You are on page 1of 12

रा ीय

वयंसवेक
संघ

रा ीय वयं
से
वक सं
घ ( अंे
ज़ी: Rashtriya Swayamsevak Sangh अथवा R.S.S.) एक ह रा वाद सं
घटन है
जसकेस ा त ह व म न हत और आधा रत ह। यह रा ीय वयंसे
वक सं
घ क तुलना म संघ अथवा आर.एस.एस. के
नाम
सेअ धक स है ।

* थापना

रा ीय वयंसेवक संघ क थापना सन् 27 सतंबर 1925 को वजय दशमी केदन मो हते के बाड़ेनामक थान पर डॉ.
केशवराव ब लराम हेडगे
वार नेक थी। सं
घ के5 वयंसेवक के साथ शु ई व क पहली शाखा आज 50 हजार से
अ धक शाखाओ म बदल गई और ये 5 वयंसे
वक आज करोड़ वयं से
वक के प म हमारे समाने है
। सं
घ क वचार धारा म
रा वाद, ह व, ह रा , राम ज मभू म, अखं
ड भारत, समान नाग रक सं हता जै
सेवजय है जो देश क समरसता क ओर
लेजाता है
। बीबीसी केअनुसार सं
घ व का सबसे बड़ा वयंसेवी सं थान है
। सबसेपहले 50 वष बाद 1975 म जब
आपातकाल क घोषणा ई तो त कालीन जनसं घ पर भी सं
घ के साथ तबं ध लगा दया गया। आपातकाल हटने के
बाद
जनसं घ का वलय जनता पाट म आ और के म मोरारजी दे साई के धानम व म मलीजु ली सरकार बनी। 1975 के
बाद सेधीरे
-धीरे
इस संगठन का राजनी तक मह व बढ़ता गया और इसक प रण त

भाजपा जैसेराजनी तक दल के प म ई जसे


आमतौर पर संघ क राजनी तक शाखा के प म दे
खा जाता है
। सं
घक
थापना के75 वष बाद सन्
2000 म धानम ी अटल बहारी वाजपे
यी केने
तृ
व म एनडीए गठबं
धन क सरकार भारत क
के य स ा पर आसीन ई।

* रा ीय वयं
से
वक सं
घ के
सरसं
घचालक क सू
ची

1. डॉ. के
शवराव ब लराम हे
डगे
वार (1925 - 1940)

2. माधव सदा शवराव गोलवलकर (1940 - 1973)

3. मधु
कर द ा य दे
वरस (1973 - 1993)

4. ो. राज सह (1993 - 2000)

5. कृ
पाह ली सीतारमै
या सु
दशन ( के
एस सु
दशन) ( 2000 - 2009 )

6. डॉ. मोहनराव मधु


करराव भागवत (2009 - अब तक)
* सं
घ क अवधारणा

रा ीय वयं से वक सं घ क हमेशा अवधारणा रही हैक 'एक देश म दो धान, दो वधान, दो नशान नह चलगे, नह चलगे ' जब
समू चे रा और रा के नाग रक को एक सूम बाधा गया है तो धम के
नाम पर क़ानून क बात समझ से परे
हो जाती है
, संघ
ारा समान नाग रक सं हता क बात आते ही सं
घ को सांदा यक होनेक संा द जाती है । सं
घ नेहमे
शा कई मोच पर
अपने आपको था पत कया है । रा ीय आपदा के समय संघ कभी यह नह देखता क कसक आपदा मे फसा आ
कस धम का है । आपदा के समय सं घ के
वल और के वल रा धम का पालन करता हैक आपदा म फसा आ अमु ख भारत
माता का बेट ा है
। गु
जरात म आये भू
क प और सु नामी जै
सी घटनाओ के समय सबसे आगे अगर कसी नेराहत काय कया तो
वह सं घ का वयं सेवक था।

