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ॐ सससांई रसम!!!

शश दससगणण महसरसज ककत

शश सससांईनसथ स्तवन मसांजरर~~

हहन्दर अनणगसयन

ठसकणर भभपतत सससांह

॥ॐ शश गणणेशसय नममः॥

॥ॐ शश सससांईनसथसय नममः॥

मयभरणेश्वर जय सवसर्वाधसर। सवर्वा ससकश हणे गगौररकणमसर।

अचचिन्त्य सरूप हणे लसांबबोदर। रकस करबो मम,ससदणेश्वर॥1॥

सकल गणणण कस तभसां हह स्वसमश। गण्पतत तभसां हह अन्तरयसमश।

अखखिल शसस्त गसतणे तव महहमस। भसलचिन्द मसांगल गज वदनस॥2॥

मसम शसरदणे वसग ववलससनश। शब्द-स्रषषष कक अखखिल स्वससमनश।

जगज्जननश तव शषकत अपसर। तणझसणे अखखिल जगत व्यवहसर॥3॥


कववयण कक तसांभ शषकत प्रदसतश। ससरणे जग कक भष
भ ण दसतश।

तणेरणे चिरणण कणे हम बसांदणे। नमबो नमबो मसतस जगदम्बणे॥4॥

पभणर्वा ब्रह्म हणे सन्त सहसरणे । पसांढ़ररनसथ रूप तम


ण धसरणे ।

करूणससससांधण जय दयसतनधसन। पससांढ़णरसां ग नरसससांह भगवसन॥5॥

ससरणे जग कस सत
भ धसर तसां।भ इस ससांस्रतत कस सरण सधसर तसां।भ

करतणे शसस्त तणम्हसरस चचिसांतन। तत त स्वरूप मम रमतणे तनशहदन॥6॥

जबो कणेवल पबोथश कणे जसनश । नहरसां पसतणे तझ


ण कबो वणे प्रसणश।

बणवदहरन प्रगषसयणे वसणश। व्यथर्वा वववसद करम अजसनश॥7॥

तणझकबो जसनतणे सच्चिणे ससांत। पसयणे नहरसां कबोई भश असांत।

पद-पसांकज मम ववनत प्रणसम। जयतत-जयतत सशरडश घनश्यसम॥8॥

पसांचिवकत सशवशसांकर जय हबो। प्रलयसांकर अभ्यसांकर जय हबो।

जय नशलकण्ठ हणे हदगसांबर। पशणपततनसठ कणे प्रणव स्वरस॥9॥

ह्रदय सणे जपतस जबो तव नसम। उसकणे हबोतणे पभणर्वा सब कसम।

सससांई नसम महस सणखिदसई। महहमस व्यसपक जग मम छसई॥10॥


पदसरववन्द मम करूसां प्रणसम। स्तबोत सलखिभसां प्रभण तणेरणे नसम।

आशशष वषसर्वा करबो नसथ हणे । जगतपतत हणे भबोलणेनसथ हणे ॥11॥

दत्तसतणेय कबो करूसां प्रणसम। ववषणण नसरसयण जबो सणखिधसम।

तणकसरसम सणे सन्तजनण कबो। प्रणसम शत शत भकतजनण कबो॥12॥

जयतत-जयतत जय जय सससांई नसथ हणे । रकक तभसां हर दरनदयसल हणे ।

मणझकबो कर दबो प्रभण सनसथ। शरणसगत हभसां तणेरणे द्वसर हणे ॥13॥

तभसां हह पभणर्वा ब्रह्म भगवसन। ववषणण पणरूषबोत्तम तभसां सणखिधसम।

उमसपतत सशव तभसां तनषकसम। थस दहन ककयस नसथ नणे कसम॥14॥

नरसकसर तभसां तभसां हह परमणेश्वर। जसन-गगन कस अहबो हदवसकर।

दयससससांधण तभसां करूणस-आकर। दलन-रबोग भव-मभल सणधसकर॥15॥

तनधर्वान जन कस चचिन्तसमखण तभसां। भकत-कसज हहत सणरसणरर जम तभसां।

भवससगर हहत नगौकस तभसां हह । तनरसचशतण कस आशय तभसां हह ॥16॥

जग-कसरण तभसां आहद ववधसतस। ववमलभसव चिहतन्य प्रदसतस।

दरनबसांधण करूणसतनचध तसतस। ककङस तणेरर अदभणत दसतस॥17॥

तभसां हह अजन्मस जग तनमसर्वातस। तभसां मत्क यणसांजय कसल-ववजणेतस।


