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नव-नवाथ-स्मरण
“आदद-नवाथ ओ स्वरप, उदय-नवाथ उमवा-मदह-रप। जल-रपश ब्रह्मवा सत-नवाथ, रवव-रप ववष्णग सन्तगोष-नवाथ। हस्तश-रप
गनदेश भतशजज, तवाकग कन्थड-नवाथ कहह जज। मवायवा-रपश मछछिन्दर-नवाथ, चन्द-रप चचौरङ्गश-नवाथ। शदेष-रप अचम्भदे-नवाथ,
ववायग-रपश गगर गगोरख-नवाथ। घट-घट-व्यवापक घट कवा रवाव, अमश महवा-रस स्त्रवतश खवाव। ॐ नमगो नव-नवाथ-गण, चचौरवासश
गगोमदेश। आदद-नवाथ आदद-पगरष, शशव गगोरख आददे श। ॐ शश नव-नवाथवाय नममः।।”
ववधधमः- उक्त स्मरण कवा पवाठ प्रछतददन करदे । इससदे पवापप कवा कय हगोतवा हज , मगोक कक प्रवापपत हगोतश हज । सगख-सम्पपतत-वजभव
सदे सवाधक पररपपणर हगो जवातवा हज । २१ ददनप तक २१ पवाठ करनदे सदे इसकक शसवद हगोतश हज ।
नवनवाथ-स्तगछत
“आदद-नवाथ कजलवाश-छनववासश, उदय-नवाथ कवाटज जम-फवाऊसश। सतय-नवाथ सवारनश सन्त भवाखज, सन्तगोष-नवाथ सदवा सन्तन
कक रवाखज। कन्थडश-नवाथ सदवा सगख-दवाई, अञ्चछत अचम्भदे-नवाथ सहवाई। जवान-पवारखश शसद चचौरङ्गश, मतस्यदेन्द-नवाथ दवादवा
बहगरङ्गश। गगोरख-नवाथ सकल घट-व्यवापश, कवाटज कशल-मल, तवारज भव-पशरवा। नव-नवाथप कदे नवाम सगशमररए, तछनक भस्मश
लदे मस्तक धररए। रगोग-शगोक-दवाररद नशवावज, छनमरल ददे ह परम सख
ग पवावज। भत
प -प्रदेत-भय-भञ्जनवा, नव-नवाथप कवा नवाम।
सदेवक सगमरदे चन्द-नवाथ, पपणर हपय सब कवाम।।”
ववधधमः- प्रछतददन नव-नवाथप कवा पपजन कर उक्त स्तगछत कवा २१ बवार पवाठ कर मस्तक पर भस्म लगवाए। इससदे नवनवाथप
कक ककपवा शमलतश हज । सवाथ हह सब प्रकवार कदे भय-पशडवा, रगोग-दगोष, भपत-प्रदेत-बवाधवा दरप हगोकर मनगोकवामनवा, सगख-सम्पपतत
आदद अभशष्ट कवायर शसद हगोतदे हह। २१ ददनप तक, २१ बवार पवाठ करनदे सदे शसवद हगोतश हज ।
नवनवाथ-शवाबर-मन्त्र
“ॐ नमगो आददे श गगर कक। ॐकवारदे आदद-नवाथ, उदय-नवाथ पवावरतश। सतय-नवाथ ब्रह्मवा। सन्तगोष-नवाथ ववष्णगमः, अचल
अचम्भदे-नवाथ। गज-बदेलह गज-कन्थडड-नवाथ, जवान-पवारखश चचौरङ्गश-नवाथ। मवायवा-रपश मच्छिदे न्द-नवाथ, जछत-गगर हज
गगोरख-नवाथ। घट-घट वपण्डदे व्यवापश, नवाथ सदवा रहह सहवाई। नवनवाथ चचौरवासश शसदप कक दह
ग वाई। ॐ नमगो आददे श गगर कक।।”
ववधधमः- पपणम
र वासश सदे जप प्रवारम्भ करदे । जप कदे पपवर चवावल कक नचौ ढदे ररयवाऊ बनवाकर उन पर ९ सप
ग वाररयवाऊ मचौलह बवाऊधकर
नवनवाथप कदे प्रतशक-रप मह रखकर उनकवा षगोडशगोपचवार-पपजन करदे । तब गगर, गणदेश और इष्ट कवा स्मरण कर आह्ववान
करदे । फफर मन्त्र-जप करदे । प्रछतददन छनयत समय और छनपशचत ससंख्यवा मह जप करदे । ब्रह्मचयर सदे रहदे , अन्य कदे हवाथप कवा
भगोजन यवा अन्य खवादय-वस्तए
ग ऊ ग्रहण न करदे । स्वपवाकक रहदे । इस सवाधनवा सदे नवनवाथप कक ककपवा सदे सवाधक धमर-अथर-
कवाम-मगोक कगो प्रवापत करनदे मह समथर हगो जवातवा हज । उनकक ककपवा सदे ऐदहक और पवारलचौफकक-सभश कवायर शसद हगोतदे हह।
મ પરદખય
નખથ સપ
नवनवाथ ससंप्रदवाय सदे हगआ. कशलयगग कदे प्रवारसं भ मह भगववान ववष्णग नदे कवव, हरर, असंतररक, प्रभगद
वपपलवायन,ववहगोत्र, दशग मल, चमस एवसं करभसंजन, इन नवनवारवायणप कगो अवतवार लदेनदे कगो कहवा. इस
कवारण कवव नवारवायण नदे मछिलह कदे पदेट सदे प्रकट हगोकर मपच्छिसं दनवाथ नवाम सदे अवतवार शलयवा तथवा
भगववान दततवात्रय कक शरण मह गए. हररनवारवायण कचरदे कदे स्थवान सदे जन्म लदेकर गगोरकनवाथ नवाम सदे
प्रशसद हगए एवसं उन्हपनदे मपच्छिसं दनवाथ कगो गगर फकयवा. असंतररक नवारवायण यजकसंग ड मह प्रकट हगए एवसं
कवान सदे प्रकट हगोकर कवाछनफ़वानवाथ नवाम सदे प्रशसद हगए. उन्हपनदे जवालसंदरनवाथ कगो अपनवा गगर बनवायवा.
