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Hindi B Sec 2022-23
Hindi B Sec 2022-23
(कोड सिं.–085)
कऺा 9िीिं – 10िीिं (2022-23)
, नई न 2020 स -स
, स , न नन ई ,
न, - स न न, न न न औ
न नन न स न
स - स न औ न न ए स ,
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न न न न नन
स -स न न, न स स न, न न न न स
न स न न- न स
औ ए स न न स न
स औ
बायत एक फहुबाषी दे श है जजसभें फहुत सी ऺेत्रीम बाषाएॉ यची फसी हैं। बाषषक औय साॊस्कृततक
दृजटि से भबन्न होने के फावजूद बायतीम ऩयॊ ऩया भें फहुत कुछ ऐसा है जो एक दस
ू ये को जोड़ता है ।
मही कायण है कक भातब
ृ ाषा के रूऩ भें अरग बाषा को ऩढ़ने वारा षवद्माथी जफ दस
ू यी बाषा के
रूऩ भें हहॊदी का चन
ु ाव कयता है तो उसके ऩास अभबव्मजतत का एक दृढ़ आधाय ऩहरी बाषा के रूऩ
भें ऩहरे से ही भौजूद होता है । इसभरए छठी से आठवीॊ कऺा भें सीखी हुई हहॊदी का षवकास बी वह
तेजी से कयने रगता है । आठवीॊ कऺा तक वह हहॊदी बाषा भें सुनने, ऩढ़ने, भरखने औय कुछ-कुछ
फोरने का अभ्मास कय चक
ु ा होता है । हहॊदी की फार ऩत्रत्रकाएॉ औय तछिऩुि यचनाएॉ ऩढ़ना बी अफ
उसे आ गमा है । इसभरए जफ वह नवीॊ एवॊ दसवीॊ कऺा भें हहॊदी ऩढ़े गा तो जहाॉ एक ओय हहॊदी
बाषा के भाध्मभ से साये दे श से जड़
ु गे ा वहीॊ दस
ू यी ओय अऩने ऺेत्र औय ऩरयवेश को हहॊदी बाषा के
भाध्मभ से जानने की कोभशश बी कये गा, तमोंकक ककशोयवम के इन फच्चों के भानभसक धयातर का
षवकास षवश्व स्तय तक ऩहुॉच चक
ु ा होता है ।
दै तनक जीवन भें हहॊदी भें सभझने-फोरने के साथ-साथ भरखने की ऺभता का षवकास कयना।
हहॊदी के ककशोय-साहहत्म, अखफाय व ऩत्रत्रकाओॊ को ऩढ़कय सभझ ऩाना औय उसका आनॊद उठाने
की ऺभता का षवकास कयना।
औऩचारयक षवषमों औय सॊदबों भें फातचीत भें बाग रे ऩाने की ऺभता का षवकास कयना।
हहॊदी के ए अऩने अनुबव सॊसाय को भरखकय सहज अभबव्मजतत कय ऩाने भें सऺभ फनाना।
सॊचाय के षवभबन्न भाध्मभों (षरॊि औय इरेतरॉतनक) भें रमुतत हहॊदी के षवभबन्न रूऩों को
सभझने की मोग्मता का षवकास कयना।
कऺा भें फहुबाषषक, फहुसाॊस्कृततक सॊदबों के रतत सॊवेदनशीर सकायात्भक सोच फनाना।
अऩनी भातब ृ ाषा औय ऩरयवेशगत बाषा को साथ यखकय हहॊदी की सॊयचनाओॊ की सभझ फनाना।
साभाजजक भुद्दों ऩय सभझ फनाना| (जातत, भरॊग तथा आर्थिक षवषभता)
कषवता, कहानी तथा घिनाओॊ को योचक ढॊ ग से भरखना ।
बाषा एवॊ साहहत्म को सभझने एवॊ स कयने की दऺता का षवकास।
शिऺण युक्तिय ाँ
· द्षवतीम बाषा के रूऩ भें ऩढ़ाई जा यही हहॊदी बाषा का स्तय ऩढ़ने औय ऩढ़ाने दोनों ही दृजटिमों
से भातब
ृ ाषा सीखने की तुरना भें कुछ भॊथय गतत से चरेगा। वह गतत धीये -धीये फढ़ सके,
इसके भरए हहॊदी अध्माऩकों को फड़े धीयज से अऩने अध्माऩन कामिक्रभों को तनमोजजत कयना
