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गुरुत्व कार्ाालर् द्वारा प्रस्तुत मासिक ई-पत्रिका जून- 2012

NON PROFIT PUBLICATION.


FREE
E CIRCULAR
गुरुत्व ज्र्ोसतष पत्रिका जून 2012
िंपादक सिंतन जोशी
गुरुत्व ज्र्ोसतष त्रवभाग

िंपका गुरुत्व कार्ाालर्


92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA,
BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) INDIA
फोन 91+9338213418, 91+9238328785,
gurutva.karyalay@gmail.com,
ईमेल gurutva_karyalay@yahoo.in,

http://gk.yolasite.com/
वेब http://www.gurutvakaryalay.blogspot.com/

पत्रिका प्रस्तुसत सिंतन जोशी, स्वस्स्तक.ऎन.जोशी


फोटो ग्राफफक्ि सिंतन जोशी, स्वस्स्तक आटा
हमारे मुख्र् िहर्ोगी स्वस्स्तक.ऎन.जोशी (स्वस्स्तक िोफ्टे क इस्डिर्ा सल)

ई- जडम पत्रिका E HOROSCOPE


अत्र्ाधुसनक ज्र्ोसतष पद्धसत द्वारा
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उत्कृ ष्ट भत्रवष्र्वाणी के िाथ Excellent Prediction
१००+ पेज मं प्रस्तुत 100+ Pages

फहं दी/ English मं मूल्र् माि 750/-

GURUTVA KARYALAY
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA,
BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) INDIA
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Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in, gurutva.karyalay@gmail.com
अनुक्रम
प्रश्न ज्र्ोसतष त्रवशेष
प्रश्न ज्र्ोसतष िे िंबंसधत त्रवशेष िूिना 6 प्रश्न ज्र्ोसतष और धन िे िंबंसधत र्ोग 30

प्रश्न कुण्िली िे जाने स्वास््र् लाभ के र्ोग 7 प्रश्न ज्र्ोसतष और त्रववाह र्ोग 41

प्रश्न कुण्िली िे पररजनो के स्वास््र् लाभ के र्ोग 10 प्रश्न ज्र्ोसतष िे शिु का त्रविार 44

प्रश्न कुण्िली मे रोग मं मंगल की भूसमका 16 प्रश्न कुण्िली िे जाने नौकरी के त्रवसभडन र्ोग 45

प्रश्न ज्र्ोसतष िे जाने त्रवद्या प्रासि के र्ोग 18 प्रश्न कुण्िली िे जाने मुकदमे मं िफलता के र्ोग 52

प्रश्न ज्र्ोसतष िे जासनए त्रवद्याप्रासि मं ग्रहं की भूसमका 19 शसन प्रदोष व्रत का महत्व 53

त्रवद्या प्रासि िे जेिे़ अडर् महत्वपूणा र्ोग 21 गुरु पुष्र्ामृत र्ोग 54

प्रश्न ज्र्ोसतष और र्ािा के र्ोग 25

हमारे उत्पाद
गणेश लक्ष्मी र्ंि 11 कनकधारा र्ंि 32 श्री हनुमान र्ंि 56 जैन धमाके त्रवसशष्ट र्ंि 62

दग
ु ाा बीिा र्ंि 14 धन वृत्रद्ध फिब्बी 33 मंिसिद्ध लक्ष्मी र्ंििूसि 57 राशी रत्न एवं उपरत्न 64

मंिसिद्ध स्फफटक श्री र्ंि 16 द्वादश महा र्ंि 37 मंि सिद्ध दै वी र्ंि िूसि 57 शसन पीड़ा सनवारक 70

मंि सिद्ध दल
ु ाभ िामग्री 17 मंि सिद्ध मूंगा गणेश 39 रासश रत्न 58 मंगलर्ंि िे ऋण मुत्रि 73
पढा़ई िंबंसधत िमस्र्ा 18 शादी िंबंसधत िमस्र्ा 42 मंि सिद्ध रूद्राक्ष 59 िवा रोगनाशक र्ंि/ 80

िरस्वती कवि और र्ंि 24 पुरुषाकार शसन र्ंि 44 श्रीकृ ष्ण बीिा र्ंि/ कवि 60 मंि सिद्ध कवि 82

िवा कार्ा सित्रद्ध कवि 28 िंपूणा जडम कुंिली परामशा 52 राम रक्षा र्ंि 61 YANTRA 83

भाग्र् लक्ष्मी फदब्बी 30 नवरत्न जफड़त श्री र्ंि 55 अमोद्य महामृत्र्ुंजर् कवि 64 GEMS STONE 85

घंटाकणा महावीर िवा सित्रद्ध महार्ंि 63 पसत-पत्नी मं कलह सनवारण हे तु 47

मंि सिद्ध वाहन दघ


ु ट
ा ना नाशक मारुसत र्ंि 56 क्र्ा आपके बच्िे कुिंगती के सशकार हं ? 48

प्रश्न कुण्िली िे स्स्टक उत्तर प्राि फकस्जए 27 मंि सिद्ध िामग्री- 73-75

स्थार्ी और अडर् लेख


िंपादकीर् 4 फदन-रात के िौघफिर्े 77

मासिक रासश फल 65 फदन-रात फक होरा - िूर्ोदर् िे िूर्ाास्त तक 78

जून 2012 मासिक पंिांग 69 ग्रह िलन जून -2012 79

जून-2012 मासिक व्रत-पवा-त्र्ौहार 71 िूिना 87

जून 2012 -त्रवशेष र्ोग 76 हमारा उद्दे श्र् 89

दै सनक शुभ एवं अशुभ िमर् ज्ञान तासलका 76


GURUTVA KARYALAY

िंपादकीर्
त्रप्रर् आस्त्मर्

बंधु/ बफहन

जर् गुरुदे व
आज के आधुसनक र्ुग मं प्रार्ः हर मनुष्र् अपने भत्रवष्र् को लेकर सिंसतत रहते हं ! फफर िाहे वहँ असमर हो
र्ा गरीब, गृहस्थ हो र्ा िंिारकी मोह, मार्ा, राग-द्वे ष इत्र्ाफद गुणो को त्र्ाग िुके आधुसनक र्ुग के िाधु िडर्ािी
हो (कुछ िाधु िडर्ािी को छोड़कर क्र्ोफक, कुछ िाधु-िडर्ािी पूणत
ा ः इश्वर के प्रसत िमत्रपात होते हं स्जडहं भत्रवष्र् िे
िंबंसधत फकिी प्रकार की सिंता र्ा उत्िुकता नहीं होती।), हर फकिी को इि त्रवषर् मं एक त्रवशेष प्रकार की स्जज्ञािा
र्ा उत्िुकता बनी रहती हं की आने वाले भत्रवष्र् मं क्र्ा घफटट होने वाला हं ? र्ह एक प्रकार की िामाडर् उत्कंठा
होती हं , जो प्रार्ः हर मनुश्र् के सभतर िल रही होती हं ?
एिी पौरास्णक कहावत हं की आवश्र्क्ता आत्रवष्कार की जननी हं । मनुष्र् ने अपनी त्रवसभडन स्जज्ञािा को शांत
करने के सलए कुदरत के अनेक गुि रहस्र्ं को खोज़ने का प्रर्ाि फकर्ा हं और उिने अपने प्रर्ािं एवं अनुभवो िे
उन गुि रहस्र्ं को प्रकट भी फकर्ा हं । इि मं जरा भी िंदेह नहीं हं की अनाफद काल िे ही गूढ़ रहस्र्ं को खोजना,
जानना एवं िमझना मनुष्र् का स्वभाव रहा हं ।
मनुष्र् के मागादशान के सलए और उिके भत्रवष्र् एवं वतामान जीवन के महत्वपूणा पहलू को जानने िमझने और
उििे प्राि जानकारी िे उिके जीवन को िुधारने और िवारने का कार्ा भारतीर् ऋषी-मुसनर्ं ने फकर्ा हं , हमारे
त्रवद्वान ऋत्रषमुसनर्ं ने फकिी भी मनुष्र् के वतामान एवं उिके भत्रवष्र् के गभा मं झांक ने के सलर्े त्रवसभडन ग्रंथं,
शास्त्रों फक रिना फक हं स्जिे हम ज्र्ोसतष शास्त्रो, अंक शास्त्रो, प्रश्न ज्र्ोसतष, शकुन शास्त्रो, िमल शास्त्रो, िामुफद्रक शास्त्रो
इत्र्ाफद के नाम िे जानते हं । इन त्रवषर्ो पर त्रवद्वानो ने वषो तक शोध फकर्े और उिका शूक्ष्म अवलोकन कर
त्रवसभडन उपार् खोजे हं और आने वाले भत्रवष्र् मं भी खोजे जाते रहं गे।
हमारे त्रवद्वानो ने हजारो वषा पूवा र्ह ज्ञात कर सलर्ा था की िौर-मण्िल का प्रभाव हमारी पृ्वी पर और पृ्वी
पर सनवार करने वाले िमस्त जीवं पर सनस्ित रुप िे पड़ता हं । क्र्ोफक िौर-मण्िल मं जो भी स्जतनी भी ग्रह
स्स्थत हं , वह एक सनस्ित मागा पर पृ्वी फक तरह ही िूर्ा के इदा-सगदा िक्कर लगाते हं । ग्रहं की उिी गसत एवं
स्स्थती का प्रभाव हमारे मानव जीवन को प्रभात्रवत करता हं । स्जन ग्रहं का प्रभाव पृ्वी प्र त्रवशेष रुप िे पड़ता हं,
ग्रहो की उिी गसत मं उनका फल भी सनस्ित रुप िे समलता हं ।
इि सलर्े जब फकिी नवजात सशशु का जडम होता हं तो उिके जडम के िमर् मं आकाश मागा मं ग्रहो की जो
स्स्थती होती हं भारतीर् ज्र्ोतीष मं ग्रहो की उिी स्स्थती के अनुशार उि सशशु की जडम कुण्िली का सनमााण कर
फदर्ा जाता हं । जडम कुण्िली उि नवजात सशशु के िंपूणा जीवन का आईना होती हं ।
लेफकन स्जन लोगं के पाि जडम कुण्िली नही हं र्ा उनके पाि अपने जडम का स्स्टक त्रववरण जैिे तारीख,
िमर् ज्ञात नहीं हं, वह लोग क्र्ा करं ? केिे जाने अपना भत्रवष्र्?, उनके सलर्े प्रश्न ज्र्ोसतष एक उत्तम माध्र्म
िात्रबत हो िकता हं । क्र्ोफक प्रश्न कुण्िली के माध्र्म िे प्रश्न कताा के भूत, भत्रवष्र् और वतामान िे जुिे त्रवसभडन प्रश्नो
का त्रबना फकिी परे शानी िे िरलता िे उत्तर प्राि हो िकता हं । व्र्त्रि अपने आनेवाले िमर् का सनस्ित रुप िे
िद्उपर्ोग कर िकता हं । कुछ त्रवद्वानो का र्हां तक कहना हं की प्रश्न कुण्िली की स्स्टक गणना िे उपर्ुि िमर् का
िर्न कर फकर्े गर्े शुभ कार्ं िे सनधान व्र्त्रि भी धनवान बन िकता हं और अनपढ़ व्र्त्रि प्रखर त्रवद्वान बन
िकता हं ।
प्रािीन भारतीर् धमाग्रंथो मं प्रश्न ज्र्ोसतष के महत्व को िमझते हुवे िैकड़ं ग्रंथो की रिना की हं । स्जिके
माध्र्म िे मनुष्र् के भूत, भत्रवष्र् और वतामान िे िंबसं धत प्रश्नो का उत्तर प्राि फकर्े जा िकते हं । लेफकन वतामान
िमर् मं प्रश्न ज्र्ोसतष िे जुिी महत्वपूणा जानकारीर्ा और उनका उपर्ुि फलादे श और जानकारी र्ा त्रवसभडन ग्रंथो मं
फकिी टू टी हुई माला के मनको के िमान त्रबखरे पिे ़ हं स्जििे प्रार्ः हर त्रवद्वान ज्र्ोसतषी अच्छी प्रकार िे पररसित हं ।
कफठन पररश्रम एवं त्रवसभडन ग्रंथो के अध्र्र्न के पिर्ात ही कोई जानकार ज्र्ोसतष फकिी प्रश्न कताा के प्रश्नं का
सनधााररत उत्तर दे ने मं िमथा हो िकता हं । आजके आधुसनक र्ुग मं िंभवत फकिी एक ग्रंथ मं वस्णात फलादे श करना
कफठन हो िकता हं । क्र्ोफकं िमर् के िाथ-िाथ त्रवद्वानो द्वारा फकर्े गर्े त्रवसभडन शोध एवं उनके अनुभवो के आधार
पर हर त्रवद्वानो के अनुभवं मं सभडनता रही हं स्जििे उनके फल कथन मं भी सभडनता हो जाती हं । इि सलए उि
िभी बातं का ख्र्ाल रखते हुए प्रश्न ज्र्ोसतष का फल कथन करना उसित होगा।

हर व्र्त्रि ज्र्ोसतष बने र्ह जरुरी नहीं हं लेफकन ज्र्ोसतष िे िंबंसधत िामाडर् ज्ञान हर व्र्त्रि
के पाि हो र्ह असत आवश्र्क हं । इिी उद्दे श्र् िे पाठकं के मागादशान के सलर्े प्रश्न ज्र्ोसतष
त्रवशेषांक फक प्रस्तुसत फक गई हं ।
िभी पाठको के मागादशान र्ा ज्ञानवधान के सलए प्रश्न ज्र्ोसतष िे िंबंसधत त्रवसभडन उपर्ोगी जानकारी इि अंक मं
त्रवसभडन ग्रंथो एवं सनजी अनुभवो के आधार पर िंकसलत की गई हं । ज्र्ोसतषी एवं त्रवद्वान पाठको िे अनुरोध हं , र्फद प्रश्न
ज्र्ोसतष िे िंबंसधत त्रवषर् मं ग्रह र्ोग, ग्रहं की स्स्थसत इत्र्ाफद के िंकलन, प्रमाण पढ़ने, िंपादन मं, फिजाईन मं,
टाईपींग मं, त्रप्रंफटं ग मं, प्रकाशन मं कोई िुफट रह गई हो, तो उिे स्वर्ं िुधार लं र्ा फकिी र्ोग्र् ज्र्ोसतषी र्ा त्रवद्वान िे िलाह
त्रवमशा कर ले । क्र्ोफक जानकार ज्र्ोसतषी एवं त्रवद्वानो के सनजी अनुभव व त्रवसभडन ग्रंथो मं वस्णात प्रश्न ज्र्ोसतष िे
िंबंसधत जानकारीर्ं मं एवं त्रवद्वानो के स्वर्ं के अनुभवो मं सभडनता होने के कारण िंबंसधत प्रश्न का त्रविार करते
िमर् ग्रहो की स्स्थसत र्ोग इत्र्ाफद के स्स्टक फल के सनणार् मं सभडनता िंभव हं ।
इि अंक मं प्रश्न ज्र्ोसतष के कुछ खाि प्रश्नं का ही िमावेश फकर्ा गर्ा हं । प्रश्न ज्र्ोसतष िे जुड़े अडर् प्रश्नं का
िमावेश पाठको की रुसि के अनुशार क्रमशः अंकं मं सनर्समत रुप िे फकर्ा जार्ेगा।

सिंतन जोशी
6 जून 2012

***** प्रश्न ज्र्ोसतष िे िंबंसधत त्रवशेष िूिना*****


 पत्रिका मं प्रकासशत प्रश्न ज्र्ोसतष िे िम्बस्डधत िभी जानकारीर्ां गुरुत्व कार्ाालर् के असधकारं के
िाथ ही आरस्क्षत हं ।
 ज्र्ोसतष पर अत्रवश्वाि रखने वाले व्र्त्रि प्रश्नज्र्ोसतष के त्रवषर् को माि पठन िामग्री िमझ िकते हं ।
 प्रश्न ज्र्ोसतष का त्रवषर् ज्र्ोसतष िे िंबंसधत होने के कारण इि अंकमं वस्णात िभी जानकारीर्ां
भारसतर् ज्र्ोसतष शास्त्रों िे प्रेररत होकर सलखी गई हं ।
 प्रश्न ज्र्ोसतष िे िंबंसधत त्रवषर्ो फक ित्र्ता अथवा प्रामास्णकता पर फकिी भी प्रकार फक
स्जडमेदारी कार्ाालर् र्ा िंपादक फक नहीं हं ।
 प्रश्न ज्र्ोसतष िे िंबंसधत भत्रवष्र्वाणी फक प्रामास्णकता एवं प्रभाव फक स्जडमेदारी कार्ाालर् र्ा
िंपादक फक नहीं हं और ना हीं प्रामास्णकता एवं प्रभाव फक स्जडमेदारी के बारे मं जानकारी दे ने हे तु
कार्ाालर् र्ा िंपादक फकिी भी प्रकार िे बाध्र् हं ।
 प्रश्नज्र्ोसतष िे िंबंसधत लेखो मं पाठक का अपना त्रवश्वाि होना आवश्र्क हं । फकिी भी व्र्त्रि त्रवशेष
को फकिी भी प्रकार िे इन त्रवषर्ो मं त्रवश्वाि करने ना करने का अंसतम सनणार् उनका स्वर्ं का होगा।
 प्रश्न ज्र्ोसतष िे िंबंसधत पाठक द्वारा फकिी भी प्रकार फक आपत्ती स्वीकार्ा नहीं होगी।
 प्रश्न ज्र्ोसतष िे िंबंसधत लेख ज्र्ोसतष के प्रामास्णक ग्रंथो, हमारे वषो के अनुभव एवं अनुशंधान के
आधार पर फद गई हं ।
 हम फकिी भी व्र्त्रि त्रवशेष द्वारा प्रश्न ज्र्ोसतष पर त्रवश्वाि फकए जाने पर उिके लाभ र्ा नुक्शान की
स्जडमेदारी नफहं लेते हं । र्ह स्जडमेदारी प्रश्न ज्र्ोसतष पर त्रवश्वार करने वाले र्ा उिका प्रर्ोग करने वाले
व्र्त्रि फक स्वर्ं फक होगी।
 क्र्ोफक इन त्रवषर्ो मं नैसतक मानदं िं, िामास्जक, कानूनी सनर्मं के स्खलाफ कोई व्र्त्रि र्फद नीजी
स्वाथा पूसता हे तु प्रश्न ज्र्ोसतष का प्रर्ोग कताा हं अथवा प्रश्न ज्र्ोसतष की गणना करने मे िुफट रखता
हं र्ा उििे िुफट होती हं तो इि कारण िे प्रसतकूल अथवा त्रवपररत पररणाम समलने भी िंभव हं ।
 प्रश्न ज्र्ोसतष िे िंबंसधत जानकारी को मानकर उििे प्राि होने वाले लाभ, हानी फक स्जडमेदारी
कार्ाालर् र्ा िंपादक फक नहीं हं ।
 हमारे द्वारा पोस्ट फकर्े गर्े प्रश्न ज्र्ोसतष पर आधाररत लेखं मं वस्णात जानकारी को हमने िैकिोबार
स्वर्ं पर एवं अडर् हमारे बंधुगण के नीजी जीवन मं आजमार्ा हं । स्जस्िे हमे अनेको बार प्रश्न ज्र्ोसतष
के आधार पर स्स्टक उत्तर की प्रासि हुई हं ।
 असधक जानकारी हे तु आप कार्ाालर् मं िंपका कर िकते हं ।

(िभी त्रववादो केसलर्े केवल भुवनेश्वर डर्ार्ालर् ही माडर् होगा।)


7 जून 2012

प्रश्न कुण्िली िे जाने स्वास््र् लाभ के र्ोग


 सिंतन जोशी
िभी व्र्त्रि स्वर्ं के और अपने स्वजनो के उत्तम स्वास््र् की कामना करता
है । लेफकन हमारा शरीर मं त्रवसभडन कारणो िे स्वास््र् िंबंसधत परे शासनर्ां िमर् के
िाथ-िाथ आती-जाती रहती हं ।

?
लेफकन र्फद त्रबमारी होने पर स्वास््र् मं जल्दी िुधार नहीं होता तो, तरह-
तरह की सिंता और मानसिक तनाव होना िाधारण बात हं । फक स्वास््र् मं िुधार
कब आर्ेगा?, कब उत्तम स्वास््र् लाभ होगा?, स्वास््र् लाभ होगा र्ा नहीं?, इत्र्ाफद
प्रश्न उठ खिे हो जाते हं ।
मनुष्र् की इिी सिंताको दरू करने के सलए हजारो वषा पूवा भारतीर्
ज्र्ोसतषािार्ो नं प्रश्न कुंिली के माध्र्म िे ज्ञात करने की त्रवद्या हमं प्रदान की हं ।
स्जि के फल स्वरुप फकिी भी व्र्त्रि के स्वास््र् िे िंबंसधत प्रश्नो का ज्र्ोसतषी गणनाओं के माध्र्म िे िरलता िे िमाधन
फकर्ा जािकता हं !
प्रश्न कुंिली के माध्र्म िे स्वास््र् िे िंबंसधत जानकारी प्राि करने हे तु िवा प्रथम प्रश्न कुंिली मं रोगी के शीघ्र स्वास््र्
लाभ के र्ोग हं र्ा नहीं र्ह दे ख लेना असत आवश्र्क हं ।
आपके मागादशान हे तु र्हां त्रवशेष र्ोग िे आपको अवगत करवा रहे हं ।

लग्न मं स्स्थत ग्रह र्ा लग्नेश िे रोग मुत्रि के र्ोग।


 र्फद लग्न मं बलवान ग्रह स्स्थत हो तो रोगी को शीघ्र स्वास््र् लाभ दे ते हं ।
 प्रश्न कुंिली मं र्फद लग्ने (लग्न का स्वामी ग्रह) और दशमेश (दशम भाव का स्वामी ग्रह) समि हो तो रोगी
को शीघ्र स्वास््र् लाभ दे ते हं ।
 प्रश्न कुंिली मं ितुथेश (ितुथा भाव का स्वामी ग्रह) और ििमेश (ििम भाव का स्वामी ग्रह) के बीि समिता
हो तो शीघ्र स्वास््र् लाभ के र्ोग बनते हं ।
 र्फद लग्नेश (लग्न का स्वामी ग्रह) का िडद्र के िाथ िंबंध हो और िडद्र शुभ ग्रहं िे र्ुि र्ा द्रष्ट हो र्ा
केडद्र मे स्स्थत हो तो शीघ्र स्वास््र् लाभ होता हं ।
 र्फद कुंिली मं लग्नेश (लग्न का स्वामी ग्रह) और िडद्र शुभ ग्रहो िे र्ुि र्ा द्रष्ट होकर केडद्र मं स्स्थत हो
और ििमेश वक्री न हो एवं अष्टम भाव के स्वामी ग्रह िे प्रभाव मुि हो तो शीघ्र स्वास््र् लाभ होता हं ।

िडद्रमा िे रोग मुत्रि के र्ोग


 र्फद िडद्र स्वरासश र्ा उच्ि रासश मे बलवान हो कर फकिी शुभ ग्रह िे र्ुि हो र्ा द्रष्ट हो तो रोगी को शीघ्र स्वास््र् लाभ
होते दे खा गर्ा हं ।
8 जून 2012

 र्फद प्रश्न कुंिली मं र्फद िडद्र िर रासश अथाात फद्वस्वभाव रासश मं स्स्थत हो कर लग्न र्ा लग्नेश िे द्रष्ट हो तो शीघ्र
स्वास््र् लाभ की िंभावना प्रबल होती हं ।
 र्फद िडद्र स्वरासश िे ितुथा र्ा दशम भाव मं स्स्थत हो तो शीघ्र स्वास््र् लाभ हो ने के र्ोग बनते हं ।
 प्रश्न कुंिली मं शुभ ग्रहो िे द्रष्ट िडद्र र्ा िूर्ा लग्न मं, ितुथा र्ा ििम भाव मं स्स्थत हो तो शीघ्र स्वास््र् लाभ के र्ोग
बनते हं ।
प्रश्न कुंिली के माध्र्म िे स्वास््र् लाभ मं त्रवलम्ब होने के र्ोग दे ख लेना भी आवश्र्क होता हं ।

स्वास््र् लाभ मं त्रवलंब होने के र्ोग


 िधारणतः जातक मं षष्टम भाव व षष्टेश िे रोग को दे खा जाता हं ।
 प्रश्न कुंिली मं र्फद लग्नेश और दशमेश के बीि अथवा ितुथेश और ििमेश ग्रहो के बीि मं शिुता हो तो रोग बढने की
िंभावनाऎ असधक होती हं और स्वास््र् लाभ मं त्रवलम्ब हो िकता हं ।
 प्रश्न कुण्िली मं र्फद षष्ठेश अष्टमेश अथवा द्वादशेश के िाथ र्ुसत र्ा द्रष्टी िंबंध बनाता हो तो स्वास््र् लाभ की िंभावना
असधक कम होती हं और स्वास््र् लाभ मं त्रवलम्ब हो िकता हं ।
 प्रश्न कुण्िली मं र्फद लग्न मे िडद्र र्ा शुक्र की स्स्थत हो तो रोग शीघ्र पीछा नहीं छोिता।
 प्रश्न कुण्िली मं र्फद लग्नेश एवं मंगल की फकिी ही भाव मं र्ुसत हो तो स्वास््र् लाभ मं त्रवलम्ब हो िकता हं ।
 र्फद लग्नेश द्वादश भाव मे स्स्थत हो तो रोगी दे र िे रोगमुि होने की िंभावनाऎ होती हं ।
 र्फद लग्नेश षष्टम, अष्टम भाव मे स्स्थत हो और अष्टमेश केडद्र मे स्स्थत हो तो रोग शीघ्र दरू नहीं होते।

र्फद प्रश्न कुंिली मं स्वास््र् लाभ मं त्रवलंब होने के र्ोग बन रहे हो तो सिंसतत होने के बजार् शास्त्रोोि उपार्
इत्र्ाफद करना लाभदार्क सिद्ध होता हं । एिी स्स्थसत मं त्रवद्वानो के मत िे महामृत्र्ुंजर् मंि-र्ंि का प्रर्ोग शीघ्र
रोग मुत्रि हे तु रामबाण होता हं ।

प्रश्न कुंिली का अध्र्र्न करते िमर् र्ह र्ोग भी दे खले की रोगी को उसित उपर्ार प्राि हो रहा हं र्ा नहीं।

रोग का उसित उपिार होने के र्ोग हं र्ा नहीं!


 प्रश्न कुण्िली मं प्रथम, पंिम, ििम एवं अष्टम भाव मं पाप ग्रह हं और िडद्रमा कमज़ोर र्ा पाप ग्रह िे पीफड़त हं तो
रोग का उपिार कफठन हो जाता हं ।
 र्फद िडद्रमा बलवान हो और 1, 5, 7 एवं 8 भाव मं शुभ ग्रह स्स्थत हं तो उपिार िे रोग का दरू होना िंभव हो पाता हं ।
 र्फद प्रश्न कुंिली मं तृतीर्, षष्टम, नवम एवं एकादश भाव मं शुभ ग्रह स्स्थत हं तो उपिार के बाद ही रोग िे मुत्रि
समलती हं ।
 र्फद प्रश्न कुंिली मं ििम भाव मं शुभ ग्रह स्स्थत हं और ििमांश बलवान हं तो रोग का उपिार िंभव होता हं ।
9 जून 2012

 र्फद प्रश्न कुंिली मं ितुथा भाव मं शुभ ग्रह स्स्थत िे भी ज्ञात हो िकता है फक रोगी को दवाईर्ं िे उसित लाभ प्राि होगा
र्ा नहीं।
प्रश्न कुंिली दे खते िमर् शरीर के त्रवसभडन अंगो पर ग्रहो के प्रभाव एवं त्रबमारीर्ं को जानना भी आवश्र्क होता हं ।

ज्र्ोसतषी सिद्धांतो के अनुशार कुंिली के बारह भाव शरीर के त्रवसभडन अंगो को दशााते है ।
 प्रथम भाव :सिर, मस्स्तष्क, स्नार्ु तंि.
 फद्वतीर् भाव :िेहरा, गला, कंठ, गदा न, आंख.
 तीिरा भाव : कधे, छाती, फेफिे , श्वाि, निे और बाहं .
 ितुथा भाव :स्तन, ऊपरी आडि, ऊपरी पािन तंि
 पंिम भाव :हृदर्, रि, पीठ, रििंिार तंि.
 षष्ठम भाव :सनम्न उदर, सनम्न पािन तंि, आतं, अंतफिर्ाँ, कमर, र्कृ त.
 ििम भाव :उदरीर् गुफहका, गुदे.
 अष्टम भाव :गुि अंग, स्त्रोावी तंि, अंतफिर्ां, मलाशर्, मूिाशर् और मेरुदण्ि.
 नवम भाव :जॉघं, सनतम्ब और धमनी तंि.
 दशम भाव :घुटने, हफिर्ां और जोड़.
 एकादश भाव :टागे, टखने और श्वाि.
 द्वादश भाव :पैर, लिीका तंि और आंखे.

प्रश्न कुण्िली मं रोग िे िंबंसधत भाव


 प्रश्न ज्र्ोसतष के अनुिार प्रश्न कुंिली मं लग्न स्थान सिफकत्िक भाव होता हं । अतः शुभ ग्रह प्रश्न कुंिली के लग्न मं शुभ
ग्रह की स्स्थसत िे ज्ञात होता हं की रोगी को फकिी कुशल सिफकत्िक की िलाह प्राि हो रही हं र्ा होगी।
 र्फद अशुभ ग्रह स्स्थत हो तो िमझले की रोगी को फकिी कुशल सिफकत्िक की आवश्र्कता हं ।
 प्रश्न ज्र्ोसतष के अनुिार प्रश्न कुंिली मं ितुथा स्थान उपिार और औषसधर्ं अथाात दवाईर्ं का स्थान हं । ितुथा भाव मं
र्फद शुभ ग्रह र्ा शुभ ग्रहं की दृत्रष्ट र्ा र्ुसत हो तो िमझे की रोग िामाडर् उपिार िे शीघ्र ठीक हो िकता हं ।
 कुंिली मं छठा एवं िातवां भाव रोग का स्थान होता हं ।
 कुंिली मं दशम भाव रोगी का मानाजाता हं ।
 र्फद प्रश्न कुंिली मं षष्टम एवं ििम भाव पर शुभ ग्रहं का प्रभाव हो और षष्ठेश और ििमेश सनबाल हं तो स्वास््र् लाभ
धीरे धीरे होने का िंकेत समलता हं ।
नोट: प्रश्न कुंिली का त्रवश्ले षण िावधानी िे करना उसित रहता हं । त्रवद्वानो के अनुशार प्रश्न कुंिली का त्रवश्लेषण करते
िमर् िंबसं धत भाव एवं भाव के स्वामी ग्रह अथाातः भावेश एवं भाव के कारक ग्रह को ध्र्ान मं रखते हुए आंकलन कर
फकर्ा गर्ा त्रवश्लेषण स्पष्ट होता हं । प्रश्न कुंिली का फलादे श करते िमर् हर छोटी छोटी बातं का ख्र्ाल रखना
आवश्र्क होता हं अडर्था त्रवश्लेषण फकर्े गर्े प्रश्न का उत्तर स्स्टक नहीं होता।
10 जून 2012

प्रश्न कुण्िली िे पररजनो के स्वास््र् लाभ के र्ोग


 सिंतन जोशी, स्वस्स्तक.ऎन.जोशी
िामाडर्तः ज्र्ोसतष शास्त्रो के अनुशार कुडिली मं फकिी प्रकार की कोई गंभीर व अिाध्र् रोग होने की
स्वास््र् का िम्बडध लग्न िे होता है क्र्ोफक ज्र्ोसतष िंभावना कम होती है । फकिी बिी़ लापरवाही के
मे लग्न को शरीर माना गर्ा हं । कारण स्वास््र् प्रभात्रवत हो िकता हं अतः व्र्त्रि को
 इि सलए उत्तम स्वास््र् के सलए लग्न व लग्नेष की स्वास््र् िुख मं वृत्रद्ध के सलए अपने मन और
स्स्थसत बहुत महत्वपूणा होती है । इस्डद्रर्ं पर सनर्ंिण रखना िाफहए। स्वास््र् पर
 उत्तम स्वास््र् का कारक ग्रह िूर्ा एवं मन का कारक त्रवपरीत प्रभाव िालने वाली वस्तुओं िे दरू रहना
िडद्र माने जाते हं र्फद िूर्ा और िडद्र दोनो उत्तम िाफहए और िंर्म का पालन करने िे व्र्त्रि गंभीर
स्स्थसत मं हं तो तो प्रश्न कताा िे िंबंसधत व्र्त्रि रोग िे मुि रहं गा।
अथवा त्रप्रर्जन के पूणत
ा ः स्वस्थ रहने के र्ोग प्रबल  र्फद प्रश्न कुण्िली मं िडद्रमा षष्टम भाव को ििम
हो जाते हं । दृत्रष्ट िे दे खकर उिे बल प्रदान कर रहा हो तो, रोगी
 र्फद िूर्ा और िडद्र दोनो ग्रहं मं िे फकिी के भी के स्वास््र् मं जल्दी ही िुधार होने की िंभावनाए
कमज़ोर होने पर उि ग्रह िे िम्बस्डधत िुख का बनती है ।
अभाव होता हं ।  र्फद प्रश्न कुण्िली मं िडद्रमा लग्नको ििम दृत्रष्ट िे
 ज्र्ोसतष मं षष्ठम (छठा) भाव रोग स्थान कहा जाता दे खकर उिे बल प्रदान कर रहा हो तो, रोगी का
हं । इि सलर्े प्रश्न कुडिली मं भी रोग का त्रविार भी स्वास््र् उत्तम रहे गा और रोगी सनस्ित ही मानसिक
षष्ठम (छठा) भाव िे करना िाफहए। रूप िे भी मजबूत रहने की िंभावनाए बनती है ।
 उपरोि ग्रहं मं िे फकिी के भी कमज़ोर होने पर उि  र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्न र्ा षष्ठम (छठा) भाव मं
ग्रह िे िम्बस्डधत िुख का अभाव होता है । कोई शुभ ग्रह उच्ि रासश का होकर स्स्थत हो, तो
 त्रवद्वानो के मतानुशार अिाध्र् रोग जैिे की मधुमेह रोगी के स्वास््र् के प्रसत त्रवशेष सिंसतत होने की
(शुगर), कंिर, एड्ि इत्र्ादी गम्भीर बीमारीर्ं की आवश्र्कता नहीं हं र्फद रोगी फकिी छोटे -मोटे रोग
श्रेणी मे आते है और इन अिाध्र् रोगो की उत्पत्रत्त िे पीफड़त हं तो, ग्रहं की र्ह स्स्थसत उिके भाग्र् को
के कारक ग्रह त्रवशेष रुप िे मंगल, शसन, राहू व केतु बहुत ही बलवान बनाती है और दशााती हं की उिे
माने जाते है । थोड़े ही फदनं मं उपर्ुि सिफकत्िा िे अवश्र् स्वस््र्
 र्फद प्रश्न कुण्िली मे लग्न और लग्नेश कमजोर लाभ प्राि हो जार्ेगा हं और र्ह ग्रह िंकेत दे ता हं
स्स्थसत मे हो और उपरोि अशुभ ग्रहं के त्रवशेष फक रोगी को फकिी गंभीर र्ा अिाध्र् रोग िे पीफड़त
प्रभाब िे लग्न और लग्नेश पीफित हो तो गंभीर रोग नहीं होना पिे गा।
िे ग्रस्त होने की िंभावना प्रबल हो जाती है ।  र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश अपनी उच्ि रासश मं
 र्फद प्रश्न कुण्िली मे लग्न और लग्नेश और अडर् स्स्थत हो, तो रोगी का भाग्र् को बहुत ही बलवान
अशुभ ग्रह (मंगल, शसन, राहू व केतु) िामाडर् रहता है । स्जििे रोगी का स्वास््र् भी बहुत ही
स्स्थसत मं हो! तो स्वास््र् उत्तम रहे गा, प्रश्न कताा को अच्छा रहने की िंभावना बनती है , और रोगी के
11 जून 2012

स्वास््र् के प्रसत असधक सिंसतंत होने की आवश्र्कता  स्जि प्रकार कुण्िली मं रोग के सलए षष्ठम भाव को
नहीं है । दे खा जाता हं । उिी प्रकार फकिी भी प्रकार के
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्न मं कोई ग्रह उच्ि रासश का अस्रोपिार अथाात आपरे शन का कारक मंगल ग्रह
होकर स्स्थत हो, तो रोगी का स्वास््र् बहुत ही उत्तम होता है । इि सलए आपरे शन िे िंबसं धत त्रविार करने
रहे गा। उिे फकिी गंभीर रोग िे ग्रस्त नहीं होना िे पूवा मंगल ग्रह की स्स्थसत का िूक्ष्म अवलोकन
पिे ़गा। र्फद आपको अपने त्रप्रर्जन के स्वास््र् िे अवश्र् कर लेना िाफहए।
लेकर मन मं अगर फकिी प्रकार की आशंका है तो  आपरे शन िे पूवा प्रश्न कुण्िली मं आर्ु भाव अथाात
सिफकत्िक िे समलकर इिका सनवारण करलं व्र्था अष्टम भाव का भी आंकलन अवश्र् कर लेना िाफहए।
का वहम मन मं नहीं पालं।  प्रश्न कुण्िली मं लग्न/लग्नेश बलवान स्स्थसत मं हं,
 लग्न िे स्वास््र्, िेहत, शरीर, दादी, नाना एवं छठे भाव पर भी शुभ ग्रह का प्रभाव हो और आर्ु
व्र्त्रि की स्स्थसत का पता लगार्ा जा िकता है । स्थान भी शुभ ग्रहो के प्रभाव मं हो तो ही आपरे शन
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्न अशुभ प्रभाव मं होने के के सलए िमर् उत्तम होता है । त्रवद्वानो के मतानुशार
कारण कमजोर स्स्थसत मं हो, तो इि प्रकार की ग्रहं की त्रवपरीत स्स्थसत होने पर आपात काल को
स्स्थसत के कारण व्र्त्रि की इच्छापूसता मं बाधा का छोड़कर आपरे शन नहीं करवाना िाफहए।
िंकेत समलता है । इि सलए रोगी के स्वास््र् के प्रसत  क्र्ोफक अबतक हुवे शोध के आधार पर त्रवद्वानो का
िावधान रहना िाफहए। रोगी के अस्वस्थ होने पर अनुभव रहा हं की शुभ ग्रह स्स्थसत इत्र्ादी का िूक्ष्म
घबराएं नहीं बस्ल्क तुरंत सिफकत्िक िे िम्पका कर अवलोकन कर के शुभ पररस्स्थसत होने पर फकर्ा गर्ा
उसित ईलाज और परहे ज िे उिके स्वास््र् मं िुधार आपरे शन पूरी तरह िफल होता हं स्जििे रोगी को
हो िकता हं । उि ग्रह स्स्थसत होने पर रोगी के सनस्ित रुप िे स्वास््र् लाभ समलता हं, रोगी को
स्वास््र् के प्रसत लापरवाही त्रबल्कुल भी नहीं करं । त्रवशेष तकलीफ नहीं होती और आपरे शन मं फकिी
प्रकार का व्र्वधान और परे शानी नहीं होती हं ।

त्रप्रर्जन के स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न त्रवशेष नोट: र्फद ग्रहं की त्रवपरीत स्स्थसत हो तो
सिफकत्िक िे समलकर उसित िलाह-मशवरा कर
के इि फदशा मं कदम उठाने िाफहए।
आपरे शन करवाना ठीक रहे गा र्ा नहीं?
कुछ लोगं की जीवन मं अनेकं बार एिी स्स्थसत
आजाती हं की उनका र्ा उनके फकिी त्रप्रर्जन का गणेश लक्ष्मी र्ंि: प्राण-प्रसतत्रष्ठत गणेश लक्ष्मी
स्वास््र् आकस्स्मक रुप िे त्रबगड़ने लगता हं । कुछ र्ंि को अपने घर-दक
ु ान-ओफफि-फैक्टरी मं पूजन स्थान,
बीमारीर्ं का दावाईर्ं और परहे ज िे ठीक होना िंभव हं गल्ला र्ा अलमारी मं स्थात्रपत करने व्र्ापार मं त्रवशेष
लेफकन कुछ बीमारीर्ं मं आपरे शन कराना अत्र्ंत लाभ प्राि होता हं । र्ंि के प्रभाव िे भाग्र् मं उडनसत,
आवश्र्क हो जाता हं । तो लोगो के मन मं प्रश्न उठने मान-प्रसतष्ठा एवं व्र्ापर मं वृत्रद्ध होती हं एवं आसथाक
स्वाभात्रवक होते हं की क्र्ा इि आपरे शन िे बीमारी स्स्थमं िुधार होता हं । गणेश लक्ष्मी र्ंि को स्थात्रपत
पूणत
ा ः ठीक हो जार्ेगी? क्र्ा इि िमर् आपरे शन करने िे भगवान गणेश और दे वी लक्ष्मी का िंर्ुि
करवाना ठीक रहे गा? आशीवााद प्राि होता हं । Rs.550 िे Rs.8200 तक
12 जून 2012

दादाजी के स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न: जाता है । इि सलए प्रश्न कुण्िली मं भी माता के स्वास््र्

ज्र्ोसतष शास्त्रो के अनुशार कुण्िली मं दादाजी फक का त्रविार करते िमर् ितुथा िे षष्ठम भाव अथाात माता

स्स्थसत जानने के सलए ििम भाव का आकलन फकर्ा का रोग स्थान नवम भाव िे दे खा जाता हं । माता का

जाता है । इि सलए प्रश्न कुण्िली मं भी दादाजी के रोग कारक मंगल ग्रह है । इि सलए उि ग्रहं एवं भावं

स्वास््र् का त्रविार करते िमर् ििम िे षष्ठम भाव का िूक्ष्म अवलोकन करके अडर् रोग कार स्स्थसत पत

अथाात दादाजी का रोग स्थान द्वादश भाव िे दे खा जाता त्रवस्तृत जांि कर फकिी सनणार् पर पहूंिे।

हं । दादाजी का रोग कारक मंगल ग्रह है । इि सलए उि


ग्रहं एवं भावं का िूक्ष्म अवलोकन करके अडर् रोग कार िािा के स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न:
स्स्थसत पत त्रवस्तृत जांि कर फकिी सनणार् पर पहूंिे। ज्र्ोसतष शास्त्रो के अनुशार कुण्िली मं िािा फक
स्स्थसत जानने के सलए द्वादश भाव का आकलन फकर्ा
दादीजी के स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न: जाता है । इि सलए प्रश्न कुण्िली मं भी िािा के स्वास््र्

ज्र्ोसतष शास्त्रो के अनुशार कुण्िली मं दादीजी फक का त्रविार करते िमर् द्वादश िे षष्ठम भाव अथाात िािा

स्स्थसत जानने के सलए लग्न का आकलन फकर्ा जाता है । का रोग स्थान पिंम भाव िे दे खा जाता हं । िािा का

इि सलए प्रश्न कुण्िली मं भी दादीजी के स्वास््र् का रोग कारक मंगल ग्रह होता है । इि सलए िािा के

