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Charaka Charcha (Monthly Magazine, Hindi and Gurumukhi) January 1980 Editor Veni Prasad Shastri - Punjab Vaidya Sammelan, Ludhiana - Text
Charaka Charcha (Monthly Magazine, Hindi and Gurumukhi) January 1980 Editor Veni Prasad Shastri - Punjab Vaidya Sammelan, Ludhiana - Text
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EN
आयुर्वेदिक चिकित्सा
et
afas पत्रिका
aca: JO чо aus
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e”
सम्पादक
कविराज श्री वेणी प्रसाद शास्त्री (MA)
x कर्ताराम ==, लुधियाना
“चरक चर्चा' प्रकाशन की तैयारी
शुरू कर दी गई है। साथ ही
कटु तिक्तकषाय साथ यह चिन्ता भी रही कि
भारत के स्वास्थ्य एवं परिवार
|- सम्पादक की कलम से नियोजन मन्त्री श्री रविराय
| ° जी जो आश्वासन दे गए हैं
यदि भाग दौड़ करके उन्हें लाग
N. Ne
Т करवाया जा सका,तो सारे क
स्श्ग चंग सारा श्रम बेकार "चला जाएगा,
| मनुष्य परिस्थितियों का क्योंकि HEAT के ग्राश्वा-
|. = दास Š | जो लोग अपनी साम सन कोई महाराजां दशरथ के
e से परिस्थितिग्रों को बदल देते वचन तो होते नहीं जो हर
i e वह महाप रुष होते हाल मे TX होने होते ë | यह
हैं | परन्त
Š агага छोटा सा этен हं लोग तो कहकर तुरन्त भूल जाते
॥ इमानदारी से चाहने पर भी हैं, जरा देर हो जाने पर तो यह
“चरक चर्चा” प्रकाशित न हो पूरी की प्री घटनी को ही
सकी । पहिले तो वाषिक अधि- दिमाग से निकाल कर भ्रजनवी
वेशेन के. निमित्त मन्त्रियों * बन जाते हैं अत: निश्चय
चक्कर में चण्डीगढ़ और दिल्ली feat गया कि श्री रविराय जी -
की प्रदक्षिणा करता रहा । दिन को मिलकर प्रस्तावों क्रो लागू
) रात को भाग दौड़ RAR करवाने का ren किया जाए
।.. हजम कर गई,परतन्त एक सन्तोष और चरक चर्चा के .संकलन का
। . अवश्य रहा कि ग्रन्ततोगत्वा काम उसके बाद के लिए छोड
| मोगा -ग्रधिवेशन पूरी सजधज दिया जाए
- और सफलता पूर्वक सम्पन्न हो : अब शुरू हो गई अपनी दिल्ली
фы I की दौड़, लम्बा पत्र व्यवहार,
MA T रोज-सेज की टेलीफोन वार्ता एवं
jJ मोगा अधिवेशन की सम्पूर्ण तीन लम्बी मुलाकातों के बाद
Tow, गतिविधप्रियों को संकलित कर बेल US चढ़ती नजर आने लगी ।
Ln
तो रोगी इन्हीं वैद्य और हकीमों
`
T को फिर दिल्ली a
№
पहु चा, घर पर ही श्री रविराय डी सेवा सेलाभान्वित होता
जी से मुलाकात हुई। अत्यन्त बड़े-बड़े विशेषज्ञों केपास तो
स्नेह और मैत्रीपूर्ण वातावरण Wea में पहु चता है और करोड़ों
में बात हुई। मैंने केवल दो की सख्या में रोगी तो आदी से
मुद्दे सामने रखे जो वेद्य समाज Wet तक इनकी .सेवा और qf z-
के लिये ward महत्वपूर्ण б! चर्या में ही. रहते dz कठि-
पहली AT Aah बात नाई प्रान्तीय न हो कर अखिल .
यह थी कि जो वेद्य AAT हकीम भारतीय है। इसका उचित:
अनुभव के आधार पर भारत के समाधान यह है Ps feat भी
किसी भी राज्य में रजिस्टडे ë “gst में रजिस्टर हुए प्रत्येक
उनके चिकित्सा विषयक afa- a और हकीम कोः केन्द्र में
कार केवल उस राज्य की रजिस्टर्ड करके देश के इस. कोने
सीमाओं के भीतर ही मान्यता “से उस. कोने तक प्रत्येक राज्य
रखते हैं | यदि परिस् थितिव श में चिकित्सा के लिए मान्यता
उन्हें ग्रपना राज्य छोड़कर दूसरे प्रदान mx दी जाय, उस परे
सूबे में जाना पड़ जाय तो विधि- केन्द्रीय सरकार का कुछ खर्चे.
