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श्रीः

श्रीमते रामानुजाय नमः


श्रीमते नगमा महादे शकाय नमः

श्रीमद्रामायणे वा ीक ये आ दका े बालका े

Á Á श्री स े परामायणम् Á Á
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श्री र रामानुज महादे शकन्


His Holiness śrīmad āṇḍavan śrīraṅgam
श्रीः

ām om
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श्रीमते रामानुजाय नमः

er do mb
श्रीमते नगमा महादे शकाय नमः

Á Á श्री स े परामायणम् Á Á
श्रीमद्रामायण पठनोपक्रमे अनुसन्धेय श्लोकाः


रामानुज दयापात्रं ज्ञानवैरा भूषणम् Á

i
श्रीम े टनाथाय व े वेदा दे शकम् Á Á 1 ÁÁ

b
su att ki
ल ीनाथसमार ां नाथयामुनम माम् Á
अ दाचायर्पयर् ां व े गुरुपरं पराम् Á Á 2 ÁÁ
यो न म ुतपदा ुजयु रु
ap der

ामोहत दतरा ण तृणायमेने Á


अ रु ोभर्गवतो दयैक स ोः
i
रामानुज चरणौ शरणं प्रप े Á Á 3 ÁÁ
माता पता युवतय नया वभू तः
pr sun

सव यदेव नयमेन मद यानाम् Á


आ नः कुलपतेवर्कुळा भरामं
श्रीमत् तद युगळं प्रणमा म मू ÁÁ 4 ÁÁ
भूतं सर महदा य भ नाथ
nd

श्रीभ सार कुलशेखर यो गवाहान् Á


भ ा रे णु परकाल यती मश्रान्
श्रीमत् पराङ्कुशमु नं प्रणतो न म् Á Á 5 ÁÁ
पतामह ा प पतामहाय
प्राचेतसादेश फलप्रदाय Á
श्री स े परामायणम्

श्रीभा कारो म दे शकाय

ām om
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श्रीशैल पूण य नमो नम ात् Á Á 6 ÁÁ

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शु ा रधरं व ुं श शवण चतुभुर्जम् Á
प्रस वदनं ायेत् सवर् व ोपशा ये Á Á 7 ÁÁ
य रदव ा ाः पािरष ाः परः शतम् Á


व ं न सततं व ेनं तमाश्रये Á Á 8 Á Á

i
ज्ञानान मयं देवं नमर्ल टकाकृ तम् Á

b
आधारं सवर् व ानां हयग्रीवमुपा हे Á Á 9 ÁÁ
su att ki
कूज ं रामरामे त मधुरं मधुराक्षरम् Á
आरु क वताशाखां व े वा ी कको कलम् Á Á 10 ÁÁ
ap der

वा ीकेमुर् न संह क वतावनचािरणः Á


शृ न् रामकथानादं को न या त परां ग तम् Á Á 11 ÁÁ
i
यः पबन् सततं रामचिरतामृतसागरम् Á
ं मु नं व े प्राचेतसमक षम् Á Á 12 ÁÁ
pr sun

अतृ

गो दीकृतवारा शं मशक कृतराक्षसम् Á


रामायणमहामालार ं व ऽे नला जम् Á Á 13 ÁÁ
अ नान नं वीरं जानक शोकनाशनम् Á
nd

कपीशमक्षह ारं व े ल ाभय रम् Á Á 14 ÁÁ


मनोजवं मारुततु वेगं
जते यं बु मतां विर म् Á
वाता जं वानरयूथमु ं
श्रीरामदूतं शरसा नमा म Á Á 15 ÁÁ

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श्री स े परामायणम्

उ स ोः स ललं सल लं

ām om
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यः शोकव ं जनका जायाः Á

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आदाय तेनैव ददाह ल ां
नमा म तं प्रा लरा नेयम् Á Á 16 ÁÁ
आ नेयम तपाटलाननं


