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GURUTVA KARYALAY
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA,
BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) INDIA
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अनुक्रम
प्रश्न ज्र्ोसतष त्रवशेष
प्रश्न ज्र्ोसतष िे िंबंसधत त्रवशेष िूिना 6 प्रश्न ज्र्ोसतष और धन िे िंबंसधत र्ोग 30
प्रश्न कुण्िली िे जाने स्वास््र् लाभ के र्ोग 7 प्रश्न ज्र्ोसतष और त्रववाह र्ोग 41
प्रश्न कुण्िली िे पररजनो के स्वास््र् लाभ के र्ोग 10 प्रश्न ज्र्ोसतष िे शिु का त्रविार 44
प्रश्न कुण्िली मे रोग मं मंगल की भूसमका 16 प्रश्न कुण्िली िे जाने नौकरी के त्रवसभडन र्ोग 45
प्रश्न ज्र्ोसतष िे जाने त्रवद्या प्रासि के र्ोग 18 प्रश्न कुण्िली िे जाने मुकदमे मं िफलता के र्ोग 52
प्रश्न ज्र्ोसतष िे जासनए त्रवद्याप्रासि मं ग्रहं की भूसमका 19 शसन प्रदोष व्रत का महत्व 53
हमारे उत्पाद
गणेश लक्ष्मी र्ंि 11 कनकधारा र्ंि 32 श्री हनुमान र्ंि 56 जैन धमाके त्रवसशष्ट र्ंि 62
दग
ु ाा बीिा र्ंि 14 धन वृत्रद्ध फिब्बी 33 मंिसिद्ध लक्ष्मी र्ंििूसि 57 राशी रत्न एवं उपरत्न 64
मंिसिद्ध स्फफटक श्री र्ंि 16 द्वादश महा र्ंि 37 मंि सिद्ध दै वी र्ंि िूसि 57 शसन पीड़ा सनवारक 70
मंि सिद्ध दल
ु ाभ िामग्री 17 मंि सिद्ध मूंगा गणेश 39 रासश रत्न 58 मंगलर्ंि िे ऋण मुत्रि 73
पढा़ई िंबंसधत िमस्र्ा 18 शादी िंबंसधत िमस्र्ा 42 मंि सिद्ध रूद्राक्ष 59 िवा रोगनाशक र्ंि/ 80
िरस्वती कवि और र्ंि 24 पुरुषाकार शसन र्ंि 44 श्रीकृ ष्ण बीिा र्ंि/ कवि 60 मंि सिद्ध कवि 82
िवा कार्ा सित्रद्ध कवि 28 िंपूणा जडम कुंिली परामशा 52 राम रक्षा र्ंि 61 YANTRA 83
भाग्र् लक्ष्मी फदब्बी 30 नवरत्न जफड़त श्री र्ंि 55 अमोद्य महामृत्र्ुंजर् कवि 64 GEMS STONE 85
प्रश्न कुण्िली िे स्स्टक उत्तर प्राि फकस्जए 27 मंि सिद्ध िामग्री- 73-75
िंपादकीर्
त्रप्रर् आस्त्मर्
बंधु/ बफहन
जर् गुरुदे व
आज के आधुसनक र्ुग मं प्रार्ः हर मनुष्र् अपने भत्रवष्र् को लेकर सिंसतत रहते हं ! फफर िाहे वहँ असमर हो
र्ा गरीब, गृहस्थ हो र्ा िंिारकी मोह, मार्ा, राग-द्वे ष इत्र्ाफद गुणो को त्र्ाग िुके आधुसनक र्ुग के िाधु िडर्ािी
हो (कुछ िाधु िडर्ािी को छोड़कर क्र्ोफक, कुछ िाधु-िडर्ािी पूणत
ा ः इश्वर के प्रसत िमत्रपात होते हं स्जडहं भत्रवष्र् िे
िंबंसधत फकिी प्रकार की सिंता र्ा उत्िुकता नहीं होती।), हर फकिी को इि त्रवषर् मं एक त्रवशेष प्रकार की स्जज्ञािा
र्ा उत्िुकता बनी रहती हं की आने वाले भत्रवष्र् मं क्र्ा घफटट होने वाला हं ? र्ह एक प्रकार की िामाडर् उत्कंठा
होती हं , जो प्रार्ः हर मनुश्र् के सभतर िल रही होती हं ?
एिी पौरास्णक कहावत हं की आवश्र्क्ता आत्रवष्कार की जननी हं । मनुष्र् ने अपनी त्रवसभडन स्जज्ञािा को शांत
करने के सलए कुदरत के अनेक गुि रहस्र्ं को खोज़ने का प्रर्ाि फकर्ा हं और उिने अपने प्रर्ािं एवं अनुभवो िे
उन गुि रहस्र्ं को प्रकट भी फकर्ा हं । इि मं जरा भी िंदेह नहीं हं की अनाफद काल िे ही गूढ़ रहस्र्ं को खोजना,
जानना एवं िमझना मनुष्र् का स्वभाव रहा हं ।
मनुष्र् के मागादशान के सलए और उिके भत्रवष्र् एवं वतामान जीवन के महत्वपूणा पहलू को जानने िमझने और
उििे प्राि जानकारी िे उिके जीवन को िुधारने और िवारने का कार्ा भारतीर् ऋषी-मुसनर्ं ने फकर्ा हं , हमारे
त्रवद्वान ऋत्रषमुसनर्ं ने फकिी भी मनुष्र् के वतामान एवं उिके भत्रवष्र् के गभा मं झांक ने के सलर्े त्रवसभडन ग्रंथं,
शास्त्रों फक रिना फक हं स्जिे हम ज्र्ोसतष शास्त्रो, अंक शास्त्रो, प्रश्न ज्र्ोसतष, शकुन शास्त्रो, िमल शास्त्रो, िामुफद्रक शास्त्रो
इत्र्ाफद के नाम िे जानते हं । इन त्रवषर्ो पर त्रवद्वानो ने वषो तक शोध फकर्े और उिका शूक्ष्म अवलोकन कर
त्रवसभडन उपार् खोजे हं और आने वाले भत्रवष्र् मं भी खोजे जाते रहं गे।
हमारे त्रवद्वानो ने हजारो वषा पूवा र्ह ज्ञात कर सलर्ा था की िौर-मण्िल का प्रभाव हमारी पृ्वी पर और पृ्वी
पर सनवार करने वाले िमस्त जीवं पर सनस्ित रुप िे पड़ता हं । क्र्ोफक िौर-मण्िल मं जो भी स्जतनी भी ग्रह
स्स्थत हं , वह एक सनस्ित मागा पर पृ्वी फक तरह ही िूर्ा के इदा-सगदा िक्कर लगाते हं । ग्रहं की उिी गसत एवं
स्स्थती का प्रभाव हमारे मानव जीवन को प्रभात्रवत करता हं । स्जन ग्रहं का प्रभाव पृ्वी प्र त्रवशेष रुप िे पड़ता हं,
ग्रहो की उिी गसत मं उनका फल भी सनस्ित रुप िे समलता हं ।
इि सलर्े जब फकिी नवजात सशशु का जडम होता हं तो उिके जडम के िमर् मं आकाश मागा मं ग्रहो की जो
स्स्थती होती हं भारतीर् ज्र्ोतीष मं ग्रहो की उिी स्स्थती के अनुशार उि सशशु की जडम कुण्िली का सनमााण कर
फदर्ा जाता हं । जडम कुण्िली उि नवजात सशशु के िंपूणा जीवन का आईना होती हं ।
लेफकन स्जन लोगं के पाि जडम कुण्िली नही हं र्ा उनके पाि अपने जडम का स्स्टक त्रववरण जैिे तारीख,
िमर् ज्ञात नहीं हं, वह लोग क्र्ा करं ? केिे जाने अपना भत्रवष्र्?, उनके सलर्े प्रश्न ज्र्ोसतष एक उत्तम माध्र्म
िात्रबत हो िकता हं । क्र्ोफक प्रश्न कुण्िली के माध्र्म िे प्रश्न कताा के भूत, भत्रवष्र् और वतामान िे जुिे त्रवसभडन प्रश्नो
का त्रबना फकिी परे शानी िे िरलता िे उत्तर प्राि हो िकता हं । व्र्त्रि अपने आनेवाले िमर् का सनस्ित रुप िे
िद्उपर्ोग कर िकता हं । कुछ त्रवद्वानो का र्हां तक कहना हं की प्रश्न कुण्िली की स्स्टक गणना िे उपर्ुि िमर् का
िर्न कर फकर्े गर्े शुभ कार्ं िे सनधान व्र्त्रि भी धनवान बन िकता हं और अनपढ़ व्र्त्रि प्रखर त्रवद्वान बन
िकता हं ।
प्रािीन भारतीर् धमाग्रंथो मं प्रश्न ज्र्ोसतष के महत्व को िमझते हुवे िैकड़ं ग्रंथो की रिना की हं । स्जिके
माध्र्म िे मनुष्र् के भूत, भत्रवष्र् और वतामान िे िंबसं धत प्रश्नो का उत्तर प्राि फकर्े जा िकते हं । लेफकन वतामान
िमर् मं प्रश्न ज्र्ोसतष िे जुिी महत्वपूणा जानकारीर्ा और उनका उपर्ुि फलादे श और जानकारी र्ा त्रवसभडन ग्रंथो मं
फकिी टू टी हुई माला के मनको के िमान त्रबखरे पिे ़ हं स्जििे प्रार्ः हर त्रवद्वान ज्र्ोसतषी अच्छी प्रकार िे पररसित हं ।
कफठन पररश्रम एवं त्रवसभडन ग्रंथो के अध्र्र्न के पिर्ात ही कोई जानकार ज्र्ोसतष फकिी प्रश्न कताा के प्रश्नं का
सनधााररत उत्तर दे ने मं िमथा हो िकता हं । आजके आधुसनक र्ुग मं िंभवत फकिी एक ग्रंथ मं वस्णात फलादे श करना
कफठन हो िकता हं । क्र्ोफकं िमर् के िाथ-िाथ त्रवद्वानो द्वारा फकर्े गर्े त्रवसभडन शोध एवं उनके अनुभवो के आधार
पर हर त्रवद्वानो के अनुभवं मं सभडनता रही हं स्जििे उनके फल कथन मं भी सभडनता हो जाती हं । इि सलए उि
िभी बातं का ख्र्ाल रखते हुए प्रश्न ज्र्ोसतष का फल कथन करना उसित होगा।
हर व्र्त्रि ज्र्ोसतष बने र्ह जरुरी नहीं हं लेफकन ज्र्ोसतष िे िंबंसधत िामाडर् ज्ञान हर व्र्त्रि
के पाि हो र्ह असत आवश्र्क हं । इिी उद्दे श्र् िे पाठकं के मागादशान के सलर्े प्रश्न ज्र्ोसतष
त्रवशेषांक फक प्रस्तुसत फक गई हं ।
िभी पाठको के मागादशान र्ा ज्ञानवधान के सलए प्रश्न ज्र्ोसतष िे िंबंसधत त्रवसभडन उपर्ोगी जानकारी इि अंक मं
त्रवसभडन ग्रंथो एवं सनजी अनुभवो के आधार पर िंकसलत की गई हं । ज्र्ोसतषी एवं त्रवद्वान पाठको िे अनुरोध हं , र्फद प्रश्न
ज्र्ोसतष िे िंबंसधत त्रवषर् मं ग्रह र्ोग, ग्रहं की स्स्थसत इत्र्ाफद के िंकलन, प्रमाण पढ़ने, िंपादन मं, फिजाईन मं,
टाईपींग मं, त्रप्रंफटं ग मं, प्रकाशन मं कोई िुफट रह गई हो, तो उिे स्वर्ं िुधार लं र्ा फकिी र्ोग्र् ज्र्ोसतषी र्ा त्रवद्वान िे िलाह
त्रवमशा कर ले । क्र्ोफक जानकार ज्र्ोसतषी एवं त्रवद्वानो के सनजी अनुभव व त्रवसभडन ग्रंथो मं वस्णात प्रश्न ज्र्ोसतष िे
िंबंसधत जानकारीर्ं मं एवं त्रवद्वानो के स्वर्ं के अनुभवो मं सभडनता होने के कारण िंबंसधत प्रश्न का त्रविार करते
िमर् ग्रहो की स्स्थसत र्ोग इत्र्ाफद के स्स्टक फल के सनणार् मं सभडनता िंभव हं ।
इि अंक मं प्रश्न ज्र्ोसतष के कुछ खाि प्रश्नं का ही िमावेश फकर्ा गर्ा हं । प्रश्न ज्र्ोसतष िे जुड़े अडर् प्रश्नं का
िमावेश पाठको की रुसि के अनुशार क्रमशः अंकं मं सनर्समत रुप िे फकर्ा जार्ेगा।
सिंतन जोशी
6 जून 2012
?
लेफकन र्फद त्रबमारी होने पर स्वास््र् मं जल्दी िुधार नहीं होता तो, तरह-
तरह की सिंता और मानसिक तनाव होना िाधारण बात हं । फक स्वास््र् मं िुधार
कब आर्ेगा?, कब उत्तम स्वास््र् लाभ होगा?, स्वास््र् लाभ होगा र्ा नहीं?, इत्र्ाफद
प्रश्न उठ खिे हो जाते हं ।
मनुष्र् की इिी सिंताको दरू करने के सलए हजारो वषा पूवा भारतीर्
ज्र्ोसतषािार्ो नं प्रश्न कुंिली के माध्र्म िे ज्ञात करने की त्रवद्या हमं प्रदान की हं ।
स्जि के फल स्वरुप फकिी भी व्र्त्रि के स्वास््र् िे िंबंसधत प्रश्नो का ज्र्ोसतषी गणनाओं के माध्र्म िे िरलता िे िमाधन
फकर्ा जािकता हं !
प्रश्न कुंिली के माध्र्म िे स्वास््र् िे िंबंसधत जानकारी प्राि करने हे तु िवा प्रथम प्रश्न कुंिली मं रोगी के शीघ्र स्वास््र्
लाभ के र्ोग हं र्ा नहीं र्ह दे ख लेना असत आवश्र्क हं ।
आपके मागादशान हे तु र्हां त्रवशेष र्ोग िे आपको अवगत करवा रहे हं ।
र्फद प्रश्न कुंिली मं र्फद िडद्र िर रासश अथाात फद्वस्वभाव रासश मं स्स्थत हो कर लग्न र्ा लग्नेश िे द्रष्ट हो तो शीघ्र
स्वास््र् लाभ की िंभावना प्रबल होती हं ।
र्फद िडद्र स्वरासश िे ितुथा र्ा दशम भाव मं स्स्थत हो तो शीघ्र स्वास््र् लाभ हो ने के र्ोग बनते हं ।
प्रश्न कुंिली मं शुभ ग्रहो िे द्रष्ट िडद्र र्ा िूर्ा लग्न मं, ितुथा र्ा ििम भाव मं स्स्थत हो तो शीघ्र स्वास््र् लाभ के र्ोग
बनते हं ।
प्रश्न कुंिली के माध्र्म िे स्वास््र् लाभ मं त्रवलम्ब होने के र्ोग दे ख लेना भी आवश्र्क होता हं ।
र्फद प्रश्न कुंिली मं स्वास््र् लाभ मं त्रवलंब होने के र्ोग बन रहे हो तो सिंसतत होने के बजार् शास्त्रोोि उपार्
इत्र्ाफद करना लाभदार्क सिद्ध होता हं । एिी स्स्थसत मं त्रवद्वानो के मत िे महामृत्र्ुंजर् मंि-र्ंि का प्रर्ोग शीघ्र
रोग मुत्रि हे तु रामबाण होता हं ।
प्रश्न कुंिली का अध्र्र्न करते िमर् र्ह र्ोग भी दे खले की रोगी को उसित उपर्ार प्राि हो रहा हं र्ा नहीं।
र्फद प्रश्न कुंिली मं ितुथा भाव मं शुभ ग्रह स्स्थत िे भी ज्ञात हो िकता है फक रोगी को दवाईर्ं िे उसित लाभ प्राि होगा
र्ा नहीं।
प्रश्न कुंिली दे खते िमर् शरीर के त्रवसभडन अंगो पर ग्रहो के प्रभाव एवं त्रबमारीर्ं को जानना भी आवश्र्क होता हं ।
ज्र्ोसतषी सिद्धांतो के अनुशार कुंिली के बारह भाव शरीर के त्रवसभडन अंगो को दशााते है ।
प्रथम भाव :सिर, मस्स्तष्क, स्नार्ु तंि.
फद्वतीर् भाव :िेहरा, गला, कंठ, गदा न, आंख.
तीिरा भाव : कधे, छाती, फेफिे , श्वाि, निे और बाहं .
ितुथा भाव :स्तन, ऊपरी आडि, ऊपरी पािन तंि
पंिम भाव :हृदर्, रि, पीठ, रििंिार तंि.
षष्ठम भाव :सनम्न उदर, सनम्न पािन तंि, आतं, अंतफिर्ाँ, कमर, र्कृ त.
ििम भाव :उदरीर् गुफहका, गुदे.
अष्टम भाव :गुि अंग, स्त्रोावी तंि, अंतफिर्ां, मलाशर्, मूिाशर् और मेरुदण्ि.
नवम भाव :जॉघं, सनतम्ब और धमनी तंि.
दशम भाव :घुटने, हफिर्ां और जोड़.
एकादश भाव :टागे, टखने और श्वाि.
द्वादश भाव :पैर, लिीका तंि और आंखे.
स्वास््र् के प्रसत असधक सिंसतंत होने की आवश्र्कता स्जि प्रकार कुण्िली मं रोग के सलए षष्ठम भाव को
नहीं है । दे खा जाता हं । उिी प्रकार फकिी भी प्रकार के
र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्न मं कोई ग्रह उच्ि रासश का अस्रोपिार अथाात आपरे शन का कारक मंगल ग्रह
होकर स्स्थत हो, तो रोगी का स्वास््र् बहुत ही उत्तम होता है । इि सलए आपरे शन िे िंबसं धत त्रविार करने
रहे गा। उिे फकिी गंभीर रोग िे ग्रस्त नहीं होना िे पूवा मंगल ग्रह की स्स्थसत का िूक्ष्म अवलोकन
पिे ़गा। र्फद आपको अपने त्रप्रर्जन के स्वास््र् िे अवश्र् कर लेना िाफहए।
लेकर मन मं अगर फकिी प्रकार की आशंका है तो आपरे शन िे पूवा प्रश्न कुण्िली मं आर्ु भाव अथाात
सिफकत्िक िे समलकर इिका सनवारण करलं व्र्था अष्टम भाव का भी आंकलन अवश्र् कर लेना िाफहए।
का वहम मन मं नहीं पालं। प्रश्न कुण्िली मं लग्न/लग्नेश बलवान स्स्थसत मं हं,
लग्न िे स्वास््र्, िेहत, शरीर, दादी, नाना एवं छठे भाव पर भी शुभ ग्रह का प्रभाव हो और आर्ु
व्र्त्रि की स्स्थसत का पता लगार्ा जा िकता है । स्थान भी शुभ ग्रहो के प्रभाव मं हो तो ही आपरे शन
र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्न अशुभ प्रभाव मं होने के के सलए िमर् उत्तम होता है । त्रवद्वानो के मतानुशार
कारण कमजोर स्स्थसत मं हो, तो इि प्रकार की ग्रहं की त्रवपरीत स्स्थसत होने पर आपात काल को
स्स्थसत के कारण व्र्त्रि की इच्छापूसता मं बाधा का छोड़कर आपरे शन नहीं करवाना िाफहए।
िंकेत समलता है । इि सलए रोगी के स्वास््र् के प्रसत क्र्ोफक अबतक हुवे शोध के आधार पर त्रवद्वानो का
िावधान रहना िाफहए। रोगी के अस्वस्थ होने पर अनुभव रहा हं की शुभ ग्रह स्स्थसत इत्र्ादी का िूक्ष्म
घबराएं नहीं बस्ल्क तुरंत सिफकत्िक िे िम्पका कर अवलोकन कर के शुभ पररस्स्थसत होने पर फकर्ा गर्ा
उसित ईलाज और परहे ज िे उिके स्वास््र् मं िुधार आपरे शन पूरी तरह िफल होता हं स्जििे रोगी को
हो िकता हं । उि ग्रह स्स्थसत होने पर रोगी के सनस्ित रुप िे स्वास््र् लाभ समलता हं, रोगी को
स्वास््र् के प्रसत लापरवाही त्रबल्कुल भी नहीं करं । त्रवशेष तकलीफ नहीं होती और आपरे शन मं फकिी
प्रकार का व्र्वधान और परे शानी नहीं होती हं ।
त्रप्रर्जन के स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न त्रवशेष नोट: र्फद ग्रहं की त्रवपरीत स्स्थसत हो तो
सिफकत्िक िे समलकर उसित िलाह-मशवरा कर
के इि फदशा मं कदम उठाने िाफहए।
आपरे शन करवाना ठीक रहे गा र्ा नहीं?