त्रविार करते िमर् लग्न िे षष्ठम भाव िे दादाजी का स्वास््र् का त्रविार करते िमर् द्वादश िे षष्ठम भाव मं

रोग दे खा जाता हं । दादीजी का रोग कारक मंगल ग्रह है । शुभ ग्रह स्स्थसत हो और मंगल भी शुभ स्स्थसत मं हो, तो

इि सलए उि ग्रहं एवं भावं का िूक्ष्म अवलोकन करके िािा के स्वास््र् मं तेजी िे िुधार होता है । र्फद उि

अडर् रोग कार स्स्थसत पत त्रवस्तृत जांि कर फकिी ग्रह और भाव पीफित अवस्था मं होने पर िािा को

सनणार् पर पहूंिे। स्वास््र् के िम्बडध मं परे शानी का िामना करना पड़


िकता हं ।

त्रपता के स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न:


िािी के स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न:
ज्र्ोसतष शास्त्रो के अनुशार कुण्िली मं त्रपता फक
स्स्थसत जानने के सलए दशम भाव का आकलन फकर्ा ज्र्ोसतष शास्त्रो के अनुशार कुण्िली मं िािी फक

जाता है । इि सलए प्रश्न कुण्िली मं भी त्रपता के स्वास््र् स्स्थसत जानने के सलए षष्ठम भाव का आकलन फकर्ा

का त्रविार करते िमर् दशम िे षष्ठम भाव अथाात त्रपता जाता है । इि सलए प्रश्न कुण्िली मं भी िािा के स्वास््र्

का रोग स्थान तृतीर् भाव िे दे खा जाता हं । त्रपता का का त्रविार करते िमर् षष्ठम िे षष्ठम भाव अथाात िािी

रोग कारक मंगल ग्रह है । इि सलए उि ग्रहं एवं भावं का रोग स्थान एकादश भाव िे दे खा जाता हं । िािी का

का िूक्ष्म अवलोकन करके अडर् रोग कार स्स्थसत पत रोग कारक मंगल ग्रह होता है । इि सलए िािी के

त्रवस्तृत जांि कर फकिी सनणार् पर पहूंिे। स्वास््र् का त्रविार करते िमर् षष्ठ िे षष्ठम भाव अथाात
एकादश भाव मं शुभ ग्रह स्स्थसत हो और मंगल भी शुभ
स्स्थसत मं हो, तो िािी के स्वास््र् मं तेजी िे िुधार
माता के स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न:
होता है । र्फद उि ग्रह और भाव पीफित अवस्था मं होने
ज्र्ोसतष शास्त्रो के अनुशार कुण्िली मं माता फक
पर िािी को स्वास््र् के िम्बडध मं परे शानी का
स्स्थसत जानने के सलए ितुथा भाव का आकलन फकर्ा
िामना करना पड़ िकता हं ।
13 जून 2012

िंतान के स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न: छोटे भाई/बफहन के स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न:


ज्र्ोसतष शास्त्रो के अनुशार कुण्िली मं िंतान फक ज्र्ोसतष शास्त्रो के अनुशार कुण्िली मं छोटे
स्स्थसत जानने के सलए पंिम भाव का आकलन फकर्ा भाई/बफहन फक स्स्थसत जानने के सलए तृतीर् भाव का
जाता है । इि सलए प्रश्न कुण्िली मं भी िंतान के आकलन फकर्ा जाता है । इि सलए प्रश्न कुण्िली मं भी
स्वास््र् का त्रविार करते िमर् पंिम िे षष्ठम भाव छोटे भाई/बफहन के स्वास््र् का त्रविार करते िमर्
अथाात िंतान का रोग स्थान दशम भाव िे दे खा जाता तृतीर् िे षष्ठम भाव अथाात छोटे भाई/बफहन का रोग
हं । पंिम भाव का कारक ग्रह बृहस्पसत और िंतान का स्थान अष्टम भाव िे दे खा जाता हं । छोटे भाई/बफहन का
रोग कारक मंगल ग्रह है । इि सलए उि ग्रहं एवं भावं रोग कारक मंगल ग्रह है । इि सलए उि ग्रहं एवं भावं
का िूक्ष्म अवलोकन करके अडर् रोग कार स्स्थसत पत का िूक्ष्म अवलोकन करके अडर् रोग कार स्स्थसत पत
त्रवस्तृत जांि कर फकिी सनणार् पर पहूंिे। त्रवस्तृत जांि कर फकिी सनणार् पर पहूंिे।

पत्नी के स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न:


बिे भाई के स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न:
ज्र्ोसतष शास्त्रो के अनुशार कुण्िली मं पत्नी फक
ज्र्ोसतष शास्त्रो के अनुशार कुण्िली मं बिे भाई फक स्स्थसत जानने के सलए ििम भाव का आकलन फकर्ा
स्स्थसत जानने के सलए एकादश भाव का आकलन फकर्ा जाता है । इि सलए प्रश्न कुण्िली मं भी पत्नी के स्वास््र्
जाता है । इि सलए प्रश्न कुण्िली मं भी बिे भाई के का त्रविार करते िमर् ििम िे षष्ठम भाव अथाात पत्नी
स्वास््र् का त्रविार करते िमर् एकादश िे षष्ठम भाव का रोग स्थान द्वादश भाव िे दे खा जाता हं । पत्नी का
अथाात बिे भाई का रोग स्थान ितुथा भाव िे दे खा जाता रोग कारक मंगल ग्रह है । इि सलए उि ग्रहं एवं भावं
हं । एकादश भाव का कारक ग्रह बृहस्पसत हं और बिे का िूक्ष्म अवलोकन करके अडर् रोग कार स्स्थसत पत
भाई का रोग कारक मंगल ग्रह है । इि सलए उि ग्रहं त्रवस्तृत जांि कर फकिी सनणार् पर पहूंिे।
एवं भावं का िूक्ष्म अवलोकन करके अडर् रोग कार
स्स्थसत पत त्रवस्तृत जांि कर फकिी सनणार् पर पहूंिे। नानाजी के स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न:
ज्र्ोसतष शास्त्रो के अनुशार कुण्िली मं नानाजी फक
स्स्थसत जानने के सलए लग्न का आकलन फकर्ा जाता है ।
बिी बफहन के स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न:
इि सलए प्रश्न कुण्िली मं भी नानाजी के स्वास््र् का
ज्र्ोसतष शास्त्रो के अनुशार कुण्िली मं बिी बफहन त्रविार करते िमर् लग्न िे षष्ठम भाव िे नानाजी का
फक स्स्थसत जानने के सलए एकादश भाव का आकलन रोग दे खा जाता हं । नानाजी का रोग कारक मंगल ग्रह है ।
फकर्ा जाता है । इि सलए प्रश्न कुण्िली मं भी बिी बफहन इि सलए उि ग्रहं एवं भावं का िूक्ष्म अवलोकन करके
के स्वास््र् का त्रविार करते िमर् एकादश िे षष्ठम अडर् रोग कार स्स्थसत पत त्रवस्तृत जांि कर फकिी
भाव अथाात बिी बफहन का रोग स्थान ितुथा भाव िे सनणार् पर पहूंिे।
दे खा जाता हं । एकादश भाव का कारक ग्रह बृहस्पसत हं
औरबिी बफहन का रोग कारक मंगल ग्रह है । इि सलए
अपनी जडम कुंिली िे िमस्र्ाओं
उि ग्रहं एवं भावं का िूक्ष्म अवलोकन करके अडर् रोग का िमाधान जासनर्े माि RS:- 450
कार स्स्थसत पत त्रवस्तृत जांि कर फकिी सनणार् पर
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पहूंिे।
91 + 9238328785,
14 जून 2012

नानीजी के स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न: मामी के स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न:


ज्र्ोसतष शास्त्रो के अनुशार कुण्िली मं नानीजी फक ज्र्ोसतष शास्त्रो के अनुशार कुण्िली मं मामी फक
स्स्थसत जानने के सलए ििम भाव का आकलन फकर्ा स्स्थसत जानने के सलए द्वादश भाव का आकलन फकर्ा
जाता है । इि सलए प्रश्न कुण्िली मं भी नानीजी के जाता है । इि सलए प्रश्न कुण्िली मं भी मामी के स्वास््र्
स्वास््र् का त्रविार करते िमर् ििम िे षष्ठम भाव का त्रविार करते िमर् द्वादश िे षष्ठम भाव अथाात मामी
अथाात नानीजी का रोग स्थान द्वादश भाव िे दे खा जाता का रोग स्थान पिंम भाव िे दे खा जाता हं । मामी का
हं । नानीजी का रोग कारक मंगल ग्रह है । इि सलए उि रोग कारक मंगल ग्रह होता है । इि सलए उि ग्रहं एवं
ग्रहं एवं भावं का िूक्ष्म अवलोकन करके अडर् रोग कार भावं का िूक्ष्म अवलोकन करके अडर् रोग कार स्स्थसत
स्स्थसत पत त्रवस्तृत जांि कर फकिी सनणार् पर पहूंिे। पत त्रवस्तृत जांि कर फकिी सनणार् पर पहूंिे।

मामा के स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न: मौिा के स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न:


ज्र्ोसतष शास्त्रो के अनुशार कुण्िली मं मामा फक ज्र्ोसतष शास्त्रो के अनुशार कुण्िली मं मौिा फक
स्स्थसत जानने के सलए षष्ठम भाव का आकलन फकर्ा स्स्थसत जानने के सलए द्वादश भाव का आकलन फकर्ा
जाता है । इि सलए प्रश्न कुण्िली मं भी मामा के स्वास््र् जाता है । इि सलए प्रश्न कुण्िली मं भी मौिा के स्वास््र्
का त्रविार करते िमर् षष्ठम िे षष्ठम भाव अथाात मामा का त्रविार करते िमर् द्वादश िे षष्ठम भाव अथाात मौिा
का रोग स्थान एकादश भाव िे दे खा जाता हं । मामा का का रोग स्थान पिंम भाव िे दे खा जाता हं । मौिा का
रोग कारक मंगल ग्रह होता है । इि सलए उि ग्रहं एवं रोग कारक मंगल ग्रह होता है । इि सलए उि ग्रहं एवं
भावं का िूक्ष्म अवलोकन करके अडर् रोग कार स्स्थसत भावं का िूक्ष्म अवलोकन करके अडर् रोग कार स्स्थसत
पत त्रवस्तृत जांि कर फकिी सनणार् पर पहूंिे। पत त्रवस्तृत जांि कर फकिी सनणार् पर पहूंिे।

दग
ु ाा बीिा र्ंि
शास्त्रोोि मत के अनुशार दग
ु ाा बीिा र्ंि दभ
ु ााग्र् को दरू कर व्र्त्रि के िोर्े हुवे भाग्र् को जगाने वाला माना
गर्ा हं । दग
ु ाा बीिा र्ंि द्वारा व्र्त्रि को जीवन मं धन िे िंबंसधत िंस्र्ाओं मं लाभ प्राि होता हं । जो व्र्त्रि
आसथाक िमस्र्ािे परे शान हं, वह व्र्त्रि र्फद नवरािं मं प्राण प्रसतत्रष्ठत फकर्ा गर्ा दग
ु ाा बीिा र्ंि को
स्थासि कर लेता हं , तो उिकी धन, रोजगार एवं व्र्विार् िे िंबंधी िभी िमस्र्ं का शीघ्र ही अंत होने लगता
हं । नवराि के फदनो मं प्राण प्रसतत्रष्ठत दग
ु ाा बीिा र्ंि को अपने घर-दक
ु ान-ओफफि-फैक्टरी मं स्थात्रपत करने
िे त्रवशेष लाभ प्राि होता हं , व्र्त्रि शीघ्र ही अपने व्र्ापार मं वृत्रद्ध एवं अपनी आसथाक स्स्थती मं िुधार होता
दे खंगे। िंपूणा प्राण प्रसतत्रष्ठत एवं पूणा िैतडर् दग
ु ाा बीिा र्ंि को शुभ मुहूता मं अपने घर-दक
ु ान-ओफफि मं
स्थात्रपत करने िे त्रवशेष लाभ प्राि होता हं । मूल्र्: Rs.730 िे Rs.10900 तक

GURUTVA KARYALAY: Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785,


Mail Us: gurutva.karyalay@gmail.com, gurutva_karyalay@yahoo.in,
15 जून 2012

मौिी के स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न: का त्रविार करते िमर् दशम िे षष्ठम भाव अथाात िाि
ज्र्ोसतष शास्त्रो के अनुशार कुण्िली मं मौिी फक का रोग स्थान तृतीर् भाव िे दे खा जाता हं । िाि का
स्स्थसत जानने के सलए षष्ठम भाव का आकलन फकर्ा रोग कारक मंगल ग्रह है । इि सलए उि ग्रहं एवं भावं
जाता है । इि सलए प्रश्न कुण्िली मं भी मौिी के स्वास््र् का िूक्ष्म अवलोकन करके अडर् रोग कार स्स्थसत पत
का त्रविार करते िमर् षष्ठम िे षष्ठम भाव अथाात मौिी त्रवस्तृत जांि कर फकिी सनणार् पर पहूंिे।
का रोग स्थान एकादश भाव िे दे खा जाता हं । मौिी का
ििुर के स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न:
रोग कारक मंगल ग्रह होता है । इि सलए उि ग्रहं एवं
ज्र्ोसतष शास्त्रो के अनुशार कुण्िली मं ििुर फक
भावं का िूक्ष्म अवलोकन करके अडर् रोग कार स्स्थसत
स्स्थसत जानने के सलए ितुथा भाव का आकलन फकर्ा
पत त्रवस्तृत जांि कर फकिी सनणार् पर पहूंिे।
जाता है । इि सलए प्रश्न कुण्िली मं भी ििुर के स्वास््र्
का त्रविार करते िमर् ितुथा िे षष्ठम भाव अथाात ििुर
फूफा के स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न:
का रोग स्थान नवम भाव िे दे खा जाता हं । ििुर का
ज्र्ोसतष शास्त्रो के अनुशार कुण्िली मं फूफा फक रोग कारक मंगल ग्रह है । इि सलए उि ग्रहं एवं भावं
स्स्थसत जानने के सलए षष्ठम भाव का आकलन फकर्ा का िूक्ष्म अवलोकन करके अडर् रोग कार स्स्थसत पत
जाता है । इि सलए प्रश्न कुण्िली मं भी फूफा के स्वास््र् त्रवस्तृत जांि कर फकिी सनणार् पर पहूंिे।
का त्रविार करते िमर् षष्ठम िे षष्ठम भाव अथाात फूफा
का रोग स्थान एकादश भाव िे दे खा जाता हं । फूफा का ताऊ के स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न:
रोग कारक मंगल ग्रह होता है । इि सलए उि ग्रहं एवं ज्र्ोसतष शास्त्रो के अनुशार कुण्िली मं ताऊ फक
भावं का िूक्ष्म अवलोकन करके अडर् रोग कार स्स्थसत स्स्थसत जानने के सलए अष्टम भाव का आकलन फकर्ा
पत त्रवस्तृत जांि कर फकिी सनणार् पर पहूंिे। जाता है । इि सलए प्रश्न कुण्िली मं भी ताऊ के स्वास््र्
का त्रविार करते िमर् अष्टम िे षष्ठम भाव अथाात ताऊ
का रोग स्थान लग्न िे दे खा जाता हं । ताऊ का रोग
बुआ के स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न:
कारक मंगल ग्रह है । इि सलए उि ग्रहं एवं भावं का
ज्र्ोसतष शास्त्रो के अनुशार कुण्िली मं बुआ फक
िूक्ष्म अवलोकन करके अडर् रोग कार स्स्थसत पत
स्स्थसत जानने के सलए द्वादश भाव का आकलन फकर्ा
त्रवस्तृत जांि कर फकिी सनणार् पर पहूंिे।
जाता है । इि सलए प्रश्न कुण्िली मं भी बुआ के स्वास््र्
का त्रविार करते िमर् द्वादश िे षष्ठम भाव अथाात बुआ
ताई के स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न:
का रोग स्थान पिंम भाव िे दे खा जाता हं । बुआ का
ज्र्ोसतष शास्त्रो के अनुशार कुण्िली मं ताई फक
रोग कारक मंगल ग्रह होता है । इि सलए उि ग्रहं एवं
स्स्थसत जानने के सलए फद्वतीर् भाव का आकलन फकर्ा
भावं का िूक्ष्म अवलोकन करके अडर् रोग कार स्स्थसत
जाता है । इि सलए प्रश्न कुण्िली मं भी ताई के स्वास््र्
पत त्रवस्तृत जांि कर फकिी सनणार् पर पहूंिे।
का त्रविार करते िमर् फद्वतीर् िे षष्ठम भाव अथाात ताई
िाि के स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न: का रोग स्थान ििम भाव िे दे खा जाता हं । ताई का

ज्र्ोसतष शास्त्रो के अनुशार कुण्िली मं िाि फक रोग कारक मंगल ग्रह है । इि सलए उि ग्रहं एवं भावं

स्स्थसत जानने के सलए दशम भाव का आकलन फकर्ा का िूक्ष्म अवलोकन करके अडर् रोग कार स्स्थसत पत

जाता है । इि सलए प्रश्न कुण्िली मं भी िाि के स्वास््र् त्रवस्तृत जांि कर फकिी सनणार् पर पहूंिे।
16 जून 2012

प्रश्न कुण्िली मे रोग मं मंगल की भूसमका


 श्रेर्ा.ऐि.जोशी
ज्र्ोसतष मं छ्ठे भाव का कारक मंगल ग्रह को व्र्त्रि के स्वास््र् के सलए लाभकारी होती हं । शुभ
माना जाता हं । मंगल को रोग का भीकारक माना जाता ग्रह की स्स्थसत र्ा दृत्रष्ट छठे भाव होने िे रोग का
हं । ज्र्ोसतष के त्रवद्वानो ने अपने अनुभवं मं पार्ा हं की शमन होता हं ।
र्फद मंगल छ्ठे भाव मं स्स्थत हो, तो व्र्त्रि को  ठीक इििे त्रवपरीत र्फद अशुभ ग्रह स्स्थत हो र्ा
स्वास््र् िम्बडधी अशुभ पररणाम प्राि होते हं । अशुभ ग्रह की दृत्रष्ट छठे भाव पड़ रही होतो र्ह
मंगल के छ्ठे भाव मं होने िे व्र्त्रि के जीवन मं स्स्थसत रोग मं वृत्रद्ध कर ने वाली होती हं ।
उत्पडन होने वाले रोग को लेकर भारतीर् ज्र्ोसतष के  कुछ त्रवद्वानो एवं ग्रंथकारं नं मंगल को शुभ ग्रह
जानकारं एवं त्रवद्वानो के नीजी अनुभव एवं शोध के माना हं । र्फद छठे भाव मं शुभ ग्रह मंगल स्स्थत
कारण उनके मतं मं अडतर दे खने को समलता हं । होने िे रोग का कारण क्र्ा हं र्ह प्रश्न िहज रुप िे
 र्फद प्रश्न कुंण्िली मं छठे भाव मं शुभ ग्रह स्स्थत हो उत्पडन होता हं ?
र्ा शुभ ग्रह की दृत्रष्ट छठे भाव पड़ रही होतो र्ह  लेफकन इि त्रवषर् मं कुछ त्रवद्वानो एवं ग्रंथकारं का

मंि सिद्ध स्फफटक श्री र्ंि


"श्री र्ंि" िबिे महत्वपूणा एवं शत्रिशाली र्ंि है । "श्री र्ंि" को र्ंि राज कहा जाता है क्र्ोफक र्ह अत्र्डत शुभ फ़लदर्ी र्ंि
है । जो न केवल दि
ू रे र्डिो िे असधक िे असधक लाभ दे ने मे िमथा है एवं िंिार के हर व्र्त्रि के सलए फार्दे मंद िात्रबत होता
है । पूणा प्राण-प्रसतत्रष्ठत एवं पूणा िैतडर् र्ुि "श्री र्ंि" स्जि व्र्त्रि के घर मे होता है उिके सलर्े "श्री र्ंि" अत्र्डत फ़लदार्ी
सिद्ध होता है उिके दशान माि िे अन-सगनत लाभ एवं िुख की प्रासि होसत है । "श्री र्ंि" मे िमाई अफद्रसतर् एवं अद्रश्र् शत्रि
मनुष्र् की िमस्त शुभ इच्छाओं को पूरा करने मे िमथा होसत है । स्जस्िे उिका जीवन िे हताशा और सनराशा दरू होकर वह
मनुष्र् अिफ़लता िे िफ़लता फक और सनरडतर गसत करने लगता है एवं उिे जीवन मे िमस्त भौसतक िुखो फक प्रासि होसत
है । "श्री र्ंि" मनुष्र् जीवन मं उत्पडन होने वाली िमस्र्ा-बाधा एवं नकारात्मक उजाा को दरू कर िकारत्मक उजाा का
सनमााण करने मे िमथा है । "श्री र्ंि" की स्थापन िे घर र्ा व्र्ापार के स्थान पर स्थात्रपत करने िे वास्तु दोष र् वास्तु िे
िम्बस्डधत परे शासन मे डर्ुनता आसत है व िुख-िमृत्रद्ध, शांसत एवं ऐश्वर्ा फक प्रसि होती है ।
गुरुत्व कार्ाालर् मे "श्री र्ंि" 12 ग्राम िे 2250 Gram (2.25Kg) तक फक िाइज मे उप्लब्ध है
.

मूल्र्:- प्रसत ग्राम Rs. 9.10 िे Rs.28.00


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17 जून 2012

मत सभडन हं उडहं ने मंगल को अशुभ ग्रह माना हं व्र्त्रि की आिाध्र् रोग के कारण मृत्र्ु भी िंभव
और उनका तो र्हां तक कहना हं की मंगल शुभ हो होती हं । भारतीर् ज्र्ोसतष के अडर् सिद्धाडत के
र्ा अशुभ िाहे फकिी भी स्थान मं बैठा हो वह उि अनुशार र्फद फकिी एक त्रिकभाव का स्वामी दि
ू रे
स्थान का नाश करता हं । उनके मत िे र्फह कारण त्रिकभाव भाव मं स्स्थत हो तो र्ह स्स्थसत त्रवपरीत
हं छठे भाव मं मंगल िे रोग उत्पडन होने के पीछे ! राजर्ोग बनाती हं ।
 अडर् एक मत िे िमझेतो ज्र्ोसतषी सिद्धाडत के  उि सिद्धाडत के अनुिार र्फद छठे भाव का स्वामी
अनुशार त्रिकभाव अथाात 6,8,12 वं भाव मं फकिी अष्टम भाव मं स्स्थत हो, तो र्ह स्स्थसत रोग िे मुत्रि
ग्रह के स्स्थत होने िे वह ग्रह के स्वामीत्व वाले भाव का िंकेत दे ती हं अथाात इि स्स्थसत मं व्र्त्रि को
की हासन करता हं । िरल भाषा मं िमझे तो त्रिकभाव स्वास््र् लाभ प्राि समलता हं ।
अथाात 6,8,12 वं भाव मं स्जि भाव का स्वामी िला  इिी प्रकार र्फद अष्टम भाव का स्वामी द्वादश भाव मं
जाता है उि भाव की हासन होती हं । स्स्थत हो, तो र्ह स्स्थसत व्र्त्रि की आर्ु को बढ़ाने
 जडम कुंण्िली र्ा प्रश्न कुंण्िली मं रोग भाव का िूक्ष्म वाली होती हं अथाात व्र्त्रि फदधाार्ु को प्राि होता हं ।
अध्र्र्न करना असत आवश्र्क होता हं । इि सलए  कुछ अडर् ज्र्ोसतषी का मत इििे सभडन हं , उनका
ग्रहं के असतररि नक्षि भी रोग की स्स्थसत दशााने मं मानना हं की िूर्ा और िडद्र को छोड़ कर िभी ग्रह
महत्वपूणा भूसमका सनभाते हं । दो-दो रासशर्ं के स्वामी होते हं ।
 र्फद लग्न और लग्नेश तथा छठे भाव और षष्ठेश का  इि कारण र्फद अडर् ग्रहो की एक रासश त्रिकभाव मं
राहू के स्वामीत्व नक्षि आदाा, स्वासत और शतसभषा पड़ती हो, और दि
ू री रासश त्रिक स्थान िे बाहर पड़ती
तथा केतु के स्वामीत्व वाले नक्षि अश्वनी, मघा, मूल हो, तो इििे त्रवपरीतराजर्ोग बनता हं ।
प्रभात्रवत करं , अथाात त्रिकभाव अथाात 6,8,12 भाव  त्रवपरीत राजर्ोग होने िे भी स्जि भाव मं ग्रह की
एवं ग्रहं का उि नक्षिं िे फकिी भी प्रकार िे दि
ू री रासश होती है उि भावकी हासन हो जाती हं ।
िम्बडध होने पर व्र्त्रि गंभीर रोग अथवा अिाध्र्  इि सलए जडम कुण्िली र्ा प्रश्न कुण्िली का
रोग जैिे की मधुमेह (शुगर), कंिर, एड्ि इत्र्ादी िे अवलोकन करते िमर् रोग के िम्बडध मं अत्र्डत
पीफड़त होता हं । िूक्ष्म अवलोकन करके ही फलादे श करना िाफहए
 कुछ जानकारं का र्हां तक मानना हं की र्फद लग्न उसित होता हं ।
और लग्नेश पीफड़त अथवा कमजोर स्स्थसत मं हं तो ***

मंि सिद्ध दल ा िामग्री


ु भ
हत्था जोिी- Rs- 370 घोिे की नाल- Rs.351 मार्ा जाल- Rs- 251
सिर्ार सिंगी- Rs- 370 दस्क्षणावती शंख- Rs- 550 इडद्र जाल- Rs- 251
त्रबल्ली नाल- Rs- 370 मोसत शंख- Rs- 550 धन वृत्रद्ध हकीक िेट Rs-251
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18 जून 2012

प्रश्न ज्र्ोसतष िे जाने त्रवद्या प्रासि के र्ोग


 सिंतन जोशी
ज्र्ोसतष शास्त्रो मं कुण्िली के पंिम भाव को महत्वपूणा माना जाता हं ।
क्र्ोफक पंिम भाव जातक के जीवन मं महत्वपूणा स्थान रखता हं । क्र्ोफक
पंिम भाव सशक्षा, बुत्रद्ध और ज्ञान का भाव है , स्जििे जातक के जीवन की फदशा

?
सनधााररत होती हं । ज्र्ोसतष मं पंिम भाव को त्रिकोण स्थान भी कहा जाता हं ।
पंिम भाव को ज्र्ोसतष मं बहुत ही शुभ माना गर्ा है । जातक के सशक्षा िे
िम्बडध मं भी त्रविार पंिम भाव िे ही फकर्ा जाता हं । इि सलए प्रश्न ज्र्ोसतष
र्ा प्रश्न कुंिली िे सशक्षाका आंकलन करने हे तु भी पंिम भाव ही प्रमुख माना
गर्ा हं ।

पश्न ज्र्ोसतष मं सशक्षा का आंकलन करने हे तु लग्न मं स्स्थत ग्रह एवं


लग्नेश की स्स्थसत, पंिम भाव मं स्स्थत ग्रह एवं पंिमेश की स्स्थसत तथा सशक्षा के कारक ग्रह बुध एवं
बृहस्पसत की स्स्थसत िे त्रवद्या का आंकल फकर्ा जािकता हं ।

प्रश्न कुंिली मं लग्न, लग्नेश, पंिम भाव, पंिमेश, बुध और बृहस्पसत र्फद शुभ ग्रहो के िाथ हो र्ा शुभ ग्रहो िे
द्रष्ट हो तो सशक्षा के िंबंसधत कार्ो मं बड़ी िफलता अवश्र् समलती हं ।

प्रश्न कुंिली मं लग्न, लग्नेश, पंिम भाव, पंिमेश, बुध और बृहस्पसत र्फद कमजोर स्स्थसत मं हं र्ा र्ा अशुभ
ग्रहो िे र्ुि र्ा द्रष्टी के कारण पीफित हो, तो सशक्षा िंबंसधत कार्ो मं रूकावटं का िामना करना पि िकता हं ।

प्रश्न कुंिली का त्रवश्लेषण करते िमर् अडर् शुभ , अशुभ ग्रहं का दृत्रष्ट र्ा र्ुसत िंबंध एवं िंबंसधत ग्रह के समि
एवं शिु ग्रहो का उनपर प्रभाव दे खना भी असत आवश्र्क होता हं ।

नोट: ज्र्ोसतष शास्त्रोो के अनुशार लग्न के िाथ मं भाव कारक भी बदल जाते हं । इि सलए प्रश्न कुंिली का त्रवश्लेषण
िावधानी िे करना उसित रहता हं । त्रवद्वानो के अनुशार प्रश्न कुंिली का त्रवश्लेषण करते िमर् िंबसं धत भाव एवं भाव के
स्वामी ग्रह अथाातः भावेश एवं भाव के कारक ग्रह को ध्र्ान मं रखते हुए आंकलन कर फकर्ा गर्ा त्रवश्लेषण स्पष्ट होता
हं । प्रश्न कुंिली का फलादे श करते िमर् हर छोटी छोटी बातं का ख्र्ाल रखना आवश्र्क होता हं अडर्था त्रवश्लेषण
फकर्े गर्े प्रश्न का उत्तर स्स्टक नहीं होता।

सशक्षा िे िंबंसधत िमस्र्ा


क्र्ा आपके लिके-लिकी की पढाई मं अनावश्र्क रूप िे बाधा-त्रवघ्न र्ा रुकावटे हो रही हं ? बच्िो को अपने पूणा पररश्रम
एवं मेहनत का उसित फल नहीं समल रहा? अपने लिके-लिकी की कुंिली का त्रवस्तृत अध्र्र्न अवश्र् करवाले और
उनके त्रवद्या अध्र्र्न मं आनेवाली रुकावट एवं दोषो के कारण एवं उन दोषं के सनवारण के उपार्ो के बार मं त्रवस्तार िे
जनकारी प्राि करं ।
GURUTVA KARYALAY
Call Us - 9338213418, 9238328785, Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in, gurutva.karyalay@gmail.com
19 जून 2012

प्रश्न ज्र्ोसतष िे जासनए त्रवद्या प्रासि मं ग्रहं की भूसमका


 सिंतन जोशी
 र्फद लग्न और पंिम भाव मं कोई शुभ ग्रह उच्ि मं व्र्त्रि स्जि त्रवषर् मं रूसि रखता हं उिमं िफलता
रासश का होकर स्स्थत हो, लग्न और पंिम भाव मं प्राि कर लेता हं ।
ग्रहं के उच्ि रासश मं उपस्स्थसत के कारण सशक्षा
प्रासि मं फकिी प्रकार की त्रवशेषा बाधा आने की िडद्रमा पंिम भाव मं
िंभावना नहीं बनती है । सशक्षा प्रासि हे तु तत्पर रह
र्फद प्रश्न कुंिली मं पांिवे भाव मं िडद्रमा स्स्थत
कर एकाग्र सित िे त्रवद्याध्र्न करने िे सशक्षा पूरी
हो तो र्ह व्र्त्रि को बहुत िे त्रवषर्ं मं भाग्र्शाली
होगी।
बनाता हं । त्रवशेष कर व्र्त्रि का रुझान कलाक्षेि की
 र्फद प्रश्न कुंिली मं िडद्रमा एकादश भाव मं स्स्थत
तरफ हो त्रवशेष रुप िे हो िकता हं ।
होकर पंिम भाव को अपनी ििम दृस्श्ट िे दे खकर
उिे बल प्रदान कर रहा हो, तो सशक्षा के त्रवषर् मं
र्ह स्स्थसत शुभ मानी जाती हं । इि ग्रह स्स्थसत िे
मंगल पंिम भाव मं
सशक्षा मं फकिी प्रकार की बाधा नहीं आती है । र्फद प्रश्न कुंिली मं पांिवे भाव मं मंगल स्स्थत

 प्रश्न कुंिली मं शैक्षस्णक स्स्थसत जानने हे तु कुण्िली मं हो तो र्फद मंगल उपर्ुि रासश और ग्रहो के प्रभाव मं

पंिम भाव का त्रवश्लेषण फकर्ा जाता है । पंिम भाव स्स्थत हो तो र्ह व्र्त्रि को अत्र्ासधक भाग्र्शाली

के कारक ग्रह बृहस्पसत जो व्र्त्रि की सशक्षा मं बनाता हं । र्फद मंगल अशुभ स्स्थती मं कमज़ोर अवस्था

महत्वपूणा स्थान रखते हं । इिसलए पंिम भाव, मं होतो र्ह व्र्त्रि को त्रवद्याअध्र्र्न मं त्रवसभडन तरह

पंिमेश तथा बृहस्पसत शुभ स्स्थसत मं हो और इन की िमस्र्ाएं िंभव हं । पंिम मंगल होने पर र्ह व्र्त्रि

िबका लग्न और लग्नेश िे शुभ िम्बडध स्थात्रपत का रुझान सिफकत्िा, रिार्न, इं जीसनर्ररं ग इत्र्ाफद क्षेि

होता हो तो व्र्त्रि की सशक्षा त्रबना फकिी त्रवशेष की और असधक रहता हं ।

अड़िन िे िलती रहती हं , उिकी सशक्षा प्रासि मं


फकिी प्रकार की परे शानी नहीं आती है । बुध पंिम भाव मं
र्फद प्रश्न कुंिली मं पंिम भाव मं बुध ग्रह स्स्थत
त्रवसभडन ग्रहो की पंिम भाव मं स्स्थती िे सशक्षा हो, तो व्र्त्रि गस्णत, वास्णज्र्, पिकाररता, मीफिर्ा व
त्रवच्िार? कम्पर्ूटर िे िम्बस्डधत त्रवषर्ं मं असधक रूसि रखता
हं । स्जि व्र्त्रि की कुण्िली मं बुध मजबूत होता है वह
िूर्ा पंिम भाव मं इन त्रवषर्ं के िाथ अपनी पढ़ाई कूशलता िे पूणा
र्फद प्रश्न कुंिली मं िूर्ा पंिम भाव मं स्स्थत हं, करलेता हं ।
तो िूर्ा की र्ह स्स्थसत सशक्षा के सलए बहुत उत्तम िंकेद
दशााती है । पंिम भाव का िूर्ा व्र्त्रि को सशक्षा के हर गुरु पंिम भाव मं
क्षेि मं िहर्ोग प्रदान करने वाला होता हं । इि स्स्थसत र्फद प्रश्न कुंिली मं पंिम भाव मं गुरु ग्रह स्स्थत
हो, तो र्ह स्स्थती व्र्त्रि को असत गुणी और भाग्र्शाली
20 जून 2012

बनाती हं । कोर्ोफकं पंिम भाव मं गुरु असत शुभ प्रभाव प्रेररत करती हं । स्जि कारण व्र्त्रि दशानशास्त्रो, त्रवदे शी
दे ता हं । र्फद वृहस्पसत शुभ ग्रहो के प्रभाव मं हो तो भाषा एवं तकनीफक त्रवषर्ं के अध्र्र्न मं सनपूणा हो
सशक्षा उत्तम रहती हं । इििे त्रवपररत र्फद वृहस्पसत अशुभ िकता हं ।
ग्रहो के प्रभाव मं हो तो सशक्षा के त्रवषर् मं असधक भाग्र्
शाली नहीं बनाता हं । राहू पंिम भाव मं
र्फद प्रश्न कुंिली मं पंिम भाव मं राहू स्स्थत हो तो, र्ह
शुक्र पंिम भाव मं स्स्थती सशक्षा प्रासि के सलए उपर्ुि नहीं मानी जाती हं ।
र्फद प्रश्न कुंिली मं पंिम भाव मं शुक्र ग्रह स्स्थत हो, तो इि ग्रह स्स्थती के कारण व्र्त्रि की त्रवद्या प्रासि मं
व्र्त्रि फक रुसि मनोरं जन र्ा रिनात्मक सशक्षा के क्षेि मं त्रवघ्न-बाधाएं उत्पडन हो िकती हं । पंिम राहू गूढ़
असधक होती हं । पंिम भाव मं शुक्र प्रेम िंबंधो के कारण रहस्र्मर् त्रवषर्ं जैिे मंि, तंि इत्र्ाफद की सशक्षा हे तु
सशक्षा मं अवरोध र्ा बाधा का कारण भी बन िकता हं । प्रेररत करता हं । र्फद कोई शुभ ग्रह पंिम भाव मं स्स्थत
अतः पंिम भाव मं शुक्र स्स्थत होने वाले व्र्त्रि को हो र्ा फकिी शुभ ग्रह की दृत्रष्ट पंिम भाव हो, तो
सशक्षा अद्यर्न के दौरान असत ििेत और िावधान रहना पररस्स्थती मं पररवतान िंभव हं ।
िाफहए। र्फद शुक्र पर फकिी शुभ ग्रह का प्रभाव असधक
न हो और पाप ग्रहो का प्रभाव असधक हो तो व्र्त्रि को केतु पंिम भाव मं
प्रेम प्रिंग के कारण उन पर जुठे आरोप लग िकते हं र्फद प्रश्न कुंिली मं पंिम भाव मं केतु स्स्थत हो तो,
स्जि कारण सशक्षा मं अवरोध एवं िमाज मं बदनामी िे व्र्त्रि को मन लगाकर अपनी पढा़ई करनी असत
िम्मुस्खन होना पड़ िकता हं । आवश्र्क होती हं । अडर्था मन भटकने की िंभावनाएं
असधक प्रबल रहती हं । कोर्ोफक पंिम केतु होने पर
शसन पंिम भाव मं सशक्षा के क्षेि मं जो भी पररणाम आएगा वह केवल
र्फद प्रश्न कुंिली मं पंिम भाव मं शसन स्स्थत हो तो, र्ह व्र्त्रि की मेहनत व लगन पर ही सनभार होगा।
स्स्थती व्र्त्रि को रहस्र्मर्ी त्रवषर्ं मं रूसि लेने हे तु ***

श्री र्ंि
गुरुत्व कार्ाालर् मं पूणा प्राण-प्रसतत्रष्ठत एवं पूणा िैतडर् र्ुि "श्री र्ंि" 500 ग्राम, 750 ग्राम, 1000 ग्राम
और 1250 ग्राम, 2250 ग्राम िाईज़ मं केवल सलसमटे ि स्टॉक उपलब्ध हं । श्री र्ंि के िंबंध मं असधक
जानकारी के सलए कार्ाालर् मं िंपका करं ।

"श्री र्ंि" 12 ग्राम िे 1250 ग्राम तक फक िाइज मे उप्लब्ध है ।


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21 जून 2012

त्रवद्या प्रासि िे जेिे़ अडर् महत्वपूणा र्ोग


 सिंतन जोशी, स्वस्स्तक.ऎन.जोशी
प्रश्न ज्र्ोसतष त्रवशेज्ञ िे िंपका करं अथवा
हर माता-त्रपता अपने बच्िं को अच्छी िे अच्छी
गुरुत्व कार्ाालर् मं िंपका कर हमारे अनुभवी प्रश्न
सशक्षा दे कर उनके जीवन को िंवारने का हर िंभव प्रर्ाि करते
ज्र्ोसतष त्रवशेज्ञ िे सशक्षा प्रासि िे जुिे प्रश्नं फक जांि
हं । फकंतु अक्िर दे खने मं आता है फक िारे प्रर्ािं के बावजूद
करवा कर उपर्ुि मागादशान प्राि कर िकते हं ।
बच्िं की सशक्षा मं तरह-तरह की बाधाएं आती रहती हं ।
िंभवत र्ह बाधाएं और रुकावटे सशक्षा प्रासि हे तु उपर्ुि त्रवदे श मं सशक्षा प्रासि के र्ोग
मागा न िुने जाने के कारण हो रही हो हं । र्फद बच्िे की  प्रश्न कुंिली मं त्रवदे श का त्रविार नवम भाव िे फकर्ा
जडमपिी र्ा जडम फदनांक और िमर् की जानकारी न जाता हं , इिी के िाथ ही ितुथा भाव जो की सनवाि
होने पर बच्िे के सलए सशक्षा प्रासि हे तु कौनिा त्रवकल्प स्थान का भाव हं उिका भी िूक्ष्म अध्र्र्न करना
उपर्ुि रहे गा र्ह प्रश्न ज्र्ोसतष िे जाना जा िकता हं । असत आवश्र्क होता हं ।
इिसलए र्हां त्रवद्या अध्र्र्न िे जुिे़ बच्िे की  र्फद प्रश्न कुंिली मं िर रासश का लग्न हो र्ा ितुथा
जीवन के कुछ महत्वपूणा पहलू जांिने और उििे जुिे़ अथवा नवम भाव मं िर रासश स्स्थत हो तथा लग्नेश
ग्रह र्ोग के प्रभाव िे आपको अवगत करवार्ा जा रहा भी िर रासश मं फह स्स्थत हो उिी के िाथ मं गुरु
हं । स्जििे बच्िे के असभभावक र्ह िरलता िे ज्ञात कर (बृहस्पसत) भी बलवान स्स्थती मं हो, तो व्र्त्रि के
िके की बच्िे को सशक्षा प्रासि के इि रास्ते मं भत्रवष्र् त्रवदे श मं रहकर उत्तम सशक्षा ग्रहण करने के र्ोग
मं फकिी त्रवशेष परे शासनर्ं िे िम्मुस्खन होना पिे ़गा र्ा बनते हं ।
नहीं।  र्फद प्रश्न कुंिली मं लग्नेष अथवा ितुथेश अथवा
र्फद उि रास्ते मं रुकावटे र्ा अिफलता के र्ोग नवमेश अपनी उच्ि रासश मं स्स्थत हो, तो त्रवदे श
हो तो बच्िे की सशक्षा प्रासि का अडर् माध्र्म िुनना जाकर सशक्षा प्राि करने के प्रबल र्ोग बनते हं ।
िाफहए। स्जिमं उिे कम िे कम फदक्कतो का िामना  र्फद प्रश्न कुंिली मं लग्न अथवा ितुथा अथवा नवम
करना पिे ़ और असधक िफलता प्राि होकर वह सशक्षा भाव मं कोई ग्रह अपनी उच्ि रासश मं स्स्थत हो, तो
उिके जीवन मं महत्वपूणा भूसमका सनभा िके। क्र्ोफक भी त्रवदे श जाकर सशक्षा प्राि करने के र्ोग बनते हं ।
कुछ बार एिा हो जाता हं , फक बच्िे र्ा उिके  र्फद प्रश्न कुंिली मं लग्नेष, ितुथेश और नवमेश का
असभभावक एक दि
ू रे के बच्िो को दे खकर सशक्षा प्रासि आपि मं शुभ िम्बडध हो, तो त्रवदे श जाकर
का एिा मागा िून लेते हं स्जिमे ना तो बच्िे की रुसि उच्िस्तरीर् सशक्षा प्राि करने की िंभावना प्रबल
नहीं होती, स्जि का फल र्ह सनकलता हं उि मागा िे रहती है ।
सशक्षा प्रासि मं बच्िे को उपर्ुि िफलता नहीं समलती र्ा  र्फद प्रश्न कुंिली मं िडद्रमा ितुथा भाव अथवा नवम
अिफलता िे िम्मुस्खन होना पड़ िकता हं । भाव को अपनी ििम दृत्रष्ट िे दे खकर बल प्रदान कर
इि सलए प्रश्न ज्र्ोसतष के माध्र्म िे त्रवद्या प्रासि रहा हो तो व्र्त्रि के त्रवदे श जाकर सशक्षा ग्रहण करने
के त्रवशेष र्ोगं का अध्र्र्न करते िमर् उििे जुिे़ िभी की प्रबल िंभावना होती है ।
महत्वपूणा पहलूओं को अवश्र् जांि ले र्ा फकिी कूशल
22 जून 2012

