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Vanadhikar
Vanadhikar
कल्याण विभाग
रांची , झारखण्ड
"कं बज
नरसरकार
कल्याण विभाज
शडु
काल
८2
राँची, झारखण्ड
कि; पृष्ठ संख्या
0.0.030. 4023/07/2000-॥09#7ए&.।स,॥ 7। से 73
[भास्त के राजपत्र, असाधारण, भाग 2, खंड 3, उपखंड (%) खारीख 3 दिसम्बर 2007 में प्रकाशनार्थ]
भारत सरकार
जनजातीय कार्य मंत्रालय
नई दिवी, 3 दिसम्बर 2007
का. आ. (अ) केन्द्रीय सरकार अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरायत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 (2007
द 2.) की धाच की उपधारा (3) द्वाया प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, तारीख 3 दिसम्बर, 2007 को, उस तारीख के रूप में नियत करती है,
जिसको उक्त अधिनियम के उपबंध प्रयृत्त होंगे।
हस्त्थ् /-
(डॉ. बचित्तर सिंह)
संयुक्त सचिव, भ्छरत सरकार
(फा. सं. 77074/02/2007- पौसी एंड वी (जिल्द ॥))
रस्सिद्रीसं. डी -3%204
सर / ९९
भारत राजपनत्र
4४९ 602० ९ उध्वीत
व्का
523 6//2007
शिंत्राह0 0५ 0४७ १है७/9८07, 09%, ए पीकर 655, फिंडा ति080, ॥09,/80>77, ४०४४ 2७७/|- 70064
30 7०)॥७900 09 ॥8 (00॥७0४ल ० ?/0%2395205, 0&8॥/8 - 0054
अमान ककी) नम भारत का राजपत्र
जप असाधारण
समर 39 9++++++ा---+--->+++ मम
वन में निवास करने वाली ऐसी अनुसूचित जनजातियों और अन्य परंपरागत यन निवासियों के, जो
ऐसे यनों में पीढ़ियों से निवास कर रहे हैं, किन्तु उनके अधिकारों को अभिलिखित नहीं किया जा
सका है, वन अधिकारों और वन भूषि में अधिभोग को मान्यता देने और निहित करने;
वन भूमि में इस प्रकार निहित वन अधिकारों को अभिलिखित करने के
लिए संत्चना का और यन भूमि के सम्बन्ध में अधिकारों को ऐसी
मान्यता देने और निहित करने के लिए अपेक्षित
साक्ष्य की प्रकृति का उपबंध
करने के लिए
अधिनियम
वन में निवास करने वाली अनुसूचित जनजातियों और अन्य परम्परागतवन निवासियों के, मान्यताप्राप्
अधिकारों में, दीपकालीन उपयोग के लिए जिम्मेदारी और प्राधिकार, जैव विविधता का संरक्षण और
पारिश्थितिकी संतुलन को बनाये रखना और यन में मिवास करने वाली अनुसूचित जनजातियों और अन्य
फरपतागत यन निवासियों की जीविका तथा खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चितकरते समय वनों की संरक्षण व्यवस्था को
सुदृढ़ करना भी सम्मिमिलत
है;
और औपनिवेशिक काल के दौतान तथा स्वतंत्र भारत में राज्य दनों को समेकित करते समय उनकी
वैतृक भूमि पर वन अधिकारों और उनके निवास को पर्याप्त रूप से मान्यता नहीं दी गई थी, जिसके परिणामस्यरूप
बन में निवास करने वाली उन अनुसूचित जनजातियों और अन्य परंपरागत वन निवासियों के प्रति ऐतिहासिक
अन्याय हुआ है, जो वन पारिस्थितिकी प्रण्डली को बचाने और बनाये रखने के लिए अभिन्न अंग हैं;
और यह आवश्यक हो गया है कि वन में निवास करने वाली अनुसूचित जनजातियों और अन्य परंपरानत
दन निवासियों की, जिसके अंतर्गत वे ज़नजातियोँ भी हैं, जिन्हें राज्य के विकास से उत्पन्न हस्तक्षेप के कारण
अपने नियास दूसरी जगह बनाने के लिए मजबूर किया गया था, लंबे समय से चली आ रही भूमि सम्यन्धी असुरक्षा
तथा यों में पहुँच के अधिकारों पर ध्यान दिया जाए;
भारत गणराज्य के सतायनवें वर्ष में संसद द्वारा निम्नलिखित रूप में यह अधिनियमित हो :- रांक्षित नाम और
अध्याय-॥ महान
प्रारंभिक
।, (]) इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वन निवास (वन
अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 है,
(2) इसका विस्तार ऊम्मू-कश्मीर राज्य के सियाय सम्पूर्ण भारत पर है.
(3) यह उस तारीख को प्रवृत्त होगा, जो केन्द्रीय सरकार राजपत्र में अधिसूचना द्वारा नियत करें,
2 ०
अुभाग० ।कक) आरत का राजफा असाधारण
लय न ननधाशब--------ननननीयध कप क्पनन-न-ननननिनिियपप--
2003 का 48 (द) “सतत् उपयोग” का वही अर्थ होगा, जो ऊँचव विविधता अधिनियम, 2002 की धारा 2
के खंड (ण) में है;
(ण). “अन्य परन््परणत वन निवासी” से ऐसा कोई सदस्य या समुदाय अभ्ख्रित है, जो 3
दिसम्बर, 2005 से पूर्वकम से कम तीन पीढ़ियों तक प्राथमिक रूप से वन या वन भूमि में
निवास करता रह है और जो जीविका की वास्तविक आवश्यकताओं के लिएउन पर निर्भर है.
स्पष्टीकरण.-इस
खंड के प्रयोजन के लिए “पीढ़ी” से पत्चीस वर्ष की अवधि अभिप्रेत है;
(त) “ग्राम से निम्नलिखित
अभिप्रेत है -
(।) पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेज्ञें पर विस्तार) अधिनियम, 996 की घातत
4 के
4996 का 40 खण्ड (खत) में निर्दिष्ट
कोई ग्राम, या
(४) अनुसूचित क्षेत्रों से भिन्न पंचायतों से सम्बन्धित किसी राज्य विधि में ग्राम के रूप में
निर्दिष्ट कोई क्षेत्र;या
(#) वन ग्राम पुरातन निवास या बस्तियाँ और असर्वेक्षित ग्राम, चाहे वे ग्राम के रूप में
अधिसूचित
हों या नहीं; या
(५) उन राज्यों की दशा में, जहाँ पंचायतें नहीं हैं, पारम्परिक ग्राम, चाहे
वे किसी भी
नाम से ज्ञात हों.
(थ) “वन्य पशु” से वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 972 की अनुसूची 4 से 4 में
4972 का 53 विनिर्दिष्ट पशुकी ऐसी प्रजातियाँ अभिप्रेत हैं, जो प्रकृति में वन्य के रूप में पाई जाती हैं.
अध्याय- 2
वन अधिकार
() इस अधिनियमके प्रयोजनों के लिए, वन में निवास करने वाली अनुसूचित जनजातियों
और अन्य परंपरागत वन निवासियों के सभी वनभूमि पर निम्नलिखित वन अधिकार होंगे, यन में निदास करने
जो य्यक्तिगत या सामुदायिक भूधृति या दोनों को सुरक्षित करते हैं अर्थात् :- याली अनुसूचित
जनजातियों और
(क) बन में निवास करने याली अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वन निवासियों के अन्य परंपरागत यन
किसी सदस्य या किन्हीं सदस्यों द्रारा निवास के लिए या जीविका के लिए स्वयं खेती निवासियों के वन
करने के लिए य्यक्तियत या सामूहिक अधिभोग के अधीनबन भूमि को धारित करने और
(ख) निस्तार के रूप में सामुदायिक अधिकार चाहे किसी भी नाम से ज्ञात हों, जिनके अंतर्गत
तत्कालीन राजाओं के राज्यों, जमीदारों या ऐसे अन्य मध्यवर्ती शासमों में प्रयुक्त
अधिकार भी सम्मिलित हैं;
(ग).. गौँण बन उत्पादों के, जिनका गाँव की सीमा के भीतर या बाहर पारंपरिक रूप से संग्रह
किया जाता रहा है स्वामित्व संग्रह करने के लिए पहुँच, उनका उपयोग और व्ययन का
अधिकार रह है;
है) कह
भाग की
क॒ न मन भारत
मम का राजपत्र असाधारण मकान नाक न न तनमन पन् ०
(ज) वनों के सभी वन ग्रामों, पुराने आवासों, असर्वेक्षित ग़रामों और अन्य ग्ाम्में के ब्सने और
संपरिवर्तन के अधिकार, चाहे ये याजस्वग्रामों में लेखबद्ध हों, अघिसूचित हों अथवा नहीं;
(झ) ऐसे किसी सामुदायिक वन संसाधन का संरक्षण, पुनरुज्जीदित या संरद्धित या प्रबंध
करने का अधिकार, जिसकी वे सतत् उपयोग के लिए परंपरागत रूप से संरक्षा और
संरक्षण कर रहे हैं;
(ज) ऐसे अधिकार, जिनको किसी राज्य की विधि या किसी स्वशासी जिला परिषद् या
स्वशासी क्षेत्रीय परिषद् की विधियों के अधीन मान्यता दी गई है या जिन्हें
किसी राज्य की
सम्बन्धित जनजाति की किसी पारम्परिक या रूढ़िगत दिधि के अधीन जनजातियों के
अधिकारोंके रूप में स्वीकार किया बा है;
(ट) जैव विविधता तक पहुँच का अधिकार और जैव विविधता तथा सांस्कृतिक विविधता से
सम्बन्धित बौद्धिक सम्पदा और पारंपरिक ज्ञान का सामुदापिक अधिकार;
(5) कोई ऐसा अन्य पारंपरिक ऋधिकार जिसका, यथास्थिति, यन में निवास करने वाली उन
अनुसूचित जनजातियों या अन्य परंपरागत वन निवालियों द्वात रूडिगत रूप से उपभोग
किया जा रहा है, जो खंड (क) से खंड (2) में बर्कित हैं, किन्तु उनमें किसी प्रजाति के
वन्य जीव का शिकार करने या उन्हें फंसाने या उनके शरीर का कोई भाग निकालने का
परंप्कगत अधिकार नहीं है;
(ड) यथावत पुनर्वास का अधिकार, जिसके अंतर्गत उन मानत्यों में आनुकल्पिक भूमि भी है
जहाँ अनुसूचित जनजातियों और अन्य फरम्पतागत वन निवासियों को 3 दिसम्बर,
2005 के पूर्व किसी भी प्रकार की यनभूनि से पुनर्वास के उनके वैध हकप्राप्त किये बिना
अवैध रूप से वेदखल या विस्थापित किया गया हो.
4980 का 69 (2) वन (संरक्षण) अधिनियम, 980 में किसी ढाठ के होते डुए भी, केन्द्रीय सरकार,
सरकार द्वारा व्यवस्थित निम्नलिखित सुदिधाओं के लिए बन भूमि के परिवर्तन का
उपबंध करेगी जिसके अंतर्गत प्रति हेक्टेयर पचहहर से अनधिक पेड़ों का गिराया जाना
भी है, अर्थात्:-
(क) विद्यालय;
(ख) औषधालय या अस्पताल;
() ऑँगनबाड़ी;
(घ) उचित कीमत की दुकानें;
(ड) किद्दुत और दूरसंचार लाइनें
(घ) टैंकियां और अन्य लघु जलाशय;
(8) पेयजल की आपूर्ति और जल पाइफ्लाइनें;
(ज) जल या वर्षा जल संचयन संरचनाएँ;
(झ) लघु सिंचाई नहरें;
(ञ) अपार॑परिक ऊर्जा स्रोत; .
(2) कौशल उन्नयन या व्यावसापिक प्रशिक्षण केन्द्र;
(5) सड़कें; और
(ड) सामुदायिक केन्द्र;
परंतु वन भूमि के ऐसे परिवर्तन को तभी अनुज्ञात किया जायेगा, जब -
() इस उपपारा में वर्णित प्रयोजनों के लिए परिवर्तित की जाने दाली वनभूमि ऐसे प्रत्येक
मामले में एक हेक्टेयर से कम है; और
रो) ऐसी विकासशील परियोजनाओं की अनापहि इस शर्त के अधीन रहते हुए होगी कि उसकी
सिफारिश ग्राम सभा द्वारा की गई हो.
अनुभाग० ।कके) ) आरत का राजपत्र असाधारण2
पल क्मल्पन-ननन-ा-ाननननतभत५तचिचिफपपननन--ननननननन+
अध्याय-3
2००३ का 8.. दन अधिकारों की मान्यता, उनका पुन: स्थापन और निहित होना तथा संबंधित विषय
4... (+) तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी और इस. पन में निवास करने
अधिनियम के उपबन्धोंके अधीन रहते हुए, कैन्द्रीय सरकार, - वाली अनुसूचित
(क) ऐसे राज्यों या राज्यों के उन कैज्े में वन में निकास फरने वाली अनुसूचित जनजातियों के, जनजातियों और
जहाँ उन्हें धात 3 में उल्लिखित सभी वन अधिकारों की बाबत अनुसूचित जनजातियों के. परम्परागत वन
रूप में घोषित किया गया है; निवासियों के वन
(ख) घारा 3 में उल्लिखित सभी दन अधिकारों की बाबत् अन्य परंपरागत यन निकसियों के. . अधिकारों की
वन्द्रधिकारों को, मान्यता और उनका
मान्यता प्रदान करती है और उनमें निहित करती है. निड्टित होना.
