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वसु

देवताओं का एक समूह

हिन्दू धर्म में आठ वसु हैं जो इन्द्र या विष्णु के रक्षक देव


हैं। 'वसु' शब्द का अर्थ 'वसने वाला' या 'वासी' है।

परिचय
लघु सर्वेक्षण
करके
वसुगण प्राय: 'अष्टवसु'
विकिपीडिया
कहलाते हैं क्योंकि इनकी को बेहतर
संख्या आठ है। यद्यपि बनाने में हमारी
इनके नामों में भेद पाया मदद करें
जाता है, तथापि आठों का सर्वेक्षण देखें
जन्म दक्षकन्या और धर्म नहीं, धन्यवाद
की पत्नी वसु में हुआ था। सर्वेक्षण डेटा किसी
तीसरे पक्ष द्वारा
यह 'अष्टवसु' एक देवकु ल
प्रबंधित किया जाता है।
था। स्कं द, विष्णु तथा गोपनीयता नीति ।
हरिवंश पुराणों में इनके
नाम धर, ध्रुव, सोम, अप्, अनल, अनिल, प्रत्यूष तथा
प्रभास हैं। भागवत में इनके नाम क्रमश: द्रोण, प्राण, ध्रुव,
अर्क , अग्नि, दोष, वसु और विभावसु हैं। महाभारत में
अप् के स्थान में अह: और शिवपुराण में अयज नाम
दिया है। अष्टवसुओं के नायक अग्नि हैं। ऋग्वेद के
अनुसार ये पृथ्वीवासी देवता है। तैत्तिरीय संहिता और
ब्राह्मण ग्रंथों में इनकी संख्या क्रमश: ३३३ और १२ है।
पद्मपुराण के अनुसार वसुगण दक्ष के यज्ञ में उपस्थित थे
और हिरण्याक्ष के विरुद्ध युद्ध में इंद्र की ओर से लड़े थे।
जालंधर दैत्य के अनुचर शुंभ को वसुओं ने ही मारा था।
भागवत में कालके यों से इनके युद्ध का वर्णन है।
स्कं दपुराण के अनुसार महिषासुरमर्दिनी दुर्गा के हाथों
की उँगलियों की सृष्टि अष्टवसुओं के ही तेज से हुई थी।

पितृशाप के कारण एक बार वसु लोगों को गर्भवास


भुगतना पड़ा। फलस्वरूप उन्होंने नर्मदातीर जाकर १२
वर्षों तक घोर तपस्या की। पश्चात् भगवान शंकर ने इन्हें
वरदान दिया। तदनंतर वसुओं ने वही शिवलिंग स्थापित
करके स्वर्गगमन किया।

वसु नाम के अनेक वैदिक एवं पौराणिक व्यक्तियों का


उल्लेख आया है। उत्तानपाद, नृग, सुमति, वसुदेव, कृ ष्ण,
ईलिन्, भूतज्योति, हिरण्यरेतस्, पुरूरवस्, वत्सर, कु श
आदि राजाओं के पुत्रों के नाम भी यही थे। इनके
अतिरिक्त सावर्णि मनु, स्वायंभुव मनु, इंद्र, वसिष्ठ ऋषि,
मुर दैत्य, भृगवारुणि ऋषि के पुत्र भी वसु नामधारी थे।

इन्हें भी देखें

वसुदेव

"https://hi.wikipedia.org/w/index.php?
title=वसु&oldid=5957033" से प्राप्त

अन्तिम परिवर्तन 14:10, 18 सितंबर 2023। •


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