपने कसी मअमल ू सलक ू को भी गैर अहम न समझ लेना य क इस हु े सल ु कू से उन क खैर वाह का जज़बा
इभरे गा और हु े ए तमाद का इज़ाफा होगा और इस खयाल से क तम ु ने उस क बड़ी ज़ रत को परू ा कर दया है कह ं उन क
छोट ज़ रत से आँख ब द न कर लेना, य क यह छोट क म क मेहरबानी क बात भी अपनी जगह फायदा ब श होती है , और
यह बड़ी ज़ रत अपनी जगह अह मयत रखती ह, और फौजी सरदार म तु हारे यहां बल द मंिज़लत (उ च त रय) समझा जाय,
जो फौिजय क ईआनत म बराबर का ह सा लेता हो, और अपने पये पैसे से इतना सलक ू करता हो क िजस से उन का और उन के
पीछे रह जाने वाले बाल ब च का बखब ू ी गुज़ारा हो सकता हो ता क वह सार फ ( च ताओं) से बे फ ( नश च त) हो कर परू
यकसई ू के साथ दश ु मन से िजहाद कर। इस लये क फौजी सरदार के साथ तु हारा मेहरबानी के साथ पेश आना उन के दल म
तु हार तरफ़ मोड दे गा।

हुकमरान (शासक ) के लये सब से बड़ी आँख क ठं डक इस म है क शहर म अदलो इ साफ़ (शाि त यव था) बरक़रार रहे , और
रआया क मह बत ज़ा हर होती रहे । और उन क मोह बत उसी व त ज़ा हर हुआ करती है क जब उन के दल म मैल न हो, और
उन क खैर वाह उसी सरू त म सा बत होती है क वह अपने हुकमरान के गद हफाज़त के लये घेरा डाले रह, उन का इक तदार
(स ता) सप पड़ा बोझ न समझ और उन क हुकूमत के खा तम के लये घ ड़यां गन। लहाज़ा उन क उ मीद म वस ु अत व
कुशाइश रखना, उ ह अ छे ल ज़ से सराहते रहना और उन क अ छ कारकदगी दखाने वाल के कारनाम का तज़ करा करते
रहना, इस लये क उन के अ छे कारनाम के िज़ बह दरू को जोश म ले आता है और प त ह मत को अभारता है , इंषाअ लाह।
जो श स िजस कारनामे को अंजाम दे उसे पहचानते रहना और एक का कारनामा दस ू रे क तरफ़ मंसब
ू न कर दे ना, और उस क
हु े कार कदगी का सला दे ने म कमी न करना, और कभी ऐसा न करना क कसी श स क बल द व रफअत क वजह से उस के
मअमल ू काम को बड़ा समझ लो और कसीबड़े काम को उस के खद ु प त होने क वजह से मअमलू क़रार दे लो।

जब ऐसी मशु कल तु ह पेश आय क िजन का हल न हो सके और ऐसे मआु मलात क जो मश ु तबह हो जाय तो उन म अ लाह और
रसल
ू (स0) क तरफ़ ज उ
ू करो य क खदु ा ने िजन लोग को हदायत करना चाह है उन के लये फरमाया है ः----

ऐ ईमानदारो अ लाह क इताअत करो और उस के रसल


ू (स0) क और जो तम
ु म से सा हबाने अ ह।

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तो अ लाह क तरफ़ जउू करने का मतलब यह है क आप के उन मु त फक इलैह इशादात (सवमा य कथन ) पर अमल कया जाए
िजन म कोई इख तलाफ़ (मतभेद) नह ं।

फर यह क लोग के मआ ु मलात का फैसला करने के लये ऐसे श स को मु तखब करो जो तु हारे नज़द क तु हार रआया म सब
से बेहर हो, जो वा कयात क पेचीद गय से ज़ीक म न पड़ जाता हो, और न झगड़ा करने वाल के रवैये से गु से म आता हो, और न
अपने कसी गलत नु तए नज़र ( ि टकोण) पर अड़ता हो, और न हक़ को पहचान कर उसके इख तयार करने म तबीअत पर बार
महसस ू करता हो, और न उस का न स ज़ाती तमअ (आ मा यि तगत लाभ) पर झुक पड़ता हो, और न परू तरह बगैर छान बीन
कये हुए सरसर तौर पर कसी मआ ु मले को समझ लेने पर इक तफा करता हो। शक व शु हा के मौक़े पर क़दम रोक लेता हो और
दल लो हु जत को सब से िज़यादा अह मयत दे ता हो। फर कैन क बहसा बहसी से उ ता न जाता हो, मआ ु मलात क तहक़ क म बड़े
स व ज त से काम लेता हो और जब हक कत आईना हो जाती हो तो बे धडक फैसला कर दे ता हो। वह ऐसा हो िजसे सराहना मग र
(घम डी) न बनाये, और तम ना जंबादार (प पात) पर आमादा न कर दे । अगर चे ऐसे लोग कम ह मलते ह। फर यह क तम ु
खदु उन के फैसले का बार बार जायज़ा लेते रहना। दल खोल कर उ ह इतना दे ना क जो उन के हर उ को गैर मसमउ ू बना दे और
लोग क इ ह कोई एह तयाज न रहे । अपने यहां उ ह ऐसे बाइ ज़त मतबे पर रखो क तु हारे दरबार रस लोग उ ह ज़रर पहुंचाने
का कोई याल कर सक ता क वह तु हारे इल तफात क वजह से लोग क सािज़श से महफूज़ रह। इस बारे म इि तहाई बा लग
नज़र से काम लेना य क यह द न बद कदाप के पंजे म असीर रह चक ु ा है । िजस म न सानी वा हश क कार फरमाई थी और
उसे द ु नया तलबी का एर ज़र आ बना लया गया है ।