होगा। ककसी बी द्षवतीम बाषा भें तनऩुणता राप्त कयने-कयाने का एक ही उऩाम है-उस बाषा
का रगाताय योचक अभ्मास कयना-कयाना। मे अभ्मास जजतने अर्धक योचक, सकक्रम एवॊ
रासॊर्गक होंगे षवद्मार्थिमों की बाषषक उऩरजधध बी उतनी ही तेज़ी से हो सकेगी। भुखय बाषषक
अभ्मास के भरए वातािराऩ, योचक कहानी सुनना-सुनाना, घिना-वणिन, र्चत्र-वणिन, सॊवाद, वाद-
षववाद, अभबनम, बाषण रततमोर्गताएॉ, कषवता ऩाठ औय अॊत्माऺयी जैसी गततषवर्धमों का सहाया
भरमा जा सकता है ।
· काव्म बाषा के भभि से षवद्माथी का ऩरयचम कयाने के भरए ज़रूयी होगा कक ककताफों भें आए
काव्माॊशों की रमफद्ध रस्तुततमों के ऑडिमो-वीडिमो कैसेि तैमाय ककए जाएॉ। अगय आसानी से
कोई गामक/गातमका भभरे तो कऺा भें भध्मकारीन साहहत्म के अध्माऩन-भशऺण भें उससे भदद
री जानी चाहहए।
या.शै.अ. औय र. ऩ.,(एन.सी.ई.आय.िी.) द्वाया उऩरधध कयाए गए अर्धगभ रततपर /सीखने-
भसखाने की रकक्रमा जो इस ऩाठ्मचमाि के साथ सॊरग्नक के रूऩ भें उऩरधध है , को भशऺक
द्वाया ऺभता आधारयत भशऺा का रक्ष्म राप्त कयने के भरमे अतनवामि रूऩ से इस्तेभार कयने
की आवश्मकता है ।
· भानव सॊसाधन षवकास भॊत्रारम के षवभबन्न सॊगठनों तथा स्वतॊत्र तनभािताओॊ द्वाया उऩरधध
कयाए गए अन्म कामिक्रभ/ई-साभग्री/ वत्त
ृ र्चत्रों औय भसनेभा को भशऺण-साभग्री के तौय ऩय
इस्तेभार कयने की है । इनके रदशिन के क्रभ भें इन ऩय रगाताय फातचीत के रयए
भसनेभा के भाध्मभ से बाषा के रमोग की षवभशटिता की ऩहचान कयाई जा सकती है औय हहॊदी
की अरग-अरग छिा हदखाई जा सकती है ।
· कऺा भें भसर्ि एक ऩाठ्मऩुस्तक की उऩजस्थतत से फेहतय होगा कक भशऺक के हाथ भें तयह-तयह
की ऩाठ्मसाभग्री को षवद्माथी दे खें औय कऺा भें अरग-अरग भौकों ऩय भशऺक उनका इस्तेभार
कय सकें।
· बाषा रगाताय ग्रहण कयने की कक्रमा भें फनती है , इसे रदभशित कयने का एक तयीका मह बी है
कक भशऺक खद
ु मह भसखा सकें कक वे बी शधदकोश, साहहत्मकोश, सॊदबिग्रॊथ की रगाताय भदद
रे यहे हैं। इससे षवद्मार्थिमों भें इनके इस्तेभार कयने को रेकय तत्ऩयता फढ़े गी। अनुभान के
आधाय ऩय तनकितभ अथि तक ऩहुॉचकय सॊतुटि होने की जगह वे सिीक अथि की खोज कयने के
भरए रेरयत होंगे। इससे शधदों की अरग-अरग यॊ गत का ऩता चरेगा, वे शधदों के फायीक अॊतय
के रतत औय सजग हो ऩाएॉगे।
· भबन्न ऺभता वारे षवद्मार्थिमों के भरए उऩमुतत भशऺण-साभग्री का इस्तेभार ककमा जाए तथा
ककसी बी रकाय से उन्हें अन्म षवद्मार्थिमों से कभतय मा अरग न सभझा जाए।
· कऺा भें अध्माऩन को हय रकाय की षवषवधताओॊ (भरॊग, धभि, जातत, वगि आहद) के रतत
सकायात्भक औय सॊवेदनशीर वातावयण तनभभित कयना चाहहए।
श्रिण (सन
ु ने) और िाचन (बोऱने) की योग्यताएँ