 र्फद त्रवदे श जाने के र्ोग बलवान हो लेफकन सशक्षा रासश मं स्स्थत हो तो, इि र्ोग िे व्र्त्रि उच्ि उच्ि
प्रासि के र्ोग कम बलवान हो, तो त्रवदे श मं सशक्षा सशक्षा प्राि करने मं िफल रहते हं ।
प्रासि की िंभावना बहुत ही कम हो जाती हं । एिी  र्फद र्फद प्रश्न कुण्िली मं उपरोि भाव एवं ग्रह
स्स्थसत मं त्रवदे श मं सशक्षा प्राि करने मं ग्रहं की कमजोर स्स्थसत मं हं तथा इन पर पाप ग्रहं का
बाध्र्ता व्र्त्रि को परे शान कर िकती हं । इिसलए प्रभाव हो तो व्र्त्रि को, सशक्षा के क्षेि मं त्रवसभडन
व्र्त्रि के सलए र्ही अच्छा रहे गा की वह स्वदे श मं बाधाओं का िामना करना पड़ िकता है ।
रहकर ही उच्ि सशक्षा प्राि करने का प्रर्ाि करं ,  स्जि प्रकार ज्र्ोसतष मं सशक्षा के सलए पंिम भाव को
स्जििे उिे सनस्ित िफलता समल िकती है । दे खा जाता है, और पंिम भाव का कारक बृहस्पसत
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं उपरोि स्स्थसत असधक बलवान भी महत्वपूणा स्थान होता है , उिी प्रकार सशक्षा की
नहीं हो, तो त्रवदे श मं सशक्षा प्रासि का र्ोग प्रबल नहीं पूणत
ा ा के सलए लग्न और लग्नेश का बलवान होना
बनता हं । र्फद बनता भी हं तो अल्प िमर् के सलर्े भी असत आवश्र्क है ।
र्ा सशक्षा अधूरी रह जाती हं ।  र्फद प्रश्न कुण्िली मं पंिम भाव, पंिमेश तथा
 र्फद त्रवदे श मं सशक्षा के कारक ग्रह शुभ स्थान मं बृहस्पसत शुभ स्स्थसत मं हो, तथा इनका लग्न र्ा
बलवान स्स्थती मं हो, अशुभ ग्रहो का प्रभाव उन पर लग्नेश िे शुभ िम्बडध स्थात्रपत हो तो व्र्त्रि को
और िंबंसधत भाव नहीं हो और प्रश्न कुण्िली मं सशक्षा सनस्ित रुप िे उच्ि स्तर की सशक्षा प्राि होती है ।
के र्ोग भी उत्तम हो, तो व्र्त्रि उच्ि स्तर की सशक्षा  उपरोि भाव एवं ग्रह कमजोर स्स्थसत मं हं तथा इन
प्राि करने मं िफल रहते हं । व्र्त्रि के सलए त्रवदे श पर पापी ग्रहं का प्रभाव हो तो व्र्त्रि को सशक्षा के
जाकर उच्ि स्तरीर् सशक्षा प्राि करना िफल होगा, क्षेि मं बाधाओं का िामना करना पड़ता है ।
र्फद त्रवदे श मं सशक्षा प्रासि के मागा मं अगर बाधाएं
भी आएंगी तो, व्र्त्रि की इच्छा पूसता के सलए ईश्वर नौकरी करते हुए सशक्षा प्रासि के र्ोग
िे भी िहाता समलने के पूरे र्ोग बनंगे। इिसलए  नौकरी करते हुए सशक्षा पूरी करने के र्ोग जानने के
प्रर्ािरत रह कर अपने लक्ष्र् को ध्र्ान मं रखते हुए सलए प्रश्न कुण्िली मं लग्न, पंिम भाव, दशम भाव
आगे बढ़ते रहे । का िूक्ष्म सनररक्षण करना आवश्र्क होता हं ।
 र्फद मं प्रश्न कुण्िली मं लग्न, पंिम भाव, दशम भाव
उच्ि स्तरीर् सशक्षा प्रासि के र्ोग मं कोई ग्रह उच्ि रासश का होकर स्स्थत हो, तो इि
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं िडद्रमा एकादश भाव मं स्स्थत ग्रह स्स्थसत के कारण व्र्त्रि को नौकरी करते हुए
होकर पंिम भाव को ििम दृस्श्ट दे ख रहा हं, उिे सशक्षा पूरी करने मं िफलता समल िकती हं ।
बल प्रदान कर रहा हो तो, र्ह ग्रह स्स्थती सशक्षा के  पंिम भाव को सशक्षा का घर कहा जाता है इिसलए
क्षेि मं बहुत ही अच्छी स्स्थसत है । इि र्ोग िे व्र्त्रि सशक्षा का त्रविार पंिम भाव िे फकर्ा जाता है । व्र्त्रि
को उच्ि स्तरीर् सशक्षा प्राि होने के पूणा र्ोग बनते की सशक्षा कैिी होगी र्ह पंिम भाव के कारक
हं । बृहस्पसत की स्स्थसत िे ज्ञात फकर्ा जाता हं , नौकरी
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं लगन, लग्नेश, पंिम भाव र्ा के सलए दशम भाव को दे खा जाता है । इि सलए
पंिमेश मं िे फकिी भी कोई एक ग्रह अपनी उच्ि पंिम भाव, पंिमेश, दशम भाव, दशमेश एवं बृहस्पसत
शुभ स्स्थसत मं हो और इनका लग्न र्ा लग्नेश िे
23 जून 2012

शुभ िम्बडध हो, तो नौकरी करते हुए भी व्र्त्रि की र्ोग के शुभ प्रभाव िे व्र्त्रि त्रवदे शी भाषा का ज्ञान
सशक्षा का स्तर उच्ि होटी का होता हं । प्राि करने मं िफल रहते हं ।
 र्फद नौकरी करते हुए सशक्षा प्रासि हे तु कारक ग्रह  र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्न व पंिम भाव मं ग्रह उच्ि
और भाव पाप प्रभाव मं होतो नौकरी करते हुए सशक्षा रासश का होकर स्स्थत हो, तो व्र्त्रि को त्रवदे शी भाषा
प्रासि मं उत्तम पररणाम समलने के र्ोग अनुकूल नहीं प्राि हो िकता हं ।
माने जा िकते। एिी स्स्थती मं सशक्षा के मागा मं  र्फद प्रश्न कुण्िली मं उपरोि भाव एवं ग्रह कमजोर
बाधाएं बाधाएं उत्पडन हो िकती हं , क्र्ंफक कुण्िली स्स्थसत मं हो, तो व्र्त्रि की त्रवदे शी भाषा िीखने की
मं स्स्थत ग्रहं की स्स्थसत अच्छी नहीं हं । ग्रहं के इच्छा अधूरी रहती हं र्ा कई प्रकार की कफठनाईर्ं
अशुभ स्स्थसत मं होने िे सशक्षा के मागा मं कई प्रकार और कष्ट िे व्र्त्रि त्रवदे शी भाषा अधूरी ही िीख पाता
की परे शासनर्ां आिकती हं । स्जिके कारण व्र्त्रि को हं ।
सशक्षा अथवा नौकरी के बीि मं फकिी एक का िुनाव  र्फद प्रश्न कुण्िली मं िडद्रमा पंिम भाव को ििम
करना पड़ िकता हं । एिे व्र्त्रि के सलए नौकरी दृत्रष्ट िे दे खकर उिे बल प्रदान कर रहा हो, तो र्ह
करते हुए सशक्षा पूरी कर पाना कफठन हो िकता हं । र्ोग व्र्त्रि को त्रवदे शी भाषा का ज्ञान प्राि करने मं
 प्रश्न कुण्िली मं िडद्रमा पंिम भाव र्ा दशम भावको त्रवशेष रुप िे िहार्क सिद्ध हो िकता हं ।
ििम दृस्श्ट िे दे खकर उिे बल प्रदान कर रहा हो,
तो शुभ प्रभाव के कारण नौकरी करते हुए सशक्षा पूरी परीक्षा मं िफलता प्रासि के र्ोग
करने मं व्र्त्रि िफल होता है ।
 परीक्षा मं िफल प्राि होगी र्ा नहीं इि का त्रविार
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश, पंिमेश और दशमेश का
पंिम भाव िे फकर्ा जाता है । परीक्षा मं िफल के
आपि मे शुभ िम्बडध हो तो व्र्त्रि नौकरी करते
सलए सशक्षा के कारक ग्रह बुध और बृहस्पसत फक
हुए अपनी सशक्षा पूरी करने मं िफल होता हं ।
स्स्थती अत्र्ासधक महत्वपूणा होती हं ।
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्न, लग्नेश,पंिम भाव और
त्रवदे शी भाषा की सशक्षा प्रासि के र्ोग
पंिमेश तथा कारक बुध एवं बृहस्पसत बलवान स्स्थसत
 स्जि प्रकार कुण्िली मं पंिम भाव िे सशक्षा िे
मं हो, तो व्र्त्रि को परीक्षा मं िफलता समलती हं ।
िम्बस्डधत त्रविार फकर्ा जाता हं और ज्र्ोसतष मं
र्फद उपरोि भाव एवं ग्रह की स्स्थती इििे त्रवपरीत
शसन, राहू और केतु को त्रवदे शी भाषा के कारक ग्रह
माने जाते हं । हो, तो व्र्त्रि को परीक्षा मं अिफलता समलने की

 र्फद प्रश्न कुण्िली मं त्रवदे शी भाषा के कारक ग्रह िंभावना आसधक रहती है । एिी अवस्था मं हताशा,

शसन, राहू और केतु का पंिम भाव र्ा पंिमेश अथवा सनराशा, लापरवाही और िंिलता को त्र्ागकर पररक्षा

लग्न र्ा लग्नेश िे शुभ िम्बडध हो, तो व्र्त्रि को मं िफलता के सलए व्र्त्रि को कफठन परीश्रम करना
सनस्ित रुप िे त्रवदे शी भाषा िीखने मं िफलता प्राि होगा।
होती हं ।  र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश और पंिमेश अपनी उच्ि
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश व पंिमेश का उच्ि रासश रासश मं स्स्थत हो, तो परीक्षा मं िफलता समलने के
मं र्ा दोनो के आपि मं शुभ िम्बडध हो, तो इि र्ोग उत्तम रहते हं ।
24 जून 2012

 र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश और पंिमेश पर कमज़ोर  र्फद प्रश्न कुण्िली मं उपरोि भाव व ग्रह कमजोर
अथवा पीफड़त ग्रहं का प्रभाव पड़ रहा है तो प्रसतकूल स्स्थसत मं हं तथा इन पर पापी ग्रहं का प्रभाव हो
पररणाम िंभव है । तो सशक्षा िम्बडधी कारोबार मं िफलता समलने की
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं िडद्रमा एकादश भाव मं स्स्थत िंभावना असधक प्रबल नहीं होती है ।
हो कर पंिम भाव को ििम दृत्रष्ट िे दे खकर बल  र्फद प्रश्न कुण्िली मं िडद्रमा पंिम भाव र्ा ििम
प्रदान कर रहा हो, तो व्र्िो को परीक्षा मं िफलता भाव को भाव को ििम दृत्रष्ट िे दे ख रहा हो और उिे
समल ती हं । प्रदान कर रहा हो, तो शुभ ग्रह स्स्थसत िे सशक्षा
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं िभी कारक ग्रह एवं भाव शुभ िम्बडधी कारोबार मं व्र्त्रि िफलता के आिमान को
स्स्थसत मं और बलवान स्स्थसत मं हो तो व्र्त्रि को छूता हं ।
उच्ि श्रेणी की िफलता र्ा उच्ि क्रमांक की प्रासि  र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश, पंिमेश और ििमेश
होने के प्रबल र्ोग बनते हं । अपनी उच्ि रासश मं स्स्थत हो, तो सशक्षा िम्बडधी
सशक्षा िम्बडधी कारोबार िफलता प्रासि के र्ोग कारोबार करने िे व्र्त्रि को अत्र्ासधक लाभ की

 स्जि प्रकार कुण्िली मं सशक्षा िे िम्बस्डधत त्रवषर्ं प्रासि के र्ोग बनते हं ।

मं िफलता के सलए पंिम भाव पंिम भाव का कारक  र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्न, पंिम और ििम भाव मं

बृहस्पसत की स्स्थसत को दे खा जाता है और व्र्विार् ग्रह उच्ि रासश मं स्स्थत हो, तो सशक्षा िम्बडधी

के सलए ििम भाव को दे खा जाता है । इि के अलावा कारोबार करने िे व्र्त्रि को त्रवशेष लाभ की प्रासि के

सशक्षा िम्बडधी कारोबार मं िफलता के सलए र्ोग बनते हं ।

लग्न/लग्नेश का बलवान होना भी आवश्र्क होता है ।  र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश, पंिमेश और ििमेश का

 र्फद प्रश्न कुण्िली पंिम भाव, पंिमेश, ििम भाव, आपि मं शुभ िम्बडध हो, तो सशक्षा िम्बडधी

ििमेश एवं बृहस्पसत शुभ स्स्थसत मं हो और उनका करोबार करने पर व्र्त्रि को त्रवशेष िफलता समलने

शुभ िम्बडध लग्न/लग्नेश िे हो तो व्र्त्रि को सशक्षा की प्रबल िंभावना होती हं ।

िम्बडधी कारोबार मं लाभ के अच्छे र्ोग बनते है ।

त्रवद्या प्रासि हे तु िरस्वती कवि और र्ंि


आज के आधुसनक र्ुग मं सशक्षा प्रासि जीवन की महत्वपूणा आवश्र्कताओं मं िे एक है । फहडद ू धमा मं त्रवद्या की
असधष्ठािी दे वी िरस्वती को माना जाता हं । बच्िो की बुत्रद्ध को कुशाग्र एवं तीव्र हो, बच्िो की बौत्रद्धक क्षमता और स्मरण
शत्रि का त्रवकाि हो इि सलए िरस्वती कवि अत्र्ंत लाभदार्क हो िकता हं ।
िरस्वती कवि को दे वी िरस्वती के परं म दल
ू भ
ा तेजस्वी मंिो द्वारा पूणा मंिसिद्ध और पूणा िैतडर्र्ुि फकर्ा जाता
हं । स्जस्िे जो बच्िे मंि जप अथवा पूजा-अिाना नहीं कर िकते वह त्रवशेष लाभ प्राि कर िके और जो बच्िे पूजा-
अिाना करते हं , उडहं दे वी िरस्वती की कृ पा शीघ्र प्राि हो इि सलर्े िरस्वती कवि अत्र्ंत लाभदार्क होता हं ।

िरस्वती कवि : मूल्र्: 460 और 550 िरस्वती र्ंि :मूल्र् : 370 िे 1900 तक
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25 जून 2012

प्रश्न ज्र्ोसतष और र्ािा के र्ोग


 सिंतन जोशी
छोटी दरू ी की र्ािा के र्ोग भाव शुभ स्स्थसत मं हो तो छोटी दरू ी र्ािा व्र्त्रि को

 प्रश्न ज्र्ोसतष के अनुशार छोटी दरू ी की र्ािाओं का उत्तम लाभ प्रदान करती है ।

अवलोकन करने के सलए तृतीर् भाव को दे खा जाता


है । हवाई र्ािा के र्ोग
 र्फद प्रश्न कुण्िली के तृतीर् भाव मं िर रासश (मेष,  प्रश्न कुण्िली मं हवाई र्ािा िे िम्बस्डधत त्रविार
कका, तुला, मकर) हं तो र्ह र्ोग र्ािा के सलए करने मं बृहस्पसत एवं शसन की स्स्थसत महत्वपूणा
असत उत्तम होता हं । इिके अलावा छोटी दरू ी की र्ािा स्थान रखती हं ।
के सलए तृतीर्ेश एवं र्ािा के कारक ग्रह िडद्रमा की  र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्न, लग्नेश शुभ प्रभाव मं
स्स्थसत भी असत महत्व का स्थान रखती हं । बलवान स्स्थसत मं हो तो व्र्त्रि को हवाई र्ािा मं
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं र्ािा िे िम्बस्डधत ग्रह और फकिी तरह के कष्ट र्ा परे शानी िे िामना नहीं करना
भाव शुभ प्रभाव मं हं तो र्ािा िदै व लाभप्रद होती पिे ़गा।
है ।  र्फद प्रश्न कुण्िली के लग्न, अष्टम र्ा नवम भाव मं
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं उि ग्रह एवं भावं की स्स्थती समथुन, तुला र्ा कुम्भ रासश स्स्थत हो और बृहस्पसत
पाप पीफित हं तो र्ािा कम लाभप्रद र्ा नुक़िानदे ह र्ा शसन इन स्थानं मं स्स्थत हो तो व्र्त्रि केसलए
होती हं । एिी अवस्था मं त्रवशेष पररस्स्थसतर्ं को हवाई र्ािा अत्र्ंत लाभकारी रहती है ।
छोड़कर व्र्त्रि को ग्रह शुभ स्स्थसत मं आने तक र्ािा  र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश और नवमेश का शुभ
को टाल दं तो उत्तम रहता हं । िम्बडध स्थात्रपत हो रहा हं तो व्र्त्रि की हवाई र्ािा
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं िडद्रमा नवम भाव मं स्स्थत हो लाभकारी रहती है ।
और तृतीर् भाव को ििम दृस्श्ट िे दे खकर उिे बल  र्फद प्रश्न कुण्िली मं िडद्रमा तृसतर्ा भाव मं स्स्थत
प्रदान कर रहा हं तो व्र्त्रि की छोटी दरू ी र्ािा हो कर नवम भाव को ििम दृत्रष्ट िे दे खकर बल
लाभप्रद होती है । प्रदान कर रहा हो तो व्र्त्रि को हवाई र्ािा मं फकिी
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश और तृतीर् भाव का शुभ तरह की परे शानी नहीं होती। र्ािा िुखदार्क पूणा
िम्बडध हो व अडर् ग्रह भी शुभ स्स्थसत मं हो तो होती हं ।
र्हं छोटी दरू ी र्ािा के सलए शुभ िंकेत दे ता है ।  र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश/नवमेश अपनी उच्ि
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश अपनी उच्ि रासश मं रासश मं स्स्थत हो और अडर् र्ोग भी अनुकूल हो तो
स्स्थत हो र्ािा िे िम्बस्डधत अडर् ग्रह और भाव र्ािा लाभप्रद होती हं ।
शुभ स्स्थसत मं हो तो छोटी दरू ी र्ािा व्र्त्रि को  र्फद प्रश्न कुण्िली मं हवाई र्ािा िे िम्बस्डधत भाव
उत्तम लाभ प्रदान करती है । और ग्रह बृहस्पसत व शसन पाप प्रभाव िे पीफड़त हो
 र्फद प्रश्न कुण्िली के लग्न मं ग्रह उच्ि रासश का तो व्र्िो को हवाई र्ािा के दौरान कई प्रकार की
होकर स्स्थत हो र्ािा िे िम्बस्डधत अडर् ग्रह और परे शासनर्ं का िामना करना पड़ िकता हं । इि सलए
26 जून 2012

असत आवश्र्क नहीं हो तो व्र्त्रि को हवाई जहाज िे स्स्थत हो तो र्ह स्स्थसत असत उत्तम लाभ प्रासि का
र्ािा करने का त्रविार ग्रह स्स्थसत िुधरने तक त्र्ाग िंकेत दे ती हं ।
दे ना िाफहए।  प्रश्न कुण्िली मं एकादश भाव, एकादशेश, लग्न,
लग्नेश का आपि मं शुभ िम्बडध बन रहा हो और
जलर्ािा के र्ोग ग्रहो का प्रभाव भी शुभ हो तो व्र्त्रि को र्ािा मं
 प्रश्न कुण्िली मं जलर्ािा िे िम्बस्डधत त्रविार अष्टम अवश्र् लाभ की प्रासि होती हं ।
भाव िे फकर्ा जाता हं । ज्र्ोसतष मं जलर्ािा का  प्रश्न कुण्िली मं एकादश भाव, एकादशेश, लग्न,
कारक ग्रह िडद्रमा होता हं । लग्नेश आशुभ ग्रहं के प्रभाव मं हो तो व्र्त्रि को
 र्फद कुण्िली मं लग्न, लग्नेश, अष्टम भाव, अष्टमेश र्ािा मं त्रवशेष लाभ की प्रासि नहीं होती हं ।
और िडद्रमा शुभ होकर बलवान स्स्थसत मं हो तो  प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश व एकादशेश का आपि मं
व्र्त्रि फक सलए जलर्ािा सनस्ितरुप िे लाभकारी शुभ िम्बडध स्थात्रपत हो रहा तो व्र्त्रि के सलए
रहती है । र्ािा लाभप्रद ही होती हं ।
 र्फद कुण्िली मं लग्न, लग्नेश, अष्टम भाव, अष्टमेश  प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश व एकादशेश अपनी उच्ि
और िडद्रमा अशुभ होकर पाप ग्रहो के प्रभाव मं हो रासश का होकर स्स्थत हो तो व्र्त्रि के सलए र्ािा
तो व्र्त्रि फक सलए जलर्ािा त्रवशेष लाभकारी नहीं लाभप्रद ही होती हं ।
रहती है ।  प्रश्न कुण्िली के लग्न र्ा एकादश भाव मं ग्रह अपनी
 र्फद कुण्िली मं लग्नेश, अष्टमेश अपनी उच्ि रासश मं उच्ि रासश का होकर स्स्थत हो तो व्र्त्रि के सलए
स्स्थत हो और अडर् ग्रह स्स्थसत अनुकूल हो तो र्ािा लाभप्रद ही होती हं ।
व्र्त्रि के सलए जलर्ािा लाभप्रद होती हं ।  प्रश्न कुण्िली मं िडद्रमा पंिम भाव मं स्स्थत हो और
 र्फद कुण्िली के लग्न र्ा अष्टम भाव मं ग्रह अपनी एकादश भाव को ििम दृत्रष्ट िे दे ख कर उिे बल
उच्ि रासश मं स्स्थत हो एवं अडर् ग्रह स्स्थसत प्रदान कर रहा हो तो र्ािा मं व्र्त्रि को सनस्ित रुप
अनुकूल हो तो व्र्त्रि के सलए जलर्ािा लाभप्रद होती िे लाभ प्राि होने के प्रबल र्ोग बनते हं ।
हं ।
 र्फद कुण्िली मं िडद्रमा फद्वतीर् भाव मं स्स्थत होकर त्रवदे श र्ािा
अष्टम भाव को ििम दृस्श्ट िे दे खकर बल प्रदान  प्रश्न कुण्िली मं त्रवदे श का त्रविार नवम भाव िे फकर्ा
 कर रहा हो तो व्र्त्रि के सलए जलर्ािा लाभदार्क जाता हं ।
रहती हं ।  र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्न र्ा लग्नेश व ितुथा भाव
र्ा ितुथेश का िम्बडध नवम भाव िे होता हं तो
र्ािा मं लाभ के र्ोग व्र्त्रि को त्रवदे श र्ािा का अविर अवश्र् प्राि होता
 प्रश्न कुण्िली मं र्ािा के दौरान लाभ होगा र्ा नहीं हं ।
इििे िम्बस्डधत त्रविार एकादश भाव िे फकर्ा जाता  र्फद लग्न र्ा ितुथा भाव मं िर रासश (मेष , कका,
हं । िर लग्न हं तो र्ह र्ोग र्ािा के सलए असत तुला, मकर) हं तो व्र्त्रि जीवन मं त्रवदे श र्ािा
उत्तम होता हं और लग्नेश भी र्फद िर रासश मं अवश्र् करता हं ।
27 जून 2012

 र्फद प्रश्न कुण्िली के लग्न र्ा ितुथा भाव मं िर बलवान होता हं और त्रववाह के पिर्ात व्र्त्रि के
रासश (मेष, कका, तुला, मकर) हो और उि पर त्रवदे श मं सनवाि करने के र्ोग बनते हं ।
िडद्रमा की दृत्रष्ट हो तो व्र्त्रि के जीवन मं त्रवदे श  र्फद प्रश्न कुण्िली के लग्नेश र्ा द्वादशेश अपनी नीि
र्ािा का मौका शीघ्र आता है । रासश मं स्स्थत हो र्ा अशुभ ग्रहो के प्रभाव मं हो तो
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं त्रवदे श र्ािा िे िम्बस्डधत ग्रह व्र्त्रि के त्रवदे श मं सनवार करने के ख्वाब अधूरे रह
एवं भाव पाप प्रभाव मं हो और शुभ ग्रहो के प्रभाव जाते हं र्ा त्रवदे श मं व्र्त्रि को कई मुस्श्कलं का
िे वस्डित हो तो व्र्त्रि को त्रवदे श र्ािा जाने मं कई िामना करना पड़ िकता है
बाधाएं आएंगी स्जिके कारण उिका ख्वाब अधूरा रह
िरकारी र्ािा
िकता हं ।
 प्रश्न कुण्िली मं िरकारी क्षेि का त्रविार दशम भाव िे
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं िडद्रमा तृतीर् भाव िे नवम
फकर्ा जाता हं । िूर्ा को िरकारी क्षेि का कारक ग्रह
भाव को ििम दृत्रष्ट िे दे ख कर उिे बल प्रदान कर
माना जाता हं । र्ािा का त्रविार नवम भाव िे फकर्ा
रहा हो तो व्र्त्रि के जीवन मं त्रवदे श र्ािा का मौका
जाता हं । िरकारी र्ािा का त्रविार करते िमर् लग्न
जल्द प्राि होता है ।
र्ा लग्नेश का बलवान होने असत आवश्र्क होता हं
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश र्ा नवमेश अपनी उच्ि
अडर्था व्र्त्रि को िरकारी र्ािा मं त्रवशेष लाभ की
रासश मं स्स्थत हो तो व्र्त्रि असधक भाग्र्वान हो
प्रासि होने मं िंदेह रहता हं र्ा लाभ की प्रासि नहीं
जाता हं , स्जििे व्र्त्रि को जीवन मं त्रवदे श र्ािा का
होती।
अविर अवश्र् समलता हं ।
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं नवम भाव और दशम भाव का
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश एवं नवमेश का आपि
र्ुसत र्ा दृत्रष्ट िंबंध हो तो व्र्त्रि को िरकारी र्ािा
मं शुभ िम्बडध हो तो व्र्त्रि के त्रवदे श र्ािा पर
िे सनस्ित लाभ समलने के र्ोग बनते हं ।
जाने के र्ोग सनस्ित रुप िे बनते हं ।
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश उच्ि रासश मं स्स्थत हो
 र्फद प्रश्न कुण्िली के लग्न एवं नवम भाव मं ग्रह
र्ा लग्न मं कोई ग्रह उच्ि रासश का स्स्थत हो तो
अपनी उच्ि रासश का होकर स्स्थत हो तो व्र्त्रि के
व्र्त्रि को िरकारी र्ािा मं लाभ प्राि हो िकता हं ।
त्रवदे श र्ािा पर जाने के र्ोग सनस्ित रुप िे बनते
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं िडद्रमा ितुथा स्थान मं स्स्थत
हं ।
होकर दशम भाव को ििम दृत्रष्ट िे दे ख कर बल
त्रवदे श मं सनवाि
प्रदान कर रहा हो तो िरकारी र्ािा लाभदार्क सिद्ध
 र्फद प्रश्न कुण्िली के लग्नेश र्ा द्वादशेश अपनी उच्ि
हो िकती हं ।
रासश मं स्स्थत हो तो व्र्त्रि का भाव्र् असधक

प्रश्न कुण्िली िे अपने फकिी भी प्रश्नं का स्स्टक उत्तर प्राि फकस्जए।


क्र्ा आप अत्र्ाधुसनक ज्र्ोसतष प्रणाली िे अपने भत्रवष्र् िे िंबंसधत प्रश्नो का स्स्टक उत्तर प्राि करना िाहते हं तो
आप गुरुत्व कार्ाालर् मं िंपका कर िकते हं । हमारे प्रश्न ज्र्ोसतष त्रवशेज्ञ आपके द्वारा पूछे गर्े प्रश्न का ग्रहं के अधार
पर उनकी िूक्ष्म गणना कर उिके स्स्टक फलादे श िे आपको अवगत कराने का प्रर्ाि करं गे। 3 प्रश्न माि :550
GURUTVA KARYALAY
Call Us - 9338213418, 9238328785, Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in, gurutva.karyalay@gmail.com
28 जून 2012

िवा कार्ा सित्रद्ध कवि


स्जि व्र्त्रि को लाख प्रर्त्न और पररश्रम करने के बादभी उिे मनोवांसछत िफलतार्े एवं फकर्े गर्े कार्ा
मं सित्रद्ध (लाभ) प्राि नहीं होती, उि व्र्त्रि को िवा कार्ा सित्रद्ध कवि अवश्र् धारण करना िाफहर्े।

कवि के प्रमुख लाभ: िवा कार्ा सित्रद्ध कवि के द्वारा िुख िमृत्रद्ध और नवग्रहं के नकारात्मक प्रभाव को
शांत कर धारण करता व्र्त्रि के जीवन िे िवा प्रकार के द:ु ख-दाररद्र का नाश हो कर िुख-िौभाग्र् एवं
उडनसत प्रासि होकर जीवन मे िसभ प्रकार के शुभ कार्ा सिद्ध होते हं । स्जिे धारण करने िे व्र्त्रि र्फद
व्र्विार् करता होतो कारोबार मे वृत्रद्ध होसत हं और र्फद नौकरी करता होतो उिमे उडनसत होती हं ।

 िवा कार्ा सित्रद्ध कवि के िाथ मं िवाजन वशीकरण कवि के समले होने की वजह िे धारण करता
की बात का दि
ू रे व्र्त्रिओ पर प्रभाव बना रहता हं ।
 िवा कार्ा सित्रद्ध कवि के िाथ मं अष्ट लक्ष्मी कवि के समले होने की वजह िे व्र्त्रि पर मां महा
िदा लक्ष्मी की कृ पा एवं आशीवााद बना रहता हं । स्जस्िे मां लक्ष्मी के अष्ट रुप (१)-आफद
लक्ष्मी, (२)-धाडर् लक्ष्मी, (३)-धैरीर् लक्ष्मी, (४)-गज लक्ष्मी, (५)-िंतान लक्ष्मी, (६)-त्रवजर्
लक्ष्मी, (७)-त्रवद्या लक्ष्मी और (८)-धन लक्ष्मी इन िभी रुपो का अशीवााद प्राि होता हं ।

 िवा कार्ा सित्रद्ध कवि के िाथ मं तंि रक्षा कवि के समले होने की वजह िे तांत्रिक बाधाए दरू
होती हं , िाथ ही नकारत्मन शत्रिर्ो का कोइ कुप्रभाव धारण कताा व्र्त्रि पर नहीं होता। इि
कवि के प्रभाव िे इषाा-द्वे ष रखने वाले व्र्त्रिओ द्वारा होने वाले दष्ट
ु प्रभावो िे रक्षाहोती हं ।
 िवा कार्ा सित्रद्ध कवि के िाथ मं शिु त्रवजर् कवि के समले होने की वजह िे शिु िे िंबंसधत
िमस्त परे शासनओ िे स्वतः ही छुटकारा समल जाता हं । कवि के प्रभाव िे शिु धारण कताा
व्र्त्रि का िाहकर कुछ नही त्रबगि िकते।

अडर् कवि के बारे मे असधक जानकारी के सलर्े कार्ाालर् मं िंपका करे :

फकिी व्र्त्रि त्रवशेष को िवा कार्ा सित्रद्ध कवि दे ने नही दे ना का अंसतम सनणार् हमारे पाि िुरस्क्षत हं ।

GURUTVA KARYALAY
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA)
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Our Website:- http://gk.yolasite.com/ and http://gurutvakaryalay.blogspot.com/
Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in, gurutva.karyalay@gmail.com

(ALL DISPUTES SUBJECT TO BHUBANESWAR JURISDICTION)


29 जून 2012

पत्रिका िदस्र्ता (Magazine Subscription) आप हमारे िाथ जुि िकते हं ।

आप हमारी मासिक पत्रिका आप हमारे िाथ त्रवसभडन िामास्जक नेटवफकंग िाइट के


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30 जून 2012

प्रश्न ज्र्ोसतष और धन िे िंबंसधत र्ोग


 सिंतन जोशी, स्वस्स्तक.ऎन.जोशी, फदपक.ऐि.जोशी
आसथाक स्स्थसत का आंकलन िमर् तक बहूत असधक मािा मं धन प्रासि की

 प्रश्न कुण्िली िे आसथाक स्स्थसत का त्रविार फद्वतीर् िम्भावना कम ही रहती हं ।

भाव, फद्वतीर्ेश, एकादश भाव व एकादशेश की स्स्थसत  र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश का फद्वतीर्ेश अथवा

िे फकर्ा जाता हं । धन का कारक बृहस्पसत ग्रह होता एकादशेश िे शुभ िम्बडध स्थात्रपत हो रहा हो तो

हं । आसथाक स्स्थसत मजबूत होने के सलए प्रश्न कुण्िली र्ह व्र्त्रि की आसथाक स्स्थसत उत्तम होने का िंकेत

मं िम्बस्डधत भाव के िाथ-िाथ बृहस्पसत, लग्न और दे ता हं ।

लग्नेश का बलवान होना असत आवश्र्क होता हं ।  र्फद प्रश्न कुण्िली मं िडद्रमा फद्वतीर् अथवा एकादश

 र्फद प्रश्न कुण्िली मं बृहस्पसत के अलावा अडर् भाव को अपनी ििम दृत्रष्ट िे दे खकर उिे बल प्रदान

िम्बस्डधत भाव एवं ग्रह शुभ प्रभाव मं हो तो व्र्त्रि कर रहा हो तो व्र्त्रि आसथाक दृत्रष्ट िे िम्पडन होता

फक आसथाक स्स्थती मजबूत होती हं । व्र्त्रि को आने हं । उिे भत्रवष्र् मं फकिी प्रकार के बिे ़ आसथाक िंकट

वाले िमर् मं उत्तम मािा मं धन लाभ प्राि होता हं । िे नहीं गुजरना पिे ़गा।

 र्फद प्रश्न कुण्िली मं बृहस्पसत के अलावा अडर्  र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश र्ा फद्वतीर्ेश अथवा

िम्बस्डधत भाव एवं ग्रह अशुभ एवं पाप प्रभाव मं हो एकादशेश अपनी उच्ि रासश मं स्स्थत हो तो र्ह

तो व्र्त्रि फक आसथाक स्स्थती कमजोर होती हं । व्र्त्रि स्स्थसत व्र्त्रि को उत्तम धन प्राि होने के िंकेत दे ती

को आने वाले िमर् मं धन हानी होने की िम्भावना हं ।

होती हं ।  र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्न र्ा फद्वतीर् भाव र्ा

 र्फद प्रश्न कुण्िली मं िम्बस्डधत भाव और ग्रह एकादश भाव मं ग्रह उच्ि रासश का होकर स्स्थत हो

िामाडर् स्स्थसत मं हो तो व्र्त्रि अपनी आवश्र्िा के तो व्र्त्रि अपने प्रर्ािो िे उत्तम धन प्राि कर लेता

अनुशार धन कमा लेता हं । लेफकन आने वाले कुछ हं ।

भाग्र् लक्ष्मी फदब्बी


िुख-शास्डत-िमृत्रद्ध की प्रासि के सलर्े भाग्र् लक्ष्मी फदब्बी :- स्जस्िे धन प्रसि, त्रववाह र्ोग,
व्र्ापार वृत्रद्ध, वशीकरण, कोटा किेरी के कार्ा, भूतप्रेत बाधा, मारण, िम्मोहन, तास्डिक
बाधा, शिु भर्, िोर भर् जेिी अनेक परे शासनर्ो िे रक्षा होसत है और घर मे िुख िमृत्रद्ध
फक प्रासि होसत है , भाग्र् लक्ष्मी फदब्बी मे लघु श्री फ़ल, हस्तजोिी (हाथा जोिी), सिर्ार
सिडगी, त्रबस्ल्ल नाल, शंख, काली-िफ़ेद-लाल गुंजा, इडद्र जाल, मार् जाल, पाताल तुमिी
जेिी अनेक दल
ु भ
ा िामग्री होती है।
मूल्र्:- Rs. 910 िे Rs. 8200 तक उप्लब्द्ध
गुरुत्व कार्ाालर् िंपका : 91+ 9338213418, 91+ 9238328785
c
31 जून 2012

धन लाभ के र्ोग शीघ्र उत्तम धन लाभ प्राि हो ने के िंकेत दे ता हं ।

 प्रश्न कुण्िली मं धन लाभ का त्रविार एकादश भाव िे  र्फद प्रश्न कुण्िली मं िडद्रमा एकादश भाव को अपनी

फकर्ा जाता है । धन के कारक बृहस्पसत की स्स्थसत ििम दृत्रष्ट िे दे खकर उिे बल प्रदान कर रहा हो तो

भी काफी महत्वपूणा होती है । धन का कारक बृहस्पसत व्र्त्रि को अपने कार्ो िे त्रवशेष लाभ प्राि होने के

ग्रह होता हं । उत्तम धन की प्रासि के सलए प्रश्न र्ोग बनते हं । उिे भत्रवष्र् मं फकिी प्रकार के बिे ़

कुण्िली मं िम्बस्डधत भाव के िाथ-िाथ बृहस्पसत, आसथाक िंकट िे नहीं गुजरना पिे ़गा।

लग्न और लग्नेश का बलवान होना असत आवश्र्क  र्फद प्रश्न कुण्िली मं बृहस्पसत के अलावा अडर्

होता हं । िम्बस्डधत भाव एवं ग्रह अशुभ एवं पाप प्रभाव मं हो

 र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्न र्ा लग्नेश का एकादश र्ा तो व्र्त्रि को धन लाभ के सलए कफठन पररश्रम

एकादशेश के िाथ शुभ िम्बडध हो तो व्र्त्रि को करना पड़ता हं , स्जि मं उिे उस्म्मद िे कम लाभ

अपने कार्ा िे बड़ी मािा मं धन लाभ होने के र्ोग की प्रासि हो िकती हं । इि सलए व्र्त्रि को ग्रह

बनते हं । स्स्थसत बदलने तक अपने महत्वपूणा कार्ं को

 र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्न र्ा लग्नेश का एकादश र्ा स्थसगत कर दे ना िाफहए।

एकादशेश के िाथ अशुभ िम्बडध हो तो व्र्त्रि को


अपने कार्ा मं कफठन पररश्रम करने के उपराडत धन कार्ा िे धन प्रासि के र्ोग
लाभ के र्ोग बनते हं ।  प्रश्न कुण्िली मं कार्ा का त्रविार दशम भाव िे फकर्ा
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश अथवा लग्न मं ग्रह जाता हं तथा धन लाभ के सलए एकादश भाव िे
उच्ि रासश का होकर स्स्थत हो और अडर् िम्बस्डधत त्रविार करना िाफहए।
ग्रह और भाव शुभ िम्बडधो मे हो तो र्ह व्र्त्रि को  र्फद प्रश्न कुण्िली मं एकादश भाव र्ा एकादशेश का

नवरत्न जफड़त श्री र्ंि


शास्त्रो विन के अनुिार शुद्ध िुवणा र्ा रजत मं सनसमात श्री र्ंि के िारं और र्फद नवरत्न जड़वा ने पर र्ह नवरत्न
जफड़त श्री र्ंि कहलाता हं । िभी रत्नो को उिके सनस्ित स्थान पर जड़ कर लॉकेट के रूप मं धारण करने िे व्र्त्रि
को अनंत एश्वर्ा एवं लक्ष्मी की प्रासि होती हं । व्र्त्रि को एिा आभाि होता हं जैिे मां लक्ष्मी उिके िाथ हं ।
नवग्रह को श्री र्ंि के िाथ लगाने िे ग्रहं की अशुभ दशा का धारण करने वाले व्र्त्रि पर प्रभाव नहीं होता हं ।
गले मं होने के कारण र्ंि पत्रवि रहता हं एवं स्नान करते िमर् इि र्ंि पर स्पशा कर जो जल त्रबंद ु शरीर को
लगते हं , वह गंगा जल के िमान पत्रवि होता हं । इि सलर्े इिे िबिे तेजस्वी एवं फलदासर् कहजाता हं । जैिे
अमृत िे उत्तम कोई औषसध नहीं, उिी प्रकार लक्ष्मी प्रासि के सलर्े श्री र्ंि िे उत्तम कोई र्ंि िंिार मं नहीं हं एिा
शास्त्रोोि विन हं । इि प्रकार के नवरत्न जफड़त श्री र्ंि गुरूत्व कार्ाालर् द्वारा शुभ मुहूता मं प्राण प्रसतत्रष्ठत करके
बनावाए जाते हं ।

GURUTVA KARYALAY
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32 जून 2012

दशम भाव र्ा दशमेश के िाथ शुभ िम्बडध बन रहा िाझेदारी के कार्ा िे धनलाभ
हो तो व्र्त्रि को अपने कार्ा िे अवश्र् धन लाभ  प्रश्न कुण्िली मं िाझेद
़ ारी िे िम्बस्डधत त्रविार ििम
प्राि होता है । भाव िे फकर्ा जाता हं और धन लाभ के सलए
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं एकादश भाव र्ा एकादशेश का एकादश भाव का आंकलन फकर्ा जाता हं । ििम भाव
दशम भाव र्ा दशमेश का आपि मं अशुभ िम्बडध का कारक शुक्र ग्रह होता हं । इि सलए िाझे़दारी िे
बन रहा हो तो व्र्त्रि को अपने कार्ा मं धन लाभ के िम्बस्डधत कार्ो पर त्रविार करते िमर् शुक्र की
सलए त्रवशेष पररश्रम करना पड़ िकता हं । स्जिमे उिे स्स्थसत का आंकलन करना असत महत्वपूणा होता हं
अपेक्षा कृ त कम धनलाभ प्राि हो िकता हं । इि के िाथ ही बुध की स्स्थसत भी महत्वपूणा होती
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश का एकादशेश के िाथ हं ।
शुभ िम्बडध बन रहा हो तो व्र्त्रि को अपने कार्ो  र्फद प्रश्न कुण्िली मं शुक्र र्ा बुध का ििम र्ा
मे अपने प्रर्ािो के अनुरुप धन प्राि होता हं । ििमेश, एकादश भाव र्ा एकादशेश, लग्न र्ा लग्नेश
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश अथवा लग्न मं ग्रह के िाथ मं फकिी भी प्रकार र्ुसत र्ा दृत्रष्ट िम्बडध
अपनी उच्ि रासश मं स्स्थत हो तो व्र्त्रि को अपने स्थात्रपत होता हो तो व्र्त्रि को िाझे़दारी िे धनलाभ
कार्ो मे त्रवशेष रुप िे धनलाभ प्राि होता हं । समलता हं ।
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं िडद्रमा पंिम भाव मं स्स्थत हो  र्फद प्रश्न कुण्िली मं उि भावं एवं ग्रहं पर िडद्रमा
कार एकादश भाव को ििम दृत्रष्ट िे दे खकर उिे बल की शुभ दृत्रष्ट हो तो र्ह व्र्त्रि को िाझे़दारी के कार्ा
प्रदान कर रहा व्र्त्रि को अपने कार्ाक्षेि मं त्रवशेष मं शीघ्र ही धनलाभ प्राि होने के िंकेत दे ता हं ।
धनलाभ की प्रासि होती हं ।  र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश र्ा लग्न मं ग्रह अपनी

