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3. या दे वी सर्वभत
ू ष
े ु शक्तिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या दे वी सर्वभत
ू ष
े ु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या दे वी सर्वभत
ू ष
े ु तष्टि
ु रूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या दे वी सर्वभत
ू ष
े ु मातरू
ृ पेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या दे वी सर्वभत
ू ष
े ु दयारूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या दे वी सर्वभत
ू ष
े ु बद्
ु धिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या दे वी सर्वभत
ू ष
े ु शांतिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
मस
ु ीबतों से मक्ति
ु पाने के लिए दर्गा
ु मंत्र
शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे ।
सर्वस्यार्तिहरे दे वि नारायणि नमो स्तत
ु े ॥
पत्र
ु प्राप्ति के लिए दर्गा
ु मंत्र
दे वकीसत
ु गोविंद वासद
ु े व जगत्पते ।
दे हि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः ॥
धन के लिए दर्गा
ु मंत्र
“दर्गे
ु स्मत ृ ा हरसि भीतिमशेषजन्तो:
स्वस्थै: स्मत ृ ा मतिमतीव शभु ां ददासि।
दारिद्र्यद:
ु खभयहारिणि का त्वदन्या
सामहि
ू क कल्याण के लिए मां दर्गा
ु की वंदना