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"""""如何唸咒語"""""

** 如何修持咒續?一些非常有用的信息是,如果咒續透過規則和戒律得以完善,那麼很快就會證
明一件事,當我們練習咒續時,它不會變得完美,因為除非我們幫助你,這個咒語系統就不起作
用了。

如果 100 個人念誦這個咒語,只有三、四個人遵守規則才能成功。

(一)持咒者必須保持清淨,遠離酒精、謊言、自負、虛偽和自我。 ,

(二)不違背咒戒戒律,不隨己意,照吩咐去做。

(3) 無論你念誦什麼咒語,都要堅定對該咒語的信心。

(4)牢記念誦咒語的時間。

有很多規則你很清楚,只要認真遵守即可。

有助於證明咒語和密續的力量是:

*拜拉夫

*杜爾加

*哈努曼

*家庭神伊什塔·德維塔·伊什塔·德維

*還有咒語之神

而最大的幫助力量只有神的力量,如何得到神的恩典也會告訴你,在此之前我們先來說一件重要
的事。

Gurudevo Gururdharmo Guru Nishtha Param Tapah。 古魯:Parataram Nasti Trivaram Kathay
ami Te | 濕婆勳爵說:“古魯是神,古魯是宗教,對古魯的忠誠是最終的苦行,沒有什麼比古魯
更好的了。”

1. 如果我們沒有實踐靈性科學。

2. 如果我們沒有微妙的知識。

3. 如果我們尋找一位古魯來獲得物質世界的東西。
4. 當自己的修行沒有堅實的基礎時。

5. 當我們想透過保持逃亡者的態度來打下靈性的基礎來擺脫生活中的問題。

6. 當我們對古魯經典沒有完全的信心。

7. 上師是根據弟子找到的,因此如果你想要一個高品質的上師,那麼就提高你的資格。

8. 當有人看到人群並去見古魯。 事實是,我們沒有收養上師,但上師卻收我們為弟子。 這些是


你必須在生活中深深吸收的一些東西:上師是至高無上的,上師是濕婆,上師是知識,你念誦的
咒語的創造者也在上師之下。

如果我們認為沒有上師就可以在靈修上取得成功,那麼你就錯了,因為所有四個時代化身的神都
首先皈依並陪伴了上師。

所以我們也應該遵循這個薩那坦傳統,因此古魯是不可或缺的。

"""""""""""""""納雷什·納斯""""""""""""""

**********आदेश आदेश**************

""""""मंत्र कै से साधै""""""

** मंत्र तंत्र को कै से साधा जाये तो कु छ जानकारी जो बहुत उपयोगी है की मंत्र तंत्र को नियम अनुसाशन से सिध्द किया जावे तो वहाँ जल्द ही सिध्द
होते हैं एक बात की मंत्र तंत्र को हम जब साधते हैं पर वह सधते नही है क्योंकि जब तक हम आपने आपको नहीं साधेंगे तब तक ये मंत्र तंत्र नहीं
साधेंगे ।

100 आदमी मंत्र साधते हैं तो सिर्फ 3 या 4 व्यक्ति ही सफल होते हैं जो नियम का पालन करते हैं

(१) मंत्र साधने वाले को शुद्ध रहना मदिरा मास झूट दंभ पाखंड और अहंकार इन चीजो से दूर रहना । ।

(२) मंत्रो के नियम अनुसाशन भंग ना करे अपने मन के अनुसार ना चले जैसा आपको बताया जाये वैसा ही करे ।

(३) जिस किसी मंत्र को आप साध रहे हो उस मंत्र पे अटल विशवास रखे।।

(४) मंत्र के जप के समय का ध्यान रखे ।

एसे कई नियम है जिसे आप भलीभाती जानते हो बस उनका गंभीरता से पालन करे ।।

मंत्र और तंत्र को सिध्द करने में सहायक जो शक्ति हैं वो ये हैं

* भैरव
*दुर्गा

* हनुमान

* कु ल देवता ईष्ट देवता ईष्ट देवी

* और मंत्र के देवता

और जो सबसे बड़ी सहायक शक्ति हैं वो सिर्फ ईष्ट शक्ति होती हैं ईष्ट कृ पा कै से पाई जाये वह भी आपको बता दी जायेगी उससे पहले एक मुख्य बात
की,,,,,,,

गुरुर्देवो गुरुर्धर्मो गुरौ निष्ठा परं तपः | गुरोः परतरं नास्ति त्रिवारं कथयामि ते |भगवान शिवजी कहते हैं - "गुरु ही देव हैं, गुरु ही धर्म हैं, गुरु में निष्ठा ही
परम तप है गुरु से अधिक और कु छ नहीं है

१. यदि हमने अध्यात्मशास्त्र का अभ्यास नहीं किया होता है |

२. यदि हमें सूक्ष्म का ज्ञान नहीं होता |

३. यदि हम भौतिक जगत की वस्तु प्राप्त करने के लिए गुरु ढूंढते हैं |

४. जब स्वयं की साधना का ठोस आधार नहीं होता|

५. जब हम अपनी जीवन की समस्याओं से पीछा छु डाने के हेतु भगोड़ेपन की वृत्ति रख अध्यात्म का आधार लेना चाहते हैं |

६. जब हमें गुरु-शास्त्र पर पूर्णश्रद्धा नहीं होती |

७. जैसा शिष्य होता हो, वैसे ही गुरु मिलते हैं, अतःउच्च कोटिके गुरु चाहिए तो अपनी पात्रता बढायें |

८. जब कोई भीड़ देख कर गुरु धारण करने जाते हैं | वास्तविकता यह है कि गुरु को हम धारण नहीं करते, अपितु गुरु हमें शिष्य के रूप में स्वीकार
करते हैं | यही कु छ ऐसी बाते हैं जिसे आपको आपने जीवन में गहराई से उतारनी हैं गुरु ही सर्वोपरी हैं गुरु ही शिव हैं गुरु ही ज्ञान हैं आप जिस मंत्रो
को जपते हो उसके रचियता भी गुरु के आधीन ही हैं

अगर हम सोचे की गुरु बिन हम साधना में सफलता पा लेंगे तो यहाँ आपका भरम हैं क्योकि चारो युग में जितने भी भगवान ने अवतार लीये हैं उन्होने
सर्वप्रथम गुरु की शरण और सानिध्य लिया है।।

तो इस सनातन परम्परा को हमें भी निभाना चाहिए इसलिये गुरु अवशयक हैं

"""""""""""""""नरेश नाथ"""""""""""""""""

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