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First published in India by

Manjul Publishing House


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Hindi translation of the international bestseller Personality Plus by Florence Littauer
This edition first published in 2007
Ninth impression 2016
Copyright C. 1983, 1992 by Florence Littauer Originally published in English under the title
Personality Plus
by Fleming H. Revell
a division of Baker Publishing Group,
Grand Rapids, Michigan, 49516, U.S.A
All rights reserved.
ISBN 978-81-8322-065-1
Translation by Dr. Sudhir Dixit, Rajni Dixit
All rights reserved. No part of this publication may be reproduced, stored in or introduced into a retrieval system, or transmitted,
in any form, or by any means (electronic, mechanical, photocopying, recording or otherwise) without the prior written permission
of the publisher. Any person who does any unauthorized act in relation to this publication may be liable to criminal prosecution
and civil claims for damages.
िवषय-सूवी
िवशेष ध यवाद

खंड एक पसनैिलटी ोफ़ाइल अपनी जाँच करने का आसान तरीक़ा


1 आप अनूठे ह
2 आपक पसनैिलटी ोफ़ाइल

खंड दो िभ कृ ितय क शि याँ हमारे ि गत गुण का सव ण


3 आइए लोकि य आशावादी ि य के साथ मज़े कर
4 आइए पूण िनराशावादी ि य के साथ सुिनयोिजत बन
5 आइए अपनी भावना को समझ
6 आइए सश ोधी ि के साथ आगे बढ़
7 आइए शांत संतोषी ि य के साथ चैन से रह

खंड तीन ि व योजना ि गत कमज़ो रय को दूर करने का तरीक़ा


तावना : सकारा मक बात क अित नकारा मक बन जाती है

8 आइए लोकि य आशावादी ि य को वि थत कर


9 आइए पूण िनराशावादी ि को खुश रहना िसखाएँ
10 आइए सश ोधी ि य को थोड़ा शांत कर
11 आइए शांत संतोषी ि य को े रत कर

खंड चार ि व के िस दांत लोग के साथ बेहतर संबंध क राह


12 हर ि अनूठा सि म ण है
13 हम बंधन म नह रहना चाहते
14 िवपरीत ुव आक षत होते ह
15 हम लोग क िभ ता को पहचान सकते ह
16 दूसर के साथ कस तरह वहार कर

रवंड पाँच ि व शि अपनी पूण मता तक प ँचने के िलए शि का ोत


17 पसनैिलटी लस क शि से लोग सकारा मक बनते ह!

प रिश : पसनैिलटी टे ट के श द क प रभाषाएँ


िवशेष ध यवाद
प ीस साल पहले मेरी एक सहेली ने मुझे टम लाहेई क पु तक ि प रट कं ो ड टपरामट देकर उसे पढ़ने क
सलाह दी। इस पु तक म दी गई चार कृ ितय के बारे म पढ़कर म त काल मु ध हो गई। ऐसा लग ही नह रहा
था क कृ ितय का यह अ भुत िस ांत ईसा मसीह से चार सौ साल पहले िह पो े टीज़ ने दया था। जब इसम
मुझे अपने और े ड जैसे ि का वणन िमला, तो मुझे महसूस आ क लेखक यक़ नन गोपनीय प से हम
जानता होगा। हालाँ क म कभी टम लाहेई से नह िमली थी, ले कन म सचमुच उनके जैसे ानी ि से
िमलना चाहती थी। एक साल के भीतर मेरी यह इ छा तब पूरी ई, जब हम दोन ने एक ही सेिमनार म भाषण
दए। टम उतने ही गितशील और रोमांचक थे, िजतनी क मुझे उ मीद थी। उ ह ने मुझे कृ ितय के अिधक
अ ययन के िलए ो सािहत कया।
बरस तक िसखाने और परामश देने के बाद मने पसनैिलटी लस कृ ितय का यह सं ह इक ा कया है और
अब म यह पु तक टम लाहेई को ही सम पत कर रही ,ँ िज ह ने मुझे सबसे पहले े रत कया। म उस बात से
सहमत ,ँ जो उ ह ने मुझे एक प म िलखी थी :

जब मने यह पु तक िलखी थी, उसके बाद अब मुझे और भी यादा िव ास हो गया है क चार कृ ितय का
िस ांत मानवीय वहार का सव े प ीकरण है।

टम लाहेई, आपके ो साहन के िलए ध यवाद।


लोरस िलटार
खंड एक

पसनैिलटी ोफ़ाइल

अपनी जाँच करने का आसान तरीक़ा


अ याय 1

आप अनूठे ह

हम सभी बेहतर ि व चाहते ह। हम सभी फ़टेसी आइलड पर अपनी त वीर देखते ह, जहाँ घंटी बजते ही हम
आकषक, वा पटु , मनमोहक पोशाक वाले कु लीन ि म बदल जाते ह। हम लड़खड़ाते, अटकते, फै लाते या
भटकते नह ह। इसके बजाय हम बातचीत करते, मन मोहते, आक षत और े रत करते ह। जब शो ख़ म हो
जाता है, तो हम अपने दमाग़ क न बंद कर देते ह और दोबारा पुराने ढर पर जीने लगते ह। अपनी खाली
न को घूरते समय हम सोचते ह क हमारी ‘िसतारा छिव” य ख़ म हो गई; हमारी जगह नए िसतारे य
आ गए, जो अपनी भूिमका को आ मिव ास से िनभाते ह; असली जीवन म हम सामंज य य नह बैठा पा
रहे ह?
हम पसनैिलटी कोसस क तरफ़ भागते ह, जो चौबीस घंट म हम वा पटु बनाने का वादा करते ह। हम
आ म-मू यांकन अनुभव क तरफ़ भागते ह, जो हम अिधकतम शि से लैस करके छोटे-मोटे ई र म बदलने का
दावा करते ह। हम संवेदनशीलता स क ओर भागते ह, ता क का पिनक भिव य म अपनी राह खोज सक। हम
चम कार क उ मीद म जाते ह, ले कन िनराश होकर घर लौटते ह। हम रोमांचक ि के साँचे म फट नह
बैठते ह, हमम संभावना का िव फोट नज़र नह आता है, हम उ कृ ता के मानदंड नह माने जाते ह। हमारी
अलग-अलग ेरणाएँ, यो यताएँ और ि व होते ह, इसिलए हमारे साथ एक सा वहार नह कया जा
सकता।

कोई भी दो ि एक से नह होते
अगर हम सभी ब से म रखे एक जैसे अंडे होते, तो कोई िवशाल मुग हम सेकर रातोरात आकषक मुग म बदल
सकती थी, ले कन हम सभी िभ ह। हम सभी अपनी िविश शि य और कमज़ो रय के साथ पैदा ए ह तथा
कोई जादुई फ़ॉमूला हम सभी के िलए चम कार नह कर सकता है। जब तक हम अपने अनूठेपन को नह पहचान
लेते, तब तक हम यह बात नह समझ सकते क लोग एक ही सेिमनार म एक ही व ा क बात सुनकर अलग-
अलग सफलता कै से हािसल कर लेते ह।
पसनैिलटी लस हमम से हर एक को चार मूलभूत कृ ितय का अनूठा सि म ण मानती है और हम
ो सािहत करती है क हम सतह पर दखने वाली चीज़ को बदलने क कोिशश करने से पहले अपने वा तिवक
व प को पहचान ल।

जो अंदर है, वह मह वपूण है


जब माइकलएंजेलो डेिवड क ितमा तराशने वाले थे, तो उ ह ने संगमरमर चुनने म ब त समय लगाया,
य क वे जानते थे क क े माल क गुणव ा से ही ितमा क सुंदरता तय होगी। उ ह पता था क वे प थर का
आकार तो बदल सकते थे, ले कन मूलभूत त व को नह बदल सकते थे।
उनक बनाई हर कलाकृ ित अनूठी है, य क अगर वे चाहते, तो भी वे संगमरमर का ब वैसा ही टु कड़ा
नह खोज सकते थे। अगर वे उसी खदान से दूसरा प थर काटते, तो भी वह ठीक वैसा नह होता। िमलता-जुलता
होता, ले कन ठीक वैसा नह होता।

हमम से हर एक अनूठा है
हमम ऐसे गुण ह, जो हम अपने भाई-बहन से अलग करते ह। बरस तक लोग ने हम छीला है, आकार दया है,
हथौड़े मारे ह, छेनी चलाई है, रं दा मारा है। जब हम यह सोचने लगे क अब हम ितमा के प म बनकर तैयार
हो चुके ह, तभी कसी ने हम फर से आकार देना शु कर दया। कभी-कभार एकाध दन पाक म हम बड़ा मज़ा
आया, जब हमारे पास से गुज़रने वाले हर ि ने हमारी शंसा क , ले कन बाक़ समय हमारा मखौल उड़ाया
गया, िव ेषण कया गया या हम नज़रअंदाज़ कया गया।
हम सभी अपनी कृ ित के ल ण के साथ पैदा ए ह। यह हमारा क ा माल है, हमारी अनूठी च ान। हमम
से कु छ ेनाइट ह, कु छ संगमरमर, कु छ एलबा टर, कु छ सड टोन। हमारी च ान का कार नह बदलता है,
ले कन हमारे आकार बदले जा सकते ह। यही हमारे ि व के बारे म सही है। हम अपने नैस गक गुण के साथ
शु करते ह। हमारे कु छ गुण सुंदर होते ह, िजनम सोने क कनारी होती है। कु छ दोष भी होते ह, जहाँ दरार
दखती है। हमारी प रि थितयाँ, आई यू, रा ीयता, अथशा , प रवेश और माता-िपता का भाव हमारे
ि व को ढाल सकता है, ले कन अंदर क च ान वही रहती है।
मेरी कृ ित मेरा वा तिवक व प है। मेरा ि व वह पोशाक है, जो म अपने ऊपर पहनती ।ँ जब म
सुबह शीशे म देखती ,ँ तो मुझे एक सादा चेहरा, सीधे बाल और मोटा शरीर दखता है। यह मेरा असली व प
है। ले कन म एक घंटे के भीतर मेकअप से अपने चेहरे को रं गीन बना सकती ।ँ म अपने बाल फु लाने और घुँघराले
बनाने के िलए लोहे के रं स का योग कर सकती ँ तथा अपने मोटापे को िछपाने के िलए सुंदर पोशाक पहन
सकती ।ँ मने अपने वा तिवक व प को ढँक िलया है, ले कन इसके नीचे जो है, उसे म थायी प से नह बदल
पाई ।ँ
काश हम खुद को समझ सक और :

जान सक क हम कस चीज़ से बने ह


जान सक क हम सचमुच कौन ह
जान सक क हम िजस तरह से ित या करते ह, य करते ह
जान सक क हमारी शि याँ या ह और उ ह कै से बढ़ाया जा सकता है
जान सक क हमारी कमज़ो रयाँ या ह और उ ह कै से दूर कया जा सकता है

हम जान सकते ह! पसनैिलटी लस हम बताएगी क हम अपनी जाँच कै से करनी है, अपनी शि य को कै से


बढ़ाना है और अपनी कमज़ो रय को कै से ख़ म करना है। जब हम जान जाते ह क हम कौन ह और हमारा
वहार ऐसा य है, तब हम अपने आंत रक व प को समझ सकते ह, अपने ि व को सुधार सकते ह और
दूसर के साथ सामंज य थािपत करना सीख सकते ह। हम कसी दूसरे क नक़ल करने क कोिशश नह कर रहे
ह, यादा चमकदार पोशाक या नई टाई पहनने क कोिशश नह कर रहे ह या हम िजस तरह के प थर के बने ह,
उस पर अफ़सोस नह कर रहे ह। हम तो ज म से िमले क े माल के साथ िजतने अ छे बन सकते ह, बनने क
कोिशश कर रहे ह।
इन दन िनमाता ने लािसक मू तय क नक़ल करने के तरीक़े खोज िलए ह और कसी भी बड़े िग ट
टोर म आपको डेिवड, वॉ शंगटन, लंकन, रीगन और ि लयोपे ा क दजन नक़ल िमल सकती ह। नक़ल ब त
हो सकती ह, ले कन असली आप एक ही ह।

हम कहाँ शु कर?
आपम से कतन को माइकलएंजेलो कॉ ले स है ? आपम से कतने दूसरे लोग को क े माल क तरह देखते ह,
जो आपके िवशेष हाथ से ढल सकते ह? आपम से कतने कम से कम एक ि के बारे म सोच सकते ह, िजसे
आप सचमुच आकार दे सकते ह, बशत वह आपक बुि म ा के श द सुन भर ले? वह ि आपक बात सुनने के
िलए कतना उ सुक है ?
अगर दूसर को अपने मनचाहे साँचे म ढालना संभव होता, तो आज मेरे पित े ड और म आदश होते,
य क हम शु आत से ही एक-दूसरे को अपने साँचे म ढालने क ठान चुके थे। म जानती थी क अगर वे थोड़े खुल
जाएँ और मनोरं जक हो जाएँ, तो हमारा वैवािहक जीवन ब त अ छा हो सकता है; ले कन वे थे क मुझे
वि थत और िज़ मेदार बनाने पर तुले ए थे। हनीमून के दौरान ही मने पाया क े ड और म तो अंगूर खाने के
तरीक़े पर भी एकमत नह थे!
मुझे हमेशा अपने पास ठं ड,े हरे अंगूर का पूरा गु छा रखना अ छा लगता है। मुझे जो भी अंगूर अ छा
दखता है, म उसे तोड़कर खा लेती ।ँ जब तक मने े ड से शादी नह क थी, तब तक म नह जानती थी क
“अंगूर खाने के िनयम” भी होते ह। म नह जानती थी क जीवन के हर छोटे सुख का भी तथाकिथत सही तरीक़ा
होता है। जब म बरमुडा के कि ज बीच पर हमारे कॉटेज के बाहर बैठकर समु को िनहारते ए बड़े गु छे म से
अंगूर तोड़ रही थी, तो मने े ड के मुँह से पहली बार अंगूर खाने के िनयम के बारे म सुना। उस समय मुझे यह
एहसास नह था क े ड मेरे बेतरतीब अंगूर खाने का िव ेषण कर रहे थे, जब तक उ ह ने यह नह पूछा, " या
तु ह अंगूर पसंद ह ?”
“हाँ, ब त यादा पसंद ह!”
“तब तो शायद तुम यह जानना चाहोगी क उ ह सही तरीके से कै से खाया जाता है?”
यह सुनकर मेरी मानी फं तासी टू ट गई और मने एक ऐसा सवाल पूछा, जो बाद म मेरी दनचया का
िह सा बन गया : “मने या गलत कया ?”
“तुमने ग़लत कु छ नह कया; ले कन तुम इसे सही तरीके से नह कर रही हो।” मुझे इन दोन बात म कोई
अंतर नज़र नह आया, ले कन मने बात को उ ह के तरीक़े से कह दया।
“म या सही तरीक़े से नह कर रही ?ँ ”
“सभी जानते ह क अंगूर को सही तरीक़े से कै से खाया जाता है। हम एक बार म एक गु छा काटते ह, इस
तरह।”
े ड ने अपनी नाखून काटने वाली कची बाहर िनकाली और अंगूर का एक छोटा गु छा काटकर मेरे सामने
रख दया।
जब वे मेरी तरफ़ गव से देखते ए खड़े थे, तो मने पूछा, “ या इससे उनका वाद बढ़ जाता है?”
“यह वाद क बात नह है। यह तो इसिलए है, ता क बड़ा गु छा यादा समय तक आकषक लगे। िजस तरह
से तुम अंगूर खाती हो - कु छ अंगूर यहाँ से तोड़े, कु छ वहाँ से तोड़े - उससे गु छा ब त ख़राब दखने लगता है।
ज़रा देखो तो सही, तुमने इसका या हाल कर दया है! देखो वे छोटी-छोटी ख़ाली डंिडयाँ कतनी भ ी दख रही
ह। इनसे पूरा गु छा बुरा दखने लगता है।” मने चार तरफ़ नज़र डाली क कह अंगूर के यायाधीश तो आस-
पास नह िछपे ह, जो मेरे अंगूर के गु छे को कसी ितयोिगता म ले जाने वाले ह , ले कन जब मुझे कोई नह
दखा, तो मने कहा, “ कसे परवाह है?”
मने तब तक यह नह सीखा था क “ कसे परवाह है ?” जैसा वा य े ड से नह बोलना चािहए, य क
इससे उनका चेहरा लाल हो जाता था और वे हताशा से आह भरते ए कहते थे, “मुझे परवाह है और यह पया
होना चािहए।”
े ड को छोटी-छोटी बात क भी स ी परवाह है और उनके प रवार म मेरी उपि थित से पूरे गु छे क
सुंदरता ख़राब हो रही थी। मेरी मदद करने के िलए े ड ने मेहनत करके मुझे सुधारने का बीड़ा उठाया। उनक
बुि म ा क सराहना करने के बजाय म उनक रणनीित को िवफल करने म जुट गई और चतुराई से उ ह अपने
जैसा बनाने क कोिशश करने लगी। बरस तक े ड मेरी असफलता को दूर करने क कोिशश करते रहे - और
म उनक किमय को दूर करने क कोिशश करती रही - ले कन हमम से कसी म भी कोई सुधार नह आ।
जब हमने टम लाहेई क ि प रट कं ो ड टपरामट ( टनडेल हाउस) पढ़ी, तब जाकर हमारी आँख खुल क
हम या कर रहे थे। हम दोन ही सामने वाले को अपने साँचे म ढालने क कोिशश कर रहे थे। हम यह एहसास
ही नह था क कोई हमसे िभ होकर भी सही हो सकता है। मने पाया क म लोकि य आशावादी कृ ित क ,ँ
िजसे आनंद और रोमांच पसंद है; े ड पूण िनराशावादी कृ ित के ह, जो जीवन को गंभीर और मब रखना
चाहते ह।
जब हमने कृ ितय का और अ ययन कया, तो हम पता चला क हम दोन ही कु छ हद तक सश ोधी
कृ ित के थे, जो हमेशा सही होते ह और हर चीज़ जानते ह। कोई हैरानी नह क हमारा तालमेल नह बैठ पाया!
न िसफ़ हम अपने ि व और जीवन क िचय म िबलकु ल िवपरीत थे, बि क हम दोन ही ख़द को सही
मानते थे। या आप इस तरह के वैवािहक जीवन क क पना कर सकते ह?
यह पता चलना कतनी राहत क बात थी क हमारे िलए अब भी उ मीद बाक़ थी। हम एक-दूसरे क
कृ ितय को समझ गए और हमने एक-दूसरे के ि व को वीकार कर िलया। जब हमारा जीवन बदला, तो
हम कृ ितय के बारे म िसखाने, शोध करने और िलखने लगे। पसनैिलटी लस प ीस साल के सेिमनार म दए
गए भाषण , ि व परामश और लोग क कृ ितय के दन- ित दन के अवलोकन का फल है। यह पु तक
आपको आसान, रोचक श दावली म मनोिव ान का सबक़ िसखाएगी, ता क हम :

1. अपनी शि य और कमज़ो रय क जाँच कर सक और यह सीख सक क कस तरह अपने सकारा मक


गुण को बढ़ाया जाए और नकारा मक गुण को ख़ म कया जाए।
2. दूसरे लोग को समझ सक और यह एहसास कर सक क दूसरे हमसे िभ होने के कारण ही ग़लत नह हो
जाते ह।

अपने क े माल का पता लगाने और अपनी मूलभूत कृ ित को समझने के िलए हम ि व या कृ ित समूह क


जाँच करगे, िजनके बारे म िह पो े टीज़ ने 2400 साल पहले िलखा था। हम लोकि य आशावादी कृ ित के
ि य के साथ मज़े करगे, जो उ साह से भरपूर होते ह। हम पूण िनराशावादी कृ ित के ि य के साथ
गंभीर हो जाएँगे, जो सभी काम म पूणता का यास करते ह। हम सश ोधी कृ ित के ि य के साथ
आवेश म आ जाएँगे, िजनम ज मजात नेतृ व मता होती है। और हम शांत संतोषी कृ ित के ि य के साथ
शांित से बैठगे, जो जीवन के साथ सुखद सामंज य थािपत कर चुके ह। चाहे हम कसी भी तरह के ह , हम इनम
से हर कृ ित से कु छ न कु छ सीख सकते ह।
अ याय 2

आपक पसनैिलटी ोफ़ाइल

चार अलग-अलग कार क कृ ितय के बारे म जानने से पहले कु छ िमनट का समय िनकालकर हम अपनी खुद
क पसनैिलटी ोफ़ाइल के बारे म पता लगा ल, िजसे े ड ने तैयार कया है। जब आप िनदश के अनुसार चालीस
सवाल के जवाब पूरे कर ल, तो अपने अंक को कोर शीट पर भर ल और उ ह जोड़ ल। अगर आप लोकि य
आशावादी ह और कॉलम को देखकर दुिवधा म पड़ जाते ह, तो कसी पूण िनराशावादी ि को खोज, जो
जीवन को आँकड़ क ृंखला के प म देखता है और उसक मदद से अपनी शि य तथा कमज़ो रय का योग
कर ल।
कसी म भी कोई कृ ित शत- ितशत नह होती है, ले कन कोर से आपको अपनी मूलभूत शि य और
कमज़ो रय क सटीक जानकारी िमल जाएगी। अगर सभी कृ ितय म आपके समान अंक आते ह, तो शायद आप
शांत संतोषी ह, जो ब उ े यीय होता है।
आपक पसनैिलटी ोफ़ाइल अनूठी है, ले कन अपनी कृ ित क संरचना क जानकारी से आप ख़द को समझ
सकगे और दूसर को भी उनके वा तिवक प म वीकार कर सकगे। जब आप अपने प रवार और िम क ख़द
का िव ेषण करने के िलए ो सािहत करगे, तो आप सं ेषण के नए रा ते खोल दगे, जो ानवधक और
आनंददायक ह गे।
अपने कृ ित परी ण का कोर देखने के बाद आपको अपने अंद नी गुण के बारे म पता चल जाएगा -
आपके वे ज मजात गुण, िजनक वजह से आप प रि थितय के ित अपनी सामा य ित या करते ह। अपने
वा तिवक व प क अिधक गहरी समझ के िलए अगले पाँच अ याय पढ़ और अपने बारे म ब त सी नई बात
जान।

जब स ाई का मसीहा आएगा, तो वह सैक स ाई क दशा म आपका मागदशन करे गा|


जॉन 16:13

आपक पसनैिलटी ोफ़ाइल


िनदश - नीचे हर लाइन म चार श द दए गए ह। आपको उनम से हर लाइन म उस श द के पहले X िलखना है,
जो आप पर सबसे यादा बार लागू होता है। सभी चालीस लाइन म ऐसा कर और यह सुिनि त कर क हर
लाइन म आपने कसी न कसी श द पर िनशान लगा दया है। अगर आपको यक़ न नह है क आप पर कौन सा
श द “सबसे यादा बार” लागू होता है, तो अपने जीवनसाथी या िम से पूछ ल और सोच क बचपन म आपका
जवाब या होता। (इनम से हर श द क पूरी प रभाषा के िलए पृ 242 देख।)

शि याँ
कमज़ो रयाँ
पसनैिलटी को रं ग शीट
अब अपने सभी X को पसनैिलटी को रं ग शीट पर उसी श द के सामने रख द। उदाहरण के िलए अगर आपने
ोफ़ाइल म जीवंत श द पर X िलखा हो, तो को रं ग शीट पर भी उसके पहले X िलख द। ( ट पणी : ोफ़ाइल
और को रं ग शीट म लाइन के श द तो वही ह, ले कन श द का म बदल गया है।)
शि याँ

योग शि याँ
कमज़ो रयाँ

योग – कमज़ो रयाँ कु ल योग


कु ल योग

इस टे ट क ा या करना ब त आसान है। जब आप अपने जवाब को को रं ग शीट पर उतार ल, तो फर


चार कॉलम के सभी जवाब का अलग-अलग योग कर ल। शि य और कमज़ो रय वाले दोन खंड का योग
जोड़ने के बाद आप जान जाएँगे क आपक मुख कृ ित कौन सी है। आप यह भी जान जाएँगे क आपम कन
कृ ितय का सामंज य अिधक बल है। उदाहरण के िलए, अगर आपका कोर सश ोधी कृ ित क शि य
और कमज़ो रय म 15-15 आता है, तो संदह े क यादा गुंजाइश नह है। आप मूलतः सश ोधी कृ ित के
ि ह। ले कन अगर आपका कोर लोकि य आशावादी कृ ित म 8 है, पूण िनराशावादी कृ ित म 6 है, और
बाक़ दोन कृ ितय म 2-2 है, तो आप लोकि य आशावादी कृ ित के ह, िजसम पूण िनराशावादी कृ ित भी
बल है। ज़ािहर है, इससे आपको अपनी सबसे कम बल कृ ित क जानकारी भी िमल जाती है।
इस पु तक को आगे पढ़ने पर आप सीखगे क अपनी शि य से लाभ कै से उठाना है, अपनी बल कृ ित क
कमज़ो रय क भरपाई कै से करनी है और बाक़ कृ ितय क शि य तथा कमज़ो रय को कै से समझना है।
पसनैिलटी ोफ़ाइल लोरस िलटार क पु तक आ टर एवरी वे डंग क स अ मै रज से ली गई है। कॉपीराइट ©,
1981, हाव ट हाउस पि लशस।
खंड दो

िभ कृ ितय क शि याँ

हमारे ि गत गुण का सव ण
अब आपको अपने टे ट का कोर पता चल चुका है। अब आप जान चुके ह क आपक कृ ित या कृ ितय का
सामंज य कै सा है। अब हम हर कृ ित क शि याँ सं ेप म जान लेते ह। म शत लगाती ँ क आपको यह पता भी
नह होगा क आपम ये अ छे गुण ह! अपनी कृ ितय क खूिबय को जानने के बाद उनसे लाभ उठाएँ।

लोकि य आशावादी कृ ित
बिहमुखी • व ा • आशावादी
शि याँ लोकि य आशावादी ि के गुण
लोकि य आशावादी ि के गुण
आकषक ि व
बातूनी, कहानी सुनाने वाला
अ छा हा यबोध
रं ग क अ छी याददा त
ोता को शारी रक प से पकड़ने वाला
भावुक और दशनकारी
उ साही और अिभ ि म िनपुण
खुशिमज़ाज और जोशीला
िज ासु
मंच पर े
भोला और मासूम
वतमान म जीने वाला
पल-पाल वहार बदलने वाला
दल से स ा
हमेशा ब ा बना रहने वाला

अिभभावक के प म लोकि य आशावादी ि


घर को मज़ेदार बनाता है
ब के िम उसे पसंद करते ह
बुरी घटना को हँसी-मज़ाक़ म बदल देता है
सकस मा टर होता है

काम के े म लोकि य आशावादी ि


काम के िलए वे छा से हाँ कर देता है
नई गितिविधय के बारे म सोचता है
ऊपर से ब त ब ढ़या दखता है
रचना मक और रं गीन
ऊजा और उ साह होता है
ज़ोरदार शु आत करता है
दूसर को शािमल होने के े रत
करता है
अपने आकषण से दूसर से काम
करवाता है

िम के प म लोकि य आशावादी ि
आसानी से िम बनाता है
लोग से ेम करता है
शंसा को पसंद करता है
रोमांचक दखता है
दूसरे इससे ई या करते ह
मनमुटाव नह रखता है
ज दी माफ़ माँग लेता है
नीरस पल को रोकता है
अनायास होने वाली गितिविधय को
पसंद करता है

पूण िनराशावादी कृ ित
अंतमुखी • चंतक • िनराशावादी
शि याँ
पूण िनराशावादी ि के गुण
गहरा और िवचारशील
िव ेषणकारी
गंभीर और उ े यपूण
जीिनयस बनने क संभावना
गुणी और रचना मक
कला मक या संगीतमयी
दाशिनक और का ा मक
सौदय का शंसक
दूसर के ित संवेदनशील
यागपूण
अंतरा मा को िनदश मानने वाला
आदशवादी

अिभभावक के ाप म पूण िन ाशावादी ि


ऊँचे मानदंड थािपत करता है
हर चीज़ सही तरीक़े से करना चाहता है
घर को सु वि थत रखता है
ब के फै ले सामान उठाता रहता है
दूसर के िलए अपनी इ छा का बिलदान करता है
अ ययन और स गुण को ो सािहत करता है

काम के े म पूण िनराशावादी ि


दनचया का पसंद
पूणतावादी, ऊँचे मानदंड
िववरण को ित जाग क
लगनशील और पूण
मब और सु वि थत
साफ़-सुथरा
िमत यी
सम या को देखने वाला
रचना मक समाधान खोजता है
शु कए काम को पूरा करने क ज़ रत
महसूस करता है
चाट, ाफ़, आँकड़ और सूिचय को पसंद
करता है

िम के प म पूण िन ाशावादी ि
सावधानी से िम बनाता है
पृ भूिम म रहकर संतु रहता है
यान आक षत करने से कतराता है
िन ावान और वफ़ादार
िशकायत सुनता है
दूसर क सम याएँ सुलझा सकता है
दूसर के ित गहरी चंता रखता है
क णा से आँसू भर आते ह
आदश जीवनसाथी खोजता है
सश ोधी कृ ित
बिहमुखी • कमशील • आशावादी
शि याँ
सश ोधी ि के गुण
पैदाइशी नेतृ वकता
गितशील और स य
प रवतन क आव यकता महसूस करता है
गलितय को ठीक कए िबना नह रह सकता
दृढ़ इ छाशि और िनणय लेने वाला
भावहीन
आसानी से हताश नह होता
आ मिनभर और उपायकु शल
आ मिव ास झलकता है
कोई भी चीज़ सँभाल सकता है

अिभभावक के प म सश ोधी ि
बल नेतृ व मता कट करता है
ल य बनाता है
प रवार को कम के िलए े रत करता है
सही जवाब जानता है
घर को सु वि थत करता है
काम के े म श ोधी ि
ल यक त
पूरी त वीर देखता है
अ छी तरह योजना बनाता है
ावहा रक समाधान चाहता है
कम क ओर तेज़ी से वृ होता है
काम स पता है
उ पादन पर ज़ोर देता है
ल य बनाता है
गितिविधय को े रत करता है
िवरोध होने पर और अिधक े रत होता है
िम के प म सश ोधी ि
िम क ब त कम ज़ रत होती है
सामूिहक गितिविध के िलए काय करता है
आम तौर पर सही होता है
आपातकालीन ि थितय म े होता है
शांत संतोषी कृ ित
अंतमुखी • दशक • िनराशावादी
शि याँ

शांत संतोषी ि के गुण


दबा आ ि व
आरामपसंद और आरामदेह
शांत, संयमी और संयत
धैयवान, संतुिलत
एक सा जीवन
शांत ले कन हािज़रजवाब
सहानुभूितपूण और दयालु
भावनाएँ िछपाता है
जीवन से सुखद समझौता कर लेता है
ब उ े यीय ि

अिभभावक के प म शांत संतोषी ि


अ छा अिभभावक बनता है
ब के िलए समय िनकालता है
ज दी म नह रहता है
अ छे के साथ बुरे को भी झेल सकता है
आसानी से िवचिलत नह होता है

काम के े म शांत संतोषी ि


यो य और ि थरिच
शांत और खुशिमज़ाज
शासिनक मता होती है
म य थता करके सम याएँ सुलझाता है
संघष से बचता है
दबाव म े दशन करता है
आसान रा ता खोजता है

िम के छाप म शांत संतोषी ि


साथ चलने म आसान
ख़शनुमा और आनंद देने
कसी को चोट नह प च ँ ाता
अ छा ोता
शु क हा यबोध
इसे लोग को देखना अ छा लगता है
इसके कई दो त होते ह
क णा और परवाह होती है

पसनैिलटी के काय-संबंधी गुण के बारे म अिधक जानकारी के िलए लोरस और मे रटा िलटार क पु तक
पसनैिलटी पज़ल पढ़ (रे वेल, 1992)।
अ याय 3

आइए लोकि य आशावादी ि य के साथ मज़े कर

इस दुिनया को लोकि य आशावादी ि य (popular sanguines) क कतनी यादा ज़ रत है|

मुि कल समय म खुशी का संचार।


बुढ़ापे म भी मासूिमयत क झलक।
काम के बोझ को कम करने वाला वा चातुय।
दल के भारीपन क ह का करने वाला हा यबोध।
काले बादल को दूर करने वाली आशा क करण।
बार-बार शु करने का उ साह और ऊजा।
नीरस दन म रं ग भरने वाली रचना मकता और आकषण।
ज टल प रि थितय म भी ब े जैसी सादगी।

आशावादी ि लोकि य होते ह। वे चाँद-िसतार क दुिनया म रहते ह और उस दुिनया को अपने घर के आँगन


म उतार लाते ह। लोकि य आशावादी ि जीवन क परी कथा मानते ह और वे परी कथा क तरह हमेशा
ख़श रहना चाहते ह।
लोकि य आशावादी ि आम तौर पर भावुक और मुखर होते ह। वे काम को मज़ेदार बना लेते ह और
उ ह लोग के साथ रहना ब त अ छा लगता है। ऐसे ि हर काम म रोमांच खोज लेते ह और हर घटना का
बेहद रं गीन वणन सुनाते ह। ये बिहमुखी और आशावादी होते ह।
मेरा बेटा े डी पूण िनराशावादी ि का आदश उदाहरण है। एक दन जब म उसके साथ कार से जा रही
थी, तो रा ते म गुलबहार के सफ़े द चमकते फू ल दखे। उ ह देखकर म बोली, “इन सुंदर फू ल को तो देखो!” जब
े डी मुड़ा, तो उसक िनगाह काँटेदार झाड़ी पर पड़ और उसने आह भरते ए कहा, "हाँ, पर उस काँटेदार झाड़ी
को तो देखो!” उसने पल भर तक सोचकर मुझसे पूछा, “ऐसा य है क आप हमेशा फू ल देखती ह और मुझे
हमेशा काँटेदार झािड़याँ दखती ह?” फू ल को देखना लोकि य आशावादी ि य क फ़तरत म होता है। वे
हमेशा सव े क आशा करते ह।

लोकि य आशावादी ब े
चूँ क हम सभी वहार के िविश गुण के साथ ज म लेते ह, इसिलए हमारी कृ ित बचपन म ही दख जाती है।
लोकि य आशावादी ब े आनंद और खेल क तलाश म रहते ह तथा वे बचपन से ही िज ासु और ख़शिमज़ाज
होते ह। ऐसे ब के हाथ जो भी चीज़ लगती है, वे उसी से खेलने लगते ह, हँसते-िखलिखलाते रहते ह और उ ह
लोग के साथ रहना ब त अ छा लगता है।
हमारी बेटी मे रटा लोकि य आशावादी है और बचपन से ही उसका हा यबोध ब त आनंददायक है। उसक
बड़ी-बड़ी आँख िजस पल खुली थ , उसी पल उनम चमक साफ़ दख रही थी। कु छ समय पहले जब हम उसके
बचपन और कू ल क त वीर साल-दर-साल जमा रहे थे, तो हम सभी को त वीर म उसका शरारती भाव दखा,
िजसक वजह से वह अ सर मुि कल म फँ स जाती थी, ले कन उसका साथ मज़ेदार लगता था। मे रटा हमेशा
बोलती रहती थी और उसम रचना मक ितभा कू ट-कू ट कर भरी ई थी। उसे जो चीज़ िमलती थी, वह उसम
रं ग भर देती थी, िजसम दीवार भी शािमल थ । जब हम कनेि टकट से दूसरी जगह रहने जाने लगे, तो म बेसमट
क दीवार क भी साथ ले जाना चाहती थी, य क उस पर छोटे-छोटे हाथ के नीले छापे बने ए थे, जो मे रटा
ने पो टर पट क बोतल फ़श पर िगराने के बाद बनाए थे। आज मे रटा मीिडया पि लिसटी के े म होने के साथ
ही लेिखका और वा पटु व ा भी है।

भावी ि व
हो सकता है क लोकि य आशावादी ि य म अ य कृ ितय के लोग क तुलना म यादा ितभा या अवसर
न ह , ले कन वे कसी भी ि थित का हमेशा सबसे यादा आनंद लेते ह। उनके उ साही ि व और नैस गक
आकषण से लोग उनक तरफ़ खंचे चले आते ह। लोकि य आशावादी ब के ब त से शंसक बन जाते ह, जो
उनके आगे-पीछे घूमते रहते ह, य क वे ऐसी जगह रहना चाहते ह, जहाँ दलच प घटनाएँ हो रही ह । हमारी
बेटी मे रटा बचपन म हर दम कोई न कोई रोमांचक काम करती रहती थी। जब बाक़ ब े अपनी िखलौना कार
से खेलते थे, तब उसने हमारी पहाड़ी के कनारे पर पूरा शहर बना डाला था। उसके िनदशन म उसने और उसके
िम ने सड़क और पा कग थान तक बना डाले थे। उसक पहली इमारत एक बक थी, िजसम मोनोपॉली गेम
का नक़ली पैसा रखा आ था। इस रोमांचक खेल म शािमल होने के िलए हर ब े को बक के शेयर खरीदने पड़ते
थे, िजसके िलए उसे एक असली डॉलर चुकाना पड़ता था। डॉलर के बदले उस ब े को नकली पए िमलते थे। इन
डॉलस से मे रटा ने लाि टक क ईट और सामान ख़रीद िलए, िज ह वह घर बना रहे दूसरे लोग को बेचने लगी।
शहर म ि थित (location) के अनुसार हर लॉट क क़ मत अलग-अलग होती थी और सबसे यादा पैसे वाल
को सबसे अ छी जगह िमलती थी।
ब े दन भर पहाड़ी पर चढ़ते-उतरते रहते थे। इसम असली डॉलर भी शािमल ह, यह मुझे तब तक पता
नह चला, जब तक क पाँच साल के े डी ने मुझे जंगली फू ल का एक गु छा बेचने क कोिशश नह क , ता क
उसे “खरीदने” के िलए पया पैसे िमल जाएँ। हमारे घर के आस-पास कई पहािड़याँ थ , जहाँ हर ब ा मु त म
अपना ख़द का शहर बना सकता था, ले कन मे रटा ने यह घोषणा क थी क उसक पहाड़ी “सबसे अ छी
जायदाद” थी और िसफ़ वही रहने कािबल थी।
बड़े होने के बाद भी लोकि य आशावादी ब े भीड़ को लुभाते रहते ह। वे अपने गग के लीडर बन जाते ह,
कू ल के नाटक म मु य भूिमकाएँ िनभाते ह और उनके बारे म अ सर कहा जाता है क जीवन म उनक सफलता
क संभावना सबसे यादा है। ऑ फ़स के काम म भी वे यान आक षत करते ह, पा टयाँ देते ह और समस क
सजावट का काम करते ह। जहाँ भी जीवन नीरस होता है, वहाँ वे रोमांच भर देते ह।
माँ के प म लोकि य आशावादी मिहला घर को सुखद बना देती है। वह पाइड पाइपर क तरह ब को
चुंबक जैसा आक षत करती है। चूँ क लोकि य आशावादी ि भीड़ के आकार के अनुपात म चमकते ह,
इसिलए उनक ितभा एक ोता के बजाय समूह के सामने यादा खर होती है। उनका सव े प भीड़ के
सामने ही कट होता है। इसीिलए लोकि य आशावादी माताएँ अपने छोटे ब े को अके ले कहानी सुनाने के
बजाय ब से भरे कमरे म नाटक य प से कहानी सुनाना यादा पसंद करती ह।
मैरी एिलस नामक युवती ने मेरे एक सेिमनार के बाद मुझे बताया क वह अपने इलाके म - दरअसल पूरे
शहर म - काफ़ लोकि य हो गई, जब उसे पता चला क बावन डॉलर म वह चार सौ गु बारे और हीिलयम का
टक ख़रीद सकती है। उसके बेटे क बथडे पाट थी और हर मेहमान ब े ने बारी-बारी से गु बारे भरकर उड़ाए।
जब चार सौ गु बारे हवा म उड़े, तो उसक पाट के चच शहर भर म होने लगे।
बहरहाल, लोकि य आशावादी ि य क रोमांचक गितिविधयाँ कई बार सीमाएँ लाँघ जाती ह। एक
रचना मक माँ ने मुझे बताया क वे आस-पड़ोस के ब म काफ़ लोकि य ह, य क वे अपने घर म हमेशा कु छ
न कु छ ख़ास करती रहती ह। एक दन उ ह ने अपने यहाँ आने वाले ब को बताया क पीछे के आँगन म ब त
सारे हाथी आ गए ह, इसिलए सबको िछप जाना चािहए। तभी दरवाज़े क घंटी बजी और वह माँ रगती ई
दरवाज़े तक ग । बाहर एक छोटी लड़क खड़ी थी, िजसने पूछा क वे ऐसे य चल रही ह। उ ह ने जवाब दया,
“घर के िपछवाड़े हाथी भरे ए ह और म यह नह चाहती क वे मुझे देख ल। अ छा रहेगा क तुम भी नीचे झुक
जाओ।” सभी ब े शांित से दुबके रहे। बीच-बीच म माँ बार-बार िखड़क के पास जाकर हािथय क जाँच करती
रही। आिखर पाँच बजे उ ह ने घोषणा क , “हाथी चले गए ह, इसिलए अब तुम सुरि त घर जा सकते हो।”
बाद म उ ह पता चला क एक छोटी ब ी ने घर जाकर अपनी माँ को बताया, “माँ, आज िमसेज़ ि मथ के
घर के िपछवाड़े हाथी आ गए थे, इसिलए उ ह दन भर घर म िछप-िछपकर चलना पड़ा।” उस माँ को लगा क
उसक बेटी झूठ बोल रही है, इसिलए उ ह ने उसे सज़ा दे दी।
लोकि य आशावादी ि यो, इस बारे म सावधान रह क आपका आनंद और म ती सीमा न लाँघ जाए।

बातूनी,कहानी सुनाने वाले


लोकि य आशावादी ि क पहचानने का सबसे प तरीक़ा यह है क आप कसी समूह म उस ि क
तलाश कर, जो सबसे ज़ोर से बोल रहा हो और लगातार बोल रहा हो। दूसरी कृ ित के लोग बात करते ह;
आशावादी ि लगातार कहानी सुनाते ह।
जब हम यू हैवन, कनेि टकट म रहते थे, तब उस शहर म एक सात मंिज़ला पा कग गैरेज बना। एक बार
समस से एक दन पहले मने उस सीमट के ढाँचे म अपनी कार खड़ी क , जो कसी खुली जेल क तरह दख
रहा था। इसके बाद म इ मीनान से शॉ पंग करने चली गई। लोकि य आशावादी ि प रि थितवादी होते ह,
इसिलए उनक याददा त कमज़ोर होती है और उ ह इधर-उधर रखी चीज़ जैसे कार को ढू ँढ़ने म मुि कल आती
है। ऐसा ही मेरे साथ आ। जब म शॉ पंग करने के बाद उस पा कग के कले के पास प च
ँ ी, तो मुझे ज़रा भी याद
नह था क मने कार कहाँ पाक क है।
लोकि य आशावादी मिहला के साथ एक अ छी बात यह है क उसके चेहरे पर असहायता का ऐसा भाव
होता है, िजससे आम तौर पर लोग का यान आक षत हो जाता है। लोकि य आशावादी मिहला क तरह म
वहाँ खड़े-खड़े सात मंिज़ल क तरफ़ घूरने लगी और यह सोचने लगी क कार खोजने का काम कहाँ से शु क ँ ।
एक आकषक युवक पास से गुज़र रहा था। जब उसने मुझे ब त सारे सामान के साथ परे शानहाल देखा, तो उसने
पूछा, “ या आप कसी परे शानी म ह?”
“मुझे पता नह है क इस सात मंिज़ला गैरेज म मेरी कार कहाँ खड़ी है|”
“आपक कार कै सी है?”
“यह भी एक सम या है। मुझे नह मालूम।”
उसने हैरानी से पूछा, “आपको यह भी नह मालूम क आपक कार कै सी है ?”
“देिखए हमारे पास दो कार ह और मुझे याद नह है क आज म कौन सी कार लाई ।ँ ”
एक िमनट तक सोचने के बाद वह बोला, “मुझे अपनी चािबयाँ दखाएँ।
शायद उससे कु छ अंदाज़ा लग जाए।”
यह आ ह आसान लगता था, ले कन यह इतना भी आसान नह था। चािबयाँ खोजने के िलए मुझे अपने
सारे पैकेट नीचे रखने पड़े और पास वाली गटर के ऊपर बनी जगह पर हडबैग को पूरा ख़ाली करना पड़ा, तब
कह जाकर मुझे चािबयाँ िमल । मुझे घुटन के बल गटर के ऊपर कु छ करते देख एक और आदमी वहाँ आ गया
और पूछने लगा, “ या हो गया ?”
पहले युवक ने जवाब दया, “इस सात मंिज़ला पा कग गैरेज म इनक कार खो गई है।”
उसने भी वही सवाल पूछा, “कार कै सी है?”
“इ ह नह पता।”
“इ ह नह पता? तो फर हम उसे कै से खोज पाएँगे ?”
वे दोन हार मान, इससे पहले ही मने उ साह से उ ह बता दया, “या तो यह पीली कार है, िजसके अंदर
काले रं ग क सीट और लाल डायल ह, या फर यह बड़ी नैवी लू कार है, िजसम इसी रं ग क सीट ह।”
दोन आदिमय ने अपना िसर िहलाया, मेरे पैकेट उठाए और मुझे पा कग गैरेज क तरफ़ ले गए। जब हम
सात मंिज़ल म कार खोजने लगे, तो सहयोगी वृित के दूसरे लोग भी हमारे समूह म शािमल हो गए और हमम
जान-पहचान हो गई। जब तक हम ओ एफ़एलओ लाइसस लेट लगी पीली कार िमली, तब तक हमम इतनी
अ छी घिन ता हो चुक थी क म एक लब शु करके उसक ेिसडट बनना चाहती थी।
म तेज़ी से घर प च ँ ी। म अपने पित े ड को गैरेज म कार खोजने के इस अ भुत संग के बारे म िव तार से
बताने के िलए ाकु ल थी। पं ह िमनट बाद जब मेरी कहानी ख़ म ई, तो मुझे यह सुनने क उ मीद थी, “ कतने
भले लोग थे, िज ह ने मेरी यारी बीवी क मदद क !” ले कन नह । उ ह ने गंभीरता से अपना िसर िहलाया और
आह भरते ए कहा, “मुझे इस बात पर शम आती है क मेरी शादी इतनी मुख औरत से ई है, जो यह भी भूल
सकती है क सात मंिज़ला पा कग गैरेज म उसने कार कहाँ पाक क थी!”
ज दी ही मने यह सीख िलया क म अपनी कहािनयाँ ऐसे लोग को ही सुनाऊँ, जो मेरे हा यबोध क क़
कर।

पाट क जान
लोकि य आशावादी लोग क मूलभूत इ छा यह होती है क वे आकषण का क बन जाएँ। उनक दलच प
बात के साथ उनका यह गुण उ ह पाट क जान बना देता है। जब मेरा भाई रॉन कशोर था और म उसक हाई-
कू ल पीच टीचर थी, तो हम पा टय म जाने से पहले ख़ास-ख़ास पंि य क रहसल कर लेते थे। म उसे ताज़ा
राजनीितक-आ थक घटनाएँ बता दया करती थी और वह उनके बीच म मज़ेदार बात जोड़ देता था। जब भी
बात करते-करते वह िवषय आता था, तो हम अपना “ व रत” हा यबोध द शत करने के िलए तैयार रहते थे।
ज दी ही हमारी लोकि यता चार तरफ़ फै ल गई, हालाँ क हमारा रह य कसी को पता नह चल पाया। इसके
बाद तो हालत यह हो गई क लोग हम अपनी पा टय म बुलाने के िलए पैसे तक देने लगे।
लॉस एंजेिलस टाइ स म एक लेख छपा था, िजसम िलखा था, “पाट के िलए मेहमान कराए पर ल।” इसम
यह बताया गया था क लोग अपनी पा टय को सफल बनाने के िलए आकषक और वा पटु कृ ित के लोग को
कराए पर ले सकते ह। लोकि य आशावादी ि य के िलए यह कतना ब ढ़या वसाय है : हर रात को
पा टय म जाना और बदले म पैसे भी कमाना।
अगर आप लोकि य आशावादी लोग को कराए पर बुलाने का खच नह उठा सकते, तो ऐसे लोग से जान-
पहचान बढ़ा ल और यह सुिनि त कर क आपक िडनर पा टय म कम से कम ऐसे दो लोग ज़ र मौजूद रह।
बस इतना यान रख क उ ह पास-पास न बैठाएँ, वरना बाक़ लोग एकाक महसूस करने लगगे। इसके बजाय
उ ह टेबल के िवपरीत िसर पर बैठाएँ, ता क वे पूरी शाम िसफ़ एक-दूसरे का ही मनोरं जन न करते रह।

रं गीन
हालाँ क लोकि य आशावादी ि य के िलए नाम, तारीख, जगह और त य याद रखना मुि कल होता है,
ले कन उनम ज़ंदगी के रं गीन वणन याद रखने क अनूठी मता होती है। हो सकता है क कसी भाषण के बाद
उ ह यह याद न ही क व ा ने या कहा था, ले कन उ ह यह ज़ र याद रहता है क काय म म बोलने वाली ने
बगनी रं ग क पोशाक पहनी थी, िजसम सामने मोर बने थे और एक सीने पर पीला चाँद िनकल रहा था। हो
सकता है उ ह यह याद न रहे क वे चच म गए थे या संगीत काय म म, ले कन वे आपको समूहगान के संगीत-
िनदशक का मज़ेदार वणन सुना सकते ह, जो अपना अंद नी व पहनना भूल गई थी और लडलाइट म खड़ी
होने के कारण उसक गलती सबको नज़र आ रही थी।
मुझे नाम याद रखने म उलझन होती है, ले कन म रं गीन िवचार याद रख सकती ,ँ जैसे लोग का
वसाय। जब हमारी बेटी लॉरे न के कई तरह के बॉय स घर आते थे, तो मने उनके नाम याद रखने का एक
रचना मक तरीक़ा खोज िलया था। म उनके सरनेम क जगह पर उनके वसाय को रख देती थी, ता क उनका
नाम याद रह जाए। यह िसलिसला डेिवड से शु आ, जो एक बाइक टोर का मािलक था और उसका एक लंबा
सरनेम था, िजसके बीच म कह पर झेड था। आज तक म उसके नाम का उ ारण नह कर पाता ,ँ इसिलए मने
उसका नाम “डेिवड साइकल” रख दया, ता क वह "डेिवड कै मरा” से अलग हो जाए, जो फ़ोटो ाफ़र था। “डी
लेन” एक पायलट था और आप ‘‘डॉन एयर फ़ोस” के वसाय के बारे म खुद ही अंदाज़ा लगा सकते ह। “बॉबी
वॉटस” संचाई िवभाग म काम करता था, “रॉन लोन” बक म काम करता था और “जेफ़ बेरोज़गार” कोई काम
नह करता था। लॉरे न क शादी “रडी कॉइन” से ई, जो िस का सं ाहक तथा िवशेष था।
बाद म मे रटा के साथ भी यही आ और वह घर पर ोसरी टोर के मािलक “िजमी स ज़ी” को ले आई,
िजसके बाद “पॉल पुिलस” आया, जो पुिलस िवभाग म काम करता था। फर ‘पीटर पटर” आया, जो एक पट
कपनी का मािलक था और बाद म “मै ी मनी,” जो अमीर था।
खराब याददा त क कमज़ोरी को पा रवा रक परं परा म बदलने का काम िसफ़ लोकि य आशावादी लोग
ही कर सकते ह।

ोता को पकड़ना
चूँ क लोकि य आशावादी ि ब त गमजोश होते ह, इसिलए उनम अपने िम को गले लगाने, चूमने, धौल
जमाने और छू ने क आदत होती है। यह शारी रक संपक उनके िलए इतना वाभािवक होता है क उनका यान
इस तरफ़ जाता ही नह है और जब वे अपनी बाँह खोलकर आगे बढ़ते ह तो पूण िनराशावादी लोग पीछे क
तरफ़ हटने लगते ह।
मेरी बेटी मे रटा और म दोन ही लोकि य आशावादी ह और हम एक-दूसरे को गले लगाती रहती ह। चूँ क
हम दोन एक साथ काम करती ह, इसिलए हम ऑ फ़स म भी िमलती रहती ह और िनरं तर संपक म रहती ह।
एक दन मे रटा एक सहेली के साथ लंच करने गई और उसके बाद है रस नाम के िडपाटमटल टोर म शॉ पंग
करने चली गई। उसी दन अनायास ही म भी है रस टोर गई और मुझे मेकअप काउं टर पर मे रटा दख गई।
वाभािवक प से मने िच लाकर कहा, ‘मे रटा, मेरी यारी ब ी!” वह मेरी तरफ़ दौड़ती ई आई और बोली,
' यारी माँ!” हम झपटकर इस तरह गले लग गए, जैसे काफ़ समय से िबछु ड़ी ई सहेिलयाँ ह । हम टेलकम
पाउडर क टेबल के ऊपर एक-दूसरे को चूमती और गले लगाती रह । लक चुपचाप खड़ी रही। मे रटा ने उसे
बताया, ‘ये मेरी माँ ह।”
लक ने जवाब दया, “मने अंदाज़ा लगा िलया था। वैसे आप दोन कतने अरसे बाद एक-दूसरे से िमल रही
ह?”
मे रटा और मने एक साथ जवाब दया, ‘दो घंटे बाद।”
लक ने हैरानी से कहा, “ओह। मुझे तो लग रहा था क आप लोग कम से कम एक साल बाद िमल रही
ह गी।”
लोकि य आशावादी लोग म ‘छू ने” क आदत तो होती ही है, इसके अलावा वे अ सर अपने ोता को
पकड़कर भी रखते ह, ता क वह क़रीब ही रहे और कह भाग न जाए। लोकि य आशावादी लोग को सबसे
यादा चोट इस बात से प च
ँ ती है क उनका मज़ाक़ ख़ म होने से पहले ही उनका ोता भाग िनकले।

मंच पर उ कृ
जब आप ि व और उनक कृ ितय को समझने लगगे, तो आप जीवन के हर े म इस ान का इ तेमाल
करगे। इस ान के सही योग से आप ब त सी गलितय से बच जाएँगे और जान जाएँगे क लोग को सही जगह
पर कै से रखना है। लोकि य आशावादी लोग म नाटक यता क आांत रक अनुभूित होती है। उनम मंच और कै मरे
के लस के बीच रहने का चुंबक य आकषण होता है। वे रोमांच क तरफ़ खंचे चले जाते ह और अगर रोमांच कम
होने लगता है, तो वे इसे उ प भी कर देते ह।
लोकि य आशावादी ि उ कृ वागतकता, मेहमाननवाज़, रसे शिन ट, मा टस ऑफ़ सेरेमनी और
लब ेिसडट बनते ह। वे सबको आनं दत कर सकते ह और नीरस लोग म भी उ साह भर सकते ह। आप तो बस
उ ह दशक दे द, वे अपना नाटक ख़द िलख लगे।

बड़ी-बड़ी आँख वाले और मासूम


लोकि य आशावादी ि हमेशा ऑख फै ला-फै लाकर देखता रहता है और मासूम दखता है। ऐसे लोग िन कपट
होते ह और बुढ़ापे म भी उनम ब जैसी सादगी होती है। हालाँ क सच तो यह है क वे बाक़ कृ ित वाले लोग
से यादा मूख नह होते ह; वे तो िसफ़ ऐसे दखते ह।
मेरी सहेली पैटी इसका सटीक उदाहरण है। उसक आँख बड़ी-बड़ी और भूरी ह। इ ह यादा भावी बनाने
के िलए वह बड़ी-बड़ी नक़ली आईलैशेस का इ तेमाल भी करती है। उसे देखकर हमेशा ऐसा लगता है, जैसे वह
बा रश से बचने के िलए कसी ितरपाल के नीचे खड़ी हो। पैटी को कोई कु छ भी बताए, वह हमेशा अपनी पलक
झपकाकर कहती है, 'अरे , मने तो कभी इस बारे म सोचा ही नह !”
एक दन मेरे पित ने मुझसे पूछा, “पैटी कभी कसी बारे म सोचती भी है या नह ?” लोकि य आशावादी
ि य को हर िवचार नया लगता है।

उ साही और शारी रक मु ा के योग म िनपुण


लोकि य आशावादी ि भावुक और शारी रक मु ा के योग म िनपुण होते ह। वे लगभग हर चीज़ के बारे
म आशावादी और उ साही होते ह। आप िजस भी काम के बारे म सोच, वे उसे करना चाहते ह। आप िजस भी
जगह का िज़ कर, वे वहाँ जाने के िलए तैयार रहते ह। वे ि थर नह रहते ह, बि क कू दते ह, हाथ िहलाते ह और
िहलते-डु लते रहते ह। म लोकि य आशावादी कृ ित के एक पादरी को जानती ,ँ जो अपने वचन के दौरान
अ सर इतने रोमांिचत हो जाते ह क उ ह एक हाथ म बाइबल पकड़ने म द त होती है, य क लहराने के िलए
िसफ़ एक ही हाथ बचता है। शारी रक मु ा से अिभ ि के िलए वे इतने आतुर रहते ह क अपने पंज को
उठाते और िहलाते रहते ह। यही नह , जब कोई मह वपूण बात आती है, तो उस पर ज़ोर देने के िलए वे लात भी
चलाते ह। अगर उनके वचन म आपक िच न भी हो, तो भी आपको यह देखने म मज़ा आ जाएगा क वे िबना
संतुलन खोए यह काम कतनी देर तक कर सकते ह।
एक लड़क ने अपने लोकि य आशावादी प रवार के बारे म बताते ए कहा था, “हम एक ऐसे घर म बड़े
ए थे, जहाँ भावनाएँ दीवार से रस रही थ ।”
मेरी सहेली कॉनी कई यूटी शॉ स क माल कन है। उसने मुझे बताया क वह कोिशश करती है क उसक
हेयर से स लोकि य आशावादी ह । इसका कारण यह है क इस कृ ित क हेयर स े स ही सारे दन ाहक क
मुि कल सम या को सुनने के बावजूद उ साही रह सकती ह। “दोपहर तक उनके सामने का शे फ़ अ त- त
हो जाता है। हर जगह रोलर िबखरे रहते ह। वे एक-दूसरे से कं घी उधार लेती रहती ह। ले कन हर शाम को घर
जाते समय वे खुश रहती ह। अ त- त शे फ़ से मुझे यादा द क़त नह होती है। म हर रात को एक सफ़ाई
करने वाली को बुला लेती ,ँ जो एक बार फर सबकु छ क़रीने से जमा देती है।”
असाधारण (extraordinary) श द लोकि य आशावादी लोग के वणन के िलए ही ईजाद कया गया होगा,
य क उनका हर िवचार और श द साधारण (ordinary) से परे होता है और िनि त प से अित र (extra)
तो होता ही है। िमसेज़ िपगी ने अपनी फै शन टप म कहा था, “ब त यादा भी काफ़ नह होता।” यह लोकि य
आशावादी लोग के बारे म भी सच है।

उ सुक
लोकि य आशावादी ि हमेशा िज ासु होते ह और वे हर बात जानने के िलए छटपटाते ह। पा टय म अगर
ऐसा ि बातचीत करते समय कमरे के पार अपने नाम का िज़ सुन,े तो वह अपनी बात अधूरी छोड़कर नई
आवाज़ क तरफ़ मुड़ जाएगा। लोकि य आशावादी ि आम तौर पर एक ऐसे रे िडयो क तरह होता है, िजस
पर हर ि डायल घुमाकर अलग-अलग टेशन चलाता रहता है। ऐसे ि का मि त क तेज़ी से एक चचा से
दूसरी चचा पर जा सकता है, इसिलए उसे इस बात से कोई द क़त नह होती है।
लोकि य आशावादी ि हमेशा “हर बात” जानना चाहते ह। रह य उ ह पागल कर देता है। वे समस
के तोहफ़ का पता लगाने क ताक म रहते ह और रह यमयी बात का पता लगाने के बाद ही चैन से बैठते ह।
ऐसे लोग हर अनजान चीज़ को जानना चाहते ह। एक मिहला ने मुझे बताया क एक बार वे अपनी छत पर
लकड़ी के नए प टए लगवा रही थ । उ ह पता नह था क यह काम कै से कया जाता है, इसिलए वे सीढ़ी से
चढ़कर छत पर प च ँ गई। जब वे ऊपर प च ँ और िचमनी क तरफ़ रगकर गई, तो क पना क िजए, मज़दूर को
कतनी हैरानी ई होगी! मज़दूर ने उनसे अनुरोध कया क वहाँ िगरने का खतरा है, इसिलए वे नीचे लौट
जाएँ। बहरहाल, वे वहाँ से िहल तक नह । उ ह ने मज़दूर से कहा क वे बस यह जानना चाहती ह क छत पर
प टए कै से लगाए जाते ह। एक मज़दूर ने सहारा देकर उ ह िचमनी तक प च ँ ा दया, ता क वे वहाँ बैठकर काम
होते देख सक। वे सवाल पूछती रह और उ साह से हाथ िहलाती रह । हाथ िहलाते-िहलाते जब वे पीछे झुक , तो
उनका संतुलन गड़बड़ा गया और वे िचमनी म िगर गई। उनक चीख सुनकर मज़दूर उ ह बचाने के िलए दौड़े।
उ ह ख चकर बाहर िनकालने के िलए चार आदिमय क ज़ रत पड़ी। सबको उनके एक-एक हाथ-पैर पकड़ने
पड़े। ट क रगड़ के कारण मिहला क पूरी कमर िछल गई और सफ़े द पट राख म सन गया। मिहला को सहारा
देकर सीढ़ी तक प च ँ ाने के बाद एक मज़दूर बोला, “हम यहाँ मैरी पॉिप स जैसे नाटक क ज़ रत नह है।”

हमेशा बालपन
लोकि य आशावादी लोग बचपन क आदत को इसिलए भी नह छोड़ते ह, य क बचपन म वे ब त यारे थे।
उनके माता-िपता और टीचस उ ह लाड़ करते थे। वे “आकषण के क ” वाले इस जीवन को नह छोड़ना चाहते।
एक और कारण यह है क वे दरअसल बड़े होना ही नह चाहते ह। हालाँ क दूसरी कृ ित के ि बचपन को
पीछे छोड़कर बड़े होना चाहते ह, ले कन लोकि य आशावादी ि क पना क दुिनया म रहना पसंद करते ह।
सभी लड़ कयाँ सं ले ा होती ह और सभी लड़के सुंदर राजकु मार होते ह। परीकथा म सुंदर राजकु मार को
कोई काम नह करना पड़ता है। वे तो सफ़े द घोड़ पर बैठकर डू बते सूरज क दशा म बढ़ते जाते ह, ले कन उ ह
कभी नौकरी क तलाश म नह भटकना पड़ता है। उ के साथ िज़ मेदा रयाँ आती ह, ले कन लोकि य
आशावादी ि जीवन म घर-गृह थी क िज़ मेदा रय से बचने क भरसक कोिशश करते ह।
वे छा से मदद क पहल
चूँ क लोकि य आशावादी लोग मददगार और लोकि य बनना चाहते ह, इसिलए आगा-पीछा सोचे िबना ही
मदद का ताव रख देते ह। एक पाट म लंडा और वोिनस बेबी-िस टंग क सम या के बारे म बातचीत कर
रही थ । लंडा को अपने पाँच ब को सँभालने के िलए एक रात को बेबी-िसटर क ज़ रत थी। लोकि य
आशावादी वोिनस ने कहा, " लंडा, इस बारे म चंता मत करो। हम तु हारे िलए कोई न कोई बेबी-िसटर खोज
लगे।” कु छ दन बाद लंडा ने यह जानने के िलए वोिनस को फ़ोन कया क उसने या इं तज़ाम कया है।
बहरहाल, उसे यह पता लगा क वोिनस तो एक महीने क छु याँ मनाने के िलए यूरोप चली गई है।
लोकि य आशावादी लोग के मदद के वादे क मह व न द, य क उन लोग को अ सर यह याद ही नह
रहता है क उ ह ने कस काम म मदद करने का ताव रखा है।
एक रात को जब े ड और म यूयॉक म एक समूह के सामने कृ ितय के बारे म बता रहे थे, तो मने बताया
क लोकि य आशावादी लोग वे छा से मदद करने का ताव तो रख देते ह, ले कन काम को पूरा नह करते ह।
मने कहा, “उदाहरण के िलए, अगर कसी लोकि य आशावादी लड़क ने आज रात को हमारे ेक म कॉफ़ बनाने
के िलए वे छा से मदद करने का ताव रखा है, तो उस व हम यह पता चलेगा क वह कॉफ़ क मशीन का
ि वच चालू करना ही भूल गई है।” यह सुनते ही सामने वाली लाइन म बैठी चमक ली आँख वाली एक यारी
सी लड़क चीखी और गिलयारे से भागती ई कचन म ग़ायब हो गई। वह लोकि य आशावादी कृ ित क थी;
उसने कॉफ़ बनाने के िलए वे छा से मदद करने का ताव रखा था; वह कॉफ मशीन का ि वच चालू करना
भूल गई थी। नतीजा यह आ क उस रात को हम कॉफ़ नह िमल पाई। लोकि य आशावादी लोग को दूसर
क मदद करना अ छा लगता है और उनके इरादे नेक होते ह, ले कन अगर आप व पर कॉफ़ चाहते ह, तो
बेहतर होगा क यह काम आप खुद ही कर द।

रचना मक और रं गीन
लोकि य आशावादी ि का दमाग़ हमेशा नए और रोमांचक िवचार सोचता रहता है। हर दन उसके सामने
नई चुनौितयाँ आती ह, िजनका वह रचना मक समाधान सोचता है। कसी भी कमेटी क मी टंग म लोकि य
आशावादी लोग ही नए िवचार के सपने देखते ह, हॉल क सजावट क क पना करते ह और ोजे ट के िलए
अनूठी तथा रोमांचक िवषयव तु सोचते ह।
जब लॉरे न सेकंड ेड म पढ़ती थी, तो उसने अपनी टीचर को बताया, “मेरी माँ पा टय के िलए हमेशा खास
इं तज़ाम करती ह।” यह सुनकर टीचर ने मुझे म मदर बना दया। हैलोवीन क पाट मेरा पहला बड़ा आयोजन
थी और लॉरे न मुझे बार-बार याद दलाती रही क उसने वादा कया था क म सचमुच कु छ अलग हटकर क ँ गी।
ब ी के इस िव ास ने मेरी रचना मक इं य को जगा दया और म एक ऐसी हैलोवीन पाट क योजना
बनाने लगी, िजसे सेकंड ेड म पढ़ने वाले ब े कभी न भूल पाएँ। लॉरे न कू ल-एड और टाइरोफ़ोम के कप से
िचढ़ती थी, इसिलए मने काँच के बड़े याल म ऑरज जूस का पंच देने क योजना बनाई। जब मेरे दमाग़ ने इस
त वीर क क पना क , तो मने बफ़ क तैरती ई रं ग क क पना भी कर ली, जो कडी के क दू को घेरे ए हो।
पाट वाले दन मने बेकर के यहाँ जाकर सामा य कपके स िलए, िजनके ऊपर सुंदर काली िबि लयाँ थ । मने
हैलोवीन के ख़ास नैप कन और हर ब े के पहनने के िलए पाट हैट भी िलए। मने तीन गैलन ऑरज पंच बनाया
और उसे लाि टक क एक खुली बा टी म भर दया, िजसम बफ़ क रं ग सबसे ऊपर तैर रही थी। मने कार के
फ़श पर पीछे एक तरफ़ कपके क रखे और दूसरी तरफ़ बा टी रख ली।
ज़ािहर है, लोकि य आशावादी होने के कारण मुझे देर हो रही थी, इसिलए मने फटाफट पाट के िलए
बनाई नारं गी पोशाक पहनी और ज दी-ज दी अपने घर के ाइव से िनकली। जैसे ही म सड़क पर मुड़ी, एक कार
तेज़ी से सामने आ गई और मुझे धाड़ से ेक लगाना पड़ा। तभी मुझे समु क लहर के टकराने जैसी आवाज़
सुनाई दी। म फ़ौरन समझ गई क पाट शु होने से पहले ही ख़ म हो चुक है। मने डरते-डरते पीछे देखा। वहाँ
ऑरज जूस का समु था, िजसम कपके स के ऊपर अ ाईस काली िबि लयाँ तैर रही थ और डू बने से बचने क
कोिशश कर रही थ ।
म देर से कू ल प च
ँ ी और बड़ी ख़राब हालत म प चँ ी। मेरे हाथ म कू ल-एड के कु छ पैकेट और वैिनला
वेफ़स का बॉ स था, जब क मेरी बाई कलाई पर आइस रं ग थी। लॉरे न पूरी पाट म रोती रही और मुझे दोबारा
कभी म मदर नह बनाया गया!
लोकि य आशावादी ि य के मन म हमेशा रचना मक और रं गीन िवचार आते रहते ह, ले कन उ ह
साकार करने के िलए उ ह कु छ समझदार दो त क भी ज़ रत होती है।