* द न दयाल शोध सं
थान

संघ के क प नेदे
श को नई ग त द है, जहाँद न दयाल शोध संथान नेगां
व को वावलंबी बनानेक मह वाकांी योजना
बनाई है
। सं
घ के
इस संथान नेअपनी योजना के अंतगत क़रीब 80 गां
व म यह ल य हा सल कर लया और क़रीब 500
गां
व तक व तार कए जाने ह। द न दयाल शोध सं थान केइस क प म सं घ केहजार वयंसेवक बना कोई वे
तन लए
मशन मानकर अपनेअ भयान म लगे है। स पू
ण रा म सं घ केव भ अनु सांगक सं
गठनो रा ीय से
वका स म त,

व ह प रषद , भारतीय जनता पाट , बजरं


ग दल, अ खल भारतीय व ाथ प रषद, रा ीय सख सं
गत, भारतीय मज़ र
सं
घ , ह वयं
से
वक संघ, ह व ाथ प रषद, वदे शी जागरण मं
च, गा वा हनी, से
वा भारती,

भारतीय कसान सं
घ , बालगोकुलम, व ा भारती, भारतीय वनवासी क याण आ म स हत ऐसे
सं
गठन कायरत है
जो क़रीब
1 लाख क प को चला रहे ह।
* आ खर RSS क थापना य ई?

और देशी मुलम क हरामख़ोरी ख़लीफ़ा आ दोलन म इस दे


श के
मुसलमान ने
जो नं
गा नाँ
च कया , उसक दा तान
जाने
....?

* खलाफत आं
दोलन

खलाफत जानने से पहले आइए पहले जरा खलीफा को जान ल, खलीफा एक अरबी श द हैजसे अंे ज़ी म Caliph
(खलीफ) या अरबी भाषा मे Khalifah (खलीफा) कहा जाता है, तो कौन होता है
खलीफा? खलीफा मु सलमान का वह
धा मक शासक (सु तान) होता हैजसे मुसलमान मु
ह मद साहब का वा रस या successor मानते ह, खलीफा का काम
होता है
यु कर के पू रेव पर इ लाम का नज़ाम कायम करना (जो क मीर म बु रहान वानी करना चाहता था), यानी इ लाम
क ऐसी कू मत कायम करना जसमे इ ला मक यानी शरीया कानून चलेऔर जसमे इ लाम केअलावा कसी और धम क
इजाज़त नही होती है, जतनेह से या रा य पर खलीफा राज करता है उसे Caliphate यानी अरबी भाषा म Khilafa
( खलाफा) कहते ह, खलीफा यानी *इ ला मक सु तान* और खलाफा यानी इ ला मक रा य ।

1919-22 के दौरान Turkey यानी तु


क म ओटोमन वं श के आ खरी सुी खलीफा अ ल हमीद-2 का खलाफा यानी
शासन चल रहा था जो क ज द ही धराशाई होने वाला था, इस आ खरी इ ला मक खलाफा (शासन) को बचाने केलए
अ ल हमीद-2 नेजहाद का आवाहन कया ता क व के मु
सलमान एक हो कर इस आ खरी खलाफा यानी इ ला मक
शासन को बचाने आगे आएं , पू
रेव मे इसक कोई त या नही ई सवाए भारत के , भारत केअलावा ए शया का कोई
भी सरा दे
श इस मु हम का ह सा नही बना, लेकन भारत के कुछ मुभर मुसलमान इस मु हम सेजु ड़ गए और हजार
कलोमीटर र , सात समं दर पार तु
क केखलाफा यानी इ ला मक शासन को बचाने और अंे ज़ पर दबाव बनानेनकल पड़े,
जब क इस समय भारत खु द गुलाम था और अपनी आजाद केलए सं घष कर रहा था, ले कन अंतः 1922 म तुक से
सु
लतान के इ ला मक शासन को उखाड़ फका गया और वहाँ से यु
लर लोकतंरा य क थापना ई और क र मु सलमान
का पू
रेव पर राज करने का सपना टूट गया, इसी सपनेको सं जोए आजकल ISIS काम कर रहा है ।