(2) राष्ट्रीय उद्यानों और अभ्यारण्यों के संकटग्रस्त वन्य जीव आवासों में इस अधिनियम के
अधीन मान्यताप्राम वन अधिकारों को, परचात्वर्ती रूप में उपान्तरित या पुनः स्थापित
किया जा सकेगा, परन्तु किसी भी वन अधिकार धारक को पुनःस्थापित नहीं किया
जावेगा या किसी भी रीति में उनके अधिकारों पर यन जीव संस्क्षण के लिए अनत्क्रिंत
सेत्रों के सृजन के प्रयोजनों के लिए निम्नलिखित सभी शर्तों के पूरा करने की दशा में के
सिवाय प्रभाव नहीं पड़ेया, अर्थात् +
(क) विचाराधीन सभी क्षेत्रों में धार 6 में यथा बिनिर्दिष्ट अधिकारों की मान्यता और निहित
4972 का 53 करने की प्रक्रिया पूरी हो;
(ख) राज्य सरकार के संबद्ध अभिकरणों द्वारा वन््य जीव संरक्षण अधिनियम, 972 के
अधीन अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए यह स्थापित किया गया है कि अधिकारों के
धारकोंकी उपस्थिति के वन्य पशुओं पर क्रियाकलाप या प्रभाव अपरिवर्तनीय नुकसान करने
के लिए पर्याप्त हैं और उक्त प्रजातिके अस्तित्व और उनके निवास के लिए खतरा है;
(ग). राज्य सरकार यह निष्कर्ष निकाल चुकी है कि सहअस्तित्व जैसे अन्य युक््तियुक्त
विकल्प उपलब्ध नहीं हैं;
(६) एक या अनुकल्पी पैकेज तैयार और संसूचित किया गया है जो प्रभावित
व्यब्टियों और समुदायों के लिए सुनिश्चित जीवकि का उपबंध करता है और ऐसे
प्रभावित य्यष्टियों और समुदाय सरकार दी सुसंगत विधियों और नीति में दी
की केन्द्रीयों
एई अपेक्षाओं को पूरा करने फी व्यवस्था करता है;
(ड) प्रस्तावित पुनर्व्यवस्थापन और पैकेज के लिए संबद्ध क्षेत्रों में ग्राम सभाओं की स्वतंत्र
सूचित सहमति लिखित में प्राप्त कर ली गईं है;
(च) कोई पुनर्य्यस्थापन तभी होगा जब पुनर्वास अवस्थान पर सुविधाएँ और भूमि आवंटन
वायदा किये गये पैकेज के अनुसार पूरी की यई हो :
परंतु संकटगरस्त वन्य जीव आवास, जिससे अधिकार धारकों को इस प्रकार यन्य जीय संरक्षण के
प्रयोजनों के लिए पुनः स्थापित किया जाता है, पश्चात्वर्ती रूप से राज्य सरकार या कैन्द्रीय सरकार या फ़िसी
एककेद्वारा किसी अन्य उपकोगों के लिए अपयर्तित नहीं किया जायेगा,
(3) वन भूमि और उसके निवासियों की बाबत् किसी राज्य या संघ राज्यक्षेत्र के संबंध में वन
में निवास करने काली अनुसूचित जनजातियों और अन्य परम्परागत वन निवासियों को,
इस अगिनियम, के अधीन वन अधिकारों की मान्यता देना और उनका निहित किया
जाना इस शर्त के अध्यधीन होगा कि ऐसी जनजातियों या जनजाति समुदायों या अन्य
फरम्परा गत ने 3 दिसम्बर, 2005 से पूर्व वन भूमि अधिभोग में ले ली थी.
यन नियासियों
(4). उपधात () कर प्रदर कोई अधिक वंशगत होगा किन्तु संक्रमणीय या अन्तरणीय नहीं
होगा और विवाहित व्यक्तियों की दश में पति-पत्नी दोनों के नाम में संपुण्त रूप से और यदि
किसी घर का मुखिया एकल व्यक्ति है तो एकल मुखिया के नाम में रजिस्ट्रीकृत होगा तथा «
सीधे वारिस की अनुपस्थिति में देशागत अधिकार अगले निकटतम संबंधी को चला जायेगा
पा
अप ०| कक मे मा
का राज़फा
आर मरअस्घारण नकल कक न दम पकने
(5) जैसा अन्यथा उपबंधित है उसके लियाए, किसी यन में निवास करने वाली अनुसूचित
जनजाति या अन्य परम्परागत वन निकतियों का कोई सदस्य उसके अधिभोगाधीन यन
०
भूमि से ठब तक बेदखल नहीं किया जायेगा या हटाया नहीं जायेगा ज्य तक कि मान्यता
+-++4
और सत्यापन प्रकिया पूरी नहीं हो जाती है,
नम. धन
(6) जहाँ उपधारा (॥) क्वारा माग्यताफ्रस और निहित वन अधिकार धात 3 की उपधारा (4)
के खंड (क) में वर्णित भूमि के संबंध में हैं, वहाँऐसी भूमि इस अधिनियमके प्रारम्भ की
(8) इस अधिनियम के अधीन मान्यताप्राप्त और निहित वन अधिकारी में दन मैं नियास करने
दाली अनुसूचित जनजातियों और अन्य परंपरानत वन निकासियाँ के वन भूनि अधिकार
सम्मिलित होंगे जो यह साबित कर सकते हैं कि ये तज्य विकास हस्तक्षेप के कारण भूमि
प्रतिकर के बिना उनके नियास और खेती से विस्थापित किये एये थे और जहाँ भूमि का
उपयोग उक्त अर्जन से पाँच यर्ष के भीतर उत प्रयोजन के लिए रहीं किया गया है,
जिसके रह वह अर्जित की गईं थी.
गन अधिकारों के 5, किसी वन्य अधिकार के घास्क, उन क्षेज्-,ं में जहाँइस अधिनिष्म के अधीन किन्हीं वन अधिकारों
धारकों के कर्तव्य, के धारक हैं, ग़ाम सभा और ग्राम स्तर की संस्याएँ निम्नलिखित के लिए सशक्त हैं, -
(क) यन््य जीय, यन और उँव विविधता का सरह्षण करना;
(ख) यह सुनिश्चित करना कि लगा हुआ उल्हन बेत्र, उतखोत और अन्य पारिस्थितिकीय
संवेदनशील क्षेत्र पर्याप्त रूप से संरक्ित हैं;
(ग) यह सुनिश्चित करना कि वन में निवास करने बाली अनुसूचित जनजातियों और अन्य
परंपराणशत वन निदासियों का निवास किरशी प्रकार के विनाशकारी व्ययहारों से संरक्षित हैं
जो उनकी सांस्कृतिक और प्राकृतिक बिरासत को प्रभावित कसी हैं;
(०) यह सुनिश्चित करना कि सामुदादिक दन संसाधन तक पहुँच को विनियमित करने और
ऐसे किसी क्रियाकलाप को रोकने कै लिए, जो बन्य जीब, बन और जैव विविधता पर
प्रतिकूल प्रभाव डालता है, ग़म सभा में लिएगए बिनिश्कयों का पालन किया जाता है,
अध्याय-4
वन अधिकारों को निहित करने के लिए प्राधिकारी और प्रक्रिया
उन में नियास करने 6, (॥) ग्राम सभा को, ऐसे किसी व्यष्टिक या सामुदायिक वन्य अधिकारों या दोनों की प्रकृति
गाली अनुसूचित और सीमा को अवधारित करने के लिए प्रक्रिया आरभ करने का अधिकार होगा जो इस
जनजातियों और अप्िनियम के अधीन इसकी अधिकारिता की स्थानीय सीमाऊं के भीतर दन में मिवास
अन्य परम्परागत करने वाली और सत्यापन तथा ऐसी रीति में, जो दिहित की जाये, स्वफारिश किये वे
यन अधिकारों को प्रत्येक दावे के क्षेत्र को अंकित करते हुए, मानचित्र तैयार करके दिये जा सकेंगे और तब
जिहित करने के लिए ग़म सभा उस आशय का संकल्प पारित करेगी तथा उसके पश्चात् उसकी एक प्रति
प्राधिकारी और
उपखंड स्तर की समिति को उह्योषित करेगी.
जखकी प्रक्रिया,
(2) ग्राम सभा के संकल्प से व्ययित कोई व्यक्ति उपधारा (3) के अधीन गठित उपखंड स्तर
की समिति को कोई यादिका दे सकेया और उपखंड स्तर की रूमिति ऐसी याचिका पर
विचार करेगी और उसका निपटारा करेगी ;-
परलततुफ्रत्येक ऐसी याचिका ग्राम सभा द्वारा संकल्प पारित करने की तारीख से साठ दिन के भीतर
दी जायेगी :
अनु ) भारत
भारत काराजपर
का राज्पत्र असाधारण
असाधारण
2003 का 88 परन्तुयह और कि ऐसी याचिका का, व्यथित व्यक्तियों के विरुद्ध निप्टारा तब तक नहीं किया जायैग जब
तक उन्हें अपने मामले को प्रस्तुत करने के लिए युक्तियुक्त अवसर नहीं दे दिया गया हो
(3) जज्य सरकार, ग्राम सभा द्वार पारित संकल्प की परीक्ष करे के लिए एक उप्संड स्तर की
खमिति का गठन करेगी और वन अधिकारों का अभिलेख तैयार करेगी तथा इसे उपलंड
अधिकारी कै रध्यम से ऑतिम विम्श्चय के लिए जिला स्तर की समिति को उशेषित करेपी
(4). उफ्यड़ स्तर की समिति के विनिश्चय रो व्यधित कोई व्यक्ति, उपखंड स्तर की समिति के
विनिश्ययकी तारीख से साठ दिन के भीतर जिला स्तर की समिति को कोई फषिका दे सकेगा
और जि स्तर की समिति ऐसी याचिका फर विचार करेगी .र उसका निपटा करेगी :
परन्तु गरम रभा के रुंकल्प के विरुद्ध कोई फचिका जिला स्तर की समिति के समश्न सीधे
हब तक नहीं दी जायेगी जब तक वह पहले उपखंड स्तर की समिति के समक्ष न दी गई हो
और उसके द्वारा उस पर विचारन कर लिया गण हो :
परतुयह और
कि याचिका का, व्ययित व्यक्तियों
के विरुद्ध निपटात रख तक नहीं किया जयेगा
जब तकउन्हें अपने मामले के प्रस्तुत फरने के लिए युक््तिएुक्त अवसर नहीं दे दिया गया हो
(5). उाज्य सरकार, उपसंड स्तर की समिति द्वारा तैयार किये गये वन अधिकारों के अभिलेख
पर विचार करने और उनका अंतिम रूप से अनुमोदन करने के लिए एक जिलास्तर की
समिति का गठन करेगी.
(6) दन अधिकारों के अभिलेख पर जिला स्तर की समिति का विनिश्दप अतिष और
आबडकर होना.
(7). रुज्य सरकार, वन अधिकारों को मान्यता देने और उन्हें निहित करने वी प्रक्रिया को मानीटर
करने और ऐसी दिवरणियों और रिफेट को, जो उस अभिकरण द्वारा मांगी जायें, नोडल
अभिकरण केप्रस्तुत करने के लिए एक राज्य स्तर की म्नीटरी समिति क्या गठन करेगी
(8). उफ्संड स्तर की समिति, जिला स्तर की समिति और राज्य स्तर की मानीटरी सम्तिति में
राज्य सरकार
के राजस्य विभाग, बन विभाग और जनजातीय ममले विभाग के अधिकारी
और समुचित स्तर पर पंचायतीराज संस्थाओं के तीन सदस्य होंगे, जिन्हें संबंधित
पंचयतीराज संस्थाओं द्वाय नियुक्त किया जायेगा, जिनमें से दो सदस्य अनुसूचित
जनजाहिएेके होंगे और कम से कम एक महिला होगी, जैसा विहित किया जाये.
(9) उप्खंड स्तर की समिति, झिल्त स्तर की समिति और राज्य स्तर की भानीटरी समिति
की संरचना और कृत्य तथा उनके द्वारा अपने कृत्यों के निर्वहन में अनुसररित की जाने
वाली प्रक्रिया पह होगी, जो विहित की आए,
अध्याय-5
अपराध और शास्तियाँ
7... जहाँ कोई प्राधिकरण या समिति या ऐसे प्राध्रिकरण या समिति का कोई अधिकारी या सदस्य इस इस अधिनियम के
अधिनियम या उसके अधीन वन अधिकारों की मान्यता से संबंधित बनाये गये किसी नियम के... अप्रीन प्राधिकरणों
किन्हीं उपबंधों का उल्लंघन करेगा तो यह या ये इस अधिनियम के अधीन अपराध के दोष समझे. और रुमितियों के
जायेंगे और अपने विरुद्ध कार्रवाही! किये जाने और जुर्माने से, जो एक हजार रुपये तक का हो. रवर्यों या
सकेगा, दंडित किये जाने के भागी होंगे : अधिकारियों द्वारा
परन्तु इस उपधात की कोई भी बात इस धार में निर्दिष्ट प्राधिकरण या समिति के किती सदस्य
या विभागाध्यक्ष या किसी व्यक्ति को दंड का भागी नहीं बनायेगी यदि वह यह साबित कर देता है
कि अपराध उसकी जानकारी के बिना किया गया था या उसने ऐसे अपराध के किये जाने का
निवारण करने के लिए सब सम्यक् तत्परता बरती थी.
8. कोई भी न्यापालय इस अधिनियम की घात 7 के अधीन किसी अपराध का तब तक संज्ञान नहीं लेगा. अपराधों का संज्ञान
जब तक कि कोई वन में नियास करने वाली अनुसूचित जनजाति, किसी श्रम सभा के संकल्प से
संबंधित किसी विदाद के मामले में या किसी उच्च प्राधिकारी के विरुद्ध किसी संकल्प के माध्यम से
सील न- उ)रक
न ------००---------नन------------ भारत
रत का
का राजपब
राजपत्र असाधारण.
असाधारण
ग्राम सभा, राज्य स्तर की मानीटरी समिति को साठ दिन से अन्यून की सूचना नहींदे देती है और
राज्य स्तर की मानीटरी समिति ने ऐसे प्राधिकारी के विरुद्ध कार्यवाही न कर ली हो.
अध्याय-6
प्रकीर्ण
प्राधिकरण, आदि के अध्याय 4 में निर्दिष्ट प्राधिकरणों का प्रत्येक सदस्य और इस अधिनियम द्वारा या उसके अधीन 4860 का 45
सदस्यों का लोक प्रदत्त शक्तियों
का प्रयोग करने याला प्रत्येक अन्य अधिकारी भारतीय दंड संहिता की धाच 2। के
अधन्तिर्मत लोक सेदक समझे जायेंगे.
रद्भावपूर्वक की गई 40, (4). इस अधिनियम के अधीन सद्भावपूर्वक की गईं या की जाने के लिए आशयित किसी बात
कार्रवाई के लिए के लिए कोई भी बाद, अभियोजन या अन्य विधिक कार्यवाही केन्द्रीय सरकार या राज्य
सरकार के किसी अधिकारी या कर्मचारीके विरुद्ध नहीं होनी.
(2) इस अधिनियम के अधीन सद्भावपूर्वक की गई या की जाने के लिए आशयित किसी बात
से हुए या हो सकने वाले किसी नुकसान के लिए कोई भी बाद या अन्य विधिक कार्यवाही
केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार या उसके किसी अधिकारी या अन्य कर्मचारी के विरुद्ध
नहीं होगी.
(3) इस अधिनियम के अधीन सद्भावपूर्वक की गईं या की जाने के लिए आशयित किसी वात
के लिये कोई भी वाद या अन्य विधिक कार्ययडी जध्याय < में यथानिर्टिष्ट किसी
5/0/%
अनुभाग ।क%क) पंत पम्प पपपन+---न-नननननननननननननननननननसधधपपभक्पक्पननन-+--
(घ) छारा 6 की उपप्रार (9) के अधीन उपखंड स्तर की समिति, फिल्म स्तर की
समिति और राज्य स्तर की मानीटरी समिति की संरचना और उसके कृत्य तथा
उनके द्वाय अपने कृत्यों के निर्वहन में अपनाई जाने वाली प्रक्रिया;
2003 का ॥8 (ड). कोई अन्य विषय, जो विहित किया जाना अपेक्षित है या विहित किया जाए.
