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छ तीसगढ़

क सम या

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1.
“ छ तीसगढ़ बजल के मामले म आ म नभर ’’
छ तीसगढ़ म बजल का खजाना समय के साथ-बढ़ता जा रहा है । इसके साथ-साथ छ तीसगढ़ क जगमगाहट भी
बढ़ती जा रह । नवो दत तेलंगाना रा य छ तीसगढ़ से एक हजार मेगावाट बजल खर दने का इ छुक है । छ तीसगढ़ क
बजल दे श के व भ न रा य के साथ दे श क सीमाओं के बाहर ि थत पड़ोसी दे श नेपाल म भी उिजयारा बखेर रह है ।
पावर े डंग काप रे शन के मा यम से नेपाल छ तीसगढ़ से तीस मेगावाट बजल ले रहा है । म य दे श को तीन सौ मेगावाट
बजल द जा रह है । वह ं केरल भी छ तीसगढ़ से एक सौ मेगावाट बजल ले रहा है ।
नया रा य बनने के बाद छ तीसगढ़ रा य बजल कंपनी के उ पादन संयं क मता म जहां 1064.70 मेगावाट
क बढ़ोतर हुई है , वह ं एक अनम
ु ान के मत
ु ा बक छ तीसगढ़ के नजी बजल घर म अगले 3-4 मह न म कर ब चार हजार
मेगावाट बजल का उ पादन शु होगा। नजी कंप नय और रा य शासन तथा छ तीसगढ़ पावर कंपनी के म य हुए
एमओयू क शत के अनस
ु ार, ये नजी कंप नयां अपनी बजल उ पादन मता क साढ़े सात तशत बजल लागत मू य
पर छ तीसगढ़ पावर कंपनी को दं ◌ेगी और कुल उ पादन मता क तीस तशत बजल पर पहला अ धकार छ तीसगढ़
सरकार का होगा। नजी बजल घर म उ पादन शु होने का लाभ छ तीसगढ़ स हत दे श के दस
ू रे रा य को भी मलेगा।
आज दे श के कई रा य बजल के गंभीर संकट जूझ रहे ह। ऐसे म छ तीसगढ़ म बजल क पया त उपल धता ने
यहां खेती- कसानी, उ योग-वा ण य और यवसाय को फलने-फूलने का अ छा अवसर दान कया है । मु यमं ी डॉ.
रमन संह के नेत ृ व म रा य सरकार वारा कसान , उ योग और घरे लू उपभो ताओं को अ छ गण
ु व ता क बजल
दे श के अ य रा य क तल
ु ना म कम दर पर उपल ध कराई जा रह है । दे श के अनस
ु ू चत जा त और अनस
ु ू चत
जनजा त वग के कसान वारा खेती कसानी म उपयोग क जा रह परू बजल रा य सरकार वारा न:शु क कर द गई
है ।
रा य शासन के इस फैसले से इन वग के दे श के लगभग 80 हजार कसान लाभाि वत हो रहे ह। रा य सरकार
कसान को संचाई प प के व यत
ु ीकरण के लए अनद
ु ान उपल ध कराती है । रा य शासन वारा आव यक व यत

लाइन व तार के लए द जाने वाल अनद
ु ान क रा श त पंप कने शन पचास हजार पये से बढ़ाकर 75 हजार पये कर
द गई है । य द अनस
ु ू चत जा त और अनस
ु ू चत जनजा त वग के कसान से प प कने शन पर इस सीमा से यादा खच
आने का अनम
ु ान होता है , तो यह रा श अनस
ु ू चत जा त वकास ा धकरण, ब तर एवं द ण े आ दवासी वकास
ा धकरण तथा सरगज
ु ा एवं उ तर े आ दवासी ा धकरण के मा यम से द जाती है ।
अब तक लगभग 65.51 करोड़ पये क व तीय सहायता से इन वग के असा य पंप धारक 7435 कसान को
लाभाि वत कया गया है । मु यमं ी डॉ. रमन संह के नेत ृ व म कसान के संचाई प प को व यत
ु कने शन दान करने
का काय ाथ मकता के साथ कया गया। रा य गठन के समय दे श म व यत
ु ीकृत संचाई प प क सं या 72 हजार 400
थी, जो माह जून 2015 क ि थ त म बढ़कर तीन लाख 39 हजार 385 हो गई है ।रा य शासन वारा कृषक जीवन यो त
योजना के हत ा हय को अ टूबर 2013 से लैट रे ट पर बजल ा त करने का वक प भी दया गया है । वक प चुनने
वाले कसान से एक सौ पये तमाह त एचपी के मान से शु क लया जाएगा।

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उ लेखनीय है क पांच हास पावर तक के संचाई प प वाले कसान के लए दो अ टूबर 2009 से संचा लत इस
योजना के तहत येक संचाई प प के लए सालाना छह हजार यू नट बजल न:शु क द जा रह थी। इस सु वधा का
व तार करते हुए वष 2012-13 से तीन हास पावर तक के संचाई प प को एक वष म छह हजार यू नट और तीन से पांच
हास पावर तक के संचाई प प पर साढ़े सात हजार यू नट बजल न:शु क द जा रह है । इसके साथ पांच हास पावर तक
के संचाई प प के लए मीटर कराया एवं फ स चाज म छूट द गई है ।
रा य शासन वारा कसान के साथ-साथ कमजोर वग के हत ा हय को भी उदारता के साथ बजल उपल ध
कराई जा रह है । एकल ब ती कने शन धार हत ा हय क सं या रा य गठन के समय लगभग छह लाख तीस हजार से
बढ़कर वतमान म पं ह लाख 54 हजार हो गई है । येक एकल ब ती कने शन धार को तमाह चाल स यू नट बजल
न:शु क दान क जा रह है ।
रा य गठन के बाद दे श म बजल उ पादन म भी उ लेखनीय व ृ हुई है । रा य गठन के समय दे श म बजल
उ पादन मता 1360 मेगावाट थी, जो माह जून 2015 क ि थ त म बढ़कर 2424.76 मेगावाट हो गयी है । इस अव ध म
ताप व यत
ु मता 1240 मेगावाट से बढ़कर 2286 मेगावाट और जल व यत
ु मता 120 मेगावाट से बढ़कर 138.70
मेगावाट हो गई है ।
वष 2008 से छ तीसगढ़ बजल के मामले म आ म नभर और दे श का इकलौता बजल कटौती मु त रा य है ।
समय-समय पर बजल उ पादन म बढ़ो तर हो रह है । वष 2008 म दे श क ऊजा नगर कोरबा म लगभग बीस वष बाद
पांच सौ मेगावाट मता के डॉ टर यामा साद मख
ु ज ताप बजल संयं म बजल का यावसा यक उ पादन ारं भ
हुआ। इसके बाद 16 सतंबर 2013 को कोरबा पि चम ताप बजल घर क पांच सौ मेगावाट क इकाई का लोकापण कया
गया।
नया रा य बनने के बाद दे श म बजल क अधोसंरचना व तार का काम भी तेजी से कया गया। रा य गठन के
समय दे श के 17682 गांव व यत
ु ीकृत थे, िजनक सं या अब बढ़कर 19055 हो गई है । गांव के व यत
ु ीकरण का
तशत इस अव ध म 91 तशत से बढ़कर वतमान म 97.38 तशत हो गया है । इस अव ध म दे श म अ त उ च दाब
क क सं या 27 से बढ़कर 84 नग, 33/11 केवी मता के उपक क सं या 248 नग से बढ़कर 888 नग, 11/04 केवी
उपक क सं या 29692 नग से बढ़कर 99833 नग हो गई है ।

इसी तरह अ त उ च दाब लाइन क लंबाई 5205 स कट कलोमीटर से बढ़कर 10340 स कट कलोमीटर, 33
केवी लाइन क लंबाई 6988 स कट कलोमीटर से बढ़कर 17273 स कट कलोमीटर और 11 केवी लाइन क लंबाई
40566 कलोमीटर से बढ़कर 82553 कलोमीटर तथा न न दाब लाइन क लंबाई 51314 कलोमीटर से बढ़कर एक लाख
46 हजार 500 कलोमीटर हो गई है । दे श के बजल घर म 50, 120 और 210 मेगावाट क बजल उ पादन इकाइयां
था पत क गई थीं। नए बजल घर म अब 250 और 500 मेगावाट मता क बजल उ पादन इकाइयां बजल घर म
था पत क गई ह।

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रा य शासन वारा दे श के आ दवासी े के 85 वकासखंड म 13 लाख वनवासी प रवार को सौर ऊजा
आधा रत सोलर लै प और 16 लाख पचास हजार कूल ब च को सोलर टडी लै प न:शु क बांटे जा रहे ह। व तीय वष
2014-15 के बजट म बीस हजार संचाई प प के बजल कने शन के अनद
ु ान के लए 148 करोड़ पये तथा संचाई प प
को न:शु क बजल दाय योजना के लए तीन सौ करोड़ पये का ावधान कया गया है । बजल उ पादन म समय-समय
पर बढ़ोतर , समाज के सभी वग तक बजल क पहुंच, खेती- कसानी और उ योग-धंध को सतत और स ती बजल क
आपू त ने लोग के जीवन तर म सकारा मक प रवतन लाने के साथ दे श के वकास को ग त दान क है ।

