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Kuldevi Stotra

॥कुलदे वी स्तोत्र॥
॥ॐ कुल दे व्यै नमः॥
॥श्रीदे वी स्तोत्रम्॥
शु ं भ निशुं भ लु लाय मु खघ्नी या मघवन् मु ख ले ख भयघ्नी॥१॥
सन्मतिदे निज भीति विनिघ्नी सदग ् तिदे शकला भव निघ्नी॥२॥
सात्वम यीश्वरि शर्म विधे हि स्वे मयि धीश्वरि वर्म च दे हि॥३॥
स्वीय कटाक्ष निरीक्षण रूपं ये न भवे द वितं निज रूपम्॥४॥
॥इति श्रीमत्परमहं स परिव्राजकाचार्य श्रीवासु देवानं द सरस्वती विरचितं दे वी स्तोत्रं
सं पर्ण
ू म्॥

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