कुछ लोगं की जीवन मं अनेकं बार एिी स्स्थसत
आजाती हं की उनका र्ा उनके फकिी त्रप्रर्जन का गणेश लक्ष्मी र्ंि: प्राण-प्रसतत्रष्ठत गणेश लक्ष्मी
स्वास््र् आकस्स्मक रुप िे त्रबगड़ने लगता हं । कुछ र्ंि को अपने घर-दक
ु ान-ओफफि-फैक्टरी मं पूजन स्थान,
बीमारीर्ं का दावाईर्ं और परहे ज िे ठीक होना िंभव हं गल्ला र्ा अलमारी मं स्थात्रपत करने व्र्ापार मं त्रवशेष
लेफकन कुछ बीमारीर्ं मं आपरे शन कराना अत्र्ंत लाभ प्राि होता हं । र्ंि के प्रभाव िे भाग्र् मं उडनसत,
आवश्र्क हो जाता हं । तो लोगो के मन मं प्रश्न उठने मान-प्रसतष्ठा एवं व्र्ापर मं वृत्रद्ध होती हं एवं आसथाक
स्वाभात्रवक होते हं की क्र्ा इि आपरे शन िे बीमारी स्स्थमं िुधार होता हं । गणेश लक्ष्मी र्ंि को स्थात्रपत
पूणत
ा ः ठीक हो जार्ेगी? क्र्ा इि िमर् आपरे शन करने िे भगवान गणेश और दे वी लक्ष्मी का िंर्ुि
करवाना ठीक रहे गा? आशीवााद प्राि होता हं । Rs.550 िे Rs.8200 तक
12 जून 2012
दादाजी के स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न: जाता है । इि सलए प्रश्न कुण्िली मं भी माता के स्वास््र्
ज्र्ोसतष शास्त्रो के अनुशार कुण्िली मं दादाजी फक का त्रविार करते िमर् ितुथा िे षष्ठम भाव अथाात माता
स्स्थसत जानने के सलए ििम भाव का आकलन फकर्ा का रोग स्थान नवम भाव िे दे खा जाता हं । माता का
जाता है । इि सलए प्रश्न कुण्िली मं भी दादाजी के रोग कारक मंगल ग्रह है । इि सलए उि ग्रहं एवं भावं
स्वास््र् का त्रविार करते िमर् ििम िे षष्ठम भाव का िूक्ष्म अवलोकन करके अडर् रोग कार स्स्थसत पत
अथाात दादाजी का रोग स्थान द्वादश भाव िे दे खा जाता त्रवस्तृत जांि कर फकिी सनणार् पर पहूंिे।
ज्र्ोसतष शास्त्रो के अनुशार कुण्िली मं दादीजी फक का त्रविार करते िमर् द्वादश िे षष्ठम भाव अथाात िािा
स्स्थसत जानने के सलए लग्न का आकलन फकर्ा जाता है । का रोग स्थान पिंम भाव िे दे खा जाता हं । िािा का
इि सलए प्रश्न कुण्िली मं भी दादीजी के स्वास््र् का रोग कारक मंगल ग्रह होता है । इि सलए िािा के
त्रविार करते िमर् लग्न िे षष्ठम भाव िे दादाजी का स्वास््र् का त्रविार करते िमर् द्वादश िे षष्ठम भाव मं
रोग दे खा जाता हं । दादीजी का रोग कारक मंगल ग्रह है । शुभ ग्रह स्स्थसत हो और मंगल भी शुभ स्स्थसत मं हो, तो
इि सलए उि ग्रहं एवं भावं का िूक्ष्म अवलोकन करके िािा के स्वास््र् मं तेजी िे िुधार होता है । र्फद उि
अडर् रोग कार स्स्थसत पत त्रवस्तृत जांि कर फकिी ग्रह और भाव पीफित अवस्था मं होने पर िािा को
जाता है । इि सलए प्रश्न कुण्िली मं भी त्रपता के स्वास््र् स्स्थसत जानने के सलए षष्ठम भाव का आकलन फकर्ा
का त्रविार करते िमर् दशम िे षष्ठम भाव अथाात त्रपता जाता है । इि सलए प्रश्न कुण्िली मं भी िािा के स्वास््र्
का रोग स्थान तृतीर् भाव िे दे खा जाता हं । त्रपता का का त्रविार करते िमर् षष्ठम िे षष्ठम भाव अथाात िािी
रोग कारक मंगल ग्रह है । इि सलए उि ग्रहं एवं भावं का रोग स्थान एकादश भाव िे दे खा जाता हं । िािी का
का िूक्ष्म अवलोकन करके अडर् रोग कार स्स्थसत पत रोग कारक मंगल ग्रह होता है । इि सलए िािी के
त्रवस्तृत जांि कर फकिी सनणार् पर पहूंिे। स्वास््र् का त्रविार करते िमर् षष्ठ िे षष्ठम भाव अथाात
एकादश भाव मं शुभ ग्रह स्स्थसत हो और मंगल भी शुभ
स्स्थसत मं हो, तो िािी के स्वास््र् मं तेजी िे िुधार
माता के स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न:
होता है । र्फद उि ग्रह और भाव पीफित अवस्था मं होने
ज्र्ोसतष शास्त्रो के अनुशार कुण्िली मं माता फक
पर िािी को स्वास््र् के िम्बडध मं परे शानी का
स्स्थसत जानने के सलए ितुथा भाव का आकलन फकर्ा
िामना करना पड़ िकता हं ।
13 जून 2012
दग
ु ाा बीिा र्ंि
शास्त्रोोि मत के अनुशार दग
ु ाा बीिा र्ंि दभ
ु ााग्र् को दरू कर व्र्त्रि के िोर्े हुवे भाग्र् को जगाने वाला माना
गर्ा हं । दग
ु ाा बीिा र्ंि द्वारा व्र्त्रि को जीवन मं धन िे िंबंसधत िंस्र्ाओं मं लाभ प्राि होता हं । जो व्र्त्रि
आसथाक िमस्र्ािे परे शान हं, वह व्र्त्रि र्फद नवरािं मं प्राण प्रसतत्रष्ठत फकर्ा गर्ा दग
ु ाा बीिा र्ंि को
स्थासि कर लेता हं , तो उिकी धन, रोजगार एवं व्र्विार् िे िंबंधी िभी िमस्र्ं का शीघ्र ही अंत होने लगता
हं । नवराि के फदनो मं प्राण प्रसतत्रष्ठत दग
ु ाा बीिा र्ंि को अपने घर-दक
ु ान-ओफफि-फैक्टरी मं स्थात्रपत करने
िे त्रवशेष लाभ प्राि होता हं , व्र्त्रि शीघ्र ही अपने व्र्ापार मं वृत्रद्ध एवं अपनी आसथाक स्स्थती मं िुधार होता
दे खंगे। िंपूणा प्राण प्रसतत्रष्ठत एवं पूणा िैतडर् दग
ु ाा बीिा र्ंि को शुभ मुहूता मं अपने घर-दक
ु ान-ओफफि मं
स्थात्रपत करने िे त्रवशेष लाभ प्राि होता हं । मूल्र्: Rs.730 िे Rs.10900 तक
मौिी के स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न: का त्रविार करते िमर् दशम िे षष्ठम भाव अथाात िाि
ज्र्ोसतष शास्त्रो के अनुशार कुण्िली मं मौिी फक का रोग स्थान तृतीर् भाव िे दे खा जाता हं । िाि का
स्स्थसत जानने के सलए षष्ठम भाव का आकलन फकर्ा रोग कारक मंगल ग्रह है । इि सलए उि ग्रहं एवं भावं
जाता है । इि सलए प्रश्न कुण्िली मं भी मौिी के स्वास््र् का िूक्ष्म अवलोकन करके अडर् रोग कार स्स्थसत पत
का त्रविार करते िमर् षष्ठम िे षष्ठम भाव अथाात मौिी त्रवस्तृत जांि कर फकिी सनणार् पर पहूंिे।
का रोग स्थान एकादश भाव िे दे खा जाता हं । मौिी का
ििुर के स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न:
रोग कारक मंगल ग्रह होता है । इि सलए उि ग्रहं एवं
ज्र्ोसतष शास्त्रो के अनुशार कुण्िली मं ििुर फक
भावं का िूक्ष्म अवलोकन करके अडर् रोग कार स्स्थसत
स्स्थसत जानने के सलए ितुथा भाव का आकलन फकर्ा
पत त्रवस्तृत जांि कर फकिी सनणार् पर पहूंिे।
जाता है । इि सलए प्रश्न कुण्िली मं भी ििुर के स्वास््र्
का त्रविार करते िमर् ितुथा िे षष्ठम भाव अथाात ििुर
फूफा के स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न:
का रोग स्थान नवम भाव िे दे खा जाता हं । ििुर का
ज्र्ोसतष शास्त्रो के अनुशार कुण्िली मं फूफा फक रोग कारक मंगल ग्रह है । इि सलए उि ग्रहं एवं भावं
स्स्थसत जानने के सलए षष्ठम भाव का आकलन फकर्ा का िूक्ष्म अवलोकन करके अडर् रोग कार स्स्थसत पत
जाता है । इि सलए प्रश्न कुण्िली मं भी फूफा के स्वास््र् त्रवस्तृत जांि कर फकिी सनणार् पर पहूंिे।
का त्रविार करते िमर् षष्ठम िे षष्ठम भाव अथाात फूफा
का रोग स्थान एकादश भाव िे दे खा जाता हं । फूफा का ताऊ के स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न:
रोग कारक मंगल ग्रह होता है । इि सलए उि ग्रहं एवं ज्र्ोसतष शास्त्रो के अनुशार कुण्िली मं ताऊ फक
भावं का िूक्ष्म अवलोकन करके अडर् रोग कार स्स्थसत स्स्थसत जानने के सलए अष्टम भाव का आकलन फकर्ा
पत त्रवस्तृत जांि कर फकिी सनणार् पर पहूंिे। जाता है । इि सलए प्रश्न कुण्िली मं भी ताऊ के स्वास््र्
का त्रविार करते िमर् अष्टम िे षष्ठम भाव अथाात ताऊ
का रोग स्थान लग्न िे दे खा जाता हं । ताऊ का रोग
बुआ के स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न:
कारक मंगल ग्रह है । इि सलए उि ग्रहं एवं भावं का
ज्र्ोसतष शास्त्रो के अनुशार कुण्िली मं बुआ फक
िूक्ष्म अवलोकन करके अडर् रोग कार स्स्थसत पत
स्स्थसत जानने के सलए द्वादश भाव का आकलन फकर्ा
त्रवस्तृत जांि कर फकिी सनणार् पर पहूंिे।
जाता है । इि सलए प्रश्न कुण्िली मं भी बुआ के स्वास््र्
का त्रविार करते िमर् द्वादश िे षष्ठम भाव अथाात बुआ
ताई के स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न:
का रोग स्थान पिंम भाव िे दे खा जाता हं । बुआ का
ज्र्ोसतष शास्त्रो के अनुशार कुण्िली मं ताई फक
रोग कारक मंगल ग्रह होता है । इि सलए उि ग्रहं एवं
स्स्थसत जानने के सलए फद्वतीर् भाव का आकलन फकर्ा
भावं का िूक्ष्म अवलोकन करके अडर् रोग कार स्स्थसत
जाता है । इि सलए प्रश्न कुण्िली मं भी ताई के स्वास््र्
पत त्रवस्तृत जांि कर फकिी सनणार् पर पहूंिे।
का त्रविार करते िमर् फद्वतीर् िे षष्ठम भाव अथाात ताई
िाि के स्वास््र् िम्बस्डधत प्रश्न: का रोग स्थान ििम भाव िे दे खा जाता हं । ताई का
ज्र्ोसतष शास्त्रो के अनुशार कुण्िली मं िाि फक रोग कारक मंगल ग्रह है । इि सलए उि ग्रहं एवं भावं
स्स्थसत जानने के सलए दशम भाव का आकलन फकर्ा का िूक्ष्म अवलोकन करके अडर् रोग कार स्स्थसत पत
जाता है । इि सलए प्रश्न कुण्िली मं भी िाि के स्वास््र् त्रवस्तृत जांि कर फकिी सनणार् पर पहूंिे।
16 जून 2012
मत सभडन हं उडहं ने मंगल को अशुभ ग्रह माना हं व्र्त्रि की आिाध्र् रोग के कारण मृत्र्ु भी िंभव
और उनका तो र्हां तक कहना हं की मंगल शुभ हो होती हं । भारतीर् ज्र्ोसतष के अडर् सिद्धाडत के
र्ा अशुभ िाहे फकिी भी स्थान मं बैठा हो वह उि अनुशार र्फद फकिी एक त्रिकभाव का स्वामी दि
ू रे
स्थान का नाश करता हं । उनके मत िे र्फह कारण त्रिकभाव भाव मं स्स्थत हो तो र्ह स्स्थसत त्रवपरीत
हं छठे भाव मं मंगल िे रोग उत्पडन होने के पीछे ! राजर्ोग बनाती हं ।
अडर् एक मत िे िमझेतो ज्र्ोसतषी सिद्धाडत के उि सिद्धाडत के अनुिार र्फद छठे भाव का स्वामी
अनुशार त्रिकभाव अथाात 6,8,12 वं भाव मं फकिी अष्टम भाव मं स्स्थत हो, तो र्ह स्स्थसत रोग िे मुत्रि
ग्रह के स्स्थत होने िे वह ग्रह के स्वामीत्व वाले भाव का िंकेत दे ती हं अथाात इि स्स्थसत मं व्र्त्रि को
की हासन करता हं । िरल भाषा मं िमझे तो त्रिकभाव स्वास््र् लाभ प्राि समलता हं ।
अथाात 6,8,12 वं भाव मं स्जि भाव का स्वामी िला इिी प्रकार र्फद अष्टम भाव का स्वामी द्वादश भाव मं
जाता है उि भाव की हासन होती हं । स्स्थत हो, तो र्ह स्स्थसत व्र्त्रि की आर्ु को बढ़ाने
जडम कुंण्िली र्ा प्रश्न कुंण्िली मं रोग भाव का िूक्ष्म वाली होती हं अथाात व्र्त्रि फदधाार्ु को प्राि होता हं ।
अध्र्र्न करना असत आवश्र्क होता हं । इि सलए कुछ अडर् ज्र्ोसतषी का मत इििे सभडन हं , उनका
ग्रहं के असतररि नक्षि भी रोग की स्स्थसत दशााने मं मानना हं की िूर्ा और िडद्र को छोड़ कर िभी ग्रह
महत्वपूणा भूसमका सनभाते हं । दो-दो रासशर्ं के स्वामी होते हं ।
र्फद लग्न और लग्नेश तथा छठे भाव और षष्ठेश का इि कारण र्फद अडर् ग्रहो की एक रासश त्रिकभाव मं
राहू के स्वामीत्व नक्षि आदाा, स्वासत और शतसभषा पड़ती हो, और दि
ू री रासश त्रिक स्थान िे बाहर पड़ती
तथा केतु के स्वामीत्व वाले नक्षि अश्वनी, मघा, मूल हो, तो इििे त्रवपरीतराजर्ोग बनता हं ।
प्रभात्रवत करं , अथाात त्रिकभाव अथाात 6,8,12 भाव त्रवपरीत राजर्ोग होने िे भी स्जि भाव मं ग्रह की
एवं ग्रहं का उि नक्षिं िे फकिी भी प्रकार िे दि
ू री रासश होती है उि भावकी हासन हो जाती हं ।
िम्बडध होने पर व्र्त्रि गंभीर रोग अथवा अिाध्र् इि सलए जडम कुण्िली र्ा प्रश्न कुण्िली का
रोग जैिे की मधुमेह (शुगर), कंिर, एड्ि इत्र्ादी िे अवलोकन करते िमर् रोग के िम्बडध मं अत्र्डत
पीफड़त होता हं । िूक्ष्म अवलोकन करके ही फलादे श करना िाफहए
कुछ जानकारं का र्हां तक मानना हं की र्फद लग्न उसित होता हं ।
और लग्नेश पीफड़त अथवा कमजोर स्स्थसत मं हं तो ***
?
सनधााररत होती हं । ज्र्ोसतष मं पंिम भाव को त्रिकोण स्थान भी कहा जाता हं ।
पंिम भाव को ज्र्ोसतष मं बहुत ही शुभ माना गर्ा है । जातक के सशक्षा िे
िम्बडध मं भी त्रविार पंिम भाव िे ही फकर्ा जाता हं । इि सलए प्रश्न ज्र्ोसतष
र्ा प्रश्न कुंिली िे सशक्षाका आंकलन करने हे तु भी पंिम भाव ही प्रमुख माना
गर्ा हं ।
प्रश्न कुंिली मं लग्न, लग्नेश, पंिम भाव, पंिमेश, बुध और बृहस्पसत र्फद शुभ ग्रहो के िाथ हो र्ा शुभ ग्रहो िे
द्रष्ट हो तो सशक्षा के िंबंसधत कार्ो मं बड़ी िफलता अवश्र् समलती हं ।
प्रश्न कुंिली मं लग्न, लग्नेश, पंिम भाव, पंिमेश, बुध और बृहस्पसत र्फद कमजोर स्स्थसत मं हं र्ा र्ा अशुभ
ग्रहो िे र्ुि र्ा द्रष्टी के कारण पीफित हो, तो सशक्षा िंबंसधत कार्ो मं रूकावटं का िामना करना पि िकता हं ।
प्रश्न कुंिली का त्रवश्लेषण करते िमर् अडर् शुभ , अशुभ ग्रहं का दृत्रष्ट र्ा र्ुसत िंबंध एवं िंबंसधत ग्रह के समि
एवं शिु ग्रहो का उनपर प्रभाव दे खना भी असत आवश्र्क होता हं ।
नोट: ज्र्ोसतष शास्त्रोो के अनुशार लग्न के िाथ मं भाव कारक भी बदल जाते हं । इि सलए प्रश्न कुंिली का त्रवश्लेषण
िावधानी िे करना उसित रहता हं । त्रवद्वानो के अनुशार प्रश्न कुंिली का त्रवश्लेषण करते िमर् िंबसं धत भाव एवं भाव के
स्वामी ग्रह अथाातः भावेश एवं भाव के कारक ग्रह को ध्र्ान मं रखते हुए आंकलन कर फकर्ा गर्ा त्रवश्लेषण स्पष्ट होता
हं । प्रश्न कुंिली का फलादे श करते िमर् हर छोटी छोटी बातं का ख्र्ाल रखना आवश्र्क होता हं अडर्था त्रवश्लेषण
फकर्े गर्े प्रश्न का उत्तर स्स्टक नहीं होता।
प्रश्न कुंिली मं शैक्षस्णक स्स्थसत जानने हे तु कुण्िली मं हो तो र्फद मंगल उपर्ुि रासश और ग्रहो के प्रभाव मं
पंिम भाव का त्रवश्लेषण फकर्ा जाता है । पंिम भाव स्स्थत हो तो र्ह व्र्त्रि को अत्र्ासधक भाग्र्शाली
के कारक ग्रह बृहस्पसत जो व्र्त्रि की सशक्षा मं बनाता हं । र्फद मंगल अशुभ स्स्थती मं कमज़ोर अवस्था
महत्वपूणा स्थान रखते हं । इिसलए पंिम भाव, मं होतो र्ह व्र्त्रि को त्रवद्याअध्र्र्न मं त्रवसभडन तरह
पंिमेश तथा बृहस्पसत शुभ स्स्थसत मं हो और इन की िमस्र्ाएं िंभव हं । पंिम मंगल होने पर र्ह व्र्त्रि
िबका लग्न और लग्नेश िे शुभ िम्बडध स्थात्रपत का रुझान सिफकत्िा, रिार्न, इं जीसनर्ररं ग इत्र्ाफद क्षेि
बनाती हं । कोर्ोफकं पंिम भाव मं गुरु असत शुभ प्रभाव प्रेररत करती हं । स्जि कारण व्र्त्रि दशानशास्त्रो, त्रवदे शी
दे ता हं । र्फद वृहस्पसत शुभ ग्रहो के प्रभाव मं हो तो भाषा एवं तकनीफक त्रवषर्ं के अध्र्र्न मं सनपूणा हो
सशक्षा उत्तम रहती हं । इििे त्रवपररत र्फद वृहस्पसत अशुभ िकता हं ।
ग्रहो के प्रभाव मं हो तो सशक्षा के त्रवषर् मं असधक भाग्र्
शाली नहीं बनाता हं । राहू पंिम भाव मं
र्फद प्रश्न कुंिली मं पंिम भाव मं राहू स्स्थत हो तो, र्ह
शुक्र पंिम भाव मं स्स्थती सशक्षा प्रासि के सलए उपर्ुि नहीं मानी जाती हं ।
र्फद प्रश्न कुंिली मं पंिम भाव मं शुक्र ग्रह स्स्थत हो, तो इि ग्रह स्स्थती के कारण व्र्त्रि की त्रवद्या प्रासि मं
व्र्त्रि फक रुसि मनोरं जन र्ा रिनात्मक सशक्षा के क्षेि मं त्रवघ्न-बाधाएं उत्पडन हो िकती हं । पंिम राहू गूढ़
असधक होती हं । पंिम भाव मं शुक्र प्रेम िंबंधो के कारण रहस्र्मर् त्रवषर्ं जैिे मंि, तंि इत्र्ाफद की सशक्षा हे तु
सशक्षा मं अवरोध र्ा बाधा का कारण भी बन िकता हं । प्रेररत करता हं । र्फद कोई शुभ ग्रह पंिम भाव मं स्स्थत
अतः पंिम भाव मं शुक्र स्स्थत होने वाले व्र्त्रि को हो र्ा फकिी शुभ ग्रह की दृत्रष्ट पंिम भाव हो, तो
सशक्षा अद्यर्न के दौरान असत ििेत और िावधान रहना पररस्स्थती मं पररवतान िंभव हं ।
िाफहए। र्फद शुक्र पर फकिी शुभ ग्रह का प्रभाव असधक
न हो और पाप ग्रहो का प्रभाव असधक हो तो व्र्त्रि को केतु पंिम भाव मं
प्रेम प्रिंग के कारण उन पर जुठे आरोप लग िकते हं र्फद प्रश्न कुंिली मं पंिम भाव मं केतु स्स्थत हो तो,
स्जि कारण सशक्षा मं अवरोध एवं िमाज मं बदनामी िे व्र्त्रि को मन लगाकर अपनी पढा़ई करनी असत
िम्मुस्खन होना पड़ िकता हं । आवश्र्क होती हं । अडर्था मन भटकने की िंभावनाएं
असधक प्रबल रहती हं । कोर्ोफक पंिम केतु होने पर
शसन पंिम भाव मं सशक्षा के क्षेि मं जो भी पररणाम आएगा वह केवल
र्फद प्रश्न कुंिली मं पंिम भाव मं शसन स्स्थत हो तो, र्ह व्र्त्रि की मेहनत व लगन पर ही सनभार होगा।
स्स्थती व्र्त्रि को रहस्र्मर्ी त्रवषर्ं मं रूसि लेने हे तु ***
श्री र्ंि
