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15012011181-Economic & Social Issues PDF
15012011181-Economic & Social Issues PDF
Concept of Rural Area, Structure of the Indian Rural Economy-Importance and role of
the rural sector in India- Economic, Social and Demographic Characteristics of the
Indian rural economy, causes of rural backwardness.
Rural population in India; Occupational structure, Farmers, Agricultural Labourers,
Artisans, Handicrafts, Traders, Forest dwellers/tribes and others in rural India-
Trends of change in rural population and rural work force; problems and conditions
of rural labour; Issues and challenges in Handlooms
Panchayati Raj Institutions – Functions and Working. MGNREGA, NRLM –
Aajeevika, Rural Drinking water Programmes, Swachh Bharat, Rural Housing, PURA
and other rural development programmes.
नाबार्ड
राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण षिकास बैंक
सहायक प्रबंधक - ग्रेड 'ए' – अषधकारी पद के षिए भर्ती हेर्तु षिषिर्त परीक्षा के षिए पाठ् यक्रम
आर्थडक और सामाजिक मुद्दे
(यह पाठ् यक्रम के िि षिदर्शी है, सम्पूणण िहीं)
आर्थडक और सामाजिक मुद्दे : भारतीय अर्थ व्यवस्र्ा की प्रकृतत, ढाांचागत और सांस्र्ागत ववशेषताएां –अर्थ व्यवस्र्ा
का अल्प ववकास/ भारतीय अर्थ व्यवस्र्ा को मुक्त करना, वैश्वीकरण, भारत में आर्र्थक सुधार – तनजीकरण. मुद्रा
स्फीतत - मद्र
ु ा स्फीतत की प्रकृतत और उसका राष्ट्रीय अर्थ व्यवस्र्ा तर्ा व्यक्क्तगत आय पर प्रभाव. आर्र्थक
आयोजना के उद्देश्य – भारत में आयोजना का मूल्याांकन, गरीबी उन्मूलन और रोजगार सज
ृ न – ग्रामीण और शहरी
- गरीबी का मापन – सरकार के गरीबी उन्मूलन कायथक्रम. जनसांख्या रुझान – जनसांख्या में ववृ ि और आर्र्थक
ववकास – भारत में जनसांख्या नीतत. कृवष – ववशेषताएां/ क्स्र्तत – भारतीय कृवष में तकनीकी और सांस्र्ागत
पररवतथन – कृवष तनष्ट्पादन – भारत में खाद्य सुरक्षा सांबांधी मुद्दे - ग्रामीण ऋण में गैर सांस्र्ागत और सांस्र्ागत
एजेंससयाां. उद्योग – औद्योर्गक और श्रम नीतत – औद्योर्गक तनष्ट्पादन – भारत में औद्योर्गक ववकास में क्षेत्रीय
असांतुलन – सावथजतनक क्षेत्र उद्यम. भारत में बैंककां ग और ववत्तीय सांस्र्ानों में ग्रामीण ववपणन ववकास - बैंककां ग
और ववत्तीय क्षेत्र में सुधार. अर्थव्यवस्र्ा का वैश्वीकरण – अांतरराष्ट्रीय तनधीयन सांस्र्ाओां की भूसमका– अांतरराष्ट्रीय
मुद्रा कोष और ववश्व बैंक, ववश्व व्यापार सांगठन की भूसमका – क्षेत्रीय आर्र्थक सहकार. भारत में सामाक्जक ढाांचा
– बहुलतामूलक सांस्कृतत – जनसाांक्ख्यकी – शहरीकरण और ववस्र्ापन – सांयुक्त पाररवाररक व्यवस्र्ा से सांबांधी मुद्दे
– सामाक्जक ढाांचा – सशक्षा – स्वास््य और पयाथवरण. सशक्षा – सशक्षा की क्स्र्तत और प्रणाली – तनरक्षरता से जड़ु ी
सामाक्जक – आर्र्थक समस्याएां – सशक्षा की प्रासांर्गकता और शैक्षणणक अनुपयोग – भारत के सलए सशक्षा नीतत.
सामाक्जक न्याय - अनुसूर्चत जातत और अनुसूर्चत जनजाततयों की समस्याएां - अनुसूर्चत जातत और अनुसूर्चत
जनजातत और अन्य वपछड़े वगों के सलए सामाक्जक – आर्र्थक कायथक्रम - ववकास के लाभों से वांर्चत वगों के पक्ष
में सकारात्मक पक्षधरता – सामाक्जक आांदोलन – भारतीय राजनीतत व्यवस्र्ा – मानव ववकास. वतथमान आर्र्थक
और सामाक्जक मद्द
ु े.
कृषि और ग्रामीण षिकास: कृषि - भारतीय कृवष और अनुषांगी गततववर्धयों का वतथमान पररदृश्य; कृवष क्षेत्र में
नवीनतम प्रवक्ृ त्तयाां, प्रमुख चुनौततयाां, कृवष में लाभप्रदता बढाने के उपाय; कृवष में उत्पादन का प्रभाव; कृवष ववत्त
और ववपणन; भारतीय कृवष पर वैश्वीकरण का प्रभाव और खाद्य सुरक्षा का मुद्दा; फामथ प्रबांधन की अवधारणा
और प्रकार.