कनकधारा र्ंि
आज के र्ुग मं हर व्र्त्रि असतशीघ्र िमृद्ध बनना िाहता हं । धन प्रासि हे तु प्राण-प्रसतत्रष्ठत कनकधारा र्ंि के िामने
बैठकर कनकधारा स्तोि का पाठ करने िे त्रवशेष लाभ प्राि होता हं । इि कनकधारा र्ंि फक पूजा अिाना करने िे
ऋण और दररद्रता िे शीघ्र मुत्रि समलती हं । व्र्ापार मं उडनसत होती हं , बेरोजगार को रोजगार प्रासि होती हं ।

श्री आफद शंकरािार्ा द्वारा कनकधारा स्तोि फक रिना कुछ इि प्रकार फक हं , स्जिके श्रवण एवं पठन करने िे
आि-पाि के वार्ुमंिल मं त्रवशेष अलौफकक फदव्र् उजाा उत्पडन होती हं । फठक उिी प्रकार िे कनकधारा र्ंि अत्र्ंत
दल
ु भ
ा र्ंिो मं िे एक र्ंि हं स्जिे मां लक्ष्मी फक प्रासि हे तु अिूक प्रभावा शाली माना गर्ा हं । कनकधारा र्ंि को
त्रवद्वानो ने स्वर्ंसिद्ध तथा िभी प्रकार के ऐश्वर्ा प्रदान करने मं िमथा माना हं । जगद्गरु
ु शंकरािार्ा ने दररद्र ब्राह्मण
के घर कनकधारा स्तोि के पाठ िे स्वणा वषाा कराने का उल्लेख ग्रंथ शंकर फदस्ग्वजर् मं समलता हं । कनकधारा
मंि:- ॐ वं श्रीं वं ऐं ह्रीं-श्रीं क्लीं कनक धारर्ै स्वाहा' मूल्र्: Rs.550 िे Rs.8200 तक

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bn
33 जून 2012

उच्ि रासश मं स्स्थत हो और अडर् िम्बस्डधत ग्रह  र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्न र्ा लग्नेश र्ा अष्टम भाव
और भाव अनुकूल स्स्थसत मं हो तो व्र्त्रि को को र्ा अष्टमेश के िाथ मं िडद्र, शुक्र और मंगल के
िाझे़दारी के कार्ा मं धनलाभ प्राि समलता हं । अशुभ िम्बडध हो र्ा पाप प्रभाव मं हो तो व्र्त्रि को
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं िडद्रमा पंिम भाव मं स्स्थत हो स्त्रोी पक्ष िे उत्तम धन लाभ समलने की िंभावना नहीं
कर एकादश भाव को ििम दृत्रष्ट िे दे खकर उिे बल बनती व्र्त्रि को धन प्रासि के सलए त्रवसभडन
प्रदान कर रहा हो तो इि र्ोग िे व्र्त्रि को िमस्र्ाओं का िामना करना पड़ िकता है ।
िाझे़दारी के कार्ा मं अवश्र् धन लाभ समलता हं ।  र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्न र्ा अष्टम भाव मं ग्रह
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं एकादश भाव मं ग्रह बलवान हो उच्ि रासश का होकर स्स्थत हो और अडर् िम्बस्डधत
कर स्स्थत हो और अडर् िम्बस्डधत ग्रह और भाव ग्रहं एवं भावं भी अनुकूल स्स्थसत मं हो तो व्र्त्रि
अनुकूल स्स्थसत मं हो तो व्र्त्रि के सलए िाझेदारी को स्त्रोी पक्ष िे धन लाभ होने की प्रबल िम्भावना
फलदार्क रहती हं । रहती हं ।
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं ग्रहं का प्रभाव त्रवपररत हो तो  र्फद प्रश्न कुण्िली मं िडद्रमा फद्वतीर् भाव मं स्स्थत
व्र्त्रि को िाझेदारी िे कार्ा करने पर धन लाभ हो कर अष्टम भाव को ििम दृत्रष्ट िे दे खकर उिे बल
समलने की िंभावना बहुत कम रहती है । इि सलए प्रदान कर रहा हो तो व्र्त्रि को स्त्रोी पक्ष िे धन की
व्र्त्रि जो भी कार्ा करे वह स्वर्ं के बल पर करं तो प्रासि अवश्र् हो िकती हं ।
उत्तम रहे गा उिे िाझेदारी िे कार्ा करने का त्रविार  र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश र्ा अष्टमेश अपनी उच्ि
त्र्ाग दे ना िाफहए। रासश मं स्स्थत हो और अडर् िम्बस्डधत ग्रहं एवं
भावं भी अनुकूल स्स्थसत मं हो तो व्र्त्रि को स्त्रोी
स्त्रोी िे धन प्रासि पक्ष िे धन लाभ होने की प्रबल िम्भावना रहती हं ।

 प्रश्न कुण्िली मं स्त्रोी पक्ष के धन प्रासि का त्रविार


त्रववाह के पिर्ात धन लाभ
अष्टम भाव िे फकर्ा जाता हं । ज्र्ोसतष के अनुशार
 प्रश्न कुण्िली मं त्रववाह के िम्बडध मं ििम भाव िे
स्त्रोी का कारक िडद्रमा और शुक्र ग्रह होते हं ।
त्रविार फकर्ा जा हं । ज्र्ोसतष के अनुशार ििम के
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्न र्ा लग्नेश र्ा अष्टमम
कारक ग्रह का त्रविार पुरुष के सलए शुक्र िे फकर्ा
भाव र्ा अष्टममेश के िाथ मं िडद्र, शुक्र और मंगल
जाता हं और स्त्रोी के सलए बृहस्पसत िे फकर्ा जाता
के त्रबिमं शुभ िम्बडध स्थात्रपत हो रहा हो तो व्र्त्रि
है । धन लाभ के सलए एकादश भाव का आंकलन
को स्त्रोी पक्ष िे धन लाभ समलने की पूणा िंभावना
फकर्ा जाता हं । धन लाभ के कारक ग्रह बुध की
रहती है ।

धन वृत्रद्ध फिब्बी
धन वृत्रद्ध फिब्बी को अपनी अलमारी, कैश बोक्ि, पूजा स्थान मं रखने िे धन वृत्रद्ध होती हं स्जिमं काली हल्दी,
लाल- पीला-िफेद लक्ष्मी कारक हकीक (अकीक), लक्ष्मी कारक स्फफटक रत्न, 3 पीली कौिी, 3 िफेद कौिी, गोमती
िक्र, िफेद गुंजा, रि गुंजा, काली गुंजा, इं द्र जाल, मार्ा जाल, इत्र्ादी दल
ु भ
ा वस्तुओं को शुभ महुता मं तेजस्वी

मंि द्वारा असभमंत्रित फकर् जाता हं । मूल्र् माि Rs-730


34 जून 2012

स्स्थसत महत्वपूणा स्थान रखती हं । त्रपता िे धन लाभ र्ा पैतक


ृ िम्पत्रत्त सनस्ित रुप िे
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं ििम भाव, ििमेश, बृहस्पसत, प्राि होता है ।
शुक्र र्ा बुध का लग्न र्ा लग्नेश के िाथ र्ुसत र्ा  र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्न र्ा लग्नेश, दशम भाव र्ा
दृत्रष्ट द्वारा फकिी भी प्रकार िे शुभ िम्बडध बन रहा दशमेश तथा एकादश भाव र्ा एकादशेश का आपि
हो तो व्र्त्रि को त्रववाह के बाद मं धन लाभ समलने मं अशुभ िम्बडध हो र्ा पाप प्रभाव मं हो तो व्र्त्रि
के िंकेत समलते हं । र्फद िम्बस्डधत भावं एवं ग्रहं को त्रपता िे धन लाभ प्राि होने की िम्भावना प्रबल
पर िडद्रमा की शुभ दृत्रष्ट हो तो व्र्त्रि को शीघ्र ही नहीं होती है ।
धन लाभ समलने के र्ोग बनते हं ।  प्रश्न कुण्िली के लग्न, दशम भाव र्ा एकादश भाव
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं िडद्रमा एकादश भाव को ििम अपनी उच्ि रासश मं स्स्थत हो तो व्र्त्रि को त्रपता िे
दृत्रष्ट िे दे ख कर उिे बल प्रदान कर रहा हो तो धन का लाभ समलता हं ।
व्र्त्रि को त्रववाह के पिर्ात सनस्ित रुप िे धन की  प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश, दशमेश र्ा एकादश एकादशेश
प्रासि होती हं । अपनी उच्ि रासश मं स्स्थत हो तो व्र्त्रि को त्रपता िे
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं ििम भाव, ििमेश, बृहस्पसत, धन का लाभ समलने के पूणा र्ोग बनते हं ।
शुक्र र्ा बुध का लग्न र्ा लग्नेश पाप ग्रहं के प्रभाव  प्रश्न कुण्िली मं िडद्रमा एकादश भाव र्ा दशम भाव
मं हो अशुभ िम्बडध बना रहे हो तो व्र्त्रि को को अपनी ििम दृत्रष्ट िे दे ख रहा हो तो व्र्त्रि को
त्रववाह के बाद मं धन लाभ प्राि करने के सलए अपने त्रपता िे अवश्र् अपने त्रपता िे धन प्राि होता
कफठन पररश्रम करना पड़ िकता हं । र्फद िबस्डधत हं ।
भावं एवं ग्रहं पर शुभ ग्रहो की दृत्रष्ट नहीं हो तो
व्र्त्रि को कफठन पररश्रम के उपरांत अल्प धनलाभ मातृ पक्ष िे धन लाभ के र्ोग (नसनहाल)
की प्रासि होती हं ।  प्रश्न कुण्िली मं माता के त्रवषर् मं ितुथा भाव का
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश का एकादशेश िे शुभ
त्रविार फकर्ा जाता हं और धन लाभ के सलए एकादश
िम्बडध स्थात्रपत हो रहा हो तो व्र्त्रि को त्रववाह के
भाव का आंकलन फकर्ा जाता हं ।
बाद मे आकस्स्मक रुप िे प्रिुर मािा मं धन लाभ
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्न र्ा लग्नेश का, ितुथा भाव
होता हं ।
र्ा ितुथेश का एवं एकादश भाव र्ा एकादशेश का
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश अथवा लग्न मं ग्रह
र्ुसत अथवा दृत्रष्ट द्वारा शुभ िम्बडध बन रहा हो तो
उच्ि रासश का होकर स्स्थत हो तो व्र्त्रि को त्रववाह
व्र्त्रि को मातृपक्ष के लोगं िे धन लाभ अवश्र् प्राि
के पिर्ात उपर्ुि धन लाभ होता हं ।
होता है । र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्न र्ा लग्नेश का,
त्रपता िे धन लाभ (पैतक
ृ िम्पत्रत्त )
ितुथा भाव र्ा ितुथेश का एवं एकादश भाव र्ा
 प्रश्न कुण्िली मं त्रपता िे िम्बस्डधत त्रविार दशम भाव
एकादशेश पाप प्रभाव मं हो र्ा अशुभ िम्बडध बना
िे फकर्ा जाता हं और धन लाभ के सलए एकादश
रहे हो तो व्र्त्रि को मातृपक्ष के लोगं िे धन लाभ
भाव िे त्रविार करना िाफहए।
समलने की िम्भावना कम हो जाती हं ।
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्न र्ा लग्नेश, दशम भाव र्ा
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश र्ा ितुथेश र्ा एकादशेश
दशमेश तथा एकादश भाव र्ा एकादशेश का आपि
अपनी उच्ि रासश मं स्स्थत हो तो व्र्त्रि का भाग्र्
मं शुभ िम्बडध स्थात्रपत हो रहा हो तो व्र्त्रि को
35 जून 2012

असत उत्तम होता हं इि कारण व्र्त्रि को मातृपक्ष के भाईर्ं के त्रबिमं धन को लेकर त्रववाद होने की
लोगं िे धन लाभ समलता हं । िम्भावना बहोत ही कम रह जाती हं ।
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्न र्ा ितुथा भाव र्ा एकादश  र्फद प्रश्न कुण्िली मं िडद्रमा फद्वतीर् भाव र्ा तृतीर्
भाव मं ग्रह उच्ि रासश का होकर स्स्थत हो तो व्र्त्रि भाव को ििम दृत्रष्ट िे दे खकर उिे बल प्रदान कर
को मातृपक्ष के लोगं िे धन लाभ समलता हं । रहा हो तो ग्रह की इि उत्तम स्स्थसत के कारण
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं िडद्रमा दशम भाव मं स्स्थत हो भाईर्ं िे धन के कारण त्रववाद होने की िम्भावना
कर ितुथा भाव को ििम दृत्रष्ट िे दे खकर उिे बल क्षीण हो जाती हं ।
प्रदान कर रहा हो तो व्र्त्रि को मातृ पक्ष िे प्रिुर  र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश र्ा फद्वतीर्ेश र्ा तृतीर्ेश
मािा मं धनलाभ समलने की िम्भावनाएं बनती हं । अपनी उच्ि रासश मं स्स्थत हो तो व्र्त्रि का भाग्र्
असधक बलवान हो जाता हं स्जि कारण उिके अपने
भाइर्ं िे धन िम्बडधी त्रववाद के र्ोग भाई िे धन के कारण त्रववाद होने की िम्भावना कम
 प्रश्न कुण्िली मं धन का त्रविार फद्वतीर् भाव िे फकर्ा हो जाती हं ।
जाता है और भाईर्ं के िम्बडध मं तृतीर् भाव का  र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्न र्ा फद्वतीर् भाव र्ा तृतीर्
अवलोकन फकर्ा जाता हं । तृतीर् भाव का कारक भाव मं ग्रह उच्ि रासश का होकर स्स्थत हो तो व्र्त्रि
मंगल ग्रह की स्स्थसत भाई िे िम्बस्डधत प्रश्न के का भाग्र् असधक बलवान हो जाता हं स्जि कारण
त्रवषर् मं महत्वपूणा स्थान रखती है । उिके अपने भाई िे धन के कारण त्रववाद होने की
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं फद्वतीर् भाव का तृतीर् भाव िे िम्भावना कम हो जाती हं ।
शुभ िम्बडध बन रहा हो तो व्र्त्रि का अपने भाईर्ं
िे धन िम्बस्डधत त्रवषर् मं वाद-त्रववाद होने की ििुराल पक्ष िे धन लाभ के र्ोग
िम्भावना कम होती हं । क्र्ोफक ग्रह स्स्थसत उत्तम  प्रश्न कुण्िली मं ििुराल पक्ष का त्रविार अष्टम भाव िे
होने के कारण भाईर्ं के बीि आपिी प्रेम बना रहता फकर्ा जाता हं और धन लाभ के सलए एकादश भाव
हं । स्जि कारण उनके त्रबि मं धन िे िम्बस्डधत का आंकलन फकर्ा जाता हं ।
मामले त्रवशेष महत्वपूणा नहीं रह जाते हं ।  र्फद प्रश्न कुण्िली मं अष्टम भाव र्ा अष्टमेश का
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं फद्वतीर् भाव का तृतीर् भाव िे एकादश भाव एकादशेश िे शुभ िम्बडध स्थात्रपत हो
अशुभ िम्बडध बन रहा हो तो व्र्त्रि का अपने रहा हो तो व्र्त्रि को तो व्र्त्रि को ििुराल िे धन
भाईर्ं िे धन िम्बस्डधत त्रवषर् मं वाद-त्रववाद होने लाभ प्राि होता हं । इििे त्रवपररत र्फद दोनो भावो के
की िम्भावना प्रबल रहती हं । एिे मं व्र्त्रि को त्रबिमं फकिी प्रकार िे िम्बडध न बन रहा हो र्ा
अपनी िुझबूझ िे कार्ा करना िाफहए और कोई दोनं भाव पाप प्रभाव मं होत व्र्त्रि को ििुराल िे
महत्व पूणा सनणार् को लेना िाफहए। र्फद िम्भव हो त्रवशेष धन लाभ समलने की िम्भावना प्रबल नहीं
तो ग्रह स्स्थसत मं उपर्ुि पररवतान होने तक व्र्त्रि होती। एिे मं व्र्त्रि को ििुराल िे धन प्रासि फक
को भाई िे धन िम्बस्डधत कार्ो को स्थसगत कर अपेक्षा छोड़ दे नी िाफहए।
दे ना िाफहए।  र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्न र्ा लग्नेश बलवान स्स्थसत
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश, फद्वतीर्ेश और तृतीर्ेश मं हो और बुध भी शुभ स्स्थसत मं हो तो व्र्त्रि को
का आपि मं शुभ िम्बडध स्थात्रपत हो रहा हो तो ििुराल िे प्रिुर मािा मं धन की प्रासि िम्भव हं ।
36 जून 2012

 र्फद प्रश्न कुण्िली मं िडद्रमा पंिम भाव मं स्स्थत हो  र्फद प्रश्न कुण्िली मं एकादशेश का लग्नेश िे शुभ
कर एकादश भाव को ििम द्रत्रष्ट िे दे ख कर उिे बल िम्बडध स्थात्रपत हो रहा हो तो व्र्त्रि को समिं िे
प्रदान कर रहा हो तो र्ह व्र्त्रि को त्रबना फकिी अवश्र् धनलाभ होता हं ।
अड़िन के ििुराल पक्ष िे धन समलने की िम्भावना  र्फद प्रश्न कुण्िली के लग्नेश र्ा लग्न मं ग्रह उच्ि
बनाता हं । रासश का होकर स्स्थत हो और अडर् िम्बस्डधत ग्रह
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं अष्टम भाव का स्वामी अपने ही और भाव शुभ प्रभाव मं हो तो व्र्त्रि को समि िे
भाव मं स्स्थत हो तो र्ह व्र्त्रि के ििुराल िे अच्छे सनस्ित लाभ प्राि हो िकता हं ।
िंबंधो को दशााता हं स्जििे व्र्त्रि को भारी मािा मं  र्फद प्रश्न कुण्िली मं समिं िे धन लाभ की स्स्थसत िे
अपने ििुराल िे धन समलने की िम्भावनाओं को िम्बस्डधत भाव एवं ग्रह अनुकूल नहीं हो तो व्र्त्रि
दशााता हं । को समिं िे त्रवशेष धन लाभ नहीं समलता इि सलए
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश र्ा लग्न मं ग्रह अपनी एिी स्स्थसत मं व्र्त्रि को समिं िे धन लाभ की
उच्ि रासश मं स्स्थत हो तो तथा अडर् िम्बस्डधत उम्मीद फकए त्रबना स्वर्ं के आत्मत्रवश्वाि और
ग्रह और भाव शुभ स्स्थसत मं हो तो व्र्त्रि का भाग्र् पररश्रम के बल पर धन प्राि करना असत उत्तम होगा।
असधक बलशाली होता हं स्जि कारण उिे अपने
ििुराल िे अवश्र् धन लाभ प्राि होता हं । त्रवदे श मं धन लाभ के र्ोग
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश और एकादशेश के त्रबि  प्रश्न कुण्िली मं त्रवदे श का त्रविार नवम भाव िे फकर्ा
मं शुभ िम्बडध स्थात्रपत हो रहा हो तो व्र्त्रि को जाता हं और धन लाभ के सलए एकादश भाव का
ििुराल िे धन की प्रासि हो िकती हं । अवलोकन फकर्ा जाता है ।
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं नवम भाव का एकादश भाव िे
समिं िे धन लाभ के र्ोग फकिी प्रकार भी शुभ िम्बडध होता है तो व्र्त्रि को
 प्रश्न कुण्िली मं समिं और धन िम्बडध मं अथाात त्रवदे श मं धन लाभ की िंभावना त्रवशेष बनती है ।
दोनो के िम्बडध मं एकादश भाव िे त्रविार फकर्ा  र्फद प्रश्न कुण्िली मं नवम भाव का एकादश भाव िे
जाता हं । एकादश भाव का कारक बुध ग्रह होता हं । कोई िम्बडध नहीं बन रहा हं तो व्र्त्रि को त्रवदे श
इि सलए समिं िे धन लाभ का त्रविार करते िमर् मं धन लाभ नहीं होता है ।
बुध ग्रह की स्स्थसत त्रवशेष महत्व रखती है ।  र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश, नवमेश और एकादशेश
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं एकादश भाव और बुध का लग्न का आपि मं शुभ िम्बडध बन रहा हो तो व्र्त्रि के
र्ा लग्नेश के िाथ र्ुसत र्ा दृत्रष्ट द्वारा शुभ िम्बडध सलए त्रवदे श िे त्रवशेष धन की प्रासि के र्ोग बनते हं ।
बन रहा हो तो व्र्त्रि को समिं िे त्रवशेष रुप िे धन  र्फद प्रश्न कुण्िली मं िडद्रमा नवम र्ा एकादश भाव
लाभ र्ा िहर्ोग प्राि होता हं । को ििम दृत्रष्ट िे दे खकर उिे बल प्रदान कर रहा हो
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं उि स्स्थसत बन रही हं और उि तो व्र्त्रि के सलए त्रवदे श िे धन प्रासि की
ग्रह और भावं पर िडद्रमा की शुभ दृत्रष्ट िे ग्रह हो िम्भावना प्रबल बनती हं ।
भाव को बल प्राि हो रहा हो तो र्ह ग्रह स्स्थसत  र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश, नवमेश और एकादशे
व्र्त्रि को शीघ्र समिं िे धनलाभ प्राि होने का िंकेत अपनी उच्ि रासश मं स्स्थत हो तो व्र्त्रि त्रवदे श मं
दे ती हं । त्रवशेष धन लाभ प्राि कर िकते हं ।
37 जून 2012

 र्फद प्रश्न कुण्िली के लग्न, नवम भाव और एकादश दे ती हं ।


भाव मं ग्रह उच्ि रासश का होकर स्स्थत हो तो व्र्त्रि  र्फद प्रश्न कुण्िली मं एकादशेश का लग्नेश िे शुभ
त्रवदे श मं त्रवशेष धन लाभ प्राि कर िकते हं । िम्बडध स्थात्रपत हो रहा हो तो व्र्त्रि को समिं िे
अवश्र् धनलाभ होता हं ।
समिं िे धन लाभ के र्ोग  र्फद प्रश्न कुण्िली के लग्नेश र्ा लग्न मं ग्रह उच्ि

 प्रश्न कुण्िली मं समिं और धन िम्बडध मं अथाात रासश का होकर स्स्थत हो और अडर् िम्बस्डधत ग्रह

दोनो के िम्बडध मं एकादश भाव िे त्रविार फकर्ा और भाव शुभ प्रभाव मं हो तो व्र्त्रि को समि िे

जाता हं । एकादश भाव का कारक बुध ग्रह होता हं । सनस्ित लाभ प्राि हो िकता हं ।

इि सलए समिं िे धन लाभ का त्रविार करते िमर्  र्फद प्रश्न कुण्िली मं समिं िे धन लाभ की स्स्थसत िे

बुध ग्रह की स्स्थसत त्रवशेष महत्व रखती है । िम्बस्डधत भाव एवं ग्रह अनुकूल नहीं हो तो व्र्त्रि

 र्फद प्रश्न कुण्िली मं एकादश भाव और बुध का लग्न को समिं िे त्रवशेष धन लाभ नहीं समलता इि सलए

र्ा लग्नेश के िाथ र्ुसत र्ा दृत्रष्ट द्वारा शुभ िम्बडध एिी स्स्थसत मं व्र्त्रि को समिं िे धन लाभ की

बन रहा हो तो व्र्त्रि को समिं िे त्रवशेष रुप िे धन उम्मीद फकए त्रबना स्वर्ं के आत्मत्रवश्वाि और

लाभ र्ा िहर्ोग प्राि होता हं । पररश्रम के बल पर धन प्राि करना असत उत्तम होगा।

 र्फद प्रश्न कुण्िली मं उि स्स्थसत बन रही हं और उि


ग्रह और भावं पर िडद्रमा की शुभ दृत्रष्ट िे ग्रह हो िरकार िे धनलाभ के र्ोग
भाव को बल प्राि हो रहा हो तो र्ह ग्रह स्स्थसत  प्रश्न कुण्िली मं िरकारी क्षेि का त्रविार दशम भाव िे
व्र्त्रि को शीघ्र समिं िे धनलाभ प्राि होने का िंकेत फकर्ा जाता हं और धन लाभ के सलए एकादश भाव

द्वादश महा र्ंि


र्ंि को असत प्रासिन एवं दल
ु भ
ा र्ंिो के िंकलन िे हमारे वषो के अनुिंधान द्वारा बनार्ा गर्ा हं ।
 परम दल
ु भ
ा वशीकरण र्ंि,  िहस्त्रोाक्षी लक्ष्मी आबद्ध र्ंि
 भाग्र्ोदर् र्ंि  आकस्स्मक धन प्रासि र्ंि
 मनोवांसछत कार्ा सित्रद्ध र्ंि  पूणा पौरुष प्रासि कामदे व र्ंि
 राज्र् बाधा सनवृत्रत्त र्ंि  रोग सनवृत्रत्त र्ंि
 गृहस्थ िुख र्ंि  िाधना सित्रद्ध र्ंि
 शीघ्र त्रववाह िंपडन गौरी अनंग र्ंि  शिु दमन र्ंि

उपरोि िभी र्ंिो को द्वादश महा र्ंि के रुप मं शास्त्रोोि त्रवसध-त्रवधान िे मंि सिद्ध पूणा प्राणप्रसतत्रष्ठत एवं िैतडर् र्ुि फकर्े
जाते हं । स्जिे स्थापीत कर त्रबना फकिी पूजा अिाना-त्रवसध त्रवधान त्रवशेष लाभ प्राि कर िकते हं ।

GURUTVA KARYALAY
Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785
Mail Us: gurutva.karyalay@gmail.com, gurutva_karyalay@yahoo.in,
38 जून 2012

का आंकलन फकर्ा जाता हं ।  र्फद प्रश्न कुण्िली मं पंिम भाव र्ा लग्न मं ग्रह
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं दशम भाव र्ा दशमेश का उच्ि रासश का होकर स्स्थत हो तो व्र्त्रि को लॉटरी
एकादश भाव र्ा एकादशेश िे शुभ िम्बडध स्थात्रपत िे धन लाभ समलने की िम्भावनाएँ बनती है ।
हो रहा हो तो व्र्त्रि को तो व्र्त्रि को िरकार िे  र्फद प्रश्न कुण्िली मं पंिमेश र्ा लग्नेश अपनी उच्ि
धन लाभ प्राि हो िकता हं । इििे त्रवपररत र्फद रासश मं स्स्थत हो तो र्ह र्ोग व्र्त्रि को लॉटरी िे
दोनो भावो के त्रबिमं फकिी प्रकार िे िम्बडध न बन धन लाभ समलने की िम्भावनाएँ बनाता है ।
रहा हो र्ा दोनं भाव पाप प्रभाव मं होत व्र्त्रि को  र्फद प्रश्न कुण्िली मं िडद्रमा एकादश भाव मं स्स्थत
िरकार िे धन लाभ समलने की िम्भावना प्रबल नहीं हो कर पंिम भाव को ििम दृत्रष्ट िे दे खकर उिे बल
होती। एिे मं व्र्त्रि को िरकारी क्षेि की अपेक्षा प्रदान कर रहा हो तो व्र्त्रि को शीघ्र ही लॉटरी
सनजी क्षेि िे धन लाभ प्राि होने की िंभावना बन इत्र्ाफद माध्र्म िे आकस्स्मक रुप िे धनलाभ
िकती है । समलने की िम्भावनाएँ बनती है ।
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश र्ा दशमेश र्ा एकादशेश  र्फद प्रश्न कुण्िली मं लॉटरी िे िम्बस्डधत ग्रह एवं
अपनी उच्ि रासश मं स्स्थत हो तो व्र्त्रि को िरकार भाव शुभ स्स्थसत मं न हो उन पर पार ग्रहो का
िे धन लाभ समलने की िम्भावना प्रबल बनती हं । प्रभाव हो तो व्र्त्रि का लॉटरी मं धन हानी होने के
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्न र्ा दशम भाव र्ा एकादश िंकेत दे ता हं । इि सलए व्र्त्रि का लॉटरी मं इत्र्ाफद
भाव मं ग्रह अपनी उच्ि रासश मं स्स्थत हो तो व्र्त्रि आकस्स्मक धन दे ने वाले कार्ो मं पैिा लगाना
को िरकार िे त्रवशेष धन लाभ समलने की िम्भावना जोस्खम भरा कार्ा हो िकता है । स्जिमं उिे लाभ के
बनती हं । स्थान पर हानी होने फक त्रवशेष िम्भावना रहती हं ।
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं िडद्रमा दशम भाव अथवा इि सलए व्र्त्रि के सलए र्फह उत्तम रहे गा के वह
एकादश भाव को ििम दृत्रष्ट िे दे खकर उिे बल लॉटरी मं पैिा नहीं लगाएं।
प्रदान कर रहा हो तो व्र्त्रि को अपने कार्ा के बल  र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश और पंिमेश का आपि
पर िरकारी क्षेि िे सनस्ित रुप िे लाभ प्राि होता मं शुभ िम्बडध बन रहा हो तो व्र्त्रि को लॉटरी िे
हं । धन लाभ समलने की िम्भावना बनती हं ।
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं दशमेश और एकादशेश के त्रबि
िंतान की आसथाक स्स्थसत दशााते र्ोग
मं शुभ िम्बडध स्थात्रपत हो रहा हो तो व्र्त्रि को
 प्रश्न कुण्िली मं िंतान का त्रविार पंिम भाव िे फकर्ा
िरकार िे धन लाभ समलने के र्ोग बनते हं ।
जाता हं और आसथाक स्स्थसत का त्रविार फद्वतीर् भाव
लॉटरी िे धनलाभ के र्ोग
िे फकर्ा जाता हं ।
 प्रश्न कुण्िली मं लॉटरी का त्रविार पंिम भाव िे फकर्ा
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्न र्ा लग्नेश का फद्वतीर् भाव
जाता हं । लॉटरी के सलए पंिम भाव के कारक
र्ा फद्वतीर्ेश, पंिम भाव र्ा पंिमेश िे शुभ िम्बडध
बृहस्पसत ग्रह की स्स्थसत महत्वपूणा स्थान रखती हं ।
हो तो व्र्त्रि के िंतान की आसथाक स्स्थसत उत्तम
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं पंिम भाव र्ा पंिमेश का लग्न
रहती हं ।
र्ा लग्नेश के िाथ फकिी भी प्रकार र्ुसत िम्बडध र्ा
 इििे त्रवपररत र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्न र्ा लग्नेश
दृत्रष्ट िम्बडध स्थात्रपत हो रहा हो तो व्र्त्रि को
का फद्वतीर् भाव र्ा फद्वतीर्ेश, पंिम भाव र्ा पंिमेश
लॉटरी िे धन लाभ समलता है ।
िे अशुभ िम्बडध हो तो र्ा र्ह भाव पाप प्रभाव मं
39 जून 2012

हो तो व्र्त्रि के िंतान की आसथाक स्स्थसत कमजोर  र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश अपनी उच्ि रासश मं
होती हं । िंतान को धन प्रासि के सलए कफठ पररश्रम स्स्थत हो तो व्र्त्रि को धन िोि िमझकर
और िडघषा करना पड़ िकता हं । सनवेश/खिा करने िे लाभ समलता है ।
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं िडद्रमा फद्वतीर् भाव र्ा पंिम  र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्न मं ग्रह उच्ि रासश का
भाव को ििम दृत्रष्ट िे दे खकर उिे बल प्रदान कर होकर स्स्थत हो तो व्र्त्रि का धन शुभ कार्ो मं खिा
रहा हो तो व्र्त्रि के िंतान का आसथाक पक्ष उत्तम होता हं । एिे मं व्र्त्रि फकिी अनावश्र्क कार्ो मं
होता हं उिे सनकट के भत्रवष्र् मं फकिी भी प्रकार िे अपना धन खिा नहीं करते क्र्ोफक वह धन व्र्र्
धन की कमी नहीं होगी। करने िे पहले उि कार्ा पर अच्छी तरह िोि त्रविार
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश, फद्वतीर्ेश, पंिमेश अपनी कर लेते हं ।
उच्ि रासश मं स्स्थत हो तो व्र्त्रि की िंतान  र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश का एकादशेश िे शुभ
भाग्र्शाली होसत हं इि र्ोग िे िंतान के पाि प्रिुर िम्बडध स्थात्रपत हो रहा हो तो व्र्त्रि की आसथाक
मािा मं धन होने का िंकेत समलता हं । स्स्थसत मजबूत होती हं । उिे आने वाले िमर् मं धन
 र्फद प्रश्न कुण्िली के लग्न, फद्वतीर्, पंिम भाव मं ग्रह की कमी नहीं रहे गी। व्र्त्रि का धन भी केवल
उच्ि रासश का होकर स्स्थत हो तो व्र्त्रि की िंतान आवश्र्क िीजं पर ही होता हं ।
का भाग्र् बलशाली होता हं व्र्त्रि की िंतान को धन  र्फद प्रश्न कुण्िली मं िडद्रमा पंिम भाव मं स्स्थत हो
की कमी नहीं होगी हं । कर एकादश भाव को ििम दृत्रष्ट िे बल प्रदान कर
प्रश्न कुण्िली मं धन व्र्र् के र्ोग रहा हो तो व्र्त्रि द्वारा फकर्ा गर्ा खिा उिे भत्रवष्र्

 प्रश्न कुण्िली मं धन व्र्र् के सलए द्वादश भाव का मं लाभ दे ने वाला होता हं ।

त्रविार फकर्ा जाता है ।  र्फद प्रश्न कुण्िली मं िम्बस्डधत भाव और ग्रह

 र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्न र्ा लगनेश का द्वादश भाव िामाडर् स्स्थसत मं हो तो व्र्त्रि अपनी आर् के
र्ा द्वादशेश के िाथ शुभ िम्बडध बन रहा हो तो अनुपात मं व्र्र् करने वाला होता हं , इि सलए व्र्त्रि
व्र्त्रि का धन शुभ कार्ो मं खिा होता हं । को फकिी सिज पर बड़ी मािा मं खिा करने िे पूवा
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्न र्ा लगनेश का द्वादश भाव
उि पर आवश्र्क िोि त्रविार कर लेना िाफहए,
र्ा द्वादशेश के िाथ अशुभ िम्बडध बन रहा हो र्ा
अडर्था फकिी त्रवशेष पररस्स्थसत मं गलत सनणार्ं िे
उि भाव र्ा िम्बस्डधत ग्रह पाप प्रभाव मे हो तो
अनावश्र्क िीज वस्तु पर धन भारी मािा मं खिा हो
व्र्त्रि का धन व्र्था के कार्ो मं र्ा अशुभ कार्ो मं
खिा हो िकता हं । ने की िम्भावना बनी रहती हं ।

मंि सिद्ध मूंगा गणेश


मूंगा गणेश को त्रवध्नेश्वर और सित्रद्ध त्रवनार्क के रूप मं जाना जाता हं । इि के पूजन िे जीवन मं िुख
िौभाग्र् मं वृत्रद्ध होती हं ।रि िंिार को िंतुसलत करता हं । मस्स्तष्क को तीव्रता प्रदान कर व्र्त्रि को ितुर
बनाता हं । बार-बार होने वाले गभापात िे बिाव होता हं । मूंगा गणेश िे बुखार, नपुंिकता , िस्डनपात और
िेिक जेिे रोग मं लाभ प्राि होता हं । मूल्र् Rs: 550 िे Rs: 10900 तक
40 जून 2012

Shortly GURUTVA JYOTISH


Weekly E-Magazine Re-Publishing In English

Power By: GURUTVA KARYALAY

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Dear Reader
We are Thanking everyone, Who Would Like Read Our Monthly & Weekly E-
Magazine. We would like to thanks Again to everyone for their incredible support. Our
Readers Are eagerly waiting to Get Latest Issue of GURUTVA JYOTISH E-magazine.
But Some Technical Reason, We had to stopped Publishing of Weekly E-Magazine
For Few Week or Month. For Some technical reasons, Some time Our readers getting
delayed receiving our monthly issue.
We apology for delay Publishing of Monthly Magazine.
Our Team Member Work Hard to short out this issue. Dear Readers We appreciate
your Patience.
Very Soon.. We Re-Publish Our Weekly E-Magazine Without any Interruption.
Thank You
Editor
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GURUTVA KARYALAY
gurutva_karyalay@yahoo.in, gurutva.karyalay@gmail.com
41 जून 2012

प्रश्न ज्र्ोसतष और त्रववाह र्ोग


 सिंतन जोशी
प्रश्न कुंिली द्वारा व्र्त्रि का त्रववाह कब होगा इि प्रश्न का त्रविार करने के सलर्े कुंिली मं फद्वतीर्, ििम
और एकादश भाव मं कौन िे ग्रह उपस्स्थत हं , उिी ग्रह फक स्स्थसत िे त्रववाह का त्रविार फकर्ा जाता हं ।

ज्र्ोसतष मं त्रववाह का त्रविार ििम भाव के िाथ-िाथ कुंिली मं फद्वतीर् भाव और एकादश भाव िे भी त्रविार फकर्ा
जाता हं । ििम भाव जीवनिाथी एवं िाझेदारी का भाव होता हं । अत: त्रववाह िे िंबसं धत प्रश्न का त्रविार इि भाव िे
फकर्ा जाता हं । भारतीर् ज्र्ोसतष मं वैवाफहक िम्बडध मं शुभता का त्रविाह एकादश भाव िे फकर्ा जाता हं ।

इि भावं के नक्षि कौन िा नक्षि स्स्थत हं , इि भावं के स्वामी के नक्षि मं ग्रह फक स्स्थसत एवं इि भावो के स्वामी
एवं उन ग्रह के मध्र् दृत्रष्ट और र्ुसत िम्बडध को भी दे खा जाता हं । प्रश्न ज्र्ोसतष मं िबिे असधक महत्व नक्षिो को
फदर्ा जाता हं ।

प्रश्न ज्र्ोसतष द्वारा त्रववाह के सलए शुभ र्ोग


ज्र्ोसतष मं त्रववाह का कारक ग्रह पुरूष की कुंिली मं शुक्र और कडर्ा फक कुंिली मे गुरू होता हं । प्रश्न ज्र्ोसतष िे
त्रववाह का त्रविार करते िमर् पुरूष की कुंिली मं िडद्र और शुक्र फक स्स्थसत को दे खा जाता हं और कडर्ा की कुंिली
मं िूर्ा और मंगल फक स्स्थसत को दे खा जाता हं ।

 प्रश्न कुंिली के अनुशार िडद्रमा तृतीर्, पंिम, षष्टम, ििम और एकादश भाव मं स्स्थत हं और िडद्रमा पर
गुरू, िूर्ा एवं बुध फक द्रष्टी होतो त्रववाह फक स्स्थसत उत्तम होती हं ।

अिली 1 मुखी िे 14 मुखी रुद्राक्ष


गुरुत्व कार्ाालर् मं िंपूणा प्राणप्रसतत्रष्ठत एवं अिली 1 मुखी िे 14 मुखी तक के रुद्राक्ष उपलब्ध हं ।
ज्र्ोसतष कार्ा िे जुिे़ बंधु/बहन व रत्न व्र्विार् िे जुिे लोगो के सलर्े त्रवशेष मूल्र् पर रत्न, उपरत्न
र्ंि, रुद्राक्ष व अडर् दल
ु ाभ िामग्रीर्ां एवं अडर् िुत्रवधाएं उपलब्ध हं । रुद्राक्ष के त्रवषर् मं असधक
जानकारी के सलए कार्ाालर् मं िंपका करं ।

त्रवशेष र्ंि
हमारं र्हां िभी प्रकार के र्ंि िोने -िांफद-ताम्बे मं आपकी आवश्र्िा के अनुशार फकिी भी भाषा/धमा
के र्ंिो को आपकी आवश्र्क फिजाईन के अनुशार २२ गेज शुद्ध ताम्बे मं अखंफित बनाने की त्रवशेष
िुत्रवधाएं उपलब्ध हं । असधक जानकारी के सलए कार्ाालर् मं िंपका करं ।
GURUTVA KARYALAY
BHUBNESWAR-751018, (ORISSA), Call Us – 91 + 9338213418, 91 + 9238328785
Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in, gurutva.karyalay@gmail.com
42 जून 2012

 प्रश्न कुंिली के अनुशार त्रिकोण स्थान अथवा केडद्र स्थान अथाात प्रथम, ितुथ,ा ििम एवं दशम भाव शुभ प्रभाव
मं हो तो त्रववाह शीघ्र होने के र्ोग बनते हं ।
 प्रश्न कुंिली के लग्न मं र्दी स्त्रोी ग्रह स्स्थत हो अथवा लग्न और नवम भाव मं स्त्रोी रासश हो र्ा िडद्र एवं शुक्र
इन भावं मं स्स्थत होकर एक दि
ू रे को दे खते हं, तो त्रववाह र्ोग बनते हं ।
 प्रश्न कुंिली मं लग्नेश एवं िंद्र र्ा शुक्र ििम भाव मं स्स्थत हो और ििमेश लग्न मं स्स्थत हो, तो शीघ्र त्रववाह
र्ोग होते हं ।
 प्रश्न कुंिली के लग्न मं गुरू और ििम भाव मं बुध स्स्थत हो अथवा िंद्रमा स्वागृही हो, िूर्ा दशम भाव मं और
शुक्र फद्वतीर् भाव मं स्स्थत हो,तो जल्द त्रववार् के र्ोग बनते हं ।

प्रेम त्रववाह िे प्रश्न कुंिली का त्रविार


 प्रश्न कुंिली मं िडद्रमा तृतीर्, षष्ठम, ििम, दशम र्ा एकादश भाव मं शुभ स्स्थसत मं हो और िडद्रमा पर
िूर्,ा बुध और गुरू फक शुभ द्रष्टी हं, तो प्रेम त्रववाह मं िफलता के र्ोग प्रबल होते हं ।
 प्रश्न कुंिली मं लग्नेश और ििमेश रासश पररवतान कर रहे हो, तो प्रेम त्रववाह के सलर्े शुभ िंकेत हं ।
 प्रश्न कुंिली मं लग्नेश और द्वादश रासश पररवतान कर रहे हो, तो प्रेम त्रववाह के सलर्े शुभ िंकेत हो िकता हं ।

