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काली पञ्चबाण

कालिका नामो हि धमाा


कालिका सेवा हि धमाा
कालिका हि सवात्र
कालिका हि सवास्व

सज्जा एवं संकिन: रमा कान्त लसंि (Devotional Manav)

॥ ाब प की प्रस् त ॥
॥ साद आभा – श्री महें द्र ससह, श्री पख ाज मेवाड़ा, श्री सजय D जो ी, श्रीम ी मीनाक्षी ससह ॥
काली पञ्चबाण

काली पञ्च बाण

ोजगार एवं रोजगार संबधं ी समस्याओं में कािी पंच बाण स्तोत्र को बिुत िी प्रभावशािी स्तोत्र माना जाता िै एवं
इसके ननयलमत प्रयोग से जीववका संबंधी सभी समस्याओं का यथाशीघ्र ननराकरण भी िोते दे खा गया िै दस
ू री खास
बात इस स्तोत्र की यि िै कक यि स्तोत्र वैहदक मागा से निीं िै अस्तु इसको लसद्ध करने एवं उचचत पररणाम पाने के
लिए िम्बे-चौड़े ववधान एवं एक िंबी संख्या में जप करते िुए लसद्ध करने की आवश्यकता भी निीं िै यि स्तोत्र स्वयं
लसद्ध स्तोत्र की गणना में आता िै ।

इस स्तोत्र को करने की ववचध भी अत्यंत सरि िी िै जजसमें अनुष्ठानकताा को एक दीपक जिाकर यथा सामर्थया
पान,लमठाई इत्याहद का भोग िगाकर बस साधारण रीनत से 11 पाठ सब
ु ि एवं 11 पाठ सायंकाि / रात्रत्र में करने
िोते िैं कुछ िी हदनों में इसका प्रभाव दलशात िोने िगता िै ।

प्रथम वाण
ॐ नमः कािी कंकािी मिाकािी
मख
ु सन्
ु दर जजए ब्यािी
चार वीर भैरों चौरासी
बीततो पज
ु ू पान ऐ लमठाई
अब बोिो कािी की दिु ाई।

द्वव ीय वाण
ॐ कािी कंकािी मिाकािी
मख
ु सन्
ु दर जजए ज्वािा वीर वीर
भैरू चौरासी बता तो पज
ु ू
पान लमठाई
अब बोिो कािी की दिु ाई।

ृ ीय वाण
ॐ कािी कंकािी मिाकािी
सकि सद
ुं री जीिा बिािो
चार वीर भैरव चौरासी
तदा तो पज
ु ू पान लमठाई
अब बोिो कािी की दिु ाई।

॥ ाब प की प्रस् त ॥
॥ साद आभा – श्री महें द्र ससह, श्री पख ाज मेवाड़ा, श्री सजय D जो ी, श्रीम ी मीनाक्षी ससह ॥
काली पञ्चबाण

च थथ वाण
ॐ कािी कंकािी मिाकािी
सवा सद
ुं री जजए बिािी
चार वीर भैरू चौरासी
तण तो पज
ु ू पान लमठाई
अब राज बोिो
कािी की दिु ाई।

पचम वाण
ॐ नमः कािी कंकािी मिाकािी
मख सन्
ु दर जजए कािी
चार वीर भैरू चौरासी
तब राज तो पज
ु ू पान लमठाई
अब बोिो कािी की दोिाई।

कछ ध्यान में खने योग्य बा ें :

 जब क स् ो प पण
ू थ ववश्वास ना हो ब क उसका अनष्ठान नही ककया जाना चाहहए क्योंकक सभी
अनष्ठानों की सफल ा का हस्य श्रद्धा, ववश्वास एव समपथण में ही तनहह ह।

 स् ो में वर्णथ ब्द अथवा वाक्य यहद गल अथवा अ द्ध लगें ो भी उन्हें सही क ने की भल
ू ना
क ें क्योंकक यह स् ो ाब में ह एव अपने मल
ू रूप में ही प्रभाव हदखायेगा।

 अनष्ठान क ने के उप ा पर णाम के सलए जल्दबाजी ना क ें क्योंकक यह स् ो ो प्रभावी ह ककन्


पर णाम में दे ी के सलए आपकी प्रकृत एव कृ कमथ भी उत् दायी हो े हैं।

 भोग वस् में जो भी सामर्थयथ के अनसा सभव हो वही प्रयोग क ें व्यथथ का खचथ एव हदखावा
आवश्यक नही ह।

 यथोचच पर णाम समलने के उप ा 5 या 7 ग ीब व्यक्क् यों को भोजन व वस् आहद अपनी सामर्थयथ
के अनसा भें ट क ें ।

 सम्भव हो ो चीहटयों के सलए प्रत हदन क्क के कछ दाने ऐसी जगह बबखे ें जहााँ लोगों का आना-
जाना ना हो क्जससे क्क चग े समय वे ककसी के प ों के नीचे ना दबें।

जय मााँ सवेश्वरी

॥ ाब प की प्रस् त ॥
॥ साद आभा – श्री महें द्र ससह, श्री पख ाज मेवाड़ा, श्री सजय D जो ी, श्रीम ी मीनाक्षी ससह ॥

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