भारत केचंद मु
सलमान ने अंेज़ी कू मत पर दबाव बनानेकेलए बाकायदा एक आं दोलन खड़ा कया , जसका नाम था
खलाफा आं दोलन (Caliphate movement) अब य क अंे ज़ी म लखे जाने पर इसका ह द उ चारण ख लफत होता
है(अरबी म caliphate को khilafa= खलाफा लखते है
) तो कांे
स ने
बड़ी ही चतु र ाई से
इसका नाम खलाफत आं दोलन
रख दया ता क दे श क जनता को मूख बनाया जा सके और लोग को लगेक यह खलाफत आं दोलन अंे ज़ो केखलाफ है,
जब क इसका असल मकसद purely religious यानी पू णतः धा मक था, इसका भारत क आज़ाद या उसके आं
दोलन से
कोई ले
ना दे
ना नही था, कु
छ समझ मे आया? कै सेश द क बाज़ीगरी से जनता को मू ख बनाया जा रहा था, कै
सेख लफत को
खलाफत बताया जा रहा था, (ठ क वै
सेही जै
से Feroze Khan Ghandi (घां द ) को Feroze Gandhi ( फ़रोज़ गां धी)
बना दया गया) ।

उस समय भारत मेइतनेपढ़ेलखे


लोग और ने ता नही थेक गांधी ने
ह क इस चाल को समझ सक, ले कन इन सब केबीच
कांे
स म एक पढ़ा लखा व उप थत था , जनका नाम था डॉ. के शव ब लराम हे
डगे
वार था ! इ ह नेइस आंदोलन का
जम कर वरोध कया , य क खलाफा सफ तु क तक सी मत नही रहना था, इसका उ ेय तो पूरे व पर इ लाम क
कूमत कायम करना था जसमे
गज़वा-ए- ह द यानी भारत भी शा मल था !

डॉ हे
गड़े
वार ने
कांे
स के
गां
धी और ने
ह को ब त समझने क को शश क , ले
कन वे
नही माने
, अं
तः डॉ हे
गड़े
वार ने
कांे

केइस खलाफत आं दोलन का वरोध कया और कांे
स छोड़ द !

तो अब समझ मेआया म क कांे सी जो कहते ह क RSS ने आज़ाद के आं


दोलन का वरोध कया था, तो वो असल मे
कस आंदोलन का वरोध था? आप डॉ हेगड़े
वार केथान पर होते
तो या करते
? या आप भारत को गज़वा-ए- ह द यानी
इ ला मक दे
श बनतेदे
खते? या फर डॉ साहब क भांत इसका वरोध करते?
1919 म खलाफत आंदोलन शु आ था और 1920 म डॉ हे गड़ेवार नेकांेस छोड़ द और सभी को इस आंदोलन के बारे
म जाग क कया क इस आंदोलन का भारत क वतंता से कोई लेना दे
ना नही है
और यह एक इ ला मक आंदोलन है !
जसका प रणाम यह आ क यह आं दोलन बुर ी तरह लॉप आ ! और 1922 म अं तम इ ला मक कूमत धराशाई हो गयी !

मुलम नेता इस सेबौखला गए और मन ही मन ह ओ और सं घ को अपना श ु मानने


लगे और इसका बदला उ ह ने
1922-23 म केरल केमालाबार म ह ओ पर हमला कर केलया ! और असहाय अन भ ह ओ को बे रहमी सेकाटा
गया , ह लड़ कय क इ ज़त लू ट गई, जब क इस आं
दोलन का भारत या उसकेपड़ोसी दे
श तक सेकोई लेना दे
ना नही
था ।

1923 के दं
ग म गां
धी नेह ओ को ही दोषी ठहरातेए ह ओ को कायर और बु ज दल कहा था, गांधी ने
कहा ह अपनी
कायरता केलए मुसलमान को दोषी ठहरा रहेह, अगर ह अपने जान माल क सुर ा नही कर सकता , तो इसम
मु
सलमान का या दोष? ह ओ क औरत क इ ज़त लू ट जाती है तो इसम ह दोषी है , कहां
थेउसकेर तेदार जब उस
लड़क क इ ज़त लू ट जा रही थी? कु
ल मला कर गां
धी ने
सारा दोष दं
गा भा वत ह ओ पर मढ़ दया और कहा क उ ह
ह होने पर शम आती है, जब ह कायर होगा तो मुसलमान उस पर अ याचार करेगा ही ।