शीघ्र त्रववाह र्ोग


 प्रश्न कुंिली मं शसन िम भाव मं अथाात (2, 4, 6, 8, 10, 12) भाव मं हो तो लड़के का त्रववाह शीध्र होता हं ।
 प्रश्न कुंिली मं शसन त्रवषम भाव मं अथाात (1, 3, 5, 7, 9, 11) भाव मं हो तो कडर्ा का त्रववाह शीध्र होता हं ।
 प्रश्न कुंिली मं िडद्रमा तृतीर्, षष्टम, ििम भाव मं स्स्थत हो और िडद्रमा पर गुरू, िूर्ा एवं बुध फक द्रष्टी होतो
त्रववाह शीघ्र होता हं ।
 प्रश्न कुंिली मं िडद्रमा फद्वतीर् स्थान मं स्स्थत होकर शुक्र िे द्रष्ट हो, तो त्रववाह शीघ्र होता हं ।
 प्रश्न कुंिली मं लग्न र्ा ििम भाव मं िंद्र और शुक्र एक िाथ होकर स्स्थत हो तो लड़के का त्रववाह शीघ्र होता
हं ।

शादी िंबंसधत िमस्र्ा


क्र्ा आपके लिके-लिकी फक आपकी शादी मं अनावश्र्क रूप िे त्रवलम्ब हो रहा हं र्ा उनके वैवाफहक
जीवन मं खुसशर्ां कम होती जारही हं और िमस्र्ा असधक बढती जारही हं । एिी स्स्थती होने पर
अपने लिके-लिकी फक कुंिली का अध्र्र्न अवश्र् करवाले और उनके वैवाफहक िुख को कम करने
वाले दोषं के सनवारण के उपार्ो के बार मं त्रवस्तार िे जनकारी प्राि करं ।
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43 जून 2012

 प्रश्न कुंिली मं तृतीर्, ििम, नवम र्ा दशम स्थान मं शुक्र स्स्थत हो और उि पर िडद्रमा की दृत्रष्ट हो तो
लड़के का त्रववाह शीघ्र होता हं ।
 प्रश्न कुंिली मं िडद्र ििम भाव, फद्वसतर् भाव, तृतीर् भाव, पंिम, छठे भाव, दशम भाव अथवा एकादश भाव मे
स्स्थत हो और बृहस्पसत उिे दे ख रहा हो तो शीघ्र त्रववाह का र्ोग बनता हं ।
 प्रश्न कुंिली मं लग्नेश र्ा िडद्रमा ििम भाव मे स्स्थत हो तो त्रववाह शीघ्र होता हं ।
 प्रश्न कुंिली मं ििम भाव मे लग्नेश र्ा िडद्रमा एकिाथ स्स्थत हो तो त्रववाह शीघ्र होता हं ।
 प्रश्न कुंिली मं िडद्र र्ा शुक्र उच्ि रासश मं स्स्थत हो तो त्रववाह शीघ्र होता हं ।
 प्रश्न कुंिली मं त्रिकोण स्थान अथवा केडद्र स्थान अथाात प्रथम, ितुथ,ा ििम एवं दशम भाव शुभ ग्रहं के प्रभाव
मं हो तो त्रववाह शीघ्र होने के र्ोग बनते हं ।
 प्रश्न कुंिली मं लग्नेश एवं िंद्र र्ा शुक्र ििम भाव मं स्स्थत हो और ििमेश लग्न मं स्स्थत हो, तो शीघ्र त्रववाह
र्ोग होते हं ।

त्रववाह मं त्रवलम्ब के र्ोग


 प्रश्न कुंिली मं ििम स्थान मं राहू स्स्थत हो और शुभ ग्रह िे दृष्ट हो तो त्रववाह मं त्रवलंब होने के र्ोग बनते
हं ।
 प्रश्न कुंिली मं केडद्र, त्रिकोण र्ा अष्टम स्थान मं िडद्रमा और पापग्रह स्स्थत हो तो त्रववाह मं त्रवलंब होने के
र्ोग बनते हं ।
 प्रश्न कुंिली मं ििमेश अष्टम स्थान मं पाप ग्रहं िे दृष्ट हो तो त्रववाह मं त्रवलंब होने के र्ोग बनते हं ।
 प्रश्न कुंिली के लग्न और ििम भाव मं पाप ग्रह स्स्थत हो तो त्रववाह मं त्रवलंब होने के र्ोग बनते हं ।
 प्रश्न कुंिली मं लग्नेश, ििमेश र्ा िडद्रमा पाप ग्रहं िे पीफड़त हो तो त्रववाह मं त्रवलंब होने के र्ोग बनते हं ।
 प्रश्न कुंिली मं ििमेश और अष्टमेश का रासश पररवतान र्ोग अथाात ििमेश अष्टम स्थान मं और अष्टमेश ििम
स्थान मं स्स्थत हो तो त्रववाह मं त्रवलंब होने के र्ोग बनते हं ।

100 िे असधक जैन र्ंि


हमारे र्हां जैन धमा के िभी प्रमुख, दल
ु ाभ एवं शीघ्र प्रभावशाली र्ंि ताम्र पि, सिलवर (िांदी) ओर
गोल्ि (िोने) मे उपलब्ध हं ।
हमारे र्हां िभी प्रकार के र्ंि कोपर ताम्र पि, सिलवर (िांदी) ओर गोल्ि (िोने) मे बनवाए जाते है । इिके अलावा आपकी
आवश्र्कता अनुशार आपके द्वारा प्राि (सिि, र्ंि, फड़ज़ाईन) के अनुरुप र्ंि भी बनवाए जाते है . गुरुत्व कार्ाालर् द्वारा
उपलब्ध करार्े गर्े िभी र्ंि अखंफित एवं 22 गेज शुद्ध कोपर(ताम्र पि)- 99.99 टि शुद्ध सिलवर (िांदी) एवं 22 केरे ट
गोल्ि (िोने) मे बनवाए जाते है । र्ंि के त्रवषर् मे असधक जानकारी के सलर्े हे तु िम्पका करं ।

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44 जून 2012

प्रश्न ज्र्ोसतष िे शिु का त्रविार


 सिंतन जोशी
शिु पीड़ा के र्ोग रह कर रहना िाफहए, अडर्था पराजर् र्ा बड़ा

 प्रश्न कुण्िली मं शिु का त्रविार छठे भाव िे फकर्ा नुक्शान िंभव हं ।

जाता हं । छठे भाव का कारक मंगल ग्रह होता हं ।  र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश बलवान स्स्थसत मं हो

 र्फद प्रश्न कुण्िली मं षष्टम भाव शुभ ग्रहो िे र्ुि र्ा और छठे भाव पर दृत्रष्ट िाल कर उिे बल प्रदान कर

दृष्ट हो और लग्न व लग्नेश बलवान स्स्थसत मं हो तो रहा हो तो व्र्त्रि का प्रभाव अपने शिु पक्ष पर हावी

व्र्त्रि को शिु िे त्रवशेष पीड़ा नहीं होती और र्फद रहे गा र्फद त्रववाद िल रहे हं तो त्रवजर् प्रासि होगी

शिु पक्ष िे त्रववाद िल रहा हं तो त्रवजर् प्रासि के और र्फद कोई कोई शिु व्र्त्रि को कष्ट पहूंिाने का

र्ोग बनते हं । प्रर्ाि करता हं तो शिु स्वर्ं अपनी हासन करे गा।

 र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्न व लग्नेश कमजोर और शिु िे िमझौते के र्ोग


पाप प्रभाव मं हो तथा षष्टेश िे दृष्ट हो तो व्र्त्रि को  प्रश्न कुण्िली मं शिु का त्रविार छठे भाव िे फकर्ा
शिु िे त्रवशेष हासन होने की िंभावना प्रबल रहती हं । जाता हं । छठे भाव का कारक मंगल ग्रह होता हं ।
र्फद लम्बे िमर् िे त्रववाद िल रहा हं तो उिमे  र्फद प्रश्न कुण्िली मं षष्टम भाव शुभ ग्रहो िे र्ुि
त्रवलम्ब हो िकता है र्ा आपकी पराजर् िंभव हं । र्ा दृष्ट हो और लग्न व लग्नेश बलवान स्स्थसत
 र्फद प्रश्न कुण्िली के लग्न मं ग्रह उच्ि रासश का मं हो तो व्र्त्रि को शिु िे िमझौते की पूणा
होकर स्स्थत हो तो व्र्त्रि को शिु िे त्रवशेष हासन िम्भावना बनती हं ।
नहीं होती हं । र्फद पहले िे शिु पीड़ा हो रही हं तो  र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्न व लग्नेश कमजोर
जल्द ही शिु पीड़ा िे मुत्रि समलने के िंकेत हं । और पाप प्रभाव मं हो तथा षष्टेश िे दृष्ट हो तो
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश उच्िर रासश का होकर व्र्त्रि को शिु िे िमझौते की िम्भावना प्रबल
स्स्थत हो तो व्र्त्रि को शिु िे त्रवशेष हासन नहीं होती नहीं बनती हं । एिे मं व्र्त्रि को शिुओं िे
हं । र्ह ग्रह स्स्थसत िे त्रववाद मं त्रवजर् प्रासि के िमझौता करने मं जल्दबाजी नहीं करनी िाफहए।
िंकेत समलते हं ग्रहो के अनुकूल होने तक इं तजार करना अनोकूल
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्न मं ग्रह नीि रासश का हो रहे गा र्ा िोि त्रविार कर और िावधानी पूवक

र्ा अशुभ ग्रहं के प्रभाव मं हो, तो व्र्त्रि को शिु िे िमझौता करने का प्रर्ाि करं ।
पीड़ा हो िकती हं । एिे मं व्र्त्रि को असधक ििेत

िंपूणा प्राणप्रसतत्रष्ठत 22 गेज शुद्ध स्टील मं सनसमात अखंफित

पुरुषाकार शसन र्ंि


मूल्र्: 1050 िे 8200
GURUTVA KARYALAY, Call Us: 91 + 9338213418, 91 + 9238328785,
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45 जून 2012

प्रश्न कुण्िली िे जाने नौकरी के त्रवसभडन र्ोग

 सिंतन जोशी, स्वस्स्तक.ऎन.जोशी


िरकारी त्रवभाग मं नौकरी के र्ोग मं शुभ िम्बडध हो तो व्र्त्रि को थल िरकारी क्षेि
मं नौकरी समल िकती हं ।
 प्रश्न कुण्िली मं िरकारी क्षेि मं नौकरी का त्रविार  र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश र्ा दशमेश अपनी उच्ि
दशम भाव िे फकर्ा जाता हं । िरकारी क्षेि का कारक रासश मं स्स्थत हो तो व्र्त्रि को थल िरकारी क्षेि मं
ग्रह िूर्ा माना जाता हं । इिके िाथ ही प्रश्न कुण्िली नौकरी समल िकती हं ।
मं िूर्,ा िडद्र, मंगल, बृहस्पसत मं िे फकिी भी ग्रह का  र्फद प्रश्न कुण्िली के लग्न र्ा दशम भाव मं ग्रह
र्ुसत र्ा दृत्रष्ट िम्बडध दशम भाव र्ा दशमेश िे बन उच्ि रासश का होकर स्स्थत हो तो व्र्त्रि को िरकारी
रहा हो तो व्र्त्रि को िरकारी क्षेि मं नौकरी प्राि क्षेि मं नौकरी समल िकती हं ।
होने की प्रबल िम्भावनाएं बनती हं ।  र्फद प्रश्न कुण्िली के ितुथा भाव िे िडद्रमा स्स्थत हो
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्न र्ा लग्नेश उच्ि रासश र्ा और दशम भाव को ििम दृत्रष्ट िे दे खकर उिे बल
बलवान स्स्थसत मं होत तो व्र्त्रि को िरकारी क्षेि मं प्रदान कर रहा हो और अडर् ग्रह स्स्थसत अनुकूल हो
नौकरी समलने की िंभावनाएं प्रबल हो जाती हं । तो व्र्त्रि को िरकारी क्षेि मं नौकरी शीघ्र समल
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश और दशमेश का आपि िकती है ।

 क्र्ा आपको उच्ि असधकारी िे परे शानी हं ?


 क्र्ा आपकी अपने िहकमािारी िे अनबन होती हं ?
 क्र्ा आपके असधनस्थ कमािारी आपकी बात नही मानते?
र्फद आपको अपने उच्ि असधकारी, िहकमािारी, असधनस्थ कमािारी िे परे शानी हं । आपके अनूकुल कार्ा नहीं करते र्ा
आपको करने नहीं दे ते? वह आपकी बात नहीं मानतं? त्रबना वजह आपको परे शान करते हं ? अन आवश्र्क कार्ा आपिे
करवाते हं । आपका प्रमोशन रुकवादे ते हं । उसित कार्ा करने पर भी आपके कार्ा मं नुक्श सनकालते हं? र्फद आप इिी
तरह फक फकिी िमस्र्ा िे ग्रस्त हं तो आप उन असधकारी, िहकमी, असधनस्थकमी र्ा अडर् फकिी व्र्त्रि त्रवशेष के
नाम िे गुरुत्व कार्ाालत द्वारा शास्त्रोोि त्रवसध-त्रवधान िे मंि सिद्ध प्राण-प्रसतत्रष्ठत पूणा िैतडर् र्ुि वशीकरण कवि एवं
एि.एन.फिब्बी बनवाले एवं उिे अपने घर-ओफफि मं स्थात्रपत कर अल्प पूजा, त्रवसध-त्रवधान िे आप त्रवशेष लाभ प्राि
कर िकते हं । र्फद आप मंि सिद्ध वशीकरण कवि एवं एि.एन.फिब्बी बनवाना िाहते हं , तो िंपका करं ।

GURUTVA KARYALAY
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46 जून 2012

 र्फद प्रश्न कुण्िली मं िम्बस्डधत भाव और ग्रह िेना मं नौकरी समल िकती हं ।
कमजोर स्स्थसत मं हो उन पर पाप ग्रहो का प्रभाव हो  र्फद प्रश्न कुण्िली के ितुथा भाव िे िडद्रमा स्स्थत हो
तो व्र्त्रि को िरकारी क्षेि मं नौकरी समलने मे और दशम भाव को ििम दृत्रष्ट िे दे खकर उिे बल
त्रवसभडन कफठनाईर्ं का िामना करना पड़ िकता हं प्रदान कर रहा हो और अडर् ग्रह स्स्थसत अनुकूल हो
इि सलए व्र्त्रि को फकिी सनजी क्षेि मं नौकरी हे तु तो व्र्त्रि को थल िेना मं नौकरी समल िकती हं ।
प्रर्ाि करना िाफहए र्ा व्र्त्रि को िरकारी क्षेि मं  र्फद प्रश्न कुण्िली मं िम्बस्डधत भाव और ग्रह
नौकरी प्रासि हे तु उपर्ुि प्रर्ाि और उपार्ो को कमजोर स्स्थसत मं हो उन पर पाप ग्रहो का प्रभाव हो
आजमाना िाफहए। तो व्र्त्रि को थल िेना मं नौकरी समलने मे त्रवसभडन
कफठनाईर्ं का िामना करना पड़ िकता हं इि सलए
थल िेना मं नौकरी के र्ोग
व्र्त्रि को फकिी और त्रवभाग मं नौकरी हे तु प्रर्ाि

 प्रश्न कुण्िली मं थल िेना मं नौकरी प्रासि का त्रविार करना िाफहए र्ा व्र्त्रि को थल िेना मं नौकरी प्रासि

ितुथा भाव और ितुथेश िे फकर्ा जाता हं । वार्ु िेना हे तु उपर्ुि प्रर्ाि करने िाफहए।

के कारक ग्रह मंगल माना जाता हं । इि सलए थल


वार्ु िेना मं नौकरी के र्ोग
िेना मं िफलता प्रासि के सलए मंगल की स्स्थसत शुभ
होना महत्वपूणा होती हं ।  र्फद प्रश्न कुण्िली मं वार्ु िेना मं नौकरी का त्रविार
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं ितुथा भाव र्ा ितुथेश तथा दशम भाव और दशमेश िे फकर्ा जाता हं । वार्ु िेना
मंगल बलवान स्स्थसत मं हो तथा अडर् ग्रह स्स्थसत के कारक ग्रह बृहस्पसत और शसन ग्रह माने जाते हं ।
अनुकूल हो तो व्र्त्रि को थल िेना मं नौकरी प्राि इि सलए वार्ु िेना मं िफलता प्रासि के सलए
होने की िम्भावनाएं बनती हं । इि इिके िाथ ही बृहस्पसत र्ा शसन की स्स्थसत शुभ होना महत्वपूणा
प्रश्न कुण्िली का लग्न र्ा लग्नेश शुभ प्रभाव मं हो होती हं ।
तथा अडर् ग्रह स्स्थसत अनुकूल हो तो व्र्त्रि को थल  र्फद प्रश्न कुण्िली मं दशम भाव र्ा दशमेश का
िेना मं नौकरी अवश्र् प्राि हो िकती हं । बृहस्पसत र्ा शसन िे शुभ िम्बडध बन रहा हो तो
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश और दशमेश का आपि व्र्त्रि को अपने प्रर्ािो के अनुरुप वार्ु िेना मं
मं शुभ िम्बडध हो तो व्र्त्रि को थल िेना मं नौकरी समल िकती हं ।
नौकरी समल िकती हं ।  र्फद प्रश्न कुण्िली के लग्न र्ा दशम भाव मं समथुन,
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश र्ा दशमेश अपनी उच्ि तुला र्ा कुम्भ रासश स्स्थत हो तो व्र्त्रि को वार्ु
रासश मं स्स्थत हो तो व्र्त्रि को थल िेना मं नौकरी िेना मं नौकरी समलने के र्ोग बनते हं ।
समल िकती हं ।  र्फद प्रश्न कुण्िली के ितुथा भाव िे िडद्रमा स्स्थत हो
 र्फद प्रश्न कुण्िली के लग्न र्ा दशम भाव मं ग्रह और दशम भाव को ििम दृत्रष्ट िे दे खकर उिे बल
उच्ि रासश का होकर स्स्थत हो तो व्र्त्रि को थल प्रदान कर रहा हो और अडर् ग्रह स्स्थसत अनुकूल हो

िभी प्रकार की िमस्र्ाओं के िमाधान हे तु िंपका करं ।


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47 जून 2012

तो व्र्त्रि को वार्ु िेना मं नौकरी समल िकती हं । जल िेना की नौकरी का कारक मंगल तथा िडद्र ग्रह
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश और दशमेश का आपि होते है ।
मं शुभ िम्बडध हो तो व्र्त्रि को वार्ु िेना मं  र्फद प्रश्न कुण्िली मं मंगल के िाथ िडद्रमा की र्ुसत
नौकरी समल िकती हं । बन रही हो तो र्ह उत्तम फलदार् होती हं ।
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश र्ा दशमेश अपनी उच्ि  र्फद प्रश्न कुण्िली मं दशम भाव र्ा दशमेश पर
रासश मं स्स्थत हो तो व्र्त्रि को वार्ु िेना मं नौकरी बलशाली िडद्रमा का शुभ प्रभाव पड़ रहा हो तो
समल िकती हं । व्र्त्रि को जल िेना मं नौकरी समल िकती हं ।
 र्फद प्रश्न कुण्िली के लग्न र्ा दशम भाव मं ग्रह  र्फद प्रश्न कुण्िली के लग्न र्ा दशम भाव मं कका र्ा
उच्ि रासश का होकर स्स्थत हो तो व्र्त्रि को वार्ु वृस्िक अथवा मीन रासश हो तो व्र्त्रि को सनस्ित फह
िेना मं नौकरी समल िकती हं । प्रर्ाि करने पर जल िेना मं नौकरी समल िकती हं ।
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं िम्बस्डधत भाव और ग्रह  र्फद प्रश्न कुण्िली के ितुथा भाव िे िडद्रमा स्स्थत हो
कमजोर स्स्थसत मं हो उन पर पाप ग्रहो का प्रभाव हो और दशम भाव को ििम दृत्रष्ट िे दे खकर उिे बल
तो व्र्त्रि को वार्ु िेना मं नौकरी समलने मे त्रवसभडन प्रदान कर रहा हो और अडर् ग्रह स्स्थसत अनुकूल हो
कफठनाईर्ं का िामना करना पड़ िकता हं इि सलए तो व्र्त्रि को जल िेना मं नौकरी समल िकती हं ।
व्र्त्रि को फकिी और त्रवभाग मं नौकरी हे तु प्रर्ाि  र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश और दशमेश का आपि
करना िाफहए र्ा व्र्त्रि को वार्ु िेना मं नौकरी प्राि मं शुभ िम्बडध हो तो व्र्त्रि को जल िेना मं
करने के सलए पूणा मेहनत और लगन िे इिकी नौकरी समल िकती हं ।
प्रस्तुसत करने पर िफलता समल िकती हं ।  र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश र्ा दशमेश अपनी उच्ि
रासश मं स्स्थत हो तो व्र्त्रि को जल िेना मं नौकरी
जल िेना मं नौकरी के र्ोग
समल िकती हं ।

 प्रश्न कुण्िली मं नौकरी की स्स्थसत जानने के सलए  र्फद प्रश्न कुण्िली के लग्न र्ा दशम भाव मं ग्रह

दशम भाव और दशमेश िे त्रविार फकर्ा जाता है । उच्ि रासश का होकर स्स्थत हो तो व्र्त्रि को जल

पसत-पत्नी मं कलह सनवारण हे तु


र्फद पररवारं मं िुख-िुत्रवधा के िमस्त िाधान होते हुए भी छोटी-छोटी बातो मं पसत-पत्नी के त्रबि मे कलह होता रहता
हं , तो घर के स्जतने िदस्र् हो उन िबके नाम िे गुरुत्व कार्ाालत द्वारा शास्त्रोोि त्रवसध-त्रवधान िे मंि सिद्ध प्राण-
प्रसतत्रष्ठत पूणा िैतडर् र्ुि वशीकरण कवि एवं गृह कलह नाशक फिब्बी बनवाले एवं उिे अपने घर मं त्रबना फकिी
पूजा, त्रवसध-त्रवधान िे आप त्रवशेष लाभ प्राि कर िकते हं । र्फद आप मंि सिद्ध पसत वशीकरण र्ा पत्नी वशीकरण
एवं गृह कलह नाशक फिब्बी बनवाना िाहते हं , तो िंपका आप कर िकते हं ।

GURUTVA KARYALAY
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA)
Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785
Mail Us: gurutva.karyalay@gmail.com, gurutva_karyalay@yahoo.in,
48 जून 2012

िेना मं नौकरी समल िकती हं । हो िम्बस्डधत ग्रह और भाव पाप ग्रहं के प्रभाव मं
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं िम्बस्डधत भाव और ग्रह हो तो व्र्त्रि को पुसलि त्रवभाग मं नौकरी समलने की
कमजोर स्स्थसत मं हो उन पर पाप ग्रहो का प्रभाव हो िम्भावनाएं नहीं बनती हं, र्फद समल भी जाएं तो
तो व्र्त्रि को जल िेना मं नौकरी समलने मे त्रवसभडन ग्रहं के प्रसतकूल होने के कारण नौकरी पुसलि त्रवभाग
कफठनाईर्ं का िामना करना पड़ िकता हं इि सलए मं स्थार्ी नहीं हो पाती हं ।
व्र्त्रि को फकिी और त्रवभाग मं नौकरी हे तु प्रर्ाि  र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश र्ा दशमेश अपनी उच्ि
करना िाफहए र्ा व्र्त्रि को जल िेना मं नौकरी प्राि रासश मं स्स्थत हो तो व्र्त्रि को पुसलि त्रवभाग मं
करने के सलए पूणा मेहनत और लगन िे इिकी नौकरी समल िकती हं ।
प्रस्तुसत करने पर िफलता समल िकती है ।  र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश और दशमेश का आपि
मं शुभ िम्बडध हो तो व्र्त्रि को पुसलि त्रवभाग मं
पुसलि त्रवभाग मं नौकरी के र्ोग
नौकरी समल िकती हं ।

 प्रश्न कुण्िली मं नौकरी की स्स्थसत जानने के सलए  र्फद प्रश्न कुण्िली के ितुथा भाव िे िडद्रमा स्स्थत हो

दशम भाव और दशमेश िे त्रविार फकर्ा जाता है । और दशम भाव को ििम दृत्रष्ट िे दे खकर उिे बल

पुसलि की नौकरी का कारक मंगल ग्रह होता है । प्रदान कर रहा हो और अडर् ग्रह स्स्थसत अनुकूल हो

 र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्न र्ा लग्नेश का दशम भाव तो व्र्त्रि को पुसलि त्रवभाग मं नौकरी समल िकती

र्ा दशमेश और मंगल िे शुभ िम्बडध बना रहा हो है ।

तो व्र्त्रि को पुसलि त्रवभाग मं नौकरी समलने की  र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश और दशमेश का आपि

पूणा िम्भावनाएं बनती हं । मं शुभ िम्बडध हो तो व्र्त्रि को पुसलि त्रवभाग मं

 र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्न र्ा लग्नेश का दशम भाव नौकरी समल िकती हं ।

र्ा दशमेश और मंगल िे अशुभ िम्बडध बना रहा  र्फद प्रश्न कुण्िली के लग्न र्ा दशम भाव मं ग्रह

 क्र्ा आपके बच्िे कुिंगती के सशकार हं ?

 क्र्ा आपके बच्िे आपका कहना नहीं मान रहे हं ?

 क्र्ा आपके बच्िे घर मं अशांसत पैदा कर रहे हं ?


घर पररवार मं शांसत एवं बच्िे को कुिंगती िे छुिाने हे तु बच्िे के नाम िे गुरुत्व कार्ाालत द्वारा शास्त्रोोि त्रवसध-
त्रवधान िे मंि सिद्ध प्राण-प्रसतत्रष्ठत पूणा िैतडर् र्ुि वशीकरण कवि एवं एि.एन.फिब्बी बनवाले एवं उिे अपने
घर मं स्थात्रपत कर अल्प पूजा, त्रवसध-त्रवधान िे आप त्रवशेष लाभ प्राि कर िकते हं । र्फद आप तो आप मंि
सिद्ध वशीकरण कवि एवं एि.एन.फिब्बी बनवाना िाहते हं , तो िंपका इि कर िकते हं ।

GURUTVA KARYALAY
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49 जून 2012

उच्ि रासश का होकर स्स्थत हो तो व्र्त्रि को पुसलि रहा हो और अडर् ग्रह स्स्थसत अनुकूल हो तो व्र्त्रि
त्रवभाग मं नौकरी समल िकती हं । को गुििर त्रवभाग मं नौकरी समल िकती हं ।
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं िम्बस्डधत भाव और ग्रह  र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश र्ा पंिमेश र्ा अष्टमेश
कमजोर स्स्थसत मं हो उन पर पाप ग्रहो का प्रभाव हो अपनी उच्ि रासश मं स्स्थत हो तो व्र्त्रि को गुििर
तो व्र्त्रि को पुसलि त्रवभाग मं नौकरी समलने मे त्रवभाग मं नौकरी समल िकती हं ।
त्रवसभडन कफठनाईर्ं का िामना करना पड़ िकता हं  र्फद प्रश्न कुण्िली मं िम्बस्डधत भाव और ग्रह
इि सलए व्र्त्रि को फकिी और त्रवभाग मं नौकरी हे तु कमजोर स्स्थसत मं हो उन पर पाप ग्रहो का प्रभाव हो
प्रर्ाि करना िाफहए र्ा व्र्त्रि को पुसलि त्रवभाग मं तो व्र्त्रि को गुििर त्रवभाग मं नौकरी समलने मे
नौकरी प्राि करने के सलए पूणा मेहनत और लगन िे त्रवसभडन कफठनाईर्ं का िामना करना पड़ िकता हं
इिकी प्रस्तुसत करने पर िम्भवत िफलता समल इि सलए व्र्त्रि को फकिी और त्रवभाग मं नौकरी हे तु
िकती है । प्रर्ाि करना िाफहए र्ा व्र्त्रि को गुििर त्रवभाग मं
नौकरी प्राि करने के सलए कफठन पररश्रम और अडर्
गुििर त्रवभाग मं नौकरी के र्ोग
उपार्ो का िहारा लेना पड़ िकता है ।

 प्रश्न कुण्िली मं व्र्त्रि के स्वभाव का आंकलन पंिम


माकेफटं ग के क्षेि मं नौकरी के र्ोग
भाव एवं अष्टम भाव िे फकर्ा जाता है । गुििर
त्रवभाव के कार्ं के कारक शसन, राहू और केतु ग्रहं  प्रश्न कुण्िली मं माकेफटं ग क्षेि का त्रविार दशम भाव,
को माना गर्ा हं । दशमेश एवं एकादश भाव, एकादशेश िे फकर्ा जाता
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं शसन, राहू और केतु मं िे फकिी है । माकेफटं ग क्षेि िे जुिे कार्ं का कारक बुध ग्रह
भी ग्रह का िम्बडध पंिम भाव र्ा पंिमेश अथवा माना गर्ा हं । माकेफटं ग क्षेि का अवलोकन करते
अष्टम भाव र्ा अष्टमेश िे अथवा दोनं भावं िे िमर् लग्न और लग्नेश की भूसमका महत्वपूणा स्थान
स्थात्रपत हो रहा हो तो व्र्त्रि को गुििर त्रवभाव िे रखती हं ।
िम्बस्डधत कार्ं मं िफलता प्राि हो िकती हं । र्फद  र्फद प्रश्न कुण्िली का लग्न िर रासश मं हो तो र्ह
प्रश्न कुण्िली मं दशम भाव र्ा दशमेश बलवान उत्तम िफलता समलने का िंकेत दे ता हं ।
स्स्थसत मं हो तो व्र्त्रि िाहे हो उिे सनस्ित ही  र्फद प्रश्न कुण्िली मं दशम भाव र्ा दशमेश एवं
गुििर त्रवभाग मं नौकरी प्राि हो िकती हं । एकादश भाव र्ा एकादशेश का आपि मं शुभ
 र्फद प्रश्न कुण्िली के लग्न र्ा पंिम भाव र्ा अष्टम िम्बडध स्थात्रपत हो रहा हो तो व्र्त्रि को माकेफटं ग
भाव मं ग्रह उच्ि रासश का होकर स्स्थत हो तो व्र्त्रि के काम मं िफलता समलती हं ।
को गुििर त्रवभाग मं नौकरी समल िकती हं ।  र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्न, लग्नेश, दशम भाव,
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं पंिमेश और अष्टमेश का आपि दशमेश, एकादश भाव, एकादशेश भाव मं बुध बलवान
मं शुभ िम्बडध हो तो व्र्त्रि को गुििर त्रवभाग मं स्स्थसत मं शुभ अवस्था मं स्स्थत हो और अशुभ ग्रह
कार्ा करने का मौका समल िकता हं । र्ा पाप प्रभावं िे मुि हो तो व्र्त्रि को माकेफटं ग के
 र्फद प्रश्न कुण्िली के िडद्रमा पंिम भाव र्ा अष्टम काम मं िफलता समलती हं ।
भाव को ििम दृत्रष्ट िे दे खकर उिे बल प्रदान कर  र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्न, लग्नेश, दशम भाव,
दशमेश, एकादश भाव, एकादशेश भाव मं बुध
50 जून 2012

कमजोर स्स्थसत मं हो शुभ ग्रह िे की र्ुसत र्ा दृत्रष्ट  र्फद प्रश्न कुण्िली के तृतीर् भाव र्ा तृतीर्ेश एवं
िे वस्डित हो तो व्र्त्रि को माकेफटं ग के काम मं दशम भाव र्ा दशमेश बलवान स्स्थसत मं होतो
अिफलता समलती हं र्ा कफठन पररश्रम और िंघषा नौकरी बदलना लाभदार्क होता हं ।
करना पड़ता हं ।  र्फद प्रश्न कुण्िली मं दशम भाव मं िर रासश मं हो
 र्फद प्रश्न कुण्िली के लग्न र्ा दशम भाव र्ा एकादश और उिमे शुभ ग्रह स्स्थत हो र्ा शुभ ग्रहं की दृत्रष्ट
भाव मं ग्रह उच्ि रासश का होकर स्स्थत हो तो व्र्त्रि हो तो व्र्त्रि को अपनी इच्छानुशार नौकरी की शीघ्र
को माकेफटं ग के क्षेि मं िफलता समल िकती हं । प्रासि होने की िंभावना बनती है ।
 र्फद प्रश्न कुण्िली के लग्नेश र्ा दशमेश भाव र्ा  र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश का दशमेश र्ा तृतीर्ेश
एकादशेश अपनी उच्ि रासश मं स्स्थत हो तो व्र्त्रि का आपि मं शुभ िम्बडध हो तो व्र्त्रि के सलए
को माकेफटं ग के क्षेि मं वास्डछत िफलता समल नौकरी बदलना लाभदार्क हो िकता हं ।
िकती हं ।  र्फद प्रश्न कुण्िली मं िडद्रमा तृतीर् भाव र्ा दशम
 र्फद प्रश्न कुण्िली के लग्नेश, दशमेश भाव, एकादशेश भाव को ििम दृत्रष्ट िे दे खकर उिे बल प्रदान कर
का आपि मं शुभ िम्बडध बन रहा हो तो व्र्त्रि को रहा हो और अडर् ग्रह स्स्थसत अनुकूल हो तो व्र्त्रि
माकेफटं ग के क्षेि मं िफलता समलती हं । के सलए नौकरी बदलना लाभप्रद हो िकता हं ।
 र्फद प्रश्न कुण्िली के िडद्रमा दशम भाव र्ा एकादश  र्फद प्रश्न कुण्िली के लग्न र्ा दशम भाव र्ा तृतीर्
भाव को ििम दृत्रष्ट िे दे खकर उिे बल प्रदान कर मं ग्रह उच्ि रासश का होकर स्स्थत हो तो व्र्त्रि के
रहा हो और अडर् ग्रह स्स्थसत अनुकूल हो तो व्र्त्रि सलए नौकरी मं पररवतान करना लाभप्रद होता हं ।
को माकेफटं ग के क्षेि मं िफलता समल िकती है ।  र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश र्ा दशमेश र्ा तृतीर्ेश
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं िम्बस्डधत भाव और ग्रह अपनी उच्ि रासश मं स्स्थत हो तो व्र्त्रि के सलए
कमजोर स्स्थसत मं हो उन पर पाप ग्रहो का प्रभाव हो नौकरी मं पररवतान करना लाभदार्क होता हं ।
तो व्र्त्रि को माकेफटं ग के क्षेि मे त्रवसभडन  र्फद प्रश्न कुण्िली मं िम्बस्डधत भाव और ग्रह
कफठनाईर्ं का िामना करना पड़ िकता हं इि सलए कमजोर स्स्थसत मं हो उन पर पाप ग्रहो का प्रभाव हो
व्र्त्रि को फकिी और कार्ा क्षेि का िुनाव करना तो व्र्त्रि के नौकरी मं पररवतान करने पर त्रवसभडन
िाफहए र्ा व्र्त्रि को माकेफटं ग के क्षेि मं िफलता कफठनाईर्ं का िामना करना पड़ िकता हं स्जि
प्राि करने के सलए कफठन पररश्रम करना पड़ िकता कारण िम्भवत उिकी नौकरी अस्थार्ी हो िकती हं
है । र्ा उिे पुनः नई नौकरी की तलाश करनी पड़ िकती
हं । इि सलए व्र्त्रि के सलए उपर्ुि रहे गा की वह
नौकरी बदलने के र्ोग
ग्रह स्स्थसत के िामाडर् होने तक नौकरी मं पररवतान

 प्रश्न कुण्िली मं नौकरी की स्स्थसत जानने के सलए का त्रविार छोड़ कर मौजुदा नौकरी मं बने रहं ।

दशम भाव िे त्रविार फकर्ा जाता है । नौकरी पररवतान


नौकरी मं तबादले के र्ोग (ट्राडस्फर/स्थानांतर)
का त्रविार करते िमर् बृहस्पसत एवं शसन ग्रह का
 प्रश्न कुण्िली मं नौकरी की स्स्थसत जानने के सलए
िूक्ष्म का अवलोकन करना महत्वपूणा होता है ।
दशम भाव िे त्रविार फकर्ा जाता है ।
51 जून 2012

 र्फद प्रश्न कुण्िली के लग्न और दशम भाव मं िर  र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश का तृतीर्ेश र्ा दशमेश
रासश मं हो और उिमे शुभ ग्रह स्स्थत हो र्ा शुभ अपनी उच्ि रासश मं स्स्थत हो तो व्र्त्रि का तबादला
ग्रहं की दृत्रष्ट हो तो व्र्त्रि का स्थानांतर शीघ्र होने होने की िंभावना नहीं बनती।
की िंभावना बनती है । नोट: र्फद ग्रहं और भावं का प्रभाव प्रश्न कुण्िली मं शुभ
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं दशम भाव का तृतीर् भाव िे हो र्ा ग्रह उच्ि स्स्थसत मं स्स्थत हो तो तबादले की
शुभ िम्बडध स्थात्रपत हो रहा हो तो व्र्त्रि का स्स्थसत नहीं बननने का अथा है व्र्त्रि का तबादला कष्ट
पदौनत्रत्त के िाथ स्थानांतर हो िकता हं । र्ा कम लाभदे ने वाले स्थानो पर नहीं होता फकडतु ग्रहो
 इि िे त्रवपररत र्फद र्फद प्रश्न कुण्िली मं दशम भाव के शुभ प्रभाव मं होने िे लाभदार्क स्थानो पर तबादला
का तृतीर् भाव िे अशुभ िम्बडध स्थात्रपत हो रहा हो होने की िंभावना बन िकती।
तो व्र्त्रि का अवनसत अथवा त्रबना पदौनत्रत्त के
तबादला होता हं । एिी स्स्थसत मं र्फद शुभ ग्रहं की पदोडनसत (प्रोमोशन) के र्ोग
द्रत्रष्ट िंबंसधत भाव पर नहीं पड़ रही हो तो र्फद  प्रश्न कुण्िली मं नौकरी और उिमं तरक्की के का
व्र्त्रि अपना तबादला रुकवाने का प्रर्ाि करे तो त्रविार दशम भाव और दशमेश िे फकर्ा जाता है ।
उिमं भी उिे अिफलता समलने के र्ोग बनते हं । पदोडनसत के कारक िूर्ा एवं बृहस्पसत ग्रह की स्स्थसत
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं िम्बस्डधत ग्रह और भाव भी पदौनसत का त्रविार करते िमर् त्रवशेष महत्व
िामाडर् स्स्थसत मं हो ग्रह ना हीं असधक अशुभ हो रखती हं ।
और ना हीं असधक शुभ हो अथाात ग्रहो का प्रभाव  र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्न र्ा लग्नेश, दशम भाव र्ा

मध्र्म हो, तो व्र्त्रि का स्थानांतर होने की दशमेश एवं िूर्ा अथवा बृहस्पसत की स्स्थसत उत्तम हो
तो व्र्त्रि को नौकरी मं पदोडनसत प्राि होती हं ।
िम्भावना कम बनती हं ।
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्न र्ा लग्नेश, दशम भाव र्ा
 र्फद प्रश्न कुण्िली के लग्न र्ा तृतीर् भाव र्ा दशम
दशमेश एवं िूर्ा अथवा बृहस्पसत पाप प्रभाव मं होत
भाव मं ग्रह उच्ि रासश का हो कर स्स्थत हो तो
तो व्र्त्रि को पदोडनसत मं त्रवसभडन रुकावटं का
व्र्त्रि का तबादला शीघ्र होने की िंभावना नहीं िामना कर पड़ िकता हं ।
बनती।  र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश र्ा दशमेश उच्ि रासश
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश का तृतीर्ेश र्ा दशमेश मं स्स्थत हो तो व्र्त्रि को पदोडनसत समलने के र्ोग

के िाथ मं शुभ िम्बडध स्थात्रपत हो रहा हो तो बनते हं ।


 र्फद प्रश्न कुण्िली के लग्न र्ा दशम भाव मं ग्रह
व्र्त्रि का तबादला शीघ्र होने की िंभावना नहीं
उच्ि रासश का हो कर स्स्थत हो तो व्र्त्रि की
बनती। र्फद फकिी कारण िे तबादला हो भी जाता हं
पदोडनसत हो िकती हं ।
तो प्रर्ािो िे रोका जा िकता हं ।  र्फद प्रश्न कुण्िली मं िडद्रमा ििम दृत्रष्ट िे दशम
 र्फद प्रश्न कुण्िली मं िडद्रमा तृतीर् भाव र्ा दशम भाव को दे ख कर उिे बल प्रदान कर रहा हो और
भाव को ििम दृत्रष्ट िे दे खकर उिे बल प्रदान कर अडर् िभी िम्बस्डधत ग्रह एवं भाव अनुकूल स्स्थसत
रहा हो तो व्र्त्रि का तबादला शीघ्र होने की िंभावना मं हो तो व्र्त्रि को शीघ्र पदोडनसत समलने की
िम्भावना बन िकती हं ।
नहीं बनती।
52 जून 2012

मुकदमे मं िफलता के र्ोग


 स्वस्स्तक.ऎन.जोशी
मुकदमे मं िफलता के र्ोग  र्फद प्रश्न कुण्िली मं ग्रहं का प्रभाव मध्र्म हो

 प्रश्न कुण्िली मं मुकदमं का त्रविार ििम भाव िे अथाात असधक बलशाली र्ा दब
ु ल
ा न हो तो ग्रह

फकर्ा जाता हं । प्रश्न कुण्िली मं लग्न व लग्नेश स्स्थसत र्ह िंकेत दे ती हं की व्र्त्रि को मुकदमे

की स्स्थसत भी महत्वपूणा स्थान रखती है । र्फद मं जीत के सलए सनरं तर प्रर्ाि करते रहना िाफहए

लग्नेश बलवान हो तो व्र्त्रि का भाग्र् उत्तम भले फह उिे फैिला अपने हक मं नज़र आरहा हो

होता हं स्जि कारण उिे शीघ्र िफलता समलने की लेफकन जीत समलने तक उिके सलए प्रर्ाि नहीं

िंभावनाएं बनती हं । इििे त्रवपररत र्फद लग्न व छोड़ने िाफहए।

लग्नेश कमजोर र्ा पाप प्रभाव मं हो तो व्र्त्रि  र्फद प्रश्न कुण्िली के लग्न र्ा ििम भाव मं ग्रह

का भाग्र् दब
ु ल
ा होता हं , स्जि कारण जल्द कोई उच्ि रासश का होकर स्स्थत हो तो व्र्त्रि को

भी फैिला व्र्त्रि के पक्ष मं नहीं आता हं । मुकदमे मं िफलता समल िकती हं ।

 र्फद प्रश्न कुण्िली मं ििम भाव शुभ ग्रहं िे र्ुि  र्फद प्रश्न कुण्िली के लग्नेश र्ा ििमेश अपनी

र्ा दृष्ट हो तो व्र्त्रि को मुकदमे मं िफलता उच्ि रासश मं स्स्थत हो तो व्र्त्रि को मुकदमे मं

समलने के र्ोग बनते हं । िफलता समलने के र्ोग बनते हं ।

 र्फद प्रश्न कुण्िली मं ििम भाव अशुभ ग्रहं िे  र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश और ििमेश का

र्ुि र्ा दृष्ट हो तो व्र्त्रि को मुकदमे मं पराजर् आपि मं शुभ िम्बडध बन रहा हो तो व्र्त्रि को

