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वायु प्रदष

ू ण

1. प्रस्तावना
2. वायु प्रदष
ू ण का अर्थ
3. वायु प्रदषू ण की प्रकृतत
4. वायु प्रदष ू ण के स्रोत
5. वायु प्रदष ू ण के दष्प्ु प्रभाव
6. वायु प्रदष ू ण के कारण
7. वायु प्रदष ू ण को रोकने के उपाय
8. उपसंहार

प्रस्तावना – Preface
वायु प्रदूषण प्रमुख पयाथवरणीय मुद्दों में से एक है। वायु प्रदूषण के कारण ओजोन परत भी बहुत अधिक
प्रभाववत हो रही है जो पयाथवरण में गंभीर व्यविान का कारण बन रही है। मनुष्प्य की हमेशा बढ़ती हुई
जनसंख्या के कारण उनकी आवश्यकता में भी वद्
ृ धि हो रही है जो प्रदष
ू ण का मख्
ु य कारण है।
मनुष्प्य की दैतनक गततववधियााँ बहुत से खतरनाक रसायनों, वातावरण को गंदा करने का कारण होती है,
जो जलवायु में नकारात्मक पररवतथन के ललये मजबूर करती है। औद्योधगकीकरण की प्रक्रिया में कई
हातनकारक गैसों, कणों, पेंट और बैट्रियों का आिामक संचालन, लसगरे ट, आट्रद काबथन मोनो ऑक्साइड,
पररवहन के सािन काबथन डाई ऑक्साइड और अन्य जहरीली पदार्ों को वातावरण में छोड़ते हैं।
सभी तरह के प्रदूषण पयाथवरण से जुड़े हुए हैं, जो ओजोन परत को हातन पहुाँचाकर सूयथ की हातनकारक
क्रकरणों पर पथ्
ृ वी पर आमंत्ररत करते हैं। वायु प्रदष
ू ण के स्तर को कम करने के ललए हमें दैतनक आिार
पर अपनी क्रिया-कलापों में बड़े स्तर पर पररवतथन लाने होंगे।
हमें वायु प्रदष
ू ण के प्रभावों को कम करने के ललए पेड़ो को नहीं काटना चाट्रहए, सावथजतनक पररवहन का
प्रयोग करना चाट्रहए, तछडकाव करने वाली कैनों को वर्जथत करना चाट्रहए और अन्य उन गततववधियों को
करना चाट्रहए जो वातावरण को प्रदूवषत करने वाले तत्वों को रोकने में सहायक हो।

वायु प्रदष
ू ण का अर्थ – Air Pollution Meaning
वायु पथ्
ृ वी पर जीवन का एक आवश्यक तत्व है। इसी से प्राणणयों एवं जीव-जंतुओं को ऑक्सीजन प्राप्त
होती है, जो जीवन का आिार है और इसी से वनस्पतत को काबथन-डाई-ऑक्साइड लमलती है र्जससे
उसका पोषण होता है। वायु मण्डल एक कम्बल के समान है, र्जसके न होने से तापमान अधिक या अतत
न्यून हो जाएगा। वायु मण्डल ही हमारी अल्ट्िावायलेट क्रकरणों से रक्षा करता है और उल्ट्काओं को जला
कर नष्प्ट कर दे ता है।
वास्तव में वायु में उपर्स्र्त गैसों पर बाहरी प्रभाव (प्राकृततक अर्वा मानवीय) ही वायु प्रदूषण के ललए
उत्तरदायी है। हमारी पथ्
ृ वी के वातावरण ववलभन्न प्रकार की गैसों से बना हुआ है, र्जसमें मानव एवं अन्य
सजीव जीव-जंतुओं के जीवन के ललए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है,
जो क्रक वातावरण में लगभग 24% है। लेक्रकन िीरे -िीरे पृथ्वी में हो रहे बदलाव के कारण ऑक्सीजन की
मारा कम होती जा रही है, इसमें कई प्रकार की ववषैली गैसे घल
ु रही है।
साधारण शब्दों में कहें तो स्वच्छ वायु में रसायन, सूक्ष्म पदार्थ, धूल, ववषैली गैस,ें जैववक पदार्थ, कार्थन
डाइऑक्साइड आदद के कारण वायु प्रदूषण होता है।
वायु प्रदष