का ना द्र कमनीय वग्रहम् Á
पािरजात तरुमूल वा सनं

i
भावया म पवमानन नम् Á Á 17 ÁÁ

b
su att ki
यत्र यत्र रघुनाथक तर्नं
तत्र तत्र कृतम का लम् Á
बा वािरपिरपूणर्लोचनं
ap der

मारु तं नमत राक्षसा कम् Á Á 18 ÁÁ


वेदवे े परे पुं स जाते दशरथा जे Á
i
वेदः प्राचेतसा दासीत् साक्षात् रामायणा ना Á Á 19 ÁÁ
pr sun

चिरतं रघुनाथ शतको ट प्र व रम् Á


एकैकमक्षरं प्रो ं महापातकनाशनम् Á Á 20 ÁÁ
शृ न् रामायणं भ ा यः पादं पदमेव वा Á
स या त ब्र णः ानं ब्र णा पू ते सदा Á Á 21 ÁÁ
nd

वा ी क गिर संभूता रामसागर गा मनी Á


पुना त भुवनं पु ा रामायण महानदी Á Á 22 Á Á

ोकसारसमाक ण सगर्क ोलसङ्कुलम् Á


का ग्राह महामीनं व े रामायणाणर्वम् Á Á 23 ÁÁ

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श्री स े परामायणम्

यः कण ल संपुटैरहरहः संयक् पब ादरात्

ām om
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वा ीकेवर्दनार व ग ळतं रामायणा ं मधु Á

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ज ा ध जरा वप मरणैर सोपद्रवं
संसारं स वहाय ग त पुमान् व ोः पदम् शा तम् Á Á 24 ÁÁ
तदुपगत समास स योगम्


सममधुरोपनताथर् वा ब म् Á
रघुवर चिरतं मु नप्रणीतम्

i
दश शरस वधम् नशामय म् Á Á 25 ÁÁ

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su att ki
श्रीराघवं दशरथा जमप्रमेयं
सीताप तं रघुकुला यर दीपम् Á
आजानुबाहुमर व दळायताक्षम्
ap der

रामं नशाचर वनाशकरं नमा म Á Á 26 ÁÁ


वैदह
े ीस हतं सुरद्रम
ु तले हैमे महाम पे
i
म ेपु कमासने म णमये वीरासने सु तम् Á
अग्रे वाचय त प्रभ नसुते त ं मु न ः परं
pr sun

ा ा ं भरता द भः पिरवृतं रामं भजे ामलम् Á Á 27 ÁÁ


आपदामपहत रं दातारं सवर्संपदाम् Á
लोका भरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमा हम् Á Á 28 ÁÁ
धम ा स स रामो दाशर थयर् द Á
nd

पौरुषेचाऽप्र त ः शरै नं ज ह राव णम् Á Á 29 ÁÁ


तपः ा ाय नरतं तप ी वा दां वरम् Á
नारदं पिरपप्र वा ी कमुर् नपु वम् Á Á 30 ÁÁ

श्रीरघुनन्दन परब्रह्मणे नमः


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श्री स े परामायणम्

अथ श्री सङ्क्षेपरामायण प्रारंभः

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तपः ा ाय नरतं तप ी वा दां वरम् Á

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नारदं पिरपप्र वा ी कमुर् नपु वम् Á Á 1 Á Á

को न् सा तं लोके गुणवान् क वीयर्वान् Á


धमर्ज्ञ कृतज्ञ स वा ो दृढव्रतः Á Á 2 Á Á


चािरत्रेण च को यु ः सवर्भूतेषु को हतः Á

i
व ान् कः कः समथर् क ैक प्रयदशर्नः Á Á 3 ÁÁ

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su att ki
आ वान् को जतक्रोधो ु तमान् कोऽनसूयकः Á
क ब त देवा जातरोष संयुगे Á Á 4 Á Á

एत द ा हं श्रोतुं परं कौतूहलं ह मे Á


ap der

महष ं समथ ऽ स ज्ञातुमेवं वधं नरम् Á Á 5 ÁÁ


श्रु ा चैत लोकज्ञो वा ीकेन रदो वचः Á
i
श्रूयता म त चाम प्रहृ ो वा मब्रवीत् Á Á 6 ÁÁ
pr sun

