बाल महाभारत- सम्पूर्ण प्रश्नोत्तर

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केन्द्रीय विद्यालय जयपुर, क्रमाांक-2

जयपरु
(बाल महाभारत- प्रश्नोत्तर)

चन्द्र शेखर सोनी (प्र. स्ना. शश., हहन्द्दी)

1.महाभारत कथा

पौराणिक- बहुत प्राचीन। कुटिल- दष्ु ि। वैरभाव- दश्ु मनी। अज्ञातवास- छिपकर रहना।

1. महाभारत कथा के रचनाकार का नाम बताओ।


उत्तर- महाभारत कथा महर्षि पराशर के पत्र
ु व्यास मछु न द्वारा ललखी गई।
2. पाांडु की ककतनी राछनयाां थी?
उत्तर- पाांडू की दो राछनयाां थी कांु ती एवां माद्री।
3. कांु ती और माद्री के पत्र
ु ों के नाम ललणखए।
उत्तर- कांु ती ने युधिष्ष्िर भीम अर्ुिन को र्न्म टदया नकुल और सहदे व की माां माद्री थी।
4. ित
ृ राष्र के ककतने पुत्र थे ? उनके सबसे बडे पुत्र का क्या नाम था?
उत्तर- ित
ृ राष्र के 100 पत्र
ु थे र्ो कौरव कहलाए । उनके सबसे बडे पत्र
ु का नाम दय
ु ोिन था।
5. कौरवों और पाांडवों को कहाां का राज्य लमला था?
उत्तर- समझौते के अनुसार कौरव हष्ततनापुर के रार्ा बने और पाांडवों का इांद्रप्रतथ (वतिमान टदल्ली) का राज्य लमला।
6. पाांडवों के बाद राज्य का उत्तराधिकारी कौन बना?
उत्तर- पाांडवों के बाद राज्य का उत्तराधिकारी उनका पौत्र (पोता) परीक्षित बना।

2. दे िव्रत

मोह ललया- आकर्षित ककया। िोभ का पारावार- अत्यधिक क्रोधित होना। प्रचण्ड- तेर्। घणृ ित- नफरत के योग्य।

1 शाांतनु कहाां के रार्ा थे ? उन्होंने ककसी युवती के समि र्ववाह का प्रतताव रखा?
उत्तर- शाांतनु हष्ततनापरु के रार्ा थे। उन्होंने गांगा नाम की यव
ु ती के रूप सौंदयि पर मग्ु ि होकर उसके समि र्ववाह
का प्रतताव रखा।
2. गांगा ने ककतने पुत्रों को नदी की बहती िारा में फेंक टदया था?
उत्तर- गांगा ने अपने साथ पत्र
ु ों को पैदा होते ही नदी की िारा में फेंक टदया था।
3. शाांतनु के पुत्र का क्या नाम था?
उत्तर- दे वव्रत।

3. भीष्म प्रततज्ञा

प्रफुष्ल्लत- प्रसन्न। तरुिी- युवती। नागवार- अनुधचत। कुशाग्र- तेर्। सारथी- रथ चलाने वाला। नाती- पुत्री का
पुत्र।

1 सत्यवती ने शाांतनु को र्ववाह हेतु ककस की अनुमछत लेने को कहा?


उत्तर- सत्यवती के र्पता से।
2. दे वव्रत ककस प्रछतज्ञा के कारि भीष्म कहलाए?
उत्तर- र्ीवन भर र्ववाह न करने का आर्न्म ब्रह्मचारी रहने की भयांकर प्रछतज्ञा के कारि दे वव्रत भीष्म चलाएां और
इसी नाम से प्रलसद्ि हुए।
3. सत्यवती से शाांतनु को ककतने पुत्र प्राप्त हुए? उनके नाम बताइए।
उत्तर- सत्यवती से शाांतनु के दो पुत्र हुए धचत्राांगद और र्वधचत्रवीयि।
4. शाांतनु के बाद हष्ततनापुर के लसांहासन पर कौन बैिा?
उत्तर- शाांतनु पुत्र धचत्राांगद।

4. अम्बा और भीष्म

तवेच्िाचारी- इच्िा अनुसार व्यवहार करने वाला। अनुरक्त- आसक्त। गाांगेय- गांगा पुत्र भीष्म। दयाद्रि- करुिा
युक्त।

प्रश्न 1. काशीरार् की कन्याओां के तवयांवर में भीष्म ककस उद्दे श्य से गए थे?
उत्तर- भीष्म अपने िोिे भाई र्वधचत्रवीयि के ललए कन्याओां का अपहरि करने गए थे। उस काल में ित्रत्रयों द्वारा
अपहरि करके ककया गया र्ववाह श्रेष्ि माना र्ाता था।
प्रश्न 2. अांबा ने एकाांत में भीष्म से क्या कहा?
उत्तर- अांबा ने भीष्म से कहा- गाांगेय मैं सौभदे श के नरे श शाल्व को मन ही मन अपना पछत मान चुकी हूां। इस ष्तथछत
में आप मेरे र्वषय में उधचत छनििय ले।
प्रश्न 3. तपतवी ब्राह्मिों ने अांबा को क्या सलाह दी?
उत्तर-तपष्तवयों ने कहा-"बेिी, तुम परशुराम के पास र्ाओ| वे तुम्हारी इच्िा अवश्य पूरी करें गे।" तब ऋर्षयों की
सलाह पर अांबा परशुराम के पास गई।
प्रश्न 4. युद्ि में कोई छनििय न हो पाने के बाद परशुराम र्ी ने अांबा से क्या कहा?
उत्तर-परशरु ाम ने अांबा से कहा- " र्ो कुि मेरे वश में था, कर चक
ु ा। अब तम्
ु हारे ललए यही उधचत है कक तम
ु भीष्म की
ही शरि लो।"
प्रश्न 5. भीष्म र्पतामह ने लशखांडी के साथ युद्ि क्यों नहीां ककया?
उत्तर- भीष्म र्पतामह ने लशखांडी के साथ यद्
ु ि नहीां ककया क्योंकक वे र्ानते थे कक लशखांडी ही अांबा है।
5. विदरु

प्रख्यात- प्रलसद्ि। अथाह- अपार, ष्र्सकी गहराई का पता ना हो। छनतपह


ृ - त्रबना ककसी लोभ या लालच का।
गाांिारी- दय
ु ोिन की माता अनुरोि- आग्रह।लोक छनांदा- समार् में होने वाली बुराई।णखन्न- दुःु खी।सुषमा-
सौंदयि।िल प्रपांच- िोखािडी।

प्रश्न 1. र्वदरु कौन थे?


उत्तर- र्वदरु र्वधचत्रवीयि की रानी अांबाललका की दासी के पुत्र थे।
प्रश्न 2. र्वदरु ककस िेत्र के र्वद्वान थे?
उत्तर- र्वदरु िमिशातत्र व रार्नीछत के र्वद्वान थे। र्वदरु -नीछत उनका प्रलसद्ि ग्रांथ है।
प्रश्न 3. ित
ृ राष्र के यहााँ र्वदरु ककस पद पर थे?
उतर- र्वदरु ित
ृ राष्र के प्रिानमांत्री थे।
प्रश्न 4. युधिष्ष्िर ने र्वदरु की सलाह को सुनने के बाद र्वदरु को क्या उत्तर टदया?
उत्तर- यधु िष्ष्िर ने र्वदरु से कहा कक एक तो मैं महारार् िृतराष्र की आज्ञा का उल्लांघन नहीां कर सकता और दस
ू रा
युद्ि या खेल की चुनौती को अतवीकार करना ित्रत्रय-िमि के र्वरुद्ि है ।

6. कांु ती

लोक छनांदा- समार् में होने वाली बुराई। दां पर्त्त- पछत पत्नी। णखन्न- दख
ु ी। सुषमा- सौंदयि।

