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तम
स बबनस भल
स बोइ भल
स र डबोलत ।
लसालच लसागगकबोहट दध विन कध, कफरत कपसाटनन खबोलत ।
जब लगग सरबस दहजघ उनकद, तबहहमं लगग यह प्रमनत ।
फलमसाअँगत कफरर जसात मसकर ह्विघ यह दध विन कक रहनत ।
एकनन कद कजय-बसल दघ पसज,घ पसजत नतकस न तसठध ।
तब पहहचसानन सबनन कद छसाअँडध नख-ससख लद सब झठ
स ध।
कमंचन मनन तकज कसाअँचहहमं सततत, यसा मसायसा कध लहन्हध !
तसम ककतज, करुनसामय, कधसवि, अखखल लबोक कध नसायक ।
सरस दसास हम दृढ करर पकरध , अब यध चरन सहसायक ॥7॥
द्विघ मत एकर तर न भई ।
नसा हरर भज्यर, न गह
क ससख पसायर, बथ
क सा बबहसाइ गई ।
ठसानम हसतम और कछस मन मत, औरध आनन ठई ।
अबबगत-गनत कछस समखस झ परत नहहमं जबो कछस करत दई ।
ससत सनधहह-नतय सकल कसटसअँब समसल, ननसस-हदन हबोत खई ।
पद-नख-चमंद चकबोर बबमसख मन, खसात अअँगसार मई ।
वविषय-वविकसार-दसाविसानल उपजम, मबोह-बयसारर लई ।
भ्रमत-भ्रमत बहसतघ दख
स पसायर, अजहसअँ न टस वि गई ।
हबोत कहसा अबकध पनछतसाएअँ, बहसत बधर बबतई ।
ससरदसास सधयध न ककपसाननगध, जबो ससख सकल मई ॥5॥
अब मत जसानम दध ह बसढसानम ।
समस, पसाउअँ , कर कह्यर न मसानत, तन कक दससा ससरसानम ।
आन कहत, आनघ कहह आवित, नघन-नसाक बहघ पसानम ।
समहट गई चमक-दमक अअँग-अअँग कक, मनत अरु दृकष्ट हहरसानम ।
नसाहहमं रहह कछस ससगध तन-मन कक, भई जस बसात बबरसानम ।
सरस दसास अब हबोत बबगसचनन, भकज लघ ससारअँ गपसानम ॥6॥
मन प्रबबोध
सब तकज भकजऐ नमंद कसमसार ।
और भजघ तत कसाम सरघ नहहमं, समटघ न भवि जमंजसार ।
कजहहमं कजहहमं जबोनन जन्म धसाररयर, बहस जबोररयर अघ कर भसार ।
कजहहमं कसाटन कद समरथ हरर कर तमछन नसाम-कसठसार ।
बधद, पसरसान, भसागवित, गमतसा, सब कर यह मत ससार ।
भवि समसद्र हरर-पद-नरकसा बबनस कबोउ न उतसारघ पसार ।
यह कजय जसानन, इहहमं नछन भकज, हदन बमतध जसात अससार ।
ससर पसाइ यह समर लसाहस लहह, दल
स भ
र्ध कफरर समंससार ॥1॥
सवि
स सा, चसल तसा बन कर रस पमजघ ।
जसा बन रसाम-नसाम अम्रनत-रस, स्रविन पसात भरर लहजघ ।
कबो तधरर पसत, वपतसा तस कसाकर, धरनम, घर कबो तधरर ?
कसाग सग
क साल-स्विसान कर भबोजन, तस कहघ मधरर मधरर !
बन बसारसाननसस मसककत-क्षधत हघ , चसल तबोकर, हदखरसाऊअँ ।
ससरदसास ससाधसनन कक समंगनत, बडध भसाग्य जबो पसाऊअँ ॥2॥
हररवविमसख-ननन्दसा
अचमंभबो इन लबोगनन कर आविघ ।
छसाअँडध स्यसाम-नसाम-असम्रत फल, मसायसा-वविष-फल भसाविघ ।
ननमंदत मसढ मलय चमंदन कद रसाख अमंग लपटसाविघ ।
मसानसरबोविर छसाअँडड हमं स तट कसाग-सरबोविर न्हसाविघ ।
पगतर जरत न जसानघ मरस ख, घर तकज घरस बझ
स साविघ ।
चररसासम लख स्विसाअँग धरर, भ्रसम-भ्रसम जमहह हअँससाविघ ।
मग
क तष्क नसा आचसार-जगत जल, तसा सअँग मन ललचसाविघ ।
कहत जस ससरदसास समंतनन समसल हरर जस कसाहध न गसाविघ ॥1॥
जर लद मन-कसामनसा न छसटघ ।
तर कहसा जबोग-जज-व्रत ककन्हत, बबनस कन तसस कद कसटघ ।
कहसा सनसान ककयत तमरथ कध, अमंग भस्म जट जसटघ ?
कहसा परस सान जस पढत अठसारह, ऊध्विर्ध धम
स कध घट
सअँ ध ।
जग सबोभसा कक सकल बडसाई इनतत कछस न खसटघ ॥2॥
आत्मजसान
अपन
स पर आपसन हह बबसररयर ।
जघसध स्विसान कसाअँच-ममंहदर मत, भ्रसम-भ्रसम भसकक पररयर ।
ज्यद सररभ मग
क -नसासभ बसत हघ , द्रम
स तन
क सअँगस ध कफररयर ।
ज्यद सपनध मघ रमं क भसप भयर, तसकर अरर पकररयर ।
ज्यद कधहरर प्रनतबबमंब दध खख कघ, आपन कसप पररयर ।
जघसस गज लखख फहटकससलसा मत, दसननन जसाइ अररयर ।
मकर्धट मसहठ छसाअँडड नहहमं दहनम, घर-घर-द्विसार कफररयर ।
ससरदसास नसलनम कर ससविटसा, कहह करनत पकररयर ॥1॥
हर कद टध रनत हघ नमंदरसानम ।
बहसत अबसार भई कहघ खधलत रहध मधरध ससारअँ ग पसानम ?