फर अपने ओहदे दार के बारे म नज़र रखना, उन से खब ू आज़माइश के बाद मंसब दे ना। कभी सफ़ रआयत और जा नबदार क
बनी पर उ ह मंसब अता न करना इस लये क यह बाते ना इनसाफ और बे ईमाना का सर च मा ह, और ऐसे लोग को मु तखब
करना जो आज़मद ू ा और गैरत म द ह । ऐसे खानदान म से जो अ छे ह , और िजन क खदमत इसलाम के सल सले म पहले से
हो। य क ऐसे लोग बल द इखलाक और बेदाग इ ज़त वाले होते ह। हस व तमअ क तरफ़ कम झुकते ह और अवा कब और
नताइज पर िजयादा नज़र रखते हष फर उन क त खवाह का मअयार बल ु द रखना य क इस से उ ह अपने नफूस के द ु त
रखने म मदद मलेगी, और उस माल से बे नयाज़ रहगे जो उन के हाथ म बतौरे अमानत होगा। इस के बाद भी वह तु हारे हु म क
खलाफ़ वज़ कर या अमानत म रखना अ दाज़ी कर तो तु हार हु जत उन पर कायम होगी। फर उन के काम को दे खते भालते
रहना और स चे और वफादार मख ु बर को उन पर छोड़ दे नाष य क खु फया तौर पर उन के उमरू क नगरानी उ ह अमानत के
बरतने और रईयत के साथ नम रवैया रखने के बाइस होगी। खायन मददगार से अपना बचाव करते रहना। अगर उन म से कोई
खयानत क तरफ़ हाथ बढ़ाए और मु त फका तौर पर जासस ू क इि तलाआत तम ु तक पहुंच जाय तो शहादत के लये उसे काफ
समझना। उसे िज मानी तौर पर सज़ा दे ना और जो कुछ उस ने अपने ओहदे से फायदा उठाते हुए समेटा है उसे वापस लेना और उसे
िज़ लत क मंिज़लत म खड़ा कर दे ना, और खयानत क सवाईय के साथ उसे शनास कराना और नंग सवाई का तौक़ उस के
गले म डाल दे ना।

माल गुज़ार के मआ ु मले म मालगुज़ार अदा करने वाल का मफाद पेशे नज़र रखना य क बाज़ और बाज़गुज़ार क बदौलत ह
दसू र के हालात द ु त कया जा सकते ह। सब इसी खराज और खराज़ दे ने वाल के सहारे पर जीते ह। और खराज क जमअ
आवर से िज़यादा ज़मीन क आबाद का याल रखना, य क खराज भी तो ज़मीन क आबाद ह से हा सल हो सकता है , और जो
आबाद कये बगैर खराज चाहता है वह मु क क बबाद औरबंदगाने खद ु ा क तबाह का सामना करता है और उस क हुकूमत थोड़े
दन से िज़यादा नह ं रह सकती।

अब अगर वह खराज क गरांबार या कसी आफते नागहानी या नहर व बारानी इलाक म ज़राए आब पाशी के ख म होने या
ज़मीन के सैलाब म घर जाने या सेराबी न होने के बाइस उस के तबाह होने क शइकायत कर तो खराज म इतनी कमी कर दो िजस
से तु ह उन के हालात के सध ु रने क तव को हो, और उन के बोझ को ह का करने से तु ह गरानी न महसस ू हो। य क उ ह
ज़ेरबार से बचाना एक ऐसा ज़खीरा है क जो तु हारे मु क क आबाद औऱ तु हार क़लमरवे हुकूमत क ज़ेब व ज़ीनत है अदल
कायम करने क वजह से मसरत बे पांया भी हा सल कर सकोगे, और अपने इस हु ने सल ु क
ू क वजह से क िजस का ज़खीरा तम ु ने
उन के पास रख दया है तम ु उन क कु वत के बलबत ू े पर भरोसा कर सकोगे और रहमो राफ़त के िजलौ म िजस सीरते आ दलाना
का तमु ने उ ह खगू र बनाया है , इस के सबब से त ु उन पर वस
ह ु क
ू व ए तमाद हो सकेगा। इस के बाद मिु कन है क ऐसे हालात भी
पेश आय क िजन म तु ह उन पर ए तमाद करने क ज़ रत हो तो वह उ ह बतीबे खातीर झेल ले जायगे य क मु क आबाद है
तो जौसा बोझ उस पर लादोगे, वह उठा लेगा। और ज़मीन क तबाह तो इस से आती है क का तकार के हाथ तंग हो जाय और उन
क तंगद ती इस वजह से होती है क हु काम माल व दौलत समेटने पर तल ु जाते ह और उ ह अपने इक तदार के ख म होने का
खटका लगा रहता है और इ त से बहुत कम फ़ायदा उठाना चाहते ह

फर यह क अपने मंु शयाने दफा तर क अह मीयत पर नज़र रखना अपने मआ ु मलात उन के सपद ु करना जो उन म बेहतर हग ।
और अपने उन फरामीन को िजन म मखफ तदाबीर और मम लकत के मज़ ू व असरार दज होते ह खस ु ू सयात के साथ उन के
हवाले करना जो सब से अ छे अखलाक़ के मा लक़ ह । िज ह एज़ाज़ हा सल होना सकश न बनाये क वह भार मह फल म तु हारे
खलाफ़ कुछ कहने क जरु अत करने लग। और ऐसे बे पवा न हो क लेन दे न के बारे म जो तम
ु से मतु अि लक ह तु हारे का र द
के खततू तु हारे सामने पेश करने और उन के मन
ु ा सब जवाबात रवाना करने म कोताह करते ह , और वह तु हारे हक़ म जो

