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योितष

आइये जाने क या और केसे होते ह -उ च और नीच राशी के गहृ , वकी एवं अ त गहृ —
by पंिडत दयानंद शा ती • March 1, 2012 • 0 Comments

उ च तथा नीच रािश के गह————–

भारतवष म अिधकतर योितिषय तथा योितष म िच रखने वाले लोग के मन म उ च तथा नीच रािशय म ि थत गह को लेकर एक पबल धारणा बनी हई है िक अपनी उ च रािश म ि थत गह सदा शुभ
फल देता है तथा अपनी नीच रािश म ि थत गह सदा नीच फल देता है उदाहरण के िलए शिन गह को तुला रािश म ि थत होने से अित र बल पा होता है तथा इसीिलए तुला रािश म ि थत शिन को उ च
का शिन कह कर संबोिधत िकया जाता है और अिधकतर योितिषय का यह मानना है िक तुला रािश म ि थत शिन कुंडली धारक के िलए सदा शुभ फलदायी होता है

िकंतु यह धारणा एक भांित से अिधक कुछ नह है तथा इसका वा तिवकता से कोई सरोकार नह है और इसी भांित म िव ास करके बहत से योितष पेमी जीवन भर नुकसान उठाते रहते ह य िक उनक
कुंडली म तुला रािश म ि थत शिन वा तव म अशुभ फलदायी होता है तथा वे इसे शुभ फलदायी मानकर अपने जीवन म आ रही सम याओं का कारण दस
ू रे गह म खोजते रहते ह तथा अपनी कुंडली म
ि थत अशुभ फलदायी शिन के अशुभ फल म कमी लाने का कोई पयास तक नह करते इस चचा को आगे बढ़ाने से पहले आइए एक नजर म गह के उ च तथा नीच रािशय म ि थत होने क ि थित पर
िवचार कर ल

नवगह म से प येक गह को िकसी एक रािश िवशेष म ि थत होने से अित र बल पा होता है िजसे इस गह क उ च क रािश कहा जाता है इसी तरह अपनी उ च क रािश से ठीक सातव रािश म ि थत
होने पर प येक गह के बल म कमी आ जाती है तथा इस रािश को इस गह क नीच क रािश कहा जाता है उदाहरण के िलए शिन गह क उ च क रािश तुला है तथा इस रािश से ठीक सातव रािश अथात
मेष रािश शिन गह क नीच क रािश है तथा मेष म ि थत होने से शिन गह का बल ीण हो जाता है इसी पकार हर एक गह क 12 रािशय म से एक उ च क रािश तथा एक नीच क रािश होती है

िकंतु यहां पर यह समझ लेना अित आव यक है िक िकसी भी गह के अपनी उ च या नीच क रािश म ि थत होने का संबंध केवल उसके बलवान या बलहीन होने से होता है न िक उसके शुभ या अशुभ
होने से तुला म ि थत शिन भी कुंडली धारक को बहत से अशुभ फल दे सकता है जबिक मेष रािश म ि थत नीच रािश का शिन भी कुंडली धारक को बहत से लाभ दे सकता है इसिलए योितष म िच
रखने वाले लोग को यह बात भली भांित समझ लेनी चािहए िक उ च या नीच रािश म ि थत होने का पभाव केवल गह के बल पर पड़ता है न िक उसके वभाव पर

शिन नवगह म सबसे धीमी गित से भमण करते ह तथा एक रािश म लगभग अढ़ाई वष तक रहते ह अथात शिन अपनी उ च क रािश तुला तथा नीच क रािश मेष म भी अढ़ाई वष तक लगातार ि थत
रहते ह यिद गह के अपनी उ च या नीच रािशय म ि थत होने से शुभ या अशुभ होने क पचिलत धारणा को स य मान िलया जाए तो इसका अथ यह िनकलता है िक शिन के तुला म ि थत रहने के अढ़ाई
वष के समय काल म ज म प येक यि के िलए शिन शुभ फलदायी ह गे य िक इन वष म ज म सभी लोग क ज म कुंडली म शिन अपनी उ च क रािश तुला म ही ि थत ह गे यह िवचार
यवहा रकता क कसौटी पर िबलकुल भी नह िटकता य िक देश तथा काल के िहसाब से हर गह अपना वभाव थोड़े -थोड़े समय के प ात ही बदलता रहता है तथा िकसी भी गह का वभाव कुछ घं ट के
िलए भी एक जैसा नह रहता, िफर अढ़ाई वष तो बहत लंबा समय है

