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6th HINDI 6.0-1
6th HINDI 6.0-1
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ष म सं रण
त ात् योगी भवाजुन
वसुदेवसुतं(न्) दे वं(ङ् ), कंसचाणूरमदनम्।
दे वकीपरमान ं (ङ् ), कृ ं(व्ँ) व े जगद् गु म्॥
ष म(वाँ) अ ाय
ॐ ीपरमा ने नम:
' ी' को 'श+र
् ' पढ़ (' ी' नह )ं
ीम गव ीता
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' ीम गव ीता' म दोन थान पर ' ' आधा पढ़ एवं 'ग' पूरा पढ़
अथ ष ोऽ ायः
'ष ो( ) याय:' म 'ठो' का उ ारण द घ कर ['ऽ' (अव ह) का उ ारण 'अ' नह कर]
ीभगवानुवाच
अनाि तः (ख्) कमफलं(ङ् ), काय(ङ् ) कम करोित यः ।
स स ासी च योगी च, न िनरि न चाि यः ॥ 1 ॥
'स सन्+ यासी' म 'स' व पढ़, ' नर( )ग् + नर+न'
् पढ़
त
'म( ) य ( ) थ ( ) +वे( ) य+ब( ) धु षु' म 'षु ' व पढ़, 'सम+बु ( ) र+
् व श( ) यते' पढ़
त
'सोपमा' म 'प' पूरा पढ़, 'ने +गते' पढ़
त
ात् योगी भवाजुन
यो मां(म्) प ित सव , सव(ञ्) च मिय प ित।
त ाहं (न्) न ण ािम, स च मे न ण ित॥30॥
'म य' म ' य' व पढ़
सवभूत तं(य्ँ) यो मां(म्), भज ेक मा तः ।
सवथा वतमानोऽिप, स योगी मिय वतते॥31॥
'सव+ त( )ि थतय् ँ' पढ़, 'भज( ) येक ( ) व+मा( )ि थतः' पढ़
आ ौप ेन सव , समं(म्) प ित योऽजुन।
सुखं(व्ँ) वा यिद वा दःु खं(म्), स योगी परमो मतः ॥32॥
'य द' म ' द' व पढ़, 'परमो' म 'र' पूरा पढ़
अजुन उवाच
योऽयं(य्ँ) योग या ो ः (स्), सा ेन मधुसूदन।
एत ाहं (न्) न प ािम, च ल ा थितं(म्) राम्॥33॥
'च ल ( ) वात्+ि थ तम् ' पढ़
च लं(म्) िह मनः (ख्) कृ , मािथ बलवद् ढम् ।
त ाहं (न्) िन हं (म्) म े, वायो रव सुदु रम् ॥34॥
'बलव + ढम् ' पढ़, 'वायो रव' म 'व' व पढ़
Śrīmadbhagavadgītā - 6th Chapter - Ātmasaṃyamayoga geetapariwar.org ीम गव ीता - ष म अ ाय - आ संयमयोग
ीभगवानुवाच
त
एत े संशयं(ङ् ) कृ , छे ुमह शेषतः ।
● िवसग के उ ार जहाँ (ख्) अथवा (फ्) िलखे गय ह, वह ख् अथवा फ् नही ं होते, उनका उ ारण 'ख्' या 'फ्' के जैसा िकया जाता है ।
● संयु वण (दो ंजन वण के संयोग) से पहले वाले अ र पर आघात (ह ा सा जोर) दे कर पढ़ना चािहये। '॥' का िच आघात को दशाने
हे तु ेक आव क वण के ऊपर िकया गया है । ोक के नीचे उ ारण संकेत हे तु बगनी रं ग से आघात के वण िलखे गये ह, इसका
अथ यह नही ं िक इन वण को दो बार पढ़, ब इ े जोड़कर वहाँ ज़ोर दे कर इन वण का उ ारण कर, यह ता य है ।
● यिद िकसी ंजन का र के साथ संयोग हो तो वह संयु वण नही होता इसिलये वहां आघात भी नही ं होगा। संयु वण से पूव र पर ही
आघात िदया जाता है िकसी ंजन या अनु ार पर नही।ं उदाहरण - 'वासुदेवं(व्ँ) जि यम्' म ' ' संयु होने पर भी पूव म अनु ार होने
से आघात नही ं आयेगा।
● कुछ ानो ं पर र के प ात् संयु वण होने पर भी अपवाद िनयम के कारण आघात नही ं िदये गये ह जैसे एक ही वण के दो बार आने से,
तीन ंजनो ं के संयु होने से, रफार (उपर र् ) या हकार आने पर आिद। िजन ानो ं पर आघात का िच नही ं वहाँ िबना आघात के ही
अ ास कर।