कोई बु लनयादी फकक नही ीं है आदमी-आदमी के ललए||१|| यहााँ झाीं कना जरुरी नही ीं खु ल्ला खु ल्ला सा है व्यवहार नयी शु रुवात जो करनी है मु झे एक मौका दुश्वार||२||...... मे री तमन्ना मे रे अरमान आपकी भलाई से स्वार मु झे करना केन्द्रित जहााँ मे री जरुरत बार बार||३|| दूर करना मु झे मानव मानव की लवषम दरार सभी में सू झे अपनापन सनातन भी हो सीं स्कार||४|| अच्छे बु रे की समझ हो सभी उच्च लशलित लवद् यत दुलनया को लनशस्त्र करू मै जातपात का हो लनष्पात||५|| सृ लि सु रलित पहाड़ घने रे जीं गल नदी जन्नत हर प्रजालत को लमले सु रिा लनसगक में बसे मन्नत||६|| बीता कल जो बदलना है नये सीं कल्प हो सम्मत नई उमीं गोीं, नई तरीं गोीं, और ख्वाब ने क लसयासत ||७|| अर्क व्यवस्र्ा एक ऐसी हो जो लपछडोको ले कर सार् हर बु राई सामालजक हो या धालमक क को कर हताहत ||८|| आस्र्ा लवश्वास और सच्चाई हर राजकारणी सार्सार् अर्क व्यवस्र्ा केन्द्रित हो धरती और लकसान के हार् ||९|| व्यलर्त पीलड़त जन जन त्वररत हो क्ले श लनवारण यायालय भये अती गोचर पीलड़त के घर कारण ||१०|| दे श की माटी दे श का जन बने सु रलित मे रा गााँ व वतन मे रे लतरीं गे से इह लोग डरे और डरें गे सम्पन्न ||११|| पै गाम एक दे ना है एक बे हतरीन कलके ललए कोई बु लनयादी फकक नही ीं है आदमी-आदमी के ललए ||१२||