एक मसत तभसां जणेय-तत्व हह । सत्य-शबोध सणे रहणे प्रसप्य हह ॥18॥

जबो अजसनश जग कणे वससश। जन्म-मरण कसरस-ग्रहवससश।

जन्म-मरण कणे आप पसर हह । ववभण तनरसां जन जगदसधसर हह ॥19॥

तनझर्वार सणे जल जहसस आयणे। पभवक


र्वा सल सणे रहस समसयणे।

स्वयसां उमसांचगत हबोकर आयणे। षजसनणे खिणद हह स्तबोत बहसयम॥20॥

सशलस तछद सणे ज्यण बह तनकलस। तनझर्वार उसकबो नसम समल गयस।

झर-झर कर तनझर्वार बन छसयस। समथ्यस स्वत्व तछद सणे पसयस॥21॥

कभश भरस और कभश सभखितस। जल तनस्ससांग इसणे नकसरतस।

चचिद शभन्य कबो ससलल न मसनणे। तछद ककन्तण असभमसन बखिसनणे॥22॥

भ्रमवश तछद समझतस जशवन। जल न हबो तबो कहसम हह जशवन।

दयस पसत हह तछद ववचिसर। दम्भ व्यथर्वा उसनणे यण धसरस॥23॥

यह नरदणे ह तछद सम भसई। चिणेतन ससलल शणद स्थसयश।

तछद अससांख्य हणआ करतणे हह। जलकण वहर रहस करतणे हह॥24॥

अतमः नसथ हणे परम दयसघन। अजसन नग कस करनणे वणेधन।

वग्र अस्त करतणे कर धसरण। लरलस सब भकतण कणे कसरण॥25॥


जङत तछद ककतनणे हह ससरणे । भरणे जगत मम जहसणे तसरणे ।

गत हणयणे वतर्वामसन अभश हह। यणग भववषय कणे भशज अभश हह॥26॥

सभन्न-सभन्न यणे तछद सभश हह । सभन्न-सभन्न सब नसम गतत हह ।

पथ
क क-पथ
क क इनकक पहचिसन। जग मम कबोई नहरसां अनजसन॥27॥

चिणेतन तछदण सणे ऊपर हह । "मह तसां"भ अन्तर नहरसां उचचित हह ।

जहससां द्वहत कस लणेश नहरसां हह ।सत्य चिणेतनस व्यसप रहर हह ॥28॥

चिणेतनस कस व्यसपक ववस्तसर। हणआ अससणे पभररत ससांससर।

"तणेरस मणेरस" भणेद अववचिसर। परम त्यसज्य हह बसह्य ववकसर॥29॥

मणेघ गभर्वा मम तनहहत ससलल जबो। जङतमः तनमर्वाल नहरसां सभन्न सबो।

धरतश तल पर जब वह आतस। भणेद-ववभणेद तभश उपजसतस॥30॥

जबो गबोद मम चगर जसतस हह । वह गबोदसवरर बन जसतस हह ।

जबो नसलणे मम चगर जसतस हह । वह अपववत कहलस जसतस हह ॥31॥

सन्त रूप गबोदसवरर तनमर्वाल। तणम उसकणे पसव अववरल जल।

हम नसलणे कणे ससलल मसलनतम। भणेद यहर दबोनण मम कणेवल॥32॥


करनणे जशवन स्वयसां ककतसथर्वा। शरण तणम्हसरर आयणे नसथ।

कर जबोरणे हम शशश झणकसतणे। पसवन प्रभण पर बसल-बसल जसतणे॥33॥

पसत-मसत सणे हह पसवनतस। गबोदस-जल कक अतत तनमर्वालतस।

ससलल सवर्वात तबो एक समसन। कहरसां न हदखितस सभन्न प्रणसम॥34॥

गबोदसवरर कस जबो जलपसत। कहसणे पसवन हणआ वह पसत।

उसकणे पशछणे ममर्वा एक हह । गणणमः दबोष आधसर नणेक हह ॥35॥

मणेघ-गभर्वा सणे जबो जल आतस। बदल नहरसां वह भभ-कण पसतस।

वहर कहलसतस हह भभ-भसग। गबोदसवरर जल पणण्य-सणभसग॥36॥

वन्य भभसम पर चगरस मणेघ जबो। यद्यवप गणण मम रहणे एक जबो।

तनषन्दत बनस वहर कषणखिसरस। गयस भसग्य सणे वह चधककसरस॥37॥

सदगणरू वप्रय पसवन हह ककतनणे। षडड्रिपणओसां कणे जशतस षजननणे।