प्रश्न 1. पथ
ृ ा ककसकी पुत्री थी?
उत्तर-पथ
ृ ा यदव
ु ांश के प्रलसद्ि रार्ा शूरसेन की पुत्री थी।
प्रश्न 2. पथ
ृ ा का नाम कांु ती कैसे पडा?
उत्तर-पथ
ृ ा के र्पता शूरसेन ने अपने फुफेरे भाई कांु छतभोर् को वचन टदया था कक अपनी पहली सांतान उसे गोद दे दे गा।
अत: कांु तीभोर् के यहााँ पहुाँचने पर पथ
ृ ा का नाम कांु ती पड गया।
प्रश्न 3. सूयि के सांयोग से उत्पन्न बालक का कांु ती ने क्या ककया?
उत्तर- सूयि के सांयोग से उत्पन्न बालक को कांु ती ने लोक-लार् के डर से एक पेिी में बडी साविानी के साथ बांद करके
गांगा में बहा टदया।
प्रश्न 4. किि का लालन-पालन ककसने ककया?
उत्तर- सूय-ि पुत्र किि का लालन-पालन अधिरथ नाम के सारथी ने ककया।
प्रश्न 5. पाांडु की पष्त्नयों के नाम बताइए।
उत्तर-पाांडु की दो पत्नी थीां-कांु ती व माद्री।
प्रश्न 6. माद्री पछत के साथ सती क्यों हो गई?
उत्तर- माद्री तवयां को पछत की मत्ृ यु का कारि मानती थी इसललए वह पछत के साथ सती हो गई।

7. भीम
द्वेष भाव- ईष्याि की भावना। काम तमाम होना- मरना। उत्तेष्र्त- क्रोधित।

प्रश्न 1. दय
ु ोिन भीम से वैरभाव क्यों रखता था?
उत्तर-दय
ु ोिन के भीम के प्रछत वैरभाव के छनम्न कारि थे-
•खेलों में भीम दय
ु ोिन व उसके भाइयों को खूब तांग ककया करता था।
•अतत्र-र्वद्या व अन्य र्वद्याओां में पाांडव कौरवों से आगे रहते थे।
•दय
ु ोिन सोचता था कक भीम के मरने पर यधु िष्ष्िर व अर्िन
ु आटद को कैद करके बांदी बना लेंगे और सारे राज्य पर
अपना अधिकार हो र्ाएगा।
प्रश्न 2. भीम को मारने की दय
ु ोिन ने क्या योर्ना बनाई?
उत्तर-दय
ु ोिन ने पाांडवों को र्ल-क्रीडा का न्योता टदया। खेलने व तैरने से थकने के बाद सभी को भोर्न कराया गया।
दय
ु ोिन ने चालाकी से भीम के भोर्न में र्वष लमला टदया। भोर्न करके सब अपने डेरों में सोने के ललए चले गए ककां तु
भीम र्वष के प्रभाव से गांगा-ति पर रे त में धगर गया। ऐसी हालत में दय
ु ोिन ने भीम के हाथ-पैर बाांिकर उसे गांगा में
बहा टदया।
प्रश्न 3. कांु ती को अांदर ही अांदर क्या धचांता सता रही थी?
उत्तर-कांु ती को अांदर ही अांदर यह धचांता सता रही थी कक दय
ु ोिन उसके पाांडवों को ककसी प्रकार का दख
ु ने पहुांचाए।

8. कर्ण

छनपुिता- कुशलता। प्रछततपिाि- प्रछतयोधगता। खम िोकना- र्ोश के साथ उपष्तथत होना। तपाक से- अचानक से।
डडांगे मारना- बडी बडी बातें करना। एन वक्त पर- समय आने पर अचानक। दे हावसान- मत्ृ यु।

प्रश्न 1. पाांडवों ने अतत्र शतत्र की लशिा ककससे प्राप्त की?


उत्तर- पाांडवों ने पहले कृपाचायि से और बाद में द्रोिाचायि से अतत्र-शतत्र की लशिा पाई।
प्रश्न 2. अर्िन
ु ककस िेत्र में अद्र्वतीय था?
उत्तर- तीर चलाने अथाित िनुष र्वद्या में अर्ुिन अद्र्वतीय था ।
प्रश्न 3. किि को बेखकर कुती क्यों मूष्च्ित सी हो गई थी?
उत्तर- कांु ती ने किि को पहचान ललया था। आर् उसके ही दो पुत्र एक-दस
ू रे को चुनौती दे रहे थे। कांु ती लोक लज्र्ा
के भय से यह नहीां कह पा रही थी कक किि मेरा पुत्र है। ऐसी ष्तथछत में उसका मूछिित-सी हो र्ाना तवाभार्वक था।
प्रश्न 4. इांद्र ने किि से क्या लभिा मााँगी और क्यों?
उत्तर- इांद्र ने अर्ुिन को र्वपर्त्त से बचाने के ललए किि से उसके र्न्मर्ात कवच और कांु डलों की लभिा मााँगी थी।
प्रश्न 5. किि ने दे वरार् से वरदान के सांबांि में क्या कहा?
उत्तर- किि ने दे वरार् से कहा-" आप प्रसन्न हैं, तो शत्रुओां का सांहार करने वाला अपना 'शष्क्त' नामक शतत्र मुझ
प्रदान करें !
प्रश्न 6. किि ने परशरु ाम र्ी के साथ क्या िल ककया?
उत्तर- परशुराम र्ी से ब्रह्मातत्र सीखने की इच्िा से किि उनके पास ब्राह्मि के वेष में गया और प्राथिना की कक उसे
लशष्य तवीकार करने की कृपा करें । परशुराम र्ी ने उसे ब्राह्मि समझकर लशष्य बना ललया। इस प्रकार िल से किि
ने ब्रह्मातत्र चलाना सीख ललया।
प्रश्न 7. किि की मत्ृ यु कैसे हुई?
उत्तर- अर्ुिन से युद्ि करते समय र्ब शापवश किि के रथ का पटहया र्मीन में िांस गया और वह िनुष-बाि रखकर
र्मीन में िांसा हुआ पटहया छनकालने का प्रयत्न करने लगा, तभी अर्िन
ु ने उस महारथी पर प्रहार ककया और वह
युद्ि में वीरगछत को प्राप्त हो गया।

9. रोर्ाचायण

बालपन- बचपन।सज्र्नोधचत- सज्र्न की तरह उधचत।दररद्र- गरीब।अलभमानी- घमांडी।सीांक- छतनका।मद-


नशा।अर्ेय- र्ो कभी ना हारा हो

प्रश्न 1. द्रोि और द्रप


ु द की लमत्रता कैसे हुई थी?
उत्तर- द्रप
ु द ने द्रोि के र्पता भरद्वार् के आश्रम में ही लशिा प्राप्त की थी। वहााँ ये दोनों सहपािी श्रे। अत: दोनों की
लमत्रता हो गई।
प्रश्न 2. द्रोि परशुराम के पास क्यों गए?
उत्तर- र्ब द्रोि को यह पता चला कक परशुराम अपनी सारी सांपर्त्त गरीबों में बााँि रहे हैं तो वे भी कुि पाने की इच्िा से
परशुराम के पास गए।
प्रश्न 3. गें द छनकालने के बदले में यधु िष्ष्िर ने कृष्ि विि ब्राह्मि से क्या दे ने की बात कही थी?
उत्तर- यधु िष्ष्िर ने हाँसते हुए कहा था-"ब्राह्मि श्रेष्ि! आप गें द छनकाल दें गे, तो कृपाचायि के घर आपकी बट़िया दावत
करें गे।"
प्रश्न 4. द्रोि ने कुएाँ से गें द ककस प्रकार छनकाली?
उत्तर-"द्रोिाचायि ने पास में पडी हुई सीांक उिा ली और उसे पानी में फेंका। सीांक गें द को ऐसे र्ाकर लगी. र्ैसे तीर और
कफर इस तरह लगातार कई सीांकें वे कुएाँ में डालते गए। सीांकें एक-दस
ू रे के लसरे से धचपकती गईं। र्ब आणखरी सीांक का
लसरा कुएाँ के बाहर तक पहुाँच गया, तो द्रोिाचायि ने उसे पकडकर खीांच ललया और गें द छनकल आई।"
प्रश्न 5. द्रोि से बदला लेने के ललए द्रप
ु द ने क्या ककया?
उत्तर-द्रोि से बदला लेने के ललए द्रप
ु द ने कटिन तप व व्रत के द्वारा एक पुत्र व पुत्री प्राप्त की। द्रप
ु द की इच्िा थी कक
अर्ुिन र्ामाता रूप में लमले और मेरा पुत्र द्रोि को मार सके। पुत्री द्रोपदी लमली और पुत्र िष्ृ िद्युम्न लमला।
िष्ृ िद्युम्न के ही हाथों द्रोि मारे गए थे।