र्ा त्रवलम्ब का िामना करना पड़ िकता हं । एिी मुकदमे मं िफलता समल िकती हं । ।

स्स्थसत मं हताशा और सनराशा का छोड़ कर  र्फद प्रश्न कुण्िली मं िडद्रमा लग्न र्ा ििम भाव

त्रवजर् प्रासि की फदशा मं प्रर्ाि करने िाफहए। को ििम दृत्रष्ट िे दे खकर उिे बल प्रदान कर रहा

आपके प्रर्ािो एवं ग्रहो के अनुकूल होने तक हो तो व्र्त्रि को मुकदमे मं िफलता समलने की

िम्भवत आपको त्रवजर् की प्रासि हो िकती हं , िम्भावानाएं प्रबल बनती हं ।

इि सलए अपना प्रर्ाि जारी रखे। ***

िंपूणा जडम कुंिली परामशा


जडम कुंिली मं उपस्स्थत अच्छे -बुरे र्ोगं तथा दोषं के बारे मं िंपूणा जानकारी प्राि कर इन र्ोगं अथवा दोषं िे होने वाले
लाभ-हासन के बारे मं जानकारी प्राि कर उन दोषं के सनवारण के उपार् िे िंबंसधत त्रवस्तृत जानकारी प्राि करने हे तु
िंपका करं । GURUTVA KARYALAY
Call Us – 91 + 9338213418, 91 + 9238328785
Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in, gurutva.karyalay@gmail.com
53 जून 2012

शसन प्रदोष व्रत का महत्व


 सिंतन जोशी
िनातन धमा मं प्रदोष व्रत का त्रवशेष महत्व माना शसन प्रदोष के फदन शसन की कारक वस्तुओं जैिे
जाता हं । प्रत्र्ेक माह के शुक्ल और कृ ष्ण दोनं पक्षं के लोहा, तैल, काले सतल, काली उड़द, कोर्ला और कम्बल आफद
तेरहवं फदन अथाात िर्ोदशी को प्रदोष व्रत कहाजाता हं । का दान करना शुभ फलप्रद होता हं , और शसन-मंफदर मं
इि फदन फकए जाने वाले व्रत को प्रदोष व्रत कहा जाकर तैल का फदर्ा जलाता है तथा उपवाि करता है ,
जाता हं । प्रदोष व्रत के फदन भगवान सशव और माता पावाती शसनदे व उििे प्रिडन होकर उिके िारे दःु खं को दरू कर दे ते
की आराधना करने का त्रवधान हं । त्रवद्वानो के मतानुशार हं । त्रवद्वानो के अनुशार शास्त्रों मं वस्णात है फक उत्तम िंतान की
प्रदोष व्रत िे व्र्त्रि को िफलता, शास्डत प्रदान करने वाला कामना रखने वाले दम्पत्रत्त को शसन प्रदोष व्रत अवश्र् करना
एवं उिकी िमस्त इच्छाओं की पूसता करने वाला हं । िाफहए। शास्त्रोो मं शसन प्रदोष व्रत शीघ्र ही िंतान दे ने वाला
एिी धासमाक माडर्ता हं फक प्रदोष के फदन भगवान सशव के माना गर्ा हं ।
फकिी भी रूप का दशान करने माि िे व्र्त्रि की िारी िंतान-प्रासि के हे तु शसन प्रदोष वाले फदन िुबह
अज्ञानता का नाश कर दे ता हं और भि को सशव की कृ पा का स्नानादी करने के पिात पसत-पत्नी को समलकर सशव-पावाती
भागी बनाता हं ।
और गणेश की का त्रवसध-त्रवधान िे पूजन-अिान करना
जब शसनवार के फदन प्रदोष व्रत पड़ता हं, तो
िाफहए और सशवसलंग पर जलासभषेक करना
उिे शसन प्रदोष व्रत के नाम िे जाना जाता हं ।
िाफहए। इिके पिर्ात शसनदे व की कृ पा प्राि
शसनदे व नवग्रहं मं िे एक महाग्रह हं ।
22 जून करने हे तु पीपल के वृक्ष की जड़ मं जल
शसनदे व के बारे मं शास्त्रों मं वणान है फक
प्रात: 4.15 िे िढ़ाना िाफहए। िाथ ही दम्पत्रत्त को पूरे फदन
शसन का कोप अत्र्डत भर्ंकर होता हं ।
उपवाि करना िाफहए। ऐिा करने िे जल्दी
भर्ंकर कोप शाडत करने हे तु पुराणं मं िूर्ोदर् तक
ही िंतान की प्रासि होती है ।
उल्लेख हं की शसन प्रदोष व्रत करने िे शसन
शसन प्रदोष व्रत के फदन िाधक को
दे व का प्रकोप स्वतः शाडत हो जाता है । स्जन लोगं
िंध्र्ा-काल मं भगवान का भजन-पूजन करना िाफहए
पर शसन की िाढ़े िाती और ढै र्ा का प्रभाव हो, उनके सलए
और सशवसलंग का जल और त्रबल्व की पत्रत्तर्ं िे असभषेक
शसन प्रदोष व्रत करना त्रवशेष फहतकारी माना गर्ा है ।
करना िाफहए। िाथ ही इि फदन महामृत्र्ुंजर्-मंि के जाप
पूणा त्रवसध-त्रवधान व सनष्ठा िे फकर्ा गर्ा प्रदोष व्रत
का भी त्रवधान है । इि फदन प्रदोष व्रत कथा का पाठ करना
शसनदे व की कृ पा प्राि करने का एक शास्त्रोोि व आिान उपार्
िाफहए और पूजा के बाद भभूत को मस्तक पर लगाना
है । प्रदोष व्रत के प्रभाव िे शसन िे िंबंसधत पीिा दरू होती हं ,
िाफहए। शास्त्रों के अनुिार जो िाधक इि तरह शसन प्रदोष
और शसनदे व का आशीवााद भी समलता है स्जििे व्र्त्रि की
व्रत का पालन करता है , उिके िभी कष्ट िमाि हो जाते हं
िभी मनोकामनाएँ पूरी होती जाती हं ।
और िम्पूणा इच्छाएँ पूरी होती हं ।
54 जून 2012

गुरु पुष्र्ामृत र्ोग


 सिंतन जोशी
हर फदन बदलने वाले नक्षि मे पुष्र् नक्षि भी  जब गुरुवार के फदन पुष्र् नक्षि होता तब र्ह
एक नक्षि है , एवं अडदाज िे हर २७वं फदन पुष्र् नक्षि र्ोग बन जाता है अद्भत
ु एवं अत्र्ंत शुभ फल प्रद
होता है । र्ह स्जि वार को आता है , इिका नाम भी उिी अमृत र्ोग।
प्रकार रखा जाता है ।  एक िाधक के सलए बेहद फार्दे मंद होता
इिी प्रकार गुरुवार को पुष्र् नक्षि होने िे गुरु हं गुरुपुष्र्ामृत र्ोग।
पुष्र् र्ोग कहाजात है ।  इि फदन त्रवद्वान एवं गुढ रहस्र्ो के जानकार मां
गुरु पुष्र् र्ोग के बारे मं त्रवद्वान ज्र्ोसतत्रषर्ो का महालक्ष्मी की िाधना करने की िलाह दे ते है ।
कहना हं फक पुष्र् नक्षि मं धन प्रासि, िांदी, िोना, नर्े  र्ह र्ोग त्रवशेष िाधना के सलर्े असत शुभ एवं
वाहन, बही-खातं की खरीदारी एवं गुरु ग्रह िे िंबंसधत शीघ्र परीणाम दे ने वाला होता है ।
वस्तुए अत्र्ासधक लाभ प्रदान करती है ।  मां महालक्ष्मी का आह्वान करके अत्र्ंत िरलता
हर व्र्त्रि अपने शुभ कार्ो मं िफलता हे तु इि िे उनकी कृ पा द्रत्रष्ट िे िमृत्रद्ध और शांसत प्राि फक
शुभ महूता का िर्न कर िबिे उपर्ुि लाभ प्राि कर जािकती है ।
िकता है और अशुभता िे बि िकता है । पुष्र् नक्षि का महत्व क्र्ं हं ?
अपने जीवन मं फदन-प्रसतफदन शास्त्रोो मं पुष्र् नक्षि को नक्षिं का
िफलता की प्रासि के सलए इि अद्भत
ु 22 जून राजा बतार्ा गर्ा हं । स्जिका स्वामी शसन
महूता वाले फदन फकिी भी नर्े कार्ा को प्रात: 4.15 िे ग्रह हं । शसन को ज्र्ोसतष मं स्थासर्त्व का
जेिे नौकरी, व्र्ापार र्ा पररवार िे जुड़े प्रतीक माना गर्ा हं । अतः पुष्र् नक्षि
िूर्ोदर् तक
कार्ा, बंध हो िुके कार्ा शुरू करने के िबिे शुभ नक्षिो मं िे एक हं ।
सलर्े एवं जीवन के कोई भी अडर् र्फद रत्रववार को पुष्र् नक्षि हो तो रत्रव
महत्वपूणा क्षेि मं कार्ा करने िे 99.9% सनस्ित पुष्र् र्ोग और गुरुवार को हो तो और गुरु पुष्र्
िफलता की िंभावना होसत है । र्ोग कहलाता हं ।
 गुरुपुष्र्ामृत र्ोग बहोत कम बनता है जब शास्त्रों मं पुष्र् र्ोग को 100 दोषं को दरू करने
गुरुवार के फदन पुष्र् नक्षि होता है । तब बनता वाला, शुभ कार्ा उद्दे श्र्ो मं सनस्ित िफलता प्रदान करने
है गुरु पुष्र् र्ोग। वाला एवं बहुमल्
ू र् वस्तुओं फक खरीदारी हे तु िबिे श्रेष्ठ
 गुरुवार के फदन शुभ कार्ो एवं आध्र्ात्म िे एवं शुभ फलदार्ी र्ोग माना गर्ा है ।
िंबंसधत कार्ा करना असत शुभ एवं मंगलमर् गुरुवार के फदन पुष्र् नक्षि के िंर्ोग िे िवााथा
होता है । अमृतसित्रद्ध र्ोग बनता है । शसनवार के फदन पुष्र् नक्षि
 पुष्र् नक्षि भी िभी प्रकार के शुभ कार्ो एवं के िंर्ोग िे िवााथसा ित्रद्ध र्ोग होता है । पुष्र् नक्षि को
आध्र्ात्म िे जुिे कार्ो के सलर्े असत शुभ माना ब्रह्माजी का श्राप समला था। इिसलए शास्त्रोोि त्रवधान िे
गर्ा है । पुष्र् नक्षि मं त्रववाह वस्जात माना गर्ा है ।
55 जून 2012

नवरत्न जफड़त श्री र्ंि


शास्त्रो विन के अनुिार शुद्ध िुवणा र्ा रजत
मं सनसमात श्री र्ंि के िारं और र्फद नवरत्न
जड़वा ने पर र्ह नवरत्न जफड़त श्री र्ंि
कहलाता हं । िभी रत्नो को उिके सनस्ित
स्थान पर जड़ कर लॉकेट के रूप मं धारण
करने िे व्र्त्रि को अनंत एश्वर्ा एवं लक्ष्मी
की प्रासि होती हं । व्र्त्रि को एिा आभाि
होता हं जैिे मां लक्ष्मी उिके िाथ हं ।
नवग्रह को श्री र्ंि के िाथ लगाने िे ग्रहं
की अशुभ दशा का धारणकरने वाले व्र्त्रि
पर प्रभाव नहीं होता हं ।

गले मं होने के कारण र्ंि पत्रवि रहता हं एवं स्नान करते िमर् इि र्ंि पर स्पशा कर जो
जल त्रबंद ु शरीर को लगते हं , वह गंगा जल के िमान पत्रवि होता हं । इि सलर्े इिे िबिे
तेजस्वी एवं फलदासर् कहजाता हं । जैिे अमृत िे उत्तम कोई औषसध नहीं, उिी प्रकार लक्ष्मी
प्रासि के सलर्े श्री र्ंि िे उत्तम कोई र्ंि िंिार मं नहीं हं एिा शास्त्रोोि विन हं । इि प्रकार के
नवरत्न जफड़त श्री र्ंि गुरूत्व कार्ाालर् द्वारा शुभ मुहूता मं प्राण प्रसतत्रष्ठत करके बनावाए जाते
हं ।
असधक जानकारी हे तु िंपका करं ।

GURUTVA KARYALAY
92/3BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA)
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56 जून 2012

मंि सिद्ध वाहन दघ


ु ट
ा ना नाशक मारुसत र्ंि
पौरास्णक ग्रंथो मं उल्लेख हं की महाभारत के र्ुद्ध के िमर् अजुन
ा के रथ के अग्रभाग पर मारुसत ध्वज एवं
मारुसत र्डि लगा हुआ था। इिी र्ंि के प्रभाव के कारण िंपूणा र्ुद्ध के दौरान हज़ारं-लाखं प्रकार के आग्नेर् अस्त्रो-
शस्त्रों का प्रहार होने के बाद भी अजुन
ा का रथ जरा भी क्षसतग्रस्त नहीं हुआ। भगवान श्री कृ ष्ण मारुसत र्ंि के इि
अद्भत
ु रहस्र् को जानते थे फक स्जि रथ र्ा वाहन की रक्षा स्वर्ं श्री मारुसत नंदन करते हं, वह दघ
ु ट
ा नाग्रस्त कैिे हो
िकता हं । वह रथ र्ा वाहन तो वार्ुवेग िे, सनबाासधत रुप िे अपने लक्ष्र् पर त्रवजर् पतका लहराता हुआ पहुंिेगा।
इिी सलर्े श्री कृ ष्ण नं अजुन
ा के रथ पर श्री मारुसत र्ंि को अंफकत करवार्ा था।
स्जन लोगं के स्कूटर, कार, बि, ट्रक इत्र्ाफद वाहन बार-बार दघ
ु ट
ा ना ग्रस्त हो रहे हो!, अनावश्र्क वाहन को
नुक्षान हो रहा हं! उडहं हानी एवं दघ
ु ट
ा ना िे रक्षा के उद्दे श्र् िे अपने वाहन पर मंि सिद्ध श्री मारुसत र्ंि अवश्र्
लगाना िाफहए। जो लोग ट्राडस्पोफटं ग (पररवहन) के व्र्विार् िे जुिे हं उनको श्रीमारुसत र्ंि को अपने वाहन मं अवश्र्
स्थात्रपत करना िाफहए, क्र्ोफक, इिी व्र्विार् िे जुिे िैकिं लोगं का अनुभव रहा हं की श्री मारुसत र्ंि को स्थात्रपत
करने िे उनके वाहन असधक फदन तक अनावश्र्क खिो िे एवं दघ
ु ट
ा नाओं िे िुरस्क्षत रहे हं । हमारा स्वर्ंका एवं अडर्
त्रवद्वानो का अनुभव रहा हं , की स्जन लोगं ने श्री मारुसत र्ंि अपने वाहन पर लगार्ा हं , उन लोगं के वाहन बिी िे
बिी दघ
ु ट
ा नाओं िे िुरस्क्षत रहते हं । उनके वाहनो को कोई त्रवशेष नुक्शान इत्र्ाफद नहीं होता हं और नाहीं अनावश्र्क
रुप िे उिमं खराबी आसत हं ।
वास्तु प्रर्ोग मं मारुसत र्ंि: र्ह मारुसत नंदन श्री हनुमान जी का र्ंि है । र्फद कोई जमीन त्रबक नहीं रही हो, र्ा उि
पर कोई वाद-त्रववाद हो, तो इच्छा के अनुरूप वहँ जमीन उसित मूल्र् पर त्रबक जार्े इि सलर्े इि मारुसत र्ंि का
प्रर्ोग फकर्ा जा िकता हं । इि मारुसत र्ंि के प्रर्ोग िे जमीन शीघ्र त्रबक जाएगी र्ा त्रववादमुि हो जाएगी। इि सलर्े
र्ह र्ंि दोहरी शत्रि िे र्ुि है ।
मारुसत र्ंि के त्रवषर् मं असधक जानकारी के सलर्े गुरुत्व कार्ाालर् मं िंपका करं । मूल्र् Rs- 255 िे 10900 तक

श्री हनुमान र्ंि शास्त्रों मं उल्लेख हं की श्री हनुमान जी को भगवान िूर्द


ा े व ने ब्रह्मा जी के आदे श पर हनुमान
जी को अपने तेज का िौवाँ भाग प्रदान करते हुए आशीवााद प्रदान फकर्ा था, फक मं हनुमान को िभी शास्त्रो का पूणा
ज्ञान दँ ग
ू ा। स्जििे र्ह तीनोलोक मं िवा श्रेष्ठ विा हंगे तथा शास्त्रो त्रवद्या मं इडहं महारत हासिल होगी और इनके
िमन बलशाली और कोई नहीं होगा। जानकारो ने मतानुशार हनुमान र्ंि की आराधना िे पुरुषं की त्रवसभडन बीमाररर्ं
दरू होती हं , इि र्ंि मं अद्भत
ु शत्रि िमाफहत होने के कारण व्र्त्रि की स्वप्न दोष, धातु रोग, रि दोष, वीर्ा दोष, मूछाा,
नपुंिकता इत्र्ाफद अनेक प्रकार के दोषो को दरू करने मं अत्र्डत लाभकारी हं । अथाात र्ह र्ंि पौरुष को पुष्ट करता
हं । श्री हनुमान र्ंि व्र्त्रि को िंकट, वाद-त्रववाद, भूत-प्रेत, द्यूत फक्रर्ा, त्रवषभर्, िोर भर्, राज्र् भर्, मारण, िम्मोहन
स्तंभन इत्र्ाफद िे िंकटो िे रक्षा करता हं और सित्रद्ध प्रदान करने मं िक्षम हं ।
श्री हनुमान र्ंि के त्रवषर् मं असधक जानकारी के सलर्े गुरुत्व कार्ाालर् मं िंपका करं । मूल्र् Rs- 730 िे 10900 तक

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57 जून 2012

मंि सिद्ध त्रवशेष दै वी र्ंि िूसि


आद्य शत्रि दग
ु ाा बीिा र्ंि (अंबाजी बीिा र्ंि) िरस्वती र्ंि
महान शत्रि दग
ु ाा र्ंि (अंबाजी र्ंि) िििती महार्ंि(िंपूणा बीज मंि िफहत)
नव दग
ु ाा र्ंि काली र्ंि
नवाणा र्ंि (िामुंिा र्ंि) श्मशान काली पूजन र्ंि
नवाणा बीिा र्ंि दस्क्षण काली पूजन र्ंि
िामुंिा बीिा र्ंि ( नवग्रह र्ुि) िंकट मोसिनी कासलका सित्रद्ध र्ंि
त्रिशूल बीिा र्ंि खोफिर्ार र्ंि
बगला मुखी र्ंि खोफिर्ार बीिा र्ंि
बगला मुखी पूजन र्ंि अडनपूणाा पूजा र्ंि
राज राजेश्वरी वांछा कल्पलता र्ंि एकांक्षी श्रीफल र्ंि

मंि सिद्ध त्रवशेष लक्ष्मी र्ंि िूसि


श्री र्ंि (लक्ष्मी र्ंि) महालक्ष्मर्ै बीज र्ंि
श्री र्ंि (मंि रफहत) महालक्ष्मी बीिा र्ंि
श्री र्ंि (िंपूणा मंि िफहत) लक्ष्मी दार्क सिद्ध बीिा र्ंि
श्री र्ंि (बीिा र्ंि) लक्ष्मी दाता बीिा र्ंि
श्री र्ंि श्री िूि र्ंि लक्ष्मी गणेश र्ंि
श्री र्ंि (कुमा पृष्ठीर्) ज्र्ेष्ठा लक्ष्मी मंि पूजन र्ंि
लक्ष्मी बीिा र्ंि कनक धारा र्ंि
श्री श्री र्ंि (श्रीश्री लसलता महात्रिपुर िुडदर्ै श्री महालक्ष्मर्ं श्री महार्ंि) वैभव लक्ष्मी र्ंि (महान सित्रद्ध दार्क श्री महालक्ष्मी र्ंि)
अंकात्मक बीिा र्ंि
ताम्र पि पर िुवणा पोलीि ताम्र पि पर रजत पोलीि ताम्र पि पर
(Gold Plated) (Silver Plated) (Copper)
िाईज मूल्र् िाईज मूल्र् िाईज मूल्र्
1” X 1” 460 1” X 1” 370 1” X 1” 255
2” X 2” 820 2” X 2” 640 2” X 2” 460
3” X 3” 1650 3” X 3” 1090 3” X 3” 730
4” X 4” 2350 4” X 4” 1650 4” X 4” 1090
6” X 6” 3600 6” X 6” 2800 6” X 6” 1900
9” X 9” 6400 9” X 9” 5100 9” X 9” 3250
12” X12” 10800 12” X12” 8200 12” X12” 6400
र्ंि के त्रवषर् मं असधक जानकारी हे तु िंपका करं ।
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58 जून 2012

रासश रत्न
मूंगा हीरा पडना मोती माणेक पडना

Naturel Pearl Ruby


Red Coral Diamond Green Emerald Green Emerald
(Old Berma)
(Special) (Special) (Special) (Special) (Special)
(Special)
5.25" Rs. 1050 10 cent Rs. 4100 5.25" Rs. 9100 5.25" Rs. 910 2.25" Rs. 12500 5.25" Rs. 9100
6.25" Rs. 1250 20 cent Rs. 8200 6.25" Rs. 12500 6.25" Rs. 1250 3.25" Rs. 15500 6.25" Rs. 12500
7.25" Rs. 1450 30 cent Rs. 12500 7.25" Rs. 14500 7.25" Rs. 1450 4.25" Rs. 28000 7.25" Rs. 14500
8.25" Rs. 1800 40 cent Rs. 18500 8.25" Rs. 19000 8.25" Rs. 1900 5.25" Rs. 46000 8.25" Rs. 19000
9.25" Rs. 2100 50 cent Rs. 23500 9.25" Rs. 23000 9.25" Rs. 2300 6.25" Rs. 82000 9.25" Rs. 23000
10.25" Rs. 2800 10.25" Rs. 28000 10.25" Rs. 2800 10.25" Rs. 28000
All Diamond are Full
** All Weight In Rati ** All Weight In Rati ** All Weight In Rati ** All Weight In Rati ** All Weight In Rati
White Colour.

तुला रासश: वृस्िक रासश: धनु रासश: मकर रासश: कुंभ रासश: मीन रासश:

हीरा मूंगा पुखराज नीलम नीलम पुखराज

Diamond Red Coral Y.Sapphire B.Sapphire B.Sapphire Y.Sapphire


(Special) (Special) (Special) (Special) (Special) (Special)
10 cent Rs. 4100 5.25" Rs. 1050 5.25" Rs. 30000 5.25" Rs. 30000 5.25" Rs. 30000 5.25" Rs. 30000
20 cent Rs. 8200 6.25" Rs. 1250 6.25" Rs. 37000 6.25" Rs. 37000 6.25" Rs. 37000 6.25" Rs. 37000
30 cent Rs. 12500 7.25" Rs. 1450 7.25" Rs. 55000 7.25" Rs. 55000 7.25" Rs. 55000 7.25" Rs. 55000
40 cent Rs. 18500 8.25" Rs. 1800 8.25" Rs. 73000 8.25" Rs. 73000 8.25" Rs. 73000 8.25" Rs. 73000
50 cent Rs. 23500 9.25" Rs. 2100 9.25" Rs. 91000 9.25" Rs. 91000 9.25" Rs. 91000 9.25" Rs. 91000
10.25" Rs. 2800 10.25" Rs.108000 10.25" Rs.108000 10.25" Rs.108000 10.25" Rs.108000
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* उपर्ोि वजन और मूल्र् िे असधक और कम वजन और मूल्र् के रत्न एवं उपरत्न भी हमारे र्हा व्र्ापारी मूल्र् पर
उप्लब्ध हं ।

GURUTVA KARYALAY
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59 जून 2012

मंि सिद्ध रूद्राक्ष


Rate In Rate In
Rudraksh List Rudraksh List
Indian Rupee Indian Rupee
एकमुखी रूद्राक्ष (इडिोनेसशर्ा) 2800, 5500 आठ मुखी रूद्राक्ष (नेपाल) 820,1250
एकमुखी रूद्राक्ष (नेपाल) 750,1050, 1250, आठ मुखी रूद्राक्ष (इडिोनेसशर्ा) 1900
दो मुखी रूद्राक्ष (हररद्रार, रामेश्वर) 30,50,75 नौ मुखी रूद्राक्ष (नेपाल) 910,1250
दो मुखी रूद्राक्ष (नेपाल) 50,100, नौ मुखी रूद्राक्ष (इडिोनेसशर्ा) 2050
दो मुखी रूद्राक्ष (इडिोनेसशर्ा) 450,1250 दि मुखी रूद्राक्ष (नेपाल) 1050,1250
तीन मुखी रूद्राक्ष (हररद्रार, रामेश्वर) 30,50,75, दि मुखी रूद्राक्ष (इडिोनेसशर्ा) 2100
तीन मुखी रूद्राक्ष (नेपाल) 50,100, ग्र्ारह मुखी रूद्राक्ष (नेपाल) 1250,
तीन मुखी रूद्राक्ष (इडिोनेसशर्ा) 450,1250, ग्र्ारह मुखी रूद्राक्ष (इडिोनेसशर्ा) 2750,
िार मुखी रूद्राक्ष (हररद्रार, रामेश्वर) 25,55,75, बारह मुखी रूद्राक्ष (नेपाल) 1900,
िार मुखी रूद्राक्ष (नेपाल) 50,100, बारह मुखी रूद्राक्ष (इडिोनेसशर्ा) 2750,
पंि मुखी रूद्राक्ष (नेपाल) 25,55, तेरह मुखी रूद्राक्ष (नेपाल) 3500, 4500,
पंि मुखी रूद्राक्ष (इडिोनेसशर्ा) 225, 550, तेरह मुखी रूद्राक्ष (इडिोनेसशर्ा) 6400,
छह मुखी रूद्राक्ष (हररद्रार, रामेश्वर) 25,55,75, िौदह मुखी रूद्राक्ष (नेपाल) 10500
छह मुखी रूद्राक्ष (नेपाल) 50,100, िौदह मुखी रूद्राक्ष (इडिोनेसशर्ा) 14500
िात मुखी रूद्राक्ष (हररद्रार, रामेश्वर) 75, 155, गौरीशंकर रूद्राक्ष 1450
िात मुखी रूद्राक्ष (नेपाल) 225, 450, गणेश रुद्राक्ष (नेपाल) 550
िात मुखी रूद्राक्ष (इडिोनेसशर्ा) 1250 गणेश रूद्राक्ष (इडिोनेसशर्ा) 750
रुद्राक्ष के त्रवषर् मं असधक जानकारी हे तु िंपका करं ।
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मंि सिद्ध दल
ु भ
ा िामग्री
हत्था जोिी- Rs- 370 घोिे की नाल- Rs.351 मार्ा जाल- Rs- 251
सिर्ार सिंगी- Rs- 370 दस्क्षणावती शंख- Rs- 550 इडद्र जाल- Rs- 251
त्रबल्ली नाल- Rs- 370 मोसत शंख- Rs- 550 धन वृत्रद्ध हकीक िेट Rs-251
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60 जून 2012

श्रीकृ ष्ण बीिा र्ंि


फकिी भी व्र्त्रि का जीवन तब आिान बन जाता हं जब उिके िारं और का माहोल उिके अनुरुप उिके वश
मं हं। जब कोई व्र्त्रि का आकषाण दि
ु रो के उपर एक िुम्बकीर् प्रभाव िालता हं, तब लोग उिकी िहार्ता एवं
िेवा हे तु तत्पर होते है और उिके प्रार्ः िभी कार्ा त्रबना असधक कष्ट व परे शानी िे िंपडन हो जाते हं । आज के
भौसतकता वाफद र्ुग मं हर व्र्त्रि के सलर्े दि
ू रो को अपनी और खीिने हे तु एक प्रभावशासल िुंबकत्व को कार्म
रखना असत आवश्र्क हो जाता हं । आपका आकषाण और व्र्त्रित्व आपके िारो ओर िे लोगं को आकत्रषात करे इि
सलर्े िरल उपार् हं , श्रीकृ ष्ण बीिा र्ंि। क्र्ोफक भगवान श्री कृ ष्ण एक अलौफकव एवं फदवर् िुंबकीर् व्र्त्रित्व के
धनी थे। इिी कारण िे श्रीकृ ष्ण बीिा र्ंि के पूजन एवं दशान िे आकषाक व्र्त्रित्व प्राि होता हं ।
श्रीकृ ष्ण बीिा र्ंि के िाथ व्र्त्रिको दृढ़ इच्छा शत्रि एवं उजाा प्राि
होती हं , स्जस्िे व्र्त्रि हमेशा एक भीि मं हमेशा आकषाण का कंद्र रहता हं ।
श्रीकृ ष्ण बीिा कवि
र्फद फकिी व्र्त्रि को अपनी प्रसतभा व आत्मत्रवश्वाि के स्तर मं वृत्रद्ध,
अपने समिो व पररवारजनो के त्रबि मं ररश्तो मं िुधार करने की ईच्छा होती श्रीकृ ष्ण बीिा कवि को केवल

हं उनके सलर्े श्रीकृ ष्ण बीिा र्ंि का पूजन एक िरल व िुलभ माध्र्म त्रवशेष शुभ मुहुता मं सनमााण फकर्ा

िात्रबत हो िकता हं । जाता हं । कवि को त्रवद्वान कमाकांिी

श्रीकृ ष्ण बीिा र्ंि पर अंफकत शत्रिशाली त्रवशेष रे खाएं, बीज मंि एवं ब्राहमणं द्वारा शुभ मुहुता मं शास्त्रोोि

अंको िे व्र्त्रि को अद्द्भत त्रवसध-त्रवधान िे त्रवसशष्ट तेजस्वी मंिो


ु आंतररक शत्रिर्ां प्राि होती हं जो व्र्त्रि को
िबिे आगे एवं िभी क्षेिो मं अग्रस्णर् बनाने मं िहार्क सिद्ध होती हं । द्वारा सिद्ध प्राण-प्रसतत्रष्ठत पूणा िैतडर्

श्रीकृ ष्ण बीिा र्ंि के पूजन व सनर्समत दशान के माध्र्म िे भगवान र्ुि करके सनमााण फकर्ा जाता हं ।

श्रीकृ ष्ण का आशीवााद प्राि कर िमाज मं स्वर्ं का अफद्वतीर् स्थान स्थात्रपत करं । स्जि के फल स्वरुप धारण करता

श्रीकृ ष्ण बीिा र्ंि अलौफकक ब्रह्मांिीर् उजाा का िंिार करता हं , जो व्र्त्रि को शीघ्र पूणा लाभ प्राि होता

एक प्राकृ त्रत्त माध्र्म िे व्र्त्रि के भीतर िद्दभावना, िमृत्रद्ध, िफलता, उत्तम हं । कवि को गले मं धारण करने

स्वास््र्, र्ोग और ध्र्ान के सलर्े एक शत्रिशाली माध्र्म हं ! िे वहं अत्र्ंत प्रभाव शाली होता

 श्रीकृ ष्ण बीिा र्ंि के पूजन िे व्र्त्रि के िामास्जक मान-िम्मान व हं । गले मं धारण करने िे कवि

पद-प्रसतष्ठा मं वृत्रद्ध होती हं । हमेशा हृदर् के पाि रहता हं स्जस्िे

 त्रवद्वानो के मतानुशार श्रीकृ ष्ण बीिा र्ंि के मध्र्भाग पर ध्र्ान र्ोग व्र्त्रि पर उिका लाभ असत तीव्र

कंफद्रत करने िे व्र्त्रि फक िेतना शत्रि जाग्रत होकर शीघ्र उच्ि स्तर एवं शीघ्र ज्ञात होने लगता हं ।

को प्रािहोती हं । मूलर् माि: 1900

 जो पुरुषं और मफहला अपने िाथी पर अपना प्रभाव िालना िाहते हं और उडहं अपनी और आकत्रषात करना
िाहते हं । उनके सलर्े श्रीकृ ष्ण बीिा र्ंि उत्तम उपार् सिद्ध हो िकता हं ।
 पसत-पत्नी मं आपिी प्रम की वृत्रद्ध और िुखी दाम्पत्र् जीवन के सलर्े श्रीकृ ष्ण बीिा र्ंि लाभदार्ी होता हं ।
मूल्र्:- Rs. 730 िे Rs. 10900 तक उप्लब्द्ध
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61 जून 2012

राम रक्षा र्ंि


राम रक्षा र्ंि िभी भर्, बाधाओं िे मुत्रि व कार्ो मं िफलता प्रासि हे तु उत्तम र्ंि हं । स्जिके प्रर्ोग

िे धन लाभ होता हं व व्र्त्रि का िवांगी त्रवकार होकर उिे िुख-िमृत्रद्ध, मानिम्मान की प्रासि होती

हं । राम रक्षा र्ंि िभी प्रकार के अशुभ प्रभाव को दरू कर व्र्त्रि को जीवन की िभी प्रकार की

कफठनाइर्ं िे रक्षा करता हं । त्रवद्वानो के मत िे जो व्र्त्रि भगवान राम के भि हं र्ा श्री

हनुमानजी के भि हं उडहं अपने सनवाि स्थान, व्र्विार्ीक स्थान पर राम रक्षा र्ंि को अवश्र्

स्थापीत करना िाफहर्े स्जििे आने वाले िंकटो िे रक्षा हो उनका जीवन िुखमर् व्र्तीत हो िके

एवं उनकी िमस्त आफद भौसतक व आध्र्ास्त्मक मनोकामनाएं पूणा हो िके।

ताम्र पि पर िुवणा पोलीि ताम्र पि पर रजत पोलीि ताम्र पि पर


(Gold Plated) (Silver Plated) (Copper)

िाईज मूल्र् िाईज मूल्र् िाईज मूल्र्


1” X 1” 460 1” X 1” 370 1” X 1” 255
2” X 2” 820 2” X 2” 640 2” X 2” 460
3” X 3” 1650 3” X 3” 1090 3” X 3” 730
4” X 4” 2350 4” X 4” 1650 4” X 4” 1090
6” X 6” 3600 6” X 6” 2800 6” X 6” 1900
9” X 9” 6400 9” X 9” 5100 9” X 9” 3250
12” X12” 10800 12” X12” 8200 12” X12” 6400
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62 जून 2012

जैन धमाके त्रवसशष्ट र्ंिो की िूिी


श्री िौबीि तीथंकरका महान प्रभात्रवत िमत्कारी र्ंि श्री एकाक्षी नाररर्ेर र्ंि
श्री िोबीि तीथंकर र्ंि िवातो भद्र र्ंि
कल्पवृक्ष र्ंि िवा िंपत्रत्तकर र्ंि
सिंतामणी पाश्वानाथ र्ंि िवाकार्ा-िवा मनोकामना सित्रद्धअ र्ंि (१३० िवातोभद्र र्ंि)
सिंतामणी र्ंि (पंिफठर्ा र्ंि) ऋत्रष मंिल र्ंि
सिंतामणी िक्र र्ंि जगदवल्लभ कर र्ंि
श्री िक्रेश्वरी र्ंि ऋत्रद्ध सित्रद्ध मनोकामना मान िम्मान प्रासि र्ंि
श्री घंटाकणा महावीर र्ंि ऋत्रद्ध सित्रद्ध िमृत्रद्ध दार्क श्री महालक्ष्मी र्ंि
श्री घंटाकणा महावीर िवा सित्रद्ध महार्ंि त्रवषम त्रवष सनग्रह कर र्ंि
(अनुभव सिद्ध िंपूणा श्री घंटाकणा महावीर पतका र्ंि)
श्री पद्मावती र्ंि क्षुद्रो पद्रव सननााशन र्ंि
श्री पद्मावती बीिा र्ंि बृहच्िक्र र्ंि
श्री पाश्वापद्मावती ह्रंकार र्ंि वंध्र्ा शब्दापह र्ंि
पद्मावती व्र्ापार वृत्रद्ध र्ंि मृतवत्िा दोष सनवारण र्ंि
श्री धरणेडद्र पद्मावती र्ंि कांक वंध्र्ादोष सनवारण र्ंि
श्री पाश्वानाथ ध्र्ान र्ंि बालग्रह पीिा सनवारण र्ंि
श्री पाश्वानाथ प्रभुका र्ंि लधुदेव कुल र्ंि
भिामर र्ंि (गाथा नंबर १ िे ४४ तक) नवगाथात्मक उविग्गहरं स्तोिका त्रवसशष्ट र्ंि
मस्णभद्र र्ंि उविग्गहरं र्ंि
श्री र्ंि श्री पंि मंगल महाश्रृत स्कंध र्ंि
श्री लक्ष्मी प्रासि और व्र्ापार वधाक र्ंि ह्रींकार मर् बीज मंि
श्री लक्ष्मीकर र्ंि वधामान त्रवद्या पट्ट र्ंि
लक्ष्मी प्रासि र्ंि त्रवद्या र्ंि
महात्रवजर् र्ंि िौभाग्र्कर र्ंि
त्रवजर्राज र्ंि िाफकनी, शाफकनी, भर् सनवारक र्ंि
त्रवजर् पतका र्ंि भूताफद सनग्रह कर र्ंि
त्रवजर् र्ंि ज्वर सनग्रह कर र्ंि
सिद्धिक्र महार्ंि शाफकनी सनग्रह कर र्ंि
दस्क्षण मुखार् शंख र्ंि आपत्रत्त सनवारण र्ंि
दस्क्षण मुखार् र्ंि शिुमुख स्तंभन र्ंि
र्ंि के त्रवषर् मं असधक जानकारी हे तु िंपका करं ।
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63 जून 2012

घंटाकणा महावीर िवा सित्रद्ध महार्ंि को स्थापीत


करने िे िाधक की िवा मनोकामनाएं पूणा होती हं । िवा
प्रकार के रोग भूत-प्रेत आफद उपद्रव िे रक्षण होता हं ।
जहरीले और फहं िक प्राणीं िे िंबंसधत भर् दरू होते हं ।
अस्ग्न भर्, िोरभर् आफद दरू होते हं ।
दष्ट
ु व अिुरी शत्रिर्ं िे उत्पडन होने वाले भर्
िे र्ंि के प्रभाव िे दरू हो जाते हं ।
र्ंि के पूजन िे िाधक को धन, िुख, िमृत्रद्ध,
ऎश्वर्ा, िंतत्रत्त-िंपत्रत्त आफद की प्रासि होती हं । िाधक की
िभी प्रकार की िास्त्वक इच्छाओं की पूसता होती हं ।
र्फद फकिी पररवार र्ा पररवार के िदस्र्ो पर
वशीकरण, मारण, उच्िाटन इत्र्ाफद जाद-ू टोने वाले
प्रर्ोग फकर्े गर्ं होतो इि र्ंि के प्रभाव िे स्वतः नष्ट
हो जाते हं और भत्रवष्र् मं र्फद कोई प्रर्ोग करता हं तो
रक्षण होता हं ।
कुछ जानकारो के श्री घंटाकणा महावीर पतका
र्ंि िे जुिे अद्द्भुत अनुभव रहे हं । र्फद घर मं श्री
घंटाकणा महावीर पतका र्ंि स्थात्रपत फकर्ा हं और र्फद
कोई इषाा, लोभ, मोह र्ा शिुतावश र्फद अनुसित कमा
करके फकिी भी उद्दे श्र् िे िाधक को परे शान करने का प्रर्ाि करता हं तो र्ंि के प्रभाव िे िंपूणा
पररवार का रक्षण तो होता ही हं , कभी-कभी शिु के द्वारा फकर्ा गर्ा अनुसित कमा शिु पर ही उपर
उलट वार होते दे खा हं । मूल्र्:- Rs. 1650 िे Rs. 10900 तक उप्लब्द्ध
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64 जून 2012

अमोद्य महामृत्र्ुंजर् कवि


अमोद्य् महामृत्र्ुंजर् कवि व उल्लेस्खत अडर् िामग्रीर्ं को शास्त्रोोि त्रवसध-त्रवधान िे त्रवद्वान
ब्राह्मणो द्वारा िवा लाख महामृत्र्ुंजर् मंि जप एवं दशांश हवन द्वारा सनसमात कवि अत्र्ंत
प्रभावशाली होता हं ।

अमोद्य् महामृत्र्ुंजर् कवि


अमोद्य् महामृत्र्ुज
ं र्
कवि बनवाने हे तु:
अपना नाम, त्रपता-माता का नाम, कवि
गोि, एक नर्ा फोटो भेजे दस्क्षणा माि: 10900

राशी रत्न एवं उपरत्न

त्रवशेष र्ंि

हमारं र्हां िभी प्रकार के र्ंि िोने-िांफद-


ताम्बे मं आपकी आवश्र्िा के अनुशार
फकिी भी भाषा/धमा के र्ंिो को आपकी
आवश्र्क फिजाईन के अनुशार २२ गेज
शुद्ध ताम्बे मं अखंफित बनाने की त्रवशेष
िभी िाईज एवं मूल्र् व क्वासलफट के
िुत्रवधाएं उपलब्ध हं ।
अिली नवरत्न एवं उपरत्न भी उपलब्ध हं ।
हमारे र्हां िभी प्रकार के रत्न एवं उपरत्न व्र्ापारी मूल्र् पर उपलब्ध हं । ज्र्ोसतष कार्ा िे जुिे़
बधु/बहन व रत्न व्र्विार् िे जुिे लोगो के सलर्े त्रवशेष मूल्र् पर रत्न व अडर् िामग्रीर्ा व अडर्
िुत्रवधाएं उपलब्ध हं ।
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65 जून 2012

मासिक रासश फल

 सिंतन जोशी
मेष: 1 िे 15 जून 2012 : महत्वपूणा कार्ो को करने मं आप िफल हंगे। भूसम-भवन के क्रर् त्रवक्रर् िे धन लाभ
होगा। नौकरी, व्र्वास्र् मं धन प्रासि होगी स्जस्िे आसथाक स्स्थती मं िुधार होगा।
आंखं िे िंबंसधत िमस्र्ा हो िकती हं अतः आंखं का त्रवशेष ध्र्ान रखे। िामास्जक
मान-िम्मान और पद-प्रसतष्ठा मं वृत्रद्ध होगी। व्र्विासर्क र्ािा लाभदार्क सिद्ध होगी।

16 िे 30 जून 2012 : नर्े लोगो की समिता िे लाभ प्राि कर िकते हं । ऋण दे ने िे


बिं अडर्था धन की पुनः प्रासि मं त्रवलंब हो िकता हं । जीवन िाथी िे िहर्ोग प्राि
होगा। शुभ िमािार फक प्रासि हो िकती हं । इि अवसध मं आपके उपर कार्ा के दबावं
के िलते िुस्ती का अिर दे खने को समल िकता हं । प्रकृ सत मं बदलाव िे आपका
स्वास््र् नरम रह िकता है ।

वृषभ: 1 िे 15 जून 2012 : र्फद आप नौकरी मं हं तो पदौडनसत हो िकती हं र्ा नई नौकरी प्राि हो िकती हं ,
व्र्विार् मं हं तो उडनती फक मागा प्रिस्त हंगे। शिु एवं त्रवरोधी पक्ष आपका नाम
और प्रसतष्ठा को दत्रू षत करने का प्रर्ाि कर िकते हं । वाहन िावधानी िे िलार्े र्ा
वाहन िे िावधान रहे आकस्स्मक दघ
ु ट
ा ना हो िकती हं । जीवनिाथी का पूणा िहर्ोग
प्राि होगा।