(3). इस अधिनियम के अधीन बनाया गया प्रत्येक नियम बनाये जाने के पश्चात् यथाशीए्र,
संसदके प्रत्येक सदन के समक्ष, जब वह सत्र में हो, कुल तीस दिन की अयधि के लिए
स्का जायेगा. यह अवधि एक सत्र में अथवा दो या अधिक आनुक्रमिक सत्रों में पूरी हो
सकेगी यदि उस सत्र के या पूर्वोक्त आनुक्रनिक सर्जरीके ठीक कद के सत्र के अवसान के
पूर्व दोनों सदन उस नियम में कोई परिवर्तन करने के लिए सहमत हो जायें तो वह नियम
ऐसे परिवर्तित रूप में ही प्रभावी होगा, यदि उक्त अबसखान केपूर्व दोनोंसदन सहमत हो
खायें
कि वह नियम नहीं बनाया
जाना चाहिएतो तत्पश्दात्वह नियम, यथास्थिति, केवल
ऐसे उपांतरित रूप में ही प्रभावी होगा या निष्ममाव हो जायेगा; तथापि, ऐसे किसी
परिवर्तन या निष्प्रभाव होने से उस नियम के अधीन पहले की गई किसी बात की
विधिमान्यता पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा.
2॥75
का अआज्िपन्र
5॥८ 0६०९ जी अष्वाद
ह्राए70/ आर)
भाग) खण्ड ।
रिरा ॥-$७68४6क 4
ग्राधिकार से प्रकाशित
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इस भाग में भिन्न पृष्ठ संख्या दी जाती है जिससे कि यह अलग संकलन के रूप में रखा जा सफे।
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बज
(भारत के राजपत्र, असाधारण, भाग 2, खंड 3, उपखंड (॥), तारीख । जनवरी, 2008 में प्रकाशनार्थ)
भारत सरकार
जनजातीय कार्य मंत्रालय
नई दिल्ली, 04.04.2008
अधिसूचना
साका नि... .(अ).-अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता नियम,
2007 का प्रारूप अनुसूचित जनजाति और अन्य परम्परागत वन निवासी (यन अधिकारों की मान्यता) नियम, 2007 का
प्रारूप अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 (2007
का 2] की घारा 4 की उपधारा () की अपेक्षानुसार भारत सरकार कै जनजातीय कार्य मंत्रालय की अधिसूचना सं,
साकानि, 437(अ), तारीख 9 जून, 2007 के अधीन तारीख 49 जून, 2007 के भारत कै राजपत्र, भाग 2,
खंड 3, उपखंड (]) में प्रकाश्ठित किया गया भा, जिसमें ऐसे सभी व्यक्तियों से, जिनके उनसे प्रभावित होने की
संभावना है, उस तारीख से, जिसको उक्त अधिसूचना से युक्त राज़पत्र की प्रतियाँ जनता को उपलब्ध करा दी गई थीं,
पतालीस दिन की अवधि की समाधि से पूर्व आश्षेप और सुझाव मांगे गये थे;
और उक्त राजपत्र की प्रतियां जनताको 25.06 2007 को उपलब्ध करा दी गई थीं,
और उक्त प्रारूप नियमों की बाबत जनता से प्राप्त आक्षेपों और सुझायें पर केन्द्रीय सरकार द्वारा सम्यक् रूप से विधार
कर लिया गया है;
अतः अब, कैन्द्रीय सरकार अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत दन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता)
अधिनियम, 2006 (2007 का 2) की धारा 4 की उपधारा () और उपधार (2) द्वारा प्रदत शक्तियों का प्रयोग करते
हुए, दन में निवास करने वाली अनुसूचित जनजातियों और ऐसे वर्नों में निदास करने वाले अन्य परंपरागत यन निकसियों के
यन अधिकारों और वन भूमि पर अधिभोग को मान्यता देने और उनमें निहित करने कै लिए निम्नलिखित नियम बनाती है,
अर्थात् :-
+. संक्षिप्त माम, विस्तार और प्रारम्भ -
(+) इस नियमों का संक्षिप्त नाम अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वन नियासी (यन अधिकारों की
मान्यता) नियम, 2008 है।
सूचीबद्ध अधिकारों की मान्यता और उनके निहित होने के लिए दावा करता हैं;
34.
(घ) अधिनियम की घारा 3 की उपधारा (4) के खंड (ग) के अधीन “'बैण वन उपज के निपटान'' के अंतति
उपज को इकट्ठा करने वाले या समुदाय द्वात जीविका के लिए ऐसी उपज के उपयोग
४24:
के लिए स्थानीय स्तर पर प्रसंस्करण, मूल्य वर्द्धन, दन क्षेत्र में सिर पर रखकर, साईकिल द्वार या
ठेल्ढों के द्वारा परिवहन या विक्रय भी है;
(3) “वन अधिकार समिति से नियम 3 के अधीन ग्राम सभा द्वारा गठित समिति अभिप्रेत है;
(च) “धारा' से अधिनियम की धारा अभ्क्ित है।
। (2) उन शब्दों और पदों का, जो इन नियमों में प्रयुक्त हैं और पारिभाषित नहीं हैं किन्तु अधिनियम में परिभाषित हैं,
| यही अर्थ होगा जो अधिनियम में है।
। 3. ग्रामसभा-
(॥) ग्राम एंचायत द्वारा ग्राम सभाओं का संयोजन किया जाया और उसके पहले अधिवेशन में वह अपने सदस्यों मैं
से कम से कम दस किन्तु पंद्रह से अनधिक व्यक्तियों कौ दन अधिकार समिति के सदस्यों के रूप में
निर्वाचित करेगी जिसमें कम से कम एक तिहाई सदस्य अनुसूचित जनजातियों के होंगे :
परंतुऐसे सदस्यों में से कम से कम एक तिहाई सदस्य महिलाएँ होंगी :
वरंतु ऐसे यह और कि जहों कोई अनुसुचित जनजाति नहीं है वह ऐसे सदस्यों में से कम से कम एक हिाई.
सदस्य महिलाएँ होंगी। :
(2) वन अधियार समिति अध्यक्ष और सचिव का विनिश्चय करेगी और उसकी सूचना उफखंड स्तर की समिति
को देगी।
(3) जब वन अधिकार समिति का कोई सदस्य व्यष्टिक वन अधिकार का दावेदार भी है तब वह उसकी सूचना
समिति को देगा और जब उसके दाये पर विचार किया जायेगा तब 46 सत्यापन कार्यवाहियों में भाग नहीं लेगा।
4, ग्राम सभा के कृत्य-
(॥) ग्रामसभा-
(क) वन अधिकारों की प्रकृति और सीमा का अवधारण करने के लिए कार्यवाही आरंभ करेगी और उससे
संबंधित दावों की सुनवाई करेगी;
(ख) वन अधिकारों के दावेदारों की सूची तैयार करेगी और दावेदारों और उनके दायों के ऐसे ब्यौरों का एक
रजिस्टर रक्षेगी जे केन्द्रीय सरकार आदेश द्वारा अवधारित करे;
(7) वन अधिकारों के संबंध में दावों पर संकल्प, हितबद्ध व्यक्तियों और संबंधित प्राधिकारियों को
सुनवाई का युक्तियुकत अवसर दैने के पश्चात्, पारित करेगी और उन्हें उपखंड स्तर की समिति को
भेज देगी;
(घ) अधिनियम की धाच्र 4 की उपधारा (2) के खंड (ड) के अधीन पुनर्थ्यस्थापन पैकेंज़ं पर विचार
करेगी;और
(5) अधिनियम की धाच 5 के उपकंधों को कार्यानवित करने के लिए वन्यज़ीव, यन और जैव विविधता के
संरक्षण के लिए अपने सदस्यों में से समितियों का गठन करेगी।
(2) श्रम सभा के अधिवैशन में गणपूर्ति ऐसी ग्रम सभा के सभी सदस्यों के दो तिहाई से अन्यून सदस्यों द्वारा होगीः
परंतु जहाँ किसी गाँव में अनुसूचित जनजातियों और गैर अनुसूचित जनजातियों की विषम जनसंख्या है वहाँ
अनुसूचित जनजाति, आदिम जनजातीय समूहों और कृषि पूर्व समुदायों के सदस्यों का पर्याप्त रूप से
दियाित्व
प्रधिनिष जायेगा।
(3) गम सभा को राज्य के प्राधिकारियों द्वारा आवश्यक सहायता उपलग्प कराई जायेगी।
5... उपखं ड -
स्तर की समिति
राज्य सरकार निम्नलिखित सदस्यों के साथ उपखंड स्तर की समिति का मठन करेगी, अर्थात् :-
2 ड9:3
(क) उपसंड अधिकारी वा समतल्य अधिकारी - फ्ष्यक
ख्) उपखंड का भार कंधक वन अधिकारी या सफनुल्य अधिकारी - सदस्य
[ग) इलॉफ या तहसील स्तर की पंकातों के तीन सदस्य जिन्हें जिला पंचायत द्वारा माम निर्देशित किया
जायेगा जिनमें से कम सै कम दो अनुसूधित जनजातियों के होंगेजो अधिमानतः ऐसे सदस्य
होंगे जो वन
निवासी हैं या जो आदिय जनजातीय समूह के हैं और जहाँ कोई अनुसूचित जनजातियाँ नहीं हैं
कहाँ ऐसे
दी सदस्य जो अधियानत: अन्य परयशगतवन निकासी हैंऔर एक महिला सदः्य होगी; था संविधान
की
छठी अनुत्तूदी के अंतर्गत आने वाले बौबों में तीन सदस्त त्वगासी फिल्म परिषदया. प्रदिभिक परिषद
या
अन्य समुचित जौनल स्तर की परिषद दवात ना निर्देशित किये जायेगे जिकमें से
कम से कथ एक महिला
सदस्य हो; और
व) संबद
गम साथओं
्धके सभी संकल्
को पों
एक साथ पिल्लोगी,
(घ) गन सभाओं दा उपलब्ध कराये गये मानचित्रों और ब्यौरों को स्ेक्रित करेंगी;
() दावों की सभ्माई को सुनिश्चित करे के लिएगान सभाओं के संकल्प और पानपियोकें परीक्षा करंगी;
[ध) किन्हीं वन अधिकारों की प्रकृतिऔर सीमा के संबंषर मे ब्रम तफाओं के बीच विकादों की सुनवाई की
और उनका ध्यायनिर्णवत कपैगी;
| ग्राम सभाओं के संकल्पों से व्यवित व्यक्तियों, जिनके अंतर्गत जय अभिकरण
भी है, अर्जियों की
चुनदाई करेगी;
(ज) अतः उपर दागों के लिए उपजंड स्तर की सदियों के साधसमन्वय करी;
भ) सरकारी अभिलेखों में लामंजस्य करने के पश्चा प्रस्ततेत्त वन अधिकार के ध्हेंक या तहसील कार
प्रारूप ऋगिलेख तैगड करेगी;
४४6:
7५ जिला स्तर की समिति - राज्य सरकार निम्नलिखित सदस्यों के साथ जिला स्तर की सभिति का गठन करेगी,
अर्थात्:-
(ग) जिला स्तर की पंचायत के तीन सदस्य किन्हें जिला पंचायत द्वारा नाम निर्देशित किया जायेगा जिनमें से
कम से कप दो अनुसूचित जनजातियों के होंगे जो अधिमानतः ऐसे सदस्य होंगे जो वन निवासी
हैं या जो
आदिम जनजातीय समूहों कै हैं और जहाँ कोई अनुसूचित जनजातियों नहीं हैं यहाँ ऐसे दो सदस्य जो
अधिमानतः अन्य परंपचगत दन निवात्ती हैं और एक महिला सदस्य होगी; या संविधान की छठी
अनुसूची के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में तीन सदस्य स्वशासी जिला परिषद्या प्रादेशिक परिद् या
समुचित जोनल स्तर की परिषद् द्वारा नाम निर्देशित किये जायेंगे जिनमें से कम से कम एक महिला
सदस्य होगी; और
(घ) जनजातीय कल्याण विभाग का डिले का भारसाधक अधिकारी या जहाँ ऐसा अधिकारी उपलब्ध नहीं हैं
वहाँ जनजातीय कार्य का भारसाधक अधिकारी -
(ग) उपखंड स्तर की समिति द्वाय तैयार किये गये यन अधिकारों के दादों और अभिलेख फर विचार करेगी
और अंतिम रूप से उनका अनुमोदन करेषी;
(घ) उपखंड स्तर की समिति के आदेशों से व्यथित व्यक्तियोंसे अर्जियोंकी सुनवाई करेगी;
(७) अंतः जिल्य दावों के संबंधमें अन्य जिलों
के साथ समन्वय करेची;
(च) सुसंगत सरकारी अभिलेखों, जिनके ऊंतर्भत अधिकारों का अभिलेख भी है, में वन अधिकारों के
समावेशन के लिए निदेश जारी करेगी;
(8) जैसे ही अभिलेख कौ अंतिम रूप दे दिया जायेण वन अधिकारों के अभिलेख का प्रकाशन सुनिश्चित
करैची और
(ज) यह सुनिश्चित करेगी कि अधिनियम के अधीन और इन नियमों के उपाबंध 2 और 3में यथाविनिर्दिष्ट
बन अधिकारों और हक के अभिलेख की अधिष्रमानित
प्रति संबद्ध दावेदार और संबंधित क्रम सभा को दे
दी गई है।
राज्य स्तर की निगरानी समिति - राज्य सरकार निम्नलिस्प्रित सदस्यों के साथ राज्य स्तर की निगरानी
समिति का गठन करेगी, अर्थात् :-
है 227 8
(ड) सचिव, पंचायती राज - सदस्य;
(च) प्रधान मुख्य वन संरक्षक - सदस्य;
(2) जनजातीय सलाहकार परिषद् के तीन अनुसूचित जनजातीय सदस्य जिन्हें जनजातीय सलाहकार
परिषद्के अध्यक्ष द्वारा नाम निर्देशित किये जाने याले तीन अनुसूचित जनजातीय सदस्य;
(ज) आयुक्त, जनजातीय कल्याण या समतुल्य जो सदस्य-सचिव होगा।
40. राज्यस्तर की निगरानी
समिति के कृत्य - राज्य स्तर वी निगरानी समिति
(०) दन् अधिकारों की मान्यता और उनके निहित होने की प्रक्रिया की निय्तनी के लिए मानदंड और संकेतक
त्य करेगी;
(रख) राज्य में वन अधिकारोंकी मान्यता, सत्यापन और उनके निडित होने की प्रक्रियाकी निगरानी करेगी;
(ग) यन अधिकारों की मान्यता, सत्यापन और उनके निहित होने की प्रक्रिया के संबंध में छह मासिक रिपौर्ट
प्रस्तुत करेगी और नोडल अभिकरण को ऐसी विवरणियाँ और रिपोर्टे प्रस्तुत करेगी जिनकी नोडल
अभिकरण द्वारा मांग की जाये;
(घ) अधिनियम की घारा 8 में यथा वर्णित सूचना की प्राप्ति पर अधिनियम के अधीम संबद्ध प्राधिकारियों के
विरुद्ध समुचित कार्रवाई करेगी; *
(ड) अधिनियम की धारा 4 की उपधारा (2) के अधीन पुनस्थपन की निफ्रानी करेगी।
4. ग्राम सभा द्वारा दावे फाइल करने, उनका अवधारण और सत्यापन करने की प्रक्रिया -
(॥)
(क) दाफ़ें के लिए मांग करेगी और नियमों के उपाबंध । में यथा उप्बंधित प्रालूप में, दाये स्वीकार
करने के लिए वनाधिकार समिति को प्राधिकृत कर सकेगी और ऐसे दावे, दावों की ऐसी माँग की
तारीख से तीन मास की अवधि के भीतर, नियम १3 में उल्लिखित कम से कम दो साक्ष्यों के
साथ किये जायेंगे:
परंतु ग्राम सभा, यदि आवश्यक समझे, तीन मास की उस अवधि को उसके लिए कारण लेखबद्ध करने
के पत्त्वातू, विस्तारित कर सकेगी।
(ख) अपने रमुदायिक वन संसाधन के अवधारण की प्रक्रिया आरंभ करने के लिए कोई तारीख नियम
करेगी और जहाँ सारवान अति व्यापति हो, वहाँ उससे लगी हुईं समीपस्थ ग्राम सभाओं कौ और
उपखंड स्तर समिति को सूचित करेगी।
(2) वनाधिकार समिति, ग्राम सभा ओ उसके निम्नलिखित कृत्यों को करने में सहायता देगी -
()).. विनिर्दिष्ट प्रारूप में दावे और ऐसे दावों के समर्थन में साक्ष्य प्रात करना, उनकी अभिस्वीकृति
देना और उन्हें रखना;
(॥) दावों और साक्ष्य का, मानचित्र सहित, अभिलेख तैयार करना;
(॥#) बनाधिकारों के संबंध में दावेदारों की सूची तैयार करना;
(।४) इन नियमों में उपबंधित किये गये अनुसार दावों का सत्यापन करना;
(५) दावे के स्वरूप और विस्तार के संदंध में अपने गिष्कर्षो को गरम सभा के समक्ष, उसके विचार के
लिए प्रस्तुत करेगी।
(3) प्राप्त किये गये प्रत्येक दावे की वनाधिकारी समिति द्वारा लिखित में सम्यक् रूप से अभिस्वीकृतिकी
जायेगी।
४ 28:4५
(७) बनाधिकारी समिति, इन नियमों के उपाबंध । में यथा उपबंधित प्रारूप ख में सामुदायिक वच्शिकारों के
लिए ग्राम सभा की ओर से दावे भी तैयार करेगी।
(5) जाम सभा, उपनियम (2) के खंड (५) के अधीन निष्कर्षों की प्राप्ति पर वनाधिकार समिति के निष्कर्षो
पर विचार करने के लिए, पूर्व सूचना पर बैठक करेगी, समुचित संकल्प पारित करेग और उसे उप खंड
स्तर समिति को भेजेगी।
(6) ग्राम पंचायत का सचिव, अपने कृत्यों के निर्वहन में ग्राम सभाओं के सचिय के रूप में भी कार्य करेगा।
2. वनाधिकारी समिति द्वारा दावों का सत्यापन करने की प्रक्रिया -
(१). यनाधिकारी समिति, संबंधित दावेदार और वन विभाग को सम्यक् सूचना देने के पश्चात् --
(क) स्थल का दौरा करेगी और स्थल पर दापवे के स्वरूप और विस्तार तथा साक्ष्य का य्यक्तिगत
रूप से सत्यापन करेगी;
(ख) दावेदार और साक्षियों से कोई अतिरिक्त साक्ष्य स्रा अभिलेख प्राप्त करेगी;
(ग). यह सुनिश्चित करेगी कि चारागाही और यायावरी जनजातियों के उन दाकों को, जो व्यष्टिक
सदस्यों, समुदाय या परंपरागत सामुदायिक संस्था के माध्यम से प्रान्न हुए हों, उनके अधिकारों
के अवधारण के लिए, ऐसे समय पर सत्यापित किया जाता है, जब ऐसे व्यष्टि या समुदाय या
उनके प्रतिनिधि उपस्थित हों;
(६) यह सुनिश्चित करेगी कि प्राचीन जनजाति समूह या पूर्व कृषि समुदाय के सदस्य के दावे को, जो
उनके समुदाय या परंपरागत सामुदायिक संस्था के माध्यम से प्राप्त हुए हों, आवास के उनके
अधिकारों के अवधारण के लिए उस समय सत्यापित किया जाता है, जब ऐसे रूमुदाय या उनके
प्रतिनिधि उपस्थित हों; और .