वपपलवायन नदे कगश दवशप पर जन्म शलयवा. उनकवा नवाम चपरटहनवाथ रखवा गयवा. वदे भगववान दततवात्रय कदे
शशष्य थदे. अववहगोत्र नवारवायण नदे नवागदेशनवाथ नवाम सदे अवतवार लदेकर भगववान दततवात्रय कगो अपनवा गगर
फकयवा. उनकवा जन्म असंडदे सदे हगआ. शभकवापवात्र मह जन्म लदेनदे ववालदे दशग मल नवारवायण भतररहनवाथ नवाम सदे
प्रशसद हगए. वदे भगववान दततवात्रय कक शरण मह गए. करभसंजन नवारवायण शमटश कदे पगतलदे सदे सवाकवार
हगए. इसशलए उनकवा नवाम गदहनशनवाथ रखवा गयवा. उन्हह गगोरकनवाथ नदे दहकवा दह. वहहसं चमसनवारवायण नदे
नदह कदे फकनवारदे रदे तश मह जन्म शलयवा. इसशलए उनकवा नवाम रदे वणशसदनवाथ रखवा गयवा. वदे भगववान
दततवात्रय कदे ककपवापवात्र शशष्य थदे. ऐसदे इन नवनवारवायणप नदे जग उदवार कदे शलए अखसंड प्रववास फकयवा.
जन प्रबगोधन फकयवा एवसं मवानव जवाछत कगो सतय, प्रकवाश, स्वधमर इ. कवा मवागर ददखवायवा. मपच्छिसं दनवाथ
कदे भववष्य मह ९ ककपवापवात्र शशष्य हगए. गगोरकनवाथ कदे ८ शशष्य, जवालसंदरनवाथ कदे ८, कवाछनफवानवाथ कदे
९, चपरटहनवाथ कदे ९, चचौरसं गशनवाथ कदे ६, भतररहनवाथ कदे ९, गदहनशनवाथ कदे ६, मपच्छिसं दनवाथ कदे पगत्र
शमननवाथ कदे ६, जवालसंदरनवाथ कदे पगत्र धमरनवाथ कदे ६ एवसं रदे वणशसद नवाथ कदे ८ ऐसदे कगल ८४ शशष्य
शश गगोरकनवाथ कक शशकवा एसंव चमतकवारप सदे प्रभवाववत हगोकर अनदेकप बडदे-बडदे रवाजवा इनसदे दहककत हगए। उन्हपनदे अपनदे अतगल
वजभव कगो तयवाग कर छनजवानन्द प्रवापत फकयवा तथवा जन-कल्यवाण मह अग्रसर हगए। इन रवाजवषरयप दववारवा बडदे-बडदे कवायर हगए।
शश गगोरकनवाथ नदे ससंसवाररक मयवारदवा कक रकवा कदे अथर शश मतस्यदेन्दनवाथ कगो अपनवा गगर मवानवा और धचरकवाल तक इन दगोनप
मह शकवा समवाधवान कदे रप मह ससंववाद चलतवा रहवा। शश मतस्यदेन्द कगो भश पगरवाणप तथवा उपछनषदप मह शशववावतर मवानवा गयवा
अनदेक जगह इनकक कथवायह शलखश हह।यप तगो यह यगोगश सम्प्रदवाय अनवादद कवाल सदे चलवा आ रहवा फकन्तग इसकक वतरमवान
पररपवादटयप कदे छनयत हगोनदे कदे कवाल भगववान शसंकरवाचवायर सदे 200 वषर पपवर हज । ऐस शसंकर ददपगवजय नवामक ग्रन्थ सदे शसद
हगोतवा हज ।बगद कवाल मह ववाम मवागर कवा प्रचवार बहगत प्रबलतवा सदे हगअ पजसकदे शसदवान्त बहगत ऊऊचदे थदे, फकन्तग सवाधवारण बगवद कदे
लगोग इन शसदवान्तप कक ववास्तववकतवा न समझ कर भ्रष्टवाचवारह हगोनदे लगदे थदे।इस कवाल मह उदवार चदेतवा शश गगोरकनवाथ नदे
वतरमवान नवाथ सम्प्रदवाय क छनमवारण फकयवा और ततकवाशलक 84 शसदप मह सगधवार कवा प्रचवार फकयवा। यह शसद वज्रयवान
मतवानगयवायश थदे।इस सम्बन्ध मह एक दस
प रवा लदेख भश शमलतवा हज जगो फक छनम्न प्रकवार हज मः-ओसंकवार नवाथ, उदय नवाथ, सन्तगोष
नवाथ, अचल नवाथ, गजबदेलह नवाथ, जवान नवाथ, चचौरसं गश नवाथ, मतस्यदेन्द नवाथ और गगर गगोरकनवाथ। सम्भव हज यह उपयगक्त
नवाथप कदे हह दस
प रदे नवाम हज ।यह यगोगश सम्प्रदवाय बवारह पन्थ मह ववभक्त हज , यथवामः-सतयनवाथ, धमरनवाथ, दररयवानवाथ, आई
पन्थश, रवास कदे, वजरवागय कदे, कवपलवानश, गसंगवानवाथश, मन्नवाथश, रवावल कदे, पवाव पन्थश और पवागल।इन बवारह पन्थ कक
प्रचशलत पररपवादटयप मह कगोई भदेद नहह हह। भवारत कदे प्रवायमः सभश प्रवान्तप मह यगोगश सम्प्रदवाय कदे बडदे-बडदे वजभवशवालह आशम
हज और उच्च कगोदट कदे ववदववान इन आशमप कदे ससंचवालक हह।शश गगोरकनवाथ कवा नवाम नदेपवाल प्रवान्त मह बहगत बडवा थवा और
अब तक भश नदेपवाल कवा रवाजवा इनकगो प्रधवान गगर कदे रप मह मवानतदे हज और वहवाऊ पर इनकदे बडदे-बडदे प्रछतपष्ठत आशम हह। यहवाऊ
तक फक नदेपवाल कक रवाजककय मगदवा (शसक्कदे) पर शश गगोरक कवा नवाम हज और वहवाऊ कदे छनववासश गगोरक हह कहलवातदे हह। कवाबगल-
गवान्धर शसन्ध, ववलगोधचस्तवान, कच्छि और अन्य ददे शप तथवा प्रवान्तप मह यहवा तक फक मक्कवा मदहनदे तक शश गगोरकनवाथ नदे
दहकवा दह थश और ऊऊचवा मवान पवायवा थवा।इस सम्प्रदवाय मह कई भवाऊछत कदे गगर हगोतदे हह यथवामः- चगोटह गगर, चशरवा गगर, मसंत्र गगर,
टगोपवा गगर आदद।शश गगोरकनवाथ नदे कणर छिदे दन-कवान फवाडनवा यवा चशरवा चढ़वानदे कक प्रथवा प्रचशलत कक थश। कवान फवाडनदे कगो
ततपर हगोनवा कष्ट सहन कक शपक्त, दृढ़तवा और वजरवागय कवा बल प्रकट करतवा हज ।शश गगर गगोरकनवाथ नदे यह प्रथवा प्रचशलत
करकदे अपनदे अनगयवाछययप शशष्यप कदे शलयदे एक कठगोर परहकवा छनयत कर दह। कवान फडवानदे कदे पशचवात मनगष्य बहगत सदे
सवासंसवाररक झसंझटप सदे स्वभवावतमः यवा लज्जवा सदे बचतवा हह। धचरकवाल तक परहकवा करकदे हह कवान फवाडदे जवातदे थदे और अब भश
ऐसवा हह हगोतवा हज । तबनवा कवान फटदे सवाधग कगो 'ओघड' कहतदे हज और इसकवा आधवा मवान हगोतवा हज ।
भवारत मह शश गगोरखनवाथ कदे नवाम पर कई ववख्यवात स्थवान हह और इसश नवाम पर कई महगोतसव मनवायदे जवातदे हह।यह
सम्प्रदवाय अवधपत सम्प्रदवाय हज । अवधपत शब्द कवा अथर हगोतवा हज " स्त्रश रदहत यवा मवायवा प्रपसंच सदे रदहत" जजसवा फक " शसद
शसदवान्त पदछत" मह शलखवा हज मः-"सववारन न प्रककछत ववकवारन वधग नगोतशतयऽवधपतमः।"अथवारत न जगो समस्त प्रककछत ववकवारप कगो
तयवाग ददे तवा यवा झवाड ददे तवा हज वह अवधत
प हज । पन
ग शचमः-" वचनदे वचनदे वदेदवास्तशथवारछन च पददे पददे ।इष्टदे इष्टदे च कजवल्यसं
सगोऽवधपतमः धशयदे स्तगनमः।""एक हस्तदे धत
क स्तयवागगो भगोगशचजक करदे स्वयम नअशलपतस्तयवाग भगोगवाभ्यवासं सगोऽवधपतमः
धशयस्तगनमः॥"उपयगक्
र त लदेखवानगसवार इस सम्प्रदवाय मह नव नवाथ पपणर अवधपत हगए थदे और अब भश अनदेक अवधपत
ववदयमवान हज ।नवाथ लगोग अलख (अलक) शब्द सदे अपनदे इष्ट ददे व कवा ध्यवान करतदे हज । परस्पर आददे श यवा आदहश शब्द सदे
अशभववादन करतदे हह। अलख और आददे श शब्द कवा अथर प्रणव यवा परम पगरष हगोतवा हज पजसकवा वणरन वदेद और उपछनषद
आदद मह फकयवा गयवा हज ।यगोगश लगोग अपनदे गलदे मह कवालह ऊन कवा एक जनदेऊ रखतदे हज पजसदे 'शसलदे' कहतदे हज । गलदे मह एक
सशसंग कक नवादह रखतदे हज । इन दगोनप कगो सशसंगश सदेलह कहतदे हज यह लगोग शजव हह अथवारत शशव कक उपवासनवा करतदे हज । षट दशरनप
मह यगोग कवा स्थवान अतयगच्च हज और यगोगश लगोग यगोग मवागर पर चलतदे हह अथवारत यगोग फक्रियवा करतदे हज जगो फक आतम दशरन
कवा प्रधवान सवाधन हज । जशव ब्रह्म कक एकतवा कवा नवाम यगोग हज । धचतत वपक तत कदे पपणर छनरगोध कवा यगोग कहतदे हज । वतरमवान
कवाल मह इस सम्प्रदवाय कदे आशम अव्यवपस्थत हगोनदे लगदे हह। इसश हदे तग "अवधपत यगोगश महवासभवा" कवा ससंगठन हगआ हज और
यत्र तत्र सध
ग वार और ववदयवा प्रचवार करनदे मह इसकदे ससंचवालक लगदे हगए हज ।प्रवाचशन कवाल मह स्यवाल कगोट नवामक रवाज्य मह
शसंखभवाटह नवाम कदे एक रवाजवा थदे। उनकदे पपणम
र ल और ररसवालग नवाम कदे पगत्र हगए। यह शश गगोरकनवाथ कदे शशष्य बननदे कदे
पशचवात क्रिमशमः चगोरसं गश नवाथ और मन्नवाथ कदे नवाम सदे प्रशसद हगोकर उग्र भ्रमण शशल रहह । "यगोगपशचत वपक तत छनरगोधमः"
सत्र
प कक अपन्तमवावस्थवा कगो प्रवापत फकयवा और इसश कवा प्रचवार एसंव प्रसवार करतदे हगए जन कल्यवाण फकयवा और भवारतशय यवा
मवाननशय ससंस्ककछत कगो अकपण्ण बनदे रहनदे कवा बल प्रदवान फकयवा। उपरयगक्त 12 पसंथगो मह जगो "मन्नवाथश" पसंथ हज वह इन्हह कवा
शश मन्नवाथ पसंथ हज । शश मन्नवाथ नदे भ्रमण करतदे हगए वतरमवान जयपगर रवाज्यवान्तगरत शदेखवाववाटह प्रवान्त कदे तबसवाऊ नगर कदे
समशप आकर अपनवा आशम छनमवारण फकयवा। यह ग्रवाम अब 'टवाऊई' कदे नवाम सदे प्रशसद हज । शश मन्नवाथ नदे यहहसं पर अपनवा
शरहर तयवाग फकयवा थवा, यहह पर इनकवा समवाधध मपन्दर हज और मन्नवाथश यगोधगयप कवा गगर दववार हह। 'टवाऊई' कदे आशम कदे
अधशन प्रवाचशन कवाल सदे 2000 बशघवा जमशन हज , अच्छिवा बडवा मकवान हज और इसमदे कई समवाधधयवाऊ बनश हगई हज । इससदे जवात
हगोतवा हज फक शश मन्नवाथ कदे पशचवात न यहवाऊ पर दहघरकवाल तक अच्छिदे सन्त रहतदे रहदे हज । इस स्थवान मह बवाबवा शश ज्यगोछतनवाथ
जश कदे शशष्य शश कदेशरनवाथ रहतदे थदे। अब शश जवाननवाथ रहतदे हह। इन ददनप इस आशम कवा जशणर्णोदववार भश हगआ हह। शश
मन्नवाथ कदे परम्परवा मह आगदे चल कर शश चसंचलनवाथ अच्छिदे ससंत हगए और इन्हगोनदे कदवाधचत ससं. 1700 वव. कदे आस पवास
झगसंझगनग(जयपगर) मह अपनवा आशम बनवायवा यहह इनकवा समवाधध मपन्दर हह।इससदे आगदे कवा इछतहवास इस पगस्तक कदे
पररशशष्ट ससं. 2 मह शलखवा गयवा हज । यदद सम्भव हगआ तगो शश गगोरकनवाथ कक शशकवाएऊ एकत्र करकदे प्रकवाशशत करनदे कक चदेष्टवा
कक जवायगश।नवाथ लकणमः-"नवाकरगोऽनवादद रपसंच'थकवारमः' स्थवापयतदे सदवा"भगवनत्रय मह वजकमः शश गगोरक नमगोल्तगतदे।"शपक्त
ससंगम तसंत्र॥अवधत
प लगोग अदवजत ववादह यगोगश हगोतदे हज जगो फक तबनवा फकसश भचौछतक सवाधन कदे यचौगपगन प्रज्वशलत करकदे
कमर ववपवाक कगो भस्म कर छनजवानन्द मह रमण करतदे हज और अपनश सहज शशकवा कदे दववारवा जन कलयवाण करतदे रहतदे हज ।
तभश उपयगक्त नवाथ शब्द सवाथरक हगोतवा हज ।इनकवा शसदवान्तमः-न ब्रह्म ववष्णग रदचौ, न सगरपछत सगरवा,नजव पथ्
क वश न चवापचौ।
नजववापगननवपर ववायगमः न च गगन तलसं,नगो ददशप नजव कवालमः।नगो वदेदवा नजव यजवा न च रवव शशशनचौ,नगो ववधध नजव कल्पवामः।स्व
ज्यगोछतमः सतय मदेकसं जयछत तव पदसं ,सपच्चदवानन्दमपतर,ऊऊ शवापन्त ! प्रदेम!! आनन्द!!!
५] वपम्पलवायन - शश चपरददनवाथ
In the Naatha sampradaya only nine Narayanas have incarnated as Navanatha on the earth. The
navanathas and Navanarayanas are as follows:
Machchindranatha – Kavinarayana
Gorakshanatha – Harinarayana
Jalandharnatha – Antarikshanarayana
Kanifnatha – Prabuddhanarayana
Charpatinatha – Pippalayana
Bhartarinatha – Drumilnaraya
Revananatha – Chamasnarayana
Gahaninatha – Karbhajan.
These incarnations of Navanatha are created for the welfare of the people. A reference to the effect is
found in the grantha “Shri Navanatha Bhaktisaar” in the beginning.
Machchindranatha
Machchindranatha was born to a fish in the river Yamuna. While he was in womb of the fish he listened
to the sermon given of Lord Shankara to Goddess Parvati. When at last, Lord Shankara asked Parvati
about the essence of the sermon Machchindranatha replied from the womb of the fish that, “only a
single force (brahma) is filled in the whole universe. It is the only essence of your sermon.” After
completion of the gestation period of the fish a divine child was born. Further this child was brought up
a fishermen couple named Kamik and Sharadvata.
Gorakshanatha
This divine great personality was born out of a garbage dump. Machchindranatha had given holy ash to a
lady called Saraswati for conceiving a son. But she threw the holy ash in the garbage on the saying of
her neighbour. Twelve years later Machchindranatha returned to the village, and asked Saraswati about
the child. She was frightened and told him the whole story. Machchindranath gave a call and
immediately rushed a child with hallows from garbage. This child was nobody but Gorakshanatha.
Jalandharnatha
Once upon a time a king named Brihadrava was performing Somayajna at Hastinapur.
Antarikshanarayana entered into the flames of the yajna. After the completion of the yajna, a bright
child was obtained from the place of yajna. This child was Jalandharnatha.
Kanifnatha
Once upon a time Brahmadeva was attracted towards goddess Saraswati. At that time a drop semen fell
down and was carried away on winds and it entered into an ear of an elephant roaming in Himachal
Pradesh. Afterwards Prabhuddhanarayana entered it as pre-planned and Jalandharnatha ordered to get
out of the ear of the elephant. This is how Kanifanatha was born.
Charpatinatha
The birth story of Charpatinatha is equally unearthly. Once upon a time, when all the gods had
assembled on the occasion of Parvati’s wedding, the semen of Brahmadeva fell due to the effect of
Parvati’s beauty. At that time Brahmadeva crushed the semen with his heel. Thus it was divided in two
parts and out of one part sixty thousand Walkhilaya sages were born. Another part fell into a river and
stuck into a reed. As planned earlier one of the Navanathas i.e. Pippalayan entered it. And thus
originated a child, which became famous as Charpatinatha afterwards.
Naganatha
Long ago a female serpent had consumed the semen of Brahma and the fetus was developing in her
body. After completion of the gestation period the serpent laid an egg. And from the egg Vatasiddha
Naganatha was born.
Bhartarinatha
The birth story of Bhartarinatha is equally mysterious and unbelievable. It is not possible to unearth the
mystery behind it no matter how hard we imagine.
Once upon a time Surya fell in love with the heavenly beauty of Urvashi and excreted semen. A portion
of this semen fell into the alms utensil of sage Kaulik. The sage by virtue of his inner knowledge came to
know that Drumilnarayana is going to take birth from the semen after 3103 years. Hence he kept the
alms utensil (Bhartari) in a secured place, and as planned Drumilnarayana entered in it and came to life
in the form of a child was born. This child is known as Bhartarinatha.
Revananatha
In early period Brahmadeva’s semen fell on the banks of river Reva and as planned Chamasnarayana
entered it. And ultimately Revananatha was born in child form through it.
Gahaninatha
Once upon a time when child Gorakhsa was playing with other children, he made a statue out of clay. He
was chanting the Sanjeevani Mantra in order to learn it by heart simultaneously making the statue. As
he was chanting the Sanjeevani Mantra suddenly the statue came to life. This child was nobody else but
Gahaninatha. At a later stage he was brought up a Brahmin called Madhu and his wife Ganga.
These birth stories of Nathas are unthinkable. These mysterious stories further gave rise to more
mysteriousness about the Nathas. Still if we give a little deep thought the mystery behind these stories is
solved automatically. We come to know from these stories that the Nathas are ayonisambhava.
The navanathas took bodily possessions for the sole purpose of serving the downtrodden.
They understood that the knowledge about the gods and those of Vedas will become ineffective and the
common people will be left with no choice. Hence they created melodious lyrics and brought meaning in
the life of these people.)
सब जग बगोलदे जय नव नवाथ
सब जग बगोलदे जय नव नवाथ
शशव आददे श
अववगत महवापगरष मपल पगरष पगरषगोततम आद पगरष शशव कगो आददे श। ज्यगोछत-परमज्यगोछत-अयगोछन रूद शशव कगो आददे श।
ववशन
प श ववशवमछप तर पवातवाल ग्रहणश शशव कगो आददे श। मख
ग देवदेद परग वाण नवाशसकवा गसंगवा - जमनवा - सरस्वतश शशव कगो आददे श।
ललवाटह चसंद मस्तकदे तत्रकगटवा ददे वतवा धवारह शशव कगो आददे श। नकत्रश मवालवा अठवारह भवार वनस्पतश हृदय कदे तजतशस करगोड
ददे वतवा धवारह शशव कगो आददे श। सदेलह शससंगश मशन मदेखलवा बवाघवाम्बरधवारह रगोम - रगोम सपत सवागरवा शशव कगो आददे श। शशव कदे
बवायशसं ओर छनगगण
र ब्रहम न दवादहनश ओर शपक्त महवामवायवा बशच मह स्वयसं पपणर अखण्ड ज्यगोछत स्वरूप शशव कगो आददे श।
ववभपछत धवारह बशज मसंत्र घगोर मसंत्र अघगोर मसंत्र कशर मसंत्र गवायत्रश मसंत्र अभय जवाप तसंत्र - मसंत्र स्वरूप शशव कगो आददे श। नर -
नवारह भपत - प्रदेत यक फकन्नर इन्दवादद ददे वतवा ब्रह्मवाण्ड व्यवापक शशव कगो आददे श। सवाधग - ससंत यगोगश - जवानश तपस्वश
तयवागश अवधत
प हर भक्त कदे ईष्ट शशव कगो आददे श। जशवप कवा आरवाध्यवा शशव कगो आददे श। सक्ष्
प म मह सक्ष्
प म ववरवाटप मह
व्यवापक महवातततव शशव कगो आददे श। सपक ष्ट उतपपतत ससंहवार पवालन पसंच महवातततव शशव कगो आददे श। चवार खवानश चवार बवानश
चन्द सपर पवन पवानश शशव कगो आददे श। चरवाचर सपक ष्ट कवा तबज शशव कगो आददे श। करगोडप सपयर प्रकवाशनवाथ यगोग आदशर
शशव कगो आददे श। परमवातमपपणर आनसंद सवर शपक्तमवान चजतन्य रूप पजतदेन्द मगोक कजवल्य मपग क्तदवातवा शभन्न - अशभन्न
शशव कगो आददे श। महवाजवानश ककपवा सवाकवातकवार शशव कगो आददे श। सवरनवाथ शसदप कवा सतगगर आददनवाथपज ॐकवार शशव कगो
आददे श। इतनवा शशव सबद छनरूपवा सम्पपणर भयवा। शशनवाथजश गगरजश कगो आददे श।
शशशसंभगजतश गगर गगोरखनवाथ बवाल स्वरूप बगोशलए। इतनवा नचौ नवाथ स्वसंरूप मसंत्र सम्पपणर भयवा अनन्त कगोट शसदप मह
बजठकर गगर गगोरखनवाथपज नदे कहवायवा नवाथजश गगरजश आददे श।
૮૪ સસદદ નખ નખમ
कवपल नवाथ जश
सनक नवाथ जश
लसंक्नवाथ रवह जश
सनवातन नवाथ जश
ववचवार नवाथ जश
शभ्रथवारह नवाथ जश
चक्रिनवाथ जश
नरमश नवाथ जश
रततन नवाथ जश
शसंग
क देरह नवाथ जश
सनसंदन नवाथ जश
छनवछक त नवाथ जश
सनत कगमवार जश
ज्ववालहद नवाथ जश
सरस्वतश नवाथ जश
ब्रवाह्मश नवाथ जश
प्रभगददेव नवाथ जश
कनकक नवाथ जश
धगन्धकर नवाथ जश
मसंजप नवाथ जश
मवानसश नवाथ जश
वशर नवाथ जश
हररतदे नवाथ जश
नवागवाजगन
र नवाथ जश
भगस्कई नवाथ जश
मदर नवाथ जश
गवादहनश नवाथ जश
भपचर नवाथ जश
हम्ब्ब नवाथ जश
वक्रि नवाथ जश
चपरट नवाथ जश
तबलदेशयवाऊ नवाथ जश
कछनपवा नवाथ जश
तबबगक
र्बुं नवाथ जश
जवानदेशवर नवाथ जश
तवारवा नवाथ जश
सगरवानसंद नवाथ जश
भवागदे नवाथ जश
पशपल नवाथ जश
चसंद नवाथ जश
भद नवाथ जश
एक नवाथ जश
मवाछनक नवाथ जश
गदेहदेल्लदेअरवाव नवाथ जश
कवायवा नवाथ जश
यज्यवाववालवाक्य नवाथ जश
गचौर नवाथ जश
छतपन्तनश नवाथ जश
दयवा नवाथ जश
हववाई नवाथ जश
दररयवा नवाथ जश
खदेचर नवाथ जश
ससंजश नवाथ जश
सख
ग ददे व नवाथ जश
अघगोअद नवाथ जश
ददे व नवाथ जश
प्रकवाश नवाथ जश
कगोटर नवाथ जश
बवालक नवाथ जश
बवाल्गऊगदज नवाथ जश
शबर नवाथ जश
ववरूपवाक नवाथ जश
मपल्लकवा नवाथ जश
गगोपवाल नवाथ जश
लघवाई नवाथ जश
अलवालम नवाथ जश
शसद पढ़ नवाथ जश
आडबसंग नवाथ जश
गचौरव नवाथ जश
धशर नवाथ जश
सदहरगोबवा नवाथ जश
प्रगोद नवाथ जश
गरहब नवाथ जश
कवाल नवाथ जश
धरम नवाथ जश
मदेर नवाथ जश
शसदवासन नवाथ जश
सपरत नवाथ जश
मकर्बुंदय नवाथ जश
मशन नवाथ जश
कवाक्चसंदह नवाथ जश
भवागदे नवाथ जश
पशपल नवाथ जश
चसंद नवाथ जश
भद नवाथ जश
एक नवाथ जश
मवाछनक नवाथ जश
गदेहदेल्लदेअरवाव नवाथ जश
कवायवा नवाथ जश
यज्यवाववालवाक्य नवाथ जश
गचौर नवाथ जश
छतपन्तनश नवाथ जश
दयवा नवाथ जश
हववाई नवाथ जश
दररयवा नवाथ जश
खदेचर नवाथ जश
ससंजश नवाथ जश
सख
ग ददे व नवाथ जश
अघगोअद नवाथ जश
ददे व नवाथ जश
प्रकवाश नवाथ जश
कगोटर नवाथ जश
बवालक नवाथ जश
बवाल्गऊगदज नवाथ जश
शबर नवाथ जश
ववरूपवाक नवाथ जश
मपल्लकवा नवाथ जश
गगोपवाल नवाथ जश
लघवाई नवाथ जश
अलवालम नवाथ जश
शसद पढ़ नवाथ जश
आडबसंग नवाथ जश
गचौरव नवाथ जश
धशर नवाथ जश
सदहरगोबवा नवाथ जश
प्रगोद नवाथ जश
गरहब नवाथ जश
कवाल नवाथ जश
धरम नवाथ जश
मदेर नवाथ जश
शसदवासन नवाथ जश
सपरत नवाथ जश
मकर्बुंदय नवाथ जश
मशन नवाथ जश
कवाक्चसंदह नवाथ जश
गगर मपच्छिन्दनवाथ चवालहसवा...
दगोहवा
|| ॐ नममः शशववायदे ||
चचौपवाई
जय-जय गर
ग मपच्छिन्दनवाथ अववनवाशश ककपवा करगो गर
ग ददे व प्रकवाशश
जय-जय गर
ग मपच्छिन्दनवाथ गगण जवानश इच्छिवा रूप यगोगश वरदवानश
नवाम तगम्हवारवा जगो कगोई गवावदे जन्म-जन्म कदे दमःग ख शमट जवावदे
जगो कगोई गगर मपच्छिन्द नवाम सगनवावदे भपत वपशवाच छनकट नहहसं आवदे
जवान तम्
ग हवारवा यगोग सदे पवावदे रूप तम्
ग हवारवा वणरत न जवावदे
गगर मपच्छिन्द-गगर मपच्छिन्द जगो कगोई ध्यवावदे ब्रह्मवा रूप कदे दशरन पवावदे
जय-जय-जय गर
ग मपच्छिन्द अववनवाशश अपनदे जन कक हरगो चचौरवासश
अचल अगम हज गगर मपच्छिन्द यगोगश शसदश ददे वगो हरगो रसभगोगश
अजर अमर हज तगम्हवारह ददे हवा सनकवा ददकन सब जगो रहह नदेहवा
ध्यवान तम्
ग हवारवा जगो कगोई लवावदे अष्ट शसदश नव छनधध धर पवावदे
जगो यदे पढ़दह गगर मपच्छिन्द चवालहसवा हगोए शसद सवाकश जगदहशवा
सगनदे सगनवावदे प्रदेम वश पपजदे अपनदे हवाथ, मन इच्छिवा सब कवामनवा पगरदे गगर मपच्छिन्दनवाथ
अगम अगगोचर नवाथ तगम पवारब्रह्मवा अवतवार, कवानन कगण्डल शसर जटवा असंग ववभपछत अपवार
शसद पगरष यगोगदेशवरह दगो मगझकगो उपददे श, हर समय सदेववा करूऊ सगबह शवाम आददे श
ॐ नमगो आददे श. गगरूजश कगो आददे श. ॐ गगरूजश. पवानश कवा बपसंद, पवनकवा थम्ब, जहवा उपजवाकल्प वक
क कवा कसंध।
कल्पवक
क वक
क कगो छिवायवा । पजसमदे छतल घगसलदे कदे फकयवा ववास।
धन
ग श धवप पयवा अगन चढवायवा, शसद कवा मवागर ववरलदे पवायवा।
उरध मगख चढ़दे अगन मगख जलदे हगोम धगप ववासनवा हगोय लह, l
एफकस ब्रह्मसंडवा तजतशस करगोड, ददे वश ददे व कगन हगोम धगप ववास।
अपगन मख
ग धप
ग पवन मख
ग ववास।
इतनवा धप
ग कवा मसंत्र जप ससंपपणर सहह। ।
.. शश नवनवाथ मसंगलवाष्टक .. .