बहवो दुलर् भा ैव ये या क तर्ता गुणाः Á


मुने व ा हं बुद् ा तैयर्ु ः श्रूयतां नरः Á Á 7 ÁÁ
इ ाकुवंशप्रभवो रामो नाम जनैः श्रुतः Á
नयता ा महावीय ु तमान् धृ तमान् वशी Á Á 8 ÁÁ
nd

बु मान् नी तमान् वा ी श्रीमा त्रु नबहर्णः Á


वपुलांसो महाबाहुः क ुग्रीवो महाहनुः Á Á 9 Á Á

महोर ो महे ासो गूढजत्रुरिर मः Á


आजानुबाहुः सु शराः सुललाटः सु वक्रमः Á Á 10 ÁÁ

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श्री स े परामायणम्

समः सम वभ ा ः वणर्ः प्रतापवान् Á

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पीनवक्षा वशालाक्षो ल ीवा ु भलक्षणः Á Á 11 ÁÁ

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धमर्ज्ञः स स प्रजानां च हते रतः Á
यश ी ज्ञानस ः शु चवर् ः समा धमान् Á Á 12 ÁÁ
प्रजाप तसमः श्रीमान् धाता िरपु नषूदनः Á


र क्षता जीवलोक धमर् पिरर क्षता Á Á 13 ÁÁ

i
र क्षता धमर् जन च र क्षता Á

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su att ki
वेदवेदा त ज्ञो धनुवदे च न तः Á Á 14 Á Á

सवर्शा ाथर्त ज्ञः ृ तमान् प्र तभानवान् Á


सवर्लोक प्रयः साधुरदीना ा वचक्षणः Á Á 15 ÁÁ
ap der

सवर्दा भगतः स ः समुद्र इव स ु भः Á


आयर्ः सवर्सम ैव सदैव प्रयदशर्नः Á Á 16 Á Á
i
स च सवर्गुणोपेतः कौस ान वधर्नः Á
pr sun

समुद्र इव गा ीय धैयण हमवा नव Á Á 17 ÁÁ


व ुना सदृशो वीय सोमव यदशर्नः Á
काला सदृशः क्रोधे क्षमया पृ थवीसमः Á Á 18 ÁÁ
धनदेन सम ागे स े धमर् इवापरः Á
nd

तमेवं गुणस ं रामं स पराक्रमम् Á Á 19 ÁÁ


े ं श्रे गुणैयुर् ं प्रयं दशरथः सुतम् Á
प्रकृतीनां हतैयुर् ं प्रकृ त प्रयका या Á Á 20 ÁÁ
यौवरा ेन संयो ु मै त् प्री ा महीप तः Á
त ा भषेकस ारान् दृ ा भाय थ कैकयी Á Á 21 ÁÁ
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श्री स े परामायणम्

पूव द वरा देवी वरमेनमयाचत Á

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ववासनं च राम भरत ा भषेचनम् Á Á 22 ÁÁ

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स स वचनाद् राजा धमर्पाशेन संयतः Á
ववासयामास सुतं रामं दशरथः प्रयम् Á Á 23 ÁÁ
स जगाम वनं वीरः प्र तज्ञामनुपालयन् Á


पतुवर्चन नदशात् कैके ाः प्रयकारणात् Á Á 24 ÁÁ

i
तं व्रज ं प्रयो भ्राता ल णोऽनुजगाम ह Á

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su att ki
ेहाद् वनयस ः सु मत्रान वधर्नः Á Á 25 ÁÁ
भ्रातरं द यतो भ्रातुः सौभ्रात्रमनुदशर्यन् Á
राम द यता भाय न ं प्राणसमा हता Á Á 26 ÁÁ
ap der

जनक कुले जाता देवमायेव न मर्ता Á


सवर्लक्षणस ा नार णामु मा वधूः Á Á 27 ÁÁ
i
सीता नुगता रामं श शनं रो हणी यथा Á
pr sun