ससनतहहमं टध र, दररर तहअँ आए, कब कध ननकसध लसाल ।
जसवित नहहमं नमंद तम्
स हरघ बबनस, बधगग चलर, गबोपसाल ।
स्यसामहहमं ल्यसाई महरर जसबोदसा तसरतहहमं पसाइअँ पखसारध ।
ससरदसास प्रभस समंग नमंद कत बघठध हत दबोउ बसारध ॥19॥
जसवित कसान्ह नमंद इकठररध ।
कछसक खसात लपटसात दबोऊ कर बसालकधसल अनत भबोरध ।
बरसा करर मधलत मख
स भमतर, समररच दसन टकटररध ।
तमछन लगम नघन भरर आए, रबोवित बसाहर दररध ।
फअँस कनत बदन रबोहहनम ठसाढह, सलए लगसाइ अअँकबोरध ।
सरस स्यसाम ककमं मधरस करर दघ , ककन्हध तसात ननहबोरध ॥20॥
मबोहन कसाहस न उगगलर मसाटह ।
बसार-बसार अनरुगच उपजसाविनत, महरर हसाथ सलए ससाअँटह ।
महतसारह सद मसानत नसाहहमं, कपट-चतसरई ठसाटह ।
बदन उघसारर हदखसायर अपनर, नसाटक कक पररपसाटह ।
बडम बसार भई लबोचन उघरध , भरम-जविननकसा फसाटह ।
ससर ननरख नअँदरसानन भ्रसमत भई, कहनत न ममठछ-खसाटह ॥21॥
नमंद करत पसजसा, हरर दध खत ।
घमंट बजसाइ दध वि अन्हविसायर, दल चमंदन लघ भधटत ।
पट अमंतर दघ भबोग लगसायर, आरनत करह बनसाइ ।
कहत कसान्ह, बसाबसा तसम अरप्यर, दध वि नहहमं कछस खसाइ ।
गचतघ रहध तब नमंद महरर-मसख ससनहस कसान्ह कक बसात ।
ससर स्यसाम दध विनन कर जबोरहस, कससल रहघ कजहहमं गसात ॥22॥
कहत नमंद ,जससमनत सद बसात ।
कहसा जसाननए कह तघ दध ख्यद मधरत कसान्ह ररससात ।
पसाअँच बरष कबो मधरर कन्हघ यसा, अचरज तधरह बसात ।
बबनहहमं कसाज ससाअँहट लध धसाविनत, तसा पसाछघ बबललसात ।
कससल रहत बलरसाम स्यसाम दबोउ, खधलत-खसात--अन्हसात ।
ससर स्यसाम कद कहसा लगसाविनत, बसालक कबोमल गसात ॥23॥
मसाखन-चबोरह
विमंद
क साविन लहलसा
विमंद
क साविन प्रस्थसान
महरर-महरर कत मन यह आई ।
गबोकसल हबोत उपद्रवि हदन प्रनत, बससऐ बमंद
क साविन मत जसाई ।
सब गबोपनन समसल सकटसा ससाजध, सबहहनन कध मन मत यह भसाई ।
ससर जमसन-तट डधरसा दहन्हध , बरष कध कसअँविर कन्हसाई ॥1॥
गबोदबोहन
मत दहस हहद मबोहहमं दह
स न ससखसाविहस ।
कघसस गहत दबोहनम घसटसविनन, कघसत बछरसा थन लघ लसाविहस ।
कघसत लघ नबोई पग बसाअँधत, कघसध लघ गघयसा अटकसाविहस ।
कघसत धसार दध
स कक बसाजनत, सबोई सबोइ वविगध तसम मबोहहमं बतसाविहस ।
ननपट भई अब ससाअँझ कन्हघ यसा, गघयनन पघ कहसअँ चबोट लगसाविहस ।
सरस श्यसाम सद कहत ग्विसाल सब,धधनस दह
स न प्रसातहह उहठ आविहस ॥2॥
गबो-चसारण
आजस मत गसाइ चरसाविन जघहद ।
बमंद
क साबन कध भसाअँनत भसाअँनत फल अपनध कर मत खघहद ।
ऐसम बसात कहर जनन बसारध , दध खर अपनम भसाअँनत ।
तनक तनक पग चसलहर कघसत, आवित ह्वित हघ अनत रसानत ।
प्रसात जसात गघयसा लघ चसारन, घर आवित हत ससाअँझ ।
तसम्हरर कमल बदन कसकम्हलघहघ, रस गत घसामहहमं मसाअँझ ।
तधरह सद मबोहहमं घसाम न लसागत, भख
स नहहमं कछस नधक ।
ससरदसास प्रभस कह्यर न मसानत , पररयर आपनबो टध क ॥1॥
बमंद
क साविन दध ख्यर नअँम-नमंदन, अनतहहमं परम ससख पसायर ।
जहअँ-जहअँ गसाइ चरनत ग्विसालनन सअँग, तहअँ-तहअँ आपसन धसायर ।
बलदसाऊ मबोकद जनन छसाअँडर समंग तसम्हसारत ऐहद ।
कघसधहसअँ आजस जसबोदसा छसाअँड़्यर, कसाकल्ह न आविन पघहद ।
सबोवित मबोकद टध रर लधहसगध, बसाबसा नमंद-दह
स साई ।
ससर स्यसाम बबनतम करर बल सक, सखनन समधत सन
स साई ॥2॥
मत बरज्यर जमन
स सा-तट जसात ।
ससगध रहह गई न्हसात कक तधरघ, जनन डरपर मधरध तसात ।
नमंद उठसाइ सलयर कबोरसा करर, अपनध समंग परढसाइ ।
विमंद
क साविन मत कफरत जहसाअँ तहअँ , ककहहमं कसारन तस जसाइ ।
अब जनन जघहर गसाइ चरसाविन, कहअँ कबो रहनत बलसाइ ।
ससर स्यसाम दमं पनत बबच सबोए, नममंद गई तब आइ ॥16॥
कसालह-दमन
नसारद ऋवष नप
क तर यद भसाषत ।
विध हत कसाल तसम्हसारध प्रगटध कसाहत उनकद रसाखत ।
कसालह उरग रहघ जमन
स सा मत, तहघ तत कमल मअँगसाविहस ।
दत
स पठसाइ दध हस ब्रज ऊपर, नमंदहहमं अनत डरपसाविहस ।
यह ससनन कघ ब्रज लबोग डरतगघ, वित ससननहत यह बसात ।
पसहसप लघन जघहत नअँद-ढिरटसा, उरग करघ तहअँ घसात ।
यह सनस न कमंस बहसत पसायर, भलह कहह यह मबोहह ।
ससरदसास प्रभस कद मसनन जसानत, ध्यसान धरत मन जबोहह ॥1॥
कमंस बसलसाइ दत
स इक लहन्हर ।
कसालहदह कध फसल मअँगसाए, पत सलखसाइ तसाहह कर दहन्हर ।
यह कहहयर ब्रज जसाइ नमंद सद, कमंस रसाज अनत कसाज मअँगसायबो ।
तसरत पठसाइ हदऐमं हबो बनन हघ , भलह-भसाअँनत कहह-कहह समसझसायर ।
यधह अमंतरजसामम जसानम कजय ,आपस रहध बन ग्विसाल पठसाए ।
ससरस्यसाम, ब्रज-जन-ससखदसायक, कमंस-कसाल, कजय हरष बढसाए॥2॥
मरस लह
जब हरर मसरलह अधर धरत ।
गथर चर, चर गथर, पविन थककत रहत, जमसनसा जल न बहत ॥
खग मरहत मग
क -जथ
स भल
स साहहमं, ननरखख मदन-छबब छरत ।
पसस मबोहत ससरभम वविथककत, तन
क दमं तनन टध कक रहत ॥
ससक सनकसाहद सकल मसनन मबोहत ,ध्यसान न तनक गहत ।
ससरदसास भसाग हत नतनकध, जध यसा ससखहहमं लहत ॥1॥
(कहद कहसा) अमंगनन कक ससगध बबसरर गई ।
स्यसाम-अधर मद
क स सन
स त मरस सलकसा, चककत नसारर भई ॥
जर जघस त तबो तघसघ रहह गई, ससख-दख
स कह्यर न जसाइ ।
सलखम गचत सम ससर ह्विघ रहहमं, इकटक पल बबसरसाइ ॥2॥
मरस लह धनस न स्रविन सन
स त,भविन रहह न परघ ;
ऐसम कबो चतसर नसारर, धमरज मन धरघ ॥
ससर नर मसनन ससनत ससगध नम ससवि-समसागध टरघ ।
अपनम गनत तजत पविन, सररतसा नहहमं ढिरघ ॥
मबोहन-मसख-मसरलह, मन मबोहहनन बस करघ ।
ससरदसास ससनत स्रविन, ससधसा-ससमंधस भरघ ॥3॥
बसाअँससरह बजसाइ आछध , रमं ग सद मसरसारह ।
ससनन कघ धसनन छसहट गई, सअँकर कक तसारह ॥
विधद पढन भसस ल गए, ब्रह्मसा ब्रह्मचसारह ।
रसनसा गसन कहह न सकघ, ऐसम ससगध बबससारह !
