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रराजययोग भराग- 1

> अननेक जरातक-जराततकराओओ कक महत्वराकराओकरा हयोतत हह रराजससख पराप्त करनने कक। वने जराननरा
चराहतने हह कक उनकने हराथ मम भत रराजययोग हह यरा नहहओ। ऐसने महत्वराकराओकत जरातकक कने ललिए
हमरारने हस्त रने खरा कने ववद्वरान महवरर्षियक नने अननेक रराजययोगक कने सओबओध मम सरामसदद्रिक शरास्तक मम
वरर्षिन ककयरा हह जजसमम मसख्य ययोग मओतत, मसख्यमओतत, रराजदत
द , रराज्यराधधकरारह, रराज्यपरालि,
न्यरायराधतश, वककलि आदद ययोग तनम्न पकरार कने हह-

1. जजिसकक हथथेलल कथे मध्य घघोडड, घडड, पथेड, ददं ड यड स्तदंभ कड चचिह्न हघो, वह रडजिससख भघोगनथे वडलड,
नगर सथेठ कथे समडन धनन हघोतड हहै । जजिसकड ललडट चिचौडड और ववशडल, नथेत सदंद
स र, मस्तक गघोल और
भसजिडएदं लदंबन हह, वह भन रडजिससख भघोगतड हहै ।

2. जजिसकथे हडथ मम धनसष, चिक, मडलड, कमल, ध्वजिड, रथ, आसन अथवड चितसष्कघोण हघो, उसकथे ऊपर
लक्ष्मन सदड प्रसन्न रहतन हहै ।

3. जजिसकथे हडथ मम अनडममकड कथे ममल मम पसण्य रथे खड हघो और मणणबदंध सथे शनन रथे खड मध्यमड उदं गलल पर
जिडए तघो वह रडजिससख भघोगतड हहै । >

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