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9/1/2018 अहद नामा ( त ा प )
मआ
ु हदा कर उस म कोई खामी न रहने द। और न तु हारे खलाफ़ कसी साज़ बाज़ का तोड करने म कमज़ोर दखाय, और वह
मआु मलात म अपने सह मतबे और मकाम से ना आशना न ह । य क जो अपना सह मकाम नह ं पहचानता वह दस ू र के कदरो
मकाम से और भी ना वा कफ़ होगा। फर यह क उन का इि तखाब तु ह अपनी फरासत, खश
ु एतमाद , और हु े ज़न क बना पर
करना चा हय, य क लोग तस और हु े खदमात के ज़र ए हुकमरान क नज़र म समा कर तआ फ़ का राह नकाल लया
करते ह। हालां क उन म ज़रा भी खैर वाहह और अमानत दार का ज बा नह ं होता।

ले कन तमु उ ह इन खदमात से परखो जो तमु से पहले वह नेक हा कम के मानहत रह कर अंजाम दे चक ु े ह , तो जो अवाम म नेक
नाम और अमानत दार के एतबार से ज़यादा मशहूर ह उन क तरफ़ खस ु ू सयात के साथ तव जोह करो। इस लये क ऐसा करना
इस क दल ल होगा क तम ु अ लाह के मख
ु लस और अपने इमाम के खैर वाह हो। तु ह मह ु कमए तहर र ( ल प वभाग) के हर
शोबे ( येक सं भाग) पर एक एक अफसर मक ु रर करना चा हये , जो उस शोबे के बड़े से बड़े काम से आिजज़ न ह , और काम क
ज़यादती से बौखला न उठे । याद रखो। क इन मंु शय म जो ऐब होगा, और तम ु उन से आँख ब द रखोगे, उस क िज़ मेदार तम ु
पर होगी।

फर तु ह तािजरो और स ाओं ( यापा रय एवं उधोगप तय ) के याल और उन के साथ अ छे बताव क हदायत क जाती है , और
त ु ह दस ू र को उन के मत ु अि लक हदायत करना है । वाह वह एक जगह रह कर यापार करने वाले ह या फेर लगा कर बेचने
वाले ह , या िज मी मश कत मज़दरू या द तकार ( श प) से कमाने वाले ह , य क यह लोग मन ु ाफ़ा का सर च मा और
ज़ रयात के मह ु ै या करने का ज़र या होते ह। यह लोग ज़ रयाक क खश ु कय , त रय मैदान इलाक़ और पहाड़ , ऐसे दस ू
उफतादा मक़ामात से दरआमद (आयात) करते ह, और ऐसी जगह से जहां लोग पहुंच नह ं सकते और न वहां जाने क ह मत कर
सकते ह। यह लोग अ न पसंद और सु ह जू होते ह। इन से कसी फसाद और शो रस का अंदेशा नह ं होता। यह लोग तु हारे सामने
ह या जहां जहां दस ू रे शहर म फैले हुए ह । तम ु उन क थबर गीर करते रहना। हां इस के साथ यह भी याद रखो क उन म ऐसे भी
होते ह जो इि तहाई तंग नज़र और बड़े कंजस ू होते ह जो नफअ अंदोज़ी के लये माल रोक रखते ह और ऊंचे नख मक ु रर कर लेते ह।
यह चीज़ अवाम के लये नु सान दे ह और हु काम क बद नामी का बाइस होती है । लहाज़ा ज़खीरा अ दोज़ी से मना करना, य क
रसल ू ु लाह (स0) ने इस से मम ु ा नअत फरमाई है , और खर द व फरे त सह ह तराज़ओ ु ं और मन ु ा सब नख के साथ बसहूलत होना
चा हये, क न बेचने वाले को नु सान हो और न खर दने वाले को खसारा (घाटा) हो। इस के बाद भी कोई ज़खीरा अंदोज़ी के जम ु का
मत ु कब हो तो उसे मन ु ा सब हद तक सज़ा दे ना। फर खस ु ू सयात के साथ अ लाह का खौफ़ करना। पसमांदा व उ तादा तबके
( पछड़े एवं द लत वग) के बारे म िजन का कोई सहारा नह ं होता....वह मस कन मह ु ताज और फक र का तबका है । उन म कुछ तो
हाथ फैला कर मांगने वाले होते ह, और कुछ क सरू त सवाल होती है , अ लाह क था तर उन बेकस के बारे म उस के उस हक़ क
हफाज़त करना िजस का उसने तु ह िज़ मेदार बनाया है । उन के लये एक ह सा बैतल ु माल से मअ ु य ्.न कर दे ना, और एक ह सा
हर शहर के उस मह ु ले म से दे ना जो इसलामी गनीमत ज़मीन से हा सल हुआ हो। य क उस म दरू वाल का उतना ह ह सा है
िजतना नज़द क वाल का। और तम ु उन सब के हकूक क नगहदाशत (दे ख भाल) के िज़ मेदार बनाये गए हो। लहाज़ा तु ह दौलत
क सर म ती गा फल न कर दे । य क कसी मअमल ू बात को इस लये नज़र अंदाज़ नह ं कया जायेगा क तम ु ने बहुत से अहम
काम को परू ा कर दया है । लहाज़ा अपनी तव जह उन से न हटाना, और न तक बरु (अहं कार) के साथ उन क तरफ़ से अपना ख
फेरना और खस ु ू सयात के साथ खबर रखो ऐसे अफराद क जो तम ु तक नह ं पहुंच सकते िज ह दे खने से आँख कराहत करती ह गी,
और लोग उ ह हकारत से ठुकराते ह गे। तम ु उन के लये अपने कसी भरोसे के आदमी को जो खौफे खद ु ा रखने वाला और
मत ु वाज़े ह हो, म क
ु रर कर दे न ा क वह उन के हालात त म
ु तक पह ु ं च ाता रहे । फर उन क े साथ वह तज़ अमल इख तयार करना िजस
से कयामत के द न अ लाह के सामने हु जत पेश कर सको, य क रईयत म दस ू र से िज़यादा यह इ साफ़ के मोहताज ह, और यंू
तो सब ह ऐसे ह क तु ह उन के हकूक से उहदा बरआ हो कर अ लाह के सामने सख ु ु होना है । और दे खो य तम और साल खद ु ा
बढ़ु का याल रखना क जो न कोई सहारा रखते ह और न सवाल के लये उठते ह। और यह वह काम है जो हम पर गरां गुज़रता है ।
हां खद ु ा उन लोग के लये जो उ बा के तलबगार रहते ह उस क गरा नय को ह का कर दे ता है वह उसे अपनी ज़ात पर झेल ले जाते
ह और अ लाह ने जो उन से वअदा कया है उस क स चाई पर भरोसा रखते ह।