डॉ हे
गड़े
वार को अब समझ आ चु
का था क स ा केभू
खेभेड़येभारत क जनता क ब ल दे
नेसे
नही चू
कगे
, इस लए उ ह ने
ह ओ क र ा और उनको एकजु ट करनेकेउ ेय से
त काल एक नया सं
गठन बनाने
का काम ारं
भ कर दया और अंतः
1925 म संघ (RSS) क थापना ई !

आज अगर हम होली और द वाली मानते


ह, आज अगर हम ह ह , तो के वल उसी खलाफत आं
दोलन केवरोध और सं

क थापना क कारण , अ यथा तो जाने
कब का गज़वा-ए- ह द बन चु
क होता ।
* रा ीय वयं
से
वक सं
घ के
बारे
म रोचक त य

1. रा ीय वयं
से
वक सं
घ क थापना 1925 म डॉ. के
शव ब लराम हे
डगे
वार ने
दशहरे
केदन क थी।

2. RSS का मुयालय नागपु


र, महारा म है
। मोहन भागवत भारत के
उन थोड़े
सेलोगो म से
हैज ह Z+ सु
र ा द गई है

3. 30 जनवरी, 1948 को बड़ला भवन, द ली म शाम 5 बजकर 10 मनट पर नाथू र ाम गोडसेने


गोली मारकर महा मा
गां
धी क ह या क थी। ह या केबाद RSS का नाम उछाला गया। कहा गया क गोडसेRSS का ही सद य है जब क गोडसे ने
RSS को सन् 1930 म ही छोड़ दया था। इसी समय पू
र ी नया को पता चला क भारत म कोई रा ीय वयं से
वक संघ नाम
का कोई सं
गठन भी है
। उसी समय देश केगृहमंी सरदार व लभ भाई पटेल नेRSS पर बैन लगा दया। ने
ह चाहते थेक
RSS को हमेशा केलए बैन कर दया जाए, ले कन सबूत केअभाव म सरदार पटे ल नेऐसा करनेसेमना कर दया और
जुलाई 1949 म RSS से बै
न हटा लया गया।

4. आरएसएस क पहली शाखा म सफ 5 लोग(सं घ ी) शा मल ए थे


लेकन आज देशभर म आरएसएस क 60,000 से
यादा शाखाएँहैऔर एक शाखा म लगभग 100 वयं से
वक है
। आज केसमय म आरएसएस नया का सबसेबड़ा
वयं
सेवी संथान है

5. RSS म म हलाएँनही है
, यो क येallowed ही नही है
। म हला केलए रा से वका स मती है
। रा ीय वयं
से
वक सं

और रा से वका स म त दोन अलग-अलग है ले कन दोनो केवचार एक है
। कई लोगो को ये
गलतफहमी हो जाती हैक
Sevika Smiti भी RSS का ही भाग है
ले कन ऐसा नही है

6. आरएसएस क ला स शाखा के प म लगती है । सु


बह लगने वाली शाखा को ‘ भात शाखा ‘ कहतेहै। शाम को लगने
वाली शाखा को ‘ सायंशाखा ‘ कहतेहै । स ताह म एक या दो बार लगनेवाली शाखा को ‘ मलन शाखा ‘ कहते है
। महीने

एक या दो बार लगने वाली शाखा को ‘ संघ मं
डली ‘ कहते है

7. आरएसएस क शाखा म शाखा के अं


त म एक ाथना गाई जाती है
नम ते
सदा व सले
… यह सं
घ क थापना के
15
साल बाद गाई जाने
लगी। इससे
पहले
एक ोक मराठ और एक ोक हद म गाया जाता था।