अतत पणनशत हह गणरू कक छसयस। सशरडश सन्त नसम शणभ पसयस॥38॥

अतमः सन्त गबोदसवरर ज्यण हह । अतत वप्रय हहत भकतण कणे त्यण हह।

प्रसणश मसत कणे प्रसणसधसर। मसनव धमर्वा अवयसां ससकसर॥39॥

जग तनमसर्वाण हणआ हह जब सणे। पणण्यधसर सणरसररतस तब सणे।


सतत प्रवसहहत अववरल जल सणे। रुवदत ककसां चचित हणआ न तल हह ॥40॥

ससयस लखिन ससांग रसम पधसरणे । गबोदसवरर कणे पणण्य ककनसरणे ।

यणग अतशत वह बशत गयस हह । ससलल वहर कयस शणेष रहस हह ॥41॥

जल कस पसत वहरसां कस वह हह । जलचध समसयस पभवर्वा ससलल हह ।

पसवनतस तब सणे हह वहसश। पसत पणरसतन यणग कणे जहसश॥42॥

पभरव ससलल जसतस हह ज्यण हर। नभतन जल आतस हह त्यण हर।

इसश भसमतत अवतसर ररतत हह । यणग-यणग मम हबोतश प्रतशत हह ॥43॥

बहण शतसषब्दयसम ससांवत त सर यण। उन शतकण मम सन्त प्रवर ज्यण।

हबो ससलल सररस सन्त ससकसर। ऊसमर्वाववभभततयससां अपरसां पसर॥44॥

सणरसररतस ज्यण सन्त सण-धसरस। आहद महसयणग लणे अवतसर।

सनक सनन्दन सनत कणमसर। सन्त वन्क द ज्यण बसढ़ अपसरस॥45॥

नसरद तणम्बर पणनमः पधसरणे । धणव प्रहलसद बलर तन धसरणे ।

शबरर असांगद नल हनणमसन। गबोप गबोवपकस बबदरण महसनस॥46॥

सन्त सणसररतस बढ़तश जसतश। शत-शत धसरस जलचध समसतश।

बसढ़म बहण यण यणग-यणग आतश वणर्वान नहरसां वसणश कर पसतश॥47॥


सन्त रूप गबोदसवरर तष पर। कसलयणग कणे नव मध्य प्रहर पर।

भषकत-बसढ़ लणेकर तणम आयणे। 'सससांईनसथ" सन


ण सम तणम कहसयणे॥48॥

चिरण कमल द्वय हदव्य ललसम। प्रभण स्वशकसरण ववनत प्रणसम।

अवगणण प्रभण हह अनचगन मणेरणे। चचित न धरण प्रभण दबोष घनणेरणे॥49॥

मह अजसनश पहहत परण सतन। पसपश दल कस परम सशरबोमणश।

सचि मम कणहषल महसखिलकसमश। मत ठणकरसओसां अन्तरयसमश॥50॥

दबोषश कहसस भश हबो लबोहस। पसरस स्वणर्वा बनसतस चिबोखिस।

नसलस मल सणे भरस अपसवन। सणरसररतस करतश हह पसवन॥51॥

मणेरस मन अतत कलणष भरस हह । नसथ ह्रदय अतत दयस भरस हह ।

ककपसदषषष सणे तनमर्वाल कर दम । झबोलर मणेरर प्रभणवर भर दम ॥52॥

पससस कस ससांग जब समल जसतस। लबोह सणवणर्वा यहद नहरसां बन पसतस।

तब तबो दबोषश पसरस हबोतस। ववरद वहर अपनस हह खिबोतस॥53॥

पसपश रहस यहद प्रभण तव दसस। हबोतस आपकस हर उपहसस।

प्रभण तणम पसरस,मह हभम लबोहस। रसखिबो तणम हर अपनश शबोभस॥54॥


अपरसध करणे बसलक अजसन। कबोध न करतश जननश महसन।

हबो प्रभण प्रणेम पभणर्वा तणम मसतस। ककपसप्रससद दरषजयम दसतस॥55॥

सदगणरू सससांई हणे प्रभण मणेरणे। कल्पवक


क तणम करूणस प्रणेरणे।

भवससगर मम मणेरर नहयस। तभसां हर भगवसन पसर करह यस॥56॥

कसमधणेनभ सम तभसां चचिन्तस मखण।जसन-गगन कस तभसां हह हदनमखण।

सवर्वा गणणण कस तभसां हह आकसर। सशरडश पसवन स्वगर्वा धरस पर॥57॥

