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सीताराम सह
सूय पु श न हमारे सौर मंडल म सूय से सबसे र थत ह है। इस कारण वह कृ ण वण, ऊजा र हत और शीत कृ त ह है। उसक
अशुभ फलदायी होती है। इस बारे म पौरा णक कथा के अनुसार पु ज म सुनकर सूय दे व दे खने के लए अपने रथ पर सवार होकर गये। बड़ा
पुर कार मलने क लालसा म साथी आगे चला। श न क सारथी पर पड़ते ही वह अपंग हो गया, जस पर सूय ने तुरंत ही पु को टांग से
पकड़ कर उसे ांड म फक दया। यह कथा पता पु क श ुता के कारण पर भी काश डालती है।
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अपने नैस गक गुण के अनुसार श न शीत द , द घकालीन व क कारी रोग, ए सीडट, अवरोध, अवसाद और द र ता का कारक है। इस
कारण उसे परम अशुभ ह माना गया है। वह एक रा श का गोचर ढाई साल म पूरा करता है। उसक वशो री दशा 19 साल क होती है। वह
वयं थत रा श को थरता दान करता है, परंतु वहां से 3, 7, 10 भाव पर अशुभ डालता है, जससे य को लंबे समय तक क
भोगना पड़ता है। वह कुंडली के 3, 6, 11 भाव म थत होने पर शुभ फल दे ता है और गोचर म चं रा श से 3, 6, 11 भाव म शुभ फल दे ता
है। श न मकर व कुंभ रा श म व े ी, तुला रा श म उ च व मेष रा श म नीच का होता है। वह वृष और तुला रा श के लए योगकारक होकर
अ त शुभ फल दे ता है। चं मा को ‘मन’ का कारक माना गया है। मन ं ः, श न के चं मा से 12व भाव, चं मा के ऊपर से, तथा चं मा से सरे
भाव म गोचर करते समय मन को अ त वच लत करता है। इस साढ़े 7 साल के समय को साढ़े साती कहते ह। श न का चं मा से चतुथ म (ढाई
वष) गोचर ‘कंटक श न’ और चं मा से अ म भाव म गोचर को ‘अ क श न’ कहते ह। उपरो समय सब कार से क कारी स होते ह।
जीवन म साढ़े साती अ धकतम् तीन बार आ सकती है। तीसरी साढ़े साती वृ ाव था म जीवन का अंत कर दे ती है। वतमान म गोचर करते ए
श न ह ने 26-1-2017 को वृ क रा श से धनु रा श म वेश कया, फर व होकर 26-6-2017 को पुनः वृ क रा श म आ गया था।
28-8-2018 को वह व होकर सीधे चलते ए अंततोग वा 26-10-2018 को धनु रा श म वेश कर उ रो र आगे बढ़ता जायेगा। धनु
रा श म श न का गोचर कक (चं ) रा श म ज मे य , तुला रा श तथा कुंभ रा श वाले य के लए शुभ फलदायी होगा। परंतु मकर
रा श म ज मे य क साढ़े साती, क या रा श वाल का कंटक श न और वृष रा श वाल के लए अ म श न अशुभ फलदायी और क कारी
होगा। श न के 18-4-2018 से 6-9-2018 तक व रहने के समय अशुभ फल और क म वृ होगी। ात है क श न वयं सा वक
व धा मक ह है, जससे स होकर दे वा धदे व महादे व ने उ ह ा णय के कमफल का नणायक बनाया था। अतः श न ईमानदार और धा मक
आचरण वाले य को अ धक क नह दे ता। वह अपना फल दशा और गोचर के समय दे ता है। श न दत क को सहनशील बनाने के
लए को सव थम मांस म दरा के सेवन का पूण याग कर सा वक भोजन लेना चा हए। सूया त के बाद पीपल के पेड़ के नीचे सरस के
तेल का द पक जलाकर ा माला पर एक से तीन माला ‘‘ऊँ शं शनै राय नमः’’ मं का जप करना चा हए। श नवार को श न मं दर म मू त
का तैला भषेक और एक द पक व लत कर वह मं जप करना चा हए। अंत म मं दर के सामने बैठे कोढ़ व अपंग भखा रय को 4-5
उड़द क दाल के बड़े खाने को दे ना चा हए। पैसे न द। सुबह जागने पर न न ोक का 11 बार पाठ वशेष लाभकारी होता है: ऊँ कोण थ
पगलो व ू कृ णो रोदांतको यमः, सौ र शनै रो म दः पपलादे न सं तुतः। ऐता न दशनाभा न ातःउ याय या पठे त, शनै र कृत पीड़ा कदा चत
न भ व य त।।
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