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सफा 111

मंगल - श धार

1. मंगल नेक - जगंल म मंगल , खून चडा खूनी होता है ।

2. अकेला बैठा जब शेर है जंगल , घर िच डया कैद होता है ।

3. सर रे खा या बुध द ती , मंगल बद नह ं होता है ।

4. अदल का राजा - काितल खुनी , तलवार धनी वह होता है ।

5. जुग चार म च चलता , तरफ चार शिन चलता है ।

6. बद मंगलीक जो चौथे बनता , बदला खून से लेता है ।

7. पहले तीनो घर बडा है भाई , चौथे मंगल बद होता है ।

8. घर 5 ता 9 मु सफ होवे , 12 भाई नह ं रहता है ।

9. त त सूरज या करणे उसक , पवन पु भी होता है ।

10. शिन के घर यह राजा चीता , मद मगर नह ं मारता है ।

11. ह , बाजू या मुंह का दहाना , हाथ मरलज होता है ।

12. पेट - छाती जो बल होवे , मंगल का फैसला होता है ।

13. च दध
ू म शहद से िमलता , शु िम ट पानी होता है ।

14. बुध मगर ऐसे च दे ता , म दा मंगल हो जाता है ।

15. राहू बना है हाथी उसका , केतू से हरदम ल ता है ।

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सफा 112

मंगल - श धार

ु ् बद दो करता है ।
1. मंगल नेक रहे तो दया हो िशवजी , टकडे

2. मंगल बद - मंगलीक ( हरण , ऊंट , चीता )

3. मंगल बद - मंगलीक दो भाई , खून इ ठा होता है ।

4. बद ल का है शिन का होता , मंगलीक को भाई लेते है ।

5. मंगलीक मारे गर मद व औरत , बद उडाता है जान व ज़र ।

6. भाई शिन घर एक ह मारे , लडका शिन का दोनो ह धर ।

7. मंगल बद मंगलीक शिन क , माता ऐको कहते है ।

8. न फे पता तीनो के अलहदा , उ बराबर िगनते है ।

9. असर म तीनो जुदा जुदा ह , आयु िगने तीनो ल ब है ।

10. एक तरफ मंगलीक ने पकड , बद ने दो - शिन चार है ।

11. शु सुख दौलत और िम ट , ह न कोई नीच करे ।

12. खून शिन का मंगल ऐसा , शु पर भी ज़ुलम करे ।.

13. गु पता है दोनो जहां का , रवी पता है शिनचर का ।

14. शिन का ऐसा चौथा दजा , बद मंगलीक है लय (1) का ।

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15. (1) :- लय या परलो यािन यामत दिनया


ु का आ खर जब पानी ह पानी

बाक च होगा ।

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