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हम नाि&तक काहे बान+?

भगत िसहं

भोजपरु ी अनवु ाद : शभु नीत कौिशक


"काशन वष) : 2023

सवा)िधकार से मु5
अनु7म

भिू मका 1

हम नाि+तक काहे बान/ 10

अनवु ादक प6रचय 35


भूिमका

िहदं 'ु तान क आज़ादी क लड़ाई म3 कुरबानी देवे वाला 8ांितका9रयन म3 भगत िसंह के नाम अमर

बा। आपन बिलदान से भगत िसंह खाली िहदं 'ु तान के लाखन लोगन के िदलो-िदमाग म3 जगह ना

बनवल3 बलक
ु उहाँ के जनता के भीतर 8ांित के अलख जगावे क काम कइनG। तेइस ब9रस के कमे

उिमर म3 िहदं 'ु तान क तमाम सम'या पे भगत िसंह आपन जवन िबचार रखलन, समाधान िदहल3, उ

ु Kासंिगक बा। सम'या चाहे जाितबाद आ छुआछूत के होखे, भा साNKदाियक दगं ा आ


आजओ

ु ामी के - ई सगरी सम'या पे भगत िसंह एगो मौिलक िबचारक लेखा


उOमाद के आ चाहे िदमाग़ी गल

सोचलन आ आपन िबचार िदहलन। एही कुSही मTु ा से जड़ु ल उहाँ के िबचार ओ घरी के पजं ाबी,

उद,Vू िहदं ी आ अगं रे ज़ी के पW-पिWका म3 छपल रहल3 स। िकरती, अXयदु य, भिवYय, Kताप, िZ[यनू

आ मॉडनV 9र^यू लेखा तमाम पW-पिWका म3 भगत िसंह के िलखल लेख छपल बाड़3 स, जेवन आजो

हमनG के राह देखावे के काम कर रहल बा।

भगत िसंह आ उहाँ के िबचार-याWा प चरचा करला से पिहले ई ज_री बा िक हमनी के तनी

िहदं 'ु तान म3 8ांितकारी आदं ोलन के स_ु आत के जान-समझ िलहG जा। ओनइसवG सदी िहदं 'ु तान

के इितहास म3 बड़ा उलटफे र के ज़माना रहे। ओही घरी ई'ट इिं डया कNपनी के खेलाफ सन सcावन क

8ांित भईल, जेम3 मगं ल पांडे, कँु वर िसहं , ताdया टोपे, रानी लeमीबाई लेखा लोग 8ांित के नेतdृ व

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कइल3। सcावनी 8ांित कामयाब ना होखल, बनक
ू क बल पे िबgोह के दबा िदहल गइल बािकर ओ

िबgोिहयन के कुरबानी िहदं 'ु तानी जनता के िदल म3 हरमेसा ख़ाितर समा गइल।

आगा चलके ओनइसवG सदी म3 फे _ 8ांितकारी आदं ोलन ज़ोर पकड़लस। महाराYZ म3 बासदु वे बलवंत

फड़के आ चापेकर भाईयन लेखा 8ांितकारी भइल रहल3। ई बिलदानी 8ांितकारी लोग आपन

कुरबानी से िहदं 'ु तान म3 8ांित के मसाल जरइल3। बीसवG सदी क पिहला दहाई म3 बंगाल, पजं ाब

आ महाराYZ म3 8ांितकारी आदं ोलन आपन उभार पे रहे। महाराYZ म3 लोकमाOय ितलक, बंगाल म3

िबिपन चदं र पाल आ पंजाब म3 लाला लाजपत राय आपन राYZबादी िबचार से जहवाँ एक ओरी

देसभिi के जोत जलावत रह3, ओिहजे उ लोग 8ांितकारी आदं ोलनो के खल


ु के आपन समथVन देत

रहG जा।

एही घरी िहदं 'ु तान के बड़का लाट कजVन 1905 म3 बंगाल के बँटवारा करे के फ़ै सला िलहल3। कजVन

के एह फ़ै सला से बंगाल के जनता आ नेता लोग इिचको खसु ना रहे आ उ लोग बंगाल के बँटवारा

क िबरोध करे स_ु क िदहल3। एकरे िबरोध म3 बंगाल म3 'वदेसी आदं ोलन स_ु भईल आ अनश
ु ीलन

ु ीलन सिमित से सतीश चदं र बस,ु पिु लन िबहारी


सिमित लेखा 8ांितकारी संगठन बनलन स। अनश

दास, बा9रंg घोस लेखा लोग जड़ु ल रहे।

ओही घरी सन 1907 म3 भगत िसहं के जनम पजं ाब के एगो आयVसमाजी प9रवार म3 भइल रहे।

भगत िसंह के बाबजू ी सरदार िकसन िसंह पंजाब के नामी देसभi रहल3 आ भगत िसंह के चाचा

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सरदार अजीत िसंह खदु े 8ांितकारी रहल3, इहे ना उहाँ के देसिनकाला के सजो िमलल रहे। भगत

िसंह के जनम के छह साल बाद अमरीका म3 लाला हरदयाल आ सोहनिसंह भकना स9रखा 8ांितकारी

लोग ‘ग़दर पाटo’ के थापना कइल3 आ एगो अख़बारो िनकलल3 जेकर नामे रहे ‘ग़दर’। ग़दर पाटo

से जड़ु ल नेता आ काजVकताV लोग क बहादरु ी से भगत िसंह बहpते Kभािवत रहलG। ग़दर पाटo के एगो

अइसने नवजवान नेता करतार िसहं सराभा के बिलदान आ कुरबानी भगत िसहं के िजनगी पे अिमट

छाप छोड़ले रहे आ भगत िसंह उहाँ के आपन आदशV मानत रहलG। करतार िसंह सराभा ख़ाितर

भगत िसंह क िदल म3 के तना इqजत रहे, एकर अदं ाज़ा एही से लगावल जा सके ला िक भगत िसंह

हरमेसा करतार िसंह सराभा के एगो त'वीर आपन संगे रख3। भगत िसंह कह3 िक ‘करतार िसंह सराभा

ओनकर ग_ु , सगं ी आ भाई बाड़न’।

भगत िसंह जब बारह साल के रहलG तबे पंजाब म3 एगो अइसन िदल दहलावे घटना घटल जे परू ा

िहदं 'ु तान के झकझोर िदहलस। उ घटना रहे जिलयाँवाला बाग हdयाकांड। 13 अKैल 1919 के

अमतृ सर के जिलयाँवाला बाग म3 बैसाखी के िदने हज़ारन क तादाद म3 लोग पजं ाब क मसहrर नेता

सdयपाल आ सैफ़ुTीन िकचलू क िगरsतारी क िबरोध करे ख़ाितर जिलयाँवाला बाग म3 जमा भइल

रहल3। ओ िनहdथा लोगन पे िनरदयी जनरल डायर आपन सैिनकन से गोली चलवइलस। एही

गोलीबारी म3 सैकड़न लोग शहीद होखले आ हज़ारन लोग घाही भइल3। भगत िसंह क मन पे ओ

घटना के बड़ा गिहरा असर पड़ल रहे। आगा चिलके भगत िसंह लाहौर के नैसनल कॉलेज म3 दािख़ला

3
िलहल3। आ जयचदं िवtालंकार लेखा ग_ु उहाँ के िमलल3, जे उहाँ के प9रचय समाजबाद से करइल3।

अचरज के बात नइखे िक रव3-रव3 भगत िसंह के झक


ु ाव 8ांितकारी िबचारन के ओर भइल आ उहाँ

के 8ांितकारी आदं ोलन से जड़ु गइल3।

ओ घरी उcर भारत म3 जेवन 8ांितकारी संगठन सि8य रहे, ओकर नाम रहे िहदं 'ु तान KजातंिWक

संघ (िहदं 'ु तान 9रपि[लकन एसोिसएशन)। एिह संगठन क थापना महान 8ांितकारी सिचOदर नाथ

साOयाल कइले रहलG। आ एह 8ांितकारी सगं ठन म3 राम Kसाद िबि'मल, अशफ़ाक़ उSला ख़ाँ,

राज3दर लािहड़ी, रोशन िसंह, चदं रशेखर आज़ाद लेखा लोग शािमल रहे। इहे 8ांितकारी लोग सन

1925 म3 काकोरी म3 रे लगाड़ी म3 ले जाइल जात सरकारी ख़ज़ाना लटू ले रहे। जेकरा बाद एही घटना

से िखिसयाइल अगं रे ज़ सरकार 8ांितकारी लोग के धर-पकड़ करे ख़ाितर आपन ज़ोर लगईलस आ

तमाम 8ांितका9रयन के िगरsतारी भईल आ मक़


ु दमो चलल। काकोरी षड्यंW क ओही मक़
ु दमा म3

िबि'मल, अशफ़ाक़, राज3g लािहड़ी आ रोशन िसंह के फाँसी के सजा भईल।

साल 1928 म3 भगत िसंह, चदं रशेखर आज़ाद आ दोसर 8ांितका9रयन के सहजोग से िदSली म3

भईल मीिटंग म3 एगो नया 8ांितकारी सगं ठन बनल, जेकर नाम रखाइल ‘िहदं 'ु तान समाजबादी

KजातंिWक संघ’। ओही साल साइमन कमीशन िहदं 'ु तान आइल, जेकर सँउसे िहदं 'ु तान म3 िबरोध

भईल। काहे से िक एह कमीशन क एकहp मेNबर िहदं 'ु तानी ना रहे। पंजाब म3 साइमन कमीशन क

िबरोध करत घरी पिु लस क लाठी चारज म3 लाला लाजपत राय घाही हो गइलG। आ कुछो िदन ना

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बीत पावल िक नवNबर 1928 म3 उहाँ के िनधन हो गईल। लाला लाजपत राय क िनधन से जब