ू ण की प्रकृतत
जीव मण्डल का आिार वायु है। वायु में उपर्स्र्त ऑक्सीजन पर ही जीवन तनभथर है। प्राणी वायुमण्डल से
ऑक्सीजन ग्रहण करते हैं और काबथन-डाई-ऑक्साइड तनष्प्कालसत करते हैं, र्जसे हरे पौिे ग्रहण कर लेते
हैं और एक संतुललत चि चलता रहता है।
क्रकं तु इस संतुलन में उस समय रुकावट आ जाती है जब उद्योगों, वाहनों एवं अन्य घरे लू उपयोगों से
तनकलता िआ
ु ाँ एवं अन्य सक्ष्
ू म कण, ववलभन्न प्रकार के रसायनों से उत्पन्न ववषैली गैस, िल
ू के कण,
रे डडयोिमी पदार्थ आट्रद वायु में प्रवेश करके, स्वास्थ्य के ललये ही नहीं अवपतु समस्त जीव-जगत ् के ललए
हातनकारक बना दे ते हैं। यही वायु प्रदूषण या वायु मण्डलीय प्रदूषण कहलाता है।
वायु प्रदष
ू ण उसी समय प्रारंभ होता है जब वायु में अवांतछत तत्व एवं गैस आट्रद समाववष्प्ट हो जाते हैं,
र्जससे उसका प्राकृततक स्वरूप ववनष्प्ट हो जाता है और उससे हातन होने की संभावना अधिक हो जाती है।
वैसे तो वायु प्रदूषण की समस्या कोई नई नहीं है क्योंक्रक अनेक प्राकृततक कारणों जैसे ज्वालामुखी का
ववस्फोट, तेज हवाओं से लमट्टी के कणों का वायु में लमलना या जंगल की आग से प्राचीन काल से वायु
प्रदूषण होता आ रहा है।
जब से मानव ने आग का प्रयोग प्रारम्भ क्रकया, तभी से प्रदूषण का प्रारम्भ हो गया, पशु चारण से उड़ने
वाली रे त, खनन से प्रदूवषत वायु मण्डल या गन्दगी से सूक्ष्म जीवाणुओं का वायु में फैल जाना प्राचीन
काल से होता रहा है। क्रकन्तु तब तक यह समस्या नहीं र्ी, क्योंक्रक जनसंख्या सीलमत र्ी, आवश्यकताएाँ
कम र्ीं, ईंिन का उपयोग बहुत कम क्रकया जाता र्ा, प्राकृततक वनों का पयाथप्त ववस्तार र्ा र्जसके
कारण प्रदूवषत पदार्थ पयाथवरण से अपने-आप ही नष्प्ट हो जाते र्े, उनसे क्रकसी प्रकार की हातन नहीं होती
र्ी,
क्योंक्रक वायुमण्डलीय प्रक्रिया में स्वत: ही शुद्ि एवं सन्तुललत होने की अपूवथ क्षमता होती है। क्रकन्तु
आज की औद्योधगक, वैज्ञातनक एवं तकनीकी प्रगतत ने इस गणणत को गलत कर ट्रदया है, क्योंक्रक मानव
तीव्र गतत से वायु मण्डल में अवलशष्प्ट पदार्थ ववस्ताररत करने लगा है। जो वायु प्रदूषण का मूल कारण है।
वायु प्रदष
ू ण के स्रोत – Sources of Air Pollution
(1) वायु प्रदूषण के प्राकृततक स्रोत –
(i) कुछ प्राकृततक क्रियाओं के फलस्वरूप भी वायु प्रदष
ू ण होता है, यद्यवप यह सीलमत एवं क्षेरीय होता
है। इसमें ज्वालामुखी का उद्गार एक प्रमुख प्राकृततक क्रिया है, र्जससे ववस्फोट के क्षेर का वायु मण्डल
प्रदूवषत हो जाता है ।
(ii) ज्वालामख
ु ी उद्गार के समय ववशाल मारा में िआ
ु ,ाँ राख एवं चट्टानों के टुकड़े तर्ा ववलभन्न प्रकार
की गैसें तीव्र गतत से वायु मण्डल में प्रवेश करती हैं और वहााँ प्रदूषण में वृद्धि हो जाती है।
(iii) वनों में लगने वाली आग (जो कभी-कभी हजारों वगथ क्रकलोमीटर में फैल जाती है) भी वायु प्रदूषण का
कारण बनती है क्योंक्रक इससे िआ
ु ाँ और राख के कण ववस्तीणथ हो जाते हैं।