16 िे 30 जून 2012 : कार्ाक्षेि मं अत्र्ासधक पररश्रम एवं मेहनत के उपरांत लाभदार्क


पररणाम प्राि हंगे। इि दौरान ितका रहं धन हासन भी हो िकती है । आपके भौसतक
िुख िाधनो मं वृत्रद्ध होने के र्ोग हं । जीवन िाथी िे िुख फक प्रािी होगी। व्र्िनं दरू
रहं अडर्था आपका स्वास््र् अत्र्ासधक प्रभात्रवत होने के र्ोग हं । िंतान िे लेकर कोई
परे शानी हो िकती है ।

समथुन: 1 िे 15 जून 2012 : अपने महत्व पूणा कार्ो मं असतररि िावधानी बरते
अडर्था बने बनाए कार्ा त्रबगड़ िकते हं । इि सलए आपको पूणा र्ोजनाबद्ध तररके िे
कार्ा करना िाफहर्े। आपकी रुसि इष्ट आराधना मं असधक हो िकती हं । पररवार मं
फकिी िदस्र् के स्जद्दी स्वभाव के कारण आपके पररवार मं मानसिक अशांसत का माहोल
हो िकता है ।

16 िे 30 जून 2012 : आपके महत्वपूणा कार्ा एवं र्ोजनाओं मं रुकावटे आिकती हं ।


उच्ि असधकारी एवं िहकमी के कार्ा परे शानीर्ं िंभव हं । िावधान रहं । िमर् प्रसतकूल
हं अतः थोिे िमर् के सलए कार्ा को स्थसगत करना उसित रहे गा। अपने खाने- पीने का
ध्र्ान रखे अडर्था आपका का स्वास््र् नरम हो िकता है । पररवार की िुख -शास्डत को बनार्े रखने का प्रर्ाि करं ।
66 जून 2012

कका: 1 िे 15 जून 2012 : नौकरी-व्र्विार् मं उडनसत व आर्के नए स्त्रोोत समलने के र्ोग हं । इष्ट समिं व पररजनो
िे िे धन लाभ प्रासि के र्ोग हं ।भौसतक िुख-िुत्रवधा के िाधन बढने के र्ोग हं ।
आपका िामस्जक मान-िम्मान बढे गा। स्जििे शिु एवं त्रवरोधी पक्ष परास्त हंगे। वाहन
िावधानी िे िलार्े र्ा वाहन िे िावधान रहे आकस्स्मक दघ
ु ट
ा ना हो िकती हं ।

16 िे 30 जून 2012 : आपके द्वारा फकए गए शुभ कार्ो का धनलाभ आपको आने
भत्रवष्र् मं प्राि होगा। मौिम के पररवतान िे आपका स्वास््र् प्रसतकूल आिकता हं ।
दरू स्थ स्थानो र्ा त्रवदे श िे धन प्रासि के र्ोग हं । कार्ा की व्र्स्तता के कारण पररवार
मं अशांसत का वातावरण हो िकता हं । अपने खाने-पीने की आदतं को त्रबगिने नहीं दे ।

सिंह: 1 िे 15 जून 2012 : पूंस्ज सनवेश इत्र्ाफद के सलए िमर् प्रसतकूल हं इि सलए सनवेश करने िे परहे ज करं ।

आपके कार्ाक्षेि मं महत्वपूणा बदलाव हंगे। आपकी कार्ा करने की शैली िुधरे गी।
आपकी आसथाक स्स्थती मं िुधार होगा। िंतान िंबंसधत सिंताओं का सनवारण होगा।
दरू स्थ स्थानो की र्ािाएं िंभव हं । प्रेम िंबंधो मं िफलता प्राि होगी। स्वास््र्
िंबंसधत परे शानीर्ां दरू होगी।

16 िे 30 जून 2012 : आसथाक पक्ष थोिा कमजोर हो िकता हं । गलत सनणार्ो के


कारण आसथाक पक्ष कमजोर हो िकता हं । जीवनिाथी के िाथ िंबंधं मं मधुरता
आएगी। पारीवाररक िदस्र्ं के बीि मं वाद-त्रववाद के कारण तनाव हो िकता हं ।
धासमाक कार्ो मं त्रवशेष रुसि रखने का प्रर्ाि कर िकते हं । पररवार के फकिी िदस्र् का स्वास््र् सिंताकारक हो
िकता हं ।

कडर्ा: 1 िे 15 जून 2012 : कार्ाक्षेि मं आपको मनोनुकूल लाभ प्राि होगा। आपके
भौसतक िुख-िाधनो मं वृत्रद्ध होगी। स्जि कारण आपकी आर् के अनुरुप खिा के र्ोग
भी बन िकते हं । पररवार के फकिी िदस्र्ा का स्वास््र् सिंता का त्रवषर् हो िकता
हं । आपके िामास्जक मान-िम्मान और पद-प्रसतष्ठा मं वृत्रद्ध होगी। प्रेम िंबंसधत मामलो
मं अनबन हो िकती हं ।

16 िे 30 जून 2012 : नौकरी मं हं तो स्थानांतर हो िकता हं र्ा नई नौकरी प्राि हो


िकती हं , व्र्विार् मं हं तो उडनती के नए मागा प्राि हंगे। समि एवं पररवार के
लोगो का िहर्ोग प्राि होगा। अपने कार्ा क्षेि मं त्रवपरीत सलंग के प्रसत आपका आकषाण आपके सलए परे शानी खिी कर
िकता हं अतः अपने त्रविारं को शुद्ध रखे। आपको पेट के रोग के कारण पीिा हो िकती हं ।
67 जून 2012

तुला: 1 िे 15 जून 2012 : आपके भौसतक िुख-िाधनो मं वृत्रद्ध होगी। फकर्े गर्े पूंस्ज सनवेश र्ा भूसम-भवन िे
िंबंसधअ मामलो मं ितका रहे भारी नुक्शान हो िकता हं । आपके व्र्विार्ीक कार्ो
मं त्रवलंब हो िकता हं । पररवार मं खुसशर्ो का माहोल रहे गा और पररवार मं फकिी नर्े
िदस्र् फक वृत्रद्ध होने के र्ोग बन रहे है ।

16 िे 30 जून 2012 : र्फद आप नौकरी मं हं तो पदौडनसत हो िकती हं । भूसम-भवन


के क्रर् त्रवक्रर् िे धन लाभ होगा। कार्ाक्षेि मं आपके जोश एवं उत्िाह मं वृत्रद्ध होने
िे आपको मनोनुकूल लाभ प्राि होगा। आपके त्रवरोधी एवं शिु पक्ष परास्त हंगे।
पररवार मं मांगसलक कार्ा हो िकते हं एवं शुभ िमािार फक प्रासि हो िकती हं ।
अपने खाने-पीने का त्रवशेष ध्र्ान रखे अडर्था आपका का स्वास््र् नरम हो िकता है ।

वृस्िक: 1 िे 15 जून 2012 : आपकी महत्वपूणा र्ोजनाए पूणा हो िकती हं । अपने


कार्ाक्षेि िे आप त्रवशेष धनलाभ प्राि करने मं िफल रहं गे। फकिी व्र्त्रि त्रवशेष िे
वाद-त्रववाद करने िे बिे अडर्था कोटा -किहरी के िक्करं मं उलझना पि िकता हं ।
अपने क्रोध पर सनर्ंिण रखं। त्रप्रर्जनो िे वाद-त्रववाद के कारण कष्ट उठाना पि िकता
हं । प्रेम िंबंसधत मामलो मं िफलता प्राि हो िकती हं ।

16 िे 30 जून 2012 : इि अवसध मं आपको प्रर्ािो िे असधक धनलाभ प्राि हो िकते


हं । पूंस्ज सनवेश िे िंबंसधत कार्ो िे बिना लाभदार्क रहे गा। पाररवाररक ररश्तं के
सलए िमर् थोिा प्रसतकूल हो िकता हं । इि सलए पररवार के लोगो के िाथ व्र्वहार कूशल रहने का प्रर्ाि करं । दरू स्थ
स्थानो की धासमाक र्ािाएं िफल हो िकती हं । जीवनिाथी के िाथ िंबंधं मं िुधार होने के र्ोग हं ।

धनु: 1 िे 15 जून 2012 : पूवा काल िे रुके हुवे कार्ा के पूणा होने िे आपको आकस्स्मक धन लाभ प्राि हो िकता

हं । भूसम- भवन-वाहन िे िंबसं धत कार्ं िे लाभ प्राि हो िकता हं । प्रेम प्रिंगो मं भी


िफलता के र्ोग बन रहे हं । पररवार के फकिी िदस्र् का स्वास््र् कमजोर हो िकता
हं । पररवार के िाथ धासमाक र्ािा पर जाना उत्तम सिद्ध रहे गा। जीवनिाथी का पूणा
िहर्ोग प्राि होगा।

16 िे 30 जून 2012 : नौकरी-व्र्विार् मं आपफकओ महत्वपूणा पद की प्रासि हो


िकती हं । भूसम-भवन इत्र्ाफद कार्ो मं ितका रहं धन हासन हो िकती है । िरकारी
कार्ा र्ा कोटा -किहरी के कार्ं के सलए िमर् अनुकूल हं । व्र्र् पर सनर्डिण रखने िे
लाभ प्राि होगा। थोिे िमर् के सलर्े पररवार मं अशास्डत हो िकती है । अत्र्ासधक भागदौड़ िे आपको थकावट हो िकती
हं । पर्ााि त्रवश्राम करना आवश्र्क होगा।
68 जून 2012

मकर: 1 िे 15 जून 2012 : नौकरी-व्र्विार् िे िंबंसधत कार्ो िे जुिे लोगो के सलए िमर् मध्र्म लाभ दे ने वाला
रहे गा। िल-अिल िंपत्रत्त मं पूंस्जसनवेश करने के सलए िमर् उत्तम सिद्ध हो िकता हं ।
पररवार मं फकिी िदस्र् के स्जद्दी स्वभाव के कारण आपके पररवार मं मानसिक अशांसत
का माहोल हो िकता है । जीवन िाथी िे पूणा िहर्ोग प्राि होगा।

16 िे 30 जून 2012 : फकर्े गर्े पूंस्ज सनवेश द्वारा आकस्स्मक धन प्रासि के र्ोग बन
रहे है । महत्वपूणा कार्ा एवं र्ोजनाओं को पूणा करने हे तु िमर् उत्तम हं । कार्ाक्षेि की
िमस्र्ाकं दरू करने मं आप पूणा रुप िे िमथा हंगे हं । घर पररवार मं मांगसलक कार्ा
िंपडन होने के अच्छे र्ोग हं । खान-पान का त्रवशेष ध्र्ान रखं अडर्था पूराने रोगो के
कारण लंबे िमर् के सलए कष्ट िंभव हं ।

कुंभ: 1 िे 15 जून 2012 : नौकरी-व्र्विार् िे िंबंसधत कार्ं के सलए र्ह िमर्


आसथाक लाभदे ने वाला रहे गा। पूवा काल मं फकर्े गर्े कार्ा एवं रुके हुवे कार्ा िे
आकस्स्मक धन लाभ प्राि होगा। आपके िामास्जक मान-िम्मान और पद-प्रसतष्ठा मं
वृत्रद्ध होगी। पररवार के िदस्र्ं का स्वास््र् आपको सिंसतत कर िकता हं । जीवन िाथी
िे पूणि
ा हर्ोग प्राि होगा।

16 िे 30 जून 2012 : आपकी महत्वपूणा र्ोजनाए पूणा हो िकती हं । नौकरी मं उच्ि


असधकारर एवं िहकमाि का िहर्ोग प्राि होगा। भूसम-भवन-वाहन िे िंबंसधत कार्ो मं
लाभ प्राि होगा। आपके भौसतक िुख िाधनो मं वृत्रद्ध होगी। र्फद आप अत्रववाफहत हं तो त्रववाह के उत्तम र्ोग बन रहे
हं । स्वास््र् िंबंसधत िमस्र्ाएं िंभव हं । दांपत्र् िुख मं वृत्रद्ध होगी।

मीन: 1 िे 15 जून 2012 : नौकरी-व्र्विार् िे िंबंसधत कार्ो िे जुिे लोगो के सलए

िमर् मध्र्म लाभ दे ने वाला रहे गा। फकर्े गर्े पूंस्ज सनवेश द्वारा आकस्स्मक धन प्रासि
के र्ोग बन रहे है । पररवार मं फकिी िदस्र् के कारण पररवार मं अशांसत का माहोल हो
िकता है । खान-पान का त्रवशेष ध्र्ान रखं अडर्था पूराने रोगो के कारण लंबे िमर् के
सलए कष्ट िंभव हं ।

16 िे 30 जून 2012 : महत्वपूणा कार्ा एवं र्ोजनाओं को पूणा करने हे तु िमर् उत्तम हं ।
िल-अिल िंपत्रत्त मं पूंस्जसनवेश करने के सलए िमर् उत्तम सिद्ध हो िकता हं । जीवन
िाथी िे पूणा िहर्ोग प्राि होगा। आपके त्रवरोधी एवं शिु पक्ष परास्त हंगे। मौिम के बदलाव िे पररवार के फकिी
िदस्र् का स्वास््र् प्राभात्रवत हो िकता हं । जीवन िाथी का पूणा िहर्ोग प्राि होगा।
69 जून 2012

जून 2012 मासिक पंिांग


िंद्र
फद वार माह पक्ष सतसथ िमासि नक्षि िमासि र्ोग िमासि करण िमासि िमासि
रासश

एकादशी-
1 शुक्र ज्र्ेष्ठ शुक्ल 06:32:54 सििा 19:10:24 व्र्सतपात 07:48:50 त्रवत्रष्ट 06:32:54 कडर्ा 08:19:00
द्वादशी

2
शसन ज्र्ेष्ठ शुक्ल िर्ोदशी 23:55:12 स्वाती 16:36:27 पररग्रह 24:12:05 कौलव 13:40:12 तुला

3
रत्रव ज्र्ेष्ठ शुक्ल ितुदाशी 20:18:28 त्रवशाखा 13:51:17 सशव 20:08:10 गर 10:06:17 तुला 08:33:00

4
िोम ज्र्ेष्ठ शुक्ल पूस्णामा 16:41:46 अनुराधा 11:04:16 सित्रद्ध 16:06:08 त्रवत्रष्ट 06:29:34 वृस्िक

5
मंगल आषाढ़ कृ ष्ण प्रसतपदा 13:15:23 जेष्ठा 08:22:53 िाध्र् 12:11:38 कौलव 13:15:23 वृस्िक 08:24:00

6
बुध आषाढ़ कृ ष्ण फद्वतीर्ा 10:07:47 मूल 06:00:17 शुभ 08:32:09 गर 10:07:47 धनु

7
गुरु आषाढ़ कृ ष्ण तृतीर्ा 07:28:20 उत्तराषाढ़ 26:42:23 ब्रह्म 26:29:16 त्रवत्रष्ट 07:28:20 धनु 09:40:00

शुक्र आषाढ़ कृ ष्ण ितुथी श्रवण इडद्र बालव मकर


8 05:25:27 26:02:57 24:17:01 05:25:27

पंिमी-
9 शसन आषाढ़ कृ ष्ण 27:31:59 धसनष्ठा 26:09:29 वैधसृ त 22:42:18 गर 15:42:18 मकर 14:00:00
षष्ठी

षष्ठी -
10 रत्रव आषाढ़ कृ ष्ण 27:46:58 शतसभषा 27:03:51 त्रवषकुंभ 21:46:02 त्रवत्रष्ट 15:32:54 कुंभ
ििमी

11
िोम आषाढ़ कृ ष्ण अष्टमी 28:47:55 पूवााभाद्रपद 28:43:14 प्रीसत 21:26:21 बालव 16:12:17 कुंभ 22:14:00

12
मंगल आषाढ़ कृ ष्ण नवमी 30:28:15 उत्तराभाद्रपद 31:00:08 आर्ुष्मान 21:39:30 तैसतल 17:32:57 मीन

13
बुध आषाढ़ कृ ष्ण नवमी 06:28:18 उत्तराभाद्रपद 07:00:11 िौभाग्र् 22:18:00 गर 06:28:18 मीन

14
गुरु आषाढ़ कृ ष्ण दशमी 08:39:38 रे वसत 09:47:08 शोभन 23:15:15 त्रवत्रष्ट 08:39:38 मीन 09:47:00

15
शुक्र आषाढ़ कृ ष्ण एकादशी 11:07:51 अस्श्वनी 12:50:58 असतगंि 24:20:58 बालव 11:07:51 मेष

16
शसन आषाढ़ कृ ष्ण द्वादशी 13:44:31 भरणी 16:00:28 िुकमाा 25:27:39 तैसतल 13:44:31 मेष 22:47:00

17
रत्रव आषाढ़ कृ ष्ण िर्ोदशी 16:15:36 कृ सतका 19:04:21 धृसत 26:28:43 वस्णज 16:15:36 वृष

18
िोम आषाढ़ कृ ष्ण ितुदाशी 18:33:34 रोफहस्ण 21:56:04 शूल 27:15:45 त्रवत्रष्ट 05:27:00 वृष
70 जून 2012

19
मंगल आषाढ़ कृ ष्ण अमावस्र्ा 20:32:48 मृगसशरा 24:27:10 गंि 27:47:48 ितुष्पाद 07:35:37 वृष 11:14:00

20
बुध आषाढ़ शुक्ल प्रसतपदा 22:06:44 आद्रा 26:34:52 वृत्रद्ध 28:00:11 फकस्तुघ्न 09:22:41 समथुन

21
गुरु आषाढ़ शुक्ल फद्वतीर्ा 23:14:27 पुनवािु 28:16:19 ध्रुव 27:51:01 बालव 10:44:27 समथुन 21:54:00

22
शुक्र आषाढ़ शुक्ल तृतीर्ा 23:54:03 पुष्र् 29:30:37 व्र्ाघात 27:20:18 तैसतल 11:38:07 कका

शसन आषाढ़ शुक्ल ितुथी पुष्र् हषाण वस्णज कका


23 24:05:33 05:30:52 26:28:03 12:03:40

24
रत्रव आषाढ़ शुक्ल पंिमी 23:48:56 अश्लेषा 06:17:04 वज्र 25:12:23 बव 12:01:08 कका 06:17:00

25
िोम आषाढ़ शुक्ल षष्ठी 23:02:21 मघा 06:35:09 सित्रद्ध 23:33:17 कौलव 11:29:32 सिंह

26
मंगल आषाढ़ शुक्ल ििमी 21:48:35 पूवााफाल्गुनी 06:24:12 व्र्सतपात 21:31:42 गर 10:28:53 सिंह 12:18:00

27
बुध आषाढ़ शुक्ल अष्टमी 20:06:42 उत्तराफाल्गुनी 05:47:01 वररर्ान 19:07:38 त्रवत्रष्ट 09:01:05 कडर्ा

28
गुरु आषाढ़ शुक्ल नवमी 17:59:32 सििा 27:13:35 पररग्रह 16:22:58 बालव 07:06:05 कडर्ा 16:01:00

29
शुक्र आषाढ़ शुक्ल दशमी 15:29:52 स्वाती 25:23:18 सशव 13:19:33 गर 15:29:52 तुला

30
शसन आषाढ़ शुक्ल एकादशी 12:40:32 त्रवशाखा 23:16:10 सित्रद्ध 10:01:10 त्रवत्रष्ट 12:40:32 तुला

शसन पीड़ा सनवारक


िंपूणा प्राणप्रसतत्रष्ठत 22 गेज शुद्ध स्टील मं सनसमात अखंफित पौरुषाकार शसन र्ंि
पुरुषाकार शसन र्ंि (स्टील मं) को तीव्र प्रभावशाली बनाने हे तु शसन की कारक धातु शुद्ध स्टील(लोहे ) मं बनार्ा गर्ा
हं । स्जि के प्रभाव िे िाधक को तत्काल लाभ प्राि होता हं । र्फद जडम कुंिली मं शसन प्रसतकूल होने पर व्र्त्रि को
अनेक कार्ं मं अिफलता प्राि होती है , कभी व्र्विार् मं घटा, नौकरी मं परे शानी, वाहन दघ
ु ट
ा ना, गृह क्लेश आफद
परे शानीर्ां बढ़ती जाती है ऐिी स्स्थसतर्ं मं प्राणप्रसतत्रष्ठत ग्रह पीड़ा सनवारक शसन र्ंि की अपने को व्र्पार स्थान र्ा
घर मं स्थापना करने िे अनेक लाभ समलते हं । र्फद शसन की ढै ़र्ा र्ा िाढ़े िाती का िमर् हो तो इिे अवश्र् पूजना
िाफहए। शसनर्ंि के पूजन माि िे व्र्त्रि को मृत्र्ु, कजा, कोटा केश, जोिो का ददा , बात रोग तथा लम्बे िमर् के िभी
प्रकार के रोग िे परे शान व्र्त्रि के सलर्े शसन र्ंि असधक लाभकारी होगा। नौकरी पेशा आफद के लोगं को पदौडनसत
भी शसन द्वारा ही समलती है अतः र्ह र्ंि असत उपर्ोगी र्ंि है स्जिके द्वारा शीघ्र ही लाभ पार्ा जा िकता है ।
मूल्र्: 1050 िे 8200
GURUTVA KARYALAY
BHUBNESWAR-751018, (ORISSA), Call Us – 91 + 9338213418, 91 + 9238328785
Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in, gurutva.karyalay@gmail.com
71 जून 2012

जून-2012 मासिक व्रत-पवा-त्र्ौहार


फद वार माह पक्ष सतसथ िमासि प्रमुख व्रत-त्र्ोहार

एकादशी- सनजाला एकादशी व्रत (वैष्णव), िम्पक द्वादशी, त्रित्रवक्रम द्वादशी


1 शुक्र ज्र्ेष्ठ शुक्ल 06:32:54
द्वादशी त्रिस्पृशा महाद्वादशी, श्र्ामबाबा द्वादशी, श्रीराम द्वादशी, रुस्क्मणी त्रववाह

शसन प्रदोष व्रत, छिपसत सशवाजी की राज्र्ासभषेक सतसथ, सशवराज


2 शसन ज्र्ेष्ठ शुक्ल िर्ोदशी 23:55:12 शक िम्वत ् 339 प्रारं भ, वटिात्रविी व्रत 3 फदन (मालवा, गुजरात,
दस्क्षण भारत), गौतमेश्वर दशान-र्ािा (काशी)

3 रत्रव ज्र्ेष्ठ शुक्ल ितुदाशी 20:18:28 िम्पक ितुदाशी, पूस्णामा व्रत, श्रीित्र्नारार्ण व्रत कथा

स्नान-दान हे तु उत्तम ज्र्ेष्ठी पूस्णामा, वटिात्रविी पूस्णामा, दे व स्नान


4 िोम ज्र्ेष्ठ शुक्ल पूस्णामा 16:41:46
पूस्णामा, त्रबल्वत्रिराि व्रत प्रारं भ, िरर्ू जर्ंती, िंत कबीर जर्ंती,

5 मंगल आषाढ़ कृ ष्ण प्रसतपदा 13:15:23 त्रवश्व पर्ाावरण फदवि, गुरु गोलवलकर स्मृसत फदवि

6 बुध आषाढ़ कृ ष्ण फद्वतीर्ा 10:07:47 िूर्-ा शुक्र िमागम(ग्रहण) (अडतररक्ष की अद्भत
ु खगोलीर् घटना)

7 गुरु आषाढ़ कृ ष्ण तृतीर्ा 07:28:20 िंकष्टी श्रीगणेश ितुथी व्रत (िं.उ.रा.9:38)

8 शुक्र आषाढ़ कृ ष्ण ितुथी 05:25:27 कोफकला पंिमी, नाग पूजन (प.बं),

पंिमी-
9 शसन आषाढ़ कृ ष्ण 27:31:59 -
षष्ठी

षष्ठी -
10 रत्रव आषाढ़ कृ ष्ण 27:46:58 भानु ििमी पवा, (िूर्ग्र
ा हण िमान फलदार्क),
ििमी

11 िोम आषाढ़ कृ ष्ण अष्टमी 28:47:55 शीतलाष्टमी, कालाष्टमी व्रत, भलभलाष्टमी, बोहराष्टमी,

12 मंगल आषाढ़ कृ ष्ण नवमी 30:28:15 प्रािीन मतानुिार शीतलाष्टमी, इडद्राणी पूजा

13 बुध आषाढ़ कृ ष्ण नवमी 06:28:18 -

समथुन िंक्रास्डत रात्रि 10.46 बजे, िंक्रास्डत मं स्नान-दान हे तु


14 गुरु आषाढ़ कृ ष्ण दशमी 08:39:38
पुण्र्काल मध्र्ाह्न िे िूर्ाास्त तक, रज िंक्रास्डत (उ)

15 शुक्र आषाढ़ कृ ष्ण एकादशी 11:07:51 र्ोसगनी एकादशी व्रत,

16 शसन आषाढ़ कृ ष्ण द्वादशी 13:44:31 शसन प्रदोष व्रत (िंतान िुख हे तु उत्तम)

17 रत्रव आषाढ़ कृ ष्ण िर्ोदशी 16:15:36 सशव ितुदाशी, मासिक सशवरात्रि व्रत

18 िोम आषाढ़ कृ ष्ण ितुदाशी 18:33:34 िोमवारी व्रत, महारानी लक्ष्मीबाई फदवि,
72 जून 2012

स्नान-दान-श्राद्ध हे तु उत्तम आषाढ़ी अमावस्र्ा, भौमवती अमावि,


19 मंगल आषाढ़ कृ ष्ण अमावस्र्ा 20:32:48 गंगास्नान करोड़ं िूर्ग्र
ा हण िमान फलदार्क, हलहाररणी अमावि,
वंशवद्धाक अमावस्र्ा व्रत,

गुि आषाढ़ी नवराि प्रारं भ, कच्छ के नविंवत्िर प्रारं भ, िूर्ा िार्न


20 बुध आषाढ़ शुक्ल प्रसतपदा 22:06:44
कका रासश मं रात्रि 04:40 बजे, िौर वषाा ऋतु प्रारं भ,

नवीन िंद्र दशान, श्रीजगडनाथ-िुभद्रा-बलराम रथर्ािा (जगडनाथ पुरी),


21 गुरु आषाढ़ शुक्ल फद्वतीर्ा 23:14:27
मनोरथ फद्वतीर्ा व्रत, स्वर्ंसिद्ध मुहूता

सनत्र्लीलावाि, गुण्िीिा महोत्िव (जगडनाथ पुरी), कामाख्र्ा दे वी की


22 शुक्र आषाढ़ शुक्ल तृतीर्ा 23:54:03
अम्बुवािी प्रवृत्रत्त (अिम)

त्रवनार्की ितुथी, वरदत्रवनार्क ितुथी व्रत (िं.उ.रा.9:42) िा.


23 शसन आषाढ़ शुक्ल ितुथी 24:05:33
श्र्ामाप्रिाद मुखजी फदवि,

24 रत्रव आषाढ़ शुक्ल पंिमी 23:48:56 है रा पंिमी (उ),रानी दग


ु ाावती फदवि,

स्कडदषष्ठी व्रत, कदामषष्ठी (प.बं), किुंबा षष्ठी (गु), कामाख्र्ा


25 िोम आषाढ़ शुक्ल षष्ठी 23:02:21
अम्बुवािी सनवृत्रत्त (अिम), िांई टे ऊँराम जर्ंती

26 मंगल आषाढ़ शुक्ल ििमी 21:48:35 -

श्रीदग
ु ाा अष्टमी व्रत, श्रीअडनपूणााष्टमी व्रत, परशुरामाष्टमी, बुध अष्टमी पवा
27 बुध आषाढ़ शुक्ल अष्टमी 20:06:42
(िूर्ग्र
ा हण के िमान फलदार्क), मफहषघ्नी व्रत, हार अष्टमी,

भड्िली नवमी, कडदपा नवमी, हार नवमी, शाररका जर्ंती, गुि आषाढ़ी
28 गुरु आषाढ़ शुक्ल नवमी 17:59:32
नवराि पूण,ा

29 शुक्र आषाढ़ शुक्ल दशमी 15:29:52 आशा दशमी, सगररजा पूजन, िोपपदा दशमी, पुनर्ाािा उल्टा रथ (उ)

श्रीहरर शर्नी (दे वशर्नी) एकादशी व्रत, रत्रवनारार्ण एकादशी (उ),


30 शसन आषाढ़ शुक्ल एकादशी 12:40:32
पंढ़रपुर र्ािा (महाराष्ट्र), रात्रि मं श्रीत्रवष्णु-शर्नोत्िव

क्र्ा आप फकिी िमस्र्ा िे ग्रस्त हं ?


आपके पाि अपनी िमस्र्ाओं िे छुटकारा पाने हे तु पूजा-अिाना, िाधना, मंि जाप इत्र्ाफद करने का िमर् नहीं हं ?
अब आप अपनी िमस्र्ाओं िे बीना फकिी त्रवशेष पूजा-अिाना, त्रवसध-त्रवधान के आपको अपने कार्ा मं िफलता प्राि
कर िके एवं आपको अपने जीवन के िमस्त िुखो को प्राि करने का मागा प्राि हो िके इि सलर्े गुरुत्व कार्ाालत
द्वारा हमारा उद्दे श्र् शास्त्रोोि त्रवसध-त्रवधान िे त्रवसशष्ट तेजस्वी मंिो द्वारा सिद्ध प्राण-प्रसतत्रष्ठत पूणा िैतडर् र्ुि त्रवसभडन प्रकार के
र्डि- कवि एवं शुभ फलदार्ी ग्रह रत्न एवं उपरत्न आपके घर तक पहोिाने का है ।
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73 जून 2012

गणेश लक्ष्मी र्ंि


प्राण-प्रसतत्रष्ठत गणेश लक्ष्मी र्ंि को अपने घर-दक
ु ान-ओफफि-फैक्टरी मं पूजन स्थान, गल्ला र्ा अलमारी मं स्थात्रपत
करने व्र्ापार मं त्रवशेष लाभ प्राि होता हं । र्ंि के प्रभाव िे भाग्र् मं उडनसत, मान-प्रसतष्ठा एवं व्र्ापर मं वृत्रद्ध होती
हं एवं आसथाक स्स्थमं िुधार होता हं । गणेश लक्ष्मी र्ंि को स्थात्रपत करने िे भगवान गणेश और दे वी लक्ष्मी का
िंर्ुि आशीवााद प्राि होता हं । Rs.730 िे Rs.10900 तक

मंगल र्ंि िे ऋण मुत्रि


मंगल र्ंि को जमीन-जार्दाद के त्रववादो को हल करने के काम मं लाभ दे ता हं , इि के असतररि व्र्त्रि को ऋण
मुत्रि हे तु मंगल िाधना िे असत शीध्र लाभ प्राि होता हं । त्रववाह आफद मं मंगली जातकं के कल्र्ाण के सलए मंगल
र्ंि की पूजा करने िे त्रवशेष लाभ प्राि होता हं । प्राण प्रसतत्रष्ठत मंगल र्ंि के पूजन िे भाग्र्ोदर्, शरीर मं खून की
कमी, गभापात िे बिाव, बुखार, िेिक, पागलपन, िूजन और घाव, र्ौन शत्रि मं वृत्रद्ध, शिु त्रवजर्, तंि मंि के दष्ट
ु प्रभा,
भूत-प्रेत भर्, वाहन दघ
ु ट
ा नाओं, हमला, िोरी इत्र्ादी िे बिाव होता हं । मूल्र् माि Rs- 730

कुबेर र्ंि
कुबेर र्ंि के पूजन िे स्वणा लाभ, रत्न लाभ, पैतक
ृ िम्पत्ती एवं गड़े हुए धन िे लाभ प्रासि फक कामना करने वाले
व्र्त्रि के सलर्े कुबेर र्ंि अत्र्डत िफलता दार्क होता हं । एिा शास्त्रोोि विन हं । कुबेर र्ंि के पूजन िे एकासधक
स्त्रोोि िे धन का प्राि होकर धन िंिर् होता हं ।

ताम्र पि पर िुवणा पोलीि ताम्र पि पर रजत पोलीि ताम्र पि पर


(Gold Plated) (Silver Plated) (Copper)
िाईज मूल्र् िाईज मूल्र् िाईज मूल्र्
1” X 1” 460 1” X 1” 370 1” X 1” 255
2” X 2” 820 2” X 2” 640 2” X 2” 460
3” X 3” 1650 3” X 3” 1090 3” X 3” 730
4” X 4” 2350 4” X 4” 1650 4” X 4” 1090
6” X 6” 3600 6” X 6” 2800 6” X 6” 1900
9” X 9” 6400 9” X 9” 5100 9” X 9” 3250
12” X12” 10800 12” X12” 8200 12” X12” 6400

GURUTVA KARYALAY
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74 जून 2012

नवरत्न जफड़त श्री र्ंि


शास्त्रो विन के अनुिार शुद्ध िुवणा र्ा रजत मं सनसमात श्री र्ंि के िारं और र्फद नवरत्न जड़वा ने पर र्ह नवरत्न
जफड़त श्री र्ंि कहलाता हं । िभी रत्नो को उिके सनस्ित स्थान पर जड़ कर लॉकेट के रूप मं धारण करने िे व्र्त्रि को
अनंत एश्वर्ा एवं लक्ष्मी की प्रासि होती हं । व्र्त्रि को एिा आभाि होता हं जैिे मां लक्ष्मी उिके िाथ हं । नवग्रह को
श्री र्ंि के िाथ लगाने िे ग्रहं की अशुभ दशा का धारण करने वाले व्र्त्रि पर प्रभाव नहीं होता हं । गले मं होने के
कारण र्ंि पत्रवि रहता हं एवं स्नान करते िमर् इि र्ंि पर स्पशा कर जो जल त्रबंद ु शरीर को लगते हं , वह गंगा
जल के िमान पत्रवि होता हं । इि सलर्े इिे िबिे तेजस्वी एवं फलदासर् कहजाता हं । जैिे अमृत िे उत्तम कोई
औषसध नहीं, उिी प्रकार लक्ष्मी प्रासि के सलर्े श्री र्ंि िे उत्तम कोई र्ंि िंिार मं नहीं हं एिा शास्त्रोोि विन हं । इि
प्रकार के नवरत्न जफड़त श्री र्ंि गुरूत्व कार्ाालर् द्वारा शुभ मुहूता मं प्राण प्रसतत्रष्ठत करके बनावाए जाते हं ।

अष्ट लक्ष्मी कवि


अष्ट लक्ष्मी कवि को धारण करने िे व्र्त्रि पर िदा मां महा लक्ष्मी की कृ पा एवं आशीवााद बना
रहता हं । स्जस्िे मां लक्ष्मी के अष्ट रुप (१)-आफद लक्ष्मी, (२)-धाडर् लक्ष्मी, (३)-धैरीर् लक्ष्मी, (४)-
गज लक्ष्मी, (५)-िंतान लक्ष्मी, (६)-त्रवजर् लक्ष्मी, (७)-त्रवद्या लक्ष्मी और (८)-धन लक्ष्मी इन िभी
रुपो का स्वतः अशीवााद प्राि होता हं । मूल्र् माि: Rs-1250

मंि सिद्ध व्र्ापार वृत्रद्ध कवि


व्र्ापार वृत्रद्ध कवि व्र्ापार के शीघ्र उडनसत के सलए उत्तम हं । िाहं कोई भी व्र्ापार हो अगर उिमं लाभ के स्थान पर
बार-बार हासन हो रही हं । फकिी प्रकार िे व्र्ापार मं बार-बार बांधा उत्पडन हो रही हो! तो िंपूणा प्राण प्रसतत्रष्ठत मंि
सिद्ध पूणा िैतडर् र्ुि व्र्ापात वृत्रद्ध र्ंि को व्र्पार स्थान र्ा घर मं स्थात्रपत करने िे शीघ्र ही व्र्ापार वृत्रद्ध एवं
सनतडतर लाभ प्राि होता हं । मूल्र् माि: Rs.730 & 1050

मंगल र्ंि
(त्रिकोण) मंगल र्ंि को जमीन-जार्दाद के त्रववादो को हल करने के काम मं लाभ दे ता हं , इि के असतररि व्र्त्रि को
ऋण मुत्रि हे तु मंगल िाधना िे असत शीध्र लाभ प्राि होता हं । त्रववाह आफद मं मंगली जातकं के कल्र्ाण के सलए
मंगल र्ंि की पूजा करने िे त्रवशेष लाभ प्राि होता हं । मूल्र् माि Rs- 730

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75 जून 2012

त्रववाह िंबंसधत िमस्र्ा


क्र्ा आपके लिके-लिकी फक आपकी शादी मं अनावश्र्क रूप िे त्रवलम्ब हो रहा हं र्ा उनके वैवाफहक जीवन मं खुसशर्ां कम
होती जारही हं और िमस्र्ा असधक बढती जारही हं । एिी स्स्थती होने पर अपने लिके -लिकी फक कुंिली का अध्र्र्न
अवश्र् करवाले और उनके वैवाफहक िुख को कम करने वाले दोषं के सनवारण के उपार्ो के बार मं त्रवस्तार िे जनकारी प्राि
करं ।

सशक्षा िे िंबंसधत िमस्र्ा


क्र्ा आपके लिके-लिकी की पढाई मं अनावश्र्क रूप िे बाधा-त्रवघ्न र्ा रुकावटे हो रही हं ? बच्िो को अपने पूणा पररश्रम
एवं मेहनत का उसित फल नहीं समल रहा? अपने लिके-लिकी की कुंिली का त्रवस्तृत अध्र्र्न अवश्र् करवाले और
उनके त्रवद्या अध्र्र्न मं आनेवाली रुकावट एवं दोषो के कारण एवं उन दोषं के सनवारण के उपार्ो के बार मं त्रवस्तार िे
जनकारी प्राि करं ।

क्र्ा आप फकिी िमस्र्ा िे ग्रस्त हं ?