विधान के अ्रनुसार वह dU ही नहीं ग्राएगा और यदि सरकार
नहीं रहता, क्योंकि श्रनुभव के चाहे तो प्रारम्भ में थोडा शल्क
श्राधार पर: हुई रजिस्टेशन भी ले सकती है । जिस धनराशि
केवल अपने सूबे में ही ачат से अच्छा अनुसंधान केन्द्र खोला
रखती है | इस प्रकार de की जा सकता हूं
बहुत बड़ी संख्या को बेकारी दुसरी मांग थी कि प्रत्येक” .
ग्रोर कठिनाइयों का सामना प्राथमिक. स्वास्थ्य RADA
2
2]
भाषण में यह ग्राइवासन स्वयं
भयंकर और ददेनाक हो गया |
दिया भी था | दोनों बातों पर हर
रात के दस बजे थे। अंधेरे को
दृष्टिकोण से देर तक विचार
भयावहता को और fup कर
विनिमय zur और श्री मन्त्री
दिया |
महोदय को दोनों बातों में कळ
तत्व सार नज़र grat
इस दुर्घटना में मेरा दाहिना
भी | वाजू और टांग क्षतिग्रस्त हो गई
Salt तुरन्त अपने स्टेनो क॑
6 सप्ताह TAFIT लगा रहा |
बुला करू, सारी बातचीत को
d पलस्तर उतर जाने के बाद भी
. लिपि-बद्ध करने का आदेश दिया
4-5 सप्ताह हाथ ने कलम
HX मुझे' श्राइवासन दिया कि
TREAT स्वीकार न किया |
विधि-विधान की सीमा में रह
बाहर ग्राने-जाने का प्रश्न ही
कर जो भी सम्भव होगा,. वह
समाप्त. हो गयो । रिक्शा की
- अवश्य किया जाएगा और साथ
सहायता से धीरे-धीरे भ्राना-
यह WI कहा कि [65-20 दिन
जाना होने लगा । आवश्यक
के-बाद फिर इस विषय में स्मरण
दैनिक कार्यों में दूसरे का ag-
PUT देना | योग ята हो गया |
यह _श्राशवासँन लेकर मैं इस दुर्घटना का अ्रफसोस
प्रसन्नता पूर्वक बस. द्वारा दिल्ली नहीं वरन् प्रसन्नता है । इतनी
सें घर लौट पड़ा । सारी यात्रा बड़ी दुर्घटना और यह मामूली
AIA से कटी। हमारी बस सी चोट मेरे आगे और पीछे
लुधियाना की सीमा में प्रविष्ट वाले दोनों सज्जन प्रभ को प्यारे
हो चुकी थी.।..एक के बाद एक हो गए। मेरे साथ तो प्रभ ने
कारखाने को लांघती बस दौड़ी बहुत ही रहम किया हैश्रन्यथा जो
जा रही थी । जैसे ही बस ढंडारी कुछ भी हो जाता वह थोड़ा था ।
गांव के पास. पहुंची, एकाएक दुर्घटना की भीषणता और
विपरीति दिशा से श्रा रहे एक अपनी कुशलता को सोचकर
भरे हुए eH ने टक्कर मार दी | मन प्रभु को अ्रपरंपार लीला के
बस की फट्टी-फट्टी चरमरा उठी सामने श्रद्धावनत हो जाता हे |
AT वातावरण चीखो-पुकार से सम्पादक के नाते मेरा
T कर्तव्य था कि मैं पहिले उस मास की पट्टी में स्थित था |
चरक-चर्चा के प्रकाशन की मेरा व्यक्तित्व भी जड़वां ही है ।
2
चिन्ता करता और हर हाल इस जूड़वां व्यक्तित्व के कारण
में पत्रिका प्रकाशित करता, साथ ही चरक-चर्चा समय पर प्रका-
ही सम्मेलन के महामन्त्री के रूप fara न हो सकी |
में मेरा परम कतंव्य था कि मैं
श्राप लोगों कीA^ ag-
सम्मेलन के कार्य को प्राथमिकता
देकर समय रहते पारित प्रस्तावों भावनाश्रों केफलस्वरूप яа मैं
को सरकार से कार्यान्वित कर- पूर्ण स्वस्थ हृ | ग्रवः पत्रिका