(iv) तेज हवाओं एवं अंिी-तूफान से जो िूल के कण वायु मण्डल में फैलते हैं, वे प्रदूषण के कारण बनते
हैं।
(v) समुद्री लवण के कण, खतनजों के कण भी वायु प्रदूषण में योग दे ते हैं।
(vi) दलदली प्रदे श में पदार्ों के सड़ने से ‘लमर्ेन गैस’ प्रदूषण फैलाती है।
(vii) कुछ पौिों से उत्पन्न हाइड्रोजन के यौधगक तर्ा पराग कण भी प्रदूषण का कारण हैं।
(viii) कोहरा प्रदूषण का एक प्रमुख कारण बनता है।
प्राकृततक स्रोतों से होने वाला वायु प्रदूषण सीममत एवं कम हातनकारक होता है क्योंकक प्रकृतत स्वयं
ववमिन्न कियाओं से इसमें संतुलन र्नाए रखती है।
(2) वायु प्रदूषण के मानवीय स्रोत –
यह कहना त्रबल्ट्कुल भी गलत नहीं होगा क्रक मानव ने अपनी ववलभन्न क्रियाओं से वायु मण्डल या वायु को
अत्यधिक प्रदूवषत क्रकया है और करता जा रहा है। ऊजाथ के ववववि उपयोग, उद्योग, पररवहन, रसायनों
के प्रयोग में वृद्धि आट्रद ने जहााँ मानव को अनेक सुवविाऐं प्रदान की हैं, वहीं वायु प्रदूषण के रूप में संकट
को भी जन्म ट्रदया है।
(i) तनयलमत घरे लू कायथ जैसे भोजन बनाने, पानी गमथ करने आट्रद में ईंिन, जैसे-लकड़ी, कोयला, गोबर के
कण्डे, लमट्टी का तेल, गैस आट्रद का प्रयोग होता है। इस जलाने की क्रिया में काबथन-डाई-ऑक्साइड,
काबथन-मोनो-ऑक्साइड, सल्ट्फर-डाई-ऑक्साइड आट्रद गैसें उत्पन्न होती हैं जो वायु को प्रदूवषत करती हैं।
(ii) वतथमान यग
ु में पररवहन के क्षेर में अत्यधिक प्रगतत हुई है, इससे आज जहााँ दरू रयााँ लसमट कर रह
गई हैं वहीं वायु प्रदूषण का संकट ट्रदन-प्रततट्रदन गहराता जा रहा है।
(iii) समस्त ऊजाथ चाललत वाहनों में आंतररक दहन से शर्क्त प्राप्त होती है और सार् में िुआाँ तनकलता है
जो ववषैली गैसों एवं हातनकारक प्रदष
ू ण तत्वों से यक्
ु त होता है। इनसे तनकले िए
ु ाँ में हातनकारक काबथन
मोनो ऑक्साइड और सीसे के कण भी होते हैं जो वायु प्रदूषण में वृद्धि करते हैं।
(iv) िूम कुहरे का जन्म भी पेिोल एवं डीजल से तनकले नाइिोजन के ऑक्साइड से होता है जो सूयथ के
प्रकाश में हाइड्रो काबथन से क्रिया कर घातक प्रकाश रासायतनक िम
ू कुहरे को जन्म दे ता है।
(v) ववकलसत दे शों की तुलना में हमारे दे श में वाहनों की संख्या कम है क्रकं तु वायु प्रदूषण कम नहीं क्योंक्रक
यहााँ के वाहनों के इंजन पुराने होते हैं, उनका रख-रखाव ठीक नहीं होता और सामान्य वाहन वाले उनसे
होने वाले पयाथवरण प्रदष
ू ण के प्रतत उदासीन हैं ।
(vi) जहााँ कोयले को जला कर ताप ऊजाथ प्राप्त की जाती है वहााँ वायु प्रदूषण का खतरा अधिक हो जाता है
क्योंक्रक इस प्रक्रिया में अत्यधिक कोयला जलाया जाता है। फलस्वरूप प्रदूषण फैलाने वाली गैसें जैसे
सल्ट्फर-डाई-ऑक्साइड, काबथन के ऑक्साइड तो वायम
ु ण्डल में फैलती ही हैं, इसके अततररक्त कोयले की
राख एवं काबथन के सूक्ष्म कण इसके चारों ओर के वायु मण्डल में फैल जाते हैं।
(vii) वायु प्रदूषण के ललए जहााँ एक ओर पररवहन उत्तरदायी है तो दूसरी ओर उद्योग। वास्तववक रूप से