इमंद्र-सभसा थककत भइ, लगबो जब करसारह ।
रमं भसा कर मसान समट्यर, भल
स ह नत
क कसारह ॥
जमन
स सा जस थककत भई, नहहमं ससगध सअँभसारह ।
ससरदसास मसरलह हघ , तमन-लबोक-प्यसारह ॥4॥
मधरध दख
स कर ओर नहहमं ।
षट ररतस समत उष्न बरषसा मत, ठसाढध पसाइ रहह ॥
कसकक नहहमं नघकसहसअँ कसाटत, घसामत रसाखम डसारर ।
अगगनन ससलसाक दध त नहहमं मसरकक, बधह बनसावित जसारर ॥
तसम जसाननत मबोहहमं बसाअँस बअँससररयसा, अगगनन छसाप दघ आई ।
ससर स्यसाम ऐसत तसम लधहस न, खखझनत कहसाअँ हर मसाई ॥13॥
चमर-हरन
भविन रविन सबहह बबसरसायर ।
नमंद-नअँदन जब तत मन हरर सलयर, बबरथसा जनम गअँविसायर ॥
जप, तप व्रत, समंजम, ससाधन तत, द्रववित हबोत पसाषसान ।
जघस त समलघ स्यसाम ससमंदर बर, सबोइ ककजघ, नहहमं आन ।
यहघ ममंत दृढ ककयर सबनन समसल, यसातत हबोइ सह
स बोइ ।
विथ
क सा जनम जग मत कजनन खरविहस, ह्यसाअँ अपनर नहहमं कबोइ ॥
तब प्रतमत सबहहनन कद आई, ककन्हद दृढ वविस्विसास ।
सरस स्यसामसमंद
स र पनत पसावित, यहघ हमसारह आस ॥1॥
जमन
स सा तट दध खध नअँद नमंदन ।
मबोर-मसकसट मकरसाककत-कमंस डल, पमत-विसन तन चमंदन ॥
लबोचन तप्क त भए दरसन तत, उर कक तपनत बसझसानम ।
प्रधम-मगन तब भई ससमंदरह, उर गदगद, मसख-बसानम ॥
कमल-नयन तट पर हत ठसाढध , सकसचहहमं समसल ब्रज-नसारह ।
सरस दसास-प्रभस अमंतरजसामम, ब्रत-पसरन पगधसारह ॥2॥
बनत नहहमं जमन
स सा कर ऐबर ।
ससमंदर स्यसामघसाट पर ठसाढध , कहर करन बबगध जघबम ॥
कघसस बसन उतसारर धरत हम, कघसत जलहहमं समघबर ।
नमंद-नअँदन हमकद दध खग
त ध, कघसघ करर जस अन्हघ बर ॥
चबोलह, चमर , हसार लघ भसाजत, सबो कघसत करर पघबम ।
अमंकन भरर-भरर लधत ससर प्रभस, कसाकल्ह न इहहमं पथ ऐबर ॥3॥
नमकत तप ककयर तनस गसारर ।
आपस दध खत कदम पर चढह, मसानन सलयर मरस सारर ॥
विषर्ध भर ब्रत-नधम-समंजम, स्रम ककयर मबोहहमं कसाज ।
कघसघ हसअँ मबोहहमं भजघ कबोऊ, मबोहहमं बबरद कक लसाज ॥
धन्य ब्रत इन ककयर पसरन, समत तपनत ननविसारर ।
कसाम-आतरस भजममं ,मबोकर, नवि तरुनन ब्रज-नसारर ॥
ककपसा-नसाथ ककपसाल भए तब, जसानन जन कक पमर ।
ससर प्रभस अनसमसान ककन्हर, हरद इनकध चमर ॥4॥
(तधरध) भज
स नन बहसत बल हबोइ कन्हघ यसा ।
बसार-बसार भसज दध खख तनक सघ, कहनत जसबोदसा मघयसा ॥
स्यसाम कहत नहहमं भसजसा वपरसानम, ग्विसालनन ककयर सहघ यसा ।
लकसहटनन टध कक सबनन समसल रसाख्यर, अरु बसाबसा नअँदरघ यसा ॥
मबोसद कयद रहतर गबोबरधन, अनतहहमं बडर विह भसारह ।
ससरस्यसाम यह कहह परबबोध्यर चककत दध खख महतसारह ॥13॥
रसास लहलसा
जबहहमं बन मसरलह स्रविन परह ।
चककत भई गबोप-कन्यसा सब, कसाम-धसाम बबसरहमं ॥
कसल मजसार्धद बधद कक आजसा, नतकहसअँ नहहमं डरहमं ।
स्यसाम-ससमंधस, सररतसा-ललनसा-गन, जल कक ढिरनन ढिरहमं ॥
अमंग-मरदन कररबध कद लसागद, उबटन तधल धरह ।
जबो कजहहमं भसाअँनत चलह सबो तघसधहहमं, ननसस बन कद जसखरह ॥
ससत पनत-नधह, भविन-जन-समंकसा, लज्जसा नसाहहमं करह ।
ससरदसास-प्रभस मन हरर लहन्हर, नसागर नविल हरह ॥1॥
चलह बन बधनस सन
स त जब धसाइ ।
मसातस वपतसा-बसाअँधवि अनत तसासत, जसानत कहसाअँ अकसलसाइ ॥
सकसच नहहमं, समंकसा कछस नसाहहमं, रघ नन कहसाअँ तसम जसानत ।
जननम कहनत दई कक घसालह, कसाहध कद इतरसानत ॥
मसाननत नहहमं और ररस पसाविनत, ननकसम नसातर तबोरर ।
जघस त जल-प्रविसाह भसादद कर, सबो कबो सकघ बहबोरर ॥
ज्यद कसचसरह भसअमंगम त्यसागत, मसात वपतसा यबो त्यसागध ।
ससर स्यसाम कत हसाथ बबकसानम, असल अमंबसज अनसरसागध ॥2॥
मसात-स वपतसा तम्
स हरध धद नसाहहमं ।
बसारमं बसार कमल-दल-लबोचन, यह कहह-कहह पनछतसाहहमं ॥
उनकत लसाज नहहमं, बन तसमकद आवित दहन्हहमं रसानत ।
सब समंद
स रह, सबघ नविजबोबन, ननठसर अहहर कक जसानत ।
कक तसम कहह आई, कक ऐसधहहमं ककन्हहमं कघसम रहनत ।
ससर तसमहहमं यह नहहमं बसखझयघ, करह बडम बबपरहनत ॥3॥
तम
स कहसअँ दध खध श्यसाम बबससासम ।
तनक बजसाइ बसाअँस कक मसरलह, लघ गए प्रसान ननकसासम ॥
कबहसअँक आगत, कबहसअँक पसाछत , पग-पग भरनत उससासस ।
ससर स्यसाम-दरसन कध कसारन, ननकसममं चमंद-कलसा सम ॥10॥
जर दध खत द्रम
स कध तरत, मसरझम ससकसमसारह ।
चककत भई सब ससमंदरह यह तर रसाधसा रह ॥
यसाहह कद खबोजनत सबघ, यह रहह कहसाअँ रह ॥
धसाइ परहमं सब ससमंदरह, जबो जहसाअँ-तहसाअँ रह ।
तन कक तनकहसअँ ससगध नहहमं, व्यसाकसल भई बसालसा ।
यह तर अनत बधहसाल हघ , कहसअँ गए गबोपसालसा ॥
बसार-बसार बसझनतमं सबघ,नहहमं बबोलनत बसानम ।
सरस स्यसाम कसाहत तजम, कहह सब पनछतसानम ॥15॥
कधहहमं मसारग मत जसाऊअँ सखम रह, मसारग मबोहहमं बबसररयर ।
नसा जसानद ककत ह्विघ गए मबोहन, जसात न जसानन पररयर ॥
अपनर वपय ढिसअँढनत कफरद, मरहहमं समसलबध कर चसावि ।
कसाअँटबो लसाग्यर प्रधम कर, वपय यह पसायर दसावि ॥
बन डकगर ढिसअँढत कफरह, घर-मसारग तकज गसाउअँ ।
बसझद द्रम
स , प्रनत बधसल कबोउ, कहघ न वपय कर नसाउअँ ॥
चककत भई, गचतविन कफरह, ब्यसाकसल अनतहहमं अनसाथ ।
