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आइए िे खते हैं कुछ ऐिे ह िाक्ष्य, जो रामायण काल के अष्स्तत्व को स्वीकारते
हैं…
1.रावण का महल
कहा जाता है कक लंकापतत रावण के महल, ष्जिमें अपनी पटरानी मंिोिरर के िाथ
तनवाि करता था, के अब भी अवशेष मौजि
ू हैं। यह वह महल है , ष्जिे पवनपत्र
ु
हनम
ु ान ने लंका के िाथ जला दिया था।
लंका िहन को रावण के ववरुद्ध राम की पहल बडी रणनीततक जीत माना जा
िकता है क्योंकक महाबल हनम
ु ान के इि कौशल िे वहां के िभी तनवािी भयभीत
होकर कहने लगे कक जब िेवक इतना शष्क्तशाल है तो स्वामी ककतना ताकतवर
होगा। …और ष्जि राजा की प्रजा भयभीत हो जाए तो वह आधी लडाई तो यंू ह
हार जाता है ।
गि
ु ाईं जी पंष्क्तयां िे णखए- ‘चलत महाधतु न गजेसि भार , गभम स्रवदह ितु न तनसिचर
नार ’। अथामत लंका िहन के पश्चात जब हनम
ु ान पन
ु : राम के पाि जा रहे थे तो
उनकी महागजमना िन
ु कर राक्षि ष्स्त्रयों का गभमपात हो गया।
2.सग्र
ु ीव गफ
ु ा –
रामायण की एक कहानी के अनि
ु ार वानरराज बाल ने िं ि
ु सु भ नामक राक्षि को
मारकर उिका शर र एक योजन िरू फेंक दिया था। हवा में उडते हुए िं ि ु सु भ के
रक्त की कुछ बंि
ू ें मातंग ऋवष के आश्रम में गगर गईं। ऋवष ने अपने तपोबल िे
जान सलया कक यह करतत
ू ककिकी है ।
यह ं पर आंजनेय हनम
ु ान ने तनशानी के रूप में राम की अंगठ
ू ी िीता को िौंपी थी।
ऐिा माना जाता है कक अशोक वादटका में नाम अनरू
ु प अशोक के वक्ष
ृ काफी मात्रा
में थे। राम की ववरह वेिना िे िग्ध िीता अपनी इहल ला िमाप्त कर लेना चाहती
थीं। वे चाहती थीं कक अष्ग्न समल जाए तो वे खुि को अष्ग्न को िमवपमत कर िें ।
इतना ह ं नह ं उन्होंने नत
ू न कोंपलों िे यक्
ु त अशोक के वक्ष
ृ ों िे भी अष्ग्न की मांग
की थी।
ऐिा माना जाता है कक 15वीं शताब्ि तक पैिल पार करने योग्य था। एक चक्रवात
के कारण यह पल
ु अपने पव
ू म स्वरूप में नह ं रहा। रामिेतु एक बार कफर तब
िणु खमयों में आया था, जब नािा के उपग्रह द्वारा सलए गए गचत्र मीडडया में िणु खमयां
बने थे।
िमद्र
ु पर िेतु के तनमामण को राम िि
ू र बडी रणनीततक जीत कहा जा िकता है ,
क्योंकक िमद्र
ु की तरफ िे रावण को कोई खतरा नह ं था और उिे ववश्वाि था कक
इि ववराट िमद्र
ु को पार कोई भी उिे चन
ु ौती नह ं िे िकता।
5.रामायण कालीन 4 हवाईअड्डे
जी हााँ िोस्तों, रावण के रामायण काल न ४ हवाईअड्डे खोजने का िावा ककया है श्री
लंका की रामायण अनि
ु न्धान कमेट ने।
वपछले 9 वषों िे ये कमेट श्री लंका का कोना कोना छान रह थी ष्जिके तहत कई
छुट पट
ु जानकार व ् अवशेष भी समलते रहे परन्तु वपछले 4 िालो में लंका के िग
ु म
म
स्थानों में की गई खोज के िोरान रावण के 4 हवाईअड्डे हाथ लगे है ।
कमेट के अध्यक्ष अशोक केंथ का कहना है की रामायण में वणणमत लंका वास्तव में
श्री लंका ह है जहााँ उिानगोडा , गरु
ु लोपोथा , तोतप
ु ोलाकंिा तथा वररयापोला नामक
चार हवाईअड्डे समले है । उिानगोडा रावण का तनजी हवाईअड्डा था तथा यहााँ का
रनवे लाल रं ग का है । इिके आिपाि की जमीं कह ं काल तो कह ं हर घाि
वाल है । जब हनम
ु ान जी िीता जी की खोज में लंका गये तो वहां िे लौटते
िमय उन्होंने रावण के तनजी उिानगोडा को नष्ट कर दिया था ।