(ड) मान्यता दिये जाने योग्य सीमाचिन्होंको उपदर्शित करते हुएप्रत्येक दावे के क्षेत्र को अंकित करने
दात्य मानचित्र लैयार करेगी।
(2) तत्पश्चातू वनाधिकारी समिति दावे के संबंध में अपने निष्कर्षों को अभिलिखित करेगी और उन्हें ग्राम
सभा को उसके विचार के लिए प्रस्तुत करेगी।
(3) यदि किसीदूसरे ग्राम की परंपरागतया रूढ़िगत सीमाओं के संबंधमें विरोधी दावे हैंया यदि किसी
वन क्षेत्र
का एक से उपयोग अधिक ग्राम समओं द्वात किया जाता है ते संबंधित क्रम सभाओं की वनाधिकारी
समितियाँ ऐसे दायों के उपभोग के स्वरूप का विचार करने के लिए संयुक्त रूप से बैठक करेगी और
संबंधित ग्राम सभाओं को लिखित में निष्कर्ष प्रस्तुत करेगी ;
परंतु यदि ग्राम सभाएँ विरोधी दावों का समाधान करने में समर्ध नहीं हैं तो उसे ग्राम सभा द्वारा उपखंड
स्तर समिति को उसका समाधान करने कै लिए निर्दिष्ट
किया जायेगा।
(4) सूच्छा, अभिलेखों या दस्तावेजों के लिए ग्राम सभा या वनाधिकार समिति के अनुरोध पर, संबंधित
प्राधिकारी, यथास्थिति, ग्राम सदा या क्माप्रिकार समिति को उसकी अधिप्रमाणित प्रति उपलब्ध
करायेंगे और यदि अपेक्षित हो, किसी प्राधिकृत अधिकारी के माध्यम से अपना स्पष्टीकरण सुकर
करायेंगे।
43, यनाधघिकारों के अवधारण के लिए साक्ष्य - वनाधिकारों को मान्यता देने और निहित करने के लिए साक्ष्य में,
उअन््य बातोंके साथ निम्नलिख्धित सम्मिलित होगा :-
([क) गजेटियर, जनगणना, सर्वेक्षण और बंदोबस्त रिपोर्ट, मानचित्र, उपवहीय चित्र, कार्य योजनाएँ, प्रयंध
योजनाएँ, लघु योजनाएँ, दन जाँच रिपोर्ट, अन्य दन अभिलेख अधिकारों के अभिलेख, पट्टा या लीज,
४29 ::
चाहे कोई भी नाम हो, सरकार द्वारा गठित समितियों और आयोर्गों की रिपोर्टो, सरकारी आदेश,
अधिसूचनाएँ, परियत्र, संकल्प जैसे ल्ऐेक दस्तायेज, सरकारी अभिलेख;
(ख) मतदाता पहचानपत्र, राशनकार्ड, पासपोर्ट, गृहकर रसीदें, मूल निवास प्रमाणपत्र जैसे सरकारी प्राधिकृत
दस्तावेज,
(ग) गृह, झोपड़ी और भूमि में किये गये स्थायी सुधारों जैसे वास्तविक कार्य, जिसके अंतर्गत समतल करूनत्र,
बंध, चैकबांघ बनाना और इसी प्रकार
के कार्य हैं;
(घ) अर्डन््याप्िक और न्यायिक अभिलेख जिसके अंतर्गत न्यायालय आदेश और निर्णयभी हैं;
(ड) उन रूढ़ियों और परंपराओं का अनुसंधान अध्ययन, दस्तावेजीकरण, जो किन्हीं बनाधिकारों के उपभोग
को स्पष्ट करते हैं और जिनमें भारतीय मानव विज्ञान सर्वेक्षण जैसी ख्यातिप्रा्त संस्थाओं द्वारा रूदिजन्य
विधि का बल है;
(थ) तत्कालीन रजवाड़ों या प्रांतों पा ऐसे अन्य मध्यवर्तियों से प्राप्त कोई अभिलेख, जिसके अंतर्गत मानधित्र
अधिकारों
का अभिलेख, विशेषाधिकार, रियायतें, समर्धन भी है
(8) कुएं, कब्रिस्तान, पवित्र स्थल जैसी पुरातंताको स्थापित करने वाली परंपरागत संरचनाएँ;
(ज) पूर्व भूमि अभिलेखोंमेंउल्लिखितया पुराने समय मेँ गाँव के वैध निवासीके रूप में मान्यता प्राप्त व्यष्टियों
के पुरखों का पता लगाने वाली वैशावली;
(झ) लेखबद्ध किये गये, दावेदार से भिन्न बुजु्खे का कथन।
(2) सामुदायिक वनाधिकातेंके साक्ष्यमें, अन्य बातोंके साध, निम्नलिखित सम्मिलित होंगे :-
(क) निस्तार जैसे सामुदायिक अधिकार, चाहे किसी
भी नाम से जाने जाते हों;
(उ) फरंपयगत चारागाह; जड़ें और कंद, चारा, वन्य खाद्य फल और अन्य लघु वन उत्पाद जमा करने
के क्षेत्र;
मछली पकड़ने के स्थान, सिंचाई प्रणालियाँ; मानव या पशु धन के उपयोग के लिए जल के स्रोत,
औषधीय पौधों का संग्रह, जड़ी-बूटी औषधि व्यवसाधियों के क्षेत्र;
(ग) स्थानीय समुदायों द्वारा बनाई गई संरचनाओं के अवशेष, पवित्र वृक्ष, गुफलँ और तालाब या नदी क्षेत्र,
कब्रिस्तान
या श्मशानयृह
(3) ग्राम सभा, उपखंड स्तर समिति और जिला समिति, वनाधिकारों का अवधारण करने में ऊपर
उल्लिखित
एक से अधिक साक्ष्यों पर विधार करेंगी।
4, उपखंड स्तर समिति को याचिकाएँ -
(3) जम सभा के संकल्प से व्यधित कोई व्यक्ति, संकल्प की तारीख से साठ दिन की अयधि के भीतर,
उपखंड स्तर समितिको याचिका फाइल कर सकेगा।
(2) उपखंड स्तर समिति, सुनवाई की तारीख नियत करेगी और याची और संबंधित ग्राम सभा को उसकी
लिखित में सूचना देने के साथ ही, सुनवाई के लिए नियत रारीख से कम से कम पंद्रह दिन पूर्य याची के
ग्राम में किसी सुविधाजनक सार्वजनिक स्थान पर, सूचना लगाकर भी सूचित करेगी।
(3) उपखंड स्तर समिति या तो याचिका को मंजूर या नामंजूर करेगी या उसे संबंधित ग्राम सभा को उसके
विचार के लिए निर्दिष्ट करेगी।
(4) ऐसे निर्देश की प्राप्ति के पश्चात्, ग्राम सभा तीस दिन की अवधि के भीतर बैठक करेगी, याची को सुनेगी,
उस निर्देश
पर कोई संकल्प पारित करेगी और उसे उपखंड स्तर समिति को भेजेगी।
(5) उपरडंड स्तर सनिति ग्राम सभा के संकल्प पर विचार करेगी और याचिका को या तो स्वीकार या
अस्वीकार करके समुचित आदेश पारित करेगी।
&स0५
(6) लंबित याचिकाओं एर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, उपखंड स्तर समिति, अन्य दादेदारों के वनाधिकारों
के अभिलेखों की परीक्षा करेगी और उन्हें एकब्रित करेगी तथा संबंधित उपखंड अधिकारी के माध्यम से
उन्हें जिला स्तर समिति को प्रस्तुत करेगी।
(7) दो या अधिक ग्राम सभाओंके बीच विवाद की दशा में और किसी ग्राम सभा द्वारा किये गये किसी आवेदन
पर या उपखंड स्तर समिति द्वारा स्वगररणा से विवाद का समाधान करने की दृष्टि से सैंकंघित ग्राम
सभाओं की संघुकत बैठक बुलायेगी और यदि तीस दिन की अवधि के भीतर किसी परस्पर रूप से
सहमत किया गया कोई समाधान नहीं हो सकता है तो उपखंड स्तर समिति संबंधित ग्राम सभाओं की
सुनवाई करने के पश्चात् बियाद का दिनिश्वय करेगी और समुचित आदेश पारित करेगी।
जिला स्तर समिति को याचिकाएँ -
() उस्खंड स्तर समिति के दिनिश्वय से व्यधित कोई व्यक्ति, उपखंड स्तर समिति के विनिश्चय की
तारीखसे साठ दिन की अदधि के भीतर, जिला स्तर समिति को
याचिका फाइल कर सकेगा।
(2) जिला स्तर समिति, सुनवाई की तारीख नियत करेगी और याची तथा संबंधित उपखंड स्तर समिति को
उसकी लिखित में सूचना देने के साथ ही सुनवाई के लिए नियत तारीख से कम से कम पंद्रह दिन पूर्व
याची के ग्राम में किसी सुविधाजनक सार्वजनिक स्थान पर, सूचना लगाकर भी सूचित करेगी।
(3) जिला स्तर समिति या तो याषिका को मंजूरया नामंजूर करेगी या उसे संबंधित उपखंड स्तर समितिको
उसके विचार के लिए निर्दिष्ट करेी।
(4) ऐसे निर्देश की प्राप्ति के पश्चात् उपखंड स्तर समिति तीस दिन की अवधि के भीतर बैठक करेगी, याची
और ग्राम सभा को सुनेगी, उस निर्देश का विनिश्वय करेगी और उसकी सूचना जिल्म स्तर समिति फो
देगी।
(5) तत्पश्चात् जिल्म स्तर समिति याचिका पर विचार करेगी और याचिका को या तो स्वीकार या अस्वीकार
करके समुधित आदेश फारित करेगी।
(6) जिला स्तर समिति दावेदार या दावेदारों के वनाधिकारों के अभिलेखों को, सरकार के अभिलेखों में
आवश्यक संशोधन करने के लिए ज़िला कलक्टर या जिला आयुक्तको भेजेगी।
(7) दो या अधिक उपखंड स्तर समितियों के आदेशों के बीच किसी फर्क की दशा में, जिला स्तर समिति
स्वः
प्रैरणा से, मतभेदोंका समाधान करने की दृष्टि से संबंधित उपखंड स्तर समितियों की संयुक्त बैठक
बुलायेगी और यदि किसी परस्पर रूप से सहमत किया गया कोई सम्त्रधान नहीं हो सकता है तो जिला
स्तर समिति संबंधित उपखंड स्तर समितियों की सुनवाई करने के पश्चात् विवाद को अधिनिर्णित करेगी
और समुचित आदेश पारित करेगी।
५ 35:
भारत सरकार जनजातीय कार्य मंत्रालय
प्रारूप क॒
वन भूमि के अधिकारों के लिए दावा प्रारूप
अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत क्य मिवासी (वन अधिकारों की माव्यज्ञा) नियम 2008
का नियम [7॥] (क) देखें
खाग्रेदार (रो) का/के नाप
- मी,
यो.
पति/फनी का नाम
पिता/गात का नाप
हि.
जल:
पम :
छत...
ग्राम पंचायत:
बी
रहसीत/तालुका।
नय(
जिला:
हुए...
# 875
अधिनियम की धारा 4 (8) देखें)...
