होता है और पूरा पद अव्यय होता है | इस समास में पहला पद उपसर्ग होता है जैसे अ, आ, अनु, प्रतत, हर, भर, तन, तनर, यथा, यावत आतद | है अव्ययीभाव समास पद के उदाहरण: • यथावतध - अवतध के अनुसार • यथाक्रम - क्रम के अनुसार • यथाशक्ति- शक्ति के अनुसार • बेखटके- तबना खटके के • रातोोंरात- रात ही रात में • कानोोंकान- कान ही कान में • आजन्म- जन्म से लेकर द्वं द्व समास इसमें दोनोों पद प्रधान होते हैं । तवग्रह करने पर बीच में 'और' / 'या' का बोध होता है | द्वों द्व समास में योजक तचन्ह (-) और 'या' का बोध होता है | द्वं द्व समास पद के उदाहरण: • पाप-पुण्य - पाप और पुण्य • सीता-राम - सीता और राम • ऊँच-नीच - ऊँच और नीच • खरा-खोटा - खरा या खोटा • अन्न-जल - अन्न और जल बहुव्रीहह समास इस समास में कोई भी पद प्रधान न होकर अन्य पद प्रधान होता है तवग्रह करने पर नया शब्द तनकलता है पहला पद तवशेषण नहीों होता है तवग्रह करने पर समूह का बोध भी नहीों होता है |बहुव्रीतह समास के अोंतर्गत शब्द का तवग्रह करने पर नया शब्द बनता है या नया नाम सामने आता है | बहुव्रीहह समास पद के उदाहरण: • नीलकोंठ - नीला है कोंठ तजसका अथाग त तशव • चक्रधर - चक्र को धारण करने वाला अथाग त तवष्णु • पीताों बर - पीत अोंबर है तजसके अथाग त कृष्ण • चोंद्रशेखर - चोंद्र है शेखर पर तजसके अथाग त तशव • चतुभुगज - चार है भुजाएों तजसकी अथाग त तवष्णु • लोंबोदर - लोंबा है उदर तजसका अथाग त र्णे श
The Happiness Project: Or, Why I Spent a Year Trying to Sing in the Morning, Clean My Closets, Fight Right, Read Aristotle, and Generally Have More Fun