पणण्यधसम हह अततशय पसवन। शसषन्तमभततर्वा हह चचिदसनन्दघन।

पभणर्वा ब्रम्ह तणम प्रणव रूप हम । भणेदरहहत तणम जसनसभयर्वा हम ॥58॥

ववजसनमभततर्वा अहबो पणरूषबोत्तम। कमस शसषन्त कणे परम तनकणेतन।

भकत वन्क द कणे उर असभरसम। हण प्रसन्न प्रभण पभरण कसम॥59॥

सदगणरू नसथ मतछन्दर तभसां हह । यबोगश रसज जसलन्धर तभसां हह ।

तनवषक त्तनसथ जसनणेश्वर तभसां हह। कबशर एकनसथ प्रभण तभसां हह ॥60॥

ससवतस बबोधलस भश तभसां हह । रसमदसस समथर्वा प्रभण तभसां हह ।

मसखणक प्रभण शणभ सन्त सणखि तभसां। तणकसरसम हणे सससांई प्रभण तभसां॥61॥

आपनणे धसरणे यणे अवतसर। तत्वतमः एक सभन्न आकसर।


रहस्य आपकस अगम अपसर। जसतत-पसमतत कणे प्रभबो उस पसर॥62॥

कबोई यवन तणम्हम बतलसतस। कबोई ब्रसह्मण तणम्हम जतलसतस।

ककषण चिररत कक महहमस जहसश। लरलस कक हह तणमनणे तहसश॥63॥

गबोपशयससां कहतशसां ककषण कन्हह यस। कहणे 'लसडलणे' यशणमतत महयस।

कबोई कहम उन्हम गबोपसल। चगररधर यदभ


भ भषण नसांदलसल॥64॥

कहम बसांशशधर कबोई ग्वसल। दणे खिणे कसांस ककषण मम कसल।

सखिस उदव कणे वप्रय भगवसन। गणरूवत अजणन


र्वा कणेशव जसन॥65॥

ह्रदय भसव षजसकणे हबो जहसणे। सदगणरू कबो दणे खिणे वह वहसस।

प्रभण तणम अषल रहणे हबो ऐसणे। सशरडश थल मम धणव सम बहठणे॥66॥

रहस मषस्जद प्रभण कस आवसस। तव तछदहरन कणर्वा आभसस।

मणषस्लम करतणे लबोग अनणमसन। सम थणे तणमकबो रसम रहमसन॥67॥

धभनश तव अषग्न ससधनस। हबोतश षजससणे हहन्द भ भसवनस।

"अल्लस मससलक" तणम थणे जपतणे। सशवसम तणमकबो भकत सणमरतणे॥68॥

हहन्द-भ मणषस्लम ऊपरर भणेद। सणभकत दणे खितणे पभणर्वा अभणेद।

नहरसां जसनतणे जसनश ववद्वणेष। ईश्वर एक पर अनचगन वणेष॥69॥


पसरब्रम्ह आप स्वसधशन। वणर्वा जसतत सणे मक
ण त आसशन।

हहन्द-भ मणषस्लम सब कबो प्यसरणे । चचिदसनन्द गणरूजन रखिवसरणे ॥70॥

करनणे हहन्द-भ मषण स्लम एक। करनणे दरभ सभश मतभणेद।

मषस्जद अषग्न जबोङ कर नसतस। लरलस करतणे जन-सणखि-दसतस॥71॥

प्रभण धमर्वा-जसतत-बन्ध सणे हरन। तनमर्वाल तत्व सत्य स्वसधशन।

अनणभवगम्य तणम तकसर्वातशत। गभसांजणे अनहद आत्म ससांगशत॥72॥

समक आपकणे वसणश हसरणे । तकर्वा ववतकर्वा व्यथर्वा बणेचिसरणे ।

पररमतत शबद् हह भसवसभसस। हभसां मह अककसां चिन प्रभण कस दसस॥73॥

यदयवप आप हह शबदसधसर। शब्द बबनस न प्रगषम गशत।

स्तणतत करूसां लणे शबदसधसर। स्वशकसरण हम हदव्य अवतसर॥74॥

ककपस आपकक पसकर स्वसमश। गसतस गणण-गण यह अनणगसमश।

शबदण कस हर मसध्यम मणेरस। भषकत प्रणेम सणे हह उर प्रणेरस॥75॥

सन्तण कक महहमस हह न्यसरर। ईशर कक ववभभतत अतनयसरर।

सन्त सरसतणे ससम्य सभश सणे। नहरसां रखितणे बहर ककसश सणे॥76॥
हहरण्यकसशपण रसवसांअ बलवसन। ववनसश हणआ इनकस जग जसन।