8. RSS दे
श केलए काम करता रहा है लेकन इस पर आरोप भी लगतेरहे
है
। आरएसएस ने 1962 म भारत- चीन केयु
म सरकार का पू
र ा साथ दया था। इसी सेखु
श होकर नेह ने1963 क गणतं दवस े ड म RSS को शा मल होने का
योता दया था। RSS, बाढ़ और ाकृ तक आपदा आ द म भी देश- वदे
श केलए काम करता रहा है

9. RSS के
सद य कसी भी पद पर चले
जाए, यादातर काम खु
द ही करते
हैजै
से
: कपड़े
धोना,

भोजन बनाना आ द। और अपने


सेबड़े
पदा धकारी के त ब त ही आ ाकारी होते
है

10. RSS के चारक को संघ केलए काम करतेसमय तक अ ववा हत रहना होता है
। और सरे
होते
हैसं
घ केव तारक,
जो गृ
ह थ जीवन म रहकर ही सं
घ सेकशोर को जोड़ने
का काम करतेहै।

11. सं
घ का चारक बनने
केलए कसी भी वयं
से
वक को 3 साल तक OTC या न ऑ फसर े नग कप म भाग ले
ना होता
है
। और शाखा मुख बनने
केलए 7 से
15 दन तक ITC या न इं टर े
नग कप म भाग ले
ना होता है

12. ऐसा नही हैक RSS म सफ ह ही है


, आपक जानकारी केलए बता देक RSS म मुलम भी है
। सन्
2002 से
RSS एक ‘ Muslim Rashtriya Manch ’ नाम क वग चलाती है
। जसम लगभग 10,000 मुलम है

13. BJP के
बड़े
ने
ता जै
से
अटल बहारी वाजपे
यी, लालकृ
ण आडवाणी और नर मोद सं
घ के चारक रह चु
केहै

14. RSS का अपना अलग झं
डा है
, भगवा रं
ग का। सभी शाखा म यही झं
डा फहराया जाता है
। आरएसएस कसी आदमी
को नही ब क भगवा

वज को ही अपना गु मानती है

15. आरएसएस क े स म काली टोपी, सफे


द शट, कपड़े
क बेट, खाक न कर, चमड़े
केजू
ते
है
। अब खाक नकर क
जगह पू
र ी पट कर द गई है

16. रा ीय वयं
से वक सं
घ सफ भारत म ही नही ब क नया के
40 दे
शो म है
। वदे
श म सं
घ क पहली शाखा म बासा,
केया म लगी थी।

17. Q. RSS म म हलाएँय नही है


?

Ans. इसके
दो मुय कारण है
:

( i) RSS क शाखा सु
बह और शाम को लगती है
जो गृ
हणी (म हला) केलए सही नही है

( ii) शाम क शाखा म भीड़ होती है । यहाँपर ब त से


ऐसेगे
म खे
ले
जाते
हैजनम physical activity यादा होती है
। जै
से
एक सरे को ध का दे
ना, टाँ
गो म बीच म सेनकलना, क ब ी खे
लते
समय एक सरेपर गरना etc. यही दो कारण है
म हला का रा ीय वयं सेवक सं घ म ना होनेके

* आरएसएस की प्रार्थना व उसका हिन्दी भाषा में अर्थ।

नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे

त्वया हिन्दुभूमे सुखं वर्धितोहम्।

महामङ्गले पुण्यभूमे त्वदर्थे

पतत्वेष कायो नमस्ते नमस्ते॥ १॥

प्रभो शक्तिमन् हिन्दुराष्ट्राङ्गभूता

इमे सादरं त्वां नमामो वयम्

त्वदीयाय कार्याय बध्दा कटीयम्

शुभामाशिषं देहि तत्पूर्तये।

अजय्यां च विश्वस्य देहीश शक्तिं

सुशीलं जगद्येन नम्रं भवेत्

श्रुतं चैव यत्कण्टकाकीर्ण मार्गं

स्वयं स्वीकृतं नः सुगं कारयेत्॥ २॥

समुत्कर्षनिःश्रेयस्यैकमुग्रं

परं साधनं नाम वीरव्रतम्

तदन्तः स्फुरत्वक्षया ध्येयनिष्ठा

हृदन्तः प्रजागर्तु तीव्रानिशम्।

विजेत्री च नः संहता कार्यशक्तिर्

विधायास्य धर्मस्य संरक्षणम्।

परं वैभवं नेतुमेतत् स्वराष्ट्रं

समर्था भवत्वाशिषा ते भृशम्॥ ३॥

॥ भारत माता की जय ॥
* प्रार्थना का हिन्दी में अर्थ:

