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ी यंिगरा तो | | Vadicjagat

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August 28,
2015

ी यंिगरा तो
ी गणेशाय नमः। ॐ नमः यंिगरायै।।
म दर थं सुखासीनं, भगव तं महे रम्। समुपाग य चरणौ, पावती प रपृ छ￸त।।१
।। ीदे युवाच।।
धारणी परमा िव ा, यंिगरा महोदया। नर-नारी-िहताथाय, बालानां र णाय च।।२
रा ां म ड लकानां च, दीनानां च महे र! महा-भयेषु घोरेषु, िव ुदि -भयेषु च।।३
या -दंि -करी-घाते, नदी-नद-समु के। अ￱भचारेषु सवषु, यु े राज-भयेषु च।।४
सौभा य-जननी देव! नृणाम् व य-करी सदा। तां िव ां भो सुरश े ेह! कथय व मम भो।।५
।। ीभैरवोवाच।।
साधु साधु महा-भागे! ज तूनां िहत-का रणी। व -वचना ाम र न! कथयािम न संशयः।।६
देवी यंिगरा िव ा, सव- ह-िनवा रणी। म दनी द ु -स वानां, सव-पाप-िवमो￸चनी।।७
ी-पुं-नपुंसकानां च, ज तूनां िहत-का रणी। सौभा य-जननी देवी, नृणां व य-करी सदा।।८
चतुः-पदेषु गो ेषु, वनेषूपवनेषु च। मशाने दगु मे घोरे, सं ामे श -ु संकटे।।९
राज- ारे च द￰ु भ े, महा-भय उप थते। पिठता पािठता देवी, सव-■स￸ -करी शुभा।।१०
य यांग था महा-देवी, यंिगरा सुभािषता। ■स￸ दा सव-■स￸ नां, िव ेयं परमा मृता।।११
ीमता घोर- पेण, भािषता घोर- िपणी। यंिगरा मया- ो ा, रपुं ह या संशयः।।१२
ह र-च दन-िम ेण, रोचना-कंु कुमेन च। ल ख वा भूज-प ेषु, धारणीया सदा नरैः।।१३
पु प-धूपै व￸च ै , ग ध-दीपै पूजनैः। पूज￸य वा यथा- यायं, शा त-कु भेन वे येत्।।१४
धारये इमां िव ां, िन￸ त- रपु-ना￱शनी। िवलयं या त रपवः यंिगरा-िवधारणात्।।१५
यं यं पृश￸त ह तेन, यं यं खाद￸त ■ज या। अमृतं त -भवेत् त य, नाप-मृ युः कदाचन।।१६
ि पुर ं च मया द धिममां िव ां च िव ता। िन■जता ासुराः सव, देवद ै या￱भमािननः।।१७
गोलकं स व यािम, भैष यािन च सु ते! ा ता दमनकं चैव, रोचना-कंु कुमे तथा।।१८
अ करं वचा र ं, ■स ाथ मालती तथा। एत - य-गणं भ !े गोल-म ये िनधापयेत्।।१९
सततं धारये म ी, साधको म -िवत् सदा। अधुना स व यािम, यंिगरा-सुभािषतम्।।२०
िद य-म -पदं ￸च ,ं सुखोपायं सुखोदयं। पठे र ा-िवधानं च, म -राजं क ￷ततम्।।२१

िविनयोग- ॐ अ य ी यंिगरा- तो य महादेव ऋिषः, ि ु प छ दः यंिगरा देवता, हूं बीजं, शि ः, क लकं,