पौरै रनुगतो दूरं पत्रा दशरथेन च Á Á 28 Á Á

शृ वेरपुरे सूतं ग ाकूले सजर्यत् Á


गुहमासा धम ा नषादा धप तं प्रयम् Á Á 29 ÁÁ
गुहेन स हतो रामो ल णेन च सीतया Á
nd

ते वनेन वनं ग ा नदी ी बहूदकाः Á Á 30 ÁÁ


चत्रकूटमनुप्रा भर ाज शासनात् Á
र मावसथं कृ ा रममाणा वने त्रयः Á Á 31 ÁÁ
देवग वर्स ाशा त्र ते वसन् सुखम् Á
चत्रकूटं गते रामे पुत्रशोकातुर दा Á Á 32 Á Á
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श्री स े परामायणम्

राजा दशरथः ग जगाम वलपन् सुतम् Á

ām om
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र् ैः Á Á 33
गते तु त न् भरतो व स प्रमुखै ज ÁÁ

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नयु मानो रा ाय नै द् रा ं महाबलः Á
स जगाम वनं वीरो रामपादप्रसादकः Á Á 34 Á Á

ग ा तु स महा ानं रामं स पराक्रमम् Á


अयाचद् भ्रातरं राममायर्भावपुर ृ तः Á Á 35 ÁÁ

i
मेव राजा धमर्ज्ञ इ त रामं वचोऽब्रवीत् Á

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su att ki
रामोऽ प परमोदारः सुमुखः सुमहायशाः Á Á 36 ÁÁ
न चै त् पतुरादेशाद् रा ं रामो महाबलः Á
पादुके चा रा ाय ासं द ा पुनः पुनः Á Á 37 ÁÁ
ap der

नवतर्यामास ततो भरतं भरताग्रजः Á


स काममनवा ैव रामपादावुप ृशन् Á Á 38 ÁÁ
i
न ग्रामेऽकरोद् रा ं रामागमनका या Á
pr sun

गते तु भरते श्रीमान् स स ो जते यः Á Á 39 ÁÁ


राम ु पुनराल नागर जन चÁ
तत्रागमनमेकाग्रो द कान् प्र ववेश ह Á Á 40 ÁÁ
प्र व तु महार ं रामो राजीवलोचनः Á
nd

वराधं राक्षसं ह ा शरभ ं ददशर् ह Á Á 41 ÁÁ


सुती ं चा ग ं च अग भ्रातरं तथा Á
अग वचना ैव जग्राहै ं शरासनम् Á Á 42 Á Á

ख ं च परमप्रीत ूणी चाक्षयसायकौ Á


वसत राम वने वनचरै ः सह Á Á 43 ÁÁ
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श्री स े परामायणम्

ऋषयोऽ ागमन् सव वधायासुररक्षसाम् Á

ām om
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स तेषां प्र तशुश्राव राक्षसानां तदा वने Á Á 44 ÁÁ

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प्र तज्ञात रामेण वधः संय त रक्षसाम् Á
ऋषीणाम क ानां द कार वा सनाम् Á Á 45 ÁÁ
तेन तत्रैव वसता जन ान नवा सनी Á


वरू पता शूपर्णखा राक्षसी कामरू पणी Á Á 46 ÁÁ

i
ततः शूपर्णखावा ादु ु ान् सवर्राक्षसान् Á

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su att ki
खरं त्र शरसं चैव दूषणं चैव राक्षसम् Á Á 47 ÁÁ
नजघान रणे राम ेषां चैव पदानुगान् Á
वने त न् नवसता जन ान नवा सनाम् Á Á 48 ÁÁ
ap der

रक्षसां नहता ासन् सहस्रा ण चतुदश र् Á


ततो ज्ञा तवधं श्रु ा रावणः क्रोधमू तः Á Á 49 ÁÁ
i
सहायं वरयामास मार चं नाम राक्षसम् Á
pr sun

वायर्माणः सुबहुशो मार चेन स रावणः Á Á 50 ÁÁ


न वरोधो बलवता क्षमो रावण तेन ते Á
अनादृ तु त ा ं रावणः कालचो दतः Á Á 51 ÁÁ
जगाम सहमार च ाश्रमपदं तदा Á
nd