अब कत जर कघसहसअँ समलद, पलक न त्यसागद ससाथ ॥
हृदय मसाअँझ वपय-घर करद, नघननन बघठक दध उअँ ।
ससरदसास प्रभस सअँग समलत, बहसरर रसास-रस लधउअँ ॥16॥
ग्विसाररनन जब दध खध नअँद-नमंदन ।
मबोर मसकसट पमतसामंबर कसाछध , खररर ककए तन कमंदन ॥
तब यह कह्यर कहसाअँ अब जघहर, आगत कअँस विर कन्हसाई ।
यह ससनन मन आनन्द बढसायर, मसख कहत, बसात डरसाई ॥
कबोउ-कबोउ कहनत चलर रह जघयध, कबोउ कहघ घर कफर जघयघ ।
कबोउ-कबोउ कहनत कहसा कररहत हरर, इनसद कहसा परघ यघ ॥
कबोउ-कबोउ कहनत कसासलहहमं हमकद, लसहट लई नअँद लसाल ।
सरस स्यसाम कध ऐसध गसन हत, घरहह कफरह ब्रज-बसाल ॥6॥
गन गमंधविर्ध दध खख ससहसात ।
धन्य ब्रज-ललनसानन कर तत, ब्रह्म मसाखन खसात ॥
नहहमं रध ख, न रूप, नहहमं तनस बरन नहहमं अनसहसारह ।
मसातस-वपतस नहहमं दबोउ जसाकत , हरत-मरत न जसारर ॥
आपस कत्तसार्ध आपस हत्तसार्ध, आपस बतभवि
स न नसाथ ।
आपसहहमं सब घट कर ब्यसापम, ननगम गसावित गसाथ ॥
अमंग प्रनत-प्रनत रबोम जसाकघ, कबोहट-कबोहट ब्रह्ममंड ।
ककट ब्रह्म प्रजमंत जल-थल, इनहहमं तस नह ममंड ॥
यधइ वविस्विमंभरनन नसायक, ग्विसाल-समंग-बबलसास ।
सबोइ प्रभस दगध दसान मसाअँगत, धन्य ससरजदसास ॥18॥
ब्रह्म कजनहहमं यह आयसस दहन्हर ।
नतन नतन समंग जन्म सलयर परगट, सखम सखसा करर ककन्हर ॥
गबोपम ग्विसाल कसान्ह द्विघ नसाहहमं, यध कहसअँ नतकस न न्यसारध ।
जहसाअँ जहसाअँ अवितसार धरत हरर, यध नहहमं नतकस बबससारध ॥
एकघ दध ह बहसत करर रसाखध, गबोपम ग्विसाल मसरसारह ।
यह ससख दध खख ससर कध प्रभस कद, थककत अमर-सअँग-नसारह ॥19॥
सन
स हस बसात जवि
स तम इक मधरह ।
तसमतत दरस र हबोत नहहमं कबहसअँ, तसम रसाख्यर मबोहहमं घधरह ॥
तसम कसारन बघकमंस ठ तजत हद, जनम लधत ब्रज आइ ।
विमंद
क साविन रसाधसा-गबोपम समंग, यहह नहहमं बबसररयर जसाइ ॥
तसम अमंतर-अमंतर कह भसाषनत, एक प्रसान द्विघ दध ह ।
कयद रसाधसा ब्रज बसत बबससारद, ससस मरर परस सातन नधह ॥
अब घर जसाहस दसान मत पसायर, लधखसा ककयर न जसाइ ।
ससर स्यसाम हअँसस-हअँसस जसबनतनन सद ऐसम कहत बनसाइ ॥21॥
अब तर प्रगट भई जग जसानम
विसा मबोहन सद प्रमनत ननरमं तर, कयदऽब रहघ गर छसानम ॥
कहसा करद ससमंदर मसरनत, इन नघननन मसाअँझ समसानम ।
ननकसनत नहहमं बहसत पगच हसारह, रबोम-रबोम अरुझसानम ॥
अब कघसत ननरविसारर जसानत हघ , समलह दध
स ज्यद पसानम ।
ससरदसास प्रभस अमंतरजसामम, उर अमंतर कक जसानम ॥4॥
नघन करत सख
स , हम दख
स पसाविघ ।
ऐसर कबो पर-बधदन जसानघ, जसासद कहह जस सन
स सावित ॥
तसातत मरन भलर सबहह तत, कहह कघ मसान गअँविसावित।
लबोचन, मन, इमंद्रह हरर कद भनत, तकज हमकद ससख पसावित ॥
विघ तर गए आपनध कर तत, विथ
क सा जमवि भरमसावित ।
सरस स्यसाम हत चतरस ससरबोमनन , नतनसद भधद जनसावित ॥3॥
नघन भए बस मबोहन तत ।
ज्यद कसरमं ग बस हबोत नसाद कध, टरत नहहमं तसा गबोहन तत ॥
ज्यद मधसकर बस कमल-कबोस कध, ज्यद बस चमंद चकबोर ।
तघससहह यध बस भए स्यसाम कध, गड
स म-बस्य ज्यद डबोर ॥
ज्यद बस स्विसानत-बसअँद कध चसातक, ज्यद बस जल कध ममन ।
ससरज-प्रभस कध बस्य भए यध , नछनस-नछनस प्रमनत नविमन ॥5॥
तब तत नघन रहध इकटकहहमं ।
जब तत दृकष्ट परध नअँद-नमंदन, नतकसन अमंत मटकहहमं ।
मरस लह घरध अरुन अधरनन पर, कमंस डल झलक कपबोल ।
ननरखत इकटक पलक भसलसानध, मनर बबकसानध मबोल ॥
हमकद विघ कसाहघ न बबससारत, अपनम ससगध उन नसाहहमं ।
सरस स्यसाम-छबब-ससमंधस समसानध, बथ
क सा तरुनन पनछतसाहहमं ॥6॥
प्रथम समलन
गई वितषभसानस-ससतसा अपनत घर ।
गसारुडम ककष्ण
सखखयनन समसल रसाधसा घर लसाई ।
दध खहस महरर ससतसा अपनम कद, कहसअँ इहहमं कसारत खसाई ॥
हम आगत आविनत, यह पसाछत धरनन परह भहरसाई ।
ससर तत गई दबोहनम ढिररकघ, आपस रहह मसरझसाई ॥
स्यसाम-भसअमंग डस्यर हम दध खत, ल्यसाविहस गसनम बसलसाई ।
रबोविनत जननन कमंठ लपटसानम, सरस स्यसाम गसन रसाई ॥1॥
स्यसाम यह तम
स सद कयद न कहद ।
जहसाअँ तहसाअँ घर घर कर घघरसा, करनम भसाअँनत सहद ॥
वपतसा कबोवप करविसाल गहत कर, बमंधस बधन कद धसाविघ ।
मसातस कहघ कन्यसा कर दख
स , जनन बमगथनन जनन आविहस ।
जर आविहस तर मसरसल-मधसर-धसनन, मबो जनन कसान ससनसाविहस ॥
मन कम बचन कहनत हद ससाअँचम, मत मन तसमहहमं लगसायर ।
ससरदसास प्रभस अमंतरजसामम, कयर न करर मन भसायर ॥2॥
कसाकर कसाकर मख
स मसाई बसातनन कद गहहयघ ॥
पसाअँत कक ससात लगसायर, झसठछ झसठछ कघ बनसायर, ससाअँचम जर तनक हबोइ, तरलद सब सहहयघ ॥
बसातनन गह्यर अकसास, ससनत न आविघ ससाअँस, बबोसल तर कछस न आविघ,तसातत मरन गहहयघ ।
ऐसत कहत नर नसारर, बबनसा भमनत गचतकसारर, कसाहध कक दध खध मत कसान्ह कहसा कहर कहहयघ ॥
घर घर यहघ घघर, बथ
क सा मबोसद करघ बघर यह ससनन स्ररन, हहरदय दहहए ।
ससरदसास बरु उपहसास हबोइ ससर मघरत, नअँद कक ससविन समलघ तर पघ कहसा चहहयघ ॥6॥
सत
स सा लए जननम समझ
स साविनत ।