वायु प्रदूषण औद्योधगक िांतत की दे न है। उद्योगों में एक ओर दहन क्रिया होती है तो दूसरी ओर ववववि
पदार्ों का िुआाँ जो औद्योधगक धचमतनयों से तनकलकर वायु मण्डल में ववलीन हो जाता है तर्ा र्जसका
पररणाम वायु प्रदष
ू ण होता है।
(viii) उद्योगों के कारण लॉस एंर्जल्ट्स शहर पर सदैव िुएाँ का बादल छाया रहता है। जापान में जब वायु
प्रदूषण अधिक होता है तो बच्चों को स्कूल जाते समय मुंह पर जाली पहना दी जाती है। भारत में यद्यवप
उद्योगों द्वारा वायु प्रदूषण औद्योधगक दे शों की तुलना में कम है क्रकं तु कुछ नगरों में जहााँ पयाथप्त
उद्योग हैं, इसका स्तर स्वास्थ्य को खतरा पैदा कर रहा है।
(ix) इसी प्रकार अम्लीय वषाथ भी वायु प्रदूषण का एक खतरनाक प्रकार है। अम्लीय वषाथ तब होती है जब
सल्ट्फर-डाई-ऑक्साइड (SO2) वायु में पहुाँच कर सल्ट््यरू रक एलसड (H2SO4) बन जाता है जो सक्ष्
ू म
कणों के रूप में धगरता है र्जसमें सल्ट्फेट आयन अधिक होता है। इस प्रकार का जल मानव एवं वनस्पतत
दोनों के ललए हातनकारक होता है ।
(x) वतथमान समय में कृवष की प्रक्रिया से भी वायु प्रदष
ू ण होने लगा है। यह प्रदष
ू ण कीटनाशक दवाओं के
अत्यधिक प्रयोग से हो रहा है। कृवष में ववलभन्न प्रकार की बीमाररयों को रोकने के ललए ववषैली दवाओं का
तछड़काव क्रकया जाता है, कभी-कभी यह तछड़काव हेलीकोप्टर या छोटे ववमानों द्वारा भी क्रकया जाता है ।
(xi) अनेक प्रकार के पेंट, स्प्रे, पॉललश आट्रद करने के ललए र्जन ववलायकों का प्रयोग क्रकया जाता है वे हवा
में फैल जाते हैं क्योंक्रक इनमें हाइड्रो काबथन पदार्थ होते हैं और वायु को प्रदूवषत कर दे ते हैं।
(xii) परमाणु शर्क्त का प्रयोग जहााँ एक ओर असीम शर्क्त प्राप्त करने के ललये क्रकया जा रहा है, वहीं
ततनक-सी असाविानी न केवल वायु प्रदूषण अवपतु मौत का कारण बन जाती है।
(xiii) ट्रहरोलशमा और नागासाकी पर धगराए गए बमों से वहााँ का वायुमण्डल इतना अधिक प्रदूवषत हुआ
क्रक उसके कततपय अवशेष अभी भी दे खे जा सकते हैं।
वास्तव में मानव ने उद्योग, पररवहन, ऊजाथ आदद के क्षेत्रों में जो प्रगतत की है उसका प्रत्यक्ष एवं
अप्रत्यक्ष प्रिाव वायु प्रदूषण के रूप में हो रहा है। यह संकट आज संपूणथ ववश्व पर गहराता जा रहा है।

वायु प्रदष
ू ण के दष्प्ु प्रिाव – Side Effect of Air Pollution
(1) जैसे-जैसे पथ्
ृ वी के वातावरण में काबथन डाइऑक्साइड की मारा बढ़ती जा रही है, उसके कारण पथ्
ृ वी
की रक्षा करने वाली ओजोन परत पतली होती जा रही है। र्जसके कारण सूची से आने वाली हातनकारक
क्रकरणें सीिी हमारे ऊपर पड़ती है, र्जससे त्वचा का कैं सर जैसी बीमाररयााँ हो रही है।
(2) हवा के प्रदूवषत होने के कारण अस्र्मा, दमा, कैं सर लसर ददथ, पेट की बीमाररयां, एलजी, ट्रदल की
बीमारी हो सकती है, जो क्रक हमारे स्वास्थ्य के ललए बहुत ज्यादा हातनकारक है। इन बीमाररयों के कारण
प्रततट्रदन कई लोगों की मृत्यु हो जाती है।