िाचन (बोऱना) (2.5 अिंक): बाषण, सस्वय कषवता-ऩाठ, वातािराऩ औय उसकी औऩचारयकता,
कामिक्रभ-रस्ततु त, कथा-कहानी अथवा घिना सन
ु ाना, ऩरयचम दे ना, बावानक
ु ू र सॊवाद-वाचन।
· ऩयीऺक ककसी रासॊर्गक षवषम ऩय एक अनुच्छे द का स्ऩटि वाचन कये गा। अनुच्छे द
तथ्मात्भक मा सुझावात्भक हो सकता है । अनुच्छे द रगबग 120 शधदों का होना चाहहए।
या
· ऩयीऺक 1-1.5 भभनि का श्रव्म अॊश (ऑडिमो जतरऩ) सुनवाएगा। अॊश योचक होना चाहहए।
कथ्म/ घिना ऩूणि एवॊ स्ऩटि होनी चाहहए। वाचक का उच्चायण शुद्ध, स्ऩटि एवॊ षवयाभ
र्चह्नों के उर्चत रमोग सहहत होना चाहहए।
· ऩयीऺाथी ध्मानऩूवक
ि ऩयीऺक/ऑडिमो जतरऩ को सुनने के ऩश्चात ऩयीऺक द्वाया ऩूछे गए
रश्नों का अऩनी सभझ से भौखखक उत्तय दें गे।
(इस फात का तनश्चम कयना कक तमा षवद्माथी भें श्रवण औय वाचन की तनम्नभरखखत मोग्मताएॉ हैं)
2 छोिे सुसॊफद्ध कथनों को ऩरयर्चत सॊदबों 2 ऩरयर्चत सॊदबों भें स केवर छोिे
भें सभझने की मोग्मता है । सॊफद्ध कथनों का सीभभत रमोग कयता है ।
3 ऩरयर्चत मा अऩरयर्चत दोनों सॊदबों भें 3 अऩेऺाकृत दीघि बाषण भें जहिर कथनों के
कर्थत सूचना को स्ऩटि सभझने की रमोग की मोग्मता रदभशित कयता है ।
मोग्मता है ।
4 दीघि कथनों को ऩमािप्त शद्
ु धता से सभझता है 4 अऩरयर्चत जस्थततमों भें षवचायों को ताककिक ढॊ ग
औय तनटकषि तनकार सकता है । से सॊगहठत कय धाया-रवाह रूऩ भें रस्तुत
कयता है ।
श्रिण-िाचन कौिऱ एििं ऩररयोजना कायय का मूलयािंकन विद्याऱय स्तर ऩर आिंतररक ऩरीऺक द्िारा
ही ककया जाएगा।
ऩठन कौिऱ
ऩढ़ने की योग्यताएँ
हहॊदी भें कहानी, तनफॊध, मात्रा-वणिन, जीवनी, ऩत्र, िामयी आहद को अथिफोध के साथ
ऩढ़ना।
के सॊफॊध भें षवचाय कयना औय अऩना भत व्मतत कयना।
सॊदबि साहहत्म को ऩढ़कय अऩने काभ के रामक सच
ू ना एकत्र कयना।
ऩहठत साभग्री के षवभबन्न अॊशों का ऩयस्ऩय सॊफॊध सभझना।
ऩहठत वस्तु का सायाॊश तैमाय कयना।
बाषा, षवचाय एवॊ शैरी की सयाहना कयना।
साहहत्म के रतत अभबरुर्च का षवकास कयना।
शऱखने की योग्यताएँ
रचनात्मक अशभव्यक्तत
अनच्
ु छे द ऱेखन
– स स न स स न
– ए स स न
- – स न ए स न
– न न स स षवषम सॊफद्ध
न स न
ऩत्र ऱेखन
विऻाऩन ऱेखन
(विऻावऩत िस्तु / विषय को केंद्र में रखते हुए)
षवऻाषऩत वस्तु के षवभशटि गण
ु ों का उल्रेख
आकषिक रेखन शैरी
रस्ततु त भें नमाऩन, वतिभान से जुड़ाव तथा दस
ू यों से भबन्नता
षवऻाऩन भें आवश्मकतानस
ु ाय नाये (स्रोगन) का उऩमोग
षवऻाऩन रेखन भें फॉतस, र्चत्र अथवा यॊ ग का उऩमोग अतनवामि नहीॊ , स न
नन ए न स ।
-
( ई / न न स न न)
स झ
स न
न
औ
सिंिाद ऱेखन
( गई )
सीभा के बीतय एक दस
ू ये से जड़
ु े साथिक औय उद्दे श्मऩण
ू ि सॊवाद
ऩात्रों के अनक
ु ू र बाषा शैरी
वतता के हाव-बाव का सॊकेत
सॊवाद रेखन के अॊत तक षवषम/भद्
