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स्वागत

राजभाषा कार्ाा न्वर्न में आनेवाली


कठिनाइर्ााँ और उनका समाधान
1. स्वतन्त्रता पूर्व की स्थितत
1.1 ठवदे शी भाषाओं का अठनवार्ा प्रर्ोग
1.2 संपका की आवश्यकताओं की
सीठमतता
1.3 दे श की खंडता – ररर्ासतों का
स्वतंत्र अस्तित्व
1.4 सम्पूर्ा रूप में ठवकठसत
सवासामान्य जन भाषा का अभाव
2. स्वतंत्रता आं दोलन
2.1 भावनात्मक एकता का ठवकास

2.2 जनसम्पका भाषा की आवश्यकता

2.3 संपका भाषा के रूप में ठिन्दी का


ठवकास
3. स्वतंत्रता के बाद
3.1 राजभाषा – संठवधान

3.2 अठधठनर्म, ठनर्म, आदे श,


अनुदेश

3.3 वाठषाक कार्ाक्रम ‘क’, ‘ख’ तथा


‘ग’ क्षेत्र
4. कतिनाइयााँ
4.1 मानतिकता
4.1.1 ठिन्दी में काम करनेवालों के प्रठत
उपेक्षा का भाव
4.1.2 ठिन्दी में काम करनेवालों की िीन
भावना
4.1.3 अंग्रेज़ी में काम करने का मोि
4. कतिनाइयााँ
4.1 मानतिकता
4.1.4 ठिन्दी में काम करने में ठििक

4.1.5 अंग्रेज़ी की त्रुठिर्ों की अपेक्षा


ठिन्दी लेखन में त्रुठिर्ों की ओर सभी का
ध्यान
4. कतिनाइयााँ
4.2 तिक्षा का माध्यम
4.2.1 अंग्रेज़ी माध्यम से ठशक्षा प्राप्त
करना
4.2.2 ठवज्ञान, तकनीकी, इं जीठनर्री,
ठिठकत्सा, प्रबंधन, आठद संबंधी
उच्च ठशक्षा का माध्यम अंग्रेज़ी
4.2.3 अंग्रेज़ी का अच्छा ज्ञान व काम
करने का अभ्यास िोने के
कारर् ठिन्दी में काम करने में
कठिनाइर्ााँ
4. कतिनाइयााँ
4.3 त ं दीतर भातियों की कतिनाइयााँ
4.3.1 भाषाओं की संरिनात्मक ठभन्नता
4.3.2 कुछ अक्षरों की कमी के कारर्
आनेवाली समस्या
4.3.3 ठलंग संबंधी कठिनाई
4.3.4 उच्चारर् में अंतर
4. कतिनाइयााँ
4.4 िुतर्धाओं का अभार्
4.4.1 साठित्य का अभाव
4.4.2 अंग्रेज़ी के समान की-बोडा तथा
सॉफ्टवेर्र व फॉन्ट प्राप्त निीं
4.4.3 इन्टरनेि पर सामठग्रर्ों की
अनुपलब्धता
4.4.4 प्रोत्सािन व प्रेरर्ा का अभाव
5. त न्दी में काम करना
त न्दी अनुभाग का काम
5.1 ठिन्दी में काम करने की प्रठत
दाठर्त्व बोध की कमी
5.2 बाध्यता का अभाव
5.3 मौठलक कार्ा का पृथक्करर्
5.4 उच्च िर पर उपेक्षा
6. र्ैश्वीकरण
6.1 वैश्वीकरर् के कारर् अंग्रेज़ी का
बढ़ता प्रभाव

6.2 ठिन्दी की उपर्ोठगता पर प्रश्न-ठिह्न


7. कातमवकों की पदोन्नतत में
त न्दी को म त्व न दे ना
7.1 ठिन्दी में ठकए गए शोध कार्ों की
पदोन्नठत में गर्ना निीं

7.2 ठिन्दी में ठकए गए कार्ा को


िरिीन र्ा ठनम्निर का मान
लेना
8. दं ड के प्रार्धान का
उपयोग न तकया जाना
8.1 संवेदनशीलता के कारर् दं ड नीठत
को लागू निीं करना
8.2 दं ड के अभाव में कताव्ों की
अविे लना
8.3 ठिन्दी के प्रर्ोग पर आवश्यकता
का प्रश्न-ठिह्न
8.4 अविे लना व उपेक्षा की स्तथथठत का
प्रादु भाा व
9. िमाधान
9.1 िकारात्मक दृतिकोण
9.1.1 नकारात्मकता के कारर्ों की खोज
9.1.2 ठवकल्ों के दु रुपर्ोग से बिना
9.1.3 ठिन्दी ठवरोधी आं दोलन से उत्पन्न
नकारात्मकता को कम करना
9.1.4 भाषा – समाज की दे न – समाज
के कताव्ों का बोध ठदलाना
9. िमाधान
9.1 िकारात्मक दृतिकोण
9.1.5 राज्य के बािर संपका में ठिन्दी
की मित्ता का बोध
9.1.6 ठिं दीतर भाठषर्ों को संठवधान
और कानून से प्राप्त छूि का
सदु पर्ोग
9.1.7 कुछ ठिन्दी भाठषर्ों के स्वभाव
में पररवतान की आवश्यकता
9. िमाधान
9.1 िकारात्मक दृतिकोण
9.1.8 पररवठतात स्तथथठतर्ों में अंग्रेज़ी की
आवश्यकता का उठित पििान
9.1.9 स्वतंत्र दे शों के नमूने को
आत्मसात करना
9.1.10 शब्दावली ठनमाा र् में सिर्ोग
10. त न्दी में कायव िुरू कैिे
10.1 मानक पत्रोंकरें
के नमूने बनाकर
(पावती, अग्रेषर् पत्र, अन्तररम
उत्तर, अनुस्मारक, शून्य ररपोिा )
10.2 मानक ठिप्पठर्र्ों के नमूने बनाकर
10.3 राजभाषा कठमार्ों के सिर्ोग से
10.4 मशीन साठधत अनुवाद से
10.5 मशीन साठधत ठडक्टे शन की
सुठवधा से
10. त न्दी में कायव िुरू कैिे
करें
10.6 दृढ़ संकल्, ठवश्वास एवं
आत्मसम्मान की भावना से
राजभाषा को आत्मसात करते हुए
10.7 सरल एवं सिज भाषा के प्रर्ोग से
10.8 कार्ाशाला, ठनर्ठमत ठविार-
ठवठनमर्, अनुवती कारा वाई के
माध्यम से
10. त न्दी में कायव िुरू कैिे
करें
10.9 प्रठशक्षर् सुठवधाओं की प्रिुर
उपलब्धता से
10.10 प्रोत्सािन, प्रेरर्ा, प्रेम और
सद्भावना से
धन्यर्ाद

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