इसिलए गह के अपनी उ च या नीच क रािश म ि थत होने का मतलब केवल उनके बलवान या बलहीन होने से समझना चािहए न िक उनके शुभ या अशुभ होने से मैने अपने योितष अ यास के
कायकाल म ऐसी बहत सी कुंडिलयां देखी ह िजनम अपनी उ च क रािश म ि थत कोई गह बहत अशुभ फल दे रहा होता है य िक अपनी उ च क रािश म ि थत होने से गह बहत बलवान हो जाता है,
इसिलए उसके अशुभ होने क ि थित म वह अपने बलवान होने के कारण सामा य से बहत अिधक हािन करता है इसी तरह मेरे अनुभव म ऐस भी बहत सी कुंडिलयां आय ह िजनम कोई गह अपनी नीच
क रािश म ि थत होने पर भी वभाव से शुभ फल दे रहा होता है िक तु बलहीन होने के कारण इन शुभ फल म कुछ न कुछ कमी रह जाती है ऐसे लोग को अपनी कुंडली म नीच रािश म ि थत िक तु
शुभ फलदायी गह के र न धारण करने से बहत लाभ होता है य िक ऐसे गह के र न धारण करने से इन गह को अित र बल िमलता है तथा यह गह बलवान होकर अपने शुभ फल म वृि करने म
स म हो जाते ह

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वकी गह—–

लगभग हर दस ू रे यि क ज म कुंडली म एक या इससे अिधक वकी गह पाये जाते ह तथा योितष म िच रखने वाले अिधकतर लोग के मन म यह िज ासा बनी रहती है िक उनक कुंडली म वकी
बताए जाने वाले इस गह का या मतलब हो सकता है वकी गह को लेकर िभ न-िभ न योितिषय तथा पंिडत के िभ न-िभ न मत ह तथा आज हम वकी गह के बारे म ही चचा करगे सबसे पहले यह
जान ल िक वकी गह क प रभाषा या है

कोई भी गह िवशेष जब अपनी सामा य िदशा क बजाए उ टी िदशा यािन िवपरीत िदशा म चलना शु कर देता है तो ऐसे गह क इस गित को वक गित कहा जाता है तथा वक गित से चलने वाले ऐसे गह
िवशेष को वकी गह कहा जाता है उदाहरण के िलए शिन यिद अपनी सामा य गित से क या रािश म भमण कर रहे ह तो इसका अथ यह होता है िक शिन क या से तुला रािश क तरफ जा रहे ह, िक तु
वकी होने क ि थित म शिन उ टी िदशा म चलना शु कर देते ह अथात शिन क या से तुला रािश क ओर न चलते हए क या रािश से िसंह रािश क ओर चलना शु कर देते ह और जैसे ही शिन का वक
िदशा म चलने का यह समय काल समा हो जाता है, वे पुन अपनी सामा य गित और िदशा म क या रािश से तुला रािश क तरफ चलना शु कर देते ह वक िदशा म चलने वाले अथात वकी होने वाले
बािक के सभी गह भी इसी तरह का यवहार करते ह

वकी गह क प रभाषा जान लेने के प ात आइए अब देख िक दुिनया भर के योितिष वकी गह के बारे म मु य प से या धारणाएं रखते ह सबसे पहले चचा करते ह योितिषय के उस वग िवशेष क
जो यह धारणा रखता है िक वकी गह िकसी भी कुंडली म सदा अशुभ फल ही पदान करते ह य िक वकी गह उ टी िदशा म चलते ह इसिलए उनके फल अशुभ ही ह गे योितिषय का एक दस ू रा वग
मानता है िक वकी गह िकसी कुंडली िवशेष म अपने कुदरती वभाव से िवपरीत आचरण करते ह अथात अगर कोई गह िकसी कुंडली म सामा य प से शुभ फल दे रहा है तो वकी होने क ि थित म वह
अशुभ फल देना शु कर देता है इसी पकार अगर कोई गह िकसी कंु डली म सामा य प से अशुभ फल दे रहा है तो वकी होने क ि थित म वह शुभ फल देना शु कर देता है इस धारणा के मूल म यह
िव ास है िक य िक वकी गह उ टी िदशा म चलने लगता है इसिलए उसका शुभ या अशुभ पभाव भी सामा य से उ टा हो जाता है