और तम ु अपने औक़ात (समय) का एक ह सा हाजत म द के लये मअ ु यन ( नि चत) कर दे ना, िजन म सब काम छोड़ कर उ ह ं
के लये मखसस ू हो जाना और उन के लये एक आम दरबार करना, और उस म अपने पैदा करने वाले अ लाह के लये तवाज़ो व
इ केसार से काम लेना, और फौजीय , नगहबान , और पु लस वाल को हटा दे ना ता क कहने वाले बे धडक कह सक। य क म ने
रसलू ु लाह (स0) को कई मौके पर फरमाते हुए सन
ु ा है क, उस कौम म पाक ज़गी नह ं आ सकती िजस म कमज़ोर को खल ु कर
ताकतवर से हक़ नह ं दलाया जाता। फर यह क अगर उन के तेवर बगड़ या साफ साफ मतलब न कह सक तो उसे बदाशत करना
और तंग दल और नखवत को उन के मक ु ाबले म पास न आने दे ना। इस क वजह से अ लाह तम ु पर अपनी रहमत के दामन को
फैला दे गा, और अपनी फरमां बरदार का तु ह अ ज़ र दे गा। और जो हु े सलक ू करना इस तरह क चेहरे पर शकन न आए,
और न दे ना तो अ छे तर के से उ वाह कर लेना।

फर कुछ उमरू ऐसे ह क िज ह खद ु तमु ह को अंजाम दे ना चा हये, उन म से एक हु काम के उन मरु ासलात (प ) का जवाब दे ना
है जो तु हारे मंु शय के बस म न हो, और एक लोग क हाजत, जब तु हारे सामने पेश ह या तु हारे अमले के अकान उन से जी
चरु ाय तो खदु उ ह अंजाम दे ना है । रोज़ का काम उसी रोज़ ख म कर दया करो, य क हर दन अपने ह काम के लये मखसस ू

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9/1/2018 अहद नामा ( त ा प )
होता है , और अपने औकात का बेहतर व अफज़ल ह सा अ लाह क इबादत के लये खास कर दे ना। अगरचे यह तमाम काम भी
अ लाह ह के लये ह जब नयत बखैर हो और उन के लये रईयत क खश
ु हाल हो।

उन मखसस ू अशगाल म से क िजन के साथ तम ु खल ु सू के साथ अ लाह के लये अपने द नी फर ज़ को अदा करते हो उन वािजबात
क अंजाम दे ह होनी चा हये जो उस ज़ात से मखसस ू है । तम
ु शबो रोज़ के अवकात म अपनी िज मानी ताकत का कुछ ह सा
अ लाह के सपद ु कर दो, और जो इबादत भी तक बे इलाह क गरज़ से बजा लाना ऐसी हो क न उस म कोई खलल हो, और न
कोई न स, चाहे उस म तु ह कतनी िज मानी मेहनत उठाना पड़े। और दे खो जब लोग को नमाज़ पढ़ाना तो ऐसी नह ं क तल ू दे
कर लोग को बेज़ार कर दो, और न ऐसी मु तसर क नमाज़ बबाद हो जाए। इस लये क नमािज़य म बीमार भी होते ह और ऐसे भी
क िज ह कोई ज़ रत दर पेश है । चनु ांचे जब मझ ु े रसल ू ु लाह (स0) ने यमन क तरफ़ रवाना कया तो म ने आप से दया त कया
क म उ ह नमाज़ कस तरह पढ़ाऊँ। तो फरमाया क जैसी उन म सब से िज़यादा कमज़ोर व नातवां क नमाज़ हो सकती है , और
तु ह मो मन के हाल पर मेहरबान होना चा हये।

इस के बाद यह याल रहे क रआया से बहुत दन तक पोशी इख तयार न करना, य क हुकमरान का रआया से छुप कर
रहना एक तरह क तंग दल और मआ ु मलात से बेखबर रहने का सबब है । और यह पोशी उ ह भी उन उमरू पर मु तला होने से
रोकती है िजन से वह ना वा कफ़ ह। िजस क वजह से बड़ी चीज़ उन क नज़र से छोट चीज़ बड़ी, अ छाई बरु ाई और बरु ाई अ छाई
हो जाया करती है । और हक़ बा तल के साथ मल जल ु जाया करता है । और हुकमरान भी आखीर ऐसा ह बशर होता है जो नावा कफ़
रहे गा उन मआ
ु मलात से जो लोग उस से पो शदा ( छपा कर) कर। और हक़ क पेशानी पर कोऊ नशान नह ं हुआ करते क िजस के
ज़र ए झूठ क क म को अलग कर के पहचान लया जाए। और फर तम ु दो ह तरह के आदमी हो सकते हो, या तो तमु ऐसे हो क
तु हारा न स हक़ कती अदायगी के लये आमादा हो, तो फर वािजब हकूक अदा करने और अ छे काम कर गज़ ु रने से मंह
ु छपाने
क ज़ रत या। और या तम ु ऐसे हो क लोग को तम ु से कोरा जवाब ह मलना है , तो जब लोग तु हार अता (दान) से मायस ू हो
जायगे तो खद ु ह बहुत ज द तमु से मांगना छोड़ दगे, और फर यह क लोग क अकसर ज़ रत ऐसी ह गी िजन से तु हार जेब पर
कोई बार नह ं पड़ता। जैसे कसी के ज़ु म क शकायत या कसी मआ ु मले म इ साफ़ का मत ु ालबा।