दणे व-द्वणेष थस इसकस कसरण। सन्त द्वणेष कस करम तनवसरण॥77॥

गबोपशचिन्द अन्यसय करसयणे। जसलन्धर मन मम नहरसां लसयणे।

महससन्त कणे ककयस कमस थस। परम शसषन्त कस वरण ककयस थस॥78॥

बङकर नप
क -उदसर ककयस थस। दरघर्वा आयण वरदसन हदयस थस।

सन्तण कक महहमस जग-पसवन। कगौन कर सकणे गणण गणगसयन॥79॥

सन्त भभसम कणे जसन हदवसकर। ककपस ज्यबोतत दणे तणे करुणसकर।

शशतल शसश सम सन्त सणखिद हह। ककपस कगौमणदर प्रखिर अवतन हह ॥80॥

हह कस्तरभ र सम मबोहक ससांत। ककपस हह उनकक सरस सणगसांध।

ईखिरसवत हबोतणे हह ससांत। मधणर सणरूचचि ज्यण सणखिद बससांत॥81॥

ससधण-अससधण सभश पस करूणस। दृषषष समसन सभश पर रखिनस।

पसपश सणे कम प्यसर न करतणे। पसप-तसप-हर-करूणस करतणे॥82॥

जबो मल-यणत हह बहकर आतस। सणरसरर जल मम आन समसतस।

तनमर्वाल मसांजभषस मम रहतस। सणरसरर जल नहरसां वह गहतस॥83॥

वहर वसन इक बसर थस आयस। मसांजभषस मम रहस समसयस।


अवगसहन सणरसरर मम करतस। धभल कर तनमर्वाल खिणद कबो करतस॥84॥

सणदढ़ मसांजभषस हह बहकणण्ठ। अलगौककक तनषठस गसांग तरसां ग।

जशवसत्मस हर वसन समखझयणे। षड ववकसर हर महल समखझयणे॥85॥

जग मम तव पद-दशर्वान पसनस। यहर गसांगस मम डभब नहसनस।

पसवन इससणे हबोतणे तन-मन। मल-ववमणकत हबोतस वह तत्कण॥86॥

दखि
ण द वववश हह हम ससांससरर। दबोष-कससलमस हम मम भसरर।

सन्त दरश कणे हम अचधकसरर। मणषकत हणे तण तनज बसष तनहसरर॥87॥

गबोदसवरर पभररत तनमर्वाल जल। महलर गठरर भशगश तत्जल।

बन न सकक यहद कफिर भश तनमर्वाल। कयस न दबोषयणत गबोदसवरर जल॥88॥

आप सघन हह शशतल तरूवर।शसन्त पचथक हम डगमग पथ हम।

तपणे तसप तय महसप्रखिर तम। जणेठ दप


ण हरर जलतणे भभकण॥89॥

तसप हमसरणे दरभ तनवसरण। महस ववपद सणे आप उबसरण।

करण नसथ तणम करूणस छसयस। सवर्वाजसत तणेरर प्रभण दयस॥90॥

परम व्यथर्वा वह छसयसतरू हह । दरभ करणे न तसप प्रखिर हह।

जबो शरणसगत कबो न बचिसयणे। शशतल तरू कहसणे कहलसयणे॥91॥


ककपस आपकक यहद नहरसां पसयणे। कहसणे तनमर्वाल हम रह जसवम ।

पसरथ-ससथ रहणे थणे चगरधर। धमर्वा हणे तण प्रभण पसमचिजन्य-धर॥92॥

सग्र
ण शव ककपस सणे दनणज बबभशषण। पसयस प्रसणतपसल रघणपतत पद।

भगवत पसतणे असमत बङसई। सन्त मसत कणे कसरण भसई॥93॥

नणेतत-नणेतत हह वणेद उचिरतणे। रूपरहहत हह ब्रह्म ववचिरतणे।

महसमसांत सन्तण नणे पसयणे। सगणण बनसकर भभ पर लसयम॥94॥

दसमस ए हदयस रूप महसर। रुकमखण-वर तहलबोकय आधसर।

चिबोखिश जश नणे ककयस कमसल। ववषणण कबो हदयस कमर्वा पशणपसल॥95॥

महहमस सन्त ईश हर जसनम । दससनणदसस स्वयसां बन जसवम ।

सच्चिस सन्त बङप्पन पसतस। प्रभण कस सणजन अततचथ हबो जसतस॥96॥

ऐसणे सन्त तणम्हरसां सणखिदसतस। तणम्हरसां वपतस हबो तणम हर मसतस।

सदगणरु सससांईनसथ हमसरणे । कसलयणग मम सशरडश अवतसरम ॥97॥

लरलस ततहसरर नसथ महसन। जन-जन नहरसां पसयम पहचिसन।

षजव्हस कर नस सकणे गणणगसन। तनस हणआ हह रहस्य ववतसन॥98॥


तणमनणे जल कणे दरप जलसयम। चिमत्कसर जग मम थणे पसयम।

भकत उदसर हहत जग मम आयम। तशरथ सशरडश धसम बनसए॥99॥

जबो षजस रूप आपकबो ध्यसयम। दणे व सरूप वहर तव पसयम।

सभकम तकत तनज सणेज बनसयम। ववचचित यबोग ससमथर्वा हदखिसयम॥100॥

पणत हरन सन्ततत पस जसवम । रबोग अससध्य नहरसां रह जसवम ।

रकस वह ववभभतत सणे पसतस। शरण ततहसरर जबो भश आतस॥101॥

भकत जनण कणे ससांकष हरतणे। कसयर्वा असम्भव सम्भव करतम ।

जग कक चिशसांषर भसर शभन्य ज्यण। समक ततहसरणे कहठन कसयर्वा त्यण॥102॥

सससांई सदगणरू नसथ हमसरम । रहम करबो मणझ पर हणे प्यसरणे ।

शरणसगत हभम प्रभण अपनसयम। इस अनसथ कबो नहरसां ठणकरसयम॥103॥

प्रभण तणम हबो रसज्य रसजणेश्वर। कणबणेर कणे भश परम अधशश्वर।

दणे व धन्वन्तरर तव अवतसर। प्रसणदसयक हह सवसर्वाधसर॥104॥

बहण दणे वण कक पभजन करतम । बसह्य वस्तण हम ससांग्रह करतणे।

पभजन प्रभण कक शशधश-ससधस। बसह्य वस्तण कक नहरसां उपसधश॥105॥

जहसणे दरपसवलर त्यगौहसर। आयणे प्रखिर सभरज कणे द्वसर।


दरपक ज्यबोततसां कहससां वह लसयणे। सभयर्वा समक जबो जगमग हबोवम ॥106॥

जल कयस ऐसस भभ कणे पसस। बणझस सकणे जबो ससगर प्यसस।

अषग्न षजससणे उषमस पसयम। ऐसस वस्तण कहससां हम पसवम ॥107॥

जबो पदसथर्वा हह प्रभण पभजन कणे। आत्म-वश वणे सभश आपकणे।

हणे समथर्वा गणरू दणे व हमसरणे । तनगणण


र्वा अलखि तनरसां जन प्यसरणे ॥108॥

तत्वदषषष कस दशर्वान कणछ हह । भषकत भसवनस-ह्रदय सत्य हह।

कणेवल वसणश परम तनरथर्वाक। अनणभव करनस तनज मम ससथर्वाक॥109॥

अवपर्वात कसांरू तणम्हम कयस सससांई। वह सम्पषत्त जग मम नहरसां पसई।

जग वहभव तणमनणे उपजसयस। कहसणे कहभसां कमश कणछ दसतस॥110॥

"पतसां-पणषपसां" ववनत चिढ़सऊसां। प्रभण चिरणण मम चचित्त लगसऊसां।

जबो कणछ समलस मणझणे हम स्वसमश। करूसां समवपर्वात तन-मन वसणश॥111॥

प्रणेम-अशण जलधसर बहसऊसां। प्रभण चिरणण कबो मह नहलसऊसां।

चिन्दन बनस ह्रदय तनज गसरूसां। भषकत भसव कस ततलक लगसऊसां॥112॥

शब्दसभभषण-कफिनश लसऊसां। प्रणेम तनशसनश वह पहनसऊसां।

प्रणय-सणमन उपहसर बनसऊसां। नसथ-कसांठ मम पणलक चिढ़सऊसां॥113॥


आहणतत दबोषण कक कर डसलसां।भ वणेदर मम वह हबोम उछसलसां।भ

दवण वर्वाचिसर धभम यण भसगणे। वह दग


ण ध
र्गं नहरसां कफिर लसगणे॥114॥

अषग्न सररस हह सदगणरू समथर्वा। दग


ण णण
र्वा -धप
भ करम हम अवपर्वात।

स्वसहस जलकर जब हबोतस हह । तदरूप तत्कण बन जसतस हह ॥115॥

धप
भ -दव्य जब उस पर चिढ़तस। अषग्न ज्वसलस मम हह जलतस।

सणरसभ-अषस्तत्व कहससां रहणे गस। दरभ गगन मम शभन्य बनणेगस॥116॥

प्रभण कक हबोतश अन्यथस ररतत। बनतश कणवस्तण जल कर ववभतण त।

सदगणण कणन्दन सस बन दमकणे। शसशवत जग बढ़ तनरखिणे परखिणे॥117॥

तनमर्वाल मन जब हबो जसतस हह । दवण वर्वाकसर तब जल जसतस हह ।

गसांगस ज्यण पसवन हह हबोतश। अववकल दष


भ ण मल वह धबोतश॥118॥

सससांई कणे हहत दरप बनसऊसां। सत्वर मसयस मबोह जलसऊसां।

ववरसग प्रकसश जगमग हबोवम। रसग अन्ध वह उर कस खिसवम ॥119॥

पसवन तनषठस कस सससांहससन। तनसमर्वात करतस प्रभण कणे कसरण।

ककपस करम प्रभण आप पधसरम । अब नहवणेद्य-भषकत स्वशकसरम ॥120॥


भषकत-नहवणेद्य प्रभण तणम पसओसां। सरस-रसस-रस हमम वपलसओसां।

मसतस, मह हभम वत्स ततहसरस। पसऊसां तव दग्ण धसमत


क धसरस॥121॥

मन-रूपश दककणस चिणकसऊसां। मन मम नहरसां कणछ और बससऊसां।

अहम त भसव सब करूसां सम्पणर्वा। अन्तमः रहणे नसथ कस दपर्वाण॥122॥

बबनतश नसथ पणनमः दह


ण रसऊसां। शश चिरणण मम शशश नमसऊसां।

सससांई कसलयणग ब्रह्म अवतसर। करण प्रणसम मणेरणे स्वशकसर॥123॥

ॐ सससांई रसम!!!

~~~प्रसथर्वानसषषक~~~

शसन्त चचित्त प्रजसवतसर जय। दयस-तनधसन सससांईनसथ जय।

करुणस ससगर सत्यरूप जय। मयसतम ससांहसरक प्रभण जय॥124॥

जसतत-गबोत-अतशत ससदणेश्वर। अचचिन्तनशयसां पसप-तसप-हर।

पसहहमसम त सशव पसहहमसम त सशव। सशरडश ग्रसम-तनवसससय कणेशव॥125॥

जसन-ववधसतस जसनणेश्वर जय। मसांगल मभरत मसांगलमय जय।

भकत-वगर्वामसनस-मरसल जय। सणेवक-रकक प्रणतसपसल जय॥126॥


स्रषषष रचितयतस ब्रह्मस जय-जय। रमसपतणे हणे ववषणण रूप जय।

जगत प्रलयकतसर्वा सशव जय-जय। महसरुद हम अभ्यसांकर जय॥127॥

व्यसपक ईश समसयस जग तसां।भ सवर्वालबोक मम छसयस प्रभण तसां।भ

तणेरणे आलय सवर्वाह्रदय हह। कण-कण जग सब सससांई ईश्वर हह ॥128॥

कमस करणे अपरसध हमसरम । रहणे यसचिनस सदस मरण सरणे ।

भ्रम-ससांशय सब नसथ तनवसरम । रसग-रसां ग-रतत सणे उदसरणे ॥129॥

मह हभम बछङस कसमधणेनण तसां।भ चिन्दकसन्तस मह पभणर्वा इन्द ण तसां।भ

नमससम वत्सल प्रणम्य जय। नसनस स्वर बहण रूप धसम जय॥130॥

मणेरणे ससर पर अभय हस्त दण। चचिन्त रबोग शबोक तणम हर लबो।

दससगणभ कबो प्रभण अपनसओसां। 'भभपतत' कणे उर मम बस जओसां॥131॥

कवव स्तणतत कर जबोरणे गसतस। हण अनणकम्पस सदस ववधसतस।

पसप-तसप दमःण खि दह न्य दरभ हबो। नयन बसस तनत तव सरूप हण॥132॥

ज्यगौ गगौ अपनस वत्स दल


ण सरणे । त्यगौ ससई मसम दसस दल
ण सरणे ।

तनदर्वा य नहरसां बनबो जगदम्बणे। इस सशशण कबो दल


ण सरबो असांबणे ॥133॥
चिन्दन तरुवर तणम हबो स्वसमश। हरन-पगौध हभसां मह अनणगसमश।

सणरसरर समससां तभ हह अततपसवन। दरण सचिसर रत मह कदर्वा मवत ॥134॥

तणझसणे सलपष रहभ यहद मलयणत। कगौन कहणे तझ


ण कबो चिन्दन तरु।

सदगणरु तणेरर तभश बडसई। त्यसगबो मन जब सतत बणरसई ॥135॥

कस्तणरर कस जब ससथ समलणे। अतत मसषर कस तब मबोल बडणे।

सणरसभत सणमनण कस ससथ समलणे। धसगणे कबो भश सम सणरसभ समलणे ॥136॥

महसन जनण कक हबोतश ररतत। जशनस पर हणई हह उनकक प्रशतत।

वहर पदसथर्वा हबोतस अनमबोल। नहरसां जग मम उसकस कफिर तगौलस ॥137॥

रहस नसांदर कस भस्म कबोपशनस। ससांचिय सशव नणे ककयस आधशन।

गगौरव उसनणे जन सणे पसयस। सशव ससांगत नणे यश फिहलसयस॥138॥

यमणनस तष पर रचिसयम। वन्क दसवन मम धभम मचिसयम।

गबोपशरसां जन करम मरण सरर। भकत-वन


क द मबोहम चगरधसरर॥139॥

हणवम दववत प्रभण करूणसघन। मणेरणे वप्रयतम नसथ ह्रदयघन।

अधमसधम कबो आन तसररयम। कमस ससन्धण अब कमस धसररयम॥140॥

अभ्यणदय तनमःशणेयस पसऊ। असांतरयसमश सणे यह चिसहभसां।


षजसमम हहत हबो मणेरणे दसतस। वहर दरषजयम मणझणे ववधसतस॥141॥

मह तबो कषण जलहभसां प्रभण खिसरस। तणम मम मधण ससगर लहरसतस।

ककपस-बबसांद ण इक पसऊ तणेरस। मधणररम मधण बन जसयम मणेरस॥142॥

हणे प्रभण आपकक शषकत अपसर। ततहसरणे सणेवक हम सरकसर।

खिसरस जलचध करम प्रभण मशठस। दससगणण पसवणे मन-चिशतस॥143॥

ससदवन्क द कस तणसां समसष। वहभव व्यसपक ब्रह्म ववरसष।

मणझमम अनणेक प्रकसर अभसव। अककसां चिन नसथ करम तनवसर्वाह॥144॥

कथन अत्यचधक तनरस व्यथर्वा हह। आधसर एक गणरु समथर्वा हह ।

मसम कक गबोदर मम जब सणत हबो। भयभशत कहबो कहसणे तब हबो॥145॥

जबो यह स्तबोत पडणे प्रतत वससर। प्रणेमसवपर्वात हबो गसयणे ससदर ।

मन-वसमतछत फिल नसथ अवश दम । शसशवत शसषन्त सत्य गणरुवर दम ॥146॥

ससद वरदसन स्तबोत हदलसवणे। हदव्य कवचि सम सतत बचिसवम ।

सणफिल वषर्वा मम पसठक पसवम । जग तयतसप नहरसां रह जसवम ॥147॥

तनज शणभकर मम स्तबोत सम्भसलबो। शणचचिपववत हबो स्वर कबो ढसलबो।

प्रभण प्रतत पसवन मसनस कर लबो। स्तबोत पठन शदस सणे कर लबो॥148॥
गणरूवसर हदवस गरु
ण कस मसनण। सतगणरु ध्यसन चचित्त मम ठसनण।

स्थबोथरस पठन हबो अतत फिलदसई। महसप्रभसवश सदस-सहसई॥149॥

व्रत एकसदशश पणण्य सह


ण सई। पठन सहण दन इसकस कर भसई।

तनश्चिय चिमत्कसर थम पसओ। शणभ कल्यसण कल्पतरु पसओ॥150॥

उत्तम गतत स्तबोत प्रदसतस। सदगणरू दशर्वान पसठक पसतस।

इह परलबोक सभश हबो शणभकर। सणखि ससांतबोष प्रसप्त हबो सत्वर॥151॥

स्तबोत पसरसयण सद्य: फिल दणे । मन्द-बणवद कबो बणवद प्रबल दणे ।

हबो ससांरकक अकसल मरण सणे। हण शतसयण जस स्तबोत पठन सणे॥152॥

तनधर्वान धन पसयणेगस भसई। महस कणबणेर सत्य सशव ससई।

प्रभण अनणकम्पस स्तबोत समसई। कवव-वसणश शणभ-सणगम सहसई॥153॥

ससांतततहरन पसयम सन्तसन। दसयक स्तबोत पठन कल्यसण।

मणकत रबोग सणे हबोगश कसयस। सणखिकर हबो ससई कक छसयस॥154॥

स्तबोत-पसठ तनत मसांगलमय हह । जशवन बनतस सणखिद प्रखिर हह ।

ब्रह्मववचिसर गहनतर पसओ। चचिसांतसमणकत षजयबो हषसर्वाओ॥155॥


आदर उर कस इसणे चिढ़सओ। असांत दढ़ ववश्वसस बसससओ।

तकर्वा ववतकर्वा ववलग कर ससधबो। शणद वववणेक बणवद अवरसधबो॥156॥

यसतस करबो सशरडश तशथर्वा कक। लगन लगश कबो नसथ चिरण कक।

दरन दखि
ण श कस आशय जबो हह। भकत-कसम-कल्प-दम
ण सबोहम ॥157॥

सणप्रणेरणस बसबस कक पसऊसां। प्रभण आजस पस स्तबोत रचिसऊसां।

बसबस कस आशशष न हबोतस। कयण यह गसन पततत सणे हबोतस॥158॥

शक शसांवत अठरह चिसलरसस। भसदण मसस शणकल गगौररशस।

शससशवसर गणणेश चिगौथ शणभ ततचथ। पभणर्वा हणई ससई कक स्तणतत॥159॥

पणण्य धसर रणे वस शणभ तष पर। मसहणे श्वर अतत पणण्य सणथल पर।

ससईनसथ स्तवन मसांजरर। रसज्य-अहहल्यस भभ मम उतसरर॥160॥

मसन्धसतस कस कणेत पणरसतन। प्रगषस स्तबोत जहससां पर पसवन।

हणआ मन पर ससई अचधकसर। समझबो मसांत ससई उदगसर॥161॥

दससगणण ककसां कर ससई कस। रज-कण ससांत ससधण चिरणण कस।

लणेखि-बद दसमबोदर करतणे। भसषस गसयन ' भभपतत' करतणे॥162॥

ससईनसथ स्तवन मसांजरर। तसरक भव-ससगर-ह्रद-तन्तश।


ससरणे जग मम ससई छसयणे। पसण्डणरसां ग गणण कककसांर गसयणे॥163॥

शशहररहरसपणर्वामस्तण | शणभसां भवतण | पणण्डसलक वरदस ववठ्ठल |

सशतसकससांत स्मरण | जय जय रसम | पसवर्वातशपतणे हर हर महसदणे व |

शश सदगणरु ससईनसथ महसरसज कक जय ||

शश सदगणरु ससईनसथपणर्वामस्तण ||

जय सससांई रसम!!!

ॐ सससांई रसम!!!

॥शश सषच्चिदसनन्द सदगणरु ससईनसथ महसरसज कक जय ॥

॥ॐ रसजसचधरसज यबोचगरसज परब्रह्य सससांईनसथ महसरसज॥

॥शश सषच्चिदसनन्द सदगणरु ससईनसथ महसरसज कक जय

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