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परछाई

लेखक

विपुल पटे ल

जगह- विल्ली

पात्र- मयंक (२३)

आिमी(२३)

मकान मावलक(४५)

(मयंक और एक आिमी आनमे -सामने बैठे हुए है और िो एक िु सरे की आँ खों में िे ख रहे है )
मयंक- लू डो खे लोगे?

आिमी- हाँ , हाँ वबलकुल।

(ख़ु शी में )

(मायक लू डो वनकाल कर टे बल पर रख िे ता है )

हरी िाली मेरी, लाल िाली तुम्हारी।

मयंक- नहीं लाल िाली तुम्हारी, हरी िाली िाली मे री।

आिमी- चलो कोई बात नहीं, िही सही।

(खे ल शुरू होता है )

िु खी-िु खी क्ों लग रहे हो?

मयंक- आज इं टरव्यू िे ने गए थे हम।

आिमी- तो?

मयंक- िहाँ भी नहीं हुआ हमारा।

आिमी- इतना िु खी होने की क्ा जरूरत है ,

ये सब तो लगा रहता है ।

(इसी बीच मयंक उसकी एक गोटी काट िे ता है पर कोई प्रविया नही िे ता)

मयंक- यार.... ये नौकरी हमारे वलए बहुत जरूरी था, इस महीने हम पैसा कैसे भे जेंगे घर।

(वनराश होकर)

(तभी िरिाज़े पर खटखटाने की आिाज़ आती है , मयंक िरिाज़ा खोलता है तो उसे मकान मावलक
वमलता है )

मकान मावलक- कैसे हो बेटा मयंक? सब कुछ ओके ?

मयंक- हाँ जी अंकल, सब कुछ सही है

मकान मावलक- इधर से गुज़र रहा था तो लगा की िे खता चालू कैसा है यहा सब

मयंक- आपका ही घर है अंकल आप िे ख सकते है

(मकान मावलक अन्दर जाता है और िे खता है )

मकान मावलक- चलो मै चलता हँ , कोई विक्कत हो तो बताना

मयंक- ओके अंकल

(िरिाज़ा बंि करता है और विर से खे लने बैठ जाता है )


आिमी- आज क्ा करके आये हो?

लू डो खेले?

मयंक- मै वजतना ज्यािा करने की कोवशश करता हँ , उतना ही बुरा हो जाता है ।

आिमी- क्ा हुआ?

मयंक- कुछ नहीं, आज हाँ थ में सैलरी थमाई और बोला की ररजाइन कर िो ।

(पॉज)

मु झे वनकल विया।

आिमी- कोई बात नहीं, और अच्छी नौकरी वमल जायेगी।

मयंक- मजाक बन गयी है वज़न्दगी जब से विल्ली आये है ।

आिमी- आओ लू डो खे लो थोड़ी िे र मन शां त हो जाएगा।

मयंक- तुम्हे मज़ाक लग रहा है ?

हमारे अलािा कोई और नहीं है जो हमारे घर को सभाले।

जब से हम कॉलेज में एडवमशन वलए है तब से अम्मा ने अपने वलए कुछ खरीिा नहीं।

इलाहबाि में हमे सब तोप समझाते थे और यहाँ हम िूस हो गए, अब वकस मू ह से घर िालों को बताये
हम।

आिमी- अब इतना टें शन ले ने से क्ा होगा?

विल्ली है और नौकरी वमल जायेगी।

(अपना पासा िेकता है और मयंक को बढाता है )

मयंक- अरे यार!! यहाँ वज़न्दगी िाि पर लगी है और तुम्हे लूडो की पड़ी है।

आिमी- वज़न्दगी भी तो इस लू डो की तरह है , अपना पासा िेकते जाओ और आगे िे खते जाओ की आगे
क्ा होता है ।

कभी तुम वकसी की गोटी काटोगे तो कभी तुम्हारी कोई और काटे गा।

लो थोड़ी िे र खे लो अच्छा लगेगा।

(मयंक अपना पासा िेकता है और आिमी की एक गोटी काट िे ता है )

मैं ने कहा था न.....