गुरुत्व कार्ाालर् मं पूणा प्राण-प्रसतत्रष्ठत एवं पूणा िैतडर् र्ुि "श्री र्ंि" 500 ग्राम, 750 ग्राम, 1000 ग्राम
और 1250 ग्राम, 2250 ग्राम िाईज़ मं केवल सलसमटे ि स्टॉक उपलब्ध हं । श्री र्ंि के िंबंध मं असधक
जानकारी के सलए कार्ाालर् मं िंपका करं ।
र्फद त्रवदे श जाने के र्ोग बलवान हो लेफकन सशक्षा रासश मं स्स्थत हो तो, इि र्ोग िे व्र्त्रि उच्ि उच्ि
प्रासि के र्ोग कम बलवान हो, तो त्रवदे श मं सशक्षा सशक्षा प्राि करने मं िफल रहते हं ।
प्रासि की िंभावना बहुत ही कम हो जाती हं । एिी र्फद र्फद प्रश्न कुण्िली मं उपरोि भाव एवं ग्रह
स्स्थसत मं त्रवदे श मं सशक्षा प्राि करने मं ग्रहं की कमजोर स्स्थसत मं हं तथा इन पर पाप ग्रहं का
बाध्र्ता व्र्त्रि को परे शान कर िकती हं । इिसलए प्रभाव हो तो व्र्त्रि को, सशक्षा के क्षेि मं त्रवसभडन
व्र्त्रि के सलए र्ही अच्छा रहे गा की वह स्वदे श मं बाधाओं का िामना करना पड़ िकता है ।
रहकर ही उच्ि सशक्षा प्राि करने का प्रर्ाि करं , स्जि प्रकार ज्र्ोसतष मं सशक्षा के सलए पंिम भाव को
स्जििे उिे सनस्ित िफलता समल िकती है । दे खा जाता है, और पंिम भाव का कारक बृहस्पसत
र्फद प्रश्न कुण्िली मं उपरोि स्स्थसत असधक बलवान भी महत्वपूणा स्थान होता है , उिी प्रकार सशक्षा की
नहीं हो, तो त्रवदे श मं सशक्षा प्रासि का र्ोग प्रबल नहीं पूणत
ा ा के सलए लग्न और लग्नेश का बलवान होना
बनता हं । र्फद बनता भी हं तो अल्प िमर् के सलर्े भी असत आवश्र्क है ।
र्ा सशक्षा अधूरी रह जाती हं । र्फद प्रश्न कुण्िली मं पंिम भाव, पंिमेश तथा
र्फद त्रवदे श मं सशक्षा के कारक ग्रह शुभ स्थान मं बृहस्पसत शुभ स्स्थसत मं हो, तथा इनका लग्न र्ा
बलवान स्स्थती मं हो, अशुभ ग्रहो का प्रभाव उन पर लग्नेश िे शुभ िम्बडध स्थात्रपत हो तो व्र्त्रि को
और िंबंसधत भाव नहीं हो और प्रश्न कुण्िली मं सशक्षा सनस्ित रुप िे उच्ि स्तर की सशक्षा प्राि होती है ।
के र्ोग भी उत्तम हो, तो व्र्त्रि उच्ि स्तर की सशक्षा उपरोि भाव एवं ग्रह कमजोर स्स्थसत मं हं तथा इन
प्राि करने मं िफल रहते हं । व्र्त्रि के सलए त्रवदे श पर पापी ग्रहं का प्रभाव हो तो व्र्त्रि को सशक्षा के
जाकर उच्ि स्तरीर् सशक्षा प्राि करना िफल होगा, क्षेि मं बाधाओं का िामना करना पड़ता है ।
र्फद त्रवदे श मं सशक्षा प्रासि के मागा मं अगर बाधाएं
भी आएंगी तो, व्र्त्रि की इच्छा पूसता के सलए ईश्वर नौकरी करते हुए सशक्षा प्रासि के र्ोग
िे भी िहाता समलने के पूरे र्ोग बनंगे। इिसलए नौकरी करते हुए सशक्षा पूरी करने के र्ोग जानने के
प्रर्ािरत रह कर अपने लक्ष्र् को ध्र्ान मं रखते हुए सलए प्रश्न कुण्िली मं लग्न, पंिम भाव, दशम भाव
आगे बढ़ते रहे । का िूक्ष्म सनररक्षण करना आवश्र्क होता हं ।
र्फद मं प्रश्न कुण्िली मं लग्न, पंिम भाव, दशम भाव
उच्ि स्तरीर् सशक्षा प्रासि के र्ोग मं कोई ग्रह उच्ि रासश का होकर स्स्थत हो, तो इि
र्फद प्रश्न कुण्िली मं िडद्रमा एकादश भाव मं स्स्थत ग्रह स्स्थसत के कारण व्र्त्रि को नौकरी करते हुए
होकर पंिम भाव को ििम दृस्श्ट दे ख रहा हं, उिे सशक्षा पूरी करने मं िफलता समल िकती हं ।
बल प्रदान कर रहा हो तो, र्ह ग्रह स्स्थती सशक्षा के पंिम भाव को सशक्षा का घर कहा जाता है इिसलए
क्षेि मं बहुत ही अच्छी स्स्थसत है । इि र्ोग िे व्र्त्रि सशक्षा का त्रविार पंिम भाव िे फकर्ा जाता है । व्र्त्रि
को उच्ि स्तरीर् सशक्षा प्राि होने के पूणा र्ोग बनते की सशक्षा कैिी होगी र्ह पंिम भाव के कारक
हं । बृहस्पसत की स्स्थसत िे ज्ञात फकर्ा जाता हं , नौकरी
र्फद प्रश्न कुण्िली मं लगन, लग्नेश, पंिम भाव र्ा के सलए दशम भाव को दे खा जाता है । इि सलए
पंिमेश मं िे फकिी भी कोई एक ग्रह अपनी उच्ि पंिम भाव, पंिमेश, दशम भाव, दशमेश एवं बृहस्पसत
शुभ स्स्थसत मं हो और इनका लग्न र्ा लग्नेश िे
23 जून 2012
शुभ िम्बडध हो, तो नौकरी करते हुए भी व्र्त्रि की र्ोग के शुभ प्रभाव िे व्र्त्रि त्रवदे शी भाषा का ज्ञान
सशक्षा का स्तर उच्ि होटी का होता हं । प्राि करने मं िफल रहते हं ।
र्फद नौकरी करते हुए सशक्षा प्रासि हे तु कारक ग्रह र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्न व पंिम भाव मं ग्रह उच्ि
और भाव पाप प्रभाव मं होतो नौकरी करते हुए सशक्षा रासश का होकर स्स्थत हो, तो व्र्त्रि को त्रवदे शी भाषा
प्रासि मं उत्तम पररणाम समलने के र्ोग अनुकूल नहीं प्राि हो िकता हं ।
माने जा िकते। एिी स्स्थती मं सशक्षा के मागा मं र्फद प्रश्न कुण्िली मं उपरोि भाव एवं ग्रह कमजोर
बाधाएं बाधाएं उत्पडन हो िकती हं , क्र्ंफक कुण्िली स्स्थसत मं हो, तो व्र्त्रि की त्रवदे शी भाषा िीखने की
मं स्स्थत ग्रहं की स्स्थसत अच्छी नहीं हं । ग्रहं के इच्छा अधूरी रहती हं र्ा कई प्रकार की कफठनाईर्ं
अशुभ स्स्थसत मं होने िे सशक्षा के मागा मं कई प्रकार और कष्ट िे व्र्त्रि त्रवदे शी भाषा अधूरी ही िीख पाता
की परे शासनर्ां आिकती हं । स्जिके कारण व्र्त्रि को हं ।
सशक्षा अथवा नौकरी के बीि मं फकिी एक का िुनाव र्फद प्रश्न कुण्िली मं िडद्रमा पंिम भाव को ििम
करना पड़ िकता हं । एिे व्र्त्रि के सलए नौकरी दृत्रष्ट िे दे खकर उिे बल प्रदान कर रहा हो, तो र्ह
करते हुए सशक्षा पूरी कर पाना कफठन हो िकता हं । र्ोग व्र्त्रि को त्रवदे शी भाषा का ज्ञान प्राि करने मं
प्रश्न कुण्िली मं िडद्रमा पंिम भाव र्ा दशम भावको त्रवशेष रुप िे िहार्क सिद्ध हो िकता हं ।
ििम दृस्श्ट िे दे खकर उिे बल प्रदान कर रहा हो,
तो शुभ प्रभाव के कारण नौकरी करते हुए सशक्षा पूरी परीक्षा मं िफलता प्रासि के र्ोग
करने मं व्र्त्रि िफल होता है ।
परीक्षा मं िफल प्राि होगी र्ा नहीं इि का त्रविार
र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश, पंिमेश और दशमेश का
पंिम भाव िे फकर्ा जाता है । परीक्षा मं िफल के
आपि मे शुभ िम्बडध हो तो व्र्त्रि नौकरी करते
सलए सशक्षा के कारक ग्रह बुध और बृहस्पसत फक
हुए अपनी सशक्षा पूरी करने मं िफल होता हं ।
स्स्थती अत्र्ासधक महत्वपूणा होती हं ।
र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्न, लग्नेश,पंिम भाव और
त्रवदे शी भाषा की सशक्षा प्रासि के र्ोग
पंिमेश तथा कारक बुध एवं बृहस्पसत बलवान स्स्थसत
स्जि प्रकार कुण्िली मं पंिम भाव िे सशक्षा िे
मं हो, तो व्र्त्रि को परीक्षा मं िफलता समलती हं ।
िम्बस्डधत त्रविार फकर्ा जाता हं और ज्र्ोसतष मं
र्फद उपरोि भाव एवं ग्रह की स्स्थती इििे त्रवपरीत
शसन, राहू और केतु को त्रवदे शी भाषा के कारक ग्रह
माने जाते हं । हो, तो व्र्त्रि को परीक्षा मं अिफलता समलने की
र्फद प्रश्न कुण्िली मं त्रवदे शी भाषा के कारक ग्रह िंभावना आसधक रहती है । एिी अवस्था मं हताशा,
शसन, राहू और केतु का पंिम भाव र्ा पंिमेश अथवा सनराशा, लापरवाही और िंिलता को त्र्ागकर पररक्षा
लग्न र्ा लग्नेश िे शुभ िम्बडध हो, तो व्र्त्रि को मं िफलता के सलए व्र्त्रि को कफठन परीश्रम करना
सनस्ित रुप िे त्रवदे शी भाषा िीखने मं िफलता प्राि होगा।
होती हं । र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश और पंिमेश अपनी उच्ि
र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश व पंिमेश का उच्ि रासश रासश मं स्स्थत हो, तो परीक्षा मं िफलता समलने के
मं र्ा दोनो के आपि मं शुभ िम्बडध हो, तो इि र्ोग उत्तम रहते हं ।
24 जून 2012
र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश और पंिमेश पर कमज़ोर र्फद प्रश्न कुण्िली मं उपरोि भाव व ग्रह कमजोर
अथवा पीफड़त ग्रहं का प्रभाव पड़ रहा है तो प्रसतकूल स्स्थसत मं हं तथा इन पर पापी ग्रहं का प्रभाव हो
पररणाम िंभव है । तो सशक्षा िम्बडधी कारोबार मं िफलता समलने की
र्फद प्रश्न कुण्िली मं िडद्रमा एकादश भाव मं स्स्थत िंभावना असधक प्रबल नहीं होती है ।
हो कर पंिम भाव को ििम दृत्रष्ट िे दे खकर बल र्फद प्रश्न कुण्िली मं िडद्रमा पंिम भाव र्ा ििम
प्रदान कर रहा हो, तो व्र्िो को परीक्षा मं िफलता भाव को भाव को ििम दृत्रष्ट िे दे ख रहा हो और उिे
समल ती हं । प्रदान कर रहा हो, तो शुभ ग्रह स्स्थसत िे सशक्षा
र्फद प्रश्न कुण्िली मं िभी कारक ग्रह एवं भाव शुभ िम्बडधी कारोबार मं व्र्त्रि िफलता के आिमान को
स्स्थसत मं और बलवान स्स्थसत मं हो तो व्र्त्रि को छूता हं ।
उच्ि श्रेणी की िफलता र्ा उच्ि क्रमांक की प्रासि र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश, पंिमेश और ििमेश
होने के प्रबल र्ोग बनते हं । अपनी उच्ि रासश मं स्स्थत हो, तो सशक्षा िम्बडधी
सशक्षा िम्बडधी कारोबार िफलता प्रासि के र्ोग कारोबार करने िे व्र्त्रि को अत्र्ासधक लाभ की
मं िफलता के सलए पंिम भाव पंिम भाव का कारक र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्न, पंिम और ििम भाव मं
बृहस्पसत की स्स्थसत को दे खा जाता है और व्र्विार् ग्रह उच्ि रासश मं स्स्थत हो, तो सशक्षा िम्बडधी
के सलए ििम भाव को दे खा जाता है । इि के अलावा कारोबार करने िे व्र्त्रि को त्रवशेष लाभ की प्रासि के
लग्न/लग्नेश का बलवान होना भी आवश्र्क होता है । र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश, पंिमेश और ििमेश का
र्फद प्रश्न कुण्िली पंिम भाव, पंिमेश, ििम भाव, आपि मं शुभ िम्बडध हो, तो सशक्षा िम्बडधी
ििमेश एवं बृहस्पसत शुभ स्स्थसत मं हो और उनका करोबार करने पर व्र्त्रि को त्रवशेष िफलता समलने
िरस्वती कवि : मूल्र्: 460 और 550 िरस्वती र्ंि :मूल्र् : 370 िे 1900 तक
GURUTVA KARYALAY
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA)
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25 जून 2012
प्रश्न ज्र्ोसतष के अनुशार छोटी दरू ी की र्ािाओं का उत्तम लाभ प्रदान करती है ।
असत आवश्र्क नहीं हो तो व्र्त्रि को हवाई जहाज िे स्स्थत हो तो र्ह स्स्थसत असत उत्तम लाभ प्रासि का
र्ािा करने का त्रविार ग्रह स्स्थसत िुधरने तक त्र्ाग िंकेत दे ती हं ।
दे ना िाफहए। प्रश्न कुण्िली मं एकादश भाव, एकादशेश, लग्न,
लग्नेश का आपि मं शुभ िम्बडध बन रहा हो और
जलर्ािा के र्ोग ग्रहो का प्रभाव भी शुभ हो तो व्र्त्रि को र्ािा मं
प्रश्न कुण्िली मं जलर्ािा िे िम्बस्डधत त्रविार अष्टम अवश्र् लाभ की प्रासि होती हं ।
भाव िे फकर्ा जाता हं । ज्र्ोसतष मं जलर्ािा का प्रश्न कुण्िली मं एकादश भाव, एकादशेश, लग्न,
कारक ग्रह िडद्रमा होता हं । लग्नेश आशुभ ग्रहं के प्रभाव मं हो तो व्र्त्रि को
र्फद कुण्िली मं लग्न, लग्नेश, अष्टम भाव, अष्टमेश र्ािा मं त्रवशेष लाभ की प्रासि नहीं होती हं ।
और िडद्रमा शुभ होकर बलवान स्स्थसत मं हो तो प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश व एकादशेश का आपि मं
व्र्त्रि फक सलए जलर्ािा सनस्ितरुप िे लाभकारी शुभ िम्बडध स्थात्रपत हो रहा तो व्र्त्रि के सलए
रहती है । र्ािा लाभप्रद ही होती हं ।
र्फद कुण्िली मं लग्न, लग्नेश, अष्टम भाव, अष्टमेश प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश व एकादशेश अपनी उच्ि
और िडद्रमा अशुभ होकर पाप ग्रहो के प्रभाव मं हो रासश का होकर स्स्थत हो तो व्र्त्रि के सलए र्ािा
तो व्र्त्रि फक सलए जलर्ािा त्रवशेष लाभकारी नहीं लाभप्रद ही होती हं ।
रहती है । प्रश्न कुण्िली के लग्न र्ा एकादश भाव मं ग्रह अपनी
र्फद कुण्िली मं लग्नेश, अष्टमेश अपनी उच्ि रासश मं उच्ि रासश का होकर स्स्थत हो तो व्र्त्रि के सलए
स्स्थत हो और अडर् ग्रह स्स्थसत अनुकूल हो तो र्ािा लाभप्रद ही होती हं ।
व्र्त्रि के सलए जलर्ािा लाभप्रद होती हं । प्रश्न कुण्िली मं िडद्रमा पंिम भाव मं स्स्थत हो और
र्फद कुण्िली के लग्न र्ा अष्टम भाव मं ग्रह अपनी एकादश भाव को ििम दृत्रष्ट िे दे ख कर उिे बल
उच्ि रासश मं स्स्थत हो एवं अडर् ग्रह स्स्थसत प्रदान कर रहा हो तो र्ािा मं व्र्त्रि को सनस्ित रुप
अनुकूल हो तो व्र्त्रि के सलए जलर्ािा लाभप्रद होती िे लाभ प्राि होने के प्रबल र्ोग बनते हं ।
हं ।
र्फद कुण्िली मं िडद्रमा फद्वतीर् भाव मं स्स्थत होकर त्रवदे श र्ािा
अष्टम भाव को ििम दृस्श्ट िे दे खकर बल प्रदान प्रश्न कुण्िली मं त्रवदे श का त्रविार नवम भाव िे फकर्ा
कर रहा हो तो व्र्त्रि के सलए जलर्ािा लाभदार्क जाता हं ।
रहती हं । र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्न र्ा लग्नेश व ितुथा भाव
र्ा ितुथेश का िम्बडध नवम भाव िे होता हं तो
र्ािा मं लाभ के र्ोग व्र्त्रि को त्रवदे श र्ािा का अविर अवश्र् प्राि होता
प्रश्न कुण्िली मं र्ािा के दौरान लाभ होगा र्ा नहीं हं ।
इििे िम्बस्डधत त्रविार एकादश भाव िे फकर्ा जाता र्फद लग्न र्ा ितुथा भाव मं िर रासश (मेष , कका,
हं । िर लग्न हं तो र्ह र्ोग र्ािा के सलए असत तुला, मकर) हं तो व्र्त्रि जीवन मं त्रवदे श र्ािा
उत्तम होता हं और लग्नेश भी र्फद िर रासश मं अवश्र् करता हं ।
27 जून 2012
र्फद प्रश्न कुण्िली के लग्न र्ा ितुथा भाव मं िर बलवान होता हं और त्रववाह के पिर्ात व्र्त्रि के
रासश (मेष, कका, तुला, मकर) हो और उि पर त्रवदे श मं सनवाि करने के र्ोग बनते हं ।
िडद्रमा की दृत्रष्ट हो तो व्र्त्रि के जीवन मं त्रवदे श र्फद प्रश्न कुण्िली के लग्नेश र्ा द्वादशेश अपनी नीि
र्ािा का मौका शीघ्र आता है । रासश मं स्स्थत हो र्ा अशुभ ग्रहो के प्रभाव मं हो तो
र्फद प्रश्न कुण्िली मं त्रवदे श र्ािा िे िम्बस्डधत ग्रह व्र्त्रि के त्रवदे श मं सनवार करने के ख्वाब अधूरे रह
एवं भाव पाप प्रभाव मं हो और शुभ ग्रहो के प्रभाव जाते हं र्ा त्रवदे श मं व्र्त्रि को कई मुस्श्कलं का
िे वस्डित हो तो व्र्त्रि को त्रवदे श र्ािा जाने मं कई िामना करना पड़ िकता है
बाधाएं आएंगी स्जिके कारण उिका ख्वाब अधूरा रह
िरकारी र्ािा
िकता हं ।
प्रश्न कुण्िली मं िरकारी क्षेि का त्रविार दशम भाव िे
र्फद प्रश्न कुण्िली मं िडद्रमा तृतीर् भाव िे नवम
फकर्ा जाता हं । िूर्ा को िरकारी क्षेि का कारक ग्रह
भाव को ििम दृत्रष्ट िे दे ख कर उिे बल प्रदान कर
माना जाता हं । र्ािा का त्रविार नवम भाव िे फकर्ा
रहा हो तो व्र्त्रि के जीवन मं त्रवदे श र्ािा का मौका
जाता हं । िरकारी र्ािा का त्रविार करते िमर् लग्न
जल्द प्राि होता है ।
र्ा लग्नेश का बलवान होने असत आवश्र्क होता हं
र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश र्ा नवमेश अपनी उच्ि
अडर्था व्र्त्रि को िरकारी र्ािा मं त्रवशेष लाभ की
रासश मं स्स्थत हो तो व्र्त्रि असधक भाग्र्वान हो
प्रासि होने मं िंदेह रहता हं र्ा लाभ की प्रासि नहीं
जाता हं , स्जििे व्र्त्रि को जीवन मं त्रवदे श र्ािा का
होती।
अविर अवश्र् समलता हं ।
र्फद प्रश्न कुण्िली मं नवम भाव और दशम भाव का
र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश एवं नवमेश का आपि
र्ुसत र्ा दृत्रष्ट िंबंध हो तो व्र्त्रि को िरकारी र्ािा
मं शुभ िम्बडध हो तो व्र्त्रि के त्रवदे श र्ािा पर
िे सनस्ित लाभ समलने के र्ोग बनते हं ।
जाने के र्ोग सनस्ित रुप िे बनते हं ।
र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश उच्ि रासश मं स्स्थत हो
र्फद प्रश्न कुण्िली के लग्न एवं नवम भाव मं ग्रह
र्ा लग्न मं कोई ग्रह उच्ि रासश का स्स्थत हो तो
अपनी उच्ि रासश का होकर स्स्थत हो तो व्र्त्रि के
व्र्त्रि को िरकारी र्ािा मं लाभ प्राि हो िकता हं ।
त्रवदे श र्ािा पर जाने के र्ोग सनस्ित रुप िे बनते
र्फद प्रश्न कुण्िली मं िडद्रमा ितुथा स्थान मं स्स्थत
हं ।
होकर दशम भाव को ििम दृत्रष्ट िे दे ख कर बल
त्रवदे श मं सनवाि
प्रदान कर रहा हो तो िरकारी र्ािा लाभदार्क सिद्ध
र्फद प्रश्न कुण्िली के लग्नेश र्ा द्वादशेश अपनी उच्ि
हो िकती हं ।
रासश मं स्स्थत हो तो व्र्त्रि का भाव्र् असधक
कवि के प्रमुख लाभ: िवा कार्ा सित्रद्ध कवि के द्वारा िुख िमृत्रद्ध और नवग्रहं के नकारात्मक प्रभाव को