इस के बाद मअलम ू होना चा हये क हु काम (अ धका रय ) के कुछ खास और सर चढ़े लोग हुआ करते ह िजन म खद ु गज़ू द त
दराज़ी और बद मआ ु मलगी हुआ करती है । तमु को इन हालात के पैदा होने क वजु ह
ू को ख म कर के उस गंदे मवाद को ख म कर
दे ना चा हये। और दे खो। अपने कसी हा शया नशीन और क़राबत दार को जागीर न दे ना, उसे तम ु से तव को ( याशा) न बंधना
चा हये, कसी ऐसी ज़मीन पर क़बज़ा करने क जो आब पाशी या कसी मश ु तका मआु मले म उस के आस पास के लये ज़रर क
बाइस ( त का कारण) ह , यंू क उस के खश ु गवार मज़े तो उस के लये ह गे न तु हारे लये। मगर यह बद नम ु ा ध बा द ु नया व
आ खरत म तु हारे दामन पर रह जायेगा।

और िजस पर जो हक़ आयद होता हो, उस पर उस हक़ को ना फज़ करना चा हये, वह तु हारा अपना हो या बेगाना (पराया) हो और
उस के बारे म तह मल
ु (धैय) से काम लेना, और सवाब के उ मीदवार रहना, चाहे उस क ज़द तु हारे कसी कर बी अज़ीज़ या कसी
मस
ु ा हबे खास पर कैसी ह पड़ती हो, और इस म तु हार त बअत को जो गरानी महसस ू हो, उस के उखरवी नतीजे के पेशे नज़र
रखना क उस का अंजाम बहर हाल अ छा होगा।

और अगर रईयत को तु हारे बारे म यह बद गम


ु ानी हो जाए क तम
ु ने उस पर ज़ु म व िज़यादती क है तो अपने उ को वाज़ेह तौर
पर पेश कर दो, और उ वाज़ेह कर के उन के खयालात को बदल दो, इस से तु हारे न स क तर बयत होगी और रआया पर
मेहबानी सा बत होगी। और इस उ आवर से उन के हक़ पर उ तवार करने का मकसद तु हारा परू ा होगा।

और अगर दश ु मन ऐसी सु ह (सं ध) क तु ह दअवत दे क िजस म अ लाह क रज़ा म द हो तो उसे ठुकरा न दे ना, य क सु ह
म तु हारे लशकर (सेना) के लये आराम व राहत और खद ु तु हारे लये फकर से नजात और शहर के लये अ न का सामान है ।
ले कन सु ह के बाद दश ु मन से चौक ना और हो शयार रहने क ज़ रत है । य क अकसर ऐसा होता है क दश ु मन कुब ( नकटता)
हा सल करता है ता क तु हार गफलत से फायदा उठाए। लहाज़ा एह तयात को मलहूज़ रखो और इस बारे म हु े ज़न से काम न
लो। और अगर अपने और दश ु मन के दर मयान कोई मआु हदा करो, या उसे अपने दामन म पनाह दो तो फर अहद क पाब द करो,
वअदे का लहाज़ रखो। और अपने कौलो क़रार क हफाज़त के लये अपनी जान को सपर बना दो। य क अ लाह के फराइज़ म
से ईफाए अहद क ऐसी कोई चीज़ नह ं क िजस क अहि मयत पर द ु नया अपने अलग अलग नज़ रय और मु त लफ़ राय के
बावजद ू यक जेहती पर मु त फक़ हो, और मस ु लमान के अलावा मश ु रक तक के अपने दर मयान मआ ु हद क पाब द क है इस
लये क अहद शकनी के नतीजे म उ ह ने तबा हय का अंदाज़ा कया था। लहाज़ा अपने अहदो पैमान म ग ार और कौलो करार
म बद अहद न करना, और अपने दश ु मन पर अचानत हमला न करना, य क अ लाह पर जरु अत जा हल बद ब त के अलावा
दस
ू रा नह ं कर सकता, और अ लाह ने अहदो पैमान क पाब द को अ न का पैगाम करार दया है , क िजसे अपनी रहमत से ब द
म आम कर दया है । और ऐसी पाह गाह बनाया है क िजस के दामने हफाज़त म पनाह लेने और उस के जवार म मंिज़ल करने के
लये तेज़ी से बढ़ते ह। लहाज़ा उस म कोई जाल साज़ी फरे ब कार और म कार न होना चा हये और ऐसा कोई मआ ु हदा करो ह न
िजस म तवील क ज़ रत पड़ने का इ कान ह न हो और मआ ु हदे का प ु ता और तय हो जाने के बाद उस क े कसी मु हम ल ज़
(गूढ़ श द) के दसू रे मअनी नकाल कर फादा उठाने क को शश न करो, और इस अहदो पैमाने खद ु ा व द म कसी दश ु वार का
महसस ू होना तु हारे लये इस का बाइस न होना चा हये क तम ु उसे नीहक़ मंसख ू करने क को शश करो। य क ऐसी दश ु वा रय
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9/1/2018 अहद नामा ( त ा प )
के झेल ले जाना क िजन से छुटकारे क और अंजाम बखैर होने क अ मीद हो इस बद अहद करने से बेहतर है िजस के बरु े अंजाम
का तु ह खौफ़ और इस का अंदेशा हो क अ लाह के यहां तम ु से इस पर कोई जवाब दे ह होगी और इस तरह तु हार द ु नया व
आ खरत दोन क तबाह होगी।