तेन माया वना दूरमपवा नृपा जौ Á Á 52 ÁÁ


जहार भाय राम गृध्रं ह ा जटायुषम् Á
गृध्रं च नहतं दृ ा हृतां श्रु ा च मै थल म् Á Á 53 ÁÁ
राघवः शोकस ो वललापाकुले यः Á
तत ेनैव शोकेन गृध्रं द ा जटायुषम् Á Á 54 ÁÁ
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श्री स े परामायणम्

मागर्माणो वने सीतां राक्षसं स दशर् ह Á

ām om
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कब ं नाम रूपेण वकृतं घोरदशर्नम् Á Á 55 ÁÁ

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तं नह महाबाहुदर्दाह गर्त सः Á
स चा कथयामास शबर धमर्चािरणीम् Á Á 56 ÁÁ
श्रमणां धमर् नपुणाम भग े त राघव Á
सोऽ ग

dāहातेजाः शबर शत्रुसूदनः Á Á 57 ÁÁ

i
शबय पू जतः स ग् रामो दशरथा जः Á

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su att ki
प ातीरे हनुमता स तो वानरे ण ह Á Á 58 Á Á

हनुम चना ैव सुग्रीवेण समागतः Á


सुग्रीवाय च त व शंसद्रामो महाबलः Á Á 59 ÁÁ
ap der

आ दत द् यथावृ ं सीताया वशेषतः Á


सुग्रीव ा प त व श्रु ा राम वानरः Á Á 60 ÁÁ
i
चकार स ं रामेण प्रीत ैवा सा क्षकम् Á
pr sun

ततो वानरराजेन वैरानुकथनं प्र त Á Á 61 Á Á

रामायावे दतं सव प्रणयाद् दुः खतेन च Á


प्र तज्ञातं च रामेण तदा वा लवधं प्र त Á Á 62 ÁÁ
वा लन बलं तत्र कथयामास वानरः Á
nd

सुग्रीवः श त ासी ं वीयण राघवे Á Á 63 ÁÁ


राघवप्र याथ तु दु भ ु ेः कायमु मम् Á
दशर्यामास सुग्रीवो महापवर्तस भम् Á Á 64 ÁÁ
उ य ा महाबाहुः प्रे चा महाबलः Á
पादाङ्गु ेन चक्षेप स ूण दशयोजनम् Á Á 65 ÁÁ
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श्री स े परामायणम्

बभेद च पुन ालान् स ैकेन महेषुणा Á

ām om
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गिरं रसातलं चैव जनयन् प्र यं तदा Á Á 66 ÁÁ

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ततः प्रीतमना ेन व ः स महाक पः Á
क ां रामस हतो जगाम च गुहां तदा Á Á 67 ÁÁ
ततोऽगजर् िरवरः सुग्रीवो हेम प ळः Á


तेन नादेन महता नजर्गाम हर रः Á Á 68 ÁÁ

i
अनुमा तदा तारां सुग्रीवेण समागतः Á

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su att ki
नजघान च तत्रैनं शरे णैकेन राघवः Á Á 69 ÁÁ
ततः सुग्रीववचना ा वा लनमाहवे Á
सुग्रीवमेव तद्रा े राघवः प्र पादयत् Á Á 70 ÁÁ
ap der

स च सव न् समानीय वानरान् वानरषर्भः Á


दशः प्र ापयामास ददृक्षुजर्नका जाम् Á Á 71 ÁÁ
i
ततो गृध्र वचनात् स ातेहर्नुमान् बल Á
pr sun

शतयोजन व ीण पुप्लुवे लवणाणर्वम् Á Á 72 ÁÁ


तत्र ल ां समासा पुर रावणपा लताम् Á
ददशर् सीतां ाय ीमशोकव नकां गताम् Á Á 73 ÁÁ
नवेद य ा भज्ञानं प्रवृ ं व नवे च Á
nd