शांत कर धारण करता व्र्त्रि के जीवन िे िवा प्रकार के द:ु ख-दाररद्र का नाश हो कर िुख-िौभाग्र् एवं
उडनसत प्रासि होकर जीवन मे िसभ प्रकार के शुभ कार्ा सिद्ध होते हं । स्जिे धारण करने िे व्र्त्रि र्फद
व्र्विार् करता होतो कारोबार मे वृत्रद्ध होसत हं और र्फद नौकरी करता होतो उिमे उडनसत होती हं ।
िवा कार्ा सित्रद्ध कवि के िाथ मं िवाजन वशीकरण कवि के समले होने की वजह िे धारण करता
की बात का दि
ू रे व्र्त्रिओ पर प्रभाव बना रहता हं ।
िवा कार्ा सित्रद्ध कवि के िाथ मं अष्ट लक्ष्मी कवि के समले होने की वजह िे व्र्त्रि पर मां महा
िदा लक्ष्मी की कृ पा एवं आशीवााद बना रहता हं । स्जस्िे मां लक्ष्मी के अष्ट रुप (१)-आफद
लक्ष्मी, (२)-धाडर् लक्ष्मी, (३)-धैरीर् लक्ष्मी, (४)-गज लक्ष्मी, (५)-िंतान लक्ष्मी, (६)-त्रवजर्
लक्ष्मी, (७)-त्रवद्या लक्ष्मी और (८)-धन लक्ष्मी इन िभी रुपो का अशीवााद प्राि होता हं ।
िवा कार्ा सित्रद्ध कवि के िाथ मं तंि रक्षा कवि के समले होने की वजह िे तांत्रिक बाधाए दरू
होती हं , िाथ ही नकारत्मन शत्रिर्ो का कोइ कुप्रभाव धारण कताा व्र्त्रि पर नहीं होता। इि
कवि के प्रभाव िे इषाा-द्वे ष रखने वाले व्र्त्रिओ द्वारा होने वाले दष्ट
ु प्रभावो िे रक्षाहोती हं ।
िवा कार्ा सित्रद्ध कवि के िाथ मं शिु त्रवजर् कवि के समले होने की वजह िे शिु िे िंबंसधत
िमस्त परे शासनओ िे स्वतः ही छुटकारा समल जाता हं । कवि के प्रभाव िे शिु धारण कताा
व्र्त्रि का िाहकर कुछ नही त्रबगि िकते।
फकिी व्र्त्रि त्रवशेष को िवा कार्ा सित्रद्ध कवि दे ने नही दे ना का अंसतम सनणार् हमारे पाि िुरस्क्षत हं ।
GURUTVA KARYALAY
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Our Website:- http://gk.yolasite.com/ and http://gurutvakaryalay.blogspot.com/
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सनशुल्क प्राि करं । हमारे िाथ जुिने के सलए िंबंसधत सलंक पर स्क्लक करं ।
भाव, फद्वतीर्ेश, एकादश भाव व एकादशेश की स्स्थसत र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश का फद्वतीर्ेश अथवा
िे फकर्ा जाता हं । धन का कारक बृहस्पसत ग्रह होता एकादशेश िे शुभ िम्बडध स्थात्रपत हो रहा हो तो
हं । आसथाक स्स्थसत मजबूत होने के सलए प्रश्न कुण्िली र्ह व्र्त्रि की आसथाक स्स्थसत उत्तम होने का िंकेत
लग्नेश का बलवान होना असत आवश्र्क होता हं । र्फद प्रश्न कुण्िली मं िडद्रमा फद्वतीर् अथवा एकादश
र्फद प्रश्न कुण्िली मं बृहस्पसत के अलावा अडर् भाव को अपनी ििम दृत्रष्ट िे दे खकर उिे बल प्रदान
िम्बस्डधत भाव एवं ग्रह शुभ प्रभाव मं हो तो व्र्त्रि कर रहा हो तो व्र्त्रि आसथाक दृत्रष्ट िे िम्पडन होता
फक आसथाक स्स्थती मजबूत होती हं । व्र्त्रि को आने हं । उिे भत्रवष्र् मं फकिी प्रकार के बिे ़ आसथाक िंकट
वाले िमर् मं उत्तम मािा मं धन लाभ प्राि होता हं । िे नहीं गुजरना पिे ़गा।
र्फद प्रश्न कुण्िली मं बृहस्पसत के अलावा अडर् र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश र्ा फद्वतीर्ेश अथवा
िम्बस्डधत भाव एवं ग्रह अशुभ एवं पाप प्रभाव मं हो एकादशेश अपनी उच्ि रासश मं स्स्थत हो तो र्ह
तो व्र्त्रि फक आसथाक स्स्थती कमजोर होती हं । व्र्त्रि स्स्थसत व्र्त्रि को उत्तम धन प्राि होने के िंकेत दे ती
र्फद प्रश्न कुण्िली मं िम्बस्डधत भाव और ग्रह एकादश भाव मं ग्रह उच्ि रासश का होकर स्स्थत हो
िामाडर् स्स्थसत मं हो तो व्र्त्रि अपनी आवश्र्िा के तो व्र्त्रि अपने प्रर्ािो िे उत्तम धन प्राि कर लेता
प्रश्न कुण्िली मं धन लाभ का त्रविार एकादश भाव िे र्फद प्रश्न कुण्िली मं िडद्रमा एकादश भाव को अपनी
फकर्ा जाता है । धन के कारक बृहस्पसत की स्स्थसत ििम दृत्रष्ट िे दे खकर उिे बल प्रदान कर रहा हो तो
भी काफी महत्वपूणा होती है । धन का कारक बृहस्पसत व्र्त्रि को अपने कार्ो िे त्रवशेष लाभ प्राि होने के
ग्रह होता हं । उत्तम धन की प्रासि के सलए प्रश्न र्ोग बनते हं । उिे भत्रवष्र् मं फकिी प्रकार के बिे ़
कुण्िली मं िम्बस्डधत भाव के िाथ-िाथ बृहस्पसत, आसथाक िंकट िे नहीं गुजरना पिे ़गा।
लग्न और लग्नेश का बलवान होना असत आवश्र्क र्फद प्रश्न कुण्िली मं बृहस्पसत के अलावा अडर्
र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्न र्ा लग्नेश का एकादश र्ा तो व्र्त्रि को धन लाभ के सलए कफठन पररश्रम
एकादशेश के िाथ शुभ िम्बडध हो तो व्र्त्रि को करना पड़ता हं , स्जि मं उिे उस्म्मद िे कम लाभ
अपने कार्ा िे बड़ी मािा मं धन लाभ होने के र्ोग की प्रासि हो िकती हं । इि सलए व्र्त्रि को ग्रह
र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्न र्ा लग्नेश का एकादश र्ा स्थसगत कर दे ना िाफहए।
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32 जून 2012
दशम भाव र्ा दशमेश के िाथ शुभ िम्बडध बन रहा िाझेदारी के कार्ा िे धनलाभ
हो तो व्र्त्रि को अपने कार्ा िे अवश्र् धन लाभ प्रश्न कुण्िली मं िाझेद
़ ारी िे िम्बस्डधत त्रविार ििम
प्राि होता है । भाव िे फकर्ा जाता हं और धन लाभ के सलए
र्फद प्रश्न कुण्िली मं एकादश भाव र्ा एकादशेश का एकादश भाव का आंकलन फकर्ा जाता हं । ििम भाव
दशम भाव र्ा दशमेश का आपि मं अशुभ िम्बडध का कारक शुक्र ग्रह होता हं । इि सलए िाझे़दारी िे
बन रहा हो तो व्र्त्रि को अपने कार्ा मं धन लाभ के िम्बस्डधत कार्ो पर त्रविार करते िमर् शुक्र की
सलए त्रवशेष पररश्रम करना पड़ िकता हं । स्जिमे उिे स्स्थसत का आंकलन करना असत महत्वपूणा होता हं
अपेक्षा कृ त कम धनलाभ प्राि हो िकता हं । इि के िाथ ही बुध की स्स्थसत भी महत्वपूणा होती
र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश का एकादशेश के िाथ हं ।
शुभ िम्बडध बन रहा हो तो व्र्त्रि को अपने कार्ो र्फद प्रश्न कुण्िली मं शुक्र र्ा बुध का ििम र्ा
मे अपने प्रर्ािो के अनुरुप धन प्राि होता हं । ििमेश, एकादश भाव र्ा एकादशेश, लग्न र्ा लग्नेश
र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश अथवा लग्न मं ग्रह के िाथ मं फकिी भी प्रकार र्ुसत र्ा दृत्रष्ट िम्बडध
अपनी उच्ि रासश मं स्स्थत हो तो व्र्त्रि को अपने स्थात्रपत होता हो तो व्र्त्रि को िाझे़दारी िे धनलाभ
कार्ो मे त्रवशेष रुप िे धनलाभ प्राि होता हं । समलता हं ।
र्फद प्रश्न कुण्िली मं िडद्रमा पंिम भाव मं स्स्थत हो र्फद प्रश्न कुण्िली मं उि भावं एवं ग्रहं पर िडद्रमा
कार एकादश भाव को ििम दृत्रष्ट िे दे खकर उिे बल की शुभ दृत्रष्ट हो तो र्ह व्र्त्रि को िाझे़दारी के कार्ा
प्रदान कर रहा व्र्त्रि को अपने कार्ाक्षेि मं त्रवशेष मं शीघ्र ही धनलाभ प्राि होने के िंकेत दे ता हं ।
धनलाभ की प्रासि होती हं । र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश र्ा लग्न मं ग्रह अपनी
कनकधारा र्ंि
आज के र्ुग मं हर व्र्त्रि असतशीघ्र िमृद्ध बनना िाहता हं । धन प्रासि हे तु प्राण-प्रसतत्रष्ठत कनकधारा र्ंि के िामने
बैठकर कनकधारा स्तोि का पाठ करने िे त्रवशेष लाभ प्राि होता हं । इि कनकधारा र्ंि फक पूजा अिाना करने िे
ऋण और दररद्रता िे शीघ्र मुत्रि समलती हं । व्र्ापार मं उडनसत होती हं , बेरोजगार को रोजगार प्रासि होती हं ।
श्री आफद शंकरािार्ा द्वारा कनकधारा स्तोि फक रिना कुछ इि प्रकार फक हं , स्जिके श्रवण एवं पठन करने िे
आि-पाि के वार्ुमंिल मं त्रवशेष अलौफकक फदव्र् उजाा उत्पडन होती हं । फठक उिी प्रकार िे कनकधारा र्ंि अत्र्ंत
दल
ु भ
ा र्ंिो मं िे एक र्ंि हं स्जिे मां लक्ष्मी फक प्रासि हे तु अिूक प्रभावा शाली माना गर्ा हं । कनकधारा र्ंि को
त्रवद्वानो ने स्वर्ंसिद्ध तथा िभी प्रकार के ऐश्वर्ा प्रदान करने मं िमथा माना हं । जगद्गरु
ु शंकरािार्ा ने दररद्र ब्राह्मण
के घर कनकधारा स्तोि के पाठ िे स्वणा वषाा कराने का उल्लेख ग्रंथ शंकर फदस्ग्वजर् मं समलता हं । कनकधारा
मंि:- ॐ वं श्रीं वं ऐं ह्रीं-श्रीं क्लीं कनक धारर्ै स्वाहा' मूल्र्: Rs.550 िे Rs.8200 तक
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bn
33 जून 2012
उच्ि रासश मं स्स्थत हो और अडर् िम्बस्डधत ग्रह र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्न र्ा लग्नेश र्ा अष्टम भाव
और भाव अनुकूल स्स्थसत मं हो तो व्र्त्रि को को र्ा अष्टमेश के िाथ मं िडद्र, शुक्र और मंगल के
िाझे़दारी के कार्ा मं धनलाभ प्राि समलता हं । अशुभ िम्बडध हो र्ा पाप प्रभाव मं हो तो व्र्त्रि को
र्फद प्रश्न कुण्िली मं िडद्रमा पंिम भाव मं स्स्थत हो स्त्रोी पक्ष िे उत्तम धन लाभ समलने की िंभावना नहीं
कर एकादश भाव को ििम दृत्रष्ट िे दे खकर उिे बल बनती व्र्त्रि को धन प्रासि के सलए त्रवसभडन
प्रदान कर रहा हो तो इि र्ोग िे व्र्त्रि को िमस्र्ाओं का िामना करना पड़ िकता है ।
िाझे़दारी के कार्ा मं अवश्र् धन लाभ समलता हं । र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्न र्ा अष्टम भाव मं ग्रह
र्फद प्रश्न कुण्िली मं एकादश भाव मं ग्रह बलवान हो उच्ि रासश का होकर स्स्थत हो और अडर् िम्बस्डधत
कर स्स्थत हो और अडर् िम्बस्डधत ग्रह और भाव ग्रहं एवं भावं भी अनुकूल स्स्थसत मं हो तो व्र्त्रि
अनुकूल स्स्थसत मं हो तो व्र्त्रि के सलए िाझेदारी को स्त्रोी पक्ष िे धन लाभ होने की प्रबल िम्भावना
फलदार्क रहती हं । रहती हं ।
र्फद प्रश्न कुण्िली मं ग्रहं का प्रभाव त्रवपररत हो तो र्फद प्रश्न कुण्िली मं िडद्रमा फद्वतीर् भाव मं स्स्थत
व्र्त्रि को िाझेदारी िे कार्ा करने पर धन लाभ हो कर अष्टम भाव को ििम दृत्रष्ट िे दे खकर उिे बल
समलने की िंभावना बहुत कम रहती है । इि सलए प्रदान कर रहा हो तो व्र्त्रि को स्त्रोी पक्ष िे धन की
व्र्त्रि जो भी कार्ा करे वह स्वर्ं के बल पर करं तो प्रासि अवश्र् हो िकती हं ।
उत्तम रहे गा उिे िाझेदारी िे कार्ा करने का त्रविार र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश र्ा अष्टमेश अपनी उच्ि
त्र्ाग दे ना िाफहए। रासश मं स्स्थत हो और अडर् िम्बस्डधत ग्रहं एवं
भावं भी अनुकूल स्स्थसत मं हो तो व्र्त्रि को स्त्रोी
स्त्रोी िे धन प्रासि पक्ष िे धन लाभ होने की प्रबल िम्भावना रहती हं ।
धन वृत्रद्ध फिब्बी
धन वृत्रद्ध फिब्बी को अपनी अलमारी, कैश बोक्ि, पूजा स्थान मं रखने िे धन वृत्रद्ध होती हं स्जिमं काली हल्दी,
लाल- पीला-िफेद लक्ष्मी कारक हकीक (अकीक), लक्ष्मी कारक स्फफटक रत्न, 3 पीली कौिी, 3 िफेद कौिी, गोमती
िक्र, िफेद गुंजा, रि गुंजा, काली गुंजा, इं द्र जाल, मार्ा जाल, इत्र्ादी दल
ु भ
ा वस्तुओं को शुभ महुता मं तेजस्वी
असत उत्तम होता हं इि कारण व्र्त्रि को मातृपक्ष के भाईर्ं के त्रबिमं धन को लेकर त्रववाद होने की
लोगं िे धन लाभ समलता हं । िम्भावना बहोत ही कम रह जाती हं ।
र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्न र्ा ितुथा भाव र्ा एकादश र्फद प्रश्न कुण्िली मं िडद्रमा फद्वतीर् भाव र्ा तृतीर्
भाव मं ग्रह उच्ि रासश का होकर स्स्थत हो तो व्र्त्रि भाव को ििम दृत्रष्ट िे दे खकर उिे बल प्रदान कर
को मातृपक्ष के लोगं िे धन लाभ समलता हं । रहा हो तो ग्रह की इि उत्तम स्स्थसत के कारण
र्फद प्रश्न कुण्िली मं िडद्रमा दशम भाव मं स्स्थत हो भाईर्ं िे धन के कारण त्रववाद होने की िम्भावना
कर ितुथा भाव को ििम दृत्रष्ट िे दे खकर उिे बल क्षीण हो जाती हं ।
प्रदान कर रहा हो तो व्र्त्रि को मातृ पक्ष िे प्रिुर र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश र्ा फद्वतीर्ेश र्ा तृतीर्ेश
मािा मं धनलाभ समलने की िम्भावनाएं बनती हं । अपनी उच्ि रासश मं स्स्थत हो तो व्र्त्रि का भाग्र्
असधक बलवान हो जाता हं स्जि कारण उिके अपने
भाइर्ं िे धन िम्बडधी त्रववाद के र्ोग भाई िे धन के कारण त्रववाद होने की िम्भावना कम
प्रश्न कुण्िली मं धन का त्रविार फद्वतीर् भाव िे फकर्ा हो जाती हं ।
जाता है और भाईर्ं के िम्बडध मं तृतीर् भाव का र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्न र्ा फद्वतीर् भाव र्ा तृतीर्
अवलोकन फकर्ा जाता हं । तृतीर् भाव का कारक भाव मं ग्रह उच्ि रासश का होकर स्स्थत हो तो व्र्त्रि
मंगल ग्रह की स्स्थसत भाई िे िम्बस्डधत प्रश्न के का भाग्र् असधक बलवान हो जाता हं स्जि कारण
त्रवषर् मं महत्वपूणा स्थान रखती है । उिके अपने भाई िे धन के कारण त्रववाद होने की
र्फद प्रश्न कुण्िली मं फद्वतीर् भाव का तृतीर् भाव िे िम्भावना कम हो जाती हं ।
शुभ िम्बडध बन रहा हो तो व्र्त्रि का अपने भाईर्ं
िे धन िम्बस्डधत त्रवषर् मं वाद-त्रववाद होने की ििुराल पक्ष िे धन लाभ के र्ोग
िम्भावना कम होती हं । क्र्ोफक ग्रह स्स्थसत उत्तम प्रश्न कुण्िली मं ििुराल पक्ष का त्रविार अष्टम भाव िे
होने के कारण भाईर्ं के बीि आपिी प्रेम बना रहता फकर्ा जाता हं और धन लाभ के सलए एकादश भाव
हं । स्जि कारण उनके त्रबि मं धन िे िम्बस्डधत का आंकलन फकर्ा जाता हं ।
मामले त्रवशेष महत्वपूणा नहीं रह जाते हं । र्फद प्रश्न कुण्िली मं अष्टम भाव र्ा अष्टमेश का
र्फद प्रश्न कुण्िली मं फद्वतीर् भाव का तृतीर् भाव िे एकादश भाव एकादशेश िे शुभ िम्बडध स्थात्रपत हो
अशुभ िम्बडध बन रहा हो तो व्र्त्रि का अपने रहा हो तो व्र्त्रि को तो व्र्त्रि को ििुराल िे धन
भाईर्ं िे धन िम्बस्डधत त्रवषर् मं वाद-त्रववाद होने लाभ प्राि होता हं । इििे त्रवपररत र्फद दोनो भावो के
की िम्भावना प्रबल रहती हं । एिे मं व्र्त्रि को त्रबिमं फकिी प्रकार िे िम्बडध न बन रहा हो र्ा
अपनी िुझबूझ िे कार्ा करना िाफहए और कोई दोनं भाव पाप प्रभाव मं होत व्र्त्रि को ििुराल िे
महत्व पूणा सनणार् को लेना िाफहए। र्फद िम्भव हो त्रवशेष धन लाभ समलने की िम्भावना प्रबल नहीं
तो ग्रह स्स्थसत मं उपर्ुि पररवतान होने तक व्र्त्रि होती। एिे मं व्र्त्रि को ििुराल िे धन प्रासि फक
को भाई िे धन िम्बस्डधत कार्ो को स्थसगत कर अपेक्षा छोड़ दे नी िाफहए।
दे ना िाफहए। र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्न र्ा लग्नेश बलवान स्स्थसत
र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश, फद्वतीर्ेश और तृतीर्ेश मं हो और बुध भी शुभ स्स्थसत मं हो तो व्र्त्रि को
का आपि मं शुभ िम्बडध स्थात्रपत हो रहा हो तो ििुराल िे प्रिुर मािा मं धन की प्रासि िम्भव हं ।
36 जून 2012
र्फद प्रश्न कुण्िली मं िडद्रमा पंिम भाव मं स्स्थत हो र्फद प्रश्न कुण्िली मं एकादशेश का लग्नेश िे शुभ
कर एकादश भाव को ििम द्रत्रष्ट िे दे ख कर उिे बल िम्बडध स्थात्रपत हो रहा हो तो व्र्त्रि को समिं िे
प्रदान कर रहा हो तो र्ह व्र्त्रि को त्रबना फकिी अवश्र् धनलाभ होता हं ।
अड़िन के ििुराल पक्ष िे धन समलने की िम्भावना र्फद प्रश्न कुण्िली के लग्नेश र्ा लग्न मं ग्रह उच्ि
बनाता हं । रासश का होकर स्स्थत हो और अडर् िम्बस्डधत ग्रह
र्फद प्रश्न कुण्िली मं अष्टम भाव का स्वामी अपने ही और भाव शुभ प्रभाव मं हो तो व्र्त्रि को समि िे
भाव मं स्स्थत हो तो र्ह व्र्त्रि के ििुराल िे अच्छे सनस्ित लाभ प्राि हो िकता हं ।
िंबंधो को दशााता हं स्जििे व्र्त्रि को भारी मािा मं र्फद प्रश्न कुण्िली मं समिं िे धन लाभ की स्स्थसत िे
अपने ििुराल िे धन समलने की िम्भावनाओं को िम्बस्डधत भाव एवं ग्रह अनुकूल नहीं हो तो व्र्त्रि
दशााता हं । को समिं िे त्रवशेष धन लाभ नहीं समलता इि सलए
र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश र्ा लग्न मं ग्रह अपनी एिी स्स्थसत मं व्र्त्रि को समिं िे धन लाभ की
उच्ि रासश मं स्स्थत हो तो तथा अडर् िम्बस्डधत उम्मीद फकए त्रबना स्वर्ं के आत्मत्रवश्वाि और
ग्रह और भाव शुभ स्स्थसत मं हो तो व्र्त्रि का भाग्र् पररश्रम के बल पर धन प्राि करना असत उत्तम होगा।