(तभी विरसे कोई िरिाज़ा खटखटाता है )

मकान मावलक- बेटा िो मवहना पूर अहो गया था तो वकराया


(मयंक थोडा वहचवकचाते हुए)

मयंक- माफ़ कररयेगा अंकल... िो..... िो.....चार.... विन की मोहलत िे िीवजये , मै िे िू ं गा।

मकान मावलक- ठीक है ... िो विन मतलब िो विन।

मयंक- जी जरूर।

(िरिाज़ा बंि करता है और िापस जा कर बैठ जाता है )

आिमी- सुना है गाडी ले ने िाले हो?

मयंक- हां ।

(खे ल पर ध्यान िे ते हुए)

आिमी- जनाब गाडी पानी से नहीं चलती।

मयंक- अच्छा।

मे रे इलाहाबाि में तो पानी से चलती है ।

आिमी- (थोड़ा सोचते हुए)

तेल का पैसा कहा से आएगा?

मयंक- (थोडा सोचते हुए)

तेल... िो सब हो जाएगा जब गाडी आएगी

आिमी- और गाडी?

इतना पैसा कहाँ से लाओगे?

( तभी विर से कोई िरिाज़ा खटखटाता है )

मकान मावलक- हाँ जी तो चार विन हो गए।

वकराया ?

मयंक- जी... िो.... कुछ विनों की और मोहलत िे िे ते तो अच्छा होता, अभी सैलरी नहीं आई।

मकान मावलक- तो कब आएगी?

मैं तब आ जाऊँगा।

मयंक- एक हफ्ते के अन्दर आ जायेगी।

मकान मावलक- चलो ठीक है , मैं आता हँ एक हफ्ते में , लेवकन अब की बार वमल जाना चावहए।

(िरिाज़ा बंि होता है और खे ल विर शु रू होता है )


आिमी- तुम्हारी गाडी का क्ा हुआ?

अभ तक आई नहीं? (व्यं गात्मक तरीके से)

मयंक- आजाएगी इस हफ्ते ।

िाइने सर बात हो गई है ।

आिमी- क्ा?

लोन पर गाडी ले रहे ?

मयंक- हाँ ।

आिमी- “हमे उतना ही उड़ान भरना चावहए जहां से ज़मीन साफ़ विखाई िे ”

वकराए के वलए पैसे नहीं है और शौक पूरे होने चावहए।

मयंक- हाँ , तो हमारा भी मन करता है गाडी से जाने का, ऑविस में सब गाडी से आते है , एक मै ही
हँ जो......

आिमी- विल्ली आकर हिा लग गई है तुम्हे,

अभी जो गाँ ि में कजाा है तुम्हारी पढाई का िो?

िो भी तुम्हारे पापा भरे गे?

मयंक- हाँ तो िो भी हो जाएगा ना....

धीरे -धीरे ही तो करू


ँ गा सारी चीज़े।

(तभी विर कोई िरिाज़ा खटखटाता है )

मकान मावलक- लो भाई आज हो गए एक हफ्ते ,

अब तु म अपना िािा पूरा करो।

मयंक- हाँ , तो िे रहे है न हम.. कही भाग थोड़ी जायेगे, इज्ज़तिार आिमी है , वकराया तो िे गे ही।

मकान मावलक- हाँ तो वनकालो।

(मयंक पैसे वनकाल कर िे ता है और िो चला जाता है , मयंक विर से खे लने लगता है )

आिमी- (हसते हुए)

मैं ने कहा था ना वक मत लो।

मयंक- हसो मत... मु झे क्ा पता था की चोरी हो जाएगी।

आिमी- चलो अच्छा है तेल का पैसा बचा..” ना रहे गी गाडी ना लगेगा तेल”

िैसे तुमने वपछली िाली नौकरी क्ों छोड़ी?


मयंक- क्ोवक िो हमारे लायक नहीं था।

आिमी- िो लायक नहीं थी की तुम उसके लायक नहीं थे ?

(व्यं गात्मक तरीके से)

मयंक- हमारे पास टे क्निकल वडग्री है और उन्ोंने मुझे कस्टमर केयर पर बैठा विया।

हम लोगो से बात थोड़ी ना करने आये है, हम काम करने आये है ।

आिमी- तो ये काम नहीं है ?