वाता जिससे लाखों लोगों को समय पर आपकी सेवा'में प्रकार 5
लाभ पहुचता । शित की जायेगी | पहले. चरक
चर्चा चार मास बाद प्रकांशित ME
पट्टी से
एक दूसरे से जुड़े हुए थे ित होती रही `` -. M
हैयदि प्रेमी पाठक तनिक ध्यान - | O
सब अंग प्रत्यंग पृथक होते हुए
भी दोनों का दिल एक था जो |
< तो पत्रिका अपने पैरों पर खड़ी
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हो सकती हे i
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a. 45 mre
देखन में प्रिसपल आर. आर. भट्ट,
M. B, B. S,
छोटे लगें कुठा पाडी (करनाटक)
mooo ——— a
सूतरशेख रस स्वर्णभस्म क्षमता चाहिये ।
एवं स्वर्ण माक्षिक के सम्मिश्रण
योग
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से बना हुग्रा ग्रत्यन्त प्रसिद्ध तथा
प्रभावी atte Š | देश के इस
TET गेरिक 2 भाग
शुण्ठी चूर्ण भाग
कोने से" उस कोने तक इसका
पान के पत्तों के रसमें दो
प्रयोग होता है, परन्तु 'लघ्
दिन तक खरल करके 50 mg
S सूतशेखेर इतना प्रसिद्ध नहीं है |
की गोलियां बना कर धप में
`. “लघु सूतशेखर” नामं का ही
सुखा लें।
чч है, इसंके कारनामे बहु
श्री गंगाधर शास्त्री गुणेके
बड़े हें अनेक चिकित्सकाशास्त्री अनुसार लघुसूतशेखर रस पित्त
इसको देर से प्रयोग करते ग्रा दोष तथा रस एवं रक्त धातु के
रहें. हैं। कर्नाटक राज्य मे इसका रोगों के लिये लाभप्रद है эе; यह
- व्यापक रूप से प्रयोग होंता है
ATE श्रम्लपित्त, उत्क्लेश, वमन,
“लघु सूतशेखर के घटक भ्रम, शिर:शूल, श्रपचन, प्रलाप
द्रव्य इतने सामान्य और सस्ते एवं . EPISTEXIS नकसीर
हैंकि प्रथम दृष्टि में यह योग में लाभप्रद है |
` चिकित्सकः के मन को प्रभावित दस वर्ष के निरन्तर प्रयोग
“नहीं करता | कभी केभी सामान्य के बाद हमने इस श्रौषध-रत्न को
द्रव्य इतना प्रभावी काम कर अनेक रोगों में अत्यन्त प्रभाव-
--देते हैं,यहदेखकर आश्चर्य होता कारी पाया है। घटक द्रव्यो से
'है। भगवान चरक का कथन है कि तो ऐसा मालूम पड़ता हैकि यह
प्रत्येक द्रव्य में औषध तत्व विद्य- दवा पित्त रोगों पर ही लाभ-
मान है, चिकित्सक,में रोग और दायक है परन्तु कफप्रधान
ग्रौषध के मर्म को समझने की रोगों पर भी इसका पर्याप्त
[5
ग्रसर देखा गया है | यद्यपि लघु яа फेल हो रहो है। विज्ञान के
सुतशेखर का प्रभावक्षेत्र JAT- लिये अलर्जी एक चुनौती बनती
सूत शेखर के प्रभावक्षेत्र सेकई जा रही है । इसके साथ साथ
दृष्टियों से कुछ भिन्न है तथापि यह बात पूर्ण रूपेण स्पष्ट है कि
दोनों के मौलिक गुणधम में ग्राधूनिक A समूह का
पर्याप्त साम्यता दृष्टिगोचर gast पर प्रभाव नितान्त
होती है । जीणे रोग तथा चिर- क्षणिक है |
कारी बद्धमूल रोगों में सुवर्णसूत एलर्जीजन्य कष्टों से छुट- =;
शेखर ग्रधिक प्रभावी है परन्तु कारा पाने के लिये “qw qa.