क्
6... इन ग्रा्मों में भूमि काविस्तार, यदि कोई हो :
अधिनियम
की धारा 3 (।) (ज) देखें)
7... अन्य कोई पारंपरिक अधिकार, यदि कोई हो :
(अधिनियम
की धारा 3 () (झ) देखें)
8... सर्मर्थन
में साक्ष्य :
(नियम 43 देखें)
47८ 44
प्ररूपख
सामुदायिक
अधिकारों के लिए दावा प्रारूप
अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वन नियासी (वन अधिकारों की मान्यता) नियम 2008
का नियम 4 () (क) और 7 (4) देखें
!. दावेदार
(रॉ) का/ के नाम
(क) एफ-डी एस टी. समुदाय : हों/ नहीं
(ख) ओ.टी.एफ डी. समुदाय: हाँ/ नहीं
2. ग्राम:
3. ग्राम पंचायत :
4, तहसील/तालुका:
5, जिला;
प्रयोग किए गए सामुदायिक अधिकारों का स्वरूप :-
].. सामुदायिक अधिकार जैसे निस्तार, यदि कोई हो :
(अधिनियम की धारा 3 () (ख) देखें)
2... गौणवन उत्पादों पर अधिकार, यदि कोई हो :
(अधिनियम की धारा 3 () (ग) देखें)
3... सामुदायिक अधिकार
(क) उपयोग या पात्रता (मछली, जलाशय), यदि कोई हों :
(छ) दरले हेतु, यदि कोई हों :
(ग).. पारंपरिक संसाधनों तक यायावरों और पथुपालकों की पहुँच,
यदि कोई हों,
(अधिनियम
की घारा 3 () (छ) देखें)
4... पीटी,जी, व कृषि पूर्व समुदायों के लिए प्राकृतिक वास और पूर्दवास की सामुदायिक अवधियाँ, यदि कोई हो :
(अधिनियम
की धारा 3 () (ड) देखें)
5... जैव विविधता तक वीद्धिक संपदा और पारंपरिक ज्ञान तक पहुँच का अधिकार, यदि कोई हो :
(अधिनियम
की घारा 3 (4) (ट) देखें)
6, अन्य पारंपरिक अधिकार, यदि कोई हो :
(अधिनियम की धारा 3 (4) (5) देखें)
7 स्मर्थनमें सक्ष्य :
(नियम
१3 देखें)
8. अन्य
कोई सूचना :
पर: 5६
उपाबंध-2
भारत सरकार, जनजाति कार्य मंत्रालय
अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वन निवासी (यन अधिकारों की मान्यता) नियम 2008
का नियम 8 (ज) देखें)
ग्राम पंचायत :
तहसील/ तालुका :
जिला:
अनुसूचित ज़नजाति/ अन्य परंपरागत वन निवासी :
क्षेफल।
।3. खसरा/ कंपार्टपेंट सं, सहित प्रमुख सीमाचिट्ड द्वारा सीमाओं का विवरण
४६ हक दाय योग्य है किन्तु अधिनियम की धांय 4 की उपधारा (4) के अधीन अन्यसंक्राम्य या अंतरणीय नहीं है :-
+, अष्हस्ताक्षरी (राज्य का नाम) सरकार के लिए और उसकी ओर से उपतेक्त वन अधिकारों की पुष्टि
स्ने के लिए हस्ताक्षर
करते हैं।
४35:5
उपायंध-3
भारत सरकार, जनजाति कार्य मंत्रालय
अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत यन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) नियम 2008
का नियम 8 (ज) देखें)
(सामुदायिक वन अधिकारों के लिए हक)
ग्राम पचायत !
९०
तहसील/तालुका मै
#+
जिला :
थी
शर्तें यदि कई हो
6
मे अयाइस 0002 5 >् (राज्य का नाम) सरकार के लिए और उसी और से, सामुदईबिकवन अधिकारोंके
उपरोक्त उलिखित धारकों के हक में यथा उत्तिखित वन अधिकार की पुष्टि करने के लिए हस्ताक्षर करते हैं। ! ध
987, 0२००2
05: 4५०० 48. -+ ५४//छम६55 (४6 0/भी $0080060 77085 आ१0
(0087 773360739 7085 0४/0॥05 [760०थ्रा700 ० £#0765 99॥४ (882057706॥
+0865॥ #िता।5), 808$, 2008 ४४९४७ 00५80, 85 70थ७/89 0/ 5७0-86८४07 (] 6
32८00०ा 44 ० ४6 52080000 0065 9१0 (00३ ॥780#00703 +07898 0५४880७5
(१8९००४ा॥ंणा +0ा6ड जिंए5) 50, 2006 [2 0 2007) ७॥७७/ ४१6 70079 0५१8
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7७0४८ ०70 25.06.2007;
8४० ५४४६३१६०४5७ ॥06 00|०८॥४0705$ 970 $७०५७६७॥॥/0/5 7808॥४80 7070 ४१७ 700॥6
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80ए0त्राक्रा ;
४0५७४, 74६586870085, ॥0 6१७#(४5३ 0 ॥08 909785 6०९780 0.7 $५0-59०४०075
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60एशात्राओ ॥980)/ ग्रा३८65 (08 [0॥00/मञाधु 7085 (ज 70007) ॥»0 ४९७७॥४५ ४१७
0/8$ 7 0977 800 000079#07 9 0788 900 ॥ 0885 0५७/९॥४५७ 520900060 ॥6065
0 006 ॥8/॥00703//0785 0:720875 /88070 06 5000 078865, 08008|५ :-
॥.... ञञाणा प्र, 80800 8000 000॥7#00987१87! - [] 7258 /0085 09/ 08 ८9॥60 08
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झारखण्ड मंत्रालय
कल्याण विभाग।
संकल्प
जनजातीय कार्यगंशलय भारत सरकार द्वार अधिसूचित अनुसूचित जनजाति और अन्य परमपराथल बन निवासी (कम अधिकारों
की मान्यता)
अधिसूचना 2006 के पारा 4 के उपघारा-7 एवं नियमादली 2008 के नियम 9 के अधीन राज्य स्तरीय निगरानी सविति
का गठन किया जाता है, जिसमें
निम्नलिखित सदस्य होंगे :-
राज्य स्तरीय निगरानी समिति उल्लिखित अधिनियर्मो एवं नियमादसी के कार्यान्वयन के लिए जिम्नॉकित कृत्य करेंचे ;-
(क) वन अधिकहों की माल्यता और उनके निहित होने की प्रक्रिया की निगरानी के लिए मानदण्ड और संकेरुक ठय करेगी |
(ख) राज्य मैं दन अधिकारों की मान्यता सत्यापन और उनके निहित होने की प्रक्रिया की निशानी |
(१) बन अधिकाकीरों
मान्यता, सत्यापन और उनके निहित होने की प्रक्रिया के सम्डन्ध में छः मासिक रिफेंट प्रस्तुत करेगी और नोडल अभिकरण को ऐसी
विवरणियाँऔर रिपोर्ट प्रस्तुत करेणी जिनकी नोडल अभिक द्वारा मॉन
रण की जाए।
(ध) अधिसूचना की धारा 8 में यथा वर्णित सूचना वी प्राप्ति पर अधिनियन के अधीन संबद्ध प्राधिककीयों के विरुद्ध समुचित कार्रवाई करेगी ।
(3). अध्पिनियम की घारा 4 की उपचारा (2) के अधीन पुनर्स्थापन की निगरानी करेगी
८ एकल ््िं
2
(व् )
सरकार के प्रधान रुचिव।
0404
(यू. के, संगमा)
सरकार के प्रधान सचिव ।
2:52:
झारखण्ड सरकार
कल्याण विभाग।
संचिका सं.-3, विविध-63/2007 (खण्ड )-49॥ दिनांक-8-06-08
अधिसूचना
विषय : केन्द्र सरकार द्वारा अनुसूचित जनजाति और परम्परागत यन निवासी (यन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम 2006 का अनुसूचित जनजाति
और परम्परागत दन नियास्री वन अधिकारों की मान्यता नियम 2007 जिसे दिनांक 0,04.03 को भारत सरकार के गजट में प्रकाशित किया
गया है, के आलोक में अनुमण्डल स्तरीय एवं जिला स्तरीय समितियोंका गठन।
केन्द्र सरकार द्वारा अनुसूचित जनजाति और परम्पतगत वन निदासी (यन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम 2006 का अनुखुचित जनजाति और परप्परागत दन
नियासी (वन अधिकारों की मान्य) नियम 2007 जिसे दिनांक 0.0.08 को भारत सरकार के गजट में प्रकाशित किया गया है, के आलोक में निम्न प्रकार से
अनुमण्डल स्तरीय वन अधिकःर समिति, एवं जिला स्तरीय बन अधिकार समिति का गठन किया जाता है :-
!. अनुगण्डल
स्तर की वन अधिकार समिति :- राज्य सरकार निम्नलिखित सदस्यों के साथ अनुमण्डल स्तर
की समिति का गठन करती है-
(क) अनुगण्डल अधिकारी या समतुल्य अधिकरी > अध्यक्ष
(ण) उलुमण्डल का भार साधक, वन अधिकारी
या समठुल्य अधिकारी - सदस्य
(/) ब्लॉक या ठहसील स्तर की पंचायतों के तीन सदस्य जिन्हें जिला पंचाल; द्वारा नाम निर्देशित किया जाएगा डिनमें कम से कम दो अनुसूचित
जनआतियों के होंगे, जो अग्रिमानतः ऐसे सदस्य होंगे जो वन निवासी है या ज़ो आदिम जनजातीय समूह के हैं और ऊहों कोई अनुसूचित
जनजातियों नहीं है वहाँ ऐसे दो सदस्य जो अधिमानतः अन्य परम्परागत वन निवासी है, और एक महिला सदस्य होनी, या संविधान की छठी
अनुसूची के अन्तर्गत आने वाले क्षेत्रों में तीन सदस्य स्वशासी ज़िला परिषद या प्रादेशिक परिषद या अन्य समूचित जोगल स्तर की परिषद द्वारा
नाम निदेशित किए जाएँगे जिनमें से कम से कम एक महिला सदस्य होगी और (इनका मनोनयन संबिधित उपायुक्त द्वार किया जयेगा )
(४) अनुसूची जाति एवं अनुसूचित जनजाति कल्याण विभाग का अनुमंडल कल्याण पदाधिकारी या भार साधक अधिकारी |
2... अनुमंडल स्तर की वन अधिकार समिति के कृर्य :- अनुमंडल स्तर की समिति :«
(क) प्रत्येक ग्राम समा कौ नाजुक पेड़-पौधे और जीव-उन्तुके संदर्भ में, जिन्हें सुक्षित और संरक्षित रखे जाने की आवश्यकता है, यन जीव, वन
और जैव विविधता के संरक्षण के संबंध में उनके कर्तप्यों और 'बन अधिकारों” के धारक के कर्तव्यों तथा अन्य के कर्तव्यों के ढरे मे जानकारी
उपलब्ध कराएगी। ;
(ख) ग़ाम सभा और वन अधिकार समिति को वन और राजस्य मानचित्रऔर मतदाता सूची उपलब्ध कराएगी
(१) संबद्ध ग्राम सभाओं के सभी संकल्पों क्रो एक साथ गिलाएगी,
(घ) ग्रामा सभाओं द्वारा उपलब्ध कराए गए मानचित्रों और ब्यौरोंको समेकित करेगी ।
(5) दायों की सगाई को सुनिश्चित करने के लिए ग्राम सभाओं के संकल्पोंऔर मानविजें की फ्रैकय करेगी,
(च) किन्हीं वन अधिकारों की प्रकृति और सीमा के संबंध में ग्राम सभाओं के बीच विदादों की सुनवाई करेची और उनका न्यायनिर्णयन करेगी ।
(9) ग्राम सभाओं के संकल्प से व्य्षित व्यक्तियों, जिनके अन्तर्गतराज्य अभिकरण भी है अर्जियों की सुनवाई करेगी।
(ज) अतः: अनुमंडल दायों के लिए अनुगंडल स्तर की समितियों के साथ समन्दय करेती।
(झ) सरकारी अभिलेखों में सामंजस्यके पश्चात प्रस्तावित यन अधिकारों के ब्लॉक वा ठहसीलवार प्रारूप अभिलेस तैयार करेगी,
(ञ) प्रस्तावित पन अधिकारों के प्रारूप अभिलेस के साथ दावोंको अनुफःडल पदाधिकारी के माध्यम से ज़िला स्तरकी समिति को अंतिम विनिश्चय
के लिए अग्रसारित करेगी,
(८) वन निदाततियों में अधिनियम के अधीन और नियमोंमें अध्रिकद्वित उद्देश्यों
और प्रक्रियाओं
के बारे मेंजागरूकता पैदा करेगी,
(5) दयेदारों को दावों के इन नियमों के उपबंध-॥ (प्रालंप- के और 'ख'] में गथा उपबंधित प्रोफार्र की आसानी से और निःशुल्क उपलब्धता
सुनिश्चित करेगी,
(5) यह सुनिश्चित करेगी कि ग्राम सभा
के अधिवेशन अपेक्ित गणपूर्ति के साथ मुक्त, खुली और निष्यक्ष रीतिमें किए जाते हैं।
४534;
जिला स्तर की वन अधिकार समिति :- राज्य सरकार द्वात निम्नलिखित सदस्योंके साथ जिला स्तर की समिति का गठन की जाती है :-
(क) जिला कलक्टर या उपायुक्त > अध्यक्ष
(ख) संबंद्ध खंड वन अधिकारी या संबंद्ध उप वन संरक्षक .- सदस्य (इनका मानोनयन वन प्रमंडल पदाधिकारी के परामर्श से संबंधित
उपायुक्त द्वारा किया जायेगा)
() जिला स्तर की पंचायत के तीन सदस्य जिन्हें जिला पंचायत द्वार नाम निर्देशित किया जाएगा, जिनमें से कम से कम दो अनुसूचित जनजातियों
के होंगे जो अधिमानतः ऐसे सदस्य होंगे जो वन निवासी हैं या जो आदिम जनजातीय समूहों के हैं और जहाँ कोई अनुसूचित जनजातियोँ नहीं हैं
यहाँ ऐसे दो सदस्य जो अधिग्ब्रनतः अन्य परंपरागत वन निवासी हैं और एक महिला सदस्य होगी या संविधान वी छठी अनुसूची के अंतर्गत आने -
वाले क्षेत्रों मेंलीन सदस्य स्वशासी जिला परिषद द्वारा नाम निर्देशित किए जाएंगे जिनमें से कम से कम एक महिला सदस्य होगी (इनका मनोनयन
संबंधित उपयुक्त द्वात किया जायेगा) और ु
(घ) अनु. जाति एवं अनु, जनजाति कल्याण विभाग का जिले का जिला कल्याण पदाधिकारी या जहाँ ऐसा अधिकारी उपलब्ध नहीं है वहाँ जिला
कल्याण पदाधिकारी के कार्य का भारस्ण्यक अधिकारी ।
जिला स्तर की वन अधिकार समिति
के कृत्य - जिला स्तर की समिति -
(क) यहसुनिश्चित करेगी कि नियम 6 के खंड 'ख' के अधीन अपेक्षित जानकारी ग्राम-सभा या वन अधिकार समिति को उपलब्ध करा दी गई है,
(ख) इस बारे में पत्तीक्षा करेगी कि क्या सभी दायों, विशेषकर आदिम जनजातीय समूहों, पशु चारकों और यायावर जनजातियों के सभी दाकों का
अधिनियम
के उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए समाधान कर दिया गया है,
(ग) अनुमंडल स्तर की वन अधिकार समिति द्वारा तैयार किए गए वन अधिकारों के दावों और अभिलेख पर विचार करेगी और अंतिम रूप से उनका
अनुमोदन करेगी,
(घ) अनुमंडल स्तर की समिति के आदेशों से व्यधित व्यक्तियों से अर्जियोंकी सुनवाई करेगी,
(5) अतः जिला दावों के संबंध में अन्य जिलों के साथ समन्वय करेगी,
(च) सुसंगत सरकार अभिलेखों, जिनके अंतर्गत अधिकारों के अभिलेख भीहै, में दम अधिकारोंके समावेशन के लिए निवेश जारी करेगी,
(४) जैसे ही अभिलेख को अंतिम रूप दे दिया जाए, दन अधिकारोंके अभिलेख का प्रकाशन सुनिश्चित करेगी, और
(ज) यह सुनिश्चित करेगी कि अधिनियम के अधईन और इन नियमों के उपबंध 2 और 3 में यया विनिर्दिष्ट दन अधिकारों और हक के अभिलेख दी
अध्द्ममाणितप्रति संबंद्ध दावेदार और संबंधित ग्राम सभा को दे दी गई है।
उपस्ेक्त समितियां अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) नियमामबली 2007 के नियम से 4, 2, 3,
4 एवं 5 का पालन करते हुए अपने कर्तव्यों
का निर्वाह करेंग।
झारखण्ड के राज्यपाल
(यूके.