दूसर को े रत और आक षत करता है
चूँ क लोकि य आशावादी ि य म चुर ऊजा और उ साह होता है, इसिलए वे दूसर को सहज ही आक षत
और े रत कर लेते ह। हैरी टू मैन ने एक बार कहा था क लीडरिशप का मतलब दूसर को काम करने के िलए इस
तरह े रत करने क यो यता है, ता क वे उस काम को ख़शी-ख़शी कर सक। यह वा य लोकि य आशावादी
ि य क िवशेषता और उनक लीडरिशप क सू म शैली के बारे म बता देता है। लोकि य आशावादी कृ ित
का भावी ि िवचार सोचता है और दूसर को उन िवचार पर काम करने के िलए े रत करता है। जब
लोकि य आशावादी लोग अपनी कृ ित के बारे म समझने लगते ह, तो उ ह यह एहसास हो जाता है क वे काम
को शु करने के मामले म तो िवशेष ह, ले कन उ ह ऐसे िम क ज़ रत है, जो काम को ख़ म करने के मामले
म िवशेष ह ।
लोकि य आशावादी नेता अपने मतदाता का िव ास हािसल कर लेते ह और उनसे अपना मनचाहा काम
करवा सकते ह। लोकि य आशावादी कृ ित के चतुर ि य के पास तो ऐसे लोग क भीड़ लग सकती है, जो
िबना तन वाह के उनके यहाँ काम करने के िलए लालाियत रहते ह। मेरे भाई रॉन म यह गुण बचपन से ही है।
मने आक षत और े रत करने क उसक यो यता को काफ़ पहले पहचान िलया था, हालाँ क उस समय मने
लोकि य आशावादी कृ ित के बारे म सुना भी नह था। रॉन अपने वाकचातुय और आकषण का योग करके
काम टालने का हरसंभव यास करता था।
को रया यु के दौरान रॉन सेना म भत हो गया था और उसे एक बड़े जहाज़ से समु पार भेज दया गया।
सैन ांिस को से बाहर िनकलते ही पहली रात को उसने यह घोषणा सुनी : “कल सुबह आप लोग डेक पर इक े
हो जाएँ। आपको या ा के दौरान काम बाँटे जाएँगे।”
चूँ क लोकि य आशावादी लोग कसी भी क़ मत पर काम से बचने क कोिशश करते ह, इसिलए रॉन एक
ऐसी योजना बनाने लगा, ता क उसे डेक पर झाडू -पोछा न लगाना पड़े। अगली सुबह जब सैिनक इक े ए, तो
रॉन एक ि लपबोड पर कागज़ और पेन लेकर काम स पने वाले साज ट क बग़ल म खड़ा हो गया। जब साज ट
नाम और काम पढ़ रहा था, “तुम दस लोग लै न का काम सँभालोगे, तुम बीस लोग पट उखाड़ने का,” तो रॉन
उ ह ो सािहत करते ए बीच-बीच म िलखता रहा। जब रॉन को छोड़कर बाक़ सभी सैिनक को काम स प
दए गए, तो साज ट ने उससे पूछा, ‘और तुम या करोगे?”
रॉन ने अिधकार भरी आवाज़ म कहा, ‘म यहाँ पर टेलट शो का भारी ।ँ ”
साज ट ने हैरानी से कहा, “मुझे नह मालूम था क यहाँ पर टेलट शो भी होने वाला है।”
‘ओह हाँ,” रॉन ने उसे आ त कया। “बंदरगाह पर प च ँ ने से पहले आिख़री रात को हम एक बेहतरीन शो
करगे। इसक योजना बनाने के िलए मुझे पूरी या ा म काफ़ मेहनत करनी पड़ेगी। वैसे सर, आपने काम ब त
अ छी तरह से बाँटे ह। हम आगे भी िमलते रहगे।” इन सकारा मक श द के साथ रॉन चल दया और दो ह त
तक चैन क बंसी बजाता रहा। डेक पर जब दूसरे सैिनक पट उखाड़ते रहते थे, तो वह टहलते ए उनसे पूछता था
क या उनम कोई िवशेष ितभा है। हैरानी क बात यह थी क कनारे पर जो लोग गायक नह थे, वे जहाज़
पर प चँ ते ही गायक बन गए। रॉन ने अपने ि लपबोड पर गायक और नतक के नाम क सूची बना ली।
आिख़री दोपहर को उसने उन सभी को इक ा करके रहसल करवाई और फर एक बेहतरीन काय म आयोिजत
करवाया, िजसम वह बीच-बीच म अपनी मज़ा क़या बात से लोग को आन दत कर रहा था। उस रात जहाज़
पर मौजूद हर आदमी को मज़ा आ गया। कसी ने उसके काम के बारे म कोई सवाल नह उठाया और वह शो एक
नीरस या ा का ब त ही मज़ेदार अंत सािबत आ। कु छ स ाह बाद रॉन को सरकार क तरफ़ से एक चमप
िमला, िजसम उसे सैिनक का मनोबल बढ़ाने के िलए स मािनत कया गया था। जहाज़ पर स मान पाने वाला
वह एकमा ि था।
िसफ़ लोकि य आशावादी ि ही दो स ाह तक िबना कु छ कए शंसाप पा सकता है।

आसानी से दो त बनाते ह
लोकि य आशावादी ि य के िलए कोई अनजान नह होता है, य क हैलो कहते ही वे त काल अजनबी को
भी दो त बना लेते ह। जब दूसरी कृ ित के लोग िझझकते ह या पीछे रहते ह, तब लोकि य आशावादी ि
सामने दखने वाले हर ि के साथ बातचीत शु कर देता है। जब म चेकआउट काउं टर पर लाइन म खड़ी
होती ,ँ तो म हमेशा कसी न कसी से बात करने लगती ।ँ उसक बा के ट म झाँकते ही मुझे बात करने का
िवषय िमल जाता है।
मेरा बेटा े डी पूण िनराशावादी कृ ित का आदश उदाहरण है। जब वह कशोराव था म था, तो एक दन
म उसके साथ लाइन म खड़ी ई थी। मने देखा क हमारे सामने वाली मिहला क पूरी बा के ट ेड से भरी ई
थी। मुझे यह बात असामा य लगी, इसिलए मने उससे पूछ िलया क वह इतनी सारी ेड य ले जा रही है।
उसने मुझे बताया क वह एक चच ारा आयोिजत ना ते म जा रही है और उसे ेड लाने का िज़ मा दया गया
है। मने उससे पूछा क वह कौन से चच जाती है और ज दी ही हम धमशा पर गहरी चचा करने लगे। हम दोन
का ही समय अ छा गुज़रा और हम अ छी सहेिलय क तरह अलग ई। कार क तरफ़ बढ़ते समय मेरे बेटे ने
कहा, ‘आपके साथ टोर आने म ब त शम आती है।”
मने आँख फाड़कर मासूिमयत से पूछा, ‘ य ?”
“आपने उस बेचारी मिहला से यह य पूछा क उसके पास इतनी सारी ेड य है? आपको इस बात से
कोई मतलब नह होना चािहए क कोई अजनबी कतनी ेड ख़रीदता है। अब आगे से म आपके साथ कभी लाइन
म खड़ा नह होऊँगा।”
लोकि य आशावादी ि अपने दो ताना वभाव को अ छा गुण मानता है, ले कन ज़ री नह है क
दूसरी कृ ित के ि भी ऐसा ही मान। एक शाम हम िडनर के िलए बाहर गए थे। म अपने पित को एक अ य
दंपित के साथ छोड़कर टॉयलेट गई। हाथ धोते समय मने देखा क एक लड़क लाि टक के सोफ़े पर बैठी सुबक
रही थी। मने पूछा, “ या कोई परे शानी है ?”
उसने आह भरी और सुबकने लगी, इसिलए म उसके पास बैठ गई। उसक हाल ही म शादी ई थी और
उसक अभी-अभी पित से लड़ाई ई थी। मने उसक सम या का िव ेषण कया, उसे माफ़ माँगने का तरीक़ा
बताया और उसे उसके पित के पास भेज दया। जब म अपनी टेबल पर लौटी, तो े ड ने पूछा क इतनी देर कै से
लग गई। मने उ ह बताया क मने कस तरह एक नई सहेली बनाई थी, िजसे मदद क ज़ रत थी। हमारे साथ
वाली मिहला ने मेरी तरफ़ दहशत से देखते ए कहा, “ या टॉयलेट म अजनिबय से दो ती करना खतरनाक
नह है?”
दूसरी कृ ित के लोग इसे खतरनाक मान सकते ह, ले कन लोकि य आशावादी ि कह भी आसानी से
दो त बना लेते ह, टॉयलेट म भी।

रोमांचक दखता है
चूँ क लोकि य आशावादी लोग हमेशा धमाके से काम करते ह, इसिलए उनका जीवन उनके दो त के जीवन से
यादा रोमांचक नज़र आता है। उनके काम तो ब त यादा रोमांचक नह होते ह, ले कन वे अपनी आपबीती
थोड़ी बढ़ा-चढ़ाकर और रोमांचक बनाकर सुनाते ह।
एक बार हवाई जहाज़ म मेरे पास एक लोकि य आशावादी ि बैठा। वह फ़ौरन हॉलीवुड के अिभनेता
और अिभनेि य के बारे म बात करने लगा। ऐसा लग रहा था, जैसे वह उन सभी को ब त अ छे से जानता हो।
जोआन ॉफ़ोड के साथ कतना बुरा आ ? उसके पीछे एक मिहला थी! हमारे शहर म कतना तूफ़ान मचा
था! जब हमने सूज़न हेवड को खो दया, तो म समझ गया क हॉलीवुड कं गाल हो गया। आिख़री बार जब म
उसके साथ हवाई अ े पर था, तो वह ब त सुंदर दख रही थी। म दूरबीन से उसक तरफ़ देखता रहा और उसके
सुंदर लाल बाल से नज़र नह हटा पाया। वह कसी महारानी क तरह शान से चल रही थी! जब बे ी डेिवस
चली जाएगी, तो सब कु छ ख़ म हो जाएगा!”
जब वह साँस लेने के िलए का, तो मने उससे पूछा क या वह हॉलीवुड क फ़ म का ो ूसर है। उसने
जवाब दया, "ओह नह , काश ऐसा होता! म तो अमे रकन एयरलाइं स म डे क लक ,ँ इसिलए मुझे फ़ म
टास अ सर दखते रहते ह।”
लोकि य आशावादी ि ही डे क लक होने के बावजूद हॉलीवुड क महारािनय के बारे म ि गत
िवचार बता सकता है। लोकि य आशावादी ि जो भी काम करते ह, वह हमेशा रोमांचक दखता है और
बाक़ लोग उनसे ई या करते ह, जब क हक़ क़त यह हो सकती है क उनके अनुभव बाक़ लोग से कम रोमांचक
ह।
लोकि य आशावादी ि य म एक अचेतन यो यता होती है क वे कसी भी सामा य काम को बड़ी घटना
म बदल सकते ह। एक शाम को जब हमारा पूरा प रवार हमारी बेटी लॉरे न के िल वंग म म इक ा था, तो
मे रटा ने पॉपकॉन बनाने का फै सला कया। वह उछलकर खड़ी ई और कचन क तरफ़ चल दी। चार साल का
रडी भी उसके पीछे-पीछे चला गया। लगभग दस िमनट बाद रडी भागता आ िल वंग म म आया। उसक
गोल-गोल ऑख हेडलाइट क तरह चमक रही थ ।
‘चलकर पॉपकॉन को तो देिखए। वे पूरे कचन म उड़ रहे ह!”
हम भागकर कचन म गए। वहाँ हमने देखा क एयर पॉपर म से पॉपकॉन िव फोट करते ए रॉके ट क
तरह उड़ रहे थे। हम सभी कटोरे उठाकर उड़ते ए पॉपकान को पकड़ने क कोिशश करने लगे। दरअसल मे रटा
ने नए एयर पॉपर म ब त यादा म ा डाल दी थी और उसे चलाने के बाद रडी को देखरे ख का काम स पकर खुद
बाथ म चली गई थी। इस ग़लती से एक मज़ेदार पाट गेम शु हो गया, य क हम सभी को हवा म उड़ते ए
पॉपकॉन को पकड़ने क कोिशश म मज़ा आ रहा था। छोटा रडी तो आज भी यही मानता है क पॉपकॉन बनाने
का मे रटा आंटी का तरीका ही सबसे सही तरीका है!

ख़श रहने से आप व थ रहते ह...।


ोव स 17:22 जीएनबी
अ याय 4

आइए पूण िनराशावादी ि य के साथ सुिनयोिजत बन

दुिनया को पूण िनराशावादी कृ ित के ि य (perfect melancholies) क कतनी यादा ज़ रत है।


जीवन को तह तक जाकर देखने क गहराई।
संसार के स दय को सराहने वाला कला मक वभाव।
मा टरपीस बनाने क अनूठी ितभा।
िव ेषण करने और उिचत समाधान तक प च
ँ ने क यो यता।
दूसर के घ टया काम के िवपरीत उ कृ ता के हर िववरण पर यान देने का गुण।
जो काम शु कया जाए, उसे पूरा करने का ल य। यह क़सम खाना, “अगर कोई काम करने लायक है, तो
यह अ छी तरह से करने लायक़ है।”
“हर काम अ छी तरह और म से” करने क इ छा।

कृ ितय को समझने से पहले म ऐसे लोग को पसंद नह करती थी, जो मुझसे अलग वभाव के होते थे। म
चाहती थी क लोग जीवन का आनंद ल और उनका वभाव मौज-म ती का हो। म ख़द को इतना अ छा समझती
थी क मुझे अपनी किमय का एहसास ही नह आ या मदद क ज़ रत महसूस नह ई। जब म खुद का
िव ेषण करने लगी, तब मुझे एहसास आ क हालाँ क म बाहर से अ छी दखती थी, ले कन मुझम काम को
पूरा करने क वृि नह थी। म अपने पित े ड क गहराई, संवेदनशीलता, सुिनयोिजत वृि और सूिचय को
मह व देने लगी। तब जाकर म यह समझी क मुझे े ड जैसे स े सहायक और पूण िनराशावादी कृ ित के उन
िम क कतनी ज़ रत थी, जो जीवन क सतह से नीचे देख सकते थे।
पूण िनराशावादी ि दरअसल बचपन से ही गहरी सोच म डू बा दखता है। वह शांत रहता है, कोई
फ़रमाइश नह करता है और अके ले रहना पसंद करता है। वह शु आत से ही समय क पाबंदी पसंद करता है और
सुिनयोिजत माता या िपता से उसक अ छी पटरी बैठती है। उसे शोर-शराबे और दुिवधा से क होता है। साथ
ही, उसे यह भी अ छा नह लगता है क उसे ख चकर अलग-अलग जगह ले जाकर उसक दनचया म वधान
डाला जाए।
जब हमने अपने बेटे े डी को गोद िलया, तो हम कृ ितय के बारे म कु छ नह जानते थे, इसिलए हम पता
नह था क वह पूण िनराशावादी है। हम बताया गया था क वह गंभीर वभाव का था और कभी मु कराता नह
था। हम यह भी बताया गया था क तीन महीने क उ से ही वह पास से ग़ज़रने वाले हर ि का िव ेषण
करता दखता था। उसके ये गुण बाद म भी नह बदले। कशोराव था म वह गंभीर और िव सनीय था। वह
अ सर मे रटा के मसख़रे पन से िचढ़ जाता था। वह िज़दगी को ब त मज़ेदार नह मानता था और उसके िलए
सुबह-सुबह मु कराना लगभग असंभव होता था। आज भी वह अंतमुखी तथा गंभीर है और बल बिहमुखी
प रवार म रहने के बाद भी उसका वभाव ज़रा भी नह बदला है।
पूण िनराशावादी लोग चंतक होते ह। ये लोग ल य के ित गंभीर होते ह, व था व मब ता के ित
िन ावान होते ह और स दय तथा बुि के शंसक होते ह। वे रोमांच क तलाश म नह भटकते ह, बि क अपने
जीवन के िलए सव े योजना का िव ेषण करते ह। अगर पूण िनराशावादी ि न रह, तो हमारे समाज म
किवता, कला, सािह य, दशन या संगीत ब त कम रह जाएगा। हम सं कृ ित, प र कार, अिभ िच और ितभा से
मह म रह जाएँगे। हमारे पास ब त कम इं जीिनयर, आिव कारक और वै ािनक ह गे। हमारे अकाउं टंग लेज़र
बेकार हो जाएँगे और हमारे आय- य के कॉलम क सं या समान नह होगी।
पूण िनराशावादी कृ ित के ि मानवता क आ मा, मि त क और दय ह। ओह, दुिनया को पूण
िनराशावादी ि य क कतनी यादा ज़ रत है!

गंभीर, िवचारशील, िव ेषणवादी


लोकि य आशावादी ि बिहमुखी होता है, जब क पूण िनराशावादी ि अंतमुखी होता है। लोकि य
आशावादी ि को बोलना अ छा लगता है और वह हर बात बता देता है, जब क पूण िनराशावादी ि
गंभीर, शांत और िवचारम रहता है। लोकि य आशावादी ि जीवन को गुलाबी रं ग के च मे से देखता है,
जब क पूण िनराशावादी ि का वभाव ज म से ही िनराशावादी होता है। वह सम या के आने से पहले ही
उ ह भाँप लेता है और कसी भी काम को करने से पहले उसक क़ मत का िहसाब लगा लेता है। पूण िनराशावादी
ि हमेशा मामले क तह तक प च ँ ना चाहता है। वह चीज़ का सतही मू यांकन करने के बजाय गहरे स य
तक प च ँ ने के िलए मेहनत करता है।
लोकि य आशावादी ि बात करता है, ती ोधी ि काम करता है, शांत संतोषी ि देखता
रहता है, जब क पूण िनराशावादी ि सोचता है, योजना बनाता है, रचना करता है और आिव कार करता है।
पूण िनराशावादी ि नीरस काम को भी शौक़ से करने को तैयार रहते ह, बशत उ ह भिव य म सुखद
प रणाम क झलक दख रही हो। पूण िनराशावादी ब ा घंट तक िपयानो क ैि टस करके अपनी ितभा को
िनखार सकता है, जब क लोकि य आशावादी ब ा दो बार “द ेन सॉ ग” बजाकर खेलने म लग सकता है।
पूण िनराशावादी ि य के िलए मि त क क आंत रक कायप ित मह वपूण होती है और वे पालने म
लेटे-लेटे ही अपने आस-पास के जीवन का अवलोकन करना शु कर देते ह। पूण िनराशावादी ब के पास ऐसे
िखलौने होते ह, िजनम बुि और िव ेषण क ज़ रत पड़ती है। वे अपनी उँ गिलय से काम करना पसंद करते ह,
सम या के ज टल जवाब सोच लेते ह और उ े यपूण गंभीर मनोरं जन क योजना बना लेते ह।
कू ल म पूण िनराशावादी िव ाथ टम पेपर और रसच ोजे ट से ख़श होते ह। वे अके ले रहकर काम
करना पसंद करते ह, य क बातचीत करने से गित धीमी होती है। वे ऐसे िवषय पसंद करते ह, जो नए व गहरे
ह तथा िजनक सही तरह से जाँच या खोजबीन नह क गई हो। उ ह वि थत और ता कक तरीक़े से पढ़ाने
वाले टीचर पसंद आते ह।
मेरे पित े ड को बचपन से ही बतन साफ़ करना अ छा लगता था। प रवार म िसफ़ उ ह क यह काम
पसंद था। दरअसल उ ह यह िव ेषण करना अ छा लगता था क इस काम को यादा अ छी तरह कै से कया जा
सकता है। जब म पहली बार उनसे िमली, तो वे यूयॉक िसटी के टोफ़स रे तर म मैनेजर बनने का िश ण ले
रहे थे और अपनी िव ेषणा मक यो यता का अ छा इ तेमाल कर रहे थे। उ ह बतन साफ़ करना तब भी
अ छा लगता था और उनके समूह म िसफ़ वे ही बतन साफ़ करने के िश ण को लेकर उ सािहत थे। उ ह लंच के
समय िडश म के महासं ाम म जाना, अराजकता के माहौल म मब ता लाना और बतन धोने वाल को
िवजय तक प च ँ ाना ब त अ छा लगता था!
बहरहाल, कई बार वे अपनी इस क़ािबिलयत को कु छ यादा ही दूर तक ले जाते थे। जब हमारी नई-नई
शादी ई, तो एक बार उ ह ने मुझे बतन साफ़ करते देखकर कहा, “तुमने बयालीस बार अनाव यक हाथ
िहलाया।” शायद मने ऐसा कया था, ले कन िनि त प से मुझे यह सुनकर अ छा नह लगा था!
टोफ़स म े ड के िजस गुण क सबसे यादा सराहना ई, वह था रे तर क सम या का िव ेषण करने
और िबना शोर मचाए उ ह सुलझाने क यो यता। मह वाकां ी युवा ए ज़ी यू टव होने के नाते उ ह डाइ नंग
म के एक कोने म खड़े होने म गव का अनुभव होता था। वह खड़े-खड़े वे वे ेस क हर उस बो-टाई को देख लेते
थे, जो ठीक तरह से नह बँधी होती थी; हर त वीर को, िजसका े म टेढ़ा होता था; हर नमकदानी और
मसालेदानी को, जो टेबल के बीच म नह रखी होती थी; हर कु स को, जो सही तरह से टेबल के नीचे नह सरक
होती थी। फर वे घर लौटते थे और एक बार घर क तरफ़ देखकर जो बोलना शु करते थे - आप बाक़ बात
समझ गए ह गे।
पूण िनराशावादी ि आम तौर पर ऐसे वसाय और कै रयर ढू ँढ़ लेते ह, जहाँ उनक यो यता क क़
होती है। वे जीवन क सम या का िव ेषण करते ह और िथक टक क िवचार से लबालब कर देते ह। गंभीर,
िवचारशील मि त क और िव ेषणा मक वभाव सकारा मक गुण ह, ले कन अित होने पर पूण िनराशावादी
ि सम या के बारे म िनरथक चंता करने लगते ह और दूसर को आँकने म जुटे रहते ह। पूण िनराशावादी
ि य क चौक ी िनगाह के सामने बाक लोग घबरा सकते ह।

गंभीर और उ े यपूण
पूण िनराशावादी ि गंभीर होते ह। वे दीघकालीन ल य बनाते ह और िसफ़ वही काम करना चाहते ह, जो
उ ह ल य तक ले जाते ह । दुभा य से, उनक शादी आम तौर पर ऐसे लोग से होती है, जो मौज-म ती भरे
जीवन को पसंद करते ह, इसिलए वे उन ह क -फु क बात से परे शान हो सकते ह, िजनसे उनका जीवनसाथी
रोमांिचत होता है।
जब हमारी बेटी लॉरे न क नई-नई शादी ई, तो वह और म मकान ख़रीदने के अिभयान पर िनकल पड़े ।
हम दरअसल मकान ख़रीदने क ज दी नह थी। मकान देखने का काम ही अपने आप म मज़ेदार था। हर मकान
म कु छ गंभीर किमयाँ थ और दोपहर ढलने तक म अपने पित े ड को उन भयंकर मकान के बारे म बताने के
िलए बेताब होने लगी। म उनके िबज़नेस ऑ फ़स म धड़धड़ाती ई घुसी और बैठ गई, ता क उस दन क रं गीन
कहािनयाँ सुनाकर उनका दल बहला सकूँ । जब म अपनी मनमोहक कहानी सुना रही थी, तो े ड ने मामले क
तह तक प च ँ ाने वाला एक भयानक सवाल पूछ िलया, िजससे मेरी बकवास क गई, ‘ या लॉरे न ने मकान
ख़रीदा?”
म इस बात का जवाब नह देना चाहती थी, य क इसके बाद म लंबी-चौड़ी कहानी नह सुना सकती थी।
“देखो...”
“ या मकान खरीदा?”
“नह ,ले कन...”
“नह , ‘कोई ले कन नह ।' मेरे पास ब त से काम ह। मुझे इतनी फ़ु रसत नह है क म उन सभी मकान के
लंबे वणन सुनूँ, जो तुमने नह खरीदे।”
म घर क तरफ़ लौटते समय यह सोचने लगी क पूण िनराशावादी ि एक घंटे क बकवास नह सुनना
चाहते ह, जब स ाई िसफ़ एक श द “नह ” म बताई जा सकती हो।

ितभा-बुि
अर तू ने कहा था, “सभी ितभाशाली ि िनराशावादी कृ ित के होते ह।” लेखक, कलाकार और संगीतकार
आम तौर पर पूण िनराशावादी होते ह, य क वे उस नैस गक ितभा के साथ पैदा होते ह, िजसे सही तरीक़े से
े रत करने और तराशने पर वे महान बन सकते ह। माइकलएंजेलो िन संदह
े पूण िनराशावादी थे, हालाँ क इस
व त वे हमारे टे ट देने के िलए इस दुिनया म नह ह।
मोज़ेस, डेिवड और पाइटा क िव िव यात ितमाएँ गढ़ने से पहले उ ह ने मानव शरीर का गहन अ ययन
कया। वे मुदाघर म गए और उ ह ने लाश को खुद चीरकर मांसपेिशय का अ ययन कया। चूँ क वे अपने
ज़माने के औसत मू तकार से यादा गहराई म गए थे, इसिलए उनक ितमाएँ आज तक सुरि त रखी जाती ह
और उनका स मान कया जाता है।
अगर मुझसे मू त तराशने को कहा जाता, तो म संगमरमर क िशला पर पूरे जोश से हार करती और हर
उस चीज़ को ज दी से छील देती, जो डेिवड जैसी नह दखती थी। क़ मत अ छी होती, तो मेरी कलाकृ ित पॉइं ट
मुगु, पो ट ऑ फ़स के सामने वाली ख़ाली जगह पर रखी जा सकती थी, ले कन पाइटा आज सट पीटस के
बैिसिलका को सुशोिभत कर रही है।
माइकलएंजेलो आ कटे ट भी थे। उ ह ने किवताएँ भी िलखी ह। बहरहाल, रोम के वे टकन म िसि टन
चैपल क छत पर बने िभि िच के िलए उ ह सबसे यादा याद कया जाता है। ये नौ दृ य बुक ऑफ़ जेनेिसस
से िलए गए ह और उ ह ज़मीन से स र फ़ु ट ऊपर बने मचान पर पीठ के बल लेटकर बनाने म चार साल (1508-
1512) लगे थे।
या आप क पना कर सकते ह क अगर माइकलएंजेलो लोकि य आशावादी होते, तो या होता ? उनके
पास कोई योजना नह होती। वे एक कोने से शु करके त वीर बनाने लगते और उस व त जो उनके दमाग़ म
आता, उसका िच बना देते। मचान पर चढ़ने के बाद उ ह यह पता चलता क वे लाल पट तो नीचे ही भूल आए
थे और उ ह उसे लाने के िलए नीचे उतरना पड़ता। कु छ दन तक अके ले मचान पर रहने के बाद इस पूरे ोजे ट
म उनक िच ख म हो गई होती। उ ह ने वह काम छोड़ दया होता और एडम अंजीर के प के िबना ही रह
जाता। ले कन माइकलएंजेलो पूण िनराशावादी थे, इसीिलए आज उनका नाम सावकािलक महानतम
ितभावान रचनाकार म शािमल है।
अगर आप पूण िनराशावादी ह, तो या आप अपनी आंत रक यो यता को िवकिसत करने क सव े
कोिशश कर रहे ह ?

गुणी और रचना मक
पूण िनराशावादी ि सबसे यादा गुणी और रचना मक होते ह। उनक अिभ िच कला मक, सांगीितक,
दाशिनक, का ा मक या सािहि यक हो सकती है। वे गुणी लोग क क़ करते ह, ितभावान लोग क सराहना
करते ह और कभी-कभार भावना म एकाध आँसू भी बहा देते ह। वे हर े के महान लोग दारा अिभभूत होते
ह और कृ ित के रह य पर आ य करते ह। वे िस फ़नी म डू ब जाते ह और अपने पीकस क आवाज़ म खो
जाते ह। वे िजतने यादा पूण िनराशावादी होते ह, उ ह टी रयो के उतने ही साज़ो-सामान क ज़ रत होती है।
कु छ समय पहले हमने एक सेिमनार कया, िजसम हमने लोग को उनक कृ ित के अनुसार समूह म बाँट
दया। े ड ने यह पता लगाने का फ़ै सला कया क पूण िनराशावादी ि य वाले समूह म कतने लोग क
संगीत म िच थी। उ ह ने ुप लीडर से कमरे म मौजूद संगीत क अिभ िच वाले लोग क िगनती करके हम
बताने को कहा। जब ुप लीडर लौटा, तो उसने हम यह बताया :
हमारी पहली सम या तो संगीत क अिभ िच क प रभािषत करने क थी। हमम से कु छ को लगा क
इसका मतलब यह है क संगीत बजाने क ितभा होनी चािहए, जब क बाक़ लोग का यह िवचार था क
इसके िलए िसफ़ संगीत को पसंद करना ही काफ़ है। हमने कु छ समय तक इस बारे म िवचार कया और
फर वो टंग करवाने का फ़ै सला कया : एक संगीत को पसंद करने के िलए और दूसरा संगीत बजाने क
ितभा के िलए। मने पूछा क उनम से कतने लोग संगीत को पसंद करते ह। इस पर अठारह लोग ने अपने
हाथ उठा दए। जब म सं या िलखने लगा, तभी एक युवक ने पूछा, "इसके िलए शा ीय संगीत पसंद होना
चािहए या फर वतमान संगीत को पसंद करने से ही काम चल जाएगा ?” इस पर भी एकराय नह बन
पाई, इसिलए हमने एक बार फर वो टंग क : जो शा ीय संगीत को पसंद करते थे और जो कसी भी तरह
के संगीत को पसंद करते थे।
फर हम दूसरे िह से पर प च
ँ े और मने पूछा क उनम से कतन म संगीत बजाने क ितभा है। पं ह
ने अपने हाथ उठाए, ले कन एक मिहला ने बीच म टोकते ए पूछा, “ या इसके िलए यह ज़ री है क आप
इस समय कोई वा यं बजाते ह ? या फर अगर पहले कभी वा यं बजाया हो, तो भी चल जाएगा ? म
हाई कू ल म ले रनेट बजाती थी।” इस मु े पर भी गहन चचा होने लगी और हम सही जवाब तय करने क
कोिशश करने लगे। जब हमने यह पता लगाने के िलए एक बार फर वो टंग करवाने का फ़ै सला कया क
कतने लोग पहले वा यं बजाते थे और कतने इस व त बजाते ह, तभी एक ि ने यह सवाल पूछ
िलया, “अगर कोई कल से िपयानो सीखने लगे, तो या होगा ?” तभी हमारा समय ख़ म हो गया और मने
हार मान ली|

अगर हमने यह काम लोकि य आशावादी ि य के समूह को दया होता, तो वे सवाल को ही भूल गए होते।
ती ोधी ि य का चेयरमैन पूछता, ‘आपम से कतने लोग म संगीत ितभा है?” और इसके बाद फ़ौरन
हाथ िगन िलए होते। शांत संतोषी ि य के समूह ने कहा होता, “इससे या फ़क पड़ता है?” िसफ़ पूण
िनराशावादी ि ही संगीत क प रभाषा तय करने म पं ह िमनट लगा सकते थे और पाँच िह स म रपोट
तुत कर सकते थे।

सूचीय ,चाट , ाफ़ और आँकड़ को पसंद करता है


हम सभी कभी-कभार सूिचयाँ बनाते ह, ले कन पूण िनराशावादी लोग के िलए सूिचय , चाट और ाफ़ का
योग जीवन का एक मह वपूण िह सा होता है। पूण िनराशावादी मि त क इतने मब तरीक़े से सोचते ह क
वे आँकड़ को उसी तरह देख सकते ह, िजस तरह लोकि य आशावादी ि लोग को देखते ह। लोकि य
आशावादी ि घटना के बारे म सोचते ह, जब क पूण िनराशावादी ि कॉलम म सोचते ह।
िविवयन ने मुझे बताया क उसे चाट और ाफ़ से ेम है। उसका मानना है क अगर वे लोग को समझ म
आ जाएँ, तो सभी उ ह पसंद करने लगगे। वह बाक़ लोग को उनके पीछे के िस ांत समझाने म अपना ब त
समय लगाती है और यह नह समझ पाती है क कु छ लोग क उनम ज़रा भी िच य नह है। जब उसने
कृ ितय क िभ ता के बारे म सुना, तो वह समझ गई क तीन-चौथाई लोग सबसे अ छे ाफ़ और सबसे
रं गीन चाट पर भी रोमांिचत य नह होते ह।
हालाँ क सुिनयोिजत होने से हर ि को उ तर पर प च ँ ने म मदद िमलती है, ले कन पूण िनराशावादी
ि के िलए तो यह जीवन क मूल आव यकता है। जीवन को मब बनाने के िलए मेरे पित े ड अपनी शट
क जेब म तीन बाइ पाँच इं च के काड का पैकेट रखते ह। हर दन काम होने के बाद उ ह बदल दया जाता है।
उनक उसी जेब म छह अलग-अलग तरह के पेन भी रखे रहते ह। उनके जैकेट क जेब म तीन पिसल रखी रहती
ह और लैशलाइट वाला पेन भी, ता क मि म रोशनी वाले रे तराँ म मीनू पढ़ा जा सके या अँधेरे िथएटर म
िगरे ए सामान को खोजा जा सके । उनके पट क सामने वाली दाई जेब म एक पेननाइफ़ और िच लर हमेशा
रहती है, जब क बाई जेब म नेलकटर रहता है। माल पट के पीछे वाली दाई जेब म रहता है और पस बाई जेब
म। वे सुबह पूरी तैयारी से िनकलते ह, हालाँ क उनके कपड़ पर यहाँ-वहाँ थोड़े उभार दखते रहते ह।
डे ॉइट क बारबरा ने मुझे बताया क उ ह ने अपनी बेटी का “आदश घरे लू िववाह” कया। उ ह ने पूरे
काय म के चाट बनाने म महीन मेहनत क और प रवार के हर सद य के िलए िनदश टाइप कए, िजनम उनक
ि गत िज़ मेदा रयाँ बताई गई थ । उ ह ने दरवाज़े क घंटी पर टेप िचपका दया, ता क कोई घंटी न बजा
सके । उ ह ने दरवाज़े पर एक त ती भी टाँग दी : िववाह चल रहा है। उ ह ने सभी फ़ोन के तार िनकाल दए
और मुख दरबान के िलए िव तृत समय चाट तैयार करके दे दया। अ य कत के अलावा शादी शु होते ही
उसे एयर कं डीशनर बंद करना था, ता क पंख क आवाज़ से वधान न पड़े। घुमावदार सी ढ़य के सबसे ऊपर
एक बड़ी त ती पर बारबरा ने दु हन के िलए आिखरी िनदश भी टाँग दया था, मु कराओ!

िव तृत वणन के ित जाग क


जीवन क ब त सी छोटी-छोटी बात पर म यान भी नह देती ,ँ ले कन वे बात पूण िनराशावादी ि य के
िलए ब त मह वपूण होती ह। उदाहरण के तौर पर टॉयलेट पेपर को ही ल। म िबना कु छ सोचे-समझे टॉयलेट
पेपर को रोलर पर लगा देती थी और मुझे कोई फ़क नह पड़ता था क रोलर कस तरफ़ घूमेगा। ले कन े ड ने
मुझे बताया क म यह काम ग़लत तरीक़े से करती ।ँ मने पूछा, “यह ग़लत कै से है? यह वहाँ लग तो गया है ना
?”
मेरे पित ने आह भरते ए कहा, “हाँ, लग तो गया है, ले कन यह ग़लत तरफ़ लगा है। तुमने इसे उलटा लगा
दया है।”
मने घूरकर देखा। बहरहाल मुझे यह समझ म नह आया क टॉयलेट पेपर उलटा कै से लग सकता है। इस पर
उ ह ने मुझे बताया क टॉयलेट पेपर रोल के सामने से बाहर आना चािहए - दीवार क तरफ़ नह जाना चािहए,
जहाँ आपको इसका िसरा खोजना पड़े। मेरे याल से कसी को इसक खोज म यादा दूर तक नह जाना पड़ता,
ले कन म यह काम अपने पित के तरीक़े से करने के िलए सहमत हो गई और मने यह बात याद रखी।
बरस बाद जब छापे वाला टॉयलेट पेपर आया, तो े ड मुझे यह दखाकर ब त रोमांिचत ए क सही
तरीक़े से रोल लगाने पर छोटे-छोटे फू ल कतने यारे दखते ह, ले कन उलटा लगाने पर फू ल वाला िह सा
टाइ स क तरफ़ हो जाता है। मुझे आिख़रकार मानना पड़ा क उनक बात सही थी, तब कह जाकर उ ह
तस ली ई। अब जब म कसी घर म जाती ँ और देखती ँ क टॉयलेट पेपर ग़लत तरीक़े से लगा है, तो म उसे
िनकालकर सही तरीके से लगाने से खुद को रोक नह पाती ।ँ
जब े ड हमारे सेिमनार म यह उदाहरण देते ह, तो मुझे हमेशा आ य होता है क ब त से पूण
िनराशावादी लोग आकर उ ह ध यवाद देते ह क उ ह ने उनके जीवनसाथी के सामने यह प कर दया है क
टॉयलेट पेपर लटकाने का िसफ़ एक ही सही तरीक़ा होता है।
पूण िनराशावादी ि हर बात का यान रखने म मािहर होते ह, इसिलए वे लोकि य आशावादी
ि य के उ कृ सहया ी होते ह, य क वे हवाई जहाज़ के टकट सँभाल सकते ह, सामान का यान रख
सकते ह और यह भी याद रख सकते ह क कौन सा गेट बताया गया है।
कमे टय म भी पूण िनराशावादी ि वरदान होते ह, य क वे िव तृत वणन वाले ऐसे सवाल पूछ सकते
ह, िज ह लोकि य आशावादी ि नज़रअंदाज़ कर देते ह, जैसे या हम इस ोज ट का ख़च उठा पाएँगे ?
हॉल को कराए पर लेने म कतना ख़च आएगा ? आपक िहसाब से कतने लोग आएँगे ? आप कतना कराया
लगे ? या इस काम को लोग पसंद करगे ? या आपको एहसास है क आपने काय म क जो तारीख़ चुनी ह, वे
ई टर क वीकएंड क ह? पूण िनराशावादी ि य का संतुलन न हो, तो कई कमे टयाँ जोश म अजीबोगरीब
हवाई काम कर दगी, ले कन क़ मत के बारे म नह सोचगी।

मब और सुिनयोिजत
लोकि य आशावादी ि जीवन म आनंद क तलाश करते ह, जब क पूण िनराशावादी ि जीवन म
मब ता क तलाश करते ह। लोकि य आशावादी ि गंदे कचन या ठसाठस भरी डे क पर काम कर सकते
ह, ले कन पूण िनराशावादी ि मब ता और सु वि थत चीज़ के िबना काम नह कर सकते।
एक लड़क ने मुझे बताया क वह जेबख़च कमाने के िलए कू ल के बाद एक मिहला के घर क सफ़ाई करने
म उसक मदद कर रही थी। उसने अपना काम पूरा कर िलया और सभी बोतल को अलमारी म जमा दया। जब
वह चलने के िलए मुड़ी, तो मिहला ने उसे बुलाकर बताया क उसने सामान सही तरह से नह जमाया था।
लड़क के मुँह से आह िनकल गई, जब उस मिहला ने उसे शे फ़ पेपर पर बने गोले दखाए, जो इस बात के संकेत
थे क हर िड बा या बोतल कहाँ रखी जाए - एजा स के िलए गोला, वंडे स के िलए अंडाकार आकृ ित, िडटज ट
के िलए आयत, लीच के िलए बड़ा गोला। उस मिहला ने हर चीज़ को सही जगह पर रखते ए कहा, ‘जब आप
सामान को सही म म रखते ह, तो आपका हाथ उस पर ब त ज दी प च ँ जाता है।”
पूण िनराशावादी ि सु वि थत अलमा रय को पसंद करते ह। े ड ने छोटी आ तीन क शट , िनट
श स और स े शटस के िलए अलग-अलग खंड बना रखे ह। उनका हर पट एक अलग हगर पर टँगा होता है और
उसम बे ट भी लगा रहता है, ता क एक पट उठाने के च र म दो पट न खंच जाएँ या ज दबाज़ी म सही बे ट न
खोजना पड़े। उनके जैकेट और पट गोलाकार म म टगे रहते ह। रात को वे उ ह उतारकर बाई तरफ़ रख देते ह
और अगले दन दाई तरफ़ से कपड़े िनकालते ह। इस तरह से शैली म िविवधता आती है और कपड़े म से पहने
जाते ह। उनके जूते अलमारी के नीचे वाले खंड म क़रीने से जमे रहते ह और वे उन सब पर महीने म एक बार
ब त अ छी तरह पॉिलश करते ह।
जब हमारी नई-नई शादी ई थी, तो म लोकि य आशावादी शैली म े ड के कपड़े रखती थी। मुझे लगता
था क जैस-े तैसे कपड़े अंदर रखने के बाद अगर दराज़ बंद हो जाए, तो कला फ़तह हो जाता है। एक दन े ड ने
कहा, ‘म इस बात क शंसा करता ँ क तुम मेरे कपड़े धोती हो, ले कन आगे से तुम उ ह अंदर रखने के बजाय
बाहर ही छोड़ दया करो। उ ह म अपने िहसाब से खुद अंदर रख लूँगा।” जब मने अपना अ सर पूछा जाने वाला
सवाल पूछा, ‘मुझसे या ग़लती हो रही है?” तो उ ह ने मुझे दखाया क म उनके मोज़ को मोड़कर दराज़ म
फक देती थी। फर उ ह ने हर मोज़े को बीच से सही तरह से तह करके बताया और उ ह इस तरह जमाया, ता क
सबका एड़ी वाला िह सा एक दशा म रहे। जब उ ह ने यह सु वि थत काय म पूरा कर िलया, तो उनके दराज़
का सामान िज़गसाँ पज़ल क तरह ब ढ़या तरीके से जम गया।
चालीस साल म म कभी पूण िनराशावादी ि य क सुघड़ता से कपड़े तह करने क कला नह सीख पाई
।ँ इसके बजाय म तो उस मज़ेदार अनुभव से ही रोमांिचत होती ,ँ जब अ त- त दराज़ म कसी चीज़ के
िमलने से ही दल खुश हो जाता है!
एक डॉ टर क पूण िनराशावादी प ी ने सामािजक मेल-िमलाप का रकॉड रखने के िलए डबल फ़ाइ लंग
िस टम तैयार कया था। एक फ़ाइल बॉ स म काय म के अनुसार काड रखे थे, जैसे समस 1975, ई टर
1980, और उन सभी लोग क सूिचयाँ थ , िज ह ने उसम भाग िलया था। साथ ही उस दन का मीनू भी था।
दूसरे बॉ स म अितिथय के नाम के काडस थे, जो वणमाला के म से जमे थे। हर काड म उस ि के आने क
तारीख़ िलखी थी, मीनू पर उसक ित या भी िलखी थी (अगर उसने इस बारे म कोई ट पणी क हो), और
एक कॉलम बना था, िजस पर िलखा था क या उस मेहमान ने ध यवाद का प भेजा था। पीछे यह रकॉड भी
था क या उस मेहमान ने उसे अपने घर पर बुलाया था। इस तरह उस मिहला के पास िपछले चौदह साल क
हर िडनर पाट का हर वणन था।
जो लोग इस कृ ित के नह ह, उनके िलए यह जानना मह वपूण है क पूण िनराशावादी ि य के िलए
सु व था और मब ता कतनी मह वपूण होती है। वैसे हम सभी अगर इस दशा म थोड़ा यान द, तो इससे
हम भी मदद िमल सकती है।

साफ़-सुथरा
पूण िनराशावादी ि य का पहनावा आम तौर पर अ छा होता है और उनके कपड़े बेदाग रहते ह। पु ष
कायकु शल दखते ह और मिहला का > िलया िबलकु ल सही होता है। वे अपने आस-पास के माहौल को साफ़-
सुथरा रखना पसंद करते ह, इसिलए कई बार तो वे दूसर क फक ई चीज़े भी उठा लेते ह। जब पं ह साल
पहले े ड और म यूरोप गए, तो हमारे समूह म दो लोकि य आशावादी मिहलाएँ थ , िजनक दलच पी बस
सं हालय और िगरजाघर के सामने खड़े होकर त वीर खंचवाने म थी। उनके सूटके स म पोलेरॉइड फ़ म भरी
ई थी और जब बाक़ लोग पाथनॉन के बारे म टू र गाइड का वणन सुन रहे थे, तो वे पो टको के खंभ के पास
खड़ी होकर त वीर खंचवा रही थ । जब वे पोलेरॉइड कै मरे से त वीर बाहर िनकालती थ , तो त वीर के साथ
िचपकने वाले काले काग़ज़ वह फक देती थ और फ़ोटो खंचवाने के नए थान क तलाश म चल देती थ । े ड
क साफ़-सफ़ाई क इं य को यह बात गवारा नह थी क अमे रक लोग िचपकने वाले काले कागज़ के टु कड़े पूरे
यूरोप म िबखेरते जाएँ, इसिलए वे दो स ाह तक उनके पीछे-पीछे चलते रहे और महल को साफ़ रखने म
योगदान देते रहे। एक बार उ ह ने उन मिहला को उनक मुखता दखाने क कोिशश क और उनम से एक को
उसका फै लाया कचरा थमाते ए धीरे से कहा।
“माफ़ क िजए, यह आपके हाथ से िगर गया था।”
उस मिहला ने जवाब दया, "ओह, कोई द त नह है। यह हमारे कसी काम का नह है।”
हमारे बेटे े डी ने भी बचपन से ही पूण िनराशावादी कृ ित का दशन कया है। वह अपने पालने क छड़
के बीच से हमारा िव ेषण करता था। छु टपन म वह अपने िखलौन से साफ़-सुथरे ढंग से खेलता था और झपक
लेने से पहले अपने सभी क जमाकर रखता था। जैसे ही वह अपना िब तर लगाने लायक़ बड़ा आ, उसने यह
सुिनि त कया क उसक चादर क सभी बड़ी लाइन सीधी ह , कनारे भी। वह हर दन अपने हर िखलौने को
एक ही जगह पर रखता था और अगर कोई उसका एक िखलौना भी हटाता था, तो उसे पता चल जाता था।
एक पूण िनराशावादी युवक ने मुझे बताया क उसे एक लोकि य आशावादी युवती के साथ डे टंग पर जाना
था। वह उसे लेने के िलए िनधा रत समय पर उसके ऑ फ़स प च ँ गया। वहाँ वह उसक डे क क हालत देखकर
त ध रह गया और इस बात पर भी क वह कसी काम के िलए चली गई थी और प प से यह भूल गई थी
क उसे डे टंग पर जाना है। जब वह बैठकर उसका इं तज़ार करने लगा, तो उसका यान पास वाली डे क क
तरफ़ गया, जो साफ़-सुथरी थी। डे क के कै लडर पर साफ़-सुथरी इबारत थी, पिसल क नोक वाले िसरे एक
दशा म थे और इन तथा आउट बा के ट ख़ाली थ । जब साफ़-सुथरी डे क वाली लड़क अंदर आई, तो वह उसके
साथ बातचीत करने लगा। उस लड़क का पहनावा आकषक था और वह जानती थी क वह या कर रही थी।
उस युवक ने कहा, ‘अचानक मुझे एहसास आ क म ग़लत लड़क के पीछे पड़ा आ था। वैसे भी वह तो
आई नह थी, इसिलए म दूसरी लड़क क लंच पर ले गया और तब से हम - मब तरीके से - लगातार डे टंग
कर रहे ह।”

पूणतावादी –उ मानदंड
जीवन म पूण िनराशावादी ि का सू वा य होता है, अगर कोई काम करने लायक़ है, तो वह अ छी तरह से
करने लायक़ है। इस बात से कोई फ़क़ नह पड़ता क वह उस काम को कतनी तेज़ी से कर सकता है, फ़क़ तो इस
बात से पड़ता है क वह उस काम को कतनी अ छी तरह से कर सकता है। गुणव ा हमेशा मा ा से यादा
मह वपूण होती है और जब कसी काम का िज़ मा पूण िनराशावादी ि के पास हो, तो जान ल क काम सही
तरह से और समय पर हो जाएगा।
संडी ने मुझे बताया क उसके पूण िनराशावादी पित फ़ल अपने घर पर पट करवाना चाहते थे, ले कन वे
जानते थे क यह काम िसफ़ वे ही अ छी तरह से कर सकते ह। वे हर प टए को सडपेपर से रगड़ने लगे। घर को
पट करने म पूरा एक साल लग गया, िजस दौरान घर ब त गंदा दखने लगा। साल के अंत तक उ ह ने इस पर
शानदार पट कर दया था। बहरहाल, इसके बाद उनका तबादला हो गया और उ ह घर बेचना पड़ा। उस मिहला
ने वीकार कया क उसके पित ने इतना ब ढ़या पट कया था क उसक बदौलत उ ह मकान क यादा क़ मत
िमली।
हमारे पूण िनराशावादी पेपरबॉय ने मुझे कु छ मुड़-े तुड़े डॉलर दखाते ए कहा क कसी को देने से पहले
वह हमेशा उन पर ेस करके उ ह सीधा कर देता है, य क उसे मुड़-े तुड़े नोट से िचढ़ है। िसफ़ पूण िनराशावादी
ि ही अपने पैस पर ेस कर सकते ह।
हालाँ क मुझे लगता है क म ब त ही सुघड़ गृिहणी ,ँ ले कन मेरे पूण िनराशावादी बेटे े डी को लगता है
क म उसके तर तक नह प च ँ ी ।ँ एक बार जब मे रटा और म कु छ दन क या ा पर बाहर गए, तो े डी ने
राहत क साँस ली। उसने अपने िपता क तरफ़ देखते ए कहा, “अब मिहलाएँ तो चली गई ह। अब म इस घर को
सही तरीके से जमा सकता ।ँ ” पहली शाम को उसने फ़श पर वै यूम कया, िल वंग म के फ़न चर पर पॉिलश
क और शे फ़ पर रखी चीज़ को पूण िनराशावादी ि य क तरह सीधी क़तार म रखा।
आजकल के युग म दोयमता आम हो चुक है, ले कन पूण िनराशावादी ि उ मानदंड क मशाल ह,
िजनका बाक़ लोग को अनुसरण करना चािहए।

िमत यी
पूण िनराशावादी ि य क फ़तरत होती है क उ ह बबादी अ छी नह लगती है और वे पैसे बचाना पसंद
करते ह। मेरे पित े ड अखबार से रबेट कू पन सफ़ाई से काटते ह और सही व त के िलए जमाकर रख लेते ह।
अगर म कभी यह काम क ं , तो म अख़बार को आड़ा-ितरछा फाड़ लगी और टोर म अजीब से मुड़-े तुड़े अख़बार
के प े लेकर प चँ जाऊँगी। े ड के जीवन का मह वपूण पल तब आता है, जब एक प ड कॉफ़ पर उ ह कू पन के
कारण एक डॉलर क छू ट िमलती है और सुपरमाकट म डबल कू पन डे होता है। एक बार तो एक कै न म भी डबल
कू पन िनकला और े ड इस बात से उ सािहत हो गए क उ ह एक तरह से काफ़ पीने के बदले सतीस सट दए
जा रहे ह। लोकि य आशावादी ि इन रबेट कू पन का कभी फ़ायदा नह उठाते ह, ले कन पूण िनराशावादी
ि यह सुिनि त कर लेते ह क उ ह वह हर चीज़ िमले, िजसके वे हक़दार ह।
े ड न िसफ़ रबेट कू पन क तलाश म रहते ह, बि क वे ड टिबन उलट-पुलटकर यह भी देखते ह क म कह
कोई काम का सामान तो नह फक रही ।ँ वे यह फै सला करते ह क मेरे धोने के बाद उस गंदे िड बे का उपयोग
हो सकता है। वे यह फ़ै सला करते ह क िजन के ल को मने फक दया है, वे काम आ सकते ह तथा पुरानी झाडू
अभी कु छ समय तक और चल सकती है। अगर म कसी चीज़ को उनसे िछपाकर फकना चा ,ँ तो मुझे उसे पड़ोसी
के ड टिबन म िछपाना पड़ता है।
मेरी दादी र सी सँभालकर रखती थ । उनके पास एक िड बा था, िजस पर िलखा था : इतनी छोटी
रि सयाँ, िजनका उपयोग नह हो सकता। मेरी पहचान क एक मिहला पूण िनराशावादी है। वह बचे ए खाने
को लाि टक के एक बड़े िड बे म बंद करके ज म रख देती है। वह ऊपर हर आइटम के नाम के सामने उसे
रखने क तारीख़ भी िलख देती है। वह ताज़े बचे खाने को पीछे रखती है और बाक़ िड ब को आगे िखसका देती
है। इस तरह वह बचे ए खाने को म से खाती है और कोई चीज़ कभी बबाद नह होती है।

गहरी चंता और सहानुभूित


पूण िनराशावादी ि दूसर क स ी चंता करते ह और उनक ज़ रत के ित संवेदनशील होते ह। जब
लोकि य आशावादी ि आकषण का क बनने क कोिशश करते ह, तब पूण िनराशावादी ि दूसर का
अवलोकन करते ह और उनक सम या के ित सहानुभूित दखाते ह। मेरी एक पूण िनराशावादी सहेली ने मुझे
बताया क जब उसने टीवी पर िवयतनाम के अनाथ से भरा हवाई जहाज़ देखा, तो उसक आँख म आँसू आ
गए। इस पर उसके ती ोधी पित ने पूछा, “तुम रो य रही हो? तुम उनम से कसी को भी तो नह जानती
हो!”
जब हम परे ड देखने जाते ह, तो े ड सैिनक को देखकर भाविव हल हो जाते ह और उन सभी अमे रक
सैिनक क याद करने लगते ह, िज ह ने देश क खाितर अपने ाण योछावर कर दए थे। बहरहाल, उस व त म
भीड़ म कसी प रिचत चेहरे क तलाश करती ँ और परे ड के बाद कसी ज क उ मीद करती ।ँ
पूण िनराशावादी ि उ कृ सलाहकार सािबत होते ह, य क वे दूसर के दल म झाँकने म िनपुण
होते ह। वे लोग क सम या को सुनने, उनका िव ेषण करने और उनका उिचत समाधान खोजने के इ छु क
होते ह। लोकि य आशावादी ि कसी दूसरे क सम या के बारे म इतनी लंबी बात नह सुन सकते ह और वे
कसी नकारा मक बात म शािमल होना भी पसंद नह करते ह, ले कन पूण िनराशावादी ि य के मन म
दूसर के ित स ी सहानुभूित होती है और वे उनक परवाह करते ह।
आदश जीवनसाथी खोजते ह
चूँ क पूण िनराशावादी ि पूणतावादी होते ह, इसिलए वे चाहते ह क उ ह आदश जीवनसाथी िमले। वे
सावधानी से दो त चुनते ह और पहले इस बात क तस ली कर लेते ह क वे उनके मानदंड पर खरे उतर।
लोकि य आशावादी ि य क तरह उ ह ब त सारे प रिचत क ज़ रत नह होती है, उ ह तो बस थोड़े से
िन ावान िम क ज़ रत होती है।
मेरे सामने िववाह का ताव रखने से पहले े ड ने एक चाट बनाया था, िजसम उ ह ने उन सभी गुण को
िलख िलया था, जो वे अपनी प ी म चाहते थे। उ ह ने इन सभी बंद ु पर मेरी जाँच करके पाया क म लगभग
90 ितशत यो यता को पूरा करती ।ँ उ ह ने यह अनुमान लगाया क शादी के बाद वे शेष 10 ितशत क
भी सही कर लगे। ले कन हमारी शादी के बाद या आ ? छोटी-छोटी ग़लितयाँ बड़ी दखने लग और जो गुण
मुझम नह थे, वे अिनवाय नज़र आने लगे।
कु छ समय बाद े ड इस बात पर हताश हो गए क म उनके मानदंड पर कतनी कमज़ोर ।ँ जब उ ह ने
मुझे चाट के बारे म बताया, तो मुझे यह जानकर सदमा लगा क उ ह ने ाफ़ के पैमाने पर मेरी जाँच क थी - म
इस बात से तो और भी यादा िवचिलत हो गई क उनके िहसाब से म असफल हो गई थी। अगर उस व त हम
कृ ितय के अंतर के बारे म जानते, तो म उनक पूणता क इ छा और चाट के मोह को समझ सकती थी और
उ ह यह एहसास हो सकता था क लोकि य आशावादी ि के िलए उनके मानदंड ब त ऊँचे थे। हम दोन ही
कई अ य सम या से भी बच सकते थे।
जब हमने यह कहानी ि ह टयर के एक सेिमनार म बताई, तो एक सुंदर युवती हमसे बात करने के िलए
आई। बरस पहले उसने आदश पित के बारह गुण क सूची बनाई थी और डे टंग करते व त वह इसी सूची के
आधार पर युवक का मू यांकन करती थी। सबसे अ छे युवक म नौ गुण थे और उसने सात साल पहले उससे
सगाई कर ली थी। शादी करने से पहले वह उसके पूरी तरह सुधरने का इं तज़ार कर रही थी। हमने सुझाव दया
क या तो वह उसे इस हाल म ही वीकार कर ले या फर उसे आज़ाद कर दे, ता क वह नौ गुण या इससे कम
गुण क सूची वाली लड़क को खोज सके । बाद म उसने हम बताया क उसने सगाई तोड़ दी है। जीवन म आदश
क खोज करना एक सकारा मक ल य है, ले कन हम यह एहसास होना चािहए क हम इस दुिनया म आदश
जीवनसाथी कभी नह िमल पाएँगे।
पूण िनराशावादी ि आदशवादी, सु वि थत और उ े यपूण होते ह।

समझदार ि आगे आने वाली सम या को भाँपकर उनका सामना करने क तैयारी


करता ह| मुख कभी आगे नह देखता है और प रणाम भोगता है |
ोव स 27:12 टीएलबी
अ याय 5

आइए अपनी भावना को समझ

यहाँ पर हम िवचार करने के िलए कु छ देर के िलए टाइम आउट लेते ह!

मुझे लगता है क अब तक आप ख़शिमज़ाज लोकि य आशावादी और गूढ़ िव ेषणा मक पूण िनराशावादी


ि य के बारे म समझ गए ह गे। हालाँ क इन दोन कृ ितय के ि उ े य और ित या म एक-दूसरे
के िवपरीत ह, ले कन उनम कई गुण समान ह। ये दोन ही भावुक होते ह। लोकि य आशावादी ि भावना
के िहसाब से जीते ह और उनक ज़ंदगी म उतार-चढ़ाव ज दी-ज दी आते ह। हो सकता है क आम लोकि य
आशावादी ि के जीवन म दोपहर से पहले ही छह भावना मक संकट आ जाएँ। उसके िलए हर चीज़ या तो
ब त ब ढ़या या ब त बुरी होती है - बीच का कोई रा ता नह होता है। एक उदाहरण देख, लोकि य आशावादी
माँ फ़ोन पर खुशी-खुशी बात कर रही है, तभी उसका ब ा कु स से िगर पड़ता है। वह चीखती है, “वह मर
गया!” और फ़ोन पटक देती है। वह ब े को उठाकर पूरे घर म भागती है और उसके साथ-साथ चीख़ती ई
बडएड खोजती है। तभी दरवाज़े पर घंटी बजती है। पादरी िमलने आए ह। वह उ ह अंदर बुलाती है, ब े को
पालने म िलटाने के िलए भागती है, ख़न प छने के िलए उसक तरफ़ टॉवेल उछाल देती है और कहती है, “रोना
बंद करो, पादरी आए ह।” फर वह िल वंग म म मु कराती ई जाती है और बड़े यारे अंदाज़ म कहती है,
‘ कतना सुहाना दन है!”
या आपको एहसास है क इस तरह के जीवन से लोकि य आशावादी ि य को कतना भावना मक
नुक़सान होता है? अगर आप लोकि य आशावादी ि क भावना को ाफ़ पर उतार, तो यह इस तरह
ऊपर-नीचे होता रहता है ...

पूण िनराशावादी ि हािशए पर खड़ा होता है और इतने उथल-पुथल भरे जीवन को देखकर
आलोचना मक िनणय देता है। “काश वह शांत रहना सीख ले।” ‘काश वह अपनी भावना पर क़ाबू रखना सीख
ले।”

लंबा पैटन
पूण िनराशावादी ि य को यह एहसास ही नह होता है क वे भी भावुक ह, फ़क िसफ़ इतना है क उनके उ
बंद ु यादा ऊँचे होते ह और िन बंद ु यादा नीचे होते ह तथा पूरा पैटन यादा लंबा चलता है। मान लीिजए
इस समय पूण िनराशावादी ि सामा य मूड म है। अब तक उसे कसी बात से द क़त नह ई है। जब वह
अपना लंच बैग उठाता है, तो उसे पता चलता है क उसक लोकि य आशावादी प ी उसके िलए सडिवच
बनाना भूल गई है। वह यह बात बताते समय उसे घूरकर देखता है। वह फ़ौरन भागकर सडिवच बनाने लगती है।
सलाद काटते समय वह अपनी ऊँगिलयाँ चाटती है और वह सोचता है, कतनी बुरी हरक़त है! ले कन ज़ािहर है,
वह उसक प ी क तरह भावुक नह है, इसिलए चुप रहता है। प ी सडिवच उठाती है और ॉअर खोलती है,
िजसम बैग रखे ह। ॉअर फँ स जाता है, इसिलए वह उसे खोलने के िलए ज़ोर लगाती है। इस कारण वह पीछे क
तरफ़ िगर जाती है और उसके साथ ही सडिवच भी िगर जाता है। पित उसे फ़श से सडिवच उठाकर दोबारा रखते
ए देखता है। ऐसा करते समय वह कहती है, “थोड़ी सी धूल से कसी को नुक़सान नह होता है।” इससे पूण
िनराशावादी ि का पेट दहलने लगता है और वह सोचने लगता है क काश उसके मन म मैकडोन स जाने
का िवचार आ जाता!
घर से िनकलते समय वह ऊपर से तो शांत दखता है, ले कन मन ही मन भुनभुनाता रहता है। अगले दन
प ी फर सडिवच बनाना भूल जाती है और पित उसे आवाज़ लगाता है, ले कन फर खुद ही सडिवच बनाने
लगता है। सलाद बासी है और ेड सूखी है, य क प ी ने उसे ठीक से लपेटकर नह रखा है। वह इस बात को
प ता से अपनी प ी को बताता है, जो रोने लगती है, य क वह ब त भावुक और अि थर है।
तीसरे दन वह खुद ही सडिवच बनाता है। िपछली रात को वह सारा सामान घर ले आया था। जब वह
अपनी प ी को फ़ोन पर बात करते और हँसते ए सुनता है, तो भुनभुनाता रहता है, य क इस समय उसे अपने
पित के बारे म सोचना चािहए था। वह िबना गुड बाई कए चल देता है और िनकलते समय धड़ाम से दरवाज़ा
बंद करता है। प ी को थोड़ा िवचिलत तो करना ही चािहए। उस रात को घर लौटने के बाद वह चुप-चुप रहता
है। प ी उससे पूछती है क या गड़बड़ है। ले कन वह कु छ नह कहता है और यह खेल चलता रहता है।
जब वह एक स ाह तक हताश रहता है, तो प ी उससे स ाई उगलवा लेती है। अब वह जान जाती है क
पित का मुँह इसिलए फू ला आ है, य क वह उसके िलए सडिवच बनाना भूल गई थी। वह िच लाती है, “तुमने
सडिवच जैसी छोटी चीज़ के कारण मुझसे एक स ाह से बात नह क ?”
पित क हताशा और बढ़ जाती है। वह सोचने लगता है क उसक प ी इतनी भावुक य है। जब कई
स ाह तक प ी िनयम से सडिवच बनाती है, तब कह जाकर वह दोबारा सामा य हो पाता है। या आपको पैटन
दख गया? वे दोन ही भावुक ह। लोकि य आशावादी ि य के मूड हर िमनट ऊपर-नीचे होते रहते ह, जब क
पूण िनराशावादी ि य के मूड हर महीने ऊपर-नीचे होते ह।

दोन म काफ़ समानताएँ ह


हर ि दूसरे को भावुक मानता है। पूण िनराशावादी ि यह सािबत कर सकते ह क लोकि य आशावादी
ि ब त अधीर और बेचैन होते ह। लोकि य आशावादी ि य को यक़ न ही नह होता क कोई इतनी
छोटी बात का बुरा मान सकता है। जब वे दोन अपने भावना मक पैटन को समझने क कोिशश करते ह, तब
कह जाकर उ ह पता चलता है क उनम ब त सी समानताएँ ह। वे दोन ही भावना मक होते ह - बस उनक
गित अलग-अलग होती है। अगर वे अपनी सम या पर बातचीत कर, तो उनके बीच का तनाव कम हो सकता
है। लोकि य आशावादी ि य के सामने हर दन जो संकट आते ह, उ ह कम करने म पूण िनराशावादी ि
मदद कर सकता है। इसी तरह, लोकि य आशावादी ि बेहतर िनयोजन और संवेदनशीलता से पूण
िनराशावादी ि क हताशा को रोक सकते ह।

सश ोधी और शांत संतोषी लोग से िनबटना


लोकि य आशावादी और पूण िनराशावादी ि भावुक और प रि थितज य होते ह, ले कन सश ोधी और
शांत संतोषी ि इतने ज टल नह होते ह। सश ोधी ि सीधा, प और स य होता है, िजसका एक
ही ल य होता है : इस काम को मरे तरीक़ से करी – अभी!
शांत संतोषी ि लचीला, आरामदेह और सहज होता है, जो िववाद और संघष से बचना चाहता है।
अगर कोई सही तरीक़े से काम न करे , तो सश ोधी ि को िणक ग़ सा आ सकता है। ले कन ग़लती
करने वाले को अ छी तरह समझाने के बाद वह मामले को ख़ म मान लेता है और फर से सामा य हो जाता है।
शांत संतोषी ि जब सम या से बचने के दृढ़ संक प के बावजूद नह बच पाते ह, तो वे कु छ समय के िलए
िनराश हो सकते ह। बहरहाल, उनक िनराशा कसी को भी नज़र नह आती है। शांत संतोषी ि य को अपने
ि थर मानिसक संतुलन पर गव होता है और वे कहते ह, ‘म कभी कसी को यह पता नह चलने देता क म कसी
चीज़ के बारे म कै सा महसूस कर रहा ।ँ ”
आपको यह समझने म कोई मुि कल नह होती है क लोकि य आशावादी ि कै सा महसूस कर रहे ह।
उनके उतार-चढ़ाव िबजली के ब ब क तरह प होते ह।
इसी तरह आप पूण िनराशावादी ि के मूड के बारे म भी पता लगा सकते ह। आपको िसफ़ इतना देखना
है क वे अपने साथ कमरे म काले बादल लाए ह या नह ।
ले कन सश ोधी ि हमेशा तूफ़ानी गित से सबसे आगे चलते ह और शांत संतोषी ि ि थर तथा
संकोची होते ह।
>िजस तरह लोकि य आशावादी ि गहरे पूण िनराशावादी ि य के ित आक षत होते ह और
अंतमुखी पूण िनराशावादी ि बिहमुखी लोकि य आशावादी ि य के ित आक षत होते ह, उसी तरह
सश ोधी कृ ित के लीडस शांत संतोषी अनुयाियय को पसंद करते ह और शांत संतोषी ि य का अिनणय
वाला वभाव िनणय करने वाले ि क तलाश म रहता है।
िजस तरह लोकि य आशावादी और पूण िनराशावादी ि एक-दूसरे क कमी को पूरा कर सकते ह, उसी
तरह सश ोधी और शांत संतोषी ि भी एक-दूसरे के पूरक हो सकते ह, बशत वे एक-दूसरे के वभाव को
समझ ल और वीकार कर ल। जब हम आगे ती ोधी और शांत संतोषी कृ ितय का अ ययन करगे, तब आप
मेरी बात का मतलब समझ जाएँग।े

सीखने के िलए आपम सीखने क इ छा होनी चािहए...|


ोव स 12:1 टीएलबी
अ याय 6

आइए सश ोधी ि के साथ आगे बढ़े

इस दुिनया को सश ोधी ि य (powerful cholerics) क कतनी यादा ज़ रत है!