(3) हमारे वातावरण में ऑक्सीजन की मारा 24% र्ी लेक्रकन िीरे -िीरे इसकी मारा कम होती जा रही है
एक ररसचथ के अनुसार हमारे वातावरण में अभी ऑक्सीजन की मारा 22% ही रह गई है।
(4) स्वच्छ हवा और ऑक्सीजन की कमी के कारण असमय जीव-जंतुओं की मृत्यु हो रही है और सार् ही
कुछ प्रजाततयां तो ववलप्ु त भी हो गई है। अगर ऐसे ही वायु प्रदष
ू ण होता रहा तो एक ट्रदन सभी जीव जंतु
की प्रजाततयााँ ववलुप्त हो जाएाँगी।
(5) वायु में प्रदूषण की मारा अधिक होने के कारण पथ्
ृ वी का संतुलन भी त्रबगड़ रहा है। आए ट्रदन कोई ना
कोई आपदा आती रहती है, इसका कारण प्रदष
ू ण ही है अगर हमें हमारे वातावरण को बचाना है, तो वायु
प्रदूषण को कम करना होगा।
(6) वायु प्रदूषण के कारण शुद्ि हवा में कई प्रकार की हातनकारक पदार्थ ऐसे भी लमल जाते हैं, र्जससे
अम्लीय वषाथ होती है। र्जस को आम भाषा में हम तेजाब वषाथ भी कहते हैं। यह पानी में घल
ु ने कारण सीिे
हमारे शरीर में चली जाती हैं र्जससे कई प्रकार की बीमाररयााँ हो जाती हैं।
(7) वायु प्रदूषण के कारण पथ्
ृ वी के वातावरण ट्रदन प्रततट्रदन बढ़ता जा रहा है।
एक शोध के अनुसार अगर इसी तेजी से वायु प्रदूषण र्ढ़ता रहा तो सन 2050 तक पृथ्वी का वातावरण 4
से 5 डडग्री तक र्ढ़ जाएगा। जर्कक अगर पृथ्वी का तापमान 2 से 3% िी र्ढ़ता है, तो पृथ्वी के दहम
ग्लेमशयर वपघल जाएँगे, जजससे ियंकर र्ाढ़ आ सकती है और पूरी पृथ्वी नष्प्ट हो सकती है।
वायु प्रदष
ू ण के कारण – Due to Air Pollution
दुतनया के लगभग सभी दे श वायु प्रदूषण की समस्या से ग्रलसत है, लेक्रकन सबसे ज्यादा धचंता का ववषय
हमारे भारत दे श के ललए है क्योंक्रक वायु प्रदूषण के मामले में दुतनया के 10 सबसे प्रदूवषत शहर हमारे
भारत दे श में ही है। र्जसके कारण हमारे दे श के शहरों में जीना मुर्श्कल हो गया
वायु प्रदष
ू ण के प्राकृततक कारण –
(1) हमारी पृथ्वी पर बहुत सारे ज्वालामुखी है जोक्रक समय-समय पर पढ़ते रहते हैं और उनसे जहरीली
गैस से और लावा तनकलता रहता है र्जसके कारण वायु प्रदष
ू ण में बढ़ोतरी होती रहती है।
(2) पृथ्वी पर बहुत से बड़े-बड़े जंगल हैं, र्जन में बहुत से पेड़ पौिे और वनस्पततयााँ है, ज्यादातर गलमथयों
में जंगलों में आग लगती है, र्जसके कारण पूरा जंगल जलने लग जाता है र्जससे अधिक मारा में िुाँआ
उत्पन्न होता है र्जससे वायु प्रदष
ू ण होता है।
(3) हमारे वातावरण में हर समय िूल लमट्टी उड़ती रहती है, इसका कारण यह है क्रक कभी तेज हवा
चलती है तो कभी आंिी तूफान आ जाते हैं, र्जसके कारण िूल का एक गुबार सा उठता है और पूरी हवा
को प्रदवू षत कर दे ता है।
(4) पृथ्वी के वातावरण में कई बैक्टीररया मौजूद रहते हैं र्जनमें से कुछ अच्छे होते है तो कुछ हमारे शरीर
के ललए नुकसानदायक होते हैं। ये हमें खुली आंखों से तो ट्रदखाई नहीं दे ते लेक्रकन यह हवा के सार्
लमलकर हमारे शरीर में चले जाते है। र्जसके कारण हमारा शरीर क्रकसी ना क्रकसी बीमारी का लशकार हो
जाता है।
