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ये सबत

ू दे खकर आप भी स्वीकार करें गे,


रामायण काल के अस्स्तत्व को
Real evidence of Ramayana era : रामायण काल को लेकर अलग-अलग मान्यताएं
हैं। ऐततहासिक िाक्ष्य नह ं होने के कारण कुछ लोग जहां इिे नकारते हैं, वह ं कुछ
इिे ित्य मानते हैं। हालांकक इिे आस्था का नाम दिया जाता है , लेककन नािा
द्वारा िमद्र
ु में खोजा गया रामिेतु ऐिे लोगों की मान्यता को और पष्ु ट करता है।
रामायण को आज के ज़माने में कई लोग शक की तनगाह िे िे खते हैं। कई लोग
दहन्ि ू धमम के गौरवशाल इततहाि को झठ
ु लाने की कोसशश भी करते हैं। यहााँ तक
की आज का दहन्ि ू यव
ु ा भी पौराणणक कथाओं को िंिेह की द्रष्ष्ट िे िे खता है ।
लेककन हम आपको यहााँ पर उन िाक्ष्यों के बारे में बताएाँगे ष्जििे सिद्ध हो जाएगा
की रामायण कोई झठ
ू ी रचना नह ं है ।

आइए िे खते हैं कुछ ऐिे ह िाक्ष्य, जो रामायण काल के अष्स्तत्व को स्वीकारते
हैं…
1.रावण का महल
कहा जाता है कक लंकापतत रावण के महल, ष्जिमें अपनी पटरानी मंिोिरर के िाथ
तनवाि करता था, के अब भी अवशेष मौजि
ू हैं। यह वह महल है , ष्जिे पवनपत्र

हनम
ु ान ने लंका के िाथ जला दिया था।

लंका िहन को रावण के ववरुद्ध राम की पहल बडी रणनीततक जीत माना जा
िकता है क्योंकक महाबल हनम
ु ान के इि कौशल िे वहां के िभी तनवािी भयभीत
होकर कहने लगे कक जब िेवक इतना शष्क्तशाल है तो स्वामी ककतना ताकतवर
होगा। …और ष्जि राजा की प्रजा भयभीत हो जाए तो वह आधी लडाई तो यंू ह
हार जाता है ।

गि
ु ाईं जी पंष्क्तयां िे णखए- ‘चलत महाधतु न गजेसि भार , गभम स्रवदह ितु न तनसिचर
नार ’। अथामत लंका िहन के पश्चात जब हनम
ु ान पन
ु : राम के पाि जा रहे थे तो
उनकी महागजमना िन
ु कर राक्षि ष्स्त्रयों का गभमपात हो गया।
2.सग्र
ु ीव गफ
ु ा –
रामायण की एक कहानी के अनि
ु ार वानरराज बाल ने िं ि
ु सु भ नामक राक्षि को
मारकर उिका शर र एक योजन िरू फेंक दिया था। हवा में उडते हुए िं ि ु सु भ के
रक्त की कुछ बंि
ू ें मातंग ऋवष के आश्रम में गगर गईं। ऋवष ने अपने तपोबल िे
जान सलया कक यह करतत
ू ककिकी है ।

क्रुद्ध ऋवष ने बाल को शाप दिया कक यदि वह कभी भी ऋष्यमक


ू पवमत के एक
योजन क्षेत्र में आएगा तो उिकी मत्ृ यु हो जाएगी। यह बात उिके छोटे भाई िग्र
ु ीव
को ज्ञात थी और इिी कारण िे जब बाल ने उिे प्रताडडत कर अपने राज्य िे
तनष्कासित ककया तो वह इिी पवमत पर एक कंिरा में अपने मंत्रत्रयों िमेत रहने
लगा। यह ं उिकी राम और लक्ष्मण िे भेंट हुई और बाि में राम ने बाल का वध
ककया और िग्र
ु ीव को ककष्ष्कंधा का राज्य समला।
3.अशोक वाटिका
अशोक वादटका लंका में ष्स्थत है , जहां रावण ने िीता को हरण करने के पश्चात
बंधक बनाकर रखा था। ऐिा माना जाता है कक एसलया पवमतीय क्षेत्र की एक गफ
ु ा
में िीता माता को रखा गया था, ष्जिे ‘िीता एसलया’ नाम िे जाना जाता है । यहां
िीता माता के नाम पर एक मंदिर भी है ।

यह ं पर आंजनेय हनम
ु ान ने तनशानी के रूप में राम की अंगठ
ू ी िीता को िौंपी थी।
ऐिा माना जाता है कक अशोक वादटका में नाम अनरू
ु प अशोक के वक्ष
ृ काफी मात्रा
में थे। राम की ववरह वेिना िे िग्ध िीता अपनी इहल ला िमाप्त कर लेना चाहती
थीं। वे चाहती थीं कक अष्ग्न समल जाए तो वे खुि को अष्ग्न को िमवपमत कर िें ।
इतना ह ं नह ं उन्होंने नत
ू न कोंपलों िे यक्
ु त अशोक के वक्ष
ृ ों िे भी अष्ग्न की मांग
की थी।