असधक बलशाली होता हं स्जि कारण उिे अपने
ििुराल िे अवश्र् धन लाभ प्राि होता हं । त्रवदे श मं धन लाभ के र्ोग
र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश और एकादशेश के त्रबि प्रश्न कुण्िली मं त्रवदे श का त्रविार नवम भाव िे फकर्ा
मं शुभ िम्बडध स्थात्रपत हो रहा हो तो व्र्त्रि को जाता हं और धन लाभ के सलए एकादश भाव का
ििुराल िे धन की प्रासि हो िकती हं । अवलोकन फकर्ा जाता है ।
र्फद प्रश्न कुण्िली मं नवम भाव का एकादश भाव िे
समिं िे धन लाभ के र्ोग फकिी प्रकार भी शुभ िम्बडध होता है तो व्र्त्रि को
प्रश्न कुण्िली मं समिं और धन िम्बडध मं अथाात त्रवदे श मं धन लाभ की िंभावना त्रवशेष बनती है ।
दोनो के िम्बडध मं एकादश भाव िे त्रविार फकर्ा र्फद प्रश्न कुण्िली मं नवम भाव का एकादश भाव िे
जाता हं । एकादश भाव का कारक बुध ग्रह होता हं । कोई िम्बडध नहीं बन रहा हं तो व्र्त्रि को त्रवदे श
इि सलए समिं िे धन लाभ का त्रविार करते िमर् मं धन लाभ नहीं होता है ।
बुध ग्रह की स्स्थसत त्रवशेष महत्व रखती है । र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश, नवमेश और एकादशेश
र्फद प्रश्न कुण्िली मं एकादश भाव और बुध का लग्न का आपि मं शुभ िम्बडध बन रहा हो तो व्र्त्रि के
र्ा लग्नेश के िाथ र्ुसत र्ा दृत्रष्ट द्वारा शुभ िम्बडध सलए त्रवदे श िे त्रवशेष धन की प्रासि के र्ोग बनते हं ।
बन रहा हो तो व्र्त्रि को समिं िे त्रवशेष रुप िे धन र्फद प्रश्न कुण्िली मं िडद्रमा नवम र्ा एकादश भाव
लाभ र्ा िहर्ोग प्राि होता हं । को ििम दृत्रष्ट िे दे खकर उिे बल प्रदान कर रहा हो
र्फद प्रश्न कुण्िली मं उि स्स्थसत बन रही हं और उि तो व्र्त्रि के सलए त्रवदे श िे धन प्रासि की
ग्रह और भावं पर िडद्रमा की शुभ दृत्रष्ट िे ग्रह हो िम्भावना प्रबल बनती हं ।
भाव को बल प्राि हो रहा हो तो र्ह ग्रह स्स्थसत र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश, नवमेश और एकादशे
व्र्त्रि को शीघ्र समिं िे धनलाभ प्राि होने का िंकेत अपनी उच्ि रासश मं स्स्थत हो तो व्र्त्रि त्रवदे श मं
दे ती हं । त्रवशेष धन लाभ प्राि कर िकते हं ।
37 जून 2012
प्रश्न कुण्िली मं समिं और धन िम्बडध मं अथाात रासश का होकर स्स्थत हो और अडर् िम्बस्डधत ग्रह
दोनो के िम्बडध मं एकादश भाव िे त्रविार फकर्ा और भाव शुभ प्रभाव मं हो तो व्र्त्रि को समि िे
जाता हं । एकादश भाव का कारक बुध ग्रह होता हं । सनस्ित लाभ प्राि हो िकता हं ।
इि सलए समिं िे धन लाभ का त्रविार करते िमर् र्फद प्रश्न कुण्िली मं समिं िे धन लाभ की स्स्थसत िे
बुध ग्रह की स्स्थसत त्रवशेष महत्व रखती है । िम्बस्डधत भाव एवं ग्रह अनुकूल नहीं हो तो व्र्त्रि
र्फद प्रश्न कुण्िली मं एकादश भाव और बुध का लग्न को समिं िे त्रवशेष धन लाभ नहीं समलता इि सलए
र्ा लग्नेश के िाथ र्ुसत र्ा दृत्रष्ट द्वारा शुभ िम्बडध एिी स्स्थसत मं व्र्त्रि को समिं िे धन लाभ की
बन रहा हो तो व्र्त्रि को समिं िे त्रवशेष रुप िे धन उम्मीद फकए त्रबना स्वर्ं के आत्मत्रवश्वाि और
लाभ र्ा िहर्ोग प्राि होता हं । पररश्रम के बल पर धन प्राि करना असत उत्तम होगा।
उपरोि िभी र्ंिो को द्वादश महा र्ंि के रुप मं शास्त्रोोि त्रवसध-त्रवधान िे मंि सिद्ध पूणा प्राणप्रसतत्रष्ठत एवं िैतडर् र्ुि फकर्े
जाते हं । स्जिे स्थापीत कर त्रबना फकिी पूजा अिाना-त्रवसध त्रवधान त्रवशेष लाभ प्राि कर िकते हं ।
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38 जून 2012
का आंकलन फकर्ा जाता हं । र्फद प्रश्न कुण्िली मं पंिम भाव र्ा लग्न मं ग्रह
र्फद प्रश्न कुण्िली मं दशम भाव र्ा दशमेश का उच्ि रासश का होकर स्स्थत हो तो व्र्त्रि को लॉटरी
एकादश भाव र्ा एकादशेश िे शुभ िम्बडध स्थात्रपत िे धन लाभ समलने की िम्भावनाएँ बनती है ।
हो रहा हो तो व्र्त्रि को तो व्र्त्रि को िरकार िे र्फद प्रश्न कुण्िली मं पंिमेश र्ा लग्नेश अपनी उच्ि
धन लाभ प्राि हो िकता हं । इििे त्रवपररत र्फद रासश मं स्स्थत हो तो र्ह र्ोग व्र्त्रि को लॉटरी िे
दोनो भावो के त्रबिमं फकिी प्रकार िे िम्बडध न बन धन लाभ समलने की िम्भावनाएँ बनाता है ।
रहा हो र्ा दोनं भाव पाप प्रभाव मं होत व्र्त्रि को र्फद प्रश्न कुण्िली मं िडद्रमा एकादश भाव मं स्स्थत
िरकार िे धन लाभ समलने की िम्भावना प्रबल नहीं हो कर पंिम भाव को ििम दृत्रष्ट िे दे खकर उिे बल
होती। एिे मं व्र्त्रि को िरकारी क्षेि की अपेक्षा प्रदान कर रहा हो तो व्र्त्रि को शीघ्र ही लॉटरी
सनजी क्षेि िे धन लाभ प्राि होने की िंभावना बन इत्र्ाफद माध्र्म िे आकस्स्मक रुप िे धनलाभ
िकती है । समलने की िम्भावनाएँ बनती है ।
र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश र्ा दशमेश र्ा एकादशेश र्फद प्रश्न कुण्िली मं लॉटरी िे िम्बस्डधत ग्रह एवं
अपनी उच्ि रासश मं स्स्थत हो तो व्र्त्रि को िरकार भाव शुभ स्स्थसत मं न हो उन पर पार ग्रहो का
िे धन लाभ समलने की िम्भावना प्रबल बनती हं । प्रभाव हो तो व्र्त्रि का लॉटरी मं धन हानी होने के
र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्न र्ा दशम भाव र्ा एकादश िंकेत दे ता हं । इि सलए व्र्त्रि का लॉटरी मं इत्र्ाफद
भाव मं ग्रह अपनी उच्ि रासश मं स्स्थत हो तो व्र्त्रि आकस्स्मक धन दे ने वाले कार्ो मं पैिा लगाना
को िरकार िे त्रवशेष धन लाभ समलने की िम्भावना जोस्खम भरा कार्ा हो िकता है । स्जिमं उिे लाभ के
बनती हं । स्थान पर हानी होने फक त्रवशेष िम्भावना रहती हं ।
र्फद प्रश्न कुण्िली मं िडद्रमा दशम भाव अथवा इि सलए व्र्त्रि के सलए र्फह उत्तम रहे गा के वह
एकादश भाव को ििम दृत्रष्ट िे दे खकर उिे बल लॉटरी मं पैिा नहीं लगाएं।
प्रदान कर रहा हो तो व्र्त्रि को अपने कार्ा के बल र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश और पंिमेश का आपि
पर िरकारी क्षेि िे सनस्ित रुप िे लाभ प्राि होता मं शुभ िम्बडध बन रहा हो तो व्र्त्रि को लॉटरी िे
हं । धन लाभ समलने की िम्भावना बनती हं ।
र्फद प्रश्न कुण्िली मं दशमेश और एकादशेश के त्रबि
िंतान की आसथाक स्स्थसत दशााते र्ोग
मं शुभ िम्बडध स्थात्रपत हो रहा हो तो व्र्त्रि को
प्रश्न कुण्िली मं िंतान का त्रविार पंिम भाव िे फकर्ा
िरकार िे धन लाभ समलने के र्ोग बनते हं ।
जाता हं और आसथाक स्स्थसत का त्रविार फद्वतीर् भाव
लॉटरी िे धनलाभ के र्ोग
िे फकर्ा जाता हं ।
प्रश्न कुण्िली मं लॉटरी का त्रविार पंिम भाव िे फकर्ा
र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्न र्ा लग्नेश का फद्वतीर् भाव
जाता हं । लॉटरी के सलए पंिम भाव के कारक
र्ा फद्वतीर्ेश, पंिम भाव र्ा पंिमेश िे शुभ िम्बडध
बृहस्पसत ग्रह की स्स्थसत महत्वपूणा स्थान रखती हं ।
हो तो व्र्त्रि के िंतान की आसथाक स्स्थसत उत्तम
र्फद प्रश्न कुण्िली मं पंिम भाव र्ा पंिमेश का लग्न
रहती हं ।
र्ा लग्नेश के िाथ फकिी भी प्रकार र्ुसत िम्बडध र्ा
इििे त्रवपररत र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्न र्ा लग्नेश
दृत्रष्ट िम्बडध स्थात्रपत हो रहा हो तो व्र्त्रि को
का फद्वतीर् भाव र्ा फद्वतीर्ेश, पंिम भाव र्ा पंिमेश
लॉटरी िे धन लाभ समलता है ।
िे अशुभ िम्बडध हो तो र्ा र्ह भाव पाप प्रभाव मं
39 जून 2012
हो तो व्र्त्रि के िंतान की आसथाक स्स्थसत कमजोर र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश अपनी उच्ि रासश मं
होती हं । िंतान को धन प्रासि के सलए कफठ पररश्रम स्स्थत हो तो व्र्त्रि को धन िोि िमझकर
और िडघषा करना पड़ िकता हं । सनवेश/खिा करने िे लाभ समलता है ।
र्फद प्रश्न कुण्िली मं िडद्रमा फद्वतीर् भाव र्ा पंिम र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्न मं ग्रह उच्ि रासश का
भाव को ििम दृत्रष्ट िे दे खकर उिे बल प्रदान कर होकर स्स्थत हो तो व्र्त्रि का धन शुभ कार्ो मं खिा
रहा हो तो व्र्त्रि के िंतान का आसथाक पक्ष उत्तम होता हं । एिे मं व्र्त्रि फकिी अनावश्र्क कार्ो मं
होता हं उिे सनकट के भत्रवष्र् मं फकिी भी प्रकार िे अपना धन खिा नहीं करते क्र्ोफक वह धन व्र्र्
धन की कमी नहीं होगी। करने िे पहले उि कार्ा पर अच्छी तरह िोि त्रविार
र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश, फद्वतीर्ेश, पंिमेश अपनी कर लेते हं ।
उच्ि रासश मं स्स्थत हो तो व्र्त्रि की िंतान र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश का एकादशेश िे शुभ
भाग्र्शाली होसत हं इि र्ोग िे िंतान के पाि प्रिुर िम्बडध स्थात्रपत हो रहा हो तो व्र्त्रि की आसथाक
मािा मं धन होने का िंकेत समलता हं । स्स्थसत मजबूत होती हं । उिे आने वाले िमर् मं धन
र्फद प्रश्न कुण्िली के लग्न, फद्वतीर्, पंिम भाव मं ग्रह की कमी नहीं रहे गी। व्र्त्रि का धन भी केवल
उच्ि रासश का होकर स्स्थत हो तो व्र्त्रि की िंतान आवश्र्क िीजं पर ही होता हं ।
का भाग्र् बलशाली होता हं व्र्त्रि की िंतान को धन र्फद प्रश्न कुण्िली मं िडद्रमा पंिम भाव मं स्स्थत हो
की कमी नहीं होगी हं । कर एकादश भाव को ििम दृत्रष्ट िे बल प्रदान कर
प्रश्न कुण्िली मं धन व्र्र् के र्ोग रहा हो तो व्र्त्रि द्वारा फकर्ा गर्ा खिा उिे भत्रवष्र्
र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्न र्ा लगनेश का द्वादश भाव िामाडर् स्स्थसत मं हो तो व्र्त्रि अपनी आर् के
र्ा द्वादशेश के िाथ शुभ िम्बडध बन रहा हो तो अनुपात मं व्र्र् करने वाला होता हं , इि सलए व्र्त्रि
व्र्त्रि का धन शुभ कार्ो मं खिा होता हं । को फकिी सिज पर बड़ी मािा मं खिा करने िे पूवा
र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्न र्ा लगनेश का द्वादश भाव
उि पर आवश्र्क िोि त्रविार कर लेना िाफहए,
र्ा द्वादशेश के िाथ अशुभ िम्बडध बन रहा हो र्ा
अडर्था फकिी त्रवशेष पररस्स्थसत मं गलत सनणार्ं िे
उि भाव र्ा िम्बस्डधत ग्रह पाप प्रभाव मे हो तो
अनावश्र्क िीज वस्तु पर धन भारी मािा मं खिा हो
व्र्त्रि का धन व्र्था के कार्ो मं र्ा अशुभ कार्ो मं
खिा हो िकता हं । ने की िम्भावना बनी रहती हं ।
ज्र्ोसतष मं त्रववाह का त्रविार ििम भाव के िाथ-िाथ कुंिली मं फद्वतीर् भाव और एकादश भाव िे भी त्रविार फकर्ा
जाता हं । ििम भाव जीवनिाथी एवं िाझेदारी का भाव होता हं । अत: त्रववाह िे िंबसं धत प्रश्न का त्रविार इि भाव िे
फकर्ा जाता हं । भारतीर् ज्र्ोसतष मं वैवाफहक िम्बडध मं शुभता का त्रविाह एकादश भाव िे फकर्ा जाता हं ।
इि भावं के नक्षि कौन िा नक्षि स्स्थत हं , इि भावं के स्वामी के नक्षि मं ग्रह फक स्स्थसत एवं इि भावो के स्वामी
एवं उन ग्रह के मध्र् दृत्रष्ट और र्ुसत िम्बडध को भी दे खा जाता हं । प्रश्न ज्र्ोसतष मं िबिे असधक महत्व नक्षिो को
फदर्ा जाता हं ।
प्रश्न कुंिली के अनुशार िडद्रमा तृतीर्, पंिम, षष्टम, ििम और एकादश भाव मं स्स्थत हं और िडद्रमा पर
गुरू, िूर्ा एवं बुध फक द्रष्टी होतो त्रववाह फक स्स्थसत उत्तम होती हं ।
त्रवशेष र्ंि
हमारं र्हां िभी प्रकार के र्ंि िोने -िांफद-ताम्बे मं आपकी आवश्र्िा के अनुशार फकिी भी भाषा/धमा
के र्ंिो को आपकी आवश्र्क फिजाईन के अनुशार २२ गेज शुद्ध ताम्बे मं अखंफित बनाने की त्रवशेष
िुत्रवधाएं उपलब्ध हं । असधक जानकारी के सलए कार्ाालर् मं िंपका करं ।
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42 जून 2012
प्रश्न कुंिली के अनुशार त्रिकोण स्थान अथवा केडद्र स्थान अथाात प्रथम, ितुथ,ा ििम एवं दशम भाव शुभ प्रभाव
मं हो तो त्रववाह शीघ्र होने के र्ोग बनते हं ।
प्रश्न कुंिली के लग्न मं र्दी स्त्रोी ग्रह स्स्थत हो अथवा लग्न और नवम भाव मं स्त्रोी रासश हो र्ा िडद्र एवं शुक्र
इन भावं मं स्स्थत होकर एक दि
ू रे को दे खते हं, तो त्रववाह र्ोग बनते हं ।
प्रश्न कुंिली मं लग्नेश एवं िंद्र र्ा शुक्र ििम भाव मं स्स्थत हो और ििमेश लग्न मं स्स्थत हो, तो शीघ्र त्रववाह
र्ोग होते हं ।
प्रश्न कुंिली के लग्न मं गुरू और ििम भाव मं बुध स्स्थत हो अथवा िंद्रमा स्वागृही हो, िूर्ा दशम भाव मं और
शुक्र फद्वतीर् भाव मं स्स्थत हो,तो जल्द त्रववार् के र्ोग बनते हं ।
प्रश्न कुंिली मं तृतीर्, ििम, नवम र्ा दशम स्थान मं शुक्र स्स्थत हो और उि पर िडद्रमा की दृत्रष्ट हो तो
लड़के का त्रववाह शीघ्र होता हं ।
प्रश्न कुंिली मं िडद्र ििम भाव, फद्वसतर् भाव, तृतीर् भाव, पंिम, छठे भाव, दशम भाव अथवा एकादश भाव मे
स्स्थत हो और बृहस्पसत उिे दे ख रहा हो तो शीघ्र त्रववाह का र्ोग बनता हं ।
प्रश्न कुंिली मं लग्नेश र्ा िडद्रमा ििम भाव मे स्स्थत हो तो त्रववाह शीघ्र होता हं ।
प्रश्न कुंिली मं ििम भाव मे लग्नेश र्ा िडद्रमा एकिाथ स्स्थत हो तो त्रववाह शीघ्र होता हं ।
प्रश्न कुंिली मं िडद्र र्ा शुक्र उच्ि रासश मं स्स्थत हो तो त्रववाह शीघ्र होता हं ।
प्रश्न कुंिली मं त्रिकोण स्थान अथवा केडद्र स्थान अथाात प्रथम, ितुथ,ा ििम एवं दशम भाव शुभ ग्रहं के प्रभाव
मं हो तो त्रववाह शीघ्र होने के र्ोग बनते हं ।
प्रश्न कुंिली मं लग्नेश एवं िंद्र र्ा शुक्र ििम भाव मं स्स्थत हो और ििमेश लग्न मं स्स्थत हो, तो शीघ्र त्रववाह
र्ोग होते हं ।
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44 जून 2012
जाता हं । छठे भाव का कारक मंगल ग्रह होता हं । र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश बलवान स्स्थसत मं हो
र्फद प्रश्न कुण्िली मं षष्टम भाव शुभ ग्रहो िे र्ुि र्ा और छठे भाव पर दृत्रष्ट िाल कर उिे बल प्रदान कर
दृष्ट हो और लग्न व लग्नेश बलवान स्स्थसत मं हो तो रहा हो तो व्र्त्रि का प्रभाव अपने शिु पक्ष पर हावी
व्र्त्रि को शिु िे त्रवशेष पीड़ा नहीं होती और र्फद रहे गा र्फद त्रववाद िल रहे हं तो त्रवजर् प्रासि होगी
शिु पक्ष िे त्रववाद िल रहा हं तो त्रवजर् प्रासि के और र्फद कोई कोई शिु व्र्त्रि को कष्ट पहूंिाने का
र्ोग बनते हं । प्रर्ाि करता हं तो शिु स्वर्ं अपनी हासन करे गा।
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46 जून 2012
र्फद प्रश्न कुण्िली मं िम्बस्डधत भाव और ग्रह िेना मं नौकरी समल िकती हं ।
कमजोर स्स्थसत मं हो उन पर पाप ग्रहो का प्रभाव हो र्फद प्रश्न कुण्िली के ितुथा भाव िे िडद्रमा स्स्थत हो
तो व्र्त्रि को िरकारी क्षेि मं नौकरी समलने मे और दशम भाव को ििम दृत्रष्ट िे दे खकर उिे बल
त्रवसभडन कफठनाईर्ं का िामना करना पड़ िकता हं प्रदान कर रहा हो और अडर् ग्रह स्स्थसत अनुकूल हो
इि सलए व्र्त्रि को फकिी सनजी क्षेि मं नौकरी हे तु तो व्र्त्रि को थल िेना मं नौकरी समल िकती हं ।
प्रर्ाि करना िाफहए र्ा व्र्त्रि को िरकारी क्षेि मं र्फद प्रश्न कुण्िली मं िम्बस्डधत भाव और ग्रह
नौकरी प्रासि हे तु उपर्ुि प्रर्ाि और उपार्ो को कमजोर स्स्थसत मं हो उन पर पाप ग्रहो का प्रभाव हो
आजमाना िाफहए। तो व्र्त्रि को थल िेना मं नौकरी समलने मे त्रवसभडन
कफठनाईर्ं का िामना करना पड़ िकता हं इि सलए
थल िेना मं नौकरी के र्ोग
व्र्त्रि को फकिी और त्रवभाग मं नौकरी हे तु प्रर्ाि
प्रश्न कुण्िली मं थल िेना मं नौकरी प्रासि का त्रविार करना िाफहए र्ा व्र्त्रि को थल िेना मं नौकरी प्रासि
ितुथा भाव और ितुथेश िे फकर्ा जाता हं । वार्ु िेना हे तु उपर्ुि प्रर्ाि करने िाफहए।
तो व्र्त्रि को वार्ु िेना मं नौकरी समल िकती हं । जल िेना की नौकरी का कारक मंगल तथा िडद्र ग्रह
र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश और दशमेश का आपि होते है ।
मं शुभ िम्बडध हो तो व्र्त्रि को वार्ु िेना मं र्फद प्रश्न कुण्िली मं मंगल के िाथ िडद्रमा की र्ुसत
नौकरी समल िकती हं । बन रही हो तो र्ह उत्तम फलदार् होती हं ।
र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश र्ा दशमेश अपनी उच्ि र्फद प्रश्न कुण्िली मं दशम भाव र्ा दशमेश पर