योितिषय का एक और वग यह मानता है िक अगर कोई गह अपनी उ च क रािश म ि थत होने पर वकी हो जाता है तो उसके फल अशुभ हो जाते ह तथा यिद कोई गह अपनी नीच क रािश म वकी हो

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जाता है तो उसके फल शुभ हो जाते ह इसके प ात योितिषय का एक और वग है जो यह धारणा रखता है िक वकी गह के पभाव िब कुल सामा य गित से चलने वाले गह क तरह ही होते ह तथा उनम
कुछ भी अं तर नह आता योितिषय के इस वग का यह मानना है िक प येक गह केवल सामा य िदशा म ही भमण करता है तथा कोई भी गह सामा य से उ टी िदशा म भमण करने म स म नह होता
इतने सारे मत और धारणाओं पर चचा करने के प ात आइए अब देख िक मेरी धारणा तथा अनुभव के अनुसार िकसी गह के वकी होने क ि थित म उसके यवहार म या बदलाव आते ह

सबसे पहले तो यह जान ल िक िकसी भी वकी गह का यवहार उसके सामा य होने क ि थित से अलग होता है तथा वकी और सामा य गह को एक जैसा नही मानना चािहए िक तु यहां पर यह जान
लेना भी आव यक है िक अिधकतर मामल म िकसी गह के वकी होने से कुंडली म उसके शुभ या अशुभ होने क ि थित म कोई फक नही पड़ता अथात सामा य ि थित म िकसी कुंडली म शुभ फल पदान
करने वाला गह वकी होने क ि थित म भी शुभ फल ही पदान करे गा तथा सामा य ि थित म िकसी कुंडली म अशुभ फल पदान करने वाला गह वकी होने क ि थित म भी अशुभ फल ही पदान करे गा
अिधकतर मामल म गह के वकी होने क ि थित म उसके वभाव म कोई फक नह आता िक तु उसके यवहार म कुछ बदलाव अव य आ जाते ह वकी होने क ि थित म िकसी गह िवशेष के यवहार म
आने वाले इन बदलाव के बारे म जानने से पहले यह जान ल िक नवगह म सूय तथा च द सदा सामा य िदशा म ही चलते ह तथा यह दोन गह कभी भी वकी नह होते इनके अित र राह-केतु सदा
उ टी िदशा म ही चलते ह अथात हमेशा ही वकी रहते ह इसिलए सूय-च द तथा राह-केतु के फल तथा यवहार सदा सामा य ही रहते ह तथा इनम कोई अं तर नह आता आइए अब देख िक बाक के पांच
गह के वभाव और यवहार म उनके वकी होने क ि थित म या अं तर आते ह

गु : वकी होने पर गु के शुभ या अशुभ फल देने के वभाव म कोई अं तर नह आता अथात िकसी कंु डली िवशेष म सामा य प से शुभ फल देने वाले गु वकी होने क ि थित म भी उस कंु डली म शुभ
फल ही पदान करगे तथा िकसी कुंडली िवशेष म सामा य प से अशुभ फल देने वाले गु वकी होने क ि थित म भी उस कुंडली म अशुभ फल ही पदान करगे िक तु वकी होने से गु के यवहार म कुछ
बदलाव अव य आ जाते ह वकी होने क ि थित म गु कई बार पर शुभ या अशुभ फल देने म देरी कर देते ह वकी होने क ि थित म गु बहत बार कुंडली धारक को दस ू र को िबना मांगी सलाह या
उपदेश देने क आदत पदान कर देते ह ऐसे लोग को बहत बार अपने ान का इ तेमाल करने क सही िदशा का पता नह लगता तथा इसी आदत के चलते ऐसे लोग कई बार अपने आस पास के लोग
को यथ म ही उपदेश देना शु कर देते ह इन बदलाव के अित र आम तौर पर वकी गु अपने सामा य वभाव क तरह ही आचरण करते ह