लघृसूतशेखर तुरन्त और शीघ्र शेखर” अत्यन्त प्रभावशाली
प्रभावकारी होने की क्षमता के ग्रौषध है | यह कष्ट चाहे नवीन
कारण विशिष्ट गुण रखता है | हों चाहे पुराने जटिल हों, नवीन
परन्तु इसका प्रभाव बहुत ग्रोषधियों के प्रयोग से चाहे कितनी
गहराई में नहीं है । तो भी लघ्-
ही भयावह स्थिति क्यों न हो
सूत शेखर का विशेष प्रभाव गई हो “लघ् सूतशेखर” प्रकेला
watt से होने वाले चर्म रोग, अथवा अन्य औषधियों के साथ
नाक तथा गले के रोगों पर मिलकर एलर्जी-जन्य विभिन्न
अत्यन्त महत्वपूर्ण है | How- कष्टों के लिये रामबाण ataa
ever its action in Aller-
प्रमाणित हुआ | р
gic disorders of skin,
प्रयोग--लघ्ु सूतशेखर के
Nose, Throat etc. is
प्रयोग में मात्रा का बहुत महत्व
specific in nature.”
है | स्वत्पमात्रा में इसका
चिरकाल से श्रलर्जी से होने प्रभाव नगण्य सा रहता है |
वाले कष्ट दिन प्रति दिन बढ़ते सन्तोषजनक प्रभाव के लिये लघु-
ही जा रहे ê | ग्राधुनिक चिकि- सूतशेखर बड़ी मात्रा में तथा
त्सा विज्ञान को एन्टी हिस्टा- वार बार देना चाहिये। कितनी
fafaa A fai (Antihist- ही बड़ी मात्रा में लघुसूतशेखर
aminic) जो कभी श्रलर्जी के का प्रयोग क्यों न किया जाए,
(0. fer रामबाण मानी जाती थी विषाक्त प्रभाव तथा हानि
6]
I का तो प्रश्न ही gar नहों होता | स्वर्णमाक्षिकभस्म, तथा सारिवा
T लघुसूतशेखर की मात्रा LC Omg. के योगों में मिला कर देने से
- से 250 me, तक एक बार में तुरन्त लाभ करता है और वह
T दी जा सकती है, रोग और रोगी स्थाई लाभ करता है |
T का बलावल देखकर दिन में 4 से
(२) विसर्प-जनेऊ (Her-
6 बार तक दे सकते हैं। लघु-
pes and Erysipelas)—34
ж सूतशेखर के प्रभाव को हम संक्षेप
CA wp कह सकते हैं कि यह कष्ट के लिये कामदुधारस, प्रवाल
श्रौषध नासिका तथा मुख से होने एवं सारिवा के योग प्रयोग किए
वाले ग्रन्तःख्रवों को रोकता है जाते हैं, यदि उनमें लघुसूतशेखर
किसी सीमा तक श्रामाशय के मिला दिया जाए तो उनका
श्रन्तःस्रावों और गतियों को भी प्रभाव श्राशुकारी तथा स्थाई
- सुधारता है, त्वचागत रोगों पर हो जाता है, जलन, पीड़ा तथा
ग्रत्यन्त प्रखर प्रभाव रखता है | DAT लक्षण शीघ्र ठीक हो
जिससे त्वचा की खाल तथा जाते dI दवा 2 से 4 सप्ताह
जलन पर काबू पाता है विभिन्न तक करनी चाहिये ।
रोगों पर लघुसूत्रशेखर का अनुभव (३) विचार्चेका एवं दद्रु
विशेष रूप से लिखने का लोभ (Eczema and Ring-
संवरंण न कर सकूंगा | %०7mM5)—एग्जीमा और दाद
(१) Mafra, उदई (eret) की चिकित्सा में गंधक रसायन
(Urticaria)—हुर प्रकार के रस माणिक्य, सारिवा एवं
- शीतपित्त के लिये लघुसूतभेखर खदिर के योग प्रयुक्त होते हैं |
अत्यन्त महत्वपूर्ण AIT है | इन दवाइयों का सामान्य प्रभाव
एक दो दिन में हीऔषध अपना भी देर में होता है, पूर्ण लाभ
प्रभाव दिखा देती है | परन्तु के लिये तो बहुत समय लग