2.
छ तीसग ढ़या मजदरू कसान क नय त
'' या मौसम के इस तेवर से तु हारा दल दहल नह ं जाता? इस बार ज र फसल बहुत खराब होगी.....और क मत
आसमान छू रह ह गी- इनके साथ ह एक अपव
ू कमी होगी रोजगार क , िजसक क पना से ह लगता है क शर र का मांस
कंकाल से अलग होकर गरने लगेगा-एक तहाई आबाद मर-खप जाएगी-बेहतर होता क इन लोग को ग लय , सड़क पर
नकाल कर इनक गदने ह काट दे त,े ठ क उसी तरह जैसा क हम पालतू सअ
ू र के साथ करते ह।'' ( रकाड के नाम मल के
प का अंश, अम य सेन क पु तक से उ वत½ है ।
संप न धान बीज के सार के नाम पर थानीय जै वक संपदा को ख म करने के साथ ह रासाय नक खाद और
क टनाशक को छ तीसगढ़ के बाजार म खपाया गया। इससे फसल तो बढ़ पर लाभाि वत सफ बड़े कसान हुए वह भी कुछ
वष के ह लए। छोटे कसान भू मह न हो गए। हल का थान े टर ने लया, ामीण रोजगार क संभावना लगातार
कमतर होती गई। नवो दत रा य छ तीसगढ़ का वतमान प र य वच वरोधाभासी है , जहां शहर जनता इस नए रा य
के उदय का ज न मनाते हुए इसका अ धका धक लाभ उठा लेने क फराक म है , वह ं ामीण जनता अपने उदर-पोषण के
लए, आस-पास म कह ं भी कसी रोजी-रोजगार क संभावना के अभाव म पलायन करने को ववश है । यह पलायन
इलाहाबाद े या मजापरु , मेरठ या द ल , पंजाब, क मीर, सरू त या कह ं भी दरू दे श तक हो सकता है । इस बार के सख
ू ा-
अकाल ने शहर बनाम ामीण के भेद को अ यंत प ट कर दया है य क सख
ू े का द ु भाव अभी गांवो तक ह सी मत है ,
शहर इससे परू तरह अ भा वत है । थानीय अखबार म ामीण इलाक से छ तीसगढ़ मजदरू के पलायन क खबर
अग त मह ने से ह का शत होने लगी थी। ामीण रोजगार आ वासन योजना (इ.जी.एस.) के बावजद
ू लगातार व ृ गत
म म पलायन करते गए और आज तक यह सल सला बना कसी यवधान के जार है । नवो दत रा य छ तीसगढ़ के
गठन तथा इस रा य के थम मु यमं ी के मनोनयन तक हर कसी राजनेता या नौकरशाह ने इस सम या को नजरअदांज
ह कया, य य प उनका ऐसा करना लोकतां क भावना के अनक
ु ू ल नह ं था।
रायपरु के सासंद और के य सच
ू ना सारण मं ी ी रमेश बैस ने सख
ू ा के कारण छ तीसगढ़ से चार लाख लोग
के पलायन करने संबंधी बयान दे कर शासन और शासन को इस दशा म कुछ करने को मजबरू कया। छ तीसगढ़ के
वभ न े म कायरत गैर-सरकार , वयंसेवी संगठन ने अपने-अपने इलाक से 75 फ सद तक मजदरू क पलायन क
बात क अब तो सरकार आंकड़े भी पलायन करने वाल के आंकड़े एका धक लाख बताते हुए इस आंकड़ को अपण
ू होना
वीकार कर रहे ह और वा त वक पलायनकताओं क तादाद इससे दो गन
ु ी से भी अ धक हो सकती है , ऐसा मानने लगे ह।

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अब भी जो लोग गांव म रह रहे ह वे या तो उन भा यशाल लोग म से ह िजनके पास रहने, खाने के लए अगले साल भर का
इंतजाम है या फर ऐसे लोग ह जो शार रक अ व थता के कारण बाहर नह ं जा सकते, उ ह हर हाल म यह ं जीना है या
मरना है ।
छ तीसग ढ़या मजदरू का मजदरू क तलाश म महारा , उ तर दे श,
द ल , पंजाब जाना कोई नई बात नह ं है । पछले दो साल म तीन बार उ वा दय क गो लय का शकार होकर 30
मजदरू क म ृ यु क सरकार पिु ट के बाद छ तीसगढ़ से इनका क मीर इलाक म भी जाने क अ धकृत जानकार हो गई
है । हर साल होने वाले पलायन को लेकर इस बार कुछ यादा ह हो ह ला होने के पीछे मु य कारण यह है क हर साल
सं चत े के जो दमदार कसान-तेल और कुम -अकाल से अ भा वत रहा करते थे, उन पर भी साल क अनाविृ ट ने
अपना असर दखाया है य क नहर से संचाई के लए पानी मला ह नह ं। क त,ु इससे यह कदा प नह ं मानना चा हए
क इस साल के सख
ू ा ज नत अकाल ने परू े छ तीसगढ़ म सबको समान प से भा वत कया है । व व व यात अथशा ी
ो. अम य सेन के अनस
ु ार ''अकाल हमेशा एक वभाजक या होती है । पी ड़त लोग अमम
ू न समाज के सबसे नचले
तबके के होते ह-गर ब कसान, अ धकाश: भू मह न कृ ष मजदरू , सीमांत या छोटे कसान आ द। कदा चत आज तक ऐसा
अकाल कभी न हुआ'' िजसने हर एक यि त को समान प से भा वत कया हो। अकाल और पलायन के वा त वक
भु तभो गय क पहचान करने से पव
ू छ तीसग ढ़या क जलवाय,ु अकाल का इ तहास तथा छ तीसगढ़ या मजदरू के
पलायन क इ तहासपरक ले कन प ट जानकार रखकर ह इस सम या के मल
ू तक पहुंचा जा सकता है ।
छ तीसगढ़ का कृ ष जलवायु
भौगो लक ि ट से छ तीसगढ़ उप-आ जलवायु का े कहा जाता है । औसतन 1400 मल मीटर वा षक वषा के
े को भौगो लक ि ट से तीन इकाइय म बांटा गया है :-

(1) ब तर का पठार : इसके अंतगत कांकेर तहसील के अलावा संपण


ू ब तर संभाग आता है ।
(2) छ तीसगढ़ का मैदानी भाग : िजसम रायपरु संभाग के रायपरु िजला धमतर , महासमद
ुं , दग
ु , और रायपरु
िजल के अलावा बलासपरु संभाग के रायगढ़, चांपा-जांजगीर, कोरबा और बलासपरु िजले आते ह।
(3) उ तार पहाड़ी े : इसके अंतगत को रया, सरगज
ु ा और जशपरु नगर िजले ह। छ तीसगढ़ क वा षक औसत
वषा क 90 फ सद विृ ट द ण पि चमी मानसन
ू से होती है जो ाय: 10 जून तक ब तर के द णी भाग म वेश करके
25 जून तक सम त छ तीसगढ़ के आकाश पर छा जाता है और 15 सत बर, से सरगज
ु ा े वापस होते-होते 28 सत बर
तक परू तरह वापस हो जाता है ।ब तर के पठार े क औसत वषा 1452 म.मी तथा वषा के दन क सं या 72 है जब क
छ तीसगढ़ के मैदानी भाग म 64 दन के भीतर औसतन 1422 म.मी. तथा उ तर पहाड़ी े म 83.7 दन तक मानसन

से औसतन 1610 म.मी. वषा होती है । वषा के पहले 15 दन और वषा के बाद के 10 दन छटपट
ु वषा हो न हो क तु
वातावरण म नमी बनी रहती है । नमी के दन को वषा के दन से जोड़ने पर ब तर के पठार े म कुल 172 दन
छ तीसगढ़ के मैदानी े म 142 दन और उ तर पहाड़ी े म 134 दन खर फ उगने, पनपने और बढ़ने के लए उपल ध
होते ह, इसी के ि टगत सम त छ तीसगढ़ ांत के अलग-अलग अंचल म धान क ह ना और माई क म हजार वष से
उगाई जाती ह।