(1) कृवष: पररभाषा, अर्थ और शाखाएां; कृवष ववज्ञान: पररभाषा, अर्थ और कृवष ववज्ञान का दायरा. खेत की
फसलों का वगीकरण; फसलोत्पादन को प्रभाववत करने वाले कारक; कृवष जलवायु क्षेत्र; फसल प्रणासलयाां - पररभाषा
और प्रकार; शुष्ट्क भूसम कृवष की समस्याएां; बीज उत्पादन, बीज प्रसांस्करण और बीज ग्राम; मौसम ववज्ञान: मौसम
के मानदां ड, फसल - मौसम सच
ू ना/ सलाह; वप्रसीज़न फासमिंग, फसल सघनीकरण की प्रणाली, जैव कृवष.
(ख) जल सांसाधन: ससांचाई प्रबांधन: ससांचाई के प्रकार, ससांचाई के स्रोत, फसल - जल आवश्यकता, कमान क्षेत्र
ववकास, जल सांरक्षण तकनीकें, सूक्ष्म ससांचाई, ससांचाई पांप, बह
ृ द्, मध्यम और लघु ससांचाई.
(ग) फामथ और कृवष असभयाांत्रत्रकी (इांजीतनयररांग): फामथ मशीनरी और ऊजाथ, फामथ पर ऊजाथ - मानव ऊजाथ, पशु
ऊजाथ, याांत्रत्रक ऊजाथ, ववद्युत ऊजाथ, पवन ऊजाथ, सौर ऊजाथ, बायोमास, जैव ईंधन, जल सांचय सांरचनाएां, फामथ
तालाब, वाटरशेड प्रबांधन, कृवष प्रसांस्करण, तनयांत्रत्रत और आशोर्धत भांडारण, नश्य खाद्य का भांडारण, गोदाम,
त्रबन और अनाज की कोठी.
(घ) उद्यान और उद्यातनकी: पररभाषा, अर्थ और शाखाएां, ववववध उद्यान और उद्यातनकी फसलों की कृवष
वैज्ञातनक प्रर्ाएां और उत्पादन प्रौद्योर्गकी; उद्यातनकी फसलों का फसलोत्तर प्रबांधन, मल्
ू य और आपतू तथ श्रांख
ृ ला.
(ङ) पशुपालन: खेती में काम आने वाले पशु और भारतीय अर्थव्यवस्र्ा में उनकी भूसमका, भारत में पशुपालन
पिततयाां, पशुधन की ववसभन्न प्रजाततयों से सांबांर्धत सामान्य पाररभावषक शब्द, पशु-प्रजातत का उपयोर्गता-
आधाररत वगीकरण, सामान्य पशुखाद्य और चारा-वगीकरण और उपयोर्गता.
(च) मत्स्यपालन: मत्स्यपालन सांसाधन, प्रबांधन और दोहन - फ्रेशवॉटर, ब्रैककश वाटर और मरीन; अक्वाकल्चर
- इनलैण्ड और मरीन; बायोटे क्नोलॉजी; पोस्ट-हावेस्ट टे क्नोलॉजी. भारत में मत्स्यपालन का महत्व; मत्स्योत्पादन
से सांबांर्धत सामान्य पाररभावषक शब्द.
(झ) पयाथवरण ववज्ञान और जलवायु पररवतथन: पयाथवरण ववज्ञान और मनुष्ट्य, प्राकृततक सांसाधनों तर्ा उनके
धारणक्षम प्रबांधन और सांरक्षण में पयाथवरण ववज्ञान का महत्व; जलवायु पररवतथन के कारण, ग्रीन हाउस गैसें;
ग्रीन हाउस गैसों के उत्सजथक मुख्य दे श, जलवायु ववश्लेषण; अनुकूलन और शमन में अांतर; कृवष और ग्रामीण
आजीववका पर जलवायु पररवतथन का प्रभाव; काबथन क्रेडडट, आईपीसीसी, यूएनएफसीसीसी, सीओपी बैठकें, जलवायु
पररवतथन पररयोजनाओां के सलए तनधीयन तांत्र, भारत सरकार के प्रयास, एनएपीसीसी, एसएपीसीसी, आईएनडीसी.
ग्रामीण षिकास : ग्रामीण क्षेत्र की अवधारणा; भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्र्ा की सांरचना; भारतीय ग्रामीण
अर्थव्यवस्र्ा की आर्र्थक, सामाक्जक और जनसाांक्ख्यकीय ववशेषताएां; ग्रामीण वपछड़ेपन के कारण.
भारत की ग्रामीण आबादी; ग्रामीण भारत की पेशागत सांरचना, ककसान, खेततहर मजदरू , कारीगर, हस्तसशल्पी,
व्यापारी, वनवासी/ आददवासी और अन्य; ग्रामीण आबादी और श्रमशक्क्त में पररवतथन की प्रवक्ृ त्तयाां; ग्रामीण
श्रसमकों की समस्याएां और क्स्र्ततयाां; हर्करघा क्षेत्र - समस्याएां और चन
ु ौततयाां.
पांचायती राज सांस्र्ाएां – कायथ और कायथपितत; मनरे गा; एनआरएलएम; आजीववका; ग्रामीण पेयजल कायथक्रम;
स्वच्छ भारत, ग्रामीण आवासन; पीयूआरए और अन्य ग्रामीण ववकास कायथक्रम.