सँउसे देस सोक मनावत रहे, ओही घरी भगत िसंह आ ओनकर संगी लोग लाजपत राय क मौत क

बदला लेवे ख़ाितर िदसNबर 1928 म3 पिु लस अिधकारी सांडसV क गोली मारके हdया क िदहनG।

एही कांड के बाद भगत िसंह, चदं रशेखर आज़ाद आ दोसर 8ांितकारी साथी भेस बनाके पिु लस के

चकमा देके फ़रार हो गइल3। भगत िसंह कलकाता चल गइल3।

ओही घरी अगं रे ज़ सरकार दगु ो दमनकारी क़ाननू के लागू करे ख़ाितर असेNबली म3 परू ा ज़ोर लगावत

रहे। ई क़ाननू न के नाम रहे – Zेड िड'yयटू िबल आ पि[लक सेsटी िबल। एह क़ाननू के िबरोध करे

ख़ाितर भगत िसंह अKैल 1929 म3 आपन 8ांितकारी संगी बटुके'वर दc संगे स3Zल असेNबली म3

बम फ3 कले। इहे ना असेNबली म3 ई दनु ो 8ांितकारी ‘समराजबाद के नास होखे’ आ ‘इक़


ं लाब

िज़दं ाबाद’ के नारा लगावत आपन िगरsतारी िदहल3। एकरी बाद भगत िसहं आ ओनकर साथी लोग

पे मक
ु िदमा चलल। जेल म3 रहतो भगत िसंह लगातार आपन 8ांितकारी िबचार के माँजत रहलG।

अदालत म3 िदहल ओनकर बयान आ ओ घरी िलखल ओनकर लेख आ ख़त उहाँ के बैचा9रक

िबकास-याWा आ बैzयािनक समाजबाद म3 उहाँ के िब'वास के बानगी देवेल3 स।

भगत िसंह एह अरथ म3 एगो खास 8ांितकारी रहल3 िक उहाँ के िहदं 'ु तान क आम लोगन के 8ांित

क अिसल मतलब समझवलG। उहाँ के बेबाक़ होके कहलG िक 8ांित के मतलब बम भा िप'तौल

नइखे, बलक
ु 8ांित के मतलब बा िदमाग़ी गल
ु ामी से मक
ु ित, Kगित ख़ाितर बदलाव म3 िब'वास

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आ मानव-िबकास क र'ता पे आगे बढ़ला क लालसा। उहाँ के कहनाम रहे िक 8ांित िबसेख

सामािजक-आिथVक हालत म3 संभव होखेले आ ओकरा ख़ाितर ज_री बा िक पिहले जनता के तइयार

कइल जाव। िबचार के धरातल प भगत िसहं 8ांितकारी दल के काजV8म आ ओकर गितिबिध के

बैzयािनक समाजबाद क साँचा म3 ढाले के काम कइल3। जनू 1929 म3 सेशन कोरट म3 िदहल बयान

म3 उहाँ के साफ़े कहनG िक ‘8ांित ख़ाितर खनू ी लड़ाई ज_री नइखे, आ ना 8ांित म3 बदला ख़ाितर

के वनो जगह बा। ई बम िप'तौल के सNKदाय नइखे। 8ांित से हमनी के मतलब बा – अनेआय पे

िटकल आजु क समाज-बेव'था म3 नीचे से लेके ऊपर ले बदलाव।’

िहदं 'ु तान आ दिु नया भर क 8ांितकारी आदं ोलन क इितहासो म3 भगत िसंह क बड़ा गिहर िदलच'पी

रहे। उहाँ के ‘िकरती’ आ दोसर पW-पिWकन म3 8ांितकारी आदं ोलन क इितहास प कईगो लेखो

िलखले रहलG। भगत िसहं के िबचार-याWा के समझे ख़ाितर ई कुSही लेखन के साथ उहाँ के जेल

डाय9रयो पढ़े के चाहG, जेवन िक उहाँ के असेNबली म3 बम फ3 कला आ लाहौर षड्यंW मािमला म3

जेल म3 बंद रहला के दौरान िलखले रहलG। जेल म3 बंद रहतो उहाँ के पढ़ाई-िलखाई आ िकतािबन

से उनकरी गिहर लगाव म3 के वनो कमी ना आइल। आपन सगं ी-दो'तन आ जेल म3 िमले आवे वाला

9र'तेदारनो से उहाँ के िकताब के लगातार फ़रमाइश करत रहG। इहे ना लाहौर के •ारकादास लाइ€े9रयो

से उहाँ के जेल म3 हरमेसा िकताब मगं ावत रहG। एह लाइ€ेरी के थापना लाला लाजपत राय कइले

रहG आ ए लाइ€ेरी के लाइ€े9रयन राजाराम शा•ी रहलG।

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भगत िसंह क कहनाम रहे िक ‘8ांित के तलवार िबचार के धार पे तेज होखेले।’ ख़दु भगत िसंह के

िबचार के धार आ उहाँ के बैचा9रक िबकास देखे के होखे त ‘िकरती’, ‘अXयदु य’, ‘Kताप’ लेखा

पW-पिWकन म3 बखत-बखत प छपल उहाँ के लेख देखे के चाहG। अ„टूबर 1930 म3 उहाँ के आपन

सभसे मसहrर लेख िलखलG, जेकर शीषVक रहे ‘हम नाि'तक काहे बानG’। एह लेख म3 उहाँ के

बतवल3 बाड़G िक उहाँ के नाि'तक कइसे बननG। काहे ख़ाितर भगवान आ धरम से उहाँ के िब'वास

उठ गइल। अपना प…छ म3 उहाँ के बड़ा मज़बतू ी से तरक रखल3 बाड़G। परू ा लेख सबं ाद के ढंग से

िलखल बा, मानो उहाँ के आपन संगी-दो'तन से आ लेख पढ़े वाला पाठकन से बितया रहल बानG।

भगत िसंह के फाँसी लागला से िकछु बखत पिहले ई लेख जेल से भगत िसंह के बाबजू ी (सरदार िकसन

िसहं ) के हाथ म3 चहpपँ ल। उहाँ के एह लेख के 1931 म3 ‘द पीपल


ु ’ पिWका म3 छपववलG, जेवन िक

लाहौर से छपत रहे। ई लेख के मह‹व एह बात से बझू ल जा सके ला िक दि„खन भारत म3 आतम सNमान

आदं ोलन चलावे वाला ईवी रामासामी पे9रयार ‘हम नाि'तक काहे बानG’ के तिमल अनवु ाद आपन

पिWका ‘कुदी अरस’ु म3 छपले रहल3। आगा चिलके िहदं 'ु तान के तमाम भाषा म3 एकर अनवु ाद भइल।

देखल जाव त इ लेख के स_ु आत साल 1927 म3 िकरती पिWका म3 छपल दगु ो लेख म3 िमली। ओ

दनु ो लेखन म3 भगत िसंह िहदं 'ु तान के आज़ादी क लड़ाई आ धरम आउर साNKदाियक दगं ा-फ़साद

आ ओकरी इलाज के लेके िलखले रहलG। भगत िसंह एही लेखन म3 से एगो म3 िलखले बानG िक

‘ई कुSही धरम िमिलके िहदं 'ु तान के बेड़ा डुबो िदहले बाड़न स। आउर अबहG इहो पता नइखे िक

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इ मज़हबी दगं ा-फ़साद कब िहदं 'ु तान क पीछा छोड़ी। इ दगं ा-फ़साद दिु नया क नज़र म3 िहदं 'ु तान के

बदनाम क देले बाड़न स।’

आजु क समय म3 धािमVक उOमाद फइलवला म3 मीिडया (िKंट, इले„Zॉिनक आ िक सोशल मीिडया)

जेवन भिू मका िनभा रहल बा, भगत िसंह के ज़माना म3 दगं ा-फ़साद के माहौल बनावे म3 ओ घरी के

अख़बार उहे भिू मका िनभावत रहल3 स। भगत िसंह एही बात के खबू समझत रहलG। उहाँ के इ

िलखल बेजायँ नइखे िक अखबारन के अिसल काम बा zयान आ जानकारी िदहल, लोगन के मन

से भेदभाव आ साNKदाियकता के ग़लत सोच हटावल, आपस म3 मेलजोल बढ़ावल आ िहदं 'ु तान

क साझा राYZीयता बनावल। भगत िसंह आगे िलखले बानG िक आपन अिसल काम के ठीक उलटे

अख़बार अzयान फइलावे, लोगन के साNKदाियक बनावे, लड़ाई-झगड़ा करावे आ िहदं 'ु तान क

साझा राYZीयता के तोड़े के च„कर म3 लागल बाड़न स। गौर करे के बात बा िक इ सम'या के मल
ू म3

उहाँ के धरम के साथे-साथ आिथVक कारनो देखनG। उहाँ के मानत रहलG िक ‘दिु नया के के वनो काम

होखे ओकरा तह म3 कतŒ-न-कतŒ पेट के सवाल ज_र होखेला। एही ख़ाितर उहाँ के िलखलG िक

‘कुSही दगं ा के एकही इलाज बा िहदं 'ु तान क आिथVक हालत म3 सधु ार कइल, काहे िक िहदं 'ु तान

के लोगन क आिथVक हालत एतना ख़राब बा िक के हr चविOनयो देके एक आदमी से दोसरा के

बेइqजत करा सके ला।’ दगं ा-फ़साद के जड़ से िमटावे ख़ाितर उहाँ के वरग चेतनो पे ज़ोर िदहनG।

उहाँ के नवजवानन म3 आपन िब'वास राख के कहेलG िक आजु के िहदं 'ु तान के नवजवान अपना

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के िहदं ,ू मसु िलम भा िसख ना पिहले इनसान मानेल3 स आ फे _ िहदं 'ु तानी। कहे के ज़•रत नइखे

िक ओही लेखन म3 जेवन िबचार स_ु आती •प म3 आइल बा उहे आपन िबकिसत •प म3 ‘हम

नाि'तक काहे बानG’ म3 देखाइ देवल


े ा।

आजु िहदं 'ु तान म3 जइसन हालात बन रहल बा - धरम आ धरम के बीच जइसे भेद बढ़त बा,

साNKदाियकता आ जाितबाद लेखा सम'या मानो फे _ िहदं 'ु तान के लीले ख़ाितर महँु बा रहल बा

– अइसन परी…छा के घरी म3 भगत िसहं के कलम हमनG के र'ता देखावे के काम कर सके ले। एह

लेख के भोजपरु ी म3 अनवु ाद कइला के उTेŽय इहे बा िक इ लेख ढेर-से-ढेर लोगन के पजरी उनकरी

आपन भाषा म3 चहpपँ े।

भगत िसंह के ऐितहािसक लेख के इ भोजपरु ी अनवु ाद सबाVिधकार (कॉपीराइट) से मi


ु बा। एकरा

के छापे, बाँटे भा ऑनलाइन पोटVल आ के वनो सोशल मीिडया पे साझा करे ख़ाितर रउआँ सभ

'वतंW बानG। एह ख़ाितर अनवु ादक के अनमु ित लेवल ज़•री नइखे।

- शुभनीत कौिशक

9
हम नाि;तक काहे बान>?