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रबी के मौसम म उ तार पहाड़ी े म 106 मी.मी. वषा होती है िजससे बना कसी संचाई यव था के भी वहां
कुछ रबी फसल हो जाती ह शेष छ तीसगढ़ म इसक संभावना नग य है । इं दरा गांधी कृ ष व व व यालय रायपरु के
मौसम वै ा नक डॉ. शा ी ने उपरो त जानका रय के अलावा यह बताया क पछल एक शताि द म वषा क अि थरता
भी दे खी गई है । इसका सबसे यादा भाव महासमुंद और दे वभोग म हुआ है , जहां अब 1400 से घटकर 1000 म.मी. ह
वषा होती है । महासमद
ंु े म वषा क कमी होना वहां से हर साल होने वाल पलायन का एक मल
ू कारण हो सकता है ।
छ तीसगढ़ रा य के तीन कृ ष जलवायु क वभािजत इकाइय म भ न- भ न वषा औसत म े ठ उ पादकता दे ने क
मता स प न हजार क म के धान क क म ह िजनम अवषा और अ तवषा म भी अ छे उ पादन दे ने क मता है जो
हजार साल से इस इलाके के कसान को पालते-पोषते रहे ह। दे शी धान के बीज क इसी व श टता के आधार पर दे श ेमी
कृ ष वै ा नक डॉ. राधेलाल हरदे व रछा रया ने म. . चावल शोध सं थान रायपरु म इनका संकलन करके इनम ह
आव यकतानस
ु ार संकर अ यंत क म पैदा करने क योजना बनाई थी और ंशसनीय काय भी कया क तु सा ा यवाद -
पज
ूं ीवाद यव था ने इस दे श ेमी वै ा नक के शोध को बीच म ख म करा दया और धान क हजार क म जो डॉ.
रछा रया ने दरू -दरू से एक त क थीं उ ह भी चोर - छपे अंतरा य चावल शोध सं थान मनीला भजवा दया गया। इससे
भी यादा दभ
ु ा य जनक यह है क उनके शोध के द तावेज को भी सरकार या व व व यालय तर पर हफाजत से नह ं
रखा गया न ह उनका काशन हुआ। उपरो त ववेचना से यह तो प ट हो ह जाता है क सफ खेती से साल भर मजदरू
पाने क संभावना छ तीसगढ़ म है ह नह ं। यानी िजन ामीण को सफ मेहनत-मजदरू करके ह आजी वका चलानी है
उ ह रोजी क तालाश म अ य जाना ह होगा।
छ तीसगढ़ म अकाल का इ तहास
अकाल और द ु भ का िज तो महाभारत और कौ ट य के अथशा म भी है िजनम यह बताया गया है क
अकाल के समय राजा को जनता के त या दा य व है । मग
ु ल शासन काल म भी द ु भ के समय शासक य खच पर लंगर
चलाने आ द का िज त काल न द तावेज म है पर अं ेज के आगमन के बाद भारत म द ु भ और उनसे नबटने के लए
ह त ेप का अ धका रक द तावेजी ववरण सन ् 1800 से मलता है । कालांतर म सरकार के राज व वभाग के द तावेज
म एक त इन सच
ू नाओं के अनस
ु ार अठारहवीं सद तक पड़ने वाले अकाल ाय: ाकृ तक कोप न होकर थानीय यु
अथवा राजनी तक उथल-पथ
ु ल के कारण होते थे। सन ् 1771, 1783 और 1809 म भारत के म य भाग म द ु भ पड़ा था
जब एक पये के 100 सेर क तल
ु ना म 5 सेर अनाज-यानी 20 गन
ु ा अ धक क मत पर बका था। म. . शासन वारा 1973
म का शत अकाल सं हता मे दए गए ववरण के अनस
ु ार ''सन ् 1828-29 म छ तीसगढ़ िजले म घोर अकाल पड़ा था जब
बलासपरु म चावल एक पये म 12 सेर यानी 10गन
ु ी अ धक क मत पर-तक बका था जब क सामा यत: चावल एक पये
म 120 सेर मलता था। पन
ु : 1832-33,1833-34 और 1834-35 म फसल अ यंत खराब हुई थीं िजससे व भ न भाग के
हजार लोग अकाल मौत के शकार हुए। पन
ु : 1885 के सख
ू े ने छ तीसगढ़ म वभी षका दखाई.....इसके बाद के 40 साल
तक कसी बड़े संकट का उ लेख नह ं मलता.....इसके बाद बु दे लख ड के भार अकाल के साल 1868-69 म छ तीसगढ़ के
धान उ पादक े भी भा वत हुए िजसके बाद एक बरु ा अकाल 1889 म पड़ा। कुछ वष तक सामा य रहने के बाद 1893 से
1900 के बीच के खराब वषा के कारण 1899-1900 म भयानक अकाल क ि थ त बनी। धान क फसल चौपट होने से
1902-03 म तथा ओले के कारण पन
ु : 1904-05 म अकाल पड़े। सन ् 1907-08, 1918-19, 1920-21 और 1928-29 म कई

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े अकाल त रह। सन ् 1940-41 भी अभाव का वष था। पन
ु :1965 से 67 भार अकाल के साल थे िजसम म य दे श के
43 म 38 िजले परू तरह भा वत हुए थे।'' उपरो त ववरण से यह मा णत होता है क संपण
ू छ तीसगढ़ रा य म
व भ न सीमाओं तक अभाव क ि थ त बीच-बीच म बनी रह है । इसके बावजूद पछले तीन दशक म कोई ऐसा अभाव
नह ं हुआ िजससे सम त छ तीसगढ़ समान प से भा वत हुआ हो। पछल सद के अं तम दशक म सरगज
ु ा िजले का एक
ह सा ज र अकाल त हुआ जब क तपय आ दवा सय क अकाल म ृ यु ने त काल न धानमं ी ी नर संहराव को े
म वयं आकर ि थ त का अवलोकन करने हे तु बा य कया था।
अकाल और ह त ेप
छ तीसगढ़ म अकाल के व जन ह त ेप को समझने के लए छ तीसगढ़ क भौ तक सं कृ त के उस अंश क
जानकार ज र है जो कृ ष से स ब है । इसके अंतगत धान क कोठ और व तत
ृ जल हण े यु त तालाब आते ह।
एक तरफ धान क कोठ क संरचना उसम रखे गए बीज क अंकुरण शि त कई वष तक अ ु ण रखने क मता के साथ
ह अ धक उ पादकता का तीक है तो दस
ू र तरफ जल संर ण पारं प रक व धयाँ तालाब, बांध आ द अ नय मत वषा के
तीक होने के साथ ह कम वषा के वष म सु नि चत जल का आधार ह। िजनक सं या बहुत है । सव ी ह र ठाकुर , राकेश
द वान एवं अनप
ु म म क इस वषय पर क गई खोज ने मा णत कया है क बलासपरु िजले क सतनामी समद
ु ाय के
लोग तालाब खोदने क तकनीक म संप न थे जो सम त छ तीसगढ़ म अकाल त े म तालाब बनाने के लए आमं त
कए जाते थे। इससे मजदरू को ता का लक रोजी के साथ ह भ व य के लए सु नि चत जल बंध होता था।

पलायन, धमप रवतन और वास


19वीं सद का उ तराध न केवल ऐ तहा सक अकाल के लए वरन ् इसके कारण हुए राजनी तक उथल-पथ
ु ल के
कारण भी ऐ तहा सक मह व का रहा। इसी दौर म हुए एक अकाल के दौर म सोनाखान के आ दवासी बंझवार जमींदार
नारायण संह ने कसडोल के सद
ू खोर जमींदार से अनाज क मांग क थी िजसके इंकार करने पर उसक अगव
ु ाई म अनाज क
को ठयां लट
ू कर उसे अकाल त ल ग म बांटा और जब सद
ू खोर साहूकार क सहायता के लए अं ेज हुकूमत ने ह त ेप
कया तो वीरनारायण संह के रातनी तक व ोह ने अं ेजी हुकूमत के व छ तीसगढ़ म ां त क मसाल बन कर 1857
म शह द होकर अमर व ा त कया। इसके बाद ह छ तीसगढ़ म रे ल लाइन बछ िजसने छ तीसगढ़ के लोग को म ी
खोदने/काटने व बछाने के काम म मजदरू द । रे ल क पट रय के बछने के साथ ह छ तीसगढ़ से मजदरू के पलायन का
इ तहास भी शु हुआ। इसी समय असम म चाय बागान लगाए जा रहे थे।
इसके लए बड़ी तादाद म थायी मजदरू क ज रत थी। इसके लए बलासपरु म एक भत कायालय खुला जहां से
हजार क तादाद म मजदरू प रवार को असम ले जाया गया जो ाय: एक बार यहां से जाने के बाद कभी वापस न आ सके।
इनम सबसे यादा तादाद बलासपरु के सतना मय क थी जो परं परागत प से तालाब नमाण म स ह त मक थे।
इसी समद
ु ाय क धा मक नेता व. मनीमाता थीं िजनका ज म असम के ह चाय बागान म हुआ था पर अपवाद व प वह
वापस छ तीसगढ़ आई और उ होने इस े का संसद त न ध व भी कया था। इसके ठ क पहले, छ तीसगढ़ म ईसाई
मशन रय का आगमन भी इसी दौर म हुआ। उ नीसवीं सद के सातव दशक म ह व ामपरु ,बैतलपरु और परसाभदे र गांव
बसाये गए। ईसाई मशन रय वारा बसाये गए गांव क शत तशत आबाद ऐसे लोग क थी िज ह ने सतनामी से अपना

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धम प रवतन करके मसीहत वीकार कया था। बैलगा ड़य पर नागपरु से आए मशन रय ने अकाल और टश हुकूमत
का लाभ उठाकर मैदानी इलाके म ह नह ं ब तर जैसे दग
ु म े म भी चच था पत कए इस धम प रवतन से पा चा य
श ा व वा य सेवा क छ तीसगढ़ म शु आत हुई साथ ह आं शक प से पलायन पर भी अ थायी रोक लगी।
तानी हुकूमत ने बार-बार पड़ने वाले अकाल के ि टगत यह माना क <''काम करने यो य लोग को अभाव के
वष म काम दे ना सरकार क िज मेदार है क तु शार रक प से अ म लोग को राहत पहुंचाने का दा य व धमादा
नकाय को नभानी चा हए।'' कुछ वष के बाद ह तानी हुकूमत को अपनी धारणाओं को बदल कर यह नि चत कया क
''सरकार का उ े य हर एक के जीवन क र ा करना है '' पहल बार इसक घोशणा 1868-69 म हुई। इसके बाद तानी
हुकूमत ने और आगे बढ़कर 1877 म स ांत: यह वीकार कया क सरकार को भख
ु मर से हर एक यि त के जीवन क
सरु ा के लए हर संभव यास करना चा हए। ल बे समय तक अ धका धक लोग को मजदरू दे ने के लए ह तानी
सरकार ने बालोद के नकट आदमाबाद, धमतर के नकट आ द संचाई प रयोजनांए 20वीं सद क शु आत म ांरभ
कए िजससे पहले 1890 से 1900 के बीच लागातार कई अकाल पड़े थे। वतं ता ाि त के बाद ऐसे संचाई के उप म साठ
के दशक म खरखरा, गंगरे ल आ द के नाम पर भी कए गए थे।
1878 म अकाल से राहत दे ने क व ध बनाने के लए अं ेज ने पहला अकाल आयोग ग ठत कया था िजसे
त काल न सरकार ने वीकार भी कया और उसी क सं तु तयां 1973 के अकाल सं हता म म. . क सरकार ने भी अ रश:
वीकार कया िजसके तहत न न ल खत नदश दए गए है :-