नीच ष्च
संगमा)
सरकार के प्रधान सच्द |
४54 :
ज्ञापंक-3/विविध-63/2007 (खण्ड) 49] | रांची, दिनाक-806-08
प्रतिलिपि- अधीक्षक राजकीय मुदणालय, डोरंडा, रोची को झारखण्ड राजपत
में प्रकाशनार्थ
्र प्रेषित ।
८४
(यूके, संगमा)
सरकार के प्रधान सचिव ।
झापंक-3/विविध-63/2(सैण्ड)
007 49] सैंदी, दिनांक-806-08
प्रतिलिपि-
जनऊतीय क्षार्यनिदेश
मंत्रालय भारत सरकार,
क शास्त्री भवन, नई दिल्ली-00 5 को सूचनार्थ प्रेषित
४955
झारखण्ड मंत्रालय
कल्याण विभाग।
संकल्प
जनजातीय कार्यमंत्रालय, भारत सरकार द्वाच अधिसूचना अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत यन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिसूचना
2006 एवं नियमावली 2008 के कार्यान्वयन हेतु आदिवासी कल्याण आयुक्त, झारखण्ड, रांची को नोडल पदाधिकारी घोषित किया जाता है।
नोडल पदाधिकारी उपरोक्त उल्लिखित अधिनियम एवं नियमावली में प्रा प्रावधानों को लायू कराने का कार्य करेंगे ।
७४
४56 ;;
झारखण्ड सरकार
कल्याण विधाग।
स्ं:3/विविध-63/2007 (सण्ड) 858
प्रैषक,
की सी निगम
विशेष सचिव,
हामाण विभाग
सैवा मैं,
आदियासी कल्याण आयुक्त सह
नोडल पदाधिकरी, झारखण्ड (क्न अधिकार अधिनिय्स)
श्री ज्वापुक्त, झासफण्ड
विषय : अनुसूचित जनजाति और अन्य फरम्पागत वन नियासी ( क्त अधिकारों की पास्यता) अपिनिय्त 2006 के कार्वान्ददनके संबंध में |
ऋषाय,
आप अकाल है कि तपतेक्त अधिनियम का कार्यात्कयत, गज़्य में पंचायती राज घुनाव नहीं होने के कारण, लम्दित था। इस संबंध में घारत सरकार ने
अधिनिगन की धार 2 में निहित शक्तियों
का उपयोग करतेहुए अपने फा से. डी,औ, मे. 7034/2/2007-7५8५/(४०-श॥) १) 0६ 9.7.2008 द्वात
या निदेश दिया है कि पंचायती गज विभाग से विधर्श कर जग सभाओं की बैठक आहत की जाथ। भारत सस्कार द्वारा दिये गए निदेश के आलोकमें दिनांक ।
आगस्त, 2008 को पंचायती
राज विधाग से दिपशेपरांत
इस अधिनियम के कार्षान्वधन
ऐैतु ग्राम सभाओं की बैठफ आहुत करने के संगरंध मैं किल्त निर्णय किये गए।
|, घारफणड ग़ाप सभा [गठन की प्रक्रिया एवं कामकाज का संवालन) निगनावली 20003 की पार 8 (क] एवं 8 (क) के अंत्रत निशेत शतित्यों का
जप्गौष करते हुए संबंधित जिलाधिकारी अपने-अपने कार्फ हैंत्र में गरम समेओं की बैठक जल्द से जल्द आहुत करवायें।
तपतेक्त अधिनियत ज्ं संबंधित नियमावली के ग्रावग्ासं के अनुस्तत गापसभाओं की बैठक आहुत कर “वन अधिकार समिति” का गठन नियमानुकार
करवाकर अ्ेत्तर कार्रवाईकी जाये।
कल्याण विधाण, झासखणड सरकल की अष्युच्ना सं, 49 दिनांक 8.8.08 द्वारा अधिसूधित प्रसाग्ड स्तरीय समितियों एवं राज्य स्तन
समितियों में गैर सरकारी सदस्यों का मगोौनयन जिर्पिकाडी द्वारा गाय समाओं से किकर-विषर्श कर, किया जाय। इन समितियोंमें महिलाओं एंव।दिम
जनजकीयों की सहभागिता थी अधिनियण एवं नियमावली के प्रकाझनों के अनुसार सुनिश्चित की जाथ।
एफोत्ता अधिनियम एवं नियमावली की प्रति आपको पूर्व में ही उपलब्ध करा दी गयी है। इसकी प्रतियो दैव्तकुट ५ ७ान.तो0 का. ४९.व। पर थी उपलका
है। इस अधिनियम के कार्यानवगन से संबंधित विभिन्न सूचनाओं का प्रेषण भारत सरकार के द्वारा निर्धारि समग्रादप्रि में इत्ती वैकताईड
पर उप्सक्ा लाए
के माध्ग से करना है। इस ॥#5के संचालन के संबंध में विस्तत सूचनाएं: के पास उपलबध हैं।
अलः आपसे अनुरोधहै कि आप अधिनियम के कार्यान्ययत के संबंधमें विभिन्न सूदताएँ
छा के का्यत से विषान को एक भारत साकारको यथा समय
उस कराये। कृपया इसे आयक्यक सपड़ो एवं इत निर्देशों का समुनालन दथा सबय हुनिश्लित कबते हा अनफालन प्रतिवेदन प्रतशोश ॥5 दिनों में
मना सूरिरिदित कर:
जिकफपाजन
9 है
* झारखण्ड सरकार
पंचायती राज, एन,आर,ई.पी. (विशेष प्रमंडल)
(पंचायत राज निदेशालय)
अधिसूचना
एस, ओ, संख्या - 984 चैंदी, दिनांक - 23.8.04
झारखण्ड पंचायत राज अधिनियम, 200, की धारा 3। द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए राज्य सरकार, झारखण्ड ग्राम सभा (गठन, बैठक की प्रक्रिया
एवं कामकाज का संचालन) भियमावली, 2003 का प्रारूप
उठ धाराके उप धात् () में निहित प्रावधान के अनुसार पूर्व प्रकाशित किया जाताहै।
अधिसूचना के शासकीय मजट में प्रकाशन के एक गाह के अन्दर कोई भी व्यक्ति अधवा रूंगठन कोई आपत्ति/सुझाव, आयुक्त एवं सचिव, पंचायती राज,
एन.आरई पी, (विशेष प्रमंडल) झारखण्ड, रांची के कार्यालय में दे सकते हैं। प्रा कोई भी आपत्ति/ सुझाव पर राज्य सरकार द्वार यथोचित विचार किया जापेगा।
झारखण्ड कम सभा (75न, बैठक की प्रक्रिया एवं कामकाज का संचालन) नियमावली, 2003
.... संक्षिम
नाम और प्रारम्भ -
()).. यह नियमाबली “झारखण्ड गाम सभा (गठन, बैठक की प्रक्रिया एवं कामकाज संचालन) नियमावली, 2003" कहलायेगी।
(॥) एहसरक्ा अधिसूचना जारीरद्वारा
होने की तिथि से प्रवृत्त होगी।
2... परिभाषाएँ-
इस नियमावली में, जब तक कि संदर्भमें अन्यथा अपेक्षितन है -
(क) “अधिनियम” से अभिप्रेत है, झारखण् पंचायत राज अधिनियम,
ड 2003;
(स) “बैठक” से अभिप्रेतहै, ग़म सभा की बैठक;
(ग) “धात से अभिप्रेतहै,अधिनियम
की धारा;
(घ). “संदिव'' से अभिप्रेतहै, ग्राम पंचायत
का सचिव;
(ड) इस नियमावली में प्रयुक्त किन्तु अपरिभाषित अन्य सभी शब्दों और पर्दी के यही अर्थ होंगे जो उनके लिए अधिनियम में दिये गये हैं।
3... अधिनियम की घारा 3 (॥) के प्रायधानानुसार साधारणतया प्रत्येक राजस्व ग्राम के लिये एक ग्राम सभा गठित की जयेषी अर्थात ग्राम पंचायत क्षेत्र के
भीतर समाविष प्रत्येक राजस्व ग्राम के लिये एक ग्राम सभा होगी, परन्तु अनुसूचित क्षेत्र में गम पंचायत के चीतर एक से अधिक ग्राम सभाओं का गठन
नियम 4 में विहित प्रक्रिया के अनुसार किफा
जा सकेगा।
4... एफ राजस्य ग्राम में एक से अधिक ग्राम सभाओं के गठन की प्रक्रिया -
() निम्नलिखित क्षेत्र के लिए पृथक ग्राम सभा का गठन किया जा सकेगा-
(क) आदास या आवासों के समूह के लिए
(ख) . छेटे गाँव या गाँवों / टोलों का समूह
जिसमें समाविष्ट
समुदाय परन्पताओं और रु़ियेंके अनुसार अपने कार्यकलापो
का प्रदन््ध कर्तां हो।
(४) ग्रामसभा क्षेत्र के निवासी मतदाता जो अलग ग्राम सभा के गठन की इच्छा रखते हों, ग्राम सभा के गठन के संबंध में फिल्ह गज़ट में अग्रिसूचना के
एक माह के अन्दर संकल्प पारित कर विहित प्रपत्र-। में आवेदन प्रस्तुत कर ज़िला दःडधिकारी/ उपायुक्त से उपनिदग 4 (!] के खण्ड (क) था खण्ड (स) में
समाकिष्ट क्षेत्र के लिए पृथक द्राम सभा के गठन कीप्रार्थना कर सकेंगे। एश माह के बाद प्राप्त आवेदन पर जिल्ड दण्डाबिकारै /उपादुक्त आमतौर पर विचार नहीं
करेंगे। जय तक आवेदन पत्र के साथ विलम्ब का कारण न दर्शाया गया हो और दशयि गये कारण को जिला दरडाधिकारी/ उपायुरू संतोषजनक पाते हैं।
(॥#) (क) उपगियम 4 (॥) में विनिर्दिष् उम्नेखित प्रस्ताव या आवेदन प्रा होने पर जिला दण्डाधिकारी /उप्हपुरू उपनिदम 4 (।) के खण्ड (क)
या खण्ड (ख) में वर्णित क्षेत्र के लिए पृथक ग्राम सभा गठन के आशय से एक सार्वजनिक सुचना प्रपत्र 2 में जारी करेगा।
(ख) प्रत्येक ऐसी सूचना में प्रस्तावित मये ग्राम सभा में समाविष्ट होने वाले क्षेत्र तथा दर्तधान ग्राम सभा से अपवर्जित होकर शेष रह जाने वाले
क्षेत्र तथा उसकी जनसंख्या का विवरण होगा। हे
(ग). ऐसी प्रत्येक सूचना में उसमें विनिर्दिषट तारीख तक उ#प्ि/सुक्वाय आमंत्रित किये जायेंगे और किसी व्यक्ति से विनिर्दिष पूर्व प्राए आपत्ति
या सुझाव पर जिला दण्डाधिकारी/ उपायुक्त द्वारा विचार किया ऊयेगा। |
५४58 ८
(घ) ऐसी प्रत्येक सूचना ज़िला दण्डाधिकारी/ उपायुक्त के कार्यालय संबंधित ग़ाम पंचायत तथा पंचायत समिति के सूचना पटल पर और
ऐसे आश्य से प्रभावित होने वाले क्षेत्रों में सहज दृश्य स्थान पर चिपकवाकर तथा ढोल पीट कर प्रकाशित की जायेगी।
(5). जिला दण्डाधिकारी उपर्युक्त खण्ड (ग) में वर्शित प्रक्रिया के अनुसार प्रस्तुत ऐसी आपत्तियोँ या सुझावों, यदि कोई हो, तथा प्रस्तावित
नये ग्राम सभा में सम्मिलित होने दाले क्षेत्र में खने वाले समुदाय तथा उनकी रुढ़ियों एवं परम्फ्ताओं आदि पर विचार कर नई ग्राम सभा
के गठन परनिर्णय लेगा।
(च) नईग्राम सभा के गठन के निर्णय लेगे के उपरांत पूर्वके शेष ग्राम सभा क्षेत्र को भी गाव सभा के रुप में घिनिर्दिष्ट गाना जायेगा ।
(५) (क) जिला दण्डाधिकारी/उपायुक्त पृथक ग्राम सभा के गठन की अपिसूचना प्रस्त्र 3 में ज़ारी करेग्न जिसमें उस गाय सभा में आने वाले
प्राम/ग्रामों के नाम तथा उनका विवरण होगा । पुर्नगठित ग्राम सभाएँ आगामी माह की प्रथम तारीख से अस्हिस्व में >येंगी।
(ख) ऐसी अधिसूचना का प्रकाशन नियम 4 के उपनियम (8) के खण्ड (घ) में विहित रीति वें किया जायेगा और उसकी एक प्रति जिला
दण्डाधिकारी/उपायुक्त, जिला परिषद, पंचायत समिति तथा संबंधित गाम पंचायत को भेजी जायेगी
ग्राम सभा की बैठक -
(७) ग्राम सभा की बैठक कम से कम तीन माहमें एक बार होगी, परन्तु ग्राम सभा के सदस्यों की कुल संख्याके एक तिहाईसे अधिक सदस्यों द्वारा
लिखित में अपेक्षा किए जाने पर या पंचायत समिति, जिला परिषद या जिला दण्ड/उपायुक्त ाधिक द्वाराारी
अपेक्षित किये जाने पर, ग्राम सभा वी
बैठक ऐसी अपेक्षा के तीस दिनोंके भौतरदुलाईजा सकेगी;
(ख) ग्राम सभाके किसी बैठकके लिए ग्राम सभा के कुल सदस्य
की बैध संख्या
ों के /0 (एक दांत) सदस्योंकी बैठक में उरस्थिति से कोरम
पूर्ण पूराहुआ मान लिया जायेगा। किन्तु कोरण के दर्शाशमें से महिलाओंकी उपस्थिति एक तिहाईसे कम नहीं होनी चाहिए.