रासश मं स्स्थत हो तो व्र्त्रि को वार्ु िेना मं नौकरी बलशाली िडद्रमा का शुभ प्रभाव पड़ रहा हो तो
समल िकती हं । व्र्त्रि को जल िेना मं नौकरी समल िकती हं ।
र्फद प्रश्न कुण्िली के लग्न र्ा दशम भाव मं ग्रह र्फद प्रश्न कुण्िली के लग्न र्ा दशम भाव मं कका र्ा
उच्ि रासश का होकर स्स्थत हो तो व्र्त्रि को वार्ु वृस्िक अथवा मीन रासश हो तो व्र्त्रि को सनस्ित फह
िेना मं नौकरी समल िकती हं । प्रर्ाि करने पर जल िेना मं नौकरी समल िकती हं ।
र्फद प्रश्न कुण्िली मं िम्बस्डधत भाव और ग्रह र्फद प्रश्न कुण्िली के ितुथा भाव िे िडद्रमा स्स्थत हो
कमजोर स्स्थसत मं हो उन पर पाप ग्रहो का प्रभाव हो और दशम भाव को ििम दृत्रष्ट िे दे खकर उिे बल
तो व्र्त्रि को वार्ु िेना मं नौकरी समलने मे त्रवसभडन प्रदान कर रहा हो और अडर् ग्रह स्स्थसत अनुकूल हो
कफठनाईर्ं का िामना करना पड़ िकता हं इि सलए तो व्र्त्रि को जल िेना मं नौकरी समल िकती हं ।
व्र्त्रि को फकिी और त्रवभाग मं नौकरी हे तु प्रर्ाि र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश और दशमेश का आपि
करना िाफहए र्ा व्र्त्रि को वार्ु िेना मं नौकरी प्राि मं शुभ िम्बडध हो तो व्र्त्रि को जल िेना मं
करने के सलए पूणा मेहनत और लगन िे इिकी नौकरी समल िकती हं ।
प्रस्तुसत करने पर िफलता समल िकती हं । र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश र्ा दशमेश अपनी उच्ि
रासश मं स्स्थत हो तो व्र्त्रि को जल िेना मं नौकरी
जल िेना मं नौकरी के र्ोग
समल िकती हं ।
प्रश्न कुण्िली मं नौकरी की स्स्थसत जानने के सलए र्फद प्रश्न कुण्िली के लग्न र्ा दशम भाव मं ग्रह
दशम भाव और दशमेश िे त्रविार फकर्ा जाता है । उच्ि रासश का होकर स्स्थत हो तो व्र्त्रि को जल
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48 जून 2012
िेना मं नौकरी समल िकती हं । हो िम्बस्डधत ग्रह और भाव पाप ग्रहं के प्रभाव मं
र्फद प्रश्न कुण्िली मं िम्बस्डधत भाव और ग्रह हो तो व्र्त्रि को पुसलि त्रवभाग मं नौकरी समलने की
कमजोर स्स्थसत मं हो उन पर पाप ग्रहो का प्रभाव हो िम्भावनाएं नहीं बनती हं, र्फद समल भी जाएं तो
तो व्र्त्रि को जल िेना मं नौकरी समलने मे त्रवसभडन ग्रहं के प्रसतकूल होने के कारण नौकरी पुसलि त्रवभाग
कफठनाईर्ं का िामना करना पड़ िकता हं इि सलए मं स्थार्ी नहीं हो पाती हं ।
व्र्त्रि को फकिी और त्रवभाग मं नौकरी हे तु प्रर्ाि र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश र्ा दशमेश अपनी उच्ि
करना िाफहए र्ा व्र्त्रि को जल िेना मं नौकरी प्राि रासश मं स्स्थत हो तो व्र्त्रि को पुसलि त्रवभाग मं
करने के सलए पूणा मेहनत और लगन िे इिकी नौकरी समल िकती हं ।
प्रस्तुसत करने पर िफलता समल िकती है । र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश और दशमेश का आपि
मं शुभ िम्बडध हो तो व्र्त्रि को पुसलि त्रवभाग मं
पुसलि त्रवभाग मं नौकरी के र्ोग
नौकरी समल िकती हं ।
प्रश्न कुण्िली मं नौकरी की स्स्थसत जानने के सलए र्फद प्रश्न कुण्िली के ितुथा भाव िे िडद्रमा स्स्थत हो
दशम भाव और दशमेश िे त्रविार फकर्ा जाता है । और दशम भाव को ििम दृत्रष्ट िे दे खकर उिे बल
पुसलि की नौकरी का कारक मंगल ग्रह होता है । प्रदान कर रहा हो और अडर् ग्रह स्स्थसत अनुकूल हो
र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्न र्ा लग्नेश का दशम भाव तो व्र्त्रि को पुसलि त्रवभाग मं नौकरी समल िकती
तो व्र्त्रि को पुसलि त्रवभाग मं नौकरी समलने की र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश और दशमेश का आपि
र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्न र्ा लग्नेश का दशम भाव नौकरी समल िकती हं ।
र्ा दशमेश और मंगल िे अशुभ िम्बडध बना रहा र्फद प्रश्न कुण्िली के लग्न र्ा दशम भाव मं ग्रह
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49 जून 2012
उच्ि रासश का होकर स्स्थत हो तो व्र्त्रि को पुसलि रहा हो और अडर् ग्रह स्स्थसत अनुकूल हो तो व्र्त्रि
त्रवभाग मं नौकरी समल िकती हं । को गुििर त्रवभाग मं नौकरी समल िकती हं ।
र्फद प्रश्न कुण्िली मं िम्बस्डधत भाव और ग्रह र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश र्ा पंिमेश र्ा अष्टमेश
कमजोर स्स्थसत मं हो उन पर पाप ग्रहो का प्रभाव हो अपनी उच्ि रासश मं स्स्थत हो तो व्र्त्रि को गुििर
तो व्र्त्रि को पुसलि त्रवभाग मं नौकरी समलने मे त्रवभाग मं नौकरी समल िकती हं ।
त्रवसभडन कफठनाईर्ं का िामना करना पड़ िकता हं र्फद प्रश्न कुण्िली मं िम्बस्डधत भाव और ग्रह
इि सलए व्र्त्रि को फकिी और त्रवभाग मं नौकरी हे तु कमजोर स्स्थसत मं हो उन पर पाप ग्रहो का प्रभाव हो
प्रर्ाि करना िाफहए र्ा व्र्त्रि को पुसलि त्रवभाग मं तो व्र्त्रि को गुििर त्रवभाग मं नौकरी समलने मे
नौकरी प्राि करने के सलए पूणा मेहनत और लगन िे त्रवसभडन कफठनाईर्ं का िामना करना पड़ िकता हं
इिकी प्रस्तुसत करने पर िम्भवत िफलता समल इि सलए व्र्त्रि को फकिी और त्रवभाग मं नौकरी हे तु
िकती है । प्रर्ाि करना िाफहए र्ा व्र्त्रि को गुििर त्रवभाग मं
नौकरी प्राि करने के सलए कफठन पररश्रम और अडर्
गुििर त्रवभाग मं नौकरी के र्ोग
उपार्ो का िहारा लेना पड़ िकता है ।
कमजोर स्स्थसत मं हो शुभ ग्रह िे की र्ुसत र्ा दृत्रष्ट र्फद प्रश्न कुण्िली के तृतीर् भाव र्ा तृतीर्ेश एवं
िे वस्डित हो तो व्र्त्रि को माकेफटं ग के काम मं दशम भाव र्ा दशमेश बलवान स्स्थसत मं होतो
अिफलता समलती हं र्ा कफठन पररश्रम और िंघषा नौकरी बदलना लाभदार्क होता हं ।
करना पड़ता हं । र्फद प्रश्न कुण्िली मं दशम भाव मं िर रासश मं हो
र्फद प्रश्न कुण्िली के लग्न र्ा दशम भाव र्ा एकादश और उिमे शुभ ग्रह स्स्थत हो र्ा शुभ ग्रहं की दृत्रष्ट
भाव मं ग्रह उच्ि रासश का होकर स्स्थत हो तो व्र्त्रि हो तो व्र्त्रि को अपनी इच्छानुशार नौकरी की शीघ्र
को माकेफटं ग के क्षेि मं िफलता समल िकती हं । प्रासि होने की िंभावना बनती है ।
र्फद प्रश्न कुण्िली के लग्नेश र्ा दशमेश भाव र्ा र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश का दशमेश र्ा तृतीर्ेश
एकादशेश अपनी उच्ि रासश मं स्स्थत हो तो व्र्त्रि का आपि मं शुभ िम्बडध हो तो व्र्त्रि के सलए
को माकेफटं ग के क्षेि मं वास्डछत िफलता समल नौकरी बदलना लाभदार्क हो िकता हं ।
िकती हं । र्फद प्रश्न कुण्िली मं िडद्रमा तृतीर् भाव र्ा दशम
र्फद प्रश्न कुण्िली के लग्नेश, दशमेश भाव, एकादशेश भाव को ििम दृत्रष्ट िे दे खकर उिे बल प्रदान कर
का आपि मं शुभ िम्बडध बन रहा हो तो व्र्त्रि को रहा हो और अडर् ग्रह स्स्थसत अनुकूल हो तो व्र्त्रि
माकेफटं ग के क्षेि मं िफलता समलती हं । के सलए नौकरी बदलना लाभप्रद हो िकता हं ।
र्फद प्रश्न कुण्िली के िडद्रमा दशम भाव र्ा एकादश र्फद प्रश्न कुण्िली के लग्न र्ा दशम भाव र्ा तृतीर्
भाव को ििम दृत्रष्ट िे दे खकर उिे बल प्रदान कर मं ग्रह उच्ि रासश का होकर स्स्थत हो तो व्र्त्रि के
रहा हो और अडर् ग्रह स्स्थसत अनुकूल हो तो व्र्त्रि सलए नौकरी मं पररवतान करना लाभप्रद होता हं ।
को माकेफटं ग के क्षेि मं िफलता समल िकती है । र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश र्ा दशमेश र्ा तृतीर्ेश
र्फद प्रश्न कुण्िली मं िम्बस्डधत भाव और ग्रह अपनी उच्ि रासश मं स्स्थत हो तो व्र्त्रि के सलए
कमजोर स्स्थसत मं हो उन पर पाप ग्रहो का प्रभाव हो नौकरी मं पररवतान करना लाभदार्क होता हं ।
तो व्र्त्रि को माकेफटं ग के क्षेि मे त्रवसभडन र्फद प्रश्न कुण्िली मं िम्बस्डधत भाव और ग्रह
कफठनाईर्ं का िामना करना पड़ िकता हं इि सलए कमजोर स्स्थसत मं हो उन पर पाप ग्रहो का प्रभाव हो
व्र्त्रि को फकिी और कार्ा क्षेि का िुनाव करना तो व्र्त्रि के नौकरी मं पररवतान करने पर त्रवसभडन
िाफहए र्ा व्र्त्रि को माकेफटं ग के क्षेि मं िफलता कफठनाईर्ं का िामना करना पड़ िकता हं स्जि
प्राि करने के सलए कफठन पररश्रम करना पड़ िकता कारण िम्भवत उिकी नौकरी अस्थार्ी हो िकती हं
है । र्ा उिे पुनः नई नौकरी की तलाश करनी पड़ िकती
हं । इि सलए व्र्त्रि के सलए उपर्ुि रहे गा की वह
नौकरी बदलने के र्ोग
ग्रह स्स्थसत के िामाडर् होने तक नौकरी मं पररवतान
प्रश्न कुण्िली मं नौकरी की स्स्थसत जानने के सलए का त्रविार छोड़ कर मौजुदा नौकरी मं बने रहं ।
र्फद प्रश्न कुण्िली के लग्न और दशम भाव मं िर र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश का तृतीर्ेश र्ा दशमेश
रासश मं हो और उिमे शुभ ग्रह स्स्थत हो र्ा शुभ अपनी उच्ि रासश मं स्स्थत हो तो व्र्त्रि का तबादला
ग्रहं की दृत्रष्ट हो तो व्र्त्रि का स्थानांतर शीघ्र होने होने की िंभावना नहीं बनती।
की िंभावना बनती है । नोट: र्फद ग्रहं और भावं का प्रभाव प्रश्न कुण्िली मं शुभ
र्फद प्रश्न कुण्िली मं दशम भाव का तृतीर् भाव िे हो र्ा ग्रह उच्ि स्स्थसत मं स्स्थत हो तो तबादले की
शुभ िम्बडध स्थात्रपत हो रहा हो तो व्र्त्रि का स्स्थसत नहीं बननने का अथा है व्र्त्रि का तबादला कष्ट
पदौनत्रत्त के िाथ स्थानांतर हो िकता हं । र्ा कम लाभदे ने वाले स्थानो पर नहीं होता फकडतु ग्रहो
इि िे त्रवपररत र्फद र्फद प्रश्न कुण्िली मं दशम भाव के शुभ प्रभाव मं होने िे लाभदार्क स्थानो पर तबादला
का तृतीर् भाव िे अशुभ िम्बडध स्थात्रपत हो रहा हो होने की िंभावना बन िकती।
तो व्र्त्रि का अवनसत अथवा त्रबना पदौनत्रत्त के
तबादला होता हं । एिी स्स्थसत मं र्फद शुभ ग्रहं की पदोडनसत (प्रोमोशन) के र्ोग
द्रत्रष्ट िंबंसधत भाव पर नहीं पड़ रही हो तो र्फद प्रश्न कुण्िली मं नौकरी और उिमं तरक्की के का
व्र्त्रि अपना तबादला रुकवाने का प्रर्ाि करे तो त्रविार दशम भाव और दशमेश िे फकर्ा जाता है ।
उिमं भी उिे अिफलता समलने के र्ोग बनते हं । पदोडनसत के कारक िूर्ा एवं बृहस्पसत ग्रह की स्स्थसत
र्फद प्रश्न कुण्िली मं िम्बस्डधत ग्रह और भाव भी पदौनसत का त्रविार करते िमर् त्रवशेष महत्व
िामाडर् स्स्थसत मं हो ग्रह ना हीं असधक अशुभ हो रखती हं ।
और ना हीं असधक शुभ हो अथाात ग्रहो का प्रभाव र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्न र्ा लग्नेश, दशम भाव र्ा
मध्र्म हो, तो व्र्त्रि का स्थानांतर होने की दशमेश एवं िूर्ा अथवा बृहस्पसत की स्स्थसत उत्तम हो
तो व्र्त्रि को नौकरी मं पदोडनसत प्राि होती हं ।
िम्भावना कम बनती हं ।
र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्न र्ा लग्नेश, दशम भाव र्ा
र्फद प्रश्न कुण्िली के लग्न र्ा तृतीर् भाव र्ा दशम
दशमेश एवं िूर्ा अथवा बृहस्पसत पाप प्रभाव मं होत
भाव मं ग्रह उच्ि रासश का हो कर स्स्थत हो तो
तो व्र्त्रि को पदोडनसत मं त्रवसभडन रुकावटं का
व्र्त्रि का तबादला शीघ्र होने की िंभावना नहीं िामना कर पड़ िकता हं ।
बनती। र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश र्ा दशमेश उच्ि रासश
र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश का तृतीर्ेश र्ा दशमेश मं स्स्थत हो तो व्र्त्रि को पदोडनसत समलने के र्ोग
प्रश्न कुण्िली मं मुकदमं का त्रविार ििम भाव िे अथाात असधक बलशाली र्ा दब
ु ल
ा न हो तो ग्रह
फकर्ा जाता हं । प्रश्न कुण्िली मं लग्न व लग्नेश स्स्थसत र्ह िंकेत दे ती हं की व्र्त्रि को मुकदमे
की स्स्थसत भी महत्वपूणा स्थान रखती है । र्फद मं जीत के सलए सनरं तर प्रर्ाि करते रहना िाफहए
लग्नेश बलवान हो तो व्र्त्रि का भाग्र् उत्तम भले फह उिे फैिला अपने हक मं नज़र आरहा हो
होता हं स्जि कारण उिे शीघ्र िफलता समलने की लेफकन जीत समलने तक उिके सलए प्रर्ाि नहीं
लग्नेश कमजोर र्ा पाप प्रभाव मं हो तो व्र्त्रि र्फद प्रश्न कुण्िली के लग्न र्ा ििम भाव मं ग्रह
का भाग्र् दब
ु ल
ा होता हं , स्जि कारण जल्द कोई उच्ि रासश का होकर स्स्थत हो तो व्र्त्रि को
र्फद प्रश्न कुण्िली मं ििम भाव शुभ ग्रहं िे र्ुि र्फद प्रश्न कुण्िली के लग्नेश र्ा ििमेश अपनी
र्ा दृष्ट हो तो व्र्त्रि को मुकदमे मं िफलता उच्ि रासश मं स्स्थत हो तो व्र्त्रि को मुकदमे मं
र्फद प्रश्न कुण्िली मं ििम भाव अशुभ ग्रहं िे र्फद प्रश्न कुण्िली मं लग्नेश और ििमेश का
र्ुि र्ा दृष्ट हो तो व्र्त्रि को मुकदमे मं पराजर् आपि मं शुभ िम्बडध बन रहा हो तो व्र्त्रि को
र्ा त्रवलम्ब का िामना करना पड़ िकता हं । एिी मुकदमे मं िफलता समल िकती हं । ।
स्स्थसत मं हताशा और सनराशा का छोड़ कर र्फद प्रश्न कुण्िली मं िडद्रमा लग्न र्ा ििम भाव
त्रवजर् प्रासि की फदशा मं प्रर्ाि करने िाफहए। को ििम दृत्रष्ट िे दे खकर उिे बल प्रदान कर रहा
आपके प्रर्ािो एवं ग्रहो के अनुकूल होने तक हो तो व्र्त्रि को मुकदमे मं िफलता समलने की
गले मं होने के कारण र्ंि पत्रवि रहता हं एवं स्नान करते िमर् इि र्ंि पर स्पशा कर जो
जल त्रबंद ु शरीर को लगते हं , वह गंगा जल के िमान पत्रवि होता हं । इि सलर्े इिे िबिे
तेजस्वी एवं फलदासर् कहजाता हं । जैिे अमृत िे उत्तम कोई औषसध नहीं, उिी प्रकार लक्ष्मी
प्रासि के सलर्े श्री र्ंि िे उत्तम कोई र्ंि िंिार मं नहीं हं एिा शास्त्रोोि विन हं । इि प्रकार के
नवरत्न जफड़त श्री र्ंि गुरूत्व कार्ाालर् द्वारा शुभ मुहूता मं प्राण प्रसतत्रष्ठत करके बनावाए जाते
हं ।
असधक जानकारी हे तु िंपका करं ।
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92/3BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA)
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56 जून 2012
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57 जून 2012
रासश रत्न
मूंगा हीरा पडना मोती माणेक पडना
तुला रासश: वृस्िक रासश: धनु रासश: मकर रासश: कुंभ रासश: मीन रासश:
* उपर्ोि वजन और मूल्र् िे असधक और कम वजन और मूल्र् के रत्न एवं उपरत्न भी हमारे र्हा व्र्ापारी मूल्र् पर
उप्लब्ध हं ।
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59 जून 2012
मंि सिद्ध दल
ु भ
ा िामग्री
हत्था जोिी- Rs- 370 घोिे की नाल- Rs.351 मार्ा जाल- Rs- 251
सिर्ार सिंगी- Rs- 370 दस्क्षणावती शंख- Rs- 550 इडद्र जाल- Rs- 251
त्रबल्ली नाल- Rs- 370 मोसत शंख- Rs- 550 धन वृत्रद्ध हकीक िेट Rs-251
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60 जून 2012
हं उनके सलर्े श्रीकृ ष्ण बीिा र्ंि का पूजन एक िरल व िुलभ माध्र्म त्रवशेष शुभ मुहुता मं सनमााण फकर्ा
श्रीकृ ष्ण बीिा र्ंि पर अंफकत शत्रिशाली त्रवशेष रे खाएं, बीज मंि एवं ब्राहमणं द्वारा शुभ मुहुता मं शास्त्रोोि
श्रीकृ ष्ण बीिा र्ंि के पूजन व सनर्समत दशान के माध्र्म िे भगवान र्ुि करके सनमााण फकर्ा जाता हं ।
श्रीकृ ष्ण का आशीवााद प्राि कर िमाज मं स्वर्ं का अफद्वतीर् स्थान स्थात्रपत करं । स्जि के फल स्वरुप धारण करता
श्रीकृ ष्ण बीिा र्ंि अलौफकक ब्रह्मांिीर् उजाा का िंिार करता हं , जो व्र्त्रि को शीघ्र पूणा लाभ प्राि होता
एक प्राकृ त्रत्त माध्र्म िे व्र्त्रि के भीतर िद्दभावना, िमृत्रद्ध, िफलता, उत्तम हं । कवि को गले मं धारण करने
स्वास््र्, र्ोग और ध्र्ान के सलर्े एक शत्रिशाली माध्र्म हं ! िे वहं अत्र्ंत प्रभाव शाली होता
श्रीकृ ष्ण बीिा र्ंि के पूजन िे व्र्त्रि के िामास्जक मान-िम्मान व हं । गले मं धारण करने िे कवि
त्रवद्वानो के मतानुशार श्रीकृ ष्ण बीिा र्ंि के मध्र्भाग पर ध्र्ान र्ोग व्र्त्रि पर उिका लाभ असत तीव्र
कंफद्रत करने िे व्र्त्रि फक िेतना शत्रि जाग्रत होकर शीघ्र उच्ि स्तर एवं शीघ्र ज्ञात होने लगता हं ।
जो पुरुषं और मफहला अपने िाथी पर अपना प्रभाव िालना िाहते हं और उडहं अपनी और आकत्रषात करना
िाहते हं । उनके सलर्े श्रीकृ ष्ण बीिा र्ंि उत्तम उपार् सिद्ध हो िकता हं ।