(5) दुतनया के सभी दे शों में फूलों के बागान होते है। र्जनमें अधिक मारा में फूल उगते है लेक्रकन उन फूलों
के ऊपर बहुत ही सूक्ष्म मारा में फूलों के परागकण होते हैं जो की र्ोड़ी सी हवा से उड़ने लग जाते हैं और
उसके कारण वायु प्रदूषण हो जाता है।
(6) पथ्
ृ वी के आसपास अंतररक्ष में बहुत सारे िूमकेतु और उल्ट्का वपंड घूमते रहते हैं और वे कभी-कभी
पृथ्वी से टकरा जाते हैं र्जसके कारण उनकी िूल लमट्टी के कारण हमारा पूरा वायुमंडल प्रदूवषत हो जाता
है।
(7) हमारे यहां पशुओं को अनेक चीजों के ललए पाला जाता है। पशुओं से भी वायु प्रदूषण होता है क्योंक्रक
इनके द्वारा छोड़ी गई गैस लमर्ेन के रूप में तनकलती है जो क्रक हमारे स्वास्थ्य के ललए हातनकारक होती
है।
वायु प्रदष
ू ण के मानव तनममथत कारण –Man-made causes of
air pollution

(1) बड़े उद्योग िंिे और कल कारखाने क्रकसी भी दे श के ललए बहुत जरूरी है लेक्रकन इन्हीं कारखानों के
कारण ट्रदन प्रततट्रदन हमारा वायुमंडल प्रदूवषत हो रहा है क्योंक्रक इन कारखानों से िुएं के सार्-सार्
हातनकारक गैसे भी तनकलती है जो क्रक परू े वातावरण को प्रदवू षत करती है।
(2) वनों की अंिािुंि कटाई के कारण अधिक मारा में वायु प्रदूषण होता है क्योंक्रक पेड़ पौिों द्वारा काबथन
डाइऑक्साइड अवशोवषत कर ली जाती है और बदले में ऑक्सीजन छोड़ी जाती है लेक्रकन पेड़ों की संख्या
कम होने के कारण काबथन डाइऑक्साइड की मारा वातावरण में बढ़ती जा रही है।
(3) वायु प्रदूषण का मुख्य कारण जनसंख्या वृद्धि भी है। बढ़ती हुई जनसंख्या की जरूरतें पूरी करने के
ललए अधिक संसािनों की भी जरूरत पड़ती है र्जनके कारण भी वायु प्रदूषण बढ़ रहा है।
(4) फसल काटने के बाद खेत में फसल के डंठल बच जाते हैं र्जनको क्रकसानों द्वारा जला ट्रदया जाता है
और सभी दे शों में खेती अधिक मारा में होती है और हमारे भारत दे श की बात करें तो हमारा दे श कृवष
प्रिान दे श है जहां पर ज्यादातर क्रकसान लोग ही रहते हैं इसललए अधिक मारा में खेतों में डंठल बच जाते
है। र्जनको जलाए जाने से वायु में िए
ु ं का गब
ु ार छा जाता है।
(5) र्जतनी ज्यादा जनसंख्या की वृद्धि हो रही है उसी प्रकार से लोगों की ववलासता की चीजों में भी रुधच
बढ़ती जा रही है लोग ट्रदन प्रततट्रदन नए वाहन खरीद रहे है र्जसके कारण वाहनों से तनकलने वाला िुआं
स्वच्छ हवा में घल
ु ता है और उसे प्रदवू षत कर दे ता है।
(6) पूरी दुतनया में प्रत्येक दे श अपनी शर्क्त का प्रदशथन करने के ललए परमाणु परीक्षण कर रहा है र्जसके
कारण जहरीले तत्व हवा में घुल रहे है हवा के सार् सार् परमाणु बम से पूरा वातावरण नष्प्ट हो रहा है।
(7) प्रततट्रदन घरों से सख
ू ा और गीला कचरा तनकलता है सख
ू े कचरे को हम नादानी में जला दे ते हैं और
सोचते हैं क्रक इससे क्या प्रदूषण होगा लेक्रकन अगर करना की जाए तो दुतनया भर में बहुत सारे करें और
उनमें से रोज अगर र्ोड़ा भी कचरा तनकलता है तो वह एक सार् लमलाने पर बहुत अधिक हो जाता है और