दे खो। खंू रे िज़य (र त पात) से दामन बचाए रखना, य क अज़ाब ् इलाह से कर ब और पादाश के लहाज़ से स त और नेमत के
सलब होने और उ के खा तमे का सबब ना हक़ खंू रे ज़ी से जयादा कोई शय नह ं है । और क़यामत के द न अ लाह सु हानहू सब से
पहले जो फैसला करे गा वह उ ह ं खन ू का जो ब दगाने खद ु ा ने एक दस
ू रे के बहाए ह। लहाज़ा नाहक़ खंू बहा कर अपने इ तेदार को
मज़बत ू करने क कभी को शश न करना य क यह चीज़ तु हारे इ तेदार को कमज़ोर और खोखला कर दे ने वाल होती है , बि क
उस क बु नयाद से हला कर दस ू र को स प दे ने वाल और जान बझ ू कर क़ ल के जम ु म अ लाह के सामने तु हारा कोई नउ न
चल सकेगा, न मेरे सामने, य क उस म कसास (बदला) ज़ र है । और अगर गलती से तम ु उस के मतु कब हो जाओ और सज़ा
दे ने म तु हारा कोड़ा या तलवार या हाथ हद से बढ़ जाए, इस लये क कभी घंस ू ा और उस से भी छोट ज़ब हलाकत का सबब हो
जाया करती है , तो ऐसी सीरत म इ तेदार के नशे म बेखद ु हो कर मकतल ू का खंू बहा उस के वा रस तक पहुंचाने म कोताह न
करना।

और दे खो खदु पस द ( वे छा चा रता) से बचते रहना, और अपनी जो बात अ छ मअलम


ू ह उन पर इतराना नह ,ं और न लोग
के बढ़ा चढ़ा कर सराहने को पसंद करना। य क शैतान को जो मवाक़े (अवसर) मला करते ह उन म यह सब से िज़यादा उस के
नज़द क भरोसे का ज़र आ है क वह नेकू कार क ने कय पर पानी फेर दे ।

और रआया के साथ नेक कर के कई एहसान न जताना, और जो उन के साथ हु े सल ु क


ू (सद यवहार) करना उसे ज़य ु ादा न
समझना, और उन के वअदा कर के बाद म वअदा खलाफ़ न करना य क एहसान जताना नेक को अकारत कर दे ता है । और
भलाई को ज़यादा याल करना हक़ क रौशनी को ख म कर दे ता है , और वअदे खलाफ़ से अ लाह भी नाराज़ होता है और ब दे
भी। चन
ु ांचे अ लाह सु हानहू खद
ु फरमाता है कः---

खद
ु ा के नज़द क यह लबड़ी नाराज़गी क चीज़ है क तम
ु जो कहो उसे करो नह ं।

और दे खो। व त से पहले कसी काम म ज द बाज़ी न करना, और जब उस का मौका आ जाए तो कमज़ोर न दखाना। और जब
सह ह सरू त समझ म न आए तो उस पर मु सर न (आ ह ) होना, और जब तर के कार वाज़ेह (काय प त प ट) हो जाए तो फर
सु ती न करना। मतलब यह है क हर चीज़ को उस क जगह पर रखो, और हर काम को उस के मौके पर अंजाम दो।

और दे खो िजन चीज़ म सब लोग का हक़ बराबर होता है उसे अपने लये मखसस ू न कर लेना, और क़ा बले लहाज़ हकूक से
गफलत न बरतना जो नज़र के सामने नम
ु ायां ह य क दस ू र के लये यह िज़ मेदार तम
ु पर आयद है । और मु तक बले कर ब
( नकट भ व य) म तमाम मआ
ु मलात पर से पदा हटा दया जायेगा और तमु से मज़लमू क दाद वाह कर ल जायेगी।

दे खो। गज़ब क तु द सरकशी के जोश हाथ क जिु बश और ज़बान क तेज़ी पर हमेशा काबू रखो। और इन चीज़ से बचने क सरू त
यह है क ज द बाज़ी से काम न लो, और सज़ा दे ने म दे र करो यहां तक क तु हारा गु सा कम हो जाए और तम
ु अपने ऊपर काबू पा
लो, और कभी यह बात तम ु अपने न स म परू े तौर पर पैदा नह ं कर सकते, जब तक अ लाह क तरफ़ अपनी बाज़ग त को याद
करते हुए िज़यादा से िज़यादा इन तस वरु ात को कायम न रखो।

और तु ह लािज़म है क गुज़शता जमाने (बीते गुण) क चीज़ को याद रखो, वाह कसी आ दल हुकूमत का तर के कार हो, या कोई
अ छा अमल दर आमद हो, या रसल ू (स0) क कोई हद स हो, या कताब म दज शद ु ा कोई फर ज़ा हो, तो उन चीज़ क पैरवी करो
और िजन पर अमल करते हुए हम पर दे खा है , और उन क हदायत पर अमल करते रहना जो म ने इस अहद नामे म दज क ह,
और इन के ज़र ए से म ने अपनी हु जत तमु पर कायम कर द है ता क तु हारा न स अपनी वा हशात क तरफ़ बढ़े तो तु हारे
पास कोई उ न हो।

और म अ लाह तआला से उस क वसीइ रहमत और हर हाजत को परू ा करने पर अज़ीम कुदरत का वा सता दे कर उस से सवाल
करता हूं क वह मझ
ु े और तु ह इस क तौफ क़ ब शे िजस म उस क रज़ा म द है क हम अ लाह के सामने और उस के ब द म
नेक नामी और मु क म अ छे असरात और उस के नेमत म फरावानी और रोज़ अफ़ज़ंू इ ज़त को क़ायम रख, और यह क मेरा और
तु हारा खा तमा सआदत व शहादत पर हो। बेशक हम उसी क तरफ़ पलटना है । व सलामो अला रसल ू ेह स ल लाहो अलैहे व
आले ह तै यबीन ता हर न व स लमा तसल मन कसीरा। व सलाम।