परन्तु अनुसूचित क्षेत्र में गरम सभाके कुल सदस्यों की संख्या के एक तिहाई सदस्यों की संख्या कोरन के लिए अनियार्य है,किन्तु
इन
एक तिहाई सदस्यों की संख्यामें भी एक तिहाई महिला सदस्य की उपस्थिति अनिवार्य होगी। यदि /3 (एक तिहाई) के गनित में एक का अंश
सदस्य संख्या आती है तो उसे पूरा सदस्य गणना में लिया जायेगा। उदाहयदि रणस्
बैठक में सदस्यों
यरुप की कुल संख्या 9 है तो एक तिहाई
सदस्य से कम नहीं की पूर्ति करने के लिए 30,3 अर्थ पूर्ण संख्या 30 सदस्य एक तिहाई से कम होंगे, इसलिए 37 सदस्योंकी उपस्थिति
कोरम के लिए आवश्यक
है तथा, इन 37 सदस्यों में से एक तिष्ाई महिला सदस्य की अर्थात महिला सदस्य
की उपस्थिति
ों अहनियार्य है।
(ग) ग्राम सभा के बैठक की अध्यक्षता संबंधित ग्राम पंचायत के मुखिया द्वारा किया जायेगा। मुखिया की अनुपस्थिति में उप-मुखिया बैठक की |
अध्यक्षता करेगा। यदि दोनों ही अनुपस
हो ्थित
तो बैठक की अध्यक्षता के लिए उपस्थित सदस्यों के बहुमतसे निर्वाचित सदस्य ग्राम सभा की
बैठक की अध्यक्षता करेगा,
परन्तु अनुसूचित कैत्रों में गरम सभा के बैठक की अध्यक्षता, उस ग्राम सभा के अनुसूचित जनजातियों के ऐसे सदस्य क्वरा की जायेगी,
जो संबंधित पंचायत का मुखिया, उपमुख्या या प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र के सदस्य नहीं हो, और उस ग्राम सभा क्षेत्र में परन््पक्त से प्रचलित रीति-
रिवाज के अनुसार मान्यता प्राप्त व्यक्ति हो जो ग्राम प्रधान जैसे मांगी, मुण्डा, पाहत, महतो या किसी अन्य नाम से जाना जाता हे या उनके द्वारा
मनोनीत/समर्थित व्यक्ति हो ।
परन्तुयह और कि जिस ग्राम सभा क्षेत्र में परम्परा से प्रचलित रीति-रिदाज के अनुसार मान्यता प्राज व्यक्ति, जो त्र प्रधान यथा मांझी,
मुण्डा, पाहम, महतो या अन्य नाम से जाना जाता हो गैर अनुसूचित जनजाति का सदस्य हो तो अनुसूचित ह्षेत्रों में ग्राम सभा के बैठक की
अध्यक्षता उनके द्वारा अथवा यदि उत्त क्षेत्रमें अनुसूचित जनजाति के अन्य रूदस्य हों तो ग्राम प्रधान द्वारा प्रस्तावित अधया बैठक में उपस्थित
सदस्यों की की बहुमत से मनोनीत/समर्थित ऐसे व्यक्ति और यदि अलुसूषित जनजाति के सदस्य न हो तो ऐसे प्रस्तावित अथवा
मनौोनीत/समर्थि
गैर अनुसूचित
त जनजात
के व्यक्तििद्वारा वी ऊायेसी।
(घ) यदि बैठक हेतु निर्धारित किए गये समय पर कोरन के लिए आवश्यक संख्या में सदस्य उपस्थित नहीं हैं, तो बैठक की अध्यक्षता करने याला
व्यक्ति बैठक को ऐसी #एचमी तिथि एवं समय के लिए स्थवित कर देया, ऊँसा
कि वह निश्चित करे तथा स्थगित बैठक फी एक नई सूचना नियम
7 के अनुसार देगा और ऐसे स्थगित बैठक के लिए कौरम आवश्यक नहीं होनी, परन्तु ऐसी बैठक में किसी गये विषय पर विचार नहीं किया
जायेगा।
"
(७) अधिसूचित क्षेत्रकी ऋम समा की अध्यक्षता करने वाला व्यक्ति जो या तो परम्फ्तनत ग्राम प्रधान हो या उसके द्वारा प्रस्तववित स्थायी अध्यक हो
को संबंधित पंचायत समिति के रूचि द्वारा प्राध्रेकृत पदाधिकारी /कर्मचारी, ग्रम सभा की प्रथम बैठक के पूर्व शज्य डहण/प्रतिज्ञा कठायेगा।
शप्ध्गह / प्रतिक्षा
ण संल्ग् प्रपत्र 7 में कराया जायेगा। शपथशहण/ प्रतिज्ञा करने कल ग्राम सभा के अध्यक्षों की सूची संबंधित प्रखण्ड विश्स
कार्यालय में संधारित की जायेनी।
5.59 ::
बैठक की तारीख समय तथा स्थान-
(क) ग्राम सभा के बैठक की तारीख, समय तथा स्थान मुर्रया द्वारा नियत किया जायेगा, मुख्या की अनुपस्थिति में उप-मुलिया द्वारा तथा पुखिया
तथा उप-मुखिय दोनों की अनुपस्थितति में पंधायत समिति के कार्यपालक पदाधिकारी द्वारा या उनके द्वारा प्राधिकृत पंचायत समिति के सहायक
सचिव द्वारा नियत किया जायेगा।
(ख) प्राम पंचायत का मुखिया अधिनियम के अधीन नियमित समय के अन्तरत्यों पर बैठक बुलवाये जाने के लिए जिम्मेवार होगा। इस जिम्मेदारी कौ
निर्वहन करने के लिए उसे सतर्क और सावधान रहना चाहिए।
(ग). यदि मुखिया अधिनियम के अधीन विनिर्दिष्ट समय अंतरालों पर बैठक बुलवाने में असफल रहता है ले संबंधित पंचायत समिति के कार्यपालक
पदाधिकारी की अनुशंसा पर संबंधित अनुमंडल पदाधिकारी द्वारा मुखिया को अयोग्य करार करते हुए उसे पद से हटा दिया जायेगा, परन्तु
मुखिया को अयोग्य करार करने के पूर्व संबंधित अनुमंडल पदाधिकारी द्वार निर्मित करने के आधार सहित कारण पृच्छा का युक्तियुक्त अवसर
देना होगा तथा लापरदाही या उपेक्षा जिसमें कुछ संदोष या आपराधिक त्रुटि उत्पन्न हो, वह देना होगा।
बैठक की सूचना देने की रीति-
(क) ग्राम सभा की प्रत्येक बैठक की सूचना जिसमें तारीख, समय तथा स्थान और व्यवहार किए जाने याले कारबार को विनिर्दिष्ट करते हुए बैठक की
तारीख से कम से कप रखतत दिन पूर्व इस नियमायली से संलग्र प्रपत्र-4 में दी जायेगी, परन्तु आपातकालीन स्थिति में ऋम सभा की बैठक पूरे
तीन दिन की पूर्व सूचना देकर भी बुलायी जा सकेगी।
(ख) बैठक की ऐसी सूचना संबंधित ग्राम पंचायत के प्रत्येक ग्रामों में सहजदृश्य/ सार्वऋगिक स्थानों पर और ग्राम पंचायत के कार्यालय पर इसकी एक
प्रति को चिपकाा जायेगा और प्राम पंचायत क्षेत्र में डरगडुगी या कोल फिटवाकर घोषणा करते हुए प्रकाशित की जायेची।
ग्राम सभा के समक्ष रखे यये अभिलेखों का निरीक्षण -
ग्राम सभा के प्रत्येक सदस्य को कम सभा के समक्ष रखे जाने वाले अभिलेसों का ग़म पंचायत के कार्यालय में कार्यांबाष्रि केटीसन निरीक्षण करने का
अधिकार होगा।
बैठक के अध्यक्ष के कर्तव्य एवं शक्तियाँ- है
(क) यदि संबंधित ग्राम पंचायत का सचिव ग़ाम सभा की ईठक के अध्यक्ष के आदेशों का जो अधिनियम के अधीन ठावित्कें के निर्वहन या क्रियान्वयन
करने के क्रम में पंचायत के सचिव के कृरफों में आते हैं, उन्हें वह पालन नहीं करना है तो अध्यक्ष द्वारा संबंधित पंचायत समिति के कार्यपालक
पदाधिकारी से उस पर नियंत्रण करने की अपेक्षा की जा सकती है।
(ख) यदि राज्य सरकार अपने व्यिक पर पंचायत के कार्यकलापो की जांच करती है, तब जाँचकर्ता प्रषिशारी के समझ लत में अध्यक्ष,
समस्याओं का समाधान चाहने हेतु निवेदन कर सकता है और बता सकता है कि उसे अपने कर्तव्यों के पालन में अभूक बाघोएं हैं, जिनसे
अधिनियम के उद्देश्यों के अनुकूल कार्य होने में समस्या आ रहो है।
(ग) अधिनियम के अधीन राज्य सरकार या विहित प्राधिकारी ऐसे संकर्मों के निष्पादन किये जाने का निर्देश दै रूकैय, जिसे पंचायत द्वारा नहीं किया
जा रहाहै तथा जिसका किया जाना लोकहित में आवश्यक है। अधिनियम के अघीन पंचायतों के कार्य का निरीक्षण होने के समय लिखित पें
अध्यक्ष द्वारा निरीक्षण कर्ता प्राधिकारी को ग्राम सभा संबंधी कठिनाईवोँ प्रस्तुत कर सकता है।
(घ). बैठक में यदि कोई सदस्य अभद्गता से पेश आता है, आपत्तिजनक वा संतापकारी शब्दों का प्रयोग कर्ता है और उन्हें वापस लेने या क्षमा मांगने से
इंकार करता है या बैठक के शांतिपूर्ण तथा व्यवस्थित संचालन में जान बूमकर गड़बड़ी पैदा कस्ताहै, या अध्यक्ष के किसी ३देश का पालन
करने से इंकार करता है या अध्यक्ष द्वारा स्थान ग्रहण के लिए आदेशित किये जाने पर भी अपना स्थान ग्रहण नहीं करता है तो वह सदस्य
व्यवस्था भंग करने का दोषी होगा तथा अध्यक्ष द्वात ऐसी किसी भी सदस्य को बैठक से तुरत निकल जे का निदेश दे सकेगा और इस प्रकार
निकल जाने के लिए आदेशित किया गया कोई सदस्य तुरंत ऐसा करेगा और उस दिन की बैठक की शेष अवधि के दौरान अनुपस्थित रहेगा।
(3). अध्यक्ष बैठक में गंभीर अय्यवस्था उत्पन्न होने की दशा में उसके द्वारा विनिश्चित तथा घोषित किए जाने गले सनव तक के लिए किसी बैठक को
स्थगित
कर सकेगा।
40. बहुमतद्वारा विनिश्चय -
(क) *म सभा की बैठक में लाए गये समस्त विषय उपस्थित सदस्यों की बहुमत से विनिश्वत किए जाएंगे और मतदान हाथ उठाकर किया जायेगा।
मत देने का अधिकार होना।
मत्रों की समानता की दशा में बैठक के अध्यक्ष को द्वितीयक या निर्णायक
(ख) यदि ऐसा कोई दिवाद उत्पन्न होता है जिससे कोई व्यक्ति मतदान का हकदार है या नहीं तो ग्राम समा क्षेत्र कै मतदाताओं की सूची में प्रविष्टि को
ध्यान में रखते हुए, अध्यक्षता करने वाले व्यक्ति द्वाराउसका विनिश्दप किया जाएगा और उसका विनिश्वय अंतिम होगा।
४60:
॥. क्ाप जगा की पैलक का मचाफान-
[क) छाप ज़रा की बैठक का संचालन उनकी अध्यक्षता करने वाज़े व्यक्ति हात किया जोन, जो आतयक्ष
के हम से संगीत किया जगेगा।
(सत्र) अध्यक्ष द्वात्त ग्राम सभा की राय से गम सभा के समश्न विचासर्थ लिये जाने वाले यु फा चर्चा की प्रक्रिया विनिश्चित किया जाएगा।
(3) है2क में एिए रे निएयों को सहिल जानकारी के लिए प़कर सुरया जादेगा। सद॑घित
परम पदयत के सथिद द्वार उसीके अनुसार विनिश्यया
को काया यंजी है अरिजिरिित करेगा।
॥३. जस्थिति पंजी-
कप सभा के बैठक में उपस्थित
होने वाले सदस्यों
के नाम ग्रफ़ा 5 में रखेगये उपस्थिति पंजी में दर्ज किये जदने।
|9. कार्यवाही अधिलेख-
(कि) गान सचकै प्रत्येक बैठक की, कार्मवाहियों के अपिलेख तथा विनिश्चा] तथा उत्मपें उपस्थित सहाय सो संपडणा लर्दवाही पी में गान पंचायत
के संपिव हल इस नियमावली के साथ संता प्रपत्र 6 में प्रविष्टि किया जायेगा और उसी बैठक में अध्यक्षता करने बले व्यक्ति
हरा उसकी पुष्टि
की जायेगी।
खि] का्मवाही हिन्दीमें देवनाफी
लि में लिसी जायेगी।
(7) जम सभा की कार्यवाही की प्रति संधिय द्वारा जाम पंचायत को प्रस्तुत
की जायेंगी।
(घ कप स़था की पिफारीशों को तय पंचागत कार्य चित करी अथवा करतोगी।
4., पाप कोप -
कि) गण समता की निधि में शामिल कोष मैं गम को एनहने बले दान, प्रोत्साहन
राशि एवं अन्य आग सम्मिलित किये जाएंगे,
ि] गत कोष का संचालन संबंधित गण रण वात बहुफत से पतोनीत एक परम सेभा कोगाध्यक्ष के द्वरा किया जायेगा ग़ाम सपा के व्मेघाध्यक्ष की
गहं जिमगवारी होगी कि वे ग्राम सभा की निधि को सरकार द्वारा ज़री किये गये दिशा-मिर्देश्ों के आन काम संचा के बेत्र या सकते नजदीक के
राष्ट्यकृत बैंक की बचत खाता पैं स्तेगा। गह बचा खाता संबंधित गाम सपा के नाप से होगा।
[व गा कोष मेंजय एम
का लेखा एक रजिस्टर में रखा जागेगा तथा उक्त रजिस्टर में गप सभा के अध्यक्ष, कोषणयह एवं संबंधित गान पंचायतके
पंचायत सथिय
का हस्ताक्षर होगा। उक्त रजिस्टर संबंधित श्राप पंचायतके सच्ि की अभिरक्षा में रला जायेगा ।
(घ॥ प्र कोषके सगे का संचालन संबंधित गान पंचाजत सचिव एवं गण संप्ता कोष्कलश्न के हत्ताक्षर से किया जायेगा ।
(ड़) ग्राम दौष में जमा धन क्र उपयोग राज्य सरकार