उसे जलाने पर प्रदष
ू ण की मारा बड़ी जाती है।
(8) हमें जगह-जगह आवारा मरे हुए पशु दे खने को लमल जाते हैं र्जनसे भयंकर बदबू आती रहती है और
उनमें कई तरह के कीटाणु उत्पन्न हो जाते हैं जो क्रक पूरी हवा को प्रदूवषत कर दे ते हैं इसके कारण कई
बीमाररयां भी फैल जाती है।
(9) वतथमान समय में सभी लोग रासायतनक पदार्ों से बनी हुई वस्तुओं का उपयोग करने लगे है। वे एक
समय के बाद खराब होने लग जाती है और उनसे जहरीला पदार्थ तनकलने लग जाता है जोक्रक हवा में
आसानी से घुल जाता है और पूरी हवा को प्रदूवषत कर दे ता है।
(10) पूरी दुतनया में िूम्रपान करने वालों की संख्या बहुत ज्यादा है और ट्रदन प्रततट्रदन इनकी संख्या बढ़ती
जा रही है र्जससे हमारे वातावरण की स्वच्छ वायु प्रदूवषत हो रही है।
(11) वतथमान में क्रकसानों द्वारा अच्छी फसल के ललए खेतों में कीटनाशकों का उपयोग क्रकया जाने लगा
है, र्जसके कारण जब भी वे फसल पर कीटनाशकों का तछड़काव करते हैं तो वह कीटनाशक दवा हवा में
लमल जाती है और वह हवा को प्रदवू षत कर दे ती है।
(12) भारत में आज भी गांव में गैस का उपयोग नहीं क्रकया जाता है और अधिक मारा में लकड़ी जलाई
जाती है र्जसके कारण िुआं उत्पन्न होता है और यह हवा में घुलकर पूरी हवा को प्रदूवषत कर दे ता है।
(13) त्रबजली बनाने के ललए आज भी कोयला सबसे सस्ता सािन है, लेक्रकन इसके कारण बहुत ज्यादा
प्रदूषण होता है।
(14) पूरी दुतनया में र्जस तेजी से तरक्की हो रही है, उसी तेजी से औद्योधगक तनमाथण भी क्रकया जा रहा
है। हर तरफ तनमाथण कायथ चल रहा है र्जसके कारण हवा में सीमेंट, िूल आट्रद उठते रहते हैं, र्जसके
कारण हवा प्रदवू षत होती रहती है।

वायु प्रदष
ू ण रोकने के उपाय
(i) अगर हमें वायु प्रदूषण पर तनयंरण पाना है, तो हमें अधिक से अधिक मारा में पेड़ पौिे लगाने चाट्रहए
क्योंक्रक पेड़ पौिों से ऑक्सीजन तनकलती है और यह काबथन डाइऑक्साइड ग्रहण करते है। र्जसके कारण
ज्यादातर प्रदूवषत हवा साफ हो जाती है। वतथमान में पेड़-पौिों को अधिक मारा में काटा जा रहा है,
र्जसके कारण वायु प्रदूषण अधिक मारा में फैल रहा है।
(ii) आज परू ी दतु नया जनसंख्या वद्
ृ धि की समस्या से जझ
ू रही है। अगर हम जनसंख्या वद्
ृ धि पर
तनयंरण कर लेते हैं, तो वातावरण में काबथन डाइऑक्साइड की भी कमी होगी और हमें कम उद्योग िंिे
लगाने की आवश्यकता होगी। र्जससे प्रदूषण की मारा में कमी आएगी। वायु प्रदूषण का मुख्य कारण
जनसंख्या वद्
ृ धि ही है।
(iii) हमें उन कल कारखानों को बंद कर दे ना चाट्रहए र्जनसे अधिक मारा में प्रदूषण होता है और र्जन
कल कारखानों की हमें आवश्यकता है उनकी धचमनीयों की ऊंचाई अधिक होनी चाट्रहए, र्जससे हमारा
वायुमंडल कम से कम प्रभाववत हो।
(iv) हमें ऊजाथ के ललए नए स्रोत खोजने चाट्रहए। हमें कोयले और परमाणु ऊजाथ का इस्तेमाल कम करना
चाट्रहए।
(v) हमें सौर ऊजाथ का इस्तेमाल अधिक मारा में करना चाट्रहए र्जसके कारण वायु प्रदूषण भी नहीं होगा