भक्त तझ
ग वा रकवा नवाथ कगयवारत सदवा मसंगलम . शशवमसंगलम, गगरमसंगलम॥
यगोग मवायवा तझ
ग श सदेववा मसंत्र शसद जवान रवाजवा
भक्त तझ
ग वा रकवा नवाथ कगयवारत सदवा मसंगलम . शशवमसंगलम, गगरमसंगलम॥
भक्त तझ
ग वा रकवा नवाथ कगयवारत सदवा मसंगलम . शशवमसंगलम, गगरमसंगलम॥
गगरककपवा तझ
ग श सदेववा मगोक सधदे तव सवाधनश
भक्त तझ
ग वा रकवा नवाथ कगयवारत सदवा मसंगलम . शशवमसंगलम, गगरमसंगलम॥
कवाछनफवा प्रबद
ग नवारवायणवा नवाथपसंथश कवापवाशलकवा
ब्रह्मचयर तझ
ग वा ठदे ववा शसद नवाथ कवान्हगपवा
भक्त तझ
ग वा रकवा नवाथ कगयवारत सदवा मसंगलम . शशवमसंगलम, गगरमसंगलम॥
भक्त तझ
ग वा रकवा नवाथ कगयवारत सदवा मसंगलम . शशवमसंगलम, गगरमसंगलम॥
भक्त तझ
ग वा रकवा नवाथ कगयवारत सदवा मसंगलम . शशवमसंगलम, गगरमसंगलम॥
भक्त तझ
ग वा रकवा नवाथ कगयवारत सदवा मसंगलम . शशवमसंगलम, गगरमसंगलम॥
नव-नवाथ-मवालवा
पथ्
क वश कवा भवार सब शशश पर उठवाए हह ।
गज-बलह 'कन्थभ-नवाथ' शसवद ददे तवा हवार ।
।।दगोहवा।।
करह ककपवा मझ
ग दहन पर, करूऊ सय
ग श गण
ग -गवान ।
'नव-नवाथ-मवालवा' शभ
ग गगनऊप, ककपजए बगवद प्रदवान ।।
नव-नवाथ-स्वरप
'आदद-नवाथ' सदवा-शशव हह, पजनकवा आकवाश-रप,
नव-नवाथ-चररत
।।दगोहवा।।
।।चचौपवाई।
तवाण्डव नतक य फकयवा शशव जब हह, चचौदह सपत्र प्रकट भदे तब हह ।।३
यगोग प्रकट करनदे कदे कवारण, 'गगोरक' स्वरप फकयवा धवारण ।।५
।।दगोहवा।।
'उदय-नवाथ' तम
ग पवावरतश, प्रवाण-नवाथ भश आप ।
।।चचौपवाई।।
पथ्
क वश-रप कमवा तगम करतश, दग
ग वार-रप असगर-भय हरतश ।।८
यगोग-यपग क्त मह तम
ग सहकवारह, तझ
ग दे सदवा पपजह नर-नवारह ।।१०
यगोगश-जन पर ककपवा तगम्हवारह, भक्त-भशड-भय-भञ्जन-हवारह ।
पवाठ करज जगो यदे धचत लवाई, 'उदय-नवाथ' जश हपइ सहवाई ।।१२
।।दगोहवा।।
।।चचौपवाई।।
चवार वदेद कवा फकयवा उचवारवा, ऋवष-मगछन शमल कदे फकयवा ववचवारवा ।
कगर-कदेत्रदे पथ
क पदक सगन्दर, 'सतय-नवाथ' यगोगश कहलवाए ।
'सतय-नवाथ' कवा जगो गगण गवाएऊ, छनशचय उनकवा दशरन पवाएऊ ।।१८
।।दगोहवा।।
।।चचौपवाई।।
सन्
ग दर रपदे ववष्ण-ग तन धवारदे , स-चरवाचर कदे पवालन हवारदे ।।२०
।।दगोहवा।।
।।चचौपवाई।।
जय-जय-जय यगोगश अचलदेशवर, सकल सपक ष्ट धवारदे शशव ऊपर ।
पर-दख
ग -भञ्जन पर-दहत कवाजवा, नदेछत आप भयदे शसद रवाजवा ।
।।दगोहवा।।
।।चचौपवाई।।
वसन
ग वाथ पर ककपवा तम्
ग हवारह, करह तपस्यवा कपप मह भवारह ।
।।दगोहवा।।
।।चचौपवाई।।
जय-जय-जय शश शसद चचौरसं गश, यगोधगन कदे तगम छनत हगो ससंगश ।
रवानश नदे तब शशश नमवायवा, हगए अदृशय भदेद नहहसं पवायवा ।।४२
।।दगोहवा।।
।।चचौपवाई।।
मदहमवा आपकक महवा भवारह, कदह न सकदे मछत मन्द हमवारह ।।४८
।।दगोहवा।।
शशवयगोगश अवधत
प छनरञ्जन, सरग -नर-मछग न सब करतदे वन्दन ।
चवारप यगग कदे आपदह यगोगश, अजर अमर सगधवा-रस भगोगश ।।५१
शशव गगोरक कदे शरण जगो आएऊ, हगोय अभय अमर-पद पवाएऊ ।
जगो गगोरख कवा ध्यवान लगवाएऊ, जरवा-मरण नदहसं उसदे सतवाएऊ ।।५४
।।दगोहवा।।
जरवा-मरण आधध-व्यवाधध तझ
ग दे न सतवाएऊगश ।