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भगवान ् के दशों अवतारों की जन्म तिथियां ---

आनन्द रामायण के मनोहर काण्ड के तीसरे सर्ग के अनुसार चैत्र शुक्ल पंचमी को अपरान्ह काल में भगवान ् मत्स्य
का अवतार ।

ज्येष्ठ शुक्ल द्वादशी को कूर्मावतार ।

चैत्र कृष्ण नवमी को अपरान्ह काल में वाराहावतार ।

वैशाख शुक्ल चतुर्द शी को सायंकाल में नसि


ृ हं अवतार ।

भाद्रपद शुक्ल द्वादशी को मध्यान्ह-काल में वामन अवतार ।

वैशाख शक्
ु ल तत
ृ ीया के मध्यान्ह-काल में परशरु ाम अवतार ।

अयोध्या में महाराज दशरथ के यहां चैत्र शक्


ु ल नवमी के दोपहर में श्रीराम अवतार हुआ ।

भाद्रपद कृष्ण अष्टमी के मध्यरात्रि में कृष्णावतार ।

पौष शुक्ल सप्तमी सायं बौद्धवतार हुआ ।

बुद्ध दो हुए हैं --- एक भगवान ् बुद्ध और दस


ू रे गौतम बद्ध
ु ।
भगवान ् बद्ध
ु का अवतार दे वताओं के द्वारा प्रार्थना किये जाने पर असुरों की वैदिक यज्ञों के प्रति अश्रद्धा उत्पन्न
करने के लिए हुआ था , क्योंकि इसका अनुचित लाभ उठाकर वे दे वताओं को त्रस्त करते थे ।

अतः दे वताओं का कल्याण करने के लिए तरु न्त ही विष्णु भगवान ् मख


ु पर पट्टी बांधे , सफेद वस्त्र धारण किये ,
मोरपंख का झाड़ू तथा चामर लिये फूंक-फूंक कर पैर रखते हुए असुरों के बीच में प्रकट हुए तथा वेद-विरुद्ध उपदे श
दे कर तुरन्त अंतर्धान हो गये ।

किन्तु महात्मा बद्ध


ु का जन्म इस अवतार के कई वर्षों बाद अयोध्या के समीप कपिलवस्तु नामक नगरी में महाराज
सुद्धोधन की पत्नी मायावती के गर्भ से हुआ । इनका जन्म वैशाख शुक्ल पूर्णिमा को हुआ और इनका नाम था
सिद्धार्थ । इनकी गणना अवतारों में नहीं आती है ।

पाली भाषा में लिखे अनेक बद्ध


ु ों के चरित्र हिन्दी टीका सहित काशी से प्रकाशित हैं , जिनके अनुसार वैशाख शुक्ल
पर्णि
ू मा को बद्ध
ु को वन बोधि वक्ष
ृ के नीचे बोध हुआ था । अतः यह बोध जयन्ती है , बद्ध
ु जयन्ती नहीं ।

माघ शुक्ल तत
ृ ीया को सायंकाल जब कलियुग ८०० वर्ष शेष रहे गा ; तब दे वताओं की प्रार्थना से भगवान ् विष्णु
सम्भल ग्राम में कल्कि के रूप में अवतार लेंगे ।

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