दूसर का िनयं ण िशिथल पड़ने के बाद भी दृढ़ िनयं ण।


अिनणय क ि थित म उलझे लोग के िलए त काल िनणय।
नेक क दशा म ले जाने वाला नेतृ व।
दुिवधा क ि थित म जोिखम लेने का जीवट।
मखौल उड़ने के बाद भी जुटे रहने का आ मिव ास।
अके ले खड़े रहने और मह वपूण बनने क आ मिनभरता।
सब भटक सकते ह, ले कन ये जीवन के न शे के िहसाब से चलते ह।
“मुि कल के महासागर से जूझने और उनका अंत करने” क इ छा।

सश ोधी ि ऊजावान होता है, असंभव सपने देखता है और िसतार तक प च ँ ने का ल य बनाता है।
रॉबट ाउ नंग क तरह ही वह भी सोचता है, ‘इं सान क कोिशश उसक प च ँ से यादा होनी चािहए, वरना
वग कसिलए है?” सश ोधी ि हमेशा ल य बनाता है, उस तक प च ँ ने क मेहनत करता है और सफल
होता है। जब लोकि य आशावादी ि बात बनाता रहता है और पूण िनराशावादी ि सोचता रहता है,
तब सश ोधी ि ल य तक प च ँ ने के िलए मेहनत करता रहता है। इस वृि के लोग को समझना और
उनके साथ चलना सबसे आसान है, जब तक क आप उनके व णम िस ांत के अनु प चल : “इस काम को मरे
िहसाब से कर - अभी!”
सश ोधी और लोकि य आशावादी ि य म यह समानता होती है क दोन ही बिहमुखी और
आशावादी होते ह। सश ोधी ि लोग के सामने खुलकर बोल सकता है और उसे पता होता है क अगर
नेतृ व क बागडोर उसके हाथ म है, तो अंत म सब कु छ सही हो जाएगा। वह बाक़ कृ ित वाले लोग से यादा
काम करता है और वह आपको यह प प से बता देता है क उसक ि थित या है। चूँ क सश ोधी ि
ल य क त होता है और उसम नैस गक लीडरिशप गुण होते ह, इसिलए वह जो भी कै रयर चुनता है, उसम
तर करता है।
हमारे यादातर नेता मूलतः सश ोधी कृ ित के होते ह। अ सी के दशक क शु आत म हमने इसके दो
उ कृ उदाहरण देखे, एक पु ष और एक मिहला : से े टरी ऑफ़ टेट अलै ज़डर हेग और ि टेन क धानमं ी
मागरे ट थैचर। टाइम मै ज़ीन क कवर टोरी (16 माच 1981) म जॉज जे. चच ने “द िवकार टे स चाज ” शीषक
वाले लेख म यह िलखा था :

... िजतनी तेज़ी से 56 वष य अलै ज़डर हेग, जूिनयर ने नए से े टरी ऑफ़ टेट बनने के बाद िवदेश नीित
का िनयं ण िलया है, उतनी तेज़ी ब त कम लोग दखा पाते थे। अलै ज़डर हेग वाटरगेट के सबसे याह
दन म हाइट हाउस के चीफ़ ऑफ़ टाफ़ रह चुके ह। वे पूव नाटो कमांडर, सैिनक-अफ़सरशाह- कू टनीित
ह, िजनका आ मिव ास उनक फ़ौलादी इ छाशि िजतना ही बल है। मैसा यूसे स के िलबरल
डेमो े टक सीनेटर पॉल ट गास ने जनवरी म हेग के अनुमोदन वाली सुनवाई के अंत म कहा था, “वे अपनी
ितभा का इ तेमाल इस शासन पर आिधप य थािपत करने के िलए करगे।”
अगर ऐसा नह आ, तो इसका कारण उनक कोिशश क कमी नह है। दसंबर म रीगन ने जब अपने
नामांकन क घोषणा क थी, तभी हेग ने अपने आिधप य थािपत करने के संक प का संकेत दे दया था।
उ ह ने िवदेश नीित का अ ययन करने वाली संिधकालीन टीम के सद य को बखा त कर इसक लंबी
रपोट को कू ड़ेदान म डाल दया था। रीगन के शपथ लेने के कु छ ही घंट म हेग ने रा पित के सलाहकार
एडिवन मीज़ को एक मेमो भेज दया, िजसम उ ह ने िवदेश नीित संबंधी िनणय लेने वाली मशीनरी के
पुनगठन का ताव रखा। इस ताव को अगर मान िलया जाता, तो से े टरी ऑफ़ टेट सवशि मान बन
जाता। दो स ाह पहले रीगन ने हेग को उनके दारा माँगे गए यादातर अिधकार दे दए (सभी नह )। इसके
बाद हेग ने बाक़ के िबनेट सद य से यादा तेज़ी से अधीन थ क लगभग पूरी टीम चुन ली.. .

सश ोधी ि य का वणन करने वाले आम श द क यहाँ देखा जा सकता है... तेज़ी


से,िनयं ण,कमांडर,आ मिव ास,फ़ौलादी इ छाशि , आिधप य, संक प, पुनगठन, िनणाय लेने वाली मशीनरी,
सवशि मान, अिधकार, शि , तेज़ी से, पूरी।
अगर आप कृ ितय को समझने लग और उ ह अपने रोज़मरा के जीवन म लागू करने लग, तो टाइम पि का
पढ़ना भी मज़ेदार बन जाएगा। इससे दूसर को समझने और उनक ित या का पहले से अंदाज़ा लगाने क
आपक मता तेज़ी से बढ़ जाएगी।
इं लड क पूव धानमं ी मागरे ट थैचर के बारे म एक लेख छपा था, िजसम सश ोधी कृ ित का वणन
करने वाले कई श द का योग कया गया था: उ कृ , आिधप य, गुणी, समथ, सा ा ी, िनणया मक तरीक
से,गहन ित पध ,कठोर ,उ ,चुनौतीपूण,आ ामक तकनीक,घातक,सझाव से िचढ़ने वाल ! इन श द को अलग
करके देखने से समझ म आ जाता है क वे सश ोधी कृ ित क लीडर ह। उनके बारे म यह कहा गया है क वे
“गहरे रं ग के सादे कपड़े पहनती ह और भावी तरीक़े से बोलती ह।” यह आ मिव ास और िनयं ण को दशाने
वाली सश मिहला का िच ण है।

ज मजात लीडर
सश ोधी ि ब त कम उ म ही िनयं ण अपने हाथ म ले लेते ह। वे पैदाइशी लीडर होते ह। वे पालने म
लेटे-लेटे ही यह योजना बनाते रहते ह क वे कतनी ज दी माँ से स ा छीनकर अपने हाथ म ले सकते ह। उनके
साथ सवाल यह नह होता है क या के िनयं ण लगे, बि क यह होता है क कब लगे । वे अपने माता-िपता को
प बता देते ह क वे जीवन म या चाहते ह। वे ब त ज दी ही अपने अिधकार क माँग करने लगते ह और
अपने िनयं ण को मज़बूत बनाने के िलए तेज़ आवाज़ या रोने-झगड़ने का योग करते ह।
जब म ि व को नह समझने वाली माता के साथ बातचीत करती ,ँ तो वे अ सर मुझे अपने दृढ़
इ छाशि वाले ब के बारे म बताती ह, जो कहा गया काम नह करते ह, पूरे प रवार के िलए िनणय लेते ह
और बचपन म ही पूरे घर को िनयंि त करने लगते ह।
हमारी बेटी लॉरे न सश ोधी कृ ित क है। जब से उसने चलना सीखा है, तभी से वह प रप है और पूरे
घर को चलाने म स म है। जब मे रटा पैदा ई, तो चार साल क लॉरे न अपने आप दूसरी माँ बन गई। उस पर
भरोसा कया जा सकता था क वह बोतल क सही तरह से गरम करे गी और बेबी-िसटस को िशि त करे गी।
जब वह नसरी कू ल म थी, तो उसक टीचर ने मुझे बताया, “मुझे कभी लास म मौजूद न रहने क चंता नह
होती है, य क म जानती ँ क लॉरे न िबना कसी बाहरी मदद के पूरी लास को चला सकती है।” और वे सही
थ । लॉरे न पूरे कू ल क लीडर थी और उसने मनोिव ान तथा िबज़नेस म अपनी ातक िड ी ली।
हाल ही म म एक घर म गई, जहाँ आठ साल क जेनी महारानी क तरह कू मत करती थी। उसके चार बड़े
भाई-बहन थे, जो उसके कहने पर ही िहलते थे। उसक सश ोधी माँ पा रवा रक वसाय करती थ , ले कन
जब वे घर आती थ , तो वे भी जेनी के िनयं ण के आगे समपण कर देती थ । उनका कहना था, “उससे जूझने से
तो यह यादा आसान है।”
एक शाम छह बजे माँ ने घोषणा क , “हम िमसेज़ िलटार को िडनर के िलए टोक हाउस ले जा रहे ह।”
जेनी ने प ता से कहा, “म िप ज़ा खाना चाहती !ँ ”
उसी व त जेनी और म समझ गए क हम िप ज़ा खाने जाएँगे, ले कन माँ मेरे सामने शि शाली दखना
चाहती थ , इसिलए उ ह ने अपनी बात दोहराई और जेनी क बाँह दबाई, ‘हम टीक खाने जा रहे ह।”
जेनी ने अपना हाथ छु ड़ाते ए कहा, “मेरा हाथ मत दबाओ। मुझे िप ज़ा खाना है।” उसने अपनी माँ क
तरह कहर ढाती नज़र से देखा और यह प हो गया क अंितम िवजय कसक होगी।
जेनी फ़श पर लोटने और रोने लगी। भाई-बहन भागते ए आए और पूछने लगे, “जेनी य रो रही है?”
“ य क वह िप ज़ा खाने के िलए बाहर जाना चाहती है।”
“तो फर हम वह चलकर उसे खुश य नह करते ?”
“अ छा, ठीक है। हम िप ज़ा खाने ही चलते ह।”
यह सुनते ही जेनी ज दी से उठ खड़ी ई। उसने जीत के उ लास म मेरी तरफ़ देखकर आँख मारी और हम
सभी िप ज़ा खाने चले गए।
अगले दन मने उसक माँ से पूछा, “जेनी ने सबसे पहले प रवार को िनयंि त करना कब शु कया ?”
उसक माँ ने आह भरते ए कहा, “मेरा अंदाज़ा है, जब वह तीन महीने क थी। उसने ज दी ही यह समझ िलया
था क उसके चीख़ने-िच लाने पर हम सब दौड़ने-भागने लगते थे और तभी से वह हम सब पर कू मत कर रही
है।”
मेरी बेटी मे रटा लोकि य आशावादी के साथ ही काफ़ सश ोधी भी है। एक बार वह कनाडा से घर
लौट रही थी। इस हवाई या ा के दौरान उसे पोके न से सीटल और फर लॉस एंजेिलस प च ँ ना था। जब उसका
हवाई जहाज़ पोके न म उतरा, तो उसे पता चला क सीटल क हवाई उड़ान उपल ध नह थी (एयरलाइन ने
इसका कोई प ीकरण नह दया)। वह बताए गए गेट क तरफ़ चल दी और वहाँ उसे ब त से उ ेिजत याि य
का समूह तो िमला, ले कन एयरलाइन का कोई कमचारी नह िमला। वह अगले गेट तक गई और लक से
यथासंभव अिधकतम जानकारी ली। लौटकर वह ऊँचे टकट काउं टर पर बैठ गई और अपने सीिमत ान से हर
पूछने वाले के सवाल के जवाब देने लगी। ज दी ही लोग उसे लीडर मानकर ब त से सवाल पूछने लगे, िजनम
पु ष के टॉयलेट क दशा पूछना भी शािमल था।
जब यह प हो गया क उड़ान म कई घंटे क देर हो जाएगी और याि य म बगावत फै लने लगी, तो
मे रटा ह ज़ के काउं टर पर गई। वहाँ उसने पूछा क सीटल तक कार कराए पर ले जाने म कतने पैसे लगगे।
सारे त य क जानकारी लेकर वह ऊँचे टकट काउं टर पर वापस लौटी और याि य का यान आक षत कया।
सभी ने पूरी दलच पी से उसक वैकि पक योजना सुनी। उसने कहा क जो लोग ह ज़ क कार कराए पर लेकर
सीटल जाना चाहते ह, वे अपने हाथ उठा द। फर उसने छह-छह लोग के समूह बना दए और हर समूह म एक
ि को कार चलाने के िलए तथा दूसरे ि को पैसे इक े करने के िलए िनयु कया। जब वह उन सभी को
खुशी-खुशी ह ज़ के ऑ फ़स क तरफ़ ले जाने लगी, तो एक औरत बोली,”एयरलाइन वाल ने हमारी देखभाल के
िलए कतनी यारी लड़क को िनयु कया है!”
संकट के समय सश ोधी ि िनयं ण अपने हाथ म ले लेते ह।

प रवतन क आव यकता
सश ोधी ि सुधारवादी होते ह और जहाँ भी वे कोई गड़बड़ी देखते ह, उसे सुधारने के िलए बेचैन हो जाते
ह। ऐसे ि सही ल य और अिभयान म मदद करने के िलए त काल उठ खड़े होते ह। वे कभी उदासीन नह
होते ह, बि क परवाह करने वाले और आ मिव ासी होते ह।
सश ोधी ि दूसर के घर म त वीर को सीधा करते ह और रे तराँ म चाँदी के बतन क
चमकाते ह। एक दन जब म एक लोकि य आशावादी सहेली के घर पर थी और बतन साफ़ करने म उसक मदद
कर रही थी, तो मने देखा क उसके बतन क दराज़ खाने के टु कड़ से भरी थी और बतन भी बेतरतीब जमे थे। म
या कर रही थी, यह सोचे िबना मने सारे बतन बाहर िनकाल दए, बीच म लगी े साफ़ क और बतन को
उनके सही खाँच म जमा दया। जब उसने सभी काँट को एक खंड म और सभी च मच को दूसरे खंड म रखे
देखा, तो पलक झपकाते ए कहा, “अब म समझी क इस े म ये छोटे-छोटे खंड कसिलए बने ह। अब तक म यह
बात समझ ही नह पाई थी।”
फ़ िन स म एक पसनैिलटी लस सेिमनार म मेरी सश ोधी सहेली मे रिलन और म बातचीत कर रहे थे।
तभी उसक बहन मैरी यू हमारे बीच आ गई। हमम से कसी ने भी कोई ित या नह क , ले कन मने देखा क
मैरी यू का कॉलर नीचे दबा आ है और मेरा हाथ अपने आप उसे ठीक करने के िलए वहाँ प च ँ गया। जब मेरा
हाथ उसके कं धे पर था, तो मने देखा क मे रिलन का हाथ उसके दूसरे कं धे पर था और उसके जैकेट पर लगी धूल
साफ़ कर रहा था। िबना यह जाने क हम या कर रहे थे, हम दोन सश ोधी मिहलाएँ छोटी-छोटी ग़लितयाँ
सुधार रही थ ।

दृढ़ इ छाशि वाले और िनणयशील


सभी संगठन , वसाय और प रवार म इ छाशि और िनणय लेने क मता क ज़ रत होती है, जो सश
ोधी ि य म ज मजात होती है। जहाँ दूसरे लोग िनणय नह ले पाते, वहाँ सश ोधी ि त काल
िनणय ले लेते ह। वे सम याएँ सुलझाते ह और समय बचाते ह, हालाँ क सभी लोग उनक िनणय लेने क शि
क सराहना नह करते ह।
एक सेिमनार के बाद हेलन ने मेरे पास आकर कहा, “अब म जान गई ँ क यूरोप क मेरी या ा के दौरान
या आ। म तब कृ ितय के बारे म नह जानती थी, ले कन म प प से तीन शांत संतोषी सहेिलय के साथ
सैर पर गई थी।” फर उसने मुझे बताया क वे कोई िनणय नह ले पाती थ और उसे ही उनके िलए िनणय लेने
पड़ते थे। “हर रात को म उ ह बताती थी क अगले दन होटल क लॉबी म कतने बजे िमलना है और या
पहनना है। ‘ठीक साढ़े सात बजे नीचे प च ँ जाना और पैदल चलने वाले जूते पहन लेना, य क हम वंडसर
कै सल घूमने जाएँगे।' वे कसी बात पर रोमांिचत नह होती थ और सैर कराने के िलए मुझे उ ह बस से नीचे
उतारना पड़ता था। एक ने तो नो े डेम के अंदर जाने से इं कार कर दया, य क उसे यह लग रहा था क सभी
िगरजाघर एक जैसे होते ह। हर दोपहर को जब हम लौटते थे, तो वे झपक लेना चाहती थ और मुझे उ ह याद
दलाना पड़ता था, ‘ यादा देर तक मत सोना, वरना रात क सैर छू ट जाएगी।' अगर म नह होती, तो वे आज
भी िपकािडली े अर म खड़ी होत ! और सबसे यादा बुरा तो मुझे इस बात का लगा क हमारे लौटने के बाद से
उनम से कसी ने भी मुझे फ़ोन तक नह कया।”
जीवन म सश ोधी ि य क भूिमका ब त मुि कल होती है। उनके पास जवाब होते ह, वे जानते ह
क उ ह या करना है; वे त काल िनणय ले सकते ह, वे दूसर को मुि कल से उबारते ह - ले कन वे ब त कम
लोकि य होते ह, य क उनके िव ास तथा हठध मता से बाक़ लोग असुरि त महसूस करने लगते ह और
नेतृ व करने क उनक यो यता को दबंगपन माना जा सकता है।
सश ोधी ि य को अ य कृ ितय के बारे म समझकर अपने काय को संयत करने क कोिशश करनी
चािहए, ता क बाक़ लोग उनक यो यता से खुश ह , उनसे आहत न ह ।

कसी भी चीज़ को चला सकते ह


सश ोधी ि कसी भी चीज़ को चला सकते ह, भले ही उ ह उसे चलाने का तरीक़ा मालूम न हो।
दरअसल, म कभी कसी ऐसी सं था म शािमल नह ई, िजसम मुझे एक साल के भीतर ेिसडट बनने क
संभावना नज़र न आई हो। एक बार तो म पहली मी टंग म ही कनेि टकट पीच एंड ामा एसोिसएशन क
ेिसडट चुन ली गई - सद य बनने से भी पहले। सश ोधी ि य म ऊपर तक प च ँ ने और िनयं ण अपने
हाथ म लेने क नैसिगक यो यता होती है।
मुझे ख़द पर ब त कठोर अनुशासन रखना पड़ता है क म हर एक क सम या को सुलझाने से बचू।ँ सश
ोधी ि य के अलावा बाक़ सबको यह आसान लगता होगा, ले कन उनके िलए यह काम ब त मुि कल है,
य क वे त काल हर चीज़ को चलाना चाहते ह, भले ही उ ह ने वह काम पहले कभी न कया हो। हमारे मेयर
क सश ोधी प ी और म एक बार पाँच सौ मिहला के लंच म गए। बफ़े म लंबी टेबल वी आकार म लगी
थ , िजस वजह से मिहलाएँ दोन िसर से आ रही थ और बीच म उनके टकराने से अफ़रा-तफ़री मच रही थी।
कइय क लेट टकरा गई और उनका खाना फै ल गया। कु छ के हाथ से लेट छू ट गई और फ़श पर िगरकर टू ट गई।
लाइन ब त धीरे -धीरे बढ़ रही थी और हमारा से शन लाइन म प चँ पाता, इससे पहले ही खाना ख़ म हो गया।
मने वहाँ बैठकर सश ोधी ि क दृि से ि थित का मू यांकन कया और देखा क पेनी भी गहरे सोच म
डू बी थी। मने उससे पूछा क वह या सोच रही है। उसके पास भी वही योजना थी, जो मेरे पास थी। हम दोन
को साफ़ समझ म आ रहा था क टेबल ए स आकार म लगाई जानी चािहए थ , ता क चार लाइन एक साथ चल
पात और कसी का भी िवरोधी शि से आमना-सामना नह होता।
हम दोन ही हँस पड़ , जब हम यह एहसास आ क हमारे सश ोधी मि त क दूसर क ग़लितयाँ
सुधारने म कतने त थे, हालाँ क यह मामला हमारे हाथ म नह था। सश ोधी ि वाभािवक प से
जीवन क सम या के ावहा रक जवाब खोज लेते ह और उ ह अंदाज़ा भी नह होता क कसी और के मन म
सही िवचार य नह आया?

ल य-क त
सश ोधी ि लोग को ख़श करने के बजाय ल य हािसल करने म हमेशा यादा दलच पी लेते ह। यह
बात सकारा मक भी है और नकारा मक भी, य क अ सर िशखर पर प च ँ ने के बाद वे अके ले पड़ जाते ह। म
जूिनयर िवमे स लब क एक ेिसडट क जानती ।ँ उ ह ने अपने कायकाल म अपनी शाखा के िलए
अिव सनीय ऊँचे ल य िनधा रत कए। उ ह ने अपने समूह को े रत कया और सब पर कड़ी िनगरानी करके
यह सुिनि त कया क वे सही तरह से काम कर। उनका कायकाल समा होने तक उनके लब ने बाक़ लब से
यादा िडि ट अवाड जीते, ले कन उ ह ने यह वीकार कया, “पूरे समूह म अब मेरी एक भी सहेली नह बची
है।”
जब म सैन बना डनो के िवमे स लब क ेिसडट थी, तो मने एक सश ोधी मिहला से कमेटी क
चेयरवुमैन बनने का आ ह कया। इस पर उसने जवाब दया, “मुझे चेयरवुमैन बनने म खुशी होगी, बशत मेरे
साथ कमेटी न हो। वे मिहलाएँ मेरे रा ते म अड़ंगा लगाती ह।”
सश ोधी ि हमेशा काम को यादा अ छी तरह से कर सकते ह, बशत दूसरे लोग उनके रा ते से हट
जाएँ। न चाहते ए भी वे अ सर अके ले रह जाते ह, य क कोई उनके िजतना तेज़ नह चल पाता और वे दूसर
को यह बता देते ह क वे गित म बाधक ह।

सही तरीक़े से वि थत करता है


चूँ क मुझे कई घर म जाने का अवसर िमला है, इसिलए मने यह देखा है क अलग-अलग कृ ितय क माताएँ
अपने ब को कस तरह पालती ह। फ़ िन स म रहने वाली मेरी सहेली कॉनी सश ोधी है। उसका घर
सुचा प से और कायकु शलता से चलता है, य क उसम सु वि थत करने क यो यता है तथा अपने िनदश
को याि वत करवाने क इ छाशि है। उसके दो छोटे बेटे ह। एंडी सश ोधी है और जे शांत संतोषी है।
दोन को इतनी अ छी तरह से िशि त कया गया है क माँ के घर से बाहर रहने के बाद भी वे घर को अ छी
तरह से चला सकते ह। एक शाम को मे रटा और म वहाँ प च
ँ ।े हम िनधा रत समय से काफ़ बाद म वहाँ प च ँ े
थे, इसिलए कॉनी एक मी टंग म चली गई थी। एंडी ने दरवाज़ा खोलते ए कहा, ‘माँ को बाहर जाना पड़ा,
ले कन जे और म आपके िलए िडनर लगा देते ह।” जब हमने उ ह तैयारी करते देखा, तो मुझे काउं टर पर एक
काड नज़र आया, िजस पर आसान िनदश िलखे ए थे :

एंडी: सलाद तैयार करो, सलाद क प ी, ू ट


िम स सबसे ऊपर।
सूप को गम कर लेना।
जे : ठं डा पानी देना।
ेड गम कर लेना।
िमठाई फ़ज म है। िमट गा नश डाल लेना।

िमनट म उ ह ने अपने काम कर दए और हमने एक साथ बैठकर बेहतरीन िडनर का आनंद िलया। दस और
बारह साल के ब त कम ब े इतनी कु शलता से काम कर पाते ह, ले कन ऐसा इसिलए संभव आ य क एक
सु वि थत और कायकु शल माँ ने उ ह िशि त कया था।
जब मने चार तरफ़ देखा, तो मुझे नज़र आया क कॉनी ने काम क जगह पर ब को याद दलाने वाली
बात िलख रखी थ । टीवी के ऊपर एक ंटेड साइनबोड रखा था, “हर दन काम पूरा करने के बाद एक घंटे
टीवी। शिनवार और रिववार को टीवी िवशेष अनुमित से।”
िपयानो पर तीन बाइ पाँच का एक काड रखा था, िजस पर िलखा था, ज़ोर-ज़ोर से पढ़कर बजाओ।
बाथ म म शीशे पर टेप लगा आ था, “ संक और शीशे को साफ़ रखो।” और कचन म यह िलखा आ था,
अगर बतन संक म नह रखे, तो 25 सट।
बाक़ कृ ितय क माताएँ इस तरह क सु व था को ब त मेहनत वाला काम मानगी, ले कन म अनुभव
से जानती ँ क इससे घर ख़शनुमा और कायकु शल बनता है। जब मेरे ब े छोटे थे, तभी से मने उ ह िशि त
कया है क वे घर के काम म मदद कर। मने उनके िलए एक वक चाट तैयार कया है, ता क वे अपने काम पूरे
करने के बाद उस पर िनशान लगा सक। मेरा मानना है क जब माँ खड़ी होती है, तो हम सभी खड़े होते ह। जब
माँ काम करती है, तो हम सभी काम करते ह।
चूँ क मने उ ह अ छी तरह से वि थत और िशि त कया है, इसिलए वे बड़े होकर अनुशािसत काम
करने वाले बन गए ह, हालाँ क उन सभी क कृ ितयाँ िभ ह। कसी भी वसाय या घरे लू ि थित म ल य
हािसल करने के िलए सु व था आव यक है। जो ि यह नह जानता क वह कहाँ जा रहा है, वह वहाँ प च

भी नह पाता है। सश ोधी ि त काल, ावहा रक सुिनयोजन म मािहर होते ह।

काम स पता है
सश ोधी ि का सबसे बड़ा गुण यह होता है क उसम सफलता हािसल करने क यो यता बाक़ लोग से
यादा होती है। इस काम म सुिनयोजन का गुण उसक मदद करता है। जब भी वह कसी काम को देखता है, तो
उसे फ़ौरन समझ म आ जाता है क इसे कै से कया जाना चािहए और वह ोजे ट को मन ही मन टु कड़ म बाँट
देता है। वह जानता है क उसके समूह म कौन या कर सकता है और वह पूरे समूह म त काल काम बाँट देता है।
वह आस-पास खड़े िनठ ले लोग को भी िज़ मेदा रयाँ स प सकता है ( य क उसे लगता है क लोग हाथ पर
हाथ धरकर बैठने के बजाय काम करना यादा पसंद करते ह)।
मुझम और े ड दोन म ही सश ोधी कृ ित है। इसिलए जब ब े बड़े हो रहे थे, तो हमने वक चाट
बनाए। इन चाट पर हमने हर ब े क दैिनक िज़ मेदारी िलख दी। कू ल से घर लौटने के बाद ब े चाट देखते थे
क उ ह खेलने जाने से पहले कौन से काम करने ह। अगर कोई ब ा मेहमान के प म हमारे घर तीन दन से
यादा कता था, तो म उसका नाम भी चाट म िलखकर काम स प देती थी। मने एक दन सुना क एक ब ा मेरे
बेटे े डी से कह रहा था, “लगता है तु हारी माँ मुझे पसंद करती ह। तभी तो उ ह ने मेरा नाम वक चाट म िलखा
है।”
मुझे लगता है क ब त सारी माताएँ उस संभािवत म शि को नज़रअंदाज़ कर देती ह, जो उनके पास घर
म ही मौजूद है। और इसका कारण यह है क उ ह िज़ मेदा रयाँ स पने का आसान िस टम बनाना बड़ी मेहनत
का काम लगता है।
कु छ सश ोधी ि स त िनयं ण रखने के बारे म इतने चंितत होते ह क वे दूसर को िसफ़ घ टया
काम ही स पते ह और बड़े काम खुद के िलए बचाकर रख लेते ह। इस तरह के िनयं ण क अित उ ह बड़ी
सफलता पाने से रोकती है, य क अगर वे लोग के साथ काम करना और यादा समझदारी से दूसर को काम
स पना सीख लेते, तो वे यादा सफल हो सकते थे।

िवरोध होने पर यादा गित करता है


सश ोधी ि िसफ़ ल य हािसल करना ही पसंद नह करते ह, वे िवरोध होने पर यादा गित भी करते
ह। अगर लोकि य आशावादी ि कसी काम को करने के िलए िनकल और कोई कह दे क उस काम को नह
कया जा सकता, तो वे उस ि को ध यवाद देते ह - और काम को छोड़ देते ह। पूण िनराशावादी ि उस
समय क बबादी का अफ़सोस करते ह, जो उ ह ने योजना बनाने और ि थित का िव ेषण करने म लगाया था,
और शांत संतोषी ि यह जानकर तो इस बात के िलए कृ त होते ह क उस काम को नह कया जा सकता,
य क इसम उ ह पहले ही ब त मेहनत लगने का अंदश
े ा था। ले कन अगर सश ोधी ि य को यह बताया
जाए क कोई काम असंभव है, तो इससे उनक भूख और बढ़ जाती है।
लोरना ने मुझे बताया क जब भी उसका पित कोई िवशेष घरे लू काम नह करना चाहता, तो वह यह
कहकर उससे काम करवा लेती है, “तु हारी माँ आज आई थ और मने उ ह बताया क तुम इन पद को टाँगने
वाले हो। यह सुनकर वे बोल , 'उसे तो पता ही नह है क पद कै से टाँगे जाते ह!' ” उसका पित यह सुनकर फ़ौरन
सोफे से उठता था और त काल पद को टाँग देता था।
ब त से सश ोधी लोग ोफ़े शनल िखलाड़ी बनते ह। इसका एक कारण यह है क वे िवरोध के बावजूद
कु छ करने क चुनौती को पसंद करते ह। दूसरी कृ ितय के ि फु टबॉल के मैदान म यारह िवशालकाय लोग
के सामने कमज़ोर पड़ सकते ह, ले कन सश ोधी कृ ित के ि यु क गम से रोमांिचत हो जाते ह। चाहे
पु ष हो या मिहला, सश ोधी ि य म सफलता क बल ित पध भावना और अनुमान से यादा
हािसल करने क इ छा होती है, िजसके कारण वे वतमान िबज़नेस क दुिनया म िशखर तक प च ँ सकते ह। वे
आलोचना से हतो सािहत नह होते ह और उदासीन लोग से नह घबराते ह। वे तो अपनी िनगाह ल य पर
रखते ह और िवरोध के बावजूद वहाँ तक प च ँ जाते ह।

उसे दो त क ब त कम ज़ रत होती है
लोकि य आशावादी ि को ोता के िलए दो त क ज़ रत होती है और पूण िनराशावादी ि को
समथन के िलए िम क ज़ रत होती है, ले कन सश ोधी ि क कसी क ज़ रत नह होती। उसके
पास अपने ोजे ट होते ह और वह सामािजकता क समय क बबादी मानता है, य क उस दौरान वह कोई
साथक काम नह कर रहा होता है। सश ोधी ि सामूिहक प से तभी काम करगे, जब उनका कोई ल य
हो। वे आपके चंदा अिभयान को वि थत करने के िलए उछलकर शािमल हो जाएँगे, ले कन फालतू बकवास म
समय बबाद करना उ ह पसंद नह होता है।

आम तौर पर सही होता है


सश ोधी ि म ि थित को भाँपने का एक अंद नी एंटीना लगा होता है और वह तभी कोई बात कहता है
जब वह जानता हो क वह सही है। हालाँ क यह एक ब त अ छा गुण है, ले कन ऐसे ि के साथ काम करने
वाले लोग उसके इस गुण को ख़ास पसंद नह करते ह। िमसी ने एक बार मुझे बताया था क उसका सश ोधी
पित कभी कोई गलती नह करता था, िजससे उसे बड़ी को त होती थी। वह आशा करती थी क वह कभी
फसलकर िगर जाए, िजससे यह सािबत हो जाए क वह भी इं सान है। ले कन एक दन उसके मन म एक िवचार
आया : अगर वह अपने प रवार के िलए कसी िबज़नेस मैनेजर को काम पर रखे, तो वह ऐसा मैनेजर चाहेगी, जो
ग़लितयाँ न करे । उसे मु त म ही ऐसा मैनेजर िमल गया था। तब से वह अपने पित को नई सकारा मक रोशनी म
देखने लगी।

आपातकालीन ि थित म उ कृ दशन


सश ोधी ि आपातकालीन ि थितय को पसंद करते ह। एक दन जब म सांता रोज़ा लब म भाषण देने
वाली थी। तभी शहर के उस िह से क िबजली चली गई। औरत चीख़ने लग और अँधेरे म डू बे रे तराँ म अपने
पानी के िगलास खोजने क कोिशश करने लग । सश ोधी ि के अलावा कोई भी व ा होता, तो उसने
काय म ख़ म करके घर का रा ता नाप िलया होता, ले कन मेरा दमाग त काल स य हो गया और म अँधेरे म
भाषण देने के बारे म नई नीित बताने लगी। मेरे मन म इस तरह क पंि या आई:

“म अब उस उ म प च
ँ चुक ,ँ जहाँ म अँधेरे कोन म सबसे अ छी दखती ।ँ ”
“अब आप देख नह सकते ह, इसिलए आपको मेरी बात सुननी ही पड़ेगी।”

जब म भाषण क अपनी नई तावना क योजना बना रही थी, तभी िबजली आ गई और सांता रोज़ा ने अँधेरे
के वरदान पर मेरी तावना कभी नह सुनी।
एक बार जब म इं िडयानापोिलस के ाइनर ऑिडटो रयम म भाषण दे रही थी, तो अचानक बैगपाइप बड
बजने लगा। बड टेज के ठीक पीछे “द कपबे स आर क मंग” बजा रहा था। शोर म मेरी आवाज़ पूरी तरह से डू ब
गई और जब चेयरमैन बड को बंद कराने के िलए भागे, तो मने अपने भाषण म एक नया मोड़ उ प कर िलया।
ज दी ही बड का शोर टायर म से हवा िनकलने क तरह धीरे -धीरे शांत हो गया और चेयरमैन ने घोषणा क क
ाइनर का मा चग बड शिनवार क परे ड के िलए ैि टस कर रहा था और उन लोग को पता नह था क हम
उनसे िसफ़ एक दीवार दूर ह। त काल मने िज़ कया क यह कतना उिचत है क मेरे बोलते समय एक कॉ टश
बड बजने लगा था, य क मेरी माँ के टी मैकडू गल कभी बैगपाइप बजाया करती थ और माच कया करती थ ।
मने अपनी जीवनी को अपनी कॉ टश जड़ पर ख़ म कया।
ओह, सश ोधी ि आपातकालीन ि थितय को ब त पसंद करते ह, इसिलए वे अ यािशत ि थितय
से िनबट सकते ह और नई दशा म जा सकते ह, ख़ास तौर पर जब बैगपाइप बड अचानक बजने लगे।

बुिधम ापूण नेतृ व के िबना रा संकट म रहता है, ले कन अ छे सलाहकार होने पर


सुर ा का वास होता है |
ोव स 11:14 टीएलबी
अ याय 7

आइए शांत संतोषी ि य के साथ चैन से रह

दुिनया को शांत सतोषी ि य (peaceful phlegmatics) क कतनी यादा ज़ रत है!

एक दशा म चलते रहने क ि थरता।


उ ेिजत करने वाल क कोिशश के बावजूद धैय।
जब बाक़ लोग बोलने म जुटे ह , तब सुनने का साम य।
म य थता का उपहार, िवरोधी शि य को एकता के सू म िपरोना।
कसी भी क़ मत पर शांित क़ायम रखने का उ े य।
आहत लोग को राहत देने क क णा।
जब आस-पास के सभी लोग अपना मानिसक संतुलन खो रहे ह , तो अपना मानिसक संतुलन बरकरार रखने
का दृढ़ संक प।
इस तरह से जीने क इ छा, ता क दु मन भी कहने के िलए कोई बुरी बात न सोच पाएँ।

लोग को समझने का पहला क़दम उनके ि व या कृ ितय को समझना है। अगर हम दूसर के अंद नी अंतर
नह देख पाएँ और उनके वतमान व प को वीकार नह कर पाएँ, तो हम यह सोचने लगगे क जो भी हमारी
तरह नह है, वह मानिसक प से थोड़ा-ब त असंतुिलत है।
कृ ितय को समझने के बाद हम यह पता चल जाता है क िवरोधी कृ ित वाले लोग हम य आक षत
करते ह। हम यह भी पता चलता है क एक प रवार म िभ -िभ कृ ितय के लोग के कारण ब त सारी
गितिविधयाँ और िचयाँ होती ह। ई र ने हम सभी को लोकि य आशावादी नह बनाया है। उस ि थित म हम
मज़ा तो ब त आता, ले कन हम कभी वि थत नह हो पाते। ई र ने हम सभी को सश ोधी लीडर भी नह
बनाया है। अगर ऐसा होता, तो हमारा अनुसरण कौन करता ?
ई र यह नह चाहता था क हम सभी पूण िनराशावादी बन, य क ि थितयाँ गड़बड़ होने पर हम सभी
हताश हो जाते।
ई र ने शांत संतोषी ि य को इसिलए बनाया है, ता क वे बाक़ तीन कृ ितय के लोग क भावना
के ितरोधक (buffer) का काम कर सक और थािय व तथा संतुलन दान कर सक।
शांत संतोषी ि लोकि य आशावादी ि य क हवाई योजना को वा तिवकता के धरातल तक
नीचे ले आता है। वह सश ोधी ि य के आकषक िनणय से भी ब त यादा भािवत नह होता है। वह
पूण िनराशावादी ि य क ज टल योजना को ब त यादा गंभीरता से नह लेता है।
शांत संतोषी ि हम सभी के बीच संतुलन बनाकर चलता है और हम सबको बताता है, "यह दरअसल
इतना मह वपूण नह है।” और लंबे समय म यह सचमुच मह वपूण नह होता है! हम सभी एक ज टल योजना के
िह से ह, िजसम सही तरह से काम करने वाली हर कृ ित सही जगह पर फ़ट हो जाती है और साथ िमलकर एक
रोमांचक तथा संतुिलत त वीर बनाती है।

हर ि थित से तालमेल
सभी कृ ितय के ि य म शांत संतोषी ि के साथ तालमेल बैठाना सबसे आसान होता है। शांत संतोषी
ब े बचपन से ही अपने माता-िपता के िलए वरदान होते ह। उनके आस-पास रहना अ छा लगता है। उ ह कह
भी ले जाया जाए, वे खुश रहते ह और वे अ त- त दनचया को भी सहन कर लेते ह। वे दो त को पसंद करते
ह, ले कन अके ले म भी चहकते रहते ह। उ ह कोई भी चीज़ परे शान नह करती और पास से गुज़रने वाले लोग
को देखना उ ह अ छा लगता है।
मेरे दामाद रडी के िपता ने मुझे रडी' के शांत संतोषी बचपन के बारे म बताया। वह िमलनसार था और
कसी भी ि थित के अनुसार ढल जाता था। वह हमेशा कताब म डू बा रहता था और उसक िस े इक े करने क
खूबी उसक पढ़ने क आदत का ही प रणाम थी। जब उसके माता-िपता स ाह म कई दन शाम को ि ज खेलते
थे, तो रडी पढ़ता रहता था। माता-िपता जहाँ भी जाते थे, अपने इकलौते बेटे और कु छ पु तक साथ ले जाते थे। वे
रडी को जहाँ भी रखते थे, वह वह खुशी-खुशी डेरा जमा लेता था और िबना ह ला मचाए पढ़ने लगता था।
उसके खुशनुमा वहार और ानिपपासा के कारण वह सोने के िस का िवशेष बन गया और काउं टी
यूिम मे टक एसोिसएशन का ेिसडट भी है। वह हर जगह तालमेल बैठा लेता है। ि थित के अनुसार वह ब त
वा पटु ता से बात कर सकता है या चुप रह सकता है। मेरी माँ कहती थ , ‘रडी तो संत है।”
शांत संतोषी ि संतुिलत ि होने के सबसे क़रीब होता है : वह जीवन क अित या अितरे क म काम
नह करता है, बि क ठोस म य माग पर चलता है और दोन तरफ़ के संघष तथा िनणय से बचता है। शांत
संतोषी ि कभी चोट नह प च ँ ाता है, कभी खुद को आकषण का क नह बनाता है और ेय पाने क
परवाह कए िबना चुपचाप अपेि त काम कर देता है। सश ोधी कृ ित का ि ‘पैदाइशी लीडर” होता है,
जब क शांत संतोषी ि ‘ विन मत लीडर” होता है। वह सही ेरणा िमलने पर िशखर तक प च ँ सकता है,
य क उसम सबके साथ तालमेल बैठाने क अ भुत मता होती है। सश ोधी ि हर काम को अपने
तरीके से करवाना चाहता है, जब क शांत संतोषी ि कभी खुद आगे नह बढ़ता है और तब तक पीछे रहता है,
जब तक कहा न जाए।
एक दन म शॉ पंग सटर के फ़ोन बूथ म गई। वहाँ एक युवा मिहला मेरी आवाज़ पहचान गई, य क उसने
पसनैिलटी लस टे स म मेरी आवाज़ सुनी थी। बातचीत के दौरान लोकि य आशावादी बडटा ने मुझे बताया क
वह अपने शांत संतोषी पित को फ़ोन करने आई थी। वह अपने पित से यह कहना चाहती थी क वह घर जाकर
ायर बंद कर दे, ता क वह समय पर टेिनस खेलने प च
ँ सके । मुझे यक़ न था क े ड इस ि थित म यह काम
नह करते, ले कन बडटा ने मुझे आ त कया क उसके पित सारे काम छोड़कर उस ायर को बंद करने जाएँगे,
िजसका टाइमर टू टा आ था, ता क कपड़े जल न जाएँ। जब वह टेिनस क स े म उछल रही थी, तो मने पूछा क
या वह आदश शांत संतोषी पित क शंसा म कु छ िलखना चाहेगी। उसने यह िलखकर भेजा है।
ि य लोरस,
सोमवार 14 दसंबर को साउथ को ट लाज़ा के एक टेलीफ़ोन बूथ म टेिनस क स े
पहनी एक मिहला ने आपक आवाज़ पहचान ली थी और कहा था, हेलो, यह म !ँ बातचीत
म आपने मुझसे शांत संतोषी ि य के बारे म सकारा मक बात पूछी थ । मने आपसे कहा
था क म आपको कु छ ऐसी बात ज़ र िलखकर भेजूँगी, य क बीस साल से म एक शांत
संतोषी ि क प ी ँ और मुझे इस बात क ब त खुशी है।
म लोकि य आशावादी/सश ोधी ।ँ म यह मानती ँ क लोकि य आशावादी
ि य के साथ रहना आनंददायक होता है और सश ोधी ि ही मह वपूण होते ह।
सामा य लोकि य आशावादी/सश ोधी ि क तरह म हमेशा सोचती ँ क मेरा
तरीक़ा ही सही तरीक़ा है।
जब मने शांत संतोषी ि य के बारे म सकारा मक बात सोचने क कोिशश क , तो
ई र ने दरअसल मुझे िवन बना दया। मेरे जीवन क शि और मेरे िववाह के थािय व
का ेय मेरे शांत संतोषी पित को जाता है।
हमेशा शांत, देर से ोिधत ( ोवब 14:29), तनाव म िनयं ण, कभी आवेगपूण नह ,
ता कक, िव सनीय, भरोसे के क़ािबल, वफ़ादार और धैयवान (इ ले. 7:8)। वे दूसर के
िलए ल य िनधा रत नह करते ह। वे अपनी पि य या ब को आ म-सुधार के पा म
म नह ले जाते ह, य क वे लोग को उसी प म वीकार कर लेते ह, जैसे वे होते ह।
शांत संतोषी ि उ कृ माता-िपता होते ह, हालाँ क वे ब को अनुशािसत रखने
के मामले म कमज़ोर होते ह। उनके आरामदेह नज़ रए के कारण ब े भी संतोषी होते ह।
मेरा दस साल का बेटा बेसबॉल का दीवाना है और िल टल लीग म खेलता है। चाहे उसक
टीम हारे या जीते, उसके िपता को दरअसल इस बात क परवाह ही नह होती है। वे तो बस
उसके िलए तािलयाँ बजाते रहते ह।
वे ब त अ छे बॉस सािबत होते ह। लोग उनके िलए काम करना पसंद करते ह। चूँ क वे
दबाव डालने या आलोचना करने जैसे काम नह करते ह, इसिलए उनक से े टरी उनका
थोड़ा यादा काम कर देती है। जब प रवेश और उ पादकता म सुधार होता है, तो उनका
आ म-स मान बढ़ जाता है।
वे आदश म य थ सािबत होते ह। शांत, भावहीन तक के कारण वे कु छ ह के से श द से
ही तनावपूण ि थित को सामा य बना देते ह।
शांत संतोषी मिहलाएँ वाभािवक प से शांत होती ह और लोकि य आशावादी
ि उनक दूर से शंसा करते ह। उनम अिभजा य मिहला का ऐसा नज़ रया होता है, जो
उ ह दूसरी मिहला से अलग करता है। उनका िवन और शांत भाव (1 पीटर 3:4) इतना
सुखद होता है क उनके आस-पास रहने को मन करता है।
मेरे शांत संतोषी पित का हा यबोध थोड़ा शु क है, जो जीवन को यादा गंभीरता से न
लेने का प रणाम है। जब म आपसे िमली, तो म सांटा एना के उनके ऑ फ़स म फ़ोन करके
उ ह बता रही थी क म ायर चालू छोड़ आई थी और अगर वे अपने बेवल िह स वाले
ऑ फ़स जा रहे ह , तो घर जाकर उसे बंद कर द। उनका जवाब था क म इस बारे म चंता
न क ं । अगर घर जल भी जाएगा, तो हम नया घर खरीद लगे। फर उ ह ने फ़ोन रखते
समय ज दी से एक और वा य जोड़ दया - य क वे ब त अ छी तरह जानते थे क म
बीमे का िबल नह चुकाती ँ या यह तक नह जानती ँ क हमारा कोई बीमा भी है या
नह "मुझे यक़ न है क तुमने उस आग वाले बीमे क क़ त चुका दी होगी, िजसक सूचना
िपछले स ाह आई थी!” उनके अ यािशत हा यबोध के कारण मेरी गंभीरता ख म हो गई।
शांत संतोषी ि य म सचमुच ब त से अ छे गुण होते ह और म सोचती ँ क हम
उनके आस-पास रहना चािहए।
आपक
बडेटा होने को

िनयंि त ि व
शांत संतोषी ि इतने ख़शनुमा और बुरा न मानने वाले होते ह क उ ह अपने आस-पास रखना ही चािहए।
अगर घर म ऐसे ब े न ह , तो हर प रवार को ऐसे ब े बाहर से ले आना चािहए। जब डा मेरे ब के साथ एक
स ाह के िलए कने आई, तो हम सभी उसके दीवाने हो गए। हमारे सश ोधी पा रवा रक दबाव क बीच
डा क िनयंि त ि व क बदौलत हम सभी का नज़ रया सही होने लगा। जो भी िवचार सामने आता था,
वह उससे सहमत हो जाती थी। यह एक ऐसा गुण था, जो सश ोधी ि य को ब त पसंद आता है, य क
वे हमेशा योजनाएँ बनाते रहते ह। उसे जहाँ रखा जाता था, वह वह फ़ट हो जाती थी। कोई भी यह नह चाहता
था क वह अपने घर जाए और वह हमारे प रवार का िह सा बन गई। छह साल बाद उसने शांत संतोषी कृ ित
के शु क हा यबोध वाली शैली म कहा, ‘म वहाँ से इसिलए नह गई, य क पै कं ग करने म ब त यादा मेहनत
लगती।”
युवा टम अपनी हाई कू ल लास का ेिसडट बन गया। वह एक िवरोध रै ली का नेतृ व करते ए राजधानी
तक गया। उसक लोकि य आशावादी माँ उसके असामा य आ ामक वहार से रोमांिचत हो गई और उसने
अपनी सहेिलय को छह बजे क यूज़ देखने के िलए इक ा कया, जब टम क रै ली को दखाया जाने वाला था।
जब िवरोध रै ली के सद य दखे, तो टम कह नज़र नह आ रहा था। जब कै मरा दशक पर पड़ा, तब जाकर टम
दखा। वह भीड़ म शािमल था और उसका िसर उसके हाथ म िछपा आ था। उसक माँ को इस हरकत पर बड़ा
गु सा आया। जब टम घर प च ँ ा, तो माँ ने उससे पूछा क वह रै ली का नेतृ व करते ए सबसे आगे य नह
चला। टम का जवाब था, ‘म मूख नह दखना चाहता था।”
भले ही शांत संतोषी ि लीडर बन जाए, ले कन वह सावजिनक चार से पहले उस ि थित से बाहर
िनकल आता है। उसम ेय पाने क लालसा नह होती है और वह िनि त प से मूख नह दखना चाहता है।
मने एक युवक से उसक शांत संतोषी ेिमका के बारे म पूछा, “तु ह उसके बारे म सबसे अ छी बात या
लगती है?”
उसने एक िमनट तक सोचा और कहा, ‘मुझे लगता है क वह पूरी क पूरी अ छी लगती है, य क यादा
कु छ बाहर नह दखता है।” यह सामा य वा य शांत संतोषी ि य का सार बता देता है। उनम दरअसल ऐसा
कु छ नह होता, जो बाहर से नज़र आ जाए। बहरहाल, वे आरामदेह होते ह और उनके आस-पास रहना सुखद
लगता है। वे कभी घमंड नह करते ह और हमेशा िवन ता से पीछे रहते ह। एक शांत संतोषी ि ने कहा था,
“मुझे लगता है क म एक औसत आदमी ।ँ ” इसी कृ ित के एक अ य ि ने अिव ास से आह भरते ए कहा,
“मुझे तो इस बात क हैरानी है क लोग मुझे पसंद करते ह।” शांत संतोषी ि य क िवन ता और स नता
ब त सुखद लगती है। अगर हम संत बनने क दशा म क़दम उठाना हो, तो हम इस कृ ित के सकारा मक गुण
सीखकर आगे बढ़ सकते ह।

आरामपसंद
शांत संतोषी ि जीवन को आराम से लेता है। वह यादा आगे तक नह सोचना चाहता है। युवा े ड का एक
िम है। मने उससे पूछा क या वह हमारे घर िडनर के िलए के गा। उसने जवाब दया, ‘मुझे सोचना पड़ेगा।
जब समय आएगा, तब देखूंगा।” मने उसके िलए कु स लगा दी और वह क गया।
िडनर के बाद मने उसके िलए टीवी चला दया और पूछा, “ या तुम कोई खास काय म देखना चाहते हो?”
उसने कहा, “जो भी आ रहा हो।”
बाद म एक िव ापन के दौरान वह बुदबुदाया, “म डॉजर वाला मैच देखना चाहता था।”
मने पूछा, “तो फर तुमने कहा य नह ?”
“मुझे डर था क वह आपको पसंद नह आएगा।” शांत संतोषी ि कभी सम या उ प नह करना
चाहता। वह प रवतन क माँग करने के बजाय यथाि थित को शांित से वीकार कर लेता है।
युवा े ड का एक और शांत संतोषी िम है, जो इतना आरामपसंद है क उसे िहल म भी द क़त होती है।
एक दन वह सोफे पर लेटा आ था।
मने उसक फटी ई जी स, उधड़ी ई टी-शट और िबखरे लंबे बाल को देखकर ट पणी क , “माइक, ऐसा
नह लगता है क तुमने आज अपने िलए को ठीक-ठाक करने म यादा समय लगाया है।”
दूसरे सोफ़े पर बैठे मेरे बेटे ने कहा, “माइक अ छा दखने म यादा यक़ न नह करता है।” शांत संतोषी
कृ ित के ि के िलए कतनी सटीक बात है।

शांत, धैयवान और संयत


शांत संतोषी ि का सबसे शंसनीय गुण यह है क उसम तूफ़ान के बीच भी शांत बने रहने क यो यता होती
है। जहाँ लोकि य आशावादी ि चीख़ने लगता है, सश ोधी ि हार करने लगता है, पूण
िनराशावादी ि िनराशा म डू ब जाता है, वहाँ शांत संतोषी ि शांित से चलता रहता है। वह पीछे हटकर
एक िमनट इं तज़ार करता है और फर चुपचाप सही दशा म बढ़ने लगता है। भावना से वह उ ेिजत नह होता है
और ोध उसके दल म वेश नह करता है। वह सोचता है, ‘‘यह इतनी मह वपूण बात नह है क इससे
िवचिलत आ जाए।”
मेरे भाई और म शांत संतोषी माँ के साथ बड़े ए। म जानती ँ क हमने बचपन म अपनी शैतािनय से उ ह
काफ़ तंग कया होगा। जब हम यादा तूफ़ान मचाने लगते थे, तो वे हम छोटे से दड़बे म बंद करके कहती थ ,
‘मुझे परवाह नह है क तुम यहाँ या करते हो, जब तक क तुम शांत, धैयवान और संयत रहो।”

धैयवान – बेहतर संतुलन


शांत संतोषी ि कभी ज दबाज़ी म नह रहता है और वह ऐसी ि थितय म भी िवचिलत नह होता है,
िजससे दूसर को परे शानी होती है। सश ोधी लेिडस ने मुझे यह कहानी बताई :

र तेदार के यहाँ पूरे दन रहने के बाद म घर प च ँ ने के िलए बेताब थी। जब हम हाईवे के


क़रीब प च ँ ,े तो मेरे पित डॉन ने धीरज से कहा, “हम गैस भरवानी पड़ेगी।” मने सोचा क
हम िबना गैस भरवाए भी घर प च ँ सकते ह, ले कन वह यह जोिखम नह लेना चाहता था,
इसिलए हम एक से फ़-स वस टेशन प च ँ गए। म अपनी छोटी बेटी को टॉयलेट ले गई।
वहाँ से लौटते समय मुझे उ मीद थी क मेरे पित चलने के िलए तैयार ह गे। बहरहाल, मने
देखा क वे तो कार के पास नोट लेकर खड़े ए थे। म िच लाई, “तुमने अब तक पैसे य
नह दए? मुझे ज द से ज द घर प च ँ ना है।” उ ह ने प कया क वे नह जानते क पैसे
कसे दए जाएँ।
मुझे एक आदमी दखा, जो गैस टेशन के अिधकारी जैसा दख रहा था। मने अपने पित
को उसी के पास भेज दया। दुभा य से उस आदमी ने पैसे नह िलए, य क वह खुद एक
ाहक था, जो एयर फ़ोस क यूिनफ़ॉम पहने ए था। तभी एक कमचारी वहाँ आ गया,
ले कन उसने बीस डॉलर का नोट लेने से इं कार कर दया, य क उसके पास छु े नह थे।
हमारे पास भी छु े नह थे, इसिलए म कमचारी पर भ ाने लगी। डॉन ने शांित से सुझाव
दया क हम पास वाले सुपरमाकट से छु े ले आते ह। उस व त मुझे समय बबाद करना
ब त बुरा लग रहा था, ले कन हमारे पास और कोई िवक प नह था। म धड़धड़ाती ई
कै िशयर के पास जाकर छु े माँगना चाहती थी, ले कन डॉन ने कहा क यह सही तरीक़ा नह
है। इसके िलए हम कु छ सामान ख़रीदना चािहए।
मने जवाब दया, “हम कसी चीज़ क ज़ रत नह है।” उ ह ने बहस नह क , बि क
डेरी वाले खंड तक गए और वहाँ उ ह ने सावधानी से दही के तीन वाद चुन।े फर उ ह ने
बीस डॉलर का नोट देकर उ ह ख़रीद िलया।
हम स वस टेशन लौटे, ले कन वहाँ पर कमचारी नह था। वह कसी का टायर बदलने
गया था। हम धैय से इं तज़ार करते रहे। जब मेरे पित ने आिख़रकार कमचारी को पूरे पैसे दे
दए, तो उ ह ने उसे ध यवाद दया। यही नह , कार म बैठते समय वे स नता से मु करा
भी रहे थे। इस पूरे मूखतापूण संग के दौरान मेरे पित ने ज़रा भी ग़ सा नह दखाया, मेरी
अधीरता पर ज़रा भी िवचिलत नह ए और घर तक गुनगुनाते ए गए।

या आप देख सकते ह क बाक़ कृ ित के ि इस ि थित म या करते ? लोकि य आशावादी ि को


तो पता ही नह चलता क गैस कम है, ले कन अगर उसे पता चल जाता, तो वह इस बात पर परे शान हो जाता
क छु े पैसे का इं तज़ाम कहाँ से करे । सश ोधी ि स ती से कमचारी से छु े माँगता और इस बात पर
तूफ़ान मचा देता। पूण िनराशावादी ि के पास छु े पैसे होते, ले कन अगर नह होते, तो घर लौटते समय वह
पूरे रा ते इस बात पर परे शान होता रहता क उसम दूरद शता क कतनी कमी है!
अिधकांश ि थितय म शांत संतोषी ि य पर भरोसा कया जा सकता है क उ ेजक प रि थितय म
भी वे अपनी जबान पर क़ाबू रखगे और धैय रखगे।

जीवन से सुखद समझौता


शांत संतोषी ि य को जीवन से यादा उ मीद नह होती ह। यही वजह है क वे जीवन के उतार-चढ़ाव से
आसानी से तालमेल बैठा लेते ह। उनका वभाव मूलतः िनराशावादी होता है, हालाँ क वे पूण िनराशावादी
ि य क तरह िनराश नह होते ह, बि क “यथाथवादी” होते ह।
मेरी शांत संतोषी नानी हर रात को कहा करती थ , “ई र ने चाहा, तो म तुमसे सुबह िमलूँगी।” उ ंड
कशोरी क तरह मने उनक गुड नाइट को यादा ख़शनुमा बनाने क कोिशश क , ले कन उ ह ने मेरे सामने यह
प कर दया, “ कसी दन म सुबह नह उठूँ गी।” और उ ह ने सही कहा था।
जब यू अपनी शांत संतोषी माँ से पूछती है क वे कै सी ह, तो वे जवाब देती ह, “ठीक-ठाक,” या “कल
िजतनी बुरी नह ।” हालाँ क ये जवाब उ साह से भरे नह ह, ले कन इनसे यह पता चलता है क वे झूठी उ मीद
नह रखती ह, िजससे उ ह बाद म िनराशा नह होती है।
जब म कॉलेज म थी, तो मने अपनी माँ से पूछा क वे हम तीन क शंसा य नह करती ह। उ ह ने
जवाब दया, “अगर यादा सकारा मक बात नह कही जाए, तो बाद म अपने श द पर अफ़सोस नह होता है।”
शांत संतोषी ि हर दन धूप या हर इं धनुष के िसरे पर सोने के बतन क उ मीद नह करते ह, इसिलए
जब शांत संतोषी ि के िसर पर बा रश होती है, तो उस पर कोई असर नह होता है और वह लगातार चलता
रहता है। हम सब इस नज़ रए से कतना कु छ सीख सकते ह! जीवन जैसा है, उसे उसी प म वीकार कर और
वा तिवकता से समझौता कर ल!

