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C.B.S.

E Board
कक्षा : 10
ह द
िं ी B – 2017
सिंकलित परीक्षा II
[Summative Assessment II]
समय : 3 घिंटे पर्
ू ाांक : 90
निदे श

1. इस प्रश्न-पत्र के चार खंड हैं - क, ख, ग, और घ।


2. चारों खंडों के प्रश्नों के उत्तर दे ना अननवार्य है ।
3. र्थासंभव प्रत्र्ेक खंड के उत्तर क्रमश: दीजिए।
खण्ड क
प्र. 1. ननम्नलिखखत गदर्ांश को ध्र्ानपव
ू क
य पढ़कर पछ
ू े गए प्रश्नों के उत्तर
दीजिए : 2×6=12
प्रनतभा ककसी की मोहताि नहीं होती। इसके आगे समस्र्ाएँ बौनी हैं।
िेककन समस्र्ा एक प्रनतभा को ख़द
ु दस
ू री प्रनतभा से होती है । बहुमख
ु ी
प्रनतभा का होना, अपने भीतर एक प्रनतभा के बिार् दस
ू री प्रनतभा को खड़ा
करना है। इससे हमारा नक
ु सान होता है। ककतना और कैसे?
मन की दनु नर्ा की एक ववशेषज्ञ कहती हैं कक बहुमख
ु ी होना आसान है ,
बिार् एक ख़ास ववषर् के ववशेषज्ञ होने की ति
ु ना में । बहुमख
ु ी िोग स्पर्ाय
होने से घबराते हैं। कई ववषर्ों पर उनकी पकड़ इसलिए होती है कक वे एक
में स्पर्ाय होने पर दस
ू रे की ओर भागते हैं। बहुमख
ु ी िोगों में सबसे महान ्
माने िाने वािे माइकि एंिेिो से िेकर अपने र्हाँ रवींद्रनाथ टै गोर िैसे
कई िोग। िेककन आि ऐसे िोगों की पछ
ू -परख कम होती है । ऐसे िोग
प्रनतभाशािी आि भी माने िाते हैं, िेककन असफि होने की आशंका उनके
लिए अधर्क होती है । आि वे िोग ‘ववंची लसंड्रोम’ से पीड़ड़त माने िाते हैं,

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जिनकी पकड़ दो-तीन र्ा इससे ज्य़ादा क्षेत्रों में हो, िेककन हर क्षेत्र में उनसे
बेहतर उम्मीदवार मौिूद हों।
बहुमख
ु ी प्रनतभा वािे िोगों के भीतर कई कामों को साकार करने की
इच्छा बहुत तीव्र होती है । उनकी उत्सक
ु ता उन्हें एक दस
ू रे क्षेत्र में हाथ
आज़माने को बाध्र् करती है । समस्र्ा तब होती है, िब र्ह हाथ आज़माना
दख़ि करने िैसा हो िाता है । वे न इर्र के रह िाते हैं, और न उर्र के।
प्रबंर्न की दनु नर्ा में – ‘एक के सार्े सब सर्े, सब सार्े सब िाए’ का मंत्र
ही शरू
ु से प्रभावी है । र्हाँ उस पर ज्य़ादा फोकस नहीं ककर्ा िाता, िो सारे
अंडे एक टोकरी में न रखने की बात करता है । हम दस
ू रे क्षेत्रों में हाथ
आज़मा सकते हैं, पर एक क्षेत्र के महारथी होने में ब्रेकर की भलू मका न अदा
करें ।

क बहुमख
ु ी प्रनतभा क्र्ा है ? प्रनतभा से समस्र्ा कब, कैसे हो िाती है ?
उत्तर : एक ही व्र्जक्त में अनेक गण
ु ों का होना बहुमख
ु ी प्रनतभा कहिाती
है । बहुमख
ु ी प्रनतभा वािों को कई कामों को परू ा करने की इच्छा होती है
और र्ही उनकी समस्र्ा भी बन िाती है क्र्ोंकक कभी-कभी एक दस
ू रे
क्षेत्र में हाथ आिमाना दस
ू रे के काम में दखि दे ना िैसा हो िाता है ।
ख बहुमख
ु ी प्रनतभा वािों की ककन कलमर्ों की ओर संकेत है ?
उत्तर : बहुमख
ु ी िोग स्पर्ाय, असफिता और आिोचना से घबराते है ।
ग बहुमख
ु ी प्रनतभाधगर्ों की पकड़ ककन क्षेत्रों में होती है और उनकी
असफिता की संभावना क्र्ों है ?
उत्तर : बहुमख
ु ी प्रनतभाधगर्ों की पकड़ कई क्षेत्रों में होती है । उनकी
असफिता की संभावना इसलिए होती क्र्ोंकक वे एक चीि परू ी होने से
पहिे ही दस
ू री की ओर भागने िगते हैं।

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घ ऐसे िोगों का स्वभाव कैसा होता है और वे प्रार्: सफि क्र्ों नहीं हो
पाते?
उत्तर : बहुमख
ु ी प्रनतभा वािे िोगों के भीतर कई कामों को साकार करने
की इच्छा बहुत तीव्र होती है। उनकी उत्सक
ु ता उन्हें एक से दस
ू रे क्षेत्र में
हाथ आज़माने को बाध्र् करती है । वे एक चीि परू ी होने से पहिे ही
दस
ू री की ओर भागने िगते हैं इसलिए वे प्रार्ः सफि नहीं होते ।

ङ प्रबंर्न के क्षेत्र में कैसे िोगों आवश्र्कता होती है ? क्र्ों?


उत्तर : प्रबंर्न के क्षेत्र में बहुमख
ु ी प्रनतभा वािे िोगों की आवश्र्कता
होती है, क्र्ोंकक प्रबंर्न के क्षेत्र में कई काम एक साथ संभािने
होते है ।
च आशर् स्पष्ट कीजिए :
"प्रनतभा ककसी की मोहताि नहीं होती।"
उत्तर : प्रस्तत
ु पंजक्त का आशर् प्रनतभाशािी व्र्जक्तर्ों की राह में आने
वािी अड़चनों से है ।

प्र. 2. ननजम्िखखत काव्र्ांश को ध्र्ानपव


ू क
य पढ़कर पछ
ू े गए प्रश्नों के उत्तर
दीजिए : 2×4=8
भारतमाता
ग्राम-वालसनी !
खेतों में फैिा है श्र्ामि
र्ि
ू भरा मैिा-सा अंचि
गंगा-र्मन
ु ा में आँस-ू िि
लमट्टी की प्रनतमा
उदालसनी !
दै न्र्-िड़ड़त, अपिक नत धचतवन,

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अर्रों में धचर नीरव रोदन,
र्ग
ु -र्ग
ु के तम से, ववषण्ण मन,
वह अपने घर में
प्रवालसनी !
तीस कोटट सन्तान नग्न तन
अर्य-क्षक्षधर्त, शोवषत, ननरस्त्र िन
मढ़
ू , असभ्र्, अलशक्षक्षत, ननर्यन,
नत मस्तक: तरु-ति
ननवालसनी !

क भारतमाता को ग्राम-वालसनी क्र्ों कहा गर्ा है ?


उत्तर : भारतमाता को ग्राम-वालसनी इसलिए कहा गर्ा है क्र्ोंकक इसके
बड़े टहस्से में गाँव और खेत खलिर्ान है ।

ख काव्र्ांश में प्रवालसनी ककसके लिए आर्ा है और क्र्ों?


उत्तर : भारतमाता की संतान को प्रवालसनी कहा गर्ा है क्र्ोंकक र्ग
ु ों-
र्ग
ु ों से वह अपने ही घर में र्ानन के दे श में प्रवालसनी की तरह सख
ु -
सवु वर्ाओं से वंधचत िीवन बीता रही है ।

ग भारतमाता की संतान के बारे में कवव ने क्र्ा कहा है ?


उत्तर : भारतमाता की संतान दख
ु ों, कष्टों, सख
ु -सवु वर्ाववहीन प्रवालसनी
की तरह िीवन को बबताना पड़ रहा है इसलिए वह अत्र्ंत दख
ु ी है ।
घ काव्र्ांश का केंद्रीर् भाव लिखखए।
उत्तर : इस काव्र्ांश भारत के ग्रामीण समाि का धचत्रण ककर्ा गर्ा
है , भारत के ग्रामीण समाि के दख
ु ों, कष्टों और गाँव के िोगों के सख
ु -
सवु वर्ाववहीन िीवन और दर्नीर् जस्थनत को प्रकट ककर्ा गर्ा है ।

खण्ड ख

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प्र 3. पद ककसे कहते हैं? उदहारण दे कर स्पष्ट कीजिए। 1 + 1 = 2
उत्तर : वाक्र् में प्रर्क्
ु त शब्द पद कहिाते हैं।
िैसे – टहमािर् भारत का प्रहरी है।
र्हाँ ‘टहमािर्’ एक पद है ।

प्र 4. ननदे शानस


ु ार वाक्र् रूपांतरण पररवतयन कीजिर्े : 1 X 3 = 3
क कमय करने वािे को फि की इच्छा नहीं करनी चाटहए।
(लमश्र वाक्र् में )
उत्तर : िो कमय करते हैं, उन्हें फि की धचंता नहीं करनी चाटहए।
ख िो ववदवान और सत्र्वादी है उनका सवयत्र सम्मान होता है ।
(सरि वाक्र् में )
उत्तर : ववदवान और सत्र्वादी का सवयत्र सम्मान होता है।
(ग) आकाश में बादि छाते ही घनघोर वषाय होने िगी।
(संर्क्
ु त वाक्र् में )
उत्तर : आकाश में घनघोर बादि छाए और वषाय होने िगी।

प्र 5. (क) ननम्नलिखखत शब्दों का समास-ववग्रह करते हुए समास का नाम


लिखखए : 1 + 1 = 2
(i)महािन
उत्तर : समास ववग्रह – महा है िो िन
समास – कमयर्ारर् समास

(ii)ििप्रदष
ू ण
उत्तर : समास ववग्रह - िि का प्रदष
ू ण
समास - तत्परु
ु ष समास

(ख) ननम्नलिखखत शब्दों को समस्त-पद बनाकर समास का नाम


लिखखए : 1 +1 = 2
(i) नीिा है िो गगन

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उत्तर : समस्त पद - नीि गगन
समास - कमयर्ारर् समास

(ii) आस और पास
उत्तर : समस्त पद – आसपास
समास – दवंदव समास

प्र 6. ननम्नलिखखत वाक्र्ों को शद


ु र् रूप में लिखखए : 1 x 4 = 4

(क) र्हाँ पर कि एक िड़का और िड़की बैठी थी।

उत्तर : र्हाँ पर कि एक िड़का और िड़की बैठे थे।

(ख) मझ
ु े केवि मात्र अपना अधर्कार चाटहए।

उत्तर : मझ
ु े केवि अपना अधर्कार चाटहए।

(ग) इस ववदर्ािर् का परीक्षा पररणाम अच्छी है ।

उत्तर : इस ववदर्ािर् का परीक्षा पररणाम अच्छा है ।

(घ) मास्टर िी ने उसकी बड़ी प्रशंसा करी।

उत्तर : मास्टर िी ने उसकी बड़ी प्रशंसा की।

प्र 7. ननम्नलिखखत मह
ु ावरों का प्रर्ोग इस प्रकार कीजिए कक उनका अथय स्पष्ट हो
िाए : 1+1 = 2
बाट िोहना, सर्
ु -बर्
ु खोना
उत्तर : बाट िोहना – कई टदनों से हम ववदे श से वपतािी की आने की खबर
की बाट िोह रहे थे।

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सर्
ु -बर्
ु खोना - नन्हें -नन्हें बच्चों के अदभत
ु ् प्रदशयन को दे खकर दशयक अपनी
सर्
ु -बर्
ु खो बैठे।

प्र 8. ननजम्िखखत गदर्ांश को पढ़कर पछ


ू े गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए : 2+2+1=5
असि में दोनों काि लमथ्र्ा हैं। एक चि गर्ा है , दस
ू रा आर्ा नहीं है।
हमारे सामने िो वतयमान क्षण है , वही सत्र् है । उसी में िीना चाटहए। चार्
पीते-पीते उस टदन मेरे टदमाग़ से भत
ू और भववष्र् दोनों काि उड़ गए थे।
केवि वतयमान क्षण सामने था। और वह अनंत काि जितना ववस्तत
ृ था।

क गदर्ांश में ककन दो कािों के बारे में बात की गई है और उनकी क्र्ा


ववशेषता है ?
उत्तर : गदर्ांश में भत
ू काि और भववष्र्काि की बात की गई है । िेखक
के अनस
ु ार भत
ू काि बीत चक
ु ा होता है इसलिए लमथ्र्ा है ,। भववष्र्
आर्ा नहीं इसलिए लमथ्र्ा है ।

ख िेखक ने ककस काि को सत्र् माना है और क्र्ों?


उत्तर : िेखक ने वतयमानकाि को सत्र् माना है क्र्ोंकक वतयमान में िीने
से भत
ू और भववष्र्काि से िुड़ी सारी धचन्ताएँ लमट िाती है और परम
शांनत तथा िीवन का अनभ
ु व होता है ।

ग गदर्ांश से िेखक क्र्ा समझाना चाहता है ?


उत्तर : प्रस्तत
ु गदर्ांश से िेखक समझाना चाहते है कक हमें वतयमान में
िीना चाटहए। भत
ू काि बीत चक
ु ा होता है इसलिए लमथ्र्ा है। भववष्र्
आर्ा नहीं इसलिए लमथ्र्ा है । इसलिए हमें इसके बारे में सोचकर अपना
अनमोि समर् व्र्थय नहीं करना चाटहए।

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प्र. 9. िापान में मानलसक रोग के क्र्ा कारण बताए गए हैं? उससे होने वािे
प्रभाव का उल्िेख करते हुए लिखखए कक इसमें ‘टी सेरेमनी’ की क्र्ा
उपर्ोधगता है । 5
उत्तर : िापान में मानलसक रोग का मख्
ु र् कारण अमेररका से आधथयक
प्रनतस्पर्ाय को बतार्ा। जिसके पररणामस्वरूप दे श के िोग एक महीने का
काम एक टदन में करने का प्रर्ास करते हैं इस कारण वे शारीररक व
मानलसक रूप से बीमार रहने िगे हैं। िेखक के र्े ववचार सत्र् हैं क्र्ोंकक
शरीर और मन मशीन की तरह कार्य नहीं कर सकते और र्टद उन्हें ऐसा
करने के लिए वववश ककर्ा तो मानलसक संतुिन बबगड़ िाना स्वाभाववक है ।

ऐसे में टी सेरेमनी िापाननर्ों को भाग दौड़ से भरी जिन्दगी से दरू कुछ पि
अकेिे बबताने का मौका दे ती है और साथ ही िहाँ इंसान न भत
ू काि और
भववष्र्काि की धचंता से मक्
ु त हो कर वतयमान में िी पाए। इसलिए टी
सेरेमनी में केवि तीन ही िोगों को प्रवेश टदर्ा िाता है। इसका कारण र्ह
है की अधर्क आदलमर्ों के आने से शांनत के स्थान पर अशांनत का माहौि
बन िाता है ।

प्र. 10. ननम्नलिखखत प्रश्नों के उत्तर दीजिए :


(क) शेख अर्ाज़ के वपता भोिन छोड़कर क्र्ों उठ खड़े हुए? ‘अब कहाँ दस
ू रे
के दख
ु से दखु ी होने वािे’ पाठ के आर्ार पर लिखखए।
उत्तर : शेख अर्ाि के वपता अपने बािू पर कािा च्र्ोंटा रें गता दे ख
भोिन छोड़ कर उस च्र्ोंटे को कुएँ पर छोड़ने के लिए उठ खड़े हुए
क्र्ोंकक उनके अनस
ु ार उन्होंने उस च्र्ोंटे को घर से बेघर कर टदर्ा था
अत: बबना समर् गवाँए वे उस च्र्ोंटे को उसके घर अथायत ् कुएँ पर छोड़
आते हैं ।

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(ख) शद
ु र् आदशय की तुिना सोने से और व्र्ावहाररकता की तुिना ताँबे से
क्र्ों की गई है ? ‘पतझर में टूटी पनतर्ाँ’ पाठ के आर्ार पर लिखखए।
उत्तर: शद
ु र् सोने में ककसी प्रकार की लमिावट नहीं की िा सकती।
ताँबे से सोना मिबत
ू हो िाता है परन्तु शद
ु र्ता समाप्त हो िाती है ।
इसी प्रकार व्र्वहाररकता में शद
ु र् आदशय समाप्त हो िाते हैं। परन्तु
िीवन में आदशय के साथ व्र्ावाहाररकता भी आवश्र्क है , क्र्ोंकक
व्र्ावाहाररकता के समावेश से आदशय सन्
ु दर व मिबत
ू हो िाते हैं।
क ‘कारतस
ू ’ पाठ में सआदत अिी को ककस प्रकार का व्र्जक्त बतार्ा
गर्ा है ?
उत्तर : सआदत अिी वज़ीर अिी का चाचा और नवाब आलसफउदौिा
का भाई था। िब तक आलसफउदौिा के कोई सन्तान नहीं थी,सआदत
अिी की नवाब बनने की परू ी सम्भावना थी। इसलिए िब उसे वज़ीर
अिी की पैदाइश हुई तो उन्हें वे खतरा िगने िगे। सआदत अिी
आराम पसंद अंग्रेज़ों का वपट्ठू था। उसने अंग्रेज़ों को आर्ी सम्पवत्त
और दस िाख रूपर्े टदए।

प्र. 11. (क) सच्चे मन में ‘ईश्वर बसते हैं’ इस भाव के संदभय में बबहारी के दोहे का
भाव स्पष्ट कीजिए। 2
उत्तर : बबहारी िी के अनस
ु ार भजक्त का सच्चा रूप हृदर् की सच्चाई
में ननटहत है ।बबहारी िी ईश्वर प्राजप्त के लिए र्मय कमयकांड को टदखावा
समझते थे।मािा िपने, छापे िगवाना, माथे पर नतिक िगवाने से
प्रभु नहीं लमिते। िो इन व्र्थय के आडंबरों में भटकते रहते हैं वे झठ
ू ा
प्रदशयन करके दनु नर्ा को र्ोखा दे सकते हैं,परन्तु भगवान राम तो
सच्चे मन की भजक्त से ही प्रसन्न होते हैं।
(ख) ‘मनष्ु र्ता’ कववता में कवव ने सबको एक होकर चिने की प्रेरणा क्र्ों
दी है ? 2

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उत्तर : कवव ने सबको एक होकर चिने की प्रेरणा इसलिए दी है ,
क्र्ोंकक एकता में बि होता है । मैत्री भाव से आपस में लमिकर रहने
से सभी कार्य सफि होते हैं, ऊँचनीच-, वगय भेद नहीं रहता।सभी एक
वपता परमेश्वर की संतान हैं।अतःसब एक हैं।इसलिए सभी को प्रेम भाव
से रहना चाटहए, सहार्ता करनी चाटहए,एक होकर चिना चाटहए।

(ग) ‘आत्मत्राण’ कववता में कोई सहार्क न लमिने पर कवव की क्र्ा


प्राथयना है ? 1
उत्तर : ववपरीत पररजस्थनतर्ों के समर् सहार्क के न लमिने पर कवव
ईश्वर से प्राथयना करता है कक उसका बि पौरुष न टहिे, वह सदा
बना रहे और कोई भी कष्ट वह र्ैर्य से सह िे।

प्र. 12. ‘कर चिे हम किदा’ – कववता की ऐनतहालसक पष्ृ ठभलू म का उल्िेख करते
हुए उसका प्रनतपादर् अपने शब्दों में लिखखए। 5
उत्तर: प्रस्तत
ु काव्र् र्द
ु र् की पष्ृ ठभलू म पर बनी कफल्म हकीकत के लिए
लिखा गर्ा था।कवव इसमें दे शभजक्त को ववकलसत करके दे श को िागरुक
करना चाहता है।र्ह गीत सन ् 1962 के भारतचीन र्द
ु र् की ऐनतहालसक -
पष्ृ ठभलू म पर लिखा गर्ा है ।चीन ने नतब्बत की ओर से आक्रमण ककर्ा
और भारतीर् वीरों ने इस आक्रमण का मक
ु ाबिा वीरता से ककर्ा।अपने दे श
के सम्मान और रक्षा के लिए सैननक हर चन
ु ौनतर्ों को स्वीकार करके
अपने िीवन का बलिदान करने के लिए तैर्ार रहते हैं। अपनी अंनतम साँस
तक दे श के मान की रक्षा कर उसे शत्रओ
ु ं से बचाते हैं।

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प्र. 13. पढ़ाई में तेज़ होने पर भी कक्षा में दो बार फेि हो िाने पर टोपी के साथ
घर पर र्ा ववदर्ािर् में िो व्र्वहार हुआ उस पर मानवीर्-मल्
ू र्ों की
दृजष्ट से टटप्पणी कीजिए। 5
उत्तर : एक ही कक्षा में दोदो बार बैठने से टोपी को कई भावनात्मक -
चन
ु ौनतर्ों का सामना करना पड़ा िैसे वह अध्र्ापकों की हँ सी का पात्र
होता क्र्ोंकक कमिोर िड़कों के रूप में अध्र्ापक उसका ही उदाहारण दे ते
थे। फेि होने के कारण उसके कोई नए लमत्र भी नहीं बन पाए। मास्टर
उसकी ककसी भी बात पर ध्र्ान ही नहीं दे ते थे वह ककसी से शमय के मारे
खि
ु कर बातें नहीं कर पाता था। बच्चे िेि होने पर भावनात्मक रूप से
आहत होते हैं और मानलसक रूप से परे शान रहने िगते हैं। वे शमय महसस

करते हैं। इसके लिए ववदर्ाथी के पस्
ु तकीर् ज्ञान को ही न परखा िाए
बजल्क उसके अनभ
ु व व अन्र् कार्य कुशिता को भी दे खकर उसे प्रोत्साहन
दे ने के लिए लशक्षा व्र्वस्था में बदिाव ककर्ा िा सकता है । ऐसे बच्चों के
लिए वैकजल्पक लशक्षा की व्र्वस्था की िानी चाटहए। लशक्षकों को इस तरह
के बच्चों को समझने के लिए उधचत मनोवैज्ञाननक प्रलशक्षण टदर्ा िाना
चाटहए तथा पररवार वािों को उसकी भरपरू मदद करनी चाटहए न कक उसे
कमिोर कहकर उसपर व्र्ंग कसने चाटहए।

खण्ड घ

प्र. 14. ननम्नलिखखत ववषर्ों में से ककसी एक पर संकेत बबंदओ


ु ं के आर्ार पर
िगभग 100 शब्दों में अनच्
ु छे द लिखखए : 5
क पस्
ु तकें पढ़ने की आदत
 पढ़ने की घटती प्रवनृ त
 कारण और हानन
 पढ़ने की आदत से िाभ
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पस्
ु तकें मनष्ु र् की सबसे अच्छी लमत्र होती है । आत्म उन्ननत करनी है तो
पस्
ु तक से बढ़कर कोई सहार्क नहीं है । अभी कुछ वषों तक पत्र-पबत्रकाएँ
पढ़ने के लिए अनम
ू न सभी समर् ननकाि ही िेते थे परन्तु हाि के कुछ
वषों में िोगों की पढ़ने की आदत तकनीकी ववकास के कारण कम होती िा
रही है । बच्चों में भी पढ़ाई का बोझ कुछ ज्र्ादा ही बढ़ गर्ा है । प्रनतस्पर्ाय
के इस र्ग
ु में सभी आगे ही बढ़ना चाहते है इसलिए भी अब हल्की-फुल्की
पस्
ु तकें िोग पढ़ना नहीं चाहते हैं। महानगरीर् व्र्स्तता भी इसका एक कारण
है िोग इतना िंबा सिर कर घर पहुँचते हैं कक चाहकर भी वे अपनी
पसंदीदा पस्
ु तक नहीं पढ़ पाते। परं तु पस्
ु तक पढ़ने से न केवि हमारे टदमाग
का अभ्र्ास होता है बजल्क पस्
ु तकें हमारे तनाव को भी कम करती है । पढ़ने
से मन को सक
ु ू न लमिता है फिस्वरूप नींद भी अच्छी आती है । पढ़ने से
व्र्जक्त की र्ाददाश्त भी बढ़ती है । पस्
ु तकें ही मनष्ु र् के ज्ञान के साथ चररत्र
–ननमायण में अहम ् भलू मका ननभाती है।

ख कम्पट
ू र हमारा लमत्र
 क्र्ा है
 ववदर्ाधथयर्ों के लिए उपर्ोग
 सझ
ु ाव

आि के र्ग
ु को ववज्ञान का र्ग
ु कहा िाता है। ककसी दे श का ववकास उसके
वैज्ञाननक, औदर्ोधगक व तकनीकी प्रगनत पर ननभयर करता है । कंप्र्ट
ू र छात्रों को
ववषर्ों के लशक्षण का सबसे अच्छा तरीका है । इन टदनों, सभी स्कूिों और
कॉिेिों में कंप्र्ट
ू र िैब है िहाँ वे अपने लशक्षकों से व्र्ावहाररक ज्ञान प्राप्त
करके अपनी लशक्षा में उसका उपर्ोग करते हैं।

कंप्र्ट
ू र से ववदर्ाथी अपने पाठ्र्क्रम की िानकारी तो पा ही सकते उसके
अिावा उनकी रूधच के अनस
ु ार ववषर्ों की भी िानकारी चट
ु ककर्ों में पा सकते
हैं। आि कि इंटरनेट का चिन इतना बढ़ गर्ा है कक एक ववदर्ाथी दे श के ही

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लशक्षा संस्थान ही नहीं बजल्क ववदे शी लशक्षा संस्थान में बबना प्रवेश लिए
ऑनिाइन पढ़ सकता है , लशक्षकों से संवाद स्थावपत कर सकता है ,अपनी पढ़ाई
र्ा अन्र् ककसी ववषर् से संबंधर्त समस्र्ा का समार्ान कर सकता है और
अपना ववकास कर सकता है । परं तु ववदर्ाधथयर्ों को इसका अधर्क उपर्ोग भी
नहीं करना चाटहए क्र्ोंकक र्े उनमें आिस्र् भी ननमायण कर सकता है इसके
अत्र्धर्क प्रर्ोग से टदमागी क्षमता कम भी हो सकती है हम हर कार्य को करने
के ककर्े अपने टदमाग र्ा ज्ञान का उपर्ोग कर इस पर ननभयर हो िाते है ।
इसलिए अनत ककसी भी चीि की अच्छी नहीं होती।

ग स्वास्थ की रक्षा
 आवश्र्कता
 पोषक भोिन
 िाभकारी सझ
ु ाव

स्वास्थ्र् मानव का अमल्


ू र् र्न है । स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मजस्तष्क ननवास
करता है । शरीर को चस्
ु त, फुतीिा और स्वस्थ रखने के लिए व्र्ार्ाम आवश्र्क है ।
मनष्ु र् के िीवन में आरं भ से ही व्र्ार्ाम का महत्त्व रहा है। व्र्ार्ाम से िहाँ
स्वास्थ्र् बढ़ता है, वहीं शारीररक संद
ु रता भी बढ़ती है । मनष्ु र् को चाटहए कक वह
ननर्लमत रूप से व्र्ार्ाम करे । ऐसा करने से शरीर में रक्त-संचार सही रहता है ,
स्फूनतय तथा उत्साह भी बढ़ता है । इसके साथ ही मनष्ु र् को अपने आहार,खान-पान
में भी ध्र्ान रखना चाटहए। उसे चाटहए कक वह रोि संतुलित भोिन करे । उसके
आहार में सभी पोषक तत्व हो। भोिन में र्टद पोषक तत्व न होगें तो हमारा
शारीररक और मानलसक ववकास बाधर्त होता है । वैसे भी कहा िाता है िैसा हम
भोिन करते हैं हम वैसा बनते हैं। इसलिए प्रत्र्ेक मनष्ु र् को खान-पान और आहार
के साथ ननर्लमत व्र्ार्ाम करते हुए अपने स्वास्थ्र् की और ध्र्ान दे ना चाटहए।

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प्र. 15. ववदर्ािर् में छुट्टी के टदनों में भी प्रात:काि में र्ोग की अभ्र्ास कक्षाएँ
चिने की सच ू ना दे ते हुए इच्छुक ववदर्ाधथयर्ों दवारा अपना नाम दे ने हे तु
सच
ू ना-पट्ट के लिए एक सच ू ना िगभग 30 शब्दों में लिखखए। 5

बाि भारती स्कूि


सच
ू ना
छुट्टटर्ों में ववदर्ािर् दवारा प्रातः 8 से 9 र्ोग अभ्र्ास की कक्षाएँ चिाई
िाएगी।
इच्छुक ववदर्ाधथयर्ों से ननवेदन हैं कक वह 5 टदनों के अंदर अपना नाम सधचव को
दे ।
अमर
(सधचव)

प्र. 16. ववदर्ािर् के गेट पर मध्र्ावकाश के समर् ठे िे और रे हड़ी वािों दवारा


िंक फूड बेचे िाने की लशकार्त करते हुए प्रर्ानाचार्य को पत्र लिखकर
उन्हें रोकने का अनरु ोर् कीजिए। 5
सेवा में ,

प्रर्ानाचार्य

आदशय लशशु ववहार

िर्परु

टदनाँक माचय 10 : 2017

ववषर् : ववदर्ािर् के गेट पर ठे िे और रे हड़ी वािों दवारा िंक िूड बेचने संबधं र्त
लशकार्त पत्र।

महोदर्

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मैं ववदर्ािर् का हे ड बॉर् होने के कारण आपका ध्र्ान एक महत्त्वपण
ू य समस्र्ा की
ओर िेिाना चाहता हूँ। मध्र्ावकाश में हमारे ववदर्ािर् के गेट पर ठे िे और रे हड़ी
वािों दवारा िंक िूड बेचा िाता है िोकक ववदर्ाधथयर्ों की सेहत के लिए हाननकारक
है ।

अत: आपसे ननवेदन है कक आप इस समस्र्ा की ओर ध्र्ान दे कर अनत शीघ्र इसे


सि
ु झाने का प्रर्ास करें गे।

आपका आज्ञाकारी छात्र

सौरभ गुप्ता

हे ड बॉर्

कक्षा – दसवीं ’अ‘

प्र. 17. ओिंवपक खेिों में भारतीर् खखिाड़ड़र्ों के प्रदशयन के बारे में अपने लमत्र से
हुए संवाद को िगभग 50 शब्दों में लिखखए। 5
रवव : कैसे हो, कानतयक ?

कानतयक : मैं ठीक हूँ तुम बताओ कैसे हो और पढ़ाई कैसी चि रही है ?

रवव : मैं ठीक हूँ। पढ़ाई भी अच्छी चि रही है। और बताओ ओिजम्पक खेिों में
भारत के प्रदशयन के बारे में िानते हो र्ा नहीं ?

कानतयक : ओिजम्पक खेिों में भारत का प्रदशयन !

रवव : ओिजम्पक खेि वतयमान की प्रनतर्ोधगताओं में अग्रणी खेि प्रनतर्ोधगता है


जिसमे हज़ारों एथेिीट कई प्रकार के खेिों में भाग िेते हैं।

कानतयक : अच्छा और ...

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रवव : ररर्ो ओिंवपक 2016 - 16 टदन तक चिे खेिों के सबसे बड़े महाकंु भ में
अमरीका ने 46 गोल्ड मेडिों के साथ कुि 121 पदक िीत कर अपना दबदबा
कार्म रखा। वहीं ग्रेट बब्रटे न दस
ू रे और चीन तीसरे स्थान पर रहा। भारत ने दो
मेडि िीते। र्ह मैडि हमारे दे श की दो िड़ककर्ों, साक्षी मलिक और पीवी लसंर्ु ने
िीता।

कानतयक : अरे वाह !

रवव : हाँ, ब्रािीि के ररर्ो में 5 अगस्त से शरू


ु हुए ओिंवपक खेिों की क्िोजिंग
सेरेमनी 31 अगस्त को मारकाना स्टे ड़डर्म में हुई। अब अगिा ओिंवपक 2020 में
टोक्र्ो में होगा।

कानतयक : र्ह तो तम
ु ने बहुत बटढ़र्ाँ िानकारी दी।

रवव : पढाई के साथ-साथ हमारा सामान्र् ज्ञान भी अच्छा होना चाटहए।

प्र. 18. ववदर्ािर् के ‘रं गार्न’ दवारा प्रस्तत


ु नाटक के बारे में नाम, पात्र, टदन,
समर्, टटकट-दर आटद की सच ू ना दे ते हुए एक ववज्ञापन का आिेख
िगभग 25 शब्दों में लिखखए। 5
नाटक नाटक नाटक .....
मोडयन ववदर्ािर् 'रं गार्न' ववभाग दवारा पर्ायवरणीर् िागरूकता पर नाटक
पात्र : ववदर्ािर् के ववदर्ाथी
टदन : शननवार, 15 माचय 2017
समर् : सब
ु ह 10 से 11
टटकट-दर : मात्र 50 रु/-
आइए और हमारी भावी पीढ़ी को प्रोत्साहन दीजिए ...
आि ही बकु कंग करें ।

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