एगो नया सबाल खड़ा हो गइल बा – का हम के वनो गमु ान के कारन सभका से बलवान, हर जगह

मौजदू आ सभ िकछु जाने वाला भगवान के होखला पे यक़‘न ना करGला? हम कबहrँ ई ना सोचले

रहलG िक हमरो के अइसन सबाल क सामना करे के होखी। बािकर आपन संगी-दो'तन संग

बितयावत हमरा के ई महससू भइल िक हमार िकछु दो'त, जो हमार दो'ती के दावा बेजायँ ना होखे

त, हमरा सगं े तनी सNपरक म3 रिहके ई नतीजा पे चहpपँ े ख़ाितर तइयार बाड़न जा िक हम भगवान के

होखला के नकारके िकछु ढेर आगे बढ़ रहल बानG, आ िक ई हमार घमडं बा जे हमरा के भगवान

पे भरोसा ना करे ख़ाितर उकसा रहल बा। हं त माने के परी िक ई एगो गंभीर सम'या बा। हम बड़-

बड़ हांके वाला ना बानG, आ ना हम इहे कहब िक हम इसं ानी कमजोरी से ऊपर उठ गइल बानG।

हमहpं एगो इसं ान बानG एकरा से अिधका िकछु ना। के हpओ


ं एकरा से अिधका िकछु होखला के दावा

ना कर सके ला। एगो कमजोरी हमरो भीतर िबया। अहक


ं ार हमरी सभु ाव के िह'सा बा। अपना कामरे ड

सगं ी लोगन के बीच हमरा के िनरंकुस मानल जाला। इहाँ ले िक हमार सगं ी बटुके'वर दcो के कभो-

कभो इहे लागेला। कई बेरी हमरा के मनमाना किहके हमार िनंदा भइल बा। कई संगी लोग के ई

िसकायत बा, आ गंभीर िसकायत बा, िक हम आपन सोच-िबचार ओ लोगन पे थोपGला आ आपन

बात मनवा लेव3ली। ई बात एगो हद ले सही बा, हम एकरा से इक


ं ार ना करे लG। एकरा के अहवं ादो

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कहल जा सके ला। जहवाँ ले दोसर िबचार से आपन िबचार आ मत के सवाल बा, हमरा के आपन

मत पे गमु ान बा। बािकर ई गमु ान ^यिiगत नइखे। ई हो सके ला िक ई खाली आपन िब'वास ख़ाितर

सही गरब होखे बािकर एकरा के घमडं ना कहल जा सके ला। घमडं भा सही कहल जाय त अहक
ं ार

त अपना ख़ाितर बेजायँ गरब होखल बा। त फे _ का ई बेजायँ गरब बा जवन हमरा के नाि'तकता

ओरी ले गइल, आ िक एह मािमला प ख़बू सोच-िबचार कइला आ पढ़ला के बाद हम भगवान पे

अिब'वास कइलG? इहे सवाल बा जेकर चरचा हम इहवाँ करे जात बानG। बािकर पिहले हम ई बात

साफ़ कइ दG िक अहबं ाद आ अहक


ं ार ई दनु ो म3 फ़रक बा।

पिहला बात त हम ई नइखी बझू पावत िक बेजायँ गरब भा अनेरे अिभमान कइल क3 गने भगवान म3

भरोसा रखला म3 रोड़ा अटकावेला। हम सही म3 के वनो महान आदमी के महानता के ना मानी, ई तबे

हो सके ला जब हमरा के इिचको अइसन जस िमल गइल होखे जेकरा ख़ाितर हम जोग नईखG भा

हमरा भीतर उ गनु नइखे जेवन िक एकरा बदे ज_री बा। इहाँ ले त बात समझ म3 आवेले, बािकर ई

कइसे हो सके ला िक एगो आदमी जेवन िक भगवान म3 भरोसा राखेला उ आपन ^यिiगत गरबई के

चलते भगवान म3 भरोसा बन क देव?े दगु ो बात हो सके ला। भा त आदमी अपना के भगवान क

Kित••ं ी बझू े लागे आ िक उ खदु े आपना के भगवान माने लागे। ई दनु ो हालत म3 उ स…चा नाि'तक

ना बन सके ला। पिहला मािमला म3 उ आपन Kित••ं ी यानी भगवान क मौजदू गी के नकारत नइखे।

आ दसू रा मािमलो म3 उ एगो अइसन चेतना के मौजदू होखला के मानत बा, जेवन िक परदा के पाछे

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से Kकृित के मय काम आ हलचल चला रहल बा। हमनी ख़ाितर ई बात के के वनो मह‹व नइखे िक

उ आपने के परमातमा बझु ल


े ा आ िक ई समझेला िक उ परम चेतना ओकरा से हट के िकछु आउर

बा। मल
ू बात त दनु ो जगह मौजदू बा। ओकर िब'वास मौजदू बा। उ के िनयŒ से नाि'तक नइखे। त

हम ई कहे चाहत रहनG ह िक हम ए दनु Œ म3 से के वनŒ म3 ना बाड़G, ना त पिहला आ न दोसरके म3।

हम त उ सभकरा से ताकतवर परमातमा के मौजदू िगये से इक


ं ार कर रहल बानG। हम काहे इक
ं ार

करत बानG, एकर पड़ताल बाद म3 कयल जाई। इहाँ एगो बात हम साफ़ कर देवे चाहत बानG िक

के वनो अहक
ं ार भा गरबई के चलते हम नाि'तकता के िस’ांत ना मानेलG। हम ना त के हpके Kित••ं ी

बानG, ना त अवतार बानG आ न खदु े परमातमा। एगो बात तय बा िक अहक


ं ार हमरा के ए रा'ता पे

ना ले गइल। ई आरोप के ना मानला ख़ाितर आइं िकछु अउरी बात पे िबचार कइल जाव। हमरा एह

संगी लोगन के मानल जाव त िदSली बम के स आ लाहौर षड्यंW मािमला से हमरा के जेवन जस

िमलल, सायद ओकरे चलते हम अनेरे अिभमान कर रहल बानG। त आइं फे _ देखल जाव िक का

ई बात ठीक बा। हमार नाि'तकताबाद के वनो आजक


ु े बात नइखे। भगवान पे िब'वास करे त हम

तिभये छोड़ िदहले रहनG जब हमरा के के हr जानतो ना रहे। हमरा बारे म3 ई संगी-साथी लोग के कुछो

ख़बर ना रहे। माने एगो कॉलेज म3 पढ़े वाला ल9रका अनेरे एतना गमु ान त नािहए पाल-पोस सके ला

िक उ नाि'तक बने। हँ एतना ज_र बा िक िकछु अ“यापक लोग हमरा के पसन करे लोग आ िकछु

लोग ना पसन करे , पर हम कभो बहpत मेहनती भा पढ़ाकू ल9रका ना रहनG। अहक
ं ार पालला के

12
मौक़ा कभो हमरा सोझा ना आइल। हम त बहpते लजाउर सभु ाव के रहनG, आ भिवYय ख़ाितर हमार

सोच तनी िनरासाबादी रहे। आ ओ बखत हम एकदम से नाि'तक ना भइल रहलG। हमार बाबा,

िजनकरा Kभाव म3 हम बड़ होखलG, उ क”र आयVसमाजी रहल3। एगो आयVसमाजी अउर िकछु होखे

भा ना होखे, उ नाि'तक ना हो सके ला। आपन स_ु आती पढ़ाई कइला के बाद हम लाहौर के डीएवी

'कूल म3 दािख़ला िलहलG आ परू ा एक ब9रस ओिहज3 हॉ'टल म3 रहलG। उहाँ सबेरे-साँिझ के बेरा

KाथVना करे के अलावा हम घटं न गायWी मWं ो जपत रहG। ओ घरी हम परू ा भi रहनG। ओकरी बाद

हम आपन बाबजू ी के सगं े रहे लगलG। जहवाँ ले धािमVक •िढ़बादी होखला के सवाल बा, त उहाँ

के एह मािमला म3 उदारबादी रहनG। ओनकरे सीख रहे िक हमरा के देस क आज़ादी ख़ाितर आपन

िजनगी िनछावर करे के Kेरणा िमलवु े। बािकर उहाँ के नाि'तक ना बानG। भगवान म3 उहाँ के –ढ़

िब'वास बा। उहाँ के रोज हमरा के पजू ा-पाठ करे ख़ाितर कहबो कर3 । त एह ढंग से हमार पालन-

