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रख िों | उस के बाद उग्र नभसिंग मंि 108 बर जप करके भपिा
सरों अभिमंभित करें | और उस के बाद दगु ाा सप्तशती के 4 मंिो
का 5 बार अभिमंभित करें | इस के बाद प्रयोग आभद कर सकते है
|
अभिमंभित करने के भिए 108 बार जप करके हि में जि िेके
बोिेन के मेने भजतना जप भकया है उस का सारा ऊजाा में इस
भपिा सरसो में समभपात करता हूँ बोि के जि भपिा सरसों में
छोड़ दें | उस के बाद भफर दगु ाा सप्तशती के 4 मिं को भपिा
सरोसों के उपर हाथ रख के 5 बार पड़ें |
प्रयोग जवजि :-
साधना के भदग बंधन के समये भनम्न के दो प्रयोग करें भनम्न का
मिं भबघ्नो सारण मिं है | इस प्रयोग से साधना के समय के सारे
भबघ्न हि जाते है |
जिघ्नोसारण मांि:
{हाथ में अजभमांजित जपला सरसों लेके जनम्न मांि पढ़े |}
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ॐ नेरुत्य भदसं चक्रेण बध्नाभम नमस्चक्राय स्वाहा l(नेरुत्य)
KARMAKAND BY S ACHARYA