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Sanksheparaamaayanam
Sanksheparaamaayanam
Á Á श्री स े परामायणम् Á Á
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Sunder Kidāmbi
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श्रीमते रामानुजाय नमः
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श्रीमते नगमा महादे शकाय नमः
Á Á श्री स े परामायणम् Á Á
श्रीमद्रामायण पठनोपक्रमे अनुसन्धेय श्लोकाः
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रामानुज दयापात्रं ज्ञानवैरा भूषणम् Á
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श्रीम े टनाथाय व े वेदा दे शकम् Á Á 1 ÁÁ
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ल ीनाथसमार ां नाथयामुनम माम् Á
अ दाचायर्पयर् ां व े गुरुपरं पराम् Á Á 2 ÁÁ
यो न म ुतपदा ुजयु रु
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श्रीशैल पूण य नमो नम ात् Á Á 6 ÁÁ
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शु ा रधरं व ुं श शवण चतुभुर्जम् Á
प्रस वदनं ायेत् सवर् व ोपशा ये Á Á 7 ÁÁ
य रदव ा ाः पािरष ाः परः शतम् Á
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व ं न सततं व ेनं तमाश्रये Á Á 8 Á Á
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ज्ञानान मयं देवं नमर्ल टकाकृ तम् Á
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आधारं सवर् व ानां हयग्रीवमुपा हे Á Á 9 ÁÁ
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कूज ं रामरामे त मधुरं मधुराक्षरम् Á
आरु क वताशाखां व े वा ी कको कलम् Á Á 10 ÁÁ
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उ स ोः स ललं सल लं
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यः शोकव ं जनका जायाः Á
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आदाय तेनैव ददाह ल ां
नमा म तं प्रा लरा नेयम् Á Á 16 ÁÁ
आ नेयम तपाटलाननं
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का ना द्र कमनीय वग्रहम् Á
पािरजात तरुमूल वा सनं
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भावया म पवमानन नम् Á Á 17 ÁÁ
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यत्र यत्र रघुनाथक तर्नं
तत्र तत्र कृतम का लम् Á
बा वािरपिरपूणर्लोचनं
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वा ीकेवर्दनार व ग ळतं रामायणा ं मधु Á
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ज ा ध जरा वप मरणैर सोपद्रवं
संसारं स वहाय ग त पुमान् व ोः पदम् शा तम् Á Á 24 ÁÁ
तदुपगत समास स योगम्
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सममधुरोपनताथर् वा ब म् Á
रघुवर चिरतं मु नप्रणीतम्
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दश शरस वधम् नशामय म् Á Á 25 ÁÁ
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श्रीराघवं दशरथा जमप्रमेयं
सीताप तं रघुकुला यर दीपम् Á
आजानुबाहुमर व दळायताक्षम्
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तपः ा ाय नरतं तप ी वा दां वरम् Á
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नारदं पिरपप्र वा ी कमुर् नपु वम् Á Á 1 Á Á
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चािरत्रेण च को यु ः सवर्भूतेषु को हतः Á
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व ान् कः कः समथर् क ैक प्रयदशर्नः Á Á 3 ÁÁ
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आ वान् को जतक्रोधो ु तमान् कोऽनसूयकः Á
क ब त देवा जातरोष संयुगे Á Á 4 Á Á
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पीनवक्षा वशालाक्षो ल ीवा ु भलक्षणः Á Á 11 ÁÁ
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धमर्ज्ञः स स प्रजानां च हते रतः Á
यश ी ज्ञानस ः शु चवर् ः समा धमान् Á Á 12 ÁÁ
प्रजाप तसमः श्रीमान् धाता िरपु नषूदनः Á
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र क्षता जीवलोक धमर् पिरर क्षता Á Á 13 ÁÁ
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र क्षता धमर् जन च र क्षता Á
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वेदवेदा त ज्ञो धनुवदे च न तः Á Á 14 Á Á
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ववासनं च राम भरत ा भषेचनम् Á Á 22 ÁÁ
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स स वचनाद् राजा धमर्पाशेन संयतः Á
ववासयामास सुतं रामं दशरथः प्रयम् Á Á 23 ÁÁ
स जगाम वनं वीरः प्र तज्ञामनुपालयन् Á
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पतुवर्चन नदशात् कैके ाः प्रयकारणात् Á Á 24 ÁÁ
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तं व्रज ं प्रयो भ्राता ल णोऽनुजगाम ह Á
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ेहाद् वनयस ः सु मत्रान वधर्नः Á Á 25 ÁÁ
भ्रातरं द यतो भ्रातुः सौभ्रात्रमनुदशर्यन् Á
राम द यता भाय न ं प्राणसमा हता Á Á 26 ÁÁ
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र् ैः Á Á 33
गते तु त न् भरतो व स प्रमुखै ज ÁÁ
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नयु मानो रा ाय नै द् रा ं महाबलः Á
स जगाम वनं वीरो रामपादप्रसादकः Á Á 34 Á Á
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अयाचद् भ्रातरं राममायर्भावपुर ृ तः Á Á 35 ÁÁ
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मेव राजा धमर्ज्ञ इ त रामं वचोऽब्रवीत् Á
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रामोऽ प परमोदारः सुमुखः सुमहायशाः Á Á 36 ÁÁ