'* फिर भी एक सप्ताह तक इलाज जाता है। यदि इनके साथ में
करना चाहिये । पुराने बिगड़े लघ्सूतशेखर मिला कर दिया
| हुए रोग में लव॒सूतशेखर को जाए तो श्रौषध का प्रभाव
| प्रवाल पिष्टी, कामदुधारस, तत्काल एवं चिरस्थायी
[7
होता है। जलन (Irritation) जुकाम के कारण बार बार
लुरन्त ठीक हो जाती है, खारिश छींके आकर रोगी को परेशान
| खतम हो जाती है, ala तुरन्त कर रही ही THAT पुराना स्वर-
बन्द हो जाता है। पुराने त्वचा यन्त्र शोथ हो aw
रोगों को लघुसूतशेखर अकेले ही को योजना श्राइचर्य जनक लाभ
ठीक कर देता है | विभिन्न पहु "rdi है। संक्षेप में नवीन
AHI के साथ मिलाकर शिरशूल जिन में पित्त का प्रभाव
पामा एव Dermatitis आदि अधिक हो чя чаза के |
पर भी इसका प्रभाव afa प्रभाव क्षेत्र में яте हैं |
उत्तम है |
(५) श्रम्लपित्त, वमन,
(४) पीनस प्रातीष्या तथा зачат तथा भ्रम (Hyper:-
शिर: शूल (Acute and acidity, vemiting Nau-
chronic Rhinitis, Sinus- sia, and giddiness) चिर-
itis, Allergic cough and काल से बद्धमूल अम्लपित्त जी
Headaches) उपरोक्त सब मिचलना, (उत्क्लेश) तथा वमन
कष्टो केलिये लघुसूत शेखर ATE उजीर्ण जन्य रोगों में लघ-
अत्यन्त लाभप्रद दवाई है | सृतशेखर तुरन्त प्रभावकारी
पुराने जीर्ण रोगों में इसके साथ पाया गया है | पित्त-प्रकोप
गोदन्ती भस्म (05 gm to जन्य-भ्रमरोग तथा शिरःशल में
I gm) मिला कर देने से ग्रत्यन्त
लघुसूतशेखर को सफलतापर्वक
सन्तोष जनक परिणाम प्राप्त प्रयोग किया जा सकता है।
होते हैं quíad (solar Head- ` आवश्यकता होने पर इसके साथ
ache) ग्रर्धावभेदक (Migr-
प्रवाल पिष्टी सुवर्ण माक्षिकभस्म
aunef) अ्रनन्तवात (cluster
तथा कपद भस्मको भी मिला
pain) sa जटिल शिरोरोग कर प्रयोग किया जा सकता है
लघ सुतशेखर तथा गोदन्ती के परन्तु ध्यान रहे TIINAT
सम्मिलित प्रयोग से तत्काल का ग्रामाशयव्रण, पक्काइायब्रण
काबू में ग्रा जाते हें जब नजला (Peptic ulcer) ग्रथवा रक्त
8]
भार पर (H yy ertenlion) मानसिक तनाव को घटाता Š |
कोई प्रभाव नही है
तथा किसी सीमा तक मानसिक
(६) श्रभिष्यन्द ग्रांख arar
क्षोभ को भी शान्त करता हैं ।
(Conjn Ctivitis) फिटकरी
द्रव मानसिक व्याधियों में लघ सूत्तः
(Іо Alumiwater) азе
के रूप में आंख
शेखर को जटाभांसी, शंखपुष्पी,
में डालना तथा सारस्वतारिष्ट ग्रादि के
चाहिये । खाने की भ्रौषधियों में
साथ मिलाकर देना अधिक
‚ लघुसूतशेखर को अभिष्यन्द में
लाभकारी हे |
(आंख ATAT) अत्यन्त लाभकारी
पाया है | लब् संतशेखर के इस प्रकार यदि लघसत-
प्रयोग से आंख का че, जलन शखर को उचित .मात्रा एवं
खा।रशश्रादि लक्षण तुरन्त शान्त परिस्थिति में प्रयोग किया जाए
हो जाते हैं, परन्तु रोग रोधक तो यह् नाम छोटा होने पर भी
शक्ति (Preventive) नहीं प्रभाव में बड़ा प्रमाणित होगा |
देखी गई । लघुसूतशेखर AAA सस्ता एवं