(क) अभाव क ि थ त से नपटने सदा तैयार रहना।


(ख) समय पर रोजगार दे कर काम करने यो य लोग क शार रक ि थ त को खराब होने से बचा सकने हे त।ु
(ग) िज ह कसी अ य कार से सहायता न द जा सके उ ह अनक
ु ं पा राहत दे ने हे त।ु
(घ) िजनके लए सहायता, राहत द जा रह है उ ह वह ा त हो इस लए काय को समय-समय पर नर ण
और उसका नयं ण करने हे त।ु
(च) वशेष करण को छोड़कर सामा य यापार- यवसाय के कारोबार म ह त ेप न करने हे त।ु
(छ) वा त वक रै यत क लगान वसल
ू थ गत करके उ ह ऋण और व तीय सहायता दे ने हे त।ु
(ज) राहत काय के सच
ु ा प से संचालन हे तु थानीय नकाय से सहयोग लेने हे तु हदायत द गई ह।

उपरो त नदश के यवि थत संचालन के लए रोजगार आ वासन योजना बनाकर सबसे पहले महारा क
सरकार ने मजदरू को उनके नवास थान से 5 क.मी. के दायरे म ह राहत दे ने का काम कया। इसके सफल संचालन से
1972-73 के अकाल म महारा क सरकार ने भावकार ेय हा सल कया िजसक दे खा-दे खी अ य रा य ने भी इस
(ई.जी.एस.) को वीकार कया। इसके लए आव यकतानस
ु ार उ योग तथा यापा रय से राहत के लए कर वसल
ू े गए।
वतमान प र य
मानसन
ू ी वषा इस साल हुई 40 तशत कमी ने परू े छ तीसगढ़ कसान और कृ ष मजदरू को पंगु बना दया और
समय से पहले ह बेकार क ि थ त ने इ ह रोजी-रोट क तालाश म दरू -दरू तक पलायन के लए मजबरू कर दया। इस

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साल अग त के मह ने से ह ामीण मजदरू के पलायन का सल सला शु हो गया था जो सामा यत: कृ ष काय का सबसे
मह वपण
ू मह ना होता है , िजसम यासी, रोपा व नंदाई हुआ करती है । दख
ु द त य यह है क अग त से लेकर नव बर तक
चार मह न मे लाख मजदरू पलायन कर गए पर तब तक कह ं भी कसी बड़े राहत काय क शु आत नह ं हो पाई। जब
पलायन क ग त सवा धक थी उसी बीच छ तीसगढ़ रा य के गठन और थम मु यमं ी के मनोनयन को लेकर हर
राजनेता य त थे, नए रा य के मं य और मं ालयीन कमचा रय के लए बंगल और आवास क खोज म अ धकार गण
य त थे ऐसे म गर ब छ तीसग ढ़या कसान-मजदरू के कारण लोकतं के सबसे बड़े ज न को छोड़कर भला राहत क
च ता कैसे क जा सकती थी?
वरोधी पाट के नेताओं ने भी इस मामले पर वां छत जोर नह ं दया। छुट-पट
ु बयान से राहत दे ने क नाकाम
को शश क गई और के ने एक स म त भेजी िजसने मण करके अपनी रपोट के को स पी। छ तीसगढ़ के थम
मु यमं ी अजीत जोगी ने के से 500 करोड़ के राहत काय क मांग के बना कसी ठोस ताव के राहत काय कहां कैसे
और कब तक चलगे। इस बार समय पर राहत काय के न खोले जाने से सरकार के िजला सरकार और सरकार आपके वार,
पंचायती राज से स ता के वके करण के सारे दाव न च न लग गया। अं ेज सरकार वारा 120 साल पहले मा य
वीकृ तय को भी लागू न कर पाया गांधी के सपन को भारत बनाने का दावा करने वाल क घोर वफलता को ह रे खां कत
करता है ।
3 जल
ु ाई, रथया ा पव के दन इस बार एक बद
ंू भी बा रश नह ं हुई िजसने थानीय लोग क इस मा यता को ह
सह स कर दया क ''रथया ा सख
ू ा तो कसान भख
ू ा'' सख
ू े क खबर 2 अग त से छापने लगीं। स लयार , सरायपाल
आ द से सख
ू े क वजह से फसल न ट होने क खबर के बीच ह । एक अग त को संयु त रा आपदा राहत कोष के संयोजक
के हवाले से यह खबर भी का शत हुई क ए शया के 6 करोड़ लोग को सख
ू े से राहत दे ने के लए एक सु नयोिजत काय म
ज र है । बगड़ती हुई हालात के बीच पव
ू सांसद संत पवन द वान और पव
ू मं ी धने साहू ने कृ ष आधा रत अथ यव था
क छ तीसगढ़ के प र े य म छ तीसगढ़ क आ थक योजना बनाने क मांग क । ग रयाबंद, रािजम आ द े से भी सख
ू े
और पलायन क खबर आने लगी।
छ तीसगढ़ के बज
ु ुग यवसायी, कां ेसी नेता, उ योगप त और ''राइस कं ग'' के प म व यात सेठ नेमीचंद
ीमाल न बताया क पछले चार दशक म उ होने ऐसा भीषण अकाल कभी न दे खा था। इं दरा गांधी कृ ष व व व यालय
के मौसम व ानी डॉ. शा ी ने सांि यक य ववरण दे ते हुए बताया क ऐसा अकाल साठ साल पहले एक बार हुआ था। िजसे
मलाकर? वगत 100 साल म यह ि थ त तीसर बार बनी है । छ तीसगढ़ क 800 चावल मल म से 700 बंद पड़ी हुई ह
सफ 100 चावल मल ह कायरत ह। ये वह ं मल ह िज ह शु आती साल म ले ह और टै स म रयायत मल रह ह।
चावल मल मा लक संघ-अकाल के साल म भी ले ह नी त बदलने के लए जोर डाल रहा है और व तत
ु : अकाल के बावजूद
बाजार म धान क कमी न होने के कारण नई चावल मल भी खल
ु रह ं ह िजनम से एक का उ घाटन पाटन म छ तीसगढ़ के
मं ी भप
ू ेश बघेल ने कया। इस व च ता को या कहे ग क छ तीसगढ़ म रबी फसल म उगाए गए धान अब तक उ चत
मू य के अभाव म नह ं बक सके ह, खर फ फसल चौपट ह, 700 मल बंद ह, नई मल भी खुल रह ह, छ तीसगढ़ के सारे
गोदाम म अनाज अटा-पड़ा है और कसान मजदरू भख
ु मर के कारण पलायन कर रहा है । कसान का ोध लखौल म
प ट दखा जहां बना कसी संग ठत या योजनाब तर के के व फूत आंदोलनरत कसान ने नहर पानी न दए जाने पर

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न सफ कले टर से हु ज क वरन ् एक नेता क कार भी जला द य क कले टर ने उ ह कह दया था क गंगरे ल बांध का
पानी भलाई इ पात संयं के लए सरु त है जो कसी भी हाल म नहर से खेत म नह ं दया जा सकता।
औ योगीकरण से बेरोजगार बढ़
यहां इस बात पर यान दे ना होगा क पछले पाँच दशक म छ तीसगढ़ म था पत भलाई इ पात संयं ,
बैलाडीला लौह अय क प रयोजना, ए.सी.सी. जामल
ु , सीमट काप रे शन क मांढर व अकलतरा इकाइयां, मोद (अंबज
ु ा)
सीमट, टाटा (लाफाज) सीमट, रे मंड सीमट, सचुर सीमट, ासीम सीमट, लासन टू ो सीमट, द ण-पव
ू ा कोयला े ,
एनट पीसी थमल पावार बालक आ द संयं के खुलने से छ तीसगढ़ के लाख लोग को अपनी पैतक
ृ भू म से बेदखल कया
गया, सैकड़ो गाँव खाल कराए गए, छ तीसगढ़ क जमीन पर ह उ योग लगे िजसम पैसा भी जनता का (रा यकृत बक )
का ह था पर छ तीसगढ़ के लोग को इसका कोई भी लाभ नह ं मला। इसके व इ ह ं पांच दशक म उपरो त उ योग म
काम करने के लए लाख क तादाद म अ य रा य क लोग ने आकर डेरा जमा लया। छ तीसगढ़ म हुए औ यो गक
वकास ने सफ पूंजीवाद सा ा यवाद क पकड़ को ह घनीभत
ू कया है ।
इसी बीच सन ् 1962 से फोड फाउं डेशन सम थत तथा उन पर आधा रत हजार म यम एवं लघु औ यो गक
इकाइय तथा ह रत ां त के अंतगत सघन कृ ष वकास भी त काल न रायपरु िजले (रायपरु ,महासमद
ुं , और धमतर ) म
शु हुई िजसके तहत ताइचुंग ने टव से शु करके अनेक उ च उ पादकता संप न धान बीज के सार के नाम पर थानीय
जै वक संपदा को ख म करने के साथ ह रासाय नक खाद और क टनाशक को छ तीसगढ़ के बाजार म खपाया गया। इससे
फसल तो बढ़ पर लाभाि वत सफ बड़े कसान हुए वह भी कुछ वष के ह लए। छोटे कसान भू मह न हो गए। हल का
थान े टर ने लया, ामीण रोजगार क संभावना लगातार कमतर होती गई। दे श ेमी कृ ष वै ा नक डॉ. रछा रया ने
पारं प रक जै वक व वधता को पन
ु था पत करके, दे शी बीज के सवधन से ह थानीय सम याओं का समाधान करना चाहा
था इसी लए उनक प रयोजना यकायक बंद कर द गई और उनके वारा सं हत हजार क म क बीज को अंतरा य
चावल शोध सं थान मनीला भजवा दया गया। छ तीसगढ़ के जै वक संपदा क इस लट
ू के या अथ होते ह? या यह
बहुरा य कंप नय के हत के लए कया गया एक षड़यं नह ं है ?
पलायन क सम या का मल
ू या है ?
सरसर तौर पर तो यह लगता है क अ पवषा के कारण ह छ तीसगढ़ से ामीण के पलायन क ि थ त बनी पर
व तत
ु यह स य से परे है । ो. अम य सेन ने लखा है - य द हम छ तीसगढ़ के मक के पलायन के च र को गौर से दे ख
तो प ट हो जाता है क एक बड़ी सं या म इस े के मक सामा य वषा के साल म भी पलायन के लए बा य ह जो
उ तर और पि चमी भारत के ईट भ या नमाण काय पर कमाने जाते ह। इसका कारण है -