शुक: वकी होने पर शुक के शुभ या अशुभ फल देने के वभाव म कोई अं तर नह आता अथात िकसी कुंडली िवशेष म सामा य प से शुभ फल देने वाले शुक वकी होने क ि थित म भी उस कुंडली म शुभ
फल ही पदान करगे तथा िकसी कुंडली िवशेष म सामा य प से अशुभ फल देने वाले शुक वकी होने क ि थित म भी उस कुंडली म अशुभ फल ही पदान करगे िक तु वकी होने से शुक के यवहार म कुछ
बदलाव अव य आ जाते ह वकी शुक आम तौर पर कुंडली धारक को सामा य से अिधक संवेदनशील बना देते ह तथा ऐसे लोग िवशेष प से अपने पेम संबंध तथा अपने जीवन साथी को लेकर बहत
भावुक, तथा अिधकार जताने वाले होते ह पु ष क ज म कुंडली म ि थत वकी शुक जहां उ ह अित भावुक तथा संवेदनशील बनाने म स म होता है वही पर मिहलाओं क ज म कुंडली म ि थत वकी शुक
उ ह आकमकता पदान करता है ऐसी मिहलाएं आम तौर पर अपने पेमी या जीवन साथी पर अपना िनयंतण रखती ह तथा संबंध टू ट जाने क ि थित म आसानी से अपने पेमी या जीवन साथी का पीछा नह
छोड़त और कई बार बदला लेने पर भी उता हो जाती ह इन बदलाव के अित र आम तौर पर वकी शुक अपने सामा य वभाव क तरह ही आचरण करते ह

मंगल: वकी होने पर मंगल के शुभ या अशुभ फल देने के वभाव म कोई अं तर नह आता अथात िकसी कुंडली िवशेष म सामा य प से शुभ फल देने वाले मंगल वकी होने क ि थित म भी उस कुंडली म
शुभ फल ही पदान करगे तथा िकसी कुंडली िवशेष म सामा य प से अशुभ फल देने वाले मंगल वकी होने क ि थित म भी उस कुंडली म अशुभ फल ही पदान करगे िक तु वकी होने से मंगल के यवहार
म कुछ बदलाव अव य आ जाते ह वकी मंगल आम तौर पर कुंडली धारक को सामा य से अिधक शारी रक तथा मानिसक उजा पदान कर देते ह िजसका सही िदशा म उपयोग करने म आम तौर पर
कुंडली धारक स म नह हो पाते तथा इसिलए वे इस अित र उजा को लेकर परे शान रहते ह और कई बार यह उजा उनके अचानक ही पकट हो जाने वाले गु से अथवा िचढ़िचढ़े पन के प म देखने के
प म बाहर िनकलती है इस उजा के कारण ऐसे लोग अपने जीवन म कई बार अचानक ही बड़े अप यािशत िनणय ले लेते ह िजससे इनके वभाव के बारे म कोई ठोस धारणा बना पाना किठन हो जाता
है मिहलाओं क ज म कंु डली म ि थत वकी मंगल आम तौर पर उ ह पु ष के गुण पदान कर देता है तथा ऐसी मिहलाएं पु ष के काय ते म काम करने तथा पु ष को सफलता पूवक िनयितत करने
म स म होती ह इन बदलाव के अित र आम तौर पर वकी मंगल अपने सामा य वभाव क तरह ही आचरण करते ह

बुध: वकी होने पर बुध के शुभ या अशुभ फल देने के वभाव म कोई अं तर नह आता अथात िकसी कुंडली िवशेष म सामा य प से शुभ फल देने वाले बुध वकी होने क ि थित म भी उस कुंडली म शुभ फल
ही पदान करगे तथा िकसी कंु डली िवशेष म सामा य प से अशुभ फल देने वाले बुध वकी होने क ि थित म भी उस कंु डली म अशुभ फल ही पदान करगे िक तु वकी होने से बुध के यवहार म कुछ
बदलाव अव य आ जाते ह वकी बुध आम तौर पर कुंडली धारक क बातचीत करने क मता तथा िनणय लेने क मता को पभािवत कर देते ह ऐसे लोग आम तौर पर या तो सामा य से अिधक बोलने
वाले होते ह या िफर िब कुल ही कम बोलने वाले कई बार ऐसे लोग बहत कुछ बोलना चाह कर भी कुछ बोल नह पाते तथा कई बार कुछ न बोलने वाली ि थित म भी बहत कुछ बोल जाते ह ऐसे लोग वकी
बुध के पभाव म आकर जीवन मे अनेक बार बड़े अप यािशत तथा अटपटे से लगने वाले िनणय ले लेते ह जो प रि थितय के िहसाब से िलए जाने वाले िनणय के एकदम िवपरीत हो सकते ह तथा िजनके
िलए कई बार ऐसे लोग बाद म पछतावा भी करते ह िक तु वकी बुध के पभाव म आकर ये लोग अपने जीवन म ऐसे िनणय लेते ही रहते ह इन बदलाव के अित र आम तौर पर वकी बुध अपने सामा य
वभाव क तरह ही आचरण करते ह

