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सिद्धो गरु
ु वरो, आदे श-आदे श।।”
नवनाथ स्तति
ु Navnath Stuti
“आदि-नाथ कैलाश-निवासी, उदय-नाथ काटै जम-फाँसी। सत्य-नाथ सारनी सन्त
भाखै, सन्तोष-नाथ सदा सन्तन की राखै। कन्थडी-नाथ सदा सख
ु -दाई, अञ्चति
अचम्भे-नाथ सहाई।
घट-घट पिण्डे व्यापी, नाथ सदा रहें सहाई। नवनाथ चौरासी सिद्धों की दह
ु ाई। ॐ
नमो आदे श गरु
ु की।।”
विधिः- पर्ण
ू मासी से जप प्रारम्भ करे । जप के पर्व
ू चावल की नौ ढे रियाँ बनाकर उन
पर ९ सप ु ारियाँ मौली बाँधकर नवनाथों के प्रतीक-रुप में रखकर उनका
षोडशोपचार-पजू न करे ।
तब गरु
ु , गणेश और इष्ट का स्मरण कर आह्वान करे ।
फिर मन्त्र-जप करे । प्रतिदिन नियत समय और निश्चित संख्या में जप करे ।
विधिः- उक्त स्मरण का पाठ प्रतिदिन करे । इससे पापों का क्षय होता है , मोक्ष की
प्राप्ति होती है ।
सख
ु -सम्पत्ति-वैभव से साधक परिपर्ण
ू हो जाता है । २१ दिनों तक २१ पाठ करने से
इसकी सिद्धि होती है ।