(1) थानीय कसान का तेजी से सीमांत कृषक या भू मह न हो जाना।


(2) संचाई सु वध का अभाव जो उ ह 2/3 साल बेकार बना दे ता है ।
(3) वन क कटाई से अ नय मत वषा होना तथा आ दवासी े मे वनीकरण के काम पर थानीय लोग को काम पर
न लगाया जाना।
(4) सरकार अ धका रय का थानीय जनता के त हे यभाव होना।

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(5) पंचायती राज के नाम पर ट नेताओं वारा अपने ह े के लोग के त बढ़ती हुई उपे ा का भाव।

3.
छ तीसगढ़ के जंगल क खसक रह ‘जमीन’
बा रश के दन म छ तीसगढ़ को हरा-भरा बनाने का वादा दम तोड़ रहा है । हर साल ऐसा होता है । कई साल से ऐसा
ह हो रहा है । मगर छ तीसगढ़ क ह रयाल है क बढ़ती नह ं। वन वभाग के आसमानी दाव को मान तो 15 साल म 75
करोड़ से यादा पेड़ लगाए जा चुके ह। पेड़ लगाने के नाम पर महकमे ने हर साल 150 करोड़ पए खच कये। ले कन ये पेड़ ह
कहाँ? य द राजधानी रायपरु के आसपास ह 10 तशत पेड़ बच जाते तो शहर क सरू त के साथ हवा भी बदल जाती। उलटा
परू े रा य म सैकड़ वग कमी वनावरण घट गया। तापमान एक ड ी कम नह ं हुआ। शर ष खरे क पड़ताल
छ तीसगढ़ के जंगल उजड़ यादा रहे ह
भारतीय वन सव ण वभाग, दे हरादन
ू क रपोट के मत
ु ा बक छ तीसगढ़ म 2011 म 55 हजार 674 वग कमी
े म वन था, ले कन वष 2014 म यह घटकर 55 हजार 621 वग कमी हो गया। इनम से 10 वग कमी अ त घने वन तथा
46 वग कमी वन म कमी आई है , जब क इस दौरान मा तीन वग कमी े म वन लगाए गए। रपोट के अनस
ु ार वकास
नमाण, खनन और क जा होने क चलते वन का आवरण कम हुआ है । बीते एक दशक म 550 वग कमी म सघन वन े
से पेड़ उजड़ गए ह। बजल हा सल करने क दौड़ ने दे श के जंगल के भ व य पर अ धेरे क चादर उड़ा द है । के य
पयावरण मं ालय वारा कराए जा रहे सव क ारि भक रपोट के अनस
ु ार कोयला खदान और थमल पॉवर लां स
पयावरण को बरु तरह भा वत कर रहे ह। इसी तरह से जंगल काटा गया तो 80 साल म छ तीसगढ़ म जंगल परू तरह न ट
हो जाएगा।
जंगल पर नभर न दयाँ भी ख म हो जाएँगी और सामा य तापमान के तीन से चार ड ी सेि सयस बढ़ने क
आशंका है । पॉवर टे ट बनने क चाह म यहाँ कोयले क खदान और थमल पावर लांट क सं या तेजी से बढ़ रह है ।

अकेले न कया कोल लॉक के लये चार लाख पेड़ क कटाई क गई है । इससे जैव व वधता को खतरा है । थमल
पावर लां स म कोयले के उपयोग से वायम
ु ंडल गम हो रहा है । रायपरु , बलासपरु और कोरबा िजला इसका उदाहरण है । यहाँ
गम म सामा य तापमान हर साल एक से दो ड ी बढ़ रहा है ।
यह है ि थ त
दे श म अभी 39 कोयला खदान और 16 थमल पावर लांट ह, वह ं 12 अ डर कं शन ह। कोरबा, को रया और
सरगज
ु ा िजले के नीचे 50 हजार म लयन टन कोयला अभी ज़मीन के नीचे है । दे श के कोयला उ पादन म हर साल
छ तीसगढ़ का योगदान 21 तशत से अ धक रहता है ।
रायगढ़ और कोरबा म छह-छह, सरू जपरु और को रया म 11-11, सरगज
ु ा म चार और बलरामपरु म एक-एक
कोयला खदान है । कोयला खदान बढ़ाने के लये बड़े पैमाने पर पेड़ क ब ल ल जाएगी।

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भारतीय वन सव ण वभाग, दे हरादन
ू क रपोट के मत
ु ा बक छ तीसगढ़ म 2011 म 55 हजार 674 वग कमी
े म वन था, ले कन वष 2014 म यह घटकर 55 हजार 621 वग कमी हो गया। इनम से 10 वग कमी अ त घने वन तथा
46 वग कमी वन म कमी आई है , जब क इस दौरान मा तीन वग कमी े म वन लगाए गए।
रपोट के अनस
ु ार वकास नमाण, खनन और क जा होने क चलते वन का आवरण कम हुआ है । बीते एक दशक
म 550 वग कमी म सघन वन े से पेड़ उजड़ गए ह। व ृ ारोपण के 95 तशत काम वन के भीतर कराए जाने के बाद
हालत यह है ।
दस
ू र ओर, रा य म नगर य े के महज 16 तशत ह से म व ृ ावरण है । यहाँ 1866 वग कमी ल बा-चौड़ा
नगर य े है , ले कन केवल 400 वग कमी म ह आवरण है । भारतीय वन सव ण वभाग क रपोट वन वभाग के सारे
दाव क हवा नकाल रह है ।
यहाँ तेजी से घट रहे वन
दे श के पहाड़ी एवं जनजातीय िजल म दो साल के दौरान वनावरण 40 वग कमी बढ़ा है ले कन छ तीसगढ़ म ऐसे
िजल क त वीर एकदम अलग है । ब तर म 19 वग कमी, दग
ु म 12 वग कमी, दं तेवाड़ा म 10 वग कमी, कांकेर म 9 वग
कमी, कवधा म 6 वग कमी, सरगज
ु ा और बलासपरु म पाँच-पाँच वग कमी, कोरबा म चार वग कमी और महासमुंद,
रायगढ़ तथा राजनांदगाँव िजले म दो-दो वग कमी े म वन कम हुए है । जांजगीर-चांपा और दग
ु यन
ू तम आवरण वाले
िजले ह।
अ धकार दौड़ा रहे घोड़े
बीते दन मं ालय म हुई समी ा बैठक म मु यमं ी डॉ. रमन संह ने वभाग को इस वष 8 करोड़ पौधे लगाने का
ल य दया। मगर इस दौरान मु यमं ी ने रोपण से यादा उनक सरु ा पर यान दये जाने पर जोर दया। दरअसल,
ह रहर छ तीसगढ़ बनाने के लये वभाग अपने कागजी घोड़े दौड़ा रहा है ।
उसके पास इस बात के कोई सबत
ू नह ं ह क हक क़त म कतने पेड़ उसने लगाए ह नह ं ह और जो लगाए ह उनम
कतने िज दा ह। कायदे से इन पौध क तीन साल तक लगातार दे खभाल होनी चा हए। साथ ह पौधे सख
ू ने और जानवर से
बचाना भी वभाग क िज मेदार है । द कत यह है क अ धका रय को नह ं मालम
ू कतने पौधे व भ न कारण से मर
जाते ह।
वन- वभाग वारा वन े म व ृ रोपण
वष वृ
2011-12 4.69 करोड़
2012-13 4.76 करोड़
2013-14 4.90 करोड़
2014-15 5.85 करोड़
योग - चार साल 20 करोड़ 2 लाख व ृ