और हमें ऊजाथ भी परू ी लमल जाएगी।
(vi) हमारे पूरे दे श में जब भी कोई तनमाथण होता है, तो वह खुले में होता है र्जसके कारण चारों तरफ िूल
लमट्टी उड़ती रहती है और पूरा वातावरण प्रदूवषत हो जाता है। जब भी हम तनमाथण कायथ करें तो उसे
क्रकसी कपड़े से ढककर करना चाट्रहए र्जससे वायु प्रदष
ू ण नहीं हो।
(vii) हमारे भारत दे श में आज भी पुराने वाहन सड़कों पर दौड़ते रहते हैं, र्जनसे अधिक मारा में जहरीला
िुआं तनकलता है। जो क्रक पूरे वातावरण को प्रदूवषत कर दे ते है। एक पुरानी वाहन से 10 नए वाहनों के
बराबर िआ
ु ं तनकलता है जो क्रक वायु प्रदष
ू ण में अहम भलू मका तनभाता है।
(viii) अगर हमें वायु प्रदूषण को कम करना है तो हमें अधिक मारा में सावथजतनक वाहनों का उपयोग
करना होगा, र्जससे कम से कम प्रदूषण होगा।
(ix) वायु प्रदूषण पर तनयंरण के ललए हमारी सरकार को नए तनयम बनाने चाट्रहए और प्रदूषण तनयन्रण
सम्बन्िी प्रमाण पर की अतनवायथता की जानी चाट्रहए सार् ही वायु प्रदूषण कानून (1981) में सख्ती
ट्रदखानी चाट्रहए।
(x) क्रकसी भी प्रकार के प्रदूषण पर हमें अगर तनयंरण पाना है तो लोगों को प्रदूषण के बारे में पता होना
चाट्रहए। हमें रे ललयााँ तनकालकर प्रदूषण के बारे में लोगों को सचेत करना चाट्रहए और स्कूलों में प्रदूषण के
बारे में पाठ्यिम होना चाट्रहए। र्जससे बचपन से ही बच्चों को पता हो की क्रकस काम को करने से प्रदूषण
फैलता है।
(xi) हमें गांव में जाकर नुक्कड़ नाटकों की सहायता से लोगों को समझाना चाट्रहए क्रक प्रदूषण हमारे
स्वास्थ्य के ललए क्रकतना हातनकारक है, तभी जाकर हम वायु प्रदष
ू ण पर तनयंरण पा सकते है।
उपसंहार
वायु प्रदूषण जानलेवा है। इस पर तनयंरण क्रकया जाना आवश्यक है नहीं तो पृथ्वी पर जीवन का नामो-
तनशान ही लमट जाएगा। जब तक हम सभी लोग वायु प्रदष
ू ण को कम करने के बारे में नहीं सोचेंगे तब
तक वायु प्रदूषण कम नहीं हो सकता है क्योंक्रक हमारी सरकार हर गली-मोहल्ट्ले में जाकर वायु प्रदूषण पर
तनयंरण नहीं लगा सकती है इसललए हमें आगे आकर लोगों को वायु प्रदूषण के बारे में बताना होगा और
इसके उपायों के बारे में समझाना होगा तभी जाकर हम वायु प्रदूषण पर तनयंरण कर सकते है।
पूरी दुतनया के लोगों के सामूट्रहक प्रयासों के द्वारा वायु प्रदूषण को तनयंत्ररत करने में मदद लमल सकती
है। औद्योधगक क्षेरों की स्र्ापना ररहायशी इलाकों से दूर होनी चाट्रहए, लम्बी धचमनी का प्रयोग करने के
ललए प्रोत्साट्रहत करना चाट्रहए (क्रफल्ट्टर और इलेक्िोस्टै ट्रटक प्रेलसवपटे टसथ के सार्), छोटे तापमान सूचकों
के स्र्ान पर उच्च तापमान संकेतकों को प्रोत्साहन, ऊजाथ के अज्वलनशील स्रोतों का उपयोग करना,
पैिोल में गैर-नेतत्ृ वकारी एन्टीनॉक ऐजेंट के प्रयोग को बढ़ावा दे ना, वक्ष
ृ ारोपण को बढ़ावा दे ना और भी
बहुत से सकारात्मक प्रयासों को करना। तभी वायु प्रदूषण को तनयंत्ररत क्रकया जा सकता है।

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