मयंक- ये कैसा काम है ?

विनभर फ़ोन उठाते रहो और हे ल्लो सर , हे लो मैडम करते रहो।

और पैसा? पैसा भी तो कम िे रहे थे।

हम यहाँ अमीर बनाने आये है ।

पूरी वज़न्दगी फ़ोन उठाने नहीं।

आिमी- रातो-रात अमीर बनना चाहते हो?

ये ख्वाब छोड़ िो, ये विल्ली है , हज़ारो आते है तुम्हारे जै से और सब इसी भीड़ में खी जाते है ।

(विर से कोई िरिाज़ा खटखटाता है )

मकान मावलक- हां भाई, इस महीने का वकराया?

मयंक- इस महीने का वकराया एडजस्ट हो गया है ।

मकान मावलक- एडजस्ट हो गया है ?

मयंक- हां , छत पर सीलन थी और कमरे में पेंवटं ग कराई है , पूरे तीन हज़ार हो गए।

मकान मावलक- तीन हज़ार हो गए?

अच्छा......

ले वकन एक बार बताना तो चावहए था।

मयंक- आप इधर बीच आये ही नहीं और मै भी कािी व्यस्त था, तो फ़ोन नहीं कर पाया।

मकान मावलक- चलो ठीक है , कोई बात नहीं।

(मकान मावलक जाता है और मयंक विर से खेलने लगता है

मयंक थोड़े गुस्से में और आिमी की और गोटी काट िे ता है पर कोई प्रविया विए बगैर पासा िेकने लगता
है )

आिमी- आराम से भाई!!


सारा गुस्सा लूडो पर ही वनकालोगे क्ा?

(मयंक कोई प्रविया नहीं िे ता)

मयंक- कैसे होगा सब?

आिमी- क्ा कैसे होगा?

मयंक- अभी कोई सेविंग नहीं है और इतने काम इस महीने में .....

गाँ ि में लाला ब्याज भी िे ना है , इस महीने पापा का ऑपरे शन भी है।

उधर गाँ ि में लाला रोज़ आकर कहता है की बेटे की पढाई पूरी हो गई है अब तो कजाा उतार तो
और इधर ये मकान मावलक
मवहना पूरा होता ही है की िरिाज़ा पीटने लगता है ।

आिमी- सेविंग होगी कैसे?

तुम्हारे हौसले इतने बुलंि रहते है की हर महीने नौकरी जो बिलते रहते हो।

मयंक- िो मे रे लायक नहीं थी।

आिमी- लायक?

कौन सी लायक नहीं थी?

अग्रिाल िाली?

मयंक- िो माकेवटं ग करिाते थे ।

आिमी- बंसल ग्रुप िाली?

मयंक- िो पैसे कम िे ते थे ।

आिमी- तो िो आर बी यस िाली?

मयंक- िो वकतना िू र है , सारा पैसा आने जाने में ही लग जाता था।

आिमी- िो जो वपछले महीने इं टरव्यू विया था?

मयंक- िहां िोवकिंग आिर ज्यािा था।

आिमी- हर जगह तुम्हे परे शानी ही थी।

अब नौकरी तुम्हारे जरूरत के वहसाब से थोड़ी न होगी।

मयंक- जरूरत के वहसाब से ना तो मन मु तावबक़ तो हो।

(मयंक अपना फ़ोन चेक करता है और ख़ु शी से झूमता है )

मयंक- वमल गई.....


आिमी- क्ा?

विर से िू सरी नौकरी?

मयंक- नहीं विलहाल तो लड़की वमली है ।

आिमी- लड़की िो भी तुम्हे?

कैसे?

मयंक- अरे !!! हमारा वटं डर पर मै च हो गया है ।

क्ा लग रही है....

अब तो वज़न्दगी सिल हो जायेगी।

“साम होते ही िो मे रे लबों पर अपना लब रख िे गी ,

इस्क का रोजा है और क्ा गज़ब की इफ्तारी होगी”

(थोडा शमाा ते हुए और बाल में हाथ िेरते हुए)

आिमी- इफ्तारी तो तब होगी न जब जे ब में पैसे होगे,

ये विल्ली है जब तक जे ब में पैसे है , ये शहर अपना है िरना यहाँ कोइ इसी का नहीं है ।

मयंक- पर ये मे री है ।

आिमी- िो कैसे पता?