शासिनक यो यता होती है


सश ोधी ि को आम तौर पर िबज़नेस ए ज़ी यू टव माना जाता है। ले कन कई बार हम शांत संतोषी
ि को यो य, थायी कमचारी मानकर नज़रअंदाज़ कर देते ह - जो हर एक को साथ लेकर चलता है और
िजसम शासिनक यो यता होती है।
पूव रा पित जेरा ड फ़ोड शांत संतोषी ि ह और उनक िवशेषता को पढ़कर ऐसा लगता है, जैसे उसे
इसी पु तक से िलया गया हो।
सीबीएस के बॉब िपयरपॉ ट ने कहा है, “जेरी फ़ोड शालीन, दो ताना और क ण ह। प ीस साल म उनक
तरफ़ से दरअसल एक भी नया या गितशील िवचार नह आया है, ले कन वे ब त भले आदमी ह।” लेिखका
डो रस गुडिवन ने उ ह “ख़शनुमा, िवन , आरामदेह, अ छी तरह संतुिलत, सामा य, शालीन, ईमानदार और
स ा” कहा है। अमे रका के िम टर लीन!
यह फ़ोड का म यमाग था, यह उनका िवन वभाव था, िजसक बदौलत वे इितहास के ऐसे पल म
रा पित चुने गए, जब हम कसी आ ामक ि को चुनने के बजाय एक ऐसे सामा य और ठोस आदमी को
चुनना चाहते थे, िजस पर हम भरोसा कर सक। फ़ोड को उनके शांत संतोषी ि व के कारण चुना गया था,
हालाँ क उ ह चुनने वाले लोग शायद कृ ितय के बारे म नह जानते थे।
दोबारा चुनाव म उनके हार जाने के काफ़ बाद वॉल ीट जनल ने एक लेख छापा, िजसका शीषक था,
‘थै स फ़ॉर न थंग।”

हम बताया गया है क पूव रा पित जेरा ड आर. फ़ोड क मृित म एक यूिज़यम बनाया
जा रहा है, ले कन िमिशगन के नाग रक नेता इसके िलए चंदा करने म िझझक रहे ह। उनके
िजले के रपि लकन चेयरमैन के अनुसार इसका एक कारण यह है क फ़ोड “स य नह ,
बि क िनि य रा पित थे। िबगड़ी ि थितय के दौर म यह ब त ही मह वपूण बात थी।
ले कन आप कसी ऐसी चीज़ के िलए कोई मारक कै से बना सकते ह जो ई ही नह ?”
चेयरमैन क बात ग़ौर करने क़ािबल है। उन साल म िवराट घरे लू योजना म काफ़
कमी ई, िवदेशी गड़बिड़याँ कम और वह हंसक भेदभाव कम आ, िजसने एक दशक से
भी यादा समय तक अमे रक राजनीित के नाटक का मसाला दया था। इन सभी बात के
कारण जेरा ड फ़ोड सबसे बड़े और अ छे मारक के िलए आदश उ मीदवार बन सकते ह।

कतना अनूठा स मान है क कसी ऐसी चीज़ के िलए शंसा क जाए, जो आपने नह क और िजससे आप दूर
रहे। शांत संतोषी ि य के िलए आदश शंसा। एक ट पणीकार ने कहा था, ‘फ़ोड या थे, यह जानने से
यादा मह वपूण यह जानना है क वे या नह थे।”
शांत संतोषी ि क शासिनक यो यता सबको साथ लेकर चलने क उसक इ छा है, ता क नाव डू ब न
जाए। साथ ही उसक यो यता यह भी है क वह िबना जुड़े लोग का िन प िव ेषण करता है। यादातर कू ल
सुपरवाइिज़ग कमचारी शांत संतोषी होते ह, य क वे छा और िश क दोन से अ छी तरह तालमेल बैठा
सकते ह। सेना के अिधकारी अ सर शांत संतोषी होते ह, य क वे आदेश का पालन कर सकते ह, धैय से ऊँचे
पद पर तर कर सकते ह, दबाव के कारण दहशत म नह आते ह और उ ह रचना मक बनने या अपनी शान
झाड़ने क कोई ज़ रत महसूस नह होती है।
हाल के एक आँकड़े से पता चलता है क नौकरी से िनकाले गए 80 ितशत लोग को उनक अयो यता के
कारण नह िनकाला गया, बि क इसिलए िनकाला गया, य क उनम लोग को साथ लेकर चलने क यो यता
नह थी। इस बात को यान म रखते ए यह प हो जाता है क थायी व यो य रोज़गार के े म शांत संतोषी
ि बाक़ कृ ित के ि य से यादा े य होते ह।

सम या म म य थ का काम करते ह
जीवन के हर े म हर तरह का संघष होता है : अिभभावक/ ब े, िश क/िश य, बॉस/ कमचारी; दो त / दो त।
जब संघष के दौरान बाक़ तीन कृ ित के ि तनाव म रहते ह और हार करते ह, तब शांत संतोषी ि
उनके बीच सुलह कराने क कोिशश करते ह। जब बाक़ लोग समु ी लहर के बीच जूझते ह, तो शांत संतोषी
ि अपना िसर उठाकर समु को शांत कर देते ह। जब बाक़ लोग अपनी-अपनी चलाने के िलए संघष करते ह,
तब शांत संतोषी ि पीछे टककर बैठ जाते ह और िन प राय देते ह। हर घर और कं पनी म कम से कम एक
शांत संतोषी ि क ज़ रत होती है, जो दोन पहलु को देख सके और शांत, धैयवान तथा संयत जवाब
खोज सके ।
म एक शांत संतोषी कृ ित के मनोवै ािनक क बग़ल म बैठी थी। उ ह ने मुझे बताया क वे आदश वसाय
म थे। ‘और कस कृ ित का ि पूरे दन शांित से बैठकर दूसरे लोग क सम या को सुन सकता है और सही
उपचार सुझा सकता है?”
लॉस एंजेिलस टाइ स के लेख म ईरान बंधक संकट म मुख अमे रक वातांकार वॉरे न टोफ़र क शंसा
क गई। इस लेख म रॉबट जैकसन ने उनके बारे म ऐसे श द िलखे, जो शांत संतोषी ि य के िलए आम तौर
पर यु कए जाते ह : शांत, अनुशािसत, िमतभाषी, सपाट चेहरे वाला, कू टनीित , याग करने वाला, पीछे
रहने वाली शैली, िववेकशील, मधुरभाषी, सयत अंदाज़| वे “बंधक चचा म प े बाँटने के िलए आदश ि थे।”
उ ह कभी ग़ सा नह आया और उ ह ने संबंध को मधुर बनाया।
बाइबल हम बताती है क हम “दोषरिहत और हािनरिहत होना चािहए, ई र के पु होना चािहए, िबना
आलोचना कए ...” ( फ़ल. 2:15) और शांत संतोषी ि इस आव यकता को पूरा करने के सबसे क़रीब होते
ह। वे मुि कल पैदा नह करते ह। वे दूसर को साथ लेकर चलते ह, इसिलए उनका कोई दु मन नह होता है। जेरी
फ़ोड अपनी ितभाशाली योजना क बदौलत िशखर पर नह प च ँ े थे, बि क इसिलए प चँ े थे, य क
उ ह ने िशखर पर प च ँ ने क राह म दु मन नह बनाए थे। उ ह ने एक बार अपने बारे म कहा था, “मेरे ब त से
ित पध ह, ले कन जहाँ तक मुझे याद है, मेरा एक भी दु मन नह है।”
टाइ स पूव रा पित जॉज बुश के बारे म कहता है, “उनके कोई दीवाने अनुयायी नह ह, ले कन दो त ब त
सारे ह। उनका शायद एक भी श ु नह होगा और उनका सावजिनक सेवा का रकॉड बेदाग़ है।”
बाक़ कृ ितय के ि दो त बनाने और लोग को भािवत करने के िलए कड़ी मेहनत करते ह, ले कन
यह अनूठी िनपुणता शांत संतोषी ि य क सबसे मुख ितभा है। अ सर सेिमनार के बाद कोई न कोई
सश ोधी ि मेरे पास आकर पूछता है क मोशन उसके बजाय कसी दूसरे को य िमला, जब क उसने
कं पनी म इतना सारा रचना मक काम कया था। दरअसल, िजसे “बड़ा मोशन” िमला था, वह आम तौर पर
“िमतभाषी” होता है, िजसक तरफ़ कभी यान नह दया गया और िजसका रकॉड ब त उ वल नह था।
थोड़ी सी जाँच के बाद म आम तौर पर पाती ँ क मोशन पाने वाला ‘िमतभाषी” कमचारी शांत संतोषी था,
जो अपना काम अ छी तरह करता था, अपने सहक मय के साथ अ छी तरह से रहता था और कोई मुि कल
खड़ी नह करता था। सश ोधी ि के पास गितशील िवचार थे, वह सबसे आगे प चँ चुका था, ले कन
उसने राह म कई दु मन भी बना िलए थे। जब नए लीडर को चुनने का व आता है, तो मैनेजमट अ सर ऐसे
ि को चुनता है, िजसके दु मन नह होते ह।

उसके साथ चलना आसान होता है


शांत संतोषी ि के ब त से दो त होते ह, य क उसके साथ चलना आसान होता है और बाक़ कृ ितय के
लोग को ऐसे सािथय क ज़ रत होती है। शांत संतोषी ि बचपन और कशोराव था म अपनी माँ को कभी
तंग नह करते ह और उ ह उनके आस-पास रहने से ख़शी िमलती है। हाल ही म बारबरा यूलर ने मुझे उस िच ी
क ित दखाई, जो उ ह ने अपनी बेटी को िलखी थी। यह शांत संतोषी ि के सकारा मक गुण को इतनी
अ छी तरह करती है क म इसे यहाँ तुत कर रही ँ :

ि य शारा,
जब म तु हारे साथ िबताए अठारह साल के बारे म सोचती ,ँ तो मुझे यह एहसास
होता है क हम ई र का एहसान मानना चािहए क उसने हम शांत संतोषी बेटी दी।
तु हारे कारण प रवार म मह वपूण संतुलन आया, िजसम सश ोधी िपता, पूण
िनराशावादी माँ और लोकि य आशावादी भाई था। जब तुम ब त छोटी थ , तो तुम अपने
िखलौन के साथ मजे से खेलती रहती थ । तब हमने घर म अपना िबज़नेस शु कया था
और तुम बुकक पंग म ब त अ छी तरह फ़ट हो गई थ ।
तु हारा भाई, जो तुमसे दो साल बड़ा है, शरारत और मज़े क योजनाएँ बनाता रहता
था। तु हारा मश र त कयाकलाम था, िजसके बारे म हम आज भी तु ह िचढ़ाते ह, “म भी।”
िपछले समस पर तुम कु छ कहने के िलए उतावली हो रही थ , ले कन हम सब ज़ोर-
ज़ोर से बात करने म जुटे थे। अपने शांत, शु क हा यबोध के साथ तुमने धीरे से कहा था,
"ओह, म तो टेप रकॉडर म अपनी बात टेप कर देती ,ँ ता क आप लोग बाद म मेरी बात
सुन सक।” इससे हमारा यान आक षत हो गया और हम ख़ब हँसे थे।
म माँ के प म इतनी ख़श ँ क मुझे कृ ितय के बारे म थोड़ी समझ िमल गई है। जब
कू ल टीचर ने यह ट पणी क , “सहेिलय के ित िन ावान होने के कारण शारा हमेशा देर
से आती है,” तो म इस बात को हा यबोध के साथ ले सकती थी।
मुझे याद है, जब एक सहेली ने तु ह यह गोपनीय जानकारी दी थी क वह घर से
भागना चाहती है, तो तुमने उसे शांत करने क कोिशश क थी और उसे माता-िपता का
नज़ रया समझाने क कोिशश क थी।
तुम जैसी हो, ख़द को खुशी-खुशी वीकार करती हो और अपने वभाव को इतनी
अ छी तरह समझती हो क तुमने एक बार मुझसे कहा था, “शांत संतोषी कृ ित के दो त
बनाना ब त अ छा होता है। वे मुि कल से िहलते ह, इसिलए आपके पास उनके फ़ोन नंबर
हमेशा होने चािहए।”
जहाँ तुम काम करती हो, वहाँ क मैनेजर िबज़नेस कम होने के बाद भी तु ह काम पर
रखना चाहती है, य क उसके श द म, “शारा ब त अ छी व कमठ कमचारी है और
ाहक के साथ ब त ख़शनुमा है। वह दूसरे कमचा रय के साथ ब त अ छी तरह फ़ट
होती है और हालाँ क उसे उपकरण साफ़ करने म ब त समय लगता है, ले कन वह उ ह
ब त अ छी तरह से साफ़ करती है।”
शारा, मने तु हारे साथ िबताए अठारह ब त मधुर साल का आनंद िलया है। म अब
यह इं तज़ार कर रही ँ क तुम अपने भिव य के बारे म या फ़ै सला करती हो। ले कन म
जानती ँ क तुम चाहे जो फ़ै सला करो, तुम िन ावान और संतु रहोगी।
यार सिहत,
म मी

ब त से दो त होते ह
शांत संतोषी ि सबसे अ छा दो त होता है, य क उसक सारी ितभा सकारा मक मानवीय संबंध म
िनिहत होती है। वह आरामदेह,आरामपसंद,शांत,धैयवान,अ छी तरह संतुिलत, सामंज यपूण, िन ग े ,
अना ामक और ख़शनुमा होता है। आपको कसी दो त म और या गुण चािहए? शांत संतोषी ि के पास
आपके िलए हमेशा समय होता है। जब आप कसी सश ोधी गल ड के घर जाते ह, तो बातचीत करते समय
वह पॉिलश करती रहती है, सामान जमाती रहती है या कपड़े तह करती रहती है, िजससे आपको यह एहसास
होता है क उसका समय इतना मू यवान है क वह उसे िसफ़ आप पर बबाद नह करना चाहती है। इसके
िवपरीत शांत संतोषी िम आपके प च
ँ ते ही हर काम छोड़कर बैठ जाती है और आराम से बात करती है।
मेरी एक शांत संतोषी सहेली थी, जो ब त अ छी माँ थी, ले कन घर का काम उसके िलए सबसे मह वपूण
नह था। अगर म सुबह उसके घर प च ँ जाती, तो कचन क मेज़ पर ना ते क कटो रयाँ, खुले िड बे और ना ते
का दूध रखा होता था। हम दोन सामान को एक तरफ़ िखसकाकर अपनी कोहिनय के िलए जगह बनाते और
बैठकर एक-दूसरे के साथ बातचीत का आनंद लेते। चूँ क इस अ व था से उसे कोई द क़त नह होती थी,
इसिलए मुझे भी कोई द क़त नह होती थी।

अ छा ोता होता है
शांत संतोषी ि य के ब त सारे दो त होने का एक और कारण यह है क वे अ छे ोता होते ह। समूह के प
म शांत संतोषी ि बोलने के बजाय हमेशा सुनते ह। शांत संतोषी ि शांत रह सकता है। उसे कु छ बोलने
क ज़ रत ही नह होती है। दूसरी कृ ित वाले लोग को ऐसे लोग अ छे लगते ह, िजन पर ज़ रत के समय वे
अपने अंदर का गुबार िनकाल सक। खास तौर पर लोकि य आशावादी ि य को शांत संतोषी िम क
ज़ रत होती है, जो उ ह बोलने देते ह और उनक बात यान से सुनते ह। जब म सैन बन डनो के िवमे स लब
क ेिसडट थी, तो मेरे पड़ोस म रहने वाली आदश शांत संतोषी लूसी मेरी सहेली थी। मी टंग के बाद हर बुधवार
को म उसके घर पर क जाती थी और लब म गुज़ारे गए दन के बारे म कुं ठाजनक और मज़ेदार क़ से सुनाया
करती थी। वह सुनती थी, मु कराती थी, अफ़सोस जताती थी, िसर िहलाती थी और जब म अपनी बात पूरी कर
लेती थी, तो वह मुझे आने के िलए ध यवाद देती थी और म चली आती थी।
सभी लोकि य आशावादी ि य को अ छे, शांत संतोषी िम क ज़ रत होती है!

शांत श द जीवन और वा य लाते ह ;िशकायत से हताश उ प होती है|


ोव स 15:4 टीएलबी
खंड तीन

ि व योजना

ि गत कमजो रय
को दूर करने
का तरीक़ा
तावमा

सकारा मक बात क अित


नकारा मक बन जाती है

हम सभी म अ छे और बुरे दोन तरह के गुण होते ह - हमम कु छ ऐसे गुण होते ह, जो सकारा मक होते ह और
कु छ ऐसे गुण भी होते ह, जो दूसर म नकारा मक ित याएँ उ प करते ह। अ सर वही गुण सकारा मक और
नकारा मक दोन बन सकता है, जो उसक मा ा पर िनभर करता है। कई बार सकारा मक बात क अित होने
पर वे नकारा मक बन जाती ह।
लोकि य आशावादी ि म दलच प बात करने का ब त अ छा नर होता है। चाहे वह कै िलफ़ो नया म
रहता हो या काँगो म। लोग उसके इस गुण से ई या करते ह, ले कन इसक अित हो जाने पर लोकि य आशावादी
ि लगातार बात करता है, चचा पर एकािधकार करता है, दूसर क बात काटता है और स ाई से भटक
जाता है।
पूण िनराशावादी ि म गहन िव ेषणा मक चंतन का नर होता है। यह ितभाशाली ि का ऐसा
गुण है, िजसका बाक़ लोग ब त स मान करते ह। ले कन इसक अित हो जाने पर वह चंता और अवसाद से िघर
जाता है।
सश ोधी ि म नेतृ वकारी गुण होता है, जो आज जीवन के हर पहलू म ब त ज़ री है, ले कन अित
हो जाने पर ऐसे ि िनरं कुश, िनयं णकारी और चालबाज़ हो जाते ह।
शांत संतोषी ि का आरामपसंद वभाव इतना शंसनीय होता है क वह कसी भी समूह का ि य बन
जाता है, ले कन अित हो जाने पर ऐसा ि कु छ करने के बारे म परवाह नह करता है और उदासीन व
अिनणयवादी बन जाता है।
आइए, इन कृ ितय के गुण क तरफ़ देखते ए खुद क जाँच कर। ऐसा करते समय हम उन गुण को
देखना चािहए, जो दूसर म सकारा मक ित या उ प करते ह और हमारी आ म-छिव को बेहतर बनाते ह।
फर हम इन गुण पर िवचार करना चािहए। इसके बाद हम वहार क उस अित क तरफ़ िवशेष यान देना
चािहए, जो दूसर को बुरी लगती है और यह संक प करना चािहए क हम इन दोष को दूर करने के िलए अपने
मानवीय और आ याि मक संसाधन का योग करगे।
आपको शे सिपयर के महानायक याद ह : हैमलेट, मैकबेथ, कग िलयर और हेनरी ? वे सभी महान थे,
उ ह ने ब त बड़े-बड़े काम कए थे, ले कन येक म एक " ासद दोष” (tragic flaw) था, िजस कारण उसका
पतन आ।
हमम से हर एक क नस म नायक का र है! अपनी शि य का पता लगाना और उनका समझदारी से
इ तेमाल करना कतना रोमांचक है! ले कन शे सिपयर के महानायक क तरह ही हमम से हर एक म कोई न
कोई “ ासद दोष” भी है, िजस पर अगर यान नह दया गया, तो यह हमारा पतन भी करवा सकता है। आइए,
हम सभी यथाथवादी ढंग से अपनी जाँच कर और देर होने से पहले ही अपने दोष खोज ल।
अगर आप आलोचना को अ वीकार करते ह, तो ग़रीबी और अपमान का जीवन जीना
पड़ता है; अगर आप आलोचना को वीकार करते ह, तो आप शोहरत पते ह ।
ोव स 13:18 टीएलबी
अ याय 8

आइए लोकि य आशावादी


ि य को वि थत कर

लोकि य आशावादी ि प रवतन करने के िलए सबसे यादा उ सुक होते ह। इसका कारण यह है क उ ह नए
िवचार और काम से ेम होता है। इसके अलावा, वे लोकि य बनना चाहते ह और कसी को चोट नह प च
ँ ाना
चाहते ह। बहरहाल, दो मुख कारण से लोकि य आशावादी ि इस दशा म आव यक सुधार नह कर पाते
ह।

संक प को पूरा न कर पाना


पहला कारण तो यह है क अ छे इराद के बावजूद वे अपनी बनाई ई योजना पर अमल नह कर पाते। जब
म कसी लोकि य आशावादी ि को यह बताती ँ क उसे अपनी कमज़ो रय को दूर करने के िलए या
करना है, तो उसके बाद उससे पूछती ,ँ “आप इस पर कब से अमल करगे ?” आम तौर पर उसका जवाब होता
है, “म आज से तो शु कर नह सकता और कल शहर से बाहर जा रहा ँ - और वीकएंड पर मेरे यहाँ पाट है।”
यह पर उसक बस छू ट जाती है।

दोष-रिहत लोग
दूसरी बात यह है क वे इतने खुशिमज़ाज और आकषक ि व वाले होते ह क उ ह यह यक़ न ही नह होता है
क उनम गंभीर दोष हो सकते ह। सच तो यह है क वे खुद को गंभीरता से नह लेते ह।
जब म कसी सेिमनार म लोकि य आशावादी ि य क कमज़ो रयाँ बताती ,ँ तो वे उन पर हँसते ह,
ले कन उ ह ये कमज़ो रयाँ इतनी बुरी नह लगती ह क इ ह सुधारने के िलए क़दम उठाया जाए। म उनक
मानिसक ि थित को समझ सकती ,ँ य क कभी मेरा भी यही हाल था। शादी से पहले मुझे सभी पसंद करते थे
और म पा टय क जान थी, ले कन शादी होते ही म रातोरात मूख बन गई। े ड ने मुझे बता दया क हैवरिहल
म लोग मुझे कतना ही आदश समझते ह , ले कन म यूयॉक म ब त दलच प नह ।ँ मेरे दमाग़ म यह याल
ही नह आया क उनक बात सही भी हो सकती है। मने सोचा क वे नीरस ह और उ ह तारीफ़ करना नह आता
है। इसिलए मने उनके सामने उनक मनचाही भूिमका िनभाई, ले कन दूसर के साथ रहते समय म अपने मूल
आकषक ि व पर लौट आती थी। जब तक मने ि व का अ ययन शु नह कया, तब तक मुझे यह
स ाई समझ नह आई क िसफ़ े ड का ही नह , बि क दूसरे लोग का भी मेरे बारे म यही दृि कोण था।
जब मने जाना क मेरी कमज़ो रयाँ िसफ़ े ड के दमाग़ म ही नह थ , तो मने अपने और अ य लोकि य
आशावादी ि य के सुधार के िलए कु छ उपाय खोजे।

सम या : लोकि य आशावादी ि ब त यादा बोलते ह


समाधान 1 : आप पहले िजतना बोलते थे, उससे आधा बोल
लोकि य आशावादी ि य को आँकड़ क ख़ास समझ नह होती है, इसिलए उ ह यह सलाह देना बेकार है
क उ ह अपनी बातचीत 22 ितशत कम कर लेनी चािहए। बहरहाल, आम तौर पर वे आधे क अवधारणा को
समझ लेते ह। अगर आप लोकि य आशावादी ह, तो आपके िलए अ छी सलाह यह है क आप पहले िजतना
बोलते थे, उससे आधा बोल। ख़द को िनयंि त रखने का आसान तरीक़ा यह है क आप जो क़ सा सुनाने के िलए
उतावले ह , उनम से हर दूसरा क़ सा न सुनाएँ। आपको यह अफ़सोस तो होगा क जनता को इतना ब ढ़या
क़ सा सुनने को नह िमल रहा है, ले कन वे उस क़ से के नुक़सान के बारे म अफ़सोस नह करगे, जो उ ह ने
सुना ही नह । यह यादा अ छा है क लोग आपक बात पर आनं दत ह , बजाय इसके क वे बातचीत पर
आपके एकािधकार से तनाव म आ जाएँ - भले ही आपके क़ से कतने ही मज़ेदार ह ।

या आप इससे बड़ी बात कह सकते ह ?


े ड क 97 साल क दादी माँ का देहांत होने पर उनका पूरा प रवार इक ा आ, िजसम े ड और म भी शािमल
थे। पहले ही दन पूरे प रवार का नज़ रया प प से दखने लगा, “ या आप इससे बड़ी बात कह सकते ह?”
हर र तेदार बढ़ा-चढ़ाकर अपने कै रयर का बखान करने लगा, िजसके बाद अगला भाई उससे भी बड़ी बात
सुनाता था। उस रात को े ड के मन म एक िवचार आया, जो ब त ही बुरा था : “हम लोग चुप य नह रहते
ह? चलो देखते ह क कतनी देर बाद कोई सवाल पूछता है या बातचीत शु करता है?” शु से ही मुझे उनक
यह योजना पसंद नह थी, ले कन मने अंदाज़ा लगाया क म कु छ घंटे तक चुप रह सकती ।ँ
ना ते के ठीक बाद हमने इस दमनकारी योजना पर अमल कया। ख़ामोशी का यह िसलिसला लंच तक, पूरी
दोपहर तक, िडनर तक और रात तक चला। जब हम रात को अपने कमरे म प च ँ ,े तब तक मेरी आँख दबाव के
कारण बाहर िनकली जा रही थ और मुझे लगा, जैसे मेरा िसर फटने वाला हो। म िच लाई, “यह मूखतापूण है!
अब म इसे एक पल भी सहन नह कर सकती।”
े ड मु कराए, "मुझे तो हर पल आनंद आया है और हम कल फर इसका मज़ा लगे।”
“मुझे एक और दन चुप रहना पड़ेगा ? मुझे तो नवस ेकडाउन हो जाएगा!”
हमने ख़ामोशी के एक और दन को झेला और मुझे नवस ेकडाउन नह आ। हालाँ क यह क़रीबी मामला
था - ले कन म िज़दा बच गई।
अगली सुबह हवाई जहाज़ पकड़ने से पहले े ड क माँ बोल , “ े ड, तुम एक घंटे से कु छ नह बोले। या
कोई गड़बड़ है?” े ड ने उ ह तस ली दी क सब कु छ ठीक है और उनक माँ ने उनक पीठ थपथपाते ए कहा,
‘ब त ब ढ़या, बेटा।”
सबसे बुरी बात यह थी क न तो उ ह ने, न ही कसी और ने इस तरफ़ यान दया क म भी दो दन से कु छ
नह बोली थी। यह मेरे जीवन का रकॉड
था, ले कन इसके बावजूद मुझे कोई ॉफ़ या मेडल नह िमला! बहरहाल, इस घटना से मने एक दद भरा
सबक़ सीखा : अगर म अपना मुँह बंद रखूँ, तब भी दुिनया चल सकती है - और यादा ख़श दख सकती है।
इसिलए, पहले से आधा बोलने क मेरी नई भूिमका मुझे राहत भरी लगती है।
लोकि य आशावादी ि यो, आप यह योग करके देख क आपके चुप रहने के कतनी देर बाद लोग का
यान इस तरफ़ जाता है।

समाधान 2 : बो रयत के ल ण को देख


बाक़ तीन कृ ितय के लोग को यह बताने क ज़ रत नह है क “बो रयत के ल ण” या होते ह।
ले कन लोकि य आशावादी ि य के मन म यह याल तक नह आता है क उनक बात से लोग ऊब सकते
ह, इसिलए उ ह यह साफ़-साफ़ बताने क ज़ रत है क जब कोई ि आपक पकड़ से छू टने क कोिशश कर
रहा हो, तो इसका मतलब यह है क आपक कहानी म उसक दलच पी ख़ म हो गई है। जब आपके दशक पंज
के बल खड़े ह , भीड़ क तरफ़ उ सुकता से देख रहे ह और कसी का यान आक षत करने के िलए बेताब ह , तो
इसका मतलब यह है क वे आपसे दूर जाना चाहते ह। जब वे बाथ म का बहाना बनाकर आपसे दूर चले जाएँ
और फर लौटकर न आएँ, तो आपको इशारा समझ लेना चािहए। जब एक बार आपके मन म यह याल आ
जाएगा, तो बो रयत के ल ण को समझना मुि कल नह होगा।

समाधान 3 : अपनी ट पिणयाँ छोटी रख


ड मुझसे चालीस साल से एक ही बात कह रहे ह, “सीधे मु े पर आ जाओ।” म सीधे मु े पर शायद
इसिलए नह आती ,ँ य क मुझे कभी महसूस ही नह होता क मु े क बात इतनी मह वपूण है। म तो इस
सू वा य पर यक़ न करती ,ँ “दूसर को पूरी बात सुनाने म आधा मज़ा आ जाता है।” यही कारण है क म कभी
कसी बात क सामा य तरीक़े से नह कहती ।ँ म नाटक यता का कु छ यादा ही इ तेमाल करती ।ँ इसी तरह,
मुझे सं ेप म कोई बात बताने म शम आती है।
हालाँ क मेरे िहसाब से दलच प क़ से सुनाने क यह ितभा एक अ छा गुण है, ले कन अित हो जाने पर
यह दुगुण बन जाती है। मने पाया है क हर ि के पास लोकि य आशावादी ि य के एकालाप को सुनने
का समय या दलच पी नह होती। हालाँ क मुझे लगता है क पूरी ऐितहािसक पृ भूिम बताए िबना लोग
वतमान बात को नह समझ पाएँगे, ले कन मने पाया है क अगर म एकाध (या दस-बारह) वणन नह बताती ,ँ
तब भी कसी को भी कोई क नह होता है।
एक दन मेरे मन म एक ब त ज़ोरदार िवचार आया। मने सोचा क अगर कसी कारण मेरी कसी
दलच प कहानी के बीच म वधान आ जाए, तो म सुनने वाल के अनुरोध के िबना दोबारा सुनाना शु नह
क ँ गी। मेरा पहला इ तहान उस व त आया, जब म कु छ लोग के साथ शॉ पंग पर जा रही थी। म एक मज़ेदार
क़ सा सुना रही थी, जो उस व त एक मह वपूण मोड़ पर थी, य क हीरोइन च ान का कनारा पकड़कर
लटक ई थी। तभी हमारी कार के ाइवर ने बीच म बाधा डालते ए कहा क हम न शा देखकर उसे बता द
क हम सही दशा म तो जा रहे ह। इसके बाद म अपनी साँस रोककर इं तज़ार करती रही क कोई तो पूछे, “ फर
या आ ?” ले कन कसी ने ऐसा नह कया। म अपनी सीट के कनारे पर बैठी थी और मेरा मुँह आगे क
कहानी सुनाने के िलए पूरी तरह तैयार था, ले कन कसी ने भी मेरी तरफ़ नह देखा। या उ ह परवाह नह थी
क है रयट के साथ या आ ? म उ ह झकझोरकर कहना चाहती थी, “है रयट को भूल गए? वह च ान से लटक
ई है। या तुम लोग आगे क कहानी नह सुनना चाहते ?” मुझे अपना वह संक प याद आया : जब तक कोई
आ ह न करे , तब तक अधूरी कहानी को पूरा करने क कोिशश न कर। ले कन कसी ने आ ह नह कया।
मुझे इस इ तहान म िमली अ वीकृ ित से एक ब त अिव सनीय बात समझ म आई! कई बार लोग लंबी
कहानी से इतने उकता जाते ह क उ ह इस बात क परवाह ही नह रहती है क उसका अंत या आ - भले ही
वह कहानी म सुना रही ।ँ
मेरी लोकि य आशावादी सहेली नै सी ने भी इसी िस ांत को आज़माने का फ़ै सला कया और उसे भी वही
प रणाम िमले। हम दोन म एक मौन समझौता हो चुका है क जब भी हमम से कसी के साथ यह भयंकर घटना
होगी, तो दूसरा उ सुकता से कहेगा, “आगे बताओ, आगे बताओ! म आगे क कहानी सुनने के िलए ब त उ सुक
।ँ ” ओह, नै सी कतनी अ छी है!

समाधान 4 : बढ़ा-चढ़ाकट बोलना छोड़ द


जब म सावजिनक सभा म भाषण देने लगी, तो मेरे पित ने कहा, “अब तुम व ा बन चुक हो। या तु ह
यह नह लगता क अब झूठ बोलना छोड़ देना चािहए?” म जानती थी क म झूठ नह बोलती ,ँ इसिलए मने
उनसे पूछा क उनक बात का या मतलब है। पूण िनराशावादी होने के नाते े ड को लगता था क जब म पूरी
स ाई नह बताती ,ँ तो यह झूठ क ेणी म आता है। बहरहाल, मुझे महसूस होता था क म तो िसफ़ क़ से को
मज़ेदार बनाने के िलए उसम कु छ बात जोड़ देती ,ँ इसिलए यह झूठ नह , बि क अितशयोि है। अंतत: हम
दोन इसे अितशयोि क ेणी म रखने के िलए सहमत हो गए। एक दन मने सुना क मेरी बेटी लॉरे न अपनी
सहेली से यह कह रही थी, “जब भी मेरी म मी कोई बात कहती ह, तो हम उनक बात को आधा करना पड़ता
है।”
एक दन म लोकि य आशावादी पैटी के नए घर गई। मेरे अंदर घुसते ही उसने पहली बात यह कही, “इस
सड़क पर रहने वाले सभी कु -े िब ली बीमारी से मर रहे ह।” मेरे लोकि य आशावादी मि त क म त काल यह
त वीर आ गई क दजन कु -े िबि लयाँ गटर म अपना दम तोड़ रहे ह। जब म इस मानिसक त वीर का लु फ़ ले
रही थी, तो मने ग़ौर कया क उसक पूण िनराशावादी बेटी हताशा से अपना िसर िहला रही थी।
मने पूछा, ‘ या आ ?” वह बोली, ‘पड़ोस म एक िब ली बीमार हो गई है।”
पड़ोस क कसी अनजान औरत क िब ली क बीमारी के बारे म कोई भी रोमांिचत नह होगा, ले कन
“इस सड़क पर रहने वाले सभी कु -े िब ली बीमारी से मर रहे ह” बात शु करने के िलए सचमुच ज़ोरदार
वा य है!
े ड और म एक बार एक पाट म गए, जहाँ बोनी नाम क लोकि य आशावादी मिहला अपनी या ा का
मज़ेदार वणन सुना रही थी। वह पूरे िव तार से बता रही थी क लॉस एंजेिलस से कै टेिलना आइलड तक क नाव
या ा म या- या आ, मीनू म या- या था, समु ी सफ़र म कस- कस क तिबयत ख़राब ई। बीस िमनट तक
वह यह दलच प कहानी सुनाकर सबको आनं दत करती रही। जैसे ही उसने कै टेिलना तक क अपनी नाव या ा
क मज़ेदार कहानी पूरी क , उसके पूण िनराशावादी पित ने एक गहरी साँस ली और धीरे से, ले कन दृढ़ता से
छह श द कहे, “हम हवाई जहाज़ से गए थे।”
यह सुनकर हम सभी त ध रह गए। बहरहाल, बोनी ने एक पल सोचा और फर सहमत हो गई, “सही
कहा। हम हवाई जहाज़ से गए थे।”
िसफ़ लोकि य आशावादी ि ही बीस िमनट तक उस का पिनक नाव या ा का वणन सुना सकता है, जो
उसने क ही नह थी।
हालाँ क लोकि य आशावादी ि य क कहािनयाँ मज़ेदार होती ह और म इस घटना को कभी नह भूल
पाऊँगी, ले कन बोनी अपनी क पना क उड़ान म इतनी यादा दूर चली गई थी क यह अितशयोि नह , बि क
झूठ क ेणी म आता है। एक सहेली ने आज सुबह मुझे इसी तरह क एक कहानी सुनकर अंत म कहा, “ज़ािहर है,
वह लोकि य आशावादी है, इसिलए आप उसक कसी भी बात पर यक़ न नह कर सकते।” या यह शम क
बात नह है? या यह बुरी बात नह है क लोकि य आशावादी ि य को झूठा समझा जाए? इस बारे म सोच
और अपनी जाँच कर।

याद रख
रं गीन बात क अित झूठ बन जाती है।

सम या : लोकि य आशावादी ि आ म-क त होते ह

समाधान 1: दूसर क िसय के ित संवेदनशील बन


लोकि य आशावादी ि दूसर के बारे म सबसे कम संवेदनशील होते ह, य क वे ख़द म ही खोए रहते
ह। वे अपनी कहािनयाँ इतनी ख़शी-ख़शी सुनाते ह क उनका यान इस तरफ़ जाता ही नह है क उनक बात म
लोग कु छ समय तक ही दलच पी ले सकते ह। हो सकता है क उनक बात म समूह क िच ही न हो। लोकि य
आशावादी ि दूसर क आव यकता पर इसिलए यान नह देते ह, य क वे सम या या नकारा मक
ि थितय से बचते ह। वे अ छे सलाहकार नह बन सकते, य क वे सुनने के बजाय बोलना पसंद करते ह और
फटाफट सतही व अनुिचत जवाब देना उनक आदत होती है।
दूसर के ित संवेदनशीलता सुनने और सीखने से शु होती है। मने ख़द को इस बात के िलए िशि त
कया है क म जब भी कसी नए समूह के पास प च ँ ूँगी, तो कु छ समय तक चुप रहकर उसक बात सुनूँगी, जब
तक क म बातचीत क दशा और झान को न समझ लूँ। मने यह संक प कया क म कसी समूह म प च ँ ते ही
फ़ौरन अपना नया क़ सा सुनाना शु नह क ँ गी। मुझे इस संक प से लाभ भी आ है। अपना मुँह खोलने से
पहल थोड़ी देर कने के अपने फ़ै सले पर म कई बार कृ त ई ।ँ मने इस दशा म भी मेहनत क है क म लोग
को ोता के बजाय ि य के प म देख।ूँ
लोकि य आशावादी ि दूसर के क से दूर ही रहते ह, ले कन दूसर क बात सुनने के बाद मुझे पता
चला क मेरे आस-पास के लोग कतने आहत ह। इससे पहले म उ ह नज़रअंदाज़ कर देती थी! इसके बाद मने
देखा क कतनी सारी मिहलाएँ अके लेपन से त ह! कतने सारे टू टे दय ह, िज ह जोड़ने क ज़ रत है! कतने
सारे बोिझल शरीर ह, िज ह लोकि य आशावादी ि के ह के , राहत भरे पश क ज़ रत है।
लोकि य आशावादी ि , हर एक को ख़ास मानकर उसक बात सुन और उसक तरफ़ देख। ऐसा करने
पर आप दूसर क आव यकता के ित संवेदनशील बन जाएँगे।

समाधान 2 : सुनना सीख


लोकि य आशावादी ि सुनते नह ह, इसका कारण यह नह है क उनके साथ कोई आनुवंिशक सम या
है, बि क यह है क वे िसफ़ अपनी परवाह करते ह। सुनना स यता और शालीनता का ल ण है। लोकि य
आशावादी ि दूसर के बारे म कभी इतने चंितत नह होते ह क वे उनम दलच पी ल। उ ह तो यह लगता
है क जीवन एक रं गमंच है, वे मंच पर खड़े ह और बाक़ सब दशक ह। लोकि य आशावादी सव े ि
बेहतरीन अिभनेता या अिभने ी क ेणी म शािमल हो सकते ह, ले कन यादातर ि य के मामले म यह
नह कहा जा सकता। जब हर एक क आँख हम पर क त ह , तब हमम से यादातर लोग बोलने के लोभन से
नह बच पाते ह।

याद रख
दूसर क आव यकता के ित संवेदनशील बन और सुन क वे या कहना
चाहते ह।

सम या : लोकि य आशावादी ि य क याददा त ठीक नह होती है

समाधान 1 : नाम पर यान द


लोकि य आशावादी ि नाम याद नह रख पाते ह। इसका कारण वही है, जो मने पहले बताया है। वे
सुनते ही नह ह और उ ह परवाह भी नह होती है। ये दोन सम याएँ इसिलए उ प होती ह, य क उनके
वभाव आ म-क त होते ह और वे दूसर के ित संवेदनशील नह होते ह। वे चाहे िजतने मज़ेदार ह , ले कन
अगर कु छ िमनट बाद ही वे दूसर के नाम भूल जाते ह, तो लोग यह भाँप लेते ह क उ ह उनक परवाह नह है।
डेल कारनेगी ने कहा था, “ कसी ि का नाम उसके िलए दुिनया म मधुरतम श द है।” हाऊ टु िवन स
(लोक वहार) नामक पु तक म उ ह ने ऐसे ब त से लोग के उदाहरण दए ह, िजनक सफलता का राज़ यह
था क वे दूसर के नाम याद रखने म ब त कु शल थे।
लोकि य आशावादी ि य म बाक़ ि य से कम बुि नह होती है। वे भी नाम याद रख सकते ह,
बशत वे इसके मह व को पहचान ल। सश ोधी ि अ छी तरह से जानते ह क लोग को नाम से बुलाना
कतना मह वपूण होता है। पूण िनराशावादी ि य क याददा त अ छी होती है, िजसम वे वणन को सँजोकर
रख लेते ह। शांत संतोषी ि य को देखना और सुनना अ छा लगता है, ले कन लोकि य आशावादी ि इन
मामल म कमज़ोर होते ह। उ ह ऐसा नह लगता है क कोई चीज़ इतनी मह वपूण है क उसके िलए मेहनत क
जाए। वे वणन इसिलए नह सुनते ह, य क वे बोलने के िलए बेचैन रहते ह। या कोई आशा क करण है?
अपनी शादी के बाद क ज़ंदगी म मने पाया है क खुद नाम याद रखने के बजाय े ड से लोग के नाम
पूछना यादा आसान है - और यह था भी। जब मने कृ ितय का अ ययन कया, तब जाकर मुझे एहसास आ
क े ड पर मेरी िनभरता का मतलब यह था क म अपने दमाग़ पर भरोसा नह कर सकती ।ँ मने खुद से पूछा,
“ या तुम इतनी मूख हो क तु ह नाम याद रखने के िलए कसी दूसरे के दमाग़ क मदद क ज़ रत पड़ती है?
या तुम ख़द नाम याद रखना नह सीख सकत ?” इस सवाल ने मुझे यह एहसास कराया क मने कभी गंभीरता
से नाम याद रखने क कोिशश ही नह क थी। इसके बाद मने नाम याद रखने को अपना शौक़ बनाकर इस दशा
म मेहनत करने का फ़ै सला कया। लोकि य आशावादी ि य के िलए इसे खेल बनाना ज़ री होता है। सबसे
पहले तो म लोग के नाम सुनने लगी। यह काम इतना आसान है क इसे कोई भी कर सकता है और इसके िबना
सुधार क कोई उ मीद नह होती। जो बात हमने सुनी ही नह , उसे हम कै से याद रख सकते ह? जब मने लोग
क बात पर अपना यान क त कया, तो मुझे पता चला क हर ि का एक नाम होता है और उसे इसके
ारा पुकारा जाना अ छा लगता है।
म कतनी भािवत और हैरान होती ,ँ जब कोई मेरे नाम का उ ारण िलटेनोर, िलटनर, िलटावर,
िलटेनहॉसर या लाटोर नह करता, बि क सही तरीक़े से िलटार करता है। अगर म भी दूसर के नाम का सही
उ ारण क ँ गी, तो वे भी मुझसे खुश ह गे। यह लोकि य आशावादी ि य के िलए ब त बड़ी ेरणा है : लोग
हम यादा पसंद करगे। या हम सब दरअसल यही नह चाहते? लोकि यता क कुं जी यह जानना है क सामने
वाला दरअसल कौन है।
दूसरी बात, म दूसर क परवाह करने लगी। जब लोग अपना नाम बताते थे, तो म उनक तरफ़ देखने लगी
और उनक ज़ंदगी के बारे म सवाल पूछने लगी। म तब तक सवाल पूछती थी, जब तक मुझे यह महसूस नह
होता था क म उ ह जान गई ।ँ जब मने खुद पर से नज़र हटाकर दूसर क तरफ़ मोड़ ल , तब से लोग ब त
यादा दलच प बन गए ह।

समाधान 2 : चीज़ को िलख ल


लोकि य आशावादी ि य क रं ग और गपशप क याददा त ग़ज़ब क होती है, ले कन नाम , तारीख़
और थान के मामले म उनक याददा त ब त कमज़ोर होती है। मि त क का यह िवभाजन तब समझ म आता
है, जब हम यह एहसास होता है क लोकि य आशावादी ि आँकड़ के बजाय लोग म और ठं डे त य के
बजाय रं गीन कहािनय म यादा दलच पी लेते ह। पूण िनराशावादी ि को योरा पसंद होता है और वह
जीवन क अिनवाय बात को याद रख सकता है, इसिलए सकारा मक ि थित तो यह होगी क वे दोन एक साथ
रह : सही बात बताने के िलए पूण िनराशावादी ि और उसे दलच प बनाने के िलए लोकि य आशावादी
ि ।
ड म नाम याद रखने क ज़बद त यो यता है। इस मामले म उ ह एक आसान तकनीक से काफ़ मदद
िमलती है। वे एक छोटे काड पर हर एक का नाम और उसके बारे म थोड़ी जानकारी िलख लेते ह। जब हम
कनेि टकट म रहते थे, तो हमारे पादरी लोकि य आशावादी थे। उ ह अपने धमसमुदाय के ि य के नाम याद
नह रह पाते थे। रिववार क सुबह ड उनके साथ चच के बाहर खड़े होकर उनक मदद करते थे। जब भी कोई
अप रिचत ि पादरी के क़रीब आता था, तो वे धीरे से उसके जीवन के बारे म बता देते थे।
“गुलाबी पोशाक वाली मिहला वा डा वरी है। उसके छह ब े ह और उसका पित कमर क बीमारी के
कारण अ पताल म है।”
“वा डा, तुम गुलाबी पोशाक म कतनी अ छी लग रही हो! तु हारे यारे ब े कहाँ ह? और तु हारे पित क
कमर का अब या हाल है?”
ड त य बताते थे, पादरी डॉन उनम रं ग भरने का काम करते थे।
जब हम कनेि टकट छोड़कर आ गए, तो लोग को लगा क डॉन क याददा त अचानक ख़राब हो गई है।
लोग को इस बात क हैरानी ई क जो पादरी कल तक उनक इतनी चंता करता था, अब उसे सही नाम लेने
म भी इतनी मुि कल य हो रही है। एक दन तो हद ही हो गई, जब पादरी ने एक मिहला से उसके पित का
हाल-चाल पूछ िलया, जब क दो दन पहले उ ह ने ख़द ही उस बेचारे क अं येि क थी।
हमारा िम टॉमी लोकि य आशावादी है। मज़ेदार बात यह है क वह एक मेमोरी कोस म मरण शि
बढ़ाने के तरीक़े िसखाता है। वह रोमांचक तरीक़े से िस ांत समझाता है और लोग उसके कोस से सीखते भी ह,
ले कन इससे आज तक वह अपनी याददा त नह बढ़ा पाया है। एक दन जब म उसके घर गई, तो वह अपने
गैरेज म कु छ खोज रहा था। पूछने पर पता चला क उस रात को उसे कोस म ले जाने के िलए याददा त क
पु तक के दो िड बे चािहए थे, ले कन उसे यह याद ही नह था क उसने उ ह कहाँ रखा था।
चूँ क लोकि य आशावादी ि य क याददा त ब त कमज़ोर होती है, इसिलए उ ह अपने काम क
सूिचयाँ बना लेनी चािहए और फर उ ह ऐसी जगह रखना चािहए, जहाँ से वे ग़म न जाएँ। उ ह लोग के नाम
के साथ उनके बारे म संि जानकारी िलख लेनी चािहए और उसी समूह म दोबारा जाने से पहले उस जानकारी
को पढ़ लेना चािहए। उ ह िबज़नेस कॉल करने से पहले यह सुिनि त कर लेना चािहए क उनके सामने सारे
त य ह । सामा य सी जानकारी भूलने पर अ छे-ख़ासे दमाग़ वाला आदमी भी मूख लग सकता है।

समाधान 3 : ब को न भूल
म ब त सी लोकि य आशावादी मिहला से िमली ,ँ जो भुल ड़पन के कारण कम से कम एक-दो बार
अपने ब े कह छोड़ आई थ । एक मिहला अपनी लोकि य आशावादी सहेली के साथ कार से या ा कर रही थी।
वे दोन मज़े से बात कर रही थ । बहरहाल, रे िग तान म एक घंटे तक कार चलाने के बाद उस मिहला को यह
एहसास आ क उसका चार साल का बेटा पीछे वाली सीट पर नह है। उसने अपनी गाड़ी घुमाई और लौटकर
उसी गैस टेशन पर गई, जहाँ से उसने गैस भरवाई थी। वहाँ पर उसे अपना बेटा दखा, जो गैस भरने म अटडट
क मदद कर रहा था। मिहला के लौटने से अटडट ब त खुश आ, य क वह घर जाने वाला था और उसे यह
समझ म नह आ रहा था क वह अपने नए सहयोगी का या करे ।
एक मिहला ने मुझे बताया क वह थड ेड म पढ़ने वाले अपने ब े को कू ल से लाना भूल गई थी और उसे
इस बात का तब तक एहसास नह आ, जब तक क पूरा प रवार िडनर क टेबल पर नह बैठ गया और बेटे क
सीट ख़ाली नह दखी।
हमारे एक सेिमनार म लोकि य आशावादी ि य के समूह क एक रपोट म चेयरमैन ने बताया, “हमने
एक सव कया, िजसम यह पता चला क हम लोग इस स ाह 437 चीज़े भूले ह, िजनम सात ब े और एक दादी
माँ शािमल ह, जो दुभा य से एक िडपाटमट टोर म छू ट गई थ ।”
मेरी लोकि य आशावादी सहेली कै रोल और म बारी-बारी से कार से अपने ब को लेने जाते थे। हमारे
दोन बेटे पूण िनराशावादी थे और छोटी लास म पढ़ते थे। हम दोन ही अ सर देर से प चँ ती थ और हालाँ क
हम दोन एक-दूसरे को समझती थ , ले कन हमारे लड़के हमेशा िचढ़ जाते थे। जब म जे स जूिनयर को लेने जाती
थी, तो वह ना ते का िड बा लेकर दुखी अंदाज़ म घर से बाहर िनकलता था।
“म मी फ़ोन पर बात कर रही ह, इसिलए मुझे अपना यान ख़द रखना पडा।”
कै रोल जब भी े डी को लाती थी, तो वह लौटकर हमेशा बताता था क वे उसे कै से भूल ग या वे कस
तरह एक क म पीछे से ट र मारने वाली थ । कु छ समय पहले ही म कै रोल से ड लास म िमली थी। हम दोन
ही पुरानी बात को याद करते रहे। कार से बारी-बारी से बेट को लाने के अपने भुल ड़पन को याद करके हम
ख़ूब हँस।े हम दोन ही इस नतीजे पर प च ँ े क हमारी लेटलतीफ़ लड़क के िलए अ छी सािबत ई, य क
इससे उ ह लचीलेपन क िश ा िमली थी।
लोकि य आशावादी ि य म अपनी प कमज़ो रय को भी शि य के प म द शत करने क
रचना मक यो यता होती है।

याद रख
हालाँ क आप तक दे सकते ह क आपक याददा त य बुरी है, ले कन कोई
इसके बारे म नह सुनना चाहता है। लोग के नाम पर यान द, काम िलख ल
और यह भी िलख ल क आपने अपनी कार और ब े को कहाँ छोड़ा है।

सम या : लोकि य आशावादी ि अि थर और भुल ड़ दो त होते ह

समाधान 1 : द डिशप फ़ै टर पढ़
लोकि य आशावादी ि जीवन को रोमांचक बना देते ह, इसिलए उनके ब त से दो त होते ह, ले कन वे
खुद आम तौर पर “अ छे दो त” नह होते ह। अ छे समय म वे आस-पास रहते ह, ले कन आव यकता या
मुि कल के समय वे अपने पंख फै लाकर दूर उड़ जाते ह। उ ह “अ छे मौसम वाले दो त” कहा जा सकता है। मेरी
एक लोकि य आशावादी सहेली थी, जो “गीले मौसम वाली दो त” थी। वह मुझे तभी फ़ोन करती थी, जब
बा रश के कारण वह गो फ़ नह खेल पाती थी।
लोकि य आशावादी ि य के असली दो त ब त कम होते ह। इसके बजाय उनके अनुयायी या प रिचत
यादा होते ह। वे ऐसे लोग को इक ा कर लेते ह, जो उनक शंसा करते ह, उनसे यार करते ह और यहाँ तक
क उनक पूजा करते ह। वे देने वाले लोग को पसंद करते ह, ले कन जब दूसर को उनक आव यकता पड़ती है,
तो वे दूसरी तरफ़ देखने लगते ह। वे रोमांच और लैमर क तरफ़ देखने म इतने यादा त रहते ह क उनके
पास मुि कल क तरफ़ देखने क फ़ु रसत ही नह होती है।
जब मने एलन एल. मैि गिनस (ऑ सबग ेस) क पु तक द डिशप फ़ै टर (िम ता का मह व) पढ़ी, तो
मुझे पहली बार एहसास आ क हालाँ क मेरे ब त से प रिचत थे, ले कन मेरा कोई स ा दो त नह था। डॉ.
मैि गिनस ने मुझे चुनौती दी क म अपने जीवन म थायी संबंध क जाँच क ँ । इस जाँच म मने पाया क
मुलाक़ात न होने के कारण मेरी कु छ ि य सहेिलयाँ मुझसे दूर हो रही ह।
1980 म मने पूरे अमे रका से चालीस मिहला को पीकस े नंग सेिमनार के िलए रे डल स, कै िलफ़ो नया
आमंि त कया। छ ीस मिहलाएँ आ और एक ह ते के दौरान हमम अ छी दो ती हो गई। हमने एक-दूसरे के
सामने अपना दल खोलकर रख दया और सबम इतनी अ छी दो ती हो गई क हम जुदा नह होना चाहते थे।
अपनी दो ती को बरकरार रखने के िलए मने सभी को एक प भेजा, िजसम मने समी ा क थी क उनम से
येक ने मुझे या िलखा था और उ ह एक-दूसरे के हालचाल बताए। बुधवार क सुबह म अपने इलाक़े म रहने
वाली मिहला को मेरे घर पर एकि त करने लगी। हम सभी इस बात पर सहमत थ क अगर हम हर ह ते
एक बार िमलने के िलए ख़द को अनुशािसत नह करत , तो हम एक-दूसरे से दूर हो गई होत ।
समाधान 2 : दूसर क आव यकता को ाथिमकता द
लोकि य आशावादी ि स े दो त बनाने क कोिशश ब त कम करते ह। उ ह ज़ रतमंद लोग क मदद
करना या बीमार से िमलने जाना रास नह आता है। जब म सैन बना डनो के िवमे स लब क ेिसडट थी, तो
मुझसे यह उ मीद क जाती थी क सद य क बीमारी के समय मुझे उ ह देखने के िलए अ पताल जाना चािहए।
यह काम मेरी कृ ित से िबलकु ल मेल नह खाता था, इसिलए मुझे ऐसा करना ब त मुि कल लगता था। म बहाने
बनाती रहती थी और एक बार तो जब म एक सद य के पित को देखने प च ँ ी, तो मुझे पता चला क वह तो एक
दन पहले ही मर चुका है। मुझे ख़द को यक़ न दलाना पड़ा क दूसर क आव यकताएँ मह वपूण ह। इसके बाद
मुझे इस दशा म मेहनत करने के िलए अनुशािसत होना पड़ा। कई बार जब म मजबूरी म कह जाती थी, तो
ई र मुझे पुर कार म कोई न कोई समृ अनुभव दान करता था।

याद रख
लोकि य आशावादी ि यो, “अ छा दो त” बनना आसन नह होता है,
ले कन यह ब त मह वपूण है। ोता न खोज, दो त बन जाएँ।

सम या : लोकि य आशावादी ि दूसर क तरफ़ से जवाब देने लगते ह।

समाधान : यह न सोच क सभी जवाब आप ही को देने चािहए।


म यह महसूस करती थी क ई र ने मुझे जवाब देने वाले के पद पर थायी नौकरी दे दी है। चूँ क मेरे पास
कहने के िलए हमेशा कु छ न कु छ होता था और मुझसे ख़ामोशी सहन नह होती थी, इसिलए जब कोई साँस
ख चने के िलए भी कता था, तो म अपनी बात शु कर देती थी। मुझे कभी महसूस ही नह आ क म कसी क
बात काट रही ।ँ उलटे मुझे तो ऐसा लगता था क म ोता को एक नीरस अनुभव से बचा रही ।ँ म उस छोटे
से डच लड़के क भूिमका िनभा रही थी, िजसने अपनी उँ गली बाँध म डाल रखी थी और पूरे शहर को डू बने
से बचा रहा था। बातचीत मेरे िलए वह सुर ा मक दीवार थी, िजसम ख़ामोशी का छेद होना मुझे गवारा नह
था और जब मुझे ऐसा कोई छेद दखता था, तो म तेज़ी से भागकर उसे भरने क कोिशश करती थी, ता क लोग
बो रयत क बाढ़ म न डू ब जाएँ।
े ड के िहसाब से म ब त यादा बोलती थी और बेवजह ख़ामोशी को भरने क कोिशश करती थी। उ ह ने
मुझे बताने क कोिशश क क ख़ामोशी व णम होती है और बातचीत के बीच म ख़ामोशी होना कोई ग़लत बात
नह है। बहरहाल, मने उनके आ ह क नज़रअंदाज़ कर दया, जब तक क म अपनी कृ ित के बारे म नह समझ
गई और मुझे यह एहसास नह आ क लोकि य आशावादी ि बातचीत के बीच म ख़ामोशी सहन नह कर
पाते ह तथा वे उसे तोड़ने के िलए मुँह खोलकर कू द पड़ते ह। जब मने अपनी जीभ काटना शु कया और
बलपूवक अपने ह ठ को िहलने से रोका, तो मेरा यान इस तरफ़ गया क े ड बोलने लगे। लोग का यान मेरी
बजाय उनक तरफ़ हो गया और मने पाया क वे समझदारी से बोल भी सकते ह।
एक आकषक लोकि य आशावादी युवती शेरॉन ने मुझे बताया क वह अपने चच क समस पाट के समय
बीमार थी, इसिलए वह उसम नह जा पाई। बाद म उसक सहेिलय ने उसे बताया क पाट म उसका पित ब त
मोहक व ा लग रहा था और यह बात उ ह पहले पता नह थी। शेरॉन ने इस बारे म बार-बार सोचा और तब
जाकर उसे एहसास आ क उसने पहले कभी अपने पित को चमकने का यादा मौक़ा ही नह दया था। उसके
बाद वह अपने पित के िलए बीच म कु छ ख़ाली जगह छोड़ने लगी और उसे यह देखकर हैरानी ई क पित
कु शलता से उस जगह को भर देता था।
लोकि य आशावादी कृ ित का फ़ल
एक दन जब मने टीवी चलाया, तो “द फ़ल डोना शो” चल रहा था। फ़ल अपने शो म अथशा ी एडम
ि मथ का इं टर ू ले रहे थे। मुझे यह देखकर हैरानी ई क उन दोन क कृ ितयाँ एक-दूसरे से िबलकु ल िवपरीत
थ और वे कृ ितय के ब त आदश उदाहरण थे : फ़ल बिहमुखी लोकि य आशावादी/ सश ोधी थे और
सबका यान अपनी ओर ख च रहे थे; एडम पूण िनराशावादी ( ितभावान मि त क के साथ) और शांत संतोषी
(ब त िवन ) थे और सवाल से िबलकु ल अ भािवत नज़र आ रहे थे।
फ़ल क ट पिणय से यह पता चला क वे कृ ितय के बारे म कु छ नह जानते थे। इसीिलए उ ह ने यह
मान िलया क चूँ क एडम का ि व उनक तरह भड़क ला नह है, इसिलए वे थोड़े नीरस थे।

फ़ल : म देख सकता ँ क आप इस िवषय के बारे म यादा रोमांिचत नह ह।


एडम : म ब त रोमांिचत ।ँ मुझम तो बस आपके िजतनी ऊजा नह है।
फ़ल : म देख सकता ँ क आप बोर हो चुके ह।
एडम : म बोर नह आ ।ँ म ऐसे ही चेहरे के साथ पैदा आ ।ँ

जब ोता एडम से सवाल पूछने लगे, तो फ़ल उछलकर उनक तरफ़ से जवाब देने लगे। एक बार जब कसी
ोता ने एडम से एक सवाल पूछा, तो फ़ल ने एडम क तरफ़ से पूरा जवाब देने के बाद उनक तरफ़ मुड़कर
कहा, “आप इस बारे म ऐसा ही सोचते ह, है ना, एडम ?” एडम ने जवाब दया, “मुझसे य पूछते ह?”
उनसे पूछने क कोई ज़ रत भी नह थी, य क फ़ल को सबको अपना अनुमान बताने म मज़ा आ रहा था
क एडम का जवाब या होगा। लोकि य आशावादी ि को हमेशा लगता है क उसे हर एक क तरफ़ से
जवाब देना चािहए, य क वह उस बात को यादा अ छी तरह से बता सकता है।
हमारे घर म कोई भी कसी से भी सवाल पूछे, मे रटा और म फटाफट जवाब दे देते ह। एक शाम को िडनर
के व त े ड ने हमारे बेटे े डी से पूछा क कू ल म या आ। मे रटा ने त काल उसक तरफ़ से जवाब दे दया,
“वह ंिसपल के ऑ फ़स के बाहर बैठा था, इसिलए उसने ज़ र कोई ग़लत काम कया होगा।”
वह े डी के कू ल म नह थी, ले कन जब वह कू ल के पास से कार म गुज़री थी, तो उसने े डी को ऑ फ़स
के दरवाज़े पर बैठा देख िलया था। े डी अपनी बहन के जवाब देने से खुश नह आ और तब से मेरे पित े ड ने
एक नया िनयम बना दया, जो मे रटा और मुझे कभी पसंद नह आया : िजससे सवाल पूछा जाए, जवाब िसफ़
वही देगा।
जब प रवार का कोई िमतभाषी सद य एक आसान सा जवाब देने के िलए अपने िवचार को एकि त करता
है, तो यह अनुशासन बातचीत को धीमा कर देता है और कई बार तो इसके प रणाम व प ख़ामोशी भी छा
जाती है।
जब आप कृ ितय से यादा प रिचत हो जाएँगे, तो आप पाएँगे क लोकि य आशावादी ि दूसर क
तरफ़ से ब त ज दी जवाब देते ह और उ ह इस बात का पता भी नह रहता है क वे ऐसा कर रहे ह।

याद रख
जो दूसर क बात काटता है और दूसर क तरफ़ से जवाब देता है, उसे अस य
और िवचारहीन समझा जाता है और कु छ समय बाद उसका कह वावात नह
होता है।
सम या : लोकि य आशावादी ि अ वि थत और अप रप होता है

समाधान 1 : अपने जीवन को ठीक कर


लोकि य आशावादी ि य के बारे म अ सर कू ल म कहा जाता है क उनक “सफलता क सबसे यादा
संभावना” है, ले कन ाय: वे उतने सफल ही नह पाते ह। उनके पास िवचार होते ह, ि व होता है,
रचना मकता होती है, ले कन वे कसी िनि त समय पर इन सभी चीज़ म सही तालमेल नह बैठा पाते ह।
अगर उ ह संयोग से त काल सफलता िमल जाए, तो वे सफलता के आकाश म प च ँ जाते ह। ले कन अगर इसके
िलए योजना बनाने और वष तक मेहनत करने क ज़ रत हो, तो वे उस काम को छोड़कर दूसरी दशा म चले
जाएँगे। ब त से लोकि य आशावादी लोग हर कु छ साल बाद अपनी नौक रयाँ, यहाँ तक क कै रयर भी बदल
लेते ह। इसका कारण यह है क उ ह यह लगता है क वे इस सा ा य म संहासन तक नह प च ँ सकते, इसिलए
यहाँ से कह और चल देना ही बेहतर है।
ब त से लोकि य आशावादी ि पादरी बन जाते ह, य क उ ह मंच पर खडे होकर भाषण देना अ छा
लगता है और यह भी अ छा लगता है क स ाह म कम से कम एक घंटे तक “सबक िनगाह मुझ पर टक रहती
ह।” हालाँ क वे आकषक और मज़ेदार होते ह, ले कन अ सर उनक कोई तैयारी नह होती है और वे आिख़री
िमनट पर सब कु छ ठीक-ठाक करने क कोिशश करते ह।
म एक शादी म गई थी। यह शादी एक लोकि य आशावादी पादरी करवा रहे थे। पादरी शादी से पहले
बाहर िनकले, माइक लगाया और शु आती गीत क घोषणा क । अचानक उनके चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लग ।
उ ह ने अपना माइक िनकाला और काग़ज़ को खोजते ए इधर-उधर भागने लगे। पादरी वह डायरी भूल आए
थे, िजसम उ ह ने इस जोड़े के नाम िलखे थे और उ ह ज़रा भी याद नह था क उनके नाम या थे। शादी का
माच शु हो गया था, इसिलए उ ह भागकर अपनी जगह पर आना पड़ा। उ ह ने माइक लगाया और मेहमान
क तरफ़ देखकर खुलकर मु कराए। शादी क र म ब त ब ढ़या थी, ले कन उसम उ ह ने जोड़े को कई असामा य
क़सम दलवा द और उनके नाम का िज़ तक नह कया। अचानक पादरी के मन म एक ज़ोरदार िवचार आया।
उ ह ने दंपित से कहा क वे एक िमनट तक ख़ामोशी से िसर झुकाकर ाथना कर। फर उ ह ने बाक़ लोग से
कहा क वे भी अपने िसर झुकाकर आँख बंद कर ल और दंपित के उ वल भिव य के िलए ाथना कर। जब हम
उनके िनदश का पालन कर रहे थे, तो उ ह ने ज दी से अपना माइक उतारा, बग़ल वाले दरवाज़े से सरपट भागे,
आँगन के पार गए और अपने ऑ फ़स म घुस गए। त काल वे एक डायरी लेकर बाहर िनकले, दबे पाँव अपनी
जगह पर लौटे, अपना माइक लगाया और एक गहरी साँस ख चकर बोले, “आमीन।” फर उ ह ने अपनी डायरी
खोली और बाक़ का िववाह समारोह सही तरीक़े से आ। (ख़ामोश ाथना के कारण यादातर िसर झुक गए थे,
ले कन वाभािवक प से म चोरी-चोरी देखती रही और े ड ने घड़ी लगाकर देखा क पादरी को आने-जाने म
47 सेकड लगे थे।)
हालाँ क लोकि य आशावादी ि य के बारे म इस तरह क कहािनयाँ मज़ेदार होती ह, ले कन इनसे पता
चलता है क अ छे इराद के बावजूद वे कभी अपनी पूण संभावना तक नह प च
ँ पाते ह। लोकि य आशावादी
ि मेहनत नह करना चाहता है; कोई न कोई अड़ंगा हमेशा बीच म आ जाता है। उनके िलए आनंद काम से
यादा बल होता है।
परामश के अनुभव म मने पाया है क लोकि य आशावादी ि इस बात को सबसे ज दी मान लेता है
क उसे मेहनत करके ख़द को वि थत करना चािहए। वह वीकार करता है क वह जीवन म जो करना चाहता
था, उसे अब तक हािसल नह कर पाया है और वह सुधार करना चाहता है। म उसे यह दखाने म समय लगाती ँ
क उसे या करना है और फर म उसे वह काम करने के िलए भेज देती ।ँ उसके इरादे नेक ह, ले कन बीच म
मौज-म ती के काय म आ जाते ह और वह आ म-सुधार के काम को नह कर पाता है। जब तक उसे याद आता है
क उसे ख़द को बदलना है, तब तक उसके काम क सूची ही खो जाती है और वैसे भी शायद वह उस पर अमल
नह कर पाता।
या यह आपका वणन लगता है? लोकि य आशावादी ि यो, आपके पास दुिनया म सबसे यादा मता
है। ऐसा ि कसी भी े म िशखर पर प च ँ सकता है, ले कन उसके िलए आपको अपने जीवन को आज ही
वि थत करना होगा। अगर आप कल तक इं तज़ार करगे, तो कोई न कोई अड़ंगा बीच म आ जाएगा।
समाधान 2 : प रप बन
लड़कपन वाले लोगो!
लोकि य आशावादी ि य , उथले दय क लड़को
शे सिपयर कृ ितय के बारे म जानते थे और लोकि य आशावादी ि य के बारे म िलखते समय उ ह ने
उनक एक ब त बड़ी कमज़ोरी क तरफ़ इशारा कया है - प रप न होने क इ छा। लोकि य आशावादी
ि पीटर पैन क तरह रहते ह और वे दुिनया क कठोर वा तिवकता का सामना करने के बजाय नेवर-नेवर
लड म उड़ना पसंद करते ह।
कोई भी िबज़नेस या िववाह तब तक अ छी तरह नह चल सकता, जब तक क एक या दोन पाटनर
प रप न ह । प रप ता का उ से कोई संबंध नह है। इसका संबंध तो अपनी िज़ मेदा रय का सामना करने
और उ ह पूरा करने क यथाथवादी योजना बनाने क इ छा से है।
डेिवड िच लाया, “ओह काश मेरे पास फ़ा ता जैसे पंख होते! तब म उड़कर दूर चला जाता...” (भजन
55:6)। ले कन वह मुि कल से दूर नह भागा, उसने डटकर उनका सामना कया, मुि कल समय म ई र क
मदद माँगी और ब त बड़ी बाधा को पार कया, िज ह पार करना असंभव नज़र आ रहा था।

याद रख
लोकि य आशावादी ि को दैवी
सहायता क ज़ रत होती हे|
दैवी सहायता के िबना वह कै से :
अपनी ज़बान पर लगाम लगा सकता है।
अपने अहम् पर क़ाबू पा सकता है।
अपने बारे म यथाथवादी ढ़ंग से सोच सकता है।
अपनी याददा त को सुधार सकता है।
( मरण शि ई र देता हे!)
दूसर क चंता कर सकता है।
खुद के बजाय दूसर क तरफ़ देख सकता है।
क़ मत का अनुमान दन गा सकता है।

म ईसा मसीह क मदद से सारे काम कर सकता ँ,


य क वे ही मुझे शि देते ह।
फ़िलिपय स 4:13
अ याय 9

आइए पूण िनराशावादी ि


को ख़श रहना िसखाएँ

पूण िनराशावादी ि िवरोधाभास का अ ययन है। उसके उ बंद ु सबसे ऊँचे और िन बंद ु सबसे नीचे होते
ह। उसे कृ ितय का अ ययन करना पसंद होता है, य क इससे उसे िव ेषण करने के साधन िमलते ह, िजनसे
वह अपना अवलोकन कर सकता है। ले कन इसके बाद वह कृ ितय का ितरोध करने लगता है, य क उसे
लगता है क यह िस ांत ब त सरल है, समझने म आसान है और इतना गहरा नह है क इसे मह वपूण माना
जाए। वह नह चाहता है क उस पर लेबल िचपकाकर उसे कसी समूह म रख दया जाए, य क उसे लगता है
क बाक़ कृ ितय के िवपरीत वह इतना अनूठा तथा ज टल है क वह ख़द को भी नह जानता है और उसे कसी
समूह म दूसरे लोग के साथ रखा जाना तो िबलकु ल भी उिचत नह है।

असामा य ?
पूण िनराशावादी ि के बारे म एक आ यजनक स ाई यह है क उसे यह िव ास होता है क दुिनया म वह
अनूठा है और उसके जैसा कोई नह है। वह ख़द के सामने हमेशा यह सािबत करता है क वह सही है और पूरी
दुिनया गलत है। वह सोचता है क अगर दूसरे लोग उसके जैसे बन जाएँ, तो वह ख़श रह सकता है।
हमारे सेिमनार का एक आ यजनक फ़ायदा यह होता है क इसम पूण िनराशावादी ि य को यह
समझ म आ जाता है क वे असामा य नह ह। दूसरे लोग भी उनक तरह सोचते, देखते और काम करते ह। जब
हम पसनैिलटी ोफ़ाइल के कोर के अनुसार ितभािगय के समूह बनाते ह, तो पूण िनराशावादी ि
अिन छा से अपने समूह म शािमल होते ह। वे “खेल खेलना” नह चाहते ह और ई र न करे क उ ह खुश रहने
और मज़े करने को कहा जाए! बहरहाल, समूह के साथ जाने पर उ ह ऐसा लगता है, जैसे कोई पदा उठा दया
गया हो। वे सभी अपनी कु सय को सही तरीक़े से टेबल तक ख चते ह। उन सभी के कपड़े बेदाग़ होते ह। उन
सभी के हाथ म पेन होता है और वे सभी एक-दूसरे के ित शंकालु होते ह।
जब वे चार तरफ़ देखते ह तथा समूह का िव ेषण करते ह, तो उनक समझ का दायरा और बढ़ जाता है। वे
देखते ह क वे एक से ह। जब वे ख़ामोशी से एक-दूसरे का अवलोकन करते ह, तब जाकर उ ह कृ ितय के
अ ययन क ासंिगकता समझ म आती है। जब समूह म प दख रही एक पता समझ म आती है, तो कई बार
तो इ ा-दु ा लोग के चेहरे पर मु कान भी आ जाती है।
एक आदमी ने मुझे बताया क हमारे सेिमनार म ए इसी तरह के स े अनुभव ने उसके वैवािहक जीवन को
बदलकर रख दया। वह अपनी लोकि य आशावादी प ी के ज़ोर देने पर हमारे सेिमनार म आया था। उसक
प ी उसे दो बार पहले भी छोड़कर जा चुक थी और तीसरी बार भी जाने वाली थी। उस आदमी क नज़र म
उसक सारी सम या क जड़ उसक प ी थी : वह हर बात को ब त सतही तौर पर लेती थी, उसने ब को
र त देकर अपनी तरफ़ कर िलया था और वह 28 साल के वैवािहक जीवन के बाद भी घर का काम अ छी तरह
नह कर पाती थी। वह घर म अके ला रहता था। वह शारी रक, मानिसक तथा भावना मक दृि य से एक कोने म
दुबक जाता था और आठ ब को पालने का काम प ी के भरोसे छोड़ देता था।
जब वह उस दन फ़ िन स म पूण िनराशावादी ि य के समूह म गया, तो उसके मन म कु छ सीखने क
िबलकु ल इ छा नह थी। उसने मुझे बताया क जब उसने टेबल पर चार तरफ़ देखा और उसे अपने ही जैसे लोग
दखे, तो उसे सदमा प च
ँ ा था।
उसने कहा, “उसी पल मुझे यह नज़र आ गया क इतने साल से मेरी प ी मुझे कस प म देख रही थी।
मुझे दूसर के चेहर म अपना ित बंब दखाई दे रहा था। मुझे गहराई और ल य क गंभीरता दख रही थी,
ले कन साथ ही े ता का नज़ रया और हा यबोध का अभाव भी दख रहा था। उस रात घर प च ँ कर मने
अपनी प ी से माफ़ माँगी क म 28 साल से भावहीन यायाधीश क भूिमका िनभा रहा ।ँ आँख म आँसू
भरकर वह बोली, 'ई र का शु है! मने कभी सोचा भी नह था क तुम ख़द को उस तरह से देख पाओगे, िजस
तरह दूसरे तु ह देखते ह।'
“जब मने गमजोशी और प ाताप से उसे बाँह म िलया (इतनी गमजोशी मने पहले कभी नह दखाई थी),
तो म जान गया क हमारी वैवािहक सम या का उपचार हो गया था।”
अगर हम अपनी मूलभूत कृ ित के गुण क जाँच कर, तो हम कतना कु छ सीख सकते ह!