10. लाख का घर

कुमांत्रिा- बुरी योर्ना बनाना। कुराह- अनुधचत मागि। दलील- तकि। पष्ृ ि पोषक- पििर।

प्रश्न 1. दय
ु ोिन पाांडवों से ईष्याि क्यों करता था?
उत्तर- पाांडवों के शारीररक बल और अर्िन
ु की यद्
ु ि कुशलता के कारि दय
ु ोिन पाांडवों से ईष्याि करता था।
प्रश्न 2. पाांडवों का नाश करने के ललए दय
ु ोिन ने ककस ककस का सहारा ललया?
उत्तर-पाांडवों का नाश करने के ललए दय
ु ोिन ने अपने मामा शकुछन व लमत्र किि का सहारा ललया।
प्रश्न 3. 'वारिावत' कौन-कौन गया?
उत्तर- 'वारिावत' पाांडवों के साथ कांु ती भी गई।
प्रश्न 4. पाांडवों के ललए बनने वाले मकान में पुरोचन ने क्या सामग्री लगाई?
उत्तर-परु ोचन ने वारिावत र्ाकर पाांडवों के िहरने के ललए सन (रूई), घी, मोम, तेल, लाख, चरबी आटद र्ल्दी आग
पकडने वाली चीर्ों को लमट्िी में लमलाकर एक सुांदर भवन बनवाया।
प्रश्न 5. पाांडवों को वारिावत भेर्ने में दय
ु ोिन की क्या योर्ना थी?
उत्तर-पाांडवों को वारिावत भेर्ने में दय
ु ोिन की योर्ना यह थी कक कुि टदनों तक पाांडवों को लाख के भवन में आराम
से रहने टदया र्ाए और र्ब वे पूिि रूप से छन:शांक हो र्ाए, तब रात में भवन में आग लगा दी र्ाए, ष्र्ससे पाांडव तो
र्लकर भतम हो र्ाएाँ और कौरवों पर भी कोई दोष न लगा सके।

11. पाांडिो की रक्षा

दत
ु साहस- न सह सकने वाली टहम्मत।

प्रश्न 1, वारिावत को र्ाते समय र्वदरु ने युधिष्ष्िर को ककस प्रकार सचेत ककया था?
उत्तर- वारिावत को र्ाते समय र्वदरु ने युधिष्ष्िर को दय
ु ोिन के षड्यांत्र से अवगत कराकर सचेत ककया।
प्रश्न 2. वारिावत में पाांडवों के रहने का प्रबांि ककसने ककया?
उत्तर- वारिावत में पाांडवों के रहने का प्रबांि परु ोचन ने ककया र्ो कक दय
ु ोिन का शभ
ु धचांतक था।
प्रश्न 3. थकी हुई कांु ती ने पुत्रों से क्या कहा?
उत्तर- थकी हुई कांु ती ने पुत्रों से कहा-"मैं तो प्यास से मरी र्ा रही हूाँ। अब मुझसे त्रबल्कुल चला नहीां र्ाता। ित
ृ राष्र के
बेिे चाहे तो भले हो मझ
ु े यहााँ से उिा ले र्ाएाँ, मैं तो यहीां पडी रहूाँगी।"
प्रश्न 4. लािागह
ृ िोडने के पश्चात ् पाांडव कहााँ और ककस वेश में पहुाँचे?
उत्तर- लािागह
ृ िोडने के पश्चात ् पाांडव एकचक्रा नगरी में ब्राह्मि के वेश में पहुाँचे।
प्रश्न 5. कांु ती ने ब्राह्मि से क्या कहा?
उत्तर- कांु ती ने कहा-"र्वप्रवर, आप इस बात की धचांता िोड दें । मेरे पाांच बेिे हैं। उनमें से एक आर् रािस के पास भोर्न
लेकर चला र्ाएगा।"
प्रश्न 6. कांु ती ने भीम को बकासुर के पास क्यों भेर्ा?
उत्तर- कांु ती ने भीम को बकासुर के पास भेर्ा क्योंकक वह र्ानती थी कक भीम उसका काम तमाम कर दे गा। भीम की
शष्क्त का मुकाबला कोई नहीां कर सकता। कांु ती का यह सोचना भी सही छनकला क्योंकक बकासुर का वि करके वह
उसकी लाश को नगर के फािक तक घसीिकर लाया। इस प्रकार गाांव वालों को बकासुर के चांगुल से िुिकारा लमला।

12. रौपदी स्ियांिर

वह
ृ दाकार- बहुत बडा। र्वप्लव- शोर। मग
ृ िाला- टहरि की खाल। अष्ग्न लशखा- आग की लपि। सम्मछत- सलाह।
प्रश्न 1. पाांचाल व दे श में पाांडव ककस रूप में कहााँ र्ाकर िहरे थे।
उत्तर- पाांचाल दे श में पाांडव ब्राह्मि के वेश में एक कुम्हार की झोपडी में िहरे थे।
प्रश्न 2. द्रौपदी तवयांवर में कौन-कौन मख्
ु य प्रछतभागी थे?
उत्तर- द्रौपदी- तवयांवर में श्रीकृष्ि, बलराम, ित
ृ राष्र के सौ पुत्र, लशशुपाल, र्रासांि, शल्य व पाांडव र्ैसे अनेक
प्रलसद्ि व्यष्क्त अपना भाग्य परखने आए थे।
प्रश्न 3. पाांचों पाांडवों से द्रौपदी का र्ववाह कैसे हुआ?
उत्तर- माां की आज्ञा और सबकी सम्मछत से द्रौपदी के साथ पाांचों पाांडवों का र्ववाह हो गया।

13. इांरप्रस्थ

िल प्रपांच- कपि। प्रलोभन- लालच। बेखिके- छनष्श्चांत। भग्नावशेष- खांडहर। छनपि


ु लशल्पकार।

प्रश्न 1. पाांडवों के र्ीर्वत होने की सूचना लमलने पर र्वदरु ने ित


ृ राष्र से क्या कहा?
उत्तर- र्वदरु ने ित
ृ राष्र को र्ीर्वत होने और द्रप
ु द- कन्या से पाांचों भाइयों के र्ववाह होने की सूचना दी।
प्रश्न 2. पाांडवों से छनपिने के ललए किि की क्या सलाह थी?
उत्तर- किि का सुझाव था "हमारे पास केवल एक ही उपाय रह गया है और वह यह है कक पाांडवों की ताकत ब़िने से
पहले उन पर हमला कर टदया र्ाए।"
प्रश्न 3. र्पतामह भीष्म ने क्या सलाह दी?
उत्तर- भीष्म ने कहा-"बेिा! वीर पाांडवों के साथ सांधि करके आिा राज्य दे दे ना ही उधचत है।"
प्रश्न 4. पाांडवों के र्वषय में र्वदरु ने क्या कहा?
उतर- र्वदरु ने कहा-"हमारे कुल के नायक भीष्म तथा आचायि द्रोि ने र्ो बताया है, वही श्रेयतकर है। किि की सलाह
ककसी काम की नहीां है।"
प्रश्न 5. पाांडवों की रार्िानी का क्या नाम था?
उत्तर- पाांडवों की रार्िानी का नाम इांद्रप्रतथ था।
प्रश्न 6. पाांडवों ने इांद्रप्रतथ में ककतने टदन राज्य ककया?
उत्तर- अपनी रार्िानी में पत्नी द्रौपदी और माता कांु ती के साथ पााँचों पाांडव तेईस वषि तक सुखपूविक र्ीवन त्रबताते हुए
न्यायपूविक राज्य करते रहे।

14. जरासांध

रार्सय
ू यज्ञ- सम्राि बनने की अलभलाषा से ककया र्ाने वाला यज्ञ। वल्कल- वि
ृ की िाल। कुशा- एक प्रकार की
वनतपछत। अभ्यागत- मेहमान।