यह अहद नाम िजसे इसलाम का द तरू े असासी (सं वधान) कहा जा सकता है , उस ह ती का तत ब दया हुआ है जो कानन ू े इलाह
का सब से बड़ा वा कफ़ कार और सब से िज़या उस पर अमल पैरा था। इन औराक़ से अमी ल मो मनीन (अ0 स0) के तजब ु के तज़
जहांबानी (शासन प घ त) का जायज़ा ले कर यह फैसला कया जा सकता है क उन के पेशे नज़र सफ़ कानन ू े इलाह का नफाज़
और इसलाहे मआ ु शरत था। न अ ने आ मा म खलल डालना, न लट ू खसोट से खज़ान का मंहू भरना, और न तौसीए स तनत के
लये जायज़ न नाजायज़ वसायल से आँख ब द कर के सई व को शश करना। द ु नयावी हुकूमत उमम ू न इस तरह का कानन ू बनाया
करती ह िजस से िज़यादा से िज़यादा फायदा हुकूमत को पहुंचे, और हर ऐसे कानन
ू को बदलने क को शश कया करती ह जो उस के
मफ
ु ाद से मतु सा दम और उस के म सद के लये नु सान रसां ह । मगर इस द तरू व आईन क हर दफआ मफादे उमम ू ी क
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9/1/2018 अहद नामा ( त ा प )
नगहबान और नज़ामे इज तमाई क मह ु ा फज़ है । इस के नफ़ाज़ो इजरा म न खद ु गरज़ी का लगाव है और न मफाद पर ती का
शाइबा। इस म अ लाह से फराएज़ क नगहदाशत और बला तफ रके मज़हबो म लत हुकूके इ सा नयत क हफाज़त और
शक ता हाल और फाका कश अफराद क खबर गीर और पसमांदा व उ तादा तबके से साथ हु े सल ु क ू क हदायत, ऐसे बु नयाद
उसल ू ह िजन से हक़ व अदालत के नशर अ न व सलामती के कयाम, और रईयत क फलाह व बहबद ू के सल सले म परू रहनम ु ाई
हा सल क जा सकती है ।जब सन 38 हजर म मा लक इबने हा रसे अ तर रहमतु लाह म क हुकूमत पर फायज़ हुए तो हज़रत
ने यह अहद नामा उन के लये कलम ब द फरमाया। मा लके अ तर अमी ल मो मनीन (अ0 स0) के उन खास असहाब म से थे जो
इस तकलाल व पामद दखा कर का मल वस ु क ू व ऐ तमाद और अपने अखलाक़ व कदार के सांचे म ढाल कर इि तहाई कुब व
इख तसास हा सल कर चक ु े थे, िजस का अंदाज़ा हज़रत के इन अ फाज़ से कया जा सकता है क मा लक मेर नज़र म ऐसे ह थे
क जैसा म रसल ू ु लाह क नज़र म था। चन ु ांचे उ ह ने बे लौस ज बए खदमत से मत ु अि सर हो कर जंगी मु ह मात म बढ़ चढ़
कर ह सा लया और तमाम मु हम और मअ रक म हज़रत के द त व बाज़ू सा बत हुए और ह मत व जरु अत के वह जौहर
दखाए क तमाम अरब पर उन क शज ु ाअत क धाक बन गई। इस गैर मअमल ू शज ु ाअत के साथ इ म व बद ु बार म भी बल द
इि तयाज़ के हा मल थे। चन ु ांचे वराम इबने अबी फारस ने अपने मजमए ू म तहर र कया है क आप एक बार टाठ का पैराहन पहने
और टाठ ह का अ मामा बांधे हुए कूफे के बाज़ार से गुज़र रहे थे क एक सर फरे दक ु ानदार ने आप को इस वज़अ लबास म दे ख
कर कुठ सड़े गले प ते और शाख आप के ऊपर फक द ं। मगर इस नाशाइशता हरकत से आप क पेशानी पर बल न आया और न ह
नज़र उठा कर उस क तरफ़ दे खा बि क खामोशी के साथ आगे बढ़ गए, तो एक श स ने उस दक ु ानदार से कहा क तु ह मअलम ू है
क यह गु ताखी तम ु ने कस के साथ क है उस ने कहा क मझ ु े नह ं मअलम ू क यह कौन थे। कहा क यह मा लके अ तर थे। यह
सन ु कर उस के होशो हवास उड़ गए और वह उसी व त उन के पीछे दौड़ा ता क उन से इस गु ताखी व एहानत क मआ ु फ मांगे।
चन ु ां चे तलाश करता हु आ एक मि जद म पह ु ं च ा जहां वह नमाज़ पढ़ रहे थे । जब नमाज़ से फा रग ह ु ए तो यह आगे बढ़ कर उन के
कदम म गर पड़ा, और नहायत इ हाह व ज़ार से अफ व का ता लब हुआ। आप ने उस के सर को ऊपर उठाया और फरमाया क
खद ु ा क क़सम म मि जद म इस ग़रज़ से आया हूं क तु हारे लये बारगाहे खद ु ा व द म दआ ु ए मग फरत क ं । म ने तो उसी व त
त ु ह मआ ु फ़ कर दया था और उ मीद है क अ लाह भी तु ह मआ ु फ़ कर दे गा। यह है उस नबद आज़मा का अ व व दर गुज़र िजस
के नाम से बहादरू के ज़हरे आब हो जाते थे। और िजस क तलवार ने शज ु ाआने अरब (अरब के वीर ) से अपना लोहा मनवा लया था
और शज ु ाअत (वीरता) का यह जौहर है क इ सान ग़ैज़ो ग़ज़ब क तल खय (मानव ोध क कडवाहट) म ज़ ते न स से काम ले
और ना गवा रय को स और सक ु ू न के साथ झेल ले जाए। चन ु ांचे हज़रत का इशाद है कः---