सम या : पूण िनराशावादी ि आसानी से उदास हो जाते ह

समाधान 1 : यह जान ल क उदास लोग को कोई पसंद नह करता है


कोलमैन ने एक काटू न बनाया था, िजसका शीषक था “पु ष और मिहलाएँ।” इसम पित-प ी आमने-सामने
खड़े थे। पु ष उदास (depressed) दख रहा था और मिहला कह रही थी, “अगर तुम ख़श होते समय ऐसे दखते
हो, तो दुखी होते समय कै से दखते हो?” पूण िनराशावादी ि य के बारे म कई बार यह बताना ब त मुि कल
होता है क वे खुश ह या दुखी, य क वे कभी ब त रोमांिचत नह होना चाहते ह और यह मानते ह क ज़ंदगी
गंभीर है - शायद उदास भी। पूण िनराशावादी ि सश ोधी ि य के चालाक भरे िनयं ण को देखकर
आहत हो जाता है। बहरहाल, उसे यह एहसास ही नह होता है क वह भी अपने मूड से दूसर को िनयंि त
करता है। जब लोग को यह पता चल जाता है क वह कन बात से िचढ़ता है, तो वे उसे उदास करने वाले काम
नह करते ह। यह अित-संवेदनशील संबंध ब त मुि कल होता है और लोग ऐसे ि से दूर रहने क भरसक
कोिशश करते ह।
पूण िनराशावादी ि यो, अगर आपको यह एहसास हो जाए क आप अपने मूड से या कर रहे ह, तो
आप ख़द को सुधार सकते ह। लोकि य आशावादी ि य को सु वि थत होने के िलए मेहनत करनी पड़ती है,
ले कन आपको ख़श रहने के िलए मेहनत करनी पड़ती है। जब मने अपने बेटे को यह िस ांत बताया, तो उसने
जवाब दया, “ले कन म खुशी महसूस ही नह करता ।ँ ”
“तु ह ख़शी महसूस करने क ज़ रत भी नह है, बस खुश दखो। म असली उदासी के बजाय नक़ली ख़शी
को यादा पसंद क ँ गी।”
यह जान ल क उदास लोग को कोई भी पसंद नह करता है। अगर आपके पास फाँसी पर लटककर
आ मह या करने के सारे कारण ह , तब भी कोई उनके बारे म नह सुनना चाहेगा। पूण िनराशावादी ि य क
दुखी होने क वृि भी बढ़ने लगती है। वे इस नतीजे पर प च ँ ते ह क अब कोई भी उनसे यार नह करता है
और फर वे ख़द को सही सािबत करने के िलए चल पड़ते ह। एक िवधवा को लगा क वह अके ली पड़ गई है और
कोई उसक तरफ़ यान नह देता है। चच से एक भली मिहला ने आकर उससे पूछा, “कै सी हो?”
पूण िनराशावादी ि जीवन को गंभीरता से लेता है, इसिलए िवधवा ने उस मिहला क िपछले महीने क
हर सम या के बारे म बता दया। उसने पूरे िव तार से अपना दुखड़ा सुनाते ए आिख़र म कहा – “और कोई भी
कभी मुझसे िमलने नह आता है।”
भली मिहला चुपचाप बाहर िनकली और उसने यह फ़ै सला कया क वह दोबारा उस मिहला से िमलने नह
आएगी। फर उस िवधवा ने इस भली मिहला का नाम भी उन लोग क सूची म जोड़ दया, जो अब उससे
िमलने नह आते ह। इस तरह इस पूण िनराशावादी िवधवा ने अपने नकारा मक िव ास को बढ़ा िलया। अगर
पूण िनराशावादी ि यह समझ ल क कोई भी उदास लोग को पसंद नह करता है, तो वे जीवन के ित
अपने िनराशाजनक नज़ रए को कम करने क दशा म मेहनत कर सकते ह।

समाधान 2 : सम या को न खोज
पूण िनराशावादी ि हर चीज़ को ब त ि गत प से लेते ह और अ सर सम या को खोजते रहते
ह। एक मिहला ने मुझे बताया था, “मेरे पित इतने नकारा मक ह क अगर हम कोई बुरी फ़ म देखते ह, तो वे
मुझे ऐसा एहसास करा देते ह जैसे मने ही उसे बनाया है।”
पूण िनराशावादी ि य को ख़ास तौर पर लोकि य आशावादी/सश ोधी ि य के साथ मुि कल
आती है, य क इन कृ ितय के लोग प रणाम क परवाह कए बगैर कु छ भी बोल देते ह। पूण िनराशावादी
ि हर वा य कहने से पहले उस पर अ छी तरह िवचार करते ह और पहले से योजना बना लेते ह, इसिलए
उ ह लगता है क दूसरे भी ऐसा ही करते ह गे। यही वजह है क वे हर बात का गहरा िव ेषण करते ह और िछपे
ए अथ क तलाश करते ह।
पूण िनराशावादी ि यो, जब आप कृ ितय क िभ ता के बारे म समझने लगगे, तो आपके मन से एक
भारी बोझ हट जाएगा। तब आपको शायद पहली बार यह एहसास होगा क लोकि य आशावादी/सश ोधी
ि आपके पीछे नह पड़े ह। उ ह ने आपसे जो बात कही है, उस पर उ ह ने यादा नह सोचा और िनि त
प से उ ह ने आगे क योजना नह बनाई थी। जब आप अपने बजाय दूसर क कृ ित के गुण के आधार पर
उनका मू यांकन करना सीख लगे, तो लोग के बारे म आपका दृि कोण पूरी तरह बदल जाएगा। तब आप हर
ग़ज़रने वाले ि को मु कराकर देख सकते ह और मुि कल क तलाश बंद कर सकते ह।
पूण िनराशावादी ि अ सर अके लापन महसूस करते ह। वे अ सर सोचते ह क उ ह सामािजक
काय म म य नह बुलाया जाता है। बहरहाल, जब कोई उ ह बुलाता है, तो वे अ सर अपनी नकारा मक
ित या से लोग को दूर भगा देते ह। एक दन हमने एक मिहला को पाट म अपने घर आने का आमं ण
दया। उ साह दखाने के बजाय उसने यह जवाब दया, “देिखए, म पूरे दन बाहर र ग
ँ ी और कोई काम नह कर
पाऊँगी, इसिलए रात बबाद होने से भी मुझे कोई द क़त नह होगी।”
कई बार पूण िनराशावादी ि कसी सकारा मक ि थित को नकारा मक ि थित म भी बदल सकता है।
जब म िपछली बार हेयर स े र के यहाँ गई, तो उसने मेरे बैठते ही आह भरकर बताया, “म आपक बेटी के कारण
परे शान ।ँ ” मने सोचा क मे रटा अपॉइं टमट लेने के बाद देर से आई होगी, इसिलए मने पूछा, “उसने या
गड़बड़ कर दी?” हेयर स े र ने जवाब दया, “वह मेरे पास नए ाहक भेजती रहती है। उसने इस महीने कम से
कम दस नए ाहक भेज दए और इससे भी बुरी बात यह है क उन ाहक को मेरा काम पसंद आ गया है,
इसिलए वे बार-बार आ जाती ह!”
एक सहेली ने मुझे यह सूची भेजी है, जो उसे अपनी नानी क टेबल क दराज़ म िमली थी :
जीन ने मुझे दो साल से समस काड नह भेजा
यू ने मुझे चूमकर गुड-बाई नह कया
ईविलन अपने अहाते म आई थी, ले कन उसने मुझे देखकर कु छ
नह कहा
मेरे कहने के बावजूद थ मुझे घुमान नह ली गई
हेज़ल अपने नानाजी से िमलन नह आई और उसका कहना है क
वह उनक िज़ मेदारी नह उठाएगी।
कौन जाने नानी इस जानकारी का या करना चाहती थ , ले कन उ ह ने ये सारी बात इसिलए िलखी थ ,
ता क वे इ ह भूल न जाएँ।
पूण िनराशावादी ि य को नकारा मक बात याद रहती ह। इस िस ांत क जाँच के िलए मने
संगीतकार के एक समूह से पूछा क या उ ह अपने कू ल क कोई ऐसी घटना याद है, जब कसी टीचर ने उ ह
सज़ा दी हो। त काल सभी ने अपने हाथ उठा दए और फर तीस िमनट तक वे पूरे िव तार से उस घटना के बारे
म बताते रहे।
एक ने कं डरगाटन क उस टीचर के बारे म बताया, िज ह ने उसे खाने क चीज़ पर सज़ा दी थी; एक पर
अपने आगे बैठी लड़क के बाल ख चने का ग़लत आरोप लगाया गया था, जब क यह काम हरी शट वाले लड़के ने
कया था। एक तो उस टीचर से अब भी नाराज़ था, िजसने उसक शट पर िपन से एक नोट लगा दया था,
िजसका यह मतलब था क वह इतना माट नह था क उसे घर ले जा सके ।
े ड को भी अपने बचपन क ब त सी घटनाएँ याद ह, जब उनके साथ अ याय आ था। वे पाँच ब के
प रवार म तीसरे थे और उ ह लगता था क वे इतने बड़े भी नह थे क उ ह अिधकार िमल सक और इतने छोटे
भी नह थे क उ ह लाड़ कया जा सके । पा रवा रक फ़ म देखते समय वे अ सर आँसू बहाने लगते थे और उनके
भाई उ ह “रोतला” कहकर िचढ़ाते थे। हालाँ क अब वे जान चुके ह क उनक सम याएँ उनक पूण िनराशावादी
कृ ित के कारण बढ़ गई थ , ले कन उ ह अब भी नकारा मक बात पूरी प ता से याद ह।
मेरा पूण िनराशावादी बेटा े डी नकारा मक बात से रोमांिचत हो जाता है। जब कू ल का एक िह सा आग
म जल गया, जब नशेिड़य को पकड़ने के िलए पुिलस आई और आठव ेड के आधे ब े जेल चले गए, तब वह
रोमांिचत हो गया। दुघटना से कम कोई भी चीज़ उसे रोमांिचत नह कर पाती है और उसे नकारा मक बात पर
यान क त करने म मज़ा आता है।
यह मानना ता कक है क जब कोई ि नकारा मक बात पर यादा मानिसक ऊजा लगाता है, तो वह
आसानी से उदासी का िशकार बन सकता है। पूण िनराशावादी ि को सकारा मक बात पर यान क त
करना चािहए। िजस पल उसे लगे क वह कसी भी चीज़ के नकारा मक पहलू पर यान क त कर रहा है, तो
उसे उन िवचार को अपने दमाग से बाहर िनकाल देना चािहए। “िजसका मि त क आप पर क त है, आप उसे
पूण शांित दगे ...” (इसाक 26:3) “... अगर कोई गुण है और अगर कोई शंसा के क़ािबल बात है, तो उसके बारे
म सोची” ( फ़ल 4:8)।

समाधान 3 : इतनी आसानी से आहत न ह


पूण िनराशावादी ि य को आहत होने का शौक़ होता है, य क इस तरह वे अपनी नज़र ख़द पर जमा
लेते ह और अपने साथ ए “अ याय” के बारे म सोचते रहते ह। मेरे पित े ड क कशोराव था म गहरी पूण
िनराशावादी कृ ित थी। एक दन उनका यान इस तरफ़ गया क उ ह रिववार को रो ट के बीफ़ का बाहरी
िह सा नह िमल रहा है। चूँ क प रवार के सभी लोग मसालेदार िह स को पसंद करते थे, इसिलए यह िह सा
े ड को नह िमल पाता था। े ड को लगा क उ ह जान-बूझकर नज़रअंदाज़ कया जा रहा है, इसिलए उ ह ने
एक ‘रो ट बीफ़ चाट” बना िलया। सोलह ह त तक उ ह ने हर रिववार को इसम रकॉड रखा : 12 जनवरी,
एडी आंटी और िडक; 19 जनवरी, टीव और दादाजी ... एक दन उनके कमरे क सफ़ाई करते समय उनक माँ ने
डे क से सामान उठाया। वहाँ उ ह नाम और तारीख वाली यह अजीब सी सूची दखी। जब े ड घर लौटे, तो माँ
ने उनसे पूछा क यह कै सी सूची है। उ ह ने संतुि के साथ माँ को बताया, “यह इस बात का रकॉड है क रो ट
बीफ़ के बाहरी िह से कब कसे िमले। आप ख़द देख लीिजए, सोलह ह त म मेरा नाम एक बार भी नह आया
है। अब मुझे इस बात का सबूत िमल गया है क मेरे साथ कतना भेदभाव कया जाता है।”
उनक सश ोधी माँ को िव ास ही नह हो रहा था क उनका बेटा संडे के रो ट बीफ़ के बाहरी िह स
का रकॉड रखने म समय बबाद कर रहा था। उ ह पता नह था क े ड को नकारा मक स ाइय म आनंद
िमलता था।
ब त से पूण िनराशावादी ि आहत होने क कोिशश भी करते ह। शु आत से ही पूण िनराशावादी ब े
ितर कृ त या उपेि त महसूस करते ह। एक उदाहरण देख :

समस पर छह साल का जोशुआ असंतु था, जैसी क उ मीद थी। सबसे पहले तो उसने अपने और अपनी
किज़न लॉरा को “िखलौन ” को तोहफ़ को देखा। उसने पाया क लॉरा को यादा िखलौने िमल थे। हालाँ क
जोशुआ को नए कपड़े और टार वास बे डंग िमल थे, ले कन लॉरा के यादा िखलौने देखकर उसक चहरे
पर आँसू बहने लगे और वह रोते-रोते बोला, “सांता लॉज़ लॉरा को यादा यार करते ह।”

समाधान 4 : सकारा मक बात क तलाश कर


पूण िनराशावादी ि उस आलोचना को भी सँजोकर रखते ह, जो कसी ने क ही नह । अगर उ ह कमरे
म कह अपने नाम का िज़ सुनाई देता है, तो उ ह यक़ न हो जाता है क लोग उनक बुराई ही कर रहे ह गे।
इसके िवपरीत लोकि य आशावादी ि यह महसूस करते ह क अगर उनके बारे म कोई बात हो रही होगी,
तो वह अ छी ही होगी। वे पुरानी कहावत म यक़ न रखते ह, “ चार कभी बुरा नह होता है।”
पूण िनराशावादी मि त क रे िडयो के डायल क तरह होता है, िजस पर नकारा मक टेशन लगा होता है।
बहरहाल, अगर ऐसे ि काले बादल के नीचे बैठने के बजाय सुनहरी लक र क तलाश करने का फ़ै सला कर
ले, तो इस ि थित को बदला जा सकता है। लोग म सव े क तलाश कर और नकारा मक अनुभव के िलए ई र
को ध यवाद देकर उससे पूछे क आप इस घटना से या सकारा मक सबक़ सीख सकते ह। “... वह ि सुखी है,
िजसने ई र म िव ास कया है” ( ोव स 16:20 टीएलबी)।

समाधान 5 : लो अवे द लैक लाउ स पु तक पढ़


अपनी पु तक लो अवे द लैक लाउ स (हाव ट हाउस) म मने अवसाद के ल ण और आ म-सहायता,
बाहरी सहायता और आ याि मक सहायता के े का गहन अ ययन कया है। इसे पढ़ने के बाद सभी कृ ित के
ि अवसाद के बारे म समझ लगे। यह पु तक ख़ास तौर पर पूण िनराशावादी ि य क मदद करे गी।

याद रख
सकारा मक बात को बढ़ावा द।
नकारा मक बात को ख़ म कर।

सम या : पूण िनराशावादी ि य म हीनता क भावना होती है

समाधान 1 : अपनी असुर ा के ोत को खोज


अपने पैदाइशी नकारा मक झुकाव के कारण पूण िनराशावादी ि अपना सबसे कठोर मू यांकन करते ह।
वे सामािजक माहौल म असुरि त महसूस करते ह। आम तौर पर वे लोकि य आशावादी जीवनसािथय के ित
आक षत होते ह, जो उनक तरफ़ से भी बातचीत कर सक। म ब त से पूण िनराशावादी ितभाशाली ि य
से िमली ,ँ जो रा ीय याित पा चुके ह। ले कन अगर िडनर पाट के व त उनसे दो श द बोलने को कहा जाता
है, तो वे दहशत म आ जाते ह। पूण िनराशावादी ि य क हीन आ म-छिव अ सर उस आलोचना का
प रणाम होती है, जो उनके बचपन म माता-िपता और टीचस ने क थी। चूँ क ऐसे ि नकारा मक बात को
इक ा करते ह, इसिलए लोग उनके साथ अ सर ऐसी बात करते ह। मिहला के लब म मने अ सर देखा है क
जो ेिसडट आलोचना से भािवत होती है, उसक आलोचना यादा होती है। जो आलोचना क चंता नह
करती है, उसे यादा तंग भी नह कया जाता।
मने मिहला के िलए एक आ म-छिव चाट बनाया है। इसम उनसे पूछा गया है क उनके बाल, वज़न,
आँख , ितभा, आ याि मकता और ऐसी ही अ य चीज़ के बारे म उनक राय या है। जब हर मिहला अपने बारे
म राय िलखती है, तो म उससे सूची पढ़ने और यह बताने को कहती ँ क उसने यह राय कसक बात सुनकर
बनाई थी। या उसक माँ ने उसे बताया था क उसके बाल बुरे ह? या उसके िपता ने कहा था क उसक बुि
यादा तेज़ नह है? इस आसान अ यास क करते समय मिहला को अपने बारे म आ यजनक जानकारी
िमलती है। उ ह यह एहसास होने लगता है क उनक हीनता का कारण या है। फर म उनसे यह मू यांकन
करवाती ँ क या उनक राय आज भी ासंिगक है या फर यह अ ासंिगक हो चुक है। अगर यह ासंिगक है,
तो हम सुधार क योजना पर काम करते ह। अगर यह का पिनक है, तो वे ई र से ाथना करती ह क वे इस
तरह क का पिनक नकारा मक बात को उनके दमाग़ से हटा द। “हे ई र, मेरी ाथना सुनो और मदद क मेरी
पुकार अपने तक प च
ँ ने दो” (भजन 102:1) ।

समाधान 2 : “झूठी िवन ता” के माण सुन


चूँ क पूण िनराशावादी ि य क आ म-छिव हीन होती है, इसिलए वे िछपे ए तरीके से शंसा चाहते
ह। वे इस तरह क बात कहते ह : “म कभी कोई काम ढंग से नह कर पाती ।ँ मेरे बाल हमेशा िबखरे रहते ह।
मुझे कभी समझ म नह आता है क या पहनू।ँ ” इस तरह क बात कहते समय उ ह लगता है क वे िवन ता
दखा रहे ह, जब क असल म वे हर वा य के साथ लाल झंडा लहरा रहे ह और कह रहे ह, “म असुरि त ।ँ ” पूण
िनराशावादी ि दरअसल अपनी छिव को बेहतर बनाने क माँग कर रहे ह और हम तारीफ़ करने के िलए
मजबूर कर रहे ह, िजसे वे नकार सकते ह।

याद रख
पूण िनराशावादी ि य म सफलता
पाने क सबसे यादा मता होती है।
अपने सबसे बुरे दु मन न बन।

सम या : पूण िनराशावादी ि टालमटोल करते ह

समाधान 1 : शु करने से पहले “सही सामान” जुटा ल


पूण िनराशावादी ि पूणतावादी होते ह, इसिलए वे अ सर इस डर से कोई काम शु नह करते क वे
सही काम नह कर पाएँग।े शांत संतोषी ि भी टालमटोल करते ह, ले कन उनके मामले म इसका कारण यह
होता है क वे उस काम को नह करना चाहते। पूण िनराशावादी ि इस कारण टालमटोल करते ह, य क वे
काम को आदश तरीक़े से करना चाहते ह।
जब हम कनेि टकट म रहते थे, तो पूण िनराशावादी े ड ने एक यूिज़क िस टम लगाने का फ़ै सला कया।
इसक शु आत करते ए उ ह ने िल वंग म क दीवार म एक बड़ा छेद कया और उसम एक पीकर लगा
दया। टनटेबल एक अलमारी म बंद थी, ले कन पीकर कमरे का मुख बंद ु बन गया और सजावट को िबगाड़ने
लगा। मने कोिशश क क वे इस काले छेद पर कोई चीज़ - कोई भी चीज़ - लगा द, ले कन वे “सही चीज़” िमलने
का इं तज़ार कर रहे थे। मुझे एक त वीर िमली, जो म इसके ऊपर लटका सकती थी, ले कन इसके बाद भी
कनार से टू टा आ ला टर नज़र आ रहा था - इसके अलावा े ड मुझे वह त वीर नह लगाने देना चाहते थे,
य क इससे आवाज़ गड़बड़ होती थी। मेरा कोई भी सुझाव “सही” नह था। मने छेद के सामने िपयानो रख
दया और उसके ऊपर भजन क पु तक का ढेर भी लगा दया, ले कन उससे भी कोई फ़ायदा नह आ। मने
फू ल के बड़े गुलद त को रखने क कोिशश क , ले कन उनसे तो पीछे वाले काले छेद क तरफ़ और यादा यान
आक षत होने लगा। समस साल का सबसे अ छा समय था, य क मने एक बड़े पेड़ से उस छेद को ढँक दया
था और लोग पेड़ के बीच से आते संगीत को सुनकर काफ़ भािवत ए। दो साल बाद े ड ने हार मानते ए
कहा क वे कभी सही चीज़ नह खोज पाएँगे। तब मने एक कारपटर को बुलवाकर उस छेद के ऊपर एक के िबनेट
बनवा दया। ले कन इस बारे म मुझे े ड से कई महीन तक बात करनी पड़ी, तब जाकर उ ह ने कहा, “मुझे
लगता है क यही सही काम है।” पूण िनराशावादी ि यो, जब तक आपको “सही सामान” न िमल जाए, तब
तक अपनी योजना पर काम शु न कर, वरना बाक़ लोग िचढ़ सकते ह।

समाधान 2 : योजना बनाने म ब त यादा समय न लगाएँ


एक मिहला ने मुझे बताया क उसके पित ने नए आँगन को बनाने से पहले सारा सही सामान जुटा िलया
था। लॉन पर रखे सीमट के बोरे घास को कु चल रहे थे और एक पुराना ठे ला सामने वाले दरवाज़े के पास महीन
से पड़ा था। जब भी वह िशकायत करती थी, तो पित कहता था क वह तब तक आँगन नह बना सकता, जब तक
क उसके पास पूरे अहाते का मा टर लान न हो। वह अब भी लड के पंग क िडज़ाइन बना रहा है और मिहला
ने ठे ले म पौधे लगा दए ह।
अल न ने अपने पित से सामा य बुकशे फ़ बनवाने के िलए कहा। उसने के च बनाने म तीन महीने लगा
दए। जैक के पित ने अपने बेटे के ए े रयम को रखने के िलए टड बनाया। इसे बनाने से पहले उसने चार पेज म
लू ंट बनाए, जो जैक ने मुझे दखाए।
अगर म े ड से कोई त वीर टाँगने को कहती ,ँ तो उ ह इससे पहले दीवार का िव ेषण करना होता है।
हमेशा दीवार गड़बड़ होती है और यह पता चलने से बुरा लगता है। उ ह दीवार क ऊँचाई और चौड़ाई नापनी
पड़ती है और त वीर का आकार भी। उ ह सही तरह क क ल और एक छोटी हथौड़ी चािहए होती है, जो आम
तौर पर ग़ायब रहती ह। मने पाया है क अगर म कोई त वीर ज दी टाँगना चाहती ,ँ तो म सामने दखने वाली
पहली क ल को उठाती ँ और कसी भी पुराने जूते से उसे वहाँ ठ क देती ,ँ जहाँ म त वीर टाँगना चाहती ।ँ
अगर उसके बाद मुझे उसे थोड़ा िखसकाना होता है, तो म क ल उखाड़कर कु छ इं च दूर ठ क देती ।ँ कु छ समय
तक ऐसा करने के बाद मुझे सही जगह िमल जाती है। जब हमने आिख़री बार घर बदला था, तो े ड ने त वीर
उतारी थ । वे यह देखकर काफ़ परे शान ए थे क हर त वीर के पीछे क ल के कई छेद थे, िजन पर ला टर
करने के बाद ही हम मकान बेच पाए थे।

याद रख
अगर पूण िनराशावादी ि योजना बनाने म इतना यादा समय न लगाएँ, तो बाक़ अयो य लोग िबना
तैयारीन के आगे बढ़कर उनके काम को घ टया तरीक़े से नह कर पाएँगे।

सम या : पूण िनराशावादी कत लोग से अवा तिवक उ मीद करते ह

समाधान 1 : अपने मानदंड िशिथल कर


पूण िनराशावादी ि य के मानदंड ऊँचे होते ह, इसिलए वे हर काम को पूणता से करना चाहते ह,
ले कन जब वे अपने मानदंड दूसर पर लादते ह, तो यह गुण कमज़ोरी बन जाता है।
एक लोकि य आशावादी मिहला ने एक सेिमनार म कहा, “मने शादी के बाद एक भी ऐसा काम नह कया
है, िजसे मेरे पूण िनराशावादी पित ने नह सुधारा हो। जब म मर जाऊँगी, तो मुझे इस धरती पर वापस लौटकर
दोबारा मरना पड़ेगा, य क म वह काम भी पहली बार म सही तरह से नह कर पाऊँगी।”
जब मने पाम ं स म एक सेिमनार आयोिजत कया, तो एक ब त शालीन पूण िनराशावादी मिहला ने
आकर मुझसे कहा, “मने इससे पहले कृ ितय के बारे म कभी नह सुना। म सोच रही ँ क या इससे यह पता
चल सकता है क मेरे अजीब बेटे को आिख़र हो या गया है।”
फर उसने अपने घर के “सामा य” मानदंड के बारे म बताया। वह मिहला, उसका पित और एक बेटा पूण
िनराशावादी कृ ित के थे। वे हर चीज़ को सही तरह से रखते थे। मिहला पि का को कॉफ़ टेबल पर सीधी
लाइन म जमाकर रखती थी। पि का के ऊपर रखी दूसरी पि का इतनी नीचे रखी जाती थी, ता क उसके नीचे
वाली पि का का नाम नज़र आ जाए। पि काएँ टेबल के कनारे से ठीक दो इं च दूर रहती थ और हमेशा नई
दखती थ । अगला अंक आने तक कोई भी उन पि का को इसिलए नह पढ़ता था, ता क वे नई दखती रह।
एक दन उस मिहला का “अजीब बेटा” (जो दस साल का था) िल वंग म म आया, उसने सारी पि का को
फ़श पर फका, एक पि का का कवर फाड़ा और उसे गुड़ी-मुड़ी करके माँ के पैर पर फक दया। वह मिहला इस
असामा य वहार से इतनी परे शान हो गई क उसने अपने बेटे क मानिसक जाँच कराने के िलए एक बाल
मनोवै ािनक से अपॉइं टमट ले िलया।
सम या पर बातचीत करते समय मने उस मिहला को बताया क हालाँ क पूण िनराशावादी ि य को
उनके घर का माहौल सामा य लगता है, ले कन इस तरह का लगातार दबाव लोकि य आशावादी ब े के
पगलाने के िलए काफ़ है। लड़का अब इस गुिड़या के घर जैसे जीवन को यादा नह इोल सकता। कृ ितय को
जानने से दूसर के साथ वहार करने म मदद िमलती है। मिहला के मानदंड ऊँचे थे, जो उसके और घर म मौजूद
दो अ य पूण िनराशावादी ि य के िहसाब से ब त ब ढ़या थे, ले कन उ ह लोकि य आशावादी ि पर
लादना असंभव था। जब वह इस बात को समझ गई, तो उसने कहा, “मुझे लगा था क वह मानिसक प से
बीमार है।”
मने जवाब दया, “अगर आप यही करती रह , तो वह सचमुच हो जाएगा।”

समाधान 2 : इस बात के िलए कृ त ह क आप अपने वभाव को समझते ह


कृ ितय का अ ययन पूण िनराशावादी ि य के िलए ब त मह वपूण है। जब वे यह समझ लेते ह क
लोग अलग-अलग तरह से वहार और ित या य करते ह, तो वे सकारा मक तरीक़े से प रवार और िम
के साथ संबंध सुधारने का काम कर सकते ह।
कई पूण िनराशावादी ि य को महसूस होता है क उनके साथ कोई गड़बड़ है, य क वे दूसर क तरह
खुशिमज़ाज और म त नह ह। लोग उनसे ख़श होने को कहते ह, ले कन इसके बजाय वे िसमट जाते ह। ब त से
पूण िनराशावादी ि य ने मुझे बताया है क जब उ ह यह एहसास आ क वे मानिसक प से बीमार नह ह,
बि क उनक कृ ित चार मूलभूत कृ ितय म से एक है, तो उनके दमाग से ब त बड़ा बोझ हट गया।
ले युना से लंडा ीबर िलखती ह :

मेरे िलए इस बात को श द म बताना मुि कल है क कृ ितय पर िलखा यह खंड कतना मू यवान था। यह
यक़ न करना मुि कल है क यह िह पो े टीज़ िजतना ही पुराना है, ले कन मुझे यह जानकारी पहली बार
िमली है। म पूण िनराशावादी ँ और कृ ितय के बारे म जानने से मेरे दमाग क कई गुि थयाँ सुलझ गई
ह। म आपको बता नह सकती क दो त के कारण म कतनी बार आहत ई ।ँ अब म आसानी से देख
सकती ँ क मेरी यादातर सहेिलयाँ लोकि य आशावादी थ । वे मुझे चोट नह प च ँ ाना चाहती थ ,
ले कन म उनक तुलना म कु छ यादा ही संवेदनशील ।ँ इस बात से मुझे सबसे यादा हैरानी ई है क इसे
समझना इतना आसान है। अब म पूरी त वीर देख सकती ।ँ मुझे नह लगता क मेरी सहेिलयाँ या
र तेदार पूण िनराशावादी ह। मेरी भावनाएँ बाक़ लोग से यादा बल ह और म तो यहाँ तक सोचने
लगी थी क कह म मनोवै ािनक बीमारी का िशकार तो नह हो गई !ँ यह जानकर मेरे मन से ब त बड़ा
बोझ उतर गया है क म असामा य नह ,ँ बि क चार मूलभूत कृ ितय म से एक !ँ

याद रख
जीवन म हर चीज़ आदश नह हो सकती,
इसिलए आराम से रह।
बहरहाल! बाइबल हम याद दलाती है :

पूणता क कोिशश करो; मेरी बात सुनो; एकता से


रहो; शांित से रहो...
2 को रि थय स 13:11 जीएनबी
अ याय 10

आइए सश ोधी ि य
को थोड़ा शांत कर

लोकि य आशावादी ि अपनी कमज़ो रय को तु छ समझते ह, पूण िनराशावादी ि उ ह िनराशाजनक


मानते ह, जब क सश ोधी ि तो यह मानने से ही इं कार कर देते ह क उनम ऐसा कु छ है, जो कसी को
बुरा लग सकता है। चूँ क उनक मूल राय यह होती है क वे हमेशा सही होते ह, इसिलए ज़ािहर है वे यह नह
देख पाते ह क वे गलत भी हो सकते ह।
बचपन से ही सश ोधी ि हर हाल म जीतना चाहते ह और शमनाक हार से बचने का तरीक़ा खोज
लेते ह।
सश ोधी ायन पाँच साल का है। वह पुराने रीबॉक जूते पहनकर बथडे पाट म जाने के िलए तैयार है।
ले कन तभी उसक माँ उसे आदेश देती ह क वह अपने कमरे म जाकर अपने अ छे जूते पहन ले।
ायन ने साफ़ कह दया, “मुझे वे जूते पसंद नह ह।” उसक सश ोधी माँ ने जवाब दया, ‘मुझे परवाह
नह है क तु ह वे जूते पसंद ह या नह ह। बस उ ह पहन लो।”
ायन ने कहा, “म भूरे जूते नह पहनूँगा।”
“तो फर तुम पाट म भी नह जाओगे!”
अब ायन के सामने एक मुि कल आ गई। वह पाट म जाना तो चाहता था, ले कन भूरे जूते नह पहनना
चाहता था। उसका सश ोधी वभाव उसे हार नह मानने दे रहा था। उसक माँ कार चला रही थ और वह
अनुभव से जानता था क वे अपनी िज़द नह छोड़गी।
वह पल भर के िलए उलझन म दखा और फर उसके मन म सश ोधी ि का एक समाधान आया,
िजससे उसे अपनी हार िछपाने का मौक़ा िमल गया। ‘म भूरे जूते पहन लूँगा, ले कन पाट से लौटने के बाद म
उ ह कचरे म फक दूग
ँ ा और उ ह फर कभी नह पहनूँगा!"
ायन क लगा क वह जीत गया!

कोई-ग़लती नह
एक शाम एक वैवािहक सेिमनार के बीच म एक सश ोधी ि उ ेिजत होकर मंच पर आया। वह अपने
हाथ म कृ ितय से संबंिधत पच पकड़कर हवा म लहरा रहा था।
उसने िच लाकर कहा, “मुझम ये सारी शि याँ ह, ले कन एक भी कमज़ोरी नह है।” उसके पीछे उसक
शांत संतोषी प ी भी थी, जो अपना िसर िहलाकर नह कह रही थी, ले कन उसक कु छ कहने क िह मत नह
हो रही थी।
उस ि ने आगे कहा, “इसके अलावा ये बात कमज़ो रयाँ ह भी नह ।”
मने पूछा, “आपका या मतलब है?”
‘देिखए, अधीरता श द को ही ल। म कभी अधीर नह होता, बशत हर ि मेरा बताया काम करे और वह
उस काम को त काल कर दे!” सश ोधी ि क तरह उसने अपनी बात पर ज़ोर देने के िलए ले चर टड
पर मु ा मारा और िबना िझझके िन कष म वे श द कहे, जो िसफ़ सश ोधी ि ही कह सकता है,
“अधीरता मुझम गलत नह है; यह तो दूसर म ग़लत होती है।”
सश ोधी ि य के साथ यही द क़त है। इसी कारण वे सुधार करने क कोिशश नह करते ह। वे
हमेशा तक देकर सािबत कर सकते ह क उनके अवगुण ग़लत नह ह, वे तो दूसर म ग़लत होते ह। अगर सश
ोधी ि को अपने कठोर वभाव का यक़ न हो जाए, तो वह सबसे ज दी इस सम या को सुधार सकता है,
य क वह ल य-क त होता है और उसे खुद के सामने यह सािबत करना होता है क अगर वह ठान ले, तो कु छ
भी कर सकता है।

सम या : सश ोधी ि काम के दीवाने होते ह

समाधान 1 : आराम करना सीख


सश ोधी ि ब त मेहनती होता है और बाक़ कृ ितय वाले ि से यादा सफल हो सकता है,
ले कन इसका नकारा मक पहलू यह है क वह कभी चैन से नह बैठ सकता। वह हमेशा पूरी तेज़ी से आगे बढ़ता
रहता है और कभी अपने काम का ि वच बंद नह कर पाता। चूँ क े ड और म दोन ही आंिशक प से सश
ोधी ह, इसिलए आप यह क पना कर सकते ह क हमारे यहाँ कतनी स यता रहती होगी। खाली बैठने पर
हम अपराधबोध होने लगता है, य क हम लगता है क जीवन सतत उपलि धय और उपयोगी काम के िलए
बनाया गया है।
हर घर को बदलने के िलए बनाया गया है।
हर भोजन यादा अ छा बन सकता है।
हर ॉअर यादा साफ़ हो सकता है।
हर काम यादा तेज़ी से कया जा सकता है।

हमारे भीतर का सश ोधी वभाव हम हमेशा आगे धके लता रहता है। कभी खाली मत बैठो! अगर उठकर
कोई काम कर सकते हो, तो उसे अभी कर दी!

म एक बार अपनी एक शांत संतोषी सहेली को बता रही थी क मुझे ख़द को आराम करने के िलए मजबूर
करना पड़ता है और म यह सोचकर मजबूरी म सोती ँ क न द अ छी सेहत के िलए ज़ री है।
मने कहा, “आराम करते समय भी म यह योजना बनाती रहती ँ क उठने के बाद या क ं गी।”
मेरी सहेली ने जवाब दया, “यह तो बड़ी अजीब बात है क तुम आराम से लेटने के बजाय उठकर काम
करना चाहती हो। मेरे साथ िबलकु ल उलटा होता है। जब म जागती ,ँ तो पूरे समय सोचती रहती ँ क काश म
आराम से लेटी होती।”
हम दोन ही अपनी िभ ता पर हँस।े हम यह एहसास हो गया क सश ोधी ि काम का दीवाना
होता है, जब क शांत संतोषी ि आराम का दीवाना होता है।
िपछले साल े ड और मने फ़ै सला कया क हम आराम क स त ज़ रत है। मेरे भाई रॉन ने बहामा म एक
टापू पर जाने का सुझाव दया, जो इतनी दूर था क वहाँ हम मजबूरन आराम करना पड़ेगा। हम हवाई जहाज़ से
उस टापू क तरफ़ उड़ चले, जहाँ हमने आराम के िसवाय और कु छ न करने क योजना बनाई थी।
हम पहले दन ना ता नह िमला, य क जब तक हम नीचे प च ँ ,े तब तक टाफ़ जा चुका था! दूसरे दन
ना ते के बाद हम लोग उस लंबे, पतले टापू का मुआयना करने िनकले। हम टापू के ठीक बीच म थे और हमने
पाया क वहाँ पर हम िसफ़ दी ही काम कर सकते थे : दाई तरफ़ चलना या बाई तरफ़ चलना। लंच के समय तक
हम ये दोन ही काम कर चुके थे।
लंच के बाद े ड और म कमरे म आकर डबल बेड के कोने पर बैठ गए। े ड ने एक पैड बाहर िनकाला और
कहा, “मुझे लगता है क अब इन छु य को वि थत करने का समय आ गया है। अ छा यही रहेगा क हम
सुबह ज दी ना ता करने चल, ता क टाफ़ के जाने से पहले प च ँ सक। इसके बाद हम आराम से 9.30 पर अपने
बा थंग सूट पहन लगे। फर हम बाई तरफ़ घूमगे। चूँ क हम धूप सकना है, इसिलए हम 11 बजे तक समु तट पर
लेटगे। फर हम अपने कमरे म लौट आएँगे और कपड़े बदलकर लंच करने चलगे।”
मने िसर िहला दया। े ड ने एक-एक िमनट का िहसाब रखते ए शाम को 3 बजे तक का टाइमटेबल बना
दया, िजस समय हम दाई तरफ़ घूमने जाना था।
तभी मुझे एहसास आ क हम या कर रहे थे। िजन सश ोधी ि य को आराम क ज़ रत थी, वे
हर दन क योजना बना रहे थे, ता क उनक छु याँ बबाद न हो जाएँ। हालाँ क हम जानते थे क हमने इतनी
शांत जगह य चुनी है, ले कन चैन से बैठना हमारे वभाव के इतना िवपरीत था क हम अपने समय का यादा
से यादा फ़ायदा उठाने क योजना बना रहे थे!
सश ोधी ि य को यह एहसास होना चािहए क वे हाट अटैक के उ मीदवार ह, इसिलए उ ह
आराम से रहना सीखना होगा। म खुद को आराम करने के िलए िववश करती ँ और म इतनी अनुशािसत हो
चुक ँ क घर के बाहर रहते समय भी आधी रात से पहले सोने चली जाती ।ँ भले ही पाट चलती रहे, ले कन
म गुड नाइट कहकर सो जाती ।ँ
सश ोधी ि कभी आलस नह करता है, ले कन उसे यह एहसास होना चािहए क उसे हर व काम
करने क ज़ रत नह है।

समाधान 2 : हेन आई रीलै स, आई फ़ ल िग टी पढ़


सश ोधी ि य के िलए चैन से बैठना मुि कल होता है। टम हसल ने एक पु तक िलखी है, िजसे
पढ़कर लगता है क इसे सश ोधी ि य के िलए ही िलखा गया है। हन आई रलै स, आई फ़ ल िग टी
(डेिवड सी. कु क पि लके श स) नामक इस पु तक म वे कहते ह, “मुझे आराम करने म हमेशा द क़त आई है। मुझ
पर कम काम करने का आरोप शायद ही कभी लगा हो। मेरी सम या िबलकु ल उलटी थी। मुझे लगता था क
अगर दस घंटे काम करना अ छा होता है, तो चौदह घंटे काम करना और भी यादा अ छा होगा।”
फर वे दूसरे वकहोिलक ि य यानी काम के दीवान को चुनौती देते ह। “कह ऐसा तो नह क आपके
दन इतनी तेज़ी से गुज़र रहे ह क आप उनका पूरा आनंद नह ले पा रहे ह? या आपके जीवन क श दावली म
खेल और आराम श द अजनबी ह? आपने आिखरी बार पतंग कब उड़ाई थी, सैर-सपाटे के िलए ाइव पर कब
गए थे या अपने हाथ से कोई चीज़ कब बनाई थी? आिखरी बार आपने इतनी गहराई से आनंद कब िलया था क
आपके चेहरे से मु कान हट ही नह पा रही थी ? इस बात क काफ़ संभावना है क इन बात को ब त लंबा
अरसा हो गया होगा।”
टम ने े ड और मुझसे बातचीत क । उ ह ने हम बताया क हम अपनी छु य को वि थत करने या
अपने ब पर दबाव डालने क ज़ रत नह है। हम िबना अपराधबोध के आराम कर सकते ह। अपनी इस
कमज़ोरी पर खुलकर िवचार करने के बाद े ड और म साथ-साथ आनंद लेने लगे ह। मने हर स ाह उ ह अहाते म
काम करने के िलए मजबूर करना छोड़ दया है और अब मुझे यह नह लगता है क अगर मेरा घर हर समय
चमकता नह रहे, तो यह कोई पाप है।
सश ोधी ि य को आराम करना सीखना पड़ता है। इसे आज़माकर देख - हो सकता है यह आपको
पसंद आ जाए!
समाधान 3 : दूसर पर दबाव डालना कम कर द
सश ोधी ि म काम क अ भुत मता होती है। यह एक अ छी बात भी है और बुरी भी।
ावसाियक दृि से गित और उपलि ध क चाह रखने के कारण सश ोधी ि सबसे ऊपर रहता है। चाहे
वह पु ष हो या मिहला, ऐसा ि ल य क तरफ़ दौड़ लगाने के िलए त पर होता है। कसी भी अ य कृ ित
वाले ि क तुलना म सश ोधी ि कम समय म यादा हािसल कर सकता है। लोकि य आशावादी
ि तभी काम करता है, जब सश ोधी कृ ित का कोई ि उसे े रत करता है। पूण िनराशावादी कृ ित
का ि तो तभी काम करता है, जब सश ोधी कृ ित का ि उसे इस बात के िलए मजबूर कर देता है क
वह िव ेषण छोड़कर काम म जुट जाए। शांत संतोषी ि काम करने के बजाय दशक बनकर देखना पसंद
करता है और उसे ऐसे ल य िनधा रत करने के िलए ख़द पर ब त ज़ोर डालना पड़ता है, जो सश ोधी ि
म सहज प से होते ह। उपलि ध क यह वृित सश ोधी ि म ज मजात होती है। पुर कार क तरफ़
उसक तूफ़ानी दौड़ को देखकर बाक़ वभाव वाले लोग ठं डे पड़ जाते ह।
सश ोधी ि म एकिन मानिसकता होती है, िजस वजह से वह अपनी राह म कसी भी बाधा से
नह कता है। इसी वजह से वह बाक़ कृ ितय वाले लोग से ब त यादा सफलता हािसल करता है, ले कन
यह वृि दूसर को थका देती है।
डोरोथी शुला के पित डॉन िमयामी डॉि फ़ स के कोच ह। डोरोथी ने उनके बारे म कहा है, “मुझे पूरा भरोसा
है क अगर म कल मर जाऊँ, तो डॉन मेरी लाश को तब तक सुरि त रखने का कोई न कोई तरीक़ा खोज लगे,
जब तक क उनके खेल का सीज़न ख म न हो जाए और उनके पास अ छी अं येि करने क फ़ु रसत न हो।”
म आराम करने के बजाय काम करना चाहती ।ँ कु छ समय पहले मे रटा और म कार से फ़ िन स जा रहे थे।
रा ते म उसक कार पंचर हो गई और हम कार को जैस-े तैसे एक गैस टेशन तक ले गए। म पूरे रा ते अपने
पीकस े नंग सेिमनार क परे खा और नो स पर काम करती रही। म गहनता से अपने काम म डू बी थी। जब
हम गैरेज प च
ँ गए और कार के िपछले िह से म जैक लगाया जाने लगा, तो मने अपने सारे फ़ो डर कार के बोनट
पर म से जमा दए। तभी अचानक मुझे यह एहसास आ क म यह या कर रही ।ँ म अपने काम के ित
इतनी सम पत थी क म उसे छोड़ नह सकती थी। इसीिलए जब मेरे चार तरफ़ मैकेिनक काम कर रहे थे, तब
भी म एक अजीब से गैरेज म बोनट पर फ़ो डर रखकर काम कए जा रही थी। म आराम नह कर सकती थी, मुझे
काम का नशा था।
सश ोधी ि य को यह समझना होगा क उपलि ध क हमारी दीवानगी के कारण हमारे आस-पास
के लोग पर भयंकर दबाव पड़ता है। उ ह यह एहसास होने लगता है क अगर वे हर पल सरपट नह भाग रहे ह,
तो वे दोयम दज के नाग रक ह। डोरोथी शुला तो ख़द को डॉि फ़न से भी कम समझ रही ह गी। म अपने आस-
पास के काम करने वाल पर दबाव डालती ।ँ सश ोधी ि य को वकहोिलक बनने क इस आदत पर
क़ाबू पाने क कोिशश करनी चािहए, ता क लोग ख़शी-ख़शी उनके साथ रह, नवस ेकडाउन के डर से दूर न भाग
जाएँ।

समाधान 4 : आराम क योजना बनाएँ


चूँ क सश ोधी ि छु य म भी काम करना पसंद करते ह, इसिलए ऐसे कु छ ि य को एक नया
वसाय िमल गया है - आराम के समय के सलाहकार (leisure time counselors)। यह ता कक ही है क हम
सश ोधी ि अपने आनंद को काम बना ल और कसी को हमारे िलए आनंद क व था करने क फ़ स द!
25 फ़रवरी 1979 के परे ड के अंक म डॉ. चे टर मैकडॉवेल ने एक लेख िलखा था, “वे आपके आराम के समय को
वि थत करने म आपक मदद करते ह।” इस लेख म वे वकहोिलक या काम के दीवाने लोग के बारे म कहते ह,
“वे अपने आनंद से बचने के िलए हर तरह के अवरोध खड़े कर लेते ह और आराम करने के बारे म सोचकर भी
अपराधी महसूस करते ह। हम उन अवरोध को हटाने म मदद करते ह।”
काम के दीवान पर कए गए शोध से पता चलता है क उ ह दूसरी कृ ितय वाले लोग क तरह मनोरं जन
क ज़ रत नह होती है और वे अपने काम से ेम करते ह। बहरहाल, उनके साथ बाक़ लोग से यादा
मनोवै ािनक सम याएँ नह होती ह - इस त य से शोधकता को हैरानी होती है, जो बेशक पूण िनराशावादी
ि होते ह और गहरे व िछपे ए मानिसक िवकार क तलाश करते ह।
सश ोधी ि य को तो बस काम म मज़ा आता है।
11 अ टू बर 1981 के परे ड के अंक म एक लेख छपा था, “ या आपको आनंद लेना ब त बड़ा काम लगता
है?” इसम मैडिे लन कालाइल पूछती ह, “ या आनंद आपको तबाह कर रहा है? या इससे आपको बो रयत होती
है, जब क आपको उ ेरण क ज़ रत है? या चैन से बैठने के बारे म सोचने से ही आप तनाव म आ जाते ह?”
फर वे बताती ह क अगर हमारी नौकरी म शारी रक स यता क ज़ रत पड़ती है, तो यह ब त मह वपूण है
क हम शांित के समय क योजना बना ल और अगर हमारी नौकरी म शारी रक स यता क ज़ रत नह पड़ती
है, तो हम ायाम क योजना बना लेनी चािहए। सश ोधी ि य को कसी न कसी तरह आराम करने
क योजना बना लेनी चािहए।

याद रख
आराम करने म अपराधी महसूस करने क
कोई ज़ रत नह है।

सम या : सश ोधी ि हमेशा िनयं ण म रहना चाहते ह

समाधान 1 : दूसर के नेतृ व म रहना सीख


मने पाया है क बेहद सश ोधी ि िसफ़ तभी आरामदेह रहते ह, जब िनयं ण क बागडोर उनके
हाथ म हो। मे रटा एक बेहद सश ोधी युवक के साथ डे टंग करती थी, जो यूरोपीय और आकषक था। जब हम
उससे उसके इलाक़े म िमलते थे, तो उसका वहार शाही रहता था और वह हम तोहफ़े म महँगे पेन देता था
तथा अित र सेवा के िलए वे ेस को काफ़ अ छी टप देता था। ले कन जब वह हमारे घर आता था, तो वह
बेचैन रहता था और उसका वहार उतना शाही नह रहता था। उसके इस िवरोधाभासी वहार का िव ेषण
करने पर हम पता चला क िनयं ण म नह रहने पर वह असुरि त महसूस करता था।
सश ोधी ि को सामािजक ि थितय म ढलना सीखना चािहए और जब वह िनयं ण म न हो, तब
भी आराम से रहना सीखना चािहए। जब दूसरे िनणय ल और काय को वि थत कर, तो उसे द क़त नह
होनी चािहए। उसे उन काम म भी योगदान देना चािहए, िजनक योजना उसने नह बनाई है और िजनका
नेतृ व कोई दूसरा कर रहा है।

समाधान 2 : “कमज़ोर” लोग को िहक़ारत से न देख


सश ोधी ि म एक ब त बड़ी कमज़ोरी होती है। उसे यह दृढ़ िव ास होता है क वह सही है और
जो लोग उसके नज़ रए से चीज़ को नह देखते ह, वे ग़लत ह। उसे हमेशा पता होता है क कसी काम को सबसे
ज दी और सबसे अ छे तरीक़े से कै से कया जाता है। उसे यह िसफ़ पता ही नह होता है, वह आपको बता भी
देता है। इसके बावजूद अगर आप उसके तरीक़े का अनुसरण नह करते ह, तो उसके िहसाब से आप ब त बड़ी
ग़लती करते ह। सश ोधी ि दुिनया के िशखर पर खड़ा होकर उन लोग को िहक़ारत से देखता है, िज ह
वह अ सर “कमज़ोर” कहता है। े ता का यह नज़ रया सश ोधी ि के अधीन थ को मनोवै ािनक
नुक़सान प च ँ ा सकता है।
चूँ क सश ोधी ि को अपनी शि पर गव होता है, इसिलए वह दूसर क कमज़ो रय को िहक़ारत
से देखता है। उससे बीमार लोग बदा त नह होते ह। मेरी एक सहेली ने मुझे अपने सश ोधी पित के बारे म
बताया, “जब म बीमार हो जाती ,ँ तो वह मुझे िब तर म िलटा देता है और कहता है, ‘अब अ छी होने के बाद
ही उठना।’ इसके बाद वह दरवाज़ा बंद करके वहाँ से चला जाता है।”
म कु छ समय पहले एक सश ोधी व ा से िमली, िजसने मुझे बताया, “मुझे असुरि त लोग से नफ़रत
है। मेरा मन होता है क म उ ह उठाकर झकझोर दू।ँ ” दूसर क कमज़ो रय को बदा त न कर पाना सश ोधी
ि य क एक ब त बड़ी कमज़ोरी होती है। वे अपने से िभ लोग को नह समझ पाते ह और उ ह कमज़ोर
या मूख समझते ह। सश ोधी ि को लगता है क उसक योजना और िवचार से हर ि े रत हो
जाएगा, इसिलए उसे यह समझाना ब त मुि कल होता है क उसके दृढ़ नेतृ व से हर ि ख़श नह होता है।
जब सश ोधी ि कृ ितय के बारे म समझ लेता है, तो वह अपने नेतृ व को िविवध कृ ितय के
लोग के अनु प ढाल सकता है। अगर वह कृ ितय के बारे म अप रिचत रहेगा, तो वह सश ोधी ि य
को ही अपने आस-पास रखेगा और “कमज़ोर ” को पीछे कर देगा।

समाधान 3 : चालबाज़ी छोड़ द


सश ोधी ि दूसर से काम करवाने म उ ताद होते ह और उन लोग को यह एहसास भी नह होता
है क उनके साथ चालबाज़ी क गई है। लोकि य आशावादी ि लोग से काम करवाने के िलए आकषण का
सहारा लेता है, जब क सश ोधी ि चालबाज़ी का इ तेमाल करता है। ज़ािहर है, लोकि य आशावादी /
सश ोधी सि म ण वाला ि इतने आकषक अंदाज़ म चालबाज़ी करता है क आप यह सोचने लगते ह क
वह िवचार तो आपका ही है।
जब मे रटा बारह साल क थी, तो वह “जीसस माच” म जाना चाहती थी, जो पूरे दन चलने वाला था। म
उसे नह जाने देना चाहती थी, जब तक क मुझे यह िच ी नह िमली :
मे रटा को जीजस
माच म जाने दो। अगर
तुम यह सोच रही हो क म
कौन ,ँ तो म बता दूँ क म
ई र ।ँ म उसके साथ र ग ँ ा और
उसक र ा क ँ गा। अगर तुम उसे
जाने दोगी, तो वह शिनवार को
तु हारा काम कर देगी और तु हारे काम
को ई र का वरदान हािसल होगा।
म जनता ँ क तुम मे रटा को नही
रोकोगी और जाने दोगी,
ई र
ई र क इ छा का भला कौन िवरोध कर सकता है?
लॉरे न म मे रटा से भी यादा सश ोधी कृ ित है। वह ब त िनपुण चालबाज़ है। एक दन उसने मेरे
सामने एक का पिनक सवाल रखा। उसने अपनी कु ितया मोनी के बारे म पूछा, “अगर मोनी के अगले िप ले ह गे,
तो आप कसे यादा पसंद करगी, पाम ं स वाले चिपयन कु े के िप ले या सड़क के आवारा कु े के िप ले?”
म इस सवाल का जवाब देने म िझझक रही थी, य क म िनि त प से कु े के िप ले नह चाहती थी, िज ह
िखलाने और सफ़ाई क ज़ रत पड़े। ‘‘अगर मुझे िवक प चुनना ही हो (जो म िनि त प से नह चाहती )ँ , तो
म िनि त प से सड़क के आवारा कु े के बजाय चिपयन का िप ला चा ग ँ ी।”
लॉरे न फ़ौरन इस बात से सहमत हो गई। “म जानती थी क आपका नज़ रया भी यही होगा। अब बुधवार
को म इसक व था करने जा रही ।ँ मुझे इसके िलए साढ़े तीन सौ डॉलर क ज़ रत होगी और आप इसका
इं तज़ाम दो तरीक़ से कर सकती ह। आप या तो मुझे पूरे पैसे अभी दे सकती ह या फर म आपके िप ले के
अिधकार अपने पास रख सकती ,ँ िजससे कु छ साल म भरपाई हो जाएगी।”
म त ध रह गई। दो िमनट पहले म िप ल के बारे म सोचने तक को तैयार नह थी और अब म िप ले पैदा
करने के कारोबार के बारे म सोचने लगी थी!
मने ख़द को सँभाला। मेरी सश ोधी कृ ित ने दृढ़ता से इस ताव को ठु करा दया और मुझे लगा क म
जीत गई ।ँ ले कन सश ोधी ि हार नह मानते ह। लॉरे न ने सड़क के एक सामा य कु े से मोनी के िप ले
पैदा करवा दए और मुझे समस पर एक छोटा सा िप ला दे दया।
हालाँ क ये दोन पा रवा रक कहािनयाँ मज़ेदार ह, ले कन सश ोधी ि क यादातर चाल इतनी
मज़ेदार नह होती ह। सश ोधी ि अपनी चाला कय से उस पल तो जीत जाता है, ले कन बाद म जब
लोग घटना पर िवचार करते ह, तो वे इस बात पर िचढ़ जाते ह क उ ह धोखा दया गया। िम और
ावसाियक सहयोिगय को थायी बनाने के िलए सश ोधी ि को चालबाज़ी छोड़कर दूसर के साथ
खुलकर वहार करना चािहए। सश ोधी ि इस नीित पर नह चलते ह, य क उ ह जीतने का
यादातर सुख इन चालबाज़ी भरी योजना से ही िमलता है। अगर सश ोधी ि यह देख सक क
चालबाज़ी कतना बुरा गुण है, तो वे ख़द को बदलने के बारे म सोच सकते ह।

याद रख
दूसर से चालबाज़ी करना और कमज़ोर नोटग
को िह कारत से देरवना बंद कर द।

सम या : सश ोधी ि लोग से वहार करना नह जानते ह

समाधान १ : धैय रखने का अ यास कर


मुझे जे स 1:2, 3 का एक संदश
े पसंद है : “ या आपके जीवन म ब त सी मुि कल और लोभन ह ? अगर
ऐसा है तो ख़श हो जाओ, य क जब राह मुि कल होती है, तभी आपके धैय को बढ़ने का अवसर िमलता है।
इसिलए इसे बढ़ने द और सम या से बचने क कोिशश न कर” (टीएलबी)। यह सश ोधी ि य के िलए
कतनी ब ढ़या सलाह है, जो हर चीज़ को अपने तरीक़े से त काल करना चाहते ह और जो हर नकारा मक चीज़
से बचने क कोिशश करते ह। सश ोधी ि वभाव से उतावले होते ह, ले कन अगर उ ह यह एहसास हो
जाए क यह एक सम या है, तो वे इस कमज़ोरी को दूर कर सकते ह।
चूँ क सश ोधी ि बाक़ कृ ित वाले लोग क तुलना म कम समय म ब त यादा काम कर सकते ह,
इसिलए उ ह यह समझ म ही नह आता है क दूसरे लोग उनके िजतने तेज़ य नह ह। उ ह लगता है क
ख़ामोश लोग मूख होते ह और जो लोग आ ामक नह ह, वे कमज़ोर होते ह। शि और आ म-िव ास से पूण ये
ि बाक़ लोग को कसी नीची जाित का िह सा समझते ह।
सश ोधी ि को कृ ितय के इस अ ययन से सबसे मह वपूण बात यह पता चल सकती है क सफल
होने क उसक मता अ सर ि गत संबंध क राह म बाधक बन जाती है। असुरि त अनुभव कराने वाले
रोबदार या अधीर ि को कोई भी पसंद नह करता है। अगर सश ोधी ि के दमाग़ म यह बात आ
जाए क उसका वहार दूसर को उ लगता है, तो वह अपने वहार को ज दी ही सुधार सकता है और
सचमुच वैसा महान लीडर बन सकता है, जैसा क वह खुद को मानता है।

समाधान 2 : जब तक माँगी न जाए, तब तक सलाह न द


सश ोधी ि से ग़लितयाँ बदा त नह होती ह, इसिलए वह यह मान लेता है क िजसे भी सम या
होगी, उसे उसका समाधान पसंद आएगा। सश ोधी ि हर ज़ रतमंद ि क िनदश देता रहता है,
चाहे उससे कोई पूछे या न पूछे। हमारा दो त जॉन कार चलाकर ढलान उतर रहा था। उसने आगे जा रहे क को
“डॉग वॉ कं ग” करते देखा यानी वह एक तरफ़ थोड़ा झुककर चल रहा था। क नया दख रहा था, इसिलए जॉन
ने सोचा क उस आदमी को डीलर ने ख़राब क देकर ठग िलया है और वह उसक सलाह सुनकर ख़श होगा। वह
अपनी कार को क के पास ले गया और ाइवर को रोकने के िलए हाथ िहलाने लगा। ाइवर ने उसक तरफ़
देखा, ले कन नज़रअंदाज़ कर दया। जॉन ने अपना हॉन बजाकर बार-बार सड़क के कनारे क तरफ़ इशारा
कया। आिख़र ाइवर ने हार मानकर क रोक दया। जॉन ने उस हैरान आदमी के सामने प कया, “आपका
क डॉग वॅा कं ग कर रहा है।”
“यह या कर रहा है?”
“यह डॉग वॉ कं ग कर रहा है। इसका मतलब है क इसका े म झुका आ है। यह लाते-ले जाते समय िगर
गया होगा। आप इस क को सीधे डीलर के पास ले जाएँ। उ ह सबक़ िसखाना ही चािहए!”
िनदश देने के बाद जॉन िनराश ाइवर को क के पास छोड़कर चल दया। जॉन को इस बात क ख़शी थी
क उसने ाइवर क कतनी बड़ी मदद कर दी थी। वह यह नह जानता था क हर ि सश ोधी ि के
सहयोगपूण सुझाव से ख़श नह होता है।

समाधान 3 : अपनी नीित को थोड़ा कम दबंग बनाएँ


पसनैिलटी लस के एक सेिमनार म मने एक सव कराया। सव म यह पूछा गया था क लोग को दूसर म
सबसे बुरा गुण कौन सा लगता है। सबसे यादा वोट बॉसी (bossy) को िमले थे। कोई भी दबंग (bossy) लोग
को पसंद नह करता है। फर मने उन लोग से अपने नकारा मक गुण क सूची बनाने को कहा। मज़े क बात यह
रही क उनम से कसी ने भी ख़द को दबंग नह िलखा। या यह आ यजनक नह है क हम दबंग लोग को
कतना नापसंद करते ह, ले कन हमम से कोई भी ख़द को दबंग नह मानता है। प िन कष यह है क रोबीले या
दबंग लोग ख़द को उस नज़ रए से नह देखते ह, िजस तरह से दूसरे लोग देखते ह। वे महसूस करते ह क वे मदद
कर रहे ह और दूसर को उनके िनदश के ित कृ त होना चािहए।
चूँ क सश ोधी ि ब त ज दी सोच लेता है और जानता है क वह सही है, इसिलए वह अपने मन क
बात कह देता है और उसे इस बात क परवाह नह होती है क लोग इसे कस तरह लगे। वह दूसर क भावना
के बारे म चंितत नह होता है। उसे तो काम कराने क यादा चंता होती है। उसे लगता है क वह मदद कर रहा
है, जब क दूसरे लोग उसे रोबीला या दबंग मानते ह।
सश ोधी ि िसफ़ बोलने म ही दबंग नह होते ह, वे िनदश िलखने म भी उ ताद होते ह। एक दन
मेरी लोकि य आशावादी सहेली पेगी हाथ म कु छ काग़ज़ लेकर आई। वह काफ़ परे शान दख रही थी। उसने उन
काग़ज़ को मेरी तरफ़ बढ़ाकर कहा, “ज़रा देखो तो सही, मेरी माँ ने मेरे िलए या िलखा है! वे बाहर गई थ और
म उनके घर म रह रही थी। इन िच य क तरफ़ देखो तो सही!” पहले काग़ज़ पर िलखा था :
पेगी, मेरा लाल गमला लौटा देना!
(सश ोधी ि कसी बात पर ज़ोर देने के िलए अंडरलाइन करते ह और िव मया दबोधक िच ह का
योग करते ह, ता क यह पता चल जाए क वे सचमुच वह काम करवाना चाहते ह।)
दूसरे काग़ज़ पर िलखा था :
पेग,
जब तुम घर से बाहर जाओ, तो अँगीठी का ि वच बंद करना मत भूलना,
य क इससे िबल बढ़ता है!!
तीसरा काग़ज़ वॉ शंग मशीन के ऊपर दो बड ए स से िचपका आ था।
पेग,
कपड़े धोने के बाद दोन नल बंद कर देना। अगर उ ह चालू छोड़ दया, तो
पानी पूरे कमरे म भर सकता है। इसके अलावा ायर के उपयोग के बाद
हर बार झाग बाहर िनकाल देना!
चूँ क पेगी लोकि य आशावादी कृ ित क है, इसिलए उसने काग़ज़ पर यान नह दया। एक दन उसक
माँ अ यािशत प से थोड़ी देर के िलए घर आ । पूरे घर को अ त- त देखकर उ ह काफ़ िनराशा ई। इस
पर उ ह ने आिख़री काग़ज़ िपन से लगा दया :
पेग,
लौटने पर मुझे घर का हाल पसंद नह आया।
तुम जब आई थ , तब मेरा ॉयलर गंदा नह था (यह तु हारे आने के बाद गंदा आ था)। तु हारे आते समय
बगलर अलाम भी बंद नह था - हमने इसे अपने सामान क सुर ा के िलए लगवाया है।
म ब त ग़ सा ,ँ जैसा तुम अंदाज़ा लगा सकती हो!
अगर तुम दोबारा कभी मेरे घर का इ तेमाल करो, तो उसे वैसा ही रखना, जैसा
तु ह िमला था।
यार सिहत, म मी

हालाँ क पेगी िवचिलत थी, ले कन िच याँ देखकर म रोमांिचत हो गई और मने उ ह अपने पास रख िलया। ये
िच याँ सश ोधी ि के िनदश क आदश उदाहरण ह। इस तरह के िनदश उ ह उिचत लगते ह, जब क
बाक़ लोग को ये दबंग ि के िनदश लगते ह।

समाधान 4 : बहस करना और मुि कल खड़ी करना छोड़ द


चूँ क सश ोधी ि जानता है क वह सही है, इसिलए वह दुिवधा त, असुरि त लोग का नेतृ व
करके उ ह यु के मैदान म ले जाना और जीतना पसंद करता है। “कमज़ोर ” के सामने दाना डालना और उ ह
ग़लत सािबत करना सश ोधी ि का एक चुनौतीपूण शगल होता है।
े ड का भाई टीव रीडस डाइज ट म छपने वाले एक कॉलम “वडस कॉमनली िमस नाउ ड” (िजन श द
का आम तौर पर ग़लत उ ारण होता है) का अ ययन करता था। वह उस कॉलम क क टंग अपने पस म रखकर
घूमता था और कसी मासूम ि के ग़लत उ ारण का इं तज़ार करता था। देर-सबेर कोई न कोई उसके जाल म
फँ स जाता था और वह ख़श होकर उस ि पर चढ़ाई कर देता था, “मुझे लगता है क आपने इस श द का
गलत उ ारण कर दया है।” िशकार हकलाने लगता था, जब टीव अपने पस से माण बाहर िनकालता था,
सही उ ारण क तरफ़ इशारा करता था और उस ि को परािजत छोड़कर चल देता था। कबूतर को गोली
मारने के इस अहम् के खेल म िसफ़ सश ोधी ि य को ही मज़ा आ सकता है।
सश ोधी ि िववाद और बहस को पसंद करते ह और चाहे वे इसे मज़ाक़ म कर रहे ह या गंभीरता
से, सम या को पैदा करना एक ब त नकारा मक गुण है।

याद रख
कोई भी अधीर, दबंग, मुि कल पैदा करने वादने
दनो ग को पसंद नह करता है।

सम या : सश ोधी ि सही ले कन अलोकि य होते ह

समाधान 1 : कसी और को सही होने द


सश ोधी ि को सलाह देना ब त मुि कल होता है, य क वह हमेशा सािबत कर सकता है क
उसका काम सही य है। चूँ क वह आदश है, इसिलए अगर काम सही नह होता, तो वह उसे करता ही नह ।
सश ोधी ि कभी ग़लत हो ही नह सकता। वह अपनी अंतरा मा के सामने यह वीकार ही नह कर
सकता क वह कभी ग़लत भी हो सकता है। इस दृढ़ राय के कारण सश ोधी ि के साथ वहार करना
कई बार असंभव सा हो जाता है।
मेरे भाई रॉन ने मुझे एक च मा बनाने वाले के बारे म एक मज़ेदार क़ सा सुनाया। च मा बनाने वाला
सश ोधी कृ ित का था। मेरा भाई अपनी प ी के िलए बाइफ़ोकल सन लासेस बनवाना चाहता था। वह
अपनी प ी का पचा लेकर च मे वाले के पास गया और उसे बताया क वह या चाहता है। उस आदमी ने जवाब
दया, “यह असंभव है।” मेरा भाई ख़द सश ोधी कृ ित का है, इसिलए उसने भी हार नह मानी और अपनी
बात पर अड़ा रहा।
“आप मेरी बात समझ नह रहे ह। म धूप का ऐसा च मा बनवाना चाहता ,ँ िजसम नीचे क तरफ़ डॉ टर
के बताए लस लगे ह , ता क वह पूल म पि का पढ़ सके ।”
उस आदमी ने एक बार फर कहा, “यह असंभव है।”
मेरा भाई ता कक प ीकरण देता रहा, ले कन च मे वाला टस से मस नह आ। रॉन ने आिख़रकार उसके
हाथ से पचा वापस लेते ए कहा, “म कसी और से बनवा लूँगा।”
उस ि ने रॉन के बाहर िनकलते समय िबना हार माने कहा, “अगर आप इसे अपने मनचाहे तरीक़े से
बनवा भी ल, तो भी वह तरीक़ा ग़लत होगा!”
सश ोधी ि का कतना ब ढ़या उदाहरण है, जो हर ि थित म ख़द को सही मानता है।