आपके पाि अपनी िमस्र्ाओं िे छुटकारा पाने हे तु पूजा-अिाना, िाधना, मंि जाप इत्र्ाफद करने का िमर् नहीं हं ?
अब आप अपनी िमस्र्ाओं िे बीना फकिी त्रवशेष पूजा-अिाना, त्रवसध-त्रवधान के आपको अपने कार्ा मं िफलता प्राि
कर िके एवं आपको अपने जीवन के िमस्त िुखो को प्राि करने का मागा प्राि हो िके इि सलर्े गुरुत्व कार्ाालत
द्वारा हमारा उद्दे श्र् शास्त्रोोि त्रवसध-त्रवधान िे त्रवसशष्ट तेजस्वी मंिो द्वारा सिद्ध प्राण-प्रसतत्रष्ठत पूणा िैतडर् र्ुि त्रवसभडन प्रकार के
र्डि- कवि एवं शुभ फलदार्ी ग्रह रत्न एवं उपरत्न आपके घर तक पहोिाने का हं ।

ज्र्ोसतष िंबंसधत त्रवशेष परामशा


ज्र्ोसत त्रवज्ञान, अंक ज्र्ोसतष, वास्तु एवं आध्र्ास्त्मक ज्ञान िं िंबंसधत त्रवषर्ं मं हमारे 30 वषो िे असधक वषा के
अनुभवं के िाथ ज्र्ोसति िे जुिे नर्े-नर्े िंशोधन के आधार पर आप अपनी हर िमस्र्ा के िरल िमाधान प्राि कर
िकते हं ।
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ओनेक्ि
जो व्र्त्रि पडना धारण करने मे अिमथा हो उडहं बुध ग्रह के उपरत्न ओनेक्ि को धारण करना िाफहए।
उच्ि सशक्षा प्रासि हे तु और स्मरण शत्रि के त्रवकाि हे तु ओनेक्ि रत्न की अंगूठी को दार्ं हाथ की िबिे छोटी
उं गली र्ा लॉकेट बनवा कर गले मं धारण करं । ओनेक्ि रत्न धारण करने िे त्रवद्या-बुत्रद्ध की प्रासि हो होकर स्मरण
शत्रि का त्रवकाि होता हं ।
76 जून 2012

जून 2012 -त्रवशेष र्ोग


कार्ा सित्रद्ध र्ोग
2 िूर्ोदर् िे िार्ं 4.35 तक 18 िम्पूणा फदन-रात
4 िूर्ोदर् िे फदन 11.04 तक 21 िम्पूणा फदन-रात
8 िूर्ोदर् िे दे ररात 2.02 तक 27 प्रात: 5.46 िे 28 जून को प्रात: 4.41 तक
12 िम्पूणा फदन-रात 29 िूर्ोदर् िे फदन 3.28 तक
14 िूर्ोदर् िे 15 जून को फदन 12.50 तक

अमृत र्ोग
18 रात्रि 9.55 िे रातभर 22 प्रात: 4.15 िे िूर्ोदर् तक

त्रिपुष्कर र्ोग (तीन गुना) र्ोग


10/11 रात्रि 3.02 िे 3.45 तक 30 फदन 12.40 िे रात्रि 11.15 तक
26 प्रात: 6.24 िे रात्रि 9.47 तक
गुरु पुष्र्ामृत र्ोग
22 प्रात: 4.15 िे िूर्ोदर् तक

र्ोग फल :
 कार्ा सित्रद्ध र्ोग मे फकर्े गर्े शुभ कार्ा मे सनस्ित िफलता प्राि होती हं , एिा शास्त्रोोि विन हं ।
 त्रिपुष्कर र्ोग मं फकर्े गर्े शुभ कार्ो का लाभ तीन गुना होता हं । एिा शास्त्रोोि विन हं ।
 गुरु पुष्र्ामृत र्ोग मं फकर्े गर्े फकर्े गर्े शुभ कार्ा मे शुभ फलो की प्रासि होती हं , एिा शास्त्रोोि विन हं ।

दै सनक शुभ एवं अशुभ िमर् ज्ञान तासलका


गुसलक काल र्म काल राहु काल
(शुभ) (अशुभ) (अशुभ)
वार िमर् अवसध िमर् अवसध िमर् अवसध
रत्रववार 03:00 िे 04:30 12:00 िे 01:30 04:30 िे 06:00
िोमवार 01:30 िे 03:00 10:30 िे 12:00 07:30 िे 09:00
मंगलवार 12:00 िे 01:30 09:00 िे 10:30 03:00 िे 04:30
बुधवार 10:30 िे 12:00 07:30 िे 09:00 12:00 िे 01:30
गुरुवार 09:00 िे 10:30 06:00 िे 07:30 01:30 िे 03:00
शुक्रवार 07:30 िे 09:00 03:00 िे 04:30 10:30 िे 12:00
शसनवार 06:00 िे 07:30 01:30 िे 03:00 09:00 िे 10:30
77 जून 2012

फदन के िौघफिर्े
िमर् रत्रववार िोमवार मंगलवार बुधवार गुरुवार शुक्रवार शसनवार

06:00 िे 07:30 उद्वे ग अमृत रोग लाभ शुभ िल काल


07:30 िे 09:00 िल काल उद्वे ग अमृत रोग लाभ शुभ
09:00 िे 10:30 लाभ शुभ िल काल उद्वे ग अमृत रोग
10:30 िे 12:00 अमृत रोग लाभ शुभ िल काल उद्वे ग
12:00 िे 01:30 काल उद्वे ग अमृत रोग लाभ शुभ िल
01:30 िे 03:00 शुभ िल काल उद्वे ग अमृत रोग लाभ
03:00 िे 04:30 रोग लाभ शुभ िल काल उद्वे ग अमृत
04:30 िे 06:00 उद्वे ग अमृत रोग लाभ शुभ िल काल

रात के िौघफिर्े
िमर् रत्रववार िोमवार मंगलवार बुधवार गुरुवार शुक्रवार शसनवार

06:00 िे 07:30 शुभ िल काल उद्वे ग अमृत रोग लाभ


07:30 िे 09:00 अमृत रोग लाभ शुभ िल काल उद्वे ग
09:00 िे 10:30 िल काल उद्वे ग अमृत रोग लाभ शुभ
10:30 िे 12:00 रोग लाभ शुभ िल काल उद्वे ग अमृत
12:00 िे 01:30 काल उद्वे ग अमृत रोग लाभ शुभ िल
01:30 िे 03:00 लाभ शुभ िल काल उद्वे ग अमृत रोग
03:00 िे 04:30 उद्वे ग अमृत रोग लाभ शुभ िल काल
04:30 िे 06:00 शुभ िल काल उद्वे ग अमृत रोग लाभ
शास्त्रोोि मत के अनुशार र्फद फकिी भी कार्ा का प्रारं भ शुभ मुहूता र्ा शुभ िमर् पर फकर्ा जार्े तो कार्ा मं िफलता
प्राि होने फक िंभावना ज्र्ादा प्रबल हो जाती हं । इि सलर्े दै सनक शुभ िमर् िौघफड़र्ा दे खकर प्राि फकर्ा जा िकता हं ।
नोट: प्रार्ः फदन और रात्रि के िौघफड़र्े फक सगनती क्रमशः िूर्ोदर् और िूर्ाास्त िे फक जाती हं । प्रत्र्ेक िौघफड़र्े फक अवसध 1
घंटा 30 समसनट अथाात िे ढ़ घंटा होती हं । िमर् के अनुिार िौघफड़र्े को शुभाशुभ तीन भागं मं बांटा जाता हं , जो क्रमशः शुभ,
मध्र्म और अशुभ हं ।

िौघफिर्े के स्वामी ग्रह * हर कार्ा के सलर्े शुभ/अमृत/लाभ का


शुभ िौघफिर्ा मध्र्म िौघफिर्ा अशुभ िौघफड़र्ा िौघफड़र्ा उत्तम माना जाता हं ।
िौघफिर्ा स्वामी ग्रह िौघफिर्ा स्वामी ग्रह िौघफिर्ा स्वामी ग्रह
शुभ गुरु िर शुक्र उद्बे ग िूर्ा * हर कार्ा के सलर्े िल/काल/रोग/उद्वे ग
अमृत िंद्रमा काल शसन का िौघफड़र्ा उसित नहीं माना जाता।
लाभ बुध रोग मंगल
78 जून 2012

फदन फक होरा - िूर्ोदर् िे िूर्ाास्त तक


वार 1.घं 2.घं 3.घं 4.घं 5.घं 6.घं 7.घं 8.घं 9.घं 10.घं 11.घं 12.घं

रत्रववार िूर्ा शुक्र बुध िंद्र शसन गुरु मंगल िूर्ा शुक्र बुध िंद्र शसन
िोमवार िंद्र शसन गुरु मंगल िूर्ा शुक्र बुध िंद्र शसन गुरु मंगल िूर्ा
मंगलवार मंगल िूर्ा शुक्र बुध िंद्र शसन गुरु मंगल िूर्ा शुक्र बुध िंद्र
बुधवार बुध िंद्र शसन गुरु मंगल िूर्ा शुक्र बुध िंद्र शसन गुरु मंगल
गुरुवार गुरु मंगल िूर्ा शुक्र बुध िंद्र शसन गुरु मंगल िूर्ा शुक्र बुध
शुक्रवार शुक्र बुध िंद्र शसन गुरु मंगल िूर्ा शुक्र बुध िंद्र शसन गुरु
शसनवार शसन गुरु मंगल िूर्ा शुक्र बुध िंद्र शसन गुरु मंगल िूर्ा शुक्र

रात फक होरा – िूर्ाास्त िे िूर्ोदर् तक


रत्रववार गुरु मंगल िूर्ा शुक्र बुध िंद्र शसन गुरु मंगल िूर्ा शुक्र बुध
िोमवार शुक्र बुध िंद्र शसन गुरु मंगल िूर्ा शुक्र बुध िंद्र शसन गुरु
मंगलवार शसन गुरु मंगल िूर्ा शुक्र बुध िंद्र शसन गुरु मंगल िूर्ा शुक्र
बुधवार िूर्ा शुक्र बुध िंद्र शसन गुरु मंगल िूर्ा शुक्र बुध िंद्र शसन
गुरुवार िंद्र शसन गुरु मंगल िूर्ा शुक्र बुध िंद्र शसन गुरु मंगल िूर्ा
शुक्रवार मंगल िूर्ा शुक्र बुध िंद्र शसन गुरु मंगल िूर्ा शुक्र बुध िंद्र
शसनवार बुध िंद्र शसन गुरु मंगल िूर्ा शुक्र बुध िंद्र शसन गुरु मंगल
होरा मुहूता को कार्ा सित्रद्ध के सलए पूणा फलदार्क एवं अिूक माना जाता हं , फदन-रात के २४ घंटं मं शुभ-अशुभ िमर्
को िमर् िे पूवा ज्ञात कर अपने कार्ा सित्रद्ध के सलए प्रर्ोग करना िाफहर्े।

त्रवद्वानो के मत िे इस्च्छत कार्ा सित्रद्ध के सलए ग्रह िे िंबंसधत होरा का िुनाव करने िे त्रवशेष लाभ
प्राि होता हं ।
 िूर्ा फक होरा िरकारी कार्ो के सलर्े उत्तम होती हं ।
 िंद्रमा फक होरा िभी कार्ं के सलर्े उत्तम होती हं ।
 मंगल फक होरा कोटा-किेरी के कार्ं के सलर्े उत्तम होती हं ।
 बुध फक होरा त्रवद्या-बुत्रद्ध अथाात पढाई के सलर्े उत्तम होती हं ।
 गुरु फक होरा धासमाक कार्ा एवं त्रववाह के सलर्े उत्तम होती हं ।
 शुक्र फक होरा र्ािा के सलर्े उत्तम होती हं ।
 शसन फक होरा धन-द्रव्र् िंबंसधत कार्ा के सलर्े उत्तम होती हं ।
79 जून 2012

ग्रह िलन जून -2012


Day Sun Mon Ma Me Jup Ven Sat Rah Ket Ua Nep Plu
1 01:16:52 05:28:17 04:20:42 01:22:27 01:03:29 01:24:48 05:29:12 07:11:02 01:11:02 11:13:47 10:09:06 08:14:55

2 01:17:50 06:13:04 04:21:06 01:24:36 01:03:43 01:24:12 05:29:10 07:11:02 01:11:02 11:13:49 10:09:06 08:14:53

3 01:18:47 06:28:04 04:21:31 01:26:45 01:03:57 01:23:36 05:29:08 07:11:03 01:11:03 11:13:51 10:09:06 08:14:52

4 01:19:45 07:13:10 04:21:55 01:28:51 01:04:11 01:22:59 05:29:06 07:11:03 01:11:03 11:13:53 10:09:06 08:14:51

5 01:20:42 07:28:12 04:22:21 02:00:57 01:04:25 01:22:22 05:29:04 07:11:03 01:11:03 11:13:55 10:09:06 08:14:49

6 01:21:39 08:13:01 04:22:46 02:03:00 01:04:39 01:21:44 05:29:02 07:11:02 01:11:02 11:13:57 10:09:06 08:14:48

7 01:22:37 08:27:31 04:23:12 02:05:01 01:04:52 01:21:06 05:29:00 07:11:00 01:11:00 11:13:58 10:09:06 08:14:46

8 01:23:34 09:11:37 04:23:37 02:07:00 01:05:06 01:20:29 05:28:58 07:10:59 01:10:59 11:14:00 10:09:06 08:14:45

9 01:24:32 09:25:16 04:24:04 02:08:57 01:05:20 01:19:52 05:28:56 07:10:58 01:10:58 11:14:02 10:09:06 08:14:44

10 01:25:29 10:08:29 04:24:30 02:10:52 01:05:34 01:19:16 05:28:55 07:10:56 01:10:56 11:14:03 10:09:06 08:14:42

11 01:26:26 10:21:17 04:24:57 02:12:45 01:05:47 01:18:40 05:28:53 07:10:56 01:10:56 11:14:05 10:09:06 08:14:41

12 01:27:24 11:03:44 04:25:24 02:14:35 01:06:01 01:18:06 05:28:52 07:10:56 01:10:56 11:14:06 10:09:06 08:14:39

13 01:28:21 11:15:54 04:25:51 02:16:22 01:06:15 01:17:33 05:28:51 07:10:56 01:10:56 11:14:08 10:09:05 08:14:38

14 01:29:18 11:27:52 04:26:18 02:18:07 01:06:28 01:17:02 05:28:50 07:10:58 01:10:58 11:14:09 10:09:05 08:14:37

15 02:00:16 00:09:43 04:26:46 02:19:50 01:06:42 01:16:33 05:28:48 07:10:59 01:10:59 11:14:10 10:09:05 08:14:35

16 02:01:13 00:21:30 04:27:14 02:21:30 01:06:56 01:16:05 05:28:48 07:11:01 01:11:01 11:14:12 10:09:04 08:14:34

17 02:02:10 01:03:18 04:27:42 02:23:08 01:07:09 01:15:39 05:28:47 07:11:02 01:11:02 11:14:13 10:09:04 08:14:32

18 02:03:08 01:15:09 04:28:10 02:24:43 01:07:23 01:15:16 05:28:46 07:11:02 01:11:02 11:14:14 10:09:04 08:14:31

19 02:04:05 01:27:07 04:28:39 02:26:15 01:07:36 01:14:54 05:28:45 07:11:01 01:11:01 11:14:15 10:09:03 08:14:29

20 02:05:02 02:09:13 04:29:08 02:27:45 01:07:49 01:14:35 05:28:45 07:10:59 01:10:59 11:14:17 10:09:03 08:14:28

21 02:05:59 02:21:30 04:29:37 02:29:13 01:08:03 01:14:18 05:28:44 07:10:56 01:10:56 11:14:18 10:09:02 08:14:26

22 02:06:57 03:03:58 05:00:06 03:00:38 01:08:16 01:14:04 05:28:44 07:10:52 01:10:52 11:14:19 10:09:02 08:14:25

23 02:07:54 03:16:39 05:00:36 03:02:00 01:08:29 01:13:52 05:28:43 07:10:47 01:10:47 11:14:20 10:09:01 08:14:23

24 02:08:51 03:29:34 05:01:05 03:03:19 01:08:42 01:13:42 05:28:43 07:10:43 01:10:43 11:14:21 10:09:01 08:14:22

25 02:09:48 04:12:44 05:01:35 03:04:36 01:08:55 01:13:35 05:28:43 07:10:40 01:10:40 11:14:22 10:09:00 08:14:20

26 02:10:46 04:26:09 05:02:05 03:05:50 01:09:08 01:13:30 05:28:43 07:10:38 01:10:38 11:14:22 10:08:59 08:14:19

27 02:11:43 05:09:50 05:02:35 03:07:01 01:09:22 01:13:27 05:28:43 07:10:37 01:10:37 11:14:23 10:08:59 08:14:17

28 02:12:40 05:23:48 05:03:06 03:08:10 01:09:34 01:13:27 05:28:44 07:10:38 01:10:38 11:14:24 10:08:58 08:14:16

29 02:13:37 06:08:01 05:03:37 03:09:15 01:09:47 01:13:29 05:28:44 07:10:39 01:10:39 11:14:25 10:08:57 08:14:14

30 02:14:34 06:22:30 05:04:07 03:10:17 01:10:00 01:13:33 05:28:44 07:10:40 01:10:40 11:14:25 10:08:56 08:14:13
80 जून 2012

िवा रोगनाशक र्ंि/कवि


मनुष्र् अपने जीवन के त्रवसभडन िमर् पर फकिी ना फकिी िाध्र् र्ा अिाध्र् रोग िे ग्रस्त होता हं ।

उसित उपिार िे ज्र्ादातर िाध्र् रोगो िे तो मुत्रि समल जाती हं , लेफकन कभी-कभी िाध्र् रोग होकर भी अिाध्र्ा
होजाते हं , र्ा कोइ अिाध्र् रोग िे ग्रसित होजाते हं । हजारो लाखो रुपर्े खिा करने पर भी असधक लाभ प्राि नहीं हो
पाता। िॉक्टर द्वारा फदजाने वाली दवाईर्ा अल्प िमर् के सलर्े कारगर िात्रबत होती हं , एसि स्स्थती मं लाभा प्रासि के
सलर्े व्र्त्रि एक िॉक्टर िे दि
ू रे िॉक्टर के िक्कर लगाने को बाध्र् हो जाता हं ।

भारतीर् ऋषीर्ोने अपने र्ोग िाधना के प्रताप िे रोग शांसत हे तु त्रवसभडन आर्ुवेर औषधो के असतररि र्ंि,
मंि एवं तंि उल्लेख अपने ग्रंथो मं कर मानव जीवन को लाभ प्रदान करने का िाथाक प्रर्ाि हजारो वषा पूवा फकर्ा था।
बुत्रद्धजीवो के मत िे जो व्र्त्रि जीवनभर अपनी फदनिर्ाा पर सनर्म, िंर्म रख कर आहार ग्रहण करता हं , एिे व्र्त्रि
को त्रवसभडन रोग िे ग्रसित होने की िंभावना कम होती हं । लेफकन आज के बदलते र्ुग मं एिे व्र्त्रि भी भर्ंकर रोग
िे ग्रस्त होते फदख जाते हं । क्र्ोफक िमग्र िंिार काल के अधीन हं । एवं मृत्र्ु सनस्ित हं स्जिे त्रवधाता के अलावा
और कोई टाल नहीं िकता, लेफकन रोग होने फक स्स्थती मं व्र्त्रि रोग दरू करने का प्रर्ाि तो अवश्र् कर िकता हं ।
इि सलर्े र्ंि मंि एवं तंि के कुशल जानकार िे र्ोग्र् मागादशान लेकर व्र्त्रि रोगो िे मुत्रि पाने का र्ा उिके प्रभावो
को कम करने का प्रर्ाि भी अवश्र् कर िकता हं ।

ज्र्ोसतष त्रवद्या के कुशल जानकर भी काल पुरुषकी गणना कर अनेक रोगो के अनेको रहस्र् को उजागर कर
िकते हं । ज्र्ोसतष शास्त्रो के माध्र्म िे रोग के मूलको पकिने मे िहर्ोग समलता हं , जहा आधुसनक सिफकत्िा शास्त्रो
अक्षम होजाता हं वहा ज्र्ोसतष शास्त्रो द्वारा रोग के मूल(जड़) को पकि कर उिका सनदान करना लाभदार्क एवं
उपार्ोगी सिद्ध होता हं ।
हर व्र्त्रि मं लाल रं गकी कोसशकाए पाइ जाती हं , स्जिका सनर्मीत त्रवकाि क्रम बद्ध तरीके िे होता रहता हं ।
जब इन कोसशकाओ के क्रम मं पररवतान होता है र्ा त्रवखंफिन होता हं तब व्र्त्रि के शरीर मं स्वास््र् िंबंधी त्रवकारो
उत्पडन होते हं । एवं इन कोसशकाओ का िंबंध नव ग्रहो के िाथ होता हं । स्जस्िे रोगो के होने के कारणा व्र्त्रिके
जडमांग िे दशा-महादशा एवं ग्रहो फक गोिर मं स्स्थती िे प्राि होता हं ।
िवा रोग सनवारण कवि एवं महामृत्र्ुंजर् र्ंि के माध्र्म िे व्र्त्रि के जडमांग मं स्स्थत कमजोर एवं पीफित
ग्रहो के अशुभ प्रभाव को कम करने का कार्ा िरलता पूवक
ा फकर्ा जािकता हं । जेिे हर व्र्त्रि को ब्रह्मांि फक उजाा एवं
पृ्वी का गुरुत्वाकषाण बल प्रभावीत कताा हं फठक उिी प्रकार कवि एवं र्ंि के माध्र्म िे ब्रह्मांि फक उजाा के
िकारात्मक प्रभाव िे व्र्त्रि को िकारात्मक उजाा प्राि होती हं स्जस्िे रोग के प्रभाव को कम कर रोग मुि करने हे तु
िहार्ता समलती हं ।
रोग सनवारण हे तु महामृत्र्ुंजर् मंि एवं र्ंि का बिा महत्व हं । स्जस्िे फहडद ू िंस्कृ सत का प्रार्ः हर व्र्त्रि
महामृत्र्ुंजर् मंि िे पररसित हं ।
81 जून 2012

कवि के लाभ :
 एिा शास्त्रोोि विन हं स्जि घर मं महामृत्र्ुंजर् र्ंि स्थात्रपत होता हं वहा सनवाि कताा हो नाना प्रकार फक
आसध-व्र्ासध-उपासध िे रक्षा होती हं ।
 पूणा प्राण प्रसतत्रष्ठत एवं पूणा िैतडर् र्ुि िवा रोग सनवारण कवि फकिी भी उम्र एवं जासत धमा के लोग िाहे
स्त्रोी हो र्ा पुरुष धारण कर िकते हं ।
 जडमांगमं अनेक प्रकारके खराब र्ोगो और खराब ग्रहो फक प्रसतकूलता िे रोग उतपडन होते हं ।
 कुछ रोग िंक्रमण िे होते हं एवं कुछ रोग खान-पान फक असनर्समतता और अशुद्धतािे उत्पडन होते हं । कवि
एवं र्ंि द्वारा एिे अनेक प्रकार के खराब र्ोगो को नष्ट कर, स्वास््र् लाभ और शारीररक रक्षण प्राि करने हे तु
िवा रोगनाशक कवि एवं र्ंि िवा उपर्ोगी होता हं ।
 आज के भौसतकता वादी आधुसनक र्ुगमे अनेक एिे रोग होते हं , स्जिका उपिार ओपरे शन और दवािे भी
कफठन हो जाता हं । कुछ रोग एिे होते हं स्जिे बताने मं लोग फहिफकिाते हं शरम अनुभव करते हं एिे रोगो
को रोकने हे तु एवं उिके उपिार हे तु िवा रोगनाशक कवि एवं र्ंि लाभादासर् सिद्ध होता हं ।
 प्रत्र्ेक व्र्त्रि फक जेिे-जेिे आर्ु बढती हं वैिे-विै उिके शरीर फक ऊजाा होती जाती हं । स्जिके िाथ अनेक
प्रकार के त्रवकार पैदा होने लगते हं एिी स्स्थती मं उपिार हे तु िवारोगनाशक कवि एवं र्ंि फलप्रद होता हं ।
 स्जि घर मं त्रपता-पुि, माता-पुि, माता-पुिी, र्ा दो भाई एक फह नक्षिमे जडम लेते हं, तब उिकी माता के सलर्े
असधक कष्टदार्क स्स्थती होती हं । उपिार हे तु महामृत्र्ुंजर् र्ंि फलप्रद होता हं ।
 स्जि व्र्त्रि का जडम पररसध र्ोगमे होता हं उडहे होने वाले मृत्र्ु तुल्र् कष्ट एवं होने वाले रोग, सिंता मं
उपिार हे तु िवा रोगनाशक कवि एवं र्ंि शुभ फलप्रद होता हं ।

नोट:- पूणा प्राण प्रसतत्रष्ठत एवं पूणा िैतडर् र्ुि िवा रोग सनवारण कवि एवं र्ंि के बारे मं असधक जानकारी हे तु हम
िे िंपका करं ।

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 Our all kawach, yantra and any other article are prepared on the Principle of Positiv energy, our
Article dose not produce any bad energy.

Our Goal
 Here Our goal has The classical Method-Legislation with Proved by specific with fiery chants
prestigious full consciousness (Puarn Praan Pratisthit) Give miraculous powers & Good effect All
types of Yantra, Kavach, Rudraksh, preciouse and semi preciouse Gems stone deliver on your
door step.
82 जून 2012

मंि सिद्ध कवि


मंि सिद्ध कवि को त्रवशेष प्रर्ोजन मं उपर्ोग के सलए और शीघ्र प्रभाव शाली बनाने के सलए तेजस्वी मंिो द्वारा
शुभ महूता मं शुभ फदन को तैर्ार फकर्े जाते हं . अलग-अलग कवि तैर्ार करने केसलए अलग-अलग तरह के
मंिो का प्रर्ोग फकर्ा जाता हं .

 क्र्ं िुने मंि सिद्ध कवि?


 उपर्ोग मं आिान कोई प्रसतबडध नहीं
 कोई त्रवशेष सनसत-सनर्म नहीं
 कोई बुरा प्रभाव नहीं
 कवि के बारे मं असधक जानकारी हे तु

मंि सिद्ध कवि िूसि


िवा कार्ा सित्रद्ध 4600/- ऋण मुत्रि 910/- त्रवघ्न बाधा सनवारण 550/-
िवा जन वशीकरण 1450/- धन प्रासि 820/- नज़र रक्षा 550/-
अष्ट लक्ष्मी 1250/- तंि रक्षा 730/- दभ
ु ााग्र् नाशक 460/-
िंतान प्रासि 1250/- शिु त्रवजर् 730/- * वशीकरण (२-३ व्र्त्रिके सलए) 1050/-
स्पे- व्र्ापर वृत्रद्ध 1050/- त्रववाह बाधा सनवारण 730/- * पत्नी वशीकरण 640/-
कार्ा सित्रद्ध 1050/- व्र्ापर वृत्रद्ध 730/-- * पसत वशीकरण 640/-
आकस्स्मक धन प्रासि 1050/- िवा रोग सनवारण 730/- िरस्वती (कक्षा +10 के सलए) 550/-
नवग्रह शांसत 910/- मस्स्तष्क पृत्रष्ट वधाक 640/- िरस्वती (कक्षा 10 तकके सलए) 460/-
भूसम लाभ 910/- कामना पूसता 640/- * वशीकरण ( 1 व्र्त्रि के सलए) 640/-
काम दे व 910/- त्रवरोध नाशक 640/- रोजगार प्रासि 370/-
पदं उडनसत 910/- रोजगार वृत्रद्ध 550/-
*कवि माि शुभ कार्ा र्ा उद्दे श्र् के सलर्े

GURUTVA KARYALAY
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA)
Call Us - 9338213418, 9238328785
Our Website:- http://gk.yolasite.com/ and http://gurutvakaryalay.blogspot.com/
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(ALL DISPUTES SUBJECT TO BHUBANESWAR JURISDICTION)

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83 जून 2012

YANTRA LIST EFFECTS


Our Splecial Yantra
1 12 – YANTRA SET For all Family Troubles
2 VYAPAR VRUDDHI YANTRA For Business Development
3 BHOOMI LABHA YANTRA For Farming Benefits
4 TANTRA RAKSHA YANTRA For Protection Evil Sprite
5 AAKASMIK DHAN PRAPTI YANTRA For Unexpected Wealth Benefits
6 PADOUNNATI YANTRA For Getting Promotion
7 RATNE SHWARI YANTRA For Benefits of Gems & Jewellery
8 BHUMI PRAPTI YANTRA For Land Obtained
9 GRUH PRAPTI YANTRA For Ready Made House
10 KAILASH DHAN RAKSHA YANTRA -

Shastrokt Yantra

11 AADHYA SHAKTI AMBAJEE(DURGA) YANTRA Blessing of Durga


12 BAGALA MUKHI YANTRA (PITTAL) Win over Enemies
13 BAGALA MUKHI POOJAN YANTRA (PITTAL) Blessing of Bagala Mukhi
14 BHAGYA VARDHAK YANTRA For Good Luck
15 BHAY NASHAK YANTRA For Fear Ending
16 CHAMUNDA BISHA YANTRA (Navgraha Yukta) Blessing of Chamunda & Navgraha
17 CHHINNAMASTA POOJAN YANTRA Blessing of Chhinnamasta
18 DARIDRA VINASHAK YANTRA For Poverty Ending
19 DHANDA POOJAN YANTRA For Good Wealth
20 DHANDA YAKSHANI YANTRA For Good Wealth
21 GANESH YANTRA (Sampurna Beej Mantra) Blessing of Lord Ganesh
22 GARBHA STAMBHAN YANTRA For Pregnancy Protection
23 GAYATRI BISHA YANTRA Blessing of Gayatri
24 HANUMAN YANTRA Blessing of Lord Hanuman
25 JWAR NIVARAN YANTRA For Fewer Ending
JYOTISH TANTRA GYAN VIGYAN PRAD SHIDDHA BISHA
26 YANTRA
For Astrology & Spritual Knowlage
27 KALI YANTRA Blessing of Kali
28 KALPVRUKSHA YANTRA For Fullfill your all Ambition
29 KALSARP YANTRA (NAGPASH YANTRA) Destroyed negative effect of Kalsarp Yoga
30 KANAK DHARA YANTRA Blessing of Maha Lakshami
31 KARTVIRYAJUN POOJAN YANTRA -
32 KARYA SHIDDHI YANTRA For Successes in work
33  SARVA KARYA SHIDDHI YANTRA For Successes in all work
34 KRISHNA BISHA YANTRA Blessing of Lord Krishna
35 KUBER YANTRA Blessing of Kuber (Good wealth)
36 LAGNA BADHA NIVARAN YANTRA For Obstaele Of marriage
37 LAKSHAMI GANESH YANTRA Blessing of Lakshami & Ganesh
38 MAHA MRUTYUNJAY YANTRA For Good Health
39 MAHA MRUTYUNJAY POOJAN YANTRA Blessing of Shiva
40 MANGAL YANTRA ( TRIKON 21 BEEJ MANTRA) For Fullfill your all Ambition
41 MANO VANCHHIT KANYA PRAPTI YANTRA For Marriage with choice able Girl
42 NAVDURGA YANTRA Blessing of Durga
84 जून 2012

YANTRA LIST EFFECTS

43 NAVGRAHA SHANTI YANTRA For good effect of 9 Planets


44 NAVGRAHA YUKTA BISHA YANTRA For good effect of 9 Planets
45  SURYA YANTRA Good effect of Sun
46  CHANDRA YANTRA Good effect of Moon
47  MANGAL YANTRA Good effect of Mars
48  BUDHA YANTRA Good effect of Mercury
49  GURU YANTRA (BRUHASPATI YANTRA) Good effect of Jyupiter
50  SUKRA YANTRA Good effect of Venus
51  SHANI YANTRA (COPER & STEEL) Good effect of Saturn
52  RAHU YANTRA Good effect of Rahu
53  KETU YANTRA Good effect of Ketu
54 PITRU DOSH NIVARAN YANTRA For Ancestor Fault Ending
55 PRASAW KASHT NIVARAN YANTRA For Pregnancy Pain Ending
56 RAJ RAJESHWARI VANCHA KALPLATA YANTRA For Benefits of State & Central Gov
57 RAM YANTRA Blessing of Ram
58 RIDDHI SHIDDHI DATA YANTRA Blessing of Riddhi-Siddhi
59 ROG-KASHT DARIDRATA NASHAK YANTRA For Disease- Pain- Poverty Ending
60 SANKAT MOCHAN YANTRA For Trouble Ending
61 SANTAN GOPAL YANTRA Blessing Lorg Krishana For child acquisition
62 SANTAN PRAPTI YANTRA For child acquisition
63 SARASWATI YANTRA Blessing of Sawaswati (For Study & Education)
64 SHIV YANTRA Blessing of Shiv
Blessing of Maa Lakshami for Good Wealth &
65 SHREE YANTRA (SAMPURNA BEEJ MANTRA) Peace
66 SHREE YANTRA SHREE SUKTA YANTRA Blessing of Maa Lakshami for Good Wealth
67 SWAPNA BHAY NIVARAN YANTRA For Bad Dreams Ending
68 VAHAN DURGHATNA NASHAK YANTRA For Vehicle Accident Ending
VAIBHAV LAKSHMI YANTRA (MAHA SHIDDHI DAYAK SHREE Blessing of Maa Lakshami for Good Wealth & All
69 MAHALAKSHAMI YANTRA) Successes
70 VASTU YANTRA For Bulding Defect Ending
71 VIDHYA YASH VIBHUTI RAJ SAMMAN PRAD BISHA YANTRA For Education- Fame- state Award Winning
72 VISHNU BISHA YANTRA Blessing of Lord Vishnu (Narayan)
73 VASI KARAN YANTRA Attraction For office Purpose
74  MOHINI VASI KARAN YANTRA Attraction For Female
75  PATI VASI KARAN YANTRA Attraction For Husband
76  PATNI VASI KARAN YANTRA Attraction For Wife
77  VIVAH VASHI KARAN YANTRA Attraction For Marriage Purpose
Yantra Available @:- Rs- 255, 370, 460, 550, 640, 730, 820, 910, 1250, 1850, 2300, 2800 and Above…..

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85 जून 2012

GURUTVA KARYALAY
NAME OF GEM STONE GENERAL MEDIUM FINE FINE SUPER FINE SPECIAL
Emerald (पडना) 200.00 500.00 1200.00 1900.00 2800.00 & above
Yellow Sapphire (पुखराज) 550.00 1200.00 1900.00 2800.00 4600.00 & above
Blue Sapphire (नीलम) 550.00 1200.00 1900.00 2800.00 4600.00 & above
White Sapphire (िफ़ेद पुखराज) 550.00 1200.00 1900.00 2800.00 4600.00 & above
Bangkok Black Blue(बंकोक नीलम) 100.00 150.00 200.00 500.00 1000.00 & above
Ruby (मास्णक) 100.00 190.00 370.00 730.00 1900.00 & above
Ruby Berma (बमाा मास्णक) 5500.00 6400.00 8200.00 10000.00 21000.00 & above
Speenal (नरम मास्णक/लालिी) 300.00 600.00 1200.00 2100.00 3200.00 & above
Pearl (मोसत) 30.00 60.00 90.00 120.00 280.00 & above
Red Coral (4 jrh rd) (लाल मूंगा) 75.00 90.00 12.00 180.00 280.00 & above
Red Coral (4 jrh ls mij) (लाल मूंगा) 120.00 150.00 190.00 280.00 550.00 & above
White Coral (िफ़ेद मूंगा) 20.00 28.00 42.00 51.00 90.00 & above
Cat’s Eye (लहिुसनर्ा) 25.00 45.00 90.00 120.00 190.00 & above
Cat’s Eye Orissa (उफििा लहिुसनर्ा) 460.00 640.00 1050.00 2800.00 5500.00 & above
Gomed (गोमेद) 15.00 27.00 60.00 90.00 120.00 & above
Gomed CLN (सिलोनी गोमेद) 300.00 410.00 640.00 1800.00 2800.00 & above
Zarakan (जरकन) 350.00 450.00 550.00 640.00 910.00 & above
Aquamarine (बेरुज) 210.00 320.00 410.00 550.00 730.00 & above
Lolite (नीली) 50.00 120.00 230.00 390.00 500.00 & above
Turquoise (फफ़रोजा) 15.00 30.00 45.00 60.00 90.00 & above
Golden Topaz (िुनहला) 15.00 30.00 45.00 60.00 90.00 & above
Real Topaz (उफििा पुखराज/टोपज) 60.00 120.00 280.00 460.00 640.00 & above
Blue Topaz (नीला टोपज) 60.00 90.00 120.00 280.00 460.00 & above
White Topaz (िफ़ेद टोपज) 60.00 90.00 120.00 240.00 410.00& above
Amethyst (कटे ला) 20.00 30.00 45.00 60.00 120.00 & above
Opal (उपल) 30.00 45.00 90.00 120.00 190.00 & above
Garnet (गारनेट) 30.00 45.00 90.00 120.00 190.00 & above
Tourmaline (तुमालीन) 120.00 140.00 190.00 300.00 730.00 & above
Star Ruby (िुर्क
ा ाडत मस्ण) 45.00 75.00 90.00 120.00 190.00 & above
Black Star (काला स्टार) 15.00 30.00 45.00 60.00 100.00 & above
Green Onyx (ओनेक्ि) 09.00 12.00 15.00 19.00 25.00 & above
Real Onyx (ओनेक्ि) 60.00 90.00 120.00 190.00 280.00 & above
Lapis (लाजवात) 15.00 25.00 30.00 45.00 55.00 & above
Moon Stone (िडद्रकाडत मस्ण) 12.00 21.00 30.00 45.00 100.00 & above
Rock Crystal (स्फ़फटक) 09.00 12.00 15.00 30.00 45.00 & above
Kidney Stone (दाना फफ़रं गी) 09.00 11.00 15.00 19.00 21.00 & above
Tiger Eye (टाइगर स्टोन) 03.00 05.00 10.00 15.00 21.00 & above
Jade (मरगि) 12.00 19.00 23.00 27.00 45.00 & above
Sun Stone (िन सितारा) 12.00 19.00 23.00 27.00 45.00 & above
50.00 100.00 200.00 370.00 460.00 & above
Diamond (हीरा) (Per Cent ) (Per Cent ) (PerCent ) (Per Cent) (Per Cent )
(.05 to .20 Cent )
Note : Bangkok (Black) Blue for Shani, not good in looking but mor effective, Blue Topaz not Sapphire This Color of Sky Blue, For Venus
86 जून 2012

BOOK PHONE/ CHAT CONSULTATION


We are mostly engaged in spreading the ancient knowledge of Astrology, Numerology, Vastu and Spiritual
Science in the modern context, across the world.
Our research and experiments on the basic principals of various ancient sciences for the use of common man.
exhaustive guide lines exhibited in the original Sanskrit texts

BOOK APPOINTMENT PHONE/ CHAT CONSULTATION


Please book an appointment with Our expert Astrologers for an internet chart . We would require your birth
details and basic area of questions so that our expert can be ready and give you rapid replied. You can indicate the
area of question in the special comments box. In case you want more than one person reading, then please mention
in the special comment box . We shall confirm before we set the appointment. Please choose from :

PHONE/ CHAT CONSULTATION


Consultation 30 Min.: RS. 1250/-*
Consultation 45 Min.: RS. 1900/-*
Consultation 60 Min.: RS. 2500/-*
*While booking the appointment in Addvance

How Does it work Phone/Chat Consultation


This is a unique service of GURUATVA KARYALAY where we offer you the option of having a personalized
discussion with our expert astrologers. There is no limit on the number of question although time is of
consideration.
Once you request for the consultation, with a suggestion as to your convenient time we get back with a
confirmation whether the time is available for consultation or not.
 We send you a Phone Number at the designated time of the appointment
 We send you a Chat URL / ID to visit at the designated time of the appointment
 You would need to refer your Booking number before the chat is initiated
 Please remember it takes about 1-2 minutes before the chat process is initiated.
 Once the chat is initiated you can commence asking your questions and clarifications
 We recommend 25 minutes when you need to consult for one persona Only and usually the time is
sufficient for 3-5 questions depending on the timing questions that are put.
 For more than these questions or one birth charts we would recommend 60/45 minutes Phone/chat
is recommended
 Our expert is assisted by our technician and so chatting & typing is not a bottle neck

In special cases we don't have the time available about your Specific Questions We will taken some time for
properly Analysis your birth chart and we get back with an alternate or ask you for an alternate.
All the time mentioned is Indian Standard Time which is + 5.30 hr ahead of G.M.T.
Many clients prefer the chat so that many questions that come up during a personal discussion can be
answered right away.
BOOKING FOR PHONE/ CHAT CONSULTATION PLEASE CONTECT

GURUTVA KARYALAY
Call Us:- 91+9338213418, 91+9238328785.
Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in, gurutva.karyalay@gmail.com, chintan_n_joshi@yahoo.co.in,
87 जून 2012

िूिना
 पत्रिका मं प्रकासशत िभी लेख पत्रिका के असधकारं के िाथ ही आरस्क्षत हं ।

 लेख प्रकासशत होना का मतलब र्ह कतई नहीं फक कार्ाालर् र्ा िंपादक भी इन त्रविारो िे िहमत हं।

 नास्स्तक/ अत्रवश्वािु व्र्त्रि माि पठन िामग्री िमझ िकते हं ।

 पत्रिका मं प्रकासशत फकिी भी नाम, स्थान र्ा घटना का उल्लेख र्हां फकिी भी व्र्त्रि त्रवशेष र्ा फकिी भी स्थान र्ा
घटना िे कोई िंबंध नहीं हं ।

 प्रकासशत लेख ज्र्ोसतष, अंक ज्र्ोसतष, वास्तु, मंि, र्ंि, तंि, आध्र्ास्त्मक ज्ञान पर आधाररत होने के कारण
र्फद फकिी के लेख, फकिी भी नाम, स्थान र्ा घटना का फकिी के वास्तत्रवक जीवन िे मेल होता हं तो र्ह माि
एक िंर्ोग हं ।

 प्रकासशत िभी लेख भारसतर् आध्र्ास्त्मक शास्त्रों िे प्रेररत होकर सलर्े जाते हं । इि कारण इन त्रवषर्ो फक
ित्र्ता अथवा प्रामास्णकता पर फकिी भी प्रकार फक स्जडमेदारी कार्ाालर् र्ा िंपादक फक नहीं हं ।

 अडर् लेखको द्वारा प्रदान फकर्े गर्े लेख/प्रर्ोग फक प्रामास्णकता एवं प्रभाव फक स्जडमेदारी कार्ाालर् र्ा िंपादक
फक नहीं हं । और नाहीं लेखक के पते फठकाने के बारे मं जानकारी दे ने हे तु कार्ाालर् र्ा िंपादक फकिी भी
प्रकार िे बाध्र् हं ।

 ज्र्ोसतष, अंक ज्र्ोसतष, वास्तु, मंि, र्ंि, तंि, आध्र्ास्त्मक ज्ञान पर आधाररत लेखो मं पाठक का अपना
त्रवश्वाि होना आवश्र्क हं । फकिी भी व्र्त्रि त्रवशेष को फकिी भी प्रकार िे इन त्रवषर्ो मं त्रवश्वाि करने ना करने
का अंसतम सनणार् स्वर्ं का होगा।

 पाठक द्वारा फकिी भी प्रकार फक आपत्ती स्वीकार्ा नहीं होगी।

 हमारे द्वारा पोस्ट फकर्े गर्े िभी लेख हमारे वषो के अनुभव एवं अनुशध
ं ान के आधार पर सलखे होते हं । हम फकिी भी व्र्त्रि
त्रवशेष द्वारा प्रर्ोग फकर्े जाने वाले मंि- र्ंि र्ा अडर् प्रर्ोग र्ा उपार्ोकी स्जडमेदारी नफहं लेते हं ।

 र्ह स्जडमेदारी मंि-र्ंि र्ा अडर् प्रर्ोग र्ा उपार्ोको करने वाले व्र्त्रि फक स्वर्ं फक होगी। क्र्ोफक इन त्रवषर्ो मं नैसतक
मानदं िं , िामास्जक , कानूनी सनर्मं के स्खलाफ कोई व्र्त्रि र्फद नीजी स्वाथा पूसता हे तु प्रर्ोग कताा हं अथवा
प्रर्ोग के करने मे िुफट होने पर प्रसतकूल पररणाम िंभव हं ।

 हमारे द्वारा पोस्ट फकर्े गर्े िभी मंि-र्ंि र्ा उपार् हमने िैकिोबार स्वर्ं पर एवं अडर् हमारे बंधुगण पर प्रर्ोग फकर्े हं
स्जस्िे हमे हर प्रर्ोग र्ा मंि-र्ंि र्ा उपार्ो द्वारा सनस्ित िफलता प्राि हुई हं ।

 पाठकं फक मांग पर एक फह लेखका पूनः प्रकाशन करने का असधकार रखता हं । पाठकं को एक लेख के पूनः
प्रकाशन िे लाभ प्राि हो िकता हं ।

 असधक जानकारी हे तु आप कार्ाालर् मं िंपका कर िकते हं ।

(िभी त्रववादो केसलर्े केवल भुवनेश्वर डर्ार्ालर् ही माडर् होगा।)


88 जून 2012

FREE
E CIRCULAR
गुरुत्व ज्र्ोसतष पत्रिका जून -2012
िंपादक

सिंतन जोशी
िंपका
गुरुत्व ज्र्ोसतष त्रवभाग

गुरुत्व कार्ाालर्
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA)
INDIA

फोन

91+9338213418, 91+9238328785
ईमेल
gurutva.karyalay@gmail.com,
gurutva_karyalay@yahoo.in,

वेब
http://gk.yolasite.com/
http://www.gurutvakaryalay.blogspot.com/
89 जून 2012

हमारा उद्दे श्र्


त्रप्रर् आस्त्मर्

बंधु/ बफहन

जर् गुरुदे व

जहाँ आधुसनक त्रवज्ञान िमाि हो जाता हं । वहां आध्र्ास्त्मक ज्ञान प्रारं भ हो जाता हं , भौसतकता का आवरण ओढे व्र्त्रि
जीवन मं हताशा और सनराशा मं बंध जाता हं , और उिे अपने जीवन मं गसतशील होने के सलए मागा प्राि नहीं हो पाता क्र्ोफक
भावनाए फह भविागर हं , स्जिमे मनुष्र् की िफलता और अिफलता सनफहत हं । उिे पाने और िमजने का िाथाक प्रर्ाि ही श्रेष्ठकर
िफलता हं । िफलता को प्राि करना आप का भाग्र् ही नहीं असधकार हं । ईिी सलर्े हमारी शुभ कामना िदै व आप के िाथ हं । आप
अपने कार्ा-उद्दे श्र् एवं अनुकूलता हे तु र्ंि, ग्रह रत्न एवं उपरत्न और दल
ु भ
ा मंि शत्रि िे पूणा प्राण-प्रसतत्रष्ठत सिज वस्तु का हमंशा
प्रर्ोग करे जो १००% फलदार्क हो। ईिी सलर्े हमारा उद्दे श्र् र्हीं हे की शास्त्रोोि त्रवसध-त्रवधान िे त्रवसशष्ट तेजस्वी मंिो द्वारा सिद्ध
प्राण-प्रसतत्रष्ठत पूणा िैतडर् र्ुि िभी प्रकार के र्डि- कवि एवं शुभ फलदार्ी ग्रह रत्न एवं उपरत्न आपके घर तक पहोिाने का हं ।

िूर्ा की फकरणे उि घर मं प्रवेश करापाती हं ।


जीि घर के स्खड़की दरवाजे खुले हं।

GURUTVA KARYALAY
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA)
Call Us - 9338213418, 9238328785
Our Website:- http://gk.yolasite.com/ and http://gurutvakaryalay.blogspot.com/
Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in, gurutva.karyalay@gmail.com

(ALL DISPUTES SUBJECT TO BHUBANESWAR JURISDICTION)

(ALL DISPUTES SUBJECT TO BHUBANESWAR JURISDICTION)


90 जून 2012

JUN
2012

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