प्रश्न 1. रार्सय
ू यज्ञ के र्वषय में यधु िष्ष्िर ने श्रीकृष्ि से क्या कहा?
उत्तर- रार्सूय यज्ञ के र्वषय में युधिष्ष्िर ने श्रीकृष्ि से कहा-"लमत्रों का कहना है कक मैं रार्सूय यज्ञ करके सम्राि पद
प्राप्त करू परां तु रार्सूय यज्ञ तो वही कर सकता है, र्ो सारे सांसार के नरे शों का पूज्य हो और उनके द्वारा सम्माछनत
हो। आप ही इस र्वषय में मझ
ु े सही सलाह दे सकते हैं।"
प्रश्न 2. युधिष्ष्िर ने रार्सूय यज्ञ का इरादा क्यों िोडना चाहा?
उत्तर- र्ब युधिष्ष्िर को कृष्ि, भीम व अर्ुिन की बातों से यह अांदेशा होने लगा कक रार्सूय यज्ञ करने के ललए कई
लोगों
के प्रािों पर बन आएगी तो उन्होंने इस इरादे को त्याग दे ना ही श्रेयकर समझा।
प्रश्न 3. र्रासांि के यहााँ श्रीकृष्ि, भीम और अर्ुिन ककस रूप में गए थे?
उत्तर "श्रीकृष्ि, भीम और अर्िन
ु ने वल्कल वतत्र पहन ललए, हाथ में कुशा ले ली और व्रती लोगों का सा वेष िारि
करके मगि दे श के ललए रवाना हो गए। "
प्रश्न 4. भीमसेन और र्रासांि में ककतने समय तक युद्ि होता रहा?
उतर- पलभर भी र्वश्राम ककए बगैर भीम और र्रासांि तेरह टदन और तेरह रात लगातार लडते रहे। चौदहवें टदन
र्रासांि थककर र्रा दे र को रुक गया। इस पर िीक मौका दे खकर श्रीकृष्ि ने भीम को इशारे से समझाया और
भीगसेन ने फौरन र्रासांि को उिाकर चारों ओर घुमाया और उसे र्मीन पर र्ोर से पिक टदया। इस प्रकार अर्ेय
र्रासांि का अांत हो गया ।
प्रश्न 5. श्रीकृष्ि की अग्रपूर्ा की सलाह ककसने दी थी।
उत्तर- र्पतामह भीष्म ने युधिष्ष्िर को सलाह दी कक द्वारकािीश की पूर्ा पहले की र्ाए।
प्रश्न 6. लशशुपाल की मत्ृ यु ककसके हाथो हुई और क्यों?
उत्तर- लशशुपाल की मत्ृ यु श्रीकृष्ि के हाथों हुई क्योंकक वह छनरां तर श्रीकृष्ि के र्वरूद्ि बोलता र्ा रहा था। वह नहीां
चाहता था कक युधिष्ष्िर ' रार्सूय यज्ञ' हेतु श्रीकृष्ि की अग्रपूर्ा करे ।

15. शकुतन का प्रिेश

असह्य- र्ो सहा न र्ा सके। ईर्ाद- आर्वष्कार।


ऐश्वयि- िन दौलत।

प्रश्न 1. दय
ु ोिन धचांछतत और उदास क्यों था?
उत्तर- रार्सूय यज्ञ में युधिष्ष्िर के िाि बाि और पाांडवों की यश समद्
ृ धि का तमरि करके दय
ु ोिन धचांछतत और
उदास था।
प्रश्न 2. युधिष्ष्िर को त्रबना लडाई के र्ीत पाने का शकुछन ने क्या उपाय बताया?
उत्तर - शकुछन ने कहा-"दय
ु ोिन! युधिष्ष्िर को चौसर के खेल का बडा शौक है। पर उसे खेलना नहीां आता है। हम उस
खेलने के ललए न्योता दें तो युधिष्ष्िर अवश्य मान र्ाएगा। तुम तो र्ानते ही हो कक मैं मांझा हुआ णखलाडी हूाँ। तुम्हारी
ओर से मैं खेलूांगा और युधिष्ष्िर को हराकर उसका सारा राज्य और ऐश्वयि, त्रबना युद्ि के आसानी से िीनकर तुम्हारे
हवाले कर दां ग
ू ा।
प्रश्न 3. र्ुए के खेल के र्वरोि में ित
ृ राष्र ने क्या कहा?
उतर- र्ए
ु के खेल के र्वरोि में ित
ृ राष्र ने कहा "र्ए
ु का खेल वैर-र्वरोि की र्ड होता है। इसललए बेिा, मेरी तो यह
राय है कक तुम्हारा यह र्वचार िीक नहीां है इसे िोड दो। "
प्रश्न 4. र्ुए के खेल के र्वषय में र्वदरु के क्या र्वचार थे?
उतर- र्ुए के खेल के र्वषय में र्वदरु के र्वचार इस प्रकार थे-"रार्न ्, सारे वांश का इससे नाश हो र्ाएगा। इसके कारि
हमारे कुल के लोगों में आपसी मनमुिाव और झगडे-फसाद होंगे। इसकी भारी र्वपदा हम पर आएगी।"
प्रश्न 5. पाांडवों को चौसर के खेल का छनमांत्रि दे ने के ललए ककसे भेर्ा गया?
उत्तर- पाांडवों को चौसर के खेल का छनमांत्रि दे ने के ललए र्वदरु को भेर्ा गया।

16. चौसर का खेल ि रौपदी की व्यथा

भरसक- पूरी तरह से। चेताना- सचेत करना। चाव से- उत्साह से। पार पाना- ज्ञान प्राप्त करना। सानी- मुकाबला।
युयुत्सु- ित
ृ राष्र का एक सौ एकवाां पुत्र र्ो एक वैश्य र्ाछत की तत्री से पैदा हुआ।

प्रश्न 1. चौसर का छनमांत्रि दे ने वाले र्वदरु से युधिष्ष्िर ने क्या कहा?


उत्तर- यधु िष्ष्िर ने कहा- "चाचा र्ी! चौसर का खेल अच्िा नहीां है। उससे आपस में झगडे पैदा होते हैं। समझदार लोग
उसे पसांद नहीां करते हैं । लेककन इस मामले में हम तो आप ही के आदे शानुसार चलने वाले हैं। आपकी सलाह क्या है ?"
प्रश्न 2. युधिष्ष्िर चौसर के खेल में क्या-क्या हार गए?
उत्तर- यधु िष्ष्िर चौसर के खेल में दे श, सेना, दे श की प्रर्ा, दास-दालसयााँ, आभूषि, चारों भाई, तवयां अपने आपको एवां
अपनी पत्नी द्रौपदी को भी हार गए।
प्रश्न 3. प्रछतकामी की बात सुनकर द्रौपदी ने क्या उत्तर टदया?
उत्तर- द्रौपदी प्रछतकामी से बोली-"रिवान! र्ाकर उन हारनेवाले र्ुए के णखलाडी से पूिो कक पहले वह अपने को हारे थे
या मुझे? सारी सभा में यह प्रश्न उनसे करना और र्ो उत्तर लमले, वह मुझे आकर बताओ। उसके बाद मुझे ले र्ाना।"
प्रश्न 4. दुःु शासन ने द्रौपदी के साथ क्या व्यवहार ककया?
उत्तर-दुःु शासन ने द्रौपदी के गुाँथे हुए बाल त्रबखेर डाले, गहने तोड-फोड टदए और उसके बाल पकडकर बलपूविक
घसीिता हुआ सभा की ओर ले र्ाने लगा। द्रौपदी र्वकल हो उिी।
प्रश्न 5. दब
ु ारा के खेल में क्या शति रखी गई थी?
उत्तर- दब
ु ारा के "खेल में यह शति थी कक हारा हुआ दल अपने भाइयों के साथ बारह वषि का वनवास करे गा तथा उसके
उपराांत एक वषि अज्ञातवास में रहेगा। यटद इस एक वषि में उनकी पता चल र्ाएगा, तो उन सबको बारह वषि का
वनवास कफर से भोगना होगा।"