के निर्देश के आलोकमें अधिगिगम की जा 0 मैं व्कित कुरयों के लिए किया उयेंगा।
(व) ग़्प सभा कौष्कयक्ष का कार्यकाल तनोनयन की तिथिसे एक वर्ष
का होगा, परच्तु इस बीच मृत्यु व्यागफत् या अनहैंडा वा उकके कार्यकाल के
समाप्ति वे पूर्व कार्य करने में असार्थ होने की दजा में आकस्मिक रिक्ति होने पर उप नियम- (ख] के अनुखार कॉबाध्डन का वरेनयत किया
ज़गेक।
[छ) गम सभा के साधन के विभिन्न झौतो एवं इसे बहिंगनन तथा भारत के नियंपरक पहालेसा निर्यद्क के विकील परफड में ऑेसाण कियाके तद़त
लेखा का ग्ंधारण किया जागँगा।
॥ढ्, ग़म सभा के स्थायी समिति की गठन एवं बैठक की ग्रक्षिया -
(का) पान सभा, अधिनिया हुआ दिये गए कुत्ों एवं कर्तं के निर्वहन एवं सुविधा के दश्िशोण से आपने सटहओं हें से अधिनियम में वरित स्थायी
समितियों का एठन कर सकैंगी।
(ख) गाय सभाकी प्रततौक स्थायी समिति मैं जार कदस्य होगे जो इस फ़ोोजन केलिए खाब सष हाए विजिकत: बट परे बैठक
में सदप्णी हात अपने
कीए मैं से बहु द्वारा मनोनीत किए जोगी । इन चार सहस्यो मैंसे एक की अध्यक्त के रूप में मनोनीत किया जायगा।
जम सभा की प्रष्यैक स्थागी समिति के सदस्यों का कार्कदल बैठक में वनोगीत होने की विधि से एक वर्ष के लिए होगी, पहतु पुरनलिदाधन का
पात्र होगा।
ध) गन साथ के क्यागी समितियाँ
के सहफ्यता के लिए कोई ऑरक्ण
नही होगा।
|] ग्राम सपा की किसी स्थाजी सगिति के सदस्यों में से किसी सदस्य की मृत्यु, लाज़ापत्र या अरनाता या उसके कार्यकाल के समारि के पूर्व कार्य
7 5
करने में असमर्थ होने की दशा में, ऐसे पद में आकस्मिक रिक्ति हो गई समझी जायेगी और ऐसी रिक्ति को उप नियग (खत) में वर्णित रीति में
यभाशक्य शीए्ता से भरी जापेगी।
(६) ग्राम सभा के प्रत्येक स्थायी समिति का एक सचिव होगा जो उस ग्राम सभा की अध्यक्षता करने वाला व्यक्ति द्वार मनोनीत किया ज़ायेगा, परन्तु
ऐसा मनोनीत सदस्य ग्राम सभा के सदस्योंके बीच शा ही होगा, तथा उसका कार्यकाल उसकी सदस्यता की अवधि तक रहेगा।
(०) साधारणत: कामकाज के संचालन के लिए प्रत्येक स्थायी समिति की बैठक ग्राम सभा क्षेत्र के अन्दर जो ग्राम सभा की अध्यक्षता करनेवाली
व्यक्ति द्वारा निर्धारित होगी, स्थान पर माह में कम से कम एक बार ऐसी तारीख एवं समय पर होगी जैसा कि ग़ाम सभा के अध्यक्षता करने वाला
व्यक्ति द्वारा निर्धारित किया जाय।
(ज) बैठक की सूचना बैठक की तारीख से पूरे तीन दिन पूर्य
उसकी तारीख, समय तथा स्थान और उसमें किए जाने वाले कामकाज दर्शाते हुए समिति
के प्रत्येक सदस्य को दी जायेगी और गम सभा
के क्षेत्र के सार्वजनिक स्थानों पर प्रदर्शितकी जाएनी।
(झ) इस प्रकारके बैठक की तारीख नियत करते
समय इस बात का ध्यान रखा जायेगाकि अन्य स्थायी सम्तियोँ के बैठक की तारीखों से टकराव न
ह्ो।
(८) स्थायी समितिवी बैठक के लिए गणपूर्ति (कोरम) तत्समय गठित स्थायी समितिके आधे सदस्यों
से होगी। यदि किसी बैठक में गनफूरतिन हो तो
समिति के सभापति बैठक को ऐसी तारीख तथा समय के लिए स्थगित कर सकेगा जौ उसके द्वारा नियत किया जायतथा इस प्रकार नियत किए
एए बैठक की सूचना ग़ाम सभा के सार्वजनिक स्थानों पर चिपकाई जायेगी तथा इस प्रकार स्थानित किए गये बैठक के लिए कोई गणपूर्ति
आवश्यक न होगी तथा ऐसे बैठक में कोई नया विषय विच्ारार्थ
नहीं लाया जायेगा।
(5) स्थायी समिति के किसी बैठक के समक्ष लाए गए समस्त प्रश्नों का विनिश्चय उपस्थित तथा मत देने कले सदस्य के बहुमत द्वारा किया ऊयेया।
मतों के बराबर होने की दशा में बैठक के सभापति का निर्णायक
मत होगा।
(5) स्थायी समिति मुख्यतया केवल उनको सौंपे गये मामलों के संबंध में ही दिनिश्वय करेगी। यदि मालले वें वेचीय पहलू अंतर्गस्त है तो वह उस
मामले को अपनी सिफारिश के साथ आगे और विचारार्थ गाम रुभा को निर्टिष्ट करेगी। यहाँ कोई मानला एक से अधिक स्थायी समिति से संबंधित
हो, वहाँ वह विनिश्चयके लिए ग्राम सभा के समक्ष रखा जायेगा।
(5) स्थायी समितियों में से प्रत्येक स्थायी समिति के बैठक की कार्यवाहियाँ, इस प्रयोजन के लिए सखी 5 कार्यवृत पुस्तक में अभिलिखित की
जाएँगी। बैठक का सभापति, बैठक की समाप्ति होने के पश्चात यथा संभव शौध्र झार्यदृत पुस्तक पर हस्ठाद्वर करेगा। कार्यवृत पुस्तिका स्थायी
समिति कै समक्ष विधारण के लिए उसके अगले बैठक में रखी जायेगी जब तक कि इस बीच यान सा के बैठक में उसकी पुष्टि न करदी जाय।
(ण) स्थायी समिति की कार्यवाहियाँ स्थायी समिति के बैठक के पश्चात किए गए अगले बैठक में ग्राम सभा के समक्ष
रखी जाएँगी। ग्राम सभा ऐसे बैठक
में स्थायी समिति के विनिश्चय की पुष्टि कर सकेगी या ऐसा निदेश दे सकेगी जैसा कि वह आवश्यक समझे!
46. कठिनाईयों को दूर करना-
यदि इस नियमावली के नियमों को प्रभावी करने में कोई कठिनाई उत्पन्न हो तो राज्य सरकार अवसर के अपेक्षानुसार शासकीय गज़ट में प्रकाशित आदेश
द्वारा ऐसा कुछ भी कर सकेगी, जो कठिनाई दूर करने में उसे आवश्यक प्रतीत हो।
सरकार के सचिव
पंचायती राज, एन.आर
ई पी. (विशेष प्रमंडल) विभाग
झारखण्ड राँची।
४2625
ज्ञापंक-3प/नि 2-08/2003-98/प्राए, रची, दिनांक-23.8.04
प्रतिलिपि- अधीक्षक, राजकीय मुद्रगालप, डोरण्ठा, रौंची कोझारखण्ड गजंट के अगले असाधारण अंक्ष मैं प्रकाशनार्थ अग्सारित।
2... अनुरोध है कि अधिसूचना की दो सौ प्रतियाँ अविलम्ब पंचायत रुज निदेशालय को उपलब्ध कराने की कृप करें।
जज कि
४63 ::
प्रपत्रे-।
(नियम 4 (॥) देखिये)
ग्राम सभा विनिर्दिष्ट करने हेतु आवेदन पत्र
सारणी
प्रखण्ड का ग्राम पंचायत वर्तमान ग्राम प्रस्तावित ग्राम सभा जनसंख्या नया ग्राम सभा बनाने
नाम का नाम सभा का नाव के क्षेत्र में पड़ने वाले का औधित्य
ग्राम / टोलो का नाम
झारखण्ड पंचायत राज अधिनियम, 200 के अल्तर्गत झारखण्ड ग्राम सभा (गठन, बैठक की प्रक्रिया एवं कार्य संघालन) भ्रयषादली, 2003 के
हुए नीचे दी गई सारणी के भीतर कॉलम 4 में वर्णित (प्री /प्रा्ो केसूद /टोल्डं एवं टोस्डें के समुह आदि के
नियम 4 (॥) केद्वार प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते
की जाती है।
लिए अलग ग्राम सभा के गठन के आशय वी जानकारी एलद द्वारा प्रकाशित
उन आपहियों /सुझावों पर, जो दिनांफ मल तक अधेशस्ताक् तर प्राप्त
होंगे, विधार किया जायेगा। उक्त तिथि
को प्रामषरी
आओ /सििफ दिक : में सुनवाई
०००२ नननरतमचरकततरम को कार्यालय की जायेगी।
सारणी
स्थान -
जारी करने की तारीख-
५०5५४
(नियम 4 (५) देखिये)
अधिसूचना
झारखण्ड पंचायत राज अधिनियम, 200॥ के अन्तर्गत झारखण्ड ग्राय सभा (गठन, बैठक की प्रक्रिया एवं कामझाज संचालन) नियगावली, 2003
के लिए
के नियम 4 (9) द्वारा प्रद् शक्षियों को प्रयोगमें लाते हुए नीचे दी गई सारणीके कॉलम 2 में वर्णित ग्राम पंचायत की सीमा के भीतर कॉलम 5 में बम क्षेत्र
व
में आऐंगी।
अत ग्राम सभा का गठन करते हैं, जो आगामी माह की प्रधम तारीखसे अस्तित्
सात्गी
स्थान -
गम सभा ......... क .....ह.ह0ह0ह.ह.ह................. के सभी सदस्यों को एसद द्वारा सूचित किया जाता है कि ग्राम समा की
विश लि 32 22 _. को निम्नलिखित ग्राम .........ह..........- "->+टक कक. -.. के
शक परम पर होगा।
ग्राम सभा के सभी सदस्य, जिनके नाम बतदाता सूची में दर्ज हैं, बैठक में भाग लेने के लिए आमंद्नित हैं।
470५
(नियम १2 देखिये)
वैठककासथान -+
वैठकका समथ.. *«
फ़
।:. ग्रपपंकयपतका
नल
2. . बैठककी लारेस
3... बैठककास्थान
$. . बैठक का समय
5. उपस्थित ग्राम सभा सदस्यों की संख्या -
स्थान-
तारीख -
४::69 :
प्रपत्र- 7
(नियप-5 (ड) देखिए)
0.00, 7023/07/2000-08/८&/9५.॥
969 5४
॥09038 3 ८07/ 0/ 0.0, 229- (06 5.0600॥00 80885 (5986 06 .9700970) 0/067 2007, 790०065#/60
॥१ (॥6
68206 0॥09 ([8&079079097५, ?क्रा.॥-582007 3-5900-502८007 [] ७8080 0॥ 6०9७४, 2007
४४७ ५$॥०७॥ 0७७ फा»20०७।॥ 998 0796७ 5 07000 0 (6 70008 ० 3॥ 00000700 800007665 5०
शा 006
ग070998 06॥॥6 500॥0003९0 7606$ ४४१० ॥५8 ब। 0856 8/685 ॥0/ छश 08 9708000/7 0/॥॥6 97० ंक्ल०१5 9 (७
#।
50८76008 (0॥6 0 क।ए॥ 07.
'/0ए5 $#06/९/॥,,
(९७8 50709)
(०070, धर 8 ०००४७ ० 0४॥७ 0,0, ।४०. 229 0७760 0 900५8, [9५/३80७0 (० 5 ॥५.)४. 5/#9, 5808037५,
वा (शॉआढ 0079907शा, 5000पह्राशा। 0 8/९08॥0, २८४.
झारखण्ड सरकार
कज्यान विभाग सचिव कोषांग
बैं प्रेस 332 दिऋंक 5.5.07
$87|:4
वि६90, (४४ 0,.-.3777॥7४
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प्राधिकार से फ्रम्मतिति
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कं, 80] नहूँ दिल्ली, बुधवार, अप्रैल ॥॥, 2007 / चैत्र 2, ॥929
बिक, ॥भा| प्ाएग 0ह.॥ श्रधिक्रटक08॥, &77॥ .. 2007 / 6४898 2, 4979
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अनुसूधित भैत्र [झारखण्ड गज़्य) आवेश, 2007 पल जिला-सठबस्वा घवोका की गबदा और वकोरिया
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घंचायते
शाहति, पाएत के संकिशन की पांच अनुसूची के पैया 6 के तप-
!4... गला जिता- भंकारिया ए्रकाक
पैस (2) द्वाउ प्दत शक्तियों का फ्रयौष कहते हुए, अनुसूचित हैत्र
$8... जोड्ा जिला-सुदर पइओी और बौरीजर प्लॉक
[एनीरशव, झारेखाड और मध्य प्रवश राज्य) आदेश, 2003 को, जहाँ
तक इसका संबंध झारखण्ड राज्य में अब शमाविए होत्रों सै है, विखंडित च्यशिकाश :- शंकाओं को दूर करने के शिए यह ऐोषणा की जाती
कस हैं और उत्त राज्य के राज्यपाल ते पराग्ग़रा के पश्चात मिंनलिखित है कि उा क्षेत्र वही हैं, घाहे उसें कियी नाम से पफारों फा, जो सं आ. १0)
जाडेश करते हैं, अर्थात + (अलुसूधित बैच [दिहर, गुजेसत, मह्य प्रदेश और उद्ीशा ग़ज़्य) आदेश,
१977], हरीख 37 विक्नबर, ]977 द्वागा तत्कालीन किक राज्य के
| ॥$॥॥ इस आदेश का संक्षि! नाम अनुसूचित कै (झारखण्ड
भागके रुप ने अनुसूचित बजे के रुप मैं अजुधूचित किएगए है।
गशज्य) आदेश, 2007 है।
3. . [ती पैर में फ़ोमिक खंड, उसे चडे किसी गाम से उपदाहिति
(2) यहयुरंत प्रूत होगा।
किया गण हो, किसी निर्देशका जा अर्धलगाज़ जाए कि यह हुफ खदेग के
2. . नीचे किनेटिंट क्षेत्र को झारखण्ड राज्य के भीतर अनुलुधित भैंड प्रारंभ फे उत्त बाग से विटामान एटेशिक छड़ के प्रतिनिवश है।
के रूप में पुनः परिभावित किया जाता है:
ए.पी.जे, अष्दुछ कलाम
झारखण्ड सहपति।
फासे9 (8]/2006-॥]
९ लॉहस्टगा जिला कै.एन, चतुर्वेदी, सचिव
3, - मुमला जिला
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