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वन- वभाग से व ृ ारोपण के ल य और रोपण से जुड़ी सं याएँ जार होती ह, ले कन रोपण के बाद कतने व ृ बचे
और व भ न कारण से कतने कटे जैसी आँकड़े जार नह ं कये जाते ह। खास बात है क िजन तर क से व ृ क अकाल
मौत से जुड़ी गणनाएँ हो सकती ह, मगर व ृ के उजाड़ पर पदा डालने का काम हो रहा है -
दोष एक - वा षक तवेतन म बगाड़ वन को सध
ु ारने के नाम पर अलग-अलग योजनाओं के लगाए गए व ृ का
व तत
ृ यौरा और बजट आवंटन दखाया जाता है , ले कन व ृ के सख
ू ने क सं या छपा ल जाती ह।
दोष दो - बीते दस साल क क मय को आधार बनाकर काययोजना तैयार क जाती है । मगर जब यह सावज नक
होती है तो अगले दशक क योजना ह बताई जाती है और बीते दशक क क मय क सच
ू नाएँ केवल बड़े अ धका रय तक
सी मत रह जाती ह।
दोष तीन - वभागीय तर पर डवीजन के आधार पर काय क समी ा होती है , ले कन एक डवीजन के अ धकार
दस
ू रे डवीजन क क मय क अनदे खी इस लये करते ह क दस
ू रे डवीजन के अ धकार उनके डवीजन क वाहवाह कर।
दोष चार - वभाग के बाहर न प ता से मू यांकन करने वाल सरकार या गैर-सरकार एजसी से समी ा कराने से
बचा जाता है । इसके चलते व ृ क बबाद का मोटा लगाने से भी बचा जाता है ।
21 हजार हे टे यर वनभू म का डायवसन
कैग क रपोट के अनस
ु ार 2006 से 2012 के दौरान जंगल काटने के मामले म छ तीसगढ़ आगे है । इन 6 साल के
अ दर रा य क 20456.19 हे टे यर वनभू म का दस
ू रे उ े य के लये डायवसन कर दया गया। नयम के मत
ु ा बक इस
ज़मीन के बदले म इतनी ह ज़मीन वन- वभाग को दे नी चा हए थी। मगर एक इंच गैर वनभू म भी वन वभाग को नह ं द
गई।
रपोट म नजी क प नय को वनभू म के आवंटन पर भी उँ ग लयाँ उठाई गई ह। कैग क रपोट के मत
ु ा बक
छ तीसगढ़ के मु य स चव (सीएस) ने माणप दये ह क उनके वन वभाग को लौटाने के लये गैर वन भू म उपल ध
नह ं है । इन माणप पर इस आधार पर स दे ह जताया गया है क छ तीसगढ़ राज व वभाग के रकाड म 5 लाख हे टे यर
से अ धक गैर वनभू म इस योजन के लये उपल ध है ।
4.
छ तीसगढ़ के शहर म तेजी से कायाक प
बु नयाद अधोसंरचना के साथ-साथ नाग रक सु वधाओं के वकास क वजह से छ तीसगढ़ के शहर म तेजी से
कायाक प हो रहा है । शानदार चौड़ी सड़क, वह
ृ द चौराहे , लाई ओवर, फुटपाथ, ना लयां, बेहतर काश यव था, मनमोहक
उ यान, आकषक लड के पंग, सुंदर सरोवर और उ मु त खेल मैदान इ ह आधु नक शहर का व प दान कर रहे ह।
इसके साथ ह बड़े-बड़े शा पंग माल, म ट ले स, सामद
ु ा यक भवन आ द शहर क सुंदरता म चार चांद लगा रहे ह।
सावज नक नाग रक प रवहन यव था, ती ा बस टै ड, ांसपोटनगर, सावज नक साधन यव था जैसी नाग रक
सु वधाओं के वकास ने शहर करण क ग त को नए आयाम दए ह। छ तीसगढ़ क लगभग 23 फ सद आबाद शहर और
क ब म नवास करती है । यहां रहने वाल लगभग 50 लाख आबाद को बेहतर नाग रक सु वधाएं मह
ु ै या कराने के लए
रा य सरकार वारा अनेक यास कए जा रहे ह।

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छ तीसगढ़ के 10 बड़े शहर म बु नयाद अधोसंरचना और नाग रक सु वधाओं के तेजी से वकास के लए इ ह
नगर नगम बनाया गया है । इन शहर म रायपरु , बलासपरु , कोरबा, दग
ु , भलाई, राजनांदगांव, रायगढ़, जगदलपरु ,
अं बकापरु और चर मर शा मल है । इसके साथ ह 33 शहर को नगरपा लका तथा 126 क ब को नगर पंचायत बनाया
गया है । नगर य शासन वभाग वारा इन नगर नगम , नगर पा लकाओं और नगर पंचायत के वकास के लए अनेक
योजनाएं संचा लत क जा रह है । रा य सरकार वारा वभाग के बजट म भी लगातार व ृ करते हुए योजनाओं के
या वयन का माग श त कया जा रहा है । वष 2004-05 म नगर य शासन एवं वकास वभाग का बजट 310 करोड़
का था, िजसे वष 2010-11 म बढ़ाकर लगभग एक हजार करोड़ पए कर दया गया है । सभी नगर य नकाय म बढ़ते
यातायात के दबाव को दे खते हुए य ततम माग को गौरवपथ के प म वक सत कया जा रहा है । गौरवपथ योजना के
तहत ् शहर के य ततम माग को चौड़ा कर सीमट कां ट अथवा डामर कृत सड़क के प म वक सत कया जा रहा है । इस
योजना के अंतगत रा य शासन वारा नगर य नकाय को 136 करोड़ प ्ए क रा श वीकृत क गई है । योजना के तहत
वीकृत 105 गौरव पथ म से 68 गौरवपथ का नमाण पण
ू कर लया है । शेष गौरव पथ का नमाण ग त पर है ।
नगर य प रवेश म बढ़ते दष
ू ण तथा य त दनचया क आपाधापी के बीच व य एवं मनोरम वातावरण म
सक
ु ु न के दो चार पल बताकर शार रक एवं मान सक फू त दान करने के उ वे य से नगर य नकाय म पु प वा टका
योजना संचा लत क जा रह है । इस योजना के तहत शहर े म नए उ यान वक सत कर पयावरण संतल
ु न के साथ-
साथ लोग के घम
ू ने फरने तथा मनोरं जन और ब च के खेलने कूदने के लए एक उपयु त थान मह
ु ै या कराया जा रहा है ।
पु प वा टकाओं म लॉन, पाथवे फूल क या रयां, फ वारा, ब च के खेल कूद उपकरण आ द के ावधान कया गया है ।
योजना के तहत वीकृत 220 पु प वा टकाओं म से 160 पु प वा टकाएं पण
ू कर ल गई है । इसके नमाण पर 20 करोड़ से
अ धक क लागत आयेगी। छ तीसगढ़ क सं कृ त म तालाब का बहुत मह व है । तालाब हमारे जनजीवन का अ भ न अंग
माने जाते है । तालाब को संर त करने के लए सरोवर धरोवर योजना संचा लत क जा रह है िजससे नगर य नकाय े
म ि थत तालाब क दशा म काफ सध
ु ार आया है । इसी तरह शहर म ि थत डेयर से होने वाल गंदगी को दरू करने के लए
डेय रय को नगर सीमा से बाहर गोकुल नगर योजना के तहत यवि थत प से बसाया जा रहा ह। थम चरण म यह
योजना दे श के 8 नगर नगम े म लागू क गई है ।
बड़े शहर म यातायात के बढ़ते दबाव को नयं त करने के लए घनी आबाद के बीच ि थत ांसपोट सं थान को
शहर क सीमा के बाहर यवि थत प से बसाने के लए ांसपोट नगर योजना ारं भ क गई है । इसके पहले चरण म
रायपरु , बलासपरु , अं बकापरु , भलाई, रायगढ़, कवधा, राजनांदगांव और ज दलपरु म 21 करोड़ क रा श से ांसपोट नगर
बनाया जा रहा है । या ी प रवहन म बस के मह व को दे खते हुए सभी नगर नकाय म ती ा बस टै ड नमाण क
योजना ारं भ क गई है । योजना के तहत येक नगर नगम को बस टै ड नमाण के लए 50 लाख, नगर पा लकाओं को
33 लाख तथा नगर पंचायत को 17 लाख क रा श दान क जा रह है । इस योजना के तहत वीकृत 111 बस टै ड म से
61 का नमाण पण
ू हो चुका है ।
नगर य े म रहने वाले लोग क म ृ यु पर मत
ृ क का अं तम सं कार स मान जनक प से करने के लए
मिु तधाम योजना ारं भ क गई है । मिु तधाम म सभी धम के अनय
ु ा यय के अं तम सं कार के लए आव यक यव था
क गई है । इस योजना के तहत 17 करोड़ क लागत से वीकृत 190 मिु तधाम म से 107 का नमाण हो गया ह। दे श क

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राजधानी रायपरु स हत बलासपरु , दग
ु , भलाई और कोरबा नगर नगम म एक-एक करोड़ क लागत से सवसु वधा यु त
मंगल भवन का नमाण कराया जा रहा ह। इस तरह छोटा रा य होने के बावजद
ू छ तीसगढ़ के नगर य नकाय म
शहर करण क ग त को दन दन नया आयाम मल रहा ह।