(७) योषापस्मार (Hys- अत्यन्त प्रभावी AIT रत्न है |
їегіа)— чат एवं पुराने अन्त में हम आयुर्वेदिक
मानसिक रोगों में भी (Psycho चिकित्सकों से प्रार्थना करेंगे कि
neuresis) लघु सूतशेखर को वह लघुसूतशेखर का प्रयोग करें
प्रभावकारी पाया गया है। यह और चमत्कार देखें । e
कत
5 प्रार्थना
Ë बन्धुवर दस रु. प्रति वर्ष के हिसाब से अपना
Б वाषिक चन्दा भेज कर आयुर्वेद और वैद्य
$ समाज की रक्षा में निरत चरकचर्चा की सहा-
5 यता कर अपना कर्तव्य पालन करें ।
iv 3 OX € 0€ 9€ EVEL ELLE EY $#%###%
प्रत्युत स्वस्थ रहने की कामना
से भरपूर नागरिक के रूप में ।
etit QT T कविराज वेणीप्रसाद जी
शास्त्री का चिकित्स के रूप में
श्री योगेश मुन्जाल, लुधियाना हमारे परिवार में पर्याप्त आना
© जाना रहता है। वह जब भी
—
घर आते हैं तो मेरे ग्रध्ययन की
अनजान आदमी द्वारा चर्चा अवश्य करते हैं और मेरी
“चरक-चर्चा” जैसी आयुर्वेद की MEAT सामग्री को उथल-पुथल
सम्मानित पत्रिका में लेख भी अवश्य करते हैं और सदा
लिखना धृष्टता नहीं तो और ही उपयोगी एव ग्रहणीय सामग्री
क्या है? परन्तु धृष्टता मेरा को देश-विदेश की पत्र-पत्िकाग्रों
स्वभाव नहीं है, विवशता है। से संग्रह कर सर्व-जन-हिताय
मैं वैद्य नहीं हूं । शिक्षा से इंजी- चरक-चर्चा में लिखने का ITE
नियर हूं, व्यवसाय से इण्डस्ट्रि- करते रहते हैं | मैं सदा इस बात
लिस्ट हू । परिवार में भी कोई को हंसकर टालता रहा, परन्तु
वेद्य नहीं है। मेरे सब सगे टालने की भी तो कोई सीमा
सम्बन्धी हीरो साइकिल बनाते है। श्री कविराज जी काधर्य
हैं। रोगी का जितना सम्बन्ध ग्रसीम है Are: उनके ung
हो सकता है वैद्य से, बस उतना के सामने मैं हार गया और श्रम
ही हमारे परिवार का आयुर्वेद ह एक छोटा सा परन्तु अत्यन्त
से सम्बन्ध ё | पढ़ना-लिखना उपयोगी प्रयोग श्रापके समक्ष
मेरी दुर्बलता है । ята
प्रस्तुत करने चला 5
विषयों के साथ-साथ स्वास्थ्य नजला बहुत भयंकर रोग
| साहित्य के ग्रध्ययन में भी रुचि नहीं है । इसके निदान के far
- रखता हू । देश-विदेश की श्रनेक बड़े चिकित्सक की जरूरत नही
` पत्रिकाएं'मंगव्राता हू, पढ़ता हूं, पड़ती | परन्तु यह रोग होता
यथा सम्भव उन पर आचरण बहुत बड़ी मात्रा में है | ग्राबाल
करने का यत्न भी करता हू | वृद्ध नर-नारी सबको समान
`यह यत्न वेद्य के, रूप. में नहीं रूप से ग्रा घेरता ë | कोई बड़ा
229]
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463%
नुकसान तो नहीं पहुंचाता मगर हुच भें भी है। प्रयोग इस
परेशान बहुत करता है। काम प्रकार है। २०० ग्राम गर्म दूध
`
काज में खरी खासी दिक्कत में श्राधा चम्मच सोडा बाई-
खड़ी कर देता È | FIT तथा २ चम्मंच शहद मिला
प्रत्येक चिकित्सा प्रणाली में कर पिलादें और मुंह सिर ढांप
इसके निवारण के उपाय भी कर सुला दे, थोड़ी देर में ही
मौजद हैं। श्री कविराज वेणी पसीना ग्राकर शरीर हलका हो.
