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इस योग वाला जातक #छिपी हुई बातों और #रहस्यों को समझ के उनको #उजागर करता है ।
एक #वैज्ञानिक भी किसी ना किसी चीज की खोज कर के किसी ना किसी #सिद्धांत को उजागर करता है ।
विज्ञान के क्षेत्र में खोज अष्टम भाव से और अविष्कार पँचम भाव से दे खे जाएंगे।
एक तान्त्रिक किसी के बारे में उसकी छिपी हुई बातों को उजागर करता है ।
किसी तान्त्रिक की बॉडी में कोई दे वी दे वता आकर बोलता है तो वो भी किसी व्यक्ति के छुपे रहस्य खोल दे ता है ।
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किसी सिद्ध पीठ या मन्दिर में ऐसे व्यक्ति मिल जाते हैं जिनकी बॉडी में कोई शक्ति आकर बोलती है और ऐसी ऐसी
बातें बताती है कि जो उस व्यक्ति के अलावा किसी को मालूम ना हो।
भविष्य सम्बन्धी घटना का भी जिक्र उस शक्ति का द्वारा किया जाता है जो बॉडी में आकर बोलती है ।
ये एक लड़का टाइगर मलिक है जिसके अंदर भी एक शक्ति आकर बोलती है और इसी प्रकार की गूढ़ जानकारी को
किसी के सामने बोलती है ।
जैसे इस लड़के के साथ हुआ है , इसने की साधना नहीं की, लेकिन इसके सन्दर खुद लखदाता आता है ।
लड़कियों के साथ भी ऐसा होता है कि उन पर भी कोई भूत, प्रेत, यक्ष, जिन्न आदि फिदा होता है और उनके साथ
रहने लगता है ।
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ये शक्तियाँ साधक के साथ बात कर के उसे तान्त्रिक क्रिया का विधान भी सिखाती हैं।
अगर किसी की आँखों में आपको अपना प्रतिबम्ब उल्टा दिखे तो समझो कि उसके ऊपर किसी नेगिटिव शक्ति का
साया है ।
इतनी छोटी चीज कोई नोटिस नहीं करता कि आँखों मे प्रतिबिंब दे खे।
इस प्रकार ये किसी के बारे में उसकी बहुत सारी बातें बताती हैं चाहे वो भूत भविष्य से सम्बन्धित हो।
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किसी को भूत लगना और भूत कंट्रोल करना, दोनों अलग अलग स्थितियाँ हैं।
जिसको भत
ू लगता है उसे भत
ू का असर आने पर कुछ पता नहीं लगता है , और जिसको भत
ू या कोई दस
ू री शक्ति
कंट्रोल करना आती है तो उसे शक्ति का असर आने पर सब क्लियर दिखता भी है और समझ भी आता है ।
अष्टम भाव में कोई ग्रह हो तो एक तरफ से वो ग्रह परे शान करे गा लेकिन दस
ू री तरफ से किसी ना किसी माध्यम से
सीक्रेट्स को ओपन करे गा।
किसी ग्रह की दृष्टि अष्टम भाव पर होगी तो भी वह सीक्रेट्स ओपन करे गा।
रहस्य का सबसे बड़ा कारक राहु है इसका प्रभाव अष्टम में हो तो जातक गप्ु त शक्तियों की साधना करता है , तन्त्र
मन्त्र का ज्ञान रखता है ।
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अन्य ग्रह भी इसमें सहायक होते हैं, ग्रह स्थिति के अनुसार सबकी स्थिति गूढ़ता पर अलग अलग होगी।
जैसे कि चाणक्य का उदाहरण लें तो उसके लिखे नीतिशास्त्र, अर्थशास्त्र में बहुत बड़ी गढ़
ू ता है ।
#आचार्य_रजनीश #ओशो के अष्टम भाव में 5 ग्रह थे, उसकी गूढ़ता के आध्यत्मिक दर्शन शास्त्र दे ख लो।
[1] कन्या लग्न की कंु डली में अष्टमेश मंगल और भाग्येश शुक्र एक साथ चतुर्थ केन्द्र में बैठे हैं।
गूढ़ता और भाग्य एक साथ है , मतलब धार्मिक ज्ञान और सीक्रेट्स आपस मे जुड़े हैं।
जो भी गढ़
ू ता उजागर होगी वो धार्मिक माध्यम से उजागर होगी।
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इस लड़के में लखदाता पीर आता है और बोलता है ।
मन के कारक चन्द्रमा से जब भाग्य औए गूढ़ता मिश्रित हो रही है तो इसका मन कुदरती तौर पे ऐसी शक्तियों की
तरफ खींचा जाएगा और ऐसा ही इसने लिखा भी है ।
तत
ृ ीय भाव में बध
ु ादित्य योग बना है और इसकी दृष्टि नवम भाव पर धार्मिक ज्ञान में वद्धि
ृ कर रही है , आधयात्मिक
चमत्कार दर्शा रही है ।
[5] अष्टम भाव पर राहु की नवम दृष्टि है और अष्टमेश मंगल, भाग्येश शक्र
ु पर भी राहु की पँचम दृष्टि है ।
रहस्य का सबसे बड़ा कारक राहु इसको ऐसा प्रभाव दे रहा है कि ये रहस्यों को समझने में सक्षम हो जाएगा।