समंग बबहटननअनन कत समसल खधलर, स्यसाम-ससाथ ससनस-ससनन ररस पसाविनत ।
जसातस ननमंदसा हबोइ आपनम,जसातत कसल कद गसारबो आविनत ।
सनस न लसाडलबो कहनत यह तबोसत, तबोकक यसातत ररस करर धसाविनत ॥
अब समसझम मत बसात सबनन कक, झसठत हह यह बसात उडसाविनत ।
ससरदसास ससनन ससनन यध बसातस , रसाधसा मन अनत हरष बढसाविनत ॥4॥
ककष्ण दशर्धन
रसाधसा जल बबहरनत सखखयनन सअँग ।
गमवि-प्रजमंत नमर मघ ठसाढह, नछरकनत जल अपनत अपनत रमं ग ॥
मसख भरर नमर परसपर डसारनतमं, सबोभसा अनतहहमं अनसप बढह तब ।
मनहस चमंद-मन ससधसा गअँडसषनन, डसारनत हत आनमंद भरध सब ॥
आई ननकसस जसानस कहट लद सब, अअँजरस रनन तत लघ लघ जल डसारनतमं ।
मसानहस ससर कनक-बल्लह जसरर अमत
क -बसअँद पविन-समस झसारनतमं ॥1॥
जमन
स सा-जल बबहरनत ब्रज-नसारह ।
तट ठसाढध दध खत नअँद-नमंदन, मधसरर मसरसल कर धसारह ॥
मबोर मसकसट, स्रविननन मनन कमंस डल, जलज-मसाल उर भ्रसाजत ।
ससमंदर ससभग स्यसाम तन नवि घन, बबच बग पसाअँनत बबरसाजत ॥
उर विनमसाल सम
स न बहस भसाअँनतनन, सधत, लसाल, ससत,पमत ।
मनहस ससरसरह तट बघठध ससक, बरन बरन तकज भमत ॥
पमतसामंबर कहट तट छसद्रसाविसल, बसाजनत परम रससाल ।
सरस दसास मनस कनकभसस म हढिग, बबोलत रुगचर मरसाल ॥2॥
सन
स हस सखम रसाधसा सररकबो हघ ।
जबो हरर हघ रनतपनत मनमबोहन, यसाकर मसख सबो जबोहघ ॥
जघसर स्यसाम नसारर यह तघसम, ससमंदर जबोरह सबोहघ ॥
यह द्विसादस बहऊ दस द्विघ कर, ब्रज-जसचनतनन मन मबोहघ ॥
मत इनकद घहट बहढ नहहमं जसाननत, भधद करघ सबो कबो हघ ॥
सरस स्यसाम नसागर, यह नसागरर, एक प्रसान तन दबो हघ ॥18॥
सघन दघ नसागरह गई बन कद ।
तबहहमं कर-करर हदयर डसारर, रहह सकघ, ग्विसाल जसवित तजध, मबोह्यर उनकद ॥
चलध अकसलसाइ बन धसाइ, ब्यसाई गसाइ दध खखहद जसाइ, मन हरष ककन्हर ।
वप्रयसा ननरखनत पमंथ, समलत कब हरर कमंत, गए इहहमं अमंत हअँसस अमंक लहन्हर ।
अनतहहमं ससख पसाइ, अतरस साइ समलध धसाइ दबोउ, मनर अनत रमं क नविननगधहहमं पसाई ।
ससर प्रभस कक वप्रयसा रसागधकसा अनत नविल, नविल नअँदलसाल कध मनहहमं भसाई ॥5॥
करनत अविसधर बष
क भसानस-नसारह ।
प्रसात तघ गई, बसासर गयर बमनत सब , जसाम ननसस गई, धद कहसा बसारबो ॥
हसार कत तसास मत, कअँस विरर तसासम बहसत, नतहहमं डरनन अजहसअँ नसाहह सदन आई ।
कहसाअँ मत जसाऊअँ, कह धद रहह रूसस कत, सखखनन सद कहनत कहसअँ समलह मसाई ॥
हसार बहह जसाइ , अनत गई अकसलसाइ कत, ससतसा कघ नसाउअँ इक विहघ मधरत ।
सरस यह बसात जर सन
स त अबहहमं महर, कहत मबोहहमं यघ ढिमं ग तधरध ॥10॥
रसाधसा डर डरसानत घर आई ।
दध खत हहमं ककरनत महतसारह, हरवष, कसअँविरर उर लसाई ॥
धमरज भयर ससतसा-मसातसा कजय, दरस र गयर तनस-सबोच ।
मधरह कद मत कसाहत तसासम, कहसा ककयर यह पबोच ॥
लघ रह मघयसा हसार मबोनतसरह, जसा कसारन मबोहहमं तसासम ।
ससर रसागधकसा कध गसन ऐसध, समसल आई अबबनसासम ॥11॥
अदत
स एक अनसपम बसाग ।
जग
स ल कमल पर गज बर ककडत, तसापर ससमंह करत अनरस साग ।
हरर पर सरबर, सर पर गगररविर , गगर पर फसलध कमंज-परसाग ।
रुगचर कपबोत बसत तसा ऊपर, तसा ऊपर अमत
क फल लसाग ।
फल पर पसहसप, पसहसप पर पल्लवि, तसा पर ससक, वपक, मग
क मद कसाग ।
खमंजन, धनसष, चमंद्रमसा ऊपर, तसा ऊपर एक मननधर नसाग ।
अमंग-अमंग प्रनत और-और छबब, उपमसा तसाकद करत न त्यसाग ।
ससरदसास प्रभस वपयर ससधसा-रस, मसानर अधरनन कध बड भसाग ॥9॥
भसज भरर लई हहरदय लसाइ ।
बबरह ब्यसाकसल दध खख बसालसा, नघन दबोउ भरर आइ ॥
रघ नन बसासर बमचहह मत, दबोउ गए मसरझसाइ ।
मनर बच्
क छ तमसाल बधलह, कनक ससधसा ससमंचसाइ ॥
हरष डहडह मसससकक फसलध, प्रधम फलनन लगसाइ ।
कसाम मसरझनन बधलह तरु कक, तसरत हह बबसरसाइ॥
दध खख लसलतसा समलन विह, आनमंद उर न समसाइ ।
ससर कध प्रभस स्यसाम स्यसामसा, बतबबध तसाप नससाइ ॥10॥
यह भष
क भसानस-ससतसा विह कबो हघ ।
यसाकक सरर जवि
स तम कबोउ नसाहहमं, यह बतभवि
स न-मन मबोहघ ॥
अनत आतसर दध खन कद आविनत, ननकट जसाइ पहहचसानद ।
ब्रज मत रहनत ककधद कहसअँ ओरघ , बसझध तत तब जसानद ॥
यह मबोहहनम कहसाअँ तत आई, परम सलबोनम नसारह ।
ससर स्यसाम दध खत मसससकयसानम, करह चतसरई भसारह॥3॥
मथसरसा तत यध आई हत ।
कछस समंबमंध हमसारह इनसद, तसातत इनहहमं बसलसाई हत ॥
लसलतसा समंग गई दगध बसचन, उनहहमं इनहहमं गचन्हसाई हत ।
उहघ सनधह जसानन रह सजनम, आजस समलन हम आई हत ॥
तब हह कक पहहचसानन हमसारह,ऐसम सहज ससभसाई हत ।
ससरदसास मबोहहमं आवित दध खम, आपस समंग उहठ धसाई हत ॥5॥
इनकद ब्रजहहमं कयद न बसलसाविहस ।
कक विष
क भसान पसरसा, कक गबोकसल, ननकटहहमं आनन बससाविहस ॥
यधऊ नविल नविल तसमहसअँ हर, मबोहन कद दबोउ भसाविहस ।
मबोकद दध खख ककयर अनत घसअँघट, बसाहत न लसाज छसडसाविहस ।
यह अचरज दध ख्यर नहहमं कबहसअँ, जवि
स नतहहमं जवि
स नत दरस साविहस ।
ससर सखम रसाधसा सद पसनन पसनन, कहनत जस हमहहमं समलसाविहस ॥6॥
धनन बष
क भसानस-ससतसा बड भसागगनन ।
