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ी सांपुिटक ी सू | घोर द र ता िनवारण उपाय | Samputik Shri

Sukta | Shri Sukta |


karmkandbyanandpathak.com/2019/05/samputik-shri-sukta-shri-sukta.html

ी सांपुिटक ी सू
एक ऐसा योग जो दिरदता िनवारण के िलये रामबाण योग है िजसके पाठ मा से ज मो ज म की दिरदता
का िवनाश हो जाता है | इस सू तम का किप अनु ठान करने की आव यकता नहीं है िफर भी चाहो तो कर
सकते हो िक तु ितिदन िसफ एक पाठ मा से ही दिरदता का िवनाश हो जाता है |

स पु िटत ीसू त का एक अनु भव


ितिदन या हर शु वार को दािड़म के रस से और दा ारस से इस स पु िटत ीसू त का एक या १६ पाठ से
अिभषे क करे |
ये सवो म उपाय है माँ ल मी को स न कर के दिरदता का िवनाश करने का |

स पुिटक ीसू

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स पु िटक ीसू त या है ?
यह सू त तीनसौ गुना फलदेने वाला है यु की इस ीसू त को
दुगास तशती के चतुथ अ याय के "दु ग मृ ता हरिस" मं के साथ ल मी जी का मूल स ाईस अ रों
वाला मं
"ॐ ीं ीं ीं कमले कमलालये सीद सीद ीं ीं ीं ॐ महाल यै नमः" इस मं के साथ ीसू त
के हर एक म को स पुिटत िकया गया है इसिलये इस सू त की शि त तीनसौ गु ना बढ़ जाती है |

इस सू त की खािसयत यह है की इसम नाही िविनयोग- यास-संक प आिद करने की ज रत है यह िसफ पाठ


करने मा से ही फल दे ने लगता है | अगर आप यादा दिरदता से झूझ रहे हो तो ितिदन ९ पाठ करे | पूण
ा भि त यु त करे |
अव य फल दगा |

|| सा पु िटक ीसू त पाठ ||

ॐ ीं ीं ीं कमले कमलालये सीद सीद ीं ीं ीं ॐ महाल यै नमः |


ॐ दुग मृता हरिसभीितमशे षज तोः व थै ः मृ ता मितमतीव शु भां ददािस |
ॐ िहर यवणा हिरणीं सु वण रजत जां |
च दां िहर मयीं ल मीं जातवे दो म आवह ||

दािरददु खभयहािरिण का वद या सवोपकारकरणाय सदादिच ा |


ॐ दु ग मृ ता हरिसभीितमशे षज तोः व थै ः मृ ता मितमतीव शु भं ददािस |
ॐ ीं ीं ीं कमले कमलालये सीद सीद ीं ीं ीं ॐ महाल यै नमः |
ॐ तां म आवह जातवे दो ल मीमनपगािमनीं |
य यां िहर यं िव दे यं गाम वं पु षानहं ||

दािरद्यदु ःखभयहािरिण का वद या सवोपकारकरणाय सदादिच ा |


ॐ ीं ीं ीं कमले कमलालये सीद सीद ीं ीं ीं ॐ महाल यै नमः |
ॐ दुग मृता हरसीभीितमशे षज तोः व थै ः मृ ता मितमतीव शु भां ददािस |
ॐ अ वपूवा रथम यां हि तनाद बोिधनीं |
ि यं देवी मुप ये ीमा दे वी जु षतां ||

दािरद्यदु ःखभयहािरिण का वद या सवोपकारकरणाय सदादिच ा |


ॐ ीं ीं ीं कमले कमलालये सीद सीद ीं ीं ीं ॐ महाल यै नमः |
ॐ दुग मृता हरिस भीितमशे षज तोः व थै ः मृ ता मितमतीव शु भां ददािस |
ॐ कां सोि मतां िहर य ाकारामादा वल तीं तृ तां तपय तीं |
पद्मेि थतां पद्मवणा तािमहो प ये ि यं ||

दािरद्यदु ःखभयहािरिण का वद या सवोपकारकरणाय सदादिच ा |


ॐ ीं ीं ीं कमले कमलालये सीद सीद ीं ीं ीं ॐ महाल यै नमः |
ॐ दुग मृता हरिस भीितमशे षज तोः व थै ः मृ ता मितमतीव शु भां ददािस |
ॐ च दां भासां यशसा वल तीं ि यम लोके दे वजु टामु दारां |
तां पिद्मनीमीं शरणमहं प े अल मीम न यतां वां वृ णे ||

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दािरद्यदु ःखभयहािरिण का वद या सवोपकारकरणाय सदादिच ा |
ॐ ीं ीं ीं कमले कमलालये सीद सीद ीं ीं ीं ॐ महाल यै नमः |
ॐ दुग मृता हरिस भीितमशे षज तोः व थै ः मृ ता मितमतीव शु भां ददािस |
ॐ आिद यवण तपसोिधजातो वन पित तव वृ ोथिब वः |
त यफलािन तपसानुद तु माया त राया च बा ा अल मीः ||