तुलिीिाि जी ने सलखा भी है - ‘नत


ू न ककिलय अनल िमाना, िे दह अगगतन जन
करदह तनिाना’। अथामत तेरे नए पत्ते अष्ग्न के िमान हैं। अत: मझ
ु े अष्ग्न प्रिान कर
और मेरे िख
ु का शमन कर।
4.रामसेतु
रामिेतु ष्जिे अंग्रेजी में एडम्ि त्रिज भी कहा जाता है , भारत (तसमलनाडु) के िक्षक्षण
पव
ू ी तट के ककनारे रामेश्वरम द्वीप तथा श्रीलंका के उत्तर पष्श्चमी तट पर मन्नार
द्वीप के मध्य चन
ू ा पत्थर िे बनी एक श्रख
ं ृ ला है । भौगोसलक प्रमाणों िे पता
चलता है कक ककिी िमय यह िेतु भारत तथा श्रीलंका को भ-ू मागम िे आपि में
जोडता था। यह पल
ु कर ब 18 मील (30 ककलोमीटर) लंबा है ।

ऐिा माना जाता है कक 15वीं शताब्ि तक पैिल पार करने योग्य था। एक चक्रवात
के कारण यह पल
ु अपने पव
ू म स्वरूप में नह ं रहा। रामिेतु एक बार कफर तब
िणु खमयों में आया था, जब नािा के उपग्रह द्वारा सलए गए गचत्र मीडडया में िणु खमयां
बने थे।

िमद्र
ु पर िेतु के तनमामण को राम िि
ू र बडी रणनीततक जीत कहा जा िकता है ,
क्योंकक िमद्र
ु की तरफ िे रावण को कोई खतरा नह ं था और उिे ववश्वाि था कक
इि ववराट िमद्र
ु को पार कोई भी उिे चन
ु ौती नह ं िे िकता।
5.रामायण कालीन 4 हवाईअड्डे

जी हााँ िोस्तों, रावण के रामायण काल न ४ हवाईअड्डे खोजने का िावा ककया है श्री
लंका की रामायण अनि
ु न्धान कमेट ने।

वपछले 9 वषों िे ये कमेट श्री लंका का कोना कोना छान रह थी ष्जिके तहत कई
छुट पट
ु जानकार व ् अवशेष भी समलते रहे परन्तु वपछले 4 िालो में लंका के िग
ु म

स्थानों में की गई खोज के िोरान रावण के 4 हवाईअड्डे हाथ लगे है ।

कमेट के अध्यक्ष अशोक केंथ का कहना है की रामायण में वणणमत लंका वास्तव में
श्री लंका ह है जहााँ उिानगोडा , गरु
ु लोपोथा , तोतप
ु ोलाकंिा तथा वररयापोला नामक
चार हवाईअड्डे समले है । उिानगोडा रावण का तनजी हवाईअड्डा था तथा यहााँ का
रनवे लाल रं ग का है । इिके आिपाि की जमीं कह ं काल तो कह ं हर घाि
वाल है । जब हनम
ु ान जी िीता जी की खोज में लंका गये तो वहां िे लौटते
िमय उन्होंने रावण के तनजी उिानगोडा को नष्ट कर दिया था ।

आगे केंथ ने बताया की अब तक उनकी ट म ने लंका के 50 िग


ु म
म स्थानों की खोज
की है । इििे पव
ू म पंजाब के अशोक केंथ िन 2004 में लंका में ष्स्थत अशोक
वादटका खोजने के कारन िणु खमयों में आये थे ।

तत्पश्चात श्री लंका िरकार ने 2007 में ‘श्री रामायण अनि


ु न्धान कमेट ’ का गठन
ककया तथा केंथ को इिका अध्यक्ष बनाया था ।

श्री रामायण अनस


ु न्धान कमेिी के मख्
ु य सदस्य –
इि कसमट में श्री लंका के पयमटन मंत्रालय के डायरे क्टर जनरल क्लाइव सिलबम ,
आस्रे सलया के हे ररक बाक्िी , लंका के पीवाई िि
ु े शम, जममनी के उिमला मल
ु र ,
इंग्लॅ ण्ड की दहमी जायज शासमल है ।
अब तक क्या क्या पाया ?
अशोक वादटका,रावण के ४ हवाईअड्डे : उिानगोडा , गुरुलोपोथा , तोतुपोलाकंिा ,
वररयापोला,रावण का महल ,ववभीषण का महल आदि ।

ये स्थान व ् हवाईअड्डे आटद ककतने परु ाने ?


वेि ववज्ञानं मंडल, पण
ु े के डा० वतमक जी ने वालसमकी रामायण में वणणमत ग्रहों
नक्षत्रों की स्थतत(astronomical calculations) तथा उन्ह ग्रहों नक्षत्रों की वतममान
स्थतत पर गहन शोध कर रामायण काल को लगभग 7323 ईिा पव
ू म अथामत आज िे
लगभग 9336 वषम पव
ू म का बताया है । इि ववषय पर उन्होंने एक परू पस्
ु तक भी
सलख डाल है ष्जिमे उन्होंने लगभग िभी मख्
ु य घटनाओं की ततगथ तनधामररत की
है ।

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