लोग म बढ़ चढ़ कर शज
ु ाअ वह है जो हवाए न स पर गलबा पाए (काम ोध एवं मोह पर काबू पा ले)।

बहर हाल इन खस ु ू सयात और औसाफ़ के अलावा नज़मो इि सरामे मम लकत क परू सला हयत रखते थे। चन ु ांचे जब म म
उसमानी गुरोह ने तखर बी जरासीम फैलाना शु कये और शर व फसाद से मु क के न म व नसक़ को दरहम बरहम करना चाहा तो
हज़रत ने मोह मद इबने अबी बकर को वहां क हुकूमत से अलग कर के आप के तक र का फैसला कया। अगरचे वह उस व त
नसीबैन म गवनर क है सयत से मक ु म थे, मगर हज़रत ने उ ह तलब फरमाया क वह नसीबैन म कसी को अपना नायब मक ु रर
कर के उन के पास पहुंच। मा लक ने इस फरमान के बाद शबीब इबने आमीरे अज़द को अपनी जगह पर मअ ु यन कया और खद ु
अमी ल मो मनीन (अ0 स0) क खदमत म पहुंच गए।हज़रत ने उ ह हुकूमत का पवाना लख कर म के लये रवाना कया और
अहले म को उन क इताअत व फरमां बदार एवं आ ा पालन का तहर र हु म भेजा। जब मआ ु वया को अपने जासस ू के ज़र ए
मा लके अ तर के तक र का इ म हुआ तो वह चकरा सा गया, य क वह अगर इबने आस से यह वअदा कर चक ु ा था क वह उसे
उस क कार कद गय के सले म म क हुकूमत दे गा। और उसे यह तव को थी क अमर इबने आस मोह मद इबने अबी बकर को
बाआसानी शक त दे कर उन के हाथ से इक तदार छ न लेगा। मगर मा लके अशतर को मगलब ू कर के म को फ ह करने का वह
तस वरु भी न कर सकता था। लहाज़ा उस ने यह तहै या कर लया क क़ ल इस के क उन के हाथ म इक तदार मु त कल हो उ ह
ठकाने लगा द। चन ु ांचे उसने शहरे उरै श के एक तअ लकु े दार से यह साज़ बाज़ क क जब मा लक म जाते हुए उरै श से गज़ ु र तो
वह कसी तदबीर से उ ह हलाक कर द, इस के एवज़ उस क जायदाद का मा लया व गुज़ारा कर दया जायेगा। चन ु ांचे जब मा लके
अ तर अपने लाव ल कर के साथ उरै श पहुंचे तो उस ने बड़ी आव भगत क , और आप को मेहमान ठहराने का मु सर हुआ। आप उस
क दअवत को मंज़रू फरमाते हुए उस के यहां फरोकश हुए ( नवास कया) और जब खाने से फा रग ( नव ृ त) हुए तो उस ने शहद के
शबत म ज़हर क आमोिज़श ( वष कता म ण) करके आप के सामने पेश कया िजस के पीते ह ज़हर का असर शु हो गया और
दे खते ह दे खते तलवार के साए म खेलने वाला और दश ु मन क सफ़ को उलट दे ने वाला खामोशी से मौत क आगोश म सो गया।

जब मआु वया को अपनी इस हसीसा कार म कामयाबी क अि तला हुई तो वह मस ु रत से झूम उठा और खश
ु ी का नारा लगाते हुए
कहने लगा, (शहद भी अ लाह का एक ल कर है ) और फर एक खु बे के दौरान कहा कः---

अल इबने अबी ता लब को दो द ते रा त (सीधे हाथ) थे, एक स फ न के दन कट गया और वह अ मारे या सर थे, और दस


ू रा भी
क़तअ हो गया, और वह मा लके अ तर थे।

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मना सके हज (/in/hadj/item/159-2013-03-04-09-41-21)

َ‫ت ﻟَ َﻌﻠﱠ ُﻜ ْﻢ ﺗَ ْﻌﻘِﻠُﻮن‬ َ ْ‫( ا ْﻋﻠَ ُﻤﻮا أَ ﱠن اﻟﻠﱠـﮫَ ﯾُﺤْ ﯿِﻲ ْاﻷَر‬/in/in-the-presence-of-holy-quran/item/198-2013-03-18-09-21-37)
ِ ‫ض ﺑَ ْﻌ َﺪ َﻣﻮْ ﺗِﮭَﺎ ۚ ﻗَ ْﺪ ﺑَﯿﱠﻨﱠﺎ ﻟَ ُﻜ ُﻢ ْاﻵﯾَﺎ‬

ٍ ‫ﺿﺎ ِﻣ ٍﺮ ﯾَﺄْﺗِﯿﻦَ ِﻣﻦ ُﻛﻞﱢ ﻓَﺞﱟ َﻋ ِﻤﯿ‬


‫ﻖ‬ َ ‫ﺎس ﺑِ ْﺎﻟ َﺤﺞﱢ ﯾَﺄْﺗُﻮ‬
َ ‫ك ِر َﺟ ًﺎﻻ َو َﻋﻠَ ٰﻰ ُﻛﻞﱢ‬ ِ ‫( َوأَ ﱢذن ﻓِﻲ اﻟﻨﱠ‬/in/in-the-presence-of-holy-quran/item/408-2013-08-24-07-16-23)

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9/1/2018 अहद नामा ( त ा प )

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