प्रसाद जी श्रकसर कहा करते हैं जाएगा यह प्रयोग. २-३ दिन
कि यदि दवा न करोगे तो तक प्रात: सायं दोनों समय करने
नजला सात श्राठ दिन दुख देगा से शीघ्र हीनजले से छुटकारा हो.
ar यदि दवा कर लोगे तो जाएगा ग्रौरः किसी प्रकार की
मात्र एक सप्ताह में ही रोग से परेशानी भी न होगी.। इस
मुक्ति प्राप्त हो जाएगी | रोग प्रयोग को श्रनेकों बार परीक्षण
शान्ति के साथ-साथ कभी-कभी पर मैंने लाभ-प्रद पाया Š |
दवाइयों की प्रतिक्रिया भी दुःख-
दायक हो जाती है f मैं अन्त: मन से उस अज्ञात
जो प्रयोग मैं ग्रांपके' सामने नाम चिकित्सक का धन्यवादी हूं
रखने जा. रहा हुं इसकी कोई जिसने यह” सरल एवं सरता
प्रतिक्रिया aaar विषाक्त प्रभाव प्रयोग सुझाकर मानव-समाज पर
नहीं है और प्रत्येक व्यक्ति की भारी उपकार किया है। O
० चेतावनी ०
१. श्रनरजिस्टड वेद्य ate हकीमों को तुरन्त रजिस्टडं किया जाए |
२. सरकारी वेद्य эйс हकीमों को तत्सम एलोपेंथिक डाक्टरों के
बराबर वेतन तथा श्रन्यन्य सुख सुविधाए प्रदान की TTC |
डग विभाग के छापे तुरन्त बन्द किए जाएं |
ESE ग्रायवेदिक कालेजों को FERT कालेजों के समान आर्थिक
सहायता दी जाए |
५. आयुर्वेदिक फार्मेसियों को संरक्षण दिया जाए यदि सरकार ने इन
उचित मांगों की श्रोर तत्काल ध्यांन न दिया तो पंजाब वैद्य
सम्मेलन को संघर्ष का मार्ग AI
+ POPP O-PS هههم
के लिये वाध्य होना ISAT |
4 0-9. d.
ı2]
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[3
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कारी काम-काज में अनुचित भी रखते हें श्रौर उनकी बहुत
हस्तक्षेप नहीं किया। जब भी उपयोगिता भी है wa: रजि-
आप. लोग' आए हैं रचना- स्ट शन ग्रत्यावश्यक हे | हमें
त्मक कार्यक्रम लेकर ही AIT इस बात को राष्ट्रीय समस्या
हैं। श्राप लोगों का सहयोग के रूप में देखना चाहिये'ना कि
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ЗЫ.
Lr
AIR उदारता वस्तुतः इलाघ्य पंजाब वैद्य सम्मेलन की समस्या
हे | सम्मेलन के महामन्त्री के रूप में, श्री बजाज साहिब ने
ने छपा हुआ lO सूत्री कार्य- कहा कि विभाग ने कई बार
क्रम पेश किया ग्रौर क्रमशः सरकार से सिफारिश की है
प्रत्येक ` मांग पर विचार-विमझे श्राप लोग इस समस्या को सुल-
होने ANT | झानेके लिये मुख्यमन्त्री जी को
(I) पंजाब में 20 हजार मिलें और साथ ही बिना रजि-
के लगभग वद्य और हकीम विना FET के काम' करने वालों की
रजिस्ट्रेशन के काम कर रहे हैं जिलाबारः लिस्ट बनाकर हमें
वह दूर दराज देहात में जनता दें, जिससे आपके पक्ष को बल
की भारी सेवा कर रहे हैं, परन्तु मिलने की आशा है |
रजिस्ट्रेशन के न होने के कारण (२) ग्रायुर्वेद विभाग का
उन्हें ग्रनेक कठिनाइयों का डायरेकटर किसी योग्य वेद्य को
सामना करना पड़ रहा है। उन्हें नियुक्त करना चाहिये जो
तुरन्त रजिस्टडं कर लेना चाहिये सेंट्रल कौंसिल द्वारा निर्धारित