शिन: वकी होने क ि थित म शिन महाराज के वभाव तथा यवहार म या बदलाव आ जाते ह सम त गह म से शिन ही एकमात ऐसे गह ह जो वकी होने क ि थित म कुंडली धारक को कुछ न कुछ
अशुभ फल अव य पदान करते ह िफर चाहे िकसी कुंडली म उनका वभाव िकतना ही शुभ फल देने वाला य न हो िक तु वकी होने क ि थित म शिन के वभाव म एक नकारा मकता अव य आ जाती
है जो कुंडली धारक के िलए कुछ सम याओं से लेकर बहत भारी िवपि यां तक लाने म स म होती है यिद शिन िकसी कुंडली म सामा य प से शुभ फलदायी होकर वकी ह तो कुंडली धारक को
अपेक ाकृत कम नुकसान पहंचाते ह तथा ऐसी ि थित म कुंडली म इनका वभाव िमिशत हो जाता है जो कुंडली धारक को कभी लाभ तो कभी हािन देता है िक तु यिद शिन िकसी कुंडली म सामा य प
से अशुभ फलदायी होकर वकी ह तो कुंडली धारक को अपेक ाकृत बहत अिधक नुकसान पहंचाते ह िकसी कुंडली म शिन सबसे अिधक नुकसान तब पहंचाते ह जब वे तुला रािश म ि थत हो, सामा य
प से अशुभ फलदायी ह तथा इसके साथ ही वकी भी ह तुला रािश म ि थत होकर शिन को अित र बल पा होता है तथा अशुभ होने क ि थित म शिन वैसे ही इस अित र बल के चलते सामा य से
अिधक हािन करने म स म होते ह िक तु ऐसी ि थित म वकी होने से उनक नकारा मकता म और भी वृि हो जाती है तथा इस ि थित म कुंडली धारक को दस ू रे गह क ि थित को यान म रखते हए
बहत भारी मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है

================================================

अ त गह—-

योितिष के िलए िकसी भी जातक क ज म कंु डली का देखते समय अ त गह का िवचार आव यक है िकसी भी कंु डली म पाये जाने वाले अ त गह का अपना एक िवशेष मह व होता है तथा इ ह भली
भांित समझ लेना एक अ छे योितिष के िलए अित आव यक होता है अ त गह का िवचार िकए िबना जातक के िवषय म क गईं कई भिव यवािणयां गलत हो सकती ह, इसिलए इनक ओर िवशेष यान
देना चािहए आइए समझते ह िक एक गह को अ त गह कब कहा जाता है तथा अ त होने से िकसी गह क कायपणाली म या पाभाव होता है

गगन मंडल म कोई भी गह जब सूय से एक िनि त दरू ी के अं दर आ जाता है तो सूय के तेज से वह गह अपना तेज तथा शि खोने लगता है िजसके कारण वह गगन मंडल म िदखाई देना बंद हो जाता है
तथा इस गह को अ त गह का नाम िदया जाता है प येक गह क सूय से यह समीपता िडिगय म मापी जाती है तथा इस मापदंड के अनुसार प येक गह सूय से िन निलिखत दरू ी के अं दर आने पर अ त
हो जाता है:

च दमा सूय के दोन ओर 12 िडगी या इससे अिधक समीप आने पर अ त माने जाते ह बुध सूय के दोन ओर 14 िडगी या इससे अिधक समीप आने पर अ त माने जाते ह िक तु यिद बुध अपनी सामा य

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गित क बिन पत वक गित से चल रहे ह तो वह सूय के दोन ओर 12 िडगी या इससे अिधक समीप आने पर अ त माने जाते ह