समाधान 2 : माफ़ माँगना सीख


चूँ क सश ोधी ि हर चीज़ जानता है और उसे यह यक़ न होता है क वह हमेशा सही होता है,
इसिलए वह क पना भी नह कर सकता क उसे कभी माफ़ माँगनी चािहए। “मुझे अफ़सोस है” (I'm sorry)
वा य बोलना उसे कमज़ोरी क िनशानी लगती है और वह इस वा य से कसी सं ामक बीमारी क तरह बचता
है। एक साल तक एक सश ोधी युवक हमारे घर पर रहा। इस दौरान वह हमारी आलोचना करता रहता था,
ले कन उसे अपने वहार म कभी कोई कमी नज़र नह आई। एक सुबह जब पूरे प रवार ने ना ता कर िलया, तो
उसके बाद वह आकर िड बाबंद ना ते क तलाश करने लगा। उसने एक िड बे को िनकाला और मुझसे सीधे से
कह दया, “आप जानती ह क मुझे इस तरह का ना ता पसंद नह है। या आप मेरी पसंद क चीज़ कभी नह
रख सकत ?” वह िबना कु छ खाए उस िड बे को पटककर ग़ से म बाहर चला गया। बाद म मेरा बारह साल का
बेटा े डी पूण िनराशावादी ि क संवेदनशीलता के साथ मेरे पास आकर बोला, “म रॉबट के वहार के
िलए आपसे माफ़ माँगना चाहता ।ँ ना ते के बारे म उसने आपसे अ छा वहार नह कया, ले कन म जानता
ँ क वह कभी माफ़ नह माँगेगा।”
े डी ने सही कहा था। रॉबट ने कभी माफ़ नह माँगी और जब भी वह उस घटना का िज़ करता था, तो
इसे “ना ते के बारे म आपके और मेरे बीच ई दुभा यपूण ग़लतफ़हमी” क सं ा देता था। सश ोधी ि
त य का सामना करके “मुझे अफ़सोस है” नह कह सकता।
एक बार जब म पाम ं स म एक हवाई जहाज़ म बैठी, तो मेरे पास एक सश ोधी ग़ सैल आदमी बैठ
गया। उसने मुझसे कहा, “उन मूख ने दूसरी बार भी मेरी सुर ा जाँच करवाई, जब क म तो िसफ़ एक पि का
ख़रीदने के िलए बाहर गया था। मने उ ह बता दया था क म एक बार जाँच करवा चुका ,ँ इसिलए दूसरी बार
इसे करने म कोई तुक नह है, ले कन इसके बाद भी उ ह ने मेरी जाँच क ।” वह ब त नाराज़ था, इसिलए मने
उसक बात का िवरोध करने क ज़रत नह क । सश ोधी ि य को सलाह देना या उनके सामने तक
रखना ब त मुि कल होता है, य क वे हर चीज़ जानते ह, हमेशा दूसर को दोष दे सकते ह और अपनी ग़लती
के िलए तक दे सकते ह।

समाधान 3 : वीकार कर क आपम कु छ ख़ािमयाँ ह


सश ोधी ि म महानतम उ े य के िलए लीडर बनने क सबसे यादा संभावना होती है, इसिलए
कृ ितय के अ ययन से उसे सबसे यादा सीखना चािहए। उसे ती और िनणायक क़दम उठाने क अपनी
ज़बद त शि य का लाभ उठाना चािहए, ले कन दंभ और अधीरता क ग़लितय को दूर कर देना चािहए।
सश ोधी ि का सबसे बड़ा दु मन वह ख़द होता है। उसने अपनी दा बाँह पर शि श द गुदवा
िलया है और वह सोचता है क कमज़ोरी श द िसफ़ दूसर पर लागू होता है। ख़द म कसी भी ग़लती को देखने से
इं कार करने के कारण ही सश ोधी ि उन ऊँचाइय पर नह प च ँ पाता है, जहाँ वह प च
ँ सकता था।
शे सिपयर के महानायक म एक ासद दोष (tragic flaw) होता है। सश ोधी ि म यह ासद दोष
होता है क वह अपने दोष को नह देख पाता है। वह लोकि य बनने के बजाय सही होने म यादा िच लेता है
और जब वह कोई बात कह देता है, तो फर दृढ़ता से उसी पर क़ायम रहता है।

याद रख
अगर सश ोधी ि अपना दमाग़
खुला रखकर अपनी कमज़ो रय क तलाश
करे और यह वीकार करे क उसम कु छ
ख़ािमयाँ ह, तो वह वेसा ही आदश ि
बन सकता है, जैसा वह ख़द को मानता है।
सश ोधी ि यो, यह न भूल :

अगर हम अपने पाप को वीकार कर ल, तो वह दयालु है और


हमारे पाप को माफ़ करके हम सभी पाप से मुि दे देगा|
1 जॉन 1:9
ल याय 11

आइए शांत संतोषी ि य


को े रत कर

हर कृ ित क तरह ही इस कृ ित वाले ि म भी शि य के साथ-साथ कमज़ो रयाँ होती ह। शांत संतोषी


ि य क शि याँ िछपी ई होती ह, इसिलए उनक कमज़ो रयाँ भी साफ़ नज़र नह आती ह। सश ोधी
ि अपनी शि य को सबके सामने प कर देता है, इसिलए उसके दोष भी प होते ह और खुलकर सामने
आ जाते ह। दूसरी ओर, शांत संतोषी ि अपने सबसे अ छे और सबसे बुरे दोन प को िछपाकर रखता है।
ब त से शांत संतोषी ि यह क पना ही नह कर सकते क इतने शांत और दयालु होने के बावजूद उनसे
कसी को द क़त हो सकती है। उनके साथ सेिमनार म सं ेषण करना मुि कल होता है, य क जब तक उनक
बारी आती है, तब तक वे ऊँघने लगते ह।
एक दन म शांत संतोषी ि य के िलए कु सयाँ ख़रीद रही थी। म सामा य और हर साज-स ा म घुल-
िमल जाने वाली कु सयाँ ख़रीदना चाहती थी। तभी मेरे मन म यह िवचार आया : शांत सतोषी ि क सबसे
बड़ी शि यह है क उसक कमज़ो रयाँ प नह होती ह। वह ग़ से म नह भ ाता है, अवसाद म नह डू बता है
या अपनी कु स के पिहए घुमाकर शोर नह करता है। उसम तो बस उ साह नह होता है, वह चुपचाप चंता
करता है और िनणय नह ले पाता है। ये दोष इतने प नह होते ह क इनम सुधार क ज़ रत महसूस हो।

सम या : शांत संतोषी ि रोमांचक नह होते ह

समाधान : उ साही बनने क कोिशश कर


शांत संतोषी ि क सबसे यादा िचढ़ाने वाली कमज़ोरी यह है क वह कसी भी बात पर उ सािहत
नह हो पाता है। मने एक बार लॉरे न के बॉय ड डॉन एयर फ़ोस से पूछा क या वह कभी रोमांिचत आ था।
इस पर उसने कु छ सेकंड तक सोचने के बाद जवाब दया था, “मुझे ज़ंदगी म ऐसा कु छ याद नह आता, िजसके
बारे म रोमांिचत आ जा सके ।”
हालाँ क यह कमज़ोरी ब त बड़ी नह दखती है, ले कन यह उस जीवनसाथी को ब त हताश कर देती है,
िजसक योजना पर उसका पाटनर उ सािहत नह होता है। एक जीवनसाथी उछलता आ कमरे म आता है
और उसके मन म वीकएंड मनाने के बेहतरीन िवचार होते ह। उ ह सुनकर शांत संतोषी जीवनसाथी कहता है,
“मुझे नह लगता क हम यादा मज़ा आएगा। जाने क झंझट य पाल ? म तो इसके बजाय घर पर ही रहना
चा गँ ा।” इससे रचना मक जीवनसाथी िनराश हो जाता है और उस वीकएंड पर चाहे जो भी हो, उनम से एक
जीवनसाथी दुखी रहता है।
सश ोधी मिहला शांत संतोषी ि क ओर आक षत होती है, य क उस पु ष का शांत तट थता का
भाव मिहला को अपनी ओर ख चता है। वह सश ोधी ि शांत संतोषी मिहला को इसिलए चुनता है,
य क शांत संतोषी मिहला का मन कोमल होता है और उसे कठोर तथा ू र दुिनया से सुरि त रखने क ज़ रत
होती है।
शादी के बाद सश ोधी ि अपने ल य िनधा रत कर लेते ह और अपने िस ांत को खूँटी पर टाँग देते
ह। वे अपने जीवनसाथी से त काल उ सािहत होने क अपे ा करते ह। जब शांत संतोषी जीवनसाथी जवाब देता
है, “मुझे परवाह नह है,” तो सश ोधी जीवनसाथी हताश हो जाता है और सकारा मक ित या क चाह म
पहले से भी यादा गितशील िवचार रखने क कोिशश करता है। सश ोधी ि यह नह जानता है क
योजना िजतनी भ या बड़ी होगी, शांत संतोषी ि उतना ही यादा डरे गा और उतना ही कम रोमांिचत
होगा।
मने अपने जीवन म लगातार यह कोिशश क है क मेरी माँ मेरी उपलि धय पर रोमांिचत हो जाएँ। जब
मने अपनी पहली पु तक िलखी, तो मने सोचा : “अब मने ऐसा काम कर दखाया है, िजससे वे उ सािहत हो
जाएँगी। हर बेटी पु तक नह िलखती है। उ ह मज़ा आ जाएगा! मने यह पु तक उ ह सम पत भी क है। इस बार
मेरा अदाज़ा गलत नह होगा!”
मने उ ह पु तक थमाकर समपण दखाया। फर मने इं तज़ार कया क वे अपना नाम छपा देखकर ख़शी से
कू दने लगगी। ले कन कोई ित या नह । उ ह ने प ा पलटा। म देखती रही। पु तक को पढ़ने से पहले उनके
चेहरे पर जो भाव था, वह पढ़ते समय भी नह बदला और जब उ ह ने उसे पूरा कर िलया, तो उ ह ने पु तक बंद
कर दी और िखड़क से बाहर देखने लग । म उनक ट पिणय का इं तज़ार कर रही थी, ले कन उ ह ने कु छ नह
कहा। आिख़र मने लॉरे न से कहा, “नानी से पूछकर तो आओ क उ ह मेरी पु तक कै सी लगी।” जब लॉरे न ने
जाकर पूछा, तो मेरी माँ ने जवाब दया, "हाँ, यह पु तक तो थी।”
जब शांत संतोषी ि य को यह पता चल जाता है क उ साह न दखाकर वे दूसर को िवचिलत कर
सकते ह, तो वे अपनी इस यो यता से लोग को िनयंि त करने लगते ह। जब हम उ ह रोमांिचत और उ सािहत
करने क कोिशश करते ह, तो वे हमारी नाटक य हरकत पर मन ही मन हँसते रहते ह। एक वीकएंड र ीट म
कई व ा ने भाषण दए। चेयरमैन ने एक शांत संतोषी मिहला से पूछा क उसे कौन सा व ा सबसे यादा
पसंद आया। वह मिहला एक पल सोचने के बाद बोली, “मुझे लगता है क यह तो व त ही बताएगा।”
एक और मिहला से पूछा गया, “ या आप इस सेिमनार म दोबारा आएँगी?” शांत संतोषी कृ ित क इस
मिहला का जवाब था, “शायद! वैसे इस बात क यादा संभावना है क म दूसर को इसम भाग लेने क सलाह
दू।ँ ”
एक लोकि य आशावादी युवा मिहला ने एक सेिमनार म बताया, “मेरे पित इतने शांत संतोषी ह क वे तो
बहस के दौरान भी सो जाते ह।”
लंडा ने कहा, “मेरे पित के साथ जीना कसी टॉक-शो के मेज़बान क भूिमका अदा करना है। वे घर आकर
चुपचाप बैठ जाते ह। म उनके पास जाकर पूछती ,ँ 'आपका या नाम है, ि य? अगर म उनके मुँह से कु छ भी
उगलवा लूँ, तो यह मेरी ख़श क़ मती है।” शांत संतोषी ि कसी भी चीज़ के बारे म यादा रोमांिचत नह
होते ह।
सम या और रोमांच से बचने का एक अचूक तरीक़ा यह है क दो शांत संतोषी ि य का आपस म
िववाह करवा दया जाए। इस तरह के तालमेल के िजतने दंपितय को म जानती ,ँ उनक आपस म अ छी
पटती है और उनका जीवन शांत संतोषी ि य क “समतल धुरी” पर घूमता है, ले कन वे अ सर यह बात
कहते ह, “सच कहा जाए तो हम ऊब चुके ह।”
एक युवती ने मुझे बताया, “हमारी शादी को एक साल हो चुका है और हमारे पास कहने या करने को कु छ
बचा ही नह है।” दूसरी मिहला ने कहा, “हर रात को म अपने पित से पूछती ,ँ 'तुम या करने क सोच रहे
हो?’ वह जवाब देता है, 'मुझे परवाह नह है, वैसे तुम या करना चाहती हो?' चूँ क हमम से कोई भी फ़ै सला नह
कर पाता, इसिलए हम यादा कु छ करते ही नह ह।”
एक और मिहला ने बताया, ‘‘हमारी अ छी पटती है। म उससे त वीर टाँगने को कहती ।ँ वह हाँ कर देता
है और भूल जाता है। म इतनी शांत संतोषी ँ क मुझे इससे कोई फ़क़ भी नह पड़ता है।” इस ट पणी को
सुनकर एक आदमी ने आगे कहा, “जब हम एक साल पहले मकान म रहने आए, तो हमने अपने डाइ नंग म के
फ़श पर त वीर रख द । हम उ ह बाद म टाँगना चाहते थे, ले कन हम ऐसा करने क ज़ रत कभी महसूस ही
नह ई।”
हमारे एक सेिमनार म शांत संतोषी चेयरमैन ने बताया, “मेरी प ी और म दोन ही शांत संतोषी ह। हर
रात को जब म घर लौटता ,ँ तो वह पूछती है, 'तुम या खाना चाहते हो?' और म जवाब देता ,ँ ‘तु हारे पास
या है?' वह कहती है, ' यादा कु छ नह ! टीवी िडनर के बारे म या याल है?' म सहमित म िसर िहला देता ँ
और हम दोन ज़र का दरवाज़ा खोलकर यह फ़ै सला करने क कोिशश करते ह क कस खा पदाथ के िड बे
को चुना जाए।

याद रख
उ साही बन। महीने म एक बार से शु
कर और आगे बढ़ते रह।

सम या : शांत संतोषी ि प रवतन का ितरोध करते ह

समाधान : कोई नया काम करने क कोिशश कर


एक रात ली नामक मिहला का शांत संतोषी पित पीट घर आकर बोला, “कपड़े बदल लो, म तु ह बाहर ले
जा रहा ।ँ ” वह ब त रोमांिचत हो गई और सोचने लगी क या पहने। उसने पूछा, “तुम मुझे कहाँ ले जा रहे
हो?” पीट ने जवाब दया, “कू ड़ेदान साफ़ करने के िलए मॉ टेगोमेरी वाड म चलना है।” मने उससे पूछा क यह
सुनने पर उसने या कया। उसका जवाब था, “म तैयार होकर चल दी। पीट ने कई महीन म यह सबसे रोमांचक
चीज़ सोची थी।”
दुभा य से, इस तरह क घटना ब त से शांत संतोषी ि य के साथ आम होती है। उ ह मनोरं जन क कोई
ज़ रत नह होती है और वे मान लेते ह क कसी दूसरे को भी इसक ज़ रत नह होती होगी। मने एक काटू न
देखा था, िजसम एक शांत संतोषी आदमी दीवार म बने चूहे के िबल के पास फ़श पर लेटा था। उसने एक हथौड़ा
उठा रखा था और िबल म से अपना िसर बाहर िनकालने वाले पहले चूहे को मारने के िलए तैयार था। उसक
प ी ने उसक तरफ़ देखते ए आह भरी, “हैरी के साथ शिनवार क एक और रोमांचक शाम।”
एक शांत संतोषी पु ष ने अपने नीरस िववाह के बारे म मुझसे सलाह माँगी। जब मने उसे कु छ नए िवचार
सुझाए, तो उसने जवाब म कहा, “मुझे लगता है क इसके बजाय तो यह अिभनय करना यादा अ छा रहेगा क
सब कु छ ठीक-ठाक है - प रवतन यादा बुरा भी हो सकता है।”

याद रख
हर स ाह कम से कम एक नया िवचार
सोचने क पूरी कोिशश कर। आपके
जीवनसाथी को बदलाव क ज़ रत है|

सम या : शांत संतोषी लोग आलसी दखते ह


समाधान १ : अपने जीवन क िज़ मेदारी वीकार करना सीख
शांत संतोषी ि अपने चरम प म सबसे आलसी होता है और टालमटोल करके हर काम से बचना
चाहता है। मने िवमे स लब म एक ऐसी ही मिहला को चेयरपसन चुना। उस मिहला ने पूछा, “ या मुझे कोई
काम भी करना होगा ?” उसे पद से द क़त नह थी, उसे काम करने से द क़त थी।
िजल घर बदल रही थी और यह सोच-सोचकर ब त परे शान हो रही थी। उसने अपने िम से आ ह कया
क वे पै कं ग म उसक मदद करवा द। तीन महीने तक वे इस बारे म बात करते रहे क पै कं ग का काम कस दन
करना है। िनधा रत समय पर िजल के सश ोधी िम काम के िलए तैयार होकर आए। उधर िजल ने क़ मती
पोशाक और ऊँचे हील के सडल पहन रखे थे। यह देखकर सभी को त काल समझ म आ गया क िजल कोई भारी
काम नह करना चाहती थी। हालाँ क सामान ले जाने वाले अगले दन ही आने वाले थे, ले कन िजल के पास एक
भी ब सा या बोरा नह था। उसने कु छ पैक नह कया था। त वीर अब भी दीवार पर टगी थ । संक म गंदे बतन
भरे पड़े थे और गंदे कपड़ का ढेर लगा था।
उसके एक िम ने मुझे बताया, “वह हमसे पूरा काम करवाना चाहती थी!”
अगर आप दूसर से काम करवाना चाहते ह, तो कम से कम इतने माट बन क उ ह सलाह न द।
शांत संतोषी फ़ल आग तापते ए कु स पर आराम से बैठा था। उधर उसक सश ोधी प ी उनक
क इं ग प के िलए वैन म सामान लाद रही थी। बीच म फ़ल ने ऊपर देखते ए ट पणी क , “अगर तुम हर
बार यादा सामान उठाकर ले जाओ, तो तु ह इतना यादा समय नह लगेगा।” इसके बाद वह इस बात पर
हैरान होता रहा क यह सुनने के बाद ही उसक प ी ने उसके िसर पर क क छड़ य मार दी थी।
हमारे सेिमनार म जब ि य को समूह म िवभािजत करने का समय आता है, तो शांत संतोषी ि य
को कभी समझ म नह आता है क वे कस तरफ़ जाएँ। वे उलझन म अपने जीवनसाथी क ओर मुड़कर पूछते ह।
उनका जीवनसाथी आम तौर पर सश ोधी होता है और वह यार से कहता है, “मूख, तुम शांत संतोषी हो!”
इसके बाद वह धीरे -धीरे चलकर उधर चली जाती है, िजधर शांत संतोषी ि य का समूह गया था।
एक शांत संतोषी दंतिच क सक को जब समूह का चेयरमैन चुना गया, तो उसने सुझाव दया, “समय ख म
होने तक हम सब अपनी आँख बंद करके यान य न कर ?”
एक और ि ने सहमत होते ए कहा, “हाँ, मौन से बेहतर कु छ नह होता है।”

समाधान 2 : जो काम आज कर सकते ह , उसे पर न टाल


टालमटोल क सम या पूण िनराशावादी और शांत संतोषी ि य म आम होती है, ले कन इसके कारण
अलग-अलग होते ह। पूण िनराशावादी ि तब तक कोई काम शु नह कर पाता, जब तक क उसके पास
सही संसाधन न ह और उसे यह यक न न हो जाए क वह काम को आदश ढंग से कर सकता है। दूसरी ओर, शांत
संतोषी ि इसिलए टालमटोल करता है, य क वह काम करना ही नह चाहता है। वह आलसी वृि का
होता है और टालमटोल करने के कारण काम करने के िनणय से कतराता है। शांत संतोषी ि म टालमटोल क
ंिथ होती है : िजस काम को कल तक टाला जा सके , उसे आज कभी मत करो।
मेरी बेटी लॉरे न के बेबी शॉवर के िलए शांत संतोषी ि आधे-अधूरे उपहार लेकर आए थे, य क वे उ ह
पूरा बनाने क मेहनत नह कर पाए थे। पहला तो एक सुंदर नीला सूट था, िजसम ेप ॉच था, ले कन गौर से
देखने पर हम पता चला क जहाँ ैप होने चािहए थे, वहाँ सीधी िपन लगी थ । अगर बेचारी ब ी अपने पैर
सटाती, तो िपन उसके शरीर म घुस जात ! दूसरा तोहफ़ा एक नीडलपॉइं ट यूिनकॉन था, जो अधूरा था। दोन ही
मिहला ने संजीदगी से कहा क वे बाद म अधूरे काम को पूरा कर दगी और दोन ही अपने तोहफ़े हाथ म लेकर
शॉवर से चल द ।
आधे-अधूरे तोहफ़े वाली ये दोन मिहलाएँ फर भी लोकि य आशावादी मिहला से बेहतर थ , य क वे
तो तारीख़ भूलने के कारण आई ही नह थ !
समाधान 3 : ख़द को े रत कर
शेरॉन का दमाग पूल के खेल क तरह था। जब ध ा दया जाता था, तभी रं गीन गद चार तरफ़ लुढ़कती
थ , वरना वे बरस तक एक कोने म टगे जालीदार बैग म आराम से बंद रहती थ ।
ऐसा नह था क वह िहल नह सकती थी। उसे तो बस यह ब त मेहनत भरा काम लगता था। सही तरीके
से े रत कए जाने पर वह जेब म से कु छ गद िनकाल सकती थी और उ ह हरे मैदान म चार तरफ़ लुढ़का सकती
थी। ऐसा भी वह तभी तक करती थी, जब तक क दबाव क़ायम रहे। जब दबाव कम हो जाता था, तो वह टेबल
साफ़ करके अपने जाल म लौट जाती थी, जब तक क कोई हताशा म रं गीन गद को उठाकर हरे मैदान पर
फककर यह नह िच लाता था, “िहलो!”
यह छोटी नीितकथा शांत संतोषी ि य का आम अनुभव है। ऐसा नह है क वे काम नह कर सकते, मु े
क बात तो यह है क वे काम करना नह चाहते ह। एक मिहला ने मुझे बताया क उसने कम से कम चार स

काटकर रखी ह, ले कन उ ह िसलना ब त मेहनत भरा काम लग रहा है, इसिलए वह उ ह अब तक िसल नह
पाई है। ‘जब मुझे कसी ख़ास मौके के िलए स
े क ज़ रत पड़ेगी, तभी म िसलुंगी।”
शांत संतोषी ि य को कसी क सीधी ेरणा क ज़ रत होती है, ले कन दबाव डालने पर वे िचढ़ जाते
ह। यह िवरोधाभासी सम या कई घर म होती है, जहाँ शांत संतोषी ि आव यक काम करने से बचता है;
सश ोधी ि उसे बताता है क या करना है, ले कन इस बात पर शांत संतोषी ि िचढ़ जाता है।
थी के कचन क िखड़क पि म दशा म खुलती है। हर दोपहर को कै िलफ़ो नया क धूप अंदर आने से
कचन म ब त गम हो जाती है और काम करना मुि कल हो जाता है। उसने अपने पित हॉवड से छाया का
इं तज़ाम करने को कहा, ले कन चूँ क धूप से पित को कोई द क़त नह हो रही थी, इसिलए वह े रत नह आ।
आिख़र थी ने एक बड़ा टॉवेल क ल लगाकर ठ क दया, िजससे धूप तो कम हो गई, ले कन सुंदरता ख़राब हो
गई। एक दन एक याड सेल म थी को अपनी िखड़क के नाप के लकड़ी के दो शटर िमल गए। वह उ ह लेकर
घर आई, ले कन त काल एक सम या सामने आ गई। शटर म अभी कु छ काम बाक़ था। हॉवड नए शटस को
लेकर थोड़ा उ साही था और उसने थी को आ त कया क वह उन पर अलमारी के रं ग से िमलता-जुलता पट
कर देगा। क वह ‘उन पर काम कर रहा है।” थी ने इस सम या का समाधान िनकाल िलया है। वह भूल गई है
क उसने कभी शटस ख़रीदे थे और वह हर मौसम म नए टॉवेल टाँग देती है।

याद रख
शांत संतोषी ि यो, अगर आप
िज़ मेदारीपूण काम करने के िलए खुद को
े रत नह कर सकते, तो आप इसी कािबल ह
क आपको बार-बार ट चा जाए।

सम या: शांत संतोषी ि य म फ़ौलादी इ छाशि होती ह

समाधान : अपनी भावनाएँ अिभ करना सीख


शांत संतोषी ि भीड़ के साथ चलते नज़र आते ह, इसिलए जब उनके शांत बाहरी आवरण के नीचे
फ़ौलादी इ छाशि नज़र आती है, तो लोग हैरान हो जाते ह। ब त सी सश ोधी पि य ने अपने शांत
संतोषी पितय के बारे म बताया है, िजसका एक संयु उदाहरण यह है : चाल ट सोमवार सुबह चाल के सामने
घोषणा करती है, ‘हम शिनवार क रात को सैली के घर जाएँगे।”
चाल शांत संतोषी ि वाला सामा य जवाब देता है, “ |ँ ”
चाल ट सश ोधी है और वह हर उस जवाब को ‘‘हाँ” मान लेती है, जो प ‘‘नह ” न हो। इसिलए वह
यह मान लेती है क चाल शिनवार क रात को जाने के िलए तैयार हो गया है।
चाल ट पूरे ह ते हर दन चाल को याद दलाती है, ‘‘भूलना मत! शिनवार रात क सैली के घर जाना है।”
चाल बार-बार ‘‘ ”ँ बुदबुदा देता है।
शिनवार क रात आती है। चाल ट तैयार हो जाती है, ले कन चाल टी-शट पहने अपनी आरामकु स पर
बैठा है। जब वह िहलने के मूड म नज़र नह आता है, तो चालट प कहती है, ‘‘ज दी करो और कपड़े बदल ली।
हम सैली के घर जा रहे ह।”
चाल पूरे स ाह म पहला पूरा वा य बोलता है। ‘‘म नह जाऊँगा।” “तुम ह ते भर से तो मेरी बात पर हाँ
कह रहे थे।”
‘‘मने हाँ नह कहा था; मने तो बस साफ़ मना नह कया था।” और चाल नह जाता है। जब आम तौर पर
चुपचाप कहना मान लेने वाला शांत संतोषी ि कोई फै सला कर लेता है, तो आप उसके फै सले को नह बदल
सकते।
मने शांत संतोषी ि य को परामश देने के अनुभव से यह सीखा है क वे अपने वैवािहक जीवन से संतु
नज़र आते ह। म पूछती ँ क या उ ह कोई िशकायत है। वे कहते ह, ‘सब कु छ ठीक है।” हो सकता है क
जीवनसाथी मनोवै ािनक प से बुरी तरह बीमार हो और आ मह या करने क धमक दे रहा हो, ले कन शांत
संतोषी ि को पता ही नह होता क सम या या है। वह मासूम है और कु छ भी नह कहता है। वैवािहक
जीवन क गाड़ी कई साल तक लँगड़ाकर चल सकती है, जब तक क एक दन शांत संतोषी ि यह फै सला
नह कर लेता क इस मूख मिहला के साथ रहना ठीक नह है और उसे छोड़ देना चािहए। वह इस मु े पर कोई
बातचीत या बहस नह करता है। वह तो बस अपना सामान उठाता है और चला जाता है। एक बार जब शांत
संतोषी ि क़दम उठा लेता है, तो उसके बदलने क कोई खास उ मीद नह होती है।
एक आदमी ने इसे इस तरह से कहा : ‘‘मुझे यह फै सला करने क िह मत जुटाने म बीस साल लग गए ह और
म अब िनि त प से अपना फै सला नह बदलगा।”
इस िज़द के पीछे मूलभूत सम या यह है क शांत संतोषी ि अपनी भावनाएँ नह करना चाहता
है। चूँ क वह हमेशा सबसे कम ितरोध क राह पर चलता है और िववाद से बचकर भागता है, इसिलए ज़ािहर है
उसे अपनी भावना के बारे म चुप रहना यादा आसान लगता है। वह खुलकर भावना का इज़हार करने और
संघष का जोिखम लेने से घबराता है।
अपना मुँह बंद रखकर शांत संतोषी ि यादातर समय मुि कल से बचता है, ले कन अपनी भावनाएँ
िछपाकर और अिभ ि से बचकर वह लोग के साथ साथक संबंध का गला भी घ ट सकता है।

याद रख
इससे पहले क देर हो जाए, खुलकर बोल
अपनी रोशनी कसी झाड़ी के नीचे न िछपाएँ।

सम या : शांत संतोषी ि ढु लमुल नज़र आते ह


समाधान 1 : िनणय लेने का अ यास कर
शांत संतोषी ि का मुख दोष यह होता है क उसम िनणय लेने क प अ मता होती है। सश
ोधी जीवनसाथी उसके पास गम पानी क के तली लेकर खड़ी होती है और ज दी से पूछती है, “तु ह चाय
चािहए या कॉफ़ ?” उसका रटा-रटाया जवाब होता है, ‘मुझे कोई फ़क़ नह पड़ता।” शांत संतोषी ि को
लगता है क यह जवाब देकर वह मदद कर रहा है और उसे यह बात कभी समझ म नह आती है क यह सुनकर
उसक प ी ने उसके िसर पर गम पानी य उड़ेल दया!
‘म तो िसफ़ अपनी प ी के काम को आसान कर रहा था।”
नॉरफ़ोक, वज िनया से उड़ने वाले हवाई जहाज़ म एयर हो टेस ने पीए िस टम पर घोषणा क क उनके
पास लंच के िलए तीन िवक प ह, ‘आप सीफू ड, पेपर टीक या लेसा े ले सकते ह। हमारे पास सभी याि य के
िलए सारी चीज़े नह ह, इसिलए जो लोग आिखर म बचगे, उ ह दूसरे िवक प के बारे म सोचना होगा।”
फर वह त काल उस शांत संतोषी ि क ओर मुड़ी, जो पहली क़तार म मेरे पास बैठा था और उससे
पूछा, ‘आप या खाना पसंद करगे ?” उसने कहा, ‘जो भी आिखर म बचे।” सश ोधी एयर हो टेस ने कहा,
“मेरे पास इस समय सब कु छ बचा है! आप पहले ि ह, िजससे म पूछ रही ।ँ ” वह उसके पास खड़ी रही और
जवाब का इं तज़ार करती रही। तभी म बोल पड़ी, “म सीफू ड यूबग लुंगी। शांत संतोषी ि ने त काल ऊपर
देखकर कहा, “मुझे लगता है क म भी सीफू ड यूबग ही ले लूगा।”
शांत संतोषी ि को िनणय लेने म सम या इसिलए नह आती है क वह अयो य है, बि क इसिलए आती
है य क उसने यह ब त बड़ा फ़ै सला कर िलया है क वह कभी कोई िनणय नह लेगा। अगर आपने फै सला नह
कया है, तो आपको प रणाम के िलए िज़ मेदार या जवाबदेह नह माना जा सकता।
शांत संतोषी ि य को िनणय लेने का अ यास करना चािहए और िज़ मेदारी वीकार करने के िलए
तैयार रहना चािहए। अगर शांत संतोषी ि िसर उठाकर िनणय ले सके , तो उसके िम , सहकम और
जीवनसाथी खुश हो जाएँगे। दुलमुल िनराशा को अलिवदा कह द।

समाधान 2 : न कहना सीख


शांत संतोषी ि कभी कसी को चोट नह प च ँ ाना चाहते ह। कई बार तो न कहने से बचने के िलए वे
ऐसी चीज खरीद लेते ह, िज ह वे खरीदना ही नह चाहते थे। एक सश ोधी मिहला ने मुझे बताया,
‘‘दो ताना अंदाज़ और मदद करने क इ छा शांत संतोषी ि य क शि याँ ह। उनके िलए कोई अजनबी नह
है। मेरे पित िबजली के ब ब, वै यूम लीनर, पि का और बाक़ सामान बेचने वाले से समैन को बरस से पुराने
िम क तरह घर ला रहे ह। यह अलग बात है क सश ोधी होने के कारण म उ ह संदह
े से देखती ।ँ ” शांत
संतोषी ि ‘‘नह ! नह ! नह !” कह ही नह सकता।
हालाँ क शांत संतोषी ि कृ ितय के बारे म जानकर रोमांिचत नह होते ह, ले कन वे सीखते ह और
धीरे -धीरे अमल करते ह। चूँ क उनक कमज़ो रयाँ सबसे कम चोट प च ँ ाने वाली होती ह, इसिलए वे ब त ज दी
सुधार कर सकते ह - बशत वे ऐसा करना चाह। सही तरह से े रत होने पर शांत संतोषी ि एक स ाह म
खुद को कु छ चीज़ के बारे म उ सािहत कर सकता है और इससे उसके साथ रहने या काम करने वाले लोग
सचमुच खुश हो जाएँगे। चूँ क वह िनणय लेने म स म है (ले कन उ ह नह लेने का िवक प चुनता है), इसिलए
वह आसानी से िनणय ले सकता है और अपनी दुलमुल छिव से उबर सकता है, बशत वह जान ले क इससे उसके
संबंध म कतनी मदद िमलेगी।

याद रख
न कहना सीख और िनणय लेने का अ यास कर।
अकार सभी इकतीस वाद पर एक साथ िवचार
करना ब त यादा लगे, तो चॉकलेट और वैिनला
म से कसी एक को चुनने के िनणय से शु कर।
जब आप िनणय ले ने से डर, तो याद रख क कोई है, जो आपक मदद कर सकता है।

ई र बु दी देता है... वह बताता है क सही और ग़लत म कै से


भेद करना है और सही िनणय कै से लेना है...
ोव स 2:6, 9 टीएलबी
खंड चार

ि व के
िस दांत

लोग के साथ बेहतर


संबंध क राह
अ याय 12

हर ि अनूठा सि म ण है

आपने अपनी पसनैिलटी ोफ़ाइल का कोर देखिलया है। आपको उससे पता चल चुका है क आप अनूठे ह।शायद
कसी दूसरे ि म उन शि य और कमज़ो रय का ठीक वही सि म ण (blend) नह होगा, जो आप म है।
अिधकांश लोग का कोर कसी एक कृ ित म यादा होता है, दूसरी कृ ित म उससे कम और बाक़ थोड़ा-थोड़ा
रहता है।कु छ लोग का कोर चार कृ ितय म बराबरी का होता है।ऐसे लोग आम तौर पर शांत संतोषी होते ह,
य क वे ब उ े यीय ि होते ह और साथ ही उ ह अपने गुण के बारे म िनणय लेने म सबसे यादा मुि कल
होती है।
आइए कु छ संभािवत सि म ण को देख :

वाभािवक सि म ण
जैसा आप चाट म देख सकते ह, लोकि य आशावादी / सश ोधी सि म ण वाभािवक है।वे दोन ही
बिहमुखी, आशावादी और प व ा होते ह। लोकि य आशावादी ि आनंद के िलए बोलता है, सश ोधी
ि काम करवाने के िलए बोलता है, ले कन वे दोन ही मुखर होते ह। अगर आप म यह सि म ण है, तो आप
म लीडरिशप क सबसे बड़ी ितभा है।अगर आप अपनी दोन शि य को एक कर द, तो आप एक ऐसे
ि बन जाते ह, जो दूसर को मागदशन दे सकता है और उनसे खुशी-खुशी काम करवा सकता है; ऐसा ि
जो आनंद से ेम करता है, ले कन ल य को हािसल कर सकता है; ऐसा ि िजस म ेरणा और संक प होता
है, ले कन िजसे उपलि धयाँ हािसल करने का नशा नह होता है।यह सि म ण काम और आनंद क अितय को
संतुिलत कर देता है, िजसके प रणाम व प ि काम और आनंद दोन को ही सही दृि कोण से लेता है।
ले कनअगर यह सि म ण नकारा मक बन जाए, तो ि दबंग बन जाता है और बेमतलब क बात करता है;
एक आवेगपूण ि जो गोल-गोल घूमता रहता है या एक अधीर ि जो हमेशा बीच म बाधा डालता है और
बातचीत पर एकािधकार करता है।
दूसरा वाभािवक सि म ण है पूण िनराशावादी/शांत संतोषी। वे दोन ही अंतमुखी, िनराशावादी और
िमतभाषी होते ह। वे यादा गंभीर होते ह, ि थितय क गहराई म देखते ह और मंच के बीच म खड़े नह रहना
चाहते ह। वे टेडी ज़वे ट क सलाह पर चलते ह, “धीरे बोलो और एक बड़ी छड़ी साथ म रखो।” शांत संतोषी
कृ ित पूण िनराशावादी कृ ित क गहराई को ह का करती है और पूण िनराशावादी कृ ित शांत संतोषी कृ ित
के ढीलेपन को ठीक करती है। इस तालमेल से महानतम िश ािवद् उ प होते ह, य क पूण िनराशावादी के
अ ययन और शोध का ेम शांत संतोषी लोग से तालमेल बैठाने और साम ी तुत करने क सुखद यो यता से
चमक उठता है। ले कन उ ह िनणय लेने म मुि कल हो सकती है। वे दोन ही इस े म धीमे होते ह, इसिलए वे
टालमटोल कर सकते ह। सबसे ब ढ़या तालमेल वह होता है, जब शांत संतोषी का संतुलन पूण िनराशावादी को
अवसाद म डू बने से रोके और पूणता क पूण िनराशावादी क इ छा शांत संतोषी को कम के िलए े रत करे ।
लोकि य आशावादी/सश ोधी कृ ित और पूण िनराशावादी/शांत संतोषी कृ ित वाभािवक सि म ण
ह। वे सगे भाई ह।

पूरक सि म ण
सश ोधी कृ ित/पूण िनराशावादी कृ ितय का तालमेल पूरक सि म ण है। यह एक ऐसा तालमेल है, जो
िबलकु ल सटीक बैठता है और कृ ितय क आपसी कमी का पूरक बन जाता है। सश ोधी/पूण िनराशावादी
कृ ितय वाला ि सव े िबज़नेसमैन बनता है, य क उसम सश ोधी कृ ित वाले ि क
लीडरिशप, उ साह और ल य का तालमेल होता है और आदश िवचारशील कृ ित वाले ि का
िव ेषणा मक, िववरण के ित जाग क, समयब ता वाला मि त क होता है। यह तालमेल अजेय होता है। कोई
भी चीज़ इस सि म ण क सीमा के परे नह होती है और वे िनि त प से सफल ह गे, चाहे इसम कतना ही
समय लग जाए। अगर वे कसी जीवनसाथी को सुधारने क ठान लेते ह, तो वे तब तक यह काम करते रहगे, जब
तक क सामने वाला आदश न बन जाए।
लुइसा नामक एक यारी युवती अपने वभाव को लेकर असमंजस म थी। जब मने उससे पूछा क वह
कॉलेज म कै सी थी, तो उसके चेहरे के भाव िबलकु ल ही बदल गए। वह एकदम संयत के उ साही हो गई, जब
उसने बताया क वह कॉलेज क िचयरलीडर थी और लोग के अनुसार उसक सफलता क सबसे यादा
संभावना थी। वह अपने बॉय ड के मागदशन मबदलने लगी थी, िजससे उसने बाद म शादी कर ली। उसका
बॉय ड सश ोधी/पूण िनराशावादी था, इसिलए वह उसे आदश बनाने के काम म जुट गया। जब वह कॉलेज
म पढ़ते समय उसे िच ी िलखती थी, तो वह लाल याही से उसक पे लंग ठीक करने के बारे म लगातार िनदश
देता था । अ छे इराद और अंतहीन लगन से उसने एक उछलती-कू दती उ साही लड़क को एक गंभीर,
ग रमामयी अिभने ी बना दया, जो यह नह जानती थी क वह कौन है ।
चूँ क यह सि म ण िनणयशील, सु वि थत, ल य-आधा रत होता है, इसिलए सश ोधी/पूण
िनराशावादी ि सबसे यादा े रत और संक पवान होता है तथा वह अनंत काल तक कसी उ े य म जुटा
रह सकता है । सकारा मक दशा म बढ़ने पर सश ोधी/पूण िनराशावादी ि सबसे यादा सफल होते ह,
ले कन जब अित हो जाए, तो इनक शि याँ भी असहनीय बन जाती ह ।
दूसरा पूरक सि म ण है लोकि य आशावादी/शांत संतोषी । एक ओर सश ोधी/पूण िनराशावादी
कृ ित के ि का काम क ओर झुकाव होता है, वह लोकि य आशावादी/शांत संतोषी ि आराम क
ज़ंदगी िबताना चाहता है और मज़े करना चाहता है । आरामदेह वभव और हा य के एस दोहरे तालमेल से
लोकि य आशावादी/शांत संतोषी लोग सबसे अ छे दो त होते ह । उनका गमजोशी भरा, शांत वभाव आकषक
होता है और लोग उनके साथ रहना पसंद करते ह । शांत संतोषी कृ ित लोकि य आशावादी कृ ित के उतार-
चढ़ाव को संयत करती ह, जब क लोकि य आशावादी ि व शांत संतोषी कृ ित को उ सािहत करता है ।
लोक- वहार क दृि से यह सि म ण सव े होता है । एसेलोग कमचारी, माता-िपता और लीडर के प म
े होते ह, य क उनम लोकि य आशावादी का मज़ेदार हा यपूण अंदाज़ और शांत संतोषी क ि थरता होती
है। दुभा य से, लोकि य आशावादी/शांत संतोषी सि म ण का दूसरा पहलू भी है। वे आलसी होते ह और काम से
बचना चाहते ह। िजस काम से बचा जा सके , उसे करने क उनक कोई इ छा नह होती है। इसके अलावा, वे पैसे
सँभालने के मामले म भी ब त कमज़ोर होते ह। हर वभाव के सि म ण क तरह ही इसम भी रोमांचक शि याँ
और कमज़ो रयाँ होती ह।

िवपरीत ूव
हमने वाभािवक और पूरक सि म ण देख िलए ह। अब हम िवपरीत सि म ण पर नज़र डालते ह। अगर एक ही
ि म लोकि य आशावादी/पूण िनराशावादी कृ ित ह या सश ोधी/शांत संतोषी कृ ित ह , तो आंत रक
संघष तय है - एक कृ ित अंतमुखी है, दूसरी बिहमुखी; एक का नज़ रया आशावादी है, दूसरी का िनराशावादी।
दोन सि म ण म लोकि य आशावादी/पूण िनराशावादी यादा भावुक होता है, य क एक ही शरीर म
लोकि य आशावादी लोग के पल-पल के उतार-चढ़ाव और पूण िनराशावादी कृ ित के अिधक गहरे तथा लंबे
सदमे रहते ह तथा इनम आसानी से संतुलन नह हो पाता है। इस खंिडत ि व (split personality) से
भावना मक सम याएँ उ प हो सकती ह। लोकि य आशावादी कृ ित कहती है, “आओ, चलो मज़े कर," ले कन
बीच म ही पूण िनराशावादी कृ ित गित रोक देती है।
इस कार क एक मिहला ने मुझे बताया क उसने अपने माता-िपता के िववाह क वषगाँठ पर पाट देने क
योजना बनाई थी। उसके लोकि य आशावादी िह से ने बेहतरीन िवचार सोचे थे, िजनम नए तरह के आमं ण,
के ट रं ग का िडनर और ऑक ा शािमल थे। बहरहाल, काय म के दो दन पहले उसके पूण िनराशावादी कृ ित
वाले िह से ने आगे आकर कहा, “तुम इतनी बड़ी पाट देने के झमेले म आिख़र य फँ स रही हो? इससे त काल
बाहर आ जाओ।” उस मिहला ने पाट र कर दी और फर कई ह त तक इस बात पर दुखी होती रही क उसके
इस िनणय से उसके माता-िपता कतने िनराश ए थे।

काम कर या न कर?
इस कार क अित करने वाले ि य के मामल के गहन अ ययन के दौरान हमने पाया क आम तौर पर यह
अतीत के आघात के कारण सीखी ई ित या होती है। हम इ ह “बचाव के नक़ाब” कहते ह। या तो पूण
िनराशावादी ब ा माता-िपता का यान आक षत करने के िलए लोकि यता का नक़ाब लगा लेता है या फर
लोकि य आशावादी ब ा अ वीकृ ित या मार के कारण अवसाद म डू ब जाता है और पूण िनराशावादी नक़ाब
लगा लेता है। गंभीर सम या वाले प रवार म बड़े होने वाले ब त से ब े आदश दखने का पूण िनराशावादी
नक़ाब लगा लेते ह। ‘‘अगर म आदश दखूंगा, तो डैडी मुझे नह मारगे और म मी मुझ पर नह िच लाएँगी।”
प रवार म अगर शराब, नशे, अ वीकृ ित, कामुक या भावना मक दु वहार क सम या हो, तो ब े ि व के
नक़ाब लगाने के िलए मजबूर हो जाते ह। वे यह नह जानते क िस टम से कै से लड़ा जाता है, इसिलए वे वही बन
जाते ह, िजससे उ ह बचने म मदद िमलती है।
वय क के प म उनका ि व खिडत नज़र आता है। वे अपनी ही मनोदशा के िवपरीत ुव को नह
समझ पाते ह और यह तय नह कर पाते ह क काम कर या न कर... चाहे वे उसके िलए े रत ह या न ह ।
सश ोधी/शांत संतोषी सि म ण वाले ि म िवपरीत कृ ितय के भावना मक दबाव ऐसे नह होते ह,
ले कन उनम “काम कर या न कर” का मह वपूण संघष होता है। शांत संतोषी कृ ित वाला िह सा हर चीज़ को
आराम से करना चाहता है, जब क सश ोधी कृ ित वाला िह सा जब कोई साथक काम नह करता है, तो ख़द
को अपराधी समझता है। इस सम या को सुलझाने के िलए आम तौर पर जीवन को दो िह स म िवभािजत करना
पड़ता है - नौकरी म कड़ी मेहनत और घर पर आराम।
कई बार सश ोधी ि अपने काम म पूरी ताक़त झ क देता है और घर लौटने तक या तो इतना थक
चुका होता है क उँ गली तक नह उठाना चाहता या फर उसे लगता है क घर इतना मह वपूण नह है क वहाँ
पर वह मेहनत करे । हो सकता है, शांत संतोषी ि नौकरी म मेहनत करे , जहाँ वह े रत होने के कारण सश
ोधी कृ ित का भी लग सकता है, ले कन शाम को घर लौटने पर पूरी तरह आराम करे ।
अगर आपम यह सि म ण दखता है, तो ख़द से पूछ क या आप मूलतः सश ोधी कृ ित के ह और घर
पर अपनी कृ ित को दबा रहे ह या फर आप शांत संतोषी कृ ित के ह और काम करने के िलए े रत ह।
अगर इन सवाल का कोई संतोषजनक जवाब न िमले, तो शायद आप बचाव का नक़ाब ओढ़े ह और आपको
यह एहसास ही नह है क आपके बचपन का कु छ दद अब भी आपके वय क जीवन को भािवत कर रहा है।
सश ोधी ब ा अपने माता-िपता क बहस और लड़ाई को देखने के बाद इस नतीजे पर प च ँ ता है क सबसे
अ छी नीित यही है क वह िनयं ण क अपनी इ छा को िछपा ले और शांत रहे। अगर इस ब े को प रवार के
िनणय म शािमल न कया जाए, जैसे उसके कपड़े, उसका कमरा, उसका पालतू कु ा, उसके कू ल के िवषय,
उसका कै रयर, और/या उसके जीवनसाथी का चुनाव, तो वह यह जान जाता है क या तो उसे िनयं ण के िलए
संघष करना होगा और “बुरे ब ”े क छिव के साथ जीना होगा या फर उसे हार मानकर दूसर क स ा को
वीकार करना होगा, जब तक क वह घर छोड़कर जाने क ि थित म न आ जाए। अगर सश ोधी कृ ित के
ब े के साथ दु वहार कया जाए, तो वह मन ही मन सोचता है, “म अभी तो इस बारे म चुप र ग ँ ा, ले कन जब
म यहाँ से बाहर िनकलूँगा, तो कोई भी मुझ पर दोबारा िनयं ण नह कर पाएगा।” ि थित चाहे इनम से कोई भी
हो, सश ोधी ब ा शांत संतोषी कृ ित का नक़ाब लगा लेता है। वय क बनने के बाद वह िनयं ण और
आ ाका रता के बीच झूलता रहता है और उसे समझ म नह आता है क ऐसा य हो रहा है।
शांत संतोषी ब ा िनयं ण नह करना चाहता है और आम तौर पर उसका वहार सबसे अ छा होता है।
यह ब ा शि का नक़ाब य ओढ़ता है और िनयं ण अपने हाथ म य लेता है? ऐसा िसफ तभी होता है, जब
वह अपने प रवार क ि थित को बेक़ाबू होते देखता है और सोचता है, “ कसी न कसी को तो इसे सही करना
होगा।” एक माता/िपता के प रवार म अ सर जो अिभभावक प रवार म नह रहता है, उसक िज़ मेदारी कसी
ब े पर डाल दी जाती है। अगर यह ब ा शांत संतोषी है, तो वह सश ोधी नक़ाब लगा लेता है, अपने शांत
वभाव का दमन करता है और िनयं ण अपने हाथ म ले लेता है। वय क के प म वह अिनवाय ि थितय म ही
िनयं ण लेता है और मौक़ा िमलते ही सब कु छ छोड़-छाड़कर आराम करने लगता है। वह हमेशा थका रहता है
और यह नह जानता है क वह अंदर से इतना खंिडत य महसूस कर रहा है।
अगर आपम िवपरीत कृ ितय का सि म ण हो, तो बचपन क अपनी भावना को याद कर और देख क
या इन प ीकरण से आपको कु छ समझ म आता है। अिधक अ ययन के िलए इं ग युअर माइं ड ॉम
मेमोरीज़ दैट बाइं ड और युअर पसनैिलटी ी पढ़, ख़ास तौर पर नक़ाब लगाने वाला अ याय ।
अगर आपम सभी कृ ितय के “थोड़े-थोड़े” गुण ह, तो ऐसा कई कारण से हो सकता है। हो सकता है, आपने
जाँच म ग़लत जवाब दए ह। आप श द को नह समझ पाए ह (पृ 242 पर दी प रभाषा को पढ़); आप शांत
संतोषी कृ ित के ह और आपको िनणय लेने म द क़त आती है; आप आदश ह और गित के िशखर पर प च ँ ने
वाले ह, या आप बचपन म इतने िनयंि त, िनदिशत या दबे ए थे क आप अब तक यह नह समझ पाए ह क
आप सचमुच कै से ह।
आप पसनैिलटी ोफ़ाइल म चाहे जहाँ भी ह , याद रख क मह वपूण बात लेबल नह है; मह वपूण बात तो
आपके ि व क शि य और कमज़ो रय क समझ है।

...मुझे िवराट और अ भुत तरीक़े से बनाया गया है...।


भजनाः 139:14
अ याय 13

हम बंधन म नह रहना चाहते

जब म पसनैिलटी लस सेिमनार म कृ ितय क अवधारणा बताती ,ँ तो कई बार लोग मुझसे पूछते ह, “आप
हम छोटे-छोटे ब स म रखने क कोिशश य कर रही ह?” मने इस सवाल के बारे म ब त सोचा है और म इस
नतीजे पर प चँ ी ँ क हम पहले से ही अपने छोटे-छोटे ब स म रह रहे ह। हम जीवन म चाहे जो कर, हमारा
तं हमारे साथ चलता है। हम उतनी ही दूर तक जाते ह, जहाँ तक हम आरामदेह महसूस करते ह। हम अपनी
दीवार को नह लाँघते ह और दरवाज़ा खोलने से पहले दरार म से नह झाँकते ह।

शु से ही ब से
जब हम पैदा होते ह, तो हम त काल एक छोटे ब से म प च ँ ा दया जाता है। हमारी छोटी सी जगह को दीवार
से घेर दया जाता है। उसम एक िखड़क भी होती है, िजसम से झाँककर ेमपूण र तेदार हमारे असहाय प को
देख सकते ह। घर लाते समय हम कपड़ म लपेट दया जाता है और एक नए ब से यानी पालने म रख दया
जाता है, िजसम हमारी सुर ा के िलए चार तरफ़ छड़ लगी रहती ह। बाहर ले जाते समय हम डिलया म रखा
जाता है या फर ब क सीट म बे ट से कस दया जाता है। सुपरमाकट म भी सुर ा के िलए हम शॉ पंग काट
के भीतर बैठाया जाता है। जब हम बड़े ब स म प च ँ ते ह, तो हम लेपेन म रख दया जाता है, जो हम अपनी
जगह पर बाँधे रखता है। बाद म हम अपने कमरे म पैदल चलने क इजाज़त दे दी जाती है, जब क दरवाज़े पर
छोटा गेट होता है। जब हम थोड़े साहसी बनते ह, तो हम चहारदीवारी वाले पीछे के आँगन म घूमने- फरने क
वतं ता दे दी जाती है। हर कू ल म हर लास का एक कमरा होता है और हम एक साल तक एक टीचर के साथ
उसी सुरि त थान पर रहते ह।
बड़े होने के बाद भी ब सा हमारा पीछा नह छोड़ता है। जब हम बड़ी दुिनया म क़दम रखते ह, तो अपनी
दीवार को अपने साथ लेकर चलते ह। जब मने कॉलेज म दािख़ला िलया, तो मुझे एक ममेट के साथ एक ब से
म रख दया गया, ले कन कु छ ही दन म हम दोन ने अपने बीच एक अदृ य दीवार ख च ली। िब तर पर
िबछाई जाने वाली चादर , दीवार के पो टर और सामान रखने के बारे म हमारी राय अलग-अलग थी, इसिलए
हमने फ़श पर एक सीमारे खा बना ली और कमरे को आधे-आधे िह स म बाँटकर एक-दूसरे क तरफ़ पीठ कर
ली। हम दोन ने ही अपने ख़द के ब से बना िलए, जहाँ हम सुरि त महसूस करते थे।
बहरहाल, कृ ितय क अवधारणा हम कसी पंजरे म बंद नह करती है और हमारे पैर को सीमट से नह
जोड़ती है। इससे तो हम यह देखने म मदद िमलती है क हम कस तरह के ब से म ह और वहाँ से बाहर कै से
िनकल सकते ह। जब हम यह एहसास होता है क हमारी मूलभूत कमज़ो रय ने हम कस तरह क़ै द कर रखा है,
तो हम दरवाज़ा खोलने और पास वाले घर के अहाते क तरफ़ बढ़ने क िह मत और मेहनत कर सकते ह।
ि व के बारे म मने यह ट पणी सबसे यादा बार सुनी है, “इसने मुझे मु कर दया है और अब म वह बन
गया/गई ,ँ जो म सचमुच ।ँ ” जब हम ख़द को समझ लेते ह और अपनी कृ ितय के ित स े बन जाते ह, तो
हम अपने आप उन लोग को वीकार करने लगते ह, जो हमारे नज़ रए से नह देखते ह और हमसे िवपरीत
जीवनशैली जीना चाहते ह।
जब हम शादी करते ह
जब हम इस बारे म सोचते ह क हम अपने ब से को बनाने और इसे अपनी ॉ फ़य से सजाने म कतने साल
लगते ह, तो इसम कोई हैरानी क बात नह है क जब हम कसी अलग तरह के ब से म रहने वाले ि से
शादी करते ह, तो हमारा तालमेल सही नह बैठता है!
हम िभ कृ ित के ि के साथ िववाह के बंधन म बँधते ह और हनीमून के दौरान ही सोचने लगते ह क
सामने वाला कतनी ज दी हमारे िस टम से तालमेल बैठाएगा। एक ही पलंग पर सोने के बावजूद हमारे आस-
पास चहारदीवारी क़ायम रहती है।
मेरे पास सलाह लेने आई एक मिहला ने मुझे यह कहानी सुनाई। िसि वया पूण िनराशावादी थी। उसक हर
चीज़ आदश थी : उसके बाल, उसका मेकअप, उसके नाख़ून। वह एक एयरलाइन म एयर हो टेस थी और एक
अंतरा ीय उड़ान के दौरान मनमोहक बड से िमली थी। बड ने लोकि य आशावादी ि व और वा पटु ता से
िसि वया का दल जीत िलया और कु छ महीन बाद ही दोन ने शादी कर ली। चूँ क िसि वया ने वे ट को ट पर
एक घर को फ़न चर से सजा िलया था, इसिलए वह इसे नह छोड़ना चाहती थी। बड भी इस बात से सहमत था,
य क वह तीन अ य पु ष के साथ एक अपाटमट म रह रहा था और उसके पास यादा फ़न चर भी नह था।
जब हनीमून के बाद िसि वया पहले दन काम पर जाने लगी, तो बड ने उससे कहा क वह कु छ सामान
लाने के िलए अपने अपाटमट जा रहा है। बहरहाल, जब िसि वया उस रात को घर लौटी, तो उसे अपनी आँख
पर यक़ न नह आ। बड अपना “कु छ सामान” ले आया था। उसने िसि वया के िपकासो के ं स के पास अपने
कु छ क पो टर लगा दए थे। मरे ए हाथी क तरह दखने वाली एक बदसूरत बीनबैग कु स न िसि वया के
एन सोफ़े के पास रखी थी और कचन काउं टर पर एक िनयॉन साइन लगा था, जो बडवीज़र िबयर के फ़ायदे बता
रहा था।
िसि वया बड के मदना ि व से यार करती थी, ले कन यह नह जानती थी क वह अपने ब से को भी
साथ ले आएगा।

अपनी मूलभूत कृ ित को समजने से हम फ़े स से नह िघरते ह


अपनी मूलभूत कृ ित क समझ हमारी सुर ा मक दीवार म एक दारा खोल देती है। इससे हम ख़द को और
दूसर को यथाथवादी ढंग से वीकार करते ह। इससे हम यह भी सीखते ह क सम या का पूवानुमान कै से
लगाया जाए और उनके उ प होने से पहले ही उनसे कै से िनबटा जाए। ज़रा सोिचए, अगर हम संकट बनने से
पहले ही छोटी-छोटी बात से िनबट ल, तो इससे हमारा कतना तनाव और दुख कम हो सकता है! हमारी और
दूसर क कृ ितय को समझने से हम अतीत क तरह ही भावी ि थितय से िनबटने क मता िमलती है।
जब हम कसी ि क कृ ित के बारे म जान जाते ह, तो हम अलग-अलग ि थितय म उसक ित या का
अनुमान लगा सकते ह और नुक़सान होने से पहले ही उसे दु त करने के साधन जुटा सकते ह।

अपनी कमज़ो रयाँ वीकार कर


कसी भी तरह के आ म-सुधार क दशा म पहला क़दम अपनी कमज़ो रय का पता लगाना है और फर यह
वीकार करना है क हमम वे कमज़ो रयाँ ह। अगर हम अपने दोष खोजने से इं कार करगे और उ ह वीकार नह
करगे, तो हम उनके बारे म कोई सकारा मक क़दम नह उठा पाएँगे। हम बरस से कोई चीज़ ग़लत कर रहे ह, यह
वीकार करने से हमारा गव आहत होता है, ले कन यह िवकास क दशा म पहला क़दम है। अप रप लोग अपने
माता-िपता, जीवनसाथी, ब , िम और प रि थितय को दोष देते ह, िजनक वजह से वे वह नह बन पाए,
जो वे बनना चाहते थे। प रप ि ख़द क जाँच करता है, अपने दोष का पता लगाता है और उ ह दूर करने
के काम म जुट जाता है।
हमारा वहार ऐसा य है, यह पता लगाने के िलए अपने बचपन के दद और अ वीकृ ित का िव ेषण
करना मह वपूण है। ले कन इस खोज का मक़सद कसी को दोष देना नह है, बि क ख़द को समझना और उपचार
क या शु करना है।
ए कोहिल स एनॉिनमस म हर ि को खड़े होकर अपना नाम बताकर यह कहना होता है, “म शराबी
।ँ ” जब तक कोई ि इस बात को बोलकर वीकार नह करता है, तब तक उसका इलाज नह हो सकता। हम
कसी ऐसी कमज़ोरी को दूर नह कर सकते, िजसे हम मानने को ही तैयार न ह । अगर पसनैिलटी एनॉिनमस
जैसी कोई सं था हो, तो हम खड़े होकर यह कहना पड़ेगा :

म लोकि य आशावादी कृ ित का ,ँ ले कन
म लगातार बोलता ।ँ
म पूण िनराशावादी कृ ित का ,ँ ले कन
म ज दी ही िनराश हो जाता ।ँ
म सश ोधी कृ ित का ,ँ ले कन
म दबंग और अधीर ।ँ
म शांत संतोषी कृ ित का ,ँ ले कन
मुझम उ साह नह है।

यह वीकार करते ही हम सही दशा म चलने लगते ह।

ि गत योजना बना ल
अब आप चार मूलभूत कृ ितय के बारे म जान चुके ह और अपने कोर को देख चुके ह, िजससे आपको अपने
गुण का सि म ण पता चल चुका है। अब आप अपने सकारा मक गुण को बढ़ाने और नकारा मक गुण को ख़ म
करने के क़दम उठाने के िलए तैयार ह। अपनी पसनैिलटी ोफ़ाइल देख।

अपनी शि य का आकलन कर
लोकि य आशावादी और सश ोधी ि अपनी शि य को ब त ज दी देख लेते ह और उ ह फ़ौरन
वीकार कर लेते ह, ले कन पूण िनराशावादी तथा शांत संतोषी ि य को अपने िनराशावादी वभाव के
कारण अपने सकारा मक गुण को वीकार करने से पहले अ सर थोड़ी देर सोचना पड़ता है। चाहे आपका
वभाव कै सा भी हो, अपनी पसनैिलटी ोफ़ाइल को यथाथवादी ढंग से देख और यह फै सला कर क आपक नज़र
म लोक- वहार क आपक तीन मुख शि याँ कौन सी ह। नीचे उ ह िलख ल।

(अगर आप यह अ ययन अपने प रवार या कसी समूह के साथ कर रहे ह, तो इस समय हर ि क शि य


पर चचा कर और स ी शंसा करके एक-दूसरे का उ साह बढ़ाएँ।)
जब आप अपनी शि य क ओर देख, तो ई र को ध यवाद द क उसने आपको ये यो यताएँ दी ह और
फर उ ह वीकार कर। आपम से जो इस नज़ रए को त काल बदल लेना चािहए। आपम अ छे गुण ह। आपक
तथाकिथत झूठी िवन ता अनाकषक है और बाक़ लोग को इस बात के िलए िववश करती है क वे आपको
लगातार ऊपर उठाते रह। इस वजह से
दूसरे लोग थक जाते ह और आपसे कतराने लगते ह। इसके अलावा, यह आपक हीन आ म-छिव क
अनाव यक बैसाखी है। आपको दोबारा कभी नाकारा महसूस करने क ज़ रत नह है। आपको शि याँ और
कमज़ो रयाँ दोन ही िमली ह। ई र ने आपको “देवदूत से थोड़ा सा कम” ही बनाया है और वह यह क़तई नह
चाहता क आप हीनता या दीनता दारा अपनी शि य को नकारने म अपना समय बबाद कर।
अपनी चुनी ई तीन शि य क तरफ़ देख। ई र को उनके िलए ध यवाद द और यह कभी न भूल क आप
मह वपूण ह। या आप अपनी इन यो यता का अिधकतम उपयोग कर रहे ह? जब पसनैिलटी लस सेिमनार
म हर ि अपने गुण क सूची बनाता है, तो ितभागी हमेशा इस बात पर हैरान होते ह क वे अपनी कतनी
शि य का उपयोग नह कर रहे ह। ब त से लोग म सोई ई यो यताएँ और गुण रहते ह, िजनका दोहन नह
कया जाता है।
कु छ लोग तो अब भी लड़खड़ाकर चल रहे ह, य क उ ह बचपन म बताया गया था, तुम कभी सफल नह
हो पाओगे, तुमम कोई ितभा नह है, तुम िजस चीज़ को छू ते हो, वह बबाद हो जाती है। अतीत क इन चोट को
आज ही दूर हटा द और अपनी शि य के अनु प काम करना शु कर द।

अपनी कमज़ो रयो का आकलन कर


पूण िनराशावादी और शांत संतोषी ि य को अपनी शि य के मू यांकन म द क़त आ सकती है, जब क
लोकि य आशावादी और सश ोधी ि य को अपनी कमज़ो रय का मू यांकन करना गवारा नह होता है।
उनका एक ब त बड़ा दोष यह सोच है क उनम कोई कमज़ोरी या दोष नह है। आपक ि गत कृ ित कै सी
भी हो, ले कन अपनी कमज़ो रय के बारे म गहराई और ईमानदारी से सोच। इसके बाद उन तीन कमज़ो रय को
िलख ल, िजनम सुधार क सबसे यादा ज़ रत है।

अगर आप अपने ि व को सचमुच यादा आकषक बनाना चाहते ह, तो दूसर से मदद माँगने म न िहचक।

दूसर क राय ल
दूसर से यह पूछने क िह मत कर, “अगर मुझे अपने ि व के कसी एक पहलू पर काम करना हो, तो आपके
िहसाब से मुझे कहाँ से शु करना चािहए?” फर वह काम कर, िजसे करना सबसे यादा मुि कल है : सुन।
जब वे अपनी राय बता द, तो उनसे यह न कह क उनका दमाग सरक गया है। र ा मक बनकर यह भी न
कह, “ले कन आप तो मुझसे भी यादा गए-गुज़रे ह।” सामने वाला चाहे जो कहे, उसे ध यवाद द और उसक
राय के बारे म सोच। अ सर लोग मुझे िबना माँगी सलाह देते ह और इसाई ेम के वशीभूत होकर मेरी
रचना मक आलोचना करते ह। हालाँ क म कभी इन सुझाव के बारे म रोमांिचत नह होती ,ँ ले कन मने उन
पर िवचार करना ज़ र सीख िलया है। अगर उनम कोई स ाई होती है, तो म उसे हण कर लेती ,ँ फर म ख़द
को िजतना बदल सकती ,ँ उतना बदल लेती ँ और बाक़ बात को नज़रअंदाज़ कर देती ।ँ आम तौर पर
नकारा मक ट पिणय म थोड़ी-ब त स ाई होती है और प रप बनने के िलए हम आलोचना को ग रमा तथा
कृ त ता के साथ वीकार करना चािहए।

ि गत सुधार क योजना बना ल


जब आप अपनी तीन कमज़ो रय क तरफ़ देख, िजन पर मेहनत करने का आपने िवक प चुना है, तो इस बात
क सूची बना ल क आप इन े को बदलने के िलए दरअसल करने या वाले ह।
अपनी कमज़ो रय को वीकार करना पहला क़दम है, ले कन इतना ही काफ़ नह है।
आप अपने संबंध को बेहतर बनाने के िलए या कर सकते ह ? लोकि य आशावादी ि अपनी जीभ
दबाना सीख सकते ह और पहले से आधा बोलने क आदत डाल सकते ह। पूण िनराशावादी ि नकारा मक
होने पर चुप रह सकते ह और आलोचना मक सश ोधी ि दूसर क राय सुनने क आदत डाल सकते ह।
शांत संतोषी ि तब तक उ साह का अिभनय कर सकते ह, जब तक क वे सचमुच उ सािहत न हो जाएँ।
बदलाव म क तो होता है, ले कन इसके िबना हम बेहतर नह बन सकते ह।