पोसन भइल। जब देस म3 असहयोग आदं ोलन चलत रहे, ओही घरी हम नैसनल कॉलेज म3 दािख़ला

िलहलG। इहवाँ आके हम धरम के मसला आ भगवान के बारे म3 खबू िथर होके सोचे-िबचारे लगलG

आ आलोचना स_ु कइलG। बािकर ओहp घरी हम प„का आि'तक रहलG। ओह बखत ले हम बेकटल

आ सँवरल लमहर बाल राखे लागल रहलG, बाक‘ हमरा के िसख भा के वनो दोसर धरम के परु ान-

बखान आ िस’ांत पे भरोसा न रहे। बािकर ईसर के मौजदू गी म3 हमार िब'वास –ढ़ रहे।

13
एकरा बाद हम 8ांितकारी पारटी से जड़ु गइनG। उहवाँ जेवन पिहला नेता से हमार सNपरक भियल,

उ प„का िब'वास ना होखला के बावजदू भगवान क मौजदू गी नकरला के िहNमत न कर सकत

ू G त उहाँ के कहG िक ‘जब मन करे पजू ा-


रहनG। जब हम उहाँ से ज़ोर लगाके भगवान के बारे म3 पछ

पाठ क िलहल करा।’ अब ई अइसन नाि'तकता बा जेकरा म3 ई िब'वास के अपनाइला ख़ाितर ज_री

िहNमत के कमी बा। एगो दोसर नेता जहाँ के संपरक म3 हम आइल रहनG, उहाँ के परू ा सरधालु रहनG।

उहाँ के नाम बा – आदरनीय कामरे ड सिचदं रनाथ सानयाल। आजकल उहाँ के काकोरी षड्यंW

मािमला म3 आजीवन कारावास के सजा काट रहल बानG। उहाँ के नामी िकताब ‘बंदी जीबन’ म3

पिहले पOना से भगवान के मिहमा के बड़ा ज़ोर-सोर से बखान बा। ओ िकताब के दोसर भाग के

आिख़री पOना म3 उहाँ के रह'याdमक वेदांत से Kेरना लेके ईसर के जेवन बड़ाई कईले बानG, उ कुSही

उहाँ के िबचार के एगो िबिचW िह'सा बा। 28 जनवरी, 1925 के परू ा िहदं 'ु तान म3 जेवन ‘िद

ू नरी’ (8ांितकारी) परचा बाँटल गइल रहे, अिभयोग प— के मानल जाव त उ परचा उह3
9रवॉSयश

के िदमाग़ी मेहनत क नतीजा बा। अब एतना त तय बा िक अइसन ग˜ु काम म3 के वनो अहम नेता

आपने िबचार राखेला, जेवन िक ओकरा के खदु े बहpत पसन होखे, आ दोसर काजVकताV लोग के

उहाँ से सहमत होखे के होला। उ सगरी मतभेदन के बावजदू जेवन िक हो सकत बाड़न स। ओ परचा

म3 एगो परू ा पैरा सबVशिiमान ईसर आ ओनकर लीला आ काम के बड़ाई से भरल रहे। ई कुSही

रह'यबाद बा। हम जेवन बात कहे चाहत बानG उ ई ह िक ईसर म3 अिब'वास के भाव अबहG

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8ांितका9रयो दल म3 ना आइल रहे। काकोरी क चार नामी शहीद आपन आिख़र िदन भजन-पजू ा म3

गज़ु रले रहे लोग। रामKसाद िबि'मल एगो •िढ़बादी आयVसमाजी रहनG। समाजबाद आ साNयबाद

क आपन बड़हन पढ़ाई के बादो राज3g लािहड़ी उपिनषद आ गीता के सलोक पढ़ला के आपन

इ…छा ना दबा सकनG। उहाँ सभ म3 हम एकही आदमी देखनी जे कभो पजू ा-पाठ ना करे आ कहे िक

‘दशVनशा'तर आदमी के कमजोरी भा ओकर zयान कम होखला के बजह से जOमेला।’ उहाँ के

आजीवन देसिनकाला के सजा काट रहल बानG। बािकर उहŒ के ईसर के मौजदू गी नकारला के कबहrँ

िहNमत ना कईनG।

एही बखत ले हम खाली एगो रोमांिटक आदशVबादी 8ांितकारी रहलG। अबले हमनG के खाली दोसर

लोग के पीछे चलत रहनG जा, अब आपन कंधा पे िज़Nमेदारी उठवला के बखत आ गइल रहे। एगो

बखत त अइसनो आइल िक पाटo के बचले नाममु िकन जनाए लागल। कामरे ड आ नेता लोग हमार

मज़ाक़ उड़ावे स_ु क िदहल3। िकछु समय ले त हमरो के ई डर लागल िक कतहrँ एक िदन अइसन ना

आवे िक आपन काजV8म के बेकार होखला म3 हमरो यक़‘न हो जाव। उ हमरे 8ांितकारी िजनगी के

ु ार हमरा मन म3 होखत रहे – िक िबरोधी


एगो िनणाVयक मोड़ रहे। पढ़ला, सोचला-िबचारला क पक

लोग जवन तरक देत बाड़न लोग ओकर सामना करे ख़ाितर अ“ययन करा। आपन िबचार क प…छ

म3 तरक देवे जोग बने ख़ाितर पढ़ा। त हम पढ़े स_ु क िदहलG। एकरा से हमार परु ान िबचार आ

िब'वास म3 गजबे बदलाव भइल। िहसं ा क तरीक़ा अपनवला क रोमांच, जेवन िक परु ान साथी लोग

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म3 ढेर रहे, के जगह अब गंभीर िबचार ले िलहल। रह'यबाद भा अधं िब'वास ख़ाितर अब के वनो

जगह ना रही गइल। यथाथVबाद हमार आधार बनल। िहसं ा खाली तबे Oयायोिचत बा जब के वनो

िबकट ज़•रत म3 ओकर सहारा िलहल जाव। अिहसं ा सगरी जनांदोलनन के ज_री िस’ांत होखे के

चाहG। ई त रहल तरीक़ा के बात। सभका ले ज_री बात बा ओ आदशV के साफ़ समझ, जेवना ख़ाितर

हमनी के लड़े के बा। चिँू क ओ बखत के वनो खास 8ांितकारी काम न होखत रहे, त हमरा के दिु नया

भर के 8ांित के तमाम आदशV जाने आ पढ़े के खबू मौक़ा िमलल। हम अराजकताबादी नेता बकुिनन

के पढ़नG, तनी साNयबाद क िपता मा„सV के , बािकर ढेर लेिनन, Wातसक‘ आ दोसर लोग के पढ़नG,

जे लोग आपन देस म3 सफल 8ांित कइले रहे । ई कुSही लोग नाि'तक रहे। बकुिनन के िकताब ‘ईसर

आ राqय’ एही िबषय पे, परू ा ना सही, तबो एगो नीमन अ“ययन बा। बाद म3, हमरा के िनरलंब

'वामी के िलखल िकताब ‘सहज zयान’ िमलएु । एकरा म3 खाली एगो रह'यबादी नाि'तकता रहे।

एही िबषय म3 हमार ढेर _झान हो गइल। 1926 के आिख़र ले हमरा के ई बात के यक़‘न हो गइल

िक सबVशिiमान परमातमा के बात – जे €™ांड बनावल, ओके िदसा देखावल आ चलावता –

एगो बकबाद बा। हम आपन अिब'वास सभका सोझा रखनG। एही िबषय पे आपन संगी लोग से

ु ल रहलG। बािकर एकर मतलब का रहे, ई हम आगे


बहस कईनG। हम एगो घोिषत नाि'तक हो चक

बताइब।

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मई 1927 म3 लाहौर म3 हमार िगरsतारी भइल। ई िगरsतारी अचके भइल। हमरा के इिचको अहसास

ना रहे िक पिु लस हमार तलास करत िबया। एक िदने अचके जब हम एगो बगइचा से जात रहनG,

हमरा के पिु लस वाला घेर िलहलन स। हमरा के एह बात पे खदु े अचरज भइल िक हम ओ घरी

बहpत शांत रहलG। हमरा के ना त के वनो सनसनी महससू भइल, ना इिचको उcेजना के अनभु व

होखल। पिु लस हमरा के िहरासत म3 ले िलहलस। अिगला िदने हमरा के रे लवे पिु लस क हवालात म3

ले जाइल गइल, जहवाँ हमरा के एक महीना जेल म3 काटे के परल। पिु लस अफ़सरन से कई िदन

जेवन बात भइल त ओकरा से ई लागल िक पिु लस के काकोरी दल के साथ हमार जड़ु ाव के आ

8ांितकारी आदं ोलन म3 हमार िह'सेदारी के िकछु ख़बर बा। उ लोग हमरा के बतावल िक ‘हम

ु िदमा चलत रहे, िक हम ओ घरी 8ांितका9रयन के छोड़ावे ख़ाितर


लखनऊ म3 रहनG जब उहाँ मक

योजना पे बात कईले रहनG, आ 8ांितकारी लोग के सहमित िमलला के बाद हमनी के िकछु बम

हािसल कइनी जा, आ िक 1926 म3 दसहरा के मौक़ा पे उ बम म3 से एगो के प9र…छन ख़ाितर

ओकरा के भीड़ पे फ3 कल गइल। ओकरी बाद हमार भलाई ख़ाितर पिु लस वाला लोग हमरा के

बतावल िक ‘अगर हम 8ांितकारी दल क काम क बारे म3 एगो बयान दे िदहG त हमार िगरsतारी ना

होखी आ इनाम िदहल जाई।’ पिु लस क ई K'ताव पे हमरा के हँसी आइल। ई कुSही बेकार के बात

रहे। हमनी लेखा िबचार राखे वाला लोग आपन िनदšख जनता पे बम ना फ3 के ले। एक िदने फजीरे