कहसा ननहसारनत अमंग-अमंग छबब, धण्य स्यसाम-अनसरसागगनन ॥
और बतयसा नख सशख ससमंगसार सकज, तधरघ सहज न पसरत ।
रनत, रमं भसा, उरबसम, रमसा सम, तबोहहमं ननरखख मन झसरघ ॥
यध सब कमंत ससहसागगनन नसाहहमं, तस हघ कमंत-वपयसारह ।
ससर धन्य तधरह ससमंदरतसा, तबोसम और न नसारह ॥7॥
सअँग रसाकजत बष
क भसानस कसमसारह ।
कमंस ज-सदन कससम
स नन सधज्यसा पर दमं पनत सबोभसा भसारह ॥
आलम भरध मगन रस दबोउ, अमंग-अमंग प्रनत जबोहत ।
मनहसअँ गरर स्यसामल ससस नवि तन, बघठध सन्मसख सबोहत ॥
कमंस ज भविन रसाधसा-मनमबोहन, चहसअँ पसास ब्रजनसारह ।
ससर रहहमं लबोचन इकटक करर, डसारनतमं तन मन विसारह ॥8॥
खमंडडतसा प्रकरण
कसाहध कद कहह गए आइहत, कसाहत झसठछ सर हत खसाए ।
ऐसध मत नहहमं जसानध तसमकद, जध गसन करर तसम प्रगट हदखसाए ।
भलह करह यह दरसन दहन्हध , जनम जनम कध तसाप नससाए ।
तब गचतए हरर नतकस नतयसा-तन, इतनघहह सब अपरसाध समसाए ॥
ससरदसास ससमंदरह सयसानम, हअँसस लहन्हस वपय अमंकम लसाए ॥1॥
नमंद-नअँदन ससखदसायक हत ।
नघन सघन दघ हरत नसारर मन, कसाम कसाम-तनस दसायक हत ॥
कबहसअँ रघ नन बसत कसाहस कत, कबहसअँ भबोर उहठ आवित हत ।
कसाहस कर मन आपस चसरसावित, कसाहस कत मन भसावित हत ॥
कसाहस कत जसागत सगरह ननसस, कसाहसअँ वविरह जगसावित हत ।
ससनहस ससर जबोइ जबोइ मन भसाविघ, सबोइ सबोइ रअँ ग उपजसावित हत ॥4॥
ससनन रह सयसानम नतय रूससबध कर नधम सलयर, पसाविस हदननन कबोऊ ऐसर हघ करत रह ।
हदसस हदसस घटसा उठछ समलह रह वपयसा सद रूठछ, ननडर हहयर हघ तधरद नतकस न सरत रह ॥
चसलए रह मधरह प्यसारह, मरकद मसान दध न हसारह, प्रसानहसअँ तत प्यसारध पनत धमर न धरत रह ।
ससरदसास प्रभस तबोहहमं हदयर चसाहघ हहत-बबत, हअँसस कयद न समलघ तधरर नधम हघ टरत रह ॥5॥
बधरस ककजघ नसाहहमं भसासमनम, मत ररस कक बसात ।
हद पठई तबोहहमं लधन ससाअँविरत, तबोहहमं बबनस कछस न ससहसात ॥
हसा हसा करर तधरध पसाइअँ परनत हद, नछनस नछनस ननसस घहट जसात ।
ससर स्यसाम तधरर मग जबोवित, अनत आतसर अकसलसात ॥6॥
नमंद नअँदन बष
क भसानस ककसबोरह, मबोहन रसाधसा खधलत हबोरह ।
श्रमबमंद
क साविन अनतहहमं उजसागर, बरन बरन नवि दमं पनत भबोरह ॥
एकनन कर हघ अगरु कसमकसमसा , एकनन कर कधसरर लघ घबोरह ।
एक अथर्ध सद भसावि हदखसाविनत, नसाचनत तरुनन बसाल बध
क भबोरह ॥
स्यसामसा उतहहमं सकल ब्रज-बननतसा, इतहहमं स्यसाम रस रूप लहबो रह ।
कमंचन कक वपचकसारह छसटनत, नछरकत ज्यद सचसपसावित गबोरह ॥
अनतहहमं ग्विसाल दगध गबोरस मसातध, गसारह दध त कहर न करर रह ।
करत दह
स साइ नमंदरसाइ कक, लघ जस गयर कल बल छल जबोरह ॥
झमंड
स नन जबोरर रहह चमंद्रसाविसल, गबोकसल मत कछस खधल मच्यर रह ।
ससरदसास -प्रभस फगसआ दहजघ, गचरजमविर रसाधसा बर जबोरह ॥6॥
ककष्ण जब गरु
स समंदहपन कध यहसाअँ जसानसाजनर्ध कध सलयध गए थध तब उन्हस बजर्ध कक यसाद सतसातम थम। विहसाअँ उनकसा एक हह समत थसा उदवि, विह सदघ वि
रहत-किनमनत कक, ननगसणरर बह्मर्ध आघर यबोग कक बसातस करतसा थसा। तबो उन्हस गचन्तसा हसई कक यह समंससार मसात वविररकतयसकत ननगसणरर बह्मर्ध सध तबो
चलधगसा नहहमं, इसकध सलयध वविरह आघर प्रधम कक भम आविश्यकतसा हघ । आघर अपनध इस समत सध विध उकतसानध लगध थध कक यह सदघ वि कहतसा हघ , करन
मसातसा, करन वपतसा, करन सखसा, करन बमंधस। विध सबोचतध इसकसा सत्य ककतनसा अपसणरर आघर भिररसामक हघ । भलसा कहसाअँ यशबोदसा आघर नमंद जघसध
मसातसा-वपतसा हबोनध कसा ससख आघर रसाधसा कध ससाथ बमतध पलक कसा आनमंद। आघर तमनक लबोकक मस बजर्ध कध गबोप-गबोवपयक कध ससाथ समलकर खधलनध जघससा
सख
स कहसाअँ? ऐससा नहहमं हघ कक द्विसारसा उदवि कबो बजर्ध समंदधस लधकर भधजतध समय ककष्ण समंशय मस न थध, विध स्व्यमं सबोच रहध थध यह कघसध समंदधस लध
जसाएगसा जबो कक प्रधम कसा ममरर हह नहहमं समझतसा, कबोरसा बह्मर्धजसार्धन झसाडतसा हघ ।
तबहह उपमंगससत आई गए।
सखसा सखसा कछस अमंतर नसाहहमं, भरर भरर अमंक लए।।
अनत ससन्दर तन स्यसाम सरहखबो, दध खत हहर पछतसानध ।
ऐसध कत विघसम बसधम हबोतम, बजर्ध पठऊमं मन आनध।।
यसा आगत रस कथसा प्रकसासद, जबोग कथसा प्रकटसाऊमं।
ससर जसान यसाकर दृढ ककरकध, जसविनतन्ह पसास पठसाऊमं॥2॥
तभम उपमंग कध पसत उदवि आ जसातध हत। ककष्ण उन्हस गलध लगसातध हत।
दबोनक सखसाआस मस खसास अन्तर नहहमं। उदवि कसा रमं ग-रूप ककष्ण कध समसान हह हघ । पर ककष्ण उन्हस दध ख कर पछतसातध हत कक इस मधरध समसान
रूपविसान यसविक कध पसास कसाश, प्रधमपसणरर बसवद भम हबोतम। तब ककष्ण मन बनसातध हत कक कयक न उदवि कबो बजर्ध समंदधस लधकर भधजसा जसाए, समंदधस भम
पहसअँच जसाएगसा आघर इसध प्रधम कसा पसाठ गबोवपयसाअँ भलह भसाअँकित पढसा दस गम। तब यह जसान सकधगसा प्रधम कसा ममरर।
उधर उदवि सबोचतध हत कक विध वविरह मस जल रहह गबोवपयक कबो ननगसणरर बह्मर्ध कध प्रधम कक सशक्षसा दध कर उन्हस इस ससामंससाररक प्रधम सध कक पमडसा
