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जीवन का

लक्ष्य

बेहतर होगा कि आप बैठ जाएँ । जब मैं जीवन िा


मतलब बताता हँ तो प्रायः लोग कहल जाते हैं , और
पीछे खाई है !
आपके जीवन का लक्ष्य क्या है ?

मेरे जीवन िा लक्ष्य:


१.
२.
३.
४.
५.
जीवन के सामान्य लक्ष्य

आज लोग किसिे पीछे भागते


हैं ?
धन

प्रकतष्ठा

सत्ता

अकधिार

लालसा
मैं यहां क्ों हँ ?

मुझे लगता है कि यह एि मौकलि


प्रश्न है जो हमें स्वयं से पूछना
चाकहए : “मैं यहाँ क्ों हं ?

.....हम यहाँ इसकलए है क्ोंकि यहाँ


िुछ िायय िरना है ,और कजसिे
िरने में िोई अहं भाव नहीं है ।” श्रीमाँ
बीज से वृक्ष - १
• क्ा बीज िो पता होता है कि उसिे अस्तित्व िा लक्ष्य वृक्ष
बननाहै ?

• प्रत्येि बीज एि कभन्न वृक्ष बनता है

• बीज िी भाँ कत हम में से प्रत्येि िा लक्ष्य अपनी पूर्यता िो प्राप्त


िरना है

• लक्ष्य िो प्राप्त िरने िा साधन - किक्षा


- वह साधन है जो हमें स्तखलने में सहायता िरता है
- जीवन िी बकहधाय रा में – नौिरी, व्यवसाय, सामाकजि
दाकयत्वों िा कनवाय ह...आकद
बीज से वृक्ष – २

• साथ ही आवश्यि है कि हम अपने जीवन िी भीतरी धारा िो


खोजें ....

• हमारे भीतर एि बल है जो समि बंधन तोड़ िर पूरे वे ग से


साथ बहना चाहता है

• बकहधाय रा एवं अंतधाय रा - जीवनपयंत दोनों धाराएं समानान्तर


चलती हैं

• जीवन िा लक्ष्य है पूर्य रूप से कविकसत होना, पुष्प िी तरह


स्तखलना
जीवन के भीतरी व बाहरी लक्ष्य
लक्ष्य भीतरी/बाहरी

भीतरी /बाहरी
धनवान बनना चाहते हैं
भीतरी /बाहरी
सीईओ बनना चाहते हैं
भीतरी /बाहरी
ख़ुिी चाहते हैं

गोरी त्वचा चाकहए भीतरी /बाहरी

घूमना किरना मिी िरना चाहते हैं भीतरी /बाहरी

भीतरी लक्ष्य व बाहरी लक्ष्य कभन्न होते हैं , पर उन्हें एि लयबद्धता होनी आवश्यि है .

उस लयबद्धता िे अभाव में जीवन बेसुरा व अथय हीन हो जायगा.


क्ा हम स्वयं िो जानते हैं ?

१०%
जो हम दे ख पाते हैं

९०%
जो हम नही ीं दे ख
पाते
अपनी भीतरी धारा से अवगत होना

१. कवश्लेषर् – रुकचयाँ , प्रवृकत्तयाँ , जीवन िी प्राथकमिताएं


/वरीयता

२. कदवस िे अंत में अपनी कियाओं व प्रकतकियाओं िा


अवलोिन

३. आतंररि अकभज्ञतािे कलये कनयकमत आत्मावलोिन

४. आन्तररि कविेषता िी खोज िरें


जीवन का उद्दे श्य

• पुष्प िी भाँ कत स्तखलना

• प्रकतकदन व प्रकतवषय उच्चतर ऊँचाइयाँ छूना

• कनरं तर सम्पूर्यता िी ओर अग्रसर होना....


वैयस्तिि कविास

जड़ पदाथय से जीवन िी
ओर

जीवन से चेतना िी ओर

प्रगकत :- जीवन िा प्रयोजन


कविास

“… upward ascent is not ended and mind is not its last summit…” – Sri Aurobindo
SUPERMIND आरोहर् अभी समाप्त नहीं हुआ है और मन इस आरोहर् िा अंकतम किखर
नहीं है ..’ श्री अरकवन्द
अततमन
INTUITIVE MIND
अींतभाासात्मक मन

MENTAL
मनोमय
EMOTIONAL-VITAL
भावनात्मक प्रातिक मन

PHYSICAL
भौततक मन
MINERAL PLANT ANIMAL AVG.HUMAN SPIRITUALPERSON
खतनज वनस्पतत पशु समान्य मानव आध्यात्मत्मक साधक
आगे और क्ा?

कविास िा अगला िदम


o खकनज,वनस्पकत या पिु ने स्वयं िा कविास नही किया है

o सचेतन कविास िी कदिा में मानव ही पहला प्रयोग है

o हम बेहतर या उच्चतर बनने िा चुनाव िर सिते हैं


सींक्षेप

• हम प्रायः जीवन िे सामान्य लक्ष्यों िो ही अपने जीवन िे लक्ष्य मान लेते हैं

• हमारा बकहजयगत िेवल १०% ही है –हमारी ९०% क्षमताएँ सुषुप्त हैं

• इसकलए सवयप्रथम आवश्यि है आतंररि जागृकत िा कविास


सींक्षेप

• जीवन िा लक्ष्य है कविास एवं सम्पूर्यता

• सतत उन्नकत हमारे सां साररि अस्तित्व िा रहस्य है

• अन्तरावलोिन िा कनयकमत अभ्यास हमें और गहरी अकभज्ञता िी ओर


अग्रसर िरे गा
श्री अरकवन्द ने िहा है .....

हम सभी िी एि भूकमिा है कजसे पूरा िरना है ..


मेरे जीवन िा लक्ष्य क्ा है ?

मेरे जीवन िा लक्ष्य

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धन्यवाद !
Each Individual Is Special

• Outer manifestation of inmost depths of our being.


• Become conscious of this depth within ourselves.
• We can become conscious of the definitive form.
• Each one of us is a special mode of manifestation of the divine power, which
in its essence is one in all..
• There must certainly be something a person can do better than anyone
else.
A Broader Perspective: The Reality Of Time …

The world was without MAN for 99.9999% of time


Man Arrives !!
If the Universe were one month old…
man arrived here in the 11th hour of the last night…

Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat

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30
A Broader Perspective: The Reality Of Space …

Earth is a tiny dot… You and I ?


So, What is the purpose of my life ?
Our Idea of “Good Life”

Birth Without
Difficulties

Decent
Painless End
Education

Trouble-free Marry A Nice


Old Age Person

Well-Behaved
Children
Common Perceptions & Spiritual Truths

The chief aim of life is to be Childish deformation of very


happy profound truth

One should progress by


One is born with a certain
striving to change oneself
character and it is impossible
and become a better person
to change it
every single day
Why’s Of Our Life

1) Why do we come into a physical body ?


2) Why do we go through life ?
3) Why do we leave the body without knowing ?
4) Why Am I Here ?

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