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सीआईडी के एगो बड़का अिधकारी Oयमू न हमरा लगी अइलन। उहाँ के सहानभु िू त देखावत बड़ा

लNबा-चौड़ा बात कइलन आ फे _ आपन जान म3 हमरा के ई दख


ु द ख़बर िदहलन िक जो हम उनकरी

िहसाब से बयान ना िदहलG त उ हमरा पे काकोरी के स के मािमला म3 िबgोह स_ु करे बदे षड्यंW

करे आ दसहरा बम कांड म3 8ूर हdया करे के मक़


ु दमा चलावे ख़ाितर मजबरू होिखह3। आ आगे उ

हमरा के इहो बतवलन िक उनका लगे हमरा के सजा िदयावे आ फाँसी चढ़ावे ख़ाितर ज_री सबतू

मौजदू बा। हालाँिक हम िबलकुल िनदšख रहनG तबो ओ घरी हमरा के िब'वास रहे िक जो पिु लस

चाही त अइसन कर सकत िबया। ओही िदन से िकछु पिु लस वाला हमरा के िनयम से दनु ो बेरा

भगवान के KाथVना करे ख़ाितर फुसलावे लगलन स। बािकर अब हम नाि'तक हो चक


ु ल रहनG। हम

अपना ख़ाितर ई बात तय करे चाहत रहनG िक का खाली शांित भा ख़श


ु ी के घरी हम नाि'तक

होखला के दभं भरे लG। आ िक मसु िकल घरीयो म3 हम आपन िस’ांत पे अिडग रह सके लG? खबू

सोचला के बाद हम ई फ़ै सला कइलG िक ईसर पे िब'वास भा KाथVना हम के हr तरे ना कर सके लG।

हम एकहp छन ख़ाितर अरदास ना कइनG। इहे अिसल प9र…छन रहे आ एकरा म3 हम सफल रहलG।

एको छन के हमरा के दोसर बातन क क़‘मत प आपन गरदन बचावे के लालसा न भइल। अब हम

एगो प„का नाि'तक रहलG आ तभे से लगातार बानG। एह प9र…छा म3 खरा उतरल आसान काम ना

रहे। ‘िब'वास’ दःु ख-दरद के हलक


ु क देवेला, इहाँ ले िक ओकरा के सख
ु करो बना देवेला। ईसर

से आदमी के संतवना ख़ाितर एगो आधार िमल जाला। ‘ओकरा’ िबना मनई के अपने ऊपर भरोसा

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करे के पड़ेला। आOही-तफ़
ू ान के बेरा आपन गोड़ पे खड़ा रहल, के वनो लइकन के खेला नइखे।

प9र…छा के एह घरी म3 अहक


ं ार जो बाटे त उ भाप लेखा उड़ी जाला आ आदमी ओही आम िब'वास

के ठुकरावला के िहNमत न जटु ा पावेला। आ जो िहNमत करे ला, त एकर इहे मतलब बा िक ओकरा

लगे अहक
ं ार ना के वनो दोसर शिi बाटे। आजु एकदम इहे हालत बा। मोकिदमा के फ़ै सला का

होखी ई पिहलिहं से पता बा। एक हsता के भीतरे फ़ै सला सनु ा िदहल जाई। हम आपन िजनगी एगो

“येय ख़ाितर कुरबान करे जात बानG, एही िबचार के छोड़के दोसर के वनो सतं वना आउर का हो

सके ला। ईसर म3 िब'वास राखे वाला एगो िहदं ू फे _ से जनम लेवला प राजा होखला के आसा कर

सके ला, एगो मसु लमान भा ईसाई सरग म3 समिृ ’ के अनOद लेवे के भा आपन तकलीफ़ आ कुरबानी

ख़ाितर इनाम के कSपना कर सके ला। बािकर हम के वना बात के आसा करG। हम त जानत बानG

िक जेवना घरी रसरी के फंदा हमरी गरदन पे लागी आ हमरी गोड़ के नीचे से तœता हटी, उहे पणू V

िवराम होखी – उहे आिख़री छन होखी। हम, भा अ“याdम के भाषा के मतु ािबक़ कहल जाव त,

हमार आतमा सभे िकछु ओिहजे खतम हो जाई। आगे कछहp ना बाची। एगो छोट खानी जझू े वाला

िजनगी, जेकर के वनो गरबसाली अतं नइखे, अपने म3 एगो इनाम होखी, जो हमरा म3 ओकरा के एह

नज़र से देखला के िहNमत होखे। इहे सब िकछु बा। िबना के वनो 'वारथ के , इहवाँ भा इहवाँ के बाद

के वनो इनाम के लालसा कइला बग़ैर, हम आपन िजनगी के आज़ादी हािसल करे ख़ाितर समिपVत

क िदहनी, काहे िक हम आउरी िकछु ना कर सकत रहनG। जेवना िदन हमनी के ई िबचार राखे वाला

19
ढेर मरद-औरत िमल जइह3, जे आपन िजनगी के इनसान के सेवा आ इसं ािनयत के उ’ार कइला के

िसवा कतŒ आउरी देई ना सके ल3, ओही िदने मक


ु ित के जगु के स_ु आत होखी। ई लोग शोषक,

उdपीड़क आ अdयाचा9रयन के चनु ौती देवे ख़ाितर तैयार होईह3। एह ख़ाितर नाहG िक उनकरा के

राजा बने के बा भा के वनो इनाम हािसल करे के बा – इहाँ भा अिगला जनम म3 आ िक मरला के

बाद सरग म3। ओही लोगन के त इसं ािनयत के गरदन से दासता आ गल


ु ामी के जआ
ु ठ उतार के फ3 के

के बा आ मक
ु ित आ शांित बनावे ख़ाितर एही राह के अपनावे के होखी। का उ लोग ओही र'ता

पे चिलह3 जा, जेवन ओनकरा ख़ाितर भले ख़तरनाक होखे, बािकर ओनकरा महान आतमा ख़ाितर

इकलौता शानदार र'ता बा? का आपन “येय ख़ाितर ओही लोगन के गरब के अहक
ं ार किहके

ओकर ग़लत अरथ लगावल जाई। अइसन घणृ ा करे लायक़ िबसेखन लगवला के िहNमत के करे ला।

हमार कहनाम बा िक अइसन आदमी या त मरू ख बा भा धतू V बा। हमनी के चाहG िक हमनी के

ओकरा के माफ़ कय िदहल जाय, काहेिक ओकरा िदल म3 उ बड़ िबचार, भावना, आवेग भा ओकर

गिहराई के महससू ना कर सके ला। ओकर िदल एगो माँस के टुकड़ा लेखा बेजान बा। ओकर आँख

'वारथ के Kेत के छािहं पड़ला से कमजोर हो गईल िबया। अपना ऊपर भरोसा कइला के गनु के

हमेसा अहक
ं ार कहल जा सके ला। ई दख
ु आ तकलीफ़ देवे वाला बा, बािकर एकरा अलावा चारे

का बा?

20
रउआँ जाइं आ के वनो Kचिलत धरम के िवरोध करG; के वनो अइसन हीरो भा महान आदमी के

आलोचना करG – जेकरा बारे म3 लोग ई मानेला िक उ आलोचना से ऊपर बा काहे िक ओकरा से

के वनो गलती होिखए ना सके ला, तब राउर तरक के ताक़त लोगन के रउआँ पे अनेरे अिभमान

कइला क आरोप लगावे ख़ाितर मजबरू क देई। ई िदमाग़ी जड़ता के कारन होखेला। आलोचना आ

'वतंW िबचार – ई दनु ो एगो 8ांितकारी के ज_री गनु बा। महातमा जी महान बाड़3 एही ख़ाितर के हrक
ँे

उनकर आलोचना ना करे के चाहG। उ ऊपर उठ गइल बाड़3, एिहसे उ कुSही बात, जवन उ कहेल3 –

चाहे उ राजनीित के हो आ िक धरम, अरथ भा नीित के – मय सही बा। रउआँ के यक़‘न होखे भा

ना होखे, बािकर रउआँ के कहेके पड़ी िक ‘हँ, इहे सच बा।’ अइसन सोच तर„क‘ के ओर ना ले

जा सके ले। ई त साफ़-साफ़ Kिति8याबादी सोच बा।

काहेिक हमनी के परु खा के वनो परमातमा (सभका से ताकतवर भगवान) म3 आपन िब'वास बना

िलहले रहे लोग, एिहसे के वनो अइसन आदमी जे ओ िब'वास क सचाई भा ओ परमातमा के

होखला के चनु ौती देई, उ िबधमo आ िब'वासघाती कहल जाई। जो ओकर तरक अइसन बाटे िक

कुतरक कइके ओकरा के काटल ना जा सके आ ओकर आ'था एतना मज़बतू बा िक भगवान के

परकोप से टूटे वाला िबपत के डर देखाके ओकरा के दबावल ना जा सके , तब ओकर इहे किहके

िनंदा होखी िक उ झठू े अिभमान करे ला, िक ओकर सभु ाव पे अहक


ं ार हावी बा। त ई बेकार के

िबबाद पे समय नकसान कइला के का फ़ायदा? फे _ ए कुSही बातन पे बहस कइला के कोिसस

21
काहे? ई लमहर बहस एह ख़ाितर िक जनता के सोझा ई सवाल आजु पिहली बेर आइल बा, आ

आजएु पिहली बेर एही मसला पे नीमन ढंग से बग़ैर के वनो प…छ िलहले चरचा हो रहल बा।

जहवाँ ले पिहला सवाल के बात बा, हमार समझ म3 हम साफ़ क देले बानG िक ई हमार अहक
ं ार ना

रहे, जे हमरा के नाि'तक होखे के र'ता पे ले गइल। हमार तरक के तरीक़ा ठीक बा िक ना, एकर

फ़ै सला हमरा के ना हमार पाठकन के करे के बा। हम जानत बानG िक आजु के हालत म3 भगवान पे