दािरद्यदु ःखभयहािरिण का वद या सवोपकारकरणाय सदादिच ा |


ॐ ीं ीं ीं कमले कमलालये सीद सीद ीं ीं ीं ॐ महाल यै नमः |
ॐ दुग मृता हरिस भीितमशे षज तोः व थै ः मृ ता मितमतीव शु भां ददािस |
ॐ उपै तु मां दे वसखः कीित च मिणना सह |
ू सु रा टे ि मन कीितमृ ि ं ददातु म ||
ादु भतो

दिरद्यदु ःखभयहािरिण का वद या सवोपकारकरणाय सदादिच ा |


ॐ ीं ीं ीं कमले कमलालये सीद सीद ीं ीं ीं ॐ महाल यै नमः |
ॐ दुग मृता हरिस भीितमशे षज तोः व थै ः मृ ता मितमतीव शु भां ददािस |
ॐ ु ि पपासामलां ये ठामल मीं नाशया यहं |
अभूितमसमृि ं च सवा िनणु द म गृहात ||

दािरद्यदु ःखभयहािरिण का वद या सवोपकारकरणाय सदादिच ा |


ॐ ीं ीं ीं कमले कमलालये सीद सीद ीं ीं ीं ॐ महाल यै नमः |
ॐ दुग मृता हरिस भीितमशे षज तोः व थै ः मृ ता मितमतीव शु भां ददािस |
ॐ ग ध ारां दु राधषा िन यपु टां किरिषिणं |
ई वरीं सवभूतानां तािमहोप ये ि यं ||

दािरद्यदु ःखभयहािरिण का वद या सवोपकारकरणाय सदादिच ा |


ॐ ीं ीं ीं कमले कमलालये सीद सीद ीं ीं ॐ महाल यै नमः |
ॐ दुग मृता हरिस भीितमशे षज तोः व थै ः मृ ता मितमतीव शु भां ददािस |
ॐ मनसः काममाकू ितं वाचः स यमशीमिह |
पशूनां प म न य मयी ीः यतां यशः ||

दिरद्यदु ःखभयहिरणी का वद या सवोपकारकरणाय सदादिच ा |


ॐ ीं ीं ीं कमले कमलालये सीद सीद ीं ीं ीं ॐ महाल यै नमः |
ॐ दुग मृता हरिस भीितमशे षज तोः व थै ः मृ ता मितमतीव शु भां ददािस |
ॐ कदमेन जा भूता मयी संभव कदम |

ि यं वासय म कुले मातरं पद्ममािलनीं ||

दािरद्यदु ःखभयहािरिण का वद या सवोपकारकार य सदादिच ा |


ॐ ीं ीं ीं कमले कमलालये सीद सीद ीं ीं ीं ॐ महाल यै नमः |
ॐ दुग मृता हरिस भीितमशे षज तोः व थै ः मृ ता मितमतीव शु भां ददािस |
ॐ आपः सृ ज तु ि न धािन िच लीत वस् म गृहे |
िन च देिवं मातरं ि यं वासय म कुले ||

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दिरद्यदु ःखभयहािरिण का वद या सवोपकारकरणाय सदादिच ा |
ॐ ीं ीं ीं कमले कमलालये सीद सीद ीं ीं ीं ॐ महाल यै नमः |
ॐ दुग मृता हरिस भीितमशे षज तोः व थै ः मृ ता मितमतीव शु भां ददािस |
ॐ आदा यः किरिणं यि टं सुवणा हे ममािलनीं |
सूया िहर मयीं ल मीं जातवे दो म आवह ||

दािरद्यदु ःखभयहािरिण का वद या सवोपकारकरणाय सदादिच ा |


ॐ ीं ीं ीं कमले कमलालये सीद सीद ीं ीं ीं ॐ महाल यै नमः |
ॐ दुग मृता हरिस भीितमशे षज तोः व थै ः मृ ता मितमतीव शु भां ददािस |
ॐ आदा पु किरिणं पु ि टं िपंगलां पद्ममािलनीं |
च दां िहर मयीं ल मीं जातवे दो म आवह ||

दािरद्यदु ःखभयहािरिण का वद या सवोपकारकरणाय सदादिच ा |


ॐ ीं ीं ीं कमले कमलालये सीद सीद ीं ीं ीं ॐ महाल यै नमः |
ॐ दुग मृता हरिस भीितमशे षज तोः व थै ः मृ ता मितमतीव शु भां ददािस |
ॐ तां म आवह जातवे दो ल मीमनपगािमनीं |
य यां िहर यं भूतं गावो दा यो वान िव दे यं पु षानहं |
दािरद्यदु ःखभयहािरिण का वद या सवोपकारकरणाय सदादिच ा |
ॐ ीं ीं ीं कमले कमलालये सीद सीद ीं ीं ीं ॐ महाल यै नमः |
ॐ दुग मृता हरिस भीितमशे षज तोः व थै ः मृ ता मितमतीव शु भां ददािस |
ॐ यः शु िचः यतो भू वा जुहयादा यम वहं |
सू तं प चदशच च ी कामः सततं जपे त ||
दािरद्यदु ःखभयहािरिण का वद या सवोपकारकरणाय सदादिच ा |
ॐ ीं ीं ीं कमले कमलालये सीद सीद ीं ीं ीं ॐ महाल यै नमः |
ॐ दुग मृता हरिस भीितमशे षज तोः व थै ः मृ ता मितमतीव शु भां ददािस | |

|| ी महाल मयापणं अ तु ||
|| अ तु ||

|| जय ी कृ ण ||

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