17. धत
ृ राष्र की चचांता

उतावली- शीघ्रता के भाव। श्रद्िा- मन से सम्मान दे ना। अर्वरल- लगातार।

प्रश्न 1. पाांडवों के चले र्ाने के बाद िृतराष्र ने र्वदरु से क्या पि


ृ ा?
उत्तर- वन को र्ाते हुए पाांडवों के र्वषय में ित
ृ राष्र ने र्वदरु से पूिा कक मैं दे खने में असमथि हूाँ। अत: मुझे बताओ कक
पाांडव व द्रौपदी कैसे र्ा रहे हैं।
प्रश्न 2. वन को र्ाते हुए पाांडवों का वििन र्वदरु ने ककस प्रकार ककया?
उत्तर- र्वदरु ने वििन करते हुए कहा-"कांु ती-पुत्र युधिष्ष्िर कपडे से चेहरा ढककर र्ा रहे हैं। भीमसेन अपनी दोनों
भर्
ु ाओां को छनहारता, अर्िन
ु हाथ में कुि बालू ललए उसे त्रबखेरता, नकुल और सहदे व सारे शरीर पर िल
ू रमाए हुए,
क्रमश: युधिष्ष्िर के पीिे -पीिे र्ा रहे हैं। द्रौपदी ने त्रबखरे हुए केशों से सारा मुख ढक ललया है और आाँसू बहाती हुई
युधिष्ष्िर का अनुसरि कर रही है।"
प्रश्न 3. महर्षि मैत्रेय ने दय
ु ोिन को समझाते हुए क्या कहा?
उत्तर-महर्षि मैत्रेय ने दय
ु ोिन को समझाते हुए कहा-"रार्कुमार, तुम्हारी भलाई के ललए कहता हूाँ, सुनो! पाांडवों को
िोखा दे ने का र्वचार िोड दो। उनसे वैर मोल न लो। उनके साथ सांधि कर लो। इसी में तुम्हारी भलाई है।"
प्रश्न 4. द्रौपदी को साांत्वना दे ते हुए श्रीकृष्ि ने क्या भरोसा टदलाया?
उत्तर- करुि तवर में र्वलाप करती हुई द्रौपदी को श्रीकृष्ि ने बहुत समझाया और िीरर् बाँिाया। वह बोले-"बहन
द्रौपदी! ष्र्न्होंने तुम्हारा अपमान ककया है, उन सबकी लाशें युद्ि के मैदान में खून से लथपथ होकर पडेगी। तुम शोक
न करो। वचन दे ता हूाँ कक पाांडवों की हर प्रकार से सहायता करूाँ गा। यह भी छनश्चय मानो कक तम
ु साम्राज्ञी के पद को
कफर सुशोलभत करोगी।"

18. भीम और हनुमान

ताज्र्ब
ु - आश्चयि। र्वतमय- आश्चयि। बललष्ि- शष्क्तशाली। मारुछत- हनम
ु ान।

प्रश्न 1. फूल दे खकर द्रौपदी ने भीम से क्या कहा?


उत्तर- फूल दे खकर द्रौपदी ने उसे उिा ललया और भीमसेन के पास र्ाकर बोली-"क्या तुम र्ाकर ऐसे ही कुि और फूल
ला सकोगे?"
प्रश्न 2. भीम की गवोष्क्त सुनकर बांदर ने क्या कहा?
उत्तर- बांदर बोला-"दे खो भाई, मैं ब़ि
ू ा हूाँ। कटिनाई से उि-बैि सकता हूाँ। िीक है यटद तम्
ु हें आगे ब़िना ही है, तो मझ
ु े
लााँघकर चले र्ाओ।"
प्रश्न 3. भीम ने लाांघने से क्यों मना कर टदया?
उत्तर- भीमसेन ने कहा-ककसी र्ानवर को लाांघना अनधु चत है। इसी कारि मैं रुक गया, नहीां तो मैं तुम्हें एक ही िलाांग
में लााँघकर चला गया होता।
प्रश्न 4. हनुमान ने भीम को क्या आशीवािद टदया?
उत्तर- हनुमान ने आशीवािद दे ते हुए कहा-"भीम! युद्ि के समय तुम्हारे भाई अर्ुिन के रथ पर उडनेवाली ध्वर्ा पर मैं
र्वद्यमान रहाँगा। र्वर्य तुम्हारी ही होगी।"

19. द्िेष करने िाले का जी नहीां भरता

चौपायों- पशओ
ु ां। अनच
ु र- सेवक। अनग
ु टृ हत- आभारी होना। आवभगत- तवागत सत्कार। अियपात्र- र्ो कभी
खाली ना हो।

प्रश्न 1. गांिविरार् व कौरवों के यद्


ु ि का क्या पररिाम रहा?
उत्तर- गांिवों व कौरवों में भयांकर सांग्राम हुआ। कौरव सेना के पैर उखड गए। किि भी युद्ि-िेत्र से भाग ललया।
दय
ु ोिन बांदी हो गया।
प्रश्न 2. दय
ु ोिन के बांदी होने पर यधु िष्ष्िर ने भीम से क्या कहा?
उत्तर-यधु िष्ष्िर ने भीम से कहा-" भाई भीमसेन! ये हमारे ही कुिुांबी है। तुम अभी र्ाओ और ककसी तरह अपने बांिुओां
का गांिवों के बांिन से िुडा लाओ।
प्रश्न 3. सय
ू ि से प्राप्त अियपात्र की क्या र्वशेषता थी?
उत्तर- अियपात्र दे ते समय सूयि ने कहा था कक इस पात्र के द्वारा तुम बारह वषि तक भोर्न प्राप्त करोगे, भले ही
ककतने लोग भोर्न करें । ककां त शति यह है कक द्रौपदी के भोर्न कर लने के बाद पात्र की शष्क्त अगले टदन तक के ललए
समाप्त हो र्ाएगी।
प्रश्न 4. श्रीकृष्ि ने अन्न का कि और साग का पत्ता क्यों खाया?
उत्तर- श्रीकृष्ि ने अन्न का कि और साग का पत्ता दव
ु ािसा ऋर्ष व उनके दस हर्ार लशष्यों की भूख को शाांत करने के
ललए खाया। ऐसा उन्होंने इसललए ककया क्योंकक वे र्ानते थे कक इतने लोगों को एक साथ भोर्न करवाना पाांडवों के
ललए मुष्श्कल होगा।
प्रश्न 5. दव
ु ािसा ने भीम से क्या कहा?
उत्तर- दव
ु ािसा ने भीमसेन से कहा "हम सब तो भोर्न कर चुके है । युधिष्ष्िर से र्ाकर कहना कक असुर्विा के ललए
िमा करें ।" यह कहकर ऋर्ष अपने लशष्यों सटहत वहााँ से रवाना हो गए।

20. मायािी सरोिर

तरकश- बाि रखने का चोंगा। अांर्लु ल- हथेली/ दोनों हाथों से पानी पीने के ललए बनाई गई ष्तथछत/ ओक। बेिडक-
छनभीक।

प्रश्न 1. सरोवर पर नकुल को क्या आवाज़ आई?


उत्तर- सरोवर पर नकल को आवार् आई -"माद्री के पुत्र। दुःु साहस न करो। यह र्लाशय मेरे अिीन है। पहले मेरे प्रश्नों
का उत्तर दो। कफर पानी र्पयो।"
प्रश्न 2. सरोवर पर अर्िन
ु को क्या आवार् आई?
उत्तर- "अर्ुिन! मेरे प्रश्नों का उत्तर दे ने के बाद ही प्यास बुझा सकते हो। यह तालाब मेरा है । मेरी बात नहीां मानोगे, तो
तुम्हारी भी वही गछत होगी, र्ो तुम्हारे दो भाइयों की हुई है ।"
प्रश्न 3.भाइयों के वार्पस न आने पर युधिष्ष्िर ने क्या छनििय ललया ?
उत्तर- भाइयों के वार्पस न आने पर युधिष्िर ने तवयां वहााँ र्ाने का छनििय ललया।

21. यक्ष प्रश्न

मरिासन्न- मत्ृ यु छनकि होना। अहां भाव- अहांकार। अांतिािन- छिप र्ाना। अिीश- शासक, रार्ा।

प्रश्न 1. यि ने युधिष्ष्िर से अांछतम प्रश्न क्या पूिा?


उत्तर- यि ने पि
ू ा-" सांसार में सबसे बडे आश्चयि की बात क्या है ?"
प्रश्न 2, यि के अांछतम प्रश्न का युधिष्ष्िर ने क्या उत्तर टदया?
उत्तर- "हर रोज़ आाँखों के सामने ककतने ही प्राणियों को मत्ृ यु के मुाँह में र्ाते दे खकर भी बचे हुए प्रािी, र्ो यह चाहते हैं
कक हम अमर रहें , यही महान आश्चयि की बात है ।"
प्रश्न 3. प्रश्नों के उत्तर से सांतुष्ि यि ने युधिष्ष्िर से क्या कहा?
उत्तर- "रार्न ्। मैं तुम्हारे मत
ृ भाइयों में से एक को र्ीर्वत कर सकता हूाँ। तुम ष्र्स ककसी को भी चाहो, वह र्ीर्वत हो
र्ाएगा।
प्रश्न 4. यि ने युधिष्ष्िर को क्या आशीवािद र्वया?
उत्तर- यि ने युधिष्ष्िर से कहा-"बारह वषि के वनवास की अवधि पूरी होने में अब थोडे ही टदन बाकी रह गए हैं। बारह
मास तक र्ो तुम्हें अज्ञातवास करना है, वह भी सफलता से परू ा हो र्ाएगा। तम्
ु हें और तम्
ु हारे भाइयों को कोई भी नहीां
पहचान सकेगा। तुम अपनी प्रछतज्ञा सफलता के साथ पूरी करोगे। "