िब'वास कइला से हमार िजनगी आसान आ हमार बोझ हलक


ु भ गइल रिहत। हमार अिब'वास के

चलते सगरी माहौल बहpते सख


ू ा हो गइल बा आ जेवन हालात बा उ बहpते कठोर हो सके ला। इिचको

रह'यबाद एकरा के किबताई से भर सके ला। बािकर हमरा भाग के के वनो उOमाद के सहारा ना चाहG।

हम यथाथVबादी बानG। हम िबबेक से आपन िदल-िदमाग़ पे जीत हािसल करल चाहत बानG। एही

लeय म3 हम हरमेसा सफल ना भइल बानG। बािकर Kयास कइल इसं ान के हाथ म3 बा ओकर करतब

बा, जीत िमलल भा ना िमलल त संजोग आ हलात पे िटकल बा।

दोसर सवाल, िक जो ई अहक


ं ार ना बा, त भगवान के होखला के लेके Kाचीन आ आजओ
ु िबदमान

सरधा पे अिब'वास कइला के के वनो कारन त होखे के चाहG। जी हँ, अब हम एही बात पे आ रहल

बानG। कारन बाटे िक के वनो इनसान जेकरा म3 सोचला-समझला के इिचको िबबेक होखी, उ आपन

माहौल के तािकV क ढंग से समझल चाही। जहवाँ सोझा परमान नइखे उहाँ दरसनसा'तर आपन खास

जगह बना लेवेला। जइसन िक हम पिहलिहं कहनी हँ, हमार 8ांितकारी संगी लोग कहे िक

22
दरसनसा'तर इनसान के कमजोर भा दबु र होखला के नतीजा बा। जब हमनी के परु खा लोग फ़ुरसत

के घरी दिु नया के रह'य के , एकर भतू , बतVमान आ भिवYय के , काहे आ कहवाँ दिु नया आ इनसान

के जनम होखल लेखा सवालन के समझे-बझु े के कोिसस कइल3 त सीधा परमान के ना भ3टाइला प

हर आदमी आपन-आपन ढंग से एह सवालन के हल िनकरलस। इहे वजह बा िक तमाम धरम-

िब'वास आ मत के भीतरी हमनी के एतना भेद िमलेला िक कभो-कभो त उ झगड़ा-फ़साद आ

मनमटु ौवल के •प ले लेवेला। खाली परू ब आ पि…छम के दरसन म3 भेद नइखे, बलक
ु हर गोलाधV

के अलगा-अलगा मतन म3 फ़रक बा। एिसया के धरम इ'लाम आ िहदं ू धरम म3 के वनो एक•पता

नइखे। भारते म3 बौध आ जैन धरम ओ €ा™नबाद से बहpते अलग बा, जेकरा म3 खदु े आयV समाज

आ सनातन धरम लेखा िबरोधी मत पावल जाने स। परु ान समय के एगो अउर आज़ाद िबचारक

चावाVक बाड़3। उहाँ के परु ाना ज़माना म3 भगवान के चनु ौती िदहले रहG। ई कुSही मत एक-दसू रा से

मल
ू सबालन पे भेद राखेलन स आ हर आदमी अपना के सही बझु ल
े ा। इहे त दरु भाग के बात बा।

बजाय ई कइला के िक परु ान ज़माना के िब•ान आ िबचारक लोग के अनभु व आ िबचार के भिवYय

म3 अzयानता के खेलाफ लड़ाई क आधार बनावल जाव आ एही रह'यमय सबाल के हल कइला

के कोिसस कइल जाव। हमनी के आलिसयन लेखा, जेवन िक हमनी के िस’ हो चक


ु ल बानG जा,

ओनकर कहल म3 अिडग आ के वनो संशय के िबना िब'वास कइके , चीख-पक


ु ार मचावत रहेलG

जा। आ ए तरी हमनी के इसं ािनयत के तर„क‘ के जड़ बनवला के अपराधी बाड़G जा।

23
हरे क आदमी के , जे िबकास ख़ाितर खड़ा बा, •ढ़ हो चक
ु ल िब'वास के आलोचना करे के होखी,

ओकरा पे अिब'वास करे के पड़ी आ ओके चनु ौती देवे के पड़ी। हरे क Kचिलत धरम आ मत के

एक-एक बात के हर कोना से तरक के कसौटी पे कसे के होखी। जो खबू तरक के बादो उ के वनो

िस’ांत भा दरसन ख़ाितर Kे9रत बा, त ओकर िब'वास के 'वागत बा। ओकर तरक झठू , भरम,

छल आ कभो-कभो िमžया हो सके ला। बािकर ओकरा के सधु ारल जा सके ला काहेिक िबबेक

ओकरी िजनगी के िदसा िदखावेला, बािकर िनछान िब'वास भा अधं िब'वास ख़तरनाक बा। ई िदमाग़

के मरू ख आ आदमी के Kिति8याबादी बना देवेला। जवन मनई अपना के यथारथबादी होखला के

दावा करे ला ओकरा के सगरी परु ान िब'वासन के चनु ौती देवे के होखी। आ जो उ िब'वास तरक के

चोट ना सही सिकह3 त टुक‘-टुक‘ होके िगर पड़ीह3 स। ओही घरी ओ आदमी के पिहला काम होखी,

मय परु ान िब'वासन के ढािह के नया दरसन के थापना ख़ाितर जगह बनावल। ई त नकाराdमक प…छ

भईल। एकरा बाद सही काम स_ु होखी, जेकरा म3 फे _ से बनावे ख़ाितर परु ान िब'वासन के िकछु

बात के इ'तेमाल कइल जा सके ला। जहवाँ ले हमार तालक


ु बा, हम स_ु वे से मानेलG िक एही िदसा

म3 हम अबहG ले के वनो खास पढ़ाई ना क पइले बानG। एिशया के दरसन के पढ़े के हमार बड़

लालसा रहे, बािकर एकर संजोग ना बन पावल। बािकर जहवाँ ले एह िबबाद के नकाराdमक प…छ

के बात बा हम परु ान िब'वासन पे सवाल उठावे ख़ाितर आŸ'त बाड़G। हमरा के परू ा भरोसा बा िक

के वनो अइसन चेतन, परमातमा के मौजदू गी नइखे, जे Kकृित के चलावेला आ ओकरा के िदसा

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देखावे ला। हम Kकृित म3 िब'वास करGला आ ई बात जानGला िक कुSही िबकास के उTेस आदमी

क अपना ख़ाितर Kकृित पे जीत हािसल कइल बाटे। एकरा के िदसा देवे ख़ाितर के वनो चेतन शिi

एकरा पाछे नइखे। इहे हमार दरसन बा।

जहवाँ ले नकाराdमक प…छ के बात बा, हम आि'तकन से िकछु सबाल करल चाहब –

1. जो, जइसन िक राउर िब'वास बा, एगो सभका से समरथ, कुSही जगह मौजदू आ सभ िकछु

जाने वाला भगवान बाड़3, जे ए पिृ थवी भा दिु नया के रचले बाड़न, त िकरपा कइके हमरा के

बताई ं िक ई काम उ काहे ख़ाितर कइलन? तकलीफ़ आ आफ़त से भरल ई दिु नया, जहवाँ

दःु ख के के वनो सीमा नइखे आ हज़ार िकिसम के बेड़ी से आदमी जकड़ल बा। ई दिु नया

जहवाँ एकहp आदमी खसु नइखे!

अब रउआँ ई मत कहG िक इहे भगवान के क़ायदा बा। काहे िक जो उहो के वनो िनयम से बँधल

बाड़न त उ सभका से समरथ ना हव3। फे _ त उ हमिनये िनयर ग़ल


ु ाम बाड़न। िकरपा करके इहो मत

कहG िक ई उनकर शग़ल बा। नीरो त खाली एगो रोम के जलाके राख कइले रहे। िकछु लोगन के

जान मरले रहे। उ त तिनके दःु ख िदहले रहे, आपन सऊख आ मन बहलावे ख़ाितर। आ इितहास म3

ओकर का जगह बा? ओकरा के इितहासकार लोग का नाम से बोलावेला? कुSही िबसैला िबसेखन

ओकरा ऊपर बरसावल जाला। ज़ािलम, िनठुर, शैतान लेखा श[दन से ओकर बरु ाई म3 िकताब भरल

बाड़G स। एगो चगं ेज़ खाँ आपन आनंद ख़ाितर कई हज़ार लोग के जान ले िलहलस, आ आजु हमनी

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के ओकरा नाम से घणृ ा करे लG जा। तब फे _ तू ओ सभका से समरथ अनंत नीरो (माने भगवान)

के , जे हर िदन, हर घरी लोगन के दःु ख देत बाड़न आ अबिहयŒ देत बाड़न, के तरी सही कह रहल

बाड़? फे _ तू ओनकर दYु कमV के क3 गने िहमायत करबा, जे हर घरी चगं ेज़ो के दYु कमV के पीछे छोड़

देत बाड़न। हम पछ
ू त बानG िक उहाँ के ई दिु नया आिख़र बनइबे काहे कइलन? अइसन दिु नया जेवन

साँचहpँ नरक बा, जहवाँ दःु ख-दरद के के वनो ओरे -अतं नइखे। सभका से समरथ भगवान मनई के

काहे बनावलन, जबिक उहाँ के चहतG त ना बनउतG। ई कुSही बातन के तोहरा लगे का जबाब बा?