समा ा च वैदह े ीं मदर्यामास तोरणम् Á Á 74 ÁÁ


प सेनाग्रगान् ह ा स म सुतान प Á
शूरमक्षं च न ग्रहणं समुपागमत् Á Á 75 ÁÁ
अ ेणो ु मा ानं ज्ञा ा पैतामहाद् वरात् Á
मषर्यन् राक्षसान् वीरो य ण ान् यदृ या Á Á 76 ÁÁ
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श्री स े परामायणम्

ततो द ा पुर ल ामृते सीतां च मै थल म् Á

ām om
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रामाय प्रयमा ातुं पुनराया हाक पः Á Á 77 Á Á

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सोऽ भग महा ानं कृ ा रामं प्रद क्षणम् Á
वेदयदमेया ा दृ ा सीते त त तः Á Á 78 Á Á

ततः सुग्रीवस हतो ग ा तीरं महोदधेः Á


समुद्रं क्षोभयामास शरै रा द स भैः Á Á 79 ÁÁ

i
दशर्यामास चा ानं समुद्रः सिरतां प तः Á

b
su att ki
समुद्रवचना ैव नलं सेतुमकारयत् Á Á 80 Á Á

तेन ग ा पुर ल ां ह ा रावणमाहवे Á


रामः सीतामनुप्रा परां व्रीडामुपागमत् Á Á 81 ÁÁ
ap der

तामुवाच ततो रामः परुषं जनसंस द Á


अमृ माणा सा सीता ववेश लनं सती Á Á 82 ÁÁ
i
ततोऽ वचनात् सीतां ज्ञा ा वगतक षाम् Á
pr sun

कमर्णा तेन महता त्रैलो ं सचराचरम् Á Á 83 Á Á

सदेव षर्गणं तु ं राघव महा नः Á


ै तैः Á Á 84
बभौ रामः स हृ ः पू जतः सवर्दव ÁÁ
अभष च ल ायां राक्षसे ं वभीषणम् Á
nd

कृतकृ दा रामो व रः प्रमुमोद ह Á Á 85 ÁÁ


देवता ो वरं प्रा समु ा च वानरान् Á
अयो ां प्र तो रामः पु केण सुहृद्वृतः Á Á 86 ÁÁ
भर ाजाश्रमं ग ा रामः स पराक्रमः Á
भरत ा के रामो हनूम ं सजर्यत् Á Á 87 ÁÁ
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श्री स े परामायणम्

पुनरा ा यकां ज न् सुग्रीवस हत दा Á

ām om
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पु कं तत् समारु न ग्रामं ययौ तदा Á Á 88 ÁÁ

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न ग्रामे जटां ह ा भ्रातृ भः स हतोऽनघः Á
रामः सीतामनुप्रा रा ं पुनरवा वान् Á Á 89 ÁÁ
प्रहृ ोमु दतो लोक ु ः पु ः सुधा मर्कः Á


नरामयो रोग दु भर्क्षभयव जर्तः Á Á 90 Á Á

i
न पुत्रमरणं क द् द्र पुरुषाः चत् Á

b
su att ki
नायर् ा वधवा न ं भ व प तव्रताः Á Á 91 ÁÁ
न चा जं भयं क ा ु मज्ज ज वः Á
न वातजं भयं क ाप रकृतं तथा Á Á 92 Á Á
ap der

न चा प क्षु यं तत्र न त रभयं तथा Á


नगरा ण च रा ्र ा ण धनधा युता न च Á Á 93 ÁÁ
i
न ं प्रमु दताः सव यथा कृतयुगे तथा Á
pr sun

अ मेधशतैिर ा तथा बहुसुवणर्कैः Á Á 94 ÁÁ


गवां को युतं द ा व ो व धपूवर्कम् Á
असङ् ेयं धनं द ा ब्रा णे ो महायशाः Á Á 95 ÁÁ
राजवंशा तगुणान् ाप य त राघवः Á
nd