गु सूय के दोन ओर 11 िडगी या इससे अिधक समीप आने पर अ त माने जाते ह …. शुक सूय के दोन ओर 10 िडगी या इससे अिधक समीप आने पर अ त माने जाते ह िक तु यिद शुक अपनी
सामा य गित क बिन पत वक गित से चल रहे ह तो वह सूय के दोन ओर 8 िडगी या इससे अिधक समीप आने पर अ त माने जाते ह

शिन सूय के दोन ओर 15 िडगी या इससे अिधक समीप आने पर अ त माने जाते ह

राह-केतु छाया गह होने के कारण कभी भी अ त नह होते हमेशा वक रहते है

िकसी भी गह के अ त हो जाने क ि थित म उसके पभाव म कमी आ जाती है तथा वह िकसी कुंडली म सुचा प से काय करने म स म नह रह जाता िकसी भी अ त गह क पाभावहीनता का सही
अनुमान लगाने के िलए उस गह का िकसी कुंडली म ि थित के कारण बल, सूय का उसी कुंडली िवशेष म बल तथा अ त गह क सूय से दरू ी देखना आव यक होता है त प ात ही उस गह क काय
मता के बारे म सही जानकारी पा हो सकती है उदाहरण के िलए िकसी कुंडली म गु सूय से 11 िडगी दरू होने पर भी अ त कहलाएं गे तथा 1 िडगी दरू होने पर भी अ त ही कहलाएं गे, िक तु पहली
ि थित म कुंडली म गु का बल दस ू री ि थित के मुकाबले अिधक होगा य िक िजतना ही कोई गह सूय के पास आ जाता है, उतना ही उसका बल ीण होता जाता है इसिलए अ त गह का अ ययन बहत
यानपूवक करना चािहए िजससे िक उनके िकसी कुंडली िवशेष म सही बल का पता चल सके

अ त गह के पूण शुभ पाभाव को रा करने हे तु अित र बल क आव यकता होती है तथा कुंडली म िकसी अ त गह का अ ययन के बाद ही यह िनणय िकया जाता है िक उस अ त गह को अित र
बल कैसे पदान िकया जा सकता है यिद िकसी कुंडली म कोई गह अ त होने के साथ साथ वभाव से शुभ फलदायी है तो उसे अित र बल पदान करने का सबसे उिचत उपाय है, कुंडली धारक को उस
गह िवशेष का र न धारण करवा देना र न का वजन अ त गह क पाभावहीनता का सही अनुमान लगाने के बाद ही तय िकया जाना चािहए इस पकार उस अ त गह को अित र बल िमल जाता है
िजससे वह अपना काय सुचा प से करने म स म हो जाता है

िक तु यिद िकसी कुंडली म कोई गह अ त होने के साथ साथ अशुभ फलदायी है तो ऐसे गह को उसके र न के ारा अित र बल नही िदया जाता य िक िकसी गह के अशुभ होने क ि थित म उसके
र न का पयोग सवथा विजत है, भले ही वह गह िकतना भी बलहीन हो ऐसी ि थित म िकसी भी अ त गह को बल देने का सबसे उिचत तथा पभावशाली उपाय उस गह का मंत जप होता है ऐसी ि थित म
उस गह के मंत का िनरं तर जाप करने से या उस गह के मंत जप पूजा करवाने से गह को अित र बल तो िमलता ही है, साथ ही साथ उसका दु पभाव से शुभपभाव शु हो जाता है मेरे िवचार से िकसी
कुंडली म िकसी अ त तथा अशुभ फलदायी गह के िलए सवपथम उसके बीज मंत अथवा वेद मंत के 1,25,000 मंत के जाप से पूजा करवानी चािहए तथा उसके प ात िनयिमत प से उसी मंत का जाप
करना चािहए िजसके जाप के ारा गह क पूजा करवायी गई थी नवगह म से प येक गह के मूल मंत, बीज मंत तथा वेद मंत जानने के िलए नवगह के मंत नामक लेख पढ़

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लेखक प रचय

पंिडत दयानंद शा ती

लेखक पेशे से योितषाचाय ह और िविभ न पत -पितकाओं व वे बसाइ स म योितष एवं वा तु शा त के िविभ न िवषय पर िनरं तर लेखन कर रहे ह

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