म ो ाभी -■स ये जपे िविनयोगः।

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“ॐ नमः सह -सूय णाय। आिद- पाय नमः। पु ष-भूताय नमः। पु हूताय नमः। महा-सुखाय नमः। महा- यािपने नमः।
महे राय नमः। जग छा तकाय नमः। शा ताय नमः। सव- यािपने नमः। शंकराय नमः। महा-घोषा￱भ-घोषाय नमः। ॐ ॐ
महा- भावं दशय दशय, मम श ून् नाशय नाशय ॐ ॐ िह ल िह ल, ॐ ॐ ॐ िम ल िम ल, ॐ ॐ ॐ भुिव भुिव िव ु े!
मम श ून् दह दह, वल वल, ब ध ब ध, मथ मथ, वंसय वंसय िवनाशय िवनाशय, ॐ स स िपब िपब, नाशय
नाशय, ावय ावय, ासय ासय, दारय दारय, िवदारय िवदारय, र वतम मान्, र ां कु कु , ॐ ॐ र र मां
साधकं स-प रवारं र र , ॐ ॐ सव प वे यो महाऽघौघाि -स वतक-िव ुद त-किप दन् ! िद य-कनका भो ह! िवकट-
मालाधर! ￱श￸त-क ठ! या ■जन-कृ -भृत!् कपाल-कु￸ केके! परमे र-ि ये! मम श ून् ￱छ ध ￱छ ध, ￱भ द ￱भ द, ￱भ
￱भ , िवदारय िवदारय, देव-िपशाच-सुरोरग-ग ड़-ग धव-िक र-िव ाधर-गण-लोक-पालां हन हन, त भय त भय, ये न
मम साधक य स-प रवारक य श -ु थानािन, ॐ ॐ िह ल िह ल, िनकृ तय िनकृ तय, ये सवदा मम अिव ा-कम कुव त
कारय त, तेषामिव ां त भय त भय, भय- थानं क लय क लय, ामं क लय क लय, देशं क लय क लय, ॐ िव -मू !
मत्-तेह■स ॐ जः ॐ जः ॐ ठः ॐ ठः, मम श ूणां िव ां त भय त भय, ॐ जः ॐ जः ॐ ठः ॐ ठः, मम श ूणां ￱शरः
त भय त भय, एवं ने े कण मुखं क ठं ह तौ पादौ गु िम या￱ण कुटु बािन एता थानं क लय क लय, ानं क लय
क लय एवं मल-देशं घातय, ॐ जः ॐ जः ॐ ठः ॐ ठः, मम श ूणां पादौ क लय क लय, ॐ जः ॐ जः ॐ ठः ॐ ठः,
सव-■स े महा-भागे! साधक य स-प रवारक य शा त कु कु वाहा।। ॐ जः ॐ जः ॐ ठः ॐ ठः ॐ हूं ॐ हूं फट्
फट् वाहा।। ॐ यं ॐ यं ॐ रं ॐ रं ॐ लं ॐ लं ॐ वं ॐ वं ॐ हूं ॐ हूं फट् फट् वाहा। यंिगरे! अमुक य साधक य
स-प रवारक य मम र ां कु कु वाहा। ॐ जः ॐ जः ॐ ठः ॐ ठः ॐ हूं ॐ हूं फट् फट् वाहा।। ॐ नमो भगव￸त
वेता लिन! द ु -चा डा लिन! ि शूल-व ांकुश-धा र￱ण! ￸धर-मांस-भ￸ ￱ण! कपाल-ख ांग-व ा■स-ध र￱ण! साधक य मम
श ून् दह दह, पच पच, मथ मथ, मदय मदय, तापय तापय, शोषय शोषय, उ सादय उ सादय, िव वंसय िव वंसय, िवदारय
िवदारय, हन हन, वल वल, धम धम, सव-द ु -स वान् नाशय नाशय, स स, िपव िपव, ॐ फट् वाहा। ॐ दं ा-करा लिन!
मम साधक य स-प रवारक य म -त -य -िवष-चूण-श ा￱भचार-सव प वािद येन कृतं, का रतं, कु ते, कारय￸त,
क र य￸त वा, तान् सवान् द ु ान् हन हन, यंिगरे! भ भ मां साधकं स-प रवारं र र वाहा।
ॐॐ हूं हूं फट् फट् वाहा। ॐ ाणी माहे री कौमारी नार↓सही वै णवी वाराही इ ाणी चामु डा च डका
सु दरी। ॐ ऐं ा￱ण! मम ￱शर■स र , र ां कु कु , ॐ ॐ फट् फट् वाहा। ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ऐं माहे री!
मम ने े र र वाहा। ॐ ॐ हूं हूं फट् फट् वाहा। ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ऐं कौमारी! मम व ं र र वाहा।
ॐॐ हूं हूं फट् फट् वाहा। ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ऐं नार↓सिह! मम बाहू र र वाहा। ॐ ॐ हूं हूं
फट् फट् वाहा। ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ऐं वै णवी! मम दयं र र वाहा। ॐ ॐ हूं हूं फट् फट् वाहा। ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ऐं वारािह! मम क ठं र र वाहा। ॐ ॐ हूं हूं फट् फट् वाहा। ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ऐं
इ ा￱ण! मम ना○भ र र वाहा। ॐ ॐ हूं हूं फट् फट् वाहा। ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ऐं चामु डे! मम गु ं र
र वाहा। ॐ ॐ हूं हूं फट् फट् वाहा। ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ऐं च डके! मम जंघे र र वाहा। ॐ ॐ
हूं हूं फट् फट् वाहा। ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ऐं सु द र! मम पादौ र र वाहा। ॐ ॐ हूं हूं फट् फट्
वाहा। ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ऐं यंिगरे! मम सवागं र र वाहा। त भनी िमिहनी चैव, जृ भणी ािवणी तथा।
ो￱भणी ािमणी रौ ी, तथा संहा र￱ण￸त च। श यः म-योगेन, श ु-प े िनवे￱शताः। सा￸धताः साधके ेण, सव-श -ु
िवना￱शकाः।
ॐ त भिन! मम श ून् त भय त भय। ॐ मोिहिन! मम श ून् मोहय मोहय। ॐ जृ भ￱ण!
मम श ून् जृ भय जृ भय। ॐ ािव￱ण! मम श ून् ावय ावय! ॐ ो￱भ￱ण! मम श ून् ोभय ोभय। ॐ
िम￱ण! मम श ून् ामय ामय। ॐ रौि ￱ण! मम श ून् दारय दारय। ॐ संहा र￱ण! मम श ून्
संहारय संहारय। ॐ ॐ यंिगरे! कट-दं े फे का र￱ण! मम श ून् छे दय छे दय, खादय खादय, सवान्
द ु ान् मारय मारय, ख गेन ￱छ ध ￱छ ध, ￱भ ध ￱भ ध, िक ल िक ल, िक￸च िक￸च, िपव िपव ￸धरं, काली
काली महा-काली ां फट् ।