22. अज्ञातिास

िाक- रौब। अवधि- समय। अनम


ु ोदन- समथिन। रथारू़ि- रथ पर च़िकर। बाि र्ोहना- प्रतीिा करना। थराि उिी-
डर गई।

प्रश्न 1. रार्ा र्वराि के यहााँ अज्ञातवास में पाांडव ककस नाम और रूप में रहे?
उत्तर- यधु िष्ष्िर - कांक
भीमसेन - वल्लभ
अर्ुिन - बह
ृ न्नला
नकुल - ग्रांधथक
सहदे व - तांत्रत्रपाल
प्रश्न 2. दय
ु ोिन ने कैसे अनम
ु ान लगाया कक पाांडव मत्तय दे श में हैं?
उत्तर- कीचक के मारे र्ाने की खबर पाते ही दय
ु ोिन का माथा िनका कक हो-न-हो कीचक का वि भीम ने ही ककया
होगा। यह दय
ु ोिन का अनुमान था।
प्रश्न 3. औरत के भेष में उत्तर के रथ पर अर्िन
ु को दे खकर दय
ु ोिन ने क्या कहा?
उत्तर- औरत के भेष में रथ पर बैिे योद्िा के र्वषय में अर्ुिन र्वषयक चचाि सुनकर दय
ु ोिन किि से बोला-"हमें इस
बात से क्या मतलब कक यह औरत के भेष में कौन है! मान लें कक यह अर्ुिन ही है। कफर भी हमारा तो उससे काम हो
बनता है। शति के अनुसार उन्हें और बारह वषि का वनवास भुगतान पडेगा।"

23. प्रततज्ञा पूततण

भानर्ा- बहन का पुत्र। णखन्न- दुःु खी। गाांडीव- अर्ुिन के िनुष का नाम। परातत- पराष्र्त।

प्रश्न 1. किि, कृपाचायि व अश्वत्थामा के मध्य र्ववाद को दे खकर भीष्म ने क्या कहा?
उत्तर- किि, कृपाचायि व अश्वत्थामा के मध्य र्ववाद को दे खकर भीष्म ने कहा कक इस समय आपस में वैर र्वरोि न
करके लमलकर शत्रु से लडना ही उधचत है।
प्रश्न 2. र्पतामह भीष्म के सांधि के प्रतताव पर व दय
ु ोिन ने क्या कहा?
उत्तर- र्पतामह भीष्म के सांधि प्रतताव पर दय
ु ोिन ने कहा-"पूज्य र्पतामह! मैं सांधि नहीां चाहता हूाँ। राज्य तो दरू रहा,
मैं तो एक गााँव तक पाांडवों को दे ने के ललए तैयार नहीां हूाँ।"
प्रश्न 3. प्रछतज्ञा के समय के सांबांि में भीष्म ने दय
ु ोिन से क्या कहा?
उत्तर- प्रछतज्ञा के समय के सांबांि में उिे र्ववाद पर तपष्िीकरि दे ते हुए भीष्म ने दय
ु ोिन से कहा-"प्रछतज्ञा का समय
कल ही परू ा हो चक
ु ा है। चांद्र और सय
ू ि की गछत, वषि, महीने और पि र्वभाग के पारतपररक सांबांि को अच्िी तरह
र्ाननेवाले मेरे कथन की पुष्ष्ि करें गे । प्रत्येक वषि में एक र्ैसे महीने नहीां होते। मालूम होता है कक तुम लोगों की
गिना में भूल हुई है।"

24. विराट का भ्रम

शोकातुर- शोक से व्याकुल। असल में- वाततव में।

प्रश्न 1. र्वराि की धचांता का क्या कारि था?


उत्तर- र्वराि का पुत्र उत्तर कौरवों की सेना से युद्ि करने गया था और वह भली-भााँछत र्ानता था कक वह उनका
मुकाबला करने में असमथि रहेगा। यही र्वराि की धचांता का कारि था।
प्रश्न 2. कांक (युधिष्ष्िर) ने र्वराि को सात्वना कैसे दी?
उत्तर- कांक ने र्वराि को साांत्वना दे ते हुए कहा कक वह घबराएां नहीां क्योंकक बह
ृ न्नला उसके साथ है।
प्रश्न 3. र्वराि ने युधिष्ष्िर से िमा-याचना क्यों की?
उत्तर- र्वराि ने अपने पुत्र के समझाने पर व असललयत र्ान लेने पर कक कांक वाततव में युधिष्ष्िर है, उनसे िमा-
याचना की।
प्रश्न 4. र्वराि ने अर्ुिन के समि क्या प्रतताव रखा?
उत्तर- र्वराि को र्ब पता चला कक उसके पत्र
ु उत्तर का सारधथ वह
ृ न्नला के रूप में अर्िन
ु है, तो उसने अपनी पत्र
ु ी उत्तरा
से र्ववाह का प्रतताव रखा।

25. मांत्रर्ा

टहतैषी- भला चाहने वाला। दृ़ितापव


ू िक- बलपव
ू िक। शयनागार- शयन कि। पथ प्रदशिक- मागि बताने वाले। पाथि-
पथ
ृ ा पुत्र अर्ुिन। टदल बष्ल्लयों उिलना।

प्रश्न 1. प्रकि होने के बाद पाांडव कहााँ रहने लगे थे?


उत्तर- अज्ञातवास के बाद पाांडव र्वराि के राज्य में उपप्लव्य नामक नगर में रहने लगे थे।
प्रश्न 2. श्रीकृष्ि ने अर्ुिन के सामने क्या र्वकल्प रखे?
उत्तर- श्रीकृष्ि ने अर्ुिन से कहा-"मेरी सेना एक तरफ़ होगी दस
ू री तरफ़ अकेला मैं रहूाँगा। मेरी प्रछतज्ञा यह भी है कक
युद्ि में मैं न तो हधथयार उिाऊाँगा और न ही लडाँगा। तुम भली-भााँछत सोच लो तब छनििय करो। इन दो में से र्ो पसांद
हो. वह ले लो।"
प्रश्न 3. अर्िन
ु ने छनहत्थे श्रीकृष्ि को क्यों चन
ु ा?
उत्तर- श्रीकृष्ि के इस प्रश्न का उत्तर दे ते हुए अर्ुिन ने कहा था-"बात यह है कक आप में वह शष्क्त है कक ष्र्ससे आप
अकेले ही इन तमाम रार्ाओां लडकर इन्हें कुचल सकते हैं ।"
प्रश्न 4. अलभमन्यु का र्ववाह ककससे हुआ?
उत्तर- उत्तरा से ।
प्रश्न 5. श्रीकृष्ि ने ककस पदवी से अर्ुिन की सहायता की?
उत्तर- पाथि सारथी बनकर।

26. राजदत
ू सांजय

छनयत- छनष्श्चत। र्ववेकशील- बुद्धिमान, समझदार। टहतधचांतक- भला चाहने वाले। डपोर शांख- बडी बडी बातें
करने वाला।

1. यधु िष्ष्िर के पास ित


ृ राष्र का सांदेश लेकर कौन गया?
उत्तर- सांर्य
2. युधिष्ष्िर ने सांर्य से ककतने गाांवों की माांग की?
उत्तर- पााँच
3. श्रीकृष्ि हष्ततनापुर क्यों र्ाना चाहते थे,?
उत्तर- युद्ि िालने के ललए
4. युधिष्ष्िर ने ित
ृ राष्र के पास क्या सांदेश भेर्ा?
उत्तर- वे समझौते के अनुसार अपना टहतसा चाहते थे।

27. शाांततदत
ू श्रीकृष्र्

कुचक्र- बुरी चाल। सांभ्ाांत- र्वलशष्ि र्न। आरू़ि- च़िकर, बैिकर। कुलनाशी- कुल का नाश करने वाला। मझिार-
बीच में।

1. श्रीकृष्ि शाांछत दत
ू बनकर हष्ततनापरु ककसके साथ गए?
उत्तर- साष्त्यक
2. दय
ु ोिन के भोर्न छनमांत्रि पर श्रीकृष्ि ने क्या कहा?
उत्तर- मेरा उद्दे श्य पूरा होने पर भोर्न का न्योता दे ना उधचत होगा
3. श्रीकृष्ि ने ित
ृ राष्र की सभा में क्या कहा?
उत्तर- पाांडवाां को आिा राज्य लौिा दो। ऐसा करने से वे तुम्हे युवरार् व ित
ृ राष्र को महारार् मानेंगे। उनसे सांधि
कर लो।

28. पाांडिों और कौरिों के सेनापतत

उद्दां ड- अलशष्ि। तितथ- ककसी का भी पि नहीां लेने वाले।

प्रश्न 1. पाांडव सेना के सात नायक कौन थे? उनमें से सेनापछत कौन बना?
उत्तर- पाांडवों की र्वशाल सेना को सात टहतसों में बाांि टदया गया। द्रप
ु द, र्वराि, िष्ृ िद्युम्न, लशखांडी सात्यकक,
चेककतान, भीमसेन आटद साथ महारथी इन 7 दलों के नायक बने इनमें से िष्ृ िद्यम्
ु न को सेनापछत बनाया गया।
प्रश्न 2. भीष्म के सेनापछत बनने पर किि ने क्या छनििय ललया?
उत्तर- किि ने छनििय ललया कक भीष्म के मारे र्ाने के बाद ही वह युद्िभूलम में प्रवेश करे गा और केवल अर्ुिन को ही
मारे गा।
प्रश्न 3. अिारह टदन में कौरव-सेना के कौन-कौन सेनापछत बने?
उत्तर- अिारह टदन में कौरव-सेना के चार सेनापछत बने। पहले दस टदन भीष्म, कफर पााँच टदन द्रोि, दो टदन किि और
एक टदन शल्य सेनापछत रहे ।
प्रश्न 4. महाभारत ककतने टदन चला?
उत्तर- 18 टदन

29, 30, 31. यद्


ु ध के 1 से 9 हदन

दां ग रहना- आश्चयि चककत रहना। सारथी- रथ चलाने वाला। छततर त्रबतर- इिर उिर त्रबखरना। उत्तेष्र्त- क्रोधित।
व्यधथत- व्याकुल।

1. कौरवों की सेना में सबसे आगे कौन था?


उत्तर- द:ु शासन
2. पाांडवों की सेना में सबसे आगे कौन था?
उत्तर- भीमसेन
3. चौथे टदन के युद्ि में ित
ृ राष्र के ककतने पुत्र मारे गए?
उत्तर- आि पुत्र।
4. घिोत्कच कौन था?
उत्तर- घिोत्कच भीम का पुत्र था
5. पाांचवें टदन के युद्ि की क्या र्वशेषता रही?
उत्तर- पाांचवें टदन के यद्
ु ि में अर्िन
ु ने कौरव सेना की हर्ारों सैछनक मार टदए।
6. कुमार शांख कौन था
उत्तर- अर्ुिन का पुत्र।
7. इरावान कौन था?
उत्तर- अर्ुिन का नागकन्या से उत्पन्न पुत्र।
8. नौवें टदन का युद्ि पराक्रमी कौन कहलाया?
उत्तर- भीष्म र्पतामह।

32. भीष्म शर-शय्या पर

वि तथल- सीना। प्रत्युत्तर- बदला। लशकन ना आना- लेशमात्र भी णखन्न ना होना। ममि तथल- कोमल अांग। प्राि
हारी- प्रािों को हरने वाले। सोता- स्रोत। त्रबिोह- र्वयोग, अलग होने की अनुभूछत।

प्रश्न 1. भीष्म शर-शय्या पर कैसे पहुाँचे?


उत्तर- अर्ुिन ने लशखांडी को आगे करके उसकी आड लेकर भीष्म पर बाि बरसाए। लशखांडी भी महारथी था। उसने भी
बािों से र्पतामह का वि-तथल बीांि टदया था। र्पतामह ने लशखांडी के बािों का प्रत्युत्तर नहीां टदया। मत्ृ यु को छनकि
आई समझ भीष्म ढाल-तलवार लेकर रथ से उतरना चाहते थे कक वे धगर पडे। उनके शरीर में इतने अधिक बाि थे कक
उनका शरीर भूलम से नहीां लगा। इस ष्तथछत को ही शर-शैय्या कहते हैं।

प्रश्न 2. शर-शय्या पर पडे भीष्म ने किि से क्या कहा?


उत्तर-"बेिा, तुम रािा के पुत्र नहीां, कांु ती के पुत्र हो। सूयिपुत्र। शूरता में तुम कृष्ि और अर्ुिन की बराबरी कर सकते हो।
तम
ु पाांडवों में ज्येष्ि हो। इस कारि तम्
ु हारा कतिव्य है कक तम
ु उनसे लमत्रता कर लो। मेरी यही इच्िा है कक यद्
ु ि में
मेरे सेनापछतत्व के साथ ही पाांडवों के प्रछत तुम्हारे वैरभाव का भी आर् ही अांत हो र्ाए।"

प्रश्न 3. ग्यारहवें टदन के युद्ि में दय


ु ोिन ने द्रोिाचायि से क्या अनुरोि ककया?
उत्तर - ग्यारहवें टदन के युद्ि में दय
ु ोिन आचायि के पास र्ाकर बोला-"आचायि! ककसी भी उपाय से आप युधिष्ष्िर को
र्ीर्वत ही पकड कर हमारे हवाले कर सके तो बडा ही उत्तम हो!"

प्रश्न 4. दय
ु ोिन युधिष्ष्िर को र्ीर्वत क्यों पकडना चाहता था?
उत्तर-दय
ु ोिन यधु िष्ष्िर को र्ीर्वत इसललए पकडना चाहता था ताकक यद्
ु ि र्ल्दी समाप्त हो र्ाए। वह यह भी सोच
रहा था कक युधिष्ष्िर को थोडा-सा राज्य का भाग दे कर सांधि कर ली र्ाए और कुि समय के बाद र्ुआ खेलकर राज्य
का वह भाग वापस अपने कब्र्े में कर ललया र्ाए।

प्रश्न 5. क्या युधिष्ष्िर र्ीर्वत पकडे गए?


उत्तर- नहीां। कौरवों द्वारा यधु िष्ष्िर को र्ीर्वत नहीां पकडा र्ा सका। अर्िन
ु ने यद्
ु ि भलू म में बािों की ऐसी वषाि की
कक कौरव उस टदन बुर ी तरह हारे ।

33. बारहिाां हदन

चेष्िा- प्रयास। र्वलीन- छिपना। तहस नहस करना- नष्ि करना।

प्रश्न 1. बारहवें टदन के युद्ि की उल्लेखनीय घिनाएां क्या रहीां?


उत्तर- बारहवें टदन की उल्लेखनीय घिनाएां दो रहीां -
1. द्रोिाचायि युधिष्ष्िर को पकडने में असफल रहे।
2 भगदत्त अर्ुिन के द्वारा मारे गए।
प्रश्न 2 . कौरवों ने अर्िन
ु को यद्
ु ि िेत्र से दरू ले र्ाने का छनििय क्यों ककया?
उत्तर- ताकक युधिष्ष्िर को बांदी बना सके।
प्रश्न 3. शकुछन के दो भाई कौन थे?
उत्तर- वष
ृ क और अचक।
प्रश्न 4. शकुछन के भाइयों को ककसने मारा?
उत्तर- अर्ुिन।
34. अशभमन्द्यु

अनुकरि- पीिे पीिे चलना। ताड लेना- र्ान लेना। सैंिव- लसांिु दे श का रहने वाला।

प्रश्न 1. 13वें टदन युद्ि में चक्रव्यूह ककसने रचा?


उत्तर- द्रोि।
प्रश्न 2. चक्रव्यूह में सविप्रथम प्रवेश ककसने ककया?
उत्तर- अलभमन्यु
प्रश्न 3. अलभमन्यु की मत्ृ यु ककसके हाथों हुई?
उत्तर- द:ु शासन के पुत्र के हाथों।
प्रश्न 4. अलभमन्यु की मृत्यु के बाद अर्ुिन ने क्या प्रछतज्ञा की?
उत्तर- अलभमन्यु की मत्ृ यु के बाद अर्ुिन ने दृ़िता पूविक कहा- "ष्र्सके कारि मेरे र्प्रय पुत्र की मत्ृ यु हुई है, उस र्गह
र्यद्रथ का मैं कल सूयाितत होने से पहले वि करके रहूांगा यह मेरी प्रछतज्ञा है ।"

35. युचधष्ष्िर की चचांता और कामना

र्वक्षिप्त- पागल। कुमुक- सेना। अिीर- व्याकुल। असीम- अत्यधिक। छनहत्थे- हधथयार से रटहत।

प्रश्न 1. किि ने भीम को क्यों नहीां मारा?