चातुवर् च लोकेऽ न् े े धम नयो त Á Á 96 ÁÁ


दशवषर्सहस्रा ण दशवषर्शता न च Á
रामो रा मुपा स ा ब्र लोकं प्रया त Á Á 97 ÁÁ
इदं प वत्रं पाप ं पु ं वेदै स तम् Á
यः पठे द् रामचिरतं सवर्पापैः प्रमु ते Á Á 98 ÁÁ
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श्री स े परामायणम्

एतदा ानमायु ं पठन् रामायणं नरः Á

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सपुत्रपौत्रः सगणः प्रे ग महीयते Á Á 99 ÁÁ

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पठन् जो वागृषभ मीयात्
ात् क्ष त्रयो भू मप त मीयात् Á
व ण नः प फल मीया -


ज्जन शूद्रोऽ प मह मीयात् Á Á 100 ÁÁ

i
श्रीमद्रामायण पारायण समापने अनुसन्धेय श्लोकक्रमः

b
su att ki
एवमेत ुरावृ मा ानं भद्रम ु वः Á
प्र ाहरत वस्र ं बलं व ोः प्रवधर्ताम् Á Á 1 ÁÁ
लाभ ष े ां जय ेषां कुत ेषां पराभवः Á
ap der

येषा म ीवर ामो हृदये सुप्र त तः Á Á 2 ÁÁ


काले वषर्तु पजर् ः पृ थवी स शा लनी Á
i
देशोऽयं क्षोभर हतो ब्रा णाः स ु नभर्याः Á Á 3 ÁÁ
pr sun

कावेर वधर्तां काले काले वषर्तु वासवः Á


श्रीर नाथो जयतु श्रीर श्री वधर्ताम् Á Á 4 ÁÁ
प्रजा ः पिरपालय ां
ा ेन मागण महीं महीशाः Á
गोब्रा णे ः शुभम ु न ं
nd

लोकाः सम ाः सु खनो भव ु Á Á 5 ÁÁ
म ळं कोसले ाय महनीयगुणा ये Á
चक्रव तर्तनूजाय सावर्भौमाय म ळम् Á Á 6 ÁÁ

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श्री स े परामायणम्

वेदवेदा वे ाय मेघ ामलमूतर्ये Á

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पुंसां मोहनरूपाय पु ोकाय म ळम् Á Á 7 ÁÁ

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व ा मत्रा र ाय म थलानगर पतेः Á
भा ानां पिरपाकाय भ रूपाय म ळम् Á Á 8 ÁÁ
पतृभ ाय सततं भ्रातृ भः सह सीतया Á


न ता खललोकाय रामभद्राय म ळम् Á Á 9 ÁÁ

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साकेतवासाय चत्रकूट वहािरणे Á

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से ाय सवर्य मनां धीरोदाराय म ळम् Á Á 10 ÁÁ
सौ म त्रणा च जान ा चापबाणा सधािरणे Á
संसे ाय सदा भ ा ा मने मम म ळम् Á Á 11 ÁÁ
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द कार वासाय ख तामरशत्रवे Á


गृध्रराजाय भ ाय मु दाया ु म ळम् Á Á 12 ÁÁ
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सादरं शबर द फलमूला भला षणे Á
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सौल पिरपूण य स ो द्र ाय म ळम् Á Á 13 ÁÁ


हनुम मवेताय हर शाभी दा यने Á
वा लप्रमथनाया ु महाधीराय म ळम् Á Á 14 ÁÁ
श्रीमते रघुवीराय सेतू त स वे Á
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जतराक्षसराजाय रणधीराय म ळम् Á Á 15 ÁÁ


आसा नगर द ाम् अ भ ष ाय सीतया Á
राजा धराजराजाय रामभद्राय म ळम् Á Á 16 Á Á

म ळाशासनपरै मर्दाचायर्पुरोगमैः Á
सव पूवराचायः स ृ ताया ु म ळम् Á Á 17 ÁÁ
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श्री स े परामायणम्

कायेन वाचा मनसे यैव

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बु ाऽऽ ना वा प्रकृतेः भावात् Á

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करो म य त् सकलं पर ै
नारायणाये त समपर्या म Á Á 18 Á Á

ÁÁ इ त श्री स े परामायणं समा म् ÁÁ

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