5.
छ तीसगढ़ म पंचायत का सशि तकरण
भारतीय सं वधान के 73 व संशोधन के तहत पंचायती राज अ ध नयम 1993 के अनु प उन सारे अ धकार को
पंचायत को दे ने का नणय लया गया है , जो पंचायती राज यव था को सश त और मजबत
ू करते ह। छ तीसगढ़ सरकार
के पंचायत और ामीण वकास वभाग ने सं वधान क 11 वीं अनस
ु च
ू ी म उ ले खत 29 वषय म से 27 वषय के काय,
उनसे संबं धत बजट और अमले क कारवाई नयं ण पंचायत को स पा है । दे श म वतमान म 18 िजला पंचायत, 146
जनपद पंचायत और 9 हजार 734 ाम पंचायत वशासन क ईकाई के प म था पत क गई है । पंचायत को सश त
करने, पदा धका रय को उनके काय दा य व के नवहन के लए मागदशन दे न,े पंचायत के नयं ण, पंचायत को बजट
और पंचायत के अमले का वा त वक सप
ु द
ु गीकरण भी कया गया है । दे श क पंचायत राज सं थाएं और अ धक मता से
काय कर सक इसके लए पथ
ृ क से पंचायत संचालनालय का गठन भी कया गया है । इससे वके करण को बल मलेगा
और व रत नणय लए जा सकगे। ामीण वकास क व भ न योजनाओं के उ कृ ट या वयन के लए इस वष
छ तीसगढ़ क आठ पंचायती राज सं थाओं को रा य पंचायत परु कार से स मा नत गया है । इनम िजला पंचायत
सरगज
ु ा, जनपद पंचायत सहसपरु लोहारा, जनपद पंचायत धरमजयगढ़, ाम पंचायत द नया िजला राजनांदगांव, ाम
पंचायत झलमला िजला दग
ु और ाम पंचायत आमापाल , ाम पंचायत टोनाह पारा एवं ाम पंचायत चरखापारा िजला
रायगढ़ शा मल ह। छ तीसगढ़ सरकार ने ामीण वकास को सव च ाथ मकता दे ते हुए इस वष पंचायत और ामीण
वकास वभाग के वा षक बजट म कर ब 233 करोड़ पए क विृ द क है । वष 2012-13 म 3610.97 करोड़ पए था, िजसे
बढ़ाकर वष 2013-14 म 3843.92 करोड़ पए कया गया है । ाम पंचायत के व तीय अ धकार म विृ द कया गया है ।
ामीण वकास वभाग क योजनाओं के नमाण काय के या वयन के लए 10 लाख क सीमा को बढ़ाकर 12 लाख पए
क गई है । पंचायत के अधीन मछल पालन के लए तालाब के प े क अव ध 5 वष से बढ़ाकर 7 वष क गई है । ाम
पंचायत को मल
ू भत
ू काय के लए द जाने वाल अनद
ु ान मद से व तीय वष 2012-13 म 180 करोड़ पए क लागत 12
हजार 642 काय पण
ू हो चुके ह तथा 1 हजार 530 काय ग त पर है । ाम पंचायत के मा यम से ामीण यां क सेवा
वारा व तीय वष 2012-13 म 3532 करोड़ 14 लाख पए क लागत के 1 लाख 49 हजार 129 व भ न नमाण काय का
संपादन कया गया। ाम पंचायत के सरपंच को वास के दौरान आवासीय यव था उपल ध कराने के लए ा धकरण
े के अ तगत जनपद पंचायत मु यालय म 10 लाख पए क लागत से सरपंच सदन का नमाण कराया जा रहा है ।
मु यमं ी जनपद पंचायत सशि तकरण योजना के तहत अनाब द न ध के प म येक जनपद पंचायत को तवष
एक-एक करोड़ पए का आवंटन उपल ध कराया गया है । रा य शासन वारा गांव के वकास के लए अनेक योजनाएं
चलायी जा रह है । मु यमं ी ाम सड़क एवं वकास योजना, मु यमं ी ाम गौरवपथ योजना, मु यमं ी ाम उ कष
योजना, छ तीसगढ़ ामीण नमाण योजना, ाम वकास योजना, छ तीसगढ़ गौरव योजना, हमारा छ तीसगढ़ योजना

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और छ तीसगढ़ ामीण े वकास ा धकरण के तहत गांव म मल
ू भत
ू अधोसंरचना के काय स हत आ थक, सामािजक
एवं शै णक सरोकार से जड़
ु े काय ाथ मकता से परू े हो रहे ह। गांव म सामद
ु ा यक भवन, सीमट कां ट क सड़क,
नमलाघाट, मिु तधाम, आंगनबाड़ी भवन, कांजी हाउस, उ चत मू य क दक
ु ान, यावसा यक काय को ो सा हत करने के
लए अटल बाजार, नाल नमाण, शेड नमाण तथा महापु ष क ज म- थल और ऐ तहा सक पयटन थल को वक सत
कया जा रहा है । तेरहव व त आयोग के तहत ाम पंचायत को रा श उपल ध करायी जा रह है । इस रा श से ाम सभाओं
के अनम
ु ोदन से गांव म साफ-सफाई, शु द पेयजल के लए टं क नमाण, है ड पंप सोकेज पट नमाण, चबत
ू रा एवं रं गमंच
नमाण, न तार तालाब का जीण दार एवं गहर करण, ाथ मक एवं मा य मक शाला भवनो◌े◌ं का नमाण, वा य
े - सू त गह
ृ का नमाण एवं जीण दार तथा ामीण के ानवधन के लए वामी आ मानंद वाचनालय म पु तक
क यव था और मजर -टोल म सड़क ब ती कने शन का व तार बड़े पैमाने पर कया जा रहा है । पछड़ा े अनद
ु ान
न ध (बीआरजीएफ) योजना म दे श के प ह िजल -को रया, सरगज
ु ा, जशपरु , रायगढ़, कोरबा, बलासपरु , राजनांदगांव,
कबीरधाम, महासमद
ुं , धमतर , उ तर ब तर (कांकेर), ब तर, द ण ब तर (दं तेवाड़ा), नारायणपरु और बीजापरु को
शा मल कया गया है । बलरामपरु , सरू जपरु , को डागांव, सक
ु मा और मंग
ु ेल के लए उनके पैतक
ृ िजल को रा श उपल ध
करायी जा रह है । इस योजना के तहत छ तीसगढ़ को 269 करोड़ 83 लाख पए क पा ता है । योजना के तहत ष ा,
वा य, पेयजल, अधोसंरचना वकास, पोषण, ऊजा बंधन तथा जी वकोपाजन ग त व धय से संबं धत काय और
अनस
ु ू चत जा त एवं अनस
ु ू चत जनजा त वग के वकास के काय पंचायत और नगर पा लकाओं वारा कया जा रहा है ।
रा य शासन वारा ामीण े क वकास क ि ट से नये िजल क तरह नये वकासख ड के गठन का भी नणय लया
गया है । इसके लए पव
ू मु य स चव ी एस.के. म ा क अ य ता म एकल सद यीय वकासख ड पन
ु गठन आयोग
ग ठत क गई है । वकासख ड पन
ु गठन का काय शु हो गया है । गांव क वकास के लए दे ष क ऐसी बसाहट जो
धानमं ी ाम सड़क योजना के मापद ड म नह ं आती है , उ ह बारहमासी सड़क से जोड़ने के उ े य से मु यमं ी ाम
सड़क एवं वकास योजना ारं भ क गई है । योजना के तहत अब तक 3 हजार 700 कलोमीटर ल बाई क 1070 सड़क के
लए 1700 करोड़ पए क शासक य वीकृ त द जा चक
ु है । दे श के ऐसे गांव म जहां धल
ू और क चड़ क सम या रहती
है वहां शहर म बन रहे गौरव पथ क तज पर मु यमं ी ाम गौरव पथ योजना शु क गई है । इस योजना के तहत वष
2012-13 म 3 हजार 300 गांव म 1000 कलोमीटर ल बाई क कां ट सड़क के लए 500 करोड़ पए क क शासक य
मंजूर द जा चुक है । अब तक 825 गांव म काय ारं भ हो चुके ह। मु यमं ी ाम उ कष योजना, छ तीसगढ़ ामीण
नमाण योजना, ाम वकास योजना, छ तीसगढ़ गौरव योजना और हमारा छ तीसगढ़ योजना के अ तगत वष 2012-13
म ावधा नत कुल रा ष 180 करोड़ म से 137 करोड़ 70 लाख पए क लागत के 4 हजार 891 अधोसंरचना नमाण काय
अनस
ु ं षत कए गए ह। ामीण े के व रत और सवा गण वकास के लए छ तीसगढ़ रा य ामीण वकास ा धकरण
का गठन कया गया है । यह ा धकरण रा य के 61 सामा य वकासख ड के लए बनाया गया है । ा धकरण के तहत
व तीय वष 2012-13 म 50 करोड़ पए के 1159 काय क वीकृ त द गई है । न सल भा वत िजल म संचा लत
एक कृत काय योजना के तहत पछले तीन वष म 13 हजार 252 व भ न वकास काय पण
ू कए गए। इन काय पर 750
करोड़ पए खच कए गए। महा मा गांधी नरे गा के तहत उ कृ ठ काय के लए दे श म लगातार सराहना मल रह है ।
महा मा गांधी रा य ामीण रोजगार गारं ट योजना के तहत पछले चार वष (2008-9 से 2011-12) तक 6437 करोड़

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यय कए गए। इन चार वष म 45 करोड़ 95 लाख मानव दवस का सज
ृ न हुआ और 3 लाख 09 हजार 277 काय पण
ू कए
गए। योजना के अ तगत वष 2012-13 म 43 लाख 90 हजार प रवार को पंजीकृत कर जॉब काड दान कया गया।
धानमं ी ाम सड़क योजना के तहत रा य म अब तक 5002 करोड़ पए क लागत के 19 हजार 938 कलोमीटर ल बाई
क 4416 सड़क का नमाण पण
ू कया जा चुका है । योजना के तहत न मत सड़क से अब तक 8 हजार 971 बसाहट मु य
माग से जड़
ु चक
ु ह। छ तीसगढ़ म पंचायती राज सं थाएं अपने दा य व और अ धकार को जानकर ाम वराज था पत
करने म लगातार आगे बढ़ रहे ह।