न चै त् पतुरादेशाद् रा ं रामो महाबलः Á
पादुके चा रा ाय ासं द ा पुनः पुनः Á Á 37 ÁÁ
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स तेषां प्र तशुश्राव राक्षसानां तदा वने Á Á 44 ÁÁ
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प्र तज्ञात रामेण वधः संय त रक्षसाम् Á
ऋषीणाम क ानां द कार वा सनाम् Á Á 45 ÁÁ
तेन तत्रैव वसता जन ान नवा सनी Á
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वरू पता शूपर्णखा राक्षसी कामरू पणी Á Á 46 ÁÁ
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ततः शूपर्णखावा ादु ु ान् सवर्राक्षसान् Á
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खरं त्र शरसं चैव दूषणं चैव राक्षसम् Á Á 47 ÁÁ
नजघान रणे राम ेषां चैव पदानुगान् Á
वने त न् नवसता जन ान नवा सनाम् Á Á 48 ÁÁ
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कब ं नाम रूपेण वकृतं घोरदशर्नम् Á Á 55 ÁÁ
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तं नह महाबाहुदर्दाह गर्त सः Á
स चा कथयामास शबर धमर्चािरणीम् Á Á 56 ÁÁ
श्रमणां धमर् नपुणाम भग े त राघव Á
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शबय पू जतः स ग् रामो दशरथा जः Á
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प ातीरे हनुमता स तो वानरे ण ह Á Á 58 Á Á
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गिरं रसातलं चैव जनयन् प्र यं तदा Á Á 66 ÁÁ
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ततः प्रीतमना ेन व ः स महाक पः Á
क ां रामस हतो जगाम च गुहां तदा Á Á 67 ÁÁ
ततोऽगजर् िरवरः सुग्रीवो हेम प ळः Á
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तेन नादेन महता नजर्गाम हर रः Á Á 68 ÁÁ
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अनुमा तदा तारां सुग्रीवेण समागतः Á
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नजघान च तत्रैनं शरे णैकेन राघवः Á Á 69 ÁÁ
ततः सुग्रीववचना ा वा लनमाहवे Á
सुग्रीवमेव तद्रा े राघवः प्र पादयत् Á Á 70 ÁÁ
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रामाय प्रयमा ातुं पुनराया हाक पः Á Á 77 Á Á
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सोऽ भग महा ानं कृ ा रामं प्रद क्षणम् Á
वेदयदमेया ा दृ ा सीते त त तः Á Á 78 Á Á
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समुद्रं क्षोभयामास शरै रा द स भैः Á Á 79 ÁÁ
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दशर्यामास चा ानं समुद्रः सिरतां प तः Á
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समुद्रवचना ैव नलं सेतुमकारयत् Á Á 80 Á Á
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पु कं तत् समारु न ग्रामं ययौ तदा Á Á 88 ÁÁ
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न ग्रामे जटां ह ा भ्रातृ भः स हतोऽनघः Á
रामः सीतामनुप्रा रा ं पुनरवा वान् Á Á 89 ÁÁ
प्रहृ ोमु दतो लोक ु ः पु ः सुधा मर्कः Á
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नरामयो रोग दु भर्क्षभयव जर्तः Á Á 90 Á Á
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न पुत्रमरणं क द् द्र पुरुषाः चत् Á
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नायर् ा वधवा न ं भ व प तव्रताः Á Á 91 ÁÁ
न चा जं भयं क ा ु मज्ज ज वः Á
न वातजं भयं क ाप रकृतं तथा Á Á 92 Á Á
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सपुत्रपौत्रः सगणः प्रे ग महीयते Á Á 99 ÁÁ
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पठन् जो वागृषभ मीयात्
ात् क्ष त्रयो भू मप त मीयात् Á
व ण नः प फल मीया -
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ज्जन शूद्रोऽ प मह मीयात् Á Á 100 ÁÁ
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श्रीमद्रामायण पारायण समापने अनुसन्धेय श्लोकक्रमः
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एवमेत ुरावृ मा ानं भद्रम ु वः Á
प्र ाहरत वस्र ं बलं व ोः प्रवधर्ताम् Á Á 1 ÁÁ
लाभ ष े ां जय ेषां कुत ेषां पराभवः Á
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लोकाः सम ाः सु खनो भव ु Á Á 5 ÁÁ
म ळं कोसले ाय महनीयगुणा ये Á
चक्रव तर्तनूजाय सावर्भौमाय म ळम् Á Á 6 ÁÁ
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पुंसां मोहनरूपाय पु ोकाय म ळम् Á Á 7 ÁÁ
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व ा मत्रा र ाय म थलानगर पतेः Á
भा ानां पिरपाकाय भ रूपाय म ळम् Á Á 8 ÁÁ
पतृभ ाय सततं भ्रातृ भः सह सीतया Á
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न ता खललोकाय रामभद्राय म ळम् Á Á 9 ÁÁ
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साकेतवासाय चत्रकूट वहािरणे Á
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से ाय सवर्य मनां धीरोदाराय म ळम् Á Á 10 ÁÁ
सौ म त्रणा च जान ा चापबाणा सधािरणे Á
संसे ाय सदा भ ा ा मने मम म ळम् Á Á 11 ÁÁ
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म ळाशासनपरै मर्दाचायर्पुरोगमैः Á
सव पूवराचायः स ृ ताया ु म ळम् Á Á 17 ÁÁ
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श्री स े परामायणम्
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बु ाऽऽ ना वा प्रकृतेः भावात् Á
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करो म य त् सकलं पर ै
नारायणाये त समपर्या म Á Á 18 Á Á
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