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8102020125539PM-Class X Hindi Notes - Manushyata - 230830 - 093130
8102020125539PM-Class X Hindi Notes - Manushyata - 230830 - 093130
4. कवि ने ककन पंजततयों में यह व्यतत ककया है कक हमें गिण-रदहत िीिन व्यतीत
करना चादहए ?
उत्तर- कवि ने तनम्नमलखखत पंजततयों में यह भाि व्यतत ककया है –
‘रहो न भल
ू के कभी मदांध तुच्छ वित्त में,
सनाथ िान आपको करो न गिव चचत्त में I’
2. रहो न भल
ू के कभी मदांध तच्
ु छ वित्त में,
सनाि िान आपको करो न गिण थचत्त में I
अनाि कौन हैं यहााँ? त्रत्रलोकनाि साि हैं,
दयालु दीनबन्धु के बडे विशाल हाि हैं I
उत्तर(भाि)- इन में कवि अहं कार को ममटाने पर बल दे ते हैं I हमें कभी भी धन
के मद में अंधा नहीं होना चादहए I स्ियं को सनाथ मानकर घमंि नहीं करना
चादहए, तयोंकक यहााँ तो प्रभु के िरदहस्त होते हुए सभी सनाथ हैं, कोई भी अनाथ
नहीं I परमात्मा बड़ा दयालु है , िह सब पर कृपा करता है I
प्रनतपाद्य –
'मनष्ु यता 'कविता के माध्यम से कवि मानिता, एकता, सहानभ
ु तू त, सदभाि,उदारता
और करुर्ा का संदेश दे ना चाहता है । िह मनष्ु य को स्िाथव ,मभन्नता ,िगविाद, िाततिाद,
संप्रदायिाद आदद संकीर्वताओं से मत
ु त करना चाहता है । िह मनष्ु य में उदारता के भाि
भरना चाहता है । कवि चाहता है कक हर मनष्ु य समस्त संसार में अपनत्ि की अनभ
ु तू त करे ।
िह दखु खयों ,िंचचतों और िरूरतमंदों के मलए बड़े से बड़ा त्याग करने को भी तैयार हो। िह
कर्व, दधीचच,रततदे ि आदद के अतुल त्याग से प्रेरर्ा ले। िह अपने मन में करुर्ा का भाि
िगाए। िह अमभमान, लालच और अधीरता का त्याग करे । एक-दस
ू रे का सहयोग करके
दे ित्ि को प्राप्त करे । िह हाँ सते-खेलते िीिन जिए तथा आपसी मेलिोल बढ़ाने का प्रयास
करे । उसे ककसी भी सरू त में अलगाि और मभन्नता को हिा नहीं दे नी चादहए।