तु कहबा िक ई कुSही अिगला जनम म3, िनदšख आ दरद सहे वाला लोगन के इनाम देवे ख़ाितर

आ गलती करे वालन के दडं देवे ख़ाितर हो रहल बा। ठीक बा, ठीक बा। तु कब ले ओ आदमी

के सही कहत रहबा, जे हमनी के देहG पे ज़ म िदहला के िहNमत करे ला िक बाद म3 ओही ज़ म पे

उ मलहम लगाई। zलैिडएटर स'ं था चलावे वाला लोगन के ई काम कहवाँ ले ठीक रहे िक एगो

भख
ू ाइल शेर के सोझा एगो आदमी के फ3 क‘ दा, आ जो उ आदमी भख
ू ाइल शेर से आपन जान

ू त बानG, ‘उ परम
बचा िलही त ओकर खबू सेवा आ देखभाल कइल जाई। एही ख़ाितर हम पछ

चेतना आ सभका से ऊपर के सcा ई दिु नया आ ओम3 इनसान के काहे बनवलस? खाली आनंद

लेवे ख़ाितर? त ओकरा म3 आ नीरो म3 का फ़रक बा?”

मसु लमान आ ईसाई लोग! िहदं ू दरसन के लगे अबहG आउरो तरक हो सके ला। हम तोहरा से पछ
ू त

बाड़G िक तोहरा लगे ई सबालन के का जबाब बा? तु त पनु रजनम म3 िब'वास ना करे ला। तु त िहदं ू

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लोगन के नाई ं इहो ना कह सकत बाड़ा िक िनदšख आदमी जेवन दःु ख दरद पावत बा उ ओकरी

िपिछला जनम के कुकरम के फल बा। हम तोहसे पछ


ू त बाड़G िक उ सभका से समरथ भगवान दिु नया

के बनावे ख़ाितर छह िदन मेहनत काहे कइलन आ ई काहे कहल3 िक कुSही ठीक बा। उहाँ के

आजवु े बोलाव, आ ई कुSही िपिछला इितहास देखावा। आजु के हालात के समझे-बझु े दा। फे _

हमनी के देखब जा िक का तबो उ ई कहेके िहNमत जटु ावेलन िक कुSही ठीक बा!

जेल के काल-कोठरी से लेके, झोपड़ी आ बि'तयन म3 भख


ू से तड़फे वाला लाखन-लाख आदमी,

शोिसत मजदरु न से लेके, जेवन िक पँजू ीबादी िपसाचन •ारा आपन खनू चसू ला के धीरज धरी के

भा कहे के परी िक उNमीद छोड़ी के देख रहल बाड़न। आ भगवान इनसान के शिi के बरबादी देख

रहल बाड़न, जेकरा के देखी के के वनो मनई, जे इिचको जानकार बा, डर के मारे िसहरे लागी। आ

अिधक उdपाद के ज•रतमदं लोगन म3 बाँटला के बजाय समदंु र म3 फ3 क‘ िदहला के ठीक समझे

वाला राजा लोग के उ महलन ले, जेकरा नGव म3 इनसान के हड्डी पड़ल बाड़G स… उहाँ के ई

कुSही देखे दा आ फे _ उ कह3 िक ‘कुSही ठीक बा’। काहे आ के वना ख़ाितर? इहे हमार सबाल

बा। तु लोग चपु बाड़ा? ठीक बा, त हम आपन बात आगे बढ़ावत बानG।

आ िहदं ू लोग, तु लोग कहेला िक आजु जे लोग दरद आ तकलीफ़ पावत बाड़न उ लोग िपिछलका

जनम म3 पाप कइले रहे। ठीक बा। तु कहत बाड़ा िक आजु के उdपीड़क िपिछला जनम म3 साध-ु संत

रहल3 जा, एही ख़ाितर उ लोग सcा के मज़ा लटू रहल बा। माने के पड़ी िक राउर परु खा लोग बड़ा

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चलाक रहे हो। उ लोग अइसन िस’ांत गढ़लन जेकरा म3 तरक आ अिब'वास के कुSही Kयास के

बेफल बनावला ख़ाितर खबू ताक़त बा। बाक़‘ हमनG के देखे के परी िक ई कुSही बात कहवाँ ले

िटके ले?

नेआयसा'तर के नामी-िगरामी िब•ानन के मानल जाव त, मजु 9रम पे पड़े वाले असर के िलहाज़ से

के वनो दडं के खाली तीने-चार गो वजह से सही कहल जा सके ला। ई वजह बाड़G स – बदला, डर

आ सधु ार। आजु कुSही तर„क‘पसन िबचारक लोग बदला लेवे के िस’ांत के िनंदा करे ला। डरावे

वाला िस’ांतो के अतं उहे बा। खाली सधु ार करे के िस’ांत ज_री बाटे आ इसं ािनयत के तर„क‘

के अटूट िह'सा बा। एकर उTेŽय मजु 9रम के एगो कािबल आ शांित पसन करे वाला नाग9रक लेखा

समाज म3 लउटावे के बा। बािकर जो ई बात के मािनयो िलहल जाव िक िकछु इनसान िपिछला जनम

म3 पाप कइले रहल3 स त भगवान •ारा उनकरा के िदहल सजा कइसन बाटे? तु कहत बाड़ा िक

भगवान ओ कुिSहन के गाय, िबलाइ, पेड़, जड़ी-बटू ी भा जनावर बनाके पैदा करे ला। तु लोग अइसन

चौरासी लाख सजा के िगनावेला। हम पछ


ू त बानG िक सधु ारक के •प म3 इनसान पे ई कुSही के का

असर बा। तु अइसन के तना आदिमन से िमलल बाड़ा जे ई कहेला िक के वनो पाप कइला के चलते

िपिछला जनम म3 उ गदहा के जनम पावल3 रहल3? आपन परु ाण से उदाहरण मत िदहG। हमरा लगे

तोहार कथा-परु ाण ख़ाितर के वनो जगह नइखे। आउर फे _ का तोहके ई पता बा िक दिु नया म3 सभका

से बड़ पाप गरीब होखल बा? ग़रीबी एगो सराप बा, एगो दडं बा। हम पछ
ू त बानG िक अपराध

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िबzयान नेआयसा'तर के एगो अइसन जानकार के रउआँ कभो तारीफ़ करब जे के वनो अइसन दडं

Kि8या के बेव'था करे जेवन िक आदमी के आउरी जरु म करे ख़ाितर मजबरू करे ? त बताई ं राउर

भगवान ई कुSही बात का ना सोचले रहलन? आ िक ओनकरो के ई सगरी बात इनसािनयत के

एतना तकलीफ़ झेलला के क़‘मत पे आ ओकरे अनभु व से सीखे के रहे? तु का सोचेला िक के वनो

गरीब आ अनपढ़ प9रबार, जइसे एगो चमार भा मेहतर के इहाँ पैदा होखला पे इनसान के भाग का

होखी? काहे िक उ गरीब बा, उ पढ़ाई ना कर सके ला। उ आपन उ सगं ी-दो'तन से भी दतु कारल

जाला, जेिक ऊँच जात म3 पैदा होखला के बजह से अपना के ऊँच समझेला। ओकर अzयान, ओकर

ग़रीबी आ ओकरा साथ होखे वाला बेवहार ओकरा के समाज के Kित िनठुर बना देवेला। मान ल,

जो उ के वनो पाप करे ला त ओकर फल के भोगी? भगवान आ िक उ खदु े आ िक समाज के बड़का

मनीषी लोग? आ ओही लोगन के सजा के लेके का कहबा िजनकरा के दNभी आ घमडं ी बाभन

सभ जान-बिू झके अzयानी बनइले रखलन स आ जेकरा के राउर zयान के पिवW िकताब बेद के िकछु

बा„य सनु ला ख़ाितर कान म3 िपघलल सीसा क धार सहे के सजा भोगे के पड़त रहे? जो उ सभ

के वनो जरु म करे लन त ओकरा ख़ाितर के िज़Nमेदार होखी आ ओकर चोट के सही? हमार िKय

सगं ी-साथी लोग! ई कुSही िस’ांत ओही लोगन के खोजल बाड़न स जेकरा के समाज म3 खास

अिधकार िमलल बा। ई लोग आपन हिथयावल ताक़त, सNपिc आ उ…चता के एही िस’ांत के

बिु नयाद पे सही ठहरावेला। सायद अपटन िसन„लेयर कतहrँ िलखले बाड़न िक ‘इनसान के खाली

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आतमा के अमर होखला म3 िब'वास िदया द आ ओकरा बाद ओकर सगरी सर-समान लिू ट ला।

उ िबना िकछु बोलले एही काम म3 खदु े तोहार मदद करी।’ धरम के उपदेस देवे वाला लोग आ सcा

क मािलक लोग के मेल-िमलापे से जेल, फाँसीघर, कोड़ा आ ई सगरी िस’ांत उपजेल3 स।

हम पछ
ू त बानG िक तोहार भगवान हर आदमी के ओही घरी काहे ना रोके ल3 जब उ के वनो पाप भा

जरु म करत रहेला? ई काम त उ बहpते आसानी से कर सके ल3। उ काहे ना लड़ाकू रजवन के भा ओ

कुिSहन के िभतर के लड़े के उOमाद खतम क िदहल3 आउर ए तरे िब'वज’


ु से इनसािनयत पे टूटे

वाला िबपत से काहे ना बचवल3। उ अगं रे जन के िदमाग़ म3 िहदं 'ु तान के आज़ाद करे ख़ाितर भावना

काहे ना पैदा कइल3? उ काहे ना पँजू ीपितयन के िदल म3 दोसरा के भलाई कइला के भाव भर देत

बाड़3 जेसे िक उ सभ उdपादन क साधन के आपन सNपिc मानल छोड़ी देस। आ ए तरे ना खाली

सगरी मजरू समाज, बलक


ु सगरी मानव समाज के पँजू ीबाद के बेड़ी से आज़ाद कर3 ।

रउआँ समाजबाद के बेवहा9रक होखला पे तरक करे चाहत बानG, हम एकरा के राउर सभका से

बलवान भगवान पे छोड़ देत बानG िक उहे एकरा के लागू कर3 । जहवाँ ले आम लोगन के भलाई के

