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हवन एवं उसके लाभ

जय सदगुरदे व,
भाइयो- बहनो कहते है ना, िक सं सकार का जीवन मे बड़ा पभाव पड़ता ह . यािन ज से सं सकार व सी ही जीवन ! ली, "र
#जसका पभाव प$रे समाज पर भी पड़ता ह , %योिक ब&'े ही समाज "र रा() का भिव*य है .
एक प+रवार समाज िक इका, ह , "र प+रवार िक न-व क. एक /ह0ी ही मजब$त कर सकती ह ये , हम सब जानते है .
भाइयो बहनो जब म 1- 23 व45 िक 6ी, मे री एक +र7ते िक भाभी ह8 9 करती 6-, व. गाय:ी प+रवार से दीि;त 6-, व. जब भी
गाय:ी हवन करत- 6- म उ<ह- के पास ब =ा करती , ि>र ?ीरे - ?ीरे उनके सा6 ही गाय:ी प$जन "र हवन मे भी !ािमल ह.ने
लगी, "र स' कह@A त. इसका पभाव मे रे मन पर Bसा पड़ा िक मै ने ना के वल व. हवन पCित सीDी Eिपतु उसे जीवन मF पय.ग
भी िकया .
भाइयो सदगुरदे व ने हवन के बारे मे ना के वल समGाया ह Eिपतु यH- िव?ान पुसतक भी ल.गो के लाभा65 #लDी . मै ने
सदगुरदे वजी से िभI पकार के यH "र हवन पCित सीDी . व िदक हवन, मांि:क हवन, तांि:क हवन, गाय:ी हवन ज. िक
प$05 व िदक ह.ता ह इJयािद......
हवन से वातावर0 त. !ुC ह.ता ही ह Eिपतु #जन मं :. से 9ह8 ित दी जाती है वे भी प$05 ' त<य ह.कर Eपनी पDरता "र
ते जK7वता के सा6 सद व ही लाभ दे ते रहते है 'ाहे व. लLमी म<: हो या महािवMा म<: हो या भ रव म<: ह. या काय5 #सिC के ,
या E<य.....
इसके Eलावा वातावर0 !ुC ह.ने से मन "र िव'ारो मे भी !ुCता 9ती ह , #जससे Nर मे सं सका+रत वातावर0 का िनमा50
ह.ता ही ह , ये मे रा सवयम का Eनुभव ह . मै क, व4O

से पित गुरवार हवन करती ह@ं "र इसका पभाव मे रे प+रवार "र ब&'ो
पर िकतना Eनुक$ ल ह ये भी 9प सब दे D ही सकते है ..... :)
मै ने ये बातF 9प सबके सा6 !े यर कर रही ह@A %योिक इससे ना के वल मे रे Eनुज भा, ही लाभ लF Eिपतु बहनF भी इसका लाभ
उ=ायF .
सबसे बड़ी बात ये भी ह िक हम "र हमारी माताएं बहनF Eपने ब&'ो के सा6 ही प+रवार "र समाज क. उ&' "र िदPय
Hान से सं सका+रत कर सकती है , यिद वे सवयं इस Hान क. 9Jमसात करF "र उसे Eपने जीवन मे पय.ग करF , %योिक यही
Q.Rे - Q.Rे पय.ग, ?ािम5 क 9य.जन ही हमारी सं सकS ित ह #जसे ब'ाना, सTहालना भी हमारी ही #जTमे दारी ह ना,
"र हम इससे मुकर नह- सकते , %योिक जब सब Eपनी #जTमे दारी क. Eपनी महUा क. समG जायF गे , त. तभी ह.गा Eपना
प+रवार सुसं सका+रत, "र जब प+रवार ही उ&', सुसं सका+रत "र कु लीन ह.गा त. िनK7'त ही समाज "र रा() त. ह.गा
ही.... "र तभी रामकS *0 परमहं सजी, िववे कानं दजी, िन#Dले 7वरानं दजी, पं Vी राम !मा5 9'ाय5 9िद िदPया िवभ$ितयो के
सपनो का भारत ह.गा . %योिक इन तमाम िवभ$ितयो ने Eपने प$रे जीवन क. ितल- ितल जलाकर Hान के भं Wार इकXे कर गए
है , हमारे #लए हमारी पीYी के #लए..... :)

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