हे वात्सल्यमयी मातृभूमि, तुम्हें सदा प्रणाम! इस

मातृभूमि ने हमें अपने बच्चों की तरह स्नेह और

ममता दी है। इस हिन्दू भूमि पर सुखपूर्वक मैं

बड़ा हुआ हूँ। यह भूमि महा मंगलमय और पुण्यभूमि है।

इस भूमि की रक्षा के लिए मैं यह नश्वर

शरीर मातृभूमि को अर्पण करते हुए इस भूमि को

बार-बार प्रणाम करता हूँ।

हे सर्व शक्तिमान परमेश्वर, इस हिन्दू राष्ट्र के घटक के

रूप में मैं तुमको सादर प्रणाम करता हूँ। आपके ही

कार्य के लिए हम कटिबद्ध हुवे है। हमें इस कार्य को पूरा

करने किये आशीर्वाद दे। हमें ऐसी

अजेय शक्ति दीजिये कि सारे विश्व मे हमे कोई न

जीत सकें और ऐसी नम्रता दें कि पूरा

विश्व हमारी विनयशीलता के सामने

नतमस्तक हो। यह रास्ता काटों से भरा है, इस कार्य को

हमने स्वयँ स्वीकार किया है और इसे सुगम कर

काँटों रहित करेंगे।

ऐसा उच्च आध्यात्मिक सुख और ऐसी महान

ऐहिक समृद्धि को प्राप्त करने का एकमात्र श्रेष्ट साधन उग्र

वीरव्रत की भावना हमारे अन्दर सदेव

जलती रहे। तीव्र और अखंड ध्येय

निष्ठा की भावना हमारे अंतःकरण में

जलती रहे। आपकी

असीम कृपा से हमारी यह

विजयशालिनी संघठित कार्यशक्ति हमारे धर्म का

सरंक्षण कर इस राष्ट्र को परम वैभव पर ले जाने में समर्थ

हो।

॥ भारत माता की जय॥
* भारत म आरएसएस के
10 योगदान

रा ीय वयंसेवक संघ 90 साल का हो चुका है


. 1925 म दशहरेकेदन डॉ. केशव ब लराम हे
डगेवार ने रा ीय वयं से
वक सं

क थापना क थी.सांदा यक ह वाद , फ़ासीवाद और इसी तरह के अ य श द से पु
कारेजानेवाले संगठन के तौर पर
आलोचना सहते और सु नतेए भी संघको कम से कम 7-8 दशक हो चुके
ह. नया म शायद ही कसी सं गठन क इतनी
आलोचना क गई होगी. वह भी बना कसी आधार के . सं
घ केख़लाफ़ लगा हर आरोप आ ख़र म पू र ी तरह कपोल-क पना
और झू ठ सा बत आ है .कोई शक नह क आज भी कई लोग सं घ को इसी ने
ह वाद सेदे
खते ह.हालां क ख़ु द ने
ह को
जीते-जी अपना -दोष ठ क करनेका एक खद अवसर तब मल गया था, जब 1962 म दे श पर चीन का आ मण आ
था. तब दे
श के बाहर पंचशील और लोकतंवग़ै रह आदश के मसीहा जवाहरलाल न ख़ु
द को संभाल पा रहे थे
, न दे
शक
सीमा को.ले कन सं घ अपना काम कर रहा था. सं
घ के कु
छ उ ले
खनीय काय

