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“अरुणिमा सिन्हा” सफलता की 

कहानी
प्रारंभिक जीवन और करियर

अरुणिमा उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर की निवासी हैं और कें द्रीय अद्योगिक सुरक्षा बल (सी आई एस एफ) में हेड कांस्टेबल के
पद पर 2012 से कार्यरत हैं।

ट्रेन दुर्घटना
12 अप्रैल 2011 को लखनऊ से दिल्ली जाते समय उसके बैग और सोने की चेन खींचने के प्रयास में कु छ अपराधियों ने
बरेली के निकट पदमवाती एक्सप्रेस से अरुणिमा को बाहर फें क दिया था, जिसके कारण वह अपना एक पैर गंवा बैठी थी।

उद्यम
अपराधियों द्वारा चलती ट्रेन से फें क दिए जाने के कारण एक पैर गंवा चुकने के बावजूद अरूणिमा ने गजब के जीवट का परिचय
देते हुए 21 मई 2013 को दुनिया की सबसे ऊं ची चोटी माउंट एवरेस्ट (29028 फु ट) को फतह कर एक नया इतिहास
रचते हुए ऐसा करने वाली पहली विकलांग भारतीय महिला होने का रिकार्ड अपने नाम कर लिया। ट्रेन दुर्घटना से पूर्व उन्होने
कई राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में राज्य की वॉलीबाल और फु टबॉल टीमों में प्रतिनिधित्व किया है।
सम्मान/पुरस्कार

उत्तर प्रदेश में सुल्तानपुर जिले के भारत भारती संस्था ने दुनिया की सबसे ऊं ची चोटी माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराने वाली
इस विकलांग महिला को सुल्तानपुर रत्न अवॉर्ड से सम्मानित किये जाने की घोषणा की। सन 2016 में अरुणिमा सिन्हा को
अम्बेडकरनगर रत्न पुरस्कार से अम्बेडकरनगर महोत्सव समिति की तरफ से नवाजा गया

उनका उद्देश्य सभी महाद्वीपों की सर्वोच्च शिखर पर चढ़ना था और भारत का राष्ट्रीय ध्वज रखा था। वह पहले से ही छः चोटियों
को कर चुका है: 1. एशिया में एवरेस्ट, 2. अफ्रीका में किलिमंजारो, 3. यूरोप में एलब्रस, 4. कोस्सिउज़ो, ऑस्ट्रेलिया और 5.
अर्जेंटीना में एंकें कगुआ दुनिया की पांच सबसे ऊं ची चोटियों के रूप में .6। कारस्टेंस पिरामिड (Puncak जया), इंडोनेशिया
मुख्यमंत्री ने कहा कि सिन्हा ने अपनी कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प के आधार पर माउंट एवरेस्ट पर
चढ़कर इतिहास बनाया था।
अरुणिमा सिन्हा अब सामाजिक कल्याण के प्रति समर्पित हैं और वह गरीब और अलग-अलग लोगों
के लिए एक स्वतंत्र अकादमी खोलना चाहते हैं। वह उसी कारण के लिए पुरस्कारों और सेमिनारों के
माध्यम से प्राप्त होने वाली सभी वित्तीय सहायता दान कर रही है अकादमी का नाम शहीद चंद्र शेखर
विकलांग खेल अकादमी रखा जाएगा।
उन्होंने दिसंबर 2014 में भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लॉन्च की गई पुस्तक “बर्न ऑन
ऑन दी माउंटेन” पुस्तक को लिखा।
उन्हें 2015 में भारत का चौथा उच्चतम नागरिक पुरस्कार पद्म श्री, से सम्मानित किया गया था। वे
भारत में तेंज़िंग नोर्गे सर्वोच्च पर्वतारोही पुरस्कार से अर्जुन पुरस्कार के समान ही सम्मानित हुए हैं।

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