ु दे ऩय वाताि ऩयू ी
( )
स ए
स स न
औ न
ई-
( ई- )
स ,
सस
स , स न
/ औ न
ऱघक
ु था ऱेखन
( ग / )
तनयॊ तयता
कथात्भकता
रबावी सॊवाद/ न सॊवाद
यचनात्भकता/कल्ऩनाशजतत का उऩमोग
जजऻासा/योचकता
कऺा 9िीिं हहिंदी ‘ब’ ( . 085) –ऩरीऺाओिं हे तु ऩाठ्यक्रम विननदे िन 2022-23
- 3 -80
ii अनस्
ु वाय (1 अॊक), अनन
ु ाभसक (1 अॊक) (3 स 2 न) 02
iv स (3 अॊक) (4 स 3 न) 03
v - न (3 अॊक) (4 स 3 न) 03
vi स (2 ) (3 स 2 न) 02
3 ऩाठ्यऩस्
ु तक स्ऩिय, भाग–1 14
काव्य खिंड 07
ऩहठत ऩद्माॊश ऩय ए फहुषवकल्ऩी रश्न। (1x5) 05
( –1) स न ए न 02
ए (1x2)
गद्य खिंड 07
ऩहठत ऩय ए ऩाॉच फहुषवकल्ऩी रश्न। (1x5) 05
( –1) स न न ए 02
न न ए न ए (1x2)
– ( ) 40
4 ऩाठ्यऩस्
ु तक स्ऩिय, भाग–1 12
स्ऩशि ( ) से तनधािरयत ऩाठों के आधाय ऩय तीन भें से दो रश्न ऩछ
ू े ए । 06
1 (3 अॊक x 2 रश्न) ( 60 )
2 स्ऩशि ( ) से तनधािरयत ऩाठों के आधाय ऩय न से न ए 06
(3 x 2 न) ( 60 )
ऩरू क ऩाठ्यऩस्
ु तक सिंचयन भाग – 1 06
ऩयू क ऩाठ्मऩस्
ु तक सॊचमन के तनधािरयत ऩाठों से तीन भें से दो रश्न ऩछ
ू े ए , जजनका उत्तय 06
60 शधदों भें दे ना होगा। (3 अॊक x 2 रश्न)
ऱेखन 22
5
i सॊकेत त्रफॊदओ
ु ॊ ऩय आधारयत सभसाभतमक एवॊ व्मावहारयक जीवन से जुड़े हुए ककन्हीॊ तीन 05
षवषमों भें से ककसी एक षवषम ऩय 100 शधदों भें अनच् ु छे द रेखन
(5 अॊक x1 रश्न) (षवकल्ऩ सहहत)
ii व्मावहारयक स स ए 05
100 न (5 x 1 न)
iii न- ई / न न स 100 05
न ( न स स स न ए)
( न स )
iv ई स न ( 100 ) 05
( स )
कुऱ 80
आिंतररक अ 20
अ सामनयक आकऱन 5
ब बहुविध आकऱन 5
स ऩोर्य 5
कुऱ 100
ननधायररत ऩस्
ु तकें:
सिंचयन(भाग-1) ( )
( )
कऺा 10िीिं हहिंदी ‘ब’ ऩरीऺा हे तु ऩाठ्यक्रम विननदे िन-2022-2023
प्रश्न-ऩत्र दो - खिंड 'अ' और 'ब' का होगा।
खिंड 'अ' में 45 िस्तुऩरक प्रश्न ऩूछे जाएँगे, क्जनमें से केिऱ 40 प्रश्नों के ही उत्तर
दे ने होंगे।
खिंड 'ब' में िणयनात्मक प्रश्न ऩूछे जाएँगे। प्रश्नों में उचचत आिंतररक विकलऩ हदए
जाएँगे। -{80( )+ 20 ( )
ऱेखन 22
5
i सॊकेत त्रफॊदओ
ु ॊ ऩय आधारयत सभसाभतमक एवॊ व्मावहारयक जीवन से जुड़े हुए ककन्हीॊ तीन 05
षवषमों भें से ककसी एक षवषम ऩय 100 शधदों भें अनच् ु छे द रेखन
(5 अॊक x1 रश्न) (षवकल्ऩ सहहत)
ii औ स स ए 05
100 (5 x 1 न)
iii व्मावहारयक जीवन से सॊफर्ॊ धत षवषमों ऩय आधारयत 80 शधदों भें सच
ू ना रेखन। 04
(4 अॊक x1 रश्न) (षवकल्ऩ सहहत)
iv षवषम से सॊफर्ॊ धत 60 शधदों के अॊतगित षवऻाऩन रेखन। (3 अॊक x1 रश्न) 03
(षवकल्ऩ सहहत)
v ए ए / न स स 100 शधदों भें 05
रघक
ु था रेखन। (5 अॊकx1 रश्न)
100 औ ई- न
कुऱ 80
आिंतररक अ 20
अ सामनयक आकऱन 5
ब बहुविध आकऱन 5
स ऩोर्य 5
कुऱ 100
ननधायररत ऩस्
ु तकें: