Professional Documents
Culture Documents
बाल महाभारत- सम्पूर्ण प्रश्नोत्तर
बाल महाभारत- सम्पूर्ण प्रश्नोत्तर
बाल महाभारत- सम्पूर्ण प्रश्नोत्तर
जयपरु
(बाल महाभारत- प्रश्नोत्तर)
1.महाभारत कथा
पौराणिक- बहुत प्राचीन। कुटिल- दष्ु ि। वैरभाव- दश्ु मनी। अज्ञातवास- छिपकर रहना।
2. दे िव्रत
मोह ललया- आकर्षित ककया। िोभ का पारावार- अत्यधिक क्रोधित होना। प्रचण्ड- तेर्। घणृ ित- नफरत के योग्य।
1 शाांतनु कहाां के रार्ा थे ? उन्होंने ककसी युवती के समि र्ववाह का प्रतताव रखा?
उत्तर- शाांतनु हष्ततनापरु के रार्ा थे। उन्होंने गांगा नाम की यव
ु ती के रूप सौंदयि पर मग्ु ि होकर उसके समि र्ववाह
का प्रतताव रखा।
2. गांगा ने ककतने पुत्रों को नदी की बहती िारा में फेंक टदया था?
उत्तर- गांगा ने अपने साथ पत्र
ु ों को पैदा होते ही नदी की िारा में फेंक टदया था।
3. शाांतनु के पुत्र का क्या नाम था?
उत्तर- दे वव्रत।
3. भीष्म प्रततज्ञा
प्रफुष्ल्लत- प्रसन्न। तरुिी- युवती। नागवार- अनुधचत। कुशाग्र- तेर्। सारथी- रथ चलाने वाला। नाती- पुत्री का
पुत्र।
4. अम्बा और भीष्म
तवेच्िाचारी- इच्िा अनुसार व्यवहार करने वाला। अनुरक्त- आसक्त। गाांगेय- गांगा पुत्र भीष्म। दयाद्रि- करुिा
युक्त।
प्रश्न 1. काशीरार् की कन्याओां के तवयांवर में भीष्म ककस उद्दे श्य से गए थे?
उत्तर- भीष्म अपने िोिे भाई र्वधचत्रवीयि के ललए कन्याओां का अपहरि करने गए थे। उस काल में ित्रत्रयों द्वारा
अपहरि करके ककया गया र्ववाह श्रेष्ि माना र्ाता था।
प्रश्न 2. अांबा ने एकाांत में भीष्म से क्या कहा?
उत्तर- अांबा ने भीष्म से कहा- गाांगेय मैं सौभदे श के नरे श शाल्व को मन ही मन अपना पछत मान चुकी हूां। इस ष्तथछत
में आप मेरे र्वषय में उधचत छनििय ले।
प्रश्न 3. तपतवी ब्राह्मिों ने अांबा को क्या सलाह दी?
उत्तर-तपष्तवयों ने कहा-"बेिी, तुम परशुराम के पास र्ाओ| वे तुम्हारी इच्िा अवश्य पूरी करें गे।" तब ऋर्षयों की
सलाह पर अांबा परशुराम के पास गई।
प्रश्न 4. युद्ि में कोई छनििय न हो पाने के बाद परशुराम र्ी ने अांबा से क्या कहा?
उत्तर-परशरु ाम ने अांबा से कहा- " र्ो कुि मेरे वश में था, कर चक
ु ा। अब तम्
ु हारे ललए यही उधचत है कक तम
ु भीष्म की
ही शरि लो।"
प्रश्न 5. भीष्म र्पतामह ने लशखांडी के साथ युद्ि क्यों नहीां ककया?
उत्तर- भीष्म र्पतामह ने लशखांडी के साथ यद्
ु ि नहीां ककया क्योंकक वे र्ानते थे कक लशखांडी ही अांबा है।
5. विदरु
6. कांु ती
लोक छनांदा- समार् में होने वाली बुराई। दां पर्त्त- पछत पत्नी। णखन्न- दख
ु ी। सुषमा- सौंदयि।
प्रश्न 1. पथ
ृ ा ककसकी पुत्री थी?
उत्तर-पथ
ृ ा यदव
ु ांश के प्रलसद्ि रार्ा शूरसेन की पुत्री थी।
प्रश्न 2. पथ
ृ ा का नाम कांु ती कैसे पडा?
उत्तर-पथ
ृ ा के र्पता शूरसेन ने अपने फुफेरे भाई कांु छतभोर् को वचन टदया था कक अपनी पहली सांतान उसे गोद दे दे गा।
अत: कांु तीभोर् के यहााँ पहुाँचने पर पथ
ृ ा का नाम कांु ती पड गया।
प्रश्न 3. सूयि के सांयोग से उत्पन्न बालक का कांु ती ने क्या ककया?
उत्तर- सूयि के सांयोग से उत्पन्न बालक को कांु ती ने लोक-लार् के डर से एक पेिी में बडी साविानी के साथ बांद करके
गांगा में बहा टदया।
प्रश्न 4. किि का लालन-पालन ककसने ककया?
उत्तर- सूय-ि पुत्र किि का लालन-पालन अधिरथ नाम के सारथी ने ककया।
प्रश्न 5. पाांडु की पष्त्नयों के नाम बताइए।
उत्तर-पाांडु की दो पत्नी थीां-कांु ती व माद्री।
प्रश्न 6. माद्री पछत के साथ सती क्यों हो गई?
उत्तर- माद्री तवयां को पछत की मत्ृ यु का कारि मानती थी इसललए वह पछत के साथ सती हो गई।
7. भीम
द्वेष भाव- ईष्याि की भावना। काम तमाम होना- मरना। उत्तेष्र्त- क्रोधित।
प्रश्न 1. दय
ु ोिन भीम से वैरभाव क्यों रखता था?
उत्तर-दय
ु ोिन के भीम के प्रछत वैरभाव के छनम्न कारि थे-
•खेलों में भीम दय
ु ोिन व उसके भाइयों को खूब तांग ककया करता था।
•अतत्र-र्वद्या व अन्य र्वद्याओां में पाांडव कौरवों से आगे रहते थे।
•दय
ु ोिन सोचता था कक भीम के मरने पर यधु िष्ष्िर व अर्िन
ु आटद को कैद करके बांदी बना लेंगे और सारे राज्य पर
अपना अधिकार हो र्ाएगा।
प्रश्न 2. भीम को मारने की दय
ु ोिन ने क्या योर्ना बनाई?
उत्तर-दय
ु ोिन ने पाांडवों को र्ल-क्रीडा का न्योता टदया। खेलने व तैरने से थकने के बाद सभी को भोर्न कराया गया।
दय
ु ोिन ने चालाकी से भीम के भोर्न में र्वष लमला टदया। भोर्न करके सब अपने डेरों में सोने के ललए चले गए ककां तु
भीम र्वष के प्रभाव से गांगा-ति पर रे त में धगर गया। ऐसी हालत में दय
ु ोिन ने भीम के हाथ-पैर बाांिकर उसे गांगा में
बहा टदया।
प्रश्न 3. कांु ती को अांदर ही अांदर क्या धचांता सता रही थी?
उत्तर-कांु ती को अांदर ही अांदर यह धचांता सता रही थी कक दय
ु ोिन उसके पाांडवों को ककसी प्रकार का दख
ु ने पहुांचाए।
8. कर्ण
छनपुिता- कुशलता। प्रछततपिाि- प्रछतयोधगता। खम िोकना- र्ोश के साथ उपष्तथत होना। तपाक से- अचानक से।
डडांगे मारना- बडी बडी बातें करना। एन वक्त पर- समय आने पर अचानक। दे हावसान- मत्ृ यु।
9. रोर्ाचायण
10. लाख का घर
कुमांत्रिा- बुरी योर्ना बनाना। कुराह- अनुधचत मागि। दलील- तकि। पष्ृ ि पोषक- पििर।
प्रश्न 1. दय
ु ोिन पाांडवों से ईष्याि क्यों करता था?
उत्तर- पाांडवों के शारीररक बल और अर्िन
ु की यद्
ु ि कुशलता के कारि दय
ु ोिन पाांडवों से ईष्याि करता था।
प्रश्न 2. पाांडवों का नाश करने के ललए दय
ु ोिन ने ककस ककस का सहारा ललया?
उत्तर-पाांडवों का नाश करने के ललए दय
ु ोिन ने अपने मामा शकुछन व लमत्र किि का सहारा ललया।
प्रश्न 3. 'वारिावत' कौन-कौन गया?
उत्तर- 'वारिावत' पाांडवों के साथ कांु ती भी गई।
प्रश्न 4. पाांडवों के ललए बनने वाले मकान में पुरोचन ने क्या सामग्री लगाई?
उत्तर-परु ोचन ने वारिावत र्ाकर पाांडवों के िहरने के ललए सन (रूई), घी, मोम, तेल, लाख, चरबी आटद र्ल्दी आग
पकडने वाली चीर्ों को लमट्िी में लमलाकर एक सुांदर भवन बनवाया।
प्रश्न 5. पाांडवों को वारिावत भेर्ने में दय
ु ोिन की क्या योर्ना थी?
उत्तर-पाांडवों को वारिावत भेर्ने में दय
ु ोिन की योर्ना यह थी कक कुि टदनों तक पाांडवों को लाख के भवन में आराम
से रहने टदया र्ाए और र्ब वे पूिि रूप से छन:शांक हो र्ाए, तब रात में भवन में आग लगा दी र्ाए, ष्र्ससे पाांडव तो
र्लकर भतम हो र्ाएाँ और कौरवों पर भी कोई दोष न लगा सके।
दत
ु साहस- न सह सकने वाली टहम्मत।
प्रश्न 1, वारिावत को र्ाते समय र्वदरु ने युधिष्ष्िर को ककस प्रकार सचेत ककया था?
उत्तर- वारिावत को र्ाते समय र्वदरु ने युधिष्ष्िर को दय
ु ोिन के षड्यांत्र से अवगत कराकर सचेत ककया।
प्रश्न 2. वारिावत में पाांडवों के रहने का प्रबांि ककसने ककया?
उत्तर- वारिावत में पाांडवों के रहने का प्रबांि परु ोचन ने ककया र्ो कक दय
ु ोिन का शभ
ु धचांतक था।
प्रश्न 3. थकी हुई कांु ती ने पुत्रों से क्या कहा?
उत्तर- थकी हुई कांु ती ने पुत्रों से कहा-"मैं तो प्यास से मरी र्ा रही हूाँ। अब मुझसे त्रबल्कुल चला नहीां र्ाता। ित
ृ राष्र के
बेिे चाहे तो भले हो मझ
ु े यहााँ से उिा ले र्ाएाँ, मैं तो यहीां पडी रहूाँगी।"
प्रश्न 4. लािागह
ृ िोडने के पश्चात ् पाांडव कहााँ और ककस वेश में पहुाँचे?
उत्तर- लािागह
ृ िोडने के पश्चात ् पाांडव एकचक्रा नगरी में ब्राह्मि के वेश में पहुाँचे।
प्रश्न 5. कांु ती ने ब्राह्मि से क्या कहा?
उत्तर- कांु ती ने कहा-"र्वप्रवर, आप इस बात की धचांता िोड दें । मेरे पाांच बेिे हैं। उनमें से एक आर् रािस के पास भोर्न
लेकर चला र्ाएगा।"
प्रश्न 6. कांु ती ने भीम को बकासुर के पास क्यों भेर्ा?
उत्तर- कांु ती ने भीम को बकासुर के पास भेर्ा क्योंकक वह र्ानती थी कक भीम उसका काम तमाम कर दे गा। भीम की
शष्क्त का मुकाबला कोई नहीां कर सकता। कांु ती का यह सोचना भी सही छनकला क्योंकक बकासुर का वि करके वह
उसकी लाश को नगर के फािक तक घसीिकर लाया। इस प्रकार गाांव वालों को बकासुर के चांगुल से िुिकारा लमला।
वह
ृ दाकार- बहुत बडा। र्वप्लव- शोर। मग
ृ िाला- टहरि की खाल। अष्ग्न लशखा- आग की लपि। सम्मछत- सलाह।
प्रश्न 1. पाांचाल व दे श में पाांडव ककस रूप में कहााँ र्ाकर िहरे थे।
उत्तर- पाांचाल दे श में पाांडव ब्राह्मि के वेश में एक कुम्हार की झोपडी में िहरे थे।
प्रश्न 2. द्रौपदी तवयांवर में कौन-कौन मख्
ु य प्रछतभागी थे?
उत्तर- द्रौपदी- तवयांवर में श्रीकृष्ि, बलराम, ित
ृ राष्र के सौ पुत्र, लशशुपाल, र्रासांि, शल्य व पाांडव र्ैसे अनेक
प्रलसद्ि व्यष्क्त अपना भाग्य परखने आए थे।
प्रश्न 3. पाांचों पाांडवों से द्रौपदी का र्ववाह कैसे हुआ?
उत्तर- माां की आज्ञा और सबकी सम्मछत से द्रौपदी के साथ पाांचों पाांडवों का र्ववाह हो गया।
13. इांरप्रस्थ
14. जरासांध
रार्सय
ू यज्ञ- सम्राि बनने की अलभलाषा से ककया र्ाने वाला यज्ञ। वल्कल- वि
ृ की िाल। कुशा- एक प्रकार की
वनतपछत। अभ्यागत- मेहमान।
प्रश्न 1. रार्सय
ू यज्ञ के र्वषय में यधु िष्ष्िर ने श्रीकृष्ि से क्या कहा?
उत्तर- रार्सूय यज्ञ के र्वषय में युधिष्ष्िर ने श्रीकृष्ि से कहा-"लमत्रों का कहना है कक मैं रार्सूय यज्ञ करके सम्राि पद
प्राप्त करू परां तु रार्सूय यज्ञ तो वही कर सकता है, र्ो सारे सांसार के नरे शों का पूज्य हो और उनके द्वारा सम्माछनत
हो। आप ही इस र्वषय में मझ
ु े सही सलाह दे सकते हैं।"
प्रश्न 2. युधिष्ष्िर ने रार्सूय यज्ञ का इरादा क्यों िोडना चाहा?
उत्तर- र्ब युधिष्ष्िर को कृष्ि, भीम व अर्ुिन की बातों से यह अांदेशा होने लगा कक रार्सूय यज्ञ करने के ललए कई
लोगों
के प्रािों पर बन आएगी तो उन्होंने इस इरादे को त्याग दे ना ही श्रेयकर समझा।
प्रश्न 3. र्रासांि के यहााँ श्रीकृष्ि, भीम और अर्ुिन ककस रूप में गए थे?
उत्तर "श्रीकृष्ि, भीम और अर्िन
ु ने वल्कल वतत्र पहन ललए, हाथ में कुशा ले ली और व्रती लोगों का सा वेष िारि
करके मगि दे श के ललए रवाना हो गए। "
प्रश्न 4. भीमसेन और र्रासांि में ककतने समय तक युद्ि होता रहा?
उतर- पलभर भी र्वश्राम ककए बगैर भीम और र्रासांि तेरह टदन और तेरह रात लगातार लडते रहे। चौदहवें टदन
र्रासांि थककर र्रा दे र को रुक गया। इस पर िीक मौका दे खकर श्रीकृष्ि ने भीम को इशारे से समझाया और
भीगसेन ने फौरन र्रासांि को उिाकर चारों ओर घुमाया और उसे र्मीन पर र्ोर से पिक टदया। इस प्रकार अर्ेय
र्रासांि का अांत हो गया ।
प्रश्न 5. श्रीकृष्ि की अग्रपूर्ा की सलाह ककसने दी थी।
उत्तर- र्पतामह भीष्म ने युधिष्ष्िर को सलाह दी कक द्वारकािीश की पूर्ा पहले की र्ाए।
प्रश्न 6. लशशुपाल की मत्ृ यु ककसके हाथो हुई और क्यों?
उत्तर- लशशुपाल की मत्ृ यु श्रीकृष्ि के हाथों हुई क्योंकक वह छनरां तर श्रीकृष्ि के र्वरूद्ि बोलता र्ा रहा था। वह नहीां
चाहता था कक युधिष्ष्िर ' रार्सूय यज्ञ' हेतु श्रीकृष्ि की अग्रपूर्ा करे ।
प्रश्न 1. दय
ु ोिन धचांछतत और उदास क्यों था?
उत्तर- रार्सूय यज्ञ में युधिष्ष्िर के िाि बाि और पाांडवों की यश समद्
ृ धि का तमरि करके दय
ु ोिन धचांछतत और
उदास था।
प्रश्न 2. युधिष्ष्िर को त्रबना लडाई के र्ीत पाने का शकुछन ने क्या उपाय बताया?
उत्तर - शकुछन ने कहा-"दय
ु ोिन! युधिष्ष्िर को चौसर के खेल का बडा शौक है। पर उसे खेलना नहीां आता है। हम उस
खेलने के ललए न्योता दें तो युधिष्ष्िर अवश्य मान र्ाएगा। तुम तो र्ानते ही हो कक मैं मांझा हुआ णखलाडी हूाँ। तुम्हारी
ओर से मैं खेलूांगा और युधिष्ष्िर को हराकर उसका सारा राज्य और ऐश्वयि, त्रबना युद्ि के आसानी से िीनकर तुम्हारे
हवाले कर दां ग
ू ा।
प्रश्न 3. र्ुए के खेल के र्वरोि में ित
ृ राष्र ने क्या कहा?
उतर- र्ए
ु के खेल के र्वरोि में ित
ृ राष्र ने कहा "र्ए
ु का खेल वैर-र्वरोि की र्ड होता है। इसललए बेिा, मेरी तो यह
राय है कक तुम्हारा यह र्वचार िीक नहीां है इसे िोड दो। "
प्रश्न 4. र्ुए के खेल के र्वषय में र्वदरु के क्या र्वचार थे?
उतर- र्ुए के खेल के र्वषय में र्वदरु के र्वचार इस प्रकार थे-"रार्न ्, सारे वांश का इससे नाश हो र्ाएगा। इसके कारि
हमारे कुल के लोगों में आपसी मनमुिाव और झगडे-फसाद होंगे। इसकी भारी र्वपदा हम पर आएगी।"
प्रश्न 5. पाांडवों को चौसर के खेल का छनमांत्रि दे ने के ललए ककसे भेर्ा गया?
उत्तर- पाांडवों को चौसर के खेल का छनमांत्रि दे ने के ललए र्वदरु को भेर्ा गया।
भरसक- पूरी तरह से। चेताना- सचेत करना। चाव से- उत्साह से। पार पाना- ज्ञान प्राप्त करना। सानी- मुकाबला।
युयुत्सु- ित
ृ राष्र का एक सौ एकवाां पुत्र र्ो एक वैश्य र्ाछत की तत्री से पैदा हुआ।
17. धत
ृ राष्र की चचांता
ताज्र्ब
ु - आश्चयि। र्वतमय- आश्चयि। बललष्ि- शष्क्तशाली। मारुछत- हनम
ु ान।
चौपायों- पशओ
ु ां। अनच
ु र- सेवक। अनग
ु टृ हत- आभारी होना। आवभगत- तवागत सत्कार। अियपात्र- र्ो कभी
खाली ना हो।
तरकश- बाि रखने का चोंगा। अांर्लु ल- हथेली/ दोनों हाथों से पानी पीने के ललए बनाई गई ष्तथछत/ ओक। बेिडक-
छनभीक।
मरिासन्न- मत्ृ यु छनकि होना। अहां भाव- अहांकार। अांतिािन- छिप र्ाना। अिीश- शासक, रार्ा।
22. अज्ञातिास
प्रश्न 1. रार्ा र्वराि के यहााँ अज्ञातवास में पाांडव ककस नाम और रूप में रहे?
उत्तर- यधु िष्ष्िर - कांक
भीमसेन - वल्लभ
अर्ुिन - बह
ृ न्नला
नकुल - ग्रांधथक
सहदे व - तांत्रत्रपाल
प्रश्न 2. दय
ु ोिन ने कैसे अनम
ु ान लगाया कक पाांडव मत्तय दे श में हैं?
उत्तर- कीचक के मारे र्ाने की खबर पाते ही दय
ु ोिन का माथा िनका कक हो-न-हो कीचक का वि भीम ने ही ककया
होगा। यह दय
ु ोिन का अनुमान था।
प्रश्न 3. औरत के भेष में उत्तर के रथ पर अर्िन
ु को दे खकर दय
ु ोिन ने क्या कहा?
उत्तर- औरत के भेष में रथ पर बैिे योद्िा के र्वषय में अर्ुिन र्वषयक चचाि सुनकर दय
ु ोिन किि से बोला-"हमें इस
बात से क्या मतलब कक यह औरत के भेष में कौन है! मान लें कक यह अर्ुिन ही है। कफर भी हमारा तो उससे काम हो
बनता है। शति के अनुसार उन्हें और बारह वषि का वनवास भुगतान पडेगा।"
भानर्ा- बहन का पुत्र। णखन्न- दुःु खी। गाांडीव- अर्ुिन के िनुष का नाम। परातत- पराष्र्त।
प्रश्न 1. किि, कृपाचायि व अश्वत्थामा के मध्य र्ववाद को दे खकर भीष्म ने क्या कहा?
उत्तर- किि, कृपाचायि व अश्वत्थामा के मध्य र्ववाद को दे खकर भीष्म ने कहा कक इस समय आपस में वैर र्वरोि न
करके लमलकर शत्रु से लडना ही उधचत है।
प्रश्न 2. र्पतामह भीष्म के सांधि के प्रतताव पर व दय
ु ोिन ने क्या कहा?
उत्तर- र्पतामह भीष्म के सांधि प्रतताव पर दय
ु ोिन ने कहा-"पूज्य र्पतामह! मैं सांधि नहीां चाहता हूाँ। राज्य तो दरू रहा,
मैं तो एक गााँव तक पाांडवों को दे ने के ललए तैयार नहीां हूाँ।"
प्रश्न 3. प्रछतज्ञा के समय के सांबांि में भीष्म ने दय
ु ोिन से क्या कहा?
उत्तर- प्रछतज्ञा के समय के सांबांि में उिे र्ववाद पर तपष्िीकरि दे ते हुए भीष्म ने दय
ु ोिन से कहा-"प्रछतज्ञा का समय
कल ही परू ा हो चक
ु ा है। चांद्र और सय
ू ि की गछत, वषि, महीने और पि र्वभाग के पारतपररक सांबांि को अच्िी तरह
र्ाननेवाले मेरे कथन की पुष्ष्ि करें गे । प्रत्येक वषि में एक र्ैसे महीने नहीां होते। मालूम होता है कक तुम लोगों की
गिना में भूल हुई है।"
25. मांत्रर्ा
26. राजदत
ू सांजय
छनयत- छनष्श्चत। र्ववेकशील- बुद्धिमान, समझदार। टहतधचांतक- भला चाहने वाले। डपोर शांख- बडी बडी बातें
करने वाला।
27. शाांततदत
ू श्रीकृष्र्
कुचक्र- बुरी चाल। सांभ्ाांत- र्वलशष्ि र्न। आरू़ि- च़िकर, बैिकर। कुलनाशी- कुल का नाश करने वाला। मझिार-
बीच में।
1. श्रीकृष्ि शाांछत दत
ू बनकर हष्ततनापरु ककसके साथ गए?
उत्तर- साष्त्यक
2. दय
ु ोिन के भोर्न छनमांत्रि पर श्रीकृष्ि ने क्या कहा?
उत्तर- मेरा उद्दे श्य पूरा होने पर भोर्न का न्योता दे ना उधचत होगा
3. श्रीकृष्ि ने ित
ृ राष्र की सभा में क्या कहा?
उत्तर- पाांडवाां को आिा राज्य लौिा दो। ऐसा करने से वे तुम्हे युवरार् व ित
ृ राष्र को महारार् मानेंगे। उनसे सांधि
कर लो।
प्रश्न 1. पाांडव सेना के सात नायक कौन थे? उनमें से सेनापछत कौन बना?
उत्तर- पाांडवों की र्वशाल सेना को सात टहतसों में बाांि टदया गया। द्रप
ु द, र्वराि, िष्ृ िद्युम्न, लशखांडी सात्यकक,
चेककतान, भीमसेन आटद साथ महारथी इन 7 दलों के नायक बने इनमें से िष्ृ िद्यम्
ु न को सेनापछत बनाया गया।
प्रश्न 2. भीष्म के सेनापछत बनने पर किि ने क्या छनििय ललया?
उत्तर- किि ने छनििय ललया कक भीष्म के मारे र्ाने के बाद ही वह युद्िभूलम में प्रवेश करे गा और केवल अर्ुिन को ही
मारे गा।
प्रश्न 3. अिारह टदन में कौरव-सेना के कौन-कौन सेनापछत बने?
उत्तर- अिारह टदन में कौरव-सेना के चार सेनापछत बने। पहले दस टदन भीष्म, कफर पााँच टदन द्रोि, दो टदन किि और
एक टदन शल्य सेनापछत रहे ।
प्रश्न 4. महाभारत ककतने टदन चला?
उत्तर- 18 टदन
दां ग रहना- आश्चयि चककत रहना। सारथी- रथ चलाने वाला। छततर त्रबतर- इिर उिर त्रबखरना। उत्तेष्र्त- क्रोधित।
व्यधथत- व्याकुल।
वि तथल- सीना। प्रत्युत्तर- बदला। लशकन ना आना- लेशमात्र भी णखन्न ना होना। ममि तथल- कोमल अांग। प्राि
हारी- प्रािों को हरने वाले। सोता- स्रोत। त्रबिोह- र्वयोग, अलग होने की अनुभूछत।
प्रश्न 4. दय
ु ोिन युधिष्ष्िर को र्ीर्वत क्यों पकडना चाहता था?
उत्तर-दय
ु ोिन यधु िष्ष्िर को र्ीर्वत इसललए पकडना चाहता था ताकक यद्
ु ि र्ल्दी समाप्त हो र्ाए। वह यह भी सोच
रहा था कक युधिष्ष्िर को थोडा-सा राज्य का भाग दे कर सांधि कर ली र्ाए और कुि समय के बाद र्ुआ खेलकर राज्य
का वह भाग वापस अपने कब्र्े में कर ललया र्ाए।
अनुकरि- पीिे पीिे चलना। ताड लेना- र्ान लेना। सैंिव- लसांिु दे श का रहने वाला।
र्वक्षिप्त- पागल। कुमुक- सेना। अिीर- व्याकुल। असीम- अत्यधिक। छनहत्थे- हधथयार से रटहत।
प्रश्न 1. श्री कृष्ि ने र्यद्रथ को मारने के ललए अर्ुिन को क्या कह कर सचेत ककया?
उत्तर- श्री कृष्ि ने अर्ुिन से कहा- "अर्ुिन! र्यद्रथ सूयि की तरफ दे खने में लगा है और मन में समझ रहा है कक सूयि डूब
गया। परां तु अभी तो सूयि डूबा नहीां है । अपनी प्रछतज्ञा पूरी करने का तुम्हारे ललए यही अवसर है।
प्रश्न 2. भूररश्रवा का वि ककसने ककया?
उत्तर- साष्त्यक ने।
प्रश्न 3. र्यद्रथ का लसर ककसने कािा?
उत्तर- अर्ुिन ने।
प्रश्न 4. अश्वत्थामा नाम ककसका था?
उत्तर- हाथी व द्रोिाचायि के पुत्र, दोनों का।
प्रश्न 5. द्रोिाचायि का अांत कैसे हुआ?
उत्तर- र्ब उन्हें अपने पुत्र के मरने की झूिी खबर लमली तो उनके हधथयार डाल दे ने पर िष्ृ िद्युम्न द्वारा वार करने
पर द्रोिाचायि का अांत हुआ।
37. कर्ण और दय
ु ोधन भी मारे गए
छनलिज्र्ता- बेशमी। छन सहाय- ष्र्सकी कोई सहायता करने वाला न हो। कुिुांब- पररवार।
38. अश्ित्थामा
प्रश्न 1. दय
ु ोिन के पश्चात कौरवों की सेना का सेनापछत कौन बना?
उत्तर- अश्वत्थामा।
प्रश्न 2. पाांडवों के र्वनाश की प्रछतज्ञा ककसने की?
उत्तर- अश्वत्थामा।
प्रश्न 3. अश्वत्थामा ने पाांडवों को कैसे मारा?
उत्तर- अश्वत्थामा ने रात के समय सोते हुए पाांडवों को िल से मारा। िष्ृ िद्युम्न व द्रोपदी के पाांच पुत्रों को तो उसने
पैरों से कुचल डाला। इसके बाद पाांडव लशर्वर को ही आग लगा दी। इस कायि में उसके साथ कृपाचायि और कृतवमाि भी
थे।
प्रश्न 4. उत्तरा ने ककसे र्न्म टदया?
उत्तर- अलभमन्यु के पत्र
ु परीक्षित को।
40. पाांडिों का धत
ृ राष्र के प्रतत व्यिहार
प्रश्न 1. ित
ृ राष्र ने युधिष्ष्िर से क्या अनुमछत माांगी?
उत्तर- वल्कल वतत्र िारि कर वन गमन करने की।
प्रश्न 2. युधिष्ष्िर ने ित
ृ राष्र के अनुमछत माांगने पर क्या कहा?
उत्तर- ित
ृ राष्र ने कहा कक आप तो राज्य के तवामी हैं। आपका ही पुत्र युयुत्सु रार् गद्दी पर बैिे या ष्र्से आप चाहे
रार्ा बना दे अथवा शासन की बागडोर तवयां अपने हाथों में ले ले और प्रर्ा का पालन करें । मैं वन में चला र्ाऊांगा।
रार्ा मैं नहीां बष्ल्क आप ही है । मैं ऐसी हालत में आपको अनुमछत कैसे दे सकता हूां।"
प्रश्न 3. वन गमन के समय ित
ृ राष्र के साथ कौन कौन थे?
उत्तर- गाांिारी, कांु ती और सांर्य।