बात बा, लोग-बाग समाजबाद के गनु मानेल3, बाक़‘ उ एकर बेवहा9रक ना होखला के बहाना बनाके

एकर िबरोध करे ल3। चलG, राउर परमातमा आव3 आ उ सगरी चीज़ के सही कर देव3। अब रउआँ

घमु ा-िफराके तरक नत करG, ई कुSही बेकार के बात बा। हम रउआँ के बता िदहG िक अगं रे जन के

हकूमत एिहजं ा ए ख़ाितर नइखे िक भगवान चाहत बाड़3, बलक


ु एह बदे बा िक अगं रे जन के पजरी

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ताक़त िबया आ हमनG म3 अगं रे जन के िबरोध करे के िहNमत नइखे। अगं रे ज़ हमनी के आपन Kभ‹ु व

म3 भगवान के मदद से ना रखले बाड़न स, बलक ू , राइफ़ल, बम आ गोली, पिु लस आ सेना


ु बनक़

के बल पे हमनी के ग़ल
ु ाम बनाके रखले बाड़न स। ई हमनी के उदासीनता बा िक उ कुल समाज के

खेलाफ सभका से उरे ब जरु म कर रहल बाड़न स यानी एक देस दोसरी देस पे जल
ु मु आ शोसन क

रहल बा? कहाँ बाड़3 भगवान? उ का कर रहल बाड़3? का उ इनसान के तकलीफ़ म3 देखी के मज़ा

ले रहल बाड़न? ना, उ भगवान ना, नीरो बा, चगं ेज़ बा, ओकर नास होखे।

का तु हमरा से ई पछ
ू त बाड़ा िक हम एह दिु नया के उdपिc आ इनसान के उdपिc के कइसे समझा

सके लG? ठीक बा, हम तोहके बतावत बानG। चाSसV डारिवन एह मTु ा पे बहpत िकछु िलखले बाड़न।

ओकरा के पढ़ा। िनरलंब 'वामी के ‘सहज zयान’ पढ़ा। तोहरा के एही सबाल के िकछु हद तक

जबाब िमल जाई। दिु नया के बनल एगो Kाकृितक घटना बा। अकासगंगा के आकार म3, तमाम

पदारथ के अचके िमलला से ई धरती आ संसार बनल। कब बनल? एकरा ख़ाितर इितहास देखा।

अइसने घटना से जनावर पैदा भइलन स आ बहpत बखत बीतला के बाद इनसान पैदा भईल। डारिवन

के िलखल ‘जीव के उdपिc’ पढ़ा। आ ओकरी बाद सगरी िबकास इनसान •ारा Kकृित से लगातार

संघषV आ ओकरा पे जीत हािसल करे के लालसा से होखल बा। ई एह घटना के सायद सबसे छोट

^याœया बा।

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तोहार दोसर तरक ई हो सकत बा िक काहे एगो लइका आOहर भा लँगड़ पैदा होखेला, जो ई ओकर

िपिछला जनम म3 कइल पापन के फल नइखे? जीविवzयान के जनकार लोग एह मसला के वै¡ािनक

समाधान िनकलले बाड़3। ओनकरा मते एकर सगरी िज़Nमा माई-बाप के ऊपर बा, जे आपन ओह

कामन के लेके लापरवाह भा अनजान रहेल3 जे ब…चा के जनम के पिहलव3 ओकरा के अपंग बना

देवेल3।

जािहर बा िक तु एगो आउरी सबाल पछ


ू सकत बाड़, जदपी उ बेलकुल बचकाना बाटे। उ सवाल

बा िक जो भगवान नइखन त लोग-बाग काहे ओनकरा म3 िब'वास करे लगल3? हमार जबाब सोझ

आ बेबाक़ बा – जे तरी लोग भतू -परे त आ द'ु ट आतमा म3 िब'वास करे लागल3, ओही तरे भगवानो

के मान3 लगल3। फ़रक खाली एतने बा िक भगवान म3 िब'वास दिु नया भर म3 फै लल बा आ ओकर

दरसन बहpते बढ़ल-चढ़ल बा। िकछु उ¢ बदलावबादी (रै िडकल) लोगन के उलट हम एकर उdपिc

के £ेय ओही शोसकन के िदमाग़ के ना देवेलG जे परमातमा के मौजदू गी के उपदेस देके लोगन के

आपन Kभdु व म3 राखे चाहत रहल3 आ ओ सभसे आपन खास हैिसयत के अिधकार आ अनमु ोदन

चाहत रहल3। जदपी एह मल


ू िबंदु पे हमरा के वनो िबरोध नइखे िक कुSही धरम, सNKदाय, पंथ आ

अइसन दोसर सं'था आिख़र म3 िनरदयी आ शोसक सं'था, आदमी आ तबका के समथVक हो जालG

स। अचरज के बात नइखे िक राजा के खेलाफ िबgोह कुSही धरम म3 हरमेसा पापे रहल बा।

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भगवान के उdपिc के लेके हमार िबचार ई बा िक आदमी आपन कमी, कमजोरी के समझला के

बाद, इतं हान के बखत क बहादरु ी से सामना करे , आपन जोस बढ़ावे ख़ाितर, कुSही ख़तरा के

मरदाना लेखा झेले आ सNपOनता आ ऐŸयV के घरी आदमी के गरब से फूिलके फूटला से बाOहे

ख़ाितर भगवान के मनगढ़ंत रचना कइलस। भगवान के उदारता, उनकर दया-माया आ भलमनसी

के खबू बढ़ा-चढ़ा के गढ़ल आ बतावल गइल। जब भगवान के करोध आ ओनकर िनयम-क़ाननू

के चचाV होखेला त भगवान के इ'तेमाल डरावे ख़ाितर कइल जाला तािक आदमी समाज ख़ाितर

के वनो ख़तरा ना बने। जब ओनकरा के माई-बाप लेखा बतावल जाला तब भगवान के इ'तेमाल

एगो बाप, मतारी, भाय, बिहन, संगी-साथी मितन कइल जाला। ए तरे जब आदमी आपन संगी-

दो'तन के धोखा आ साथ छूटला से बहpते दख


ु ी होखे तब ओकरा के एही िबचार से सतं वना िमलेले

िक एगो स…चा संगी (भगवान) ओकर मदद ख़ाितर बा, उहे ओकरा के सहारा िदही, जे िक सभका

से बलवान बा आ कछहp कर सकत बा। असल म3 आिदम ज़माना म3 ई िबचार समाज ख़ाितर उपयोगी

रहे। िबपत म3 पड़ल आदमी ख़ाितर भगवान के ई कSपना मददगार होखेले।

समाज के भगवान म3 िब'वास के खेलाफ ओही तरे लड़े के होखी जइसे मरू त-पजू ा आ धरम से

जड़ु ल दोसर दिक़यानसू ी बातन के खेलाफ लड़े के पड़ल रहे। ए तरे जब आदमी आपन गोड़ पे खड़ा

होखे के कोिसस करे लागे आ असिलयत म3 भरोसा राखे लागे तब भगवान म3 सरधा के एक ओरी

फ3 क‘ देवे के चाहG आ सगरी तकलीफ़, मसु िकल जेवन आदमी के आपन िजनगी म3 देखक
े े के पड़ेले

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ओकर सामना पौ_ख से करे के चाहG। इहे हालत हमार आज बा। ई हमार घमडं नइखे। हमार संगी!

ई हमार सोचला के तरीक़ा बा, जवन हमरा के नाि'तक बनवले बा। हम नइखी जानत िक भगवान

म3 िब'वास आ रोज-ब-रोज पजू ा – जेकरा के हम आदिमन के सबसे 'वाथo आ िगरल काम

मानGला – हमरा ख़ाितर मददगार होखी भा हमार हालत के आउरी चौपट कर िदही। हम ओ

नाि'तकन के बारे म3 पढ़ले बानG, जे कुSही िबपत के सामना बहादरु ी से कइलन। एही बदे हमहpं एगो

मरद लेखा फाँसी के फंदा पे चढ़ला के आिख़री घरी ले आपन माथा ऊँचा कइले खड़ा रहल चाहत

बानG।

देखे के बा िक हम एही बात पे के तना खरा उतर पावत बानG। हमार एगो संगी हमरा से पजू ा-KाथVना

करे के कहल3। जब हम उहाँ के आपन नाि'तक होखला के बात बतइनG त उ कहल3 ‘देख िलहा,

आपन आिख़री िदन म3 तहु pँ भगवान के माने लगबा।’ हम उहाँ से कहलG ‘ना, दो'त, अइसन ना

होखी। अइसन कइल हमरा ख़ाितर हार आ बेइ¤ज़ती के बात होखी। आपन 'वारथ ख़ाितर हम

कबहrँ KाथVना ना करब।’ पाठक, हमार दो'त लोग, का ई अहक


ं ार बा? जो बा, त हम एकरा के

सकारत बानG।

34
अनुवादक पAरचय

शुभनीत कौिशक

बनारस िहOदू यिू नविसVटी से इितहास म3 'नातकोcर.

स3टर फॉर िह'टॉ9रकल 'टडीज़, जवाहरलाल नेह• िवŸिवtालय से एम. िफ़ल. और पी-एच.डी.

आधिु नक भारत के इितहास, महाdमा गांधी के जीवन-दशVन और िहदं ी सािहdय के इितहास म3 गहरी

_िच. िहदं ी क‘ पिWकाओ ं !ितमान, त'व, समयांतर, वागथ/, मधमु ती आिद म3 इितहास और

समकालीन मTु Œ पर िनयिमत लेखन. इितहास, भाषा और रा89 (संवाद Kकाशन, 2022) प'ु तक

Kकािशत.

स,ं ित : अिस'ट3ट Kोफे सर, इितहास िवभाग, सतीश चgं कॉलेज (बिलया).

ईमेल : kaushikshubhneet@gmail.com

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