मसककत सध मसककत हदलसा दस गध। ककष्ण मन हह मन मसस्कसा कर उन्हस अपनसा पत थमसातध हत कक दध खतध हत कक करन ककसध कयसा ससखसा कर आतसा हघ ।
उदवि पत गबोवपयक कबो दध दध तध हत आघर कहतध हत कक ककष्ण नध कहसा हघ कक -
सन
स र गबोपम हहर कर समंदधस।
ककर समसागध अमंतर गनत ध्यसाविहस, यह उनकबो उपदध स।।
विघ अवविगत अवविनसासम पसरन, सब घट रहध समसाई।
तत्विजसान बबनस मसककत नहहमं, विधद पसरसाननन गसाई।।
सगन
स रूप नतज ननरगन
स ध्यसाविहस, इक गचत्त एक मन लसाई।
विह उपसाई ककर बबरह तरर तसम, समलध बह्मर्ध तब आई।।
दस
स ह समंदधस ससन मसाधर कबो, गबोवप जन बबलखसानम।
ससर बबरह कक करन चलसाविघ, बसडडतमं मनस बबन पसानम॥3॥
हध गबोवपयक, हहर कसा समंदधस ससनबो। उनकसा यहह उपदध स हघ कक समसागध लगसा कर अपनध मन मस ननगसणरर ननरसाकसार बह्मर्ध कसा ध्यसान करबो। यह
अजधय, अवविनसाशम पसणरर सबकध मन मस बससा हघ । विधद पसरसाण भम यहह कहतध हत कक तत्विजसान कध बबनसा मकस कत समंभवि नहहमं। इसम उपसाय सध तम
स
वविरह कक पमडसा सध छसटकसारसा पसा सकबोगम। अपनध ककष्ण कध सगसण रूप कबो छबोड उनकध बह्मर्ध ननरसाकसार रूप कक अरसाधनसा करबो। उदवि कध मसख सध
अपनध वप्रय कसा उपदध श ससन प्रधममसागमरर गबोवपयसाअँ व्यगथत हबो जसातम हत। अब वविरह कक कयसा बसात विध तबो बबन पसानम पमडसा कध अथसाह ससागर डसब
गई।
तभम एक भमर्धर विहसाअँ आतसा हघ तबो बस जलह-भन
स म गबोवपयक कबो मरकसा समल जसातसा हघ आघर विह उदवि पर कसालसा भमर्धर कह कर खसब कटसाक्ष करतम
हत।
रहस रध मधसकर मधस मतविसारध ।
करन कसाज यसा ननरगसन सद, गचरजमविहस कसान्ह हमसारध ।।
लबोटत पमत परसाग ककच मस , बमच न अमंग सम्हसारघ ।
भसारम्बसार सरक महदरसा कक, अपरस रटत उघसारध ।।
तसम जसानत हबो विघसम ग्विसाररनम, जघसध कसससम नतहसारध ।
घरह पहर सबहहनम बबरनसावित, जघसध आवित कसारध ।।
ससमंदर बदन, कमल-दल लबोचन, जससमनत नमंद दल
स सारध ।
तन-मन ससर अररप रहहमं स्यसामह,कि कसा पघ लधहहमं उधसारघ ॥4॥
गबोवपयसाअँ भमर्धर कध बहसानध उदवि कबो ससनसा-ससनसा कर कहतम हतर र हध भमंविरध । तसम अपनध मधस पमनध मस व्यस्त रहबो, हमस भम मस्त रहनध दबो। तसम्हसारध
इस ननरगसण सध हमसारसा कयसा लधनसा-दध नसा। हमसारध तबो सगसण ससाकसार कसान्हसा गचरमं जमविम रहस । तसम स्वियमं तबो परसाग मस लबोट लबोट कर ऐसध बधससध हबो
जसातध हबो कक अपनध शरहर कक सध
स नहहमं रहतम आघर इतनसा मधरस स पम लधतध हबो कक सनक कर रस कध वविरुद हह बसातस करनध लगतध हबो। हम
तसम्हसारध जघसम नहहमं हत कक तसम्हसारह तरह फसल-फसल पर बहकस, हमसारसा तबो एक हह हघ कसान्हसा जबो ससन्दर मसख विसालसा, नमलकमल सध नयन विसालसा
यशबोदसा कसा दल
स सारसा हघ । हमनध तबो उन्हहमं पर तन-मन विसार हदयसा हघ अब ककसम ननरगसण पर विसारनध कध सलयध तन-मन ककससध उधसार लस ?
उधर जबोग ससखसाविनन आए।
सग
मं क म भस्म अथसारह मसदिररसा, दघ बजर्धनसाथ पठसाए।।
जबो पघ जबोग सलख्यर गबोवपन कर, कत रस रसास खखलसाए।
तब हह कयक न जसान उपदध स्यर, अधर ससधसारस लसाए।।
मसरलह शब्द ससनत बन गविननमं, ससत वपतगह
क बबसरसाए।
सरस दसास समंग छसामंकिड स्यसाम कर, हमहहमं भयध पछतसाए॥5॥
गबोवपयसाअँ कहतम हतर र हध सखख! आआध, दध खबो यध श्यसाम ससन्दर कध सखसा उदवि हमस यबोग ससखसानध आए हत। स्वियमं बजर्धनसाथ नध इन्हस श्रमंग
क म, भस्म,
अथसारह आघर मसदिररसा दध कर भधजसा हघ । हमस तबो खधद हघ कक जब श्यसाम कबो इन्हस भधजनसा हह थसा तबो, हमस अदभसत रसास कसा रसमय आनमंद कयक हदयसा
थसा? जब विध हमस अपनध अथरक कसा रस वपलसा रहध थध तब यध जसान आघर यबोग कक बसातस कहसाअँ गई थममं? तब हम श्रम ककष्ण कक मसरलह कध स्विरक मस
ससधबसध खबो कर अपनध बच्चक आघर वपत कध घर कबो भसलसा हदयसा करतम थममं। श्यसाम कसा ससाथ छबोडनसा हमसारध भसाग्य मस थसा हह तबो हमनध उनसध प्रधम
हह कयक ककयसा अब हम पछतसातम हत।
मधसबनम लबोगग कबो वपतयसाई।
मसख आघरघ अमंतरगनत आघरघ, वपतयसाअँ सलख पठवित जस बनसाई।।
ज्यद कबोयल ससत कसाग कजयसाविघ, भसावि भगनत भबोजन जस खविसाई।
कसहसकक कसहसकक आएमं बसमंत ररतस, अमंत समलघ अपनध कसल जसाई।।
ज्यद मधक
स र अम्बसजरस चसाख्यर, बहसरर न बसझध बसातस आई।
ससर जहसाअँ लगग स्यसाम गसात हत, नतनसद ककजघ कहसा सगसाई॥6॥
कबोई गबोपम उदवि पर व्यमंग्य करतम हघ ।मथसरसा कध लबोगक कसा करन वविश्विसास करध ? उनकध तबो मसख मस कसछ आघर मन मस कसछ आघर हघ । तभम तबो एक
आधर हमस स्नधहहल पत सलख कर बनसा रहध हत दस
स रह आधर उदवि कबो जबोग कध समंदधस लधकध भधज रहध हत। कजस तरह सध कबोयल कध बच्चध कबो करआ
प्रधमभसावि सध भबोजन करसा कध पसालतसा हघ आघर बसमंत ररतस आनध पर जब कबोयलस कसकतम हत तब विह भम अपनम बबरसादरह मस जसा समलतसा हघ आघर
कसकनध लगतसा हघ । कजस प्रकसार भमंविरसा कमल कध परसाग कबो चखनध कध बसाद उसध पसछतसा तक नहहमं। यध ससारध कसालध शरहर विसालध एक सध हत, इनसध
सम्बमंध बनसानध सध कयसा लसाभ?