पसत-पत्नी मं आपिी प्रम की वृत्रद्ध और िुखी दाम्पत्र् जीवन के सलर्े श्रीकृ ष्ण बीिा र्ंि लाभदार्ी होता हं ।
मूल्र्:- Rs. 730 िे Rs. 10900 तक उप्लब्द्ध
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61 जून 2012
िे धन लाभ होता हं व व्र्त्रि का िवांगी त्रवकार होकर उिे िुख-िमृत्रद्ध, मानिम्मान की प्रासि होती
हं । राम रक्षा र्ंि िभी प्रकार के अशुभ प्रभाव को दरू कर व्र्त्रि को जीवन की िभी प्रकार की
हनुमानजी के भि हं उडहं अपने सनवाि स्थान, व्र्विार्ीक स्थान पर राम रक्षा र्ंि को अवश्र्
स्थापीत करना िाफहर्े स्जििे आने वाले िंकटो िे रक्षा हो उनका जीवन िुखमर् व्र्तीत हो िके
त्रवशेष र्ंि
मासिक रासश फल
सिंतन जोशी
मेष: 1 िे 15 जून 2012 : महत्वपूणा कार्ो को करने मं आप िफल हंगे। भूसम-भवन के क्रर् त्रवक्रर् िे धन लाभ
होगा। नौकरी, व्र्वास्र् मं धन प्रासि होगी स्जस्िे आसथाक स्स्थती मं िुधार होगा।
आंखं िे िंबंसधत िमस्र्ा हो िकती हं अतः आंखं का त्रवशेष ध्र्ान रखे। िामास्जक
मान-िम्मान और पद-प्रसतष्ठा मं वृत्रद्ध होगी। व्र्विासर्क र्ािा लाभदार्क सिद्ध होगी।
वृषभ: 1 िे 15 जून 2012 : र्फद आप नौकरी मं हं तो पदौडनसत हो िकती हं र्ा नई नौकरी प्राि हो िकती हं ,
व्र्विार् मं हं तो उडनती फक मागा प्रिस्त हंगे। शिु एवं त्रवरोधी पक्ष आपका नाम
और प्रसतष्ठा को दत्रू षत करने का प्रर्ाि कर िकते हं । वाहन िावधानी िे िलार्े र्ा
वाहन िे िावधान रहे आकस्स्मक दघ
ु ट
ा ना हो िकती हं । जीवनिाथी का पूणा िहर्ोग
प्राि होगा।
समथुन: 1 िे 15 जून 2012 : अपने महत्व पूणा कार्ो मं असतररि िावधानी बरते
अडर्था बने बनाए कार्ा त्रबगड़ िकते हं । इि सलए आपको पूणा र्ोजनाबद्ध तररके िे
कार्ा करना िाफहर्े। आपकी रुसि इष्ट आराधना मं असधक हो िकती हं । पररवार मं
फकिी िदस्र् के स्जद्दी स्वभाव के कारण आपके पररवार मं मानसिक अशांसत का माहोल
हो िकता है ।
कका: 1 िे 15 जून 2012 : नौकरी-व्र्विार् मं उडनसत व आर्के नए स्त्रोोत समलने के र्ोग हं । इष्ट समिं व पररजनो
िे िे धन लाभ प्रासि के र्ोग हं ।भौसतक िुख-िुत्रवधा के िाधन बढने के र्ोग हं ।
आपका िामस्जक मान-िम्मान बढे गा। स्जििे शिु एवं त्रवरोधी पक्ष परास्त हंगे। वाहन
िावधानी िे िलार्े र्ा वाहन िे िावधान रहे आकस्स्मक दघ
ु ट
ा ना हो िकती हं ।
16 िे 30 जून 2012 : आपके द्वारा फकए गए शुभ कार्ो का धनलाभ आपको आने
भत्रवष्र् मं प्राि होगा। मौिम के पररवतान िे आपका स्वास््र् प्रसतकूल आिकता हं ।
दरू स्थ स्थानो र्ा त्रवदे श िे धन प्रासि के र्ोग हं । कार्ा की व्र्स्तता के कारण पररवार
मं अशांसत का वातावरण हो िकता हं । अपने खाने-पीने की आदतं को त्रबगिने नहीं दे ।
सिंह: 1 िे 15 जून 2012 : पूंस्ज सनवेश इत्र्ाफद के सलए िमर् प्रसतकूल हं इि सलए सनवेश करने िे परहे ज करं ।
आपके कार्ाक्षेि मं महत्वपूणा बदलाव हंगे। आपकी कार्ा करने की शैली िुधरे गी।
आपकी आसथाक स्स्थती मं िुधार होगा। िंतान िंबंसधत सिंताओं का सनवारण होगा।
दरू स्थ स्थानो की र्ािाएं िंभव हं । प्रेम िंबंधो मं िफलता प्राि होगी। स्वास््र्
िंबंसधत परे शानीर्ां दरू होगी।
कडर्ा: 1 िे 15 जून 2012 : कार्ाक्षेि मं आपको मनोनुकूल लाभ प्राि होगा। आपके
भौसतक िुख-िाधनो मं वृत्रद्ध होगी। स्जि कारण आपकी आर् के अनुरुप खिा के र्ोग
भी बन िकते हं । पररवार के फकिी िदस्र्ा का स्वास््र् सिंता का त्रवषर् हो िकता
हं । आपके िामास्जक मान-िम्मान और पद-प्रसतष्ठा मं वृत्रद्ध होगी। प्रेम िंबंसधत मामलो
मं अनबन हो िकती हं ।
तुला: 1 िे 15 जून 2012 : आपके भौसतक िुख-िाधनो मं वृत्रद्ध होगी। फकर्े गर्े पूंस्ज सनवेश र्ा भूसम-भवन िे
िंबंसधअ मामलो मं ितका रहे भारी नुक्शान हो िकता हं । आपके व्र्विार्ीक कार्ो
मं त्रवलंब हो िकता हं । पररवार मं खुसशर्ो का माहोल रहे गा और पररवार मं फकिी नर्े
िदस्र् फक वृत्रद्ध होने के र्ोग बन रहे है ।
धनु: 1 िे 15 जून 2012 : पूवा काल िे रुके हुवे कार्ा के पूणा होने िे आपको आकस्स्मक धन लाभ प्राि हो िकता
मकर: 1 िे 15 जून 2012 : नौकरी-व्र्विार् िे िंबंसधत कार्ो िे जुिे लोगो के सलए िमर् मध्र्म लाभ दे ने वाला
रहे गा। िल-अिल िंपत्रत्त मं पूंस्जसनवेश करने के सलए िमर् उत्तम सिद्ध हो िकता हं ।
पररवार मं फकिी िदस्र् के स्जद्दी स्वभाव के कारण आपके पररवार मं मानसिक अशांसत
का माहोल हो िकता है । जीवन िाथी िे पूणा िहर्ोग प्राि होगा।
16 िे 30 जून 2012 : फकर्े गर्े पूंस्ज सनवेश द्वारा आकस्स्मक धन प्रासि के र्ोग बन
रहे है । महत्वपूणा कार्ा एवं र्ोजनाओं को पूणा करने हे तु िमर् उत्तम हं । कार्ाक्षेि की
िमस्र्ाकं दरू करने मं आप पूणा रुप िे िमथा हंगे हं । घर पररवार मं मांगसलक कार्ा
िंपडन होने के अच्छे र्ोग हं । खान-पान का त्रवशेष ध्र्ान रखं अडर्था पूराने रोगो के
कारण लंबे िमर् के सलए कष्ट िंभव हं ।
िमर् मध्र्म लाभ दे ने वाला रहे गा। फकर्े गर्े पूंस्ज सनवेश द्वारा आकस्स्मक धन प्रासि
के र्ोग बन रहे है । पररवार मं फकिी िदस्र् के कारण पररवार मं अशांसत का माहोल हो
िकता है । खान-पान का त्रवशेष ध्र्ान रखं अडर्था पूराने रोगो के कारण लंबे िमर् के
सलए कष्ट िंभव हं ।
16 िे 30 जून 2012 : महत्वपूणा कार्ा एवं र्ोजनाओं को पूणा करने हे तु िमर् उत्तम हं ।
िल-अिल िंपत्रत्त मं पूंस्जसनवेश करने के सलए िमर् उत्तम सिद्ध हो िकता हं । जीवन
िाथी िे पूणा िहर्ोग प्राि होगा। आपके त्रवरोधी एवं शिु पक्ष परास्त हंगे। मौिम के बदलाव िे पररवार के फकिी
िदस्र् का स्वास््र् प्राभात्रवत हो िकता हं । जीवन िाथी का पूणा िहर्ोग प्राि होगा।
69 जून 2012
एकादशी-
1 शुक्र ज्र्ेष्ठ शुक्ल 06:32:54 सििा 19:10:24 व्र्सतपात 07:48:50 त्रवत्रष्ट 06:32:54 कडर्ा 08:19:00
द्वादशी
2
शसन ज्र्ेष्ठ शुक्ल िर्ोदशी 23:55:12 स्वाती 16:36:27 पररग्रह 24:12:05 कौलव 13:40:12 तुला
3
रत्रव ज्र्ेष्ठ शुक्ल ितुदाशी 20:18:28 त्रवशाखा 13:51:17 सशव 20:08:10 गर 10:06:17 तुला 08:33:00
4
िोम ज्र्ेष्ठ शुक्ल पूस्णामा 16:41:46 अनुराधा 11:04:16 सित्रद्ध 16:06:08 त्रवत्रष्ट 06:29:34 वृस्िक
5
मंगल आषाढ़ कृ ष्ण प्रसतपदा 13:15:23 जेष्ठा 08:22:53 िाध्र् 12:11:38 कौलव 13:15:23 वृस्िक 08:24:00
6
बुध आषाढ़ कृ ष्ण फद्वतीर्ा 10:07:47 मूल 06:00:17 शुभ 08:32:09 गर 10:07:47 धनु
7
गुरु आषाढ़ कृ ष्ण तृतीर्ा 07:28:20 उत्तराषाढ़ 26:42:23 ब्रह्म 26:29:16 त्रवत्रष्ट 07:28:20 धनु 09:40:00
पंिमी-
9 शसन आषाढ़ कृ ष्ण 27:31:59 धसनष्ठा 26:09:29 वैधसृ त 22:42:18 गर 15:42:18 मकर 14:00:00
षष्ठी
षष्ठी -
10 रत्रव आषाढ़ कृ ष्ण 27:46:58 शतसभषा 27:03:51 त्रवषकुंभ 21:46:02 त्रवत्रष्ट 15:32:54 कुंभ
ििमी
11
िोम आषाढ़ कृ ष्ण अष्टमी 28:47:55 पूवााभाद्रपद 28:43:14 प्रीसत 21:26:21 बालव 16:12:17 कुंभ 22:14:00
12
मंगल आषाढ़ कृ ष्ण नवमी 30:28:15 उत्तराभाद्रपद 31:00:08 आर्ुष्मान 21:39:30 तैसतल 17:32:57 मीन
13
बुध आषाढ़ कृ ष्ण नवमी 06:28:18 उत्तराभाद्रपद 07:00:11 िौभाग्र् 22:18:00 गर 06:28:18 मीन
14
गुरु आषाढ़ कृ ष्ण दशमी 08:39:38 रे वसत 09:47:08 शोभन 23:15:15 त्रवत्रष्ट 08:39:38 मीन 09:47:00
15
शुक्र आषाढ़ कृ ष्ण एकादशी 11:07:51 अस्श्वनी 12:50:58 असतगंि 24:20:58 बालव 11:07:51 मेष
16
शसन आषाढ़ कृ ष्ण द्वादशी 13:44:31 भरणी 16:00:28 िुकमाा 25:27:39 तैसतल 13:44:31 मेष 22:47:00
17
रत्रव आषाढ़ कृ ष्ण िर्ोदशी 16:15:36 कृ सतका 19:04:21 धृसत 26:28:43 वस्णज 16:15:36 वृष
18
िोम आषाढ़ कृ ष्ण ितुदाशी 18:33:34 रोफहस्ण 21:56:04 शूल 27:15:45 त्रवत्रष्ट 05:27:00 वृष
70 जून 2012
19
मंगल आषाढ़ कृ ष्ण अमावस्र्ा 20:32:48 मृगसशरा 24:27:10 गंि 27:47:48 ितुष्पाद 07:35:37 वृष 11:14:00
20
बुध आषाढ़ शुक्ल प्रसतपदा 22:06:44 आद्रा 26:34:52 वृत्रद्ध 28:00:11 फकस्तुघ्न 09:22:41 समथुन
21
गुरु आषाढ़ शुक्ल फद्वतीर्ा 23:14:27 पुनवािु 28:16:19 ध्रुव 27:51:01 बालव 10:44:27 समथुन 21:54:00
22
शुक्र आषाढ़ शुक्ल तृतीर्ा 23:54:03 पुष्र् 29:30:37 व्र्ाघात 27:20:18 तैसतल 11:38:07 कका
24
रत्रव आषाढ़ शुक्ल पंिमी 23:48:56 अश्लेषा 06:17:04 वज्र 25:12:23 बव 12:01:08 कका 06:17:00
25
िोम आषाढ़ शुक्ल षष्ठी 23:02:21 मघा 06:35:09 सित्रद्ध 23:33:17 कौलव 11:29:32 सिंह
26
मंगल आषाढ़ शुक्ल ििमी 21:48:35 पूवााफाल्गुनी 06:24:12 व्र्सतपात 21:31:42 गर 10:28:53 सिंह 12:18:00
27
बुध आषाढ़ शुक्ल अष्टमी 20:06:42 उत्तराफाल्गुनी 05:47:01 वररर्ान 19:07:38 त्रवत्रष्ट 09:01:05 कडर्ा
28
गुरु आषाढ़ शुक्ल नवमी 17:59:32 सििा 27:13:35 पररग्रह 16:22:58 बालव 07:06:05 कडर्ा 16:01:00
29
शुक्र आषाढ़ शुक्ल दशमी 15:29:52 स्वाती 25:23:18 सशव 13:19:33 गर 15:29:52 तुला
30
शसन आषाढ़ शुक्ल एकादशी 12:40:32 त्रवशाखा 23:16:10 सित्रद्ध 10:01:10 त्रवत्रष्ट 12:40:32 तुला
3 रत्रव ज्र्ेष्ठ शुक्ल ितुदाशी 20:18:28 िम्पक ितुदाशी, पूस्णामा व्रत, श्रीित्र्नारार्ण व्रत कथा
5 मंगल आषाढ़ कृ ष्ण प्रसतपदा 13:15:23 त्रवश्व पर्ाावरण फदवि, गुरु गोलवलकर स्मृसत फदवि
6 बुध आषाढ़ कृ ष्ण फद्वतीर्ा 10:07:47 िूर्-ा शुक्र िमागम(ग्रहण) (अडतररक्ष की अद्भत
ु खगोलीर् घटना)
7 गुरु आषाढ़ कृ ष्ण तृतीर्ा 07:28:20 िंकष्टी श्रीगणेश ितुथी व्रत (िं.उ.रा.9:38)
8 शुक्र आषाढ़ कृ ष्ण ितुथी 05:25:27 कोफकला पंिमी, नाग पूजन (प.बं),
पंिमी-
9 शसन आषाढ़ कृ ष्ण 27:31:59 -
षष्ठी
षष्ठी -
10 रत्रव आषाढ़ कृ ष्ण 27:46:58 भानु ििमी पवा, (िूर्ग्र
ा हण िमान फलदार्क),
ििमी
11 िोम आषाढ़ कृ ष्ण अष्टमी 28:47:55 शीतलाष्टमी, कालाष्टमी व्रत, भलभलाष्टमी, बोहराष्टमी,
12 मंगल आषाढ़ कृ ष्ण नवमी 30:28:15 प्रािीन मतानुिार शीतलाष्टमी, इडद्राणी पूजा
16 शसन आषाढ़ कृ ष्ण द्वादशी 13:44:31 शसन प्रदोष व्रत (िंतान िुख हे तु उत्तम)
17 रत्रव आषाढ़ कृ ष्ण िर्ोदशी 16:15:36 सशव ितुदाशी, मासिक सशवरात्रि व्रत
18 िोम आषाढ़ कृ ष्ण ितुदाशी 18:33:34 िोमवारी व्रत, महारानी लक्ष्मीबाई फदवि,
72 जून 2012
श्रीदग
ु ाा अष्टमी व्रत, श्रीअडनपूणााष्टमी व्रत, परशुरामाष्टमी, बुध अष्टमी पवा
27 बुध आषाढ़ शुक्ल अष्टमी 20:06:42
(िूर्ग्र
ा हण के िमान फलदार्क), मफहषघ्नी व्रत, हार अष्टमी,
भड्िली नवमी, कडदपा नवमी, हार नवमी, शाररका जर्ंती, गुि आषाढ़ी
28 गुरु आषाढ़ शुक्ल नवमी 17:59:32
नवराि पूण,ा
29 शुक्र आषाढ़ शुक्ल दशमी 15:29:52 आशा दशमी, सगररजा पूजन, िोपपदा दशमी, पुनर्ाािा उल्टा रथ (उ)
कुबेर र्ंि
कुबेर र्ंि के पूजन िे स्वणा लाभ, रत्न लाभ, पैतक
ृ िम्पत्ती एवं गड़े हुए धन िे लाभ प्रासि फक कामना करने वाले
व्र्त्रि के सलर्े कुबेर र्ंि अत्र्डत िफलता दार्क होता हं । एिा शास्त्रोोि विन हं । कुबेर र्ंि के पूजन िे एकासधक
स्त्रोोि िे धन का प्राि होकर धन िंिर् होता हं ।
GURUTVA KARYALAY
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA)
Call Us – 91 + 9338213418, 91 + 9238328785
Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in, gurutva.karyalay@gmail.com
74 जून 2012
मंगल र्ंि
(त्रिकोण) मंगल र्ंि को जमीन-जार्दाद के त्रववादो को हल करने के काम मं लाभ दे ता हं , इि के असतररि व्र्त्रि को
ऋण मुत्रि हे तु मंगल िाधना िे असत शीध्र लाभ प्राि होता हं । त्रववाह आफद मं मंगली जातकं के कल्र्ाण के सलए
मंगल र्ंि की पूजा करने िे त्रवशेष लाभ प्राि होता हं । मूल्र् माि Rs- 730
GURUTVA KARYALAY
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75 जून 2012
ओनेक्ि
जो व्र्त्रि पडना धारण करने मे अिमथा हो उडहं बुध ग्रह के उपरत्न ओनेक्ि को धारण करना िाफहए।
उच्ि सशक्षा प्रासि हे तु और स्मरण शत्रि के त्रवकाि हे तु ओनेक्ि रत्न की अंगूठी को दार्ं हाथ की िबिे छोटी
उं गली र्ा लॉकेट बनवा कर गले मं धारण करं । ओनेक्ि रत्न धारण करने िे त्रवद्या-बुत्रद्ध की प्रासि हो होकर स्मरण
शत्रि का त्रवकाि होता हं ।
76 जून 2012
अमृत र्ोग
18 रात्रि 9.55 िे रातभर 22 प्रात: 4.15 िे िूर्ोदर् तक
र्ोग फल :
कार्ा सित्रद्ध र्ोग मे फकर्े गर्े शुभ कार्ा मे सनस्ित िफलता प्राि होती हं , एिा शास्त्रोोि विन हं ।
त्रिपुष्कर र्ोग मं फकर्े गर्े शुभ कार्ो का लाभ तीन गुना होता हं । एिा शास्त्रोोि विन हं ।
गुरु पुष्र्ामृत र्ोग मं फकर्े गर्े फकर्े गर्े शुभ कार्ा मे शुभ फलो की प्रासि होती हं , एिा शास्त्रोोि विन हं ।
फदन के िौघफिर्े
िमर् रत्रववार िोमवार मंगलवार बुधवार गुरुवार शुक्रवार शसनवार
रात के िौघफिर्े
िमर् रत्रववार िोमवार मंगलवार बुधवार गुरुवार शुक्रवार शसनवार
रत्रववार िूर्ा शुक्र बुध िंद्र शसन गुरु मंगल िूर्ा शुक्र बुध िंद्र शसन
िोमवार िंद्र शसन गुरु मंगल िूर्ा शुक्र बुध िंद्र शसन गुरु मंगल िूर्ा
मंगलवार मंगल िूर्ा शुक्र बुध िंद्र शसन गुरु मंगल िूर्ा शुक्र बुध िंद्र
बुधवार बुध िंद्र शसन गुरु मंगल िूर्ा शुक्र बुध िंद्र शसन गुरु मंगल
गुरुवार गुरु मंगल िूर्ा शुक्र बुध िंद्र शसन गुरु मंगल िूर्ा शुक्र बुध
शुक्रवार शुक्र बुध िंद्र शसन गुरु मंगल िूर्ा शुक्र बुध िंद्र शसन गुरु
शसनवार शसन गुरु मंगल िूर्ा शुक्र बुध िंद्र शसन गुरु मंगल िूर्ा शुक्र
त्रवद्वानो के मत िे इस्च्छत कार्ा सित्रद्ध के सलए ग्रह िे िंबंसधत होरा का िुनाव करने िे त्रवशेष लाभ
प्राि होता हं ।
िूर्ा फक होरा िरकारी कार्ो के सलर्े उत्तम होती हं ।
िंद्रमा फक होरा िभी कार्ं के सलर्े उत्तम होती हं ।
मंगल फक होरा कोटा-किेरी के कार्ं के सलर्े उत्तम होती हं ।
बुध फक होरा त्रवद्या-बुत्रद्ध अथाात पढाई के सलर्े उत्तम होती हं ।
गुरु फक होरा धासमाक कार्ा एवं त्रववाह के सलर्े उत्तम होती हं ।
शुक्र फक होरा र्ािा के सलर्े उत्तम होती हं ।
शसन फक होरा धन-द्रव्र् िंबंसधत कार्ा के सलर्े उत्तम होती हं ।
79 जून 2012
2 01:17:50 06:13:04 04:21:06 01:24:36 01:03:43 01:24:12 05:29:10 07:11:02 01:11:02 11:13:49 10:09:06 08:14:53
3 01:18:47 06:28:04 04:21:31 01:26:45 01:03:57 01:23:36 05:29:08 07:11:03 01:11:03 11:13:51 10:09:06 08:14:52
4 01:19:45 07:13:10 04:21:55 01:28:51 01:04:11 01:22:59 05:29:06 07:11:03 01:11:03 11:13:53 10:09:06 08:14:51
5 01:20:42 07:28:12 04:22:21 02:00:57 01:04:25 01:22:22 05:29:04 07:11:03 01:11:03 11:13:55 10:09:06 08:14:49
6 01:21:39 08:13:01 04:22:46 02:03:00 01:04:39 01:21:44 05:29:02 07:11:02 01:11:02 11:13:57 10:09:06 08:14:48
7 01:22:37 08:27:31 04:23:12 02:05:01 01:04:52 01:21:06 05:29:00 07:11:00 01:11:00 11:13:58 10:09:06 08:14:46
8 01:23:34 09:11:37 04:23:37 02:07:00 01:05:06 01:20:29 05:28:58 07:10:59 01:10:59 11:14:00 10:09:06 08:14:45
9 01:24:32 09:25:16 04:24:04 02:08:57 01:05:20 01:19:52 05:28:56 07:10:58 01:10:58 11:14:02 10:09:06 08:14:44
10 01:25:29 10:08:29 04:24:30 02:10:52 01:05:34 01:19:16 05:28:55 07:10:56 01:10:56 11:14:03 10:09:06 08:14:42
11 01:26:26 10:21:17 04:24:57 02:12:45 01:05:47 01:18:40 05:28:53 07:10:56 01:10:56 11:14:05 10:09:06 08:14:41
12 01:27:24 11:03:44 04:25:24 02:14:35 01:06:01 01:18:06 05:28:52 07:10:56 01:10:56 11:14:06 10:09:06 08:14:39
13 01:28:21 11:15:54 04:25:51 02:16:22 01:06:15 01:17:33 05:28:51 07:10:56 01:10:56 11:14:08 10:09:05 08:14:38
14 01:29:18 11:27:52 04:26:18 02:18:07 01:06:28 01:17:02 05:28:50 07:10:58 01:10:58 11:14:09 10:09:05 08:14:37
15 02:00:16 00:09:43 04:26:46 02:19:50 01:06:42 01:16:33 05:28:48 07:10:59 01:10:59 11:14:10 10:09:05 08:14:35