अ ो र-शतं जापो, म ा या य क ￷ततः। ऋिष तु भेरवो नाम, छ दोनु ु प् क ￷ततम्।।


देवता दे￱शकै ा, ना ना यंिगरे￸त च। कूच-वीजैः षडंगािन, क पयेत् साधको मः।।
वीजम िवधायैव, ￸चता ौ तु ￸ पेत् ततः। सवः कृ णोपचारै तु, याये वै का लकां शुभाम्।।
ऊ व कराल डम ं ि शूलं संिव ती च -कलावतंसा।
पगो व-केशी शत-भीम-दं ा भू यै भवेयं मम भ -काली।।
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।।फल- ु￸त।।
एवं या वा जपे म मेक- वश￸त-वासरम्। श ूणां नाशनं ेतत्, कारोऽयं सुिन￸ तः।।१
अ यामधरा ौ च, शरत्-काले महा-िन￱श। आवािहता चेत् काली-वत्, त णात् ■स￸ दा भवेत।् ।२
सव पहार-स प ा, व -र न-फलािद￱भः। पु पै र वण , याये का लकां पराम्।।३
वषाद ू व अजं मेष,ं मृग वाथ तथा-िव￸ध। द ात् पूव महेशा यै, जपं प ात् समापयेत्।।४
अक मात् ■स￸ दा काली, स यं स यं वदा यहम्। मूल-म ेण रा ौ चे ोमं कुयात् समािहतः।।५
मसूरी-लाज-लोनै , सषपैमानवो भवेत्। महा-भये गदे चैव, न भयं िव ते ￸चत्।।६
ेत-िप डं समादाय, गोलकं कारयेत् ततः। म ये नामांिकतं कृ वा, श ूणां पु ल ततः।।७
एकायुतं जपं कृ वा, ि रा ा मरणं रपोः। महा- वाला भवेत् त य, स -ता -शलाकया।।८
गुद- ारे िव य य, स ाहा मरणं रपोः। िव ानामु मा िव ा, पिठता पािठता नरैः।।९
ल ख वा च करे क ठे , बाहौ ￱शर■स धारयेत्। मु यते सव-पापे यो, नाप-मृ युः कदाचन।।१०
य इमां धारये िव ां, ि -स यमिप यः पठे त। सोऽिप दःु खा तको देिव! ह या छ ीन् न संशयः।।११
सवतो र ते िव ा, महा-िव ा िवप षु। महा-भयेषु घोरेष,ु न भयं िव ते ￸चत्।।१२
कूट था देवता िद ,ु िविद ु बीज-प कैः। फट् -कारैः शमय वं च, र मां साधको मम्।।१३
।।इ￸त ीच डका -शुल-पा￱णना यंिगरा-िव ा-म ो ार।।

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