अपने प रवार वाल को मदद माँगे


सीखने क इ छा से यादा आकषक कु छ नह होता, ख़ासकर तब, जब कोई सुधार क माँग करे और उ ह
ध यवाद सिहत वीकार करे । जब म मे रटा को व ा बनने का िश ण दे रही थी, तो म इस बात से ब त
ो सािहत ई क वह मुझसे सीखने क ब त यादा इ छु क थी और बहाने नह बनाती थी। मेरे सुझाव पर वह
मुझे ध यवाद तो देती ही थी, उन पर अमल भी करती थी। सीखने क इ छा ब त ही दुलभ और सुंदर गुण है।
अगर आपम सीखने क इ छा है, तो प रवार वाल से अपनी ग़लितयाँ पूछने म आपको कोई द क़त नह
होगी। ले कन अगर आपम यह इ छा नह है, तो आपको मदद माँगने से पहले ई र से ाथना करना चािहए क
आप सही तरीक़े से यह काम कर। आपको यह एहसास होना चािहए क हो सकता है, शु आत म आपके प रवार
वाले आपक बात को गंभीरता से न ल। अगर आपको लगे क उ ह आपके इराद पर शक है, तो इसका मतलब
शायद यह है क उ ह यह िव ास नह है क आपके इरादे गंभीर ह। हो सकता है, अतीत म आपने अपने और
उनके बीच दीवार खड़ी कर ली ह , िजस वजह से वे आपको स ाई बताने क िह मत नह कर पा रहे ह।
अगर आप मूलभत प से लोकि य आशावादी ह, तो आपका प रवार जानता है क आपम इतना संक प
नह है क कसी भी सुधारवादी काम म एक दन से यादा जुटे रह सक। वे जानते ह क आप िसफ़ अ छी बात
ही
सुनना चाहते ह और सम या या आलोचना से दूर भाग जाते ह। वे जानते ह क आप सचमुच अपने दोष
से नह िनबटना चाहते ह, इसिलए वे कह सकते ह, “तुम जैसे हो, ब त अ छे हो।” अगर आप बुिनयादी तौर पर
लोकि य आशावादी ह, तो यह सुनकर आप कहगे, "ओह, ब त ब ढ़या! तब तो मुझे बदलने क कोई ज़ रत नह
है।” आपको सुधार के ित स ी िन ा दखानी होगी, तभी आपके प रवार वाल को यक़ न होगा।
अगर आप पूण िनराशावादी ह, तो आपके सामने एक अलग तरह क द क़त आ जाती है। आपने अपने मूड
से प रवार वाल को इतने लंबे समय तक िनयंि त कया है क वे आपके बारे म कोई भी नकारा मक बात कहने
क िह मत नह जुटा पाते ह। उ ह यह डर रहता है क उसे सुनकर कह आप उदास न हो जाएँ। वे आपके दोष
बताकर जोिखम लेने के बजाय आपके दोष के साथ रहना यादा पसंद करगे। उ ह यह डर होता है क आपके
दोष के बारे म अगर उ ह ने कु छ कहा, तो आपका चेहरा लटक जाएगा और उस पर आहत तथा गंभीर भाव आ
जाएगा। उनका सहयोग पाने के िलए आपको िवपरीत प रि थितय म भी मु कराना होगा और बा रश म भी
गीत गाना होगा।
अगर आप सश ोधी ह, तो आपने शायद प रवारवाल को दृढ़ता से िनयंि त कया है और कोई भी
आपसे इसिलए िववाद नह करना चाहता, य क सभी आपके गु से से डरते ह। आपको अपने सवाल पूछने से
पहले यह कहना होगा, ‘म वादा करता ँ क अगर आप मुझे स ी राय दगे, तो म िवचिलत नह होऊँगा। म
सचमुच बेहतर बनना चाहता ।ँ म सचमुच बदलना चाहता ।ँ ” (उनके चेहरे पर सदमे का भाव और आँख म
अिव ास क झलक देख!)
अगर आप शांत सतोषी ह, तो आपको यह िनणय लेने म द त आएगी क कन कमज़ो रय पर मेहनत क
जाए। हो सकता है क आप सूची बनाने क िज़ मेदारी समूह को ही दे द, ता क वे आपके दोष चुन ल। हो सकता
है क आपके प रवार वाले इस बात को यादा गंभीरता से न ल, य क वे जानते ह क आपने अतीत म िजतने
संक प कए थे, उन पर आपने मेहनत नह क थी - वे पेड़ पर लगे-लगे ही मुरझा गए थे। आपको
प रवार वाल से सहयोग पाने के िलए िनणायक संक प दखाने क ज़ रत होगी।

स ी राय को ो सािहत कर
जब हमम से कोई भी दूसरे लोग के साथ ई बातचीत के बारे म सोचने का समय िनकालता है, तो हम एहसास
होता है क हम स ी राय को कतना कम ो सािहत करते ह। हम अपने चार तरफ़ अपने ब से बना लेते ह।
लोग सीख जाते ह क वे हमारी फ़स के कतने क़रीब आने क िह मत कर सकते ह, इसिलए वे हमारे साथ एक
ऐसा औपचा रक संबंध बना लेते ह, जो िबलकु ल कृ ि म हो सकता है। या आपके प रवार वाले आपको शांत
रखने के िलए कृ ि म वहार करते ह? या आपके सहकम जानते ह क वे आपके कतने क़रीब आ सकते ह,
िजसके बाद आप गु से म आ जाएँगे या झ लाने लगगे ? अगर लोग आपके साथ द ताने पहनकर पेश आ रहे ह,
तो शायद यही समय है क आप उनके साथ ईमानदार हो जाएँ और उ ह अपने बारे म ईमानदार होने क
अनुमित द।
ब त से दंपितय ने एक साथ बैठकर अपने चाट पर चचा करने के बाद हम बताया है क बरस बाद उनके
बीच पहली साथक बातचीत ई है। एक मिहला ने कहा, “जब भी हमारे सामने सम याएँ आती थ , हम एक-
दूसरे के साथ हमेशा र ा मक हो जाते थे। हम दोन ही दखावे का जीवन जी रहे थे। जब हमने बैठकर चाट पर
बातचीत क , तो पहली बार हमने अपने दोष को अपने मुँह से कहा। ऐसा लग रहा था क काग़ज़ बातचीत कर
रहा था, इसिलए हम एक-दूसरे पर ग़ सा नह ए। कृ ितय के इस अ ययन ने खुलकर और ईमानदारी से
बातचीत करने क हमारी मता को बदल दया है।”
कु छ लोग इतनी मोटी दीवार खड़ी कर लेते ह क कोई भी अंदर के वा तिवक व प को नह जान पाता है।
अ सर ऐसा करने के पीछे उनका इरादा भी यही होता है। (“अगर आप सचमुच जान गए क म भीतर से कै सा ,ँ
तो आप मेरी परवाह नह करगे।”) आइए हम अपने नक़ाब के पीछे से बाहर िनकल और बदलने क िह मत कर।
अतीत क हमारी असफलता से हम फस से िघरने क ज़ रत नह है। हम तो अपनी भावी संभावना के े म
क़दम बढ़ाने क ज़ रत है।

जो भी ान से ेम करता है, वह अपनी ग़लतीय को जानना


चाहता है| सुधार से नफ़रत करना मुखता है|
ोव स 12:1 जीएनबी
अ याय 14

िवपरीत ुव आक षत होता ह

हम सभी ने सुना है क िवपरीत ुव एक-दूसरे क तरफ़ आक षत होते ह। े ड और म इस बात के आदश


उदाहरण ह। इतने साल तक कृ ितय के अ ययन म हमने देखा है क समान ि व के ब त कम लोग एक-
दूसरे से शादी करते ह। िवपरीत ि व के लोग का िववाह के सू म बँधना ब त लाभकारी होता है, य क
इससे दोन िमलकर अिधक शि शाली बन जाते ह। लोकि य आशावादी ि चंचल होते ह, इसिलए वे पूण
िनराशावादी ि को िनराशा से उबारते ह। पूण िनराशावादी ि सु वि थत होते ह, इसिलए वे लोकि य
आशावादी ि को वि थत करते ह। जब हम अपने वैवािहक जीवन क ओर देखते ह और समझ लेते ह क
एक जीवनसाथी क शि याँ दूसर क कमज़ो रय क भरपाई करती ह, तो हम अपनी िभ ता के िलए कृ त
हो सकते ह और सामने वाले को बदलने क कोिशश बंद कर सकते ह।

लोकि य आशावादी/पूण िनराशावादी संबंध


िववाह से पहले हमम एक-दूसरे के अ छे गुण देखने क वृि होती है। हम यह मान लेते ह क सामने वाले म जो
थोड़ी-ब त सतही कमज़ो रयाँ ह, वे भी ग़ायब हो जाएँगी, जब उसे हमारे जैसे ेरक ि के साथ रहने का
अवसर िमलेगा। ले कन जैसा े ड और मने सीखा, अ सर इस तरह का कायापलट नह होता है।
जब हम पहली बार िमले थे, तो े ड मेरे लोकि य आशावादी ि व से आक षत ए थे। चूँ क उ ह
सामािजक अवसर पर होने वाली गपशप पसंद नह थी, इसिलए उ ह महसूस आ क अगर उ ह ने मुझसे शादी
कर ली, तो म उनक तरफ़ से भी बातचीत कर लूँगी - और मने ऐसा ही कया। मुझे े ड म पूण िनराशावादी
ि व क गहराई और ि थरता नज़र आई थी। म जानती थी क वे मेरे जीवन को पटरी पर ला सकते ह और
वि थत कर सकते ह - और उ ह ने ऐसा ही कया!
हम एक-दूसरे क िवपरीत शि य के ित आक षत ए। हालाँ क हम उस व त यह बात नह जानते थे,
ले कन हम दोन ही अपने ि व क किमय वाले िह से क पू त करने क कोिशश कर रहे थे। चूँ क हम दो
आदश लोग थे, जो आदश िववाह चाहते थे, इसिलए हमने कभी कसी तरह क सम या क आशंका के बारे म
िवचार तक नह कया। बहरहाल, हमारा यह आशावादी चंतन ग़लत सािबत आ।
आइए एक मु ा देख, जहाँ हमारे बीच ता कािलक संघष आ : हमारे समय क योजना। शादी से पहले म
हर दन पाँच अलग-अलग हाई कू ल कोसस पढ़ाती थी। उस व े ड मेरे जीवन म नह थे, इसके बावजूद म
नाटक का िनदशन करती थी, ले कन िजस पल हम हनीमून मनाने बरमुडा प च ँ े, े ड हमारी दनचया का चाट
बनाने लगे, ता क हमारी छु याँ बबाद न हो जाएँ। उ ह ने फ़ै सला कया क पुराने कल को देखना अ छा
रहेगा और टापू के इितहास पर कई पै फ़लेट पढ़ने के बाद उ ह ने इसक योजना बना ली।
सही तरीक़े से या ा करने के िलए उ ह ने मोटरबाइक कराए पर ले ली। जब वे बाइक के साथ आए िनदश
पढ़ रहे थे, तभी मने अपनी बाइक चालू कर ली, हालाँ क म नह जानती थी क इसे कै से रोकना है। नतीजा यह
आ क बाइक सीधे एक प थर क दीवार से टकरा गई, जो मेरे सामने अचानक बाधा क तरह आ गई थी। जब
बाइक के मािलक ने मुझे िगरते देखा और अपनी बाइक के आगे वाले पिहए को िपछले पिहए पर पड़ा देखा, तो
वह चीखता आ मेरे पास आया। े ड अपमािनत महसूस कर रहे थे क उनक प ी इतनी मूख हो सकती है क
िबना कसी योजना के काम शु कर दे। उ ह ने मुझे वह एक भाषण िपलाया, जो एक ऐसे जुमले से शु आ,
िजससे म बाद म ब त िचढ़ने लगी : “सभी जानते ह क...।” जब उ ह ने मुझे दीवार म िभड़ने क मूखता का
एहसास करा दया, तो इसके बाद उ ह ने बाइक क टू ट-फू ट का हजाना भर दया और मुझे एक नई बाइक पर
बैठा दया, िजस पर मुझे चुपचाप बैठना था। फर े ड मुझे बाइक के िह स के बारे म ऐसी श दावली म
समझाने लगे, जो पहली लास के ब े को भी समझ म आ जाए। उस घटना से मने सीखा :

े ड माट थे - म मूख थी
े ड शि शाली थे - म कमज़ोर थी
े ड सही थे - म ग़लत थी

मुझे इनम से कोई िन कष पसंद नह था, ले कन मुझे पं ह साल तक इनके साथ रहना पड़ा, जब तक क हम
कृ ितय के बारे म पता नह चल गया। फर हम दोन ने ही पाया क अगर हमारा जीवनसाथी हमसे िभ है,
तो इसी कारण वह गलत नह हो जाता।

दुख म सहानुभूित अ छी लगती है


बरमुडा से आोशन मोनाक पर लौटते समय बंदरगाह छोड़ने से पहले ही े ड को समु ी या ा के दौरान होने
वाली सी-िसकनेस (sea-sickness) हो गई। वह िब तर पर पड़ गया और कराहने लगा, “काश म मर जाऊँ!”
मुझे बीमार लोग कभी पसंद नह थे, इसिलए म वहाँ से दूर भाग गई। तब हमम से कोई भी ि व के बारे म
नह जानता था। े ड इस बात से ब त आहत ए क म उनके के िबन म नह क , उनके माथे पर ठं डी प याँ
नह रख और उनके दुख म साथ नह दया। पूण िनराशावादी ि य को सहानुभूित ब त अ छी लगती है। वे
बीमार लोग के साथ बैठने के इ छु क होते ह और यह मानते ह क कोई भी स य ि बीमार क देखभाल
करे गा।
म इस बात पर िवचिलत थी क े ड नाव पर मेरे अ छे-भले समय को बबाद कर रहे थे। अपनी अंतरा मा
को राहत देने के िलए मने कु छ उ साहवधक श द कहे और फ़ौरन वहाँ से िनकलकर नाव म ख़शी के पल तलाशने
लगी। े ड को यह एहसास नह था क लोकि य आशावादी ि बीमारी से िचढ़ते ह, कसी भी अि य चीज़ से
कतराते ह और उनका ल य स यता तथा आनंद होता है।

योजना? कै सी योजना?
हनीमून से लौटने के एक ह ते बाद हम एक फ़ म देखने गए। जब हम फ़ म देखकर बाहर िनकले, तो मने
सुझाव दया, “चलो, हॉवड जॉनसन के यहाँ चलकर एक आइस म कोन खा लेते ह?” मुझे लग रहा था क मेरे
मन म एक ब ढ़या िवचार आया था, ले कन े ड ने जवाब दया, “यह मेरी योजना
म शािमल नह है।”
“के सी योजना ?”
“म हर सुबह सात बजे एक योजना बनाता ।ँ अगर तु ह रात को यारह बजे आइस म कोन खाना है, तो
तु ह यह बात मुझे सुबह सात बजे बता देनी चािहए, ता क म उसे अपनी योजना म शािमल कर सकूँ ।”
“ले कन सुबह सात बजे मुझे यह पता नह था क रात को यारह बजे आइस म खाने क इ छा होगी।”
हम सीधे घर चले गए और म जान गई क यह शादी यादा मज़ेदार सािबत नह होगी।
शु से ही हमारे बीच टू थपे ट को लेकर द क़त आने लगी। े ड को लगता था क ूब को नीचे क तरफ़
से सफ़ाई से दबाना चािहए, जब क म तो बस ूब को उठाती थी और कह से भी दबा देती थी। वे मेरे बनाए
ग को ठीक करते रहते थे और ढ न साफ़ करते रहते थे। मज़े क बात यह थी क मने यान ही नह दया क वे
यह काम कर रहे ह। लोकि य आशावादी ि और पूण िनराशावादी ि के िववाह म एक मूलभूत संघष यह
होता है क लोकि य आशावादी ि को पता ही नह होता है क वह कोई काम गलत कर रहा है और पूण
िनराशावादी ि सम या को प ता से नह बताना चाहता है। वह चुपचाप सामने वाले क गलती को ठीक
करता रहता है और यह मान लेता है क लोकि य आशावादी ि देर-सबेर देखकर समझ जाएगा। ले कन
लोकि य आशावादी ि को संकेत समझ म नह आता है, इसिलए उसे समाधान के बारे म ज़रा भी पता नह
होता है। जब तक पूण िनराशावादी ि को लगता है क उसे इस बारे म कु छ करना होगा, तब तक उसक
भावनाएँ इतनी तनावपूण हो जाती ह क यह छोटा सा मु ा एक बड़े िववाद म बदल जाता है। ि व के ान
से इन सम या से बचा जा सकता है। पूण िनराशावादी ि पहले तो यह िनणय लेता है क यह मु ा
मह वपूण है या नह । फर वह िवचिलत होने से पहले ही पूरी बात खुलकर बता देता है। लोकि य आशावादी
ि सही काम करने क कोिशश करता है, जब क पूण िनराशावादी ि ग़लितय को अनदेखा करना
सीखता है।
े ड ने हमारे टू थपे ट क सम या को सुलझाने के िलए मेरे िलए एक अलग ूब ख़रीद दी, िजसे म मनचाही
जगह से दबा सकती थी।
िवपरीत ुव िनि त प से एक-दूसरे को आक षत करते ह और जब हम शि य पर यान क त करते ह,
तो हमारा तालमेल सही होता है, ले कन जब हम अपने ि व को नह समझते ह, तो हम कमज़ो रय पर
यान क त करने लगते ह और यह महसूस करने लगते ह क “मुझसे िभ ि ” गलत ही होगा।
मैने एक दंपित क परामश दया था, िजनके बीच लोकि य आशावादी/पूण िनराशावादी वाली सम या थी।
चक नाम का से समैन पाट क जान था और उसके पास हमेशा कोई न कोई मज़ेदार बात रहती थी। िम रयम
पूण िनराशावादी थी। उसने मुझे बताया क वह चक क तरफ़ त काल आक षत हो गई, य क चक म ज़बद त
आ मिव ास था, जब क वह असुरि त थी, सामािजक प से असहज महसूस करती थी और अ सर भीड़ से दूर
रहती थी। उसने चक का वणन करते ए कहा क वह बिहमुखी, आकषक, मनमोहक, बातूनी और वा पटु था। ये
गुण िम रयम म नह थे और उसे लगा क चक इनक भरपाई कर देगा।
जब तक िम रयम मेरे पास आई, तब तक वह बुरी तरह तनाव त हो चुक थी। वह एक आदश िववाह
चाहती थी, ले कन चक सही तरीक़े से काम नह करता था। वह अ सर िडनर के िलए देर से घर लौटता था,
जब क िम रयम हमेशा सही समय पर िडनर तैयार रखती थी। वह चक के देर से घर आने को अपना ि गत
अपमान मानती थी। इससे भी बुरी बात यह थी क जब वह आता था, तो उसे इस बात का एहसास भी नह
होता था क वह देर से आया है। िम रयम को लगता था क हर समझदार आदमी उसक तरह घड़ी के िहसाब से
चलता होगा, इसिलए उसने मान िलया क वह जान-बूझकर देर से घर आता होगा। उसने चक के साथ इस
सम या के बारे म बातचीत नह क , य क वह झगड़ा शु नह करना चाहती थी।
उसने यह भी देखा क चक ब त अ वि थत था और अ सर अपनी चािबयाँ इधर-उधर रख देता था।
िम रयम ने एक क बोड ख़रीदा, िजस पर चाबी टाँगने के क लगे ए थे और उसे सामने वाले दरवाज़े के पास
लगा दया। िम रयम सोच रही थी क चक उसे देख लेगा, ले कन जब उसने उसक तरफ़ यान नह दया, तो
वह िचढ़ गई, िजसका कारण चक को समझ म नह आया। जब िम रयम ने आिख़रकार उसे बताया क उसक
िचढ़ का कारण यह है क चक ने उसके ख़रीदे ए क बोड को नह देखा, तो चक ने कहा क वह मूख है। इससे वह
दोबारा िचढ़ गई।
चक के साथ कु छ पा टय म जाने के बाद उसे यह एहसास आ क वह पुराने मज़ाक़ बार-बार सुनाता रहता
था। िम रयम को चंचलता से िचढ़ थी और उसे वही मज़ाक़ बार-बार सुनना तो क़तई पसंद नह था। एक रात को
चक ने एक कहानी सुनाई, जो पूरी तरह से सच नह थी। िम रयम को यह जानकर सदमा लगा क उसका पित
झूठ भी बोलता है। िम रयम ने जब चक से कहा क उसने पूरी स ाई नह बताई थी, तो उसका जवाब था,
“उससे या फ़क़ पड़ता है? लोग हँसे तो थे ना ?”
जब मने चक से बात क , तो उसने अपना पहलू सामने रखा। वह एक आनंददायी, आकषक ि था और म
देख सकती थी क वह िम रयम क इतना पसंद य आया था। यादातर लोग क तरह ही उनका तालमेल भी
गड़बड़ था, ले कन चक को लगता था क अगर उसक प ी थोड़ी सी खुल जाए, तो हर चीज़ ठीक हो जाएगी।
“िम रयम अ छी, नम दल, संकोच लड़क है और मुझे उसक यह ख़ूबी पसंद है - ले कन शादी के बाद आधे
समय वह तनाव म रही है। वह मुझे मज़ेदार मानती थी - जैसा हर ि मानता है - ले कन अब वह मुझे झूठा
कहती है और चाहती है क मेरी कहािनयाँ िसफ़ त य तक ही सीिमत रहनी चािहए।
“वह एक अ छी गृिहणी है। दरअसल वह एक तरह से घर क साफ़-सफ़ाई के पीछे पागल है। अगर म अपना
कप नीचे रख दू,ँ तो वह उसे झपटकर उठाती है और कचन म ले जाती है। हम िल वंग म के िलए नया फ़न चर
लाए ह, ले कन उसने उसे चादर से ढँक रखा है, ता क उसका रं ग न उड़ जाए। वहाँ बैठकर तो मुझे लगता है, जैसे
म कसी मुदाघर म बैठा ।ँ वह कमरा भुतहा लगता है।
“अगर मुझे घर आने म दस िमनट क भी देर हो जाती है, तो वह तनाव म आ जाती है। वह यह बात
समझती ही नह है क म से समैन ँ और मुझे ाहक के सामान ख़रीदने तक कना पड़ता है। ऐसा लगता है,
जैसे म िबगड़ा आ ब ा ँ और मने कसी माँ से शादी कर ली है।”
हम चक और िम रयम का या कर ? जब दोन लोग िन प ता से सम या का िव ेषण करते ह, तो कई
सम याएँ अपने आप सुलझ जाती ह। मने इन दोन को पसनैिलटी लस के टे स दए और उनसे कहा क जब तक
वे दोन साथ बैठकर उ ह नह सुन लेते, तब तक म उनसे दोबारा नह िमलूँगी। िम रयम ने एक स ाह बाद मुझे
फ़ोन कया और उसक आवाज़ बदली-बदली लग रही थी। “ या म आपसे िमलने आ सकती ?ँ हम दोन ने
आपके टे स सुन िलए ह।”
उसने मुझे बताया :

म ब त मूख थी, जो ख़द ही अपनी सम या का अंदाज़ा नह लगा पाई। एक साथ बैठकर आपके टे स


सुनने से हमारी आँख खुल गई। हम दोन को लगा, जैसे आप हमारे ही बारे म बोल रही थ । चक को
यह एहसास होने लगा क म उसक माँ बनने क कोिशश नह कर रही ।ँ म तो िसफ़ पूण
िनराशावादी ,ँ जो हर चीज़ आदश चाहती ।ँ हमने पहली बार खुलकर बात क और मुझे एहसास
आ क मने
उसे कभी अपनी भावनाएँ बताई ही नह थ । म तो बस यह चाहती थी क वह मेरे दल क बात
जान ले और जब ऐसा नह आ, तो म तनाव त हो गई। हम अपनी िभ ता पर बात करने लगे।
मने पहले िडनर का समय छह बजे तय कया था, य क मुझे लगता था क िडनर का सामा य समय
यही है। ले कन चक कभी साढ़े छह बजे से पहले घर नह आता था - और इस बात से म िचढ़ जाती थी।
मने अब िडनर का समय सात बजे कर िलया है। इस कारण िडनर से पहले हमारे पास आराम करने के
िलए थोड़ा समय भी रहता है। मने यह सीख िलया है क दनचया के िहसाब से चलने म कोई बड़ा
पुर कार नह िमलता है।
अब चक को पता चल चुका है क मने क बोड टाँग दया है, इसिलए वह उसका इ तेमाल करता
है। मुझे अब इस बात का अफ़सोस होता है क मने ख़ाम वाह इं तज़ार कया क वह मेरे अ छे काम को
देख ले। जब मने टेप म सुना क लोकि य आशावादी ि कहानी कस तरह सुनाते ह, तो मुझे
एहसास आ क उनक िच सटीकता के बजाय ित या म होती है। मुझे यह एहसास भी आ क
वह झूठ नह बोल रहा था और मेरे िसवाय कसी दूसरे को इस बात क परवाह भी नह थी। मुझे
उसके बारे म यही बात तो पसंद थी क वह कतना मनोरं जन कर सकता है। अब म इस नतीजे पर
प च ँ चुक ँ क वह कहानी को जैसा चाहे सुना सकता है। म उसे तब तक नह सुधा ं गी, जब तक वह
कोई ऐसा िव फोटक बयान न दे दे, िजसक वजह से तृतीय िव यु शु हो जाए।
टे स सुनने के बाद चक ने पूछा क या अब हम फ़न चर पर ढँक चादर हटा सकते ह, य क
उनके कारण कमरा मुदाघर जैसा लगता है। पहले म इस बात से ब त िचढ़ जाती क वह मेरे घरे लू
इं तज़ाम क आलोचना कर रहा है, ले कन अब म मु कराई और मने उ ह हटाने म उसक मदद भी क ।
अगर दस साल बाद कु सय का रं ग उड़ भी गया, तो हम नई ख़रीद लगे।
हम टे स देने के िलए ध यवाद। इससे मुझे पता चला क म कतनी गंभीर और िचड़िचड़ी हो गई
थी और मेरे साथ रहना चक के िलए कतना मुि कल था। अब हम अपनी िभ ता के बारे म
बातचीत कर सकते ह और हँस सकते ह।
यह आ यजनक है क जब हम लोग के ि व को समझ लेते ह और उ ह अपने जैसा बनाने क कोिशश
नह करते ह, तो वे कतने सुधर जाते ह। लोग को उनके असली व प म वीकार करना सीखना कतना बड़ा
वरदान है।
आपने शायद इसी तरह के कई मामले सुने ह गे। हो सकता है क आपका जीवन इससे यादा रं गीन हो और
आप ख़द से यह कह रहे ह , अगर लेिखका सोचती है क इस दंपित क सामने सम याएँ ह, तो उसे मेरी कहानी
सुननी चािहए! हर ि क कहानी सबसे बुरी होती है, य क यह ि गत और सव ापी होती है, ले कन
ि व को समझने से ि थित हाथ से िनकलने से पहले ही सँभल सकती है।

सश ोधी/शांत संतोषी संबंध


शांत संतोषी ि य को दबाव पसंद नह होता है, ले कन जब उ ह उनके हाल पर छोड़ दया जाता है, तो वे
वह काम नह कर पाते ह, िजसे करने का उ ह ने वादा कया था। मेरी सहेली डोटी सश ोधी है। वह अपने
घर म हर िनणय लेती थी, ले कन अब वह इससे बचने क कोिशश कर रही है। उसने अपने शांत संतोषी पित
लुइस को एक मह वपूण िनणय लेने दया। छु य क योजना पर चचा करते समय लुइस ने समु कनारे का
एक पयटन थल चुना। डोटी ने लुइस को रज़वशन करवाने क िज़ मेदारी स पी। जब भी डोटी उससे पूछती थी
क या उसने रज़वशन करवा िलया है, तो वह कहता था क सही समय आने पर वह करवा लेगा और वह बार-
बार पूछकर उसे परे शान न करे । िजस दन वे सैर के िलए िनकल रहे थे, डोटी ने आशा भरी मु कराहट के साथ
मीठे अंदाज़ म पूछा, “मुझे लगता है क तुमने रज़वशन करवा िलया होगा।” लुइस क शांत ट पणी थी, “बु कं ग
हमेशा कसल होती रहती है।” वह आगबबूला हो गई और सैन िडएगो तक क उनक या ा खामोशी म ई।
जब उ ह ने डे क लक से कमरा माँगा, तो वह उन पर हँसा। ‘आप अग त म समु कनारे के पयटन थल
म कमरा ख़ाली होने क उ मीद कै से कर सकते ह? आप मज़ाक़ कर रहे ह। पूरे शहर म एक भी कमरा ख़ाली नह
है।”
डोटी ने मुझे बताया, “यही अपमान ब त था, ले कन तभी लुइस ने मुड़कर मुझसे कहा, 'तु ह मुझे याद
दला देना चािहए था।' यह सुनकर मेरा पारा सातव आसमान पर प च ँ गया। म रोती ई कार क तरफ़ भागी
और उस पर मु े मारने लगी। मने क़सम खाई क म दोबारा कभी उस पर कसी काम के िलए भरोसा नह
क ँ गी।”
आिख़र उ ह एक पुराने मोटल म रात भर के िलए कमरा िमल गया। लुइस ऊबड़-खाबड़ ग े पर त काल सो
गया, ले कन डोटी पूरी रात ग़ से म भुनभुनाती रही।
सुबह लुइस ने कहा, “यह मोटल ब त शानदार तो नह है, ले कन ज़रा सोचो तो सही, हमारे कतने पैसे
बच गए।”
दुभा य से, यह सश ोधी प ी और शांत संतोषी पित के बीच का आम नज़ारा है। वह नह चाहता है क
उस पर दबाव डाला जाए और वह उससे यह बात कह देता है। प ी ख़द पर क़ाबू रखती है और उसक तरफ़
यान न देने क कोिशश करती है। पित अपनी िज़ मेदा रय को नज़रअंदाज़ कर देता है और फर कु हाड़ी
िगरती है। प ी परे शान हो जाती है और यह फ़ै सला कर लेती है क वह उस पर भरोसा नह कर सकती। वह
दोबारा िनयं ण अपने हाथ म ले लेती है और पित सबको बताता फरता है क वह उसे दबाकर रखती है। प ी
दबंग नज़र आती है और बेचारा पित प ी का सताया आ दखता है।

ग़लती सुधारना
इन सम या से उबरने के िलए दंपितय को सबसे पहले अपने िवपरीत वभाव को समझना होगा और फर
सामंज य क दशा म एक साथ मेहनत करने का संक प करना होगा। लोकि य आशावादी ि चाहे पु ष ह
या मिहला, उ ह अपने जीवन को वि थत करना होगा, जब क पूण िनराशावादी ि य को यह समझना
होगा क लोकि य आशावादी ि य के िलए वि थत होना कतना मुि कल काम है। पूण िनराशावादी
ि को अपनी अपे ाएँ कम कर लेनी चािहए और इस बात पर नह पछताना चािहए क उसक शादी कतने
अपूण ि से ई है।
सश ोधी ि को शांत संतोषी जीवनसाथी को िनणय तथा िज़ मेदारी लेना िसखाना चािहए। शांत
संतोषी लोग को भी इस दशा म मेहनत करनी चािहए, ता क सश ोधी ि दोबारा लगाम अपने हाथ म
न ले ले। शांत संतोषी ि को मन मारकर रोचक गितिविधय क योजनाएँ बनानी चािहए और सश ोधी
ि को उनका आनंद लेने के िलए काम से समय िनकालना चािहए।
इन सब काम म कोिशश तथा मेहनत क ज़ रत होती है, ले कन अगर ऐसा नह कया गया, तो दो शादी-
शुदा लोग अलग-अलग जीवन िजएँगे, जब तक क उनम से कोई अलग होने का फ़ै सला न कर ले।
उ मीद क करण है! े ड और मने अपने वैवािहक जीवन का कायापलट करने के िलए ब त मेहनत क ।
मुझे वि थत होना और उ ह आनंद उठाना सीखना पड़ा, ले कन हम एक-दूसरे क इतनी यादा परवाह थी क
हमने यह काम कर दया। हमारे सेिमनार म भाग लेने वाले कई लोग ने िलखा है क ि व के ान से उ ह
ब त मदद िमली है।

ि व िववाह म घुल-िमल जाता है और “आप अपनी नई पहचान तभी पाते है, जब आप कसी
दुसरे ि व के साथ जुड़ जाते है... ेम एक ि व का दुसरे ि व म आनंदमयी िमलाप है|”
ओसना ड वबस
अ याय 15

हम ल गो क िभ ता को पहचान सकते ह

जब चार कृ ितय के अ ययन से हम ख़द को समझ लेते ह, तो हमारे सामने सकारा मक मानवीय संबंध का
एक िबलकु ल नया संसार खुल जाता है। हम सीखे ए िस ांत को ावहा रक िज़दगी म लागू कर सकते ह।
हम जान सकते ह :

लोकि य आशावादी ि सव े होते ह :

लोग से उ साहपूवक बातचीत करने म


रोमांचपूण अंदाज़ म िवचार करने म
जनसंपक व लोक- वहार वाले थान पर

पूण िनराशावादी ि सव े होते ह :

िववरण और गहन चंतन म


रकॉड, चाट और ाफ़ सहेजने म
मुि कल सम या के िव ेषण म

सश ोधी ि सव े होते ह :

उन काम म, िजनम त काल िनणय क ज़ रत होती है


उन जगह पर, जहाँ त काल कम और उपलि ध क ज़ रत होती है
उन े म, जहाँ दृढ़ िनयं ण और स ा क ज़ रत होती है

शांत सतोषी ि सव े होती ह :

म य थता और एकता क़ायम करने क ि थितय म


तूफ़ान म, जहाँ शांत कराने वाले क ज़ रत हो
दूसर को नीरस लगने वाले काम और दनचया म

ि व िस ांत को पढ़ने के बाद हम इस ान का इ तेमाल करना चािहए और लोक- वहार क अपनी


शैली सुधारने क योजना बना लेनी चािहए। हर कृ ित क बॉडी ल वेज, बातचीत और सामािजक वहार क
अपनी-अपनी शैली होती है। जब हम िभ कृ ितय को समझने और परखने लगगे, तो हम पाएँगे क हम कसी
ि के कमरे म दािखल होते ही उसके ि व को फ़ौरन पहचान सकते ह। हम इस ान का योग कसी का
मू यांकन करने या उस पर लेबल लगाने के िलए नह करना चािहए, बि क दूसर के साथ संबंध बनाने और
ित या को भाँपने के िलए करना चािहए।
लोकि य आशावादी ि
लोकि य आशावादी ि पाट म मुँह खोलकर आता है और ोता क तलाश म रहता है। जब वह अपने आने
क तरफ़ लोग का यान आक षत करने के िलए ज़ोर-ज़ोर से बोलता है, तो उसके हाथ हमेशा िहलते-डु लते रहते
ह। अगर लोकि य आशावादी ि को एक जगह बैठना पड़े, तो वह िहलेगा-डु लेगा, अपना पैर थपथपाएगा,
अपनी उँ गिलय से कह पर तबला बजाएगा - यानी ि थर बैठने के अलावा सब कु छ करे गा।
वह शांित से आराम नह कर सकता या चैन से नह बैठ सकता। वह हमेशा अगले िशकार यानी ोता क
तलाश करता रहता है। जब आप उसे अपनी सबसे अ छी कहानी सुना रहे ह , तो वह आपको बीच म ही छोड़कर
कमरे म दािख़ल हो रहे नए दो त क तरफ़ भाग जाएगा। उसे इस बात का एहसास ही नह होगा क वह
बदतमीज़ी कर रहा है, य क दरअसल वह आपक बात सुन ही नह रहा था और उसने यान ही नह दया था
क आप उसे कोई कहानी सुना रहे ह। पाट के दौरान लोकि य आशावादी ि एक समूह से दूसरे समूह क
तरफ़ भागता रहता है और आपको शोर के तर से पता चल जाएगा क वह कहाँ है। लोकि य आशावादी मिहला
आ लंगन , चुंबन , चीख और हँसी के साथ कमरे म दािखल होगी। बात करते समय वह सुनने वाले को कसकर
पकड़ लेती है, ता क उसक बात पूरी होने से पहले वह कह भाग न जाए। जब आप कसी ज़ोर से बोलने वाले,
बातूनी और उ साही ि को उछलते ए कमरे म आते देख, तो शायद वह लोकि य आशावादी ि ही है।
लोकि य आशावादी ि बोलते समय स ाई पर यादा यान नह देता है। वह तो बस कहानी को रं गीन
और दलच प बनाने पर यान देता है। अगर उसने कोई नीरस कहानी सुनी है, तो वह दूसर को सुनाते समय
उसे यादा दलच प बना देगा, ता क उ ह उस कहानी म यादा मज़ा आए।
लोकि य आशावादी ि क हर बात अितशयोि पूण व दलच प होगी और आपको उसे सुनने म कोई
द क़त नह आएगी। जब आप लोकि य आशावादी ि को पहचान ल, तो आप त काल एक िनणय कर सकते
ह। अगर आप मनोरं जन चाहते ह, तो वह के रह। अगर आप खुद बोलना चाहते ह, तो फ़ौरन भागकर कसी
दूसरे कमरे म प च
ँ जाएँ और अपनी बात सुनाने के िलए कसी शांत संतोषी ि को खोज ल।

सश ोधी ि
लोकि य आशावादी ि क तरह ही सश ोधी ि को भी चैन से बैठने म मुि कल आती है। वह अपनी
कु स के कनारे पर बैठता है और काम करने के िलए त पर रहता है। आम तौर पर सश ोधी ि को गपशप
समय क बबादी लगती है। अगर बातचीत िबज़नेस के बारे म न हो या कसी ऐसी चीज़ के बारे म न हो, िजसम
वह दख़ल दे सके , तो वह शायद चुप ही रहेगा। अगर सश ोधी ि को कोई चीज़ चािहए, तो वह माँगने के
बजाय उसे उठा लेता है, हालाँ क यह हो सकता है क इस च र म वह कसी दूसरी चीज़ को लुढ़का दे।
सश ोधी ि हर िवषय के बारे म सब कु छ जानता है और वह आपक ज़ रत से यादा बात बताकर
खुश होता है। वह बड़बोला होता है और उसम दूसर को अनाड़ी मानने क वृि होती है। सामािजक ि थित म
उसका िवरोध करना ठीक नह है, य क उसे बहस करना अ छा लगता है और आपके सही होने के बावजूद वह
आपको ग़लत सािबत कर देगा। उसके माण से बचना आपके िलए मुि कल होगा और वह तक देते-देते आपके
पीछे आपक कार तक आ सकता है। यानी वह आपके पीछे तब तक पड़ा रहेगा, जब तक क आप इस बात से
सहमत न हो जाएँ क काली चीज़ सफ़े द है। सश ोधी ि य के मुँह से इस तरह क बात सुनी जा सकती ह
:
“मने यह बात आपको पहले ही बता दी थी।”
“ यान रखो, मूख!”
“िबलकु ल नह ।”
“ज़ािहर है।”
"िसफ़ एक मूख ि ही इस तरह क बात कह सकता है।”
“तु ह हो या गया है?”
“ या तु ह कोई चीज़ नह आती है?”
“अगर तुमम र ी भर भी अ ल होती, तो तुम समझ जात क म सही ।ँ ”

जब आप सश ोधी ि को पहचानना सीख लेते ह, तो आप जान जाएँगे क सामािजक ि थित म इस


तरह के ि से कै से िनबटना है। उससे मुि कल सवाल पूछे और यह दखाएँ क आप उसके जवाब से भािवत
ह। अगर आप जीवन के बारे म उसके िवशद ान क बात सुनकर बुि मानी से िसर िहलाएँगे, तो वह आपको
कु शल व ा मानेगा।

पूण िनराशावादी ि
ज़ोर से बोलने वाले लोकि य आशावादी तथा सश ोधी ि य के िवपरीत पूण िनराशावादी ि
चुपचाप और िबना शोर कए कमरे म दािख़ल होगा। वह उ मीद करता है क उसक तरफ़ कसी का यान नह
जाए। पूण िनराशावादी मिहला को लगता है क उसने ग़लत कपड़े पहने ह। पूण िनराशावादी पु ष वैसे भी
पा टय को पसंद नह करता है और उसे तो पाट म आने पर ही अफ़सोस होता है। पूण िनराशावादी ि अपने
हाथ जेब म डालकर समूह के बाहरी कोन के आस-पास खड़ा रहता है। जब तक उससे बैठने को नह कहा जाए,
तब तक वह कु स पर नह बैठता है। वह कसी को नाराज़ नह करना चाहता है और वह मेज़बान को बाद म
आलोचना या िशकायत करने का मौक़ा नह देना चाहता है। वह अ सर कसी लोकि य आशावादी ि क
ह क -फु क बात को दल पर ले लेता है और हो सकता है क वह इसके बाद तनाव त हो जाए और उस शाम
ख़ामोश रहे। मौक़ा िमलते ही वह अपनी प ी को ख चकर सामने वाले दरवाज़े से बाहर ले जाएगा और अपने
घर क सुर ा म प चँ कर इस बारे म सोचेगा क वह वहाँ से गया ही य था।
पूण िनराशावादी ि को शंसा वीकार करने म ब त मुि कल होती है और वह आम तौर पर इसके
जवाब म यह कहता है :

“आपको यह पुराणी चीज पसंद है ?”


‘म हमेशा से अपने बाल से नफ़रत करती ।ँ ”
"ओह, आप तो ऐसा यूँ ही कह रहे ह। हक़ क़त म तो यह ब त बुरा है।”
‘म इसम ज़रा भी कु शल नह ।ँ ”

चूँ क पूण िनराशावादी ि म अ सर हीनता क भावना होती है, इसिलए उसमं यह कहने क वृि
होती है :

“इस पूरे ोजे ट के िलए कोई उ मीद नह है।”


“मेरी क़ मत ही ऐसी है क सब कु छ चौपट हो जाएगा।”
“म कभी ेिसडट नह बन सकता।”
“म शु से ही जानता था क पूरा मामला गड़बड़ है।”
“मेरे कारण शायद पूरा िडनर बबाद हो जाएगा।”
“मुझे नह लगता क वे मुझे सचमुच कमेटी म रखना चाहते ह।”
“म जानती थी क म ग़लत कपड़े पहनूँगी।”
“मुझे कभी पता नह रहता क या कहना है।”
“काश म घर पर ही क जाता!”

जब आप पूण िनराशावादी ि को पहचान लेते ह, तो आप जान जाते ह क आपको उससे गहरी और


साथक बातचीत करनी चािहए, य क उसे संजीदा और स ी नीित पसंद आती है। पूण िनराशावादी ि को
तेज़ आवाज़ म बोली गई बात पसंद नह होती ह और अगर आप उसक तरफ़ लोग का यान आक षत करगे, तो
उसे यह बात भी अ छी नह लगेगी। लोकि य आशावादी ि क तरह वह एक ि से दूसरे ि तक
चकर घं ी क तरह घूमना नह चाहता है। इसके बजाय उसे पूरी शाम िसफ़ एक बुि मतापूण बातचीत ही
अ छी लगेगी।

शांत संतोषी ि
शांत संतोषी ि ह क मु कराहट के साथ धीरे -धीरे यह सोचता आ आता है क इतने सारे लोग इतने
मह वहीन काय म म य आए ह। वह समूह क तरफ़ एक उड़ती ई नज़र डालता है और उ मीद करता है क
उसे न द नह आएगी। चूँ क वह इस िस ांत पर चलता है क जब बैठा जा सके , तो खड़े नह होना चािहए और
जब लेटा जा सके , तो बैठना नह चािहए, इसिलए वह आस-पास के सबसे नम सोफ़े क तरफ़ चल देता है। वह
ग ेदार सोफ़े पर लुढ़क जाता है और आपके देखते-देखते उस पर पसर जाता है। वह पूरी शाम ज हाइयाँ लेता
रहता है, हो सकता है क ऊँघ भी ले। अगर शांत संतोषी ि कसी कारण से बातचीत म शािमल हो जाए, तो
वह आम तौर पर सही समय पर वाकपटु ता क इ ा-दु ा बात कह देगा। शु क हा य क उसक ट पिणय को
अ सर नज़रअंदाज़ कर दया जाता है, य क वे इतने सामा य ढंग से कही जाती ह क कोई उनके सू म मह व
पर यान नह दे पाता है।
शांत संतोषी ि अपनी ऊजा का योग करने के बजाय आराम से बैठना पसंद करते ह। चूँ क उनका धाक
जमाने का कोई इरादा नह होता है, इसिलए वे अ सर सामा य वा य बोलते ह।

“इससे या फ़क पड़ता है?”


“दुिनया म यही होता है।”
“हम बेमतलब रोमांिचत नह होना चािहए।”
‘‘ऐसा हमेशा से होता रहा है। हम इसे य बदल?”
“कोई परवाह नह ।”
“लगता है, इसम ब त मेहनत लगेगी।”

पा टय म शांत संतोषी ि अ सर एक-दूसरे के पास बैठते ह। उ ह इस बात से बड़ी तस ली िमलती है


क उनके आस-पास बैठे लोग को उनसे बातचीत क कोई उ मीद नह है और वे यथाि थित से समझौता करके
आराम से बैठ सकते ह। अगर आप कसी ऐसे ि क तलाश कर रहे ह , जो आपक बात सुनता रहे और बहस
न करे , तो कसी शांत संतोषी ि को आज़माकर देख। आपको वह पसंद आएगा।
अगली बार जब आप कसी समूह म ह , तो ग़ौर कर क लोकि य आशावादी मिहला हर उपल ध पु ष को
पकड़कर उसे अपनी मज़ेदार कहािनयाँ सुना रही है। देख क सश ोधी पु ष दृढ़ता से लोग को बता रहा है
क वे अपने वसाय को कै से ठीक कर सकते ह और उसक तरह सफल बन सकते ह। पूण िनराशावादी मिहला
को देख, जो सही तरीक़े से बैठी ई है ले कन असुरि त महसूस कर रही है, जब क पु ष उसके न और कोमल
भाव से आक षत हो रहे ह (जब क वह मन म सोचती है क कह वे लोग उसे ख़श करने के िलए उसक झूठी
तारीफ़ तो नह कर रहे ह)। फर शांत संतोषी ि को देख, जो दूसरे कमरे म टीवी के सामने बैठकर यह आशा
कर रहा है क कोई उसे देख न ले। हैरान न ह , अगर उसक आँख आधी बंद ह और वह खुद से कह रहा हो,
आिख़र यह पाट इतनी बुरी नह है।
ि व का ान सामािजक ि थितय म बेहतर लोक- वहार म हम सभी क मदद कर सकता है। इस
ान क बदौलत हम सही बातचीत कर सकते ह, लोग को खुश कर सकते ह और दूसर के सकारा मक तथा
नकारा मक गुण को समझ सकते ह। जब आप बोलने वाले,
करने वाले, सोचने वाले और देखने वाले को पहचानना सीख लगे, तो आपको ब त मज़ा आएगा। या यह
अ भुत नह है क हम सबको एक जैसा नह बनाया गया है ?

समझदार आदमी को िसखाएँग,े तो वह यादा समझदार बन


जाएगा; अ छे ि को िसखाएँग,े तो वह और यादा सीख लेगा यादा
ोव स 9:9 टीएलबी
अ याय 16

दूसर के साथ कस तरह हार कर

हमने अपनी शि य और कमज़ो रय का िव ेषण कर िलया है। हमने बेहतर बनने का स ा संक प भी कर
िलया है और इसक एक योजना भी बना ली है। अब सवाल यह उठता है क हम दूसर के साथ तालमेल बैठाने के
िलए इस ान का इ तेमाल कस तरह कर सकते ह ?
एक दन मेरे बेटे डी ने मुझसे मे रटा क िशकायत क । अपने पूण िनराशावादी अंदाज़ म उसने मुझे
बताया क वह ब त शोर मचाती है, कभी गंभीर नह रहती है और कचरा फै लाती
रहती है। “मुझे हमेशा उसके पीछे चलकर चीज़े बटोरनी पड़ती ह और म इससे तंग आ गया ।ँ ” मने उसक
ओर मुड़कर कहा, “ या तुम जानते हो क ई र ने तु ह मे रटा जैसी बहन य दी है? वह चाहता है क तु ह
कसी लोकि य आशावादी ि के साथ रहने का बरस तक अ यास हो जाए, य क वह जानता है क तुम
मे रटा जैसी लड़क से ही शादी करोगे।”
‘म कभी मे रटा जैसी लड़क से शादी नह क ँ गा,” उसने प ता से कहा और कमरे से बाहर चला गया।
कई दन बाद जब मेरा लोकि य आशावादी मि त क इस बातचीत को पूरी तरह से भूल गया, तो वह
कचन म आकर बोला, “आपने सही कहा था।”
मुझे ज़रा भी अंदाज़ा नह था क वह कस बारे म बोल रहा है, ले कन म रोमांिचत थी क बात चाहे जो हो,
म सही तो थी।
“आपने सही कहा था क म शायद मे रटा जैसी कसी लड़क से शादी क ँ गा। िपछले स ाह म कू ल म
बैठकर देखता रहा क मुझे कै सी लड़ कयाँ पसंद ह। वे सभी मे रटा जैसी ह। मुझे लगता है क अब मुझे उससे
तालमेल बैठाना सीखना होगा।”
मने इस घटना का िज़ मे रटा से नह कया। एक ह ते बाद मे रटा ने मुझसे पूछा, “आिखर े डी या
चाहता है?”
“ य ?”
“वह आजकल मेरे साथ ब त अ छा बताव कर रहा है और उसने कार से सामान उतारने म भी मेरी मदद
क थी।”
मने समझाया, “वह मेरी इस बात से सहमत हो गया है क उसक शादी शायद कसी लोकि य आशावादी
लड़क से ही होगी। तु हारे साथ तो वह िसफ़ तालमेल बैठाने का अ यास कर रहा है।”
जब हम अपने मूलभूत वभाव क िभ ता को समझने लगते ह, तो इससे हमारे मानवीय संबंध का
दबाव कम हो जाता है। हम दूसर क िभ ता को सकारा मक तरीक़े से देखने लगते ह और सभी को अपने
जैसा बनाने क कोिशश नह करते ह।
लोकि य आशावादी ि व

काम करने क उनक मुि कल को पहचान


हम चाहते तो ब त ह क हर लोकि य आशावादी ि सुधर जाए, ले कन यह आसान नह है, इसिलए हम
यथाथवादी बनना पड़ सकता है। लोकि य आशावादी ि नए िवचार और ोजे स से ेम करते ह, ले कन
उन पर अमल करने के मामले म ब त कमज़ोर होते ह। यह कमज़ोरी समझना पूण िनराशावादी ि य के
िलए ख़ास तौर पर मुि कल होता है, य क वे अपने शु कए ए हर काम को पूरा करना अिनवाय मानते ह
और उ ह लगता है क हर बुि मान ि ऐसा ही सोचेगा। लोकि य आशावादी ब को काम स पने के बाद
उन पर लगातार िनगरानी रखने क ज़ रत होती है, ता क वे उ ह पूरा कर द। उनका यान आसानी से भटक
जाता है, ले कन सच तो यह है क उनके इरादे अ छे होते ह, इसिलए हार न मान। ब त सी माता को लगता है
क ऐसे ब से काम करवाने के बजाय खुद काम करना यादा सुिवधाजनक होता है, ले कन यह सम या का हल
नह है। यह नज़ रया तो िसफ़ लोकि य आशावादी ि य क कमज़ो रय क बढ़ाता है और वे ज दी ही सीख
जाते ह क अगर वे ख़राब काम करगे, तो उनसे दोबारा काम नह करवाया जाएगा।
चूँ क लोकि य आशावादी लोग बड़े होने के बाद भी ब जैसे ही होते ह, इसिलए उन पर भी यही िस ांत
लागू होता है। अगर आप लोकि य आशावादी ि य क िनगरानी कर रहे ह, तो आपको उ ह प िनदश देने
ह गे। आपको उ ह बताना होगा क ये काम ज़ री ह, यहाँ तक क अ याव यक (urgent) कहने से भी मदद
िमलेगी। इसके बाद आपको उनक तब तक िनगरानी करनी होगी, जब तक क आपको यह भरोसा न हो जाए क
वे ोजे ट पूरा कर सकते ह। लोकि य आशावादी ि य को ऐसे े म नौकरी पर रखना हमेशा सबसे
अ छा होता है, जहाँ उनका िस ा जम सके । उ ह ऐसे िववरण भरे काम से दूर रखा जाना चािहए, िजनम
समयसीमा ब त मह वपूण हो।

यह जान ल क वे िबना सोचे बोलते ह


पूण िनराशावादी ि यह नह समझ पाते ह क कोई भी यह जाने िबना अपना मुँह कै से खोल सकता है क वह
या कहने वाला है। लोकि य आशावादी ि य को मुँह खोलने के बाद ही यह पता लगता है क वे या कह
रहे ह। वे जान-बूझकर िवचारहीनता का प रचय नह दे रहे ह, ऐसा तो अपने आप हो जाता है। एक लोकि य
आशावादी मिहला ने मुझे बताया, “मेरे पित कहते ह क मेरा दमाग़ एक गमबॉल मशीन क तरह है - सभी रं ग-
िबरं गे िवचार बेतरतीब तरीक़े से गोल-गोल घूमते रहते ह और बटन दबाने पर मु ी भर बाहर िनकल आते ह।

यह जान ल क उ ह िविवधता और लचीलापन पसंद है


लोकि य आशावादी ि हमेशा चाहते ह क कु छ नया होता रहे। वे आनंदपूण ि थितय म ही सव े दशन
करते ह। अगर उनसे नीरस या रोज़मरा के काम करवाए जाएँ, तो वे उनम अिधकतम यो यता का दशन नह
कर पाएँग।े लोकि य आशावादी मिहला को ब त सारे कपड़ , पैस , पा टय और सहेिलय क ज़ रत होती है।
वह जीवन के नीरस िह से से तालमेल नह बैठाना चाहती है। लोकि य आशावादी पु ष म कसी नए काम के
ित उ साही होने क वृि होती है और वे तब तक अ छा काम करते ह, जब तक क नयापन कम नह हो
जाता। अगर आप ि थर, िनभर रहने यो य और सामा य पित चाहती ह , तो लोकि य आशावादी ि को
चुनने का जुआ न खेल। ले कन अगर आप रोमांच, िविवधता चाहती ह और यह चाहती ह क एक भी पल
नीरस न हो, तो लोकि य आशावादी ि को ही पित चुन।

मता से यादा वादे करने से उ ह रोक


लोकि य आशावादी ि अ सर ब त यादा वादे कर लेते ह, य क वे हर नए िवचार या ोजे ट पर
उ सािहत हो जाते ह और हर सं था म शािमल होने (या ेिसडट बनने) के िलए तैयार हो जाते ह। कसी को भी
नह कहना उनके िलए ब त मुि कल होता है। लोकि य आशावादी ि य के इरादे नेक होते ह, ले कन जब वे
अपने वाद के बोझ तले दब जाते ह, तो वे भाग खड़े होते ह। यह िव ेषण करने म उनक मदद कर क उनके पास
कतना समय उपल ध है। फर उ ह समझाएँ क वे िसफ़ उतने ही काम के िलए हाँ कर, िजतने वे कर सकते ह ।
होता यह है क लोकि य आशावादी ि य के जीवनसाथी नवस ेकडाउन का इं तज़ार करते ह और फर उ ह
हमेशा के िलए हर चीज़ छोड़ने पर मजबूर करते ह। इस सम या से शु आत म ही और ता कक ढंग से िनबटने क
कोिशश कर। यह जान ल क लोकि य आशावादी ि य को बाहरी गितिविधय म िह सा लेने क ज़ रत
होती है, ले कन वे कसी को भी मना नह कर पाते ह। इस बात से भािवत ह क उनसे शािमल होने का आ ह
कया गया, उनके आकषण क शंसा कर और मंच के बीचोबीच खड़े होने के कु छ सुनहरे अवसर को ठु कराने म
उनक मदद कर, ले कन उनक सभी बाहरी गितिविधय को ख म न कर।

यह उ मीद न कर क उ ह अपॉइं टमट याद रहगे या वे समय पर आएँगे


हालाँ क म पहले ही लोकि य आशावादी ि य से कह चुक ँ क वे अपने जीवन को वि थत कर ल और
समय पर काम कर, ले कन आप इस भरोसे न रह। भले ही उ ह ने ज दी प च ँ ने क योजना बना ली हो,
ले कनउनके साथ कु छ न कु छ हमेशा हो जाता है। भले ही वे समय पर चल द, ले कन कोई चीज़ भूल जाने के
कारण उ ह वापस लौटना पड़ता है।
मे रटा और े डी के दाँत सीधे ह, यह एक चम कार ही है, य क म दंतिच क सक के कई अपॉइं टमट भूल
गई थी और ब को उसके पास नह ले जा पाई थी। सौभा य से, डॉ टर अंदर के कसी कमरे म बैठा रहता था
और ब त सारी नस उसे घेरे रहती थ , इसिलए मुझे कभी उसका सामना नह करना पड़ा। मुझे यक़ न है क
अगर आप उससे मरे बारे म पूछते, तो वह यही कहता क म एक दुिवधा त मिहला होऊँगी, मेरे बारह ब े
ह गे, मेरा दमाग़ कमज़ोर होगा और मेरे पास कै लडर नह होगा।
लाख कोिशश के बावजूद लोकि य आशावादी ि पूरी तरह वि थत नह रह सकते।

हर उपलि ध पर उनक शंसा कर


चूँ क लोकि य आशावादी ि य के िलए कसी भी ोजे ट को पूरा करना ब त मुि कल होता है, इसिलए
उ ह योजना पर चलते रहने के िलए सतत शंसा क ज़ रत होती है। अ य वभाव के लोग को ो साहन क
इतनी यादा बार ज़ रत नह पड़ती है, इसिलए वे यह नह समझ पाते ह क लोकि य आशावादी ि य के
िलए शंसा भोजन िजतनी ज़ री है। वे उसके िबना ज़ंदा नह रह सकते।
े ड और मेरी शादी के कु छ समय बाद मने नाइफ़ ॉअर को साफ़ कया और े ड से तारीफ़ सुनने के िलए
कहा, “ े ड, मने नाइफ़ ॉअर साफ़ कर दया।”
“समय भी हो गया था। उसे िनि त प से साफ़ करने क ज़ रत थी।”
इस ित या के बाद मने ॉअस क सफ़ाई करना छोड़ दया। जब े ड को पता चला क मेरे वभाव के
िहसाब से मेरे साथ कै सा वहार करना चािहए, तो उसे एहसास आ क मेरे िलए ो साहन कतना यादा
मह वपूण है। अब जब म नाइफ़ ॉअर क सफ़ाई करके े ड को यह बात बताती ,ँ तो वह हर चीज़ छोड़कर वहाँ
दौड़ा चला आता है। “ओह, नाइफ़ ॉअर कतना यारा दख रहा है!” ज़ािहर है, इस तरह क बात सुनकर म
कसी दन दोबारा सफ़ाई कर सकती ।ँ
लोकि य आशावादी ब के काम म मीन-मेख िनकालने के बजाय उनक उपलि धय क शंसा करना
ख़ास तौर पर मह वपूण होता है। आज छोटे-छोटे काम क शंसा कर। इससे कल वे दोबारा छोटे-छोटे काम
सफलतापूवक कर सकते ह।

याद रख क वे प रि थितज य लोग ह


लोकि य आशावादी ि प रि थितय ारा िजतने िनयंि त होते ह, उतने कसी अ य कृ ित के ि नह
होते। उनक भावनाएँ उनके आस-पास क घटना के अनु प ऊपर-नीचे होती रहती ह। जब आप जान जाते ह
क उनक भावनाएँ पल-पल। बदलती रहती ह, तो फर आप उनके रोने-धोने पर अित- ित या नह करते ह।
लोकि य आशावादी ि य के बारे म दुभा यपूण बात यह है क वे “भेिड़या आया! भेिड़या आया!” ब त
यादा बार िच लाते ह। एक मिहला ने मुझे बताया क वह जब गैस बनर पर झुक , तो उसक आ तीन म आग
लग गई। उसने चीख़कर दूसरे कमरे म बैठे अपने पित को पुकारा, “मदद करो! मदद करो! म जल रही !ँ ” यह
सुनकर उसके पित ने जवाब दया, “और या, ि ये! तुम तो जलोगी ही, तुम इतनी गमजोश जो हो!'

उ ह तोहफ़े दे; उ ह नए िखलौने पसंद ह


ओह, लोकि य आशावादी ि को तोहफ़े लेना ब त पसंद होता है! उसे इस बात से कोई फ़क नह पड़ता क
तोहफ़ा कतना शानदार है। आप कोई भी तोहफ़ा दे द, वह रोमांिचत हो जाएगा। े ड ने यह जान िलया है क
मुझे तोहफ़े ब त पसंद ह। अब अगर वह घर लौटते समय मेरे िलए ेड लाता है, तो उसे भी तोहफ़े क तरह देता
है। म बैग खोलकर सचमुच कृ त होती ँ क उसे ेड ख़ म होने क याद रही, य क म तो यह बात भूल ही गई
थी। एक ई टर सेल से वह मेरे िलए चाटरयूज़ कोट हगर ख़रीद लाया। म रोमांिचत थी, य क हमारे घर म कोट
हगर चुराने वाला कोई चोर था और मुझे कभी कोई खाली हगर नह िमलता था। अब जब मेरे पास अलग हगर
आ गए ह, तो म दूसरी अलमा रय म झाँककर आसानी से चुराए गए हगर खोज सकती ।ँ
लोकि य आशावादी ि हमेशा मासूम ब े जैसे बने रहते ह, इसिलए वे अपने दन को ख़शनुमा बनाने के
िलए हमेशा कोई नया िखलौना खोजते रहते ह।

यह मन ल क वे शमनाक बात म भी आनंद खोज लेते ह


लोकि य आशावादी ि य को अपनी ग़लितय के क़ से सुनाना अ छा लगता है। उनक दा तान सुन, ले कन
उ ह यह बताने क कोिशश न कर क वे इस सम या से कस तरह बच सकते थे। एक मिहला ने मुझे बताया क
वह लंच के समय सड़क के नु ड़ पर खड़ी ई थी। वहाँ पर ै फ़क जाम हो गया था। सारी कार क ई थ और
पुिलस वाले पैदल चलने वाल को सड़क से दूर रख रहे थे। यह मिहला आंिशक प से सश ोधी थी, इसिलए
वह अपना समय बबाद नह करना चाहती थी। उसने इं तज़ार करते समय अपने हडबैग क सफ़ाई करने का
फ़ै सला कया। उसने सड़क के कोने म खड़ी एक कार को देखकर सोचा क यह पा कग म खड़ी होगी। यह सोचकर
उसने बैग का सारा सामान कार के ड पर उड़ेल दया। अभी वह सामान छाँट ही रही थी क ै फ़क जाम ख़ म
हो गया और पुिलस ने कार को आगे बढ़ने का संकेत कर दया। िजस कार का इ तेमाल वह टेबल के प म कर
रही थी, वह चौराहे क तरफ़ चल दी। उस मिहला का पूरा सामान हवा म इधर-उधर उड़ने लगा।
वह चीख़ती ई अपनी क़ मती चीज़ के पीछे भागी। ज दी ही ब त से पैदल चलने वाले लोग कार से
बचते ए उसके कागज़, बोतल, किधयाँ, िलपि टक और पैसे उठाकर उसे देने लगे। उसे सभी मह वपूण चीज़
वापस िमल गई। बहरहाल, वह मुझे यह कहानी सुनाने के िलए उतावली थी, िजससे पूण िनराशावादी ि को
शम और अपमान का एहसास आ होता।

यह जान ले क उनके इरादे नेक होते ह


लोकि य आशावादी ि य के साथ तालमेल बैठाने के िलए सबसे मह वपूण बात शायद यह जानना है क
उनके इरादे नेक होते ह। ब त से पूण िनराशावादी ि य ने मुझे बताया है क यह जानने से उ ह ब त मदद
िमली क लोकि य आशावादी ि उनके पीछे नह पड़े थे। लोकि य आशावादी ि य को लोकि य होना
इतना यादा पसंद होता है क वे सबके साथ ख़शनुमा वहार करने क कोिशश करते ह और कभी कसी को
परे शान नह करना चाहते ह। जब आप इस स ाई को जान लेते ह, तो आपके लोकि य आशावादी ि य के
साथ कम संघष ह गे।

उनके ख़शनुमा वहार क शंसा कर।


पूण िनराशावादी ि व

यह जान ले क वे ब त सवेदनशील होते ह और उ ह ज दी ही चोट प ँचती है


ि व के बारे म सीखने का एक ब त बड़ा लाभ यह है क आप यह जान जाते ह क कोई ि कसी िवशेष
कार से ित या य करता है। लोकि य आशावादी और सश ोधी ि िबना सोचे-समझे अपनी बात
कह देते ह। इन ि य के िलए यह जानना ब त मह वपूण है क पूण िनराशावादी ि ब त संवेदनशील
होते ह और उ ह ब त ज दी चोट प च
ँ ती है।
संवेदनशीलता का यह गुण सकारा मक है, य क इसी वजह से पूण िनराशावादी ि य को गहरा
भावना मक वभाव िमलता है, ले कन अित हो जाने पर अपनी भावना के कारण वे आसानी से आहत हो जाते
ह। जैसे ही आपको पता चले क कोई ि पूण िनराशावादी है, अपने श द और लहज़े पर यान द, वरना वह
िनराशा के भॅवर म गोते खा सकता है।
अगर आप देख क उसके िसर पर काला बादल उतर आया है, तो स े दल से माफ़ माँग ल और बताएँ क
आप िबना सोचे-समझे ज दबाज़ी म कु छ भी बोल देते ह।

यह जान ले क उनक ो ा मंग िनराशावादी नज़ रए से ई है


जब तक आप पूण िनराशावादी ि य को समझ न ल, तब तक आपको एहसास नह होता है क उनम ज़ंदगी
के ित िनराशावादी नज़ रया कू ट-कू ट कर भरा आ है। यह गुण सकारा मक है, य क वे भिव य म आने वाली
सम या को पहले से ही भाँप लेते ह, जब क दूसरे वभाव वाले ऐसा नह कर पाते ह। बहरहाल, जब
िनराशावादी नज़ रया सीमा लाँघ जाता है, तो उनके जीवन का एक भी पल सुखद नह रह जाता है।

िड ेशन से िनबटना सीख


जो लोग कसी पूण िनराशावादी ि के साथ रह रहे ह, वे जानते ह क ऐसे ि गहरे िड ेशन (उदासी) के
िशकार हो सकते ह। म एक बार फर आपको अपनी पु तक लो अवे द लैक लाउ स पढ़ने क सलाह दूगँ ी। यह
पु तक आम लोग के िलए िलखी गई है और इसम िड ेशन के ल ण बताए गए ह तथा उससे उबरने के सुझाव
भी दए गए ह। “उदास ि के साथ कै से रह” अ याय से आपको खास तौर पर मदद िमलेगी।

यहाँ कु छ मूलभूत बात बताई जा रही ह :

1. िड ेशन के ल ण पर नज़र रख : जीवन म दलच पी का अभाव िनराशावाद और लाचारी क भावनाएँ


दूसर से दूर होना कम खाना या यादा खाना अिन ा या जागते रहने म असमथता आ मह या क बात
करना
2. यह जान ल क उ ह मदद क ज़ रत है। अगर आपक परवाह और परामश को सामने वाला वीकार न
करे , तो उसे कसी ऐसे ि से बात करने के िलए राज़ी कर, िजसका वह स मान करता हो।
3. उ ह ख़श करने क कोिशश न कर। िड ेशन के बारे म समझने से पहले म े ड के उदास होने पर ख़शी-ख़शी
कहती थी, “मेरी तरह ख़श रहना सीखो।” ज दी ही मने सीख िलया क मेरे ख़शनुमा अंदाज़ से वह अपने
उस कु एँ म और गहरा धँस जाता था, िजसम वह पहले से फँ सा आ था। हम उदास लोग के साथ उनके कु एँ
म उतरकर यह बताना होता है क हम उनक भावनाएँ समझते ह (उ ह दोष न द), और फर उनके साथ
एक-एक सीढ़ी चढ़ना होता है।
4. उ ह अपनी भावनाएँ बताने के िलए ो सािहत कर। लोकि य आशावादी और सश ोधी ि मानते
ह क िड ेशन या उदासी क ि वच दबाकर बंद कया जा सकता है। उनका जवाब होता है, “खुश हो जाओ
और इससे बाहर िनकल आओ।” अगर सामने वाला इस पर त काल ित या नह करता है, तो वे वहाँ से
चल देते ह और उसे उसक सम या के साथ अके ला छोड़ देते ह। उदास ि को अपनी भावनाएँ बताने,
कारण क जाँच करने और संभािवत समाधान का िव ेषण करने के िलए समय क ज़ रत होती है।
5. उनसे कभी न कह क उनक सम याएँ मूखतापूण ह। उदास ि को यह पता होता है क उसक
सम याएँ असली होने के बावजूद मूखतापूण हो सकती ह। वह मूडी होने के कारण ख़द से नाराज़ रहता है
और जानता है क हर ि उसक चंता को मूखतापूण मानेगा। इ ह भावना के कारण वह कसी
को नह बताता है क उसे कस बात से क हो रहा है। अगर आप उससे आ ह करगे, तो वह आिख़रकार
बता देगा। ज़रा क पना क िजए क उसक मनोदशा कै सी होगी, जब वह आपको बताने क िह मत करे
और उसक बात सुनने के बाद आप कह, “अरे , इससे यादा मुखता क बात तो मने आज तक नह सुनी!”