16 02:01:13 00:21:30 04:27:14 02:21:30 01:06:56 01:16:05 05:28:48 07:11:01 01:11:01 11:14:12 10:09:04 08:14:34
17 02:02:10 01:03:18 04:27:42 02:23:08 01:07:09 01:15:39 05:28:47 07:11:02 01:11:02 11:14:13 10:09:04 08:14:32
18 02:03:08 01:15:09 04:28:10 02:24:43 01:07:23 01:15:16 05:28:46 07:11:02 01:11:02 11:14:14 10:09:04 08:14:31
19 02:04:05 01:27:07 04:28:39 02:26:15 01:07:36 01:14:54 05:28:45 07:11:01 01:11:01 11:14:15 10:09:03 08:14:29
20 02:05:02 02:09:13 04:29:08 02:27:45 01:07:49 01:14:35 05:28:45 07:10:59 01:10:59 11:14:17 10:09:03 08:14:28
21 02:05:59 02:21:30 04:29:37 02:29:13 01:08:03 01:14:18 05:28:44 07:10:56 01:10:56 11:14:18 10:09:02 08:14:26
22 02:06:57 03:03:58 05:00:06 03:00:38 01:08:16 01:14:04 05:28:44 07:10:52 01:10:52 11:14:19 10:09:02 08:14:25
23 02:07:54 03:16:39 05:00:36 03:02:00 01:08:29 01:13:52 05:28:43 07:10:47 01:10:47 11:14:20 10:09:01 08:14:23
24 02:08:51 03:29:34 05:01:05 03:03:19 01:08:42 01:13:42 05:28:43 07:10:43 01:10:43 11:14:21 10:09:01 08:14:22
25 02:09:48 04:12:44 05:01:35 03:04:36 01:08:55 01:13:35 05:28:43 07:10:40 01:10:40 11:14:22 10:09:00 08:14:20
26 02:10:46 04:26:09 05:02:05 03:05:50 01:09:08 01:13:30 05:28:43 07:10:38 01:10:38 11:14:22 10:08:59 08:14:19
27 02:11:43 05:09:50 05:02:35 03:07:01 01:09:22 01:13:27 05:28:43 07:10:37 01:10:37 11:14:23 10:08:59 08:14:17
28 02:12:40 05:23:48 05:03:06 03:08:10 01:09:34 01:13:27 05:28:44 07:10:38 01:10:38 11:14:24 10:08:58 08:14:16
29 02:13:37 06:08:01 05:03:37 03:09:15 01:09:47 01:13:29 05:28:44 07:10:39 01:10:39 11:14:25 10:08:57 08:14:14
30 02:14:34 06:22:30 05:04:07 03:10:17 01:10:00 01:13:33 05:28:44 07:10:40 01:10:40 11:14:25 10:08:56 08:14:13
80 जून 2012
उसित उपिार िे ज्र्ादातर िाध्र् रोगो िे तो मुत्रि समल जाती हं , लेफकन कभी-कभी िाध्र् रोग होकर भी अिाध्र्ा
होजाते हं , र्ा कोइ अिाध्र् रोग िे ग्रसित होजाते हं । हजारो लाखो रुपर्े खिा करने पर भी असधक लाभ प्राि नहीं हो
पाता। िॉक्टर द्वारा फदजाने वाली दवाईर्ा अल्प िमर् के सलर्े कारगर िात्रबत होती हं , एसि स्स्थती मं लाभा प्रासि के
सलर्े व्र्त्रि एक िॉक्टर िे दि
ू रे िॉक्टर के िक्कर लगाने को बाध्र् हो जाता हं ।
भारतीर् ऋषीर्ोने अपने र्ोग िाधना के प्रताप िे रोग शांसत हे तु त्रवसभडन आर्ुवेर औषधो के असतररि र्ंि,
मंि एवं तंि उल्लेख अपने ग्रंथो मं कर मानव जीवन को लाभ प्रदान करने का िाथाक प्रर्ाि हजारो वषा पूवा फकर्ा था।
बुत्रद्धजीवो के मत िे जो व्र्त्रि जीवनभर अपनी फदनिर्ाा पर सनर्म, िंर्म रख कर आहार ग्रहण करता हं , एिे व्र्त्रि
को त्रवसभडन रोग िे ग्रसित होने की िंभावना कम होती हं । लेफकन आज के बदलते र्ुग मं एिे व्र्त्रि भी भर्ंकर रोग
िे ग्रस्त होते फदख जाते हं । क्र्ोफक िमग्र िंिार काल के अधीन हं । एवं मृत्र्ु सनस्ित हं स्जिे त्रवधाता के अलावा
और कोई टाल नहीं िकता, लेफकन रोग होने फक स्स्थती मं व्र्त्रि रोग दरू करने का प्रर्ाि तो अवश्र् कर िकता हं ।
इि सलर्े र्ंि मंि एवं तंि के कुशल जानकार िे र्ोग्र् मागादशान लेकर व्र्त्रि रोगो िे मुत्रि पाने का र्ा उिके प्रभावो
को कम करने का प्रर्ाि भी अवश्र् कर िकता हं ।
ज्र्ोसतष त्रवद्या के कुशल जानकर भी काल पुरुषकी गणना कर अनेक रोगो के अनेको रहस्र् को उजागर कर
िकते हं । ज्र्ोसतष शास्त्रो के माध्र्म िे रोग के मूलको पकिने मे िहर्ोग समलता हं , जहा आधुसनक सिफकत्िा शास्त्रो
अक्षम होजाता हं वहा ज्र्ोसतष शास्त्रो द्वारा रोग के मूल(जड़) को पकि कर उिका सनदान करना लाभदार्क एवं
उपार्ोगी सिद्ध होता हं ।
हर व्र्त्रि मं लाल रं गकी कोसशकाए पाइ जाती हं , स्जिका सनर्मीत त्रवकाि क्रम बद्ध तरीके िे होता रहता हं ।
जब इन कोसशकाओ के क्रम मं पररवतान होता है र्ा त्रवखंफिन होता हं तब व्र्त्रि के शरीर मं स्वास््र् िंबंधी त्रवकारो
उत्पडन होते हं । एवं इन कोसशकाओ का िंबंध नव ग्रहो के िाथ होता हं । स्जस्िे रोगो के होने के कारणा व्र्त्रिके
जडमांग िे दशा-महादशा एवं ग्रहो फक गोिर मं स्स्थती िे प्राि होता हं ।
िवा रोग सनवारण कवि एवं महामृत्र्ुंजर् र्ंि के माध्र्म िे व्र्त्रि के जडमांग मं स्स्थत कमजोर एवं पीफित
ग्रहो के अशुभ प्रभाव को कम करने का कार्ा िरलता पूवक
ा फकर्ा जािकता हं । जेिे हर व्र्त्रि को ब्रह्मांि फक उजाा एवं
पृ्वी का गुरुत्वाकषाण बल प्रभावीत कताा हं फठक उिी प्रकार कवि एवं र्ंि के माध्र्म िे ब्रह्मांि फक उजाा के
िकारात्मक प्रभाव िे व्र्त्रि को िकारात्मक उजाा प्राि होती हं स्जस्िे रोग के प्रभाव को कम कर रोग मुि करने हे तु
िहार्ता समलती हं ।
रोग सनवारण हे तु महामृत्र्ुंजर् मंि एवं र्ंि का बिा महत्व हं । स्जस्िे फहडद ू िंस्कृ सत का प्रार्ः हर व्र्त्रि
महामृत्र्ुंजर् मंि िे पररसित हं ।
81 जून 2012
कवि के लाभ :
एिा शास्त्रोोि विन हं स्जि घर मं महामृत्र्ुंजर् र्ंि स्थात्रपत होता हं वहा सनवाि कताा हो नाना प्रकार फक
आसध-व्र्ासध-उपासध िे रक्षा होती हं ।
पूणा प्राण प्रसतत्रष्ठत एवं पूणा िैतडर् र्ुि िवा रोग सनवारण कवि फकिी भी उम्र एवं जासत धमा के लोग िाहे
स्त्रोी हो र्ा पुरुष धारण कर िकते हं ।
जडमांगमं अनेक प्रकारके खराब र्ोगो और खराब ग्रहो फक प्रसतकूलता िे रोग उतपडन होते हं ।
कुछ रोग िंक्रमण िे होते हं एवं कुछ रोग खान-पान फक असनर्समतता और अशुद्धतािे उत्पडन होते हं । कवि
एवं र्ंि द्वारा एिे अनेक प्रकार के खराब र्ोगो को नष्ट कर, स्वास््र् लाभ और शारीररक रक्षण प्राि करने हे तु
िवा रोगनाशक कवि एवं र्ंि िवा उपर्ोगी होता हं ।
आज के भौसतकता वादी आधुसनक र्ुगमे अनेक एिे रोग होते हं , स्जिका उपिार ओपरे शन और दवािे भी
कफठन हो जाता हं । कुछ रोग एिे होते हं स्जिे बताने मं लोग फहिफकिाते हं शरम अनुभव करते हं एिे रोगो
को रोकने हे तु एवं उिके उपिार हे तु िवा रोगनाशक कवि एवं र्ंि लाभादासर् सिद्ध होता हं ।
प्रत्र्ेक व्र्त्रि फक जेिे-जेिे आर्ु बढती हं वैिे-विै उिके शरीर फक ऊजाा होती जाती हं । स्जिके िाथ अनेक
प्रकार के त्रवकार पैदा होने लगते हं एिी स्स्थती मं उपिार हे तु िवारोगनाशक कवि एवं र्ंि फलप्रद होता हं ।
स्जि घर मं त्रपता-पुि, माता-पुि, माता-पुिी, र्ा दो भाई एक फह नक्षिमे जडम लेते हं, तब उिकी माता के सलर्े
असधक कष्टदार्क स्स्थती होती हं । उपिार हे तु महामृत्र्ुंजर् र्ंि फलप्रद होता हं ।
स्जि व्र्त्रि का जडम पररसध र्ोगमे होता हं उडहे होने वाले मृत्र्ु तुल्र् कष्ट एवं होने वाले रोग, सिंता मं
उपिार हे तु िवा रोगनाशक कवि एवं र्ंि शुभ फलप्रद होता हं ।
नोट:- पूणा प्राण प्रसतत्रष्ठत एवं पूणा िैतडर् र्ुि िवा रोग सनवारण कवि एवं र्ंि के बारे मं असधक जानकारी हे तु हम
िे िंपका करं ।
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of the natural and spiritual world.
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Our all kawach, yantra and any other article are prepared on the Principle of Positiv energy, our
Article dose not produce any bad energy.
Our Goal
Here Our goal has The classical Method-Legislation with Proved by specific with fiery chants
prestigious full consciousness (Puarn Praan Pratisthit) Give miraculous powers & Good effect All
types of Yantra, Kavach, Rudraksh, preciouse and semi preciouse Gems stone deliver on your
door step.
82 जून 2012
GURUTVA KARYALAY
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA)
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Our Website:- http://gk.yolasite.com/ and http://gurutvakaryalay.blogspot.com/
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NAME OF GEM STONE GENERAL MEDIUM FINE FINE SUPER FINE SPECIAL
Emerald (पडना) 200.00 500.00 1200.00 1900.00 2800.00 & above
Yellow Sapphire (पुखराज) 550.00 1200.00 1900.00 2800.00 4600.00 & above
Blue Sapphire (नीलम) 550.00 1200.00 1900.00 2800.00 4600.00 & above
White Sapphire (िफ़ेद पुखराज) 550.00 1200.00 1900.00 2800.00 4600.00 & above
Bangkok Black Blue(बंकोक नीलम) 100.00 150.00 200.00 500.00 1000.00 & above
Ruby (मास्णक) 100.00 190.00 370.00 730.00 1900.00 & above
Ruby Berma (बमाा मास्णक) 5500.00 6400.00 8200.00 10000.00 21000.00 & above
Speenal (नरम मास्णक/लालिी) 300.00 600.00 1200.00 2100.00 3200.00 & above
Pearl (मोसत) 30.00 60.00 90.00 120.00 280.00 & above
Red Coral (4 jrh rd) (लाल मूंगा) 75.00 90.00 12.00 180.00 280.00 & above
Red Coral (4 jrh ls mij) (लाल मूंगा) 120.00 150.00 190.00 280.00 550.00 & above
White Coral (िफ़ेद मूंगा) 20.00 28.00 42.00 51.00 90.00 & above
Cat’s Eye (लहिुसनर्ा) 25.00 45.00 90.00 120.00 190.00 & above
Cat’s Eye Orissa (उफििा लहिुसनर्ा) 460.00 640.00 1050.00 2800.00 5500.00 & above
Gomed (गोमेद) 15.00 27.00 60.00 90.00 120.00 & above
Gomed CLN (सिलोनी गोमेद) 300.00 410.00 640.00 1800.00 2800.00 & above
Zarakan (जरकन) 350.00 450.00 550.00 640.00 910.00 & above
Aquamarine (बेरुज) 210.00 320.00 410.00 550.00 730.00 & above
Lolite (नीली) 50.00 120.00 230.00 390.00 500.00 & above
Turquoise (फफ़रोजा) 15.00 30.00 45.00 60.00 90.00 & above
Golden Topaz (िुनहला) 15.00 30.00 45.00 60.00 90.00 & above
Real Topaz (उफििा पुखराज/टोपज) 60.00 120.00 280.00 460.00 640.00 & above
Blue Topaz (नीला टोपज) 60.00 90.00 120.00 280.00 460.00 & above
White Topaz (िफ़ेद टोपज) 60.00 90.00 120.00 240.00 410.00& above
Amethyst (कटे ला) 20.00 30.00 45.00 60.00 120.00 & above
Opal (उपल) 30.00 45.00 90.00 120.00 190.00 & above
Garnet (गारनेट) 30.00 45.00 90.00 120.00 190.00 & above
Tourmaline (तुमालीन) 120.00 140.00 190.00 300.00 730.00 & above
Star Ruby (िुर्क
ा ाडत मस्ण) 45.00 75.00 90.00 120.00 190.00 & above
Black Star (काला स्टार) 15.00 30.00 45.00 60.00 100.00 & above
Green Onyx (ओनेक्ि) 09.00 12.00 15.00 19.00 25.00 & above
Real Onyx (ओनेक्ि) 60.00 90.00 120.00 190.00 280.00 & above
Lapis (लाजवात) 15.00 25.00 30.00 45.00 55.00 & above
Moon Stone (िडद्रकाडत मस्ण) 12.00 21.00 30.00 45.00 100.00 & above
Rock Crystal (स्फ़फटक) 09.00 12.00 15.00 30.00 45.00 & above
Kidney Stone (दाना फफ़रं गी) 09.00 11.00 15.00 19.00 21.00 & above
Tiger Eye (टाइगर स्टोन) 03.00 05.00 10.00 15.00 21.00 & above
Jade (मरगि) 12.00 19.00 23.00 27.00 45.00 & above
Sun Stone (िन सितारा) 12.00 19.00 23.00 27.00 45.00 & above
50.00 100.00 200.00 370.00 460.00 & above
Diamond (हीरा) (Per Cent ) (Per Cent ) (PerCent ) (Per Cent) (Per Cent )
(.05 to .20 Cent )
Note : Bangkok (Black) Blue for Shani, not good in looking but mor effective, Blue Topaz not Sapphire This Color of Sky Blue, For Venus
86 जून 2012
In special cases we don't have the time available about your Specific Questions We will taken some time for
properly Analysis your birth chart and we get back with an alternate or ask you for an alternate.
All the time mentioned is Indian Standard Time which is + 5.30 hr ahead of G.M.T.
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87 जून 2012
िूिना
पत्रिका मं प्रकासशत िभी लेख पत्रिका के असधकारं के िाथ ही आरस्क्षत हं ।
लेख प्रकासशत होना का मतलब र्ह कतई नहीं फक कार्ाालर् र्ा िंपादक भी इन त्रविारो िे िहमत हं।
पत्रिका मं प्रकासशत फकिी भी नाम, स्थान र्ा घटना का उल्लेख र्हां फकिी भी व्र्त्रि त्रवशेष र्ा फकिी भी स्थान र्ा
घटना िे कोई िंबंध नहीं हं ।
प्रकासशत लेख ज्र्ोसतष, अंक ज्र्ोसतष, वास्तु, मंि, र्ंि, तंि, आध्र्ास्त्मक ज्ञान पर आधाररत होने के कारण
र्फद फकिी के लेख, फकिी भी नाम, स्थान र्ा घटना का फकिी के वास्तत्रवक जीवन िे मेल होता हं तो र्ह माि
एक िंर्ोग हं ।
प्रकासशत िभी लेख भारसतर् आध्र्ास्त्मक शास्त्रों िे प्रेररत होकर सलर्े जाते हं । इि कारण इन त्रवषर्ो फक
ित्र्ता अथवा प्रामास्णकता पर फकिी भी प्रकार फक स्जडमेदारी कार्ाालर् र्ा िंपादक फक नहीं हं ।
अडर् लेखको द्वारा प्रदान फकर्े गर्े लेख/प्रर्ोग फक प्रामास्णकता एवं प्रभाव फक स्जडमेदारी कार्ाालर् र्ा िंपादक
फक नहीं हं । और नाहीं लेखक के पते फठकाने के बारे मं जानकारी दे ने हे तु कार्ाालर् र्ा िंपादक फकिी भी
प्रकार िे बाध्र् हं ।
ज्र्ोसतष, अंक ज्र्ोसतष, वास्तु, मंि, र्ंि, तंि, आध्र्ास्त्मक ज्ञान पर आधाररत लेखो मं पाठक का अपना
त्रवश्वाि होना आवश्र्क हं । फकिी भी व्र्त्रि त्रवशेष को फकिी भी प्रकार िे इन त्रवषर्ो मं त्रवश्वाि करने ना करने
का अंसतम सनणार् स्वर्ं का होगा।
हमारे द्वारा पोस्ट फकर्े गर्े िभी लेख हमारे वषो के अनुभव एवं अनुशध
ं ान के आधार पर सलखे होते हं । हम फकिी भी व्र्त्रि
त्रवशेष द्वारा प्रर्ोग फकर्े जाने वाले मंि- र्ंि र्ा अडर् प्रर्ोग र्ा उपार्ोकी स्जडमेदारी नफहं लेते हं ।
र्ह स्जडमेदारी मंि-र्ंि र्ा अडर् प्रर्ोग र्ा उपार्ोको करने वाले व्र्त्रि फक स्वर्ं फक होगी। क्र्ोफक इन त्रवषर्ो मं नैसतक
मानदं िं , िामास्जक , कानूनी सनर्मं के स्खलाफ कोई व्र्त्रि र्फद नीजी स्वाथा पूसता हे तु प्रर्ोग कताा हं अथवा
प्रर्ोग के करने मे िुफट होने पर प्रसतकूल पररणाम िंभव हं ।
हमारे द्वारा पोस्ट फकर्े गर्े िभी मंि-र्ंि र्ा उपार् हमने िैकिोबार स्वर्ं पर एवं अडर् हमारे बंधुगण पर प्रर्ोग फकर्े हं
स्जस्िे हमे हर प्रर्ोग र्ा मंि-र्ंि र्ा उपार्ो द्वारा सनस्ित िफलता प्राि हुई हं ।
पाठकं फक मांग पर एक फह लेखका पूनः प्रकाशन करने का असधकार रखता हं । पाठकं को एक लेख के पूनः
प्रकाशन िे लाभ प्राि हो िकता हं ।
FREE
E CIRCULAR
गुरुत्व ज्र्ोसतष पत्रिका जून -2012
िंपादक
सिंतन जोशी
िंपका
गुरुत्व ज्र्ोसतष त्रवभाग
गुरुत्व कार्ाालर्
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फोन
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89 जून 2012
बंधु/ बफहन
जर् गुरुदे व
जहाँ आधुसनक त्रवज्ञान िमाि हो जाता हं । वहां आध्र्ास्त्मक ज्ञान प्रारं भ हो जाता हं , भौसतकता का आवरण ओढे व्र्त्रि
जीवन मं हताशा और सनराशा मं बंध जाता हं , और उिे अपने जीवन मं गसतशील होने के सलए मागा प्राि नहीं हो पाता क्र्ोफक
भावनाए फह भविागर हं , स्जिमे मनुष्र् की िफलता और अिफलता सनफहत हं । उिे पाने और िमजने का िाथाक प्रर्ाि ही श्रेष्ठकर
िफलता हं । िफलता को प्राि करना आप का भाग्र् ही नहीं असधकार हं । ईिी सलर्े हमारी शुभ कामना िदै व आप के िाथ हं । आप
अपने कार्ा-उद्दे श्र् एवं अनुकूलता हे तु र्ंि, ग्रह रत्न एवं उपरत्न और दल
ु भ
ा मंि शत्रि िे पूणा प्राण-प्रसतत्रष्ठत सिज वस्तु का हमंशा
प्रर्ोग करे जो १००% फलदार्क हो। ईिी सलर्े हमारा उद्दे श्र् र्हीं हे की शास्त्रोोि त्रवसध-त्रवधान िे त्रवसशष्ट तेजस्वी मंिो द्वारा सिद्ध
प्राण-प्रसतत्रष्ठत पूणा िैतडर् र्ुि िभी प्रकार के र्डि- कवि एवं शुभ फलदार्ी ग्रह रत्न एवं उपरत्न आपके घर तक पहोिाने का हं ।
GURUTVA KARYALAY
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JUN
2012