उत्तर- किि ने माां कांु ती के समि प्रछतज्ञा की थी कक केवल अर्िन
ु को िोडकर और ककसी कांु ती पत्र
ु को मारने की चेष्िा
नहीां करे गा। युद्ि पश्चात वह बचेगा या अर्ुिन। कांु ती पुत्र पाांच ही रहें गे।
प्रश्न 2. भीमसेन ने युधिष्ष्िर की रिा का भार ककसे सौंपा?
उत्तर- िष्ृ िद्यम्
ु न को।

36. भूररश्रिा, जयरथ और आचायण रोर् का अांत

छनकृष्ि- नीच, छनांदनीय। आपे में ना रहना- र्ववेक खो दे ना।

प्रश्न 1. श्री कृष्ि ने र्यद्रथ को मारने के ललए अर्ुिन को क्या कह कर सचेत ककया?
उत्तर- श्री कृष्ि ने अर्ुिन से कहा- "अर्ुिन! र्यद्रथ सूयि की तरफ दे खने में लगा है और मन में समझ रहा है कक सूयि डूब
गया। परां तु अभी तो सूयि डूबा नहीां है । अपनी प्रछतज्ञा पूरी करने का तुम्हारे ललए यही अवसर है।
प्रश्न 2. भूररश्रवा का वि ककसने ककया?
उत्तर- साष्त्यक ने।
प्रश्न 3. र्यद्रथ का लसर ककसने कािा?
उत्तर- अर्ुिन ने।
प्रश्न 4. अश्वत्थामा नाम ककसका था?
उत्तर- हाथी व द्रोिाचायि के पुत्र, दोनों का।
प्रश्न 5. द्रोिाचायि का अांत कैसे हुआ?
उत्तर- र्ब उन्हें अपने पुत्र के मरने की झूिी खबर लमली तो उनके हधथयार डाल दे ने पर िष्ृ िद्युम्न द्वारा वार करने
पर द्रोिाचायि का अांत हुआ।

37. कर्ण और दय
ु ोधन भी मारे गए

छनलिज्र्ता- बेशमी। छन सहाय- ष्र्सकी कोई सहायता करने वाला न हो। कुिुांब- पररवार।

प्रश्न 1. किि के सपि मुखातत्र से अर्ुिन की प्राि रिा कैसे हुई?


उत्तर- किि ने अर्ुिन पर एक ऐसा बाि चलाया र्ो आग उगलता गया। अर्ुिन की ओर उस भयानक तीर को आता
हुआ दे खकर कृष्ि ने रथ को पाांव के अांगि
ू े से दबा टदया ष्र्ससे रथ र्मीन में पाांच अांगल
ु िांस गया। कृष्ि की इस
युष्क्त से अर्ुिन मरते मरते बचा। किि का चलाया हुआ सपि मुखातत्र फुांफकारता हुआ आया और अर्ुिन का मुकुि उडा
ले गया।
प्रश्न 2. द्रोि की मत्ृ यु के पश्चात कौरवों का सेनापछत कौन बना?
उत्तर- किि।
प्रश्न 3. द:ु शासन का वि ककसके हाथों हुआ?
उत्तर- भीमसेन।
प्रश्न 4. शकुछन का वि ककसके हाथों हुआ?
उत्तर- सहदे व।
प्रश्न 5. दय
ु ोिन को ककसने मारा?
उत्तर- भीमसेन।

38. अश्ित्थामा
प्रश्न 1. दय
ु ोिन के पश्चात कौरवों की सेना का सेनापछत कौन बना?
उत्तर- अश्वत्थामा।
प्रश्न 2. पाांडवों के र्वनाश की प्रछतज्ञा ककसने की?
उत्तर- अश्वत्थामा।
प्रश्न 3. अश्वत्थामा ने पाांडवों को कैसे मारा?
उत्तर- अश्वत्थामा ने रात के समय सोते हुए पाांडवों को िल से मारा। िष्ृ िद्युम्न व द्रोपदी के पाांच पुत्रों को तो उसने
पैरों से कुचल डाला। इसके बाद पाांडव लशर्वर को ही आग लगा दी। इस कायि में उसके साथ कृपाचायि और कृतवमाि भी
थे।
प्रश्न 4. उत्तरा ने ककसे र्न्म टदया?
उत्तर- अलभमन्यु के पत्र
ु परीक्षित को।

39. युचधष्ष्िर की िेदना


िुब्ि- क्रोधित। शोकोद्वेग- दख
ु की अधिकता। दष्ु कर- कटिन। टढिाई- िष्ृ िता। ममि- रहतय। काल कलर्वत होना-
मत्ृ यु को प्राप्त होना।

प्रश्न 1. श्री कृष्ि ने ित


ृ राष्र के समि एक लोहे मछू ति क्यों खडी की?
उत्तर- क्योंकक उस समय ित
ृ राष्र बहुत क्रोधित थे र्ो भी उनके समि र्ाता, वे उसे मार दे ते।
प्रश्न 2. ित
ृ राष्र ने लौह मूछति का क्या ककया?
उत्तर- उसे भीम समझ कर चकनाचरू कर डाला।
प्रश्न 3. शासन सूत्र ग्रहि करने से पूवि युधिष्ष्िर युद्ि भूलम क्यों गए?
उत्तर- शासन सूत्र ग्रहि करने से पूवि युधिष्ष्िर युद्ि भूलम में शर- शैया पर पडे भीष्म र्पतामह से आशीवािद लेने गए।
प्रश्न 4. शोक मग्न यधु िष्ष्िर ने क्या छनििय ललया?
उत्तर- वन में र्ाने का।

40. पाांडिों का धत
ृ राष्र के प्रतत व्यिहार

एकित्र- अकेले। अलमि- कभी न लमिने वाली। णखन्न- दख


ु ी। र्वराग- उदासीन।

प्रश्न 1. ित
ृ राष्र ने युधिष्ष्िर से क्या अनुमछत माांगी?
उत्तर- वल्कल वतत्र िारि कर वन गमन करने की।
प्रश्न 2. युधिष्ष्िर ने ित
ृ राष्र के अनुमछत माांगने पर क्या कहा?
उत्तर- ित
ृ राष्र ने कहा कक आप तो राज्य के तवामी हैं। आपका ही पुत्र युयुत्सु रार् गद्दी पर बैिे या ष्र्से आप चाहे
रार्ा बना दे अथवा शासन की बागडोर तवयां अपने हाथों में ले ले और प्रर्ा का पालन करें । मैं वन में चला र्ाऊांगा।
रार्ा मैं नहीां बष्ल्क आप ही है । मैं ऐसी हालत में आपको अनुमछत कैसे दे सकता हूां।"
प्रश्न 3. वन गमन के समय ित
ृ राष्र के साथ कौन कौन थे?
उत्तर- गाांिारी, कांु ती और सांर्य।

41. श्री कृष्र् और युचधष्ष्िर


प्रश्न 1. महाभारत युद्ि के बाद श्री कृष्ि ने ककतने टदन तक राज्य ककया?
उत्तर- महाभारत के युद्ि की समाष्प्त के बाद श्री कृष्ि 36 वषि तक द्वारका में राज्य करते रहे।
प्रश्न 2. बलराम की मत्ृ यु कैसे हुई?
उत्तर- वांश नाश दे खकर बलराम को असीम शोक होगा और उन्होंने समाधि में बैिकर शरीर त्याग टदया।
प्रश्न 3. श्रीकृष्ि की मत्ृ यु कैसे हुई?
उत्तर- वांश के नाश के र्वषय में र्वचारते हुए श्री कृष्ि सागर ति पर घूम रहे थे। र्वचार मग्न श्री कृष्ि वही एक वि
ृ के
नीचे र्मीन पर लेि गए। ककसी लशकारी ने लेिे हुए श्री कृष्ि को मत
ृ समझकर तीर चला टदया। तीर तलवे को िे दता
हुआ शरीर में िांस गया और उसने श्री कृष्ि के प्राि ले ललए।
प्रश्न 4. श्री कृष्ि के दे हावसान के बाद पाांडवों ने क्या ककया
उत्तर- श्रीकृष्ि की मत्ृ यु का समाचार पाकर पाांडव बहुत दख
ु ी हुए उनके मन में सांसार के प्रछत वैराग्य उत्पन्न हो गया।
वह अपने पुत्र परीक्षित को राज्य सौंप कर द्रौपदी सटहत तीथि यात्रा को छनकल गए और अांत में टहमालय की ओर चले
गए।

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