6.
पयटन के नए क तमान गढ़ता छ तीसगढ़
छ तीसगढ़ रा य के नमाण के डेढ दशक बाद के बदलाव प ट दखाई दे ते ह। रा य ने लगभग सभी े म
वकास के नए आयाम को छुआ है । सड़क, बजल -पानी, श ा, भोजन, वा य आ द मल
ू भत
ू सेवाओं म व ृ हुई है ।
इसके साथ ह पयटन के वकास े म रा य ने उ लेखनीय काय कया है । के य पयटन वभाग के आंकड़ के अनस
ु ार
छ तीसगढ़ रा य के पयटन ने भारत के शीष 10 पयटन थल म अपना थान बना लया है । जार आंकड़ म बताया गया है
क सन ् 2013 म 2 करोड़ 28 लाख पयटक छ तीसगढ़ आए। दे श क पयटन नी तय को इसका ेय जाता है । छ तीसगढ़
रा य पयटन क ि ट से भारत का सव तम दे श माना जा सकता है । यहाँ अ यरा य, नद -घाट स यताओं के अवशेष,
परु ाताि वक मह व के मारक, न दयाँ, जल पात, झरने, पवत, जलाशय, व य ाणी, आ द मानव के वारा न मत
शैला य, धा मक थल, वान प त एवं जैव व वधता, सां कृ तक वरासत, व भ न तरह के उ सव के संग ब तर का 75
दन के व व स दशहरा के साथ तवष रािजम म कंु भ का आयोजन दशनीय है । ब तर एवं सरगज
ु ा पार प रक
आ दवासी का ठ एवं धातू श प व व स होने के साथ-साथ टसर के मह न धागे से न मत यहाँ का कोसा स क का
द ु नया म कोई मक
ु ाबला नह ं। पयटन क ि ट से हम दे ख तो छ तीसगढ़ कृ त क लाडल संतान है । िजस तरह एक माता
अपनी संतान म से कसी एक संतान से वशेष अनरु ाग एवं नेह रखती है , उसी तरह कृ त भी छ तीसगढ़ क धरती से
अपना वशेष अनरु ाग कट करती है । इस पू य भू म म द ण कोसल के राजा भानम
ु ंत क पु ी मयादा पु षो तम भगवान
राम क माता कौस या ने ज म लया था। कृ त क गोद म बसे भगवान राम के न नहाल (द ण कोसल) छ तीसगढ़ म
एक ओर नमल जल क धार लए वा हत होती शा म व णत च ो पला गंगा (महानद ) शवनाथ, इं ावती, हसदे व,
अरपा, पैर , स ढूर, म नयार , महान, हाफ़, ल लागर, डं कनी-शं खनी आ द न दयाँ ह तो दस
ू र तरफ़ तीरथगढ़, च कोट जैसे
जल पात के साथ छोटे बड़े झरने श य यामल धरा को मनोहर प दान करते ह। छ तीसगढ़ म धा मक पयटन के साथ
एडवचर पयटन के लए भी बहुत सारे थान ह। वै णव े के प म हमारे यहां प ावती नगर रािजम, शवर नारायण,
इ या द मह वपण
ू थान है , शि त थल म दं ते वर मं दर दं तेवाड़ा, महामाया रतनपरु , ब ले वर ड गरगढ़, ख लार माई
ख लार (महासमद
ु ) महामाया अि बकापरु एवं अ य थल ह। शैव धा मक थल के प म रािजम पंचकोशी, कुले वर,
पटे वर, च पे वर, ब हने वर, कपरेु वर, फ़णीके वर, वशाल ाकृ तक शव लंग भत
ू े वरनाथ (ग रयाबंद) बढ
ू ामहादे व
रतनपरु , दे वगढ़ सरगज
ु ा इ या द ह। रामायणकाल न द णापथ माग से गज
ु रते हुए वतमान म भी हम कदम-कदम पर
धा मक दशनीय थल मलते ह।छ तीसगढ़ रा य का लगभग 44 फ़ सद भ-ू भाग वन से अ छा दत है । यहाँ व भ न तरह

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क वन स पदा के साथ जै वक व वधता भी दखाई दे ती है । यहाँ सबसे अ धक वन संपदा एवं व य ा ण है । व य ा णय
एवं वन क र ा करने के लए यहाँ इं ावती, कांगेर, गु घासीदास रा य उ यान ह। साथ ह अचानकमार, बादलखोल,
बारनवापारा, सेमरसोत, सीतानद , तमोर पंगला ,भैरमगढ़, भोरमदे व, गोमडा, पामेड़, उद ती अभयार य ह। इं दरा उ यान,
कानन पडार च ड़याघर, मै ी बाग च ड़याघर, नंदन वन च ड़याघर रायपरु एवं कोटमी सोनार मगरम छ पाक भी है जो
पयटक क आंख के रा ते दय को फ़ुि लत करती है । वन ेमी एवं व य फ़ोटो ाफ़ करने वाले पयटक के लए
छ तीसगढ़ के वन कसी वग से कम नह ं ह। इन रा य उ यान एवं अ यार य म साल, सागौन, बत, धावड़ा, ह द,ु
ते द,ु कु लू , कुसम
ु , आंवला, करा, जामन
ु , से हा, आम, बहे डा, बांस आ द के व ृ पाए जाते ह, इसके अ त र त सफेद मस
ू ल
, काल मस
ू ल , तेजराज, सतावर, रामदतौन, जंगल याज, जंगल ह द , तखुर, सपगंधा आद औषधीय पौधे भी पाए जाते
ह। व य ा णय म शेर, ते दआ
ु , बाघ, चीतल, सांभर, लकडब घा, जंगल भाल,ू काकड, सयार, घ ड़याल, जंगल सअ
ु र,
लंगरू , सेह , माऊस डीयर, छंद, चरकमाल,, खरगोश, सवेट, सयार, लोमड़ी, नील गाय, उद बलाव, गौर, जंगल भसा,
व भ न तरह के सप एवं मग
ु , मोर, धनेश, महोख, पाई, बाज, चील, डीयर, हुदहुद, कं ग फशर, बसंतगौर , नाइटजार, उ ल,ू
तोता, बीइटर , बगल
ु ा, मैना, आ द प ी पाये जाते है । ाचीन थल का मण करने वाले पयटक के लए ब तर से लेकर
सरगज
ु ा तक श प स दय का खजाना बखरा हुआ है । ब तर म बारसरु , नारायणपाल, दं तव
े ाड़ा, तल
ु ार, गु ते वर, ढं ढोरे पाल,
भ गापाल, म य छ तीसगढ़ म आरं ग, रतनपरु , मदकू वीप, भोरमदे व, मड़वा महल, पचराह , चतरु भज
ू ी धमधा, म हार,
नकटा मं दर जांजगीर, शवर नारायण, ताला, सरपरु , ख लार , जांजगीर, नगपरु ा, खरखरा, दे वबलौदा, संघोड़ा, बालौद,
तरु तु रया, पलार , गरौदपरु , दामाखेड़ा, सहावा, चंदखरु , दमऊधारा, पाल , लाफ़ागढ़, चैतरु गढ़ तथा सरगज
ु ा म सीता बगरा
रामगढ़ ( ाचीन ना यशाला) , सीतामढ , हरचौका, दे वगढ़, हरा टोला बेलसर, सतमहला, डीपाडीह, आ द ाचीन थल
दशनीय ह। ागै तहा सक काल के मानव स यता के उषाकाल म छ तीसगढ़ भी आ दमानव के संचरण तथा नवास का
थान रहा। इसके माण मख
ु प से रायगढ़ िजले के संघनपरु , कबरा पहाड़, बसनाझर, बोसलदा, ओंगना पहाड़ और
राजनांदगांव िजले के चतवाड गर से ा त होते ह। आ दमानव वारा न मत तथा यु त व भ न कार के पाषाण
उपकरण, महानद , मांड, क हार, म नयार तथा केलो नद के तटवत भाग से ा त होते ह। संघनपरु तथा कबरा पहाड़ के
शैल च व वधता तथा शैल के कारण ागै तहा सक काल के शैल च म वशेष प से च चत ह। ब तर के कुटुमसर,
कैलास गफ़
ु ा का अदभत
ु स दय कृ त क श पकार उ कृ ट माण है । ागै तहा सक काल के अ य अवशेष के एका म
शवाधान के बहुसं यक अवशेष रायपरु और दग
ु िजले म पाए गए ह। ाकृ तक स दय एवं सां कृ तक व वधता का स पण

स दय छ तीसगढ़ म दे खने मलता है । अंचल म पयटक का नरं तर आना ह दे श के घरे लू पयटक के पसंद दा रा य के प
म छ तीसगढ़ को भारत म 10 व न बर पर था पत करता है । केरल, हमाचल, गोवा, उ तराखंड जैसे पयटन के लए
था पत रा य को पछाड़ते हुए कम अव ध म शीष दस म अपना थान बना लेना मह वपण
ू है । नवीन रा य छतीसगढ़ के
लए यह गौरव क बात है क पयटन के े म भी हम उ लेखनीय ग त कर रहे ह। आईए छ तीसगढ़ दशन के लए चल
और जाने छ तीसगढ़ कृ त क लाडल संतान य कहा जाता है ।

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