1) क मीर सीमा पर नगरानी, वभाजन पी ड़त को आ य

सं
घ केवयं से
वक ने अ टूबर 1947 सेही क मीर सीमा पर पा क तानी सेना क ग त व धय पर बगै र कसी श ण के
लगातारनज़र रखी. यह काम न ने
ह -माउं
टबेटन सरकार कर रही थी, न ह र सह सरकार. उसी समय, जब पा क तानी से ना
क टुक ड़य नेक मीर क सीमा लांघनेक को शश क , तो सै नक के साथ कई वयं से
वक ने भी अपनी मातृभूमक र ा
करतेए लड़ाई म ाण दए थे . वभाजन के दं
गेभड़कने पर, जब ने
ह सरकार पू र ी तरह है
र ान-परे
शान थी, सं
घ ने
पा क तान से
जान बचाकर आए शरणा थय केलए 3000 से ज़्
यादा राहत श वर लगाए थे .

2) 1962 का यु

सेना क मदद केलए दे श भर सेसं


घ केवयं से
वक जस उ साह से सीमा पर प चं,ेउसेपूरे
दे
श ने
दे
खा और सराहा.
वयंसेवक ने सरकारी काय म और वशे ष प से जवान क मदद म पू र ी ताकत लगा द –सै नक आवाजाही माग क
चौकसी, शासन क मदद, रसद और आपू त म मदद, और यहांतक क शहीद के प रवार क भी चता. जवाहर लाल ने

को 1963 म 26 जनवरी क परे ड म संघ को शा मल होने
का नमंण दे ना पड़ा. परेड करनेवाल को आज भी महीन तै यारी
करनी होती है
, ले
कन मा दो दन पहलेमलेनमंण पर 3500 वयं से
वक गणवे श म उप थत हो गए. नमंण दए जाने
क आलोचना होने पर नेह ने कहा- “यह दशाने केलए क के वल लाठ के बल पर भीसफलतापू वक बम और चीनी सश
बल से लड़ा सकता है, वशेष प से 1963 के गणतं दवस परे ड म भाग ले ने
केलए आरएसएस को आक मक आमंत
कया गया.”

3) क मीर का वलय

क मीर केमहाराजा ह र सह वलय का फ़ै सला नह कर पा रहेथेऔर उधर कबाइ लय के भेस म पा क तानी से


ना सीमा म
घु
सती जा रही थी, तब ने
ह सरकार तो - हम या कर वाली मुा म - मु
हंबचकाए बैठ थी. सरदार पटे
ल नेगुगोलवलकर
से
मदद मांगी.गुजी ीनगर प चं,ेमहाराजा सेमले . इसकेबाद महाराजा ने
क मीर केभारत म वलय प का ताव
द ली भेज दया. या बाद म महाराजा ह र सह के त देखी गई ने
ह क नफ़रत क एक जड़ यहां थी?

4) 1965 के
यु म क़ानू
न- व था सं
भाली

पा क तान सेयु के समय लालबहा र शा ी को भी सं घ याद आया था. शा ी जी ने


क़ानू
न- व था क थ त सं भालने

मदद दे
नेऔर द ली का यातायात नयंण अपने हाथ म लेनेका आ ह कया, ता क इन काय सेमु कए गए
पुलसक मय को से ना क मदद म लगाया जा सके
. घायल जवान केलए सबसे पहलेर दान करने
वालेभी सं
घ के
वयंसे
वक थे. यु के दौरान क मीर क हवाईप य से बफ़ हटानेका काम संघ केवयंसेवक नेकया था.
5) गोवा का वलय

दादरा, नगर हवे


ली और गोवा के भारत वलय म सं
घ क नणायक भू मकाथी. 21 जुलाई 1954 को दादरा को पु तगा लय से
मु कराया गया,28 जु लाई को नरोली और फपा रया मु कराए गए और फर राजधानी सलवासा मु कराई गई. सं घ के
वयंसेवक ने 2 अग त 1954 क सु बह पु
तगाल का झं
डा उतारकर भारत का तरंगा फहराया, पू
र ा दादरा नगर हवेली
पु
तगा लय के क जे सेमु करा कर भारत सरकार को स प दया. संघ केवयं से
वक 1955 से गोवा मु संाम म भावी
प से शा मल हो चु
केथे. गोवा म सश ह त प ेकरने से ने
ह के इनकार करनेपर जग ाथ राव जोशी के नेतृव म सं
घ के
कायकता ने गोवा प च
ंकर आं दोलन शु कया, जसका प रणाम जग ाथ राव जोशी स हत सं घ के कायकता को दस
वष क सजा सु नाए जानेम नकला. हालत बगड़ने पर अंततः भारत को सैनक ह त प ेकरना पड़ा और 1961 म गोवा
आज़ाद आ.

