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COMMUNICATION SYSTEM (संचार व्यवस्था

THE METHOD OF SHARING INFORMATION, FEELING AND THOUGHT IS CALLED COMMUNICATION.


सच
ू नाओं, भावनाओं तथा विचारों के आदान प्रदान की प्रक्रिया की संचरण कहते हैं

STEPS OF DEVELOPMENT OF MODEEN COMMUNICATION SYSTEM

1. IN 1880 DISCOVERY OF TELEPHONE


2. IN 1901 DISCOVERY OF RADIO BY MARCONI
3. IN 1962 DISCOVERY OF SATELLITE COMMUNICATION SYSTEM

G
4. IN 1970 DISCOVERY OF OPTICAL FIBRE

ELEMENTS OF COMMUNICATION SYSTEM संचार व्यवस्था के अवयव

IN
H
C
A
O
C

TRANSMITTER:- THE PURPOSE OF TRANSMITTER IS TO CONVERT THE MESSAGE SIGNAL


PRODUCED BY THE SOURCE OF INFORMATION INTO A FORM OF SUITABLE FOR TRANSMISSION
THROUGH THE CHANNEL.
▶प्रेसित्र का कार्य सच
ू ना स्रोत द्वारा उत्पन्न सच
ू ना सिग्नल को उपयक्
ु त रूप में परिवर्तित करके ग्राही स्थान के लिए प्रेषित करना
E

होता है ।

COMMUNICATION CHANNEL:- MEDIUM THROUGH WHICH MODULATED WAVE TRANSMITS FROM


A

TRANSMITTING ANTENNA TO RECEIVER ANTENNA IS CALLED CHANNEL.


▶ वह माध्यम जिससे होकर प्रेषित से भेजी गई सच
ू ना, मॉड्यल
ू ेटेड तरं गों के रूप में प्रेषित एंटीना से अभियाही एंटीना तक पहुंचती है ,
संचार चैनल कहलाती है
N

RECEIVER:-THE SYSTEM WHICH RECEIVES THE SIGNAL SENT FROM TRANSMITTER


FROM COMMUNICATION CHANNEL AND MODIFY IT INTO ITS ORIGINAL FORM IS CALLED RECEIVER
▶ वह व्यवस्था जो प्रेषित से भेजे गए माड्यल
ू ेटेड सिगनलो को संचार चैनल से ग्रहण करता है तथा उनको उनके मल
ू रूप में
परिवर्तित करता है अभिग्राही कहलाता है ।

BASIC TERMINOLOGY USED IN IN ELECTRONIC COMMUNICATION SYSTEM

1. TRANSDUCER :- THE DEVICE WHICH CONVERTS ONE FORM OF ENERGY OF SIGNAL INTO OTHER
FORM IS CALLED TRANSDUCER.
▶ऐसी यक्ति
ु जो सिग्नल की ऊर्जा को एक रूप से दस
ू रे रूप में परिवर्तित करता है ट्रांसइयस
ू र कहलाता

2. ELECTRICAL TRANSDUCER:- THE DEVICE WHICH CONVERTS PHYSICAL SIGNAL SUCH AS


PRESSURE, DISPLACEMENT, FORCE, TEMPERATURE ETC INTO ELECTRICAL SIGNAL IS CALLED
ELECTRICAL TRANSDUCER.
▶ऐसी यक्ति ु जो भौतिक संकेतों जैसे दाब, विस्थापन, तापमान, बल इत्यादि को विद्यत
ु ऊर्जा में परिवर्तित करता है उसे विद्यत

ट्रांसड्यस
ू र कहते हैं।

3. SIGNAL:- IT IS THE ELECTRICAL FORM OF INFORMATION PRODUCED BY THE INFORMATION


SOURCE. IT CAN BE ANALOGUE OR DIGITAL
▶ यह सच
ू ना का विद्यल
ु रूप है जो सच
ू ना स्रोत से उत्पन्न हुआ है ।

G
4. NOISE:- THE UNWANTED SIGNALS MIXED DURING THE TRANSMISSION OF SIGNAL THROUGH
COMMUNICATION CHANNEL IS CALLED NOISE
▶वह अवांछित संकेत जो संचार माध्यम में सच
ू ना संकेतों से मिल जाता है उसे शोर कहते हैं।

IN
5. TRANSMITTER:- THE DEVICE WHICH CONVERTS INFORMATION SIGNAL INTO SUITABLE FORM TO
TRANSMIT THROUGH IT IN TRANSMISSION CHANNEL IS CALLED TRANSMITTER.
▶ऐसी यक्ति
ु जो सच
ू ना संकेतों को उपयक्
ु त रूप में परिवर्तित करता है जिससे इसे संचार माध्यम में प्रेषित किया जा सके प्रेषित्र
कहलाता है ।

H
6.RECIEVER:-THE DEVICE WHICH RECEIVES THE SIGNAL FROM COMMUNICATION CHANNEL AND
CONVERT INTO TO BASIC INFORMATION SIGNAL IS CALLED RECEIVER. ▶वह व्यवस्था जो प्रेषित से भेजे गए
माड्यल
ू ेटेड सिगनलो को संचार चैनल से ग्रहण करता है तथा उनको उनके मल
ू रूप में परिवर्तित करता है अभिग्राही कहलाता है ।
C
7. ATTENUATION:- THE LOSS OF STRENGTH OF A SIGNAL WHILE PROPAGATING THROUGH A
MEDIUM IS KNOWN AS ATTENUATION
A
▶सिग्नल को माध्यम से गज
ु रने में उसकी क्षमता में कमी आ जाती है इसे क्षीणता कहते हैं।

8. AMPLIFICATION:- THE PROCESS OF INCREASING THE AMPLITUDE OF A SIGNAL USING AN


ELECTRONIC CIRCUIT IS CALLED AMPLIFICATION.
O

▶इलेक्ट्रॉनिक परिपथ के उपयोग से संकेतों के आयाम को बढ़ाने की प्रक्रिया प्रवर्धन कहलाती है ।

9. AMPLIFIER:- ELECTRONIC CIRCUIT WHICH AMPLIFY THE AMPLITUDE OF SIGNAL IS CALLED


AMPLIFIER.
C

▶ऐसा इलेक्ट्रॉनिक परिपथ जो सच


ू ना संकेतों के आयाम को प्रवर्धित कर दे ता है प्रवर्धक कहलाता है । .

10. RANGE:- THE LARGEST DISTANCE BETWEEN A SOURCE AND DESTINATION UPTO
WHICH THE SIGNAL IS RECEIVED WITH SUFFICIENT STRENGTH IS CALLED RANGE. ▶स्रोत तथा गंतव्य के
बीच कि वह महत्तम दरू ी जहां तक संकेतों को वास्तविक क्षमता पर प्राप्त किया जा सके परास कहलाता है ।
E

11. BANDWIDTH:- THE FREQUENCY RANGE OVER WHICH AN EQUIPMENT OPERATES IS CALLED
BANDWIDTH.
A

▶आवतिृ का वह परास जहां तक कोई यंत्र कार्य कर सकें वह उसका बैंडविथ कहलाता है ।

12. MODULATION:- METHOD OF SUPERIMPOSING SIGNAL WAVE ONTO THE CARRIER WAVE IS
CALLED MODULATION.
N

निम्न आवत्ति
ृ वाले सच
ू ना संकेतों को उच्च आवत्ति
ृ वाले वाहक तरं ग पर अध्यारोपित करने की प्रक्रिया मॉड्यल
ू र कहलाता है ।

13. DEMODULATION:- THE METHOD OF RETRIVAL OF INFORMATION FROM CARRIER WAVE AT THE
RECEIVER TERMINAL IS CALLED MODULATION.
▶निम्न आवत्ति
ृ वाले सच
ू ना संकेतों को उच्च आवत्ति
ृ वाले वाहक तरं गों से अलग करने की प्रक्रिया विमॉड्यलि
ू न कहलाती है

14. REPEATER:- IT IS A COMBINATION OF RECEIVER AND TRANSMITTER WHICH REPEATS THE


PROCESS TO INCREASE THE STRENGTH IS CALLED REPEATER. यह प्रेषित्र तथा अभिग्राही का वह संयोजन है
जो उस प्रक्रिया को बार-बार दोहराता है जो सच
ू ना संकेतों के क्षमता को बढ़ाता है ।
BANDWIDTH OF SIGNALS
►IN COMMUNICATION SYSTEM THE MESSAGE SIGNAL CAN BE VOICE MUSIC, PICTURE OR
COMPUTER DATA EACH OF THESE SIGNALS HAS DIFFERENT RANGE OF FREQUENCIES THE TYPE
OF COMMUNICATION SYSTEM NEEDED FOR A GIVEN SIGNAL DEPENDS ON THE BAND OF
FREQUENCIES WHICH IS CONSIDERED ESSENTIAL FOR THE COMMUNICATION PROCESS.
▶ संचार व्यवस्था में सच
ू ना संकेत आवाज संगीत चित्र या कंप्यट
ू र डाटा हो सकते हैं इनमें से सभी संकेतों का आवति
ृ का परास

G
अलग अलग होता है और इनके लिए अलग-अलग संचार व्यवस्था की आवश्यकता होती है जो दिए गए संकेतों के आवत्ति ृ के परास
पर निर्भर करता है

IN
TYPE OF SIGNAL FREQUENCY RANGE BANDWIDTH

Speech signal 300Hz - 3100Hz 2800Hz

Music signal 20Hz - 20000Hz 20KHz

H
Video signal 4.2MHz

TV signal 6MHz

C
BANDWIDTH OF TRANSMISSION MEDIUM
A
▶SIMILAR TO THE THE MESSAGE SIGNALS DIFFERENT TYPES OF TRANSMISSION MEDIA OF A
DIFFERENT BAND BEATS YOU CAN SAY THAT FOR THE THE HIGHER FREQUENCY RANGE WE NEED
DIFFERENT MEDIA FOR LOWER FREQUENCY RANGE WE NEED DIFFERENT MEDIA.
▶ सचू ना संकेतों के तरह अलग-अलग संचरण माध्यम का बैंडविथ अलग अलग होता है जैसे आप कह सकते हैं की उच्च आवत्ति
ृ वाले
O
सचू ना संकेतों के लिए अलग माध्यम की आवश्यकता होगी तथा निम्न आवतिृ वाले सच ू ना संकेतों के लिए अलग माध्यम की
आवश्यकता होगी।
▶THE COMMONLY USED TRANSMISSION MEDIA WIRE FREE SPACE AND OPTICAL FIBRE
▶साधारणतया उपयोग होने वाले संचरण माध्यम तार मक्
ु त आकाश तथा ऑप्टिकल फाइबर हैं
C

SOME IMPORTANT WIRELESS COMMUNICATION FREQUENCY BANDS


E
A
N

PROPAGATION OF ELECTROMAGNETIC WAVE


►IN COMMUNICATION USING RADIO WAVES AND ANTENNA AT THE TRANSMITTER RADIATES THE
ELECTROMAGNETIC WAVE WHICH TREVAL THROUGH THE SPACE AND REACHED THE RECEIVING
ANTENNA AT THE OTHER END. AS THE EM WAVES TREVAL THROUGH THE SPACE AWAY FROM
TRANSMITTER THE STRENGTH OF WAVE KEEPS ON DECREASING TO UNDERSTAND ITS PROCESS
WE HAVE TO UNDERSTAND EARTH'S ATMOSPHERE
▶ संचार व्यवस्था में रे डियो तरं गों के उपयोग से सचू ना भेजने के लिए प्रेषित्र से एंटीना के दवारा विदद्यत ु चब ंु कीय तरं गों को भेजा
जाता है , जो आकाश के रास्ते दस ू रे एंटीना तक पहुंचता है जो इससे ग्रहण करता है , चक ु ी विद्यतु चब
ंु कीय तरं ग है प्रेषित्र से दरू
जाती है तो इनकी क्षमता घटती जाती है इन सब बातों को समझने के लिए हमें पथ् ृ वी के वायमु ड
ं ल की संरचना समझनी होगी

Layers of the Atmosphere

G
IN
H
C
A
THE COVER OF AIR MOLECULES AROUND THE THE SURFACE OF EARTH IS CALLED ATMOSPHERE
OF EARTH. IN THE ATMOSPHERE OF EARTH THERE ARE MANY GASES AVAILABLE. MOST OF THE
PART IS NITROGEN OXYGEN HYDROGEN OR CARBON DIOXIDE. THE DENSITY OF ATMOSPHERE
DECREASES WHEN WE GO UPWARD. ALTHOUGH THERE ARE NO ANY SIGNIFICANT DIVISION LINES
O

IN EARTH'S ATMOSPHERE BUT STILL WE DIVIDE IT IT IN DIFFERENT LAYERS.


पथ्
ृ वी के के जल के निकट चारों ओर फैले वायु या गैसों के आवरण को वायम ु ड
ं ल कहते हैं। इनमें मख्
ु यला नाइट्रोजन ऑक्सीजन
हाइड्रोजन कार्बन डाइऑक्साइड इत्यादि मौजद ू रहते हैं जैसे जैसे जाते हैं वायमंडल का घनत्व घटता जाता हम ऊपर की ओर 1 है ।
यद्यपि पथ्ृ वी के वायम
ु ड
ं ल में कोई स्पष्ट सीमा रे खा नही होती फिर भी हम इसे विभिन्न परतों में बांटते हैं।
C

TROPOSPHERE:- THE PART OF ATMOSPHERE WHICH IS EXTENDED UP TO 10KM TO 12KM HEIGHT IN


WHICH TEMPERATURE DECREASES WHEN GOES UPWARD IS CALLED TROPOSPHERE, IT AFFECTS
VERY HIGH FREQUENCY UP TO GIGAHERTZ.
पथ्
ृ वी के वायम
ु ड
ं ल का वह भाग जो 10 से 12 किलोमीटर तक ऊपर फैला हुआ हो और जिसमें ऊपर जाने से तापमान घटता हो उसे
E

छोभ मंडल करते हैं। यह अति उच्च आवत्ति


ृ जिसका मान गीगाहर्टज में होता है उसे प्रभावित करता है ।

STRATOSPHERE:- THE PART OF ATMOSPHERE EXTENDED ABOVE THE TROPOSPHERE UP TO 70


A

KILOMETRES IS CALLED STRATOSPHERE. THE TEMPERATURE OF STRATOSPHERE IS ALMOST


SAME AROUND 200 KELVIN THE UPPER PART OF STRATOSPHERE IS OZONE LAYER. If ABSORBS
FREQUENCY RANGE BELOW 300 NM.
पथ्
ृ वी के वायम
ु ड
ं ल का वह हिस्सा जो छोभ मंडल से उपर लगभग 70 किलोमीटर तक फैला हुआ हो और जिम का तापमान लगभग
N

नियत हो और यह 200 केल्विन के करीब हो तो इस परत को समताप मंडल करते हैं। इसके उपरी भ|ग पर लगभग 20 किलोमीटर
मोटाई का ओजोन परत रहता है । यह 300 नैनोमीटर से कम आवति
ृ वाले वि‌द्यत
ु चब
ंु कीय तरं गों को अवशीवित कर लेता है ।

MESOSPHERE:- THE PART OF OF ATMOSPHERE WHICH IS EXTENDED ABOVE THE STRATOSPHERE


UPTU TO 170 KILOMETRE FROM EARTH SURFACE. ITS THICKNESS IS AROUND 50 TO 80 KILOMETRE
AND ITS TEMPERATURE IS AROUND 180 KELVIN THIS LAYER IS CALLED MESOSPHERE. IT ABSORBS
HIGH FREQUENCY ELECTROMAGNETIC WAVES.
पथ्
ृ वी के वायमु ड
ं ल का वह हिस्सा जो समताप मंडल के ऊपर लगभग 50 से 80 किलोमीटर तक फैला हुआ हो जिसके ऊपरी हिस्से
का ऊंचाई पथ्
ृ वी से 170 किलोमीटर के आसपास हो और इसका तापमान 180 केल्विन लगभग हो| ऐसे वायम
ु ड
ं ल के परत को मध्य
मंडल कहते हैं। यह उच्च आवत्ति
ृ वाले वि‌
द्यतु चबं ु कीय तरं गी को अवशोषित कर ले ता है ।
IONOSPHERE:- IT IS THE PART OF ATMOSPHERE OF EARTH WHICH COMES UNDER
THERMOSPHERE IN WHICH IONIZATION OF GAS MOLECULES TAKES PLACE DUE TO HIGH ENERGY
RADIATION OF SUN RAY. IT IS EXTENDED UP TO 400 KILOMETRE FROM EARTH SURFACE. IT IS VERY
USEFUL IN TRANSMISSION OF RADIO WAVES.
यह पथ् ृ वी के वायम
ु ड
ं ल का वह भाग है जो THERMOSPHERE में पाया जाता है और जो मध्य मंडल के ऊपर रहता है इसमें सर्य
ू के
तीव्र विकिरण के कारण पाए जाने वाले गैस अनु का आयनीकरण हो जाता है और यह पथ् ृ वी के तल से लगभग 400 किलोमीटर
ऊंचाई तक फैला रहता हैं। यह रे डियो तरं गों के संचरण में महत्वपर्ण
ू भमि
ू का निभाता है ।
f = 𝑁𝑚𝑎𝑥

THERE ARE FOUR TYPES OF PROPAGATION OF RADIO WAVES

G
1. GROUND WAVE PROPAGATION 2. SKY WAVE PROPAGATION

3. SPACE WAVE PROPAGATION 4. SATELLITE COMMUNICATION

IN
H
C
A
O
C
E

GROUND WAVE PROPAGATION:- In this method of propagation radio waves Moves along the surface of
Earn you can say that ground in this method transmitter and receiver antenna should be near Earth. The
frequency of ground wave should be e lesser than 1.5 MHz.
तरं ग संचरण कि इस प्रक्रिया में रे डियो तरं गे पथ्
ृ वी के पष्ृ ठ के अनदि
ु श गमन करती है इन इन तरं गों को भ तरं गे कहते हैं इस प्रक्रिया
A

में प्रेषित तथा ग्राही के एंटीना पथ्


ृ वी के निकट होने चाहिए और इस रे डियो तरं ग की आवत्ति
ृ 1.5 MHz से कम होनी चाहिए संवरण में

SKY WAVE PROPAGATION- In this method of propagation radio waves of high frequency reflects from
N

ionosphere. Frequency of sky wave is MHz to 10 MHz. is of the range of 10


तरं ग संचरण कि इस प्रक्रिया में उच्च आवत्ति
ृ वाले रे डियो तरं गे आयन मंडल से परावर्तित होकर लौट जाते हैं आकाश तरं ग संचरण
कहलाते हैं। आकाश तरं ग की आवत्ति ृ 2MHz से 10 MHz के बीच होती है ।

SPACE WAVE PROPAGATION- In this method of propagation radio waves of very high frequency moves
directly from transmission antenna to receiving antenna. Frequency of space wave is of the range of 30 MHz.
तरं ग संचरण कि इस प्रक्रिया में अत्यधिक उच्च आवत्ति ृ वाले रे डियो तरं गे प्रेषित्र एंटीना से ग्राही एंटीना तक सीधे पहुंचती है ।
अंतरिक्ष तरं ग संचरण कहलाते हैं। अंतरिक्ष तरं ग की आवत्ति
ृ 30 MHz के बीच होती 12
SPACE WAVE PROPAGATION- IS THE PROPAGATION OF RADIO WAVE OF ULTRA HIGH FREQUENCY
THESE WAVES CAN REACH MORE THAN THE WAVES OF SKY WAVE PROPAGATION. THIS
PROPAGATION OF WAVE CAN BE DONE BY TWO TYPES
► 1. DIRECT FROM ONE ANTENNA TO OTHER ANTENNA.
► 2. BY SATELLITE COMMUNICATION

RANGE OF COMMUNICATION OR LINE OF SIGHT (LOS)


THE STRAIGHT LINE DISTANCE BETWEEN TRANSMITTING ANTENNA AND RECEIVING ANTENNA IS
CALLED LINE OF SIGHT DISTANCE. IT IS THE SUM OF RANGE OF TRANSMITTING ANTENNA AND
RANGE OF RECEIVING ANTENNA.
▶ प्रेसी एंटीना तथा ग्राही एंटीना के बीच सरल रे खीय दरू ी को संचार परास अथवा दृष्टि रे खा दरू ी कहते हैं। यह प्रेषक एंटीना के परास

G
तथा ग्राही एंटीना के परास के योग के बराबर होता है |

MICROWAVES TRANSMISSION

IN
H
C
A
O
C

SATELLITE COMMUNICATION

►BY SPACE WAVE PROPAGATION IT IS NOT POSSIBLE DIRECTLY TO SEND RADIO WAVES SIGNAL
FORM ONE ANTENNA TO OTHER ANTENNA WHICH IS VERY FAR FOR ORE GEOGRAPHYCAL
STRUCTURE IS NOT SUITABLE IN THIS CASE WE USE SATELLITE COMMUNICATION IN WHICH RADIO
E

WAVE OF ULTRA HIGH FREQUENCY TRANSMITS FROM ONE ANTENNA TO SATELLITE AND IT AGAIN
SENT FROM SATELLITE TO ANOTHER ANTENNA SATELLITES ARE GEOSTATIONARY SATELLITES
►अंतरिक्ष तरं ग संचरण के दद्वारा एक एंटीना से दस ू रे बहुत दरू एंटीना तक रे डियो तरं ग को पहुंचाना बहुत आसान नहीं है और जहां
की भौगोलिक स्थिति उपयक् ु त नहीं हो वहां यह सं
भ व नहीं है इस स्थिति में अत्यधिक उच्च आवत्ति ृ वाले रे डियो तरं गों को एक एंटीना
A

से दस
ू रे एंटीना तक पहुंचाने के लिए हम संचार उपग्रहों का उपयोग करते हैं इसमें एक एंटीना से रे डियो तरं ग निकलकर संचार उपग्रह
तक जाते हैं पनु ः यह संचार उपग्रह से प्रसारित होकर वापस पथ् ृ वी तक आते हैं जो ग्राही एंटीना के द्वारा ग्रहण किए जाते हैं।
N

ANTENNA (TYPES OF ANTENNA)


ANTENNA THE DEVICE WHICH CAN TRANSMIT OR RECEIVE ELECTROMAGNETIC WAVES RADIO
WAVES IS CALLED ANTENNA. BASICALLY COMBINATION OF CONDUCTORS ARRANGED IN CERTAIN
STRUCTURE
• ऐसा यंत्र जो विद्यत
ु चब
ंु कीय तरं गों या रे डियो तरं गों को संचरित या ग्रहित करता है एंटीना कहलाता है । साधारणतया यह चालकों
का एक संयोजन होता है जिसे विशेष रूप से व्यवस्थित किया जाता है

1. Dipole Antenna: The antenna which has two separate poles is called Dipole type antenna.
• ऐसा एंटेना जिसमें दो भिन्न ध्रव
ु हो उन्हें द‌विधव
ु एंटीना कहते हैं।
2. MONOPOLE ANTENNA-THE ANTENNA WHICH HAS ONLY A CENTRE AND ITS CONDUCTOR
DISTRIBUTED AROUND IT IS CALLED MONOPOLE ANTENNA.
• ऐसा एंटेना जिसमें सिर्फ एक केंद्र हो और सारे चालक इसके चारों ओर व्यवस्थित हो उसे एक ध्रव
ु ी एंटीना कहते हैं

G
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H
C
A
O
C
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A
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