Professional Documents
Culture Documents
पारी का पतन और उदय ~ मित्रभेद ~ पंचतंत्र ! ~ Fall And Rise Of The Merchant-Panchatantra Stories In Hindi
पारी का पतन और उदय ~ मित्रभेद ~ पंचतंत्र ! ~ Fall And Rise Of The Merchant-Panchatantra Stories In Hindi
कुछ मदनों बाद, एक बार सेवक राजा के कक्ष िें झाड़ू लगा रहा था। उसने
राजा को अर्धमनद्रा िें दे ख कर बड़बड़ाना शुरू मकया: “इस व्यापारी की यह
िजाल की वह रानी के साथ दु व्यधवहार करे । ”
सेवक ने तुरंत राजा के चरण पकडे और बोला: िुझे िाफ़ कर दीमजये , िैं पूरी
रात जुआ खेलता रहा और सो न सका। इसीमलए नींद िें कुछ भी बड़बड़ा रहा
हूँ ।
राजा ने कुछ बोला तो नहीं, पर शक का बीज तो बोया जा चुका था। उसी मदन
से राजा ने
व्यापारी के िहल िें मनरं कुश घूिने पर पाबंदी लगा दी और उसके अमर्कार
कि कर मदए।
अगले मदन जब व्यापारी िहल िें आया तो उसे संतररयों ने रोक मदया। यह दे ख
कर व्यापारी बहुत आश्चयध -चमकत हुआ। तभी वही ूँ खड़े सेवक ने िज़े लेते हुए
कहा, ऐ संतररयों, जानते नहीं ये कौन हैं ? ये बहुत प्रभावशाली व्यक्ति हैं और
तुम्हें बाहर मफंकवा सकते हैं , जैसा इन्होने िेरे साथ अपने भोज िें मकया था।
तमनक सावर्ान रहना। यह सुनते ही व्यापारी को सारा िाजरा सिझ िें आ
गया।
कुछ मदनों के बाद उसने उस सेवक को अपने घर बुलाया, उसकी खूब आव-
भगत की और उपहार भी मदए। मफर उसने बड़ी मवनम्रता से भोज वाले मदन के
मलए क्षिा िां गते हुआ कहा की उसने जो भी मकया गलत मकया।
सेवक खुश हो चुका था। उसने कहा की न केवल आपने िुझसे िाफ़ी िां गी,
पर िेरी इतनी आप-भगत भी की। आप मचंता न करें , िैं राजा से आपका खोया
हुआ सम्मान वापस मदलाउं गा।
अगले मदन उसने राजा के कक्ष िें झाड़ू लगाते हुआ जब राजा को अर्ध-मनद्रा िें
दे खा तो मफर बड़बड़ाने लगा “हे भगवान, हिारा राजा तो ऐसा िू खध है की वह
गुसलखाने िें खीरे खाता है ”
यह सुनकर राजा क्रोर् से भर उठा और बोला – िूखध सेवक, तुम्हारी ऐसी बोलने
की महम्मत कैसे हुई? तुि अगर िेरे कक्ष के सेवक न होते तो तु म्हें नौकरी से
मनकाल दे ता। सेवक ने दु बारा चरणों िें मगर कर राजा से िाफ़ी िां गी और
दु बारा कभी न बड़बड़ाने की कसि खाई।
उर्र राजा ने सोचा मक जब यह िेरे बारे िें ऐसे गलत बोल सकता है तोह
अवश्य ही इसने व्यापारी के बारे िें भी गलत हो बोला होगा, मजसकी वजह से
िैंने उसे बेकार िें दं ड मदया।
अगले मदन ही राजा ने व्यापारी को िहल िें उसकी खोयी प्रमतष्ठा वापस मदला
दी।
इस कहानी से क्या सीखें :
पंचतंत्र की हर कहामनयाूँ हिें जीवन का व्यवहाररक पाठ पठाती हैं , यह कहानी
भी हिें दो अद् भुत सीख दे ती है , पहली ये मक हिें हर मकसी के साथ सद्भाव
और सिान भाव से ही पेश आना चामहए, चाहे वह व्यक्ति बड़ा से बड़ा हो या
छोटा से छोटा। हिेशा याद रखें जैसा व्यव्हार आप खुद के साथ होना पसंद
करें गे वैसा ही व्यव्हार दू सरों के साथ भी करें ; और दू सरी ये मक हिें सुनी सुनाई
बातों पर यकीन नहीं करना चामहए बक्ति संशय की क्तथथमत िें पूरी तरह से
जाूँ च पड़ताल करके ही मनणधय लेना चामहए।