ननरगसन करन दध स कबो विसासम।
मधक
स र ककह समझ
स साई सदह दघ , बसझनतमं ससामंकिच न हसामंसम।।
कबो हघ जनक, करन हघ जननन, करन नसारर करन दसासम।
कघसध बरन भधष हघ कघसबो, ककहमं रस मत असभलसाषम।।
पसाविघगबो पसनन ककयर आपनबो, जबो रध करध गर गसामंसम।
ससनत मरन हविघ रहयर बसाविरबो, ससर सबघ मनत नसासम॥6॥
अब गबोवपयक नध तकरर ककयसारर हसाअँ तबो उदवि यह बतसाआध कक तसम्हसारसा यह ननगसणर्ध ककस दध श कसा रहनध विसालसा हघ ? सच सरगमंध दध कर पसछतध हत, हमं सम
कक बसात नहहमं हघ । इसकध मसातसा-वपतसा, नसारह-दसासम आखखर करन हत? कघससा हघ इस ननरगसण कसा रमं ग-रूप आघर भधष? ककस रस मस उसकक ररुच हघ ?
यहद तसमनध हमसध छल ककयसा तबो तसम पसाप आघर दमं ड कध भसागम हबोगध। ससरदसास कहतध हत कक गबोवपयक कध इस तकरर कध आगध उदवि कक बसवद कमंस द हबो
गई। आघर विध चप
स हबो गए। लधककन गबोवपयक कध व्यमंग्य खत्म न हसए विध कहतम रहहमं -
जबोग ठगररह बजर्ध न बबकघहध ।
मसरर कध पसानतन कध बदलघ, कर मसकतसाहल दध हघ।।
यह ब्यरपसार तम्
स हसारबो उधर, ऐसध हह धरयर रध हघ।
कजन पस तत लघ आए उधर, नतनहहमं कध पधट समतहघ।।
दसाख छसामंकिड कध कटसक ननम्बररह, कर अपनध मसख दध हघ।
गसन ककर मबोहह ससर ससाअँविरध , कर ननरगसन ननरविधहघ॥8॥
हध उदवि यध तसम्हसारह जबोग कक ठगवविद्यसा, यहसाअँ बजर्ध मस नहहमं बबकनध कक। भलसा मसलह कध पत्तक कध बदलध मसाणक मबोतम तसम्हस करन दध गसा? यह
तम्
स हसारसा व्यसापसार ऐसध हह धरसा रह जसाएगसा। जहसाअँ सध यध जबोग कक वविद्यसा लसाए हबो उन्हस हह विसापस ससखसा दबो, यह उन्हहमं कध सलयध कउचत हघ । यहसाअँ
तबो कबोई ऐससा बधविकसफ नहहमं कक ककशसमश छबोड कर कडविम ननमंबरलह खसाए! हमनध तबो ककष्ण पर मबोहहत हबोकर प्रधम ककयसा हघ अब तसम्हसारध इस
ननरगसण कसा ननविसाहर्ध हमसारध बस कसा नहहमं।
कसाहध कबो रबोकत मसारग सध
स बो।
ससनहस मधसप ननरगसन कमंटक तघ, रसाजपमंथ कयद रूमंथर।।
कघ तसम ससखख पठए हबो कसब्जसा, कहयबो स्यसामघनहसमं धद।
विधद-पसरसान ससमनक त सब ढिसमंढिक, जसविनतनम जबोग कहसअँ धद।।
तसाकबो कहसामं परतखक कक जध, जसानध छसाछ न दध
स र।
सरस मरस अकसर गयर लघ, ब्यसाज ननविघरत उधर॥9॥
गबोवपयसामं गचढ कर पसछतम हत कक कहहमं तसम्हस कसबजसा नध तबो नहहमं भधजसा? जबो तसम स्नधह कसा समधसा ससाधसा रसास्तसा रबोक रहध हबो। आघर रसाजमसागरर कबो
ननगसणरर कध कसामंटध सध अविरुद कर रहध हबो! विधद-पसरसान, स्मनक त आहद गररमं थ सब छसान मसारबो कयसा कहहमं भम यसविनतयक कध जबोग लधनध कक बसात कहह
गई हघ ? तसम जरूर कसब्जसा कध भधजध हसए हबो। अब उसध कयसा कहस कजसध दध
स आघर छसाछ मस हह अमंतर न पतसा हबो। ससरदसास कहतध हत कक मसल तबो अकसर
जम लध गए अब कयसा गबोवपयक सध ब्यसाज लधनध उदवि आए हत?
उधर मन नसा भए दस बमस।
एक हसतर सर गयर स्यसाम समंग, कबो आरसाधध ईस।।
इमंदिररम ससगथल भई कधसवि बबनस, ज्यद दध हह बबनस समस।
आससा लसागग रहहत तन स्विसाससा, जमविहहमं कबोहट बरहस।
तसम तर सखसा स्यसाम ससमंदर कध, सकल जबोग कध ईस।
सरस हमसारघ नमंद-नमंदन बबनस, आघर नहहमं जगदहस॥10॥
अब थक हसार कर गबोवपयसाअँ व्यमंग्य करनसा बमंद कर उदवि कबो अपनध तन मन कक दशसा कहतम हत। उदवि हतप्रभ हत, भककत कध इस अदभसत
स्विरूप सध। हध उदवि हमसारध मन दस बमस तबो हत नहहमं, एक थसा विह भम श्यसाम कध ससाथ चलसा गयसा। अब ककस मन सध ईश्विर कक अरसाधनसा करस ?
उनकध बबनसा हमसारह इमंकिदयसार सशगथल हत, शरहर मसानबो बबनसा ससर कसा हबो गयसा हघ , बस उनकध दरशन कक क्षमण सम आशसा हमस करबोडक विषरर
जमववित रखधगम। तसम तबो कसान्ह कध सखसा हबो, यबोग कध पसणरर जसातसा हबो। तसम ककष्ण कध बबनसा भम यबोग कध सहसारध अपनसा उदसार कर लबोगध। हमसारसा
तबो नमंद कसमसार ककष्ण कध ससविसा कबोई ईश्विर नहहमं हघ ।
गबोपम उदवि समंविसाद कध ऐसध कई कई पद हत जबो कटसाक्षक, वविरह दशसाआस, रसाधसा कध वविरह आघर ननरगसण कसा वपरहसास आघर तकरर-कसतकरर व्यकत
करतध हत। सभम एक सध एक उत्तम हत पर यहसाअँ सममसा हघ लधख कक।
अमंततदुः गबोवपयसाअँ रसाधसा कध वविरह कक दशसा बतसातम हत, बजर्ध कध हसाल बतसातम हत। अमंततदुः उदवि कसा ननरगसण गबोवपयक कध प्रधममय सगसण पर हसाविम हबो
जसातसा हघ आघर उदवि कहतध हत -
अब अनत चककतविमंत मन मधरर।
आयर हबो ननरगसण उपदध सन, भयर सगन
स कबो चघरर।।
जबो मत जसान गहयर गमत कबो, तसमहहमं न परस्यद नधरर।
अनत अजसान कछस कहत न आविघ, दत
स भयर हहर कघरर।।
ननज जन जसानन-मसानन जतननन तसम, ककन्हबो नधह घनधरर।
ससर मधसप कउठ चलध मधसपसरह, बबोरर जग कबो बधरर॥11॥
ककष्ण कध प्रनत गबोवपयक कध अनन्य प्रधम कबो दध ख कर उदवि भसावि वविभबोर हबोकर कहतध हतर र मधरसा मन आश्चयचर्धककत हघ कक मत आयसा तबो ननगसणर्ध
बह्मर्ध कसा उपदध श लधकर थसा आघर प्रधममय सगसण कसा उपसासक बन कर जसा रहसा हसअँ। मत तसम्हस गमतसा कसा उपदध श दध तसा रहसा, जबो तसम्हस छस तक न
गयसा। अपनम अजसानतसा पर लकज्जत हसअँ कक ककसध उपदध श दध तसा रहसा जबो स्वियमं लहलसामय हत। अब समझसा कक हहर नध मसझध यहसाअँ मधरह अजसानतसा
कसा अमंत करनध भधजसा थसा। तम
स लबोगक नध मझ
स ध जबो स्नधह हदयसा उसकसा आभसारह हसअँ। सरस दसास कहतध हत कक उदवि अपनध यबोग कध बधडध कबो गबोवपयक कध
प्रधम ससागर मस डसबबो कध, स्वियमं प्रधममसागरर अपनसा मथसरसा लरट गए।