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Shri Ram Stuti Manra
Shri Ram Stuti Manra
दोहा
ी राम चं कृपालु भजमन, हरण भाव भय दा णम् ।
नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद क जा णम् ।।
छंद
मनु जािह राचेऊ म लिह सो ब सहज सुंदर सावरों।
क ना िनधान सुजान सलू सने जानत रावरो।।
सोरठा
जािन गौरी अनुकूल सय िहय हरषु न जाइ किह।
मंजुल मंगल मूल वाम अं ग फरकन लगे।। Panotbook.com