जिससे इस समस्या का सदा के योग्यता रखता हो, और उसकी
लिए समाधान हो जाए और नियुक्ति पब्लिक सविस कमिशन
जनता की सेवा भी जारी रखी द्वारा की जानी चाहिये ।
जा सके |
श्रीमन्त्री जी ने श्री बजाज
श्री मन्त्री जी ने कहा कि. साहिब का धन्यवाद करते हुए
इतनी बड़ी जनसंख्या को एका- कहा कि. ATA जो काम थोड़े ~
|
|
एक बेरोजगार करना सरकार से समय में किया है वह ग्रत्यन्त
के बलबूते से बाहर की वात है प्रसशंसनीय है, और श्राप ही थे,
श्रौर वह लोग पर्याप्त श्रनुभव जिन्होंने ग्रायुर्वेदिक विभाग को
4]
भ्रव्यवस्था एवं मुकदमे बाजी की चाहिये जो सामायिक रूप से
दलदल से निकाल बाहिर किया पटियाला आयुर्वेदिक कालेज
है श्रापके विरुद्ध कहने को हमारे के भवन में खुल सकता है, श्रपना
पास कोई शब्द नहीं है, परन्तु भवन बन जाने पर वहां भेजा
फिर भी हमारी ग्रभिलाषा है जा सकता है । श्री बजाज साहिब
कि व्यवस्था विषयक कार्यो का मांग से सहमत थे, परन्तु आपने
निपटारा हो जाने के वाद कहा कि यह प्रश्न उच्च राज-
विभाग का भ्रध्यक्ष किसी योग्य नैतिक स्तर पर सुलझाया जाना
वेद्य को ही बनाया जाना चाहिये चाहिये, मैं इसमें कुछ करने में
जो सेन्ट्रल कौंसिल द्वारा निर्धा- असमर्थ हूं |
रित योग्यताएं पूरी करता हो (४) राजकीय आयुर्वेदिक
zitz ऐसा व्यक्ति दूसरे राज्य से कालेज में श्रडजस्टड स्टाफ को
डेपुटेशन पर भी लाया जा सकता स्थाई कर देना चाहिये, परन्तु
है, और स्थाई भी रखा जा उनकी योग्यता पद के अनुरूप
सकता है। इस पर श्री बजाज होनी चाहिये ।
साहिब मुस्कराये |
श्री बजाज साहिब ने कहा
(३) युनानी की तरक्की कि इस दिशा में यत्नशील हैं
के लिये डिप्टी डाडरेक्टर की सब व्यवस्था बनाई जा रही है |
नवीन पोष्ट बनाई जानी चाहिये श्री मन्त्री जी ने कालेज को
और इस विज्ञान को मरने से व्यवस्थित करने के लिये श्री
बचाने के लिए कालेज खोला बजाज साहिब का धन्यवाद
जाना चाहिये । किया और शिक्षा स्तर को
उन्नत करने की प्रार्थना को |
श्री मन्त्री जी ने कहा कि
युनानी पूर्ण वैज्ञानिक यद्धति है (५) आयुर्वेदिक फांसी
इसका हमारी लापरवाही से नष्ट उद्योग एक घरेलू दस्तकारी हे
इसके साधन और सीमायें वहुंत
ya
हो जाना विज्ञान ग्रौर मानवता
के लिये घोर उपेक्षा है । श्रतःसर- छोटी हें Wd: इस पर लागू
कार को शीघ्र हीकालेज खोलना डग एकट को ढोला करंना
[305
<
चणडीगढ चलो _
© प्रपनी ठीक ग्रोर जाइज मांगें मनवाने के लिये एक दिन का
समय निकालो और चण्डीगढ़ मुख्यमन्त्री की कोठी पर धरना
मारने के लिये चलो ।
आयुर्वेदिक साइंस की तरक्की के लिये चण्डीगढ़ चलो |
Sat जनता की भलाई के लिये चण्डीगढ़ चलो |
AT AK हकोमों के सनमान की रक्षा के लिये चण्डीगढ़ चलो |
यह समाचार अपने ग्रास-पास के और जानकार Gub के ज्ञान में
लाश्रो और AAT व उनका नाम व पता दफ्तर में भेजो |
पंजाब वंद्य सम्मेलन
कर्ता राम स्ट्रीट, लुधियाना
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