स ाई और ेम से उनक शंसा कर
पूण िनराशावादी ि दूसर के ेम के बारे म असुरि त महसूस करते ह, इसीिलए वे अपनी शंसा को भी
संदह
े से देखते ह। लोकि य आशावादी ि अ छे श द सुनने के िलए इतना लालाियत रहता है क वह अपमान
को भी शंसा म बदल लेता है, जब क पूण िनराशावादी ि अ सर अपनी शंसा को अपमान मान लेता है!
शंसा पर शक करने का एक कारण यह भी होता है क पूण िनराशावादी ि हर चीज़ का िव ेषण करते ह
और लोग को संदह े से देखते ह, खास तौर पर ख़श लोग को। उ ह लगता है क शंसा के पीछे कोई िछपा आ
उ े य होगा। ले कन इसके बावजूद वे दरअसल शंसा के भूखे होते ह। इस अंद नी संघष क वजह से पूण
िनराशावादी ि क शंसा करना लोग के िलए ब त मुि कल बन जाता है, य क शंसा स ी लगनी
चािहए। यह जानने के बाद आप ऐसे ि क स ी, शांत और ेमपूण शंसा कर सकते ह। इस बात से
िवचिलत न ह , अगर वह शंसा सुनकर कहे, ‘इस बात से आपका या मतलब था ?”

यह जान ल क कई बार शांित पसंद करते ह


े ड से शादी होने से पहले म नह जानती थी क ख़ामोशी और ख़शी एक साथ संभव ह। म सोचती थी क दन म
दस िमनट अके ले रहने का मतलब अलोकि य होना है। मने रे िडयो अनाउं संग का कोस कया था, िजसम पाँच
सेकंड ख़ामोश रहने
पर आपको नौकरी से िनकाला जा सकता था। म जीवन को भी इसी तरह से देखती थी। कसी न कसी को
हर समय बोलते रहना चािहए और ख़ामोशी बो रयत का पयाय है। मेरी हैरानी क क पना क िजए, जब पूरे
हनीमून म मेरे लगातार बोलने के बाद े ड ने यह कहा, “जब ख़ामोशी होती है, तो मुझे जीवन का स ा आनंद
आता है।”

ख़ामोशी पसंद है?


कतना ांितकारी िवचार है! अगर आप लोकि य आशावादी ह, तो आपको यह पता ही नह होगा क पूण
िनराशावादी ि ख़ामोशी के पल को सचमुच पसंद करते ह। वे ख़ाली जगह म घूरना, ताज़ी हवा म साँस
लेना, चाँदनी रात म यान लगाना पसंद करते ह। अगर आप इस िस ांत को समझ सक, तो पूण िनराशावादी
कृ ित का संवेदनशील ि आपका आभारी रहेगा। संतुिलत दनचया रखने क कोिशश कर कसी भी पूण
िनराशावादी ि के जीवन का सबसे मह वपूण िह सा उसक दनचयां है। उसे यह जानने क ज़ रत होती है
क वह कहाँ, कब और य जा रहा है। एक दशाहीन दन के कारण िव ोह क ि थित बन जाती है। यह जानने
के बाद आप अपनी दनचया बनाकर पूण िनराशावादी ि के साथ संबंध सुधार सकते ह। पूण िनराशावादी
ि को अपनी अ वि थत जीवनशैली म जबरन न घसीट। वह सही है। हम सभी को यह पता होना चािहए
क हम कहाँ जा रहे ह।

यह जान ल क साफ़-सफ़ाई ज़ री है
कसी पूण िनराशावादी ि को उदास करने का सबसे तेज़ तरीक़ा घर म चार तरफ़ सामान अ त- त कर
देना है, ता क यह पता ही न चल सके क कौन सी चीज़ कहाँ है। भले ही आप लोकि य आशावादी ह , ले कन
इसके बावजूद थोड़ी-ब त सु व था बनाने क कोिशश कर, चीज़ को लाँघने के बजाय उ ह उठाना सीख और
इ तेमाल करने के बाद सामान वापस जगह पर रख।
पूण िनराशावादी ि अ सर पूणता क अपनी इ छा को अित तक ले जाते ह। जैसा एक आदमी ने अपनी
लोकि य आशावादी दु हन से कहा था, “अगर तुम साफ़-सफ़ाई से सोना नह सीखोगी, तो म अलग पलंग पर
सोने लगूँगा।”

उ ह प रवार क गुलामी से बचाएँ

(पूण िनराशावादी पि य वाले पुरष के िलए िवशेष टप णी)


चूँ क पूण िनराशावादी ि पूणतावादी होते ह, इसिलए अपने मानदंड पर खरे न उतरने वाले काम को
वीकार करना उनके िलए मुि कल होता है। प रणाम यह होता है क पूण िनराशावादी माताएँ सारा काम
करती ह और प रवार क ग़लाम बन जाती ह। जब ब े साफ़-सफ़ाई के ित अपनी माँ क िन ा को समझ लेते
ह, तो वे जान-बूझकर ख़राब काम करते ह, ता क माँ उ ेिजत होकर कह द, “म तुमसे इस घर म एक भी काम
नह करवाना चाहती।” ब े संतोष से मु कराते ह और हमेशा के िलए खेलने चले जाते ह। हालाँ क इससे ब
को राहत तो िमलेगी, ले कन वे घर सँभालने के बारे म ब त कम सीख पाएँगे और उ ह जीवन म िज़ मेदा रय
का एक िवकृ त नज़ रया िमलेगा। अपनी प ी को ो सािहत कर क वह ब क सहायक के प म िशि त करे
और उनक यो यता के िहसाब से अपने मानदंड को कम कर दे।

कृ त रह क आपका जीवनसाथी सवेदनशील और भावुक है।

सश ोधी ि व
यह जान ल क वे पैदाइशी लीडर ह
सश ोधी ि य के साथ तालमेल बैठाने के िलए आपको पहली बात यह समझ लेनी चािहए क वे
पैदाइशी लीडस होते ह और अपने वभाव क वजह से वे िनयं ण करना अपने आप सीख जाते ह। वे शांत
संतोषी ि नह ह, िज ह ने कसी दन दुिनया म तहलका मचाने का फ़ै सला कया था। वे पूण िनराशावादी
नह ह, जो योजना बनाकर संक प के साथ कम म जुट गए ह। वे लोकि य आशावादी नह ह, जो आिख़रकार
काम म जुट गए ह। वे तो ऐसे लोग ह, िजनम बचपन से ही मागदशन देने क इ छा और लीडरिशप के ित ेम
रहता है। एक सश ोधी ब े ने सुना क उसके सश ोधी िपता उसक शांत संतोषी माँ पर िच ला रहे थे।
हालाँ क वह ि व क िभ ता के बारे म नह जानता था, ले कन उसने अपनी रोती ई माँ को यह कहकर
दलासा दया, “जब वे आप पर िच लाएँ, तो आप भी िच ला दया करो!” एक बार जब आप उनके वभाव को
समझ लेते ह, जो सकारा मक गुण से भरपूर होता है और कई बार अित तक प च ँ जाता है, तो आप उनके
िनयं ण लेने या बागडोर थामने पर हैरान या आहत नह ह गे।
चूँ क सश ोधी ि ब त सश होते ह, इसिलए उनसे तालमेल बैठाने वाले लोग को भी उतनी ही
शि से ितरोध करना होगा। वे जान-बूझकर अपनी-अपनी नह चलाना चाहते ह, वे तो बस त काल ि थितय
का ता कक जवाब देख लेते ह और मान लेते ह क आपको “सही” जवाब चािहए। जब आप उनके चंतन के
नज़ रए को समझ लगे, तो आप दृढ़ता से खड़े रहगे और इसके िलए वे आपका स मान करगे। अगर आप सश
ोधी ि के इशार पर नाचते रहगे, तो वह आपको लगातार नचाता रहेगा।

दोतरफ़ा सं ेषण पर ज़ोर द


सश ोधी ि य के िनयं णकारी वभाव के कारण उनके जीवनसाथी के िलए घरे लू गितिविधय या
योजना म अपनी इ छा कट करना मुि कल हो जाता है। इस सम या के कारण सश ोधी ि के पित
या प ी को दोतरफ़ा सं ेषण पर ज़ोर देना चािहए। ज़ोर देना एक शि शाली वा यांश है, ले कन सश ोधी
ि य के साथ बातचीत करने के िलए यह ज़ री है, वरना वह बातचीत करने क आपक आव यकता पर
नाक-भ िसकोड़ेगा और आपक बात सुनने के बजाय िसफ़ जवाब दे देगा।
कई बार मने सश ोधी पि य क पि य को सुझाव दया है क वे उसक बात पूरी सुन ल, उसक
सलाह के िलए उसे ध यवाद द और फर तीन िमनट का समय माँग। अगर आप प और संि ह, दृढ़ और
दो ताना ह, तो वह आम तौर पर यान देगा।

जान ल क उनका इरादा चोट प ँचाने का नह है


चूँ क सश ोधी ि जो सोचते ह, त काल बोल देते ह और कसी क भावना क परवाह नह करते ह,
इसिलए वे अ सर लोग को चोट प च ँ ा देते ह। अगर हम यह एहसास हो जाए क सश ोधी ि का इरादा
चोट प चँ ाने का नह है, बि क वह तो सीधे अपने दल क बात कह रहा है, तो हम उसक ती ट पिणय को
िबना िवचिलत ए यादा आसानी से वीकार कर सकते ह।
एक सश ोधी मिहला मेरे पास आकर बोली, “मुझे आपक से पसंद है और जब-जब आपने इसे पहना
है, तब-तब मुझे यह अ छी लगी है।” यह सुनकर मने घर जाकर वह स े फ़ौरन नह जलाई। वह मुझे चोट
प च ँ ाने क कोिशश नह कर रही थी; वह तो अपने मन क बात कह रही थी।

अपनी क़ मत न आज़माएँ
अगर सश ोधी ि के साथ आपका संबंध सुचा प से चल रहा हो, तो सम या को आमंि त न कर या
ऐसा कोई काम न कर, िजससे नकारा मक ित या शु हो जाए। ब े ज दी ही यह सीख लेते ह क सश
ोधी अिभभावक को यादा तंग न कया जाए या उनके सामने यादा जोिखम न िलया जाए।
एक दन म फ़ोन पर अपने लोकि य आशावादी नाती जोनाथन से बात कर रही थी, तभी मुझे उसके पीछे
से कु छ आवाज़े सुनाई द ।
मने पूछा, “ या आ, जोनाथन ?”
“म मी ायन पर िच ला रही ह।”
“ या वे ब त नाराज़ ह?”
“मुझसे नह । वे तो ायन से नाराज़ ह।”
“बाक़ तुम लोग कै से हो?”
इस पर दस साल के लड़के ने समझदारी भरा जवाब दया।
"हम सब यहाँ सीमारे खा पर खड़े ह और म सीमा लाँघकर यह नह
देखना चाहता ँ क या होगा।”

िज़ मेदारी बाँटने क कोिशश कर


मुि कल से बचने के िलए (और इसके बाद भी अपने ि व को बरकरार रखने के िलए) आपको सश ोधी
ि के साथ बातचीत कर लेनी चािहए क कौन सी पा रवा रक िज़ मेदा रयाँ वह उठाएगा और कौन सी
आपको उठानी ह। े ड और म इस छोटी सी बात पर असहमत थे क कचन का सामान कहाँ टाँगा जाए। मुझे
लगता था क कचन क बागडोर मेरे हाथ म थी, इसिलए म सारा सामान ऐसी जगह रखना चाहती थी, जहाँ
वह सुंदर दखे। े ड सामान को ऐसी जगह रखना चाहते थे, जहाँ वह आसानी से िमल सके और काम म िलया जा
सके । जब हमने इस छोटी सी सम या पर िवचार-िवमश कया, तो मुझे यह एहसास आ क वे हर सुबह मेरे
िलए ना ता बनाते थे और अगर म उ ह सामान वहाँ नह रखने दूग
ँ ी, जहाँ उ ह िमल सके , तो वे अंडे क िडश
बनाना छोड़ सकते ह।
म ब त यादा या ा करती ,ँ इसिलए हम पहले से तय िज़ मेदा रय के कु छ े बदलने पड़े। अब े ड
सारी ख़रीदारी करते ह और अलमा रय तथा ज को भरा रखते ह, ता क जब म घर लौटूँ, तो खाने-पीने का
सामान मौजूद रहे। सश ोधी ि आम तौर पर सबसे ावहा रक योजना चाहते ह और वे काम से नह
घबराते ह, ले कन अगर कत प न ह , तो संघष तय है। यह जान ल क उनम क णा नह होती है
चूँ क सश ोधी ि वा तिवकता के धरातल पर जीता है, इसिलए उसम बीमार या कमज़ोर के ित
क णा नह होती है, बदसूरती से ेम नह होता है या अ पताल म लोग को देखने जाने का समय नह होता है।
जब भावना मक ज़ रत पूरी करने का व त आता है, तो सश ोधी ि दूसरी तरफ़ देखने लगते ह। वे ओछे
या ू र नह होते ह; उनम तो बस आहत लोग को देखने का कलेजा नह होता है। हालाँ क सश ोधी ि य
को लोग के ित अपनी भावनाएँ सुधारने का ल य बनाना चािहए, ले कन अगर आप चम कार क उ मीद न
कर, तो उनके साथ आपका तालमेल बेहतर बन जाएगा।
एक सश ोधी पादरी ने मुझे बताया क वह अपने धमसमुदाय को यह साफ़ बता देता है क अगर कोई
बीमार हो गया, तो वह उसे देखने के िलए बस एक बार अ पताल जाएगा। “उसके बाद आप अपने हाल पर ह।”

यह जान ल क वे हमेशा सही होते ह


बचपन से ही सश ोधी ि जानते ह क वे सही ह। हमारा सश ोधी नाती ायन े ड के साथ खेल रहा
था। ायन उस समय तीन साल का था और वह िनयम के िहसाब से नह खेल रहा था। े ड पूण िनराशावादी
कृ ित का था और उसका मानना था क छोटे ब को भी िनयम के िहसाब से खेलना चािहए, इसिलए उसने
कहा, " ायन तुम गलत हो।”

ायन ने त काल जवाब दया, “म गलत नह ।ँ म सही ।ँ ” आ यजनक बात यह है क सश ोधी


ि सबसे ज दी सही िनणय पर प चँ जाता है। इसिलए अगर आपको इस बारे म अिनि तता हो क कधर
जाना है, तो सश ोधी ि का अनुसरण कर।

कृ त ह क आपके पास एक ऐसा लीडर है, जो “हमेशा सही” होता है।

शांत संतोषी ि व

यह जान ल क उ ह सीधी ेरणा क ज़ रत होती है


सश ोधी माता-िपता को शांत संतोषी ब े को समझने म ब त मुि कल आती है। सश ोधी ि ब त
े रत होता है और हर चीज़ को ल य तक प च ँ ाने वाली सीढ़ी के प म देखता है, इसिलए वह यह नह समझ
पाता क बुि होने के बावजूद कसी ब े म ेरणा का तर इतना कम कै से हो सकता है। वह बुि का मतलब
अपनी तरह के चंतन से लगाता है और शांत संतोषी ब े के उ साह को ठं डा कर सकता है तथा उसे परािजत
ि म बदल सकता है।
एक मश र सजन ने मुझे अपने ‘अलग-थलग, आलसी” बेटे के बारे म बताया, िजसका कोई ि व नह
था। जब हमने सम या पर बातचीत क , तो मुझे समझ म आ गया क इस ि के दबंग, घमंडी वभाव के
कारण ब ा अलग-थलग और आलसी बना होगा। उसने कहा, ‘म अपने बेटे को े रत करने क कोिशश करता ।ँ
जब भी म उसे बैठा देखता ,ँ तो म हर बार कहता ,ँ 'आलसी लड़के , उठकर काम करो। काम म जुट जाओ।”
आप क पना कर सकते ह क इस आदेश से ब े को कतनी ेरणा िमलती होगी!
शांत संतोषी लोग दुिनया के सबसे आरामपसंद और खुशनुमा ि होते ह, ले कन उ ह सकारा मक ेरणा
क ज़ रत होती है। उ ह ऐसे माता-िपता या जीवनसाथी क ज़ रत होती है, जो उ ह ो साहन दे और ल य
बनाने म उनक मदद करे । जब हम शांत संतोषी वभाव को समझ लेते ह, तो हम जान जाते ह क उ ह सीधी
ेरणा क ज़ रत है। चाहे वह ब ा हो, जीवनसाथी हो या सहकम हो, हम िहक़ारत से देखने, मू यांकन करने
और उसे दंड देने के बजाय उसे े रत व ो सािहत कर सकते ह और मागदशन दे सकते ह।

ल य बनाने म उनक मदद कर और पुर कार द


जब म ामर कू ल म पढ़ती थी, तो हमारी टीचर हम अ छा काम करने पर गो ड टास देती थ । मुझे अपने कोट
पर टार लगाना अ छा लगता था और म इन पुर कार को पाने के िलए कड़ी मेहनत करती थी।
जब हम बड़े होते ह, तब भी हम पुर कार पसंद होते ह और शांत संतोषी ि य को तो िनि त प से
ल य बनाने और पुर कार तय करने म मदद क ज़ रत होती है, ता क मेहनत का कोई फल िमले। शांत संतोषी
ब ा यादा काम करे गा, अगर उसके पास एक चाट हो, िजस पर वह काम करने के बाद िनशान लगा सके । शांत
संतोषी प ी बेहतर गृिहणी बन जाएगी, अगर प रवार इस तरफ़ यान दे क वह कतना कु छ कर रही है। इसी
तरह, शांत संतोषी पित गैरेज साफ़ कर सकता है, अगर उसे िडनर के बाद ए पल पाई देने का वादा कया गया
हो।
शांत संतोषी ि ल य िनधा रत करने म स म होते ह, ले कन अपने वभाव क वजह से ऐसा करना
नह चाहते ह - वे यादा आगे तक सोचने से बचना चाहते ह। जब आप शांत संतोषी ि य के साथ रहना
सीख लगे, तो आपको एहसास होगा क वे कतना कु छ हािसल कर सकते ह, बशत आप ल य िनधा रत करने म
उनक मदद करने का समय िनकाल और सफलता के मह व को प कर।
सुरंग के आिख़री छोर पर रोशनी लंबी, अँधेरी या ा को साथक बना देती है।

उनसे उ साह क उ मीद न कर


लोकि य आशावादी और सश ोधी ि अपनी हर बात पर दूसर क उ साही ित या चाहते ह, ले कन
जब शांत संतोषी ि िच नह दखाते ह, तो बाक़ लोग आहत या िवचिलत हो जाते ह। शांत संतोषी ि
रोमांिचत नह होता है, यह समझने के बाद हम इस त य को यादा आसानी से वीकार कर सकते ह क इस
कृ ित के लोग से हम नए िवचार पर खुशी से उछलने क उ मीद नह करनी चािहए।
कृ ितय के बारे म सीखने का एक बड़ा लाभ यह है क इससे हम दूसर से यादा उ मीद नह रहती ह।
शांत संतोषी जो ने एक दन सुबह उठते समय कहा, "ओह, आज एक और बुरा दन होगा।” सश ोधी
कै रोिलन ने जवाब दया, “मुझे लगता है क तब तो तु ह इसी बात पर दृढ़ रहना चािहए। मुझे यक़ न है क तु ह
िनराशा नह होगी।”

जान ल क टालमटोल करना उनके

शांत िनयं ण का प है
चूँ क शांत संतोषी ि आम तौर पर अपने सश ोधी जीवनसािथय ारा िनयंि त रहते ह, इसिलए
वे टालमटोल का इ तेमाल अपनी र ा के साधन क तरह करते ह।
पॉल ने मेरे सामने यह वीकार कया क वह टालमटोल करता था। “म आिख़री िमनट तक इं तज़ार करता
था और फर फटाफट काम कर देता था।” उसक सश ोधी प ी जीन ने त काल जवाब दया, “तुमने आिख़री
िमनट तक इं तज़ार करने के बारे म तो िबलकु ल सही कहा है, ले कन तुमने िज़दगी म कभी फटाफट काम नह
कया है!” मेरी आँख के सामने ही उनम इस बात पर गम बहस िछड़ गई क लकड़ी से भरा बेसमट दीवार बनने
का इं तज़ार कर रहा है, पूल कवर को िड बे से नह िनकाला गया है, गैरेज म रखे पौधे सूरज क रोशनी देखे िबना
ही मुरझा गए ह। जब जीन ग़ से म आने लगी, तो पॉल ने शांित से ताना मारा, “मुझे तंग मत करो, वरना
तु हारा इनम से कोई भी काम नह होगा।”

उ ह िनणय लेने के िलए मजबूर कर


शांत संतोषी ि िनणय लेने म स म होते ह, ले कन वे अ सर यूनतम ितरोध का रा ता अपनाते ए दूसर
को यह िवक प चुनने देते ह क या करना है और कहाँ करना है। चूँ क उनम हर उस चीज़ से बचने क वृि
होती है, जो िववाद क ओर ले जाए, इसिलए वे नाव म हलचल पैदा करना पसंद नह करते ह। सामािजक संबंध
म इस म यमाग क नीित से कसी को एतराज़ नह होता है - दरअसल इसका अ सर वागत कया जाता है।
बहरहाल, घरे लू ि थित म यह मह वपूण है क शांत संतोषी ि को कम से कम कु छ िनणय लेने के िलए िववश
कया जाए।

छोटे ब े अगर कह, “मुझे परवाह नह है,” तो इसे वीकार न कर, बि क उ ह कसी मु े के दोन पहलू
देखने और फर कसी िनणय पर प च ँ ने के िलए िववश कर, भले ही उ ह कोई परवाह न हो। यह बता द क
प ता से मू यांकन करके िनणय लेने क मता उनके भावी जीवन के िलए ब त मह वपूण है।
दांप य जीवन म शांत संतोषी ि को पा रवा रक चचा करने और मु को सुलझाने के िलए मजबूर
करना चािहए। अगर आपके िवचार दृढ़ ह, तो आपको शांत संतोषी ि को कु छ े देने ह गे, जहाँ वह
िनयं ण कर सके और उन े से खुद को दूर रखना होगा। अ सर शांत संतोषी ि इस वजह से फ़ै सला नह
करता है, य क वह जानता है क सामने वाला वैसे भी वह काम अपने तरीक़े से करे गा। उसके िनणय लेने क
ो सािहत करने के िलए आपको उसे लगाम थमा देनी चािहए और फर प रणाम के साथ जीना चािहए। यह
करना सश ोधी ि के िलए ब त मुि कल होता है, य क वह त काल देख सकता है क कौन सी चीज़
गड़बड़ हो रही है और वह बीच म कू दकर ि थित को सही करना चाहता है। जब वह बार-बार बीच म कू दकर
िबगड़ी ई ि थित को सुधार देगा, तो शांत संतोषी जीवनसाथी हार मान लेगा और पा रवा रक लीडरिशप से
दूर हो जाएगा।

सारा दोष उन पर न मढ़
चूँ क शांत संतोषी ि ब त शांत होते ह और यथाि थित को वीकार कर लेते ह, इसिलए वे उन अिधक
साहसी वभाव के िलए आसान िनशाना होते ह, जो अपनी ग़लती का दोष कसी दूसरे पर मढ़ना चाहते ह। मने
अ सर ऐसी ि थितयाँ देखी ह, जहाँ सश ोधी ि ने ज दबाज़ी म कोई िनणय िलया, उसके िवनाशकारी
प रणाम ए और उसने वहाँ मौजूद शांत संतोषी ि पर दोष मढ़ दया। इस े म अपनी जाँच कर और देख
क या आप दूसर पर दोष मढ़ते ह।
एक शांत संतोषी मिहला ने मुझे बताया क उसके पित ने उससे यह चुनाव करवाया क प रवार म कस
तरह का कु ा होना चािहए। जब भी कु ा कोई गड़बड़ करता था, तो हर बार दोष उसके िसर पर मढ़ दया
जाता था।
हालाँ क हो सकता है क शांत संतोषी ि लादे गए काम को वीकार कर ल, ले कन इससे उनका आ म-
वािभमान कम हो जाता है, वे आपके साथ संबंध बनाने से कतराते ह और भावी िज़ मेदा रय से मुँह मोड़ लेते
ह।
अगर आप आज शांत सतोषी ि का इ तेमाल कचरे क बा टी क तरह करते ह, तो कल आपको हाथ म
एक बा के ट के स हो सकता है।

उ ह िज़ मेदा रयाँ लेने के िलए ो सािहत कर


लोकि य आशावादी ि य को ब त सारे लब का सद य बनने से दूर रहना पड़ता है, य क वे खुद को
ज़ रत से यादा आगे तक ले जाते ह। सश ोधी ि िजन चीज़ म हाथ डाल सकते ह, उ ह चलाते रहते ह।
बहरहाल, शांत संतोषी ि कसी भी चीज़ के भारी बनने से कतराते ह, भले ही उनम शासिनक मता
और सबसे तालमेल बैठाने क यो यता हो। म य थता और सबको साथ लेकर चलने क उनक ितभा के कारण
उ ह िज़ मेदारी लेने के िलए ो सािहत कया जाना चािहए। वे उ कृ ए ज़ी यू टव बनते ह, ले कन उनम
मोशन को ठु कराने क वृि होती है, य क दूसर ने उ ह अपूणता का एहसास करा दया है। वे “मूख” नह
दखना चाहते ह।
उनके पहले इं कार को वीकार न कर, बि क उनम िव ास जताते रह क आपको उनक नेतृ व मता पर
भरोसा है। िमलनसार ि से बेहतर चेयरमैन, ेिसडट या राजा कौन हो सकता है - जो ज दबाज़ी म िनणय न
ले और ि व क सम या को भावी ढंग से सुलझा सके ?

उनके संतुिलत वभाव क सराहना कर

दूसर के साथ िमलनसार बनना चाहते ह? दयालुता क तरह कोई चीज़ सफल नह होती।

दयालु श द शहद क तरह होते ह – मज़ेदार और वा यवधक|


ोव स 16:24 टीएलबी
खंड पाँच

ि व शि

अपनी पूण मता तक प च


ँ ने के िलए शि का ोत
अ याय 17

पसनैिलटी लस क शि से लोग सकारा मक बनते ह!

इस पु तक क शु आत म हमने पूछा था क आ म-सुधार के इतने सारे कोस सफल य नह होते ह और उनसे


होने वाले प रवतन थायी य नह होते ह। इस सम या का पहला जवाब यह है क अिधकांश कोस कृ ितय
क िभ ता पर आधा रत नह होते ह। उ ह सश ोधी कृ ित के ि सश ोधी कृ ित के ि य के
िलए चलाते ह। अब जब हम कृ ितय को समझ चुके ह, तो हम जान चुके ह क सश ोधी ि कस तरह
नेतृ व करना पसंद करते ह और हम यह भी जानते ह क वे कतनी ज दी नए उ े य तथा योजना को
आ मसात करके ल य तक प च ँ ने के िलए चल पड़ते ह। अगर उ ह अपना लाभ नज़र आ रहा हो, तो वे त काल
कम म जुट जाते ह।
सश ोधी/ पूण िनराशावादी कृ ित के तालमेल म ल य तक प च
ँ ने क मता होती है और उपलि ध के
िलए िविश पायदान का चाट बनाने क यो यता होती है। ले कन शु आती साम ी िमलने पर दूसरी कृ ितय
के साथ या होता है?
लोकि य आशावादी ि अपने जीवन क वि थत करने के बारे म उ सािहत हो जाता है। वह भ ता
के सपने देखता है और सचमुच बेहतर बनना चाहता है, ले कन उसे कभी काम शु करने का समय ही नह
िमलता है और जब समय िमलता है, तब तक उसक साम ी ग़म चुक होती है।
पूण िनराशावादी ि , िजसका झुकाव शांत संतोषी दशा म होता है, नो स लेता है और िव ेषण करता
है क कन चीज़ का वादा कया गया है। वह अवधारणा का अ ययन कर सकता है और गुण का मू यांकन
कर सकता है। वह कोस के कसी ावहा रक िह से को तो सुधारने के िलए तैयार हो सकता है, ले कन ब त बड़ा
प रवतन उसे िनराश कर देगा।
शांत संतोषी ि को अगर कु छ क़दम उपयोगी और आसान लग, तो वह सकारा मक दशा म बढ़ सकता
है, ले कन संभावना इस बात क है क सेिमनार क ढेर सारी बात पर अमल करना उसे काफ़ मुि कल और
“ब त यादा मेहनत का काम” लगेगा।

अपराधबोध से मुि
म बरस से लोग को कृ ितय के बारे म िसखा रही ।ँ इस दौरान मने देखा है क ब त से लोग
अपराधबोध से मु हो गए, जब उ ह यह एहसास आ क उ ह ने ेरणादायी साम ी के ित तथाकिथत
सामा य तरीक़े से ित या य नह क । लोकि य आशावादी ि क वि थत बनने क ज़ रत तो है,
ले कन वह इस बात पर अपराधी महसूस नह करता है क उसक सारी िज़दगी फ़ो डस म बंद नह है। पूण
िनराशावादी ि को थोड़ा खुलने और आशावादी बनने क ज़ रत है, ले कन अगर वह रातोरात बॉब होप म
नह बदलता है, तो उसे इस बारे म अपराधी महसूस करने क ज़ रत नह है। शांत संतोषी ि को अिधक
े रत होना चािहए और आगे बढ़ना चािहए, ले कन अगर उसके मन म इ छा क बल तरं ग िहलोर न मारने
लग, तो उसे अपराधी महसूस नह करना चािहए। सश ोधी ि को लाभकारी बात हण करके बाक़
सारी बात को बग़ैर कसी अपराधबोध के फक देना चािहए, ले कन उसे कृ ित क िभ ता का एहसास होना
चािहए और उन लोग पर नाक-भ नह िसकोड़नी चािहए, जो उसक दी गई भूिमका नह िनभा पाते या उसके
नेतृ व का अनुसरण नह कर पाते।
िनदश से थायी प रणाम ा नह कर पाने का दूसरा कारण यह है क हमम पराभौितक पांतरण क
शि नह होती है। हम आ याि मक ऊजा क ज़ रत होती है, ले कन हमम से यादातर लोग को पता नह
होता है क यह हम कहाँ िमलेगी। हम मं बुदबुदा सकते ह, अपनी कार के डैशबोड पर मू तयाँ लगा सकते ह,
िवकलांग क मदद के िलए दान दे सकते ह, ग़रीब के िलए कपड़े िसल सकते ह और िहमालय क या ा कर
सकते ह, ले कन इसके बावजूद हम अपने भीतर यादा बदलाव महसूस नह होता है।

अ याि मक उजा पाएँ


दो मि त क- ित त बेट को खोने के बाद म और मेरे पित संबल तलाश रहे थे। हम ऊपरी तौर पर तो
सफल हो रहे थे, ले कन भीतर ही भीतर आहत थे। हम जीवन के जवाब खोजने लगे। े ड लाइ ेरी जाकर धा मक
पु तक ले आए और हमने एक इि छत सं दाय खोजने क कोिशश क । हम उस व यह नह समझते थे क धम
और सं दाय से ज़ंदिगयाँ नह बदलती ह। एक साल के भीतर हम दोन को ही अलग-अलग समय और अलग-
अलग जगह पर यह पता चला क ईसा मसीह प रवतन के कारक हो सकते ह। “ले कन िजतने लोग ने उ ह
वीकार कया, उ ह उसने ई र के पु बनने क शि दी, उ ह भी, जो उनके नाम पर िव ास करते ह” (जॉन
1:12)।
हम शि क ज़ रत थी, हम ईसा मसीह पर िव ास था; हमने उ ह अपने दल म वीकार कया। रोम स
12:1 और 2 ने हम दशा दी :
. अपने शरीर को जीवंत याग, पिव , ई र के वीकार करने यो य बनाओ, जो तु हारी ता कक सेवा है।

और इस दुिनया के ित िन ावान मत बनी : बि क अपने मि त क के नवीनीकरण ारा


पांत रत हो जाओ, ता क तुम उसे जान सको जो अ छा, वीकार करने यो य और ई र क आदश
इ छा है।

अपने शरीर को सम पत कर दो
पूरे अि त व, समय, मि त क, आ मा, कृ ित, शि य और कमज़ो रय को सम पत कर द। कह, ‘‘यह लीिजए
ई र, यह सब आपका है। आपक जैसी इ छा हो, मेरे साथ वैसा ही कर।”

इस दुिनया के ित िन ावान मत बनो


मेरी आँख को िसफ़ सांसा रक आनंद पर क त न रहने द। मुझे यह एहसास होने द क भौितक व तुएँ और
ित ा वा तव म कतने िणक ह।

अपने मि त क के नवीनीकरण से पांत रत हो जाओ


यहाँ आशा है। ई र के िलए यह संभव है क वह मुझे नया बना दे, मेरे मि त क को चमका दे और तरोताज़ा कर
दे। फर - फर, जब म ई र के ित अपना पूण जीवन सम पत कर दूग ँ ी; अपने ल य को देह से हटाकर आ मा
क ओर ले जाऊँगी, ई र को अपने लांत मि त क को नवीनीकृ त करने क अनुमित दे दूग ँ ी - फर आप जान
सकते ह . जानना कतना सश श द है। जीवन म यादा कु छ नह है, िजसके बारे म हम िव ास के साथ कह
सकते ह । अंदाज़ा या आशा तो समझ म आते ह, ले कन जानना? हाँ, “ फर तुम जान जाओगे क या अ छा,
वीकार करने यो य और ई र क आदश इ छा है।” “आपका मतलब है, म जान सकती ँ क ई र मेरे जीवन
के िलए या चाहते ह?”
हाँ, आप ई र क आदश इ छा जान सकते ह। े ड और म बाइबल तथा कृ ितय के बारे म एक साथ पढ़ने
लगे और हम हैरानी ई क दोन म कतना ब ढ़या सामंज य था। जब हमने एक-दूसरे को अपने साँचे म ढालने
के बजाय (जैसा हम पं ह साल से करने क कोिशश कर रहे थे) अपने ि व क संरचना का अ ययन कया,
तो हम इस काम म बाइबल ने ो साहन दया। कह भी बाइबल म यह नह कहा गया था क म े ड के वहार
के िलए िज़ मेदार थी या वह मेरे काय का यायाधीश था। इसके बजाय हम दूसर क नह , बि क अपनी जाँच
करने के िनदश िमले।

गेलेिशय स 6:4 जीएनबी हर एक को अपने वहार का मू यांकन करनी चािहए.


एक को खुद क जाँच करनी चािहए.
1 को रि थय स 11:28 जीएनबी हर को रि थय स 13:5 जीएनबी खुद क जाँच कर और खुद
का मू यांकन कर.
भजन 26:1, 2 के जेवी मेरा मू यांकन कर, ई र. मेरी जाँच कर, ई र, और
मुझे सािबत कर; मेरी लगाम और मेरे दल को आज़माएँ
भजन 139:23, 24 का सार हे ई र, मुझे टटोल, और मेरे दल को जान - जो भीतर
है, मेरा वा तिवक प – मुझे आज़माएँ, मेरा इ तहान
ल और मेरे तरीक़े जान - म कै सा वहार करता ँ और
दूसर के साथ कै से रहता ।ँ अगर मुझम कोई कमी हो -
काय और मनोदशा, जो दूसर को चोट प च ँ ाते ह या
बुरे लगते

ह - तो बदलने म कृ पया मेरी सहायता कर।


हम अपने दल टटोलने लगे और कृ ितय के ान के सहारे अपना िव ेषण करने लगे। जब हम दूसरे
दंपितय को अपने घर लाए और उ ह अपने सीिमत ान का लाभ दया, तो हम खुद म और दूसर म प रवतन
नज़र आने लगे।

हमारा अनूठापन
हमने सीखा क ई र ने हम सभी को एक जैसा नह बनाया है। हमम से हर एक अनूठा है। पॉल ने हमसे कहा है
क हम अपनी जाँच करनी चािहए और यह पता लगाना चािहए क ई र ने हम कतनी ितभाएँ दी ह तथा
हमारी इ छाशि व उसक शि से वह हम कन कमज़ो रय से उबारना चाहता है। पॉल हमारी तुलना एक
शरीर से करते ह, िजसम ईसा मसीह हमारे म तक ह और हम िह से ह :

उनके िनयं ण म शरीर के अलग-अलग िह से आपस म जुड़ जाते ह


और पूरा शरीर हर जोड़ से जुड़ा रहता है, जो इसे दया गया है।
इसिलए जब हर अलग िह सा अपना काम करता है, तो पूरा शरीर
िवकास करता है और ेम से खुद को बनाता है (एफ़. 4:16 जीएनबी)।
ई र ने हम सबको िभ बनाया है, इसिलए हम अपनी भूिमका िनभा सकते ह। उ ह ने हमम से कु छ को
पैर के प म बनाया है - चलने, मेहनत करने और हािसल करने के िलए, सश ोधी ि क तरह। उ ह ने
हमम से कु छ को मि त क के प म बनाया है - गहराई से सोचने, महसूस करने और िलखने के िलए, पूण
िनराशावादी ि क तरह। उसने हमम से कु छ को हाथ के प म बनाया है - सेवा करने, राहत देने और आनंद
देने के िलए, शांत संतोषी ि क तरह। उसने हमम से कु छ को मुँह क तरह बनाया है - बात करने, िसखाने
और ो साहन देने के िलए, लोकि य आशावादी ि क तरह।

अब ई र ने सद य को िनधा रत कर दया है, िजनम से हर एक शरीर


म है, जैसा करने म उसे आनंद िमला है। (1 को र. 12:18)
ई र हम सभी को लोकि य आशावादी बना सकते थे। हम ब त मज़े करते, ले कन ब त कम हािसल कर
पाते।
वे हम सभी को पूण िनराशावादी बना सकते थे। हम सु वि थत रहते और चाट बनाते, ले कन ब त
खुशनुमा नह होते।
वे हम सभी को सश ोधी बना सकते थे। हम सभी नेतृ व करने लगते, ले कन इस बात पर परे शान होते
क अनुसरण करने के िलए कोई नह है।
वे हम सभी को शांत संतोषी बना सकते थे। हमारे पास शांितपूण दुिनया होती, ले कन जीवन म यादा
उ साह नह होता।
शरीर के संपूण काय के िलए हम हर कृ ित क ज़ रत होती है। हर िह से को अपना काम करना चािहए,
तभी काम पूरा होगा और अ छे प रणाम िमलगे।

िह से ही पया नह ह
या हो अगर हमारे पास ये सारे िह से उपल ध ह - सभी अपना काम कर - ले कन ईसा मसीह का िनयं ण न
हो ? या हो अगर लोकि य आशावादी ि बात कर रहे ह , पूण िनराशावादी ि सोच रहे ह , सश
ोधी ि काम कर रहे ह और शांत संतोषी ि म य थता कर रहे ह , ले कन यह सब बग़ैर कसी
आ याि मक गहराई के हो रहा हो? उ े य क कोई एकता नह होगी। प रणाम का कोई सम वय नह होगा।
अंग के आदश काय के िलए हम अपने जीवन म ईसा मसीह क ज़ रत है।
मने ि गत प से यह िस ांत अपने दो बेट से सीखा, िजनके मि त क ित त थे। दोन ही देखने म
सुंदर थे। उनक आँख नीली थ , बाल सुनहरे थे, नाक ऊपर क तरफ़ मुड़ी ई थी, ठु ि य म डंपल थे। उनके
हाथ-पैर सामा य थे और िहलते-डु लते थे, ले कन उनके मि त क सामा य नह थे। उनम सभी अंग तो थे, ले कन
मा टर कं ोल नह था। उनक आँख तो थ , ले कन वे देख नह सकते थे; उनके कान तो थे, ले कन वे सुन नह
सकते थे; उनके हाथ तो थे, ले कन वे कु छ पकड़ नह सकते थे; उनके पैर तो थे, ले कन वे चल नह सकते थे। वे
बाहर से पूरी तरह ठीक दखते थे, ले कन मि त क के िबना कोई िह सा ठीक से काम नह करता था।
हमम से ब त से लोग मेरे बेट क तरह ह - हम बाहर से तो िबलकु ल ठीक दखते ह, ले कन चूँ क ईसा
मसीह हमारे िसर के थान पर नह ह, इसिलए यादा कु छ ठीक से काम नह करता है। पॉल कहते ह, “म तो बस
ईसा मसीह को जानना चाहता ँ और उनके पुनज वन क शि का अनुभव करना चाहता ,ँ उनके क म
िह सा बाँटना चाहता ँ और उनक तरह बनना चाहता ँ .” ( फ़ल. 3:10 जीएनबी)।

आपका सव े िम
या आपको कभी कोई ऐसा िम िमला है, िजससे आप इतना यादा ेम करते ह क आप हर समय उसके साथ
रहना चाहते ह और हर दन उसे यादा अ छी तरह से जानना चाहते ह ? या उसक उपि थित से आपके
जीवन म रोशनी होती है और उसके क़रीब रहने पर आप ऊजावान महसूस करते ह? या आप उसक इतनी
यादा परवाह करते ह क आप उसके बोझ उठाने और मुि कल समय म उसके साथ खड़े होने के इ छु क ह ? या
आपने कभी उसे इतने क़रीब से देखा है और उसका इतना यादा अनुसरण कया है क आप लगभग उसके जैसे
बन गए ह ? ईसा मसीह आपके साथ इसी तरह का संबंध चाहते ह। वे चाहते ह क आप बाइबल पढ़कर और
उनसे बात करके उ ह यादा अ छी तरह जान जाएँ। वे चाहते ह क आप अपने जीवन म उनक शि महसूस
करके अपनी कमज़ोरी से उबर सक। वे चाहते ह क आपको यह एहसास हो क उ ह ने भी आपक तरह क
उठाया था और वे आपके साथ इतना यादा समय िबताना चाहते ह ता क आप उनक तरह बन जाएँ।
अगर आप उनक तरह बनना चाहते ह, तो आपको अपनी शि य को बढ़ाने और अपनी कमज़ो रय को
ख म करने का ल य बनाना चािहए, य क ईसा मसीह म हर कृ ित के सव े गुण थे। उनम लोकि य
आशावादी कृ ित क कहानी सुनाने क ितभा थी, पूण िनराशावादी कृ ित क गहराई तथा संवेदनशीलता थी,
सश ोधी कृ ित क शासिनक मता थी और शांत संतोषी कृ ित का शांत वभाव था।
ईसा मसीह आज सभी िव ास करने वाल के दय म रहते ह, इसिलए जब आप ि गत सुधार क
योजना पर काय कर, तो यह िव ास रख क आप शि के उस ोत से जुड़े ए ह, जो इसे संभव बना देगा।
“ई र ने हमारे िलए महान काम कए ह.” (भजन 126:3)।

पसनैिलटी लस क शि से लोग सकारा मक बनते ह!


प रिश

पसनैिलटी टे ट के श द क प रभाषाएँ

लेना बेटमैन क पु तक पसनैिलटी पैट स से पांत रत (ह टंगटन हाउस, इं क, लफ़ै इटी, एलए ारा कािशत)।

शि याँ

1
साहसी (Adventurous)। नए और जोिखम भरे काम िनपुणता के संक प के साथ करता है।
अनुकूलनशील (Adaptable)। कसी भी ि थित म आरामदेह रहता है और उसके अनु प ढल जाता है।
जीवंत (Animated)। जीवंतता से भरपूर; हाथ और चेहरे क मु ा का जीवंत योग।
िव ेषणा मक (Analytical)। ता कक और उिचत सम वय के िलए िह स क जाँच करना पसंद करता है।

2
लगनशील (Persistent)। दूसरा काम शु करने से पहले हाथ के काम को पूरा करता है।
िवनोदशील (Playful)। आनंद से भरपूर और हँसमुख।
िव ासो पादक (Persuasive)। आकषण या शि के बजाय तक और त य से िव ास दलाता है।
शांत (Peaceful)। अिवचिलत और शांत दखता है तथा कसी भी तरह के िववाद से दूर रहता है।

3
आ ाकारी (Submissive)। कसी दूसरे के दृि कोण को आसानी से वीकार कर लेता है और अपने िवचार करने क ज़ रत महसूस नह करता
है।
आ म- यागी (Self-sacrificing)। दूसर क ज़ रत या दूसर क ख़ाितर वे छा से अपनी ि गत इ छा का याग करता है।
िमलनसार (Sociable)। दूसर के साथ रहने को चुनौतीपूण काय या ावसाियक अवसर के बजाय मनोरं जन के आकषक अवसर के प म देखता है।
दृढ़-इ छापूण (Strong-willed)। अपनी इ छानुसार काम करने के िलए संक पवान रहता है।

4
यान रखने वाला (Considerate)। दूसर क आव यकता और भावना के ित स मान रखता है।
िनयंि त (Controlled)। दल म भावनाएँ होने के बावजूद उ ह ब त कम द शत करता है।
ित पध (Competitive)। हर ि थित, घटना या खेल को ितयोिगता म बदल लेता है और हमेशा जीतने के िलए खेलता है!
िव ास जगाने वाला (Convincing)। अपने ि व के आकषण ारा आपसे कोई भी बात मनवा सकता है।

5
फू ितदायक (Refreshing)। नवीनीकरण करता है, े रत करता है और दूसर को अ छा महसूस कराता है।
आदरपूण (Respectful)। सबसे स मान और आदर के साथ पेश आता है।
संयत (Reserved)। भावना या उ साह क अिभ ि म संयम बरतता है। उपायकु शल (Resourceful)। लगभग सभी ि थितय म त काल और
भावी ढंग से काम करने म स म होता है।
6
संतु (Satisfied)। आसानी से कसी भी प रि थित या ि थित को वीकार कर लेता है।
संवेदनशील (Sensitive)। गहराई से लोग और घटना के बारे म परवाह करता है।
आ म-िनभर (Self-reliant)। वतं ि , जो पूरी तरह अपनी मता , िनणयशि और संसाधन पर भरोसा कर सकता है।
फु ि लत (Spirited)। जीवन के आनंद और रोमांच से भरपूर।

7
योजनाकार (Planner)। ोजे ट या ल य को हािसल करने के िलए पहले एक िव तृत योजना बनाना पसंद करता है और काम करने के बजाय योजना
के िविभ चरण तथा अंितम प रणाम म शािमल होना पसंद करता है।
धैयावान (Patient)| िवलंब से अिवचिलत; शांत और सहनशील।
सकारा मक (Positive)। जानता है क अगर िनयं ण उसके हाथ म रहेगा, तो सब कु छ ठीक हो जाएगा।
वतक (Promoter)। अपने ि व के आकषण से दूसर को साथ चलने, शािमल होने या िनवेश करने के िलए े रत या िववश करता है।

8
असं द ध (Sure)। आ मिव ासी, शायद ही कभी िझझकता या िडगता है।
सहज (Spontaneous)। जीवन भर आवेगपूण व बग़ैर सोचे-समझे क़दम उठाना पसंद करता है; योजना का बंधन पसंद नह करता है।
समय-सा रणी बनाने वाला (Scheduled)। दैिनक योजना बनाता है और उसके अनुसार जीता है; योजना म बाधा पड़ने को पसंद नह करता है।
शम ला (Shy)। शांत; आसानी से बातचीत शु नह करता है।

9
मब द (Orderly)। िजसक चीज़ मब और िसलिसलेवार जमी रहती ह।
भ (Obliging)। उदार; दूसर के तरीक़े से काम करने के िलए त पर रहता है। प वादी (Outspoken)। खुलकर और िबना संकोच के बोलता है।
आशावादी (Optimistic)। सकारा मक वभाव वाला ि , जो खुद को और दूसर को यक़ न दला देता है क अंत म सब कु छ सही हो जाएगा।

10
दो ताना (Friendly)। शु आत करने के बजाय ित या करने वाला, कभी बातचीत शु नह करता है।
वफ़ादार (Faithful)। हमेशा िव सनीय, ि थर, वफ़ादार और िन ावान, कई बार अता कक प से।
मज़ा क़या (Funny)। मज़ेदार हा यबोध वाला, जो कसी भी कहानी को ब त मज़ेदार घटना म बदल सकता है।
सश (Forceful)। भावशाली ि व, िजसके िख़लाफ़ िवचार करने म लोग िझझकते ह।

11
जोिखमपूण (Daring)| जोिखम लेने का इ छु क; िनडर, साहसी।
आनंदपूण (Delightful)। िजसके साथ रहना मज़ेदार होता है।
कू टनीित (Diplomatic)। लोग के साथ वहारकु शलता, संवेदनशीलता और धैय से पेश आता है।
योरे वार (Detailed)। हर चीज़ को सही म म करता है; होने वाली सभी घटना को प प से याद रखता है।

12
ख़शिमज़ाज (Cheerful)। हमेशा ख़श रहने और दूसर को ख़श करने क कोिशश करता है।
सुसंगत (Consistent)। भावना मक प से संतुलन बनाए रखता है; अपेि त ित या करता है।
सुसं कृ त (Cultured)। िजसक िचयाँ बौि क और कला मक होती ह, जैसे रं गमंच, संगीत, बैले।
आ मिव ास से पूण (Confident)। आ मिव ास से भरा होता है; अपनी यो यता और सफलता पर भरोसा करता है।

13
आदशवादी (Idealistic)। चीज़ क उनके आदश प म क पना करता है और उस मानदंड के आधार पर खुद का मू यांकन करने क आव यकता
महसूस करता है। वतं (Independant)। आ मिनभर, वावलंबी, आ म-िव ासी; उसे दूसर क मदद क ब त कम ज़ रत होती है।
अना ामक (Inoffensive)। जो कोई अि य या आपि जनक बात न तो कहता है, न ही करता है।
ेरक (Inspiring)। दूसर को काम करने, शािमल होने या जुड़ने के िलए ो सािहत करता है और हर चीज़ को मज़ेदार बना देता है।

14
दशना मक (Demonstrative)। खुलकर भावनाएँ, ख़ास तौर पर ेह करता है और बात करते समय दूसर को छू ने से परहेज़ नह करता है।
िनणायक (Decisive)। ती ता से अंितम िनणय लेने क यो यता।
शु क हा यबोध (Dry humour)| “शु क वा पटु ता” द शत करता है, आम तौर पर एक लाइन क बात कहता है, जो ं या मक हो सकती है।
गहरा (Deep)। गहन और अ सर आ मिव ेषण करने वाला, िजसे सतही बातचीत और काम नापसंद होते ह।

15
म य थ (Mediator)। ख़द को लगातार संघष टालने और मतभेद सुलझाने वाले क भूिमका म पाता है।
संगीत ेमी (Musical)। संगीत पसंद होता है या ख़द वा यं बजा सकता है; दशन के आनंद के बजाय संगीत के कला प के ित िन ावान होता
है। तावक (Mover)। प रणाम पाने क आव यकता ारा संचािलत। लीडर होता है; िजसका दूसरे अनुसरण करते ह। ि थर बैठना इसे मुि कल
लगता है।
आसानी से घुलने-िमलने वाला (Mixes easily)। पाट से ेम करता है और सबसे िमलने के िलए बेताब रहता है। उसके िलए कोई अजनबी नह होता
है।

16
िवचारशील (Thoughtful)। दूसर का यान रखने वाला; इसे ख़ास अवसर याद रहते ह और दयालुतापूण काम त काल करता है।
अटल (Tenacious)। जब तक ल य हािसल न हो जाए, तब तक दृढ़ता से लगा रहता है और छोड़ता नह है।
बातूनी (Talker)। लगातार बोलता है; आम तौर पर मज़ेदार क़ से सुनाकर सबका मनोरं जन करता है; दूसर को आरामदेह बनाने के िलए ख़ामोशी
तोड़ने क ज़ रत महसूस करता है।
सिह णु (Tolerant)। दूसर से असहमत होने या उ ह बदलने क आव यकता के िबना उनके िवचार और तौर-तरीक़ को सहजता से वीकार करता
है।

17
ोता (Listener)। हमेशा आपक बात सुनने का इ छु क होता है।
िन ावान (Loyal)। कसी ि , आदश या नौकरी के ित वफ़ादार, कई बार तक से परे ।
लीडर (Leader)। ज मजात मागदशक, जो हमेशा भारी रहना चाहता है और अ सर यह मानने म मुि कल महसूस करता है क कोई और भी उस
काम को उतनी अ छी तरह से कर सकता है।
स य (Lively)। ज़ंदगी से भरपूर, उ साही, ऊजावान।

18
संतोषी (Contented)। अपने पास मौजूद चीज़ से आसानी से संतु हो जाता है; शायद ही कभी ई यां करता है।
मुख (Chief)। लीडर होता है और लोग से अनुसरण क उ मीद करता है।
चाट बनाने वाला (Chartmaker)। जीवन, काम और सम या सुलझाने के काम को सूिचयाँ, फ़ॉम या ाफ़ बनाकर सु वि थत करता है।
आकषक (Cute)। िजसे लोग ब त पसंद करते ह, आकषण का क ।

19
पूणतावादी (Perfectionist)। ख़द के िलए और अ सर दूसर के िलए ऊँचे मानदंड तय करता है और यह चाहता है क हर चीज़ हर समय सही म म
रहे।
सुखकर (Pleasant)। आरामदेह; इसके साथ रहना और बात करना आसान होता है।
उ पादनकारी (Productive)। लगातार काम करना या सफलता पाना चाहता है; इसे अ सर आराम करने म ब त द त आती है।
लोकि य (Popular)। पाट क जान; इसे अ सर पा टय म आमंि त कया जाता है।

20
उजावान (Bouncy)। जोशीला, जीवंत ि व; ऊजा से भरपूर।
िनभांक (Bold)। िनडर; जोिखम लेने वाला; जोिखम से नह घबराता है।
अ छा वहार करने वाला (Behaved)। हमेशा वही करना चाहता है, िजसे वह सही मानता है।
संतुिलत (Balanced)। ि थरिचत; म यमाग ि व; ज़ंदगी म तीखे उतार-चढ़ाव नह होते ह।
कमज़ो रयाँ

21
भावशू य (Blank)। ब त कम भाव द शत करता है।
झपू (Bashful)। संकोची; यान आक षत करने म िझझकता है।
ढीठ (Brassy)। चमक-दमक वाला, बल दखता है; ज़ोर से बोलता है।
रोब जमाने वाला (Bossy)। आदेश देने वाला; दबंग; वय क संबंध म कई बार रोब जमाने वाला।

22
अनुशासनहीन (Undisciplined)। जीवन के लगभग हर े म सु व था का अभाव नज़र आता है।
सहानुभूितहीन (Unsympathetic)। दूसर क सम या या आघात को महसूस करने म मुि कल होती है।
उ साहहीन (Unenthusiastic)। रोमांिचत नह होता है; अ सर सोचता है क यह सफल नह हो पाएगा।
माहीन (Unforgiving)। माफ़ करने, चोट भूलने या अपने साथ ए अ याय को भूलने म मुि कल आती है; मनमुटाव को भूलता नह है।

23
अ पभाषी (Relicent)। कसी बातचीत म शािमल नह होना चाहता, ख़ास तौर पर ज टल बातचीत म।
िव ष
े ी (Resentful)। अ सर असली या का पिनक दु वहार के कारण दुभावना पाल लेता है।
ितरोधी (Resistant)। अपने तरीक़े के अलावा कसी अ य तरीक़े को वीकार करने म िझझकता है; उसके िख़लाफ़ काम करता है।
दोहरावपूण (Repetitious)। आपको ख़श करने के िलए क़ स और घटना को दोहराता है। उसे यह एहसास भी नह होता है क वह आपको कोई
क़ सा पहले भी कई बार सुना चुका है। लगातार बात करना चाहता है।

24
बतंगड़ बनाने वाला (Fussy) छोटे-मोटे मामल या बात का बतंगड़ बना देता है, मह वहीन िववरण पर ब त यान देता है।
भयभीत (Fearful)। अ सर मन म गहरी चंता, भय या तनाव क भावनाएँ महसूस करता है|
भुल ड़ (Forgetful)। याददा त क कमी, जो आम तौर पर अनुशासन के अभाव के कारण होती है। अि य बात क याद रखने क ज़हमत नह उठाता
है।
मुँहफट (Frank)। प वादी, मुँहफट, िन कपट अपने िवचार बेिहचक बता देता है।

25
अधीर (Impatient)। इसे िचढ़ झेलने या दूसर का इं तज़ार करने म मुि कल आती है।
असुरि त (Insecure)। भयभीत होता है या आ मिव ास क कमी होती है। अिनणायक (Indencisive)। इसे कोई भी िनणय लेना मुि कल लगता है।
(यह वैसा ि व नह है, जो सटीक िनणय लेने के िलए लंबा िवचार करे ।)
बीच म बोलता ह (Interrupts)। ोता के बजाय व ा होता है; दूसर क बात काटता है; दूसर के बोलते समय बीच म बोलने लगता है।

26
अलोकि य (Unpopular)। िजसक गहनता और पूणता क माँग दूसर को दूर कर सकती है।
िचहीन (Uninvolved)। सुनने क कोई इ छा नह होती। लब , समूह , गितिविधय या दूसर के जीवन म कोई िच नह होती।
तरं गी (Unpredictable)। पल म फु ि लत और पल म िनराश हो सकता है; मदद करना चाहता है, ले कन मौक़ा पड़ने पर गायब हो जाता है; आने का
वादा करता है, ले कन भूल जाता है।
ेहरिहत (Unaffectionate)। इसके िलए शारी रक या शाि दक मा यम से खुलकर ेह जताना मुि कल होता है।
27
िज़ ी (Headstrong)। अपनी मनमज़ चलाने पर ज़ोर देता है।
बेतरतीब (Haphazard)। काम करने का कोई एक सा तरीक़ा नह होता।
खुश करना मुि कल (Hard to please)। इसके मानदंड इतने ऊँचे होते ह क उन पर खरे उतरना मुि कल होता है।
िझझकने वाला (Hesistant)। आगे बढ़ने म धीमा; मुि कल से शािमल होता है।

28
म यमाग (Plain)। म यमाग ि व, िजसम उतार-चढ़ाव नह होते ह, ब त कम भाव द शत करता है।
िनराशावादी (Pessimistic)। सव े क आशा करते समय भी आम तौर पर सबसे पहले कसी ि थित के नकारा मक पहलू को देखता है।
गव ला (Proud)। इसका आ म- वािभमान ब त यादा होता है; हमेशा खुद को सही और काम के िलए सबसे यो य ि मानता है।
वतं ता देने वाला (Permissive)। दूसर (ब े शािमल ह) को उनक मनमज़ से काम करने देता है, ता क वे उसे नापसंद न कर।

29
आसानी से ोिधत (Angered easily)। जो ब क तरह बात-बात पर ठ जाता है और हंगामा मचाता है, िजसे त काल भूल भी जाता है।
ल यहीन (Aimless)। ल य िनधा रत नह करता है और करना भी नह चाहता है। िववादपूण (Argumentative)। आम तौर पर हर ि थित म बहस
करता है, य क वह सही है।
िवमुख (Alienated)। दूसर से अलग महसूस करता है; अ सर असुर ा या डर के कारण लोग को उसका साथ पसंद नह आता है।

30
नादान (Naive)। भोला और ब जैसा दृि कोण; अिभजा य क कमी, उसे जीवन क गहराई समझ म नह आती है।
नकारा मक नज़ रया (Negative attitude)। इसका नज़ रया शायद ही कभी सकारा मक होता है और यह हमेशा हर ि थित के नकारा मक या याह
पहलू को ही देखता है।
दु साहसी (Nervy)। आ मिव ास, साहस और िनडरता से भरपूर, ले कन अ सर नकारा मक प म।
लापरवाह (Nonchalant)। आरामपसंद, बेपरवाह, उदासीन।

31
चंितत (Worrier)। लगातार अिनि त, परे शान या तनावपूण महसूस करता है। असामािजक (Withdrawn)। खुद म िसमट जाता है; इसे अके ले म
ब त समय िबताने क ज़ रत होती है।
काम का दीवाना (Workaholic)। आ ामक ल य-िनधारक, जो हमेशा काम म जुटे रहना चाहता है और आराम करते समय अपराधी महसूस करता
है। पूणता के बजाय उपलि ध और पुर कार क आव यकता ारा संचािलत होता है।
ेय चाहता है (Wants credit)| दूसर ारा दए गए ेय या शंसा को पसंद करता है। मनोरं जन करने वाले के प म यह ोता क तािलयाँ, हँसी
और/या वीकृ ित चाहता है।

32
अित संवेदनशील (Too sensitive)। ब त यादा आ म-िव ेषण करता है; गलत समझे जाने पर ज दी ही बुरा मान जाता है।
अकु शल (Tactless)। कई बार अि य और अिवचा रत तरीक़े से बोलता है।
कायर (Timid)। मुि कल ि थितय से कतराता है।
नकारा मक नज़ रया (Negative attitude)। इसका नज़ रया शायद ही कभी सकारा मक होता है और यह हमेशा हर ि थित के नकारा मक या याह
पहलू को ही देखता है।
दु साहसी (Nervy)। आ मिव ास, साहस और िनडरता से भरपूर, ले कन अ सर नकारा मक प म।
लापरवाह (Nonchalant)। आरामपसंद, बेपरवाह, उदासीन।

31
चंितत (Worrier)। लगातार अिनि त, परे शान या तनावपूण महसूस करता है। असामािजक (Withdrawn)। खुद म िसमट जाता है; इसे अके ले म
ब त समय िबताने क ज़ रत होती है।
काम का दीवाना (Workaholic)। आ ामक ल य-िनधारक, जो हमेशा काम म जुटे रहना चाहता है और आराम करते समय अपराधी महसूस करता
है। पूणता के बजाय उपलि ध और पुर कार क आव यकता ारा संचािलत होता है।
ेय चाहता है (Wants credit)| दूसर ारा दए गए ेय या शंसा को पसंद करता है। मनोरं जन करने वाले के प म यह ोता क तािलयाँ, हँसी
और/या वीकृ ित चाहता है।

32
अित संवेदनशील (Too sensitive)। ब त यादा आ म-िव ेषण करता है; गलत समझे जाने पर ज दी ही बुरा मान जाता है।
अकु शल (Tactless)। कई बार अि य और अिवचा रत तरीक़े से बोलता है।
कायर (Timid)। मुि कल ि थितय से कतराता है।
वाचाल (Talkative)। मज़ेदार, लगातार बोलने वाला, जो सुनना ही नह चाहता है।

33
संदह
े पूण (Doubtful) अिनि तता और आ मिव ास क कमी, कसी भी तरीके के कारगर होने के बारे म संदह
े रखता है।
अ वि थत (Disorganized) जीवन म मब तरीके से काम करने क यो यता का अभाव।
दबंग (Domineering)। ि थितय और/या लोग पर िनयं ण करता है; आम तौर पर दूसर को बताता है क या करना है।
उदास (Depressed)। यादातर समय िनराश रहता है।

34
असगत (Inconsistent)। अिनि त; िवरोधाभासी; इसके काय और भावनाएँ तक पर आधा रत नह होते ह।
अंतमुखी (Introvert)। इसके िवचार और िचयाँ आंत रक होती ह, अपने भीतर जीता है।
असिह णु (Intorlerant)। कसी दूसरे के नज़ रए, दृि कोण या काम करने के तरीके को वीकार करने या झेलने म असमथ होता है।
उदासीन (Indifferent)। इसे यादातर चीज़ से कोई फ़क़ नह पड़ता है।

35
अ त त (Messy)। अ व था म रहता है; इसे चीज़े ढू ँढ़ने म ब त मुि कल आती है।
मूडी (Moody)। भावना मक प से ब त खुश नह रहता है; आसानी से िनराशा के गत म प च ँ जाता है, ख़ास तौर पर जब उसे लगता है क उसके
मह व को नह पहचाना जा रहा है।
बड़बड़ाने वाला (Mumbless)। दबाव डालने पर धीरे -धीरे बड़बड़ाने लगता है; प ता से बोलने क ज़हमत नह उठाता।
चालबाज़ (Manhalatae)। अपने लाभ के िलए चालाक या कपट से दूसर को भािवत करता है; कसी न कसी तरह अपना काम करवाकर ही
मानता है।

36
धीमा (Slow)। अ सर ज दी से िवचार या काम नह कर पाता है।
िज़ ी (Stubborn)। अपनी इ छा पूरी करवाने के िलए संक पवान, इससे अपनी बात मनवाना आसान नह होता है, हठी होता है।
शान झाड़ने वाला (Show-off)। आकषण का क बनना चाहता है; सबक नज़र म चढ़े रहना चाहता है।
संदह
े वादी (Skepitcal)। श द के पीछे के इरादे पर सवाल करता है; कसी क बात पर भरोसा नह करता है।

37
एकाक (Loner)। यादातर अके ले म रहना चाहता है; लोग से कतराने क वृि होती है।
े ता जताने वाला (Lord over)। आपको यह बताने म नह िझझकता है क वह सही है या आपसे े है।
आलसी (Lazy)। काम या गितिविध का मू यांकन इस संदभ म करता है क इसम कतनी मेहनत लगेगी।
ज़ोर से बोलने वाला (Loud)। िजसक हँसी या आवाज़ कमरे म सबसे ऊँची हो।

38
ढीला (Sluggish)। शु करने म धीमा, े रत होने के िलए कसी के ध े क ज़ रत होती है।
शंकालु (Suspecious)। दूसर या िवचार पर शक या अिव ास करता है।
तुनकिमजाज (Short-tempered) अधीरता के कारण ोध म आ जाता है और सहनशि ब त कम होती है। जब दूसरे पया तेज़ी से न बढ़े या बताया
आ काम पूरा न कर, तो गु सा हो जाता है।
बे यान (Scatterbrained)। एका ता या यान क शि का अभाव होता है; मनमौजी।
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ितशोधपूण (Revengful)। जाने-अनजाने दुभावना रखता है और अ सर दो ती या ेम म कमी करके अपराधी क सज़ा देता है।
बेचैन (Restless)। हमेशा नए काम को पसंद करता है, य क हर बार एक ही काम करने म मज़ा नह आता है।
अिन छु क (Reluctant)। अिन छु क, कसी काम या बातचीत म शािमल नह होना चाहता है।
ज दबाज़ (Rash)। अ सर िबना अ छी तरह सोचे-िवचारे ज दबाज़ी म काम करता है, आम तौर पर अधीरता के कारण।

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समझौतावादी (Compromising) संघष से बचने के िलए सामने वाले क बात मान लेता है, भले ही वह खुद सही हो।
आलोचना मक (Critical)। हमेशा मू यांकन करता है और िनणय लेता है; अ सर नकारा मक ित याएँ सोचता या करता है।
चालाक (Crafty)। चतुर, इि छत ल य तक प चँ ने का कोई न कोई तरीक़ा खोज ही लेता है।
प रवतनीय (Changeable)। ब क तरह यादा समय कसी चीज़ पर यान नह दे पाता; बो रयत से बचने के िलए इसे िनरं तर बदलाव और
िविवधता क ज़ रत होती है।

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