6) आपातकाल

1975 से1977 के बीच आपातकाल केख़लाफ़ सं घष और जनता पाट केगठन तक म सं


घ क भू मका क याद अब भी
कई लोग केलए ताज़ा है. स या ह म हजार वयंसेवक क गर तारी केबाद सं
घ के
कायकता ने भूमगत रह कर
आंदोलन चलाना शु कया. आपातकाल के खलाफ पो टर सड़क पर चपकाना, जनता को सू
चनाएं दे
ना और जेल म बं

व भ राजनी तक कायकता –ने ता के बीच सं
वाद सूका काम सं
घ कायकता ने संभाला. जब लगभग सारेही ने
ता
जे
ल म बंद थे
, तब सारे
दल का वलय करा कर जनता पाट का गठन करवाने क को शश संघ क ही मदद से चल सक थ .

7) भारतीय मज़ र सं

1955 म बना भारतीय मज़ र सं


घ शायद व का पहला ऐसा मज़ र आं दोलन था, जो व वं
स के
बजाए नमाण क धारणा
पर चलता था. कारखान म व कमा जयंती का चलन भारतीय मज़ र सं
घ ने
ही शु कया था. आज यह व का सबसे
बड़ा, शां
तपू
ण और रचना मक मज़ र सं गठन है.

8) ज़म दारी था का ख़ा मा

जहां बड़ी संया म ज़म दार थे उस राज थान म ख़ु द सीपीएम कोयह कहना पड़ा था क भै र सह शे खावत राज थान म
ग तशील श य के नेता ह. सं
घ केवयं से
वक शे खावत बाद म भारत के उपरा प त भी बने.भारतीय व ाथ प रषद,
श ा भारती, एकल व ालय, वदे शी जागरण मं च, व ा भारती, वनवासी क याण आ म, मुलम रा ीय मं च क थापना.
व ा भारती आज 20 हजार सेयादा कू ल चलाता है , लगभग दो दजन श क श ण कॉले ज, डे
ढ़ दजन कॉले ज, 10 से
यादा रोजगार एवं श ण सं थाएं
चलाता है. के और रा य सरकार से मा यता ा त इन सर वती शशु मंदर म लगभग
30 लाख छा -छा ाएं पढ़ते ह और 1 लाख से अ धक श क पढ़ाते ह. संया बल से भी बड़ी बात हैक येसं थाएंभारतीय
सं कार को श ा के साथ जोड़े रखती ह.अके ला सेवा भारती दे
श भर केरदराज़ के और गम इलाक़ म से वा केएक लाख
से ज़्
यादा काम कर रहा है. लगभग 35 हज़ार एकल व ालय म 10 लाख से ज़्यादा छा अपना जीवन सं वार रहे
ह.उदाहरण के तौर पर सेवा भारती नेज मूक मीर से आतं कवाद से अनाथ ए 57 ब च को गोद लया हैजनम 38 मुलम
और 19 ह ब चे ह.

9) से
वा काय

1971 म ओ डशा म आए भयं कर चंवात से ले


कर भोपाल क गै स ासद तक, 1984 म ए सख वरोधी दं ग से
लेकर
गु
जरात केभू
कंप, सु
नामी क लय, उ राखं ड क बाढ़ और कार गल यु के घायल क से वा तक - सं
घ ने
राहत और बचाव
का काम हमे
शा सबसेआगे होकर कया है
. भारत म ही नह , ने
पाल, ीलं
का और सु
म ा ा तक म.

Note : कोई कॉपीराइट नही है


, दबा कर कॉपी पे
ट क जये

* SANGH PARIVAR

You might also like