मयंक- यार... इतनी सुन्दर है ..... भोली है विख रही है ,

मे रे साथ ऐसा थोड़ी करे गी।

आिमी- तुम्हे शमा आ रही है ?

नौकरी से वनकाल विया है , अब घर पैसे कैसे भे जोगे?

वकराय कैसे िोगे?

और बाकी जरूरते?

मयंक- अरे !! ये सब छोवडये, ये सब तो लगा रहता है वज़न्दगी में ।

अब इतनी छोटी-छोटी बातों से जीना थोड़ी ना छोड़ िे गे।

िैसे भी मज़े कम नहीं होने चावहए।

(आिमी उसे लगातार िे खता रहता है )

ऐसे क्ा िे ख रहे हो?


कल वमलने जान है उनसे (शमाा ते हुए)

मु झे कुछ समझ नहीं आ रहा है कैसे बात करू


ँ गा? क्ा कहँ गा? िो क्ा बोले गी?

(तभी आिमी उसकी एक गोटी काट िे ता है )

आिमी- यस!!!

(लाइट् स िाडे आउट )

(लाइट िाडे इन )

(मयंक कोट पहन कर बैठा है )

आिमी- क्ा हुआ?

आज पी भी वलया क्ा?

(मयंक कुछ नहीं बोलता)

कैसी रही तुम्हारी डे ट?

मयंक- ये विल्ली सीधे-साधे लोगो के वलए नहीं है .... तुम सही थे , ये एक िम खे ल जै सा है , कभी तुम
िू सरों की काटोगे तो कभी िू सरा तुम्हारा काट िे गा।

िो मु झसे कहती है की वजतने पैसे तुम कमाते हो उतना तो मे रा खचाा है और तुम लल्लू से हो तुम्हे कोई
भी चुवटया बना सकता है ।

अब हमे समझ आ गया है की कैसे रहना है इस विल िालो के विल्ली में।

(इसी बीच विर से िरिाज़ा खटखटाने की आिाज़ आती है )

(िरिाज़ा खोलता है तो उसे मकान मावलक खडा वमलता है )

मकान मावलक- हां भाई मयंक...

िो विन के अन्दर घर खाई कर िे ना कोई और वकरायेिार आ रहा है ।

मयंक- िो विन?

पर बात तो पूरे साल की जी थी।

मकान मावलक- हाँ ..... पर इसे ठीक भी तो कराना है उन्ें िे ने से पहले।

मयंक- आप ऐसा कर ही नहीं सकते।

मै आपको करने ही नहीं िू ं गा, पूरे साल का अग्रीमें ट है मे रे पास, वजसपर साफ़-साफ़ वलखा है
की आप एक साल तक वकसी और को नहीं िे सकते।

(मयंक अपने हाँ थ में पेपसा विखाता है पर उसे नहीं विखता )


(तभी मकान मावलक अन्दर आने की कोवशश करता है ले वकन मयंक उसे रोकता है )

मयंक- आप ऐसे अन्दर नहीं आ सकते सर...ये मे रा घर है मे री इज़ाज़त के वबना आप अन्दर नहीं आ
सकते।

मकान मावलक- ये तुम्हारा नहीं मे रा घर है ।

मयंक- हाँ आपका ही पर अभी अग्रीमें ट के मु तावबक़ इस पर मे रा हक है ।

अगर आपने कुछ भी उल्टा सीधा करने की कोवशश करी तो मै आप पर केस कर िू ं गा, इतना
क़ानू न तो मु झे भी पता है ।

और हाँ ये लो इस महीने का वकराया।

(मकान मावलक जाता है और मयंक िरिाज़ा बंि करके जै से ही पीछे मू ड कर िे खता है टे बल पर कोई
नहीं होता)

मयंक- अरे !!! तुम कहा चले गए?

मैं ने तो उसे बोला था जाने को...

गेम कौन पूरा करे गा?

(मयंक टे बल के पास जाता है और िे खता है तो िहा कोई लू डो नहीं होता सब खली होता है )

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